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Adultery प्यार और वासना की मेरी अधूरी कहानी
#1
प्यार और वासना की मेरी अधूरी कहानी





















जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#2
मेरी उम्र इस समय 29 साल है, मैंने MCA किया हुआ है और फिलहाल मैं अपनी किराने की दुकान संभालता हूँ.
 
आप सबको थोड़ा अजीब लगेगा कि MCA किया हुआ बंदा किराने की दुकान पर क्यों?
इसके पीछे भी एक वजह है और वो वजह ये है कि मेरी ये दुकान करीब बहुत साल पुरानी है.
मुझसे पहले मेरे पापा ये दुकान संभालते थे, पर आज से करीब 8 साल पहले एक लंबी बीमारी के कारण उनकी मृत्यु हो गयी थी.
घर में सबसे ज्यादा पढ़ा लिखा होने की वजह से घर की पूरी जिम्मेदारी मुझ पर आ गयी.
 
जब मेरे पापा थे, तब मैंने एक दो जगह नौकरी भी करके देखा.
पर मुझे और मेरे पापा, दोनों को लगा कि नौकरी से ज्यादा अच्छा अपना बिज़नेस ही है.
 
दुकान भी अच्छी खासी चलती थी और ठीक ठाक आमदनी भी हो जाती थी.
जब तक पापा थे, तब तक मैं नौकरी करता रहा.
पर पापा के जाने के बाद मैंने अपनी दुकान ही चलाने का फैसला किया.
और आज मैं अपने पापा से भी अच्छी तरह अपनी दुकान चला रहा हूँ.
 
मुझे पढ़ने का शौक बचपन से ही था और जब थोड़ा बड़ा हुआ, तो मेरा रुझान कम्प्यूटर की तरफ झुक गया.
अपने इसी शौक की वजह से मैंने एक प्राइवेट कम्प्यूटर इंस्टीट्यूट में एड्मिशन ले लिया.
 
मैंने जिस इंस्टीट्यूट में दाखिला लिया था, उसकी 4 ब्रांच और भी थीं.
मैं दोपहर में अपने भाई को दुकान पर बैठा कर कम्प्यूटर सीखने जाने लगा.
 
कम्प्यूटर सीखते हुए मुझे यही कोई दो ढाई महीने ही हुए होंगे कि तभी इस कहानी की नायिका सारिका की एन्ट्री होती है.
दरअसल जो सर मुझे पढ़ाते थे, वो बाक़ी की ब्रांचों में भी पढ़ाने जाते थे.
 
एक दिन दोपहर में जब मैं सर के साथ बैठकर कम्प्यूटर सीख रहा था, तभी एक बहुत ही खूबसूरत लड़की भी वहीं पास में आकर बैठ गयी और सर से बात करने लगी.
मैंने उसे देखा तो बस देखता ही रह गया.
 
सफेद ड्रेस में वो पूरी अप्सरा लग रही थी.
 
अब मेरा ध्यान कंप्यूटर पर कम और उस पास बैठी लड़की पर ज्यादा था.
 
बार बार मैं उससे नजरें बचा कर उसे ही देखने की कोशिश करने में लगा था.
 
वो सर से बात करने में बिजी थी, पर बीच बीच में मेरी और उसकी नजरें मिल ही जाती थीं.
तब मैं अपनी नजरें उस पर से हटा लेता.
 
मुझे ये डर लग रहा था कि अगर मैं उसे ऐसे ही घूरता रहा तो पता नहीं वो मेरे बारे में क्या सोचेगी.
 
पर मेरे ना चाहते हुए भी मेरी नजरें बार बार उसे ही देख रही थीं.
उसने भी ये बात नोटिस कर ली थी पर उसने कुछ रिएक्ट नहीं किया.
 
उसकी और सर की बातों से पता चला कि वो दूसरे ब्रांच की स्टूडेंट है और जो मैं सीख रहा हूँ, वही वो भी सीख रही थी.
 
देर से दाखिला लेने की वजह से वो पाठ्यक्रम में मुझसे थोड़ा पीछे थी, इस हिसाब से मैं उसका सीनियर हुआ.
 
करीब आधा घंटा वो सर से बात करती रही और मेरा ध्यान भटकाती रही.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#3
उसकी खूबसूरती और सादगी के बारे में क्या कहूँ, बिना किसी खास मेकअप के भी वो किसी परी से कम नहीं थी.
उसे देखा और प्यार हो गया.
 
जब किसी बात पर वो हंसती थी, तब तो वो और भी खूबसूरत लगने लगती.
 
पिछले आधे घंटे में सर और उसके बीच में क्या बातें हुईं, ये तो मैं नहीं सुन सका क्योंकि मेरा पूरा ध्यान उस खूबसूरत परी को जी भरके देखने में ही लगा था.
 
जब वो जाने के लिए खड़ी हुई, तब मेरे दिमाग में बस एक ही बात आई कि आज ही इसको जी भरके देख लेता हूं, पता नहीं आज के बाद ये हसीना फिर कभी मिले या ना मिले.
 
इसलिए मैंने अपना ध्यान कंप्यूटर से हटा कर उस खूबसूरत लड़की को देखने में लगा दिया.
 
जाते जाते वो सर से कल इसी समय आने को बोलकर चली गयी.
 
ये सुन कर दिल को तसल्ली हुई कि चलो कल भी इस खूबसूरत हसीना का दीदार करने का मौका मिलेगा.
 
उसके जाने के बाद मेरा मन पढ़ाई में लग ही नहीं रहा था, बस दिमाग में एक ही सवाल चल रहा था कि कल कैसे इस लड़की से बात की जाए?
 
मैं अपने घर पर भी आया, तो भी उसी के बारे में सोचता रहा और उससे बात करने का, पता नहीं क्या क्या प्लान बनाता रहा.
 
अगले दिन सुबह से ही मेरा ध्यान बार बार घड़ी पर ही जा रहा था, दिमाग में बस यही चल रहा था कि कितनी जल्दी ढाई बजे का समय हो और मुझे उस हसीना का फिर से दीदार करने का मौका मिले.
 
जैसे तैसे सुबह से दोपहर हुई और मैं अपने लेक्चर के टाइम से 10-15 मिनट पहले ही क्लास में पहुंच गया.
 
पूरी क्लास में नज़र दौड़ाई, पर वो नहीं दिखी.
सर अभी दूसरे बैच का लेक्चर लेने में बिजी थे.
 
कोई कंप्यूटर भी खाली नहीं था जिस पर मैं प्रैक्टिस करके टाइम बिता सकूं.
इसलिए मैं वहीं एक खाली पड़े केबिन में बैठकर उसके आने का और अपना बैच शुरू होने का इंतजार करने लगा.
 
आप सबको तो पता ही है कि इंतजार के पल कितने मुश्किल होते हैं.
मेरे लिए वो 15 मिनट बिताना मुझे बड़ा मुश्किल लग रहा था.
 
मेरी प्यासी निगाहें कभी घड़ी पर, तो कभी क्लास के मेन गेट पर ही टिकी थीं.
ऐसा लग रहा था, जैसे समय रुक सा गया है.
 
बड़ी मुश्किल से समय बीता और मेरा लेक्चर शुरू होने वाला हो गया था, पर अभी तक वो नहीं आई थी.
 
कुछ देर इधर उधर करने के बाद मैं बुझे मन से जाकर अपने केबिन में बैठ गया और कंप्यूटर पर टाइमपास करने लगा.
थोड़ी ही देर में सर भी आ गए और मुझे सिखाना शुरू कर दिया.
 
मेरा ध्यान अभी भी बार बार दरवाजे पर ही जा रहा था.
सर भी समझ गए कि आज मेरा मन पढ़ाई में नहीं लग रहा है.
 
सर मुझे टोकते हुए कहने लगे- क्या हुआ राजीव, बार बार दरवाजे की ओर क्या देख रहे हो? सारिका का इंतजार कर रहे हो क्या?
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#4
मैंने चौंकते हुए कहा- सारिका .. ये कौन है सर?
 
सर मुझे देखकर मुस्कुराते हुए बोले- वही, जिसे कल तुम घूर रहे थे और आज जिसका इंतजार कर रहे हो.
 
