Poll: Kya ek auraat ko bahut saare maardon ke saat sex karana accha nahi hain?
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Sirf pati ke saat sex kare, sati savitri
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Aurat ko har type ke maard ka swad lena chahiye
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Kisi maard ko mana nahi kare
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Apne pasand ke saab mard ke sat sex kare
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bina umar, rishta, ajnabi ya kisi cheej ka lihaaj na karate saab ke saat sex kare
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Adultery मैँ बहक जाती हूँ - पार्ट ३६ - मेरे पति मौसाजी के कुक (Part 2) !
#41
so sexy. excellent story writing
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#42
(13-10-2022, 01:03 AM)blackdesk Wrote: so sexy. excellent story writing

Thank you very much. what you would like to read in future.. give mesome ideas so i can develop the story accordingly.
yours sandhya.
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#43
पार्ट १४ : बुवा के लड़कों से चुद गयी !


बंटी ने कहा - अरे संध्या .. देख  तू डर मत . क्या मैं तुझे बुरा लगता हूँ, हम बचपन से सात मैं खेले हैं. क्या तुझे लगता हैं मैं तेरे सात कुछ बुरा करूँगा. बंटी के हात मैं मेरी पैंटी थी जो हरिया ने सुबह जबरदस्ती निकाली थी. मैं वहा पर  खुर्ची पर बैठ गयी. मैंने झूठ का तीर लगाया  - कहा यह तो ऊपर सूखने डाली थी. तुझे कहा मिली. उसने कहा - चल झूठी , अभी भी झूठ बोलेगी. मैंने तुझे सुबह छत पर मजे लेकर हरिया से चुदते  हुए देखा. इसका वीडियो भी हैं स्वप्निल के पास . देख उसको वहा खड़ा हैं. मैंने देखा ..स्वपनील दूसरे कोने में  खड़ा मुस्करा रहा था. मुझे - हात हिला कर - हाई किया और अपना हैंडीकैम दिखा कर मुस्कराने लगा. मेरे आँखों से अब आंसु बहने लगे. बंटी ने  मेरी पैंटी फिर से अपने जीन्स की जेब मैं डाल दी और बोला - संध्या प्लीज रो मत यार , मैं कोई जबरदस्ती नहीं करूँगा. पर क्या यह गलत नहीं की तुम हरिया जैसे बुड्ढे ७० साल नौकर से ख़ुशी और मजे से चुदवा रही थी. क्या मैं इतना बुरा हूँ  मैंने कहा - मैं मजे नहीं कर रही थी, उसने मेरे सात जबरदस्ती की. तुम दोनों  क्या चाहते हो?  बंटी ने कहा - बस आज की रत - कल शादी हो जायेगी तब तुम वापस अपने घर चली जाओगी. मैंने कहा - बंटी प्लीज ऐसे मत करो. यह गलत हैं . बंटी ने कहा - संध्या प्लीज आज रात आ जाना, मना  मत करो. मैं बताऊंगा तुझे कहा आना हैं. और हाँ एक और बात. तुम्हारी अभी जो पैंटी पहनी हुई हैं , वो मुझे निकाल कर दो, अभी.  मैंने कहा - नहीं, मैं नहीं दे सकती. तेरे पास मेरी एक पैंटी हैं, वह भी वापस दे दे मुझे. बंटी ने कहा - प्लीज संध्या..यह पैंटी मेरे पास रहने दो, मुझे तुम्हारी याद आएगी तो इसको सूंघ कर तुम्हे याद करूँगा, इस पैंटी को तेरी चुत समज़कर रोज रात को मेरा लंड इसपर रगडूंगा.  मैंने पूछा - फिर दूसरी पैंटी क्यों चाइये. उसने कहा - स्वपनील भैय्या को चाहिए , देख उसके पास तेरा वीडियो हैं. चुप चाप दे दे जल्दी से. मैंने खड़े होकर, अपने  घागरे  के अंदर से पैंटी नीचे खिसकाकर  निकाल दी और बंटी के हात में  दे  दी .बंटी बहुत खुश हो गया. अब मैं ड्रेस के अंदर पूरी नंगी थी. बंटी ने मेरी दूसरी पैंटी  भी जेब मैं डाल दी और बोला, चल अब डांस करते हैं, फिर बाद मैं आज रात को मिलना भी हैं.  मैंने देखा बंटी स्वपनील के पास गया और दोनों मुस्करा कर बातें कर रहे थे. फिर धीरे से सब से छुपाकर बंटी ने उसको मेरी पैंटी दे दी. स्वपनील ने मेरी पैंटी  को रुमाल की तरह फोल्ड कर के सूंघ लिया खुद की जेब मैं रख दी. मेरी तरफ देख कर आँख मार दी.


हम सब ने रात का खाना खाया और फिर से डांस करने लगे.. स्वपनील और बंटी दोनों मुज़से बहुत मस्ती कर रहे थे, उनको पता था मैं घागरे के अंदर नंगी हूँ. बीच मैं घागरे के ऊपर से मेरी चुत सहला देते. मेरी चुत भी गीली हो गयी थी.  एक दो  बार बंटी ने मुझे कोल्ड ड्रिंक्स लाकर  दी और आंख मारी, उसमे कुछ व्हिस्की मिला दी थी. बुनती और स्वप्निल दोनों अब बहुत पी चुके थे. औंरतैं भी कोल्ड ड्रिंक के नाम से मिक्स्ड शराब पी रही थी. अब बहुत सारे लोग सोने चले गये  थे . में भी माँ और बाकी लोगों के सात घर में  जाने लगी, थोड़ा नशा था पर  किसी को समज नहीं आ रहा था. तभी बंटी ने  - दरवाजे पर मुझे इशारा कर के रोक लिया. मैंने बाकी लड़कियों से कहा - आप जाईये  मैं  बाथरूम हो कर आती हूँ. बंटी मुझे हात पकड़ कर तबेले की तरफ ले गया और अंदर जाकर धीरे से तबेले का दरवाजा बंद कर दिया. उसने एक स्विच स्टार्ट कर दिया जिससे तबेला मैं जीरो बल्ब से हलकी रोशनी हो गयी. वहा बहुत सारा सूखा चारा का ढेर लगा था. गाय / भैंसे आराम कर रही थी, तबेले मैं गोबर और गोमूत्र की अजीब गंध आ रही थी. मैंने देखा सूखे चारे  के पीछे चारे का ढेर लगा था और उसपर एक गद्दी  बिछाकर , स्वपनील एकदम नंगा हो कर अपना  मोटा बड़ा लंड हिला रहा था. स्वपनील बोला - आह ! आ गयी मेरे सपनो की रानी, कब से तेरे लिए मेरा लंड तन कर खड़ा हैं. मैं स्वपनील को देखती रहा गयी. सुन्दर काया, शरीर पर एक भी बाल नहीं, किसी ग्रीक गॉड की तरह लग रहा था, उसने मुझे अपने नंगे शरीर पर खींच लिया. बंटी ने झट से खुदके  कपडे निकले और वह भी पूरा नंगा हो गया . बंटी स्वपनील के मुकाबले मैं सावला था पर उसके शरीर पर बहुत सारे काले बाल थे. उसका लंड भी काला था. स्वपनील मुझे ओंठों को चूसकर चूमने लगा. उसने उसकी जीभ मेरे मुँह के अंदर ड़ाल  दी और मेरे ओंठो को चूस चूस कर अपने हातों से मेरे कपडे निकालने लगा. अब मैं पूरी नंगी हो गयी थी. बंटी ने देर न लगायी, झट से मेरे पाँव खोलकर मेरी चुत को चूमने लगा और अपनी जीभ से चाटने लगा. बंटी बोला - स्वपनील भैय्या, संध्या की चुत देखो..एकदम साफ़, चिकनी हैं, और बहुत लाल हैं. क्या महक हैं और लाजवाब स्वाद हैं. इसके चुत का पाणी शहद जैसे मीठा लग रहा. स्वपनील अब मेरे बूब्स मसल रहा था और मेरे ओंठ चूस रहा था. स्वपनील बोला - हाँ हरिया ने चुदाई कर के इसकी चुत सुजा दी होगी. स्वपनील ने मुझे अपने शरीर पर उठा लिया और चूमने लगा. अब उसके ओंठ मेरे ओंठो पर थे और मेरे  मम्मे उसके छाती से रगड़ रहे थे और उसका मोटा लंड मेरी जांघों से खेल रहा था. बंटी मेरे ऊपर आकर सो गया और पीछे से मेरी गर्दन चाटने लगा. बंटी का लण्ड  मेरी गांड की दरार मैं फिसल रहा था. मै  दोनों के बीच सैंडविच हो गयी थी. मेरे आगे- पीछे दो मर्द मुझे चुम रहे थे, प्यार कर रहे थे. दोनों एकदम एक - दूसरे से अलग. जहाँ स्वपनील एकदम सुन्दर, गोरा , चिकना शरीर, बिना बालों वाला, और उसका गोरा - गुलाबी कटा हुआ ७ इंच का मोटा लंड था , वही पर बंटी गांव का देहाती जबरदस्त काले बालों से भरा बदन , सांवला , और उसका लण्ड एकदम काला लंड - ८ इंच का और खूबसूरत चमड़ी के सात, केले जैसे आकार का था. जैसे की बंटी बालों वाला शेर और स्वपनील चिकना बाघ - दोनों मेरा शिकार कर रहे थे, दोनों मैं जैसे होड़ लगी थी. दोनों अब मेरा एक एक आम पकड़ कर जोर जोर से चूस  रहे थे. बंटी ने कहा - इतने खूबसूरत मम्मे कभी नहीं देखे. इसकी निप्पल्स देखो - एकदम कड़क हो गए हैं, अंगूर जैसे. तभी स्वपनील का हात मेरे चुत को सहलाते - मेरे दाणे को ढूंढ लिया और उसको रगड़ने लगा. स्वपनील ने कहा - आह बंटी इस कमीनी का दाणा भी मस्त  हैं..बिलकुल  अंगूर जैसे रसीला . यह सुनते हे बंटी फिर से मेरे गांड की तरफ गया और मेरी चुत चूसने और चाटने लगा. वह मेरे दाणे  को ओंठो से और दातो से चबाता, फिर जीभ से चाटता और मैं..  सी ..सी करती रह गयी. स्वपनील मेरे निप्पल्स और बंटी मेरा दाणा चूस रहे थे और इसी बीच मैं थर- थरकर  कांपने लगी और मेरा पाणी छूट  गया -- आह ...! कमीनो.. ! आह.!. बंटी मेरा पूरा पाणी चाटने लगा. बंटी कहा - आह स्वपनील भैय्या  इसने तो पाणी का झरना बहा दिया. स्वपनील ने कहा - अब तो शुरुवात हैं, देख यह रात भर अब कैसे रंडी बन कर हमें मजा देगी.  

