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Adultery PADMA ( Part -1)
Update please
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Bhai really apke pics aur writing ka jawab nahi.. Keep updating..
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xxxxxxx story
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मैं अपनी उलझनों से निकलती उतने मे ही मुझे सीढ़ियों पर अशोक और रफीक के कदमों की आहट सुनाई दी । मैं शांत होकर वहीं सोफ़े पर बैठी रही 
[Image: 282339597ca797c503a584b76c269363f4748848.jpg]
, तभी रफीक और अशोक मुझे सीढ़ियों से हॉल मे आते हुए दिखे । मैंने अशोक की ओर देखा तो वो नशे मे धुत थे , उनके कदम नशे मे इधर उधर बहक रहे थे । रफीक पर भी नशा चढ़ा हुआ था पर फिर भी वो संतुलन मे लग रहा था उन दोनों को आते देख, मैं अपने सोफ़े से खड़ी हो गई । अशोक और रफीक आए और दोनों सोफ़े पर पसर गए ,मुझे उम्मीद तो नहीं थी पर फिर भी मैंने एक बार अशोक और रफीक से पुछा -

मैं - खाना लगा दूँ  ?
 अशोक ने मेरी सोच के अनुकूल ना मे जवाब दिया , पर रफीक ने आज हर बार के विपरीत अशोक की बात को काटते हुए कहा  -
रफीक - अरे क्या यार अशोक तुम हर बार मुझे पदमा के हाथ के खाने से महरूम कर देते हो ? पर आज मैं नहीं रुकने वाला । पदमा ने इतने प्यार से खाना बनाया है तो मैं तो खाकर ही जाऊँगा । 
रफीक ये सब मेरी ओर देखता हुआ बोल रहा था पर आज ना उसके बोल पहले जैसे सुलझे हुए थे और ना ही उसकी नजरे साफ थी । उसकी निगाहे मेरे ब्लाउज के अंदर दबे हुए मेरे भारी चूचों पर थी ,मानों वो उन्हे ही खाने की बात कर रहा हो जैसे ही मुझे उसकी नज़रों की गुस्ताखी मालूम हुई मैंने तुरंत अपने पल्लू से अपने बूब्स को रफीक की कमीनी निगाहों से छिपाया । 
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रफीक की बात पर अशोक ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा - " ठीक यार तू खा ले , मुझे तो भूख नहीं है । मैं यहीं टीवी देखता हूँ थोड़ी देर । "
रफीक - हाँ तू मत खा , रोज तो खाता ही है । आज पदमा का खाना मुझे खाने दे मैं बोहोत भूखा हूँ । 
रफीक ऐसे बोल रहा था जैसे कोई आवारा आदमी बोलता है । मुझे उसके बोलने के लहजे पर थोड़ा अजीब सा भी लगा । मैंने अशोक की ओर देखा तो वो सब बातों से बेखबर टीवी देखने मे लगे थे फिर मैंने रफीक की ओर देखा तो वो तो पहले से मुझे देख रहा था, मैंने रफीक को डाइनिंग टेबल पर बैठने को कहा और खाना लेने कीचेन मे चली गई । कीचेन मे भी मुझे इस बात पर थोड़ा ताज्जुब हो रहा था कि आज रफीक का नजरिया कुछ बदला-2 क्यूँ है और वो भी तब से जब उसने मुझे कीचेन मे ब्लाउज मे देखा था । "क्या सिर्फ एक बार मुझे ब्लाउज मे देखने से रफीक के मन मे खोट आ गया ? या फिर ये बस शराब का नशा है ? " - ये सब बाते मेरे मन मे घर कर बैठी । 
खैर मैं खाना लेकर डाइनिंग टेबल के पास आई और रफीक को खाना परोसने लगी , अब भी रफीक की नज़रों ने वही गुस्ताखी की जो थोड़ी देर पहले की थी और खाना परोसते हुए मेरी चूचियों को घूरने लगी ।
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 मेरे लिए ये बोहोत ही अजीब और भद्दी परिस्थिति बन गई थी ,इसलिए रफीक को खाना देकर मैं वहाँ से जाने लगी । मैं अभी पीछे मुड़ी ही थी के रफीक ने मुझे पीछे से टोक दिया । 
रफीक - पदमा !
रफीक की आवाज सुनकर मैं उसकी ओर घूमी और बिना कुछ कहे उसकी आँखों मे देखा । 
रफीक - तुम भी बैठो ना मैं अकेले बैठकर नहीं खा सकता । 
मैं - पर ... रफीक मैं तो खाना खा चुकी । 
रफीक - तो कोई बात नहीं पदमा , तुम बस थोड़ी देर यहाँ बैठ जाओ । अकेले तो मैं बोर हो जाऊँगा । 
मैंने एक बार हॉल मे अशोक को देखा वो अपने टीवी मे ही बिजी थे तो मैं रफीक के पास वाली कुर्सी पर बैठ गई । फिर एक - दो ऐसे ही रफीक के साथ बाते होती रही तभी रफीक ने आगे कहा - " पदमा , तुम भी थोड़ा कुछ खा लो ऐसे अच्छा सा नहीं लगता , मैं खा रहा हूँ और तुम ऐसे ही बैठी हो । "
रफीक के जिद करने पर मैंने भी थोड़ा खाना लिया और खाने लगी सब कुछ ठीक था पर ' रफीक की नजरें नहीं ' ।
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 मुझे उसके सामने ऐसे बैठने मे बोहोत असहजता हो रही थी । मैं बस चाह रही थी के रफीक का खाना जल्द से जल्द खत्म हो और मैं इस असमंजस से निकलूँ ।  
खैर रफीक ने अपना खाना समाप्त किया और जाने के लिए तैयार हो गया । जाने से पहले वो अशोक के पास आया और उसके सामने वाले सोफ़े पर बैठ गया , मैं भी अशोक के सोफ़े के ऊपर अशोक के पास बैठ गई 
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और फिर हम तीनों बाते करने लगे फिर बातों ही बातों मे रफीक ने अशोक से कहा - " अरे अशोक तुम तो काफी मोटे से लग रहे हो । "
( जैसा कि मैंने आप लोगों को बताया था की पिछले कुछ महीनों मे अशोक का वजन काफी बढ़ गया था और उनका पेट भी निकल गया था । )
मैंने अशोक के पेट की ओर इशारा करते हुए कहा - " वहीं तो मैंने इन्हे कितनी बार कहा है की हम दोनों को मॉर्निंग वॉक पर चलना चाहिए , पर ये है कि मेरी बात सुनते ही नहीं । "
अशोक - अरे कहाँ यार ...... , इतना टाइम ही कहाँ मिलता है ? सुबह ऑफिस शाम को घर । 
रफीक - फिर भी स्वास्थ्य के साथ समझोता नहीं करना चाहिए । 
मैं - बिल्कुल , इसलिए आप को कल से मेरे साथ मॉर्निंग वॉक पर चलना ही होगा । 
अशोक(हँसते हुए ) - बीवी जी ये तो मुश्किल है , पर तुम जा सकती हो तुम्हें थोड़े ही रोका है मैंने । 
मैं - देख रहे हो रफीक । 
रफीक - हम्म , वैसे पदमा मॉर्निंग वॉक से ज्यादा योगा फायदेमंद होता है । 
मैं - हाँ ..... पर मुझे वो करना नहीं आता । 
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रफीक ( थोड़ी मुस्कुराहट से )- इसमे कोई बड़ी बात नहीं, मैं तुम्हें सीखा सकता हूँ । 
मैंने थोड़ी हैरानी से एक बार रफीक की ओर फिर अशोक की ओर देखा , अशोक को कुछ ना बोलता पाकर मैंने ही रफीक से उल्टा सवाल किया - " तुम ...? पर तुम तो मनोवैज्ञानिक डॉक्टर हो ना , फिर योगा कैसे जानते हो । "
रफीक ने तेजी से मेरे सवाल का जवाब दिया , जैसे पहले से ही उसके लिए तैयार हो -
