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Incest अपने पापा के लम्बा मोटा लंड का प्यार मिला
#1
अपने पापा के लम्बा मोटा लंड का प्यार मिला
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#2
(08-07-2022, 04:40 PM)neerathemall Wrote:
अपने पापा के लम्बा मोटा लंड का प्यार मिला

1घर पर पापा मम्मी की भयंकर चुदाई

जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#3
यह बात अप्रेल 2014 की है.. में अपने माता, पिता को मिलने आगरा गयी हुई थी। हमारा घर बहुत पुराना दो मंजिला बना हुआ है और मेरे माता, पिता का रूम नीचे वाली मंजिल पर है और मेरा रूम ऊपर पहली मंजिल पर है और घर में पुरानी डिज़ाईन की एक रोशनदान बनी हुई है यही कोई 8 फीट की ऊंचाई पर। में किस्मत से अपने माँ, पापा की चुदाई आज़ से लगभग 3 साल पहले ही देख चुकी थी।

पापा, मम्मी को क्या चोद रहे थे जैसे कि एक घोड़ा, घोड़ी को चोद रहा हो। पापा का लम्बा चौड़ा लंड मम्मी की चूत के अंदर बहार हो रहा था , तब मैंने नई नई चुदाई देखी थी और इसलिए में शरम की वजह से ज्यादा देर तक उनकी चुदाई नहीं देख पा रही थी। आज फिर मेरे मन में उनकी चुदाई देखने की लालसा थी.. तो मैंने रात के 10.00 बजे खाना खाकर मम्मी और पापा को गुड नाईट बोला और ऊपर अपने रूम में चली गयी और फिर थोड़ी ही देर में नीचे वाली मंजिल की सभी लाइट बंद हो गई तो मुझे लगा कि अब मम्मी, पापा का चुदाई का कार्यक्रम शुरू होने वाला है और में बेड पर लेटे हुए सोच रही थी कि में आज़ फिर उनकी चुदाई देखूँगी।

में उठकर नीचे वाली मंजिल की खुली छत पर टहलने लग गयी और थोड़ी ही देर में मुझे उनके रूम में से कुछ धीमी धीमी आवाजे सुनाई देने लगी। तो में दबे पैर छत से नीचे आ गयी और नीचे वाली मंजिल के रोशनदन जो कि मेरे कमरे के बिल्कुल पास है.. उसी में से अंदर देखने लगी। मैंने देखा कि मम्मी पूरी नंगी होकर नीचे थी और पापा उनके ऊपर चढ़कर लंड को चूत में धक्का लगा रहे थे और उनका गधे के समान 10 इंच लंबा और 3.5 इंच मोटा काला लंड मम्मी की चूत के अंदर बाहर हो रहा था।

फिर पापा पूरे जोश से एक नौजवान से भी बड़कर बहुत तेज़ी से लंड को उनकी चूत में एक पिस्टन की तरह अंदर बाहर कर रहे थे।
दोस्तों में पिछले चार सालों में लगभग 60 बार चुद चुकी हूँ.. लेकिन मैंने ऐसी दमदार चुदाई कभी नहीं देखी थी। फिर मेरी उंगलियां ना जाने कब मेरे गाऊन के अंदर मेरी चूत तक पहुँच गयी थी और दो उंगलियां तो अब चूत के अंदर बाहर हो रही थी। उधर मम्मी ज़ोर ज़ोर से चिल्ला रही थी कि संजय तुम्हे कितनी बार कहा है कि थोड़ा आराम से चुदाई किया करो.. लेकिन तुम उल्टा ज्यादा तेज़ी से चुदाई शुरू कर देते हो और मुझे बिल्कुल एक गधी की तरह चोद देते हो।

तो यह सुनते ही पापा का जोश और दुगुना हो गया और बोले कि ले गधी ले अब इस गधे का १० इंच लम्बा लंड सम्भाल और दुगनी तेजी से लंड अब चूत के अंदर बाहर करने लगे। मुझे लगता था कि जैसे मम्मी को चुदाई में कोई रूचि ही नहीं थी.. वो तो बुझे मन से कभी आह्ह्ह, कभी ऊहह, कभी मार डाला रे बोल रही थी।

फिर इधर मेरी चूत में अब तीन उंगलियां अंदर बाहर हो रही थी और में सोच रही थी कि काश में मम्मी की जगह चुद रही होती तो कितने मजे से चुदवाती और शायद मम्मी पिछली 28 साल से पापा से चुदकर अब पूरी तरह से ऊब चुकी थी और सिर्फ़ पति घर्म निभाने के लिए चुदवा रही थी।

