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Adultery सलहज
#21
(04-04-2022, 10:46 AM)suneeellpandit Wrote: दोस्त, इस पेज पर तो सिर्फ फोटो ही फोटो हैं ...कहानी का जादू तो बिना फोटो के भी बोलता है ....

सुनील पंडित साहेब ने सही फरमाया। कहानी जल्दी जल्दी पोस्ट करें।
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#22

मैंने वहीं बाथरूम में रखा शेविंग का सामान लिया, भाभी को अपने सामने खड़ा किया, भाभी पूरी नंगी खडी थी मेरे सामने और मेरा लंड आधा खड़ा हो रहा था।
उन्होंने एक हाथ ऊपर कर लिया, उनके कांख में साबुन लगा कर आराम से शेव किया, इस बीच मैं उनकी चूचियाँ भी सहला रहा था तो उनके निप्प्ल कड़क होने लगे थे।
भाभी- तुमने मुझे रंडी बना दिया.. मैंने पहली बार किसी दूसरे मर्द को नंगा देखा.. और खुद भी इतनी बेशरम जैसी तुम्हारे साथ नंगी खड़ी हूँ।
मैंने दोनों बगलों के बाल साफ़ करके पानी से धोया और उस पर चुम्बन करने लगा।
भाभी- आआअह… फ़िर से मुझे मत गर्म करो प्लीज… एक बार मैंने गुनाह कर लिया है… आआ आह्ह्ह…
मेरे होंठ उनके निप्प्ल पर आ गए और उन्होंने मेरा सिर जोर से दबा लिया.. मेरा खड़ा लंड उनकी चूत के दरवाजे पर खड़ा था… वो अपनी चूत उसके साथ सटा रही थी- आआ ह्ह्ह… मत करो नाआह…
मैं- क्या मत करो?
भाभी- बहोत बदमाश हो तुम? अपने से बड़ी भाभी के साथ ये सब किया?
मैं अपने लंड को उनकी चूत पर रगड़ने लगा… चूत का पानी अब भाभी की जांघों पर बह रहा था.. भाभी से नहीं रहा गया और खुद मेरे लंड को हाथ में पकड़ा और अपने चूत के दाने पर रगड़ने लगी।
मैं तो बेकाबू होने लगा, वहीं दीवार पर उनकी पीठ टिका दी और उनके पैर खुद ही फ़ैल गए लंड को रास्ता देने के लिए…
मैंने वैसे ही खड़े खड़े अपना लंड सेट किया और क़मर हिला कर धक्का मारा।
भाभी- आआअह्ह ह्ह हरामीईई धीरे कर ना.. अपनी बीवी की चूत समझी है क्या?
मैं- बीवी की नहीं, मेरी सेक्सी भाभी की गदराई चूत है यह तो !
भाभी- अरे अभी तक दर्द हो रहा है.. आआअह्ह ह्ह…
उन्होंने हाथ लगा कर देखा- अभी तो इतना बाहर है.. हईईइ अल्लाह मैं तो मर जाऊँगी।
मैं- आपको दर्द हो रहा है तो मैं बाहर निकाल लेता हूँ?
मैंने तड़पाने के लिए कहा।
भाभी- अरे.. अब इतना डाल के बाहर निकालेगा…
और अब उन्होंने खुद चूत को लंड पर दबाया- कितना मोटा है!
मैं अब क़मर हिला कर आगे पीछे कर रहा था।
भाभी की चूत ने इतना पानी छोड़ दिया कि अब लंड आराम से जा रहा था और मैंने भी अब सनसना कर धक्का मारा और पुरा लंड अंदर!
‘मर्र गईई रे ! आप सच में मर्द हो… आज मुझे पता लगा कि असली मर्द क्या होता है… आई लव यू.. मेरे राजा… चोदो मुझे ज़ोर से चोदओ… फाड़ दो मेरीईइ…
मैं धक्के लगाते हुए और उनके निप्प्ल को काटते हुए- क्या फाड़ दूँ भाभी?
भाभी- जो फोड़ रहे हो…
मैं- उसका नाम बोलो?
भाभी- अपना काम करो!
मैं- अभी तो एक जगह और बची है उसे भी फाड़ना है… सबसे सेक्सी तो वो ही है तुम्हारे पास!
भाभी- क्या?
मैंने भाभी के चूतड़ों पर हाथ लगाया और उनकी गांड के छेद में उंगली डाल कर- ये वाली फाड़नी है।
भाभी- आआह्ह्ह हह नहींईई वो नईइ.. वो तो मैंने उनको भी नहीं दी!
मैं- तो क्या हुआ.. मुझे तो पसंद है।
भाभी- नहीं नहीं..
मेरे धक्के चालू थे, मैंने देखा कि भाभी का बदन अकड़ने लगा है, वो पैर सिकोड़ कर लंड को कस रही थी और मेरे कंधे पर दांतों से काट रही हैं… नाख़ून मेरी पीठ में गड़ा रही हैं- यह क्या किया.. आआह्ह मैं गयईईइ मेरा हो गया ओऊओह्ह अब नहीईईइ आआआह हाह!
और भाभी की चूत का पानी धार निकलने लगी, मैं गिरने लगा.. मैं रूक गया.. वो एकदम हल्की हो गई थी।
मैंने अब उन्हें दीवार से हटाया और बाथ टब के अंदर ले गया, उसमें पानी और साबुन भरने लगा..
मैंने देखा उनकी चूत पर भी बाल हैं, सोचा अगर इसे भी चिकनी कर लूँ तो..
मैंने उन्हें वहीं लिटा दिया..
भाभी- अब क्या कर रहे हो?
मैं- तुम्हारे खजाने को और खूबसूरत बाना रहा हूँ जान!
भाभी- क्या कहा.. जान.. फ़िर से कहो ..आह्ह मैं तुम्हारी जान..? लो कर लो साफ इसे भी!
मैंने चूत पर भी साबुन लगाया और उसे साफ करने लगा।
जब चूत पूरी साफ हो गई तो उसे मैंने गुनगुने पानी से धोया।
मेरा हाथ बार बारा उनके दाने से लग रहा था…
इधर मेरा अभी तक स्खलन नहीं हुआ, एक बार भी नहीं हुआ था.. तो वो तो उछल रहा था..
मैंने भाभी से कहा- इसे थोड़ा सहलाओ ना…!!




(21-03-2022, 11:09 AM)neerathemall Wrote:
[Image: nayanthara_hot_stills_1510130859_043.jpg]

जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#23
उनके मुँह के पास लंड को ले गया, उन्होंने कुछ नहीं किया, मैंने उनकी चूत को देखा, दोनों जांघों के बीच एक लकीर.. लग रहा था की एक शर्माई हुई मुनिया..
मैंने हाथ फेरा… लकीर के बीच ऊँगली डाली.. फ़िर से गीली लबालब पानी.. मुझसे अब रहा नहीं गया!
मैंने भाभी के पेट को चूमना शुरू किया और दोनों पैर भाभी के दोनों तरफ डाले और उनकी पर मुँह रख दिया।
भाभी तड़प उठी- छीईः गंदे..
और पैर उठाने लगी…
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#24
मैंने जबरदस्ती पैरों को फैलाया और उनका रस चाटने लगा.. जीभ को दाने पर रगड़ा…
मेरा लंड उनके मुँह के पास लटक रहा था, भाभी से रहा नहीं गया, वो उसे हाथ में पकड़ और खींच रही थी।
मैंने क़मर और नीचे की और उसे ठीक उनके होंठों पर टिका दिया।
थोड़ी देर तो उन्होंने कुछ नहीं किया लेकिन फ़िर अचानक उसे जीभ से चाटा और होंठ खोलकर उसे अंदर लिया।
मैंने सिहरन सी महसूस की।
मैं- आआअह्ह्ह भाभी चूसओ मेरी जान… अआः मजा आ रहा है आईईइ!
मैं तो उनके गर्म होंठों के स्पर्श से पागल हो रहा था… अब वो भी पूरी मस्ती में उसे मुँह में ले रही थी..
अचानक मैंने थोड़ा अंदर दबाया, लंड एकदम उनके हल्क तक पहुँच गया।
उन्होंने तड़प कर उसे बाहर निकाला और कहा- अब क्या मार डालोगे.. इतना लम्बा और मोटा गले के अंदर डाल रहे हो.. मेरी सांस रूक जायेगी।
मैं- ओह भाभी जी, आप इतना अच्छा चूस रही हो!
इधर भाभी की हालत फ़िर खराब होने लगी, मेरी जीभ उनकी चूत के अंदर पूरी सैर कर रही थी।
भाभी ने फ़िर से पानी छोड़ दिया, मैंने पूरा चाट लिया, उनकी गाण्ड तक बह रहा था तो गांड के छेद तक जीभ से पूरा चाटा।
इधर मुझे लग रहा था कि मेरा भी पानी भाभी के मुँह में निकल जाएगा… मैंने अपना लण्ड उनके मुँह से निकाल लिया, मेरा लवड़ा उनके थूक से गीला होकर चमक रहा था और भी मोटा हो गया था।
मैं उठ कर कमोड पर बैठ गया और भाभी को अपने पास खींचा।
भाभी- अब क्या कर रहे हो?
मैं- आओ ना, दोनों पैर साइड में कर लो और सवारी करो!
भाभी- दिमाग खराब है क्या? मुझसे नहीं होगा!
मैंने उन्हें पकड़ कर पोजिशन में लिया, अब वो मेरी गुलाम थी..
और लंड के ऊपर भाभी की चूत को सेट करके कहा- बैठो…
उन्होंने कोशिश की- …आआह नहीं होगा..
मैंने उनके चूतड़ों पर हाथ रखे और नीचे से धक्का लगाया..
आधा लण्ड गप्प से अंदर!
अब मैंने उन्हें कहा- धीरे धीरे इस पर बैठो…
वो बैठने लगी.. फ़िसलन तो थी.. अंदर घुसने लगा!
फ़िर वो रूक गई.. अभी भी थोड़ा बाहर था..
मैंने उनकी चूची और निप्पल चूसना शुरू किया, बहुत चूमाचाटी की और पीछे से उनकी गांड के सुराख में उंगली डाली।
‘उईईईईई…’
और मैंने उन्हें जोर से अपने ऊपर बिठा लिया।
पूरा लंड अंदर… और भाभी की चीख नीकल गई- आआअह्ह ह्ह्ह मर गईई ऊओह…
अभी तक दो बार चुदने के बाद भी चूत इतनी कसी लग रही थी, मुझे मज़ा और जोश दोनों आ रहा था…
भाभी मेरे सीने से चिपटी रही.. फ़िर थोड़ी देर बाद वो खुद ही मेरे लंड पर ऊपर नीचे करने लगी… मैं भी नीचे से धक्के मार रहा था।
भाभी बड़बड़ाने लगी- आआआअह, तुमने मुझे जिन्दगी का मज़ा दे दिया… अह्ह्ह मुझे माँ बना दो..
और उनके उछलने की गति बढ़ गई।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#25
‘आअह आआह्ह… मेरे अखिलेश… इतने दिन क्यों नहीं किया.. आआअह्ह्ह मेरा होने वाला है…’
और ऐसे ही उछलते हुए उनका पानी नीकल गया, वो मेरे सीने से लिपट गई, मैं उन्हें चूमने लगा।
अब मैंने भाभी को खड़ा किया, मेरे दिमाग में एक नया पोज़ आया, कमोड के ऊपर मैंने भाभी को झुकाया, उनके दोनों हाथ कमोड के ऊपर रखे।
भाभी- यह क्या कर रहे हो?
मैं- मैं तुम्हें और मजा दूँगा जानेमन..
मैं पीछे आ गया।
ऊऊओह क्या मस्त उभरे हुये चूतड.. और ऐसे में उनकी चूत का छेद एकगम गीला… और गांड का गुलाबी छेद…
मैंने पीछे से लंड को उनके चूतड़ों पर घुमाया… और गांड के छेद पर लगाया…
वो एकदम उठ कर खड़ी हो गई- नईई वहाँ नहींई… प्लीज़!
‘नहीं डार्लिंग, मैं सही जगह पर दूंगा!
और फ़िर से उन्हें झुकाया…
चूतड़ और ऊपर किये ताकि चूत ऊपर हो…
और फ़िर..
भाभी- अह्ह धीरे… आआ अह्ह!
मेरा लंड अंदर जा रहा था, लेकिन मैंने उसे बाहर खींचा और अब एक झटके में पूरा अंदर पेल दिया।
वो तो चिल्ला पड़ी- अररे… मार डालोगे क्या?
मैंने उनके चूतड़ सहलाये और आगे हाथ बढ़ा कर उनकी चूचियाँ दोनों साइड से दबाने लगा।
करीब 3-4 मिनट में भाभी फ़िर पानी छोड़ने लगी।
मैंने उसी पोज़ में उन्हें खड़ा किया, दीवार की तरफ मुँह किया और उनका एक पैर कमोड के ऊपर रखा।
और फ़िर तो मैंने भी राजधानी एक्सप्रेस की स्पीड से चोदना शुरू किया।
भाभी उफ़ उफ़ आह अह्ह्ह कर रही थी।
मैंने उनके कानों के पास चूमा- जानू.. मजा आ रहा है ना?
भाभी- बहुत.. और जोर से करो!
अब मुझे लगा कि मेरा निकलने वाला है… एक घंटे से ऊपर हो गया था.. मेरे अंडों में दबाव आ रहा था..
मैंने भाभी को वहीं बाथ टब के अंदर लिया और लिटाया, दोनों पैर फैलाये, घुटनों से ऊपर मोड़ कर एक झटके में अंदर डाला…
उनकी आँखें फ़िर बड़ी बड़ी हो गई लेकिन मैंने कुछ देखा नहीं और फ़िर ‘उफ्फ्फ़; वो धक्के लगाए कि भाभी की सांस फूलने लगी, वो सिर्फ अआह इश्ह्ह् इश्ह्ह्ह आआः कर रही थी।
मैं- जानू मेरा निकलने वाला है.. अंदर डालूँ या बाहर?
भाभी- एक बार तो अंदर डाल दिया है, अब बाहर क्यूँ? डाल अंदर तेरा माल!
मैं- तो लो आआह अह्ह्ह आह्ह ओह्ह ये लो मेरी जान…
और पूरा लंड उनके बच्चेदानी के ऊपर टिकाया और 1.. 2.. 3.. 4.. 5.. 6.. 7..
कितनी पिचकारी मारी कि मैं भूल गया और उनके ऊपर लेट गया।
करीब दस मिनट हम ऐसे ही पड़े रहे.. मैंने फ़िर उठकर उन्हें चूमा।
उन्होने आँखें खोली- तुमने आज मुझसे बहुत बड़ा गुनाह करवा लिया.. आज के बाद मैं तुमसे बात भी नहीं करुँगी।
‘बात मत करना जान.. लेकिन ये काम तो करोगी ना?’
भाभी- बेशरम, अब मेरी जूती करेगी ये काम!
मैंने अपना लंड बाहर खींचा..
पूरा लथपथ.. उनकी चूत से सफ़ेद रस निकल रहा था और बाथ टब में फ़ैल रहा था।
मैंने उनकी गांड के छेद पर हाथ रख कर कहा- अभी तो इसका उदघाटन करना है.. अभी दो दिन और मैं यही रहूंगा.. तुम्हें माँ बना के ही जाऊँगा मैं।
वो बोली- ..क्क्या कहा? दो दिन में? मैं तो मर जाऊँगी!
मैंने धीरे से पूछा- जानेमन कैसा लगा?
वो कुछ बोली नहीं.. सिर्फ मुस्कुरा दी..
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#26
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#27
एक रात सलहज  चोदने  को मिल गई
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#28
एक रात सलहज की चूत चोदने मिल गई
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#29
उस बार मैंने उसे हचक कर चोदा.

वो भी अपनी चूत को हर आसन में चुदवाने को मचल रही थी.
मैंने रात भर अपनी सलहज की चूत का मजा लिया.
पूरी रात चुदाई के चार राउंड करने के बाद हम दोनों काफी थक चुके थे.
अमिता को भी नींद आ रही थी.
मैंने उसको सोने के लिए कहा और हम दोनों बिना कपड़ों के सो गए.
अगली सुबह मॉर्निंग जब मैं उठा तो देखा कि वह बिस्तर पर नहीं थी.
जब मैंने बाहर देखा, तो वो किचन में काम पर लगी हुई थी.
मैंने उसे आवाज लगाई और चाय बनाने के लिए कहा. मेरे दिमाग़ में अभी भी सेक्स करने की इच्छा चल रही थी.
मैंने उसके रूम में आने से पहले ही लंड सहलाना शुरू कर दिया था.
कुछ ही देर में वो अन्दर आई और मुझे लंड सहलाते देख कर मुस्कुराने लगी.
उसने कहा- जीजू, अभी तक शांत नहीं हुए आप!
मैंने कहा- तू है ही इतनी सेक्सी कि कंट्रोल करना मुश्किल है.
मेरी बात सुनकर वो मेरे पास आकर मुझे लिपकिस करने लगी.
मैंने उसे कपड़े उतारने के लिए कहा.
वो झट से अपना सलवार कुर्ता उतार कर मेरे पास आ गई.
उसने सिर्फ़ ब्लैक कलर की ब्रा डाल रखी थी.
मैंने उसे मेरे मुँह पर बैठने को कहा.
वो अपनी चूत चटवाने के लिए मेरे मुँह पर बैठ गई.
मैंने जीभ से उसकी फुद्दी चाटना शुरू कर दिया. मेरी जितनी जीभ अन्दर तक जा सकती थी, मैंने डालकर मजा लिया.
मेरी इस हरकत से वो फिर से चुदासी हो गई और मेरे मुँह से चूत हटा कर मेरे लंड को ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी.
मैंने उसकी ब्रा को उतार दिया और उसकी चूचियों को ज़ोर ज़ोर से दबाना शुरू कर दिया.
वो और ज़्यादा गर्मा गई और मुझे लंड अन्दर डालने के लिए कहने लगी.
मैं झट से उसके ऊपर चढ़ गया और लंड सैट करके एक ही झटके में पूरी ताक़त से अपना लंड उसकी फुद्दी में उतार दिया.
वो आह मर गई …’ कह कर सिहर उठी.
कुछ ही मिनट में ही उसको चरम सुख की प्राप्ति होने लगी और उसकी चूत से पानी बाहर बहने लगा.
वो चिल्लाने लगी.
मैंने भी देर ना करते हुए अपना लंड बाहर निकाला और उसके मम्मों पर मुठ मारने लगा, अपने लंड का सारा पानी उसके मम्मों और पेट पर निकाल दिया.
वो खुश हो गई.
उस दिन शाम को मेरे साले और सासू मां को वापस आना था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#30
(15-06-2022, 02:15 PM)neerathemall Wrote: neerathemall
एक रात सलहज की चूत चोदने मिल गई

