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Adultery सलहज
(02-02-2023, 09:21 AM)neerathemall Wrote:
मेरी सलहज की मदभरी जवानी 

















































....
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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यह बात उन दिनों की है, जब मेरी शादी हुई थी. उस वक़्त तो सब नार्मल चल रहा था. हम दोनों पति-पत्नी बहुत खुश थे. मजे की बात तो ये थी कि शादी के सिर्फ एक महीने बाद ही मैं बड़ोदा शिफ्ट हो गया और वहां पर सिर्फ हम दोनों अकेले रहेते थे. उस वक्त हम दोनों एक बार भी चुदाई का मौका नहीं छोड़ते थे. हम दोनों ने घर का एक भी कोना ऐसा नहीं छोड़ा था, जहां पर हमने चुदाई न की हो.

उस समय मेरी जानू हमेशा साड़ी पहनती थी. जब भी मौका मिलता था, मैं उसकी साड़ी उठा कर उसकी पैन्टी नीचे कर देता था और नीचे बैठ कर कभी चूत चूमता, तो कभी उंगली से चूत के दाने को मसल देता था, तो कभी मेरे लंड से चूत के ऊपर रगड़ता था या तो मेरी जानू की कोरी चूत के अन्दर लंड डाल देता था.

ऐसे ही समय गुजरने लगा. ये मस्ती पत्नी के साथ हो रही थी. उसके साथ के मजे तो मैं कभी भी लिख सकता हूँ, लेकिन आज मैं आपके सामने मेरी साले की पत्नी यानि की मेरी सहलज के साथ हुई रसीली घटना बताने जा रहा हूँ.

यह बात उसी समय की ही है. हमारी शादी के सिर्फ चार महीने बाद ही मेरे साले की शादी हो गई. उसकी पत्नी का नाम काजल था. मेरी सहलज देखने में ठीक ठाक थी, पर उसका फिगर बहुत ही मस्त था. वो एक तराशे हुई बदन की मालकिन थी. काजल की फिगर में उसके 34डी के तने हुए चूचे, बलखाती 32 की कमर और थिरकती हुई 34 साइज़ की गांड. कोई भी काजल को एक बार देख लेता, तो उसे बिना छुए छोड़ने का मन नहीं होता. शायद उसकी कमनीय काया को लेकर आपके लंड ने भी समझ लिया होगा कि वो सांवली सुन्दरी कितनी गर्म माल होगी.

यह कहानी लिखते वक़्त मेरा भी लंड खड़ा हो गया. मेरा मन कर रहा था कि काश वो इस वक्त भी मेरे लंड पर कूद रही होती.

मेरा ससुराल अहमदाबाद में था, तो महीने में एकाध बार तो आना जाना होता ही था. धीरे धीरे लाइफ मस्ती से कटने लगी. बीच बीच में मैं अहमदाबाद भी घूम कर आता था. मैं हमेशा मेरी वाइफ के लिए मेरी पसंद के सेक्सी ब्रा और पैन्टी लाकर देता था और वो भी ऑनलाइन मंगवाता था.

एक बार हुआ ऐसा कि मैंने जो साइज की ब्रा और पैंटी मंगाई थी, वो गलत साइज की वजह से मेरी वाइफ को फिट नहीं हुई. ये वापस की जा सकती थी, लेकिन न जाने क्यों, मैं नहीं चाहता था कि मैं इसे वापस दूँ.
मैंने मेरी वाइफ को आईडिया दिया कि एक काम करो, तुम ये सैट अपनी भाभी को दे दो, शायद इसकी फिटिंग तुम्हारी भाभी की साइज की हो.
पहले तो वो मुझे घूरने लगी, फिर थोड़ी देर बाद बोली- ठीक सोचा तुमने. मैं भी तो देखूँ, मेरे पति की चॉइस को कितने स्टार मिलते हैं.

तब तक मेरे मन में ऐसा कुछ नहीं था, पर अब मुझे अपनी सलहज काजल का पूरा जिस्म मेरे आंखों के सामने आ गया, जिसमें मेरे लाए ब्रा और पैन्टी पहन कर वो मेरे सामने खड़ी थी. मैं बंद आंखों से उसे देख रहा था और वो शर्मा कर अपनी आंखें बंद करके मेरे सामने खड़ी थी.

मेरी ध्यान तब टूटा, जब मेरी वाइफ ने मेरे लंड को हाथ में लेकर जोर से दबाया और मेरे मुँह में से चीख निकल गई. उस रात को मैंने मेरी वाइफ की अच्छी ठुकाई की. वो भी चुदाई से बहुत खुश थी और गांड उठा कर मेरे झटकों का जवाब दे रही थी.

आज वो कुछ ज्यादा ही गर्म थी इसलिए करीब पांच मिनट में ही वो झड़ गई. पर मेरा अभी हुआ नहीं था.
वो बोली- जानू मेरे मुँह में डाल दो.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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बात खत्म करके मैं फ्रेश होने चला गया.

इसके कुछ देर बाद मैं नाश्ता करके ऑफिस निकल गया और अपने काम में लग गया. ऐसे ही आधा दिन निकल गया, मैं चाय पीते काजल के बारे में ही सोच रहा था. उसका ख्याल आते ही मेरे पैन्ट में फिर से तम्बू बन गया.

