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Adultery PADMA ( Part -1)
Next update next update next update kab aayega please tell
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kitna wait karwaoge ,update do yaar

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Please update bahut jyada gap ho gaya hai please please update please
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Photo 
मैं उन सभी लोगों का मन से धन्यवाद देता हूँ , जिन्होंने मेरी इस कहानी को पसंद किया और अपना प्यार और समर्थन इस कहानी को दिया । 
पिछले कुछ समय से व्यस्त होने के कारण मैं अगली अपडेट नहीं दे पाया हूँ , किन्तु मैं आप सभी को बता देना चाहता हूँ कि दोस्तों अगले अपडेट पर काम जारी हैं । दरसल अपडेट लिखने मे इतना समय नहीं लगता जितना उससे related , photos aur gifs खोजने मे लगता है । मुझे बस केवल थोड़ा समय और देदो दोस्तों .........।..। 
पुनः आप सभी का बोहोत - बोहोत धन्यवाद ......। 
[Image: 20230108-170425.gif]


1. Abhi T - thank you very much brother for always ........
2. jyotimoy123 - A big thank u .....
3. mohitkumarhot - so much wala thank u bro ....
4. Wickedguy - thanks for your appreciation brother 
5. abcturbine - thanks for supporting me bro ..
6. Explorer@life - Thank you so much brother ...
[Image: 203621292-ezgif-com-video-to-gif-76-n.gif]
[+] 1 user Likes Ravi Patel's post
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Bro good luck for the next update per ho sake to Sunday Tak update Dene ki koshish karo please
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Take care brother..
Don't worry take your time..
Your pics and GIF SELECTION IS BEST....
TAKE YOUR TIME AND GIVE GRAND AND BIG UPDATE..
Waiting for you..
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koi baat nahi ,kam se kam aakar to bata diya ki busy hu ,update jaldi hi aayega

update jaldi dene ki kosish karna

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Is there any possibility for update
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Update update update update please the next update update
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still waiting

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Yaar bro ab to update de do bahut time ho gaya please please update do
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11." नहीं नहीं ये मुझसे क्या हो गया ....॥"

" ये मैंने क्या कर दिया ... हे भगवान ! "
" मैं कैसे अशोक का सामना करूँगी । "
"अपने कामुक बदन की आग मे अन्धी होकर मैं कितना बड़ा पाप कर बैठी..।"
अपने घर के अन्दर दरवाजे के पास खड़ी मैं अपनी की हुई करतूत पर अपने आप को धिक्कार रही थी ।
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" ये मुझे क्या होता जा रहा है ....?"
" ये सब मर्द मुझे मेरी मर्यादा के मार्ग से भटकाने के लिए क्योँ मेरे पीछे पड़े है ....?"
" आज तो गुप्ता जी ने मुझे बस मे कह भी दिया था कि वो तो मुझे बर्बाद ही करना चाहते है ..., फिर भी , मैंने कैसे उनका वो .........।..।"
" नहीं ...... नहीं ....... ये काम तो मैंने कभी अशोक के साथ भी नहीं किया और गुप्ता जी तो फिर भी एक 50 वर्षीय बूढ़े मर्द है ...। "
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" बूढ़े .......?  ह् खाक बूढ़े है .... उनके लिंग का तवान और लम्बाई देखकर तो ऐसा लगता है जैसे किसी 25-26 साल के नौजवान का लिंग है । "
" नहीं नहीं ....... ये मैं भी क्या सोचने लगी ..... फिर से नहीं ...... । "
अभी भी मैं अपने मन को बोहोत डाँट रही थी लेकिन फिर भी रह रहकर गुप्ता जी के उस लंबे लिंग का ध्यान मेरे दिमाग से निकल नहीं रहा था । गुप्ता जी के लिंग की परछाई मे दिलों दिमाग पर ऐसी छाई थी कि मैं चाहकर भी उसे भूल नहीं पा रही थी ।
[Image: 223855910-a1472.jpg]
 जब भी मैं उस लम्हे को याद करती जब मैंने खुद झुककर गुप्ता जी का वो लम्बा काला मोटा लिंग अपने नाजुक गुलाबी होंठों मे लिया था तो मेरा रोम रोम मे जिस्म से उखड़ जाता । अपने जिस्म मे दिन पर दिन आने वाले बदलाव से मैं खुद भी हैरान हो रही थी ...। 
[Image: 1674798121784.webp]
"ये सब कब रुकेगा ..? "
