15-09-2022, 02:59 PM
रात भर मैं
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.

Incest लॉकडाउन में दीदी फिर से चुद गई
|
15-09-2022, 02:59 PM
रात भर मैं
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
![]()
15-09-2022, 03:01 PM
चोद दिया बड़ी बहन को
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
![]()
15-09-2022, 03:02 PM
मैं अपनी माँ का एकलौता बेटा हूँ! मेरी एक बड़ी बहन है छाया ! मुझसे उम्र में चार साल बड़ी है!
जब मैं अपने यौवन का स्वाद चख ही रहा था तब मुझे पता चला कि मैं हरामी हूँ .. उनकी अपनी संतान नहीं हूँ ! मेरे फ्लैट-सोसाईटी वाले मुझे छेड़ते थे इस बात को लेकर ! पापा मम्मी अलग कमरे में सोते थे और मैं और दीदी बाजू वाले कमरे में सोते थे। वो मेरा बहुत ध्यान रखती थी ! मैं नया नया मुठ मरना शुरू किया था ! कॉलेज के दोस्त कहते थे अगर किसी लड़की मुठ से मरवाई जाए तो क्या कहना . मैं सोचता था कि छाया मेरी अपनी बहन तो है नहीं ! क्यूँ न इस पर ही कोशिश करूँ? एक रात वह बिलकुल मदहोश होकर सो रही थी! मैं अपना लंड उसके मुलायम हाथ में रखा ! आह अहह कितनी नर्म हैं दीदी की उंगलियाँ ! मज़ा आ गया ! फिर मैंने उसकी हथेली में अपना वीर्य निकाल दिया! सुबह मैंने देखा वो अपने हाथ धो रही थी … दीदी क्या हुआ ?? अरे देखो ना क्या लग गया है सोते सोते ! साबुन जैसा चिकना है !! दीदी कैसी खुशबू है उसकी ? उसने सूंघा, अहह पता नहीं अजीब सी है ! बेचारी अब तक कुँवारी चूत लेकर फिर रही है … मैं तो बेकार में ही सुनीश के साथ शक करता था ? सुनीश की पास में परचून की दुकान थी। एक दिन मैं कॉलेज से जल्दी आ गया, घर का दरवाज़ा खुला था .. मैंने अन्दर जाकर देखा कि सुनीश दीदी को चोद रहा था। दीदी की गोरी-गोरी टाँगें फैली हुई थी और सुनीश की काली काली गांड हवा में उछल उछल के घस्से मार रही थी। दीदी की गोरी गांड देख कर जैसे मेरा खड़ा हुआ कि सुनीश मुझे देख वहाँ से रफूचक्कर हो गया … तपन ! मम्मी को मत बताना ! मैं तुम्हारे सामने हाथ जोड़ती हूँ !! मैं ज़रूर बताऊंगा दीदी … मैं नाराज़ होकर बोला। ठीक है ! बता देना ! फिर पापा को मैं भी तुम्हारे बारे बता दूंगी कि तुम रात में मेरे हाथ में मुठ मारते हो। हरामी कहीं के… मैं चुप हो गया … रात आई .. मुझे नींद नहीं आ रही थी … मैंने दीदी को पकड़ लिया। अहह ! तपन यह क्या कर रहे हो ? अपनी टांगें मैं उसकी नायटी में फेरने लगा … नायटी में हाथ डाल कर उसकी पैंटी को छुआ ! आह्ह ! नहीं ! मैं तुम्हारी दीदी हूँ ! कैसी दीदी? मैं तो हरामी हू ना ? कहकर मैंने उसकी पैंटी खोल दी … उसकी जांघें ! मानो जन्नत .. आओ ना ! जो कसर सुनीश ने छोड़ी है, मैं पूरा किये देता हूँ ! ओह! आ जा मेरे राजा ! चढ़ जा ! उसने अपने नायटी हटाई, मैं उसके मम्मों को चूसने लगा। दूध नहीं निकलता क्या ? मैं निचोड़ते हुए बोला। हट पागल .. उसने मेरे लौड़े