Thread Rating:
  • 15 Vote(s) - 2.8 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Adultery PADMA ( Part -1)
Fanstatic update..best pictures with erotica..
Love to see Guptaji's more sensual act....
What a great update and pictures selection
[+] 1 user Likes Explorer@life's post
Like Reply
Do not mention / post any under age /rape content. If found Please use REPORT button.
Amazing ..fabulous.... Superb...

Great going ...
Like Reply
(20-11-2022, 11:55 AM)Wickedguy Wrote: Amazing ..fabulous.... Superb...

Great going ...

Hey..your story in another forum is broken..its not in proper sequence..scenes with gola wala, college, kiranawala are missing..could you pls share the original in pdf with me..will dm you my email.
Like Reply
Update
Like Reply
? Sunday waiting updet
Like Reply
Update
Like Reply
Waiting
Like Reply
Bhai aap ke kya kehne.. Behtareen.. Very good update.. Keep updating..
Like Reply
Please update update
Like Reply
itni achi story ko bich me mat chhoda dost

Like Reply
kaha chale gaye bro,update do

Like Reply
Update update update update update update update
Like Reply
Thanks everyone for your love and support guys ......
1 to) hot_boy93 -- thanks bro for comment 
2 to) samit_bhai -- thanks for your advice bro 
3 to) Apkeliya -- thanks for comment bro 
4 to) jyotimoy123 --- thank you so much 
5 to) mohitkumarhot -- thanks bro
[Image: 160510713-ezgif-com-video-to-gif-ss38.gif] 
6 to) rekha6625 -- thanks for commenting. i will try 
7 to) Explorer@life -- thank you bro 
8 to) Wickedguy -- thanks for comment bro 
9 to) Mahi sharma -- thanks for comment . update will come soon 
[Image: 168413604-ezgif-com-resize-73-e.gif]
10 to) Jainsantosh --- thanks for comments bro ...
11 to) Sush44 -- thank you so much bro ...
12 to) Abhi T --- thanks for commenting bro .. .. Update will come soon 
[Image: 163944588-ezgif-com-video-to-gif-kmrs13.gif]
[Image: 163950032-ezgif-com-video-to-gif-50.gif]
[+] 1 user Likes Ravi Patel's post
Like Reply
Please please update dijiye bahut Lamba intezar Ho Gaya
Like Reply
Update update update at least reply to do update aaega ki nahin
Like Reply
bro ,pehle hi kaafi time ho gaya ,update do yaar

Like Reply
update taiyaar hai dosto bus abse kuch hi minutes me upload kar dunga ....
[Image: 27838740f9b236f0b8627fa54247a5eba37a446b.jpg][Image: 321367484-1469762636882269-2800477519262878867-n.jpg][Image: 321424382-1796412240738066-1586374983926588601-n.jpg]
Like Reply
[Image: 1x.jpg]
बैंक से बाहर आकर मैंने चैन की साँस ली और फिर अपनी घड़ी मे टाइम देखा तो पाया 5:30 हो रहे थे अब इस समय तक तो अँधेरा भी होने लगा था । मैंने अपने चारों ओर देखा तो पाया की अब लोगों की भीड़ भी बोहोत कम होने लगी थी और थोड़ी-2 हवा भी चलने लगी थी । घर जाकर मुझे रात के लिए डिनर भी तैयार करना था इसलिए मैं जल्द से जल्द एक टैक्सी लेकर अपने घर जाना चाहती थी , इसलिए मैं तुरंत मैन रोड़ की साइड जाकर खड़ी हो गई और टैक्सी का इंतज़ार करने लगी ।
