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अंतरंग हमसफ़र
अंतरंग हमसफ़र 



INDEX




अंतरंग हमसफ़र भाग 001 अंतरंग जीवन की पहली हमसफ़र रोज़ी.

अंतरंग हमसफ़र भाग 002 पहली हमसफ़र - शारीरक सुखो से मेरा पहला परिचय.

अंतरंग हमसफ़र भाग 003 अंतरंग जीवन की पहली हमसफर रोज़ी के साथ पहले सम्भोग की कहानी.

अंतरंग हमसफ़र भाग 004 अंतरंग जीवन की पहली हमसफर रोज़ी के साथ मानसिक सेक्स.

अंतरंग हमसफ़र भाग 005 रूबी के साथ संसर्ग, उसके बाद समूह सेक्स.

अंतरंग हमसफ़र भाग 006 टीना एक नयी कुंवारी युवती के साथ तालाब में पहला संसर्ग.

अंतरंग हमसफ़र भाग 007 साथियो की अदला बदली.

अंतरंग हमसफ़र भाग 008 सुन्दर युवती से मुलाकात.

अंतरंग हमसफ़र भाग 009 फूफेरी बहन से प्रेम का इजहार.

अंतरंग हमसफ़र भाग 010 रूबी और रोजी.

अंतरंग हमसफ़र भाग 011 रूबी और रोजी.

अंतरंग हमसफ़र भाग 012 रोजी, रूबी के साथ सेक्स.

अंतरंग हमसफ़र भाग 013 जेन के साथ सेक्स.

अंतरंग हमसफ़र भाग 014 जेन के साथ मुखमैथुन और सेक्स.

अंतरंग हमसफ़र भाग 015 जेन के साथ सेक्स

अंतरंग हमसफ़र भाग 016 अलका की पहली चुदाई

अंतरंग हमसफ़र भाग 017 अलका की पहली चुदाई

अंतरंग हमसफ़र भाग 018 दूसरी फूफेरी बहन के साथ सम्भोग.

अंतरंग हमसफ़र भाग 019 फूफेरी बहन के साथ सम्भोग से पहले चाटना चूमना.

अंतरंग हमसफ़र भाग 020 कुंवारी फूफेरी बहन की धुआंधार चुदाई.

अंतरंग हमसफ़र भाग 021 कमसिन फूफेरी बहनो की धुआंधार चुदाई.

अंतरंग हमसफ़र भाग 022 नयी लड़किया और तालाब पर छुप कर मस्तियो के नज़ारे.

अंतरंग हमसफ़र भाग 023 लड़कियों की तालाब पर मस्ती के मादक कामुक नज़ारे.

अंतरंग हमसफ़र भाग 024 तुम ने पुकारा और हम चले आये- लड़कियों के साथ तालाब पर मस्ती.

अंतरंग हमसफ़र भाग 025 नग्न सामूहिक कामुक खेल और मुख मैथुन.

अंतरंग हमसफ़र भाग 026 सौतेली बहने.

अंतरंग हमसफ़र भाग 027 सौत बनी साथी.

अंतरंग हमसफ़र भाग 028 बॉब की रुखसाना के लिए बेकरारी.

अंतरंग हमसफ़र भाग 029 सेक्स का आरंभिक ज्ञान.

अंतरंग हमसफ़र भाग 030 चुदाई के नज़ारे.

अंतरंग हमसफ़र भाग 031 प्यार का असली सबक

अंतरंग हमसफ़र भाग 032 कजिन के सहेली के साथ मेरे फूफेरे भाई की आशिक़ी.

अंतरंग हमसफ़र भाग 033 रुखसाना की पहली चुदाई

अंतरंग हमसफ़र भाग 034 रुखसाना की चुदाई की कहानी जारी है

अंतरंग हमसफ़र भाग 035 हुमा की पहली चुदाई

अंतरंग हमसफ़र भाग 036 दुल्हन की लाल रंग की पोशाक में खूबसूरत हुमा.

अंतरंग हमसफ़र भाग 037 चुदाई से पहले की चूमा चाटी.

अंतरंग हमसफ़र भाग 038 चिकनी संकरी और छोटी से चूत वाली हुमा की पहली चुदाई.

अंतरंग हमसफ़र भाग 039 हुमा की पहली चुदाई.

अंतरंग हमसफ़र भाग 040 हुमा की आनंदभरी चुदाई.

अंतरंग हमसफ़र भाग 041 हुमा के साथ मस्तिया जारी हैं.

अंतरंग हमसफ़र भाग 042 हुमा बहुत नाराज हो गयी.

अंतरंग हमसफ़र भाग 043 सेक्सी मेजबान की टांग में क्रैम्प.

अंतरंग हमसफ़र भाग 044 सेक्सी मेजबान के साथ पहली बार संसर्ग.

अंतरंग हमसफ़र भाग 045 मेजबान के साथ संसर्ग.

अंतरंग हमसफ़र भाग 046 लिली की योनि में मेरे लंड का प्रथम प्रवेश.

अंतरंग हमसफ़र भाग 047 लिली ने सम्भोग का नया तरीका सिखाया.

अंतरंग हमसफ़र भाग 048 सरप्राइज़.

अंतरंग हमसफ़र भाग 049 सोई हुई परम् सुंदरी

अंतरंग हमसफ़र भाग 050 परम् सुंदरी का प्रभाव.

अंतरंग हमसफ़र भाग 051 वूमेन ऑन टॉप.

अंतरंग हमसफ़र भाग 052 नकली गुस्सा असली प्यार.

अंतरंग हमसफ़र भाग 053 भाग्यशाली.

अंतरंग हमसफ़र भाग 054 लिली की बहन मिली से पहली मुलाकात और आलिंगन.

अंतरंग हमसफ़र भाग 055 चलती कार में चुदाई.

अंतरंग हमसफ़र भाग 056 सामने चुदाई करते हुए देखना.

अंतरंग हमसफ़र भाग 057 तीन गर्म बहनो की चुदाई का क्रम.

अंतरंग हमसफ़र भाग 058 तीन गर्म बहनो की चुदाई का क्रम.

अंतरंग हमसफ़र भाग 059 मिली का सौंदर्य अवलोकन.

अंतरंग हमसफ़र भाग 060 मिली की सहायिका सपना की ख़ूबसूरती.

अंतरंग हमसफ़र भाग 061 सपना के नग्न सौंदर्य का निरीक्षण कर उसे सराहा.

अंतरंग हमसफ़र भाग 062 हुमा का निरिक्षण.

अंतरंग हमसफ़र भाग 063 हुमा को सजा.

अंतरंग हमसफ़र भाग 064 मिली निकली उस्ताद.

अंतरंग हमसफ़र भाग 065 मिली ने दिया पहला सेक्स ज्ञान.

अंतरंग हमसफ़र भाग 066 लिली के साथ मजे.

अंतरंग हमसफ़र भाग 067 लिली ने की लंड चुसाई.

अंतरंग हमसफ़र भाग 068 घट कंचुकी.

अंतरंग हमसफ़र भाग 069 एमी और तीनो कुंवारी लड़कियों ने पहली बार चुदाई साक्षात देखी.

अंतरंग हमसफ़र भाग 070 हुमा ने की लंड चटाई

अंतरंग हमसफ़र भाग 071 अगले सत्र की तयारी.

अंतरंग हमसफ़र भाग 072 मैं तरोताजा महसूस कर रहा था.

अंतरंग हमसफ़र भाग 073 ज्यादातर पशु किस आसन में सेक्स करते हैं.

अंतरंग हमसफ़र भाग 074 चॉकलेट खाने का सही तरीका.

अंतरंग हमसफ़र भाग 075 मिली खुद चुदी.

अंतरंग हमसफ़र भाग 076 चकाचक माल की दावत.

अंतरंग हमसफ़र भाग 077 सपना का कौमार्य भंग

अंतरंग हमसफ़र भाग 078 पहली चुदाई के बाद का दुलार.

अंतरंग हमसफ़र भाग 079 सपना चुपके से मेरे कमरे में मेरे पास आयी और मेरे से लिपट गयी.

अंतरंग हमसफ़र भाग 080 वीसा साक्षात्कार

अंतरंग हमसफ़र भाग 081 पहली डेट

अंतरंग हमसफ़र भाग 082 सूर्यास्त

अंतरंग हमसफ़र भाग 083 चाँद की धीमी रोशनी, नदी में नाव में हम

अंतरंग हमसफ़र भाग 084 मुखमैथुन के नए पाठ

अंतरंग हमसफ़र भाग 085 कुंवारी योनि का दुर्लभ अवलोकन.

अंतरंग हमसफ़र भाग 086 कौमार्य भंग

अंतरंग हमसफ़र भाग 087 दोबारा करेंगे तो बेहतर लगेगा

अंतरंग हमसफ़र भाग 088 मैं पूरी कोशिश करूँगा

अंतरंग हमसफ़र भाग 089 लंदन की हवाई यात्रा-1

अंतरंग हमसफ़र भाग 090 जहाज के सफर में मनोरंजन

अंतरंग हमसफ़र भाग 091 हवाई यात्रा में छोटा ब्रेक

अंतरंग हमसफ़र भाग 092 एयरलाइंस की वो परिचारिका

अंतरंग हमसफ़र भाग 093 एयरलाइंस परिचारिका के साथ कार में

अंतरंग हमसफ़र भाग 094 एयरलाइंस परिचारिका के साथ कार में

अंतरंग हमसफ़र भाग 095 एयरलाइंस परिचारिका का पहला अनुभव

अंतरंग हमसफ़र भाग 096 नायाब एयरलाइंस परिचारिका

अंतरंग हमसफ़र भाग 097 आगे का सफर नए साथी के साथ

अंतरंग हमसफ़र भाग 098 नए साथी के साथ खेल

अंतरंग हमसफ़र भाग 099 हवाई यात्रा मे हस्तमैथुन

अंतरंग हमसफ़र भाग 100 इन-फ्लाइट मनोरंजन

अंतरंग हमसफ़र भाग 101 लंदन में पढ़ाई और मस्तियो की शुरुआत

अंतरंग हमसफ़र भाग 102 लंदन का ख़ास पैराडाइस मनोरजन क्लब

अंतरंग हमसफ़र भाग 103 साथी का चयन

अंतरंग हमसफ़र भाग 104 भोजन, संगीत और प्रेम का इजहार

अंतरंग हमसफ़र भाग 105 प्रेम और मस्तिया

अंतरंग हमसफ़र भाग 106 प्रेम आलिंगन और नृत्य

अंतरंग हमसफ़र भाग 107 सार्वजानिक और खुले तौर पर सम्भोग

अंतरंग हमसफ़र भाग 108 चुदाई के दौरान बिस्तर ने हवा उछाल दिया

अंतरंग हमसफ़र भाग 109 बिस्तर में लगे ताकतवार स्प्रिंगों का स्प्रिंगिंग एक्शन

अंतरंग हमसफ़र भाग 110 लंदन में पढ़ाई और मस्तिया कामुकता और ऐयाशी

अंतरंग हमसफ़र भाग 111 लंदन में पढ़ाई और मस्तिया सामूहिक ऐयाशी

अंतरंग हमसफ़र भाग 112 लंदन में पढ़ाई और मस्तिया, नफीसा का स्वागत

अंतरंग हमसफ़र भाग 113 सुंदरता, सेक्स की देवी की पुजारिन.

अंतरंग हमसफ़र भाग 114 सेक्स की देवी की पुजारिन.

अंतरंग हमसफ़र भाग 115 लंदन में पढ़ाई और मस्तिया, पुजारिन के ख़ुशी के आंसू!

अंतरंग हमसफ़र भाग 116 लंदन में पढ़ाई और मस्तिया नियंत्रण

अंतरंग हमसफ़र भाग 117 सुंदर और अध्भुत सम्भोग का आनंद

अंतरंग हमसफ़र भाग 118 अध्भुत सम्भोग का आनंद और शक्ति का संचार.

अंतरंग हमसफ़र भाग 119 लंदन में पढ़ाई और मस्तिया अरबपति की ट्रॉफी पत्नी

अंतरंग हमसफ़र भाग 120 लंदन में मस्तिया टिटियन प्रकार की लड़की

अंतरंग हमसफ़र भाग 121 लड़की या कोई हूर परी!

अंतरंग हमसफ़र भाग 122 चार प्रेमिकाओ के साथ सामूहिक सम्भोग

अंतरंग हमसफ़र भाग 123 लंदन में पढ़ाई और मस्तिया कामुक पागलपन .

अंतरंग हमसफ़र भाग 124 कामुक ख्याल

अंतरंग हमसफ़र भाग 125 लंदन में मस्तिया कामुक दृश्यम

अंतरंग हमसफ़र भाग 126 लंदन में मस्तिया और उस रात का आखिरी पहर

अंतरंग हमसफ़र भाग 127 सुबह-सुबह टहलना-कुछ-बहुत कुछ

अंतरंग हमसफ़र भाग 128 सुबह-सुबह-बहुत कुछ

अंतरंग हमसफ़र भाग 129 समारोह की प्रक्रिया

अंतरंग हमसफ़र भाग 130 सेक्स और सुंदरता की उपासक पुजारिने

अंतरंग हमसफ़र भाग 131 मैं ही क्योे?

अंतरंग हमसफ़र भाग 132 काफिला

अंतरंग हमसफ़र भाग 133 पुजारिन के उद्धारकर्ता की जय

अंतरंग हमसफ़र भाग 134 प्यार का मंदिर प्रेम भरी प्राथना

अंतरंग हमसफ़र भाग 135 स्नानागार

अंतरंग हमसफ़र भाग 136 शुद्धिकरण स्नान

अंतरंग हमसफ़र भाग 137 ऐयाशी - जब रात हैं ऐसी मतवाली तो फिर सुबह का आलम क्या होगा!

अंतरंग हमसफ़र भाग 138 जनाना स्नान्नगार

अंतरंग हमसफ़र भाग 139 प्यार की देवी

अंतरंग हमसफ़र भाग 140 स्नान और सम्भोग

अंतरंग हमसफ़र भाग 141 सफाई और स्नान

अंतरंग हमसफ़र भाग 142 विशेष समारोह आरंभ

अंतरंग हमसफ़र भाग 143 विशेष समारोह शुद्धिकरण दुग्ध स्नान

अंतरंग हमसफ़र भाग 144 विशेष समारोह - दुग्ध स्नान

अंतरंग हमसफ़र भाग 145 विशेष समारोह-प्रारम्भकर्ता या माध्यम, पहलकर्ता

अंतरंग हमसफ़र भाग 146 विशेष समारोह की मालिशकर्ता

अंतरंग हमसफ़र भाग 147 विशेष समारोह महायाजक

अंतरंग हमसफ़र भाग 148 महायाजक द्वारा सशक्तिकरण

अंतरंग हमसफ़र भाग 149 पुजारिणो द्वारा सशक्तिकरण

अंतरंग हमसफ़र भाग 150 सशक्तिकरण

अंतरंग हमसफ़र भाग 151 दावत कक्ष

अंतरंग हमसफ़र भाग 152 मार्टिनी ग्लास में नर्तकी अंतरंग हमसफ़र भाग 153 दावत - 13. मुख्य व्यंजन - 1. जूस, 2 फल. 3 स्नैक्स 4. सूप

अंतरंग हमसफ़र भाग 154 दावत - 13. मुख्य व्यंजन - 5. ऐपेटाइज़र, 6. सलाद

अंतरंग हमसफ़र भाग 155 दावत - 13. मुख्य व्यंजन 6- सलाद

अंतरंग हमसफ़र भाग 156 दावत - 13. 7 - तालू की सफाई के लिए वाइन. स्तन निरीक्षण

अंतरंग हमसफ़र भाग 157 दावत - 13. 8 मुख्य व्यंजन


अंतरंग हमसफ़र भाग 158 दावत - 13 प्रकार के मुख्य व्यंजन 8- मुख्य व्यंजन

अंतरंग हमसफ़र भाग 159 दावत - 13 प्रकार के मुख्य व्यंजन 9 शैंपेन से मुख शुद्धि -

अंतरंग हमसफ़र भाग 160 दावत - 13 प्रकार के मुख्य व्यंजन 10 अगली मुख्य डिश

अंतरंग हमसफ़र भाग 161 दावत - 13 प्रकार के मुख्य व्यंजन 10- एक बार फिर

अंतरंग हमसफ़र भाग 162 दावत - 13 प्रकार के मुख्य व्यंजन 11 -मजेदार आनद का अनुभव

अंतरंग हमसफ़र भाग 163 दावत - 13 प्रकार के मुख्य व्यंजन 11 - सामूहिक आनद का अनुभव

अंतरंग हमसफ़र भाग 164 दावत - 13 प्रकार के मुख्य व्यंजन 11 - मजेदार अनुभव

अंतरंग हमसफ़र भाग 165 दावत - 13 प्रकार के मुख्य व्यंजन -12- मजेदार मीठा

अंतरंग हमसफ़र भाग 166 असुविधा को दूर करने का प्रयास

अंतरंग हमसफ़र भाग 167 दावत - 13 प्रकार के मुख्य व्यंजन -12- मीठा त्यार है

अंतरंग हमसफ़र भाग 168 दावत - 13 प्रकार के मुख्य व्यंजन -12- मीठा परोस दिया है

अंतरंग हमसफ़र भाग 169 मालिश

अंतरंग हमसफ़र भाग 170 सैंडविच मालिश

अंतरंग हमसफ़र भाग 171 जुड़वाँ बहनो के साथ मालिश और सम्भोग

अंतरंग हमसफ़र भाग 172 बेकरार महायाजक



मेरे अंतरंग हमसफ़र

सातवा अध्याय



लंदन का प्यार का मंदिर




भाग 41- 



समारोह की तयारी



जीवा को याद था कि पहली और आखिरी बार भी उसकी इष्ट प्रेम की देवी ने ही उसकी सहायता की थी और जब उसकी दीक्षा (चुदाई) का कार्यक्रम था तब भी उसने देवी से ही प्राथना की थी की वह उसके कौमार्य की रक्षा करे और फिर जब उसके दीक्षा करता वारेन का लंड उसकी चूत के अन्दर जाने वाला था तो उसका लंड जीवा की योनि का स्पर्श करते ही बाहर ही स्खलित हो गया था। दुबारा दीक्षा करवाने के लिए जीवा और पाईथिया त्यार नहीं हुई थी और इस बात से प्रेम की देवी और मंदिर की बदनामी न हो और बात फ़ैल न जाए इसलिए जीवा को ही मुख्य महायाजक बनाया गया । फिर उसके बाद पाईथिया ने नियमो में बदलाव किया था और दीक्षाकरता के चुनाव के नियम बदल दिए थे । इसी कारन से जीवा मंदिर के शताब्दियों के इतिहास में पहली महायाजक पुजारिन थी जो की कुंवारी रहती हुई महायाजक बन गयी थी । जीवा और पाईथिया दोनों मानती थी ये सब देवी की असीम कृपा का ही नतीजा था और ये राज केवल महायाजक पाईथिया, जीवा और उसके दीक्षा करता श्रीमान वारेन को ही ज्ञात था ।



इसीलिए जीवा की चूत की कसावट कुवारी चूत वाली ही थी। फिर उसने अपनी इष्ट प्रेम की देवी से प्राथना की और उनसे थोड़ा-सी और शक्ति और सब्र माँगा और दोनों उंगलिया को अन्दर डालने के लिए जोर लगाना पड़ रहा था। चूत की कसी हुई मखमली दीवारे उसकी योनि उंगलियों को अंदर नहीं जाने दे रही थी । थक कर उसने हाथ से दाने को रगड़ना जारी रखा। इससे मिलने वाले चरम सुख की कोई सीमा नहीं थी। मुहँ से सिसकारियो का सिलसिला लगातार चल रहा था, उसका शरीर भी उसी अनुसार लय में कांप रहा था और आगे पीछे हो रहा था। अचानक उसका पूरा शरीर अकड़ गया, सिसकारियो का न रुकने वाला सिलसिला शुरू हो गया, जांघे अपने आप खुलने बंद होने लगी, दाना फूलकर दोगुने साइज़ का हो गया था लेकिन जीवा ने उसे रगड़ना अभी भी बंद नहीं किया था। दाने के रगड़ने से चूत के कोने-कोने तक में उत्तेजना की सिहरन थी। चूत की दीवारों में एक नया प्रकार का सेंसेशन होने लगा, कमर और जांघे अपने आप कापने लगी, जीवा को पता चल गया अब अंत निकट है, ये वासना के तूफ़ान की अंतिम लहर है। चूत रस तेजी से बाहर की तरफ बहने लगा। सारा शरीर कापने लगा, उत्तेजना के चरम का अहसास ने उसके शरीर पर से बचा खुचा नियंत्रण भी ख़त्म कर दिया।






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कमर अपने आप ही हिल रही थी, पैर काँप रहे थे, मुहँ से चरम की आहे निकल रही थी। और फिर अंतिम झटके के साथ पूरे शरीर में कंपकपी दौड़ गयी और पूरा शरीर सोफे पर धडाम से ढेर हो गया। और फिर वह झटके खाती हुई स्खलित हुई और धीरे-धीरे वह सोफे पर पूरी तरह लेट गयी।



जीवा आनंद के सागर में गोते लगाते-लगाते लगभग बेहोशी की हालत में पंहुच गयी। धीरे-धीरे जीवा की सांसे काबू में आने लगी, चूत के दाने की सुजन कम होने लगी, स्तनों की कठोरता कम होने लगी। अपनी उखड़ती सांसे संभाले जीवा अपना स्त्रीत्व महसूस करने लगी, उसे अपने औरत होने का अहसास हुआ। चेहरे पर मुस्कराहट आयी और उसने शरीर को ढीला छोड़ दिया। उसने अपने ही चुचे और चूत का अहसास आज पहली बार किया था। उसके शरीर मेंइन अंगो के होते हुए भी आज तक इनसे अनजान थी। लेकिन उसे अभी संतुष्टि का एहसास नहीं हुआ और जब संतुष्टि देने वाले का ख्याल आया तो तुरंत उसके चेहरे पर फिर एक बार मुस्कुराहट आ गयी और उसने अपनी चूत और स्तनों को थपथपाया, पूरे बदन को सहलाया और बोली बस थोड़ा-सा इन्तजार और करो प्यारे पिया से मिलन का समय अब बिलकुल पास है ।




इसी के साथ उसने टब में डुबकी लगा दी । 22 साल की खूबसूरत जीवा स्नानागार में टब से नहाकर बाहर निकली और तेजी से खुद के नंगे बदन को तौलिये से लपेट लिया, लेकिन आईने तक आते-आते तौलिया फिसल गया।




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तभी कदमो की आवाज आयी और वह परिचारिकायें मालिश का समान और दो बड़े बक्से ले कर स्नानागार में आयी। दो परिचारिकायें आयी मिशु मालिश और राशि मेकअप के लिए प्रशिक्षित थी। पाईथिया ने उन्हें जीवा की मालिश और मेकअप करने के लिए भेजा था और राशि भारतीय मूल की लड़की थी और बोली डेल्फी आप हमारे हाथो से मालिश करा ले और उबटन लगवा ले आपको बहुत अच्छा लगेगा । फिर सबसे पहले उन्होंने जीवा के जिस्म की वैक्सिंग की और-और चूत बिल्कुल क्लीन शेवड की। हालाँकि जीवा ने वैक्सिंग दो दिन पहले ही करा ली थी। लेकिन राशि जीवा की चूत को बिलकुल मक्खन चूत बनाना चाहती थी। शायद उसे किसी ने बता दिया था कि मुझे चिकनी योनि बहुत पसंद है । इसलिए उसने जीवा की चूत और गांड को क्रीम लगा के साफ़ किया और बार-बार वीट लगा कर चूत ऐसी बना दी कि कोई मक्खी भी बैठ जाये तो फिसल जाए।



और फिर उन्होंने तेल अपनी उंगलिओं में लेके जीवा के बदन पर लगाना शुरू किया, तो जीवा की जो भी झिझक थी, थकान थी और दर्द था, सब कुछ ही देर में पिघल गया। पैरों, पिंडलियों, जाँघो की थकान तो गायब हो ही गई, उसे बिकुल एकदम हल्का लगने लगा ।, । उसका हाथ जब नितंबो पर पहुँचा और उसने अपने हाथों के बीच जीवा के दोनों नितंबो को मसलना शुरू किया।





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फिर राशि ने जीवा को हल्दी, चंदन और मंदिर के कुछ विशेष जड़ी बुटिया मिला उबटन लगाना शुरू किया और पहले पैरों पर लगाया फिर थोड़ा-सा एक दूसरी कटोरी से कुछ अलग-सा उबटन बूब्स के साइड में लगा दिया। वह अपने आप करवट बदल के पीठ के बल हो गयी। फिर उसने जीवा के उभारों पर कुछ और उबटन लगाया और बोली थोड़ी देर ऐसे ही पड़े रहना । जीवा को बहुत अच्छा लग रहा था। और फिर राशि ने सीधे जीवा के उरोजो पर और एक दूसरी कटोरी से एक अलग ढंग का उबटन ले के उसके सीने पर हल्के हाथों से लगाया। वह अनारदाने और अनार का एक ख़ास उबटन था जो बच्चे होने के बाद औरतों के सीने में कसाव और शेप के लिए इस्तेमाल होता है फिर उसे यहीं लगा हुआ छोड़ कर फिर बाकी देह में चंदन, हल्दी और जड़ी बूटियों वाला उबटन लगाना शुरू किया। एक घंटे के बाद फिर सीने पर लगा वह लेप छुड़ाया।




सीने पर वह ख़ास उबटन जब वह छुड़ाती तो राशि जीवा के सीने को सहला देती और कहती आपको मास्टर यहाँ पर कस के मसलेँगे और जीवा के निपल्स तुरंत कड़े हो गए और फिर उसने उन्हें हलके से खेंच कर बोली वह कहती, दिल्ली, मास्टर तो बहुत किस्मत वाले हैं जो उनका इतना मस्त जवानी मिली है । तभी मीशू बोली अरे मास्टर भी तो मस्त हैं । वह कितने बहदुर हैं, उन्होंने ही डेल्फी की जान बचायी है और मैंने तो ये भी सुना है उनका लिंग बाहर बड़ा लम्बा और कठोर है । और मैंने स्नानागार की एक परिचारिका को ये कहते हुए सुना था की जब मास्टर चुदाई करते हैं तो चीखे पूरे मंदिर में गूंजे लगती हैं ।




राशि बोली हाँ अरे जहाँ उनका कमरा है वहाँ से अभी भी चीखे सुनाई दे रही हैं ... मीशू बोली अरे ये तो समीना की चीखे हैं जो उनकी सेवा में है। लगता है आज समीना न्र भी होना कौमार्य मास्टर को समर्पित कर दिया है और ये बोलते हुए वह नीचे भी वह कोई मौका नहीं छोड़ रही थी, कभी उसकी कुँवारी योनि की पंखुड़ियो को सहला देती तो कभी तेल लगाने के बहाने उंगली की टिप से छेद को छु देती।



जीवा दम मस्ती से भर गयी थी और जब वह उसे सीने को छुने से मना करती तो वह और मसल के बोलती, "अर्रे डेल्फी, ये तो जवानी के फूल हैं, आपके मास्टर । आपके मसीह के खिलौने। अर्रे वह तो इतने कस-कस के मसलेंगे कि आपके पसीने छूट जाएँगे। मास्टर आपको सिर्फ़ हाथों से नही, चूसेंगे, चाटेंगे, होंठो से भी, चूमेंगे, और कच कचा के काटेंगे और अपने उस बृद्ध हथियार से पीस देंगे । चटनी बना देंगे । आप को याद नहीं है कि कैसे उनके हथियार ने एस्ट्रा की योनि के अंदर चेरी की चटनी बनायीं थी । डेल्फी अब इन कबूतरो के उड़ने के दिन आ गये और अब वे इन मस्त जोबन को वह लूट लेंगे।"



जीवा उनकी बाते सुन कर मजे लेती रही थोड़ा शरमाती, गुस्सा होने का नाटक करती पर मन ही मन सोचती कि अब कुछ पालो की बात है और फिर मैं उनकी बाहों में होंगी और वह मुझे अपने सीने में कस के भींच के, दबा के, रगड़ के मेरे साथ प्यार करेंगे। "




फिर उन्होंने जीवा को शावर चला कर उसका जिस्म मसल-मसल कर नहलाया और उसके बाद उसे विशेष ड्रेस पहना दी जिसमे कोई कपड़ा नहीं था शरीर का कोई अंग किसी वस्त्र से छिपाया नहीं था, संपूर्ण पतले शरीर पर केवल सोने के हार और गहने पहने हुए थे और कुछ बारीक सुनहरी जंजीरों के अलावा उसका सुंदर नग्न बदन देखना बहुत कामुक था।




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राशि बोली मीशू आप जानती हैं मास्टर मेरी तरह एक भारतीय हैं और मैं आज की रात डेल्फी की है और मेरा सुझाव है क्यों न इन्हे हम एक दुल्हन की तरह सोलह शृंगार कर सजा दे । फिर मास्टर की हालत देखने लायक होगी ।




मीशू बोली इसके लिए हमे डेल्फी से ही आज्ञा लेनी चाहिए और बोली डेल्फी आपकी इस बारे में क्या राये है?



जीवा ने शर्मा कर अपनी सहमति गर्दन हाँ में हिला कर दे दी। फिर मीशू और राशि ने जीवा को उनके कमरे में ले गयी और जीवा का सोलह शृंगार की पूरी करना शुरू कर दिया। जीवा के शृंगार का विवरण मैं आगे करूँगा जब वह त्यार हो कर मेरे सामने आएगी



सबसे अंत में जीवा के बालो में ग्रीक गजरा सजा दिया–और गजरे ने जीवा के हुस्न और सुनहरे घने और लंबे बालो की सुंदरता को कई गुना बढ़ा दिया और बोली आज तो डेल्फी जीवा आप बहुत सुंदर लग रही है पता नहीं किस-किस पर बिजलिया गिरने वाली हैं और आज तो मास्टर को बहुत धैर्य रखने की जरूरत पड़ेगी।






कहानी जारी रहेगी
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मेरे अंतरंग हमसफ़र

सातवा अध्याय

लंदन का प्यार का मंदिर

भाग 42

उद्घाटन समारोह शुरू करें




मैंने भी शेव करवाई और सभी गैरजरूरी बाल हटा दिए गए और फिर मैं नहाया और तभी मंदिर में मधुर घंटी बज उठी । अलीना और कसान ने एक दूसरे को देखा और धीरे से स्नानागार से हम बाहर निकले। "आओ मास्टर । आपके सम्मान में दावत और फिर उद्घाटन जल्द ही शुरू होगी।" लड़कियों ने मुझे से एक लंबे मुलायम चोगे को पहनने में मदद की जो हिलने-डुलने पर मेरी त्वचा को सहलाती थी। मैंने उस चोगे को धारण किया जो मुझे महायाजक ने इस अवसर पर पहनने के लिए दिया था . चोगा सुनहरा था , पूरी तरह से रेशम का बना हुआ था, जिस पर सुनहरे रंग की कढ़ाई की गई थी। फिर मैंने एक ऊंचे दर्पण में खुद को देखा और तभी एस्ट्रा मुझे नीचे दावत में ले जाने के लिए आ गयी । चुंबन और आलिंगन के साथ मैंने अलीना और कसान को अलविदा कहा और वो दोनों अपने कक्षों में तरोताजा होने और तैयार होने के लिए जल्दी से चली गयी । एस्ट्रा ने ऊँची एड़ी के जूते और एक छोटी रेशमी पोशाक पहनी हुई थी थी। नीचे, उसने नाजुक हार्नेस भी पहना था: कुछ पतले सोने की चैन जो उसकी पीठ को क्रॉस-क्रॉस कर रही थी और वो चैन एक सुंदर सुनहरे चोकर हार से जुड़ने हुई थी और उसके बड़े सुडोल स्तनों के बीच में स्थापित थी ।


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मंदिर के हाल में सभी औपचारिक वस्तुएं उचित स्थान पर स्थापित कि गयी थी । सेंट्रल हॉल को सजाया गया था और तेल के दीयों, मशालों और एक औपचारिक आग से जगमगाया गया था, महत्वपूर्ण लोगों के सोने के गहने और सोने की वस्तुएं हल्के सितारों की तरह चमक रही थीं। चांदनी तेज होती जा रही थी, देवी की मूर्ति कमर से ऊपर तक प्रकाशित हो रही थी। शांत और शांत उसका चेहरा चांदनी में शांत दिख रहा था, उसके शरीर का निचला आधा हिस्सा बेचैन पीली आग से जगमगा उठा था। मैंने सजी हुई वेदी का निरीक्षण किया, देवी के आगे रुक कर प्रार्थना की.

मंदिर के केंद्रीय हाल का प्रांगण पूरा सजा हुआ था और विशेष अतिथियो की उपस्थिति से सुसज्जित था . और एक तरफ मंदिर की पुजारिने और सेविकाएं बैठी थी . हम दोनों देवी की मूर्ति के पास रुके और मैंने वहां महायाजक पाईथिया को देखा . उसके शरीर के प्रत्येक अंग प्रत्यंग सुंदर थे और उसके बदन के वक्रो का उद्देश्य केवल प्यार और विस्मय को प्रेरित करना था। महायकजक की नर्म दिखने वाली चिकनी जांघें, पेट की स्मूथ सतहें, मोटे स्तन, पतली गर्दन, लम्बी सुंदर नाक और गालों के साथ जटिल रूप से विस्तृत चेहरा और लम्बे बाल। ऐसा लग रहा था की स्वयं देवी यहाँ प्रत्यक्ष थी । जैसे ही मैंने पाईथिया और प्रेम की देवी की मूर्ति की बड़ी और सुंदर आँखों में देखा, मुझे लगा कि तेज रौशनी देवी की आँखों से मेरी आत्मा को प्रकाशवान कर रही है।



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एस्ट्रा द्वारा मुझे मेरे स्थान की तरफ निर्देशित किया गया और मैंने महायाजक की सीट के पास अपनी सीट ले ली। उसके बाद महाराज ने प्रवेश किया . सभी उनके समान में खड़े हो गए और उन्होंने सबके अपना स्थान लेने के लिए कहा . महाराज ने सबसे ऊँचे स्थान पर महायाजक के पास अपना स्थान ग्रहण किया .

महायाजक ने हॉल के उस हिस्से में प्रवेश किया जहाँ हम बैठे थे और महायाजक पायथिया ने कहा। " यहां लंदन के मंदिर में हम मास्टर का स्वागत करते हैं! और फिर दीक्षाकर्ता के सम्मान में सबने अपने गिलास में से अपना ड्रिंक पिया ।"




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मौन सभा जयकारों और हँसी से गूँज गयी । मैंने राहत से ऊपर देखा। पूर्णिमा के चंद्र का उदय हो चुका था और सेंट्रल हॉल में चंद्र की रौशनी से उजाला हो गया था . अपना शराब का गिलास खत्म करते हुए, महायाजक ने मेरा परिचय महाराज से करवाया जो की ब्रैडी के पिता महाराज थे और कैमरून के एक प्रांत के राजा थे .


