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चचेरी बहन की रजाई
#81
banghead

सुबह सब वापस आ गए थे. कुछ दिन बाद अनुपमा चली गई और वो रंगीन यादें जो हमने बनाई थी, उनके भरोसे मैं भी अपने घर आ गया।
आज भी जब मेरी चचेरी बहन घर आती है तो मुझसे जरूर चुदवाती है। हमने बाइक पर बैठ के भी खूब मजे किए है।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#82
(06-06-2022, 03:55 PM)neerathemall Wrote:
नदी किनारे ममेरी बहन की चूत चुदाई

इस कहानी की शुरूआत मेरे मामा के घर से हुई थी. मेरे मामा गांव में रहते थे. मेरे मामा गांव में खेती करते हैं और वो खरबूज और तरबूज की खेती भी करते थे.
गांव में घर के पास ही एक नदी थी, जो घर से 5 मिनट की दूरी पर थी.
उस समय मैं अपने मामा के घर गया हुआ था.
हम लोग नदी में जाकर बहुत मस्ती करते थे, नदी में नहाते थे और नहाते समय साथ में नहाने वाली किसी भी लड़की के चूत में उंगली कर देते थे.
चूंकि हम लोग पानी के अन्दर जाकर नीचे नीचे तैरते थे और जिधर भी लड़की दिखती थी, उधर ही जाकर मजे लेने लगते थे.
एक दिन मैं, मेरी ममेरी बहन और उसकी छोटी बहन … हम तीनों ही नदी में नहाने गए थे.
नहाते वक़्त मैं अपने मामा की लड़की के पास ही नहा रहा था और जानबूझ कर उसके पास ही तैर रहा था.
मैं नहाते समय जानबूझ कर उसकी कमर और दूध पर हाथ लगा रहा था. वो भी ये सब करवा कर मजे ले रही थी.
फिर मैंने पानी के अन्दर से ही उसकी गांड में उंगली कर दी और हंसने लगा.
वो भी हंस दी.
अब वो भी मेरे बिल्कुल करीब आकर नहाने लगी थी, शायद वो और मजे लेना चाह रही थी.
उसने मेरे पास आकर पानी के अन्दर ही से मेरे लंड को अपने हाथ से पकड़ कर दबा दिया.
मैंने उसकी तरफ देखा, तो उसने आंख दबा दी.
अब मैं भी उसके पास जाकर उसको पकड़ने लगा और उसे अपनी गोद में उठाने के बहाने से अपना लंड उसकी गांड में अन्दर करने लगा.
जब वो हंस कर मचली तो मैंने उसके दूध दबा दिए.
वो मस्त होने लगी. उसकी नजरों में वासना दिखने लगी थी.
मुझे भी ये सब करने में मजा आ रहा था.
हम दोनों कुछ देर यूं ही एक दूसरे के लंड चूत से खेलते रहे और मस्ती करते रहे.
एक तरह से मेरी बहन मुझसे सैट हो गई थी.
उसी के साथ उसकी छोटी बहन भी मस्ती कर रही थी.
मैंने उसे भी पकड़ने के बहाने पकड़ना चाहा तो वो भी हंस कर मुझसे मस्ती करने लगी.
मगर मैं उसकी चूत या चूची नहीं दबा पाया था.
फिर नहाने के बाद नदी किनारे ही मामा ने तरबूज की खेती की थी, हम वहां गए.
वहां पर ही मामा ने रात में रुकने के लिए या आराम करने के लिए एक झोपड़ी बना रखी थी.
हम तीनों ही उस झोपड़ी में जाकर खेलने लगे.
मुझे शुरू से ही सेक्स का चस्का लगा हुआ था और मैं आज अपनी बहन की चूत चोदना चाह रहा था.
चूंकि वो मुझसे सैट हो गई थी तो मैंने खेलते खेलते ही अपना खड़ा लंड पैंट से निकाल लिया और उन दोनों को दिखाने लगा.
वो दोनों ही मेरा खड़ा लंड देख कर हंसने लगीं.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#83
मैंने सोचा कि लगता है आज चूत मिल जाएगी, पर यहां तो और उल्टा हो गया.
पहले छोटी बहन ने नाराजगी जाहिर की.
फिर उन दोनों ने ही यह कह कर मेरी गांड फाड़ दी- तुम गंदी हरकत कर रहे हो, अब हम मम्मी से कहेंगे.
ये सुनकर मेरे तो तोते उड़ गए.
कहां तो मैं इन दोनों की चूत चोदने की सोच रहा था और अब मेरे ही लौड़े लगने वाले हैं.
फिर मैंने कहा- तुम्हें नहीं देनी है तो मत दो, पर घर पर किसी से मत कहना.
मेरी इस बात पर वो दोनों मेरे लंड को देखती हुई बोलीं- पहले अपने लंड को अन्दर करो, फिर हम किसी से नहीं कहेंगी. आज के बाद दोबारा ऐसा नहीं करना.
मैं मन मारते हुए हां कहने लगा … पर वो दोनों अब भी हंस रही थीं.
फिर मामा की छोटी लड़की झोपड़ी से निकल गई और केवल हम दोनों ही अन्दर रह गए.
उसके जाते ही बड़ी लड़की मुस्कुराने लगी.
अब मेरे दिमाग कि बत्ती जली कि मैंने नहाते समय तो बड़ी वाली की गांड में उंगली की थी.
ये साली छोटी वाली के सामने मेरी गांड फाड़ रही थी.
ये सब मेरे दिमाग में आया तो मैंने फिर से हिम्मत करके बड़ी लड़की से चूत देने के लिए कहा.
वो इतरा कर बोली- अभी नहीं, फिर कभी दूंगी.
उसी बात सुनकर मैं समझ गया कि बंदी चुदने के लिए राजी है.
मैंने बाहर जाकर देखा, तो छोटी बहन घर जा चुकी थी. मैंने मन बना लिया कि जब इसका मन है ही, तो आज ही इसकी चूत चोद ली जाए.
मैं जल्दी से अन्दर गया और उससे कहा- देख, अब तो कोई भी नहीं है. तू अभी ही दे दे, बाद का पता नहीं.
पहले तो वो मना करती रही कि नहीं, अभी कोई आ जाएगा, बाद में कर लेना.
उसकी इन सब बातों से मैं भी समझ चुका था कि ये अभी चुदने को तैयार है बस नानुकर कर रही है.
इसी बात का फायदा उठाकर मैंने उसे पीछे से बांहों में भर लिया और उसके दूध दबाने लगा.
थोड़ी देर दूध दबाने के बाद मैंने उसकी सलवार के ऊपर से ही उसकी चूत पर हाथ रखा और चूत सहलाने लगा.
उसे भी चूत और दूध दबवाकर मजा आने लगा.
उसने अपनी तरफ से कुछ भी करने की कोशिश नहीं की और न ही मुझे चूत दूध सहलाने से मना किया.
मैं पीछे से उसकी गर्दन पर किस करने लगा.
साथ ही उसके दूध और जोर से दबाने लगा; उसकी सलवार के अन्दर हाथ डालकर चूत में उंगली भी करने लगा.
इस सबसे ही वो इतनी गर्म होने लगी कि वो चारपाई पर लेट गई.
वो लेटी, तो मैं उसके ऊपर चढ़ गया और उसके दूध दबाते हुए किस करने लगा.
मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया और उसकी चूत में उंगली अन्दर बाहर करने लगा.
अब तक मेरा लंड पूरा लोहे की रॉड बन चुका था.
मैंने अपनी पैंट उतार कर अपने लंड को उसके हाथ में दे दिया.
वो मेरे लंड को पकड़कर सहलाने लगी और मेरी तरफ देखने लगी.
मैंने अपना लंड उसके मुँह की तरफ कर दिया.
पहले तो वो मना कर रही थी मगर मैंने अपने हाथ से पकड़कर अपना लंड उसके मुँह में दे दिया और अन्दर बाहर करने लगा.
धीरे धीरे मैं उसके मुँह में लंड को अन्दर बाहर करता.
कुछ देर बाद उसे भी मजा आने लगा और वो भी मेरा लंड चूसने लगी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#84
मैंने अपना लंड का रस उसके अन्दर ही छोड़ दिया.
उसने भी माल चाट लिया.
वो मेरे मुरझाए हुए लंड को चूसती रही.

मुझे अपनी बहन से अपना लंड चुसवाकर जन्नत का मजा आने लगा.

मेरा लंड उसके मुँह में था तो फिर से कड़क होने लगा था.

फिर मैंने अपना लंड उसके मुँह से निकालकर, उसकी सलवार निकाल दी और उसके कमीज को ऊपर करके उसके मस्त दूध चूसने लगा.

इससे वो और भी गर्म होती जा रही थी और मेरे सर को अपने हाथों से अपने सीने में दबा रही थी.

मैं उसके दूध चूसने के बाद उसके पेट पर किस करते हुए उसकी चूत की तरफ जाने लगा.
मैंने अपने होंठ उसकी गीली चूत पर रख दिए और उसकी चूत को पूरा भर कर चूसने लगा.

मैं अपनी बहन की चूत के दोनों होंठों को अपने दांतों से दबा कर पूरा काट भी ले रहा था.
इससे उसे बहुत मजा आ रहा था. वो भी मेरा सर अपनी चूत में दबाए जा रही थी और अपनी चूत चटवाकर मजा ले रही थी.

उसकी चूत बहुत गीली हो चुकी थी और अब मैंने देर न करते हुए अपना लंड उसकी गीली चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया.

वो कहने लगी- अब देर न कर … जल्दी से चोद दे … जल्दी से अपना मोटा लंड मेरी चूत में डाल दे.

मैंने भी देर न करते हुए अपना पूरा 6 इंच का मोटा लंड उसकी चूत की फांकों के बीच में रख कर हल्का सा अन्दर दाब दिया.
लंड का सुपारा चूत की फांकों को चीरता हुआ अन्दर चला गया.

मेरे मोटे लंड के कारण उसे थोड़ा दर्द होने लगा पर उसकी चूत इतनी गीली हो चुकी थी कि अब मेरा लंड का सुपारा उसकी चूत के अन्दर बाहर होने लगा था.

मैं धीरे धीरे करके अपना लंड अन्दर करता जा रहा था.

