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Adultery भाभी
#1
भाभी

जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#2
क्यों न गांव घूम कर आया जाए?
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#3
(06-06-2022, 05:11 PM)neerathemall Wrote:
क्यों न गांव घूम कर आया जाए?

Shyयह सोच कर मैं पांच दिन की छुट्टी लेकर गांव के लिए निकल गया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#4
मेरा पहला दिन तो आराम करने में ही बीता. सफर की थकान जो निकालनी थी। दूसरे दिन जब सुबह उठा तो जल्दी से नहा-धो कर आस पास के घरों में मिलने जा पहुँचा। कुछ घरों में गांव वालों से मिलने के बाद एक घर मे पहुंचा. वहां एक भैया-भाभी अपने बच्चों के साथ रहते थे।

आंगन में पहुंचने के बाद मैंने भाई को आवाज लगाई तो भाभी ने जवाब दिया- देवर जी अभी घर में कोई नहीं है इस वक्त. मैं यहां हूं गुसलखाने में।
मुझे अंदाजा हो गया कि भाभी वहां कपड़े धो रही थी। गुसलखाने से फट-फट कपड़े जमीन पर लगने की आवाज आ रही थी.
मैंने कहा- भाभी वहीं आ जाऊं क्या मिलने?
“हां जी, आ जाओ.” भाभी ने पलट कर जवाब दिया.
मैं वहां पहुँचा, मैंने भाभी को नमस्ते की तो देखा भाभी दरवाजा खोल कर कपड़े धो रही थी। उनका पल्लू नीचे खिसक गया था औऱ उनकी चूचियों की घाटी साफ दिख रही थी। उनकी बड़ी-बड़ी चूचियाँ अच्छी लग रही थीं। मेरी नजर तो वहां से हट ही नहीं रही थी। भाभी बड़ी मस्त माल लग रही थी।
उनके हाथ कपड़ों पर ऊपर नीचे चलने के कारण उनकी चूचियाँ भी ऊपर नीचे हो रही थी। मेरी नजर तो वहां से हिलने का नाम ही नहीं ले रही थी। भाभी ने मुझे उनकी चूचियाँ घूरते देख लिया।
“देवर जी ध्यान कहाँ है, क्या देख रहे हो”? भाभी ने मेरे मन को टटोलने के इरादे से पूछा.
मैंने कहा- भाभी आज बहुत दिनों बाद नींबू देखे हैं, उन्हें चूसने का दिल कर रहा है।
भाभी मुस्कुराने लगी। भाभी भी मुझ से मजे लेने लगी।
बोली- देवर जी, नींबू का पेड़ भाई साहब का है। उन से पूछ लो और नींबू चूस लो।
मैं- ना जी, हम तो पेड़ से ही पूछेंगे। वो अपने नींबू चुसवायेगी या नहीं।
जब मैं छोटा था तो उन भाभी के घर पर ही रहता था। बहुत बार मैंने उन्हें किस भी किया था और उनके मम्में भी दबाये थे. लेकिन ये सब बहुत पहले की बात थी। आज तो मैं एक लण्ड धारी, चूत का पुजारी बन चुका था।
थोड़ी देर के हँसी मजाक के बाद उनके कपड़े धुल गए।
वो बोली- आपके भाई साहब तो बाजार गए हैं और अभी बच्चे भी स्कूल चले गए हैं। सभी से बाद में आकर मिल लेना। चलो अब मैं नहाने जा रही हूँ।
मैंने कहा- भाभी मैं नहला दूं क्या? आप भी क्या याद रखोगी, देवर ने नहलाया है।
वो बोली- नहीं, तुम बड़े बेशरम हो गए हो; अभी जाओ यहाँ से।
मैंने कहा- अच्छा चलो तुम नहा लो, फिर बातें करेंगे। अभी सभी लोग व्यस्त हैं, कोई भी घर पर नहीं है। बोर हो जाऊंगा मैं. आप से ही बातें कर लेंगे।
भाभी ने कहा- ठीक है, फिर तुम बैठो. मैं नहाकर आती हूं।
मैं बाथरूम के सामने ही कुर्सी लगा कर बैठ गया।
भाभी- अरे यहां क्यों बैठे हो? बरामदे में बैठो न?
मैंने कहा- भाभी आप नहा लो न। नहलाने तो आप दे नहीं रही हो। तुम्हें नहाते हुए ही देख लूं।
“हट बेशर्म!” भाभी ने झेंपते हुए जवाब दिया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#5
मैं- भाभी प्लीज़, बहुत दिन हो गए हैं किसी को नहाते हुए नहीं देखा। तुमसे दूर तो बैठा हूँ. प्लीज मजे लेने दो न मुझे।

