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Adultery भाभी
#41
मैंने भाई भाभी के घर आना जाना, बाहर साथ में घूमना फिरना शुरू कर दिया था. मेरा स्वभाव उन सबको बहुत पसंद आता था खासकर भाभी को।

मैं भाभी का बहुत ख्याल रखता था। हम दोनों की पसंद बहुत मिलती थी। धीरे धीरे व्हाट्सएप पे चैट और जोक्स शुरू हो गए। बहुत वाहियात तो नहीं फिर भी थोड़े-थोड़े दोअर्थी मेसेज आना जाना भी शुरू हो गए।
जब भी मैं उनके घर जाता उनके बाथरूम में टंगी उनकी ब्रा पेंटी को जरूर सूंघता, चूमता चाटता और अपने लंड पे रगड़ कर मुठ मारता।
उनकी बेटी थोड़ी बड़ी हो गई तो भाभी ने भी जॉब जॉइन कर लिया।
एक दिन भैया ने बताया कि उन्हें दो महीने के लिए लंदन जाना पड़ेगा। निर्णय यह हुआ कि भाभी जॉब जारी रखेंगी और बेटी को दादा दादी के पास भेज दिया जाएगा।
मेरे मन में लड्डू फूटना शुरू हो गए।
फिर वो दिन भी आ गया जब भाई को मैं ही एयरपोर्ट ड्राप करके आया भाभी साथ में ही थी।
लौट कर भाभी की सोसाइटी के नीचे ड्राप करके लौटने लगा तो वो बोली- एकदम से अकेले मुझे बुरा लग रहा है. आप थोड़ी देर रुक चाय पीकर चले जाना।
मैं मान गया और उनके साथ ऊपर चला गया उनके फ्लैट पर।
मैं भाभी को हंसाने की पूरी कोशिश कर रहा था पर भाभी कुछ उदास थी जो स्वाभाविक भी था।
इस दौरान मैंने भाभी की खूबसूरती को जी भर के निहारा जो उन्हें समझ में आ रहा था। चाय का राउंड हुआ तो मैं आने लगा हालांकि मेरा मन नहीं था आने के और उनका भी मन नहीं था मुझे वापस भेजने का।
फिर वो ही बोली- अब डिनर कर के चले जाना.
मैं थोड़ी न नुकुर करने के बाद मान गया.
पर इतनी देर हम दोनों क्या करते … मैंने सुझाव दिया- चलो मार्किट हो के आते हैं.
वो मान गई।
मैंने अपनी कार उनकी पार्किंग में लगाई और भाई की पल्सर लेकर मार्किट जाने लगे। अब भाई की गाड़ी और बीवी दोनों मेरे पास थे।
मुझे थोड़ा संकोच लग रहा था पर भाभी मेरे पीछे दोनों पैर डाल के बैठ गई। मैं बहुत खुश था। लेना तो कुछ था नहीं … ऐसे ही टाइमपास कर रहे थे हम लोग बाजार में घूमते फिरते।
इतने में बारिश का मौसम हो गया और हम लोगों ने घर लौटना ही ठीक समझा.
पर घर आते आते बारिश शुरू हो गई और हम लोग पूरे भीग गए। लिफ्ट में दाखिल हुए तब मैंने भाभी को देखा उनकी टॉप भीग कर उनके शरीर चिपक गयी थी और उनके जिस्म का एक-एक कटाव उभर के दिख रहा था।
मैं भी अंदर से धधक रहा था जो मेरे पैंट में साफ दिख रहा था और भाभी की नज़रों से छिपा नहीं था।
खैर हम दोनों फ्लैट में दाखिल हुए भाभी मुझे तौलिया देकर झट बाथरूम में घुस गई। इधर मैंने अपने पूरे गीले कपड़े उतार कर तौलिया लपेट लिया।
उतने में भाभी की बाथरूम से आवाज़ आई- भैया ज़रा मेरे कपड़े पकड़ा दो … बालकनी में सूखने डले हैं।
उन्होंने साफ साफ नहीं बोला कि ब्रा पैंटी भी चाहिए, बस ये बोली कि अंदर के कपड़े और गाउन दे दो।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#42
मुझे मसखरी सूझी, मैंने पूछा- अंदर के मतलब?

