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Adultery प्यार और वासना की मेरी अधूरी कहानी
#21
मैं सारिका की मंशा समझ गया, चूकि सारिका को बुर चुसाई का आनन्द तो मैं पहले से ही देता आया था.
अब तो उसे बुर चुदाई का आनन्द देना था इसलिए आज मैं कोई जल्दीबाजी नहीं करना चाहता था.
 
इतने देर में सारिका अपना टॉप निकाल चुकी थी, अब उसके शरीर के ऊपरी हिस्से पर सिर्फ ब्रा बची थी.
 
आज मैं सारिका को पूरी तरह गर्म करके चोदना चाहता था ताकि उसे भी चुदाई का भरपूर आनन्द मिले.
इसलिए मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया और उसे किस करने लगा.
सारिका भी मेरा पूरा साथ देने लगी.
 
किस के दौरान मेरे हाथ कभी सारिका की पीठ सहलाते तो कभी उसके नितंबों को.
हमारे जीभ एक दूसरे में उलझे पड़े थे.
कुछ मिनट की किसिंग के बाद मैं पहले उसके गालों को, फिर गले पर फिर कंधे पर किस करते हुए नीचे आने लगा.
 
आज मैंने उसके मम्मों को चूसा तो कुछ अलग बात थी बल्कि अभी तक छुआ तक नहीं था.
 
उसके कंधे पर किस करने के बाद मैं अपने घुटनों पर बैठ गया और सारिका की नाभि को चूमने लगा.
गुदगुदी के कारण सारिका ने हंसते हुए मेरे मुँह को अपनी नाभि से हटा दिया.
 
अब मैंने अपने दोनों हाथों से उसकी सलवार को पैंटी सहित उसके जांघों तक नीचे खींच दिया.
आज सारिका की बुर एकदम साफ थी मतलब आज ही उसने बुर की झांटों को साफ़ किया था.
 
उसकी सफाचट बुर देखकर मेरी आंखों में तो चमक सी आ गयी.
मैंने शरारती अंदाज में सारिका के चेहरे की तरफ देखा तो सारिका ने शर्म वश अपने हाथों से अपना चेहरा छिपा लिया.
 
मेरे लिए यही सही मौका था और मैंने देर न करते हुए अपने होंठ सारिका की बुर के ऊपरी भाग पर रख दिया.
अपनी बुर पर मेरे होंठों का स्पर्श पाते ही सारिका के मुँह से आह सी निकल गयी और वो मेरे ऊपर झुक सी गयी.
 
अब मैं शुरू हो गया.
चूँकि सारिका खड़ी थी और मैं घुटनों पर था, तो इस आसन में मेरी जीभ सारिका की बुर की गहराई तक तो पहुंचना मुश्किल था, फिर भी जितना संभव हुआ, मैंने अपनी जीभ को बुर की दरार में चलाना शुरू कर दिया.
 
इधर मेरी जीभ ने हरकत शुरू की ही थी कि सारिका के मुँह से मादक सिसकारियां निकलने लगीं जो मेरा जोश और बढ़ा रही थीं.
 
जांघों तक सलवार और पैंटी के फंसे होने की वजह से सारिका अपने दोनों पैर और चौड़ी नहीं कर पा रही थी, फिर भी वो जितना संभव हो रहा था, उतना अपने पैर चौड़े करने की कोशिश कर रही थी ताकि मैं उसकी बुर को गहराई तक चाट सकूं.
 
मुझे भी ऐसे चाटने में थोड़ी तकलीफ हो रही थी तो मैंने उसकी सलवार और पैंटी को उसके शरीर से अलग कर दिया और उसकी टांगों को चौड़ा करके अपनी जीभ बुर की दरार में फिराने लगा.
 
सारिका ने दीवार का सहारा लेकर अपनी एक टांग को मेरे कंधे पर रख दिया और मेरे बालों को सहलाने लगी.
 
अब सारिका की बुर एकदम खुल चुकी थी तो मैं अपनी जीभ सारिका के बुर की दरार में ऊपर से नीचे तक चलाने लगा.
सारिका एकदम मदमस्त होकर सिसकारियां ले रही थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#22
कुछ देर बाद मैंने अपनी जीभ को बुर के मध्य कड़क हो चुके भगनासे पर फिराना शुरू कर दिया और साथ ही अपनी एक उंगली को बुर के छेद में घुसा दिया.
इससे सारिका चिहुंक सी गयी.
 