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कमरे के एक तरफ गोलाकार डांस फ्लोर था, जहां मंदिर की कुछ सहायक लड़किया शक्तिशाली तार वाले वाद्य यंत्र से मधुर संगीत लहरिया तरंगित कर रही थी । जिन पर नर्तकियां नृत्य कर रही थी सभी नर्तकियो के छातीया नग्न थी और केवल सबसे छोटी स्कर्ट पहने हुयी थी और उन्होंने विरल चमकीला सोने की चैन और घने पहने हुए थे । उन्होंने एक से एक आकर्षक सौर कामुक पोज़ बना कर डांस करना जारी रखा।

डांस फ्लोर के चारों ओर कई नीची मेजें थीं जिनके बीच में छोटे खुरदुरे क्रिस्टल गर्मजोशी से चमक रहे थे। इन टेबलों पर मंदिर की पुजारिने छोटी-छोटी चमचमाती पोशाकों और सोने के गहने पहने बैठी थी , माहौल खुशमिजाज था और हंसी-मजाक चल रहा था ।

राजा ने घोषणा की " उद्घाटन समारोह शुरू करें।"

महायाजक मंदिर के प्रांगण के केंद्र में चली गयी । उसने लाल रेशमी लबादा पहना था जिस पर सुनहरे रंग की आकृतियाँ थीं। चाँद ने उसके चमकीले, बंधे हुए बालों को रोशन किया। चांदनी अब इतनी दुस्साहसी थी कि उसकी गहरी वी गर्दन के माध्यम से उसकी दरार में घुस गई और उसके नरम लेकिन दृढ़ स्तनों की गोलाई दिखायी दी।




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उसने देवी से प्रार्थना की और मुड़ गई। “मैं सभा के सभी पुरुष सदस्यों से गर्भगृह को खाली करने और अनुष्ठान पूरा होने तक बाहर के गलियारे में प्रतीक्षा करने का अनुरोध करती हूं. गलियारे मी आपके लिए जलपान की व्यवस्था की गयी है और परिचारिकायें आपकी सेवा के लिए नियुक्त हैं । केवल महामहिम (जो ब्रैडी के पिता थे) मिस्टर वारेन, प्रिंस ब्रैडी और मास्टर, इस शानदार मंदिर के आरंभकर्ता प्रागण में बने रहेंगे। प्रेम की देवी की विजय हो , ”उसने घोषणा की। मैं एक हल्के झटके में कांप उठा। यह क्या था? मैं अचंभित था । पुरुषों ने धीरे-धीरे परिसर खाली करना शुरू कर दिया। मैंने मिस्टर वारेन, ब्रैडी और किंग की तरफ देखा, किंग मेरी तरफ देख रहे थे और मुस्कुरा रहे थे। मुझे बचपन के किस्से और कहानिया याद आ गयी जब कुछ राजाओं ने अपने मंदिरों और स्मारकों में लोगों की बलि दी थी। क्या यहाँ भी कुछ ऐसा होने वाला था ? क्या वे इस मंदिर के उदघाटन पर मेरी बलि देने वाले थे ? मेरी धड़कन बढ़ गयी थी थी। मुख्य पुजारिन मेरे पास चली आयी और अपनी दाहिनी हथेली मेरे दिल पर रख दी। वह मेरी तेज़ धड़कनों को महसूस कर सकती थी। "मास्टर प्यार के मंदिर में डर के लिए कोई जगह नहीं है," उसने कहा कि मुझे आराम देने के लिए यह जानना आवश्यक है ।

गर्भगृह में काले रंग के हुड वाले वस्त्र पहने 10 युवतियां आयी । उनके चेहरे दिखाई नहीं दे रहे थे, लेकिन उनके शालीन चलने को किसी और चीज़ के लिए गलत नहीं माना जा सकता था। उनमें से एक ने सोने का जग, दूसरी ने जड़ी-बूटी की टोकरी, फिर एक में सोने का कलश, चार मशालों के साथ, एक जोड़े के पास औपचारिक धुएँ के पात्र और अंतिम एक औपचारिक राजदंड के साथ थी । वे अपने साथ एक हर्बल, धुएँ के रंग की सुगंध लेकर आयी । वे वेदी के चारों ओर एक घेरे में खड़ी हो गयी । "प्रेम की देवी की जय।" वे बोली और चुप हो गयी । पुजारिन ने मेरी हथेली को अपने कोमल हाथ में लिया। मैंने उसकी तरफ देखा।

"मेरे साथ आओ," वह मुझे वेदी के पास ले गई।

"यहाँ लेट जाओ," उसने कहा।

झिझक के साथ मैंने जैसा बोलै गया था वैसा धीरे-धीरे किया। मैंने ऊपर देखा, तेज चांदनी में नहाती हुई देवी की सुंदर मूर्ति, मेरी ओर देख रही थी, मुस्कुरा रही थी। मेरे चेहरे पर मुस्कान आ गई। राजा , वारेन और ब्रैडी सारा समारोह और कार्यक्रम ध्यान से देख रहे थे।



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पुजारिन ने मेरे लबादे का रिबन पकड़ लिया, मैं फिर काँप गया।


"मुझ पर विश्वास करो," उसने कहा। मैं थोड़ा आश्वस्त हुआ ।

कहानी जारी रहेगी
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मेरे अंतरंग हमसफ़र

सातवा अध्याय

लंदन का प्यार का मंदिर

भाग 43

दाता को प्रेम, सेक्स और सम्भोग से सशक्त करना




मुख्य पुजारीन पाईथिया ने मेरे लबादे का रिबन को खोल दिया और लबादा खोल कर निकाल दिया। मेरे युवा मर्दाना मस्कुलर पेट और छाती पर शाम की ठंडी हवा महसूस हुई। मैंने कुछ गर्म और गहरी साँसे ली । पाईथिया ने अपनी गर्म बाईं हथेली मेरे दिल पर रख दी, मेरा दिल अभी भी तेज़ी से धड़क रहा था। उसने अपनी दूसरी गर्म हथेली मेरे पेट पर धीरे-धीरे नीचे की और सरका दी। फिर उसने अलीना द्वारा मुझे दिए गए घर के बने मेरे सूती अंडरवियर में उसने अंगूठा लगा लिया। वह धीरे-धीरे उसे नीचे खींचने लगी। केंद्रीय पवित्र गर्भगृह में मौजूद हर कोई चुपचाप और बहुत उत्सुकता से पूरी कार्यवाही देख रहा था।

"अरे" मैं लड़खड़ा गया।

"शह। इसे जाने दो," वह फुसफुसायी। अंडरवियर में सब मेरा अर्ध-खड़ा लिंग भहर निकल आया था। बेशक पाईथिया सुंदर थी और कोई वस्त्र भी नहीं पहने हुई थी उसकी आवाज एक परी जैसी थी

मैं मोमबत्तियों की कोमल रोशनी में चमकते हुए पायथिया के नग्न शरीर को देख रहा था। यह तराशा हुआ दिखाई दिया; इसका रूप और रेखाएँ परिपूर्ण थीं।



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सब लोग पाइथिया को वहा देख कर चकित थे वह ग्रीक देवी एफ्रोडाइट जो की इस क्लब की संरक्षक देवी हैं और प्रेम और सुंदरता की प्राचीन ग्रीक देवी एफ्रोडाइट की मुख्य पुजारिन आज उनके बीच थी और वह भी पूरी नग्न ।और सब उसे देख कर तो हैरान थे ही साथ ही ये देख कर भी हैरान थे की वह मेरे पास थी और मुझे नग्न कर रही थी । पाइथिया अपनी साधना के कारण प्रेम और प्रजनन क्षमता की और संगीत विशेषज्ञ पुजारन के रूप में जानी और मनाई जाती थीं और सब उसका बहुत आदर करते थे और उसे अपने बीच पाकर सबने उस को झुक कर प्रणाम किया और प्रणाम करने वालो में मैं भी शामिल था ।

वो मुझे करीब से मेरे शरीर की विशेषताओं को निहार रही थी वह मेरे तेज, चाकू-ब्लेड वाले नाक, पतले होंठ, चौड़ा मुंह, कठोर चौकोर जबड़ा ठोड़ी में एक सेक्सी फांक, एक विस्तृत ब्रो, गहरी नशीली आँखो और घने, छोटे, काले बाल और बड़े माथे को देख रही थी। मेरा शरीर शानदार लग रहा था और उसके स्पर्श से मुझमे नयी ऊर्जा का संचार हो गया था। मेरी गर्दन मांसपेशियों के साथ मोटी थी और कंधों के विस्तृत विस्तार की ओर ले जाती थी। मेरा धड़ व्यापक कंधों से ऊँचे कूल्हों और संकीर्ण कमर तक पतले वी आकार का था। मेरी पीठ कंधे से रीढ़ तक मेरी कमर से नीचे की ओर झुकी हुई थी। मेरी छाती चौड़ी और गहरी कटी हुई थी, छोटे काले निपल्स उभरे हुए थे। मेरा पेट एक वॉशबोर्ड की तरह सपाट और सख्त था, जिसमें मांसपेशियों के हर रिज को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया था। धड़ पूरी तरह से बाल रहित था, यहाँ तक कि बगले भी साफ़ थी। मेरे हाथ और पैर लंबे थे और मांसपेशियों के मोटे, गोल गुच्छों से भरे हुए थे। मुझ पर वसा का एक भी फ़ालतू औंस नहीं था और मेरी चिकनी, हलकी भूरी त्वचा मेरे शरीर पर फैली हुई लग रही थी, जिससे कि नसें और मांसपेशियाँ सख्त लकीरों में बाहर खड़ी हो गईं। मेरी जननांग मेरी मजबूत काया से मेल खाते है और मेरा अर्ध कड़ा लंड 8 इंच लंबा और लगभग ढाई इंच मोटा हो गया था। हालाँकि हम दोनों क्लब में पहले सम्भोग कर चुके थे फिर भी वह मेरे बदन को बड़े कोतुहल से देख रही थी शायद वह जांच रही थी की कल से मेरे अंदर क्या अंतर् आया है । वह मेरे लंड के बढ़े हुए आकार को देख कर चकित थी ।

मैंने पाईथिया को ही एक टक देख रहा था वह बहुत ही सुंदर लग रही थी उसकी आयु, बाईस वर्ष के आसपास थी पर लग रही थी 18साल की कमसिन, निर्विवाद रूप से आकर्षक वह गोरी चमड़ी वाली, सुंदर, जीवंत चेहरे वाली थी। उसके बाल रेशमी और सुनहरे और लंबे थे,। उसकी आँखें छोटी थीं, लेकिन काली थी उसकी नाक पतली और थोड़ी घुमावदार थी। नुकीली ठुड्डी के साथ उसका अंडाकार चेहरा था। उसका मुंह मनोरम था, होंठ नम और मुलायम, ऊपरी पतला और पूर्ण, सीधे निचले होंठ पर झुका हुआ था। उसके दांत बहुत सफेद और यहाँ तक कि सामने के दांत बड़े और चौकोर और मजबूत थे। उसने एक छोटी-सी बिंदी, अलावा, बड़े करीने से कटी हुई भौंहों के बीच आज उसने ंश्रृंगार भी किया हुआ था।

तभी दो परिचारिकायें आया और उसका लबादा उतार दिया अब वह मेरे सामने लगभग पूर्णतया नग्न थी, उसके जिस्म पर कोई वस्त्र नहीं था, उसकी मलाईदार त्वचा पसीने से चमक रही थी । उसने सोने का हार और मैचिंग इयररिंग्स और हीरे और सोने की अँगूठिया अंगुलियों में पहनी हुई थी।




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उसका शरीर कोमल, फिर भी दृढ़, पका हुआ और सुस्वादु था। उसकी गर्दन लम्बी भरे हुए, पके हुए, गोल स्तनों की ओर झुकी हुई थी, जो सिकुड़े हुए ऑरियोल्स में लंबे सख्त निपल्स दिख रहे थे। उसका पेट घुमावदार लेकिन दृढ़ था और उसके कूल्हे अनुपातिकऔर आकर्षक नितंबों वाले थे जो उनके प्रेमी को उसकी योनी में पीछे से या और बेहतर उसकी गांड चोदने के लिए आमंत्रित कर रहे थे, ऐसा लग रहा था कि ये कुछ ऐसा था जिसे वह बहुत प्यार करती थी और शायद ही कभी मना करती थी। उसके अंग सुचारु रूप से मुड़े हुए सुडौल थे, उसके हाथ और पैर लम्बे और सुंदर थे, उसकी कलाई और टखने पतले थे। लेकिन कमाल ये था कि मेरा लिंग अभी भी अर्ध दृढ था आओर पूरा कठोर नहीं हुआ था । मुझे सर्वजनिक तौर पर नग्न होकर सेक्स करने में कोई परहेज नहीं था क्योंकि मेरे सेक्स जीवन की शुरुआत में ही मुझे कई बार समूह सेक्स काने का सुअवसर मिला था परन्तु आज कुछ अलग मामला था । इस माहौल में मुझे कुछ डर लगा था और आशंका और तनाव के माहौल में लिंग दृढ नहीं हुआ था । हालाँकि अब पाईथिया के स्पर्श, आश्वासन और उसके सुंदर हुस्न का दीदार करने के बाद लिंग में कुछ हलचल होने लगी थी

10 युवतिया जो पाईथिया के साथ आयी थी उन्होंने ने उत्सुकता से देखा कि मेरा लिंग मेरी प्रत्येक दिल की धड़कन के साथ स्पंदित हो रहा था। मैंने मंदिर की छत और आकाश को देखा। यह मंदिर में दीक्षा करण का पहला अवसर था और मुझे अभी तक नहीं पता था कि यह वरदान था या अभिशाप।

"आप अभी शुरू कर सकते हैं," पुजारिन पाईथिया ने युवतियों को संकेत दिया।

मैंने चोगे पहने महिलाओं की और देखा, फिर भी मैं उनके चेहरे को उनके नक़ाब और चोगे के कारण उनके बदन की झलक नहीं देख पाया। जग वाली लड़की ने मेरे धड़ पर गर्म सुगंधित तेल की कुछ पंक्तियाँ बनायीं जो गर्दन से शुरू होकर कमर तक गयी। फिर मेरे अंगों पर, बाजुओं और टांगो पर सुगंधित तेल डाला। जड़ी-बूटियों वाली लड़की ने मेरे शरीर पर जड़ी-बूटियों का मिश्रण बिखेर दिया। उन चार मशाल वालियों ने मशालों को मशाल धारकों पर रखा और वेदी पर लौट आयी। जड़ी-बूटियों का मिश्रण और तेल मेरे चारों ओर लगा दिया और मेरे शरीर पर वह अपनी कोमल हथेलियाँ रख कर उस तेल को फैलाने लगी। तेल की गर्माहट सुखदायक थी। उन फिसलते हाथों के गर्म स्पर्श ने मेरे तन बदन और मन में खुशी की लहरें भेज दीं। मैं यह सब सहने के लिए मुंह से सांस लेने लगा। पुजारीन ने देखा कि उसके प्रशिक्षुओं ने अनुष्ठान ठीक से किया था। मेरे सामने वाले हिस्से की अच्छी तरह मालिश करने के बाद, पुजारिन ने मुझे मुड़ने का इशारा किया। फिर महिलाओं ने मेरी पीठ, टांगो और नितंबों की मालिश की। उनमें से एक गर्म तौलिया लायी और मेरे शरीर पर लगी जड़ी-बूटियों को पोंछ दिया। पाईथिया ने मुझे फिर से घूमने के लिए कहा गया और मुझे अच्छी तरह से साफ़ किया गया।





मुझे अभी भी पूर्ण निर्माण नहीं मिला था। यही कारण है कि पुजारिन को मामले को अपने हाथों और मुंह में लेना पड़ा।

उनमें से एक महिला ब्रश के साथ एक जार ले आई, जिसमें उसे डुबोया गया था। पुजारिन ने ब्रश निकाला और उसे मेरे लिंग के सिरे पर रख दिया। शहद ब्रश से टपका औरलंडमुंड पर गिरा। मैंने शहद का वजन महसूस किया। पुजारिन ने अपने दाहिने हाथ से धीरे से लंड की चमड़ी नीचे खींची। शहद धीरे-धीरे फैलने लगा। उसने देवी की ओर देखा, अपनी आँखें बंद कर लीं और थोड़ी प्रार्थना की। फिर अपने कोमल होठों से उसने धीरे से शहद को मेरी ग्रंथियों के चारों ओर धकेल दिया और वापिस लौटते समय उसने होंठों को कस कर बंद कर लिया।




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"आह," मैं चिल्लाया।

उसने फिर से जार से ब्रश लिया और अंडकोष सहित मेरे लिंग की पूरी लंबाई पर शहद लगाया। इसमें से कुछ मेरे अंडकोष से टपकने वाला था। उसने जल्दी से उन बूंदो को अपनी जीभ से पकड़ लिया। ऊपर जाते समय उसने उसके अंडकोष को अपनी लम्भी जीभ से चाट दिया। फिर से नीचे और उसने अपने अंडकोष से शहद को चूसते हुए अंडकोषो को चूस लिया। मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं और अपने भारी मुँह की साँस को नियंत्रित करने की कोशिश की। वह मुस्करायी। यह मेरे लिए बेहतर हो रहा था और मैं आखिरकार जानता था। उसने मेरे लिंग के नीचे की तरफ ऊपर की चाटना जारी रखा और मैं अब रिलैक्स हो गया था और मेरा लंड अब तनाव में था और वह स्टील की तरह सख्त हो गया। लेकिन उस पर अभी भी बहुत सारा शहद बचा था, उसने देखा। तो उसने मेरे लंड का सिर अपने होठों के तंग चंगुल में लिया और नीचे की ओर खिसकी, लंड उसके गले को अंदर से छू गया। उसका मुँह मिठास से भर गया। वह नीचे से मेरे अंडकोषों को सहला रही थी।

उसने अपनी टांगो को खोल कर अपनी गंजी चूत को मेरे सामने उजागर कर दिया। उसने लंड को बाहर निकाला। मेरा लिंग अब सख्त और चिकना हो गया था, ठीक वैसा ही जैसा वह चाहती थी।




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मैंनेआगे बढ़ कर उसके ओंठो को चूमा और फिर उसे बार-बार चूमा और फिर उसे गहरा चूमा, उसके मुँह से लहै मीठा शहद मेरे मुँह को मिठास से भर रहा था ।मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी। उसने इसे कामुकता से चूसा, उसके हाथ मेरे मांसल शरीर के ऊपर और नीचे घूम रहे थे।

जब उसने कई मिनटों तक भूख से मुझे चूमकर और चाट कर मेरे लंड को भड़का कर जगाया और पूरा कठोर कर दिया और ये अब शानदार साढ़े दस इंच लंबा हो गया थाऔर अब तीन स्व तीन इंच मोटा हो गया था।





मैंने उसे अपने ऊपर खींचा उसे चूमता रहाऔर उसके स्तन सहलाने के बाद दबाता रहा। मैंने अपने लंड को एक हाथ से सहलाया और लुंड उसकी हल्की मांसल चूत जो कल रात की चुदाई के बाद थोड़ा सूज गयी थी उससे चिपका कर दबा लिया।

मेरी उंगलियों ने उसके क्लिट पर काम किया तो पायथिया ने आह भरी। उसकी जांघें कांपने लगी, उसने अपनी उंगलियाँ मेरे बालों में घुमाईं। मैं उसके स्तनों को चूमने लगा। उसने मेरा चेहरा अपनी ओर खींचा और मुझे एक भावुक चुम्बन दिया।

मेरा लिंग अब उत्तेजना के साथ धड़क रहा था, लेकिन मैं पायथिया के साथ सम्भोग को बहुत जल्दी खत्म नहीं करना चाहता था। मुझे नहीं मालूम था कि मुझे ऐसा मौका फिर कब मिलने वाला था इसलिए मैं उसे देर तक प्यार करना चाहता था और इसलिए अभी तक कोई धक्का नहीं मारा था । लंड उसकी र=तंग योनि की कसावट महसूस कर था-था और वह अपने अंदर लंड महसूस कर रही थी और कराह उठी। मैं उसे छूआ कर सहला कर प्यार का आनंद दे रहा था उसने अपने इरेक्ट क्लिट को रगड़ा।




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मैंने मेरे कड़े-लंड को पकड़ लिया और उसे गर्म गहराई तक ले गया। मैं महसूस कर सकता था कि मेरा प्री-कम उसकी चूत के रस के खिलाफ फिसल रहा था । योनि के प्रवेश द्वार पर लंडमुंड को लगाते हुए मैंने लंड को योनि पर रगड़ा। मेरा लंड इतना कड़ा हो गया था कि उसका बड़ा लाल सिर, उसकी तंग और छोटे योनि के प्रवेश द्वार में जब मैंने हल्का-सा धक्का दिया तो लंड उसकी तंग लेकिन गीली योनि एक इंच अंदर प्रवेश कर गया और लंडमुंड को उस गर्म योनि के द्वार के अंदर रख थोड़ा-सा अंदर दबा दिया और अब योनि केआपस में चिपके हुए ओंठ लंड के दबाब से दूर हुए और लंडमुंड उनके बीच फस गया।

लंडमुंड उसकी चूत में घुसते ही उसे सनसनी और दर्द का एहसास हुआ। लंड उसकी प्रेम गुफा की गर्म ग्रीसी हुई दीवारों के बीच घुस कर उन्हें फैला रहा था। मैं उसे धीरे से लंड पीछे खींचते हुए एक ताकतवार धक्के के साथ मैंने अपने लंड को उसके अंदर धकेल दिया।



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पायथिया ने महसूस किया कि मेरे लिंग के सभी साढ़े दस इंच उसके अंदर प्रवेश करते ही मेरे हाथों ने उसकी गांड के किनारों को कसकर पकड़ लिया क्योंकि मैंने गहराई से धक्का दिया। हर झटके के साथ, उसने मेरे लंड को अंदर की ओर महसूस किया और उसके आसन्न संभोग की गर्माहट उसके शरीर में फैलनी शुरू हो गई।

अब उसने अपनी आँखें बंद कर लीं और धीरे से कराह उठी, मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाना शुरू किया उसका शरीर मेरे धक्के के साथ धीरे से हिल रहा था, उसकी उंगलियाँ मेरे गद्देदार कंधों को जकड़ रही थीं। अपने अग्रभागों पर उसके ऊपर झुके, मैंने अपनी आँखों को उसके चेहरे पर टिका दिया, मैं उसकी कामुक सुंदरता से प्रभावित था। उसके होंठ अलग हो गए थे और उसके सामने के दांत दीवारों पर जलते हुए लैंप को पीली झिलमिलाहट में चमक रहे थे।

उसकी योनी, गर्म और गीली और तंग थी, मेरे पिस्टनिंग लिंग के धक्के से उसके कूल्हे मेरे नीचे लयबद्ध रूप से हिल रहे थे।

"हाँ," वह बड़बड़ायी। "प्लीज करो तेज करो । दीपक ... हाँ ... अपना लिंग मेरी योनि में धकेल दो, दीपक ... मुझे ... हाँ ... ओह्ह यह बहुत अच्छा लगता है ... चलो ... । जोर से करो और ज़ोर से करो ... आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह हाँ ... तेज करो!"

मैंने गति को सहजता से बढ़ा दिया और उसने अपने कूल्हों को तेजी से ऊपर और नीचे हिलाते हुए, अपने नितंबों को फ्लेक्स किया और शक्तिशाली रूप से अनफ्लेक्स किया, मेरा विशाल लिंग उसकी योनी के अंदर और बाहर तेजी से अंदर आ और जा रहा था। जैसे ही मैंने अपना लंड उसकी योनि के मांस में आ जा रहा था वह खुशी से फुफकार उठी। इसने उसके भगशेफ को अपने आगे-पीछे, योनी के मांस को खुशी से मसलते हुए कुचल दिया। उसका शरीर मेरे धक्को के बीच तेजी से और तेजी से उछला और उसके स्तन हिल रहे थे और उछल रहे थे, उसका सोने का हार हिल रहा था और उछल रहा था। जब वह उन्मादपूर्ण कामुकता अनुभव कर रही थी, और उसका सिर अगल-बगल से फड़फड़ा रहा था, उसकी जीभ उसके ऊपरी होंठ पर कामुक रूप से घूम रही थी।



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"मम ... ओह! हाँ ... ओह उह्ह्ह हाँ उह्ह्ह हाँ ... चलो दीपक ... मुझे भोगो । चुदाई करो ... मुझे चोदो। करो, तेज करो दीपक ... ओह! हह्ह्ह उह्ह्ह हाँ ... ओह्ह्ह यह बहुत अच्छा है ... और जोर से अंदर डालो ... इसे पूरा अंदर डालो ... आह्ह्ह्ह हाँ ... ... ओह यह अच्छा है ... रुको मत, मास्टर ... चलो, तेज करो! इसमें! ओह! उह हाँ! ओह चोदो ओह्ह! करो ओ हाँ!"

मैंने उसे गहरायी से चूमा, अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी। उसने इसे कामुकता से चूसा, उसके हाथ मेरे मांसल शरीर के ऊपर और नीचे घूम रहे थे। उसकी उँगलियाँ मेरे कंधों की मांसपेशियों में समा गईं। जैसे-जैसे मैं तेजी से आगे बढ़ रहा था, उसके हाथ मेरे नितंबों की ओर खिसके और उसने उत्सुकता से उन्हें दबाया और मेरे को अपनी ओर खींच लिया। मैंने अपनी जीभ उसके कान में घुमा दी।

"चलो, लो पूरा लो इसे ले लो ... चलो, ... मेरा लिंग ले जाओ मेरा लंड ... हाँ ... इसे ले लो ... ओह स हाँ ओह! उह उह्ह ये इसे ले लो, ले लो!"

मेरे कठोर शब्दों ने उसे जगा दिया। वह हांफने लगी और उत्सुकता से नीचे झुक गई, उसके पैर चौड़े हो गए, उसके कूल्हे तेजी से ऊपर-नीचे हो रहे थे, उसका शरीर मरोड़ रहा था और खुशी से झूम रहा था।




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"मैंने पूरा लंड बाहर निकला और फिर बेरहमी से घुसा दिया।" लो मेरा लंड, इसे अपनी योनी से निचोडो, ... यह करो! "

उसके साथ किसी को भी ऐसी भाषा का उपयोग नहीं किया था लेकिन फिर कितनों ने वास्तव में उसे चोदा था। मेरे से पहले मिस्टर वॉरेन के अलावा उसे किसी पुरुष ने नहीं छुआ था और अब मैं अकेला था जो उसे एक बार कल रात चोद चूका था और फिर आज नहाते हुए चौदा था और अब तीसरी बार चोद रहा था। वह हमेशा सबके लिए बड़ी बहन "एडेल्फी" थी। सब उसे "एडेल्फी" कह कर ही सम्बोधित करते थे। यहाँ तक की वह सब भी जो उम्र में उससे बड़े थे । सभी उसकी ऐसी चुदाई देख कर विस्मित थे । प्रेम के मदिर के पवित्र गर्भ ग्रह में उसकी मुख्य पुजारिन की सार्वजानिक चुदाई देख कर सभी दर्शक हैरान थे यहाँ तक की सभी अन्य पुजारिने, अनुचर लड़किया, परिचारिकायें, छात्राये और सेविकाएँ सभी चकित थी । लेकिन फिर सभी को मालूम था यही प्रेम के मदिर की परम्परा रही थी। । प्रेम के मदिर की परम्परा मे दाता को प्रेम, सेक्स और सम्भोग से सशक्त करना और शक्ति का नई मुख्य पुजारिन में स्थापन इसी प्रक्रिया द्वारा ही संभव था और सभी साँसे रोक कर हमारे सम्भोग को देख रहे थे ।

मैंने इन खास पलों का लुत्फ उठाया, यह जानते हुए कि मुझे ये विशेषाधिकार प्राप्त हुआ था। बिस्तर पर ही मैं बिना किसी डर के उस पर हावी हो सकता था। मैंने धक्के मारना धीमा कर दिया, जिससे वह हताशा में कराह उठी। मैं मुस्कुराया और धीरे-धीरे लंड उसके मांस से अंदर और बाहर स्ट्रोक किया, फिर मैं तब तक और भी धीमा होता गया जब तक कि मैं लगभग गतिहीन नहीं हो गया। वह हांफने लगी, मेरे नीचे दब गई और जोर-जोर से अपने कूल्हे ऊपर उछालने लगी।

मैंने अपने धक्के बहुत धीमे कर दिए और वह कराहती हुई जोर-जोर से अपने कूल्हे ऊपर उछालने लगी। फिर अचानक, मैंने जोर से इस तरह धक्के मारने शुरू कर दिए जैसी की मैं मेरा लंड कोई हिंसक हथोड़े में बदल गया हो-अपने कूल्हों को आगे-पीछे और ऊपर-नीचे करते हुए उसकी योनि में लंड को हथोड़े की तरह अंदर धकेल कर इसकी योनि के गर्भशय पर चोट करने लगा, मेरे नितंब तेजी से उठ रहे हैं और नीचे हो रहे थे मेरा लंड अंदर जा कर घुम रहा है और योनि ने गहरा घुस रहा था और फिर से घूम रहा है और उसके मांस को अंदर जाकर दबा रहा था।



"ओह हाय उह्ह्ह ओह! उह सो ... उहह ... ओह! ओह्ह्ह उह्ह ओह! आह्ह्ह!" वह कराहने लगी, उसका सिर पीछे की ओर गिर गया था, उसका मुंह खुला हुआ था और वह तेजी से हांफ रही थी, उसका शरीर मरोड़ रहा था और उसके नीचे का बदन जोर-जोर से धड़क रहा था, उसकी उंगलियाँ मेरे शक्तिशाली, नितंबों को दबा रही थी। मेरे लंड में भी दबाब बढ़ने लगा और तभी मुझे लगा जैसे पाईथिया मुझे नियंत्रण के लिए मेरे मष्तिष्क में अपने विचार और तरंगे भेज रही थी । इस अवसर पर भी वह मजे लेते हुए मुझे खुद पर नियंत्रण बनाये रखने के लिए मुझे प्रेरित कर रही थी । मेरे मन में उसके लिए सम्मान और श्रद्धा बढ़ गयी थी और अब वह मेरे लिए भोग की साथी नहीं प्रेम और परतव्य की पुजारिन थी ।


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मैं उसके निर्देश अनुसार धीमा हो गया और उसे जैसे थोड़ा आराम मिला और वह-वह अपने मांस पर मेरे कुशल आक्रमण थमने की खुशी के साथ कराह रही थी और जब वह थोड़ी शांत होने लगी मैंने फिर से, हरकत में आ गया, उसके मांस में तेजी और पूरी ताकत से लंड घुसा कर उतनी ही तेजी से बाहर खींचा पर लंडमुंड अंदर ही रहने दिया।

पायथिया ने हिंसक रूप से स्खलन किया, उसकी योनी मेरे धड़कते हुए, सूजे हुए लिंग पर, कांपती हुई हिलने लगीऔर फिर उसकी टाँगे अकड़ी और शरीर में अकड़न आयी, उसके गले से घुटन भी कराह निकली और फिर वह हांफते हुए सांस लेने लगी। वह कराह रही थी और अपने सिर को झुकाकर, अपने आप को नियंत्रित करने के लिए लड़ रही थी था क्योंकि सम्भोग और स्खलन के कारण उसे अपने बदन में भीषण गर्मी का एहसास हो रहा था और उसकी योनी की दम घुटने वाली जकड़न ने मेरे लंड को ढँक दिया था। मैंने अपने लंड को उसकी योनी में बार-बार धकेल कर रौंदना जारी रखा जब तक कि आखिर में उसका ओर्गास्म कम नहीं हो गया।




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एक बार फिर पाईथिया में मुझे अपनी सारी शक्ति दे दी थी और मैंने उसे अपने अंदर अवशोषित कर लिया और जब उसकी साँसे सामने हुई तो वह बोली अब समय आ गया है नए देवी मंदिर के उद्घाटन का और इस मंदिर की मुख्य पुजारिन की दीक्षा का ।

कहानी जारी रहेगी
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मेरे अंतरंग हमसफ़र

सातवा अध्याय

लंदन का प्यार का मंदिर

भाग 44

मुख्य पुजारिन की दीक्षा




महायाजक पायथिया, ने घोषणा की अब समय आ गया है नए देवी मंदिर के उद्घाटन का और इस मंदिर की मुख्य पुजारिन की दीक्षा का और जैसे घोषणा समाप्त हुई सके अंदर की वासना बलवती हुई और उसने अपने कूल्हों को नीचे पटक दिया और मेरे लंड को और अपनी योनि के तनाव और रिहाई को अपने अंदर महसूस किया, उसके बाद वह कुछ और बार ऊपर नीचे हुई और एक बार फिर से खुद के कंपाने वाले संभोग का नुभव कर उसने खुद को भाग्यशाली महसूस किया।

मैं उसकी टांगों के नीचे था, मेरा लिंग उसकी योनि के अंदर धड़क रहा था, अब जबकि नयी महायाजक को दीक्षा देने और महायाजक के तौर पर स्थापित करने की रस्म शुरू होने वाली थी-मैंने एक बार फिर उसकी योनि में अंदर और ऊपर की और एक आखिरी कराह और एक कांपती हंसी के साथ धक्का दिया। पायथिया मेरी ओर वापस मुस्कुराई और अपने कूल्हों के पीस को धीमा कर दिया। महायाजक पायथिया, जो मेरे ऊपर झुकी हुई थी, संतुष्ट, आनंदमय मुस्कान का आनंद ले रही थी, मेरे ऊपर हल्के से झूलते हुए उसके स्तनों से वह मेरे माथे से पसीना पोंछ रही थी। एक दर्जन और दिल की धड़कनों के लिए मुझे पल का आनंद लेने के बाद, पायथिया एक बार फिर चरमोत्कर्ष पर पहुँची लेकिन उसने देखा मेरा लिंग अभी भी कठोर था।



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किसी भी दोष या खामियों की तलाश में, उसने मेरे शरीर का निरीक्षण किया। वह जानती थी कि अगर उसे कोई दोष मिलता है तो यह उसकी जिम्मेदारी होगी कि वह दीक्षा अनुष्ठान के लिए उपयुक्त किसी अन्य व्यक्ति को ढूँढे। हालाँकि किसी और को खोजने के लिए बहुत देर हो चुकी थी। दीक्षा अनुष्ठान अगले कुछ क्षणों में होना चाहिए। फिर भी ये परम्परा का हिस्सा था कि नई महायाजक की स्थपना से पहले दाता का निरीक्षण किया जाए।

सौभाग्य से मेरा शरीर परिपूर्ण था, कोई दोष नहीं कोई जन्म दोष नहीं था। मेरा सुनहरा शरीर सुंदर रूप से चिकना था, मेरी कांख के नीचे हलके काले बालों की उपस्थिति थी और साथ थी कुछ हल्के रूए मेरी बड़ी और कठोर मर्दानगी को घेरते हुए, छोटे-छोटे झांटो के बाल मेरी भारी गेंदों पर सुसज्जित थे। मेरे मांसल शरीर से पता चलता था कि मैंने कसरत कर के सुंदर शरीर बनाया है वह मेरी चिकनी त्वचा के नीचे मेरी मजबूत मांसपेशियों को देख कर प्रभावित थी और फिर उसने मेरी खड़े होने में सहायता की।



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"प्यार की देवी की आंखों और शरीर में देखते हुए वह बोली," पायथिया ने कहा, उसकी आवाज अभी भी उसके हाल के उत्साह से कांप रही है, "मास्टर दीपक आपको प्यार की देवी की आंखों और शरीर से प्राप्त शक्तियों के द्वारा सेक्स के साथ सशक्त किया गया है और आपको शक्तिया दि गयी है और आपने उसने प्राप्त किया है और इसलिए अब उठो। अब आप नए ' हैं शुद्ध हैं और अब आपको नई महायाजक को दीक्षा देनी होगी और मंदिर का उद्घाटन करना होगा।" जब वह बोल रही थी, तो उस बीच पायथिया ने मेरे चेहरे, मेरी बाहों, मेरी छाती, मेरे पैरों और कमर तक सफाई के कपड़े को सहलाया। जैसे ही मैंने बोलने के लिए अपना मुँह खोला, लेकिन उसने मेरे होठों पर एक कोमल चुंबन रखा।

"एक दाता के रूप में आप जो पहला शब्द कहते हैं, वह ज्ञान का हो," उसने मेरे कान में कहा। पायथिया ने मेरे चेहरे पर घबराहट की चमक देखी। कुछ बुद्धिमानी से कहने की सोच के बोझ ने मुझे चुप्पी में डरा दिया, इसलिए उसने मुझे कलाइयों से पकड़ लिया और मुझे ऊपर और नीचे देखने के लिए पीछे झुक गई। "अगर आपके ज्ञान के शब्द आज इस कमरे में आपने जो कुछ सीखा है उसे अपने दोस्तों को प्रदान कर रहे हैं तो वह भी उचित होगा," उसने कहा, मेरे चेहरे अपर आयी राहत पर धीरे से हंसते हुए।

मैं उठा और बोला, देवी मुझे आरंभकर्ता के रूप में मंदिर की सेवा करने का अवसर देने के लिए थैंक यू! थैंक यू महाराज! योर सुपरमेसी। अपनी पवित्र उपस्थिति के साथ हमें अनुगृहीत करना और मंदिर के उद्घाटन और महायाजक की दीक्षा के समारोह में अपनी उपस्थिति का सम्मान प्रदान करने के लिए ये हमारे लिए एक अद्भुत सौभाग्य की बात है। हमारे पूरे मदिर की और से आपके प्रति कृतज्ञता को शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता है। यह वास्तव में हमारे लिए बहुत अच्छा दिन है। धन्यवाद, आपकी सर्वोच्चता। " धन्यवाद महायाजक मुझे उस पावन कार्य के लिए चुनने के लिए. औए साथ ही उन सभी अन्य उपस्थित महायाजक, सेविकाओं, अनुचरो और परिचारिकाओं का भी धन्यवाद जिन्होंने इस पुनीत कार्य के लिए मुझे त्यार करने में मदद की, उस सभी भक्तो का भी धन्यवाद की वास्तव में बड़भागी हैं कि उन्हें इस समारोह में उपस्थित होने का सौभाग्य मिला है और मुझे विश्वास है भविष्य में भी प्रेम की देवी की कृपा हम सब पर ऐसे ही बनी रहेगी ।

पायथिया ने साटन के कपड़े से अपना मुंह पोंछा। "तो मास्टर अब आप तैयार हैं।"

"मास्टर! कृपया पुजारिन को दीक्षा दें" उसने प्रवेश द्वार की ओर अपना हाथ बढ़ाया। रास्ते में खड़ी महिलाएँ अलग हो गईं।

ढोल को धीमी आनंदपूर्ण लय को पीटना शुरू कर दिया गया और पुजारीने आने वाले अनुष्ठान की प्रत्याशा में रोमांचित हो गयी।



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तभी मंदिर के अँधेरा हो गया और उस कतार के अंत में हलकी रौशनी हुई और मैंने देखा कि एक युवती गुलाबी रेशमी लबादे में सुनहरे रूपांकनों ाँद अलंकरो में सजी धीरे-धीरे अंदर आ रही थी। उसके फूलों के मुकुट और पारदर्शी चेहरे के आवरण ने उसे लगभग एक दुल्हन की तरह बना दिया था। वह खूबसूरत थी और चांदनी में उसका चलना ऐसा महसूस होता था जैसे वह झील में तैर रही हो, हंस की तरह, शांत और सुखदायक। उसके साथ चोगे पहने हुई दो लड़कियाँ भी थीं।

मैंने उसे आते देखा और खड़ा हो गया, मानो सम्मान में। वह करीब आ गई। दो लड़कियों ने उसका लबादा ले लिया।

वह लंबी थी और सुडौल शरीर वाली थी। लेकिन मेरी दिलचस्पी वास्तव में उसके सुनहरे बाल और पूरी तरह से गोरी त्वचा में थी। हालाँकि उसका चेरा नक़ाब से ढका हुआ था फिर भी वह लगभग स्पष्ट और निश्चित रूप से सबसे खूबसूरत महिलाओं में से एक थी जिसे उसने कभी देखा था। मैंने उसे छूने के लिए, उसके पैरों के बीच चढ़ने के लिए, उसे चोदने के लिए कोई भी कीमत देने के लिए या किसी ऐसी चीज के लिए भुगतान करने को तैयार था जो इतनी गर्म लग रही थी। हाँ कोई भी कीमत।

वह शर्मीली थी, उसने नीचे देखा, उसका शरीर चांदनी में चमक रहा था और उसके सुनहरे बाल ठंडी हवा के साथ धीरे-धीरे नाच रहे थे। उसने नीचे कोई भी वस्त्र नहीं पहना था, केवल गहनों में वह मेरे लिए, देखने और आनंद लेने के लिए थी। अन्य महिलाओं ने उसे वेदी पर कदम रखने में मदद की। वह घुटने टेकने की स्थिति में मेरी जांघों पर बैठ गयी और देवी की ओर देखा, अपनी आँखें बंद कर लीं और प्रार्थना की। मैंने उसके कोमल और दीप्तिमान नग्न शरीर को देखा। उसने आँखें खोलीं और मेरी ओर देखा। उसकी आँखें नीले और हरे रंग का मिश्रण थीं। वह दुल्हन का सोलह शृंगार की पूरी तयारी की हुई थी। उसका पूरा बदन बिलकुल चिकना था और उसके बदन से आने वाली ख़ास इत्र की खुसबू पूरे माहौल को मादक बना रही थी ।

सोने और चांदी की डोरियों से बना उसका-उसका टॉप नीचे से एकदम पतला था पर उसके उभार, एकदम छलक के बाहर आ रहे थे ।



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मैंने उसके गुलाबी रंग का मुस्कुराता हुआ चेहरा जो की उस पारदर्शी चुनरी के घूंघट में छिपा हुआ था वह देखा ।मुझे उसके माथे पर पहनी हुई माथा पट्टी नजर आयी जो उसके माथे पर हीरे की एक स्ट्रिंग की तरह लग रही था, उसके सिर के केंद्र से एक माणिक लटका हुआ था। उसके कानो में झुमके थे जो प्रत्येक कान पर एक केंद्र माणिक के साथ हीरे की चूड़ी की तरह दिखते थे और फिर उसके नाक में बड़ी नथ पहनी हुई थी । उसने गले में हार भी पहना हुआ था जिसमें बड़े हीरे के हुप्स थे, जिसमें हीरे के स्ट्रिंगर अलग-अलग लंबाई में सामने लटके हुए थे, जिससे प्रत्येक स्ट्रिंगर के अंत में एक माणिक के साथ उसकी छाती के केंद्र में "J" बना हुआ था। इसके इलावा उसकी कलाइयों को चांदी और गहनों के चूड़ियों के कंगन से सजाया गया था।

उसके बालो में गल्रे और फिर बालो के बीच सितारो से जड़ा माँग टीका, पतली लंबी गर्दन के नीचे, डोरियों से बंधी हुई सोने की चोली, जिसमे से उसकी सन्करि दरार क्लीवेज की गहराई के कारण उरोजो के उभार भी उभरे हुए नजर आ रहे थे । वह हाथो में चूड़िया, और जडाउ कंगन पहने हुई थी, बाहों में बाजू बंद और हाथ में हथ फूल और उसमे से फूलो और इत्र की बहुत बढ़िया सुगंध आ रही थी और उसने नीचे भी सोने की लड़ियो पहनी हुई थी यो बस किसी तरह कुल्हो के सहारे टिकी हुई थी।

पतली कमर में सोने के घुंघरू जड़े पतली-सी रूपहली करधन बंधी हुई थी और गहरी नाभि पर डिज़ाइन बना हुआ था । पैरो में खूब घुंघरू लगी चाँदी की चौड़ी-सी पायल और बिछुए. वह बहुत्त शरमा रही थी।

एक लड़की ने उसका चेहरा ढंकने वाला नक़ाब हटा दिया। आगे-आगे जीवा थी और उसके पीछे एक बहुत ही सुंदर, अठरह वर्षीय " प' लॉकेट पहने पर्पल थी जो की ब्रैडी की बहन और वहाँ उपस्थित महाराज की बेटी, और तीसरी थी ग लॉकेट वाली ग्लोरिया । तीनो निर्विवाद रूप से आकर्षक थी। तीनो गोरी चमड़ी वाली, बुद्धिमान, जीवंत चेहरे वाली थी। ग्लोरिया के सुनहरी बाल रेशमी और लंबे थे, एक केंद्र बिदाई के साथ लटके हुए थे। उसकी बड़ी-बड़ी आँखें नीले और हरे रंग का मिश्रण थीं। उसकी नाक पतली, थोड़ी घुमावदार थी। नुकीली ठुड्डी के साथ उसका अंडाकार चेहरा था। उसका मुंह मनोरम था, होंठ नम और मुलायम, ऊपरी पतला और पूर्ण, सीधे निचले होंठ पर झुका हुआ था। उसके दांत बहुत सफेद और यहाँ तक कि सामने वाले टीथ बड़े और चौकोर और मजबूत थे। उसने एक छोटी-सी बिंदी के अलावा, बड़े करीने से कटी हुई भोंहे थी।

पर्पल का शरीर कोमल, फिर भी दृढ़, पका हुआ और सुस्वादु था। उसकी गर्दन ऊँची, भरे हुए, पके हुए, गोल स्तनों की ओर झुकी हुई थी, जो सिकुड़े हुए ऑरियोल्स में लंबे सख्त निपल्स के साथ इत्तला दे दी थी। उसका पेट घुमावदार था, लेकिन दृढ़ था और उसके कूल्हे आकर्षक नितंबों से मिले हुए थे जो मुझे उसकी योनी में पीछे से चोदने के लिए आमंत्रित कर रहे थे,। उसके अंग सुचारू रूप से बने हुए थे, सुडौल थे, उसके हाथ और पैर सुंदर थे, उसकी कलाई और टखने पतले थे।



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मैं कुछ बोलता उससे पहले पाईथिया बोली मास्टर जीवा और पर्पल को तो आप जानते ही हैं और तीसरी है ग्लोरियाकी जान आपने जीवा के साथ बचाई थी और फिर बोली "मास्टर अब जाओ, उन्हें दीक्षा दो"।

आज जीवा, पर्पल और ग्लोरिया ने बाथरूम में काफी टाइम बिताया, उन्होंने अपने पूरे शरीर की वैक्सिंग करवाई थी, आइब्रो सेट करवाने के बाद और जांघो के बीच नीचे पूरी तरह से क्लीन सेव करवाई थी। उसके बाद उन तीनो का ने अच्छे से मेकअप किया गया था। पाईथिया बोली मास्टर नयी पुजारिने थोड़ा-सा शृंगार करने और बनने ठनने से स्वर्ग की अप्सरा से भी बहुत सुंदर लग रही है ।

मुझे समझ नहीं आया तो पाईथिया बोली आप इन तीनो के साथ सम्भोग करो और जिसे आप पहले दीक्षा दोगे वह मेरे स्थान पर हमारे सबसे बड़े और पुराने मंदिर की महायाजक होगी और जिसे बाद उसके में दीक्षा दोगे वह दुसरे मंदिर की महायाजक होगी और जिसे आप अंत में दीक्षा देंगे वह इस नए मंदिर की महायाजक होगी ।

मैंने पाईथिया से इस चुनाव में मदद करने की लिए कहा तो उसने बोलै आप किसी को भी चुन लीजिये । तो मैंने लाटरी डालने के लिए कहा । सबसे पहले जीवा, फिर ग्लोरिया और अंत में पर्पल की चुदाई का नंबर तय हुआ । फिर पाईथिया ग्लोरिया और पर्पल को उनकी सीट पर ले गयी और उसके बाद अपनी सीट पर बैठ गयी नग्न, उसकी मलाईदार त्वचा पसीने से चमक रही थी। उसने सोने का हार और मैचिंग हीरे और सोने की बालियाँ और अंगुलियाो में अँगूठिया पहनी हुई थी।

फिर मैं जीवा को चूमने के लिए झुक गया और उसे चुंबन के लिए आमंत्रित किया जैसे ही मेरे होंठों ने उसे छुआ, वह सांस लेने के लिए संघर्ष कर रही थी, लेकिन उसने मुझे एक भावुक चुंबन में कस कर पकड़ रखा था और ऐसा लग रहा था जैसे वह मेरी सांस को चूस रही थी । चूसने से जीवा के पूरे शरीर में एक करंट-सा दौड़ गया। आखिर एक अकेली जवान औरत जो मेरा चार साल से इन्तजार कर रही थी। मेरा स्पर्श पाते ही उसके अन्दर वासना का ज्वार बढ़ने लगा था । उसके अन्दर कामवासना की लहरे जोरो से हिलोरे मार रही थी अब उसे और ज्यादा चाहिए था।

मैं जीवा को एकटक देखने लगा, वह आज काफी अलग लग रही थी, सेक्सी, ब्यूटीफुल, रिलैक्स्ड, चेहरे पर संतुष्टि और मुस्कान का सम्मिश्रण। वह मेरे साथ आज के मिलन के लिए वह पूरी तरह से सज धज के आयी थी। मैं जीवा के सौन्दर्य में ऐसा खोया की मुझे कुछ और याद ही नहीं रहा।

कहानी जारी रहेगी
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सातवा अध्याय



लंदन का प्यार का मंदिर



भाग 45



सेक्सी और खूबसूरत मुख्य पुजारिन की दीक्षा





फिर मैं जीवा को देखते हुए उस कमरे के बीचो बीच रखे बिस्तर पर जीवा को हाथ पकड़ ले गया और उसके हर कदम के साथ उछलते कुल्हे और चूतडो में संतुष्टि का एक भाव था, चाल में एक मादकता थी।



इतनी सेक्सी और खूबसूरत जीवा को देख मेरे अन्दर की वासना में जीवा की खूबसूरती ने आग में घी वाला काम किया। और मैंने तुरंत तय कर लिया था कि आज तो मैं जीवा की चुदाई करके ही दम लेगा और इसके लिए मुझे चाहे जो करना पड़े को करूँगा हालंकि वह लगभग नग्न ही थी पर फिर भी कुछ आभूषण पहने हुई थी और मैं उसे पूरी तरह नंगी इमेजिन कर रहा था। कमर लचकाती, कुल्हे मटकाती मद मस्त चलती जीवा के नितम्बो पर हाथ रख कर मैंने उसने पहले सहलाया और फिर दबा दिया! आह!