रफीक - हाँ हाँ .. । मेरे पास भी कई मरीज ऐसे आते है जिन्हे अपना मानसिक तनाव दूर करने के लिए योगा की सलाह दी जाती है इसलिए मनोवैज्ञानिक डॉक्टर होने के साथ-साथ मैं एक योगाचार्य भी हूँ । 
रफीक इतना कहकर चुप हो गया और मेरे पास आगे कुछ कहने को रह नहीं गया , मुझे तो लगा जैसे मैंने रफीक के सामने अशोक की सेहत की बात करके ही कोई गलती कर दी । मैं तो कुछ नहीं बोली मैं चाह रही थी के ये बात यहीं खत्म हो जाए , पर अशोक ने बीच मे बोलकर मुझे फिर से इसमे फँसा दिया -
अशोक - हाँ पदमा रफीक ठीक ही तो कह रहा है , अगर तुमने योगा सीख लिया तो फिर तुम मुझे भी सीखा सकती हो और फिर हम दोनों साथ मे योगा कर लिया करेंगे । 
मुझे अब भी कोई जवाब नहीं सूझ रहा था , मैंने रफीक की ओर देखा तो वो मुझे देखकर मुस्कुरा रहा था और उसकी आँखों मे एक अजीब सी कशिश थी । मेरे मन मे ना जाने क्यूँ उथल-पुथल मची हुई थी ओर एक भाव मन मे था -' हाँ मत कर देना पदमा , कहीं ये तेरा कोई गलत कदम ना साबित हो । '
 मैंने अशोक की बात पर केवल इतना उत्तर दिया - " बात तो आपकी ठीक है, पर .....  । "
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मेरे इतना ही बोलने पर अशोक ने बोल दिया - " बस ठीक है फिर तुम पदमा को योगा सीखा सकते हो रफीक बोलो कब शुरू करोगे । "
अशोक के इस जल्दबाजी भरे जवाब से मैं हैरान थी , पर मुझे कुछ कहने का मौका ही कहा मिला । मैं तो अपनी बात पूरी भी नहीं कर पाई और अशोक ने इतने मे ही रफीक को इजाजत भी दे दी । 
रफीक - जब पदमा कहें , क्यूँ पदमा क्या ख्याल है ?
मुझे अब भी कोई जवाब देना सही नहीं लगा , मैं बस रफीक को घर आने से रोकने का कोई बहाना तलाश रही थी ।
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मैं - .......वो अभी थोड़ी सर्दी होती है ना सुबह इसलिए कुछ दिनों बाद शुरू करते है रफीक , मैं तुम्हें बता दूँगी ।   
अशोक - ओके । thats great .
मेरी बात सुनकर रफीक के चेहरे पर खुशी की जो लकीरे छाई हुई थी वो तो मिट सी गई और वो बिल्कुल गंभीर भाव मे बैठ गया थोड़ी देर बाद रफीक के जाने का समय हो गया और इसके बाद रफीक जाने के लिए उठा । मैं और अशोक उसे दरवाजे तक छोड़ने गए । दरवाजे पर रफीक ने हमे शुभ-रात्री कहा , जवाब मे मैंने भी उसे गुड नाइट कहकर विदा कर दिया ।
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 जाते हुए भी रफीक के चेहरे पर एक अजीब सी कुटिल मुस्कान थी , मानों उसने कुछ जीत लिया हो । वैसे तो मुझे रफीक से कोई परेशानी नहीं थी पर आज की उसकी हरकतों और निगाहों की बदसलूखी ने काफी कुछ बदल दिया । अशोक का रफीक से मुझे योगा सीखाने का फैसला कितना सही साबित होने वाला था ये तो आने वाला वक्त ही जानता है । पर मैंने इसके लिए योजना बना ली थी अब मुझे रफीक को योगा के लिए बुलाना ही नहीं था । 
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रफीक के जाने के बाद हम दोनों अंदर आ गए , रात काफी हो चुकी थी अशोक भी थके हुए लग रहे थे और नशे मे भी थे । मैं जान गई थी कि अशोक किसी भी समय सोने जा सकते है और ये मैं बिल्कुल नहीं होने देना चाहती थी , आज एक बार फिर मैं दिनभर की घटनाओ से बोहोत उत्तेजित हुई बैठी थी ।
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 मुझे अशोक का प्यार चाहिए था और इसके लिए मुझे अशोक को सोने जाने से रोकना ही था । अशोक का ध्यान अपनी ओर खींचने के लिए मैं अशोक के सामने ही बैठकर अपनी साड़ी का पल्लू हटाकर अपने गले के हार को ठीक करने का दिखावा करने लगी ।
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 मेरा मुख्य मकसद तो अशोक को अपनी ओर खींचना था , मैंने ऐसे दिखाया जैसे ये मैं जानबूझकर नहीं कर रही । अशोक फ्रिज के पास खड़े हुए पानी पी रहे थे तभी उनकी नजर मुझ पर भी पड़ गई । पानी पीकर अशोक ने बोतल फ्रिज मे वापस रख दी और एक बार मेरी ओर देखा , मैं अब भी अनजान बनी हुई थी । अशोक मेरी ओर देखकर आगे बढ़े । मुझे लगा मेरी कोशिश कामयाब हुई पर अशोक तो सीधे बेडरूम मे घुस गए , मुझे थोड़ा बुरा तो लगा पर मैं भी हार मानने वाली नहीं थी । मुझे अब बस प्यार की जरूरत थी और वो मुझे अशोक से ही चाहिए था । मैंने अपनी साड़ी निकाल दी ओर उसे वही हॉल के सोफ़े पर रखकर बेडरूम मे पहुँच गई और अपने बेड पर जाकर बैठ गई । 
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अशोक इस समय वहाँ नहीं थे , वो वॉशरूम गए थे जैसे ही वो वॉशरूम से बाहर आए उनकी नजरे मुझ पर टिक गई । मैं जान गई के ये ही सही वक्त है अभी अशोक को अपने करीब लाने का । मैंने अपने कानों से अपनी बालियाँ निकाली और खुद उठकर अशोक के पास गई । अशोक करीब जाकर मैंने उसे खुद ही बिस्तर पर गिरा दिया और उसके जिस्म को स्पर्श करती हुई उसकी बाहों मे गिर गई ।
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 अशोक ने मुझे पलटा और मेरे ऊपर आकर मेरे होंठों पर चूमा मैंने भी उनका साथ देते हुए अपने होंठ खोल दिए और फिर हमारा चुम्बन शुरू हो गया । 
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धीरे-2 अशोक मेरे जिस्म पर अपने हाथ फिराते रहे जिससे मेरे जिस्म मे सिहरन और उत्तेजना बढ़ने लगी । मैंने अशोक के  जिस्म को अपनी बाहों मे कस लिया और मेरे ब्लाउज मे बँधे बूब्स अशोक की छाती के नीचे दब गए । अब अशोक के लिंग मे भी तनाव आने लगा था फिर अशोक ने मुझे थोड़ा सीधा किया और मेरे पीछे आकर मेरे मेरी कमर और कंधों पर चूमते हुए मेरे ब्लाउज की पट्टी खोल दी
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 और तुरंत ही ब्लाउज भी उतार दिया । अशोक ने मुझे एक बार फिर अपने नीचे लिटाया और मेरे ऊपर आते हुए अपना अन्डर-वियर निकाल दिया और फिर मेरे पेटीकोट मे हाथ डालकर मेरी पेंटी नीचे खेन्च दी , पेन्टी के निकलते ही अशोक का लिंग मेरी योनि के सामने लहराने लगा । मेरा जिस्म भी अब पिघलने लगा और मैंने अशोक को अपनी बाहों के घेरे मे लेकर अपनी ओर खींचा ।

 अशोक भी अब इंतजार नहीं करना चाहते थे अशोक ने अपनी कमर को आगे लाते हुए अपने लिंग को मेरी गीली हो चुकी योनि के द्वार पर लगाया और मेरी दहकती हुई योनि की गरमाई ने खुद ही अशोक के लिंग को अपने अंदर समेट लिया । 