काम के चक्कर में बहुत दिन हो गए थे, अहमदाबाद नहीं जा पाया था. अचानक मेरे दिमाग में आया कि क्यों न अहमदाबाद जाने का प्लान किया जाए. पर अगर मैं मेरी जानू को बोलूँगा, तो उसको शक हो जाएगा.
इतने में मुझे याद आया कि अगले हफ्ते रक्षाबंधन है और मैं यह बहाना बताऊंगा तो मेरी जानू मना नहीं करेगी.

इतना सोच कर मैं वापस अपने काम पर लग गया. ऐसे ही दो दिन निकल गए, तीसरे दिन रात को ऑफिस से घर लौटा, तो देखा श्रीमती जी मुँह फुला कर बैठी हैं, वो कुछ बात भी नहीं कर रही थी.

खाना खाने के बाद मैंने पूछा- क्या हुआ क्यों इतना मुँह फुला कर बैठी हो?
वो बोली- जैसे कि आपको कुछ पता ही नहीं है. अगले हफ्ते रक्षाबंधन है और मुझे अहमदाबाद जाना है, पर तुमको तो कुछ पता ही नहीं है.
मैंने बोला- वो तो हर साल आता है, उसमें नयी बात क्या है?
मेरा इतना बोलते ही वो मुझे घूरने लगी और बोली- वो मुझे नहीं पता, पर मुझे अहमदाबाद जाना है. आपको नहीं आना, तो कोई बात नहीं.
मैं बोला- ठीक है, रक्षाबंधन सोमवार को है. हम शुक्रवार को शाम यहाँ से निकलेंगे तो दो घंटे में पहुंच जाएंगे.
वो खुश हो गई.

प्लानिंग के हिसाब से हम शुक्रवार शाम को अहमदाबाद पहुंच गए. हमें देख कर सब लोग बहुत खुश हुए.

मैंने एक प्लान बनाया, मेरी जानू के मोबाइल से मेरे मोबाइल पर नंबर डायल करके फोन चालू छोड़ कर उसका फ़ोन मैंने उसके पर्स में डाल कर उसकी भाभी के रूम में वापस रख दिया.

रात के ग्यारह बज गए थे और सब सो गए थे. उधर फोन चालू था. थोड़ी देर बाद मैं कान में इयरफोन डाल कर फोन सुनने लगा.

वो दोनों काफी दिनों बाद मिली थीं, तो उस रात को दोनों ननद-भाभी रूम में बैठ कर बात कर रही थीं और जोर से हंस रही थीं.
थोड़ी देर बाद मेरी वाइफ ने एक पैकेट उसकी भाभी को देते हुए बोला- भाभी, ये पैकेट तुम्हारे लिए है.
काजल बोली- क्या है पैकेट में?
तो मेरी वाइफ बोली- खुद ही खोल कर देख लो.

इतना बोलने के बाद पैकेट खुलने की आवाज़ आई और थोड़ी देर कुछ सुनाई नहीं दिया.

कुछ टाइम बाद काजल की आवाज़ सुनाई दी- अरे वाह ननद जी बहुत ही मस्त सैट लाई हो. ननद जी ये किस ख़ुशी में मुझे गिफ्ट दिया जा रहा है.
इस पर मेरी जानू ने जवाब दिया- इसमें ख़ुशी किस बात की, मुझे अच्छा लगा तो तुम्हारे लिए ले लिया.
थोड़ी देर बाद काजल बोली- एकदम सेक्सी हैं दोनों सैट.

एक सैट ब्लू कलर का था, साटिन की ब्रा और पैंटी और दूसरा रेड कलर का सैट नेट वाला था, जिसमें ब्रा के बीच में डायमंड का पेंडेंट लगा हुआ था और साथ में बिकनी पैंटी थी.

काजल- ननद जी मैं आपको जानती हूँ, आप मेरे लिए बहुत कुछ लाती हो, पर ऐसा गिफ्ट आपने पहली बार दिया है. कुछ तो है बताओ क्या बात है.
मेरी जानू बोली- अरे हुआ यूं कि उन्होंने ऑनलाइन आर्डर किया था, पर मेरे साइज के हिसाब से टाइट हो रहा था, तो मैंने सोचा इतना सेक्सी सैट मैं वापस नहीं करूंगी और सोचा क्यों न मैं तुम्हारे लिए रख लूँ.
काजल बोली- वाह … मेरे ननदोई जी की चॉइस तो एकदम धांसू है. फोटो देख कर भी इतनी बढ़िया पसंद किया है.

फिर दोनों की जोर से खिलखिलाने आवाज़ सुनाई दी. थोड़ी देर बाद काजल बोलती है- चलो एक बार ट्राई करके देखती हूँ, मुझे फिट आता है कि नहीं.
उसके बाद से थोड़ी देर तक कुछ सुनाई नहीं दिया.

फिर मेरी जानू की आवाज आई- भाभी, आपके पपीते तो बहुत बड़े हो गई हैं, लगता है मेरे भैया रोज़ इसकी खातिरदारी करते हैं.
काजल बोली- ननद जी वो तो है, पर आप भी मुझसे कम नहीं हो, अपनी साइज तो देखो.
ये बोल कर दोनों वापस हंसने लगीं.

काजल पूछने लगी- बताओ पहले कौन सी पहनूं.
तो मेरी जानू ने जवाब दिया- पहले ब्लू ट्राई करो.
थोड़ी देर बाद काजल आईने के सामने जा कर बोली- ओह … ये पहन कर अगर मैं आपके भाई के सामने गई, तो वो तो मुझ पर टूट पड़ेंगे और वहीं चोद डालेंगे.

