Poll: Kya ek auraat ko bahut saare maardon ke saat sex karana accha nahi hain?
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Sirf pati ke saat sex kare, sati savitri
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Aurat ko har type ke maard ka swad lena chahiye
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Kisi maard ko mana nahi kare
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Apne pasand ke saab mard ke sat sex kare
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bina umar, rishta, ajnabi ya kisi cheej ka lihaaj na karate saab ke saat sex kare
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Adultery मैँ बहक जाती हूँ - पार्ट ३६ - मेरे पति मौसाजी के कुक (Part 2) !
#21
(04-10-2022, 02:37 PM)AnitaMathur Wrote: Very well writen and exciting imagination

Thank you Anita Ji, you liked it.. this is my first story in first forum. with lot of reality ...your encouragement means a lot..please keep supporting and providing your advice
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#22
ThankYou all Viewers for reading my story.. Please send likes, comments, ratings

aapki sandhya
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#23
Sandhya ji uff kya mast likhti hai aap,kaas me aap ke haath ko chum pata
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#24
Superb Sex story
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#25
(05-10-2022, 10:02 AM)Jainsantosh Wrote: Sandhya ji uff kya mast likhti hai aap,kaas me aap ke haath ko chum pata

Thank you santosh Ji..Sirf haat chumoge? main aapk rmana nahi karungi...
aapki sandhya
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#26
(05-10-2022, 10:30 AM)Raj28 Wrote: Superb Sex story

Thank you raj ji..luv u,
aage kya padhana chahnge aap..
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#27
Heart 
पार्ट ११: नदीम चाचा 


मैंने डरते हुए दरवाजे key - hole से देखा, हरीश बहार हाफ्ते हुए खड़ा था. मैंने दरवाजा खोला, रूम की बत्ती ऑफ ही थी, अच्छा था, मैं अँधेरे मैं सब छुपाना चाहती थी. हरीश अंदर आ गया, वह पसीने से लटपट पूरा भीगा था . मैंने दरवाजा फिर से ठीक से बंद कर दिया, मैं पीछे जाकर हरीश को लिपट गयी. उसकी छाती को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर कहा - हरीश आई ऍम सॉरी , मैं तुज़से बहुत प्यार करती हूँ . हरीश ने मुझे खींच कर अपनी बाँहों मैं भर लिया मैं उसको लिपट कर जोर से रोने लगी. वह मुझे शांत करने लगा, बोला - मैं भी तुम से बहुत प्यार करता हूँ संध्या , प्लीज चुप हो जावो , गलती मेरी हैं . और मेरी आंखें पोंछने लगा और चुप कराने लगा. मैंने उससे कहा, जल्दी सो जाते हैं हरीश, कल सुबह हमें कम्पटीशन के लिए जाना हैं. मैं बिस्तर पर लेट गयी, हरीश ने अपने सरे कपडे उतर दिए , और पूरा नंगा होकर  मेरी बाजू लेट गया. मैं उसके बाँहों मैं चली गयी और सो गयी.

दूसरे दिन हम जल्दी सुबह सात बजे उठे, और तैयार हो कर ९ बजे कम्पटीशन के जगह चले गए. हरीश ने ३ इवेंट्स की रेस मैं भाग लिया था -  २०० M  , 400m , 800m , और तीनो रेस में वह जीत गया और गोल्ड मेडल जित लिया . हर रेस के जीतने के बाद वह दौड़ कर मेरी तरफ आता , मुझे प्यार से पकड़कर ऊपर उठाता और चुम लेता . सब खिलाडी उसे जल भूनकर देखते , उसके लिए मैं एक बड़ी ट्रॉफी थी.

जब हम वापिस होटल आये, नदीम वही रेसप्शन पर बैठा था . वह मुझे घर घर का गन्दी वासना भरी नजरों से बलात्कार कर रहा था. मैं हरीश के पीछे छुप गयी. हम  रiत भर वहा रहकर दूसरे दिन सुबह जाना था.

मुझे बार बार रात की घटना याद आ रही थी , दुखी कर रही थी, और खुद पर गुस्सा भी आ रहा था. मैंने दरवाजा क्यों खुला रखा ? मैंने नदीम को हरीश कैसे समाज लिया ? सब मेरी गलती थी .. मेरे आँखों से अभी भी आंसू आ रहे थे..हरीश ने कहा - जानू आई  ऍम सॉरी ..मुझे पता नहीं था कल की बात का तुम्हे इतना बुरा लगेगा . मैंने उससे कहा -  अब में तुमसे बिल्कुन नाराज नहीं हूँ, बस ऐसे ही .. लाइट मत जलाओ , बस ऐसे अँधेरे मैं तुम मेरे पास आ जाओ . हरीश मुझे पास पकड़कर, चूमने लगा , मेरे कपडे निकालने लगा , बहुत जल्दी हम दोनों नंगे थे , हमने तब से लेकर रात भर बहुत प्यार किया. हरीश ने कम से कम मुझे ४-५ बार चोद ही डाला था, मैं भी अपने  गुस्से में उससे चुदते चली गयी. हरीश की प्यार और काम क्रीड़ा की प्रहार से खुद का  गुस्सा शांत कर रही थी. बेखबर हरीश खुश था, में उसको पूरा सात दे रही थी. 