स्वरा मुझसे अपनी हर बार साझा करती रहती थी, जिस कारण से हम दोनों काफ़ी क्लोज हो गए थे.

उसकी बातों से मुझे ये भी मालूम थी कि उसका पति उसमें कम इंटरेस्ट लेता था.
पता नहीं क्यों … लेकिन मेरे लिए तो ये सही था.
एक दिन मेरी सासू मां और उसके बेटे को उनके कोई निजी काम से एक दिन के लिए दिल्ली जाना पड़ा.
उन्होंने मुझसे कहा- आप या तो यहां रुक जाना या स्वरा को वहां अपने घर ले जाना.
स्वरा ने कहा- मैं जीजा जी के घर जाऊंगी तो घर सूना हो जाएगा. जीजू यहीं रुक जाएंगे. एक रात की तो बात है.
ये बात सुनकर उन्होंने भी हां कर दी और मैं उन दोनों को बस पर छोड़ कर उनके घर दस बजे के करीब पहुंच गया.
स्वरा ने नाइट सूट पहना हुआ था. नीचे पज़ामा और ऊपर बटनों टी-शर्ट वाली.
तो स्वरा ने मुझसे कहा- जीजू आपको चेंज करना है, तो कर लीजिए, फिर आराम से बैठते हैं.
मैं बाथरूम में चेंज करने चला गया.
मैंने जानबूझकर बाथरूम का गेट पूरा बंद नहीं किया. जब मैं अन्दर गया तो अन्दर स्वरा की ब्रा टंगी हुई थी. मैं वहां उसकी ब्रा अपने लंड पर लपेट कर मुठ मारने लगा.
कुछ ही देर में मैंने अपने लंड का पानी ब्रा में निकाला और चेंज करके बाहर आ गया.
मुझे ये नहीं पता था कि उस ब्रा को थोड़ी देर में ही उठा कर मशीन में डालने वाली है.
मैं अन्दर बैठा था तो मैंने देखा कि वो बाथरूम में गई और उसने बाथरूम से कपड़े उठाए.
फिर उसने मेरी और थोड़ा अजीब सी नजरों से देखा. फिर वो वॉशिंग मशीन की तरफ चली गयी.
मैं समझ गया कि इसे पता चल चुका है कि मैंने इसकी ब्रा के साथ क्या किया है.
फिर वो कमरे में आ गई.
कमरे की लाइट्स ऑफ होने के बाद रूम में अंधेरा हो गया था.
हम दोनों ही बेड पर लेटे हुए बातें कर रहे थे.
बातों बातों में वो मुझे बताने लगी थी कि इनको सेक्स में कोई इंटरेस्ट ही नहीं है. मैं कुछ कहूँ तो उन्हें मेरी बात बुरी लगती है.
मैंने कहा- नहीं तुम नहीं कहा करो, तुम क्यों ये सब कह कर अपनी वैल्यू कम करती हो.
वो बोली- हां, अब मुझे उनसे कुछ नहीं कहना है. मुझे उनसे अब कोई शिकायत नहीं है.
उसकी ऐसी बातें सुनकर मेरा लंड पूरा कड़क हो गया था. मैंने अंडरवियर भी नहीं पहनी थी, तो पजामे में मेरा लंड तम्बू बना रहा था.
रात के 12.30 बज चुके थे और स्वरा को नींद आ चुकी थी.
फिर भी मैंने चैक करने के लिए उसको आवाज लगाई.
उसका कोई जवाब नहीं आया.
मुझे कुछ हिम्मत मिली और मैं धीरे धीरे सरक कर उसके पास चला गया.
वो चित सोई हुई थी और उसने अपने बदन पर चादर डाला हुआ था.
शायद एसी के कारण उसे ठंड लग रही थी.
मैंने चादर को धीरे से एक तरफ किया और जहां उसकी टी-शर्ट के बटन थे, वहां हल्के हाथों से बटन खोलने लगा.
उसकी शर्ट में बटन आराम से खुलने वाले थे, तो जरा सी कोशिश में ही उसके दो बटन खुल गए.
एसी की एलईडी की रोशनी कमरे में काफी उजियाला कर रही थी जिसमें से में मुझे उसका पेट साफ़ दिखाई देने लगा था.
फिर मैं ऊपर वाले बटनों की तरफ गया तो वो उसके फूले हुए मम्मों के कारण उधर के बटन काफी टाइट लगे थे.
मुझसे बड़ी मुश्किल में उसमें से एक ही बटन खुल पाया.
तभी वो हिलने लगी और करवट लेकर पलट गई.
मुझे बहुत खीज हुई क्योंकि मुझे उसके बूब्स टच करने थे और अब वो उस साइड मुँह करके सो गई थी.
फिर भी मैंने अपनी कोशिशें जारी रखीं और कुछ मिनट बाद उसकी पीठ तरफ से उसका पज़ामा नीचे करने की कोशिश करने लगा.
स्वरा की फूली हुई गांड होने के कारण पजामा ने नीचे उतरने से मना कर दिया और मुझसे झांट कुछ नहीं हो पाया.
अब जब तक वो वापिस नहीं मुड़ जाती, तब तक मेरे पास कोई रास्ता नहीं था.
थोड़ी ही देर बाद मुझे ऐसे लगा जैसे शायद उसको सुसु आई क्योंकि वो हिल रही थी और उठने की कोशिश में थी.
मैंने इसे एक मौक़ा माना और मैं फटाफट उठ कर वॉशरूम में चला गया.
बाथरूम का गेट बिना बंद किए मैं मूतने लगा. मैं इस तरह से खड़ा था कि मेरा लंड उसे दिख जाए.
एक मिनट बाद ही वो आंखें मसलती हुई जब बाथरूम के पास आई तो मैं अपने लंड को हिला रहा था.
उसने मेरे लंड को देखा और वो एक तरफ हो गई.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#31
वो बोली- जीजू, गेट बंद नहीं किया आपने.

