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Misc. Erotica पारस्परिक हस्त मैथुन
#21
[Image: 25669407_028_c829.jpg]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#22
[Image: 25669407_028_c829.jpg]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#23
उसकी बात सुन कर मैंने अपना निर्णय कुछ इस प्रकार दिया- तुम्हें सहयोग एवम् सहायता करने के लिए मेरे कपड़े उतारने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि वह तुम्हारी इस क्रिया में बाधा नहीं बनेगे।

फिर मैंने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा- लेकिन मेरा सहयोग सिर्फ तुम्हारे साथ हम दोनों द्वारा एक दूसरे का पारस्परिक हस्त-मैथुन तक ही सीमित रहेगा, इसलिए तुम इससे आगे बढ़ने के लिए ना तो कोशिश ही करना और ना ही कोई अनुरोध।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#24
मेरी बात सुन कर सिद्धार्थ थोड़ा मायूस तो हुआ और बोला- ठीक है दीदी जैसा आप कहेंगी वैसा ही होगा। लेकिन पारस्परिक हस्त-मैथुन के लिए क्या मैं आप की पैंटी उतार सकता हूँ?

उसकी बात सुन कर मुझे थोड़ा संकोच तो हुआ लेकिन अपने आप को नियंत्रण में रखते हुए कहा- ठीक है तुम उसे उतार सकते हो।
मेरा उत्तर सुनते ही वह तुरंत फर्श पर बैठ गया और मेरी पैंटी को दोनों तरफ से पकड़ कर नीचे की ओर सरकाने लगा।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#25
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#26
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#27
(15-06-2022, 04:26 PM)neerathemall Wrote: मेरी बात सुन कर सिद्धार्थ थोड़ा मायूस तो हुआ और बोला- ठीक है दीदी जैसा आप कहेंगी वैसा ही होगा। लेकिन पारस्परिक हस्त-मैथुन के लिए क्या मैं आप की पैंटी उतार सकता हूँ?

उसकी बात सुन कर मुझे थोड़ा संकोच तो हुआ लेकिन अपने आप को नियंत्रण में रखते हुए कहा- ठीक है तुम उसे उतार सकते हो।[Image: 74540384_014_b584.jpg]
मेरा उत्तर सुनते ही वह तुरंत फर्श पर बैठ गया और मेरी पैंटी को दोनों तरफ से पकड़ कर नीचे की ओर सरकाने लगा।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#28
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#29
मेरी पैंटी दोनों तरफ से सरक कर जब मेरी जांघों तक पहुँच कर रुक गई तब उसने मेरी ओर देखा तो मैंने अपनी टांगें चौड़ी कर दी ताकि उनके बीच में फंसी पैंटी का भाग भी नीचे सरक सके।

पैंटी के टांगों के बीच में से मुक्त होते ही सिद्धार्थ ने उसे झटके से नीचे खींच कर मेरे पैरों तक पहुँचा दी और आगे झुक कर मेरे केशहीन जघन स्थल को चूम लिया।
[Image: 74540384_001_50c0.jpg]

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#30
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भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#31
उसकी इस हरकत से मैं स्तब्ध हो गई और जल्दी में एक कदम पीछे की ओर लिया ही था कि मेरे पैरों में फंसी पैंटी के कारण मैंने अपना संतुलन खो बैठी।

इससे पहले कि मैं लड़खड़ा कर नीचे गिरती, मुझे सिद्धार्थ के मज़बूत हाथों ने थाम लिया और मैं उसकी बाहों में झूल गई।
मैंने जब अपने को सम्भाला तो पाया कि उस अकस्मात् की पकड़ा धकड़ी में मेरा टॉप ऊँचा हो गया था और मेरे दोनों स्तन बाहर निकल कर बाथरूम की तेज़ रोशनी में चमक रहे थे।[Image: 85494264_003_dbc1.jpg]
सिद्धार्थ मेरे सफ़ेद स्तनों और उन पर उभरे काले रंग के चुचूकों को नग्न देख कर मन्त्र-मुग्ध हो कर देखता रहा और बोल पड़ा- दीदी, आपके स्तन तो वास्तव में आराध्य हैं। मंजू के स्तन भी इतने सुंदर नहीं है जितने आपके हैं। लगता है कि इन्हें किसी बड़े मेधावी एवम् प्रतिभाशाली मूर्तिकार ने बड़े ही प्यार से तराशा है।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#32
फिर उसने मुझे सीधा खड़े होने में सहायता करी और कहा- दीदी, अब तो मैं आपका हर अंग बहुत ही पास से देख चुका हूँ इसलिए अब तो इन्हें परदे में रखने का कोई औचित्य ही नहीं रह गया है। अब तो आप मुझे आपका टॉप उतारने की अनुमति भी दे ही दीजिये।