"अब तो मुझे अपने पर से भरोसा ही उठने लगा है , कही किसी दिन मैं अपने इस जिस्म की गर्मी की गुलाम होकर अपनी सारी हदे ही ना तोड़ दूँ ? अगर ऐसा हुआ ना तो मेरे पास डूबकर मरने के अलावा कोई चारा नहीं होगा । "
कितनी ही देर तक तो मैं अपनी आज गुप्ता जी के साथ की हुई हरकतों पर पछताती रही 
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, लेकिन अब समय तेजी से बीत रहा था । रात होने को आई थी और अशोक के घर आने का समय हो चला था , मुझे रात के खाने की तैयारी भी करनी थी । इसलिए मैं अपने मन को शांत करते हुए पहले बाथरूम मे गई और सबसे पहले अपनी पेन्टी जो मेरे चुतरस से बिल्कुल भीग चुकी थी को निकाला और फिर दूसरी साफ पेन्टी पहन ली
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 उसके बाद मैंने अपने चेहरे को अच्छे से धोया और गुप्ता जी के लिंग का स्वाद अपने मुहँ से निकालने के लिए कई बार कुल्ला भी किया ।
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 पानी से अपनी सफाई करने से मैंने गुप्ता जी के लिंग का स्वाद तो अपने मुहँ से निकाल दिया लेकिन अपने दिमाग और मन से मैं आज की घटना को कैसे दूर करूंगी और अगर करना भी चाहूँ तो गुप्ता जी मुझे ऐसा करने नहीं देंगे , वो कभी इस बात को ना खुद भूलेंगे ना ही मझे भूलने देंगे ।  
7 बजे मैं कीचेन मे खाना बना रही थी , मगर मेरा मन खुद से ही बात करने मे लगा था तभी दरवाजे की घण्टी बजी और मेरे कान खड़े हो गए और घबराहट के मारे दिल की धड़कने भी बढ़ गई । मैं जान गई थी के ये अशोक ही है ..... मगर दरवाजा खोलकर अशोक के सामने आने से मैं कतरा रही थी । मैंने कितनी ही देर कीचन मे लगा दी और तब तक डॉर बेल 2 बार बज चुकी थी फिर मैंने जल्दी से अपने कदम गेट की ओर बढ़ाए और खुद को नॉर्मल करते हुए दरवाजा खोला ...।
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अशोक मुझे सामने देख मुस्कुराये और अन्दर आकर मुझे हग करते हुए बोले - " कैसी हो बीवी जी .... आज सुबह तो तुम्हारा मूड बोहोत ऑफ था बोलो ठीक हुआ या नहीं । "
मैं धीरे से अशोक से अलग हुई और उसे कहा - " मैं ठीक हूँ .... आप आइये ..... । "
फिर मैं और अशोक अन्दर हॉल मे आ गए । अशोक सोफ़े पर बैठकर अपनी दिनभर की थकान उतारने लगे और मैं कीचेन मे जाकर उनके लिए पानी लेकर आई । अशोक ने पानी पिया और फिर मेरे चेहरे की ओर देखकर कहा - " क्या हुआ पदमा ? तुम कुछ परेशान सी लग रही हो ?" 
अशोक ने मेरे चेहरे के हाव-भाव को पढ़ लिया था । अशोक को मुझ पर कुछ शक ना हो जाए इसलिए मैंने अपने चेहरे पर थोड़ी मुस्कुराहट लाते हुए अशोक से कहा - " नहीं ... नहीं .... एसी कोई बात नहीं बस वो आज जरा बैंक गई थी ना तो वहाँ कुछ ज्यादा ही समय लग गया और थोड़ी थकान सी हो गई । "
अशोक - ओह अच्छा ..... मैं तो भूल ही गया था उस बारे मे वैसे क्या कहा है बैंक मैनेजर ने ?
मैं - कुछ नहीं बस कुछ डॉक्यूमेन्ट सबमिट करने थे अब बस कुछ दिनों बाद एक बार जाके रि-कनफ़र्म करना पड़ेगा की सब ठीक है क्या  । 
अशोक - चलो तो अच्छा है ... बस तुम जल्दी से खाना बना लो फिर आराम कर लेना आज तुम बोहोत थक गई होगी । 
मैं - खाना तो तैयार है ... आप बस फ्रेश हो जाइए , मैं लगती हूँ । 
अशोक - ओके माइ डार्लिंग । 
ऐसा कहते हुए अशोक उठे और मेरे पास आकर अपने हाथों से मेरे चेहरे को पकड़कर पहले मेरे माथे पर अपने होंठों से चूमा और फिर गाल पर चूमा । 
[Image: 20220904-024347.gif]
और इसके बाद फ्रेश होने बाथरूम मे चले गए और मैं किचन मे । 
किचन मे खाना लगाते हुए मैं ये सोचने लगी कि "भला कितना प्यारा पति मिला है मुझे और मैंने आज उसे ही धोका दे दिया , वो भी एक 50 साल के आदमी के साथ । लेकिन मैं भी क्या करूँ मैं भी तो एक औरत हूँ आखिर मेरे भी तो कुछ अरमान है अगर वो अशोक पूरा नहीं कर पा रहा तो ये उसकी गलती है मेरी नहीं ,,,,,,
नहीं नहीं मैं ये सोच भी कैसे सकती हूँ अशोक ने तो मेरे लिए कितना कुछ किया , मुझे दूसरे मर्दों से उसकी तुलना नहीं करनी चाहिए , वो मेरे पति है और मेरे लिए सब कुछ है । "
थोड़ी ही देर मे अशोक फ्रेश होकर वापस हॉल मे आ गए , तब तक मैंने भी खाना लगा दिया था । उसके बाद मैंने और अशोक ने एक साथ मिलकर खाना खाया , अशोक बीच-बीच मे बात करते रहे लेकिन मेरा मन अब उनकी बातों मे नहीं था । जब हमारा खाना खत्म हो गया तो मैं डाइनिंग टेबल से बर्तन हटाने लगी और उन्हे कीचेन मे रख दिया इसी बीच अशोक ने मुझे पीछे से आवाज दी -
अशोक - पदमा !
मैं अशोक की आवाज सुनकर पीछे घूमी और पूछा - " कहिए ..... ?"
[Image: igkjnsgj.jpg]
अशोक - तुम्हारा कमर-बन्द कहाँ है ?