फिर स्वपनील थोड़ा ऊपर खिसक गया और अपना लंड मेरी मुँह के पास ला कर मेरे मुँह मैं घुसेड़ दिया. बंटी कैसे पीछे रहा सकता - उसने मेरे पाँव  ऊपर किये   और उसके लंड का सुपडा  मेरी चुत पर चिपका दिया और एक हल्का धक्का मारा - उसका लंड मेरी चुत को चिर कर आधा अंदर चला गया. मैं स्वपनील का गोरा गुलाबी लंड चूसने लगी. गुलाबी लंड चूसने का अपना अलग मजा होता हैं. ऐस लगता हैं जैसे कोई मीठा फल चूस रही हूँ. मैंने स्वपनील के टट्टे भी चाटें. फिर मैंने स्वपनील का लंड धीरे से पूरा मुँह मैं गले तक अंदर ले लिया. या मेरा स्वपनील पर पलटवार था.  स्वपनील बोला - माँ कसम , क्या मस्त लोडा चूस रही हैं. सच मैं बंटी , इतनी भाभीयों की चुदाई की, लेकिन संध्या जैसे किसी ने मेरा लोडा पूरा अंदर तक मुँह मैं लेकर नहीं चूसा. यह तो बहुत बड़ी खिलाडी लग रही.   - वही दूसरी और मैं बंटी की कमर पर अपने दोनों पैर कस के पकड़ लिये. इससे अब बंटी का पूरा लंड मेरे चुत के अंदर आगे पीछे आसानी से फिसल रहा था. मैंने अपने एक हात मैं स्वपनील के टट्टे पकड़ कर उन्हें सहलाकर दबाने लगी और उसका पूरा लंड मुँह मैं अंदर - बहार करने लगी, जीभ फेर कर चाटने लगी और जोर जोर से चूसने लगी. . दूसरे हात से मैंने बंटी के गांड और टट्टे सहलाने लगी और अपनी चुत से उसके लंड को जोर से जकड लिया. स्वपनील और बंटी दोनों पागल हो गए. स्वपनील का पूरा लंड मेरे मुँह मैं था और उसकी गोटियां मेरे हात मैं .. वह मेरे मुँह को जोर जोर से चोदने लगा वह ज्यादा देर टिक नहीं सका और आह..! आह..! कर के बहुत सारे झटके देकर अपना पाणी मेरे मुँह मैं डाल दिया. वही बंटी भी यह साब देख कर गरम हो गया.. बोला - आह कितनी टाइट  चुत हैं, एकदम गीली और वह भी उसका लंड मेरी चुत मैं बड़े बड़े धक्के देकर अंदर बहार करने लगा. मैंने उसकी गांड की छेद में धीरे से एक ऊँगली ड़ाल दी .. वह आह..! मेरी लण्ड की राणी..!  बहुत सारे झटके देकर मेरी चुत मैं झड़ गया. दोनों मेरे ऊपर लेट गये, स्वपनील का लंड अभी भी मेरे मुँह मैं था, और बंटी का लंड मेरी चुत मैं. धीरे धीरे फिसल कर निकल गये. दो मर्दों के सात यह मेरा फर्स्ट टाइम था . मुझे विवेक अंकल की बात याद आयी - संध्या तुम चाहे तो कुछ भी कर सकती हो, बस सेक्स एन्जॉय  करना, उसको गलत नहीं समजना.  मुझे भी स्वपनील और बंटी के सात मजा आया था. क्या यह गलत था? वह रिश्ते मैं मेरे भाई थे ? पर क्या मैं उनको सिर्फ एक मर्द की दॄष्टि  से नहीं देख सकती हूँ. कुछ पल हसीन और रंगीन बिताने से क्या कोई महा प्रलय आ जायेगा. क्या हरिया के सात मुझे मजा नहीं आया था? क्या उसकी गलती यह हैं की वह गरीब था, नौकर आदमी  हैं? या सत्तर साल का बुड्ढा? क्या उसको भी ख़ुश रहने का अधिकार नहीं हैं ?  कुछ देर हम मदमस्त  हो कर एक दूसरे से चपके रहे. चुम्मा चाटी करते रहे. स्वपनील और बंटी फिर से जल्दी से गरम हो गये. दोनोंके लंड फिर से आस्मान छूने लगे. शायद यही फरक था हरिया और स्वपनील-बंटी मैं. हरिया ७० साल का बुजुर्ग था. स्वपनील और बंटी दोनों जवानी के शिखर पर थे. झट से फिर से लंड खड़े हो गये. यही खूबी होती हैं - बुजुर्ग आदमी, परिपक्व आदमी और जवान मर्द , सबकी अपनी अपनी खूबी होती हैं. सब अपनी जगह सही हैं, सबका अपना अलग आनंद हैं. मुझे यह पता चल गया था की  सेक्स मैं मर्द की उम्र का कोई असर नहीं होता हैं. आम कैसे भी हो - कच्चा, पका, उसको खाने का तरीका आना चाहिए , फिर कच्चे आम का स्वाद नामक से लो, या पके आम का स्वाद शक्कर या दूध के सात. इसलिए शायद आम फलों का राजा हैं.  स्वपनील ने कहा - इस बार मैं चोदूगा  संध्या को, बंटी तू भी देख संध्या का कमाल का लण्ड चूसती  हैं. 