भाभी- अरे जाओ … कोई देख लेगा तो मेरी बड़ी बदनामी होगी।
मैं- अरे भाभी जी अभी कौन सा कोई है घर में या आस-पास? भाई भी 3 घंटे बाद ही आएंगे। बच्चे तो शाम से पहले आते नहीं। आप नहाओ न, कोई नहीं आता।
थोड़ी देर मनाने के बाद भाभी मान गयी। उन्होंने अपने कपड़े उतारने शुरू किए। साड़ी और ब्लाऊज उतार कर अलग किया. फिर ब्रा-पेंटी भी उतार दी. लेकिन उससे पहले उन्होंने अपने पेटीकोट को अपनी चूचियों पर ले जाकर बांध लिया। ये सब करते समय उनकी पीठ मेरी तरफ थी. फिर भाभी नहाने लगी।
मैंने कहा- भाभी मेरी तरफ देख कर नहाओ, ऐसे तो बिल्कुल भी देखने में मजा नहीं आ रहा है।
वो मुस्कराते हुए मेरी तरफ मुड़ गयी और अपने जिस्म पर साबुन लगाने लगी।
मैंने कहा- भाभी मैं लगा दूँ क्या?
वो बोली- नहीं बस सामने से देखते रहो. मैं खुद लगा लूंगी।
उन्होंने अपने ऊपर पानी डालते हुए कहा।
मैंने कहा- भाभी सामने से कुछ भी दिख कहां रहा है? सब तो पेटिकोट में छिपा है।
वो बोली- हट बेशर्म, ऐसे ही देखना है तो देखो, वरना जाओ।
वो फिर नहाने लगी। मुझे उन्हें देखने में मजा आ रहा था। अब तो उनका पेटिकोट भी पूरा भीग चुका था। उनकी चूचियों व चूतड़ों की शेप साफ नजर आ रही थी। धीरे-धीरे मेरा लण्ड खड़ा होने लगा। मैं उसे पाजामे के ऊपर से ही सहलाने लगा।
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#6
मैं- भाभी सभी जगह साबुन लगा कर खूब रगड़ो, नहीं तो कुछ जगह गंदी रह जायेगी।

भाभी- क्या मतलब है तुम्हारा?
मैंने कहा- भाभी जहां पेटिकोट बांधा है उन नींबुओं पर और पेटिकोट के अंदर भी हाथ मार लो। अगर तुमसे नहीं हो रहा है तो मैं आ जाता हूँ।
भाभी ने नजरें नीचे किये हुए मेरी तरफ देखा. मेरा हाथ मेरे लंड पर चल रहा था. मैं देख रहा था कि उन्होंने मुझे लण्ड सहलाते हुए देख लिया।
वो बोली- नहीं मैं खुद कर लूंगी. ज्यादा होशियारी न दिखाओ।
अब भाभी दूसरी तरफ घूम कर पेटीकोट के अंदर हाथ डालकर साबुन लगाने लगी। अब मेरी तरफ उनकी गांड आ गयी। गीले कपड़े में भीगी हुई भाभी की मोटी गांड साफ-साफ दिख रही थी। क्या मस्त गांड थी उनकी. अब मुझ से सहन नहीं हो पा रहा था.
लण्ड अब मेरे कंट्रोल में नहीं था। वो झुक कर अपनी चूत में साबुन लगाने में मस्त थी। मैं चुपके से अंदर घुस गया। साथ में पाजामा और अंडरवियर भी उतार लिए। वो तो झुकी हुई थी और पीछे से मैंने अपना लण्ड उनकी उभरी गांड पर टिका दिया।
वो अचानक से हुई मेरी इस हरकत से घबरा गई और मेरी तरफ घूमी. मुझे अंदर पाकर बोली- अंदर क्यों आ गए! जल्दी निकलो बाहर। अगर किसी को पता चल गया तो बड़ी बदनामी हो जाएगी। मेरी ही गलती थी जो मैंने तुम्हारे सामने नहाने को हां कह दी थी।
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#7
मैं- भाभी आपकी इतनी मस्त गांड देखकर रहा नहीं गया। देखो मेरा ये औजार कैसे खड़ा हो गया है। वैसे भी अभी किसी के आने का डर नहीं है। कोई नहीं आएगा। बस मजे लो और मुझे भी जरा मजा लेने दो।

