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Adultery ठरकी दामाद (With Pics)
उसने एंगल चेंज करते हुए अपने लंड को उसके मुँह की तरफ घुमाया और उसे अपने उपर लिटाकर 69 की पोज़िशन में कर लिया...

अब दोनो एक दूसरे के अंगों को जोरों से चूसने मे लगे हुए थे.
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ख़ासकर पूजा, वो तो अपनी नयी आइस्क्रीम को मज़े ले-लेकर चाट भी रही थी और उसका रस चूस भी रही थी...थूक और झाग उसके होंठों से बहकर चादर तक को गीला कर चुकी थी, पर वो बिना उसकी चिंता किए अपनी जवानी का मज़ा लूटने में लगी थी..या ये कहलो की चूसने में लगी थी

और नीचे की तरफ अजय को तो जैसे कोई खजाना मिल गया हो...पूजा की चूत की खुश्बू उसे पागल सा कर रही थी...वो अपनी जीभ से उसे चोदने में लगा हुआ था...अंदर का सारा रस निकालकर वो उसे पी भी रहा था क्योंकि उसका स्वाद था ही ऐसा...और वैसे भी कुँवारी चूत के रस का स्वाद अलग ही होता है..
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पूजा अभी तक ये नही समझ पा रही थी की उसके कहने के बावजूद अजय उसकी चूत में अपना लंड क्यो नही डाल रहा है...पर अजय के मन में क्या चल रहा है ये भला वो कैसे जानती...पर अभी तो उसे अपनी चूत चुसवाने में भी बहुत मज़ा मिल रहा था...

सुबह का समय था, इसलिए अजय के लंड ने पहले जवाब दे दिया...

जैसे ही वो झड़ने को हुआ, वो उठ खड़ा हुआ और उसने पूजा को अपने सामने बिठा कर उसके मुंह में अपना लंड दे दिया, वो अपना रस उसके मुंह में जाते हुए देखना चाहता था

और जल्द ही उसके सेक्सी चेहरे को देखते हुए वो भरभराकर अपना माल पूजा के मुँह में छोड़ता हुआ झड़ने लगा...

पूजा के लिए तो ये किसी झटके से कम नही था...क्योंकि वो तो चुदाई का सपना देख रही थी...पर अजय के ऐसे झड़ जाने से वो समझ गयी की अभी के लिए तो शायद उसकी चुदाई नही हो पाएगी...

पर अजय के वीर्या का स्वाद उसे बहुत पसंद आया, वो किसी नमकीन दलिये जैसा स्वाद था...और दलिया तो वैसे ही उसे पसंद था, इसलिए अपनी पसंद का स्वाद महसूस होते ही वो गटागट उसे पी गयी..

अजय ने भी अपने लंड की आखिरी बूँद तक उसके चेहरे और होंठों के ऊपर फैला-फैलाकर पूरी तरह से उसे अपने रंग में रंग लिया
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झड़ने के बाद अजय थोड़ा सुस्त सा हो गया...पर पूजा फिर भी अपनी लाल चूत पर अपनी उँगलियाँ रगड़ती रही, अजय समझ गया की उसके अंदर का गुबार तो अभी निकलना बाकी था..

और ये शायद पहला मौका था जब अजय बिना अपने पार्ट्नर को झाड़े खुद झड़ चुका था...कुँवारी लड़कियों की ताल से ताल मिलाकर चलना आसान काम नही होता..

पर वो सब बातें किनारे करते हुए उसने जल्दी से पूजा को अपनी तरफ घुमाया और उसे सीधा अपने चेहरे के उपर बैठने के लिए कहा..ऐसा करने से वो अपने हाथ उपर करके उसके उरोजों से भी खेल सकता था...और झड़ते हुए वो उसके सेक्सी चेहरे के एक्शप्रेशन भी देख सकता था..

पूजा को भला क्या आपत्ति हो सकती थी...वो तो ऐसे नये-2 आसान सीखने के लिए अब कुछ भी करने को तैयार थी..अपनी चौड़ी गांद को मटकाते हुए वो जैसे ही नीचे की तरफ झुकी, अजय ने अपनी पेनी जीभ से उसकी चूत के चीरे को चीर दिया..

''आआआआआआआआआआआआाअगगगगगगगगगघह......उम्म्म्मममममममममम..... जीजू................... वाउ...........''

उसे भी शायद ये आसान पसंद आ रहा था...उसने अपने जीजू के बालों को किसी लगाम की तरह पकड़ा और अपनी चूत का घोड़ा दौड़ा दिया अजय के चेहरे पर...उसकी लपलपाति जीभ के हाइवे पर...
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अजय तो बस अपनी खुरदूरी जीभ को बाहर निकाले नीचे पड़ा रहा, और पूजा अपनी चूत को उसपर आगे - पीछे रगड़ती हुई असली की घुड़सवारी कर रही थी...अपनी आँखे बंद किए वो अजय के होंठ...दाँत और जीभ को महसूस करती हुई झड़ने के करीब पहुँच गयी...और जब वो झड़ी तो ऐसा महसूस हुआ जैसे उसके अंदर से उसकी आत्मा निकल कर बाहर जा रही है उसके रस के रूप में ..

''आआआआआआआआआआहह जीजू............... उफफफफफफफफफफ्फ़ वॉट अ फीलिंग ........ इट्स वंडरफुल जीजू........... यू आर वंडरफुल....... उम्म्म्मममममममममम........ आई एम कमिंग.... जीजू ....आई एम कमिंग ....

अजय का मुँह तो पहले से ही खुला हुआ था...इसलिए जो भी उसकी चूत में से बरसा,वो सब अपने आप ही सही जगह पर पहुँच गया...यानी अजय के मुँह से होता हुआ उसके पेट में ...
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अब आया था अजय को साली की चूत के नाश्ते का असली स्वाद..

और फिर कुछ देर तक अपने सीने को सामने की तरफ ताने हुए वो मुरझाई हुई कली की तरह अजय की बगल में गिर गयी...उसके अंदर की सारी एनर्जी ख़त्म हो चुकी थी...ऐसे में अगर उसकी माँ और प्राची भी कमरे में आ जाते तो उसमे भागने की भी हिम्मत नही थी..

पर अभी उनके लौटने में 20 मिनट का समय था...इसलिए अजय निश्चिंत होकर लेटा रहा...और उसने बड़े ही प्यार से अपनी प्यारी साली को अपनी बाहों में लेकर अपने सीने पर उसका सिर रखकर उसे अपने से चिपका लिया...

पूजा : "जीजू.....आज जो भी हुआ है हमारे बीच, इसकी वजह से आपके और दीदी के रीलेशन में तो कोई प्राब्लम नही आएगी ना...''

अजय (मुस्कुराते हुए) : "नही मेरी जान....कोई प्राब्लम नही आएगी...वो अपनी जगह है मेरी लाइफ में ,और मैं उससे हमेशा ऐसे ही प्यार करता रहूँगा...''

पूजा (शरारत भरे स्वर मे) : "और मेरे साथ...?''

अजय : "तेरे साथ भी मेरी जान....तू नही जानती, तेरे जीजू का दिल और लंड दोनो बहुत बड़े है...सबको मेरा प्यार मिलेगा... हा हा हा....''

उसकी बात पर पूजा भी मुस्कुरा दी...वो अजय से चुदाई की बात भी पूछना चाहती थी, पर उसकी हिम्मत नही हो रही थी, अजय समझ गया की उसके मन में क्या चल रहा है, इसलिए उसने खुद ही बोल दिया

"देखो पूजा, हमारा ये रीलेशन हमे बहुत संभालकर आगे बढ़ाना होगा, इसलिए आज मैने ज़्यादा कुछ नही किया, उसके लिए हमे प्रॉपर तैयारी करके ही मिलना होगा, और वो टाइम जल्द ही आएगा, क्योंकि मुझे भी तुम्हे पूरी तरह से फील करना है...''

इतना कहते-2 उसने उसकी चूत को अपने हाथ से छू लिया...और वो कसमसाती हुई सी अजय से और बुरी तरह से लिपट गयी..

अजय : "तुम्हे बस मेरे हिसाब से चलना होगा...और जो भी मैं कहूँ या करू, बिना किसी सवाल जवाब के उसे मानना होगा...समझी...''

जवाब मे पूजा ने हाँ में सिर हिला दिया...क्योंकि वो जानती थी की उसके जीजू जो भी करेंगे, उसमे उसे मज़ा मिलने की पूरी गारंटी है..

अजय ने टाइम देखा और पूजा को जल्दी से कपड़े पहनने के लिए बोल दिया...और खुद टावल लेकर बाथरूम में चल दिया...

पूजा ने कपड़े पहने और कमरे की हालत ठीक करी...स्प्रे डालकर उसने सेक्स की खुश्बू को दबा दिया...और फिर वो किचन में जाकर नाश्ता बनाने लगी अपने प्यारे जीजू के लिए..

और जब तक अजय बाहर निकला, नाश्ता बन चुका था..पूजा ने बड़े ही प्यार से उसे अपने सामने बिठा कर नाश्ता करवाया...और खुद भी किया..

जैसे ही नाश्ता निपटा, बाहर की बेल बजी, अजय ने दरवाजा खोला तो सामने उसकी सास खड़ी थी..पर वो अकेली थी..प्राची उनके साथ नही थी.

अजय घबरा गया, पूछने पर उन्होने बताया की सब ठीक है, पर डॉक्टर ने उसे एक हफ्ते का बेड रेस्ट बताया है...और ज़्यादा सीडिया चड़ने के लिए भी मना किया है, इसलिए वो प्राची को अपने घर छोड़कर आई है, क्योंकि अजय का घर तो 3र्ड फ्लोर पर था, और इतनी सीडिया चड़ने के लिए डॉक्टर ने मना किया है...प्राची का मायका तो ग्राउंड फ्लोर पर था...भले ही उन्होने उपर दूसरा फ्लोर बना रखा था, पर उनके सारे बेडरूम नीचे ही थे..इसलिए सासू माँ ने एक हफ्ते के लिए प्राची को वहीँ रुकने के लिए बोल दिया..

अजय को भला क्या प्राब्लम हो सकती थी...बल्कि उसके लिए तो अच्छा ही था...

अब वो अकेला था अपने घर में ..एक हफ्ते के लिए...और इस एक हफ्ते में वो क्या-2 कर सकता था वहां पर ये तो आने वाले दिन ही बता सकते थे...और उन्हें सोचकर अभी के लिए तो अजय मंद-2 मुस्कुरा रहा था...

और उसकी आँखो में देखती हुई उसकी सास भी अपनी खुशी दबाने में असमर्थ थी...वो भी धीरे-२ मुस्कुरा रही थी, और दूसरी तरफ वो सब सुनकर पूजा भी खुली आँखो से कुछ सपने देखने लगी थी..

अब शिकार भी तैयार थे और शिकारी भी...

बस देखना ये था की किसका शिकार पहले और कैसे करेगा अजय.
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अजय काफ़ी देर तक अपनी बीबी प्राची के साथ बैठा रहा...फिर वो नाश्ता करके ऑफीस के लिए निकल गया..रास्ते मे उसने रिया को भी ड्राप किया , पर उस दिन दोनो के बीच कुछ ख़ास नही हुआ.

ऑफीस में भी उसका सारा ध्यान अपनी सालियों और सास की तरफ ही लगा रहा...पर जब वो अपने फ्रेंड अनिल से मिला तो उसे अंजलि भाभी का ध्यान आया...उन्हे तो वो भूलकर ही बैठ गया था...उस दिन सोनी ने अगर अपने घर ना बुलाया होता तो वो उनकी बजा चुका होता अब तक...उस दिन के बाद तो उन्होने कोई मैसेज या कॉल भी नही की थी...उसने जल्दी से अपना फोन निकाला और उन्हे एक प्यारा सा गुड मॉर्निंग का मेसेज सेंड कर दिया व्हाट्सएप पर...लेकिन एक घंटे तक भी उनका कोई जवाब नही आया, वो समझ गया की वो ज़रूर उससे नाराज़ है.

और जब वो लंच करके हटा ही था तो अंजलि का रिप्लाइ आ गया...और एक बार फिर से उनके बीच चेटिंग शुरू हो गयी

अंजलि : "आ गयी मेरी याद...''

अजय : "मुझे पता है की आप गुस्सा हो मुझसे..लेकिंग मेरा यकीन मानो, उस दिन मुझे बहुत ज़रूरी काम था, वरना ऐसा गोल्डन ऑफर मैं कभी नही ठुकराता...''

अंजलि : "और वो गोलडेन ऑफर सिर्फ़ एक बार के लिए ही था...अब तुम भूल जाओ..''

अजय समझ गया की अब वो भाव खा रही है..इसलिए उन्हे प्यार और चापलूसी से मनाना होगा..

अजय : "ऐसा ज़ुल्म ना करो मुझपर भाभी...उस दिन से हर रात आपके सपने देखकर ही सोता हू ..और आपके बारे में ही सोचता हुआ उठता हूँ ...''

अंजलि : "झूठा ...अपनी बीबी के होते हुए तुम भला मेरे सपने क्यो देखने लगे...''

अजय : "अब क्या बताऊ भाभी, आप जैसा तो कोई हो ही नही सकता...और वैसे भी मेरी वाइफ आजकल अपनी मदर के घर रह रही है...''

इतना कहकर उसने वो सारा वाक़या अंजलि को बता दिया.

अंजलि : "ओहो....फिर तो तुम रातों के राजा बने हुए हो आजकल...''

अजय : "तभी तो कह रहा हू..मेरे साथ ऐसा ज़ुल्म ना करो...आप ही आकर बन जाओ मेरी रातों की रानी...''

अंजलि कुछ देर तक चुप रही और फिर उसने रिप्लाइ किया : "अनिल अगर बाहर गया हुआ होता तो शायद मैं चुपचाप वहां पहुँच जाती...पर अभी ये पॉसिबल नही है...''

अजय : "कोई बात नही...पर उसके सो जाने के बाद तो पॉसिबल है ना..''

अंजलि : "क्या मतलब ??''

अजय : "आज लाइव चैट करेंगे...रात को...लॅपटॉप पर...''

ये लिखते हुए उसके हाथ काँप रहे थे...और उसका लंड बुरी तरह से अकड़ चुका था..उसकी पेंट में ...

अंजलि ने ओके लिखकर बात ख़त्म कर दी..और अजय अपने लंड को अपनी पेंट में अड्जस्ट करता हुआ सिसकारी मारने लगा.

और उसे ऐसे खुलेआम अपने लंड से छेड़खानी करते देखकर उसका फ्रेंड अनिल उसके पास आया और बोला : "क्या बात है...आज दिन में ही खड़ा हो गया तेरा शेर...''

अजय ने उसे देखा और एक रहस्यमयी हँसी हंसता हुआ सोचने लगा 'साले ...अगर तुझे बता दूँ की तेरी बीबी की वजह से ही ये लंड खड़ा हुआ है तो तेरी तो फट कर हाथ में आ जाएगी...''

और अजय ने उसे ये कहकर टाल दिया की ऑफीस में जो नयी लड़की ने ज्वाइन किया है, उसकी वजह से आजकल लंड हमेशा टाइट रहता है..

और उसकी इस बात पर तो अनिल ने भी हामी भर दी.

अनिल : "साले ...मुझे पता था, तू उसके बारे में ज़रूर बोलेगा...आख़िर तेरे ही इलाक़े की तो रहने वाली है ...''

अजय तो ये सुनकर चोंक गया : "मेरे इलाक़े की..कैसे..?? कहाँ रहती है...''

अनिल : "जनक पूरी...''

ओहो...वो तो मेरे घर, यानी विकासपुरी के बिल्कुल करीब है...और ये बात अनिल को इसलिए पता थी क्योंकि वो लड़की उसी के डिपार्टमेंट में काम करती थी.

अजय ने तो बिना कुछ सोचे समझे उस लड़की के बारे में बोल दिया था..पर ऐसा भी नही था की अजय ने उसे कभी नोटीस नही किया था पिछले 4 दिनों में...