अशोक का सवाल सुनकर मेरे होश उड़ गए ,,गुप्ता जी ने बस मे मेरे जिस्म से खिलवाड़ करते हुए मेरा कमर-बन्द उतार लिया था और फिर जल्दी-जल्दी मे बस से उतरने के चक्कर मे, मैं उनसे वो लेना भी भूल गई , लेकिन अब अशोक का सवाल सुनकर मुझे अपने कमरबंद की याद आई । अशोक के सामने सामान्य रहने का ढोंग करते हुए मैंने कहा - " वो ... वो आज गलती से काम करते हुए निकल गया था और फिर उसे पहनने का वक्त ही नहीं लगा । "
अशोक - अच्छा ...., चलो तो मैं सोने जा रहा हूँ तुम भी अपना काम खत्म करके जल्दी आ जाना । 
मैं - जी ठीक है ।
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[Image: 20220922-152950.jpg]
उसके बाद अशोक अपने रूम मे चले गए और थोड़ी देर वहीं यूँ ही खड़ी रही और आज हुई घटना पर विचार करने लगी---" अभी तो तू झूठ बोलकर बच गई पदमा ... लेकिन अगर अशोक ने कल फिर तुझसे पूछ लिया कि कमरबन्द कहाँ है तो क्या जवाब देगी ? 
[Image: 283444776-resize-icg.jpg] 

  अपना बचा हुआ काम खत्म करके मैं भी सोने चली । अशोक आँखे बन्द किये हुए बेड पर लेटे हुए थे शायद सो गए थे । मैंने उन्हे डिस्टर्ब नहीं किया अपने बेडरूम के बाथरूम मे जाकर चेंज करके एक नाइटी पहन ली
[Image: 1668410519075.png]
 और अशोक की बगल मैं जाकर लेट गई और थोड़ी देर आज हुई बातों को याद करते हुए सोने की कोशिश करने लगी । नींद कब आई ये तो पता नहीं लेकिन जागने तक बस यही दिमाग मे घूम रहा था कि " अब पता नहीं गुप्ता जी कौन सा नया जाल फेंकेगे मुझपर ,,,, अब तो मैं उनसे नजरे भी नहीं मिला पाऊँगी । उनके पास मेरी पेन्टी तो पहले से ही थी और आज उन्होंने मेरा कमरबन्द भी ले लिया और आगे पता नहीं और क्या-क्या लेंगे वो मेरा ?????"
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सुबह मेरी नींद थोड़ी जल्दी ही खुल गई 
[Image: hjsg.jpg]
और एक नए दिन की शुरुवात के साथ मैं भी एक तरोताजा मिजाज से बिस्तर से उठकर अपने रोजमर्रा के कामों मे लग गई फ्रेश होकर अशोक के लिए ब्रेकफ़ास्ट बनाया और ठीक 8 बजे अशोक अपने ऑफिस के लिए निकल गए । उनके जाने के बाद मैं नहाने चली गई ,
[Image: 269829210181f515b0405ddfcc6059df9fe358b6.gif]
 इस दौरान मैं अपने साथ कल हुई सभी बातों को पूरे तरीके से भूला चुकी और अपनी ही दुनिया मे मस्त थी नहाकर मैंने अपनी साड़ी पहनी और फिर थोड़ी धूप सेकने की चाहत से अपनी खिड़की के पास आकर खड़ी हो गई । खिड़की के बाहर से अन्दर की ओर आती हुई उन धूप की मीठी किरणों ने मुझे उत्साहित कर दिया[Image: y5tyguug.jpg]
 और फिर मैं अपने घर के दूसरे कामों मे व्यस्त हो गई । वरुण तो अभी कुछ दिन आने वाला नहीं था तो मुझे ज्यादा काम भी नहीं था । वैसे तो पूरा दिन बोहोत ही अच्छे से शांति और सुकून से गुजर रहा था लेकिन लगभग 5 बजे मेरे मोबाईल फोन पर एक अनजान नंबर से कॉल आई ,पहले तो उसे देखकर मुझे थोड़ा अजीब सा लगा 'ना जाने कौन अनजान नंबर से कॉल कर रहा है ' लेकिन फिर मैंने उसे रिसीव किया ।।[Image: irueeg.jpg] 
मैं - हैलो 
कॉलर - " हैलो पदमा ....! "
वह एक मर्द की आवज थी आवाज मुझे कुछ जानी पहचानी सी लगी , लेकिन मैं सही से माँझ नहीं पाई कि किसकी आवाज है ?
मैं - कौन बोल रहा है ?
कॉलर - पदमा , मैं नितिन बोल रहा हूँ ।
'नितिन ' का नाम सुनते ही मेरे कान खड़े हो गए , ' अब ये क्यूँ कॉल कर रहा है ? इसे क्या परेशानी है ? और इससे भी बड़ा सवाल इसे मेरा नम्बर कैसे मिला ?' सवाल तो कई थे और मैं अपनी ओर से नितिन से कोई भी बात नहीं करना चाहती थी । कल गुप्ता जी के साथ बस मे हुई घटना के बाद से ही मेरा मन कुछ चिड़चिड़ा सा हो गया था ।  
मैं - तुम .......। तुम्हें मेरा नंबर कैसे मिला ?
नितिन - ये नहीं पूछोगी की कैसा हूँ ?
मैं - साफ साफ बातों तुम्हें मेरा नम्बर कैसे मिला ?
[Image: 28459396dd48b4b1ff236af16014de5c0492beac.jpg]
नितिन - ये कोई मुश्किल काम नहीं है । 
मैं - फोन क्यूँ किया ?
नितिन - तुम कैसी हो पदमा ?
मैं -मैं ठीक हूँ और बोहोत खुश हूँ अपने पति से साथ , तुम ये बताओ फोन क्यूँ किया ?
नितिन - क्या हुआ पदमा तुम इतनी रुडली क्यूँ बात कर रही हो ?
