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Incest मेरी बड़ी बहन की कातिल जवानी
#81
(08-03-2024, 03:19 PM)neerathemall Wrote:
समाप्त




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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#82
मैं और मेरी प्यारी दीदी
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#83
(08-03-2024, 03:24 PM)neerathemall Wrote:
मैं और मेरी प्यारी दीदी

मेरा नाम सोनू है और मेरे दीदी का नाम प्रीती है बात तब की है जब मैं 10th क्लास मे था और मेरी दीदी 12th क्लास में थी हम दोनों मैं किसी भी नार्मल भाई बेहेन की तरह प्यार था बचपन से हम साथ थे मेरे दीदी मेरा बहुत ध्यान रखती थी लेकिन मेरी लाइफ मै 1 दिन एसा आया की मेरा उसको देखने का ढंग ही बदल गया .जब दीदी 12th मै थी तो उनका फिगर होगा 34-30-34 लम्बे बाल 5'5 हाइट गोरा कलर .हम साथ मे ही कॉलेज जाते थे।मेरे मन मे उनके लिए कुछ भी गंदे विचार नहीं थे लेकिन उस 1 दिन ने सब कुछ बदल दिया। उस दिन सन्डे था हमारे कॉलेज की छुट्टी थी मै और मेरे दीदी साथ ही सोते थे उनके और मेरे बेड के बीच 1 टेबल रखी हुई थी।हा तो उस दिन सन्डे के दिन मम्मी ने मुझे बोला की जा सोनू दीदी को उठा दे 9 बज रहे है मैंने कहा हा मम्मी मैं अपने रूम मे गया तो दीदी सो रही थी गर्मियों के दिन थे तो दीदी रात मे गाउन पेहेन लेती थी उस दिन सुबह जब मै दीदी को उठाने पहुंचा तो दीदी साइड करवट में सो रही थी और उनका गाउन ऊपर हो गया था मैंने जेसे ही उन्हें उठाने के लिए उनपे से चद्दर हटाई मेने अपनी दीदी के नंगी चिकनी टांग देखी उनका गाउन उनकी thigs तक ऊपर हो गया था और जेसे ही मेने उनकी नंगी गोरी और चिकनी टांग देखी मुझे पता नहीं क्या होगया मेरे लंड मे 1 दम से हरकत हुई न चाहते हुए भी मुझे दीदी के ऊपर उठे गाउन मे से उनकी नंगी चिकने thighs म मजा आ रहा था बिलकुल गोरी साफ़ और चिकनी thigs थी मेरे दीदी की उनकी नंगी गोरी thigs देख के क मुझे पता नहीं क्या हो गया था आज तक मैंने किसी भी लड़की का एसा कुछ नहीं देखा था उस समय मुझे ये तक नही पता था की लड़की होती क्या है बस स्टडी और खेलना ही जानता था 1 दम से आज मैंने वो देखा जिसका मुझे आज तक पता नहीं था दीदी की thigs देखने के बाद मुझे और देखने की इच्छा हुई तो मैंने दीदी के गाउन को बड़े ध्यान से धीरे 2 डरते 2 थोडा सा और ऊपर किया तो मुझे उनके हिप्स की स्टार्टिंग दिखाई दी वो नजारा भी क्या नजारा था दोस्तों मेरे जवान बड़ी बेहेन की पूरी नंगी चिकनी टांग हिप्स तक मेरे सामने थी मुझे एसा अनुभव पहले कभी नहीं हुआ था मुझे पता नहीं क्या हो गया था मैंने फिर उनका गाउन ध्यान से थोडा और ऊपर किया अब मुझे उनकी पेंटी नजर आ गई उन्होंने black कलर की पेंटी पेहेन रखी थी मेरी दीदी मेरे सामने अपनी पेंटी मे सो रही थी मेरा लंड बिलकुल खड़ा हो गया था मैंने पहली बार किसी लड़की की पेंटी और हिप्स देखे थे मेरी दीदी के हिप्स देख के मैं पागल हो गया पता नहीं क्या हो गया था मुझे मैं उनकी पेंटी को छूना चाहता था जेसे ही मैंने अपना हाथ अपनी दीदी की thigs पे रखा मम्मी ने आवाज लगा दी "प्रीती क्या हुआ उठी नहीं तू " और मैं वहा से भाग गया मेरा साथ एसा कुछ होगा मैंने कभी नहीं सोचा था मेरी दीदी के लिए मेरी फीलिंग्स अब बदल चुकी थी उस दिन दीदी उठी ब्रश किया और सबको गुड मोर्निंग कहा और मुझे भी हमेशा की तरह गले लगा के विश किया उस दिन दीदी के गले लगने पर मुझे 1 अजीब सा एहसास हुआ उनकी कोमल स्किन उनके बालो की खुशबु उनके बदन के स्पर्श से आज मुझे बहुत मजा आ रहा था मैं डाइनिंग टेबल पे बता था जब दीदी में मुझे झुक के गुड मोर्निंग विश किया. जेसे ही दीदी झुकी तो मेरी नजरे दीदी के कुर्ते के अंदर गयी क्या नजारा था दीदी के कुर्ते के अंदर का उन्होने कुर्ते के अंदर ब्लैक शमीज पेहेन रखी थी और शमीज के अंदर ब्रा पेहेन रखी थी उनकी ब्रा का शेप तो मुझे दिखा लेकिन कलर नही दिखा क्योंकि उनकी शमीज का कलर ब्लैक था लेकिन अंदर क्या शेप बन रहा था उनके झुकने के कारन उनके बोबे थोड़े से लटक भी गए थे क्या बोबे थे मेरी बेहेन के मैंने तो कभी गोर ही नहीं किया था की मेरी दीदी के बोबे इतने मोटे हें.मुझे हग करके वो भी टेबल पर बैठ गए नाश्ता करने के लिए वो न्यूज़ पेपर पढ़ रही थी लेकिन मेरी नजर तो बार बार उनपे ही जा रही थी वो कुछ भी लेने के लिए हाथ इधर उधर करती तो उनके कुर्ते के गैप मे से मुझे उनकी शमीज और ब्रा की स्ट्रैप्स दिखाई देती जिसे देखने मे मुझे बहुत मजा आ रहा था मैं बार बार दीदी की शमीज और ब्रा के स्ट्रैप्स उनके कुर्ते की साइड के गले मे से देख रहा था उनके अंदर के शरीर की गोरी गोरी कोमल skin देखने मे मुझे बड़ा मजा आ रहा था नाश्ता करते हुए मै किसी न किसी बहाने से दीदी का हाथ टच कर रहा था मैंने सोचा की अब और कुछ ज्यादा केसे मजे लिए जाये तभी दीदी ने मुझसे बोल "अरे सोनू मुझे सॉस की बोतल लाके देना किचन मे से " मै खड़ा हुआ और दीदी को सॉस की बोतल लाके दी और पीछे से दीदी के गले मै हाथ दाल के खड़ा हो गया और उनके कुर्ते के गले मे झाँकने लगा दीदी तो मुझे देख नहीं सकती थी उन्होंइ कहा की "क्या हुआ सोनू आज बड़ा प्यार आ रहा है तुजे अपनी दीदी पे " मैंने कहा नहीं दीदी वो तो एसे ही" और मैंने दीदी के कुर्ते के अंदर पास से देखा उनकी शमीज और उनकी ब्रा मुझे अब साफ़ नजर आ रे थी मैंने अब हाथ गले से निकाल कर उनके कंधो पे रख लिया और उनकी ब्रा स्ट्रैप्स को महसुस करने लगा ये सब करते हुए मेरा लंड बिलकुल टाइट खड़ा था इच्छा तो हो रही थी की पीछे से खड़े होके उनके कुर्ते के गले मे हाथ डाल के उनके बोबे दबा दू उनकी ब्रा फाड़ के चूस लो उनके मोटे कोमल बोबो को लेकिन कुछ कर भी तो नहीं सकता था।सबका नाश्ता ख़तम हो चूका था और दीदी भी नाश्ता करके घर की साफ़ सफाई मे लग गए थी अब मै बस इसी फिराक म था की दीदी झुके और उनके बोबे देखलू मै दीदी के आस पास ही था 1दम से मम्मी ने कहा "प्रीती तू झाड़ू पूछे का कम ख़तम कर बर्तन और खाना मै कर लुंगी " दीदी ने कहा ठीक है मम्मी की ये बात सुनके मुझे मजा आया था क्योंकि मुझे पता था की अब मेरे बेहेन झाड़ू निकालेगी झुक झुक के वो जेसे ही झुकी झाड़ू निकलने के लिए मुझे उसकी ब्रा दिखाई दी मैंने पहले बार अपनी बेहेन की ब्रा और बोबे इतने क्लियर देखे थे मैंने सोचा दीदी की शमीज कहा गई शायद गर्मी के कारन उतार दी होगी जेसे 2 वो झुकती मुझे उसके ब्रा मे क़ैद बोबो के दर्शन होते हाय कितने मोटे मोटे बोबे थे रस से भरे हुए कितने कोमल होंगे ये बस यही सोच के और दीदी के ब्रा देख देख के मेरे हालत ख़राब हो चुकी थी मेरे लंड मे इतना तेज दर्द होने लग गया था की मैं बता नही सकता मै फटाफट बाथरूम गया वहा मैंने देखा दीदी के टॉवल के नीचे उनकी शमीज लटकी हुई थी मैंने उस शमीज को उठाया और सुंघा इतने कमसीन खुशबु थी उस शमीज मे दीदी के बोबो की शमीज सूंघते 2 अपने आप ही मेरे हाथ मेरे लंड पर चले गए और मैं अपना लंड हिलाने लगा ये सोच के की ये शमीज दीदी ने पेहेन रखी थी इसमें उसकी ब्रा थी और ब्रा में उसके मोटे कोमल बोबे थे और ये सोचते 2 मै झर गया आज जेसा सुकून आज जेसी फीलिंग मुझे कभी नहीं हुई थी अब मैंने सोचा की अगर दीदी की शमीज से इतना मजा आया मुझे तो दीदी को पूरी नंगी देखने मे कितना मजा आएगा जेसे ही मैं बाहर निकला मैंने दीदी के तकिये के नीचे उनके सेलफोन की लाइट चमकते देखी मैंने जाके सेलफोन चेक किया तो दीदी के सेलफोन1 पे मेसेज था मैंने वो मेसेज खोला उसमें लिखा हुआ था "गुड मोर्निंग मेरी सेक्सी जान क्या कर रही हो " वो मेसेज पड़ के मुझे शॉक लगा मैंने सोचा"ये क्या दीदी का कोई bf भी है " मुझे बहुत गुस्सा आया लेकिन मैंने अपने गुस्से को दबा लिया और मैं समझ गया की अगर ये लोग फोन पे chat करते हें तो नेट पे भी करते होंगे इनको पकड़ने के 1लिए प्लान सोच लिया . फिर मैंने सेलफोन वापस तकिये के नीचे रख दिया वो मेसेज डिलीट करके जब मैं हॉल मे गया तो दीदी पोछा लगा रही थी उनका कुरता थोडा पानी का काम करने के कारन गीला हो गया था इसी वजह से जब बी वो झुकती थी तो वो बहुत ज्यादा लटक रहा था मैं ये मौका नहीं छोड़ना चाहता था मैं 1 कॉमिक्स लेकर सामने बैठ गया जहा दीदी पोछा लगा रही थी और छुप छुप के उसकी ब्रा देखने लगा जब भी वो झुकती उसकी ब्रा का क्लियर व्यू मुझे दीखता क्योंकि कुरता गीला हो गया था , उसके झुकने पर उसकी ब्रा मे क़ैद उसके मोटे मोटे बोबे लटकते और ऊपर नीचे होते ये देख के मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा जब दीदी अपने हाथ उठा कर shelf साफ़ कर रही थी तो मैंने उनके underarms देखे वहां पर 1 भी बाल नहीं था बिल्कुल चिकना था मैंने सोचा दीदी क्या अपनी चुत के बाल बी साफ़ करती होगी क्या ये सब सोच 2 कर मेरा लंड वापस टाइट हो गया तभी दीदी ने मुझे बुलाया "सोनू सुन जरा ये पानी के बाल्टी ऊपर लेके चल मैं तेरे पीछे 2 ऊपर आती हु " मैंने कहा हा दीदी मै बाल्टी लेके ऊपर चड़ा 2-3 सीडिया चडके 4th सीडी पे मेरे हाथ से पानी की बाल्टी छुट गई और सारा पानी दीदी के ऊपर गिर गया दीदी मुझ पर चिल्लाने लगी "पागल हे क्या अक्ल नहीं हे क्या तेरे में नहीं उठ रही थी तो बोल देता सारे कपडे गीले हो गए "लेकिन मेरा ध्यान तो मेरे बेहेन के हुस्न प था गीले होने के कारन उसके कुरता और कैपरी उसके शरीर से चिपक गए थे अब मुझे उसकी ब्रा का शेप बिलकुल क्लियर दिख रहा था और उसकी पेंटी का शेप भी मुझे साफ़ 2 दिख रहा था दीदी ने low waist पेंटी पेहेन रखी थी उसके बदन का 1-1 उभार मुझे नजर आ रहा था क्या मोटे 2 बोबे बाहर दिख रहे थे पतली कमर मोटी गांड गीले बाल बिलकुल कंचा लग रही थी फिर उसने मुझसे कहा की "क्या देख रहा है अब ध्यान से आना खुद मत गिर जाना सारे कपडे गीले कर दिए मेरे " मम्मी ने कहा अरे कपडे चेंज करले जल्दी नहीं तो सर्दी लग जाएगी मुझे पता था की अब दीदी बाथरूम मैं जाएंगी कपडे चेंज करने और ये मेरे लिए अच्छा मौका था उसे पूरी नंगी देखने का . दीदी अपने गीले कपड़ो को चेंज करने के लिए बाथरूम मे गई ये मेरे लिए अच्छा मौका था अपनी दीदी को कपडे चेंज करते हुए पूरी नंगी देखने का दीदी के बाथरूम का दरवाजा बंद करने के थोड़ी देर बाद मै बाथरूम के बाहर आकर खड़ा हुआ और बाथरूम के अंदर देखने की कोशिश करने लगा मेरे दिमाग मे ये चल रहा था की दीदी अब अपना टॉप उतार रही होंगी अब दीदी केवल ब्रा मे होंगी मेरा लंड पूरा खड़ा था और मै बाथरूम के दरवाजे मे कोई छोटा सा छेद या दरार ढूँढ रहा था जहा से मुझे बाथरूम के अंदर का बेहतरीन नजारा सामने आ जाए लेकिन मेरे फूटी किस्मत साला दरवाजे म कोई दरार या छेद ही नहीं था तो मैंने नीचे झुक के दरवाजे और ज़मीन के बीच के गैप मे से अंदर देखने के कोशिश की मुझे नीचे बाथरूम की टाइल्स के reflaction से कुछ धुन्दला सा नजर आया लेकिन कुछ दिखा नहीं बस दीदी की टांगें दिखी फिर दीदी का टॉप नीचे गिरा फिर कैपरी फिर दीदी की काली ब्रा नीचे गिरी फिर पेंटी नीचे गिर मै झुके हुए ही अपने लंड को सहलाने लगा की अब दीदी बाथरूम मे पूरी नंगी होगी मै अपना लंड हाथ मे लेके इधर उधर घूम रहा था की कही से तो बाथरूम के अंदर देखने की जगह मिल जाए लेकिन कही कुछ जगह नहीं मिली मै वापस नीचे के गैप मे से देखने लगा दीदी ने साथ ही नहाना भी स्टार्ट कर दिया था दीदी बाथरूम मे पट्टे पे बैठकर नहा रही थी मुझे उनकी थोड़ी सी नंगी thigs के दर्शन हुए इतने मे मम्मी ने मुझे आवाज दी और मै चला गया सोचते हुए की दीदी नंगी बाथरूम मे है कहा 2 साबुन लगा रही होगी अपने नंगे जिस्म पे कहा 2 हाथ फेर रही होगी ये सोच सोच के मेरा दिमाग ख़राब और लंड बिलकुल टाइट खड़ा था जेसे ही दीदी नहा के बहार निकली मै जल्दी से बाथरूम मे घुस गया मैंने दीदी के टॉवल के नीचे देखा दीदी के उतरे हुए ब्रा और पेंटी लटके हुए थे मैंने दीदी की ब्रा को अपने हाथ मे लिया और उसे सूंघने लगा दीदी की ब्रा के कप्स को सहलाने लगा दीदी की ब्रा मे से इतनी प्यारी और मादक खुशबू आ रही थी की सूंघते ही मेरा लंड इतना टाइट हो गया जितना पहले कभी नहीं हुआ था फिर मैंने दीदी पेंटी ली और उसे सूंघा और उसे सूंघ कर कसम से दोस्तों मेरी हालत ही ख़राब हो गए दीदी की पेंटी मे से उनकी चूत के थोड़े डिस्चार्ज थोड़े पसीने की खुसबू थी उनकी पेंटी को मैंने अपने पूरे मुह पे फेरा उसे चाटा उसमे से नमकीन स्वाद आया लेकिन जो भी था मुझे बहुत अच्छा लग रहा था मैंने अपनी दीदी की पेंटी को अपने मुह पे और उनकी ब्रा को अपने लंड पे लपेट कर अपने लंड को हिलाने लगा मै पूरी तरह से दूसरी ही दुनिया मे था आँखें बंद करके दीदी की पेंटी को सूंघते हुए उनकी ब्रा अपने लंड पे सहलाते हुए हिलाने मे मुझे इतना मजा आ रहा था ये सोच रहा था की दीदी नंगी होके अपने हाथ से मेरा लंड हिला रही है और इतने मे मै झर गया और मेने अपने लंड का सारा मुट दीदी के ब्रा पे निकाल दिया इतना अच्छा मुझे कभी नहीं लगा था मेने फिर उनकी ब्रा को साफ़ करके वापस वही लटका दी और बाहर आ गया। दीदी ने नहा के 1 लॉन्ग कुरता और लेगिस पेहेन ली थी वो बाहर अपने गीले बालो को सूखा रही थी और मै साइड मे खड़ा 2 कुर्ते मे से दीदी के बोबे देख रहा था कितने मोटे और बाहर कि तरफ निकले हुए थे जेसे ही वो अपने बालो को झडकती उनके बोबे ऊपर नीचे हिलते उन्हें देखते 2 मै ये सोच रहा था की नहा के दीदी ने कौनसे कलर की ब्रा और पेंटी पहनी होगी मै कब अपनी दीदी को पूरी नंगी देखूंगा केसे उनको नंगी देखु और तभी दीदी ने पुछा "क्या देख रहा हे सोनू "मैंने मन मे सोचा दीदी आप नंगी केसी दिखोगी और आपको नंगी केसे देखू ये सोच रहा हु
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#84
उस दिन शाम को दीदी लैपटॉप लेके बैठी थी जब मै अपने फ्रेंड के घर से आया तो मैंने दीदी से पूछा की "दीदी क्या कर रही हो नेट पे " जेसे ही मैं पास गया दीदी जोर से चिल्लाई "मम्मी इस सोनू को बुलाओ ना ये मुझे काम नहीं करने दे रहा" मम्मी ने मुझे डांट के बुला लिया लेकिन मैंने सोचा की मैंने क्या किया मैं तो बस पूछ रहा था फिर मुझे समझ आया की दीदी शायद अपने bf से चैट कर रही होगी इसलिए उन्हें मुझसे प्रॉब्लम हो रही थी मै चुपके से उन्हें छुप के देखने लगा की वो कर क्या रही है जहाँ मैं छुपा हुआ था वह से दीदी की पीठ मुझे दिख रही थी कभी दीदी जोर से हंसती कभी गुस्सा होने का नाटक करती इस से मुझे पक्का यकीन हो गया की वो नेट पे चैट कर रही है अपने bf से दीदी की पीठ मेरी तरफ थी इसलिए मुझे दिखा नहीं की वो किस से और किस साईट पे चैटिंग कर रही है और तभी वो हुआ जिसकी मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी दीदी ने इधर उधर देखा की कोई है तो नहीं और अपना कुरता ऊपर कर दिया मुझे पीछे से दीदी की नंगी पीठ और उनकी वाइट ब्रा स्ट्रैप्स और ब्रा का हुक दिखाई दिया मैं शोक्केड़ रह गया और अब मुझे पता चल चुका था की दीदी अपने bf से विडियो चैट कर रही है और अपने bf को अपना कुरता ऊपर करके अपनी ब्रा दिखा रही है शायद वो कह रहा होगा की कुछ दिखाओ फिर दीदी ने वापस इधर उधर देखा मझे पता था की मुझे अब कुछ और भी दिखने वाला है तभी दीदी ने इधर उधर देखा खड़ी हुई और अपनी लग्गिएस अपने घुटनों तक नीचे कर दी मुझे पीछे से उनकी वाइट पेंटी मे क़ैद बड़ी और मोटी गोरी गांड दिखी मेरा हाथ अपने लंड पर चला गया और मै हिलाने लगा अपने लंड को दीदी की पेंटी और गांड देखते 2 मझे ये भी लग रहा था की साला वो लड़का तो मेरी दीदी का सारा माल सामने से देख रहा होगा उनकी ब्रा मे क़ैद उनके मोटे और टाइट बोबे उनके पेंटी मे छुपी हुई उनकी कोमल चूत ये सोच सोच के मैं झर गया और अब दीदी ने भी चैटिंग बंद कर दी थी मैं वही छुपा रहा दीदी जब बाहर गयी और मम्मी से बातें करने लगी तब मैंने लैपटॉप मे browsing history चेक की उसमे लास्ट साईट FB थी मुझे पता था की दीदी FB पे अपने BF से video चैट कर रही थी और उसे सब दिखा रही थी अब मैंने सोचा की यार अगर दीदी का पासवर्ड मुझे मिल जाए तो मुझे उनकी chats भी पड़ने को मिल सकती है की दीदी आखिर क्या बातें करती है इतने मे पापा आ गए और हम सब खाना खाने लगे खाना खाते 2 मै बस यही सोच रहा था की अब दीदी सोने के लिए अपने कपडे चेंज करेंगी और गाउन पहनेगी मैंने सोच लिया था की कोशिश करूँगा दीदी को नंगी देखने की वो बाथरूम मैं गई और मैं नीचे बाथरूम के दरवाजे और फर्श के गैप मे से अंदर झाँकने लगा दीदी की पहले लेग्गिस नीचे गिरी फिर उनका कुरता और तभी दीदी 1 दम से बाथरूम के दरवाजे की तरफ जल्दी से चलती हुई आयी मेरी गांड फट गयी की कही दीदी ने मुझे देख तो नहीं लिया मैं बेड के नीचे चुप गया और दीदी ने मम्मी को आवाज लगाई "मम्मी मेरा गाउन देना अलमारी मे से " मम्मी ने कहा हां देती हु मैं बेड के नीचे ही छुपा हुआ था जब मम्मी ने दीदी को गाउन दिया तो मम्मी ने दीदी से पूछा " प्रीती तेरे पास पैड का एक्स्ट्रा पैकेट पड़ा है क्या " ये सुन के मेरे लंड मे अंगडाई आने लगी मैंने सोचा की मेरे मम्मी या तो पीरियड्स मे है या होने वाली हे दीदी ने कहा "नहीं मम्मी मेरी डेट तो अभी 10 दिन बाद है आपको जरुरत है क्या " मम्मी ने कहा "हाँ मैं हो गई हू मुझे लगा मेरे पास पैड का पैकेट रखा है तू चेक करना मैंने तुझे 2 पैकेट दिए थे पिछले महीने 1 whisper choice का था और 1 stayfree का था जिसमे 5 पैड्स बचे हुए थे " ये सब सुनके मेरा लंड टाइट खड़ा था और मैं उसे सहला रहा था मैंने कभी नहीं सोचा था की मेरे साथ एसा होगा तभी दीदी ने कहा "हा मम्मी शायद stayfree होगा रुको मैं देखती हु" और दीदी ब्रा पेंटी पहने हुए ही बाथरूम सी बहार निकले उन्हें क्या पता था की बेड के नीचे छुपा हुआ मै ये बातें भी सुन रहा हु और आखिर मे किस्मत ने मेरा साथ दे ही दिया और मैंने अपने बेहेन को ब्रा और पेंटी मै देख ही लिया दीदी ने वाइट ब्रा और वाइट low waist पेंटी पहनी हुई थी क्या सेक्सी लग रही थी उनकी ब्रा तो इतनी टाइट थी की लग रहा था की उनके मोटे बोबे ब्रा फाड़ के बाहर आ जाएँगे उनकी नंगी गोरी चिकनी टाँगे देख के मेरी तो हालत ख़राब हो गई और उनकी क्या गांड थी मोटी चिकनी गोरी गांड देख के मेरी आँखें फटी रह गयी अपनी दीदी को ब्रा पेंटी मे देखते हुए मैंने वापस मुट मारा और जब मेरा मुट निकला तो इतना सारा निकला और मुझे इतना आंनंद प्राप्त हुआ की मैं उसे बयां नहीं कर सकता मुट मारने के बाद भी मेरा लंड बिलकुल टाइट खड़ा हुआ था और मैंने दीदी को ब्रा पेंटी मे देखा और सोचा की आज रात को तो इनके कोमल बदन को छुना ह़ी है उस दिन रात को मेरे दिमाग मे बस यही चल रहा था की दीदी के नाजुक कोमल बदन को केसे छुआ जाये मैं बस रात को odd टाइम का वेट करने लगा उस समय रात के 2 बजे थे गर्मियों के दिन थे दीदी बस चद्दर मे सो रही थी मैं धीरे से उठा और उनके बेड की तरफ गया दीदी आराम से सो रही थी मैंने चद्दर हटाया धीरे 2 , दीदी करवट लेके 1 के ऊपर 1 अपनी 1 टांग रख के सो रही थी जिस से उनकी मोटी गांड बाहर की तरफ निकली हुई थी मैंने धीरे से गाउन पे से दीदी की गांड पे हल्का सा किस किया फिर दीदी का फेस देखा वो आराम से सो रही थी फिर मैंने धीरे 2 उनका गाउन ऊपर किया मुझे उनकी टांगें दिखी मैंने हलके से अपनी उंगलियों का स्पर्श किया कितनी चिकनी टांगें थी दीदी की फिर मैंने धीरे से उनके हाथो को टच किया फिर मैंने उनके गाउन को थोडा और ऊपर किया और उनकी thigs देखी मैंने उनकी thigs पे धीरे से और ध्यान से किस किया फिर मै घूम के उनके बेड के सामने की तरफ गया और दीदी के होठो को टच किया फिर मैंने ध्यान से धीरे 2 अपनी उंगलिया उनके बोबो की तरफ बड़ाई और उन्हें बहुत ध्यान से हलके से छुहा मेरा लंड बिलकुल टाइट था 1 तरफ तो ये डर की दीदी जग ना जाए मुझे पकड़ न ले तो दिल कह रहा था की बस अब आगे कुछ मत कर लेकिन लंड दिमाग पे हावी हो चूका था दिमाग ने कहा अभी तक कुछ नहीं हुआ तो कुछ नहीं होगा और मैंने वापस दीदी के बोबो को हलके से टच किया कितने नरम बोबे थे मेरी बेहेन के टाइट और कोमल मैंने 1 बोबे को छुआ और हलके से दबाया इतने मे दीदी ने करवट ले ली मेरे गांड फटी और मई भाग के अपने बेड पे लेट गया उस समय रात के 3:15 हो रहे थे मै वापस उठा और दीदी का गाउन वापस