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23-04-2019, 08:17 AM
(This post was last modified: 26-04-2021, 04:59 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
गुलबिया : सावन में फागुन
लेकिन अँधेरा जबरदस्त था, पानी की धार भी तेज थी और बाग में नीचे जमीन एकदम कीचड़ हो गई थी। चलना भी आसान नहीं था, हम सब थोड़ी खुली जगह पे थे जहाँ कीचड़ तो बहुत था लेकिन किसी पेड़ की डाल के गिरने का डर नहीं था। चलना भी आसान नहीं थी।
“अरे झूला न सही त चला सावन में ननदन के होली क मजा देवल जाय न…”
ये आवाज गुलबिया की थी।
मुझे क्या मालूम ये बात वो किसके लिए कह रही थी। लेकिन जब अगले ही पल उसने और एक और भौजी ने धक्का देकर मुझे कीचड़ में गिरा दिया तब मैं समझी। ब्लाउज तो पहले ही फट चुका था। एक किसी ने मेरे दोनों हाथों को पकड़ के घसीटा और मैं गड्ढे में।
गुलबिया ने बस वहीं से कीचड़ उठा-उठा के मेरे जोबन पे लगाना शुरू कर दिया।
मैं क्यों छोड़ती आखिर, मैं भी तो अपनी भौजी की ननद थी, और इतने दिनों में चम्पा भाभी और बसंती की संगत में काफी खेल तमाशे सीख चुकी थी। फिर दिनेश ने भी मेरे साथ आँगन में कीचड़ की होली खेली थी।
मैंने दोनों हाथों में कीचड़ लेकर सीधे गुलबिया की दोनों चूंचियों पे, 36+ रही होंगी लेकिन एकदम कड़ी, गोल-गोल।
लेकिन गुलबिया ने खूब खुश होकर मुझे गले लगा लिया और बोली-
“मान गए… हो तुम हमार लहुरी ननदिया। बहुत मजा आई तोहरे साथ…”
“एकदम भौजी, आखिर मजा लेवे आई हूँ तोहरे गाँव, न देबू ता जबरन लेब…”
मुश्कुरा के मैं बोली और उसकी चूची पे लगे कीचड़ को जोर-जोर से रगड़ने लगी।
मेरी साड़ी तो सरक के छल्ला बन गई थी कमर पे और ब्लाउज कामिनी भाभी और बसंती ने फाड़ के बराबर कर दिया था।
मैंने भी गुलबिया की चोली कुछ फाड़ी कुछ खोल दी थी।
लेकिन गुलबिया, मैंने कहा था न बसंती के टक्कर की थी, तो बस नीचे से पैर फंसा के उसने ऐसी पलटी दी की मैं नीचे वो ऊपर।
और अब मैं समझी की गाँव सारी लड़कियां गुलबिया के नाम से डरती क्यों थी?
मुझे अजय की याद आ गई, जिस तरह बँसवाड़ी में उसने मेरी चूंचियां रगड़ीं थी, उसी तरह। पहले दोनों हाथों की हथेलियों से, फिर पकड़ के कुचलते हुए, और साथ में उसकी चूत मेरी चूत पे घिस्से लगा रही थी, पूरी ताकत से।
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गुलबिया के जोर से मेरे चूतड़ नीचे कीचड़ में रगड़े जा रहे थे। मैं सिसक रही थी लेकिन मैं धक्कों का जवाब धक्कों से दे रही थी, चूत मेरी भी घिस्सों पर घिस्से मार रही थी।
पानी करीब करीब बंद हो गया था, बस हल्की-हल्की बूंदें पड़ रही थीं।
मैं बस… लग रहा था की पहले बसंती और फिर कामिनी भाभी चूत में आग लगाकर छोड़ दी, तो अब गुलबिया ही बारिश करा के…”
उधर उस कच्ची कली, सुनील की बहन को भी दो भौजाइयों ने दबोच रखा था, और खुल के उसकी रगड़ाई मसलाई हो रही थी।
और इधर मेरी भी, गुलबिया ने गचाक से एक उंगली मेरी चूत में पेल दी और मेरी कच्ची कसी चूत ने उसे जोर से दबोच लिया, कहा-
“बहुत कसी है, एकदम टाइट, लेकिन अब हमरे हाथ में पड़ गई हो न, देखना भोसड़ी वाली बना के भेजूंगी…”
मैं- “पक्का भौजी, तोहरे मुँह में घी शक्कर…”
खिलखिलाते हुए मैंने कहा और जोर से अपनी चूत सिकोड़ ली।
तब तक नीरू ने दोनों भौजाइयों से बचने की कोशिश करते हुए बोला-
“भाभी, अरे बरसात बंद हो गई है अब चलूँ?”
