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विवेक ने अपनी छोटी बहन को चोदा
#21
Nice story
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#22
Good one....Keep it up bro.
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#23
thanks
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#24
[Image: main-qimg-ee3854254584f284bb89ab7449630043] Heart
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#25
[Image: 7492cee2432fcbd6d7fad884ad333de3.jpg]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#26
[Image: malavika-mohanan-hot-cleavage-photos-2.jpg]
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#27
(11-11-2019, 02:08 PM)neerathemall Wrote: [Image: main-qimg-ee3854254584f284bb89ab7449630043] Heart

हमारे परिवार में सिर्फ़ चार लोग थे, मैं, मेरी बड़ी बहन सुनीता और मेरे मम्मी-पापा। हमारे घर में एक ड्राइंग रूम और दो बेडरूम थे। एक बेडरूम में मम्मी-पापा और दूसरे में हम दोनों बहनें सोती थी। इसके अलावा ऊपर की मंजिल पर एक कमरा था जिसमें राज रहा करता था।
पापा सुनील खन्ना सरकारी नौकरी में थे और मम्मी सविता खन्ना भी एक कॉलेज में अध्यापन कार्य करती थी। उस समय हम पुणे(महाराष्ट्र) में रहते थे। हम चारों के अतिरिक्त एक सजीला युवक राज हमारे घर में घर के सभी काम करने के लिए रहता था। राज पूरा दिन घर में रह कर सारा काम करता था।
एक दिन मैं कॉलेज से ग्यारह बजे ही आ गई और सीधे अपने कमरे में जाने लगी तो मैंने देखा कि सुनीता राज के साथ कमरे में थी, दोनों पूरे नंगे थे, राज बेड पर लेटा था और सुनीता उसके ऊपर बैठ कर आगे की ओर झुकी हुई धीरे धीरे हिल रही थी, राज के मुँह में सुनीता का एक चुचूक था। दोनों में से किसी ने मुझे नहीं देखा पर मेरे मुख से चीख सी निकली- सुनीता, यह क्या हो रहा है?
और मैं वहाँ से सीधे मम्मी-पापा के कमरे में भाग आई। मैंने देखा ही नहीं कि मेरे चीखने के बाद उन दोनों ने क्या किया।
कोई पांच मिनट बाद वो दोनों मेरे पास आए और सुनीता मेरे सामने बैठ कर मेरे कन्धों पर अपने दोनों हाथ रख कर मुझे कहने लगी- देख रिचा, तूने जो भी देखा, मम्मी को मत बताना !
राज मेरे पीछे बैठ गया और मेरी पीठ पर हाथ रख कर सहलाने लगा। उस समय सुनीता ने सिर्फ़ टॉप और पैंटी और सुनील ने सिर्फ़ अन्डरवीयर पहना था। सुनीता की गोरी नंगी जांघें मेरे सामने थी और उसे देख कर मेरे मन में कुछ कुछ होने लगा था।
सुनीता मुझे मनाते मनाते अपने हाथ मेरे गालों पर ले आई और उसने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए। इससे पहले मुझे ऐसा कोई अनुभव नहीं था, मुझे सुनीता का चुम्बन बहुत भाया और मेरे बदन में आग सी भर गई।

