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स समय वहाँ पर कोई भी नहीं था। भाभी बाथरूम में घुसी और दरवाजा बन्द करने ही वाली थी कि इतने मैं दरवाजा आधा रोक कर और हिम्मत करके अन्दर घुस गया।
भाभी बोलीं- अरे देवर जी, ये लेडीज टॉयलेट है।
मैं- पता है।
भाभी- आज आप के इरादे भी कुछ ठीक नहीं लग रहे हैं?
मैं- इरादे तो आप के भी ठीक नहीं लग रहे हैं।
इतना कहते ही मैंने उनके होंठ पर अपने होंठ रख दिए इस पर उनकी कोई प्रतिक्रिया न देखते हुए मैंने उनके होंठ चूसने शुरू कर दिए. वो भी मेरा साथ देने लग गयीं मैं अपना हाथ उनके बूब्स पर ले गया और दबाने लगा लगभग 5 मिनट तक हमारा चुम्बन चला।
भाभी बोलीं- अब जाकर आपने कुछ करने की हिम्मत कर ही दी।
मैं- आपने साथ दिया तो हिम्मत दिखानी ही पड़ी।
भाभी- कम से कम साँस तो लेने देते।
मैं- ऐसे कैसे आपको कुछ होने देता।
भाभी अपना हाथ मेरे लन्ड पर ले जा कर बोलीं- सुबह से साहब (मतलब मेरा लन्ड) बहुत खड़े हो रहे हैं।
मैं- आज आप लग ही बहुत अच्छी रही हो।
भाभी- बस आज?
मैं- मतलब आज कुछ ज्यादा ही।
भाभी- तो आज आप सुबह से ही अपनी भाभी पर नजर डाले हुए हैं?
मैं- आप भी तो सुबह से इस साहब (मेरा लन्ड) पर ध्यान दे रही हो।
भाभी- ये बस खड़ा ही होता है या कुछ करता भी है।
मैं- अभी लो.
अपना लंड बाहर निकालने के लिए मैं अपनी जीन्स का बटन खोल ही रहा था कि भाभी ने मेरा हाथ रोक कर कहा- यहीं करोगे क्या?
मैं- क्या भाभी … आपने ही तो कहा कि ये बस खड़ा ही होता है या कुछ करता भी है. अब कर रहा हूँ तो कुछ आप करने नहीं दें रही हो?
भाभी- अरे देवर जी, यहाँ हमें किसी ने देख लिया और हम पकड़े गए तो?
मैं- कुछ नहीं होगा भाभी जान।
तभी भाभी के फोन पर भईया की कॉल आ गया.
भाभी ने मुझे शान्त रहने के लिए कहा और बात करने लगीं.
उनकी बात खत्म होते ही भाभी कुछ ज्यादा ही खुश लगीं।
मैं- क्या हुआ?
भाभी- लो जी, आपके भईया ने ही हमारा प्रोग्राम सैट कर दिया, दोनों बच्चों को नींद आ रही है मुझे उन्हें सुलाने होटल जाना है और वहीं रूकना पड़ेगा, आपके भईया यहीं रूकेंगे।
मैं- वाह! अब तो कोई दिक्कत ही नहीं है फिर, आपके साथ ही मैं भी चल चलूँगा सोने का बहाना करके। लेकिन हमें जल्दी चलना होगा क्योंकि 11:30 बज रहे हैं और उस होटल वाले का रुल है कि वो रात 12:00 बजे के बाद से सुबह के 5:00 बजे तक किसी को भी न आने देगा और न ही बाहर जाने देगा।
भाभी ने किस किया मुझे और कहा- मैं बाहर जाकर देखती हूँ कि कोई है या नहीं तभी आप बाहर आ जाना.
फिर भाभी ने मेरे लन्ड पर हाथ लगा कर कहा- सी यू ऑन द बैड डियर।
बाहर सब कुछ ठीक था वो मुझे बता कर चली गई.
मैं भी बाहर निकलकर जेन्टस टॉयलेट में थोड़ा रुक लॉन में आ गया।
वहाँ मुझे भईया मिल गए भाभी और बच्चों के साथ!
मैं समझ गया था कि वो उन्हें छोड़ने ही जा रहे होंगे।
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वो मुझसे बोले- कहाँ था तू?
मैंने उन्हें इशारो में समझा दिया कि मैं बीयर पी रहा था।
भईया- अच्छा बेटे … चल भाभी को होटल तक छोड़ आ बच्चों को नींद आ रही है।
मैं- नींद तो मुझे भी आ रही है मैं कब से पापा को ढूँढ रहा हूँ रूम की चाबी के लिए, आप को पता है कि पापा कहाँ हैं?