वो बोली- नहीं-नहीं, निकलो यहां से.
मगर भाभी की नजर मेरे लण्ड पर ही थी। मैंने उन्हें चूमना शुरू कर दिया। अपना लण्ड जबरदस्ती उनके हाथों में दे दिया और खुद उनकी चूचियाँ दबाने लगा। थोड़ी सी ना नुकर के बाद वो ढीली पड़ गयीं और मेरे चूमने का मजा लेने लगी। मैंने भी मौका देख कर पेटिकोट का नाड़ा खींच डाला। उनका पेटिकोट एक ही झटके में नीचे गिर गया।
उन्होंने उसे गिरने से रोकने की एक असफल कोशिश की पर नाकाम रहीं। अब वो नंगी मेरे सामने खड़ी थी। मैंने फटाफट गुसलखाने का दरवाजा बन्द किया और लाइट जला ली।
भाभी का नग्न जिस्म देखते ही लण्ड का और बुरा हाल हो गया। मैं उनके होंठ चूसते हुए चूचियाँ सहलाने लगा। वो मेरे लण्ड पर हाथ चला रही थी।
मैंने अपना एक हाथ नीचे ले जाकर उनकी चूत सहलानी शुरु की। अब चूत पानी छोड़ने लगी तो मैं उसमे उंगली करने लगा। चूत तो गीली थी ही. मेरे उंगली करने से भाभी का भी बुरा हाल हो गया।
उन्होंने मुझे कस कर पकड़ लिया औऱ बोली- देवर जी, तुमने मुझे बहका दिया अब और मत तड़पाओ और डाल दो अपना ये गर्म हथियार मेरी चूत में। अब सहन नहीं होता।
मैंने भाभी को घुमा कर झुका लिया. वो कुतिया बन कर मेरे सामने झुकी थी। मैं भी ज्यादा ही उत्तेजित था तो लण्ड उनकी चूत पर रगड़ने लगा। जैसे ही वो उनके ही पानी से गीला हुआ भाभी ने खुद लण्ड पकड़कर अपनी चूत के मुंह पर रख दिया और कमर को पीछे की ओर लाने लगी ताकि लण्ड उनकी चूत के अंदर घुस सके।
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#8
अब दोनों का एक जैसा हाल था। मैंने भी उनकी कमर को पकड़ा और एक ही झटके में उनकी चूत में अपने लण्ड को पूरा उतार दिया। उनकी उम्म्ह… अहह… हय… याह… निकल गयी।

बस फिर अब क्या था. मैंने दोनों हाथों से उनकी चूचियाँ मसलनी शुरू की और दनादन धक्के देने लगा। बहुत दिनों बाद चूत में लण्ड जा रहा था तो बड़ा मजा आ रहा था। चंडीगढ़ जाने के बाद तो मेरे लिए जैसे चूत का अकाल ही पड़ गया था। वहां की सारी कसर मैं अभी भाभी की चूत में निकाल रहा था।
भाभी की चूचियों को पकड़ पर भींचते हुए मैं अपने लंड को भीगी हुई गीली भाभी की चूत में पेलने लगा. मेरे मुंह से कामुक सीत्कार फूटने लगे. बहुत दिनों के बाद ऐसी देसी चूत की चुदाई करने का मौका मिला था. गांव की चूतों को चोदने का मजा ही कुछ और होता है दोस्तो.
मैं भीगी हुई सेक्सी भाभी की चूत में पेलम-पेल कर रहा था. गीली चूत होने के कारण फच्च-फच्च की आवाज निकल रही थी जो मेरी वासना को और ज्यादा बढ़ा रही थी.
इतनी मस्त भाभी की गीली चूत की चुदाई करने के कारण मैं भी भला कब तक अपने लंड पर काबू रख पाता. मन तो कर रहा था कि भाभी को काफी देर तक जम कर चोदूँ मगर चूत इतने दिन बाद मिली थी तो ज्यादा देर मैं रुक नहीं पाया. मगर अभी मैं किसी भी हाल में झड़ना नहीं चाह रहा था. इसलिए सोच रहा था कि लंड को बाहर निकाल लूं.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#9
किस्मत ने मेरा साथ भी दिया. मैंने देखा कि भाभी की चूत मेरे लंड को ऐसे लेने लगी थी जैसे बस वो झड़ने ही वाली है. उन्होंने मेरी गांड को पकड़ कर अपनी चूत में धक्के लगवाना शुरू कर दिया. मैं समझ गया कि भाभी की प्यास मुझसे ज्यादा बढ़ गई है.