दोस्तों जब कभी किसी लड़की पर जबरदस्ती होती हैं तब उसके मन और आत्मा पर भारी आघात होता हैं और दर्द के घाव जिंदगी भर की लिए उमट  जातें हैं.  मुझे बार बार नदीम का गन्दा, भद्दा चेहरा और नंगा बदन और उसका हिंसक रूप आँखों के सामने दिखाई देता . आगे की जिंदगी में ,  मैं बहुत ज्यादा मजबूत हो गयी. बहार की दुनिया से बची रही, पर फिर से ऐसी घटना होने से रोक नहीं पायी. आगे मेरे सात मेरी जिंदगी ने फिर  से दो बार ऐसे खेल खेला और खेल खेलने वाले बहार के नहीं  बल्कि  घर की चार दीवारी में रहने वाले मर्द थे .  यह कैसे  हुआ , क्यों हुआ,  कब हुआ, सब  बाद में घटना क्रम के हिसाब से बताउंगी .

दूसरे दिन हम फिर से कॉलेज , हँसते, खेलते , छेड़-छाड़  करते बाइक से वापस आ गए. पर मेरा मन अभी भी शांत नहीं था. में २ दिन कॉलेज गयी , हरीश से मिलती , पर शाम को उसको मिलने नहीं गयी. तबियत ठीक नहीं  का बहाना बनाया .

दोस्तों आप सब को दशहरे की खूब शुभ कामना . बहुत तरक्की करे , प्यार करे , सेक्स का मजा उठाते रहे.. आपकी जिंदगी में हमेशा भरपूर धन, प्यार , सेक्स हो यही मेरी सच्ची शुभ कामना .

आपकी अपनी संध्या
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#28
(05-10-2022, 10:30 AM)Raj28 Wrote: Superb Sex story

Rhank yo Raj..keep encouraging and sending comments..  would continue to entertain u..  Heart
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#29
Waiting for update..
Meri Zindagi Ke Kuch Sachche or Kuch Masale ke sath Qisse..

Meri Zindagi Ki Dastan
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#30
बहुत ही सुन्दर कामुक स्टोरी है
आगे के अपडेट के इंतजार में
VIsit my story  

Main ek sex doll bani..https://xossipy.com/thread-2030.html

 uncle ne banai meri movie(bdsm).. https://xossipy.com/thread-40694.html
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#31
(08-10-2022, 04:21 PM)NehaStoryTeller Wrote: Waiting for update..

Thank You neha.. i wanted to keep my heroines name - neha - but saw ur name. Ur exclusive and only one type dear - and special...
will update in 2 days..
thanks and luv
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#32
(09-10-2022, 12:20 AM)luvnaked12 Wrote: Thank You neha.. i wanted to keep my heroines name - neha - but saw ur name. Ur exclusive and only one type dear - and special...
will update in 2 days..
thanks and luv

It's not exclusively mine.. there are so many others.. Btw Sandhya is also a good name..
Meri Zindagi Ke Kuch Sachche or Kuch Masale ke sath Qisse..

Meri Zindagi Ki Dastan
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#33
(08-10-2022, 08:22 PM)Karishma saxena Wrote: बहुत ही सुन्दर कामुक स्टोरी है
आगे के अपडेट के इंतजार में

Thank you Karishma Ji.. haa update jarur karunga
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#34
(09-10-2022, 08:43 AM)NehaStoryTeller Wrote: It's not exclusively mine.. there are so many others.. Btw Sandhya is also a good name..

Reply.. Joking..aapki tarah sirf ek hi neha
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#35
पार्ट १२: बुआ के घर

इस एक घटना ने मेरी जिंदगी हिला कर रख दी. दुनिया में नदीम जैसे शैतान हर नुक्कड़ पर मौके का फ़ायदा उठाने तैयार खड़े रहते हैं. मैं अब उस दिन से हरीश की मिलने जाती, पर गार्डन में अकेले जाने से मना करती.  कोई सेफ जगह हो तो ही हम जाते थे और एक दूसरे  से खूब प्यार करते. मेरी रूम पार्टनर अनीता ने बहुत पूछने की कोशिश की - क्या हुआ, हरीश के सात सेक्स हुआ क्या? कैसे रहा एक्सपीरियंस, पर मैं हंस कर उसे कुछ नहीं बताती और टाल देती थी. मैंने देखा की राजवीर और अनीता कुछ ज्यादा ही करीब आ गए थे और सात - सात बैठा करते. कॉलेज मैं यह भी अफवाह फ़ैल गयी की उनका भी अफेयर चल रहा.

एक दिन राजवीर और मैं लेबोरेटरी मैं प्रैक्टिकल कर रहे थे. राजवीर मेरा पार्टनर था, हम ऐसे  ही हमेशा की तरह हंसी मजाक कर रहे थे.. राजवीर  ने हँसते हुए कहा - संध्या मेरे सात भी कही बहार चलो..मजे करेंगे . मैंने गुस्से मैं कहा - चुप , थप्पड़ पड़ेगी तुझे एकदिन. वो बोला -  क्या यार , मैं तुमपर इतना मरता हूँ..तू ध्यान भी नहीं देती. मैंने कहा - तू तो अनीता के सात हैं. उसने कहा - मैं उसके सात हूँ क्यूंकि तू उसकी रूम पार्टनर हैं. खैर मैंने बात टाल दी .