भईया- इन सबके साथ ही सो जाना अपना रूम क्या खोलने की जरूरत है, हमारे रूम में तो दो डबल बैड हैं।
मैं- अरे नहीं … मुझे चेंज भी तो करना है और डबल बैड तो हमारे रूम में भी हैं।
भईया- तेरे पापा अन्दर हैं जा जल्दी जा कर चाबी ले आ क्योंकि 12 बजने वाले हैं।
फिर मैं पापा से चाभी लेकर और भाभी के साथ होटल की तरफ चल दिया. रास्ते में भाभी मेरे साथ और बच्चे आगे चल रहे थे तभी भाभी ने मुझसे धीरे से कहा- मेरे रूम की खिड़की से होटल का मेन गेट दिखता है. जब वो बन्द हो जाएगा तो मैं आपके रूम पर आ जाऊँगी।
तभी होटल आ गया. रूम्स फस्ट फ्लोर पर थे। दोनों अपने अपने रूम्स में चले गए।
ठीक 12:10 पर मेरे रूम के गेट पर खट खट हुई मतलब मेन गेट बन्द हो गया।
और यहाँ से शुरू होती है भाभी की चुदाई की रासलीला।
मैंने तुरन्त दरवाजा खोल कर भाभी को अन्दर लेकर दरवाजा बन्द कर दिया और दरवाजे से सटा कर उन्हें दबाकर उनके होंठ चूसने लगा. वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थीं। हम एक दूसरे की जीभ भी चूस रहे थे।
मेरा एक हाथ उनकी कमर पर, दूसरा उनके बूब्स पर और अपने लन्ड से उनकी चूत पर दबाव बना रहा था। वो अपने दोनों हाथों से मुझे जकड़े हुए थी और लन्ड का दबाव जब उनकी चूत पर पड़ रहा था तो उनके मुंह से उत्तेजित होकर वो सिसकारी निकल रही थी और उनकी सिसकारियों से मैं उत्तेजित हो रहा था।
भाभी के साथ मेरा चुम्बन 10 तक मिनट चला और इस बार भाभी ने मुझे रोका भी नहीं. वो भी चुम्बन का पूरा मजा ले रही थीं।
फिर उन्होंने मुझे रुकने के लिए कहा और उन्होंने अपना मंगलसूत्र उतार के रख दिया। इस पर न मैंने उनसे कुछ कहा और न ही उन्होंने।
मंगलसूत्र उतारते ही भाभी ने मुझे दीवार बार सटा दिया और मुझे चूमने लगी। इस बार मेरे दोनों हाथ उनकी गांड पर थे जो उनकी गांड को दबा रहे थे। मैंने लन्ड से चूत को दबाना जारी रखा।
धीरे धीरे मैं अपना एक हाथ उनके ब्लाउज पर ले गया और उनकी ब्लाउज की डोर खोल दी. उसमें चैन भी थी वो भी खोल दी। मैंने भाभी का ब्लाउज उतार दिया। दुपट्टा और ज्वैलरी वो अपने ही रूम में छोड़ कर आयीं थी।
फिर मैं अपना हाथ लहंगे की डोरी की ओर ले गया और उसे भी खोल दी. उसकी चैन को मैं ढूँढता … इतने में उनका लहँगा अपने आप ही नीचे सरक गया।
मैं सोचने लगा कि ये लहँगा क्या सिर्फ एक डोर पर ही टिका था?
अगर ऐसे में किसी ने गलती से या जानबूझ कर ये डोर खोल दी तो इनके जिस्म की नुमाइश लग सकती थी।
मुझसे रूका नहीं गया और मैंने भाभी से पूछ भी लिया तो भाभी बोलीं- नहीं ऐसा नहीं है, मैंने फ्रेश होने के लिए उतारा था तो उसके हल्की सी डोर पर टिका लिया क्योंकि थोड़ी देर में तो उतरना ही है।
मैं हँस दिया उनकी बात पर!
तभी मेरा ध्यान उनकी बिकिनी पर गया जोकि उन्होंने रेड कलर की ब्रा और पैन्टी पहन रखी थी जिसमें वो बहुत ही ज्यादा अच्छी लग रही थीं।
मैंने कहा- भाभी आप बिकिनी ? में बहुत ही अच्छी लग रही हो।
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भाभी मेरी शर्ट और जीन्स के बटन खोलने लगीं, जीन्स टाईट थी उनसे उतरी नहीं फिर मैंने उतारी। वो मेरे छाती को चूमे जा रही थी।
मैं उन्हें गोद में उठा कर बैड पर ले गया और लेटा कर मैं भी उनके ऊपर लेट गया। अपना हाथ पीछे ले जाकर उनकी ब्रा का हुक खोल कर उनके बूब्स को आजाद कर दिया फिर एक दूध अपने हाथ से दबाने लगा दूसरा मुंह में लेकर चूसने लगा।
भाभी के मुँह से बस सिसकारी ही निकल रही थी।
यही काम फिर मैंने दूसरे वाले स्तन के साथ किया.
लेकिन दूसरे वाले को चूसने के बाद उनके निप्पल को मैंने काट दिया उनकी बहुत तेज सिसकारी निकल गई- आहह! देवर जी ये क्या कर रहे हो … आह!!
मैं उनकी बात अनसुना करते हुए उनके पेट पर आ गया, चूमने लगा और नाभि चाटने लगा।
भाभी- आआहह इतना क्यों तड़पा रहे हो आप … आआआहह!
धीरे धीरे मैं उनकी पैन्टी के ऊपर आ गया जो पूरी गीली थी उनके पानी से।
मैं पैन्टी के ऊपर से ही उनकी चूत को चूम रहा था।
भाभी- आआआ हहआ आआह!!!!
मैं भाभी की पैन्टी उतारने लगा भाभी ने अपनी कमर उठा कर अपनी पैन्टी उतरवाने में मेरी मदद की। पैन्टी को उतारने के बाद मैंने उतनी चूत देखी तो मुझे बहुत ही बुरा लगा क्योंकि उनकी चूत पर लम्बी लम्बी झाँटें थी, उनके जंगल में चूत दिखी ही नहीं रही थी।
मैं- भाभी आप झाँटें कभी साफ नहीं करती हो क्या?