तो वो बनावटी गुस्से में बोली- बाहर आकर पिटाई लगाऊँगी.
मैंने फिर चुटकी ली- भाभी जान, ऐसे ही बाहर आओगी क्या?
उन्होंने कुछ जवाब नहीं दिया और कहा- प्लीज जल्दी दे दो, ठंड लग रही है।
मैंने भी ज्यादा देर न करते हुए उन्हें ब्रा पैंटी और गाऊन दे दिया। मेरे मन से डर निकल चुका था, जब कपड़े दे रहा था तो मैं अंदर झांकने की कोशिश भी कर रहा था।
भाभी दरवाजे के पीछे सिमटी हुई थी पर उनकी पीठ, गांड और सीने के उभार थोड़ा दिख रहा था।
मैं गरम हो रहा था।
भाभी दो मिनट बाद बाहर आई. तब तक मैं तौलिये में ही खड़ा था और मेरा हथियार भी उठा हुआ था। भाभी मेरी बालों वाली छाती निहार रही थी।
मेरे सारे कपड़े गीले हो चुके थे तो भाभी ने भैया के कपड़े पहनने के लिए दिए। वो लगातार मुझे निहारे जा रही थी और मैं उन्हें!
जब वो कपड़े देकर कमरे से बाहर जा रही थी, तब अचानक पता नहीं कैसी उत्तेजना की लहर हम दोनों के शरीर में दौड़ी कि बिना कुछ कहे कुछ ही सेकण्ड्स में हम एक दूसरे से चुम्बक की तरह चिपक गए। हम एक दूसरे को अपने अंदर समा लेना चाहते थे।
आमने सामने से चिपकने के बाद मैंने उन्हें पीछे से दबोच लिया पर मेरी मेरी हाइट ज्यादा होने के कारण मुझे बहुत झुकना पड़ रहा था और उनसे सही से चिपक नहीं पा रहा था तो मैं वहीं फर्श पर पालथी मार का बैठ गया और भाभी को भी अपनी गोद में पीठ अपनी तरफ करके बैठा लिया। बैठते वक्त मेरा टॉवेल फैल गया और लंड बाहर निकल आया.
भाभी उसी पर बैठ गई. बैठते ही थोड़ा उचकी पर पोजीशन सेट करके मैंने वापस गोद में जकड़ लिया.
फिर शुरू हुआ चुम्बनों का सिलसिला!
उनके बारिश में भीगे बाल गालों और गले से चिपके हुए थे। मैं उन पर चुम्बनों की बौछार कर रहा था और मेरे हाथ उनके बूब्स मसल रहे थे. मेरे हाथों के ऊपर हाथ रखकर वो अपनी उत्तेजना को नियांत्रित करने की नाकाम कोशिश में लगी हुई थी।
बैठे बैठे ही मैंने उनकी गाउन कमर तक खिसका दी थी। पीठ गले और गालों पे किस करने के बाद हमारे होंठ आपस में मिल गए, वो अपना चेहरा पीछे मोड़ कर और मैं उनके चेहरे पर झुक कर न जाने कितनी देर तक किस करते रहे.
तभी मेरा दायां हाथ उनकी पैंटी में उतर गया। अंदर कामरस से भीगी चिकनी हुई चूत पर मैंने उंगलियाँ फेरनी शुरू की और भाभी मचलने लगी।
मैंने गले, गर्दन, होंठ बूब्स और चूत पर चौतरफा हमला बोल दिया था। हम दोनों पागल हुए जा रहे थे।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#43
फिर थोड़ा रुककर भाभी को गाउन उतार कर बेड पर सीधे लिटा दिया। उनकी खूबसूरती देखने लायक थी.