जो हाल चंडीगढ़ में मेरा था, कुछ ऐसा ही हाल शायद भाभी का भी हो रहा था.
थोड़ी देर की रगड़ाई के बाद ही उनका पानी गिर गया. वो मेरे सामने से हट गई। उनके आगे होते ही लण्ड फच्च की आवाज के साथ चूत से बाहर निकल गया।
मैंने फिर उन्हें अपनी तरफ घुमाया और चूमना शुरू किया। मेरा लण्ड अब भी उनकी चूत पर रगड़ खा रहा था। थोड़ी देर बाद ही वो फिर गर्म हो गयी। मैंने उन्हें अपनी गोदी में उठा लिया और उनकी टांगें अपनी कमर में लपेट ली.
उन्होंने भी अपनी बांहें मेरे गले में डाल दीं और मेरे बदन पर झूल गयी. मैंने उनके चूतड़ों को उठा कर, अपने लण्ड को उनकी चूत के मुंह पर टिकाया. एक हल्के से झटके में ही एक फच्च की आवाज के साथ लण्ड उनकी चूत में उतर गया।
अब वो मेरे लण्ड पर झूला झूल रही थी। वो ऊपर से उछल-उछल कर कर लण्ड को पूरा अपनी चूत में अंदर तक ले रही थी। मैं नीचे से धक्के मार कर चुदाई का मजा ले रहा था।
वो भी पूरे मजे ले रही थी. इस आसन में पूरा लण्ड अंदर तक उनकी चूत में जा रहा था। मेरे हर झटके में उनकी आह निकल रही थी। मैं अब जोर-जोर से उन्हें चोदने लगा। कुछ देर बाद ही वो फिर अपना पानी छोड़ गई। अब मेरा पानी भी निकलने को बिल्कुल तैयार था।
जोरदार आठ-दस धक्कों के बाद ही मेरे लण्ड ने उनकी चूत में पिचकारी मारनी शुरू कर दी और अपने वीर्य से उनकी चूत लबालब भर दी। अब जाकर मेरे लण्ड को थोड़ा सा सुकून मिला था।
मैंने थोड़ी देर उन्हें अपने आप से चिपटाये रखा और उनके होंठों पर एक किस दे दी।
भाभी- अब तो छोड़ दो मुझे? अब तो कर ली ना तुमने अपने मन की। सारा रस भी मेरी चूत में ही भर दिया। अब इस उम्र में मुझे फिर से माँ बनाने का विचार है क्या तुम्हारा?
मैं- अरे भाभी, चिंता क्यों करती हो. मैं दवाई ला दूंगा. चुदाई का मजा तो माल अंदर डालने में ही आता है। आजकल के जमाने में सब जुगाड़ है। जम कर चुदाई के मजे भी लो और बच्चा होने का कोई डर भी नहीं होता।
मैंने उन्हें नीचे उतार दिया। उनकी चूत से मेरा औऱ उनका वीर्य बाहर निलकने लगा।
मैंने कहा- लो भाभी … चूत की सफाई तो मैंने अपने लण्ड से घिस-घिस कर कर दी. अब आप बोलो तो आपकी गांड भी इसी तरह साफ कर दूं?
भाभी फटाफट मुझसे अलग हुई, बोली- चलो अब बाहर जाओ जल्दी से, कोई आ जायेगा तो अनर्थ हो जाएगा। वैसे ही तुमने मेरी चूत की हालत खराब कर दी है। कहां मैं हफ्ते में एक बार तुम्हारे भाई से चुदती थी, तुमने तो अभी मुझे दो बार झड़वा दिया। अपने मूसल को अंदर तक पेल कर मेरी चूत को कहीं का नहीं छोड़ा।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#10
मैंने भी बाहर निकलने में ही भलाई समझी। फटाफट अपने कपड़े पहने और बाहर निकल कर बरामदे में कुर्सी डाल कर बैठ गया। भाभी भी नहाने लगी। थोड़ी देर बाद भाभी भी कपड़े बदल कर मेरे करीब ही बैठ गयी।

मैंने कहा- चलो भाभी, पहले चाय बना कर लाओ, फिर बातें करते हैं। दोनों थक जो गए हैं इतनी मेहनत करके। चाय से कुछ तो फुर्ती जागेगी।
भाभी चाय बनाकर ले आयी। मैंने चाय की चुस्की लेते हुए कहा- तो भाभी मजा आया कि नहीं मेरे लण्ड से चुदवाने में?
वो बोली- हां, मजा तो बहुत आया। मैंने तो कभी सोचा भी नहीं था कि कभी तुम्हारे भाई के अलावा किसी और से भी चुदूंगी। लेकिन अब डर भी बहुत लग रहा है।
“किस बात का डर भाभी जी?” मैंने पूछा।
वो कहने लगी- ये बात अगर किसी को पता चल गई तो?
मैंने कहा- अरे किसी को पता नहीं चलेगा. जब तक हम ही किसी और को न बात दें। मैं तो किसी को बताने से रहा … आप भी नहीं बताएंगी। बात हमारे ही बीच में रहेगी। फिर आप ही बताओ कि किसी और को क्या पता लगेगा कि हमारे बीच में कुछ ऐसा हुआ भी है?
भाभी मेरी बात से सहमत हो गई.
मैंने पूछा- अच्छा, अब कब मेरे लण्ड की सवारी करोगी? कल फिर आऊं क्या?
भाभी बोली- ना बाबा ना … अब तो एक हफ्ते तक मैं किसी से भी नहीं चुदवाऊंगी। मेरा अब मन नहीं है।
मैंने कहा- अच्छा जब भी मैं गांव आऊंगा तो मुझे अपनी चूत चोदने का मौका तो दोगी न?
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#11
वो बोली- हां क्यों नही … अगर मौका मिला तो जरूर दूंगी। चलो अब जाओ यहां से, मैं बहुत थक गई हूं. तुमने मुझे पूरा निचोड़ लिया है। अब थोड़ा मैं भी आराम कर लेती हूं।

मैंने भी उन्हें एक किस की और वापस अपने घर आ गया।
शाम को मैं मेडिकल स्टोर से उनके लिए दवाई ले आया और उन्हें इसे रात में ले लेने को बोलकर दे दी। थोड़ी देर के बाद भाभी के बच्चों से व भाई से बात-चीत करके मैं वापस अपने घर लौट आया।
मेरा वापस जाने का मन तो नहीं था मगर वापस तो जाना ही था. साथ ही इस बात की खुशी भी थी कि गांव की भाभी को मैंने पटा लिया था. अब कम से कम इतना जुगाड़ तो हो गया था कि जब भी मन करे मैं अपने लौड़े की प्यास को चूत चोद कर बुझा सकूं. मैं अपनी सफलता पर खुश था.
इस तरह गांव जाकर मेरी चूत मारने की इच्छा पूरी हो गयी। अभी मैं फिर चंडीगढ़ वापस आ गया हूँ। देखो, अब कब तक कोई मस्त माल मुझे अपनी प्यास बुझाने को अपने पास बुलाती है। मेरा लण्ड तो इसी आस-उम्मीद में है।
मुझे ज्यादा अच्छा उनकी सेवा करने में लगता है जो महिलाएं घर में अकेली रहती हैं या जिन्होंने तलाक ले लिया है. मैं समझ सकता हूँ कि ऐसी औरतों की चूत को लंड नहीं मिल पाता है.
Namaskar
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#12

