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Incest मेरी बड़ी बहन की कातिल जवानी
#61
“हाय राजू….सीईई…ई…उफ्फ्फ्फ्फ्फ….चूस ले…..पूरा रस चूस…..मजा आ रहा है….तेरी दीदी को बहुत मजा आ रहा है भाई…..हाय तू तो चूची को क्रिकेट की गेंद समझ कर दबा रहा है.मेरे निप्पल क्या मुंह में ले चूस….तू बहुत अच्छा चूसता है….हाय मजा आ गया भाई….पर क्या तू चूची ही चूसता रहेगा…..बूर नहीं देखेगा अपनी दीदी की चुत नहीं देखनी है तुझे…..हाय उस समय से मरा जा रहा था और अभी….जब चूची मिल गई तो उसी में खो गया है….हाय चल बहुत दूध पी लिया…..अब बाद में पीना” मेरा मन अभी भरा नहीं था इसलिए मैं अभी भी चूची पर मुंह मारे जा रहा था. इस पर दीदी ने मेरे सर के बालों को पकड़ कर पीछे की तरफ खींचते हुए अपनी चूची से मेरा मुंह अलग किया और बोली

“साले….हरामी….चूची…छोड़….कितना दूध पिएगा….हाय अब तुझे अपनी निचे की सहेली का रस पिलाती हु….चल हट माधरचोद…..” गाली देने से मुझे अब कोई फर्क नहीं पड़ता था क्योंकि मैं समझ गया था की ये तो दीदी का शगल है और शायद मार भी सकती है अगर मैं इसके मन मुताबिक ना करू तो. पर दुधारू गाये की लथार तो सहनी ही परती है. इसकी चिंता मुझे अब नहीं थी. दीदी लगता था अब गरम हो चूँकि थी और चुदवाना चाहती थी.मैं पीछे हट गया और दीदी के पेट पर चुम्मा ले कर बोला “हाय दीदी बूर का रस पिलाओगी…हाय जल्दी से खोलो ना…” दीदी पेटिको़ट के नाड़े को झटके के साथ खोलती हुई बोली “हा राजा मेरे प्यारे भाई….
अब तो तुझे पिलाना ही पड़ेगा…ठहर जा अभी तुझे पिलाती अपनी चुत पूरा खोल कर उसकी चटनी चटाऊंगी फिर…देखना तुझे कैसा मजा आता है….” पेटिको़ट सरसराते हुए निचे गिरता चला गया पैंटी तो पहनी नहीं थी इसलिए पेटिको़ट के निचे गिरते ही दीदी पूरी नंगी हो गई. मेरी नजर उनके दोनों जन्घो के बीच के तिकोने पर गई. दोनों चिकनी मोटी मोटी रानो के बीच में दीदी की बूर का तिकोना नज़र आ रहा था. चुत पर हलकी झांटे उग आई थी. मगर इसे झांटो का जंगल नहीं कह सकते थे. ये तो चुत की खूबसूरती को और बढा रहा था.उसके बीच दीदी की गोरी गुलाबी चुत की मोटी फांके झांक रही थी. दोनों जांघ थोड़ा अलग थे फिर भी चुत की फांके आपस में सटी हुई थी
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#62
और जैसा की मैंने बाथरूम में पीछे से देखा था एक वैसा तो नहीं मगर फिर भी एक लकीर सी बना रही थी दोनों फांके. दीदी की कमर को पकड़ सर को झुकाते हुए चुत के पास ले जाकर देखने की कोशिश की तो दीदी अपने आप को छुड़ाते हुए बोली “हाय…भाई ऐसे नहीं….ऐसे ठीक से नहीं देख पाओगे….दोनों जांघ फैला कर अभी दिखाती हूँ…फिर आराम से बैठ कर मेरी बूर को देखना और फिर तुझे उसके अन्दर का माल खिलाउगीं…घबरा मत भाई…मैं तुझे अपनी चुत पूरा खोल कर दिखाउंगी और…।