फर्स्ट ईयर की एग्जाम के बाद, सर्दियों  की छुट्टीयो में , मैं मुंबई आ गयी . हमें बुआ की लड़की वर्षा के शादी मैं जाना था . मम्मी - पापा को तो  जाना जरुरी था  - लड़की के मामा - मामी जो थे. शादी गांव मैं थी. हम लोग २ दिन पहले ही बुआ के घर पहुँच गए. मैं वर्षा को देखकर एकदम खुश हो गयी..वह भी मेरा ही इंतजार कर रही थी. तभी पीछे से अकार किसी ने मेरे आँखों पर हात रखकर मेरी ऑंखें बंद कर दी और जोर से  उसकी और खींच कर  - अलग  तोते की आवाज निकाल  कर पूछा - पहचानो कोण हैं?  मैं थोड़ा पीछे की तरफ फिसल कर उसके शरीर पर गिर गयी. एकदम मजबूत , छाती और हाथ लग रहे थे.. कोई भारदस्त मर्द.. सब हंस रहे थे .. मैं सोचने लगी कोण हैं.. मैंने एक दो  नाम बताये पर सब गलत थे .  उसने फिर से आवाज बदल कर शैतानी अंदाज मैं कहा  - हार मान  लो..  जो कहूंगा वो करना पड़ेगा  ? .. बुआ बोली - अब छोड़ उसे..शैतान..मेरी भांजी इतने दिन बाद आयी. तंग मत कर उसे. मेरी आँखें खुल गयी..मैंने पलटकर देखा.. चेहरे पर तेज, शैतानी अंदाज, स्लीवलेस बनियान मैं कसी गठीली बॉडी और टाइट शॉर्ट्स - एकदम सेक्सी गांव का नौजवान मेरे बुआ का लड़का बंटी था.  २ सालों मैं वह कितना बदल गया था. वह मुज़से २ साल बड़ा था . मैंने कहा - बंटी तुम.. और झूठा झूठा अपने दोनों हाथों की मुट्ठी से उसके छाती पर मारने लगी. सब हंस रहे थे.. उसने फिर से मुझे चिढ़ाकर बोला - अरे क्यों मुझे मार रही, देखो मुज़से पंगा मत लो..तुमने काबुल किया हैं मैं जो मागूंगा वह तुम दोगी. मैंने भी जीभ बहार निकाल कर उसे चिढ़ाकर ठेंगा दिखा दिया. उस दिन बहुत सारे रिश्तेदार भी आ गए. शाम को मेहँदी थी - एक बड़े हॉल मैं . हम सब चचेरे, ममेरे, फुफेरे, मौसेरे भाई - बहन बहुत हंसी मजाक कर रहे थे .. हम सब बहुत दिन के बाद ऐसे फॅमिली फंक्शन मैं एकसात मिल रहे थे. हम सब ने वही हॉल मैं एक सात सोने का फैंसला किया. बातें भी होंगी  और एक दूसरे के सात टाइम भी स्पेंड करेंगे. तभी  मेरी आँखें स्वप्निल से टकरा गयी . स्वप्निल मेरी बुआ का भतीजा था - उनके बड़े जेठ का बेटा.  वह मुज़से बहुत फ़्लर्ट कर रहा था - मामा की बेटी - के रिश्ते से और शैतानी भी कर रहा था. उसकी नज़रों से साफ़ उसकी नियत का पता चल रहा था, स्वप्निल शहर से था और MBA कर रहा था, ६ फ़ीट हाइट, जिम बॉडी ,और आकर्षक पर्सनालिटी थी. उसने एक दो बार मजाक में मेरा हात पकड़कर  भी मरोड़ दिया था. रात को बहुत ठंडी थी, हमने बहुत भारी भारी रजाई और ब्लैंकेट लिए थे. 

कुछ देर बाद हम सब सोने लग गए थे , सब लड़के  बहार चले गए थे..शायद पीने का कुछ प्रोग्राम था. मैंने सलवार कुर्ता पहना था और  एक मोटी रजाई लेकर मैं वहां अपनी चचेरी बहन सुमन  दीदी के बाजू सो गयी.  थक गयी थी, जल्दी नींद आ गयी. बीच रात मैं मेरी ऑंखें खुली.  मुझे अपने पैरों पर कुछ स्पर्श महसूस हुआ. मैंने ऑंखें बंद रखी थी. मेरे दूसरी तरफ कोई रजाई ओढ़कर सोया था .. उसके हात मेरी रजाई के अंदर आकर ..मेरे  पैरों  पर घूम रहे थे. कोण था पता नहीं - पर हात किसी मर्द का था. मैं डर के मारी चुप रही - कही सुमन दीदी या बाकि घर वाले जग न जाये. धीरे धीरे उसके हात मेरे घुटने से जांघों पर आये और मेरी जंघा सहलाने लगा. ठंडी के दिन, उसपर उसका गरम हात.. मुझे उत्तेजित करने लगे थे .. और मेरी चुत गिल्ली हो रही थी. उसका हात धीरे धीरे अब मेरी चुत की तरफ बढ़ रहा था . कोन है  ये ? स्वप्निल या बंटी ? उसने सलवार के ऊपर से मेरी चुत पर हाथ फेर कर प्यार से सहलाने लगा. मेरी पैंटी और सलवार अब मेरी चुत के  पाणी से गिल्ली हो गयी थी. मुज़मे एकदम हिम्मत आयी..मैंने उसका हात जोर से पकड़ कर हटा दिया. वह शायद डर गया होगा - और अँधेरे में उठकर कमरे की दूसरी बाजू - जहाँ सब लड़के सोये थे - वहां चला गया.