"आह ..... हाँ .. । " जैसे ही अशोक का लिंग मेरी योनि मे गया मेरी आह निकल गई ,
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 मैं बस चाहती थी के अशोक मेरे साथ एक लंबा संभोग करे । इधर अशोक के धक्के शुरू हुए उधर मेरी कामुक आहें -
मैं - हाँ ... अशोक .... आह .. मुझे प्यार ... करो ... आह ... ओह ... ।
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मेरी आहें सुनकर अशोक और भी उत्तेजित हो गए और कराह उठे , ये मेरे लिए अच्छा संकेत नहीं था । अशोक कभी-भी झड़ सकते थे , मैं ये नहीं होने देना चाहती थी इसलिए मैं अशोक को पलटते हुए उनके ऊपर आ गई और उनके ऊपर ही लिंग को अपनी योनि मे मसलने लगी ।
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 आज मैंने कमान खुद अपने हाथों मे ले ली थी मुझे किसी भी हालत मे चरम-सुख चाहिए था , पर मेरी ये चाल भी कामयाब नहीं हुई अशोक के ऊपर आकर मैंने अभी उछलना शुरू ही किया था कि अशोक ने जोर से कराहते हुए मेरे हाथों को पकड़ा और उनका पानी निकल गया , उनका पहले से ही छोटा लिंग मुरझा गया ।
 अभी तो मुझे मज़ा आना शुरू ही हुआ था इतने मे ही अशोक ने मुझसे वो मजा भी छिन लिया , मैंने अशोक के सीने पर हाथ मारते हुए उसे आवाज दी -
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 " अशोक .... अशोक ..... उठो ना अशोक ..... " पर अब अशोक को खुद ही कोई होश नहीं रहा , दुःखी मन से मैं अशोक के ऊपर से उतरी ।
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 अशोक तो झड़ने के बाद बिल्कुल बेसुध होकर सो गए , कुछ तो पहले ही शराब के नशे मे थे । मेरे बदन मे अभी भी गर्मी भरी हुई थी और मैं जानती थी के ये मुझे सारी रात सोने नहीं देगी इसलिए मैं भागकर बाथरूम मे गई और अपने कपड़े निकाले बिना ही  शावर के नीचे खड़ी हो गई और उसे खोलकर अपने बदन की छुपी हुई गरमी को शांत करने की कोशिश करने लगी । 
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" अब मैं क्या करूँ......  अशोक ने तो मुझे आज एक बार फिर अधूरा छोड़ दिया , मेरा रेगिस्तान सी मिट्टी जैसा तपता हुआ बदन आज फिर प्यासा रह गया  । अशोक को तो मेरी बिल्कुल परवाह नहीं है जहां दूसरे मर्द मेरे कामुक जिस्म को देखते ही मुझे भोगने के लिए उमड़ पड़ते है वहाँ मेरे खुद के पति मुझे सही से संतुष्ट भी नहीं कर पाते । " - पानी की गिरती ठंडी बूंदों के साथ ये बातें मेरे दिमाग मे घूमने लगी । 
ठंडे पानी की इन बूंदों ने मेरे शरीर की ऊपरी गर्मी को कुछ शांत कर दिया पर अन्दर अभी भी एक लावा सा उबल रहा था , जिसे मैं कैसे भी रोक नहीं पा रही थी ।
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 नहाने के बाद मैंने अपनी ब्रा-पेंटी पहन ली , नाइटी पहनने की मैंने जरूरत नहीं समझी क्योंकि नाइटी मे मेरा बदन कुछ ज्यादा ही मचलता है , ब्रा-पेंटी के कम-से-कम ये कुछ काबू मे तो रहेगा ।
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 बाथरूम से बाहर आकर बेड पर लेट गई । शरीर की वासना ने मेरे अंदर ऐसी बैचेनी भर दी कि कुछ देर तो मैं सोना तो दूर सही से लेट भी नहीं पाइ बस ऐसे ही करवटें बदलती रही , और आज दिन मे वरुण के साथ हुई घटना की तस्वीरे अपने आप मेरे जहन मे चलने लगी ।
 " आज वरुण ने जो किया उसकी मुझे कतई आशा नहीं थी ना जाने उसमे इतनी हिम्मत कहाँ से आ गई , पर जो भी हो इसकी जिम्मेदार कहीं ना कही मैं भी हूँ , ना मैं उसे अपने जिस्म का सहारा लेकर उकसाती ना ही ऐसा होता । मुझे समझना चाहिए था की मैं आग से खेल रही हूँ जिसकी आँच मुझ तक भी आ सकती है । " दोनों टांगों के बीच मे अभी भी थोड़ा गीला-पन था जो मुझे परेशानी और मज़ा भी दोनों दे रहा था पर फिर ना जाने कब नींद ने मुझे अपने आगोश मे ले लिया मुझे खुद पता नहीं चला ।
[Image: 1i.png]
रात मे देर से सोने की वजह से सुबह भी मुझे उठने मे देर ही हो गई लगभग 7 बजे मेरी नींद खुली , अशोक अभी भी मेरी बगल मे सोये पड़े थे । समय देखकर मैं जल्दी से अपने बिस्तर से उठी और अलमारी से एक गाउन निकाल कर पहन लीया 
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(क्योंकि रात मे मैं बस ब्रा-पेंटी मे सोई थी )और फ्रेश होने वाशरूम मे चली गई । जब मैं बाथरूम से बाहर आई तो अशोक बेड पर नहीं थे और बेडरूम का गेट खुला हुआ था, मैं समझ गई कि अशोक बाहर गए है । मैं भी बेडरूम से बाहर आ गई ओर अशोक के लिए नाश्ता बनाने कीचेन मे चली गई , मेरा मूड बोहोत खराब हो रखा था एक तो अशोक रात मे इतनी देर से सोई और ऊपर से अब जल्दी-2 सारा काम करना पड़ रहा था, मन बिल्कुल चिड़चिड़ा हो गया , तभी अशोक बाथरूम से बाहर आ गए और कीचेन के सामने आकर बोले - 
अशोक -" पदमा थोड़ा जल्दी करदों , कहीं लेट ना हो जाए । "
मेरा मन पहले से ही खिन्न था , मेरे एक हाथ मे चमचा और दूसरे मे कढ़ई थी मैंने उसे ही हाथ मे पकड़े हुए कहा - " कर तो रही हूँ थोड़ा टाइम तो लगेगा ही । "
[Image: 20221026-115013.jpg]
अशोक शायद मेरी बात और भाव को समझ गए और थोड़ा मुसकुराते हुए अपने कपड़े पहनने बेडरूम मे चले गए । जब तक अशोक कपड़े पहनकर आए तब तक मैंने नाश्ता भी तैयार कर दिया अशोक हॉल मे बैठे हुए थे कि तभी टेलेफ़ोन की घंटी बजी । मैं तो किचन मे ही थी तो अशोक ने ही उसे सुना और फिर फोन रख दिया ।  फिर अशोक नाश्ता करने बैठ गए , नाश्ता करते हुए अशोक ने मुझसे कहा -
अशोक - पदमा !
मैँ - जी । 
अशोक - तुम आज एक बार सिटी बैंक चली जाना । 
मैं - हम्म ????
अशोक - हाँ वो तुम्हारे अकाउंट मे पिछले 6 महीने से कोई ट्रांजेनक्शन नहीं हुई है ना तो वो बोल रहे थे कि एक बार अपना अकाउंट वेरीफाई करवा लो नहीं तो उसे बंद कर देंगे । 
मैं - ठीक है , मैं आज ही चली जाऊँगी । 
मैं अशोक से कल रात नितिन वाली बात को लेकर भी कुछ पूछना चाहती थी ।  मेरे मन मे उसकी भी एक अलग ही डोर खिंच रही थी , पता नहीं क्या पक रहा था अशोक और रफीक के बीच । पर मुझे अशोक से बात करने का कोई मौका ही नहीं मिला और मैंने भी इस बात पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया आखिर मेरा नितिन के साथ तो कोई भविष्य नहीं , ऑफिस मे क्या चल रहा है ये अशोक और नितिन के बीच की बात है , मुझे बस अपने पति और परिवार से मतलब । 

