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Incest लॉकडाउन में दीदी को खूब चोदा
#21
दस मिनट बाद पच्छ पच्छ दीदी की चुत पानी फेंकने लगी. वो कराहते हुए मीठी आवाज में कहने लगीं- आह … रुको रुको!

मैंने उनकी एक ना सुनी, क्योंकि मैं झड़ने वाला था. मैं और तेज धक्के मारने लगा. दीदी भी नीचे से अपनी कमर हिलाने लगीं. उसी समय मैंने सारा माल दीदी की चूत में छोड़ दिया और हांफता हुआ उनके ऊपर ही लेट गया.

झड़ने के बाद लंड चूत में ही छोटा हो गया.

फिर दीदी का पहला शब्द मुँह से निकला- जंगली कहीं के.
मैं हंस दिया.

बस वो मुझे चूमने लगीं.

उस दस मिनट की चुदाई में मैंने उनको दर्द, नशा, प्यार सब दे दिया था.

दीदी बोलने लगीं- अब उतरो मुझे बाथरूम जाने दो.

जब मैंने चूत से लंड निकाला, तो दोनों की आह निकल गई. सच में क्या मीठा सा दर्द हुआ था.

मैंने बिना कुछ कहे उनकी टी-शर्ट ऊपर कर दी और उनकी चूची का पहली बार दीदार किया. दीदी की चूची की साइज एकदम सुप्रिया कर्णिक जैसी थी. निप्पलों एकदम अंगूर जैसे, दबाने पर क्या मजा आ रहा था. इतनी मस्ती से तो मैंने अपनी मैडम मीनाक्षी को भी नहीं चोदा था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#22
थोड़ी देर बाद हम दोनों अलग हो गए.
मैंने दीदी से कहा- अब ब्रा पहन कर दिखाओ न!

वो बाथरूम से आने के बाद अपने रूम में गईं. वे मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपने साथ अन्दर ले गईं. उन्होंने अपनी अलमारी खोली और ट्रांसपेरेंट ब्रा निकाली, फिर टी-शर्ट.

ब्रा पहन कर दीदी मुझसे बोलीं- हुक लगाओ.

वो आकर मेरी गोद में बैठ गईं.

मैं हुक क्या लगाता, उनके बाल पीठ से आगे करके उनकी चूची दबाते हुए पीठ चूमने लगा.

दीदी बोलीं- जंगली … पहले देख तो लो.

मैंने हुक लगाकर उन्हें अपनी तरफ मोड़ा, तो बाप रे … काली ब्रा में से चूचियां और निप्पल साफ़ झलक रहे थे.

मैं अपना लंड मसलने लगा. दीदी ने कहा- निक्कर उतारो … मैं भी देखूं तुम्हारा कैसा है. अभी तक दर्शन ही नहीं किये और पूजा करवा ली.

मैंने हंसते हुए अपने सब कपड़े उतार दिए.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#23
दीदी लंड देखते ही बोलीं- बड़ा मस्त है.
मैंने कहा- अब आप भी अपनी लोअर उतारिए.

उन्होंने झट से उतार दिया. अब दीदी सिर्फ ब्रा में थीं. पैंटी तो चुदाई के वक्त भी नहीं थी.

मैंने कहा- आइए बैठिए लंड पर.
उन्होंने कहा- नहीं, पहले चाटो.
मैंने कहा- क्या?
दीदी बोलीं- चूत को.

दोस्तो, सच्ची बता रहा हूँ. आज तक मैंने चूत नहीं चाटी थी.

मैंने कहा- नहीं, गंदी है … अभी उसमें लंड गया था. अभी जीभ कैसे लगाऊं!
दीदी बोलीं- उससे क्या … मैं तुमको दिखाती हूं.

उन्होंने मेरा लंड पकड़ा और घुटने के बल बैठ कर मेरा लंड मुँह में ले लिया और चूसने लगीं.

अचानक अपने आप मेरी आंखें बंद हो गईं और दीदी ने जब मेरे लंड का टोपा पलटकर लंड चूसना शुरू किया. तो मैंने उनको हटाना शुरू कर दिया.

मैं लेट गया था. दीदी लंड चूस रही थीं.
पता नहीं दीदी में क्या क्या जादू था. दीदी मुँह से नहीं, जीभ से लंड चाट रही थीं.

फिर मैंने भी उनकी चुत चाटी. कुछ देर चाटने के बाद मुझे चुत चाटने में मजा आने लगा. मैं पैंटी को मुँह में दबा कर मुठ मारता था, उससे लाख दर्जे सीधे चुत की चुसाई में मजा आ रहा था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#24
फिर आधे घंटे बाद चुदाई शुरू हो गई. अब दिन रात सिस्टर Xxx का मजा मिलने लगा था. उसी रात को मैंने दीदी को भी भांग खिलाई और भांग के नशे में हम दोनों ने चालीस मिनट तक चुदाई का मजा लिया.

