Posts: 84,429
Threads: 906
Likes Received: 11,320 in 9,384 posts
Likes Given: 22
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
अब में यह बात सुनते ही पापा के पास लेट गयी और मैंने पापा का एक हाथ अपने सर के नीचे रख लिया. फिर थोड़ी ही देर बाद मैंने देखा कि पापा का एक हाथ मेरे बूब्स को सहला रहा था और वो धीरे धीरे मसल रहे थे. में चुपचाप पड़ी आनंदित हो रही थी और चाह रही थी कि क्यों ना में पापा से आज चुद जाऊँ, क्योंकि पापा के मम्मी को चोदने के बाद शायद ही किसी औरत से सम्बंध रहे हो और उनके मसलने में मुझे भी अब बहुत आनंद आने लगा और में पापा की तरफ़ मुहं कर लेट गयी. फिर पापा ने मेरे मुहं पर एक जोरदार किस किया और मेरी मेक्सी के ऊपर के बटन खोल दिए और सहलाने लगे. में धीरे धीरे मोन कर रही थी और मेरे मुहं से आवाज़े आने लगी उहह्ह्ह्ह पापा अहहह्ह्ह पापा धीरे से करो ना और अब पापा ने धीरे धीरे मेरे पूरे बदन को किस करना शुरू किया.
मेरी हालत और भी ज्यादा खराब होने लगी और में अब मन ही मन सोचने लगी कि इतनी प्यास लगाकर मेरे पापा बुझाएगें कैसे, क्योंकि में उनका लंड तो पहले ही खाली कर चुकी हूँ, लेकिन मेरे पापा बहुत चतुराई से मेरे बदन को चूम चाट रहे थे और वो धीरे धीरे मेरी चूत के पास पहुँचते जा आ रहे थे. अब उन्होंने मेरी चूत के पास जाकर चूमना शुरू किया तो मेरे आनंद की कोई सीमा ही नहीं थी. में मन में सोच रही थी कि पूरी ज़िंदगी ही इस तरह बीत जाए,
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,429
Threads: 906
Likes Received: 11,320 in 9,384 posts
Likes Given: 22
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
पापा चूमते रहे और में उनसे अपना काम करवाती रहूं. फिर तभी मेरा हाथ अचानक पापा के लंड पर गया तो मैंने देखा कि धीरे धीरे अब वो एक बार फिर से तैयार हो रहा है और पापा ने मेरे ऊपर आते हुए मेरी पूरी मेक्सी को खोल दिया और उन्होंने मुझे बिल्कुल नंगा करके मेरी चूत को फैलाने लगे. उनका लंड मेरी बिना चुदी चूत में घुसने की कोशिश करने लगा और धीरे से एक एक इंच अंदर जाने लगा. दोस्तों में कोई 16 साल की तो थी नहीं जो मुझे लंड को अपनी चूत के अंदर लेने में बहुत तकलीफ़ होती और वैसे भी मैंने बरसो इस दिन का इंतज़ार किया था.
अब मेरे दोनों पैर खुले हुए थे और मेरे पापा मेरी चूत के होंठो को खोलकर लंड को अंदर डालने की कोशिश में लगे थे और वो धीरे धीरे उसमे सफल भी हो रहे थे, क्योंकि पापा का लंड धीरे धीरे अंदर जा रहा था और में आनंद की प्रक्रिया में हिस्सा ले रही थी, वैसे मुझे थोड़ा सा दर्द जरुर हुआ, लेकिन उसको बर्दाश्त तो मुझे ही करना था और में वही कर रही थी और पापा मेरे बूब्स को मसल रहे थे और लंड को मेरी चूत के अंदर डालने की कोशिश में लगे थे.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,429
Threads: 906
Likes Received: 11,320 in 9,384 posts
Likes Given: 22
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
अब में मन ही मन धन्यवाद पापा कह रही थी, लेकिन पापा ने जब पूरा लंड अंदर डालकर धक्के मारने शुरू किए तो मुझे हल्का सा दर्द का अहसास होने लगा और वो दर्द भी बढ़ने लगा उसकी वजह से में हल्के हल्के चीख रही थी ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह उफ्फ्फफ्फ्फ़ पापा प्लीज़ धीरे धीरे करो ना, लेकिन पापा पर एक अलग ही जोश चड़ा था और वो धीरे धीरे अपने धक्कों की स्पीड को बढ़ाए जा रहे थे, जिसकी वजह से मेरा बड़ा बुरा हाल था, लेकिन एक अलग सा मज़ा भी आ रहा था जिसको किसी भी शब्दो में नहीं लिखा जा सकता. अब वो मेरी चूत के रास्ते मेरे शरीर के अंदर घुसने की कोशिश कर रहे थे और अब मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे हम दो शरीर एक जान है.