[Image: 20221110-044614.jpg]
 थोड़ी देर बाद एक टैक्सी आकर रुकी , और उसके अन्दर बैठे ड्राइवर ने मेरी ओर देखकर पहले तो वही काम किया जो बाकी के मर्द करते है , उसने मेरे स्तन और मेरी साड़ी मे से नुमाया होती हुई नाभी पर अपनी नज़रों की लहर दौड़ाई 
[Image: 20220921-005403.jpg]
और फिर अन्दर से ही मेरी ओर देखते हुए उस ड्राइवर ने पूछा "कहाँ  जाना है मैडम ! " उसकी पहली हरकत देखकर मेरा मन तो नहीं हुआ कि मैं उसकी टैक्सी मे बैठू पर मुझे घर जाने मे देर हो रही थी ओर कोई ओर टैक्सी भी इस समय मिलनी मुश्किल थी इसलिए  मैंने अपने मोहल्ले का नाम बताया तो उसने कहा "वो तो बोहोत दूर है , 200 रुपये लूँगा । "

मैं - क्या 200 रुपये ???? 50 रुपये तो मुझे वहाँ से यहाँ आने मे लगे है बस , और तुम्हें 200 रुपये चाहिए । 
ड्राइवर - हाँ तो मैडम इतनी देर मे आपको वहाँ तक लेकर जाऊँगा और फिर वहाँ कोई सवारी भी नहीं मिलेगी इतनी रात मे, तो मेरा तो नुकसान हो जाएगा ना ।
मैं - फिर भी 200 तो बोहोत ज्यादा है 100 रुपये दे सकती हूँ । 
ड्राइवर ( एक बार मुझे ऊपर से नीचे तक घूरके देखते हुए )- 150 रुपये बस । इससे कम नहीं हो सकता । 
मैं कुछ उलझन सी मे थी कि क्या कहूँ  इतने मे ही , " नहीं चाहिए ..........। चल निकल ..........। " - किसी ने मेरे पीछे से जोर से कहा । मैंने हैरानी से तुरंत पीछे मुड़कर देखा 
[Image: 20221008-101649.jpg]
तो पाया कि वो गुप्ता जी थे , गुप्ता जी को यहाँ देखकर मुझे हैरानी और परेशानी दोनों हुई । गुप्ता जी की मेरे साथ बैंक के  अन्दर की हुई हरकते अभी भी मेरे मन से निकली नहीं थी और ना ही मैं उनके वो शब्द भूली थी जो उन्होंने मुझे कहे थे कि " पदमा मुझे तुम्हारे होंठों का शरबत पीना है ।"
 मुझे अपनी ओर घूमती देखकर , गुप्ता जी ने एक बार मेरी मुस्कुरा-कर देखा और फिर मेरी ओर आगे बढ़कर उस टैक्सी ड्राइवर से बात करने लगे । 
गुप्ता जी - क्यूँ बे ........ 150 रुपये चाहिए तुझे राज नगर तक के ????
ड्राइवर - अरे साहब ...... मैं तो ये बोल रहा था के बोहोत देर हो गई है तो इस टाइम कोई और सवारी भी नहीं मिलेगी ।
मैंने एक बात नोटिस की , जब मैं उस टैक्सी वाले से बात कर रही थी तो उसके बात का लहजा बड़ा ही असभ्य था मगर अब गुप्ता जी से बात करते हुए उसके तरीके मे एक अजीब सा बदलाव आ गया ।  
गुप्ता जी - अबे तो क्या सारी सवारी की जिम्मेदारी हमारी है ?
 गुप्ता जी तो उस ड्राइवर से ऊलझ ही गए थे मुझे लगा बात कही किसी ओर तरफ ना चली जाए  इसलिए मैंने गुप्ता जी को बीच मे ही टोकते हुए कहा -
मैं - अरे गुप्ता जी आप परेशान ना हो , कोई बात नहीं ।
[Image: 230334910-ezgif-com-video-to-gif-ls272.gif] 
गुप्ता जी - अरे पदमा तुम नहीं जानती इन घटिया लोगों को मुझे अच्छी पता है ये मासूम औरतों को देखकर , उन्हे लूटने की फिराक मे रहते है । 
गुप्ता जी का "मासूम औरत और उन्हे लूटने" का सम्बोधन कुछ इस प्रकार का था कि मानों वो पैसे नहीं कुछ और ही लूटने की बात कर रहे थे । मैंने अपने मन मे सवालिया नज़रों से गुप्ता जी को देखते हुए कहा - " ये ही क्या गुप्ता जी , खुद आप भी तो मुझे लूटना ही चाहते है , इसीलिए तो इतनी हमदर्दी दिखा रहे है और आप जो लूटना चाहते है वो इन रुपयों से कहीं ज्यादा कीमती है । "
[Image: 1k.jpg]
ड्राइवर - अरे साहब , अगर पैसों का इतना ही लालच है तो जाइए ना बस मे चले जाइए वहाँ किराया बोहोत सस्ता है । क्यूँ मेरी टैक्सी के पीछे लगे है ?