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मैं उसकी खूबसूरती को बार-बार निहार रहा था और खुश हो रहा था। अब शृंगार और सज कर जीवा पहले से कई गुना ज्यादा सेक्सी और आकर्षक लग रही थी। और इसके कारण मेरा लंड बिलकुल कड़ा हो गया था ।







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मैंने अपने दोनों हाथ उसकी कमर पर रख दिए। उसने मैंने उसकी कमर के आकार को महसूस किया। यह किसी मूर्तिकार द्वारा गढ़ी गई किसी भी मूर्ति से बेहतर थी। मैंने ने धीरे से अपनी हथेलियों को उसके पसली के पिंजरे के किनारों पर सरका दिया। खुशी की शुरुआती लहरों को महसूस करते ही उसने अपने मुंह से सांस छोड़ी। फिर वह अपने हाथों को अपने कोमल स्तनों के चारों ओर धीरे से घुमाते हुए सामने लाया, धीरे-धीरे अपने अंगूठे के साथ उसके निप्पल तक पहुँच गया जैसे कि वह अपने दिमाग में माप चला रहा हो। आज जीवा को वन में पहली बार किसी ने इस तरह से छुआ था। वह कराह रही थी और मैंने उसके निपल्स को थोड़ा अंदर दबा दिया। आनंद की लहर के रूप में उसका पेट सिकुड़ गया। उसकी प्रतिक्रिया ने मेरे लंड को बहुत कठोर कर दिया। मैं जानता था कि अब मैं जल्द से जल्द उसकी प्यारी कुंवारी चूत में प्रवेश करना चाहता हूँ। लेकिन उससे पहले मैं उसे अपने सीने में दबा लेना चाहता था। मैं उसके उस प्यारे शरीर को अपनी बाँहों में कस कर पकड़ना चाहता था। इसलिए उसने ऐसा करते हुए उसे अपने पास खींच लिया। उसके प्यार भरे आलिंगन ने उसे आस पास क्या है सब भुला दिया।



मैंने उसे बिस्तर पर बिठाया और तारीफ करता हुआ-जीवा आप आज बहुत खूबसूरत लग रही हो और सच बोलू तो आज तुम कमाल की लग रही हो, पता नहीं इसकी वजह क्या है लेकिन तुम सच में बहुत खूबसूरत और दिलकश लग रही हो। वह अपने वबालो ने हाथ फिरती हुई बोली इसका कारण भी आप ही हो आपने मेरे अन्दर की सोई औरत को जगा दिया हैऔर जीवा ने मेरी तरफ एक लम्बी मुस्कान छोड़ दी। उसे भी पता था आज उसका अंग-अंग दमक रहा है, शरीर के हर कोने में संतुष्टि झलक रही है। वह मेरी  तारीफों से खुशी में झूम रही थी । वह बोली आपको मालूम नहीं है मैं आपके लिए पिछले चार साल से कितना तडपी हूँ अब जब आपसे मिलने का मौका आया है तो मेरा अंग-अंग खिल गया है । मैं पिछले चार साल से बेहद अकेली थी और मेरा मन और शरीर वासना की आग में जल रहा है। मैं आपसे मिलने के लिए बेकरार थी और मैंने सालो से लंड की तरफ देखा नहीं है और जब मैं महायाजक बनी थी तब भी मैंने अपनी इष्ट प्रेम की देवी से प्राथना की थी की मुझे सिर्फ आपसे प्रेम है और इसलिए मैंने ने सालो से चुदाई नहीं की और अपने कौमार्य को आपको ही समर्पित करने का मेरा निश्चय आज पूर्ण हो रहा था है इसलिए तुमसे चुदाई की तलब ने मेरा ये हाल कर दिया है और मुझ से चिपक कर रोने लगी।



मैं बोला–देखो जीवा सेक्स जवान शरीर की जरुरत है तुम प्रेम और सेक्स की देवी की उपासक और पुजारिन होऔर अच्छे से जानती ही हो अपनी वासना को कितना भी दबावों, वह दबने वाली नहीं है, बल्कि तुम्हे बीमार बना देगी। तुम जवान हो और बहुत खूबसूरत भी। अगर तुमारे अन्दर चुदवाने के इक्षा होती है तो इसमे कुछ भी गलत नहीं है ये तो प्राकृतिक है। तुम अपनी चुदवाने की इच्छा मारकर खुद पर घनघोर अत्याचार कर रही थी।



एक तो काम पिपासा ऊपर से मेरे विनम्रता से बोले गए शब्दों को सुन जीवा मेरे धे पर सर रखकर बेतहाशा रोने लगी। मैंने कहा जीवा तुम्हे कुछ कहने की जरुरत नहीं है, तुम्हे बस खुद को प्यार करने की जरुरत है जिससे तुम्हे ख़ुशी आनंद मिले वह करो, अपने शरीर के सुख के लिए तुम्हे जो करना पड़े करो। इतना कहकर मैंने जीवा को गले लगा लिया औरजीवा भी जोर से मुझसे लिपट गयी, उसके लिपट जाने से उसके स्तन और चूचीया मेरे सीने से दब गयी। मुझे भी मेरे नंगी छाती पर जीवा के स्तन और चुचियो का अहसाह हो रह था, मैंने जीवा पर अपनी बांहों का कसाव बढ़ा दिया, जिससे स्तन और चूची ज्यादा कसकर मेरे सीने से रगड़ने लगी। इस रगडन से मेरे लंड में हल्की-सी हरकत हुई।



मैं बोलै जीवा मुझे इन शारीरिक सुखो का एहसास कुछ ही दिन पहले हुआ है और अब सोचता हूँ मैं कैसे इतने दिन इनके बिन रह लिया । जबकि तुम तो इतने साल पहले इनके बारे में जानती थी, तुम बहुत खूबसूरत हो, तुम सच में बहुत खूबसूरत हो मेरा यकीन करो। तुम्हारे जैसी बला की खूबसूरत लड़की को हमसफर पाकर कोई भी मर्द गर्व महसूस करेगा।



जीवा सुबुक रही थी और कसकर मेरे से लिपट गयी थी। जीवा खुद से मेरे साथ लिपटी जा रही थी उसका खुद पर नियंत्रण कम होता जा रह था, में जीवा पीठ सहलाता हुआ पीठ पर से हाथ फेरते-फेरते अपना हाथ उसकी कमर ने नीचे जाकर उसके उठे हुए चिकने गोलाकार गोरे मांसल चुतड पर दबाव बनाकर जीवा की कमर को अपनी तरफ खींच और दबा रहा था। और मेरा लंड कड़ा होने लगा था।



उसके कोमल शरीर को उसका अहसास साफ साफ़ हो रहा था, उससे चिपकी होने की वजह से वह मेरे लंड के तनाव और कठोरता को-को अपनी नाजुक कमर के निचले हिस्से और केले के तने जैसी चिकनी नरम गुदाज जांघो और चुतड़ो पर महसूस कर रही थी। वह सोच रही थी की उसकी असलियत का पताचलने के कारन ही अब मैं उसे बुरी तरह चोद डालना चाहता है। एक तो मेरे लंड का बड़ा आकार और मेरे इरादे के बारे में सोचकर जीवा घबराये और डर गयी। उसके दिमाग में हाहाकारी तरीके से बुरी तरह चोदने के सीन चलने लगे। लेकिन इस हालत में भी उसकी चूत में हल्की-सी वासना के उफान की सनसनाहट-सी महसूस हो रही थी और हर बीतते पल के साथ ये सनसनाहट बढती जा रही थी, क्योंकि मैं अपने एक हाथ से जीवा के उठे हुए चिकने गोलाकार गोरे मांसल चुतड लगातार मसल रहा था और उसके शरीर को अपने ऊपर खींच रहा था। जीवा भी अपनी चिकनी नरम गुदाज जांघो और चूतडो के बीच मेरे कठोर लंड के स्पर्श और तनाव को महसूस कर रही थी।



मैंने थोड़ा जीवा का चेहरा ऊपर किया और उसके ओठो को पहले धीमे से और फिर उसे कसकर चूम लिया, जीवा के मुहँ से हल्की आह निकल गयी, मैं सख्ती से जीवा के ओठ चूमने लगा और अपनी जीभ जीवा के मुहँ में डाल दी, मैंने एक हाथ से जीवा की खुद से चिपकाये हुए था जबकि उसका एक हाथ जीवा के भारी गोल मांसल चुतड की लगातार मालिश कर रहा था। मेरा सख्त होकर खड़ा लंड जीवा की चिकनी नरम गुदाज जांघो पर पहले से ज्यादा जोर से महसूस हो रहा था।





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जीवा ने कुछ ही देर पहले पूरे शरीर की वैक्सिंग और नहाने के बाद शरीर पर तेल लगाया था और उसके शरीर पर बालों का नामोनिशान नहीं था, जिसके कारन कंधो से लेकर कमर तक उसकी नरम गोरी त्वचा से ढका नाजुक बदन हलकी मशालो की रौशनी में सुनहरे संगमरमर की तरह चमक रहा था। उसके स्तन कठोर होकर समाने की तरफ तने हुए थे, जब मैंने उसकी तनी हुई चुचियाँ देखि तो मेरी सांसे तेज हो गयी। । उसके कुंवारे और अनछुए सुडौल, ठोस और सामने की तरफ तने हुए थे।



उसने मुझे अपने पास खींचा और मैंने उसे जब दुबारा चूमा तो वह भी मेरे ओंठ चूमने लगी इससे मुझे आत्मविश्वास मिला। मैंने उसे घुमाया और उसकी पीठ पर लिटा दिया और उसके तंग पेट पर चुंबन लगाने लगा। मैंने उसके दाहिने स्तन को ऊपर की ओर लंबी चाट के साथ आगे बढ़ा। उसके कोमल निप्पल को अपने होठों से दबाया और उसकी प्रतिक्रिया की तलाश की। उसका मुंह खुला हुआ था। फिर मैंने अपनी लार से उसके निप्पल को भीगो लिया और उसमें से लार को वापस चूसा। उसका शरीर गर्म हो रहा था। उसकी छाती बड़ी हो गई और सिकुड़ गई, क्योंकि उसने जोर से सांस ली। फिर मैंने अपनी जीभ से उसके निप्पल से खेलते हुए उसके बाएँ स्तन पर चला गया।



उसने मेरी तरफ देखा। मैं जल्दी से उसके कोमल, गुलाबी होठों को चूमने लगा। उसने अपने चेहरे पर मेरी गर्म सांसों के झोंकों को महसूस किया। मैंने जीवा के चुतड छोड़ कर अब स्तन मसलने शुरू कर दिए, धीरे-धीरे मेरी हथेली और उँगलियों की सख्ती बढती जा रही थी, बीच-बीच में जीवा के ओठ चुसना छोड़ चुचियो पर अपने दांत गडा देता, तो जीवा के मुहँ से सीत्कार भरी सिसकारी फूट पड़ती, फिर उन्हें छोटे बच्चे की तरह चूसने लगता, फिर वापस जाकर जीवा के ओठो से ओठ सटा देता और अपनी जीभ जीवा के मुहँ में ठेल देता और दोनों के मुहँ की लार एक दुसरे में घुलने मिलने लगी।





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इतनी खुसुरत जीवा को चोदने के ख्याल से ही मेरा लंड तो लंड मेरा रोम-रोम भी खड़ा हो गया और लंड की तरफ खून का दौरा तेज हो गया। जिवा जो की अप्सराओ से भी बहुत ज्यादा खूबसूरत है। इतनी खूबसूरत, फूल-सी नाजुक जीवा की टाइट चुत को जब मैं चोदूँगा तो कितना मजा आएगा, ये सोच के ही मेरा लंड और ज्यादा तन गया। मैं जीवा की जांघो के बीच में चिकनी गोरी बाल रहित चूत त्रिकोण घाटी को गौर से देखने लगा अब मेरे समाने एक नंगी अप्सरा मुझे अपने अन्दर समां जाने का आमंत्रण दे रही थी। उसकी खूबसूरत कसी हुई चिकनी गुलाबी चूत अन्दर तक, आखिर छोर तक पूरी तरह अंदर समा जाने के लिए आमंत्रण दे रही थी।



मैंने उसके स्तन को दबाते हुए दुसरे हाथ से उसकी जनघो को सहलाया और फिर ड्सके दोनों चूतडो का जायजा लेने लगा।



कमर से नीचे जांघो तक उभरे हुए, कुंवारी सुडौल कसावट लिए हुए, नरम-नरम मांसल गोल बड़े-बड़े चुतड देख कर मैं बहुत उत्तेजित हो गया। और उससे थोड़ा दूर हुआ तो अब जिवा का ध्यान मेरे लंड पर गया ।



जीवा ने आश्चर्य से मेरी की कमर की तरफ देखा और उसने मेरा मोटा लम्बा, खून के तेज दौरे से कांपता लंड ऊपर की तरफ सीधा था जिस्की मोटाई और लम्बाई देख जीवा की आंखे फटी की फटी रह गयी। लंड उत्तेजना से फूल गया था और खून के बहाव के कारन होने वाला कांप रहा था। इतना मोटा बड़ा लंड उसने कभी इतने पास से नहीं देखा था।



उसे अंदाजा था कि मेरा लंड बड़ा है लेकिन इतना बड़ा ये  अंदाजा उसे  नहीे था।


कहानी जारी रहेगी
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मेरे अंतरंग हमसफ़र


सातवा अध्याय

लंदन का प्यार का मंदिर

भाग 46

सेक्सी और खूबसूरत मुख्य पुजारिन की कामुकता 


गीवा मेरे लंड को एकटक देखती रही। जीवा मेरे मुसल जैसे तनकर एकदम कड़क लोहे की राड की तरह हो चुके लंड को देखने में खोयी हुई थी। । कुछ देर तक मैं अपने मूसल लंड को मसलता रहा, फिर जीवा ने धीरे-धीरे मेरे लंड की तरफ हाथ बढ़ा दिए और अपनी नाजुक हथेलियों में मेरे कठोर लंड को जकड़ लिया। लंड उत्तेजना से काँप रहा था। जीवा ने हौले-हौले मेरे लंड पर हथेली से सहलाना शुरू कर दिया। जीवा का हाथ सख्त और कठोर खड़े लंड पर फिसलने लगा मैं अपनी कमर हिलाने लगा और अपने लंड की तरफ देखते हुए मानो उससे कह रहा था–इस तरह से पेलूगा।



तुमारी कुंवारी चूत में अपना मोटा लंड। जीवा आँखे फाड़-फाड़ कर बस लंड को ही देखे जा रही थी।

और उस पर अपने हाथ तेजी से फिसला रही थी, उसकी नज़रे ही नहीं हट रही थी। मोटे लम्बे मुसल जैसे लंड की दहशत के बावजूद जीवा के कामुक मन में चुदाई की चाह उपज कर बलवती हो रही थी रही थी। जीवा बोली उफ़! मास्टर ये बहुत बड़ा है । लम्बा है मोटा भी और फूलकर कितना बड़ा हाहाकारी हो गया है भला ये मेरे अंदर कैसे जाएगा। नहीं-नहीं मैं इसे नहीं ले पाउंगी, ये मेरी नाजुक छोटी-सी योनि से बहुत बड़ा है ये मुझे चिर डालेगा फाड़ डालेगा।

फिर जीवा ने हुए सुपाडे पर अपने नरम होठो को मादक किस की और एक लम्बी आह! भरी और वासना भरी आँखों से मुझे देखने लगी। जब वह मेरे लंड को घोर रही थी तो मैं भी जीवा के खूबसूरत जिस्म की एक-एक बनावट एक-एक कोना अपनी आँखों के जरिये अपने दिलो दिमाग में उतारने लगा। सर से लेकर पांव तक जीवा के शरीर पर अब एक कपड़ा नहीं था, बस केवल सोने और हीरो के घने पहने हुई थी वह बिलकुल प्राकृतिक अवस्था में मेरे पास थी, ऊपर से नीचे तक एक नंगी, कोई कपड़ा नहीं थानाम मात्र का पर्दा था तो कुछ गहनों का था जिनमे उसका संगमरमर की तरह चमकता शरीर, हर एक अंग की झलकती मादकता सब कुछ खुलकर बाहर आ गया था।


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जीवा का गोरा सपाट पेट, उसकी गोरी, केले के तने जैसी चिकनी मुलायम मांसल जांघे और जांघो के बीच बना चूत घाटी त्रिकोण बड़े-बड़े गोल सुडौल मांसल चुतड। जांघो के बीच स्थित चिकनी चूत घाटी में बालो का नामोनिशान नहीं था, उसने जांघ के बीच चूत के इलाके का न केवल आज क्लीन सेव किया था, बल्कि उसका स्पेशल मेकअप भी किया था ऐसा लग रहा था कि उसकी चूत पर कभी बाल थे ही नहीं और पूरा इलाका हल्का गुलाबी रंग में चमक रहा था।

मुझे जीवा की त्रिकोण चूत घाटी साफ़ नजर आ रही थी, बिलकुल संगमरमर की तरह सफ़ेद, मक्खन की तरह चिकनी सपाट और उसके बीच में बनी मदमस्त चूत के नरम ओठो का गुलाबी कटाव भी साफ़ नजर आ रहा था।

मुझे लगा मैं तो जैसे स्वर्ग पंहुच गया हो और कोई अप्सरा बिलकुल नंगी होकर अपना मखमली जिस्म लिए मेरे सामने थी मैं जितनी खूबसूरत औरत की कल्पना कर सकता था उससे कई गुना खूबसूरत जिस्म की मालकिन जीवा मेरे सामने थी और अपने गुलाबी अप्सराओ जैसे हुस्न से मुझे वासना में मदहोश किये दे रही थी। मैं तो पलक झपकाना ही भूल गया था, जीवा को नंगी देखकर मेरे लंड में खून का दौरान दोगुना हो गया, मेरा लंड फूलकर बिलकुल पत्थर बनने की कगार पर आ गया था। मैं कुछ देर तक एकटक जीवा की खूबसूरती देखता रहा।


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लम्बा गोलकार मुहँ, रस टपकाते पतले ओठ सुराही जैसी पतली गर्दन, छाती पर भरे पूरे सुडौल सामने की तरफ तने हुए स्तन और उनके शीर्ष पर विराजमान दो चुचियाँ, सपाट पेट और उसके बीच में सुघड़ नाभि, पेट पर फैट का नामोनिशान नहीं, भरी-भरी गोलाकार गोरी-गोरी गुदाज जांघे, उठे हुए गोलकार मांसल बड़े-बड़े चुतड और जांघो के बीच में हल्की गुलाबी सफ़ेद रंग की तरह चमकती मखमल की तरह चिकनी त्रिकोण चूत घाटी, मुझे दीवाना बना रही थी।

मैं जीवा के मदमस्त हुस्न और मचलती जवानी को देख कर मस्ती से बेक़रार हो रहा था और जीवा की जवानी एक अनोखा ही रस दे रही थी। फिर जीवा ने मेरे देखते ही देखते एक बहुत ही मदहोश अंगड़ाई ली और इस अंगड़ाई से उस के द मोटे और बड़े मम्मे ऊपर की तरफ़ छलक उठे और मैं जीवा की इस मदहोश अदा से बहुत गरम और बेचैन हो गया।

नंगी और बेहद सुंदर जीवा की मदहोश करने वाली अंगड़ाई को देख कर किसी भी मर्द के लिए ख़ुद पर काबू रखना एक ना मुमकिन बात होती और बिल्कुल ये ही हॉल मेरा भी जीवा के जवान बदन को देख कर उस वक़्त हो रहा था।

मुझे विश्वास हो गया था कि आज मेरी लाटरी लगी थी जो मुझे एक के बाद जबरदस्त खूबसूरत और कामुक, बला की खूबसूरत, परफेक्ट शारीरिक बनावट वाली लड़किया चुदाई के लिए मिल रही थी और अब मेरे सामने थी उन सब से शानदार जिस्म की मालकिन जीवा जिसने आज ही अपनी चूत को क्लीन सेव भी किया और बॉडी हेयर भी साफ़ करवाए थे। ऊपर से खूबसूरत बॉडी आयल और मेकअप ने सोने पर सुहागा कर दिया था। जीवा साक्षत आसमान से उतरी बिना कपड़ो की परी लग रही थी। मेरी नजर कभी जीवा के रस टपकाते ओठ पर अटक जाती, कभी रीमा के गोलाकार सुडौल गोरे स्तनों पर टिक जाती, तो कभी दो जांघो के बीच बने गोरे मखमल जैसे चिकने और रपटीले गुलाबी चूत घाटी के त्रिकोण पर, कभी मैं जीवा की चिकनीगोरी मांसल जांघे घूरने लगता। मुझे समझ नहीं आ रहा था की मैं ज्यादा देर तक किस को निहारु। जीवा ने सर झुककर एक बार खुद को निहारा और अपने खूबसूरत मादक जिस्म की मादकता में मन ही मन में आनंदित होकर वासना की समुद्र में गोते लगाने लगी।

मैं इतनी खूबसूरत नंगी जीवा का एक-एक रोम देखने उसके रास टपकाते गुलाबी ओठो का रस पीना चाहता था और इतनी कोमल, गुलाबी संगमरमर की तरह चमकते दमकते जिस्म को भोगना और उसके सुडौल तने हुए स्तनों को मसल कर उसकी कोरी चिकनी गुदाज मांसल जांघो पर अपनी जांघे रगड़ते हुए उसकी मक्खन जैसी चिकनी नरम गुलाबी चूत चोदन चाहता था । और अब जीवा भी खुद को नहीं रोक पा रही थी। वह अब हर धड़कन के साथ कांपते मोटे तगड़े लंड को अपनी मक्खन जैसी चूत के अन्दर गहराई तक लेना चाहती थी उसे एहसास थी की यही हाहाकारी मुसल लंड सालो से हवस की आग में जल रहे शरीर की भूख मिटा सकता है, यही वह लंड है जो उसकी चूत में उमड़ रहे वासना की आग को ख़तम कर रिमझिम फुहारे बरसा सकता है। सालो से लंड की प्यासी चूत को चीर कर, फाड़कर चूत के दूसरे छोर तक जाना होगा, जितना ज्यादा से ज्यादा मेरी चूत की गहराई तक लंड जायेगा वह लेने को ततपर थी। उसने निश्चय किया चाहे जितना दर्द हो, चाहे चूत फट जाये, उसकी दीवारों चटक जाये, उनसे खून बहने लगे फिर भी यही मोटा भयानक लंड मेरी चूत की अंतिम गहराई तक जायेगा। और जब तक मेरे शरीर में दम रहेगा तब तकमैं इससे चुदवाती रहूंगी। मुझे अपनी चूत की वर्षो की प्यास मिटानी है, मुझे अपनी चूत की दीवारों में उमड़ रही चुदास की आग को बुझाना है, जैसे सावन में बार-बार बरसते बादल धरती की प्यास बुझाते है ऐसे ही ये मोटा लम्बा लंड बार बार मेरी चूत में जाकर मुझे चोदेगा और मैं बार-बार झड़ झड़ कर चूत के अन्दर लगी आग को बुझवाऊँगी और अपनी तृप्ति हासिल करूगी, असली तृप्ति भरपूर तृप्ति, परम सुख संतुष्टि, ऐसी संतुष्टि जिसको मेरे नंगे जिस्म का एक-एक रोम महसूस करे। जीवा ने अपनी टूटी हुई हिम्मत और पस्त हौसलों को एक नयी जान दी।


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वह अब अपनी सालो से मन के कोने में दबी हवस और चुदाई की लालसा को छिपाना नहीं चाहती थी। अब वह खुलकर चुदना चाहती थी और उसकी चूत भी उसके वासना में जलते जिस्म की आग बुझाने को तैयार थी। अब वह चुदाई के साथ-साथ अपने बड़े सुडोल और गोल बड़े-बड़े स्तन दबवाना और चाहती थी मैं उन्हें मसल दू और चूची मुहँ में लेकर चुस लू। चार सालो से दबी उसकी वासना और हवस की तमन्नाये अब उफान मार-मार कर बाहर आने लगी थी, अब वो और अपनी वासना को दबाना नहीं चाहती थी।

मैंने जीवा को अपनी आगोश में ले लिया और हौले-हौले चूमने लगा। कभी गर्दन कभी कानो कभी कान फिर से गर्दन को चूमने लगता। जीवा अब पूरी तरह से वासना के आगोश में चली गयी थी, उसकी गरम सांसे धौकनी की तरह चलने लगी थी, छाती तेजी से उठने गिरने लगी। मेरा भी यही हाल था मेरी सांसे भी तेज हो गयी थी, बदन गरम हो गया था और लंड इतना सख्त हो गया था फटने की कगार पर पंहुच गया था।

चुमते चुमते मैं जीवा के जिस्म के और करीब आ गया गीवा ने कुछ तो डर के मारे और कुछ आगे होने वाले का अनुमान लगाने के लिए अपनी आंखे बंद कर ली। जैसे ही मेरा सख्त हाथ उसकी कमर के नीचे से वासना से दहकती उसकी जांघो के बीच में नरम चिकनी त्रिकोण चूत घाटी के पूरी तरह से साफ़ सुथरा गुलाबी चिकने मैदान पर से फिसलता हुआ नीचे बढ़ा, जीवा ने पैर फैलाकर खुद ही पूरी तरह से हथियार डाल कर टाँगे खोल दी और उसकी दुधिया गुलाबी गीली चिकनी चूत दिखने लगी।

जीवा की मोटी चिकनी मुलायम और गुदाज रान अपनी पूरी आबो ताब के साथ मेरी भूखी प्यासी आँखों के सामने नुमाया हो रही थी।

"हाईईईईईईईईईईई!" वाह इतनी खूबसूरत चूत। चिकनी सुडौल गोरी-गोरी मांसल जांघो के बीच जीवा की गीली गुलाबी चूत अलग ही चमक रही थी। चूत की शुरुआत में ऊपर गुलाबी परतो के बीच उसका चूत दाना छिपा हुआ था उसके नीचे सलीके से दोनों गुलाबी ओठों की फांके नीचे की तरफ गयी हुई थी और चूत के मुहाने पर पंहुचते-पंहुचते गायब हो गयी थी। पूरी चूत बिलकुल साफ़ दुधिया गुलाबी रंग से नहाई हुई, आसपास की चमड़ी भी उसी रंग में चमक रही थी।

एक दम साफ़ हल्की गुलाबी लालिमा लिए जीवा की चूत पूरी तरह गीली हो चुकी थी और उसकी चूत रस उसके पतले गुलाबी ओठो को भिगोये हुए था। मैं तो बस जीवा की चूत देखता ही रह गया।

मिनट उसे चुमाऔर जब दोनों के लब आपस में टकराए। तो सेक्स की एक लहर हम दोनों के जवान जिस्मो में सर से ले कर पैर तक दौड़ती चली गई।

थोड़ी देर जीवा के होंठो को चूमने के बाद मैंने जीवा को बिस्तर पर लिटा दिया! और ख़ुद बिस्तर के नीचे फ़र्श पर बैठ कर जीवा की खुली हुई टाँगो के दरमियाँ बैठ कर अपनी जीवा की प्यारी चूत को प्यार से देखने लगा!

चूत को कुछ देर प्यार से देखते और अपनी ज़ुबान को अपने होंठो पर फेरते हुए मैं अपनी नाक को जीवा की चूत के पास लाया और अंदर की तरफ़ अपनी तेज़ साँस खींचते हुए बोला! "ओह्ह ओह्ह आहह मेरी प्यारी जान तुम्हारी चूत से कितनी मस्त करने वाली ख़ुश्बू आ रही है, जीवा यक़ीन मानो तुम्हारी चूत की ख़ुश्बू दुनिया के सब से महनगे पर्फ्यूम से भी बढ़ कर प्यारी है मेरी जान"।


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साथ ही साथ मैंने अपना मुँह खोल कर जीवा की चूत के लबों को अपने मुँह में भर कर चूमा।

तो जीवा के मुँह से मज़े के मारे सिसकियाँ निकलने लगीं।

जीवा मेरे मुँह से अपनी चूत की इतनी तारीफ सुन कर पहले ही गरम हो गई थी और उधर मेरे होंठो ने उस की जिस्मानी आग पर पेट्रोल का काम किया और वह गरम हो उठी।

कहानी जारी रहेगी

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सातवा अध्याय

लंदन का प्यार का मंदिर

भाग 47

सेक्सी अपना कौमार्य अर्पित कर दो


मस्ती में डूबते हुए गीवा अब मुझ से-से अपनी और ज़्यादा तारीफ सुनने के मूड में आ गयी थी। इस लिए उस ने सिसकियाँ लेते हुए पूछा"ऊऊओह क्या तुम को सिर्फ़ मेरी चूत ही अच्छी लगी, क्या मेरे मम्मे तुम्हे खूबसूरत नहीं लगे मास्टर?"

मैं: ओह्ह गीवा में ने आज तक इतनी खूबसूरत चूत और मम्मे नहीं देखे, तुम तो पूरी की पूरी ही मस्त माल हो। अह्ह्ह्ह में कितना खुश क़िस्मत हूँ कि मुझे तुम जैसी खूबसूरत हूर परइ और अप्सरा चोदने को मिली है मेरी जान।

यह कहते ही मैंने जीवा के गुदाज चुतड़ों पर हाथ रख कर उस की गान्ड को ऊपर उठाया और दुबारा अपने मुँह के नज़दीक किया और अपने मुँह को फिर से जीवा की रसभरी चूत पर लगा दिया।

गीवा मेरी इस हरकत से मस्ती से बे काबू हो गई। " हाईईईईईईईईईई!


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मैंने तीन चार बार जीवा की चूत पर अपनी ज़ुबान फेरी और फिर अपनी जीभ को जीवा की चूत में डाल कर उसे चाटने लगा।

तो मज़े की शिद्दत से बेकाबू होते हुए जीवा के मुँह से बे इख्तियार कराहे निकल गयी। ओह्ह्ह आह्हः हाय मर गयी । चाटो और चाटो और इस मज़े को पा कर गीवा तो दुनिया को भूल गई और मस्ती में आते हुए मेरे सर को अपने हाथ से पकड़ कर अपनी चूत पर दबाने लगी।

उसका अनमोल खूबसूरत युवा बदन और-और मदमस्त यौवन। उभारों वाले बेदाग और भरे-पूरे सन्गेमरमरी बदन को देखने से-से ही मेरी नसों में स्वत: कामोत्तेजना बढ़ गयी थी और लिंग कड़ा होने लगा था और इस एहसास ने की अब हम अपने प्रथम सम्भोग की और बढ़ रहे थे और फिर उस स्पर्श ने तो लिंग को अति कठोर कर दिया और अपने-अपने जिस्म से चिपकी अति हसीन जीवा को अपने से लिपटा पाकर मैं विस्मित-था।



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मेरे हाथो का स्पर्श पाकर जब वह मुझ से कस कर चिपकी तो मैं जैसे होश में आया और मेरा एक हाथ अब उसके कंधे पर था और दूसरा स्तनों पर और फिर मैंने भी उसे अपनी ओर खींचा। थोड़ी देर तक मैं उसे अपनी बांहों में भरकर उसकी पीठ को अपने हाथों से सहलाता रहा। वह मेरी बांहों में मुझसे और चिपक गयी। उसके कुँवारे नारी शरीर और अनभोगे, सुडौल, बेहद कड़े और भरपूर उभार और गर्म चूचियों के पर्श से मेरा मन वासना के ज़्वार-भाटे में डगमगा उठा। मुझे लगा मेरा लिंग बेहद कड़ा होकर विशाल हो गया।

फिर मैंने एक चुंबन उसकी कजरारी आँखों पर किया। मैंने बस अपने होंठो को पलकों पर छू भर दिया, फिर दूसरी पलक पर चुंबन किया और दो तीन हल्के चुंबनो के बाद मैंने एक-एक कर दोनों पॅल्को को कस के चूम लिया और उसने ऐसे आँखे बंद ही हुई थी।

फिर मैंने हल्के से जहा माथापट्टी से लटक रहे हीरे के चारो और चूमा और-और फिर माथे की बिंदी पर चूमा तो उसने खुद को अब मेरी बाहों के हवाले कर दिया था। उसकी मूंदी पलके बस अभी तक उन चुंबनों का मजा और स्वाद ले रही थी।

कहंते हैं न शेर के मुँह खून लग गया था और अब यही हालत मेरे होंठो की भी थी।

माथे से वह सीधे मैं उसके गोरे गुलाबी गालो पर आ के रुका और फिर धीरे से नाक को चूमा और फिर होंठो पर हल्का-सा चुंबन किया । उसके गाल शर्म से गुलाबी हुए और मैंने जब दुबारा चूमा तो अब मेरे होंठ वही ठहर गये और मुझे आज तक उस चुंबन का स्वाद याद है... मैंने फिर उसको अपने से हल्का-सा दूर किया हाथो से उसका चेहरा ऊपर किया और होंठो पर एक लम्बी किस की उसकी आँखे बंद थी। जीवा ने अपने होंठों को मेरे होंठों से छुड़ाने की कोई कोशिश नहीं की बल्कि मेरा साथ दिया और मुझे चूमने लगी। मैंने उससे कहा कि वह अपना सिर थोड़ा दायीं ओर झुकाए और बस थोड़ा-सा अपना मुंह खोल दे। मैंने अपना हाथ उसके चेहरे के दोनों ओर रख दिया और उसे अपनी ओर खींचने लगा। जैसे ही हम अपने होठों के मिलने के करीब पहुँचे उसका पूरा शरीर काँप उठा। मेरे होंठ उसके संपर्क में आ गए, छूते ही वह एक पल के लिए हिल गई, लेकिन फिर भी अपने पहले वास्तविक चुंबन का अनुभव करने के लिए आगे बढ़ी। मैंने उसके होठों को अपने होंठों से मालिश करना शुरू कर दिया, उसके धीमे और बहुत नरम चुंबन, यह महसूस कर रहा था कि यह युवा होंठ मेरे साथ मिलकर कितना रोमांचक था। जिस तरह से उसके होंठ इतने युवा और इतने कोमल महसूस करते थे, मुझे बहुत अच्छा लगा। मैंने अपनी जीभ बाहर निकाली और उसके होंठों को छुआ और वह फिर से एक सेकंड के लिए कूद पड़ी। उसने बस अपने होठों को खुला रखा था जबकि मैंने उनके होंठों को बाहर से सहलाया था। जल्द ही उसने वापस वही काम करते हुए अपनी जीभ बाहर निकाल ली। हमारी जीभ एक दूसरे के साथ नाच रही थी, एक दूसरे के मुंह की खोज कर रही थी, बाहर चूम रही थी और अपने होंठों को एक दूसरे के खिलाफ जोर से दबा रही थी।


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फिर मैंने अपना हाथ धीरे से जीवा की जांघो के बीच चूत की घाटी की तरफ बढ़ाया, मैंने धीरे से अपनी उंगलिया जीवा की चूत की तरफ बढ़ाई और बहता चूत रस पोछने लगा और जीवा का चूत रस उंगलियों पर लेकर उसका रस पान करने लगा। रसपान करने के बाद मैंने हलके से जीवा की चूत के गुलाबी गीले ओठों को फैलाया और गुलाबी चूत दाने को रगड़ने लगा।

वासना में तपती जीवा की तेज धडकनों से बढे तेज खून के बहाव के कारन लाल गुलाबी होकर कर फूल गए चूत दाने या चूतलंड को जैसे ही मैंने छुआ, तो जीवा के सुडौल मांसल चुतड अचानक से झटके में ऊपर को उठ गए, ऐसा लगा जैसे उसे बिजली का करंट लगा हो।

फिर मैंने अपने हाथो को जीवा के चूचों पर रखा और झुक कर जीवा के होंठो को चूमते हुए जीवा के कान में सरगोशी की, गीवा। "

जीवा : जी।



[Image: b2.gif]
मैं: मेरी जान कैसा लग रहा है?