 अशोक ठिक 8 बजे नाश्ता करके घर से ऑफिस के लिए निकल गए । अशोक के जाने के बाद मुझे काम से कुछ राहत मिली और मैं आराम से अपने बचे हुए काम निपटाने लगी और लगभग 9 बजे तक मैंने अपने सभी कामों से निजात भी पा ली और नहाने बाथरूम मे चली गई । 

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नहाने के बाद , मैंने अपने कपड़े पहने बाथरूम से बाहर आकर एक सिल्क साड़ी पहनी और अपनी इस सुंदरता को मैं खुद ही वहाँ शीशे के सामने खड़ी होकर देखने लगी  ।
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 " तू कितनी सुंदर है पदमा , ये मर्द यूँ ही तुझे देखकर अपना आपा खो देते । अब इसमे वरुण जैसे नौजवान के कदम बहक गए तो इसमे उसका क्या दोष ? वैसे भी उसे उकसाने मे तो पहल तूने खुद ही की थी लेकिन अब ये बात समझ ले की ये तेरे बस की बात नहीं है । कहीं कुछ ऊँच-नीच हो गई तो तू किसी को मुहँ दिखाने लायक नहीं रहेगी । " - मैं खुद अपने आप से बात कर रही थी  उसी समय बाहर गेट पर बेल बजी और मेरा ध्यान टूटा , मैं जल्दी से उठकर बाहर आई गेट खोलने गई ।
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Nicely written 
But where is milkman or guptaji
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जब गेट खोला तो देखा सामने वरुण खड़ा था उसकी नजरें नीचे झुकी हुई थी और नीचे मेरे अधनंगे पेट की नाभी के चारों ओर घूम रही थी ।
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 उसके हाथ मे एक प्लास्टिक का डब्बा भी था । मैं जान गई कि वरुण कल की घटना की वजह से असमंजस मे है , मैंने उसकी उलझन को दूर करने करने के लिए उसे कहा -