ऊपर किया दीदी का कोई रिएक्शन नहीं था फिर मैंने धीरे से दीदी का गाउन उनकी हिप्स तक ऊपर किया और मुझे उनकी वाइट पेंटी नजर आयी मुझसे रहा नहीं गया और मैंने दीदी की पेंटी पे से उनकी गांड को हलके से टच किया फिर उनकी पेंटी को सुंघा फिर उनकी गांड पे किस किया मै 1 हाथ से अपने लंड को सहला रहा था और दुसरे हाथ से अपनी दीदी की गांड को छु रहा था अब मेरे इच्छा दीदी की पूरी पेंटी और उनकी चूत देखने की हुई मैंने उनका गाउन थोडा और ऊपर कर दिया और इतने मै दीदी ने अपने हाथ से अपना गाउन नीचे किया और उठ गयी मै जल्दी से उनके बेड के नीचे बैठ कर tommy (हमारे पेट से बातें करने लगा ) दीदी ने मुझे घूर के देखा और कहा " क्या कर रहा है तू सोनू " मैंने कहा दीदी पता नहीं टॉमी आपके बेड के नीचे बैठा है और हलके से रो रहा ह क्या हुआ इसको खाना नहीं दिया क्या आज दीदी ने उसे देखा फिर मुझे देखा पंखा भी तेज चल रहा था और कूलर भी तो शायद दीदी को लगा की हवा से उनका गाउन ऊपर हो गया था मेरी तो गांड फट के गले मे आ गए दीदी ने कहा "तू सोजा मै देखती हु टॉमी को " मै चुपचाप अपने बेड की तरफ गया और लेट गया और शुक्र मनाने लगी की दीदी को शक नहीं हुआ फिर मैंने आगे कुछ करने का नहीं सोचा और सो गया सुबह उठा तो दीदी मुझसे पहले उठ चुकी थी और नहा कर तैयार हो चुकी थी उनकी फ्रेंड का अज बर्थडे था तो वो वहा जा रही थी जेसे ही मेने दीदी को देखा तो देखता रह गया उन्होंने सूट पेहेन रखा था रेड और वाइट कलर का पतला सा कुरता रेड सलवार और रेड चुन्नी उस कुर्ते मे से दीदी के मोटे बोबे इतने बाहर आ रहे थे की मेरा दिमाग ख़राब हो गया दीदी ने शायद कुर्ते के नीचे आज शमीज नहीं पहनी थी तो उनकी वाइट ब्रा मुझे साफ़ 2 दिख रही थी मैंने सोचा की 1 पानी बाल्टी लाके दीदी के कुर्ते प डाल दू तो अंदर का सारा माल बाहर दिख जाएगा फिर मैंने दीदी की सलवार की तरफ देखा उनकी सलवार का कपडा इतना पतला था की कुर्ते के साइड के कट मे से उनकी गोरी मोटी thigs आराम से दिख रही थी मैंने सोचा की आज तो अपनी दीदी को नंगी देख कर ही रहूँगा इतनी सेक्सी परी तो मैंने आज तक नहीं देखी दीदी को ये कपडे उतारते हुए तो जरुर देखूंगा मैंने मम्मी से पुछा की दीदी वापस कब आएगी मुम्मी ने कहा शाम तक आएगी मुझे पता था की दीदी अपने कपडे तो चेंज बाथरूम मे ही करेगी तो मैंने 1 तीखा pechkus (पेचकस ) लिया और दीदी के बाथरूम के दरवाजे मे छेद करने लगा और छेद कर दिया इतना की किसी को नजर भी न आए और मुझे बाथरूम के अंदर का सब दिख जाए और उस छेद के अंदर मैंने पेपर टुकड़ा डाल दिया ताकि कमरे की लाइट से किसी को पता नहीं चल जाए की बाथरूम दरवाजे मे छेद हे जब दीदी अपने बाथरूम मे अपने कपडे चेंज करेंगी तो मै उस छेद मैं पेचकस से धक्का देके के उस पेपर के टुकड़े को हटा दूंगा और दीदी को कपडे उतारते हुए और उनके इतने प्यारे और मोटे बोबे उनकी चिकनी चूत मोटी गोरी गांड सब देखूंगा बिलकुल नंगी देखूंगा सब आज जिनके वजह से मैं अभी तक इतना तदपा था , लेकिन आज मैं अपनी दीदी को नंगी देखने वाला था उस दिन मैं दीदी के आने का वेट करने लगा तभी मैंने सोचा की दीदी की चैटिंग को भी पकड़ा जाए शाम होने मैं अभी 2 घंटे बाकी थे मैं उस जगह पर पहुंचा जहाँ बैठ कर दीदी लैपटॉप पे चैट करती थी मैंने इधर उधर देखा उसी जगह के ऊपर 1 तिखाल थी जहा पर कुछ सामान रखा हुआ था मैंने उसकी हाइट चेक की उस तिखाल से नीचे की एक्टिविटी साफ़ 2 नजर आ रहे थे मैंने प्लान बनाया की उस तिखाल पर छुपा कर 1 कैमरा रखा जाये विडियो मोड पे जिस से जब दीदी अपना पासवर्ड डालेगी तो वो रिकॉर्ड हो जाएगा तो उस से मुझे पता चल जाएगा की दीदी ने कौन 2 सी keys दबाई हे और उनका पासवर्ड क्या और जब दीदी चैटिंग मे अपनी ब्रा पेंटी जो भी दिखाएंगी वो भी कैमरे मे रिकॉर्ड हो जाएगा मै अपने इस प्लान पे बड़ा खुश हुआ मैंने उस तिखाल पे 1 कैमरा विडियो रिकॉर्ड मोड पे करके सही एंगल पे एडजस्ट करके रख दिया और अब मै बहुत खुश था मेरी तैयारियो से की आज तो दीदी को नंगी जरुर देखूंगा। जेसे ही दीदी शाम को आयी मेरा दिल जोर 2 से धड़क रहा था लेकिन जेसे ही मैंने दीदी को देखा बस देखता ही रह गया कितनी सेक्सी लग रही थी मेरे बेहेन रेड सूट लम्बे बाल खुले हुए गोरे फेस पे ब्राउन गोगल्स दीदी आयी और मैंने दीदी को कहा दीदी यहाँ आओ न मुझे ये सम समझ नहीं आ रहा दीदी सामने आके बैठी और मेरे हाथ से बुक ली और कहा "इसमें क्या हुआ सोनू मैंने बतया तो था ला कॉपी दे तेरी मै वापस समझा देती हु " दीदी कॉपी लेकर सम करने के लिए झुकी और जो मै चाहता था वही हुआ दीदी के कुर्ते के गले मे से मुझे उनकी ब्रा दिखाई दे गई कितने मोटे 2 बोबे थे मेरी दीदी के ये सोच के मेरा लंड खड़ा हो गया दीदी के गले मे पतली सी चैन और उस लटकी हुई चैन मे से दीदी की ब्रा के कप्स साफ़ साफ़ दिखाई दे रहे थे मै ये नजारा देखने मे व्यस्त था तभी दीदी ने बोला " आगया समझ अब हमेशा देखता ही मत रहा कर कुछ कर भी देखा कर खुद तभी तो पता पड़ेगा हमेशा किताब को देखता रहता है " मैंने सोचा दीदी आप करने कहा दे रही हो कुछ मै तो कितना try कर रहा हु तभी दीदी जाने लगी और मैंने उन्हें बुलाया दीदी सुनो दीदी ने कहा "अब क्या हुआ भोंदू" और मैंने दीदी को हग कर लिया कस के और कहा "थैंक यू दीदी मुझे ये सम समझाने के लिए " कितना नरम बदन था दीदी का मैं उनके नरम और कोमल बोबो को अपने शरीर पर महसूस कर सकता था दीदी ने भी मुझे हग कर लिया और उनके underarms मे से उनके perfume और थोड़े पसीने की इतनी कामुख खुशबु आ रही थी की मैं बयां नहीं कर सकता और फिर दीदी ने मेरे सर पे हाथ फेरा और कपडे चेंज करने के लिए जाने लगी अब मै खुशी से पागल होने वाला था क्योंकि दीदी बाथरूम की तरफ जा रही थी अपने कपडे चेंज करने दीदी ने उनकी अलमारी मे से 1 टॉप और लोअर निकाला और बाथरूम की तरफ जाने लगी दीदी बाथरूम की तरफ गयी और मैं अपने लंड पे हाथ फेरते हुए पीछे 2 गया दीदी के , मेरे मन मे तो लडडू फूट रहे थे की आज दीदी नंगी होगी और मै उनको 1-1 कपडा उतारते हुए ही मुट मारूंगा दीदी ने बाथरूम का दरवाजा बंद किया और 1 sec बाद बाथरूम मैं से दीदी के चिलाने की आवाज आयी और दीदी भागती हुई बाथरूम मैं से बाहर आगयी मम्मी ने पुछा "क्या हुआ प्रीति " दीदी ने कहा मम्मी बाथरूम 1 बड़ी सी छिपकली है मम्मी जोर से हसनी लगी और कहा "हे भगवान ! इतनी बड़ी हो गयी है और छिपकली से डरती है रुक मैं आती हु अभी तब तक तू अपने रूम का गेट बंद करके कपडे चेंज करले " , अब मुझे इतना गुस्सा आया जिसकी हद नहीं थी मैंने सोचा साली इस कमीनी छिपकली को भी अभी आना था मेरी तो किस्मत मे ही लंड लटक रहे है अब मैंने सोचा की अब आज शाम को तो दीदी की ब्रा पेंटी में रिकॉर्डिंग होने से तो कोई नहीं रोक सकता उस दिन शाम को दीदी वापस लैपटॉप लेके बैठी ओर नेट कनेक्ट किया मैं समझ गया की दीदी वापस चैटिंग करने वाली है मै वापस अलमारी के पीछे चुप गया दीदी मेरी तरफ अपनी पीठ करके बेठी थी मैंने ऊपर कैमरा रख दिया था तो मुझे पता था की अब सब कुछ उसमे रिकॉर्ड होने वाला है दीदी ने ब्लैक कलर की टी शर्ट और लाइट ब्राउन कलर का लोअर पेहेन रखा था था अब मैं वेट करने लगा की कब दीदी विडियो चैट करेंगी लेकिन मुझे बस keys की टाइपिंग की आवाज आ रही थी मैं समझ गया की दीदी मेस्सजेस में चैटिंग कर रही है करीब 20 mins तक दीदी ऐसे ही चैटिंग करती रही मैंने सोचा आज क्या हुआ यार इनको ये विडियो चाट कब करेंगी करीब 25 mins बाद दीदी लैपटॉप के सामने से उठके गयी मुझे स्क्रीन पर FB का पेज दिखा अब मुझे पता था की दीदी विडियो चैट करने वाली है और वो शायद मम्मी को चेक करने गयी थी थोड़ी देर बाद दीदी वापस आयी और स्क्रीन को देख के हाथ हिलाया फिर उन्होंने लैपटॉप की स्क्रीन पर 2-3 फ्लाइंग किस्स किये मेरा लंड लोअर मेंसे खड़ा होने लगा फिर दीदी ने 2 बार लैपटॉप की स्क्रीन पे किस्स किया फिर इधर उधर देखा और अपनी टी शर्ट ऊपर कर दी मैंने वापस दीदी की नंगी चिकनी पीठ देखी और उनकी ग्रे कलर की ब्रा के स्ट्रैप्स और हुक देखा मैं अपने लंड को सहलाने लगा दीदी की ब्रा देखते हुए फिर दीदी ने अपनी ब्रा के स्ट्रैप्स को साइड से नीचे किया मेरा लंड बिलकुल टाइट खड़ा था वो अपने bf को अपने बोबे दिखाने वाली थी फिर एकदम से उन्होंने अपनी ब्रा स्ट्रैप्स को वापस ऊपर कर लिया और अपनी टी शर्ट नीचे कर ली और जोर 2 से हसने लगी स्क्रीन पे देखते हुए फिर दीदी ने वापस लैपटॉप की स्क्रीन पे 3-4 बार किस किया मैं सोच रहा था कौन होगा वो खुशनसीब जो दीदी के कोमल नरम होठों पे किस करेगा उन्हें चुसेगा उनका रस पिएगा फिर दीदी ने वापस अपनी टी शर्ट ऊपर की और अपने दोनों हाथ अपने बोबो पे फेरने लगी मुझे पता था की अब दीदी भी गरम हो गयी होंगी अब दीदी ने अपने हाथ पीछे किये और अपने ब्रा के हुक को पकड़ा मै अपने लंड को जोर 2 से हिलाने लगा की अब दीदी अपनी ब्रा उतारने वाली है नंगी होने वाली है और अपने मोटे नरम बोबे दिखाने वाली है इतनी में घर का फोन बजा और दीदी ने फटाफट अपनी टी शर्ट नीचे की लैपटॉप की स्क्रीन नीचे की और भाग के हॉल मे जाके फोन उठाया मैंने सोचा फिर चोट हो गयी लेकिन मैंने सोचा चलो अच्छा है उस दुसरे लड़के को तो कुछ देखने को नहीं मिला अगर दीदी ब्रा उतार भी देती तो भी मुझे तो पीठ ही दिखती मैं वही अलमारी के पीछे खड़ा रहा क्योंकि दीदी ने अभी लैपटॉप बंद नहीं किया था दीदी वापस आयी लैपटॉप की स्क्रीन को वापस ऊपर किया और bye करके हाथ हिलाने लगी शायद वो बता रही थी की मम्मी अंदर ही है लेकिन फिर वो वापस खड़ी हुई और अपना लोअर नीचे किया मुझे दीदी की पेंटी दिखाई दी दीदी ने ब्लैक और ग्रे मे stripes डिजाईन वाली पेंटी पेहेन रखी थी मैं दीदी की गांड को देखते हुए अपने लंड को हिलाने लगा इतने में दीदी ने अपनी टी शर्ट भी ऊपर कर दी अब दीदी मेरे सामने पीछे से ब्रा और पेंटी मे खड़ी थी मैं पागलो की तरह अपने लंड को हिलाने लगा और दीदी को पीछे से ब्रा पेंटी में देखते देखते ही झर गया . फिर दीदी ने लैपटॉप ऑफ किया और मम्मी के पास जाके बातें करने लगी मैं धीरे से अलमारी के पीछे से निकला और कैमरा उठाया और उसे चेक करने लगा की क्या 2 रिकॉर्ड हुआ है कैमरा ओन किया तो मेरी ठुक गयी उसमे बैटरी लो का साइन आ रहा था मैंने उसे चार्जिंग पे लगाया और विडियो क्लिप देखि वो 57 mins की थी मैंने सोचा ये क्या हुआ इतनी छोटी क्लिप केसे हो गयी क्योंकि कैमरा तो बहुत पहले ही एडजस्ट कर दिया था मैंने उस क्लिप को प्ले करके देखा एंड के 27 मीन्स की क्लिप में काम का बस ये रिकॉर्ड हुआ था दीदी आयी लैपटॉप ओन किया स्क्रीन पे फ्लाइंग किस्स किया बस यहाँ तक रिकॉर्ड हुआ था फिर कैमरा ऑफ हो गया था मुझे फिर इतना गुस्सा आया की मैंने बैटरी क्यू नहीं चेक की पहले फिर मैंने उस क्लिप को लैपटॉप मे डाला और जब दीदी पासवर्ड डाल रही थी तब zoom करके क्लिप को बार 2 pause कर कर के देखा और मुझे मजा आ गया क्योंकि मुझे दीदी का पासवर्ड मिल चूका था उनका पासवर्ड था " I love you janu " अब मैंने browsing हिस्ट्री चेक की पहले दीदी ने gmail खोला था तो मैंने दीदी की ID डाली और पासवर्ड बॉक्स में I love you janu डाला और उनका अकाउंट ओपन हो गया मैं खुद पर बहुत फक्र महसूस कर रहा था अब मैंने उनकी chats चेक की दीदी की और उनके bf से ये chats थी :- raj2002 - hi जानेमन केसी हो ... priti214 - अच्छी हु जानू तुम केसे हो ... raj2002-बस तुम्हे याद कर रहा हु जान I love u so much priti214 - I love u 2 so much जानू raj2002- क्या पेहेन रखा है जान तुमने अभी priti214 - कपडे और क्या हा हा हा हा हा ! raj2002- ढंग से बताओ न जान क्या पेहेन रखा है अभी priti214 - टी शर्ट और लोअर जानू raj2002 - उसके अंदर क्या पेहेन रखा है मेरी जानेमन priti214 - जो सब पहनते है वही और क्या raj2002 - बताओ न जान प्लीज priti214 - ब्रा और पेंटी जानू raj2002 - कौनसे कलर की ब्रा और पेंटी पेहेन रखी है मेरी सेक्सी priti214 - जानू ग्रे कलर की ब्रा है और ब्लैक और ग्रे स्ट्राइप्स वाली पेंटी है , क्यू तुम क्यू पूछ रहे हो raj2002 - क्योंकि मुझे तुम्हारी बहुत याद आ रही है जान , जान मैं 1 बात बोलू वो करोगी priti214 - अच्छा जी बड़ी याद आ रही है हमारी जानती हु ना शैतान तुम्हे क्यू याद आ रही है raj2002 - बताओ ना जान मैं 1 बात बोलू वो करोगी priti214 - हा जानू बोलो ना raj2002 - अपना 1 अच्छा सा विडियो बना के भेजो ना इन ब्रा पेंटी को उतारते हुए प्लीज priti214 - पागल हो गए हो दिमाग ख़राब है क्या तुम्हारा raj2002 - प्लीज जान प्लीज मेरे लिए भेजो ना प्लीज priti214 - तुम पागल हो गए हो क्या लैपटॉप मेरे पापा भाई दोनों use करते है किसी ने कुछ देख लिया तो कुछ रह गया तो नहीं नहीं मैं नहीं करुँगी एसा कुछ भी raj2002 - कुछ नहीं रहेगा जान मै सब डिलीट करवा दूंगा तुमसे भरोसा रखो किसी को कुछ नहीं मिलेगा priti214 - नहीं यार राज समझा करो मै ये सब नहीं कर सकती और ना ही करना चाहती हु इसलिए ही मै तुमसे कही बाहर नहीं मिलती हू कॉलेज के अलावा मै एसा कुछ नहीं करुँगी this is my final rply raj2002 - ठीक है जान विडियो मत भेजो फोटो ही भेज दो खुद की 1 ब्रा पेंटी मे और 1 बिना ब्रा पेंटी के बिलकुल नंगी priti214 - न मै कोई विडियो भेजने वाली हु न कोई फोटो ok मुझे इस तरह की demands अच्छी नहीं लगती है तो आगे मुझसे इस matter पे कोई बात मत करना ok raj2002 - अरे जान तुम तो नाराज हो गयी अच्छा सॉरी अब कम से कम FB पे विडियो चैट पे तो आजाओ priti214 - हां जानू अभी आती हु मम्मी को बाहर जाने दो raj2002 - ok और मेरी सेक्सी उस दिन तो कॉलेज मे मेरा खड़ा हो गया था पीछे से तुम्हारी ब्रा स्ट्रैप्स को देख के लेकिन क्या करू कुछ कर भी तो नहीं सकता था priti214 - हा हा बड़े शरीफ हो तुम जो कुछ नहीं कर सकते थे बदमाश तो हो 1 नंबर के raj2002 - क्यू जान मैंने क्या किया priti214 - अच्छा उस दिन 5th पीरियड मे मेरी स्कर्ट मे हाथ डाल के मेरी पेंटी कौन चेक कर रहा था और किसने नीचे पेंसिल उठाने के बहाने मेरी स्कर्ट के अंदर देखा था की मै कौनसे कलर की पेंटी पेहेन के आयी हू बताना तो शैतान इंसान ... raj2002 - हा यार जान उस दिन तो मजा आ गया था तुम्हारी ब्लैक पेंटी बहुत सेक्सी लग रही थी ,और तुम भी तो शैतान हो जानेमन तुम भी तो मेरे लंड पे अपना हाथ फेर रही थी उस दिन डेस्क के नीचे priti214 - ओये मै कोई हाथ नहीं फेर रही थी तुमने मेरा हाथ पकड़ के उस पे लगाया था और कहा था प्लीज प्लीज करके की थोड़ी देर सहला दो ना Tags
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#85
raj2002 - हा हा तो क्या हुआ तुमने मेरा लंड तो सहलाया था ना केसा लगा था तुम्हे बताओ ना priti214 - अच्छा लगा था लेकिन वो कितना गरम हो रहा था एसा क्यू raj2002 - तुम अपनी चूत में ऊँगली डाल के देखो अभी वो भी गरम हो रही होगी हा हा हा हा हा हा priti214 - चुप करो बदमाश raj2002 - अरे तुमने वो विवेक सर और सिम्मी का matter सुना अपने कॉलेज में priti214 - नहीं तो क्यू क्या हुआ raj2002 - अरे पता है विवेक सर हमेशा सिमी के डेस्क के पास जाके खड़े हो जाते थे और उसकी पूरी पीठ पर हाथ फेरते रहते थे और पूछते रहते थे होमवर्क कर लिया कॉपी चेक करवाली nd all... priti214 - क्या !!!!! क्या बात कर रहे हो raj2002 - हां फिर 1 दिन उन्होंने पीठ पे हाथ फेरते 2 सिम्मी के कंधो पे हाथ फेरा और उसकी ब्रा स्ट्रैप्स पकड़ ली priti214 - हे भगवान !!!! फिर raj2002 - हा यार फिर 1 दिन गेम्स पीरियड मे विवेक सर ने सारे बच्चो को गेम्स के लिए भेज दिया और सिम्मी से कहा की ये copies लेके स्टाफ रूम मे आजाओ priti214 - फिर ! raj2002 - फिर वहा पर सर ने सिम्मी की स्कर्ट ऊपर कर दी और उसकी शर्ट जोर से खीची तो सिमी की शर्ट के ऊपर के 3 बटन टूट गए उसने जेसे तेसे अपने आप को छुड़ाया और भाग गयी प्रिंसिपल मैडम के चेम्बर मे और complain कर दी priti214 - सही किया उसने एसे लोगो के साथ तो एसा ही होने चाहिए साले कमीने बस साले इधर उधर हाथ लगाने का मौका ढूंढ़ते है raj2002 - -क्यू जान कभी तुम्हारे साथ भी एस कुछ हुआ क्या priti214 - नहीं नहीं ऐसी कोई बात नहीं है raj2002 - नहीं जान बताओ तुम्हे मेरी कसम है priti214 - अरे यार पापा के 1 फ्रेंड है दिनेश अंकल वो काफी अच्छे फ्रेंड है पापा के वो करते है एसी हरकते इधर उधर हाथ लगाते रहते है raj2002 - क्यू कहा 2 हाथ लगाया जान उन्होंने तुम्हारे priti214 - अरे यार मैं जब भी उनके पैर छूती हु वो सर पे हाथ रख के आशीर्वाद नहीं देते पीठ पे हाथ रख के देते है हमेशा मेरी ब्रा के स्ट्रैप्स और हुक को फील करते है पीठ पे से फिर मेरी पीठ से अपने हाथ मेरे कंधो पर लाते है और वहां ब्रा के स्ट्रैप्स खीचते है फिर गालो पे हाथ फेरते हुए बोलते है बड़ी सुंदर बिटिया है आपकी साला कमीना इस तरीके से सब करता है की किसी को कुछ पता ही नहीं पड़ता बस मेरे अलावा raj2002 - और क्या किया उसने और तुम्हे कब पता पड़ा की उसकी नीयत ख़राब है तुम पे priti214 - 1 बार हम लोग बाहर गए थे घुमने के लिए तो दिनेश अंकल की गाडी लेके ही गए थे तो जब मै पीछे बेठे तो वो भी मेरे साथ पीछे की सीट पे बैठ गए अब जेसे ही गाडी थोड़ी सी हिलती तो वो मुझे बार 2 धक्का देते और बार 2 कभी मेरे हाथ कभी मेरी टाँगे कभी मेरी जांघ पे हाथ लगते मुझे लगा नॉर्मली होगा लेकिन 1 बार उन्होनी अपनी कोहनी से मेरे वहां दबाया .. raj2002 - कहा दबाया जान बताओ ना priti214 - वही ना यार समझो ना raj2002 - कहा बताओ ना मैं समझा नहीं priti214 - मेरे बूब्स पे raj2002 - हे !!! क्या बात कर रही हो केसे priti214 - 1 दम से गाडी मे दचका आया और उन्होंने मेरे साइड बूब्स पे अपनी कोहनी से मारा मुझे लगा की गलती से लगा होगा उनसे लेकिन फिर मुझे अपनी चुन्नी के नीचे अपने बूब्स पर कुछ महसूस हुआ और वो उनकी उंगलिया थी raj2002 - क्या तो तुमने किसी को बताया क्यू नहीं priti214 - क्या बताती यार फिर वो सोने का नाटक करने लगे और मेरे कंधे पर अपना सर रख दिया अब वो बार 2 मेरी गर्दन पे अपने होंठ फेर रहे थे और मैं कुछ नहीं कर पा रही थी फिर उन्होंने मेरे कंधे पे से मेरी चुन्नी और मेरे कुर्ते के strap को साइड से थोडा सा नीचे किया और मेरी कंधे की ब्रा स्ट्रैप्स को किस किया मुझे इतना गुस्सा आ रहा था बस मैं उनसे छूटने की कोशिश कर रही थी फिर उन्होंने मेरी चुन्नी के नीचे से मेरे कुर्ते का गला पकड़ा और उसे हलके से खींच कर अंदर मेरी ब्रा देखने लगे और फिर मुझे गुस्सा आया मैंने सोचा enough is enough ये ऐसे नहीं मानेगा मुझे ही कुछ करना पड़ेगा raj2002 - तो फिर क्या किया तुमने जान priti214 - मैंने पापा से बोल की पापा मुझे आगे बेठना है अब गाडी मे raj2002 - फिर क्या हुआ जान priti214 - फिर क्या साला कमीना था वो भी जेसी ही पापा ने गाडी रोकी मैं आगे जाके बैठ गयी और मेरे भाई को पीछे बैठा दिया इतने मैं उस दिनेश कमीने ने पापा से बोल यार राजेंद्र तू गाडी ड्राइव कर 2 के थक गया होगा चल अब मैं ड्राइव करता हू मुझे इतना गुस्सा आया मैंने घूर के उसे देखा और वो कमीन मुस्कुरा रहा था मुझे देख के raj2002 - फिर priti214 - फिर क्या घर पहुचने मे अभी 2 घंटे का टाइम था और रात के 12:30 हो रहे थे मुझे थोड़ी सी झपकी लग गयी तभी मुझे 1 हाथ अपनी सलवार पे से अपनी जांघ पे महसूस हुआ वो हाथ मेरी जांघ को सहला रहा था और धीरे 2 ऊपर की तरफ आ रहा था ऊपर आते 2 वो हाथ मेरी दोनों जांघो के बीच मे आगया मुझे समझ मे आ गया था की यही कमीना है पर क्या करती उसने मेरे घुटने से लेके मेरी जांघ तक सब जगह हाथ फेरा और सब जगह अपने हाथो से सहलाने लगा फिर उसने अपने हाथ से मेरे दोनों जांघो के बीचे गैप बनाया और मेरी पेंटी पे से मेरे वहां हाथ फेरने लगा raj2002 - कहाँ मेरी सेक्सी बताओ ना priti214 - मेरे वेजिना पे ... raj2002 - फिर क्या हुआ priti214 - वो अपना हाथ मेरी पेंटी पे फेर रहा था और मैं सोने का नाटक कर रही थी क्या करती आखिर फिर वो अपने हाथ से मेरी पूरी वेजिना को सहलाने लगा अपने हाथ की उंगलियों को वो मेरी वेजिना में फेरने लगा ऊपर से लेके नीचे तक उसके हाथ की दो उंगलिया मेरी पूरी वेजिना में घूम रही थी