मैं - नितिन मुझे तुमसे कोई बात नहीं करनी है  , मैंने तुम्हें पहले भी कहा था कि मुझे तुमसे कोई रिस्ता नहीं रखना । 
नितिन - रिस्ता रखने को तो मैं भी नहीं कह रहा हूँ मेरी पदमा , बस ये बता दो इतना मूड ऑफ क्यूँ है ? अशोक से झगड़ा हो गया क्या ?
मैं - तुम्हें इससे कोई मतलब नहीं होना चाहिए । 
नितिन - चलो इससे ना सही तुमसे तो है । 
मैं - नहीं मुझसे भी नहीं । 
नितिन - ऐसा क्यूँ कह कह रही तो मेरी कामा-महारानी , तुम नहीं जानती कितनी दिलों-जान से चाहता हूँ मैं तुम्हें । काश तुम मेरी पत्नी होती तो बस ........... 
मैं - तुम अपनी ये बेकार की बातें बन्द करते हो या नहीं ?
नितिन - ये तो कोई बेकार की बाते नहीं है , जो भी है सच है । 
मैं - मुझे तुम्हारे सच मैं कोई दिलचस्पी नहीं है , तुम अपना फोन करने का कारण बताओ । 
नितिन - कारण .... तो तुम जानती हो मेरी प्यारी पदमा । 
मैं समझ गई थी कि नितिन जरूर उस फाइल का जिक्र करेगा जो उसने पहले मुझसे मांगी थी और जिसके बारे रफीक और अशोक भी बात कर रहे थे । 
मैं - तुम फाइल के बारे मे बोल रहे हो ना ?
नितिन - हाँ मेरी प्यारी पदमा । 
मैं - देखो नितिन , मेरी बात साफ साफ सुन लो मैं किसी भी हालत मे अपने पति को धोखा नहीं दूँगी , अगर तुम्हें वो फाइल चाहिए तो अशोक से ही ले लो । 
नितिन - लेकिन वो मुझे नहीं देगा प्लीज समझो मेरी बात को .....। 
मैं - तो मैं तुम्हारे लिए कुछ नहीं कर सकती । 
नितिन - पदमा जिस पति से के लिए तुम इतना सब कर रही हो ना जिसे तुम इतना भला आदमी समझे बैठी हो वो कोई दूध का धुला नहीं है , आज अगर मैं अपनी ही कम्पनी से निकला हुआ हूँ तो ये सब उसकी वजह से ही है । 
मैं - तो मैं क्या करूँ ? वो मेरे पति है , ऑफिस मे तुम्हारे और उनके बीच क्या होता है इससे मुझे कोई ताल्लूक नहीं । मेरे लिए तो उन्होंने सब कुछ किया है । 
नितिन - अच्छा और मैं ? मैं कुछ नहीं हूँ ! भूल गई वो सारे पल जो हमने साथ मे बिताए । भूल गई जब मैं तुम्हारे घर आया था पहली बार तुम्हें अपनी बाहों मे भरकर अपनी गोद मे उठा लिया था मैंने । जब उस दिन पार्टी मे तुमने मुझसे वादा किया था कि हम दोस्त है और फिर उससे अगले दिन जब मैं तुम्हें केक बनाना सिखाने आया था तब हम दोनों ने कितनी मस्ती की थी साथ मे । और फिर जब उस दिन मॉर्निंग वॉक पर हम दोनों ने कितने मजे कीये ,,,,,, तुम तो सब भूल गई । 
नितिन अपनी बातों से मुझे कमजोर बना रहा था , जैसे-जैसे उसने अपनी एक-एक बात दोहराई , मेरे जहन मे उसकी की हुई वो सभी हरकते एक बार फिर से चलने लगी । भले ही गुप्ता जी का लिंग चूसने के बाद मुझे अफसोस और पश्चाताप हुआ लेकिन ये भी सच है कि उनका लिंग चूसते हुए मुझमे मजे और वासना की ऐसी लहर दौड़ गई थी ,
[Image: ezgif-4-12d92d2e04c5.gif]
 जिसमे मैं सब कुछ भूल गई थी और अब नितिन अपनी बातों से फिर से मुझे उसी रंगीन दुनिया की ओर खिंच रहा था । 
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मैं - नितिन ...... । मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा कौन सही है ? कौन गलत ?

नितिन - तुम मुझ पर भरोसा करो पदमा, मैं कल तुम्हारे घर आकर तुम्हें सब समझा दूँगा ।
जैसे ही नितिन ने घर आने की बात कही मैं घबरा गई । मैं जान गई थी कि नितिन घर आकर मेरे साथ जरूर कुछ ना कुछ ऐसा करेगा जिससे मैं अपने आप को खो दूँगी ।    
मैं - नहीं ..... नहीं ..... नितिन , तुम यहाँ मत आना । मुझे थोड़ा टाइम दो मैं अशोक से बात करूंगी ...... उसके बाद ही मैं किसी सही निर्णय तक पहुँच सकूँगी । 
नितिन( थोड़ा हँसते हुए) - ठीक है , ठीक है ...। तुम घबराओ मत मैं नहीं आऊँगा । तुम अशोक से बात कर लेना और सुनो तुम्हें उससे किसी भी तरह से फाइल के बारे मे बात करनी ही होगी तभी तुम उसका सही रूप देख पाओगी । 
मैं ( थोड़ी राहत से ) - हम्म ठीक है । वैसे क्या तुम अभी-भी शहर से बाहर हो ?