जवाब बसंती ने दिया, जो तब तक वहां शामिल हो गई थी-
“अरी ननद रानी, अबही कहाँ, असली बरसात तो बाकी है, तनी उसका भी तो स्वाद चख लो…”
और वहीं से गुलबिया को गुहार लगाई। गुलबिया की मंझली उंगली, मेरी कसी गीली गुलाबी चूत के अंदर खरोंच रही थी।
मुझे छोड़ते हुए वो बोली-
“बिन्नो, हमार तोहार उधार…”
और बंसती की ओर चली गई।
मैं किसी तरह लथपथ कीचड़ से उठी तो कामिनी भाभी ने मेरा हाथ पकड़ के सहारा देके उठाया।
चम्पा भाभी ने इशारा किया की बाकी सब अभी नीरू के साथ फँसी है मैं निकल चलूँ।
ब्लाउज तो फट ही गया था, किसी तरह साड़ी को लपेटा मैंने, और मैं उन दोनों लोगों के साथ निकल चली।
बारिश बंद हो गई थी और अब हवा एक बार फिर तेज चलने लगी थी। आसमान में बादल भी छिटक गए थे और चाँद निकल आया था। पेड़ों के झुरमुट में मुड़ने के पहले एक बार एक पल ठहर कर मैंने देखा, तो सुनील की बहन छटपटा रही थी, लेकिन उसके दोनों हाथ, एक हाथ से बसंती ने पकड़ रखा था, और दूसरे हाथ से उसके फूले-फूले गाल जोर से दबा रखे थे।
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23-04-2019, 08:21 AM
(This post was last modified: 26-04-2021, 05:01 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
सुनहली बारिश
आसमान में बादल भी छिटक गए थे और चाँद निकल आया था। पेड़ों के झुरमुट में मुड़ने के पहले एक बार एक पल ठहर कर मैंने देखा, तो सुनील की बहन छटपटारही थी, लेकिन उसके दोनों हाथ, एक हाथ से बसंती ने पकड़ रखा था, और दूसरे हाथ से उसके फूले-फूले गाल जोर से दबा रखे थे।
उसने गौरेया की तरह मुँह चियार रखा था, और उसके मुँह के ठीक ऊपर, गुलबिया, दोनों घुटने मोड़े, साड़ी उसकी कमर तक,
और मान गयी मैं गुलबिया को , बंसती सही ही कह रही थी , एक बार उसकी पकड़ में आने के बाद बचना मुश्किल था , जिस तरह वो बैठी थी ,
घुटने मोड कर , गुलबिया की दोनों मजबूत पिंडलियाँ , उस कच्ची कली के दोनों हाथों पर लाख कोशिश कर ले , सूत भर भी हिल नहीं सकती थी , गुलबिया की देहःका पूरा जोर नीरू के हाथों पर ,
गुलबिया की मांसल चिकनी तगड़ी जाँघे ,... जैसे किसी लोहार ने अपनी सँड़सी से घन मारने के लिए लोहे को कस के पकड़ रखा हो ,
उस नयी आयी जवानी के सर को , कस के दबोच रखा था , उन जांघों ने ,... बाज की चोंच में गौरेया ,...
और गौरेया ने मुंह चियार रखा था ,
" पी ले , पी ले ,... अरे अइसन स्वाद लगेगा की खुदे आओगी मुंह फैलाये , लेकिन बोलना पडेगा रानी ,... बिन बोले मैं पिलाऊंगी नहीं , और बिन पिलाये छोडूंगी नहीं, अभी तो खाली हम दोनों हैं देर करोगी तो ,... "
गुलबिया उसे उकसा रही थी ,
मैं बँसवाड़ी की आड़ में खड़ी , छिपी दुबकी , खेल तमाशा देख रही थी , अबतक लग रहा था की बसंती आज मज़ाक मज़ाक में , लेकिन अब लग रहा था ,
वो नयी आयी जवानी वाली कुछ देर तक तो , लेकिन ,... जिस तरह गुलबिया ने जोर से उसकी घुंडी पकड़ के मरोड़ा , पहले तो वो चीखी ,
पर वो समझ गयी ,...