उसके बाद मेरी जानू की आवाज आई- रुको भाभी, आपके मोबाइल से फोटो लेती हूँ. उसने काजल का मोबाइल उठाया और मस्त पिक्चर लेने लगी.
मुझे भी उसकी क्लिक की आवाज़ सुनाई दे रही थी. करीब पन्द्रह फोटो लेने के बाद काजल की आवाज आई- अब मैं दूसरा सैट ट्राई करती हूँ.

थोड़ी देर बाद वापस मेरी जानू बोली- भाभी.. इसमें तो आज आप क़यामत लग रही हो.
उसके बाद फिर से कुछ फोटो ली गईं.
उन दोनों की बातें सुन कर मेरा भी लंड खड़ा हो गया था, पर क्या करता. मेरे पास अपने हाथ के अलावा कोई और रास्ता नहीं था.

थोड़ी देर दोनों इधर उधर की बातें करके सो गई होंगी. क्योंकि मुझे उनके कमरे से कोई आवाज नहीं आ रही थी.

मैं भी फटाफट बाथरूम में गया और काजल की नाम की मुठ मारने लगा. पर अचानक वहां पर मुझे कपड़े का ढेर दिखा, उसमें मुझे काजल के भी कपड़े दिखे.

मेरे ढूँढने पर मुझे उसमें काजल की आज पहनी हुई पीले रंग की नेटवाली ब्रा और पैन्टी दोनों मिल गए. मेरी तो मानो लाटरी लग गई. मैं काजल की ब्रा के ऊपर हाथ फिराने लगा और उसकी चूचियों को अपने ख्यालों में ही महसूस करने लगा.
थोड़ी देर बाद मैं काजल की पैन्टी को हाथ में लेकर अपनी नाक के पास ले गया. उसमें से काजल की चूत की बहुत ही प्यारी खुशबू आ रही थी, जो मुझे पागल कर रही थी.

अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था.

काजल की पैन्टी मेरे लंड पर महसूस होते ही मेरा लंड भी झटके मारने लगा. मैंने काजल की पैन्टी को मेरे लंड पर लपेटा और ख्यालों में ही काजल की चूत को चोदने लगा. थोड़ी देर में मेरे लंड ने एक जोर से वीर्य की पिचकारी निकाली और सीधी बाथरूम की सामने की दीवार पर गई. मैंने थोड़ा वीर्य काजल की ब्रा और पैन्टी के ऊपर निकाला. फिर बाहर आकर सो गया.

मैं सुबह उठा और मेरी जानू को आवाज़ लगाई. वो आई, तो मैंने दरवाज़ा बंद कर दिया और उसको मेरी बांहों में भर लिया. वो ना नुकुर करने लगी, पर मैंने नहीं छोड़ा. मैं उसके होंठ पर होंठ रख कर लिप किस करने लगा. वो धीरे धीरे गर्म हो रही थी.

मेरा हाथ उसकी चूची पर चला गया और धीरे धीरे दबाने लगा. थोड़ी देर बाद मैंने उसके कुर्ते में हाथ डाल दिया, उसकी ब्रा के ऊपर से चूची को दबाने लगा. अब मेरी भी ठरक थोड़ी और बढ़ गई थी. मैंने उसकी लैगीज को थोड़ा नीचे कर दिया. नीचे का नज़ारा देख कर मेरा लंड तन कर एकदम नब्बे डिग्री के एंगल पर झटके देने लगा.

मेरी जानू ने मेरी नई लायी हुई ब्रा और पैन्टी में से पिंक कलर का साटिन का सैट पहना था.

मैं उसकी पैन्टी के ऊपर से ही उसकी चूत के ऊपर सहलाने लगा. मैं उसकी पैन्टी में हाथ डालने ही वाला था कि उसने मुझे धक्का दे दिया. अपनी लैगीज ऊपर की और फटाफट बाहर भाग गई.
वो मुझसे बोली- आपको जो भी चाहिये, वो आपके बैग में है, खुद ही निकाल लो.
मैं हाथ मलता रह गया और वो आंख मार कर बोली- थोड़ा सब्र करो यार.

मैं सोचता रहा कि ये क्या बोल रही है. मुझे कुछ समझ नहीं आया और नहा कर तैयार हो गया.

मेरी जानू बाहर कपड़े धो रही थी और काजल किचन में मेरे लिए नाश्ता बना रही थी. आज मैंने देखा काजल कुछ अलग ही नज़रों से मुझे देख रही थी. वो थोड़ी थोड़ी देर में तिरछी नज़रों से मुझे ही घूरे जा रही थी. मुझे भी कुछ अजीब लगा.

मैंने नाश्ता खत्म किया और वो पानी का गिलास ले कर मुझे देने ही जा रही थी कि उसका हाथ मेरे हाथ से टकरा गया. पानी टेबल पर गिर गया और पानी ने सीधा मेरे पैन्ट के ऊपर से मेरे लंड को नहला दिया.

वो तुरंत नैपकिन लेकर मेरे पैन्ट के ऊपर का पानी साफ़ करने लगी. काजल का हाथ पैन्ट पर महसूस होते ही मेरा लंड ताव में आ गया और विकराल रूप में आने लगा.
काजल ने मेरे लंड को महसूस होते ही उसने हाथ हटा दिया और शर्मा कर दूसरी तरफ भाग गई.
मैं बाहर आया, तो वो मेरी आंख से आंख नहीं मिला पा रही थी.