उसकी चटनी भी चटाउगीं…चल छोड़ कहते हुए पीछे मुड़ी. पीछे मुड़ते ही दीदी गुदाज चुत्तर और गांड मेरी आँखों के सामने नज़र आ गए. दीदी चल रही थी और उसके दोनों चुत्तर थिरकते हुए हिल रहे थे और आपस में चिपके हुए हिलते हुए ऐसे लग रहे थे जैसे बात कर रहे हो और मेरे लण्ड को पुकार रहे हो.लौड़ा दुबारा अपनी पूरी औकात पर आ चूका था और फनफना रहा था. दीदी ड्रेसिंग टेबल के पास रखे गद्देदार सोफे वाली कुर्सी पर बैठ गई और हाथो के इशारे से मुझे अपने पास बुलाया और बोली “हाय…भाई…आ जा तुझे मजे करवाती हूँ ….अपने मालपुए का स्वाद चखाती हूँ….देख भाई मैं इस कुर्सी के दोनों हत्थों पर अपनी दोनों टांगो को रख कर जांघ टिका कर फैलाऊंगी ना तो मेरी चुत पूरी उभर कर सामने आ जायेगी और फिर तुम उसके दोनों फांको को अपने हाथ से फैला कर अन्दर का माल चाटना….इस तरह से तुम्हारी जीभ पूरा बूर के अन्दर घुस जायेगी….ठीक है भाई…आ जा….जल्दी कर….
अभी एक पानी तेरे मुंह में गिरा देती हूँ फिर तुझे पूरा मजा दूंगी….” मैं जल्दी से बिस्तर छोर दीदी की कुर्सी के पास गया और जमीं पर बैठ गया. दीदी ने अपने दोनों पैरो को सोफे के हत्थों के ऊपर चढा कर अपनी दोनों जांघो को फैला दिया. रानो के फैलते ही दीदी की चुत उभर कर मेरी आँखों के सामने आ गई. उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़….क्या खूबसूरत चुत थी. गोरी गुलाबी….काले काले झांटो के जंगल के बीच में से झांकती ऐसी लग रही थी जैसे बादलो के पीछे से चाँद मुस्कुरा रहा है.एक दम पावरोटी के जैसी फूली हुई चुत थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#63
दोनों पैर कुर्सी के हत्थों के ऊपर चढा कर फैला देने के बाद भी चुत के दोनों होंठ अलग नहीं हुए थे. चुत पर ऊपर के हिस्से में झांटे थी मगर निचे गुलाबी कचौरी जैसे होंठो के आस पास एक दम बाल नहीं थे. मैं जमीन पर बैठ कर दीदी के दोनों रानो पर दोनों हाथ रख कर गर्दन झुका कर एक दम ध्यान से दीदी की चुत को देखने लगा. चुत के सबसे ऊपर में किसी तोते के लाल चोंच की तरह बाहर की तरफ निकली हुई दीदी के चुत का भागनाशा था. कचौरी के जैसी चुत के दोनों फांको पर अपना हाथ लगा कर दोनों फांको को हल्का सा फैलाती हुई दीदी बोली “राजू….ध्यान से देख ले….अच्छी तरह से अपनी दीदी की बूर को देख बेटा….

चुत फैला के देखेगा तो तुझे….पानी जैसा नज़र आएगा….उसको चाट का अच्छी तरह से खाना….चुत की असली चटनी वही है….” दीदी के चुत के दोनों होंठ फ़ैल और सिकुर रहे थे. मैंने अपनी गर्दन को झुका दिया और जीभ निकल कर सबसे पहले चुत के आस पास वाले भागो को चाटने लगा. रानो के जोर और जांघो को भी चाटा. जांघो को हल्का हल्का काटा भी फिर जल्दी से दीदी की चुत पर अपने होंठो को रख कर एक चुम्मा लिया और जीभ निकाल कर पूरी दरार पर एक बार चलाया. जीभ छुलाते ही दीदी सिसया उठी
और बोली “सीईई….बहुत अच्छा भाई…तुम्हे आता है…मुझे लग रहा था की सिखाना पड़ेगा मगर तू तो बहुत होशियार है….हाय….बूर चाटना आता है…. ऐसे ही….राजू तुने शुरुआत बहुत अच्छी की है….अब पूरी चुत पर अपनी जीभ फिराते हुए…॥मेरी बूर की टीट को पहले अपने होंठो के बीच दबा कर चूस…देख मैं बताना भूल गई थी….चुत के सबसे ऊपर में जो लाल-लाल निकला हुआ है ना….उसी को होंठो के बीच दबा के चूसेगा….तब मेरी चुत में रस निकलने लगेगा….फिर तू आराम से चाट कर चूसना….सीईईई…..राजू मैं जैसा बताती हूँ वैसा ही कर….” मैं तो पहले से ही जानता था की टीट या भागनाशा क्या होती है.
मुझे बताने की जरुरत तो नहीं थी पर दीदी ने ये अच्छा किया था की मुझे बता दिया था की कहाँ से शुरुआत करनी है. मैंने अपने होंठो को खोलते हुए टीट को मुंह में भर कर चूसना शुरू कर दिया. टीट को होंठो के बीच दबा कर अपनी दांतों से हलके हलके काटते हुए मैं उस पर अपने होंठ रगर रहा था. टीट और उसके आस पास ढेर सारा थूक लग गया था और एक पल के लिए जब मैंने वह से अपना मुंह हटाया तो देखा की मेरी चुसाई के कारण टीट चमकने लगी है. एक बार और जोर से टीट को पूरा मुंह में भर कर चुम्मा लेने के बाद मैंने अपनी जीभ को करा करके पूरी चुत की दरार में ऊपर से निचे तक चलाया और फिर चुत के एक फांक को अपने दाहिने हाथ की उँगलियों से पकर कर हल्का सा फैलाया. चुत की गुलाबी छेद मेरी आँखों के सामने थी.
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#64
जीभ को टेढा कर चुत के मोटे फांक को अपने होंठो के बीच दबा कर चूसने लगा. फिर दूसरी फांक को अपने मुंह में भर कर चूसा उसके बाद दोनों फांक को आपस में सटा कर पूरी चुत को अपने मुंह में भर कर चूसने लगा. चुत से रिस रिस कर पानी निकल रहा था और मेरे मुंह में आ रहा था. चुत का नमकीन पानी शुरू में तो उतना अच्छा नहीं लगा पर कुछ देर के बाद मुझे कोई फर्क नहीं पर रहा था और मैं दुगुने जोश के साथ पूरी चुत को मुंह में भर कर चाट रहा था.दीदी को भी मजा आ रहा था और वही कुर्सी पर बैठे-बैठे अपने चुत्तारो को ऊपर उछालते हुए वो जोश में आ कर मेरे सर को अपने दोनों हाथो से अपनी चुत पर दबाते हुए बोली “हाय राजू….बहुत अच्छा कर रहा है उछालते हुए वो जोश में आ कर मेरे सर को अपने दोनों हाथो से अपनी चुत पर दबाते हुए बोली “हाय राजू….बहुत अच्छा कर रहा है….राजा…..हाय……सीईई….बड़ा मजा आ रहा है….

