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(19-08-2022, 05:03 PM)Abhi T Wrote: Mere hisab se to uski chudai tailor se hi honi chahie abhi sirf use seduce karo jitna ho sakta hai aur story bahut acchi ja rahi hai aage aapko jaisa achcha Lage
review dene ke liye dhanyawad bhai . nai update par bhi mujhe apke review ka wait rahega . agar kahin kuch galti milti hai to jarur btaye main usme sudhar karne ka paryas krunga . dhanyawad
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(19-08-2022, 10:55 PM)saya Wrote: आप की कहानी है अपने हिसाब से लिखो भाई पर इतनी जल्दी सेक्स मत करवाना पदमा को और मज़े लेने दो टेलर के नितिन के वरुण के और भी हो सक्ते है support karne ke liye dhanyawad bhai . nai update par bhi apne vichar jarur de . dhanyawad.
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Fantastic update bro bus likhate jao aur aise hi acchi acchi aur badi update dete jao story bahut acchi ja rahi hai
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Kal ke sabhi update bahut hi hot n erotic the,aasani se padma ko koi.chod na paye, abhi ye kamotejak khel chalta rhna chahiye, ek do bar to padma ke husband ko bhi lekr aao mouke pr, jisse padma ko pakde jane ka dar paida ho, aur uske andr ki ghrelu pativrata nari jag uthe aur wo ye sab band krna chahe, lekin ye sabhi milkr phir use hawas ki duniya me khich le jaye
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Waiting bro....osm story hai
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6. अभी दोपहर के 3:30 बज रहे थे वरुण को इस समय अपने यहाँ देखकर मुझे थोड़ी हैरानी हुई पर फिर जब उसके हाथों मे किताब देखि तो मुझे याद आ गया की मैंने ही उसे दोपहर मे आने को बोला था । मेरी हालत खराब थी, बाल बिखरे हुए , होंठों की लाली भी गायब थी, चेहरे का रंग उड़ा हुआ था और घबराहट मे मेरी साँसे तेज-तेज चल रही थी जिसके कारण मेरे बूब्स ऊपर नीचे हो रहे थे मेरी हालत देख किसी को भी ये अंदाजा हो सकता था
कि मेरे साथ जरूर कुछ गड़बड़ हुई है वरुण मेरे सामने खड़ा था पर उसकी निगाहें कहीं ओर थी मैंने उसकी निगाहों का पिछा किया तो पाया उसकी निगाहें लगातार मेरे सूट मे कसे बूब्स को निहार रही थी जल्दी जल्दी मे मैंने ब्रा तो पहनी ही नहीं थी और घबराहट के मारे मेरे बूब्स भी कुछ ज्यादा ही उछल रहे थे जिन्हे वरुण बिना पलक झपकाए अपनी आँखों से घूरे जा रहा था , मानों आँखों से ही उनका माप ले रहा हो । वरुण मुझसे 8 साल छोटा था अपने से इतने छोटे लड़के की आँखों से अपने हुस्न का यूँ पीये जाना मुझे घायल करने लगा और मेरे गाल शर्म से लाल हो गए । मैंने वरुण का ध्यान तोड़ते हुए कहा -
मैं - वरुण तुम यहाँ ?
वरुण मेरी आवाज से जैसे नींद से जागा और बोला -
वरुण - ओह ।। हाँ भाभी अपने बुलाया था ना दोपहर मे ट्यूशन के लिए ?
मैं - अरे हाँ , हाँ.... आओ अंदर आजाओ ।
इसके बाद मैं खुद अंदर की ओर चल दी और मेरे पीछे-पीछे वरुण भी अंदर आया । मेरे पीछे आते हुए भी वरुण लगातार मेरी पीठ , कमर और मेरे नितम्बों का पूरा नाप अपनी आँखों से ले रहा है इसका अंदाजा मुझे होने लगा ।
अंदर हॉल मे पहुँचकर मैंने वरुण को सोफ़े पर बेठने को कहा और उसके लिए पानी लेने कीचेन मे चली गई । कीचेन मे जाकर देखा तो वहाँ की हालत भी कुछ ठीक नहीं थी पूरे फर्श पर आटा गिर हुआ था और सामान इधर उधर बिखरा पड़ा था सारी स्थिति को देखकर मुझे फिर से घबराहट होने लगी ।
"इस नितिन के बच्चे ने मुझे कितनी बड़ी मुसीबत मे फंसा दिया अगर वरुण कीचेन मे आ गया तो या फिर उसने सोफ़े के पीछे पड़ी मेरी साड़ी देख ली तो या अगर बेडरूम मे जाकर उसकी हालत देख ली तो वो क्या सोचेगा उसके मन मे मेरे बारे मे क्या धारणा बनेगी ? ये आज मैंने क्या कर दिया ? " मैं अपने मन मे इन्ही सवालों से जूँझ रही थी । तभी बाहर से वरुण की आवाज आई -
वरुण - भाभी !
मैं (किचन मे से ही ) - हाँ वरुण बोलो ?
वरुण - आज आपके घर कोई आया था क्या दिन मे ?
वरुण की ये बात सुन मेरी तो हालत पतली हो गई कहीं वरुण ने नितिन को देख तो नहीं लिया घर मे आते अब क्या होगा ? मेरे मुहँ से शब्द नहीं निकल रहे थे फिर भी मैंने हिम्मत करके कहा -
मैं - नहीं तो .. क्क् क्यूँ क्या हुआ ?
वरुण - कुछ नहीं आज पार्क के बाहर एक बाइक खड़ी देखी थी । पार्क मे तो कोई था नहीं तो मुझे लगा की शायद आपके घर ही कोई आया होगा ।
मैंने चैन की साँस ली थैंक्स गॉड वरुण ने नितिन को नहीं देखा अगर देख लेता तो ना जाने वो क्या सोचता ? मैंने वरुण की बात का जवाब दिया ।
मैं - अरे ,कोई वहाँ खड़ी करके किसी काम से गया होगा । इधर कोई पार्किंग भी तो नहीं है ।
वरुण - हम्म ।
तब तक मैं पानी का ग्लास लेकर वरुण के पास आई ओर उसे वो पानी का ग्लास दिया पानी का ग्लास लेते हुए भी वरुण लगातार मेरे बूब्स पर नजरे बनाए हुए था ।
मुझे आश्चर्य इस बात का था की वरुण कब इतना बड़ा हो गया मुझे पता ही नहीं चला 4 साल पहले जब हम इस सोसाइटी मे आए थे तब वो बस 15 साल का था और मेरे साथ लूडो , कैरम जैसे खेल खेलता था पर अब तो जैसे लगता है की वो किसी और चीज से ही खेलना चाहता है । मैंने वरुण से कहा - " वरुण , तुम अपनी किताबे निकलो मैं बस अभी आई "
इतना बोलकर मैं अपने बेडरूम की ओर चल दी बेडरूम मे जाकर मैंने जल्दी से अपनी बेडशीट ठीक की अपने बालों को बाँधा और होंठों पर हल्का लिप-केयर लगाया जिससे किसी को कोई शक ना हो । फिर मैं बाहर आई तो देखा वरुण अपने मोबाईल मे खोया हुआ है और उसकी किताबे वैसे की वैसी बंद पड़ी है ।
मैं वरुण के पास गई तो देखा की वो किसी से चैटींग कर रहा था किससे कर रहा था ये तो मुझे पता नहीं चल सका । मैंने उससे थोड़ा जोर से पुकारा और कहा - " वरुण !"
वरुण एकदम से मेरी आवाज सुनकर थोड़ा घबरा गया और अपना मोबाईल बंद करके वही सामने टेबल पर रख दिया फिर बोला - " जी .. जी भाभी ?"
मैं - ये क्या मैंने तुमसे कहा था की अपनी किताब खोलो और तुम मोबाईल देखने मे लग गए । थोड़ा पढ़ाई पे ध्यान दो । तुम्हारी मम्मी कितनी परेशान है तुम्हारी पढ़ाई को लेकर और तुम हो की पढ़ते ही नहीं ।
वरुण - वो .. वो सॉरी भाभी । एक मैसेज का रिप्लाई देने लगा था अब आगे से एसा नहीं होगा मैं अभी किताब खोलता हूँ ।
इतना बोलकर वरुण अपनी बुक को खोलने लगा मुझे भी लगा की मैंने वरुण को शायद थोड़ा ज्यादा ही जोर से बोल दिया । मैंने बात को बदलते हुए बोला - " अच्छा चलो ठीक है कोई बात नहीं आज पहला दिन है तो आज हम केवल अकाउंट्स के कुछ बेसिक टोपिक पर बात करेंगे । ठीक है ? "
वरुण - जी भाभी ।
मैं वरुण के सामने वाले सोफ़े पर बेठ गई और एक नजर उसकी बुक पर डाली मुझे पढे हुए काफी वक्त बीत चुका था इसलिए मैंने पहले बुक के एक टॉपिक को अच्छे से पढ़ा उसे अनालाइज़ किया फिर वो टॉपिक वरुण को एक्सपलैन किया । पर मेरी मुश्किल ये थी की वरुण पढ़ाई मे बोहोत कमजोर था और एक छोटी डेफ़िनिशन को समझने मे ही उसे बहोत टाइम लग रहा था मुझे तो इस बात की हैरत थी की वो 1st ईयर मे पास कैसे हो गया । दूसरा उसका ध्यान पढ़ने मे कम और मेरे बूब्स पर ज्यादा था जिससे मुझे भी उसके सामने बेठने मे शर्म आ रही थी मेरे मन मे आया की जब बेडरूम मे गई थी तभी मुझे ब्रा पहन लेनी चाहिए थी अब मेरी पेन्टी भी मुझे परेशान करने लगी थी
क्योंकि मेरी योनि का चुतरस अब सूख चुका था और मेरी पेन्टी की रगड़ मेरी योनि को कष्ट देने लगी जैसे - जैसे मे अपनी जांघे आपस मे रगड़ती एक रगड़ मेरी योंनि पर भी लग जाती । वरुण की अपने बूब्स पर चुभती निगाहे और नीचे से योनि पर सूखी पेन्टी की रगड़ मेरे लिए सीधे बेठना मुश्किल होने लगा । तभी वरुण के मोबाईल पर एकदम से कई मैसेज आए वरुण फोन उठाना चाहता था उसने मेरी ओर देखा पर उसकी कुछ कहने की हिम्मत ना हुई ओर फिर वो चुपचाप अपनी बुक मे देखने लगा । मैंने सोचा चलो कम से कम अब ये मुझे अब ऐसे ताड़ेगा तो नहीं , पर नीचे की खुजली अब भी मुझे परेशान करने मे लगी थी मैं सोच ही रही थी के इसका क्या करू ? तभी वरुण ने मेरी ओर देखा और कहा - " भाभी !"
मैं - हाँ ?
वरुण - वो मुझे वॉशरूम जाना है ?
मैं - हाँ जाओ ओर जल्दी वापस आना । आज ये सभी डेफ़िनिशन तुम्हें याद करनी है ।
इसके बाद वरुण बिना कुछ बोले उठा और अपना फोन लेकर वाशरूम की तरफ जाने लगा उसे फोन ले जाते हुए देख कर मुझे थोड़ा अजीब लगा पर मैंने उसे कुछ कहा नहीं । वरुण पहले हमारे घर बोहोत खेलता था पर जैसे-जैसे उसकी उम्र बढ़ती गई उसका आना कम होता गया और पिछले 1-1.5 साल से तो वो बोहोत ही कम घर आता था पर उसे घर की हर जगह का पता था । वरुण सीधा वॉशरूम की ओर चला गया । उसके जाने के बाद मैंने सोचा क्यूं ना मैं भी जल्दी से अपनी पेन्टी निकाल दूँ , इससे मुझे बोहोत परेशानी हो रही है तब तक वरुण भी आ जाएगा । ऐसा सोचकर मैं भी उठकर बाथरूम की ओर चल दी । बाथरूम से पहले वाशरूम पड़ता है जहां वरुण गया हुआ था । मैं नहीं चाहती थी के वरुण वो पता चले की मैं वहाँ हूँ तो मैं दबे पाँव बाथरूम की तरफ जाने लगी जाते हुए मैंने देखा की वाशरूम का दरवाजा खुला हुआ है मुझे ये देखकर कुछ अजीब लगा वरुण ने जाते हुए दरवाजा क्यों नहीं बंद किया । मेरे मन मे थोड़ी उत्सुकता जागी इसलिए मैं छिपकर धीरे से वाशरूम के गेट के पास पहुँची ओर अंदर देखने की कोशिश करने लगी अंदर का नजारा देख मेरे होश उड़ गए । अंदर वरुण ने अपना लिंग अपनी पेंट से बाहर निकाला हुआ था ओर अपने एक हाथ मे उसे पकड़ा हुआ था और दूसरे हाथ मे मोबाईल लेकर कुछ देख रहा था ।
हे भगवान !.. इतना बड़ा लिंग है वरुण का ।
आज मुझे पता चल गया की सिर्फ वरुण बड़ा नहीं हुआ बल्कि उसके जिस्म के दूसरे अंग भी बड़े हो गए है । कल तक जिसे मैं बच्चा समझती थी वो अब एक पूरा जवान मर्द बन चुका है इसका अंदाजा मुझे उसके लिंग के आकार से हो गया । उसे इस तरह अपने बाथरूम मे देखकर मेरा दिल जोर जोर से धड़कने लगा और साँसे भी तेज हो गई घबराहट मे मुझे डर भी लगने लगा पर एक अजीब सी ख्वाहिश भी मन मे पैदा होने लगी उसे थोड़ी देर ओर ऐसे ही देखने की । मैं ये भी भूल गई की मुझे अपनी पेन्टी भी निकालनी थी जिसके लिए मैं यहाँ आई थी मेरी नजर तो उसके लिंग पर ही अटक गई वो था ही इतना आकर्षक । शादी के बाद ये पहली बार था जब मैंने अशोक के अलावा किसी पराए मर्द का लिंग देखा था वरुण का लिंग अभी अपनी तनाव की स्थिति मे नहीं था पर फिर भी बोहोत बड़ा दिख रहा था । मैं ऐसे ही उसे छिपकर देखने लगी मेरा ध्यान तब टूटा जब उसने अपना लिंग हिलाना शुरू किया मैं समझ गई की ये अब क्या करने वाला है मुझे इसे रोकना होगा , मैं धीरे-धीरे पीछे की ओर हटी ताकि वरुण को पता ना चले की मैं छिपकर उसे देख रही हूँ । फिर मैं धीरे से हॉल मे आ गई ओर सोफ़े पर बेठ खुद को शान्त करते हुए वरुण को एक आवाज लगाई ।
मैं - वरुण !