को अपने चूत में घुसाया ! अहह ! मज़ा आ गया छाया दी ! अहह अह ! मैं स्खलित हो गया। बस बच्चे ! दो चार ही बार में ही? सुनीश तो पचास बार कम से कम करता है ! चलो मैं तुम्हें सिखाती हूँ ! उसने मेरे लण्ड को चूसा, जब खड़ा हो गया तो उसने अपने प्रवेश द्वार पर डाला। मैंने धक्के मारने शुरू किये .. बस छाया दी निकल जायेगा .. उसने पूछा- बता 5 गुने 5 ? मैं सोचने लगा और मैं इस बार स्खलित नहीं हुआ .. वाह दीदी ! क्या आईडिया है .. मैंने इस तरह बहुत बार उस रात छाया दी को चोदा। मैंने मुठ उसके होंठो पर मारी … ओह तपन कितना शरारती हो ? मैंने उसे अपने माल से नहला दिया। अगले दिन छुट्टी थी .. हम दोनों साथ में नहाए.. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
![]()
15-09-2022, 03:03 PM
रात भर मैं चुदवाते रही
दोस्तों मेरा नाम आँचल है, मेरे माँ बाप मुझे अच्छी तरह से परवरिश की, पढ़ाया लिखाया, और फिर जो उनका अरमान था की मेरी शादी किसी अच्छे घर में हो और मेरा पति राजकुमार की तरह हो, मुझे कभी भी ज़िंदगी में किसी चीज की कमी नहीं हो, और फिर मेरी शादी जयपुर के एक प्रतिष्ठित परिवार में मेरी शादी करवा दी. मेरी शादी को हुए अभी तीन साल हुए है, अभी मेरी उम्र २४ साल है, मैं देखने में काफी सुन्दर हु, जवानी भरपूर चढ़ी है, बदन गदराया हुआ है, ब्लाउज में चूचियाँ समाते नहीं समती, ब्रा का हालात भी ख़राब हो जाता है, क्यों की आज मैं बहुत खुश हु, और ससुराल बाले भी बहुत खुश है, मैं आपको अपनी ये कहानी आपके सामने पेश करुँगी. पहले तो मुझे लग रहा था की ये बात किसी और को बताऊँ की नहीं लोग क्या कहेंगे, कई तो ये सोचेंगे की क्या ये सही हो सकता है की कोई बहन अपने भाई से ही प्रेग्नेंट हो और खुश हो, पर हां ये मेरे साथ है, मैं खुश हु, और इसमें सिर्फ मैं अकेली नहीं हु, कई और भी है जो इस तरह का रिश्ता रखे हुए है और खुश है, मेरी शादी बड़ी ही धूम धाम से हुई, और शादी के चार से पांच दिन बाद ही मेरे पति को दौरा पड़ा, और वो पागल की तरह करने लगे थे, उसके बाद से हम दोनों के बिच में सेक्स सम्बन्ध नहीं बना क्यों की वो सोते तो मेरे साथ थे पर उनका लण्ड खड़ा नहीं होता था मैं कितना भी हिलाती डुलाती मुंह में लेती पर कुछ भी इसका प्रभाव नहीं पड़ता था, मैं काफी परेशां हो गई थी, क्यों की मुझे सेक्स चाहिए था, उनका बदन तो काफी गठीला था देखने में काफी अच्छे थे, मैं रात को पूरा उनको नंगा कर देती थी और मैं भी पूरी नंगी होके उनके ऊपर लेटती थी और कभी उनको ऊपर करती थी पर कोई फायदा नहीं होता था, उलटे मेरा दिमाग ख़राब हो जाता था, क्यों की मेरी चूचियाँ तन जाती थी, मेरे चूत से पानी निकलने लगता था, चूत मेरी गरम हो जाती थी, चूचियों का निप्पल टाइट हो जाता था, आँखे नशीली हो जाती थी पर मैं प्यासी की प्यासी रह जाती थी. कई महीनो तक इलाज चला, पर वो ठीक नहीं हुए, घर में वो अकेला संतान थे, एक