फिर में इतने में झड़ चुकी थी, लेकिन वो लगातार धक्के देकर मुझे चोदे ही जा रहे थे. फिर आख़िर एक बार झड़ने के बाद मुझे एक बार फिर से आनंद आने लगा और में चाह रही थी यह अनुभूति सुबह तक होती रहे और उसके बाद में एक बार फिर से उतेज़ित हुई और कुछ देर बाद दोबारा से झड़ गई और इतने में पापा भी झड़ गये. मुझे ऐसा लगा कि जैसे किसी ने शीशा गरम करके मेरी चूत में डाल दिया हो और वो सबसे अच्छा अहसास था जिसको में किसी भी शब्दों में नहीं लिख सकती. फिर एक दूसरे के शरीर पर हम दोनों पड़े रहे और सो गये.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,429
Threads: 906
Likes Received: 11,320 in 9,384 posts
Likes Given: 22
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
फिर दूसरे दिन सुबह जब में सोकर उठी तो देखा करीब 8 बजे थे और काम वाली बाई भी अब आने वाली थी, इसलिए तुरंत उठकर मैंने चाय बनाई और पापा को जागने चली गयी, पापा जो मेरे ही रूम में सो रहे थे वो बिल्कुल नंगे पड़े हुए थे और उनका लंड खड़ा था और पेट में टेंट बना था. मुझे उसकी शरारत को देखकर हँसी आ गयी कि रात भर इसी ने उपद्रव मचाया था और अब भी यह सिपाही की तरह तनकर खड़ा है, वो सब देखकर मुझे अपनी चूत में एक बार फिर से सुरसुरी सी होने लगी, लेकिन वो मेरी काम वाली बाई शांतबाई के आने का टाइम था, इसलिए पापा को उठाकर और चाय पिलाकर में जैसे ही मुड़ी तो पापा ने मेरा हाथ पकड़ लिया और वो अपने लंड की तरफ इशारा करके बोले इसे भी तो देखो, यह क्या कह रहा है?
तो मैंने पापा को कहा कि काम वाली बाई आने ही वाली है, आप अपने कपड़े पहन लो, लेकिन पापा की ज़िद थी कि इसको एक बार तुम चुप जरुर करा जाओ. तभी मैंने तेज़ी से उनका लंड अपने मुहं में लिया और फिर में जल्दी जल्दी ऊपर नीचे करने लगी. अभी हम किसी मुकाम पर पहुंचे भी नहीं थे कि बाहर घंटी बजी और तुरंत मैंने अपने कपड़े ठीक किए और बाहर की तरफ भागी और बाहर जाकर मैंने देखा तो वो काम वाली बाई का लड़का खड़ा था, वो मुझसे कह रहा था कि आज मम्मी की तबीयत खराब है इसलिए वो आज काम करने नहीं आ पाएगी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,429
Threads: 906
Likes Received: 11,320 in 9,384 posts
Likes Given: 22
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
उसके मुहं से यह बात सुनकर में मन ही मन बहुत खुश हो गई और में भागकर दोबारा पापा के पास चली गई, लेकिन तब तक वो चिराग बुझ चुका था और पापा अपने कपड़े पहनकर बाथरूम में घुस चुके थे और बाथरूम के अंदर से आवाज़ आ रही थी कि ममता मेरा टावल देना तो प्लीज़, मैंने टावल लेकर बाथरूम के बाहर खड़े होकर आवाज़ लगाकर उनसे कहा कि आज काम वाली बाई नहीं आई है, इसलिए टावल बाहर पड़ा है और में किचन में खाना बनाने जा रही हूँ.