इसके बाद हम दोनों ने दो महीने तक चुदाई की. मुम्बई जाने के बाद भी मैं उन्हें चोदता रहा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#25
का मजा मिलने लगा था. उसी रात को मैंने दीदी को भी भांग खिलाई और भांग के नशे में हम दोनों ने चालीस मिनट तक चुदाई का मजा लिया.
इसके बाद हम दोनों ने ..........
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#26
9,822
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#27
(18-04-2022, 07:00 PM)neerathemall Wrote: का मजा मिलने लगा था. उसी रात को मैंने दीदी को भी भांग खिलाई और भांग के नशे में हम दोनों ने चालीस मिनट तक चुदाई का मजा लिया.
इसके बाद हम दोनों ने ..........
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#28
लॉकडाउन में भाभी का साथ

जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#29
(23-05-2022, 12:01 PM)neerathemall Wrote:
लॉकडाउन में भाभी का साथ


cool2
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#30
(23-05-2022, 12:01 PM)neerathemall Wrote:
लॉकडाउन में भाभी का साथ

जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#31
(23-05-2022, 12:01 PM)neerathemall Wrote:
लॉकडाउन में भाभी का साथ


मैं अपनी जॉब के लिए निकल रहा था और जब मैं दिनेश भाई के गेट के यहां से निकला तो दिनेश भाई ने मुझे आवाज देकर रोका।

दिनेश भाई- मैं किसी काम से 3 दिन के लिए अपने गांव जा रहा हूं। यदि मोहि को कुछ सामान की जरूरत पड़े तो तुम ला देना।
मैं एक पल के लिए तो डर गया फिर अपने आप को नियंत्रित करते हुए बोला- वह तो ठीक है, मगर भाई साहब मोहि कौन?
दिनेश भाई हंसते हुए बोले- तुम्हारी भाभी और कौन!
मैं बोला- ठीक है।
वो बोले- वैसे मैं 24 मार्च तक आ जाऊंगा।
दोस्तो, फिर मैं भी अपने काम पर निकल गया।
रात को 8:00 बजे जब मैं अपने रूम में था तो भाभी का फोन आया और वो बोली- क्या कर रहे हो डार्लिंग?
मैं- कुछ नहीं डार्लिंग, बस खाना बनाने की तैयारी कर रहा हूं।
भाभी- मेरे होते हुए मेरा जानू खाना बनाए, यह मुझे अच्छा नहीं लगेगा। जब तक दिनेश नहीं आ जाते तब तक तुम मेरे यहां पर ही खाना खाओगे और …
मैं- और क्या डार्लिंग … बताओ ना?
भाभी- और तुम्हें जो करना है वह भी कर देना … हा हा हा।
हंसते हुए भाभी ने फिर फोन रख दिया।
फिर मैं तैयार होकर 9:00 बजे भाभी के घर में गया तो देखा गेट खुला हुआ था।
मैं गेट खोल कर अंदर गया और आवाज दी- भाभी जी?
भाभी- आ जाइए, किचन में हूं … और गेट बंद करके आइएगा।
जब मैं किचन में गया तो देखा भाभी साड़ी में थीं और रोटियां बना रही थीं।
मैं धीरे से भाभी के पीछे गया और अपनी बांहें भाभी की कमर में डाल दीं और उनके गालों पर पीछे से किस किया।
भाभी- सब्र रखो डार्लिंग … खाना बना लूं … फिर हम खाना खाएंगे। फिर पूरी रात भर है हमारे पास!
मैं- तुम होली पर गांव क्यों नहीं गई? और अब अभी तुम्हारा पति गांव गया है तुम्हें साथ जाना चाहिए था।
भाभी- मेरी अपनी सास और ननद से नहीं बनती है। सास और ननद मुझे पसंद नहीं करती हैं और इस वजह से मैं गांव नहीं जाती हूं।
मैं- तुम्हारी सास और ननद से क्यों नहीं बनती है?
वो बोली- क्योंकि मैंने एक बार अपनी ननद को रात में किसी लड़के के साथ देख लिया था तो मैंने यह बात अपने ससुर को तुरंत जाकर बता दी। तो ससुर ने मेरी ननद को बहुत मारा। फिर जब सुसर को यह पता चला कि यह बात मेरी सास को भी पता थी तो वह यह बात जानकर और आग बबूला हो गए और सास को भी बहुत मार लगाई। तब से मेरी और सास की हमेशा लड़ाई होती रहती थी। यह बात देख कर मेरे पति मुझे यहां ले आए। खैर छोड़ो इन सब बातों को!
हमने साथ में खाना खाया और इन सभी कामों से फुर्सत होते-होते हमें रात के 11:00 बज गए।
रात को 11:00 बजे हम दोनों पलंग पर लेटे और उसके बच्चे को बाजू में सुला दिया।
फिर हम दोनों में उस रात दो बार सेक्स हुआ।
एक बार मैंने भाभी से बोला भी कि मुझे तुम्हारी गांड मारनी है मगर उसने मना कर दिया।
तो दोस्तो, 23 मार्च तक हम दोनों ने खूब सेक्स किया और रोज सुबह 5:00 बजे मैं वापस अपने रूम पर आकर सो जाता था।
24 मार्च को जब मैं सोकर उठा और अपना मोबाइल चेक किया तो पता चला कि पूरे भारत में लॉकडाउन लग चुका है।
हमारी कॉलोनी में जितने लोग भी किराए से रह रहे थे, सभी अपने अपने गांव को अपनी अपनी गाड़ियों से जा रहे थे।
मतलब हमारे आसपास के लगभग सभी किराएदार जा चुके थे।
11:00 बजे के करीब मोहिनी भाभी मेरे रूम पर आईं और बोलीं- क्या तुम भी अपने घर जा रहे हो?
मैं- नहीं डार्लिंग, मैं अपने घर पर नहीं जा रहा हूं।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#32
मैंने जब उसे देखा तो उसने ब्लैक कलर का जिम सूट पहना हुआ था जिसमें उसके शरीर की एक एक गोलाई स्पष्ट दिखाई दे रहा था।

