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Adultery पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ नौजवान के कारनामे
wonderful... very hot
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पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

VOLUME II

विवाह

CHAPTER-1

PART 48

मरीना का कौमर्य भंग 







मैंने अपने लंड पर मरीना की योनि का कोमल स्पर्श महसूस किया और मैं परमानंद के साथ कराह उठा, "ओह्ह्ह।" मैंने उसके स्तनों को जोर-जोर से निचोड़ा। हम दोनों साथ-साथ लिप किस कर रहे थे और हम दोनों का मुंह लार से भीगा हुआ था और हमारे मुंह से लार की धारा टपक रही थी जो गालो से बह कर गर्दन पर जा रही थी ।

मरीना ने महसूस किया कि मेरा लंड उसकी योनि में लम्बा और मोटा हो रहा था और साथ-साथ उसके अंदर सख्त होता जा रहा था। उसने अपने दोनों नितम्बो को थोड़ा-सा फैलाया और बहुत धीमे से आह करते हुए कराहने लगी।

मैंने उसकी कराह को अनसुना करते हुए एक छोटा-सा धक्का लगाया तो वह और ज़ोर से चिल्लाई। फिर मैंने उसके लिप्स पर किस करते हुए उसके मुँह को बंद किया और जिस तरह से मैंने शुरू किया था, एक छोटा धक्का और उसके बाद तेज धक्के के साथ अपने लंड के सिर को उसकी योनी में पूरा धकेल दिया और फिर थोड़ा पीछे हटकर उसे और भी आगे उस अविश्वसनीय रूप से तंग, गर्म छेद में घुसा दिया और जैसे मरीना कराह रही थी, झटपटा रही थी और अपने बदन को इधर से उधर कर रही थी उससे लगा कि अब वह इसे ज्यादा देर तक नहीं झेल पाएगी ।

दूसरे धक्के ने मेरे लंड के अग्रभाग को मरीना के हाइमन से पास पहुँचा दिया। मेरा लंड उसकी कौमार्य की पतली झिल्ली से टकराया, फिर मैंने लंड को धीरे से थोडा पीछे और फिर अन्दर की ओर बढ़ाया लेकिन चूत बहुत टाइट थी और आराम से अंदर जा नहीं रहा था, मेरे लिए भी रुकना मुश्किल हो रहा था। फिर मैंने एक कस कर जोर लगाया और लंड दो इंच अंदर चला गया। न्दर अवरोध महसूस होने लगा था। लंड झिल्ली तक पहुँच चूका था मेरा लंड मरीना के हायमन से टकरा रहा था और जब मैंने उसे भेदकर आगे बढ़ना चाहा तो मरीना कराहने लगी कि दर्द के मारे मैं मर जाउंगी। मास्टर हाअ, आआआआजा, आईसीईई, चोदो और जोर से चोदो। आआआआ और ज़ोर से, उउउईईईई माँ, आहहहाँ

मैंने पूरी ताकत के एक धका लगा दिया "ओह दीदी" मरीना के मुह से निकला। उसके स्तन ऊपर की ओर उठ गए और शरीर एंठन में आ गया और मेरा गर्म, आकार में बड़ा लिंग उसके कौमेर को भंग करके योनी में घुस गया। अन्दर और अन्दर वह चलता गया, चूत के लिप्स को खुला रखते हुए क्लिटोरिस को छूता हुआ वह पूरा अन्दर तक चला गया था।



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मेरा लंड जब योनी में गहराई से फिसल गया तो मरीना दर्द में चीख उठी क्योंकि उसके कौमार्य की झिल्ली के भंग होने से उसके शरीर में तेज दर्द हुआ।

अगर किसी लड़की को इतने बड़े लंड से छोड़ा जाए तो वह वास्तव में एक असामान्य लड़की ही होगी जिसकी योनि की भीतरी मांपेशियों बड़े लंड के प्रवेश के कारण कसकर फैल न जाए। मेरे लंड के बड़े और चौड़े सिर ने उसकी योनि की कोमल दीवारों में गहरा गया । मैंने एक बार फिर पूरी ताकत लगा कर पीठ उठा कर लैंड को बाहर खींचा और एक धका और लगाया लंड फिर पूरा अंदर समां गया ...जिससे उसके शरीर में यौन उत्तेजना के बड़े झटके आए। मेरे लिंग को मरीना ने अपनी योनी रस ने भिगो दिया था और मैंने मरीना को लिप किस करना शुरू कर दिया और काफी देर तक लिप किस करता रहा उधर रोजी ने मरीना के स्तनों को सहलाना और मसलना शुरू कर दिया मरीना का तड़पना और चीखना चिलाना बंद हो गया था ... वह अब मेरा पूरा साथ दे रही थी

फिर मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाना शुरू किया। जल्द ही मेरे लिंग उसकी योनि के गहरे हिस्से का पता लगाना शुरू कर दिया और जी स्पॉट को रगड़ते हुए अंदर जाना शुरू कर दिया। तो वह कराहने लगी, आह मास्टर बहुत मज़ा आआआआ रहा है, ...हाईईईईई, म्म्म्मम। फिर कुछ देर के बाद मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी। अब वह पूरी मस्ती में थी और मस्ती में मौन कर रही थी अआह्ह्ह आाइईई और करो, बहुत मजा आ रहा है। अब वह इतनी मस्ती में थी कि पूरा का पूरा शब्द भी नहीं बोल पा रही थी। अब में अपनी स्पीड धीरे-धीरे बढ़ाता जा रहा था हाअ, मास्ततततरररररर आआईई, चोदो और जोर से चोदो।

फिर बहुत ही कम समय में मैंने महसूस किया कि उसकी योनि के अंदर चिर परिचित जानी-पहचानी जकड़न बन रही है।

हांफती हुई मरीना ने महसूस किया कि यह उसके पहले के अपनी बहन के साथ वाले और अन्य यौन अनुभवों से बहुत अलग था। यह जल्दी से उन सभी यौन अनुभवों को-को पार कर गयी जिसे वह पहले कभी भी अनुभव कर चुकी थी। उसने महसूस किया कि उसकी योनि अंदरूनी हिस्से एक विशाल रबर बैंड में बदल गये थे और उन्हें जितनासानी से संभव हो सकता है उससे कहीं अधिक कसकर खींचा जा रहा था। मरीना को उसकी योनि के अंदर बाहर हो रहे मेरे लंड द्वारा प्रदान की गई संवेदनाएँ हस्तमैथुन या लेस्बियन सेक्स ने संलग्न होने से बहुत बेहतर महसूस हुई।

संक्षेप में, इस पहली चुदाई में मरीना ने खेल से गंभीर चुदाई में स्नातक की उपाधि प्राप्त की और उसने पाया कि बाद वाला बहुत ज्यादा रोमांचक अनुभव है। उसे निश्चित रूप से इसमें आनद आया, लेकिन जिस तरह से मैने और मेरे लंड ने उसके पूरे शरीर पर कब्जा कर लिया था और उसकी योनी को इतनी शक्तिशाली भावनाओं से भर दिया था, उसके लिए वह बिलकुल तैयार नहीं थी।

उसके होठों से आनंद भरी कराहे निकली। उसने अपने पैरों को मेरी जाँघों के चारों ओर कस दिया। उसने अपने कूल्हों ऊपर-नीचे झटके।

फिर अब मरीना को भी मज़ा आने लगा था, अब वह भी अपने कूल्हे उछाल-उछालकर मुझसे चुदवा रही थी। अब मैंने उसे और ज़ोर-जोर से चोदना शुरू कर दिया था। मेरा लंड उनकी चूत के अंदर पूरा समां जाता था तो दोनों के आह निकलती थी ।फिर मेरे हाथ मरीना के बूब्स को मसलने लगे फिर मैं मरीना की चूचियों को खींचने लगता था तो मरीना सिहर जाती थी और सिसकने लगती थी ... उसके बाद मैं हम लिप किस करते हुए लय से चोदने में लग गए.। मैं मरीना को बेकरारी से चूमने लगा और चूमते-चूमते हमारें मुंह खुले हुये थे जिसके कारण हम दोनों की जीभ आपस में टकरा रही थी ।

आह! करती हुई वह कराही और अपना सिर वापस गद्दे पर फेंक दिया और अपने स्तनों को ऊपर उठा दिया ताकि मैं उसके एक निप्पल को अपने मुंह में ले सकूं। "ओह मास्टर, तुम मुझे मार ही डालोगे! आह! ओह, मुझे चोदो, मुझे और ज़ोर से चोदो!"



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मरीना ने अपने कूल्हों को ऊपर उठाया यह महसूस करते हुए कि वह चरम उत्कर्ष के करीब थी।

हेमा ने इससे पहले कभी पूरी चुदाई नहीं देखी थी। वह हमारे हिलते मरोड़ते शरीर के करीब आ गई और उसके हाथ मेरी बड़ी गेंदों को पकड़ने के लिए मेरी जांघों के बीच पहुँच गए। मेरा लंड इस समय मरीना की टाइट फिटिंग योनी में लगभग पूरी तरह से लिपटा हुआ था। जैसे ही मैंने इसे और भी अंदर डुबाने की कोशिश की, हेमा की उंगलियों का अचानक मेरे लंड को सहलाने के कारण मेरी उत्तेजना बढ़ गयी। उसने मेरी गेंदों को धीरे से सहलाया, वह मेरे ध्यान को भटकाना नहीं चाहती थी, फिर भी अनजाने में मेरे आनंद को बढ़ा रही थी। मेरा मूल रूप से इरादा था कि मैं इस चुदाई सत्र को लम्बा करून और चाहता था कि मरीना मेरे साथ पहले सम्भोग में कम से कम दो बार झड़े लेकिन हेमा की उंगलियों ने सब बदल दिया।

हेमा का दूसरा हाथ मरीना की योनि के दाने को सहलाने लगा फिर कुछ देर के बाद मैंने महसूस किया कि मेरा लंड पानी से भीग रहा है। अब मरीना अपना पानी छोड़ने वाली थी, अब वह नीचे से अपनी कमर उठा-उठाकर चिल्ला रही थी और बडबड़ा रही थी आहहहहहह और चोदो मेरी चूत को, हाए मास्टर में झड़ने वाली हूँ और फिर मैंने उसकी गांड पकड़कर अपनी स्पीड बढ़ा दी, तो वह झड़ गई।

मैंने महसूस किया कि मेरा लंड मरीना के गाढ़े रस में समा गया है, जो मेरे लंड से निकलने वाले प्रीकम के साथ मिल रहा है।

मैं मरीना को पागलों की तरह चूमने लगा, मैं उसके ऊपर लेट कर उसके बूब्स से खेलने लगा और धीरे-धीरे उन्हें भींचने लगा। मैं उसके निप्पलों को अपने दांतों से दबाने लगा। कभी ज़ोर से भींच लेता, तो वह उछल पड़ती। उधर रोजी उसके स्तनों को सहला रही थी और हेमा उसकी योनि के दाने को सहला रही थी । मरीना तेज सिसकारियाँ ले रही थीं।



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उसकी बांहें मेरी पीठ को सहला रही थीं और वह मुझे भींच रही थी। मैं अपने लंड को अन्दर बाहर करने लगा। फिर अब उसे भी मज़ा आने लग रहा था, अब वह भी अपने कूल्हे उछाल-उछालकर मुझसे चुदवा रही थी। अब मैंने उसे और ज़ोर-जोर से चोदना शुरू कर दिया था।

"ओह आमिर... बहुत मज़ा आ रहा है, अब और मत तड़पाओ, जोर-जोर से करो, आह आमिर आज मुझे पता चला कि असली चुदाई क्या होती है, हाँ राजा ज़ोर से चोदते जाओ, ओह मेरा पानी निकालने वाला है, हाँ ऐसे ही।" ज़रीना उत्तेजना में चिल्ला रही थी और अपने कूल्हे उछाल-उछाल कर मेरे धक्कों का साथ दे रही थी। मैंने जोर दार धक्के लगाना जारी रखा और फिर में ऐसे ही 15-20 मिनट तक उसको उसी पोज़िशन में चोदता गया।

मुझे अभी अपने लंड में तनाव लग रहा था। और मेरा शरीर सख्त हो गया और मैंने मरीना को जोर से चोदने लगा जिससे मरीना के होठों पर जंगली खुशी से भरी तेज कराह ला दी। मेरा बड़ा लंड उसकी योनी में फिसल गया और मरीना का शरीर काम्पा, फिर अकड़ा और वह और भी जोर से आने लगी।

उसका चरमोत्कर्ष एक नए स्तर तक बढ़ गया, हेमा की उँगलियाँ की चयन ज़रूरी टॉनिक साबित हुईं और मैंने अपनी बड़ी गेंदों में जमा हुए शुक्राणुओं की मेरे लंड ने जोरदार पिचकारी मरीना कि चूत में छोड़ दी और मैं मरीना के ऊपर लेट गया।



कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार
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पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

VOLUME II

विवाह

CHAPTER-1

PART 49


हेमा की कामुकता 





मुझे अभी अपने लंड में तनाव लग रहा था और मेरा शरीर सख्त हो गया और मैंने मरीना को जोर से चोदने लगा जिससे मरीना के होठों पर जंगली खुशी से भरी तेज कराह ला दी। मेरा बड़ा लंड उसकी योनी में फिसल गया और मरीना का शरीर काम्पा, फिर अकड़ा और वह और भी जोर से आने लगी।

उसका चरमोत्कर्ष एक नए स्तर तक बढ़ गया, हेमा की उँगलियाँ की चयन ज़रूरी टॉनिक साबित हुईं और मैंने अपनी बड़ी गेंदों में जमा हुए शुक्राणुओं की मेरे लंड ने जोरदार पिचकारी मरीना कि चूत में छोड़ दी और मैं मरीना के ऊपर लेट गया।

जब लंड ने राकेट की गति से पहली पिचकारी मरीना की चूत में मारी तो उसके वेग और जोर को अपने अंदर महसूस कर आश्चर्यचकित हो गयी। भले ही उसकी युवा योनी उस समय जोर से धड़क रही थी क्योंकि ऑर्गैस्टिक खुशी की लहरें उसकी योनि से बाहर की ओर उठ रही थीं, फिर भी उसने स्पष्ट रूप से महसूस किया कि मेरा लंड न सिर्फ मोटा हो गया है बल्कि उसकी लम्बाई भी अंदर बढ़ गई थी और फिर एक मोटी, गर्म धार लंड से निकली जो उसके योनि में गर्भाशय की ग्रीवा के का संवेदनशील मांस से टकराई। संभोग सुख ने उसका सहरीर अकड़ा और इससे वह कुछ पल के लिए पंगु हो गयी और कराहने लगी आहहहहह मास्टर आएीी उउउउउइइइइइइ ओह्ह्ह्हह!



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पर मरीना बहुत फिट और कसरती शरीर की मालिक थी इसलिए इस पंगु करने वाले पल से बहुत जल्दी बाहर निकल आयी और फिर वह उसका निचला हिस्सा फिर से ऊपर नीचे होने लगा और वह पहले से कहीं ज्यादा तेजी से चुदाई कर रही थी। मेरे लंड से निकल रही लगातार वीर्य की धार और प्रचुर मात्रा ने उसे आश्चर्यजनक कामोन्माद की ऊंचाइयों तक पहुँचाया और उसके शरीर को यौन प्रतिक्रिया के चमत्कार अनुभव करने को प्रेरित किया। बेतहाशा कराहते हुए हुए, मरीना ने नई ऊर्जा के साथ खुद को मेरी कमर के खिलाफ धक्का दिया, और फिर वह आगे नहीं बढ़ सकी। जब मैंने भी उसकी योनी में अपने वीर्य की आखिरी पिचकारी मार दी और मैं उसके कांपते शरीर पर लेट उसे चूमने लगा, तो उसने संतुष्टि की धीमी, फुसफुसाती प्यार भरी आह भरी।

मेरा लंड मरीना की चूत के अंदर ही था । मैंने मरीना को लिप किस करना शुरू कर दिया और काफी देर तक उनको लिप किस करता रहा फिर उनकी स्तनों को सहलाना और मसलना शुरू कर दिया धीरे-धीरे ।वो मेरा साथ देने लगी ।

फिर मैंने अपना लुंड बाहर निकाला तो वह वीर्य और मरीना के चूतरस और कुंवारी योनि के भेदन अपर निकले खून से भीगा हुआ था... बेड शीट खून से सन्न चुकी थी मैंने फिर मरीना को लिप किश दी और उनके बदन को सहलाया। उनके चुचो को दबाया और चूत पर हाथ फेरा और बोला मरीना तुम तो जानती हो पहली बार थोड़ा दर्द होता है और खून भी आता है अब आगे तो मजा है मजा है ... मरीना बोली मुझे पहले थोड़ा दर्द हुआ था अपर फिर मजा आया और बहुत मजा आया और अब तो मैं रोज़ ऐसे ही आप के साथ ऐसे ही ऐश करूंगी।

फिर हम दोनों उठ कर वाशरूम चले गए और अपने अंगो को धोया। फिर मैंने मरीना के सारे बदन और चूत पर क्रीम लगाई और मरीना ने मेरे लंड को किश कर थैंक यू बोला और मेरे लंड पर क्रीम लगाई पांच मिनट बाद वह बाहर निकली, तो उसके चेहरे पर सन्तुष्टि के भाव थे। मरीना का स्पर्श पा कर लंड एक बार फिर जागने लगा।




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मुझे उसकी बहन मरीना को इतने जोरदार तरीके से चोदते हुए देखकर अब हेमा की काम इच्छा बहुत बढ़ गई थी। मरीना के हांफने और उन्मादी खुशी भरी कराहों ने उसके युवा शरीर को उत्तेजना से कंपा दिया था और वह मेरे बड़े, लम्बे मांसल लंड के साथ अब अपनी बारी आने का इंतजार कर रही थी, जिसने चमत्कारी तरीके से मरीना को सम्भोग सुख प्रदान किया था जब लंड मरीना की गर्म छोटी योनी के अंदर बाहर हो रहा था। अब उसे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि उसकी तर्जनी से बड़ा कुछ भी कभी उसकी अपनी योनी के अंदर नहीं गया था और मेरे विशाल लंड का घेरा इतना बड़ा था जिसे वह पहले अंदर लेने से डर रही थी । जितना उसे पहले डर लगा था इस बार वह उतनी ही ज्यादा उत्सुक थी लंड अंदर लेने के लिए इसलिए इस बार हेमा ने ठान लिया था कि वह अपनी चुत के होठों के बीच मेरा बड़ा लंड लेगी और उन सभी बेतहाशा मनभावन भावनाओं का अनुभव करेगी जो स्पष्ट रूप से उसकी बहन के शरीर में सम्भोग के दौरान हुई थी।


"मम्म, मास्टर आपने बहुत सारी पिचकारियाँ मारी और मेरी चुत पूरी आपके चिपचिपे वीर्य से भर गयी थी!" मरीना ने आश्चर्य से कहा। "मैंने सोचा था कि आप हमेशा के लिए ऐसे ही पचकारिया मारते रहोगे!"

" पुरुष जब अच्छी चुदाई कर आनंद महसूस करता है तो वह बहुत कुछ शूट करता है और जब मेरा बड़ा लंड तुम्हारी इस छोटी योनी के अंदर गया तो मुझे बहुत मजा आया," मैं बुदबुदाया।




कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार
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पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

VOLUME II

विवाह

CHAPTER-1

PART 50

कुंवारी हेमा का कौमार्य भंग 




मुझे उसकी बहन मरीना को इतने जोरदार तरीके से चोदते हुए देखकर अब हेमा की काम इच्छा बहुत बढ़ गई थी। और वह तुरंत अब मेरे लंड को अपनी योनि के अंदर लेना चाहती थी मरीना ने मेरा लंड फिर छुआ तो लंड फिर से अकड़ने लगा जिसने हेमा के युवा शरीर को उत्तेजना से कंपा दिया था और वह मेरे बड़े, लम्बे मांसल लंड के साथ अब अपनी बारी आने का इंतजार कर रही थी। जितना उसे पहले डर लगा था इस बार वह उतनी ही ज्यादा उत्सुक थी लंड अंदर लेने के लिए इसलिए इस बार हेमा ने ठान लिया था कि वह अपनी चुत के होठों के बीच मेरा बड़ा लंड लेगी और उन सभी बेतहाशा मनभावन भावनाओं का अनुभव करेगी जो स्पष्ट रूप से उसकी बहन के शरीर में सम्भोग के दौरान हुई थी। लंड को देख कर उत्तेजित हुई हेमा ने अपने निप्पल को उंगलियों में ले कर थोड़ा मोड़ना शुरू कर दिया।

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मैं हेमा को उत्तेजित देख अविश्वास में वहीं खड़ा रहा। वह बहुत मोहक और सुंदर लग रही थी। उसके स्तनों का घेरा छोटा और चमकीला गुलाबी था और उसके निप्पल गहरे गुलाबी रंग के हो गए थे। उसके स्तन निर्दोष थे, एक दूधिया रंग के साथ चिकनी त्वचा और वह अपने साथ खेलती रही और धीरे से कराहने लगी। उसका बायाँ हाथ अब और अधिक जोर से हिल रहा था और उसका दाहिना हाथ उसके सख्त निपल्स को और भी जोर से दबा रहा था ।

उसकी ऐसी हालात देख कर मरीना ने आग्रह किया की मास्टर अब आपको हेमा के साथ सम्भोग करना चाहिए। मैंने अविश्वास में सिर हिलाया तो हेमा ने जोर देकर कहा कि उसे भी इसे आजमाने की अनुमति दी जाए और उसके आग्रह की तीव्रता ने मेरे लंड को भड़का दिया। मुझे मालूम था की हेमा की योनि छोटी थी, वास्तव में बहुत छोटी थी, लेकिन मैं यह भी महसूस कर रहा थी की वह अब हर संभव तरीके से मुझे पाने के लिए दृढ़ और त्यार थी। मैंने कहा हेमा एक बार शुरू होने के बाद अब मैं रुकूंगा नहीं।

तो हेमा बोली, मैंने लड़कियों और मेरी बहन को भी तुम्हारे साथ ऐसा करते देखा है? अगर वे इसे ले सकती हैं तो मैं भी ले सकती हूँ।

तो अब मेरी कुंवारी सचिव हेमा की नथ उतरने जा रही थी।

मैं बोला "तो फिर मेरा लंड मुँह में ले लो तो मजा आ जाएगा।"

मरीना बोली चुसाई मैं कर देती हूँ। "


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मैंने उसका हाथ उठाया और उसकी उँगलियों को चूसने लगा। मैंने उसे अपनी मजबूत बाहों में करीब खींच लिया और उसे चूमने के लिए उस के करीब अपने होंठ ले जाया गया। मैंने अपनी जीभ उसके मुंह में डाल दी और उसने अपने होठों को चौड़ा करके बाध्य किया। धीरे-धीरे वह मुझे चुंबन करने लगी और एक यौन उन्माद में हमारे हाथ एक-दूसरे के शरीर को सहला रहे थे और हमारी जीभ आपस में गुंथी हुई थी।

फ़िर मैंने हेमा को पकड़ लिया उसे अपने पास खींचा और उसके होंठों का चुम्बन लेने लगा। वह पहले ही इतनी गर्म हो चुकी थी कि ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं पड़ी और वह भी मुझे जोर-जोर से चूमने लगी। उसने मुझे कस कर पकड़ लिया। काफ़ी देर तक मैं उसके होंठों को चूसता रहा, उसे भी अब इस सब में पूरा मजा आने लगा था।

उधर मरीना मेरा लंड मुँह में ले कर धड़ाधड़ चूसे जा रही थी। मेरा लंड एक बार फ़िर से एकदम खड़ा और कड़क हो गया। मैं हेमा की चूचियाँ दबाने लगा और मैंने दस बारह मिनटों तक चूचियों को खूब दबाया। फिर मैं हेमा की चूचियाँ को पीने लगा। चूचियों को पीने से हेमा की हालत और खराब हो गई, मेरा लंड पूरा सख्त हो चूका था तो मरीना भी अब मेरा लंड चूसना छोड़ वहीं पर बैठ गई और हमारा खेल देखने लगी। मैं अब हेमा की चूचियों को और कस कर चूसने में लग गया। हेमा ने भी मेरा लंड पकड़ कर सहलाना चालू कर दिया।

नेरा एक हाथ हेमा की चिकनी बुर पर चला गया और मैं उस पर हाथ फ़ेरने लगा, परन्तु इस बार मैंने अपनी उंगली उसकी बुर में नहीं डाली क्योंकि मुझे डर था कि कहीं वह फ़िर से ना बिदक जाए, इसलिए मैं सिर्फ़ उसकी बुर को ऊपर से ही मसलता रहा।

मेरी हथेलियों और हेमा के निपल्स के बीच के संपर्क ने स्वाभाविक रूप से लड़की की चूत को पहले से कहीं अधिक गर्म कर दिया।

मेरे होठों में उसके ओंठ थे और मैं पूरी भावना उसे चुंबन करते हुए अपने दुसरे हाथ को उसके स्तनों पर घूमते हुए पीठ पर ले जाकर उसके कामुक नितम्बो को पकड़ा और सहलाना शुरू कर दिया।

जैसे ही मैंने उसके नितम्बो के गालों को जोर से फैलाना शुरू किया तो मेरे हाथ उसकी नंगी गांड पर आ गए। और मैंने उसकी गांड के गालों के बीच में और उसकी चूत में एक उंगली खिसका दी। उसकी छूट उस समय बिलकुल गीली हो टपक रही थी और मुझे उसकी योनि बहुत तंग महसूस हो रही थी मैंने थोड़ा जोर लगा कर मेरी ऊँगली उसमें लगभग एक इंच डाल थी और मैंने उंगली को उसकी गीली चूत के अंदर रगड़ना शुरू कर दिया था।

इस बीच मैंने आवेशपूर्ण चुंबन जारी रखा। मैंने उसके स्तनों को जोर से पकड़ का दबा दिया तो वह कराहने लगी । मैंने उसको मुँह को चूमना बंद कर उसके दाए स्तनों को धीरे से शुमा और फिर चाटा और निप्पलों को कुतरना शुरू कर दिया।


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मेरा मुँह उसके बाएँ निप्पल की ओर बढ़ा और उसे चूसने और कुतरने लगा। , वह कराहती रही और मेरे दूसरे हाथ उसके दाहिने स्तन को पकड़कर उसे दबाने लगा । उसने मेरे सख्त लंड को पकड़ कर सहलाना शुरू कर दिया फिर मैंने अपना मुँह उसके दूसरे निप्पल पर स्थानांतरित कर दिया, जिसे मैंने जोर से चूसा । और मैंने उसके हाथ को अपने लंड की ओर निर्देशित किया और उसे अपनी मर्दानगी का अहसास कराया।

"हे भगवान," वह फुसफुसायी, "यह मेरी कल्पना से बहुत बेहतर है।" उसकी आँखों में वासना का भाव था ।

अब मुझे लग रहा था कि इसकी बुर पूरी तरह से लंड लेने के लिए बेकरार है। परन्तु बुर एकदम नई थी, इसलिए मैंने सोचा कि इसे थोड़ा और तड़फ़ाया जाए ताकि पहली बार लंड लेने में इसकी गर्मी इसके दर्द के एहसास को कम कर दे।

हेमा अब काफ़ी गर्म हो चुकी थी, वह चुदवाने को बेक़रार थी, उसने मुझसे कहा-अब करते क्यों नहीं, जल्दी करो, अब नहीं रहा जा रहा। मेरी बुर में दर्द होने लगा है, डाल दो अब इसमें।


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पर मैं उसकी चूचियों को चूसने में ही लगा हुआ था। तभी उसने मेरा लंड पकड़ा और अपनी बुर की तरफ़ ले जाने की कोशिश करने लगी।

मैं समझ गया कि अब तड़पाना अच्छा नहीं है। मैंने उसे उठा लिया और उसे बेड पर लिटा दिया। और उसे चुंबन किया उसके गालो को चाटा और उसकी गर्दन चाटने केबाद, उसके कंधो को चाटा और फिर उसके स्तनों को चूसा फिर उसके स्तनों के बीच की घाटी को चूसा और उसका प्रत्येक रसीला निप्पल तब तक चूसा जब तक यह बिलकुल लाल नहीं हो गया। मेरा मुँह और नीचे गया और उसकी नाभि में मेरी जीभ घूमी और वह कराहने लगी मैंने उसकी नाभि पर लार के छोटे-छोटे घेरे खींचे। दूसरे हाथ से मैंने उसकी चूत को फैलाया, अपनी तर्जनी और मध्यमा उंगलियों का उपयोग करके उसके सख्त और उत्तेजित भगशेफ को उजागर किया और अपना अंगूठा से उसके भगशेफ को रगड़ दिया। मेरा मुंह उसकी जाँघों पर और नीचे चला गया, और उसके भगशेफ को सहलाने, कुतरने और उसके मलाईदार मांस को चूसने लगा। मैंने ऊँगली तो अंदर धकेलने की कोशिश की, लेकिन ऐसा नहीं कर सका क्योंकि उसकी योनि बहुत टाइट थी मैंने अपनी जीभ को उसकी भगशेफ पर घुमाया और अपनी जीभ से कुशलता से उसे फड़फड़ाना शुरू कर दिया, उसकी भगशेफ को चूसते हुए उंगलियाँ उसकी योनि के अंदर रगड़ने लगा इस बात का ध्यान रखते हुए कि उसके हाइमन पर जोर न पड़े। । वह जोर-जोर से कराहने लगी क्योंकि मेरा चूसना और तेज हो गया ।


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मैंने हेमा की दोनों टांगों को फ़ैला दिया उसके ऊपर चढ़ गया।

उसकी योनि पर लार टपकाने लगा। मैंने उसे चुम कर बोला और ये कुंवारी के तौर पर तुम्हारा आखिरी चुंबन है!