मैं उनके ऊपर चढ़कर फिर उन्हें चूमने लगा।
चूमते हुए मैंने नीचे सरकना शुरू किया। माथा गाल, आंखें, होंठ से सीने पे आया उनको दूधघाटी को चूमते मसलते हुए उनकी ब्रा खिसका दी और उनके बेहद ही ख़ूबसूरत बूब्स को चूसने और मसलने लगा।
वो भी मेरा सर अपनी छाती में दबा रही थी।
मैं उनके अंडरआर्म को चूस और चाट रहा था। पसीने की हल्की सी गंध परफ्यूम और साबुन की खुश्बू के साथ मिलकर मुझे पागल किये दे रही थी।
फिर नीचे खिसकते हुए मैंने उनकी पैंटी पर दस्तक दी।
बहुत हद तक पहले ही गीली हो चुकी पैंटी मैं सूंघ रहा था. यह वही पैंटी थी जिसे मैंने कई बार बाथरूम में सूंघा और लंड पे रगड़ा था।
आखिर पैंटी को भाभी के शरीर से जुदा होना पड़ा। इस दौरान मेरा तौलिया जाने कब मेरा साथ छोड़कर फर्श पे पड़ा था. अब हम दोनों एकदम नंगे एक दूसरे के सामने थे.
फिर मैंने भाभी की जांघों को चूमना शुरू किया। वो कसमसाने लगीं.
मैंने धीरे धीरे उनके पैरों को खोलना शुरू किया और मुझे वो दिख ही गया जिसके लिए मैं बेचैन था। एक संकरी से लकीर थी जो जांघें फैलाने पर खुलकर अपना जादू दिखाने पर आमादा थी; हल्का भूरापन लिये भाभी की चूत बहुत ही खूबसूरत लग रही थी।
मैंने बिना देर किए अपना मुंह उनकी चूत पर लगा दिया। तुरंत खुशबूदार साबुन से नहाने और कामरस की मिश्रित सुगन्ध मुझे पागल कर रही थी।
मैंने अपनी जीभ से उन्हें चोदना शुरू किया। वो पागल हुई जा रही थी, मेरा सर दोनों जांघों के बीच में घुसा लेना चाहती थीं। वो अपनी एड़ियां मेरी पीठ पर घिस रहीं थी। मैं जीभ को नुकीला कर के उनकी गांड के छेद से लेकर ऊपर चूत के दाने तक घिस रहा था. बीच में चूत का छेद का स्टॉप पड़ता तो उसमें जीभ थोड़ी लपलपा देता।
ऊपर मेरे दोनों फावड़े जैसे हाथ उनके स्तनों का मर्दन कर रहे थे. उनके निप्पल्स को मैं मटर के दाने जैसा तीन उंगलियों से मसल रहा था। इन सब के सामने भाभी ज्यादा देर न टिक पाई और नमकीन कसैली सी रसधार छोड़ दी जिसे मैं पूरा गटक गया।
उन्होंने अपना शरीर ढीला छोड़ दिया और मैं वापस उन्हें चूमता हुआ ऊपर की ओर बढ़ने लगा और बगल में लेट गया।
मेरा लंड छत की ओर तना हुआ था। मैंने उसे भाभी के हाथ में पकड़ा दिया। लंड पकड़ के वो मुझसे चिपक गई। फिर वो बेड के किनारे पैर नीचे करके बैठी और मैं अपना लंड उनके मुख के पास लेकर खड़ा था.
वो मेरा इशारा समझ गई पर उन्होंने नाक सिकोड़ कर मुँह में न लेने का इशारा किया।
मैंने जबरजस्ती नहीं की।
जो कामक्रिया स्वेच्छा से हो वही करनी चाहिए।
मैं फिर फर्श पर बैठ गया और उन्हें बेतरतीबी से सभी जगह चूमने लगा। हम दोनों का शरीर अब लंड और चूत का मिलन माँग रहे थे।
देर न करते हुए मैंने उनके पैर फैलाये और लंडराज को उनकी गुफा के मुहाने पर रख दिया। मध्यम ताकत के धक्के से मेरा लंड आधा उनकी चूत में घुस गया.