नितिन - हाँ कल आऊँगा थोड़े टाइम के लिए । अच्छा तो चलो मे चलता हूँ कल कल करूंगा ,,,,, बाय । 
मैंने कोई उत्तर नहीं दिया और बस फोन कट कर दिया और कितनी ही देर तक नितिन की बातों को याद करती रही , सोचती रही कि क्या बात करूंगी अशोक से । 
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रात के लगभग 8 बजे मैं और अशोक दौनों डाइनिंग टेबल पर खाना खा रहे थे । अशोक अपने खाने मे लगे हुए थे और मैं इस उधेड़-बुन मे थी कि अशोक से नितिन और फाइल के बारे मे बात करूँ तो कैसे ? मुझे याद है जब अशोक उस फाइल को लेकर घर आए थे तभी वो कुछ परेशान से लग रहे थे और जब उनसे मैंने नितिन के बारे मे बात की थी तो वे बोहोत ही विचलित से गए थे और फिर कल भी अशोक , रफीक से उस फाइल के बारे मे बात कर रहे थे और उनकी बातों से साफ जाहिर था कि 'दाल मे कुछ तो काला है' ।  काफी देर तक सोचने के बाद भी मैं हिम्मत नहीं कर पा रही थी कुछ कहने की । फिर आखिर मे मैंने एक बहाने से अशोक से बात शुरू की ......। 
मैं - .... आज आप बोहोत थके-थके से लग रहे है ,, काम कुछ ज्यादा है क्या ऑफिस मे ?
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अशोक - अरे हाँ वो बस .... थोड़ा ज्यादा ही हो गया है आजकल । 
मैं - हाँ ... अब तो आप ग्रुप हेड है .... पहले नितिन था उसे भी ऐसे ही करना पड़ता होगा । 
अशोक ने नितिन का नाम सुनकर खाना , खाते हुए मेरी ओर देखा और फिर रुक गए फिर बोले - " नितिन तो बेवकूफ था ..... अगर अपना काम सही से करता तो आज यहाँ ही ना होता कम्पनी मे । "
मैं - हम्म । वैसे आप कह रहे थे कि वो वापस आ जाएगा , कब आ रहा है वो ? 
अशोक(माथे पर शिकन के साथ) - तुम ये नितिन की बात लेकर क्योँ बैठ गई ? आ जाएगा ..... नहीं भी आएगा तो भी क्या फ़र्क पड़ता है ?
अशोक की बातों से उसकी नितिन के प्रति कड़वाहट साफ झलक रही थी । 
मैं - नहीं ऐसी बात नहीं है ,,,, मैं तो बस एसे ही पूछ रही थी कि अगर वो कभी फिर से फाइल लेने आए तो ........ ?
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अशोक ( बीच मे ही )- फाइल ? कौन सी फाइल ? ........ वो फाइल । नहीं बिल्कुल नहीं उसे कोई फाइल देने की जरूरत नहीं है .... और वो फाइल जो मैंने तुम्हें रखने को दी थी वो तो बिल्कुल नहीं । 
मैं - ठीक है ...। मैं तो इसलिए बोल रही थी क्योंकि अपने ही उसे पहली बार घर भेज था फाइल लेने के लिए । 
अशोक ( उसी गंभीरता से) - हाँ तो ... अब मैं ही मना कर रहा हूँ । नितिन को अब घर मे घुसने भी मत देना । 
अशोक के इस बदले हुए व्यवहार से मैं भी चौंक गई और समझ नहीं आया कि आखिर अशोक, नितिन से इतने नाराज क्यों है ?
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मैं - अच्छा ठीक है गुस्सा क्यों कर रहे हो ? ऐसा क्या हो गया नितिन के साथ ?
अशोक ( और भी भारी आवाज मे )- देखा पदमा .... मेरा दिमाग उस नितिन के बच्चे का नाम सुनते ही खराब हो जाता है । बेहतर होगा कि तुम उसका नाम मेरे सामने फिर ना लो । 
मैंने अशोक की बात सुनी और हाँ मे सर हिलाया । 
मैं - जी ठीक है ..... वैसे क्या वो फाइल बोहोत ज्यादा जरूरी है मेरा मतलब अगर नितिन उसे लेना चाहे तो .......? 
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अशोक ( जोर से अपनी कुर्सी से उठते हुए ) - क्या तुम्हारा दिमाग ठिकाने पर नहीं है पदमा ? मैंने तुम्हें कहा ना कि मुझे उसका नाम नहीं सुनना और रही फाइल की बात तो वो तो नितिन को तो क्या किसी को भी मत देना मुझसे बिना पूछे ।  
अशोक तो मुझ पर एकदम से चिल्ला ही पड़े , वो ऐसे तो आजतक कभी गुस्सा नहीं हुए थे  पर आज नितिन की बात सुनते ही उनका ऐसा रूप देखने को मिलेगा , मैंने सोच नहीं था । अशोक के ऐसे चिल्लाने से मैं तो डर ही गई ,
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 मगर साथ मे मुझे ये भी शक हो गया कि नितिन की बात मे कुछ ना कुछ सच्चाई तो है तभी अशोक ऐसे भड़क गए । मैंने थोड़ा डरते हुए अशोक से पूछा - " आप इतना गुस्सा क्यों हो रहे हो ?"