मैं - वरुण , कहो क्या बात है ?
वरुण - ये मम्मी ने दिया है । 
वरुण ने मेरी ओर अपने हाथ मे पकड़ा हुआ डब्बा बढ़ा दिया । मैंने उसके हाथ से उस डब्बे को लिया , और कहा - " क्या है इसमे ? "
वरुण - मम्मी ने घर मे कुछ मिठाई बनाई थी वो ही लाया हूँ । 
मैं - अच्छा , और कुछ ???
मेरे इस सवाल को वरुण सही से समझ रहा था पर अब भी उसका ध्यान उसने मेरी नाभी से नहीं हटाया । उसकी ये बात मुझे शर्माने पर मजबूर कर रही थी मैंने थोड़ा शरमाते हुए खुद ही अपने सपाट चिकने पेट को उसकी नज़रों से दूर करने के लिए अपने पल्लू से छिपाया ।
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 वरुण की नज़रों के सामने का वो नजारा जिसे वो काफी देर से देख रहा था जैसे ही छिपा वो अपने होश की मुद्रा मे आया और बोला - " भाभी वो मुझे ........ कल शाम वाली बात के लिए सॉरी कहना है । मुझसे कल गलती हो गई प्लीज मुझे माफ कर दीजिए । "
मैंने एक अलग भाव से वरुण की ओर देखा और कहा -
मैं - तुमने ऐसा क्यों किया वरुण ?
वरुण - मैं बहक गया था भाभी , प्लीज मुझे माफ कर दीजिए । मेरी जगह कोई ओर भी होता तो शायद वो भी अपने आप को रोक नहीं पाता । 
मैं ( थोड़ी हैरानी से )- तुम ऐसा कैसे कह सकते हो ?
वरुण - यही सच है भाभी , आप का योवन है ही ऐसा जो कोई देखे देखता ही रह जाए और कल तो बारिश मे भीगा हुआ आपका बदन कामदेव को भी मोहित कर देता फिर मैं तो एक नादान हूँ । 
वरुण मेरे सामने खड़ा होकर वही गेट पर मेरी तारीफ़ों के पुल बांध रहा था, एक साथ उसने इतनी सारी बातें बोल दी कि मुझे पहले तो कुछ कहने का मौका ही नहीं मिला और जब कुछ कहते बना तो सिर्फ इतना ही कहा - " ये कुछ ज्यादा नहीं हो रहा वरुण ? "
वरुण - क्या भाभी ? जो भी मैं बोल रहा हूँ बिल्कुल सच है आपको शायद अपनी खूबसूरती का पता नहीं है , आपके जैसी सुंदरता सबको नहीं मिलती । मोहल्ले के बाकी के लोग भी यही कहते है । 
वरुण की बातें सीधी मेरे दिल पर असर दिखा रही थी और उसके मुहँ से अपने लिए ऐसी बातें सुनकर मेरा चेहरा शर्म से लाल हो गया । 
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मुझे उसकी बातें सुनने मे उतना ही मज़ा भी आ रहा था मेरे मन मे भी अपनी सुंदरता का बखान सुनने की उत्सुकता होने लगी , आखिर मैं भी तो सुनू आखिर मोहल्ले के लोग क्या कहते है मेरे बारे मे । मैंने वरुण से पुछा -
मैं - ऐसा क्या कहते है मोहल्ले वाले ?
 वरुण - वो सब अशोक भैय्या की किस्मत से जलते है , आपकी तारीफ मोहल्ले का हर तिसरा मर्द करता है ।  कहते है कि आप जैसी सुंदर औरत पूरी कालोनी मे नहीं है ।
मैं - तुमने उन लोगों को ऐसा कहते कब सुन लिया ?
वरुण - ये तो आए दिन की बात है , जब भी आप घर से बाहर कही जाती है ,तो ये बाते सबकी जबान पर होती है । 
मुझे अब वरुण की तरीफ़े कुछ चुभने सी लगी क्योंकि गली वालों के कुछ कमेंट्स तो मैंने भी सुने है चलते हुए , और वो लोग बोहोत ही भद्दे और अश्लील कमेंट्स किया करते है । इसका मतलब वरुण ने भी मेरे बारे मे उन अभद्र और गंदी टिप्पणियों को सुना है ।  
मैं ( थोड़े गंभीर स्वभाव से )- अच्छा वो लोग जो भी बोलते है , तुम सुन लेते हो उन्हे कुछ कहते नहीं । 
वरुण -   मैं क्या कहूँ भाभी , अब खूबसूरती को तो कोई छिपा नहीं सकता ना जब सभी ये ही कहते है तो इसमे कुछ गलत नहीं । भला चाँद की रोशनी को फैलने से कोई रोक थोड़े ना सकता है ।  
मैं ( हँसते हुए ) - अब बस भी करों वरुण और कितनी तारीफ करोगे मेरी । 
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वरुण - मैं झूठ नहीं कह रहा, आप जैसा रूप तो अप्सराओं को ही मिलता है । 
वरुण तो जैसे शुरू हुआ तो बस कहता ही गया और अपने एक-2 शब्द से मेरे मन को पिघलाता रहा । मैंने वरुण को यहीं पर रोक देना उचित समझा और कहा -
मैं - अच्छा , चलो अब ज्यादा मक्खन ना लगाओ । मैंने तुम्हें माफ कर दिया । 
वरुण ( खुश होते हुए )- क्या सच मे भाभी आपने मुझे माफ कर दिया , थैंक यू सो मच भाभी । 
कहते हुए वरुण ने अपने हाथ आगे बढ़ाकर मेरा हाथ पकड़ लिया । मैंने भी उसपर ज्यादा ध्यान ना देते हुए उसे कहा - " पर आगे से ऐसा कुछ नहीं होना चाहिए । "
वरुण ( मज़ाक मे ) - ये मेरे हाथ मे तो नहीं है । 
मैंने अपना हाथ उसके हाथ से छुटाते हुए कहा - " क्या मतलब ?"
वरुण ( उसी हँसी से ) - मतलब ये कि आपके इस मदमस्त रूप का जादू ना जाने कब मुझ पर छा जाए और मैं अपना आपा खो दूँ ।
मैं - अच्छा रुको अभी बताती हूँ , शैतान कहीं के । 
[Image: 191991639-ezgif-com-video-to-gif-14-cc.gif]
बोलते हुए मैं वरुण को पकड़ने के लिए बढ़ी मगर वो बोहोत ही फुर्ती से पीछे हट गया और हँसते हुए वहाँ से भागने लगा । 
मैं - बचकर कहाँ जाओगे , शाम को तो आओगे ही ना । 
वरुण एकदम से वहीं रुक गया और बोला - " 5 दिन तक कॉलेज मे असाइनमेंट है , तो वहाँ जाना होगा । "
मैं - अच्छा तो ये तो अच्छी बात है , मन लगाकर पढ़ना । 
वरुण - ओके , बाय भाभी । 
इसके बाद वरुण तेजी के साथ अपने घर की गली मे मुड गया उसने तो मेरे जवाब की भी प्रतीक्षा नहीं की । मैं भी चुपचाप अपने घर के अन्दर आ गई और आकर वरुण की लाई हुए मिठाई का डब्बा खोलकर उसमे से एक-दो मिठाई खा ली वो वाकई बोहोत स्वादिष्ट मिठाई थी । इसके बाद मैं अपने दूसरे कामों मे लग गई । 
4 बजे के लगभग मैं बैंक मे जाने के लिए तैयार होने बेडरूम मे चली गई । मैंने जानबूझकर 4 बजे जाने का फैसला किया, क्योंकि इस समय बैंक मे भीड़ बोहोत कम होती है और काम जल्दी हो जाता है । आज वरुण की तारीफ़ों का ही ये असर था कि मैं बोहोत ज्यादा ही सज-सँवर रही थी ।
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 मुझे भी आज अपने रूप को बढ़ाने मे कुछ अलग ही आनंद मिल रहा था , मैं भी आज अपने मोहल्ले के लोगों की प्रतिक्रिया देखने के लिए उत्सुक हो रही थी । मैंने अपने बैंक के कुछ जरूरी दस्तावेज लिए और घर को लॉक करके बाहर निकली ।
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बाहर गली मे जैसे ही मेरे कदम पड़े गली , मोहल्ले के नुक्कड़ पर खड़े लोगों की तो जैसे साँसे ही थम गई और वो लोग अपने कामों को छोड़कर मेरे खूबसूरत बदन को निहारने लगे । जैसे -जैसे मैं आगे बढ़ने लगी वैसे-वैसे लोगों की वही भद्दी और अश्लील टिप्पणियाँ मेरे कानों मे पहुँचने लगी । 
-" आह .... आज तो किसी का कत्ल करवा के ही रहेगी । "
-" बिजली गिर रही है , हाय । "
-" उफ्फ़ ये मटकती गाँड ...... "
-" क्या चीज है .... यार , ये चुचे एक बार चूसने को तो मिल जाए । "
मेरे लिए ये अश्लील टिप्पणियाँ कोई नई बात नहीं थी , पर आज अपने ऊपर की गई ये भद्दी टिप्पणियाँ मुझे उतनी बुरी भी नहीं लग रही थी पहले इस तरह से जब कोई मुझ पर कमेन्ट करता था तो मैं उसे गुस्से से देखकर चुप करा देती थी लेकिन आज ना जाने क्यूँ मुझे ये सब सुनने मे मज़ा सा आ रहा था और बेहद शर्म भी  जैसे वो सब मेरी तारीफ ही कर रहे हो । अपने अन्दर के इस परिवर्तन से मैं खुद भी हैरान थी । जो लोग मेरे पीछे खड़े थे वो मेरे नितम्बों और मेरी बलखती कमर पर टिप्पणी कर रहे थे 
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और जो मुझसे आगे खड़े थे वो मेरे बूब्स , चेहरे और साड़ी मे से नुमाया होते मेरे पेट पर अपनी नजरे बनाए हुए थे । इन सब कातिलाना नज़रों को पार करना मेरे लिए उतना सहज भी नहीं था , मेरे अन्दर इतनी भी हिम्मत नहीं हो रही थी के एक बार उन लोगों की ओर नजरे उठा कर देख सकूँ । मैं बस सीधी सामने सड़क की ओर चले जा रही थी । गली को पार करने मे मुझे कोई 6-7 मिनट लगे और ये 6-7 मिनट मेरे लिए कितने लम्बे हो गए ये मैं ही जानती हूँ , अपने बदन पर कही जाने वाली उन लोगों की वो टिप्पणियाँ मुझे रोमांचित तो कर रही थी लेकिन मुझे एक अजीब सी झिझक भी हो रही थी कि मुझे इतना बन-ठनकर बाहर नहीं निकलना चाहिए , सब कुछ अपनी सीमाओं मे रहे तो ही अच्छा लगता है ।
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जब तक मैं गली के बाहर सड़क पर पहुँची तब तक एक टेक्सी भी आ गई और मैं तुरंत उसमे बैठ गई ।
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 वहाँ से बैंक तक का सफर कोई 30 मिनट का था । लगभग 4:35 बजे मैं बैंक के ठिक सामने ऊतर गई,
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 अभी भी बैंक के बन्द होने मे 25 मिनट बचे थे । बैंक मे दाखिल होने के और बाहर आने के लिए 2 अलग-2 गेट बने हुए थे , एक बार अगर 5 बजे से पहले कोई बैंक के अन्दर चला जाय तो वो किसी भी समय बाहर आ सकता था लेकिन 5 बजे के बाद बैंक मे प्रवेश नामुमकिन था । बैंक के बाहर सुरक्षा के लिए गार्ड्स खड़े रहते थे । मेरे पास अभी समय था और मैं बोहोत ही इतमेनान से बैंक के अन्दर दाखिल हुई सिल्क साड़ी पहने होने की वजह से वो बार सरक जाती थी जिसकी वजह से मेरे दूधिया बूब्स सामने आ जाते । 
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जिसे संभालने मे मुझे थोड़ी परेशानी भी हो रही थी । जब मैं बैंक के अन्दर जा रही थी तो  गैलरी मे घूमने वाले बैंक के कर्मचारी और दूसरे अपने काम से आए लोग अपनी नज़रों से मुझे घूरते हुए मेरे बेदाग हुस्न का दीदार करने लगे ।
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 मैं ये सब जानती थी के इन लोगों का ध्यान मेरे जिस्म की खूबसूरती पर है , लेकिन मैंने अपने काम पे ध्यान देते हुए इन सबको नजर-अंदाज किया और अपने अकाउंट की जानकारी लेने के लिए सीधे लेखाकार की मेज पर गई । 
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लेखाकार से अपने खाते के बारे मे पुछा और उन्हे अपनी अकाउंट-बुक दिखाई तो उसने मुझे बताया कि "आप एक बार प्रबंधक से मिल ले हो सकता है कि कोई दस्तावेज़ संलग्न करना हो , वैसे तो आपके अकाउंट मे कोई समस्या नहीं है । " मैंने उनकी बात बड़े ही ध्यान से सुनी और प्रबंधक से मिलने के लिए घूमी । और तभी मेरी नज़रों ने अपने बदन के ऊपर चलती हुई किसी की नज़रों का पीछा किया तो पाया उन्हे ...........  हाँ उन्हे ही ...... " गुप्ता जी " 