जीवा: ओह्ह मास्टर बहुत अच्छा। आआआआआअहह उउफफफफफफफफ्फ! ऊऊओह! ईईईईईईईईईईईई! बोहोत मज़ा देते हो आप!

मैंने जीवा के गुलाबी लाल फूले हुए चूत दाने पर उंगली का दबाव बढ़ा दिया और उसे रगड़ दिया। और फिर कुछ देर तक मसलता ही रहा। जीवा के मुहँ से मादक कामुक कराह निकल गयी-ओह्ह ओह्ह्ह्हहाईए ओह्ह्ह्हह आआह। मैंने जीवा के चूत दाने को मसलना जारी रखा। जीवा की कमर अपने आप झटके खाने लगी। उसके मुहँ से सिकरियाँ फूटने लगी। -आह्ह्हह्ह्ह्ह मैं आअऊऊऊह्ह्ह्ह ऊऊऊह्ह्ह।

मैंने धीरे से अपनी उंगलियाँ जीवा की बाल रहित चिकनी चूत के पतले-पतले गुलाबी ओठो की तरफ बढ़ा दी और उन्हें सहलाने लगी, उनसे छेड़खानी करने लगा। पहले से ही संवेदनशील टिव गरम गीली चूत के ओठो को रगड़ना जीवा के बर्दाश्त से बाहर हो गया।

मेरा हाथ उस की चूत से टच होते ही जीवा पर एक मस्ती-सी छाने लगी। सच्ची बात यह थी कि जीवा खुद भी मेरे मोटे लंड को देख कर मेरे लंड की दीवानी हो गई थी। इस लिए उस ने भी मेरे लंड को अपने हाथ में ले कर उसे सहलाना शुरू कर दिया।

फिर हम दोनों के मुँह आपस में मिल गये। दोनों बिना किसी खोफ़ के एक दूसरे के मुँह में मुँह डाले एक दूसरे के लबों का रस पीने लगे। जीवा की नरम, गोरी, चिकनी और वासना की आग में जलती गुलाबी चूत को ऊपर से सहलाते जीवा ने ऐसा अपने सेक्स जीवन में कभी भी अनुभव नहीं किया था, मैंने जीवा की गीली हो चुकी गुलाबी चूत को बमुश्किल अभी हाथ ही लगाया है और जीवा के होश फाख्ता हो गए है, उसका खुद पर से काबू ख़तम हो गया है। मैंने जीवा की चूत के ओठो को धीरे से इधर उधर किया और अपनी मध्य उंगली को उसकी बेहद कसी गीली गरम गुलाबी चूत में डालने लगा, चूत की दीवारे एक दूसरे से सटी हुई थी और चूत के छेद को इस कदर कस के रखा था कि हवा को भी जगह बनानी पड़े। मेरी उंगली को चूत की कसी दीवारों के जबदस्त विरोध का समाना करना पड़ रहा था। मैंने उंगली पर और जोर डाला, नाख़ून तक उसकी उंगली चूतकी गुलाबी, मलमली, गीली दीवारों को चीरती हुई अन्दर घुस गयी। जीवा के पूरे शरीर में कंपकपी दौड़ गयी, उसका पूरा शरीर उत्तेजना से गरम होने लगा।


[Image: 47-4.jpg]

जीवा: ओह्ह मास्टर बहुत अच्छा। आआआआआअहह उउफफफफफफफफ्फ! ऊऊओह! भाईईईईईईईईईईईईई! बहुत अच्छा लग रहा है! जीवा के बड़े-बड़े मम्मे और सुंदर बदन देख कर मुझे बहुत जोश आ रहा था और इस जोश में अपने हाथ की उंगलियों से जीवा की जबर्जस्त चुदाई करने में मसरूफ़ था।

मैंने और दबाव बढ़ाया, उंगली जीवा की चूत की दीवारों का विरोध चीरती हुई अन्दर घुसती चली गयी, मैंने थोडा थोड़ा करके पूरी उंगली जीवा के चूत में पेल दी। चूत की दीवारे अभी भी हार मानने को तैयार नहीं थी, वह बार-बार उंगली को बाहर की तरफ ठेलने की कोशिश करती। आखिरकार चूत की दीवारों के बीच मैं की उंगली ने अपने लिए जगह बना ही ली। जीवा की चूत की नरम मखमली दीवारे जो चूत के रस से सराबोर हो चुकी थी, मैं की उंगली को कसकर चारो ओर जकड लिया। मैंने जीवा की चूत में उंगली घुसेड कर अन्दर बाहर करनी शुर कर दी और अपनी गीली जीभ जीवा के फूले हुए लाल चूत दाने पर रख दी और उसे चूमने चाटने लगा।

उउफफफफफफफ! आआआआआआआआआआआआ! प्लेआस्ईईईई! आहिस्ता! एयेए! मारो गे क्या मुझ को" गीवा मेरी ऊँगली के ज़ोर दार झटकों को अपनी चूत में महसूस करते हुए मज़े से कराही।

मुझे जीवा की चूत की कसावट का अंदाजा हो गया था। जीवा की कुंवारी चूत बहुत टाइट थी। जीवा की मखमली चूत की दीवारों की सलवटे मैं अपनी उंगली पर महसूस कर रहा था। मैंने झटके से उंगली बाहर खींची और फिर झटके से अन्दर डाल दी। जीवा का शरीर पूरी तरह से काम वासना की उत्तेजना से अकड़ने लगा था, उसके मुहँ से निकलने वाली आहे कराहे और तेज हो गयी थी। वह मैं को अपने ऊपर खीचने की कोशिश करने लगी। मैंने अब दूसरी उंगली भी चूत में घुसेड दी और तेजी से उंगली को जीवा के चूत के छेद में अन्दर बाहर करके जीवा की गरम गीली चूत को दो उंगलियों से चोद रहा था और अपने नीचे लेटी खूबसूरत जीवा को एकटक देखता जा रहा था।

जीवा बहुत मज़े ले-ले कर अपनी चूत मसलवा रही थी और साथ में ुंडगली के योनि में घर्षण के मजे ले रही थी। " ऊऊऊऊओह! आआआआआआआआआ! उफफफफ्फ़! जमशेद प्लेसीईईईईईई! और चोदो मुझे उफफफफफफफफफ्फ़ । ओह्ह क्यों तड़पा रहे हो मास्टर अब पूरा डाल दो ना मैरी चूत में अपना लंड! उूउफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़!

जीवा के जिस्म ने एक झटका लिया और उस की बुर का बाँध टूट गया और जीवा की चूत से झड़ते हुए पानी की एक नदी बहने लगी और मेरा पूरा हाथ अपनी चूत से निकलते हुए पानी से भीग गया। जीवा को बहुत मज़ा आ  रहा था।

मैंने तुरंत अपनी उंगली से चूत का चोदना रोक दिया और फिर अपने पैर फंसा कर जीवा के पैरो को और फैला दिया, जीवा की चूत पर एक भी बाल नहीं था इसलिए अब कोई भी दूर से जीवा की चिकनी गोरी गुलाबी चूत के खुले ओठो और गुलाबी छेद को देख सकता था। जिसे चूत की दीवारे कसकर बंद किये हुई थी। मैं पूरी तरह से जीवा के ऊपर आ गया और अपने पैरो को हिलाकर थोडा एडजस्ट किया। अब मेरा खून से लबालब भरा मोटा लंड, जिसकी नसे दूर से ही देख रही थी, जीवा की जांघो के बीच बिलकुल चूत के मुहाने पर झूल रहा था।

"उफफफफफफफफफ्फ़ मास्टर मेरी चूत को इतना गरम हो गई है। कि अब तुम्हारे लंड लिए बैगर इस की प्यास नहीं बुझ पाएगी" गीवा ने कहा।

मैंने जीवा से कहा  सेक्सी जीवा!  अब मुझे अपना कौमार्य अर्पित कर दो ।


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"उफफफफफफफफफ्फ़ मास्टर मेरी चूत को इतना गरम हो गई है। कि अब तुम्हारे लंड लिए बैगर इस की प्यास नहीं बुझ पाएगी" गीवा ने कहा।

हर धड़कन के साथ कांपते मोटे लबे लंड को जिसका सुपाडा खून की वजह से फूल कर टमाटर जैसा लाल हो गया था को देखकर जीवा ने अपनी आंखे बंद कर ली। ये मोटा-सा बड़ा-सा फूला हुआ लंड अभी उसकी चूत की दीवारों को चीर कर रख देगा, फाड़ कर रख देगा, इसी ख्याल से जीवा का रोम-रोम खड़ा हो गया। जीवा के शरीर में सिहरन दौड़ गयी। मैंने जीवा के ओठो को कसकर चूमा और फिर खुद की कमर को थोडा नीचे झुकाते हुए, हाथ से चूत के दोनों ओठो को अलग-अलग किया और फिर लंड को चूत के लाल फूले हुए चूत दाने पर रगड़ दिया। मैं अब जीवा की टाँगों को अपने हाथ में उठा कर उस की चूत पर आहिस्ता-आहिस्ता अपना मोटा लंड रगड़ने में मसरूफ़ हो गया।

बस कुछ ही पलो में ...जीवा के मुहँ से एक लम्बी कामुक कराह निकल गयी–आह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्हह-ओह्ह्ह्हह ओह्ह्ह्हह उफ्फ्फ्फ़। जीवा उत्तेजना के इस भंवर को संभाल नहीं पाई और उसका शरीर कांपने लगा, उसके नितम्ब अपने आप उठने गिरने लगे। शायद वह झड़ने लगी थी। कुछ देर तक वह इसी तरह हिलती रही और फिर शांत हो गयी। हालाँकि वह मेरा साथ न दे पाने के लिए शर्मिंदा थी लेकिन उसकी उत्तेजना पर उसका कोई नियंत्रण नहीं था। मुझे इन सब का अनुभव था इसलिए मैंने जीवा के सुडौल गोरे स्तनों को मसलना तेज कर दिया, जीवा के गले और कान के पीछे तेजी से चूमने लगा, चाटने लगा।

बारी बारी से उसके मांसल सुडौल गोरे-गोरे स्तनों को मसलते हुए बीच-बीच उसके फूले हुए लाल चूत दाने को रगड़ने लगता। दूसरे हाथ से उसके नरम-नरम बड़े बड़े मांसल चुताड़ो मसलने लगता, जीवा की कमर उठाकर, उसकी जांघे और चूत घाटी त्रिकोण पर खुद का फडकता हुआ मोटा लम्बा लंड रगड़ने लगता ।धीरे धीरे जीवा का जिस्म फिर से गरम होना शुरू हुआ, मैंने अपने मोटे लंड के फूले हुए सुपाडे से जीवा का फूला चूत दाना जोरे से रगड़ दिया और फिर मैंने लंड को जीवा की गुलाबी चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया।

मोटे मुसल जैसे लंड के फूले हुए सुपाडे से लालिमा लिए चूतदाना रगड़ने से जीवा बहुत जल्दी फिर से पूरी तरह से उत्तेजित हो गयी। जीवा की आहे फिर निकालनी शुरू हो गयी, कुछ ही पलो में जीवा फिर से वासना के भंवर में मस्त होकर सिसकारियाँ भरने लगी, उसकी चूत की दीवारों से फिर पानी झरने लगा। मैंने जीवा की गुलाबी चिकनी चूत पर अपना लंड रगड़ना अनवरत जारी रखा। जीवा वासना में मस्त होकर सिसकारियाँ भरती रही।

इन्ही मादक कराहो के बीच मैंने लंड को जीवा की चूत के छेद पर रखा और रगड़ने लगा। जीवा की कराहे और सिसकारियाँ बढती जा रही-रही थी। मैंने कमर को और झुकाते हुए लंड को जीवा की चूत से सटा दिया और उसकी चूत रगड़ने लगा। जीवा भी उसकी चूत को सहलाते मैं के लंड पर हाथ फेरने लगी।

मैंने जीवा की चिकनी गुलाबी गीली चूत को सहलाते-सहलाते जीवा की चूत के ओठ खोल दिए और-और अपने खड़े लंड का फूला सुपाडा उसकी मखमली गुलाबी चूत पर सटा दिया। जीवा को लगा अब बस मैं अपना मुसल लंड उसकी चूत में पेल देगा। मैं जीवा की जांघो को अपने और करीब ले आया और अपने लंड को उसकी चूत के मुहाने पर लगा दिया।

अब दोनों इंतजार नहीं कर पाए तो मैं वापस उठा और अपने लिंग को अपने दाहिने हाथ में पकड़ लिया। यह पूर्व सह टपक रहा था। वह ध्यान से उसे अपने योनी के पास ले गया जो खुद भीग रही थी। उसने सही प्रवेश द्वार की तलाश में अपनी नोक को कई बार ऊपर और नीचे खिसकाया। उसने अपनी आँखें बंद कर लीं और लंड के प्रवेश के लिए तैयार थी।



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मैंने कमर पर जोर लगाया और अपने मोटे लंड का फूला हुआ सुपाडा जीवा की चूत में पेलने की कोशिश करने लगा। उसने आइस्ते से जीवा के कसे संकरे चूत छेद पर दबाव बढ़ाया और अपने सुपाडे को जीवा की गीली चूतरस से भरी चूत के हवाले करने लगा। जीवा की चूत के गुलाबी ओंठ उसके फूले सुपाडे के इर्द गिर्द फ़ैल गए।

जीवा की चूत पर लंड सटाने के बाद उसने दो बार लंड को चूत में पेलने की कोशिश की और दोनों बार चिकनी चूत की कसी दीवारों और उसके चारों तरफ फैले चिकने चूत रस के कारन लंड फिसल गया। मैंने इस बार लंड को जड़ से पकड़कर चूत के मुहाने पर लगाया और जोर का धक्का दे मारा। जीवा की चूत की मखमली गुलाबी गीली दीवारों को चीरता हुआ लंड का सुपाडा चूत में घुस गया।

मेरे लंड का मोटा सुपाडा अन्दर जाते ही जीवा दर्द से कराह उठी, जीवा का पूरा शरीर काम उत्तेजना के कारन गरम था, चूत भी गीली थी, लगातार उसकी दीवारों से पानी रिस रहा था और जीवा भी मैं का मोटा फूला हुआ मुसल लंड चूत में अन्दर तक लेने के लिये मानसिक रूप से तैयार थी फिर भी मैं का लंड इतना लम्बा और मोटा तगड़ा था किसी भी रोज चुदने वाली औरत की चीखे निकाल दे और जीवा की चूत ने तो लंड के दर्शन नहीं किये थे।

जीवा-आआअह्ह्ह आआआआआह्हह्हह्हह्हहईईईईईईईईई स्सस्सस्स मैं आह्ह्हह्ह स्सस्सस्सस, हाय मैं मर गयी, प्लीज मैं बहुत दर्द हो रहा है, प्लीज इसे बाहर निकाल लो, वरना मेरी चूत फट जाएगी, आआआआऐईईईईईईईऊऊऊऊऊऊऊऊ।

चूत की दीवारों में हाहाकार मच गया, दर्द के मारे चूत का बुरा हाल हो गया, जीवा ने मुट्ठिया भीच ली, उसके जबड़े सख्त हो गए और अपने निचले ओठो को दांतों के बीच में कसकर दबा लिया। पूरे शरीर को कड़ा करके दर्द बर्दाश्त करने की कोशिश करने लगी।

चूत की दीवारे पूरा जोर लगाकर लंड को बाहर ठेलने की कोशिश कर रही थी लेकिन मैं कमर से पूरा दबाव बनाये हुए था, जिससे दर्द से फाड़फाड़ती चूत की दीवारों अपनी हर कोशिस के बाद भी लंड को बाहर की तरफ ठेलने में नाकाम रही। चूत की मखमली चिकनी गीली दीवारों के पास और कोई रास्ता ही नहीं बचा था, आखिर मेरे गरम लोहे जैसे सख्त, खून के भरने से फूलकर मुसल बन गए मोटे लंड के फूले हुए सुपाडे को अपने आगोश में लेना ही पड़ा, चूत की गुलाबी दीवारों की सलवटे फैलने लगी। जीवा दर्द से चीखने लगी, मेरी सख्त पकड़ के नीचे उसका पूरा कसमसाने लगा, खुद को मेरी पकड़ से आजाद करने की कोशिश करने लगी। पैर पटकने लगी, अपनी गुदाज जांघो को सिकोड़ने लगी, नितम्बो को नीचे की तरफ दबाने लगी ताकि भीषण दर्द से बेहाल जीवा की चूत से सुपाडा बाहर निकल जाये।

मैंने अभी सिर्फ अपने लंड का सुपाडा घुसाया था और जीवा की दर्द भरी कराह सुनकर वह सोच में पड़ गया। अभी इसका ये हाल है तो जब पूरा लंड जायेगा ये तो बेहोश ही हो जाएगी। मैंने बहुत धीरे-धीरे चुदाई करने का फैसला किया और जीवा की हालत देखकर मैं जीवा की चूत से लंड निकालने वाला ही था लेकिन निकाला नहीं बल्कि, मैंने जीवा की ओठो पर ओठ रख दिए और उसे बेतहाशा चूमने लगा। कुछ देर तक चूमता ही रहा।

दर्द से परेशान जीवा ने मैं की कमर को घेरकर ऊपर चुताड़ो तक अपनी गोरी जांघे सटा दी और मेरे नितम्बो को जकड लिया। मैं जीवा को चुमते-चुमते ही कमर हिलाने लगा।


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जीवा नहीं चाहती थी कि मैं उस पर दया करके उसकी कसी हुई चूत से जो अभी भीषण दर्द से वेहाल में से लंड बाहर निकाल ले। मैं भी समझ गया जीवा दर्द बर्दाश्त कर रही है। एक तरह से जीवा मैं की कमर को अपनी गोरी गुदाज जांघो से कसकर जकड लिया और दर्द बर्दाश्त करने की कोशिश करने लगी। अब उसे कुछ देर जीवा की गोरी गुदाज जांघो के बंधन में रहकर ही कमर हिला-हिला कर जीवा को चोदना होगा।

दोनों के बदनो की गरमी एक दूसरे में घुलने लगी, पसीना एक दूसरे में मिलने लगा और गरम-गरम सांसे एक दूसरे की बदन से टकराने लगी। जीवा ने मैं की कमर पर बनाये जांघो का कसाव को ढीला कर दिया, मैं उसका इशारा समझ गया, मैंने कमर को हल्का-सा पीछे लेकर झटका दिया, लेकिन लंड अपनी जगह से चूत थोडा और आगे खिसक गया। फिर उसने धीरे-धीरे लंड को जीवा की संकरी गुलाबी चिकनी चूत में उतारना शुरू कर दिया।

मैंने जीवा को अभी हलके-हलके धक्के लगाकर चूत के मुहाने की दीवारों को नरम करने में लगा था। जितना अन्दर तक लंड घुस गया था वहाँ तक धक्के मार रहा था। दर्द के बावजूद भी जीवा की मादक कराहे निकल रही थी-यस यस आआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्आ ऊऊओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह यस-यस चोदो मुझे, चोदो इस चूत को, कसकर चोदो।

कुछ देर मैंने अपनी कमर पर पूरा जोर डालकर एक तगड़ा झटका लगाया और लंड थोडा और अन्दर खिसक गया और उसके कौमार्य की झिल्ली से टकराया। इस अचानक हमले से चूत की दीवारों से भयानक घर्षण हुआ। चूत की गुलाबी गीली दीवारों को मैं के लंड ने थोडा और चीर दिया, दीवारों की सलवटे फैलती चली गयी, भयानक घर्षण से जीवा की मक्खन जैसी नरम गुलाबी गीली दीवारों में जलन शुरू हो गयी, ऐसा लग रहा था किसी ने लोहे की गरम राड उसके चूत में घुसेड दिया हो। दर्द और जलन से जीवा की चूत की दीवारे बेहाल थी, दर्द के मारे चूत की दीवारों में खून का दौरा तेज हो गया था और वह बेतहाशा फाड़फाड़ने लगी।


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जीवा दर्द के कराहते हुए कांपते होठो से बोली-पेलो न बेदर्दी से, जो होगा देखा जायेगा, अब ठेल तो पूरा अन्दर तक, जितना ताकत से घुसेड सकते हो, डाल दो अन्दर तक, जहाँ तक जा सकता है जाने दो।

कहानी जारी रहेगी
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मेरे अंतरंग हमसफ़र


सातवा अध्याय

लंदन का प्यार का मंदिर

भाग 48

कौमार्य 

जीवा दर्द के कराहते हुए कांपते होठो से बोली-प्लीज मुझे चोदो और बेदर्दी से पेलो, जो होगा देखा जायेगा, अब ठेल तो पूरा अन्दर तक, जितना ताकत से घुसेड सकते हो, डाल दो अन्दर तक, जहाँ तक जा सकता है जाने दो, उसके लिए राह बनावो, मेरी और मेरी चूत की परवाह न करो आप, अब मुझे मेरी चूत के दर्द के चक्कर में लंड को इस तरह तड़पाओ मत रहोगे। जब तक लंड चूत को चीरेगा नहीं, ये ऐसे ही नखरे दिखाती रहेगी। पेल दो पूरा लंड मेरी चूत की गहराई में।

मैंने जब उसको अपने लण्ड को ध्यान से ताकतें हुए देखा तो समझ गया की मेरे लण्ड की लम्बाई और मोटाई देख कर वह परेशानी महसूस कर रही थी। मेरे लिए लड़कियों की ऐसी प्रतिक्रिया कोई पहली बार नहीं थी। मैंने कहा "ज्यादा चिंता मत करो, जल्द ही सब ठीक हो जाएगा।"


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मैं एक बार फिर जीवा को निहारने लगा और मैं बस उसे देखते ही रह गया। जीवा का नग्न रूप देखना एक रोमांचकारी नजारा था। उसका दमकता हुआ चेहरा, उसकी शानदार आकृति, उसकी लजाने के अदाए, उसके अद्भुत स्तन, उसकी शानदार गोल जांघें और टाँगे, उसके भव्य गोल और बड़े कूल्हे और नितम्ब सब कुछ सुंदर शानदार और गौरवशाली ।

उसके बड़े स्तन गोल और दृढ़ थे और सीधे खड़े थे। गोल स्तनों पर छोटा-सा गुलाबी घेरा जो गोल शीर्ष पर उसके निप्पल उसके इरोला की सतह पर गहरे गुलाबी चेरी की तरह लग रहे थे। मैंने हाथ से उसके पूरे स्तन को ढक लिया और जब मैंने अपनी उँगलियों को उसके घेरे में फैलाया, तो दो छोटे, चेरी जैसे निप्पल तुरंत सख्त हो गए और बाहर निकल गए।

और उसकी छातियों को हाथों से पकड़ लिया और प्यार से सहलाने लगा, दोनों बूब्स एकदम लाल हो गए. फिर मैंने उनके निप्पल्स को पकड़ लिया और सहलाने लगा ।, जिन उभारो को देख के, मैं उसे पहली बार देखने से ही बेचैन था अब मैं उन्हे छू रहा था और सहला रहा था ।


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मैंने अपनी उंगलियों को उसके निप्पल पर कुछ देर और घुमाया और उसकी सांसें तेज हो गईं। जैसे ही मैं अपना मुँह उसके बायें स्तन के पास लाया, उसने मेरे सिर को अपनी बाँहों में लपेट लिया और मुझे अपने पास खींच लिया। मैंने उसके स्तन को कई बार चाटा । पहले उसके इरोला के चारों ओर, फिर निप्पल के पार, उसके पूरे स्तन को अपने मुंह में डालने से पहले, अपनी जीभ को उसके पूरे स्तन के चारों ओर घुमाते हुए मैंने उसके स्तन को चाटा चूमा और चूसा।

मैंने जीवा को अपनी बाँहों में लिया और उसे पलग पर हलके से बिठाकर कर जीवा के सर को अपने हाथों में पकड़ कर उसके होँठों पर अपने होँठ रख दिए। जीवा ने अपने होँठ खोल दिए और मेरी जीभ अपने मुंह में चूस ली। काफी अरसे तक हम दोनों एक दूसरे की जीभ चूसते रहे और एक दूसरे की लार आपने मुंह में डाल कर इस काम रस का आनंद लेते रहे।

जीवा की लम्बी सुराहीदार गर्दन, छाती पर सख्ती से सर ऊंचा कर खड़े और फुले हुए उसके गोल सुदृढ़ गर्वित स्तनों के साथ तीखे निप्पल और पतली कमर पर बिलकुल केंद्र बिंदु में स्थित गहरी नाभि जिसके निचे थोड़ा-सा उभरा हुआ पेट और जाँघ को मिलाने वाला त्रिकोण, नशीली साफ़ गुलाबी चूत के निचे गोरी चिकनी जाँघें और पीछे की और लम्बे बदन पर उभरे हुए जीवा के गोल कूल्हे देख कर मेरे जैसे व्यक्ति की जिसने पहले कई खूब सूरत स्त्रियों को भली भाँती नंगा देखा था और भोगा था, के मुंह से भी आह निकल गयी। मैं उसकी पीठ सहला रहा था और मेरे हाथ उसके बाएँ नितम्ब गाल पर चला गया।


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जैसे ही मैं उसके गोल नितम्ब गाल को सहलाया तो मेरी उँगलियाँ उसकी चूत के होठों के संपर्क में आ गयी और वह कराह उठी। मैं अचानक और शक्तिशाली रूप सम्भोग करने की लालसा से भर गया और फिर यह मेरे लिए बहुत स्पष्ट हो गया की अब मैं जीवा को दर्द देने जा रहा था। मैं उसके एक-एक इंच का स्वाद चखना चाहता लेकिन लगा वह एक ही बार में पूरा दर्द श लेगी तो अब मैं उसके कौमार्य को भंग करने वाला था।

मैंने जीवा को उलटा करकर घुटनों के बल ला दिया और उसके योनि के मोटे होंठ आपस में चिपके हुए और बंद थे और मेरे हाथों से उसकी जाँघों के अंदर, ऊपर की ओर मालिश की और क्रीज के साथ ऊपर और नीचे रगड़ा गया जहाँ उसकी जांघें उसके योनि के होंठों से मिल रही थी। उसके योनि के फूल की पंखुड़ियों को मैंने लंड रगड़ कर खोल दिया। उसके भीतर के होंठ पतले थे और बिना किसी अतिरिक्त त्वचा के उसके कुंवारी उद्घाटन के किनारों गुलाबी थे। उसने गहरी साँस छोड़ी और अपने कूल्हों को ऊपर की ओर घुमाया। वह मारे उन्माद के पलंग पर मचल रही थी और अपने कूल्हे उठा कर अपनी उत्तेजना ज़ाहिर कर रही थी। उसका उन्माद उसके चरम पर पहुँच चुका था। अब वह ज्यादा बर्दाश्त करने की स्थिति में नहीं थी। उसने मेरा हाथ पकड़ा और उसे जोरों से दबाया तो मेरे रोंगटे रोमांच से खड़े हो गए थे। जीवा को पता था कि जब मैं का लंड उसकी संकरी चूत के छेद और उसके कौमार्य की हझिल्ली को अन्दर गहराई तक चीरेगा तो उसे दर्द होना ही है।

जीवा ने अब आगे होने वाले दर्द को बर्दाश्त करने के लिए तकिये में अपना मुहँ दबा लिया, ओठ भींच कर मुट्ठियाँ भींच ली और पैर के पंजो और उंगलियों को सिकोड़ कर खुद को दर्द झेलने के लिए तैयार कर लिया।

मैंने फिर अपनी ऊँगली उसकी गांड के पास ले गया और ऊँगली को गांड के छेद पर थोड़ा नीचे की ओर दबाया और फिर ऊँगली से गांड के छेद की परिक्रमा की। उसने हांफते हुए कहा और फिर कहा "ओह यहाँ भी अच्छा लगता है।"


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मैंने उसकी गुदा की कुछ और बार परिक्रमा की। "अपनी उँगली को उसकी योनि पर वापस लाकर योनि के प्रवेश द्वार तक ट्रेस किया और धीरे से दबाया। उसने एक छोटी से" ओउ"की। मैंने फिर उसके प्रवेश द्वार के अंदर ऊँगली सरका कर लगभग एक चौथाई इंच के उसके हाइमन को महसूस किया और धीरे से उसके ऊपर ऊँगली को दबाया। वह कराह उठी और मैंने सोचा कि अब ये जल्द हो टूटने वाला है और दो उंगलियियो और अंगूठे की मदद से थोड़ा छेद खोला, उसे एक बार देखा और जीभ से चूमा। मैं फिर पीछे हट गया, उसका रस जो नीचे बह रहा था उसे खींचकर उसकी योनि तक ले गया। जब मैं अपनी उंगली को उसकी भगशेफ के पार लाया और उसके चारों ओर वृत्त बनाना शुरू किया, तो उसने कांपते हुए। अपने कूल्हों को उठा लिया। उसकी सांसें अब छोटी, गहरी, हांफते हुए आ रही थीं और वह पसीने की चमक से ढकी हुई थी वह बोली हाय मैं गयी!"

खूब देर तक उनकी पीठ पर चुम्बन करते हुए जीवा की बिन बालों वाली गोरी गांड पर लगाया और उसके पहले मैंने उनकी मांसल गोरी चूतड़ों की जम कर जीभ से चटाई की और दन्त से हलके-हलके कटा भी और जीवा मस्त हो उठी और मैंने टनटनाया हुआ 10 इंची लोडा पीछे से उसकी योनि पर घिसा और लंड योनि के मुझाने पर लगा दिया तो जीवा ने अपनी गाँड़ ऊपर उठायी और मैंने एक बड़ी सुनामी की लहर जैसे उस पीछे से धीरे से उसकी चूत में मुसल लंड पेल दिया। जैसे ही मैंने धीरे से आगे बढ़ाया, लण्ड हलके से चूत में थोड़ा घुसेड़ा। मैंने थोड़ा और धक्का दिया और अंदर डाला। अब जीवा के मुंह से आह निकली। उसके चेहरे से लग रहा था कि उसे दर्द महसूस हुआ होगा।

जीवा ने अपने पैरों को मेरे पीछे बंद कर लिया और अचानक अपने कूल्हों को आगे की ओर उछाला मैंने थोड़ा प्रतिरोध महसूस किया, फिर मैंने भी थोड़ा जोर लगा कर लंड लगभग दो इंच अंदर दबा दिया और लंड उसकी कौमार्य की झिल्ली चीरते हुए नादर गया वह फड़फड़ाई और उसके मुंह से लम्बी ओह्ह्ह निकल ही गयी। उसके गालो पर आंसू की बूँदें लुढ़क गयी थीं। जाहिर था उसे काफी दर्द महसूस हो रहा था। पर जीवा ने अपने होँठ भींच कर और आँखें मूँद करन केवल उसे सहन किया था बल्कि अपने कूल्हे ऊपर उठाकर मुझे लण्ड और अंदर डालने के लिए बाध्य किया था।

वो दर्द से बेहाल हुई मैंने जीवा के नितम्बो को सहलाते हुए पीछे से चोदन शुरू किया था । जीवा अपने चूत दाने को सहलाकर अपना ध्यान दर्द से हटा रही थी। मैंने एक लम्बा झटका लगाया। जीवा के मुहँ से घुटी-घुटी चीख निकल गयी, उसके दोनों आँखों में आंसू आ गए लेकिन मैंने लंड पर दबाव बनाते हुए उसे जीवा की चूत में घुसेड़ना जारी रखा। जीवा कभी पैर पटकती कभी सर झटकती। लेकिन मैंने जीवा की चूत में लंड पेलना जारी रखा। पहच की आवाज़ के साथ खून के फुव्वारे छूटे और एक ही धक्के में लंड अंदर समां गया । मैंने लंड आगे पीछे करते हुए धीरे-धीरे जीवा की चूत को चोदना जारी रखा।

मैंने लंड पीछे किया और एक तेज धक्के के साथ पूरा लंड आगे धकेल दिया तो जीवा ने एक दर्दनाक कराह भरी और उसका हाइमन टूट चूका था, मैंने उसका कौमार्य भंग कर दिया था। जीवा की चूत बहुत टाइट थी अब, उसकी चूत से खून बहने लगा था।


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वो कराह रही थी आह ईईई दर्द उउउउइई ईईईई हो रहा है! उउउईईईई आहहहाँ! ओह ..." जीवा के मुख से निकला, स्तन ऊपर की ओर उठ गए और शरीर एंठन में आ गयी । मेरा गर्म, आकार में बड़ा लिंग पूरी तरह से गीली हो चुकी योनि में घुस गया। अन्दर और अन्दर वह चलता गया, वह दर्द के मारे चिललाने लगी-आहह कुमार उउइइ ओह्ह्ह्हह बहुत दर्द हो रहा है!

में धन्य हो गया । क्या गद्देदार चूतड़ थे, नरम मुलायम गोरी चमड़ी जो लाल सुर्ख हो गयी थी और सख्त टाइट मांस और बस मत पूछो यार मज़ा आ गया । जीवा के शरीर पर कई नील पड़ गए थे फिर मैंने उनको प्यार से सहलाते हुए उनके स्तन दबाये और जीवा के लिप्स पर किस किया और कहा आय लव यू जीवा । वह दर्द के मारे रो रही थी और रोती और सिसकते हुए बहुत प्यारी लग रही थी उसकी आँखो से आंसू आ गये, लेकिन मुझे उनके चेहरे पर संतुष्टि साफ-साफ नजर आ रही थी।

मैंने धीरे-धीरे वापस खींच लिया, बस सिर को अंदर छोड़ दिया और धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगा। उसके अंदर होने के कारण, वह गर्म थी: बहुत गर्म और इतनी अवर्णनीय रूप से मखमली मुलायम। वह अविश्वसनीय रूप से तंग थी! यह एक चिकने, गीली गुफा की तरह था!

मैं जरा जरा-सा खिसकता हुआ लंड धीरे-धीरे जीवा की चूत में समां रहा था। जीवा की चूत की आपस में चिपकी दीवारे मैं के लंड के लिए जगह बनाती जा रही थी, चूत की दीवारों की सिलवटे गायब होती जा रही थी और चूत मेरे लंड को अपने अंदर आने दे रही थी, मक्खन जैसे नरम गुलाबी दीवारे जितना ज्यादा फ़ैल सकती थी फ़ैल जा रही थी और मेरे मुसल जैसे लंड को कसकर जकड़ ले रही थी। मैं जीवा को लगातार चोद रहा था अपना लंड उसकी चूत में ठेलता जा रहा था। मैंने लंड अंदर डाले-डाले ही जीवा को सीधा किया और पहले की तरह चोदने लगा। जीवा की पिंडलियाँ और नितम्ब उसकी चूत में हो रहे दर्द के कारन उसकी कमर को नीचे की तरफ ठेल रहे थे लेकिन मैं जीवा को हिलने का कोई मौका नहीं दे रहा था। जीवा मेरे लंड की खाल की सलवटे और फूली हुए नसे अपनी चूत की दीवारों पर महसूस कर रही थी लेकिन उसका दर्द के मारे बुरा हाल था, दर्द के कारन उसकी आँखो में आंसू आंसुओं की धारा बह रही थी, फिर भी उसने मैं को रुकने का इशारा किया नहीं किया। मैं भी लगातार धक्के लगाकर जीवा को चोदता रहा।


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अपने दोनों हाथों से मैंने उसके उरोजों को पकड़ा और प्यार से दबाना और मसलना शुरू किया। जीवा के नग्न गोल निताब देखकर मेरे लण्ड की नर्सों में वीर्य तेज दबाव से नर्सों को फुला रहा था। मैंने एक धक्का और जोर से दिया और उस बार चूत में आधे से भी ज्यादा लण्ड घुस गया।

सब धीमी गति से चल रहा था, लेकिन लगभग पांच मिनट के धीरे-धीरे आगे-पीछे हिलने के बाद, उसने बेहतर महसूस किया और अपने बहते रस के साथ मेरे लंड को ढीला करना शुरू कर दिया, मैंने लगभग दो इंच के छोटे-छोटे धक्के दे रहा था और मेरा लंड  लगभग पांच इंच  उसके अंदर था। . मैं हर धक्के के साथ थोड़ा थोड़ा अंदर घुसता रहा और इंच दर इंच और फिर मैंने पांच धक्को के बाद मेरे लंड ने उसके गर्भाशय ग्रीवा को टक्कर मार दी, और रुक गया । जीवा ने भी इसे महसूस किया और चिल्लायी "ओउ।" मैंने थोड़ा पीछे खींच लिया और फिर आगे-पीछे हिलना शुरू कर दिया, जबकि वह फिर से अपने कूल्हों को आगे पीछे कर  मेरा साथ देने लगी ताकि मेरे धीमे धक्कों को अब तेज किया जा सके।


कहानी जारी रहेगी
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मेरे अंतरंग हमसफ़र


सातवा अध्याय

लंदन का प्यार का मंदिर

भाग 49

कौमार्य भंग करने के साथ प्रथम सम्भोग


जीवा दर्द के कराहते हुए कांपते होठो से बोली-प्लीज मुझे चोदो और बेदर्दी से पेलो, जो होगा देखा जायेगा, अब ठेल तो पूरा अन्दर तक, जितना ताकत से घुसेड सकते हो, डाल दो अन्दर तक, जहाँ तक जा सकता है जाने दो, उसके लिए राह बनावो, मेरी और मेरी चूत की परवाह न करो आप, अब मुझे मेरी चूत के दर्द के चक्कर में लंड को इस तरह तड़पाओ मत रहोगे। जब तक लंड चूत को चीरेगा नहीं, ये ऐसे ही नखरे दिखाती रहेगी। पेल दो पूरा लंड मेरी चूत की गहराई में।

मैंने जब उसको अपने लण्ड को ध्यान से ताकतें हुए देखा तो समझ गया की मेरे लण्ड की लम्बाई और मोटाई देख कर वह परेशानी महसूस कर रही थी। मेरे लिए लड़कियों की ऐसी प्रतिक्रिया कोई पहली बार नहीं थी। मैंने कहा "ज्यादा चिंता मत करो, जल्द ही सब ठीक हो जाएगा।"


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मैं एक बार फिर जीवा को निहारने लगा और मैं बस उसे देखते ही रह गया। जीवा का नग्न रूप देखना एक रोमांचकारी नजारा था। उसका दमकता हुआ चेहरा, उसकी शानदार आकृति, उसकी लजाने के अदाए, उसके अद्भुत स्तन, उसकी शानदार गोल जांघें और टाँगे, उसके भव्य गोल और बड़े कूल्हे और नितम्ब सब कुछ सुंदर शानदार और गौरवशाली ।

उसके बड़े स्तन गोल और दृढ़ थे और सीधे खड़े थे। गोल स्तनों पर छोटा-सा गुलाबी घेरा जो गोल शीर्ष पर उसके निप्पल उसके इरोला की सतह पर गहरे गुलाबी चेरी की तरह लग रहे थे। मैंने हाथ से उसके पूरे स्तन को ढक लिया और जब मैंने अपनी उँगलियों को उसके घेरे में फैलाया, तो दो छोटे, चेरी जैसे निप्पल तुरंत सख्त हो गए और बाहर निकल गए।



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और उसकी छातियों को हाथों से पकड़ लिया और प्यार से सहलाने लगा, दोनों बूब्स एकदम लाल हो गए. फिर मैंने उनके निप्पल्स को पकड़ लिया और सहलाने लगा ।, जिन उभारो को देख के, मैं उसे पहली बार देखने से ही बेचैन था अब मैं उन्हे छू रहा था और सहला रहा था ।

मैंने अपनी उंगलियों को उसके निप्पल पर कुछ देर और घुमाया और उसकी सांसें तेज हो गईं। जैसे ही मैं अपना मुँह उसके बायें स्तन के पास लाया, उसने मेरे सिर को अपनी बाँहों में लपेट लिया और मुझे अपने पास खींच लिया। मैंने उसके स्तन को कई बार चाटा । पहले उसके इरोला के चारों ओर, फिर निप्पल के पार, उसके पूरे स्तन को अपने मुंह में डालने से पहले, अपनी जीभ को उसके पूरे स्तन के चारों ओर घुमाते हुए मैंने उसके स्तन को चाटा चूमा और चूसा।

मैंने जीवा को अपनी बाँहों में लिया और उसे पलग पर हलके से बिठाकर कर जीवा के सर को अपने हाथों में पकड़ कर उसके होँठों पर अपने होँठ रख दिए। जीवा ने अपने होँठ खोल दिए और मेरी जीभ अपने मुंह में चूस ली। काफी अरसे तक हम दोनों एक दूसरे की जीभ चूसते रहे और एक दूसरे की लार आपने मुंह में डाल कर इस काम रस का आनंद लेते रहे।


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जीवा की लम्बी सुराहीदार गर्दन, छाती पर सख्ती से सर ऊंचा कर खड़े और फुले हुए उसके गोल सुदृढ़ गर्वित स्तनों के साथ तीखे निप्पल और पतली कमर पर बिलकुल केंद्र बिंदु में स्थित गहरी नाभि जिसके निचे थोड़ा-सा उभरा हुआ पेट और जाँघ को मिलाने वाला त्रिकोण, नशीली साफ़ गुलाबी चूत के निचे गोरी चिकनी जाँघें और पीछे की और लम्बे बदन पर उभरे हुए जीवा के गोल कूल्हे देख कर मेरे जैसे व्यक्ति की जिसने पहले कई खूब सूरत स्त्रियों को भली भाँती नंगा देखा था और भोगा था, के मुंह से भी आह निकल गयी। मैं उसकी पीठ सहला रहा था और मेरे हाथ उसके बाएँ नितम्ब गाल पर चला गया।

जैसे ही मैं उसके गोल नितम्ब गाल को सहलाया तो मेरी उँगलियाँ उसकी चूत के होठों के संपर्क में आ गयी और वह कराह उठी। मैं अचानक और शक्तिशाली रूप सम्भोग करने की लालसा से भर गया और फिर यह मेरे लिए बहुत स्पष्ट हो गया की अब मैं जीवा को दर्द देने जा रहा था। मैं उसके एक-एक इंच का स्वाद चखना चाहता लेकिन लगा वह एक ही बार में पूरा दर्द श लेगी तो अब मैं उसके कौमार्य को भंग करने वाला था।


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मैंने जीवा को उलटा करकर घुटनों के बल ला दिया और उसके योनि के मोटे होंठ आपस में चिपके हुए और बंद थे और मेरे हाथों से उसकी जाँघों के अंदर, ऊपर की ओर मालिश की और क्रीज के साथ ऊपर और नीचे रगड़ा गया जहाँ उसकी जांघें उसके योनि के होंठों से मिल रही थी। उसके योनि के फूल की पंखुड़ियों को मैंने लंड रगड़ कर खोल दिया। उसके भीतर के होंठ पतले थे और बिना किसी अतिरिक्त त्वचा के उसके कुंवारी उद्घाटन के किनारों गुलाबी थे। उसने गहरी साँस छोड़ी और अपने कूल्हों को ऊपर की ओर घुमाया। वह मारे उन्माद के पलंग पर मचल रही थी और अपने कूल्हे उठा कर अपनी उत्तेजना ज़ाहिर कर रही थी। उसका उन्माद उसके चरम पर पहुँच चुका था। अब वह ज्यादा बर्दाश्त करने की स्थिति में नहीं थी। उसने मेरा हाथ पकड़ा और उसे जोरों से दबाया तो मेरे रोंगटे रोमांच से खड़े हो गए थे। जीवा को पता था कि जब मैं का लंड उसकी संकरी चूत के छेद और उसके कौमार्य की हझिल्ली को अन्दर गहराई तक चीरेगा तो उसे दर्द होना ही है।

जीवा ने अब आगे होने वाले दर्द को बर्दाश्त करने के लिए तकिये में अपना मुहँ दबा लिया, ओठ भींच कर मुट्ठियाँ भींच ली और पैर के पंजो और उंगलियों को सिकोड़ कर खुद को दर्द झेलने के लिए तैयार कर लिया।

मैंने फिर अपनी ऊँगली उसकी गांड के पास ले गया और ऊँगली को गांड के छेद पर थोड़ा नीचे की ओर दबाया और फिर ऊँगली से गांड के छेद की परिक्रमा की। उसने हांफते हुए कहा और फिर कहा "ओह यहाँ भी अच्छा लगता है।"


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मैंने उसकी गुदा की कुछ और बार परिक्रमा की। "अपनी उँगली को उसकी योनि पर वापस लाकर योनि के प्रवेश द्वार तक ट्रेस किया और धीरे से दबाया। उसने एक छोटी से" ओउ"की। मैंने फिर उसके प्रवेश द्वार के अंदर ऊँगली सरका कर लगभग एक चौथाई इंच के उसके हाइमन को महसूस किया और धीरे से उसके ऊपर ऊँगली को दबाया। वह कराह उठी और मैंने सोचा कि अब ये जल्द हो टूटने वाला है और दो उंगलियियो और अंगूठे की मदद से थोड़ा छेद खोला, उसे एक बार देखा और जीभ से चूमा। मैं फिर पीछे हट गया, उसका रस जो नीचे बह रहा था उसे खींचकर उसकी योनि तक ले गया। जब मैं अपनी उंगली को उसकी भगशेफ के पार लाया और उसके चारों ओर वृत्त बनाना शुरू किया, तो उसने कांपते हुए। अपने कूल्हों को उठा लिया। उसकी सांसें अब छोटी, गहरी, हांफते हुए आ रही थीं और वह पसीने की चमक से ढकी हुई थी वह बोली हाय मैं गयी!"

