28-03-2022, 04:34 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
Adultery सलहज
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28-03-2022, 04:34 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
28-03-2022, 04:38 PM
(This post was last modified: 28-03-2022, 05:10 PM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
खैर मैं उठा, लंड तो पूरा लथपथ था भाभी के योनि रस से और मेरे वीर्य से.. इतना माल तो मेरा कभी नहीं निकला था..
और भाभी की चूत भी मुँह खोले ‘O’ की आकृति की हो गई थी.. पूरी लाल दीख रही थी.. बाथरूम बाजू में था। मैंने देखा कि भाभी ठीक से उठ नहीं पा रही हैं… मैंने उन्हें हाथ पकड़ कर उठाया.. मैंने देखा भाभी की कांख में बाल है.. और चूत पर भी बाल बढ़े हुए थे.. किसी तरह मैंने उन्हें उठाया और बाथरूम ले गया। मैं- भाभी, आप कांख के बाल क्यों साफ नहीं करती? भाभी- नहीं, क्यों? मैं- किया करो ना.. और स्लीव्लेस पहना करो! भाभी- वहाँ शेव कैसे करूँ… डर लगता है, कट जाएगा तो? मैं- शेविंग का सामान दो मुझे.. भाभी- क्यों? मैं- मैं कर देता हूँ आपका जंगल साफ! मैंने वहीं बाथरूम में रखा शेविंग का सामान लिया, भाभी को अपने सामने खड़ा किया, भाभी पूरी नंगी खडी थी मेरे सामने और मेरा लंड आधा खड़ा हो रहा था। उन्होंने एक हाथ ऊपर कर लिया, उनके कांख में साबुन लगा कर आराम से शेव किया, इस बीच मैं उनकी चूचियाँ भी सहला रहा था तो उनके निप्प्ल कड़क होने लगे थे। भाभी- तुमने मुझे रंडी बना दिया.. मैंने पहली बार किसी दूसरे मर्द को नंगा देखा.. और खुद भी इतनी बेशरम जैसी तुम्हारे साथ नंगी खडी हूँ। मैंने दोनों बगलों के बाल साफ़ करके पानी से धोया और उस पर चुम्बन करने लगा। कहानी जारी रहेगी। भाभी- आआअह… फ़िर से मुझे मत गर्म करो प्लीज… एक बार मैंने गुनाह कर लिया है… आआ आह्ह्ह… जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
28-03-2022, 04:48 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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28-03-2022, 04:49 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
28-03-2022, 05:12 PM
मैं- शेविंग का सामान दो मुझे..
भाभी- क्यों? मैं- मैं कर देता हूँ आपका जंगल साफ! मैंने वहीं बाथरूम में रखा शेविंग का सामान लिया, भाभी को अपने सामने खड़ा किया, भाभी पूरी नंगी खडी थी मेरे सामने और मेरा लंड आधा खड़ा हो रहा था। उन्होंने एक हाथ ऊपर कर लिया, उनके कांख में साबुन लगा कर आराम से शेव किया, इस बीच मैं उनकी चूचियाँ भी सहला रहा था तो उनके निप्प्ल कड़क होने लगे थे। जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
28-03-2022, 08:32 PM
Hotttt !!!
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हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है जिस तरफ जाएंगे खुद रास्ता बन जाएगा
29-03-2022, 09:50 PM
शुक्रिया, आपका आभार
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
04-04-2022, 10:46 AM
दोस्त, इस पेज पर तो सिर्फ फोटो ही फोटो हैं ...कहानी का जादू तो बिना फोटो के भी बोलता है ....