भाभी- नहीं, इसे क्या साफ करना। आप अपना साफ रखते हो क्या?
मैं- हाँ, मेरे तो बहुत चुभती हैं, इसलिए मैं तो साफ ही रखता हूँ।
लेकिन चूत चाटे बगैर मेरे लिए सेक्स अधूरा है इसलिए मैं उस झाँटों वाली चूत को चाटने लगा।
भाभी- छीः ये गन्दी जगह है इसे क्यों चूम रहे हो?
मैं चूत चाटे जा रहा था इतने में मैंने उनके चूम के दाने को ढूँढ कर काट दिया। भाभी अपने एक हाथ से अपना दूध और दूसरे से मेरे सर के बाल खींच रही थीं।
भाभी- आआहह आहह आआआ हहआ आआआ.
भाभी ज्यादा देर नहीं टिक पाईं वो झड़ गई और उनका सारा नमकीन चूत रस मैं पी गया।
भाभी- आहह आओआहह!!!!!
चूत साफ करने के बाद मैंने अपना अन्डरवियर उतार कर भाभी को अपने लन्ड के दर्शन कराये, भाभी मेरा लन्ड देख कर बहुत ही खुश लग रही थी।
इशारे में मैंने उनसे चूसने के लिए पूछा तो उन्होंने मना कर दिया, मैं भी ज्यादा जोर न देकर उनके ऊपर लेट गया।
भाभी- अब और न तड़पाओ देवर जी, अपना लिंग मेरी योनि में डाल कर मेरी प्यास बुझा दो।
पास में पानी की बोतल रखी थी मैंने उठा कर उन्हें देकर कहा- लो पानी पी कर अपनी प्यास बुझा लो।
भाभी- कौन सी प्यास, इतना भी नहीं समझते क्या?
मैं- ये बात पहले आप गन्दी भाषा में कहो फिर मैं कुछ करूंगा।
भाभी- अच्छा जी, देवर जी अपनी प्यासी भाभी की चूत की चुदाई अपने लन्ड से कर दो। अब तो डाल दो।
चुम्बन फिर शुरू हो गया. मैं लन्ड से उनकी चूत की लकीर पर हल्के से रगड़ने लगा। थोड़ी ही देर में भाभी बेचैन हो गई और लन्ड लेने को उत्सुक हो गई, वो अपनी गांड उठा कर लन्ड लेना चाह रही थी मैं भी लन्ड पीछे कर ले रहा था।
चार बार ऐसा करने के बाद बाद पांचवी बार में मैंने भाभी की चूत मैं लन्ड डाल दिया. मेरा लन्ड 2 इन्च ही घुस पाया था कि भाभी की बहुत तेज चीख निकल गई।
भाभी- आराम से करो भईया! आपके भईया ने मुझे हमारे दूसरे बच्चे के बाद से छुआ तक नहीं है।
(जैसा मैंने आप लोगों को शुरू में बताया था.)
मैं- सॉरी भाभी।
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मैंने चुम्बन करते हुए उनकी दोनों टांगों को फैला दिया और दोनों हाथो को अपने हाथ से पकड़ लिया। चुम्बन करते करते थोड़ी ही देर में मैंने पूरा लन्ड चूत में एक बार में ही घुसेड़ दिया।
भाभी ने मुझे पैरों से कस कर जकड़ लिया, वे अपने हाथ छुड़ाना चाह रही थी। मैं भाभी का दर्द समझ सकता था, लेकिन उनकी चूत बहुत टाईट थी तो दर्द होना ही था।
थोड़ी देर में सब नोर्मल हो गया तो मैंने उन्हें ढीला छोड़ दिया. भाभी की आँखों में आंसू थे.
मैंने उन्हें फिर से सॉरी कहा लेकिन भाभी कुछ नहीं बोली।
मेरा पूरा लन्ड उनकी चूत में ही था।
फिर मैंने भाभी की चूत में झटके लगाने शुरू कर दिए।
भाभी- आआहह आआओहह हहआ आआआ हम्मह आहह!!
हम दोनों ही ज्यादा देर नहीं टिक पाए और दोनों एक साथ दस मिनट में झड़ गए। भाभी ने मुझे कस कर पकड़ लिया और उन्होंने मेरी पीठ पर नाखून भी गड़ा दिए। मुझे पहली बार किसी की चूत में झरने का सौभाग्य प्राप्त हुआ और उन्हें दस साल बाद चूत में लन्ड लेने का।
थोड़ी देर में मैं अलग हुआ तो मैंने अपने लन्ड पर खून देखा तो मैं समझ गया कि भाभी की चूत बंद हो गई थी जो मैंने खोल दी।
फिर कुछ देर आराम करके मैं उन्हें अपनी फेवरेट पोजीशन में ले आया और उनकी दोबारा चुदाई शुरू कर दी, इस बार लन्ड को डालने में ज्यादा दिक्कत नहीं हुई।
भाभी- आआआ आआहह आहह आआ… भर दो मेरी चूत … आआआ आओओ आआहह …भईया …बहुत मजा आ रहा है आआ आआहह.
ऐसा लग रहा था कि भाभी को भी इस पोजीशन में चुदना पसन्द आया। भाभी सिसकारियाँ लेते हुए फिर से झड़ गईं। मैं नहीं झड़ा था इसीलिए मैं धक्के लगाए जा रहा था तो भाभी ने मुझे रूकने के लिए कहा.