थोड़ी देर के दर्द बाद मेरा पूरा मोटा लंड उसकी गीली चूत में अन्दर घुस गया.
अब वो कहने लगी- अन्दर बाहर करो.

मैं भी पूरे जोश में उसकी चूत में लंड को अन्दर बाहर करने लगा.

अब मैंने उससे पूछा- तू पहले भी लंड ले चुकी है क्या?
वो बोली- तू आम खाने से मतलब रख … पेड़ न गिन.

मैं समझ गया कि साली पहले से ही खेली खाई है.

फिर भी मैंने पूछा- अब तक कितनी बार ले चुकी है.
वो बोली- मेरी चुत को कोई तीसरी बार चोद रहा है.

अब हम दोनों को ही चुदाई में मजा आने लगा.
मैं अपना पूरा लंड उसकी चूत में अन्दर बाहर करते हुए अपनी बहन को धकापेल चोदने लगा.

थोड़ी देर की चूत चुदाई के बाद ही मैंने उसे अपने ऊपर बैठकर चुदने को कहा.
उसने हामी भर दी.

मैं नीचे लेट गया और उसे अपने लंड के ऊपर बैठाकर चोदने लगा.
वो भी पूरे मजे में लंड को अपनी चूत में अन्दर लेती हुई अन्दर बाहर करने लगी.

थोड़ी देर ऐसे ही चुदने के बाद ही वो झड़ गई और नीचे आकर लेट गई.

पर मेरा लंड अभी भी खड़ा हुआ था तो मैंने उसे घोड़ी बनने को कहा और उसके पीछे से जाकर उसकी चूत में लंड डालकर चोदने लगा.

वो फिर से चार्ज हो गई थी और गांड हिलाती हुई चूत चुदाई का मजा ले रही थी.

थोड़ी देर की चूत चुदाई के बाद उसे कुछ ज्यादा ही मजा आने लगा और वो मजा लेकर और आवाजें निकलती हुई चूत चुदाई करवाने लगी.

मैंने उससे फिर से अपने ऊपर आने को कहा और अपना लंड उसकी चूत से निकाल कर नीचे लेट गया.
मैं उसकी चूत में नीचे से धक्के लगाने लगा.

अब मुझे भी चुदाई करते हुए काफी देर हो चुकी थी और मुझे ऐसे में मजा भी बहुत आ रहा था तो मेरा लंड अपनी पिचकारी छोड़ने की तैयारी में था.

मैंने कहा- बस मेरा होने वाला है.
वो भी कहने लगी- मैं भी झड़ने वाली हूँ … जल्दी से कर लो, नहीं तो कोई आ जाएगा.

मैं अपने लंड को उसकी चूत में तेजी से अन्दर बाहर करते हुए उसकी चुदाई करने लगा.
तभी वो अपना बदन ऐंठाती हुई झड़ गई.

उसी चूत की गर्मी से मेरा लंड भी पिघलने वाला हो गया था.
मैंने उसे जल्दी से सीधी लेटने को कहा.

वो टांगें खोल कर लेट गई. मैं उसके ऊपर आकर उसकी चूत में लंड डालकर धकापेल चूत चुदाई करने लगा.
झड़ते समय मैंने अपना लंड चूत से बाहर खींच कर अपना सारा माल उसके पेट पर गिरा दिया.

लंड का पानी निकला तो मैंने अपना लंड उसके मुँह में डाल दिया और उससे चुसवाने लगा.
उसने लंड साफ कर दिया और हम दोनों भी वहां से घर आ गए.
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#85
(06-06-2022, 03:59 PM)neerathemall Wrote:
खेत में कुंवारी  की ज़ोरदार चुदाई