हाय मेरी चुत के कीड़े….मेरे सैयां…..ऊऊऊउ…सीईईइ…..खाली ऊपर-ऊपर से चूस रहा है…. बहनचोद….जीभ अन्दर घुसा कर चाट ना…..बूर में जीभ पेल दे और अन्दर बाहर कर के जीभ से मेरी चुत चोदते हुए अच्छी तरह से चाट….अपनी बड़ी बहन की चुत अच्छी तरह से चाट मेरे राजा….माधरचोद….ले ले…..ऊऊऊऊ……इस्स्स्स्स्स…घुसा चुत में जीभ….मथ….दे…….” कविता दीदी बहुत जोश में आ चुकी थी और लग रहा था की उनको काफी मजा आ रहा है. उनके इतना बोलने पर मैंने दोनों हाथो की उँगलियों से दोनों फान्को को अलग कर के अपनी जीभ को कड़ा करके चुत में पेल दिया.
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जीभ को चुत के अन्दर बाहर करते हुए लिबलिबाने लगा और बीच बीच में बूर से चूते रस को जीभ टेढा करके चूसने लगा.दीदी की दोनों जांघे हिल रही थी और मैं दोनों जांघो को कस कर हाथ से पकर कर चुत में जीभ पेल रहा था. जांघो को मसलते हुए बीच बीच में जीभ को आराम देने के लिए मैं जीभ निकल कर जांघो और उसके आस-पास चुम्मा लेने लगता था. मेरे ऐसा करने पर दीदी जोर से गुर्राती और फिर से मेरे बालों को पकर कर अपनी चुत के ऊपर मेरा मुंह लगा देती थी. दीदी मेरी चुसी से बहुत खुश थी और चिल्लाती हुई बोल रही थी “हाय….राजा…जीभ बाहर मत निकालो….हाय बहुत मजा आ रहा है…ऐसे ही….
बूर के अन्दर जीभ डाल के मेरी चुत मथते रहो….हाय चोद….दे माधरचोद….अपनी जीभ से अपनी दीदी की बूर चोद दे….हाय सैयां….बहुत दिनों के बाद ऐसा मजा आया है….इतने दिनों से तड़पती घूम रही थी….हाय हाय….अपनी दीदी की बूर को चाटो….मेरे राजा….मेरे बालम…. तुझे बहुत अच्छा इनाम दूंगी…. भोसड़ीवाले…..तेरा लौड़ा अपनी चुत में लुंगी….आजतक तुने किसी की चोदी नहीं है ना….तुझे चोदने का मौका दूंगी….अपनी चुत तेरे से मरवाऊगीं….मेरे भाई…..मेरे सोना मोना….मन लगा कर दीदी की चुत चाट….मेरा पानी निकलेगा….तेरे मुंह में….हाय जल्दी जल्दी चाट….पूरा जीभ अन्दर डाल कर सीईई…..”.
दीदी पानी छोरने वाली है ये जान कर मैंने अपनी पूरी जीभ चुत के अन्दर पेल दी और अंगूठे को टीट के उ़पर रख कर रगरते हुए जोर जोर से जीभ अन्दर बाहर करने लगा. दीदी अब और तेजी के साथ गांड उछल रही थी और मैं लप लप करते हुए जीभ को अन्दर बाहर कर रहा था. कुत्ते की तरह से दीदी की बूर चाटते हुए टीट को रगरते हुए कभी कभी दीदी की चुत पर दांत भी गरा देता था, मगर इन सब चीजों का दीदी के ऊपर कोई असर नहीं पर रहा था