वरुण( वाशरूम के अंदर से )- हाँ भाभी । बस अभी आया ।
मैं - जल्दी करो कहाँ रह गए ।
वरुण - बस आ रहा हूँ भाभी ।
वरुण की आवाज मे एक उदासी ओर घबराहट दोनों थी जिससे पता चल रहा था कि मैंने उसका बनता काम बिगाड़ दिया । फिर कुछ ही देर मे वो वॉशरूम से निकल आया ओर हॉल मे आ गया मैंने उसकी ओर देखा तो पाया वो कुछ बेचैन सा था जैसे उसका कुछ काम अधूरा रह गया हो जैसे ही मेरी नज़रे वरुण की पेंट पर गई मेरी तो एक बार को फिर साँस अटक गई
उसका लिंग पेंट के अंदर अपने पूरे आकार मे आ चुका था जिसका पता उसकी पेंट के ऊभार को देख कर लग सकता था । अपने आप को संभालते हुए मैंने वरुण के लिंग से नज़रे हटाई ओर वरुण की ओर देखकर बोली - " बेठ जाओ वरुण । "
मेरी बात सुन वरुण मेरे सामने वाले सोफ़े पर बेठ गया ओर अपनी किताब मे देखने लगा । ना वो कुछ बोला ना ही मैं । मुझसे तो कोई बात शुरू ही नहीं की जा रही थी जिस लड़के को मैं पिछले 4 साल से जानती थी आज वो मेरे लिए बिल्कुल अलग बन चुका था मेरे मन मे वरुण के लिए जो भावनाए थी वो भी बदल चुकी थी । "क्या वरुण सच मे इतना बड़ा हो गया था " ये तो मुझे पता ही नहीं चला । वरुण बिना कुछ बोले बस अपनी बुक मे देख रहा था । मैंने ही स्थिति को नॉर्मल करने के लिए वरुण से कहा - " क्या कर रहे थे वरुण ? इतनी देर लगा दी । "
मैंने ये सवाल पूछ कर गलती की है इसका अंदाजा मुझे वरुण के जवाब से हो गया ।
वरुण - भाभी वो पेंट की जिप अटक गयी थी उसे ठीक करने मे थोड़ी देर हो गई ।
उसके इस जवाब पर मैंने कोई प्रश्न नहीं किया ओर चुप-चाप बैठी रही । फिर कुछ सोचकर उससे कहा - वरुण !
वरुण - हाँ भाभी ?
मैं - सब ठीक से तो समझ आ रहा है ना तुम्हें कोई परेशानी तो नहीं ?
वरुण - नहीं भाभी सब अच्छे से समझ आ रहा है ।
मैं - अगर कोई प्रॉब्लम हो तो पूछ लेना ।
वरुण - ओके टीचर भाभी ।
इतना बोलकर वो मुस्कुरा दिया और उसकी इस बात पर मैं भी हँस पड़ी ।
देखते ही देखते 5 बज गए । वरुण ने एक नजर घड़ी की ओर डाली ओर अपनी बुक बंद करके जाने की तैयारी करने लगा । जाने से पहले उसने मुझे वो डेफ़िनिशन सुनाई जो मैंने उसे याद करने को दी थी पर 5 डेफ़िनिशन मे से वो बस 2 ही सही से सुन पाया 1 थोड़ी कम याद थी ओर बाकी की 2 मे तो उसका बिल्कुल डब्बा गोल था । इतना तो मैं जान गई थी के वरुण को बोहोत मेहनत की जरूरत है उसके माइन्ड मे डिस्टरेक्शन बोहोत है और इसका कारण भी मुझे पता चल गया था वो उसका मोबाईल था । उसके अंदर के डिस्टरेक्शन को खत्म कैसे किया जाए इसका पता तो तभी लग सकता था जब उसके मोबाईल मे क्या है ये पता लगे । खैर वरुण खड़ा हुआ ओर जाने लगा । जाने से पहले मैंने एक बार फिर से उससे कहा - " वरुण !"
वरुण - हाँ भाभी ।
मैं - तुम्हें कॉलेज मे कोई परेशानी तो नहीं ।
वरुण - नहीं भाभी कोई नहीं सब सही है । क्यों क्या हुआ ?
मैं - कुछ नहीं बस ऐसे ही पुछा । अगर तुम्हें कोई भी दिक्कत हो चाहे वो पढ़ाई से हटकर हो तुम मुझसे शेयर कर सकते हो ओके ।
वरुण - ओके ठीक है टीचर भाभी बाय । कल मिलते है ।
मैं(हँसते हुए ) - बाय । सी यू टूमोरो ।
इसके बाद वरुण चला गया मैंने गेट अंदर से लॉक किया ओर फिर आके सोफ़े पर बैठ गई । आज मैं बोहोत थक गई थी और इसका कारण दिनभर मे मेरे साथ हुई घटनाए थी सोफ़े पर बैठ दिनभर की हुई घटनाओ के बारे मे सोचने लगी "आज नितिन के साथ जो कुछ भी हुआ वो ठीक नहीं हुआ । मुझे खुद को इन सब चक्करों मे पड़ने से रोकना होगा मैं अपनी शादी-शुदा जिंदगी मे आग नहीं लगा सकती आज तो नितिन हद से ही आगे बढ़ गया था और मैं चाहकर भी उसे रोक ना पाई अगर वरुण उसी समय डॉर बेल ना बजाता तो आज मुझे नितिन के हाथों बर्बाद होने से कोई नहीं बचा सकता था और मैं उसे रोक भी ना पाती । मुझे कुछ भी करके अपनी बढ़ती हवस को काबू मे करना ही होगा नहीं तो मेरी बर्बादी तय है । ओर कही अगर किसी ने नितिन को यूँ मेरे घर मे घुसते और निकलते देख लिया तो क्या होगा आज तो वैसे भी वरुण ने उसकी बाइक घर के सामने पार्क के किनारे देख ही ली थी अगर किसी ओर ने देख लिया होता तो कोई क्या सोचता । नहीं-नहीं ऐसा नहीं होगा मैं खुद को संभालूँगी मैं अशोक को धोखा नहीं दे सकती ।" इन्ही सवालों को सोचते हुए मैंने घड़ी पर नजर डाली तो देखा 5:30 बज रहे थे । वक्त बोहोत बीत चुका था और मुझे काफी काम था मैं सोफ़े से उठी ओर घर के कामों मे जुट गयी सबसे पहले पूरे कीचेन को साफ किया कीचेन मे जगह जगह पर आटा बिखर हुआ था कीचेन कि अच्छे से सफाई के बाद मैंने अपने आज दिन के कपड़े ( जो बाथरूम मे नितिन ने उतारे थे और साड़ी जो मैंने जल्दी-जल्दी मे सोफ़े के पीछे फेंक दी थी ) धोने के लिए वाशिंग मशीन मे डाल दिए । और खुद को साफ करने के लिए नहाने चली गई चूंकि वरुण के आने पर मैंने जल्दी-जल्दी मे सिर्फ एक लेगिन्ग और सूट पहन लिया था । आमतौर पर मैं घर मे साड़ी ही पहनती हूँ , सूट या कुर्ती तो जब ही पहनती हूँ जब मैं अपने मायके या गाँव के ससुराल जाती हूँ । तो एक बार फिर मैंने साड़ी निकाली एक ब्रा और पेन्टी , ओर उन्हे लेकर बाथरूम मे चली गई । बाथरूम मे जाकर मैंने अपना सूट निकाला और उसके निकलते ही मेरे सूट मे कसे बूब्स बाहर छलक आए क्योंकि ब्रा तो मैंने पहनी ही नहीं थी मुझे ध्यान आया की किस तरह वरुण मेरे सूट मे बिना ब्रा के बूब्स को घूर घूर के देख रहा था फिर मैंने अपनी लेगिन्गस की ओर हाथ बढ़ाए ओर उसे निकालने लगी और उसके निकलते ही मेरे पूरे बदन पर बस एक पेन्टी ही रह गई मैंने हाथ लगाकर उसे देखा तो तो उसपर लगा मेरी योनि का चुतरस बिल्कुल सूखा हुआ जिससे पेन्टी काफी खुरदुरी हो गई थी मैंने उसे निकाला और शावर चला कर नहाने लगी नहाकर मैंने अपनी दूसरी ब्रा और पेन्टी पहनी फिर पेटीकोट और ब्लाउज डाल लिया साड़ी लपेटी और बाथरूम से बाहर आई । बाहर आकर सबसे पहले अपने बेडरूम मे गई ओर फिर थोड़ा हल्का मेकप किया । इतने मे देखा तो 6:30 बज चुके थे अशोक 7 बजे तक घर आ जाते थे इसलिए मैंने जल्दी से कीचेन मे जाकर रात के खाने की तैयारी शुरू कर दी ।
लगभग 7:10 बजे घर को डॉर बेल बजी ये अशोक के आने का संकेत था मैं तुरंत गेट पर गई ओर गेट को खोला ।
ये अशोक ही थे और मुझे देखकर मुस्कुरा रहे थे अंदर आते ही अशोक ने मुझे बाहों मे भर लिया ओर जोर से ऊपर की ओर उठाकर खिलखिलाते हुए हँसने लगे । मुझे ये आज कुछ अलग लगे रोज तो इस तरह नहीं खुश होते जरूर आज कुछ खास बात है । मैंने अशोक की खुशी का राज जानने के लिए उससे पुछा -
मैं - अरे क्या हुआ ? इतने खुश कैसे हो आज बताओ तो सही ।
अशोक( मुझे नीचे उतरते हुए )- अरे खुशी की तो बात ही है । आज तुम्हारा पति अपने ग्रुप का हेड बन गया ।
मैं ( हैरानी से )- हेड ? पर वो तो नितिन था ना ? फिर आप कैसे ?
अशोक - अरे बताता हूँ जरा आराम से बैठो तो ।
इतना कहकर अशोक मुझे लेकर हॉल मे आए ओर अपने पास सोफ़े पर बैठा लिया ।
मैं - हम्म । तो अब बताओ कैसे बने आप ग्रुप के हेड ?
अशोक ( खुशी से)- तो सुनो । आज कंपनी के एक प्रोडक्ट की प्रेजेंटेशन थी जिसे नितिन को कंपनी के शेयर होल्डर्स के सामने शो करना था । पर वो ठहरा अपनी धुन मे मस्त आदमी ना बॉस का ख्याल ना कंपनी की चिंता । ना जाने कहाँ रहा पूरे दिन और जब आया तो कंपनी के शेयर होल्डर्स जा चुके थे ।
मैं तो जान गई के नितिन मेरी वजह से आज अपनी प्रेजेंटेशन खो बैठा आज उसने अपना सारा टाइम तो यहीं लगा दिया । उसे कहाँ किसी ओर चीज का ध्यान था वो तो आज बस मुझे ही बर्बाद करने का इरादा करके आया था । कुछ ओर बात जानने के लिए मैंने अशोक से फिर कहा -
मैं - ओह । इससे तो कंपनी का भी नुकसान हो गया होगा ?
अशोक - अरे नहीं सुनो तो .. .. जो प्रेजेंटेशन नितिन को शो करनी थी वो फिर मैंने शो की और शेयर होल्डर्स को वो पसंद भी आई । बॉस को नितिन पर बोहोत गुस्सा आया कि इतने जरूरी काम को छोड़ वो अपनी ही मस्ती मस्त है , इसलिए बॉस ने नितिन की छुट्टी कर दी ओर मुझे ग्रुप का हेड बना दिया ।
मैं - तो क्या नितिन को कंपनी से निकाल दिया ?