गुप्ता जी बिल्कुल मेरे पीछे एक कुर्सी पर टेक लगाए बैठे थे और मुझे एक अलग ही अंदाज से देख रहे थे ।
[Image: 126111346-1719759928198352-1638237990725541692-n.jpg]
 मुझे समझ नहीं आया कि वो यहाँ इस समय क्यों है ? मगर उन्हे देखते ही मेरी दिल धड़कनों मे एक रुकाव सा आ गया और एक पल के लिए मेरे दिमाग मे गुप्ता जी कि वो ही पुरानी करतूतें घूम गई , आज कितने दिनों बाद मैंने गुप्ता जी को देखा था । मेरे कदम तो जहाँ थे वही रुक गए 
[Image: 20220921-004848.jpg]
और गुप्ता जी मुझे वहीं अपनी जगह पर बैठे हुए ऊपर से नीचे तक हवस भरी निगाहों से घूरने लगे । जब मैंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी तो गुप्ता जी अपनी जगह से उठे और मेरी ओर बढ़ने लगे । गुप्ता जी को अपनी ओर आता देखकर मुझे कोई हैरानी नहीं हुई , हम एक दूसरे को जानते थे और ऐसे एक दूसरे को देखकर नजरअंदाज भी नहीं किया जा सकता था , बस इंतज़ार था तो इसका कि पहल कौन करे ? और आखिर गुप्ता जी पहल करते हुए मेरे पास आए । 
गुप्ता जी - पदमा , तुम यहाँ ....... ?
मैं -  गुप्ता जी नमस्ते । हाँ वो एक जरूरी काम था । 
[Image: 20220921-005037.jpg]
गुप्ता जी ने मेरी नमस्ते स्वीकार की और कहा - अच्छा , तो काम हो गया क्या ?
मैं - नहीं , बस एक बार प्रबंधक से मिलना है । वैसे आप यहाँ कैसे ?
गुप्ता जी - हाँ , मुझे भी एक बार प्रबंधक से मिलना है । 
मैं - अच्छा , तो आप अभी तक मिले क्यों नहीं ?
गुप्ता जी - मैं जाने ही वाला था , तभी मैंने तुम्हें देखा और फिर सोचा पहले तुमसे ही एक बार बात कर लूँ ।
मैं जान गई थी के गुप्ता जी को प्रबंधक से मिलना होता तो अभी तक चले गए होते यहाँ बैठकर इंतज़ार नहीं कर रहे होते उन्हे तो बस मेरे जिस्म को यहाँ बैठकर ताड़ना और मेरी गदराई जवानी का रस पीना था । 
[Image: 4vl5jwdj4r561.jpg]
गुप्ता जी - किस सोच मे डूब गई पदमा ?
मैं - कक् कुछ नहीं गुप्ता जी .. । 
गुप्ता जी - अच्छा तो चलो , प्रबंधक से मिलते है । 
उसके बाद मैं और गुप्ता जी प्रबंधक से मिलने जाने लगे , तभी मुझे दरवाजा बन्द होने की आवाज आई । मैंने अपने मोबाईल मे देखा तो 5 बजे हुए थे इसका मतलब था कि बैंक का प्रवेश द्वार बन्द कर दिया गया है और अब जो लोग बैंक के अन्दर है वो ही बाहर जा सकते है , इसके अलावा कोई अन्दर नहीं आ सकता । मैं और गुप्ता जी गुप्ता जी प्रबंधक से मिलने जा रहे थे , प्रबंधक से मिलने के लिए एक गैलरी से होकर जाना पड़ता था और उस गैलरी मे कोई लाइट का होने की वजह से काफी अंधेरा भी था , इतना कि उसमे खड़े व्यक्ति को गैलरी से बाहर वाला तो दूर खुद आगे खड़ा आदमी भी सही से नहीं देख सकता था । जब मैं और गुप्ता जी वहाँ पहुंचे तो हमारे आगे कुछ लाइन मे लोग खड़े थे केवल मैं और गुप्ता जी सबसे आखिर मे आए थे और हमारे पीछे कोई ओर था भी नहीं क्योंकि एंट्री गेट अब  बन्द हो चुका था । मैं गुप्ता जी से आगे नहीं खड़ी होना चाहती थी इसलिए मैंने उनसे कहा - " गुप्ता जी , पहले आप आगे आइये आप मुझसे पहले आए थे । "
मगर गुप्ता जी ने मेरी बात नकारते हुए कहा - " नहीं पदमा पहले तुम ही जाओ , मुझे ज्यादा काम नहीं है , तुम्हारा काम जरूरी है । "
गुप्ता जी की बात का मेरे पास कोई उत्तर नहीं था तो मुझे उनके आगे लगना ही पड़ा । 
[Image: 268920828642955405d2fed366da05c5dc609e3b.jpg]
अब स्थिति ये थी कि उस अंधेरी गैलरी मे , मैं खड़ी थी और मेरे बिल्कुल  पीछे और हमे देखने वाला उनके पीछे कोई नहीं था , मेरे आगे जो लोग खड़े थे वो मैं उनसे थोड़ा पीछे की ओर हटकर खड़ी थी ताकि उन्हे मेरे और गुप्ता जी की बातें ना सुनाई दें ।
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 गुप्ता जी के आगे खड़े होने मे मुझे थोड़ी घबराहट हो रही थी और ये घबराहट तब और भी बढ़ गई जब गुप्ता जी पीछे से मेरे करीब आकर बोले - " पदमा एक बात कहूँ ? "
मैं धीरे से पीछे मुड़ी तो पाया गुप्ता जी बिल्कुल मेरे पीछे थे और मेरी गोरी पीठ पर उनका मजबूत सीना रगड़ खा रहा था । मैंने गुप्ता जी से कहा - " बोलिए गुप्ता जी , क्या कहना चाहते है ? "
गुप्ता जी मेरे कान के और भी करीब आकर बोले - " तुम आज बोहोत सुंदर लग रही हो पदमा । "
मैं -"शश्श्श् ....गुप्ता जी आप भी ना । " 
[Image: 1w.gif]
गुप्ता जी - सच मे पदमा , आज तुम तुम बिल्कुल कयामत लग रही हो । 
मैं अपने मन मे ही अपने आप को कोसने लगी , ' क्या जरूरत थी इतना सज-धज कर घर से निकलने की , अब फँस गई ना अपनी खूबसूरती की वजह से । '
मैंने गुप्ता जी बात का कोई जवाब नहीं दिया और बात को पलटते हुए उन्हे कहा -
मैं - गुप्ता जी , आप मेरे करीब ना खड़े हो किसी ने हमे ऐसे देख लिया तो गलत समझेगा । 
गुप्ता जी - यहाँ कोई हमे देखने वाला नहीं है पदमा , एंट्री गेट बंद हो चुका है और यहाँ बोहोत अँधेरा भी है । वैसे भी यहाँ काफी ठंड है पदमा , अगर हम एक दूसरे के करीब रहेंगे तो हमे गरमाई मिलती रहेगी । 
इतना बोलकर गुप्ता जी ने मेरे और भी करीब आकर अपने आप को मुझसे बिल्कुल चिपका दिया और अपने हाथ मेरे कंधों पर रख दिए और अपने गाल को मेरे गाल और अपने होंठों को मेरे कंधे से लगभग बिल्कुल मिल दिया मानो उसे चूमने ही वाले हो ।  
[Image: 1q.gif]
मैं - आह .. गुप्ता जी इतना करीब होना ठीक नहीं । 
कहते हुए मैं गुप्ता जी की पकड़ से निकलते हुए थोड़ी आगे सरक गई । इससे मैं गुप्ता जी से तो दूर हट गई मगर अगले ही पल गुप्ता जी ने अपने कदम आगे बढ़ाकर मुझे फिर से अपनी पहुँच मे ले लिया और बोले -
गुप्ता जी - पदमा , तुम्हारे बालों की खुशबू से मेरा मन अन्दर तक महक गया है और तुम्हारी इस बैकलेस साड़ी मे तुम्हारी ये कोमल कमर , उफ्फ़ हद है .....
[Image: 20221102-012520.jpg] 
मैं - क्या बात है गुप्ता जी ? आपका ऐसी बातें बोलने का क्या मकसद है ?
गुप्ता जी - पदमा मैं एक बार तुम्हारी कमर को छु कर देखना चाहता हूँ । 
मैं - नन्न् ... क्यूँ गुप्ता जी , रहने दीजिए आप हर बार ऐसी ही बातें क्यों करते है ?
गुप्ता जी - मैं एक बार बस तुम्हारी कमर की कोमलता को महसूस करना चाहता हूँ । 
ऐसा कहकर गुप्ता जी ने अपना हाथ मेरी बैकलेस साड़ी मे बंधी कमर और पीठ पर धीरे-धीरे फिराया और मेरी धड़कनों के साथ-साथ मेरी साँसों मे भी उछाल आ गया , मेरी कमर गुप्ता जी के हाथों के स्पर्श से मचलते हुए थिरकने लगी ।
[Image: 1.gif]
 अपनी तेज गति से चलती साँसों पर काबू करने की कोशिश करते हुए गुप्ता जी से कहा -
मैं - गुप्ता जी ... अब .. तो .. आपका .. मन .. भर .. गया .. ना..  अब .. अपने .. हाथों को .. मेरी ... कमर ... से .... दूर ... कर लीजिए ...... । 
गुप्ता जी - क्या तुम्हें ये अच्छा नहीं लग रहा पदमा ?
अब मैं भला गुप्ता जी के इस सवाल का क्या जवाब दूँ ? उन्हे हाँ भी तो नहीं कह सकती वरना वो यहाँ खड़े-2 ही मुझे बर्बाद कर देंगे । वैसे भी उनके होंठ अब भी मेरे कान पर अपनी गरम साँसे छोड़ रहे थे जो मेरे रोम-रोम मे जलन पैदा कर रही थी । गुप्ता जी मेरी पीठ और फिर कमर पर अपने हाथ से शरारत करते हुए नीचे की ओर झुक गए । 
मैं - नन्न् ही ... गुप्ता जी ... आपको .. जो महसूस करना था अपने कर लिया अब कृप्या अपने हाथ हटा लीजिए । 
गुप्ता जी अभी भी नीचे मेरे भारी नितम्बों के पास झुके हुए थे जिसका एहसास मुझे उनके मुहँ से आती गरम साँसों से हो रहा था जैसे ही गुप्ता जी ने ये अल्फ़ाज़ मेरे मुहँ से सुने तो गुप्ता जी कुछ इस अंदाज मे ऊपर की और आए कि अपने हाथ से साथ-2 अपने होंठों को भी मेरी कमर और पीठ से बिल्कुल चिपकाए यहाँ -वहाँ मुझे चूम लिया ।  
[Image: redditsave-com-5e07b0s4wpx91.gif]
अब गुप्ता जी को अपने हाथ मेरी कमर से तो हटा लिए लेकिन वहाँ से हटाते ही , मुझे संभलने का मौका दिए बिना अपने दोनों हाथों से साड़ी के ऊपर से मेरी कमर को थाम लिया और मुझसे बिल्कुल लग गए ।
[Image: 1p.gif] 
"आह .."- धीरे से मेरे होंठों से निकली मैंने सिर्फ पलटकर देखा था इतने मैं ही गुप्ता जी ने अपने होंठ जो अब तक मेरे कानों पर अपनी गरम हवा छोड़ रहे थे उन्हे मेरी गर्दन से चिपका दिया और उस पर जोरों शोरों से चूमा ।
[Image: 1l.gif]
मैं - आह ... गुप्ता जी ... आप ... फिर ... नहीं ... 