खूब देर तक उनकी पीठ पर चुम्बन करते हुए जीवा की बिन बालों वाली गोरी गांड पर लगाया और उसके पहले मैंने उनकी मांसल गोरी चूतड़ों की जम कर जीभ से चटाई की और दन्त से हलके-हलके कटा भी और जीवा मस्त हो उठी और मैंने टनटनाया हुआ 10 इंची लोडा पीछे से उसकी योनि पर घिसा और लंड योनि के मुझाने पर लगा दिया तो जीवा ने अपनी गाँड़ ऊपर उठायी और मैंने एक बड़ी सुनामी की लहर जैसे उस पीछे से धीरे से उसकी चूत में मुसल लंड पेल दिया। जैसे ही मैंने धीरे से आगे बढ़ाया, लण्ड हलके से चूत में थोड़ा घुसेड़ा। मैंने थोड़ा और धक्का दिया और अंदर डाला। अब जीवा के मुंह से आह निकली। उसके चेहरे से लग रहा था कि उसे दर्द महसूस हुआ होगा।



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जीवा ने अपने पैरों को मेरे पीछे बंद कर लिया और अचानक अपने कूल्हों को आगे की ओर उछाला मैंने थोड़ा प्रतिरोध महसूस किया, फिर मैंने भी थोड़ा जोर लगा कर लंड लगभग दो इंच अंदर दबा दिया और लंड उसकी कौमार्य की झिल्ली चीरते हुए नादर गया वह फड़फड़ाई और उसके मुंह से लम्बी ओह्ह्ह निकल ही गयी। उसके गालो पर आंसू की बूँदें लुढ़क गयी थीं। जाहिर था उसे काफी दर्द महसूस हो रहा था। पर जीवा ने अपने होँठ भींच कर और आँखें मूँद करन केवल उसे सहन किया था बल्कि अपने कूल्हे ऊपर उठाकर मुझे लण्ड और अंदर डालने के लिए बाध्य किया था।

वो दर्द से बेहाल हुई मैंने जीवा के नितम्बो को सहलाते हुए पीछे से चोदन शुरू किया था । जीवा अपने चूत दाने को सहलाकर अपना ध्यान दर्द से हटा रही थी। मैंने एक लम्बा झटका लगाया। जीवा के मुहँ से घुटी-घुटी चीख निकल गयी, उसके दोनों आँखों में आंसू आ गए लेकिन मैंने लंड पर दबाव बनाते हुए उसे जीवा की चूत में घुसेड़ना जारी रखा। जीवा कभी पैर पटकती कभी सर झटकती। लेकिन मैंने जीवा की चूत में लंड पेलना जारी रखा। पहच की आवाज़ के साथ खून के फुव्वारे छूटे और एक ही धक्के में लंड अंदर समां गया । मैंने लंड आगे पीछे करते हुए धीरे-धीरे जीवा की चूत को चोदना जारी रखा।


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मैंने लंड पीछे किया और एक तेज धक्के के साथ पूरा लंड आगे धकेल दिया तो जीवा ने एक दर्दनाक कराह भरी और उसका हाइमन टूट चूका था, मैंने उसका कौमार्य भंग कर दिया था। जीवा की चूत बहुत टाइट थी अब, उसकी चूत से खून बहने लगा था।


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वो कराह रही थी आह ईईई दर्द उउउउइई ईईईई हो रहा है! उउउईईईई आहहहाँ! ओह ..." जीवा के मुख से निकला, स्तन ऊपर की ओर उठ गए और शरीर एंठन में आ गयी । मेरा गर्म, आकार में बड़ा लिंग पूरी तरह से गीली हो चुकी योनि में घुस गया। अन्दर और अन्दर वह चलता गया, वह दर्द के मारे चिललाने लगी-आहह कुमार उउइइ ओह्ह्ह्हह बहुत दर्द हो रहा है!

में धन्य हो गया । क्या गद्देदार चूतड़ थे, नरम मुलायम गोरी चमड़ी जो लाल सुर्ख हो गयी थी और सख्त टाइट मांस और बस मत पूछो यार मज़ा आ गया । जीवा के शरीर पर कई नील पड़ गए थे फिर मैंने उनको प्यार से सहलाते हुए उनके स्तन दबाये और जीवा के लिप्स पर किस किया और कहा आय लव यू जीवा । वह दर्द के मारे रो रही थी और रोती और सिसकते हुए बहुत प्यारी लग रही थी उसकी आँखो से आंसू आ गये, लेकिन मुझे उनके चेहरे पर संतुष्टि साफ-साफ नजर आ रही थी।


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मैंने धीरे-धीरे वापस खींच लिया, बस सिर को अंदर छोड़ दिया और धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगा। उसके अंदर होने के कारण, वह गर्म थी: बहुत गर्म और इतनी अवर्णनीय रूप से मखमली मुलायम। वह अविश्वसनीय रूप से तंग थी! यह एक चिकने, गीली गुफा की तरह था!


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मैं जरा जरा-सा खिसकता हुआ लंड धीरे-धीरे जीवा की चूत में समां रहा था। जीवा की चूत की आपस में चिपकी दीवारे मैं के लंड के लिए जगह बनाती जा रही थी, चूत की दीवारों की सिलवटे गायब होती जा रही थी और चूत मेरे लंड को अपने अंदर आने दे रही थी, मक्खन जैसे नरम गुलाबी दीवारे जितना ज्यादा फ़ैल सकती थी फ़ैल जा रही थी और मेरे मुसल जैसे लंड को कसकर जकड़ ले रही थी। मैं जीवा को लगातार चोद रहा था अपना लंड उसकी चूत में ठेलता जा रहा था। मैंने लंड अंदर डाले-डाले ही जीवा को सीधा किया और पहले की तरह चोदने लगा। जीवा की पिंडलियाँ और नितम्ब उसकी चूत में हो रहे दर्द के कारन उसकी कमर को नीचे की तरफ ठेल रहे थे लेकिन मैं जीवा को हिलने का कोई मौका नहीं दे रहा था। जीवा मेरे लंड की खाल की सलवटे और फूली हुए नसे अपनी चूत की दीवारों पर महसूस कर रही थी लेकिन उसका दर्द के मारे बुरा हाल था, दर्द के कारन उसकी आँखो में आंसू आंसुओं की धारा बह रही थी, फिर भी उसने  रुकने का इशारा किया नहीं किया। मैं भी लगातार धक्के लगाकर जीवा को चोदता रहा।


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अपने दोनों हाथों से मैंने उसके उरोजों को पकड़ा और प्यार से दबाना और मसलना शुरू किया। जीवा के नग्न गोल निताब देखकर मेरे लण्ड की नर्सों में वीर्य तेज दबाव से नर्सों को फुला रहा था। मैंने एक धक्का और जोर से दिया और उस बार चूत में आधे से भी ज्यादा लण्ड घुस गया।


[Image: BR9M.jpg]

सब धीमी गति से चल रहा था, लेकिन लगभग पांच मिनट के धीरे-धीरे आगे-पीछे हिलने के बाद, उसने बेहतर महसूस किया और अपने बहते रस के साथ मेरे लंड को ढीला करना शुरू कर दिया, मैंने लगभग दो इंच के छोटे-छोटे धक्के दे रहा था और मेरा लंड  लगभग पांच इंच  उसके अंदर था। . मैं हर धक्के के साथ थोड़ा थोड़ा अंदर घुसता रहा और इंच दर इंच और फिर मैंने पांच धक्को के बाद मेरे लंड ने उसके गर्भाशय ग्रीवा को टक्कर मार दी, और रुक गया । जीवा ने भी इसे महसूस किया और चिल्लायी "ओउ।" मैंने थोड़ा पीछे खींच लिया और फिर आगे-पीछे हिलना शुरू कर दिया, जबकि वह फिर से अपने कूल्हों को आगे पीछे कर  मेरा साथ देने लगी ताकि मेरे धीमे धक्कों को अब तेज किया जा सके।




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सातवा अध्याय

लंदन का प्यार का मंदिर

भाग 49-B

कौमार्य भंग करने के साथ प्रथम सम्भोग


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मैंने धीरे-धीरे वापस खींच लिया, बस सिर को अंदर छोड़ दिया और धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगा। उसके अंदर होने के कारण, वह गर्म थी: बहुत गर्म और इतनी अवर्णनीय रूप से मखमली मुलायम। वह अविश्वसनीय रूप से तंग थी! यह एक चिकने, गीली गुफा की तरह था!


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मैं जरा जरा-सा खिसकता हुआ लंड धीरे-धीरे जीवा की चूत में समां रहा था। जीवा की चूत की आपस में चिपकी दीवारे मैं के लंड के लिए जगह बनाती जा रही थी, चूत की दीवारों की सिलवटे गायब होती जा रही थी और चूत मेरे लंड को अपने अंदर आने दे रही थी, मक्खन जैसे नरम गुलाबी दीवारे जितना ज्यादा फ़ैल सकती थी फ़ैल जा रही थी और मेरे मुसल जैसे लंड को कसकर जकड़ ले रही थी। मैं जीवा को लगातार चोद रहा था अपना लंड उसकी चूत में ठेलता जा रहा था। मैंने लंड अंदर डाले-डाले ही जीवा को सीधा किया और पहले की तरह चोदने लगा। जीवा की पिंडलियाँ और नितम्ब उसकी चूत में हो रहे दर्द के कारन उसकी कमर को नीचे की तरफ ठेल रहे थे लेकिन मैं जीवा को हिलने का कोई मौका नहीं दे रहा था। जीवा मेरे लंड की खाल की सलवटे और फूली हुए नसे अपनी चूत की दीवारों पर महसूस कर रही थी लेकिन उसका दर्द के मारे बुरा हाल था, दर्द के कारन उसकी आँखो में आंसू आंसुओं की धारा बह रही थी, फिर भी उसने  रुकने का इशारा किया नहीं किया। मैं भी लगातार धक्के लगाकर जीवा को चोदता रहा।


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अपने दोनों हाथों से मैंने उसके उरोजों को पकड़ा और प्यार से दबाना और मसलना शुरू किया। जीवा के नग्न गोल निताब देखकर मेरे लण्ड की नर्सों में वीर्य तेज दबाव से नर्सों को फुला रहा था। मैंने एक धक्का और जोर से दिया और उस बार चूत में आधे से भी ज्यादा लण्ड घुस गया।


[Image: BR9M.jpg]

सब धीमी गति से चल रहा था, लेकिन लगभग पांच मिनट के धीरे-धीरे आगे-पीछे हिलने के बाद, उसने बेहतर महसूस किया और अपने बहते रस के साथ मेरे लंड को ढीला करना शुरू कर दिया, मैंने लगभग दो इंच के छोटे-छोटे धक्के दे रहा था और मेरा लंड  लगभग पांच इंच  उसके अंदर था। . मैं हर धक्के के साथ थोड़ा थोड़ा अंदर घुसता रहा और इंच दर इंच और फिर मैंने पांच धक्को के बाद मेरे लंड ने उसके गर्भाशय ग्रीवा को टक्कर मार दी, और रुक गया । जीवा ने भी इसे महसूस किया और चिल्लायी "ओउ।" मैंने थोड़ा पीछे खींच लिया और फिर आगे-पीछे हिलना शुरू कर दिया, जबकि वह फिर से अपने कूल्हों को आगे पीछे कर  मेरा साथ देने लगी ताकि मेरे धीमे धक्कों को अब तेज किया जा सके।


मैं समझ गया था जीवा  को भीषण दर्द हो रहा होगा, आखिर मेरा लंड है ही इतना मोटा तगड़ा और जीवा  की संकरी चूत तो कुंवारी थी. उसकी  चूत के कौमार्य की झिली थोड़ी सख्त  थी, चूत का छेद बहुत संकरा और दीवारे कुछ ज्यादा ही सख्त थी |  मैंने लंड थोड़ा आगे पीछे किया और एक तेज धक्के के साथ पूरा लंड आगे धकेल दिया तो ज्योत्सना ने एक दर्दनाक कराह भरी और उसका हाइमन टूट चूका था , मैंने उसका कौमार्य भंग कर दिया था । जीवा की चूत बहुत टाइट थी अब, उसकी चूत से खून बहने लगा था । वो कराह रही थी आह ईईई दर्द उउउउइई ईईईई हो रहा है! उउउईईईई आहहहाँ!ओह ..." जीवा के मुख से निकला, स्तन ऊपर की ओर उठ गए और शरीर एंठन में आ गयी . मेरा गर्म, आकार में बड़ा लिंग पूरी तरह से गीली हो चुकी योनि में घुस गया. अन्दर, और अन्दर वो चलता गया, वो दर्द के मारे चिललाने लगी- आहह मास्टर उउइइ ओह्ह्ह्हह बहुत दर्द हो रहा है! बेड शीट खून से सन चुकी थी. मैंने फिर उसे चूमा और उसके बदन को सहलाया और उसे दिलासा दिया कि यह ठीक है । मेरे लिए ये वाला खून खराबा कोई बार पहली बार नहीं था। पर जीवा अपना खून देखकर थोड़ी सहम गयी। हालांकि उसे भी यह पता था की कँवारी लडकियां जब पहली बार चुदती हैं तो अक्सर यह होता है।  मैंने प्यार से उसके दोनों स्तनों को अपने हाथों में लिया और धीरे से निचोड़ा, उसके कोमल होठों पर अपना मुंह रखा, और उसे जोश से चूमने लगा। साथ ही मैं उसके स्तनों को निचोड़ रहा था और अपने अंगूठे और उंगलियों से निप्पल को रगड़ रहा था।


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इससे उसे कुछ राहत मिली। अब में उसके बूब्स को चूसने लगा था और अपने एक हाथ से उसके बालों और कानों के पास सहलाने लगा था और फिर कुछ देर के बाद मैंने उसके कानों को भी चूमना शुरू कर दिया तो कुछ देर के बाद वो फिर से गर्म हो गई। मेरा लंड और उसकी चूत दोनों  चुतरस से एक दम चिकने हो चुके थे फिर मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाना शुरू किया तो वो चिल्लाई.  आहहहहह  आएीीईईईईईइइइइइइ ओह्ह्ह्हह उउउउउउउउ !

मेरे  लिए इसमें कुछ ज्यादा अलग नहीं था, मैंने जितनी भी लडकियों को चोदा था लंड चूत में डालते समय लगभग सबका ही हाल ऐसा हो जाता था | मैं ने जीवा  का चेहरा तकिये से निकाला और उसके दर्द से भरे चेहरे को एकटक देखने लगा, उसकी आँखों के किनारे से होकर कान की तरफ बहती आंसुओं की धार पोंछी और पूरे चेहरे को बेतहाशा चूमने लगा | 

मैं ने जीवा  के ओठो पर अपने ओठ रख दिए और जीभ उसके मुहँ में घुसेड दी और कसकर उसे चूमने लगा | मैं ने  लंड बाहर निकला,  और जीवा  की पोजीशन बदल दी , अब मैं उसे घुटनों पर ले आया | जीवा  को चुदाई में दर्द हो रहा था और जीवा पहली बार  चुद रही थी| मैंने उसकी छूट पर थोड़ा तेल ल उड़ेला और मैं ने अपने खून से भरे मोटे फूले हुए लंड को उसकी चूत पर रखा और फिर से  धीरे धीरे  और फिर जब सूपड़ा अंदर गया तो एक झटके के साथ जीवा  की गीली पर दर्द से बेहाल चूत पेल दिया | जीवा  के मुहँ से चीख निकल गयी |  आईईईईइइइइइ ओह्ह्ह्हह और मैं पीछे से उसकी चूत में सटासट लंड पेलने लगा |  


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जीवा आईईईईइइइइइ करती हुई  फिर से भीषण दर्द से कराह उठी उसने बिस्तर में अपना मुहँ छिपा लिया, बिस्तर की चादर को कसकर जकड लिया, इस कारन उसकी चीख उसके चेहरे और बिस्तर के बीच  में ही घुटकर रह गयी | जीवा  की दोनों आँखों से दर्द के कारन लगातार आंसू बह रहे थे | जीवा  से दर्द बर्दास्त नहीं हो रहा था, मैंने चुदाई को रोका  तो वो पीठ  के बल बिस्तर पर लेट गयी |  मैंने एक बार फिर  थोड़ा तेल उसकी योनि पर उड़ेला औरर कुछ रेल लंड पर डाला  और उसके बाद मैं जीवा  के ऊपर आ गया,मैं ने जीवा  की चूत पर लंड सटाकर अन्दर की ओर पेल दिया और कमर हिलाकर धक्के लगाने लगा |और वो अपनी नाजुक संकरी चूत में उसका लंड फिर से लेने लगी | जीवा  के मुहँ से अब भी दर्द भरी कराहे  निकल रही थी | आहहहहह आएीी उउउउउइइइइइइ ओह्ह्ह्हह

मैं जोर जोर से  कमर हिलाकर जीवा  की गुलाबी गीली चूत की दीवारों को जो उसके लंड को कसकर जकड़े थी को चीर कर, रगड़ता हुआ अपने मोटे मुसल जैसे लंड को जीवा  की चूत में पेल रहा था, और हर धक्के के साथ चूत की गहराई के आखिरी छोर तक जाने का रास्ता बना रहा था ।

जीवा कांपती हुए आवाज में मेरे कान में बोली मास्टर! आअह्ह्ह अब आप देर मत करो, दर्द होता है तो होने दो। हाय्ययी मर गयी! लंड को पूरी ताकत से चूत की आखिरी गहराई तक उतार दो, ओह्ह ये बहुत तेज था! ऐसे ही करो! पूरा का पूरा लंड चूत के अन्दर डाल दो। ओह्ह्ह मजा आ गया! मुझे मेरे चूत के आखिरी कोने तक जमकर चोद डालो। ओह्ह्ह्हह! मुझे बस तुमारा पूरा लंड चाहिए। आयीीी! जो होगा देखा जायेगा। अह्हह्ह्ह्ह! मेरी चूत बहुत नखरे कर रही है, चोदो! जोर से करो! जब तक आपका मोटा तगड़ा लोहे जैसा सख्त लंड इसे कुचलेगा नहीं ये ऐसे ही नखरे दिखाती रहेगी। आहहहहह! इस पर जितनी दया दिखावोगे उतना ही इसका नाटक जारी रहेगा, मेरी चूत बिना सख्ती किये आपके इस बृहद लंड को अपनी गहराई में उतरने का रास्ता नहीं देने वाली। ये फटती है तो फट जाने दो। आहहहहह आएीी उउउउउइइइइइइ ओह्ह्ह्हह! मेरे धक्के बदस्तूर जारी थे और जीवा की कराहे भी।

मैंने पूरी ताकत के एक धका लगा दिया "ओह ेडेल्फी ओह्ह डेल्फी" जीवा के मुह से निकला। जीवा के लिए महायाजक डेल्फी पाईथिया ही उसकी सब कुछ थी । उसके लिए उसकी डेल्फी ही सब कुछ थी और जब उसे कुछ चाहिए होता था तो उसके मुँह से केवल डेल्फी ही निकलता था । जीवा के स्तन ऊपर की ओर उठ गए और शरीर एंठन में आ गया जैसे ही मेरा गर्म, सख्त और आकार में बड़ा लिंग पूरी तरह से गीली हो चुकी योनी में घुस गया। अन्दर और अन्दर वह चलता गया, चूत के लिप्स को खुला रखते हुए क्लिटोरिस को छूता हुआ वह पूरा 10 इंच अन्दर तक चला गया था। जीवा की योनी मेरे लिंग के सम्पूर्ण स्पर्श को पाकर व्याकुलता से पगला गयी थी। उधर मेरे हिप्स भी कड़े होकर दवाब दे रहे थे और लिंग अन्दर जा चूका था । जीवा दर्द के मारे चिलाने लगी जो मंदिर के हाल में गूँज रही थी ओह डेल्फी हहहहह आएीी उउउउउइइइइइइ ओह्ह्ह्हह ओह्ह मास्टर! ओह मास्टर बहुत दर्द हो रहा है! जलन हो रही है!


जलन के कारन जीवा की चूत की गुलाबी दीवारों से रिसने वाला पानी बंद हो गया था, लंड और छूट के परस्पर घर्षण से जिससे उसकी चूत सूख गयी थी, अंदर मैंने जो भी तेल डाला था वह भी सूख गया था और इससे मुझे लंड पेलने में ज्यादा जोर लगाना पड़ रहा था और चूत की दीवारों से रगड़ भी ज्यादा हो रही थी, जीसे मुझे तो बहुत मजा आ रहा था लेकिन ये जीवा के लिए असुविधा जनक था। कम से कम पहली बार के लिए ये आरामदायक लंड पेलने के लिए वह आदर्श स्थिति नहीं थी। पहले जीवा की चूत लगातार पानी छोड़ रही थी लेकिन अब उसकी दीवारे दर्द और घर्षण के कारन खुश्क हो गयी थी। मैं ने अपने लंड को बाहर निकाला और पास में पड़े चिकने तेल से सरोबार कर लिया। थोडा ज्यादा तेल जीवा की चूत के छेद पर उड़ेल दिया। फिर जीवा की चिकनी चूत के छेद पर रखकर ठेल दिया। मेरा लंड जीवा की गुलाबी नरम चूत की दीवारों को चीरता हुआ अन्दर चला गया।

उसे अब मेरे बड़े लंड का बड़ा सुख मिल रहा था, तो उसने शरमाते हुए अपना चेहरा मेरे सीने में छिपा लिया और फुसफुसायी, "मास्टर आपका लिंग मेरे लिए बहुत बड़ा है। आपने मेरी छोटी-सी योनी को उसकी हद तक बढ़ा दिया है। आपका लिंग मेरी योनी की गहराई में पूरा अंदर पहुँच रहा है॥ मुझे उम्मीद नहीं थी कि मेरी योनी इतने बड़े आकार के लिंग को समायोजित करने के लिए इतना फ्लेक्स कर सकती है। कृपया इसे बाहर न निकालें, लेकिन केवल कुछ समय के लिए स्थिर रहें और मुझे और मेरी योनि को इस के लिए समायोजित होने का मौका दें।"

मैं मुस्कुराया और उसके स्तनों को चूमता और रगड़ता रहा, लेकिन अपना लंड नहीं हिलाया। 5 मिनट के भीतर, योनि की मासपेशिया समायोजित हो गयी और सिलवाते खुल गयी । दर्द थोड़ा कम हो गया और जीवा अब बेहतर महसूस कर रही थी और जोर-जोर से और चोदना जारी रखने के लिए उसे संकेत देने के लिए अपनी श्रोणि को ऊपर धकेलना शुरू कर दिया, लेकिन मुस्कुराते हुए मैंने उसकी आँखों में देखा और उससे पूछा, "महायाजक जीवा अब आप कैसी है? मुझे अब क्या मुझे करना चाहिए?"






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जीवा जानती थी कि मैं उसे छेड़ रहा था और शता रहा था । उसने अपनी नन्ही मुट्ठियों से मेरी छाती पर वार किया और फिर उसे कसकर गले लगाया और फुसफुसायी, "मास्टर मैं अब बेहतर महसूस कर रही हूँ। अब आप मुझे अपनी ताकत दिखाओ। मैं देखना चाहती हूँ कि आप किस तरह की चुदाई कर सकते हैं और आपके पास चुदाई की कैसी महान शक्ति है आप मेरे मालिक हो आप जैसा करोगे मुझे स्वीकार्य है। मास्टर मेरी प्राथना है अब कृपया मुझे अपनी पूरी ताकत से चोदो और मुझे एक असली आदमी के साथ चुदाई का मजा महसूस करने दो। कृपया अभी कुछ मत बोलो, यह कार्यवाही का समय है। कृपया करें तेज़ करे और जोर से करे।" उसका ये कहना मुझे उकसाने के लिए पर्याप्त था।

मैंने कहा, "मेरी जान 1 मैं आपको जीवन का अधिकतम आनंद देना चाहता हूँ जिसे आप हमेशा याद रखेंगई।" फिर मैंने कहा, " याद रखना मेरी जान, तुम एक ऐसे आदमी से गुहार लगा रही हो, जिसके लंड के लिए तुम्हारी चुत ने लम्बे समय तक इन्तजार किया है ।


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मैं उसकी ओर मुड़ा, उसके मुंह पर एक लंबा चुंबन लगाया। "चलो अब चुदाई शुरू करते हैं," मेरा लंड फिर से चुदाई करने के लिए बहुत उत्सुक था। मैंने चुंबन को तोड़ते हुए अपनी लंबी सेक्स तलवार को बाहर निकला और लंड के-के सिर पर थोड़ा-सा थूक लगाते हुए, मैंने उसे उसकी बाल रहित योनि के होठों के बीच में फसाया और एक लंबे तेज झटके में पूरा अंदर डाल दीया। अब केवल एक इंच लंड बाहर था जीवा ने अपने अंदर आखिरी इंच तक धक्के को महसूस किया और मजे से कराह उठी ... हाय ... आह! हाअ... मास्टर आईई आह ईईई दर्द उउउउइई ईईईई हो रहा है! उउउईईईई माँ, आहहहाँ!

उसने अपने कूल्हों को ऊपर उठा कर अपनी योनि क्षेत्र को मेरे पेट के साथ चिपका दिया। उसकी योनि की मांसपेशिया और संवेदनशील सतेहे समायोजित हुई और उन्होंने मेरे लंड को जकड़ लिया।

निश्चित तौर पर तंग योनि में बार-बार घुसाना और निकालना और फिर तेजी से घुसना, यह मुझे बहुत अच्छा लगा, अब चुदाई लम्बे समय तक चलने वाली थी। मैं रुका तो तभी वह बोली पूरा अंदर है क्या ... तो मैंने नीचे देखा और बोला । अभी एक इंच बाहर है । वह बोली मुझे लगा आपका लंड आगे हुआ है

मैंने कहा नहीं आगे धक्का नहीं दिया । देखो अभी भी एक इंच बाहर है

उसने हाथ लगा कर देखा एक इंच बाहर था मेरा लंड योनि के आकार के अनुसार बड़ा होकर योनि में समा रहा था । । मैंने कहा जीवा आपकी योनि और लंड समायोजित हुए है इसलिए आपको ऐसा लगा । उसने मेरे कूल्हों पर पैरो का दबाब बढ़ाया और अब लंड पूरा अंदर चला गया और वह कराह उठी ... हाय ... आह! हाअ... मास्टर आईई आह ईईई दर्द उउउउइई ईईईई हो रहा है! उउउईईईई माँ, आहहहाँ!

मैंने उसे अपने लंड की पूरी लंबाई से चोदना शुरू कर दिया। जीवा ने अपनी टांगों को मेरी कमर में लपेट लिया और मुझे कसकर गले लगा लिया। मैंने जीवा को सख्ती से जकड लिया और अपनी कमर पर पूरा जोर लगा दिया। मेरा लंड वासना की आग में तप रही जीवा की चूत की दीवारों के प्रतिरोध को धराशाई करता हुआ, चीरता हुआ चूत की गहराईयों में जा धंसा। चूत की गुलाबी दीवारों की सलवटे गायब हो गयी, दीवारों के दोनों छोर अलग-अलग हो गए और दर्द से कांपती जीवा की चूत की दीवारे फैलती चली गई और मैं के लंड ने आखिरकार अपने जरुरत भर की जगह बना ली। इतनी भीषण रगड़ के कारन जीवा की चूत की गुलाबी मखमली दीवारे फिर से बुरी तरह जल उठी, वही भीषण दर्द फिर से लौट आया। दर्द से बेहाल जीवा की चूत की दीवारे तड़पते हुए मैं के आग की तरह तप रहे मुसल जैसे मोटे लंड को अपनी जकड़न से बाँधने की असफल कोशिश करने लगी, जीवा ने मुझे अपनी बांहों में जकड लिया और उसकी कमर पर पैर लपेट दिए। जीवा से कसकर मेरे को जकड़ लिया जीवा की गोरी गुदाज जांघे और कोमल हाथ मेरे बलिष्ट शरीर के इर्द गिर्द लिपट गए। लेकिन अब न मुझे न ही जीवा को जलन की परवाह थी न दर्द की। मैंने कमर उठाई और फिर में अपना मुसल लंड जीवा की नाजुक-सी चूत में पेल दिया। लंड के लिए राह बनाते हुए चूत की दीवारे फैलती चली गयी और अन्दर जाते ही मैं के लंड को फिर से जकड लिया। मैं बलमा बेदर्दी बिना किसी दया के जीवा की चूत में लंड पेल रहा था।

इतना बड़ा लंड था कि जीवा की जांघो के बीच में बना संकरा-सा चूत का छेद पूरी तरह एयरटाइट हो गया था, उसकी चूत पुरी तरह से भरी-भरी महसूस हो रही थी जबकि लंड का कुछ भाग अभी भी बाहर था। मैं तेजी से जीवा की चूत में लंड ठेल रहा था।

मैं जीवा की चुचियों को बेरहमी से मसलने लगा और वह मादक आवाजें निकालने लगीं-उम्म्ह... अहह... हय... याह...


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जितना हो सके उसे पीछे धकेलते हुए मैंने उसकी मखमली सुरंग को सहलाया। हम दोनों घुरघुराहट में सांस ले रहे थे और किसिंग कर रहे थे, थप् ठप की आवाजें बेडरूम में भर गईं।

मैं हर बार थोड़ी-सी कमर उठाता और पूरा का पूरा लंड जीवा की चूत में ठेल देता, हर धक्के के साथ जीवा के मुहँ से एक वासना भरी मादक कराह निकलती। जब जीवा का दर्द थोडा कम हुआ तो उसने आंखे खोली और समाने मैं का चेहरा देखकर हल्का-सा शर्मा गयी। जीवा मेरी बांहों में, पूरी तरह से नंगी होकर उससे अपने बदन की आग बुझवा रही थी। उसके सपनो का साजन उसका रक्षक उसे चोद रहा है और वह जांघे उठा कर अपनी नाजुक-सी फूल-सी कोमल चूत में मेरा लंड ले रही थी। वह जोर से हांफ रही थी और हांफते हुए बोली, "मुझे बहुत भरा हुआ लग रहा है, जैसे मेरे अंदर एक खंभा हो लेकिन यह बहुत अच्छा लग रहा है!"

इतना मोटा लंड की लगता था जैसे चूत का कोना-कोना लंड से भर गया हो अब कही भी 1 मिमी की भी गुंजाईश नहीं है। इस तरह से कोई लंड से उसकी चूत ऊपर तक टाइट पैक हो जाएगी, उसके अन्दर की सारी जगह घेर कर उसकी चूत को चूत के मुहँ तक इस कदर कसकर भर देगा उसने कभी सोचा नहीं था। जब मैं लंड पीछे कर बाहर निकाल ता तो योनि के अंदरूनी ओंठ भी लंड से चिपक कर लंड के साथ बाहर को आ जाते थे और जब लंड अंदर धकेलता तो योनि के बाहरी ओंठ लंड के साथ अंदर को चले जाते थे। सच में बहुत मजा आ रहा था ।



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मैं ने कमर हिलाने की स्पीड तेज कर दी, हर धक्के के साथ मेरा मोटा लंड जीवा की चूत का हर कोना भरता हुआ उसकी अंतर की गहराई के आखिर छोर तक पहुँच जाता और फिर एक झटके में बाहर आकर फिर अन्दर चला जाता। जीवा की चूत की दीवारे फिर से चूत रस छोड़ने लगी थी। लगातार चोदते रहने से मैं बुरी तरह हांफने लगा था। मैंने जीवा से दोनों हाथ अपने चुतड़ो पर रखकर उन्हें फ़ैलाने को कहा। जीवा से अपनी जांघो के सर से मिला दिया और दोनों हाथो से चुतड फैला दिए। मैं ने धीरे से उसकी चूत में लंडघुसेडा और हलके धक्के-धक्के लगाने लगा। जीवा अपनी नाजुक-सी छोटी गुलाबी चूत में इतना मोटा लंड देखकर हैरान थी। मैं ने आइस्ते-आइस्ते लयबद्ध तरीके से जीवा की चूत में लंड पेलने लगा।

चोदने के दौरान, मैं जिवपर चढ़ कर बेकरारी से उनको चूमने लगा। चूमते वक्त हमारे मुँह खुले हुए थे ... जिसके कारण हम दोनों की जीभ आपस में टकरा रही थीं ... और हमारे मुँह में एक दूसरे का स्वाद घुल रहा था। मैं कम से कम 15 मिनट तक उनके होंठों का किस लेता रहा। साथ मेरे हाथ उनके मम्मों को दबाने में लगे हुए थे, वह भी मेरा साथ देने लगी थीं। इस बीच मेरा लंड उसकी तंग, गर्म, चूत से अंदर और बाहर फिसल रहा था।



कहानी जारी रहेगी
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मेरे अंतरंग हमसफ़र



सातवा अध्याय



लंदन का प्यार का मंदिर



भाग 50



प्रथम सम्भोग





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जीवा ने फिर से चुतड छोड़ अपनी जांघे सीधे करी और मैं की कमर पर अपनी जांघो का घेरा बना लिया। मैं जीवा को चूमता हुआ आराम से धक्के लगा रहा था। जीवा भी इस आराम से हो रही चुदाई का पूरा मजा ले रही थी। फिर कुछ देर के बाद मैंने पूछा कि मज़ा आ रहा है। फिर वह बोली कि हाँ बहुत मज़ा आआआआ रहा है, ...हाईईईईई, म्म्म्मम और फिर वह जोर-जोर से कराहने लगी। फिर कुछ देर के बाद मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी। अब वह पूरी मस्ती में थी और मस्ती में मौन कर रही थी अआह्ह्ह आाइईई और करो, बहुत मजा आ रहा है। अब वह इतनी मस्ती में थी कि पूरा का पूरा शब्द भी नहीं बोल पा रही थी। अब में अपनी स्पीड धीरे-धीरे बढ़ाता जा रहा था हाअ, मेरे मास्टर, मेरे राजा राआआआजा, आईसीईई, चोदो और जोर से चोदो। आज मेरी चूत को फाड़ दो, आज कुछ भी हो जाए लेकिन मेरी चूत फाड़े बगैर मत झड़ना, आआआआ और ज़ोर से, उउउईईईई माँ, आहह हाँ, अब ऐसे ही वह कराह रही थी।



मैं को अब लंड को चूत में पेलने के लिए थोडा कम ताकत लगानी पड़ रही थी। मैं ने एक करारा झटका लगाया और लंड चूत को चीरता हुआ सीधा जीवा के बच्चे दानी के मुहँ से टकराया और मैं ने पूरा जोर लगा दिया। मैं का मोटा लम्बा लंड पूरा का पूरा जीवा की नाजुक चूत में समा गया, मुझे ये करने में समय कुछ ज्यादा लगा लेकिन आखिरकार मैंने ये कर डाला।





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जीवा की आंखे फ़ैल गयी, जीवा की बच्चे दानी के मुहँ पर बहुत दबाव पड़ रहा था लेकिन मैं कुछ देर के लिए वैसे ही ठहर गया। मैं मुस्कुराया और उसके स्तनों को चूमता और रगड़ता रहा, लेकिन अपना लंड नहीं हिलाया। 5 मिनट के भीतर, योनि की मासपेशिया समायोजित हो गयी और सिलवटे खुल गयी । योनि और लिंग आपस में परिचित हो गए योनि की कसी हुई मांसपेशियों और सिलवटों ने खुल कर लिंग के लिए जगह बना दी और कसवत थोड़ी ढीली हुई और दर्द थोड़ा कम हो गया और जीवा अब बेहतर महसूस कर रही थी,



फिर जीवा के स्तनों को जकड़कर धक्के लगाने लगा। जीवा का पूरा शरीर कांपने लगा, शायद उसे इस दर्द में भी ओर्गास्म हो गया था। कुछ देर तक वह तेज-तेज कराहाती रही और उसका पूरा शरीर कांपता रहा।



जीवा के मुहँ से कामुक और दर्द भरी कराह निकलती रही-यस यस-यस यस यस ओह गॉड आह्ह्हह्ह ओह्ह्ह्ह स्सस्सस्स आःह्ह ओह्ह्ह्हह स्सस्सस्स ओह गॉड, ओह्ह्ह्ह गॉड यस-यस यस



ज्योत्सना ने मेरा हाथ छोड़ दिया और मेरी पीठ पर लेजा कर चिपक गयी और उसका दूसरा हाथ उसकी जाँघों पर टिका हुआ था। वह अपने होठों को चाट रही थी और हांफ रही थी और आंखें अभी भी बंद थीं और अपने पहले संभोग के आनंद के पहले स्वाद से उबरने की कोशिश कर रही थीं। जैसे ही उसकी साँसे ठीक हुई वह शांत होने लगी, वह बहुत कम नरम स्वर में असमिया भाषा में कुछ कह रही थी। मैंने उसका सिर उठाया और उसे दो घूंट पानी पिलाया। उसने फिर अपनी आँखें खोलीं और मेरी ओर देखा, और जब वह थोडा शांत हुई और बोली-मुझे माफ़ कर दो मेरा खुद पर काबू ही नहीं है, मैं वहाँ बहुत गीली हो गयी हूँ और लथपथ हूँ! मैंने रोशनी देखी और फिर ऐसा लगा जैसे मेरे अंदर की हर चीज फट गई हो! " वह फिर से झड गयी थी।





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मैं उसका हाथ पकड़कर चूत के पास ले गया। एक मुस्कराहट के साथ, जीवा ने कहा, "मास्टर मैंने ऐसा कुछ महसूस करने की उम्मीद नहीं की थी! मुझे बहुत अच्छा लगा!" और वह मेरे साथ कस कर चिपक गयी तभी उसने महसूस किया होगा कि लोहे की छड़ उसके पैरों के बीच में चुभ रही है ।



मैं उसकी बात अनसुनी करते हुए किसी और ही धुन में था, हांफते हुए बोला-तुमने कर दिखाया।



जीवा–क्या?