मैंने अपनी सारी पढ़ाई पंजाब में ही की थी. मैं एक फैक्ट्री में नौकरी करता हूँ। कभी कभी मैं अपने पिता के साथ भी काम करवा देता था. जब भी मुझे समय मिलता था मैं अपने पिता के साथ भी हाथ बंटा दिया करता था.
अब मैं आपको उस जमींदार के परिवार के बारे में बता देता हूं जिसके यहां पर मेरे पिताजी काम किया करते थे. वो भी जमींदार थे. उनके परिवार में चार लोग थे.
एक मालिक था, उसकी बीवी और उसके दो बच्चे. बच्चों में एक लड़का था और एक लड़की थी. उनका लड़का तो कनाडा में पढ़ाई करने के लिए गया हुआ था जबकि लड़की यहीं पर रह रही थी.
उस जमींदार के पास 20 एकड़ ज़मीन थी. उनके यहां पर 10 के करीब भैंस भी थी. मालिक का स्वभाव काफी सहज और सरल था. जबकि उसकी जमींदारनी बीवी के स्वभाव में बहुत अकड़ थी. उसके साथ मेरी कई बार बहस भी हो चुकी थी. उसने मुझे कई बार बुरा भला बोला हुआ था.
मैं उस जमींदारनी की बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं देता था. बस अपने काम से काम रखता था. उसकी बेटी दीपिंदर कौर का स्वभाव अच्छा था. उसके साथ मेरी सही बनती थी. वही इस कहानी की नायिका भी है.
दीपिंदर को सब लोग प्यार से दीपू कह कर बुलाया करते थे. हम दोनों की दोस्ती काफी अच्छी थी. जैसा उसका स्वभाव उससे कहीं ज्यादा वो देखने में सुंदर और सुशील थी. दीपू की हाइट 5.5 फीट की थी. उसकी उम्र 25 साल थी और पढ़ाई भी काफी कर चुकी थी.
उसकी मां उसको बहुत ही ज्यादा अनुशासन में रखा करती थी. वो कई बार अपनी आजादी के बारे में मुझसे शिकायत किया करती थी. मैं उसको समझा देता था. फिर उसके घरवालों ने उसकी शादी के लिए लड़के की तलाश शुरू कर दी.
दीपू के घरवाले उसकी शादी किसी कनाडा के लड़के से ही करवाना चाहते थे. उसका रूप देख कर न चाहते हुए भी मेरी नजर उसके बदन पर चली जाती थी. जब भी वो घर में होती थी तो मैं उसको ही देखता रहता था.
बनाने वाले उसको बहुत ही कोमल और प्यारा रूप दिया था. वो घर में सूट भी पहनती थी और पजामे के साथ टी-शर्ट भी पहन लेती थी। उसके गोल गोल मम्मे काफी बड़े थे. उसकी गांड भी गोल थी।
अब तक उसका जिस्म बिल्कुल ही अनछुआ था. किसी कुंवारी जमींदारनी को देख कर तो अच्छे खासे साधुओं का मन डोल जाता है. मैं तो एक साधारण बिहारी ही था.
जब भी वो मेरे करीब होती थी तो मेरे लंड में हलचल होना शुरू हो जाती थी. मेरा इस पर कोई वश नहीं चलता था। दीपू मेरे साथ एक दोस्त की तरह बात कर लेती थी। हमारी दोस्ती वाला यह रिश्ता उसकी माँ को बिलकुल भी पसंद नहीं था। भगवान ने मुझे लंड बहुत मोटा और लम्बा दिया था. मैं दीपू को देखकर बस मुठ मारकर काम चला लेता था.
हमारे गांव में बिहार से आये लोग काफी संख्या में रहते थे. वो सब वहां पर मजदूरी का काम किया करते थे. दीपू शाम को अपने चाचा की लड़कियों के साथ सैर करने के लिए जाती थी.
जिस रास्ते से वो जाया करती थी उस पर मेरे दो बिहारी दोस्त भी रहा करते थे. वो रोज उन तीनों जमींदारनियों को गांड मटकाते हुए देखा करते थे. पजामे में मटकती उनकी गांड को देख कर उनके लंड बेकाबू हो जाते थे.
मेरे दोस्तों ने कई बार मुझे बोला कि तुम्हारे पास में इतना पटाखा माल रहती है, तुमने आज तक कुछ करने की कोशिश क्यों नहीं की?
मैं उनको कह देता था कि मुझे आज तक कभी कुछ करने का मौका ही नहीं मिला. वैसे मेरी हिम्मत भी कम ही होती थी.
कई बार ऐसा होता था कि उसके घरवाले रिश्तेदारों के यहां गये हुए होते थे तो दीपू घर पर अकेली ही होती थी. हम दोनों एक ही कमरे में बैठ कर टीवी देख लिया करते थे. कई बार तो वो मेरे सामने ही बेड पर लेटी होती थी. उसकी गोल गोल गांड को देख कर मेरा बदन पसीने पसीने हो जाता था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#86
एक दिन की बात है कि ऐसे ही हम लोग टीवी देख रहे थे. कूलर की हवा से उसका टीशर्ट उड़कर ऊपर हो गया. मुझे उसके चूतड़ों पर चढ़ी हुई लाल रंग की चड्डी हल्की सी दिख गयी. उसकी गोरी सी गांड पर वो लाल चड्डी देख कर मैं तो अपने आपे में नहीं रहा. मन कर रहा था उसकी गांड को चाट लूं और उसमें लंड दे दूं.
मेरा लंड बेकाबू हो गया था. मगर हैरानी की बात ये थी कि उसने भी अपनी टीशर्ट को सही नहीं किया. मैं सोच रहा था कि शायद ये भी कहीं चुदने के लिए तैयार तो नहीं है? फिर मैंने सोचा कि नहीं ऐसा नहीं हो सकता है. इतनी पटाखा माल भला मुझसे क्यों चुदेगी?
दीपू को स्कूटी चलानी नहीं आती थी. कई बार जब उसको गांव से बाहर शहर जाना होता था तो वो मुझे ही लेकर जाती थी. एक दिन की बात है कि दीपू के पिताजी कहीं गये हुए थे. उनके रिश्तेदार बहुत थे. आये दिन वो किसी न किसी के यहां गये हुए होते थे.
मुझसे दीपू की मां ने कहा कि दीपू को शहर लेकर चला जाऊं. उसको कुछ जरूरी काम था शहर में. मैं तो वैसे भी ऐसे मौके के लिए तैयार ही रहता था. जब हम घर से निकले तो हवा काफी तेज चल रही थी. स्कूटी के ब्रेक लगाते ही दीपू की चूची मेरी पीठ से सट जाती थी.
रास्ते में जाते हुए दीपू ने बताया कि वो वैक्सिंग करवाने के लिए जा रही है. जब हम लोग शहर से वापस गांव की ओर आ रहे थे तो बीच रास्ते में ही बारिश शुरू हो गयी. बारिश में स्कूटी नहीं चलाई जा सकती थी. मुझे आसपास कोई रुकने की जगह भी नहीं दिख रही थी.
दीपू मुझे कहीं रुकने के लिए कह रही थी. अचानक से मुझे जमींदार के खेत की मोटर का ध्यान आया. वहां पर काफी ऊंची चारदीवारी थी और एक कमरा भी बना हुआ था. हमने वहीं पर जाने के लिए सोचा और दीपू भी मान गयी.
खेत पर जाकर मैंने स्कूटी को पास में ही पार्क किया और हम लोग जल्दी से कमरे में जाकर घुस गये. हम दोनों पूरी तरह से भीग चुके थे.
मुझे बारिश में नहाने का बहुत शौक था. इसलिए मैं खुद को रोक नहीं पाया. मैंने दीपू से अंदर रुकने के लिए कहा.
मैंने अपने सारे कपड़े उतारे और सिर्फ चड्डी में ही बाहर जाकर बारिश में नहाने लगा. फिर मैं मोटर के पास बने उस तालाब में नहाने लगा. मैं पानी में तैर रहा था. दीपू मुझे देख रही थी.
उसने अंदर से आवाज देकर पूछा- तुम्हें तैरना आता है?
मैंने कहा- हां, देखो, तुम्हारे सामने ही तैर रहा हूं.
वो बोली- मेरा मन भी पानी में तैरने को कर रहा है लेकिन डरती हूं.
मैंने कहा- इसमें डरने की क्या बात है? मैं हूं ना तुम्हारे लिये!
पता नहीं जोश जोश में मेरे मुंह से ये बात कैसे निकल गयी. मगर दीपू ने भी इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया. अगर मैंने ये बात नहीं कही होती तो शायद ये कहानी भी नहीं होती.
वो बोली- अच्छा ठीक है, लेकिन मैं तुम्हारे सामने कपड़े नहीं उतार सकती, तुम दूसरी ओर मुंह करो.
मैंने उसके कहने पर मुंह घुमा लिया. दो मिनट के बाद वो उस तालाब के अंदर थी. पानी उसकी गर्दन तक आ रहा था. मगर साफ पानी होने की वजह से मुझे दीपू की सफेद ब्रा और नीचे लाल चड्डी साफ दिख रही थी.
दोस्तो, मैंने उसको पहली बार इस रूप में देखा था. मेरा मन ऐसा कर रहा था कि उसको काट कर खा ही लूं. बारिश में भीगता उसका गोरा जिस्म और उसके उभार देख कर मेरा लंड पानी के अंदर ही तंबू बना रहा था.
मेरे लंड में झटके लगना शुरू हो गये थे. उसकी ब्रा के अंदर कैद उसके उभारों की मस्त सी शेप देख कर कोई भी पागल हो सकता था. सच में जमींदारनी बहुत सेक्सी होती हैं. मेरे दोस्तों ने सच ही कहा था कि जमींदारनी को चोदने का मजा ही कुछ और है.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#87
अभी भी मेरे अंदर इतनी हिम्मत नहीं आ रही थी कि मैं उसके साथ कुछ छेड़खानी कर सकूं. वो धीरे धीरे गहरे पानी की ओर आ रही थी. तभी उसका पैर फिसल गया और वो पानी में नीचे जाने लगी. मैंने उसको पकड़ा और थोड़े उथले पानी में लेकर आया.
मैंने कहा- तुम्हें तैरना नहीं आता है.
वो बोली- हां मुझे पता है. तुम ही सिखाओगे मुझे तैरना. इसीलिए तो मैं इस हालत में तुम्हारे साथ हूं.
मैंने कहा- ठीक है. पहले मैं तुम्हारी मदद करता हूं और उसके बाद तुम खुद कोशिश करना.
दीपू के जिस्म को अपने हाथों में थाम कर मैं उसको तैरना सिखाने लगा जिसके दौरान मेरा लंड बार बार उसके बदन को छू रहा था. उसके कोमल जिस्म को छूकर मेरे लंड में तूफान सा उठ रहा था. मन कर रहा था कि उसकी चड्डी को उतार कर उसकी चूत में लंड को घुसा दूं लेकिन मैं जल्दबाजी नहीं करना चाह रहा था.
उसको मैंने पेट के करीब से पकड़ा हुआ था और वो पानी में हाथ पैर मार रही थी. एक दो बार ट्राइ करने के बाद वो थोड़ा तैरने लगी और काफी खुश हुई.
मैंने कहा- अभी तुम्हें थोड़े अभ्यास की जरूरत है.
वो बोली- हां ठीक है मैं कोशिश करती हूं.
वो कम गहरे पानी में तैरने की कोशिश करने लगी. तालाब के पानी में उसका गोरा जिस्म चमक रहा था. मेरा ध्यान बार बार उसकी गांड और उसके बूब्स की ओर जा रहा था. मेरे अंडरवियर में तंबू बना हुआ था जिसे दीपू ने भी नोटिस कर लिया था.
अब मैं बाहर आकर पानी में ऊंचाई से छलांग लगाने लगा. दीपू मेरे लंड के उठाव को देख रही थी. मैं भी थोड़ा शरमा रहा था लेकिन मेरे वश में कुछ नहीं था. मैं अपनी उत्तेजना को रोक नहीं पा रहा था.
मुझे पानी में मजे से छलांग लगाते देख दीपू का मन भी रोमांचित हो उठा.
वो बोली- मुझे भी ऐसे ही करना है.
मैंने कहा- ठीक है लेकिन पहले छोटी छलांग लगाना. अभी तुम्हें ठीक से तैरना नहीं आता है.
वो बोली- ठीक है, मैं कोशिश करती हूं.
दीपू भी ऊपर आकर पानी में छलांग लगाने की कोशिश करने लगी. जब वो पानी से बाहर आई तो उसकी लाल चड्डी उसकी गांड में चिपकी हुई थी. उसकी गांड के अंदर घुसी हुई उसकी चड्डी की शेप देख कर मेरा मुंह खुला खुला रह गया. मैं अपने लंड को हाथ से सहलाने पर मजबूर हो गया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#88
मैंने नजर बचाकर उसकी गोरी और गोल गांड देखने लगा. उसकी ब्रा में कैद उसकी चूचियों के निप्पल भी एकदम से जैसे तन गये थे. उसके निप्पल की शेप अलग से उभरी हुई मालूम पड़ रही थी.
जैसे ही उसने छलांग लगाई वो पानी में नीचे डूबने लगी और मैंने उसको संभाला. अब वो मेरी बांहों में थी. मैं उसको देख रहा था. उसकी चूचियां एकदम से तनी हुई थीं उसकी ब्रा में. मेरा लंड पूरे जोश में आकर एकदम से सख्त हो गया था.
वो भी शायद उत्तेजित हो रही थी.
मैंने कहा- मैंने तुम्हें तैरना सिखाया है, मुझे कुछ गिफ्ट नहीं दोगी क्या?
वो बोली- क्या चाहिए तुम्हें?
मैंने कहा- मैं बस एक बार तुम्हें बिना कपड़ों के देखना चाहता हूं.
पहले तो वो मना करने लगी लेकिन फिर बोली- ठीक है, मैं केवल एक बार के लिए ब्रा उतारूंगी.
मैंने कहा- ठीक है.
ब्रा उतारने के नाम से ही मेरा लंड टनटना गया था.
मैंने कहा- चलो अंदर कमरे में चलते हैं. मैं नहीं चाहता कि कोई यहां तुम्हें इस हालत में देख ले.
वो बोली- ठीक है.
हम दोनों पानी से बाहर निकल आये. उसकी लाल चड्डी से पानी की धार टपक रही थी. उस पानी को पीने के लिए मेरे मुंह में भी पानी आ गया था. वो मेरे आगे चल रही थी और उसकी मटकती गांड को देख कर मेरा लंड फनफना रहा था.
हम दोनों अंदर चले गये. मगर उसको अभी शर्म आ रही थी.
मैंने कहा- यहां पर मेरे और तुम्हारे अलावा कोई नहीं है.
वो बोली- नहीं, तुम उस तरफ मुंह करो.
मैंने उसके कहने पर मुंह घुमा लिया.
कुछ सेकेण्ड्स के बाद उसने मुझे वापस पलटने के लिए कहा.
जैसे ही मैंने पलट कर उसकी छाती की ओर देखा तो मैं उसके सफेद और गोल चूचे देख कर खुद को रोक ही नहीं पाया. मैंने उसकी चूची को पकड़ लिया.
वो बोली- क्या कर रहे हो, ये गलत है.
मैंने कहा- एक बार छूने दो. बहुत मन कर रहा है.
मैंने उसके हामी भरने से पहले ही उसकी चूची को पकड़ लिया और दबा दिया. जब तक वो कुछ बोलती मेरे होंठ उसकी चूची पर गड़ गये थे.
वो पीछे हटी और बोली- नहीं विजय, ये गलत है.
मैंने कहा- बस एक बार करने दो दीपू, तुम्हें भी बहुत मजा आयेगा.
तुरंत मैंने उसकी चूची को मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया और वो जैसे मेरे काबू में होने लगी. एक दो बार रोकने के बाद उसने विरोध करना बंद कर दिया और मेरे दोनों हाथ उसकी दोनों चूचियों को दबा दबा कर मसल रहे थे.
मैं जोर जोर से उसकी चूचियों को मुंह में बारी बारी से लेकर पी रहा था और मेरे हाथ उसकी चूचियों को लगातार दबा रहे थे. वो इतनी सेक्सी होगी मैंने कभी इसकी कल्पना भी नहीं की थी. अब मुझे पता चला कि सारे बिहारी उसको ऐसी भूखी नजर से क्यों ताड़ा करते थे.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#89
दीपू की कड़क गीली चूचियों को जोर जोर से चूसते हुए मैं उसके निप्पलों को काट रहा था. दीपू के मुंह से अब सिसकारियां निकलने लगी थीं. वो सिसकारते हुए मेरे बालों में हाथ फिरा रही थी- आह्ह … विजय … नहीं … आह्ह … आराम से … ओह्ह … जोर से … उसकी ये कामुक आवाजें मेरे जोश को बढ़ा रही थीं.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#90
ममेरी बहन के संग प्यार भरी चुदाई



















































































































