गुप्ता जी ने पीछे मेरी ओर पलटकर एक बार देखा , मैं कुछ कह ना सकी और मुझे कुछ ना बोलता पाकर गुप्ता जी वापस टैक्सी ड्राइवर की ओर घूमकर बोले - "हाँ-हाँ ... चले जाएंगे ... तू अपना रास्ता नाप । "
इतना सुनते ही टैक्सी ड्राइवर ने अपनी टैक्सी स्टार्ट की और वहाँ से चला गया । गुप्ता जी थोड़े गुस्सेा होते हुए मेरी ओर पलटे और बोले - " कमीना कही का ........ । पैसों की लूट समझते है । तुम घबराओ मत पदमा , बस आती ही होगी । "
मैं - वो तो ठीक है गुप्ता जी , मगर आपको ऐसे उससे उलझने की जरूरत नहीं थी । 
गुप्ता जी - जरूरत थी पदमा ...। तुमसे कोई खराब तरीके से बात करे तो मुझे अच्छा नहीं लगता । 
मैंने बिना कुछ कहे गुप्ता जी की बात पर अपना सर हामी मे हिला दिया और वही खड़ी होकर अपने आप को कोसने लगी , " ये गुप्ता जी भी पता नहीं कहाँ से आ जाते है बार-बार मुझे परेशानी मे डाल देते है हर बार । मुझे भी क्या जरूरत थी इतना मोल करने की ,अच्छी भली जा रही थी अगर पहले ही सीधी चली जाती तो गुप्ता जी के साथ जाने से बच जाती , मगर अब पूरे रास्ते इनके साथ ही जाना पड़ेगा । पर वो भी तो पैसे कुछ ज्यादा ही मांग रहा था अच्छा किया जो गुप्ता जी ने उसे भगा दिया । " एक तरफ मैं गुप्ता जी के साथ जाने की बात सोचकर बैचेन थी दूसरी ओर गुप्ता जी के लिए मन मे एक स्नेह का भाव भी पनप गया क्योंकि आज उन्होंने मेरे लिए उस बदतमीज टैक्सी ड्राइवर से झगड़ा किया । 
[Image: 3fde55908dd44582b4884f37a6281b5c.jpg]
थोड़ी ही देर मैं बस भी आ गई । मगर मैं अपने ही ख्यालों मे गुम थी , गुप्ता जी ने ही मुझे आवाज लगाकर मेरी विचारों की दुनिया को भंग किया । 
गुप्ता जी - पदमा पदमा ..... कहाँ खो गई .... चलो बस आ गई । 
मैं जैसे ही वास्तविकता से वाकिफ़ हुई तो देखा गुप्ता जी पहले से ही बस मे चढ़े हुए थे और मुझे देखते हुए बस के अन्दर आने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाए हुए थे , जिसका मतलब साफ था कि मैं उनका हाथ थामकर बस मे चढ़ जाऊ । गुप्ता जी जानते थे कि मैं स्वयं भी बस  मे चढ़ सकती हूँ लेकिन उन्हे तो मेरे मखमली गोरे हाथ को अपने हाथ मे लेकर उसके स्पर्श का आनंद उठाना था ।  मैंने गुप्ता जी के हाथ का सहारा लेते हुए बस के अन्दर प्रवेश किया और ऊपर चढ़ गई । बस के अन्दर आते ही गुप्ता जी ने मुझे खुद से सटा लिया , परन्तु इसका कारण बस के अगले भाग मे मौजूद भीड़ थी ।
[Image: 1b.gif]
मेरा हाथ गुप्ता जी ने अभी भी नहीं छोड़ा था और वो उसे अपने हाथ मे लेकर ही उसकी कोमलता का पूरा जायजा ले रहे थे ।  उस भीड़ के माहोल ने हमे एक दूसरे के बोहोत ही करीब होने पर मजबूर कर दिया और मैं और गुप्ता जी बिल्कुल एक दूसरे से चिपक से गए , इतना कि मेरी भारी गद्देदार चूचियाँ गुप्ता जी की कठोर विशाल छाती से चिपक गई और वहाँ पर घर्षण होने लगा । इस रगड़ के कारण मेरी चूचियों मे अपने आप एक अजीब सा तनाव होने लगा था , और मुझे इससे थोड़ी असहजता भी हो रही थी ।  गुप्ता जी मेरी परेशानी से अच्छे से वाकिफ़ थे इसलिए उन्होंने मुझे कहा - " पदमा !"
मैं - हाँ गुप्ता जी ..... । कहिए क्या हुआ ?