दोस्तो, सर मेरे साथ थोड़ा मजाकिया और दोस्त के जैसे ही व्यवहार करते थे इसलिए उनसे पढ़ने में मुझे भी मज़ा आता था.
 
सर से मुझे पता चला कि उस खूबसूरत हसीना का नाम सारिका है.
 
मैं- अरे नहीं सर. क्या आप कुछ भी बोलते रहते हो.
सर- अच्छा, कल तो मैंने देखा तुम्हें, बार बार सारिका को ही देख रहे थे.
मैं- अरे नहीं सर, मैं तो बस ऐसे ही!
 
हम अभी बात ही कर रहे थे, इतने में सारिका आ गयी और मेरी बगल वाली कुर्सी पर बैठते हुए सर से माफ़ी मांगने लगी.
 
सारिका- सॉरी सर, मुझे आने में थोड़ी देर हो गई.
सर मेरी तरफ देखते हुए बोले- हां, हम लोग कब से तुम्हारा इंतजार कर रहे हैं.
 
मेरी चोरी पकड़ी गई थी, अब खुद को बचाने के लिए या सर को गलत साबित करने के लिए, मैंने अब एक बार भी सारिका की तरफ नहीं देखा.
 
तभी सर ने मेरा नाम लेते हुए कहा.
सर- राजीव, ये सारिका है. मेरी लॉ ब्रांच की स्टूडेंट और अभी अगले महीने इसका 12 वीं का एग्जाम है.
 
फिर सर सारिका से मुखातिब हुए- सारिका, ये राजीव है, जो तुम्हारे पाठ्यक्रम में है, वही सब ये भी सीख रहा है.
 
इस तरह सर ने हम दोनों का परिचय करा दिया और हम दोनों को अलग पढ़ाना शुरू कर दिया.
 
हम दोनों की नजरें एक दूसरे से बचते हुए एक दूसरे को ही देखने में लगी रहीं.
इसी तरह हमारा लेक्चर पूरा हो गया.
 
मैं पूरे लेक्चर के दौरान उससे बात करने का मौका ढूंढ रहा था पर मेरे लिए ऐसा कोई मौका बन ही नहीं पा रहा था.
 
आखिरकार मुझे मौका तब मिला जब वो जाने के टाइम सर से कुछ नोट्स मांगने लगी.
पर उस समय सर के पास नोट्स मौजूद नहीं थे.
 
तो सर ने मुझसे नोट्स के बारे में पूछा, जो मेरे पास मौजूद थे.
फिर सर ने सारिका को बोला कि वो नोट्स मुझसे ले ले.
सारिका मुझसे बात करने लगी.
 
सारिका- क्या आप मुझे नोट्स दे सकते हैं?
मैं- हां जरूर, पर मेरे पास अभी मौजूद नहीं हैं, अगर आप चाहो तो मैं आपको मेल कर सकता हूँ.
 
हां बोलकर उसने मुझे अपनी ईमेल आईडी दे दी और बाय बोलकर चली गयी.
 
उसके जाते ही मैंने सारे नोट्स उसे मेल कर दिए.
मेरा मेल मिलते ही उसने सामने से मुझे थैंक्यू करके मेल कर दिया.
 
ऐसे ही 2-3 दिन हम दोनों एक दूसरे से ईमेल के द्वारा ही बात करते रहे, फिर बात फेसबुक पर होने लगी और अगले 15 दिनों बाद ही व्हाट्सएप पर बात होने लगी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#5
आप समझ सकते हैं कि आग कितनी तेजी से फ़ैल गई थी. मुझे उससे प्यार हो गया.
 
इसी दौरान मैंने उसे प्रपोज़ किया और उसने मेरा प्रपोजल स्वीकार भी कर लिया.
अब हम दोनों एक प्रेमी जोड़ा बन गए थे.
हमारी घंटों बातें होने लगी थीं.
 
नए नए प्यार का नशा क्या होता है, ये तो आप सबको पता ही होगा.
मेरा भी वही हाल था.
 
अब मेरा मन दुकान या पढ़ाई में बिल्कुल नहीं लगता, दिन भर बस सारिका के बारे में सोचना या उसके कॉल का इंतजार करना, यही मेरा काम रह गया था.
 
पहले सामान्य सा रहने वाला राजीव अब सजने संवरने लगा था.
ऐसा लगने लगा था, जैसे इससे खूबसूरत जिंदगी हो ही नहीं सकती.
 
जिस दिन मैंने सारिका को प्रोपोज़ किया था, ठीक 10 दिन बाद सारिका का बर्थडे था.
तो मैंने एक अच्छी सी टाइटन ब्रांड की घड़ी उसको गिफ्ट की थी.
 
अभी तक हमारे बीच बस मिलना, प्यारी प्यारी बातें करना, एक दूसरे की परवाह करना, यही सब चल रहा था.
एक दिन सारिका ने मुझे वर्सोवा बीच पर मिलने को बुलाया, मैं भी मस्त तैयार होकर उससे मिलने चला गया.
 
हम दोनों काफी देर तक बीच पर बैठ कर बातें करते रहे.
इसी बीच सारिका ने मौका देखकर अपने होंठ मेरे होंठों से छुआ कर हटा लिए और हंसने लगी.
 
मुझे तो समझ में ही नहीं आया कि सारिका ने ये जानबूझ कर किया या गलती से हो गया.
उसका हंसना मेरे लिए ग्रीन सिग्नल था, मैंने भी मौका देखकर अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए.
 
सारिका को इससे कोई आपत्ति नहीं थी तो मैंने भी अपने होंठ सारिका के होंठों से हटाने में कोई जल्दबाजी नहीं की.
 
रिलेशनशिप में आने के करीब डेढ़ दो महीने बाद ये पहला मौका था जब मैंने या यूं कहूँ कि हम दोनों ने एक दूसरे को किस किया.
 
उसके बाद हमें जब भी किस करने का मौका मिलता, हम शुरू हो जाते.
पर उससे आगे बढ़ने की मैंने कभी कोशिश ही नहीं की क्योंकि हम रोज़ रोज़ तो मिलते नहीं थे.
जब 2-3 दिन में मौका मिलता, हम तभी मिलते थे.
 
पर फ़ोन पर बातचीत के दौरान सारिका जिस तरह मेरा ख्याल रखती थी या जैसे मेरी परवाह करती थी, मैं कोई भी ऐसी वैसी हरकत करके उसे खोना नहीं चाहता था.
 
इसी तरह हमारा रिश्ता अच्छे से चल रहा था.
हम दोनों एक दूसरे के साथ खुश थे.
 
यहां मैं आप सभी पाठकों को बताना चाहूंगा कि मेरे यहां दो घर हैं. एक घर दुकान से लगकर है .. और दूसरा दुकान से तीन किलोमीटर दूर है.
मैं दिन भर दुकान पर और रात को घर पर रहता था.
छुट्टी के दिन मैं कभी कभी दोपहर में भी घर पर आराम करने चला जाया करता था.
 
एक दिन दोपहर में मैं अपने घर पर अकेला था और हम दोनों व्हाट्सएप पर बातें कर रहे थे.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#6
बातों बातों में मैंने उसे घर पर अकेले होने वाली बात को बता दिया और ऐसे ही मज़ाक में उसे अपने घर पर आने को बोल दिया.
 
सारिका ने भी आने को हां बोल दिया. मुझे लगा कि शायद सारिका भी मुझसे मज़ाक कर रही है, वो आएगी नहीं.
पर मैं गलत था, थोड़ी ही देर में सारिका ने कॉल करके बताया कि वो मेरी बिल्डिंग के नीचे है.
 
अब ये सोच करके मेरी हालत खराब होने लगी कि सारिका को घर के अन्दर लेकर आऊं कैसे? अगर मना भी करता हूँ तो उसे बुरा लगेगा.
अगर उसे किसी ने मेरे घर में आते देख लिया, तो सब लोग मेरे और सारिका के बारे में क्या सोचेंगे?
 
बिल्डिंग वालों की नज़र में मेरी छवि भी एक अच्छे लड़के की थी.
 
इसी बीच सारिका बार बार कॉल करके पूछ रही थी कि क्या करूं?
सारिका को मना करने का मेरा मन नहीं था और हां बोलने की मुझमें हिम्मत नहीं थी.
समझ में ही नहीं आ रहा था कि क्या करूं?
 