तो मैं रूक कर भाभी की गांड देखने लगा, उनकी गांड का छेद बहुत छोटा था। मैंने उनसे गांड चोदने के लिए पूछा तो उन्होंने मना कर दिया।
भाभी- मैंने वहाँ कभी नहीं लिया और न ही कभी लूँगी।
फिर मैं भाभी को गोद उठाकर बैड पर मैं नीचे लेट गया और उन्हें अपने ऊपर बैठा लिया। फिर मैंने नीचे से ही उनकी चूत चोदना शुरू कर दी।
भाभी- आआहह आआआ आआहह आहह आहह … चोदो मुझे … बहुत तंग करती है ये… चोदो … आउहह आआआ ओहह.
इस बार हम दोनों फिर एक साथ ही झड़ गए। कमरे में उनकी और मेरी साँसों की ही आवाज गूँज रही थी। भाभी झड़ कर मेरे ऊपर लेट कर मेरे को चूमने लगी। हम दोनों ही थक गए। मैं सुबह से शादी के काम और अब एक असन्तुष्ट औरत को सन्तुष्ट करने में थक चुका था।
भाभी मुझसे चुद कर सन्तुष्ट लग रही थी- आपने मेरी प्यासी ज़िन्दगी की चुदाई करके मुझे सन्तुष्ट कर दिया। काश आप ही मेरे पति होते, मैं आपके बच्चे की मां बनती। सच में देवर जी मुझे इतना मजा पहले कभी नहीं आया।
बात करते करते भाभी सो गई।
मैंने घड़ी में टाईम देखा 2:40 बज रहे थे। मैं मोबाइल में सुबह पाँच बजे का आलर्म लगा कर भाभी को देखते हुए सोचने लगा कि चुत क्या क्या करवाती है। अपने से छोटे के साथ सेक्स करना। इतने में मुझे कब नीन्द आ गई पता ही नहीं चला।
सुबह आलर्म बजा मैं उठा, मैंने भाभी को उठाया और उनसे उनके कमरे में जाकर नहा कर तैयार होने को कहा। भाभी कपड़े पहनने लगी, मैंने उन्हें रोका और कहा- ऐसे ही चली जाओ आप, अभी बाहर कोई नहीं होगा।
भाभी- आपको पता है बाहर कैमरा लगा हुआ है जिसका डायरेक्शन हमारे कमरे की साईड ही है।
मैं- मुझे पता है। मैंने रात में आपके यहाँ आने से पहले उस कैमरे का डायरेक्शन दीवार की साईड कर दिया ताकि आप यहाँ आते हुए कैमरे में न दिखो।
भाभी- अरे वाह देवर जी।
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भी नंगी ही अपने कमरे में चली गई और मैं नहाने कर तैयार होने लगा।
कुछ देर में दरवाजे पर खटखट हुई तो खोला, भाभी का लड़का था। उनकी लड़की उस बाथरूम में नहाने गयी थी तो वो यहाँ आ गया।
मेरी नजर भाभी के मंगलसूत्र पर पड़ी, उसे तुरन्त मैंने जेब में डाल लिया और उससे कहा- तुम गेट लॉक लगा लो, मैं बाहर जा रहा हूँ.
इतना कह कर मैं भाभी के रूम में आ गया।
भाभी ने दरवाजा खोला, भाभी अपने शरीर पर बस तौलिया लपेटे हुए ही थी और भाभी ने मुझे अन्दर ले लिया।
मैं- आपको रात इतना मजा आया कि आप अपना मंगलसूत्र ही भूल गई।
भाभी- ओह! धन्यवाद देवर जी, वरना आज तो मैं मर ही जाती।
इतने में मैंने भाभी का तौलिया खोल दिया और अपनी जीन्स नीचे करने लगा।
भाभी- प्लीज भईया,अभी कुछ मत करो, लड़की नहा रही है, वो बाहर आ जाएगी।
मैंने बाथरूम की बाहर से ही कुंडी लगा दी और उन्हें खड़े खड़े ही चोदने लगा।
भाभी- आआ आह आहह आओआह हह!
चुम्बन करते करते लगभग 10 मिनट में हम दोनों ही झड़ गए।
भाभी ने मुझसे छुट कर कपड़े पहने। मैंने भी अपने को सही किया और बाहर चला गया।
हम तैयार होकर लॉन में चले गए दीदी को विदाई करके बरेली आ गए।
हमारा मिलना बहुत ही कम हो पाता था क्योंकि हम दोनों के घर में कोई न कोई होता ही था।
ठीक एक महीने बाद मेरे घर वालों को शहर से बाहर जागरण में जाना था जिसमें मैंने जाने से मना कर दिया था।
उस दिन पहले तो मैंने अपनी गर्लफ्रेंड को आने के लिए कॉल की. पर उसके पीरियड्स चल रहे थे तो उसने मना कर दिया.