अशोक - नहीं ! .. .. वो चाहे कितना भी निकम्मा क्यों ना हो है तो बॉस का भतीजा ही ना इसलिए उसको तो निकालने का सवाल ही नहीं ।
मैं - तो फिर .. ..
अशोक - उसे बस कुछ दिनों की छुट्टी दी है ऑफिस से अब वो कुछ दिन बेंगलोर रहेगा वहाँ कंपनी की दूसरी ब्रांच है वहाँ उसे दूसरे ऐम्पलॉयज के साथ मिलकर काम करना पड़ेगा ।
मैं - हम्म । पर कहीं वो तुमसे नाराज तो नहीं हो गया की तुमने उसकी जगह हथिया ली ?
अशोक - अरे होने दो , कंपनी के बॉस ने खुद मुझे उसकी जगह अपॉइन्ट किया है वो क्या बिगाड़ लेगा ?
मैं (मन मे )- तुम्हारा तो कुछ नहीं पर अपनी इस बेइज्जती का बदल वो तुम्हारी बीवी की इज्जत से लेगा । आज ही बड़ी मुश्किल से जान बची है अगर वरुण समय रहते डॉर बेल ना बजाता तो आज तो नितिन सारी सीमाएं तोड़ डालता । वैसे नितिन के शहर से बाहर चले जाने की खबर सुन मुझे एक सुकून तो मिला कि कम से कम अब वो मुझे ऐसे परेशान तो नहीं करेगा । मैं अपने विचारों मे खोई थी तभी अशोक की आवाज से मेरा ध्यान टूटा ।
अशोक - अच्छा मैं जरा फ्रेश होकर आया ।
इतना बोलकर अशोक बाथरूम की ओर चले गए और उनके जाने के बाद मैं भी उठकर खाना लगाने की तैयारी करने लगी । थोड़ी देर मे अशोक फ्रेश होकर आ गए ओर फिर हमने खाना खाया । खाना खाते हुए भी ऐसे ही हल्की-फुल्की बाते होती रही । खाना खत्म होते ही अशोक बेडरूम मे चले गए । मैं भी आज बोहोत थक गई थी तो जल्दी से सभी बचा हुआ काम करके मैं नहीं सोने चली गई , जाकर देखा तो अशोक नींद के आगोश मे सोये हुए थे वैसे भी आज मुझे अशोक से कुछ उम्मीद ओर इच्छा दोनों नहीं थी । मैंने भी बेडरूम ने जाकर अलमारी से एक नाइटी निकाली ओर बाथरूम मे चली गई । बाथरूम मे जाकर चेंज किया ओर फिर बेड पर आकर लेट गई । जैसे ही सोने के लिए आंखे बंद की दिमाग मे वही आज शाम वाला द्रश्य घूम गया - "वरुण अपनी पेंट से बाहर अपना लंबा लिंग पकड़े खड़ा है ओर दूसरे हाथ मे मोबाईल लिए है । " इस द्रश्य को सामने पाते ही मैंने झट से घबराहट मे अपनी आंखे खोली । ये सब क्या हो रहा है मेरे साथ पिछले कुछ दिनों से एक 'अनजान आदमी मेरी जिंदगी मे ऐसे अचानक ही शामिल हो गया , एक 50 साल का टेलर मेरे साथ अचानक से अपनी सीमाएं भूल गया या शायद मैं ही खुद पर काबू ना रख पाई और अब एक 19 साल का जवान लड़का जिसे मैं पिछले 4 साल से जानती थी अचानक से मेरे लिए अब वो नहीं रहा जो पहले हुआ करता था । ' ये सब क्या हो रहा है मेरे साथ - यही सोचते सोचते मुझे नींद आ गई ।
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सुबह 7 बजे मैं नींद से जागी आज रविवार था और अशोक की ऑफिस से छुट्टी रहती थी इसलिए जल्दी उठने की मेरे पास कोई वजह भी नहीं थी । सुबह 7 बजे आंखे खुली तो देखा अशोक अभी भी सोये हुए थे । सूरज भी निकल आया था अब फरवरी का महिना चल रहा था तो ज्यादा सर्दी नहीं थी , ओर दिन अच्छे होने लगे थे । मैं खिड़की के पास गई तो सूरज की नन्ही किरणे मेरे चेहरे पर पड़ी ,
ओर एक नई ताजगी के साथ मैंने अपने दिन की शुरुवात की । आज के पूरे दिन अशोक घर ही रहने वाले थे इसलिए मैं अपना पूरा वक्त उन्ही के साथ बिताना चाहती थी । और ऐसा ही हुआ रविवार का दिन होने की वजह से आज वरुण भी नहीं आने वाला था । मैंने और अशोक ने पूरा दिन एक साथ मे बिताया जी भरकर बातें की । सप्ताह मे एक रविवार का ही दिन तो हमारा होता था । उस दिन हम पूरे हफ्ते की कसर निकालते थे । इसी तरह मेरा दिन गुजरा लगभग 4 बजे अशोक अशोक घर के बाहर सेर के लिए निकले और 5 बजे वापस आए मैं उस वक्त हॉल मे बेठकर टीवी देख रही थी अशोक आए ओर मुझसे बोले -
अशोक - पदमा !
मैं( अशोक की ओर देखकर )- हम्म ?
अशोक - तुमने गुप्ता जी वो कुछ सिलने के लिए कपड़े दिए थे क्या ?
गुप्ता जी का नाम सुन मैं एक बार वो थोड़ी विचलित सी हो गई पता नहीं उन्होंने अशोक को क्या कहा होगा कहीं उस दिन की घटना के बारे मे तो कुछ नहीं बता दिया ।
मैं ( थोड़ा आराम से )- जी हाँ दिए तो थे ।
अशोक - अच्छा तो वो तैयार हो गए है । गुप्ता जी मिले थे वो बता रहे थे की तुम उन्हे ले जा सकती हो ।
मैं - आप ही क्यों नहीं ले आए ?
अशोक - अरे गुप्ता जी मुझे दुकान पर नहीं, गली के बाहर चोक पर मिले थे । वही उन्होंने मुझे बताया ।
मैं - अच्छा । .... ओर कुछ भी कह रहे थे क्या गुप्ता जी ?
अशोक - नहीं ओर तो बस इधर उधर की बात बस ।
"थैंक्स गॉड" - मैंने मन मे बोला । अच्छा हुआ गुप्ता जी ने अशोक से उस दिन के बारे मे कुछ नहीं कहा । मैं इसी सोच मे डूबी थी के अशोक ने मेरा ध्यान तोड़ते हुए कहा - "पदमा !"
मैं - जी ?
अशोक - एक कप चाय बना दो जरा ।
मैं - अभी लाई ।
इतना बोलकर मैं अपने सोफ़े से उठी और कीचेन मे जाकर चाय बनाने लगी अभी मैं चाय का सामान डालकर चाय को गैस पर चढ़ाने ही वाली थी के पीछे से अशोक ने आकर मुझे बाहों मे भर लिया ।
मैं(हँसते हुए ) - क्या हुआ चाय नहीं पीनी क्या ?
अशोक - अरे जिसके पास तुम्हारे जैसी बीवी हो वो कुछ ओर क्यूँ पिए ?
मैं - अच्छा जी । पर अभी तो दिन है कोई आ गया तो ?
अशोक - अरे कोन आएगा सब अपने घर मे है इस टाइम ।
इतना कहकर अशोक पीछे से मेरी गर्दन और पीठ पर चूमने लगे ।
अशोक के चूमने का असर मुझपर भी होने लगा और मैं भी मस्ती मे टूटने लगी । फिर अशोक ने मुझे अपनी ओर घुमाया मेरे बूब्स अशोक की सीने के नीचे दब गए फिर अशोक ने अपने होंठ मेरे होंठों से लगा दिए ओर उन्हे चूमने लगा । मैंने भी अपने होंठ अशोक की खातिर खोल दिए ओर फिर हम दोनों किस करने लगे अशोक ने मुझे अपनी गोद मे उठाया और बेडरूम की मे ले गया वहाँ अशोक ने बिना देरी कीये मेरी साड़ी खोल दी और नीचे बेठकर पेटीकोट के नीचे हाथ डाल मेरी पेन्टी वो पकड़कर खींचने लगा । पेन्टी को नीचे आने मे ज्यादा वक्त नहीं लगा और थोड़ी ही देर मे पेन्टी मेरे शरीर से अलग नीचे फर्श पर पड़ी थी फिर अशोक ने मुझे बेड पर लेटाया और खुद मेरे ऊपर आ गए अशोक ने अपना बनियान भी उतार दिया और मुझे गर्दन और होंठों पर चूमते हुए मेरा पेटीकोट ऊपर की ओर सरकाने लगे । पेटीकोट ऊपर आते ही मेरी नग्न गीली हो चुकी योंनि अशोक के सामने आ गई अशोक ने भी बिना देरी कीये अपनी पेंट की जीप खोली और अपना लिंग बाहर निकालकर उसे मेरी योनि मे द्वार पर लगा दिया ।
लिंग का स्पर्श होते ही मेरी योनि लपलपाने लगी और खुद ही अशोक के लिंग को अपनी ओर खींचने लगी जल्द ही अशोक का लिंग मेरी योनि के अंदर समा गया ओर मुझे एक असीम शांति मिली । मैंने कसकर अशोक को अपनी बाहों मे जकड़ लिया और अशोक ने ऊपर से मेरी योनि मे धक्के लगाने शुरू कर दिए । मैं आनंद के सागर मे डूबने लगी और आहें भरने लगी - " आह आह .. .. ओह .. हाँ ... आह ... "
पर मेरा ये मज़ा ज्यादा देर नहीं चल सका और अशोक हर बार की तरह मुश्किल से 5 मिनट मे ही अपने चरम पर पहुँच गया , और मुझे ऐसे ही प्यासी छोड़ दिया ।
पर मैं कुछ ना कह सकी कहती भी क्या ? अशोक दूसरी तरफ करवट लेकर लेट गए ओर मैं उठकर बाथरूम मे चली गयी खुद को साफ करने ।
बाथरूम से निकलकर देखा तो अशोक वहाँ नहीं थे । मैंने फर्श पर पड़ी अपनी पेन्टी और साड़ी उठाई और उन्हे पहनकर मैं कमरे से बाहर आई तो हॉल वाले बाथरूम से पानी के चलने की आवाज आ रही थी । मैं समझ गई की ये अशोक ही है । थोड़ी ही बाद अशोक बाथरूम से बाहर आए ओर सोफ़े पर बैठकर टीवी देखने लगे । मैं भी रात के खाने की तैयारी करने लगी । इसके बाद का समय नॉर्मल गुजरा कोई खास बात नहीं हुई ओर हम दोनों लगभग 9 बजे सो गए ।
( The Next Day)
अगले दिन सुबह रोज की तरह मैं 6 बजे उठी और फ्रेश होकर अशोक के लिए नाश्ता रेडी करने लगी । अशोक भी लगभग 7 बजे उठे और अपना सारा काम निपटाकर नाश्ता करके 8 बजे घर से ऑफिस के लिए निकल गए । अशोक के जाने के बाद मैं भी अपने घर मे बचे हुए कामों मे व्यस्त हो गई । सारा काम निपटाकर आराम करने बैठी तो देखा 9:30 बज रहे थे । थोड़ी देर आराम करने के बाद मैं रात को सुखाए हुए कपड़े लेने छत पर चली गई अब इतनी सर्दी तो रही नहीं थी के धूप लेने की जरूरत पड़े तो मैं बस छत पर थोड़ी देर घूमकर कपड़े लेकर नीचे आ गई । कपड़े लाते हुए मुझे ध्यान आया कि कल गुप्ता जी नितिन से कह रहे थे कि मेरे कपड़े तैयार हो गए है । तो मैं उन्हे ले आती हूँ , पर गुप्ता जी के साथ उस दिन की बात को याद करके मैं एक बार को सिहर गयी । पता नहीं गुप्ता जी क्या सोचेंगे । फिर मैंने सोचा जो हुआ उसमे गुप्ता जी की भी तो गलती थी अकेले मेरी थोड़े ही शुरुवात तो उन्होंने ही की थी उसके बाद मुझसे भी गलती हो गई । ये बात सोचकर मैंने ऊपर से लाए हुए कपड़े बेडरूम मे रखे और घर से बाहर निकलकर गेट को लॉक किया और गली मे चल दी ।
गली मे चलते हुए मुझे एक बार फिर मोहल्ले वालों की उन्ही कटीली नज़रों का सामना करना पड़ा जो अपनी नज़रों से ही मेरे जिस्म के हुस्न को पी रही थी । चलते चलते मैं गुप्ता जी की दुकान के नीचे आ गई और बाहर बनी सीढ़ियों से ऊपर जाने लगी । ऊपर जाकर मैंने गुप्ता जी की दुकान के दरवाजे पर नॉक किया । गुप्ता जी अंदर ही थे और वो अंदर से ही बोले - " कौन हैं ? आ जाओ । "
गुप्ता जी के इतना कहने पर मैंने दरवाजा खोला और उनकी दुकान मे प्रवेश किया । मुझे देखते ही गुप्ता जी एकदम से खुश हो गए उनका चेहरा खिल गया
अपनी खुशी जाहिर करते हुए वो बोले - " आओ आओ , पदमा । कैसी हो ?"