सेक्सी भाभी को पब्लिक प्रोग्राम में चोदा

















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#13
(06-06-2022, 05:20 PM)neerathemall Wrote:

सेक्सी भाभी को पब्लिक प्रोग्राम में चोदा


















पिछले साल एक राजनैतिक पार्टी के प्रशिक्षण शिविर को कवर करने के लिए कंपनी ने मुझे राजगीर भेजा. बेहद ही सुन्दर मनोरम छटा वाला छोटा सा नगर राजगीर, जहां के एक बड़े अंतराष्ट्रीय हॉल में मीटिंग चल रही थी. मैं कम्पनी के कैमरे से अपने लिए जरूरी फोटोग्राफ्स उतार रहा था.
अचानक पहली पंक्ति में बैठी एक भाभी जी के ऊपर मेरी नजर पड़ी.
भाभी जी क्या माल थीं … मैंने ऊपर से नीचे तक भाभी के बदन का एक्स-रे कर दिया. भाभी का भरा पूरा बदन, बड़ी-बड़ी चूचियां मुझे पागल कर रही थीं.
मुझसे रहा नहीं गया. मैंने अचानक ही अपने कैमरे से भाभी का एक सिंगल फोटो ले लिया. भाभी जी ने मुझे फोटो लेते हुए देख लिया और पास में बुलाया.
भाभी के बुलाने से मेरी तो गांड फट रही थी कि कहीं डांट न दें.
लेकिन नजदीक जाने पर भाभी ने अपना पिक देखने के लिए मुझसे कहा.
मैंने कैमरे में उनकी फोटो को देखते हुए कहा- आपका पिक एकदम झकास आया है. भाभी जी माल लग रही हैं आप … आपके सामने तो लड़कियां भी कुछ नहीं हैं.
मुझे ये कहते समय लगा कि आज पिटाई पक्के में होगी.
लेकिन भाभी ने झेंपते हुए मुझसे कहा- मुझे ये फोटो कैसे मिलेगी?
मैंने कहा- मेल आईडी या व्हाट्सअप नंबर दे दीजिए, मैं आपका फोटो भेज दूंगा.
भाभी जी ने ओके कह दिया और कहा कि चलिए कुछ और फोटो निकाल लीजिएगा, फिर सारी एक साथ भेज देना.
उनकी इस बात से एकदम बिंदास हो गया और मैंने कहा कि कुछ रूमानी सी फोटो भी बढ़िया आएंगी. आप कुछ सहयोग कीजिएगा.
भाभी जी हंस दीं और उन्होंने अगले ही पल अपना आंचल ढुलका दिया. उनके रसीले संतरे मेरे भेजा गांडू किये दे रहे थे. मैंने कैमरे को उनकी चूचियों की क्लीवेज में सैट किया और दनादन कई शॉट्स ले लिए.
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#14
मैंने शॉट्स लिए और उनको अपने कैमरे की गैलरी में देखा, तो मेरा लंड खड़ा होने लगा.

तभी मेरी नजर भाभी जी की तरफ गई, तो वो बड़ी बेचैनी से मेरी तरफ देख रही थीं. उनको भी शायद कैमरे के रिजल्ट जानने की इच्छा थी.

मैंने अपने लंड पर हाथ फेरते हुए थम्ब का इशारा किया. तो वे फिर से हंस दीं.

इसी तरह से मैंने पहले दिन पूरे कार्यक्रम में उनकी कई फोटो खींची.

रात में जब खाना खाकर वापस अपने होटल पहुंचा, तो देखा होटल के रिसेप्शन के पास भाभी जी अपने रूम की चाभी ले रही थीं. भाभी जी ने अचानक सर घुमाया, तो मुझे उधर देखा.

भाभी जी पूछने लगीं- मिस्टर आप यहां कैसे?
मैंने कहा- भाभी जी मेरा नाम मिस्टर नहीं बल्कि करन है … और मैं तो इसी होटल में रुका हूँ.

अब तक हम दोनों एक तरफ को आ गए थे.

भाभी जी ने मेरा हाथ पकड़ते हुए कहा- कोई बात नहीं … मैं भी कम्पनी देने के लिए आ गई हूँ. मेरा नाम शालिनी है. वैसे मैं हूँ तो बिजनेसमैन की बीवी, लेकिन अकेली बोर होती हूँ, इसलिए समाजसेवा और राजनीति में अपना अपना टाइम पास करती हूँ.