मैंने कहा- कोई और था नहीं घर पर, मुझे नहीं पता था कि तुम भी उठ जाओगी. गर्मी कुछ ज्यादा थी तो नहीं किया.
वो बोली- ओके.
कुछ पल बाद मैं बाहर आ गया और वो अन्दर चली गई.
उसने सुसु की और हम दोनों वापिस बेड में आ गए.
हम दोनों फिर से सोने लगे.
उस समय रात के 3 बजे से ज्यादा का समय हो गया था.
उसने ठंड की वजह से एसी बंद कर दिया था और चादर भी हटा दिया था.
वो जब सो गई तो मैंने उसके मम्मों को सहलाना शुरू किया.
उसका कोई विरोध नहीं हुआ तो मुझे हिम्मत आ गई.
मेरी सोच यही थी कि आज कैसे भी करके ये मौका नहीं छोड़ना है.
मैंने हल्के से उसको आवाज दी, ‘स्वरा …’
उसका कोई उत्तर नहीं आया.
मैंने फिर से उसे जगाया, तो वो नींद में ही बोली- हां जीजा जी.
मैंने कहा- स्वरा यार, मैं तुझे पसंद करता हूँ.
ये बात सुनकर वो हंसने भी लगी और शर्मा गई.
वो बोली- मैं नींद में इतनी भी बेसुध नहीं हूँ, जो मुझे पता नहीं चल रहा कि आप क्या कर रहे हो. पहले मेरी ब्रा में अपना पानी गिराया, फिर मेरी शर्ट के बटन खोले. मुझे सिड्यूस करने के बाद भी आपने कुछ नहीं किया और 3 बजा दिए.
मैंने कहा- क्या मतलब?
वो बोली- मुझे भी जरूरत है जीजू … बहुत दिन से मैं भी प्यासी हूँ.
इतना कहते ही वो मेरे गले लग गई और हम दोनों लिपकिस करने लगे.
वो मेरे ऊपर आ गई और उसने मेरी टी-शर्ट को उतार दिया. वो मेरे सीने को पागलों की तरह चूमने और चूसने लगी.
मैंने उसकी शर्ट को उतार दिया और वो ऊपर ब्रा में रह गई. मैंने उसका पज़ामा उतार कर उससे कहा- हनी 69 में आ जाओ.
उसके पति ने कभी उसकी चूत नहीं चाटी थी तो वो 69 समझ नहीं पा रही थी.
फिर मैंने खुद ही उसकी चूत की तरफ आकर उसकी चूत चाटी, तो वो कंट्रोल से बाहर हो गई. मैं लगा रहा और वो आंह आंह करती रही अपनी चूत मेरे मुँह में देती रही.
कुछ ही पलों में उसकी चूत का सारा पानी मेरे मुँह में आ गया.
वो झड़ कर मेरे बाजू में लेट गई.
कुछ मिनट बाद मैं नंगा हो गया और उसको गोदी में उठा कर उसे चूमने लगा.
मेरा लंड उसकी चूत में रगड़ मार रहा था.
उसने मेरे लंड को हाथ पकड़ कर रास्ता दिखाया और मैंने लंड चूत में डाल दिया.
वो आंह कह कर सिसक उठी.
उसकी चूत एकदम कसी हुई थी.
साले साहब का लंड एक तो छोटा था और काफी दिन से चूत में गया भी नहीं था.
कुछ देर की उन्ह आह के बाद वो चुदाई के पूरे मजे लेने लगी.
हमारी चुदाई धकापेल चलने लगी.
पहली बार का मामला था तो ये चुदाई 10 मिनट ही चली और मेरा लंड पानी छोड़ने को हो गया.
मैंने लंड चूत से निकला और पानी बाहर ही छोड़ दिया.
वो काफी खुश थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#32
मैंने रात भर अपनी सलहज की चूत का मजा लिया.

पूरी रात चुदाई के चार राउंड करने के बाद हम दोनों काफी थक चुके थे.
स्वरा को भी नींद आ रही थी.
मैंने उसको सोने के लिए कहा और हम दोनों बिना कपड़ों के सो गए.
अगली सुबह मॉर्निंग जब मैं उठा तो देखा कि वह बिस्तर पर नहीं थी.
जब मैंने बाहर देखा, तो वो किचन में काम पर लगी हुई थी.
मैंने उसे आवाज लगाई और चाय बनाने के लिए कहा. मेरे दिमाग़ में अभी भी सेक्स करने की इच्छा चल रही थी.
मैंने उसके रूम में आने से पहले ही लंड सहलाना शुरू कर दिया था.
कुछ ही देर में वो अन्दर आई और मुझे लंड सहलाते देख कर मुस्कुराने लगी.
उसने कहा- जीजू, अभी तक शांत नहीं हुए आप!
मैंने कहा- तू है ही इतनी सेक्सी कि कंट्रोल करना मुश्किल है.
मेरी बात सुनकर वो मेरे पास आकर मुझे लिपकिस करने लगी.
मैंने उसे कपड़े उतारने के लिए कहा.
वो झट से अपना सलवार कुर्ता उतार कर मेरे पास आ गई.
उसने सिर्फ़ ब्लैक कलर की ब्रा डाल रखी थी.
मैंने उसे मेरे मुँह पर बैठने को कहा.
वो अपनी चूत चटवाने के लिए मेरे मुँह पर बैठ गई.
मैंने जीभ से उसकी फुद्दी चाटना शुरू कर दिया. मेरी जितनी जीभ अन्दर तक जा सकती थी, मैंने डालकर मजा लिया.
मेरी इस हरकत से वो फिर से चुदासी हो गई और मेरे मुँह से चूत हटा कर मेरे लंड को ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी.
मैंने उसकी ब्रा को उतार दिया और उसकी चूचियों को ज़ोर ज़ोर से दबाना शुरू कर दिया.
वो और ज़्यादा गर्मा गई और मुझे लंड अन्दर डालने के लिए कहने लगी.
मैं झट से उसके ऊपर चढ़ गया और लंड सैट करके एक ही झटके में पूरी ताक़त से अपना लंड उसकी फुद्दी में उतार दिया.
वो ‘आह मर गई …’ कह कर सिहर उठी.
कुछ ही मिनट में ही उसको चरम सुख की प्राप्ति होने लगी और उसकी चूत से पानी बाहर बहने लगा.
वो चिल्लाने लगी.
मैंने भी देर ना करते हुए अपना लंड बाहर निकाला और उसके मम्मों पर मुठ मारने लगा, अपने लंड का सारा पानी उसके मम्मों और पेट पर निकाल दिया.
वो खुश हो गई.
उस दिन शाम को मेरे साले और सासू मां को वापस आना था.
मैंने ऑफिस से छुट्टी ले ली और तीन बजे तक अपनी सलहज को चोद चोद कर तृप्त कर दिया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#33
मेरी मस्त सलहज

जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#34
(28-07-2022, 06:08 PM)neerathemall Wrote:
मेरी मस्त सलहज


जब मेरी साले की शादी होने वाली थी. मेरा साला एक सरकारी नौकरी में है और उसके लिए एक अच्छी सी लड़की ढूंढी जा रही थी. यह जिम्मेदारी मुझे दी गई थी.

एक बार मैं और मेरा साला, एक लड़की देखने के लिए गए. ये लड़की मुझे देखते ही पसंद आ गई. उस समय मेरे मन में उसको लेकर ऐसा कोई विचार नहीं था कि कभी इसे चोद सकूंगा.
वो लड़की बहुत ही सुंदर थी. उसका नाम काव्या था. उसका फिगर भी बड़ा मस्त था. उस टाइम उसकी उम्र करीब 25 साल की रही होगी. मेरे साले को काव्या पसंद आ गई और कुछ ही समय बाद उन दोनों की शादी हो गई.
शादी में काव्या एक मस्त पटाखा माल लग रही थी. उस दिन शादी की मस्ती में मैंने ड्रिंक की हुई थी. हल्के शुरुर में मेरा मन कर रहा था कि काश किसी दिन इस लड़की को अपने नीचे लिटा कर चोद लूं.
यहां मैं आपको बता दूं कि काव्या एक खुले विचारों की पढ़ी-लिखी लड़की थी, जिसको लेकर मुझे ये समझ आ गया था कि यदि पट गई, तो इसको चोदने में ज्यादा देर नहीं लगेगी.
मेरे साले की शादी के कुछ दिन बाद एक बार मेरी पत्नी की तबीयत कुछ खराब हो गई. मेरी वाइफ को डॉक्टर ने पूर्ण विश्राम बताया था, इस वजह से वह कुछ काम नहीं कर पाती थी.
मेरी पत्नी ने अपनी मम्मी से बात की और मेरी साले की पत्नी को मेरे यहां बुलवा लिया.
काव्या बहुत ही खुश मिजाज प्यारी सी लड़की थी. सारा काम मेरे साले की पत्नी करती थी. ऐसे ही रसोई में काम करते करते कभी कभी मैं उससे मजाक कर लिया करता था और उसकी तारीफ कर दिया करता था.
एक बार मैंने उसकी तारीफ की और बोला- तुम बहुत खूबसूरत हो और मुझे लंबी लड़कियां पसंद हैं.
वह थोड़ी शर्मा गई और मुझे देख कर मुस्कुरा दी.
मैं ऊपर अपने बारे में बताते समय एक बात बताना भूल गया था कि मैं करीबन 6 फीट लंबा हूं, पर मेरी वाइफ की हाइट करीब 5 फुट 1 इंच है.
इसी बात को लेकर मेरे साले की वाइफ ने मुझसे पूछा- जीजाजी, अगर आपको लंबी लड़कियां पसंद हैं, तो आपने दीदी से शादी क्यों की?
उसकी बात का मैंने कोई जवाब नहीं दिया. बस यूं ही हंस कर रह गया.
फिर एक दिन अचानक वह रसोई में कुछ काम कर रही थी और मैं रसोई में पानी लेने के लिए गया.
वह अचानक से डर गई और मुझसे बोली- जीजा जी, आपने तो मुझे डरा ही दिया.
मैंने भी मजाक में बोल दिया- मुझसे डरने की क्या जरूरत है.
उसने मुझे बोला- क्यों … आप इतने लंबे तगड़े आदमी हो … आपसे तो डर लगेगा ही.
मैंने फिर से छेड़ते हुए बोला- तगड़ा मतलब?
इस बात पर वो चुप हो गई.
मैंने उससे फिर से पूछा- बोलो ना तगड़ा मतलब क्या?
उसने बताया- दीदी बता रही थी कि आप बहुत रोमांटिक हो और जब दीदी ठीक थीं, तो आप उनको बहुत परेशान करते थे.
मैंने मुस्कुरा कर पूछा- क्यों तुमको मेरे साले साहब परेशान नहीं करते हैं क्या?
वो शर्म से लाल हो गई और उसने मेरी बात का कोई जवाब नहीं दिया.
मैंने भी उससे अब इस तरह की चुहलबाजी शुरू कर दी थी. वो भी मुझसे खुलने लगी थी.
इस तरह बातें करते हुए मेरी और मेरे साले की वाइफ की अच्छी दोस्ती हो गई.
एक दिन मेरी पत्नी डॉक्टर के यहां गई थी. मैं हाफ-डे में ही ऑफिस से घर आ गया. काव्या ने दरवाजा खोला और मुझे देख कर वो मेरे लिए पानी का गिलास ले आई.
मैंने उसको बोला- वाह मैडम, आज तो तुम कुछ ज्यादा ही ब्यूटीफुल लग रही हो.
उसने भी मुझे रिप्लाई किया- अच्छा … घर पर दीदी नहीं है … तो जनाब का इरादा कुछ अलग दिख रहा है.
मैंने उसको बोला- इरादा का तो बहुत कुछ है … जिस दिन से तुमको देखा था … इरादे तो मेरे उसी दिन बन गए थे, पर मैं कभी किसी लड़की के साथ जबरदस्ती नहीं करता हूँ. इसलिए इंतजार कर रहा था कि अगर तुम मेरी किस्मत में हुई, तो इरादा भी बता दूंगा.
इससे वह थोड़ी शरमा गई. उसने मेरी बात का कोई उत्तर नहीं दिया. मगर हम दोनों में अब और भी खुल कर मजाक होने लगा था. वो मेरे सामने ही अपनी साड़ी के आंचल को ढलका देती थी, जिससे मुझे उसके नुकीली उभार दिखने लगते थे.
मैं भी उस मौके पर उसे टोक देता था कि आज तो छटा बिखर रही है.
वो तब भी अपने पल्लू को ठीक नहीं करती थी, बल्कि मुझे और भी झुक कर अपने मम्मों के दीदार करवाने लगती थी.
उसकी लालसा अब जोर पकड़ने लगी थी, ऐसा मुझे लगने लगा था. मैं भी लंड सहला कर से अपनी चुदास से रूबरू करवाने लगा था. इस तरह एक-दो हफ्ते बीत गए और हम दोनों की छेड़खानी चलती रही.
एक दिन उसने मुझसे बातों ही बातों में पूछा- आपको मुझमें क्या अच्छा लगता है?
मेरे मुँह से निकल गया- तुम्हारी चूचियां.
इससे वो एकदम जोर से हंसते हुए बोली- बड़े गंदे हो आप!
मैंने उसको बोला- तुमने अभी गंदापन देखा ही कहां है.
उसने तुरंत उत्तर दिया- मैं तो कब से वेट कर रही हूं.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#35