"मू ,... मू ,... "
" अरे ननद रानी पूरा बोल , खुल के तब उ भौजाइन का परसाद मिलेगा , देखना , ई टिकोरे अइसन जल्दी से बड़े होंगे न , ... ले चलूंगी तोहें अपने टोले भरौटी मेंएक दिन , पहले भरौटी क भौजाइन के संग फिर ,...
पता नहीं उस ने बोला की नहीं , लेकिन बसंती ने मुझे देख लिया , ( देख तो मुझे दोनों शुरू से रही थीं ) , बोली ,
" अरे घबड़ा जनि अरे जरा आज इसको , ... फिर कल से तोहें बिना नागा पिलाऊंगी , ... झान्टन से छान के सुनहला शरबत ,... सबेरे सबेरे ,... "
" अरे खाली सबेरे नहीं दोनों जून , ... और खाली पिलाऊंगी नहीं , खिलाऊंगी भी , पचा पचाया ,... घबड़ा जिन ननद रानी "
मैं छुपने की कोशिश करने लगी लेकिन तभी ठिठक कर रुक गयी
और फिर बारिश शुरू हो गई, पहले तो बूँद-बूँद, फिर घल-घल, गुलबिया की जाँघों के बीच से, सुनहली पीली बारिश,
“अरे बिना भौजाइन क खारा शरबत पिए, हमारे ननदन क जवानी ठीक से नहीं आती…” बंसती बोल रही थी।
मेरी आँखे वहीँ चिपकी थी , उस कच्ची कली का मुंह एकदम खुला था , सुनहली बारिश , पहले बूँद बूँद ,... फिर
तेज धार , छरर छरर ,
एक बूँद बाहर छलकी तो गुलबिया गरजी ,
एक बूँद भी ननद रानी बाहर नहीं ,
मेरी आँखे वही चिपकी थी , कल की लड़की , मुझसे भी छोटी और कैसे
तब तक कामिनी भाभी की आवाज आयी , और मैं बँसवाड़ी से निकल कर उनके पास
कामिनी भाभी का घर पास में ही था, थोड़ी देर में मैं और चम्पा भाभी, उनके साथ, उनके घर पहुँच गए।
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(23-04-2019, 12:39 PM)Ppatel777 Wrote: Wow jhakass update
thanks
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(26-04-2019, 05:24 PM)Kartik123 Wrote: Watting next update
Today
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02-05-2019, 07:19 PM
(This post was last modified: 30-04-2021, 02:36 PM by komaalrani. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
सत्ताइसवीं फुहार -
कामिनी भाभी
अब तक
गुलबिया ने बस वहीं से कीचड़ उठा-उठा के मेरे जोबन पे लगाना शुरू कर दिया।मैं क्यों छोड़ती आखिर, मैं भी तो अपनी भौजी की ननद थी, और इतने दिनों में चम्पा भाभी और बसंती की संगत में काफी खेल तमाशे सीख चुकी थी।
फिर दिनेश ने भी मेरे साथ आँगन में कीचड़ की होली खेली थी। मैंने दोनों हाथों में कीचड़ लेकर सीधे गुलबिया की दोनों चूंचियों पे, 36+ रही होंगी लेकिन एकदम कड़ी, गोल-गोल।
लेकिन गुलबिया ने खूब खुश होकर मुझे गले लगा लिया और बोली-
“मान गए… हो तुम हमार लहुरी ननदिया। बहुत मजा आई तोहरे साथ…”
“एकदम भौजी, आखिर मजा लेवे आई हूँ तोहरे गाँव, न देबू ता जबरन लेब…”
मुश्कुरा के मैं बोली और उसकी चूची पे लगे कीचड़ को जोर-जोर से रगड़ने लगी। मेरी साड़ी तो सरक के छल्ला बन गई थी कमर पे और ब्लाउज कामिनी भाभी और बसंती ने फाड़ के बराबर कर दिया था।
मैंने भी गुलबिया की चोली कुछ फाड़ी कुछ खोल दी थी।
लेकिन गुलबिया, मैंने कहा था न बसंती के टक्कर की थी, तो बस नीचे से पैर फंसा के उसने ऐसी पलटी दी की मैं नीचे वो ऊपर।
और अब मैं समझी की गाँव सारी लड़कियां गुलबिया के नाम से डरती क्यों थी?