उनके हाथ के स्पर्श से मैं चौंक गया था. क्योंकि भाभी जी ने अपनी एक उंगली से मुझे कुरेद कर वो इशारा दिया था, जो एक चुदासी औरत या लड़की देती है.

मैं भी उनका हाथ दबा कर उनकी कम्पनी देने के लिए ओके बोलते हुए कहा- आपको मुझसे निराशा नहीं होगी.
भाभी ने कहा- चलिए देखते हैं.

कुछ देर बात करने के हम दोनों अपने अपने कमरे की तरफ चल पड़े. संयोग से हम दोनों का रूम सटा हुआ था. मैंने अन्दर जाकर देखा, तो हम दोनों कमरा एक दरवाजे से अटैच था.

मैं अपनी तरफ से खोलकर भाभी के कमरे में फट से घुस गया. कमरे का नजारा देख कर मेरी आंखें फटी की फटी रह गईं. भाभी ब्रा और पेंटी में थीं और नाईट सूट पहनने ही वाली थीं.

मैंने पहले तो सोचा कि लौट जाऊं. फिर सोचा जब भाभी को इतना नंगी देख ही लिया, तो अब चूत और चूचियों का दर्शन भी करता चलूं.

मुझे आया देख कर शालिनी भाभी अपनी चूचियों को हाथों से ढकने लगीं.

मैंने कहा- शालिनी जी मैंने तो सब कुछ देख लिया, अब अपनी चूत और चुचियों का दीदार करा भी दो. आप कम्पनी देने की बात तो कह ही रही थीं, मेरी योग्यता को भी परख लीजिएगा.

उन्होंने एक बार मेरी तरफ देखा और दूसरी नजर कमरे के दरवाजे और खिड़कियों पर डाली. कमरे का दरवाजा तो बंद था, मगर एक खिड़की का पर्दा हल्का सा हटा हुआ था.

मैंने दौड़ कर सभी पर्दे ठीक किये और दरवाजे की कुंडी को चैक किया. फिर मैं घूमा ही था कि भाभी मेरे करीब खड़ी थीं. मैंने उनको अपनी बांहों में भर लिया. भाभी भी मुझसे लिपट गईं. ये सब इतना अनायास हुआ था कि हम दोनों अपने संतुलन खो बैठे और मैं भाभी को अपनी बांहों में लेते हुए बिस्तर पर गिर पड़ा.

अब एक तरफ मेरे हाथ उनकी चुचियों पर चल रहे थे, तो दूसरी तरफ उनका हाथ मेरे लंड को जांघिया के ऊपर से ही मसल रहा था.

भाभी अपने होंठों को मेरे होंठों पर रखते हुए चूसने लगीं. सब कुछ कंट्रोल से बाहर हो चुका था.
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#15
मैंने भाभी की ब्रा और पैंटी को निकाल फेंका.

इस वक्त भाभी चुदास से भर उठी थीं और उनके मुँह से एक ही बात निकल रही थी- आह फक मी … फ्क्क करन … फक मी … भोसड़ी वाले ने छह महीने से मुझे चोदा नहीं है … मेरी चूत प्यासी है, इसमें अपना लौड़ा डालकर मुझे जी भर कर चोद दो … आज मेरी प्यास बुझा दो करन.

हॉट भाभी मुझसे चुदने की आरजू विनती करती रहीं, लेकिन मैं उनको तड़पाने में लगा रहा. मैंने भाभी के होंठों का रसपान करते हुए, उनकी कठोर हो चली चुचियों को जी भर कर चूमा. फिर पेट पर उंगलिया फिराते हुए अपनी जीभ को भाभी जी की नाभि पर फेरते हुए उनकी वासना को बढ़ाता चला गया.

भाभी आपे से बाहर हो रही थीं. अभी मैं उनको चोदने के मूड में बिल्कुल भी नहीं था. मुझे अभी उनके चूत का दीदार करना बाकी था. चूत के उपरी हिस्से को खुदेरने से भाभी नागिन की तरह बल खाने लगीं. भाभी की चूत एकदम पावरोटी की तरह फूली हुई पहाड़ी थी. भाभी की चूत पर एक भी बाल नहीं था.

भाभी की चूत को ऊपर से नीचे की ओर चाटने के क्रम में मैंने अपनी जीभ भाभी की चूत में डाल दी. अन्दर का ज्वालामुखी एकदम किसी भट्ठी की तरह जल रहा था.

मैंने जीभ को जैसे ही भाभी की चूत में डाला, मुझे लगा कि मैं तृप्त हो गया.

भाभी ‘सिसिस्स. … सिस्स..’ करती रहीं. उनके मुँह से इस समय एक मदहोश और चुदास से गर्म औरत की मादक आवाजें भर निकल रही थीं.

फिर कुछ पल हॉट भाभी मादक अंगड़ाई लेते हुए उठ बैठीं और मेरा सर अपनी चूत में जबरदस्ती डालने लगीं. मुझे लगा कि मेरी सांसें रुक सी गईं.