बस फिर क्या था … मैंने उसे बांहों में भर लिया और उसके गालों पर किस कर दी. उसने भी मेरा साथ दिया और मेरे गले लग गई.

फिर अचानक से काव्या बोली- अभी नहीं जीजाजी … आज रात को मैं आपके कमरे में आऊंगी.
मैंने उसके दूध दबाते हुए कहा- ठीक है मेरी जान … मुझे इन्तजार रहेगा.
मैं उससे अलग होकर अपने कमरे में जाकर लेट गया.
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#36
yourock yourock

नयी कहानी 

मेरे साले की बीवी का नाम स्वरा (बदला हुआ नाम) है. उसका फिगर 30-28-32 का है. वो दिखने में एकदम सुंदर माल जैसी है. उसका रंग मक्खन सा सफेद है.
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#37
मैंने अपने साले की बीवी को चोदा. वो एकदम सुंदर माल है, मक्खन सी है. वो मुझसे खुली हुई थी. न
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#38
साले की बीवी का नाम स्वरा (बदला हुआ नाम) है. उसका फिगर 30-28-32 का है. वो दिखने में एकदम सुंदर माल जैसी है. उसका रंग मक्खन सा सफेद है.

उसकी शादी के बाद से ही हम दोनों में खूब जमती थी क्योंकि आपको तो पता ही है कि सलहज और जीजा में कुछ ना कुछ तो चलता ही रहता है.

स्वरा मुझसे अपनी हर बार साझा करती रहती थी, जिस कारण से हम दोनों काफ़ी क्लोज हो गए थे.

उसकी बातों से मुझे ये भी मालूम थी कि उसका पति उसमें कम इंटरेस्ट लेता था.
पता नहीं क्यों … लेकिन मेरे लिए तो ये सही था.

एक दिन मेरी सासू मां और उसके बेटे को उनके कोई निजी काम से एक दिन के लिए दिल्ली जाना पड़ा.

उन्होंने मुझसे कहा- आप या तो यहां रुक जाना या स्वरा को वहां अपने घर ले जाना.
स्वरा ने कहा- मैं जीजा जी के घर जाऊंगी तो घर सूना हो जाएगा. जीजू यहीं रुक जाएंगे. एक रात की तो बात है.

ये बात सुनकर उन्होंने भी हां कर दी और मैं उन दोनों को बस पर छोड़ कर उनके घर दस बजे के करीब पहुंच गया.

स्वरा ने नाइट सूट पहना हुआ था. नीचे पज़ामा और ऊपर बटनों टी-शर्ट वाली.

तो स्वरा ने मुझसे कहा- जीजू आपको चेंज करना है, तो कर लीजिए, फिर आराम से बैठते हैं.
मैं बाथरूम में चेंज करने चला गया.

मैंने जानबूझकर बाथरूम का गेट पूरा बंद नहीं किया. जब मैं अन्दर गया तो अन्दर स्वरा की ब्रा टंगी हुई थी. मैं वहां उसकी ब्रा अपने लंड पर लपेट कर मुठ मारने लगा.

कुछ ही देर में मैंने अपने लंड का पानी ब्रा में निकाला और चेंज करके बाहर आ गया.

मुझे ये नहीं पता था कि उस ब्रा को थोड़ी देर में ही उठा कर मशीन में डालने वाली है.

मैं अन्दर बैठा था तो मैंने देखा कि वो बाथरूम में गई और उसने बाथरूम से कपड़े उठाए.
फिर उसने मेरी और थोड़ा अजीब सी नजरों से देखा. फिर वो वॉशिंग मशीन की तरफ चली गयी.

मैं समझ गया कि इसे पता चल चुका है कि मैंने इसकी ब्रा के साथ क्या किया है.

फिर वो कमरे में आ गई.
कमरे की लाइट्स ऑफ होने के बाद रूम में अंधेरा हो गया था.

हम दोनों ही बेड पर लेटे हुए बातें कर रहे थे.
बातों बातों में वो मुझे बताने लगी थी कि इनको सेक्स में कोई इंटरेस्ट ही नहीं है. मैं कुछ कहूँ तो उन्हें मेरी बात बुरी लगती है.

मैंने कहा- नहीं तुम नहीं कहा करो, तुम क्यों ये सब कह कर अपनी वैल्यू कम करती हो.
वो बोली- हां, अब मुझे उनसे कुछ नहीं कहना है. मुझे उनसे अब कोई शिकायत नहीं है.

उसकी ऐसी बातें सुनकर मेरा लंड पूरा कड़क हो गया था. मैंने अंडरवियर भी नहीं पहनी थी, तो पजामे में मेरा लंड तम्बू बना रहा था.

रात के 12.30 बज चुके थे और स्वरा को नींद आ चुकी थी.

फिर भी मैंने चैक करने के लिए उसको आवाज लगाई.
उसका कोई जवाब नहीं आया.
मुझे कुछ हिम्मत मिली और मैं धीरे धीरे सरक कर उसके पास चला गया.

वो चित सोई हुई थी और उसने अपने बदन पर चादर डाला हुआ था.
शायद एसी के कारण उसे ठंड लग रही थी.

मैंने चादर को धीरे से एक तरफ किया और जहां उसकी टी-शर्ट के बटन थे, वहां हल्के हाथों से बटन खोलने लगा.

उसकी शर्ट में बटन आराम से खुलने वाले थे, तो जरा सी कोशिश में ही उसके दो बटन खुल गए.

एसी की एलईडी की रोशनी कमरे में काफी उजियाला कर रही थी जिसमें से में मुझे उसका पेट साफ़ दिखाई देने लगा था.

फिर मैं ऊपर वाले बटनों की तरफ गया तो वो उसके फूले हुए मम्मों के कारण उधर के बटन काफी टाइट लगे थे.
मुझसे बड़ी मुश्किल में उसमें से एक ही बटन खुल पाया.