"वह शरमाते हुए बोली जी हाँ सर"।

मैंने अपनी हरकतों को जारी रखा फिर उसकी चूत से अधिक रस निकलन शुरू हो गया । और मेरी जीभ और उन्स्की योनि उसके रस और मेरी लार के चिकने संयोजन के साथ चमक रही थी। मैं उसकी योनि और भगशेफ को लगातार चूसता रहा और उसके भगशेफ को हिलाता रहा और उसे तब तक उँगलियों से छेड़ता रहा जब तक कि वह उसके शरीर में कंपकंपी और ऐंठन शुरू नहीं हो गयी। हेमा के मुह से आहे निकल रही थी। वह मेरी उँगलियों द्वारा चूत पर किये जा रहे घर्षण को मजे से महसूस कर रही थी।

जब वह कांपने लगी तो उसकी जांघों के किनारों को अपनी जांघों से दबाते हुए उसकी योनि के ऊपर मैंने लंड एक दो बार घिसा और उस मिले जुले चिकने रस को लंड पर लगा कर लंड को चिकना किया अब मेरा कठोर लंड योनि में जाने के लिए तैयार था।

मैं धीरे-धीरे अपना लंड उसकी बुर में डालने की कोशिश करने लगा, परन्तु उसकी बुर का छेद इतना छोटा था कि मेरा 8 इंच का लंड अंदर नहीं जा रहा था। अत: मैंने अपने दोनों हाथ उसके पैरों के नीचे से ले जाकर उसके दोनों पांव ऊपर उठा लिए, जिससे उसकी चुत ऊपर की ओर उठ गई तथा लंड उसकी चूत के छेद के बिल्कुल सामने आ गया।

मैंने हेमा को चुम और सहला कर गर्म कर शारीरिक तौर पर और हेमा ने मेरे लंड के प्रवेश के लिए खुद को मानसिक तौर पर त्यार किया। वह जानती थी कि प्रवेश करते ही मेरा लंड उसकी योनी को फैला कर चौड़ा कर देगा। वह यह भी जानती थी कि वह मेरे लंड को अपनी योनी के अंदर लेने के लिए आज तक इतनी ज्यादा उत्साहित नहीं हुई थी और इस इच्छा के कारण उसने अपनी एड़ी को एक साथ मेरी गांड के नितम्बो के चारों ओर कस लिया था, उसमें एक विशेष उत्साह था। उसने मेरे, सुडौल शरीर को सहलाया और मुुझे देखकर मुस्कुराई, उसकी कामुक इच्छा की दृष्टि ने मुझे प्रोत्साहित किया।

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जब मैं नहीं हिला, तो उसने अपने कूल्हों को ऊपर की और एक झटका दिया, जिससे उसकी योनी का मुंह में मेरे लंड के सिर घर्षण करते हुए छेद पर टिक गया। उस घर्षण ने उसकी योनी के माध्यम से यौन भावना का एक और चौंकाने वाला झटका भेजा और उसके होठों पर आश्चर्यजनक खुशी की कराह निकली।

मरीना समझ गयी अब मेरा क्या इरादा है और हेमा के स्तन सहलाने लगी और उसे लिप किश करने लगी ।

इससे पहले कि हेमा अपने परमानंद की स्थिति से उबर पाती, मैं जल्दी से खड़ा हो गया और मैंने अपनी उँगलियों से चूत को खोला और लंड का गुलाबी सूपड़ा बिच में रख दिया और अपने सदस्य को उसकी योनि के छेद में लगा कर तेजी से टक्कर मारी कि उसने दर्द और अविश्वास से मेरी ओर देखा। फ़िर मैंने ताकत लगा कर एक ज़ोर का धक्का लगाया और लंड लगभग एक इंच लंड उसकी बुर में घुस गया।

तकलीफ के मारे हेमा का मुँह खुल गया और आँख से पानी आ गया, वह ज़ोर से चिल्लाई "घुस्स्स गया... मरर गई।" हेमा चीखने चिलाने लगी । हाअ, राआआआजा, सरररर आईईई, चोदो और जोर से चोदो। मेरी चूत को फाड़ दी, आआआआ और ज़ोर से, उउउईईईई माँ, आहहहाँ,

हेमा अपने अन्दर उस गहरायी में हो रहे उस अनुभव को लेकर बहुत आश्चर्यकित थी। उसके आश्चर्य ने दर्द को रास्ता दे दिया अभी भी कुछ ही सेकंड पहले से कामोन्माद उत्साह के साथ मिला हुआ आश्चर्य एक ढ़ाके के साथ ही दर्द में बदल गया।

वोह मेरे लिंग को अपनी योनी के दीवारों पर महसूस कर रही थी। मैं एक बार पीछे हटा और अन्दर की ओर दवाब दिया। थोड़ा-सा लंड पीछे किया और फिर से आगे को धक्का दिया, ज्यादा गहरायी तक नहीं पर लंड हेमा की कौमार्य की झिल्ली तक पहुँच चूका था और हायमन से टकरा रहा था लंड लगभग 2 इंच अंदर चला गया था । मेरे लिंग को हेमा ने अपनी योनी रस ने भिगो दिया था, जिससेलंड चिकना हो गया था।

अगली बार मैंने पूरी ताकत के एक धक्का लगा दिया "ओह दीदी" हेमा के मुह से निकला उसके स्तन ऊपर की ओर उठ गए और शरीर पहले ही से उसकी परमानंद की स्थिति के कारण एंठन में था और जैसे ही मेरा गर्म, आकार में बड़ा लिंग पूरी तरह से गीली हो चुकी योनी के अवरोध को भेद कर अंदर घुस गया। लंड चूत के लिप्स को खुला रखते हुए क्लिटोरिस को छूता हुआ वह पूरा अन्दर तक चला गया हेमा की योनी मेरे लिंग के सम्पूर्ण स्पर्श को पाकर व्याकुलता और अजीब से अनुभव से पगला गयी । मेरे हिप्स भी कड़े होकर अंदर को दवाब दे रहे थे और लंड पूरा अन्दर जा चूका था ।


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जैसे ही मेरे लंड ने उसके कौमार्य की पतली झिल्ली को विभाजित किया और उसकी योनी में घुस गया वह चीख पड़ी। वह महसूस कर रही थी कि जितना उसने कभी सोचा होगा उसकी योनी का विस्तार उससे कहीं अधिक हो रहा था। जैसे-जैसे मेरा लंड उसकी योनि में आगे गया वह अद्भुत स्पष्टता के साथ मेरी चुभन को महसूस कर रही थी। मेरे लंड का हर उभार, हर हलचल उसके दिमाग में दर्ज हो गई। हेमा मेरे लंड के प्रति अत्यधिक सचेत हो गई और एक पल में ऐसा लगा कि उसका पूरा शरीर एक अति संवेदनशील योनी में बदल गया है कि वह पूरी तरह से मेरे लंड से भर गयी है।


कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार
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पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे


VOLUME II

विवाह

CHAPTER-1

PART 51
  
हस्तमैथुन के साथ-साथ चुदाई


जैसे ही मेरे लंड ने हेमा के कौमार्य की पतली झिल्ली को विभाजित किया और उसकी योनी में घुस गया वह चीख पड़ी। जितना उसने कभी सोचा था उसकी योनी का विस्तार उससे कहीं अधिक हो रहा था। उसकी टाँगे सीधी हो गयी और हाथ मेरी पीठ पर चले गए, लंड उसकी सील को चीरता हुआ जड़ तक पूरा 8 इंच अन्दर चला गया।


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उसके मुँह से दर्द भरी परन्तु उत्तेजनापूर्ण आवाजें निकलने लगीं। फिर हेमा दर्द के मारे कराहने लगी आहहहहह! दीदी बहुत दर्द हो रहा है और हेमा दर्द से छटपटाने लगी । मैंने हेमा को धीरे-धीरे चूमना सहलाना और पुचकारना शुरू कर दिया, मैं बोला मेरी रानी डर मत कुछ नहीं होगा थोड़ा देर में सब ठीक हो जाएगा।

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हेमा मेरे से बोली-"प्लीज सर बाहर निकाल लीजिए। मैं मर जाऊँगी, बड़ा दर्द हो रहा हैl" और वह ऊऊऊll आईईईll की आवाजें निकालने लगी। उउउउउइइइइइइ! ओह्ह्ह्हह! सररर! बहुत दर्द हो रहा है। सररर! प्लीज इसे बाहर निकल लो। बस एक बार बाहर निकाल लो । मुझे लग रहा है मेरी फट गयी है और ये आपका लंड अंदर और बड़ा होता जा रहा है, प्लीज सर इसे निकालो। आह! ओह्ह्ह! प्लीज बहुत दर्द हो रहा है। मैं दर्द से मर जाऊँगी, प्लीज! निकालो इसे और हेमा की से आँखों से आंसू की धरा बाह निकली । प्लीज! दीदी सर से बोलो न इसे बाहर निकाल ले । मरीना जो उसके पास में बैठी थी आगे हुई और उन आंसूओं को पी गयी और बोली मेरी बहन बस थोड़ा-सा बार बर्दाश्त कर लो आगे मजा ही मजा है।


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हेमा की चूत बहुत टाइट थी उसकी योनि की मांसपेशिया फैली और मेरे लंड के आसपास कस गयी । मैंने एक बार फिर पूरी ताकत लगा कर पीठ उठा कर लैंड को थोड़ा पीछे खींचने की कोशिश की और फिर मैंने पूरी ताकत से एक और धक्का लगाया और इस बार लण्ड पूरा अंदर समां गया और मैं हेमा के ऊपर गिर गया और मेरा मुँह उसके मुँह पर था और उसे किश करते हुए कुछ देर के लिए मैं उसके ऊपर ही पड़ा रहा ।


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हेमा फिर रोने लगी और चुंबन तोड़ कर कलपते हुए बोली सर आपने तो और अंदर घुसा डाला। मुझे बहुत दर्द हो है। अच्छा पूरा नहीं तो थोड़ा-सा बाहर निकाल लो और रोने और कुलबुलाने लगी तो मरीना ने मेरे नितम्बो पर हलकी-सी थाप दी और बोली मास्टर इसकी इतने बात मान लो और थोड़ा पीछे कर लो । तो मैंने थोड़ा-सा लंड पीछे खींच लिया । मेरा इतना करते ही हेमा को जैसे बहुत सारा आराम मिला और हेमा ने रोना बंद कर दिया पर अब हलके-हलके से कराह रही थी ।

मरीना इस बीच हेमा के स्तन और कंधो को सहलाने लगी और जब मरीना ने हेमा की चूत पर हाथ लगाया तो पाया वह सूज चुकी थी मरीना के सहलाने और मेरे चुंबन से कुछ देर के बाद हेमा शांत हो गयी l

जब हेमा शांत हुई तो मुझे वापिस चुंबन करने लगी और बोली आह! अब करो! , चोदो, चोदो मुझे! "वह कराह रही थी, मेरे खिलाफ अपना बदन रगड़ कुलबुला और छटपटा रही थी और उसने अपनी योनी को ऊपर उठा लिया ताकि मुझे इसे भेदने में बेहतर कोण मिल सके।" ऊह, मुझे चोदो, मुझे जोर से चोदो! अब तुम्हारा लंड मैं अपनी योनि में हर तरफ महसूस करना चाहती हूँ! "


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ये सुन कर मेरे दिल में कामुक भावनाओं की एक बाढ़-सी आ गई क्योंकि उसने मुझे वही करने का आग्रह किया था जो मैं करना चाहता था। मैंने उसके ऊपर दबाव डाल लंड को थोड़ा बाहर खींचा और फिर अंदर धकेला। उसकी योनी पहले से ही मेरी लार से और साथ ही साथ तंग छोटी सुरंग के भीतर से निकलने वाले मीठे और फिसलन भरे रस से भीग गयी थी, मेरे बड़े लंड का उभरा हुए सिर थोड़ा अंदर फिसल गया। खिंचाव की अनुभूति ने उसे दर्द और आनंद के मिले जुले आश्चर्यजनक भाव से रुला दिया। मेरा लंड उसकी चूत में और फिसल गया और मार्ग की रखवाली करने वाली ऊतक-पतली झिल्ली के घाव से टकरा गया। हेमा की कौमार्य की झिली ने मरीना की तुलना में बहुत कम प्रतिरोध दिया था ।

मैंने लंड को योनि की तंग सुरंग में आगे को धक्का दिया। मैं जितनी जल्दी हो सके उसकी योनी में गहराई तक जाना चाहता था। मैंने बेरहमी से उसकी योनि में लंड को पूरी ताकत से धक्का दे दिया जिससे लंड ने अपना रास्ता बना लिया। मेरे लंड का आधार और अंडकोष उसकी चूत के होंठों से टकरा गए और-और उन्हें चपटा कर दिया और जब उसने महसूस किया के मेरे अंडकोष उसकी योनि से चिपक गए है तो वह जोर से चिल्लाई । मैंने कुछ लम्बे-लम्बे शॉट लगाए जिससे लंड पूरा आराम से जाने लगा फिर मैंने एक अलग रणनीति अपनाई जो मुझे मिली ने सिखाई थी (जिसके वारे में आप मेरी कहानी मेरे अंतरंग हमसफर में पढ़ सकते हैं) ।




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उसके बाद मैंने लंड को बाहर खींचा बस सिर्फ लंडमुंड को उसकी योनी से नहीं निकाला और फिर लंड को अंदर धकेलते हुए मैंने उसे छोटे-छोटे झटके से चोदना शुरू कर दिया। मैंने अपने बड़े लंड को उसकी योनी के मुंह के अंदर और बाहर इस प्रकार किया और उसकी तंग मांसपेशीयो वाली योनि के छेद के अंदर कभी भी लंड को पूरा नहीं घुसाया और पूरा बाहर नहीं निकाला। बुर बड़ी टाईट थी, लंड भी अटक-अटक के जा रहा था। मैं अब अपनी पूरी ताकत लगा कर उसकी बुर में डाल रहा था। हर धक्के पर उसकी मुँह से हल्की-हल्की चीख निकल रही थी।

मरीना बड़े गौर से देख रही थी कि मैं क्या कर रहा था और हेमा को थोड़ा अलग तरीके से चोद रहा था और मरीना से बेहतर उस समय कौन जानता था कि मैंने मरीना को हेमा से बिलकुल अलग तरीके से चोदा था । हेमा की इस तरह की चुदाई के दौरान हर बार मेरा लंड हेमा के G-स्पॉट को सहला और छेड़ रहा था और मरीना कुछ ठगा हुआ महसूस कर रही थी। लेकिन मेरे कक्ष की हवा में कामुकता इतनी प्रबल थी कि मरीना उससे बच नहीं सकी ।


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मरीना हमारे उन्मत्त कामुक प्रयासों में अपना जादू जोड़ने के लिए मेरे पास हुई और उसका दाहिना हाथ मेरे नितम्बो तक पहुँच गया, अपने बाए हाथ से वह अपनी योनि को सहला रही थी और दाए हाथ से मेरी बड़ी-बड़ी गेंदों को सहलाने लगी। इस साहसिक कदम ने उसे और भी अधिक कामुक कर दिया और वह मेरे लंड को भी सहलाने लगी। अपने हाथ को तीव्र कोण पर घुमाकर उसने मेरे बड़े लंड की लम्बाई के चारों ओर अपनी ऊँगली का गोला बना लिया। मैं अब मरीना के हाथ की उंगलियों के गोले और हेमा की गर्म नन्ही योनी दोनों को एक साथ चोद रहा था। ये बिलकुल ऐसा था जैसे मरीना मेरे लंड के साथ हस्तमैथुन कर रही थी और इसके साथ-साथ मैं हेमा को चोद रहा था । फिर मैंने महसूस किया कि उसके हाथ की उंगलिया मेरे लंड के चारों ओर बंद हो गयी है वह मेरे लंड को पकड़ कर हेमा की योनि में गहरे घुसा रही थी और मैंने हेमा की प्रतीक्षा कर रही योनी में जोर से धक्का देना शुरू कर दिया। मरीना इस बीच अपना हाथ हेमा की चूत के होंठों को रगड़ रही थी।


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"उह्ह! हेमा तुम्हारी योनि बहुत टाइट है बड़ा मजा आ रहा है! और मैंने हेमा की योनि में शातिर तरीके से मेरे कूल्हों को घुमाते हुए सब तरफ धक्के मारे।" आह! इतनी तंग योनि! मजा आ गया! " मेरा लंड उसकी योनी के अंदर उसकी दीवारों को रगड़ता हुआ और बाहर हो रहा था, जब लंड को मैंने आगे को धकेला तो लंड उसकी विभाजित कौमार्य की झिल्ली के कच्चे घाव को भी रगड़ गया और हेमा जोर से कराह उठी।

जैसे ही मैंने उसकी योनी में प्रवेश किया था हेमा की योनि रस छोड़ने लगी थी और जिस तरह से मैं उसे चोद रहा था उससे उसने पाया कि उसकी पहली चुदाई का हर कदम और भी मजेदार और मनभावन हो गया। मेरे लंड के हर धक्के ने उसको और कामुक कर दिया, जिससे उसके योनि में यौन सुख की और अधिक रोमांचक लहरें आयी और वह आनंद से कराह रही थी और मुश्किल से अपनी सांस ले पा रही थी।

मैंने उसे लिप किश किया मैं उसे लिप किश करता ही रहा वह भी कभी मेरा उप्पर लिप तो कभी लोअर लिप चूसती रही मैंने उसके लिप्स पर काटा उसने मेरे लिप्स को काट कर जवाब दिया, फिर मैं उसके होंठो को चूमने लगा और वह भी मेरा साथ देने लगी फिर मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी और वह मेरी जीभ को चूसने लगी। फिर मैंने भी उसकी जीभ को चूसा। हेमा अपने शरीर में आ रही कामुक उत्तेजनाओं के कारण मुझे बेकरारी से चूमने चाटने लगी, साथ-साथ मरीना ने उसकी चूची सहलानी और दबानी शुरू कर दी और हेमा सिसकारियाँ ले मजे लेने लगी ।

मरीना ने मेरे लंड को हस्तमैथुन करना जारी रखा और मेरी गेंदों को जितना वह कर सकती थी, प्यार करती रही। साथ-साथ बीच बीच में मरीना ने अपने बाएँ हाथ का इस्तेमाल अपनी चूत के होठों को सहलाने के लिए किया। उसने जितना हो सके खुद को अपनी उँगलियों से चोद दिया और अपने दूसरे हाथ को मेरे लंड और लटकती गेंदों पर रगड़ना जारी रखा। हेमा के प्रति अपनी ईर्ष्या के बावजूद वह यह भी चाहती थी कि हेमा को चुदाई का पूरा आनंद मिले और यह सुनिश्चित करने के लिए मरीना ने अपनी शक्ति में सब कुछ किया।



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मेरी चुदाई, किश और मरीना के द्वारा हेमा के स्तनों और उसकी छूट को सहलाने के चार तरफा हमले का वांछित असर हेमा और मेरे पर हुआ जहाँ हेमा की चूत संकुचन करने लगी। वहीँ मैं महसूस कर रहा था कि मेरी गेंदें शुक्राणु के एक और हमले की तैयारी कर रही हैं और मैंने हेमा को जोर से चोदना जारी रखते हुए तेज धक्के लगाने शुरू कर दिए। उसकी योनि की छोटी सुरंग ने मेरे बड़े और मोटे लंड को कस कर पकड़ लिया और मेरे लंड के सिर पर योनि की मांसपेशिया और भी अधिक दबाव डालने लगी। मैंने धक्के लगाना जारी रखा जिससे मेरे लंड ने उसकी योनी के उन हिस्सों के खिलाफ जोर से चुदाई की जिन्हे लंड ने अभी तक छुआ नहीं था । हेमा ने उत्तेजना भरी हुई कराहो के साथ मेरे हर धक्के का जवाब दिया। वह चरम पर पहुँची और अपने पैरों और टांगो को-को मेरे शरीर के चारों ओर और भी सख्त कर दिया। वह तड़पने लगी और कांपने लगी उसने मुझे अपनी पूरी ताकत से मुझे दबाना शुरू कर दिया मैं समझ गया कि अब इसकी बुर को पानी छोड़ना है। मैंने भी अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी। दो मिनट बाद उसकी पकड़ ढीली पड़ गई और हेमा की योनि ने-ने ढेर सारा चुतरस मेरे लंड पर छोड़ दिया।


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मेरे उग्र प्रयासों ने स्वाभाविक रूप से मेरी उत्तेजना को बढ़ा दिया और मेरे लंड का योनि पर घर्षण तेज हो गया। ओह्ह्ह्ह करती हुई हेमा कराहने लगी! " मेरा भी लंड झड़ने को हो गया। मैंने अपने धक्कों की रफ़्तार में और तेजी कर दी, आठ-दस धक्कों के बाद मेरी गेंदें हिल रही थी और मैंने लंड को वापस खींच लिया और हेमा की योनी में एक तेज धक्का मारा और ये स्ट्रोक इतना मजबूत था कि मेरा लंड मरीना की मुट्ठी से फिसल गया और हेमा की योनि में पूरा घुस गया और लंड की पिचकारी छूट पड़ी और सारा का सारा माल हेमा कि चूत में भरता चला गया। मैं उसके ऊपर लेट गया। मेरी और उसकी सांसें बड़ी तेजी से चल रही थीं।

कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार
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पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे


VOLUME II

विवाह

CHAPTER-1

PART 52

बहनो की साथ-साथ में चुदाई



मैं हेमा के मम्मे सहला रहा था और देखना चाहता था कि अब उसकी चूत कैसी दिखायी दे रही है। मैंने अपना लंड धीरे से निकाल लिया । लंड मेरे वीर्य, हेमा के चुतरस और खून से सना हुआ था और फिर मैंने देखा कि उसकी चूत थोड़ी चौड़ी हो गयी थी। उसमें से वीर्य और खून दोनों टपक रहे थे पर हेमा के चेहरे पर सन्तुष्टि के भाव थे।

फिर मरीना मुझसे चिपक गयी। हम दोनों एक दूसरे के बदन को सहला रहे थे। मैंने हेमा को और मरीना को बारी-बारी से किस किया। हेमा अपने होंठों को भींच रही थी और रो रही और कराह रही थी। मैंने हेमा को बिस्तर पर तड़पती हुई देखा, दोनों हाथ उसकी पतली जाँघों के बीच दबे हुए थे।

फिर मरीना ने एक रुमाल उठाया और मेरा लंड जो हेमा की चूत के रसो मेरे वीर्य और उसके कुंवारे लहू में सना हुआ था, साफ़ किया और फिर हेमा की चूत को भी साफ़ किया। जब उसने हेमा की चूत को छुआ तो वह कराह उठी, तो मरीना ने वही रखी क्रीम हेमा की चूत के अंदर बाहर लगा दी और उसके गले लग कर, उसे बधाई देते हुए उसे चूमने लगी और बोली मेरी बहना बस अब रो मत जो दर्द होना था वह हो लिया अब आगे मजे जी मजे हैं ।

मरीना के छूने से लंड एक बार फिर तन कर कड़ा हो गया और मैंने मरीना को सुझाव दिया, क्या तुम एक बार फिर चुदना चाहोगी ये अब दुबारा खड़ा हो गया है? मरीना बोली बेशक, मरीना उस सुझाव का पालन करने के लिए बहुत इच्छुक थी।


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जब मैंने कहा कि वह मेरे लंड को फिर से चूस सकती है, तो उसकी आँखें दिलचस्पी से चमक उठीं मेरी उन्मत्त चुदाई ने हेमा की योनी के तेल में मेरे लंड को स्नान करवा कर दिया था। और अब जबकि मेरा लंड मेरे वीर्य से कुछ ही समय में दूसरी बार नहा चुका था और उसकी बहन की गर्म नन्ही योनी के रस और मेरे वीर्य से सना हुआ था तो उसने बिना किसी हिचकिचाहट के सिर हिलाया। उसने अपनी बहन के पास घुटने टेक दिए और धीरे-धीरे लंड को पहले चूमा और लंड पर लगा वीर्य और चूत रस उसने चाटना शुरू कर दिया, यह जाने के लिए कि मरीना क्या कर रही है हेमा ने ऊपर देखा और उसने मरीना को प्रोत्साहन देने के लिए के कुछ शब्दों को फुसफुसाया ।

मरीना को इस असामान्य क्रीम का अनोखा स्वाद बहुत पसंद आया और मरीना को मेरे लंड पर लगे हुए रस विश्वास से परे स्वादिष्ट लगे और फिर उसने हेमा की योनि को भी चाट कर साफ़ किया और फिर मेरे लंड पर लगा पूरा वीर्य और चूत रस उसने जीभ से चाट कर एक गोला बनाया और उसने अपने ओंठ जो मेरे वीर्य और हेमा के रसो के मिले जुले क्रीम से सने हुए थे वह हेमा के ओंठो से लगा दिए और अपना मुँह खोल कर हेमा के मुँह में वह गोला सरका दिया और दोनों बहने उस मलाई के गोले को मिल बाँट कर निगल गयी। फिर मरीना मेरे लंड को चूसने लगी।


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मैं अभी भी अपनी पीठ पर था और मेरे पूरा लंड मरीना के मुँह में था। उसके बाद मरीना ने मेरे लंड को अपने मुंह से निकाला, मैंने मरीना को अपनी बांहों में उठाया और बेड पर लिटा दिया। मैं मरीना को चूमने लगा और फिर मैं उसके ऊपर लेट कर उसके बूब्स से खेलने लगा और धीरे-धीरे उन्हें भींचने लगा। मरीना कि सिसकारियाँ तेज हो रही थीं। मैं उसके निप्पलों को अपने दांतों से दबाने लगा।

