30-06-2022, 03:29 PM
उसने एंगल चेंज करते हुए अपने लंड को उसके मुँह की तरफ घुमाया और उसे अपने उपर लिटाकर 69 की पोज़िशन में कर लिया...
अब दोनो एक दूसरे के अंगों को जोरों से चूसने मे लगे हुए थे.
ख़ासकर पूजा, वो तो अपनी नयी आइस्क्रीम को मज़े ले-लेकर चाट भी रही थी और उसका रस चूस भी रही थी...थूक और झाग उसके होंठों से बहकर चादर तक को गीला कर चुकी थी, पर वो बिना उसकी चिंता किए अपनी जवानी का मज़ा लूटने में लगी थी..या ये कहलो की चूसने में लगी थी
और नीचे की तरफ अजय को तो जैसे कोई खजाना मिल गया हो...पूजा की चूत की खुश्बू उसे पागल सा कर रही थी...वो अपनी जीभ से उसे चोदने में लगा हुआ था...अंदर का सारा रस निकालकर वो उसे पी भी रहा था क्योंकि उसका स्वाद था ही ऐसा...और वैसे भी कुँवारी चूत के रस का स्वाद अलग ही होता है..
पूजा अभी तक ये नही समझ पा रही थी की उसके कहने के बावजूद अजय उसकी चूत में अपना लंड क्यो नही डाल रहा है...पर अजय के मन में क्या चल रहा है ये भला वो कैसे जानती...पर अभी तो उसे अपनी चूत चुसवाने में भी बहुत मज़ा मिल रहा था...
सुबह का समय था, इसलिए अजय के लंड ने पहले जवाब दे दिया...
जैसे ही वो झड़ने को हुआ, वो उठ खड़ा हुआ और उसने पूजा को अपने सामने बिठा कर उसके मुंह में अपना लंड दे दिया, वो अपना रस उसके मुंह में जाते हुए देखना चाहता था
और जल्द ही उसके सेक्सी चेहरे को देखते हुए वो भरभराकर अपना माल पूजा के मुँह में छोड़ता हुआ झड़ने लगा...
पूजा के लिए तो ये किसी झटके से कम नही था...क्योंकि वो तो चुदाई का सपना देख रही थी...पर अजय के ऐसे झड़ जाने से वो समझ गयी की अभी के लिए तो शायद उसकी चुदाई नही हो पाएगी...
पर अजय के वीर्या का स्वाद उसे बहुत पसंद आया, वो किसी नमकीन दलिये जैसा स्वाद था...और दलिया तो वैसे ही उसे पसंद था, इसलिए अपनी पसंद का स्वाद महसूस होते ही वो गटागट उसे पी गयी..
अजय ने भी अपने लंड की आखिरी बूँद तक उसके चेहरे और होंठों के ऊपर फैला-फैलाकर पूरी तरह से उसे अपने रंग में रंग लिया
झड़ने के बाद अजय थोड़ा सुस्त सा हो गया...पर पूजा फिर भी अपनी लाल चूत पर अपनी उँगलियाँ रगड़ती रही, अजय समझ गया की उसके अंदर का गुबार तो अभी निकलना बाकी था..
और ये शायद पहला मौका था जब अजय बिना अपने पार्ट्नर को झाड़े खुद झड़ चुका था...कुँवारी लड़कियों की ताल से ताल मिलाकर चलना आसान काम नही होता..
पर वो सब बातें किनारे करते हुए उसने जल्दी से पूजा को अपनी तरफ घुमाया और उसे सीधा अपने चेहरे के उपर बैठने के लिए कहा..ऐसा करने से वो अपने हाथ उपर करके उसके उरोजों से भी खेल सकता था...और झड़ते हुए वो उसके सेक्सी चेहरे के एक्शप्रेशन भी देख सकता था..
पूजा को भला क्या आपत्ति हो सकती थी...वो तो ऐसे नये-2 आसान सीखने के लिए अब कुछ भी करने को तैयार थी..अपनी चौड़ी गांद को मटकाते हुए वो जैसे ही नीचे की तरफ झुकी, अजय ने अपनी पेनी जीभ से उसकी चूत के चीरे को चीर दिया..
''आआआआआआआआआआआआाअगगगगगगगगगघह......उम्म्म्मममममममममम..... जीजू................... वाउ...........''
उसे भी शायद ये आसान पसंद आ रहा था...उसने अपने जीजू के बालों को किसी लगाम की तरह पकड़ा और अपनी चूत का घोड़ा दौड़ा दिया अजय के चेहरे पर...उसकी लपलपाति जीभ के हाइवे पर...
अजय तो बस अपनी खुरदूरी जीभ को बाहर निकाले नीचे पड़ा रहा, और पूजा अपनी चूत को उसपर आगे - पीछे रगड़ती हुई असली की घुड़सवारी कर रही थी...अपनी आँखे बंद किए वो अजय के होंठ...दाँत और जीभ को महसूस करती हुई झड़ने के करीब पहुँच गयी...और जब वो झड़ी तो ऐसा महसूस हुआ जैसे उसके अंदर से उसकी आत्मा निकल कर बाहर जा रही है उसके रस के रूप में ..
''आआआआआआआआआआहह जीजू............... उफफफफफफफफफफ्फ़ वॉट अ फीलिंग ........ इट्स वंडरफुल जीजू........... यू आर वंडरफुल....... उम्म्म्मममममममममम........ आई एम कमिंग.... जीजू ....आई एम कमिंग ....
अजय का मुँह तो पहले से ही खुला हुआ था...इसलिए जो भी उसकी चूत में से बरसा,वो सब अपने आप ही सही जगह पर पहुँच गया...यानी अजय के मुँह से होता हुआ उसके पेट में ...