कुछ देर तक मैंने सारिका को नीचे ही रुकने के लिए बोल दिया और सोचने लगा कि क्या किया जाए?
हिम्मत तो दिखाना ही थी वरना पता नहीं सारिका मेरे बारे में क्या सोचती.
 
यही सब सोचते हुए और धड़कते दिल के साथ मैंने दरवाजा खोल कर देखा कि कोई है तो नहीं बाहर.
 
मेरे फ्लोर का पैसेज पूरी तरह खाली था, तब जाकर मेरी जान में जान आयी.
 
मैंने तुरंत ही कॉल करके सारिका को ऊपर बुला लिया और दरवाजे पर खड़ा होकर उसका इंतजार और अगल बगल के घरों पर नज़र रखने लगा.
 
जल्दी ही सारिका ऊपर मेरे घर के सामने आ गयी, मैंने तुरंत ही उसे अपने घर के अन्दर लिया और दरवाजा बंद कर लिया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#7
2
सारिका तो मेरे घर में आ गयी थी पर अभी भी मेरा दिल धक धक कर रहा था.
और मैं जानता था कि वही हाल सारिका का भी था.
 
सारिका को रिलैक्स करने के लिए मैंने उसे एक पीने के लिए गिलास पानी दिया.
उसने थोड़ा सा पानी पीकर गिलास मुझे पकड़ा दिया और बाकी बचा पानी मैं पी गया.
 
पानी पीने के बाद भी मेरी हालत वैसी ही थी, इसलिए मैं बेड पर बैठ कर खुद को रिलैक्स करने लगा.
हम दोनों एक दूसरे को अपने सामने देखकर खुश भी थे और थोड़े टेंशन में भी.
 
अभी मैं बेड पर ही था, इतने में सारिका मेरे पास आई और उसने मुझसे लिपटते हुए अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए.
मैंने भी अपनी जान के होंठों का रस लेना शुरू कर दिया.
 
कुछ देर बाद सारिका मुझे बेड पर लिटाते हुए मेरे ऊपर ही लेट गयी.
अब हम दोनों दुनिया के बारे में सोचना छोड़ कर अपने में मस्त हो गए.
 
हमारे होंठ एक दूसरे के होंठों से अलग होना ही नहीं चाहते थे.
 
सारिका अभी भी मेरे ऊपर थी और मेरे होंठों को लगातार चूम रही थी.
मैं भी उसका भरपूर साथ दे रहा था.
 
कुछ देर तक वैसे ही रहने के बाद मैंने उसे पलट कर अपने नीचे कर लिया और खुद उसके ऊपर आ गया.
 
हम दोनों की कमर के ऊपर का हिस्सा बेड पर और कमर के नीचे का हिस्सा हवा में और पैर जमीन पर ही थे.
 
मैं भी लगातार सारिका को चूमे जा रहा था और सारिका भी मेरा साथ दे रही थी.
कभी गर्दन, तो कभी गाल तो कभी होंठ मैंने उसके चेहरे के किसी भी हिस्से को नहीं छोड़ा, हर जगह को जी भरके चूमा और चाटा.
 
चुम्माचाटी का दौर करीब 15-20 मिनट तक चलता रहा.
कभी सारिका मेरे ऊपर तो कभी मैं सारिका के ऊपर.
 
इसी बीच जब मैं सारिका के ऊपर था और उसे चूम रहा था.
 
तभी सारिका ने मेरा साथ देना रोक दिया.
मैं अभी भी सारिका की आंखों में ही देख रहा था और समझने की कोशिश कर रहा था कि सारिका ने ऐसा क्यों किया?
 
मैंने अपनी भौंहों को ऊपर करके इशारे में पूछा- क्या हुआ?
मेरे सवाल के जवाब में सारिका ने मेरा हाथ पकड़ कर अपने एक मम्मे पर रख दिया और अपनी आंखें बंद कर लीं.
 
उसका इशारा समझ कर मैं उसके मम्मों को कपड़ों के ऊपर से ही सहलाने लगा.
 
कुछ देर तक हल्के हल्के से दूध सहलाने के बाद मैंने उसके एक मम्मे को अपनी पूरी मुट्ठी में भरकर थोड़ा जोर से दबा दिया जिससे उसके मुँह से आह निकल गयी.
 
मेरी समझ में ही नहीं आया कि मेरी इस हरकत पर उसे दर्द हुआ या मज़ा आया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#8
इसलिए मैंने अपना हाथ हटा लिया और उसके चेहरे को देखने लगा.
 
मैं- दर्द हुआ क्या?
मेरा सवाल सुनकर वो हल्के से मुस्कुराई, फिर ना में सिर हिलाया.
मैं समझ गया कि मेरा उसके मम्मे को दबाना उसे अच्छा लगा.
 
फिर भी कन्फर्म करने के लिए मैंने पूछ लिया- फिर क्या हुआ अच्छा लगा ना?
इस बार उसने शर्माते हुए हां में सर हिलाया.
 
उसके बाद तो मैं टूट सा पड़ा उसके दोनों मम्मे मेरे दोनों हाथों में आ गए थे.
कभी हाथों से, तो कभी अपने मुँह से जी भरके मैंने सारिका के चूचों से कपड़ों के ऊपर से ही खेला.
 
जितना अभी तक हम दोनों के बीच में हुआ था, मैं उतने में ही बहुत खुश था.
इसलिए उससे आगे कुछ करने का ना तो मैंने कोई कोशिश की और ना ही मेरा मन हुआ.
 
उस दिन सारिका करीब 45-50 मिनट मेरे घर पर रही और हमने जी भरके एक दूसरे को प्यार किया.
 
उसके बाद सारिका मेरे घर से चली गयी, पर जाते जाते हमने एक दूसरे को टाइट वाली झप्पी और किस किया.
 
उस दिन के बाद हम जब भी मिलते या जब भी हमें मौका मिलता, तब किस के साथ साथ मैं उसके चूचों से भी खेलने लगता.
 
इसके बाद हम एक दूसरे से पूरी तरह खुल गए थे, अब हमारे बीच सेक्स की भी बातें होने लगी थी.
 
इस घटना के कुछ दिन बाद मेरा बर्थडे था और सारिका ने मेरा बर्थडे स्पेशल बनाने के लिए मुझे किसी ऐसी जगह का इंतजाम करने को बोला जहां हम दोनों के सिवाए और कोई ना हो.
 
मुम्बई जैसे शहर में ऐसी जगह खोजना मेरे लिए बहुत ही मुश्किल काम था.
 
मेरे पास और भी कई ऑप्शन थे जैसे लॉज, होटल या गेस्ट हॉउस.
पर मैं सारिका को ऐसी किसी जगह पर लेकर जाना नहीं चाहता था.
 
मैं भी कभी पहले न तो किसी लॉज में और ना ही किसी होटल में गया था और ना ही मुझे इन सब के बारे में कुछ मालूम था.
और मैं सारिका को मना भी नहीं कर सकता था और उसे किसी लॉज या होटल में चलने को बोल भी नहीं सकता था.
 
दो तीन दिन ऐसे ही निकल गए और मैं किसी ऐसी जगह का इंतजाम तो दूर, मैं किसी ऐसी जगह के बारे में पता तक नहीं लगा पाया था.
सारिका जब भी फ़ोन करती, जगह के बारे में जरूर पूछती, पर मेरे पास कोई जवाब नहीं होता.
 
थक हार कर मैंने उसे लॉज और होटल के ऑप्शन के बारे में बता दिया.
होटल और लॉज हम दोनों के लिए नया था, तो स्वभाविक डर भी हमारे मन में था.
 
और उन दिनों इंटरनेट पर एमएमएस बनाए जाने की खबरों की बाढ़ भी आई हुई थी, जो हमारे डर को और भी ज्यादा बढ़ा रही थी.
 
फिर मैंने अपने कुछ लफ़ंडर दोस्तों से लॉज और होटलों के बारे में पूछताछ की, जो अपनी अपनी माशूकाओं को लेकर लॉज या होटल में जाया करते थे.
 