Namaskar Namaskar
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#91
ह बात 4 साल पहले की है जब मैं अपने मामा जी के यहाँ घूमने गया था। मेरे मामा जी की फैमिली में 5 मेम्बर हैं. मामा-मामी, उनके 2 बड़े बेटे और एक बेटी जिसका नाम पुष्पिका है. पुष्पिका इस कहानी की मुख्य नायिका है।
पुष्पिका की उम्र उस समय 21 वर्ष थी। उसका फिगर कयामत था. देखने में बिल्कुल ऐश्वर्या राय जैसी लगती है। गुलाबी सा बदन, नीली सी आंखें, भूरे मगर चमकदार बाल (सिर के). चूत के बारे में कहानी में आगे आपको पता लग जाएगा. उसका साइज 32-28-32 के करीब था उस वक्त। जब वो चलती थी तो उसकी गांड की अलग ही शेप दिखती थी।
मेरे मामा हरियाणा में रहते हैं. दिल्ली में रहने वाले ज्यादातर लोगों की रिश्तेदारी हरियाणा में है. मैं नॉर्थ और वेस्ट दिल्ली की बात कर रहा हूं. ईस्ट वाले तो यू.पी. से आकर बसे हुए हैं. तो मुझे हरियाणा में अपने मामा के घर पहुंचते-पहुंचते शाम हो गयी थी. चूंकि दिल्ली में ट्रैफिक बहुत होता है इसलिए जितना टाइम दिल्ली से निकलने में लग जाता है उतने टाइम में तो आदमी चंढीगढ़ पहुंच जाता है.
खैर, जब मैं वहां पहुंचा तो सभी लोग मुझे देख कर बहुत खुश हुए. तभी अन्दर से पुष्पिका भी आ गयी. मैंने आज से पहले उसे कभी गलत नजरों से नहीं देखा था, लेकिन आज उसे देख कर मेरा मन ही बदल गया. अभी तक मैंने उसके खूबसूरत चेहरे को ही देखा था. फिर एक ही बार में उसके पूरे बदन को अपनी नजरों के स्कैनर से स्कैन कर लिया.
एक बार को तो मैं भूल ही गया कि वो मेरी बहन है. मन कर रहा था कि बस यहीं इसको चूस लूं। लेकिन मैंने किसी तरह अपने आप को संभाला।
काफी रात हो गयी थी. सबने खाना खाया, फिर सोने की तैयारी करने लगे. मुझे मेरे बड़े भाई के साथ उनके रूम में ही बिस्तर लगा कर सोने के लिए बोला गया। हल्की ठंड के दिन थे तो मैं और बड़े भाई नीरज एक ही रजाई में लेट गए. हमने नॉर्मली एक दूसरे से बातें की. थोड़ी देर के बाद ही भैया सो गए। लेकिन मेरी नींद तो पुष्पिका के बारे में सोच-सोच कर पता नहीं कहां गायब हो गयी थी.
मुझे उसमें अपनी बहन नहीं बल्कि एक जवान और सेक्सी लड़की नजर आ रही थी। मैं पूरी रात यही सोचता रहा कि कैसे उसे चोदा जाए … उसके बारे में सोच कर लंड ताव में आ गया था. मेरा हाथ मेरी लोअर के अंदर अपने आप ही जाकर उसको खुजलाने और सहलाने लगा. अब आप तो समझ ही सकते हो कि एक बार हाथ लंड पर खुजलाने भर के लिये भी चला जाये तो लंड को खड़ा करके ही छोड़ता है.
लंड खड़ा हो गया तो मैंने लौड़े के टोपे को भी आगे-पीछे करना शुरू कर दिया. पुष्पिका का सेक्सी बदन मेरे ख्यालों में घूम रहा था. तेजी के साथ मैं लंड को हिलाने लगा. जल्दी ही मेरे लंड ने मेरी बहन की कमसिन जवानी के सामने ख्यालों में ही घुटने टेक दिये. उसके चूचों को ख्यालों में चूसा और जब चूत को ख्यालों में नंगी किया तो मेरे लंड से वीर्य की पिचकारी छूट पड़ी. अंडरवियर गीला हो गया. चूंकि साथ में भैया सो रहे थे इसलिए मैं चुपचाप वैसे ही पड़ा रहा. पुष्पिका की चूत चोदने की प्लानिंग दिमाग में चल रही थी मगर समझ नहीं आ रहा था कि यह सब होगा कैसे? यही सोचते-सोचते मैं कब सो गया, पता ही नहीं चला।
सुबह मेरी बहन पुष्पिका की आवाज से ही मेरी आँखें खुलीं.
पुष्पिका- परम भाई, चाय पी लो, कब तक सोते रहोगे? रात में ठंड लगी क्या आपको जो अब तक सो रहे हो?
मेरी आँखें जैसे ही खुली मैं उसे देखता ही रह गया. वो तभी नहा कर आई थी. उसके बाल गीले और खुले हुए थे. उसने ब्लू कलर का पंजाबी सूट पहन रखा था जिसमें वो बहुत ही मस्त माल लग रही थी. मैं बस उसे देखे जा रहा था. इतने में उसने मुझे दोबारा टोका.
पुष्पिका- क्या हुआ भाई? कहां ध्यान है आपका? इतनी देर से मुझे ही देखे जा रहे हो. लो चाय पी लो वर्ना ये ठंडी हो जाएगी।
मैं- पुष्पिका, भाई कहां है?
पुष्पिका- वो दोनों तो कॉलेज चले गए. आपको जगाया भी था उन्होंने लेकिन आप जागे ही नहीं।
मैं- अच्छा … किसने जगाया था मुझे?
पुष्पिका- भाई ने। अच्छा चलो, आप जल्दी से फ्रेश हो जाओ मैं ब्रेकफास्ट तैयार कर देती हूं आपका. इतना कहकर वो रूम से बाहर जाने लगी.
उसकी गांड का मटकना मुझे पागल कर गया. मैंने चाय पी और फिर बाथरूम में जाकर उसके नाम की मुट्ठ मारी. जिंदगी में पहली बार मुट्ठ मारने में इतना मजा आया मुझे क्योंकि रात को तो मैं थका हुआ था लेकिन रात भर नींद लेने के बाद लंड में एक अलग ही जोश भर गया था और सुबह-सुबह की एनर्जी थी लौड़े में।
तभी मेरी नज़र वहां पड़ी हुई ब्रा और पैंटी पर पड़ी. शायद पुष्पिका नहाने के बाद उन्हें रखना भूल गयी। मैंने पैंटी को उठाया तो उसमें से मुझे मेरी बहन की चूत की मनमोहक खुशबू आ रही थी। मैंने उसकी पैंटी से ही अपने लंड महाराज को रगड़ना चालू कर दिया फिर उसी पर अपना सारा लावा गिरा दिया.
नहा कर मैं बाहर आया तो देखा कि पुष्पिका ने ब्रेकफास्ट बना कर तैयार किया हुआ था।
मैंने घर में देखा कि कोई भी नजर नहीं आ रहा था तो मैंने पुष्पिका से पूछा कि मामा-मामी कहां गये हैं?
पूछने पर उसने बताया कि वो दोनों किसी काम से बराबर वाले गांव गए हैं, शाम तक ही लौटेंगे।
यह सुनकर मेरे मन में बैठा शैतान जाग गया। शैतान वैसे कल रात को ही जाग गया था मगर वह घर वालों के डर से बैठा हुआ था.
अब जब उसको पता चला कि मेरी सेक्सी बहन घर में अकेली है तो वो फिर से खड़ा हो गया. मैंने मन ही मन में सोचा- बेटा परम, यही अच्छा मौका है अगर कुछ करना है तो …
मेरी बहन मुझसे ज्यादा खुली हुई नहीं थी. मगर किसी न किसी तरह बात तो शुरू करनी ही थी. यही सोच रहा था कि बात करूं तो करूं कैसे. फिर अगर बात शुरू हो भी गयी तो बात को सेक्स तक कैसे लेकर जाऊं.
मैंने पुष्पिका से उसकी पढ़ाई के बारे में नॉर्मली पूछा. बात शुरू करने के लिए पढ़ाई की बात करना ही सबसे बेहतर तरीका होता है क्योंकि इससे सामने वाला मना भी नहीं कर पाता है.
मैंने पूछा- तुम्हारी पढ़ाई कैसी चल रही है और आज क्यों नही गयी कॉलेज?
इस तरह की बोरिंग सी बातें करता रहा मैं पुष्पिका के साथ और उसको मेरी बातों का जवाब देना पड़ रहा था. हम दोनों में बीस मिनट तक बातें चलती रहीं जो बस फालतू ही थी.
फिर मैंने हिम्मत करके उससे पूछा- अच्छा एक बात बता, तू इतनी खूबसूरत कैसे होती जा रही है? कोई बॉयफ़्रेंड है क्या तेरा जो उसकी वजह से इतनी खूबसूरत दिखने लगी?
पुष्पिका- क्या भाई … आप दिल्ली में रह कर भी ये सब पूछोगे? मेरे फ़्रेंड तो हैं लेकिन बॉयफ्रेंड कोई नहीं है. मुझे कोई बनाना भी नहीं है क्योंकि सब मतलबी होते हैं।
उसका जवाब सुनकर मैं मन ही मन खुश हो रहा था कि चलो इस बारे में बात तो स्टार्ट हुई हमारी।
मैं- किस तरह से मतलबी होते हैं, मैं समझा नहीं कुछ?
पुष्पिका- भाई, आपकी गर्लफ्रैंड है?
मैं- पहले थी, अब तो कोई नहीं है? क्यों, तुमने ऐसा क्यों पूछा?
पुष्पिका- बस वैसे ही पूछ लिया. नहीं पूछ सकती क्या मैं अपने भाई से उसके बारे में कुछ? वैसे जब आपकी गर्लफ्रैंड थी तो आपको मेरी बातों का मतलब भी पता होना चाहिए था।
मैं- वैसे पुष्पिका, मैं नहीं समझ पाया इसलिए ही पूछ लिया था मैंने। (मैं समझ गया था कि ये मुझसे अब खुलकर बात कर सकती है बस थोड़ी सी कोशिश करनी होगी)
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#92
पुष्पिका- छोड़ो भाई, कहां की बातें ले कर बैठ गए तुम भी।
मैं- अरे बाबा बताओ तो मुझे, तुम्हारी बात का मतलब सच में मुझे समझ नहीं आया. इसलिए पूछ रहा हूँ.