फिर उधर पापा ने अपनी स्पीड और तेज कर दी और मुझे खिड़की से पापा का लंड और जांघो से मम्मी की चूत के टकराने की आवाज़े ठप, ठप्प, छप बिल्कुल अच्छी तरह सुनाई दे रही थी और हर आवाज़ मुझे पागल सी किए जा रही थी और अब मेरी चारों उंगलियां मेरी चूत में अंदर बाहर हो रही थी और मेरे मुहं से भी अहह ओफ्फ्फ की आवाजे बहुत धीमी आवाज़ में आ रही थी।

फिर मुझे लग रहा था कि अब मेरी चूत का लावा निकलने वाला है और में अपने मुहं से निकलती हुई आवाजों को कंट्रोल नहीं कर पा रही थी.. इसलिए में खिड़की को छोड़कर दबे पैर छत पर आ गयी और अपनी चूत में पूरा हाथ डाल दिया और बहुत तेज़ी से अंदर बाहर करते हुए बहुत ज़ोर से सिसकियाँ कर रही थी।

फिर लगभग 5-7 मिनट के बाद मेरे हाथ रुक गए और में चीख मारकर झड़ गयी और मेरी चूत से शायद आधा ग्लास जूस निकला होगा। यह मेरी ज़िंदगी का सबसे बड़ा झड़ना था और में अपने पूरे हाथ को चूत में डालती फिर बाहर निकलती और पूरे हाथ को अपने मुहं में डाल रही थी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#4
इस तरह मैंने वो आधा ग्लास के लगभग चूत का रस चाट लिया और में अब अपने को बहुत हल्का महसूस कर रही थी.. लेकिन नीचे से आती चुदाई की आवाज़ो ने फिर से मुझे खिड़की के रोशनदान के पास लाकर खड़ा किया और मेरे मन में कोई भी डर या संकोच नहीं था कि में अपने माता, पिता की चुदाई का आनंद ले रही हूँ।

तब मुझे पापा की आवाज़ सुनाई दी.. नेहा रानी अब कुतिया बन ज़ाओ.. में तुम्हे अब पीछे से अपना लोहे जैसा लंबा लंड चूत में डालकर चोदूंगा। तो नेहा रानी का जवाब तो बिल्कुल निराशाजनक जनक था.. में दो बार झड़ चुकी हूँ अब ज़ल्दी से कुतिया बनाकर चोदो और पीछा छोड़ो मेरी इस चूत का।

मम्मी किसी रोबोट की तरह बेड से उठी और बेड के साईड अपने दोनों हाथों से पकड़ कर घोड़ी बन गयी। मुझे उनकी चूत से निकलता हुआ रस उनकी जांघो पर बहता हुआ साफ साफ दिखाई दे रहा था। तो पापा का लंड मम्मी की चूत के जूस से बिल्कुल भीगा हुआ था और एक काला मूसल लग रहा था.. पापा ने अपने दोनों हाथों से मम्मी की जांघो का रस समेट लिया और फटाफट उस रस को अपने मुहं के हवाले किया और चटकारे लेकर चाट गए।

फिर बोले कि ले कुतिया की औलाद मेरे इस खम्बे जैसे लंड को संभाल और अपना लंड फच्च की आवाज़ के साथ मम्मी की चूत में घुसेड़ दिया। तो मम्मी ने ज़ोर की सिसकियों के साथ उस डंडे जैसे काले लंड को अपनी चूत के होल में ले लिया। तो अब पापा फिर से गधे जैसे लंड को बहुत तेज़ी से अंदर बाहर करने लगे और साथ ही साथ थोड़ी देर बाद मम्मी की 44 इंच मोटे चूतड़ पर ज़ोर का थप्पड़ मारते और बोलते मेरी नेहा रानी का अब क्या हाल है?

मम्मी कोई भी जवाब नहीं दे रही थी.. लेकिन वो किसी पत्थर की मूरत की तरह चुपचाप चुद रही थी। तो में मम्मी के इस तरह के व्यहवार को नहीं समझ पा रही थी और मुझे तो बाद में पता चला कि मम्मी की अब सेक्स और चुदाई में कोई रुची नहीं है.. वो तो अब धार्मिक जीवन जीना चाहती है और पापा को यह सब बातों से बहुत चिढ़ थी और वो अपनी जिंदगी को इसी तरह सेक्स करके आगे बड़ाना चाहते थे।