उनकी बातों से पता चला कि सब लॉज एक जैसे नहीं होते, कुछ लॉज या होटेल अपने ग्राहकों की गोपनीयता की सुरक्षा का भी ख्याल रखते हैं.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#9
मैंने अपने दोस्तों से उन लॉज और होटल का पता ले लिया जो उनके हिसाब से सुरक्षित थे.
 
पर मैंने सारिका को लेकर जाने से पहले एक बार खुद जाकर पता लगाने का सोचा और इस काम के लिए अपने एक दोस्त को साथ में चलने के लिए मना लिया.
 
अपने बर्थडे के ठीक दो दिन पहले मैं अपने दोस्त के साथ लॉज के बारे में इन्क्वायरी करने के लिए निकल गया.
 
कुछ लॉज में जाकर इन्क्वायरी भी की और घर लौट आया.
घर पहुंचते ही सबसे पहले मैंने सारी बातें सारिका को बता दीं.
 
सारिका भी मुझ पर आंख बंद करके भरोसा करती थी, मेरी पूरी बात सुनने के बाद सारिका बस इतना ही बोली- तुम अपने साथ मुझे चाहे जहां भी लेकर चलो, मैं बिना किसी झिझक और बिना कोई सवाल किए तुम्हारे साथ चलूंगी.
 
उसकी ऐसी बातें सुनकर तो एक बार मन में आया कि सारिका को किसी ऐसी जगह पर चलने को मना ही कर देता हूं.
पर उसकी इच्छा भी पूरी करने का फर्ज भी मेरा ही था.
 
फिर हम दोनों ने मिल कर फैसला लिया कि हम लॉज में जाएंगे और अगर हमारे साथ कुछ गलत हुआ तो हम साथ में झेल भी लेंगे.
 
मेरा बर्थडे जुलाई महीने में था और उस समय सारिका का कॉलेज भी शुरू हो चुका था.
हमने निश्चय किया कि हम दोनों उसके कॉलेज के टाइम ही जाएंगे और कॉलेज छूटने तक घर आ जाएंगे ताकि उसके घर वालों को किसी भी प्रकार का शक न हो.
 
मेरे बर्थडे के ठीक एक दिन पहले शाम को ही सारिका ने केक लेकर अपनी एक सहेली के घर पर रख दिया और मैंने भी लॉज में फ़ोन करके लॉज का टाइमिंग, रेट वगैरह भी पूछ लिया.
 
तय समय और जगह पर हम मिले और निकल पड़े लॉज के लिए, लॉज की सभी औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद हम एक कमरे में बंद हो गए या यूं कहें कि हमने खुद को एक कमरे में बंद कर लिया.
 
दरवाजा बंद करते ही मैंने सबसे पहले कमरे की सारी लाइट्स को ऑफ किया फिर अपने मोबाइल के कैमरे से पूरे कमरे की तलाशी ली कि कहीं कोई हिडेन कैमरा तो लगा नहीं है.
पूरी तरह संतुष्ट होने के बाद मैंने लाइट्स ऑन कर दीं और सारिका को बता दिया.
 
मेरी तरफ से हरा सिग्नल मिलते ही सारिका मुझसे लिपट गयी और मेरे होंठों को चूमते हुए मुझे बर्थडे विश किया.
 
फिर उसने मेरे पूरे चेहरे पर चुम्बनों की बरसात कर दी.
इससे अच्छा बर्थडे गिफ्ट और क्या हो सकता था मेरे लिए.
 
मेरी जिंदगी का सबसे अहम लड़की इस वक़्त मेरे साथ थी और हम ऐसी जगह पर थे, जहां अब हमें कोई टेन्शन भी नहीं थी.
 
कुछ देर तक चूमाचाटी के बाद हमने साथ में मेरे बर्थडे का केक काटा और एक दूसरे को अपने होंठों से खिलाया.
 
केक काटने और खाने खिलाने के बाद एक बार फिर से चूमाचाटी का दौर शुरू हो गया.
इस बार चूमाचाटी के साथ ही साथ मैं सारिका के चूचों से भी खेल रहा था.
 
अभी सारिका मेरे नीचे और मैं सारिका के ऊपर था.
सारिका भी आंखें बंद करके उस पल का आनन्द ले रही थी.
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#10
कुछ देर बाद मैंने थोड़ा और आगे बढ़ने का सोचा, इसलिए मैं उसके ऊपर से हटते हुए कंधों के बल उसके ठीक बगल में लेट गया और अपना एक हाथ उसके चूचों से हटाकर कमर के पास ले गया.
 
उसके टॉप के निचले हिस्से से अपना हाथ घुसा कर उसके पेट को सहलाने लगा.
 
मेरा हाथ उसके पेट पर पड़ते ही वो गुदगुदी की वजह से उछल सी पड़ी और उसने मेरा हाथ पकड़ कर बाहर कर दिया.
 
थोड़ी देर बाद मैंने फिर से उसके टॉप में अपना हाथ घुसा दिया.
पर इस बार मैंने अपना हाथ उसके पेट पर ना रख कर सीधा उसके एक चूचे पर रख दिया.
अपने चूचे पर मेरे हाथ का अहसास होते ही सारिका ने एक बार आंखें खोल कर देखा और फिर से अपनी आंखें बंद कर लीं.
 
मैं समझ गया कि मेरी इस हरकत से भी सारिका को कोई एतराज नहीं है तो मैं उसकी ब्रा के ऊपर से ही दोनों चूचों को बारी बारी से दबाने लगा, मसलने लगा.
सारिका भी धीरे धीरे आहें भरने लगी.
 
कभी मैं उसकी पेट को सहलाता तो कभी उसके चूचों को मसलता, साथ ही साथ उसके होंठों को भी मैं अपने होंठों से अलग होने नहीं दे रहा था.
 
काफी देर तक सारिका के चूचों से खेलने के बाद मैं अपना हाथ नीचे की तरफ ले जाकर उसके सलवार के नाड़े पर रख दिया और वहीं अपनी उंगलियां फिराने लगा.
 
सारिका भी शायद समझ गयी कि अब मैं क्या करने वाला हूँ, उसने मेरा हाथ पकड़ कर हटा दिया.
 
कुछ देर बाद मैंने फिर से अपना हाथ वहीं रख दिया पर इस बार मैंने अपनी उंगलियों का कुछ हिस्सा उसकी सलवार के अन्दर तक डाल दिया और सहलाने लगा.
सारिका ने मेरा हाथ पकड़ लिया और मेरी तरफ देखकर ना में सिर हिलाया.
 
मैंने एक दो बार कोशिश की हाथ और अन्दर ले जाने की, पर सारिका ने मेरा हाथ कस कर पकड़ रखा था.
फिर मैं उसकी आंखों में देखते हुए बोला.
 
मैं- सिर्फ एक बार.
उसने फिर से ना में सिर हिला दिया.
 
मैं- सिर्फ एक बार प्लीज.
सारिका ने कुछ बोला तो नहीं पर उसके हाथ की पकड़ ढीली हो गई.
मैं समझ गया कि सारिका ने मुझे मूक सहमति दे दी है.
 
इसके बाद तो मैंने अपना हाथ सीधा देसी गर्लफ्रेंड की पैंटी के ऊपर से ही चूत पर रख दिया.
 
मेरे हाथ रखते ही सारिका के मुँह से सिसकारी निकल गयी, साथ ही साथ उसने अपनी कमर को उठा कर बेड पर पटक दिया.
मेरी उंगली पड़ते ही सारिका ने अपनी दोनों टांगों को थोड़ा खोल दिया.
मैं उसकी चूत के दरार में पैंटी के ऊपर से ही अपनी उंगलियां फिराने लगा.
 
उसकी पैंटी का कुछ हिस्सा भीग चुका था.
मेरी उंगलियों की हरकत की वजह से सारिका भी मचलने लगी और अपनी कमर ऊपर नीचे करने लगी.
 
पैंटी के ऊपर से चूत के भगनासे से खेलना थोड़ा मुश्किल हो रहा था इसलिए मैंने अपना हाथ सारिका के सलवार से निकाल कर उसके पेट पर रख दिया.
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#11
सारिका मेरी तरफ देखते हुए अपना चेहरा उचका कर इशारों में ही पूछा कि क्या हुआ?
मैंने भी अपना सर ना में हिलाकर बता दिया कि कुछ नहीं.
 