अब वो मेरी तरफ घूर-घूर कर देखने लगी थी. शायद वो भी समझ गयी थी कि मैं उसके साथ ओपन होना चाहता हूँ.
पुष्पिका- आजकल के लड़कों को सिर्फ लड़की के साथ कुछ टाइम बिताना होता है. जब उससे मन भर जाता है तो दूसरी को पकड़ लेते हैं।
मैं- लेकिन मेरी गर्लफ्रैंड के बाद तो मैंने किसी को नहीं देखा।
पुष्पिका- कोशिश तो अपने भी की होगी भाई, ऐसी बात पर मैं तो विश्वास कर ही नहीं सकती कि लड़के की नजर किसी और लड़की पर न जाए.
मैं- हां ये तो तुम सही बोल रही हो, लेकिन मुझे कोई वैसी मिली ही नहीं उसके अलावा।
पुष्पिका- एक बात पूछूँ … बुरा तो नहीं मानोगे?
मैं- पूछो, तुम्हारी बातों का बुरा क्यों मानूँगा?
पुष्पिका- ऐसी कौन सी हूर की परी थी वो वो जो उसके जैसी आपको अब तक नहीं मिली?

मैंने हिम्मत करके पुष्पिका की आँखों में देख कर बोला- तुम्हारे जैसी थी बिल्कुल.
पुष्पिका- क्या मतलब है भाई आपका?
मैं- पुष्पिका वो बिल्कुल तुम्हारी तरह ही सेक्सी थी.
पुष्पिका- मैं बहन हूं आपकी और आप इस तरह के शब्द यूज़ कर रहे हो अपनी बहन के लिए?
मैं- सॉरी अगर तुम्हें बुरा लगा हो तो. लेकिन मैं सिर्फ़ सच बता रहा था. तुम बहुत सुंदर और सेक्सी हो गयी हो पुष्पिका.

लड़की का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करने का ये सबसे अच्छा तरीका होता है. उसके हुस्न की तारीफ करते रहो और किसी दूसरी लड़की से उसकी तुलना करते रहो. मैं उन सब बातों में माहिर था. मगर मेरी बातों का असर फिलहाल कुछ उल्टा सा हो गया था.
पुष्पिका गुस्से में- ये बातें भाई-बहन के बीच अच्छी नहीं लगती.
मैं- अगर कोई और बोलता तो क्या तुम्हें तब भी बुरा लगता?

पुष्पिका वहां से उठ कर जाने लगी तो मैंने उसका हाथ पकड़ लिया. मुझे पता नहीं क्या होने लगा था. मेरे अंदर की हिम्मत अपने आप ही बढ़ने लगी थी. वैसे ऐसा करने के लिए बहुत हिम्मत की जरूरत होती है. एक तरफ पुष्पिका इसके लिए तैयार नहीं थी मगर फिर भी मैंने उसका हाथ पकड़ लिया था.
मैं बस उसके साथ आज सेक्स करना ही चाहता था किसी भी हालत में। पुष्पिका ने मेरा हाथ छुड़ाने की कोशिश की तो मैं कुर्सी से उठा और अपने हाथों से उसके गालों को पकड़ लिया. वो बस गुस्से से मेरी तरफ देखे जा रही थी.

मैं- पुष्पिका, अगर मैं तुम्हें पसंद करता हूं तो गलत क्या है? अभी थोड़ी देर पहले तुमने ही कहा था कि सब मतलबी होते हैं लेकिन मैं तो तुम्हारा ही भाई हूँ. मैं क्या मतलब निकालूंगा तुमसे! क्या तुम अपनी जवानी को यूं ही बेकार करना चाहती हो? अगर तुम मुझसे नाराज हो तो सॉरी. मैं अभी वापस दिल्ली चला जाता हूं.

ये सुनकर वो कुछ समय के लिए बिल्कुल चुप हो गयी. थोड़ी देर बाद मेरे कान के पास आकर बोली- भाई मेरा भी मन करता है लेकिन किसी को पता न चल जाये इसलिए ख़ानदान की इज्जत की वजह से मैं हमेशा अपने ऊपर कंट्रोल कर लेती हूं। आप मेरे भाई हो इसलिए मैंने आपको ये सब बात बता दी। लेकिन हमारे बीच में ऐसा कुछ नहीं हो सकता. आप मेरे भाई हो और मैं बहन हूं आपकी।

मैंने उसके गाल पर एक किस किया और बोला- अगर तुम कहीं बाहर कुछ करती तो पता भी चल सकता था लेकिन मेरे साथ करने के बारे में किसी को पता भी नहीं चलेगा. सबकी नजरों में हम भाई-बहन हैं. कोई शक भी नहीं करेगा हमारे ऊपर और मैं तुम्हें बहुत खुश रखूंगा।
इतना कहते ही मैं मेन गेट बंद कर आया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#93
चलते हुए मुझे महसूस हो रहा था कि मेरा लंड मेरी लोअर में तनने लगा है. तनाव में आते हुए लंड के साथ हवस भी बढ़ने लगी थी.

वापस आते ही मैंने उसको अपनी बांहों में भर लिया। वो भी मुझसे एकदम से चिपक गयी जैसे बहुत दिनों की प्यासी हो.
मैंने उसके लिप्स पर अपने लिप्स रख दिये. वो स्मूच करने लगी. अब हम भाई बहन नहीं रह गये थे. लग रहा था कि एक-दूसरे में समा जाएंगे। वो मेरे होंठों को ऐसे पी रही थी जैसे कि खा ही जाएगी. हम दोनों की जीभ एक-दूसरे के मुंह में घूमने लगी. कभी वो मेरे होंठों को चूस लेती तो कभी मेरे गालों पर चूम लेती. वह मुझसे भी ज्यादा गर्म हो गई थी.

15 मिनट तक हम किस करते रहे. उसके बाद हम अलग हुए. अब पुष्पिका के चहरे पर एक अलग ही खुशी झलक रही थी. बिल्कुल भी टाइम खराब न करते हुए वह मुझे खींच कर अपने बेडरूम में ले गयी. अंदर जाकर हमने फिर से एक-दूसरे को किस किया. उसने मेरी टी-शर्ट उतार दी. नीचे से मैंने बनियान पहनी हुई थी जिसको मैंने खुद निकाल दिया. बनियान उतारते ही मेरी चेस्ट नंगी हो गई. फिर मैंने लोअर भी खींच कर नीचे गिरा दिया और अपनी टांगों से निकालते हुए जमीन पर ही छोड़ दिया.
मेरे अंडरवियर में मेरा लौड़ा तन कर पागल हो चुका था. पुष्पिका के नाम की दो बार मुट्ठ मारने के बाद भी उसका जोश आसमान छू रहा था. पुष्पिका थी ही इतनी सेक्सी. मैंने फिर से उसको अपनी बांहों में पकड़ा और उसकी गर्दन को चूमने लगा. मेरा तना हुआ लौड़ा उसकी जांघों के बीच में छिपने का रास्ता ढूंढ रहा था.

कुछ देर तक उसको चूसने के बाद मैंने उसके कपड़े उतारने शुरू किये. उसके शर्ट को उतारा तो नीचे से उसने काले रंग की ब्रा पहनी हुई थी. हाय … क्या बताऊं … उसके गोरे बदन पर काले रंग की ब्रा में खड़े हुए उसके चूचे देखकर मैं तो पगला गया. मैंने जल्दी से उसकी सलवार का नाड़ा खुलवाकर उसकी सलवार भी उतरवा दी. अब वो केवल ब्रा और पैंटी में रह गई थी.

मैंने उसको अपनी बांहों में कस कर भींचा और उसकी गर्दन को चूमते हुए उसको बेड पर धकेल दिया. उसके ऊपर चढ़ कर उसकी ब्रा के ऊपर से मैंने उसके चूचों को दबाया और फिर उसको पलटी मार कर पेट के बल लेटा दिया. उसकी ब्रा के हुक खोले और उसकी गोरी पीठ को नंगी कर दिया. उसके बालों को हटा कर उसकी पीठ पर अपने गर्म होंठ रख कर उसको चूमा और फिर से उसको सीधी करते हुए उसकी ब्रा को उसके कंधों से निकाल कर अलग कर दिया. उसके गुलाबी रंग लिये निप्पलों का तनाव देख कर मैं उसके चूचों पर टूट पड़ा.

पुष्पिका की चूचियों को जोर से पीने लगा. वो मुझे बांहों में लेकर प्यार करने लगी. मेरा लंड उसकी पैंटी पर रगड़ खा रहा था. उसके बाद मैंने उसके चूचों को चूस कर लाल कर दिया और उसके पेट को चूमते हुए उसकी पैंटी को खींच दिया. उसकी गोरी जांघों से जब उसकी पैंटी निकली तो उसकी हल्के बालों वाली चूत देख कर मैं धन्य हो गया.

मैंने उसकी टांगों को थोड़ी फैलाया और उसकी चूत पर अपने होंठ रख दिये. वो तड़प उठी.
उसकी चूत को चूसते ही बात मेरे काबू से बाहर हो गई. मैंने अपनी गांड उसकी तरफ घुमाई और कच्छे को उतार कर अपना तना हुआ औजार उसके होंठों पर लगा दिया. उसने मेरे लंड को मुंह में ले लिया और चूसने लगी. 69 की पोजीशन में वो मेरे ऊपर आ गयी. उसने अपनी चूत को मेरे होंठों पर रख दिया और खुद मेरा लौड़ा अपने मुंह में ले कर आइसक्रीम की तरह चूसने लगी. मुझे तो मानो जन्नत का स्वाद आ रहा था।

इधर मैं उसकी चूत को पागलों की तरह चूस रहा था, उसकी चूत को अपनी जीभ से चोद रहा था. कुछ ही देर में वो झड़ गयी. उसकी चूत से गर्म-गर्म लावा बह चला. मैंने उसका जलता हुआ सारा लावा पी लिया. वो शांत हो गई मगर मेरे लंड को चैन कहां था. मैंने उसकी चूत में उंगली चलानी शुरू कर दी.