पर जैसे जैसे मेरी उंगलियों ने अन्दर बाहर करना शुरू किया, वैसे वैसे सारिका गर्म आहें भरने लगी.
 
इस प्रक्रिया को काफी टाइम हो चुका था, सारिका भी एकदम गर्म हो चुकी थी और मेरा भी खुद को कंट्रोल करना मुश्किल हो रहा था.
 
मैं नहीं चाहता था कि सारिका फोरप्ले के दौरान ही झड़ जाए, इसलिए मैं रुक गया और खड़ा हो गया.
 
मैंने सारिका को किस करते हुए बेड पर लिटा दिया और उसके ऊपर आकर उसके मम्मों को दबाने लगा.
 
थोड़ी देर बाद मैंने उसके पीठ के पीछे अपना हाथ ले जाकर उसकी ब्रा का हुक खोल कर ब्रा को भी निकाल दिया.
मेरे सामने उसके रसीले मम्मे उछल कूद करने लगे थे.
मैंने उसके मम्मों को चूसना और दबाना शुरू कर दिया.
 
इसी बीच अपना एक हाथ नीचे ले जाकर मैंने बुर के दाने को भी रगड़ना शुरू कर दिया.
 
सारिका की हालत एकदम खराब हो चुकी थी. अब उसका खुद को रोकना मुश्किल हो गया था.
उसने एक हटके से मुझे खुद के ऊपर से हटा दिया और मेरे कपड़े उतारने लगी.
 
जल्दी ही मैं भी उसके सामने एकदम नंगा हो गया. हम दोनों के शरीर पर एक भी कपड़ा नहीं था.
सारिका मुझे लिटा कर मेरे ऊपर आ गयी और मेरे लंड को पकड़ कर अपने बुर में घुसाने लगी.
 
मैं उसे और तड़पाना चाहता था, इसलिए मैंने सारिका को पलट दिया और उसके ऊपर आ गया.
मैंने अपने लंड के सुपारे को बुर के दाने पर रगड़ना शुरू कर दिया.
 
सारिका के मुँह से सिसकारियां और आहों की मीठी सीत्कार निकलने लगी.
यौन उत्तेजना की वजह से सारिका की बुर पानी छोड़ने लगी थी.
 
सारिका अपनी कमर उठाकर मेरे लंड को अपनी बुर में लेने की कोशिश करती तो मैं भी अपनी कमर उठाकर लंड और बुर के बीच की दूरी बढ़ा देता.
 
एक दो बार कोशिश करने के बाद जब सारिका सफल नहीं हुई तो खीज सी गयी.
मुझे भी देर करना ठीक नहीं लगा तो मैंने अपने होंठों से सारिका के होंठों को लॉक किया और धीरे धीरे लंड को सारिका की बुर में घुसाने लगा.
 
कल की एक बार की चुदाई और चिकनाई की वजह से आज मेरा लंड आसानी से बुर में प्रवेश कर गया.
उस दौरान सारिका के चेहरे पर हल्का दर्द झलक रहा था.
 
मेरा लंड चूत में पूरी तरह समा चुका था.
मैं थोड़ी देर के लिए रुक गया.
 
थोड़ी देर बाद सारिका खुद ही अपनी कमर ऊपर नीचे करने लगी.
मैं समझ गया कि सारिका का दर्द गायब हो गया है और अब सारिका क्या चाहती है.
 
मैंने भी अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया, पहले धीरे धीरे फिर स्पीड बढ़ा दिया.
सारिका की आहें भी धीरे धीरे बढ़ने लगीं.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#23
थोड़ी देर बाद मैंने सारिका को अपने ऊपर कर लिया.
उसने खुद का बैलेन्स बनाया और मेरे लंड की सवारी करने लगी.
 
हम दोनों की कामुक सिसकारियां एक दूसरे का जोश बढ़ा रही थीं और उसी जोश की वजह से मैं जल्दी ही स्खलित होने को आ गया.
 
जब मैंने सारिका को बताया, तो सारिका बोली- बेबी थोड़ी देर और करो, मेरा भी होने वाला है.
मैं- बेबी, निकलना कहां है?
सारिका- आज अन्दर ही आने दो, मैं गोली खा लूँगी.
 
मैंने सारिका को अपने ऊपर झुकाया और नीचे से जोरदार झटके देने लगा.
पट पट की आवाज पूरे कमरे में गूंज रही थी.
 
अभी 2-3 मिनट ही हुए थे कि सारिका का शरीर काँपने लगा और वो मुझसे कसकर चिपक गयी.
मैं समझ गया कि सारिका का काम हो गया.
 