मैं( सहजता से ) - मैं , अच्छी हूँ गुप्ता जी आप कैसे है ?
गुप्ता जी - मैं भी अच्छा हूँ पदमा । आओ बेठो ।
ये कहकर गुप्ता जी ने मुझे पास मे रखे स्टूल पर बैठने का इशारा किया । मैं उसपर बैठ गई ।
गुप्ता जी के कमरे आज भी हीटर लगा हुआ था इसलिए कमरे मे काफी गरमाई थी थी , पर आज वो कम गर्मी के पॉइंट पर सेट था ।
मैं - गुप्ता जी , अपने हीटर क्यों लगा रखा है अब तो इतनी सर्दी नहीं होती ।
गुप्ता जी - अरे पदमा ये तो बस थोड़ी देर के लिए ही लगाया है। क्या हैं ना सुबह-सुबह थोड़ी ठंड रहती है इसलिए थोड़ी देर के लिए लगा देता हूँ , ताकि कमरा गरम हो जाए । अब तुमने याद दिला दिया तो ये लो बंद कर देता हूँ ।
इतना कहकर गुप्ता जी ने हीटर बंद कर दिया । और बोले - " तुम बताओ कहाँ रह गई थी इतने दिन से ? "
मैं - वो गुप्ता जी बस आने का टाइम ही नहीं लगा । सुबह घर पर काफी काम होता है और फिर दोपहर मे वरुण को टयूशन पढ़ाने मे लग जाती हूँ तो टाइम ही नहीं मिलता ।
गुप्ता जी ने इतना सुन मेरी ओर देखा और कहा -
गुप्ता जी - वरुण .. .. ?? ये सीमा जी का लड़का ?
मैं - हाँ वही । वो थोड़ा पढ़ाई मे कमजोर है ।
गुप्ता जी- अरे जब सारा दिन लड़कियों के पीछे भागा फिरेगा तो पढ़ाई मे तो कमजोर होगा ही ।
गुप्ता जी की बात सुन मैंने हैरानी से उनकी ओर देखा
और पुछा - " लड़कियों के पीछे .. ? कौन .. वरुण ?"
गुप्ता जी -ओर नहीं तो क्या कई बार तो मैंने ही देखा है उसे मोटरसाइकिल पर लड़कियां घूमाते हुए । एक बार तो उसने हद ही कर दी ।
मैं ( उत्सुकता से ) - अच्छा । ऐसा क्या किया ?
गुप्ता जी - अब क्या बताऊ पदमा , तुम भी सुनकर बुरा मान जाओगी ।
मैं - नहीं नहीं .. .. गुप्ता जी आप बताइए तो क्या किया वरुण ने ?
गुप्ता जी - पदमा , मेरे कमरे के पीछे एक ओर कमरा है जिसकी सीढ़िया पीछे से ऊपर की ओर जाती है । उस कमरे मे मैंने वरुण को एक लड़की के साथ चुदा ..... माफ करना । सेक्स करते देखा है ।
गुप्ता जी ने अपने पहले शब्द पूरे नहीं कीये पर वो क्या कहना चाहते थे ये समझ गई । और उनके मुहँ से ऐसे शब्द सुनकर मेरे मन मे एक टीस सी बन गई , मैंने अपनी नजरे नीचे झुका ली । वरुण के बारे मे ऐसी बात सुनकर मैं रोमांचित भी हुई ओर मुझे हैरानी भी हुई । पर मेरी उत्सुकता अभी शांत नहीं हुई थी ।
मैं - पर गुप्ता जी उस दूसरे कमरे की चाभी तो नीचे किराने वाले के पास रहती है ना , तो फिर वरुण वहाँ कैसे गया ?
गुप्ता जी - हाँ । तुम बिल्कुल ठिक कह रही हो पदमा चाभी तो किराने वाले के पास ही रहती है , पर उस किराने वाले से वरुण ने दोस्ती की हुई है और वो उसे पैसे भी देता है उसका रूम इस्तेमाल करने पर ।
मेरे लिए ये सारी बातें काफी शॉकइंग थी मुझे नहीं पता था के वरुण ये सब काम भी करने लगा है । एक बार को तो मुझे ही समझ नहीं आया के कहीं उसका टयूशन लेके मैंने कोई गलती तो नहीं कर दी ।
गुप्ता जी आगे बोले - " पदमा ! "
मैंने बिना कुछ बोले गुप्ता जी की ओर देखा ।
गुप्ता जी - तुम उसका टयूशन ना ही पढ़ाओ तो अच्छा है । उसका तो कुछ होगा नहीं पर कहीं तुम्हें कोई परेशानी ना आ जाए ।
गुप्ता जी की बातों से मेरे मन मे भी एक डर बैठ गया कहीं वरुण को टयूशन पढ़ाने के चक्कर मे , मैं खुद किसी मुसीबत मे ना फँस जाऊ । मेरी सोच जारी थी फिर एक बार गुप्ता जी ने मेरा ध्यान तोड़ा -
गुप्ता जी - चलो , छोड़ो ये सब तुम अपनी बताओ ?
मैं( धीमी आवाज मे) - वो कल आपने अशोक से कहा था की मेरे कपड़ों की सिलाई पूरी हो गई तो मैं वो .... ....
गुप्ता जी ने पहले तो मेरी ओर हैरत से देखा फिर बोले - " पदमा क्या तुम भूल गई के तुमने मुझे सिर्फ ब्लाउज का माप दिया था पेटीकोट का नहीं "
गुप्ता जी की ये बात सुनकर मुझे सच मे याद आया की मैं पिछली बार पेटीकोट का माप नहीं दे पाई थी । मैं तो जैसे ये बात भूल ही गई थी ।
मैं - ओह हाँ गुप्ता जी । आप ठिक कह रहे है मुझे तो ये बात याद ही नहीं रही थी ।
गुप्ता जी - हम्म , इसलिए ही तो तुम्हें बुलवाया था । अब अगर तुम्हारी इजाजत हो तो क्या आज हम पेटिकोट का माप लेले ।
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मैं मुस्कुराकर रह गई और बिना कुछ बोले चुपचाप कमरे मे लगे परदे के पीछे चली गई । मुझे जाते देख गुप्ता जी भी अपनी जगह से उठे और अंदर फीता लेने चले गए । परदे के पीछे जाकर मैंने अपनी साड़ी उतरनी शुरू की । साड़ी उतारकर उसे वही परदे की डोर पर लटका दिया । इतने मे गुप्ता जी आ गए और परदे के पीछे से ही मुझे अपनी आँखों से पहले की तरह निहारने लगे बिल्कुल उसी तरह जैसे पहली बार देख रहे थे । ये मैं जानती थी के गुप्ता जी पीछे से मुझे देख रहे है । साड़ी उतारकर आज मैंने खुद ही पर्दा हटा दिया और गुप्ता जी के पास जा खड़ी हुई ।
मैं आज गुप्ता जी को अपने आप को उत्तेजित करने का कोई मौका नहीं देना चाहती थी । गुप्ता जी के पास जाके मैंने उनसे कहा - मैं , तैयार हूँ गुप्ता जी ।
गुप्ता जी ने मेरी आँखों मे देखा और फिर अपने दोनों हाथ मेरे कंधों पर रख दिए मुझे थोड़ी हैरानी हुई पर मेरे कुछ बोलने से पहले ही उन्होंने मुझे कंधों से पकड़कर घूमा दिया अब मेरी बैक गुप्ता जी की नज़रों के सामने आ गई और वो उसे घूरने लगे । जब कुछ देर तक गुप्ता जी ने कुछ नहीं किया तो मैंने धीरे से पीछे पलटकर कहा - "क्या हुआ गुप्ता जी लीजिए ना नाप । "
गुप्ता जी का अचानक सपना सा टूटा और वो बोले - " हाँ ...... हाँ ....। "
फिर गुप्ता जी ने अपने हाथों मे फीता लिया और नीचे बैठ गए ,फीता खोल उन्होंने अपने हाथ आगे कर मेरी कमर के चारों ओर लपेट दिया जैसे ही गुप्ता जी के हाथ मेरी पतली नाजुक कमर से टकराए मेरे तन मे एक गुदगुदी सी हुई फिर गुप्ता जी ने अपने फ़ीते को थोड़ा कस के पकड़ा और उसे अपनी ओर खींचा एकदम से ऐसे खिंचाव से मेरी स्थिति बिगड़ी और मेरे कदम थोड़ा पीछे हट गए । ऐसा होने से मेरी कमर गुप्ता जी के नाक के बिल्कुल पास सट गई और उनकी गरम साँसे मेरी कमर और पेटीकोट के अंदर मेरे नितम्बों पर टकराने लगी । फिर गुप्ता जी ने अपना फीता मेरी कमर के चारों ओर से हटाया और नाप को नोट किया और फीता अलग रखकर अपने गरम हाथों से मेरी कमर के दोनों भागों को पकड़ लिया उनके ऐसा करते ही मेरी तो सिसकी ही निकल गई । "ये गुप्ता जी क्या कर रहे है ऐसे तो इन्होंने पहले कभी नाप नहीं लिया" मैं मन मे सोच रही थी । उत्सुकता की वजह से मैंने पुछा - "गुप्ता जी ये आप क्या कर ...... " । मैंने इतना ही कहा । गुप्ता जी मेरे मन की दुविधा जान गए तो उन्होंने कहा - " पदमा , अब मैं तुम्हारा नाप हाथों से लूँगा , फ़ीते से नाप लेने के बाद हाथ से लेना भी जरूरी है नहीं तो कभी-कभी सिलाई मे गड़बड़ हो जाती है ।
मैं( धीमी आवाज मे) - पर गुप्ता जी , आपने पहले ऐसा तो नहीं किया ?