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#65
और वो मस्ती में अब गांड को हवा में लहराते हुए सिसया रही थी “हाय मेरा निकल रहा है….हाय भाई…निकल रहा है मेरा पानी….पूरा जीभ घुसा दे….साले…..बहुत अच्छा….ऊऊऊऊऊ…..सीईईईईईइ….मजा आ गया राजा…मेरे चुत चाटू सैयां….मेरी चुत पानी छोर रही है………..इस्स्स्स्स्स्स्स्स……मजा आ गया….बहनचोद….पी ले अपनी दीदी के बूर का पानी….हाय चूस ले अपनी दीदी की जवानी का रस…..ऊऊऊऊ…….गांडू……” दीदी अपनी गांड को हवा में लहराते हुए झरने लगी और उनकी चुत से पानी बहता हुआ मेरी जीभ को गीला करने लगा. मैंने अपना मुंह दीदी की चुत पर से हटा दिया और अपनी जीभ और होंठो पर लगे चुत के पानी को चाटते हुए दीदी को देखा. वो अपनी आँखों को बंद किये शांत पड़ी हुई थी और अपनी गर्दन को कुर्सी के पुश्त पर टिका कर ऊपर की ओर किये हुए थी.

उनकी दोनों जांघे वैसे ही फैली हुई थी. पूरी चुत मेरी चुसाई के कारण लाल हो गई थी और मेरे थूक और लार के कारण चमक रही थी. दीदी आंखे बंद किये गहरी सांसे ले रही थी और उनके माथे और छाती पर पसीने की छोटी-छोटी बुँदे चमक रही थी. मैं वही जमीन पर बैठा रहा और दीदी की चुत को गौर से देखने लगा. दीदी को सुस्त परे देख मुझे और कुछ नहीं सूझा तो मैं उनके जांघो को चाटने लगा. चूँकि दीदी ने अपने दोनों पैरों को मोड़ कर जांघो को कुर्सी के पुश्त से टिका कर रखा हुआ था इसलिए वो एक तरह से पैर मोड़ कर अधलेटी सी अवस्था में बैठी हुई थी और दीदी की गांड मेरा मतलब है चुत्तर आधी कुर्सी पर और आधी बाहर की तरफ लटकी हुई थी.
ऐसे बैठने के कारण उनके गांड की भूरी छेद मेरी आँखों से सामने थी. छोटी सी भूरे रंग की सिकुरी हुई छेद किसी फूल की तरह लग रही थी और लिए अपना सपना पूरा करने का इस से अच्छा अवसर नहीं था. मैं हलके से अपनी एक ऊँगली को दीदी की चुत के मुंह के पास ले गया और चुत के पानी में अपनी ऊँगली गीली कर के चुत्तरों के दरार में ले गया. दो तीन बार ऐसे ही करके पूरी गांड की खाई को गीला कर दिया फिर अपनी ऊँगली को पूरी खाई में चलाने लगा.
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#66
मेरी बड़ी बहन की कातिल जवानी Angry


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क्यों की दिन भर उनकी समीज के ऊपर से उनके चुचियों के निप्पल को मैं देखता रहा था.दोनों चूचियां आजाद हो चुकी थी और कमरे में उनके बदन से निकल रही पसीने और परफ्यूम की मादक गंध फ़ैल गई. मेरे से रुका नहीं गया. मैंने झपट कर दीदी को अपनी बाँहों में भरा और निचे लिटा कर उनके होंठो गालो और माथे को चुमते हुए चाटने लगा. मैं उनके चेहरे पर लगी पसीने की हर बूँद को चाट रहा था और अपने जीभ से चाटते हुए उनके पुरे चेहरे को गीला कर रहा था. दीदी सिसकते हुए मुझ से अपने चेहरे को चटवा रही थी. चेहरे को पूरा गीला करने के बाद मैं गर्दन को चाटने लगा फिर वह से छाती और चुचियों को अपनी जुबान से पूरा गीला कर मैंने दीदी के दोनों हाथो को पकड़ झटके के साथ उनके सर के ऊपर कर दिया. उनकी दोनों कांख मेरे सामने आ गई.