सारिका मेरे ऊपर निढाल सी पड़ गयी.
अभी मेरा नहीं हुआ था तो मैंने स्पीड कम नहीं की और वैसे ही झटके लगाता रहा.
 
थोड़ी ही देर में मेरे अन्दर की सारी गर्मी मैंने सारिका की चूत में छोड़ दी. हम दोनों एकदम से निढाल हो गए और एक दूसरे से चिपक कर एक दूसरे की सांसों को महसूस करने लगे.
 
हमारे प्यार का रस सारिका की चूत से धीरे धीरे रिस कर मेरी नाभि के नीचे टपकने लगा.
कुछ देर बाद जब दोनों की सांसें नियंत्रित हुईं, तब मैंने सारिका की किस किया और उससे पूछा.
 
मैं- बेबी, आज कैसा लगा?
सारिका मुझे जोर की किस करती हुई बोली- बेबी, आज तो सच में बहुत मज़ा आया, आज पता चला चुदाई में इतना मज़ा मिलता है, तभी सब चुदाई के लिए इतना तड़पते हैं.
 
इतना कह कर सारिका मुझसे फिर से चिपक गयी.
उसके बाद हमने खुद को साफ किया और लॉज से ही मंगा कर कुछ नाश्ता किया.
 
उस दिन हमने दो बार सेक्स किया.
पहली बार में मेरा जल्दी हो गया था, पर दूसरी बार मैं काफी देर तक टिका रहा.
 
दूसरे राउंड में हमने कई और पोजीशन में चुदाई का आनन्द लिया.
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भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#24
5



उसके बाद तो ये हमारा रूटीन बन गया, हम हर हफ्ते या 8-10 दिन में जब मौका मिलता, हम किसी लॉज में पहुंच जाते और कम से कम दो बार सेक्स करके ही निकलते.
 
हमारी जिंदगी मस्त चल रही थी.
हम दोनों में किसी का जब भी सेक्स के लिए मन करता, हम कहीं ना कहीं जुगाड़ बना कर मिल लेते.
जब कोई जुगाड़ नहीं बनता तो हम लॉज में पहुंच जाते.
 
इसी दौरान मेरे कॉलेज का जो ग्रुप था, उसमें एक लड़की थी रश्मि.
मेरे 2-3 दोस्तों ने बताया कि उन्हें लगता है कि रश्मि मुझे पसंद करती है.
और सच कहूँ तो मेरी बर्थडे के पार्टी के दौरान सबसे ज्यादा दुखी मैंने रश्मि को ही देखा था.
 
जब तक सारिका वहां थी, तब तक वो बस ऊपर से खुश होने का दिखावा कर रही थी.
ये हम सबने भी महसूस किया था पर मैंने उस बात पर ध्यान नहीं दिया था.
 
किन्तु जब मेरे दोस्तों ने रश्मि के बारे में बताया, तब मुझे समझ में आया.
 
मेरी बर्थडे के बाद रश्मि मुझे अक्सर व्हाट्सएप पर मैसेज करती और सबसे पहले सारिका के बारे में ही पूछती.
 
सच कहूँ तो दोस्तो, मैंने कभी भी रश्मि को उस नज़र से देखा ही नहीं था और जब से सारिका मेरी जिंदगी में आयी तो किसी और की तरफ देखने की जरूरत ही नहीं हुई.
 
रश्मि के बारे में मैंने जो कुछ जाना था और जो मेरे दोस्तों ने कहा था, वो सब मैंने सारिका को बता दिया.
 
उस वक़्त तो सारिका ने कुछ नहीं कहा.
पर कुछ दिन बाद अक्सर सारिका मुझे रश्मि के नाम से ताने मारने लगी.
 
जैसे, जब कभी मैं किसी के भी साथ फ़ोन पर बात करता और उसी वक़्त सारिका का कॉल आता तो मेरा फ़ोन बिजी होता.
फिर जैसे ही मैं सारिका को कॉल करता, सबसे पहले सारिका यही पूछती- रश्मि से बात कर रहे थे क्या?
मैं समझ गया था कि सारिका रश्मि को लेकर असहज महसूस करने लगी है इसलिए मैं रश्मि को नजरअंदाज करने लगा.
 
जल्दी ही रश्मि से मेरा संपर्क टूट गया और धीरे धीरे सारिका ने भी रश्मि की बातें करना बंद कर दीं.
हमारा रिश्ता फिर से पटरी पर आ गया.
 