हेमा बिस्तर पर इस तरह से लेट गयी ताकि वह मेरे लंड मरीना की योनि के अंदर जाते हुए आसानी से देख सकेl

मैं घुटनो के बल बैठ गया और धीरे से अपना 8 इंच लम्बा लंड को मरीना की चूत पर टिका कर उसकी योनि को रगड़ने लगा तो हेमा ने हाथ बढ़ा कर मेरा लंड मरीना की चूत के द्वार पर लगा दिया। और हेमा कि तरफ़ हँस कर देखते हुए मैंने एक ही झटके में अपना लंड मरीना की चूत में डाल दिया उसे किस करते हुए मेरे हाथ उसके मम्मों को सहलाते हुए उसके चुचकों के खींचते हुए उसकी चूचियाँ दबाने लगा।

हालाँकि कुछ देर पहले हुए पहली चुदाई के कारण मरीना की चूत भी सूजी हुई थी पर धक्के के जोर के कारण और मरीना के थूक से गीला और चिकना होने के कारण लंड पूरा अंदर चला गया। मैंने धीरे-धीरे शॉट लगाने शुरू किए।



अब मैंने मरीना को ठीक वैसे चोदा जैसे कुछ देर पहले हेमा को चोदा था। मैंने लंड को इतना ही बाहर खींचा की सिर्फ लंडमुंड को उसकी योनी में रहे और फिर लंड को अंदर धकेलते हुए मैंने उसे छोटे-छोटे झटके से चोदना शुरू कर दिया। मैंने अपने बड़े लंड को उसकी योनी के मुंह के अंदर और बाहर इस प्रकार किया और उसकी तंग मांसपेशीयो वाली योनि के छेद के अंदर कभी भी लंड को पूरा नहीं घुसाया और पूरा बाहर नहीं निकाला। सूजने के कारण उसकी योनि थोड़ी कस गई थी। मेरा मोटा लम्बा लंड अटक-अटक कर जा रहा था। मुझे टाइट चूत होने के कारण मजा आ रहा था। सूजी होने के कारन मैं थोड़ी ज्यादा ताकत लगा कर उसकी योनि में डाल रहा था। हर धक्के पर उसकी मुँह से हल्की-हल्की चीख निकल रही थी। हाअ, मास्टर राआआआजा, आईसीईई, चोदो और जोर से चोदो। आआआआ और ज़ोर से, उउउईईईई माँ, आहहहाँ,

मरीना उत्तेजना में चिल्ला रही थी और अपने कूल्हे ऊपर हो हिला कर मेरे धक्कों का साथ दे रही थी। हमे चुदाई करते देख कर हेमा भी गर्म हो रही थी ।

फिर कुछ देर में ही मरीना का जिस्म थोड़ा थर्राया अकड़ा और उसने मुझे ज़ोर से भींच लिया और फिर निढाल हो गई लेकिन मेरा लंड अभी नहीं झडा था

तब मैंने अपना लंड मरीना की योनि से बाहर निकाला और हेमा को अपने पास खींच कर उसके ऊपर चढ़ गया और एक ही झटके में अपना लंड हेमा की चूत में डाल दिया । मैंने हेमा को लिप किस करना शुरू कर दिया और काफी देर तक हेमा को लिप किस करता रहा फिर स्तनों को सहलाना और मसलना शुरू कर दिया वह अब मेरा पूरा साथ दे रही थी



अब में उसके बूब्स को चूसने लगा था और अपने एक हाथ से उसके बालों और कानों के पास सहलाने लगा था और फिर कुछ देर के बाद मैंने उसके कानों को भी चूमना शुरू कर दिया। हेमा की चूत मेरे वीर्य और चुतरस से एक दम चिकनी थी और मेरा लंड भी मरीना के रस से चिकना था फिर मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाना शुरू किया तो पहले तो वह चिल्लाई, लेकिन फिर कुछ देर के बाद मैंने पूछा कि मज़ा आ रहा है। फिर वह बोली कि हाँ बहुत मज़ा आआआआ रहा है, ...हाईईईईई, म्म्म्मम और फिर वह जोर-जोर से चिल्लाने लगी। फिर कुछ देर के बाद मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी। अब वह मस्ती में कराह रही थी अआह्ह्ह आाइईई और करो, बहुत मजा आ रहा है। अब में अपनी स्पीड धीरे-धीरे बढ़ाता जा रहा था और पूरा लंड अंदर डाल कर बाहर निकाल कर पूरा वापिस अंदर डाल रहा था । मरीना हमारी इस चुदाई को गौर से देख रही थी और हेमा बड़बड़ा रही थी आआआआ, उउउईईईई आईसीईई, चोदो और जोर से चोदो। आहहह सरररर जोर से करो, आहह हाँ।।

फिर कुछ देर के बाद वह बोली हाए! ओह सररर में झड़ने वाली हूँ और फिर मैंने उसकी गांड पकड़कर अपनी स्पीड बढ़ा दी, वह बहुत जल्द अपने कामोन्माद तक पहुँच गयी। जल्द ही मुझे उसकी शरीर की कंपकंपी महसूस हुई और उसकी योनि काम रस से भर गयी और वह पूरी तरह से तृप्त हो गयी।

अब में उसे लगातार धक्के लगा रहा था और फिर में ऐसे ही 10-12 मिनट तक उसको उसी पोज़िशन में चोदता गया और कस कर धक्के लगाते रहा । मुझे लगा मैं भी झड़ने वाला हूँ तो इस बार मैंने लंड को बाहर निकाल लिया मैंने उसका हाथ अपने हाथ से पकड़ कर लंड पर रख कर हाथ को आगे पीछे कर हस्थमैथुन करके तेजी से हिला कर उसे तेज़ी से करने का इशारा किया और उसने मेरे लंड पर अपनी हरकत की रफ़्तार बढ़ा दी। हेमा ने मेरे लंड को जोर से पकड़ लिया और तेजी से अपने हाथ को ऊपर-नीचे करने लगीं और मरीना भी मेरे पास आ गयी और एक हाथ हेमा के हाथ के साथ लंड पर रख कर आगे पीछे कर हस्थमैथुन करने लगी जिससे जल्द ही मेरा शरीर तनावग्रस्त हो गया,


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दोनों बहने मेरे वीर्य को इतने करीब से निकलते हुए देखने के लिए उत्साहित थी इसलिए दोनों में मुँह आगे कर दिया और हाथ को लंड पर आगे पीछे करना जारी रखा । लंड ने जल्द ही पिचकारियाँ उन दोनों मुँह पर मार दी जिससे मेरे वीर्य उन दोनों के मुँह, आँखो, गालो, माथे और बालो तक फ़ैल गया और वीर्य हेमा के मुँह से नीचे टपकने लगा तो मरीना उसे देख कर नीचे हुए और वीर्य को चाट गयी और फिर दोनों ने एक दुसरे में मुँह, आँखो, गालो, और माथे पर लगा वीर्य चाट लिया।

वे दोनों मुझसे सांप के जैसी लिपट गईं. मैं दोनों को चूमता रहा और उनका बदन सहलाता रहा. फिर हम तीनों चिपक कर देर तक सोते रहे।

कहानी जारी रहेगी

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दीपक कुमार
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पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे


VOLUME II

विवाह

CHAPTER-1

PART 53

अर्धनग्न तरुण- नर्तकी



अगले दिन सुबह फिर मैंने स्नान किया तो स्नान घर में बाल्टी में भी जड़ी बूटी वाला पानी था और उसमे से भी बड़ी मनमोहक ख़ुशबू आ रही थी। उससे स्नान करने के बाद मैं एकदम तरोताज हो गया। फिर मैंने मंदिर जाकर मैंने महर्षि अमर मुनि गुरूजी की आज्ञा अनुसार विधि पूर्वक पूजन करने के लिए दूध और दही गऊ के लिए रोटी, चींटी के लिए आटा और अनाज दाल, पक्षियों के लिए अनाज और आटे की गोली और कुछ रोटी घी और-चीनी का दान किया और उसके बाद विधि विधान से कुल पुरोहित ने पूजन करवाया और बारात विवाह और सुबह के नाश्ते के बाद वधु को लिवाने हिमालय राज महाराज वीरसेन की राजधानी की और हवाई जहाज से निकल गयी ।

हिमालय राज महाराज वीरसेन की राजधानी में पहुँचने के बाद बारात का परम्परागत स्वागत किया गया और सबको बारात घर ठहरा दिया गया भाई महाराज के विवाह की रस्मे रात में होनी थी । दोपहर के भोजन के बाद .  और  कक्ष में रखी  किताब  के कुछ पन्नो को पढ़ा  और फिर कुछ देर आराम किया और फिर उठा कपडे बदले और मैं अकेला ही बाज़ार घूमने निकला गया। 

बाज़ार में चौक में एक जगह भीड़ लगी हुई थी और बीच भीड़ में चौक के बीचो बीच में दूध के समान गोरी, लगभग अर्धनग्न तरुण युवती नृत्य कर रही थी। अति सुंदर उन्मुख यौवन, नीलमणि-सी ज्योतिर्मयी बड़ी-बड़ी आंखें वाली, तीखे कटाक्षों से भरपूर नर्तकी की आँखे शराब के नशे में डूबी हुई थी, उसकी आँखों में नशे के कारण लाल डोरे थे, उसके शंख जैसी लम्बी सुराहीदार गर्दन और उसका चेहरा सुंदर था। उसके गोल-गोल गाल जिन पर उसके बड़े-बड़े गहरे लाल ओंठ चमक रहे थे। उसके दांत मोतियों की माला की तरह चमक रहे थे, गले में सुंदर चमकती हुई स्वर्ण माला बंधी हुई थी और सांप के जैसे लम्बी सघन, गहन, काली, धुंघराली बालो को वेणी थी, जिनमें गुंथे ताज़े फूल और गले में सुंदर फूलो की माला थी । उसके स्तन बड़े और सुदृढ़ थे जो उसकी छोटी-सी चोली में आधे छुपे हुए और आधे उजागर थे उसकी मांसल भुजाओं में सोने के बाजूबंद और उसकी पतली कमर में सोने का कमर बंद था उसके गोल और मोठे नितम्ब, चिकने जाँघे, पैरो में स्वर्ण-पैंजनियाँ थी जो उसके नृत्य के साथ ताल मिला कर सुंदर ध्वनि उतपन्न कर रही थी, सुंदर छोटे-छोटे थिरकते हुए पैरो के साथ लहराती हुई किशोरी चौराहे पर गाती हुई नृत्य कर रही थी ।


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उसकी नग्न मांसल बाजुए हवा में लहरा रही थी। पैरो की उंगलियाँ और पैरो के धरती पर लगने से पैजनिया उसी ताल में ध्वनि उत्पन्न कर रही थीं। उसके चारों ओर बच्चे वृद्ध युवा उसे मन्त्र मुघ्ध हो नृत्य करते हुए देख रहे थे। वह किशोरी बहुत देर तक नृत्य करती रही, गाती रही, हंसती रही, हंसाती रही, देखने वाली जनता को लुभाती और रिझाती रही। सभी पुरुष विमोहित हो उस अनावृत उन्मुख यौवन के नृत्य और असौंदर्य को देख हर्षोन्मत्त हो गए।

नृत्य की समाप्ति पर सभी पुरुष उस युवती पर धन बरसाने लगे। उसका यौवन और रूप किसी ने आँखों से पिया तो किसी ने उसके रूप की ज्वाला को हंसकर आत्मसात् किया। किसी ने धन देते हुए उसका कोमल हाथ को स्पर्श किया तो उसने मुस्कुराकर उस पुरुष का हाथ झटक दिया।

वो किसी को देखकर हंस दी तो कई मनचलो ने उसे देख कर आँख मारी और किसी ने उसे देख सीटी मार उसे बुलाया और उसे कुछ रूपये पकड़ा दिये। उसने एकत्रित हुए धन को अपनी कमर में बाँधे थैले में रखा और अपने पैरो में अपनी चप्पलें पहनी और हस्ती मुस्कुराती वही चौक में मधुशाला की और चल दी. उसके पीछे-पीछे उसके न्मत्त अनावृत उन्मुख यौवन को आंखों से पीते उस पर मोहित भीड़ भी चलने लगी। मैं उस का नृत्य मधुशाला के समीप ही खड़ा देख रहा था

वो नर्तकी मधुशाला पर पहुँची तो उसने दूकानदार जो उसका नृत्य देख मग्न हो रहा था

मधुशाला का मालिक दुकानदार उससे बोला । खूब नाची तुम!

उसने दूकानदार से कहा-आपको अच्छा लगा?

दूकान दार बोला-हाँ अच्छा नाचती हो तुम!

वो बोली-  लाला! तो फिर शराब दो!

दूकानदार-रूपये निकालो।


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नर्तकी-कौन से रूपये, लाला?

दूकानदार-वही रूपये, जो अभी थैले में रखे हैं।

नर्तकी- लाला! वह तो मेरे परिवार के लिए है।

दूकानदार-तो यहाँ शराब कहाँ है?

नर्तकी-  लाला, इन बर्तनो और बोत्तलो में क्या है?

दूकानदार-जो पैसे नहीं देते है, उनके लिए इनमे जहर है।

नर्तकी-अरे लाला! तो जहर ही दे दो।

दूकानदार-मेरे पास जहर बेचने का लाइसेंस नहीं है। शराब लेनी हो तो लो नहीं तो चलती बनो दूकानदार ने दांत निकाल दिए!

नर्तकी- अरे लाला नौटंकी मत करो जल्दी से शराब दो।

दूकानदार-तो ला जल्दी से थैली ढीली कर। पैसे निकाल।

नर्तकी-  लाला, तुझे धन क्यों दू?

दूकानदार-यहाँ शराब मुफ्त नहीं बंटती है इसके लिए धन देना पड़ता है, शुल्क लगता है हमे सरकार को टैक्स देना पड़ता है।

नर्तकी-क्या तुमने मेरा नृत्य देखा है,  लाला?

दूकानदार-क्यों नहीं देखा, नेत्र है तो देखना पड़ा, पर इसमें मेरा दोष नहीं है। तुम मेरी मधुशाला के सामने आकर क्यों नाची?

नर्तकी पास खड़े हुए मेरे को देख कर बोली बाबू जी इस लाला ने मेरा  नृत्य देखा वह भी मुफ्त में और अब शराब देने में नियम बता रहा है? आप ही फैसला कीजिये

मैंने जेब से रूपये निकल कर 500 / - का एक नोट दुकानदार के सामने फेंककर कहा-"पैसे मैं दे रहा हूँ-आप इसको शराब दे दीजिये।

दुकानदार ने हंसकर मेरे दिए रुपयों के नोट को परखा और एक बोतल उठाकर उस तरुण नर्तकी को दे दी और बोतल को खोल कर मुँह में लगाकर वह तरुणी गटागट शराब पीने लगी। आधी बोतल पीकर उसने तृप्त होकर सांस ली, जीभ से होंठों को चाटा-हंसी, फिर झूमती हुई दो कदम आगे बढ़, अपना अनावृत, उन्मुख यौवन मेरे वक्ष से बिल्कुल सटाकर मुझे घूरा और दोनों भुजाओं में बोतल को थाम, ऊंचा कर उसे मेरे होंठों से लगाकर कहा- अब तुम भी पियो। 

मैंने तुरंत अपनी भुजाओं में उस तरुणी को समेट लिया और एक ही सांस में वह सारी शराब पी गया। फिर मैंने उस तरुणी के लाल-लाल होंठों पर अपने शराब में भीगे हुए ओंठ रखकर उसे चूमा और कहा-" अब चले ।

कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार
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पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे


VOLUME II

विवाह

CHAPTER-1

PART 54

मीठा फल  



जब मैंने उसे कहा चले वह मेरी और देखने लगी ।

नर्तकी-तुम कुछ अलग हो यहाँ पैसे देने वाले यो बहुत हैं पर दारु पिलाने वाला अकेला तू ही मिला ।

मैं-और पीयेगी मैंने फिर पुछा और पीनी है?

तो मेरी बात सुन कर वह तरुण नर्तकी हंस दी तो उसके उज्ज्वल सफ़ेद दांतो की माला से बिजली-सी कौंध उठी। उसने बोतल फेंक मेरे गले में अपनी बाहें डालकर कहा-"चलो।"

मैं-चलो ।

दोनों परस्पर आलिंगित होकर एक ओर को तेजी से चल दिए। सब भीड़ पीछे रह गयी निश्चित तौर पर मेरे पीछे आ रही मरीना, ईशा और अन्य अंगरक्षको ने भीड़ को रोक दिया होगा।

नर्तकी-तुम्हे पहले कभी नहीं देखा यहाँ?

मैं-मैं यहाँ का नहीं हूँ।

नर्तकी-तो कहाँ के हो?

मैं-मैं पंजाब में जन्म हुआ और अभी सूरत गुजरात से आया हूँ ।

नर्तकी-यहाँ हिमालय राजधानी में क्या करने आये हो?

मैं-तुम्हारे ही लिए आया हूँ! मैंने हंसकर उसे और कसकर अपनी छाती से सटा लिया।

तरुणी ने उसे मुझे थोड़ा दूर धकेलते हुए कहाः

नर्तकी—चल झूठा सच बोल।

मैं-अब तो सच यही है, मैं तुझ पर मोहित हो गया हूँ।

नर्तकी-कब से?

मैं-जब से तुझे पहली बार देख है उसी क्षण से।

नर्तकी-और पहली बार कब देखा तुमने मुझे ।

मैं-जब तुम अभी थोड़ी देर पहले चौक में नाच रही थी ।

मेरी ये बात सुनकर वह थोड़ी-सी चकित हो मुझे देखने लगी और बोली:

नर्तकी-बड़ा हिम्मती है, तू तो ।

मैं-हम्म! तेरा अध्भुत रूप देख हिम्मत आ गयी ।

मैंने उसे पुछा-तुम्हारा नाम क्या है?

नर्तकी-दीप्ति और तुम्हारा?

मैं-दीपक मैं मुस्कुराते हुए बोला ।

दीप्ति-फिर झूठ!

मैं-सच मेरा नाम दीपक है और मैंने अपना आइडेंटिटी कार्ड उसे दिखा दिया ।

दीप्ति-यहाँ क्यों आये थे?

मैं-मेरे भाई की बारात में आया हूँ ।

दीप्ति-इस समय तो यहाँ केवल महाराज कुमारी का विवाह है ।

मैं-मैं दूल्हे का चचेरा भाई हूँ ।

दीप्ति-राजकुमार! तो आप राजकुमार हो । फिर तो आप हमारे लिए पूजनीय हो गए. आप तो हमारे महाराज के जमाता के भाई हो ।

वो तू से आप पर आ गयी ।

दीप्ति-तो उधर चलो।

मैं-क्या ग्राम में या अपने घर ले जाओगी?

दीप्ति-नहीं, आप मेरे साथ पर्वत के ऊपर के उस भाग में चलो।

मैं-वहाँ क्या है?


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दीप्ति-पर्वत के ऊपर बिलकुल निर्जन जंगल है, फलदार वृक्ष हैं पेड़ो की घनी छाया है, एक तालाब है, उसमें कमल खिले हैं। चलो वही रमण करेंगे,।

मैं-तो फिर चलो।

हम दोनों हाथो में हाथ डाल कर उस घने जंगल में घुस गए।

दोनों पर्वत पर चढ़ गए और पर्वत के ऊपर बड़ा-सा वह भाग निर्जन और वहाँ सघन जंगल था। वहाँ निर्मल जल का सरोवर था, सरोवर में कमल खिले थे और सरोवर के आसपास और भी बहुत से फूल खिले हुए थे और फलदार वृक्ष भी लगे हुए थे।

बड़े और लम्बे पेड़ो की छाया के बीच से दोपहर की धूप छनकर-शीतल होकर सोना—सा बिखेर रही थी। धीरे-धीरे और मीठी ठंडी हवा चल रही थी। तालाब में बत्तखे हंस और सारस, इत्यादि पक्षी तैर रहे थे और बहुत सारी मछलिया थी। तरुणी तालाब से थोड़ा दूर एक विशाल वृक्ष के नीचे सूखे पत्तों पर लेट गई। हंसते हुए उसने कहा

दीप्ति-अब तो मुझे भूख लगी है।

मैंने गर्दन ऊंची कर इधर-उधर देखा और लम्बे-लम्बे कदमो के साथ जंगल में घुस गया।

कुछ मछलिया तालाब से पकड़ी और कुछ फल वृक्षों से तोड़े, कुछ कंद मूल ढूँढें निकाले और उन्हें ले कर उसके पास जल्द ही लौट आया।

तरुणी ने फुर्ती से सूखे ईंधन की इकठा किया और मैंने लाइटर जला कर आग लगा दी।

मैंने मछली के मांस के टुकड़े किए। और फिर दोनों ने मांस और फल कंद मूल भून-भूनकर खाना आरम्भ किया। दीप्ति बहत भूखी थी, वह मजे ले-ले कर मछली का भुना हुआ मांस, फल और कंदमूल खाने लगी। कभी आधा मांस का टुकड़ा खाकर वह मेरे मुंह में ठूस देती, कभी मेरे हाथों में दे देती और कभी हाथो से छीनकर स्वयं खा जाती।

खा-पीकर तृप्त होकर वह मेरी  जांघ पर सिर रखकर लेट गई। दोनों भुजाएँ ऊंची करके उसने मेरी कमर में लपेट ली। वह बोली-"बड़े होशियार हो आप, बड़ी जल्दी खाना जुटा लाये।" "मुझे ज्यादा प्रयास करना ही नहीं पड़ा। मछलिया सहज ही पकड़ी गयी और फलो की तो यहाँ भरमार है।" मैंने  हंसकर कहा।

मैं-दीप्ति! ये स्थान इतना अच्छा है मछलिया, फल फूल हैं फिर भी निर्जन क्यों है?



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दीप्ति-यहाँ सबको आने की आज्ञा नहीं है ।

मैं-तो तुम कैसे आ गयी ।

दीप्ति-ये हमारे परिवार का स्थान है ।

मुझे मस्ती सूझी।

मैं-दीप्ति! हमारे यहाँ तो खाने के बाद मीठा खाने का चलन है।

दीप्ति-हाँ गुजराती तो खाने में मीठे का प्रयोग कुछ ज्यादा ही करते हैं । अब यहाँ मीठा कहाँ मिलेगा?

मैं-मिलेगा, दीप्ति! मीठा मिलेगा । तुम आँखे बंद करो और एक मिनट बाद खोल देना ।

मैंने एक मीठे फल का टुकड़ा उठाया और आधा मुँह में रख कर उसे दिखाया और ऐसे ही फल मुँह में पकड़ अपना मुँह उसके मुँह के पास ले गया ।

उसने झट मुँह के साथ मुँह लगा दिया और फल खाने लगी तो मैंने फल तो नहीं छोड़ा बल्कि उसका सर पकड़ कर उसको चूमने लगा । वह गू-गू गू करने लगी पर मैंने उसे नहीं छोड़ा और फिर दोनों एक साथ मिल कर फल खाने लगे और फल को चबा कर मैंने फल की लुगदी को दीप्ति के मुँह में धकेल दिया और उसने भी थोड़ा चबाया और फल को वापिस मेरे मुँह में धकेल दिया । इस तरह एक दुसरे में मुँह में हम फल धकेलते हुए फल खाने लगे ।

फिर मैंने अपने होठं दीप्ति के होठ से लगा दिये और एक किस ले लिया। फिर दीप्ति ने भी अपने हाथ मेरी गर्दन के पीछे ले जाकर मेरा मुँह को अपनी तरफ खीचा और अपनी जीभ निकाल कर मेरे होंठो पर जीभ फिराने लगी। उसके थोडी देर इसी तरह से जीभ फिराने के बाद मैंने उसका निचला होंठ अपने होंठो के बीच पकड लिया और फिर उस पर जीभ फिराने लगा।

मैं उसके होंठो को चुसने से पहले मैं गीला कर देना चाहता था। थोडी देर तक इसी तरह उसके होंठो को गिला करने के बाद मैने उसके होंठ चुसने शुरू कर दिये। मैं बहुत जोर-जोर से उसके होंठो को चूस रहा था। इस बीच दीप्ति भी अपनी जीभ निकाल कर मेरे उपरी होंठ के उपर फिरा रही थी और साथ ही साथ अपना बहुत-सा थूक और फल की लुगदी अपने नीचले होंठ के पास जमा कर रही थी जिस से मैं ज्यादा से ज्यादा उसके स्वादिष्ट थूक को पी सकूँ। मैं भी हर थोडी देर में नीचले होंठ को छोड कर उसका थूक अपनी जीभ की मदद से उसके होंठो पर मलने लगता और अच्छी तरह से मल कर फिर से उसके होंठ को चुसने लगता करीब 5-6 मिनट तक मैं ऐसा ही उसके साथ करता रहा।

फिर उसने मेरा निचला होंठ छोड कर मेरा उपरी होंठ अपने दोनों होंठो के बीच पकड लिया और उसको भी अपने थूक से गीला कर दिया। दीप्ति ने भी मेरा नीचला होंठ अपने थूक से गिला कर दिया था। थोडी देर तक वह मेरे होंठ को गीला करती रही और-और मैं उसके ओंठ चुसता रहा फिर एक दम से मैंने अपनी जीभ को नुकीला कर के उसके दाँतों और होंठो के बीच डाल दी और उसके दाँतों पर फिराने लगा। वोह भी अपनी जीभ को नुकीली बना कर मेरे जीभ के नीचे गोल-गोल घुमाने लगी। जिससे उसकी जीभ से लार और फली को लुगदी निकल कर मेरे मुहँ में गिरने लगी और मेरी जीभ के नीचे जमा होने लगी।

थोडी देर इसी तरह से उसके दाँत और होंठ के बीच की और उसके जीभ से टपकती लार मेरे मुँह में जमा हो गयी। फिर मैंने दीप्ति के होंठ मुँह में लेकर चूसने लगा तथा साथ ही साथ मुँह के अन्दर जमी स्वादिष्ट लार में से थोड़ी-सी लार को भी मैं पी गया। । फिर थोडी देर बाद मैंने बची हुई लुगदी और लार दीप्ति के मुँह में जीभ के साथ सरका दी और उसे मजबूर कर दिया की वह उसे पी ले । उसके पीने तक-तक इसी तरह मैं उसका होंठ चुसता और लार उसके मुँह में डालता रहा। फिर दीप्ति ने आखरी बार मेरे होंठो पर अपने होठ रखे और एक गहरा चुम्बन लेकर मेरे से अलग हो गयी। फिर मैंने पूछा कैसा लेगा खाने के बाद मीठा मजा आया दीप्ति?

"अरे वाह प्रिय!" तरुणी हर्षोल्लास से चीख उठी। आनन्दातिरेक से उसने धक्का देकर मेरे को भूमि पर गिरा दिया। फिर मेरे वक्ष पर अपने यौवन के कलश सटाकर मेरे अधर चूमकर बोली ये चुंबन अध्भुत था । मजा आ गया । बड़ा अच्छा चुम्बन किया आपने । किससे से सीखा?