कान्खो के बाल अभी भी बहुत छोटे छोटे थे. हाथ के ऊपर होते ही कान्खो से निकलती भीनी-भीनी खुश्बू आने लगी. मैं अपने दिल की इच्छा पूरी करने के चक्कर में सीधा उनके दोनों छाती को चाटता हुआ कान्खो की तरफ मुंह ले गया और उसमे अपने मुंह को गार दिया.कान्खो के मांस को मुंह में भरते हुए चूमने लगा और जीभ निकाल कर चाटने लगा. कांख में जमा पसीने का नमकीन पानी मेरे मुंह के अन्दर जा रहा था मगर मेरा इस तरफ कोई ध्यान नहीं था. मैं तो कांख के पसीने के सुगंध को सूंघते हुए मदहोश हुआ जा रहा था. मुझे एक नशा सा हो गया था मैंने चाटते-चाटते पूरी कांख को अपने थूक और लार से भींगा दिया था. दीदी चिल्लाते हुए गाली दे रही थी
“हाय हरामी….सीईईइ…ये क्या कर रहा है…..चूतखोर…..सीई….बेशरम…..कांख चाटने का तुझे कहा से सूझा…..उफ्फ्फ्फ्फ्फ….पूरा पसीने से भरा हुआ था….साला मुझे भी गन्दा कर रहा है….. हाय पूरा थूक से भींगा दिया….हाय माधरचोद….ये क्या कर रहा है….उफ्फ्फ्फ्फ्फ….हाय मेरे पुरे बदन को चाट रहा है…..हाय भाई……तुझे मेरे बदन से रस टपकता हुआ लगता है क्या…..हाय…… उफ्फ्फ्फ्फ्फ….” मुझे इस बात की चिंता नहीं थी की दीदी क्या बोल रही है. मैं दुसरे कांख को चाटते हुए बोला “हाय दीदी…तेरा बदन नशीला है…उम्म्म्म्म्म्म्म…..बहुत मजेदार है….तू तो रसवंती है….रसवंती….तेरे बदन को चाटने से जितना मजा मुझे मिलता है उतना एक बार बियर पी थी तब भी नहीं आया था….
हाय…..दीदी तुम्हारी कान्खो में जो पसीना रहता है उसकी गंध ने मुझे बहुत बार पागल किया है…..हाय आज मौका मिला है तो नहीं छोरुगा….तुम्हारे पुरे बदन को चाटूंगा…..गांड में भी अपनी जुबान डालूँगा…हाय दीदी आज मत रोकना मुझे….मैं पागल हो गया हूँ…..उम्म्म्म्म्म्म्म्म….” दीदी समझ गई की मैं सच में आज उनको नहीं छोड़ने वाला.उनको भी मजा आ रहा था. उन्होंने अपना पूरा बदन ढीला छोर दिया था और मुझे पूरी आजादी दे दी थी. मैं आराम से उनके कान्खो को चाटने के बाद धीरे धीरे निचे की तरफ बढ़ता चला गया और पेट की नाभि को चाटते हुए दांतों से सलवार के नारे को खोल कर खीचने लगा. इस पर दीदी बोली
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#67
(07-07-2022, 04:02 PM)neerathemall Wrote:
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#68
(07-07-2022, 04:11 PM)neerathemall Wrote:
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#69
(07-07-2022, 03:14 PM)neerathemall Wrote:
[Image: indian+cutie.jpg]

(07-07-2022, 03:21 PM)neerathemall Wrote:
[Image: indian+homemade+%25281%2529.jpg]

(07-07-2022, 03:22 PM)neerathemall Wrote:
[Image: REAL+DESI+gf+CUTE+cute+%25281%2529.jpg]

(07-07-2022, 03:39 PM)neerathemall Wrote:
[Image: 9ec9baa4211b3b74a702c093af1d7b9d64de636b.webp]

(07-07-2022, 03:50 PM)neerathemall Wrote:
[Image: REAL+DESI+gf+CUTE+%25282%2529.jpg]

(07-07-2022, 04:08 PM)neerathemall Wrote:
[Image: indian+cutie+%25282%2529.jpg]

(07-07-2022, 04:11 PM)neerathemall Wrote:
[Image: indian+homemade+%25282%2529.jpg][Image: indian+homemade+%25282%2529.jpg]


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#70
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#71
Nice story
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#72
(25-02-2024, 02:22 PM)sri7869 Wrote: Namaskar Nice story

Namaskar Namaskar thanks
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#73
सगी बहन की
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#74
(08-03-2024, 03:11 PM)neerathemall Wrote:
सगी बहन की

हमेशा से अपनी बहन को गंदी नज़रों से देखता आ रहा हूँ, वो है ही इतनी कमसिन कली कि किसी का भी लंड खड़ा कर दे.
मेरी घर में चार लोग रहते हैं. मैं, मेरे पापा-मम्मी और मेरी बड़ी बहन. मेरी बड़ी बहन का नाम संगीता है.
घर में सभी लोग उसे प्यार से संगो कहते हैं.

संगो की उम्र 21 साल की है. वो बहुत खूबसूरत और सेक्सी है.
मेरी बहन का फ़िगर बहुत ही हॉट है. उसकी बड़ी गांड और तने मम्मों को देख कर हमेशा ही मेरा लंड खड़ा हो जाता था.