तभी वो बोले कि नहीं तुम टावल को अंदर ही दे जाओ, मैंने उनसे कहा कि दरवाजा खोलो और तभी उन्होंने दरवाजा खोल दिया. मैंने देखा कि पापा अपने अंडरवियर में खड़े थे और मेरा अधूरा छोड़ा गया काम वो पूरा कर रहे थे, यानी कि वो मुठ मार रहे थे. फिर मैंने उनसे कहा पापा यह क्या कर रहे हो? तो वो बोले कि कोई काम अधूरा नहीं छोड़ा जाता इसलिए में इसे पूरा कर रहा हूँ.
अब मैंने तुरंत नीचे बैठकर लंड को उनके हाथ से छीनते हुए अपने मुहं में ले लिया और अंदर बाहर करने लगी और जैसे ही में यह काम स्पीड से कर रही थी तो मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे उनका लंड मोटा होता जा रहा है और अब वो मेरे मुहं में समा नहीं पा रहा, लेकिन फिर लंड मेरे मुहं में फिट हो गया और कुछ देर बाद एक ज़ोर से पिचकारी छोड़ते हुए उन्होंने अपना गरम गरम वीर्य मेरे मुहं में भर दिया और मैंने अपने मुहं में लेकर पापा की तरफ देखा तो वो मुस्कुराकर बोले तुम्हारा तो नाश्ता पूरा हो गया. फिर में उसे गटककर हंसकर बोली हाँ पापा अभी यह नाश्ता है और फिर दोपहर को लंड से अपनी चूत की चुदाई करवाकर दिन का खाना लूँगी और आज की सभी डिश तो एक से बढ़कर एक रहेगी, लेकिन समय अलग अलग रहेगा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,429
Threads: 906
Likes Received: 11,320 in 9,384 posts
Likes Given: 22
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
पापा को ऑफिस जाना था, इसलिए में कुछ देर बाद पीछे हट गयी और पापा नहाकर तैयार होने लगे. फिर मैंने कहा कि पापा लंच पर आएँगे या मैंने भूखी रहूंगी? तो पापा ने मेरी तरफ देखा और वो हंसकर बोले अरे में ऑफिस कहाँ जा रहा हूँ, में तो बाहर सिर्फ़ हवा खाने जा रहा हूँ, हाज़री लगाकर में तुरंत लौट आऊंगा और फिर कुछ देर बाद पापा दफ़्तर चले गये. में सोचने लगी जो कुछ हुआ क्या ठीक हुआ? मेरा मन कहता नहीं और कभी कहता कि चलो सब ठीक है. फिर कुछ देर बाद पापा आ गये और वो मुझे लेकर बेडरूम में चले गये और उन्होंने मेरा गाउन खोल दिया और मेरे बूब्स को दबाने लगे. मुझे बड़ा आनंद आ रहा था और मेरी चूत में एक अजीब सी खलबली मची हुए थी,
वो मेरे पूरे बदन को चूम रहे थे कि तभी अचानक से वो बोले क्यों ममता तुम्हारे बूब्स तो तुम्हारी माँ से बहुत बड़े है, क्या तुम कोई दवाई काम में लेती हो या फिर अपने हाथ से खींचती या किसी के हाथ से खिंचवाती हो?