दूसरे दिन सुबह उठकर चाय -नाश्ता ले रहे थे, तभी बुआ ने  कहा - बंटी जाओ - तबेले से दूध ले कर आओ .. आज मेहमान ज्यादा हैं. बुआ का अपना   भैंसो का बड़ा तबेला था - १५ - २० गाय और भैंसे थी. बहुत बड़ा खेत भी था. मैंने कहा - बुआ मैं भी जाउंगी.. मुझे भी गाय और भैंसे दखनी हैं. मैं झट से बंटी के सात चली गयी. बंटी  ने एक बड़ी स्टील की बाल्टी ली और उसमे एक लोटा पानी और एक चम्मच तेल डाल दिया . जाते जाते मैंने बंटी से कहा - आपने यह पाणी और तेल क्यों लिया ? बंटी ने कहा - दूध निकालना है न काम आएगा - अभी i तुम खुद देख लेना. जैसे हम तबेले गए .. वहां हरिया - बुआ का  ७० साल का बुड्ढा नौकर एक कच्छी मैं था..और भैंसों का पाणी से नहला रहा था. उसका पूरा बदन काला और तेल से चमक रहा था. मुझे देखकर बोला - आज संध्या बिटिया भी आ गयी ? बंटी ने कहा - हाँ हरिया चाचा, संध्या को देखना हैं की दूध कैसे निकलते . हरिया ने कहा - तू ही बता दे बंटी , और वह उनकी भैंसों को एक हात से पाणी की रबर की नली से पाणी डाल कर और दूसरे हातों से  भैंसों को साबुन से रगड़ का नहलाने लगे. बड़ा अजीब नजारा था - भैंसो का तेल और पानी लगा कर चिकना नहलाना - और हरिया सिर्फ गीली कच्छी  मैं था.. बहुत बार उसकी कच्छी भी भैंसे की शरीर  से रगड़ जाती और वहां अब एक बड़ा तम्बू बन गया था. मैं जानती थी उनका बूढ़ा लण्ड खड़ा हो गया था.

बंटी वही पास मैं एक धुली हुई जर्सी गाय के पास बाल्टी ले कर बैठ गया. मैं भी उसके पास जाकर देखने लगी. उसने बाल्टी से पानी और तेल का मिश्रण गाय की स्तन पर लगा कर गीले कर दिए . वह अपने दोनों हातों से गाय की स्तन को मसलने लगा. ऐसा करते वक़्त उसने  मेरी तरफ देखा और आँख मार दी - मैं शर्मा गयी. वह बोला - ऐसे करने से गाय गरम हो जाती और दूध निकालना आसान हो जाता. मुझे लग रहा था की मैं कितनी मुर्ख हूँ, बंटी से कैसे कैसे सवाल कर दिये  थे. बंटी अब अपने दोनों पैरों पर बैठ गया था और एक - एक स्तन को नीचे खींचकर मसल रहा था. मैं पास जा कर देखने लगी - मैंने कहा - बंटी दूध तो नहीं आ रहा. उसने कहा रुको जरा - इतना आसान नहीं हैं - फिर उसने एक स्तन को जोर से नीचे खिंचा - उससे एक जोरदार धार निकली - जो मेरे मुँह पर और  छाती पर आ गिरी. मैं एकदम हड़बड़ा गयी - और गीली होने से बचने पीछे हो गयी तो नीचे जोर से  बैठ गयी. हम दोनों बहुत हंसने लगे.  यह क्या बंटी .. ऐसे करते हैं? देखो मैं दूध से गीली हो गयी, अब कपड़ों पर निशान आ जायेंगे..  बंटी ने कहा - पास आओ मैं  सारा दूध चाट कर साफ़ कर देता हूँ. मैंने उसके गाल को हल्का प्यार से थप्पड़ मार दिया - चुप - कमीने. हरिया यह सब देख रहा था - उसके कच्ची अब डबल साइज की हो गयी थी. हरिया ने कहा - बबुआ - संध्या को भी सीखा दे दूध निकालना. उनके इस डबल मतलब के बातों से मैं शर्मा गयी. मैंने कहा - नहीं , मैंने नहीं सीखना , गाय लात मारेगी, मुझे डर लगता हैं.

बंटी ने कहा - डर मत संध्या मैं हूँ.. यहाँ आ जा..मेरे पास . मैं थोड़ा आगे हो गयी - बंटी के पास बैठ गयी.. बंटी ने कहा - पकड़ो इसको और नीचे खींचो  - जोर से. मैंने बंटी का देखकर , उस गाय के एक - एक स्तन को अपने  दोनों हातों से पकड़ लिया और जोर से  नीचे की तरफ खिंचा.. पर कुछ भी नहीं हुवा  - एक बून्द भी दूध नहीं आया . मैंने और ३-४ बार कोशिश की. मैं बहुत निराश हो गयी. बंटी ने कहा - अरे कोशिश करो - मैं सिखाता हूँ.. बंटी ने मेरे दोनों हातों को पकड़ लिया - और गाय के स्तनों को ऊपर पकड़ने लगा.. फिर उसने मेरी मुट्ठी जोर से दबायी और नीचे खिंचा - कुछ एक दो बून्द आयी.. मैं खुश हो गयी. उसने कहा हाँ ऐसे ही जोर से दबाकर. बंटी मेरे पीछे एकदम पास बैठा था..मैं अपने दोनों टांगों पर बैठी थी, और मेरे पीछे बंटी . मेरी गांड बंटी के जांघों के बीच थी. मुझे उसका ठोस कड़ा लण्ड मेरी गांड पर रगड़ता  महसूस हुआ. मैंने कहा - बस बंटी अब सीख गयी.. उसने कहा  - ठीक से संध्या - अब तुम्हे और प्रैक्टिस करनी पड़ेगी..पीछे से वह और मेरे पास आकर अपनी जांघों के बीच  मेरी गांड जकड ली. अब दूध की धार अच्छी मोटी आ रही थी..बंटी ने कहा - हा संध्या ऐसे ही - करते रहो - उसने अब उसका एक हाथ मेरे हात से हटा लिया और मेरी गांड के ऊपर नीचे से रख दिया. अब उसका एक हात मेरे एक हात के ऊपर था - जो गाय की स्तन को रगड़ कर दूध निकाल रहा था और दूसरे हातों से वह मेरी गांड सहला था. अब उसका हाथ और आगे की तरफ आ गया और मेरी चुत पर था . तभी मने देखा की हरिया अब नयी भैंस को नहला रहा था - कच्छे मैं से उसका काला मोटा लण्ड बहार आ गया था और भैंस की पीठ पर रगड़ रहा था.