मेरे साले और ससुर जी टिफिन लेकर फैक्ट्री के लिए निकल गए थे और दोनों माँ बेटी और काजल बैठ कर गप्पें मार रही थीं. मैं अकेला बैठा बैठा बोर हो कर टीवी देखने लगा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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दोपहर का खाना खाकर काजल और दोनों माँ बेटी ने बाजार में जाकर शॉपिंग करने का प्लान बनाया. उन्होंने काजल को भी चलने के लिए कहा.
इस पर काजल बोली- मुझे तो कुछ लेना नहीं है, इसलिए आप दोनों ही चले जाओ.

मेरी वाइफ और सासू जी बाजार निकल गईं. मैं और काजल टीवी देख रहे थे. थोड़ी देर बाद काजल उठी और बाहर से सूखे कपड़े लेकर आई और मेरी तरफ मुस्कुराकर देखते हुए ऊपर चली गई.

मेरी आंख कब लग गई, पता भी नहीं चला. जब नींद खुली तो देखा कि आधे घंटे से ज्यादा हो गया, पर काजल अभी भी नीचे नहीं आई थी.

मैंने ऊपर जाकर देखने का सोचा.
मैं चुपचाप सीढ़ियों से ऊपर जाने लगा. देखा तो रूम का दरवाजा थोड़ा खुला हुआ था. मैंने सोचा काजल सो गई होगी, पर नजदीक जाकर देखा, तो वो मोबाइल में कुछ देख रही थी. दूसरा हाथ उसकी लैगीज के ऊपर था.

मैंने थोड़ी देर रुक कर देखा, तो उसकी आंखें बंद हो रही थीं, पर अभी भी वो मोबाइल में कुछ देख रही थी. रूम का दरवाज़ा थोड़ा खोल कर मैं सीधा उसके सामने खड़ा हो गया. उसकी आंखें अभी भी बंद थीं. थोड़ी देर रुक कर मैं काजल के नजदीक गया और मोबाइल में देखने लगा, तो कल रात मेरी जानू ने जो फोटो खींची थीं, वो वही देख रही थी.

मेरे मुँह से एक कातिल मुस्कान निकल गई और मैंने मोबाइल उसके हाथ से ले लिया. मोबाइल हाथ में से जाते ही उसका ध्यान भंग हुआ.

काजल एकदम से सकपका गई और वो मोबाइल वापस देने के लिए मुझसे कहने लगी. पर मैं उसको मोबाइल वापस नहीं दे रहा था. वो मुझसे मोबाइल लेने के लिए मुझ पर झपटी, उसी खींचातानी में वो मेरे ऊपर गिर गई और मेरे सामने उसका चेहरा आ गया.

मैं तो मोबाइल में उसके फोटो देखने में ही व्यस्त था. एक बार फिर उसने मोबाइल खींचने की कोशिश की, पर नाकामयाब रही.
मेरे मुँह में से निकल गया- वाह काजल, क्या मस्त फिगर है.

वो शर्मा कर भागने लगी, पर मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और वो वापस मेरे ऊपर आ गई. हम दोनों में से कोई कुछ नहीं बोल रहा था. बस एक दूसरे को देख रहे थे.

थोड़ी देर बाद मैंने अपने होंठ काजल के होंठ के ऊपर लगा दिए और उसके होंठों का रस पीने लगा.
काजल ने कोई ख़ास विरोध नहीं किया.

अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था. मैंने काजल को मेरी बांहों में भर लिया और उसके नर्म होंठों को चूसने लगा. हमें किस करते हुए दस मिनट से ज्यादा हो गया था, पर काजल अभी भी मुझसे छूटने की कोशिश कर रही थी.

धीरे धीरे काजल का विरोध भी काफी हद तक कम हो गया था पर अब भी वो खुद से कुछ नहीं कर रही थी. मैंने आगे बढ़ने की सोची और फिर एक हाथ उसकी एक चूची पर रख दिया. मैं धीरे धीरे उसकी चूची को उसके कपड़ों के ऊपर से ही दबाने लगा.

मुझे काजल की गर्म सांसें महसूस हो रही थीं. वो अब मेरा विरोध भी नहीं कर रही थी. थोड़ी देर बाद मैंने काजल को साइड में लिटा दिया. मैंने उसकी कुर्ती के आगे के दो बटन खोल दिए और काजल के सीने पर मेरा हाथ फिराने लगा.

मैं काजल के गले को चूम रहा था, तो कभी उसके कान को चूम रहा था. वो बार बार मना कर रही थी, पर मैं कहां रुकने वाला था. मैंने धीरे धीरे करके कुर्ती के बाकी बचे बटन भी खोल दिए. मुझे काजल की ब्रा साफ़ दिख रही थी.

काजल ने अभी वही ब्रा और पैन्टी पहनी हुई थी, जो मैंने उसके लिए अपनी जानू से उसको भेजी थी.
यह देख कर मेरा लंड भी फड़फड़ाने लगा और मेरी पैन्ट फाड़कर बाहर आने के लिए मचलने लगा. काजल की दोनों चूचियां अभी भी ब्रा के अन्दर थीं. मैंने उसकी कुर्ती का कॉलर साइड में किया और दोनों चूची को ब्रा समेत बाहर निकाल दिया.