raj2002 - अच्छा जान तुम्हे केसा लग रहा था सच बताओ priti214 - केसा क्या गुस्सा आ रहा था बहुत raj2002 - नहीं सच 2 बताओ तुम्हे केसा फील हो रहा था तुम्हे मेरी कसम priti214 - सच बताऊ तो पहले बहुत गुस्सा आ रहा था लेकिन जब अंकल अपने हाथ की दो उंगलियों से मेरे वाजिना को सहला रहे थे उसमे अपनी उंगलिया घुसाने की कोशिश कर रहे थे मेरी वेजिना की स्किन को अपने नाख़ून से रगड़ रहे थे तो मजा आ रहा था एसा लग रहा था की ये सब बंद न हो बस चलता ही रहे raj2002 - मतलब मेरी जान तुम बहुत गरम हो गई थी है ना priti214 - ह्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म raj2002 -फिर priti214 - फिर उन्होंने अपने हाथ को मेरे कुर्ते के अंदर डाला और मेरी सलवार के नाड़े को ढूंढ़ने लगे . दीदी की ये chats पढके मेरा लंड बिलकुल टाइट और गरम हो गया था मैं सोच रहा था की मेरी दीदी के साथ इतना कुछ हो चूका है दिनेश अंकल को कितना मजा आया होगा जब उन्होंने दीदी के नरम और मोटे बोबो को छुहा होगा उनका तो लंड खड़ा हो गया होगा और उन्होंने तो दीदी की चूत पे भी हाथ फेर रखा है केसा फील हुआ होगा उन्हें मजा आगया होगा उन्हें तो क्या दीदी की चूत पे बाल होंगे या चिकनी होगी दीदी की चूत और मुझे आश्चर्य हुआ की जब अंकल दीदी की चूत पे हाथ फेर रहे थे तो दीदी को भी मजा आ रहा था ये दीदी ने खुद ने बोल था मुझे ये सब सोच सोच के पता नहीं क्या हो रहा था मैंने इतना ज्यादा excited आज तक फील नहीं किया था मैं लंड पे हाथ फेर रहा था तो मुझे कुछ गीला 2 सा महसूस हुआ शायद वो pre cum था ये सब chats पढके के और उस situtaion को इमेजिन कर कर के मेरे लंड मे पैन होने लग गया था मैंने सोचा अब जाकर मूट मारता हु नहीं तो मेरा लंड फट जाएगा और मै सोचने लगा की काश आज भी दीदी की ब्रा पेंटी मिल जाए बाथरूम मे तो मजा आ जाये मैं ये सोच ही रहा था इतने मे मम्मी दीदी के रूम की तरफ आई "प्रीती ओ प्रीती कहा ह तू " मेरी फट गयी मैंने फटाफट लैपटॉप की स्क्रीन बंद की और लैपटॉप सहीत ही बेड के नीचे चुप गया मम्मी रूम में आके बोली "कहा गयी ये लड़की दीदी की आवाज आयी "हा मम्मी अभी आयी " दीदी रूम मे आयी दीदी - "हा मम्मी बोलो " मम्मी - "अरे कहा थी तू वो कल शादी म चलना है तो चल मार्किट हो आते है , तुझे कुछ चाहिए " दीदी - "हाँ मम्मी हा मुझे नयी ब्रा पेंटी भी लेनी है 1 सेट की ब्रा तो बहुत ही लूस हो गयी है ना फिटिंग आती है ना शेप और 1 ब्रा में से निप्पल्स साफ़ दीखते है चाहे कुरता पहनो या टॉप तो आप इस बार मेरे लिए ब्रा ऐसी देखना जिसमे मेरे निप्पल्स न दिखे " मेरी और हालत ख़राब हो रही थी बेड के नीचे से ये सब बातें सुन सुन के मैं सोच रहा था दीदी के निप्पल्स बड़े होंगे या छोटे और कौनसे कलर के होंगे इतने में दीदी ने अपना टॉप ऊपर किया और कहा दीदी- "और ये वाली जो ब्रा है ये इतनी टाइट है की दम ही निकल जाता है मेरा तो " मेरे वारे न्यारे होगए दीदी को सामने से ब्रा मे देख के दीदी के मोटे बोबे उनकी टाइट ब्रा में से आधे बहार निकल रहे थे 1 बार तो मेरी इच्छा हुई की अपना लंड निकाल के बेड के नीचे ही मूट मारलु फिर दीदी बोली दीदी - "और हा मम्मी सेल्समेन के सामने मुझसे साइज़ मत पूछना वो साइज़ सुन के घूरते रहते है ब्रैस्ट पे मेरा साइज़ 34 है आप इस साइज़ की ब्रा निकलवा देना और मैं ऊँगली से इशारा कर दूंगी की मुझे कौनसी पसंद आ रहे है मैं कुछ नही बोलूंगी " मम्मी - "ठीक है तो तूने अभी जो ब्रा पेंटी पेहेन रखे वो उतार दे और जो तुझे comfortable लगते हो पेहेन ले ताकि जरुरत पड़ी तो try करके और compare करके भी देख लेना तू " अब मैंने सोचा जो मैंने माँगा था वो दीदी उतार रही है बाथरूम मे मेरी इच्छा पूरी हो गयी थी फिर दीदी मम्मी मार्किट चले गए मैंने गेट बंद किया और बाथरूम मे गया दीदी के टॉवल के नीचे से पहले दीदी की ब्रा उठाई उसपे किस किया उनके कप्स पे किस किया उनके कप्स को सहलाया उनकी ब्रा के कप्स को दबाया और अपने पूरे फेस पे फेरा मैंने दीदी की ब्रा को फिर मैंने दीदी की पेंटी उठाई और उसे जेसे ही सुंघा आज उसमे कुछ ज्यादा ही अच्छी और कमसिन सी खुशबु आ रही थी , दीदी की पेंटी आज उस दिन से ज्यादा गीली थी मैंने दीदी के पेंटी मे देखा तो हैरान रह गया दीदी की पेंटी पे बहुत सारा वाइट गाड़ा पानी जेसा कुछ लगा हुआ था मैं समझ गया की ये दीदी की चूत का डिस्चार्ज है वो नीचे की साइड की पूरी पेंटी पे लगा हुआ था मैंने सोचा की आज दीदी का इतना सारा डिस्चार्ज केसे निकला फिर मुझे समझ मे आगया मैंने मेरे मन मे कहा की "दीदी गरम हो रही थी जब वो अपने bf को बता रही थी की दिनेश अंकल ने उनके बोबे दबाये और उनकी चूत पे अपना हाथ फेरा ये सब बताते 2 दीदी गरम हो गयी थी तभी उनकी चूत मे से इतना सारा डिस्चार्ज निकला " मैं अपनी दीदी की पेंटी मे लगे डिस्चार्ज को चाटने लगा और पूरा चाट के साफ़ कर दिया क्या मस्त taste था मेरी दीदी की चूत का फिर उनकी पेंटी को अपने लंड पे लपेटा और अपने लंड को हिलाने लगा और थोड़ी ही देर मे मैं झर गया आज जेसा अनुभव मुझे कभी नहीं मिला था मैंने वापस दीदी की ब्रा पेंटी रखी और बाहर आया और लैपटॉप ओन किया और दीदी की आगे की chats पड़ने लगा priti214 - फिर उन्होंने अपने हाथ को मेरे कुर्ते के अंदर डाला और मेरी सलवार के नाड़े को ढूंढ़ने लगे मेरी दिल की धड़कने इतनी तेज चल रही थी की मैं बता नहीं सकती मेरे पापा की उम्र का आदमी मेरी सलवार और पेंटी पे से मेरी वेजिना पे हाथ फेर रहा था वो भी मेरे पापा मम्मी के उसी गाडी में होते हुए भी।। raj2002 - आगे क्या हुआ जान priti214 - मुझे समझ ही नहीं आ रहा था की मैं क्या करू ये आदमी मुझे नंगी करने की सोच रहा था इस गाडी मैं जिसमे मैं मेरी पूरी फॅमिली बेठी है फिर भी मै इसे रोक क्यों नहीं रही हू मेरा दिल बोल रहा था की मैं उसे रोकू और दिमाग कह रहा था की जो चल रहा ह उसे चलने दू नंगी हो जाऊ इस गाडी में और अंकल को अपनी नंगी वेजिना पे हाथ फेरने दू तभी अंकल को मेरी सलवार का नाडा मिल गया और वो उसे खींचने ही वाले थे की मैंने उनका हाथ पकड़ लिया जेसे ही मेरी आँखें खुली मुझे समझ आगया की मुझे क्या करना है मैंने अंकल की तरफ घूर के देखा उनके हाथ को झटका और पीछे मुडी उनके के चेहरे पे हवाइया उड़ रही थी क्योंकि उनकी भी दोनों जवान बेटियां उस गाडी मैं थी मैंने जोर से चिल्लाके कहा " मम्मी बहुत हो गया अब मुझसे नहीं झेला जाता आगे और मैं आपको कुछ बताना चाहती हु " priti214 - मुझे समझ ही नहीं आ रहा था की मैं क्या करू ये आदमी मुझे नंगी करने की सोच रहा था इस गाडी मैं जिसमे मैं मेरी पूरी फॅमिली बेठी है फिर भी मै इसे रोक क्यों नहीं रही हू मेरा दिल बोल रहा था की मैं उसे रोकू और दिमाग कह रहा था की जो चल रहा ह उसे चलने दू नंगी हो जाऊ इस गाडी में और अंकल को अपनी नंगी वेजिना पे हाथ फेरने दू तभी अंकल को मेरी सलवार का नाडा मिल गया और वो उसे खींचने ही वाले थे की मैंने उनका हाथ पकड़ लिया जेसे ही मेरी आँखें खुली मुझे समझ आगया की मुझे क्या करना है मैंने अंकल की तरफ घूर के देखा उनके हाथ को झटका और पीछे मुडी उनके के चेहरे पे हवाइया उड़ रही थी क्योंकि उनकी भी दोनों जवान बेटियां उस गाडी मैं थी मैंने जोर से चिल्लाके कहा " मम्मी बहुत हो गया अब मुझसे नहीं झेला जाता आगे और मैं आपको कुछ बताना चाहती हु " अंकल की हालत देखने लायक थी उन्होंने मेरी तरफ देख के धीरे से कहा प्लीज बेटी किसी को कुछ मत कहने मैं आगे से ऐसा कुछ नहीं करूँगा सॉरी प्लीज सॉरी , मम्मी ने मुझसे पुछा "क्या हुआ प्रीती क्या नहीं झेला जाता मैंने मम्मी को धीरे से कहा मम्मी गाडी रुकवाओ न किसी रेस्टोरेंट पे मुझे भूख भी लगी है और टॉयलेट भी जाना है " मेरी बात सुनके अंकल के चेहरे पर सुकून आया raj2002 -