अशोक - गुस्सा दिलाने वाली बात करती हो और पूछती हो गुस्सा क्यूँ हो रहा हूँ ।  
  मैं - मैं तो बस पूरी बात जानना चाहती थी ।
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अशोक - कोई जरूरत नहीं है , जितना जानती हो बोहोत है । 
इतना कहकर अशोक डाइनिंग टेबल से चले गए और सीधे बेडरूम मे चले गए । मैं डरी सहमी सी कितनी ही देर वहाँ डाइनिंग टेबल पर बैठी रही फिर मुझे एहसास हुआ कि मैंने गलती से अशोक को कुछ ज्यादा ही गुस्सा दिला दिया , शायद मुझे उनसे इतनी बात नहीं कहनी चाहिए थी , मुझे उन्हे मनाना चाहिए ।  मैंने जल्दी से अपना बाहर का काम खत्म किया और बेडरूम मे चली गई । बेडरूम के अन्दर अशोक बेड पर लेटे हुए थे ,उनकी आँखे खुली थी मगर उन्होंने एक बार भी मेरी ओर नहीं देखा मैं चुपचाप उनके बेड एक पास गई ओर लेट गई , मगर कुछ बोली नहीं । जब कुछ देर तक हम दोनों शांत बेड पर लेटे रहे तो मैं खुद ही मुस्कुराते हुए अपनी जगह से उठी ओर अपना हाथ अशोक की छाती पर रखते हुए उनके सीने पर लेट गई , लेकिन अशोक ने कुछ नहीं कहा और ना ही कुछ किया फिर मैंने ही उस कमरे मे पसरे मौन व्रत को तौड़ा ..
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मैं - नाराज हो मुझसे ...... ?
मेरी बात सुनकर भी अशोक पर कोई असर नहीं हुआ उल्टा उन्होंने मेरा हाथ अपने सीने से हटा दिया और " रात बोहोत हो गई है सो जाओ" कहकर मेरी तरफ से मुहँ फेरकर अपनी पीठ मेरी ओर करके लेट गए । अशोक की इस बेरुखी से मेरी आँखों मे आँसू आ गए वो तो इतनी बेरुखी से मुहँ फेरकर लेट गए जैसे मैंने कोई बोहोत बड़ा पाप कर दिया हो । मैं अपने बिस्तर से उठकर बैठ गई ,, और समझने की कोशिश करने लगी कि , मुझसे ना जाने कहाँ गलती हो गई , मैंने क्या गलत किया या फिर गलत अशोक ही है । मैंने दोबारा अशोक की तरफ देखा तो वो आँखे बन्द कीये सो रहे थे मैं भी थोड़ी देर ऐसे ही बैठे रहने के बाद अपनी भीगी पलको के साथ बिस्तर पर लेट गई ।
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मैंने  अपने कपड़े भी नहीं बदले , मन ही नहीं किया और ऐसे ही चादर लेकर लेट गई । आँखों मे नींद की तो जगह ही नहीं थी बस ऐसे ही लेटे रही । नींद कब आई ये तो नहीं पता लेकिन रात के लगभग 1 बजे मेरी नींद खुल गई जिसकी वजह थी बाहर गेट से आती किसी के फुसफुसाने की आवाज ।
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 मुझे लगा कहीं कोई चोर तो घर मे नहीं घुस गया , मैं बोहोत डर गई मैंने अपने बिस्तर की दूसरी तरफ अशोक की ओर देखा तो पाया अशोक बिस्तर पर नहीं थे ..। मैंने अंदाज़ा लगा लिया कि हो ना हो ये अशोक ही है जो इतनी रात को किसी से बात कर रहे है , मगर किस्से ??? ये जानने के लिए मैं बोहोत ही धीरे से अपने बिस्तर से उठकर अपने गेट के पास गई , गेट तो खुला हुआ ही था । मैं बस चुपके से गेट के पीछे खड़ी हो गई और बाहर हॉल मे झाँका ।
[Image: 20221017-194135.jpg]
 हॉल मे अशोक किसी से टेलेफ़ोन पर बोहोत ही धीरे-धीरे बाते कर रहे थे , मैंने थोड़ा कान लगाकर सुनने की कोशिश की तो मुझे अशोक की कुछ बातें सुनाई पड़ी ...... 
अशोक - "मैं पूरी कोशिश करूंगा बॉस ...।"
                " बस थोड़ा टाइम ओर ...।।"
                 " आप मेरी बात तो समझिए , फाइल मेरे हाथ आ गई है बस वो ड्राइव बाकी है । "
                  "बस ये आखिरी चाल कामयाब हो जाए "
                  " किसी को मुझ पर कोई शक नहीं है कि कम्पनी मे क्या चल रहा है । "
                 " ओके ओके बॉस "
मैं इतनी ही बात सुन पाई थी ओर फिर अशोक ने टेलेफ़ोन रख दिया इससे पहले अशोक वापस बेडरूम मे आते मैं जल्दी से पीछे हटते हुए वापस बेड पर आकर पहले के जैसी लेट गई । मेरे लेटने के कुछ देर बाद ही अशोक भी बेडरूम मे लौट आए और एक बार मेरी ओर देखा, मेरी आँखे बन्द पाकर उन्होंने सोचा मैं तो सोई हुई हूँ 
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और फिर बेड पर आकर लेट गए । मेरी आँखों की नींद एक बार फिर उड गई , ये सब क्या हो रहा है मेरे चारों ओर , ना जाने किस्से अशोक इतनी रात मे बात कर रहे थे वो भी रेड-लाइन पर जिसपर सिर्फ गाँव से फोन आते है वो भी दिन मे कभी-कभार । किससे टाइम माँग रहा है अशोक और क्यों ? कहीं ये कोई अनहोनी तो नहीं करने लग रहा ? सवाल कई थे और मेरे पास कोई जवाब नहीं था अशोक तो मुझे कुछ बताएंगे नहीं तो मुझे किसी ओर से ही जानना पड़ेगा कि आखिर मजरा क्या है लेकिन किससे ?