गुप्ता जी - हाँ , पर पिछले कुछ समय से कुछ औरतो की शिकायत आई है की सिलाई मे कुछ दिक्कत है इसलिए अब मैं ऐसे ही माप लेता हूँ ।
गुप्ता जी की इन बातों का मेरे पास कोई जवाब नहीं था तो मैं चुप ही रही , इन सब बातों के दौरान भी गुप्ता जी ने अपने हाथ मेरी कमर से नहीं हटाए थे वो मेरी कमर को पकड़े हुए ही मुझसे बात कर रहे थे । फिर जब उन्हे लगा की मैंने कोई जवाब नहीं दिया तो वो अपने हाथों को मेरी कमर के चारों ओर फिराने लगे उनके खुरदुरे हाथ मेरी कमर का पूरा-पूरा माप ले रहे थे , और पीछे से उनकी गरम साँसे मेरे नितम्बों मे टकरा रही थी जिससे साफ पता चल सकता था की वो मेरे जिस्म के बिल्कुल करीब बैठे है । जैसे-जैसे गुप्ता जी के हाथ मेरी नंगी गोरी कमर पर फिरने लगे मेरी धड़कन और साँसे दोनों तेज होने लगी । गुप्ता जी ने इत्मीनान से मेरी कमर का अपने हाथों से माप लिया और फिर एक बार ओर अपने हाथो से मेरी कमर को मजबूती से पकड़ा और अपनी ओर घूमा दिया । ऐसा करने से अब मेरा पेट उनके सामने आ गया जिससे उनकी नाक और साँसे इस बार मेरे पेट पर नाभी के आस-पास टकरा गयी । मेरी तो धीरे से सिसकी ही निकल गई - " आह .. .. " । जिसे गुप्ता जी के कानों ने भी सुना, गुप्ता जी ने अपना सर पुर उठाया और मुझसे पुछा - " क्या हुआ पदमा ? "
गुप्ता जी अच्छे से जानते थे की क्या हुआ है पर फिर भी जानबूझकर मुझसे पूछ रहे थे । मेरा रिएक्शन जानने के लिए ।
मैं ( धीरे से )- कुछ.. नहीं .. गुप्ता जी .. ।
इतना सुनकर गुप्ता जी ने अपना सिर नीचे किया और अपने काम मे लग गए उन्होंने अपने फ़ीते को मेरे पेट पर नाभी के पास लपेटा और उसे भी पहली बार की तरह कसकर पकड़ा और अपनी और खींचा , एक बार फिर अचानक से हुए इस हमले से मैं संभाल ना सकी और मेरे कदम गुप्ता जी की ओर बढ़ गए इस बार गुप्ता जी की नाक के साथ-साथ उनके होंठ भी मेरी नाभी से जा टकराए ओर जाने-अनजाने मे उन्होंने मेरी नाभी को चूम लिया । " आह ...... " - एक बार फिर मेरी आह निकली जिसे मैंने बड़ी मुश्किल से अपने गले मे दफ्न किया कहीं गुप्ता जी ना सुन ले । मेरी साँसे अब ओर भी भारी होने लगी थी । इधर अब गुप्ता जी ने मेरे पेट से अपना फीता हटाया और उसके हटते ही अपने हाथ मेरे पेट पर रख दिए मैं समझ गई के अब गुप्ता जी हाथों से पेट का नाप लेंगे और हुआ भी वही गुप्ता जी ने अपने हाथ मेरे पेट पर फिराने शुरू कर दिए और मेरी नाभी के आस-पास अपनी उँगलिया घुमाने लगे । गुप्ता जी हर स्पर्श मेरे अंदर रोमांच और डर दोनों पैदा कर रहा था इस भाव को मैं बयां नहीं कर सकती पर आलम ये था के धड़कने तेज हो गई थी ओर उसके साथ-साथ मेरे ब्लाउज मे कैद बूब्स भी तनाव ने आने लगे थे , तेज होती साँसों के साथ बूब्स लगातार ऊपर नीचे हो रहे थे । कुछ तो हीटर से गरम वो कमरा कुछ गुप्ता जी की साँसों की गर्मी मेरे माथे पर पसीना आने लगा और गुप्ता जी नीचे अपने काम मे लगे हुए थे । उनकी साँसे हर पल के साथ मुझे मेरी नाभी पर ओर करीब महसूस होने लगी । फिर गुप्ता जी ने अपने हाथ मेरे पेट से हटाए । एक पल को मुझे चैन आया पर अगले ही पल उन्होंने अपना फीता फिर उठाया और अपने हाथ पीछे ले जाकर उसे मेरे नितम्बों पर लपेट दिया और फ़ीते को कसकर खींचा ,मेरे बड़े-बड़े नितम्ब गुप्ता जी के फ़ीते से दाब गए । गुप्ता जी ने एक झटका दिया और मैं इनके और करीब आ गई और गुप्ता जी का चेहरा मेरी योनि और उसकी आस पास की जगहों से जा टकराया जैसे ही गुप्ता जी की साँसे मेरी योनि तक पहुँची मेरे जिस्म मे एक मीठी लहर दौड़ गई अपनी सिसकी को रोकने के लिए मैंने अपने होंठ दाँतों तले दबा लिए
पर जिस्म मे बूब्स के तनाव और साँसों की रफ्तार को ना रोक सकी मेरी उत्तेजना बढ़ती ही जा रही थी जिस्म भी भट्टी की तरह तपने लगा । गुप्ता जी ने अपने फ़ीते से मेरे नितम्बों का नाप लिया और उसे नोट करके रख दिया फिर उसके बाद उन्होंने अपने हाथ मेरे नितम्बों पर पीछे रख दिए । मैं इसके लिए तैयार नहीं थी और गुप्ता जी के हाथ नितम्बों पर पड़ते ही अपनी कामुक उत्तेजना मे काँपती हुई आवाज मे मैं उनसे बोली - " गुप्ता जी .. .. ये .. ये .. रहने दीजिए ... ... .. ना ... । "
गुप्ता जी कहाँ रुकने वाले थे उनके पास मेरे इस सवाल का भी जवाब तैयार था । गुप्ता जी ने अपना सर ऊपर उठाया शर्म से मैंने अपनी आंखे बंद कर ली मैं गुप्ता जी की कातिल निगाहों का सामना नहीं कर सकती थी । गुप्ता जी बोले - " पदमा माप अच्छे से लेना जरूरी है नहीं तो पेटीकोट की फिटिंग खराब हो जाएगी । "
इतना बोलकर गुप्ता जी ने फिर से मेरे नितम्बों पर अपनी पकड़ बना की पर , इस बार उनकी पकड़ ओर भी ज्यादा मजबूत थी । मैं तो कुछ बोल ना पायी पर मेरा जिस्म आग उगलने लगा । मेरे निप्पलस तनकर बिल्कुल कड़े हो चुके थे धड़कन तो इतनी तेज थी के दिल बाहर निकालने को आ रहा था तेज साँसों के साथ बूब्स भी तेज-तेज हवा मे उछल रहे थे ये सब कम नहीं था नीचे से मेरी योनि पर गुप्ता जी की लगातार गरम साँसे ,पीछे नितम्बों को मसलते उनके मजबूत खुरदुरे हाथ और फिर अचानक गुप्ता जी ने मेरी ओर एक सवाल दाग दिया ।
गुप्ता जी - पदमा !
मैं (वासना से भारी हुई कांपती आवाज मे )- हाँ ...... गुप्ता .... जी .. ।
गुप्ता जी - तुमसे एक बात कहूँ ?
मैं - जी .... बोलिए .... ।
गुप्ता जी - बुरा तो नहीं मानोगी ?
मैं - नहीं .. .. .. .. ।
गुप्ता जी - मेरे पास जितनी भी औरते आती है ना अपने कपड़े सिलवाने उनमे से तुम्हारे जैसा कोई नहीं ।
एक तो गुप्ता जी ने वैसे ही मुझे कामअग्नि मे जला रखा था ऊपर से उनके ये सवाल-जवाब उस आग मे घी का काम कर रहे थे ।
मैं - अच्छा ....... पर .. ऐसा .. क्यूँ .. गुप्ता जी .. आह .. ( मेरी कामुकता मे आह निकल गई)
गुप्ता जी - क्योंकि तुम बोहोत सुंदर हो पदमा । तुम्हारे जैसी सुंदर औरत तो पूरी कालोनी मे एक भी नहीं ।
ये सब बाते बोलते हुए गुप्ता जी लगातार मेरे नितम्बों को अपने हाथों से रगड़ रहे थे और मेरी योनि पर अपनी साँसे छोड़ रहे थे जिससे मेरी योनि मे भी अब गीलापन आने लगा था , इससे मेरा बदन जैसे टूटने लगा । अपनी तारीफ़ सुनकर मेरी हवस और भी भड़क गई उत्तेजना के कारण मैं ठिक से बोल भी नहीं पा रही थी बस धीमी-धीमी आहें निकल रही थी होंठों से
मैं - आह .. .. नहीं .. गुप्ता जी ... .. आप .. झूठ बोल रहे ... है .. मैं .. इतनी सुंदर .. कहाँ ..?
गुप्ता जी - झुठ नहीं , बिल्कुल सच बोल रहा हूँ पदमा । ( इसी दौरान गुप्ता जी ने मेरे नितम्बों को अपने हाथों से आजाद किया और अपने हाथ आगे लाने लगे , हाथों को आगे लाते हुए गुप्ता जी का एक हाथ मेरे मेरे पेटीकोट के नाड़े मे उलझ गया । गुप्ता जी ने एक पल को अपना सर उठाकर मेरे चेहरे की ओर देखा मैंने धीरे से अपनी आंखे खोली मेरी आँखों मे गुप्ता जी डर , शर्म , हवस और रोमांच सब कुछ दिखाई पड़ा जबकि उनकी आँखों मे सिर्फ मेरे बदन को पाने की हवस और प्यास थी । गुप्ता जी आगे बोले - ) तुम्हारा तो नाम ही इतना कामुक है पदमा की कोई एक बार सुन ले तो तुम्हें देखे बगैर रह ना पाए और अब मैं भी नहीं रह सकता ।
इसके साथ ही गुप्ता जी ने मेरे पेटीकोट के नाड़े को खिंच दिया , पेटीकोट सररररर.. से सरकता हुआ नीचे जा गिरा और मेरे कुछ बोलने से पहले ही गुप्ता जी अपना मुहँ खोला और मेरी नाभी को उसमे भरकर उसकी चुसाई शुरू कर दी ।
एक पल को लगा जैसे सब कुछ रुक गया हो मैं जैसे हवा मे उड़ने लगी मानो सदियों से प्यासे मेरे जिस्म पर बरसात की बूंदे गिर रही हो । मैं - "आह ... गुप्ता जी ... नहीं .. छोड़ दीजिए ....... मुझे ..... आहं ....॥ " बस इतना ही कह पाई पर गुप्ता जी पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा उल्टा उन्होंने मुझे ओर जोर से अपनी बाहों मे जकड़कर जोर जोर से मेरे पेट को चूमने लगे । मैंने गुप्ता जी की पकड़ से छूटने की भी कोशिश की पर उनकी मजबूत पकड़ के आगे मेरी एक ना चली । पेटीकोट के नीचे गिरने के साथ ही मैं बस पेन्टी मे रह गई और वो छोटी सी पेन्टी मेरे बड़े-बड़े नितम्बों मे फँस कर रह गई मेरे नितम्ब अब आधे से ज्यादा नंगे थे जिन्हे गुप्ता जी अपनी मनमर्जी से मसल रहे थे । वासना की आग मे जल रहे मेरे जिस्म पर गुप्ता जी का हर वार आग मे घी का काम कर रहा था और मेरी योनि अब जमकर पानी छोड़ रही थी । होंठों से बस कामुक आहें और छूटने के शब्द निकल रहे थे - " प्लीज..... गुप्ता जी ...... आहं .... नहीं ... ओह ...... जाने दीजिए ....... .. मुझे ..... आहं.... नहीं .... मुझे मत ..... चूमिए ....... ओह ....... छोड़ दीजिए ........ ना ....... । "तुम्हारा जिस्म बोहोत सेक्सी है पदमा मैं इसे भोगना चाहता हूँ । "- गुप्ता जी एक बार को मुझसे बोले और फिर से मेरे पेट को चूमते हुए ऊपर की ओर आने लगे और रास्ते मे मिलने वाले मेरे जिस्म के हर हिस्से को चूमने लगे जब गुप्ता जी मेरे ब्लाउज तक आए तो ब्लाउज के ऊपर से ही वहाँ मेरे बूब्स को चूमने लगे।
मैं - "आहं.....नहीं ........ गुप्ता जी .. आपके ...... होंठ ..... आह ..... मुझ पर नशा........ कर ....... रहे ...... है ........ प्लीज मुझे ..... मत ...... चूमिए ...... ओह ...... ।" गुप्ता जी नहीं रुकने वाले ये मैं भी जान गई थी वो आगे बढ़े और मेरे गले पर भी अपने होंठों की मुहर लगा
दी वो पूरे जोश मे मेरे गले और उसके आस-पास चूमने लगे जैसे ही गुप्ता जी सीधे हुए उनका तना हुआ कडा लिंग बिल्कुल मेरी योनि से टकरा गया । गुप्ता जी के लिंग के अपनी योनि से टकराते ही मैं गुप्ता जी की बाहों मे मचल उठी और एक बार को उन्हे कसकर अपनी बाहों मे जकड़ लिया । गुप्ता जी समझ रहे थे की अब मैं भी हवस मे पागल होने लगी हूँ उन्होंने मुझे मेरे बालों से जोर से पकड़ा और अपने सूखे होंठ ,मेरे गरम रसीले होंठों पर रख दिए और मेरे लबों को अपने लबों मे भरकर जोर से चूसने लगे उन्होंने अपने एक हाथ से मेरी कमर को पकड़ा और दूसरे हाथ को मेरे बूब्स पर रख उसे कसकर मसलने लगे । गुप्ता जी बोहोत देर तक मेरे होंठों को चूसते रहे मेरे होंठों का सारा रस पीने के बाद ही उन्होंने मेरे होंठों को छोड़ा, मेरी आँखे हवस की आग मे लाल हो गई थी । फिर गुप्ता जी मेरे पीछे गए और मुझे पीछे से बाहों मे भरकर बेतहाशा चूमने लगे