मैं जब भी अपनी बहन को देखता, तो बस मेरा यही मन करता कि अभी इसको यहीं नंगी करके चोदने लगूँ, पर गांड फट जाती थी कि उसके बाद मेरा क्या हाल होगा.
मैं अपनी सगी बहन संगो को अपने लौड़े के नीचे ला नहीं पा रहा था, तो मैं बाथरूम में उसकी उतारी हुई पैंटी को ही चाट कर उसकी रसीली चुत का स्वाद ले लेता था.
कभी तो मैं चुपके से संगो दीदी को कपड़े बदलते देख कर उसकी बड़ी गांड और मम्मों का दीदार भी कर लेता था.

जब से मेरा लंड जवान हुआ है, तब से ही मैं दीदी की गांड का दीवाना हूँ.
घर में जब संगो दीदी टाइट जींस में गांड मटकाती हुई चलती थी तो मेरा लंड मचल उठता था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#75
मैंने अब तक कई बार अपनी दीदी के बारे में सोच कर मुठ मारी है.

हमारी चुदाई उस समय शुरू हुई, जब मैं कक्षा ग्यारहवीं कक्षा की पढ़ाई कर रहा था और मेरी बहन संगो कक्षा बारहवीं में थी.

हम लोग हमेशा से साथ में पढ़ाई करते थे और एक ही कमरे में सोते थे.

मैं और मेरी बहन थोड़ी बहुत खुल कर भी बात कर लेते थे.
कभी कभी किसी एडल्ट जोक वगैरह पर साथ हंस लेते थे.

फिर मैंने एक दिन सोच ही लिया कि किसी भी तरह से दीदी को चुदाई के लिए मनाना ही है, चाहे कोई तरकीब लगानी पड़े.

एक दिन जब दीदी नहाने गयी तो मैंने उसका मोबाइल चैक कर लिया.
उसमें उसकी एक फ़्रेंड की वाट्सअप चैट खोल कर देखी, तो मेरी आंखें खुली की खुली रह गईं.
उसमें बहुत सारी पोर्न मूवीज़ थीं जो उन्होंने आपस में भेजी हुई थीं; बहुत सारी चुदाई की बातें भी लिखी हुई थीं.

चैट में उसकी फ़्रेंड मेरी दीदी को अपनी चुदाई की कहानी भी बता रही थी.
उसने दीदी को ये भी लिख कर भेजा था कि वो भी जल्दी से किसी का लंड चख ले.
जिसके उत्तर में मेरी दीदी ने जो लिखा था, वो बड़ा ही चौंकाने वाला था.

दीदी ने लिखा था कि वो भी किसी बड़े लंड से चुदवाना चाहती है, पर डरती है कि किसी को पता ना चल जाए.

इतना पढ़ने के बाद जब मुझे दीदी के बाहर आने की आवाज़ आयी तो मैंने उसका मोबाइल बंद करके रखा और बाहर आ गया.

मुझे एक बात की ख़ुशी हो रही थी कि दीदी को चुदवाने की इच्छा है, बस वो बाहर किसी से चुदवाने में डरती है.

अब मेरे दिमाग़ में एक तरकीब आयी कि मैं बड़ी आसानी से दीदी को मेरे लंड की दीवानी बना सकता हूँ. चूंकि मैं तो घर में ही उसको चोद सकता हूँ, तो वो भी खुश हो जाएगी.

हम दोनों के साथ अच्छी बात ये भी थी कि हम दोनों एक ही कमरे में सोते थे.

उसके दूसरे दिन ही मैंने अपना काम चालू कर दिया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#76
दूसरे दिन जब सुबह सुबह मैंने देखा कि दीदी नहाने जाने की तैयारी कर रही है.
तभी मैं बाथरूम में चुपचाप घुस गया.

मैंने दरवाज़ा बिना कुंडी लगाए अटका दिया और पूरे शरीर पर पानी गिरा लिया.
आधे शरीर पर साबुन लगा कर ऐसे खड़ा हो गया, जैसे नहा रहा हूँ. मैंने अपने लंड को भी हिला कर खड़ा कर रखा था ताकि दीदी को मेरा लंड फुल साइज़ में बड़ा दिखे.

कुछ ही पलों में मुझे दीदी के आने की आहट हुई तो मैं दरवाज़े की तरफ़ मुँह करके साबुन शरीर पर मसलने लगा.

दीदी ने जैसे ही दरवाज़ा खोला तो उसकी सीधी नज़र मेरे मोटे लम्बे खड़े लंड पर गयी.
वो एकदम से डर कर बाहर चली गयी.

उसके बाद जब रात को हम कमरे में पढ़ने बैठे, तो दीदी बार बार चुपके चुपके से मेरी पैंट में लंड पर नज़र घुमा रही थी.
तभी मैं समझ गया था कि दीदी को लंड देखकर मज़ा आ गया है.
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#77
फिर मैंने सोचा कि दीदी को एक बार बता दूँ कि मैंने उसका मोबाइल देख लिया था तो शायद उसकी शर्म मुझसे टूट जाए और वो मेरे लंड से चुदाई के लिए मान जाए.