उसके ब्लैक जिम सूट को देखकर ऐसा लग रहा था कि उसने अंदर ना तो ब्रा पहनी है और ना ही पैंटी।
मैं उसे इस हालत में देखकर अपने कंट्रोल से बाहर हो गया और उसको तुरंत अपनी बांहों में जकड़ कर पलंग पर ले आया।
मैंने अपने कपड़े उतारे और उसके जिम सूट के ऊपर से उसके बूब्स को दबाने लगा।
मेरा लंड पहले ही खड़ा हो चुका था और उत्तेजना बहुत हो गई थी।
उसको इस सूट मैं देख कर मैंने लैगी के ऊपर से ही अपने लंड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा।
अत्यधिक उत्तेजना होने के कारण मेरा वीर्य उसकी लैगी पर ही छूट गया और मैं निढाल होकर बाजू में गिर गया।
भाभी गुस्से में देखते हुए मुझसे बोली- इतना भी कंट्रोल नहीं रख सकते? मेरी लैगी पूरी खराब कर दी तुमने!
मैं- डार्लिंग, तुम्हें इन कपड़ों में देखकर तो मैं अपने आप को कंट्रोल ही नहीं कर सका।
भाभी- अच्छा वह सब छोड़ो, मैं तुम्हारे रूम में यह बताने आई थी कि तुम अपना सामान पैक करो और मेरे रूम में शिफ्ट हो जाओ जब तक लॉकडाउन है। अब हमारे मोहल्ले में कोई नहीं बचा है और जो बचा भी होगा वह अपने गांव को चला जाएगा।
ये कहकर भाभी चली गई।
मैंने अपना सामान पैक किया और उसका गेट खटखटाया।
भाभी ने गेट खोला तो देखा भाभी सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी।
वे अभी नहा कर बाहर आई थी और मुझसे बोली- तुम नहाकर आए हो या यहीं नहाओगे?
मैं- डार्लिंग, इतनी दूर से पैदल चलकर आ रहा हूं, कहीं कोई साधन भी नहीं मिला। थक गया हूं। अब यहीं नहाकर फ्रेश होऊंगा।
भाभी जोर से हंसी और बोली- ओ ले ले ले … मेला बाबू बहुत दूल से आया है … थक गया होगा। जाओ नहा लो … फ्रेश हो जाओ। मगर सुनो! अब भी कपड़े मत पहनना! सिर्फ अंडरवियर और बनियान पहनना।
मैं- जैसी आज्ञा मेरे सरकार!
जब हम दोनों खाना खा रहे थे तो एक दूसरे को देख रहे थे क्योंकि ऐसा नजारा ना तो मैंने और ना ही उसने कभी देखा था क्योंकि हम दोनों अंडरवियर में थे।
तभी उसका फोन बजा।
उसने उठाकर देखा और मेरे से बोली- दिनेश का फोन आ रहा है।
मैं- डार्लिंग, फोन स्पीकर पर लो और बात करो।
भाभी ने फोन उठाया और फोन स्पीकर पर करके हैलो बोला।
दिनेश- लॉकडाउन लग गया है और मैं नहीं आ पाऊंगा। कोई दिक्कत हो तो सचिन को फोन करके बुला लेना और बता देना। मुझे चिंता हो रही है तुम्हारी!
भाभी- आप ही सचिन को फोन करके बोल दो, मुझे अच्छा नहीं लगता उससे बात करते हुए!
दिनेश- क्यों? कुछ किया क्या उसने?
भाभी- कुछ करेगा तभी मैं तुमको बताऊं क्या? अरे वह लड़का आजाद है और मैं एक औरत हूं। अभी कॉलोनी में कोई है भी नहीं। कहीं उसने मौका देखकर मेरा फायदा उठाया तो?
दिनेश- अच्छा यह बात है! तुमको यदि उस से डर लगता है तो तुम उसे अपने रूम गेट के अंदर मत बुलाना। कोरोना का बहाना कर देना। कुछ जरूरत का सामान हो तो उससे रिक्वेस्ट करके बुला लेना। मैं उससे बात कर लेता हूं।
दोस्तो, फिर दिनेश का मेरे फोन पर फोन आया और मैंने लाउडस्पीकर मोड पर करके हैलो बोला।
दिनेश भाई- सचिन भाई, मैं दिनेश बोल रहा हूं। तुमको तो पता चल ही गया होगा कि लॉकडाउन लग गया है और मैं भोपाल नहीं आ सकता। तुमको तुम्हारी भाभी का ख्याल रखना है। सब्जी-भाजी और कुछ किराना का सामान लगे तो ला देना।
मैं- भैया, कोरोना भी चल रहा है भोपाल में! तो मैं अपने रूम से बाहर ही नहीं निकल रहा हूं। फिर भी अगर मैं मेरे लिए सामान लेने जाऊंगा तो लाकर गेट के बाहर रख दूंगा। भाभी का नंबर मेरे पास नहीं है।
दिनेश- मैं तुम्हारा नंबर मोहि को दे दूंगा। वह तुमसे बात कर लेगी और हां … ज्यादा मार्केट मार्केट में मत जाना। ख्याल रखो अपना, बाय।
फिर हम दोनों एक दूसरे को देखकर मुस्कुराए और वह मेरी गोद में आकर बैठ गई और बोली- क्या विचार है … एक राउंड हो जाए?
यह कहते ही उसने अपनी ब्रा और पैंटी उतार दी।
मैंने भी अपने कपड़े उतार कर भाभी को दीवार के पास ले जाकर सटा दिया और उसके बदन को चूमने लगा।
फिर मैं नीचे बैठा और उसके दोनों पैरों को चौड़ा करके उसकी चूत को चाटने लगा।
कुछ देर उसकी चूत चाटने के बाद मैं खड़ा हुआ।
फिर भाभी मुझे दीवान से सटाकर नीचे बैठ गई और मेरा लंड अपने मुंह में लेकर मुखमैथुन करने लगी।
10 मिनट तक हम एक दूसरे के बदन से खेलते रहे। फिर मैंने उसको वहीं बाजू में रखे हुए सोफे पर लिटाकर उसकी चुदाई की।
यह चुदाई हमको जल्दी खत्म करनी पड़ी क्योंकि उसका बच्चा दूसरे रूम में होने के कारण रोने लगा था।
रात में 10:00 बजे सभी कामों से फ्री होकर भाभी ने अपने बच्चे को सुलाया।
बच्चे को सुलाकर वह बाहर हॉल में आई जहां पर मैं टीवी देख रहा था।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#33
वो मेरे बाजू में आकर बैठ गई।