किया तो था पर आजकल जिस तरह के मज़े अजय को अपनी पर्सनल लाइफ से मिल रहे थे, ऐसे मे वो ऑफीस में आई इस लड़की की तरफ वो ध्यान नही दे पा रहा था, जो उसे देना चाहिए था..लेकिन उसने नोट किया था की वो जहाँ से भी निकलती थी, हर कोई उसे ही देखता रह जाता था

लेकिन अब तो वो भी उसी के बारे में सोचने लगा..वो उसके बारे में सोच ही रहा था की वो लड़की सामने की टेबल पर रखी फोटोकॉपी मशीन पर आई और कुछ डॉक्युमेंट्स की कॉपी निकालने लगी..उसने अजय और अनिल को देखा और एक स्माइल पास कर दी...उसकी हँसी देखकर तो अजय के लंड का तीखापन और बड़ गया.

उसने ग्रीन टी शर्ट और ट्राउज़र पहनी हुई थी ,जिसमे उसका भरा हुआ जिस्म और मोटे मुम्मे सॉफ झलक रहे थे था..हद से ज़्यादा गोरी थी वो..और उसकी गाण्ड सबसे मस्त थी..एकदम गोल मटोल और भरंवा.
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उसने फुसफुसाते हुए अनिल से कहा : "अनिल....जल्दी से इसको यहाँ बुला...मेरा प्रॉपर इंट्रो करवा..और ये भी बता की मैं कहाँ रहता हूँ ...''

अनिल ने भी उसी टोन में फुसफुसाते हुए कहा : "ओ मेरे चीते...मुझे पता है की तू ये सब किसलिए बोल रहा है...पर एक प्रोमिस कर..की जब भी ये तुझसे फँस जाएगी तो मेरे बारे में भी ज़रूर सोचियो..''

अजय ने हामी भर दी..

अनिल ने तुरंत उस लड़की को वहां बुलाया : "रचना...कम हियर...''

वो वहां आई तो अनिल ने कहा : "रचना, इनसे मिलो, ये है मिस्टर.अजय..हमारे आई टी डिपार्टमेंट के हेड...''

रचने ने एक प्यारी सी हँसी के साथ अपना नाज़ुक सा हाथ आगे बड़ा दिया और बोली : "हाय मिस्टर.अजय...आई एम रचना..''

अजय ने जब उसका हाथ पकड़ा तो छोड़ने का मन ही नही करा..इतना मुलायम हाथ तो सिर्फ़ रिया का ही था...भले ही रचना का जिस्म भरा हुआ सा था, पर उसकी ऐज 25 से ज़्यादा नही थी..कुंवारी थी वो भी.

अजय तो खुली आँखो से उसके साथ के सपने देखने लग गया..

अनिल ने खाँसी करके उसे हाथ छोड़ने का इशारा किया,तब जाकर उसने हाथ छोड़ा,वरना वो ठरकी तो उसे सपने में ही चोदने की तैयारी भी कर चुका था.

अनिल : "और एक बात रचना,अनिल भी वहीँ रहता है,तुम्हारे घर के पास...विकास पूरी..''

ये सुनते ही वो एकदम से खुश हो गयी और बोली : "ओह रियली...वाउ...चलो कोई तो मिला, मेरी साइड का...कभी लिफ्ट की ज़रूरत पड़ी तो आई होप आप माइंड नही करेंगे...''
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अजय का दिल तो बल्लियों उछलने लगा...उसे भला क्या ऐतराज हो सकता था...प्राची तो प्रेगञेन्ट होने के बाद ऑफीस आ-जा नही रही थी, इसलिए उसे गुडगाँव से अपने घर तक अकेले जाना पड़ता था..ऐसे में अगर इस हसीना का साथ मिल जाए तो मज़ा ही आ जायेगा

सुबह के टाइम रिया और शाम को रचना ...अजय को तो अपनी किस्मत पर गर्व सा हो रहा था अब ...कहाँ पहले वो इन सब के लिए तरसता रहता था..और अब एक के बाद एक लड़की उसकी जिंदगी में आती जा रही है..

प्राची से शादी के बाद उसके घर की तीन चूतें और फिर अनिल की बीबी अंजलि, पूजा की फ्रेंड सोनी और अब ये रचना...उपर वाले ने एक के बाद एक छप्पड़ फाड़कर उसकी झोली भर दी थी..उसकी किस्मत या ये कहलो लंड का तारा आजकल बुलंदियों पर था.

और फिर वो अपनी सीट पर चली गयी...अनिल ने भी उसको आल द बेस्ट कहा और अपने काम में लग गया.

भले ही इस रचना का नंबर आने में अभी टाइम था, लेकिन जो माल अब तैयार बैठा हुआ था, उससे तो पहले निपटना ज़रूरी था..और संभलकर भी...क्योंकि इस मौके पर आकर अजय कोई ग़लती नही करना चाहता था.

आज की रात तो उसे अपनी प्यारी भाभी के साथ लाइव चैटिंग करनी थी..जिसमे वो पता नहीं क्या-२ दिखाएगी

इसलिए वो चाहता था की आज का दिन जल्द से जल्द ख़त्म हो जाए, ताकि वो घर जाकर अंजलि को अपना ठरकीपन दिखा सके..

किसी तरह शाम हुई और अजय अपने घर की तरफ चल दिया.

पर अंजली से बात करने और अभी के बीच करीब 5 घंटे का समय था..और इन 5 घंटो में कुछ ऐसा होने वाला था जिसकी वजह से अजय के ठरकीपन में चार चाँद लगने वाले थे.

अजय सीधा अपने ससुराल गया आज, क्योंकि उसकी बीबी तो वहीँ पर थी.

दरवाजा पूजा ने खोला, और अपने जीजू को देखते ही उसके चेहरे पर जो खुशी की लहर दौड़ी, वो देखते ही बनती थी..अजय ने जब देखा की उसके पीछे कोई नही है तो उसने मौके का फायदा उठाते हुए झट से उसे अपनी बाहों में लिया और उसके होंठों पर एक गीली सी पप्पी कर दी..

पूजा को तो संभलने का भी मौका नही मिला..वो भी अपने जीजू की इस हरकत को देखकर हैरान रह गयी की कैसे इनमे इतनी हिम्मत आ जाती है जो ये रिस्क वाले काम आसानी से कर लेते है..अगर पीछे से किसी ने देख लिया होता तो दोनों की शामत आ जानी थी.

लेकिन जो भी हुआ, उसे महसूस करके पूजा को बहुत अच्छा लगा..खुशी भरा चेहरा शर्म से लाल हो उठा..उसने भी उस क्विक किस्स में उनका साथ दिया और उन्हें चूमने दिया, और फिर उसने अपनी शरारती आँखे नचाते हुए अपने वही पुराने चिर-परिचित अंदाज में धीरे से कहा ''ठरकी जीजू...''

अजय कुछ बोल पाता तभी पीछे से उसकी सासू माँ रजनी की आवाज़ आई : "ओहो...अजय , तुम आ गये..आओ अंदर..प्राची काफ़ी देर से तुम्हारा ही इंतजार कर रही है..''

अजय ने नोट किया था की जब से उसकी सास के साथ चक्कर चलना शुरू हुआ है, उन्होने उसे बेटा बुलाना भी बंद कर दिया है..अब वो सीधा उसके नाम से बुलाती थी.

अजय अंदर आया और अपनी सास को आँख मारता हुआ अंदर के कमरे में चला गया, जहा उसकी बीबी प्राची लेटी हुई थी. साथ में रिया भी बैठी थी

अजय को देखते ही वो भी खुशी से चहक पड़ी और भागकर अजय से लिपट गयी..रिया तो ये देखकर शरमा ही गयी और उन्हें प्राइवेसी देते हुए चुपचाप उठकर बाहर निकल गयी

अजय : "अर्रे स्वीटहार्ट ..तुम तो ऐसे मिल रही हो जैसे मैं महीने बाद मिल रहा हूँ तुमसे..सुबह ही तो मिलता हुआ गया था..''

वो बड़े ही लाड भरे अंदाज में बोली : "उम्म्म....तुम नही समझोगे...पता है, मॉर्निंग से कितना मिस कर रही हूँ ...मॉर्निंग में तो बताने का मौका ही नही मिला, की कल की रात तुम्हारे बिना कैसे बीती...उम्म्म्म मुझे नही पता...आज की रात तुम मेरे पास ही रुकोगे...मेरा बहुत मन कर रहा है...''

उसने जिस अंदाज में ''मन कर रहा है'' कहा और फिर अपना हाथ अजय के सीने पर रखकर धीरे-2 घिसने लगी, अजय समझ गया की उसकी चूत में इस वक़्त आग लगी हुई है..पर आज की रात का तो उसे खुद सुबह से इंतजार था..आज की रात तो वो किसी भी कीमत पर उसके पास नही रुक सकता था..पर ऐसी हालत में वो प्राची को भी नाराज़ न्ही करना चाहता था..वो बेचारा धर्म संकट मे फँस कर रह गया.

वो सोच रहा था और प्राची के हाथ फिसलकर उसके लंड तक आ गये..दरवाजा खुला हुआ था ,ऐसे में अजय की हालत खराब होने लगी...एक तो सुबह से अंजलि भाभी के बारे मे सोचते हुए उसका लंड बैठने का नाम ही नही ले रहा था..और अब उसकी बीबी प्राची ने उसपर हाथ रखकर उसे और भी ज़्यादा उत्तेजित कर दिया था..

प्राची ने जब उसके उफनते हुए लंड को देखा तो उसके होंठों पर सेक्सी वाली स्माइल आ गयी..वो बोली : "ओले मेला बैबी...ये तो मुझे मेरे से भी ज़्यादा मिस कर रहा है...''

अब भला अजय उसे क्या समझाता की ये क्या मिस कर रहा है..प्राची ने उसे कुछ और समझने का मौका ही नही दिया..उसने अजय के लंड को पकड़े हुए ही अपने होंठ उपर की तरफ किए और अजय के साथ एक गहरी फ्रेंच किस्स में डूब गयी..

वो किस्स थी ही इतनी एरॉटिक की अजय भी अपनी सुध-बुध खोकर उसमें डूब गया और दोनो अपनी-2 आँखे बंद किए हुए एक दूसरे को चूसने मे मशगूल हो गये..और उन्हे ये भी नहीं पता चला की कब रजनी यानी अजय की सास पानी का ग्लास लेकर अंदर आई और उन्हे ऐसे चूमते हुए देखकर वो दरवाजे पर ही रुक गयी..

उसे बड़ी शर्म सी आ रही थी..ये पहला मौका था जब उसने अपनी बेटी और दामाद को ऐसा कुछ करते हुए देखा था..वो भी अजय को किस्स कर चुकी थी..उसका लंड चूस चुकी थी...पर आख़िर था तो वो उसकी बेटी का ही पति ना..प्राची का ही पहला हक़ है उसपर..और ये सब करना तो उनका हक़ है..वो ही कबाब मे हड्डी बनकर अंदर आ चुकी थी..

पर उनकी किस्स करने की कला को देखकर वो अपनी नज़रें वहां से हटा ही नही सकी..मंत्रमुग्ध सी होकर उन्हे देखती रही..कितने प्यार के साथ दोनो एक दूसरे को चूम रहे थे...ख़ासकर उसकी बेटी प्राची...वो ठीक वैसे ही किस्स कर रही थी जैसे वो खुद किया करती है..यानी गले में बाहें डालकर और अपनी छातियाँ उसकी छाती से रगड़ते हुए..ऐसे में दोनो को जो आनंद मिलता है वो अपने शब्दों में बयान करना संभव नही होता..

अजय को जैसे एहसास हो गया की वहां कोई खड़ा है, उसने तुरंत आँखे खोल कर दरवाजे की तरफ देखा, प्राची की पीठ तो अपनी माँ की तरफ थी, इसलिए वो अगर आँखे खोल भी लेती तो अपनी माँ को ना देख पाती, पर अजय ने उन्हे देखने के बावजूद भी अपनी किस नही तोड़ी और और बुरी तरह से प्राची के होंठों को चूसने मे मशगूल हो गया...और साथ ही साथ उसके हाथ भी उपर की तरफ आकर प्राची के मोटे मुम्मों का मर्दन करने लगे..

प्राची तो सुबह से ही विरह की आग में सुलग रही थी, अपने सेंसेटिव पार्ट्स पर हाथ लगते ही वो और भी ज़्यादा कामुक करीके से अजय को चूमने लगी..

''ओह अजय..... उम्म्म्मममम...पुच्छ्ह .....आआअहह ज़ोर से दबाओ ....कल से तुम्हे मिस कर रहे है ...ये आआआआअहह..... येसस्स......ऐसे ही .......आआआआअहह ...ऑश माय बैबी,........''

रजनी की हालत भी खराब हो रही थी...उसके होंठों पर खुश्की सी आ चुकी थी...जिनपर अपनी जीभ फेरते हुए वो अजय को इशारा करती हुई उसे इशारे से बोली की इन्हे भी चूस लो ... अजय ने आँख मारकर अपने हाथ से इशारा करते हुए बाद मे उन्हे भी चूसने की बात कही..

जवाब मे अजय की सास ने दूर खड़े-2 ही अपना एक मुम्मा ज़ोर से दबा कर उसकी सख्ती अजय को दिखाई की इन्हे मत भूल जाना...जैसे प्राची के दबा रहे हो , इनकी भी सेवा करना..अजय ने होले से सिर हिला कर हाँ बोल दिया...

रजनी का मन तो बहुत कर रहा था की वहीं खड़ी होकर उनका प्रेम मिलन देखे, पर वो अभी के लिए पासिबल नहीं था..उसकी बेटी अभी इतनी भी नही खुली थी की उसके सामने ही सब कुछ कर ले..इसलिए वो अजय को एक फ्लाइयिंग किस्स करती हुई बाहर निकल गयी...और जाते हुए दरवाजा भी बंद कर दिया..

दूसरी तरफ अजय समझ चुका था की अगर अभी प्राची को तृप्त कर दिया जाए तो रात को वो आसानी से अपने घर पर जाकर सो सकता है,जिससे उसे अंजलि से बाते करने में आसानी रहेगी..इसलिए उसने जान बूझकर प्राची के मुम्मो के साथ-2 उसके निप्पल्स पर भी हमला कर दिया...उन्हे अपनी उंगलियों मे भींचकर उन्हे ज़ोर -2 से दबाने लगा..

प्राची तो चीख पड़ी....

''आआआआआअहह ओह...अजय......मई डार्लिंग......क्यो तड़पा रहे हो.....रात का इंतजार भी नही करोगे क्या.....उम्म्म्ममममम....''

अजय ने ना में सिर हिलाया...प्राची को बस इसी बात की चिंता हो रही थी की वो इस वक़्त अपने मायके में है...और अजय अभी-2 ऑफीस से आया है...ऐसे मे अगर वो दरवाजा बंद करके तुरंत चुदाई में जुट गये तो घर में मोजूद सभी लोग क्या सोचेंगे...उसकी माँ ,बहनें ..पापा...सब घर पर ही थे...पर चूत में जो आग लगी हुई थी, उसे भी बुझाना ज़रूरी था...अगर वो अपने घर पर होती तो अभी तक वो नंगी होकर बुरी तरह से चुदवा रही होती..

उसने तो सोचा था की अभी के लिए अजय के साथ थोड़ा बहुत चूमा चाटी कर लेगी..और रात में प्रॉपर चुदाई करवाएगी...वैसे भी प्रेगञेन्ट होने के बाद उसकी चुदवाने की इच्छा दिन ब दिन बढ़ती ही जा रही थी ..वो तो डॉक्टर ने ज़्यादा सेक्स करने से मना किया हुआ था, वरना जिस तरह की फीलिंग प्राची को आजकल होती थी, उसके अनुसार तो वो रोज दो बार चुदने के लिए तैयार थी..