राज मेरी पीठ सहलाते सहलाते अपने हाथ मेरे वक्ष पर ले आया और धीरे धीरे मेरी चूचियाँ सहलाने लगा। मुझे यह सब काफ़ी अजीब सा लग रहा था लेकिन मज़ा भी आ रहा था। सुनीता ने चूमते चूमते मुझे पीछे की तरफ़ झुका कर राज के ऊपर गिरा दिया और खुद मेरे ऊपर आकर मेरा कमीज ऊपर उठा कर मेरी चूचियों पर ब्रा के ऊपर ही अपने होंठ रगड़ने लगी।
पीछे से राज ने धीरे धीरे मेरा कमीज ऊपर सरका कर उसे मेरे गले से निकाल कर मेरे बदन से बिल्कुल जुदा कर दिया। मैं चाह कर भी उन दोनों का विरोध नहीं कर पा रही थी। कमीज़ उतरने के बाद सुनीता मे मेरी एक चूची मेरी ब्रा से बाहर खींच ली और चूसने लगी।
इसी बीच राज ने मेरी ब्रा का हुक खोल दिया और ब्रा भी मेरी चूचियों का साथ छोड़ कर एक तरफ़ पड़ी मेरा मुँह चिड़ा रही थी। इसके बाद राज के हाथ मेरी चूचियों को मसलने लगे और सुनीता कई उंगलियाँ मेरी सलवार के नाड़े तक पहुंच चुकी थी।
राज मेरी कमर के नीचे से निकल कर मेरे ऊपर झुक गया और मेरे होंठ उसके होंठों की गिरफ़्त में आ गए। वो मुझे पूरे जोर से चूम-चाट रहा था। सुनीता मेरी सलवार मेरी टांगों से अलग करने में लगी थी। राज मुझे चूमते चूमते मेरी चुचूक को चूसने लगा और दूसरी चूची को मसलने लगा। अब चूंकि मेरा चेहरा राज की जांघों के पास था तो मुझे उसकी जांघों के बीच से उसके पसीने, वीर्य और पेशाब की सी मिलीजुली गन्ध आ रही थी जिससे मुझे और ज्यादा उत्तेजना होने लगी। मेरे मन में यह विचार भी आ रहा था कि मैं इनका विरोध क्यों नहीं कर रही हूँ।
सुनीता मेरी सलवार उतारने के बाद मेरी गोरी, नर्म, मक्खन सी जांघों को चूम रही थी और जीभ से चाट भी रही थी। मेरी योनि से जैसे रिसाव सा हो रहा था बिल्कुल वैसा महसूस हो रहा था जैसे मासिक धर्म में होता है। मैं बिल्कुल बेजान गुड़िया की भान्ति बिस्तर पर पड़ी थी और राज और सुनीता मेरे बदन से मनचाहे ढंग से खेल रहे थे, पैंटी के अतिरिक्त मेरे शरीर पर कोई कपड़ा नहीं था।
राज मेरी चूचियों को चूसते चूसते मेरे नंगे पेट की और बढ़ा और मेरी नाभि छिद्र में अपनी जीभ घुसा दी। उसका एक हाथ पैंटी के ऊपर से ही मेरी योनि का जायजा लेने लगा था। अब सुनीता ने मेरे बदन को पूर्णतया राज के हवाले कर दिया और उसने बिस्तर से उठ कर राज के अन्डरवीयर को उसकी टांगों से सरका कर उतार दिया। राज का उत्थित लिंग मेरे गालों पर टकरा रहा था और उसकी गंध मुझे कभी अच्छी लगती तो कभी बुरी।
सुनीता ने राज के लिंग को अपने हाथ में लिया और उसे मेरे गालों, होंठों पर रगड़ने लगी। जब लिंग गालों पर आता तो मुझे बहुत अच्छा लगता लेकिन जब होंठों पर आता तो मुझे घिन सी होती और मैं उससे बचने की कोशिश में अपना चेहरा इधर-उधर घुमाने लगती। उधर राज का एक हाथ मेरी पैंटी सुरक्षा को तोड़ते हुए उसके अन्दर घुस चुका था और दूसरा हाथ मेरी पैंटी को सरकाने की जी तोड़ कोशिश में लगा था लेकिन मेरे भारी कूल्हों के नीचे मेरी पैंटी दबी होने के कारण उसे सफ़लता नहीं मिल रही थी।
तभी राज ने जबरन मेरी टांगें ऊपर हवा में उठाई और एक ही झटके से मेरी पैंटी मेरे टखनों तक सरका दी। मेरी चूत के आसपास छोटे छोटे मखमली बाल थे क्योंकि एक हफ़्ते पहले ही मैंने हेयर रिमूवर प्रयोग किया था। अब राज ने अपने होंठ मेरी अनछुई चूत के द्वार पर रखे और अपनी जीभ अन्दर घुसेड़ने की कोशिश करने लगा।
सुनीता अब राज के लण्ड का अग्र भाग मेरे स्तनाग्रों पर रगड़ रही थी और बीच बीच में कभी लण्ड तो कभी मेरे चुचूक चूस लेती। उत्तेजना के मारे मेरे कूल्हे अपने आप उछल उछल कर मेरी योनि को राज के मुख पर पटक रहे थे। राज और सुनीता दोनों समझ चुके थे कि अब मैं चुदने के लिए पूरी तरह से तैयार हूँ।