भाभी जान के मुख से प्यारी सी सिसकारी निकली ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
भैया दो महीने के लिए जाने से पहले उनकी अच्छी मरम्मत करके गए थे शायद।
एक और झटके के साथ मैंने पूरा लंड अंदर उतार दिया। फिर धकमपेल चुदाई का सिलसिला शुरू हुआ।
पता नहीं कितनी देर बाद हम दोनों देवर भाभी फ़ारिग़ होने को हुए। आंखें खोल कर एक दूसरे से इशारों में तय हुआ कि मैं उनके अंदर ही झड़ जाऊं।
कुछ धक्कों के बाद मैं झड़ने लगा, वो भी साथ ही आ गई ,फिर से एक दूसरे से को अपने अंदर समा लेने की कोशिश शुरू हुई। पता नहीं कितनी देर हम एक दूसरे में लिपटे पड़े रहे।
नज़र पड़ी तो घड़ी साढ़े दस बजा रही थी।
भाभी बोली- खाना बना लेती हूँ.
लेकिन मैंने बाहर ऑर्डर करके समय बचाने का सुझाव दिया।
वो मान गई।
मैंने ऑनलाइन ऑर्डर कर दिया और हम फिर प्यार करने में जुट गए।
थोड़ी देर में खाना आ गया, एक दूसरे को प्यार से खाना खिलाने के बाद फिर सेक्स का दौर शुरू हुआ.
और सच कहूँ दोस्तो … मुझे याद नहीं कि रात कब तक ये दौर चला।
सुबह नींद खुली तो भाभी भी नींद से जागी हुई थी पर बेड पर साथ में लेटी थी।
वो दो दिन शनिवार रविवार थे और हमने छुट्टी का पूरा लुत्फ उठाया। फिर अगले दो महीने तो मेरी बेरोकटोक मज़े थे.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#44
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#45
सीमा भाभी
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#46
सीमा भाभी के बारे में बता दूं … वो 40 साल की हैं. उनकी शादी उनसे 7 साल बड़े इंसान यानि मेरे भैया से 18 साल पहले हुई थी। तब वो मात्र 22 साल की थी।

गांव से होने के कारण शादी जल्दी कर दी थी।
26 की होते होते उनके दो बच्चे हो गए पर फिगर आज भी गजब का मेन्टेन किया हुआ हैं। उनका फिगर है 34-32-36 ना दुबली और ना मोटी … हाइट होगी 5’4″
एकदम किसी हीरोइन की तरह बिलकुल कसा हुआ शरीर, देखकर कोई नहीं बोल सकता कि वो 40 की हैं, वो अब भी 30 की लगती हैं।
एक मात्र देवर ही होने की वजह से वो मुझसे काफी बातें किया करता थी. पर भैया को यह सब पसंद नहीं था तो भाभी ने मुझसे बात करना कम कर दी थी।
जब भी हम किसी पारिवारिक कार्यक्रम में मिलते तो हम दोनों बात करने का कोई मौका नहीं छोड़ते और खूब हंसी मजाक करते। पर भैया थोड़े पुराने विचारों के है तो उनके आते ही भाभी इधर उधर हो जाती।
भाभी के पास मेरा नंबर हैं तो मौका मिलते ही बात कर लेती हैं।
भाभी की बड़ी लड़की हैं आशिमा … उसने कुछ कंपीटिटिव एग्जाम के फार्म भरे थे आगे की पढ़ाई के लिए। एक एग्जाम का सेंटर मुम्बई आया पर भैया ने मना कर दिया।
लेकिन आशिमा जिद पर अड़ गयी कि उसे यह परीक्षा तो देनी ही है।
भैया ने मुझे फ़ोन पर सारी बात बताई तो मैंने कहा- आप लोग आ जाओ, मैं यहाँ सब देख लूंगा।
कुछ दिन सोचकर भैया ने टिकट बुक कर लिए और मुझे बता दिया। मैं बहुत खुश हुआ क्योंकि भाभी भी आ रही थी।
आने के 2 दिन पहले भैया का फ़ोन आया कि उनकी मेडिकल की दुकान के दूसरे पार्टनर की तबियत अचानक खराब होने के कारण वो नहीं आ रहे हैं पर भाभी और आशिमा को भेज रहे हैं।
मैं मन ही मन बहुत खुश हुआ और बोला- भाई, आप परेशान न हों! मैं भाभी और आशिमा को स्टेशन लेने चला जाऊंगा और एग्जाम का भी देख लूंगा.