अपने हाथ आगे लेजाकर उन्होंने मेरे तने हुए बूब्स को ब्लाउज के ऊपर से पकड़ लिया और उन्हे मनमर्जी से मसलने लगे , रगड़ने लगे , दबाने लगे उनके जो मन मे आ रहा था वो वैसे ही कर रहे थे । मैं - " आह ....... गुप्ता जी ....... इन्हे छोड़ ...... दीजिए ........ आहं ........ नहीं ....... ओह ..... दर्द ..... होता है ...।" गुप्ता जी मेरे बदन को पीछे से चूमते हुए ही बोले - " किसे छोंडू पदमा ?" "आह ... ये गुप्ता जी मुझसे क्या पूछ रहे है अब मैं अपने मुहँ से उन्हे कैसे बताऊ कि मेरे बूब्स को छोड़ दे" मैं - " इन्हे ...... आह ....... गुप्ता जी ........ जिनको ..... ओह ... आपने पकड़ा ...... है ...... आहं...... नहीं ...... जिनको आप ...... मसल....... रहे है..... ... आहं ...... । " गुप्ता जी - " मैंने किसको पकड़ा है पदमा नाम बताओ ?" अब मुझसे बरदाश्त नहीं हुआ और मैंने बोल दिया - " मेरे ..... बूब्स ...... को.. आह ......... छोड़ ...... दीजिए ....... गुप्ता जी ......... दर्द ....... होता है ..... ओह ...प्लीज ..... । " मेरी इस बात पर गुप्ता जी ने मेरे बूब्स पर अपनी पकड़ थोड़ी ढीली कर दी इससे मुझे कुछ राहत मिली , पर अब उन्हे मेरा ये ब्लाउज रास नहीं आ रहा था उन्होंने हाथ आगे बढ़ा कर मेरे ब्लाउज के बटन खोलने शुरू कर दिए । मैंने गुप्ता जी को रोकने की कोशिश की और अपने हाथ से उनके हाथ पकड़कर कहा - " नहीं ...गुप्ता जी ..... प्लीज....... इसे मत...... उतारिए ........ । " मेरी इस बात पर गुप्ता जी ने मेरा कान अपने होंठों मे भरकर उसे चूसने लगे और पीछे से मेरे नितम्बों पर धक्के लगाने लगे । इससे मिलने वाले मजे से मैं पस्त हो गई और मेरी पकड़ गुप्ता जी के हाथों पर ढीली पड़ गई । गुप्ता जी समझ गए की मैं अब विरोध करने की स्थिति मे नहीं हूँ वो मेरे कान मे बोले - " पदमा तुम्हारी गाँड़ बोहोत सेक्सी है मैं इसे मैं इसे चोदना चाहता हूँ । " "हे भगवान ! गुप्ता जी मुझसे कितनी गंदी भाषा मे बात कर रहे है ऐसा तो कभी अशोक ने भी मुझे नहीं बोला " मैं - आहं ..... गुप्ता जी ...... ये आप...... क्या बोल ......... रहे है ....... प्लीज......... ऐसी....... बाते....... मत कीजिए ........मुझे कुछ ....... कुछ....... होता है ...। " मेरी बात का गुप्ता जी ने कोई जवाब तो नहीं दिया पर एक झटके के साथ मुझे कपड़ों के ढेर के पास पड़े एक गद्दे पर खेन्च लिया और मेरे ऊपर आकर मुझे फिर से चूमने लगे वो लगातार मुझे कंधों पर गर्दन पर चूमे जा रहे थे
और मैं जोर जोर से आहे भरने लगी । फिर गुप्ता जी ने मेरे अधखुले ब्लाउज को अपने दोनों हाथों से पकड़ा और एकदम से खेन्चकर उसे निकाल दिया और वही कपड़ों के ढेर पर फेंक दिया और मेरी कमर पर चूमते हुए पीछे से मेरी ब्रा के हूँ भी खोल दिए ब्रा के हुक खुलते ही मैंने अपने हाथों से अपने बूब्स को ढकने की कोशिश की पर गुप्ता जी ने मुझे इसका भी मौका नहीं दिया और मुझे पलटकर सीधा कर दिया और मेरे बूब्स को अपने होंठों मे भर लिया और जोर-जोर से चूसने लगे । बूब्स के गुप्ता जी के होंठों मे जाते ही मैं जल बिन मछली की तरह मचले लगी, मेरी योनि जमकर पानी बरसाने लगी । गुप्ता जी मेरे बूब्स को तो चूस ही रहे थे साथ ही साथ मेरे निप्पलस को भी अपनी जीभ से छेड़ रहे थे उनकी ये हरकते मुझे पागल कीये जा रही थी । मैं हवस मे अंधी हो चुकी थी अपने हाथों से मैंने गुप्ता जी का सर अपने बूब्स पर दबा दिया ।
मैं - " आह .... गुप्ता जी ....... निचोड़ लीजिए ....... इनका ....... सारा ....... दूध ....... आहं ...... मत छोड़िएगा ...... इन्हे ..... ओह ." । मेरे मुहँ से ये सब शब्द सुनकर गुप्ता जी और भी जोश मे आ गए और, ओर भी जोर जोर से मेरे बूब्स को चूसने लगे उन्हे पीने लगे फिर वो मेरे बूब्स को छोड़ मुझे चूमते हुए नीचे की ओर आए ओर मेरे पैर को अपने हाथों मे लेकर उसे चूसने लगे , गुप्ता जी मेरे पैर की एक-एक उंगली को अपने होंठों मे लेकर चूस रहे थे ।
मेरे लिए ये अनुभव बिल्कुल नया था जीवन मे मेरे साथ ऐसा पहले कभी किसी ने नहीं किया था गुप्ता जी का ये हमला मेरे लिए सबसे घातक साबित हुआ और मेरा सब्र जवाब दे गया । अपनी सभी मर्यादाओ , सीमाओं और धर्म को भूलकर मैं अपने जिस्म की गर्मी की गुलाम बन गई और वासना की आग मे बोल उठी - "आह ..... गुप्ता जी ....... अब .... और मत ...... तड़पाइए ...... प्लीज ....... जो आह ........ भी ...... करना ...... है ... ओह .... जल्दी कीजिए....... " मेरी ये बात गुप्ता जी के लिए खुला निमंत्रण थी गुप्ता जी ने मेरा पैर छोड़ा और ऊपर की ओर आए ओर मेरे नितम्बों के पास आकर उन्हे अपने हाथों मे भर लिया ओर जोर से हिलाया । मेरे मांसल नितम्ब एक दूसरे से टकराकर हिलने लगे फिर गुप्ता जी ने अपनी जीब बाहर निकाली ओर मेरे नितंबों को उन्हे जोर-जोर चाटने लगे वो उन्हे पूरा अपने मुहँ मे भरने की कोशिश कर रहे थे ।
फिर गुप्ता जी ने उन्हे छोड़ा ओर अपने हाथ आगे बढ़ाकर मेरी पेन्टी को नीचे खिसकाने की कोशिश करने लगे तो मैंने अपनी पेन्टी को अपने हाथों से मजबूती से पकड़ लिया और गुप्ता जी से कहा - " प्लीज गुप्ता जी ....... इसे मत उतारिए .... आप ऊपर से ..... ही कर लीजिए ....... । " गुप्ता जी के लिए भी अब 1 सेकंड रुकना मुश्किल था उन्होंने पेन्टी को यूँही छोड़ अपनी पेंट से अपना लिंग बाहर निकाला और उसे मेरे नितम्बों पर सटा कर मेरे ऊपर लेट गए और धक्के मारने लगे । गुप्ता जी के हर धक्के के साथ मेरी योनि ओर भी पानी छोड़ने लगी मुझे गुप्ता जी का लिंग अपने नितम्बों पर चुभता हुए महसूस हो रहा था और अपने आकार को भी बयां कर रहा था । गुप्ता जी के धक्के पेन्टी के ऊपर से ही मुझे असीम सुख दे रहे थे और मैं उनके नीचे लेटी हुई जोर-जोर से आहें भर थी ।
" हाँ ..... गुप्ता जी ..... ऐसे ही ....... करते रहिए ...... आह ..... हाँ ... हाँ ..... अब ..... ओह .... हाँ .... रुकिएगा नहीं ....... हाँ ऐसे ही ....... हाँ वही ...... पर ....... धक्के ... मारिए ..... आह..।" मैं ऐसे ही चिल्लाती रही जब तक गुप्ता जी ने आगे बढ़कर मेरे होंठों को अपने होंठों मे लेकर चुप नहीं करवा दिया गुप्ता जी मेरे होंठों को जोर जोर से चूसने लगे मैं भी उनका साथ देने लगी और उनके होंठों को चूसने लगी । फिर उन्होंने अपना हाथ नीचे लेजाकर मेरे बूब्स को पकड़ लिया और उनका मान-मर्दन अपनी इच्छानुसार करने लगे । ऊपर से गुप्ता जी के कातिल धक्के , होंठ उनके होंठों मे , बूब्स उनके हाथों मे जितना मज़ा मुझे उस समय मिल रहा था उससे पहले कभी नहीं मिला । अशोक की तो क्या ही कहूँ इतना मजा तो उस दिन नितिन के साथ भी नहीं आया जितना आज गुप्ता जी मुझे मज़ा दे रहे थे । इतने मजे को सहन करने की शक्ति मुझमे नहीं थी और मेरे अंदर एक सैलाब आने लगा गुप्ता जी की साँसे भी अब उखड़ रही थी उन्होंने भी मेरे होंठों को छोड़ दिया और अपना लिंग मेरे दोनों नितम्बों के बीच फसाकर गहरे-2 धक्के लगाने लगे इन धक्कों की चोट सीधे मेरी योनि तक जा रही थी मैंने गद्दे के दोनों किनारों को अपने हाथों से जोर से पकड़ लिया और अपने होंठ को दाँतों तले दबा लिया और फिर एक लंबी आह - " आह ............. ............. ............. " और इसी के साथ मेरी पेन्टी मेरी योनि के बोहोत सारे चुतरस से भीग गई और ढेर सारा चुतरस गुप्ता जी के गद्दे पर बिखर गया । उधर गुप्ता जी की भी हालत अब खराब हो गई और एक कराह " आह ...... पदमा ........ " के साथ उन्होंने अपना बोहोत सारा वीर्य मेरे नितम्बों पर बिखेर दिया और मेरे ऊपर ही लेट गए। हम दोनों की साँसे बोहोत तेज-2 चल रही थी , शरीर पसीने से भीग चुके थे , कितनी ही देर तक हम दोनों ऐसे ही आँखे बंद कीये लेटे रहे ।
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(22-08-2022, 01:18 AM)Abhi T Wrote: Fantastic update bro bus likhate jao aur aise hi acchi acchi aur badi update dete jao story bahut acchi ja rahi hai
Dhanyavad bhai . naye update par bhi apke review ki partiksha rhegi . aur suggestion mere liye bohot faydemand rhte hai isliye sabhi apna suggestion jarur de .
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(23-08-2022, 05:44 AM)rekha6625 Wrote: Kal ke sabhi update bahut hi hot n erotic the,aasani se padma ko koi.chod na paye, abhi ye kamotejak khel chalta rhna chahiye, ek do bar to padma ke husband ko bhi lekr aao mouke pr, jisse padma ko pakde jane ka dar paida ho, aur uske andr ki ghrelu pativrata nari jag uthe aur wo ye sab band krna chahe, lekin ye sabhi milkr phir use hawas ki duniya me khich le jaye
Review dene ke liye Dhanayawad . isi tarah apne suggestion deti rahiye . it will be helpful for me .
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(23-08-2022, 11:42 PM)raja shri Wrote: Waiting bro....osm story hai
Dhanyavad bhai . naye update ka review bhi dena please . aur agar kahin koi galti lge to vo bhi btana me use dur krne ki koshish karunga .
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Bahot badhiya story hai yaar... Pls continue karo
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Very well written...
Try to add introspective emotions from lead female charcter point of view.....
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story badiya hai.
..
padma ko Salim Ahmad naam ke
character se bhi chudwao
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(05-09-2022, 01:27 AM)Update yr):Ravi Patel Wrote: मैं मुस्कुराकर रह गई और बिना कुछ बोले चुपचाप कमरे मे लगे परदे के पीछे चली गई । मुझे जाते देख गुप्ता जी भी अपनी जगह से उठे और अंदर फीता लेने चले गए । परदे के पीछे जाकर मैंने अपनी साड़ी उतरनी शुरू की । साड़ी उतारकर उसे वही परदे की डोर पर लटका दिया । इतने मे गुप्ता जी आ गए और परदे के पीछे से ही मुझे अपनी आँखों से पहले की तरह निहारने लगे बिल्कुल उसी तरह जैसे पहली बार देख रहे थे । ये मैं जानती थी के गुप्ता जी पीछे से मुझे देख रहे है । साड़ी उतारकर आज मैंने खुद ही पर्दा हटा दिया और गुप्ता जी के पास जा खड़ी हुई ।
मैं आज गुप्ता जी को अपने आप को उत्तेजित करने का कोई मौका नहीं देना चाहती थी । गुप्ता जी के पास जाके मैंने उनसे कहा - मैं , तैयार हूँ गुप्ता जी ।
गुप्ता जी ने मेरी आँखों मे देखा और फिर अपने दोनों हाथ मेरे कंधों पर रख दिए मुझे थोड़ी हैरानी हुई पर मेरे कुछ बोलने से पहले ही उन्होंने मुझे कंधों से पकड़कर घूमा दिया अब मेरी बैक गुप्ता जी की नज़रों के सामने आ गई और वो उसे घूरने लगे । जब कुछ देर तक गुप्ता जी ने कुछ नहीं किया तो मैंने धीरे से पीछे पलटकर कहा - "क्या हुआ गुप्ता जी लीजिए ना नाप । "
गुप्ता जी का अचानक सपना सा टूटा और वो बोले - " हाँ ...... हाँ ....। "
फिर गुप्ता जी ने अपने हाथों मे फीता लिया और नीचे बैठ गए ,फीता खोल उन्होंने अपने हाथ आगे कर मेरी कमर के चारों ओर लपेट दिया जैसे ही गुप्ता जी के हाथ मेरी पतली नाजुक कमर से टकराए मेरे तन मे एक गुदगुदी सी हुई फिर गुप्ता जी ने अपने फ़ीते को थोड़ा कस के पकड़ा और उसे अपनी ओर खींचा एकदम से ऐसे खिंचाव से मेरी स्थिति बिगड़ी और मेरे कदम थोड़ा पीछे हट गए । ऐसा होने से मेरी कमर गुप्ता जी के नाक के बिल्कुल पास सट गई और उनकी गरम साँसे मेरी कमर और पेटीकोट के अंदर मेरे नितम्बों पर टकराने लगी । फिर गुप्ता जी ने अपना फीता मेरी कमर के चारों ओर से हटाया और नाप को नोट किया और फीता अलग रखकर अपने गरम हाथों से मेरी कमर के दोनों भागों को पकड़ लिया उनके ऐसा करते ही मेरी तो सिसकी ही निकल गई । "ये गुप्ता जी क्या कर रहे है ऐसे तो इन्होंने पहले कभी नाप नहीं लिया" मैं मन मे सोच रही थी । उत्सुकता की वजह से मैंने पुछा - "गुप्ता जी ये आप क्या कर ...... " । मैंने इतना ही कहा । गुप्ता जी मेरे मन की दुविधा जान गए तो उन्होंने कहा - " पदमा , अब मैं तुम्हारा नाप हाथों से लूँगा , फ़ीते से नाप लेने के बाद हाथ से लेना भी जरूरी है नहीं तो कभी-कभी सिलाई मे गड़बड़ हो जाती है ।
मैं( धीमी आवाज मे) - पर गुप्ता जी , आपने पहले ऐसा तो नहीं किया ?