उसके बाद कुछ देर तक सारिका के पेट को सहलाने के बाद मैंने उसकी सलवार के नाड़े को पकड़ लिया और हल्के हल्के से खींचने लगा.
 
सारिका भी समझ गयी कि अब मैं क्या करने वाला हूँ. उसने तुरंत ही मेरा हाथ पकड़ कर हटाते हुए कहा- नहीं बेबी, इससे आगे नहीं प्लीज!
 
दोस्तो, रिलेशनशिप में आने के बाद हम दोनों एक दूसरे को बेबी ही कहकर बुलाते थे.
 
मैं- बेबी प्लीज, एक बार. इसके आगे कुछ नहीं करूंगा. मैं सिर्फ एक बार देखना चाहता हूँ बस!
सारिका ने फिर से मना कर दिया और मैं उसे मनाता रहा.
 
कुछ देर तक मनाने के बाद मेरी मेहनत रंग लाई, सारिका मान गयी पर सिर्फ दिखाने के लिए, उसके आगे मुझे कुछ भी करने की इजाज़त नहीं थी.
 
मैंने उसके बगल में ही लेटे लेटे फिर से उसके होंठों को चूमना शुरू कर दिया और अपने एक हाथ से उसके सलवार के नाड़े को खोल दिया.
नाड़ा खोलते ही मैं अपना हाथ पैंटी के अन्दर डालने लगा.
 
उह! मेरा हाथ जैसे किसी तपती धधकती भट्टी की ओर बढ़ रहा था.
तभी मेरे हाथ को नर्म नर्म रेशमी रोमों का अहसास हुआ.
 
मैंने अपना हाथ पैंटी के अन्दर ही थोड़ा ऊपर उठाया और हथेली को एक कप सा बना कर, जिसमें मेरी चारों उंगलियां नीचे की ओर थीं, सारिका की तपती चूत पर रख दिया.
 
आआहक्या अहसास था वो.
उसकी चूत एकदम गर्म भट्टी की तरह तप रही थी. ऊपर से एकदम गर्म और नीचे से रिस रिस कर निकलता योनिरस.
 
आह!
 
उत्तेजना वश सारिका मुझसे कसकर लिपट गयी, मेरी उंगलियां सारिका के योनिरस से पूरी तरह भीग गयी थीं.
 
मैंने अपने हाथ की तर्जनी उंगली को चूत के निचले हिस्से से शुरू करके, चूत की दरार में ऊपर-ऊपर, फिराना शुरू कर दिया.
तुरंत ही सारिका के जिस्म में थिरकन सी होने लगी.
 
मैंने अपनी उंगली का सिरा चूत की दरार के ऊपरी हिस्से पर स्थित चने के दाने के साइज़ के भगनासे पर लाकर रोक दिया.
 
पैंटी के अन्दर हाथ होने की वजह से मेरे हाथ को वो आजादी मिल नहीं पा रही थी जो मुझे चाहिए थी.
इसलिए मैंने फिर से अपना हाथ निकाल लिया और सारिका के बगल से उठकर बैठ गया.
 
सारिका फिर से मुझे देखने लगी.
उसके चेहरे पर वही सवाल था कि अब क्या हुआ?
 
अब मैं बैठे बैठे ही उसकी सलवार को नीचे सरकाने लगा.
पर उसके शरीर से सलवार को अलग करने के लिए भी मुझे सारिका के सहायता की ज़रूरत थी.
 
मैंने सारिका की तरफ उम्मीद भरी नजरों से देखा और उसकी सलवार को फिर से नीचे की तरफ सरकाने लगा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#12
सारिका ने अपनी कमर को उठा कर मेरे काम को आसान कर दिया.
मैंने सलवार के साथ साथ पैंटी को भी उसके घुटनों तक सरका दिया.
 
अब मेरी आंखों सामने देसी गर्लफ्रेंड सारिका की गेहुआं रंग की पुष्ट जांघें थीं और जांघों के जोड़ पर छोटे छोटे काले बाल थे.
 
शायद सारिका ने 6-7 दिन पहले ही अपने नीचे के बालों को साफ किया था.
सारिका जांघों को चिपका कर दोनों हाथ अपनी चूत पर रखकर अपनी चूत छुपाने की कोशिश करने लगी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#13
3

मैंने सारिका के हाथ हटाने की कोशिश की तो सारिका ने और मजबूती के साथ अपना हाथ जमा लिया.
 
एक दो बार कोशिश करने पर जब सारिका ने अपना हाथ हटाने नहीं दिया तो मैं फिर से उसके ऊपर आ गया और उसे चूमने लगा.
 
मैं चूमते चूमते नीचे की तरफ जाने लगा.
अभी तक सारिका सिर्फ नीचे से ही नंगी थी, उसके टॉप ने अभी भी उसके उरोज़ों को ढक कर रखा था और मेरा एक भी कपड़ा नहीं निकला था.
 
जैसे ही मैं सारिका की नाभि तक पहुंचा, सारिका ने फिर से अपने हाथ बुर पर रख दिए.
मैंने अपनी जीभ को नुकीला बनाकर उसकी नाभि में घुसा दिया. इससे हुई गुदगुदी के मारे सारिका उछल पड़ी और उसने मेरे चेहरे को पकड़ कर हटा दिया.
 
जैसे ही सारिका फिर से अपना हाथ योनि पर रखने गयी, मैंने उसके दोनों हाथों को पकड़ लिया और उसकी बुर के भगनासे के ठीक ऊपर बालों वाले हिस्से को चूम लिया.
सारिका एकदम सी कांप गयी और ढीली पड़ गयी.
 
अब मैं इत्मीनान से उसके पैरों के पास बैठ गया और उसकी सलवार को पैंटी सहित निकाल कर बगल में रख दिया.
 
मेरे सामने सारिका का निचला हिस्सा बिना कपड़ों के खुल गया था. सारिका ने शर्मवश अपनी टांगों को घुटनों से मोड़ कर एक दूसरे से चिपका लिया.
 
मैं एक बार फिर उसके बगल से होते हुए उसके चेहरे के पास गया और उसके होंठों को चूमने लगा.
 
चूमने के बाद जैसे ही मैं नीचे जाने लगा, सारिका ने मुझे पकड़ लिया और विनती करते हुए कहने लगी- बेबी प्लीज, बस करो. इससे आगे नहीं.
मैं- डरो मत बेबी, मैं ऐसा कुछ भी नहीं करूंगा जो तुम नहीं चाहती, मुझ पर भरोसा रखो.
 
मेरी बातें सुनकर सारिका ने खुद को ढीला छोड़ दिया.
मैं एक बार फिर से उसके पैरों के पास जाकर बैठ गया और उसकी दोनों जांघों को अलग कर दिया.
 
उफ्फ एक लड़की के जिस्म का सबसे खूबसूरत हिस्सा, छोटे छोटे रेशमी बाल और उनके बीच में एक लम्बी दरार के ऊपरी हिस्से में बिल्कुल अनछुई हल्की सी उभरी हुई मदनमणि.
 
मैंने झुक कर अपने होंठों के एक स्पर्श से उसका अभिनन्दन किया.
किसी भी बुर पर मेरी जिंदगी का ये पहला चुम्बन था.
 
पहले तो बुर की महक और स्वाद थोड़ा अजीब सा लगा, पर जल्दी ही वो महक और स्वाद मेरा पसंदीदा बन गया.
 
मेरे चुम्बन से सारिका उछल सी पड़ी. एक तेज आवाज़ उसके कंठ से निकलकर उसके मुख से बाहर आई- आह्ह्ह बेबी उम्म्
 
मैंने अपनी जीभ से उसकी दरार को चीरते हुए नीचे से ऊपर और फिर ऊपर से नीचे कई बार चाटा.
घुटनों से मुड़े पैरों के बीच में मेरा मुँह और मेरी जीभ अपना काम कर रही थी और उसकी बुर से लगातार बहता काम रस का झरना मुझे मजा देने लगा था.
 
पहले यौवन का रस और मैं उसको चाटता और पीता हुआ मदांध होता जा रहा था.
सारिका अपना सर तकिए से ऊपर करके मुझे और मेरी हरकतों को देख रही थी.
 