फिर मैंने भाभी को मैसेज किया तो भाभी ने कहा- आपकी किस्मत कुछ ज्यादा ही अच्छी है. कल ही मेरे पीरियड्स खत्म हुए हैं, आती हूँ कोई बहाना करके।
एक घन्टे में भाभी फ्रैंड के यहाँ बर्थडे पार्टी की बोल कर मेरे घर आ गई। भाभी आज ब्लैक कलर की साडी़ में थी। आकर अपना मंगलसूत्र उतार कर रख दिया और मुझे चुम्बन किया।
मेरे मन में कुछ प्लानिंग सूझी कि हम आज शादी ही कर लेते हैं।
मैंने भाभी से बैठने को कहा और पूजा वाले कमरे को बन्द करके हवनकुंड जला कर भाभी को बुला लिया।
मैंने उन्हें अपनी शादी करने का प्लान बताया जो उन्हें अच्छा लगा। हमने सात फेरे लिए उनकी माँग में सिन्दूर भी भरा और उनका मंगलसूत्र पहना कर कहा- अब आपको इसे हर बार उतारने की जरुरत नहीं।
भाभी इस बात से खुश हुई और बोली- आज से आप मेरे पति देव हैं और मैं आपकी पत्नी. अब आप मुझे भाभी कहना छोड़ दीजिए, मुझे मेरे नाम से बुलाइएगा जब भी हम अकेले होंगे। अब शादी तो हो गई सुहागरात का क्या प्लान है?
मैं- चलो मेरे रूम में भाभी।
भाभी- भाभी?
मैं- मतलब पायल।
फिर मैं उन्हें गोद में उठा कर अपने रूम में ले गया, वहां मैंने उनकी साडी़ खोल दी, पेटीकोट और ब्लाउज भी उतार दिया। उन्होंने ब्लैक कलर की ब्रा पैन्टी पहन रखी थी। उसे भी उतार दिया, उसके बाद देखा कि उनकी चूत पर एक भी बाल नहीं।
मैं- शेव कर ली?
भाभी- आपके लिए।
मुझसे रूका नहीं गया और मैं भाभी की चूत चाटने लगा। इस बार भाभी अपने दोनों हाथों से मेरा सर पकड़ कर अपनी चूत में दबा रही थी.
10 मिनट में वो झड़ गई और उनका रस पी गया।
मैंने अपने कपड़े उतार कर उनसे फिर लन्ड चूसने के लिए कहा. इस बार वो मान गई लेकिन एक शर्त पर कि वो मेरा वीर्य नहीं पीएंगी.
और घुटनों के बल बैठ कर मेरा लन्ड चूसने लगी।
भाभी बहुत अच्छे से मेरा लन्ड चूस रही थी।
लेकिन झड़ते समय मैंने भाभी के साथ थोड़ी चिटिगं कर दी कि उनका सर पकड़ कर अपने लन्ड पर दबा दिया और सारा वीर्य उनके मुंह के अन्दर छोड़ दिया उन्हें तब तक नहीं छोड़ा जब तक वो सारा वीर्य पी नहीं गयी।
उसके बाद भाभी बोलीं- इटस् टेस्टी।
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फिर हमारी चुदाई का सिलसिला शुरू हो गया और शाम हो गई। खाना हमने आनलाइन आर्डर कर दिया, खाना खा खाकर वो घर चली गई।
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बात पिछली गर्मियों की है। मेरे पड़ोस में एक भैया-भाभी रहते हैं। उनकी शादी को एक साल हुआ था। अब भाभी प्रेग्नेंट थीं.. और उनकी देखभाल को कोई नहीं था। सो भैया के बड़े भाई की वाइफ वहां रहने आई थीं।
मेरी उनकी फैमिली के साथ अच्छी बनती थी।
मेरा कमरा छत पर था और दिन में मैं ज़्यादातर अपने कमरे में ही होता हूँ। एक दिन शाम को मैं छत पर टहल रहा था। गर्मी के कारण मैं अधिकतर कॅप्री या टी-शर्ट में ही होता था।
हुआ यूँ कि बड़ी भाभी शाम को कपड़े सुखाने के लिए डाल रही थीं.. तभी मेरी नज़र उन पर पड़ी।
मेरी शर्ट के कुछ बटन खुले हुए थे तो वो मुझे देख हंस दीं।
काफ़ी जाँच पड़ताल के बाद मुझे पता चला कि ये भाभी मेरी पड़ोसन भाभी की जिठानी हैं और उनके घर में रहने आई हैं। पहले तो मैंने उनके बारे में ऐसा-वैसा कुछ नहीं सोचा.. और कुछ दिन ऐसे ही गुज़र गए।
एक दिन मैं छत पर बने अपने रूम में सोकर देर से उठा.. उस वक्त लगभग 11 बज गए थे। इस वक्त मैंने सिर्फ़ फ्रेंची पहनी हुई थी। मैं ऐसे ही रूम से बाहर मुँह धोने के लिए आया। जब मैंने मुँह पर पानी डाला.. जिससे मेरी हाफ बॉडी भीग गई थी। अचानक मेरी नज़र साथ वाली छत पर पड़ी.. तो देखा कि वही भाभी वहाँ कपड़े सूखने के लिए डाल रही थीं और मुझे देख रही थीं।
पहले तो मैं थोड़ा घबराया.. पर फिर दिमाग़ में घंटी बजी कि एक ट्राइ करके देखता हूँ… मैंने अपने ऊपर ज्यादा सा पानी गिराया और ऐसा शो किया जैसे मुझे नहीं पता कि वो मुझे देख रही हैं।
पानी सिर से टपक कर फ्रेंची तक जा रहा था। सुबह की ताजगी की वजह से मेरा लंड भी खड़ा हुआ था।
जब मैंने ध्यान से देखा तो भाभी की नज़र मेरे खड़े लंड को ताड़े जा रही थी। मैंने एकदम भाभी की साइड टर्न किया और लंड को जानबूझ कर हाथ में पकड़ कर बाहर निकाला।
भाभी की नज़र वहीं मेरे लंड पर गड़ी थी। मैंने जानबूझ कर सब अनदेखा किया और रूम में आ गया। उसके बाद कुछ दिन ऐसे ही रोज सुबह उनसे मिलने लगा।
मेरा रोज इस वक्त बाहर आना होता तो बाहर वो वहीं होती थीं।
एक दिन उसने मेरा नम्बर माँगा.. मैंने दे दिया।
फिर उनका फोन आया- तुम हमेशा छत पर क्यूँ रहते हो?