"उसे अपने आगोश में समेटता हुआ मैं बोला-" दीप्ति तू मेरी हो जा,   जो जानता हूँ सब सीखा दूंगा । सीखा क्या दूंगा सब तेरे साथ करूँगा और मैंने दोनों भुजाओं में उसे लपेट अपने वक्ष में दबोच लिया और उसकी जांघो को-को अपनी सुपुष्ट जंघाओं में लपेटते हुए बोला-"तब तो तू मेरी ही है।" उसने अपना शरीर  मेरे को अर्पण करते हुए  आवेशित गर्म श्वास लेते हुए कहा-"हाँ अब मैं तेरी हूँ। आप मेरे साथ जो चाहे सो  करो,  जैसे चाहो स्वच्छन्द रमण करो, मुझे प्यार करो।"

कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार


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पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे


VOLUME II

विवाह

CHAPTER-1

PART 55

जल क्रीड़ा


मैंने उसके चेहरे पर एक ऊँगली फिराई और फिर उसके चेहरे को हाथों में लेकर उसके होंठों पर एक गहरा चुम्बन किया।

मैंने अपने दांत तरुणी दीप्ति के दांतों पर रगड़ते हए कहा। मैं तुम्हारे साथ मैं जो चाहे सो करूँ जैसे मेरा मन होगा वैसे तेरे साथ रमण करूँ?

उसने आँखे बंद कर सहमति दी।

मैं-दीप्ति, तुम मुझे बहुत अच्छी लगी। 

जवाब में दीप्ति खिलखिला कर हंस दी।


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दीप्ति-झूट, मुझ से पहले कितनी लड़कियों तुम्हे अच्छी लगी? मुझमे ऐसा क्या लगा?

मैं-तुमसे सच बोलूंगा   तुम्हारी बात सबसे अलग है । तुम बहुत सुंदर हो और मुझे दुनिया की सबसे सुन्दर लड़की लगती हो!

मैं दीप्ति को देखने लगा उसके होंठो पर एक बहुत हलकी-सी मुस्कान आ गयी और उसके गाल थोड़े और गुलाबी से हो गए। उसकी सरल मुस्कान, उसकी चंचल चितवन, लम्बे बाल और उसके सुन्दर चेहरे पर उन बालों की एक दो लटें, उसकी सुन्दरता को और बढ़ा रहे थे। पतली, लेकिन लम्बी और स्वस्थ बाहें। उसकी चोली से साफ़ पता लग रहा था कि उसके स्तन भी बहुत शानदार हैं । बड़े-बड़े गोल और दृढ़ लेकिन तरुण स्तन, जैसे मानो बड़े आकार के अनार हों। स्वस्थ, गोल और युवा नितम्ब। साफ़ और सुन्दर आँखें, भरे हुए होंठ-बाल-सुलभ अठखेलियाँ भरते हुए और उनके अन्दर सफ़ेद दांत!। रंग साफ़ और गोरा पहाड़ी चेहरे वाली, आँखें काली या गहरी भूरी, लाल रंग के भरे हुए होंठ और अन्दर सफ़ेद दांत की माला, एक बेहद प्यारी-सी छोटी-सी तीखी नाक और पहाड़ी लालिमा हुए गाल! उम्र अट्ठारह की पर लगती थी षोडशी जैसी भोली किन्तु तेज तरार ।


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दीप्ति का मतलब होता है ज्योति वैसी ही मन को प्रकाशमान और आराम देने वाली करने वाली सुन्दरता! प्रकाश में जैसे सभी रंग विधमान होते हैं वैसे ही मेरे मन में पल-पल नए-नए रंग भरती हुई दीप्ति का व्तक्तित्व था । उसकी सुन्दरता और उसके स्वभाव के भोलेपन और जैसी वह बेबाक थी और इसमें कोई आश्चर्य नहीं था कि मैं उस पर मोहित हो गया था ।

ठंडी ठंडी हवा चल रही थी और घने पेड़ो के बीच में से दोपहर की धुप छन कर आ रही थी और उस हवा की आद्रता माहौल को मनोरम बना रही थी ।

शिरीष के वृक्ष की सघन छाया में से छनकर दोपहर की सुनहरी धूप उनके अनावृत और वस्त्रो रहित सुंदर अंगों पर पड़ रही थी। उस तालाब में-में पक्षी कलरव कर रहे थे। ऍम दोनों निश्चल, उस निर्जन वन में सुखी हुई नरम पत्तियों और शिरीष के फूलो के ढेर के ऊपर लेटे हुए आपस में चिपके हुए एक दूसरे में समाए हुए आनन्दातिरेक से लिपटे हुए पड़े थे। शिरीष के फूल उसके ऊपर गिर रहे थे ।

दीप्ति ने मेरे कान में ओंठ लगाकर कहा-" अब उठो।

मैं दीप्ति के होंठों पर होंठ रखकर उसके स्तनों पर अपने स्तनों का भार डालते हुए होंठों ही में कहा-" थोड़ा ठहरो।

दीप्ति-अभी नहीं। देखो सूर्य की किरणें तिरछी हो चलीं हैं। "


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उसने मेरे को धकेलकर अपने से पृथक् किया और हंसती हुई मुझे खींचकर तालाब में ले गयी और खुद जल में उतर गई। फिर हम दोनों उस निर्जन वन के उस शांत तालाब के शुद्ध ठन्डे जल में क्रीड़ा करने लगे। हमारे जल में उतरते ही उस शांत तालाब का जल जीवंत हो उठा और जल में तरंगे उठने लगी और कलरव कर रहे पक्षी उड़ने लगे वे सभी पक्षी जल क्रीड़ा कर रहे हम दोनों साथी और साक्षी थे और हम दोनों एक दुसरे के पूरक थे ।

मैंने जल की कुछ अंजुलिया भर के दीप्ति पर डाला तो उसने भी जल की बौछार मार कर मुझे पानी से भिगो दिया। हम दोनों तालाब के जल में मछली जैसे विचरने लगे। फिर दीप्ति जल में डुबकी लगायी तो मैं उसे ढूँढ़ लाया। फिर दोनों तैरते हुए दूर तक चले गए और उसके बाद दोनों एक साथ चिपक कर बहुत देर तक तैरते रहे। एक साथ तैरते हुए कभी हमारे वक्ष परस्पर टकराये तो कभी हमारे ओंठ आपस में चिपक जाते। जब मस्ती में भर कर दीप्ति ने जल की बौछार मेरे पर मारी तो मैं उसके पीछे लपका तो वह तो हाथ नहीं आयी पर उसकी छोटी-सी चोली या अंगिया खुल कर मेरे हाथ में आ गयी। वह मेरी अंगिया दो बोलती हुई मेरे पीछे लपकी मैंने नहीं दिए तो मेरे कपडे खींच कर मेरे बदन से अलग कर दिए और मैंने भी उसकी छोटी-सी घाघरी जो उसने कमर के नीचे पहनी हुई थी वह खींची और उतार दी । अब हम दोनों तालाब के जल में बिकुल नंगे थे ।



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मैंने उसके निर्वसन-अनावृत शरीर को अपनी दोनों बलिष्ठ भुजाओं में सिर से ऊंचा उठाकर ज़ोर से किलकारी मार जल में अपने साथ चिपका कर लिटा लिया। हम दोनों जल में ऐसे ही खेलते रहे और सूर्य क्षितिज पर अस्त होने जाने लगा। जलक्रीड़ा बहुत देर करने के कारण थकी हुई दीप्ति ने मेरा हाथ थाम लिए और तालाब के जल से बाहर निकली। पानी की बूंदे हम दोनों के पानी में भीगे हुए अंगों पर से फिसल-फिसल कर मोती की भांति इधर-उधर जमीन पर बिखरने लगी जिससे हम जिस मार्ग से तालाब में से निकले थे उस मार्ग में पानी की कतारे बन गयी थी।

जब वह ताल से निकली तो वह इस समय ओस में भीगी नाज़ुक पंखुड़ी वाले गुलाबी कमल के फूल के जैसे लग रही थी! मैंने पहली बार पूर्णतया नग्न, खड़ा हुआ देखा। मैंने उसके नग्न शरीर की परिपूर्णता की मन ही मन प्रशंशा की। उसके शरीर पर वसा की अनावश्यक मात्रा बिलकुल भी नहीं थी। उसके गोरी चिकनी जांघे और टाँगे दृढ़ मांस-पेशियों की बनी हुई थीं। मेरे लिंग में उत्थान आने लगा।

वह तालाब के किनारे एक शिला पर थकान और आलस के भाव से चित्त लेट गई। अपराह्न की पीली धूप उसके सम्पूर्ण निर्वस्त्र शरीर पर फैल गई। मैं भी उसके पीछे-पीछे वहीं आ खड़ा हुआ। पानी मेरे बदन से भी टपक रहा था। मैं अपनी बाहो में बहुत सारे कमल के फूल तालाब में से इकठे कर लाया था। उन्हें मैंने दीप्ति पर बिखेर दिया।

कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार
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नूतन वर्ष 2023 की  हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।

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यह नूतन वर्ष आपको ऐश्वर्य, धन समृद्धि, सौभाग्य प्रदान करे ऐसी ईश्वर से कामना करता हूँ।
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पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे


VOLUME II

विवाह

CHAPTER-1

PART 56

फूलों से प्राकृतिक शृंगार



तरुणी दीप्ति ने मेरे पूरे शरीर को भरपूर दृष्टि से देखा और उसकी निगाहें मेरे खड़े हुए लंड पर जम गयी और उसने बाहें फैला कर कहा-राजकुमार आप बहुत प्यारे हो। मुझे भी आप बहुत प्रिय हो । मेरे प्रियतम आ आओ और मुझे प्यार करो।

मैं उसे चूमते हुए बोला: मेरी प्रियतमा पहले तुम्हारा थोड़ा-सा शृंगार कर दू ।  बस थोड़ा सा इन्तजार करो  .  ये हमारा प्रथम मिलन है मैं इसे विशेष बनानां चाहता हूँ  ।

 डॉक्टर होने का जीवविज्ञान का छात्र होने के कारण मुझे कुछ प्राकृतिक सौंदर्य साधनो का ज्ञान था इसलिए  मैं एक बार फिर उस पास के जंगल में घुस गया और कुछ फल, लकडिया, पत्तिंया और ढेर सारे फूल, चुन लाया ।



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मैंने सबसे पहले चंदन की लकड़ी घिस चंदन का लेप तरुणी के चेहरे छाती गर्दन, पीठ बाजुओं टांगो और नितम्बो पर मल दिया और हाथो पर मेहँदी की पत्तियों का रस मल दिया तो उसने भी चंदन का लेप मेरे पर मल दिया ।  कुदरती अनछुए पदार्थ थे इसलिए बहुत जल्द ही उन्होंने अपना असर दिखा दिया ।

फिर मैंने उसके गोरे गालो पर पलाश और लोध्र के फूलो को मसल कर गुलाबी रंग मल दिया, उसकी पलकों को पहाड़ो पर मिलने वाली एक वनस्पति जिसे मसलने पर काला पदार्थ मिलता है वह काला रंग उसकी पलकों पर लगा दिया और आग में शैलेय का काजल बनाया और उसे दीप्ति की सुंदर बड़ी आँखों में लगा दिया। गुलाबी, सफ़ेद, लाल, पीले ,केसरी कमल, चंपा, गुलाब, मोगरा, मोतिया और अन्य सभी तरह के फूलो को मसल कर उनका सुंगंधित रस उसकी चिकनी जांघो और सारे बदन पर मला तो उसका बदन और पूरा माहौल उन फूलो की शानदार सुगंध से महकने लगा। फिर मैंने दीप्ति के पैरो पर अलता के पेड़ो से निकाल कर लाया हुआ लाल रंग का रस मल के शोभायुक्त किया। सिर के बालो में सफ़ेद लाल पीले केसरी कमल, चंपा, गुलाब, मोगरा और मोतिया और अन्य सभी तरह के फूलो को गूंध कर फूल मालाये लगा दी और, पिंडलियों पर चुकंदर को मसल कर उसका लाल रस निकाल कर मसल दिया। उसके ओंठो पर चुकंदर का लाल रंग मल दिया ।


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भीनी-भीनी मोगरे, गुलाब, और चमेली की फूल मालाएँ बना कर दीप्ति की तरुण और पतली कमर पर फूल माला बाँध दिया। पेडू पर पतली कमर और नाभि के नीचे गज़रे की यह लटकन बहुत खूबसूरत लग रही थी।

फिर मैंने गेंदे के फूलो की मालाओ को उसकी छाती पर ऐसे बाँधा जैसे उसने फूलो की चोली पहनी हुई हो और दो फूल मालाये उसकी बाजुओं में कमल की नाल के साथ बाजू बंद की तरह लपेट दिए और दो कमल की नाल के साथ फूल मालाये उसकी जांघो में भी बाँध दी।


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फिर कर उसके और एक फूलो का मुकुट बना कर उसके सर पर सजा कर उससे थोड़ा दूर हुआ और उसे भरपूर ऊपर से नीचे पूरे फूलो के शृंगार में देखा तो देखता ही रहा गया तरुण और सुंदर दीप्ति इस मनोरम फूलो के शृंगार से रमणीय हो, मानो वनदेवी का मूर्तिमान रूप हो ऐसे चमक उठी और मैं उसे खड़ा-खड़ा देखता रह गया और मेरे खड़े लंड ने उत्तेजित होकर एक ठुमका लगाया ।

वैसे तो आज के समय में बाज़ार में कॉस्मेटिक सौंदर्य प्रसाधनो की भरमार है पर प्राकृतिक फूलो और पत्तियों के रस के श्रृंगारित हो दीप्ति का रूप खिल उठा था और उसका अद्भुत प्राकृतिक तरुण सौंदर्य मेरे सामने प्रगट हुआ था कि मैं किंकर्तव्य मूढ़ की तरह अचंभित हो खड़ा उस कामदेवी को देखता रहा ।

उसने मुझे ऐसे देख आँखों से पुछा क्या हुआ? 

 तो मैं उसे तालाब के किनारे ले गया और उसे तालाब के शांत निर्मल जल में उसकी सुंदर रमणीय छवि दिखलाई। शांत निर्मल जल में अपनी छवि देख कर वह भी देखती ही रह गयी ।

वो लजाते हुए बोली हाय! ये मैं हूँ ! इतनी सुंदर इतनी  प्यारी !


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मैं चुपके से पीछे गया और बाकी बचे हुए मोगरे, गुलाब, कमल, चंपा, मोतिया, गैंदे और चमेली की सुगन्धित फूलो के फटा फट सेज सजा दी और एक माला उठायी तो दीप्ति पलटी और मुझे देख लजाते हुए मेरे पास आ गयी और मेरे हाथो से वह माला ले ली और मेरे गले में डाल दी मैंने भी दूसरी माला उठायी और उसके गले में डाल दी । मैंने उसे अपने गले में लगा लिया और फिर जो सेज मैंने सजाई थी वहाँ ले गया और उसे बिठा दिया ।

दीप्ति की आँखें एक नए रोमांच, कौतुक और भय से बंद होती जा रही थी। पता नहीं अब मैं उसके साथ  कैसे और क्या-क्या  करूँगा  और   सिकुड़ कर बैठ गई। और मेरे लम्बे लंड को उसने कनखियों से देखा और प्रेम मिलन के बारे में सोचा तो वो लजा गयी .  दीप्ति   बस एक नज़र भर ही मेरे को  देख पाई और फिर लाज के मारे अपनी मुंडी नीचे कर ली।

मैं बोला - आप ठीक से बैठ जाएँ!

आप बहुत सुंदर लग रही हो मैंने कहा  तो उसने मेरी और देखा  और मेरे  होंठों पर शरारती मुस्कान देख कर दीप्ति एक बार फिर से लजा गई और लाज के मारे कुछ बोलने की स्थिति में तो नहीं थी बस मुझे जगह देने के लिए थोड़ा सा और पीछे सरक गई। कई बार जब लाज से जो बात होंठ नहीं बोल पाते तो आँखें, अधर, पलकें, ऊँगलियाँ और देह के हर अंग बोल देते हैं। जब वो पीछे  सरकी तो मेरे अंग अंग में अनोखी सिहरन सी दौड़ गयी और हृदय की धड़कने तो जैसे बिना लगाम के घोड़े की तरह भागने लगी । उसने सरक कर मुझे पास बैठने का इशारा कर दिया था।


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मुझे याद था की मेरी सेक्स गुरु मिली जिसके बारे में आप मेरी कहानी अंतरंग हमसफ़र  में पढ़ सकते हैं उसने बताया था की स्त्री पुरुष के सच्चे यौन संबंधों का अर्थ मात्र दो शरीरों का मिलन नहीं बल्कि दो आत्माओं का भावनात्मक रूप से जुड़ना होता है।  प्रेम  में मिलन  के दौरान  सम्भोग या सेक्स अपनी भावनाओं को उजागर करने का बहुत अच्छा विकल्प या साधन होता है। ये वो साधन है जिससे हम अपने साथी को बता सकते हैं कि मैं तुमसे कितना प्यार करता हु।  यह क्रिया दोनों में परस्पर नजदीकी और गहरा प्रेम बढ़ाती है। ख़ास तौर पर प्रथम मिलन  को आनंदमय, मधुर और रोमांचकारी बनाना चाहिए , ताकि यही आनंद बार बार मिले इसके लिए दोनों हमेशा लालायित रहे ।

कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार
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पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

VOLUME II

विवाह

CHAPTER-1

PART 57

विधाता की अलोकिक रचना



लड़का लड़की दोनों के मन में पहले मिलन की अनेक रंगीन एवं मधुर कल्पनाएँ होती हैं जैसे पहली रात अत्यंत आनंदमयी, गुलाबी, रोमांचकारी मिलन की रात होगी। फूलों से सजी सेज पर साज़ शृंगार करके अपने प्रियतम की प्रतीक्षा में बैठी प्रियतमा को प्रियतम अपने बाहुपाश में बाँध कर असीम अलौकिक आनंद का अनुभव कराता है।

पेड़ो की परछाईया लम्बी हो चली थी जो बता रहा था कि सूरज जल्द हे ढलने वाला है पर फिर भी अभी सूरज छिपने में काफी समय था। दीप्ति फूलो का सोलह शृंगार किए फूलों की सेज पर लाज से सिमटी बैठी मेरी प्रतीक्षा कर रही थी। भीनी-भीनी मोगरे, गुलाब और चमेली की सुगंध फैली हुई थी।

उसे फूलो में सजी हुई देख मुहे अनायास कालिदास और दुष्यंत की शकुंतला याद आ गयी। मुझे लगा ये जंगल की सुंदर कन्या जो कालिदास द्वारा वर्णित शकुंतला जैसी ही सुंदर है और इस शकुंतला के निर्दोष स्वरुप का उपभोग करने वाला कोई भाग्य शाली ही होगा। इसका निष्कलंक रूप और सौन्दर्य जो अभी तक किसी के भी द्वारा न सूघा गया फूल हे, जिसके रस को नहीं चखा गया है अक्षत रत्न हे, ताजा शहद है, ऐसा लगता है वह विधाता की अलोकिक रचना है। विधाता ने सर्वश्रेष्ठ सुन्दरी का चित्र बनाकर उसमे प्राणसञ्चार किया है।   दीप्ति विधाता की मानसिक सृष्टि है तभी तो उसका लावण्य इतना देदीप्यमान है। हाथ से बनाने में ऐसी अनुपम सृष्टि नहीं बन सकती।



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दीप्ति ने पता नहीं कब अपने थैले से छोटी-सी चुनरी निकाल कर सर पर घूंघट बना कर बैठ गयी थी। सेज पर से शिरीष के फूल लटका कर उन्हें कानो में कर्णफूल की तरह पहन लिया था। सेज की बगल में कुछ फल और फूल मालाएँ रखी हुई थे। दीप्ति की आँखें एक नए रोमांच, कौतुक और भय से बंद होती जा रही थी। पता नहीं अब मैं उसके साथ कैसे और क्या-क्या करूँगा ऐसा विचार आते ही दीप्ति थोड़ा और सिकुड़ गई।

वैसे तो जैसा उसका उन्मुक्त स्वभाव था उसका अब का रोमांच, कौतुक, उत्सुकता, भय और घबराहट वाला आचरण उसके स्वाभाव से बिलकुल उल्ट था। शायद जब भी उसने पहले मिलन के बारे में उसकी किसी सहेली, बहन या फिर भाभी इत्यादि से पुछा होगा की पहले मिलन में क्या होता है? तो जैसे अधिकतर महिलाये या लड़किया जो सम्भोग कर चुकी होती हैं उन्ही में से किसी ने उसे बताया होगा की अगर किसी आदमी से पूछा जाए कि तुम जंगल में अकेली हो और तुम्हारे सामने कोई खूंखार जानवर आ जाये तो तुम क्या करोगी? तो उसे यही जवाब मिला होगा मैं क्या करूँगी, जो करेगा वोह जानवर ही करेगा। लड़किया और औरतो आमतौर पर यही कहती है पहले मिलन या सुहागरात में भी ऐसा ही कुछ होता है। जो भी करना होता है वह पुरुष ही करता है लड़कियों को तो बस अपनी टांगें चौड़ी करनी होती हैं! '

या किसी समझदार  सहेली, बहन या फिर भाभी ने ये बता दिया होगा पहला मिलन जीवन में एक बार होता है ज्यादा ना-नुकर ना करना।  वह जैसा करे करने देना, थोड़ा बहुत दर्द होगा और खून खराबा भी होगा, घबराना मत कुछ देर में दर्द चला जाएगा और खून बहना रुक जाएगा और फिर आगे मजा मिलेगा।

मैंने उसकी घबराहट देख मन बना लिया कि मैं इस मिलन को मधुर और अविस्मरणीय बंनने की पूरी कोशिश करूँगा। मैं उसके पास बैठ गया और एक ताज़ा गुलाब का फूल उठा कर बोला तुम किसी भी गुलाब कमल या ने फूल से बहुत अधिक सुन्दर और प्यारी हो, मैं तुम पर मोहित हो गया हूँ और तुम्हें प्रेम करने लगा हूँ।

फिर मैंने अपनी अंगूठी निकाली और उसे बोला आपके लिए एक छोटा-सा उपहार है! '

दीप्ति ने धीरे से अपना सर ऊपर किया और उस अंगूठी को देखा और अपना हाथ मेरी और बढ़ा दिया। मैंने हाथ पकड़ा। उसके हाथ को पकड़ते ही हम दोनों की उंगलिया कांपने लगी, उसका हाथ तो मैंने बीच बाज़ार में और तालाब में तैरते हुए कई बार पकड़ा था पर अब जो रोमांच हुआ वह कुछ अलग ही था और मैंने कंपते हाथो से उसकी लरजते हुई ऊँगली में अंगूठी पहना दी।

मैंने हाथ नहीं छोड़ा और एक फूल माला को उठा कर उसके हाथ में धीरे-धीरे गज़रा बाँधने लगा और फिर उसकी दोनों बाजुओं पर गज़रे बाँध दिए।


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तभी कहैं से आवाज आयी दीप्ति औ दीप्ति, दी औ दी कहाँ हो तुम माँ बुला रही है और उसके बाद दीप्ति बोली मुझे मेरी छोटी बहन पुकार रही है और बोली आ रही हूँ ... वह उठी अपना थैला उठाया और अपने वस्त्र संभाले और जल्दी से पहने तो मैंने हाथ पकड़ कर रोकने की कोशिश की तो वह हाथ छुड़ा कर भाग गयी और मैं रुको तो बोलते हुए पीछे-पीछे भागा तोमुझे पीछे आता देख बोली आप रुको!

मैंने पुछा तो कब और कहाँ मिलोगी

वो कुछ नहीं बोली बस भाग गयी।

और मैं खड़ा हुआ उसे घने वृक्षों के झुण्ड में ओझल होता देखता रहा और मुझे लगा रोजी मुझे पुकार रही है कुमार-कुमार । तभी मेरी आँख खुली और मैंने देखा मैं अपने कक्ष में था और थकान से आँख लग गयी थी और कोई सपना देख रहा था ।

मैं यात्रा के बाद दोपहर का भोजन करने के बाद आराम करने के लिए लेटा था और वही कपडे पहने हुए थे.  वो अंगूठी जो मैंने दीप्ति को पहना दी थी वो मेरे हाथ में ही थी  और मेरी आँख लग गयी थी । मैं मुस्कुराया ।

रोजी मेरे पास खड़ी  बोल रही थी भाई महाराज ने आपको बुलाया  है त्यार हो कर जल्दी से चलिए ।  

कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार
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पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे


VOLUME II

विवाह

CHAPTER-1

PART 58

 वीर्यदान के लिए संकल्प



मैं त्यार हो कर भाई महाराज के पास गया तो वहाँ पर मेरी माँ, पिताजी और भाई महाराज और राजमाता के साथ हमारे कुलगुरु भी थे और वह बोले हमे दादागुरु महर्षि अमर मुनि जी के पास जा कर उनसे विवाह से पहले आशिर्बाद लेना है।

फिर हम सब दादागुरु महर्षि अमर मुनि जी के पास गए, उन्हें प्रणाम कर उनसे आशीर्वाद लिया और उन्होंने कहा अब कुमार (मुझे) गर्भादाब के लिए संकल्प लेना होगा और इसीलिए नयी रानी जिसके साथ भाई महाराज का विवाह हो रहा है उसका गर्भदान मेरे साथ होगा अन्यथा ये गर्भदान निष्फल रहेगा।

मेरी माँ को विश्वास नहीं हो रहा था कि महृषि ये क्या कह रही हैं। ये बात मेरी माता जी को अभी तक बताई नहीं गयी थी उन्होंने पिताजी की और देखा तो उन्होंने शांत रहने का संकेत दिया तो मात जी चुप रही। फिर कुल गुरु ने विधिवत मुझसे गर्भादाब के लिए संकल्प करवाया और फिर बोला की अब गर्भदान का कार्य पूजा समझ कर आरम्भ करूँ और शुद्ध ह्रदय से अपने कर्तव्य का निर्वाहन करने से ये कार्य पवित्र रहेगा और उत्तम फल प्रदान करेगा l

उसके बाद जब हम वापिस आ गए तो मेरी माँ राज माता के पास गयी और बोली राजमाता जी ये कार्य कैसे होगा तो राजमाता ने मेरी माँ को गार्वधन की ने पूरी विधि और नियम विस्तार से समझाये। इन्हीं नियमो का पालन महाराज को, मेरे को उनकी सभी रानियों को और उस राजकुमारी को भी करना होगा जिससे महाराज का विवाह होना हैं।

और फिर राजमाता बोली देवरानी मुझे पता था कि मेरा बेटा नपुंसक था। फिर भी मैंने उसके कई विवाह करवाए और हर तरह का इलाज करवाया और जूनियर रानियों को भी चोदने की अनुमति दी ताकि शायद कोई चमत्कार हो जाए. लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ। वंश आगे बढ़ाने के लिए संतान आवश्यक है तो फिर कुलगुरु ने गर्भाधान का उपाय सुझाया। मैंने निश्चय किया की कोई ऐसा व्यक्ति गर्भादान करेगा जिसके खून में शाही वंश का अंश हो। वह विश्वसनीय और सक्षम होना चाहिए और फिर परिवार की वंशवली का निरीक्षण करने से देवर जी, देवरानी आपका और कुमार के बारे में पता चला। देवर जी और आप तो वस्तुता परिवार के ही हैं और आपका युवा बेटा इस के लिए बिलकुल सही विकल्प है। मैंने गुप्तचरों की मदद से आप सबका पता लगवाया और पता चला तुम्हारा पुत्र दीपक लंबा है, सुन्दर है, बुद्धिमान है उसके कंधे चौड़े हैं और मजबूत माँसपेशियाँ है। वह राजसी नियंत्रण के साथ समझदारी भरी बाते करता है और दादागुरु महर्षि अमर मुनि जी के आशीर्वाद से इस प्रयोग द्वारा उत्तम संताने प्राप्त होंगी।

तो मेरी माँ बोली बिलकुल ठीक है उसे देख कर मुझे भी गर्व की अनुभूति होती है।

राजमाता बोली यह आसान नहीं होने वाला था। महारानी और कुमार दोनों को इस बात के लिए सहमत करना पड़ा। भाई महाराज की पहली रानी एक शक्तिशाली सहयोगी और राजनेता की बेटी थी; अगर वह मना करती तो कुछ भी नहीं किया जा सकता था और अगर कुमार ने (आपके पुत्र) ने अपने अपके भाई की पत्नी के संग सोने से इन्कार कर दिया तो कैसे होगा। इसलिए मैंने कुलगुरु की सलाह से दादागुरु की मदद ली, जिन्हे मना करने की हिम्मत किसी ने नहीं की।

फिर राजमाता ने मेरी माँ से कहा कि दादागुरु के निर्देशानुसार यह विवाह संपन्न हो रहा है और रानी के साथ पहले सम्भोग के लिए तीसरी रात को एक शुभ समय चुना गया है।

मेरी माँ ने कहा कि वह यह सुनिश्चित करने के लिए व्यक्तिगत रूप से निगरानी करेंगी कि यह काम सीमा के भीतर रहे। वह भावनाओं और यौन अन्वेषण की कोई जटिलता नहीं चाहती थी। मेरी अभी तक शादी नहीं हुई थी और वह चाहती थी कि गर्भाधान चिकित्सकीय रूप से संभाला जाए।


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मेरी माँ ने कहा कि इस काम में अंतरंगता या सुस्ती के लिए कोई जगह नहीं थी। उनकी उपस्थिति यही सुनिश्चित करेगी।

मेरी माँ राजमाता से बोली मैं ये सुनिश्चित करूंगी कि मैं वह चोदने के दौरान न तो स्‍तन चूसेगा, न कोई दुलार होगा, न कोई चुम्बन होगा बीएस बाद केवल गर्भाधान किया जाएगा।

राजमाता बोली देवरानी ये कैसे होगा? मैं ये सोच नहीं सकती की बिना छुए, महसूस किए, चूमे और प्यार किए बिना ये काम कैसे होगा?