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जीवा समझ गयी, पहले तो उसे यकीन ही नहीं हुआ, इतना लम्बा मोटा मुसल जैसा लंड, उसकी चूत में पूरा का पूरा समां गया। जीवा मैं के लंड को पेट के निचले हिस्से में महसूस कर रही थी। जीवा ने अपनी वासना से भरी सुर्ख आँखों से मेरी तरफ देखा। मैंने सर हिलाया। जीवा अब सातवे आसमान पर थी, मेरलंड जो पहले लग रहा था कि उसकी योनि में कैसे जाएगा अब पूरा का पूरा उसके अन्दर था ये उसके लिए गौरव की बात थी। जैसे आदमियों के लिए लगातार बिना रुके कई चूत चोदना गौरव की बात की होती है उसी तरह से कोई भी औरत हो जब वह बड़े से बड़ा लंड अपनी चूत में पूरा का पूरा घुसेड लेती है तो उसके अन्दर का स्त्री गौरव चरम पर पंहुच जाता है। उसके अन्दर का सब डर भय मिट गया था, अब उसे किस बात की चिंता नहीं थी अब तो वह खुलकर चुदेगी, हचक-हचक के चुदेगी।



जीवा–मास्टर शुक्रिया और मुझे चुंबन कर बोली जी अब मन भर के चोद लो जैसे मुझे चोदना चाहते हो वैसे चोदो। मैं झड़ चुकी हुई अब मेरे दर्द और मुझे संतुष्टि देने की चिंता त्याग कर कस क्र चुदाई करो । जीवा बस अभी झड़ी थी इसलिए मैं ने हल्के-हल्के चूत में लंड पेलना जारी रखने का फैसला किया। मैंने फिर से धक्के लगाने शुरू कर दिए। जैसे-जैसे लंड चूत में अन्दर बाहर होता जीवा के मुहँ से सिकरियाँ निकलने लगती।



मैं ने धीरे-धीरे फिर चोदने की स्पीड बढ़ा दी और अब वह जीवा की चूत की अंतिम गहराई तक सीधे-सीधे चोदने लगा, जीवा की पहली चुदाई में ही मैं उसे इस तरह से चोद रहा था जूस तरह की चुदाई बहुत कम लड़कियों की नसीब होती है और बहुत कम लड़को को जीवा जैसी शानदार सुंदर और कसी हुई चूत चुदाई के लिए मिलती है। इसलिए मैं उसे पूरे जोश के साथ चोद रहा था । एक तो मेरा लम्बा बड़ा मोटा लंड, वह भी-भी पूरी ताकत के साथ चूत की दीवारों को चीरता हुआ, आखिरी छोर पर जाकर बच्चेदानी के मुहँ से टकरा रहा था।





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मेरा लंड चूत का छेद पूरी तरह से भरते हुए चूत की दीवारों से इस कदर चिपका जाता की जीवा लंड के ऊपर की हर सिकुडन, फूली हुई नसे, यहाँ तक की मेरे लंड के खून के तेज बहाव को महसूस कर सकती थी। तभी मैं ने लंड को थोडा और अन्दर ठेलने की कोशिश की। चूत की दीवारे अपनी अंतिम सीमा तक फ़ैल गयी। जीवा को महसूस हुआ की मेरा लंड नाभि से बस कुछ ही नीचे गहरे से उसकी टाइट चूत में धंसा हुआ है। मैंने जीवा के ओठो को अपने मुहँ में ले लिया और अपनी जीभ उसके मुहँ में डाल दी और दोनों के ओठ जीभ आपस में गुथाम्गुत्था हो गए।



मैंने महसूस किया की अब जीवा की चूत का संकरा छेद थोडा-सा खुल गया है और उसकी चूत के बीच की दीवारों की संकरी जगह फ़ैलने लगी है, अब मेरे लिए लंड पेलना थोडा-थोडा आसान हो गया है, जीवा की चूत की दीवारों का विरोध अब कमजोर हो गया है और चूत का लंड पर कसाव भी ढीला हो चला है। जीवा को चोदना अब मेरे लिए पहले से ज्यादा आसान था, जीवा की चूत मेरे मोटे लम्बे लंड के मुताबिक खुद को एडजस्ट कर चुकी थी। अब मैं चोदने की स्पीड मनमुताबिक घटा बढ़ा सकता था। ऐसा नहीं है कि लंड में दर्द नहीं होता, जब चूत कसी हुई हो तो लंड को भी उसे चोदने में दिक्कत होती है पर उस दबाब का अलग ही मजा है। अब मेरे लंड पर दबाव थोड़ा कम पड़ रहा था और वह आसानी से जीवा की चूत में अन्दर तक जा रहा था। मैं तेजी से धक्के-धक्के लगाते हुए बीच में पूरा लंड अन्दर तक पेल के कुछ देर रुक जाता।





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जीवा की चूत की दीवारे अपनी अधिकतम सीमा तक फ़ैल कर मैं के लंड को अपने आगोश में लेने की पूरी कोशिश करती। इसी के चलते बच्चे दानी भी काफी ऊपर तक उठ जाती और जीवा को नाभि के नीचे तक मेरा लंड महसूस होता। चूत की इस गहराई तक कोई लंड जा सकता है उसने सपने में भी नहीं सोचा था। लगातार बच्चे दानी पर ठोकर लगने से उसको हलका हल्का दर्द होने लगा था लेकिन उसने मैं को ये बात नहीं बताई। मैं जीवा के इस नए दर्द से बेपरवाह मोटे मुसल जैसे लंड को जीवा की संकरी चूत में उसके आखिर छोर तक एक झटके में पेल देता। इस तरह से चोदने से जीवा एक तरफ आनंद में गोते लगाने लगाती दूसरी तरह उसे दर्द भी सहना पड़ता। लेकिन जीवा चुदाई के उत्तेजना में सब कुछ भूल चली थी, चूत की दीवारों से लगातार पानी रिस रहा था और दोनों पसीने से नहाये हुए थे। मुझे लगने लगा की अब वह ज्यादा देर तक जीवा को चोद नहीं पायेगा। उसका चरम अब करीब था, जीवा तो दो बार पहले ही झड चुकी थी। फिर भी मैं चाहता था कि जीवा मेरे झड़ने से पहले ही झड जाये। यही सोचकर उसने धक्को की स्पीड थोड़ी कम कर दी। जीवा का वासना से तपता शरीर उसके मन के नियंत्रण से पहले ही बाहर था। उसकी गीली चूत के अन्दर मचे तूफान को शांत करने के लिए किस तरह चूत की दीवारे लंड के चारो तरफ फैलती चली जा रही थी। उसका पूरा शरीर कापने लगा था, उसके स्तन और शरीर में अकडन आ गयी थी, पूरा शरीर पसीने से नहाया हुआ था।





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मैंने जीवा की हालत का अंदाजा लगा लिया, वह भी ज्यादा देर तक नहीं रुक पायेगी। इसलिए अपना हाथ जीवा के चुतड के नीचे ले जाकर, उसके नरम ठोस गोल चुतड को अपनी हथेली में भरकर, जीवा को अपनी तरफ ऊपर की तरफ ठेलने लगा। जीवा की कमर ऊपर उठने से उसकी चूत का छेद और चौड़ा हो गया, मैं ने तेजी से अपना मोटा मुसल जैसा लंड जीवा की चूत में पेल दिया। लंड जीवा की दीवारों को फाड़ता हुआ चूत की जड़ में जाकर बच्चे दानी के मुहँ से जोर से टकराया।



उसके कूल्हों को पकड़कर, मैंने अपनी गति बढ़ा दी और अपने लंड को उसकी भीगी हुई गीली योनी की गहराई तक धकेलना शुरू कर दिया।



मैं उनकी चुचियों को बेरहमी से मसलने लगा और वह मादक आवाजें निकालने लगीं-उम्म्ह... अहह... हय... याह!



जितना हो सके उसे पीछे धकेलते हुए मैंने उसकी मखमली सुरंग को सहलाया। हम दोनों घुरघुराहट में सांस ले रहे थे और किसिंग कर रहे थे, थप् ठप की आवाजें हाल में गूँज रही थी। चोदने के दौरान, मैं जीवा पर चढ़ कर बेकरारी से उनको चूमने लगा। चूमते वक्त हमारे मुँह खुले हुए थे ... जिसके कारण हम दोनों की जीभ आपस में टकरा रही थीं ... और हमारे मुँह में एक दूसरे का स्वाद घुल रहा था। मैं कम से कम 15 मिनट तक उनके होंठों का किस लेता रहा। साथ मेरे हाथ उनके मम्मों को दबाने में लगे हुए थे, वह भी मेरा साथ देने लगी थीं। इस बीच मेरा लंड उसकी तंग, गर्म, चूत से अंदर और बाहर फिसल रहा था।





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वह इसके हर मिनट को प्यार कर रही थी। जीवा उम्म्ह... अहह... हय... याह... करती हुई लगातार झड़ रही थी, उसकी योनि संकुचन कर रही थी और उसके संकुचन मेरे पिस्टन की कठोरता की लंबाई को ऊपर-नीचे कर रहे थे।



'अब मैंने फिर धक्का मारा तो कुछ दर्द का अहसास पूरे बदन में हुआ । मैं उसके उरोजो पर हाथ रख कर उन्हें दबा और सहला रहा था और उसके होंठ मेरे होंठो के अंदर थे । कभी सीने पर दर्द हुआ और योनि में धक्का लगा तो कुछ दर्द हुआ फिर कभी दर्द कम हुआ और फिर उसके पूरे शरीर में मस्ती-सी छाने लगी थोड़ी देर बाद जब वह अपने दर्द को लगभग भूल चुकी थी, तब मैंने मेरे दोनों हाथ उपर की तरफ कर उसकी कलाईयो को कस के पकड़ लिया, फिर उसकी पलकों को चूमा तो उसने लाजाते घबड़ाते हुए आँखे बंद कर दी। मेरे होंठ अगले ही पल उसके होंठो पर थे। उसके होंठो को खुलवा कर, मैंने उनके बीच अपनी जीभ डाल दी और अपने होंठो से उसके होंठो को' सील' कर दिया और मैं कस के उसके होंठ चूस रहा था और जीभ मुँह के अंदर उसके मुख की तलाशी ले रही थी ।



उसका सारा शरीर मस्ती से शिथिल हो गया तभी मैंने उसकी दोनों कलाईयो को पकड़ के खूब कस के धक्का मारा, और...हज़ारो बिजलियाँ एक साथ चमक गयी। हज़ारो बदल एक साथ कॅड्क उठे। दोनों कलाईयो में उसने जो चूड़ियाँ पहनी हुई थी उनमे थे आधी एक साथ चटक गयी और दर्द की एक लहर उसकी जाँघो के बीच से निकल के पूरे शरीर में दौड़ गयी। उसने चीखने की कोशिश की लेकिन उसके दोनों होंठ मेरे होंठो के बीच दबे थे और सिर्फ़ गो-गो की आवाज़ निकल के रह गयी। लेकिन मैं रुका नहीं एक के बाद दूसरा और... फिर तीसरा।



कलाईयो को पकड़और होंठो की पकड़ बिना कोई ढील दिए मैं धक्के पर धक्का मारे जा रहा था। 8-10 धक्के के बाद ही मैं रुका और कलाई पर पकड़ थोड़ी ढीली की । जब उसने दो पल बाद आँखे खोली तो उसका चेहरा दर्द से भरा था, उसने अपनी पलके बंद कर ली और सारा दर्द बूँद-बूँद कर पीती रही।





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मैं उसकी कलाई छोड़ के उसका सर सहलाने लगा । फिर कस के उसके रसीले होंठो को चूम लिया। मैंने उसको थॅंक्स देने के लिए चूमा और उसके बाद तो पूरे चेहरे पर चुंबनो की बारिश कर दी और कस-कस के फिर से उसके स्तन दबाने, मसलने और उनका रस लेना शुरू कर दिया। उसका तन मन में एक बार फिर से रस भर गया, दर्द का अहसास कम हो गया था। बस नीचे अभी भी मीठी-सी एक टीस बची थी।



मैंने फिर बहुत हल्के-हल्के थोड़ा-सा बाहर निकाल के 'लंड' अंदर बहुत प्यार से घुसेड़ा।और मेरे हाथ उसकी कमर पर ले जाकर कुछ देर धीमे-धीमे करने के बाद, मेरा हाथ रे सीने पर जा पहुँचा और स्तनों को दबाना, सहलाना चालू कर दिया। थोड़ी देर में दोनों किशोर रसीले उरोज पकड़ के, कभी कमर, कभी नित्म्बो को मसला और मेरे धक्को की रफ़्तार बढ़ने लगी। मेरे होंठ और उंगलिया कभी होंठो का रस लेती, मेरी उंगलियाँ भी अब उसकी देह के कटाव और गोलाईयो से अंजान नहीं थी, कभी उसके सीने को छू कर, दबाती, सहलाती और मसलती । कभी रस कलशो का और जब मैंने उसके 'मदन द्वार' के उपर उस 'तिलस्मि बटन' को छू लिया तो उसके पूरे बदन में तरंगे दौड़ने लगी। थोड़ी ही देर में उसकी सारी देह काँप रही थी और वह उत्तेजना के चरम शिखर पर पहुँच के शिथिल हो गयी।



मैंने फिर से अंदर बाहर ...करना शुरू कर दिया और कस के शॉट मारा तो ।वो सिहर उठी लेकिन अब इसमें सुख और मजा ज़्यादा था। थोड़ी ही देर मेमेरी स्पीड बढ़ गयी अब हम दोनों में से कोई रुकना नहीं चाह रहा था। मैंने उसे बाहो में कस के भींच लिया और दबा कर उसके, अंग-अंग को चूम लिया और वह भी बिना कुछ बोले इस नये सुख को, बूँद-बूँद करके सोख रही थी और धक्को की रफ़्तार और तेज हो गयी थी,







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जिन चूत की दीवारों ने इतने मोटे लंड को बड़े आराम से अन्दर जाने दिया, खुद को फैलाकर लंड के लिए रास्ता बनाया, उसे चूत की दीवारों की कुचलने रगड़ने चीरने में बिलकुल भी दया नहीं आई। टक्कर इतनी जोर से लगी की जीवा की चीख निकल गयी। कमर ऊपर उठने पूरा लंड चूत में जाकर धंस गया और मैं ने भी बड़ी बेरहमी से लंड को पेला था। मैं ने फिर से उसी स्पीड से लंड निकालकर अन्दर डाल दिया। जीवा के पैर कमर पिंडलिया चूत की इस गहराई में इतनी जोरदार टक्कर के कारन कांपने लगे। दर्द और उत्तेजना के कारन रीमा की आंखे बंद थी। मैं झटके पर झटके लगा रहा था और पूरी गहराई तक जाकर जोरदार टक्कर मार रहा था। उसे जीवा को दर्द देने में मजा आ रह था, पहली बार जीवा के दर्द भरे चेहरे को देखकर मेरे चेहरे पर मुस्कान तैर गयी।



अब चोदने और चुदवाने की जुगल बंदी शुरू हुई। हालांकि शुरू में जीवा को काफी दर्द हो रहा था फिर वह जल्द ही मेरे हर धक्के के साथ उतनी ही फुर्ती से ऊपर की और अपना बदन उठाकर जवाब दे रही थी। उसके मन में बस एक ही इच्छा थी की वह कैसे मुझे ज्यादा से ज्यादा सुख दे जिससे की उसका प्रियतम, उसका मास्टर, उसका प्रदाता, ज्यादा से ज्यादा आनंद ले सके। जब मेरा मोटा और लम्बा लण्ड जैसे ही जीवा की संकरी चूत के योनि मार्ग में घुसता की दो आवाजें आतीं। एक ज्योत्स्ना की ओहह ह... और दुसरी मेरे बड़े और मोटे अंडकोष की दो जाँघों से टकराने की आवाज फट फट। यह आवाजें इतनी सेक्सी और रोमांचक थीं अब दोनों का दिमाग सिर्फ चोदने पर ही केंद्रित था।



एक हाथ वह जीवा के चुतड के नीचे लगाये था जबकि दूसरे हाथ से बारी-बारी से जीवा के स्तनों को बुरी तरह मसला रहा था। जीवा की उत्तेजना चरम पर थी इसलिए उसे इस तरह से स्तन मसलवाने में भी आनंद महसूस हो रहा था लेकिन मैं तो सिर्फ दर्द देने के लिए रीमा की छाती को बुरी तरह मसल रहा था। मैं अब जीवा की चूत में इतने जोरदार झटके लगा रहा था कि उसकी गोलिया जीवा के चुतड़ो और गांड से टकराने लगी थी। जीवा वासना से सरोबार हो आनंद के सागर में गोते लगा रही थी।





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जैसे ही मैंने गति पकड़नी शुरू की, उसकी सांसे तेज हो गई और वह मेरे धक्के के साथ लय मिला कर अपने कूल्हों को हिला रही थी और नतीजा ये हुआ हम दोनों एक साथ उत्तेजना के शिखर पर पहुँच रहे थे। मुझे फिर से मेरी गेंदों में झुनझुनी महसूस होने लगी और उसने भी इसे महसूस किया होगा क्योंकि मेरे लंड का सूपड़ा फूल कर बड़ा हो गया था और ये महसूस करके हुए उसने अपनी बाहों को मेरी पीठ के चारों ओर लपेटा, मुझे गले लागते हुए ऊपर खींच लिया और इस क्रिया, से मेरा लंड उसके अंदर एक इंच या उससे भी अधिक अंदर गया और मेरी गेंदे उसकी योनि के ओंठो के साथ चिपक गयी।



ज्योत्सना काँप उठी और इतनी पूरी बची हुई ताकत से आगे-पीछे हिलने लगी, वह मेरे लंड के सिर पर जो उत्तेजना डाल रही थी वह अवर्णनीय थी! मैंने लंड उसके गर्भाशय ग्रीवा में धकेल दिया था और मैं अपने लंड के सिर को उसकी योनि के अंत में महसूस कर सकता था और उसके गर्भाशय ग्रीवा का मुंह मेरे लंड के सिर पर शीर्ष के खिलाफ रगड़ रहा था।



उसे तो इस बात का अहसास ही नहीं था कि झड़ने की कगार पर पहुँच चूका मैं अब उसे पूरी स्पीड से चोद रहा था, उसे अपनी चूत की गहराई में लंड के सुपाडे से लगने वाली जोरदार ठोकर से होने वाले दर्द का भी अहसास नहीं था, उसके कोमल से गोरे स्तनों पर नाखून गड़ाती मैं की उंगलियो का भी होश नहीं था, मैं की वजह से गोरे स्तन लाल हो चले थे और उन पर नाखुनो के निशान साफ़-साफ़ नजर आ रहे थे।







मैं कराह उठा "ओह्ह मैं शूट करने वाला हूँ!" लेकिन फिर मुझे पाईथिया के वह सुनहरे शब्द याद आये । संयम और धैर्य । । वस्तुत्ता मुझे कोई जल्दी नहीं थी । मैं थोड़ा धीम हो गया। अब मैं इस सत्र को लम्बा खींचना चाहता था।



जारी रहेगी 



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नूतन वर्ष 2023 की  हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।



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यह नूतन वर्ष आपको ऐश्वर्य, धन समृद्धि, सौभाग्य प्रदान करे ऐसी ईश्वर से कामना करता हूँ।
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मेरे अंतरंग हमसफ़र


सातवा अध्याय

लंदन का प्यार का मंदिर

भाग 51

शक्ति का स्थापन


मैं कराह उठा "ओह्ह मैं शूट करने वाला हूँ!" लेकिन फिर मुझे पाईथिया के वह सुनहरे शब्द याद आये । संयम और धैर्य । । वस्तुत्ता मुझे कोई जल्दी नहीं थी । मैं थोड़ा धीमा हो गया। अब मैं इस सत्र को लम्बा खींचना चाहता था।

मैं अब जीवा की चूत में इतने लम्बे झटके लगा रहा था कि मेरे अंडकोष जीवा के चुताड़ो और गांड से टकरा रहे थे। जीवा वासना से सरोबार हो आनंद के सागर में गोते लगा रही थी, उसे तो इस बात का अहसास ही नहीं था कि झड़ने की कगार पर पहुँच चूका था और स्वयं पर नियंत्रण कर सत्र लम्बा करने का प्रयास कर रहा हूँ । अब उसे अपनी चूत की गहराई में लंड के सुपाडे से लगने वाली जोरदार ठोकर से होने वाले दर्द का भी अहसास नहीं था।

जीवा वासना के परमानन्द में डूबी हुई थी और बडबडा रही थी-ओह यस ओह यस, चोदो मुझे, अन्दर तक चोदो मुझे, अपने मोटे लंड से फाड़ दो मेरी चूत को, चीर के रख दी इन जालिम चूत की दीवारों को, दिन रात ये मुझे वासना की आग में जलाती रहती है, बुझा दो इनकी आग, मसल कर रख दो इन्हें, चोदो मैंऔर जोर से चोदो मुझे!


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जीवा ने शरीर में जबदस्त अकडन आ गयी थी, उसने अपना सर तकिये में दबा लिया। वह सोच रही थी की मैं उसको बड़ी बेदर्दी से चोद रहा हूँ, मास्टर ने मेरी छोटी-सी नाजुक-सी चूत में अपना मोटा-सा मुसल लंड डालकर उसे सुरंग बना दिया है। इतनी तेज पेल रहा है कि मेरी जान निकल रही है। इतना दर्द उसे पूरे जीवन में नहीं हुआ जितना मैंने चुदाई में दिया था और वह, इसी दर्द के लिए ही तो तड़प रही थी, यही तो वह चाहती थी मैं उसे मसलु कुचलु रगड़-रगड़ कर पेलू और जबदस्त तरीके से चुदाई करूँ। । तभी मेरा एक तेज झटका और उसकी कमर और पिंडली में भीषण दर्द पैदा कर गया।




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गीवा चिल्ला उठी-आआआआअह्हह्हह्हह्हह्हह ओअओअओअओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह ेडेल्फी मैं मर गई ओह मेरी योनि गयी।

इस झटके ने वही ख़ास काम किया इसने उसकी योनि की सोई हुई शक्ति को जगा दिया और अब उसका पूरा शरीर योनि बन गया और अब उसकी योनि की मांसपेशिया जग गयी और संकुचन करने लगी और लंड को जकड़ कर चूसने लगी । मुझे मजा आया और नेमे एक और करार झटका दिया और जीवा का अकड़ा हुआ शरीर कांपने लगा। उसकी कमर नितम्ब जांघे, पेट सब कुछ अपने आप हिलाने लगा, वह झड़ने लगी। पूरा शरीर कंपकपी से कापने लगा, मैं चुदाई करता रहा। जीवा के हाथ पांव सब ढीले पड़ने लगे। उसकी जांघे की पकड़ अब शिथिल हो चली। जीवा का कम्पन थमा लेकिन उसकी योनि का संकुचन चालू रहा और उसने मेरा टॉप गियर लगा दिया, उसने मुझे मजबूर कर दिया की जितनी तेज लंड चूत में पेल सकता था उसी स्पीड से उसकी चुदाई करूँ और मैं लंड पेलने लगा। मेरे हर शॉट जीवा की चूत की गहराई में लग रही थी। मैं जितने गहरे जितने तेज धक्के लगा सकता था लगा रहा था। लगा नहीं रहा था बल्कि उसकी योनि मुझ से लगवा रही थी । मेरा आपने ऊपर नियंत्रण खत्म हो गया था । अब योनि मेरे लंड पर नियंत्रण कर चुकी थी और अब लंड जीवा के अन्दर समां जाने को आतुर था। मेरे मुहँ से कराहने की आवाज निकलने लगी। जीवा बेसब्री से ओठ दबाये, बच्चेदानी पर लग रहो जोरदार ठोकर से होने वाला दर्द बर्दास्त कर रही थी। वह इसी तरह से चुदने के तो ख्वाब देखती थी। आज उसका ख्वाब पूरा हो रहा था, भले ही इसमे दर्द हो लेकिन उसकी सालो की दबी कामना पूरी हो रही थी। चूत के आखिरी कोने तक हचक-हचक के चुदाई, जिसमे चूत का कोई कोना बचे ना। पूरी चूत लंड से भरी हो और हवा जाने के भी जगह ना हो। उसकी मांसपेशियों मेरे लंड कके चारों ओर इतना तंग हो गयी की मैं वास्तव में महसूस कर रहा था कि अब योनि मेरे लंड को चूस रही थी ।


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मेरे कराहने की आवाज और तेज हो गयी। मैं जीवा को बेतहाशा चूमने लगा, अपनी लार और जीभ दोनों उसके मुहँ में उड़ेल दी और उसके मुहँ की लार को पीने की कोशिश करने लगा। उधर मेरी कराहे सुन पाईथिया समझ गयी अब आगे क्या होने वाला है और उसने तुरंत पर्पल और ग्लोरिया क हाथ पकड़ा और उन्हें उस वेदी के पास ले आयी जहाँ मैं और जीवा सम्भोग कर रहे थे । उसने उन दोनों को एक-एक कटोरा दिया और उसे जीवा की योनि के पास लगा कर उन्हें कहा । इस अद्भुत रस की एक भी बूँद बेकार नहीं जानी चाहिए । सारा रस इस कटोरे में एकत्रित कर लेना ।

मेरी गोलियाँ फूलने लगी, उनके अन्दर भरा गरम गाढ़ा लंड रह ऊपर की तरह बह चला। तेज कराहने की आवाज के साथ अपने कुछ अंतिम धक्के अपनी पूरी ताकत से लगाने लगा। एक धक्का इतना तेज था कि जीवा दर्द से बिलबिला गयी और उसकी कमर अपने आप नीचे की तरफ खिसक गयी। मैंने झट से चुतड के नीचे लगे हाथ से उसकी कमर को ऊपर उठाया और चूत में अन्दर तक लंड पेल दिया।

हर धक्के के साथ मुझे अहसास हो रहा था कि उसके अन्दर कोई ज्वालामुखी फटने वाला है और गरम लावे से जीवा की चूत का हर कोना भर देगा। मेरे अंडकोषों में उबाल मार रहा गरम सफ़ेद लावा ऊपर की तरफ बह निकला और अगले तेज झटके के साथ जैसे ही लंड मैंने पीछे किया मेरे अन्दर का गरमसफ़ेद गाढ़ा लावा तेज पिचकारी के साथ लंड के छेद से निकल कर जीवा की चूत में गिरने लगा।



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पहला शूटइतना तेज तह की वह सीधे जीवा की बच्चे दानी से टकराया। जैसे ही मैंने पिचकारी मारना शुरू किया, उसने एक गहरी, गहरी कराह निकाली और मेरे साथ चिपक गयी ओर मेरे नीचे दब गई। जब उसने पहला शॉट महसूस किया, तो वह सिहर उठी और बोली, "इतना हॉट! इतना तेज! बाप रे! आप मुझे भर रहे हो" और वह कांपने लगी और रुकी नहीं मैंने झटके लगाने नहीं रोके, लेकिन लंड को वह चूत की गहराई में ही आगे पीछे कर रहा था। पहली पिचकारी ने ही मैंने जीवा की चूत लबालब भर दी। मेरा लावे जैसा गरम लंड रह, चुदाई से आग की भट्ठी बन गयी चूत की दीवारों पर बिलकुल वैसा ही था जैसा गरम तवे पर पानी की बूंदे।

शक्ति का स्थापन हो गया था शक्तिशाली वीर्य के रस  से जीवा की चूत की दीवारे तर हो गयी। उनकी बरसो से लंड रस से तर होने की मुराद पूरी हो गयी। मेरा गाढ़ा सफ़ेद लंड रस इतना गाढ़ा और ज्यादा था कि जीवा की चूत के दीवारे उसे रोक नहीं पाई और उनसे रिसकर वह बाहर चूत के चारो तरफ छिटकने लगा। 

दूसरी और तीसरी धक्के और पिचकारी मारते ही मेरे वीर्य का रस । जिवा का चुतरस और कौमार्य का मिला जुला रस मेरा वीर्य जीवा की चूत रस के साथ अच्छी तरह मथ गया। पाईथिया ने मुझे थपथपा कर रुकने का ईशारा किया और मैंने धक्के लगाने बिलकुल बंद कर दिए। जीवा की चूत से लंड रस की एक धार बहने लगी जिसे   पर्पल  और ग्लोरिया ने तुरंत कटोरे में एकत्रित कर लिया ।


जीवा मुंह खोलकर ओह्ह हाय करती हुई और भारी सांस लेती हुई कांप रही थी। । यह सबसे अविश्वसनीय अनुभूति थी और जीवा निरंतर कांप रही थी, प्रत्येक कंपकंपी के साथ "उउह्ह और आह" कर रही थी और फिर वह बेहोश हो गई।

मेरे घुटने अकड़ने लगे, इसलिए मैं जीवा के ऊपर गिर गया, अभी भी उसका ग्राम बदन मेरे चारों ओर लिपटा हुआ था, लंड अभी भी अंदर था और हम एक साथ जुड़े हुए थे। उसने मेरे कूल्हों के साथ अपने पैरों को मोड़ लिया और मैं उसकी छाती पर लेटा हुआ था, मैं जीवा को अभी भी ऐंठन हो रही थी, मेरे लंड को जकड़ रही थी, ऐसा लगा जैसे वह मेरे लंड को चूस रही हो।

पाईथिया,  पर्पल  और ग्लोरिया ने गुलाब की पंखुड़िया अपने हाथो में ली और हम दोनों पर बरसा दी फिर कुछ मोगरे के और दुसरे फूल बरसा दिए। धीरे से मैंने जीवा की गोरी पेशानी चुम ली फिर उसे चूमा और फिर मैं उसके होंठो को चूमने लगा और वह भी मेरा साथ देने लगी फिर मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी और वह मेरी जीभ को चूसने लगी मैंने उसे मुख्या पुजारिन बनने को बधाई दी और मैंने देखा की पाईथिया,  पर्पल, ग्लोरिया । अन्य मुख्य पुजारिने, मंदिर की कनिष्ट पुजारिने, सेविकाएँ, अनुचर और परिचारिकायें सभी घुटनो के बल होकर प्राथना कर रही थी . मैं भी जीवा से अलग हुआ ।

जीवा की लंड रस से भरी चूत से मेरा लंड फिसल कर बाहर आ गया। उसका लंड जीवा की चूत रस, कौमार्य के लाहो और अपने ही सफ़ेद लंड रस से पूरी तरह सना हुआ था। जैसे ही जीवा की चूत से मेरा लंड निकल, रस की बूंदे टपकने लगी तो पाईथिया ने उन्हें अपने हाथ में ले लिया और जीवा की योनि से जो रस निकला उसे पर्पल और ग्लोरिया ने जल्दी से कटोरे में समेट लिया और फिर पाईथिया उठी और उसने सब को बधाई दी और मैंने देखा मेरा लंड अभी भी कठोर था ।
उसने उस मिले जल रस को मुझे और ग्लोरिया को   चटाया और वह बोली ग्लोरिया अब तुम्हारी दीक्षा का समय हो गया है। मास्टर अब आप ग्लोरिया को दीक्षित कीजिये ।

जारी रहेगी
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मेरे अंतरंग हमसफ़र


सातवा अध्याय

लंदन का प्यार का मंदिर

भाग 52

नई प्रधान महायाजक 




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जीवा की चूत से निकलता मेरे लंड से निकला सफ़ेद गाढ़ा वीर्य।



फिर पाईथिया उठी और उसने सब को बधाई दी और मैंने देखा हालाँकि मेरा लंड अभी भी कठोर था ।  दोनों ही पसीने से नहाए हुए थे। बुरी तरह मसलने के कारन जीवा के सुडौल स्तन लाल हो गए थे, उसके सपाट पेट पर भी लालिमा छाई हुई थी, बदन पर जगह-जगह नील पड गए थे। चूत में सुजन आ गयी थी । चुत के ओंठ सूज कर मोठे हो गए थे । ओंठ भी सूज गए थे और गाल भी लाल हो गए थे । कंधो पर चूसने से निशाँ पड़ गए थे । मेरे भी ओंठ दर्द कर रहे थे और लंड और अंडकोषों में भी दर्द महसूस हो रहा था । और लग रहा था कि मेरे बदन से ताकत निकल गयी है पर जीवा के चहरे पर अलग हो ओज था ।

पाईथिया ने उस मिले जल रस को मुझे चटाया और वह बोली ग्लोरिया अब तुम्हारी दीक्षा का समय हो गया है। मास्टर अब आप ग्लोरिया को दीक्षित कीजिये ।



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मैं और जीवा दोनों पसीने से कई बार नहा चुके थे, जीवा  एक झटके से आगे हुई और मुझे लिटा कर मेरे ऊपर चढ़ कर मेरा खड़ा लंड अपनी योनि में घुसा लिया और मैं भी अपने लंड को लंड रस से सनी चूत की गहराई में ठेल कर थका हुआ हाफता हुआ बिस्तर पर पसर गया और जीवा के नरम होंते स्तनों को दबाता हुआ लेट गया। जीवा ने भी मुझे बांहों में भर लिया और मेरे बाल सहलाने लगी और मेरे अंदर की सारी उर्जा वह मुझे कस करके चूस रही थी।

मेरी और जीवा की साँसे की सांसे उखड़ी हुई थी, दोनों सांसो को काबू में करने लगे हुई थे। जीवा अपनी चूत में वह अभी भी हलका कम्पन महसूस कर रही थी। मेरा लंड जीवा की चूत के अन्दर ही खड़ा हुआ था। जीवा का पूरा शरीर इस तकलीफ भरी जोरदार चुदाई से थक के चूर हो चूका था, उसकी कमर में हल्का-हल्का दर्द भी हो रहा था। जीवा संतुष्ट थी तृप्त थी लेकिन उसे अजीब-सा लग रह था, उसका तारणहार रक्षक उसकी बांहों में पड़ा अपनी सांसे काबू में कर रहा था। उसने यही चाहा था की वह अपने रक्षक को ही अपना कौमार्य सौंपेगी । वह मुझे ही अपनी इष्ट के बाद अब अपना सर्वस्व मान चुकी थी उसने मन ही मन अपनी इष्ट प्रेम की देवी को धन्यवाद दिया आज वह अपनी हवस वासना और हवस की पूर्ति चाहती थी ।एक अच्छी चुदाई का सबसे अच्छा लक्षण यही है कि चुदने और चोदने वाले दोनों ही सेक्स दुबारा करना चाहते हैं और बार-बार करना चाहते हैं और यही हम दोनों चाहते थे और अब उसे चुदाई मिलने वाले आनद का पता लग गया था। या यु कहिए शेरनी के मुँह खून लग गया था और उसकी हवस का पिटारा खुल चूका था, अब उसके लिए पीछे जाने का कोई अवसर नहीं बचा था । क्योंकि जिसे लंड का चस्का लगा वह चूत चुदाई के बिना नहीं रह सकती । जब तक नहीं चूड़ी नहीं चूड़ी । पर एक बार चूड़ी और मजा आया और चस्का लगा । आदत खराब हुई । तो हुई फिर वापसी का कोई रसाता नहीं रहता। और जीवा तो बड़े लंड से चुदी थी । उसकी चार सालो की वासना की पूर्ती उसके मन पसंद प्रेमी से और फिर बड़े लंड से हुई तो उसके लिए अब कोई अन्य रास्ता था ही नहीं । उसने घप्प से मेरा बड़ा लंड अंदर ले लिया और अपनी डेल्फी पाईथिया को करके बता दिया को अब आगे जो होगा उसकी इच्छा से ही होगा ।



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वो बोली डेल्फी आप मुझे और मास्टर को भी इस दिव्य रस को पिलाओ और मैं आप को याद दिला दू की मुझे दीक्षित करने के बाद मास्टर को किस प्रकार पुनः सशक्त करना होगा तभी मास्टर आगे ग्लोरिया को दीक्षित कर सकेंगे और इसके लिए मुझे उन्हें पुनः सशक्त करना होगा ।

पाईथिया के पास अब कोई विकल्प नहीं बचा था । क्योंकि मंदिर की परम्परा के अनुसार नयी महायाजक और मुख्या पुजारिन दीक्षित होने के बाद सबसे शक्तिशाली महायाजक और प्रधान महायाजक हो जाती है । अब जीवा को दीक्षित करने की प्रक्रिया में सब पुजारिणो की पूरा शक्तिया प्रदान कर दी गयी थी । फिर पाईथिया अपने घुटनो पर बैठी । जीवा के सामने सर झुकाया और बोली । मुझे क्षमा कीजिये डेल्फी (जीवा) जैसी आपकी आज्ञा वैसा ही होगा ।