मैं- मेरा रूम ऊपर ही है न!
भाभी- तुम इतने कम कपड़े क्यूँ पहनते हो?
मैं- छत पर कोई आता नहीं तो अपने रूम में मैं अपने हिसाब से रहता हूँ, पर आप यह सब क्यूँ पूछ रही हो?
भाभी- ऐसे ही..!
मैं- नम्बर क्यूँ लिया आपने?
भाभी- मुझे आप काफ़ी हैण्डसम लगे।
मैं- ऐसा क्या देख लिया आपने?
भाभी- सब कुछ..
मैं- सब कुछ माने क्या?
भाभी- छत पर आओ.. बताती हूँ।
भाभी थोड़ी देर में छत पर आईं। उनके छत पर कपड़े सूख रहे थे तो हम दोनों ने वहीं चेयर्स पर बैठ कर बात शुरू की। भाभी ने बताया कि भैया भाभी दोनों हॉस्पिटल में हैं और घर पर वो अकेली हैं।
मैंने पूछा- तो रात को मिलूँ?
उन्होंने स्माइल दी.. और फिर बात टालते हुए दूसरी बात छेड़ दी- तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है?
मैंने कहा- हाँ है।
भाभी- उसको कभी प्यार किया है?
मैं- हाँ बहुत बार..
भाभी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और मुझे गाल पर किस करके चली गईं।
मैंने पूरे दिन रात होने का वेट करता रहा। फिर काफी देर बाद उनकी कॉल आई। उन्होंने मुझे छत से नीचे अपने कमरे में आने को कहा।
मैं काफ़ी हिम्मत के बाद नीचे पहुँचा। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। भाभी भी बस यह कहे जा रही थीं कि जो करना है.. जल्दी करो।
मैंने भाभी को कमर से पकड़ा और अपनी ओर खींच कर जोर से अपने होंठों से उनके होंठों को किस किया। भाभी एकदम गरम हो गईं और मेरी टी-शर्ट उतार कर फेंक दी।
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मैंने भी जल्दी-जल्दी भाभी की कमीज़ उतार दी। भाभी ने ब्लू ब्रा पहनी हुई थी.. जो कि उनको बहुत सूट कर रही थी। इस वक्त मैं भाभी की मस्त फिगर को बेहद कामुकता से देख रहा था। उनकी फिगर बहुत मस्त थी। अभी भी याद आ रही है.. मेरा तो लंड खड़ा हो रहा है। भाभी की एकदम सांचे में ढली हुई 38-30-38 की नशीली फिगर थी।
फिर मैं भाभी के पूरे शरीर को चूमने चाटने लगा। भाभी भी काफ़ी हॉट हुई जा रही थीं।
मैंने भाभी को उल्टा लेटाया और पास रखी आयिल की शीशी से तेल निकाल कर उनकी पीठ पर डाल दिया.. और मसाज करने लगा। फिर एकदम से भाभी की ब्रा का हुक खोल कर हाथों को आगे ले जाकर उनका नाड़ा खोल दिया।
भाभी ने भी मदद की तो मैंने जल्दी-जल्दी उनकी सलवार उतार दी।
भाभी ने नीचे पैंटी नहीं पहनी थी.. उन्हें सीधा किया तो उनकी चुत पूरी तरह क्लीन थी। मैं भाभी की सफाचट चुत को देखते ही पागल हो गया और भाभी को की टाँगें अपने कंधों पर रख के सीधा चुत पर चुम्मा किया।
भाभी एकदम से कांप गई और कहने लगीं- यह मत करो.. मेरे हज़्बेंड ने भी कभी ऐसा नहीं किया।
मैं नहीं माना क्योंकि भाभी हो या लड़की.. चुत अगर क्लीन हो तो आई लव टू लिक इट।
मैंने एकदम भाभी की चुत के होंठ खोल दिए और अपनी जीभ को अन्दर-बाहर करने लगा। भाभी गर्म होने लगीं और मेरे सिर को पकड़ कर अपनी चुत पर दबाने लगीं। भाभी जोर-जोर से कह रही थीं- खा जाओ मेरी फुद्दी.. अह.. चाटो इसे.. साले घरवाले ने मेरी चुत को कभी नहीं चूसा.. चूस लो.. और जोर से.. आह.. और जोर से..
एकदम जोर की सिसकी से भाभी का काम हो गया.. भाभी काफ़ी जोर से चीख पड़ीं और झड़ गईं।
हम दोनों बिल्कुल चुदासे हो चुके थे.. मैंने भाभी के मम्मों को हाथों में पकड़ा और दबाने लगा।
भाभी लंड लेने के लिए मचल रही थीं और मेरे लंड को हाथ में पकड़ कर हिला रही थीं। मैंने उनके निपल्स को जोर से सक करने लगा साथ ही भाभी के मम्मों को पूरा मुँह में ले कर जोर-जोर से चूसने लगा।
भाभी मेरे लंड को हाथ में लेकर हिला रही थीं।
मैंने पूछा- भाभी क्या तुम लंड चूसना चाहोगी?