पर अब तो प्राची को रात का भी इंतजार नही हो रहा था...अजय ने उसके निप्पल्स को दबाकर उसे पूरी तरह से उत्तेजित कर दिया था...उसने आनन-फानन में अजय की बेल्ट खोली, उसकी पेंट को नीचे खिसकाया और उसके उफनते हुए नाग को हाथ में लेकर ज़ोर से सिसकारी मारी

''सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स.....आआआआआह्ह ...अब तू नहीं बचेगा साले .....मुझमे जो आग लगी है, उसे अब तू अभी के अभी बुझाएगा...''

सेक्स का भूत जब बुरी तरह सर पर चढ़ता तो ऐसे ही तू तड़ाक और गालियों के साथ बात करती थी प्राची

अजय तो चाहता भी यही था की रात का लफ़ड़ा ही ख़त्म हो जाए, उसकी चाल काम कर गयी थी...वैसे भी चोदने के लिए तो उसका लंड हमेशा तैयार रहता था.

प्राची ने उसके लंड को हाथ में पकड़ा और खुद एक चेयर पर बैठ गयी.... प्रेग्नेंट होने की वजह से ज़मीन पर बैठने में थोड़ा मुश्किल होती थी उसे...और फिर अजय के लंड को अपने चेहरे के सामने रखकर वो उसे बड़े प्यार से देखती रही..और फिर एकदम से उसपर टूट पड़ी, जैसे कोई लोमड़ी अपने शिकार पर झपटती है ठीक वैसे ही..

उसके गीले मुँह के अंदर जाते ही अजय की सिसकारी निकल गयी..वो अपने पंजों पर खड़ा होकर उसके हमलों से बचने लगा..उसके तीखे दांतो और लपलपाति जीभ के हुनर से उसके लंड की कसावट में चार चाँद लग गये...और वो पूरी तरह से फूल कर उसके मुँह में अंदर बाहर होने लगा.
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अजय ने उसके सिर पर हाथ रखकर अपने लंड को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया...लंड चुसवाने में उसे जो मज़ा मिलता था, उसकी तुलना वो किसी और चीज़ से कर ही नही सकता था..और आज तो प्राची कुछ ज़्यादा ही ज़ोर शोर के साथ उसका लौड़ा चूस रही थी..ऐसे में वो ये भी भूल चुका था की वो इस वक़्त कहाँ है और क्या वक़्त हुआ है...उसे तो बस अब किसी भी हालत में प्राची की चूत बजानी थी.
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कुछ देर तक लंड चूसने के बाद वो फिर से उपर आई और उसे स्मूच करने लगी...इस बीच दोनो के हाथ एक दूसरे के जिस्मो पर चल रहे थे...अजय ने उसकी शर्ट उतार फेंकी...ब्रा को भी नोच कर हवा में उछाल दिया...उसने भी अजय के कपडे उतार कर ज़मीन पर फेंक दिए ..

पेंट तो पहले से उतरी हुई थी..इसलिए अजय एक पल मे ही नंगा होकर खड़ा था..उसने प्राची को बेड पर लिटाया और उसके पायजामे को पकड़ कर खींच दिया...प्रेग्नेंट होने के बाद उसका हल्का सा पेट उभर आया था और मुम्मे तो पहले से भी ज़्यादा बड़े हो चुके थे...

इस वक़्त उसके शरीर रूपी पेड़ की हर डाल पूरी तरह से निखार पर थी...उसकी मोटी-2 जांघों को पकड़ कर उसने अपने लंड को उसकी चूत के उपर रखा और धीरे से धक्का दिया...डॉक्टर ने उन्हे सेक्स के समय जो हिदायत बरतने को कही थी,अजय उसी के मुताबिक धीरे-2 झटके दे रहा था...प्राची को इस तरह का स्लो सेक्स पसंद नही था,पर इस वक़्त तो यही हो सकता था,इसलिए जो भी मिल रहा था वो उसी का मज़ा लेती हुई उससे चुदवाने लगी..

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''आआआआअहह ओफफफ्फ़ ओफफ्फ़ अहह ऑश अजय....उम्म्म्ममम....ऐसे ...ऐसे ही....अआआअहह मेरे राजा....मज़ा आ रहा है....अहह ......इस लंड के बिना तो एक दिन भी नहीं रहा जाता......अहह ओह्ह्ह माय गॉड .......''


और सिर्फ़ दो मिनिट लगे उसे झड़ने में ...ज़्यादा उत्तेजना का यही परिणाम होता है, अभी तो उसकी चूत की खुजली मिटी भी नही थी और वो झड़ गयी....पर जो भी था, इस तरह से चुदने में उसे मज़ा बहुत आया था..

अब अजय की बारी थी, वो बेड पर जाकर लेट गया और उसने प्राची को अपने आगे लिटा लिया...ऐसे मे वो उसके बूब्स को दबाता हुआ आराम से उसे चोद सकता था...प्राची ने भी उसके लंड को अंदर लेकर थिरकना शुरू कर दिया..

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अजेय के हाथों को लेकर प्राची ने चूसना शुरू किया...उसकी उंगलियो को वो किसी लंड की तरह चूस रही थी...और ऐसा करते हुए उसकी आँखे बंद थी...शायद वो अपने अंदर एक और ओर्गास्म का निर्माण कर रही थी..अजय भी उसकी मंशा समझ गया और अपने अंगूठे से वो उसकी चूत के बाहर झाँक रहे मटर के दाने को मसालने लग गया और दूसरे हाथ से वो उसके निप्पल्स को कटोचने लगा...

एक साथ दो स्पॉट्स पर हमला होते ही उसके अंदर एक नयी तरंग ने जन्म ले लिया...जो धीरे-2 तेज होने लगी...और साथ ही तेज होने लगे उसके झटके भी...

''आआआआहह अजय..........क्या करते हो......आआआआहह.......यही तो ख़ासियत है तुम्हारे अंदर....आआआअहह येसस्स्स्स्स्स्स्सस्स.....ऐसे ही करो...मज़ा आ रहा है.................उम्म्म्ममममममममम......मेरे राजा.......आआआआआआआहह....''

और उसकी सेक्सी बातों को सुनकर अजय के लंड ने भी रिस्पोंड देना शुरू कर दिया...उसने प्राची को घोड़ी बना कर अपना लंड अंदर दाल दिया और उसी तेजी के साथ उसे चोदने लगा

वो भी झड़ने के करीब पहुँच गया...इसलिए उसने प्राची के दानों को और ज़ोर से दबाना और मसलना शुरू कर दिया...ताकि वो भी साथ ही झड़ जाए..

और हुआ भी ऐसा ही....जैसे ही अजय के लंड ने गर्म क्रीम की बौछार उसकी चूत के अंदर छोड़ी, उस गर्मी को महसूस करती हुई प्राची एक बार फिर से झड़ गयी...और इस बार तो झड़ते हुए उसका शरीर ऐसे काँप रहा था जैसे उसकी आत्मा निकल कर बाहर जा रही है...ये उसकी जिंदगी का सबसे उत्तेजक ओर्गास्म था..

अजय का लंड फिसलकर बाहर निकल आया और पीछे-2 निकला ढेर सारा सफेद रस...

जो हवा में लटका हुआ अपनी चुदाई की ख़ुशी बयान कर रहा था
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और वो दोनो एक दूसरे को चूमते हुए गहरी साँसे लेने लगे...

वो अंदर गहरी साँसे ले रहे थे और दरवाजे के बाहर वो दोनो बहने धीमी हँसी हँसती हुई एक दूसरे के हाथों को ज़ोर से दबा रही थी...ताकि उनकी हँसी ज़ोर से ना निकल जाए..

रजनी तो बाहर निकल कर अपने पति के साथ मार्केट से सब्जी लेने चली गयी थी, और जाते हुए दोनो बहनो को अंदर ना जाने की हिदायत दे गयी थी...उन दोनो ने भी सोचा की ऐसा क्या हो रहा है जो उनकी माँ ने अंदर जाने से मना कर दिया है...इसलिए दोनो चुपके से दरवाजे के बाहर खड़ी होकर छुपकर वो सब देख रही थी, दरवाजा तो खुला ही हुआ था, सिर्फ़ हल्की सी लाइन थी, जिसमे से उन दोनो ने अपनी बहन और जीजू के इस प्रेम प्रसंग को देख लिया था...एक दिन पहले जिस जीजू के बारे में सोचकर दोनो बहनो ने एक दूसरे की चूत चूसी थी उसी को साक्षात चुदाई करते हुए देखकर उन पर क्या बीत रही थी, ये बताने की ज़रूरत न्ही थी...

अंदर का तूफान ख़त्म हो चुका था और बाहर एक नये तूफान ने जन्म ले लिया था.

आज की रात कई तूफान देखने थे इस और साथ वाले घर की दीवारों ने..

ऐसी जबरदस्त चुदाई ने तो प्राची को एकदम पस्त सा कर दिया था,पर हमारे चीते में अभी बहुत जोश बाकी था..उसे तो अब हर जगह रजनी भाभी ही दिखाई दे रही थी, वो जल्द से जल्द अपने घर जाकर उनसे लाइव चैट करना चाहता था..बहुत कुछ दिखाना था उन्हे और उनका बहुत कुछ देखना भी था..

प्राची को उसने बोल दिया की वो अपने घर जाकर ही सोयेगा ,अपने बिस्तर पर जो नींद आती है वो अलग ही होती है..प्राची ने भी ज़्यादा ज़ोर नही दिया अब,क्योंकि जिस काम के लिए वो अजय को अपने पास रोक रही थी वो तो हो ही चुका था अब..उसकी चूत 2 बार झड़ी थी ..अब वो चैन से सो सकेगी.
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एकदम मस्त!?
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पूजा और रिया ने जब देखा की अजय और प्राची ने कपडे पहन लिए है तो वो दोनो भी चुपचाप वहां से भाग निकली और किचन मे जाकर काम करने लगी..

जाते हुए मुड़कर जब अजय ने बेड पर लेटी हुई प्राची को बाय बोला, तो उसके चेहरे पर आई संतुष्टि भरी मुस्कराहट देखकर उसे खुद ही अपने लंड पर गर्व होने लगा

अजय जब बाहर निकला तो उसने देखा की दरवाजा तो खुला ही रह गया था...और उसके शैतानी दिमाग़ में ये ख़याल आया की काश उसकी सास या सालियो ने वो चुदाई देख ली हो, ताकि उससे प्रेरित होकर वो भी चुदने के लिए जल्द ही उसके पास आ जाए...पर उसे क्या पता था की उसे सच में देख लिया था उसकी सालियो ने..और अब उसी चुदाई के बारे में बाते करते हुए वो दोनो किचन मे काम कर रही थी..

रिया : "यार दीदी.....तुमने देखा ना...जीजू कैसे पर्फॉर्म कर रहे थे...ही इस लाइक हीमैन ..कितने पावरफुल स्ट्रोक्स थे उनके...उफफफफफ्फ़....मुझे तो ऐसा फील हो रहा था जैसे ...जैसे...''

पूजा ने उसकी बात पूरी की : "जैसे वो सब झटके तुझे मिल रहे हो...है ना...''

रिया का चेहरा लाल हो उठा ये सुनकर...और उसने गुनगुनाती हँसी के साथ अपनी बहन को गले लगा लिया...और अपनी गर्म साँसे उसकी गर्दन पर छोड़ती हुई फुसफुसाई : "उम्म्म्म दीदी....आप भी ना...पर...सच मे...ऐसा हो जाए तो...मज़ा आ जाएगा..''

पूजा तो अब खुद यही चाहती थी की उसके प्यारे जीजू जल्द से जल्द उसकी चूत का उद्घाटन कर दे...जब उसका ये हाल है तो रिया की हालत वो अच्छी तरह से समझ सकती थी..हालाँकि पूजा अपने जीजू से सकिंग के मज़े ले चुकी थी, रिया तो उससे भी महरूम थी अब तक..इसलिए उसने मन ही मन निष्चय कर लिया की वो किसी भी कीमत पर रिया को वो मज़े तो दिलवा ही देगी, जो उसने खुद लिए थे..

पूजा : "सुन...अगर तू मेरे हिसाब से चलेगी तो ...मैं तेरी ये बेचैनी कुछ कम करा सकती हूँ ...''

रिया की आँखे चमक उठी...आज पहली बार पूजा ने उसकी हेल्प करने की बात की थी...उसी जीजू के साथ जिनसे बचने के लिए वो उसे ना जाने कितने लंबे-2 उपदेश दिया करती थी...पर पहले और अब मे काफ़ी फ़र्क आ चुका था..जिस तरह कल रात उन दोनो ने नंगे होकर एक दूसरे को प्यार से मज़े दिए थे, जीजू के बारे मे सोच-सोचकर अपनी-2 चूत एक दूसरे से चुस्वाई थी...और अभी कुछ देर पहले एक साथ उन्होने अपने उसी जीजू को जिस अंदाज में चोदते हुए देखा था, उसके बाद तो दोनो के मन और चूत में अपने जीजू के नाम के हथोड़े बज रहे थे..अब वो उसी जीजू से बचने के नही बल्कि उनसे कैसे मज़े मिलेंगे,इसकी तरकीबे बताने वाली थी..

रिया : "दीदी..आप बस मेरा ये काम करवा दो...मैं आपकी हर बात मानने के लिए तैयार हूँ ...''

वो बात कर ही रही थी की रिया की ये बात सुनते हुए अजय ने किचन मे प्रवेश किया और बोला : "क्या बात मनवा रही हो तुम मेरी प्यारी साली से पूजा...कही तुम मेरी प्यारी साली रिया को ब्लॅकमेल तो नही कर रही ना...''

एकदम से अपने सपनों के राजकुमार को अपने सामने देखकर रिया की तो साँसे उपर की उपर और नीचे की नीचे रह गयी...और उपर से उसके जीजू जिस अंदाज से उसे प्यारी-2 बोल रहे थे,उसे तो ऐसा लग रहा था की आज ही उसे दुनिया भर का प्यार मिल गया है..

और अजय तो पूजा से कुछ ज़्यादा ही खुल चुका था, इसलिए वो अब इस तरह की बाते खुल कर उसके साथ कर रहा था...क्योंकि उसे भी पता था की अब ये मछली कही नही जाने वाली और ना ही वो रिया को उसके खिलाफ भड़काएगी अब...

पर अजय ने तो आधी बात ही सुनी थी...अगर उसे पता होता की अभी कुछ देर पहले किचन मे क्या बात चल रही थी तो शायद वो अभी के अभी अपना लंड निकाल कर सामने लटका देता..और उस प्यारी साली की इच्छा वहीं पूरी हो जाती..

पूजा भी अपने जीजू की बात सुनकर मुस्कुरा दी..उसे पता था की अगर उसने अभी वो बात उन्हे बता दी तो अजय और रिया को वो मज़ा नही मिलेगा जिसके बारे में वो अपने दिमाग़ में प्लानिंग कर चुकी थी.

इसलिए उसने इधर-उधर की बाते करते हुए बात टाल दी..

पूजा : "अरे कुछ नही , ये तो हमारे बीच कुछ ना कुछ चलता रहता है...आप सूनाओ..आते ही रूम में घुस गये..दीदी की इतनी याद आ रही थी क्या...''

इतना कहकर दोनो बहने एक दूसरे को देखकर मंद-2 मुस्कुराने लगी..

अजय को शक़ सा तो हुआ की कहीं उन दोनो ने उसे और प्राची को देख तो नही लिया..पर वो विचार झटकते हुए उसने कहा : "हाँ ...आ तो रही थी...इनफॅक्ट तुम्हारी दीदी को ज़्यादा आ रही थी..इसलिए मिलते-मिलाते इतनी देर लग गयी..''

रिया और पूजा ने मन ही मन कहा 'हाँ ...हमे पता है..किस चीज़ को मिल और मिला रहे थे आप अंदर..'

पर वो दोनो कुछ बोली नही और एक बार फिर से उसी तरह एक दूसरे की आँखो में देखकर मुस्कुराती रही..