// सुनील पंडित //
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
04-04-2022, 01:24 PM
05-05-2022, 06:38 PM
इंतजार
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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10-05-2022, 10:03 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
10-05-2022, 10:05 PM
(28-03-2022, 05:12 PM)neerathemall Wrote: मैं- शेविंग का सामान दो मुझे.. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
12-05-2022, 03:20 PM
मैंने वहीं बाथरूम में रखा शेविंग का सामान लिया, भाभी को अपने सामने खड़ा किया, भाभी पूरी नंगी खडी थी मेरे सामने और मेरा लंड आधा खड़ा हो रहा था। उन्होंने एक हाथ ऊपर कर लिया, उनके कांख में साबुन लगा कर आराम से शेव किया, इस बीच मैं उनकी चूचियाँ भी सहला रहा था तो उनके निप्प्ल कड़क होने लगे थे। भाभी- तुमने मुझे रंडी बना दिया.. मैंने पहली बार किसी दूसरे मर्द को नंगा देखा.. और खुद भी इतनी बेशरम जैसी तुम्हारे साथ नंगी खड़ी हूँ। मैंने दोनों बगलों के बाल साफ़ करके पानी से धोया और उस पर चुम्बन करने लगा। भाभी- आआअह… फ़िर से मुझे मत गर्म करो प्लीज… एक बार मैंने गुनाह कर लिया है… आआ आह्ह्ह… मेरे होंठ उनके निप्प्ल पर आ गए और उन्होंने मेरा सिर जोर से दबा लिया.. मेरा खड़ा लंड उनकी चूत के दरवाजे पर खड़ा था… वो अपनी चूत उसके साथ सटा रही थी- आआ ह्ह्ह… मत करो नाआह… मैं- क्या मत करो? भाभी- बहोत बदमाश हो तुम? अपने से बड़ी भाभी के साथ ये सब किया? मैं अपने लंड को उनकी चूत पर रगड़ने लगा… चूत का पानी अब भाभी की जांघों पर बह रहा था.. भाभी से नहीं रहा गया और खुद मेरे लंड को हाथ में पकड़ा और अपने चूत के दाने पर रगड़ने लगी। मैं तो बेकाबू होने लगा, वहीं दीवार पर उनकी पीठ टिका दी और उनके पैर खुद ही फ़ैल गए लंड को रास्ता देने के लिए… मैंने वैसे ही खड़े खड़े अपना लंड सेट किया और क़मर हिला कर धक्का मारा। भाभी- आआअह्ह ह्ह हरामीईई धीरे कर ना.. अपनी बीवी की चूत समझी है क्या? मैं- बीवी की नहीं, मेरी सेक्सी भाभी की गदराई चूत है यह तो ! भाभी- अरे अभी तक दर्द हो रहा है.. आआअह्ह ह्ह… उन्होंने हाथ लगा कर देखा- अभी तो इतना बाहर है.. हईईइ अल्लाह मैं तो मर जाऊँगी। मैं- आपको दर्द हो रहा है तो मैं बाहर निकाल लेता हूँ? मैंने तड़पाने के लिए कहा। भाभी- अरे.. अब इतना डाल के बाहर निकालेगा… और अब उन्होंने खुद चूत को लंड पर दबाया- कितना मोटा है! मैं अब क़मर हिला कर आगे पीछे कर रहा था। भाभी की चूत ने इतना पानी छोड़ दिया कि अब लंड आराम से जा रहा था और मैंने भी अब सनसना कर धक्का मारा और पुरा लंड अंदर! ‘मर्र गईई रे ! आप सच में मर्द हो… आज मुझे पता लगा कि असली मर्द क्या होता है… आई लव यू.. मेरे राजा… चोदो मुझे ज़ोर से चोदओ… फाड़ दो मेरीईइ… मैं धक्के लगाते हुए और उनके निप्प्ल को काटते हुए- क्या फाड़ दूँ भाभी? भाभी- जो