गुप्ता जी - हाँ , पर पिछले कुछ समय से कुछ औरतो की शिकायत आई है की सिलाई मे कुछ दिक्कत है इसलिए अब मैं ऐसे ही माप लेता हूँ ।
गुप्ता जी की इन बातों का मेरे पास कोई जवाब नहीं था तो मैं चुप ही रही , इन सब बातों के दौरान भी गुप्ता जी ने अपने हाथ मेरी कमर से नहीं हटाए थे वो मेरी कमर को पकड़े हुए ही मुझसे बात कर रहे थे । फिर जब उन्हे लगा की मैंने कोई जवाब नहीं दिया तो वो अपने हाथों को मेरी कमर के चारों ओर फिराने लगे उनके खुरदुरे हाथ मेरी कमर का पूरा-पूरा माप ले रहे थे , और पीछे से उनकी गरम साँसे मेरे नितम्बों मे टकरा रही थी जिससे साफ पता चल सकता था की वो मेरे जिस्म के बिल्कुल करीब बैठे है । जैसे-जैसे गुप्ता जी के हाथ मेरी नंगी गोरी कमर पर फिरने लगे मेरी धड़कन और साँसे दोनों तेज होने लगी । गुप्ता जी ने इत्मीनान से मेरी कमर का अपने हाथों से माप लिया और फिर एक बार ओर अपने हाथो से मेरी कमर को मजबूती से पकड़ा और अपनी ओर घूमा दिया । ऐसा करने से अब मेरा पेट उनके सामने आ गया जिससे उनकी नाक और साँसे इस बार मेरे पेट पर नाभी के आस-पास टकरा गयी । मेरी तो धीरे से सिसकी ही निकल गई - " आह .. .. " । जिसे गुप्ता जी के कानों ने भी सुना, गुप्ता जी ने अपना सर पुर उठाया और मुझसे पुछा - " क्या हुआ पदमा ? "
गुप्ता जी अच्छे से जानते थे की क्या हुआ है पर फिर भी जानबूझकर मुझसे पूछ रहे थे । मेरा रिएक्शन जानने के लिए ।
मैं ( धीरे से )- कुछ.. नहीं .. गुप्ता जी .. ।
इतना सुनकर गुप्ता जी ने अपना सिर नीचे किया और अपने काम मे लग गए उन्होंने अपने फ़ीते को मेरे पेट पर नाभी के पास लपेटा और उसे भी पहली बार की तरह कसकर पकड़ा और अपनी और खींचा , एक बार फिर अचानक से हुए इस हमले से मैं संभाल ना सकी और मेरे कदम गुप्ता जी की ओर बढ़ गए इस बार गुप्ता जी की नाक के साथ-साथ उनके होंठ भी मेरी नाभी से जा टकराए ओर जाने-अनजाने मे उन्होंने मेरी नाभी को चूम लिया । " आह ...... " - एक बार फिर मेरी आह निकली जिसे मैंने बड़ी मुश्किल से अपने गले मे दफ्न किया कहीं गुप्ता जी ना सुन ले । मेरी साँसे अब ओर भी भारी होने लगी थी । इधर अब गुप्ता जी ने मेरे पेट से अपना फीता हटाया और उसके हटते ही अपने हाथ मेरे पेट पर रख दिए मैं समझ गई के अब गुप्ता जी हाथों से पेट का नाप लेंगे और हुआ भी वही गुप्ता जी ने अपने हाथ मेरे पेट पर फिराने शुरू कर दिए और मेरी नाभी के आस-पास अपनी उँगलिया घुमाने लगे । गुप्ता जी हर स्पर्श मेरे अंदर रोमांच और डर दोनों पैदा कर रहा था इस भाव को मैं बयां नहीं कर सकती पर आलम ये था के धड़कने तेज हो गई थी ओर उसके साथ-साथ मेरे ब्लाउज मे कैद बूब्स भी तनाव ने आने लगे थे , तेज होती साँसों के साथ बूब्स लगातार ऊपर नीचे हो रहे थे । कुछ तो हीटर से गरम वो कमरा कुछ गुप्ता जी की साँसों की गर्मी मेरे माथे पर पसीना आने लगा और गुप्ता जी नीचे अपने काम मे लगे हुए थे । उनकी साँसे हर पल के साथ मुझे मेरी नाभी पर ओर करीब महसूस होने लगी । फिर गुप्ता जी ने अपने हाथ मेरे पेट से हटाए । एक पल को मुझे चैन आया पर अगले ही पल उन्होंने अपना फीता फिर उठाया और अपने हाथ पीछे ले जाकर उसे मेरे नितम्बों पर लपेट दिया और फ़ीते को कसकर खींचा ,मेरे बड़े-बड़े नितम्ब गुप्ता जी के फ़ीते से दाब गए । गुप्ता जी ने एक झटका दिया और मैं इनके और करीब आ गई और गुप्ता जी का चेहरा मेरी योनि और उसकी आस पास की जगहों से जा टकराया जैसे ही गुप्ता जी की साँसे मेरी योनि तक पहुँची मेरे जिस्म मे एक मीठी लहर दौड़ गई अपनी सिसकी को रोकने के लिए मैंने अपने होंठ दाँतों तले दबा लिए
पर जिस्म मे बूब्स के तनाव और साँसों की रफ्तार को ना रोक सकी मेरी उत्तेजना बढ़ती ही जा रही थी जिस्म भी भट्टी की तरह तपने लगा । गुप्ता जी ने अपने फ़ीते से मेरे नितम्बों का नाप लिया और उसे नोट करके रख दिया फिर उसके बाद उन्होंने अपने हाथ मेरे नितम्बों पर पीछे रख दिए । मैं इसके लिए तैयार नहीं थी और गुप्ता जी के हाथ नितम्बों पर पड़ते ही अपनी कामुक उत्तेजना मे काँपती हुई आवाज मे मैं उनसे बोली - " गुप्ता जी .. .. ये .. ये .. रहने दीजिए ... ... .. ना ... । "
गुप्ता जी कहाँ रुकने वाले थे उनके पास मेरे इस सवाल का भी जवाब तैयार था । गुप्ता जी ने अपना सर ऊपर उठाया शर्म से मैंने अपनी आंखे बंद कर ली मैं गुप्ता जी की कातिल निगाहों का सामना नहीं कर सकती थी । गुप्ता जी बोले - " पदमा माप अच्छे से लेना जरूरी है नहीं तो पेटीकोट की फिटिंग खराब हो जाएगी । "
इतना बोलकर गुप्ता जी ने फिर से मेरे नितम्बों पर अपनी पकड़ बना की पर , इस बार उनकी पकड़ ओर भी ज्यादा मजबूत थी । मैं तो कुछ बोल ना पायी पर मेरा जिस्म आग उगलने लगा । मेरे निप्पलस तनकर बिल्कुल कड़े हो चुके थे धड़कन तो इतनी तेज थी के दिल बाहर निकालने को आ रहा था तेज साँसों के साथ बूब्स भी तेज-तेज हवा मे उछल रहे थे ये सब कम नहीं था नीचे से मेरी योनि पर गुप्ता जी की लगातार गरम साँसे ,पीछे नितम्बों को मसलते उनके मजबूत खुरदुरे हाथ और फिर अचानक गुप्ता जी ने मेरी ओर एक सवाल दाग दिया ।
गुप्ता जी - पदमा !
मैं (वासना से भारी हुई कांपती आवाज मे )- हाँ ...... गुप्ता .... जी .. ।
गुप्ता जी - तुमसे एक बात कहूँ ?
मैं - जी .... बोलिए .... ।
गुप्ता जी - बुरा तो नहीं मानोगी ?
मैं - नहीं .. .. .. .. ।
गुप्ता जी - मेरे पास जितनी भी औरते आती है ना अपने कपड़े सिलवाने उनमे से तुम्हारे जैसा कोई नहीं ।
एक तो गुप्ता जी ने वैसे ही मुझे कामअग्नि मे जला रखा था ऊपर से उनके ये सवाल-जवाब उस आग मे घी का काम कर रहे थे ।
मैं - अच्छा ....... पर .. ऐसा .. क्यूँ .. गुप्ता जी .. आह .. ( मेरी कामुकता मे आह निकल गई)
गुप्ता जी - क्योंकि तुम बोहोत सुंदर हो पदमा । तुम्हारे जैसी सुंदर औरत तो पूरी कालोनी मे एक भी नहीं ।
ये सब बाते बोलते हुए गुप्ता जी लगातार मेरे नितम्बों को अपने हाथों से रगड़ रहे थे और मेरी योनि पर अपनी साँसे छोड़ रहे थे जिससे मेरी योनि मे भी अब गीलापन आने लगा था , इससे मेरा बदन जैसे टूटने लगा । अपनी तारीफ़ सुनकर मेरी हवस और भी भड़क गई उत्तेजना के कारण मैं ठिक से बोल भी नहीं पा रही थी बस धीमी-धीमी आहें निकल रही थी होंठों से
मैं - आह .. .. नहीं .. गुप्ता जी ... .. आप .. झूठ बोल रहे ... है .. मैं .. इतनी सुंदर .. कहाँ ..?