तो जान तुम बता देती ना उस कमीने की करतूत क्यों नहीं बताया priti214 - यार मैंने सोचा छोड़ो अभी इसकी अच्छी खासी फॅमिली बिगड़ जाएगी और इसने सॉरी भी बोल दिया था इसलिए raj2002 - फिर वो अंकल क्या अभी भी घर पे आते है क्या अभी भी तुम्हारी ब्रा के स्ट्रैप्स को फील करते है क्या priti214 - नहीं फिर मैंने मम्मी को बोल दिया था की दिनेश अंकल गालो पे टच करते है तो मुझे अच्छा नहीं लगता कोई बच्ची थोड़ी ना हूँ तो मम्मी ने बोल दिया की तू पैर मत छुहा कर दूर से नमस्ते कर लिया कर raj2002 - लेकिन जान तुम्हे मजा आया था ना जब अंकल तुम्हारे बूब्स और वेजिना पे अपना हाथ फेर रहे थे priti214 - ह्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म raj2002 - तुम्हारी वेजिना मे से डिस्चार्ज भी निकला होगा ना priti214 - ह्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म raj2002 - कितना निकला था priti214 - इतना तो निकला था की मुझे मेरी पेंटी गीली गीली लगने लग गयी थी raj2002 - जान 1 बात बोलू priti214 - हा जी बोलो raj2002 - तुम्हारी ये सारी बातें सुन के मेरा खड़ा हो गया priti214 - हे भगवान् ! तुम्हारा तो हमेशा ही खड़ा हो जाता है सुला दो उसे बहुत बिगड़ गया है raj2002 - केसे जान तुम सुलाओ ना इसे priti214 - मैं वहां आगई ना तो मरोड़ दूंगी उसे हा हा हा हा हा हा raj2002 - तो जान फिर कभी हुआ क्या एसा कुछ तुम्हारे साथ उन अंकल के अलावा किसी और ने हाथ लगाया क्या तुम्हे कभी यहाँ वहां priti214 - नहीं और किसी ने तो नहीं लगाया priti214 - हाँ याद आया 1 बार और हुआ था एसा raj2002 - कब कहाँ पूरी बात बताओ ना priti214 - अभी 6 महीने पहले की ही बात है मेरा 1 एग्जाम था जिसका सेण्टर दूसरे सिटी मे आया था तो मम्मी की बेहेन यानी मेरी मौसी की लड़की भी उसी सिटी में रहती है वो मैरिड है तो मम्मी ने कहा की तू वहीँ रुक जाना मैंने कहा ठीक है मै एग्जाम के 2 दिन पहले वहां पहुंची जीजू स्टेशन पे लेने आ गए थे दीदी जीजू की शादी को अभी 4 साल ही हुए थे और उनकी 1 बेटी भी थी श्रेया 1 साल की जीजू ने हाय हेलो किया और मुझे घर ले गए उनका घर ज्यादा बड़ा नहीं था 2 रूम किचन फ्लैट था मेरा सामान 2ण्ड रूम मे रखवा दिया था मैंने अपने कपडे चेंज किये और गर्मियों के दिन थे इसलिए 1 पतली सी कैपरी और पतला सा टॉप पेहेन लिया फिर दीदी से थोड़ी बातें की फिर थोड़ी देर सो गयी raj2002 - फिर priti214 - शाम को उठी तो दीदी खाना बना रही थी मैंने सोचा उनकी हेल्प कर दू थोड़ी तो किचन मे उनके पास जाके खड़ी हो गयी और उनकी हेल्प करने लगी इतने मैं जीजू भी आ गये और बातें करने लगे 1 दम से लाइट चली गयी और मुझे अपने हिप्स पर 1 हाथ महसूस हुआ वो हाथ मेरे पूरे हिप्स पर घूम रहा था सारी उंगलिया मेरे हिप्स को सहला रही थी वो हाथ मेरे हिप्स पर घूमते हुए मेरे हिप्स को सहला रहा था और जोर 2 से दबा रहा था raj2002 - फिर priti214 - मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा था क्या करू क्या नहीं करू ये किसका हाथ है मेरे पास दो ही तो लोग थे जीजू और दीदी मैं ये सब सोच रही थी तभी 1 ऊँगली मेरे दोनों हिप्स के बीचे की दरार में घुस गयी और अंदर घुमने लगी मेरे अंदर 1 अजीब सी फीलिंग आ रही थी मुझे बहुत अच्छा महसूस हो रहा था मेरी आँखें बंद हो चुकी थी और मैंने नोटिस किया की मेरी पेंटी भी गीली हो गई थो थोड़ी सी इतने मे लाइट आ गयी और वो हाथ गायब हो गया लाइट आयी तो मैंने देखा मेरे पास दीदी खड़ी थी और उनके पास जीजू मैंने सोचा ये सब किसने किया होगा मैंने अंदाजा लगाया की शायद अँधेरे मे जीजू को पता नहीं होगा की वो किस के हिप्स पे हाथ फेर रहे है तो गलती से हो गया होगा raj2002 - आगे क्या हुआ जान priti214 - फिर हम खाना खा रहे थे दीदी और मैं साथ बैठे थे और जीजू सामने बैठे थे डाइनिंग टेबल पे , खाना खाते 2 अचानक जीजू ने अपना पैर मेरे पैर रख दिया और अपने पैर को मेरे पैर पे फेरने लगे फिर उनका पैर धीरे 2 ऊपर आने लगा और मेरी कैपरी पे से मेरी thigs पर जीजू अपना पैर फेरने लगे मैं चुप चाप जल्दी 2 खाना खा रही तभी जीजू ने अपने पैर को मेरी दोनों thigs के बीच में डाल दिया और मेरी thigs के अंदर की तरफ अपने पैरो की उंगलियों को फेरने लगे फिर उन्होंने अपने पैर के अंघूटे से मेरी वेजिना के होल पे फेरने लगे उसपे धक्का देने लगे मेरी हालत तो ख़राब हो चुकी थी बुरी तरह मेरी धड़कने बहुत तेज चल रही थी क्योंकि मेरी कैपरी बहुत पतली थी मुझे जीजू के पैर का अंघूठा अपनी वेजिना के होल पे बहुत अच्छी तरह से फील हो रहा था वो अपने पैर के अंघूटे से मेरी वेजिना के होल पर ऊपर नीचे फेर रहे थे उस पे धक्का दे रहे थे मेरी कैपरी काफी पतली थी और मुझे बहुत मजा आरहा था मेरा बहुत सारा डिस्चार्ज निकल गया था और मेरी पूरी पेंटी गीली हो गयी थी शायद उन्हें भी मेरी वेजिना के गीलेपन का एहसास हो चूका था वो जोर 2 से मेरे वेजिना के होल पे धक्का देने लगे और मुझे इतना अच्छा महसूस हो रहा था मुझे इतना मजा आ रहा था तभी दीदी ने जीजू से कहा की क्या कर रहे हो जीजू ने जल्दी से अपना पैर नीचे करके पुछा क्या हुआ दीदी ने कहा खाना तो ढंग से खाओ खाली सब्जी क्यों खा रहे हो और इतने में मैंने अपनी प्लेट उठाई और किचन में चली गयी फिर बाथरूम में जाके देखा तो सामने से मेरी कैपरी गीली हो गयी थी फिर मैंने अपनी पेंटी में देखा तो वो भी पूरी गीली हो गयी थी और उसमे मेरी वेजिना का बहुत सारा डिस्चार्ज था मैंने कैपरी और पेंटी चेंज की और श्रेया को गोद में लेके खिलाने लगी तभी जीजू ने श्रेया को मुझसे माँगा मैंने श्रेया को आगे किया जीजू की बाँहों मैं देने के लिए इतने में जीजू ने अपने हाथ से मेरे बूब्स को दबा दिया श्रेया को लेने के बहाने और मुस्कुरा कर चले गए मैंने सोचा की दीदी के कितने लोगो ने मजे ले रखे हैं बस मैं ही पीछे हु इतने में मम्मी और दीदी मार्किट से आ गए मैंने लैपटॉप बंद कर दिया और सोचने लगा की मैं दीदी के मजे केसे लू रात हो चुकी थी इतने मैं घर पे दिनेश अंकल आ गए मम्मी ने कहा "नमस्ते भाई साहब केसे आना हुआ" तो उन्होंने कहा की " भाभी मुझे इन्टरनेट पे कुछ काम था थोड़ी देर का अब मुझे तो यूज़ करना आता नहीं है तो सोचा की प्रीती की हेल्प ले लू " मम्मी ने कहा हा हा क्यू नहीं "प्रीती जरा यहाँ आना दिनेश अंकल की हेल्प कर दे थोड़ी " दीदी आई अंकल को नमस्ते किया और लैपटॉप लेने अंदर चली गयी दीदी ने अंदर रूम मैं मुझे बुलाया और कहा की " सोनू जब मैं अंकल के साथ बैठू तो तू भी मेरे साथ बैठ जाना हमारे बीच में " मैं समझ गया की दीदी एसा क्यों कह रही ताकि अंकल वापस कुछ छेड़खानी ना करे दीदी के यहाँ वहां हाथ न लगाये मैंने कहा "हाँ दीदी " दीदी लैपटॉप लेके ड्राइंग रूम मे आयी और सोफे पे बैठ गयी और सामने की टेबल पे लैपटॉप रख दिया जब उसे ओन किया तो वो ओन नहीं हुआ दीदी ने देखा की लैपटॉप की बैटरी ख़तम हो गयी थी उन्होंने चार्जर लगाया और लैपटॉप ओन किया मैं आके अंकल और दीदी के बीच मैं बैठ गया दीदी बिलकुल मुझसे चिपक के बैठी थी उनकी जांघ मेरी जांघ से टच हो रही थी दीदी ने वाइट कलर का लम्बा और ढीला कुरता और पटियाला सलवार पेहेन रखी थी ब्लैक कलर की दीदी की सलवार बहुत पतली थी बहुत सेक्सी लग रही थी दीदी लम्बे बालो को क्लिप से बाँधा हुआ फेस पे स्पेक्ट्स और कुरता और पटियाला सलवार मुझे दीदी के बदन की धीमी 2 खुशबु आ रही थी और उनकी जांघ की टचिंग से मेरा लंड खड़ा हो गया था इतने में लाइट चली गयी और लैपटॉप फिर से बंद हो गया पूरे घर में अँधेरा हो गया मम्मी ने कहा "सब जहा बठे हो वही रहना मैं टोर्च लाती हु " मेरे दिमाग मैं दीदी की chats घूम गयी केसे दीदी की गांड पे जीजू ने हाथ फेरा था जब लाइट गयी थी अगर मैं भी हाथ फेर लू तो दीदी तो यही सोचेगी की दिनेश कर रहा है मैंने दीदी की जांघ पे हाथ फेरा दीदी ने कोई हरकत नहीं की फिर मैंने दीदी के बोबो पे हाथ फेरा उनके कुर्ते के ऊपर से उन्हें दबाया दीदी के मुंह से आह की आवाज निकली मेरा लंड टाइट हो गया आज पहली बार मैंने अपनी दीदी के कोमल बोबो को छुहा था जिनकी वजह से मैं इतना तडपा था आज वो मेरे हाथ मे थे मैंने दीदी के बोबो को सहलाया उन्हें दबाया 1 दम से दीदी के मुह से मीठी सी सिसकी निकली और उन्होंने अपना हाथ मेरी जांघ पे रखा दिया मुझे पता था की दीदी को एहसास ही नही है की उनका छोटा भाई ही उनके बोबे दबा रहा है मैंने दीदी के बोबे दबाते हुए दीदी से पुछा " क्या हुआ दीदी " दीदी ने कहा " कुछ नहीं सोनू " फिर मेने दीदी के कुर्ते को थोडा ऊपर किया और अपना हाथ दीदी के कुर्ते के अंदर डाला और उनकी ब्रा पे से उनके बोबे दबाने लगा उन्हें मसलने लगा कितने मस्त बोबे थे मेरी बेहेन के बिलकुल टाइट मोटे 2 मैंने उनके दोनों बोबो पे अपना हाथ फेरा उन्हें सहलाया उन्हें दबाया मेरा लंड अपनी मस्ती मैं फुल टाइट खड़ा था दीदी के बोबे दबाते 2 मुझे एहसास हुआ की दीदी की धड़कने बहुत तेज़ चल रही थी फिर मैंने 1 हाथ से दीदी की ब्रा के कप को नीचे कर दिया और उनका 1 बोबा पूरा नंगा हो गया मैंने उस नंगे बोबे पे अपना हाथ फेरा कितना नरम और कोमल था वो बिलकुल मुलायम मुलायम मैंने दीदी के निप्पल को अपनी उंगलियों से घुमाया उनका निप्पल बहुत छोटा था और बिलकुल टाइट खड़ा था मैंने उनके खड़े निप्पल को अपनी ऊँगली से गोल 2 घुमाया उसे खींचा तो दीदी के मुह से धीरे से स्स्स्स आह सिसकरी निकल गयी मेरी इच्छा तो हो रही थी की दीदी के बोबे को अपने मुह मे लेके चुसू उनके निप्पल को चूस 2 कर उनका सारा रस पी जाऊं लेकिन मैं एसा कर नहीं सकता था फिर मैंने अपना हाथ दीदी के कुर्ते मैं से निकाला जैसे ही मैंने अपना हाथ दीदी के कुर्ते मैं से निकाला उन्होंने अपना हाथ अपने कुर्ते मैं डाल लिया अपनी ब्रा के कप को वापस ऊपर करने के लिए फिर मैंने दीदी की जांघ के अंदर की तरफ अपना हाथ फेरा दीदी की सांसें बहुत तेज चल रही थी उन्होंने कांपती आवाज मैं पुछा " मम्मी टोर्च नहीं मिली क्या आपको अभी तक " मम्मी ने कहा " नहीं ढून्ढ रही हु " मेरा हाथ दीदी की दोनों जांघो के बीच में था अब मैंने अपना हाथ दीदी की चूत पे रखा दीदी ने अपने मुह पे हाथ रख लिया उनकी सांसें बहुत तेज़ चल रही थी उसकी आवाज को बंद करने के लिए मैंने अपने हाथ को दीदी की चूत मैं थोडा और नीचे की तरफ फेरा तब मुझे पता पड़ा की दीदी की पटियाला सलवार बहुत गीली हो चुकी थी मुझे समझ आ गया था की दीदी भी गरम हो चुकी है मैंने अपना हाथ उनकी पूरी चूत पे फेरा और अपनी हथेली को दीदी की पूरी चूत पे ऊपर नीचे फेरने लगा दीदी की प्यारी कोमल चूत को सहलाने लगा दीदी की चूत की स्किन बहुत नरम और गीली थी मैंने कभी सोचा भी नहीं था की इतनी जल्दी मैं अपनी दीदी की चूत को सहला पाउँगा मैं जल्दी 2 उनकी पूरी चूत पे अपना हाथ फेरने लगा और अपने हाथ की बीच वाली ऊँगली उनकी चूत के अंदर ऊपर नीचे फेरने लगा दीदी ने अपने हाथ से मेरी जांघ को बहुत टाइट भींच लिया उनके नाखून मेरी जांघ पे चुभ रहे थे मै और ज्यादा उत्तेजित हो गया मैं अपनी ऊँगली दीदी की चूत के होल पे घुमाने लगा और तभी दीदी का बहुत सारा चूत का पानी बह निकला मुझे समझ आ गया था की दीदी झर गयी हैं वो बहुत लम्बी 2 साँसे ले रही थी इतने मैं दीदी ने कांपती आवाज में मेरे कान मैं बोल " सोननननू तू यह्ह्ह्हीइ रहनानाना कही जानानानाना मत " मैंने दीदी की चूत मैं अपनी ऊँगली फेरते हुए बोला " हाँ दीदी नहीं जाऊंगा लेकिन अँधेरे में मुझे डर लग रहा है " दीदी ने कहा "डर मत मैं यही बैठी हु तेरे पास" फिर मैंने वापस दीदी के कुर्ते मैं हाथ डाला और उनके दोनों ब्रा के कप्स को 1-1 करके नीचे कर दिया उनके दोनों बोबे नंगे हो गए थे उनके कुर्ते में मैंने दीदी के दोनों नंगे बोबो को दबाया उन्हें मसला उनके निप्पल्स पे अपनी उँगलियाँ फिराई उनके निप्पल्स को खींचा उनके दोनों निप्पल्स खड़े हो गए थे और बिलकुल टाइट थे मै उनके नंगे बोबे के मजे ले रहा था इतने मे मम्मी की आवाज आयी " अरे !बाकी सबकी लाइट तो आ रही है " मैंने फटाफट दीदी के कुर्ते मे से अपना हाथ निकाल लिया दीदी ने अपनी ब्रा ठीक की मैंने मम्मी के आने से पहले जल्दी से वापस उनकी चूत मे अपनी ऊँगली फेरने लगा दीदी की पूरी सलवार सामने से गीली हो चुकी थी आज मैं बहुत खुश था की मेरी प्यारी दीदी मेरी ऊँगली से झरी थी तभी टोर्च की लाइट जली मैंने अपना हाथ जल्दी से बहार निकाला और हलकी से लाइट मे मैंने देखा दीदी की आँखें बंद थी इतने मैं लाइट आ गयी मैंने दीदी की आँखों को देखा वो पूरी लाल हो चुकी थी लेकिन उनके चेहरे से पता पड़ रहा था की वो पूरी तरह से संतुष्ट हो चुकी थी .....
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#86
मैंने फटाफट दीदी के कुर्ते मे से अपना हाथ निकाल लिया दीदी ने अपनी ब्रा ठीक की मैंने मम्मी के आने से पहले जल्दी से वापस उनकी चूत मे अपनी ऊँगली फेरने लगा दीदी की पूरी सलवार सामने से गीली हो चुकी थी आज मैं बहुत खुश था की मेरी प्यारी दीदी मेरी ऊँगली से झरी थी तभी टोर्च की लाइट जली मैंने अपना हाथ जल्दी से बहार निकाला और हलकी से लाइट मे मैंने देखा दीदी की आँखें बंद थी इतने मैं लाइट आ गयी मैंने दीदी की आँखों को देखा वो पूरी लाल हो चुकी थी लेकिन उनके चेहरे से पता पड़ रहा था की वो पूरी तरह से संतुष्ट हो चुकी थी दीदी वहां से उठी और जाने लगी मैं साइड पोज़ से उनके बोबे देख रहा था कितने मोटे बोबे थे दीदी के मैंने देखा उनके चेहरे पे अजीब से expressions थे शायद आज जो कुछ भी हुआ उनके साथ वो उसी के बारे मैं सोच रही थी दीदी बाथरूम मैं चली गयी मुझे पता था की दीदी बाथरूम मैं क्यों गयी है शायद ये देखने की आज उनकी चूत ने क्या गुल खिलाये है दीदी के बदन के अँधेरे मैं इतने मजे लेने के बाद मेरा भी हालत ख़राब हो चुकी थी मैं भी टॉयलेट में गया और अपना खड़ा लंड बहार निकल कर उसे सहलाने लगा आँखें बंद करके और जो कुछ भी आज हुआ उसके बारे मैं सोचने लगा की मैंने दीदी के आज कैसे मजे लिए उनके बोबे दबाये उनकी चूत मसली आज पहली बार मैंने अपनी दीदी के नाजुक जिस्म को छुहा था कितना कोमल बदन था मैं सोचने लगा की दीदी के निप्पल्स कैसे होंगे मुझे तो वो छोटे 2 से लग रहे थे जब मैं उनपे अपनी ऊँगली फेर रहा था मैं कल्पना करने लगा की दीदी के निप्पल्स कैसे होंगे शायद ऐसे होंगे इतने में मैं झर गया टॉयलेट से बहार आके मैं वापस आया तो दिनेश अंकल वही बैठे हुए थे दीदी अभी तक नहीं आई थी मैं सोच रहा था दीदी अंदर अपने कपडे चेंज कर रही होगी आखिर मैंने आज उन्हें इतने मजे दिए थे की उनकी सलवार गीली हो गयी थी सामने से और पेंटी के तो ना जाने क्या हाल होंगे अंदर से थोड़ी देर बाद दीदी आयी उन्होंने अपने कपडे चेंज कर लिए थे शायद दीदी नहा ली थी इसलिए उन्होंने अपने सारे कपडे ही चेंज कर लिए थे दीदी ने नहा कर पिंक कलर का स्लीवलेस टॉप और जीन्स की शोर्ट कैपरी पेहेन ली थी दीदी बहुत सेक्सी लग रही थी फिर दीदी आई और जिसे ही दिनेश अंकल दीदी से कुछ बोलने वाले थे दीदी ने उनसे कहा की "अंकल आज आपने जो भी किया अच्छा नहीं किया " अंकल ने कहा "बेटी मैंने क्या किया ?" दीदी ने कहा "अंकल मुझे कुछ नहीं सुन्ना आज के बाद आप प्लीज घर मत आईएगा नहीं तो मैं पापा और मम्मी को सब कुछ बता दूंगी जो भी आपने किया " अंकल चले गए मैं अंदर से खुश हो रहा था की मजे मैंने लिए और लंका दिनेश की लग गयी रात को हम सब साथ मैं खाना खा रहे थे तभी मम्मी ने दीदी से कहा "प्रीती कल बुआ जी की लड़की की शादी का लेडीज संगीत है तो तू भी चलना मेरे साथ कल कॉलेज मत जाना " दीदी ने कहा "ठीक है मम्मी लेकिन मैं कल पहनू क्या जीन्स टॉप या सूट " मम्मी ने कहा "अरे ये सब तो तू हमेशा ही पहनती है कल तू मेरी साडीयों मैं से कोई अपनी पसंद की साडी देख लेना और जिसका भी ब्लाउज तुझे फिट आ जाये वो पेहेन लेना " दीदी ने कहा " ठीक है मम्मी " अब मेरे दिमाग मैं यही बात घुमने लगी की दीदी साडी में कितनी सेक्सी लंगेगी कल तो दीदी को नंगी देखूंगा ही आज दीदी के बोबे दबा के उनकी चूत पे अपना हाथ फेर के ऊँगली करके मजा तो बहुत आया था लेकिन मैंने अभी तक दीदी को पूरी नंगी नहीं देखा था और मैं अपनी दीदी को नंगी देखने के लिए बहुत उत्साहित था जिस दीदी के पूरे बदन के मैंने मजे लिए थे वो बिना कपड़ो के दिखता केसा है ये मुझे नहीं पता था इसलिए मैंने decide की अब तो दीदी को साडी उतारते हुए ही देखूंगा रात को खाना खाके पापा सोने चले गए और मैं बेड पर बैठा 2 टीवी देख रहा था मम्मी और दीदी भी उसी बेड पर बैठे हुए थे और बातें कर रहे थे दीदी ने खाना खाना के बाद लोअर और ब्लैक कलर का स्लीवलेस टॉप पेहेन लिया था मम्मी से बातें करते हुए दीदी थोडा सा लेट गयी और मुझे उनके टॉप के गले मैं से उनकी ब्रा और बोबो की झलक मिली कितनी सेक्सी लग रही थी दीदी और उनके मुलायम कोमल बोबे जो शाम को मेरे हाथो मैं थे ये सोचते 2 मैं चादर के अंदर से अपना लंड सहलाने लगा और चोरी 2 दीदी को इस पोजीशन मैं लेटे हुए देखता रहा दीदी को एसे लेटे हुए देखते हुए मैंने दीदी की ब्रा के कप को देखा और देखते 2 सोचने लगा की यही ब्रा के कप्स थे जिनको शाम को मैंने नीचे करके दीदी के बोबो को ऊपर से नंगा कर दिया था इतने मैं मम्मी ने मुझसे कहा "सोनू तू भी कल कॉलेज मत जाना घर पे रुकना कल तू " मैंने कहा " हाँ मम्मी " और सोचने