मेरे मन और दिमाग की सीमा भी अब ढल चुकी थी. मुझे कुछ गलत नहीं लग रहा था. मुझे अब सब एन्जॉय करना था. बंटी को मेरी चुत बहुत पसंद आ गयी थी. वह  फिर से उसे चाटने लगा. मेरी चुत मैं से उसका पाणी बहार बह रहा था . मैंने भी पलटकर उसका काला लंड मेरे मुँह मैं ले लिया . अब हम ६९ की पोजीशन मैं एक दूसरे को चूस रहे थे. इसी बीच स्वपनील ने मेरे पैर उठाकर उसका मोटा लंड मेरी चुत मैं घुसा दिया. मेरी चुत बंटी के पानी से अंदर तक गीली थी. स्वपनील का लंड अंदर तक आसानी से चला गया. यद्यपि स्वपनील का ७ इंच का गुलाबी लंड बंटी के ८ इंच के लंड से थोड़ा छोटा था, पर मोटाई मैं स्वपनील के लंड से ज्यादा था. इसलिए स्वपनील का लण्ड मेरी चुत के अंदर से बहुत ज्यादा रगड़ रहा था. 

मैं बंटी के काले लंड को प्यार से चूस रही थी. बंटी के काले लंड का स्वाद स्वपनील के गुलाबी लंड से अलग था. दोनों के लंड के  स्वाद की अपनी खुबिया थी, दोनों  ले लंड की महक मुझे स्वर्ग का आनंद  दे रही थी. बीच में मैं स्वपनील के लंड पर की काली चमड़ी (फोरस्किन) भी चबा देती, चूस देती. फोरस्किन या लंड की चमड़ी, कड़क लोहे जैसे लंड पर इतनी मुलायम और कोमल होती हैं. कड़क लंड को चूसकर, मुलायम चमड़ी को चबाने और चूसने का अपना मजा होता हैं. शायद प्रकृति ने इसलिए ये सर्वानंद का कॉम्बिनेशन दिया हैं - कड़क लंड के सात मुलायम  लंड की चमड़ी (फोरस्किन), फुल्ली - कोमल चुत के साथ कड़क चुत का दाणा , मुलायम मम्मे के साथ कड़क निप्पल्स. यही कॉम्बिनेशन सर्वानंद की अनुभूति देती हैं.
मैंने भी प्यार से बंटी का पूरा लंड मुँह मैं लेकर गले तक निगल लिया. वही स्वपनील के लंड पर मेरे और बंटी के पाणी से बहुत चिकनाहट महसूस हो रही थी. दोनों जल्दी से झड़ गये. इस दौरान मैं ४ बार झड़ गयी  थी. और मेरे दोनों जवान शेर दो-दो  बार झड़ गये थे. मैंने उन दोनों के लण्ड  के पानी का  स्वाद मुँह मैं लेकर चख लिया था. हम सब अब थक गये थे. 

मैंने कहा - अब हमें चलना चाहिए, किसी को पता चला की अगर मैं घर पर नहीं हूँ तो फसाद हो जायेगा. बंटी और स्वपनील ने कहा - हाँ मन तो नहीं कर रहा तेरी चुत से जुदा होने का, पर यह भी सच हैं. मैंने कहा - अब तो मेरी पैंटी दे दो? दोनों हंसकर बोले - नहीं, यह तो तेरी तरफ से हमारा गिफ्ट हैं. मैं हंस दी - अरे मेरा वीडियो डिलीट कर देना प्लीज. स्वपनील ने कहा - कोन सा वीडियो ? कैसे वीडियो? तुझे क्या लगता की हम इतने कमीने हैं की तेरा वीडियो लेंगे. वह तो हमने सिर्फ तुझे हरिया के सात देख लिया था. वीडियो की हमने झूठी  स्टोरी बना दी. मैंने गुस्से मैं कहा - बड़े कमीने हो तुम दोनों. मुझे कितनी टेंशन आ गयी थी.  बंटी ने कहा - क्या करते, तुझे मानाने का यही तरीका था. कल रात को स्वपनील ने तुझे छूने की कोशिश की तो तूने मना  कर दिया.  पर हाँ..हम सच मैं तेरे सात चुदाई करना चाहते थे. तुझे गलत लगा तो  सॉरी. पर प्लीज हमसे गुस्सा  मत होना और नाराज भी नहीं. मैंने कहा - नहीं अब मैं नाराज नहीं हूँ. पर आगे से ऐसे झूठ मत बताना. स्वपनील शरारती अंदाज मैं बोला - मतलब अब आगे तू हमें बिना इंकार किये चोदने देगी. मैं हंस दी और कहा - मैं इंकार नहीं करुँगी. अब चलो मुझे घर तक छोड़ दो . मैं चुपके से घर मैं घुसी और दीवाल से लग कर सो गयी. मेरी चुत अभी  भी स्वपनील और बंटी के पाणी से गीली थी.  मैं घोड़े बेचकर सो गयी. 
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#44
बहुत ही कामुक अपडेट
VIsit my story  

Main ek sex doll bani..https://xossipy.com/thread-2030.html

 uncle ne banai meri movie(bdsm).. https://xossipy.com/thread-40694.html
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#45
बहुत ही गर्म अपडेट, क्या मस्त सीन लिखा है, और दोनों का अलग अलग विवरण, बहुत ही कामुक
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#46
(13-10-2022, 03:38 PM)Karishma saxena Wrote: बहुत ही कामुक अपडेट

Thamk you Karishma JI,
Please keep supporting and encouraging.
luv you
chintu
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#47
Good start to the story.
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#48
hot storyline, please write more with low class men which she enjoys more
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#49
(15-10-2022, 07:34 AM)dragonslair Wrote: Good start to the story.

Thank You Dragon Ji
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#50
(16-10-2022, 12:27 AM)blackdesk Wrote: hot storyline, please write more with low class men which she enjoys more

Ok..black desk..thanks for ur suggestions..shall update soon
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#51
पार्ट १५: हरिया से चुद गयी !

दूसरे दिन शादी थी. बहुत भीड़ ओर शोरगुल था. सुबह में उठकर नहाने गयी.. मैंने देखा, मेरी एक पायल पाँव में नहीं थी. कहा गिर गयी होगी? में सोच रही थी. तभी मेरे ख़याल में आया की कही रात को तबेले में तो नहीं गिर गयी. घर में किसी को बोल भी नहीं सकती थी. नहीं तो राज खुल जाता. मैंने सोचा ढूंढना तो पड़ेगा, नहीं तो बाद में किसी को वहा पायल मिल गयी तो , पूरा भांडा फुट जायेगा. मेरे पास पायल का दूसरा जोड़ था. मैंने वह पेहेन लिया ओर सोचा जब सब शादी में  मशगूल होंगे तब ढून्ढ लुंगी. घर में मैंने सब जगह देख लिया था. कही नहीं मिल रही थी.  में तैयार हो कर शादी वाले मंडप पर चली गयी. 