अभी तक हमारे रिश्ते को करीब ढाई से तीन साल हो गए थे.
सेक्स करना हम दोनों के लिए सामान्य बात बन चुकी थी.
 
हम हर बार कुछ ना कुछ नया करने का ट्राय करते, अब तक हम दोनों को काफी अनुभव हो चुका था कि एक दूसरे को कैसे खुश करें और हमसे जो बन पड़ता हम करते भी थे.
 
सारिका भी कभी कभी मेरा लंड मुँह में लेने की या चूसने की कोशिश करती, पर वो ज्यादा देर तक नहीं कर पाती.
मैं भी उस पर दबाव नहीं डालता.
 
पहली बार चुदाई की वीडियो खोजने के दौरान मुझे पोर्न देखने की और नए नए आसन वाले वीडियोज़ खोजने की लत सी लग गयी थी.
जब भी मुझे कोई नया और रोचक आसान वाला वीडियो मिलता, मैं वो डाउनलोड कर लेता और फिर सारिका को भी दिखाता.
 
सारिका भी GF BF Xxx वीडियोज़ देखने के लिए लालायित रहती और अगर उसे भी वीडियोज़ वाला आसन पसंद आता तो हम भी वही आसान सेक्स के टाइम आजमाते.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#25
अब सारिका अक्सर मुझे मेरा व्यवसाय छोड़ कर नौकरी करने को बोलती.
वो कहती कि इतना पढ़े लिखे होकर दुकान चला रहे हो, इससे अच्छा कोई नौकरी करो.
 
उसे लगता है कि व्यवसायी लोग तो पैसे बहुत कमाते हैं, पर उनकी उतनी इज़्ज़त नहीं होती, जितना एक नौकरी करने वाले की होती है.
 
मैं उसे समझाता कि आजकल लोग नौकरी छोड़ कर अपना खुद का व्यवसाय शुरू कर रहे हैं क्योंकि उन्हें पता होता है कि नौकरी करने वाले इंसान को एक मशीन के जैसे काम करना पड़ता है. फिर आजकल नौकरी के लिए इतनी प्रतिस्पर्धा मची है कि पहले जिस काम के दस हजार मिलते थे, अब उसी काम को सात से आठ हजार में करना पड़ता है.
सरकारी नौकरी मिलने से रही और प्राइवेट नौकरी का हाल तो मालूम ही है.
 
पर सारिका को ये सब समझ नहीं आता, वो बस ये चाहती थी कि मैं दुकान छोड़कर कोई नौकरी करूं.
 
सारिका की खुशी के लिए मैंने नौकरी करने का निश्चय कर लिया.
सबसे पहले अपना बॉयोडाटा बनाया और कंपनियों के चक्कर काटने फिर लगा.
 
साथ ही साथ अपने सभी दोस्तों, जानपहचान वालों को भी बोल दिया कि मेरे लिए नौकरी तलाशने के लिए मदद करें.
 
नौकरी ढूंढते हुए मुझे करीब 15-20 दिन हो गए थे पर अभी तक मुझे कोई नौकरी मिल ही नहीं रही थी.
 
उसका सबसे बड़ा कारण मेरी उम्र थी, जो अब 27 साल की हो गयी थी. कोई भी कंपनी 27 साल के बंदे को नौसिखिया के तौर पर नहीं लेना चाहती थी.
 
फिर भी मैं लगा रहा.
 
दिन भर कंपनियों का चक्कर लगाता और रात को इंटरनेट के सहारे नई नई कंपनियों की वेबसाइट पर अपना बॉयोडाटा भेजता.
इसी बीच मैं जिस सर से कंप्यूटर सीखता था, उन्होंने मुझे एक प्राइवेट क्लासेस में पढ़ाने का प्रस्ताव दिया.
 
मैंने सर के प्रस्ताव के बारे में सारिका को बताया, सारिका को भी सर का प्रस्ताव मेरे लिए ठीक लगा क्योंकि सारिका के पापा भी घर घर जाकर बच्चों को ट्यूशन पढ़ाते थे.
तो मैंने सर का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया और जल्दी ही पढ़ाना शुरू भी कर दिया.
 
मुझे दोपहर के ढाई बजे से शाम के साढ़े सात बजे तक कंप्यूटर सीखना होता था.
 
मेरा पढ़ाने का काम अच्छा चलने लगा पर अब मेरा और सारिका का मिलना जुलना बहुत कम हो गया था क्योंकि सुबह उसका कॉलेज होता, दोपहर को और रात को 8 के बाद उसके पापा घर पर ही होते तो उसका निकलना मुश्किल होता.
 