उसके बाद में बेसब्री से भाभी के आने का इंतजार करने लगा।
मैं उन दोनों को लेने स्टेशन चला गया और लेकर फ्लैट पर आ गया। थोड़ी देर बात करने के बाद भाभी फ्रेश होने चली गयी और मैं आशिमा से बात करने लगा। वो भी एक चुदाई लायक माल लग रही थी। मैं कभी उसके होंठ तो कभी उसकी चूची देख रहा था।
तभी भाभी आयी और आशिमा से बोली- तू भी फ्रेश हो ले, मैं नाश्ता बना लेती हूं।
आशिमा अपने कपड़े लेकर फ्रेश होने चली गयी।
उसके आने के बाद हमने नाश्ता किया। मैं भाभी से बोला- मैं नहा कर आता हूँ तब तक आप आराम कर लो।
भाभी बोली- ठीक है!
और वो दूसरे कमरे में जाकर लेट गयी। आशिमा अपनी परीक्षा का पढ़ने लगी।
मैं बाथरूम में गया और वहाँ भाभी की ब्रा और पैंटी देखकर मुठ मारने की सोची।
मैंने भाभी की ब्रा को मुंह में दबाया और पेंटी को अपने लंड पर लपेट कर मुठ मारी। फिर मैंने बाथरूम साफ कर नहाया और बाहर आकर टीवी देखने लगा।
शाम को भाभी ने मुझसे पूछा- खाने में क्या बनाना है?
मैंने कहा- जो आपको ठीक लगे!
फिर मैंने भाभी को खाने का सामान लेकर दिया।
रात के खाने के बाद आशिमा अपनी पढ़ाई करने लगी; मैं और भाभी दूसरे कमरे में बैठकर बातें करने लगे।
भाभी ने मुझसे पूछा- तलाक के बाद आपको कभी अकेलापन नहीं लगा?
भाभी के इस प्रश्न ने मुझे अपनी शादी के वो 3 साल याद दिला दिए जिसमें शुरू के 6 महीने तो अच्छे थे और बाद के बहुत ही खतरनाक।
मैंने भाभी से कहा- उससे तो यह जिंदगी बेहतर है।
भाभी भी बोली- बात तो सही है; पर हर कोई एक जैसा नहीं होता। दूसरी शादी के बारे में कुछ सोचा?
मैंने कहा- नहीं, पर अब मैं शायद ही शादी करूँगा।
भाभी बोली- क्या हुआ? इतना क्यों सोच रहे हो? कर लो शादी।
मैंने भी मजाक किया- है कोई आपके जैसी?
और हम दोनों हँसने लगे।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#47
अगली सुबह आशिमा की परीक्षा थी तो हम लोग जल्दी ही निकल गए घर से! हालांकि उसका परीक्षा केंद्र घर के पास ही था।

उसकी परीक्षा हाल में जाते ही मैंने भाभी से कहा- परीक्षा खत्म होने में 3 घंटे बाकी हैं, तब तक हम घर होकर आते हैं।
भाभी बोली-ठीक है!
और हम घर आ गए।
घर आकर भाभी बोली- खाना बनाने के लिए कुछ सामान चाहिए, ला दो!