दिन मेरी सास बोली की बहू रात को सोने में तो कोई दिक्कत नहीं है. मैंने कहा क्या माँ जी समझी नहीं तो वो फिर बोली की मैं ये पूछ रही हु तो तुम दोनों में प्यार मुहब्बत है की नहीं, मैं समझ गई, की पागलपन के दौरे के बाद वो मुझे चोद पा रहे है की नहीं, मैंने कह दिया हां, इसमें कोई दिक्कत नहीं है, तो सासु माँ बोली भगवान् का शुकर है की इस हवेली के एक चिराग मिल जायेगा, फिर सासु माँ कहने लगी, देख बेटी, तुम जल्दी से एक बच्चा कर लो, क्यों की इस घर को एक वारिश की जरूरत है नहीं तो सब कुछ खत्म हो जाएगा, मैं हैरान हो गई, मैंने सोचा इतना बड़ा रिश्ता, सब ठाठ बाट की ज़िंदगी, मुझे कुछ चाल चलना पड़ेगा ताकि मैं इस हवेली की बहूरानी ज़िंदगी भर बनी रहु, मैं दो तीन दिन तक प्लान सोचते रही, तभी मेरा भाई जो की बंगलुरु में रहता है आया, मेरे पति को देखने की अब तबियत में सुधार है की नहीं, अपने भाई को देखकर मैं रोने लगी, उसने मुझे सांत्वना देते हुए कहा, बहन रोती क्यों है, हु ना मैं मैं इनको बड़ा से बड़ा डॉक्टर को दिखाऊंगा, ये ठीक हो जायेंगे, फिर पुरे दिन हम दोनों बातचीत करते रहे, उस दिन मेरे पति को चेकअप के लिए सासु माँ और ससुर दोनों जयपुर ले गए थे, घर में हम दोनों ही थे, शाम को मेरे ससुर जी का फ़ोन आया की हमलोग कल आएंगे. रात को कहना खाकर हम दोनों खुले छत पर घूम रहे थे और बात कर रहे थे तभी फिर से मेरी आँख छलक गई, और भाई ने मुझे गले लगा लिया, पता नहीं दोस्तों मुझे एक रूहानी एहसास हुआ और मैं अपने भाई के सीने से चिपक गई, वो मुझे अपनी बाहों में समेटे खड़ा था, और मैं उस पल का आनंद ले रही थी, तभी मैंने महसूस किया की भाई का लण्ड खड़ा हो रहा था और मेरे जांघों से सट रहा था, मेरी चूचियाँ उसके सीने से चीपकी हुई थी, फिर वो मेरे पीठ को सहलाने लगा, मैंने भी उसके पीठ को सहलाने लगी, और फिर मेरी साँसे जोर जोर से चलने लगी, और उसकी भी गरम गरम साँसे मेरे कानो के पास से गुजर रहा था, अचानक मैं थोड़ा अलग हो गई. और दोनों निचे आ गए, थोड़े देर तक हम दोनों सोफे पे चुपचाप बैठे रहे और फिर मेरा भाई बोला क्या जीजा जी ठीक होंगे की नहीं, मैंने कहा कुछ भी नहीं पता और ऊपर से सास को पोता चाहिए, मैं कभी भी उनको पोता नहीं दे पाऊँगी, तो भाई बोला ये क्या बोल रही है, मैंने कहा हां, वो अब कुछ भी नहीं कर पा रहे है, पर ये बात मैंने अपने सास से झूठ बोला, जब वो मुझसे पूछी की सब ठीक ठाक है, तो मैंने कह दिया हां ठीक है और वो खुश हो गई, और बोली की चलो मेरे घर का चिराग आ जायेगा पर ये संभव नहीं है क्यों की मैं अकेले कैसे बच्चा दे सकती हु. मैंने कहा काश एक बच्चा हो जाता तो मैं यहाँ की रानी बन कर राज करती क्यों की और भी कोई वारिश नहीं है इस हवेली का. और फिर दोनों चुप हो गए, तो भाई ने कहा देख बहन एक बात है, तुम्हारे सास को पोता चाहिए, तुम्हारा पति दे नहीं सकता, तुम्हे भी बेटा