[Image: vlcsnap-2022-01-31-22h10m04s933.png]
गुप्ता जी - यहाँ पर काफी भीड़ है, इससे तुम्हें काफी परेशानी भी हो रही होगी , चलो पीछे की ओर चलते है वहाँ ज्यादा भीड़ नहीं होगी ।
गुप्ता जी का सुझाव मुझे अच्छा लगा और साथ मे ये भी विचार आया कि गुप्ता जी को मेरी फिक्र है वरना वो अपने सिने को मेरी चूचियों से मिलने वाले मजे को यूँ ही नहीं जाने देते ।
[Image: 20221017-190238.jpg]
Like Reply
मैंने खुश होकर हामी भर दी 
[Image: mpv-shot0079.jpg]
और गुप्ता जी के साथ बस के पिछले भाग की ओर जाने लगी , मगर मैं नहीं जानती थी कि जिसे मैं गुप्ता जी की उदारता समझ रही हूँ वो दरसल उनकी एक योजना का हिस्सा है । बस मे पीछे की ओर जाते हुए भी हमे एक भीड़ के दायरे को पार करना था । इसके लिए गुप्ता जी ने मेरा हाथ जो अभी भी उन्हे खुरदुरे हाथ मे अटखेलियाँ कर रहा था को अपनी कमर पर लपेटा और खुद अपना एक हाथ धीरे से मेरी पतली कमर से गुजारते हुए उसे मजबूती से अपने शिकंजे मे ले लिया
[Image: 20221124-204802.gif]
 और दूसरे हाथ को मेरी नंगी बैकलेस पीठ पर रखकर मुझे अपनी ओर ताकत से खींचा इससे मेरी जो चूचियाँ गुप्ता जी के सिने से अबतक रगड़ खा रही थी वो अब उनकी छाती से अब बिल्कुल दब गई और तो और इस झटके से मेरे और गुप्ता जी के होंठ भी एक दूसरे के बिल्कुल करीब आ गए और हमारे होंठों से निकलने वाली गरम साँसों ने एक दूसरे को काम-क्रिया को दी जाने वाली संजीवनी की तरह एक दूसरे को रोमांचित करना शुरू कर दिया । 
[Image: tumblr-p0ydza-XWl-H1udxqyao1-400.gif]
मेरे और गुप्ता जी के होंठों के मध्य अब बस नाम मात्र का फ़ासला था ऐसा लगता रहा था कि गुप्ता जी के काले खुरदुरे होंठ किसी भी पल मेरे रसीले शरबत से भरे होंठों पर टूट पड़ेंगे और इनका सारा रस-शरबत पी जाएंगे । इस प्रकार एक भीड़ भरी बस मे एक पराए मर्द के साथ चिपकने मे मुझे बोहोत शर्म आ रही थी
[Image: actress-divyayani-chakravarthi-backless-03.jpg]
 और ऊपर से गुप्ता जी थे भी तो उम्र मे मुझसे कही बड़े । मेरे मन मे ये चिंता भी थी कि कही कोई हमे इस तरह एक दूसरे का आलिंगन कीये हुए ना देख ले , मैंने अपने चारों ओर देखा तो पाया किसी का ध्यान हम पर नहीं था सब लोग भीड़ के कारण परेशान थे ।  मुझे अपने जिस्म से ऐसे ही चिपकाए गुप्ता जी उस भारी भीड़ मे आगे बढ़ने लगे और हर पल के साथ मेरे जिस्म पर अपने हाथों की पकड़ और भी मजबूत करते गए और अपने हाथ मेरी कमर और पीठ पर घुमा-कर उनपर अपनी ऊँगलियों की चाप छोड़ने लगे । बीच -2 मे गुप्ता जी के होंठों से निकलती भारी साँसों की गंध मेरे मुहँ और नाक के जरिए मेरे अन्दर जाने लगी और मेरी साँसों मे भी खलबली मचने लगी ।
[Image: rash.gif]