अभी उसकी योनि को चाटते हुए कुछ ही पल बीता था कि इतने में सारिका ने मेरे सिर को पकड़ लिया और अपनी बुर पर दबाने लगी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#14
इसी के साथ साथ उसके मुँह से लगातार निकल रहा था- आह सी बेबीईई आह करते रहो अह ऐसे ही अच्छा लग रहा है.
 
अब सारिका ने मेरा सर कसकर अपनी योनि पर जोर से दबा दिया जिससे मुझे सांस लेने में दिक्कत होने लगी.
मैंने अपने होंठ हटा लिए.
मेरे होंठ हटाते ही सारिका ने अपना सर तकिए पर पटक दिया और लंबी लंबी सांस लेने लगी.
 
कुछ देर बाद मैंने फिर से जीभ को उसकी बुर पर लगा दिया और चाटने लगा.
वो फिर से आअहह उम्म ह्म्म्म अम्म …’ जैसी आवाजें निकालने लगी.
 
थोड़ी ही देर में उसका बदन अकड़ने लगा और वो एक लंबी आह के साथ भलभला कर आ गयी मतलब वो एक बार स्खलित भी हो गयी.
 
उसके बाद मैंने सारिका को छोड़ दिया और अपने कपड़े ठीक करने लगा.
 
सारिका भी उठी और अपने कपड़े पहनने लगी.
फिर हम दोनों लॉज से निकल आए.
 
रास्ते भर सारिका ने मुझसे बात नहीं की, मैं बार बार पूछता रहा पर उसके मुँह से एक शब्द नहीं निकला.
 
घर पहुंच कर मैंने उसे सॉरी का मैसेज किया और अपने लॉज वाली हरकत के लिए माफ़ी मांगी.
सारिका ने कोई जवाब नहीं दिया.
मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर सारिका मुझसे किस बात पर नाराज़ है?
 
मैंने उसे कई मैसेज किए पर सारिका किसी भी मैसेज का जवाब नहीं दे रही थी.
 
करीब एक डेढ़ घंटे बाद सारिका का मैसेज आया.
बोलो!
 
मैंने उससे उसकी नाराज़गी की वजह पूछा, तो वो कहने लगी कि आज जो कुछ तुमने किया, कहीं उस वजह से मैं प्रेग्नेंट हो गयी तो?
उसका ये मैसेज देखकर मुझे हंसी आ गयी.
 
पर अच्छा था कि हम व्हाट्सएप पर बात कर रहे थे और सारिका मुझे देख नहीं पा रही थी वरना पक्का वो और नाराज़ हो जाती.
 
मैंने उसे कॉल करने को बोला.
फिर उसे समझाया कि ये रामायण या महाभारत वाला युग नहीं है जो किसी के छूने या गले लगाने से या चूमने से लड़की प्रेग्नेंट हो जाती है.
 
इसके साथ ही मैंने उसे प्रेग्नेंट होने की पूरी प्रक्रिया को समझाया.
उसके बाद सारिका शांत हो गयी और अच्छे से बात करने लगी.
 
रात को व्हाट्सएप पर चैटिंग के दौरान जब मैंने उससे पूछा- लॉज में जो कुछ किया, वो सब कैसा लगा?
उसने बताया- मुझे तो कुछ समझ में ही नहीं आया कि उस वक़्त क्या हो रहा था. मेरे लिए वो सब कुछ एकदम नया अहसास था.
 
फिर जब मैंने पूछा- कैसा लगा?
तो उसने बताया- मुझे बहुत मज़ा आया.
 
उसके बाद हम दोनों ने प्यार भरी बातें की और एक दूसरे को शुभरात्रि कह कर सो गए.
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#15
उस दिन के बाद हम अक्सर लॉज में जाने लगे और सब कुछ भूल कर एक दूसरे के साथ समय बिताने लगे.
 
धीरे धीरे सारिका की झिझक कम होती गयी.
अब उसे मेरे सामने कपड़े निकालने में कोई झिझक नहीं होती थी.
 
हमें जब भी मौका मिलता, हम दोनों लॉज में या मेरे घर पर मिल लेते.
 
इस दौरान उसके चूचों के साथ ही साथ मैं उसकी योनि का भी रसपान कर लेता था, पर अभी तक हमारे बीच बात सहवास तक नहीं पहुंची थी और ना ही मैंने एक भी बार सारिका को अपना लंड चूसने के लिए बोला था.
 
मैंने कई बार उसे सहवास के लिए मनाने की कोशिश भी की, पर हर बार सारिका साफ साफ मना कर देती.
मैं भी उस पर ज्यादा दबाव नहीं डालना चाहता था इसलिए चुप हो जाता.
 
अब हमें बस लॉज या होटल में जाने के लिए एक बहाने की जरूरत होती और जैसे ही हमें मौका या बहाना मिलता, हम पहुंच जाते.
उधर बातचीत के दौरान भी हमारी बातों में सेक्स एक अहम टॉपिक होता, हम खुल कर एक दूसरे से सेक्स की बातें करते.
 
इस दौरान हमारे रिश्ते की एनीवर्सरी, सारिका का बर्थडे और फिर से मेरा बर्थडे भी आया.
हम हर मौके पर लॉज में जाते और 2-3 घंटे यादगार टाइम बिता कर वापस आ जाते.
 
मेरी स्नातक की पढ़ाई की दौरान मेरा भी दोस्तों का एक समूह था, जिसमें कुछ लड़कियां भी थीं.
 
सारिका के साथ रिश्ते में आने के बाद के दूसरे बर्थडे पर मैंने सबको सारिका से मिलाने के लिए एक छोटे से रेस्टोरेंट में पार्टी दी.
 
समय की कमी के कारण सारिका जल्दी निकल गयी.
 
सारिका के जाने के बाद मेरे कुछ दोस्तों ने झिझकते हुए बताया कि उन्हें सारिका मेरे लायक नहीं लगी.
 
मैंने सबकी बातें सुनी, पर ना तो मैंने उन्हें कुछ बोला और ना ही सारिका को कुछ बताया.
मुझे सारिका पसंद थी तो दुनिया उसके बारे में क्या सोचती है या क्या कहती है इससे मुझे फर्क नहीं पड़ता.
 
हमारे रिश्ते को करीब डेढ़ साल होने वाला था, पिछले साल मेरे बर्थडे से लॉज या होटल में जाने का सिलसिला अभी भी जारी था.
 
सेक्स की आग तो दोनों तरफ लगी थी.
हम दोनों ही एक दूसरे के साथ सेक्स करना चाहते थे पर सारिका प्रेग्नेंट होने की वजह से डर रही थी या फिर शायद उसे अभी तक मुझ पर भरोसा नहीं हुआ था.
 
मैंने भी सेक्स के लिए उस पर कभी दबाव नहीं डाला पर चूमाचाटी या बुर की चटाई या चुसाई के दौरान मैं उसे सेक्स के लिए एक बार पूछ जरूर लेता था.
 
मेरे बर्थडे के यही कोई 10-12 दिन बाद हम वैसे ही लॉज में गए थे और हम दोनों एक दूसरे के साथ चूमाचाटी में लगे थे.
इसी दौरान जब योनि चटाई और चुसाई के समय मैंने सारिका को सेक्स के लिए पूछा, तो उसने हां कह दिया.
 
शायद वो पूरी तरह गर्म हो चुकी थी या उसे भी अब मुझ पर पूरा भरोसा हो गया था या फिर उसे भी अब सेक्स का मज़ा लेना था.
 
उसके हां कहते ही मैंने अपने लंड पर थूक लगाया और मिशनरी आसन में ही उसकी बुर के छेद पर लंड टिका कर हल्के से धक्का लगा दिया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#16
मेरा पहला प्रयास विफल गया और मेरा लंड सरक कर ऊपर निकल गया.
मैंने फिर से बुर के छेद पर लंड टिका कर जोर लगाया तो लंड का सुपारा सारिका की बुर में घुस गया.
 
सुपारा घुसते ही सारिका छटपटाने लगी और उसने मुझे धक्का देकर हटा दिया.
 