और तभी बाहर की बेल दोबारा बजी..अजय की सास और ससुर वापिस आ गए थे..

प्राची भी कपड़े पहनकर बाहर आ गयी और फिर सबने मिलकर चाय पी...8 बज गये थे...चाय पीकर जब अजय जाने लगा तो प्राची ने डिन्नर के बारे में पूछा, तो उसने थके होने का बहाना करके मना कर दिया..पर फिर भी प्राची ने ज़बरदस्ती करते हुए कहा की वो डिनर करके ही सोए..और उसने ये कह दिया की वो पूजा के हाथ कुछ ही देर में खाना भिजवा देगी..

अजय ने भी पूजा का नाम सुनकर और नखरे बाजी नही की और अपने घर आ गया.

आने के बाद उसने सबसे पहले रजनी भाभी को मैसेज किया और उन्हे रात में होने वाली चेटिंग के बारे में भी पूछा..

उधर से मेसेज आया की शायद थोड़ी देर हो जाएगी, क्योंकि उनके घर कुछ मेहमान आए हुए है..और अभी तो शराब का दौर चल रहा है..डिन्नर करते-2 काफ़ी लेट हो जाएगा..वो तो शायद आज की रात मना करना चाहती थी, पर अजय इतना उतावला था की उसने उनकी बात नही मानी..और लेट नाइट में भी चेटिंग करने की बात मान ली.

फिर अजय ने कपड़े उतारे और नहाने घुस गया...चुदाई के बाद गर्म पानी से नहाने का अपना ही मज़ा है..पूरे शरीर में साबुन लगाकर वो बस अपनी किस्मत और मिलने वाली चूतों के बारे में ही सोचता रहा..

नहा धोकर उसने सिर्फ़ एक बॉक्सर पहना और उपर एक टी शर्ट..आज की रात वो फ्री होकर सोना चाहता था...वैसे भी जो अंदाज़े उसने लगा रखे थे, उसके हिसाब से तो रजनी के सामने ये सब भी उतर जाना था आज की रात..

पर इस बीच जो होने वाला था, उसका अंदाज़ा उसे भी नही था.

अजय के जाने के बाद पूजा और रिया में ख़ुसर फुसर शुरू हो गयी..कुछ ही देर में डिनर तैयार हो जाना था और पूजा ने डिसाइड कर लिया था की वो खाना लेकर रिया को भेजेगी..और वहां जाकर वो क्या-2 और किस हद तक कर सकती है, ये भी उसने समझा दिया था..वैसे भी वो नही चाहती थी की पहली बार में ही वो अपनी चूत मरवा बैठे..और वैसे भी रिया से पहले तो उसका नंबर था...उसका हक़ था..

वैसे तो रिया को खुद ही सेक्स से जुड़ी बाते बहुत पसंद थी और वो जल्द से जल्द अपनी लाइफ का पहला सेक्स एक्सपीरियन्स लेना चाहती थी..पर आज जब मौका उसके सामने चलकर खुद आया था, तो उसके हाथ पाँव फूल से गये..उसे घबराहट सी होने लगी..डर लगने लगा की कहीं कोई गड़बड़ ना हो जाए...अंदर ही अंदर उसे भी आत्मग्लानि सी हो रही थी की वो अपनी ही बहन का घर बर्बाद कर रही है..पर पूजा ने जब उसे समझाया की ये सब करने से किसी को कुछ नुकसान नही होगा और ना ही उनके अलावा किसी को पता चलेगा, तब जाकर उसे थोड़ा बहुत साहस मिला..और अपनी बहन पूजा के कहे अनुसार उसने कपड़े भी पहन लिए..अब तो बस इंतजार था जल्द से जल्द वहां जाने का.
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9:30 बज चुके थे...रजनी ने खुद अपने हाथों से अपने प्यारे दामाद के लिए खाना पैक किया..मन तो उसका भी कर रहा था की वो खुद जाकर वो बॉक्स अपने दामाद को दे आए...और शायद इसी बहाने उसका भी कुछ भला हो जाए..पर अपने पति और प्राची को भी उसने अभी खाना खिलाना था, इसलिए वो कुछ ना बोली..बस ये सोचकर रह गयी की अभी तो 10 दिन का टाइम बाकी है, इनमे वो कोई ना कोई मौका ज़रूर तलाश लेगी.

डिनर का डब्बा जब तैयार हो गया तो उसने पूजा को आवाज़ लगाकर उसे जीजू के पास जाने को कहा, पर उसने ये कहकर की उसे कॉलेज का कुछ काम निपटाना है, रिया को भेजने के लिए बोल दिया..रजनी को कुछ शक़ नही हुआ की उन दोनो के बीच क्या खिचड़ी पक रही है..रिया ने बॉक्स लिया और धड़कते दिल से अपने जीजू के घर की तरफ चल दी.

हालाँकि अजय साथ वाली बिल्डिंग में ही रहता था,..पर वहाँ तक चलकर जाते हुए उसे वो रास्ता मीलों लंबा लग रहा था...हर कदम के साथ कई विचार उसके मन में आ रहे थे...पर उन विचारों को रोंदते हुए उसे अपने जीजू की चुदाई भी याद आ रही थी...और उसकी नन्ही और कुँवारी चूत सिर्फ़ यही सोचकर पसीने-2 हुई जा रही थी की जब उसपर अजय की उंगलियाँ टकराएँगी तो क्या होगा..

बेल बजाने के बाद उसने एक गहरी सांस ली और अपने चेहरे पर मुस्कान ले आई..क्योंकि वो जानती थी की ऐसे टेंशन लेने से वो मज़े नही मिलने वाले ,जो वो लेने आई थी.

अजय को पता था की पूजा आई होगी, उसका डिनर लेकर..और वो अपने खड़े हुए लंड को मसलता हुआ बाहर तक आया और दरवाजा खोले ही उसने कहा : "आइए...पूजा डार्लिंग...आइए..''

पर जब उसने रिया को सामने खड़ा देखा तो उसके होश उड़ गये..और वो भी मुस्कुराती हुई अंदर आ गयी.

अजय को दो बातों पर विश्वास नही हो रहा था...एक तो पूजा के बदले रिया कैसे आ गयी...क्योंकि पूजा तो हमेशा रिया को बचाकर रखती थी..और अपने पास आए मौके को उसने रिया को दे दिया, इस बात की हैरानी हो रही थी अजय को...और दूसरी बात हैरान करने वाली थी रिया के कपड़े..

वैसे तो घर से निकलते समय रिया ने लोंग निक्कर और जीप वाली जैकेट पहनी हुई थी..जो वो अक्सर रात को पहन कर सोती थी..पर पूजा के कहने पर उसने वो जैकेट दरवाजे के बाहर ही उतार कर रख दी थी..और अपनी लोंग निक्कर की बेल्ट वाली जगह से गोल-2 करके उपर लपेटकर उसे अल्ट्रा शॉर्टस में कनवर्ट कर लिया था..और शायद वो कुछ ज़्यादा ही शॉर्ट हो गयी थी...उसकी जाँघो का गोरा माँस किसी को भी लुभाने के लिए प्रयाप्त था..

और उपर का जिपर उतारने के बाद जो उसने पूजा के कहने पर पहना था,वो एक छोटी सी शमीज़ टाइप का टॉप था..बिल्कुल पतला कपड़ा..कंधे पर पतली डोरियां थी....वैसे भी उसकी चुचियाँ बिल्कुल छोटी-2 थी..सिर्फ़ हल्का उभार सा था उनपर..लेकिन इस तरह का टॉप पहनने के बाद जो सैक्सीपन उनमें आ रहा था..वो सिर्फ़ अजय को ही दिखा, क्योंकि उस महीन कपडे के नीचे उसके काले जामुन जैसे निप्पल साफ़ दिख रहे थे

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इंफेक्ट , पूजा के कहने पर जब रिया ने ऐसे कपडे पहने थे और अपने बैडरूम के शीशे में में उसने जब खुद को उन सेक्सी कपड़ो में देखा था तो खुद की निखर रही जवानी पर उसे भी गुमान सा हो गया था, और पूजा ने जब अपने मोबाइल से उस छुटकी के सेक्सी पोज़ में पिक्स ली तो वो भी पूरे उत्साह के साथ अपने नन्हे बूब्स और सेक्सी टांगो को उभार-२ कर दिखाने लगी

पहले फ्रंट से अपनी सेक्सी साली को ऐसे कपड़े में और फिर अंदर जाते हुए उसकी मटक रही गोल फ़ुटबाल जैसी गांड को उस शॉर्ट स्कर्ट में देखकर तो अजय का लंड ऐसा खड़ा हुआ की हाथ से छुपाने के बाद भी वो छुपने का नाम नही ले रहा था...अब उसे अंदर अंडरवीयर ना पहनने का अफ़सोस हो रहा था.
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अंदर जाकर रिया ने डिनर वाला डब्बा टेबल पर रख दिया और मुस्कुराती हुए अजय की तरफ पलटी और बोली : "क्या बात है जीजू...पूजा दीदी को तो आप डार्लिंग बोलते हो...और प्राची दीदी तो है ही आपकी डार्लिंग...तो मुझमें क्या कमी रह गयी जो आज तक आपने मुझे डार्लिंग नही कहा..''

बेचारा अजय सकपका कर रह गया...एक तो पहले से ही वो अपने खड़े हुए लंड को छुपाने की नाकाम कोशिश कर रहा था..और उपर से रिया का ये बोल्ड सवाल सुनकर उसके बॉक्सर की परेशानी और बड़ गयी...उसने बड़ी ही मुश्किल से अपने लंड को उपर की तरफ करते हुए अपने लास्टिक वाले हिस्से से लंड के सुपाड़े को दबा दिया...और उपर की तरफ टी शर्ट को फेला कर उसे छुपाया..

और फिर खिसियानी हँसी हंसता हुआ वो अंदर आया और बोला : "अरे . नही...ऐसा कुछ नही है रिया...वो तो बस ऐसे ही...मैं तो अक्सर उसे छेड़ने के लिए ऐसा बोलता रहता हूँ ..और मेरे इस तरह के छेड़ने से वो चिढ़ती भी है...इसलिए बोलने में भी मज़ा आता है...और अभी प्राची ने बोला था की पूजा आएगी, सो यही सोचकर मैने डार्लिंग बोला की पूजा ही होगी...और मेरे डार्लिंग कहने पर हमेशा की तरह चिड़ जाएगी ''

अजय ने चालाकी से बात बदल दी

रिया : "रहने दो जीजू...डार्लिंग बोलने से भला किसी को क्या प्राब्लम हो सकती है...इंफेक्ट उन्हे तो अच्छा ही लगना चाहिए..आई एम स्योर ,अगर पूजा दीदी आई होती तो आज उन्हे ये सुनकर अच्छा ही लगता...''

वैसे भी, पहले और अब में आ चुके फ़र्क के बाद तो अगर अजय पूजा को कुतिया या रंडी भी बोल दे तो उसपर भी वो मुस्कुरा कर ही जवाब देगी..

अजय समझ चुका था की इस वक़्त वो रिया पर भी लाइन मार सकता है...और उसपर तो उसे विश्वास ही था की वो मना ही नही करेगी..

इसलिए वो बोला : "तो ठीक है...आज से मैं तुम्हे भी डार्लिंग बोलूँगा..रिया डार्लिंग..माय बैबी डार्लिंग..माय सेक्सी डार्लिंग..''

अजय के मुँह से अपने लिए डार्लिंग और सेक्सी शब्द सुनकर रिया की चूत तक के रोँये खड़े हो गये..उसके होंठ फड़फडा कर रह गये...और उनमें से सिर्फ़ इतना ही निकला...''ए...एक ...बार और बोलो....बोलो ना जीजू...''

अजय समझ गया की लोंड़िया गर्म हो रही है...एक तो रात का वक़्त, उपर से उसके ऐसे सेक्सी कपड़े...और सामने से वो खुद ही ऐसे लाइन दे तो हमारे ठरकी महाराज कहाँ रुकने वाले थे...ऐसे मौके तो वो हाथ बढ़ाकर पकड़ता था..

वो धीरे-2 चलता हुआ उसके करीब पहुँचा...और उसकी आँखो मे देखता हुआ फुसफुसाया : "माय डार्लिंग...रिया...माय सेक्सी डार्लिंग रिया.....माय बैबी डार्लिंग...रिया..''

रिया की भी साँसे तेज हो गयी...उसके जीजू ठीक उसके सामने खड़े थे...इतने करीब थे वो की उनका पेट वाला हिस्सा आपस मे टकरा रहा था..रिया को तो वो पेट ही लग रहा था..जबकि वो अजय का पेट नही बल्कि उभरा हुआ लंड था..जिसे उसने बड़ी मुश्किल से अपने बॉक्सर में बाँध कर रखा हुआ था..

अजय ने अपने हाथों की उंगलिओ से उसकी बाहों की चिकनी त्वचा को छुआ..और धीरे-2 उसकी नर्म बाजुओं की घिसाई करने लगा..

रिया तो किसी फेयरीटेल जैसी दुनिया में खो सी चुकी थी...एक तो पहले से ही उसे अपने जीजू से बहुत प्यार था..उपर से वो कब उसकी ख्वाबो की दुनिया के राजकुमार बन चुके थे,उसे भी पता नही चला था..और अब जिस अंदाज से वो उसे डार्लिंग और सेक्सी और ना जाने क्या-2 कह रहे थे उसके बाद तो उसका खुद पर से नियंत्रण ही खोता जा रहा था..उसकी आँखे बंद होती चली गयी...और उसने खुद को अजय की बाहों में लुडक जाने दिया..

और अजय ने उसके नाज़ुक शरीर को अपनी कठोर बाजुओं में लेकर मसल डाला..और दोनो एक गहरे आलिंगन में खो गये.

रिया तो अपने सपनो की दुनिया में थी..पर अजय तो यथार्थ में था..वो बस यही सोचे जा रहा था की ये अचानक रिया को क्या हो गया..भले ही आज से पहले भी वो काफ़ी हद तक खुल चुके थे..पर एकदम से इसे क्या हो गया..ऐसे कपड़े पहनकर वो उसके घर आई..और एक ही बार सिर्फ़ डार्लिंग और सेक्सी कहने पर ऐसे पिघलकर उसकी बाहों में आ गयी जैसे इसी काम के लिए वो उसके घर आई थी..

और तभी उसके दिमाग़ मे कुछ खटका..कही ये पूजा की प्लानिंग तो नही है..क्योंकि प्राची के कहे अनुसार तो पूजा को ही वहां आना था अभी..और ऐसे में रिया आ गयी..और वो भी ऐसे कपड़ो में ..

लेकिन जो भी था.. उसे तो इस हाथ आए मौके को पूरी तरह से इस्तेमाल करना था..इस उम्र की लड़कियो में सेक्स के प्रति क्या भावनाएं होती है ये वो अच्छी तरह से जानता था...और क्या-2 करके उन भावनाओ को भड़काया जा सकता है ये उसे किसी से सीखने की ज़रूरत नही थी..उसने रिया के नाज़ुक शरीर को अपनी बुझाओ में और ज़ोर से दबाया और अपने हाथ उसके नर्म कुल्हों पर रखकर उन्हे भी ज़ोर से दबा दिया..रिया की गांड एकदम परफेक्ट थी,उसे जितना दबाता वो उतनी ही तेजी उभरकर वापिस बाहर आ जाती, एकदम कसी हुई गांड थी उसकी

रिया ने भी अपने सीने पर लगे नुकीले निप्पल पूरी ताक़त से तीर की तरह अजय की छाती में घुसा दिए...और उसकी हथेलियों के मर्दन को अपनी गांड पर महसूस करते हुए वो धीरे से सिसकार उठी..

''ओह्ह्ह्ह्ह जीजू.....मेरे प्यारे जीजू......माय लव........माय लाइफ.......आई लव यूउssssssssssssssssssss जीजू .....''