गुलबिया के जोर से मेरे चूतड़ नीचे कीचड़ में रगड़े जा रहे थे।
मैं सिसक रही थी लेकिन मैं धक्कों का जवाब धक्कों से दे रही थी, चूत मेरी भी घिस्सों पर घिस्से मार रही थी।
, गुलबिया ने गचाक से एक उंगली मेरी चूत में पेल दी और मेरी कच्ची कसी चूत ने उसे जोर से दबोच लिया, कहा-
“बहुत कसी है, एकदम टाइट, लेकिन अब हमरे हाथ में पड़ गई हो न, देखना भोसड़ी वाली बना के भेजूंगी…”
मैं-
“पक्का भौजी, तोहरे मुँह में घी शक्कर…”
खिलखिलाते हुए मैंने कहा और जोर से अपनी चूत सिकोड़ ली।
तब तक नीरू ने दोनों भौजाइयों से बचने की कोशिश करते हुए बोला- “भाभी, अरे बरसात बंद हो गई है अब चलूँ?”
जवाब बसंती ने दिया, जो तब तक वहां शामिल हो गई थी-
“अरी ननद रानी, अबही कहाँ, असली बरसात तो बाकी है, तनी उसका भी तो स्वाद चख लो…” और वहीं से गुलबिया को गुहार लगाई। गुलबिया की मंझली उंगली, मेरी कसी गीली गुलाबी चूत के अंदर खरोंच रही थी।
मुझे छोड़ते हुए वो बोली- “बिन्नो, हमार तोहार उधार…” और बंसती की ओर चली गई।
मैं किसी तरह लथपथ कीचड़ से उठी तो कामिनी भाभी ने मेरा हाथ पकड़ के सहारा देके उठाया। चम्पा भाभी ने इशारा किया की बाकी सब अभी नीरू के साथ फँसी है मैं निकल चलूँ।
ब्लाउज तो फट ही गया था, किसी तरह साड़ी को लपेटा मैंने, और मैं उन दोनों लोगों के साथ निकल चली।
कामिनी भाभी का घर पास में ही था, थोड़ी देर में मैं और चम्पा भाभी, उनके साथ, उनके घर पहुँच गए।
आगे
आसमान अभी भी बादलों से घिरा था। बूंदा बादी हल्की हो गई थी लेकिन जिस तरह से रुक-रुक कर बिजली चमक रही थी, बादल गरज रहे थे लग रहा था की बारिश फिर कभी भी शुरू हो सकती थी।
![[Image: rain-G-12.gif]](https://picsbees.com/images/2018/12/09/rain-G-12.gif)
जो रास्ते दिन में जाने पहचाने लगते थे, अब उन्हें ढूँढ़ना भी मुश्किल होता।
कामिनी भाभी आज घर में अकेली थीं, उनके पति शहर गए थे और उन्हें शाम को लौटना था लेकिन लगता था की बारिश के चलते वहीं रुक गए।
मेरी पूरी देह कीचड़ में लथपथ थी, खासतौर से आगे और पीछे के उभार,
जिस तरह गुलबिया ने कीचड़ उठा-उठा के मेरे जोबन पे रगड़ा था और मेरे ऊपर चढ़ के कीचड़ हो गई मिटटी में मेरे चूतड़ों को घिस घिस के…
कामिनी भाभी मुझे पकड़ के सीधे बाथरूम में ले गई जहाँ कई बाल्टियों में पानी भरा था।
![[Image: Mud-339243.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/12/09/Mud-339243.jpg)
ब्लाउज तो मेरा पहले ही उन्होंने बसंती और गुलबिया के साथ मिल के चिथड़े-चिथड़े कर दिए थे और साड़ी भी एकदम कीचड़ में लथपथ हो गई थी। एक झटके में साड़ी खींच के उन्होंने उतार दी और धोने के लिए डाल दी।
तब तक चम्पा भाभी की बाहर से आवाज आई-
![[Image: MIL-86656847e3eebfcc1284935607a6252a.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/12/09/MIL-86656847e3eebfcc1284935607a6252a.jpg)
“मैं चल रही हूँ, तेज बारिश आने वाली है। आज रात में घर पे कोई नहीं है। कल दोपहर को आके इसे ले जाऊँगी…”
और बाहर से दरवाजा उठंगाने की आवाज आई।
कामिनी भाभी बाहर दरवाजा बंद करने के लिए उठीं, तो घबड़ा के मैं बोली-
“मैं भी चलती हूँ, यहाँ कहाँ?”