राजमाता सोच रही थी वह स्वयं अपने अंतिम चालीसवें वर्ष में थी और उसके पति महाराज की असामयिक मृत्यु ने उसकी इच्छाओं अधूरी रह गयी थी। रात में खाली बिस्तर में वह अपने पति को याद करती रहती थी लेकिन राज्य में राजमाता की उच्च स्थिति के कारण राजमाता ने वह खुद को सदैव ही विवेक से संचालित किया था।

मेरी माँ ने कहा कि मैं अपने बेटे से कहूंगी कि वह इसे विशेष अवसर के रूप में मत ले। ये एक कार्य है जो उसे करना। और अपने सारे अरमान और योजनाओं क को पूरे करने के लिए अपने वास्तविक विवाह के बाद अपनी सुहाग रात का इन्तजार करे जो की अब बहुत दूर नहीं है ।

मेरी माँ राजमाता की प्रतिक्रिया देखने के लिए इंतजार कर रही थीं और सोच रही थी वह प्रतिक्रिया में क्या कहेंगी।

कुछ देर के लिए सन्नाटा छा गया।

बेशक, उसे स्नान करने और उसके साथ इस मिलन के लिए विशेष रूप से तैयार होने की आवश्यकता है। मुझे पता है कि वह जानता है कि एक महिला को कैसे चोदना है, आखिरकार वह एक डॉक्टर है।



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माता जी बोली राजमाता मैं कुमार से कहूँगी कि तुम महारानी को जब चोदोगे तो इस तरह से चोदोगे जैसे हस्तमैथुन करते हैं । तुम इस नयी रानी को जब चोदोगे जब यही महसूस करना कि तुममें वैसी ही अनुभूति हो रही है जैसी हस्तमैथुन करते समय अनुभव होता है। जब आप अपने चरम पर पहुँचोगे, तो आप और भी तेजी और जोर से चुदाई करोगे । इस गर्भधान की प्रक्रिया को लंबी करने के लिए आपका धीमा नहीं होना है आप जोर से चुदाई करते हुए आप कामोन्माद में स्खलन कर वीर्य उत्सर्जन करेंगे और अपने बीज को आगे बढ़ाएंगे और जब आप वीर्य उत्सर्जन करेंगे तो आप खुद को उसके अंदर गहरे तक समाए रखेंगे। प्रत्येक उत्सर्जन में आपको को उसके गर्भ में छिड़काव करना है। उत्सर्जन के बीच वापस आप लिंग को खींच लें, ताकि आप अधिक से अधिक बीज निकाल सकें।

इस तरह से कुमार व रनिया आपस में कोई भी शरीरीक या भावनात्मनक जुड़ाव या आकर्षण महसूस नहीं करेंगे राजमाता मुझे आशा है कि आप समझ रही हैं? "


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तभी उस कमरे में पिताजी, भाई महाराज और मैंने प्रवेश किया । तो मैंने और भाई महाराज ने माताओ को प्रणम्म किया और पिताजी ने राजमाता को प्रणाम किया ।

तो माताजी ने पिताजी और मुझ से कहा की आपने मुझे ये राज की बात पहले क्यों नहीं बतायी तो पिताजी बोले महृषि ने इस प्रस्ताव के चर्चा किसी से भी करने के लिए निषेद किया था और जब मैंने आपके लिए आज्ञा मांगी थी की आपको तो बताना हो पड़ेगा तो उन्होंने आज्ञा दी थी की वह समय आने पर स्वयं बता देंगे। इसलिए आप बिलकुल नाराज ना हो इसे छुपाने का हमारा कोई इरादा नहीं था ।

फिर महराज बोले काकी (चाची) जी आपको उस पौराणिक कथा का पता ही है जिसमे राजा निस्संतान ही असमय स्वर्ग सिधार गया तो राजमाता ने अपने विवाह पूर्व पुत्र जो की एक महर्षि थे उनके पास अपने पुत्रवधुओं को गर्भधान के लिए भेजा । गर्भधान की दौरान बड़ी रानी ने भय से आँखे बंद कर ली और इस युति से जो पुत्र उत्पन्न हुआ वह नेत्रहीन था फिर दूसरी रानी को भेजा गया तो वह डर-सी पीली हो गयी इस कारण जो पुत्र हुआ वह भी रोगी हुआ । तीसरे बार बड़ी रानी ने अपनी जगह दासी को भेज दिया और उसने पूरा आंनद लेते हुए गर्भधान करवाया तो स्वस्थ पुत्र उत्पन्न हुआ । फिर दासी पुत्र को तो राजभार नहीं दिया जा सकता था इसी कारण फिर उस परिवार में आगे जाकर एक भयंकर महायुद्ध हुआ। हम चाहते हैं ऐसा कुछ हमारे परिवार में न हो हमारे परिवार में आगे जो भी वंशज हो वह सभी स्वस्थ हो । इसलिए हमने अपनी वरिष्ठ रानी, नयो होने वाली दुल्हन औरतीन अन्य रानिया कुल मिला कर पांचो रानियों और आपके पुत्र कुमार दीपक सबसे सहमति ले ली है ।

गर्भधान के नियम के अनुसार गर्भधान के लिए पति का छोटे भाई, या चचेरे भाई अपने बड़ों की अनुमति से संतान को पाने के उद्देश्य से अपने बड़े भाई की निःसंतान पत्नी के पास जा सकता है, परिवार में एक पुत्र और एक उत्तराधिकारी पैदा करने के लिए बहनोई या चचेरे भाई या एक ही गोत्र के व्यक्ति गर्भ धारण करने तक उस निस्संतान पुरुष की पत्नी के साथ संभोग भी कर सकते हैं। इस लिए कुमार मेरी प्रत्येक रानी के साथ तब तक सम्भोग करेगा जब तक वह गर्भवती न हो जाए ।

आप बिलकुल चिंता मत करे प्रभु की कृपा से और महृषि के आशीर्वाद से सब कुशल होगा और हमारे ये मनोरथ अवश्य पूरा होगा । अब कुमार को गर्भादान के मुहूर्त तक ब्रह्मचर्य का पालन करना होगा ।

वैसे तो भाई महाराज के स्वसुर और मेरे होने वाले ससुर घनिष्ठ मित्र थे परन्तु चुकी मेरा विवाह राजकुमारी ज्योस्ना के साथ भाई महाराज के विवाह के एक सप्ताह के बाद ही होना था इसलिए वह लोग विवाह की तयारियो में व्यस्त थे इस कारण से भाई महाराज के विवाह में उनके परिवार से कोई भी सम्मिलित नहीं हुआ । उनके राज्य के महामंत्री क्षमा याचना के साथ उपस्थित हुए थे और उनके साथ मेरे विवाह के कार्यक्रम पर भाई महाराज, राजमाता, पिताजी और माताजी की परस्पर चर्चा हुई थी ।

तो फिर नियत समय पर महाराज का विवाह हो गया और फिर सबने एक बार फिर महर्षि से आशीर्वाद लिया और हम दुल्हन की डोली को लेकर भाई महाराज की राजधानी में लौट आये ।

भाई महाराज  के विवाह के साथ उनके विवाह  से पहले वाला अध्याय यहीं समाप्त होता है  अब  इसी क्रम में दूसरा अध्याय होगा  "नयी  भाभी की सुहागरात "


कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार
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मेरे अंतरंग हमसफ़र


सातवा अध्याय

लंदन का प्यार का मंदिर

भाग 53

मंदिर में दीक्षा के दौरान माहौल  का प्रभाव


 ब्रैडी के पिता महाराज कैमरून के एक प्रांत के राजा थे  और आज के  मंदिर के कार्यक्रम के मुख्या अतिथि भी थे और   मेजबान भी थे क्योंकि उनकी बेटी पर्पल  भी दीक्षा के बाद आज ही मदिर की  महाजक बनने वाली थी .  उनकी अनेको रानियों में से दो जिनमे से एक पर्पल की माँ मरीन भी वहां उपस्थित थी, रानी मरीन मंदिर के  ही अनुयायी और महाराज से विवाह के  पूर्व मंदिर में ही  प्रशिक्षित की गयी थी और साथ में  महाराज की लगभग बीस रखैले , सेवक, और  शाही सरकार में कुछ अन्य अधिकारियों से घिरे हुए थे।




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जब महाराज  ने मंदिर के हॉल में प्रवेश किया तो उन्होंने एक साधारण, लेकिन शानदार, लाल वस्त्र पहन रखा था। उनके साथ उनकी  दो रानीया  मरीन और लिन्या, प्रत्येक ने हीरे और दुर्लभ रत्नों से जड़ी  ब्रा और पैंटी सेट के अलावा कुछ नहीं पहना था। सभी रखैलें ब्रा, जाँघिया और गहनों के अलावा कुछ भी नहीं पहने हुई थी , जो की  प्रत्येक बेहतरीन रेशम, हीरे या रत्नों से बना था। मरीन और लिन्या और प्रत्येक उपपत्नी सुंदर और कामुक थीं, उनके शरीर  चमक रहे थे ।

जब महाराज वहां बैठे तो  उनका पूरा दल - रानियाँ, रखैले , वे सभी - उनके पीछे झुक गए। उन्होंने  कुछ मिनटों के लिए मंदिर के प्रांगण और इकट्ठी भीड़ का सर्वेक्षण  किया ।



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महाराज सुंदर थे , उनका शरीर मजबूब और  मांसल था , हालांकि बहुत अधिक मांसल नहीं था, मध्यम आयु के थे  और उसके साथ उनका  युवा बेटा ब्रैडी और  दोनों रानियाँ  बैठी । महायाजक फ्लेविया ने राजा और ब्रैडी के  लबादे में हल्का सा उभार देखा। फ्लाविया को महायाजक पायतघिया ने महाराज  की सेवा की निगरानी के लिए नामित किया था ताकि जिस समय मुझे पायथिया द्वारा सशक्त बनाया जा रहा था, तो अनुचरों द्वारा उनकी ठीक से सेवा की जाए।

बाकी  सभी  सुंदर और सेक्सी   मुख्य पुजारिने क्सेनु, फ्लाविआ, पेन्सी,  रेगिया,  आईरिस, ओलिविया,  अमलाथिया,  कारा , सिंथिया , दोना और रूना  पुजारिने  कामुक हो गयी थी  ।  और मंदिर में मौजूद अन्य पुरुषो वरीन और ब्रैडी के इर्द गिर्द उन्होंने घेरा डाल दिया था.  सब उचच  पुजारिणो ने ब्रैडी और वारेन  के सामने एक दुसरे को चूमना और सहलाना शुरू कर दिया था और वारेन अपने सामने  वाली उचच पुजारिन के स्तन और नितम्ब दबा रहा था  और  सामूहिक तौर पर सभी एक दूर के साथ यौन खिलवाड़  कर रहे थे. 


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लेकिन जब मैं जीवा को दीक्षा दे रहा था उस समय पाईथिया  सुनिश्चित कर रही थी की साड़ी व्यवस्थाएं सुचारु रूप से चले , साथ ही साथ वो मुझे  और जीवा  को भी सेक्स करते हुए ध्यान से देख रही थी, साथ ही साथ राजा की सेवा की निगरानी भी कर रही थी और इस तरह वह राजा और ने मेहमानो औरमंदिर की अनुचरों को भी देखती रही ताकि अनुचरों द्वारा सब महमानो की  ठीक से सेवा की जा सके।  उसका बार बार महाराज  पर नज़र न डालना मुश्किल था। लेकिन शाही परम्परा  के एक भाग के रूप में  महाराज की  सेवा  केवल उनकी रखैलो  द्वारा सेवा की जा रही थी, न कि मंदिर के अनुचरों और नौकरानियों के द्वारा . अनुचर और  परिचारिकायें बाकी मेहमानों की देखभाल कर रही थी , और गिनती की,  दस राखेले उसके पीछे पंक्तिबद्ध थीं। रखैलें किसी और की नहीं बल्कि केवल महाराज की  सेवा कर रही थी । हालाँकि, मंदिर के अनुचर और परिचारिकायें  सेवा में रखेलो  की सहायता कर रही थी । सब सुचारु हो लग रहा था . 



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जब  मेरे लंड ने जीवा की  योनि को स्पर्श किया तो उसकी कराहे माहौल को गर्म बना रही थी और अब इसे नज़रअंदाज करना उतना ही मुश्किल था कि इस समय तक महराजा का पुत्र, उनकी दोनों रानिया और राखेले  सभी पूरी तरह से नग्न हो चुके थे। उनकी सर्वोच्चता ने एक ऐसा लबादा पहना था जो सामने से ढीला दिखाई दे रहा था। उसने रखेलो  के स्तनों को प्यार किया और उनके नितंबों को पकड़ लिया और इस बात को छिपाने का कोई प्रयास नहीं किया, ज बकि बाकी मेहमानों ने इसे अनदेखा करने की पूरी कोशिश की। उसने यह भी देखा कि राखेले  उसकी सेवा करते समय उनके  धन्यवाद देते हुए दिखाई  दे रही थी जबकि अन्य मेहमान परिचारिकाओं को धन्यवाद दे रहे थे ।

 जब हम चुदाई कर रहे थे और बीच-बीच में  महाराज  सीधे पायथिया को घूर रहे थे हालाँकि ज्यादातर समय वो  मुझे और जीवा को गौर से देख  रहे  थे ।  मैंने उसने और  ब्रैडी को मेरी तरफ इशारा करते हुए कुछ कानाफूसी करते हुए भी देखा .  ऐसा करते हुए, महाराज ने अपनी  निशिया  नामक  रखेल जो सबसे सुंदर और युवा लग रही थी , के बड़े स्तनों में से एक को सहलाया,  ब्रैडी की बात सुनकर राजा के  चेहरे पर हलकी मुस्कान आ गई। पायथिया ने यह दिखावा करने की कोशिश की कि उसने यह नहीं देखा, लेकिन अपनी आंख के कोने से वो राजा को ही  देखती रही।



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फिर  सीधे पायथिया को घूरते हुए, महाराज ने  निशिया की छाती को जोर से निचोड़ा और वह मजे से कराह उठी। फिर महाराज ने अपना हाथ  निशिया के सिर पर रखा और उसे नीचे निर्देशित किया। निशिया ने घुटने टेक दिए और महाराज  का लंड मुँह  में लिया आओर फिर पूरा निगल लिया। महाराज  ने उसके सिर को और नीचे अपने लंड पर निर्देशित किया और उसने थोड़ा सा गला घोंट दिया और पाईथिया को  देख आकर  मुस्कुरा दिए । अब महाराज पूरे समय  महायाजक पायथिया को  ही घूर रहे थे ।

बाकी सभी महायाजक , मेहमान स्पष्ट रूप से जानते थे  थी कि क्या हो रहा है, लेकिन उन्होंने इसे अनदेखा करने की पूरी कोशिश की। महाराज ने  एक और उपपत्नी दिनिया  की गांड पकड़ ली, जबकि उन्होंने अपनी  रानीयो  मरीन और लीनिया के स्तनों को प्यार किया। महाराज हालाँकि सेक्स के कार्यकलाप  अपनी ीानियो और रखेलों के साथ कर रहे थे  लेकिन देख पाईथिया की तरफ रहे थे . जब उन्होंने पाईथिया को उधर देखते हुए देखा तो वो मुस्काये  और  फिर से पायथिया को देखा, लेकिन फिर दूर हमारी चुदाई देखने लगे । निशिया ने  इस बीच लंड चूसते हुए  जो कर्कश और गड़गड़ाहट का शोर किया - वह अनिवार्य रूप से इस बीचमाहराज का लंड  नॉनस्टॉप गहरा चूस रही थी  - मंदिर  में हो रही बातचीत के शोर के पीछे सुना निशिया  की  कराहो को स्पष्ट सुना जा सकता था।




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पायथिया अपनी आंख के कोने से  महाराज को  देखती रही, लेकिन ऐसा  दिखाया  उसने  उन पर ध्यान नहीं दिया। महाराज ने  निशिया को उसके घुटनों के बल नीचे देखा, संतोष की सांस ली और दूरी  पर हमे देखने लगे । उन्होंने  भोजन का एक छोटा सा टुकड़ा लिया, और एक और उपपत्नी को बुलाया, ऐसा लगता है कि इसके बारे में कुछ कहना है। जैसे ही वो रखेल जाने लगी  महाराज ने उसके स्तनों को भी सहलाया, और पायथिया ने उसे खुशी से चिल्लाते हुए सुना। उन्होंने  निशिया के सिर पर हाथ रखा और वापस बैठ गए । जैसे निशिया का उनके  लंड  चूसते हुए दम घुटा, वैसे ही महाराज के शरीर पर खुशी छा गई।

पायथिया राजा के प्रति आकर्षित  हो गयी थी . पर्पल की माँ मरीन भी ऐसे ही जब वो प्रशिक्षु और मंदिर की नउयायी और उपासक  थी और एक दिन जब  राजा मंदिर में आये थे तो उनके प्रति आकर्षित हो गयी थी . महाराज उस समय युवा थे और  उनकी पवित्र उपस्थिति - उनके और बाकी सभी के बीच भारी शक्ति  का अंतर अपरिहार्य आकर्षण था । उस समय  महाराजा बहूत बनके जवान और सेक्सी थे और पर्पल की माँ युवा और  कुंवारी थी और प्रशिक्षण पूरा होने पर उसे भी मंदिर  की उचच पुजारिन बनाया जाना तय था .  और राजा ने तब मरीन के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा था तो मरीन इस दुविस्धा में थी वो  प्रस्ताव स्वीकार करते समय हिचकिचा रही थी  और  जब राजा ने मदिर की उस समय की प्रधान  पुजारिन से इस मसले पर बात की तो उन्हों इस  शर्त पर अनुमति दे दी थी की मरीन की गर पुत्री होगी तो उसे मदिर में उच्च पुजारिन बनना होगा . इस बात पर महाराज और मरीन दोनों मान गए थे और उनका विवाह हो गया था . अब आज उनकी पुत्री का मंदिर में  महायाजक के तौर पर दीक्षा का दिन था . 


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 पाईथिया ने जब निशिया के कराहे सुनी तो मुझे ताज ताजा चुदाई के बाद   पायथिया  कामुक तो थी ही   और उसकी चूत कुछ थरथराने लगी। उसने सोचा कि महाराज  को प्रसन्न करना कैसा लगेगा । उसने सुना था कि महाराज की  कई रखैलें कुलीन वर्ग से  थीं, कुछ रानिया  मंदिर की  सेविकाओं में से चुनी गयी थी और महाराज   समय समय पर सौंदर्य प्रतियोगिताएं आयोजित करवाते थे और  सुन्दरिया चुनते रहते थे , पायथिया ने खुद कभी वो  नहीं किया था जो निशिया यहाँ सबके सामने कर रही थी,  बेशक उसने मेरे साथ और  अपनी दीक्षा के समय वारेन के साथ चुदाई की थी   लेकिन  इस प्रकार मुख मैथुन यह मंदिर संस्कृति में काफी वर्जित था। इसके बारे में सोचकर दोनों ने उसे समान रूप से आकर्षित और विकर्षित किया -  यह कुछ ऐसा था जो सामान्य वेश्याओं द्वारा किया जाता था, लेकिन  मंदिर की  पुजारियों द्वारा  सार्वजनिक तौर  पर उसनेआम तौर पर  ऐसा नहीं देखा था ।  स्खलन के बाद  जरूर रस को चाट कर साफ़ करते हुए उसने कई बार पुजारिणो को देखा है .  फिर भी, आज मंदिर में सर्वोच्च- जन्म वाले लोगों के द्वारा  सबके सामने, खुले तौर परआज इस प्रकार  आनंद लिया जा रहा था। किसी ने भी कोई शिकायत नहीं की। किसी ने कुछ भी नहीं कहा - वास्तव में, यदि अवसर दिया गया तो सभी महिलाएं पुजारिने और  सेविकाएं उसके सामने  ये करने को त्यार हो जाएंगी । उसने इन विचारों से ध्यान हटाने के लिए हमारी और देखा ।




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 तभी उसने जीवा की तेज चीख सुनी मेरे लंड की टक्कर इतनी जोर से लगी की जीवा की चीख निकल गयी थी । कमर ऊपर उठने पूरा लंड चूत में जाकर धंस गया और मैंने बड़ी बेरहमी से लंड को पेला था। मैंने फिर से उसी स्पीड से लंड निकालकर अन्दर डाल दिया।

अब तक मेरा लंड जीवा की योनि में प्रवेश कर चूका था और  मैंने फिर बहुत हल्के-हल्के थोड़ा-सा बाहर निकाल के 'लंड' अंदर बहुत प्यार से घुसेड़ा। और मेरे हाथ उसकी कमर पर ले जाकर कुछ देर धीमे-धीमे करने के बाद, मेरा हाथ रीवा के  सीने पर था  और  मैंने उसके स्तनों को दबा कर  सहलाना चालू कर दिया। । थोड़ी ही देर में उसकी सारी देह काँप रही थी और वह उत्तेजना के चरम शिखर पर पहुँच के शिथिल हो गयी थी .  मैंने फिर से अंदर बाहर ...करना शुरू कर दिया और कस के शॉट मारा तो ।वो सिहर उठी लेकिन अब इसमें सुख और मजा ज़्यादा था। थोड़ी ही देर मेमेरी स्पीड बढ़ गयी अब हम दोनों में से कोई रुकना नहीं चाह रहा था।



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जैसे ही वह ऐसा कर रही थी, उसने फिर से उसकी आँखों को राजा की और देखे हुए पाया । राजा का हाथ निशिया के सिर पर मजबूती से टिका हुआ था, और उसने अपने लंड को निशिया के  गले के पिछले हिस्से में धकेल दिया, जो उसके गले से नहीं उतर रहा था और वो सांस लेने के लिए संघर्ष कर रही थी । राज और उनका लंड  शक्तिशाली लग रहा था, पायथिया ने  मेरे और राजा के लंड की तुलना की और सोचा  किसका बड़ा  है . शयद मेरा बड़ा था ।  लेकिन राजा तो राजा है  उसने अपनी पीठ को थोड़ा झुका लिया, फिर भी राजा सीधे पायथिया को देख रहा था। उनका सारा तनाव निशिया के मुंह और गले में उनके सीधे लंड की ओर निर्देशित था।  कुछ देर वो धक्के मारता रहा और निशिया गोओ गोओ करती रही  फिर राजा  का  शरीर पूरी तरह से शिथिल हो गया था। वह स्खलन  कर रहा था। वह पायथिया को घूरता  हुआ स्खलन कर रहा था , पाईथिया ने महसूस किया कि क्या  चल रहा था और वो  थोड़ा शरमा गयी । राजा के सह ने सीधे उपपत्नी  निशिया के गले में  पिचकारी मार दी, और फिर राजा  बस  पिचकारियां मारता  रहा - उसका संभोग दो मिनट से अधिक समय तक चला (जैसा कि वे सामान्य रूप से करते थे)। राजा का सह निशिया की नाक से बाहर निकल गया, और उसकी ठुड्डी से टपक गया, उसका मुंह और गला उसके विशाल लंड और उसके और भी बड़े पैमाने पर स्खलन  से पूरी तरह से अभिभूत हो गया। निशिया ने  सांस लेने के लिए संघर्ष किया, और राजा के वीर्य को अपने गले और मुँह ने रोकने का प्रयास किया  लेकिन उसके पास कोई विकल्प नहीं था। राजा ने लिनिया के स्तनों को पकड़ लिया और  उसके बाद भी वो पायथिया को घूरते रहे, और फिर निशिया के गले को सहलाते रहे, इस बात को छिपाने का कोई प्रयास नहीं किया।

जैसे ही राजा का संभोग कम हुआ, लंड निशिया के होंठो  से बाहर आ गया , उसकी आँखों में पानी आ गया और उसके फेफड़े हवा के लिए हांफने लगे। उसने इस स्थिति में केवल यही कहा: "धन्यवाद, आपकी सर्वोच्चता।" उसका मतलब हर शब्द से था।


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राजा  लगभग पूरे संभोग के दौरान पायथिया को देखते रहे , और वह ट्रांसफिक्स्ड थी। क्या राजा  वास्तव में उस पूरे समय केवल स्खलन  कर रहे थे ? पाईथिया को  उसका पूरा शरीर फूला हुआ महसूस हो रहा था। उसने वॉशरूम में जा कर हस्तमैथुन करने के लिए खुद को बहाने के बारे में कुछ समय के लिए सोचा, लेकिन फिर ऐसा न करने का फैसला किया ।

दोनों जानते थे कि वे एक दूसरे से क्या चाहते हैं लेकिन एक दूसरे से उन दोनों ने कोई बात नहीं की । बल्कि पाईथिया ने उसी समय मेरे  करहने की आवाजे सुनी और मेरे कराहने की आवाज और तेज हो गयी। उसने देखा मैं जीवा को बेतहाशा चूम रहा था और  अपनी लार और जीभ दोनों उसके मुहँ में उड़ेल  रहा था  और उसके मुहँ की लार को पीने की कोशिश कर रहा था ।  मेरी कराहे सुन पाईथिया समझ गयी अब आगे क्या होने वाला है और उसने तुरंत पर्पल और ग्लोरिया क हाथ पकड़ा और उन्हें उस वेदी के पास ले आयी जहाँ मैं और जीवा सम्भोग कर रहे थे । उसने उन दोनों को एक-एक कटोरा दिया और उसे जीवा की योनि के पास लगा कर उन्हें कहा । इस अद्भुत रस की एक भी बूँद बेकार नहीं जानी चाहिए । सारा रस इस कटोरे में एकत्रित कर लेना ।


कहानी जारी रहेगी
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VOLUME II

नयी  भाभी की सुहागरात

CHAPTER-2

PART 01

ओवुलेशन प्रक्रिया




महाराज के विवाह में मेरी फूफेरी बहने अलका, जेन, लूसी और सिंडी और मेरे फूफेरे भाई टॉम और बॉब भी आये थे जिनके बारे में आप मेरी कहानी मेरे अंतरंग हमसफ़र में पढ़ सकते हैं और फिर महाराज ने एक बैचलर पार्टी का आयोजन किया जिसमे मैं शामिल नहीं हुआ और महाराज ने उन्हें बॉब और टॉम को बताया क्योंकि मेरा विवाह अगले सप्ताह में राजकुमारी ज्योत्स्ना से होना है तो महर्षि ने ब्रह्मचर्य का पालन करने की आज्ञा दी है।


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हाँ एक खास परम्परा जो मेरी माता जी ने करवाई की पंजाब में नयी दुल्हन की गोद में वर के छोटे भाई या फिर भतीजे को बिठाया जाता है और पुत्र की कामना की जाती है । सो राजमाता ने उसके लिए सहमति दी की मुझे ही नयी दुल्हन की गोदी में बिठाया जाए और उसके बदले में मुझे भाभी ने नेग में कुछ आभूषण वस्त्र और मिठाई दी और मुझ से बुलवाया गया की भाभी को पुत्र प्राप्त हो ।

इसके बाद कुछ ख़ास नहीं हुआ मेरे विवाह के लिए रीती रिवाज शुरू कर दिए गए ।

रात्रि के समय भाई महाराज मेरे कक्ष में गुप्त मार्ग से आये और बोले चलो कुमार एक आवश्यक कार्य से आपको मेरे साथ चलना होगा । मैं उनके साथ चला तो वह मुझे राजमाता के पास छोड़ कर चले गए ।


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मैंने राजमाता को प्रणाम किया तो राजमाता ने आशीर्वाद दिया और कुशल क्षेम के बाद उन्होंने मुझ से कहाः की यहाँ जो भी होगा उसे आप गुप्त रखेंगे उन्हों ने पुछा पुत्र क्या आप जानते हैं की स्त्री सबसे ज्यादा कब उर्वर होती है?