मैंने दीदी को मोबाइल के बारे में बता दिया, तो वो मेरी तरफ देखने लगी.
दीदी बोली- ये ग़लत बात है, तुझे मेरा मोबाइल नहीं देखना चाहिए था.



मैंने दीदी को बिना शर्म कर बोल दिया.
मैं बोला- दीदी अगर आपको चुदवाना है, तो कहीं बाहर जाने की ज़रूरत नहीं है. आप मेरे साथ मज़े ले सकती हो.
इस पर दीदी बोली- पागल है क्या, तू भाई है मेरा … मैं ऐसे कैसे तेरे साथ सेक्स कर सकती हूँ.

मैंने महसूस किया कि दीदी ने बिना ग़ुस्सा के ये बात कही है तो मैं समझ गया कि मेरे लंड से चुदवाने का मन तो दीदी का भी है. बस थोड़ा शर्मा रही है.
मैं मनाने की कोशिश करूं तो ये मान भी जाएगी.

मैंने बोला- दीदी यार, कब तक अपने फ़्रेंड्स की स्टोरी सुन कर अपनी कोमल चुत में उंगलियां करोगी. मेरा बहुत बड़ा लंड है, मुझसे ही मजा ले लो. फिर घर की बात घर में ही रह जाएगी, किसी को पता भी नहीं चलेगा.

दीदी मेरी तरफ देखने लगी और कुछ सोच कर बोली- बात तो तेरी सही है. तेरा लंड देख कर मेरा भी एक बार तुझसे चुदवाने का मन तो हुआ था.

मैंने पूछा- आपने मेरा लंड कब देख लिया था.
दीदी हंस दी और बोली- साले लंड दिखाने के लिए ही तूने बाथरूम में ड्रामा किया था और अब मुझसे बन रहा है.

उसके इतना कहते ही मैंने दीदी को अपनी ओर खींच लिया; उसके गुलाबी होंठों को चूमना शुरू कर दिया.

दीदी ने भी मुझे टाइटली पकड़ लिया और मेरे साथ ही चूमना शुरू कर दिया.
मेरा लंड अब एकदम तन कर खड़ा हो गया था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#78
मैंने अपने दोनों हाथों से दीदी की मोटी गांड दबाना शुरू कर दिया.
दीदी चुदने के लिए इतनी उतावली हो रही थी कि उसने अगले ही पल मेरी टी-शर्ट उतार दी और मुझे पलंग पर गिरा कर मेरे ऊपर चढ़ गयी.

दीदी बोली- साले बहनचोद मुझे तेरे लंड को चूसना है. जल्दी से तू अपने लंड को अपनी इस रंडी बहन के मुँह में घुसा दे.

मैंने अपना लंड दीदी के मुँह के सामने खोल दिया.
दीदी ने पूरा लौड़ा मुँह में ले लिया और मस्ती से लंड चूसने लगी.

सच में पोर्न देखकर मेरी दीदी बड़ी वाली रांड बन चुकी थी. मेरे लंड को बड़ी मस्ती से चूसने लगी थी.

दस मिनट तक मेरे लंड को चूसने के बाद दीदी बोली- आज तो तू पूरा बहनचोद बन जा, आज तुझे अपनी बहन को तुझे जितना चोदना है, चोद ले. आज रात मेरे पूरे जिस्म को निचोड़ दे मेरे भाई. तू मुझे जल्दी से अपनी रंडी बना कर चोद दे. आज अपनी बहन की चुत का भोसड़ा बना दे. आज हम दोनों पूरी रात चुदाई करेंगे.

उसकी बातें बता रही थीं कि मेरी बहन अब पूरी तरह गर्म हो चुकी है.

उसने 69 में आकर झटके से मेरा लौड़ा पकड़ लिया और उसे फिर से चाटने लगी.
वो एक अनुभवी चुदक्कड़ की तरह ये सब कर रही थी.

मैं भी अपनी बहन की चूत चाट रहा था.
अब हम दोनों 69 की पोजीशन बनाए हुए मजा ले रहे थे और एक दूसरे को चाट चूस रहे थे.

करीब दस मिनट एक दूसरे को चाटने के बाद मेरी बहन मेरा लौड़ा चूत में लेने को तैयार थी.

मैंने दीदी को लिटाया और उसकी गांड के नीचे एक तकिया रख दिया.


दीदी की चूत के छेद पर मैंने अपना लंड लगाया और एक हल्का झटका दे दिया.
उसके मुँह से एक हल्की सी आवाज निकली.

इससे मुझे लगा कि दीदी मेरा लंड सहन कर लेगी इसलिए मैंने एक तेज झटका मारा और अपना आधे से ज्यादा लंड उसकी चूत में घुसा दिया.

दीदी के मुँह से कामुक सिसकारियां निकलने लगीं.