कामिनी भाभी एक पल के लिए रुक गईं और मुश्कुराते हुए बोलीं-
“तो जाओ न मेरी बिन्नो, ऐसे जाओगी। चम्पा भाभी तो कहाँ पहुँच गई होंगी, जाओगी ऐसे अकेले? रास्ते में, इतने छैले मिलेंगे न की कल शाम तक भी घर नहीं पहुँच पाओगी…”
और मैंने अपनी ओर देखा तो… एकदम निसूती, ब्लाउज तो अमराई में फट फटा कर, और अब साड़ी भी कामिनी भाभी के कब्जे में थी। ऐसे में…
![[Image: teen-young-19807615.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/12/09/teen-young-19807615.jpg)
फिर मेरी ठुड्डी पकड़ के कामिनी भाभी ने प्यार से समझाया-
“अरे तेरी भौजाई और उनकी माँ पास के गाँव में रात में चली गई है। तो आज रात चम्पा भाभी तुम्हारी घर पे होंगी सिर्फ बसंती के साथ, तो काहे उनकी दावत में… …”
और बाहर का दरवाजा बंद करने चली गई।
बात मैं अब अच्छी तरह समझ गई, और घबड़ा भी अब नहीं रही थी। चन्दा, चम्पा भाभी, बसंती और गुलबिया सबके साथ तो थोड़ा बहुत मजा मैंने लिया ही था और कामिनी भाभी तो इन सबकी गुरुआइन थीं। बहुत हुआ तो वो भी… और इस हालत में तो घर लौटना भी मुश्किल था।
और तब तक सोचने समझने का मौका भी चला गया, कामिनी भाभी लौट आई थीं। हाँ उन्होंने बाथरूम का दरवाजा भी नहीं बंद किया, घर में हमीं दोनों तो थे और बाहर का दरवज्जा वो अच्छे से बंद करके आ गई थीं। और जब दिमाग नहीं चलता तो हाथ चलता है, मेरा हाथ चल गया, मैंने कामिनी भाभी की साड़ी खींच ली। ब्लाउज उनका भी झूले पे ही खुल गया था।
“भाभी, अरे इतनी बढ़िया साड़ी फालतू में गीली हो जायेगी…”
और अब हम दोनों एक तरह से, लेकिन कामिनी भाभी को इससे कुछ फरक नहीं पड़ता था।
![[Image: boobs-htt.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/12/09/boobs-htt.jpg)
बाथरूम के बाहर रखी लालटेन की मद्धिम-मद्धिम हल्की-हल्की पीली रोशनी में मैं कामिनी भाभी की देह देख रही थी। थोड़ी स्थूल, लेकिन कहीं भी फैट ज्यादा नहीं, अगर था भी तो एकदम सही जगहों पर। एकदम गठीली, कसी-कसी पिंडलियां, गोरी, केले के तने ऐसी चिकनी मोटी जांघें, दीर्घ नितम्बा लेकिन जरा भी थुलथुल नहीं।
कमर मेरी तरह, किसी षोडसी किशोरी ऐसी पतली तो नहीं लेकिन तब भी काफी पतली खास तौर से 40+ नितम्ब और 38डीडी+ खूब गदराई कड़ी-कड़ी चूंचियों के बीच पतली छल्ले की तरह लगती थी।
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02-05-2019, 07:43 PM
(This post was last modified: 30-04-2021, 03:54 PM by komaalrani. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
कामिनी भाभी
बाथरूम के बाहर रखी लालटेन की मद्धिम-मद्धिम हल्की-हल्की पीली रोशनी में मैं कामिनी भाभी की देह देख रही थी। थोड़ी स्थूल, लेकिन कहीं भी फैट ज्यादा नहीं, अगर था भी तो एकदम सही जगहों पर। एकदम गठीली, कसी-कसी पिंडलियां, गोरी, केले के तने ऐसी चिकनी मोटी जांघें, दीर्घ नितम्बा लेकिन जरा भी थुलथुल नहीं।
कमर मेरी तरह, किसी षोडसी किशोरी ऐसी पतली तो नहीं लेकिन तब भी काफी पतली खास तौर से 40+ नितम्ब और 38डीडी+ खूब गदराई कड़ी-कड़ी चूंचियों के बीच पतली छल्ले की तरह लगती थी।