उस वक़्त सेक्स के बारे में मुझे भी ज्यादा कुछ मालूम नहीं था.
हां मैंने इससे पहले एक भाभी के साथ एक बार सेक्स किया था और ये बात मैंने सारिका को भी बता दिया था.
पर पहली बार किसी कुंवारी लड़की के साथ सेक्स कैसे करते हैं, ये मुझे नहीं पता था.
 
उसके बाद मैं सारिका को मनाता रहा, पर सारिका दूसरी बार ट्राय करने को नहीं मानी.
थक हार कर मैं भी चुप हो गया और हम दोनों अपने अपने कपड़े पहन कर वहां से निकल गए.
 
उस विफल प्रयास के बाद मुझे अहसास हो गया कि मैंने पिछली बार जल्दबाजी कर दी थी और अब मैं आगे मिलने वाले मौके को छोड़ना नहीं चाहता था.
इसलिए मैंने इंटरनेट से पहली बार चुदाई के कई वीडियोज डाउनलोड किए और उन्हें ध्यान से देखा, कई बार देखा.
 
उनमें से कुछ वीडियोज़ मैंने सारिका को भी दिखाए और साथ में भी देखे.
 
अब सारिका भी एक और बार ट्राय करने को तैयार थी, पर पहली बार में होने वाले दर्द का डर अभी भी उसे डरा रहा था और वो तो होने वाले दर्द का छोटा सा हिस्सा महसूस भी कर चुकी थी.
 
मैंने उसे भरोसा दिलाया कि अगर उसे ज्यादा दर्द हुआ तो मैं आगे नहीं करूंगा.
 
पर मन ही मन मैं जानता था कि अगर इस बार भी मैं विफल रहा तो शायद सारिका कभी सेक्स के लिए तैयार नहीं होगी.
इसलिए इस बार मैंने सारिका के साथ थोड़ा निर्दयी बनने का फैसला कर लिया था.
 
मुझे अच्छी तरह याद है, उस दिन 12 अगस्त था. हम दोनों अपनी फिक्स जगह यानि उसी लॉज में पहुंच गए और एक दूसरे में व्यस्त हो गए.
 
हर बार की तरह इस बार भी मैंने सारिका के एक एक करके सारे कपड़े निकाल दिए और खुद का भी अंडरवियर छोड़ कर सारे कपड़े निकाल दिए.
 
हम दोनों एक दूसरे के शरीर के ऊपरी हर हिस्से को चूमने लगे. मेरी देसी GF सेक्स के लिए तैयार थी.
 
आज का दिन मेरे लिए बहुत अहम था, आज मुझे हर हाल में सारिका का योनिभेदन करना ही था इसलिए आज सारिका को पूरी तरह गर्म भी करना जरूरी था.
 
कुछ देर तक उसके ऊपरी हिस्से को चूमने के बाद मैं अपने घुटने पर बैठ गया और उसकी नाभि के आसपास का हिस्सा चूमते हुए नीचे की तरफ जाने लगा.
जैसे ही मैंने उसकी बुर के भगनासे को अपने जीभ से छुआ, सारिका ने सिसकारी लेते हुए मेरे सर को पकड़ कर अपनी बुर पर दबा दिया.
 
खड़े खड़े ही सारिका अपनी टांगें जितना खोल सकती थी, उसने उतना खोल कर मेरी जीभ और चेहरे के लिए जगह बना दी.
मैंने अभी तक कई आसनों में सारिका के बुर की चटाई और चुसाई की थी, पर ये स्टैंडिंग आसन आज मैं पहली बार आज़मा रहा था.
 
इस आसन में मेरी जीभ चूत के भगनासे तक तो आराम से पहुंच रही थी, पर योनि की दरार में ज्यादा अन्दर नहीं जा पा रही थी.
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#17
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मैंने एक दो बार कोशिश भी की कि अपनी जीभ को बुर की दरार की गहराई में पहुंचा दूँ, पर मैं सफल नहीं हो पाया.
 
सारिका भी उस आसन में सहज महसूस नहीं कर पा रही थी तो उसने दीवार का सहारा लेकर अपनी एक टांग को उठाकर मेरे कंधे पर रख दिया और अपना एक हाथ मेरे बालों में फिराने लगी.
 
मेरे कंधे पर पैर रखते ही सारिका की बुर की दरार खुल सी गयी और मैंने बुर के निचले हिस्से में अपनी जीभ को नुकीला बना कर घुसेड़ दिया.
मैं उसकी बुर को चाटने और चूसते हुए और अन्दर तक जीभ को घुसाने लगा.
 
कुछ देर तक वैसे ही करने के बाद मैं अपनी जीभ को बुर की दरार में ऊपर नीचे घुमाने लगा.
 
सारिका से यह बर्दाश्त नहीं हुआ और वो एक लंबी आह के साथ लड़खड़ा गयी.
 
जैसे ही सारिका ने खुद को संभाला, मैं फिर से शुरू हो गया.
 
बीच बीच में मैं बुर को अपने पूरे मुँह में भी भरने की कोशिश करता या फिर चूत के होंठों को अपने होंठों से खींच लेता.
काफी देर तक मैं बैठे बैठे ही मैं सारिका की बुर का रसपान करता रहा.
 
सारिका भी मज़े लेकर मेरा साथ दे रही थी.
मैं सारिका को गर्म तो करना चाहता था पर उतना नहीं कि वो स्खलित हो जाए.
 
इसलिए जब मुझे लगा कि सारिका का स्खलन निकट आ गया है, तब मैं रुक गया और उठ खड़ा हुआ.
 
सारिका मेरी तरफ देखते हुए कहने लगी- बेबी, थोड़ी देर और करते, अच्छा लग रहा था मुझे!
मैं- हां बेबी, अभी और करूंगा पर उससे पहले जो हम डिसाइड करके आए हैं, वो कर लें!
 
सारिका थोड़ा निराश होते हुए बोली- ह्म्म्म ठीक है. पर कैसे करेंगे?
उसका पूछने का मतलब था कि किस आसन में.
 
मैं- जैसे तुम बोलो.
सारिका- जैसे तुम्हें ठीक लगे.
मैं- ठीक है, डॉगी स्टाइल में करते हैं.
सारिका- ह्म्म्म.
 
हमने जो भी पहली चुदाई के वीडियोज़ देखे थे, उन सब में हमें डॉगी स्टाइल वाला पसंद आया था तो हमने भी वैसे ही करने का सोच लिया था.
 
मैंने ये स्टाइल इसलिए भी चुना कि अगर लंड घुसाने के वक़्त सारिका आगे सरकने की कोशिश करेगी, तो मैं उसको कमर से पकड़ कर आगे नहीं जाने दूंगा.
 
मेरे कहते ही सारिका बेड पर डॉगी स्टाइल में आ गयी.
उसके बाद मैंने अपनी पैंट की जेब में रखी तेल की शीशी को निकाला और अपनी उंगलियों पर उड़ेल लिया, फिर उसको सारिका की चूतके छेद और आसपास लगा दिया.
 
काफी सारा तेल मैंने अपने लंड पर लगा लिया.
 
मैंने सारिका की टांगों को घुटनों से और चौड़ी कर दीं और उसकी चूतके छेद में अपनी बीच वाली बड़ी उंगली डाली.
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#18
उंगली को चला कर मैंने तेल को अन्दर तक पहुंचा दिया. सारिका लगातर आहें भरती रही.
उसके बाद मैंने सारिका का योनिभेदन करने के लिए अपने लंड का सुपारा छेद पर लगा दिया.

सारिका ‘शी शी ई …’ करती रही.
वो मुझसे कहने लगी- बेबी, अगर ज्यादा दर्द हुआ, तो रुक जाना प्लीज.
मैं- सच में असली मज़ा लेना है, तो थोड़ा तो दर्द सहना ही पड़ेगा. अगर तुम्हें डर लग रहा है, तो फिर रहने देते हैं.

सारिका ने मेरी ओर सर घुमाकर देखा और बोली- ठीक है करो.

कुछ देर तक मैं चूतकी दरार में अपने लंड को ऊपर नीचे करता रहा. साथ ही साथ दूसरे हाथ से मैं सारिका के चूचों को भी मसलता रहा.

सारिका सांस रोके मेरे झटके का इंतजार कर रही थी पर मैंने झटका ना देकर धीरे धीरे लंड पर दबाव डालना शुरू किया.