मैं उसकी मस्त चूचियों को देख कर इतना ही बोल पाया- वाओऊऊ क्या मस्त चूचियां हैं … लगता है ऊपर वाले ने बहुत प्यार से इनको बनाया है.
इतना सुनते ही काजल की आंख शर्म से बंद हो गईं और वो फिर से बोली- प्लीज ननदोई जी, छोड़ दो मुझे. कोई देख लेगा तो बहुत बदनामी होगी हमारी.
पर मैं तो बेशर्मों की तरह काजल को देखता ही रहा.

मैंने काजल से पूछा- कैसी लगी मेरी चॉइस?
वो शर्मा कर आंख बंद करके बोली- आप बड़े बेशर्म हो.
मेरे वापस पूछने पर उसने जवाब दिया- आप अपनी मैडम से ही पूछ लेना.
मैं बेशर्म बनते हुए बोला- मेरी लाई हुई ब्रा तेरी ननद ने थोड़ी ही पहनी है कि मैं उससे पूछूँ. जिसने पहनी है, मैं तो उसी से ही पूछूंगा ना!
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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इतना बोलकर मैं उसकी दोनों चूचियों के बीच की जगह पर चूमने लगा. वो कसमसाते हुए वापस मुझे मना करने लगी. पर इस बार मैं चूमते हुए एक हाथ से काजल की चूची को भी दबाने लगा. साथ ही मैं अपने दूसरे हाथ से उसकी कमर को भी सहलाए जा रहा था.

काजल अभी भी मन से मेरा साथ नहीं दे रही थी.
मैंने उससे फिर से पूछा- मुझे जब तक जवाब नहीं मिलेगा, मैं ऐसे ही तुमको परेशान करता रहूँगा.
तो फाइनली उसने जवाब दिया- काश मेरा पति भी कभी मेरे लिए ऐसी ब्रा और पैन्टी लाता.

मैं बोला- ऐसे नहीं … तुमको खुलकर बताना पड़ेगा.
फिर उसने जवाब दिया- आपकी चॉइस एकदम परफेक्ट है, आपकी लाई हुई ब्रा पैन्टी, इनको पहनने के बाद मैं कल से न जाने कितनी बार आईने में खुद को देखकर अपने आपको एक मॉडल जैसा महसूस कर रही हूँ.

इतना बोल कर काजल ने अपनी आंखें बंद कर लीं. मेरे लिए उसके मुँह से यही सुनना काफी था. मैं वापस काजल के होंठ चूसने लगा.

इस बार वो मेरा साथ दे रही थी और वो भी मुझे लिप किस करने लगी थी. अब मैंने अपना एक हाथ ले जाकर उसकी एक चूची पर रख दिया और धीरे धीरे दबाने लगा. थोड़ी देर में मुझे काजल की गर्म सांसें महसूस हुईं. इससे मुझे उत्तेजना हुई और मैं नीचे की साइड में बढ़ने लगा.

मैं काजल की गर्दन पर लगातार किस कर रहा था, साथ में मेरा एक हाथ अब उसकी ब्रा के अन्दर घुस चुका था और उसकी चूची की कड़क घुंडी को हाथ में लेकर मसलने लगा था.
जैसे ही मैंने काजल की घुंडी को मसला, तो उसके मुँह से एक मादक सिसकारी निकल गई- अह्ह्ह … शी … अह्ह्ह …

अब मैंने देर न करते हुए उसकी एक चूची ब्रा में से बाहर निकाल ली. काजल की दोनों चूचियां एक छोटे सफ़ेद पर्वत की तरह लग रही थीं. एकदम सुन्दर और भरी हुई चूचियां देख कर मेरा लंड तन्नाने लगा था. मैं उसकी दोनों चूचियों के ऊपर काले रंग की घुंडी को प्यार से देखने लगा. उसकी जवानी से लबरेज चूचियां एकदम क़यामत लग रही थीं.

उधर काजल की सांसें धौंकनी की तरह चल रही थीं, जिसकी वजह से उसकी दोनों चूचियां बहुत तेज़ी से ऊपर नीचे हो रही थीं.

कुछ ही पलों में मेरा मुँह उसकी एक चूची पर लग गया था और दूसरी चूची पर मेरा हाथ घुंडी मसलने में लगा था. इस तरह का दो तरफ़ा हमला वो सह नहीं पा रही थी. मैं अभी भी उसकी चूची पर सिर्फ किस कर रहा था. उसकी घुंडी को अभी तक मेरे होंठ से छुआ भी नहीं था.

मैं काजल को थोड़ा तड़पा कर और गर्म करके उसके मुँह से बुलवाना चाह रहा था कि मुझे चोद दो.

कुछ ही देर में काजल ने अपने पैर पटकना चालू कर दिए और वो कामुकता से भरी मादक सिसकारी भी निकाल रही थी. मैं अभी भी उसकी चूची को एक हाथ से दबा रहा था और मेरा हाथ उसकी दूसरी चूची की घुंडी के इर्द गिर्द चूम रहा था.
मुझे काजल को तड़पाने में मज़ा आ रहा था. मैंने अब आगे बढ़ते हुई काजल की कुर्ती निकाल दी. अब काजल ऊपर से सिर्फ ब्रा में रह गई थी.