मैं ‘ठीक है’ बोलकर चला गया और सामान लेकर वापस आया।
मेरे पास घर की एक चाबी हमेशा रहती है तो मैं उससे दरवजा खोलकर आ गया।
समान रसोई में रखकर अंदर गया तो रूम का दरवाजा थोड़ा खुला हुआ था। मैंने अंदर देखा तो भाभी सिर्फ ब्रा पेंटी में खड़ी थी, वो नहा कर बाहर आई ही थी।
मैं उनके नंगे जिस्म को निहार रहा था.
जब भाभी बाहर आने को हुई तो में चुपचाप रसोई में चला गया और सामान जमाने लगा।
भाभी ने पूछा- तुम कब आये, पता ही नहीं चला?
मैंने बड़े आराम से कहा- बस अभी आया।
भाभी बोली- ठीक है, तुम नहा लो, मैं चाय बना लेती हूँ।
मैं ‘ठीक है’ बोलकर नहाने चला गया और बाथरूम में जाकर भाभी के जिस्म का सोच कर मुठ मारी और नहा कर बाहर आ गया।
फिर भाभी और मैंने चाय पी और कुछ इधर उधर की बातें की।
रात को खाने के बाद में टीवी देख रहा था और भाभी रसोई में काम निपटा रही थी। उसके बाद भाभी आशिमा को देखने रूम में चली गयी।
थोड़ी देर बाद भाभी बोली- आशिमा सो गयी है. तुम टीवी बंद करो, चलो कुछ बात करते हैं, ऐसा मौका बहुत कम मिलता है।
मेरे सामने अभी भी भाभी का ब्रा-पेंटी वाला लुक आ रहा था।
मैं बोला- ठीक है।
और टीवी बंद कर दिया।
हम बातें करने लगे.
भाभी फिर मुझसे बोली- मुझे ऐसा लग रहा है कि तलाक के बाद तुम बहुत अकेलापन महसूस कर रहे हो।
मैंने कहा- ऐसा कुछ नहीं है, सारा दिन तो आफिस में चला जाता है। और बाकी टाइम दोस्तों के साथ।
भाभी बोली- मैं उस सबकी बात नहीं कर रही।
मुझे थोड़ा सोचने में समझ आया कि भाभी क्या बोलना चाह रही हैं। फिर भी मैंने पूछा- तो फिर आप किसकी बात कर रही हैं?
वो कुछ न बोली, बस चुप रही।
मैंने फिर पूछा- बोलो न भाभी, आप क्या बोल रही थी?
सीमा बोली- नहाने से पहले बाथरूम में क्या कर रहे थे?
मेरी तो हालात खराब हो गयी।
मैं बोला- सॉरी भाभी में वो बस!
बोल के में चुप हो गया।
सीमा भाभी बोली- और कल जो हरकत तुमने मेरे कपड़ों के साथ की उसका क्या?
वो आगे बोली- तुमने बाथरूम तो साफ कर दिया था पर मेरे कपड़े ठीक से साफ नहीं किये थे। मुझे कल ही शक हो गया था तो आज जब तुम नहा रहे थे तो चेक करने आयी थी। तुम इतने मस्त हो गए कि दरवाजा बन्द करना भूल गए।
मैं कुछ नहीं बोला, बस सीमा की सुनता रहा और करता भी क्या।
थोड़ी देर बस शांति रही, फिर मैं ही बोला- सॉरी भाभी … पर प्लीज किसी मत बोलना!
सीमा बोली- वो बात नहीं है … तुम समझ नहीं रहे हो।
मैं बोला- मैं आपको बहुत मानता हूँ भाभी! आप बोलो बस?
वो बोली- तुम अपने आप को क्यों इस तरह बर्बाद क्यों कर रहे हो, शादी क्यों नहीं कर लेते?