मैंने के डिज़ाइनर पिंक रंग की साड़ी पहनी थी. सब मुझे देख कर निहार रहे थे. स्वप्निल ओर बंटी दोनों माँ से मजाक कर रहे थे. मुझे देखकर स्वप्निल ने माँ से कहा - मामी आपकी बेटी तो बहुत सुन्दर हैं, में तो मामा की  लड़की से ही शादी करूँगा !  ओर साब ठहाके लगा कर हंसने लगे. बंटी ने भी कह दिया - मै सगा भांजा हूँ .. पहला हक मेरा है.. !  स्वप्निल ने कहा - यह क्या तेरे सात गाँव में रहेगी?  यह तो मेरे से ही शादी करेगी. बंटी ने भी कह दिया - हां यह मेरे सात गाँव में ही रहेगी. ओर आंख मारते हुए बोला - अब तो इसको दूध निकालना भी आता है. हंसी मजाक हो रहा था.  शाम हो रही थी, शादी की रस्मे चल रही थी ओर सब DJ म्यूजिक पर थिरक रहे थे. में भी कुछ देर नाची ओर सोचा क्यों ना तबेले में जाकर पायल ढूंढ लू. सबकी नजर बचा कर मंडप से बहार आयी. बहार कोई नहीं था. में धीरे से तबेले का दरवाजा खोल कर अंदर चली गयी. में 

वहा पर जिस जगह हम सब - में, बंटी ओर स्वप्निल - तीनो रात को सोये थे, उस जगह चारे के ढेर में पायल ढूंढने लगी. "क्या ढूंढ रही हो बिटिया " - हरिया की आवाज थी. मैंने हड़बड़ा कर डर कर पीछे देखा. हरिया वैसे ही नंगा - सिर्फ एक लाल रंग की लंगोटी में था. उसका काला - मांसल बदन तेल की वजह से चमक रह था. मैंने कहा - अरे कुछ नहीं हरिया. में जाती हूँ. में मुड़कर बहार जाने लगी पर हरिया ने बीच आकर मेरा रास्ता रोक लिया. वह मरे बिलकुल पास खड़ा था. उसके बदन से मुझे भैसो की, गोबर की ओर गोमूत्र की बदबू आ रही थी. वह बोला - अरे बताओ बिटिया - डरो मत, क्या ढूंढ रही हो? मैं  तेरी मदत कर दूंगा. मैंने उसे अपने से दूर धकेला - दूर हाटों - मुझे तेरी बदबू से उलटी हो जायेगी. पर वह अपनी जगह से बिलकुल नहीं हिला. उसने मेरे दोनों हात पकड़ कर पीछे एक हात में जकड लिए, ओर अपने ओंठ मेरे ओंठों पर रखकर चूमने लगा. उसके मुँह से गन्दी तम्बाकू की बदबू आ रही थी. मैंने कहा..प्लीज मुझे छोड़ दो हरिया..शादी में सब मेरी राह देख रहे होंगे. हरिया ने कहा - झूटी .. तू यहाँ फिर से मुज़से चुदने आयी ना? ओर उसने मेरे बैकलेस चोली की गांठ खोल दी, जिस से मेरी चोली खुल कर सामने से नीचे गिर गयी ओर मेरे बूब्स एकदम हरिया के मुँह के नीचे थे.

मैंने झट कहा - कमीने मुझे जाने दे. में यहाँ अपनी पर्स ढूंढने आयी जो कल यहाँ गिर गयी थी. हरिया ने कहा - तेरी पर्स मेरे पास हैं. में हक्काबक्का राह गयी. अब यह क्या है? तुझे चाहिए तेरी पर्स?  मैंने कहा - हा . हरिया ने एक हात से मेरे दोनों हात पकडे थे.. अपने दूसरे हातों से उसने अपना लंगोट खींच के फेक दिया. मैंने शर्मा कर दूसरी तरफ मुँह फेर लिया. उसने कहा - यह ले तेरी पर्स..ले ले अपने हातों  से. मैंने कहा मुझे छोडो, वहा कोई पर्स नहीं, मुझे नहीं देखना  तेरा काला  भद्दा सांड का लण्ड. तुम्हे ऐसे नंगा होने में शर्म नहीं आयी. हरिया ने  मुझे एक चपट लगा दी -  सटाक.. कहा -  कमीनी कल तो ख़ुशी से चुद रही थी मेरे लण्ड से. आज तुझे यह लण्ड  भद्दा लग रह है . तूने कब देखा सांड का लण्ड. अभी समजा, की तू यहां सांड का लण्ड देखने आती है.  अगली बार आएगी तुझे सांड के लण्ड से भी चुदवा दूंगा.  देख तो, सच में तेरा पर्स यहाँ है..उसने मेरा जबड़ा पकड़कर मेरा चेहरा  नीचे उसके लण्ड की तरफ कर दिया. मैंने उसके लण्ड को देखा, .मैं  अवाक राह गयी.. यह क्या.. मेरी पायल उसके लण्ड ओर टट्टे पर बंधी थी. में पसीना पसीना हो गयी. हरिया ने कहा - बिटिया . यही ढूंढने आयी थी ना. ले ले अपने हातों से खोलकर. मेरे पास ओर कोई रास्ता नहीं था. मैं  अपने दोनों हाथों से मेरी पायल खोलने लगी, पर पता नहीं हरिया ने बहुत अजीब ढंग से बाँधी थी, खोल नहीं पा रही थी. में उसको निकलने वही उसके पैरो के पास घुटने पर नीचे बैठ गयी. मेरे होतों के मुलायम स्पर्श से हरिया का लण्ड पूरा खड़ा होकर तन गया था. इससे मुझे पायल निकालने में दिक्कत हो रही था. हरिया का लण्ड फनफना रह था ओर मेरे गाल ओर ओंठ से लग रह था. हरिया ने मेरा सर पकड़ा ओर अपना  लण्ड मेरे मुँह में डाल दिया. उसका सिर्फ आधा लण्ड मेरे मुँह में गया था. मैं  बुरी तरह से फंसी थी.   मुझे पायल भी लेनी थी, जल्दी मंडप पर भी जाना था, ओर दिल में हरिया का लण्ड से मजे लेने का भी मन कर रह था. मैंने सोचा की अच्छी से अगर हरिया का पूरा लण्ड निगल कर इसको चुसू तो जल्दी से हरिया का लण्ड  झड़ जायेगा ओर में फ्री हो जाउंगी. मैंने भी मुँह ऊपर कर के धीरे से - हरिया का काला - १० इंच का लण्ड  पूरा गले तक निगल लिया ओर उसके काले सुपडे को चूसने लगी. उसके मूत्र छेद को जीभ डाल कर चाटने लगी ओर जोर से चूसने लगी. हरिया बोला - वाह बिटिया - ऐसे तो तू जल्दी तेरा पर्स ले लेगी. अब मेरी चोली साइड में गिर गयी थी..में सिर्फ साडी में टॉपलेस थी ओर हरिया ला लण्ड पकड़कर पूरा ऊपर से नीचे मुँह में अंदर बहार कर के चूस रही थी. 

मैंने हरिया के दोनों बड़े बड़े गेंद जैसे अण्डे अपने  दोनों हातों  में ले लिए ओर प्यार से सहलाने लगी ओर मसलने लगी. इससे हरिया का लण्ड ओर भी ज्यादा फनफनाने लगा. उसने मुझे नीचे घास पर धकेल कर सुला दिया. एक झटके में मेरी साडी ऊपर कर दी ओर मेरी पैंटी खींच कर निकल दी. अब हरिया को मेरी चूत दिख रही थी. उसने बिना कुछ कहे .. अपने लण्ड का सूपड़ा मेरी चूत पर रख कर जोर से झटका दे दिया. मेरी चूत पहले से बहुत गिल्ली थी. बड़े प्यार से खुलकर उसने हरिया के लण्ड का स्वागत अपने अंदर किया. हरिया अब जोर जोर ऊपर नीचे से धक्के देने लगा. वह अपने चरम सीमा पर था. उसने मेरे दोनों आम आपने हातों  में ले लिये ओर जोर होर से चूसने लगा. मेरी चूत भी जवाब दे गयी..आह..आह.. कर के गंगा-जमुना बहाने लगी.. कुछ देर हरिया मेरी चूत  के अंदर उसका लण्ड  डाल कर रुक गया. .जब तक मेरी कम्पन शांत नहीं हुई तब तक.  उसने फिर धीरे धीरे अपने लण्ड को धक्के मारना चालू कर दिया. अब मेरी चूत के पानी ने उसके मोटे काले लम्बे लण्ड का रास्ता ओर भी आसान कर दिया था. हरिया ने अब उसकी जीभ मेरे मुँह के अंदर घुसेड़ दी.. बोला -चूस रंडी ..मेरी जीभ को लण्ड की तरह चूस. उसकी जीभ सच में बहुत लम्बी ओर मोटी थी. मुँह में अंदर गले तक जाती थी. में भी  हरिया के जीभ को लण्ड की तरह चूसने लगी. बहुत मजा आ रह था. ऐसे लग रह था की में एक लण्ड मुँह से चूस रही हूँ ओर दूसरा लण्ड अपनी चूत में ले रही हूँ. दो लण्ड का मजा में पिछले रात - बंटी ओर स्वप्निल के लण्ड से खेलकर ले चुकी थी. मुझे फिर से वाह सुनहरे पल याद आ गये ओर बंटी ओर स्वप्निल के जवान नंगे बदन मेरी आँखों के सामने नाचने लगे.