मैं एकदम होश मैं आयी..मैंने कहा - अब बस बंटी , मैं जाती  हूँ.. और वहां से उठकर  जल्दी जल्दी घर के तरफ जाने लगी. मुझे बंटी ने कहा  - प्लीज रुको न संध्या -  अब तुझे बहुत कुछ सिखाना हैं.. मेरा भी दूध निकाल देती. और वह और हरिया जोर जोर से हंसने लगे.  मैं जल्दी जल्दी वहां से बूआ की घर की तरफ जाने लगी . तभी पैर में जोर की मोच की वजह से  मैं किसी से टकरा गयी.. आह .. ओह माँ .मर गयी . कह कर मैं गिरने वाली थी की उस आदमी ने मुझे जोर से जकड लिया और अपनी बाँहों मैं कस लिया. उसने कहा - ऐसे कैसे मरने देंगे तुम्हे.. तुम्हारे दिवाना तुम्हारे पास हूँ. मैंने देखा - स्वप्निल था. नाशीली आँखों से मुस्कराता मुझे देख रहा था और उसके दोनों हात मेरे स्तन पर रगड़ रहे थे. मैं कुछ देर उसके आँखों मैं खो गयी..फिर खुदको संभल कर बोली - थैंक यू , मुझे छोड़ो अब - जाने दो. उसने कहा अरे ऐसे कैसे जाओगी - तेरी पैर मैं मोच आ गयी..तुझे  गोदी मैं उठाकर ले जाता हूँ - और उसने मुझे झट से अपनी गोदी में  उठा लिया. मैंने गुस्से मैं कहा - छोड़ो मुझे  - कोई देख लेगा - गांव मैं बदनामी हो जाएगी और उसके चंगुल से निकल कर लड़खड़ाकर घर के तरफ चली गयी. बहार बुआ चारपाई पर बैठी थी. पूछा - अरे संध्या क्या हो गए - ऐसे क्यों चल रही.  मैंने बताया  - बुआ पैर मैं मोच आ गयी. बुआ ने कहा - ठीक हैं - मैं हरिया से बोलूंगी. वह अच्छी से मालिश कर देगा - पैर की नस ठीक हो जाएगी.

मैं वहां चारपाई पर बैठ गयी. मैं सोचने लगी - स्वप्निल और बंटी दोनों चचेरे भाई बड़े कमीने निकले . पर रह रह कर मेरा दिमाग रात की घटना पर जाता था. कोण होगा वह? स्वप्निल या बंटी ?

दोस्तों आपको क्या लगता हैं? कोण होगा? स्वप्निल या बंटी?  फिर क्या हुआ? क्या रात वाली घटना फिर से हो गयी?

आपकी संध्या 
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#36
Nice update, हरिया करेगा शायद बलात्कार, और रात को दोनो भाई बदल कर मजा करेंगे।
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#37
(10-10-2022, 08:50 PM)rekha6625 Wrote: Nice update, हरिया करेगा शायद बलात्कार, और रात को दोनो भाई बदल कर मजा करेंगे।

Thank you.. umm soch raha hoon...kaise chatapata kia jaye..thanks for the ideas..
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#38
पार्ट १३: हरिया चाचा से चुद गयी !

घर मैं बहुत भीड़ थी. हरिया काका मेरे पैर की मालिश करने की लिए एक कटोरे मैं सरसों का गरम तेल लेकर आये. मुजसे बोले - बिटिया छत पर चलो, यहाँ भीड़ में तुझे असुविधा होगी, ओर कुर्ते में तेल लग जायेगा , इसलिए कोई गाउन या मैक्सी पेहेन लो. तब तक में छत पर जाकर तैयारी करता हूँ. मैं सोंचने लगी की हरिया चाचा को क्या तैयारी करनी हैं  ? मैंने घर में जाकर एक गाउन पहन लिया. में अभी भी थोड़ा लंगड़ा कर चल रही थी. तभी हरिया काका निचे आये, ओर  बोले - अरे बिटिया रुको, में मदत करता हूँ ओर उन्होंने मुझे कमर से पकड़ लिया ओर सीढ़ियों से ले जाने लगे.  मुझे अपना पैर मोड़ने में दिक्कत हो रही थी, दर्द हो रहा था . उन्होंने मुझे अपने एक हात से आगे से मेरी कमर को पकड़ कर सहारा दिया, ओर दूसरा हात पीछे मेरी गांड को पकड़कर उठाने लगे, ताकि चलने में आसानी हो. लूज़ गाउन में उनका आगे का हात मेरे मम्मों को मसल रहा था ओर उसका दूसरा हात मेरी गांड पर सब जगह फेर रहा था,  में शर्मा रही थी, पर कोई इलाज नहीं था. छत पर मैंने देखा की दरवाजे पर पानी की टंकी थी ओर साइड में बड़ी दीवाल, जहा हरिया ने एक खटिया पर मोटी रजाई डाल कर रखी थी. बहार से कोई वहा देख नहीं सकता था. हरिया ने मुझे  बोला - आह  ! बहुत दर्द हो रहा, रुको, उन्होंने मुझे गोदी में उठा लिया ओर बांकी की सीढ़ियां चढ़कर धीरे से खटिया पर बिठा दिया. मुझे  यह सब बड़ा अजीब लग रहा था ओर गुस्सा भी आ रहा था. पर अब सत्तर साल के बुड्ढे को क्या कहना ? ऐसे भी इसका एक पैर स्वर्ग में हैं, यह बुड्ढा क्या करेगा? इस रंगीन बुड्ढे को बस ऐसे ही दबाने ओर मसलने में ख़ुशी मिलती होगी. 