वो कुछ देर तो आराम से लेट कर मेरी उंगलियों से चुदती रही. फिर पांच मिनट के बाद उसके बदन में फिर से हरकत होने लगी. वो बोली- परम भाई, अब मुझे चोद दो प्लीज … अब मैं आपका लंड अपनी चूत में लेना चाहती हूँ।

मैंने अपना ‘सामान’ उसकी चूत पर रखा और उसके चूचों को पीने लगा. उसकी चूत पर लंड टच होते ही उसने मुझे चूमना शुरू कर दिया. वो मेरी पीठ को सहलाने लगी. मैं हल्के से उसकी चूत पर अपने लंड का टोपा रगड़ रहा था. मेरे लंड का बुरा हाल हो गया था पानी छोड़कर. पूरा लंड पच-पच करने लगा था. फिर मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रखे और उसकी चूत में एक धक्का दे दिया.

आधा लंड ही गया था कि वो चीख पड़ी. उसने मेरे होंठों को काट लिया मगर मैंने शरीर का भार उस पर डालते हुए उसकी चूत में लंड को घुसाना जारी रखा. धीरे-धीरे पूरा लंड उसकी चूत में उतार दिया. वो मेरी पीठ को नोंचने लगी. शायद पुष्पिका को दर्द हो रहा था. लेकिन वो मेरे लंड को अपनी चूत में एडजस्ट करने की कोशिश कर रही थी.

जब वो थोड़ी नॉर्मल हुई तो मैंने धीरे-धीरे धक्के देने शुरू कर दिए. अब वो मेरा पूरा साथ दे रही थी. उसके मुंह से आनंद की आवाजें निकलने लगीं थीं- उम्म्ह… अहह… हय… याह… भाई … मेरे भाई … मेरी चूत को चोद दे … आह … मजा आ रहा है. फक मी हार्ड भैया.

पूरा कमरा उसकी सीत्कारों से गूंजने लगा. मेरे आनंद का तो कोई ठिकाना ही न था. उसकी टाइट चूत में लंड को पेलता हुआ मैं स्वर्ग में पहुंच चुका था. मेरे धक्के पर उसकी गांड उछल कर मेरी तरफ आती और फत्थ की आवाज हो जाती. ऐसे बीस मिनट तक वो चूत को धकेलती रही और मैं लंड को.
मैंने कहा- मेरा निकलने वाला है, कहां निकालूँ?
उसने बोला- भैया मेरे अंदर ही निकाल दो. आपका माल मुझे अपने अंदर लेना है. आज आप पूरा सुख दे दो मुझे.

दो-तीन जोरदार धक्कों के बाद मैंने सारा लावा उसकी चूत में ही निकाल दिया।
हम काफी देर तक एक-दूसरे के उपर नंगे ही पड़े रहे.

10 मिनट हुए थे कि इतने में ही गेट पर किसी के आने की आवाज आई. हमने जल्दी से कपड़े पहने. पुष्पिका ने कपड़े अपने बदन पर पहनने में मुझसे से भी ज्यादा फुर्ती दिखाई और फटाफट गेट खोलने के लिए चली. तब तक मैंने भी अपनी लोअर और टी-शर्ट डाल ली थी. अंडरवियर को जेब में ठूंस लिया और बाथरूम में घुस गया.
बाहर आकर देखा तो भैया कॉलेज से आ गए थे. मैं वहीं बेड पर बैठ गया और वो फ्रेश होने बाथरूम में चले गए. पुष्पिका ने उठते हुए मेरे लंड पर हाथ फेरा और मेरी गर्दन पर किस करते हुए किचन में चली गई. उसके बदन में आज खुशी की अलग ही लहर दिखाई दे रही थी.

फिर उसके बाद जब भी मैं मामा के घर जाता और हमें मौका मिलता तो हम दोनों एक-दूसरे को खुश कर दिया करते थे.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#94
ठरकी चचेरी बहन की चुदाई

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#95
स वक्त मेरी उम्र 23 साल है और मेरे चाचा की लड़की, जिसका नाम मेनका है, उसकी उम्र 19 साल की थी. मेरे और उसके बीच बहुत अच्छी दोस्ती है. ऐसा इस लिए भी समझ लीजिए क्योंकि मैं उसकी पढ़ाई में उसका पूरा साथ देता हूं. वो और मैं आपस में बहुत नजदीक हैं. वो मुझे अपनी सारी बात बताती है और मैं भी उसे अपनी सारी बात बताता रहता हूं. मैं और वो बचपन से ही एक साथ खेलते हुए बड़े हुए थे. शायद इसी वजह से मैं उसे जवानी में चोद पाया.

हुआ यह कि जब वो बड़ी हुई, तो उसकी चूचियां बहुत मस्त हो गईं. वैसे तो वो बहुत भरी हुई है, पर उसकी चूचियां सबसे ज्यादा मस्त हैं. उसकी चूचियों का साइज 38डी है, जो एक दिन खुद उसी ने मुझे बताया था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#96
एक बार मैं और वो एक ही जगह पर इंग्लिश स्पीकिंग का कोर्स करते थे. जब हम रास्ते में जाते थे, तो आपस में थोड़ा एडल्ट जोक्स भी सुना देते थे.. या यूं कहें कि मैं ही उसे सुनाता था. उसे मेरे मुँह से एडल्ट जोक्स सुनकर बड़ा अच्छा लगता था और वो मुझे धौल जमाते हुए मजा करती रहती थी.

ऐसे ही एक बार में उसके घर गया, तो मैंने देखा कि वो घर में अकेली है. मैंने पूछा कि सब कहां गए, तो उसने कहा कि सब लोग मार्केट गए हुए हैं.
मैं और वो बैठ कर एडल्ट बातें करने लगे. आज मुझे उसका मूड कुछ अलग सा लगा क्योंकि आज उसने ही एडल्ट जोक सुनाने की शुरुआत की थी, जोकि पहली बार हुआ था. इसके बाद वो मुझे अपने चूचे उठा कर दिखाने लगी और मुझसे पूछने लगी कि बता तो क्या मेरे ये बड़े दिखने लगे हैं.
मैंने भी मजाक करते हुए कहा कि दिखने में तो पहले जितने ही बड़े दिखते हैं, लेकिन दबा कर देखने से सही मालूम चलेगा.
वो हंस पड़ी लेकिन उसने न तो ये कहा कि मत दबा और न ही दबाने का कहा. एक बार तो मेरा मन हुआ कि आज ये मस्ती के मूड में है, दबा कर देख ही लेता हूँ. यदि नाराज होगी तो मेरे पास बचने का बहाना है. तब भी मैंने कुछ नहीं कहा.
उस वक्त हम दोनों एक ही सोफे पर बैठकर बात कर रहे थे. फिर थोड़ी देर में वो वहीं मेरे पास में मेरी जांघ पर सर रख कर लेट गई. वो एक नाइटी पहने थी, जिसका गला काफी बड़ा था.
मुझे उसके इस तरह लेटने उसकी आधी से ज्यादा चूचियां बाहर को निकलती दिखाई देने लगीं. मैं उसे घूर घूर के देखने लगा.
जब उसकी नजर जब मेरी नजर से मिली और उसने देखा कि मैं उसकी नंगी चूचियों को देख रहा हूँ, तो वो शरमा गई. उसने दूसरी तरफ मुँह कर लिया और कहने लगी कि मम्मी को आने में तो अभी काफी टाइम लगेगा.
तो मैंने कहा कि तूने अच्छा बता दिया है.
मैं उसके और करीब को आ गया और फिर मैंने उसके चेहरे की अपनी तरफ घुमाया. वो मुझसे कहने लगी कि तू मुझे ऐसे क्यों देख रहा था?
मैंने कहा- गलती हो गई यार. तू मुझे सेक्सी लग रही थी इसलिए तुझे देखना रोक न सका.
मेरी बोली- कितनी सेक्सी लग रही हूँ?
मैंने उसकी चूचियों पर हाथ डाल दिया और दबाते हुए कहाब- बिल्कुल सन्नी लियोनि सी माल लग रही है.
वो हंसते हुए मुझे धक्का देकर अलग करते हुए बोली- तूने मेरे दूध दबाने की अपनी इच्छा पूरी कर ही ली.
मैं कुछ नहीं बोला, फिर मैं पता नहीं क्या सोच कर वहां से उठकर अपने घर आ गया. उसको मेरा यूं उठ कर जाना कुछ अच्छा नहीं लगा. उसने मुझे रोकने की कोशिश की, पर मैं नहीं रुका. शायद हम दोनों में अभी भी भाई बहन वाली फीलिंग बची थी जो हमें सेक्स करने के लिए रोक रही थी.
फिर ऐसे ही अगले दिन जब हम इंग्लिश की क्लास में जाने लगे. मैं उसकी तनी हुई चुचियों को देख रहा था.
तो वो बोली- भाई तू मुझसे क्या चाहता है?
मैंने न जाने किस झोंक में कह दिया- देख मैं नहीं जानता कि ये सब क्या है लेकिन मैं तुझे चोदना चाहता हूं. तू मुझे बहुत अच्छी लगती है.
इस पर वो बोली- देख हम अच्छे दोस्त हैं और हमारे बीच भाई बहन के चलते ये सब नहीं हो सकता.
तो मैं बोला- ठीक है.
फिर मैं बहुत दिन तक उससे कुछ नहीं बोला.
एक दिन वो मेरे साथ जा रही थी, तो वो मेरे हाथ में हाथ डाल कर बोली कि कल मम्मी दिन में घर पर नहीं रहेंगी और भाई भी स्कूल जाएगा.
मैं बोला- फिर?
तो वो बोली- तू आ जाना, मैं वहीं तुझे कुछ बताऊंगी.
मैं जब अगले दिन उसके घर गया, तो उसने दरवाजा खोला. मैं अन्दर चला गया, तो उसने मेन दरवाजा बंद कर दिया और मेरे बिल्कुल करीब आकर बैठ गई. उस वक़्त उसने बहुत ही गहरे गले की टी-शर्ट पहनी हुई थी और एक घुटने तक आने वाला लोअर पहना हुआ था. वो बहुत हॉट लग रही थी.
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#97
फिर मैंने कहा- देख मैं जानता हूं कि तू भी मुझे पसंद करती है.