पहले तो वो लंड को देखती रहीं। फिर अचानक उन्होंने मेरे लंड को मुँह में डाल कर जोर-जोर से चूसने लगीं। भाभी कभी मेरा पूरा लंड अन्दर ले रही थीं.. तो कभी बाहर निकाल कर सुपारे को चाटने लगतीं।
मैं पूरी तरह से पागल हो रहा था। भाभी अपनी जीभ को लंड से आंडों तक रोल करने लगी और अंडकोषों को चूसने लगीं। वो जोर-जोर से लंड सक कर रही थीं।
फिर भाभी ने मेरे लंड को अपने मुँह से निकाला और कहने लगीं- प्लीज़ मुझे चोद दो.. मुझे तुम्हारे लंड की ज़रूरत है। मेरा पति साला नपुंसक है.. उस भोसड़ी वाले से कुछ नहीं होता है.. प्लीज़ मुझे चोद दो.. मेरी फुद्दी फाड़ दो।
मैं भाभी के ऊपर आ गया और अपने लंड को चुत पर रगड़ने लगा। भाभी मछली जैसे तड़पने लगीं और मेरे लंड को अपनी चुत के अन्दर लेने की कोशिश करने लगीं।
मैंने भाभी को बिस्तर से उठाया और उन्हें दीवार के साथ टच करके उनकी चुत में अपना लंड सीधा डाल दिया, वो चीखने लगीं।
मेरे पूछने पर उन्होंने बताया कि वो इससे पहले कभी अपने हज़्बेंड के अलावा किसी से नहीं चुदी.. और मेरा लंड उनके हज़्बेंड के लंड से काफ़ी ज़्यादा लम्बा और मोटा है।
फिर मैंने भाभी की एक टांग उठाई और अपने कंधे पर रख कर लंड से तेज-तेज धक्के मारने लगा। मेरा पूरा लंड भाभी की चुत के अन्दर जा रहा था।
मैं उन्हें काफ़ी जोर-जोर से चोद रहा था। वो तो पागल हुई जा रही थीं।
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मैंने भाभी को लगातार 20 मिनट तक चोदा और आख़िर में मैंने चुत में लंड डाल कर उन्हें अपने ऊपर बिठा लिया। फिर भाभी को अपनी कमर से पकड़ कर ऊपर-नीचे करने लगा।
भाभी की आँखें चुदाई के नशे से भर गईं.. ऐसा सेक्स उन्होंने कभी नहीं किया था। आख़िर में मैंने उन्हें नीचे गिराया और अपना सारा रस उनकी चुत में भर दिया।
इस बीच भाभी तीन बार झड़ चुकी थीं, भाभी ने मुझे खूब चुम्मियां की।
उसके बाद भाभी 6 दिन वहां और रहीं। इन छह दिनों में मैंने काफ़ी बार भाभी को चोदा।
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(06-06-2022, 05:50 PM)neerathemall Wrote: प्यारी सी भाभी
भाभी की हवस भरी निगाहें
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(06-06-2022, 05:51 PM)neerathemall Wrote: भाभी की हवस भरी निगाहें
हमारे घर के बाजू में एक फॅमिली रहती है, उसमें से जिसने मेरा दिल चुरा लिया वो मेरी प्यारी सी भाभी वहाँ रहती है. उनका नाम रूपा हैं, वो दिखने में काफ़ी सुंदर हैं. उनका एक बच्चा भी है 5 साल का, उसका पति शॉपकीपर होने की वजह से पूरा दिन अपनी शॉप पर रहता है और घर पर भाभी अकेली ही होती है.
जब भाभी को मैंने पहले देखा तो मेरे दिमाग़ में भाभी के लिए ऐसे कोई विचार नहीं आते थे लेकिन एक बार उनको नहाते हुए देखने के बाद मुझे भाभी की चुदाई की तीव्र इच्छा हो गई थी.. मैंने सोच लिया था कि एक ना एक दिन भाभी की बहुत चुदाई करूँगा.
मैं भाभी के नाम की मुठ भी मार लेता था कई बार!
एक दिन जब भाभी अपने सुखाए हुए कपड़े लेने आई तो उन्होंने मुझे उसकी ब्रा के साथ पकड़ लिया और वहाँ से मुस्कराती हुई चली गई, पर मेरी तो फट रही थी कि भाभी किसी को बता ना दें!.
दोपहर को भाभी मेरे घर पे आई और शक्कर लेकर चली गई, लेकिन मेरी ओर बड़ी अंतरवासना भरी निगाहों से देख कर…
फिर मैं हिम्मत करके उनके घर गया, उन्होंने मुझे बैठने को कहा और वो थोड़ी देर बाद जूस लेकर आई. बाद में मुझे भाभी ने पूछा- आज तुम वहाँ मेरी ब्रा के साथ क्या कर रहे थे?
मैं कुछ नहीं बोला, बस उन्हें देखता रहा.
वो मेरे पास आई और बोलने लगी- तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है क्या?
मैंने कहा- नहीं.
वो मेरे ओर नज़दीक आई और बोली- क्या मैं तुम्हारी गर्लफ्रेंड बन जाऊं?
इतना कहना था भाभी का और मैं उन पर प्यासा आशिक की तरह टूट पड़ा.
वो मुझे रोकने लगी, कहने लगी- यहाँ नहीं… बेडरूम में चलो!
हम दोनों बेडरूम में गये, जैसे ही बेडरूम में गये मैंने उनको अपनी बांहों में ले लिया और चूमने लगा.