चाहिए, अगर तुम मेरे से हेल्प चाहती हो तो तुम्हारी ज़िंदगी बन जाएगी और ये बात किसी को पता भी नहीं चलेगा यहाँ तक की तुम्हारे हस्बैंड को भी नहीं क्यों की वो पागल है. मैं तो अपने भाई का मुंह देखने लगी, पर बात में जान था, करीब पांच मिनट तक चुप रही वो नजदीक आके बैठ गया और मेरी बालों को सहलाने लगा और फिर मेरे से गले लगा लिया और फिर कब एक दूसरे के बाहों में खो गए पता ही नहीं चला, फिर मेरा भाई मुझे गोद में उठकर बैडरूम में गया और बेड पे पटक दिया. उसको बाद उसने मेरे ब्लाउज को उतार दिया और मेरे चूचियों को पिने लगा और दबाने लगा, मेरी चूचियाँ तन गई और निप्पल कड़ा हो गया, वो जोर जोर से मेरी चूचियों को खींचने लगा, और मेरे होठो को चूसने लगा, मैंने भी उसके होठों को चूसने लगी और उसके छाती के बालों को सहलाने लगी. उसके बाद मेरा भाई मेरे सारे कपडे उतार दिए, और मेरी चूत की झांटो को सहलाने लगा, और फिर मेरे चूत में ऊँगली डालने लगा, मैं तो गरम हो गई थी, अब मुझे लण्ड चाहिए था क्यों की काफी दिन से लण्ड की भूखी थी, मैंने अपने भाई के लण्ड को मुंह में लिए और चूसने लगी, फिर दोनों 69 की पोजीशन में आ गए वो मेरे चूत को और मैं उसके लण्ड को चूसने लगी. और फिर वो बक्त आ गया जब मेरा भाई अपना मोटा लण्ड निकाल और मेरे चूत पे रख के जोर से धक्का मार और पूरा लण्ड मेरे चूत में घुसेड़ दिया, मैं आह आह करने लगी और फिर लगा वो जोर जोर से चोदने, वो मुझे गाली दे रहा था और मुझे वो गाली बहुत अच्छा लग रहा था मुझे जोश आ रहा था, फिर उसने मेरे चूत में सारा माल झाड़ दिया, और फिर से चूची को पिने लगा, करीब आधे घंटे बाद उसका लण्ड फिर से कड़ा हो गया और वो फिर से मुझे घोड़ी बना कर चोदने लगा, रात भर मैं चुदवाते रही और वो मुझे चोदते रहा, मेरा भाई करीब दस दिन तक रहा था और मुझे खूब चोदा, मुझे तो ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा था जब मुझे माहवारी नहीं आई थी, डॉक्टर के पास गई तो डॉक्टर ने कन्फर्म कर दिया की मैं माँ बन्ने बाली हु, मैंने ये बात अपनी सास को बताई की मैं माँ बन्ने बाली हु वो बहुत खुश हुई, पर उनको ये पता नहीं है की ये बच्चा मेरे भाई का है, उनका बेटा तो मुझे चोद भी नहीं सकता, (15-09-2022, 02:59 PM)neerathemall Wrote: जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
![]()
16-09-2022, 05:17 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
![]()
25-01-2023, 02:37 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
![]()
23-02-2024, 12:20 AM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
![]()
25-02-2024, 02:25 PM
Nice story
16-03-2024, 03:31 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
![]()
16-03-2024, 03:37 PM