धीरे धीरे मैंने उसकी दोनों चूचियों को छोड़कर उसके सपाट पेट पर चूमना चालू कर दिया. मैं उसके चिकने पेट को चूमते हुए आगे को बढ़ गया. फिर मैंने काजल की नाभि के अन्दर मेरी जीभ घुसा कर उसकी नाभि की चुसाई करना चालू कर दी.
वो सिर्फ इतना ही बोल पायी- ओह्ह ननदोई जी प्लीज …

उसके बाद तो उसके मुँह से एक और लम्बी कामुक सी सिसकी निकल गई- अह्ह्ह् शह्ह्ह्ह … ओह्ह … आप तो मुझे मार ही दोगे.

मैं उसकी नाभि के इर्द गिर्द मेरी जीभ घुमा रहा था और काजल अब आउट ऑफ़ कण्ट्रोल हो रही थी. पर मैं आगे को बढ़ा और नीचे जाने लगा.
फिर मैं काजल की लैगीज तक पहुंच गया. मैंने आगे बढ़ कर उसकी लैगीज की इलास्टिक में उंगली फंसाकर लैगीज को धीरे धीरे निकाल दी.

इसके बाद तो मानो काजल की उफनती जवानी का जलवा ही मेरे सामने बिखर रहा था. काजल मेरे सामने सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी. उसकी दोनों आंखें अभी भी बंद थीं और वो हांफ रही थी.

मेरे लाए नई ब्रा और पैन्टी सैट पहनकर काजल आज एक अप्सरा से भी ज्यादा खूबसूरत और सेक्सी लग रही थी.

मैं फिर से काजल के ऊपर की तरफ आ कर वापस उसके होंठ चूसने लगा. एक हाथ से मैं काजल की चूची को मसलने लगा और दूसरे हाथ पैन्टी के ऊपर से काजल की चूत को सहलाने लगा.

मेरे तीन तरफ़ा हमले से काजल की हालत ख्रराब हो गई. काजल भी अब पूरे जोश में आ चुकी थी और इतनी तेज़ सीत्कार निकाल रही थी कि मेरी भी हालत ख़राब हो गई.

मैंने आखिरी हमला किया, काजल के होंठ को छोड़ कर मैंने उसकी ब्रा निकाल दी. आह … उसके मचलते कबूतर हवा में फुदकने लगे. काजल ऊपर से बिल्कुल नंगी हो चुकी थी और उसकी तेज़ धड़कनों की वजह से उसकी दोनों चूचियां बहुत तेज़ी से ऊपर नीचे हो रही थीं.

आज मेरा ख्वाब पूरा होने जा रहा था, उसकी जिन चूचियों को मैं पिछले कई दिनों से सपनों में देख कर मुठ मारा करता था, आज वो साक्षात मेरे सामने उछल उछल कर अपनी रंगीनी बिखेर रही थीं. ऐसा नहीं है कि मैंने अपनी बीवी की चूचियों का मजा न लिया हो, पर जिसकी मुराद मन में हो उसकी चूचियों को देख कर कौन न पागल हो जाए.

मैंने काजल की एक चूची पर हाथ रखा और दूसरी चूची के निप्पल को मुँह में भर लिया. काजल की चूची इतनी बड़ी थी कि मेरा पूरा मुँह भर गया. जैसे ही मैंने घुंडी को चूसना शुरू किया, काजल के मुँह से एक तेज और मादक सिसकारी निकल पड़ी- उम्म्ह… अहह… हय… याह…

उसकी ये सीत्कार इतनी तेज़ थी कि अगर कोई नीचे होता, तो पक्के में आवाज़ सुनकर ऊपर आ जाता.

मैं एक चूची को छोड़कर दूसरी चूची पर टूट पड़ा और दूसरे हाथ से काजल की पैन्टी को निकाल कर उसे बेड पर गिरा दिया दी. अब काजल मेरे सामने मादरजात नंगी बेड पर पड़ी थी. मेरा हाथ अब काजल की चूत पर घूम रहा था और वो अब आउट ऑफ़ कण्ट्रोल हो रही थी. मैं धीरे धीरे काजल की चूत की ओर बढ़ रहा था.

तभी मैंने हल्के से काजल की चूत का दाना मसल दिया, उसी के साथ उसके मुँह से और एक तेज़ सिसकारी निकल गई ‘ओह्ह्ह्ह माँआ … शह्ह्ह … अह्ह्ह्ह … ओह्ह्ह्ह … मत तड़फओ.

मेरा ये खेल चालू किए अभी आधे घंटे से ज्यादा हो गया था. मैं देर ना करते हुए काजल की चूत के ऊपर उंगली घुमाने लगा. काजल की चूत बहुत ही पानी छोड़ रही थी. काजल की चूत से पानी इतना ज्यादा निकल रहा था कि उस पानी ने उसकी जांघों से बह कर चादर को भी भिगो दिया था.

काजल से अब रहा नहीं जा रहा था. वो कभी अपने हाथ पैर पटक रही थी, तो कभी चादर को अपनी मुट्ठी में लेकर खींच रही थी. काजल की मादक सिसकारियां तो बढ़ती ही जा रही थीं.

थोड़ी देर बाद मैंने एक उंगली उसकी चूत की फांकों में डाल दी और धीरे धीरे उंगली को अन्दर बाहर करने लगा. काजल कुछ बोल नहीं रही थी, पर मुझे लग रहा था कि अब लंड पेलने का टाइम आ गया है. पर मैं अभी भी वेट कर रहा था और मुझे काजल के मुँह से सुनना था.