फिर बाजू में रखे हुए रिमोट से टीवी बंद करके मेरा हाथ खींच कर बेडरूम में ले गई और बोली- मुझे कबड्डी खेलना है।
मैं- मुझे भी कबड्डी खेलना है मगर मैं चाहता हूं कि तुम वही जिम सूट पहन कर आओ।
मोहिनी भाभी- उस जिम सूट में क्या है ऐसा?
मैं- उस जिम सूट में तुम बहुत ही कड़क लगती हो। तुम्हारा पूरा शरीर गोरा है और वह जिम सूट तुम्हारे शरीर से पूरा चिपका हुआ दिखता है। जिसे देखकर ऐसा लगता है कि तुम्हें पकड़ कर खा जाऊं।
मोहिनी भाभी- अच्छा तो यह बात है .. हा-हा-हा। ठीक है तो, अभी आई।
वह अपने दूसरे रूम में चली गई और कुछ देर बाद आई तो भाभी उसी सूट में थी जिस सूट में वह सुबह मेरे रूम में आई थी।
मैं उसके पास गया और तुरंत उसे अपने दोनों हाथों में उठाया और उठाकर उसके बेडरूम की ओर चल दिया।
उसके पलंग पर उसे लिटाने के बाद मैं उसके ऊपर चढ़ गया और कपड़ों के ऊपर से ही उसके दो कचौड़ीनुमा दूध जोर-जोर से दबाने लगा।
ऐसा मन कर रहा था जैसे मैं उन दो कचौड़ियों को उखाड़ कर खा जाऊं।
भाभी- डार्लिंग, आराम से दबाओ। इतनी बेदर्दी से तो मेरे पति ने भी इनको कभी नहीं दबाया। बहुत दर्द हो रहा है … इतने बेरहम, बेदर्द मत बनो।
उसने मेरे चेहरे को अपने दोनों हाथों से पकड़कर नीचे खींचा और अपने होंठों पर मेरे होंठ रखवा लिए और अंदर जीभ डाल दी।
जवाब में मैं भी अपनी जीभ से उनकी जीभ लड़ाने लगाl
कुछ देर तक किस करने के बाद मैं बाजू में लेटा और अपना सीधा हाथ उनके स्तन पर जोर से दबाया तो उन्होंने गुस्से से एक चांटा मेरे हाथ पर मारा।
फिर बोली- बदतमीज … बोला है आराम से कर!
मैं धीरे-धीरे हाथ फिराता हुआ उसके पेट पर गया और नाभि पर अपनी उंगली से गोल गोल घुमाया।
फिर उसकी ब्लैक लैगी के ऊपर जो कि उसकी चूत पर बहुत ही टाइट थी, ऊपर से ही चूत पर हाथ फेरने लगा।
अब वह अपने पैर दाएं बाएं पटक रही थी।
मेरी नजर बाजू पर रखी हुई टेबल पर गई जिस पर उसकी चांदी की पायल रखी हुई थीं; उसमें बहुत सारे घुंघरू लगे हुए थे।
शायद लैगी पहनते हुए उसने उतार दी होंगी।
कुछ देर तक ऐसे ही खेलते रहने के बाद मैंने धीरे धीरे करके उसके जिम सूट को उतार दिया।
अब भाभी मेरे सामने पूरी नंगी पड़ी हुई थी, उसका शरीर एकदम पीले सोने जैसे चमक रहा था।
मैं उसके ऊपर से उठा और अपने कपड़े उतार दिए; मैं भी नंगा हो गया।
वो मुझे आशा की नजर से देख रही थी मगर मैं मुड़ा और सीधा हॉल की तरफ जाने लगा।
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#34
भाभी- हॉल में क्यों जा रहे हो मेरी जान मुझे नंगी छोड़कर?