तभी वो हिलने लगी और करवट लेकर पलट गई.

मुझे बहुत खीज हुई क्योंकि मुझे उसके बूब्स टच करने थे और अब वो उस साइड मुँह करके सो गई थी.

फिर भी मैंने अपनी कोशिशें जारी रखीं और कुछ मिनट बाद उसकी पीठ तरफ से उसका पज़ामा नीचे करने की कोशिश करने लगा.

स्वरा की फूली हुई गांड होने के कारण पजामा ने नीचे उतरने से मना कर दिया और मुझसे झांट कुछ नहीं हो पाया.

अब जब तक वो वापिस नहीं मुड़ जाती, तब तक मेरे पास कोई रास्ता नहीं था.

थोड़ी ही देर बाद मुझे ऐसे लगा जैसे शायद उसको सुसु आई क्योंकि वो हिल रही थी और उठने की कोशिश में थी.
मैंने इसे एक मौक़ा माना और मैं फटाफट उठ कर वॉशरूम में चला गया.

बाथरूम का गेट बिना बंद किए मैं मूतने लगा. मैं इस तरह से खड़ा था कि मेरा लंड उसे दिख जाए.

एक मिनट बाद ही वो आंखें मसलती हुई जब बाथरूम के पास आई तो मैं अपने लंड को हिला रहा था.
उसने मेरे लंड को देखा और वो एक तरफ हो गई.

वो बोली- जीजू, गेट बंद नहीं किया आपने.
मैंने कहा- कोई और था नहीं घर पर, मुझे नहीं पता था कि तुम भी उठ जाओगी. गर्मी कुछ ज्यादा थी तो नहीं किया.
वो बोली- ओके.

कुछ पल बाद मैं बाहर आ गया और वो अन्दर चली गई.

उसने सुसु की और हम दोनों वापिस बेड में आ गए.
हम दोनों फिर से सोने लगे.

उस समय रात के 3 बजे से ज्यादा का समय हो गया था.
उसने ठंड की वजह से एसी बंद कर दिया था और चादर भी हटा दिया था.

वो जब सो गई तो मैंने उसके मम्मों को सहलाना शुरू किया.

उसका कोई विरोध नहीं हुआ तो मुझे हिम्मत आ गई.
मेरी सोच यही थी कि आज कैसे भी करके ये मौका नहीं छोड़ना है.

मैंने हल्के से उसको आवाज दी, ‘स्वरा …’
उसका कोई उत्तर नहीं आया.

मैंने फिर से उसे जगाया, तो वो नींद में ही बोली- हां जीजा जी.
मैंने कहा- स्वरा यार, मैं तुझे पसंद करता हूँ.

ये बात सुनकर वो हंसने भी लगी और शर्मा गई.

वो बोली- मैं नींद में इतनी भी बेसुध नहीं हूँ, जो मुझे पता नहीं चल रहा कि आप क्या कर रहे हो. पहले मेरी ब्रा में अपना पानी गिराया, फिर मेरी शर्ट के बटन खोले. मुझे सिड्यूस करने के बाद भी आपने कुछ नहीं किया और 3 बजा दिए.

मैंने कहा- क्या मतलब?
वो बोली- मुझे भी जरूरत है जीजू … बहुत दिन से मैं भी प्यासी हूँ.
इतना कहते ही वो मेरे गले लग गई और हम दोनों लिपकिस करने लगे.

वो मेरे ऊपर आ गई और उसने मेरी टी-शर्ट को उतार दिया. वो मेरे सीने को पागलों की तरह चूमने और चूसने लगी.

मैंने उसकी शर्ट को उतार दिया और वो ऊपर ब्रा में रह गई. मैंने उसका पज़ामा उतार कर उससे कहा- हनी 69 में आ जाओ.

उसके पति ने कभी उसकी चूत नहीं चाटी थी तो वो 69 समझ नहीं पा रही थी.

फिर मैंने खुद ही उसकी चूत की तरफ आकर उसकी चूत चाटी, तो वो कंट्रोल से बाहर हो गई. मैं लगा रहा और वो आंह आंह करती रही अपनी चूत मेरे मुँह में देती रही.

कुछ ही पलों में उसकी चूत का सारा पानी मेरे मुँह में आ गया.
वो झड़ कर मेरे बाजू में लेट गई.

कुछ मिनट बाद मैं नंगा हो गया और उसको गोदी में उठा कर उसे चूमने लगा.
मेरा लंड उसकी चूत में रगड़ मार रहा था.

उसने मेरे लंड को हाथ पकड़ कर रास्ता दिखाया और मैंने लंड चूत में डाल दिया.
वो आंह कह कर सिसक उठी.

उसकी चूत एकदम कसी हुई थी.
साले साहब का लंड एक तो छोटा था और काफी दिन से चूत में गया भी नहीं था.

कुछ देर की उन्ह आह के बाद वो चुदाई के पूरे मजे लेने लगी.

हमारी चुदाई धकापेल चलने लगी.
पहली बार का मामला था तो ये चुदाई 10 मिनट ही चली और मेरा लंड पानी छोड़ने को हो गया.

मैंने लंड चूत से निकला और पानी बाहर ही छोड़ दिया.
वो काफी खुश थी.

कुछ देर बाद दूसरा राउंड शुरू हो गया.
उस बार मैंने उसे हचक कर चोदा.
वो भी अपनी चूत को हर आसन में चुदवाने को मचल रही थी.

मैंने रात भर अपनी सलहज की चूत का मजा लिया.

पूरी रात चुदाई के चार राउंड करने के बाद हम दोनों काफी थक चुके थे.
स्वरा को भी नींद आ रही थी.

मैंने उसको सोने के लिए कहा और हम दोनों बिना कपड़ों के सो गए.
अगली सुबह मॉर्निंग जब मैं उठा तो देखा कि वह बिस्तर पर नहीं थी.

जब मैंने बाहर देखा, तो वो किचन में काम पर लगी हुई थी.

मैंने उसे आवाज लगाई और चाय बनाने के लिए कहा. मेरे दिमाग़ में अभी भी सेक्स करने की इच्छा चल रही थी.

मैंने उसके रूम में आने से पहले ही लंड सहलाना शुरू कर दिया था.

कुछ ही देर में वो अन्दर आई और मुझे लंड सहलाते देख कर मुस्कुराने लगी.

उसने कहा- जीजू, अभी तक शांत नहीं हुए आप!
मैंने कहा- तू है ही इतनी सेक्सी कि कंट्रोल करना मुश्किल है.

मेरी बात सुनकर वो मेरे पास आकर मुझे लिपकिस करने लगी.

मैंने उसे कपड़े उतारने के लिए कहा.
वो झट से अपना सलवार कुर्ता उतार कर मेरे पास आ गई.

उसने सिर्फ़ ब्लैक कलर की ब्रा डाल रखी थी.

मैंने उसे मेरे मुँह पर बैठने को कहा.
वो अपनी चूत चटवाने के लिए मेरे मुँह पर बैठ गई.

मैंने जीभ से उसकी फुद्दी चाटना शुरू कर दिया. मेरी जितनी जीभ अन्दर तक जा सकती थी, मैंने डालकर मजा लिया.

मेरी इस हरकत से वो फिर से चुदासी हो गई और मेरे मुँह से चूत हटा कर मेरे लंड को ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी.

मैंने उसकी ब्रा को उतार दिया और उसकी चूचियों को ज़ोर ज़ोर से दबाना शुरू कर दिया.
वो और ज़्यादा गर्मा गई और मुझे लंड अन्दर डालने के लिए कहने लगी.

मैं झट से उसके ऊपर चढ़ गया और लंड सैट करके एक ही झटके में पूरी ताक़त से अपना लंड उसकी फुद्दी में उतार दिया.
वो ‘आह मर गई …’ कह कर सिहर उठी.

कुछ ही मिनट में ही उसको चरम सुख की प्राप्ति होने लगी और उसकी चूत से पानी बाहर बहने लगा.
वो चिल्लाने लगी.

मैंने भी देर ना करते हुए अपना लंड बाहर निकाला और उसके मम्मों पर मुठ मारने लगा, अपने लंड का सारा पानी उसके मम्मों और पेट पर निकाल दिया.
वो खुश हो गई.

उस दिन शाम को मेरे साले और सासू मां को वापस आना था.
मैंने ऑफिस से छुट्टी ले ली और तीन बजे तक अपनी सलहज को चोद चोद कर तृप्त कर दिया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#39
बिना सोचे समझे बहन के पति से चुद गई- 
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#40
मेरे पति एक बड़ी कंपनी में इंजीनियर हैं और घर से बाहर रहते हैं.
घर में मेरे अलावा मेरे ससुर और मेरे दो बच्चे रहते हैं.