मैंने काजल के पैर फैलाए और उसकी टांगों के बीच में आ गया. मैंने उसकी चूत पर मेरी जीभ रख दी और काजल की चूत का अमृतरस पीने लगा. मेरी जीभ काजल के चूत के दाने को हल्की सी मसाज करने लगी. वो बुरी तरह से मचल रही थी. उसने अपनी टांगें खुद ब खुद पूरी तरह से फैला दी थीं.

थोड़ी देर बाद मैंने दाने को मेरे मुँह में लिया और खींचते हुए चूसने लगा. मेरी जीभ काजल की चूत की चुदाई करने में लग गई थी. जैसे ही मेरी जीभ चूत के अन्दर गई, उसकी सिस्कारियां तेज़ हो गईं और उसके मुँह से ‘अह्ह्ह्ह … मर गई … ओह्ह’ जैसी आवाजें निकल रही थीं.

कुछ ही पलों में वो एकदम मदहोश हो गई और उसके दोनों हाथ मेरे सर के ऊपर आ गए थे. वो अपने दोनों हाथों से मेरा सर अपनी चूत पर दबाए जा रही थी.

मैं भी मेरी जीभ की नोक काजल की चूत में और गहराई तक डालने लगा और दोनों हाथों से काजल की चूचियों को बेदर्दी से दबाने लगा. मेरे ऐसा करने से काजल ने दोनों पैर मेरे सर पर दबा दिए और एक तेज़ सिसकारी निकाली ‘अह्ह्ह्ह … शह्ह्ह्ह … ओह्ह … हीईईई … मैं मर गई … ओह्ह्ह्ह.
वो अकड़कर सीत्कारते हुए झड़ गई. उसने मुझे तब तक नहीं छोड़ा, जब तक चूत का पूरा रस निकल ना गया.

उसकी चूत का रस निकल जाने के बाद भी मैं उसकी चूत को चाटता रहा, जिसका नतीजा ये निकला कि वो फिर से गर्म हो गई,

काजल आंखें बंद करके अभी भी हांफ रही थी. तभी मैंने अपने कपड़े निकाले और काजल के ऊपर छा गया. मेरा लंड काजल की चूत को छू रहा था. मैं तो चूत में लंड डालने के लिए मानो तड़प रहा था. पर अब भी मैं काजल के मुँह से सुनना चाहता था.

थोड़ी देर मैंने लंड से चूत के ऊपर घिसाई की, पर लंड पर चूत में नहीं डाला. काजल से बर्दाश्त नहीं हो रहा था, पर फिर भी वो अपने दोनों होंठ भींच कर अपने आपको कण्ट्रोल कर रही थी. इधर मैं सुकून से उसकी तड़फ का मज़ा ले रहा था.

मैंने लंड काजल की चूत पर से हटा दिया और जैसे कि किसी ने उसका प्यारा खिलौना ले लिया हो.
वो चीखते हुए बोली- हटा क्यों लिया … डाल भी दो ना अब!
मैं अब भी कुछ नहीं कर रहा था. मैंने काजल से पूछा- क्या डाल दूँ?
वो मुझसे कुछ गुस्से में और कुछ घिघियाते हुए सी बोली- जीजू प्लीज डाल दो ना … मज़ाक मत करो.
मैंने फिर से पूछा- क्या डाल दूँ.
उसने गुस्से में आकर कहा- क्या मतलब क्या डाल दूँ … तुम अपना लंड मेरी चूत में डाल दो न!

काजल इतना ही बोल पाई, तभी मैंने उसकी चूत की फांकों पर लंड सैट करके एक तेज़ शॉट दे मारा. मेरा छह इंच का लंड सीधा काजल की चूत में अन्दर तक सरक कर सीधा बच्चेदानी पर जाकर टकराया.
काजल के मुँह से और एक तेज़ आह निकली- अह्ह्ह् ओह्ह्ह शह्ह्ह्ह. …

अब काजल मुझे मेरे नाम से बुला रही थी और बोल रही- ओह्ह् जिग्गू … माँआअ … मार डाला … ओह्ह मेरे राजा अब चोद दो अपनी रानी को … आह और तेज़ पेलो … और तेज़ … अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह …

काजल की चूत में मैंने तेज़ तेज़ धक्के मारना चालू किए और उसी के साथ काजल की कामुक चुदास से भरी सिस्कारियां पूरे रूम में गूंजने लगीं. मैं काजल को बहुत बेदर्दी से चोद रहा था और उसकी दोनों चूचियों को अपनी मुट्ठियों में भर कर मसल रहा था.

काजल कुछ ही देर में पसीने से पूरी भीग चुकी थी. उसकी गर्म सांसें धौंकनी की तरह चल रही थीं.

उसकी चूत को चोदते हुए मेरे दिमाग में एक खुराफाती आईडिया आया. अचानक मैंने धक्के मारना बंद कर दिए. काजल की आंखें अभी भी बंद थीं और वो बोल रही थी- रुक क्यों गए … प्लीज चोदो ना मुझे!

मैं- तुम मेरी आंखों में आंखें डाल कर मेरा साथ दोगी, तो ही मैं चोदूँगा.
मेरी बात सुन कर काजल ने ना में सर हिला दिया.
मैं भी अपना मोटा लंड ऐसे ही उसकी चूत में डाल कर पड़ा था, मैं कुछ नहीं कर रहा था.