 एक तो पहले से ही गुप्ता जी के इतने करीब होने से मेरी साँसे शर्म के मारे बावली हो रही थी और दूसरे हमले के लिए गुप्ता जी के खुरदुरे हाथ जो पीछे से मेरे जिस्म का आनंद उठा रहे थे, मेरे अन्दर रोम-रोम को तना रहे थे । गुप्ता जी का वो हाथ जो अबतक मेरी कमर को अपनी पकड़ मे बाँधे हुए था अब धीरे-2 नीचे सरकते हुए मेरे नितम्बों पर आ टीका था और उनपर बड़े प्यार से सहला रहा था अन्दर ही अन्दर मैं गुप्ता जी को कोस रही थी "अगर वो वहाँ आकर उस टैक्सी ड्राइवर से झगड़ा ना करते तो मैं कैसे भी मैंनेज करके उसी टैक्सी मे चली जाती, मगर अब गुप्ता जी के साथ इस भीड़ भरी बस मे धक्के खाते हुए जाना पड़ रहा है वो भी खड़े-खड़े  और ऊपर से गुप्ता जी की ये बेबाक हरकते मेरे जिस्म को मोमबत्ती की तरह पिघलने पर मजबूर कर रही है  । " मैं अपने विचारों की दुविधा मे थी कि इसी दौरान भीड़ से निकलते हुए एकाक बस मे एक धक्का सा लगा गुप्ता जी अपने स्थान से विचलित होते हुए मेरे होंठों पर गिरने को हो गए, मैं और गुप्ता जी पहले ही बेहद करीब थे और इसपर गुप्ता जी का मेरी ओर झुकना इसका सीधा मतलब था गुप्ता जी का मेरे होंठों पर होने वाला हमला , पर मैंने समय रहते स्थिति को संभाल लिया और ऐन मौके पर अपने होंठों को गुप्ता जी के होंठों से दूर खींचते हुए अपना सर दूसरी ओर घुमा लिया लेकिन इतना करने पर मेरे होंठ तो गुप्ता जी के होंठों से बच गए पर मेरे गाल उनके होंठों के स्पर्श से नहीं बच पाए और गुप्ता जी ने मौका पाते ही , मेरे गाल के निचले हिस्से पर अपने होंठ रगड़ते हुए वहाँ पर मुझे चूम लिया । [Image: 26892154c6810588a21410744e9f8f7a422b468b.jpg]
एकदम से हुए इस वाक्या से गुप्ता जी थोड़े सम्भलते हुए मेरी ओर देखकर बोले - "ओह ... माफ करना पदमा ,पीछे से एकदम से धक्का लग गया था । " अपने आप को संभालते हुए मैंने सबसे पहले ये देखा कि कही गुप्ता जी को ऐसा करते हुए किसी और ने बस मे देखा तो नहीं । जब मैंने सुनिश्चित कर लिया की सब अपने मे मस्त है किसी को हम पर नजर रखने की फुर्सत नहीं तो मैंने गुप्ता जी की बात का जवाब दिया -
मैं - कोई बात नहीं गुप्ता जी , मैं समझ सकती हूँ बस मे बोहोत भीड़ है । 
मेरी बात सुनकर गुप्ता जी थोड़े सीधे हुए और आगे बढ़ने लगे । मैं तो बस जल्द से जल्द गुप्ता जी के चंगुल से निकलना चाहती थी ,क्योंकि गुप्ता जी का जो हाथ मेरे गोल भारी मांसल नितम्बों को पहले केवल सहला रहा था अब धीरे धीरे उन्हे अपने हाथों मे भरने की कोशिशे करने लगा था । और एक बार तो गुप्ता जी ने भीड़ का फायदा उठाते हुए मेरे एक नितम्ब को अपने हाथ मे जितना हो सके उतना भरकर जोर से दबा दिया ।
[Image: 20230116-194054.gif]
 हड़बड़ाहट और रोमांच मे मेरे मुहँ से एक "आह......" फूट पड़ी । 
मेरी आह सुनते ही गुप्ता जी अपने होंठों पर एक कुटिल मुस्कान लिए मेरी आँखों मे देखते हुए बोले - "क्या हुआ पदमा । " 
अपनी नज़रों को गुप्ता जी की सवालिया नज़रों से चुराते हुए और अपनी घबराहट छिपाते हुए मैं उनसे कहा - "कुछ नहीं गुप्ता जी , थोड़ा भीड़ की वजह से ......... "

मैंने अपनी बात को अधूरा छोड़ दिया जिसे गुप्ता जी ने पूरा किया । 
गुप्ता जी - ओह ..... बस थोड़ी देर और पदमा । "
 फिर थोड़ी ओर जद्दो -जहद के बाद आखिर हम दोनों एक दूसरे को अपने जिस्म से सटाये बस के आखिर मे पहुँच गए जैसा गुप्ता जी ने कहा था बस मे पीछे की ओर वाकई मे काफी जगह थी यहाँ पर लोग बोहोत ही कम थे ,और जो थे वो हमसे आगे ही थे । यहाँ आकर हमे कुछ राहत मिली और एक सुकून की साँस हम दोनों ने ली । मगर यहाँ आकर भी गुप्ता जी ने मुझे अपनी बाहों की पकड़ से आजाद नहीं किया बल्कि उसी तरह अपने एक हाथ से मेरी पीठ को पकड़े और दूसरे हाथ से मेरे नितम्बों की गोलाइयों को थामे गुप्ता जी मुझे अपने जिस्म की ओर बाँधे खड़े रहे ।