और अपने प्यार का इज़हार करने के साथ ही उसने अपने होंठ अजय की तरफ बड़ा दिए...और दोनो एक गहरी और कभी ना टूटने वाली गीली सी स्मूच में डूब गये...
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रिया तो अभी ढंग से जवान भी नही हुई थी...पर उसके होंठ एक पर्फेक्ट किस्स के लिए बिल्कुल उपयुक्त थे...बाहर की तरफ निकले हुए होंठों को अजय ने जब चूसना शुरू किया तो उसे ऐसा लगा की वो कोई मिठाई खा रहा है...इतनी मिठास तो उसने आज तक कभी महसूस नही की थी...इतने नर्म और मुलायम होंठ...और उपर से रिया के किस्स करने की उत्सुकतता...उसका अधीरपन..उस स्मूच में चार चाँद लगा रहा था..

रिया तो अजय के दोनों होंठों को एक साथ अपने दाँतो से काट भी रही थी और उन्हें चूस भी रही थी , और ऐसा करते हुए उसके चेहरे पर जो ख़ुशी के भाव आ रहे थे वो देखते ही बनते थे
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अपनी लाइफ के पहले चुम्बन को वो पूरी तरह से एन्जॉय कर रही थी

अजय के हाथ एक बार उसकी नन्ही छातियों तक भी आए..पर उन्हे एक-दो बार दबाने के बाद वो वापिस उसकी गांड ही दबाने लगा...क्योंकि उसे वहाँ की चर्बी को मसलने में ज़्यादा आनंद आ रहा था..

दोनो गहरी साँसे ले रहे थे...और एक दूसरे को छोड़ने का नाम ही नही ले रहे थे..अजय ने टाइम देखा तो दस बजने वाले थे...रिया ज़्यादा देर तक वहां रह भी नही सकती थी..उसकी बीबी को उसपर शक ना हो जाए, इसलिए उसे जल्द ही वापिस भेजना ज़रूरी था...पर उसे भेजने से पहले वो कम से कम ये जरूर देखना चाहता ही था की ये जो नया माल उसकी झोली में खुद ब खुद आ गिरा है, वो अंदर से देखने में कैसा है.

अजय ने उसे चूमते-2 दूसरी तरफ घुमा दिया...अब वो उसे पीछे से पकड़ कर अपना लंड उसकी गोल-मटोल गांड पर ज़ोर से दबा रहा था...और ऐसा करते हुए दोनो की आँखे बंद थी और मुँह से धीमी -2 सिसकारियाँ निकल रही थी..

अजय के मोटे लंड को अपनी गांड और कमर पर महसूस करते ही रिया की साँसे तेज हो गयी....उसके दिल की धड़कन बड़ गयी...ये पहला मौका था जब वो अपनी जिंदगी में किसी मर्द के लिंग को महसूस कर रही थी...वो अपने पंजो पर खड़ी होकर अपनी नर्म-मुलायम गांड को अपने प्यारे जीजू के लंड पर ऐसे मसल रही थी जैसे उसकी आरती उतार रही हो..गोल-गोल घुमा कर वो जिस अंदाज से अजय के लंड को मल रही थी, वो पहले से ज़्यादा बड़ा और उत्तेजित होकर फुफ्कारने लगा..

रिया ने धड़कते दिल से अपने हाथ पीछे की तरफ किए और अजय के लंड को उसके बॉक्सर के उपर से ही पकड़ कर ज़ोर से दबा दिया...एक करंट सा लगा उसे जब उसने अजय का लंड पकड़ा.. ऐसा लगा जैसे कोई मोटा-ताज़ा चूहा पकड़ लिया हो जो उसके चुंगल मे फंसकर ज़ोर-2 से तड़प रहा था..अजय के हाथ भी उसके टॉप के अंदर घुस गये और उसने ब्रा के उपर से ही उसकी घुंडीयों को ज़ोर से मसल दिया..

पहले तो अजय को लगा था की वो बिना ब्रा के आई है,पर उसने अंदर एक पतली सी ब्रा भी पहन रखी थी..जिसे अजय ने धीरे-2 करके उपर की तरफ खिसका दिया...अब उसकी नंगी छातियो और अजय की हथेली के बीच कुछ नही था...अजय को उसके नुकीले निप्पल अपनी हथेलियों पर चुभते हुए से महसूस हुए...उसने उसके लंबे निप्पल्स को अपनी उंगली और अंगूठे के बीच पीस कर ज़ोर से दबा दिया..

''आआआआआआआआआअहह जीजू........उम्म्म्ममममममममम म्*म्म्मम.......... फफफफफफफफफफफफ्फ़ .....धीरे ....धीरे........ ''

अजय ने मन ही मन सोचा की अभी तो धीरे-2 बोल रही है...एक बार लंड का स्वाद चख ले बस, उसके बाद ऐसे हर काम ज़ोर-2 से करने के लिए कहा करेगी.

उपर से दिखने में वो छातियाँ भले ही छोटी लग रही थी, पर नंगी होने के बाद जब उनका गुदाजपन अजय ने महसूस किया तो उसे एहसास हुआ की ये हिस्सा भी कम नही है उसका..वो उसके कान चूसता हुआ, उसकी गांड को झटके मारता हुआ उसकी नन्ही गोलाइयों को ज़ोर-2 से भींचने लगा..

अजय ने उसके दाँये कान को पूरा मुँह मे भर लिया ...उसे बुरी तरह से चूसा...और फिर उसी कान में धीरे से बोला : "मुझे देखना है तुम्हे....पूरा का पूरा...न्यूड....''

अजय के ये बोल रिया को उपर से नीचे तक सुलगा गये...उसका पूरा शरीर झनझना उठा..वो जानती तो थी की ऐसा कुछ होकर रहेगा आज और इसलिए ही तो वो वहां आई भी थी, पर ये सब सुनते हुए और करते हुए इतना मजा आएगा इसका अंदाजा नही था उसको ।

अपने प्यारे जीजू की किसी भी बात को वो मना नही करना चाहती थी...आज से ही उसने ये डिसाइड कर लिया की जो भी जीजू कहा करेंगे..जब भी कहा करेंगे..बिना सोचे समझे वो काम कर दिया करेगी..

लेकिन अभी के लिए वो उनसे कुछ पंगा लेने के मूड में थी...वो घूम कर सामने खड़ी हुई और अपने टॉप को एकदम से उपर खींचकर अपनी नन्ही छातियाँ अजय की नज़रों के सामने लहरा दी...और जितनी तेज़ी से उसने दिखाई,उतनी तेज़ी से वापिस छुपा भी ली..

और अपनी छातिया दिखाते हुए वो शरारती अंदाज मे बोली : "ये लो ....देखो...''
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एक पल के लिए ही सही,उसके गुलाबी उभारों को देखकर अजय के मुँह मे पानी भर आया..

पर उसकी शरारत समझ कर वो फिर से बोला... : "ऐसे नही ना...सब उतार कर दिखाओ...''

अब वो अजय को और तरसाना नही चाहती थी..वैसे भी टाइम कम था उनके पास..इसलिए अजय के इतना कहने की देर थी ...वो धीरे-2 चलती हुई थोड़ी दूर तक गयी...और उसने अजय की आँखो में देखते-2 अपनी शमीज़ उतार दी...अब वो एक पतली सी ब्रा में रह गयी थी बस...

और फिर उसने उसी तरह से अपनी कमर मटकाते हुए अपनी निक्कर भी उतार दी..

वो जिस अंदाज में अपने कपड़े उतार रही थी,ऐसा लग रहा था जैसे अजय को कोई सेक्स से भरा डॅन्स दिखा रही हो.

अब वो सिर्फ़ एक पेंटी और ब्रा में थी.

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उसका दुबला - पतला शरीर उन आख़िरी कपड़ो में इतना सेक्सी लग रहा था की अजय ने अपना लंड बॉक्सर के उपर से ही रगड़ना शुरू कर दिया.

रिया अपनी चौड़ी गांड दिखाती हुई डांस करने लगी ,अजय को अपने शरीर के हर अंग का रसपान करवा रही थी वो .

लेकिन अजय की नज़रें तो उसकी तरबूज जैसी गांड को देखकर फटी की फटी रह गयी...उसने तभी सोच लिया की वो उसकी गांड ज़रूर मरेगा...ऐसी रसीली गांड को ना मारा गया तो वो इसका अपमान होगा.

वो उसी तरह से अपनी कमर मटकाती हुई अजय के करीब तक आई और अपने हाथ पीछे करते हुए अपनी ब्रा के हुक खोल दिए..और अजय के हाथों को अपनी ब्रा के स्ट्रेप्स पर रखकर उसकी उंगलियो में उसने वो स्ट्रेप्स फंसा दिए..

अजय का बॉक्सर तो कब का उसके घुटनो तक पहुँच चुका था..रिया ने नीचे नज़रे झुका कर जब वो काला नाग देखा तो उससे डसवाने के लिए वो अंदर ही अंदर तड़प उठी..उसका मन किया की वो अभी के अभी उसे अपने बिल में खिसका ले और दुनिया भर के मज़े ले डाले..पर इतना तो वो भी समझती थी की ऐसे काम आराम से और वक़्त लगा कर होते है...पहली ही बार में तो ये पॉसिबल नही हो सकता और वैसे भी टाइम कम था जिसका अंदाज़ा उसे भी था...

लेकिन अभी के लिए वो एक बार उसे चूमना ज़रूर चाहती थी..इसलिए अपने हाथ में अजय का लंड पकड़ कर वो अपने होंठों पर जीभ फेर रही थी...अजय समझ गया की वो क्या चाहती है...वो धीरे से फुसफुसाया

''जाओ....नीचे जाओ...मिलकर आओ ज़रा अपने दोस्त से...''

रिया ने अजय के मोटे लंड को हाथ में लिया और एक बार फिर से मसल दिया..उसके नंगे लंड को हाथ लगाकर वो बुरी तरह से मचल उठी...ऐसा लगा जैसे उसने बिजली की नंगी तार को छू लिया है...इतना गर्म और सख़्त लंड ...और बुरी तरह से बिफर कर वो जिस तरह से झटके मार रहा था,उससे तो उसमे चार चाँद लग रहे थे.
[Image: 65120072_009_a170.jpg]

अजय की बात सुनकर कसक के मारे रिया ने अपने निचले होंठ को दांतो तले पीस डाला.....और पीसने से जो लार के रूप में रस टपका वो सीधा जाकर अजय के लंड पर गिरा...अजय को ऐसा लगा की वो उस रस मे झुलस कर मर जाएगा...

जैसे ही रिया नीचे बैठी,उसकी ब्रा उपर अजय के हाथ में ही रह गयी..
अजय ने आज पहली बार उसे उपर से नंगा देखा..सच मे, कमाल की लग रही थी वो....

लड़की का शरीर नंगा होने के बाद और भी आकर्षक लगता है...आज अजय ये बात समझ चुका था.

रिया ने अजय के लंड को अपने हाथ से पकड़ा..उसे मसला...और अपने नथुने जैसे ही उसके करीब ले गयी,एक अजीब सी मादकता से भरी गंध उनसे टकरा गयी...वो ऐसी मदहोश कर देने वाली गंध थी की रिया उसके नशे में डूबती चली गयी..और उसी नशे की हालत में उसने अपनी गर्म जीभ निकाल कर उसके उपर फिराई...उपर से नीचे तक...उसकी बॉल्स को चूमा और फिर एक ही बार मे उसे अपने मुँह मे निगल लिया..और उन्हे गुलाब जामुन की तरह ज़ोर-2 से चूसने लगी.
[Image: gifcandy-blowjob-4.gif]


आज से पहले रिया ने ऐसा कुछ नही किया था...और पहली ही बार में उसे ये सब करता देखकर अजय समझ गया की ये लड़की कुछ करके रहेगी अपनी लाइफ में ...

अजय भी अपना लंड ज़्यादा से ज़्यादा उभार कर उसके मुँह में धकेल रहा था..

अपनी प्यारी साली को ऐसे सकिंग करते देखकर वो सब कुछ भूल चुका था...उसे अब सिर्फ़ और सिर्फ़ रिया के रूप में एक चूत दिखाई दे रही थी...

उसने अपना लंड हाथ से पकड़ कर उसके मुँह में धकेल दिया..

और रिया किसी एक्सपर्ट की तरह उसे चूसने लगी.
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मस्त अपडेट!??
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Super update 
Keep it up
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शायद ये बी एफ देखने का फल था जो वो इतनी कुशलता के साथ पहली बार में ही ऐसे काम आसानी से कर पा रही थी...

अजय तो ये भी भूल चुका था की रिया उसके घर सिर्फ़ खाना देने के लिए ही आई है..

उसने आवेश में आकर उसे वापिस उपर खींचा और जैसे ही उसके होंठों को चूमकर वो उसके बूब्स की तरफ जाने लगा उसका फोन बज उठा..

वो यथार्थ के धरातल पर आ गिरा..

उसने अपना मोबाइल उठाया, वो प्राची की कॉल थी.

प्राची : "हाय जानू...खा लिया खाना...''

अब तक वो संभल चुका था...उसने उतने ही प्यार भरे अंदाज में कहा : "यस डियर...खा लिया...इनफॅक्ट अभी भी खा रहा हूँ ...''

उसके हाथों में अभी तक आधी नंगी साली थी...और उसके नन्हे चूजों को देखता हुआ वो प्राची से बात करता हुआ मुस्कुरा दिया.

प्राची : "उम्म्म्ममम....आज मेरे बाबू ने मेरे बिना खाना खाया...बुरा तो नही लगा ना...''

अजय : "नो बैबी...इट्स ओके ....तुम बेकार की बातें मत सोचा करो...तुम बस अपना ध्यान रखो...''

वो जल्द से जल्द बात ख़त्म करके अपना बचा हुआ "खाना" खा लेना चाहता था..

प्राची : "अच्छा सुनो....वो मीठा भी भेजा है मैने...खुद अपने हाथो से बनाया था ख़ास तुम्हारे लिए...तुम्हे खाने के बाद मीठा पसंद है ना...''

अजय : "मीठा ....कौनसा मीठा....''

अजय की ये बात सुनकर रिया ने जल्दी से पास ही पड़ा हुआ टिफ़िन बॉक्स खोला...और आनन-फानन में उसमे से सारे डिब्बे निकाल कर खोल दिए...उसमें सबसे नीचे वाले डिब्बे में कस्टर्ड था..

अजय : "ओहो...कस्टर्ड....वाउ....आज तो मज़ा आएगा...''

प्राची : "उम्म्म....जल्दी से टेस्ट करके बताओ ना...कैसा बना है...''

वो शायद अपनी तारीफ सुनना चाहती थी.

अजय ने भी बिना देरी किए एक स्पून उठा कर उसमे कस्टर्ड भरा...लेकिन उसे खाने से पहले ही उसके खुराफाती दिमाग़ में एक शरारत आ गयी...उसने वो स्पून मे भरा सारा कस्टर्ड अपनी बाहों में खड़ी रिया की नंगी छातियों के उपर लेजाकर छोड़ दिया...एक पल के लिए तो रिया भी चोंक गयी...और उसने बड़ी मुश्किल से अपने मुँह पर हाथ रखकर अपनी चीख भी दबाई..क्योंकि फ्रिज से निकाल कर डिब्बे मे डाला गया कस्टर्ड काफ़ी ठंडा था...उसे ऐसा लगा जैसे बर्फ का चूरा उसकी छातियो पर उड़ेल दिया गया हो..
[Image: 21317044_012_3725.jpg]

वो जैली जैसा कस्टर्ड धीरे-2 नीचे खिसक कर आने लगा...आर रिया के नन्हे पर्वतों पर चढ़ गया..उनपर पहुँचते ही अजय ने अपना मुँह नीचे किया और उस कस्टर्ड के समेत रिया के नर्म और मुलायम स्तन को मुँह में भर कर पी गया.

फोन पर अगर प्राची ना होती या रिया ने अपने मुँह पर हाथ ना रखा होता तो वो जोरों से चीख पड़ती...