बोलते हुए मैं अपनी गर्दन को जोर से झटका लेकिन गुप्ता जी की कैद से मैं अब भी आजाद नहीं हो पाई । क्योंकि गुप्ता जी ने अपने हाथ मेरी नंगी कमर से गुजारते हुए मेरे पेट के इर्द-गिर्द कस लिए 

[Image: 1h.gif]

और मुझे ओर भी अपने से चिपका लिया, जैसे चंदन के पेड़ से साँप लिपट जाता है ठीक वैसे ही गुप्ता जी मुझसे लिपटने लगे । मेरी सिल्क साड़ी का पल्लू भी बार-बार सरक जा रहा था और आखिर मेरी पकड़ से छूटकर वो नीचे ही गिर गया ।  मेरी साँसे तो यूँ ही परवान चढ़ी हुई थी और अब गुप्ता जी की हद से ज्यादा उत्तेजना ने  फिर से मेरे अरमानों को भड़का दिया । 

मैं - गुप्ता जी ..... नहीं ... छोड़ .... दीजिए ..... कोई ..... देख लेगा ..... । 
पर गुप्ता जी कहाँ मानने वाले थे उन्होंने मेरी किसी भी बात कि परवाह कीये बिना अपने होंठों से मेरी गर्दन पर लगातार चूमना जारी रखा । इधर गुप्ता जी के होंठ मेरी गर्दन और कंधों पर थिरकते हुए मुझे चूमे जा रहे थे और उधर मेरे अंदर की कामवासना भी मेरे बदन मे एक झुरझुरी लगा रही थी ।
[Image: 1n.gif]
 गुप्ता जी के हाथ अब सिर्फ पेट और कमर तक सीमित नहीं रहने वाले थे बल्कि अब उन्होंने भी अपना आगे बढ़ने का रास्ता खोज लिया और उनके बेकाबू हाथ मेरी चूचियों तक जा पहुंचे । मेरी चूचियाँ जो गुप्ता जी के पहले स्पर्श से ही फूलनी शुरू हो गई थी अब गुप्ता जी के हाथों के दबाव मे आकर अपने पूरे आकार मे तनने लगी थी । बैंक की उस अंधेरी गैलरी मे किस तरह से मैं अपने होंठों से उखड़ती आहों को रोक रही थी ये बस मैं ही जानती हूँ , अगर मेरे होंठ मेरे दाँतों के नीचे ना दबे होते तो उन्हे भी रोकना नामुमकिन था । [Image: 1c.gif]