दोस्तों मेरी चूत फिर से गीली होने लगी और मेरा दिल कर रहा था कि मम्मी की जगह में जाकर कुतिया बन ज़ाऊ और पापा के लंड से जबर्दस्त चुदाई करवाऊँ.. लेकिन मेरे मन में पता नहीं कहाँ से ख्याल आया और में तुरंत खिड़की के गोले में लगी हुए काली रेलिंग पर बैठ गयी और उस रेलिंग को पापा का लंड समझकर उस पर अपनी चूत और गांड रगड़ने लग गयी। मेरी चूत के रस ने उस रेलिंग को जैसे नया पेंट कर दिया हो उस तरह चमका दिया। उधर पापा लगातार मम्मी को चूत में ज़ोर ज़ोर से धक्के मार रहे थे और उनका लंड ठप्प ठप की आवाज़े निकालता हुआ मम्मी की चूत में अंदर बाहर हो रहा था। फिर बीच बीच में पापा बड़ी बेरहमी से मम्मी की 40 साईज़ के दोनों खरबूजों को भी दबा देते थे और मम्मी सिर्फ़ गुस्से से पापा को देखकर रह ज़ाती थी।

हर आवाज़ के साथ साथ में और ज्यादा गरम हो रही थी और में अपनी चूत के रस से रेलिंग के पाईप को गीला करती हुई नीचे भी गिरा रही थी और में बहुत हैरान थी कि पापा के अंदर वो कौन सी ताक़त है जो अब तक लगभग 35 मिनट की घमासान चुदाई के बावजूद नहीं झडे थे।

दोस्तों मैंने इतना ताकतवर लंड इस उम्र में किसी का भी नहीं देखा था और मुझे बाद में पता लगा कि पापा योगा करके अपनी सेक्स पावर को ठीक रखते है। मेरी माँ अपनी मर्जी के बगेर नीचे पड़ी पड़ी पापा के लोहे जैसे लंड से चुद रही थी और ऊपर बेटी लोहे के काले पाईप को लंड बनाकर चुद रही थी। फिर में अपनी चूत और गांड को बहुत तेज़ी से पाईप के लंड पर ज़ोर ज़ोर से रगड़ रही थी और मेरे मुहं से अब सिसकियों की आवाज़े आने लगी थी.. इसलिए मैंने तुरंत अपने गाऊन को उतारा और अपने मुहं पर बांध लिया ताकी मेरी चीख मम्मी या पापा ना सुन सके
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#5
फिर अगले 4-5 मिनट में एक ज़ोर की चीख मारकर पाईप के ऊपर ही झड़ गयी और फिर मेरी चूत कोई 3-4 मिनट तक फव्वारे की तरह पानी छोड़ती रही.. इतना पानी कि सारा पाईप तो गीला हो गया और कुछ पानी पाईप से नीचे भी टपक गया था। में उस पानी को फटाफट चाट गयी और इस बीच में शायद अपनी चूत को झाड़ने में इतनी मग्न थी कि मुझे पता ही नहीं लगा कि कब पापा, मम्मी ने चुदाई का पोज़ बदल लिया और अब पापा बेड पर सीधे लेटे हुए थे और मम्मी, पापा के ऊपर चड़ी हुई थी और उनकी चूत को पापा उछल उछलकर फाड़ने की कोशिश कर रहे थे। मम्मी बस एक रोबोट की तरह उनके ऊपर चड़ी हुई थी और बस सिसकियाँ ले रही थी और पापा का लंड उनकी चूत में सटासट अंदर बाहर हो रहा था।

में पिछले 30 मिनट में दो बार झड़ चुकी थी और मेरे पैरों में भी अब ज्यादा देर खड़े रहने की ताकत नहीं थी। में उस पाईप पर नंगी बैठ गयी और उस जबरदस्त चुदाई को देखती रही। तभी मम्मी बोली कि अब निकालो भी अपने लंड से रबड़ी.. में तो अब तीसरी बार झड़ रही हूँ तभी मम्मी के शरीर में जैसे किसी ने बिजली का करंट लगा दिया हो.. उनके शरीर में अकड़ सी हुई और वो चीख मारकर झड़ गई।

में सोच रही थी कि मुझे भी ऐसा लंड मिल जाये तो में अपने आप को बहुत खुशकिस्मत समझूंगी। फिर शायद पापा को अब मम्मी पर तरस आ गया था और वो बोले कि नेहा रानी तुझे तीन पोज़ में चोदने के बावजूद मेरा मन नहीं भरा.. लेकिन में अब झड़ता हूँ और फिर पापा ने मम्मी को अलग किया और तुरंत उनके काले मोटे लंड से बहुत तेज़ी से सफेद रबड़ी निकलकर मम्मी के मुहं, बूब्स और पेट पर गिर रही थी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#6
फिर में बहुत हैरानी से देख रही थी कि पापा का लंड बहुत तेज़ी से सफेद वीर्य की धार छोड़ रहा था। तो मम्मी पास पड़े हुए गाऊन को उठाने के लिए बड़ रही थी कि तभी मम्मी ने अपने दोनों हाथों से उस रबड़ी को लेते हुए अपने मुहं के हवाले कर दिया। मैंने ऐसा नजारा ना आज तक देखा था और ना ही कभी आगे देखने की उम्मीद थी। फिर नीचे अब उनकी चुदाई खत्म हो चुकी थी। मम्मी अपने शरीर को साफ करने के लिए टॉयलेट चली गई थी और पापा नंगे बेड पर लेटे हुए आराम कर रहे थे और मैंने भी अब वहाँ से खिसकने में ही भलाई समझी और दबे पैर अपने रूम में आ गयी और में बहुत थक गई थी इसलिए ज़ल्दी ही नंगी ही सो गयी।
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#7
2म्मी-पापा की चुदाई का खेल देखकर...