अजय ने मोबाइल को अपने कान पर लगा रखा था और उसकी जीभ स्पून की तरह रिया की प्लेट नुमा ब्रेस्ट में बिखरा हुआ कस्टर्ड इकट्ठा करके खा रही थी..

ऐसा करते हुए सड़प -2 की आवाज़ें भी निकल रही थी..

जो शायद प्राची ने भी सुन ली दूसरी तरफ...वो बोली : "लगता है ज़्यादा ही मज़ा ले-लेकर खा रहे हो...''

अजय ने रिया को आँख मारते हुए प्राची से कहा : "ये है ही इतना टेस्टी..मन करता है की ख़ाता ही रहूँ...ख़ाता ही रहूँ...''

प्राची : "बदमाश हो तुम....सब समझ रही हूँ मैं ...लगता है रिया आस पास नही है...तभी ऐसी बातें कर रहे हो...है ना...''

अजय : "हाँ ...वो किचन में है...आज मॉर्निंग के कुछ बर्तन ऐसे ही रह गये थे ना...काम वाली तो आई नही..तो उसने कहा की वो किचन सॉफ करके जाएगी...इसलिए थोड़ी देर लगेगी उसे अभी आने में ...''

प्राची : "अच्छा..वो किचन में है...तभी इतने मज़े लिए जा रहे है....चलो फिर..इसी बात पर एक किस्स दो मुझे...''

अजय को भला क्या प्राब्लम हो सकती थी...उसने कस्टर्ड में सने अपने होंठ उपर किए और रिया के होंठों पर रख दिए..वो तो भूखी बिल्ली की तरह टूट पड़ी उनपर...

और एक मिनट में ही उसके मुँह पर लगे कस्टर्ड और बाहर बह रहे रस को निगल गयी...और ऐसा करते हुए जो स्मूच की आवाज़े आ रही थी उन्हे प्राची सुन रही थी...और उसे लग रहा था की उसका प्यारा पति अजय उसे फोन के दूसरी तरफ से किस्स कर रहा है...इसलिए वो भी अपने मोबाइल के निचले हिस्से को जोरों से चूम कर उसका जवाब देने लगी...

अपनी साली और बीबी को एक साथ किस्स का आनंद देता हुआ अजय बुरी तरह से उत्तेजित हो चुका था...उसने तुरंत फोन बंद करते हुए कहा : "सुनो डार्लिंग...अब तुम सो जाओ...कल मॉर्निंग में मिलता हूँ ....बाइ...गुड नाइट...''

प्राची ने भी गुड नाइट बोलकर फोन रख दिया...

उसने फोन को किनारे पर रखा और रिया के साथ एक गहरी और कभी ना टूटने वाली स्मूच मे डूब गया...रिया तो उसके लंड को छोड़ने का नाम ही नही ले रही थी...और अजय उसके होंठों को...ऐसे ही गुत्थम गुत्था करते हुए अजय ने उसे सोफे पर पटक दिया...और खुद उसकी टाँगो के बीच जाकर बैठ गया...

रिया की नन्ही छातियाँ उपर नीचे हो रही थी...शायद वो समझ चुकी थी की अजय अब क्या करने वाला है...

अजय ने धीरे से अपने हाथों से उसकी पेंटी के किनारों को पकड़ा...रिया ने अपने कूल्हे उपर उचका दिए...पेंटी को पकड़ कर अजय ने धीरे-2 अपनी तरफ खींचना शुरू किया...जैसे-2 वो खींच रहा था..उसकी हल्के रोँये वाली चूत उजागर होती जा रही थी...साइड से तो उसकी पेंटी उतर गयी पर चूत वाले हिस्से में इतना गीलापन था की उसकी पेंटी वहां चिपक कर रह गयी...ऐसा लग रहा था जैसे गाड़ा शहद भर कर लाई थी वो घर से...उसी शहद से भरी कच्छी को देखकर अजय की साँसे तेज होने लगी...और उसने एक तेज झटके से उस पेंटी को खींचकर फाड़ दिया...
[Image: 40868450_097_a8e1.jpg]

अपनी नयी पेंटी के फटने की शिकायत रिया ने कुछ इस तरह से की..

''आआआआआआआआआआअहह ओह मे गोद.... जीजू......सक मिईीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई ईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई''

अजय ने तो ये सब किया ही इसी लिए था...वो उसकी दोनो टाँगो के बीच लेट गया और अपना मुँह उसकी चूत पर दे मारा..

एक के बाद दूसरी सीत्कार निकल पड़ी रिया के मुँह से....

''आआआआआआआआआआआआआआआआआआ गॉश...................... उम्म्म्मममममममममममम ....एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स..... माय जीजू................माय लव........ ....सकक्क्क्क् मी डार्लिंग.....''
[Image: 35889385_011_7160.jpg]

अजय को तो जैसे कोई खजाना मिल गया था...कुँवारी चूत की पहली धार का रस था वो...अपनी जीभ से सदप-2 करता हुआ वो उसे जोरों से पीने लगा...वो रस देखने में ही नही बल्कि चखने में भी शहद की तरह मीठा था...शायद रिया को उसी की तरह मीठा खाने का काफ़ी शौंक था, इसलिए उसका रस भी मीठा था अंदर से..

रिया ने अपनी मांसल जांघों की पकड़ उसके सिर के दोनो तरफ लगा दी और उसे अंदर ही अंदर दबोच कर ज़ोर-शोर से अपनी चूत चुसवाने लगी..

एक मिनट भी नही लगा रिया को झड़ने में ...उसकी चूत से जैसे कोई बाँध टूट पड़ा हो...वो जोरों से कसमसाती हुई ..अपने जीजू के बालों को पकड़ कर अपनी चूत में घुसती हुई....भरभराकर झड़ने लगी..

अजय ने भी उसकी चूत का अमृत जितना हो सकता था पी लिया...और अपनी जीभ से उसे पूरी तरह सॉफ करके ऐसे चमका दिया जैसे वहां बरसों से सूखा पड़ा हो.

अपने जीजू की आँखो में देखती हुई रिया मंद-2 मुस्कुरा रही थी..आज जैसी अनुभूति उसे आज से पहले कभी नही हुई थी...अपनी उंगलियों से मसलने में भी इतना मज़ा नही मिलता था...जब पूजा ने उसकी चूत चूसी थी तब भी इतना मज़ा नही मिला था उसको...आख़िर एक मर्द जो मज़े दे सकता है,उसका कोई मुकाबला कैसे कर सकता है...

अजय भी उठ खड़ा हुआ...और तभी उसके मोबाइल का मैसेज बजा..उसने तुरंत फोन उठाया, वो अंजलि भाभी का मैसेज था.

उसने तुरंत रिया को कपड़े पहनने को कहा और खुद भी अपना बॉक्सर और टी शर्ट पहन कर बैठ गया.

रिया की पेंटी तो फट चुकी थी...इसलिए उसने बिना पेंटी के अपनी निक्कर पहनी..ब्रा और शमीज़ पहन कर वो वापिस जाने के लिए तैयार हो गयी.और जाते-2 उसने वो फटी हुई पेंटी यादगार के तौर पर अपनी जेब में रख ली और जीजू को गुड नाइट किस्स देकर बाहर निकल आई...बाहर निकल कर उसने अपनी जेकेट उठाकर पहन ली और वापिस अपने घर आ गयी.

अजय ने दरवाजा बंद किया और अपने बेडरूम में आ गया...और फिर उसने अपना मोबाइल निकाल कर मैसेज पड़ा..

अब उसके और भाभी के बीच की दूरिया ख़त्म होने के कगार पर आ चुकी थी.
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पिछले 10 मिनट में 3 मैसेज कर चुकी थी वो...पहले में लिखा था 'सो तो नही गये ना ??'

दूसरे में 'बताओ ना जल्दी ..... ??'

और तीसरे में 'दिस इस माय लास्ट मैसेज नाउ ....मैं बुरी तरह से थक चुकी हूँ ....अब इसका रिप्लाइ नही आया तो मैं सो जाउंगी ...'

और तीसरा मैसेज एक मिनिट पहले ही आया था..अजय ने जल्दी से वट्सएप पर उसका रिप्लाइ भेजा 'सॉरी .... मैं ज़रा प्राची के पास गया था...फ़ोन यही रह गया था...'

अंजलि को वो पहले ही बता चुका था की आज की रात वो अकेला है...उसकी बीबी अपनी माँ के घर है...

उधर से भी जल्द ही रिप्लाइ आ गया 'ओके ....तो बताओ फिर....क्या इरादे है...'

अजय : 'मेरे इरादे तो बहुत ख़तरनाक है...आप बताओ....'

अंजलि : 'चलो...वेब चेट पर आओ...'

अजय ने फॉरन अपना लेपटॉप ऑन किया...अंजलि से बात करने भर से उसे इतनी एक्साइटमेंट हो रही थी की लेपटॉप स्टार्ट होने में लग रहा थोड़ा सा टाइम भी उसे चुभ रहा था.

कनेक्ट करने के 1 मिनट बाद ही अंजलि भी ऑनलाइन आ गयी.

उनके कमरे में अंधेरा था..पर साइड लेम्प की रोशनी में वो अंजलि भाभी के चेहरे को साफ़ देख पा रहा था...उन्होने रेड कलर का गाउन पहना हुआ था..पर गले मे उन्होने एक चुनरी भी डाली हुई थी.
[Image: 16008259_001_43bd.jpg]


जिसे देखकर अजय भी चकरा गया...कोई भला रात के समय और वो भी गाउन के उपर चुनरी पहनता है क्या

उसने हाय -हेलो के बाद सीधा यही प्रश्न किया : ''भाभी....ये रात के समय दुपट्टा क्यो पहन रखा है...''

वो मुस्कुराइ...अपने होंठों को दाँत में दबाया और बोली : ''बता दूँगी....इतनी जल्दी क्या है...''

दोनो ने ही हेड फोन पहने हुए थे...लेकिन जिस अंदाज और उँची आवाज़ में वो बात कर रही थी, अजय को डर लगने लगा की कही उसका फ्रेंड अनिल ना सुन ले.

अजय : "धीरे बोलो भाभी...अनिल ना सुन ले ये सब...उसको अगर पता चला की मैं इतनी रात को आपसे बात कर रहा हूँ तो मुसीबत हो जाएगी ...''

अंजलि ने लेपटॉप की स्क्रीन घुमा कर खर्राटे मार रहे अनिल की तरफ कर दी और फिर अपनी तरफ घुमा कर बोली : "ये तो पीने के बाद ऐसी गहरी नींद में सोते है की अगर घर में आग भी लग जाए तो फायरब्रिगेड वाले भी इन्हे सोते हुए ही बाहर निकालेंगे..पर इनकी नींद नही खुलेगी..''

अजय हंस दिया...उसे भी पता था की पीने के बाद अनिल जल्द ही आउट हो जाता है...उसने कई बार ऑफीस की पार्टीस के बाद अनिल को बेहोशी जैसी हालत में उसके घर छोड़ा था..पर पहले वो अंजलि भाभी के बारे में ऐसे नही सोचता था जैसे अब सोचने लगा है...काश उनके बीच की ये झिझक पहले खुल गयी होती तो उन दिनों हाथ में आए कई मौके ना खोने पड़ते.

अंजलि : "इनके दोस्तो के लिए खाना बनाते-2 पूरा शरीर दुख रहा है...''

वो अपने हाथ से ही अपनी बाजू दबा रही थी.

अजय : "मैं होता तो अभी आपकी मालिश कर देता...दस मिनट में ही पूरी बॉडी को आराम मिल जाता..''

अंजलि : "तुम तो बस बाते करते रहना...तुम्हारे बस का कुछ नही है...''

वो शायद अजय को पहले दिए गये मौके के बारे मे याद दिला रही थी...जब वो उन्हे अनदेखा करके सोनी से मिलने उसके घर चला गया था..

अजय : "उस दिन की बात छोड़ो भाभी...अब की बात कर रहा हूँ ...इस बार आपको निराश नही करूँगा...''

इतना कहते हुए अजय ने बड़ी ही बेशर्मी के साथ अपने लंड के उपर हाथ फेरना शुरू कर दिया...लेपटॉप उसके घुटने के उपर था...इसलिए वो सॉफ देख पा रही थी की अजय का ये गंदा इशारा किसलिए है..

अजय की टाँगो के बीच आए इस उभार को देखकर एक मिनट में ही अंजलि भाभी के चेहरे की रंगत बदल गयी...उनकी आँखो में लाल डोरे उतर आए...और उनका चेहरा स्मूथ सा हो गया.

वो बोली : "ठीक है.....जब तुम इतना कह ही रहे हो तो एक मौका तो बनता ही है...बोलो...क्या करोगे अगर मैं मिल गयी तो...''

अंजलि भाभी के पूछने का तरीका ही इतना सेक्सी था जैसे वो डाइरेक्ट्ली पूछ रही हो 'कैसे चोदोगे अगर मिल तो'

अजय : "वो तो मैं बता ही दूँगा...पर ये परदा क्यों लगा रखा है...इसे तो हटाओ...''
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3सका इशारा अंजलि की चुनरी की तरफ था...वो जानता था की अपने मोटे मुम्मे छुपाने के लिए ही उन्होने चुनरी से ढक रखा है अपना योवन.

पर उसे ये नही मालूम था की असली बात क्या है...और वो जल्द ही पता चल गयी उसे..

क्योंकि अजय की बात सुनकर उन्होने फिर से अपने चिर-परिचित अंदाज में अपने दांतो से होंठों को काटा...और फिर धीरे-2 अपना दुपट्टा उतार दिया...

अजय का तो जबड़ा लटक गया उसके बाद का सीन देखकर..

उन्होने जो गाउन पहना हुआ था वो सी थ्रू था...यानी आर पार देखा जा सकता था...और सबसे बड़ी बात उन्होने उस गाउन के नीचे ब्रा नही पहनी हुई थी...जिसकी वजह से लेपटॉप के इतने करीब बैठी अंजलि भाभी की मोटी छातियाँ लगभग नंगी सी होकर अजय को दिख रही थी...उन दोनो गोलाइयों का आकार...उनपर लगे जामुन जैसे मोटे निप्पल...अजय को ऐसे तडपा गये की उसका मन किया की लेपटॉप में हाथ डालकर उन्हे ज़ोर से दबा डाले...
[Image: 66334039_007_c3c8.jpg]

उसका हाथ आगे बड़ा भी...और उसने स्क्रीन के उपर से ही उनके बूब्स को छू लिया...

अजय के हाथ को स्क्रीन से टच होता देखकर अंजलि भी समझ गयी की वो क्या करना चाहता है...वो शरारत भरे स्वर मे बोली : "ये क्या....''

अजय : "अब असल में तो छू नही सकता...ऐसे ही छूकर देख रहा हूँ ...''

अजय ने बड़ी हिम्मत करके ये बोल तो दिया....पर अंदर ही अंदर वो डर भी रहा था की उसकी ये हरकत उल्टी ना पड़ जाए...क्योंकि पिछली बार उनसे ना मिल कर अजय ने अंजलि को किलसा जो दिया था..

पर उसके विपरीत वो उतनी ही सेक्सी आवाज़ में बोली : "तुम्हे ये शुरू से ही पसंद है ना...हम्म्म्म ...बोलो....''

इतना कहकर वो अपने दाँये हाथ से खुद का ही बूब उठाकर उसका वजन नापने लगी...और दिखाने भी लगी उसके पूरे आकार को..जो नीचे लटक जाने से पूरी तरह नज़र नही आ रहा था पहले..

अजय तो सकपका सा गया...अब वो भला क्या बोलता....लेकिन जिस तरह से अंजलि इतनी बेबाकी से वो सब पूछ रही थी...खुद ही अपने बूब्स को दबा रही थी...उसे भी थोड़ा बहुत होंसला मिला और वो बोला : "अब इसमे छुपाने वाली क्या बात है भाभी...और वैसे भी..ये है ही इतने अट्रेक्टिव की एक बार जो नज़र पड़ जाए तो हटती ही नही..''