तो मैंने कहा राजमाता मैं डॉक्टर हूँ और जानता हूँ स्त्री ओवुलेशन यानी अंडोत्सर्ग (जब स्त्री के अंडाशय से एक अंडा निकलता है) के समय सबसे अधिक उर्वर होती हैं, ओवुलेशन महीने का वह समय होता है (12 से 24 घंटे) जब अंडे वीर्य या स्पर्म के साथ मिलने को तैयार होता है। इसमें अंडे अन्डकोशों से मासिक ऋतुचक्र के समय निकलते हैं।

उसके बाद मैं ये भूल गया की मैं राजमाता और ताईजी से बात कर रहा हूँ बस उनके आगे अपनी डॉक्टरी झाड़ने लगा ।

ओवुलेशन आमतौर पर अगली माहवारी शुरू होने से 12 से 14 दिन पहले होता है। यह महीने का वह समय होता है जब सम्भोग करने पर स्त्री के गर्भवती होने की सबसे अधिक संभावना होती है।

चक्र के शुरू में ग्रीवा यानी (योनी और गर्भाशय के बीच का रास्ता) थोड़ी सख्त, नीची और बंद होती है। लेकिन ओवुलेशन की शुरुवात होते ही यह खुल जाती है और मुलायम हो जाती है ताकि वह स्पर्म को अपने अन्दर समेट सके। पीरियड के खत्म होने के बाद वह जगह फिर से सख्त हो जाती है।



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ओवुलेशन प्रक्रिया के दौरान सेक्स की इच्छा बढ़ जाती है। इस दौरान फर्टाइल फेज होता है जिसके कारण यौन सम्बंध बनाने की प्रबल इच्छा होती है।

तो राजमाता बोली पुत्र बहुत बढ़िया । नयी रानी का उर्वर समय अब से तीसरे दिन शुरू होगा और इसीलिए सुहागरात का समय तीसरी रात के लिए निश्चित किया गया है और इस के लिए महाराज और दादागुरु से आज्ञा ले ली गयी है ।

फिर उन्होने मुझे बताया की मुझे यहाँ इसलिए बुलाया गया है कि मुझे भाई महाराज की नयी रानी के साथ और अन्य रानियों के साथ सम्भोग कर उन्हें वीर्यदान दे कर गर्भवती करना है । तो मैने कहा राजमाता मुझे ये ज्ञात है। राजमाता बोली और ये सुनिश्चित करने के लिए वह इस पूरी प्रक्रिया की स्वयं निगरानी करेंगी कि यह कार्य की सीमा के भीतर रहे और ये सुनिश्चित हो जाए की रानी गर्भवती हो जाए.

मैं चौंक गया। चौंक गए इसलिए कि राजमाता ने मुझे महारानी को चोदने के लिए कहा था। मैं अपनी माँ से भी बड़ी राजमाता से ऐसी बात सुनने की उपेक्षा नहीं कर रहा था ।

उन्होंने मुझे रानियों को न सिर्फ चोदने के लिए कहा बल्कि यह स्पष्ट बताया की मुझे स्तन चूसने, दुलारने, चुंबन और चुदाई सहित सब कुछ करना है ताकि रानी इस सम्भोग का पूरा आनंद उठाये और एक स्वस्थ बच्चा पैदा करे।

मुझे नहीं लगता था कि राजमाता मेरे साथ उन शब्दों का इस्तेमाल करेगी जो उन्होंने मेरे साथ इस बारे में बात करते हुए इस्तेमाल किए थे। मैंने सिर्फ यही कहा । जैसी आपकी आज्ञा राजमाता! इस कार्य के सफलता पूर्वक संपन्न होने की निगरानी के लिए आप मेरी साहिकाओ रोजी और रूबी की सहायता ले सकती हैं वह दोनों भी इस कार्य के लिए प्रशिक्षित और विश्वासपात्र हैं ।

" मैं तुमसे यह इसलिए कह रही हूँ पुत्र क्योंकि आप एक कुंवारे हो सकते हो और संभव है आपने अभी तक एक महिला के साथ संसर्ग अनुभव नहीं किया होगा। लेकिन आप रानीयो को एक भाभी समझ कर नहीं चोदोगे बल्कि अपनी प्रेमिका या पत्नी समँझ कर उसके साथ उसे गर्भवती करने के इरादे से सम्भोग करोगे और उसके साथ तब तक रहोगे और सम्भोग करोगे जब तक उसके गर्भवती होने ही पुष्टि नहीं हो जाती। पुत्र आपको याद रखना है हम एक स्वस्थ वारिस चाहते हैं! मेरी आँखों में देखते हुए, महारानी ने मुझे निर्देश दिया।


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बार-बार रानियों को चोदने के राजमाता के आखिरी निर्देश को सुनकर मेरा लंड उग्र हुआ। मैं जब ममहाराज के साथ आया तो मैंने केवल पायजामा कुरता पहना हुआ था और नीचे कोई अंडरवियर नहीं पहना हुआ था इस कारण मेरे कैजुअल कपड़े जो मैंने उस समय पहने थे, वे मेरे इरेक्शन को किसी भी सीमा तक नहीं छुपा पाए और मेरे पायजामे में तम्बू तन गया और राजमाता ने इसे देख भी लिया। मैं उस समय शर्मसार हो गया ।

तो राजमाता मुझे शरमाते हुए देख बोली इसमें शर्म को कोई बात नहीं है पुत्र ये तो ख़ुशी और गर्व की बात है की तुम युवा और उत्तेजित हो गए हो और इस राजकार्य के लिए अपनी सेवाएँ देने के लिए ततपर हो ।

मेरे मन को वह अवसर याद आ गया जब मैंने नयी रानी के सीने को गर्व और भरा हुआ देखा था। मैंने सोचा कि जिन स्तनों ने उसकी छाती को इतना भरा हुआ बना दिया है, उन्हें बड़े और भव्य होना चाहिए। नई रानी के स्तनों का स्मरण करते ही मेरा लंड फड़क गया।

राजमाता मेरे पास आयी और मेरे कंधो पर हाथ रखा और बोली "पुत्र, तुम इस कार्य के लिए बिलकुल योग्य हो, राजवंश के हो, युवा हो। मैं तुमसे कुछ ऐसा करने के लिए नहीं कहूंगी जो राष्ट्रीय और पारिवारिक महत्त्व का नहीं हो। मैं अपने परिवार के बाहर किसी को भी ऐसा करने के लिए नहीं कह सकती। आपको याद रखना चाहिए यदि आप नहीं तो किसी न किसी को तो रानियों को गर्भवती करना है और फिर यही आपके भाई महाराज और दादा गुरु की भी आज्ञा है?" राजमाता ने तर्क दिया।

मैंने राजमाता की तरफ देखा। उसकी आँखें बड़ी, सुंदर और दयालुता से भरी थीं। मैंने सोचा मैं इन्हे ना कह ही नहीं सकता । यद्यपि मैंने नई रानी का चेहरा नहीं देखा था और उसका नाम भी नहीं जानता था, लेकिन उसकी सुंदर गोरी त्वचा और बड़ी छाती की छोटी-छोटी झलकियाँ जो मैंने देखि थी, उनसे मुझे आभास था कि वह बहुत सुंदर राजकुमारी है और मुहे मालूम था मुझे उन्हें चोदना है और मैं नहीं चाहता था कि कोई और इस नई रानी को छूए। साथ में मेरे मन में बाकी सब से ऊपर राज्य और परिवार की भलाई का ख्याल भी था।


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मेरे सेक्स हार्मोन्स मेरे खून में फैल गए और मैं रानी की चुदाई करते उसे छूने, महसूस करने, चूमने के बारे में सोचने लगा। पिछले पंद्रह मिनट में जबसे मैं राजमाता के साथ था और मैंने उनकी मुँह से रानी की चुदाई के बारे में पहली बार सुना था तब से मेरा मन रानी के स्तनों, उसकी कोमल जांघों पर था और मैंने मन में उसकी सुडौल गांड को पकड़ लिया था, उसे अपने लंड पर खींच लिया और उसे छोड़ दिया था।

मैंने सिर्फ यही कहा । जैसी आपकी आज्ञा राजमाता।

कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार
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VOLUME II

नयी  भाभी की सुहागरात

PART 02

राजमाता  ने लिया साक्षात्कार


रानी की चुदाई मुझे करनी है ये मुझे भली भांति ज्ञात था और जबसे मैंने इस बारे में पहली बार सुना था तब से मेरा मन रानी के स्तनों, उसकी कोमल जांघों के बारे में उत्सुक था । मुझे चुदाई के लिए लड़कियों की कभी कोई कमी नहीं थी । जब से पहली बार मैंने रूबी को चुदाते हुए देखा था और उसके बाद मैंने रोजी की पहली चुदाई की थी उसके बाद से मेरी किस्मत की देवी की कृपा से मैंने  लड़कियों की चुदाई की है और कई कुंवारी चूतो का कौमार्य भी भंग किया है। फिर नई चूत तो नई चूत होती है ऊपर से कुंवारी तो सोने पर सुहागा । नयी टाइट कुंवारी चूत को चोदने का आनंद ही अलग होता है।

"पुत्र मैं अपनी बहू के इस पहले सेक्स के अनुभव को खास बनाना चाहती हूँ। इसके लिए मेरे पास कई योजनाएँ हैं। यह न तो जल्दी होगा और न ही छोटा। यह तुम दोनों के लिए एक लंबी दावत होगी, एक मिलन का उत्सव होगा, " राजमाता ने कबूल किया।


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मैं हैरान था की राजमाता की सोच कितनी अलग है । वह अपने बहु के आनंद के लिए कितनी अलग सोच रखती हैं ।

मैं राजमाता के सामने झुक गया और अपना सिर झुका लिया। राजमाता उठ खड़ी हुई और मेरे पास चली आयी मैं घुटने टेक कर सर झुका कर और हाथ जोड़ कर बैठा हुआ था और उन्होंने मेरे कंधे पर हाथ रखा और मेरी कठोर मांसपेशियों को महसूस किया। तुरंत, वह सोचने लगी कि उनकी नई बहू इतनी अच्छी मांसपेशियों से तराशे हुए व्यक्ति के स्पर्श पर कैसे प्रतिक्रिया देगी। उसने आह! भरी। इस पूरी स्थिति का एक भ्रष्ट प्रभाव हुआ और वह यह जानती थी। वह मुझ पर अपनी प्रतिक्रिया महसूस कर सकती थी जैसे कि एक कुंवारी महिला एक पुरुष का आकलन करती है; उस एक पल के लिए राजमाता-बेटे का रिश्ता खत्म हो गया।

अब मैं उनके सामने एक पुरुष के रूप में था । राजमाता स्वयं चालीस वर्ष की थी और महाराज (जो की मेरे ताऊ थे) की असामयिक मृत्यु ने उनकी इच्छाओं को अधूरी छोड़ दिया था। रात को उनका खाली बिस्तर उन्हें परेशान करता था लेकिन राज्य में राजमाता की उच्च स्थिति ने मांग की थी कि वह खुद को विवेक से संचालित करे इसलिए उनके मन में कभी ऐसे विचार नहीं आये थे। लेकिन आज स्थिति अलग थी ।

आज वह पहली बार नियोग द्वारा गर्भधान के लिए अपनी कुंवारी बहू को उसके पति के अतिरिक्त परिवार के अन्य पुरुष के साथ सम्ब्नध बनने के बारे में बात कर रही थी । वह सोच रही थी की अगर उसे पहले पता होता की उसका पुत्र संतान पैदा करने में अक्षम है तो वह भी अपने पति की मृत्यु के बाद इस पध्यति को आजमा कर और संतान उत्तपन्न कर सकती थी



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राजमाता खुद यह कल्पना करने लगी की वह भी मेरे जैसे युवक के साथ खास पल सांझा कर सकती थी।

"अगर मुझे ये विचार पहले आया होता, तो मैं भी इस ज़रूरत को पूरा कर सकती थी और अब मैं इस लड़के को मेरी बहू के साथ चुदाई के लिए तैयार करुँगी," उसने निश्चय किया। राजमाता ने यौन सम्बन्धो का प्रतप्त आनंद लिया हुआ था और वह मुझे बहुत सावधानी से निर्देश दे सकती थी। बहु और महारानी की कामुकता और कौमार्य की गर्मी इस तरह से नियंत्रित करते हुए और उनके यौन सम्बंध स्थापित करवा सकती थी जिससे राज्य को नए वारिस मिल जाते। वह सोच रही थी ।

फिर राजमाता ने विचार किया अभी भी ज्यादा कुछ नहीं बिगड़ा है मैं अभी युवा हूँ और मुझे वह इस काम के लिए प्रशिक्षित कर सकती है । राजमाता ने जैसे ही ऐसा सोचा उन्हें अपनी टांगो पैरों के बीच गर्माहट महसूस की, जिसने उन्हें हिला दिया।

मैं घुटने टेक बैठा रहा। "जैसी आपकी आज्ञा राजमाता" और अंत में कहा, "लेकिन इसके लिए बहुत सारी व्यवस्थाएँ हैं जिन्हें करने की आवश्यकता है। क्या रानी को बताया गया है?"

"हाँ, वह जानती है कि ऐसा करने की ज़रूरत है।" राजमाता ने कहा


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"मुझे भी इसे अपने दिमाग में रखना होगा है, है ना राजमाता?" मैंने कहा।

राजमाता की प्रतिक्रिया तत्काल और गंभीर थी। "आप इसके लिए कुछ भी ख़ास नहीं करोगे, ठीक है!" राजमाता फुसफुसायी। फिर वह शांत हो गई। उसे सहयोग और वादों की जरूरत थी, यह तानाशाही  का समय नहीं था।

"वह वही करेगी जो मैं कहूँगी। बस आप दोनों को मानसिक रूप से इसे स्वीकार करने की ज़रूरत है, अन्य तैयारियाँ इस बात से सम्बंधित हैं कि हम इसे कब करेंगे। पुत्र निसंदेह तुम्हे उसके साथ मिलन के लिए स्नान करने और विशेष रूप से तैयार होने की आवश्यकता है। क्या आप एक औरत को चोदना जानते हैं?" राजमाता ने मानसिक रूप से क्षुब्ध होकर पूछा

"सैद्धांतिक रूप से, हाँ" मैंने इस स्थिति को कोसते हुए राजमाता को आधा सच बताते हुए जवाब दिया  मैं इस अजीब हालात में था जहा मुहे अपने यौन रहस्यों को एक बड़ी उम्र की महिला के साथ साझा करना पड़ रहा था, वह भी रॉयल हाईनेस राजमाता के साथ, जिनसे ज्यादातर लोग बात भी नहीं कर पाते थे।

"कहाँ से. पुत्र?" राजमाता से पूछा।

"मैंने वात्स्यायन के कामसूत्र के कुछ अंश पढ़े हैं," मैंने उत्तर दिया।



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" पुत्र तो आप मूल बातें जानते हैं? इतना ही?" राजमाता ने बोला ।

मैंने जवाब दिया, "सिर्फ मूल बातें से ज्यादा   मैंने अपनी डॉक्टर्री  की पढ़ाई के दौरान इस बारे में पढ़ा है और कुछ अन्य कामुक साहित्य और मित्रो से प्राप्त ज्ञान"। मैंने कहा।

" ठीक है, पुत्र! आपको मूल बातें से ज्यादा कुछ नहीं चाहिए। पुत्र! आपको पहली बार में ही ठीक से सेक्स करना होगा और रानी को गर्भवती करना होगा। पुत्र! इसमें कोई भूल बर्दाश्त नहीं की जा सकती, अन्यथा जोड़े को एक बार फिर एक-दूसरे के पास जाना पड़ सकता है। अधिक मुठभेड़ों से केवल अधिक जटिलताएँ हो सकती हैं। फिर थोड़ा हिचकिचाई और फिर गंभीर होते हुए बोली आप जानते ही होंगे । पुत्र आपको अपने लिंग को रानी की योनि में दर्ज करना होगा और अपने आप को एक संभोग और स्खलन के लिए उत्तेजित करने के लिए पर्याप्त बार तेजी से स्लाइड करना होगा, " राजमाता ने निर्देश दिया।

कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार

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VOLUME II

नयी  भाभी की सुहागरात

CHAPTER 02

PART 03

असाधरण परिस्तिथियों में असाधारण कार्य




जब राजमाता मुझसे सेक्स के बारे में पूछ रही थी तो मुझे आशंका थी की अगर राजमाता ने पूछ लिया क्या तुमने कभी सम्भोग किया है तो क्या जवाब दूंगा .

तभी  राजमाता ने मुझसे वही सवाल पूछ लिया  पुत्र! क्या आपने पहले कभी सेक्स किया है? क्या तुम हस्तमैथुन करते हो? " राजमाता ने पूछा। सवाल सहज था और उन्हें इसका पछतावा हुआ। उनका अपना शरीर रस से भर गया था और उसकी यौन प्रवृत्ति अब पूरे प्रवाह में थी और शरीर ऐसा कहते ही उत्तेजना से भर गया था। उन्हें महसूस हुआ की उन्हें आज रात हस्तमैथुन करने की आवश्यकता होगी। लेकिन उन्हें याद था की गुरु महर्षि ने कहा है कि नई रानी के साथ यौन सम्बंध बनाने से पहले मुझे परहेज करना होगा। कोई और मौका होता तो शायद वह मुझे से अभी और यहीं चुदाई करवा लेती। अन्यथा, उस समय राजमाता कामवासना में पागल हो गयी थी जो की उनके हाव भाव से स्पष्ट था।


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मैं जवाब देने के लिए संघर्ष करने लगा तो एक लंबी चुप्पी छा गई। मुझे लगा कि चुप रहने से राजमाता को उनके सवाल का जवाब मिल जाएगा। मैं सोच रहा था कि कोई ने अवसर होता तो या फिर राजमाता जो की मेरी ताई जी भी है उनके अतिरिक्त कोई और महिला होती तो मैं उन्हें बता देता मैं क्या जानता हूँ, या फिर अपन खड़ा हुआ बड़ा लंड ही दिखा देता पर आज ये वह अवसर नहीं था । मैं चुपचाप खड़ा रहा ।

राजमाता ने मुड़कर मेरी ठुड्डी पर हाथ रखा और मुझे अपने सामने कर लिया। उन्होंने मेरी आँखों में गहराई से देखा, उनके स्तन यौनवासना के तनाव से भारी हो रहे थे । उनकी छाती की हलचल मुझे स्पष्ट दिख रही थी। मेरा लंड उनके स्पर्श से जग गया था और कड़ा हो रहा था । राजमाता की सुंदरता जादुई रूप से जीवंत हो गई। "मैंने कैसे राजमाता के शानदार स्तनों, सौंदर्य और कामुकता पर ध्यान नहीं दिया" मैंने सोचा। "क्योंकि मैं उनके बेटे की तरह हूँ और वह मेरी ताई हैं" मेरे दिमाग ने जवाब दिया।

"क्या तुम हस्तमैथुन करते हो? मुझे जवाब दो, यह एक गंभीर सवाल है," राजमाता ने कहा।

मुझे लगा कि मेरा गला सूख गया है। महाराजा की माँ-राजमाता खतरनाक रूप से मेरे करीब थीं, मैं उनके इत्र और यहाँ तक कि उनके शरीर की प्राकृतिक सुगंध को भी सूंघ सकता था। मैं चुपचाप खड़ा रहा।


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"ठीक है,  असाधरण परिस्तिथियों में हमे असाधारण कार्य करना होगा। पुत्र तो फिर ध्यान से सुनो आप को पहले रानी को निर्वस्त्र करना है फिर उसे स्तन चूसना, दुलारना, चुंबन, चाटना, चूमना, गले लगाना, छूना और महसूस करना शुरू कर देंगे और फिर जब आपके लिंग में उथ्थान आए जैसा इस समय आ रहा है और आपका लिंग बिलकुल कड़ा हो जाए तो तब आपको उसमें प्रवेश करना होगा और अपने आप को एक संभोग सुख की ओर उत्तेजित करने के लिए पर्याप्त संख्या में अंदर और बाहर स्लाइड करना होगा, फिर आगे पीछे कर आप फिर रानी को तब तक चोदेंगे जब तक आप वैसी सनसनी महसूस करते हैं जैसी आप हस्तमैथुन करते समय महसूस हैं।" जब संकट आप पर होगा, तो आप तेजी से स्लाइड करेंगे; और फिर जब संभोग में विस्फोट करें और अपने बीज को आगे बढ़ा का उत्सर्जन करेंगे और जब आप उत्सर्जन करेंगे तो आप अपने आप को उसके अंदर गहराई से समाहित रखेंगे। हर उछाल में उसके गर्भ में स्प्रे करें। बीच-बीच के बीच वापस खींचो, ताकि पुत्र आप बीज का अधिक से अधिक में बाहर लाओ और उसे गर्भ में डालना होगा। "वह बीज का उछाल! ही है जो हमें रानी के अंदर चाहिए.!" समझे पुत्र? " राजमाता से पूछा, लार के रूप में मैं अनजाने में अपने होंठ चाट रहा था। यह मेरी ओर से एक प्रतिक्रियात्मक कार्यवाही थी, लेकिन इसके साथ-साथ राजमाता का यौन संदेश और उनकी उत्तेजना मुझे स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही थी।

उन्होंने स्पष्ट बताया की पुत्र आपको स्तन चूसने, दुलारने, चुंबन और चुदाई सहित सब कुछ करना है ताकि रानी इस सम्भोग का पूरा आनंद उठाये और एक स्वस्थ बच्चा पैदा करे। उन्होंने दोहराया आप इस दौरान रानीयो को एक भाभी नहीं समझोगे बल्कि अपनी प्रेमिका या पत्नी समँझ कर गर्भवती करने के इरादे से सम्भोग करोगे और तब तक साथ रहोगे और सम्भोग करोगे जब तक उसके गर्भवती होने ही पुष्टि नहीं हो जाती। पुत्र आपको याद रखना है हम एक स्वस्थ वारिस चाहते हैं! मेरी आँखों में देखते हुए, महारानी ने मुझे निर्देश दिया।


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मैंने उस पर अविश्वास किया। मुझे हर शब्द समझ में आया, मैं हतप्रभ था की कैसे राजमाता मुझ से ये सब कह गयी लेकिन, राजमाता ने इसे सेक्स के प्रति मेरी अज्ञानता और अनुभवहीनता समझा।

ठीक है, मैं आपको दिखाऊंगी कि यह कैसे करना है। कोई गलती नहीं होनी चाहिए। पुत्र हम नहीं चाहते इसमें कोई गलती हो।

तभी गुप्त द्वार खुला और उसमे से भाई महाराज ने मेरे पिताजी के साथ राजमाता के कक्ष में प्रवेश किया मुझे लगा अब राजमाता के सवालों से मुझे कुछ राहत मिलेगी । अब अपनी माँ से भी बड़ी राजसी महिला के साथ सेक्स पर चर्चा करना कितना कठिन है इसका अंदाजा मुझे हुआ ।

भाई महाराज बोले चाचा जी और कुमार दादागुरु ने तुम्हे हमारा पारिवारिक भेद पूरा नहीं बताया था वह मैं तुम्हे अब बता रहा हूँ।

भाई महाराज बोले की लगभग 150. वर्षो पहले आपके परदादा के पिता (दादा के दादा) जी हमारे राजघराने के राजा के छोटे भाई थे और किसी कारण पर अनबन होने पर घर छोड़ कर कुछ धन ले कर विदेश चले गए थे और वहाँ पर उन्हों ने व्यापार कर लिया और फिर पंजाब में जाकर जमींदारी भी कर ली थी ।

आपके पूर्वज के अलग होने की इस घटना के बाद से हमारे परिवार में सभी राजाओ के यहाँ कई रानियों होने के बाद भी केवल एक ही संतान का जन्म हुआ और आप के पूर्वजो के यहाँ भी क्रम अनुसार केवल एक ही पुत्र उतपन्न हुआ हालांकि आपके परिवार में अन्य सन्तानो के रूप में लड़किया पैदा होती रही l

मैंने कहा ये बात तो मुझे जूही ने भी बताई थी भाई महाराज ।

असल में अनबन की वजह एक शाप था जो हमारे परिवार को दिया गया था । दरसल मेरे परदादा के पिता (दादा के दादा) हरविजेंदर जी जो आपके परदादा के पिता (दादा के दादा) हरसतेंदर जी के बड़े भाई थे और युवराज थे । वह दोनों एक बहुत ही सुंदर तपस्वी कन्या प्रभा देवी से प्रेम करते थे जबकि वह तपस्वी कन्या प्रभा देवी हमारे पूर्वज हरसतेंदर जी से प्रेम करती थी और इसी कारण से जब युवराज हरविजेंदर जी ने उस कन्या को अपना प्रेम प्रस्ताव भिजवाया तो उसे उन्होंने ठुकरा दिया । आपके पूर्वज हरसतेंदर जी को ये पूरा घटना क्रम मालूम नहीं था । युवराज हरविजेंदर जी ने इसे अपना अपमान मान कर बदला लेने की ठानी और गुप्तचरों से पता लगवा लिया की वह कन्या उनके छोटे भाई हरसतेंदर से प्रेम करती हैं इसीलिए उसने युवराज हरविजेंदर का प्रेम प्रस्ताव ठुकरा दिया है ।


[Image: flower.jpg]