लगा की कल दीदी को साडी उतारते हुए केसे देख जाये पहले जो चोंटे मेरे साथ हुई थी मैंने उनको भी ध्यान मैं रखा की एसा कुछ प्लान बनाऊ की ये मौका हाथ से न जाने पाए फिर दीदी और मैं सोने के लिए हमारे रूम मैं आगये मैं अपने बेड पे लेट गया और दीदी अपने बीएड पे बैठी हुई थी और सोने की तैयारी कर रही थी वो अपने दोनों हाथ ऊपर करके अपने बालो को खोल रही थी इस कारण उनके छाती बहार की साइड आगयी थी और उनके मोटे मोटे बोबे भी बहार आ गये थे मेरा लंड वापस अंगडाई लेने लगा दीदी के मोटे बोबो को देख के दीदी अपने बालो के क्लिप को साइड में रख रही थी और दीदी का क्लिप नीचे गिर गया और उसे उठाने के लिए वो नीचे झुकी और वापस उनके टॉप के गले मैं से मुझे उनके बोबो की झलक दिखाई दे गयी दीदी के बोबे देखते हुए मैं अपने होठो पे अपनी जीभ फेरने लगा की कितने रसीले हैं दीदी के बोबे कब मुझे इन्हें चूसने को मिलेगा कब मैं अपनी जीभ दीदी के निप्पल्स पे लगा के उन्हें चुसुंगा उनके दोनों बोबो को कब चुसुंगा कब इनका रस पियूँगा तभी दीदी ने लाइट बंद कर दी और मुझे gudnight विश किया लेकिन नींद तो आँखों से बाहर थी मेरे दिमाग मैं तो बस दीदी के बोबे ही घूम रहे थे 6 सुबह बजे मैं उठा तो दीदी ने अपनी चादर हटा दी थी और दीदी को सोते हुए देख मेरा लंड खड़ा हो गया दीदी करवट लेके सो रही थी ओत उनके बोबे चिपक रहे थे ओए उनके मोटे बोबे कितना हसीं क्लीवेज बना रहे थे उनकी ब्रा की स्ट्रैप्स मुझे साफ़ 2 नजर आ रही थी उनकी ब्रा की स्ट्रेप उनके कंधे तक आगयी थी मैं धीरे से दीदी के पास गया और उनकि ब्रा की स्ट्रेप पे धीरे से किस किया फिर उनकी टॉप के गले को आगे से धीरे से खींचा तो मुझे उनकी अंदर से ब्रा के कप्स नजर आ गए थे मेरी इच्छा तो हुई की उनके ब्रा मैं हाथ डाल के उनके बोबे दबा दू लेकिन मैं ऐसा कुछ कर नहीं सकता था मैंने 1 हाथ से उनके टॉप का गला पकड़ा हुआ था और दुसरे हाथ से अपना लंड बाहर निकाला और उसे 2 जल्दी हिलाने लगा और दीदी की ब्रा और बोबो को देखते हुइ सोचना लगा की इन्हें कल मसला था मैंने अँधेरे में थोड़ी देर मे मैं झर गया मैंने दीदी के टॉप के गले को ठीक किया और वापस सो गया सुबह से दीदी और मम्मी अपनी 2 तैयारियों मैं लगे हुए थे शादी मैं जाने के लिए वो अपनी तैयारी कर रहे थे मैं अपनी तैयारी कर रहा था की दीदी को नंगी केसे देखा जाये दिन मे दीदी मम्मी के रूम मैं गई और गेट बंद कर लिया मैं रूम के दरवाजे पर कान लगा कर उनकी बातें सुनने लगा दीदी "मम्मी मुझे साडी पहननी तो आती नहीं है तो कैसे पहनुगी " मम्मी ने कहा "अरे तो यहाँ पेहेन ले न मेरे सामने " दीदी ने बोला "फिर मम्मी ब्रा पेंटी ?" मम्मी ने कहा " ओहो ! जो भी ब्रा पेंटी तुझे पहननी है वो अपने बाथरूम मैं पेहेन ले और वापस यही कपडे डाल के मेरे रूम मैं आजा फिर यहाँ साडी पेहेन ले मैं बता दूंगी केसे पहननी है " दीदी ने कहा "ठीक है मम्मी " मैंने ये बातें सुन ली थी और मुझे याद आया की मैंने दीदी के बाथरूम के दरवाजे मैं पहले छेद कर दिया था आज मेरे पास में मौका था दीदी को ब्रा पेंटी पहनते हुए देखने का दीदी बाथरूम मैं घुसी दरवाजा बंद किया और मैंने दरवाजे के छेद मे से वो पेपर का टुकड़ा निकाला और मेरे सामने मेरी दीदी थी ब्रा पहनते हुए आज मैंने पहली बार इतने पास से और सामने से अपनी दीदी को ब्रा मैं देखा था क्या शेप बन रहा था दीदी की ब्रा को उनके मोटे बोबो के कारन फिर मैं दीदी को ब्रा पहनते हुए देखते हुए अपना लंड सहलाने लगा फिर दीदी पेंटी पहनने लगी लेकिन बाथरूम के दरवाजे का छेद छोटा था तो मुझे नीचे का कुछ नजर नहीं आया फिर दीदी बाहर निकली और मम्मी के रूम में चली गयी मैं वापस अपनी तयारी मैं लग गया थोड़ी देर बाद दीदी बहार आयी और मैंने उन्हें देखा तो देखता ही रह गया इतनी सेक्सी लग रही थी मेरी दीदी साडी मैं लम्बे खुले बाल आँखों मैं काजल कानो मैं बड़े 2 इअर रिंग्स हाथो मैं चूडिया गले मैं छोटा सा हार मैंने अपनी दीदी को इतनी सेक्सी तो कभी नहीं देखा था दीदी ने साडी उनके पेट की नाभि के नीचे बाँधी हुई थी जिस से वो और भी सेक्सी लग रही थी मैं दीदी को देखने मैं इतना खो गया की मुझे ध्यान ही नहीं रहा की दीदी मुझे आवाज दे रही है दीदी ने मुझे हिलाया और कहा "ओ बेहरे कौनसी दुनिया में है तू कब से पूछ रही हु कैसे लग रही हु मैं " मैंने मन में कहा बहुत सेक्सी और हॉट दीदी बड़ी कातिल लग रही हो आप दीदी ने फिर पुछा "अरे बता ना !" मैंने कहा "दीदी आप बहुत अच्छी लग रही हो आप बहुत सुंदर हो I Love you " दीदी ने कहा "धत पागल कही का कुछ भी बोलता रहता है " और दीदी चली गयी और मैं जाते हुए साडी में से उनकी गांड देखने लगा क्या सेक्सी गांड लग रहि थी दीदी की साडी मे अब मैंने सोच लिया था की आज तो दीदी को साडी उतारते हुए जरुर देखूंगा चाहे कुछ भी हो जाये इतने सेक्सी परी को नंगी देखने एसा मौका फिर कभी नहीं आएगा .. इतनी सेक्सी लग रही थी मेरी दीदी साडी मैं लम्बे खुले बाल आँखों मैं काजल कानो मैं बड़े 2 इअर रिंग्स हाथो मैं चूडिया गले मैं छोटा सा हार मैंने अपनी दीदी को इतनी सेक्सी तो कभी नहीं देखा था दीदी ने साडी उनके पेट की नाभि के नीचे बाँधी हुई थी जिस से वो और भी सेक्सी लग रही थी मैं दीदी को देखने मैं इतना खो गया की मुझे ध्यान ही नहीं रहा की दीदी मुझे आवाज दे रही है दीदी ने मुझे हिलाया और कहा "ओ बेहरे कौनसी दुनिया में है तू कब से पूछ रही हु कैसे लग रही हु मैं " मैंने मन में कहा बहुत सेक्सी और हॉट दीदी बड़ी कातिल लग रही हो आप दीदी ने फिर पुछा "अरे बता ना !" मैंने कहा "दीदी आप बहुत अच्छी लग रही हो आप बहुत सुंदर हो I Love you " दीदी ने कहा "धत पागल कही का कुछ भी बोलता रहता है " और दीदी चली गयी और मैं जाते हुए साडी में से उनकी गांड देखने लगा क्या सेक्सी गांड लग रहि थी दीदी की साडी मे अब मैंने सोच लिया था की आज तो दीदी को साडी उतारते हुए जरुर देखूंगा चाहे कुछ भी हो जाये इतने सेक्सी परी को नंगी देखने एसा मौका फिर कभी नहीं आएगा मम्मी और दीदी संगीत के लिए निकल गए और मैं घर पे अकेला था और सोच रहा था की इतनी खुबसूरत मेरी दीदी को आज साडी उतारते हुए केसे देखा जाये मैंने दीदी के बाथरूम के दरवाजे में तो पहले ही छेद कर दिया था अब मैंने सोचा की क्या पता दीदी आज वापस अपने रूम में ही अपने कपडे चेंज करने लग जाये तो मैं आज वापस कुछ नहीं देख पाऊंगा तो मैंने पेचकस लिया और दीदी के रूम के दरवाजे में भी 1 छेद कर दिया और उसमे भी पेपर का टुकड़ा फंसा दिया ताकि किसी को पता नहीं पड़े की दरवाजे मैं छेद है अब मैं बहुत खुश था क्यों की दो जगह थी जहाँ दीदी अपने कपडे चेंज करती थी और उन दोनों ही जगहों के दरवाजो मे मैंने छेद कर दिया था उन्हें नंगी देखने के लिए अब मैं मम्मी और दीदी के आने का वेट करने लगा अभी उनके आने मे टाइम था तो मैंने लैपटॉप ओन किया और दीदी का अकाउंट खोला और उनकी chats निकाली मैंने दीदी की वही chats निकाली जिसमे जीजू उनके यहाँ वहां हाथ लगा रहे थे जो क्योंकि मैं वो chat आधी ही पड़ पाया था मम्मी के आजाने के कारन मैंने उसे वही से ही पड़ना स्टार्ट किया जहाँ से मैंने छोड़ा था :- priti214 - मैं श्रेया को गोद में लेके खिलाने लगी तभी जीजू ने श्रेया को मुझसे माँगा मैंने श्रेया को आगे किया जीजू की बाँहों मे देने के लिए इतने में जीजू ने अपने हाथ से मेरे बूब्स को दबा दिया श्रेया को लेने के बहाने और मुस्कुरा कर चले गए मुझे समझ नहीं आ रहा था की मैं क्या करू इन सब को कैसे रोको क्यों की जीजू बहुत ज्यादा छेड़ छाड़ कर रहे थे अगर दीदी देख लेती तो सारी बात मुझ पर आती जबकि मेरी कोई गलती ही नहीं थी raj2002 - फिर जान priti214 - उस दिन दीदी के घर 2-3 गेस्ट्स और आगये उनका फ्लैट बहुत ही छोटा था तो दीदी ने कहा "प्रीती तू 1 काम कर तू हमारे बेडरूम मैं ही सो जाना मेरे पास और इन गेस्ट्स को तेरे रूम मैं शिफ्ट कर देते हैं " मैंने कहा " ठीक है दीदी " दीदी के कहने पे मैं अपना सारा सामान दीदी जीजू के बेडरूम में ले आयी फिर रात को सोने का टाइम हुआ ... raj2002 - जान तुमने उस दिन रात को पहना क्या था priti214 - उम्म्म्म्म जानू याद नहीं है बट शायद क्रीम कलर का पतला सा टोपर था
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#87
और कैपरी थी raj2002 - फिर जान आगे क्या हुआ priti214 - रात को सब सोने लगे तो डबल बेड पे जीजू 1 कोने में सो गए बीच मैं दीदी और सबसे कोने पे मैं सो गयी रात के करीब 1 बजे मेरी नींद खुली थोड़ी सी आवाजो से मैंने थोडा सा चादर हटा कर देखा तो पास में दीदी जीजू के ऊपर लेटी हुई थी और दोनों किस कर रहे थे और मुझे उनके किस्सेस की हलकी 2 आवाजें भी आ रही थी तभी दीदी ने जीजू से बोला " यार तुम पागल हो क्या प्रीती भी इसी रूम में सो रही है थोडा तो सोचो अगर उसने कुछ देख लिया तो छोड़ो न मुझे प्लीज " जीजू ने कहा "अरे कोई कुछ नहीं दिखेगा उसे सो रही है वो भी " फिर दीदी जीजू वापस किस करने लगे पूरे रूम में अँधेरा था बस हलकी सी चाँद की रौशनी आ रही थी मुझे उनकी आवाजें सुन कर कुछ 2 होने लगा था raj2002 - वाओ !! यार तुम पास मैं लेटी हो और दीदी जीजू किस कर रहे थे सोच के ही खड़ा हो गया मेरा तो तुम भी तो गरम होने लग गयी होंगी न priti214 - ह्म्म्म्म्म्म raj2002 - फिर क्या हुआ जान priti214 - फिर जीजू ने दीदी को बेड पे लेटा दिया और किसेस करने लगे फिर जीजू ने दीदी को वापस अपने ऊपर ले लिया करवट बदलते 2 जीजू मेरे काफी पास आगये थे अब जीजू दीदी को अपने ऊपर लेके किस कर रहे थे और तभी मुझे मेरे टॉप के ऊपर कुछ महसूस हुआ वो जीजू का हाथ था मेरी चादर के अंदर वो दीदी को किस 2 करते मेरे टॉप पे से मेरे बूब्स को दबा रहे थे मुझे समझ नहीं आ रहा था की मैं क्या करू इन्हें केसे रोको साला कमीना अपनी बीवी को किस कर रहा है और मेरे बूब्स पे हाथ फेर रहा है फिर दीदी जीजू के पूरी बॉडी पे किस करते 2 चादर के अंदर नीचे चली गयी और जीजू ने 1 हाथ अपनी बीवी के सर पे रख रखा था और उनके बालो को सहला रहे थे और दुसरे हाथ से मेरे टॉप पे से मेरे बूब्स को दबा रहे थे raj2002 - फिर priti214 - मुझे अजीब सी फीलिंग होने लगी तभी जीजू ने अपना हाथ मेरे पेट पे रखा और मेरे नाभि में ऊँगली डाल के गोल 2 घुमाने लगे मुझे पता नहीं क्या होने लगा था मैंने दोनों हाथ से अपना तकिया पकड़ लिया मुझे अपने शरीर पे जीजू का हाथ इतना अच्छा लग रहा था तभी जीजू का हाथ मेरे पेट पे से मेरे टॉप के अंदर गया और धीरे 2 ऊपर जाने लगा उनका हाथ मेरे टॉप के अंदर मेरी ब्रा पे था वो मेरे बूब्स को मेरी ब्रा पे से दबाने लगे मुझे अजीब सा नशा छा रहा था मेरे दोनों बूब्स को मेरी ब्रा पे से दबाने के बाद जीजू का हाथ मेरी गर्दन पे आया और मेरे टॉप के गले मैं वो अपना हाथ डालने लगे raj2002 - फिर क्या हुआ जान और तुमने मना क्यों नहीं किया priti214 - चाह के भी मैं उन्हें मना नहीं कर पा रही थी पता नहीं मुझे क्या हो रहा था फिर उन्होंने मेरे टॉप के गले में अपना हाथ डाला और मेरी ब्रा के कप के अंदर अपना हाथ डाल के मेरे 1 बूब को दबाने लगे और उसे बहार निकलने लगे उनका हाथ लगते ही मेरा निप्पल बिलकुल टाइट हो गया फिर वो मेरे टॉप के गले में से मेरा दूसरा बूब भी बहार निकलने लगे और अपने हाथ से उन्होंने मेरा दूसरा बूब भी बहार निकल लिया फिर उन्होंने मेरे टॉप और ब्रा के स्ट्रेप्स को दोनों को मेरे कंधे से नीचे कर दिया जिस से मेरी ब्रा और टॉप दोनों अपने आप ही नीचे हो गए और मेरे दोनों बूब्स बाहर आ गये मेरे निप्पल्स जीजू का हाथ के कारन बिलकुल टाइट और खड़े हो गए थे अब वो मेरे बूब्स को दबाने लगे उन्हें सहलाने लगे मेरे मुह से भी हलकी 2 सिसकियाँ निकल रही थी मैं पता नहीं अलग ही दुनिया में थी मुझे इतना ज्यादा मजा कभी नहीं आया था मेरी पेंटी बहुत गीली हो गयी थी जीजू अपने हाथ से मेरे बूब्स को बारी 2 दबा रहे थे फिर वो अपने ऊँगली से मेरे खड़े हुए निप्पल को गोल 2 घुमाने लगे मेरे दोनों बूब्स के दोनों निप्पल्स से खेलने लगे
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#88
तभी दीदी थोडा सा ऊपर आई और जीजू ने जल्दी से अपना हाथ मेरी चादर मैं से बहार निकाला तब मैं भी होश मैं आयी और फटाफट अपनी ब्रा ऊपर की टॉप ऊपर किया तभी दीदी ने जीजू से कहा "जानू जब होने वाला हो तब बता देना " मुझे इसका मतलब समझ नहीं आया की दीदी ने जीजू से एसा क्यों कहा फिर दीदी वापस नीचे गयी और जीजू ने वापस मेरी चादर में हाथ डाला अब मुझे इन सब पे रोक लगानी थी तो मैं जोर से खांसी और करवट बदल के सो गयी दीदी भी फटाफट ऊपर आके मेरे पास जल्दी से लेट गयी शायद उन्हें लगा होगा की मैं उठ गयी हु तभी दरवाजे की बेल बजी मैंने जल्दी से लैपटॉप बंद किया और ख़ुशी से दरवाजा खोलने गया देखा तो सामने मेरी प्यारी दीदी साडी पहेने हुए खड़ी थी वो लेडीज संगीत मे से वापस आ गयी थी मैंने कहा "दीदी मम्मी कहाँ है " दीदी ने कहा "सोनू मम्मी वही रुक गयी थोड़ी देर के लिए और मैं आगयी मम्मी भी आ जाएंगी अभी " अब मैं मन ही मन खुश हुआ की यार आज तो किस्मत भी मेरा साथ दे रही है घर पे बस हम दो जने ही है जब दीदी कपडे चेंज करेंगी तो उन्हें नंगी देखने में ना किसी का डर रहेगा ना कोई प्रॉब्लम होगा दीदी अपने आप को कांच में देख रही थी मैं जान कर के दीदी के रूम मैं बेठ गया दीदी अपनी सुन्दरता को कांच मैं निहार रही थी तभी दीदी ने मुझसे पुछा " सोनू आज मैं कैसे लग रही थी साडी में मैंने कहा "बहुत अच्छी दीदी आप बहुत ही सुंदर लग रही थी 1 परी की तरह " दीदी ने कहा हा हा चल अब बहार जा मुझे कपडे चेंज करने है मैं समझ गया की दीदी आज वापस रूम मैं ही चेंज करेंगी और मैं बहुत खुश था क्यों की उनके रूम के दरवाजे मैं मैंने छेद कर दिया था दीदी ने दरवाजा बंद किया और मैंने दरवाजे के होल मैं से देखा दीदी ने अपने कंधे पे ब्लाउज पे से अपनी साडी की पिन हटाई और टेबल पे रखी तो वो पिन नीचे गिर गयी दीदी उसको उठाने के लिए नीचे झुकी और मुझे उनके ब्लाउज के गले मैं से उनके मोटे मोटे बोबे दिखाई दिए दीदी ने पिन उठा के टेबल पे रखी फिर नीचे बेठ कर अपनी पयाल उतरने लगी जब दीदी नीचे बैठी तो उनका साडी का पल्ला नीचे गिर गया और दीदी को मैंने ब्लाउज मैं देखा क्या लग रही थी दीदी खुले बाल होठो पे लिपस्टिक गले मैं चैन बहुत ही सुंदर फिर दीदी अपनी पायल उतार के खड़ी हुई और अपनी साडी उतरने लगी दीदी के खुले हुए बाल थे कानो में इअर रिंग्स हाथो में चूड़ियाँ दीदी अपनी साडी उतार रही थी तो उनके लम्बे घने बड़े काले बाल उनके फेस पे आगये क्या सेक्सी लग रही थी मेरी दीदी फिर दीदी ने साडी उतार दी मैं दीदी के नंगे कोमल पेट को देख रहा था उनके नाभि के छेद को देख रहा था फिर मैंने दीदी को ब्लाउज और पेटीकोट में देखा और उनको ऐसे देखते ही मेरा लंड खड़ा हो गया फिर दीदी ने अपने ब्लाउज के हुक खोलने चालू किये मैं अपने खड़े लंड को सहला रहा था और देख रहा था की धीरे 2 दीदी अपने ब्लाउज के सामने से हुक खोल रही थी दीदी ने अपने ब्लाउज के ऊपर के 3 हुक खोले और मुझे दीदी की ब्रा की स्ट्रैप्स और उनके मोटे बोबो का बड़ा सा क्लीवेज दिखाई दिया कितनी हॉट लग रही थी मेरी दीदी खुले बाल होठों पे लिपस्टिक आँखों मैं काजल कानो में बड़े 2 एअर रिंग्स गले मैं चैन ब्लाउज के ऊपर के 3 हुक खुले हुए थोड़ी सी ब्रा दिख रही थोड़े से बड़े बड़े बोबे दिख रहे दीदी की ब्रा के स्ट्रैप्स बहुत टाइट लग रहे थे उसी से पता चल रहा था की दीदी के बोबे कितने मोटे और टाइट हैं फिर दीदी ने अपना ब्लाउज पूरा उतार दिया अब मेरी दीदी मेरे सामने अपनी ब्रा मैं थी कितनी सेक्सी लग रही थी दीदी ब्रा मैं फिर पता नहीं उन्हें क्या हुआ वो उन्होंने वापस अपनी साडी ऐसे ही लपेट ली और अपनी ब्रा के ऊपर साडी का पल्ला डालने लगी शायद वो देखना चाहती थी की उनके बोबे कितने मोटे है और कितने बाहर आते है ब्रा में से क्या मोटे मोटे बोबे लग रहे थे दीदी के मैं सोच रहा था की ये कब आयेंगे मेरे हाथ में फिर दीदी अपने आप को ब्रा पहने हुए कांच मैं देखने लगी और मुझे दीदी के बोबो का साइड पोज़ दिखा उनकी ब्रा में से फिर दीदी ने अपना पेटीकोट भी उतार दिया और साडी को ढंग से रखने लगी मेरी दीदी मेरे सामने अब ब्रा और पेंटी में थी दीदी साडी ढंग से रख रही थी और उनकी पीठ मेरे तरफ थी मैं दीदी को पीछे से ब्रा पेंटी मैं देख रहा था क्या टाइट और चिकनी गांड थी दीदी की तभी दीदी पलटी और मुझे मेरी दीदी को ब्रा और पेंटी मैं से सामने से देखने का मौका मिला मैं अपने लंड को हिलाने लगा कितनी सेक्सी लगती है मेरे बहिन ब्रा और पेंटी में चिकना गोरा कोमल बदन टाइट ब्रा लोवेस्ट पेंटी बिलकुल सेक्स की देवी लग रही थी मेरी दीदी मैं अपना लंड जोर 2 से हिलाने लगा उन्हें ब्रा पेंटी में सामने से देखते हुए मैं उन्हें ब्रा पेंटी में से देखते हुए लगा की कब मैं इनकी ब्रा उतार के इनके बोबे दबाऊंगा इनके निप्पल चुसुंगा इनकी चड्डी उतार के इनकी चूत पे हाथ फेरूंगा इनकी चूत चाटूंगा .... दीदी के आने से पहले घर में अकेले बैठे बैठे मैं थोड़ा डर भी रहा था पर बहुत खुश था क्योंकि आज मैने एक तीर से दो शिकार किए थे एक तो पहली बार दीदी का मज़ा लिया था और दूसरे ऊस गांडू अंकल को बाहर का रता दिखा दिया था. पार ये सब देखते और दीदी की छत पढ़ते काफ़ी दिन हो गये थे. अब