मेरा मोटा लंड जीवा की गीली चूत के अन्दर पड़ा हुआ था, उसे लंड ही तो चाहिए था, उसे अब बस लंड चाहिए था जो उसको चोद सके, जो उसकी चूत की गहराई तक जाकर उसकी चूत की दीवारों की मालिश कर सके, उसके हुस्न और तपन को लूट ले, उसके जिस्म को भोगे, उसके स्तनों को जमकर निचोड़े, उसे चूमे, चाटे, उसे उसके औरत का अहसास कराये, एक समपूर्ण औरत होने का। उसके जिस्म की वासना को तृप्त करे, उसे बार-बार तृप्ति का अहसास कराये। अब वह इस बात से इंकार नहीं कर सकती थी की वह एक औरत है और उसे अपनी वासना पूर्ति के लिए मेरे लंड की जरुरत थी। हालाँकि मैं कमजोरी महसूस कर रहा था लेकिन वह अब ऊर्जावान महसूस कर रही थी । उसने मेरी तरफ देख कर हल्की स्माइल करी।



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तभी मैंने महसूस किया वह मुझे मेरे ओंठो पर किस करके अपना थूक मेरे मुँह के अंदर डाल कर थोड़ी ऊर्जा प्रदान कर रही थी । मैं उस थूक को गटक गया और मुझे अपने अंदर ऊर्जा का पुनः संचार महसूस हुआ और मैंने उसके नरम हो चुके स्तन को सहलाना और चूसना शुरू कर दिया। फिर मैं उसके स्तन के अलावा उसके बाकि शरीर पर भी हाथ फिरने लगा, उसकी छूट मेरे लंड को बाहर निकलने लगी और मेरा लम्बा मोटा लंड धीरे-धीरे चूत से खिसककर बाहर निकलने लगा था। हालाँकि जीवा तो चाहती थी की मेरा लंड इसी तरह उसकी चूत की गहराई में घुसा रहे। लेकिन उसकी योनि की मासपेशिया अब धीरे-धीरे फिर सिकुड़ रही थी आओर मेरे लंडरस और चूतरस और उसकी कौमार्य के रक्त से सने लंड को अब बहार धकेल रही थी और जैसे ही लंड निकला जीवा की चिकनी सफाचट चूत से लंडरस और चूत रस का मिश्रण निकल कर बहने लगा।

जीवा ने इस रस को बेकार नहीं जाने दिया। वह खडी होने के लिए उठी तो उसके पांवों में लड्खाहट थी और उसकी नाभि के नीचे हो रहे दर्द का उसको अहसाह हुआ,। जीवा बुरी तरह पस्त हो चुकी थी, उसमे अब उठने की दम नहीं बचा था। मैंने अपनी ताकत बटोरी और सहारा देकर जीवा को उठाया। । उसने भी अपनी सारी ताकत एकत्रित की और उसने उठकर सारा लंड रस चूत के अन्दर से निचोड़ कर हथेली पर रख लिया और रस को मुँह में भर लिया और पी गयी और फिर मेरा लंड भी अपने मुँह में भर लिया और चाट कर साफ़ करने लगी। मेरे लिए ये इशारा प्रयाप्त था मैं लंड उसके मुँह में डाले हुए घूमा और अपना मुँह उसकी योनि पर ले गया और उसकी योनि चाट कर रस पीने लगा । फिर वह बेड पर पसर गयी और मैं उसके ऊपर आ गया उसे किस करने लगा और वह मेरे साथ लेट कर लिपट गयी। कुछ ही पल में दोनों को एहसास हुआ की दोनों में फिर से ऊर्जा भर गयी है और दोनों एक दूसरे को सहलाते हुए गहरे चुंबन करने लगे।




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मैंने महसूस किया हम दोनों के बदन का पसीना सूख चला था और अब बदन में से भीनी दिव्य सुगंध आ रही थी। बुरी तरह मसलने के कारन जीवा के सुडौल स्तन जो लाल हो गए थे अब गुलाबी और फिर धीरे-धीरे सम्मनय हो गए. जीवा के सपाट पेट पर छायी लालिमा पहले गुलाबी हुई और फिर पेट और स्तन दूधिया हो गए बदन पर जगह-जगह पड़े नील मंद हुए और गायब हो गए। उसकी चूत में जो सुजन आ गयी थी । चुत के ओंठ जो सूज कर मोटे हो गए थे बहुत जल्दी सामान्य हो गए थे और मेरे ओंठो का सूजन भी कम हो गया था और लंड और अंडकोषों में हो रहा दर्द भी गायब हो गया था। ये निश्चित तौर पर उस दिव्य रस का कमाल थे जिसे मैंने और जीवा ने अभी चाटा था। अब उसके बदन और चेहरे का ओज बढ़ गया था और जीवा पहले से भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी ।


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जीवा के खूबसूरत जिस्म को देखते ही मेरे अन्दर की लालसा फिर जगने लगी। मुझे महसूस हुआ की इतनी खूबसूरत जीवा को कम से कम एक बार तो और चोदना चाहिए। मुझे एहसास हो रहा था कि जीवा का मन अभी नहीं भरा था। और मेरा तो बिलकुल नहीं भरा था और भरेगा भी कैसे इतनी हसीन मदमस्त जिस्म की औरत, जिसके जिस्म के हर कोने से मादकता टपकती हो, मेरे से चिपकी हुई बैठी थी। ऐसी सुंदरी जिसका बदन पहली चुदाई के बाद और सुंदरऔर आकर्षक लग रहा हो । जिसका चुदाई के बाद चेहरा ओज से भर गया हो । ऐसी सुंदरी को पास बिकुल नग्न पाकर मेरा क्या किसी भी मर्द का मन नहीं भरेगा। ऐसी औरत को तो हर मर्द रात भर चोदता रहना चाहेगा, बस चोदते ही रहना चाहेगा और मैं कोई अपवाद नहीं था । पर मन में सवाल गूँज रहा था जीवा पाईथिया से बोली थी मास्टर को पुनः सशक्त करना होगा तभी मास्टर आगे ग्लोरिया को दीक्षित कर सकेंगे और अब मेरे मन में उत्सुकता था अब जीवा मुझे किस तरह से पुनः सशक्त करेगी । क्या पूरी प्रक्रिया दोहराई जायेगी? ऐसे ही सवाल मन में चल रहे थे ।

जारी रहेगी
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मेरे अंतरंग हमसफ़र


सातवा अध्याय

लंदन का प्यार का मंदिर

भाग 63

हवेली


मैं घर पहुँच गया और मेरे फ़ोन पर सन्देश था कि मेरी क्लास अब तीन दिन बाद शुरू होंगी और पाने कमरे में मैं दो दिन की लगातार चुदाई के बाद पूरी तरह से थका हुआ मैं एक बार फिर सो गयाऔर जब मैं फिर से उठा तो दोपहर के तीन बज रहे थे।

नींद जरूरी थी, उससे मुझे सुकून और आराम मिला भी। जब मैं उठा तो मुझे भूख लगी। मैंने फ्रिज में देखा और कुछ दूध लिया और फिर पिज्जा होम डिलीवरी का आर्डर दिया। मैं सोच ही रहा था की पिछले दो दिनों में मैंने क्या किया है . कितनी श्हांडार लड़कियों से मिला हूँ और ये याद कर मेरा लंड कड़ा हो गया . 

मेरे पिज़ा के आर्डर के लगभग 30 मिनट के बाद दरवाजे की घंटी बजी और जब मैंने दरवाजे  को खोला  तो पाया कि दरवाजे पर कुछ लड़कियों के साथ पायथिया और गिवा  कड़ी हुई थी ।

वे हवेली  को विस्मयभरि नजरो से देख रहे थे। दो मंजिल ऊँची  हवेली हाथीदांत के साथ भूरे रंग के पत्थर से बनी हुई थी । इसमें मुख्य दरवाजे के  दायी और बायीं और  समान रूप से दूरी वाली खिड़कियों की पंक्तियाँ थीं ।

 ये  आपकी है  ... आपकी संपत्ति, मालिक।" पाइथिया ने कहा

मैंने पलकें झपकाईं "यह संपत्ति काफी बड़ी  है?"

"हम जानते हैं  ये पूरी आपकी है ," पायथिया ने कहा। 

 मैंने उनका स्वागत किया और उन्हें अंदर आने के लिए आमंत्रित किया । पाईथिया ने घूम कर चारो और देखा  "मुझे अभी भी विश्वास नहीं हो रहा है कि  ये आपकी है ," गिवा ने कहा।  महायाजक ने मेरे मुँह की बात बोल दी थी । "एक बड़ी  हवेली? आपके पास हमारे मंदिर के इतने पास एक हवेली है.  

मैं यहाँ केवल कुछ ही बार आया हूँ।"

तुम कभी मंदिर क्यों नहीं आये  ?"


"मैं  दिल्ली  में  पढ़ रहा था," मैंने जवाब दिया। “मैं  लगभग 3-4 साल पहले ही यहां आया था। ये हमारी  पुश्तैनी हवेली है जब मेरे पिताजी पढ़ते थे  तो मेरे पिता यहीं रहते थे। मुझे लगता है कि यह पहली बार  है जब मैंने वर्षों में इस  हवेली का दौरा किया हो। इससे पहले जब भी हम लंदन आते  थे तो हमेशा अपनी बुआ  के परिवार के साथ ही रहते थे। खैर, मुझे लगता है कि यहाँ  एक महिला थी जो इस बीच इस संपत्ति का  ख्याल रख रही थी । ”


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पाइथिया ने लड़कियों को एक शयन कक्ष की ओर निर्देशित किया और गिवा ने मुझे गले लगा लिया   और मैंने उसे चूमा और फिर वह दूसरे कमरे में चली गई।और हम सेंट्रल हॉल में बाते करने लगे .

पायथिया  ने उत्तर दिया, "विश्वास नहीं हो रहा है कि आपके पास एक हवेली है।" "आप एक हवेली के मालिक हैं।"

"हाँ," मैं फुसफुसाया। अब मुझे एहसास हुआ कि यह हवेली मेरी थी। मुझे अभी भी विश्वास नहीं हो रहा था कि यह हवेली मेरी है। मैं अभी भी केवल अठारह वर्ष का था। मुझे एक हवेली का मालिक होने का क्या अधिकार था?  हवेली का अरबपति  मालिक । मुझे याद आया कि मेरे पिता ने एक ही शर्त पर मुझे यह सारी संपत्ति और एक बड़ा बैंक बैलेंस सौंपा है और लंदन आने की अनुमति दी है ।

जब मैं लंदन में रहूं तो मुझे इसी हवेली में रहना होगा  और मैं इसे कभी नहीं बेच सका। वकील के अनुसार, वसीयत में प्रावधान अच्छी तरह से लिखा गया था । ये सब एक सपनेव जैसा लग रहा था लेकिन हवेली और पैसा  सभी असली थे ।

अब मुझे अपने लंदन प्रवास के दौराम बस  हवेली में रहना था। हाँ मैं बाहर जा सकता था लेकिन मेरा स्थायी पता ये हवेली ही थी . 

मैंने कहा, "मेरे पिता ने मुझे बताया कि उनके परदादा ने हवेली को अंग्रेजी सेना अधिकारी से खरीदा था और तब से वसीयत के माध्यम से ये पीढ़ी दर पीढ़ी उनके वंशजो की सम्पाती बन जाती है . 

 मेरे पिता इसे नए सिरे से बना सकते थे लेकिन उन्हें इसका विंटेज लुक पसंद है किन उन्होंने सभी कमरों को आंतरिक रूप से फिर से तैयार किया और उन्हें सभी आधुनिक विलासिता और सुविधाओं से सुसज्जित किया है । ”


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पायथिया ने कमर कस ली और मैंने उसे हवेली के कमरे दिखाए । "आपका परिवार थोड़ा अजीब है।"

"पिताजी अजीब नहीं हैं," मैंने कहा।

"वह ... परिवार  के संरक्षक हैं ," मैंने कहा। "मुझे लगता है कि वह इसे मेरे लिए ऐसे ही रखना चाहते थें  और  उन्होंने इसके नवनिर्माण का  फैसला मुझ पर छोड़ दिया है।" पायथिया ने मेरी ओर देखा, उसके सुनहरे बाल उसके गोल चेहरे को ढँक रहे थे। वह  मुस्कुराई, उसके गालों में डिंपल दिखाई दे रहे थे, उसकी नीली आँखें कोमल थीं। "यह उनकी मर्जी थी  कुमार!  अब यह आपकी पसंद पर निर्भर है , मास्टर।"

"मुझे ठीक  लग रही है ," मैंने कहा। "मुझे  ये अजीब  नहीं लग रही है है। मैं इस पैसे से बहुत कुछ अच्छा कर सकता  हूँ हाँ कुछ बदलाव  जरूर करवाऊंगा । मेरी राय में क्या हुआ अगर हमें शहर  के बीच में एक विशाल, पुरानी हवेली में रहना पड़े?"

मैंने उसे कुछ पेय और कुछ जलपान की पेशकश की और उसने पूरी हवेली देखने की इच्छा जाहिर की तो मैं कुछ  नाश्ता करने के बाद उसके साथ बगीचे में टहलने गया और हमने इधर उधर की  बाते  की ।


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कुछ समय बाद हवेली के मुख्य द्वार  के दो दरवाजे खुल गए, जिनमें से प्रत्येक दरवाजा बारह फीट लंबा और गहरे रंग की पुराणी लकड़ी से बना था। एक महिला फ्रांसीसी नौकरानी की वर्दी पहनकर हवेली से बाहर निकली और उसका चेहरा नकाब से ढका हुआ था। उसने एक बहुत .छोटी .. बहुत कम फ्रांसीसी नौकरानी की वर्दी पहनी हुई थी ।


कहानी जारी रहेगी
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सातवा अध्याय

लंदन का प्यार का मंदिर

भाग 64

जनून

मैं गोरी जांघो तक-ऊंचे सफ़ेद मोज़ो में उस लंबी नौकरानी को अपलक देखता रहा। उसके मौजे उसकी छोटी स्कर्ट के नीचे गायब हो गई थी। झालरदार फीता बाहर झाँक रहा था। पोशाक उसके धड़ में कस कर फिट कर दिया गया था और उसके बड़े स्तनों को ढँक रहा था जो उसके शरीर को ओवरफ्लो करने वाला लग रहे थे। उसे देखते ही मेरा लंड पूरी तरह अकड़ गया। एक सुनहरा गार्टर उसकी बायीं जांघ को मौजे के ऊपर, और उसकी नाभि गहरी और छोटी से बहुत कामुक लग रही थी। उसके सुनहरे बाल उसकी गंग पीठ पर उसे नग्न नितम्बो को छू रहे थे गिरे, एक नौकरानी की टोपी उसके सिर पर टिकी हुई थी। वह सुंदर नौकरानी एक जवान लड़की थी, अब वह नौकरानी या कुछ और और... मैं सोच रहा था ।लेकिन अभी तक मैंने उसका चेहरा नहीं देखा था । उसका चेहरा नक़ाब में छिपा हुआ था


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वह उन कुछ सीढ़ियों से नीचे उतरी जो पोर्च से उस स्थान तक जाती थीं जहाँ हम बैठे थे। नौकरानी मेरे पास आयी और मेरे ऊपर झुक गई, उसके स्तन लगभग मेरी निगाहों के सामने आ गए, बड़े गोल और मुलायम। उसकी दरार अविश्वसनीय और गहरी थी। तभी उसकी बैंगनी आँखों ने मेरा ध्यान खींचा।

मैंने उसकी जैसी आँखें कभी नहीं देखी थीं। वे कुछ जनून से भरी हुई थी।  ... एक जुनून जिसने मुझे इसकी तीव्रता से कांप दिया। मैंने कभी ऐसे  जनून का सामना नहीं किया था। 

"वाह, वह बहुत सुंदर लग रही है और उसने बहुत सुंदर कपड़े पहने हैं..." मेरे साथ बैठी महायाजक पायथिया पीछे हट गयी। "ओह मास्टर आप उन स्तनों पर लार टपका रहे हैं।"

जैसे पायथिया ने चुटकी ली मैं लार निगल गया। तब उस दासी ने पूरी विनम्रता से अपना हाथ मेरी ओर बढ़ा किया।

"मास्टर," उसने कहा, "आपसे मिलकर बहुत अच्छा लगा आप बहुत प्यारे है।" उसने अपना हाथ मेरी ओर बढ़ाया।

मैंने उसका हाथ पकड़ा और उसके हाथ की, गर्मी को महसूस किया। उसकी उंगलियाँ कितनी नाजुक थीं। मैं उसका अभिवादन करने के लिए उठने लगा ।

उसने मेरा चेहरा सहलाया और अपना नक़ाब थोड़ा सरकाया और मुझे चूमा। ये सब इतनी जल्दी हुआ की मैं  चेहरा नहीं देख पाया और उसके गर्म होठों को अपने ओंठो के ऊपर महसूस करते हुए मैं वहीँ जम गया। पायथिया मेरे पीछे थी। मैं जम कर खड़ा हो गया क्योंकि इस गर्मी ने मेरे अंडकोषों में उबाल ला दिया। मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि ऐसा हो रहा है। कि यह परिचारिका अपनी जीभ मेरे मुंह में डाल रही थी। मैं कराह उठा, चुंबन में आराम मिला । मैं  मेरे को रोक नहीं सका। मेरी आग और भड़की और उसे गहरे चूमने लगा ।


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फिर हम एकजुट हो चुंबन करने लगे। उसने उस समय अपनी आँखें बंद कर लीं और जैसे ही हमने चूमा, उसने साँस ली। मैंने महसूस किया कि वह मेरे फेफड़ों से सांस खींच ले रही है। जैसे ही उसने मेरे साथ चुंबन तोड़ा, वह कांप उठी।

उसके होंठ अद्भुत लग रहे थे। उसकी उंगलियाँ मेरे चेहरे पर कितनी कोमल थीं। उसकी बैंगनी आँखें मुझे घूर रही थीं। उन्होंने मेरे अस्तित्व को भर दिया था। मैं कांप उठा, उससे जुड़ा हुआ महसूस कर रहा था जैसे मैं कभी किसी के साथ नहीं रहा। इस सम्बंध की तुलना में महायाजक पायथिया या जीवा या एंजेल पर मेरा क्रश फीका पड़ गया।

मेरा दिल तेजी से और तेजी से धड़क रहा था क्योंकि मुझे लगा जैसे मेरा दिल उसके दिल के साथ समन्वयित हो रहा था।

मुझे मेरे चारों ओर एक मसालेदार इत्र की सुगंध फ़ैल गयी थी। मैंने इसमें सांस ली और आराम महसूस किया।

हम दोनों उस जगह पर ही चुंबन करते रहे और एक दूसरे को भूख से चूम रहे थे और वह परिचारिका ने सांस के लिए हांफ रही थी। पुजारिन पायथिया, निश्चित रूप से, हमे ऐसे चुंबन करते देख उत्तेजित हो गयी थी । नौकरानी ने उच्च पुजारिन को हमारे करीब खींच लिया जिससे उसके विशाल स्तन में से एक-एक स्तन एक म मेरे सीने में दब गया और दूसरा पायथिया की छाती में, जहाँ मांस को गर्म भाग पीसकर उसने पायथिया को अधिक उन्मादी बना दिया। फिर हम त्रिकोण में चूमने लगे और हमारे स्तन एक दुसरे की छाती के साथ दब रहे थे ।


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"इस तरफ, मास्टर," उस परिचारिका ने कहा और मेरे आगे चल दी। उसकी स्कर्ट में से उसके गोल बड़े नितम्ब प्रकट हुए उसने उन्हें और लहराया। जब वह हवेली में दो सीढ़ियाँ चढ़ रही थी तो उसकी स्कर्ट के पीछे के फीते की फीकी परतों में सरसराहट होने लगी। उसका पीछा करते हुए मुंह सूख गया, पायथिया मेरे साथ आ गई। हम हवेली के अंदर चले गए और हॉल में नौकरानी मेरे पास ेयी और मुझे फिर से चूमा और मेरा स्लीपिंग गाउन खोला और अब मैं हॉल मैं नंगा खड़ा था।

दासी को एक बर्तन उठाया जिसमें एक ब्रश डूबा हुआ था। पुजारीन पायथिया ने ब्रश निकाला और मेरे लिंग के सिरे पर रख दिया। ब्रश से शहद टपका और लंड के सिरे पर उतरा। मैंने शहद का वजन महसूस किया। पुजारिन पाईथिया ने अपने दाहिने हाथ से धीरे से मेरे लंड की चमड़ी को नीचे खींच लिया। शहद धीरे-धीरे लंड पर फैलने लगा। पायथिया ने अपनी आँखें बंद कर लीं और थोड़ी प्रार्थना की। फिर अपने कोमल होठों से उसने धीरे से शहद को मेरी ग्रंथियों के चारों ओर धकेल दिया। लौटते समय उसने होंठों को कसकर बंद कर लिया।

"आह," मैं कराह उठा।

उसके बाद पायथिया ने वह लार और शहद मिश्रण से ढके मेरे लंड के चारों ओर अपनी हतेली लपेट ली और बीच की चमकीली छड़ पर फिर उसने उस हाथ को बाहर की ओर खींच लिया और उसी समय उस परिचारिका ने उच्च पुजारिन पायथिया का गाउन उतार दिया और अब भी मेरी तरह पूरी नग्न थी और छोटी-सी खाँसी ने पाइथिया की ऑक्सीजन प्रदान की। चतुराई से पायथिया ने लंड को इधर-उधर घुमाया, उसे अपनी योनि के पास लायी और बिना दया के अपने दिव्य योनि के ओंठो को लन्दमुड़ से चिपका दिया, यह अपनी शानदार लंबाई में खतरनाक रूप से उछल रहा था । वह उस पर चिपकी हुई थी, पुजारिन पाईथिया उछली और मेरी गोदी में चढ़ गयी और सेविका ने हाथ लगा कर लंड को पाईथिया की योनि के मुँह पर लगाया और पुजारिन की योनि के पूरे होंठ लंड की मोटाई के चारों ओर फैल गए, उसने उसे अपनी योनी और अपने शरीर के नादर स्वागत करने के लिए अपनी टाँगे फैलाई और शरीर को लंड पर दबा दिया और मेरी गोदी में चढ़ कर लंड अंदर ले लिया, वह अब स्पष्ट रूप से उछल रही थी और संतोषऔर कामुकता के साथ आहें भर रही थी क्योंकि वह जल्द ही संभोग के बीच में थरथरा रही थी, उसकी योनि से रस मेरे राक्षसी लिंग के चारों ओर टपकता दिखाई दे रहा था।


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मैं मुस्कराया। यह मेरे लिए बेहतर हो रहा था मुझे आखिरकार पता चल गया। मेरा लंबा लिंग स्टील की तरह सख्त हो गया था।

और आपने सोचा था कि आपको मास्टर से मुझसे पहले चोदने वाले हैं। मूर्ख लड़की। इसके बजाय, मैं अब मास्टर के साथ जबरदस्त चुदाई करने वाली हूँ। मुझे पता था कि पायथिया को अंतहीन पावर-स्विच सेक्स और लवमेकिंग पसंद है।

पायथिया निडर होकर मेरे पास आयी, उसने अपने हाथ मेरे धड़ के चारों ओर लपेटे और मेरे सिर और गर्दन के पीछे हो गए। उसने मुझे एक सुस्त, गहरे चुंबन के लिए आगे खींच लिया, वह मेरे विशाल लंड को अपनी चिकनी जांघों के बीच पीस रही थी फिर मुझे पीछे की ओर झुकाते हुए, पाईथिया ने अपना वजन मेरी बाहों में दबाते हुए, धीरे से पनि योनि को मेरे लिंग पर नीचे कर दिया।

जैसे ही मेरा विहाल लंड उसकी योनि के अंदर गया महायाजक पाईथिया ने अपने पैरों को 180-डिग्री में खोल दिया। उसने अचानक से अपनी योनी को मेरे लिंग से पटकने से पहले वह मुस्कुरायी और, अपने कूल्हों को जी-स्पॉट में दबा दिया।

मैंने जोर-जोर से कराहते हुए कोरस में अपना सिर इस तरह घुमाया और महायाजक पाईथिया के सही बटनो और स्थानों को दबाया, ठीक उसी तरह जैसे मैं ही कर सकता था। जल्द ही, उसने अपने सह की क्रीम का एक तेज़ फव्वारा छोड़ा और उसके बाद पायथिया मुस्कुरा रही थी। आह बहुत मज़ा आआआआ रहा है, ...हाईईईईई, म्‍म्म्मम और फिर वह जोर-जोर से चिल्लाने लगी / अपने धड़ को नीचे झुकाकर उसके स्तनों को चूसने से पहले मैंने उसके स्तनों को चूमा और चाटा। पास कड़ी हुई उस दासी ने हमे बड़े विस्मय और हल्की निराशा दोनों में देखा; उसे लगा की हम पहली बार सेक्स कर रहे थे और ये जल्दी समाप्त नहीं होने वाला।



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अंत में वह रुक गई, मुझे प्यार से सहलाया और पुजारिन पाईथिया ने हांफते हुए गहरी साँसे ले कर खुद को शांत किया।

इस दौरान वह वो थोड़ा असवाधान हुई थी मुझे बस इतना ही चाहिए था और एक आश्चर्यजनक फ्लैश में, फुर्ती दिखाते हुए मैंने पाइथिया के कंधे को पकड़ लिया, वह पूरी तरह से मेरे लंड पर टिकी हुई थी । मैंने पायथिया को असंतुलित किया और उसे जमीन पर पटक दिया। अपनी शक्तिशाली मांसपेशियों का उपयोग करके लिंग को पाइथिया की योनि से वापस खींच लिया । मैं वहाँ नहीं रुका, पाइथिया को पकड़कर मैंने पायथिया को एक फेस-डाउन नितम्ब ऊपर की स्थिति में घुमाया और फिर से लंड उसके अंदर वापस धकेल दिया, अब में अपनी स्पीड धीरे-धीरे बढ़ाता जा रहा था हाअ, राआआआजा, आईसीईई, चोदो और जोर से चोदो। फाड़ दो, , आआआआ और ज़ोर से, उउउईईईई माँ, आहह हाँ, तेज करो और करो! अब ऐसे ही वह मौन कर रही थी।

फिर नितम्बो के साथ जांघो के टकराने की शानदार स्मैक के साथ मैंने लंड को उसकी योनि में धकेलना जारी रखा।

मेरी उंगलियाँ पायथिया के सही सुनहरे बालों में उलझी हुई थी मेरा हाथ ने उच्च पुजारिन के गोल गांड पर थप्पड़ मारा और मेरे लंड को फिर से अंदर पूरा डालने के लिए बाहर खींच लिया और फिर एक झटके में ही फिर से अंदर जाम कर दिया।


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वो कराह रही थी आईईईईईईईई उउउउइईईईईई. ओह्ह अहह!

जैसे ही मैंने गति पकड़ी, उसने लिंग की लंबाई के साथ खिलवाड़ करना शुरू कर दिया और हर धक्के के साथ वह अपने नितम्बो को आगे पीछे हिलाने लगी, ताकि मैं फिर से लंड पूरा अंदर घुसा सकू और पायथिया की योनि में लंड और अधिक घुसा सकूं। वह आहह, एम्म, ओह, आआआआआआअ, डालो ना बोल रही थी।

पाइथिया को गांड विशाल नाशपाती के आकार की थी, जो वास्तव में लंड की गहरी पैठ को संभालने की उसकी क्षमता को देखते हुए कोई आश्चर्य की बात नहीं थी, लेकिन इसने मुझे पायथिया की योनि के फाड़ने वाली चुदाई की कोशिश करने से नहीं रोका। उसने अपने चुतरस की फुहार के फव्वारे में पुरस्कृत किया गया और इस अमृत को देखकर उस दासी का हृदय द्रवित हो उठा। ऐसी चुदाई देख कर वो दासी भी अपने स्तन दबा रही थी और अपनी योनि में ऊँगली चला रही थी जिससे वो भी स्खलित हो गयी थी ।

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सातवा अध्याय

लंदन का प्यार का मंदिर

भाग 65

स्टड



पाईथिया लगभग बेहोश थी और बेहोशी में कराह रही थी आह हाय ओह्ह्ह! मैं रुका और मुझे खाली देख वह दासी आगे हुई तो जीवा मेरी तरफ लपकी और वह पहले ही पूरी नग्न थी और मेरे साथ चिपक गयी और जीवा को देख दासी रुक गयी और जीवा ने मुझे चूमा और मैंने अपना बड़ा सख्त लंड जीवा की योनि में घुसा दिया और उसे जोर से चोदना शुरू कर दिया जल्द ही वह खुशी और मजे में चिल्ला रही थी जब मैं जोर-जोर से उसे चोद रहा था ।


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"आप मुझे दो में विभाजित कर रहे हैं!" जिवा चिल्लायी क्योंकि मैंने अपने कूल्हों को जोर से और जोर से धक्के मारे मेरी भयानक लंबाई को उस सेक्स से भरी योनी के अंदर और बाहर क्रूरता से जा कर उसके गर्भशय के मुँह से टकरा था था। मेरे बड़े-बड़े अंडकोष भारी गड़गड़ाहट से उसकी गांड पर टकरा रहे थे, मेरे अंडकोष अनार के जोड़े की तरह लटक रहे जोड़े, वह मेरे वीर्य से भरे हुए थे। पायथिया को चोदने के बाद महायाजक जीवा की सूजी हुई योनि ने मेरे लंड को कस कर पकड़ लिया था, विशेष रूप से इस छुड़ाये सत्र उत्सव में जो की केवल घंटे पहले शुरू किया गया था, लेकिन उसकी योनी एक सच्चे स्टड की चुदाई के धक्के झेल रही थी और वह कराह रही थी।

सेक्सी जीवा ने अपने पास-गांड हिला-हिला कर हलचल मचाई, अपनी टांगो को मेरी मजबूत पीठ के चारों ओर लपेट लिया, उसके स्तनों का विशाल वजन मेरी लचीली मांसपेशियों के खिलाफ नरम हो गया, उसकी बाहें मेरे कंधो के चारों ओर पहुँच गईं।

"उसे मार मत देना, स्टड!" सिंथिया ने मुझ पर छींटाकशी की लेकिन मैंने जीवा को और तेज गति से चोदना जारी रखा।


"मेरा स्खलन होंने वाला है," मैंने जवाब में कराहते हुए कहा, मेरी फूली हुई गेंदें खतरनाक रूप से भारी लग रही थीं।

जाहिर तौर पर मेरे नीचे जीवा को 'स्खलन' शब्द सुनने से ज्यादा किसी प्रोत्साहन की आवश्यकता नहीं थी और उन्होंने किंग-साइज़ बेड पर अपने चुतरस की एक विशाल धारा का छिड़काव किया।


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वो बड़े स्तनों वाली नौकरानी (मुझे तब तक न तो उसका नाम पता था और न ही मैंने उसका नक़ाब में ढाका हुआ चेरा पूरा देखा था) ने आश्चर्य से जिवा को ऐसे स्खलित होते हुए देखा और प्रदर्शन पर हांफते हुए कहा, "तुम्हें पता है कि तुमसे मिलने से पहले मैंने कभी किसी योनी को ऐसा करते नहीं देखा।"

मैंने  मेरे कंधे उचकाए, "लगता है कि लड़कियों पर मेरा कुछ प्रभाव पड़ता है," मैंने उसे समझाया। यह सच था; हर महिला जिसने मेरे से कभी भी अपने बड़े पैमाने पर चुदाई करवाई है ऐसे ही कुछ नया अनुभव किया है और बड़ी मात्रा में रस उत्सर्जन किया है।

जैसे ही ओलिविया फुसफुसाई, जीवा की आँखें उसके सिर में वापस लुढ़क गईं और वह निढाल हो गयी। उस नौकरानी ने मुझे उस पर वापस आकर्षित किया और उसे आधी-सचेत गोरी जीवा को छोड़ने कर दूसरी तरफ आने के लिए राजी किया, उसकी आँखें खुशी से चौड़ी हो गईं क्योंकि उसके विशाल योनी-मेरे बड़े लंड को देखते ही ओह मेरी! ओह मर गयी!

ओह मर गयी!  ओलिविया ने अविश्वास में अपना सिर हिलाया, उस परिचारिका ने आपके जैसा लंड पहले नहीं देखा होगा, इसलिए मुझे लगता है कि यह समझ में आता है। "

ओलिविआ ने अपना हाथ मेरे लंड के आधार के चारों ओर लपेटा, अपने होठों को यह महसूस किया की ऐसा करते हुए उसकी उंगलियाँ मेरे लंड के आसपास भी आपस ने नहीं मिल रही थीं। उसका दूसरा हाथ मेरी बड़ी गेंदों को प्यार करने के लिए नीचे गया, हालांकि उसे मेरे लंड और अंडकोषों के ने विशाल आकार के कारण एक-एक करके उन पर ध्यान देना पड़ा।

उसके बाद ओलिविया, अमलथिया, क्सेनु, रूना, कारा, सिंथिया, डोना, फ्लाविया, पेन्सी, आईरिस, रेजिया, फिर ग्लोरिया के साथ और अंत में पाईथिया से पहले पर्पल सब के साथ मैंने चुदाई का ये सत्र पूरा किया और इस सत्र में मैं एक बार कारा और एक बार ग्लोरिया और अंत में पर्पल में स्खलित हुआ ।

जब मैं पर्पल (जो की अब प्रमुख महापुजारिन थी) के साथ सम्भोग कर रहा था तो वह बोली "ओह मास्टर! आपने आज फिर हमें एक विशाल ऑर्गी में काम सुख दिया है और अब आप निश्चित तौर पर आप भविष्य की कुछ सम्भावनाओ के बारे में सोच रहे हैं? हम सब भविष्य में आपके साथ तब तक चुदाई करेंगी जब तक हमे प्रेम की देवी का अन्यथा आदेश ना प्राप्त हो!" इसके साथ ही उसने अपनेनितम्ब हिलाने के प्रयासों को दोगुना कर दिया, मेरे चुदाई की गति से उसके विशाल स्तन एक साथ ताली बजाते हुए हिल रहे थे। "इसके अलावा! हमें लगता है कि हम काफी समय तक आपके साथ अच्छा समय बिताने से चूक गए । खैर अब आप काफी समय तक आनंद प्राप्त कर सकते हैं!"


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इसी के साथ पर्पल की पीठ धनुषाकार हो गई क्योंकि उसने धार में फव्वारा छोड़ा, बैठने की स्थिति में कर्ल करने से पहले अपने स्वयं के निपल्स को चुटकी बजाते हुए और मेरे सिर को पकड़ लिया, मुझे वापस नीचे खींच लिया और बाकी विशाल संभोग के माध्यम से मेरे लंड पर अपनी योनि दबा दी। जब उसके स्खलन कुछ कम हुआ तो उसने अपने विशाल, रसीले होंठों को मेरे कान के ठीक बगल में रखने के लिए अपना सिर घुमाया और वह उसमें फुसफुसायी "आप एक स्टड हो ! आप मेरे पास जब मर्जी आ सकते हो और आपके साथ के लिए ही मैंने पुजारिन बनना स्वीकार किया है।"

मैंने एक-दो बार पलकें झपकाईं, फिर मेरी आँखें चौड़ी हो गईं और मेरे होंठ एक मुस्कराहट में बदल गए।

"अच्छा, तुमने पहले ऐसा क्यों नहीं कहा, देवी मैं तुम्हारे साथ हूँ!"

"अच्छा," इन शब्दों के साथ उसने मेरी पीठ थपथपाई और मेरे लंड को कुछ असली तेज़ करने के लिए खड़ा कर दिया और हमने एक बार फिर से चुदाई शुरू कर दी ।


[Image: dog4.gif]

"मम्म, ठीक है,   स्टड!  आपकी 'प्रार्थना' ने देवी को छुआ है," पर्पल ने मुझे अपने स्तनों का दूध पिलाते हुए सिर को सहलाते हुए कहा, " स्टड!  मुझे ऐसा लगता है आप में मंदिर की महिलाओं को नए-नए तरीकों से संतुष्ट करने की क्षमता है।

पर्पल ने मेरे गाल को सहलाते हुए कहा, "लेकिन स्टड!  तुमने मुझ पर संदेह किया था और अब तुम्हें निश्चित रूप से दंडित किया जाना चाहिए!"