इतने में भाभी की चुत ने पानी छोड़ दिया और वो निढाल होकर बेड पर गिर गईं. जबकि मैंने तो अभी काम भी नहीं शुरू किया था.

मैं भाभी को सेक्स के लिए तैयार करने में जुट गया. मैं उनकी चुचियों को मसलने लगा. इसी के साथ दूसरी तरफ भाभी के रसीले होंठों का रसपान भी करने लगा. मैंने अपने आपको भाभी के ऊपर लाद सा दिया. अपना सारा बोझ उन पर डाल भाभी को अपनी बांहों में लेकर बेतहाशा चुम्मों की बौछार लगा दी.

कुछ ही देर में भाभी की कामवासना जाग गई. अब भाभी ने देर न करते हुए मेरी चड्डी में से लंड महाराज को आजाद कर दिया. जैसे ही चड्डी नीचे की, लंड महाराज बाहर निकलते ही उनके चेहरे से जा टकराए.

मैंने भाभी से लंड चूसने को कहा. पहले तो मना किया, फिर लंड को लॉलीपॉप की तरह जमकर चुसाई करने लगीं. इस समय भाभी की आंखें एकदम नशीली हो चुकी थीं.

भाभी ने अपनी टांगें खोलीं और आंखों से ही अपनी चूत में लंड डालने का इशारा कर दिया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#16
मैंने भी देर न करते ही उनकी चूत में अपना लंड फंसाकर धक्का मारा, लेकिन फिसल गया. भाभी के मुँह से एक कराह सी निकली.

मैंने पूछा- भाभी, आपकी चूत तो एकदम कुंवारी सीलपैक की तरह है.
भाभी बड़बड़ाते हुए बोलीं- भोसड़ी का साला हरामी पैसे कमाने में ही लगा रहता है. मुझे चोदता ही कहां है … पिछले एक साल में सात बार ही चुद पाई हूँ. भैन का लौड़ा छह महीने से इस चूत में कोई लंड अन्दर ही नहीं गया है. अब तरसाओ नहीं … मुझे जल्दी से चोद दो. चोदकर भुर्ता बना दो मेरी चूत का.

मैंने शालिनी की चूत पर अपना थूक लगाया और अपने लंड पर उनको थूक लगाने कहा. इसके बदले शालिनी भाभी ने लंड चूसकर ही रसीला कर दिया.

मैंने गर्म लोहे पर हथौड़ा मारना सही समझा. भाभी की कमर के नीचे एक तकिया लगा दिया, जिससे चूत ऊपर सामने की तरफ दिख रही थी.

फिर मैंने अपना 6 इंच का लंड चूत के मुहाने पर रख एक ही झटके में जड़ तक पहुंचा दिया. बिन पानी की तरफ हॉट भाभी तड़पने लगीं ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
उनके मुँह से गालियों का अम्बार लग गया- आह बहन के लौड़े मैं कोई रंडी हूँ … जो इस तरह लौड़ा पेल दिया … धीरे चोद मादरचोद.

लेकिन मेरे ऊपर अब भूत सवार हो चुका था- रांड कहीं की … अपने खसम को छोड़ कर दूसरे के लंड से चूत चुदवा रही है, तो क्या सती सावित्री है … साली रंडी ही तो है … चल रंडी देख कैसे तेरी चूत के चीथड़े बनाता हूँ.

मैंने शालिनी भाभी की कमर के नीचे से तकिया को निकाला और उनको अपनी बांहों में लेकर ताबड़तोड़ चुदाई करने में लग गया.

पहले दर्द में गालियां देने वाली भाभी अब मुझे प्यार से देखे जा रही थीं. शालिनी भाभी ने मुझे बांहों में भरते हुए अपने पैरों से बांध लिया. इधर उनकी चूत में मेरा लंड ऐसे चल रहा था, जैसे लकड़ी को आरी काटती है, वैसे ही मेरा लंड उसके चूत में कोहराम मचाये हुए था. इसका जवाब भाभी कमर उठा-उठाकर दे रही थीं.

करीब पंद्रह मिनट के बाद मेरा लंड से वीर्य निकलने वाला था. मैंने कहा- मेरा होने वाला है … कहां डालूं?

भाभी ने मुझे जोर से पकड़ कर अपने से चिपका लिया. शायद वो मेरा पानी अपने चूत में लेना चाहती थीं. मैं समझ गया और ताबड़तोड़ चुदाई से भाभी को चोदने लगा. उनके चहरे पर एक ख़ुशी झलक रही थी. मुझे भी पहली बार किसी भाभी को चोदने का सौभाग्य प्राप्त हो गया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#17
(06-06-2022, 05:20 PM)neerathemall Wrote:

सेक्सी भाभी को पब्लिक प्रोग्राम में चोदा

















जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#18
yourock
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#19
बड़ी भाभी






जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#20
चोदना तो मैं भाभी को बहुत पहले ही चाहता था लेकिन परिवार की भाभी हैं इसलिए कुछ भी करने से डर लगता था. क्योंकि मुझे ऐसा लगता था कि उनके पति उन्हें नहीं चोदते या सही से नहीं चोदते. जो कि बाद में पता चला कि मैं सही था कि उनके पति ने उन्हें 10 साल से चोदा ही नहीं है।