हरिया काका मुझे खटिया पर बिठा कर मेरे पैरों के पास नीचे जमीन पर बैठ गया. उसने उँगलियों पर कटोरी में से तेल लगाया ओर धीरे धीरे मेरे पैर पर लगाने लगा. उन्होंने मेरे पैर की कोई  नस जोर से दबाई तो मैं - आह....करके चीख उठी. हरिया बोला - उह नस सच मैं लचक गयी हैं.. लगता हैं ऊपर तक खिंच गयी हैं. मैं अभी देखता हूँ कोनसी नस खिंच गयी है. मैं तुम्हारा पैर दबाऊंगा तुम बताना कहा दर्द होता हैं. उन्होंने मेरा पैर नीचे से दबाना चालू गया.. मैं उन्हें बताती - हाँ चाचा यहां .. अब वह मेरे घुटने तक हात ले कर आये, जिस से मेरी मैक्सी ऊपर हो गयी थी. फिर उन्होंने मेरी जांघों तक गाउन  उठा ली ओर जांघों को दबाने लगे..  एक जगह सच मैं दर्द हो रहा था... उन्होंने कहा - हा यही नस हैं,  पकड़ लिया..फिर से उन्होंने मेरे जांघ ओर पैर के बीच दबाया - वहा जोर से दर्द हुआ -- आह मर गयी.. अब मेरा गाउन..मेरी कमर के ऊपर पर  था ओर मेरी नंगी टांगें ओर पैंटी सब चाचा को दिख रही थी. चाचा मेरी जांघों पर तेल लगाकर मालिश कर रहे थे ओर बिलकुल मेरी पैंटी के पास रुकते. मेरी पैंटी गिल्ली होने लगी थी. मैंने झट से हरिया का हाथ हटाया - ऐसे नहीं चाचा..गाउन नीचे रहने दो, नहीं तो मैं चली जाउंगी. चाचा ने कहा - अरे पगली गुस्सा क्यों होती हो ? पर दर्द कम हो रहा ना ?  मैंने कहा -  हां , तभी चाचा ने कहा - बिटिया थोड़ी खड़ी रहो २ मिनट .. मैं जैसे खड़ी हो गयी - चाचा ने कहा - तेरी पैंटी पर तेल के दाग लग जाएगा,  दाग से ख़राब हो जाएगी, इसे निकाल ले.. और उन्होंने. एकदम से मेरी पैंटी दोनों तरफ से पकड़कर एक झटके मैं नीचे कर दी.. ओर मुझे फिर से खटिया पर बिठाकर मेरी पैंटी मेरे पैरों से निकल दी. मैं एकदम से सदमे मैं थी.. सब इतनी जल्दी कैसे हो गया. ? मैंने  तिलमिलाकर हरिया को गाल पर थप्पड़ मार दिया - कमिने, मैं तेरी पोती की उम्र की हूँ, शर्म नहीं आती. तेरी औकात क्या हैं? हरिया ने कहा - अरे बेटी तू गलत समज रही हैं..सरसो के तेल के दाग जाते नहीं, मैं तो अच्छा सोच रहा था..  चाचा मेरे तलवों को पकड़कर नीचे से ऊपर जाँघों तक नस पकड़ते हुए तेल से मालिश करने लगे. मुझे अच्छा लग रहा था, दर्द कम हो रहा था. मेरा गाउन इससे मेरी कमर के ऊपर तक चला जाता ओर , चाचा को मेरी नंगी खूबसूरती का दर्शन हो रहा था. तभी मैंने मेरे तलवों पर गरम, सख्त  चीज महसूस की. मैंने निचे देखा.. चाचा की लुंगी आगे से खुली ओर वह मेरे पैर उनके लुंगी के अंदर डाल कर अपने लण्ड को मेरे तलवों से मसल रहे थे . उनका एक हात मेरी गाउन को मेरी कमर की ऊपर पकड़ रखा था. ओर दूसरा हात मेरी जांघों की तेल से  मालिश कर रहा था ओर धीरे धीरे मेरी चूत की तरफ बढ़ रहा था. हरिया बोला - बिटिया क्या तुम बंटी से गाय का दूध निकालना सीख गयी  ? मैंने कहा - नहीं चाचा मुज़से नहीं होता. हरिया बोले - अरे इसमें मायूस होने की क्या बात हैं? प्यार से करोगी तो सब होगा. उन्होंने फिर से मेरी जांघ की नस पकड़ ली.. मुझे दर्द हुआ - आह.. ! मैंने भी जोर से मेरे पैर का तलवा उनके लण्ड के टट्टे पर दबा दिया. हरिया चाचा एकदम उठ गए..लुंगी खोल दी - आह ! बिटिया क्या करती हो ! मेरे टट्टे  फोड़ देगी क्या.. ? ओर मेरे सामने उनका लण्ड ओर टट्टे  अपने दोनों हातों से सहलाने लगे. ! मेरी आँखे  फटी की फटी रह गयी. हरिया चाचा का काला लण्ड - जहरीले  नाग की तरह बड़ी बड़ी  फुफकार मार रहा था . ओर उनके टट्टे भी उनके जांघों के नीचे तक लटक रहे थे. इतने नीचे लटकते टट्टे ओर लण्ड मैंने कभी नहीं देखा था. उनकी दर्द से  मुझे बुरा भी लगा .. मैंने कहा सॉरी हरिया, मुझे एकदम बहुत ज्यादा दर्द हुआ.. तुम लुंगी पहनो जल्दी से. हरिया चाचा बोले..बिटिया लगता हैं..तुम्हारे कमर तक मोच चली गयी.. ऐसे करो तुम खटिया पर पीठ के बल सो जाओ. पूरा दर्द ठीक कर दूंगा. उन्होंने फिर से उनकी लुंगी पेहेन ली..आगे की तरफ थोड़ी खुली थी. मैं जैसे पीठ के बल लेट गयी.. चाचा ने मेरे दोनों पैर ऊपर उठा दिए ओर मेरी पेट पर से छाती पर घुटने टक्कर दबाने लगे. इससे मेरे गांड एकदम ऊपर, आ गयी, मेरी चूत एकदम खुलकर बहार आ गयी . वह मेरे पैर उठता , फिर से मोड़कर मेरे सिने से चिपका देता .. ऐसे करते वक्त हरिया को थोड़ा मेरे ऊपर झुकना पड़ता .. मैंने उनका लण्ड खुली लुंगी से अपनी चूत पर रगड़ता महसूस किया. मैंने कहा - यह क्या कर रहे हो हरिया..जाओ.. उठो. हरिया ने कहा कुछ नहीं बिटिया..इससे से तेरा दर्द सारा ख़तम हो जायेगा .. ओर उसने उसके मोटे लण्ड का सूपड़ा मेरे चूत पर  रख दिया .