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#8
(08-07-2022, 04:47 PM)neerathemall Wrote:
2   मम्मी-पापा की चुदाई का खेल देखकर...

जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#9
रात को अचानक पापा के कमरे की बत्ती जलने से रवि की नींद खुल गई। रवि को पेशाब आने लगा था। दीदी पास ही सो रही थी। रवि ने दरवाजा खोला और बाथरूम में चला गया। बाहर आते ही रवि को खिड़की से अपने पापा की एक झलक दिखी। वो बिलकुल नंगे थे। उसे उत्सुकता हुई कि इस समय पापा नंगे क्यों हैं?

खिड़की पूरी खुली हुई थी, शायद रात के दो बजे उन्हें लगा होगा कि सभी सो रहे होंगे। उसे दूर से सब कुछ साफ़ साफ़ दिख रहा था। उन्होंने अपने हाथ में अपना लण्ड पकड़ा हुआ था और वे मम्मी को जगा रहे थे। रवि को रोमांच हो आया। रवि जल्दी से अपनी ममता दीदी को जगाया और उसे बाहर लेकर आया। उस दृश्य को देखते ही ममता की नींद उड़ गई।

मम्मी जाग गई थी और अपने बाल बांध रही थी। मम्मी खड़ी हो गई और अपने कपड़े उतारने लगी। कुछ ही देर में वो भी नंगी हो गई।

"मम्मी पापा यह क्या कर रहे हैं?" रवि ने उत्सुकतापूर्वक दीदी से फ़ुसफ़ुसा कर पूछा।

"क्या मालूम रवि?" ममता की सांसें उसे देख कर फ़ूलने लगी थी। वो तो सब जानती थी, उसने तो कई बार चुदवा भी रखा था।

तभी मम्मी बिस्तर पर पेट के बल उल्टी लेट गई और अपने चूतड़ ऊपर की ओर घोड़ी बनते हुये उभार लिये।

ममता दीदी ने रवि को देखा, रवि ने भी उसे देखा। ममता की नजरें एक बार तो नीचे झुक गई।

"मम्मी तो जाने क्या करने लगी हैं?" रवि बोला।

तभी पापा ने क्रीम की डिब्बी में से बहुत सी क्रीम निकाली और मम्मी की गाण्ड में लगाने लगे।

"पापा दवाई लगा रहे हैं।" रवि फ़ुसफ़ुसाया।

"नहीं नहीं, वो तो कोल्ड क्रीम है... दवाई नहीं है!" फिर कह कर वो खुद ही झेंप गई।

पापा ने अपनी अंगुली मम्मी की गाण्ड में घुसा दी और अन्दर-बाहर करने लगे। मम्मी के मुख से सी सी जैसा स्वर निकलने लगा। ममता जानती थी कि मम्मी-पापा क्या कर रहे हैं। फिर वही क्रीम पापा ने भी अपने लण्ड पर लगा ली। अब पापा बिस्तर पर चढ़ गये और अपना कड़ा लण्ड धीरे से मम्मी की गाण्ड में डालने लगे। ममता ने रवि की बांह कस कर पकड़ ली। ममता की सांसें तेज हो चली थी। ममता जवान थी, 21 वर्ष की थी, रवि उससे तीन वर्ष ही छोटा था।

"पापा का लण्ड कैसा मोटा और बड़ा है?" ममता ने रवि से कहा।

"लण्ड क्या होता है दीदी?" रवि को कुछ समझ में नहीं आया।

"यह तेरी सू सू है ना? इसे लण्ड कहते हैं! अब चुप हो जा!" ममता ने खीज कर कहा।

पापा ने अपना लण्ड मम्मी की गाण्ड में घुसाने का प्रयत्न किया। पहले तो वो मुड़ मुड़ जा रहा था फिर अन्दर घुस गया। ममता ने अपने हाथ से अपनी उभरी हुई छाती दबा ली और सिसक उठी।

"ममता , क्या हुआ, सीने में दर्द है क्या?" रवि ने ममता की छाती पर हाथ रख कर कहा।

ममता ने उसे मुस्करा कर देखा,"हाँ रवि , यहाँ इन दोनों में दर्द होने लगा है!"