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मैं - ओह ... गुप्ता जी ....मैंने आपको  ..... उफ्फ़ ........ मुझे चूमने से मना किया था ना , मम्म्म्म्म ना.....ह । 
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गुप्ता जी -  मैं क्या करूँ पदमा ,ये तुम्हारा संगमरमर जैसा तरासा हुआ जिस्म है ना जिस पर मेरे होंठ खुद ही फिसल पड़ते है । थोड़ी देर मुझे इस आनंद के सागर मे डूबे रहने दो पदमा बस ......... । 
" है ईश्वर ... गुप्ता जी को तो कोई शर्म , हया ही नहीं है । इन्हे तो कोई डर नहीं है , मगर मैं ऐसे तो बर्बाद हो जाऊँगी गुप्ता जी को कैसे रोकूँ । कहीं किसी ने देख लिया तो मेरा क्या होगा ?"
[Image: 235605088-241001282-223880422907329-3608...3367-n.jpg]
मेरे मन मे डर के भाव उमड़ रहे थे और शरीर तो यूँ समझे गुप्ता जी ने अपनी हवस का गुलाम बना लिया था । डर तो था इस बात का कि कहीं कोई पीछे मुड के ना देख ले कि क्या हो रहा है ? अगर ऐसा हो गया तो मैं तो आज जीते जी मर जाऊँगी । और गुप्ता जी इन सब से बेपरवाह बस अपने जिस्म की आग मेरे जिस्म की आग मे मिलाकर उसे ज्वाला-मुखी का रूप दे रहे थे । अब तो गुप्ता जी का लिंग भी मुझे मेरे नितम्बों पर चुभने लगा था 
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और गुप्ता जी पीछे से मेरी चूचियों को पकड़े हुए अपने लिंग की ठोकरे मेरे गुदा स्थल पर मारने लगे । अब मुझसे भी अपनी आहों को रोक नहीं जा रहा था और धीमे-धीमे मेरी आहे भी अब निकलने लगी । 
इस पूरे वासना के खेल के दौरान गुप्ता जी ने एक बात का पूरा ध्यान रखा हुआ था कि उनके होंठ मेरे बदन से अलग ना हो पाएं और किसी भी पल उन्होंने ऐसा होने नहीं दिया ।
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 गुप्ता जी के हाथो ने अब मेरी चूचियों के निप्पलस को भी मेरे ब्लाउज के ऊपर से ही छेड़ना शुरू कर दिया ,मेरी हालत अब बोहोत ज्यादा खराब होने लगी योनि मे पानी भर आया और मेरी पेंटी मेरे चुतरस से भीगने लगी । मैं जान गई के अगर अब ना रुकी तो आज खुद ही गुप्ता जी को अपना जिस्म पूरी तरह से  भोगने के लिए दे दूँगी और गुप्ता जी तो मुझे लूटने के लिए ना जाने कब से तड़प रहे है । लाइन भी अब लगभग समाप्त ही होने वाली थी मेरे आगे केवल 3 लोग बचे होंगे शायद । 
मैं(धीरे से ) - अब ... बस .. कीजिए । गुप्ता जी जाने दीजिए .... आह ... मेरा नंबर आने वाला है । 
गुप्ता जी को अभी भी वासना का खुमार चढ़ा हुआ था और उसे मे वो अब भी अपनी हवस की ही बातें कर रहे थे । गुप्ता जी ने मुझे पकड़े हुए ही अपने होंठों को मुझे चूमने से विराम देते हुए कहा - " एक शर्त पर .. । "
मैं इस समय तो गुप्ता जी की कोई भी शर्त मानने को तैयार थी फिर चाहे जैसे भी हो , मुझे बस उनकी पकड़ से आजाद होना था । 
मैं - क्या ... आह .. शर्त है गुप्ता जी ... जल्दी बोलिए .... । 
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गुप्ता जी - तुम मुझे वो शरबत पिलाओगी । 
"शरबत ?? कौन सा शरबत ? क्या गुप्ता जी उसी शरबत की बात कर है जो मैं समझ रही हूँ ।" 
मैं - क्या ? .. कौन सा शरबत ... चाहिए आपको .... गुप्ता जी ..... बोलिए ... ?
गुप्ता जी - वही तुम्हारे इन सुर्ख लाल होंठों का शरबत पदमा , मेरी प्यास सिर्फ उसी से बुझेगी । 
क्या अपने होंठों का शरबत ..? नहीं ये नहीं हो सकता ये मैं कैसे करूंगी ... ?
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मैं - उफ्फ़ ... गुप्ता जी ... ये आप क्या बोल रहे हो ?
गुप्ता जी - यही चाहिए मुझे पदमा बस तुम्हारे होंठों का शरबत , जल्दी बोलो पिलाओगी ना । 
ऐसा कहकर गुप्ता जी ने अपने एक हाथ को मेरी चूचियों पर से हटाया और मेरे होंठों को अपने हाथ मे पकड़कर उन्हे भींचते हुए कहने लगे -
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गुप्ता जी - यही है ... इनका ही शरबत पीना है मुझे । 
मेरे पास कोई ओर चारा नहीं था गुप्ता जी के हाथ ने अभी भी मेरी एक चुची को पकड़ा हुआ था और लाइन बिल्कुल समाप्त होने को थी । 
मैं - अच्छा .... ठीक है ..... गुप्ता जी ..... मुझे मंजूर है । अब प्लीज मुझे छोड़ दीजिए वरना किसी ने देख लिया तो बवाल हो जाएगा । 
गुप्ता जी की तो जैसे मन की मुराद पूरी हो गई जैसे ही उन्होंने ये सुना बिना एक पल की देरी कीये मुस्कुराते हुए मुझे छोड़ दिया । गुप्ता जी से छूटते ही मैंने जल्दी से अपने कपड़ों और हुलिये को ठीक किया । मेरा नंबर आने ही वाला था घबराहट मे मेरी साँसे भी बोहोत तेज चल रही थी जिन्हे नॉर्मल करने मे भी मुझे समय लगा । जब मेरा नंबर आया तो मैं प्रबंधक के केबिन मे गई । प्रबंधक लगभग 40 वर्षीय एक मर्द था जो मेरे सामने एक कुर्सी पर बैठा हुआ मुस्कुरा रहा था । मुझे देखकर उसने मुझे बैठने के लिए कहा और पूछा - " कहिए मोहतरमा क्या कर सकता हूँ मैं आपके लिए ? "
मैं प्रबंधक के तमीजदार रवैयए से काफी प्रभावित हुई और उनकी टेबल के सामने कुर्सी पर बैठकर बोली - " सर बैंक से प्रविष्टियों के संबंध मे एक कॉल आया था उसी के बारे मे जानकारी लेने के लिए आई थी । बाहर लेखाकर ने कहा कि एक बार आप से मिल लूँ । "
[Image: 20221114-215900.gif]
ऐसा कहते हुए मैंने अपने जरूरी दस्तावेज प्रबंधक की और बढ़ा दिए प्रबंधक साहब ने उन्हे अपने हाथ मे लिया और बड़े ध्यान से देखकर कहा - " ये कोई ज्यादा गंभीर समस्या नहीं है । आप बस अपने ............. कागज और एक फ़ोटो मुझे दे दीजिए । "
मैंने प्रबंधक के कहे अनुसार जरूरी दस्तावेज़ उन्हे सौंप दिए और उन्हे धन्यवाद कहकर जाने लगी तो प्रबंधक ने मुझे पीछे से आवाज दी । 
प्रबंधक - सुनिए ..। मिस पदमा । 
मैं प्रबंधक की ओर घूमी
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 और उन्हे कहा - " जी सर कहिए .... ?"
प्रबंधक - आप एक बार कुछ दिनों बाद फिर से आ जाइएगा । 
मैंने थोड़ी आश्चर्य की नजर प्रबंधक पर डाली । 
मैं - क्या हुआ सर ?
प्रबंधक - वैसे कुछ खास नहीं बस एक बार चेक कर लेना की सब ठिक से हो गया है या नहीं मेरा मतलब अकाउंट वेरीफाई हो गया या नहीं ।
मैंने मुस्कुराते हुए अपनी गर्दन हाँ मे हिला दी और वहाँ से बाहर चली आई । बाहर आते हुए मैंने सोचा कि अब तो गुप्ता जी अंदर जाएंगे और जब तक गुप्ता जी प्रबंधक से मिलकर आएंगे तबतक मैं गुप्ता जी से बचकर यहाँ से निकल जाऊँगी इसलिए मैं जल्दी से बाहर वाले गेट से बैंक से बाहर आ गई ।    
[Image: 1y.jpg]
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Reply of each and every comment.....
1. (to) hot_boy93 --- thanks for your suggestion and support brother .
2. (to) rekha6625 --- thank you so much for your guidance. keep supporting.
3. (to) Samit_bhai --- here is your Gupta ji's part . thanks .
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5. (to) abcturbine --- thank you very much dost . keep comments on.
6. (to) Wickedguy --- thanks brother for supporting me .
7. (to) Mahi sharma --- here is your update . thanks for comment .
8. (to) Sush44 --- thanks for supporting me brother . keep supporting.
9. (to) blackdesk --- thanks for comment . keep comments on.
10. (to) Abhi T --- thank you so much brother for your love and support. keep supporting.

To the readers -- दोस्तों इसके बाद थोड़े समय के लिए पदमा और कहानी के दूसरे किरदारों के बीच के किस्से जारी रहेंगे जिसमे गुप्ता जी वाला पार्ट मिसिंग हो सकता है फिर भी कोशिश करूंगा गुप्ता जी को कहानी मे जोड़े रखने की । 
मेरा विचार अभी पदमा को चुदवाने का नहीं है , आपकी इस पर क्या राय है ?

[Image: 20220921-003556.jpg]
love you dosto  Heart
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(19-11-2022, 12:27 AM)Ravi Patel Wrote: Reply of each and every comment.....
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मेरा विचार अभी पदमा को चुदवाने का नहीं है , आपकी इस पर क्या राय है ?

Shi kha bhai abhi thoda time do moment special bnao....kuch accha sa
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(19-11-2022, 12:27 AM)Ravi Patel Wrote: Reply of each and every comment.....
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मेरा विचार अभी पदमा को चुदवाने का नहीं है , आपकी इस पर क्या राय है ?

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love you dosto  Heart

Aap iss baar koi low class character old type ko introduce karo who is ugly..want to see how things go then
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Ufffff

Masssst
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Masst update
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der aaye durust aaye ,keep updating bro

shaandaar update tha

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Jabardast update, plz thora padma ko strong kijiye tb mja aayega,
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