सटाक..!!  मैंने उसे एक जोरदार थप्पड़ लगा दिया ..जा हरामजादे ! ..कमीने.. ओर उससे धकेलने लगी.. पर इसका उल्टा असर हुआ.. जिस ताकद से मैं ऊपर उठकर उसको थप्पड़ मारी, उसका लण्ड सिररररर .. करता हुआ मेरी गिल्ली चूत के अंदर पूरा घुस गया. आह..मैं चीखने लगी..पर उसने मेरे मुँह पर अपना मुँह लेकर मुझे चूमने लगा. मेरे ओंठ चूसने लगा. मैं उसको धक्का मरने लगी, तभी उसने मेरे बाल जोर से पकड़ केर खींचे.. बोला - चुप मादरचोद.. आज तक मुझे किसी ने थप्पड़ नहीं मारा .. तेरी हिम्मत कैसे हुई.. आज तेरी चूत की चटनी बना कर खाऊंगा. गांव का देहाती मर्द , औरत पर जोर जबरदस्ती करके कैसे काबू मैं रखना उसे पता था. मैं डर गयी . दर्द से मेरी आँखों से आंसू आ रहे थे. हरिया..मुझे जोर जोर से धक्के मार कर चोद रहा था. वह करहा रहा था - आह .. इतनी खूबसूरत, चिकनी चूत पहली बार मिली. क्या मस्त चूत हैं..एकदम कुंवारी भैंसे जैसी. मैं उसको दूर लेटना चाहती थी पर, मेरे दोनों हाथ उसने मेरे सर पर ले जाकर एक हात से पकड़ रखे थे.. ओर दूसरे हात से वह मेरे मम्मे दबा रहा था. मैंने कहा - जंगली कही का ! छोड़ मुझे.. मेरे दिमाग काम कर रहा था - मन कर रहा था उसका खून पी जाऊ... पर . आह..उह....उफ़...करके मेरी चूत ने उसके लण्ड के स्वागत मैं अपना पानी छोड़ दिया !! यह क्या ? हे भगवन.. !

हरिया बोला - देखो बिटिया..मजा आ रहा न..बस कुछ देर ओर..बहुत मजा आएगा..सारा दर्द दूर हो जायेगा. मुझे गुस्सा भी आ रहा था ओर शर्म भी.. मेरे कमीना शरीर ओर भूखी चूत मेरे सात नहीं दे रही थी. जैसी उसका रिमोट हरिया के पास था... उसका रिमोट - हरिया का काला मोटा १० इंच का नाग था. हरिया ने फिर से मेरे घुटने ऊपर उठाये ओर मेरे कंधे के बाजू ऊपर रख दिए.. इससे  मेरी  गांड ओर भी ऊपर हो गयी, ओर उसका लण्ड सीधा पूरा पूरा मेरी चूत की अंदर बहार जाने लगा .. उसके लटके हुए टट्टे ..मेरी गांड पर थप - थप की आवाज से टकरा जाते. उसका मोटा लण्ड  सीधा मेरे दाणे से घिसकर चूत मैं अंदर - बहार धक्के लगाता. मेरा दाणा मसल कर रख दिया..मैं फिर से आह.....उफ्फ्फ..कर के दूसरे बार झड़ गयी ओर हरिया ने भी.. ले रंडी...ले हरिया को थप्पड़ मारने का  अंजाम - ओर आह..अहह..करके कई झटके मारके, मेरी चूत मैं अपना दूध डाल दिया. जिसे मुझे होश आया , वैसे मैं झट से हरिया को अपने ऊपर से धकेल दी ..ओर गाउन नीचे कर के..नीचे घर मैं चली गयी. बाथरूम जाकर अच्छे  से हात-पाँव  धो कर चूत भी धो डाली. ओर ... मेरी पैंटी ? वो तो छत पर ही थी ? पर मुझे अब वापस छत पर नहीं जाना था.  मैं  अपने कमरे मैं चली गयी . तभी मैंने महसूस किआ..मेरी मोच ओर दर्द..सब चला गया था. मैं थक कर सो गयी. 