मेरे ऐसा बोलते ही वो मेरे से लिपट गई और बोली कि मैं भी तुझसे प्यार करने लगी हूं और रात को भी अब तेरे बारे में ही सोचती रहती हूं.
मैंने उसके चेहरे को ऊपर किया और उसके रसभरे होंठ को चूसने लगा. वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी. हमारे बीच से भाई बहन वाला पर्दा हट गया था.
ऐसे ही हम कुछ मिनट तक एक दूसरे के होंठ चूसते रहे और फिर इसके बाद मैंने देर न करते हुए उसकी टी-शर्ट निकाल दी और लोअर को भी नीचे कर दिया. वो मेरे सामने एक छोटी सी सफ़ेद ब्रा और पेंटी में थी. बहुत ही हॉट एंड सेक्सी माल लग रही थी.
फिर मैंने उसकी सफ़ेद ब्रा को भी निकाल फेंका और जब मैंने उसकी उठी हुई चूचियों को देखा, तो मेरा लंड बिल्कुल अकड़ गया.
मैंने भी झट से अपना लोअर भी उतार दिया. फिर मैं उसकी एक चूची को मुँह में लेकर चूसने लगा और एक हाथ से उसकी दूसरी चूची को दबाने लगा. वो सिसकारी लेने लगी और उसका हाथ भी मेरे लंड पर चला गया. वो मेरे लंड को आगे पीछे करने लगी.
कुछ ही देर में मैं उसको लिटा कर उसकी फुद्दी को चूसने लगा. वो टांगें हवा में उठा कर अपनी फुद्दी को चुसवाने का मजा लेने लगी. मेरे सर को अपनी फुद्दी पर दबाने लगी. थोड़ी ही देर में मैंने उसकी फुद्दी का रस निकाल दिया और सारा रस पी गया.
कुछ पल बाद वो भी मेरे लंड को चूसने लगी, लेकिन उस अच्छे से लंड चूसना नहीं आ रहा था.
फिर मैंने उसे अपने नीचे लिटाया और उसकी टांगों को फैला कर उसकी फुद्दी पर अपना लंड घिसने लगा. वो एकदम से गरमा गई, बहुत तेज सिसकारी लेने लगी और मुझसे बोली- अब सहन नहीं होता, प्लीज जल्दी से अन्दर डाल दो.
तो मैंने भी एक तेज धक्का लगाया और मेरा लंड उसकी फुद्दी में अन्दर चला गया.
अभी सिर्फ मेरे लंड का टोपा ही अन्दर गया था कि उसके मुख से निकला- उम्म्ह… अहह… हय… याह… और उसकी आंख से आंसू आ गए. मैं उसकी एक चूची को मुँह में लेकर चूसने लगा और जब मुझे लगा कि वो भी अब थोड़ा सहन करने लगी है, तो मैंने फिर से एक तेज धक्का दे मारा और अपना आधा लंड उसकी फुद्दी में पेल दिया. वो चिल्लाने को हुई तो मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ जमा दिए, जिससे उसकी आवाज दब गई.
मैं अपने आधे लंड को ही उसकी फुद्दी में आगे पीछे करने लगा. कुछ देर बाद फुद्दी से चिकना पानी निकला, तो मैंने धीरे धीरे करके पूरा लंड उसकी चूत में घुसेड़ दिया और उसे दनादन चोदने लगा. शुरुआत में तो उसे कुछ दर्द हुआ लेकिन अब वो मस्ती में अपनी गांड उठा कर मेरे लंड से चुदाई का मजा ले रही थी.
कुछ देर बाद वो एकदम से कड़क हो गई और मुझसे लता सी लिपटती हुई झड़ गई. मुझे भी काफी आग लगी थी, उसकी चूत के चिकने पानी से मेरा लंड बड़ी तेजी अन्दर बाहर होने लगा था. कुछ ही पल बाद मैं भी उसकी इच्छा पर उसकी चूचियों पर झड़ गया.
वो आज बहुत ही ज्यादा गर्म थी और मेरे लंड का सारा पानी अपनी चूचियों पर डलवा कर मम्मों को खूब मसला.
फिर मैंने देखा कि उसने अपनी एक उंगली से चूची पर से मेरा रस उठा कर चाटा भी था.
मुझे उसकी इस अदा पर उस पर बड़ा प्यार आया और मैं उससे चिपक गया, जिससे मेरे लंड का रस हम दोनों के सीनों में रगड़ गया.
इसके बाद हम दोनों एक दूसरे से चिपक कर बेसुध होकर लेट गए. कुछ देर बाद उसने खुद को साफ़ किया. उसकी फुद्दी से खून भी निकला था. वो मेरी तरफ देख कर मुस्कुराने लगी. हम दोनों बाथरूम में आकर शावर के नीचे खड़े हो गए. मैंने नहाने के बाद उसे अपनी बांहों में भर लिया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#98
(17-01-2024, 07:06 PM)neerathemall Wrote:
चचेरी बहन ने बुर खोल कर कहा ‘भैया चोद दो मुझे!’

तब मेरे चाचा की बेटी स्नेहा से मेरी अच्छी बनने लगी थी।
मेरी चचेरी बहन 12 वीं क्लास में पढ़ती है, वैसे तो उसकी उम्र अभी 18 साल की ही है.. पर उसे देख कर कोई भी उसकी उम्र 20 साल से कम नहीं समझता है। वो दिखने में किसी मॉडल से कम भी नहीं लगती है, इसी के कारण मैं भी उसकी सुन्दरता का कायल था।

एक दिन की बात है.. मैं उसके स्कूल के प्रोजेक्ट में उसकी हेल्प कर रहा था। उसके प्रोजेक्ट का टॉपिक सेक्शुअल लाइफ पर था.. जिसमें कुछ लिखना था।
इस टॉपिक को लेकर हम दोनों में आपस में बातें होने लगीं। चूंकि हम दोनों एक-दूसरे से एकदम फ्रेंक हो चुके थे.. इसलिए इस तरह की बातें करने में हम दोनों को ही कोई प्रॉब्लम नहीं थी।

तभी पता नहीं क्यों वो मुझसे मेरी गर्लफ्रेंड के बारे में पूछने लगी- भैया आपकी कोई गर्लफ्रेंड है क्या?
मैंने ‘ना’ में जवाब दिया।

फ़िर वो कुछ सोच कर प्रोजेक्ट पर काम करने लगी। मैंने उससे मजाक में बोला- मुझे तुम्हारा प्रोजेक्ट कंप्लीट करने पर क्या मिलेगा?
स्नेहा कुछ नहीं बोली।
फ़िर मैंने उससे कहा- क्या मैं तुम्हारे होंठ पर किस कर सकता हूँ?
तो उसने ‘हाँ’ कह दिया।

फ़िर हम दोनों इस किस के वायदे के साथ ही प्रोजेक्ट में लग गए। प्रोजेक्ट कंप्लीट होने के बाद मैंने शर्त के मुताबिक उससे चुम्बन माँगा।
वो कमरे का दरवाजा बंद करके बोली- ठीक है भैया.. जल्दी ले लो।
मैंने मना कर दिया और कहा- अरे मैं तो मज़ाक कर रहा था।
मैं आपको बता दूँ कि हम दोनों के बीच मैं काफी नॉनवेज मज़ाक चलता रहता था।

पर पहली बार स्नेहा इतने उत्साह में दिखी, स्नेहा कहने लगी- फ़िर भी आप मेरा किस ले लो.. आपने मेरी इतनी हेल्प की है। इतना हक तो आपका बनता है।
फ़िर मैंने भी सोचा कि जब स्नेहा छोटी थी.. तो मैंने कई बार लिपकिस किया था, तो मैं भी मान गया।


मैं कुर्सी पर बैठा था.. मेरे ‘हाँ’ कहते ही स्नेहा मेरी गोद में बैठ गई।
हम दोनों ने आपस में लिप किस करना चालू कर दिया। फ़िर मैं जोश में आ गया उम्म्ह… अहह… हय… याह… हमारे बीच 5 मिनट तक लगातार किस चलता रहा।


अब मुझसे रहा नहीं गया, तो मेरा एक हाथ उसके मम्मों पर चला गया और दूसरा उसके पेंटी में घुस गया।
फ़िर स्नेहा भी जोश में मेरा साथ देने लगी और फ़िर हम लोगों के बीच एक ओरल सेक्स चालू हो गया। ये सब 20 मिनट तक चला। इस दौरान मैं उसकी बुर को ज़ोरों से ऊपर-नीचे कर रहा था। साथ ही उसके मम्मों को ज़ोरों से मसल रहा था। कभी-कभी उसकी गांड में उंगली डाल देता।
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#99
फ़िर भी स्नेहा ने एक आवाज तक नहीं निकाली। हमारा ये ओरल सेक्स चलता रहा। इस बीच हम दोनों का एक बार रस निकल भी चुका था।
फ़िर भी हम दोनों इस तरह का खेल करते रहे। जब हम दोनों एक-दूसरे से अलग हुए तो स्नेहा ने मेरी तरफ़ आकर जोरदार लिपकिस किया और मेरे होंठ को दाँतों से काट कर दरवाजा खोलकर चली गई।
अब मेरा उसका इस तरह का व्यवहार शुरू हो गया था।
उसके दो दिन बाद वो खुद मेरे पास आई और बोली- भैया मुझे किस करो ना!
मैं समझ गया कि इसकी चूत फड़क उठी है, मैंने उसे कमरे का दरवाजा बन्द करके आने को कहा।

वो जल्दी से दरवाजा बन्द करके मेरी गोद में आकर बैठ गई, मैंने उसके होंठों को चूमना शुरू कर दिया और कब हम दोनों के कपड़े उतरते चले गए.. हमें इस बात का भान ही नहीं हुआ।
अगले दस मिनट में मैं पूरी नंगी स्नेहा के ऊपर बिल्कुल नंगा पड़ा था, उसने अपनी बुर खोल दी और कहने लगी- भैया चोद दो मुझे अब रहा नहीं जाता..
मैंने अपना लंड उसकी बुर में लगा कर पेल दिया।


उसकी चीख निकली और कुछ देर के दर्द के बाद हम दोनों अपने पहले सेक्स के प्रोजेक्ट में पूरी जी-तोड़ मेहनत से लगे थे।
करीब दस मिनट में स्नेहा की बुर की सील खुल चुकी थी और वो मेरी बांहों में लिपटी पड़ी थी।
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(17-01-2024, 07:09 PM)neerathemall Wrote:
कामुक चचेरी बहन की पहली चुदाई