बीच बीच में मैं दीदी की चूत के दाने को मसलता और उसे दांतों से काट देता, जिससे दीदी और ज्यादा उत्तेजित हो गयी। मैं ऐसे ही दीदी की चूत को बहुत देर तक चाटता और चूसता रहा। कुछ देर बाद दीदी झड़ गयी।
दीदी ने कहा- चूत चटाने में आज तक इतना मजा नहीं आया। तू तो बहुत बड़ा खिलाड़ी बन गया है रे! इस पर मैं बोला- देख लो दीदी, मैंने आपकी चूत को कितना अच्छा मजा दिया है, अब मैं भी देखूंगा कि आप मेरे लौड़े को कितना मजा देते हो. ये बोलकर पहले मैंने अपनी टीशर्ट को उतार दिया. फिर मैंने अपना पजामा भी खोल दिया. मेरा लौड़ा मेरे कच्छे को पूरा उठा कर रखे हुए था. अपने लंड को मैंने कच्छे के ऊपर से ही दीदी के सामने सहला दिया और दीदी देख कर मुस्कराने लगी. मैंने दीदी से कहा- ये लो आपका सामान तैयार है, इसको अब आप ही संभालो. मेरा कच्छा आप ही खोलो। मेरा लण्ड इतना कड़ा हो गया था कि अंडरवियर में वो आ ही नहीं रहा था और मुझे इससे दर्द हो रहा था। दीदी ने जैसे ही मेरा कच्छा खोला तो मेरा 9 इंच का लण्ड स्प्रिंग की तरह ऊपर उठ कर झूलने लगा. दीदी का चेहरा मेरे लौड़े के पास था तो मेरा लंड उसकी नाक पर जोर से जाकर लगा. हम दोनों की हँसी छूट गयी. इस पर मैंने दीदी से कहा- देखो दीदी, ये भी कितना बेताब है तुम्हारे मुंह में जाने के लिए। तो दीदी ने उसे पकड़ कर कहा- अब तो ये और भी बड़ा हो गया है. मगर तूने अपनी झाँटें क्यूँ नहीं काटी? मैंने कहा- दीदी, किसके लिए काटता? आंचल चुदाई करने देती नहीं और तुम्हारा मुझे पता नहीं था कि तुम मानोगी या नहीं। मगर कोई बात नहीं, अब तुम यहां हो तो ये झांटें भी आप कल खुद ही काट देना। ये सुन कर दीदी हंसने लगी और बोली- अच्छा, अब सोफे के ऊपर बैठ जाओ। दीदी के कहने पर मैं सोफे के ऊपर बैठ गया. दीदी मेरी टाँगों के बीच बैठ गयी। दीदी मेरा लौड़ा पकड़ कर पहले आगे पीछे करने लगी. दूसरे हाथ से मेरे टट्टों को सहलाने लगी। उसके बाद दीदी ने मेरा लौड़ा अपने होंठों पर घिसा और बाद में मेरे लौड़े के टोपे को मुंह में ले लिया और टोपे के छेद पर अपनी जीभ घुमाने लगी। ये बहुत ही उत्तेजित करने वाला था। इससे मेरी भी हये.. निकल गई। दीदी कुछ देर ऐसा ही करती रही और कुछ देर बाद उसने धीरे धीरे मेरा पूरा लण्ड अपने मुंह में गले तक डाल दिया। इससे मैं पागल हो गया और मैंने दीदी का सर पकड़ कर ज़ोर ज़ोर से आगे पीछे करना शुरू कर दिया. इससे दीदी ने मेरे घुटने पकड़ लिए ताकि वो गिर न जाये। दीदी के मुंह से गूं … गूं … गर्र … गर्र … की आवाज़ आने लगी। मैं ऐसा तब तक करता रहा जब तक कि मैं झड़ नहीं गया। जब मैं झड़ा तो मैंने दीदी के मुंह को बंद कर दिया ताकि दीदी मेरा वीर्य पी ले. दीदी ने किया भी ऐसा ही. मेरा लंड गले में फंसा होने के कारण दीदी की सांस रुक रही थी और उसकी आँखों से आंसू आ रहे थे. किंतु ये मज़े के आँसू थे। फिर वीर्य निगलने के बाद दीदी ने लंड को बाहर निकाल दिया. फिर हम दोनों ज़ोर ज़ोर से सांस लेने लगे क्यूंकि हम बहुत थक गए थे। कुछ देर तक हम दोनों