मैं कुछ ना बोला और अपना बैग उठा कर लाया और उसमें से जैतून के तेल की शीशी निकाली। फिर बाजू में रखी हुई टेबल पर रखी वहीं से उसकी पायल उठाकर उसके पैरों में पहनाने लगा।
मैं- डार्लिंग पेट के बल लेट जाओ।
भाभी मेरी बात मान कर पेट के बल लेट गई।
मैंने जैतून की तेल की शीशी का ढक्कन खोल कर काफी सारा दिन भाभी की पीठ पर डाला, उनके चूतड़ों पर लगाया और पैरों पर लगाया।
मैं पैरों के पास आकर खड़ा हो गया और धीरे-धीरे उनकी पिंडली पर मसाज देने लगा।
फिर कुछ तेल मैंने उनके पैर के तलवों पर लगाया और दोनों हाथों से पकड़ कर अपने हाथ के दोनों अंगूठे धीरे-धीरे उनके तलवे पर ऊपर नीचे चलाने लगा।
इससे भाभी की उत्तेजना तेज होने लगी।
यही प्रक्रिया मैंने उनके दूसरे पैर पर दोहराई।
फिर मैं भाभी की पिंडलियों पर बैठकर जांघों पर मसाज देने लगा।
मैंने उठकर अपने दोनों चूतड़ उसके चूतड़ों पर रखे और बैठ गया।
जब मैं उसके चूतड़ों पर बैठा तो ऐसा लग रहा था जैसे मैं बहुत ही मुलायम गद्दों पर बैठा हुआ हूं।
मैं धीरे-धीरे उसकी कमर पर गोल गोल हाथ घुमाने लगा; कभी ऊपर नीचे मसाज करने लगा।
धीरे-धीरे मेरे हाथ उसकी पीठ पर बढ़ने लगे और भाभी की गर्म गर्म सांसें निकलने लगीं।
बहुत धीरे-धीरे मैं उनकी पीठ की मसाज कर रहा था और मेरे हाथ जब उनकी पीठ के बगल में होते तो उनके दूधों से टच कर जाते।
इससे भाभी को गुदगुदी होने लगती मगर वह चुपचाप आंखें बंद किए हुए मजे ले रही थी।
कुछ देर पीठ और कंधे की मसाज करने के बाद मैं वापस उसकी जांघों पर बैठा; उनके दोनों चूतड़ों पर अपने दोनों हाथ रख कर धीरे-धीरे गोल गोल घुमाने लगा जिससे भाभी की उत्तेजना और बढ़ गई।
अब वह अपने पैरों को पटकने लगी।
पैरों के पटकने से उनके पैरों में पहनी हुई पायलों से छम छम की आवाज आने लगी जो बहुत मादक लग रही थी।
मैंने कुछ तेल उसकी चूतड़ों की दरार में डाला जो बहते हुए उसकी गांड से उसकी चूत तक पहुंचा।
फिर मैं धीरे-धीरे अपनी दो उंगलियां उसकी चूतड़ों की नाली से करते हुए नीचे ले गया।
उन उंगलियों को फिर ऊपर लाता, कभी उसकी गांड के छेद पर अंगूठा रखकर धीरे धीरे गोल गोल घुमाता।
इससे भाभी की गांड की गर्मी बढ़ने लगी। उत्तेजना में उसके पैर हिलते और पायलों की छम छम आवाज होने लगती।
मैं- डार्लिंग, आज कुछ मांगू तो मना तो नहीं करोगी?
भाभी- अब क्या रह गया है देने को? सब कुछ तो दे दिया है … फिर भी जो बचा है अगर वह मेरे पास है तो मैं बेहिचक दे दूंगी।
फिर मैं बोला- मुझे आज आपकी गांड में लंड डालना है और अब मना नहीं करोगी आज!
भाभी- ठीक है, डाल देना।
यह सुनते ही मैं तेल में भीगी हुई है अपनी उंगली धीरे-धीरे करके भाभी की गांड में डालने लगा।
गांड टाइट थी तो भाभी एकदम से बोली- यह सब बाद में करना, पहले जो कर रहे थे वह करो।
मैं- डार्लिंग पीछे की मसाज पूरी हो गई है, अब सीधी लेट जाओ।
दोस्तो, मसाज के बारे में मैं आपको यहां पर बता दूं कि हमेशा मसाज पैरों से ही शुरू की जाती है।
मैं वापस उसके पैरों पर आया और पैरों की मसाज देने लगा। फिर मैं उसकी चूत पर बैठा और काफी सारा तेल उसके बूब्स पर डाल दिया और धीरे-धीरे उन पर घड़ी की दिशा में दोनों हाथों से गोल गोल घुमाने लगा।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#35
जहां मैं बैठा था वहां पर अपने दोनों हाथ रख कर ऊपर को ले जाता।