जैसा की आप को ज्ञात है परिवार के सब पुरुषो के चेहरे और मोहरे आपस में बहुत मिलते हैं तो युवराज हरविजेंदर ने अपने छोटे भाई हरसतेंदर के हमशक्ल होने का लाभ उठाया और उस कन्या प्रभा से अपने अपमान का बदला लेने के लिए उसे एक निर्जनस्थान पर बुला कर उससे शारीरक सम्बन्ध स्थापित कर लिया । जब वह गर्भवती हो गयी तो उसने हरसतेंदर जी के पास जा कर उनसे आग्रह किया की वह उनसे विवाह कर ले क्योंकि वह अब उनसे किये गए संसर्ग के कारण गर्भवति है।

परन्तु हरसतेंदर जी ने तो उससे सम्बन्ध बनाया नहीं था इसीलिए उन्होंने उससे विवाह करने से मना कर दिया । इसके बाद महाराज की मृत्यु हो गयी और राज्याभिषेक में प्रभा देवी ने दोनों भाइयो को एक साथ देख लिया तो उन्हें मालूम हुआ की ये दुष्कर्म उनके साथ महाराज हरविजेंदर ने किया है तो वह भरे दरबार में न्याय मांगने गयी तो युवराज हरविजेंदर जो अब महाराज बन गए थे उन्होंने उसका अपमान कर उसे वहाँ से निकाल दिया ।

फिर प्रभा देवी हरसतेंदर जी के पास गयी और उनके साथ विवाह करने का आग्रह किया तो हरसतेंदर जी ने अपने बड़े भाई के दुष्कर्म के लिए क्षमा मांगी और अपनी असमर्थता जताई की अब प्रभा जी का उनके भाई से संसर्ग हो गया है इस कारण वह उनकी भाभी हो गयी है और भाभी तो माँ तुल्य होती है और वह माँ के साथ विवाह करने की सोच भी नहीं सकते ।

इस पर नाराज हो कर प्रभा देवी ने श्राप दिया की अब महाराज हरविजयेंद्र को कोई अन्य पुत्र नहीं होगा और आगे चल कर महाराज का वंशज नपुंसक होगा ।

तब हरसतेंद्र जी ने कहा भाभी माँ फिर तो आपका पुत्र भी श्राप ग्रसित हो गया है वह भी नपुंसक रहेगा । मैं ये राज्य त्याग दूंगा और आपका पुत्र ही अब आगे राजा होगा और हरसतेंदर जी ने उनसे क्षमा मांगी और श्राप वापिस लेने की प्राथना की तो उन्होंने हरसतेंदर को बोला मैं आप को क्षमा करती हूँ । परन्तु इस बंश का अंश होने के कारण मेरे पुत्र को और आपको भी पहले मेरा विश्वास न करने का दंड मिलेगा । तो फिर जब उन्होंने अनुनय किया तो प्रभा देवी बोली मैं श्राप वापिस तो नहीं ले सकती लेकिन इसे सिमित कर सकती हूँ । अब आपके वंशजो का भी एक ही पुत्र होता रहेगा । तो उन्होंने फिर से अनुनय किया तो प्रेमवश श्राप की अवधि को भी सिमित कर दिया और बोली आपके वंशजो का एक ही पुत्र होता रहेगा और अन्य पुत्रिया होंगी और आगे चल कर महाराज का एक वंशज नपुंसक पैदा होगा और आज आप जिस कारण से मेरे साथ विवाह करने से मना कर रहे है वही सम्बन्ध आपके वंशज को करना होगा और तब हरसतेंद्र आपके वंशजो को परिवार में माँ समान स्त्रियों से सम्बन्ध बनाना होगा, तब ये शाप समाप्त हो जाएगा और फिर कई संताने होंगी । उसके कुछ दिन बाद प्रभा ने एक पुत्र को जन्म देकर प्राण त्याग दिए । महाराज हरविजेंद्र और प्रभा देवी के पुत्र का नाम हरराजेन्द्र था जो की मेरे परदादा थे उन्हें अपना लिया ।


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फिर महाराज ने मुझे उस डायरी के उन पन्नो का अनुवाद सुनाया जो मुझे दादा जी की उस डायरी में मिले थे जिन्हे मैं लिपि का ज्ञान न होने के कारण पढ़ नहीं पाया था । उसमे यही राज की बात लिखी हुई थी ।

दादाजी को उनके दादाजी ने बताया था-था कि मेरे पीढ़ी के द्वारा ही इस श्राप को नष्ट होना है इसीलिए वह ये सन्देश मेरे लिए लिख कर गए थे और इसी प्रकार यही सन्देश भाई महाराज के दादाजी भी उनके लिए लिख कर गए थे ।

जारी रहेगी


कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार
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VOLUME II

नयी  भाभी की सुहागरात

CHAPTER 02

PART 04

असाधरण परिस्तिथियों में असाधारण कार्य




जब राजमाता मुझसे सेक्स के बारे में पूछ रही थी तो मुझे आशंका थी की अगर राजमाता ने पूछ लिया क्या तुमने कभी सम्भोग किया है तो क्या जवाब दूंगा .

तभी  राजमाता ने मुझसे वही सवाल पूछ लिया  पुत्र! क्या आपने पहले कभी सेक्स किया है? क्या तुम हस्तमैथुन करते हो? " राजमाता ने पूछा। सवाल सहज था और उन्हें इसका पछतावा हुआ। उनका अपना शरीर रस से भर गया था और उसकी यौन प्रवृत्ति अब पूरे प्रवाह में थी और शरीर ऐसा कहते ही उत्तेजना से भर गया था। उन्हें महसूस हुआ की उन्हें आज रात हस्तमैथुन करने की आवश्यकता होगी। लेकिन उन्हें याद था की गुरु महर्षि ने कहा है कि नई रानी के साथ यौन सम्बंध बनाने से पहले मुझे परहेज करना होगा। कोई और मौका होता तो शायद वह मुझे से अभी और यहीं चुदाई करवा लेती। अन्यथा, उस समय राजमाता कामवासना में पागल हो गयी थी जो की उनके हाव भाव से स्पष्ट था।


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मैं जवाब देने के लिए संघर्ष करने लगा तो एक लंबी चुप्पी छा गई। मुझे लगा कि चुप रहने से राजमाता को उनके सवाल का जवाब मिल जाएगा। मैं सोच रहा था कि कोई ने अवसर होता तो या फिर राजमाता जो की मेरी ताई जी भी है उनके अतिरिक्त कोई और महिला होती तो मैं उन्हें बता देता मैं क्या जानता हूँ, या फिर अपन खड़ा हुआ बड़ा लंड ही दिखा देता पर आज ये वह अवसर नहीं था । मैं चुपचाप खड़ा रहा ।

राजमाता ने मुड़कर मेरी ठुड्डी पर हाथ रखा और मुझे अपने सामने कर लिया। उन्होंने मेरी आँखों में गहराई से देखा, उनके स्तन यौनवासना के तनाव से भारी हो रहे थे । उनकी छाती की हलचल मुझे स्पष्ट दिख रही थी। मेरा लंड उनके स्पर्श से जग गया था और कड़ा हो रहा था । राजमाता की सुंदरता जादुई रूप से जीवंत हो गई। "मैंने कैसे राजमाता के शानदार स्तनों, सौंदर्य और कामुकता पर ध्यान नहीं दिया" मैंने सोचा। "क्योंकि मैं उनके बेटे की तरह हूँ और वह मेरी ताई हैं" मेरे दिमाग ने जवाब दिया।

"क्या तुम हस्तमैथुन करते हो? मुझे जवाब दो, यह एक गंभीर सवाल है," राजमाता ने कहा।

मुझे लगा कि मेरा गला सूख गया है। महाराजा की माँ-राजमाता खतरनाक रूप से मेरे करीब थीं, मैं उनके इत्र और यहाँ तक कि उनके शरीर की प्राकृतिक सुगंध को भी सूंघ सकता था। मैं चुपचाप खड़ा रहा।


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"ठीक है,  असाधरण परिस्तिथियों में हमे असाधारण कार्य करना होगा। पुत्र तो फिर ध्यान से सुनो आप को पहले रानी को निर्वस्त्र करना है फिर उसे स्तन चूसना, दुलारना, चुंबन, चाटना, चूमना, गले लगाना, छूना और महसूस करना शुरू कर देंगे और फिर जब आपके लिंग में उथ्थान आए जैसा इस समय आ रहा है और आपका लिंग बिलकुल कड़ा हो जाए तो तब आपको उसमें प्रवेश करना होगा और अपने आप को एक संभोग सुख की ओर उत्तेजित करने के लिए पर्याप्त संख्या में अंदर और बाहर स्लाइड करना होगा, फिर आगे पीछे कर आप फिर रानी को तब तक चोदेंगे जब तक आप वैसी सनसनी महसूस करते हैं जैसी आप हस्तमैथुन करते समय महसूस हैं।



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" जब संकट आप पर होगा, तो आप तेजी से स्लाइड करेंगे; और फिर जब संभोग में विस्फोट करें और अपने बीज को आगे बढ़ा का उत्सर्जन करेंगे और जब आप उत्सर्जन करेंगे तो आप अपने आप को उसके अंदर गहराई से समाहित रखेंगे। हर उछाल में उसके गर्भ में स्प्रे करें। बीच-बीच के बीच वापस खींचो, ताकि पुत्र आप बीज का अधिक से अधिक में बाहर लाओ और उसे गर्भ में डालना होगा। "वह बीज का उछाल! ही है जो हमें रानी के अंदर चाहिए.!" समझे पुत्र? " राजमाता से पूछा, लार के रूप में मैं अनजाने में अपने होंठ चाट रहा था। यह मेरी ओर से एक प्रतिक्रियात्मक कार्यवाही थी, लेकिन इसके साथ-साथ राजमाता का यौन संदेश और उनकी उत्तेजना मुझे स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही थी।


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उन्होंने स्पष्ट बताया की पुत्र आपको स्तन चूसने, दुलारने, चुंबन और चुदाई सहित सब कुछ करना है ताकि रानी इस सम्भोग का पूरा आनंद उठाये और एक स्वस्थ बच्चा पैदा करे। उन्होंने दोहराया आप इस दौरान रानीयो को एक भाभी नहीं समझोगे बल्कि अपनी प्रेमिका या पत्नी समँझ कर गर्भवती करने के इरादे से सम्भोग करोगे और तब तक साथ रहोगे और सम्भोग करोगे जब तक उसके गर्भवती होने ही पुष्टि नहीं हो जाती। पुत्र आपको याद रखना है हम एक स्वस्थ वारिस चाहते हैं! मेरी आँखों में देखते हुए, महारानी ने मुझे निर्देश दिया।



मैंने उस पर अविश्वास किया। मुझे हर शब्द समझ में आया, मैं हतप्रभ था की कैसे राजमाता मुझ से ये सब कह गयी लेकिन, राजमाता ने इसे सेक्स के प्रति मेरी अज्ञानता और अनुभवहीनता समझा।

ठीक है, मैं आपको दिखाऊंगी कि यह कैसे करना है। कोई गलती नहीं होनी चाहिए। पुत्र हम नहीं चाहते इसमें कोई गलती हो।

तभी गुप्त द्वार खुला और उसमे से भाई महाराज ने मेरे पिताजी के साथ राजमाता के कक्ष में प्रवेश किया मुझे लगा अब राजमाता के सवालों से मुझे कुछ राहत मिलेगी ।  महाराज और पिताजी ने राजममता को प्रणाम किया और मैंने पिताजी और महराज को प्रणाम किया  । अब अपनी माँ से भी बड़ी राजसी महिला के साथ सेक्स पर चर्चा करना कितना कठिन है इसका अंदाजा मुझे हुआ ।

भाई महाराज बोले चाचा जी और कुमार दादागुरु ने तुम्हे हमारा पारिवारिक भेद पूरा नहीं बताया था वह मैं तुम्हे अब बता रहा हूँ।

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भाई महाराज बोले की लगभग 150. वर्षो पहले आपके परदादा के पिता (दादा के दादा) जी हमारे राजघराने के राजा के छोटे भाई थे और किसी कारण पर अनबन होने पर घर छोड़ कर कुछ धन ले कर विदेश चले गए थे और वहाँ पर उन्हों ने व्यापार कर लिया और फिर पंजाब में जाकर जमींदारी भी कर ली थी ।

आपके पूर्वज के अलग होने की इस घटना के बाद से हमारे परिवार में सभी राजाओ के यहाँ कई रानियों होने के बाद भी केवल एक ही संतान का जन्म हुआ और आप के पूर्वजो के यहाँ भी क्रम अनुसार केवल एक ही पुत्र उतपन्न हुआ हालांकि आपके परिवार में अन्य सन्तानो के रूप में लड़किया पैदा होती रही l

मैंने कहा ये बात तो मुझे जूही ने भी बताई थी भाई महाराज ।

असल में अनबन की वजह एक शाप था जो हमारे परिवार को दिया गया था । दरसल मेरे परदादा के पिता (दादा के दादा) हरविजेंदर जी जो आपके परदादा के पिता (दादा के दादा) हरसतेंदर जी के बड़े भाई थे और युवराज थे । वह दोनों एक बहुत ही सुंदर तपस्वी कन्या प्रभा देवी से प्रेम करते थे जबकि वह तपस्वी कन्या प्रभा देवी हमारे पूर्वज हरसतेंदर जी से प्रेम करती थी और इसी कारण से जब युवराज हरविजेंदर जी ने उस कन्या को अपना प्रेम प्रस्ताव भिजवाया तो उसे उन्होंने ठुकरा दिया । आपके पूर्वज हरसतेंदर जी को ये पूरा घटना क्रम मालूम नहीं था । युवराज हरविजेंदर जी ने इसे अपना अपमान मान कर बदला लेने की ठानी और गुप्तचरों से पता लगवा लिया की वह कन्या उनके छोटे भाई हरसतेंदर से प्रेम करती हैं इसीलिए उसने युवराज हरविजेंदर का प्रेम प्रस्ताव ठुकरा दिया है ।

जैसा की आप को ज्ञात है परिवार के सब पुरुषो के चेहरे और मोहरे आपस में बहुत मिलते हैं तो युवराज हरविजेंदर ने अपने छोटे भाई हरसतेंदर के हमशक्ल होने का लाभ उठाया और उस कन्या प्रभा से अपने अपमान का बदला लेने के लिए उसे एक निर्जनस्थान पर बुला कर उससे शारीरक सम्बन्ध स्थापित कर लिया । जब वह गर्भवती हो गयी तो उसने हरसतेंदर जी के पास जा कर उनसे आग्रह किया की वह उनसे विवाह कर ले क्योंकि वह अब उनसे किये गए संसर्ग के कारण गर्भवति है।

परन्तु हरसतेंदर जी ने तो उससे सम्बन्ध बनाया नहीं था इसीलिए उन्होंने उससे विवाह करने से मना कर दिया । इसके बाद महाराज की मृत्यु हो गयी और राज्याभिषेक में प्रभा देवी ने दोनों भाइयो को एक साथ देख लिया तो उन्हें मालूम हुआ की ये दुष्कर्म उनके साथ महाराज हरविजेंदर ने किया है तो वह भरे दरबार में न्याय मांगने गयी तो युवराज हरविजेंदर जो अब महाराज बन गए थे उन्होंने उसका अपमान कर उसे वहाँ से निकाल दिया ।

फिर प्रभा देवी हरसतेंदर जी के पास गयी और उनके साथ विवाह करने का आग्रह किया तो हरसतेंदर जी ने अपने बड़े भाई के दुष्कर्म के लिए क्षमा मांगी और अपनी असमर्थता जताई की अब प्रभा जी का उनके भाई से संसर्ग हो गया है इस कारण वह उनकी भाभी हो गयी है और भाभी तो माँ तुल्य होती है और वह माँ के साथ विवाह करने की सोच भी नहीं सकते ।


[Image: CUNT-PIC.jpg]

इस पर नाराज हो कर प्रभा देवी ने श्राप दिया की अब महाराज हरविजयेंद्र को कोई अन्य पुत्र नहीं होगा और आगे चल कर महाराज का वंशज नपुंसक होगा ।

तब हरसतेंद्र जी ने कहा भाभी माँ फिर तो आपका पुत्र भी श्राप ग्रसित हो गया है वह भी नपुंसक रहेगा । मैं ये राज्य त्याग दूंगा और आपका पुत्र ही अब आगे राजा होगा और हरसतेंदर जी ने उनसे क्षमा मांगी और श्राप वापिस लेने की प्राथना की तो उन्होंने हरसतेंदर को बोला मैं आप को क्षमा करती हूँ । परन्तु इस बंश का अंश होने के कारण मेरे पुत्र को और आपको भी पहले मेरा विश्वास न करने का दंड मिलेगा । तो फिर जब उन्होंने अनुनय किया तो प्रभा देवी बोली मैं श्राप वापिस तो नहीं ले सकती लेकिन इसे सिमित कर सकती हूँ । अब आपके वंशजो का भी एक ही पुत्र होता रहेगा । तो उन्होंने फिर से अनुनय किया तो प्रेमवश श्राप की अवधि को भी सिमित कर दिया और बोली आपके वंशजो का एक ही पुत्र होता रहेगा और अन्य पुत्रिया होंगी और आगे चल कर महाराज का एक वंशज नपुंसक पैदा होगा और आज आप जिस कारण से मेरे साथ विवाह करने से मना कर रहे है वही सम्बन्ध आपके वंशजो  को करना होगा और तब हरसतेंद्र आपके वंशजो को परिवार में माँ समान स्त्रियों से सम्बन्ध बनाना होगा, तब ये शाप समाप्त हो जाएगा और फिर कई संताने होंगी । उसके कुछ दिन बाद प्रभा ने एक पुत्र को जन्म देकर प्राण त्याग दिए । महाराज हरविजेंद्र और प्रभा देवी के पुत्र का नाम हरराजेन्द्र था जो की मेरे परदादा थे उन्हें अपना लिया ।

फिर महाराज ने मुझे उस डायरी के उन पन्नो का अनुवाद सुनाया जो मुझे दादा जी की उस डायरी में मिले थे जिन्हे मैं लिपि का ज्ञान न होने के कारण पढ़ नहीं पाया था । उसमे यही राज की बात लिखी हुई थी ।

दादाजी को उनके दादाजी ने बताया था-था कि मेरे पीढ़ी के द्वारा ही इस श्राप को नष्ट होना है इसीलिए वह ये सन्देश मेरे लिए लिख कर गए थे और इसी प्रकार यही सन्देश भाई महाराज के दादाजी भी उनके लिए लिख कर गए थे ।

जारी रहेगी


कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार
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पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे


VOLUME II

नयी भाभी की सुहागरात

 

CHAPTER-2

PART 05

क्या और कैसे करना है




भाई महाराज बोलो इसीलिए मैं काका (चाचा-मेरे पापा) को यहाँ लाया हूँ । उन्हें भी ये राज बताना था और साथ ही आपने अगर ध्यान दिया हो तो श्राप के नष्ट होने की जो विधि उन्होंने बोली थी वह भी पूरी करनी होगी और इसके लिए हरसतेंद्र के वंशजो को परिवार में माँ समान स्त्रियों से सम्बन्ध बनाना होगा, तब ये शाप समाप्त हो जाएगा। अब आप दोनों वादा कीजिये की आप इस अभिशाप से मुक्ति पाने के लिए पूर्ण प्रयास करेंगे ।

तो हम दोनों ने बोला हम वादा करते हैं महाराज हम पूर्ण प्रयास करेंगे।

भाई महाराज आगे बोले अब यहाँ पर अगर गुरु महर्षि ने ये न बताया होता की कुमार को नियोग से पहले ब्रह्मचर्य का पालन करना होगा तो कुमार आपके पास किसी भी दासी या अनुभवी महिला को भेज कर आपको इस विषय का प्रशिक्षण और अनुभव प्रदान किया जा सकता था । परन्तु अब इस कार्य के लिए इन असाधारण परिस्तिथियो में असाधारण उपाय ही करना होगा और फिर आपको याद रखना है कि ये अभीशाप कैसे समाप्त होगा । इसके लिए बंशजों शब्द का इस्तेमाल किया गया है । अब इस समय हमारे परिवार में सब को प्रयास करना होगा और इस समय सबसे बड़े काका (चाचा) जी ही हैं इसलिए शुरुआत उन्हें करनी होगी ।

मैं और पिताजी उनकी ये बात सुन कर हतप्रभ थे । मैं बोला महाराज ये आप क्या कह रहे है ।

तो पापा बोले महाराज ये उचित नहीं है ।

तो भाई महाराज बोले काका क्या आप परिवार को उस पीढ़ियों पुराने शाप से मुक्ति दिलाने के लिए कर्म नहीं करेंगे । अभीआपने वादा किया है आप पूर्ण प्रयास करेंगे । एक तो इसे नीयति और हमारे पूर्वजो द्वारा तय किया गया है और दुसरे ये हमारी आज्ञा है । क्या आप अपने वादे को तोड़ देंगे और राजाज्ञा और पूर्वजो की आज्ञा की अवहेलना करेंगे?

अब पिताजी कुछ नहीं बोले।


[Image: THAI2.jpg]

मैं सोच रहा था इस का मतलब क्या है । अब पिताजी को क्या करना होगा? क्या अब पिताजी मुझे सेक्स का ज्ञान देंगे । मेरे लिए ये बड़ा कठिन समय था और मैं समझ रहा था कि पिताजी के लिए भी ये सब आसान नहीं होगा । हालाँकि मुझे पूरा विश्वास था पिताजी अभी भी सेक्स का भरपूर आन्नद लेते थे क्योंकि मैंने रातो में अक्सर उन्हें कमरे से आ रही तेज कराहो को सुना है और उन्हें और माँ को इशारो में बाते करते हुए देखा है । और फिर इनकी माँ के इलावा कुछ अन्य स्त्रियों के साथ भी सम्बन्ध है । जिनके बारे में आप मेरी कहानी अंतरंग हमसफर में पढ़ सकते हैं ।

मेरे और पिताजी के बीच में कभी सेक्स को ले कर कोई बातचीत नहीं हुई है । लेकिन जब मैं लिली मिली और एमी से (जिनके बारे में आप मेरी कहानी अंतरंग हमसफर में पढ़ सकते हैं) मिला था तो मुझे उनसे ज्ञात हुआ था की पिता जी की ही प्रेरणा से मुझे उनके पास सेक्स का ज्ञान अर्जित करने के लिए फूफा जी ने भेजा था पर ये बात ना तो कभी उन्होंने मुझे जताई थी और ना ही मैंने कभी उनके साथ इस बारे में कोई चर्चा की थी ।

हाँ मुझे ये आश्चर्य अवश्य था कि भाई महाराज को तो मेरे सेक्स जीवन का पूरा आभास था और उन्होंने तो मेरे पास तीन सुन्दरिया भी भेजी थी और उनकी सबसे बड़ी रानी को गुप्त रूप से गर्भदान के लिए भी उन्होंने आज्ञा दी थी और बूढ़े बाबा की पत्नियों और पुत्रियों को भी अपनाने का सुझाव उन्होंने ही मुझे दिया था परन्तु शायद किसी प्रयोजन से ये राज उन्होंने राजमाता से सांझा नहीं किया था । पर ये अवसर उनसे कुछ पूछने का नहीं था । मैंने उनकी और देखा तो वह मुस्कुरा दिए इसलिए मैं उस समय चुप रहा ।



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"यहाँ, मैं आपको दिखाती हूँ आपको क्या और कैसे करना है," राजमाता ने आगे बढ़ते हुए कहा "मैं और देवर जी की कुमार को शाही सेवा के लिए प्रशिखित और तैयार करेंगे" और उन्होंने अपने हाथों को मेरे पिता के धड़ से नीचे रख दिया, और पापा के पायजामें के अंदर अपना हाथ डाला और उनकी उंगलियों में बालों के जंगल के बीच में पापा का लिंग जिसका सिर उनके पेट के खिलाफ दबा हुआ था उसे पकड़ लिया। उन्होंने दुसरे हाथ से पायजामे का नाडा खींच दिया और पायजामा और उनका अंडरवियर नीचे खींच दिया और वह पिताजी के पैरो पर गिर पड़ा और उस समय राजमाता ने पिताजी का लिंग पकड़ा हुआ था । और उन्होंने पिता जी को आगे खींचा तो पिता जी पायजामे को वहीँ छोड़ कर राजमाता की और बढ़ गए ।

उनकी उँगलियाँ आश्चर्यजनक रूप से घुंडी के आकार में पिताजी के लिंग के सिर के चारों ओर खिसक गईं थी। उन्हों की हथेली पापा के लिंग के नीचे की ओर खिसक गई और उनके अंडकोष को राजमाता ने महसूस किया; और लिंग की मोटाई नोट की और पाया कि यह पापा का लिंग लंबा और कठोर था और कहा कि शाही परिवार के पुरुषों के पास लंबे लंड हैं और यह शाही गर्भ को भोगना सुनिश्चित करेगा। पुत्र! जैसा की आपने बोला है आप इस विषय के बारे में कुछ जानते हैं । परन्तु ये शाही कर्तव्य आपको अपने पूरा ज्ञान और पूरी निष्ठा से निभाना है । इसलिए कुमार आप सब ध्यान से देखते समझते और सीखते रहिये ।

मेरे पिताजी हतप्रभ थे और राजमाता के इस व्यवहार पर चकित फर्श पर गिर पड़े अपने वस्त्रो को देख रहे थे और राजमाता की उंगलियों के स्पर्श से उनके लंड में ऐंठन आने लगी और उन्होंने महसूस किया कि राजमाता की चिकनी रेशमी उंगलियाँ उनकी मर्दानगी की रूपरेखा की जांच कर रही हैं। पिताजी का मुंह खुला हुआ था और आंखें भारी हो गयी थी। अचानक से राजमाता इस प्रकार का फूहड़ प्रदर्शन करेगी और वह भी अपने पुत्रो और देवर के सामने ये उम्मीद से बिलकुल परे थे।

राजमाता ने हांफते हुए अपनी साड़ी ढीली कर दी और साडी के कपड़े को खोल दिया। उनके ग्लोब जैसे स्तन ऊपर लटके हुए पकड़ने के लिए आमंत्रित कर रहे थे लेकिन पिताजी ने ऐसा करने की हिम्मत नहीं की।

राजमाता बोली    पुत्र तो फिर से ध्यान से सुनो आप को पहले रानी को पूरा  निर्वस्त्र करना है इस दौरान  आप उसके स्तनों को  चूसना, दुलारना, चुंबन, चाटना, चूमना, गले लगाना, छूना और महसूस करना शुरू कर देंगे और फिर जब आपके लिंग में उथ्थान आएगा  जैसा इस समय  इस लिंग आ रहा है और आपका लिंग बिलकुल कड़ा हो जाए तो तब आपको उसमें प्रवेश करना होगा . 