[Image: video2gif-20190104-160814.gif]
 मानों वो मुझसे दूर हटना भूल गए हों या शायद हटना ही ना चाहते हो । जब गुप्ता जी की ओर से कोई गतिविधि नहीं हुई तब मैंने ही उनकी ओर देखते हुए कहा - 
मैं - गुप्ता जी.... ।
गुप्ता जी( वैसे ही ) - हम्म क्या हुआ पदमा । 
मैं - मुझे छोड़िए ना अब । 
मेरी बात सुनकर जैसे गुप्ता जी को ध्यान आया की मैं अभी भी उनकी बाहों की कैद मे हूँ और फिर " ओह हाँ पदमा ....... । " कहते हुए गुप्ता जी ने अपना एक हाथ मेरी पीठ से वापस खिंच किया और दूसरा हाथ भी मेरे नितम्बों पर से हटा लिया और मुझे अपनी पकड़ से आजाद करके शांति से वही खड़े हो गए । हम दोनों बस के बिल्कुल आखिर मे खड़े थे हमारे साथ बगल मे कोई ओर दूसरा आदमी नहीं था । बाकी के सभी लोग हमसे आगे ही खड़े थे, वो सब लोग सामने की ओर चेहरा करके खड़े थे और उन सबकी पीठ हमारी ओर ही थी । इतनी देर उस भीड़ मे गुप्ता जी के साथ चिपके रहने से मेरी साँसे बोहोत भारी हो गई थी और मेरी साँसे बोहोत  तेज तेज चल रही थी जिसके कारण मेरी चूचियाँ भी तेजी के साथ ऊपर नीचे हो रही थी 
[Image: vidya-balan-hot-hi-blitz-magazine-stills-2.jpg]
और उनपर गुप्ता जी किसी गिद्ध की तरह नजर गड़ाए खड़े थे । जब मैंने ये बात नोटिस की तो अपने आप को नॉर्मल करते हुए , गुप्ता जी की ओर से घूमकर दूसरी तरफ मुहँ कर लिया और खड़ी हो गई ।[Image: XMiGmJP.gif]

Like Reply
और फिर यहाँ से शुरू हुआ गुप्ता जी का वासना भरा मेरे जिस्म से खिलवाड़ करने का दूसरा प्रकरण , जिसके लिए गुप्ता जी मुझे पीछे लेकर आए थे ---
[Image: 20221101-150119.jpg]

मैं और गुप्ता जी बस मे सबसे पीछे खड़े थे और कुछ इस तरह से खड़े थे कि गुप्ता जी मेरे पीछे थे और मे बस का सहारा लिए हुए उनके आगे खड़ी थी । गुप्ता जी के मन का चोर तो मैं जानती थी और मेरे दिल मे भी उनके आगे खड़े होने से बैंक के वही चल-चित्र घूम रहे थे जो उन्होंने मेरे साथ उस अंधेरी गैलरी मे कीये थे , मुझे से भी डर था कि कही गुप्ता जी यहाँ भी शुरू ना हो जाए और थोड़ी ही देर मैं मेरा डर सच साबित होने लगा ,,, 
बस के आगे बढ़ने के साथ -साथ गुप्ता जी मुझसे पीछे से सटने लगे और बस के झटकों का बहाना बना कर बार बार मुझसे टकराने की कोशिश करने लगे 
[Image: 20221102-102822.gif]
, गुप्ता जी का बार-बार का ऐसा करना मुझे भी असहज बनाने लगा थोड़ी ही देर मैं गुप्ता जी पीछे से मुझसे बिल्कुल मिल गए और मैं उनसे दूरी बनाने की कोशिश करती हुई थोड़ा आगे होने की कोशिश करने लगी , लेकिन इससे मेरी उलझने दूर नहीं हुई क्योंकि अगले ही पल गुप्ता जी फिर बस के धक्कों का बहाना बना पीछे से मुझसे  आन मिले ,
[Image: 20221102-103110.gif]
 अब तो मेरे पास आगे जाने की भी जगह बची थी मे बस और गुप्ता जी के बीच मे फँस कर रह गई । बस से तो कोई खतरा नहीं ना था मगर पीछे से गुप्ता जी का तनाव बना चुका लिंग मुझे मेरे नितम्बों पर चुभ रहा था और गुप्ता जी बस के धक्कों के बहाने से मेरे नितम्बों पर अपने कड़े लिंग से पेंट के अन्दर से ही वार कर रहे थे । मैं अपने हाथों से गुप्ता जी को पीछे धकलते हुए अपने और गुप्ता जी के बीच मे कुछ गैप बनाने की कोशिश कर रही थी