मेरा मान दीदी के साथ सेक्स करने को कर रहा था. पर कैसे? आज मैं काफ़ी खुश था और दीदी के एक एक अंगो को ध्यान से देख रहा था. भरी भरी चुचियाँ, बिल्कुल दूध के जैसे, पूरे ताने हुए से मस्त चूचे मोटे-मोटे, संगमरमर के जैसी चिकनी टाँगे, गहरी नाभि और ऊस खास जगह के तो कहने ही क्या थे. आज मैने एक खास बात नोट की दीदी के चुचे कुच्छ ज़्यादा ही कड़े लग रहे थे और चेहरे पे एक कातिल सी दिखने वाली मुस्कान थी. मुझे ये समझ में नहीं आ रहा था की आज अचानक से नगी पुँगी होकर इस तरह से मुस्कुराने के पिछे क्या राज हो हो सकता है? मुझे ज़्यादा इंतज़ार नहीं करना पड़ा मैं दम साधे अपनी प्यारी दीदी को बड़े ध्यान से देख रहा था, सिर्फ़ छ्होटी सी पतली पैंटी में बड़ी मुश्किल से अपना समान छुपाए हुए नगी पुँगी अकेले में मुस्कुराती दीदी. दीदी ने अलमारी खोली और कपड़े निकलते निकलते रुक गई. दीदी ने पलट के इधर ऊधर मुआएना किया और फिर वो हरकत कर डाली जिसकी मैं कल्पना भी न्हीं कर ससकता था. दीदी थोड़ा आगे की ओर झुकी ओर अपनी कछि ऊतर फेंकी . ऊँके झुकने से ऊँकी गाड़ फैल गयी और एक प्यारा सा भूरा सा च्छेद दिख गया. दीदी ने भी अपनी गाण्ड पीछे उभार कर ढीली छोड़ दी. उसके सुडौल चूतड़ के गोले बाहर उभर और उसके गोल गोल चमकदार चूतड़ उभर कर मेरा मन मोहने लगे। उसकी टाईट गाण्ड का लुफ़्त मुझे बहुत जोर से आ रहा था . उसके गोल गोल मांसल चूतड़ की फ़ांके मेरे सामने खुलने लगी. उसने अपनी गाण्ड उठाई और थोड़ा सा पीछे हटते हुये अपनी चूत में ऊँगली घुसा लिया. चुकीं दीदी मेरी तरफ पीठ करके खड़ी थी मैं ऊन्को aage se देख नहीं पा रहा था. मैं खड़ा खड़ा सोच रहा था काश दीदी सामने की ओर पलट जाएँ और मुझे आगे से देखने का मौका मिले. अचानक कोई चमत्कार सा हुआ , दीदी मेरी तरफ घूम गईं और मैं भौचक सा ऊन्को देखता रह गया. क्या लग रहीं थी. मुर्दे के सामने खड़े कर दो तो ऊस्का लॅंड जिंदा हो जाए. दीदी अपने स्तन को दबाने लगी । सच में बहुत अच्छा लग रहा था मुझे। वो एक हाथ पहले अपने चुचकों पर फिरती और फिर ऊस हाथ की उंगलिओन को अपने गुलाबी होठ पे सहलाती. पहले धीरे धीरे दीदी एक चुनची को सहला रहीं थी और फिर थोड़ी देर के बाद दीदी एक मुलायम गोल गोल, नरम लेकिन तनी चुनची को अपने हाथ से ज़ोर ज़ोर से मसलने लगी. दीदी की चुनची काफ़ी बड़ी थे और ऊँके छ्होटे सुंदर हथेलिओं मे पंजे मे नही समा रही थी। मुझे पता ही नही चला की कब तक दीदी चूचियों को सहला रही थीं फिर अचानक से मसलनेलगी.. दीदी को चुचि मसलते मसलते देख कर मेरा लंड धीरे धीरे ख़ड़ा होने लगा था. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. दीदी ने अपनी टांगें फ़ैला दी। उसकी भोंसड़ी खुली हुई सामने थी पाव रोटी के समान फ़ूली हुई। उसकी आकर्षक पलकें, ... उसके बीचों बीच एक गुलाबी गुफ़ा ... मस्तानी सी ... रस की खान थी वो. चिकनी और रस दार !" मैं वास्तव में दीदी की सुन्दर चूत का दीवाना हो गया था, शायद इसलिये भी कि aisi चूत मैंने जिन्दगी में पहली बार देखी थी। दीदी ने झुक कर अपनी चूत का अभिवादन किया और धीरे से अपनी ऊँगली को फांको पे फिराने लगी. धीरे धीरे दीदी ने अपनी सबसे छ्होटी ऊँगली को अंदर किया. और ऊसे निकल कर होठों पे फिरा कर उसमें भरे रस का स्वाद लिया। दीदी की ऊँगली लगते ही चूत जैसे सिकुड़ गई। उसका दाना फ़ड़क उठा और ऊँगली से रगड़ खा कर वो मचल उठा। दीदी अपने पैरों को V आकार में खड़ा कर के और तोड़ा झुक गईं. मुझे समझ नहीं आया की अब क्या होने वाला है. दरअसल दीदी ने अब अपनी अपनी चूत खोल कर और ऊस्के अंदर की ओर का नज़ारा देखे की कोशिश कर रही थी. दीदी का तो पता नहीं पर मुझे ऊँकी प्यारी सी गुलाबी सी चूत दिखने लगी. जिसे देख कर मुझे बहुत अच्छा लगा। फिर
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#89
फिर दीदी. ने अपनी अड़खुली पंखुड़ी सी चूत को ऊँगलिओन से सहलाती और फिर ऊँगलिओन को होठों से चाटते हुये उसे खूब प्यार किया। दीदी ने अपनी आंखें मस्ती में बन्द कर ली. पहले छोटी फिर ऊससे बड़ी और फिर बीच वाली ऊँगली को. पूरी गहराई तक जा अनदर बाहर करते करते अचानक ऊनके मुख से सिसकियाँ निकलने लगी. वो अब दीवार के सहारे लेट सी गई और फिर अपनी पीछे से गांद को आगे की ओर हवा में ऊछालने लगीं. दीदी की हालत वासना से बुरी हो रही थी। चूत देख कर ही लग रहा था कि बस इसे एक मोटे लण्ड की आवश्यकता है. मेरी हालत बहुत ही नाजुक हो रही थी। मैं कभी भी झड़ सकता था। मैं इधर बेतहाशा अपने लॅंड को तेजी के साथ पीट रहा था,आख़िरकार बेचारा लण्ड अन्त में चूं बोल ही गया। तभी दीदी भी निस्तेज सी हो गई। उसका रस भी निकल रहा था। दोनों के गुप्तांग जोर लगा लगा कर रस निकालने में लगे थे। दीदी ने अपने शरीर को पसार दिया था। उसकी जुल्फ़ें चेहरे को छुपा चुकी थी। बस एक दीवार के इस ओर मैं और दीवार के ऊस ओर मेरी प्यारी दीदी, हम दोनों गहरी-गहरी सांसें ले रहे थे। अचानक पिच्चे कुच्छ आवाज़ हुई और मैं मानो होश में आया और ऊस्की ओर भागा... मम्मी आ चुकी थी और मैं एक शरीफ बच्चे की तरह वापस अपने कमरे में शांति से बात चुका था. मेरे दिमाग़ में एक बात घूम रही थी की अचानक ऐसा क्या हो गया था दीदी को. ऊँके गोल चूतड़, और ऊन चूतदों के बीच छीपी हुई सुंदर सा गॅंड का भूरा सा छेद, सुंदर बलखाती चुचियाँ और प्यारी सी नाभि.... कोई भी देख ले तो पागल हो जाएगा. पर मुझे इस बात की हैरानी हो रही थी की पहली बार दीदी को इतना ऊतेज़ीत जो देखा था. ये बात मुझे हर बार खाए जा रही थी. आख़िर ऊस दिन पार्टी में दीदी के साथ ऐसा क्या हुआ था. इस घटना को दो दिन बीत गये. पर मैं जागते सोते हंसते गाते बस यही सपना देखता रहता था. मेरे दिल में कितनी हलचल मची थी इसे मैं शब्दो में बयान नहीं कर सकता. पर हन दिमाग़ में जो था वो ज़रूर कह सकता हूँ. दीदी के साथ अब तक तीन लोगों ने जितना मुझे पता था मज़े लिए थे. इनमे से एक ऊस अंकल को मैं खदेर चुका था. दूसरे से इतना घबराने की ज़रूरत नहीं थी. पर मेरे और दीदी के बीच सबसे बड़ी दीवार ऊनका प्रेमी था ऊसे कैसे अपने रास्ते से हटॉन. मैं इतनी प्रतीक्षा के बाद यही चाहता था की बस अब दीदी खुद को मुझे सौंप दे. अपनी मर्ज़ी से अपने आप ही. मैने बैठे बिताए एक योजना बनाई और फिर ऊस्के मुताबिक़......................... मम्मी आ चुकी थी और मैं एक शरीफ बच्चे की तरह वापस अपने कमरे में शांति से बात चुका था. मेरे दिमाग़ में एक बात घूम रही थी की अचानक ऐसा क्या हो गया था दीदी को. ऊँके गोल चूतड़, और ऊन चूतदों के बीच छीपी हुई सुंदर सा गॅंड का भूरा सा छेद, सुंदर बलखाती चुचियाँ और प्यारी सी नाभि.... कोई भी देख ले तो पागल हो जाएगा. पर मुझे इस बात की हैरानी हो रही थी की पहली बार दीदी को इतना ऊतेज़ीत जो देखा था. ये बात मुझे हर बार खाए जा रही थी. आख़िर ऊस दिन पार्टी में दीदी के साथ ऐसा क्या हुआ था. इस घटना को दो दिन बीत गये. पर मैं जागते सोते हंसते गाते बस यही सपना देखता रहता था. मेरे दिल में कितनी हलचल मची थी इसे मैं शब्दो में बयान नहीं कर सकता. पर हन दिमाग़ में जो था वो ज़रूर कह सकता हूँ. दीदी के साथ अब तक तीन लोगों ने जितना मुझे पता था मज़े लिए थे. इनमे से एक ऊस अंकल को मैं खदेर चुका था. दूसरे से इतना घबराने की ज़रूरत नहीं थी. पर मेरे और दीदी के बीच सबसे बड़ी दीवार ऊनका प्रेमी था ऊसे कैसे अपने रास्ते से हटॉन. मैं इतनी प्रतीक्षा के बाद यही चाहता था की बस अब दीदी खुद को मुझे सौंप दे. अपनी मर्ज़ी से अपने आप ही. मैने बैठे बिताए एक योजना बनाई और फिर ऊस्के मुताबिक़ मुझे दो कम करने थे पहले तो ये पता करूँ की दीदी का ये चोदु बाय्फ्रेंड है कौन और दूसरा दीदी का विश्वास जीतना ऊन्हे बताना की ऊँके लए सबसे बेहतर ऊँका ये छ्होटा प्यारा भाई ही है और दूसरा कोई नहीं? वैसे तो ऊन्को इतना सबकुच्छ देखने के बाद आसानी से ब्लॅकमेल काइया जा सकता था पर नहीं मैं चाहता था दीदी के लए मेरा वही स्थान हो जो ऊँके प्रेमी का है. मैने अपना प्लान पे तेज़ी से अमल करते हुए दीदी के कंप्यूटर को खंगालने की ठानी. पर इसके लिए दीदी का घर से बाहर होना ज़रूरी था. जो मैं चाहता नहीं था. (शायद मैं कंप्यूटर देखूं और वो अपने बाय्फ्रेंड से cचुद बैठें). और कहा भी गया है की कुच्छ पाने के लए कुच्छ खोना पड़ता है. मैने एक रिस्क लिया जब दीदी नहाने जाएँ मैं बाथरूम में देखने के ऊँके कंप्यूटर को देखूं. अगले दिन सुबह सुबह जब दीदी नहाने के लए गईं तब मैने एक कम किया, धीरे से ऊँका कंप्यूटर ओं काइया और छत पढ़ना शुरू किया. दीदी: ये क्या बदतमीज़ी थी राज2002 - क्यों तेरे मान नहीं करता किसी से चुड़ाने का . राज2002-बोल ना मुझसे क्या शर्माना प्रीति214 - नहीं यार मुझे बहूत डर लगता है इन चीज़ों से राज2002- अरे मुझसे क्या डरना प्रीति214 - डरना तुमसे नहीं राज बट ऐसे पार्टी में सबके सामने अगर कोई हमें देख लेता तो राज2002- अरे कुच्छ नहीं होता तू बेकार दर गयी. अच्छा एक बात बता तेरी चूत में कैसी फीलिंग हो रही थी प्रीति214 - पागल हो गए हो दिमाग ख़राब है क्या तुम्हारा राज२००२- अच्छा चल एक बार दिखा तो दे मम्मी आ चुकी थी और मैं एक शरीफ बच्चे की तरह वापस अपने कमरे में शांति से बात चुका था. मेरे दिमाग़ में एक बात घूम रही थी की अचानक ऐसा क्या हो गया था दीदी को. ऊँके गोल चूतड़, और ऊन चूतदों के बीच छीपी हुई सुंदर सा गॅंड का भूरा सा छेद, सुंदर बलखाती चुचियाँ और प्यारी सी नाभि.... कोई भी देख ले तो पागल हो जाएगा. पर मुझे इस बात की हैरानी हो रही थी की पहली बार दीदी को इतना ऊतेज़ीत जो देखा था. ये बात मुझे हर बार खाए जा रही थी. आख़िर ऊस दिन पार्टी में दीदी के साथ ऐसा क्या हुआ था. इस घटना को दो दिन बीत गये. पर मैं जागते सोते हंसते गाते बस यही सपना देखता रहता था. मेरे दिल में कितनी हलचल मची थी इसे मैं शब्दो में बयान नहीं कर सकता. पर हन दिमाग़ में जो था वो ज़रूर कह सकता हूँ. दीदी के साथ अब तक तीन लोगों ने जितना मुझे पता था मज़े लिए थे. इनमे से एक ऊस अंकल को मैं खदेर चुका था. दूसरे से इतना घबराने की ज़रूरत नहीं थी. पर मेरे और दीदी के बीच सबसे बड़ी दीवार ऊनका प्रेमी था ऊसे कैसे अपने रास्ते से हटॉन. मैं इतनी प्रतीक्षा के बाद यही चाहता था की बस अब दीदी खुद को मुझे सौंप दे. अपनी मर्ज़ी से अपने आप ही. मैने बैठे बिताए एक योजना बनाई और फिर ऊस्के मुताबिक़ मुझे दो कम करने थे पहले तो ये पता करूँ की दीदी का ये चोदु बाय्फ्रेंड है कौन और दूसरा दीदी का विश्वास जीतना ऊन्हे बताना की ऊँके लए सबसे बेहतर ऊँका ये छ्होटा प्यारा भाई ही है और दूसरा कोई नहीं? वैसे तो ऊन्को इतना सबकुच्छ देखने के बाद आसानी से ब्लॅकमेल काइया जा सकता था पर नहीं मैं चाहता था दीदी के लए मेरा वही स्थान हो जो ऊँके प्रेमी का है. मैने अपना प्लान पे तेज़ी से अमल करते हुए दीदी के कंप्यूटर को खंगालने की ठानी. पर इसके लिए दीदी का घर से बाहर होना ज़रूरी था. जो मैं चाहता नहीं था. (शायद मैं कंप्यूटर देखूं और वो अपने बाय्फ्रेंड से cचुद बैठें). और कहा भी गया है की कुच्छ पाने के लए कुच्छ खोना पड़ता है. मैने एक रिस्क लिया जब दीदी नहाने जाएँ मैं बाथरूम में देखने के ऊँके कंप्यूटर को देखूं. अगले दिन सुबह सुबह जब दीदी नहाने के लए गईं तब मैने एक कम किया, धीरे से ऊँका कंप्यूटर ओं काइया और छत पढ़ना शुरू किया. दीदी: ये क्या बदतमीज़ी थी राज2002 - क्यों तेरे मान नहीं करता किसी से चुड़ाने का . राज2002-बोल ना मुझसे क्या शर्माना प्रीति214 - नहीं यार मुझे बहूत डर लगता है इन चीज़ों से राज2002- अरे मुझसे क्या डरना प्रीति214 - डरना तुमसे नहीं राज बट ऐसे पार्टी में सबके सामने अगर कोई हमें देख लेता तो राज2002- अरे कुच्छ नहीं होता तू बेकार दर गयी. अच्छा एक बात बता तेरी चूत में कैसी फीलिंग हो रही थी प्रीति214 - पागल हो गए हो दिमाग ख़राब है क्या तुम्हारा राज२००२- अच्छा चल एक बार दिखा तो दे दीदी ने ऊस्के बाद लोग ऑफ कर दिया था. खैर मुझे बस ये पता करना था की ये है कौन मैने ऊस्की ईमेल आइडी चेक की पर पता नहीं चल पाया. मैंने दीदी का मोबाइल चेक कीया। मुझे शायद कोई नंबर मिल जाए। पास अफ़सोस ऐसा कुछ हाथ नहीं आया। अब एक ही रास्ता बचता था और वो था दीदी की जासूसी करने का। शायद कुछ पता चल जाए। मैंने छुप के पता करने की सोची की दीदी कहाँ जा रहीं है क्या करती है वगैरा वगैरा। दीदी अचानक से मेरे कमरे में आई और उन्होने कहा सोनू मेरा एक काम करेगा मैंने पूछा क्या मुझे अभी बाज़ार से कुछ कपडे लेन हैं और मम्मी मेरे साथ जाना नहीं चाहती। मैं फटा फट तैयार हो गया। हम दोद्नो जल्दी ही तैयार होक बाज़ार के लिए निकल पड़े। मैं जन बुझ कर उनके पीछे पीछे चल रहा था। मेरी प्यारी दीदी बहुत ही मादक अंदाज में अपने चुतडों को हिलाते हुए चल रही थी। वो अपनी गांड को बहुत ही मस्त अदा के साथ हिलाते हुए चल रही थी। उसके दोनो गोल-मटोल चुतड, जिनको कि मैं बहुत बार देखा चुका था, उसकी घुटनो तक की स्कर्ट में हिंचकोले लेते हुए मचल रहे थे। मेरी बहन के चलने का यहां अंदाज मेरे लिये लंड खडा कर देने वाला था। उसके गांड नचा कर चलने के कारण उसके दोनो मस्त चुतड, इस तरह हिलते हुए घूम रहे थे कि, वो किसी मरे हुए आदमी के लंड को भी खडा कर सकते थे। मेरी बहन अपने मदमस्त चुतडों और गांड की खूबसुरती से अच्छी तरह से वाकिफ थी, और वो अक्सर इसक बॉयफ्रेंड को उत्तेजित करने के लिये करती थी। जैसा की आप जानते हैं की उनकी गांड काफि खूबसुरत और जानमारु थी। हम .......मॉल में आ गए थे। दीदी ने शौपिंग करना शुरू किया और आदत के मुताबिक कभी इस दूकान तो कभी उस शॉप पे घूम रहीं थी। काफी देर हो गई मैंने दीदी को कहा अब चलो भी पर दीदी बार बार अपनी मोबाइल की देख रहीं थी। मैं समझ गया दीदी अपनी आदत के मुताबिक अपने बॉयफ्रेंड से चाट में लगी है। उन्होने अचानक कहा सोनू तू रूक मैं आधे घंटे में आती हूँ। मैंने पूछा तुम कहाँ जा रही हो तो उन्होने कहा की मुझे कुछ कपडे लेने हैं। मैंने गुस्से में पूछा अब कौन से कपडे बचे हैं, और मैं क्यों नहीं जा सकता। दीदी ने धीरे से शर्मा के मेरे कान में कहा वो अन्दर के कपडे हैं उल्लू। मैं थक के वहीँ बैठ गया। मौल में इतनी साडी लडकिया आई हुईं थी। सब के सब एक से एक आधुनिक कपड़ो में। कुछ तो इतनी ज्यादा चिपके हुए कपडे पहने हुए थी की शारीर की साडी सुन्दर्ताओं का पता चल रहा था, पर उनमे से कोई भी दीदी के जैसी नहीं थी। यही सोचते सोचते शायद 10 मिनट बीते होंगे की मुझे लगा की मुझे दीदी को देखना चाहिए। मैं उठा और उधर जाने लगा जिधर दीदी गयीं हुई थी। और अचानक मेरी आँखे खुली की खुली रह गयी। दीदी मुझे एक शॉप में बिठा के अपने बॉयफ्रेंड से मिलने आई थी। और ये और कोई नहीं मेरा दोस्त रजनीश था जो दीदी से मजे करता था। दोनो मॉल की भीड़ में बेशर्मो की तरह गले में हाथ डाले . रजनीश का एक हाथ कंधे से होते हुए दीदी की चुचिओं को रगड़ रहा था और दूसरा उनके मोटे प्यारे से पिछवाड़े को। दोनो मॉल के अंडरग्राउंड वाले पार्किंग की तरफ जा रहे थे। ये पार्किंग उन लोगों के लिए थी जो मंथली बेसिस पर अपनी gadi पार्क करते थे, chhuti का दिन होने से वहां किसी के आने का चांस काफी कम था। शायद रजनीश ने भी वहीँ अपनी गाड़ी पार्क की होगी। मैं छुपके उनको देख रहा था। मैं सावधानी से उनकी और बढ़ रहा था। दोनों एक कार के अन्दर चले गए। मुझे साफ़ साफ़ कुछ दिखाई नहीं दे रहा था पर फिर भी मैं मुश्किल से देख प् रहा था। रजनीश ने दीदी की पन्त के ऊपर से ही उसकी चूत और गांड को कस कर चुमा, उसके मांसल चुतडों को अपने दांतो से काटा और उसके बुर से निकलने वाली मादक गंध को एक लम्बी सांस लेकर अपने फेफडों में भर लिया। और पुछा तूने कच्छी भी नहीं पहनी फिर चूची दबाने लगा और थोड़ी देर बाद और उसका नाड़ा खोल दिया। मैं देख नहीं प् रहा था पर शायद वो चूत पर हाथ फेरने लगा। और एक उंगली उसकी चूत में डाल दी। दीदी चिंहुक गई। दीदी ने भी उसके काछे में हाथ दाल दिया और रजनीश का लंड निकाल कर जो उस समय पूरे उत्थान पर था, उसे पकड़ कर हिलाने लगी। रजनीश ने एक उंगली उसकी चूत में डाल दी, फिर दो उंगलियाँ अन्दर डाल दी। कोई देख न ले इसलिए अचानक से वो पीठ के बल कार में लेट गया और दीदी को झुका लिया। फिर अचानक ही दीदी की मांसल, कंदील जांघो को अपने हाथो से कस कर पकडते हुए, उसकी पेन्टी के उपर से ही उसकी चूत चाटने लगा। दीदी का टाइट trouser गीला हो रहा था। फिर वो थोडा हिल और सिट पे लेट गया। उसने अपने पेन्ट और अंडरवियर को खोल कर अपने लैंड को आजादी दे दी। उसको ऐसा करने से दीदी की उत्तेजना बढ गई थी। वो अपनी गांड को नचाते हुए, अपनी चूत और चुतडों को चेहरे पर रगडवा रही थी। फिर उसने धीरे से मेरी बहन की पन्त में हाथ दल के उसके खूबसुरत चुतडों को सहलाने लगा। मैं सोच सकता था की दीदी के मैदे जैसे, गोरे चुतडों की बिच की खाई में भुरे रंग की गांड, जो की एकदम किसी फूल की कली की तरह लगती थी और उसी गांड के निचे गुलाबी पंखुडियों वाली उसकी चिकनी चूत के होंठ फडफडा रहे होंगे को छू कर कैसा लग रहा होगा । रजनीश ने अपने हाथो को धीरे से उसके चुतडों और गांड की दरार में फिराया, फिर धीरे से हाथो को सरका कर उसकी बिना झांठो वाली चूत के छेद को अपनी उन्गलियों से कुरेदते हुए, सहलाने लगा। उनको ऐसा करे देख कर मैं थोडा और आगे बाधा और