हरिया - बिटिया कितनी कसी हुई चूत हैं तेरी. ऐसे लगता हैं कंवारी  चूत है. मैंने भी अपने चूत से हरिया के लण्ड को जोर को जकड लिया , जिससे वह आह..आह...करके मेरी चूत में झटके देने लगा. मेरे चूत में हरिया का गरम गरम पाणी अंदर तक चला गया. ८-१० झटके , हर झटके के सात हरिया का लण्ड मेरी प्यासी  चूत को अपना गरम पाणी पिलाता. में भी जोर से एक बार फिर कसकर झड़ गयी. मैंने जोर से हरिया की गांड अपने हातों से पकड़कर अपनी  चूत के तरफ दबा दी. मेरे नाख़ून हरिया के गांड को छील दिये. हरिया के लण्ड के सुपडे ने पूरा मेरे चूत के अंदर घुसकर मेरे बच्चेदाणी का द्वार खोला ओर अपना गरम पाणी पीला दिया.

में थक गयी थी. पर दिल को अजीब सकून था. मेरा गुस्सा पूरा चला गया था. में जल्दी से उठी. अपनी साडी , बाल, कपडे सब ठीक करने लगी. हरिया  भी थक गया था..वही नंगा लेट कर मुझे देख रह था. बोला - बिटिया तू बहुत सुन्दर हैं..तेरा पति बहुत खुश रहेगा. यह ले तेरी पायल. मुझे सुबह ही मिल गयी थी. मुझे मालूम था इसे ढूंढते तू जरूर यहाँ आएगी. मैंने अपनी पायल हरिया से ले ली. पर मेरी पैंटी हरिया ने ले ली.. कहा - बिटिया यह मेरे पास ही रखूँगा.  हे भगवन .. मैंने माथा पीट लिया.. तीन तीन पैंटी - कहा गयी..में क्या बताउंगी माँ को? पर मुझे अब ना बहस ना मिन्नतें करने का वक्त था, में फिर से संवर कर चुपके से तबेले से बहार चली गयी. 

बहार अब थोड़ा अँधेरा था. बहुत सारे गेस्ट चले गए थे, पर घर के रिश्तेदार अभी भी DJ  पर नाच रहे थे. तभी मुझे महसूस हुआ की हरिया की गरम पाणी की धार जांघों पर बह कर आ रही है. साडी में कुछ अंदर अपने आप पोंछ गयी..पर अब वह नीचे घुटने तक बह कर चला गया था. मैंने सोचा की टॉयलेट जाकर साफ़ कर दू. पर तभी बंटी ने मुझे पकड़ लिया. संध्या - बस् अब ओर २-३ गाने..फिर फंक्शन ख़तम हो जायेगा. जाते जाते मेरे साथ एक - दो डांस कर लो. उसने पी भी राखी थी. उसका मन रखने में मान गयी.. वह  जोर से मेरे आगे पीछे, ऊपर नीचे  घूमकर नागिन डांस कर रह था.  तभी वह नीचे  घुटनो पर बैठ गया..ओर अपने हात नागिन जैसे करके..मेरे पैरोके पास  गोल गोल घूमकर  नाचने लगा. वह घूर घूर कर मेरे पैरो को देख रह था. उसने हाथ नागिन जैसे नीचे करके मेरे पांव पर हात घुमा दिया..मेरे पैरो पर चिप छिपा गिला लगा. उसने सूंघ कर देखा.. फिर मुझे आँख मर दी. वह हरिया का पाणी था, जो मेरी चूत से बहकर पैरों तक नीचे बह गया था. बंटी धीरे से पैरो पर खड़ा हो कर नाचने लगा ओर मेरे कान के पास आकर पूछा - आह !  संध्या अब किस्से चुदकर आयी हो?
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#52
पार्ट १६ : हरिया के बाद बंटी  !

बंटी ने मुझे कहा - आओ मेरे पीछे चुप चाप मेरे कमरे में, किसी को पता लग गया तो फसाद हो जायेगा. अपनी चूत धोकर साफ़ कर लो. में बंटी के पीछे पीछे चुप चाप उसके कमरे में चली गयी. उसके कमरे में उसका अलग वाशरूम था. बंटी ने कहा - संध्या , अब साडी या कपडे निकालने का टाइम नहीं है.. तू सिर्फ साड़ी कमर के ऊपर कर के बैठ जा. मैंने पानी साडी पूरी कमर के ऊपर  छाती तक ले ली ओर नीचे बैठ गयी. बंटी बोला - तू तो पूरी नंगी है? किस के साथ चुद कर आयी. मैंने कहा - बताती हूँ बंटी, पहले मुझे साफ़ करने दो, जल्दी से लोटे में पानी दो. बंटी ने कहा रुको, तुम साडी ठीक से पकडे रहो नहीं तो गीली हो जाएँगी.फिर उसने बाथरूम का लम्बी पाइप वाला फॉसेट  लिया..ओर मेरी चूत के पास ला कर , पानी का शावर मेरी चूत पर डालने लगा ओर दूसरे हात से मेरी चूत को सहलाकर साफ़ करने लगा. बंटी बड़े प्यार से धीरे धीरे मेरी चूत साफ़ कर के हरिया का पाणी मेरी चूत से साफ कर रह था. बंटी ने कहा - बताओ संध्या क्या हुआ. में उसको पायल वाला किस्सा बताने लगी ओर कैसे हरिया ने मेरी चुदाई कर दी. बंटी ने अब मेरी चूत के अंदर एक ऊँगली डाल दी थी ओर वाह मेरी चूत अंदर से साफ़ कर रह था. उसका अंगूठा मेरी चूत के दाणे को सहलाकर साफ़ कर रह था. बंटी - देहाती आदमी था..उसकी उंगलिया बड़ी बड़ी थी - किसी लण्ड के साइज़ से कम ना थी.

बंटी ने पूछा - क्या तुम्हे हरिया पसंद है? मैंने कहा - नहीं बंटी, बिलकुल नहीं, पर क्या करू, कोई मर्द जब मेरे बहुत करीब आता हैं .. तब में बहक जाती हूँ, खुद को कण्ट्रोल नहीं कर पाती ओर बेशरम जैसे चुद जाती हूँ. बंटी ने कहा - यह तो अच्छा है, मेरे ओर स्वप्निल के बारे में क्या ख़याल हैं? मैंने कहा - तुम दोनों अच्छे हो, में तुम दोनों को पसंद करती हूँ. पर मुझे तुम दोनों से प्यार नहीं है. बंटी ने पूछा - किसी से पहले से प्यार करती हो? मैंने  उसे हरीश के बारे में बता दिया. इतनी पूरी देर तक, बंटी का काम चालू था, मेरी चूत को धोकर साफ़ कर रह था. 