फोड़ रहे हो… मैं- उसका नाम बोलो? भाभी- अपना काम करो! मैं- अभी तो एक जगह और बची है उसे भी फाड़ना है… सबसे सेक्सी तो वो ही है तुम्हारे पास! भाभी- क्या? मैंने भाभी के चूतड़ों पर हाथ लगाया और उनकी गांड के छेद में उंगली डाल कर- ये वाली फाड़नी है। भाभी- आआह्ह्ह हह नहींईई वो नईइ.. वो तो मैंने उनको भी नहीं दी! मैं- तो क्या हुआ.. मुझे तो पसंद है। भाभी- नहीं नहीं.. मेरे धक्के चालू थे, मैंने देखा कि भाभी का बदन अकड़ने लगा है, वो पैर सिकोड़ कर लंड को कस रही थी और मेरे कंधे पर दांतों से काट रही हैं… नाख़ून मेरी पीठ में गड़ा रही हैं- यह क्या किया.. आआह्ह मैं गयईईइ मेरा हो गया ओऊओह्ह अब नहीईईइ आआआह हाह! और भाभी की चूत का पानी धार निकलने लगी, मैं गिरने लगा.. मैं रूक गया.. वो एकदम हल्की हो गई थी। मैंने अब उन्हें दीवार से हटाया और बाथ टब के अंदर ले गया, उसमें पानी और साबुन भरने लगा.. मैंने देखा उनकी चूत पर भी बाल हैं, सोचा अगर इसे भी चिकनी कर लूँ तो.. मैंने उन्हें वहीं लिटा दिया.. भाभी- अब क्या कर रहे हो? मैं- तुम्हारे खजाने को और खूबसूरत बाना रहा हूँ जान! भाभी- क्या कहा.. जान.. फ़िर से कहो ..आह्ह मैं तुम्हारी जान..? लो कर लो साफ इसे भी! मैंने चूत पर भी साबुन लगाया और उसे साफ करने लगा। जब चूत पूरी साफ हो गई तो उसे मैंने गुनगुने पानी से धोया। मेरा हाथ बार बारा उनके दाने से लग रहा था… इधर मेरा अभी तक स्खलन नहीं हुआ, एक बार भी नहीं हुआ था.. तो वो तो उछल रहा था.. मैंने भाभी से कहा- इसे थोड़ा सहलाओ ना…!! (21-03-2022, 11:09 AM)neerathemall Wrote: जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
12-05-2022, 03:21 PM
उनके मुँह के पास लंड को ले गया, उन्होंने कुछ नहीं किया, मैंने उनकी चूत को देखा, दोनों जांघों के बीच एक लकीर.. लग रहा था की एक शर्माई हुई मुनिया..
मैंने हाथ फेरा… लकीर के बीच ऊँगली डाली.. फ़िर से गीली लबालब पानी.. मुझसे अब रहा नहीं गया! मैंने भाभी के पेट को चूमना शुरू किया और दोनों पैर भाभी के दोनों तरफ डाले और उनकी पर मुँह रख दिया। भाभी तड़प उठी- छीईः गंदे.. और पैर उठाने लगी… जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
16-05-2022, 08:02 AM
(28-03-2022, 04:34 PM)neerathemall Wrote: (04-04-2022, 01:24 PM)bhavna Wrote: सुनील पंडित साहेब ने सही फरमाया। कहानी जल्दी जल्दी पोस्ट करें। जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
19-05-2022, 08:29 AM
(28-03-2022, 04:38 PM)neerathemall Wrote: खैर मैं उठा, लंड तो पूरा लथपथ था भाभी के योनि रस से और मेरे वीर्य से.. इतना माल तो मेरा कभी नहीं निकला था.. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
23-05-2022, 05:06 PM
मैंने जबरदस्ती पैरों को फैलाया और उनका रस चाटने लगा.. जीभ को दाने पर रगड़ा…