जैसे मैं उन्हें देख रही थी, उससे ज्यादा मीठी निगाहों से वो मुझे देख रही थीं और फिर वो काम पे लग गई, सबसे पहले पानी डाल-डाल के मेरे जुबना पे लगे कीचड़ों को उन्होंने छुड़ाना शुरू किया। जिस तरह से कामिनी भाभी की उंगलियां मेरे छोटे नए आते उभारों को, ललचाते छू रही थीं, सहला रही थी, उनकी हालत का पता साफ-साफ चल रहा था।
लेकिन कामिनी भाभी के हाथ कब तक शर्माते झिझकते और गुलबिया का लगाया कीचड़ भी इतनी आसानी से कहाँ छूटता। जल्द ही रगड़ना मसलना चालू हो गया, और वो कीचड़ छूटने पे भी बंद नहीं हुआ।
मैं क्यों पीछे रहती आखिर अपनी भौजी की छुटकी ननदिया जो थी, तो मेरे भी दोनों हाथ कामिनी भाभी की बड़ी-बड़ी ठोस गुदाज गदराई चूंचियों पे।
हाँ मेरी एक मुट्ठी में उनकी चूची नहीं समा पा रही थी- बड़ी-बड़ी लेकिन एकदम ठोस।
मेरे निपल अभी छोटे थे लेकिन कामिनी भाभी के अंगूठे और तर्जनी ने उन्हें थोड़ी ही देर में खड़ा कर दिया।
और मेरे हाथ, मेरी उंगलियां कामिनी भाभी को कापी कर रही थीं। थोड़ी ही देर में कामिनी भाभी का एक हाथ मेरी जाँघों के बीच में था और उनकी गदोरी चुन्मुनिया को हल्के-हल्के रगड़ रही थी, और मैं जैसे ही सिसकने लगी, झड़ने के कगार पर पहुँच गई।
उन्होंने मुझे पलट दिया।
मेरे भरे-भरे चूतड़ अब कामिनी भाभी की मुट्ठी में थे, और वहां वो पानी डाल रही थी। गुलबिया ने ऐसे रगड़ा था की मेरे चूतड़ एकदम कीचड़ में लथपथ हो गए थे, यहाँ तक की उंगलियों में कीचड़ लपेट के उसने मेरी पिछवाड़े की दरार में भी अच्छी तरह से…
दोनों नितम्बो को फैलाकर कामिनी भाभी साफ कर रही थीं और अचानक उन्होंने अपनी कलाई के जोर से एक उंगली पूरी ताकत से गचाक से पेल दी। लेकिन इसके बावजूद मुश्किल से उंगली की एक पोर भी नहीं घुसी ठीक से।
“साल्ली, बहुत कसी है। बहुत दर्द होगा इसको, मजा भी लेकिन खूब आएगा…”
कामिनी भाभी बुदबुदा रही थीं।
![[Image: boobs-jethani-20479696_335948380192950_1...7264_n.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/12/09/boobs-jethani-20479696_335948380192950_1047069464606437264_n.jpg)
दोनों नितम्बो को फैलाकर कामिनी भाभी साफ कर रही थीं और अचानक उन्होंने अपनी कलाई के जोर से एक उंगली पूरी ताकत से गचाक से पेल दी। लेकिन इसके बावजूद मुश्किल से उंगली की एक पोर भी नहीं घुसी ठीक से।
![[Image: Sensual-Erotic-Pictures-Pack-242---Nudit...uded-3.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/12/09/Sensual-Erotic-Pictures-Pack-242---Nudity-Included-3.jpg)
“साल्ली, बहुत कसी है। बहुत दर्द होगा इसको, मजा भी लेकिन खूब आएगा…” कामिनी भाभी बुदबुदा रही थीं।
लेकिन मेरा मन तो खोया था उनके दूसरे हाथ की हरकत में। उसकी गदोरी मेरी चुनमुनिया को दबा रही थी, रगड़ रही थी, सहला रही थी। और साथ में कामिनी भाभी का दुष्ट अंगूठा मेरी रसीली गुलाबी क्लिट को कभी दबाता, कभी मसलता।
![[Image: pussy-Guddi-18026531.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/12/09/pussy-Guddi-18026531.jpg)
आज दोपहर से मैं तड़प रही थी, पहले तो घर पे बसंती ने, दो तीन बार मुझे किनारे पे ले जाके छोड़ दिया। उसके बाद झूले पे भी कामिनी भाभी और बसंती मिल के दोनों, और जब लगा की गुलबिया जिस तरह से मेरी चूत रगड़ रही है वो पानी निकाल के ही छोड़ेगी।