मेरी चूत पर शावर के पाणी का बरसाव , ओर बंटी की उँगलियों का जादू चल रह था. ना वो खुद को रोक रहा  था, ना में उसे रोक रही थी. बंटी मेरी ओर हरिया की चुदाई की कहानी सुन कर गरम हो गया था.बंटी ने अपनी पैंट की जीप  खोलकर अपना काला मोटा लण्ड बहार निकाल दिया ओर अपने हाथ से अपने लण्ड को मूठ मारने लगा. इधर दूसरे हात से बंटी मेरी चूत को धोकर साफ कर रह था,  में बड़ी बेबस थी. मेरी चूत बंटी के लण्ड को देखकर लार टपका रही थी. मुझे बंटी के लण्ड का स्वाद याद आया ओर मेरे मुँह में फिर से पाणी आ गया. मैंने कोई विरोध नहीं किया ओर बेशरम जैसे साड़ी ऊपर कर के बंटी सामने नंगी बैठे रही. तभी मुझे जोर से सुसु आ रही थी. मैंने कहा - बंटी बस करो, मुझे सूसू करनी है. बंटी ने शरारती आंखोंसे मुझे देखा ओर कहा - करो यही, किसने मना किया.. अब मैं  पूरी बंटी के जादू से बंधी थी. बंटी के आँखों में अजीब चमक थी, जो मुझे सम्मोहित कर देती. वो जो कह रहा  था वो सब करती. मैं  वही धीरे से सूसू करने  लगी.. बंटी मेरी  सूसू अपने हात में लेकर फिर से मेरी चूत पर लगाकर मेरी चूत मेरी सूसू से धो रहा था. मेरी गरम सूसू से मेरी चूत की आग ओर भी भड़क गयी. मेरी सूसू बंटी ने अपने लण्ड पर भी लगा ली..ओर अपने लण्ड को हिलाने लगा. मुझे बड़ा अजीब लग रह था, पर बंटी के लिये  एक अलग आकर्षण हो रह था. जब मेरी सूसू पूरी हो गयी, बंटी ने मुझे वैसे ही अपने दोनों हातों से उठाया ओर अपने बिस्तर पर सुला कर, मेरे पैर ऊपर खिंच लिये. , मेरी चूत  प्यार से अपनी जीभ से चाटने लगा, मैंने भी उसका लण्ड पकड़ लिया ओर अपने तरफ खींचा.  अब हम ६९ पोजीशन में थे..मैंने बंटी का ८ इंच का मोटा लण्ड मेरे मुँह में ले लिया ओर लोल्लिपोप जैसे चूसने लगी. में ज्यादा देर तक टिक नहीं सकी . मैंने बंटी का सर जोर से मेरी चूत पर दबा दिया ओर बहुत सारा पानी उसके मुँह में बाहा दिया. बंटी ने भी जंगली जानवर जैसे सारा पाणी चाटकर पी लिया ओर बिना देर करके मेरे ऊपर आकर, अपना भारी भरकम हतोडा मेरे चूत के अंदर पेल दिया. बंटी का केले जैसे आकर का लण्ड मेरी चूत के अंदर तक घुस गया..उसके धक्कों से उसका लण्ड मेरी चूत के अंदर हर दीवाल से घिस जाता .. ८-१० मिनट वोह मुझे ऐसे ही चोदता रह ओर मेरी चूत फिर से फड़फड़ा गयी.. मेरी चूत ने अपने पाणी से फिर से उसके लण्ड को गिला कर दिया. बंटी बोला - आह संध्या .लगता है तेरी चूत मेरे लण्ड के लिये ही बनाई गयी. क्या मस्त केमिस्ट्री हैं मेरे लण्ड ओर तेरी चूत के बीच में. बात सही थी. बंटी का लुंड मेरी चूत के हर कोने को छू रहा था. मेरी चूत भी उसके लण्ड का लगातार अपना पाणी पिलाकर स्वागत कर रही थी.

बंटी ने मुझे करीब आधा घंटे तक चोदा - ओर मेरी चूत की कुटाई की. इस कुटाई दौरान मेरी चूत ४ बार झड़ गयी थी. तभी मुझे नीचे से माँ की आवाज आयी. हमारे जाने का टाइम हो गया था. में जल्दी से तैयार हो गयी. बंटी ने फिर से मेरी चूत प्यार से धोकर दी - बहुत मिस करूँगा तुझे.. फिर कब आओगी? मैंने कहा - तुम मर्द हो.. तुम्हे पहल करनी होगी.

फिर में जल्दी से बैग लेकर नीचे चली गयी. सब को प्रणाम कर के में माँ - पिताजी के साथ स्टेशन आ गयी. बंटी ओर स्वप्निल मुझे दोनों प्यार से देख रहे थे. मैंने भगवन से प्राथना की - हे प्रभु इनको मुज़से प्यार ना हो जाए. इनका दिल  ना टूट जाये. दोनों मुझे अच्छे लगते थे ओर पसंद थे. बंटी को मैंने सच बता दिया था पर स्वप्निल? उसे कुछ नहीं पता था. अच्छा होगा अगर बंटी उसे बता देगा. दोनों चचेरे भाई एक-दूसरे के बहुत करीब थे. दोनों ने एकसात पूरा नंगा होकर मुझे चोदा था. बंटी स्वप्निल को पक्का मेरे ओर हरीश के बारे में बता देगा.
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#53
Nice update double chudayi se gav ka safar khatam hua, ab city me kya gul khilte hai
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#54
(18-10-2022, 09:10 PM)rekha6625 Wrote: Nice update double chudayi se gav ka safar khatam hua, ab city me kya gul khilte hai

haan rekha ji..aab to college ki masti or chalegi..fir job, fir shadi , fir extra marital..affairs. 
Apko kya lagata hai..sahdi kiske sat honi chahiye?
jarur likhe..
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#55
शादी बंटी या स्वप्निल में से किसी एक के साथ होनी चाहिए, उनसे होने के बाद दोनों मैसे जिससे भी होगी क्या वो दूसरे को allow करेगा सेक्स करने को,
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#56
(19-10-2022, 06:27 AM)rekha6625 Wrote: शादी बंटी या स्वप्निल में से किसी एक के साथ होनी चाहिए, उनसे होने के बाद दोनों मैसे जिससे भी होगी क्या वो दूसरे को allow करेगा सेक्स करने को,

OK THANK you ji
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#57
Great going....
Very few stories are of your calibre in Hindi font....
Keep going....
Waiting for more...
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#58
पार्ट १७: फुफेरे भाइयों की प्रेमिका. 

छुट्टियों के बाद मैं वापस कॉलेज आ गयी. हरीश बहुत दिन के बाद मिल रहा था. 
बोला - मेरी जानू..मेरा लण्ड इतने दिन से भूका - प्यासा है. 
मैं भी उसके लिए बेताब थी. पर हमें कोई सेफ जगह नहीं मिल रही थी. गार्डन में डर डर कर सेक्स एन्जॉय नहीं करना चाहते थे. तभी हरीश ने स्पोर्ट्स सेण्टर में  एक खाली कमरा ढून्ढ कर निकाला. हरीश स्पोर्ट्स चैम्पियन था, इसलिए अलमारी से चुप चाप उस कमरे की चाभी लेना उसके लिये मुश्किल काम नहीं था. वहा  कुछ पुराने खेल का सामान पड़ा था, पर धुल भी बहुत थी. हरीश खेल के प्रैक्टिस के वक्त अपने बैग मैं एक चादर भी ले कर आया. हरीश की शाम की खेलों  की प्रैक्टिस ७ बजे ख़तम हुई और हम चुपचाप उस कमरे को खोलकर अंदर चले गये. उस  दिन ७ बजे से लेकर ९ बजे तक हरीश ने मेरी चुदाई की. वो खुद ३ बार झडा ओर मैं ५ बार. रात को मैं बहुत थक गयी थी. हॉस्टल आकर सोने लगी. इतनी चुदाई के बाद भी मन खाली लग रहा था. कुछ अपूर्ण लग रहा था. हरीश से मेरी  दोस्ती और प्यार २ सालों मैं बहुत गहरी  हो गया. हम हमेशा स्पोर्ट्स सेण्टर के कमरे का इस्तेमाल करते. हरीश बहुत प्यार से , देर तक मुझे चोदता था. इन डेढ़  सालों मैं मेरी मुलाकात स्वप्निल और बंटी से नहीं हुई थी, पर उनकी याद जरूर आती थी. दूसरे साल फिर दिवाली की छुट्टियों में मैं घर मुंबई आयी. माँ और पापा  ने बताया की उन्हें  २ दिन के लिए  उनके एक दोस्त की लड़की के शादी में  दिल्ली जाना था. मैं अकेले रहने वाली थी. मुझे भी बुलाया था, पर इतने दिन हॉस्टल रहने के बाद मैं घर पर रहना चाहती थी, सो मैंने मना कर दिया. दूसरे दिन माँ -पापा जाने वाले थे, तभी बुआ का फ़ोन आया.. माँ ने बात करके मुझे दिया..बुआ तेरे से बात करना चाहती है..!  मैं खुश हो गयी..बुआ ने पूछा - कॉलेज कैसे चल रहा, वगैरे वगैरे  और बोली ठीक से रहना. 