बुर और लंड दोनों पर तेल लगे होने की वजह से लंड का सुपारा गप्प करके घुस गया.
सुपारा अन्दर घुसते ही सारिका के मुँह से दर्द भरी आह निकल गई और उसने अपनी कमर उचका ली.

सारिका की कमर उचकाने की वजह से सुपारा बाहर आ गया.
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#19
4


मैं कुछ देर तक एक हाथ से सारिका की पीठ और दूसरे हाथ से उसके चूचे सहलाता रहा और बीच बीच में उसकी पीठ को चूम लेता रहा.
थोड़ी देर बाद मैंने अपने हाथ से उसकी पीठ पर दबाव बनाया और उसकी पीठ को दबा दिया ताकि उसकी बुर थोड़ी बाहर की तरफ आ जाए.
 
फिर मैंने अपने लंड पर तेल लगा कर थोड़ा और दबाव दिया.
 
बुर की फांकें लंड के सुपारे को पकड़ चुकी थीं.
सारिका सांस रोके मेरे अगले हमले का इंतजार कर रही थी.
 
पर मैंने सुपारे को वहीं पर रोक दिया और सारिका की पीठ चूमते हुए उसका ध्यान होने वाले दर्द से हटाने की कोशिश करने लगा.
 
मैं- बेबी, दर्द हो रहा है?
सारिका लगभग डांटती हुई बोली- नहीं, तुम्हें जो करना है, जल्दी करो.
 
उसकी बात सुनते ही मैंने उसकी कमर को कसके पकड़ा और एक जोरदार धक्का दे मारा.
मेरे लंड का लगभग तीन चौथाई हिस्सा बुर फाड़ता हुआ अन्दर प्रवेश कर चुका था.
 
लड़की सील तोड़ धक्के से चीख पड़ी- उई मम्मीईई आह मर गई उह बेबी मेरी फट गई आंह प्लीज बाहर निकालो ना. बहुत दर्द हो रहा है. प्लीज बाहर निकाल लो, मैं मर जाऊंगी.
 
सारिका आगे सरकने की कोशिश करने लगी पर मेरी मजबूत पकड़ की वजह से वो आगे नहीं जा पायी.
 
फिर सिसकती हुई रोने सी लगी- आंह बेबी प्लीज, बहुत दर्द कर रहा है एक बार निकाल लो बाद में फिर से डाल लेना.
 
मैं उसकी पीठ को चूमते हुए बोला- बेबी जितना दर्द होना था, हो चुका. अब दर्द नहीं होगा क्योंकि मेरा पूरा अन्दर जा चुका है.
उस वक़्त मैंने सारिका को झूठ बोला.
 
तब सारिका थोड़ी शांत हुई और मैं भी उसके रिलैक्स होने का इंतजार करने लगा.
कुछ देर बाद सारिका अपनी कमर इधर उधर हिलाने लगी तो मैं भी धीरे धीरे अपनी कमर आगे पीछे करने लगा.
 
अभी भी मेरा लंड पूरी तरह से उसकी योनि में नहीं गया था.
मगर जितना गया था, मैं उतने ही हिस्से को आगे पीछे करने लगा.
मेरे हर झटके पर सारिका के मुँह से आह उह आह …’ निकल रहा था.
 
कुछ देर बाद मैंने अपना लंड निकाल लिया.
सारिका की बुर एकदम साफ थी मतलब ना ही सारिका के बुर में और ना ही मेरे लंड पर मुझे खून दिखा.
 
सारिका भी सीधी बैठ गई थी और वो कभी मेरे लंड को देखती, तो कभी अपनी बुर को.
 
वैसे मैंने कहीं पढ़ा था कि पहली बार चुदाई के दौरान खून निकलना जरूरी नहीं है.
और सच कहूं तो मुझे उस वक़्त फर्क भी नहीं पड़ रहा था.
 
पर सारिका ये सोच कर टेंशन में थी कि उसकी बुर से खून क्यों नहीं निकला या मैं क्या सोचूंगा उसके बारे में?
 
वो बार बार मुझे विश्वास दिलाने की कोशिश करने लगी कि ये उसका पहली बार है.
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#20
मैंने उसको प्यार से समझाया कि ये सब मुझे बताने की जरूरत नहीं है, तुम्हारा कुँवारी होना या ना होना मेरे लिए जरूरी नहीं है. मेरे लिए बस इतना जरूरी है कि तुम मेरे साथ हो तो सिर्फ मेरी बन कर रहो और मुझे तुम पर पूरा भरोसा है.
 
काफी देर तक हम उसी मुद्दे पर बात करते रहे और मैं उसको समझाता रहा.
तब जाकर वो सामान्य हुई.
 
उसके बाद मैंने सारिका को मिशनरी आसन में कर दिया और उसके ऊपर आकर अपने लंड को उसकी बुर में घुसा कर अपनी कमर चलाने लगा.
धीरे धीरे सारिका का भी दर्द गायब हो गया और वो अब कामुक सिसकारियां लेने लगी.
 
मैंने सही मौका देखकर एक और जोर का धक्का लगाया. मेरा पूरा लंड बुर में जड़ तक घुस चुका था.
 
इस प्रहार से सारिका की तो जैसे आंखें ही बाहर को आ गयी थीं.
जैसे ही वो चीखने को हुई, मैंने तुरंत ही उसके होंठों को अपने होंठों की गिरफ्त में ले लिया.
सारिका बस गु गु …’ करके रह गयी.
 
मैं धीरे धीरे फिर से अपनी कमर आगे पीछे करने लगा.
थोड़ी ही देर में सारिका अपने हाथ मेरी कमर पर रख कर मेरी कमर की रफ्तार को बढ़ाने लगी.
 
गीली बुर और लंड में तेल लगे होने की वजह से चिकनाहट में कोई कमी नहीं थी.
इस वजह से मेरा लंड आराम से अन्दर बाहर चलने लगा.
 
अभी कुछ पल ही बीता था कि मुझे लगा मेरा होने वाला है इसलिए मैंने जल्दी से अपना लंड निकाल लिया और भाग कर बाथरूम में घुस कर हस्तमैथुन करके अपना पानी निकाल दिया.
 
उस वक़्त मुझे लगा शायद अभी सारिका का स्खलन नहीं हुआ था, पर अब मैं कुछ नहीं कर सकता था.
उसके बाद हम तैयार होकर निकल गए.
 
घर पहुंच कर बातचीत के दौरान सारिका के बताया कि उसे उतना मज़ा नहीं आया, जितना हम वीडियोज़ में देखते थे.
 
इसलिए उसने अगले दिन फिर से लॉज में चलने को बोला और साथ ही साथ ये भी शर्त रख दी कि अब हम किसी दूसरे लॉज में जाएंगे.
जब मैंने कारण पूछा तो उसने बताया- अभी आज ही हम इस लॉज में जाकर आए हैं, अगर कल फिर गए तो लॉज वाले भी सोचेंगे कि कितनी ठरक चढ़ी है दोनों को.
 
उसकी बात मुझे भी ठीक लगी तो हमने किसी और लॉज में जाने का पक्का कर लिया.
इतने दिनों से लॉज में जाने की वजह से अब हम दोनों में किसी और लॉज में जाने में कोई झिझक नहीं थी.
 
अगले दिन हम फिर मिले और पहुंच गए एक नए लॉज में.
लॉज की सभी प्रक्रिया पूरी करने के बाद हम फिर से एक कमरे में बंद हो गए.
 
नया लॉज था और नया कमरा भी तो एक बार चैक करना भी जरूरी था इसलिए मैंने फिर से पहली बार वाला ही तरीका अपनाया, कमरे की सारी लाइट्स ऑफ करके अपने मोबाइल के कैमरे से कमरे का हर एक कोना चैक किया.
 
पूरी तसल्ली होने के बाद जैसे ही मैं लाइट्स को ऑन किया, सारिका ने तुरंत ही अपने कपड़े निकालने शुरू कर दिए.
आज कुछ ज्यादा ही जल्दी में थी लड़की!
 
जब मैं मज़ाक में बोला- क्या बात है? आज कुछ ज्यादा ही जल्दी में हो?
तो सारिका भी मुस्कुराती हुई बोली- आज पूरा मज़ा लेना है ना इसलिए.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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