ऐन मौके पे वो नीरू के पास चली गई, खारा शरबत पिलाने।
और यहाँ एक बार फिर… मैं मस्ती से अपनी दोनों जांघें रगड़ रही थी की पानी अब निकले तब निकले, की कामिनी भाभी ने सीधे आधी बाल्टी पानी मेरी जाँघों के बीच डाल दिया।
मैं क्यों चूकती, मैंने भी दूसरी बाल्टी का पानी उठा के उनके भी ठीक वहीं…
![[Image: shower-GIF-GG-22-12424581.gif]](https://picsbees.com/images/2018/12/09/shower-GIF-GG-22-12424581.gif)
नहा धो के हम दोनों निकले तो दोनों ने एक दूसरे के बदन को तौलिये से अच्छी तरह रगड़ा, सुखाया लेकिन मेरे उभारों और चुनमुनिया को उन्होंने गीला ही रहने दिया और मुझे पकड़ के एक पलंग पे पीठ के बल लिटा दिया और फिर एक क्रीम ले आई और दो चार छोटी-छोटी शीशियां।
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02-05-2019, 07:45 PM
(This post was last modified: 03-05-2021, 02:21 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
उरोज लेप
कामिनी भाभी ने एक बड़ी सी बोतल से एक क्रीम निकाली, हल्की सी दानेदार, और अपनी सिर्फ दो उंगलियों से पहले मेरे उभारों के नीचे की ओर से लगाना शुरू किया, बहुत पतली सी फिल्म की तरह की लेयर, फिर धीरे-धीरे कांसेंट्रिक सर्किल्स की तरह उनकी उंगलियां ऊपर बढ़ती गईं, जैसे किसी पहाड़ी की परिक्रमा कर रही हों, लेकिन निपल के पहले पहुँचकर रुक गईं।
और उसके बाद दूसरे उभार का नंबर आया, और वहां भी उन्होंने निपल को छोड़ दिया।
कुछ ही देर में मेरे दोनों उरोजों में कुछ चुनचुनाहट महसूस शुरू हुई, एक अजब तरह की महक मेरे नथुनों में जा रही थी और एक हल्का सा नशा भी तारी हो रहा था।
“कुछ लग रहा है मेरी बिन्नो…”
प्यार से मेरे एक निपल को पिंच करते भाभी ने पूछा।
“हाँ भाभी, एक चुनचुनाहट सी लग रही है, अच्छा लग रहा है…”
“इसका मतलब असर शुरू हो गया है, देख रोज रात को सोने के पहले और सुबह नहाने के बाद, वैसे 10 मिनट का टाइम काफी होता है, उसके बाद कपड़े पहन सकती हो, लेकिन आज पहली बार लगा रही हो तो कम से कम एक घण्टे तक इसे वैसे ही रखना होगा। हाँ सूख ये 10 मिनट में जाएगा…”
वो मुश्कुराते हुए बोलीं।
आसमान में बाहर बादल अभी भी आसमान को ढके हुए थे लेकिन हल्की-हल्की हवा चलनी शुरू हो गई थी।
खुली खिड़की से बाहर अमराई की गमक और हवा आ रही थी।
बाहर बरामदे में रखी लालटेन की हल्की मद्धिम रोशनी में हम दोनों बस छाया की तरह लग रहे थे। कामिनी भाभी का घर थोड़ा बस्ती से अलग था, एक ओर खूब बड़ा सा आम का बाग और दो ओर खेत गन्ने और अरहर के।
सामने गाय, भैस के बाँधने की जगह, एक कुँवा और छोटा सा पोखर, बँसवाड़ी। अगला घर उनके खेतों के बाद ही था।
मेरी देह मस्ती से अलसा रही थी, तब तक एक और बोतल भाभी ने खोली, और उसमें से कुछ तेल सा निकाल के अपनी दोनों हथेलियों पे मला।
तबतक मेरे सीने पे लगा लेप कुछ-कुछ सूख गया था। और अब भाभी ने अपने हाथ में लगा तेल मेरे स्तन पे हल्के-हल्के मसाज करना शुरू कर दिया, और मुझे समझा भी रही थीं की अपने से चूची मसाज कैसे करते हैं, साइज और कड़ेपन दोनों के लिए।