फिर हम दोनों बिस्तर पर लेट गये और मैंने धीरे से पहले भाभी की चूत पर अपना हाथ रखा और फिर सहलाने लगा.
थोड़ी देर बाद मैंने भाभी को धीरे धीरे नंगी कर दिया और मैंने अपने कपड़े उतार कर खुद को नंगा कर दिया.
फिर हम दोनों एक दूसरे को पागलों की तरह से चूम रहे थे. उनको चूमता चूमता मैं भाभी की चूत तक पहुंच गया.
भाभी की क्या चूत थी… माँ कसम… मैं उसकी चूत में अपनी जीभ घुसा रहा था, तब वो सिसकारी ले रही थी ‘अया आ आ आ आ उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ कर के.
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बाद में वो अकड़ने लगी ओर चूत से पानी छोड़ दिया और मैंने वो सारा पानी चाट लिया.
बाद में उन्होंने मेरा लंड अपने मुख में लिया और लॉलिपोप की तरह चूसने लगी.
अब मैं भी एक बार झड़ चुका था. फिर उन्होंने कहा- चल अब शुरू कर असली खेल!
मैंने भी देर न करते हुए अपने लंड पे थोड़ा थूक लगाया और उसकी चूत में पेल दिया.
उसकी चूत थोड़ी कसी हुई थी इसलिए थोड़ा दर्द मुझे भी हुआ.
बाद में वो सिसकारियाँ लेने लगी- ओह आ हहा अया आह आह आह हम हुम्म हुम्म… ओह!
और बोलने लगी- रफ़्तार बढ़ा मेरे राजा… चोद मुझे चोद!
‘अया आ आ…’ करके वो उछल उछल कर चुदवा रही थी.
कुछ देर बाद हम दोनों साथ में ही झड़ गये. हम दोनों का हाल बुरा था.
थोड़ी देर बाद फिर से मैंने उसको चोदा.
हम दोनों पसीना पसीना हो गये थे, बाद में साथ में बाथ रूम में जाकर एक दूसरे को साफ किया और बाथरूम में भी एक बार चूत चुदाई की.
फिर हमने कपड़े पहने और फिर चुदाई करेंगे…
ऐसा कह कर मैं घर वापिस आ गया.
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मैं एक अंतरराष्ट्रीय कंपनी में अच्छे पद पर एरोनॉटिकल इंजिनीयरिंग विभाग में हूँ। मेरी लंबाई, हाजिर जवाबी और मिलनसार नेचर के कारण मैं सभी को आसानी से आकर्षित कर लेता हूँ खासतौर पर लड़कियों और भाभियों को।
एक बात और बताना चाहूंगा दोस्तो … मुझे तसल्ली वाला सेक्स करना पसंद है, मैं मेरे पार्टनर को हमेशा प्यार, आदर और केअर के साथ हैंडल करता हूँ। एक बार सेक्स करना शुरू करता हूँ तो वक़्त का ध्यान नहीं रहता. मैं कहानी में शायद ये न बता पाऊँ कि मैं कितनी देर किस किया, कितनी देर ओरल किया और कितनी देर शॉट लगाये।
बस मेरे लिए मेरी और मेरे पार्टनर की तृप्ति ही सर्वोपरि होती है।
आइये ज्यादा बोर न करते हुए आपको अपनी देवर भाभी की कहानी पर ले चलता हूँ। मैं पुणे के खराड़ी एरिया में रहता हूँ यहीं मेरा ऑफिस भी है।
मेरे दूर के रिश्ते के भैया भाभी भी इसी एरिया में रहते हैं.
यह मुझे तब पता लगा जब मैं ट्रेन से पुणे आ रहा था और वो भी अचानक उसी ट्रेन में मिल गए। बहुत सालों पहले भैया से मिला था तब उनकी शादी नहीं हुई थी.
वो मुझे अपने साथ अपनी सीट पे ले गए जहां भाभी और उनकी दो साल की बेटी भी थी।
अब भाभी की खूबसूरती बयां करता हूँ. उनका रंग गोरा, न मोटी न पतली, शरीर में सभी जगह परफेक्ट अनुपात में माँस बँटा था। फिगर भी 34-30-32 का था। कुल मिला कर उन्होंने मेरे अंदर एक हलचल पैदा कर दी थी।
पर भैया के सामने होने के कारण मैंने कुछ जाहिर नहीं किया।
दिन भर का सफर भैया भाभी के साथ बातें करने, दूसरे रिश्तेदारों को याद करने और उनकी बिटिया के साथ खेलने में निकल गया।
इस तरह मैं उनसे काफी हिल मिल गया और वो भी मुझसे खुल गई।
हम सब ने अपने-अपने घर से लाया हुआ खाना मिलकर खाया और फिर मैं अपनी सीट पर आकर सो गया.
पर भाभी की सुंदरता ने मेरे अंदर आग सी लगा दी थी।
दोस्तो, जितनी आनंददायक चुदाई होती है उतना ही रोमांचक उसको हासिल करने का सफर भी होता है। प्रेयसी की छोटी से छोटी बात के मायने निकलना उसके इरादों को समझने की कोशिश करना, अपनी बात समझाने की कोशिश करना, इन सब में गांड फटी में रहती जब एक-एक कदम आगे बढ़ाते हैं कि कहीं बात बिगड़ न जाये और इज्जत का कचरा न हो जाये.
खैर इस दौर का भी अपना ही एक मज़ा है, रोमांच है।
अब आते हैं असल देवर भाभी कहानी पे:
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