सुनीता ने राज से कहा- राज ! चोद दे साली को ! खोल दे इसकी चूत ! इसे भी दिखा दे कि चुदने में कितना मज़ा है।
राज मेरे ऊपर से उठा, मेरी जांघों के बीच आया, सुनीता ने मेरी एक टांग पकड़ी, दूसरे हाथ से राज का लण्ड पकड़ कर मेरी योनि-छिद्र पर लगाया और बोली- लगा धक्का राज !
और मेरी चीख निकल गई- हाय मम्मी ! मर गई मैं !
इतने में सुनीता का हाथ मेरे मुँह पर जम गया और मेरी आवाज घुट कर रह गई।
बस उसके बाद वही सब ! धीरे धीरे मेरा दर्द गायब होने लगा, मुझे मज़ा आने लगा और राज धक्के पर धक्का लगाने लगा।
जब राज का छुटने को था तो सुनीता पहले ही बोल पड़ी- राज, अन्दर मत करना !
काफ़ी देर लगी राज को छुटने में !

जैसे ही राज मेरी चूत से अपना लौड़ा निकाल कर मुठ मारने लगा, सुनीता ने मेरी चूत से निकले खून से सने राज के लण्ड को अपने मुँह में ले लिया और जोर जोर से चूसने लगी। राज सुनीता दीदी के मुँह के अन्दर ही झड़ गया।
इसके बाद काफ़ी देर हम ऐसे ही लेटे रहे और फ़िर सुनीता ने राज से एक बार अपनी चुदाई कराई हालांकि राज की बिल्कुल इच्छा नहीं थी और ना ही उसमें तीसरी चुदाई की हिम्मत थी।
मैं इस सत्यकथा पर आपके विचार जानना चाहती हूँ !
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#28
[Image: 09malavika-mohanan-hot-cleavage-photos-2cg.jpg]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#29
[Image: 09malavika-mohanan-hot-cleavage-photos-2c.jpg]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#30
(14-12-2019, 09:27 PM)neerathemall Wrote: [Image: ass.jpg]

[Image: Uwe4ui.jpg]

[Image: Untit7u.jpg]

[Image: ass2.jpg]

[Image: Uwe4.jpg]

[Image: ass2.jpg]

[Image: ass.jpg]
Heart Heart
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#31
(24-04-2019, 01:42 AM)neerathemall Wrote: विवेक ने अपनी छोटी बहन को चोदा
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#32
nice one
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#33
thanks
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#34
(24-04-2019, 01:42 AM)neerathemall Wrote:
विवेक ने अपनी छोटी बहन को चोदा
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#35
बड़े भाई ने तोड़ी सील
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#36
(26-07-2022, 01:16 PM)neerathemall Wrote:
बड़े भाई ने तोड़ी सील
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#37
(10-07-2022, 01:53 AM)raj500265 Wrote: nice one
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#38
(15-07-2022, 07:07 PM)neerathemall Wrote: thanks
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#39
बड़े भाई ने तोड़ी सील
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#40
(26-07-2022, 01:18 PM)neerathemall Wrote: बड़े भाई ने तोड़ी सील
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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