यही प्रक्रिया मैंने कई बार दोहराई जिससे भाभी पूरी तरीके से गर्म हो गई।
भाभी- भाड़ में गई मसाज, अपना लंड मेरी चूत में डाल दो डार्लिंग … अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है। मेरी चूत में ऐसा लग रहा है जैसे फट जाएगी।
मैं चुपचाप उसके पैरों के बीच में आया और एक तकिया उठाकर उसकी गांड के नीचे रख दिया।
फिर कुछ तेल लेकर उसकी चूत में डाला और अपनी दो उंगलियों को वी-शेप में करके उसकी चूत के दाएं बाएं फिराने लगा।
फिर मैंने एक उंगली धीरे से भाभी की चूत में डाली और आगे पीछे करने लगा।
उंगली में तेल लगा होने की वजह से उंगली काफी जल्दी अंदर बाहर हो रही थी।
उसके बाद मैं अपनी दो उंगलियां भाभी की चूत में डालकर तेजी से अंदर बाहर करने लगा।
5 मिनट तक अपनी दोनों उंगलियों को मैं उसकी चूत में अंदर बाहर तेजी से करता रहा।
भाभी की सांसें बहुत तेज होने लगीं, शायद वो झड़ने वाली थी।
मगर मैं नहीं रुका।
भाभी अपने हाथ से मेरे हाथ को हटाने की कोशिश करती मगर नाकाम होती रही।
उन्होंने अपने दोनों पैर मेरी पीठ से हटाकर मेरी जांघों पर रखे और अपनी कमर हवा में उठा दी।
फिर भी मैंने अपनी उंगलियों को चलाना नहीं छोड़ा।
भाभी ने अपनी कमर जब तक हवा में उठाए रखी जब तक वो झड़ नहीं गई।
वो एकदम से पलंग पर गिर कर काफी लंबी लंबी सांसें ले रही थी।
उनकी चूत से निकला हुआ पानी और तेल मेरी हथेलियों को भिगो गया और मेरे हाथों में काफी रस लग गया।
मैंने उसकी चूत का पानी उसके पेट पर और उसके दूधों पर लगा दिया।
मैंने उसको देखा तो उसकी आंखें बंद थीं और वो काफी जोर जोर से सांसें ले रही थी।
मैं भी उसके बाजू में लेट गया।
जब भाभी सामान्य हो गई तो वह बिना कुछ बोले उठ कर बैठ गई और बाजू में रखी हुई जैतून के तेल की शीशी मेरे शरीर पर डाल कर बोली- मुझे मसाज करना तो नहीं आता लेकिन कोशिश करके देखती हूं।
यह कहकर वो मेरे लंड पर बैठ गई।
मगर वह इस तरीके से बैठी थी कि देखने से ऐसा लग रहा था कि मेरा लंड उनकी चूत से बाहर निकल कर मुझे देख रहा हो।
उसने कुछ तेल मेरे शरीर पर लगाया और अपने दोनों हाथ ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर ले जाने लगी।
करते करते उसका बदन भी गर्म हो गया और वह अपने बदन को मेरे बदन पर घिसने लगी।
उसकी चूत बार बार मेरे लंड पर रगड़ खा रही थी या यूं कहें कि वो अपनी चूत को बार बार मेरे लंड पर रगड़ रही थी।
जब उससे बर्दाश्त नहीं हुआ तो थोड़ा ऊपर होकर उसने मेरे लंड को अपनी चूत के छेद में सेट किया और एक ही झटके में बैठ गई।
चूत और लंड में तेल लगा होने के कारण लंड सीधा उनकी चूत में जड़ तक घुस गया।
इससे भाभी को बहुत तेज दर्द हुआ लेकिन पिछली बार की तरह उन्होंने अपने दोनों हाथों से मुंह को नहीं दबाया बल्कि जितना जोर से हो सके उतना जोर से चिल्लाई।
उन्हें पता था कि बिल्डिंग में मेरे और उनके अलावा अब कोई नहीं बचा है।
वह मेरे लंड पर कूदने लगी।
मुझे मजा आने लगा और उसकी हालत तो देखने लायक थी।
ऐसा लग रहा था जैसे मेरे लंड को चूत में ही समा लेगी।
कूदते हुए जब वह थक गई तो मेरे लंड से उतर कर बाजू में बैठ गई और मेरे लंड को अपने हाथ में लेकर खींचने लगी।
मैंने आंखों से इशारा किया मुंह में लो तो वह मुस्कराते हुए लंड को साफ करने लगी।
मैंने उन्हें साफ करने से मना किया और बोला कि ऐसे ही मुंह में लो।
उसने बिना कुछ बोले ही हाथ से अपने बाल पीछे करते हुए जीभ बाहर निकाली और लंड की मुंड पर धीरे-धीरे जीभ फेरने लगी।
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#36
वह मेरे लंड में लगे हुए अपनी चूत के पानी को जीभ से चाटने लगी।