एक वैन के पीछे जा खड़ा हुआ जहाँ से सबकुछ दिख रहा था। रजनीश की उन्गलियों पर दीदी की चूत से निकला रस लग गया था। और वो उसे अपनी नाक के पास ले जा कर सुंघा, और फिर जीभ निकल कर चाट लिया। मेरी प्यारी बहन के मुंह लगातार सिसकारीयां निकल रही थी। फिर अचनाक से रजनीश ने लैंड बहार निकल लिया और दीदी को चूसने के लिए बोल। दीदी न नुकुर करने लगी। उसने जबरदस्ती दीदी को निचे धकेलना चाहा और दीदी के मुह से घुटी घुटी सी एक चीख निकल गई। उन dono ने घबरा के इधर उधर देखा और किसी को न पाकर निश्चिन्त हो गए। पर मैं नहीं। क्योंकि मैं जो देख रहा था वो दोनों नहीं देख प् रहे थे। पार्किंग के दो गार्ड उन दोनों को देख कर मजे ले रहे थे। अचानक दोनों आगे बढ़ने लगे। इन सबसे अंजान रजनीश अभी भी दीदी को अपना लैंड चाटने के लिए मजबूर कर रहा था। तभी पीछे से एक ने आकर रजनीश की बांह पकड़ ली और दुसरे ने दीदी को घसीट कर पार्किंग के कोने में ले जाना चाह। दोनों की हालत देखने लायक थी। उनके रंग में भंग तो pada ही था शायद आगे इससे भी ज्यादा बूरा होने वाला था। एक मुस्टंडे ने जोर से एक पंच रजनीश के मुंह पे मारा। मुह से हल्का सा खून निकलने लगा और वो थोड़ी दूर जाके गीरा। उसने आव देखा न तव और भागना शुरू कर दिया। उसकी जेब से दो पेंटी गिरी। didi को bachane के बदले rajneesh भाग खड़ा हुआ। दीदी रो रहीं थी और कुछ भी नहीं कर रहीं थी। क्योंकि ऐसी हालत में उनकी pol खुल जाती एंड उनका मुंह जोर से बंद कर था उन दोद्नो ने। मैं अब तक छुपा हुआ ये सब देख रहा था। पर अब और नहीं। मैंने नजरे दौड़ाई और मएरे हाथ कुछ लगा। मैं आगे बढ़ा और उस गार्ड के को जिसने दीदी को पकड़ा हुआ था पीछे से सर पे दे मारा। वो वहीँ गिर गया शायद बेहोश हो कर दूसरा इस हालत में हक्का बक्का रह गया। उसने आव देखा न तव और अचानक हुए इस हमले से वो दर के भाग ने लगा। मैंने उसे भी पीछे से उसी रौड से वर किया और वो भी वहीँ गीर पड़ा। मैं उसे तब तक मारता रहा जब तक वो बेहोश न हो गया हो। फिर दीदी की और बढा और मेरी नजर रजनीश के जेब से गिरे हुए ब्रा और पांति पे पड़ी। मैंने उन्हें उठआते हुए दीदी को कहा 'ये रही आपकी शौपिंग।" अब चलें।" वो बूत बने हुए चलने लगि। मैंने पलट के देखा तो मुझे उनकी हालत का ध्यान आया। और अपने हाथों से उनके कपडे ठीक किए। धक्का मुक्की में उनके कपडे थोड़े फट गए थे और पेंट का नाडा भी खुला पड़ा थाजिसे वो हाथों से पकडे थी । मैंने आज ख़रीदे हुए कपड़ो का बैग निकाला और बिना दीदी से पूछ उनको पह्नानाने लगा। बिना पूछे उनकी फटे कपड़ों से झांकती बाई चूची हाथ से पकड़ के को ब्रा के अन्दर किया। और उनकी गांड सहलाते हुए दीदी के फटे हुए सलवार के ऊपर से एक और सलवार पहना दिया। वहाँ से निकलना जरुरी था। सबकुछ सिर्फ 45 मिनट के अन्दर हुआ था। मैं तेजी से दीदी के साथ बहार आया। दीदी के कपडे और सामान को लेके हम मॉल के बहार आ गए। मैंने दीदी से कहा काफी देर हो चुकी है हमें जल्दी घर पहुचना चाहिए। तभी अचानक से मेरी जेब में पड़ी दीदी के फोन की घंटी बजी। मम्मी का फोन था। मैंने कहा बस पहुँचने वालें हैं चिंता की कोई बात नहीं . मैं दीदी को खाना खिलाने चला गया था और इसी लिए देर हो गई। दीदी अभी भी चुप थीं और उन्होने मेरी और अहसान भरी नजरे उठा के देखा।मैंने दीदी को बाँहों में ले लिया और वैसे ही घर की और आने लगा। मैंने चलते चलते दीदी के सरे बिखरे बाल हाथों से थक कर दीइ। दीदी ने मेरे कंधे पे अपना सर टिका रखा था। घर पहुँचते पहुँचते दीदी ने सिर्फ दो शब्द कहे: सोनू मम्मी को मत बताना plz. मैंने मुस्कुरा दिया और दीदी के खूबसूरत चेहरे को अपनी छाती में छुपा लिया। हम घर pahunch गए। मम्मी ने पूछा इतनी देर कहाँ लगा दी
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#90
तभी मम्मी ने अपनी आदत के मुताबिक दूसरा सवाल दागा। और ये तुम दोनो के बाल और कपडे ऐसे क्यों बिखरे हुए हैं ? क्या किसी से लड़ाई करके आ रहे हो? मम्मी के अचानक ऐसे पूछने से दीदी सकपका गई। मैंने आगे बढ़के बात को संभाला ओफ्फो मम्मी आप भी न! चलो बाद में बात करते हैं। हम दोनो अपने अपने कमरे में चले गए। और उसके बाद अगले दिन तक मेरे और दीदी में कोई बात नहीं हुई। दीदी को पता लग गया था की मैं उनके बारे में सब कुछ जान चूका हूँ। हलाकि मैं दीदी को कई बार पहले भी नंगा देख चूका था पर दीदी की नजर में ये बात पहली बार आई थी। एक दिन, फिर दो दिन और फिर ऐसे ही तीसरा दिन भी निकल गया। दीदी न कंप्यूटर पे बैठती और न मुझसे ज्यादा बातएन करती। मुझे ये काफी बुरा लग रहा था। हमेशा खुश और चुलबुली सी दिखने वाली मेरी दीदी गुमसुम रहने लगी थीं। म्मुझ्से ये देखा नहीं गया . मैंने सोचा क्यों न मैं खुद आगे बढ़के बात करूँ। एक दिन मैं जल्दी घर वापस आ गया। दोपहर का समय था। मम्मी पड़ोस में गई हुईं थी। मैंने सीधा दीदी के कमरे में गया और पूछा दीदी क्या बात हो गई। दीदी चुप। मैंने फिर कहा दीदी आप भूल जाओ सब कुछ। मानो ऐसा कुछ नहीं हुआ। मैंने किसी को कुछ बताया क्या दीदी ने सर हिलाया "नहीं" फिर आप क्यों ऐसा सोच रहे हो। हम्म . चलो आपको आज कहीं घुमा के लता हूँ। नहीं नहीं कहीं फिर कुछ हो गया तो। ओ कॉम ऑन दीदी। मैं हूँ नां डोंट वोर्री . नहीं रे आज नहीं फिर कभी। मैंने उनको कहा अच्छा सुनो मैं न पिकनिक के लिए निकलने वाला था। आप चलोगे मेरे साथ। मैं , तू अपने दोस्तों के साथ क्यों नहीं चला जाता। दीदी ममें आपको उदास नहीं देख सकता। मैं सिर्फ आपके साथ जाऊंगा। पर मम्मी। ये मेरा काम है आप डोंट वोर्री ठीक है कह कर दीदी ने हलकी सी स्माइल दी। वाह ये हुई न बात . मैंने बस आव देखा न ताव और एक छोटी सी किस्सी उनके चेहरे पे लगा दी अरे और फिर दीदी ने कहा और चुप हो गयीं . मैं अपने कमरे में भाग आया। आप समझ सकते हैं मैं कितना खुश था। मेरी योजना कम करने लगी थी। मैं मम्मी को रत में खाने को कहा वो थोड़ी न नुकुर के बाद मन गईं। (जगह का नाम नहीं बता सकता प्राइवेसी ) रविवार का दिन मैं जल्दी उठ गया और चलने की तयारी करने लगा . दीदी चलते समय अपना फोन रखने लगी मैं मना किया और कहा मेरा फोन हैं उसे उसे कर लेना। अपना फोन यहीं छोड़ दो। तिन घंटे की यात्रा के बाद हम अपने गंतव्य स्थल पर पहुँच गए। दीदी ने कहा वाओ पहाड़ों के बिच में फैला छोटा सा घन जंगल और दूर की और दीखता एक झरना । गर्मिओन में यहाँ भीड़ हमेशा होती है। पर अभी बरसात का समय था और इस कारन एक्का दुक्का लोग टहल रहे थे। सामने इतना खूबसूरत दृश्य और मुस्कुराती हुईं दीदी। सफ़ेद सी पारंपरिक सलवार कमीज में उनकी सुन्दरता देखते बनती थी। कितनी मसॊमिअत थी उनके चेहरे पे। कोई सोच नहीं सकता था इस चेहरे के पीछे छुपी हुई उनकी कर्गुजरिओन को और मेरे दिमाग में चल रहे शैतान को शायद कामशास्त्र ठीक ही मानता है कि शरीर और मन दो अलग-अलग सत्ता नहीं हैं बल्कि एक ही सत्ता के दो रूप हैं। तब क्या संभोग और प्रेम भी एक ही सिक्के के दो पहलू हैं? धर्मशास्त्र और मनोविज्ञान कहता है कि काम एक ऊर्जा है। इस ऊर्जा का प्रारंभिक रूप गहरे में कामेच्छा ही रहता है। इस ऊर्जा को आप जैसा रुख देना चाहें दे सकते हैं। यह आपके ज्ञान पर निर्भर करता है। परिपक्व लोग इस ऊर्जा को प्रेम या सृजन में बदल देते हैं। अचानक दीदी बोली सोनू चल उधर जंगल की और चलते हैं। मैंने कहा नहीं दीदी उधर काफी घना इलाका है। कोई जानवर हुआ तो तू है न सबसे बड़ा जानवर मेरा प्यारा शेरू भाई तू बचाएगा मुझे ईनसे मैं दीदी की बात मन के चलने लगा। आगे आगे। हम झरने से अभी थोड़ी दूर थे। हम थोड़ी दूर पे बैठ गए। मैंने एक बात नोट की। दीदी ने अपने दोद्नो चुतादो को हाथों से पकड़ा और फिर गांड को थोडा फ़ैलाने की कोशिश करते हुए बैठ गईं। मैंने ध्यान दिया अक्सर आज कल दीदी ऐसे ही बैठती थीं। घर में भी। पर क्यों। मुझे पहले भी ऐसा लगा था पर ध्यान नहीं दिया था। वो ऐसे क्यों बैठती थी। मुझे समझ नहीं आया। हम इधर उधर की बाते करते रहे। दिन के तिन बज गए। मैंने दीदी को कहा दीदी आपकी पिक ली जाए यहाँ। वो तुरत मन गईं। मैंने मोबाइल का कैमरा ओन किया और उनके कई सरे पिच खिचे। (आई डोंट क्नोव हाउ तो पोस्ट हियर प्ल्ज़ हेल्प सो मैं यहाँ पोस्ट कर सकूँ ) फिर मैं कैमरे का औओ माटिक मोड ओन किया और एक फोता साथ में ली। ऐसा करते वक़्त दाहिने हाथ से मैंने कैमरे को पकड़ रखा था और दूसरा हाथ दीदी के चुत्डो पर पहुँच गया। दीदी कुछ नहीं बोलीं। पिच खीचने के बाद हम आगे बढ़ने लगे पर मेरा बयां हाथ वहीँ था। अचानक दीदी ने कहा सोनू मुझे न बाथरूम जाना है। यहाँ कहाँ बाथरूम मिलेगा कोई जगह देख लो। उन्होंने शर्मा के इधर उधर देखा और एक पदों के झुरमुट की और बढ़ गईं। थोड़ी देर बाद मैं भी नजर बचा के उधर जाने लगा। मैंने थोड़ी दूर से देखा। दीदी तो वहां कुछ और कर रहीं थी। पीछे पलट के अपने गांड देखने की कोशिश कर रहीं थी। और नहीं दिखने के कारन एक ऊंगली से छू के उसका जाएजा ले रहीं थी। मैंने ध्यान से अपने फेवरेट दीदी के चुतरो को देखने लगा। मैंने देखा दीदी के बैन वाले चुतरोन पे दो फफोले पद गए थे। शायद उस दिन की धक्का मुक्की में पर गएँ हो। और तभी मुझे समझ में आया की दीदी बैठते वक़्त अपने चुत्रों को खास अंदाज में क्यों फैलाती थीं। मेरे शैतानी दिमाग ने तेजी से कम करना शुरू किया। मैं आगे बढ़ा और ठीक दीदी के पीछे जाके खड़ा हो गया। आने की आहात से दीदी पलटी और मुझे देख कर एक दम से घबरा गईं। आँखे तरेरते हुए बोलीं तू यहाँ क्या कर रहा है। मैं तैयार था। आपकी मदद करने आया हूँ। तू बभी जा यहाँ से मुझे कुछ नहीं सुनना और उन्होने अपने कपडे पहने शुरू कर दीये। मेरे अन्दर का शैतान अब जग चूका था मैंने दीदी का हाथ पकड़ा और कहा क्या आपने पहली बार किसी को दिखाया है या फिर मैंने पहली बार देखा है आपका ये। दीदी का गुस्सा घबराहट में बदल गया। मैंने दीदी को उसी हालत में अपने गले लगा लिया और बोला दीदी दरो नहीं, पर अगर आपने इसे किसी डॉक्टर को नहीं दिखाया तो सारे शरीर में फ़ुंसियाँ हो जाएँगी। मैंने अपना एक हाथ उनकी गांड पे रखा हुआ था। अचानक मेमैने एक खुरदुराहट महसूस की और देखा तो एक फुंसी हो रही थी जो अब सूख रही थी। मैंने उस पर उँगली रखते हुए कहा- ओह ! यह तो बहुत बड़ी हो रही है !अगर आज इसकअ इलाज नहीं हुआ तो २-३ दिन बाद तो तुम बैठ भी नहीं पाती ! दीदी अगर मम्मी को पता चला तो तुम जानती हो वो समझ जाएंगी ये क्यों हुआ और फिर आप कुछ नहीं कर पाओगे। आप देख नहीं प् रहे की आपके पीछे कितना बड़ा घाव हो सकता है। आप चाहो तो मैं आपकी मदद कर सकता हूँ देखने में . मैंने दीदी को कहा आप मेरा विश्वास करो मैं सिर्फ आपकी मदद कर रहा हूँ और कुछ नहीं। दीदी : मैं कुछ समझी नहीं आप उल्टा खड़े हो जाओ । पीछे घूम जाओ और पैंटी लूज़ करो .. दीदी ने अब विरोध करना छोर दिया। मैंने उनको सामने झुकाया और पैंटी खिंची और उनकी गान्ड एक्सपोज़ कर दी। और मैंने उनके हाथो को पकड़ा और उनके हाथो से ही उनकी चुतद को फैला दिया। दीदी का चुतद मुझे साफ साफ़ नजर आ रहा था। ऊपर नीला आसमा . निचे पेड़ो की हरियाली दूर गिरता झरना और सामने अपनी गोरी सी गांड दिखाती मेरी दीदी। काश वक़्त यहीं थम जाए। दर्शन कहता है कि कोई आत्मा इस संसार में इसलिए आई है कि उसे स्वयं को दिखाना है और कुछ देखना है। पाँचों इंद्रियाँ इसलिए हैं कि इससे आनंद की अनुभूति की जाए। प्रत्येक आत्मा को आनंद की तलाश है। आनंद चाहे प्रेम में मिले या संभोग में। आनंद के लिए ही सभी जी रहे हैं। सभी लोग सुख से बढ़कर कुछ ऐसा सुख चाहते हैं जो शाश्वत हो। क्षणिक आनंद में रमने वाले लोग भी अनजाने में शाश्वत की तलाश में ही तो जुटे हुए हैं अचानक दीदी ने कहा हो गया। मैं मनो नींद से जागा और फिर मैंने अपना मोबाइल का कैमरा ओन किया और एक एक करके तिन चार फोटो ले ली। और फिर दीदी को उनकी गांड की पिक दिखाने लगा दीदी ने शर्म के मारे नजरें नीची कर ली और और आँखे बंद कर ली थी। मैंने उनको मोबाइल पकड़ा दिया और फिर थोड़ी दूर जेक खड़ा हो गया। दीदी ने मुझे न पाके इधर उधर देखा और फिर मोबाइल देखने लगी, मैं दूर खड़ा बस ये देख रहा था। धीरे धोरे दीदी की में शर्म कम और चिंता की नजरे बढ़ रही थी। फिर वो पलटी और मैं भोला भला बनते हुए ये देख कर इधर उधर देखने लगा। दीदी ने धीरे धीरे मेरी ओर आगें थी। उन्होने धीरे से मेरी और मोबाइल बढाया। हम दोनों चुप चाप आगे बढ़ चले। पञ्च मिनट तक किसी ने किसी से कोई बात नहीं की। अचानक हमें दूर एक सैलानी जोड़ा किलोल करते नजर आया। शायद कोई विदेशी था। दोनों झरने से निकलती पहाड़ी नदी में किलोल कर रहा था। मैं और दीदी कौतुहल वश उसकी और देखने लगे। वो नहाते नहाते कामुक क्रियाएँ कर रहे थे। मैंने इधर उधर आगे बढ़ के प्राकृतिक दृश्यों के फोटो लेना शुरू किया। 15-20 मिनट बाद मैंने देखा तो दीदी अभी भी उन विदेशिओन के तरफ देख रहीं थी। मैंने उनको आवाज दी: दीदी दीदी आओ आपकी कुछ पिक लूँ। दीदी ने बड़ी अदा से अपनी भौंहे सिकोड़ी : क्यों मैं: अरे ऐसा क्यों, नहीं खिंचवानी तो बोल दो। दीदी: अच्छा, जी। मैं: चलो मेरी तो खिंच दो। दीदी: उम् ठीक हैं। मैंने मोबाइल का फ़्लैश ओन करके दीदी को दे दिया और उन्होने मेरी कुछ फोटो ले लीं। फिर मैंने दीदी को साथ आने को कहा और फिर खुद से एक हाथ आगे बढ़ाके फोटो लेनी शुरू की। पहले साथ साथ खड़े होके। फिर हाथ पकड़ के . फिर एक हाथ से उनके कंधे पकड़ के। फिर अपने कंधे पर उनका सर झुका के। मैंने दीदी को कहा "चलो उधर नदी की तरफ चलें।" दीदी "उधर नहीं मैं थक चुकी हूँ अब" मैं" अरे आप घुमने आए हो या थकने, चलो चलो" दीदी" नहीं अभी रुकते हैं फिर थोड़ी देर मे" मैं: ठीक है कह के पास में बैठ गया दीदी भी पास आके बैठ गईं। मैंने अपना सर उनकी गोद में टिका दिया और गया। दीदी ने प्यार से को शुरू किया। मैंने दीदी को कहा " दीदी आप हो दीदी "अच्छा जी" मैंने लेते लेते ही अपना फोन निकल और एक फोटो दीदी की गोद में ले ली, और उठ के बैठ गया। मैंने जबरदस्ती दीदी को अपनी गोद में सुला लिया और फिर से फोटो ले ली। फिर हम दोद्नो धीरे धीरे नदी की और बढ़ चले। वहां पहुँच लके मैंने दीदी को कहा दीदी झरने के सामने एक फोटो लूँ क्या आपकी। उन्होने अपनी अदा से बस हौले से मुस्कुरा दिया। हमारे पास में ही वो विदेशी सैलानी जोड़ा मौजूद था पानी में किलोल करता हुआ। मैंने फोटो लेने के बाद उनको फोन पकडाया और नदी में घुस गया नहाने के लिए। दीदी को बुलाया और उन्होने मना कर दिया। मुझे यद् आ गया बचपन में जब दीदी ऐसी करती थीं तो मैं उनपे पानी फेंक देता था। पर यहाँ कोई बाल्टी तो थी नहीं। मैं बाहर निकला दीदी को पकड़ा और पानी में घसीट लिया। दीदी इस हमले के लिए तैयार नहीं थी। वो पूरी भीग गईं। पहले उन्होने बनावती गुस्से से आँखे तरेरी और फिर नहाने में मशगुल हो गईं। हम बस एक दुसरे की ओर पानी फेंकते हुए आगे बढ़ने लगे। दीदी चलो एक खेल करते हैं पानी के अन्दर कौन ज्यादा देर रुकता है। दीदी रेडी हो गईं। हम दोनों ने नाक बंद किया और फिर पानी के अन्दर चले गए। कभी दीदी जीतती कभी मैं। ऐसा कितनी देर तक चलता रहा। अभी कुछ देर बीते थे की दीदी पानी से बाहर आइ और लम्बी लम्बी साँसे लेने लगी। मेरा ध्यान उनकी छातीओं पे गया जिसको उनकी प्यारी गांड के चक्कर में मैं इगनोर कर रहा था। दीदी ने सहारे के लिए अपना हाथ बढाया और मैंने आगे बढ़ के उनको पानी में से गोद में उठा लियाअपना हाथ उनके पिछवाड़े पे लगा के । हम पानी से बहार आए। मैने अपने कपडे उतारे शुरू किए की तभी अचानक दीदी की आवाज आई "सोनू कपडे तो गाड़ी में हैं, , पर गाड़ी तो दूर है और इतने ठनडे पानी में मेरी तो हालत खरंबी हो जाएगी सोनू। मैं पलटा पर दीदी की ओर, उनका भीगा बदन कहर ढा रहा था। तभी मेरा ध्यान उस विदेशी जोड़े की और जिसे हम शुरू से देखे जा रहे थे। लगभग नंग धरंग। दोनों ने एक छोटी सी चड्डी पहनी थी। दीद आप ऐसा करो उस पहरी के पीछे जएके कपडे उतर दो मैं गाड़ी से लेके आता हूँ। पर पर वर कुछ नहीं main गया और आया। मैंने उन dono की ओर इशारा किया और कहा men please care my sis मैं भागते हुए गाड़ी की तरफ बाधा, मुझे पता था आते जाते 20 मिनट लगने है और तभी मेरे दिमाग में एक शरारती आईडिया आया, . गाड़ी पहुँच के मैंने कपडे लिए और वापस आया। दीदी ठण्ड से काँप रहीं थी। मैंने पूछा आपने अभी तक कपडे क्यों पहन रखे हैं। अरे तूने सिर्फ ये अन्दर वालें कपडे लिए हैं। बाकि मैंने कहा बाकि आप ले नहीं। ऐसा कैसे हो सकता है। अब आप जाओ नहीं तो ठण्ड लग जाएगी। दी जल्दी से एक टीलेनुमा जगह की ओत में गईं। इस बिच में वो सैलानी मेरे पास और अपने साथ लाइ हुई चाय ऑफर की। तभी दीदी आ गईं टू पिस कपड़ों में अपना हाथ छुपाते हुए। विदेशी लड़की ने दीदी को चाय ऑफर की और मुझे भी। लेडी ने दी को एक बड़ा सा गाउन दिया जिससे दीदी थोड़ी कम्फर्ट फील करें। मेल ने मुझे अंग्रेजी में कहा जिसका मतलब कुछ कुछ ऐसा था की आप मेरा ब्लू टूथ इनेबल्ड कैमरा उसे करो फोटो के लिए। मैं चाय की चुस्कियों के साथ मुस्कुराता हुआ दीदी के बदन को निहारता रहा। काफी देर तक बाते होतीं रहीं और फिर फीमेल ने दीदी को एक साथ में फोटो के लिए कहा। दीदी मेरी उम्मीद के उल्टा तैयार हो गयीं।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#91
(07-07-2022, 03:10 PM)neerathemall Wrote:
मेरी बड़ी बहन की कातिल जवानी