तभी  दोपहर को बुआ मुझे उठाने आयी..संध्या कब तक सोयेगी..खाना भी नहीं खाया..चल उठकर खाना खा ले.. आज संगीत का कार्यक्रम हैं शाम को ..जल्दी तैयार भी होना हैं  , तुझे तो बहुत नाचना हैं आज. मैंने कहा - हा  बुआ जी, बहुत नाचूंगी, मेरी प्यारी बहन की शादी जो हैं. . मैंने खाना खाया ओर शाम की तैयारी मैं लग गयी. दोपहर का चाय ले रही थी, बंटी ओर स्वप्निल भी थे. मुझे बड़ी अजीब तरह से निहार रहे थे ओर कमीने नजरों से चोद रहे थे. मुझे बड़ा अजीब लगा. क्या हो गया अब इनको? शाम को मैं दुल्हन के सात तैयार हो कर मंडप मैं गयी. मैंने  एक अच्छा नीले - लाल रंग का शरारा पहना था. माँ की जिद्द थी अच्छीसे तैयार हो जाऊ ओर खूबसूरत दिखू ताकि रिश्तेदार देखे ओर आगे चलकर कोई अच्छा सा रिश्ता आये. में गहरे नीले रंग के शरारा में बहुत सुन्दर लग रही थी, ओर बैकलेस टॉप के वजह से मेरी गोरी पीठ सबको आकर्षित कर रही थी. स्वप्निल ओर बंटी मुझे देखकर आंखें सेख रहे थे. स्वप्निल के पास एक सोनी का हैंडीकैम था  जिससे वह सब की छोटी छोटी वीडियो  ले रहा था. संगीत मैं बहुत जोर-शोर से नाच-गाना हो रहा था. मैं, बंटी ओर स्वप्निल दोनों एक दूसरे के सात मिलकर बहुत नाच रहे थे . दोनों मुज़से शरारत भी करते. यही तो होता हैं शादियों मैं. हर जवान लड़का - लड़की की फ़िराक मैं रहता हैं. दूल्हा - दुल्हन के सात वह भी अपने लण्ड की प्यास बुझाने का इंतजाम शादियों मैं आई लड़कियों को पटाकर करना चाहता हैं.  बंटी की शैतानी बढ़ रही थी, नाचते-नाचते धीरे से वह अपने हातों से मेरे मम्मे दबा देता, या गांड मसल देता. उसकी हिम्मत बढ़ गयी थी. मेंसे उसको डांट दिया - या क्या कर रहे हो बंटी, शर्म करो . मैं तुम्हारी बहन हूँ. बंटी ने मुझे फिर से जोर से कमर पर पकड़ लिए ओर हलके से गालों को चुम लिया. बोला - मामा की लड़की हैं तू, पहला अधिकार मेरा था. मैंने कहा - चुप शैतान, कोनसा अधिकार , किसका अधिकार, ओर था मतलब?

उसने कहा इधर आ कुछ दिखता हूँ.. ओर  मुझे एक कार्नर मैं ले कर गया, जहाँ कोई नहीं था . उसने अपनी जीन्स की जेब से कुछ निकाला ओर मुझे दिखाया .. मेरे होश उड़ गए.. मुझे पसीना छुट गया.. मैं गिरने वाली थी पर उसने मुझे पकड़कर संभाल लिया...   
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#39
Nice update,
आखिर हरिया मोर्चा मार ही गया रगड़ कर बजायी, और 10 इंच से चोद कर खुश कर दिया, कोई शिकायत भी नही कि, अब बंटीऔर स्वपनिल की बारी, लगता है वीडियो बना लिया है हरिया की चुदायी का, 
सही कहा बंटी ने मामा का लड़का था पहले उसका हक का नॉकर से फड़वा ली चूत, वैसे ये दोनों भी चुतिया निकले अगर मौके पर पहुँच गए थे तो वीडियो की जगह हरिया की गांड ओर मारकर उसी समय चोदते।
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#40
(12-10-2022, 07:02 PM)rekha6625 Wrote: Nice update,
आखिर हरिया मोर्चा मार ही गया रगड़ कर बजायी, और 10 इंच से चोद कर खुश कर दिया, कोई शिकायत भी नही कि, अब बंटीऔर स्वपनिल की बारी, लगता है वीडियो बना लिया है हरिया की चुदायी का, 
सही कहा बंटी ने मामा का लड़का था पहले उसका हक का नॉकर से फड़वा ली चूत, वैसे ये दोनों भी चुतिया निकले अगर मौके पर पहुँच गए थे तो वीडियो की जगह हरिया की गांड ओर मारकर उसी समय चोदते।

थैंक यू रेखा जी,

क्या करे आपकी इच्छा का सम्मान करना पड़ा. हरिया चाचा  अनुभवी हैं, आजकल के लोंडे कहा टिक पाएंगे? हाँ हमारे देश मैं कुछ समज मैं प्रथा हैं - बुआ का लड़काऔर मामा की लड़की की शादी का.. यही ध्यान मैं रखकर किया  हैं. आप प्रतिक्रिया जरूर देते रहिये. यह भाग आप की प्रतिक्रिया को समर्पित  करता हूँ.
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