आज वो सपना भी पूरा हो गया।
अब आपको इस कहानी की नायिका यानि कि अपनी भाभी के बारे में बताता हूँ। भाभी का नाम पायल (परिवर्तित नाम), उम्र 35 साल, हाईट 4’7″ फिगर 36-34-36, रंग साँवला है और भाभी के दो बच्चे भी है, लड़की 13 साल की और लड़का 10 साल का।
वो कहते हैं ना ‘मुहब्बत की ऐसी लगी बिमारी कि दो बच्चे की मां भी लगे कुँवारी!’
भाभी मेरे से 10 साल बड़ी हैं, मतलब हमारे खानदान की सबसे बड़ी बहू (भाभी) की चुदाई उनके सबसे छोटे देवर (मैंने) ने की।
हमारे घर से उनके घर की दूरी 1 किमी है।
मैं अपना नाम नहीं बताना चाहूंगा। मेरा लन्ड 5 इन्च का है, उम्र 25 साल है, और हम बरेली में रहते हैं।
यह घटना छः महीने पहले यानि जून 2019 की है, जब मेरे बीच वाले ताऊ जी की बेटी की शादी के लिए हम सबको शहर से बाहर जाना था।
लड़के वाले तो लोकल के ही थे लेकिन शादी बाहर जाकर करने का प्लान था उनका। हमने शादी में जाने के लिए मिनी बस कर रखी थी जिसमें मेरी और दोनों ताऊ जी की ही फैमिली ही जानी थी. बाकी रिश्तेदार सीधे वही पहुँचने थे।
आखिर शादी का दिन भी आ गया. सुबह ही हमें जाने के लिए निकलना था. ताऊ जी के घर पर ही बस लग गई थी, सब आ गए थे।
उस दिन भाभी बहुत ही अच्छी लग रही थी और उनके चेहरे पर कुछ अलग ही मुस्कान थी।
भाभी मेरे पास आकर मुझसे बाते करने लगी और मेरी पढ़ाई के बारे में पूछने लगी. हम बस में बैठने जा ही रहे थे कि उनका पैर मुड़ गया और उनको सम्भालने में मेरा हाथ उनके बूब्स पर चला गया. मेरा लन्ड भी उभार मारने लगा, उनका इस पर कोई रिएकशन नहीं था।
फिर हम सही हुए और वो मेरे लन्ड से टच होते हुए वो बस में जाकर बैठ गई। हम सब बस में बैठ कर चल दिए।
बस में बहुत बार मेरा हाथ उनके बूब्स पर और उनका हाथ मेरे लन्ड पर लग जाता था क्योंकि पानी और नाश्ता मैं ही सबको पकड़ा रहा था।
वहाँ पहुँच कर दिन के प्रोग्राम किए और पास में ही होटल था जो पूरा हमारे लिए ही बुक था. रूम में जाकर आराम किया, शादी के लिए तैयार होने शुरू हो गए.
मैं जल्दी तैयार हो गया था इसीलिए शादी वाली जगह पर चला गया।
थोड़ी ही देर में और सब भी आ गए.
जैसे ही मेरी नजर पायल भाभी पर पड़ी, मैं तो उन्हें देखता ही रह गया. क्या कयामत लग रही थी! उन्हें देखते ही मेरा लन्ड भी खड़ा हो गया.
वो रेड कलर के लहंगे में थी. मन कर रहा था कि इन्हें होटल में ले जा कर चोद दूँ। उनकी नजरों से ऐसा लग रहा था कि वो किसी को ढूँढ रहीं हों।
इतने में भाभी की नजर मुझसे मिली. वे मेरे पास आयीं और बोलीं- इतनी जल्दी क्यों आ गए आप? मैं आप को वहाँ ढूँढ रही थी।
मैं- जल्दी तैयार हो गया इसलिए! क्यों कोई काम था क्या?
भाभी- नहीं बस ऐसे ही।
मैं- वैसे अच्छी लग रही हो आप।
भाभी- थैंक्यू भईया।
इतना कह कर वो मेरे लन्ड से टच होती हुई निकल गईं।
मुझे आज उनके इरादे कुछ अलग ही लग रहे थे जैसे कि वो भी मुझसे चुदना चाहती हों।
फिर स्नैक्स खाकर और जयमाल की तैयारी थी. जयमाल का समय हो गया सब वहाँ पहुँच गए। पायल भाभी मेरे आगे ही खड़ी थी और वो अपनी गांड से मेरा लन्ड बार बार टच कर रही थी जिससे मेरा लन्ड खड़ा होने लगा. उन्हें भी इस बात का पता लग गया. वहाँ लोग भी ज्यादा ही खड़े थे जिससे ये सब किसी को भी पता नहीं चला।
इतने में भाभी ने मेरी तरफ देखा और मुस्करा कर बाथरूम की तरफ चल दीं।
बाथरूम बिल्कुल पीछे के हिस्से में था, मैं भी उनके पीछे पीछे चला गया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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