तभी बंटी ने बुआ से फ़ोन ले लिया, बोला - कैसे है तू कमीनी ? 
मैंने भी कहा - अच्छी हूँ कमीने .. तू बता क्या गुल खिला रहा है .! 
बंटी ने कहा - बस तेरा इंतजार कर रहा हूँ..कब मेरे से शादी करोगी..तेरे बिना अब किसी से गुल खिलIने का मन नहीं करता.  
मैंने हंसकर कहा दिया - कभी नहीं , झूठा  कही का !  
ओर हम हंसी मजाक करने लगे. बंटी से बात करके मुझे बहुत अच्छा लग रहा था. 

दूसरे दिन सुबह माँ - पापा की फ्लाइट थी, वह दिल्ली चले गये. मैं आराम से सो रही थी. तभी दरवाजे की बेल बजी, मैंने दरवाजा खोला और मैं हैरान रह गयी. मैंने जोर से जाकर बंटी को कसकर गले लगा लिया. उसके पीछे स्वप्निल भी  खड़ा था, उसने भी मुझे जोर से पकड़कर गले लगा लिया और मेरे गाल पर पप्पी ले ली.  पड़ोसियों के डर से मैंने उन्हें जल्दी घर की अंदर ले लिया 
- तुम कैसे आ गये कमीनो !  बंटी तूने तो कल मुझे कुछ बताया नहीं. 

बंटी ने अंदर आते ही मुझे पकड़कर उठा लिया और मेरे ओंठ चूमने लगा - और कहा - कैसे नहीं आते पगली, एक साल से तुझे मिस कर रहे हम दोनों . कल जैसे  फ़ोन पर मामी से पता चला की वो दोनों घर पर नहीं होंगे,और तू अकेली घर पर होगी  हम दोनों तुरंत बहाना बना कर चुप चाप आ गये. इससे अच्छा सुनहरा मौका कहा मिलता जान. और उसने मुझे फिर से चूमना चालू कर दिया. 
मैंने उनको  कहा - रुको, पहले फ्रेश हो जाओ, नाहा लो,  मैं तुम दोनों के लिए चाय - ब्रेकफास्ट बनाती हूँ. 
स्वप्निल ने  शरारती अंदाज मैं कहा - हमारी जान, फ्रेश तो हम हो ही जायेंगे, तेरी हात की चाय भी पी लेंगे, पर नहायेंगे हम तीनो एक साथ. . 
मैंने हंस दिया - मुझे मालूम था की अब इनके आगे मेरी कुछ चलने वाली नहीं है. मैं चाय बनाने किचन चली गयी. मैंने नास्ते में  कुछ ब्रेड- ऑम्लेट भी बना डाले.  

जब मैं किचन से चाय और नाश्ता लेकर बहार ड्राइंग रूम में आयी तो देखा की स्वप्निल और बंटी दोनों फ्रेश होकर नंगे बैठे हैं. 
मैंने कहा - कमीनो,  शर्म नहीं आती. बहन की सामने अभी से नंगे बैठे है,  कुछ पहन लो, कोई आ जायेगा. 
स्वप्निल ने कहा - नहीं जानू, ,अब तो २ दिन हम साथ साथ हैं, कोई भी कपडा नहीं पहनेगा और हम तीनो  फुल टाइम नंगा रहेंगे. 
बंटी ने कहा - कोनसी बहन, तू तो मामा की बेटी है. सबसे पहले तुझे चोदने का अधिकार बुआ का लड़के की हैसीयत से मुझे हैं. 

हम तीनो हंसने लगे. स्वप्निल अब मेरे बिलकुल पास आ गया, उसने मेरी गर्दन पर पप्पी लेकर उसे चूसना शुरू किया और मेरी गाउन नीचे से उठाकर ऊपर कर के निकाल दी. मैंने गाउन के अंदर कुछ नहीं पहना था. मै भी उनके साथ पूरी नंगी हो गयी. स्वप्निल ने मुझे गोदी मैं खींचकर सोफे पर  बिठा लिया ओर कहा हम तीनो  एक ही कप से  चाय पियेंगे और तुम मुझे चाय पिलाना. बंटी भी स्वप्निल के बगल में  सोफे पर बैठ गया. मैं उन दोनो को बारी बारी से चाय पिलाती और, वह अपने गरम मुँह से मेरी निप्पल्स और बूब्स चूसते या मेरे ओंठों को चूस लेते. . इसके कारण मैं बहुत जल्दी गरम हो गयी और मेरी चुत भी गीली हो गयी. बंटी ने मेरे पैर उठाकर अपनी जंघा पर रख दिए. और वह मेरी चुत से खेलने लगा. स्वप्निल का बड़ा गोरा गुलाबी ७ इंच का कटा हुआ लण्ड  मेरी गांड को नीचे से चुभ रहा था. ओर बंटी  अपना ८ इंच का काला, मोटा केले जैसे आकार का मुलायम चमड़ी वाला लण्ड मेरे तलवों पर दबाकर रगड़ रहा था.स्वप्निल बहुत सुन्दर था, चिकना, बिना बालों वाला, ओर बंटी एकदम मरदाना , गांव का गबरू जवान. स्वप्निल मेरे दोनों चूचियों को चूस कर रसपान कर था, वही बंटी ने भी मेरी जांघें फैला दी ओर मेरी चुत पर अपने ओंठ रख दिये. वह प्यार से मेरी चुत को चाट रहा था. 

बंटी ने कहा - सच संध्या , आज भी तेरी चुत की महक मेरे दिमाग में बस गयी है. इतनी सुन्दर, इतनी खुशबूदार चुत कही नहीं देखी. 
स्वप्निल ने कहा - सच मैं जान, अब तो लगता है तू सिर्फ हमारे लिए बनी है. 

ओर बंटी मेरे चुत का दाणा  प्यार से जीभ फेर कर चाटने लगा. अपने दोनों ओंठ उसने मेरे दाणे पर रख दिए ओर किसी अंगूर की तरह उसको चूसने लगा. मैं अब  छटपटा रही थी. पर वह दोनों मिलकर मुझे पकड़ कर मेरी चूचियों ओर चुत के दाणे को चूस रहे थे मैं सिसक रही थी..आह ....उम्..प्लीज...रुको.. .  फिर मैंने जोर से बंटी का मुँह अपनी चुत पर रगड़ दिया -ओर आह.. आह.....मर गयी .. कर के पानी की धरा बहा दी. बंटी बड़े प्यार से मेरी चुत का रस पीने लगा. उसने चाट चाट कर पूरा शहद पी लिया. मै उनसे अलग हो गयी. .मुझे कुछ पल के लिए चैन की साँसे लेनी थी.

मैंने देखा स्वप्निल ओर बंटी दोनों के लण्ड..आसमान देख रहे थे..पुरे १८० deg  तन कर खड़े थे ओर थोड़ा थोड़ा precum की बुँदे उनके लण्ड के टोपे से निचे टपक रही थी. वह दोनों उठे ओर बोले - चलो बाथरूम नहाने, ओर मुझे खींचकर ले गये. दोनों मुझे शावर के अंदर  मेरे शरीर को मल-मलकर साबुन लगाने लगे. मैंने भी उन दोनों के लण्ड अपने दोनों हातों से पकड़ लिये ओर उनको साबुन लगाने लगी. तभी स्वप्निल ने मुझे पैर फैला कर शावर की दीवाल पर झुका दिया, ओर घोड़ी बना कर अपना मोटा लण्ड पीछे से मेरी चुत में एक धक्के में डाल दिया. मैं आह..कर की चिल्ला उठी..पर उसका पूरा लण्ड आसानी से  मेरी चुत की अंदर तक चला गया था. स्वप्निल अब मुझे बड़े बड़े धक्के देकर पेल रहा था. मेरी चुत गीली होने की वजह से उसका लण्ड आसानी से पूरा अंदर तक फिसल रहा था . बंटी ने मेरा मुँह उसके तरफ खिंच लिया ओर मेरे ओंठ चूसने लगा. वह मेरे मुँह में जीभ डाल कर अंदर बहार करने लगा. करीब आधे घंटे चुदाई कर के स्वप्निल अब बहुत उत्तेजित हो गया था. मैंने भी अपनी चुत से उसके लण्ड को जकड लिया ओर मेरे चुत फिर से गरम होने लगी. मैं बंटी के ओंठों को जोर से चूस रही थी ओर आह....उह..कर के काट भी रही थी. 