दोपहर से शाम तक मैं बिजी होता और घर आते आते मुझे साढ़े आठ नौ बजे जाते.
 
दोस्तो, मूल रूप से मैं पूर्वोत्तर यू.पी. से हूँ और जो लोग यू.पी. से हैं, उन्हें बहुत अच्छी तरह पता है कि हमारे यहां लड़की 19-20 साल की और लड़का 22-23 साल का हुआ नहीं कि उनकी शादी कर देते हैं.
 
और मैं 27 का हो चुका था तो मेरे घर वालों ने भी मेरे लिए लड़की खोजना शुरू कर दिया था.
कुछ रिश्ते तो मैंने बिना लड़की देखे ही मना कर दिए और कुछ लड़की को देख कर.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#26
सिर्फ मना करने से बात खत्म नहीं हो जाती, घर वालों को मना करने का कारण भी बताना पड़ता था इसलिए मैं पहले ही कुछ ना कुछ सोच कर तैयार रहता.
 
उधर सारिका अपनी पढ़ाई में लगी थी और इधर मेरे घर वाले मेरे लिए लड़की देखने लगे थे.
 
दोस्तो, वो वक़्त मेरे लिए बहुत मुश्किल वक़्त था.
पहले मैं नौकरी के लिए भाग रहा था. काम मिल गया था और अभी काम करते हुए 15-20 दिन ही हुए थे कि मेरे घर वाले फिर से मुझ पर लड़की देखने का दबाव डालने लगे.
 
इधर मैं सारिका से भी नहीं मिल पा रहा था तो सारिका के ताने अलग मिल रहे थे.
मैंने सारिका को रिश्ते की बात बताई तो सारिका ने मुझे साफ साफ सभी रिश्तों को मना करने को बोल दिया.
 
मैं उससे भी शादी की बात करने को नहीं बोल सकता था क्योंकि उस वक़्त वो स्नातकोत्तर (पोस्ट ग्रेजुएशन) कर रही थी.
 
मेरे घर वाले हर तरह से मुझ पर शादी का दबाव बनाने लगे.
भैया गुस्सा करके, भाभी प्यार से और मम्मी भावनात्मक रूप से.
 
रात के खाने के समय हर रोज़ मेरी शादी के मुद्दे पर ही बहस होती और मुझे चुपचाप सब कुछ सुनना पड़ता.
 
कुछ भी करके मुझे अपनी शादी की बात दो साल तक टालना था.
पर मेरी समझ में नहीं आ रहा था कैसे करूं?
 
सारिका के बारे में घर वालों को मैं अभी बताना नहीं चाहता था क्योंकि सारिका दूसरी जाति की थी.
अगर घर वालों को सारिका के बारे में बता देता तो पता नहीं मेरे घर वाले क्या करते.
इसलिए मैं कोई भी रिस्क नहीं लेना चाहता था.
 
मैं दिमागी रूप से काफी परेशान हो गया था.
कई दिनों तक सोचने के बाद मेरे दिमाग में एक आईडिया आया जो मेरे लिए थोड़ा अजीब और रिस्की तो था पर उसके सिवा मेरे पास और कोई विकल्प भी नहीं था.
 
मैं वो आईडिया आजमाने के लिए सही मौके का इंतजार कर रहा था और जल्दी ही वो मौका मुझे मिल गया.
 
एक दिन मैं दोपहर में घर पर खाना खा रहा था और उस वक़्त घर पर सिर्फ मैं और भाभी ही थे.
मेरी भाभी से अच्छी जमती थी.
 
ऐसे ही बातों बातों में भाभी ने मेरी शादी की बात को छेड़ दिया और मुझसे पूछने लगीं- राजीव, सच सच बताओ, तुम हर रिश्ते के लिए मना क्यों कर रहे हो? कोई और लड़की पसंद है क्या? अगर कोई पसंद है तो बताओ, उसके घर वालों से बात की जाए.
मैं- नहीं भाभी, ऐसी कोई बात नहीं है.
 
भाभी- फिर क्यों हर रिश्ते को मना कर रहे हो?
मैं- सच कहूं भाभी? आप किसी से कहोगी तो नहीं ना?
मैं थोड़ा गंभीर होते हुए बोला.
 
भाभी- नहीं, किसी से नहीं कहूंगी.
मैं- भैया से भी नहीं ना?
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#27
भाभी ने खीझते हुए कहा- नहीं बाबा, किसी ने नहीं कहूंगी.
 