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दिमाग मे केवल एक ही नाम आ रहा था और वो था नितिन का मगर मैं उसे अपने घर भी नहीं बुला सकती थी वरना वो जरूर मेरे साथ कुछ ऐसी वैसी हरकत करता , मुझे उससे बाहर ही कहीं मिलना था , तभी मुझे मेरे सवालों के जवाब मिलेगें ।   
 सुबह के 7 बजे के लगभग मैं अपनी रसोई मे अशोक के लिए नाश्ता बना रही थी और अशोक बाथरूम मे नहाने गए थे । सुबह उठकर मैंने अपनी साड़ी बदल ली थी और एक हल्का गाउन पहन लिया था ।
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 आज सुबह भी अशोक का मूड कुछ ऑफ सा था मुझे लगा वो जरूर कल रात की ही बात को लेकर मुझसे नाराज है , मैंने शांति से उनके लिए नाश्ता बनाया और उसी दौरान मेरे फोन पर एक रिंग ने दस्तक दी । मैंने अपना फोन उठाया तो पाया उसमे कल वाले नंबर से ही जिससे कल नितिन ने फोन किया था उससे एक कॉल आई हुई है ..। मैंने अशोक को देखने के लिए पहले धीरे से कीचेन के बाहर देखा , अशोक अभी भी बाथरूम मे ही थे । मैंने नितिन का कॉल उठाया ..... 
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मैं - हैलो । 
नितिन - हैलो पदमा , मैं हूँ नितिन । 
मैं - हम्म , जल्दी बोलो जो भी बोलना है अशोक घर पर ही है । 
नितिन - कल तुमने अशोक से कुछ बात की ?
मैं - हाँ । 
नितिन - क्या पता चला ...... ?
मैं - कुछ नहीं । 
नितिन - पदमा , मैं तुमसे मिलना चाहता हूँ एक बार , तुम कहो तो मैं तुम्हारे घर आ जाऊँ । 
मैं - नहीं नितिन यहाँ मत आना । 
नितिन - तो तुम ही बताओ कैसे मिलूँ , तुमसे मिलने का बोहोत मन हो रहा है । 
मैं - तुम शहर आ गए क्या ..... ?
नितिन - नहीं अभी 1 घंटे मे पहुँच जाऊँगा । 
मैं - ठीक है , आज दोपहर मे मिल सकती हूँ । 
नितिन - तो ठीक है तुम मेरे फार्म हाउस पर आ जाना , पता मे भेज देता हूँ । 
मैं नितिन से मिलना जरूर चाहती थी पर अपने लिए नहीं बल्कि ये जानने के लिए कि अशोक के साथ क्या हो रहा है ? मगर जब नितिन ने अपने फार्म हाउस पर मिलने की बात की तो मैं समझ गई कि नितिन मुझे अपने भोग-विलास के लिए वहाँ बुलाना चाहता है इसलिए मैंने नितिन की बात पलटते हुए कहा -  
मैं - नहीं ..........., मैंने तुम्हें बताती हूँ कहाँ मिलना है । 
नितिन - कहाँ ?
मैं - होटल ग्रीन-सी । 
नितिन - वो तो बोहोत दूर पड़ेगा मुझे । 
मैं - जब तुम मेरे घर तक आने की जहमत उठा सकते हो तो वहाँ आने मे क्या प्रॉबलम है । 
नितिन - मगर किस टाइम ?
मैं - 11 बजे मिल सकते है ।  
नितिन(उदासी से ) - अच्छा चलो ठीक है , तुम्हारे लिए ये भी सही । 
मैं - ज्यादा डायलॉग मत मारों ।
नितिन की महरूम सी आवाज से साफ जाहिर था कि उसे दुख है कि वो मुझसे अकेले नहीं मिल पाएगा । मेरी और नितिन की बात पूरी हो ही चुकी थी , के तभी मुझे बाथरूम के खुलने की आवाज आई जिसे सुनते ही मैंने झट से फोन रख दिया और अपने काम पर लौट आई ।
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 अशोक बाथरूम से बाहर आए और फिर चुपचाप अपने कमरे मे कपड़े पहनने चले गए  । मैंने अशोक का नाश्ता उनकी टेबल पर परोस दिया , अशोक आए और टेबल पर बैठकर खाने लगे ..। मैं शांति से उन्हे देखती रही
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 मैं देखना चाहती थी कि क्या अशोक अपने आप भी किसी बात का जिक्र करते है या नहीं । अशोक ने पूरा नाश्ता खत्म किया लेकिन उनके मुहँ से ना कल रात ना ही उस टेलेफ़ोन के बारे मे एक भी शब्द निकला । नाश्ता करते ही अशोक ने अपना ऑफिस वाला बैग उठाया और जाने लगे , मैंने ही अपनी चुप्पी तोड़ते हुए उन्हे पीछे से टोका -
मैं - " आराम से जाना और शाम को जल्दी घर लौटना !"