ऐसे ही पड़े रहे। फिर उसी बीच दीदी का बच्चा जाग गया तो दीदी उसके पास चली गयी और उसे दूध पिला कर सुला दिया। इसी बीच मैं फिर से चार्ज हो गया था और अपने लौड़े को हिला कर तैयार कर रहा था। उसके थोड़ी देर बाद दीदी बाहर आने लगी तो मैंने सोचा क्यूँ न दीदी को आज खड़े खड़े ही चोदा जाये। ये सोच कर मैं जल्दी से उठ कर दीदी के पास गया और दीदी को कहा कि वहीं रुक जाए। मैं दीदी को पकड़ कर दीवार के पास ले गया और दीदी को कहा कि आज मैं आपको खड़े खड़े ही चोदूंगा। दीदी भी चुपचाप दीवार के पास खड़ी हो गयी। पहले मैंने दीदी के नंगे बदन को अपने नंगे बदन में समा लिया। यकीन कीजिये दोस्तो, इस तरह से नंगे बदन से चिपकने में बड़ा मज़ा आता है। उसके बाद मैंने अपना लौड़ा पकड़ा और दीदी की चूत पर रख कर बाहर से घिसने लगा। इससे हम दोनों बहुत उत्तेजित हो गए और मैंने एक ही झटके में पूरा लण्ड दीदी की चूत में डाल दिया। लंड घुसने से दीदी ज़ोर से चीख पड़ी मगर गनीमत रही कि बच्चा नहीं जागा वरना सारा मजा खराब हो जाता. दीदी चिल्ला कर बोली- पागल हो गया है क्या तू? एक बार में कोई ऐसे ठोकता है क्या? मैंने कहा- दीदी, माफ़ करना मुझसे रहा नहीं जा रहा है। मैंने लण्ड को आगे पीछे करना शुरू किया। मुझे तो जन्नत ही नसीब हो गयी जैसे। दीदी अजीब अजीब आवाजें निकालने लगी. खड़े खड़े मैं दीदी को चोदने लगा. बहुत मजा आ रहा था. मगर जल्दी ही मेरी कमर में दर्द होने लगा इसलिए मैंने दीदी को अपनी गोद में उठाना चाहा। इसके लिए मैंने दीदी के चूतड़ों पर हाथ रखा तो महसूस हुआ कि पहले तो दीदी के चूतड़ मेरे हाथों में आसानी से आ जाते थे लेकिन अब नहीं आ रहे हैं। फिर मैंने जैसे तैसे दीदी को अपनी गोद में उठाया और उठा उठा कर दीदी को चोदा। ऐसे चोदने में लण्ड पूरी रफ़्तार से और पूरा का पूरा अंदर जाता है। ऐसा करने से दीदी और मैं पागल हो गए थे। दीदी ने मुझे बहुत जोर से पकड़ा था और मैं पूरा जोर लगा के दीदी को चोद रहा था। इससे सारे कमरे में पट-पट की आवाज़ बहुत जोर से गूंज रही थी और वो आवाज़ शायद बाहर भी सुनाई दे रही थी। किंतु हमें इसकी कोई परवाह नहीं थी। इस आवाज़ को सुनकर दीदी का बेटा जाग गया और वो रोने लगा। दीदी ने कहा- छोड़ दे निखिल, बच्चा उठ गया है, मुझे छोड़ दे। बच्चे को चुप कराने के बाद मैं आ जाऊंगी। मगर मैं उस समय जानवर बन गया था। मैंने कहा- साली रांड चुप कर, अभी मुझे चोदने दे। मैं झड़ने वाला हूँ। मैं दीदी की चूत को ठोक ठोक कर चोदता रहा. दीदी भी मेरे धक्के झेलती रही और उसके थोड़ी देर बाद मैं झड़ गया. मैंने सारा माल दीदी की चूत में ही छोड़ दिया। जैसे ही हमारी चुदाई की आवाज़ बन्द हुई बच्चा भी चुप हो गया। उसके बाद मैं वैसे ही दीदी को उठा कर सोफे तक ले गया और वैसे ही सोफे पर बैठ गया। वहाँ से अंदर देखा तो बच्चा फिर से सो गया था। मैंने वैसे ही दीदी को अपनी गोद में बिठाये रखा और मेरा