[Image: 20221102-103331.gif]
 क्योंकि गुप्ता जी का लिंग ना केवल मेरे नितम्बों बल्कि मेरे दिलों - दिमाग पर भी वार कर रहा था । जिस्म मे फिर से वही झुरझुराहट महसूस होने लगी थी एक तो गुप्ता जी के साथ बैंक मे बिताए वो पल और फिर बस के अन्दर गुप्ता जी के जिस्म से वो मजबूत आलिंगन ,, रह रहकर मेरा जिस्म मेरे दिमाग पर हावी होने लगा । गुप्ता जी मेरे इतने करीब आ चुके थे कि पीछे से उनके होंठों और नाक से निकलने वाली गरम साँसे अपनी दस्तक मेरे कानों और गर्दन पर दे रही थी ।
[Image: bade-acche-lagte-hain-balh.gif]
 ना जाने मुझे फिर से क्या होने लगा था कि मैं चाहकर भी गुप्ता जी को रोक नहीं पा रही थी । मैंने धीरे से अपने चारों ओर नजर दौड़ाई तो जाना कि सब लोग आगे देखने मे व्यस्त है किसी का ध्यान पीछे नहीं है , मैंने चैन की साँस ली , मगर उधर गुप्ता जी ना तो खुद शांत हो रहे थे ना मुझे होने दे रहे थे । गुप्ता जी बस के हर एक झटके का पूरा फायदा उठाते हुए मुझे पीछे से दीवाना कर रहे थे । मैं उन्हे कुछ कह पाने की स्थिति मे भी नहीं थी । मगर मेरा बोलना अब अनिवार्य हो गया था , मैं नहीं चाहती थी कि गुप्ता जी की हिम्मत और बढ़े और वो कुछ और आगे ना करने लगे और दूसरी तरफ मेरा खुद पर से काबू भी छूटता जा रहा था और फिर अचानक गुप्ता जी ने मेरी साड़ी के ऊपर से मेरे नितम्बों पे हाथ रख दिए और वहाँ धीरे से सहलाने लगे , बैंक के अन्दर भी गुप्ता जी ने मुझे ऐसा तड़पाया की मेरी योनि से चुतरस बस निकलने ही वाला था और अब यहाँ पर गुप्ता जी के ये असहनीय कामुक वार मुझे फिर से बहकने पर मजबूर कर रहे थे
[Image: 1o.gif]
इसलिए मैंने गुप्ता जी के हाथ अपने नितम्बों से हठाते हुए उन्हे कहा -
मैं ( अपनी कामुकता छिपाते हुए ) -गुप्ता जी ....थोड़ा पीछे रहिए ना ......ऐसे कोई देखेगा तो क्या सोचेगा .......। 
गुप्ता जी ( बेझिझक )- अरे ..मैं क्या बताऊ पदमा ... बोहोत ठंड लग रही है बस मे तो सोचा कि क्यों ना तुम्हारे पास ही खड़ा हो जाऊँ । वैसे तुम्हें भी तो ठंड लग रही होगी ना ..... तो क्यों ना हम थोड़ी देर ऐसे ही रहे । 
मैं - ......हह मगर गुप्ता जी लोग देख लेंगे तो ...... ।  
गुप्ता जी - कोई नहीं देख सकता पदमा ..। सब हमसे आगे खड़े है और वो लोग सामने देख रहे है तुम फिक्र मत करो । 
मैं - लेकिन गुप्ता जी .... बस के धक्कों से जब आप मेरे ऊपर गिरते हो तो मैं पूरी हिल जाती हूँ । 
गुप्ता जी - ओह अच्छा ..... ये बात है तो इसका मैं एक इलाज जानता हूँ । 
मैं ( सोचते हुए ) - क्या उपाय है गुप्ता जी ।।?
[Image: 1-01.gif]
गुप्ता जी - क्यों ना मैं तुम्हारी कमर को पीछे से पकड़ लूँ पदमा फिर तो कोई परेशानी नहीं होगी है ना .......। 
गुप्ता जी की ये बात सुनकर तो मैं और भी परेशान हो गई , ये मेरे लिए और भी दुविधाजनक बात हो गई थी , मैंने गुप्ता जी को मना करते हुए कहा -
मैं - नहीं ... गुप्ता जी .... मुझे वहाँ ना छूइएगा ..... प्लीज । 
गुप्ता जी - मगर क्यों पदमा क्या हो जाएगा ?