अजय तो ऐसे घूर कर उसके कड़क निप्पल्स देख रहा था जैसे लॅपटॉप में ही छेद कर डालेगा अपनी जलती हुई आँखो से...सामने होती तो पता नही क्या हाल करता वो उनका.

अजय तो चाहता था की जल्द से जल्द ये मामूली सा परदा भी बीच में से हट जाए...इसलिए उसने हिम्मत करके बोल ही डाला..

"भाभी....प्लीज़ ....दिखाओ ना...ये परदा क्यों है बीच में ...''

अंजलि : "वाह जी वाह ....तुम तो ऐसे कह रहे हो जैसे मेरी हर बात मान लेते हो...मैं भला क्यों मानू तुम्हारी बात...''

अजय : "अच्छा ..आप ही बताओ...मैं कुछ भी करने के लिए तैयार हूँ ..''

अजय दोनों जानते थे की आज की वेब चेटिंग का उद्देश्य है, लेकिन फिर भी इस तरह बातें करने काफी मज़ा आ रहा था

अजय की बात सुनकर अंजलि की आँखो में शरारत तैर गयी...और वो बोली : "पहले तुम दिखाओ...''

अजय भी उसकी शरारत में रंग कर बोला : "क्या ???''

अंजलि (मुँह बनाते हुए) : "अब ये भी बताना पड़ेगा...''

अजय ने नोट किया की अंजलि के हाथ उसकी चूत तक पहुँच गये है और वो खुद ही अपनी चूत को मसल कर अपनी उत्तेजना को शांत करने की नाकाम कोशिश कर रही है.

अजय : "बताना तो पड़ेगा ही ना...वरना मुझे कैसे पता चलेगा की आप क्या देखना चाहती है...''

अंजलि ने तपाक से डाइरेक्ट्ली बोल दिया : "तुम्हारा लंड ....जो मेरे सामने रखकर तुम मुझे ललचा रहे हो इतनी देर से...''

अजय हंस दिया....और फिर अगले ही पल उसने अपनी शॉर्ट्स खिसका कर अपना खड़ा हुआ लंड बाहर निकाल कर खड़ा कर दिया..
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लेपटॉप के एकदम सामने था वो लंड ..और वैसे भी अजय का साइज़ आम मर्दो से कुछ बड़ा ही था...इसलिए अंजलि को देखने में ऐसा लगा की वो लेपटॉप के थ्रू एफ्फ़िल टावर देख रही है...

एक पल के लिए तो वो अपनी आँखे झपकाना भूल गयी....उसके हाथो की तेज़ी अपनी चूत पर बड़ गयी...और वो खुलकर अपनी चूत को उंगलियों के बीच लेकर मसलने लगी..

ऐसा करते हुए उसके मुँह से एक-दो सिसकारियां भी निकल गयी...पर अब उसे इसकी फ़िक्र नही थी...वो बेशर्मो की तरह अपनी ठरक को पूरी तरह से उजागर कर रही थी.

अजय : "ये देखो भाभी....आपका छोटा देवर...''

अंजलि ने उसी सेक्सी अंदाज में अपने दांतो से होंठों को निचोड़ा और बोली : "सदके जाऊ अपने छोटे देवर पर...इसे छोटा कहना ग़लत होगा...काफ़ी बड़ा है ये तो...''

जवाब में अजय बस मुस्कुरा कर रह गया...और अपने लंड को हाथ में लेकर उसे उपर से नीचे तक मसलने लगा..

अजय ने ये बात पहले भी नोट की थी और अब भी कर रहा था...की जब भी वो अपने खड़े हुए लंड की चमड़ी को सुपाड़े से खींचकर नीचे करता था...उसके अगले भाग को देखकर लड़कियां अक्सर सम्मोहित हो जाया करती थी...शायद ये हर औरत के साथ होता है जब भी कोई मर्द उनकी आँखो के सामने ऐसा करता है...शायद तभी इस सुपाड़े को मुँह में लेने की ललक पैदा हो जाती है उनमे..

और वो ललक इस समय अंजलि भाभी के अंदर भी पैदा हो रही थी...वो अपनी चूत को तो मसल ही रही थी..अपने सूख चुके होंठों पर गीली जीभ फिरा कर अजय के लंड को मुँह में लेने का सपना भी देख रही थी.

अजय : "अब आप भी दिखाओ....''
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अंजलि ने भी उसी अंदाज में पूछा जैसे अजय ने पूछा था : "क्या दिखाऊ ...बोलकर बताओ ना...ऐसे मुझे कैसे पता चलेगा की तुम क्या देखना चाहते हो...''

अजय भी उसी बेशर्मी भरे अंदाज में बोला : "आपके बूब्स भाभी....आपके चुच्चे ...ये मोटे-2 मुम्मे जो आपने अपने गाउन के अंदर छुपा रखे है...जिन्हे देखकर मेरा लंड हमेशा खड़ा हो जाता है...वो दिखाओ मुझे...''

अजय ने एक ही सांस में सारी परिभाषाएं दे डाली उन्हें ।

दोनो तरफ आग पूरी तरह भड़क चुकी थी...उन दोनों के छोटे-2 कमरे बदन की गर्मी से झुलस रहे थे...दोनों को अपने शरीर और शब्दो पर कोई कंट्रोल ही नही रहा था...

और जिस अंदाज में अजय ने ये सब बोला था, उसे सुनकर अंजलि पर तो जैसे उत्तेजना की देवी सवार हो गयी...वो बदहवासी जैसी हालत में अपने गाउन की डोरियों को खोलना चाहती थी पर जब उसकी गाँठ नही खुली तो उसने उस पतले से कपड़े को पकड़कर चीर दिया...और अपने भरे हुए स्तन अजय के सामने प्रस्तुत कर दिए
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और सेक्स से भरी आवाज़ में हिसहिसायी : "उम्म्म्ममममममम....ये लो.......देख लो....अपनी भाभी के बुब्बे....चूस लो इन्हे....दबा लो.......मसल दो......जो करना है कर लो.....''

वो इतनी तेज चिल्ला रही थी की उसके पड़ोसियो तक आवाज़ पहुँच जाए...और एक वो शराबी अनिल था जो दारू पीकर ऐसा बेसूध पड़ा था की उसे अपनी बीबी की ये आवाज़े सुनाई ही नही दे रही थी..

अजय ने ऐसे बड़े बूब्स आज तक नही देखे थे...उसकी सास के भी लगभग इतने ही बड़े थे..पर अंजलि भाभी और उसकी सास की उम्र में काफ़ी अंतर था...इसलिए इसके कड़क मुम्मे कुछ अलग ही कहर ढा रहे थे...अजय ने हाथ आगे करके उन्हे पकड़ना चाहा पर उन्हे पकड़ने का सिर्फ़ एहसास ही कर पाया...असल मे पकड़ता तो उन्हे नोच ही डालता वो..

अंजलि ने अपनी भरी हुई छातियों पर अपने पंजे लगाकर उन्हें जोरों से भींच डाला , अजय की तो सिसकारी निकल गयी उन मोटे मुम्मो को ऐसे दबता देखकर,वो पंजा उसका होना चाहिए था तब और भी ज्यादा मजा आता

अंजलि भाभी वहीँ पर ही नही रुकी....वो उठ खड़ी हुई और उन्होने लॅपटॉप को स्टडी टेबल पर रख दिया...और वो खुद उसके सामने खड़ी हो गयी..

और फिर उन्होने उस फटे हुए गाउन को पूरी तरह से फाड़ डाला...और जैसे-2 वो फटता जा रहा था,उनका दूधिया बदन उजागर होता जा रहा था.और आख़िर में वो सिर्फ़ एक पेंटी में रह गयी....पेंटी तो नही थी वो थोंग थी ..जो उनकी चौड़ी गांड को एक धागे की तरह ढक रही थी...उनकी चूत वाले हिस्से पर एक छोटा सा पेच था बस...
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अंजलि ने अपनी उंगलियो को अपने मुँह में डालकर उन्हे भिगोया और फिर उन्हे अपने निप्पल्स पर रगड़कर नीचे तक ले गयी और थोंग में डालकर अपनी चूत को रगड़ डाला...ऐसा करते हुए वो अपनी कमर को इधर उधर घुमा रही थी...जैसे अजय को कैबरे दिखा रही हो...

अजय ने भी लॅपटॉप को सामने रख दिया और बेड पर घुटनो के बल बैठकर अपने लंड को जोरों से आगे - पीछे करने लगा...और लंड को मसलते-2 वो बुदबुदाया : "भाभी....प्लीज़.....ये पेंटी भी उतारो ना.....पूरी नंगी देखना है मुझे आपको.....प्लीज़......आपको अपने छोटे देवर की कसम....''

वो अपने लंड के सुपाड़े को उनकी तरफ करता हुआ बोला..

भाभी ने भी अपने छोटे देवर की कसम की लाज रखते हुए अपनी पेंटी को सेक्सी तरीके से उतारना शुरू कर दिया....और धीरे-2 करके उसे पूरा उतार फेंका...अब वो पूरी नंगी खड़ी थी अजय के सामने...भले ही वो उन्हे लेपटॉप के ज़रिए देख रहा था..पर उनके नंगे बदन को देखकर वो उतना ही उत्तेजित हो रहा था जितना की शायद उन्हे असल में देखकर होता.....
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उनका साँचे में ढला शरीर इतना शानदार था की अजय के हाथो की स्पीड और तेज हो गयी...

वो तो बस अपने लंड की पिचकारी आज अपने लॅपटॉप की स्क्रीन पर मारकर अपनी भाभी को खुश कर देना चाहता था...

लेकिन तभी अंजलि ने कहा : "क्यो अपने माल को इस तरह से वेस्ट कर रहे हो....''

अजय : "मैं समझा नही...??''

अंजलि ने अपनी चूत रगड़ते हुए कहा : "आ जाओ....यहीं ..मेरे पास....अभी....''

अजय का तो होंठ काँप गये उनके ऑफर का जवाब देते हुए : "अभी......वहां .....आपके घर....''

अंजलि : "ह्म्*म्म्मम....अभी.....जल्दी आओ....अगर ये चाहिए तो जल्द से जल्द यहाँ आ जाओ ''

अंजलि ने आखिरी बार अपना रसीला बदन उसे दिखाते हुए लॅपटॉप को वापिस फोल्ड करके बंद कर दिया.

और अजय बेचारा अपने खड़े हुए लंड को हाथ में लेकर बैठा रह गया...

क्या तरीका था अंजलि का...एन वक़्त पर अजय को तरसाकर अपने पास बुलाने पर विवश कर दिया...अजय भी ऐसी बकचोदी से ज़्यादा एक्शन में विश्वास रखता था..लेकिन अभी रात का 1 बज रहा था...और अनिल का घर वहां से करीब 15 किलोमीटर दूर था...वैसे तो इस समय वहां तक पहुँचने में ज़्यादा समय नही लगना था..पर इतनी रात को वहां जाने में थोड़ा रिस्क ज़रूर था...लेकिन जब सिर पर सेक्स का जुनून चड़ा हो तो ऐसे छोटे-मोटे रिस्क नही देखे जाते...उसने जल्दी से कपड़े पहने..गाड़ी की चाभी उठाई...घर पर ताला लगाया और चल दिया अंजलि भाभी के घर की तरफ...

अपने दोस्त की बीबी को चोदने जा रहा था...उसके ही घर पर...उसके होते हुए...ये बात अंदर तक एक्साइट कर रही थी अजय को...

आज की रात उसकी जिंदगी में सेक्स अड्वेंचर के रूप में दर्ज होने वाली थी..
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Very hot story
Keep it up 
Waiting for update
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मस्त!?
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कार चलाते हुए अजय के दिमाग़ मे अंजलि भाभी का नंगा बदन ही घूम रहा था...क्या तराशा हुआ जिस्म था उनका...अजय की नज़र शुरू से ही थी उनपर...और अब जब उन्हे चोदने का सपना साकार होने जा रहा था तो उसे खुद पर ही विश्वास नही हो रहा था...वो सोचने लगा की लेपटॉप बंद करते समय अंजलि भाभी नंगी थी..तो क्या अभी भी वो ऐसे ही बैठी होंगी..

उसका लंड तो बैठने के नाम से ही विद्रोह कर रहा था..शायद उसे भी नयी चूत की खुश्बू आ चुकी थी.

15 किलोमीटर का रास्ता सिर्फ़ 8 मिनट में तय कर लिया उसने...अंजलि भाभी का घर काफ़ी हाइफाई टाइप की कॉलोनी में था...कॉलोनी के गेट पर चौकीदार नही था वरना इतनी रात को वहां आने का रीज़न देते हुए उसे भी परेशानी होनी थी.

गाड़ी उसने घर से थोड़ा दूर ही लगा दी..

उसके पैरों आहट सुनकर अंजलि खुद ही दरवाजा खोलने बाहर आ गयी

उन्होने अपनी छाती से जाँघो तक एक टावाल लपेट रखा था
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ड्रॉयिंग रूम में घुप्प अंधेरा था...उसे कुछ दिखाई ही नही दे रहा था...अंजलि ने टेबल लॅंप जला दिया, जिसकी मद्धम रोशनी से पूरा ड्रॉयिंग रूम नहा उठा.अब वो आराम से उन्हें देख सकता था , उस टावल में भी वो बला की सेक्सी लग रही थी.

अंजलि : "बड़ी जल्दी आ गये...सिर्फ़ 10 मिनट में ...उड़ कर आये हो क्या ''

अजय ने अपने लंड के उपर दबाव डालकर उसे नीचे बिठाते हुए कहा : "जब बुलाने वाले का तरीका ही इतना सेक्सी हो तो ऐसे ही उड़ कर आया जाता है...''

जवाब में अंजलि मुस्कुरा दी और धीरे - २ चलकर अजय की तरफ आ गयी..

और अगले ही पल दोनो एक दूसरे से ऐसे गले मिले जैसे बरसो से बिछड़े प्रेमी हो...अजय ने उस टावल में लिपटी हूरपरी के मखमली बदन को पकड़कर बुरी तरह से निचोड़ डाला...और दोनो एक दूसरे के होंठों पर ऐसे टूट पड़े जैसे सुबह से दोनो ने नाश्ता ही नही किया..दोनो को एक दूसरे के होंठ इतने लज़ीज़ लग रहे थे की करीब 5 मिनट तक तो वो साँस लेना भी शायद भूल गये थे..
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अजय तो ऐसे बेसबरा हुआ पड़ा था की अंजलि ने जब किस्स तोड़ी तो उसकी गर्दन को ड्रॅक्यूला की तरह से चूसने लगा..और फिर थोड़ा नीचे आकर टावल के उपर से ही उनके बूब्स को काट लिया जिसकी वजह से अंजलि तड़प उठी..शायद अजय जैसा जंगली उसे पहली बार नसीब हुआ था क्योंकि दर्द होने के बावजूद वो उसके जंगलिपन को एंजाय कर रही थी...ऐसे ही टावल के उपर से किस्स करता हुआ वो उनके पेट पर दाँत गाड़ रहा था..और नीचे बैठकर तो उसने एक जोरदार झटके से उनकी चूत को ही अपने मुंह की तरफ खींच लिया...पर बीच में टावल आ जाने की वजह से वो सीधा उसपर काट नही पाया..लेकिन उसमे से आ रही मादक खुश्बू को सूँघकर वो ये ज़रूर समझ गया की अंदर का क्या हाल है, गीली चूत में से निकल रहे जूस की गंध उसे विचलित कर रही थी..और वो उस जूस को पीने के लिए लालायित हो उठा.