"दीदी, मैं दबा दूँ क्या?"

"देख, ठीक से दबाना ...!" ममता की आँखें चमक उठी।

रवि ने उसका हाथ हटा दिया और शमीज के ऊपर से उसके उरोज दबाने लगा।

"वो देख ना रवि , पापा जोर जोर से मम्मी को चोद रहे हैं!" ममता मतवाली सी होने लगी।

"चल अब सो जायें!"

"अरे नहीं! और दबा ना ... फ़िर चलते हैं। फिर देख ना! पापा मम्मी को कैसे चोद रहे हैं?"

"अरे वो तो जाने क्या कर रहे है, चल ना!"

"तुझे कुछ नहीं होता है क्या? रुक जा ना, तेरा लण्ड तो दिखा ... पापा जैसा है ना?"
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#10
"क्या सू सू ... हाँ वैसी ही है!"

ममता ने रवि का लण्ड पकड़ लिया। वो अनजाने में खड़ा हो चुका था। रवि को पहली बार ही यह विचित्र सा अहसास हो रहा था,"दीदी, छोड़ ना, यह क्या कर रही है?"

"अरे, वो देख...!" उसने पापा की ओर इशारा किया। उनके लण्ड से वीर्य छूट रहा था।

रवि के शरीर में जैसे बिजलियाँ दौड़ने लगी।

वो दोनो कमरे में वापस आ गये। ममता की आँखों में अब नींद कहाँ! उसका शरीर तो मम्मी-पापा को देख कर जलने लगा था। दोनों लेट गये।

"रवि , चल अपन भी वैसे ही करें!" ममता ने वासना से तड़पते हुये कहा।

"सच दीदी ... चल क्रीम ला ... कैसा लगेगा वैसा करने से?" रवि की आँखें चमक उठी। उसके दिल में भी वैसा करने को होने लगा। ममता जल्दी से अपनी क्रीम उठा लाई और उसे खोल कर रवि को दे दिया।

"पर दीदी! नंगा होना क्या जरूरी है, मुझे तो शर्म आयेगी!" रवि असंमजस में पड़ गया।

"हाँ, वो तो मुझे भी होना पड़ेगा! ऐसा करते हैं, अपन दोनों बस चड्डी उतार लेते हैं, फिर क्रीम लगाते हैं, बाकी कपड़े पहने रहते हैं।"

"तू तो शमीज ऊपर कर लेगी, पर मुझे तो पजामा पूरा उतरना पड़ेगा ना?"

"अरे चल ना! इतना तो अंधेरा है, कुछ नहीं दिखेगा, और बस अपन दोनों ही तो हैं!"

रवि ने सहमति में अपना सर हिला दिया। ममता ने तो अपनी कछी उतार ली, पर शमीज पहने रही। रवि को तो नीचे से पूरा नंगा होना पड़ा। पर दोनों को इस कार्य में बहुत आनन्द आ रहा था। ऐसे नंगा होना और फिर क्रीम लगाना ...! सब खेल जैसा लग रहा था। रवि का लण्ड भी अब रोमांचित हो कर कठोर हो गया था। रवि अपनी खाट से उतर कर ममता के पास चला आया था। इस उम्र में भी रवि का लंड अपने पापा जैसा लम्बा और मोटा हो चूका था!

"चल यहाँ लेट जा, अब मम्मी-पापा खेलते हैं। पहले प्यार करेंगे!" ममता उसे अपनी आग में झुलसाना चाहती थी।

उसने रवि को अपने आगोश में ले लिया। रवि को ममता के जिस्म की गर्मी महसूस होने लगी थी। उसका लण्ड भी खड़ा होकर ममता के जिस्म में ठोकर मार रहा था। दोनो लिपट गये, पर लिपटने में फ़र्क था। ममता अपनी चूत उसके लण्ड पर दबाने की कोशिश कर रही थी जबकि रवि उसे प्यार समझ रहा था।

"अब क्रीम लगाएँ...?"

"नहीं रवि , अभी और प्यार करेंगे। तू यह बनियान भी उतार दे!"

"तो आप भी शमीज उतारो दीदी!"

"ओह , यह ले...!" ममता ने अपनी शमीज उतार दी तो रवि ने भी अपनी बनियान उतार दी।

ममता ने रवि का हाथ अपने स्तनों पर रख दिया।

"दबा इसे रवि ... मसल दे इसे!" ममता ने उसके हाथों को अपने स्तनों पर भींचते हुये कहा।

रवि उसके स्तनों को मसलता-मरोड़ता रहा पर उसे तो लण्ड मसले जाने पर ही अधिक मजा आ रहा था।
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#11
"दीदी, क्रीम दो ना, पीछे लगाता हूँ!"