स्वप्निल भी जोर जोर से धक्के दे रहा था..आह ! संध्या कितनी कसी हुई चुत  हैं, मेरा  पाणी निकाल डालेगी. 
मैंने भी कहा - हाँ कमीने , निकाल दे अपना पाणी, भीगा दे मेरी चुत को तेरे गरम पाणी से...आह...ओर मेरी चुत कस कर स्वप्निल के लण्ड से लिपट गयी ओर जोर से झड़ गयी.  

मेरे पाणी से स्वप्निल का लण्ड गिला हो गया, पानी के चिकनाहट से स्वप्निल भी जोर से आह रानी..यह ले मेरा पानी..कह कर मेरी चुत के अंदर झटके मरने लगा. १०-१२ झटके लगाकर , स्वप्निल ने अपने गरम पानी से मेरी चुत अंदर तक भीगा दी. स्वप्निल ने धीरे से अपना मुरझाया लण्ड मेरी चुत से बहार निकाला.

मैं फिर से खड़ी होती, उसके पहले ही बंटी मेरे पीछे आया, उसने उसके काले लण्ड का मोटा टोपा मेरी चुत के द्वार पर रखा ओर एक जोरदार धक्का दे दिया. 

मैं ..आह..क्या बंटी.. इतने जल्दी..मुझे कुछ टाइम देते. ऐसे तो मेरी चुत  का भोसड़ा हो जायेगा . 
बंटी का पूरा लण्ड सिर्र ररर रर कर के मेरे चुत मैं अंदर  तक  चला गया.  
बंटी ने कहा - मेरी जान, ऐसे कैसे तेरी चुत का भोसड़ा होने दूंगा. यह तो अब मेरी जिंदगी है. बहुत संभाल कर रखूँगा इसको. 

मुझे पता नहीं कैसे, पर मेरी चुत ने उसके लण्ड को पूरा जकड लिया. मेरी चुत के हर कोने मैं बंटी का लण्ड छू रहा था. बंटी ने पूरा लण्ड बहार निकाला ओर फिर से पूरा अंदर डाल दिया. मेरी चुत कसमसा गयी. मेरी चुत के ओंठोने बंटी के लण्ड को चूमना, चूसना शुरू कर दिया था ओर पक्का जकड लिया था. जब बंटी उसका पूरा लण्ड अंदर डाल कर फिर से बहार निकालता , मेरी चुत के ओंठ उसको लण्ड  के सुपडे को जकड कर रखते, वो उसके लण्ड से जुदा नहीं होना चाहते. शरीर मैं अजीब हुरहुरी लगी थी. मेरी चुत गीली होकर फिर से..सिहर उठी. ..ओह्ह मा..........आ....करके मैं फिर से बंटी के लण्ड पर झड़ गयी. पर बंटी ने अपने धक्के चालू रखे..वह बड़ी प्यार से पूरा लण्ड बहार करता ओर फिर से मेरी चुत में  अंदर तक  डालता. मेरी  चुत का पाणी निरंतर बह रहा था ओर मुझे उन्माद ओर परमानंद मिल रहा था. मेरी टांगे कांप रही थी, मैं अब खड़ी नहीं रह सकती थी. मै निचे गिरने लगी, तब स्वप्निल ने आगे से मुझे पकड़ लिया. ओर अपने नंगे बदन का सहारा दिया. मैंने अपने दोनों हात उसके गले मैं डाल दिये ओर उसको आगे से कस के पकड़ लिया.  मेरे बूब्स अब उसके चिकनी छाती ओर पेट पर रगड़ रहे थे. पर बंटी का धक्के पर धक्के लगाना चालू था. उसकी गाडी रुक नहीं रही थी.  मेरी चुत निरंतर पाणी बहा रही थी जो मेरे जांघों से बहकर घुटने तक आ गया था. बंटी के साथ  मैं ४-५ बार झड़ गयी थी. अब मैंने उसके लण्ड को अपनी चुत से जोर से जकड लिया. उससे वह भी..आह..आह करके मेरी चुत के अंदर झटके मरने लगा. करीब ५ मिनट तक बंटी अपने गरम पाणी का फंवारा मेरी चुत मैं डालता रहा ओर मेरी चुत भी निरंतर उन्माद में अपने पाणी का अभिषेक उसके लण्ड पर करती रही. 

कुछ देर बाद बंटी का लण्ड मेरे चुत से बहार निकला, मैं नीचे बैठ गयी. बंटी ओर स्वप्निल दोनों ने सहारा देकर  मुझे बाथरूम से उठाया. उन्होंने मुझे टॉवल से सूखा लिया ओर मेरे कमरे के बिस्तर पर लिटा दिया. मैं बहुत थक  चुकी थी. बंटी ओर स्वप्निल मेरे दोनों तरफ सो गये. वह भी थक गये थे. दोनो मुझे लगातार चुम रहे थे, पप्पी ले रहे थे, मेरे बालों पर हात फेर रहे थे. स्वप्निल ने मुझे अपनी तरफ खिंच लिया, मैं उसके बाँहों मैं अपना सर रखकर सोने लगी. . बंटी भी पीछे से आकर मुझे चिपक गया ओर सोने लगा . उसकी गरम सांसे मुझे अपनी गर्दन पर महसूस हो रही थी.
बंटी ने कहा - देखो स्वप्निल भैया , चुदाई के बाद यह कितनी सुन्दर लग रही है. स्वप्निल ने  मेरे गालों पर प्यार से चुम लिया.  दोनों मेरे एक एक आंग को ध्यान से देख रहे थे ओर प्रशंसा कर रहे थे..
स्वप्निल - बंटी संध्या की निप्पल्स देखों. कितने गुलाबी है.
बंटी : हां भैय्या , जब ये उत्तेजित हो जाते हैं तब किसी रसीले अंगूर जैसे दिखते है. ओर ऊपर से संध्या क़े बड़े बड़े मम्मे - एकदम बड़े पके आम की आकर के है.
स्वप्निल: हा बंटी, गांव में तबेले में इसको ठीक से देख भी नहीं पाये थे. हम बहुत लकी है. इसके आम के आकार के मम्मे , मुँह मैं आम का स्वाद देते है. इसकी नाभि तो देख..कितनी मस्त है..एकदम किसी चुत की तरह चिकनी ओर गहरी लगती है.
बंटी: हाँ स्वप्निल भैया, शादी में इसने नाभि के नीचे साडी पहनी थी. ऐसे लग रहा था की इसकी नाभि को ही  अपने मोठे लण्ड से चोद  दू.
स्वप्निल : सब से अच्छी तो इसकी चुत हैं. चुदने  के बाद एकदम लाल लाल  टमाटर जैसे हो जाती है. देख कैसे कोई लाल मीठे  रसीले फल की तरह लग रही है.     
बंटी: रसीली  तो सच मैं बहुत है इसकी चुत ! काश  यह हमें हमेशा के लिये मिल जाये.

मैं चैन की नींद सो रही थी. मुझे एक अजीब ख़ुशी थी. मुझे एक कम्पलीट औरत की संतुष्टि की फीलिंग आ रही थी. खालीपन चला गया था. मेरे चेहरे पर आनंद ओर सुख की चमक थी. 
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#59
(19-10-2022, 02:28 PM)abcturbine Wrote: Great going....
Very few stories are of your calibre in Hindi font....
Keep going....
Waiting for more...

thank you very much
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#60
(13-10-2022, 05:26 PM)rekha6625 Wrote: बहुत ही गर्म अपडेट, क्या मस्त सीन लिखा है, और दोनों का अलग अलग विवरण, बहुत ही कामुक

Thank you rekhaji
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