मुझे भगवान ने वो सब कुछ दिया है जो एक लड़की शादी से पहले अपने मन में इच्छा रखती है.
मेरे पति मुझे बहुत प्यार करते हैं और हमारी सेक्स लाइफ भी बहुत अच्छी है.

मेरे पति जब भी घर आते हैं तो हम दोनों बहुत सेक्स करते हैं.
घर में हमारे अलावा सिर्फ मेरे ससुर हैं, जो कि नीचे की मंजिल में रहते हैं और वो ऊंचा सुनते हैं.
उनके अलावा मेरे घर में और कोई नहीं है.

मैं और मेरे पति हर तरीके से सेक्स करते हैं.
हमें सेक्स के लिए 3-4 महीनों में 10 से 15 दिन ही मिलते हैं.
या ये कहो कि हम दोनों बहुत खुल कर इंजॉय करने वाले दंपति हैं.

अब जो Xxx साली चुदाई कहानी मैं लिखने वाली हूँ, इसकी मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि ऐसा कुछ मेरे साथ हो जाएगा.

लोग कहते हैं कि कभी कभी जिंदगी में कुछ ऐसा इत्तेफाक हो जाता है, जिसकी उसने कभी उम्मीद ही न की होती है.

यह बात आज से एक साल पहले की है.
उस दिन में बाथरूम में नहा रही थी. मेरे दोनों बच्चे स्कूल गए हुए थे.

तभी किसी काम से मेरी छोटी बहन का पति मनीष मेरे घर आ गया.
कुछ देर तक उसने नीचे मेरे ससुर से बात की, फिर वो ऊपर की मंजिल पर आ गया.

ऊपर आकर जब उसने मुझे कहीं नहीं देखा, तो जीजी बोलकर पुकारने लगा.
मैंने जब उसकी आवाज सुनी, तो मैं सकपका गयी कि ये अचानक से कैसे आ गया.

फिर कुछ सोचकर मैंने उसे बाथरूम से ही आवाज दी कि आप कुछ देर इंतजार करें, मैं अभी नहा रही हूँ.
मैं सोचने लगी कि अब क्या करूं क्योंकि मेरे बाथरूम से निकलने का रास्ता मेरी बैठक के सामने से था और बाथरूम में मैं सिर्फ टॉवल ही पहन सकती थी. मेरे पास कोई और कपड़े नहीं थे.

मैं हमेशा बाथरूम में सिर्फ टॉवल ही लाती थी. ब्रा पैंटी और बाकी के कपड़े मैं बाद में कमरे में जाकर पहनती थी.
इसका कारण यही था कि मेरे घर में कोई नहीं आता था.

मैं अब बहुत ही असमंजस में थी कि क्या करूं.
मेरे सामने कोई चारा नहीं था तो मैंने निश्चय किया कि बाथरूम से भाग कर निकलूंगी.

यह सोचकर मैंने सावधानी से दरवाजा खोलकर इधर उधर देखा और जल्दी से भागने की कोशिश की कि जल्दी से अपने बेडरूम में पहुंच जाऊं.
पर मेरी फूटी किस्मत कि हड़बड़ी में मेरा पैर फिसल गया और मैं वहीं बैठक के सामने गिर पड़ी.

इसे कहते हैं अनहोनी, कहां मैं मनीष के सामने जाना नहीं चाहती थी और अब वहीं उसके सामने जमीन पर नंगी पड़ी थी.
मेरी तौलिया भी मेरे जिस्म से अलग हो गई थी.

मनीष भी भागकर मेरे पास आ गया और पूछने लगा- अरे जीजी, कहीं लगी तो नहीं?
वो मुझे आंखें फाड़ कर देख रहा था.

मैं शर्म के कारण जमीन में धंसी जा रही थी क्योंकि मेरा नंगा जिस्म मनीष के सामने था.
मैंने जल्दी से टॉवल उठा कर अपने ऊपर डाल लिया.

लेकिन टॉवल से सिर्फ मेरे मम्मों और मेरी चूत के ऊपर का थोड़ा सा हिस्सा ही ढका हुआ था.

गिरने की वजह से मेरी कमर में धमक लग गयी थी.
मैं दोहरी मार से मरी जा रही थी.
मैंने उठने की कोशिश की लेकिन मेरी कमर मेरा साथ नहीं दे रही थी.

फिर मैंने याचना भरी नजरों से मनीष की तरफ देखा तो उसने मेरी स्थिति देखकर मुझे सहारा देकर उठाया.
इससे मैं एक बार से फिर नंगी हो गयी.

मनीष ने ही नीचे से टॉवल उठाकर मुझे लपेट दी. उसके हाथों ने जब मुझे टॉवल पहनाई, तब उसके हाथ कांप रहे थे.
इसका मुझे अहसास मुझे उसकी पैंट के उभार ने बता दिया था.

वो मेरे एकदम सामने बस कुछ इंच की दूरी पर ही था जिससे मैं उसकी बढ़ती हुई सांसों की आवाज को सुन सकती थी.
फिर वो मुझे सहारा देते हुए मेरे बेडरूम में लेकर आ गया.

जब वो मुझे पकड़कर बेडरुम में ला रहा था तब उसकी उंगलियां मेरे मम्मों के ऊपरी हिस्से को टच कर रही थीं.

बेडरूम में आकर मैं अपने बेड पर बैठ गयी.
मनीष मेरे सामने खड़ा था और मेरे अधनंगे शरीर का अपनी आंखों से रसपान कर रहा था.
जब उसकी आंखें मेरी आंखों से मिलीं तो पता ही नहीं चला कि मुझे क्या हो गया.
मैं कब बहक गयी.

हमेशा से ही पतिव्रता रही सुधा कब एक गैर मर्द की बांहों में चली गयी.
जब होश आया तो मनीष मेरे होंठों को चूस रहा था और उसके हाथ मेरे पूरे शरीर का जायजा ले रहे थे.

उसकी जीभ मेरे मुँह में थी और मैं उसे चूस रही थी.
जैसे ही मुझे होश आया ओर मेरे दिमाग ने मुझसे कहा कि ये गलत है, मैंने मनीष को अपने से दूर करना चाहा.

लेकिन उसने मुझे और कसके पकड़ लिया और मेरी कान की लौ को जीभ से चुभलाते हुए बोला- सुधा, अब हम इतने आगे बढ़ गए है कि अब पीछे लौटना न मेरे लिए संभव है और न तुम्हारे लिए.

मनीष मुझे मेरे नाम से बुला रहा था.
हालांकि उसकी और मेरी उम्र में ज्यादा अंतर नहीं था लेकिन वो रिश्ते में तो मुझसे छोटा था.

मैंने उसे फिर भी रोकना चाहा- मनीष ये गलत है. मैं तुम्हारी बीवी की बड़ी बहन हूँ. ये गलत है. अगर किसी को पता चल गया तो मैं कहीं भी मुँह दिखाने लायक नहीं रहूंगी.

लेकिन मनीष पर तो शायद वासना का भूत चढ़ गया था. वो मेरी किसी भी बात को सुन ही नहीं रहा था.
उसने मेरी टॉवल खींच कर दूर फेंक दी और मुझे अपनी बांहों में जकड़ लिया.

मैं अभी भी उसे अपने से दूर करना चाहती थी. मैं जितना भी उसे दूर करना चाहती, वो मुझसे उतना ही चिपकता जाता.

फिर उसने मुझे बेड पर पीठ के बल लेटा दिया.
अब तो मेरी स्थिति और भी दयनीय हो गयी थी क्योंकि मेरे चूतड़ों से ऊपर का हिस्सा बेड के ऊपर था और मेरी टांगें नीचे लटक रही थीं.

मनीष भी मेरी टांगों के बीच मेरे ऊपर अधलेटा सा हो गया था.
उसका लंड पैंट के ऊपर से ही मेरी चूत पर अड़ सा गया था.

मेरी भी मनोस्थिति अब ऐसी हो गयी कि मेरा मन और दिल चाह रहा था कि जो हो रहा है, उसे होने दूँ.
पर मेरा दिमाग कह रहा था कि ये गलत है.

फिर भी मैंने अपने आपको काबू में करके एक बार आखिरी कोशिश करने की सोची और अपनी पूरी ताकत से मनीष को अपने ऊपर से हटाना चाहा.
पर इसका उल्टा ही असर हुआ.

मनीष ने मुझे और कसके एक हाथ से पकड़ लिया और दूसरे हाथ से अपना पैंट और अंडरवियर उतारने लगा.
ऊपर से उसने अपने मुँह से मेरे होंठों को अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगा.

अपना पैंट ओर अंडरवियर उतार कर उसने अपना लंड मेरी चूत की फांकों में फिट कर दिया और मेरे दोनों हाथ पकड़ लिए.

जैसे ही मेरी चूत पर उसका लंड का स्पर्श हुआ, मैं एकदम से सिहर सी गयी क्योंकि दो महीने से मेरी चुदाई नहीं हुई थी.