जवानी का रिश्ता

मेरी दीदी भी चालू किस्म की थी। लड़कों का साथ उसे बहुत अच्छा लगता था। वो अधिकतर टाईट जीन्स और टीशर्ट पहनती थी। उसके उरोज 23 साल की उम्र में ही भारी से थे, कूल्हे और चूतड़ पूरे शेप में थे।
रात को तो वो ऐसे सोती थी कि जैसे वो कमरे में अकेली सोती हो। एक छोटी सी सफ़ेद शमीज और एक वी शेप की चड्डी पहने हुये होती थी। फिर एक करवट पर वो पांव यूँ पसार कर सोती थी कि उसके प्यारे-प्यारे से गोल चूतड़ उभर कर मेरा लण्ड खड़ा कर देते थे। उसके भारी भारी स्तन शमीज में से चमकते हुये मन को मोह लेते थे। उसकी बला से भैया का लण्ड खड़ा होवे तो होवे, उसे क्या मतलब ?

कितनी ही बार जब मैं रात को पेशाब करने उठता था तो दीदी की जवानी की बहार को जरूर जी भर कर देखता था। कूल्हे से ऊपर उठी हुई शमीज उसकी चड्डी को साफ़ दर्शाती थी जो चूत के मध्य में से हो कर उसे छिपा देती थी। उसकी काली झांटे चड्डी की बगल से झांकती रहती थी। उसे देख कर मेरा लण्ड तन्ना जाता था। बड़ी मुश्किल से अपने लण्ड को सम्भाल पाता था।
एक बार तो मैंने दीदी को रंगे हाथों पकड़ ही लिया था। क्रिकेट के मैदान से मैं बीच में ही पानी पीने राजीव के यहाँ चला गया। घर बन्द था, पर मैं कूद कर अन्दर चला आया। तभी मुझे कमरे में से दीदी की आवाज सुनाई दी। मैं धीरे से दबे पांव यहाँ-वहाँ से झांकने लगा। अन्त में मुझे सफ़लता मिल ही गई। दीदी राजीव का लण्ड दबा रही थी। राजीव भी बड़ी तन्मयता के साथ दीदी की कभी चूचियाँ दबाता तो कभी चूतड़ दबाता। कुछ ही देर में दीदी नीचे बैठ गई और राजीव का लण्ड निकाल कर चूसने लगी। मेरे शरीर में सनसनाहट सी दौड़ पड़ी। मेरा मन उनकी यह रास-लीला देखने को मचल उठा। उनकी पूरी चुदाई देख कर ही मुझे चैन आया।
तो यह बात है … दीदी तो एक नम्बर की चालू निकली। एक नम्बर की चुदक्कड़ निकली दीदी तो।
मैं भारी मन से बाहर निकल आया। आंखों के आगे मुझे अब सिर्फ़ दीदी की भोंसड़ी और राजीव का लण्ड दिख रहा था। मेरा मन ना तो क्रिकेट खेलने में लगा और ना ही किसी हंसी मजाक में। शाम हो चली थी … सभी रात का भोजन कर के सोने की तैयारी करने लगे थे। दीदी भी अपनी परम्परागत ड्रेस में आ गई थी।
मैं भी अपने कपड़े उतार कर चड्डी में बिस्तर पर लेट गया था। पर नींद तो कोसों दूर थी … रह रह कर अभी भी दीदी के मुख में राजीव का लण्ड दिख रहा था। मेरा लण्ड भी फ़ूल कर खड़ा हो गया था।

अह्ह्ह… मुझे दीदी को चोदना है … बस चोदना ही है।
मेरी चड्डी की ऊपर की बेल्ट में से बाहर निकला हुआ अध खुला सुपारा नजर आ रहा था। इसी हालत में मेरी आंख जाने कब लग गई।
यकायक एक खटका सा हुआ। मेरी नींद खुल गई। कमरे की लाईट जली हुई थी। मुझे लगा कि मेरे पास कोई खड़ा हुआ है। समझते देर नहीं लगी कि दीदी ही है। वो बड़े ध्यान से मेरे लण्ड का उठान देख रही थी। दीदी को शायद अहसास भी नहीं हुआ होगा कि मेरी नींद खुल चुकी है और मैं उसका यह तमाशा देख रहा हूँ।
उसने झुक कर अपनी एक अंगुली से मेरे अध खुले सुपारे को छू लिया। फिर मेरी वीआईपी डिज़ाइनर चड्डी की बेल्ट को अंगुली से धीरे नीचे सरका दिया। उसकी इस हरकत से मेरा लण्ड और भी फ़ूल कर कड़क हो गया। मुझे लगने लगा था- काश ! दीदी मेरा लण्ड पकड़ कर मसल दे। अपनी भोंसड़ी में उसे घुसा ले।
उसकी नजरें मेरे लण्ड को बहुत ही गौर से देख रही थी, जाहिर है कि मेरी काली झांटे भी लण्ड के आसपास उसने देखी होगी। उसने अपने स्तनों को जोर से मल दिया और उसके मुँह से एक वासना भरी सिसकी निकल पड़ी। फिर उसका हाथ उसकी चूत पर आ गया। शायद वो मेरा लण्ड अपनी चूत में महसूस कर रही थी। उसका चूत को बार बार मसलना मेरे दिल पर घाव पैदा कर रहे थे। फिर वो अपने बिस्तर पर चली गई।
दीदी अपने अपने बिस्तर पर बेचैनी से करवटें बदल रही थी। अपने उभारों को मसल रही थी। फिर वो उठी और नीचे जमीन पर बैठ गई। अब शायद वो हस्त मैथुन करने लगी थी। तभी मेरे लण्ड से भी वीर्य निकल पड़ा। मेरी चड्डी पूरी गीली हो गई थी। अभी भी मेरी आगे होकर कुछ करने की हिम्मत नहीं हो रही थी।
दूसरे दिन मेरा मन बहुत विचलित हो रहा था। ना तो भूख रही थी… ना ही कुछ काम करने को मन कर रहा था। बस दीदी की रात की हरकतें दिल में अंगड़ाईयाँ ले रही थी। दिमाग में दीदी का हस्त मैथुन बार बार आ रहा था। मैं अपने दिल को मजबूत करने में लगा था कि दीदी को एक बार तो पकड़ ही लूँ, उसके मस्त बोबे दबा दूँ। बार बार यही सोच रहा था कि ज्यादा से ज्यादा होगा तो वो एक तमाचा मार देगी, बस !
फिर मैं ट्राई नहीं करूंगा।
जैसे तैसे दिन कट गया तो रात आने का नाम नहीं ले रही थी।
रात के ग्यारह बज गये थे। दीदी अपनी रोज की ड्रेस में कमरे में आई। कुछ ही देर में वो बिस्तर पर जा पड़ी। उसने करवट ले कर अपना एक पांव समेट लिया। उसके सुडौल चूतड़ के गोले बाहर उभर आये। उसकी चड्डी उसकी गाण्ड की दरार में घुस गई और उसके गोल गोल चमकदार चूतड़ उभर कर मेरा मन मोहने लगे।
मैंने हिम्मत की और उसकी गाण्ड पर हाथ फ़ेर कर सहला दिया। दीदी ने कुछ नहीं कहा, वो बस वैसे ही लेटी रही।
मैंने और हिम्मत की, अपना हाथ उसके चूतड़ों की दरार में सरकाते हुये चूत तक पहुँचा दिया। मैंने ज्योंही चूत पर अपनी अंगुली का दबाव बनाया, दीदी ने सिसक कर कहा,”अरे क्या कर रहा है ?”
“दीदी, एक बात कहनी थी !”
उसने मुझे देखा और मेरी हालत का जायजा लिया। मेरी चड्डी में से लण्ड का उभार उसकी नजर से छुप नहीं सका था। उसके चेहरे पर जैसे शैतानियत की मुस्कान थिरक उठी।
“हूम्म … कहो तो … ”

मैं दीदी के बिस्तर पर पीछे आ गया और बैठ कर उसकी कमर को मैंने पकड़ लिया।
“दीदी, आप मुझे बहुत अच्छी लगती हैं !”
“ऊ हूं … तो… ”
“मैं आपको देख कर पागल हो जाता हूँ … ” मेरे हाथ उसकी कमर से होते हुये उसकी छातियों की ओर बढ़ने लगे।
“वो तो लग रहा है … !” दीदी ने घूम कर मुझे देखा और एक कंटीली हंसी हंस दी।

मैंने दीदी की छातियों पर अपने हाथ रख दिये,”दीदी, प्लीज बुरा मत मानना, मैं आपको चोदना चाहता हूँ !”
मेरी बात सुन कर दीदी ने अपनी आंखें मटकाई,”पहले मेरे बोबे तो छोड़ दे… ” वो मेरे हाथ को हटाते हुये बोली।
“नहीं दीदी, आपके चूतड़ बहुत मस्त हैं … उसमें मुझे लण्ड घुसेड़ने दो !” मैं लगभग पागल सा होकर बोल उठा।
“तो घुसेड़ ले ना … पर तू ऐसे तो मत मचल !” दीदी की शैतानियत भरी हरकतें शुरू हो गई थी।

मैं बगल में लेट कर अनजाने में ही कुत्ते की तरह उसकी गाण्ड में लण्ड चलाने लगा। मुझे बहुत ताज्जुब हुआ कि मेरी किसी भी बात का दीदी ने कोई विरोध नहीं किया, बल्कि मुझे उसके गाण्ड मारने की स्वीकृति भी दे दी। मुझे लगा दीदी को तो पटाने की आवश्यकता ही नहीं थी। बस पकड़ कर चोद ही देना था।
“बस बस … बहुत हो गया … दिल बहुत मैला हो रहा है ना ?” दीदी की आवाज में कसक थी।
मैं उसकी कमर छोड़ कर एक तरफ़ हट गया।
“दीदी, इस लण्ड को देखो ना … इसने मुझे कैसा बावला बना दिया है।” मैंने दीदी को अपना लण्ड दिखाया।
“नहीं बावला नहीं बनाया … तुझ पर जवानी चढ़ी है तो ऐसा हो ही जाता है… आ यहाँ मेरे पास बैठ जा, सब कुछ करेंगे, पर आराम से … मैं कहीं कोई भागी तो नहीं जा रही हूँ ना … इस उम्र में तो लड़कियों को चोदना ही चहिये… वर्ना इस कड़क लण्ड का क्या फ़ायदा ?” दीदी ने मुझे कमर से पकड़ कर कहा।

.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#92
मेरे दिल की धड़कन सामान्य होने लगी थी। पसीना चूना बंद हो गया था। दीदी की स्वीकारोक्ति मुझे बढ़ावा दे रही थी। वो अब बिस्तर पर बैठ गई और मुझे गोदी में बैठा लिया। दीदी ने मेरी चड्डी नीचे खींच कर मेरा लण्ड बाहर निकाल लिया।
“ये … ये हुई ना बात … साला खूब मोटा है … मस्त है… मजा आयेगा !” मेरे लण्ड के आकार की तारीफ़ करते हुये वो बोल उठी। उसने मेरा लण्ड पकड़ कर सहलाया। फिर धीरे से चमड़ी खींच कर मेरा लाल सुपारा बाहर निकाल लिया।

अचानक उसकी नजरें चमक उठी,”भैया, तू तो प्योर माल है रे… ” वो मेरे लौड़े को घूरते हुये बोली।

“प्योर क्या … क्या मतलब?” मुझे कुछ समझ में नहीं आया।
“कुछ नहीं, तेरे लण्ड पर लिखा है कि तू प्योर माल है।” मेरे लण्ड की स्किन खींच कर उसने देखा।
“दीदी, आप तो जाने कैसी बातें करती हैं… ” मुझे उसकी भाषा समझने में कठिनाई हो रही थी।
“चल अपनी आंखें बन्द कर … मुझे तेरा लण्ड घिसना है !” दीदी की शैतान आंखें चमक उठी थी।
मुझे पता चल गया था कि अब वो मुठ मारेगी, सो मैंने अपनी आंखें बंद कर ली।

दीदी ने मेरे लण्ड को अपनी मुठ्ठी में भर कर आगे पीछे करना चालू कर दिया। कुछ ही देर में मैं मस्त हो गया। मुख से सुख भरी सिसकियाँ निकलने लगी। जब मैं पूरा मदहोश हो गया था, चरम सीमा पर पहुंचने लगा था, दीदी ने जाने मेरे लण्ड के साथ क्या किया कि मेरे मुख से एक चीख सी निकल गई। सारा नशा काफ़ूर हो गया। दीदी ने जाने कैसे मेरे लण्ड की स्किन सुपारे के पास से

अंगुली के जोर से फ़ाड़ दी थी। मेरी स्किन फ़ट गई थी और अब लण्ड की चमड़ी पूरी उलट कर ऊपर आ गई थी। खून से सन कर गुलाबी सुपाड़ा पूरा खिल चुका था।
“दीदी, ये कैसी जलन हो रही है … ये खून कैसा है?” मुझे वासना के नशे में लगा कि जैसे किसी चींटी ने मुझे जोर से काट लिया है।
“अरे कुछ नहीं रे … ये लण्ड हिलाने से स्किन थोड़ी सी अलग हो गई है, पर अब देख … क्या मस्त खुलता है लण्ड !” मेरे लण्ड की चमड़ी दीदी ने पूरी खींच कर पीछे कर दी। सच में लण्ड का अब भरपूर उठाव नजर आ रहा था।

उसने हौले हौले से मेरा लण्ड हिलाना जारी रखा और सुपाड़े के ऊपर कोमल अंगुलियों से हल्के हल्के घिसती रही। मेरा लण्ड एक बार फिर मीठी मीठी सी गुदगुदी के कारण तन्ना उठा। कुछ ही देर में मुठ मारते मारते मेरा वीर्य निकल पड़ा। उसने मेरे ही वीर्य से मेरा लण्ड मल दिया। मेरा दिल शान्त होने लगा।

मैंने दीदी को पटा लिया था बल्कि यू कहें कि दीदी ने मुझे फ़ंसा लिया था। मेरा लण्ड मुरझा गया था। दीदी ने मुझे बिस्तर पर लेटा दिया। मेरे होंठों पर अपने होंठ उसने दबा दिये और अधरों का रसपान करने लगी।

“भैया, विनय से मेरी दोस्ती करा दे ना, वो मुझे लिफ़्ट ही नहीं देता है !”
“पर तू तो राजीव से चुदवाती है ना … ?”
उसे झटका सा लगा।
“तुझे कैसे पता?” उसने तीखी नजरों से मुझे देखा।
“मैंने देखा है आपको और राजीव को चुदाई करते हुये … क्या मस्त चुदवाती हो दीदी!”
“मैं तो विनय की बात कर रही हूँ … समझता ही नहीं है ?” उसने मुझे आंखें दिखाई।
“लिफ़्ट की बात ही नहीं है … सच तो यह है कि उसे पता ही नहीं है कि आप उस पर मरती हैं।”
“फिर भी … उसे घर पर लाना तो सही… और हाँ मरी मेरी जूती … !”

“अरे छोड़ ना दीदी, मेरे अच्छे दोस्तों से तुझे चुदवा दूँगा … बस, सालों के ये मोटे मोटे लण्ड हैं !”
“सच भैया?” उसकी आंखें एक बार फिर से चमक उठी।

दीदी के बिस्तर में हम दोनों लेट गये। कुछ ही देर मेरा मन फिर से मचल उठा।
“दीदी, एक बार अपनी चूत का रस मुझे लेने दे।”
“चल फिर उठ और नीचे आ जा !”

दीदी ने अपनी टांगें फ़ैला दी। उसकी भोंसड़ी खुली हुई सामने थी पाव रोटी के समान फ़ूली हुई। उसकी आकर्षक पलकें, काली झांटों से भरा हुआ जंगल … उसके बीचों बीच एक गुलाबी गुफ़ा … मस्तानी सी … रस की खान थी वो …

उसने अपनी दोनों टांगें ऊपर उठा ली… नजरें जरा और नीचे गई। भूरा सा अन्दर बाहर होता हुआ गाण्ड का कोमल फ़ूल …

एक बार फिर लण्ड की हालत खराब होने लगी। मैंने झुक कर उसकी चूत का अभिवादन किया और धीरे से अपनी जीभ निकाल कर उसमें भरे रस का स्वाद लिया। जीभ लगते ही चूत जैसे सिकुड़ गई। उसका दाना फ़ड़क उठा … जीभ से रगड़ खा कर वो भी मचल उठा। दीदी की हालत वासना से बुरी हो रही थी। चूत देख कर ही लग रहा था कि बस इसे एक मोटे लण्ड की आवश्यकता है। दीदी ने

मेरी बांह पकड़ कर मुझे खींच कर नीचे लेटा लिया और धीरे से मेरे ऊपर चढ़ गई और अपनी चूत खोल कर मेरे मुख से लगा दी। उसकी प्यारी सी झांटों भरी गुलाबी सी चूत देख कर मुझे बहुत अच्छा लगा। मैंने उसकी चूत को चाटते हुये उसे खूब प्यार किया। दीदी ने अपनी आंखें मस्ती में बन्द कर ली। तभी वो और मेरे ऊपर आ गई। उसकी गाण्ड का कोमल नरम सा छेद मेरे होंठों के सामने था। मैंने अपनी लपलपाती हुई जीभ से उसकी गाण्ड चाट ली और जीभ को तिकोनी बना कर उसकी गाण्ड में घुसेड़ने लगा।

“तूने तो मुझे मस्त कर दिया भैया … देख तेरा लण्ड कैसा तन्ना रहा है… !”
उसने अपनी गाण्ड हटाते हुये कहा,” भैया मेरी गाण्ड मारेगा ?”

वो धीरे से नीचे मेरी टांगों पर आ गई और पास पड़ी तेल की शीशी में से तेल अपनी गाण्ड में लगा लिया।
“आह … देख कैसा कड़क हो रहा है … जरा ठीक से लण्ड घुसेड़ना… ”

वो अपनी गाण्ड का निशाना बना कर मेरे लण्ड पर धीरे से बैठ गई। सच में वो गजब की चुदाई की एक्सपर्ट थी। उसके शरीर के भार से ही लण्ड उसकी गाण्ड में घुस गया। लण्ड घुसता ही चला गया, रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था।

लगता था उसकी गाण्ड लड़कों ने खूब बजाई थी … उसकी मुख से मस्ती भरी आवाजें निकलने लगी।
“कितना मजा आ रहा है … ” वो ऊपर से लण्ड पर उछलने लगी …

लण्ड पूरी गहराई तक जा रहा था। उसकी टाईट गाण्ड का लुत्फ़ मुझे बहुत जोर से आ रहा था। मेरे मुख से सिसकियाँ निकल रही थी। वो अभी भी सीधी बैठी हुई गाण्ड मरवा रही थी। अपने चूचों को अपने ही हाथ से दबा दबा कर मस्त हो रही थी। उसने अपनी गाण्ड उठाई और मेरा लण्ड बाहर निकाल लिया और थोड़ा सा पीछे हटते हुये अपनी चूत में लण्ड घुसा लिया। वो अब मेरे पर झुकी हुई थी … उसके बोबे मेरी आंखों के सामने झूलने लगे थे।

मैंने उसके दोनों उरोज अपने हाथों में भर लिये और मसलने लगा। वो अब चुदते हुये मेरे ऊपर लेट सी गई और मेरी बाहों को पकड़ते हुये ऊपर उठ गई। अब वो अपनी चूत को मेरे लण्ड पर पटक रही थी। मेरी हालत बहुत ही नाजुक हो रही थी। मैं कभी भी झड़ सकता था। वो बेतहाशा तेजी के साथ मेरे लण्ड को पीट रही थी, बेचारा लण्ड अन्त में चूं बोल ही गया। तभी दीदी भी निस्तेज सी हो गई। उसका रस भी निकल रहा था। दोनों के गुप्तांग जोर लगा लगा कर रस निकालने में लगे थे। दीदी ने मेरे ऊपर ही अपने शरीर को पसार दिया था। उसकी जुल्फ़ें मेरे चेहरे को छुपा चुकी थी। हम दोनों गहरी-गहरी सांसें ले रहे थे।

“मजा आया भैया… ?”
“हां रे ! बहुत मजा आया !”
“तेरा लण्ड वास्तव में मोटा है रे … रात को और मजे करेंगे !”
“दीदी तेरी भोंसड़ी है भी चिकनी और रसदार !” मैं वास्तव में दीदी की सुन्दर चूत का दीवाना हो गया था, शायद इसलिये भी कि चूत मैंने जिन्दगी में पहली बार देखी थी।

पर मेरे दिल में अभी भी कुछ ग्लानि सी थी, शायद अनैतिक कार्य की ग्लानि थी।
“दीदी, देखो ना हमसे कितनी बड़ी भूल हो गई, अपनी ही सगी दीदी को चोद दिया मैंने!”

“अहह्ह्ह्ह … तू तो सच में बावला ही है … भाई बहन का रिश्ता अपनी जगह है और जवानी का रिश्ता अपनी जगह है … जब लण्ड और चूत एक ही कमरे में मौजूद हैं तो संगम होगा कि नहीं, तू ही बता!” उसका शैतानियत से भरा दिमाग जाने मुझे क्या-क्या समझाने में लगा था। मुझे अधिक तो कुछ समझ में आया … आता भी कैसे भला। क्यूंकि अगले ही पल वो मेरा लौड़ा हाथ में लेकर मलने लगी थी … और मैं बेसुध होता जा रहा था।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#93
समाप्त
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#94
(08-03-2024, 03:24 PM)neerathemall Wrote:
मैं और मेरी प्यारी दीदी

Namaskar Namaskar Namaskar
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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