थोड़ी देर बाद काजल ने आंख खोल कर मुझे बोला- जानू प्लीज चोदो ना अब नहीं सहा जाता!
अब वो मेरी आंखों में देख रही थी. मैंने वापस तेज़ी से काजल की चूत में धक्के मारना चालू कर दिए.

काजल अपनी नशीली आंखों से खुद की चुदाई होते देख रही थी और वो अपने मुँह से तेज़ तेज़ सिसकारी निकाल रही थी- अह्ह्ह … ओह्ह्ह मेरे राजा … चोद दे अपनी रानी को … अह्ह्ह्ह ओह्ह शह्ह्ह … और तेज़ धक्के मारो न … तेरी रानी की चूत में बड़ी खुजली है … अह्ह्ह … निकाल दे अपनी रानी की चूत का पूरा पानी … आह मजा आ गया … आह.

काजल की चूत मारते हुए मुझे करीबन पन्द्रह मिनट से ज्यादा टाइम हो चुका था. काजल के चेहरे से अब फिर से पहले जैसे भाव बदल रहे थे. दस पन्द्र धक्कों के बाद काजल फिर से चिल्लाई और उसने अकड़कर मुझे कस कर अपनी बांहों में भर लिया- आह राजा … मैं गई!

उसकी आवाज सुनकर मैं भी तेज़ तेज़ धक्के मारने लगा था और काजल भी मेरे साथ चीख रही थी. कुछ बीसेक तेज़ धक्कों से काजल की हालत पतली हो गई. मेरा भी रस निकलने वाला था.
मैंने काजल से पूछा- जल्दी बताओ … कहां निकालूँ?
वो मचलते और गांड उठाते हुए बोली- आह … मेरी चूत में ही निकाल दो … मैं तुम्हारे बच्चे की माँ बनना चाहती हूँ.

काजल के इतना बोलते ही मैंने एक ज़ोरदार शॉट मारा और उसकी चूत में मेरा वीर्य निकलने लगा. काजल की चूत मेरे वीर्य से भर गई … और उसके साथ ही काजल भी और एक बार मेरे साथ ही झड़ गई.

चुदाई की मस्ती के हम दोनों एक दूसरे आंख नहीं मिला पा रहे थे. मैंने काजल की आंखों में देखा, तो वो रो रही थी.
मेरे पूछने पर बोली- कुछ नहीं आज पता चला मेरी ननद कितनी नसीब वाली है कि उसे आपके जैसा पति मिला है. आपके साथ बिताया ये एक एक पल में जिंदगी भर याद रखूँगी.

मैं काजल से चिपक गया और वापस उसकी एक चूची को मुँह में लेकर चूसने लगा. काजल मुझे मना कर रही थी, पर मैं कहां मानने वाला था.
काजल बोली- अब छोड़ो मुझे … कोई आ जाएगा.

पर जैसे कि मुझे कुछ सुनाई ही नहीं दे रहा था.
अचानक काजल ने मुझे धक्का मारा और मैं उसकी साइड में बेड पर गिर गया. अब वो मेरे ऊपर आ गयी और मेरे ऊपर चढ़ गई. मुझे कुछ समझ में ही नहीं आया कि अचानक काजल को क्या हो गया.

वो मुझे घूर रही थी. काजल मेरी छाती पर चूम रही थी और फिर अचानक एक भूखी शेरनी की तरह वो सीधे मेरे लंड पर टूट पड़ी. उसने मेरे लंड को हाथ में लेकर ज़ोर से दबा दिया और फिर लंड के ऊपर एक के बाद एक कई किस कर दिए. उसके उतना करते ही मेरे मुँह से हल्की सी सिसकारी निकल गई.

तभी काजल ने मेरे लंड को मुँह में ले लिया और ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी. मेरी तो हालत ख़राब हो रही थी. मेरी तो मानो बोलती ही बंद हो गई थी. मैं न तो कुछ बोल पा रहा था और न ही कुछ कर पा रहा था. बस मैं काजल की लंड चुसाई का मज़ा ले रहा था.

करीब पांच मिनट की चुसाई के बाद मैंने काजल का सर पकड़ा और मेरे लंड को उसके गले की गहराई तक पहुंचाने लगा. मैंने एक जोरदार सिसकारी लेकर एक बार काजल के मुँह में ही झड़ने लगा. जब तक मेरा पूरा वीर्य काजल के गले के नीचे नहीं उतर गया, तब तक मैंने अपना बेकाबू लंड काजल के मुँह से बाहर नहीं निकाला.

काजल मेरा पूरा वीर्य पी गई और गीली जीभ से लंड को चाट चाट के पूरा साफ़ कर दिया. फिर वो बिना कुछ बाथरूम में चली गई और अपने कपड़े पहन कर नीचे चली गई.
करीब आधे घंटे बाद मेरी वाइफ और सासू जी भी मार्किट से वापस लौट आए.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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खूबसूरत रचना है
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होली की हार्दिक शुभकामनाएं
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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(13-02-2023, 08:51 AM)neerathemall Wrote: खूबसूरत रचना है
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भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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Good story
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(09-03-2022, 05:01 PM)neerathemall Wrote: Namaskar
सलहज

Namaskar Namaskar
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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