मैं भी अन्दर से चाहने लगी थी कि अब जल्दी से लंड चूत के अन्दर जाकर मेरी प्यास बुझा दे.
लेकिन मैं फिर भी ऊपर से आनाकानी करने लगी क्योंकि मैं नहीं चाहती थी कि मनीष बाद में मुझे गलत समझे.

फिर मनीष ने चूत पर लंड फिट करके जैसे ही धक्का मारा, मैंने अपनी कमर हिला दी.
उसका लंड फिसल गया.

उसने फिर से अपने लंड को पकड़ा और वापस मेरी चूत की फांकों में ऊपर-नीचे रगड़ा.
फिर छेद पर टिका कर हल्के से धकेला तो उसका सुपारा अन्दर घुस गया.

मैंने तड़प कर छूटने की कोशिश की पर मनीष मुझे कस कर पकड़े हुए था जिससे उससे छूट पाना मेरे लिए मुश्किल ही था.

हालांकि मैं भी अब छूटना नहीं चाहती थी.
लेकिन मैं इस तरह से चुदना भी नहीं चाहती थी क्योंकि मेरे पति ने हमेशा प्यार से सेक्स किया था.

फिर अभी तो मेरी चूत भी गीली नहीं हुई थी.
लेकिन मैं क्या करती.
वो मुझे ऐसे ही चोदना चाहता था.

अगर वो मेरी आंखों में देखता, तो शायद समझ जाता.
पर उस पर तो वासना का भूत चढ़ा हुआ था.

इसके बाद उसने अपना हाथ हटा लिया और अपने दोनों हाथों से मेरे हाथ पकड़ लिए, मेरे एक दूध को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा.

मेरी ऐसी हालत हो गई थी कि मैं कुछ कर ही नहीं सकती थी.
मेरे दोनों हाथ उसके बस में थे. मेरी चूत में उसके लंड का पूरा सुपारा घुस चुका था और मेरा एक चूचुक उसके मुँह में था.

मैं एक जल बिन मछली की भांति तड़पने लगी … आखिर मैं भी एक औरत थी.

फिर मनीष ने मुझे देखा कि अब मैं नॉर्मल थी, तो उसने मेरे हाथ छोड़ दिए और मेरे मम्मों को अपने दोनों हाथों में लेकर मसलते हुए अपना लंड मेरी चूत में घुसेड़ने लगा.

जैसे ही उसका लंड अन्दर घुसा, मुझे हल्का दर्द होने लगा.
शायद उसका लंड मोटा था या फिर काफी दिनों से मेरी चुदाई नहीं हुई थी या मेरी चूत गीली नहीं थी.

कुछ देर ऐसे ही धकेलने के बाद उसने एक झटका दिया और मेरे मुँह से निकल गया- हाय मम्मीईई मर गईई … नहीं … नहीं … छोड़ दो … मैं मर जाऊंगी … ओह्ह मां!

मेरी सांस दो पल के लिए रुक गई थी.
उसका लंड मेरी चूत फाड़ते हुए काफी अन्दर घुस गया था.

फिर उसने अपना पूरा वजन मेरे ऊपर डाल दिया और और धीरे-धीरे धक्के देने लगा.
शायद उसे भी थोड़ी तकलीफ हो रही थी क्योंकि मेरी चूत गीली नहीं थी.

मैंने अपनी आंखें खोलीं और एक बार उसकी तरफ देखा.
उसने अपने नीचे वाले होंठ को अपने दांतों से ऐसे दबा रखा था जैसे कोई बहुत ताकत लगाने के समय कर लेता है.

वो मेरी चूत में ऐसे धक्के मार रहा था जैसे वो खुद भी अन्दर घुस जाना चाहता हो.

मनीष का लंड करीब एक तिहाई मेरी चूत में था … लेकिन मुझे ऐसा लग रहा था कि उसका लंड शायद मेरे पति से मोटा हो और बड़ा भी.
या फिर ये कहो कि इस पोजीशन में छोटा लंड भी बड़ा लगता है.
या यूं कहो कि पराया माल हमेशा अच्छा लगता है.

अब मेरी चूत भी हल्की गीली हो चली थी और पहले जैसा कुछ भी दर्द नहीं हो रहा था.

तभी मनीष ने मेरे मम्मों को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर एक जोरदार धक्का मार कर अपना लंड मेरी चूत में जड़ तक घुसेड़ दिया.
मुझे ऐसा लगा कि उसका लंड मेरी बच्चेदानी फाड़ कर अन्दर घुस गया हो.

मेरे मुँह से चीख निकल गयी- ओह्ह ओह्ह मां मर गईईई … आह … कोई तो बचाओ आहह … इस जालिम से.

इस तरह मेरे पति ने मुझे कभी भी नहीं चोदा था.
पर ये तो बड़ा ही बेरहम हो रहा था.

फिर उसने धीमे धीमे धक्के मारना चालू कर दिया.
जिससे मेरी चूत गीली होने लगी और उसके लंड को भी मेरी चूत ने एडजस्ट कर लिया.

मुझे मजा आने लगा लेकिन मेरी टांगें अभी भी नीचे लटक रही थीं.
जिस वजह से मुझे थोड़ी परेशानी हो रही थी.

मैंने उससे इशारे से उसे अपनी परेशानी बतायी हालांकि अभी भी मैं उससे नजर नहीं मिला पा रही थी. आखिर वो मेरी छोटी बहन का पति था.

मेरा इशारा समझ कर मनीष ने एक झटके में अपना लंड मेरी चूत से निकाल लिया और मुझे बेड पर सही से लेटा दिया.
उसने जल्दी से मेरे चूतड़ों के नीचे एक तकिया रख दिया.

अब वो वापस से मेरी टांगों के बीच आ गया.
वो फिर से अपना लंड मेरी चूत की फांकों में रख कर रगड़ने लगा जिससे मेरी चूत में चीटियां सी रेंगने लगीं.

मेरे दोनों हाथ अपने आप उठ गए और मैंने उसे अपनी तरफ खींच लिया.
फिर मैंने उसके होंठों से अपने होंठ मिला दिए.

उसने अपने दोनों हाथों से मेरे दोनों मम्मों के चूचक पकड़ लिए और मसलने लगा.
साथ ही अपना लंड मेरी फांकों में रगड़ने लगा.

अब मेरी टांगें अपने आप उठ गईं और उसके चूतड़ों पर अपनी टांगों को फंसा कर मैं उसे अपनी तरफ खींचने लगी.

मेरा उतावलापन देख कर मनीष ने अपना लंड मेरी चूत के छेद पर लगा कर एक ही झटके में पूरा जड़ तक घुसेड़ दिया.
मेरे मुँह से वापस से ‘आहह … यहांहा बेदर्दी … ओहहह … मार दिया …’ निकल गया.

मैंने मनीष से कहा- मेरे भोले राजा आराम से करो … मैं कहीं भागी नहीं जा रही हूँ. आराम से चोद ले … फ्री का माल मत समझ.!
मनीष हंस कर बोला- सुधा मेरी जान, आह … तू तो अपनी बहन से भी मस्त माल है. इतना मजा तो मुझे कभी तेरी बहन को चोद कर नहीं आया. आज तो मैं तुझे चोद चोद कर तेरा कचूमर निकाल दूँगा.

मनीष अब तू तड़ाक की भाषा पर आ गया था.
हालांकि मुझे ये सब पसंद नहीं था लेकिन मैंने उस समय कुछ बोलना उचित नहीं समझा.

मनीष ने वापस से अपना लंड खींच कर सिर्फ सुपारा मेरी चूत में रख कर वापस एक करारा झटका मार दिया.
उसका लंड मेरी चूत के अंतिम छोर तक घुसता चला गया.
मैं बस कराह कर रह गयी.

मेरे मुँह से बस आहहह … ओह हहह … की आवाजें निकलने लगीं. लेकिन उस पर मेरी कराहों का कोई असर नहीं हो रहा था.
वो बस अपना पूरा लंड निकालता और एक ही झटके में घुसेड़ देता.

उसका लंड सीधा मेरी बच्चेदानी पर चोट कर रहा था.
थोड़ी ही देर में मुझे मजा आने लगा और मैं अपनी टांगें उठा कर उसके लंड का स्वागत करने लगी.
मनीष के झटके बहुत ही जबरदस्त लग रहे थे जिससे थोड़ी ही देर में मेरी चूत पानी छोड़ने लगी.

मैंने अपनी दोनों टांगें उठाकर मनीष की कमर पर लपेट दी और बड़बड़ाने लगी- आहह जानू … मजा आ गया … आह्ह … तेरा लंड … आह्ह … हाय … आह्ह … और जोर से … आह्ह और जोर से!

बस ये सब बोलती हुई मैं झड़ गयी पर उसका अभी नहीं हुआ था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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