लण्ड कुछ देर तक दीदी की चूत में ही था। दीदी मेरी गोद में ही सो गई। कुछ देर बाद मेरा लौड़ा दीदी की चूत से अपने आप निकल गया। फिर उसके थोड़ी देर बाद मैंने दीदी को अपने ऊपर से उठा कर सोफे पर सुला दिया और दीदी की पैंटी से अपना लण्ड और दीदी की चूत साफ़ की। उस रात मैं दीदी को बहुत बार चोद सकता था मगर बच्चा बार बार जाग कर सारा खेल बिगाड़ देता था। इसलिए मैं उस रात दीदी को 3 बार ही चोद पाया। आखिरी चुदाई के बाद हम दोनों सोने चले गए। मैंने दीदी से पूछा- दीदी आपकी गांड भी बहुत बड़ी हो गयी है। जीजा जी गांड भी मारते हैं क्या? दीदी ने कहा- हां, वो जब भी मेरी चूत चोदते हैं, उसके बाद गांड भी जरूर मारते हैं। मैंने कहा- पहले तो आप गांड भी नहीं मरवाती थी, तो अब क्यूँ? दीदी ने कहा- पहले तेरे जीजा जबरदस्ती गांड मार लेते थे और बाद में फिर मुझे भी आदत पड़ गयी। दीदी की गांड चुदाई वाली बात सुनकर मेरे मन में भी लड्डू से फूट पड़े और मैंने दीदी से कहा कि तब तो मैं भी कल आपकी गांड मारूँगा। दीदी ने कहा- ठीक है मार लेना। मैंने दीदी से कहा- दीदी आप यहाँ कल के ही दिन रहोगे। तो मैं इस दिन को ब्रदर एंड सिस्टर सेक्स से रोमांचित बनाना चाहता हूँ। दीदी ने पूछा- हाँ ठीक है, पर वो कैसे? मैंने कहा- कल हम दोनों पूरा दिन नंगे ही रहेंगे। दीदी भी मेरी बात मान गयी. फिर हम सोने लगे. दीदी का बच्चा रात को बार बार जाग जाता था जिससे मैं परेशान हो रहा था, इसलिए मैं रात में ही उठ कर अपने कमरे में चला गया। सुबह मैं थोड़ी देर से उठा। मैं बाहर गया तो देखा कि दीदी पूरी नंगी है और नीचे बैठ कर टांगें फैला कर पोंछा लगा रही है। जिससे दीदी की चूत का दरवाजा खुला हुआ दिख रहा था. दीदी की खुली चूत देख कर मेरा लंड एकदम से तनाव में आ गया. मैंने दीदी को वहीं पर फर्श पर लिटा दिया और उसके ऊपर चढ़ कर उसकी चूत में लंड देकर उसे वहीं पर चोद दिया. उसके बाद दीदी ने पौंछा लगाया और मैं नंगी दीदी को ये सब करते हुए देखता रहा. मैं फिर से गर्म हो गया। जैसे ही दीदी ये करके फ्री हुई मैं दीदी को अपने साथ बाथरूम में ले गया और दीदी को वहाँ फिर से चोदा। दिन में दीदी रसोई में लन्च बना रही थी तो मैं पीछे से आ गया और दीदी की गांड बहुत मस्त लग रही थी. उसकी गांड देख कर मुझसे रहा न गया और मैं दीदी की गांड चोदने के लिए चला गया। मैंने दीदी को पीछे से पकड़ लिया और एक हाथ से दीदी की चूत में उंगली करने लगा और दूसरे हाथ से धीरे धीरे उसके चूचों को सहलाने लगा। अपना लण्ड उसकी गांड के ऊपर रख कर हिलाने लगा। दीदी को पता चल गया कि मैं अब उसकी गांड मारने वाला हूँ। फिर मैंने सामने से तेल उठाया और थोड़ा सा अपने लण्ड पर लगाया और थोड़ा सा दीदी की गांड के छेद पर लगाया। उसके बाद दीदी ने अपने हाथ खुद ही शेल्फ पर फैला दिए और अपनी टांगें फैला कर गांड को ऊपर उठा दिया ताकि मेरा लौड़ा आसानी से अंदर जा सके. पहले मैंने तेल लगा कर अपनी एक उंगली दीदी की गांड में डाली और उसके बाद दूसरी। थोड़ी देर तक ऐसा करने के बाद मैंने लण्ड गांड पर रखा और धीरे से अंदर की तरफ ज़ोर लगाया। इससे थोड़ा सा लण्ड अंदर गया। 