सिद्धार्थ के द्वारा दिए गए तर्क को स्वीकार करते हुए जैसे ही मैंने उसे मेरा टॉप उतारने की अनुमति प्रदान कर दी और उसने एक क्षण में ही उसे ऊँचा करते हुए मेरे शरीर से अलग कर दिया।[Image: 42909625_003_038a.jpg]
अब हम दोनों पूर्ण रूप से नग्न हो कर एक दूसरे के सम्मुख खड़े थे और एक दूसरे के अंगों को निहार रहे थे।
[Image: 72007023_014_5df9.jpg]



[Image: 44860399_010_6056.jpg]

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भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#33
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#34
[Image: 86871241_012_c2f2.jpg][Image: 58116440_096_8180.jpg]

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#35
[Image: 53145799_084_deb3.jpg]

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#36
मैंने देखा कि सिद्धार्थ का शरीर बहुत ही मांसल एवम् मज़बूत था और उसकी भुजाओं तथा टांगों एवम् जाँघों की मांसपेशियाँ उभरी हुई थीं।

इतने में मेरा ध्यान उसके लिंग की ओर गया तो मैंने देखा कि उत्तेजना की वजह से वह एकदम तना हुआ था और उसकी नसें भी उभरी हुई थीं।[Image: 69153721_008_2f89.jpg]
तभी सिद्धार्थ ने मेरे हाथ को पकड़ कर अपने लिंग पर रखते हुए कहा- दीदी, क्या हम सारी रात ऐसे ही खड़े एक दूसरे को देखते रहेंगे? अब आप जल्दी से पारस्परिक हस्त-मैथुन का श्री गणेश तो कर दीजिये।
क्योंकि मैंने अपने जीवन में पहली बार किसी पुरुष के लिंग को हाथ लगाया था इसलिये उसका स्पर्श भी मुझे बहुत ही अजीब लग रहा था।[Image: 50355827_022_b0dd.jpg]
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#37
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#38
(15-06-2022, 05:05 PM)neerathemall Wrote:
[Image: 55759088_015_9223.jpg]

फिर भी मैंने उसकी बात सुन कर और बिना कोई उत्तर दिए उसके लिंग को पकड़ लिया तो पाया कि वह एक लोहे की रॉड की तरह सख्त था।

मैंने अहिस्ता से सिद्धार्थ के लिंग को सहलाना शुरू किया लेकिन इस क्रिया को करने के बारे में अधिक पता नहीं होने के कारण उसका लिंग बार बार मेरे हाथ से फिसल जाता था।
यह देख कर सिद्धार्थ बोला- दीदी, आप यह कैसे कर रही हैं? मुझे लगता है कि आप मेरा हस्त-मैथुन करना नहीं चाहती है।
मैंने उत्तर में कहा- नहीं ऐसी बात नहीं है, लेकिन मुझे किसी पुरुष का हस्त-मैथुन करना नहीं आता है। मैंने आज पहली बार किसी का लिंग पकड़ा है और उसका हस्त-मैथुन कर रही हूँ।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#39
[Image: 14669690_096_e2a2.jpg]
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#40
मेरी बात सुन कर सिद्धार्थ ने विस्मय की दृष्टि से मुझे देखा और फिर अपने हाथ को मेरे हाथ पर रख कर दबा दिया और बोला– अगर आप इसे ढीला पकड़ कर हिलाएँगी तो यह फिसलता ही रहेगा। आप इसे कस कर पकड़िये और जोर से हिलाइए ताकि मुझे रगड़ लगे।

जैसे सिद्धार्थ ने बताया मैंने उसी तरह उसके लिंग को कस कर पकड़ लिया और जैसा मैंने उसे हिलाते हुए देखा था वैसे ही हिलाना शुरू कर दिया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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