काफी देर तक चाटने के बाद जब लंड उनकी चूत के पानी से साफ हो गया तो वह बोली- आज से पहले मैंने ऐसे इस तरीके से अपनी चूत का पानी मुंह में नहीं लिया है। बहुत ही मादक और टेस्टी है।
यह कहते हुए भाभी मेरे बाजू में लेट गई और अपने दोनों पैर फैलाकर मेरी आंखों में देखने लगी।
मैं देख कर समझ गया कि भाभी मुझसे क्या कहना चाहती हैं।
मैं उठ कर उनके पैरों के बीच में आया और गांड के नीचे तकिया रखकर अपनी जीभ उनकी चूत पर घुमा दी जिससे भाभी की मादक सिसकारी निकल गई।
फिर मैं अपनी जीभ को चूत के छेद में डालकर तेजी से अंदर बाहर करने लगा।
ऐसा करने से भाभी ने अपनी कमर हवा में उठाई और अपने दोनों हाथों से मेरे सिर को खुद अपनी चूत पर दबाया और पानी छोड़ दिया।
भाभी की चूत का कुछ पानी मेरे मुंह में आया और मैं स्वाद लेने लगा।
चूत का कुछ पानी मेरे होंठों और ठोड़ी पर लग गया।
फिर भाभी ने अपनी कमर एकदम से नीचे धड़ाम से बेड पर पटकी और जल्दी से उठ कर बैठ गई।
उसने अपने दोनों हाथों से मेरे चेहरे को पकड़ा और अपनी जीभ निकालकर जहां जहां अपनी चूत का पानी मेरे चेहरे पर लगा हुआ था, चाट कर साफ़ कर दिया।
मैं- चल मेरी डार्लिंग, कुतिया बन जा!
जब वह कुतिया बन गई तो मेरी नज़र उसकी चमकती हुई गांड के छेद पर पड़ी।
मेरा लंड उसकी चूत में न जाकर गांड में घुसने के लिए लालायित हो गया।
मैंने कुछ तेल अपने लंड पर लगाया और कुछ तेल उसकी गांड के ऊपर लगाया और उंगली करने लगा।
मेरा मकसद था कि जिससे तेल अंदर तक चला जाए।
मोहिनी भाभी- डार्लिंग क्या कर रहे हो … वहां पर नहीं करना है।
मैं- डार्लिंग, मैंने तुमसे अभी कुछ देर पहले गांड मांगी है और तुमने भी कहा है कि हां कर लेना … तो अब अपनी बात से क्यों पीछे हट रही हो?
भाभी- वह तो मैं उस समय होश में नहीं थी, आज तक मैंने अपनी गांड अपने पति को भी नहीं मारने दी। तुमको क्यों मारने दूंगी फिर?
मुझे उसकी बात सुनकर बहुत बुरा लगा और गुस्सा भी बहुत आया तो मैं बाजू में लेट गया।
मोहिनी भाभी- क्या हुआ तुमको? तुम पलंग पर क्यों लेट गए … मेरे साथ सेक्स नहीं करना क्या?
मैं- मैंने कब तुम्हें मना किया है सेक्स करने के लिए … यह मेरा लंड खड़ा हुआ है। मैं लेट गया हूं। इसे अपनी चूत में लो और झटके मार कर अपना पानी निकाल दो। तुम्हारा काम हो जाएगा तो मैं भी नहा धोकर अपने रूम पर चला जाऊंगा।
दोस्तो, मैं उसे भावनात्मक रूप से ब्लैकमेल करने लगा।
फिर भाभी मेरे ऊपर चढ़ाकर लेट गई और किस करते हुए बोली- लगता है तुम मेरी आज गांड मारकर ही रहोगे। नहीं मानोगे … मगर यार बाबू … गांड मरवाने में बहुत दर्द होता है, ऐसा मैंने अपनी सहेलियों से सुना है।
मैं फिर भी कुछ ना बोला।
फिर भाभी बोली- मेरा बाबू नाराज है? नहीं मानेगा? अपना लंड मेरी गांड में ही डालेगा … तो ठीक है।
वो बिना कुछ बोले फिर मेरे सामने कुतिया बन गई।
फिर बोली- लो डार्लिंग … मैंने अपनी गांड तुम्हारे हवाले कर दी है, अब प्यार से मारो या बेदर्दी से … चाहे चोदो या फाड़ो … यह गांड तुम्हारी है।
मैं चुपचाप उठा और उसके पीछे गया और प्यार से उसकी गांड को चूमा; धीरे-धीरे उसकी गांड में उंगली करने लगा।
फिर उसकी गांड को चाटा।
वह गर्म होने लगी और फिर धीरे-धीरे करके मैंने उसकी गांड में अंदर तक उंगली डाली।
जब वह गर्म हो गई तो मैंने अपने लंड पर थोड़ा तेल लगाया और उसकी गांड से लंड टच करके धीरे-धीरे घिसने लगा।
दोस्तो, इसमें इतना मजा आ रहा था कि अब मुझसे बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था।
मैं अपना लंड उसकी गांड में धीरे-धीरे डालने लगा। एक बार उसे दर्द हुआ तो उसने अपनी गांड आगे खींच ली।
मैंने गुस्से में आकर जोर से एक चांटा उसके चूतड़ों पर जड़ दिया जिससे वो चिल्ला उठी।
फिर मैंने अपने लंड को उसकी गांड में डालना शुरू किया।
बड़ी मुश्किल से उसकी गांड में लंड का मुंड गया तो उसे दर्द होने लगा और वो आराम से करने के लिए कहने लगी।
मगर मेरे ऊपर अब हैवानियत सवार हो चुकी थी।
मैंने उसकी कमर को जोर से पकड़ा और एक झटका मारा।
मेरा आधा लंड उसकी गांड में चला गया और वह जोर से चिल्लाई- आआआ ईईई … ऊऊऊऊ ईईईई … मर गयी … आह्ह … मम्मी …
करते हुए वो रोने लगी।
मगर मैं भी कहां मानने वाला था; धीरे से लंड को पीछे खींचा और फिर झटका मार दिया।
मेरा पूरा लंड भाभी की गांड में समाहित हो चुका था।
उसने जोर से अपना एक हाथ बेड पर पटका और बाजू में रखे हुए तकिया को उठाकर उसमें अपना मुंह दबा लिया।
उसको नॉर्मल करने के लिए मैं उसकी चूत में उंगली करता रहा और उसकी चूचियों को दबाता रहा।
जब वह सामान्य हुई तो मैं लंड धीरे-धीरे अंदर बाहर करने लगा।
मगर उसे मजा नहीं आ रहा था, वह दर्द से तड़पती रही।
कुछ देर तक उसकी गांड मारने के बाद मुझे उस पर दया आ गई और मैंने लंड उसकी गांड से निकाल लिया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#37
फिर लंड को मैं उसकी चूत में डाल कर उसे चोदने लगा।