मेरा लंड उनके मुँह के पास लटक रहा था, भाभी से रहा नहीं गया, वो उसे हाथ में पकड़ और खींच रही थी। मैंने क़मर और नीचे की और उसे ठीक उनके होंठों पर टिका दिया। थोड़ी देर तो उन्होंने कुछ नहीं किया लेकिन फ़िर अचानक उसे जीभ से चाटा और होंठ खोलकर उसे अंदर लिया। मैंने सिहरन सी महसूस की। मैं- आआअह्ह्ह भाभी चूसओ मेरी जान… अआः मजा आ रहा है आईईइ! मैं तो उनके गर्म होंठों के स्पर्श से पागल हो रहा था… अब वो भी पूरी मस्ती में उसे मुँह में ले रही थी.. अचानक मैंने थोड़ा अंदर दबाया, लंड एकदम उनके हल्क तक पहुँच गया। उन्होंने तड़प कर उसे बाहर निकाला और कहा- अब क्या मार डालोगे.. इतना लम्बा और मोटा गले के अंदर डाल रहे हो.. मेरी सांस रूक जायेगी। मैं- ओह भाभी जी, आप इतना अच्छा चूस रही हो! इधर भाभी की हालत फ़िर खराब होने लगी, मेरी जीभ उनकी चूत के अंदर पूरी सैर कर रही थी। भाभी ने फ़िर से पानी छोड़ दिया, मैंने पूरा चाट लिया, उनकी गाण्ड तक बह रहा था तो गांड के छेद तक जीभ से पूरा चाटा। इधर मुझे लग रहा था कि मेरा भी पानी भाभी के मुँह में निकल जाएगा… मैंने अपना लण्ड उनके मुँह से निकाल लिया, मेरा लवड़ा उनके थूक से गीला होकर चमक रहा था और भी मोटा हो गया था। मैं उठ कर कमोड पर बैठ गया और भाभी को अपने पास खींचा। भाभी- अब क्या कर रहे हो? मैं- आओ ना, दोनों पैर साइड में कर लो और सवारी करो! भाभी- दिमाग खराब है क्या? मुझसे नहीं होगा! मैंने उन्हें पकड़ कर पोजिशन में लिया, अब वो मेरी गुलाम थी.. और लंड के ऊपर भाभी की चूत को सेट करके कहा- बैठो… उन्होंने कोशिश की- …आआह नहीं होगा.. मैंने उनके चूतड़ों पर हाथ रखे और नीचे से धक्का लगाया.. आधा लण्ड गप्प से अंदर! अब मैंने उन्हें कहा- धीरे धीरे इस पर बैठो… वो बैठने लगी.. फ़िसलन तो थी.. अंदर घुसने लगा! फ़िर वो रूक गई.. अभी भी थोड़ा बाहर था.. मैंने उनकी चूची और निप्पल चूसना शुरू किया, बहुत चूमाचाटी की और पीछे से उनकी गांड के सुराख में उंगली डाली। ‘उईईईईई…’ और मैंने उन्हें जोर से अपने ऊपर बिठा लिया। पूरा लंड अंदर… और भाभी की चीख नीकल गई- आआअह्ह ह्ह्ह मर गईई ऊओह… अभी तक दो बार चुदने के बाद भी चूत इतनी कसी लग रही थी, मुझे मज़ा और जोश दोनों आ रहा था… भाभी मेरे सीने से चिपटी रही.. फ़िर थोड़ी देर बाद वो खुद ही मेरे लंड पर ऊपर नीचे करने लगी… मैं भी नीचे से धक्के मार रहा था। भाभी बड़बड़ाने लगी- आआआअह, तुमने मुझे जिन्दगी का मज़ा दे दिया… अह्ह्ह मुझे माँ बना दो.. और उनके उछलने की गति बढ़ गई। जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
23-05-2022, 05:06 PM
‘आअह आआह्ह… मेरे अखिलेश… इतने दिन क्यों नहीं किया.. आआअह्ह्ह मेरा होने वाला है…’