अशोक ने पीछे मुड़कर मेरी देखा और बोले - " हम्म , ठीक है । ख्याल रखना । "
इसके बाद अशोक चले गए , मुझे भी मन मे थोड़ी खुशी हुई कि चलो कुछ तो बोले । इसके बाद मैं रोज की तरह नहाने चली गई और नहाकर एक अच्छी सी साड़ी पहन ली ,
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 मगर ज्यादा मेक-अप नहीं किया क्योंकि मुझे बाहर भी जाना था और मैं नहीं चाहती थी कि मोहल्ले के नाकारा , मवाली लोग मेरी चुचियों और भारी नितम्बों पर अपनी जहरीली नजर डाले और मुझे पर भद्दी और अश्लील टिप्पणियाँ कसे । कल ही मैं उनकी अभद्रता से बोहोत लज्जित हो गई थी और ऊपर से गुप्ता जी जो पहले से ही मेरे हुस्न के दीवाने थे वो तो मुझे उस लिबास मे देखकर इतने पागल ही हो गए थे कि बस मे ही उन्होंने ने मुझे ऊपर से बे-लिबास कर दिया था और मेरे होंठों का रस चूसा था यहाँ तक कि उन्होंने किसी की परवाह कीये बिना ही बस के अन्दर ही मेरी भारी भरकम कोमल चुचियों का दूध भी निचोड़ लिया और उसे पी गए । मैं नहीं चाहती कि नितिन भी ऐसे ही बेकाबू हो जाए और मुझे वहीं पर होटल मे गेरकर लूट ले और इस बार कोई ओर तो क्या मैं खुद भी अपने आप को बचा ना पाऊँ । 
" आह .... ये सब क्या सोचने लग गई मे भी " इतनी कामोत्तेजक बाते सोचकर ही , मैं साँसे तेज हो गई । मैंने इन सब बातों से खुद का ध्यान हटाया तो याद आया कि मेरा ब्लाउज और पेटीकोट जो गुप्ता जी को मैंने सिलने दिया था वो भी तो लाना है मगर मैं गुप्ता जी की दुकान जाऊँ तो जाऊँ कैसे ? अब तो गुप्ता जी का सामना मुझसे हो नहीं पाएगा , मगर मुझे कुछ ना कुछ तो करना ही पड़ेगा । काफी देर इस बारे मे सोचने के बाद मेरे दिमाग मे एक युक्ति आई ....। मैंने सोच क्यूँ ना गुप्ता जी के घर वरुण को भेज दूँ , उनकी दुकान वरुण के घर के पास ही है । वरुण अगर गुप्ता जी के घर जाएगा तो वो कुछ कर भी नहीं पायेंगे । यही सोचकर मैंने सीमा जी ( वरुण की मम्मी) के पास फोन मिलाया ..। 
मैं -   हैलो सीमा जी , नमस्ते ।  
सीमा जी - हैलो पदमा नमस्ते । कैसी हो ?
मैं - मैं अच्छी हूँ , आप बताइए कैसी है ?
सीमा जी - मैं भी ठीक हूँ और बताओ कहाँ रहती हो आजकल अब तुमने हमारे घर आना ही छोड़ दिया । 
मैं - नहीं सीमा जी ऐसी कोई बात नहीं बस वक्त मिलते ही आ जाऊँगी । अच्छा सुनिए मुझे आपसे एक काम था । 
सीमा जी - हाँ कहो पदमा । 
मैं - वो मैंने कुछ कपड़े गुप्ता जी के पास सिलने के लिए दिए थे ... मुझे आज एक जरूरी काम से बाहर जाना है तो क्या आप वरुण से कहकर वो कपड़े मँगा सकती है ?
सीमा जी - हाँ ,,,,हाँ ,,,, पदमा ये तो कोई बड़ी बात नहीं , मैं वरुण को बोल दूँगी वो तुम्हारे घर दे आएगा । 
मैं - ओह थैंक यू  सो मच सीमा जी । 
सीमा जी - कोई बात नहीं पदमा तुम आराम से अपना काम कर लो । 
इसके बाद मैंने फोन रख दिया और नितिन से मिलने के लिए होटल ग्रीन-सी चली गई । 
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[+] 2 users Like Ravi Patel's post
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again a big thank u to all my viewers 
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thank u very much ... Abhi T, Explorer@life, mohitkumarhot, .......
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dosto ye wala update erotic nahi tha lekin fir bhi kahani ke agle bhago ke liye bohot jaruri tha ....
agla ane wala update pura hot bnane ki koshish krunga 
dosto me chahta hu ki aap log iss bare me comment kare ki apni heroine PADMA ki pahli chudai kab honi chahiye .....
please dosto yha tak aa gye ho to like bhi kar dena ....
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Mast update bhai . Fantastic , awsm . Waiting for more .
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Great great erotic and great build up update best of luck for next update keep writing the great updates
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(08-02-2023, 10:47 PM)Ravi Patel Wrote: again a big thank u to all my viewers 
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thank u very much ... Abhi T, Explorer@life, mohitkumarhot, .......
[Image: 248513665-ezgif-com-gif-maker-sa11.gif]


dosto ye wala update erotic nahi tha lekin fir bhi kahani ke agle bhago ke liye bohot jaruri tha ....
agla ane wala update pura hot bnane ki koshish krunga 
dosto me chahta hu ki aap log iss bare me comment kare ki apni heroine PADMA ki pahli chudai kab honi chahiye .....
please dosto yha tak aa gye ho to like bhi kar dena ....

Mast update
Bhai chudai ka kuch special day me krwao full night programme
Aap office ki situation ko dikha kr uske husband ko wrong dikhana nhi hi.......baaki aapki story hi aapne so ha hoga
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(09-02-2023, 01:27 AM)hot_boy93 Wrote: Mast update
Bhai chudai ka kuch special day me krwao full night programme
Aap office ki situation ko dikha kr uske husband ko wrong dikhana nhi hi.......baaki aapki story hi aapne so ha hoga

q ki office me husband kuch glt bhi kr RHA ho to bhi wife ko kya mtlb WO wha ki employee nhi hi....isse aap khani me usko juberdusti ka villen bna rhe ho
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