"यह," राजमाता फुसफुसायी , "यह वही है.  मैं चाहती हूँ कि उस समय आप अपने हतियार का  उपयोग करें और प्रवेश करे ।" उनकी  उंगलियां  ने उनके  हाथ में पापा के लिंग की गर्मी को महसूस करते हुए, पापा के मोटे हथियार के ऊपर और नीचे कूच किया। जल्द ही लिंग कड़ा हो गया .   लिंग  सूखा हुआ  था लेकिन तभी लिंग से एक   पतली  बूँद प्रेकम के तरल की  निकली और लंडमुंड  से चिपक  गयी । राजमाता  ने  अपना अंगूठा लंडमुंड के  सिर पर घुमाया, अपने अंगूठे से रस को मेढ़े पर फैला दिया।  वह अपनी मुट्ठी के साथ  हस्तमैथुन का प्रदर्शन कर  रही थी और उन्होंने  मुझे  दिखाया  कि कैसे उत्सर्जन और पिचकारियां मारते हुए  के बीच वापस पकड़ना है और पिचकारियां मारने  के दौरान कैसे लंड को आगे पीछे करना  है।   कोई  चोट पहुँचाए बिना   नरम लेकिन खुरदरी  मुठ्ठी में  घुसाने के लिए लंड को  तैयार करने की जरूरत थी।

"यही चुदाई का कार्य है," वह बड़बड़ायी , उन्होंने  मुंह से लार लंड पर गिरा कर लंड की गीला और चिकना  किया  और बोली पुत्र आप ये समझो की । "मेरी मुट्ठी रानी की योनी है और मुठी के छेद पर लंड को लगा कर बोली ।  , उसी तरह  तुम्हारा लिंग  उसकी योनि के  होठों के मुहाने पर होना  चाहिए ।  आप  समझे ?"उन्होंने  पूछा, यह सुनिश्चित करने के लिए कि उनका छात्र  पाठ की  यांत्रिकी को समझे। फिर मुठी ऊपर उठा कर  छेद पर दुसरे हाथ की ऊँगली थोड़ी  अंदर  लगा कर समझाया  और बोली .. ठीक ऐसे  लगाना  है आपको 



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मैं  कांपते हुए, "जी राजमाता "  और जैसे ही मैंने हाँ कहा उनका हाथ लंड पर चढ़ गया, और बंद मुट्ठी के सर के नीचे  फिसल गयी ।

"आप   भीगे होंगे, और   गीलेपन और चिकनाई  से आपको प्रवेश में सुविधा होगी . जब आप चूमोगे और दुल्लर करोगे तो रानी भी उत्तेजित होगी और उनकी योनि भी रस का उत्सर्जन करेगी . आप उस उस का उपयोग चिनाई के लिए कर सकते हैं । फिर उन्होंने अपनी योनि पर हाथ लगा कर  जो गीलापन वो इतनी देर से महसूस कर रही थी  उससे अपनी उंगलियों की भिगोया और  पिताजी के लंड पर फिर कर लंड को  गीला  और चिकना कर दिया .  वैसे  ये काम आप अपने  लिंग को यदि योनि  से फिरा  कर और छुआ कर करें तो ये बेहतर होगा . इससे रानी  भी लिंग का संपर्क महसूस कर उत्तेजित होगी .  हाथ में काम के लिए ये काम उतना अच्छा नहीं होगा। अगर आप  अधिक  उत्तेजित हों  या अधिक उत्तेजना चाहते हो और    तेजी से संभोग करने के इच्छुक हो  तो इसके लिए आप  अपना   सुखा लंड भी प्रवेश कर सकते हैं । लेकिन बस अब, मैं नहीं करूँगी, क्योंकि मैं देवर जी को  चोट  या दर्द नहीं पहुँचाना  चाहती," उसने समझाया। "वास्तव में, इन्हें निकाल देना  चाहिए" उन्होंने  कहा और अपनी उंगलियों पर पहनी  हुए कई अंगूठियों को चतुराई से हटा दिया।

उन्होंने फिर से पापा के  लंड को अपनी मुट्ठी में कसकर पकड़ लिया और तो पापा उत्तेजना से गुर्राये ।
उंगलियों में अंगूठियों   के बिना और अतिरिक्त दबाव के साथ जब राजमाता ने लंड को पकड़ा  तो पापा की  वासना  में उबाल  आ रहा था . पापा की कराह सुन कर  राजमाता ने लन्दमुड़  पर थोड़ी  ढील दी
 । "नई कुंवारी योनि टाइट होती है लेकिन योनी कभी भी उतनी टाइट नहीं होती जितनी कोई अपनी मुट्ठी बना सकता है।  त्वरित स्खलन के लिए राजमाता  ने  लंडमुंड  के छल्ले पर अपनी उगलिया फिरानी शुरू कर दी  उसे इससे स्पष्ट था की वो लंडमुड के  अतिरिक्त लिंग के अन्य संवेदनशील क्षेत्र को जानतो थी ." हम तीनो पुरुष उनकी  यौन विशेषज्ञता पर आश्चर्यचकित थे .  

उन्होंने  अपना अंगूठा लंडमुड पर घुमाया  और  लंड की छोटे से छेद को दबाया औरमेरे पापा की  आँखों में देखा कि प्रतिक्रिया सबसे अधिक कहाँ थी। अचानक पापा ने घुटने टेक दिए, और "आआआआआह!" करते हुए कंपकंपाने  और  गुर्राने लगे. पापा उस समय  उस  खुशी  और आनन्द    से चीखना पसंद करते , जो उन कोमल रेशमी उँगलियों से उन  पर बरस रही थी; लेकिन  अगर वह ऐसा करते  तो सुरक्षा गार्ड की टीम पलक झपकते ही कमरे में प्रवेश कर जाती । उसलिए वो बिलकुल धीमे धीमे कराह रहे थे . 

"वहां!" राजमाता ने विजयी मुस्कान के साथ  कहा। "यही वह जगह है जहाँ लिंग  का सबसे उत्तेजक ज़ोन है। यही  वो सबसे  उत्तेजक  क्षेत्र है   जहाँ आपको  सम्भोग करते समय उसकी योनी के होठों को रगड़ने के लिए हेरफेर करना चाहिए। आइए अब आपको हम  दिखाते हैं कि कैसे।"

उन्होंने अपनी चूड़ियों को अपनी कलाई से ऊपर धकेल दिया ताकि वे उलझें नहीं और ध्यान आकर्षित न करे  और  इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि वे उस मर्दानगी के अद्भुत नमूने पर गिर सकती  हैं या उसे कुरेद सकती  हैं जिसे वह संभालने में आनंद ले रही थी। उनके  हाथ में मिशन के लिए अति महत्वपूर्ण  महत्वपूर्ण था और उन्होंने  दिमाग के कोने में नोट किया कि यहां एक संपत्ति थी जिसे सावधानीपूर्वक संभालने की आवश्यकता थी ... "पुत्र ध्यान से सुनो," उन्होंने पुनः  अपने छात्र को निर्देश दिया।



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"जब मेरी मुट्ठी  लिंग  से ऊपर और ऊपर होती है, तो आप रानी के बाहर होते हैं," उन्होंने  कहा, प्रचुर मात्रा में तरल पदार्थ और चिकनाई  होने से उंगली से  चोट लगने की कोई संभावना नहीं है , उन्होंने  मन ही मन सोचा।

"जब मैं अपनी मुट्ठी नीचे करती  हूं, तो आपको  लिंग को योनी में प्रवेश करने के लिए आगे की ओर जोर देना होगा  । याद रखें, यह आप ही हैं जो जोर दे रहे होंगे और योनी नहीं हिलेगी ," उन्होंने  स्पष्ट किया। "मैं इस विषय में इतना सुनिश्चित कैसे हो सकता हूं?"   मैंने आश्चर्य व्यक्त करते हुए पुछा । "क्या रानी चिकोटी, धड़कन, आक्षेप, जोर नहीं देगी और सहयोग नहीं करेगी ?"

राजमाता रुकी और बोली , नयी कुंवारी कन्या यदि प्रवेश करने का विरोध न करे तो यही उसका सहयोग  है .    बाद के सम्भोग के समय परस्पर सहयोग इत्यादि  सब संभव है . कई अवसरों पर  परस्पर नकली विरोध  का आचरण करते हुए भी परस्पर सम्भोग का आननद  लिया जाता है . 

"अब यह," उन्हेने मुठी की  म्यान जो उन्होंने बना रखी थी उसे  पीछे खींचते हुए कहा, "क्या होता है जब आप उसमें डुबकी लगाते हैं। दूर जी क्या आपको अपने लिंग  में दुलार और उत्तेजना महसूस होती है?"

"उन्ह!" मैंने जवाब में चुटकी ली।

"क्या आप समझ रहे हो ? मुझे जवाब दो! पुत्र आपको सब कुछ ध्यान से समझना और सीखना है  और फिर  करना है, आनंद में खुद को खोना नहीं है," उन्होंने  जोर देकर कहा, मुझे लगा उन्होंने  मुझसे असंभव की मांग की है । 

राजमाता बोली पुत्र तो फिर से ध्यान से सुनो आप को पहले रानी को पूरा निर्वस्त्र करना है इस दौरान आप उसके स्तनों को चूसना, दुलारना, चुंबन, चाटना, चूमना, गले लगाना, छूना और महसूस करना शुरू कर देंगे और फिर जब आपके लिंग में उथ्थान आएगा जैसा इस समय इस लिंग आ रहा है और आपका लिंग बिलकुल कड़ा हो जाए तो तब आपको उसमें प्रवेश करना होगा ।

"यह," राजमाता फुसफुसायी, "यह वही है। मैं चाहती हूँ कि उस समय आप अपने हतियार का उपयोग करें और प्रवेश करे।" उनकी उंगलियाँ ने उनके हाथ में पापा के लिंग की गर्मी को महसूस करते हुए, पापा के मोटे हथियार के ऊपर और नीचे कूच किया। जल्द ही लिंग कड़ा हो गया । लिंग सूखा हुआ था लेकिन तभी लिंग से एक पतली बूँद प्रेकम के तरल की निकली और लंडमुंड से चिपक गयी। राजमाता ने अपना अंगूठा लंडमुंड के सिर पर घुमाया, अपने अंगूठे से रस को मेढ़े पर फैला दिया। वह अपनी मुट्ठी के साथ हस्तमैथुन का प्रदर्शन कर रही थी और उन्होंने मुझे दिखाया कि कैसे उत्सर्जन और पिचकारियाँ मारते हुए के बीच वापस पकड़ना है और पिचकारियाँ मारने के दौरान कैसे लंड को आगे पीछे करना है। कोई चोट पहुँचाए बिना नरम लेकिन खुरदरी मुठ्ठी में घुसाने के लिए लंड को तैयार करने की जरूरत थी।


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"यही चुदाई का कार्य है," वह बड़बड़ायी, उन्होंने मुंह से लार लंड पर गिरा कर लंड की गीला और चिकना किया और बोली पुत्र आप ये समझो की। "मेरी मुट्ठी रानी की योनी है और मुठी के छेद पर लंड को लगा कर बोली। , उसी तरह तुम्हारा लिंग उसकी योनि के होठों के मुहाने पर होना चाहिए। आप समझे?" उन्होंने पूछा, यह सुनिश्चित करने के लिए कि उनका छात्र पाठ की यांत्रिकी को समझे। फिर मुठी ऊपर उठा कर छेद पर दुसरे हाथ की ऊँगली थोड़ी अंदर लगा कर समझाया और बोली ... ठीक ऐसे लगाना है आपको।

मैं कांपते हुए, "जी राजमाता" और जैसे ही मैंने हाँ कहा उनका हाथ लंड पर चढ़ गया और बंद मुट्ठी के सर के नीचे फिसल गयी।

"आप भीगे होंगे और गीलेपन और चिकनाई से आपको प्रवेश में सुविधा होगी । जब आप चूमोगे और दुल्लर करोगे तो रानी भी उत्तेजित होगी और उनकी योनि भी रस का उत्सर्जन करेगी । आप उस-उस का उपयोग चिनाई के लिए कर सकते हैं। फिर उन्होंने अपनी योनि पर हाथ लगा कर जो गीलापन वह इतनी देर से महसूस कर रही थी उससे अपनी उंगलियों की भिगोया और पिताजी के लंड पर फिर कर लंड को गीला और चिकना कर दिया । वैसे ये काम आप अपने लिंग को यदि योनि से फिरा कर और छुआ कर करें तो ये बेहतर होगा । इससे रानी भी लिंग का संपर्क महसूस कर उत्तेजित होगी । हाथ में काम के लिए ये काम उतना अच्छा नहीं होगा। अगर आप अधिक उत्तेजित हों या अधिक उत्तेजना चाहते हो और तेजी से संभोग करने के इच्छुक हो तो इसके लिए आप अपना सुखा लंड भी प्रवेश कर सकते हैं। लेकिन बस अब, मैं नहीं करूँगी, क्योंकि मैं देवर जी को चोट या दर्द नहीं पहुँचाना चाहती," उसने समझाया। "वास्तव में, इन्हें निकाल देना चाहिए" उन्होंने कहा और अपनी उंगलियों पर पहनी हुए कई अंगूठियों को चतुराई से हटा दिया।

उन्होंने फिर से पापा के लंड को अपनी मुट्ठी में कसकर पकड़ लिया और तो पापा उत्तेजना से गुर्राये।

उंगलियों में अंगूठियों के बिना और अतिरिक्त दबाव के साथ जब राजमाता ने लंड को पकड़ा तो पापा की वासना में उबाल आ रहा था । पापा की कराह सुन कर राजमाता ने लन्दमुड़ पर थोड़ी ढील दी

 "नई कुंवारी योनि टाइट होती है लेकिन योनी कभी भी उतनी टाइट नहीं होती जितनी कोई अपनी मुट्ठी बना सकता है। त्वरित स्खलन के लिए राजमाता ने लंडमुंड के छल्ले पर अपनी उगलिया फिरानी शुरू कर दी उसे इससे स्पष्ट था कि वह लंडमुड के अतिरिक्त लिंग के अन्य संवेदनशील क्षेत्र को जानतो थी ।" हम तीनो पुरुष उनकी यौन विशेषज्ञता पर आश्चर्यचकित थे ।

उन्होंने अपना अंगूठा लंडमुड पर घुमाया और लंड की छोटे से छेद को दबाया औरमेरे पापा की आँखों में देखा कि प्रतिक्रिया सबसे अधिक कहाँ थी। अचानक पापा ने घुटने टेक दिए और "आआआआआह!" करते हुए कंपकंपाने और गुर्राने लगे। पापा उस समय उस खुशी और आनन्द से चीखना पसंद करते, जो उन कोमल रेशमी उँगलियों से उन पर बरस रही थी; लेकिन अगर वह ऐसा करते तो सुरक्षा गार्ड की टीम पलक झपकते ही कमरे में प्रवेश कर जाती। उसलिए वह बिलकुल धीमे-धीमे कराह रहे थे ।


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"वहाँ!" राजमाता ने विजयी मुस्कान के साथ कहा। "यही वह जगह है जहाँ लिंग का सबसे उत्तेजक ज़ोन है। यही वह सबसे उत्तेजक क्षेत्र है जहाँ आपको सम्भोग करते समय उसकी योनी के होठों को रगड़ने के लिए हेरफेर करना चाहिए। आइए अब आपको हम दिखाते हैं कि कैसे।"

उन्होंने अपनी चूड़ियों को अपनी कलाई से ऊपर धकेल दिया ताकि वे उलझें नहीं और ध्यान आकर्षित न करे और इससे भी महत्त्वपूर्ण बात यह है कि वे उस मर्दानगी के अद्भुत नमूने पर गिर सकती हैं या उसे कुरेद सकती हैं जिसे वह संभालने में आनंद ले रही थी। उनके हाथ में मिशन के लिए अति महत्त्वपूर्ण-महत्त्वपूर्ण था और उन्होंने दिमाग के कोने में नोट किया कि यहाँ एक संपत्ति थी जिसे सावधानीपूर्वक संभालने की आवश्यकता थी ... "पुत्र ध्यान से सुनो," उन्होंने पुनः अपने छात्र को निर्देश दिया।

"जब मेरी मुट्ठी लिंग से ऊपर और ऊपर होती है, तो आप रानी के बाहर होते हैं," उन्होंने कहा, प्रचुर मात्रा में तरल पदार्थ और चिकनाई होने से उंगली से चोट लगने की कोई संभावना नहीं है, उन्होंने मन ही मन सोचा।

"जब मैं अपनी मुट्ठी नीचे करती हूँ, तो आपको लिंग को योनी में प्रवेश करने के लिए आगे की ओर जोर देना होगा। याद रखें, यह आप ही हैं जो जोर दे रहे होंगे और योनी नहीं हिलेगी," उन्होंने स्पष्ट किया। "मैं इस विषय में इतना सुनिश्चित कैसे हो सकता हूँ?" मैंने आश्चर्य व्यक्त करते हुए पुछा। "क्या रानी चिकोटी, धड़कन, आक्षेप, जोर नहीं देगी और सहयोग नहीं करेगी?"

राजमाता रुकी और बोली, नयी कुंवारी कन्या यदि प्रवेश करने का विरोध न करे तो यही उसका सहयोग है । बाद के सम्भोग के समय परस्पर सहयोग इत्यादि सब संभव है । कई अवसरों पर परस्पर नकली विरोध का आचरण करते हुए भी परस्पर सम्भोग का आननद लिया जाता है ।

"अब यह," उन्हेने मुठी की म्यान जो उन्होंने बना रखी थी उसे पीछे खींचते हुए कहा, "क्या होता है जब आप उसमें डुबकी लगाते हैं।  देवर जी क्या आपको अपने लिंग में दुलार और उत्तेजना महसूस होती है?"

"उन्ह!" पापा ने जवाब में चुटकी ली।

"क्या आप समझ रहे हो? मुझे जवाब दो! पुत्र आपको सब कुछ ध्यान से समझना और सीखना है और फिर करना है, आनंद में खुद को खोना नहीं है।" उन्होंने जोर देकर कहा, मुझे लगा उन्होंने मुझसे असंभव की मांग की है।

 कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार
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पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे


VOLUME II

नयी भाभी की सुहागरात

CHAPTER-2

PART 06

हस्तमैथुन और स्खलन



"ओह्ह!" पापा बड़बड़ाये, क्योंकि पापा ने महसूस किया कि उनका स्खलन होने वाला है और वह राजमाता के हाथे के स्ट्रोक के साथ ताल और लय मिलाते हुए धीरे-धीरे अपने नितम्ब हिलाने लगे।  मैं और महाराज पापा की और देख रहे थे।

"पुत्र अपनी आँखें यहाँ रखो!" अभी समाप्त नहीं हुआ है उन्होंने आदेश दिया।

जी राजमाता ।

पापा उत्तेजना के चर्म पर पहुँच गए थे और उनके शरीर में ऐंठन हुई और वह नितम्ब हिलाने लगे।

"बेटा जब आप इस स्थिति में होंगे तो आपको अतिरिक्त तेज चुदाई करनी होगी, धीमी नहीं," स्ट्रोक में उनकी मुट्ठी तेजी से पापा के लंड के ऊपर और नीचे होने लगी।


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"हाआआ!" पापा कराहने लगे। उन्होंने हस्तमैथुन किया और जब पापा ने आनंद को लम्बा करने के लिए अपने नितम्बो को हिलाना और धीमा कर दिया। लेकिन राजमाता ने स्ट्रोक के बीच में लंड के सबसे संवेदनशील क्षेत्र  में कुशलता से अपना अंगूठा चलाया।

इसके कारण पापा ने अपने नितंबों को निचोड़ लिया क्योंकि उन्हें महसूस किया कि राजमाता अपने पूरे अनुभव का इस्तेमाल करते हुए उन्हें स्खलन के तरफ तेजी से ले जा रही हैं।

"स्खलन कीजिये, देवर जी," राजमाता सबसे खराब फूहड़ता के साथ चिल्लायी और उसी समय उन्होंने अपने पुराने सम्भोग के अनुभवों को याद करते हुए कहा। (देवर: पति के छोटे भाई ।) 

"बिलकुल ऐसे!" वह चिल्लाई। "पुत्र  ध्यान दें कि हर ऐंठन पर मेरी मुट्ठी कैसे नीचे अण्डकोषे पर है इसका मतलब है कि ऐसे समय में आपको पूरा अंदर होना चाहिए!"

जैसे ही उसने यह कहा, उन्होंने और पापा दोनों ने क्षणिक नियंत्रण खो दिया और कुछ झटके लगे। पापा ने राजमाता को पकड़ लिया और अपने पास खींच लिया। पापा का चेहरा उनकी बड़े स्तनों वाली छाती में दबा हुआ था और  उनके कूल्हे  उनकी मुठी से चिपक गए थे। लेकिन राजमाता ने स्थिति को संभाला और खुद को पीछे कर लिया।

"अब," उन्होंने पापा को प्रोत्साहित किया। राजमाता की अंगुलियों ने उनकी की पकड़ में धड़कते स्तंभ की धड़कन और संकुचन को पढ़ा।

"पुत्र देखो," उन्होंने मेरा ध्यान खींचा क्योंकि उसने पिताजी के लंड से एक शॉट की उम्मीद करते हुए हाथ के लंड के नीचे के तरफ ले गयी क्योंकि उन्होंने महसूस किया कि वह पिचकारी मारने के लिए तैयार है। लंड कांप रहा था और बीज रुका हुआ था। उन्हओने तेजी से हाथ लंड पर कस का दबाते हुए ऊपर किया और फिर थोड़ा ढीला छोड़ते हुए वापस नीचे आ गई। "इस तरह आपको चुदाई करते हुए पंप करना होगा। इसे पंप करते हुए आपको इसे रोकना नहीं है।" उन्होंने जल्दी से कहा,   इस अवसर का उपयोग करते हुए मुझे समझाया।

राजमाता ने हाथ को चलाते हुए उम्मीद कि की अब स्खलन होगा और पापा ने अपने नितंबों को छोड़ दिया और उनके अंडकोष ने वीर्य को छोड़ा और तरल पदार्थ इकट्ठा होने और बहने लगे।

"आह! ये लो  !" और पापा चिल्लाये।


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लंड से एक जोरदार तेज और बड़ी पिचकारी निकली और छींटे राजमाता की गर्दन और ओंठो पर पड़े। उस समय राजमाता की मुट्ठी पापा के लिंग के आधार पर थी और लिंग ने पंप करते हुए वीर्य का उत्सर्जन कर दिया था, एक गुलेल की तरह वीर्य का निशाना राजमाता पर लगाया और निशाना सटीक था।

"बिलकुल ऐसे, ऐसे ही आपको गर्भ के अंदर वीर्य का छिड़काव .............," उन्होंने अब एक महिला के सवाभिक यौन गुण से हांफते हुए कहा। लेकिन वह इच्छित वाक्य को पूरा नहीं कर सकी। क्योंकि छींटे उनके ओंठो पर तेज जोर के साथ पड़े थे।

उनकी   मुट्ठी ऊपर को उठ गई। "पुत्र अब   वापस खींचना चाहिए ताकि अगला शॉट भी पहले जितना ही जोरदार हो," उन्होंने समझाया और अगले शॉट के लिए समय पर अपनी मुट्ठी वापस घुमाई। यह अधिक प्रचुर और बलशाली था और राजमाता के गालो पर चला गया।

"अब, एक और!" राजमाता ने फिर मुठी को कसते हुए ऊपर किया। बल कम होने के कारण उछाल और अधिक भारी हो गया और अबकी बार स्तनों पर चला गया।

"अगली बार रानी के साथ , इस विशेष  चाल का ध्यान रखना," वह यह सोचकर मुस्कुराई कि यह उसने किससे, कब और कैसे सीखा। "आपको आखिरी शॉट में अपने नितंबों को जकड़ना होगा"। "क्लेंच!" उन्होंने जबरदस्ती कहा, और दुसरे हाथ से पापा के नितम्बो को थपथपाया और पापा को कामोत्तेजना के आनंद से वास्तविकता में लाने का प्रयास किया।

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"अब, उत्तेजना बढ़ाने के लिए अंदर और बाहर तेजी से झटके दीजिये," और उन्होंने लंडमुंड पर एक बार मुठी चलायी। "जब आपको  लगता है कि आप अगली शॉट के लिए तैयार हो तो अपना सर हिलाना और मेरे इशारे पर अपनी जकड़ की ढीली कर देना," उन्होंने पापा के चेहरे पर गौर से देखा। उन्होंने देखा कि पापा को पसीना आ रहा था। उन्होंने महसूस किया कि उन्हें भी पसीना आ रहा था और वह पहला शॉट जो उनके गले और ओंठो पर लगा था, अब नीचे की ओर बह रहा था। उनकी छाती की ढलानों ने सुनिश्चित किया कि सह की धारा उनकी दरार से नीचे चली जाए। पहली दो धाराओं ने उनकी रेशम की चोली को भीतर से भिगो दिया था। उन्होंने हाथ को तेजी से लंडमुंड पर चलाना जारी रखा

पापा ने सहमति में सिर हिलाया। " अब! वह चिल्लायी।

राजमाता   अपनी मुट्ठी को पूरी तरह से लंड के नीचे अण्डकोषे पर ले गयी और अंडो को दबा दिया आश्चर्यजनक रूप से उत्तेजित लंड ने जितना भी वीर्य पापा के अंडकोषों में एकत्रित हुआ था उसे उगल दिया। पापा ने अपना पेट सिकोड़ा, उनकी कमर कांपने लगी और फिर उन्होंने पहले वाले के बराबर एक पिचकारी मारी। इसमें पहले जितना आयतन का वीर्य नहीं था और वीर्य ने राजमाता की गुलाबी गालो, ओंठो और गर्दन तक पहुँचने की कोशिश की और राजमाता की मुट्ठी लंड के नीचे को और फिसल गई।

पापा मुड़े और घूमे उनके लंड का सिर अब अतिरिक्त संवेदनशील हो गया था। आनंद असहनीय था। उनके हाथ ने राजमाता के स्तन की मालिश की और निप्पल को घुमाया और उन्होंने अपना सिर स्तनों में दबा लिया और निप्पल पर मुँह लगा दिया।

राजमाता की योनी उस समय पूरी गीली थी और इस समय अपने निप्पल पर मुंह की जरूरत नहीं थी। उनके लिए आज एक लम्बे आरसे बाद रात लंबी होने वाली थी क्योंकि उन्हें अपने अंदर प्रज्वलित इस आग को बुझाना होगा। वह पापा को रोक लेती लेकिन उनका का हाथ भीगा हुआ था और   वीर्य में लिपटा हुआ था। उन्होंने दूधिया सफेद वीर्य और उसकी प्रचुरता को देखा। अब उन्होंने मुठी ढीली छोड़ दी थी जिससे दबाव दूर हो गया था। लंड अब असहाय कमजोर  कुछ धाराये उगल रहा था। लेकिन ऐसा लग रहा था कि यह कभी खत्म नहीं होगा।


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"अच्छा," राजमाता ने सोचा, "वीर्य का यह अतिरेक मदद करेगा।" वह अपनी बहू को लेटी रहने के लिए कहेगी उसके, घुटनों को ऊपर खींचेगी ताकि यह सारा वीर्य अच्छाई से गर्भ में रिसने लगे।

राजमाता की ओर से दिए गए उस परम आनंद में कराहते हुए पापा कांप गए। वह उसके स्तन चूस रहे थे और वह जैसे  उन्हें दूध पिला रही थी।

फिर पापा उठे और बोले राजमाता मुझे क्षमा करे मैं भावनाओं में बह गया था और अपना नियंत्रण खो दिया था । तो राजमाता बोली अब बस हमे एक ही चीज और सुनिश्चित करनी है । अब वे यह देखना चाहती थी मेरा लंड कितना बड़ा है और क्या मैं ठीक से चोद पाऊँगा या नहीं! और बात करते हुए वह मेरे पास आयी और मेरे पायजामे का नाडा खोल दिया ।

मेरा खड़ा हुआ बड़ा लंड उछल कर बाहर आ गया । राजमाता ने बाल झटकाए और मुस्कुरा दी।

"तो, पुत्र अब आप जानते हैं कि क्या और कैसे करना है और अब मुझे पता है कि हमने सही निर्णय लिया है," राजमाता ने कहा। उन्होंने धोती पर अपना वीर्य से सना हुआ हाथ पोंछा और वह स्पष्ट तौर  पर  प्रसन्न थी ।

दीपक कुमार
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