और ऐसे ही उछलते हुए उनका पानी नीकल गया, वो मेरे सीने से लिपट गई, मैं उन्हें चूमने लगा। अब मैंने भाभी को खड़ा किया, मेरे दिमाग में एक नया पोज़ आया, कमोड के ऊपर मैंने भाभी को झुकाया, उनके दोनों हाथ कमोड के ऊपर रखे। भाभी- यह क्या कर रहे हो? मैं- मैं तुम्हें और मजा दूँगा जानेमन.. मैं पीछे आ गया। ऊऊओह क्या मस्त उभरे हुये चूतड.. और ऐसे में उनकी चूत का छेद एकगम गीला… और गांड का गुलाबी छेद… मैंने पीछे से लंड को उनके चूतड़ों पर घुमाया… और गांड के छेद पर लगाया… वो एकदम उठ कर खड़ी हो गई- नईई वहाँ नहींई… प्लीज़! ‘नहीं डार्लिंग, मैं सही जगह पर दूंगा! और फ़िर से उन्हें झुकाया… चूतड़ और ऊपर किये ताकि चूत ऊपर हो… और फ़िर.. भाभी- अह्ह धीरे… आआ अह्ह! मेरा लंड अंदर जा रहा था, लेकिन मैंने उसे बाहर खींचा और अब एक झटके में पूरा अंदर पेल दिया। वो तो चिल्ला पड़ी- अररे… मार डालोगे क्या? मैंने उनके चूतड़ सहलाये और आगे हाथ बढ़ा कर उनकी चूचियाँ दोनों साइड से दबाने लगा। करीब 3-4 मिनट में भाभी फ़िर पानी छोड़ने लगी। मैंने उसी पोज़ में उन्हें खड़ा किया, दीवार की तरफ मुँह किया और उनका एक पैर कमोड के ऊपर रखा। और फ़िर तो मैंने भी राजधानी एक्सप्रेस की स्पीड से चोदना शुरू किया। भाभी उफ़ उफ़ आह अह्ह्ह कर रही थी। मैंने उनके कानों के पास चूमा- जानू.. मजा आ रहा है ना? भाभी- बहुत.. और जोर से करो! अब मुझे लगा कि मेरा निकलने वाला है… एक घंटे से ऊपर हो गया था.. मेरे अंडों में दबाव आ रहा था.. मैंने भाभी को वहीं बाथ टब के अंदर लिया और लिटाया, दोनों पैर फैलाये, घुटनों से ऊपर मोड़ कर एक झटके में अंदर डाला… उनकी आँखें फ़िर बड़ी बड़ी हो गई लेकिन मैंने कुछ देखा नहीं और फ़िर ‘उफ्फ्फ़; वो धक्के लगाए कि भाभी की सांस फूलने लगी, वो सिर्फ अआह इश्ह्ह् इश्ह्ह्ह आआः कर रही थी। मैं- जानू मेरा निकलने वाला है.. अंदर डालूँ या बाहर? भाभी- एक बार तो अंदर डाल दिया है, अब बाहर क्यूँ? डाल अंदर तेरा माल! मैं- तो लो आआह अह्ह्ह आह्ह ओह्ह ये लो मेरी जान… और पूरा लंड उनके बच्चेदानी के ऊपर टिकाया और 1.. 2.. 3.. 4.. 5.. 6.. 7.. कितनी पिचकारी मारी कि मैं भूल गया और उनके ऊपर लेट गया। करीब दस मिनट हम ऐसे ही पड़े रहे.. मैंने फ़िर उठकर उन्हें चूमा। उन्होने आँखें खोली- तुमने आज मुझसे बहुत बड़ा गुनाह करवा लिया.. आज के बाद मैं तुमसे बात भी नहीं करुँगी। ‘बात मत करना जान.. लेकिन ये काम तो करोगी ना?’ भाभी- बेशरम, अब मेरी जूती करेगी ये काम! मैंने अपना लंड बाहर खींचा.. पूरा लथपथ.. उनकी चूत से सफ़ेद रस निकल रहा था और बाथ टब में फ़ैल रहा था। मैंने उनकी गांड के छेद पर हाथ रख कर कहा- अभी तो इसका उदघाटन करना है.. अभी दो दिन और मैं यही रहूंगा.. तुम्हें माँ बना के ही जाऊँगा मैं। वो बोली- ..क्क्या कहा? दो दिन में? मैं तो मर जाऊँगी! मैंने धीरे से पूछा- जानेमन कैसा लगा? वो कुछ बोली नहीं.. सिर्फ मुस्कुरा दी.. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
23-05-2022, 05:09 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
23-05-2022, 05:12 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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