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सातवा अध्याय

लंदन का प्यार का मंदिर

भाग 66

 आज्ञा

मतलब? अच्छा ठीक है! लेकिन पहले मेरा लंड चूसो, " मैंने पर्पल को आज्ञा दी, पर्पल एक राजकुमारी थी और उसे ऐसे ऑर्डर लेने के आदत नहीं थी, लेकिन उसके अंगों को मेरे विशाल उपकरण द्वारा चारों ओर महसूस करने और अपने सम्भोग के दौरान एक ही रात में जबरदस्त कामोन्माद और आनंद का अनुभव करने के बाद, वह केवल गीली हो गई जब मैंने उसे लंड चूसने को कहा।


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वो नीचे झुकी अपने मोटे होंठों को मेरे टपकने वाले अंडकोशो को चूमने से पहले, मेरे लम्बे लंड को चूसने से पहले, मेरे लंडमुंड को अपने मुँह में लेने के लिए, फिर मेरे लिंग के सिर को अपने मुँह के अंदर खिसकाने के लिए चौड़ा खोलकर, मोटे लंड के नरम मांस पर बेसब्री से चुम्ब किया।

मैं कराह गया और पीछे झुक गया, एक हाथ ने पास ही लेटी हुई लड़की ग्लोरिया को प्यार से सहलाया क्योंकि बड़े स्तन मेरे विशाल उपकरण के लिए विनम्र प्रार्थना में उसके सिर को सहलाने लगे। मेरे पास हमेशा सबसे बड़ा मुर्गा था जिसे उसने कभी देखा था और जिस किसी को भी मैंने चोदा, वह मेरे साथ सेक्स के लिए रहता था, कम से कम उस पल में। मैंने ग्लोरिया के स्तनों को सहलाया। उसे स्तन कड़े हो गए और निप्पल कठोर हो गए।

मेरे स्पर्श के जवाब में ग्लोरिया ने अपनी आँखें खोलीं और हल्के से मुस्कुराई। वह थोड़ा ऊपर उठी और दृश्य को देखा, उसकी सबसे अच्छी दोस्त पर्पल जंगली वासना के साथ मेरे विशाल लंड को चूस रही थी।

"अभी स्खलन नहीं हुआ है?" उसने पूछा। पर्पल ने लंड उसके मुंह से बाहर नहीं निकलने दिया, लेकिन उसने यह संकेत करने के लिए अपना सिर हिलाया कि मैंने अभी स्खलन नहीं किया है।


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"हम्म, शायद मास्टर की गेंदें अभी सूखी हुई हैं!" ग्लोरिया ने जवाब दिया, मेरे पैरों के बीच अपने पतले शरीर को घुमाते हुए। बेशक सच्चाई से आगे कुछ नहीं हो सकता था; मेरी गेंदों को पहले से ही अच्छी तरह से स्लॉबर में लेपित किया गया था, जो कि ब्लोअर से शाफ्ट को नीचे गिरा दिया था और यदि वह पर्याप्त नहीं थे, तो उन्होंने सॉस में भी वस्तुतः मैरीनेट किया था, मेरे विशाल डिक ने अभी-अभी उसे धार बनाया था, लेकिन यह सब बेईमानी थी। उसे अपनी जीभ को उसके मुंह से बाहर रोल करने और मर्दाना अध्यादेश के भारी क्षेत्रों में चूसने से रोकें। वह अभी भी उनके आकार पर विश्वास नहीं कर सकती थी; प्रत्येक उसके मुंह में फिट होने की उम्मीद के लिए बहुत बड़ा था, लेकिन उसने प्रत्येक टाइटैनिक पत्थर की सेवा के लिए गंभीर प्रयास किया।

मुख्य महायाजक पर्पल-मंदिर की मुख्य दिवा, मुख्य सुंदरी, प्यार के सभी मंदिरों की मुख्य महायाजक, शायद थोड़ा नाराज थी कि इस अचानक रुकावट से उसके मौखिक-सेक्स स्पॉटलाइट को हड़प लिया गया था। उसने ध्यान वापिस खुद पर खींचने के लिए अपनी श्रेष्ठ संपत्ति को ग्लोरिया के चेहरे पर रगड़ने का फैसला किया और मेरे बड़े लंड के चारों ओर अपने बड़े खरबूजे के आकार के स्तन लपेटे और मेरे लंड की लम्बाई के दोनों ओर अपने बड़े स्तनों को ऊपर और नीचे उछाल दिया।


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अब मैं उसके स्तनों के बीच की दरार से अपने लंड की मालिश करवा रहा था।

पर्पल के भारी स्तनों को जोड़ी उसके यौन प्रतिद्वंद्वी के गेंद चूसने वाले सिर के ऊपर से टकरा गई थी। उसके बाद उसके स्तनों ने मेरे अंडकोषों को मसला और-और उसके स्तनों के भारीपन से अंततः एक अंडकोष उसके मुंह में चला गया और उसने उसे मुँह में ले लिया और अंदर जाने दिया जहाँ तक वह उसे जाने दे सकती थी, उसके जबड़े चौड़े हो गए थे और फिर उसने मेरे अंडकोषों को चूसा।

मैं चिल्लाया और पर्पल के सिर को पकड़ लिया, उसे अपने ही स्तनों के दरार के निकलते हुए मेरा लंड इंच दर इंच अपने मुँह में लेने के लिए मजबूर कर दिया और उसने इंच दर इंच मेरा लंड अपने मुँह में निगल लिया। मेरी शक्तिशाली बाँहों ने उसके सिर को हिलाया, उसे अपने स्वयं के लिए भोगते हुए उसके मुँह की चुदाई करने लगा जिससे मेरा लंड उसकी स्तनों की दरार में स्तनों के बीच रगड़ता हुआ उसके मुँह में अंदर बाहर जा रहा था और नीचे मेरी गेंदे ग्लोरिया चूस रही थी हुए मेरी गेंदों को मेरे वीर्य के भार से मुक्त करने के लिए व्यर्थ कोशिश कर रही थी । जैसे ही मेरा लंड पर्पल के गले में बहुत दूर चला गया, उसने दम घुटता हुआ महसूस किया और ऑक्सीजन के लिये खांसने लगी तो मैंने जल्दी से उसे छोड़ दिया, उसने सांस लेने के लिए हांफते हुए उसने अपना सिर पीछे कर लिया और सांस लेने के लिए हांफने लगी, मेरे लिंग के सिर और उसके जबड़े के बीच अभी भी प्रीकम औरउसकी लार की एक मोटी धार बह रही थी जैसे कोई मोती रस्सी लटकी हुई हो। ग्लोरिया मेरे विशाल गेंदों को चूस रही थी और उसने मुँह से इस धार को पकड़ लिया और बाकी उसके गालों के चारों ओर लिपट गया।


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उसकी कामुक भक्ति को देखकर मेरी वासना भड़क उठी और मैंने अपना ध्यान पर्पल से हटा कर ग्लोरिया को अपने पास खींचकर घुटने टेकने की स्थिति में खड़ा कर दिया और मेरा लंडमुंड अब उसके मुँह से स्पर्श रहा था। उसने मुँह को मेरे लिए चौड़ा खोल दिया, मेरी उंगलियाँ उसकी योनि और पर्पल दोनों की योनि ने डूब गईं।

ग्लोरिया ने कभी ऐसा लंड नहीं देखा था और यहाँ तक कि अपनी पूरी प्रतिभा का उपयोग करने के बाद भी वह केवल मेरे मोटे लंड के आधे हिस्से को अपने गले में डालने में कामयाब रही थी। फिर भी, उसने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया, अपना सिर हिलाते हुए, मेरे लंड की मोटी लंबाई को बार-बार निगलते हुए मुझे प्रसन्न करने के प्रयास में, जबकि पर्पल अपनी उंगलियों से लार से टपकती मेरी गेंदों के साथ खेल लगी।

मैंने तेजी से ग्लोरिया के मुँह ने धक्के मारे और मेरे हर लंड के तेज धक्के के कारण उसे खाँसी आ रही थी और-और गंदी आवाज़ें निकाल कर कराह रही थी। आह मर गयी हाय उउइइइ ...हाईईईईई, म्‍म्म्मम । आह ...बससससस करो कहते हुए अंत में उसने बाहर टैप किया, मेरे कूल्हों को थोड़ा-सा सूँघते हुए और अपना चेहरा मुझसे दूर कर दिया, उसके चेहरे को लगभग सुरक्षात्मक रूप से अपनी सहेली पर्पल के बड़े स्तनों में दबा दिया। जहाँ ग्लोरिया ने छोड़ा था, पर्पल ने वही से मेरा लंड आगे चूसने के लिए मुँह में ले लिया और, मुझे जोर से और गहरा चूसा, लेकिन मैंने अपना सिर हिलाया और उसे वापस खींच लिया।



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"आप अध्भुत हैं, लेकिन मुझे लगता है कि हम दोनों आपको संभाल नहीं सकती सच में आप एक स्टड हो," पर्पल ने विनम्रता और ईमानदारी से माफी के अजीब मिश्रण के साथ कहा।

मैंने अपनी चमकती हुई छड़ को नीचे देखा और उसने लंड के चारों ओर एक भावपूर्ण मुट्ठी लपेटी और मेरे लंड को दृढ़ता से और धीरे से सहलाया। जब मैं पहली बार सार्वजनिक स्नानागार में पानी से निकला था तो गाँव के पुरुषों या दोस्तों के चेहरे की प्रतिक्रिया को मैं कभी नहीं भूल सकता। मेरे नरम, झूलते हुए लंड ने मेरे आस-पास के वयस्कों को इतना बौना बना दिया था कि कोई भी इसे लंबे समय मेरी आँखों में नहीं देख पाया था, सभी ने अपने शरीर को मुझसे दूर कर दिया और शर्म से लाल हो गए थे।

उस समय मैं भी थोड़ा सकुचा जाता था और मुझे नहीं पता था कि भाग्य ने मुझे इतना बड़ा साधन क्यों दिया था, और फिर जब मेरे सेक्स जीवन में ऐसा कम ही होता था कि मैं एक ऐसी महिला को ढूँढ पाता जो मेरे प्रेमपूर्ण तेज और जोरदार सम्भोग के कुछ घंटों से अधिक समय तक झेल सके और इन दोनों ने मेरे साथ इतनी दूर जाकर एक असाधारण काम किया हो।

मेरी गेंदों को चाटो! " मैंने बोलै तो ग्लोरिया ने मुझे तेजी से सहलाना शुरू कर दिया। मैं महसूस कर सकता था कि उन दोनों के होंठ और जीभ मेरे धीरे-धीरे कसने वाले अंडकोषों पर हमला कर रहे हैं, उन दोनों की हर जीभ-स्वाइप मेरी उत्तेजना बढ़ा रही थी। मुझे पता था क्यों बेशक; पिछली रात में स्पष्ट रूप से उनके जीवन में सबसे अच्छी रात थी और मैंने उनमें से प्रत्येक को हर संभोग सुख दिया था, जिससे उनकी चुत सूज गयी थी। पिछली रात की कामुक घटनाओ ने मदद की और आखिरकार मैंने खुद को उत्कर्ष के किनारे के करीब महसूस किया। मैंने दहाड़ते हुए अपने लंड को नीचे खींचा जिससे लंड सीधे बाहर निकल आया और लड़कियों के सामने एक तोप की तरह सलामी देने लगा उनके प्रत्येक होंठ उनके द्वारा दी जाने वाली पूजा से मेरा लंड और अंडकोष चमक रहे थे।


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मुझे अभी भी संभोग सुख नहीं मिला था और मानिए स्खलन नहीं किया था, यही वजह है कि अब मुख्य पुजारिनो जीवा और पायथिया को मामले को अपने हाथों और मुंह में लेना पड़ा।

जीवा घोड़े के बालों के ब्रश के साथ एक जार ले आयी जिसमें उस ब्रश को डुबोया गया । पुजारिन पायथिया ने ब्रश निकाला और उसे मेरे लिंग की नोक पर रखा। शहद ब्रश से टपका और लंडमुंड के सिरे पर उतरा। मुझे इसका वजन महसूस हुआ। पुजारिन ने अपने दाहिने हाथ से धीरे से मेरे लंडमुंड को ढकने वाली चमड़ी को नीचे खींच लिया। शहद धीरे-धीरे फैलने लगा। मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं और पाईथिया जीवा, ग्लोरिया और पर्पल ने एक छोटी-सी प्रार्थना की। फिर अपने कोमल होठों से उसने धीरे से शहद को ग्रंथियों के चारों ओर धकेला। लौटते समय उसने होंठों को लंडमुंड पर कस कर बंद कर लिया।

"आह," मैं चिल्लाया।

उसने फिर से जार से ब्रश लिया और अंडकोष सहित मेरे लिंग की पूरी लंबाई पर शहद लगाया। इसमें से कुछ मेरे अंडकोष से टपकने लगा था। जीवा जल्दी से नीचे गई और उसे अपनी जीभ से पकड़ लिया। ऊपर जाते समय उसने मेरे अंडकोष को एक लंबा चाटा दिया। फिर से नीचे और उसने मेरे अंडकोष से शहद को चूसते हुए उन्हें चूस लिया। मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं और अपने भारी मुँह की साँस को नियंत्रित करने की कोशिश की। मैं मुस्कराया। मुझे आखिरकार पता चल गया की ये यह मेरे लिए बेहतर हो रहा था। पाईथिया ने मेरे लिंग के नीचे की तरफ से ऊपर की ओर लंबी देर तक चाटा और लंड अब स्टील की तरह सख्त हो गया। जीवा ने देखा मेरे अंडकोषों पर अभी भी बहुत सारा शहद बचा था, तो उसने मेरे अंडकोषों को चाटा और पाईथिया ने लंडमुंड अपने होठों के तंग चंगुल में लिया और नीचे की ओर खिसकी, यह उसके गले को अंदर तक गया। उसका मुँह मिठास से भर गया। । मेरे पैर की उंगलियाँ मुड़ी हुई हैं। मेरे नितम्बो पर थप्पड़ मारते हुए उसने लंड को बाहर निकाला। मेरा लिंग अब सख्त और चिकना हो गया था, ठीक वैसे ही जैसे वह चाहती थी।


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उन अच्छी तरह से पूजा की गई गेंदों को जीवा ने अपने हाथ से तब तक उछाला जब तक मेरे लंड ने अवास्तविक मात्रा में पिचारिया नहीं मारी, दोनों लड़कियों के चेहरों पर झटका स्पष्ट था और फिर पर्पल और ग्लोरिया के लिए देखना पूरी तरह से असंभव था, वीर्य की दो विनम्र रस्सियों के रूप में वीर्य ने उनके चेहरे को पूरी तरह से कवर किया था । मैं जोर से चिल्लाया और पाईथिया ने तेजी से हाथ आगे पीछे गया, एक ही शॉट में फ्लैट-छाती के स्तन को कवर किया, फिर शुक्राणु के शुद्ध मोती के फव्वारे के बाद फव्वारा मेरे लंड से बह गया, चारो महायाजक वीर्य के एक वास्तविक धार में पूरी तरह से स्नान कर रही थी जैसे ही वह कम हुआ, मेरे लंड से आखिरी छींटे की बड़ी बूंदों को झटका देते हुए, लड़कियों ने अपनी आंखों और नाक से मोटी गंदगी को पोंछते हुए, हांफते हुए कहा ।

"वह अविश्वसनीय था!" पर्पल ने कहा।

और स्वादिष्ट भी! " ग्लोरिया ने जोड़ा और झुककर मोटी धार के छोडे और बहने पारर बने रास्तों उसने चाटना शुरू कर दिया, वीर्य की धार बह कर वस्तुतः पर्पल के बड़े स्तनों पर पहुँच गयी थी मैं मुस्कुरा कर और पीछे झुक गया और अब लड़कियों का शो देख रहा था क्योंकि लड़कियों ने एक-दूसरे को चाट कर साफ कर दिया था, ये शो मुझे फिर से उत्तेजित महसूस करने के लिए पर्याप्त था, लेकिन उन्होंने इस तरह के विचारों को रद्द करने के लिए मैंने अपनी पूरी कोशिश की।

" शरीर के सभी प्रकार के विभिन्न अंगों से उसके स्वाद को चखते हुए और जीभ से सफाई करने, फिर चूम कर मेरे सह को दूसरी के मुँह में पहुँचाने और उसकी अदला-बदली करने में थोड़ा और उन्होंने परस्पर चुंबन किया। अंत में उन्होंने वीर्य की भारी मात्रा के सामने हार स्वीकार कर ली और अपने बदन से वीर्य कटोरे में इकठा कर लिया और उसके बाद अपने अंगरखे उठ लिया और पाना मुँह और बदन पूंछा।


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फिर पर्पल आगे हुई और बोली मास्टर मुझे विश्वास हो गया है कि आपमें कुछ विशेष है और आप एक महिला से संतुष्ट नहीं हो सकते । आप निश्चित तौर पर एक स्टड हैं और मम्म, ठीक है, स्टड! आपकी 'प्रार्थना' ने देवी को छुआ है, "पर्पल ने मुझे अपने स्तनों का दूध पिलाते हुए सिर को सहलाते हुए कहा," स्टड! मुझे ऐसा लगता है आप में मंदिर की महिलाओं को नए-नए तरीकों से संतुष्ट करने की क्षमता है।

हमारे सभी महायाजक अपने नियत स्थानों पर लौटने से पहले अभी आपके साथ कुछ समय और बिताना चाहती हैं और इसके लिए आपके प्रेम के मंदिर में आने के लिए आमंत्रित किया जाता है ।

दूसरा आपको मेरे ऊपर संशय करने के लिए दण्डित किया जाएगा सब पर्पल की और देखने लगे।

पर्पल आगे बोली  आपको अपनी इस हवेली का पुनर्निर्माण करवाना होगा और इसमें मंदिर का आपको पूरा सहयोग मिलेगा । जब उस दिन क्लब में मैं जब पाईथिया से बाते कर रही थी तो आप कुछ संशय कर रहे थे उसके कारण अब आप इस सप्ताहांत में क्लब न जा कर आन्नद करने के स्थान पर आपको अपने हवेली के पुनर्निर्माण के बारे में निर्णय लेने के लिए आपको एक दौरे पर जाना होगा और आप अपने साथ अपनी पसंदीदा कुछ साथीने ले जा सकते हैं ।

प्रेम की देवी की कृपा आप पर बनी रहेगी और आप हमारे किसी भी मंदिर में बिना रोक टोक के किसी भी समय आ जा सकते हैं ।

अब आपने जो प्रेम की देवी के मंदिर को सेवाएं दी हैं उसके लिए आप को पारिश्रमिक देने का समय आ गया है ।"

"कृपया  उपहार  स्वीकार करें, ये प्रेम की देवी की आज्ञा और हम सब पुजारिणो की ओर से है। " उसने प्रवेश द्वार की ओर अपना हाथ बढ़ाया। तो उनकी दृष्टि की रेखा के बीच खड़ी महिलाएं अलग हो गईं।

कहानी जारी रहेगी
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सातवा अध्याय

लंदन का प्यार का मंदिर

भाग 67

पारिश्रमिक



" अब आपने जो प्रेम की देवी के मंदिर को सेवाएं दी हैं उसके लिए आप को पारिश्रमिक देने का समय आ गया है ।" पर्पल आगे बोली "कृपया उपहार स्वीकार करें, ये प्रेम की देवी की आज्ञा और हम सब पुजारिणो की ओर से है। " उसने प्रवेश द्वार की ओर अपना हाथ बढ़ाया। तो उनकी दृष्टि की रेखा के बीच खड़ी महिलाएं अलग हो गईं।



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गुलाबी रंग के रेशमी लबादे में सुनहरे रंग की आकृति वाली एक युवती धीरे-धीरे अंदर आई। वह खूबसूरत थी और चांदनी में उसका चलना ऐसा महसूस होता था जैसे वह झील में तैर रही हो, हंस की तरह, शांत और सुखदायक। वह एक थाली पकडे हुई थी उसके साथ दो अन्य परिचारिकायें भी थीं।

वह हाई प्रीस्टेस पर्पल के पास आकर रुकी और उसके साथ आई लड़कियों में से एक ने थाली को ढकने वाले कपड़े को हटा दिया और उस टाहली में एक कांच का जार था जिसमे गुलाबी रंग का कुछ पदार्थ था। महायाजक जीवा ने आगे आकर वह कांच का जार उठा लिया जिसमे पिंकिश क्रीम पोशन था।


वो मेरे पास आयी और उसने मुझे वह औषधि भेंट की और कहा कि मास्टर ये इक दिव्य औषधि है जो आपके वीर्य, महायाजको के स्खलन और उनके वर्जिन रक्त और फूलों लके रस और प्रकृति से कुछ अन्य विशेष और दिव्य अवयवों से बना है। ये औषधि निरंतर आकस्मिक सामाजिक बंधन गतिविधि के रूप में सेक्स को बढ़ाता और प्रेम के संवर्धन के लिए सेक्स और सौंदर्य को बढ़ता है और इनका उपयोग करता है। इस दिव्य पदार्थ के इस्तेमाल के बाद महिलाओं की पिट्यूटरी ग्रंथि "बॉन्डिंग हार्मोन" ऑक्सीटोसिन की एक विशिष्ट शक्तिशाली भिन्नता को प्रदान करती है। मादा औरनर पहली बार ही इस ऑक्सीटोसिन स्राव को सूंघने के बाद जीवन भर के लिए संभोग करते हैं और यहाँ तक कि थोड़े समय के लिए भीसूंघी गयी इस औषधि की एक बूंद कई दिनों के लिए पर्याप्त होती है। यह आश्चर्यजनक रूप से काम करता है। औषधि को सूंघने के तुरंत बाद मादाएँ उल्लासपूर्वक अउतेजित हो जाती हैं या पूरी तरह से सेक्स ने संलिप्त हो जाती हैं। और इसका उपयोग करने और फिर संभोग करने के बाद महिलाएँ हमेशा बहुत संतुष्ट रहती हैं। आप इसे गुप्त रूप से भी प्रयोग कर सकते हैं ।

कुछ महिला साथियो को सूचित न करने और इसे गुप्त रूप से प्रयोग करने के विचार ने मुझे उत्साहित किया और मैंने इसे आजमाने का फैसला किया । मैंने सोचा मैं विशेष तौर पर उन महिलाओं की मदद करूंगा जिन्हे सेक्स के मालो में कुछ दिक्क़ते हैं और उन्हें चोट पहुँचा कर मैं उनकी मदद करूँगा। इसके अलावा, मुझे यह स्वीकार करना होगा कि मैं अब बहुत ही कामुक लड़का बन गया था और मैंने मेरी पढ़ाई को आनंद के साथ मिलाने का पूरा इरादा मेरे मन में आया, इसलिए मैंने खुशी-खुशी इसे स्वीकार कर लिया और महायक को इस मूल्य उपहार के लिए धन्यवाद दिया।


फिर जीवा ने कहा कि हाई प्रीस्टेस पर्पल के पिता महाराज ने आपके लिए कुछ सन्देश भेजा है मैंने अपना चोगा पकड़ा और उसे अपने कमर पर लपेट दिया, मेरा अर्ध-कठोर लंड से ढीले-ढाले परिधान टेंट के आकार के प्रभावशाली उभार को देखते हुए यह महसूस करते हुए कि ढकने का कोई लाभ नहीं था, मैंने अपने नग्न शरीर की महिमा के स्वतंत्र अवलोकन के लिए छोड़ते हुए, परिधान को एक तरफ फेंक दिया।


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और फिर मैंने देखा कि हाथों में एक पत्र लेकर एक साया मेरी और आ रहा है जब वह पास आया तो मुझे स्पष्ट हुआ यह मेरा दोस्त राजकुमार ब्रैडी था। वह उनके पिता महाराज का आदेश ले कर मेरे पास आ रहा था ।

उसने महायाजक का अभिवादन किया। फिर उनकी अनुमति लेकर बोलै मेरे मित्र मेरे पिता जिस तरह से आपने मंदिर के महायाजकों को दीक्षा दी है, उससे प्रसन्न हैं और इस अवसर पर आपने उपस्थित सभी लोगों की यौन इच्छाओं को जगाया है। उन्होंने कहा कि जैसा कि आप अब पूरी तरह से उन परिस्थितियों से अवगत हैं जिनमें राजकुमारी पर्पल का विवाह आपसे नहीं हो सकता था, जबकि राजकुमार-राजकुमार ब्रैडी ने आपसे इसका वादा किया था।

यदि हमारे राजपरिवार के किसी सदस्य का कोई वादा विफल हो जाता है तो उसे अच्छा करने की हमारी पारिवारिक परंपराओं को ध्यान में रखते हुए हमें अपने वादे का दस गुना अदा करना होता है। इसलिए मैं आपसे अपने परिवार की दस राजकुमारियों का विवाह करने का प्रस्ताव करता हूँ और जब आप शादी करना चाहते हैं तब उनके साथ विवाह कर सकते हैं और साथ ही ये तूच भेंट आप कृपया स्वीकार करे! फिर राजकुमार ने बाहर खड़े दूसरे आदमी को संकेत दिया। वह एक सुंदर लंबी काली घोड़ी के साथ अंदर चला गया। उसकी घोड़ी लंबे काले बालों से भरी हुई थी। उसकी पीठ पर सोने के सिक्कों और गहनों की एक बड़ी बोरी रखी थी।

"ब्रदर इन लॉ और दोस्त इस भेंट को स्वीकार करे" राजकुमार ने कहा।

मैंने प्रणाम किया और राजकुमार को भेंट के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि विवाह प्रस्ताव मुझे स्वीकार है परन्तु मैं अभी विवाह अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने परिवार की अनुमति से ही करूँगा । मैं आपसे आग्रह करता हूँ कि आप ये धन मंदिर को दे-दे ताकि वे इसे लोक कल्याण के लिए इस्तेमाल करे।

राजकुमार राजकुमारी और अब महायाजक पर्पल को देखकर मुस्कुराया और घोड़ी के पास चला गया। उसने उसके बालों और चेहरे को सहलाया और मंदिर की महायाजक को वह सोने की बोरी भेंट की और कहा मित्र लेकिन हमारी टीम आपकी हवेली के पुनर्निर्माण में आपकी पूर्ण सहायता करेगी। आपको कभी भी कुछ जरूरत हो तो आप उसे बेझिझक मुझसे कह सकते हैं । मुझे आपकी मदद करके ख़ुशी होगी । राजकुमार ब्रॉडी के इस अनुरोध को मैंने हाथ जोड़कर स्वीकार कर लिया।

तब महायाजक गिवा और पायथिया आगे आयी और जीवा ने दो बार मेरे जीवन को बचाने के लिए आपके प्रति कृतज्ञता के रूप में कहा, मुझे धन्यवाद कहा और मुझसे अनुरोध किया कुमार कृपया आप  प्रेम के मंदिर की उच्च पुजारिन की ओर से इस कुंवारी को उपहार के रूप में स्वीकार करें, ये प्रेम के मंदिर की उच्च पुजारिन की ओर से आपको भेंट है और उसने प्रवेश द्वार की ओर अपना हाथ बढ़ाया। । एक बार फिर दृष्टि रेखा के बीच खड़ी महिलाये अलग हो गयी।



प्रिंस ने देखा कि एक और युवती नीले-हरे और गुलाबी रेशमी लबादे में सुनहरे रूपांकनों के साथ धीरे-धीरे अंदर चली आयी । उसके फूलों का मुकुट और पारदर्शी चेहरे के नाक़ाब ने उसे लगभग एक दुल्हन की तरह सजा दिया था। वह बेहद खूबसूरत थी और चांदनी में उसका चलना ऐसा महसूस होता था जैसे वह हंस की तरह, शांत और सुखदायक झील में तैर रही हो,। उसके साथ दो सहायक लड़कियाँ भी थीं।

मैंने उसे आते देखा और उठ गया, मानो सम्मान में। वह करीब आ गई। उसके साथ आयी दो लड़कियों ने उसका लबादा ले लिया। एक और लड़की ने उसका नक़ाब ले लिया और अब वह केवल फूल का ताज और कुछ गहने पहने हुई थी।





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 वह शर्मीली थी और नीचे देख रही थी, उसका शरीर चांदनी में चमक रहा था और उसके सुनहरे बाल ठंडी हवा के साथ धीरे-धीरे नाच रहे थे। उसने कुछ गहनों के अतिरिक्त कुछ भी नहीं पहना हुआ थाऔर उसके शरीर का कोई भी अंग छिपाया नहीं गया था, यह मेरे लिए, देखने और आनंद लेने के लिए था। अन्य महिलाओं ने उस को वेदी पर कदम रखने में मदद की।

मेरा अनुमान है कि उसका वजन लगभग 115 पाउंड यानी 52 किलो के आस पास था और उसकी लंबाई लगभग 5'6' थी उसके नाखूनों को स्पष्ट पॉलिश के एक हल्के कोट के साथ मैनीक्योर किया गया था, जिसमें गुलाबी रंग की पोलिश थी। उसके बाल स्वाभाविक रूप से सुनहरे थे और उसके कंधों पर गिर कर लहरा रहे थे। मुझे उस समय आश्चर्य हुआ जब मैंने उसके निजी अंगों पर एक प्राकृतिक हलके सुनहरे रोयों के संकेत देखे। उसने हल्के लाल रंग की लिपस्टिक और थोड़े से आईलाइनर के साथ थोड़ा मेकअप किया हुआ था। उसकी गोरी त्वचा चिकनी और बेदाग़ थी। मैं उससे लगभग एक 6 इंच लंबा हूँ। एक बार, जब वह मेरे पास खड़ी होकर दूसरी तरफ देख रही थी, तो मुझे उसके नाजुक कान के ठीक नीचे उसकी गर्दन की त्वचा पर छोटे-छोटे सुनहरे रोये दिखाई दे रहे थे।

खासकर जब से मैं उसके नशीले फूलों वाले परफ्यूम को सूंघ सकता था। और उसे अपने पास पा कर मेरे लिंग ने अंगड़ाई ली। जीवा ने मुझे बैठने के लिए प्रेसरित किया और उस लड़की को मेरी जाँघों पर घुटना टेककर बैठने के लिए कहा गया। तो उसने किया और देवी की ओर देखा, अपनी आँखें बंद कर लीं और प्रार्थना की। मैंने उसके कोमल और दीप्तिमान नग्न शरीर को देखा। उसने आँखें खोलीं और मेरी तरफ देखा। उसकी आँखें नीले और हरे रंग का मिश्रण थीं, वह कुछ समझने की कोशिस कर रही थी और मैं उसकी आँखों के रंग और चेहरे से उसके बारे में नौमान लगा रहा था और मुश्किल में था।




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"मास्टर ये आपकी है, कृपया इसे स्वीकार करो" पुजारिन ने कहा।

मैंने सोचा कि यह औषधि का परीक्षण करने का एक सही समय है ।

मैंने चुपके से अपने दाहिने हाथ के पीछे लोशन की एक बूंद लगाई। मैंने देखा कि इसमें औषधि से गहरी चमेली की खुशबू आ रही थी। मैंने अपना हाथ उसके चेहरे के पास ले गया ताकि वह मेरे हाथ के पिछले हिस्से की औषधि को सूंघे। प्रभाव तत्काल और गहरा था । वह अपने चेहरे पर एक विचित्र भाव के साथ जम गई। करीब एक मिनट तक नहीं हिलने के बाद उसकी आंखें बहुत चौड़ी होने लगीं। मैं समझ सकता था कि उन चौड़ी-खुली आँखों के पीछे उसके मस्तिष्क की कोशिकाओं में कुछ हो रहा था। वह पांच मिनट और जमी रही। फिर आश्चर्यजनक रूप से, उसकी आँखे सुकड़ी और एक बार फिर से फैल गयीऔर वह शानदार मुस्कान के साथ मेरी ओर बढ़ी जिससे उसका शरीर मेरी तरफ दब गया। यह मेरे द्वारा पूरी तरह से अप्रत्याशित था और मैं सदमे में वहीं बैठा रह गया। उसने अपना सिर मेरे ऊपर झुका लिया और मेरे कान के ठीक नीचे मेरी गर्दन को चूमा और उसने अपने गोल दृढ और नरम स्तनों को मेरी छाती में दबाया।

मैं उसके कान में फुसफुसाया, "तुम बहुत बढ़िया और सुंदर हो हो। मैं जीवन भर से तुम्हारा इंतजार कर रहा हूँ।"

मैंने अपने दोनों हाथ उसकी कमर पर रख दिए। मुझे उसकी कमर का आकार महसूस हुआ। यह उन लड़कियों में से किसी से भी बेहतर थी जिनसे मैंने कभी मुलाकात की थी, सम्भोग किया था या सिर्फ दूर से देखी थी। मैंने धीरे से अपनी हथेलियों को उसके पसली के पिंजरे के किनारों पर सरका दिया। खुशी की शुरुआती लहरों को महसूस करते ही उसने अपने मुंह से सांस छोड़ी। फिर मैंने अपने हाथों को धीरे से उनके कोमल स्तनों के चारों ओर घुमाते हुए सामने लाया, धीरे-धीरे अपने अंगूठे से उसके निप्पल तक पहुँचा जैसे कि मैं अपने दिमाग में उसका माप ले रहा था। मैंने अपने जीवन में पहली बार महिला को इस प्रकार से छुआ था। जैसे ही मैंने उसके निप्पल को अंदर दबाया, वह कराह उठी। आनंद की लहर के रूप में उसका पेट सिकुड़ गया। उसकी प्रतिक्रिया ने मेरे लंड को कड़ा कर दिया। मुझे पता था कि अब मैं जल्द से जल्द उसकी प्यारी कुंवारी चूत में प्रवेश करना चाहता था लेकिन उससे पहले मैं उसे अपने सीने में दबा लेना चाहता था। ह उसके उस प्यारे शरीर को मेरी बाँहों में जकड़ना चाहता था। तो मैंने बस इतना ही करते हुए मैंने उसे अपने पास खींच लिया। मेरे प्यार भरे आलिंगन ने उसे देखने में मैंने वहाँ उपस्थित, राजकुमार ब्रॉडी, पुजारिणो और परिचारिकाओं को भुला दिया।


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"मैं तुम्हारी हूँ," वह मेरे कान में फुसफुसायी।

मेरे भगवान, मैंने सोचा। वह मेरा नाम और मैं उसका नाम तक नहीं जानता और ये समर्पण। मेरा जीवविज्ञानी दिमाग काम करने लगा और मुझे एहसास हुआ कि औषधि  के प्रभाव ने मेरा उसके मस्तिष्क में पूरी तरह यौन रूप से कब्जा  है।

मैंने अपने स्पर्श के लिए उसकी प्रतिक्रिया का आकलन करने का फैसला किया। मैंने अपने दोनों हाथों को उसके नितंबों पर सरका दिया और उनकी मालिश की।

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सातवा अध्याय

लंदन का प्यार का मंदिर

भाग 68

असर

वह गहराई से कराहती हुई बोली, "हाँ। अरे हाँ, मुझे छुओ।" मैंने उसके सख्त नितम्बो को दबाना जारी रखा। मैं उसके गोल दृढ चिकने और मुलायम नितंब गालों की रूपरेखा को महसूस कर सकता था। उसने अपने हाथों को मेरी गर्दन के पीछे पकड़ लिया और मुझे अपने शरीर तक पूरी पहुँच प्रदान की और धीरे से मेरी गर्दन को चूमती रही। मेरा लिंग स्टील की तरह सख्त हो गया था और वह उस पर अपनी योनि क्षेत्र रगड़ रही थी। उसने तब तक गति पकड़ी जब तक कि वह मेरे कमर क्षेत्र के साथ को आक्रामक रूप से चिकि हुई थी। मैं उसके स्तनों को महसूस करने के बारे में सोच रहा था लेकिन उसने मुझे इस में हरा दिया और अपना गर्म छोटा हाथ मेरी छाती पर रख दिया और मेरे सीने के बीच में बालों को सहलाया।


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"उम्मम्म। हाँ, आपकी त्वचा बहुत अच्छी लग रही है।" उसने मेरी छाती को सहलाया और फिर मेरे निप्पल को पिंच करने लगी।

इससे मुझे आत्मविश्वास मिला। मैंने उसे घुमाया और उसकी पीठ पर लिटा दिया। मेरी उँगलियों को उसके साथ बंद कर दिया और उसके तंग पेट पर किस करना शुरू कर दिया। उसके दाहिने स्तन को ऊपर की ओर लंबी चाट के साथ आगे बढ़ा और उसके कोमल निप्पल को मेरे होठों से दबाया और उसकी प्रतिक्रिया की तलाश की। उसका मुंह खुला हुआ था। फिर मैंने उसके निप्पल को अपनी लार से भिगोया और उसमें से लार को वापस चूसा। उसका शरीर गर्म हो रहा था। उसकी छाती में स्तन कड़े और बड़े हो गए थे, क्योंकि उसने जोर से सांस ली। फिर मैं अपनी जीभ से उसके निप्पल से खेलते हुए उसके बाएँ स्तन के पास गया। उसने मेरी तरफ देखा। मैं जल्दी से उसके कोमल, गुलाबी होठों पर चुंबन के लिए तैयार हो गया। मैंने अपने चेहरे पर उसकी गर्म सांसों के झोंके महसूस किए। मैं उसे उतना ही चाहता था जितना वह चाहती थी। दोनों अब और इंतजार नहीं कर सके।

मैं आग पर था। मुझे कौन दोष दे सकता है?


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उसने मेरे सीने को चूमा और मेरे निप्पल को चूसा। मैंने बस अपनी इस खूबसूरत लड़की को आश्चर्य से देखा और उसने अपना मिशन जारी रखा था। वह नीचे झुकी और उसने मेरे पैरो को चूमा और मेरे नंगे पैरों को चूमते हुए कई मिनट बिताए। फिर वह वापस खड़ी हो गई और मुझे बहुत प्रशंसा और भूख की दृष्टि से ऊपर-नीचे देखा-जैसे मैं कोई विशेष पुरुष या कुछ और हूँ। दरसल मैं वास्तव में एक 18 साल का लड़का हूँ जो अभी-अभी कॉलेज में आय है और हाई कॉलेज के बाद से जिम का उपयोग कर रहा है और मुझे लगता है कि मेरा बदन लड़किये के लिए आकर्षक है।

फिर उसने कुछ ऐसा किया जिसने मुझे स्तब्ध कर दिया। वह मेज के पास गई, झुकी और अपना एक हाथ उस पर रख दिया, जिससे उसका निचला भाग खुल गया। उसके पास क्या शानदार गांड है। मुझे उसकेयोनि क्षेत्र में गीलापन दिखाई दे रहा था उसका योनि रस टपक रहा था। बेशक वह यौन उत्तेजित थी। फिर उसने अपने कूल्हों को थोड़ा ऊपर उठाया और अपने पैरों को अलग कर लिया जिससे उसके नीचे के होंठ नम हो गए। क्या अविश्वसनीय दृश्य था। योनि होंठ चमकीले लाल थे। मैं देख सकता था कि उसकी जांघो पर सुनहरे रोयो का एक बहुत हल्का आवरण था जो लगभग उसके गुदा तक पहुँच गया था जो और पूरी तरह से दिखाई दे रहा था। उसने अपना सुंदर चेहरा डेस्क पर लगाया और आकर्षक ढंग से अपने कूल्हों को लहराना और पीछे निकाल कर कूबड़ना शुरू कर दिया। ये स्पष्ट था कि वह चुदाई के लिए भीख माँग रही थी।

फिर मुझे याद आया ठीक उसी तरह से मादा जानवर मैथुन करने से पहले प्रमुख नर को अपना यौन अंग प्रदर्शित करते हैं! तो औषधि में निश्चित रूप से कुछ जानवरों के अर्क हैं और-वह नर मैं हूँ!


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तो मैं कुछ और सोचता उससे पहले मैं उस लड़की के चारों और घुमने लगा और रुक-रुक कर उसकी चूत को सूंघता था और फिर घूमने लगता था। ऐसा कुछ 4-5 बार हुआ और फिर मैं उसके पीछे खड़ा हो गया और उसकी चूत को सूंघने लगा। लड़की की चूत बाहर निकली हुई थी ।

मैंने उसकी योनि चाटी और मुझे याद आया की जब कॉलेज पूरा करने के बाद एक दिन ऐसे ही घूमते हुए मैं अपने घोड़ों के अस्तबल की ओर निकल गया था जहाँ पर हमारे मुलाजिम घोड़ों को घुमा रहे थे और वहाँ बड़ा गरम नज़ारा देखने को मिला था और मैंने देखा था कि कैसे घोड़ा घोड़ी को चोदता है घोड़े का कितना लम्बा और मोटा लंड होता है, तौबा रे। बाप रे बाप.!

फिर मैंने देखा था की एक घोड़ा एक घोड़ी के चारों और घुम रहा था।घोड़ा रुक-रुक कर घोड़ी की चूत को सूंघता था और फिर घूमने लगता था। ऐसा कुछ 4-5 मिनट हुआ और फिर वह घोड़ी के पीछे खड़ा हो गया और उसकी चूत को सूंघने लगा। घोड़ी ने अपनी चूत बाहर निकाली हुई थी ।

देखते देखते ही घोड़े का बड़ा लम्बा-सा लंड एकदम बाहर निकल आया और बहुत लम्बा होता गया, वह काफी मोटा भी था और फिर घोड़ा एकदम ज़ोर से हिनहिनाया और झट घोड़ी के ऊपर चढ़ गया और उसका 2 फ़ीट का लंड एकदम घोड़ी की चूत में घुस गया और घोड़ा ज़ोर-ज़ोर से अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा और फिर 2-3 मिनट में घोड़े का पानी छूट गया और वह नीचे उतर आया।


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misshsaa

मुझे समझ आज्ञा की इस औषधि ने उस पर ही नहीं मुझ पर भी असर किया है और इसमें अवश्य घोड़े के वीर्य और हार्मोन मिलाये गए हैं और मैं और कुछ करता वह बोल रही थी "हाँ, करो हाँ, आह हाँ,"।

मैं उसे पीछे से चुदाई करने की स्थिति में पहुँचा। इससे पहले तो वह उठ खड़ी हुई और मेरे लिंग को मेरे दाहिने हाथ में पकड़ लिया। वह पीछे हुई और अपनी गांड के गालों को पूरी तरह से खोल लिया। मेरा लंड ग्रेनाइट जैसा कड़ा और चिकना था । लंड से पूर्व सह टपक रहा था। वह ध्यान से लंड अपनी योनी के पास ले गयी जो खुद भीगी हुई थी। उसने सही प्रवेश द्वार की लाश में मेरे लंड की नोक को कई बार ऊपर और नीचे खिसका दिया। उसने अपनी आँखें बंद कर लीं और प्रभाव के लिए तैयार रही और मैंने कुछ देर के लिए अपने लंड के सिर को उसकी ज्वलंत लाल योनि के तंग उद्घाटन में दबा दिया और आगे की ओर धकेल दिया। लंड को आगे अवरोध महसूस हुआ। मैंने सोचा, "वाह ये तो कुंवारी है।" मेरी प्रवृत्ति लगभग उसके जैसी ही उग्र थी और मैंने बस आगे की ओर धक्का मारा और गेंदों को गहरा किया। उसकी योनि अविश्वसनीय रूप से तंग थी और मेरे इरेक्शन को समझती और छूट रस से भीगी हुई थी । उसने इसे एक झटके में भोलेपन से अपने अंदर लेने के लिए अपने नितम्बो को पीछे धकेल दियाऔर मैंने उसी समय लंड आगे धकेल दिया। जैसे ही लंड ने हाइमन को चीरा, वह हांफने लगी। वह तय नहीं कर पा रही थी कि यह खुशी है या दर्द, लेकिन एक बात पक्की थी। हम दोनों पूरी तरह से उत्तेजित थे। मैं जोर-जोर से लंड अंदर-बाहर करता रहा वह हर बार थोड़ा-थोड़ा चीख रही थी। लेकिन कुछ ही समय में, सुख और मजे ने दर्द को वैसे ही मात दे दी जैसे होना चाहिए था। मेरे तेज झटको ने जोर ने उसे स्खलन के लिए प्रेरित किया।


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मैं रोष में डूब गया और जल्द ही उसे एक अविश्वसनीय रूप से तीव्र चीखने वाला संभोग सुख प्राप्त हुआ। यह सेकंड, मिनट या घंटे हो सकते थे। मैंने उस समय का पूरा ट्रैक खो दिया और मैं अपने लिंग को आँख बंद करके उसके स्वागत योग्य स्त्रीत्व में रौंद रहा था।

कहानी जारी रहेगी
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