मैं बोला- हम कल बात कर चुके हैं. और मैं कोई बात नहीं करना चाहता। केवल इस सब के लिए मैं अपनी जिंदगी फिर से खराब नहीं करूँगा।
भाभी थोड़ा गुस्सा होकर बोली- और जो तुम ये सब कर रहे हो? उससे भी तो जिंदगी खराब ही हो रही है, जैसे मेरी हो रही है।
मैं बोला- क्या बोला आपने? आपकी जिंदगी कैसे खराब हो रही है?
सीमा को लगा कि वो कुछ ज्यादा बोल गयी, वो संभालते हुए बोली- कुछ नहीं … मैं ऐसा कुछ नहीं बोली।
मैंने फिर थोड़ा जोर देकर बोला- नहीं … आपने कुछ तो बोला, बताओ ना क्या बात है।
फिर सीमा बोली- तुम तो जानते ही हो कि तुम्हारे भैया मुझसे 7 साल बड़े हैं। हमारा बेटा यश होने के बाद उनके जोर देने पर मैंने अपना आपरेशन करवा लिया ताकि मैं पुनः माँ न बन सकूं। उसके कुछ साल तक तो सबकुछ ठीक चला. पर अभी कुछ महीनों से कुछ भी ठीक नहीं चल रहा।
मैंने आगे पूछा- ऐसा क्या हुआ भाभी?
सीमा बोली- आजकल कुछ उखड़े से रहते हैं, दुकान से आने के बाद भी जल्दी सो जाते हैं। न ही कुछ बात करते हैं और न ही …
मैं समझ गया कि सीमा भाभी आगे क्या कहना चाहती थी पर मैंने भी पूछ ही लिया- न ही क्या भाभी?
सीमा बोली- अब इतने भी नादान न बनो! कुछ बातें बताने की नहीं होती समझने की भी होती हैं.
कुछ देर हम कुछ ना बोले.
फिर सीमा ही बोली- अब बर्दाश्त नहीं होता मयंक!
मैं बोला- जो भी दिल में हो साफ साफ बोल दो भाभी, मैं वादा करता हूँ कि यह बात हम दोनों के बीच ही रहेगी।
सीमा ने मेरी आंखों में देखा और उसे ये विश्वास हो गया कि मैं वाकयी भरोसे के लायक हूँ।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#48
थोड़ा सोचने के बाद सीमा बोली- वो मुझे शारीरिक संतुष्टि नहीं दे पाते.

और वो चुप हो गयी।
मैं समझ गया कि वो बहुत भूखी हैं पर मैं चुप रहा.
वे थोड़ी देर बाद बोली- एक बात बोलूं मयंक?
मैंने पूछा- क्या भाभी?
सीमा बोली- जब तक मैं यहाँ हूँ; क्या तुम मुझे …
इतना बोल कर सीमा ने मुझे किस कर दिया।
अब मैं कहाँ रुकने वाला था, मैंने भी सीमा को एक लंबा किस दिया और दूसरे बैडरूम में ले गया।
फिर मैंने सीमा के कपड़े निकाल दिये और उसे सिर्फ ब्रा और पेंटी में बेड पर लिटा दिया और खुद सिर्फ अंडरवियर में आ गया।
बेड पर भी मैंने भाभी को बहुत किस किये, फिर उसकी ब्रा निकाल दी।
वाह क्या बोबे थे … देखकर मेरा 7″ का बाबू खड़ा होने लगा और मैं उनके बोबे चूसने लगा।
फिर मैंने उनकी पेंटी भी निकाल दी. क्या चूत थी … एकदम साफ … मजा आ गया देखकर।
जैसे ही मैं उनकी चूत चाटने के लिए झुका, वो बोली- क्या कर रहे हो मयंक?
मैं बोला- क्यों … भैया ने कभी नहीं किया क्या?
वो बोली- नहीं!
मैंने बोला- आज देख लो भाभी कि इसमें कितना मजा आता है.
यह बोल कर मैं भाभी की चूत चाटने लगा.
उम्म्म्म … क्या स्वाद था।
मेरे चाटने से सीमा को भी मजा आने लगा और उनके मुख से सीत्कारें निकलने लगीं ‘एयेए … आआह … ऑश सीईई!