यह कहानी पांच साल पहले जून महीने की है। जब मैं छुट्टी में घर गया था। क्या बताऊँ दोस्तो, मैं अपने चाचा की लड़की यानि मेरी छोटी बहन (प्रिया) से पूरे दो साल बाद मिला था। वो देखने में एकदम भोजपुरी स्टार अक्षरा सिंह जैसी लग रही थी। वो मुझ से डेढ़ साल छोटी है, उसका फिगर 34-32-36 था.
मेरे चाचा जी आर्मी में हैं और मेरी चाची गृहिणी हैं. उनके तीन लड़के और दो लड़कियां हैं. चाचा बहुत कम ही घर पर रहते हैं. चाची अकेली घर का सारा काम करती है. चाचा के न होने के कारण चाची ही खेत का काम भी करती थी.
उस दिन बाहर खेतों में काम अधिक था इसलिए शाम को आते ही वह खाना खाकर सोने छत पर चली गयी। छत पर सबका बिस्तर लगा हुआ था. 
चाची के बगल में उनके तीन बच्चे सोये हुए थे. मेरा और चाचा के बड़े लड़के और प्रिया का बिस्तर दूसरी छत पर लगा हुआ था. मैं और मेरे चाचा का लड़का सो रहे थे.
कुछ देर बाद प्रिया सोने के लिए छत पर आयी और मैं और चाचा का लड़का एक साथ सोये थे. प्रिया चाचा के लड़के बगल में आकर सो गयी। मेरे सोने के कुछ समय बाद मुझे अहसास हुआ कि मेरा हाथ कहीं जा रहा है. कुछ समय तक मैं सोने का नाटक करता रहा।
मैं देखना चाहता था कि मेरा हाथ कौन टच कर रहा है. प्रिया ने मेरा हाथ अपनी चूची पर ले जाकर रख दिया. उसके बाद उसने कुछ समय तक कोई प्रतिक्रिया नहीं की क्योंकि भाई बीच में सोया था.
कुछ समय बाद वह अपनी चूची पर मेरा हाथ रख कर मसल रही थी. तभी भाई जग गया. भाई के जाग जाने के कारण अब हम दोनों में कोई भी हरकत नहीं करना चाह रहा था. प्रिया ने मेरा हाथ यूं का यूं रहने दिया. मुझे अब तक बहुत मजा आ रहा था लेकिन अब मेरी गांड भी फटने लगी थी कि कहीं भाई देख न ले और प्रिया को छेड़ने का सारा इल्जाम मेरे सिर पर आ जाये. 
उसकी चूची पर से अब भी मेरा हाथ नहीं हटा था. फिर जब भाई दोबारा सो गया तो कुछ समय बाद मैंने उसकी कुर्ती के अन्दर हाथ डालकर चूची बहुत तेज दबा दी. इधर मेरा लन्ड खड़ा होने लगा. कुछ समय बाद मैंने उसकी पजामी में हाथ डालना चाहा लेकिन उसने डालने नहीं दिया. शायद भाई बीच में सोया था इसलिए वो मुझे ऐसा नहीं करने देना चाहती थी.
फिर मैंने कामुक बहन की पजामी के ऊपर से ही उसकी चूत में उंगली करना शुरू कर दिया.
कुछ समय बाद मुझे अपने हाथ पर पानी पानी सा लगा. उस समय तक वह झड़ चुकी थी. फिर वह उठ कर बैठ गयी. उसके बाद मैंने उस रात कुछ नहीं किया और हम सो गये।

अगले दिन हम दोपहर में टी.वी. देख रहे थे. उस समय घर पर छोटा भाई ही था और कोई नहीं था. तभी उसने मेरी जांघों पर हाथ चलाना शुरू कर दिया. मैं उसके हाथों को बार-बार हटा रहा था क्योंकि दिन का मामला था और कोई भी आ सकता था.
शाम हुई तो चाची खाना खाकर सोने गई. मैं टी.वी. देख रहा था. मैंने बोला- आप लोग सो जाओ. मैं टी.वी. देख कर सो जाऊंगा। 
सभी लोग छत पर जाकर सोने लगे। कुछ समय बाद प्रिया छत से नीचे आयी और मेरे बगल में बैठ गयी. वह अपने हाथ कभी मेरे पैर पर तो कभी मेरे गाल पर चला रही थी। काफी देर तक वो ऐसे ही करती रही.
मुझ से नहीं रहा गया और लाईट ऑफ करके मैंने प्रिया को अपने गोद में बैठा लिया. उसकी चूचियों को खूब रगड़ा और किस करने लगा.
लगभग पांच मिनट तक यही खेल चलता रहा. उसके बाद ऊपर से कोई आवाज आई और हम दोनों एक दूसरे से अलग हो गये. मुझे भी प्रिया के साथ ये सब करने में बहुत मजा आ रहा था. मेरा लंड खड़ा हो गया था और मैं उसके हाथ में लंड देना चाह रहा था लेकिन उसी वक्त फिर वो उठ कर चली गई. ऊपर छत पर जाने के बाद वो सो गई. 
अगले दिन प्रिया के तीनों भाई और बहन 9 बजे के करीब स्कूल चले गये. चाची किसी काम से बाजार गई थी. 
उनके जाते ही मैंने दरवाजे को कुन्डी लगाई और अन्दर आकर देखा तो प्रिया खाना बना रही थी. मैंने पीछे से जाकर प्रिया को पकड़ लिया. उसकी कुर्ती के ऊपर से उसके चूचों के साथ खेलना शुरू कर दिया.
वो मुझे हटाने लगी लेकिन मैंने उसके चूचों को नहीं छोड़ा और उनको दबाता रहा. मेरा लंड खड़ा हो गया था और मैंने प्रिया की गांड पर अपना लंड लगा दिया था. फिर उसने भी कुछ नहीं कहा और मैं आराम से प्रिया के चूचों को दबाने लगा. वो भी अब गर्म होने लगी थी.

फिर मैंने उसकी कुर्ती को निकाल दिया. उसकी ब्रा को भी निकाल दिया. वो ऊपर से नंगी हो गई और मैं उसके चूचों को पीने लगा. किचन में नंगी प्रिया के चूचों के साथ खेलते हुए मुझे भी जोश आने लगा था. मैंने उसकी चूचियों को जोर से पकड़ कर दबा दिया. बीच-बीच में मैं उसके चूचों के निप्पलों को काट भी लेता था. उसके मुंह से चीख सी निकल जाती थी लेकिन उसको भी मजा आ रहा था.
मैंने प्रिया का हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रखवा दिया तो वो मेरे लंड को पकड़ कर सहलाने लगी. 
फिर मैंने प्रिया की पजामी को नीचे करने की कोशिश की तो उसने मेरे हाथों को रोक लिया. मैंने थोड़ा जोर लगाया तो उसने अपने हाथ हटा लिये. मैंने प्रिया की पजामी को नीचे कर दिया और उसकी पैंटी मुझे मेरी नजरों के सामने दिखाई देने लगी. उसकी चूत उभरी हुई सी दिख रही थी.
मैंने प्रिया की चूत पर हाथ फेर दिया तो वो चिहुंक सी गई. उसकी चूत काफी गर्म हो चुकी थी. उसकी चूत पर हाथ लगाते ही मेरे लंड का जोश भी और ज्यादा बढ़ गया. मैंने अपनी पैंट की चेन को खोल कर अपने लंड को बाहर निकाल लिया. मैं अब प्रिया के होंठों को चूसने लगा और मैंने उसका हाथ अपने लंड पर रखवा दिया.
वो मेरे लंड को पकड़ कर मेरे लंड के टोपे को आगे और पीछे करने लगी. मेरा लंड काफी देर से खड़ा हुआ था तो इस वजह से मेरे लंड को जब उसके हाथ का कोमल सा स्पर्श मिला तो मुझे बहुत मजा आने लगा.
मेरी कामुक बहन भी मेरे गर्म लंड को पकड़ कर मजे से उसके टोपे को आगे-पीछे करने में लगी हुई थी. उसको मेरे लंड का साइज पसंद आ गया था. वो उसको बार-बार हाथ में भर कर नाप रही थी. कभी मेरी गोलियों को छेड़ रही थी तो कभी मेरे लंड के सुपारे को मसल रही थी.

उसकी हरकतों से मेरे लंड के अंदर से भी कामरस निकलना शुरू हो गया था.
मैंने वहीं पर खड़े हुए ही उसकी चूत पर अपने लंड को सटा दिया. मेरा मन कर रहा था कि मैं वहीं पर उसकी चूत के अंदर अपने लंड को घुसा दूं. मुझसे अब रुका नहीं जा रहा था. फिर मैंने अपना हाथ नीचे ले जाकर प्रिया की चूत पर फिराया और अपनी उंगली उसकी चूत में डाल दी.
प्रिया एकदम से उछल पड़ी.

मैंने उसके अपनी बांहों में उठा लिया. उसकी गांड को दबाने लगा और उसकी चूत मेरे लंड पर आकर सट गई. मैं अपनी गांड को आगे धकेल कर उसकी चूत पर लंड के धक्के देने लगा.
मुझे बहुत मजा आ रहा था ये सब करने में.

मेरा लंड प्रिया की चूत में घुसने ही वाला था कि तभी उसने मुझे अपने से अलग कर दिया, वो बोली- अंदर चलो कमरे में.
उसके कहने पर हम कमरे की तरफ जाने लगे. उसकी गांड पीछे से नंगी दिखाई दे रही थी. जब वो चल रही थी तो मैं उसकी गांड को पकड़ कर दबा रहा था. मेरा लंड बार-बार झटके दे रहा था.
मैंने प्रिया की गांड को कस कर दबा दिया तो वो उछल गई और उसकी पजामी उसकी टांगों में उलझ गई जिसके कारण वो एकदम से संतुलन खो बैठी और नीचे गिर पड़ी. मगर उसने अपने हाथ नीचे जमीन पर टिका लिये.
उसकी नंगी गांड मेरे सामने उठ कर आ गई. मैंने अपने लंड को उसकी गांड पर लगा दिया और मैं भी प्रिया के ऊपर ही झुक गया. पीछे से उसकी नंगी गांड पर लंड लगा कर मैं उसके चूचों को दबाने लगा. उसको चोदने का मन करने लगा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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