तो मैंने कहा कि नहीं पापा यह सब कुछ प्राक्रतिक है कोई दवाई नहीं, किसी तरह की कोई खिंचाई नहीं. फिर पापा ने मुझे बेड पर लेटा दिया और वो मेरी चूत की फांके खोलकर बहुत ध्यान से देखने लगे और हल्के हल्के चूत में अपनी ऊँगली को अंदर बड़ा रहे थे. मेरी हालत इतनी खराब थी कि मुझे कुछ देर बाद ही झड़ने का अहसास होने लगा और मेरी चूत से निकले रस की वजह से मेरे बाप के हाथ गीले हो गये, वो अपने हाथ चाटने लगे तो मैंने उनसे कहा कि पापा अगर चाटना ही है तो मेरी प्यारी चूत को चाटो.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,429
Threads: 906
Likes Received: 11,320 in 9,384 posts
Likes Given: 22
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
मेरे मुहं से यह बात सुनकर वो तुरंत नीचे झुककर मेरी चूत पर अपनी जीभ को फेरने लगे और चाटने लगे.मेरी चूत पानी छोड़ने लगी फिर में उनका लंड अपने हाथ में लेकर चूमने लगी और हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए और कुछ देर बाद उनका भी वीर्य निकल गया, वो मेरे मुहं में जा रहा था और कुछ देर बाद पापा का लंड मैंने चाट कर टाइट कर दिया अब वो मेरे ऊपर सवारी कर रहे थे और उनका सांप जैसा लंड मेरी चूत रानी के अंदर प्रवेश कर गया और उसके बाद से शुरू हुई धक्कों की भरमार, क्योंकि दोनों का पानी अंदर मिल रहा था और इसलिए मेरी चूत से फट फट और फ़च फ़च की आवाज़े आने लगी थी. मुझे भी अजीब सी ख़ुशी मिल रही थी इसलिए में हल्की आवाज से चीख रही थी और मोन भी कर रही थी उहह्ह्ह अहह्ह्ह्हह ऑचचछ्ह्ह्हह्ह माँ मर गई, लेकिन मुझे मज़ा बहुत आ रहा था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,429
Threads: 906
Likes Received: 11,320 in 9,384 posts
Likes Given: 22
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
08-07-2022, 05:02 PM
(This post was last modified: 08-07-2022, 05:05 PM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
पापा खुद भी अपने लम्बे और मोटे लंड के जोरदार धक्के देकर मुझे लगातार चोदे जा रहे थे उनका लंड बिल्कुल पिस्टन की तरह मेरी चूत में चल रहा था और अंदर बाहर हो रहा था और फिर देखते ही देखते वो झड़ गये और उन्होंने अपना वीर्य अंदर ही डाल दिया, जिसकी वजह से मेरी चूत में ऐसा लगा जैसे किसी ने गरमा गरम लोहा डाल दिया हो मेरी चूत में अब आनंद की कोई सीमा नहीं थी इसलिए में बहुत मस्त थी और अपने पापा से अपनी चुदाई करवा रही थी. तो उसके बाद हम दोनों बहुत ज्यादा थककर एक दूसरे से चिपककर लेटे रहे, लेकिन मेरी चुदाई का यह दौर ऐसे ही चलता रहा और मैंने अपने पापा के लंड से अपने हर एक छेद को उनके वीर्य से पूरा भर दिया बहुत मज़े किए.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,429
Threads: 906
Likes Received: 11,320 in 9,384 posts
Likes Given: 22
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,429
Threads: 906
Likes Received: 11,320 in 9,384 posts
Likes Given: 22
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
(08-07-2022, 05:02 PM)neerathemall Wrote: पापा खुद भी अपने लम्बे और मोटे लंड के जोरदार धक्के देकर मुझे लगातार चोदे जा रहे थे उनका लंड बिल्कुल पिस्टन की तरह मेरी चूत में चल रहा था और अंदर बाहर हो रहा था और फिर देखते ही देखते वो झड़ गये और उन्होंने अपना वीर्य अंदर ही डाल दिया, जिसकी वजह से मेरी चूत में ऐसा लगा जैसे किसी ने गरमा गरम लोहा डाल दिया हो मेरी चूत में अब आनंद की कोई सीमा नहीं थी इसलिए में बहुत मस्त थी और अपने पापा से अपनी चुदाई करवा रही थी. तो उसके बाद हम दोनों बहुत ज्यादा थककर एक दूसरे से चिपककर लेटे रहे, लेकिन मेरी चुदाई का यह दौर ऐसे ही चलता रहा और मैंने अपने पापा के लंड से अपने हर एक छेद को उनके वीर्य से पूरा भर दिया बहुत मज़े किए.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,429
Threads: 906
Likes Received: 11,320 in 9,384 posts
Likes Given: 22
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,429
Threads: 906
Likes Received: 11,320 in 9,384 posts
Likes Given: 22
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,429
Threads: 906
Likes Received: 11,320 in 9,384 posts
Likes Given: 22
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
(08-07-2022, 04:40 PM)neerathemall Wrote: अपने पापा के लम्बा मोटा लंड का प्यार मिला
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
|