और उसने अपना मुँह उनके टावल के अंदर घुसेड कर अपनी बलिष्ट भुजाओं का प्रयोग करते हुए उन्हे उपर हवा में उठा लिया..अंजलि ने बड़ी मुश्किल से अपने दोनो पैरों को उसके कंधो के दोनो तरफ करके बॅलेन्स बनाया वरना वो गिर ही पड़ती और बाकी का सहारा उसे पीछे की दीवार से मिला...और वो बड़े मज़े से दीवार के सहारे अपनी पीठ लगाकर हवा में लटक कर अजय से अपनी चूत चुसवाने का मज़ा लेने लगी.
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अजय के होंठ जब उसकी रसीली चूत से टकराए तो उसे ऐसा लगा की मेंगो शेक से भरे बर्तन में मुँह डाल दिया है...इतना गाड़ा और रसीला रस निकल रहा था उसमे से की वो अपने उपर कंट्रोल ही नही रख पाया और उसने उसकी चूत के दाने तक को मुँह में लेकर चुभला डाला...अजय के दोनो हाथ उसकी गदराई गांड को भी गूंधने में लगे हुए थे..

अपनी क्लिट पर अजय की गर्म जीभ का हमला महसूस करते ही अंजलि तड़प उठी...और उसने सिसकारी मारते हुए अजय के बालों को पकड़ कर उसे और अंदर खींच लिया...और एक मिनट के अंदर ही वो झड़ भी गयी...

ऐसा पहली बार हुआ था अंजलि की लाइफ में जब वो इतनी जल्दी झड़ी थी ...और वो सोचने लगी की जब अजय ने सिर्फ़ एक मिनट के अंदर उसे झाड़ दिया है तो आने वाले घंटो में वो उसका क्या हाल करेगा इसका अंदाज़ा लगाना मुश्किल था काफ़ी..

अजय भी ढेर सारी मलाई का वेग अपने चेहरे पर महसूस करके समझ गया की अंजलि भाभी झड़ चुकी है..उसने धीरे-2 उन्हे अपनी क्रेन से नीचे उतार दिया..मुस्कुराती हुई अंजलि ने उसके चेहरे पर लगे अपने ही रस को चूसते हुए उसे एक बार फिर से एक गहरी स्मूच में बदल दिया.

अजय की टी शर्ट और पायजामा उतार कर अंजलि ने पल भर में ही उसे सिर्फ़ जोक्की में खड़ा कर दिया..और खुद उसके सामने सोफे पर बैठकर अंडरवीयर के उपर से ही उसके उभार को महसूस करते हुए सिसकारिया लेने लगी.

और उसकी आँखो में देखते हुए बोली : "काफ़ी तगड़ा शेर है तुम्हारे पिंजरे में ...''

अजय : "इसके तगड़ेपन का अंदाज़ा तो आपको तब होगा भाभी जब ये तुम्हारी मांड में घुसकर तुम्हे मज़े देगा...लेकिन उस से पहले इसे थोड़ा गीला तो कर दो..''

अंजलि को दोबारा बोलने की ज़रूरत नही पड़ी की अजय क्या चाहता है.

उसने तुरंत उसके लंड को बेपर्दा करते हुए अपनी जीभ से उसे सहलाया..उसे गीला किया , उसकी बॉल्स को चूसा और फिर धीरे-2 उसके सुपाड़े समेत पूरा का पूरा लंड अपने मुँह में ले लिया..

अजय भी उसकी कलाकारी का कायल हो गया...उसके लंबे लंड को आज तक प्राची भी पूरा अंदर नही ले पाई थी...और अंजलि ने कितनी आसानी से उसे हलक तक अंदर लेकर चूस डाला..
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अजय : "उम्म्म्म...शाबाश भाभी....शाबाश....ऐसे ही करो....मज़ा आ रहा है....''
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अंजलि ने लंड को बाहर निकाला और बोली : "ऐसे ही मज़े देने के लिए तो तुम्हे यहाँ बुलाया है अजय ...वरना वेब चेटिंग तो बच्चो का काम है...पता नही तुमने कैसे उसके लिए बोला और मैं मान भी गयी...वर्ना मैं तो हमेशा आमने -सामने ही सब कुछ करने पर विश्वास करती हूँ ''

अजय उनकी बाते सुनकर सिर्फ़ सिर हिलाता रह गया...कितने गहरी और ज्ञान से भरी बाते कर रही थी अंजलि भाभी...अजय को अभी उनसे काफ़ी कुछ सीखना पड़ेगा...यही सोचकर वो अपने लंड को और अंदर धकेलने लगा उनके मुंह में ...
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अजय ने नीचे हाथ करके उनका टावाल भी खोल डाला...और अब वो भी पूरी नंगी होकर बैठी थी...और अजय के लंड को भूखी लोमड़ी की तरह से चूस्कर उसका रस निकालने में लगी थी.

लेकिन अजय इतना कच्चा खिलाड़ी नही था की वो भी एक ही मिनट में झड़ जाता...उसके लंड को झड़ने के लिए आधा घंटा तो चाहिए ही चाहिए था...ये बात अभी तक अंजलि नही समझ पा रही थी.

अपना लंड चुस्वा रहे अजय की नज़र अंजलि के बेडरूम की तरफ गयी...वो आधा खुला हुआ था..और वहां से खड़े रहकर वो अनिल को सोते हुए देख पा रहा था..उसके दिमाग़ में पता नही क्या आया, उसने नीचे झुककर अंजलि के बालो से उसे पकड़ा और उसे उठाकर बोला : "चलो ज़रा अंदर, आपके पति के सामने ये सब करवाने में अलग ही मज़ा मिलेगा..''

उसे शायद मुंबई वाली मौसी की वो चुदाई याद आ रही थी जब उसने सोते हुए मौसा जी के सामने उनकी चुदाई कर डाली थी...और उस वक़्त आई उत्तेजना को वो आज तक किसी और से कंपेयर ही नही कर पाया था...उस दिन मौसाजी तो दवा की वजह से बेहोशी में थे और आज शराब की वजह से अनिल उसी हालत में है..आज थोड़ा रिस्क ज़्यादा था पर अपनी उत्तेजना को उस मुकाम पर लेजाकर चुदाई करने का मज़ा भी वो खोना नही चाहता था.

अंजलि भी बड़े आराम से किसी बाजारू घस्ती की तरह मुस्कुराती हुई खड़ी हुई और अजय के हुक्म को किसी गुलाम की तरह मानकर उसके साथ अंदर चल दी...उसने तो पहले ही बोल दिया था की अनिल तो पीने के बाद कुंभकरण जैसा हो जाता है, इसलिए उसे भी कोई डर नही था.

काफ़ी बड़ा बेडरूम था अनिल का...और वो पीठ के बल सोया हुआ बड़े ज़ोर-2 से खर्राटे मार रहा था..उसने केवल एक अंडरवीयर पहना हुआ था...शायद नशे की हालत में उसने कपड़े उतारे तो सही पर नाइट सूट पहनना भूल गया..

अंजलि मुस्कुराते हुए बोली : "पीने के बाद ये ऐसे ही खर्राटे मारते है...''

अजय : "ये सबके साथ होता है...सिर्फ़ अनिल के साथ नही...''

पर अभी तो इन बातों का वक़्त ही नही था...उसने अंजलि को बेड पर धकेला और खुद उसके उपर चड़कर अपना लंड उसके मुँह में डाल दिया...वो उसे लोलीपोप की तरह चूसने लगी...आग दोनो तरफ बराबर लगी हुई थी..
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करीब 2 मिनट तक अजय ने अपना लंड चुस्वाया...और जैसे ही वो पूरी तरह से चिकना होकर चूत में जाने लायक हो गया तो वो नीचे आया...पर जैसे ही वो अंजलि की चूत में अपना लंड पेलने लगा, उसने धीरे से धक्का देकर अजय को नीचे कर दिया...वो उससे अपनी चूत चुसवाना चाहती थी ...एक बार और...

[Image: 31405808_007_6eeb.jpg]

अजय को भी भला क्या प्राब्लम हो सकती थी...वो बेड पर पेट के बल लेटा और अपना मुँह घुसा दिया उसके शहद के छत्ते जैसी रसीली चूत के अंदर...

अंजलि की तो चीख निकलते हुए बची, उसने तुरंत अपने मुंह पर हाथ रखकर अपनी आवाज दबाई

इस बार तो अंजलि ने उसकी गर्दन को अपनी टाँगो के बीच ऐसे दबोच लिया जैसे वो उसकी जान लेकर रहेगी...

अजय के सर को जोर से दबोच कर उसने धीरे से सिसकारी मारी

'' उम्म्म्म्म्म्म्म्म अजय्य्य्य्य्य्य्य्य सक्क्क्क्क्क्क्क्क मीईईईईईईईई हाआआआआअर्ड ''

अजय ने भी उसकी गांड के नीचे हाथ डालकर उसे थोड़ा सा हवा में उठाकर उसकी चूत को अपने सामने लहरा दिया..और आराम से लेटकर उसकी चूत की ट्रे में से रसीले फ्रूट्स खाने लगा.

अब वो सीधा उसकी चूत को देख पा रहा था...और उसकी क्लिट को निशाना लगाकर उसे भी चूस रहा था..

अजय ने उसकी चूत के तितली जैसे परों को अपनी उँगलियों फैलाकर अपनी जीभ से वहां की नमीं सोख ली

अजय की इस हरकत से वो अपना सर इधर उधर पटकने लगी

अंजलि तो पागल हुए जा रही थी...अपने बिस्तर पर जल बिन मछली की तरह तड़प रही थी वो..

और साथ ही साथ वो चिल्ला भी रही थी..

''आआआआआआआहह अजय..................उम्म्म्ममममममममम.........और ज़ोर से....... चूऊवसूऊऊओ..... एसस्स्स्स्स्स्स्सस्स........ ओह अजय....... म्*म्म्ममममममममम''
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अचानक अपना सिर इधर उधर पटक रही अंजलि ने अपने पति अनिल के शरीर में कुछ हलचल सी महसूस की...और एक पल के लिए उसने अपने शरीर को थिरकाना छोड़ दिया...अजय तो अपने काम में लगा हुआ था पर अंजलि की नज़रें अनिल के उपर ही थी..

और तभी, एकदम से अनिल उठकर बेड पर बैठ गया..

अंजलि की तो सिट्टी पिटी गुम हो गयी....और अजय था की उसे पता भी नही था की अनिल उठकर बैठ चुका है.

अंजलि को अपना ये एडवेंचर महंगा पड़ने वाला था आज
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कमरे में 0 वॉट का बल्ब जल रहा था...उसकी मद्धम रोशनी में अंजलि नंगी लेटी हुई अपनी चूत अजय से चटवा रही थी...अनिल की नींद शायद कोई सपने की वजह से या फिर अंजलि और अजय की आवाज़ सुनकर खुली थी..एक तो नशे की हालत और उपर से मद्धम रोशनी की वजह से वो अपनी अधखुली आँखो से कुछ देखने की कोशिश कर रहा था..पर पूरी कोशिश करने के बाद भी उसकी पलकें खुल ही नही पा रही थी.

अंजलि का दिमाग़ तेज़ी से चल रहा था...वैसे तो उसे अच्छी तरह से पता था की वो कुछ देर तक बैठकर सो जाएगा...लेकिन उसने वापिस सोने से पहले अगर अजय को देख लिया तो उसकी नींद और नशा एक पल में ही उड़ जाना था..इसलिए वो तुरंत उठकर बैठ गयी...और उठकर बैठे हुए अनिल के कंधे को पकड़कर उसे वापिस नीचे लिटाने की कोशिश करने लगी ...और ऐसा करते हुए उसने अपनी लात से धक्का देकर अपनी चूत चूस रहे अजय को भी नीचे की तरफ धकेल दिया..

अजय को जब एकदम से अंजलि की ये हरकत महसूस हुई तो उसे बड़ा गुस्सा आया, क्योंकि अभी तक तो वो बड़े ही मज़े से उसकी चूत चाट रहा था..और जैसे ही मज़ा आने लगा, अंजलि ने उसे अपनी टाँगो से धक्का देकर बेड से नीचे खिसका दिया..और उसने ऐसा क्यो किया, जानने के लिए जैसे ही उसने अपना मुँह उपर उठाया, अनिल को बेड पर बैठा हुआ देखकर उसकी हालत बिगड़ गयी...उसकी तो सिट्टी-पिट्टी गुम हो गयी...लेकिन फिर इसे एहसास हुआ की अनिल अभी भी आधी नींद में ही उंघ रहा है..और शुक्र है नींद की वजह से उसकी नज़र अजय पर नही पड़ी..वरना काफ़ी गड़बड़ हो जाती.उसने मन ही मन अंजलि के तेज दिमाग़ की दाद दी और खुद बेड से नीचे खिसक कर दम साध कर लेट गया.बस अब वो यही चाह रहा था की अंजलि किसी तरह अपने पति को वापिस सुला दे.

पर अंजलि ने जब अनिल को ज़बरदस्ती लिटाने की कोशिश की तो उसकी आँख पूरी तरह से खुल गयी...और बगल में नंगी अंजलि को देखकर तो वो जैसे नींद से जागा..और हैरान होते हुए बोला : "अंजलि....ये ...ये क्या...तुम ऐसी हालत में ...''

अंजलि : "ओफफो....यही तो प्राब्लम है तुम्हारी...पीने के बाद पता नही क्या हो जाता है....अभी खुद ही तो मुझे नंगी होने के लिए कह रहे थे...अपने आप को भी तो देखो...अपने कपड़े भी उतार चुके हो तुम...अब ऐसे में तुम्हे मना करू तो गालियां सुनने को मिलती है...और कपडे उतार दूँ तो ऐसे शॉक लग रहा है जैसे तुम्हारे लिए नही बल्कि और किसी के लिए नंगी हुई हूँ ...''

नीचे लेटे हुए अजय की हँसी निकलते-2 बची अंजलि की बाते सुनकर..अब रंगे हाथो पकड़े जाने के बाद अंजलि अपने हिसाब से अनिल को हेंडल कर रही थी.

और ये सब नाटक करते हुए अंजलि ने भी ये नही सोचा था जो अगले ही पल अनिल ने कह डाला

अनिल : "चल फिर...देख क्या रही है...शुरू हो जा...''

अंजलि की आँखे फैल गयी...अब वो खुद ही अपनी बात में फँस चुकी थी..भले ही अनिल अभी पूरे होश में नही था...लेकिन उसे अब मना करके गुस्सा चढ़ाकर वो उसे पूरी तरह से होश में नही लाना चाहती थी...वैसे भी जिस दिन वो बिना पीए सोता था, चुदाई भी एक तरह से नशे का ही काम करती थी उसके लिए..चोदने के बाद भी वो घोड़े बेचकर ठीक उसी तरह से सोता था जैसे दारू पीने के बाद...

अजय के लंड को अपने अंदर लेने की तड़प अंजलि से इस समय कुछ भी करवा सकती थी, इसलिए जल्द से जल्द अनिल को सुलाने के लिए उसकी बात को मानने के अलावा उसके पास कोई और चारा भी नही था..

बेचारी ने बेमन से अपना हाथ अनिल के अंडरवीयर में क़ैद उसके सोए हुए चूहे पर रख दिया..भले ही अंजलि इस वक़्त पूरी तरह से उत्तेजित थी पर अनिल तो सोया हुआ सा बैठा था वहां ..

उसके अंडरवीयर को नीचे खिसका कर अंजलि ने उसके लंड को अपनी हथेली में लेकर हिलाना शुरू कर दिया...पर उसमे कोई हरकत ही नही हुई...उसका 5 इंच का लंड इस वक़्त सिर्फ़ 2 इंच का माँस का टुकड़ा बनकर पड़ा था... अंजलि समझ गयी की इसे तैयार करने के लिए उसे कुछ अलग ही करना पड़ेगा...

और उसने अनिल को बेड पर लिटाया और उसके लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी...अंजलि की गर्म जीभ और रसीले होंठों की तपन से अनिल का लंड पिघल गया और धीरे-2 अपने आकार में आने लगा...एक मिनट के अंदर ही वो बुरी तरह से फुफ्कार रहा था...

वो उसकी बॉल्स को पूरी तरह मुंह में भरकर चूसती और फिर उन्हें निकालकर उसके लंड को चूसती
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