अब दोनो एक दूसरे के अंगों को जोरों से चूसने मे लगे हुए थे.
ख़ासकर पूजा, वो तो अपनी नयी आइस्क्रीम को मज़े ले-लेकर चाट भी रही थी और उसका रस चूस भी रही थी...थूक और झाग उसके होंठों से बहकर चादर तक को गीला कर चुकी थी, पर वो बिना उसकी चिंता किए अपनी जवानी का मज़ा लूटने में लगी थी..या ये कहलो की चूसने में लगी थी
और नीचे की तरफ अजय को तो जैसे कोई खजाना मिल गया हो...पूजा की चूत की खुश्बू उसे पागल सा कर रही थी...वो अपनी जीभ से उसे चोदने में लगा हुआ था...अंदर का सारा रस निकालकर वो उसे पी भी रहा था क्योंकि उसका स्वाद था ही ऐसा...और वैसे भी कुँवारी चूत के रस का स्वाद अलग ही होता है..
पूजा अभी तक ये नही समझ पा रही थी की उसके कहने के बावजूद अजय उसकी चूत में अपना लंड क्यो नही डाल रहा है...पर अजय के मन में क्या चल रहा है ये भला वो कैसे जानती...पर अभी तो उसे अपनी चूत चुसवाने में भी बहुत मज़ा मिल रहा था...
सुबह का समय था, इसलिए अजय के लंड ने पहले जवाब दे दिया...
जैसे ही वो झड़ने को हुआ, वो उठ खड़ा हुआ और उसने पूजा को अपने सामने बिठा कर उसके मुंह में अपना लंड दे दिया, वो अपना रस उसके मुंह में जाते हुए देखना चाहता था
और जल्द ही उसके सेक्सी चेहरे को देखते हुए वो भरभराकर अपना माल पूजा के मुँह में छोड़ता हुआ झड़ने लगा...
पूजा के लिए तो ये किसी झटके से कम नही था...क्योंकि वो तो चुदाई का सपना देख रही थी...पर अजय के ऐसे झड़ जाने से वो समझ गयी की अभी के लिए तो शायद उसकी चुदाई नही हो पाएगी...
पर अजय के वीर्या का स्वाद उसे बहुत पसंद आया, वो किसी नमकीन दलिये जैसा स्वाद था...और दलिया तो वैसे ही उसे पसंद था, इसलिए अपनी पसंद का स्वाद महसूस होते ही वो गटागट उसे पी गयी..
अजय ने भी अपने लंड की आखिरी बूँद तक उसके चेहरे और होंठों के ऊपर फैला-फैलाकर पूरी तरह से उसे अपने रंग में रंग लिया
झड़ने के बाद अजय थोड़ा सुस्त सा हो गया...पर पूजा फिर भी अपनी लाल चूत पर अपनी उँगलियाँ रगड़ती रही, अजय समझ गया की उसके अंदर का गुबार तो अभी निकलना बाकी था..
और ये शायद पहला मौका था जब अजय बिना अपने पार्ट्नर को झाड़े खुद झड़ चुका था...कुँवारी लड़कियों की ताल से ताल मिलाकर चलना आसान काम नही होता..
पर वो सब बातें किनारे करते हुए उसने जल्दी से पूजा को अपनी तरफ घुमाया और उसे सीधा अपने चेहरे के उपर बैठने के लिए कहा..ऐसा करने से वो अपने हाथ उपर करके उसके उरोजों से भी खेल सकता था...और झड़ते हुए वो उसके सेक्सी चेहरे के एक्शप्रेशन भी देख सकता था..
पूजा को भला क्या आपत्ति हो सकती थी...वो तो ऐसे नये-2 आसान सीखने के लिए अब कुछ भी करने को तैयार थी..अपनी चौड़ी गांद को मटकाते हुए वो जैसे ही नीचे की तरफ झुकी, अजय ने अपनी पेनी जीभ से उसकी चूत के चीरे को चीर दिया..
''आआआआआआआआआआआआाअगगगगगगगगगघह......उम्म्म्मममममममममम..... जीजू................... वाउ...........''
उसे भी शायद ये आसान पसंद आ रहा था...उसने अपने जीजू के बालों को किसी लगाम की तरह पकड़ा और अपनी चूत का घोड़ा दौड़ा दिया अजय के चेहरे पर...उसकी लपलपाति जीभ के हाइवे पर...
अजय तो बस अपनी खुरदूरी जीभ को बाहर निकाले नीचे पड़ा रहा, और पूजा अपनी चूत को उसपर आगे - पीछे रगड़ती हुई असली की घुड़सवारी कर रही थी...अपनी आँखे बंद किए वो अजय के होंठ...दाँत और जीभ को महसूस करती हुई झड़ने के करीब पहुँच गयी...और जब वो झड़ी तो ऐसा महसूस हुआ जैसे उसके अंदर से उसकी आत्मा निकल कर बाहर जा रही है उसके रस के रूप में ..
''आआआआआआआआआआहह जीजू............... उफफफफफफफफफफ्फ़ वॉट अ फीलिंग ........ इट्स वंडरफुल जीजू........... यू आर वंडरफुल....... उम्म्म्मममममममममम........ आई एम कमिंग.... जीजू ....आई एम कमिंग ....
अजय का मुँह तो पहले से ही खुला हुआ था...इसलिए जो भी उसकी चूत में से बरसा,वो सब अपने आप ही सही जगह पर पहुँच गया...यानी अजय के मुँह से होता हुआ उसके पेट में ...