मैं- भाभी मुझमें शारीरिक समस्या है, मैं अभी शादी नहीं कर सकता, अभी इसका इलाज करा रहा हूं. डॉक्टर ने बोला है कि एक डेढ़ साल तक इलाज कराना पड़ेगा, उसके बाद मैं ठीक हो जाऊंगा.
 
मेरी बात सुनकर भाभी चौंक गयी और मुझे ऊपर से नीचे तक देखने लगीं.
उनके मुँह से कोई शब्द ही नहीं निकल रहा था.
 
मैं अच्छी तरह जानता था कि ये बात भाभी भैया को जरूर बताएंगी क्योंकि कोई भी औरत कोई भी बात पचा नहीं सकती और धीरे धीरे ये बात सबको पता चल जाएगी.
 
जैसी मुझे उम्मीद थी, वही हुआ.
उस रात जब हम सब साथ में खाना खाने बैठे, तब किसी ने भी मेरी शादी की बात नहीं छेड़ी. सब चुपचाप खाना खाकर उठ गए.
 
सब मुझसे नज़र बचा कर बड़ी अजीब ही नज़रों से मुझे देख रहे थे खासतौर पर भैया भाभी.
उस दिन के बाद मेरे लिए रिश्ते आने बंद हो गए, एकाध जो आ जाते, भैया उन्हें कोई ना कोई बहाना बना कर मना कर देते.
 
अब मेरे सर से एक टेंशन कम हो गया था, मैंने ये शारिरिक कमजोरी वाली बात सारिका को कभी नहीं बताई.
 
मुझे क्लासेज में पढ़ाते हुए करीब डेढ़ से दो महीने हो गए थे, उसी क्लासेज में एक लड़की रेसेप्सनिस्ट के तौर पर काम करती थी और उसका नाम शिल्पा था.
 
वो भी लगभग मेरे ही उम्र की थी. क्लासेज में 5-6 घंटे बिताने की वजह से और हमउम्र होने की वजह से जल्दी ही उसकी और मेरी दोस्ती हो गयी.
मेरे और शिल्पा के बीच व्हाट्सअप पर भी चैटिंग होने लगी थी.
 
वो मुझे हमेशा सर ही कह कर बुलाती.
 
धीरे धीरे शिल्पा और मेरे बीच काफी बातचीत होने लगी.
क्लासेज के टाइम को छोड़कर भी शिल्पा अक्सर मुझे मैसेज करती और मैं भी उसको रिप्लाई कर देता.
 
कभी कभी जब मैं सारिका के साथ होता, तब भी शिल्पा का मैसेज आ जाता.
 
मैंने सारिका को शिल्पा के बारे में पहले ही बता दिया था.
शिल्पा ने मुझे अपने बॉयफ्रेंड और मैंने उसे सारिका के बारे में बता दिया था.
 
हम दोनों को एक दूसरे के बारे में पता था, इसलिए कभी कभी हमारे बीच एडल्ट जोक भी हो जाता.
 
जैसा कि मैंने पहले ही बताया कि जब से मैंने क्लासेज में पढ़ाना शुरू किया, तब से मैं और सारिका सामान्यतः मिल नहीं पा रहे थे.
 
उससे पहले हम हर दूसरे तीसरे दिन किसी ना किसी रेस्टोरेंट या कॉफ़ी शॉप पर मिल जाते थे.
पर क्लासेज में जाने की वजह से अब वो सब बंद हो गया था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#28
जब हमें सेक्स करना होता तो हम सुबह ही सारिका के कॉलेज के टाइम ही निकल जाते और एक डेढ़ बजे तक वापस आ जाते.
इधर मेरे और शिल्पा के बीच व्हाट्सएप पर बातचीत भी ज्यादा होने लगी थी.
 
सारिका फिर से मेरे और शिल्पा के बारे में सोच कर असहज होने लगी थी और बात बात पर मुझ पर कटाक्ष करती और कहती- सेक्स करने के लिए टाइम है तुम्हारे पास और ऐसे मिलने के लिए टाइम नहीं है. क्या तुम्हारा मुझसे मन भर गया है?
 
मैं उसकी मनोदशा अच्छे से समझता था और उसे हालात के बारे में समझाता भी था, पर उसके दिमाग में तो कुछ और ही चल रहा था.
 
इसलिए मैंने चालू बैच खत्म करके वहां पढ़ाना छोड़ दिया और फिर से अपनी दुकान पर आ गया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#29
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