गुप्ता जी - झुठ नहीं , बिल्कुल सच बोल रहा हूँ पदमा । ( इसी दौरान गुप्ता जी ने मेरे नितम्बों को अपने हाथों से आजाद किया और अपने हाथ आगे लाने लगे , हाथों को आगे लाते हुए गुप्ता जी का एक हाथ मेरे मेरे पेटीकोट के नाड़े मे उलझ गया । गुप्ता जी ने एक पल को अपना सर उठाकर मेरे चेहरे की ओर देखा मैंने धीरे से अपनी आंखे खोली मेरी आँखों मे गुप्ता जी डर , शर्म , हवस और रोमांच सब कुछ दिखाई पड़ा जबकि उनकी आँखों मे सिर्फ मेरे बदन को पाने की हवस और प्यास थी । गुप्ता जी आगे बोले - ) तुम्हारा तो नाम ही इतना कामुक है पदमा की कोई एक बार सुन ले तो तुम्हें देखे बगैर रह ना पाए और अब मैं भी नहीं रह सकता ।
इसके साथ ही गुप्ता जी ने मेरे पेटीकोट के नाड़े को खिंच दिया , पेटीकोट सररररर.. से सरकता हुआ नीचे जा गिरा और मेरे कुछ बोलने से पहले ही गुप्ता जी अपना मुहँ खोला और मेरी नाभी को उसमे भरकर उसकी चुसाई शुरू कर दी ।
एक पल को लगा जैसे सब कुछ रुक गया हो मैं जैसे हवा मे उड़ने लगी मानो सदियों से प्यासे मेरे जिस्म पर बरसात की बूंदे गिर रही हो । मैं - "आह ... गुप्ता जी ... नहीं .. छोड़ दीजिए ....... मुझे ..... आहं ....॥ " बस इतना ही कह पाई पर गुप्ता जी पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा उल्टा उन्होंने मुझे ओर जोर से अपनी बाहों मे जकड़कर जोर जोर से मेरे पेट को चूमने लगे । मैंने गुप्ता जी की पकड़ से छूटने की भी कोशिश की पर उनकी मजबूत पकड़ के आगे मेरी एक ना चली । पेटीकोट के नीचे गिरने के साथ ही मैं बस पेन्टी मे रह गई और वो छोटी सी पेन्टी मेरे बड़े-बड़े नितम्बों मे फँस कर रह गई मेरे नितम्ब अब आधे से ज्यादा नंगे थे जिन्हे गुप्ता जी अपनी मनमर्जी से मसल रहे थे । वासना की आग मे जल रहे मेरे जिस्म पर गुप्ता जी का हर वार आग मे घी का काम कर रहा था और मेरी योनि अब जमकर पानी छोड़ रही थी । होंठों से बस कामुक आहें और छूटने के शब्द निकल रहे थे - " प्लीज..... गुप्ता जी ...... आहं .... नहीं ... ओह ...... जाने दीजिए ....... .. मुझे ..... आहं.... नहीं .... मुझे मत ..... चूमिए ....... ओह ....... छोड़ दीजिए ........ ना ....... । "तुम्हारा जिस्म बोहोत सेक्सी है पदमा मैं इसे भोगना चाहता हूँ । "- गुप्ता जी एक बार को मुझसे बोले और फिर से मेरे पेट को चूमते हुए ऊपर की ओर आने लगे और रास्ते मे मिलने वाले मेरे जिस्म के हर हिस्से को चूमने लगे जब गुप्ता जी मेरे ब्लाउज तक आए तो ब्लाउज के ऊपर से ही वहाँ मेरे बूब्स को चूमने लगे।
मैं - "आहं.....नहीं ........ गुप्ता जी .. आपके ...... होंठ ..... आह ..... मुझ पर नशा........ कर ....... रहे ...... है ........ प्लीज मुझे ..... मत ...... चूमिए ...... ओह ...... ।" गुप्ता जी नहीं रुकने वाले ये मैं भी जान गई थी वो आगे बढ़े और मेरे गले पर भी अपने होंठों की मुहर लगा
दी वो पूरे जोश मे मेरे गले और उसके आस-पास चूमने लगे जैसे ही गुप्ता जी सीधे हुए उनका तना हुआ कडा लिंग बिल्कुल मेरी योनि से टकरा गया । गुप्ता जी के लिंग के अपनी योनि से टकराते ही मैं गुप्ता जी की बाहों मे मचल उठी और एक बार को उन्हे कसकर अपनी बाहों मे जकड़ लिया । गुप्ता जी समझ रहे थे की अब मैं भी हवस मे पागल होने लगी हूँ उन्होंने मुझे मेरे बालों से जोर से पकड़ा और अपने सूखे होंठ ,मेरे गरम रसीले होंठों पर रख दिए और मेरे लबों को अपने लबों मे भरकर जोर से चूसने लगे उन्होंने अपने एक हाथ से मेरी कमर को पकड़ा और दूसरे हाथ को मेरे बूब्स पर रख उसे कसकर मसलने लगे । गुप्ता जी बोहोत देर तक मेरे होंठों को चूसते रहे मेरे होंठों का सारा रस पीने के बाद ही उन्होंने मेरे होंठों को छोड़ा, मेरी आँखे हवस की आग मे लाल हो गई थी । फिर गुप्ता जी मेरे पीछे गए और मुझे पीछे से बाहों मे भरकर बेतहाशा चूमने लगे
अपने हाथ आगे लेजाकर उन्होंने मेरे तने हुए बूब्स को ब्लाउज के ऊपर से पकड़ लिया और उन्हे मनमर्जी से मसलने लगे , रगड़ने लगे , दबाने लगे उनके जो मन मे आ रहा था वो वैसे ही कर रहे थे । मैं - " आह ....... गुप्ता जी ....... इन्हे छोड़ ...... दीजिए ........ आहं ........ नहीं ....... ओह ..... दर्द ..... होता है ...।" गुप्ता जी मेरे बदन को पीछे से चूमते हुए ही बोले - " किसे छोंडू पदमा ?" "आह ... ये गुप्ता जी मुझसे क्या पूछ रहे है अब मैं अपने मुहँ से उन्हे कैसे बताऊ कि मेरे बूब्स को छोड़ दे" मैं - " इन्हे ...... आह ....... गुप्ता जी ........ जिनको ..... ओह ... आपने पकड़ा ...... है ...... आहं...... नहीं ...... जिनको आप ...... मसल....... रहे है..... ... आहं ...... । " गुप्ता जी - " मैंने किसको पकड़ा है पदमा नाम बताओ ?" अब मुझसे बरदाश्त नहीं हुआ और मैंने बोल दिया - " मेरे ..... बूब्स ...... को.. आह ......... छोड़ ...... दीजिए ....... गुप्ता जी ......... दर्द ....... होता है ..... ओह ...प्लीज ..... । " मेरी इस बात पर गुप्ता जी ने मेरे बूब्स पर अपनी पकड़ थोड़ी ढीली कर दी इससे मुझे कुछ राहत मिली , पर अब उन्हे मेरा ये ब्लाउज रास नहीं आ रहा था उन्होंने हाथ आगे बढ़ा कर मेरे ब्लाउज के बटन खोलने शुरू कर दिए । मैंने गुप्ता जी को रोकने की कोशिश की और अपने हाथ से उनके हाथ पकड़कर कहा - " नहीं ...गुप्ता जी ..... प्लीज....... इसे मत...... उतारिए ........ । " मेरी इस बात पर गुप्ता जी ने मेरा कान अपने होंठों मे भरकर उसे चूसने लगे और पीछे से मेरे नितम्बों पर धक्के लगाने लगे । इससे मिलने वाले मजे से मैं पस्त हो गई और मेरी पकड़ गुप्ता जी के हाथों पर ढीली पड़ गई । गुप्ता जी समझ गए की मैं अब विरोध करने की स्थिति मे नहीं हूँ वो मेरे कान मे बोले - " पदमा तुम्हारी गाँड़ बोहोत सेक्सी है मैं इसे मैं इसे चोदना चाहता हूँ । " "हे भगवान ! गुप्ता जी मुझसे कितनी गंदी भाषा मे बात कर रहे है ऐसा तो कभी अशोक ने भी मुझे नहीं बोला " मैं - आहं ..... गुप्ता जी ...... ये आप...... क्या बोल ......... रहे है ....... प्लीज......... ऐसी....... बाते....... मत कीजिए ........मुझे कुछ ....... कुछ....... होता है ...। " मेरी बात का गुप्ता जी ने कोई जवाब तो नहीं दिया पर एक झटके के साथ मुझे कपड़ों के ढेर के पास पड़े एक गद्दे पर खेन्च लिया और मेरे ऊपर आकर मुझे फिर से चूमने लगे वो लगातार मुझे कंधों पर गर्दन पर चूमे जा रहे थे
और मैं जोर जोर से आहे भरने लगी । फिर गुप्ता जी ने मेरे अधखुले ब्लाउज को अपने दोनों हाथों से पकड़ा और एकदम से खेन्चकर उसे निकाल दिया और वही कपड़ों के ढेर पर फेंक दिया और मेरी कमर पर चूमते हुए पीछे से मेरी ब्रा के हूँ भी खोल दिए ब्रा के हुक खुलते ही मैंने अपने हाथों से अपने बूब्स को ढकने की कोशिश की पर गुप्ता जी ने मुझे इसका भी मौका नहीं दिया और मुझे पलटकर सीधा कर दिया और मेरे बूब्स को अपने होंठों मे भर लिया और जोर-जोर से चूसने लगे । बूब्स के गुप्ता जी के होंठों मे जाते ही मैं जल बिन मछली की तरह मचले लगी, मेरी योनि जमकर पानी बरसाने लगी । गुप्ता जी मेरे बूब्स को तो चूस ही रहे थे साथ ही साथ मेरे निप्पलस को भी अपनी जीभ से छेड़ रहे थे उनकी ये हरकते मुझे पागल कीये जा रही थी । मैं हवस मे अंधी हो चुकी थी अपने हाथों से मैंने गुप्ता जी का सर अपने बूब्स पर दबा दिया ।
मैं - " आह .... गुप्ता जी ....... निचोड़ लीजिए ....... इनका ....... सारा ....... दूध ....... आहं ...... मत छोड़िएगा ...... इन्हे ..... ओह ." । मेरे मुहँ से ये सब शब्द सुनकर गुप्ता जी और भी जोश मे आ गए और, ओर भी जोर जोर से मेरे बूब्स को चूसने लगे उन्हे पीने लगे फिर वो मेरे बूब्स को छोड़ मुझे चूमते हुए नीचे की ओर आए ओर मेरे पैर को अपने हाथों मे लेकर उसे चूसने लगे , गुप्ता जी मेरे पैर की एक-एक उंगली को अपने होंठों मे लेकर चूस रहे थे ।
मेरे लिए ये अनुभव बिल्कुल नया था जीवन मे मेरे साथ ऐसा पहले कभी किसी ने नहीं किया था गुप्ता जी का ये हमला मेरे लिए सबसे घातक साबित हुआ और मेरा सब्र जवाब दे गया । अपनी सभी मर्यादाओ , सीमाओं और धर्म को भूलकर मैं अपने जिस्म की गर्मी की गुलाम बन गई और वासना की आग मे बोल उठी - "आह ..... गुप्ता जी ....... अब .... और मत ...... तड़पाइए ...... प्लीज ....... जो आह ........ भी ...... करना ...... है ... ओह .... जल्दी कीजिए....... " मेरी ये बात गुप्ता जी के लिए खुला निमंत्रण थी गुप्ता जी ने मेरा पैर छोड़ा और ऊपर की ओर आए ओर मेरे नितम्बों के पास आकर उन्हे अपने हाथों मे भर लिया ओर जोर से हिलाया । मेरे मांसल नितम्ब एक दूसरे से टकराकर हिलने लगे फिर गुप्ता जी ने अपनी जीब बाहर निकाली ओर मेरे नितंबों को उन्हे जोर-जोर चाटने लगे वो उन्हे पूरा अपने मुहँ मे भरने की कोशिश कर रहे थे ।
फिर गुप्ता जी ने उन्हे छोड़ा ओर अपने हाथ आगे बढ़ाकर मेरी पेन्टी को नीचे खिसकाने की कोशिश करने लगे तो मैंने अपनी पेन्टी को अपने हाथों से मजबूती से पकड़ लिया और गुप्ता जी से कहा - " प्लीज गुप्ता जी ....... इसे मत उतारिए .... आप ऊपर से ..... ही कर लीजिए ....... । " गुप्ता जी के लिए भी अब 1 सेकंड रुकना मुश्किल था उन्होंने पेन्टी को यूँही छोड़ अपनी पेंट से अपना लिंग बाहर निकाला और उसे मेरे नितम्बों पर सटा कर मेरे ऊपर लेट गए और धक्के मारने लगे । गुप्ता जी के हर धक्के के साथ मेरी योनि ओर भी पानी छोड़ने लगी मुझे गुप्ता जी का लिंग अपने नितम्बों पर चुभता हुए महसूस हो रहा था और अपने आकार को भी बयां कर रहा था । गुप्ता जी के धक्के पेन्टी के ऊपर से ही मुझे असीम सुख दे रहे थे और मैं उनके नीचे लेटी हुई जोर-जोर से आहें भर थी ।
" हाँ ..... गुप्ता जी ..... ऐसे ही ....... करते रहिए ...... आह ..... हाँ ... हाँ ..... अब ..... ओह .... हाँ .... रुकिएगा नहीं ....... हाँ ऐसे ही ....... हाँ वही ...... पर ....... धक्के ... मारिए ..... आह..।" मैं ऐसे ही चिल्लाती रही जब तक गुप्ता जी ने आगे बढ़कर मेरे होंठों को अपने होंठों मे लेकर चुप नहीं करवा दिया गुप्ता जी मेरे होंठों को जोर जोर से चूसने लगे मैं भी उनका साथ देने लगी और उनके होंठों को चूसने लगी । फिर उन्होंने अपना हाथ नीचे लेजाकर मेरे बूब्स को पकड़ लिया और उनका मान-मर्दन अपनी इच्छानुसार करने लगे । ऊपर से गुप्ता जी के कातिल धक्के , होंठ उनके होंठों मे , बूब्स उनके हाथों मे जितना मज़ा मुझे उस समय मिल रहा था उससे पहले कभी नहीं मिला । अशोक की तो क्या ही कहूँ इतना मजा तो उस दिन नितिन के साथ भी नहीं आया जितना आज गुप्ता जी मुझे मज़ा दे रहे थे । इतने मजे को सहन करने की शक्ति मुझमे नहीं थी और मेरे अंदर एक सैलाब आने लगा गुप्ता जी की साँसे भी अब उखड़ रही थी उन्होंने भी मेरे होंठों को छोड़ दिया और अपना लिंग मेरे दोनों नितम्बों के बीच फसाकर गहरे-2 धक्के लगाने लगे इन धक्कों की चोट सीधे मेरी योनि तक जा रही थी मैंने गद्दे के दोनों किनारों को अपने हाथों से जोर से पकड़ लिया और अपने होंठ को दाँतों तले दबा लिया और फिर एक लंबी आह - " आह ............. ............. ............. " और इसी के साथ मेरी पेन्टी मेरी योनि के बोहोत सारे चुतरस से भीग गई और ढेर सारा चुतरस गुप्ता जी के गद्दे पर बिखर गया । उधर गुप्ता जी की भी हालत अब खराब हो गई और एक कराह " आह ...... पदमा ........ " के साथ उन्होंने अपना बोहोत सारा वीर्य मेरे नितम्बों पर बिखेर दिया और मेरे ऊपर ही लेट गए। हम दोनों की साँसे बोहोत तेज-2 चल रही थी , शरीर पसीने से भीग चुके थे , कितनी ही देर तक हम दोनों ऐसे ही आँखे बंद कीये लेटे रहे ।
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Fantastic update bro aur galti use update mein dhundhte hain jismein galti hoti hai aap to bahut jabardast likh rahe ho bus likhate jao aur ऐसी-ऐसी khubsurat aur sexy update dete jao
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Bro next update jaldi do please please
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aagar English font mein hota to pad leta,,, alas It's hindi
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Hot story love it. Next update bro.
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