थोड़ी देर उसकी चूत चाटने के बाद उसका पानी निकलने लगा जिसे मैंने मजे से पी लिया।
फिर मैंने भाभी को अपना लंड चूसने को बोला तो वे मना करने लगी, बोली- ये सब अच्छा नहीं है.
मैंने उसे अपने मोबाइल में वीडियो दिखाया और समझाया कि ऐसा कुछ नहीं होता.
तब भाभी मान गयी और मेरा लंड चूसने लगी।
वाह … क्या मजा आया।
अब सीमा मुख से लंड निकाल कर बोली- बस यही सब करना है या आगे भी बढ़ोगे?
मैंने भाभी को बेड पर लिटा दिया।
वो बोली- मयंक, आराम से करना, तुम्हारे भैया का तुमसे छोटा है।
मैं समझ गया था कि मुझे क्या करना है।
मैंने सीमा को बेड पर लिटा के पहले उनके होंठों पर फिर चूत पर एक किस दी. अपने लंड को भाभी की चूत के छेद पर रखकर एक जोरदार झटका दिया. जिससे मेरा आधा लंड अंदर चला गया.
इससे पहले की सीमा के मुँह से कुछ निकलता, मैंने अपने हाथ से उसका मुँह बंद कर दिया।
पर भाभी की आँखें सब कुछ बोल गयी।
मैंने उनके मुँह से अपना हाथ हटाया और भाभी को किस करने लगा और साथ ही उनके बोबे सहलाने लगा।
जब वो थोड़ी ठीक हुई तो मैंने पूछा- ठीक हो?
वो बोली- जान ही निकल दी! बोला था ना आराम से करना!
मैं बोला- सॉरी भाभी … बस एक बार और … फिर कोई तकलीफ़ नहीं होगी।
और मैंने दूसरा झटका दिया और पूरा लंड अंदर।
सीमा ने जैसे तैसे उसे सहा और उसके मुँह से सी … उम्म्ह… अहह… हय… याह… उई की आवाज़ निकल गयी। सीमा भाभी की चूत रस से भर गई थी और छप छप कर रही थी.
भाभी अब मस्ती में मचल रही थी और मैं उन्हें ज़ोरदार चोदे जा रहा था।
सीमा मस्ती में चिल्ला रही थी- हाय … ई … उई … सी … मर गई जालिम … फाड़ डाली उफ़ … क्या मोटा लंड है. पूरा अन्दर घुसा डाला … अह्ह्ह … उह्ह्ह … सी … हां!
थोड़ी देर बाद भाभी पूरी मस्ती में मुझ से लिपट गई, उनकी चुचियां मेरे सीने में दब गईं.
मैं समझ गया कि सीमा भाभी झड़ चुकी हैं,
पर मेरा अभी बाक़ी था।
मेरे धक्के और दस मिनट चले. इस बीच सीमा और दो बार झड़ चुकी थी और थक गयी थी।
मैं बोला- भाभी, मेरे निकालने वाला है.
सीमा बोली- हाय राम मयंक … निकाल दे ना अपने लंड का रस … मेरी चूत में जल्दी से! सी … उई अह्ह्ह … हां मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा है … मेरी चूत भी पानी छोड़ रही है यार.
मैंने भाभी को अपनी बांहों में भर कर उसकी चूत की जड़ में पिचकारी मार दी. भाभी भी मेरे साथ फिर से झड़ गई.
हम दोनों एक दूसरे की बांहों में लिपटे हुए कुछ मिनट तक ऐसे ही चूमते रहे.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#49
एक साथ 5-6 गरमागरम कहानियों ने दिल खुश कर दिया।
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#50
(06-06-2022, 11:05 PM)bhavna Wrote: एक साथ 5-6 गरमागरम कहानियों ने दिल खुश कर दिया।

Angry Angel Angel Namaskar Angel Angel Angel Angry
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भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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