मैं - नहीं....  गुप्ता जी.....  समझने की कोशिश कीजिए ..... कुछ हो जाएगा ..... । 
गुप्ता जी - ये बात है तब तो मैं जरूर छूकर देखूँगा ।  
 और फिर मेरे बदन मे कंपकपी छूट गई जब गुप्ता जी ने धीरे से अपने हाथ मेरी कमर पर रख दिए और वहाँ पर अनजान बनते हुए सहलाने लगे ।
[Image: 4-07.gif]
गुप्ता जी - लो देखो कुछ भी तो नहीं हुआ । 
मैं - आह ..... ... गुप्ता जी .... आप बड़े जिद्दी है ।
गुप्ता जी( पीछे से मुस्कुराते हुए ) - पदमा तुम्हें भी ठंड लग रही है , देखो ना तुम्हारा बदन कैसे भँवरे की तरह थरथरा रहा है । 
अब मैं गुप्ता जी को क्या बताऊँ कि मेरा बदन ठंड की वजह से नहीं बल्कि उनके कामुक कारनामों  से होने वाली उत्तेजना के कारण कांप रहा है , अब तो उन्हे वैसे भी मेरे बदन से खेलने का बहाना मिल गया था और वो अपने सर को मेरे कंधे से लगभग बिल्कुल लगा के अपनी गरम साँसे मेरी गर्दन पर चुभाते हुए मेरी हवस की अग्नि को हवा दे रहे थे ,और नीचे उनके हाथ मेरी नाभी और पेट पर घूम रहे थे जिसकी वजह से मेरे पेट थर-थर काँप रहा था और साँसे तेजी से चल रही थी ।  
[Image: 20230116-201305.gif]
इसी बीच गुप्ता जी के हाथ मेरी नाभी के नीचे लटके मेरे कमरबंध (waistband) पर जा फसे और उसे अपने हाथों मे लेते हुए गुप्ता जी मेरे कानों मे धीरे से  बोले -
गुप्ता जी - हम्म ... अब मुझे पता चल गया पदमा । 
मैं - क्या पता चल गया गुप्ता जी । 
गुप्ता जी - यही की तुम्हें ठंड क्यों लग रही है ?और क्यों तुम्हारा बदन काँप रहा है ?
गुप्ता जी की बात सुनकर मैं थोड़ी हैरान रह गई और मेरा दिल जोरों से धड़कने लगा पता नहीं गुप्ता जी अब अपने मुहँ से कौन सी बात निकलेंगे । मैं गुप्ता जी की ओर पीछे धीरे से सवालिया नज़रों से देखा तो गुप्ता जी बोले - "ये सब इसकी वजह से हो रहा है ना ?"
गुप्ता जी का इशारा नीचे मेरी कमर पर बँधे कमरबन्द की ओर था, मैंने देखा गुप्ता जी उसमे उलझे उसे उससे खेलते हुए बोले - " मैं इसे उतार देता हूँ पदमा , ताकि तुम्हें ठंड ना लगे तुम बाद मे इसे जाते हुए ले लेना । "
ये कहकर गुप्ता जी ने मेरे जवाब का इंतज़ार कीये बिना अपनी ऊँगलियों को मेरे पेट पर घुमाते हुए मेरी कमर के कमरबंद को उतार दिया 
[Image: 20230109-203554.gif]
और फिर से वहाँ पर अपने हाथ घुमाते हुए मेरे बदन से खेलने लगे  मेरे बदन का रोम रोम गुप्ता जी के वार से जलने लगा गुप्ता जी धीरे धीरे मेरे इतने करीब आ गए की मेरे कंधों और कानों पे उन्हे गरम होंठों का स्पर्श मुझे होने लगा यहाँ तक की मेरी चूचियाँ भी बेधड़क होकर ऊपर नीचे होती हुई उत्तेजित अवस्था मे आने लगी । गुप्ता जी ने फिर से अपने  अधूरे काम को पूरा करने की मंशा से एक बार फिर मेरे नितम्बों पर हाथ रखा और उन्हे मसलना शुरू किया और इस बात का भी पूरा ध्यान रखा कि उनके होंठ मेरे कंधों से दूर ना हो जाए क्योंकि वो जानते थे कि अगर मैं एक बार उनके हवस के फैलाए जाल से निकल गई तो फिर उन्हे सब कुछ दोबारा से शुरू करना होगा इसलिए गुप्ता जी ने अपने होंठो को मेरे कानों पर लगा कर वहाँ बार-बार चूमा । 

[+] 2 users Like Ravi Patel's post
Like Reply




Users browsing this thread: 3 Guest(s)