कुछ देर में उसे मजा आने लगा और वह भी मेरा साथ देने लगी।
15 मिनट तक उसे ऐसी हालत में चोदते हुए मेरा लंड उसकी चूत में झड़ गया और वो भी साथ में झड़ गई।
फिर अगले दिन हम दोनों जब नंगे हॉल में बैठे हुए मूवी देख रहे थे तब मोहिनी के मोबाइल में उसके पति दिनशे का फोन आया।
मोहिनी भाभी ने अपने पति दिनेश से बात की और सिर्फ हां और ना में जवाब देती रही।
फोन रखने के बाद वह मुझसे चिपक कर रोने लगी।
उसे इस तरह अचानक रोता देख मैं डर गया और सोचने लगा कि कहीं कुछ अनहोनी तो नहीं हो गई!
मैं- क्या हुआ डार्लिंग … क्यों रो रही हो? कुछ बताओगी या नहीं?
भाभी ने बताया- पति का फोन था और उसे पास मिल गए हैं। कल यानि कि 30 अप्रैल को वह कार लेकर आ रहे हैं। आज ही तुम अपना सामान पैक कर लो, हम 1 घंटे बाद अलग हो जाएंगे। मुझे तुमसे दूर जाने पर बहुत रोना आ रहा है। पता नहीं कितने महीनों बाद हम वापस मिलेंगे।
ये कहते हुए वह मुझसे चिपक कर रोने लगी।
उस रात हमने तीन बार सेक्स किया और सुबह 5:00 बजे मैं अपना सामान लेकर अपने रूम में आ गया।
सुबह 9:00 बजे उठकर जब मैं दूध लेने के लिए जा रहा था तो देखा भाभी के रूम में ताला लगा हुआ था।
यह देख कर मुझे दुख हुआ।
सुबह 7:00 बजे दिनेश आ गए और 8:00 बजे वह लोग भोपाल से निकल गए।
यह बात भाभी ने मुझे घर पहुंचने के बाद फोन लगाकर बताई।
दोस्तो, 29 अप्रैल तक मैंने भाभी को और भाभी ने मुझे हर तरीके से चोदा, हर पोजीशन में चोदा।
घर का ऐसा कोई कोना नहीं बचा था जहां हम दोनों ने नंगी चुदाई का खेल ना खेला हो।
चुदाई में हमने किचन, बाथरूम, हॉल, बेडरूम हर जगह सेक्स किया।
24 मार्च से लेकर 29 अप्रैल तक हम दोनों साथ रहे। जब हम लोग चुदाई नहीं करते थे तब मैं जॉकी की अंडरवियर और बनियान में रहता और भाभी भी अपनी ब्रा और पैंटी में रहती थी।
कभी-कभी तो हम लोग नंगे ही रहते थे जब तक उसका बच्चा सो कर नहीं उठ जाता था।
उसके नंगे बदन से मैं इतना खेला कि उसकी याद कभी भी मेरे दिमाग से जाती ही नहीं।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#38
(14-09-2021, 03:12 PM)neerathemall Wrote:
लॉकडाउन में दीदी को खूब चोदा














लॉकडाउन में दीदी को खूब चोदा
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#39
लॉकडाउन में दीदी फिर से चुद गई
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#40
(14-09-2021, 03:12 PM)neerathemall Wrote:
लॉकडाउन में दीदी को खूब चोदा














लॉकडाउन में दीदी को खूब चोदा
20,919

जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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