वो बोली- आंह बहनचोद, अपनी बहन पर रहम कर मां के लौड़े … उम्म्ह … अहह … हय … याह … इतना मोटा लौड़ा मेरी चूत में घुसा दिया. साले पहले दिन तो रहम करता, अब तो अगले कई साल तक मैं तेरी रंडी हूँ, जब मन करे तब चोद दियो.

मैंने अपने झटके चालू रखे और करीब बीस मिनट की चुदाई के बाद हम दोनों झड़ कर अलग हो गए.

थोड़ी देर आराम से लेटने के बाद मैंने दीदी के मम्मे फिर से चूसना शुरू कर दिए.
दीदी फिर से गर्म होने लगी थी, उससे रहा नहीं जा रहा था.
वो जल्दी से जल्दी चुत में लंड घुसवाना चाह रही थी.

मैंने दीदी की कोमल गुलाबी चुत को चाटना शुरू कर दिया.
दीदी वासना से भरी हुई सिसकारियां लेने लगी.

दीदी- आह … भाई ओह्ह … जल्दी चाट ले भाई … और जल्दी से लंड इसमें घुसा दे … अब रहा नहीं जाता.

मैंने दीदी को घोड़ी बना दिया और उसकी मोटी गांड को अपने हाथों में ले लिया; अपना लंड धीरे धीरे करके दीदी की चुत में घुसा दिया.

पहले मैंने धीरे धीरे झटके दिए तो दीदी बोली- साले क्या हुआ तेरे लौड़े में दम नहीं बचा क्या … आह ज़ोर ज़ोर से चोद ना अपनी बहन को … तेरी बहन कमज़ोर नहीं है … चोद सेल तेज तेज चोद.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#79
अब मैंने दीदी को बुरी तरह पेलना शुरू कर दिया.

कुछ देर बाद दीदी को नीचे लेकर उसके ऊपर चढ़ गया और ताबड़तोड़ चुदाई शुरू कर दी.

दीदी की दोनों टांगें हवा में उठी हुई थीं और मैं पूरी ताकत से चुत का भोसड़ा बनाने में लगा हुआ था.

कम से कम आधे घंटे की चुदाई के बाद मैंने दीदी की चुत में ही लंड का पानी छोड़ दिया.

हम दोनों एक दूसरे से चिपक कर लेट गए.

कुछ देर बाद दीदी बोली- देख भाई, चुदाई में तो मज़ा आ गया, पर तूने जो अन्दर पानी छोड़ा है … इससे मैं प्रेगनेंट भी हो सकती हूँ.
मैं बोला- तो फिर दीदी अब क्या करें?

दीदी बोली- कोई बात नहीं, इस बार मैं देख लूंगी कुछ, मगर अगली बार से ध्यान रखना.
उसके बाद मैं और दीदी रोज़ रात को खुल कर चुदाई करने लगे थे और कम से कम दो बार चुदाई के बाद ही सोते हैं.

हम लोगों ने 3 साल तक बहुत जमकर चुदाई की.
मैंने दीदी को पूरी रंडी बना दिया था.
कई बार मैं दीदी को अपने लंड का पानी भी पिला चुका हूँ.
उनकी प्यास भी अब मेरे लंड के पानी से ही बुझती है.

घर में मैं कभी भी मौका पाते ही दीदी के मम्मे दबा देता हूँ और कभी भी गांड पर हाथ भी घुमा देता हूँ.
दीदी भी चलते चलते मेरे लंड पर हाथ मार देती है.

कभी कभी तो रसोई घर में ही दीदी को लंड चुसवा देता हूँ. मैंने कई बार दीदी को मेरे लंड का पानी ब्रेड पर लगा कर भी खिलाया है.


एक बार तो हमने रात को कमरे में एक दूसरे से शादी भी कर ली थी.
मैंने दीदी की मांग भी भरी थी और सुहागरात तो हम रोज़ ही मना लेते हैं.

फिर एक दिन दीदी की शादी हो गयी और दीदी अपना फटा भोसड़ा लेकर किसी और से चुदवाने चली गयी.
लेकिन अब भी जब घर आती है, तो हम दोनों जमकर चुदाई करते हैं.

जिन लोगों को भी भाई-बहन की चुदाई पसंद है, वो अपनी दीदी की चूत का मजा जरूर लें, जिस तरह से मैं ले रहा हूं.
अपनी बहन की चुत से ज़्यादा मज़ा किसी की चुत में नहीं होता.

मैंने अपनी दीदी की चूत को चोद कर उसको अपनी पत्नी ही बना लिया है और मुझे अपने किए पर कोई पछतावा भी नहीं है.
मैं अपनी बहन के बिना नहीं रह सकता था और मेरी बहन भी मेरे बिना नहीं रह सकती थी.
इसलिए हम दोनों आज भी चुदाई करते हैं.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#80
समाप्त
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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