"ओह, हाँ! यह ले!" ममता ने क्रीम उसे थमा दी और मम्मी जैसे पलट कर घोड़ी बन गई।

रवि ने उसके गोल मटोल चूतड़ देख तो सन्न से रह गयान इतने सुन्दर, चिकने, आखिर वो भरी जवानी में जो थी। उसका लण्ड कड़कने लग गया। बार-बार जोर मारने लगा। रवि ने उसकी गाण्ड पर हाथ फ़ेरा तो ममता सीत्कार कर उठी, उसकी गाण्ड के छेद की सलवटें उसे रोमांचित करने लगी।

रवि ने अंगुली में क्रीम लगा कर उसके छेद पर मला और अपनी अंगुली घुसाने का यत्न करने लगा। ममता को गुदगुदी होने लगी। उसने और क्रीम ली और अपनी अंगुली को छेद में दबा दी। वो थोड़ा सा अन्दर घुस गई। ममता ने रवि के घोड़े जैसा लण्ड को पकड़ लिया और ऊपर नीचे दोनों हाथों से ऊपर नीचे चलाने लगी।

"दीदी, बहुत मजा आ रहा है ... करती रहो!" रवि के मुख से सिसकारियाँ निकल रही थी।

"आया ना मजा? अभी और मजा आयेगा, देखना!" ममता के मुख से भी सिसकारी निकल पड़ी।

ममता तो वासना की गुड़िया बन चुकी थी। रवि गाण्ड में अंगुली घुमाता रहा लेकिन फिर उसने बाहर निकाल ली।

ममता ने महसूस किया कि कोशिश करने पर रवि का लण्ड भीतर जा सकता है,"रवि , अब तू पापा की तरह कर, अपना लण्ड मेरी गाण्ड में घुसेड़ दे!"

रवि का लण्ड बहुत सख्त हो चुका था, उसने उसके चूतड़ों को खोल कर लण्ड को छेद पर रखा और दबाने लगा, नहीं गया तो नहीं ही गया।

"अरे रवि , और जोर लगा ना!" ममता की गांड में कुछ कुछ होने लगा.
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#12
ममता ने अपनी गाण्ड ढीली कर दी, पर फिर भी वो नहीं गया। रवि को तकलीफ़ होने लगी थी। तभी ममता ने उसका लण्ड लेकर अपनी चूत में घुसा लिया।

"घुस गया दीदी, और मीठा मीठा सा भी लगा।" रवि खुश हो गया।

ममता ने वैसे ही घोड़ी बने उसके लण्ड को एक झटक जोर से दिया। रवि का लण्ड उसकी चूत में घुसता ही चला गया। ममता आनन्द से सिसक पड़ी।

रवि को भी बहुत आनन्द सा लगा। पर उसे एक जलन सी भी हो रही थी।

"रवि, अब धक्का लगा, धीरे धीरे! समझ गया ना?"

रवि अपने लण्ड में जलन का कारण समझ ना पाया। वो कुछ देर यूँ ही घुटनों के बल खड़ा रहा। फिर उसने धीरे से लण्ड को बाहर खींचा और अन्दर धक्का दे दिया। अब उसे भी मजा आया।

धीरे धीरे उसकी रफ़्तार बढ़ने लगी, उसकी सांसें तेज होने लगी।

रवि ने पहली बार किसी लड़की को चोदा था, पर किस्मत से वो उसकी बहन ही थी।

ममता को तो जैसे घर में ही खजाना मिल गया था, वो बड़ी लगन से अपने छोटे भाई से चुदवा रही थी, रवि भी बेसुध हो कर उसे चोद रहा था। बड़ी बहन के होते हुए वो अच्छा-बुरा भला क्यों सोचता। तभी ममता की चूत ने पानी छोड़ दिया और वो झड़ने लगी। रवि भी जोर जोर चोदते हुये बोल रहा था,"दीदी, मुझे पेशाब लगी है!"