5-7 बार मैंने ऐसा ही किया और ऐसा करते हुए सारा लण्ड दीदी की गांड में चला गया। फिर मैंने धीरे धीरे पूरा लण्ड अंदर तक डालना और बाहर निकालना शुरू किया। कुछ देर बाद मैंने स्पीड बढ़ा दी और समय के साथ साथ मेरा जोश बढ़ता ही गया। दीदी अपनी गांड को साइड से पकड़ कर खींचने लगी ताकि उसको दर्द कम हो। मगर मुझे इसमें मज़ा आने लगा था। मैंने ज़ोर ज़ोर से दीदी की गांड चोदना शुरू कर दिया जिससे घर में पट पट… पट पट की आवाज़ें होने लगीं और चारों तरफ दीदी की चीखें ही सुनाई देने लगीं. इस आवाज को सुन कर दीदी का बच्चा फिर जाग गया और रोने लगा। दीदी मुझसे छोड़ने को कहने लगी पर मैंने अभी ही तो शुरू किया था और मुझसे रुका नहीं जा रहा था। दीदी खुद ही हटने लगी मगर मैंने दीदी के हाथ पकड़ लिए और दीदी को वैसे ही चोदने लगा। दूसरी तरफ बच्चा और तेज रोने लगा था. फिर मैं दीदी को वैसे ही उठा कर बच्चे तक ले गया. बच्चा बेड पर लेटा था. उसने सुसू कर दी थी. मैंने दीदी से कहा कि वो बेड पर मेरी ओर गांड करके खड़ी रहे. इससे बच्चे का डायपर भी बदल लेना और मैं पीछे से तुम्हें चोदता भी रहूंगा. दीदी ने वैसा ही किया। वो मेरी ओर गांड करके खड़ी हो गयी. मैं पीछे से दीदी की गांड चोदने लगा. बच्चा भी दीदी की चुदाई के कारण बड़ी अजीब अजीब शक्लें देख कर हंसने लगा। उसके बाद दीदी ने उसे एक खिलौना दिया और वो उसके साथ खेलने लगा. अभी भी मैं दीदी को वैसे ही चोदता रहा। बाद में मैं दीदी की गांड में झड़ गया। उस दिन मैंने दीदी को 5 बार चोदा और रात को 3 बार। हम ब्रदर एंड सिस्टर सेक्स में इतना व्यस्त थे कि हमें पता ही नहीं चला कि सरकार ने 21 दिन के लॉकडाउन की घोषणा कर दी है. सुबह जब जीजा जी का फ़ोन आया तो हमें पता चला कि अब 21 दिन हमें वहीं रहना है जहाँ हम हैं। ये सब सुन कर दीदी को बहुत बुरा लगा क्यूंकि उसका पति रास्ते में कहीं फंस गया था। हालांकि बाद में वो उसी दिन वापिस भी चला गया था। इससे मुझे बहुत ख़ुशी मिली कि अब 21 दिन तक मैं दीदी को चोदता रहूँगा। उन इक्कीस दिनों में मैंने दीदी को रोज चोदा. भगवान ने भी क्या खूब लिख दिया था किस्मत में। अब मुझे अपनी गर्लफ्रेंड के नंगे फोटोज़ देखकर मुठ मारने की कोई जरूरत नहीं रह गयी थी। मेरी गर्लफ्रेंड कभी मुझे फ़ोन कर रही थी और कभी वीडियो कॉल कर रही थी. कभी तो उसकी वीडियो कॉल तब आती थी जब मैं दीदी की चूत में लंड डाल कर उसको चोद रहा होता था. इसलिए दीदी को हटाना पड़ता था. तो जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
![]()
16-03-2024, 10:02 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
![]() |
« Next Oldest | Next Newest »
|