"अरे ऐसे ही मूत दे ... बहुत मजा आयेगा!"
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#13
रवि ने बहन का कहा मान कर अपनावीर्य उस्की चूत मे चोड दिया  फिर उसे अब मूत्र भी आने लगा। वह फिर से बहन के कहे अनुसार उसकी गाण्ड के गोलों पर अपना मूत्र-विसर्जन करने लगा।
"अरे बस ना, यह क्या कर रहा है?"
रवि तो मूतता ही गया। उसे पूरा मूत्र से भिगा दिया। वो शान्ति से मूत्र से नहाती रही। शायद यह उसके लिये आनन्ददायी था।
"बस हो गया ना?"
"हाँ दीदी, पूरा मूत दिया। पर यह बिस्तर तो पूरा भीग गया है!" रवि ने चिन्ता जताई।
"चल मेरे बिस्तर पर सो जाना!" ममता ने उसे सुझाया।
दोनों ही ममता के बिस्तर पर जा कर सो गये। सुबह दोनों ही देर से उठे।
"तू ममता के बिस्तर पर क्या कर रहा है?" मम्मी की गरजती हुई आवाज आई।
"मम्मी, रवि ने अपना बिस्तर गीला कर दिया है" ममता ने नींद में कहा।
"क्या?"
"सॉरी मम्मी, रात को सपने में पेशाब कर रहा था, तो सच में ही बिस्तर में कर दिया" रवि जल्दी से उठ कर बैठ गया। मम्मी जोर से हंस पड़ी।
"अच्छा चल अब चाय पी लो!" मम्मी हंसते हुए चली गई।
मम्मी भाई-बहन का प्यार देख कर खुश थी पर वो नहीं जानती थी कि उन्होंने तो रात को मम्मी-पापा का खेल खेला है। रवि मुझे देख कर झेंप गया।
"सॉरी दीदी, रात को अपन जाने क्या करने लगे थे?" रवि सर झुका कर कह रहा था। वो समझ गया था कि उसने दीदी को चोद दिया है।
"चुप बे सॉरी के बच्चे! आज रात को देख! मैं तेरा क्या हाल करती हूँ?" ममता ने खिलखिला कर कहा।
"दीदी, आज रात को फिर से वही खेल खेलेंगे, ओह दीदी, तुम बहुत अच्छी हो।" कह कर रवि ममता से लिपट गया।
मम्मी मेज पर बैठी दोनों को आवाजें लगा रही थी,"अब सुस्ती छोड़ो, चलो नाश्ता कर लो!"
दोनों एक-दूसरे को देख कर बस मुस्करा दिए और जल्दी से बाथरूम की ओर भागे।
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#14
(08-07-2022, 04:40 PM)neerathemall Wrote:
अपने पापा के लम्बा मोटा लंड का प्यार मिला

3पापा के मोटे लंड से चूत
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#15
कानपुर से ममता अरोरा आज में आप के सामने अपनी एक अनोखी चुदाई की कहानी लेकर आई
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#16
स रात की बात है जब कानपुर में 24 घंटे से लाइट नहीं आ रही थी और शायद वो अमावस्या की रात थी, वो बिल्कुल काली और बादलो से घिरी हुए जिसके बीच बीच में बादल भी गरज रहे थे. दोस्तों वैसे तो मेरे पापा हर दिन शाम के करीब 6 बजे तक घर पर आ जाते है, लेकिन ना जाने क्यों उस रात के दस बज रहे थे और मेरे पापा का कहीं भी कोई पता नहीं था, उनका मोबाइल भी बंद था और मेरी बहुत कोशिश के बाद भी उनका कुछ पता नहीं चल पा रहा था. मैंने उसने ऑफिस में भी फोन किया तो कोई वहां पर भी फोन उठा नहीं रहा था. में बहुत परेशान थी और बादलों की उन जोरदार घड़घड़ाहट की वजह से मेरा मन बार बार कांप उठता और बाहर बड़ी ग़ज़ब की बरसात हो रही थी और बार बार बदल ज़ोर ज़ोर से आवाज करके मुझे डरा रहे थे और अब दस बजने को थे कि तभी अचनाक दरवाजे पर दस्तक हुई. फिर मैंने खिड़की खोलकर देखा तो दरवाजे पर एक रिक्शे वाला खड़ा हुआ था और में उसको देखकर डर गयी और अब में मन में भगवान को याद करने लगी और सोचने लगी कि यह कौन है?
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#17
फिर टॉर्च की रोशनी में देखा तो बाहर मेरे पापा भी थे और एक रिक्शे वाला उन्हे अपने रिक्शे से उतारने की कोशिश कर रहा था. फिर मैंने आगे बढ़कर दरवाजा खोला और उस रिक्शे से अपने पापा को उतारा, वो बिल्कुल भीगे हुए थे और बहुत नशे में थे. में उनको इस हालत में देखकर बड़ी हैरान थी, क्योंकि मेरे पापा को इससे पहले मैंने कभी भी इस हालत में नहीं देखा था. फिर में पापा को अपने साथ लेकर अंदर आ गयी और मैंने उनको अपने कमरे में बैठा दिया. उसके बाद मैंने एक एक करके उनके गीले कपड़े उतारने शुरू किए शर्ट और बनियान को उतारकर मैंने उनके बदन को टावल से रगड़ रगड़कर सूखा दिया और अचानक उनकी पेंट के चेन भी खोल दी, लेकिन वो इतने ज्यादा नशे में थे कि उनको पता ही नहीं चल रहा था कि में क्या कर रही हूँ.

उनकी चेन खोलने के बाद मैंने पेंट को नीचे उतार दिया तो मैंने देखा कि उनका अंडरवियर भी बिल्कुल भीगा हुआ था, इसलिए मैंने उसको भी उतार दिया, लेकिन उसके बाद अंदर से जो सब मैंने देखा उसको देखते ही मेरे बदन में ४४० वॉल्ट के करंट का झटका लगा और मेरे पूरे बदन में अजीब सी सुरसुरी होने लगी. फिर जैसे ही में उनका बदन उसके बाद अब पैरों को साफ कर रही थी तो मेरा हाथ गलती से उनके गधे जैसा लम्बे और मोटे लंड पर चला जाता और वो लंड महोदय अब खड़े होने की तरफ बढ़ने लगे और देखते ही देखते वो अपने पूरे शबाब पर आ गए और तनकर मेरे सामने खड़े हो गए. पापा का लंड का सुपाडा बहुत मोटा आल्लू जैसा था अब में कभी पापा को देखती जो अभी भी उसी मदहोशी में थे और कभी उनके लंड को देखती जो पूरी तरह से तैयार था और खंबे की तरह तनकर खड़ा था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#18
मैंने पहले भी पापा की अलमारी को खोलकर कई सेक्स की किताबे पड़ी थी और अब मेरा मन ललचाने लगा और सभी रिश्तों को भुलाकर मेरा मन हो रहा था कि में उनके लंड को चूस लूँ,
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#19
लेकिन वो मेरे बाप थे और में उनकी लड़की तो ऐसा कर पाना संभव नहीं था इसलिए में अपने मन की इच्छाओ को मारने की कोशिश करने लगी, लेकिन अंत में सेक्स जीत गया और में उनके लंड को अपने मुहं में लेकर उसको धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगी. उसके कुछ देर बाद धीरे धीरे मेरी स्पीड बढ़ गई में ज़ोर ज़ोर से उनके लंड को अपने मुहं में अंदर बाहर करने लगी और देखते ही देखती करीब दस मिनट के बाद मुझे ऐसा लगा कि जैसे मेरे मुहं में मेरे पापा का वीर्य था जो करीब 50 ग्राम तो होगा ही उसकी वजह से मेरा पूरा मुहं भर गया और में वीर्य को निगलने लगी.

मुझे ऐसा करने में बहुत ही मज़ा आ रहा था, क्योंकि मैंने ज़िंदगी में पहली बार किसी के वीर्य को देखा और उसको महसूस करके अपने मुहं में लिया था. ना वो बहुत मीठा ना बहुत तीखा बिल्कुल बेस्वाद सा, लेकिन उसको निगलना ही मुझे अच्छा लगा तो इसलिए मैंने उसको निगल लिया.
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#20
अब में पूरी तरह से सफाई करके पापा को कपड़े पहनाने लगी और इस पूरी प्रतिक्रिया में मेरा क्या हाल था?मेरे शरीर का एक एक अंग हिला जा रहा था और मेरे निप्पल बिल्कुल तनकर खड़े थे और मेरी चूत का हाल भी बड़ा बुरा था, वो तप तपकर बह रही थी, लेकिन में क्या कर सकती थी पहले अपने बाप को ठीक कर लूँ उसके बाद में अपनी सुध लूँगी, क्योंकि अब तो पापा का लंड भी झड़कर पूरा ढीला पड़ गया था ढीला लंड भी सात इंच का लंग रहा था इसलिए मेरी चुदाई का तो सवाल ही नहीं था और मुझे अपनी चुदाई अधूरी रहने का डर भी मन ही मन सता रहा था.

अब पापा को पजामा पहनाकर ऊपर शर्ट पहनाकर में किचन में चली गयी और जल्दी से कुछ खाकर पापा के पास आ गई और फिर में उनकी देखभाल के लिए उनके पास ही बैठ गई. फिर करीब दो घंटे हो गये होगे उसके बाद मेरी आँख लग गयी और में पापा पर ही बेहोश होकर पड़ गयी. फिर जब मुझे होश आया तो पापा को भी होश आ चुका था और वो कुछ होश में आ रहे थे, लेकिन दोस्तों अब इस हादसे के बाद मेरी हालत बहुत खराब थी, मैंने पापा को जगाया और उनसे पूछा कि आपके क्या हाल है? वो धीरे से बोले कि ठीक है इतना सुनते ही में पलटी और अपने रूम की तरफ जाने लगी. तो पापा ने मुझसे कहा कि आज तुम भी इधर ही सो जाओ.
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