“पहले ये तेल दोनों हाथ में अच्छी तरह मल लो, जरा भी तेल बचा न रहे सब गदोरी में, और फिर (उन्होंने खुद अपने हाथ से पकड़ के मेरा दायां हाथ, बाएं उभार की ओर कर दिया, कांख के ठीक नीचे) हाँ, अब यहाँ से हल्के-हल्के हाथ दबाते हुए बीच की ओर ले जाओ, हाँ एकदम ठीक ऐसे ही। मेरी पक्की ननद हो, जल्द सीख जाती हो।
चलो अब दूसरा हाथ भी लेकिन ध्यान रखना की निपल खुला रहे, हाँ इस दूसरे हाथ से हल्के-हल्के दबाओ, फिर गोल-गोल गदोरी घुमाओ, 10 बार क्लॉक वाइज फिर दस बार एंटी क्लॉक वाइज। और अब उसी तरह इस वाले पे…”
दो चार बार उन्होंने मुझसे कराया और फिर खुद एक साथ अपने दोनों हाथों से, और जब उन्होंने हाथ हटाया तो मेरे दोनों उभार चमक रहे थे, तेल से।
“पांच दस मिनट का इंटरवल, जरा मैं रसोई से आती हूँ लेकिन तुम बस ऐसे ही लेटी रहना…”
बादल थोड़े से हट गए थे और दुष्ट चाँद, जैसे इसी मौके की तलाश में था।
बादल का पर्दा हटा के, सीधे मेरे दोनों उभार ताक रहा था।
चाँदनी मेरे पूरे बदन पे फैली हुई थी।
रसोई से कुछ खटपट सुनाई दे रही थी।
कामिनी भाभी के बारे में कुछ तो चम्पा भाभी ने और ज्यादा बसंती ने बताया था।
ये पास के गाँव की किसी बड़े वैद्य की इकलौती लड़की थीं और बहुत कुछ गुन उन्होंने अपने पिताजी से सीख रखा था। गाँव में औरतों की जो भी प्राबलम होतीं थी, और जिसे औरतें किसी से कहने में हिचकती थी उन सबका हल कामिनी भाभी के पास था। माहवारी न आ रही हो, ज्यादा आ रही हो, बच्चा होने में दिक्कत हो रही हो, बच्चा रोकना हो, कहीं गलती से पेट ठहर गया हो, सब चीजों का इलाज उनके पास था।
और सबसे बड़ी बात की वैसे तो उनके पेट में कोई बात नहीं पचती थी, और मजाक करने में गारी गाने में न वो रिश्ता नाता देखती थीं न उमर, लेकिन ये सब बातें वो अगर किसी को उन्होंने हेल्प किया तो कभी भी नहीं बोलती थी, जिसको हेल्प किया उससे भी नहीं।
लेकिन बसंती ने एक बात बताई थी, अगर मैं कामिनी भाभी को किसी तरह पटा लूँ, उनसे पक्की वाली दोस्ती कर लूँ, तो बहुत सी चीजें उनसे सीख सकती हूँ।
उनको बहुत से मंतर भी मालूम हैं, तरीके भीं जो वो किसी को नहीं बताती। उनकी दोस्ती बहुत फायदे की रहेगी।
और अबकी वो आई तो साड़ी चोली (बैकलेस, पीछे से बंद वाली) पहने थी और उनके हाथ में एक मेरे लिए साड़ी थी।
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Bohat mast aur garam update hai
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(03-05-2019, 01:20 PM)Kartik123 Wrote: Bohat mast aur garam update hai
thanks so much
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(09-05-2019, 08:50 AM)Kartik123 Wrote: Waiting
tdoay
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12-05-2019, 11:06 AM
(This post was last modified: 03-05-2021, 02:36 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
कामिनी भाभी : उरोज लेप
अब तक
कामिनी भाभी के बारे में कुछ तो चम्पा भाभी ने और ज्यादा बसंती ने बताया था। ये पास के गाँव की किसी बड़े वैद्य की इकलौती लड़की थीं और बहुत कुछ गुन उन्होंने अपने पिताजी से सीख रखा था। गाँव में औरतों की जो भी प्राबलम होतीं थी, और जिसे औरतें किसी से कहने में हिचकती थी उन सबका हल कामिनी भाभी के पास था। माहवारी न आ रही हो, ज्यादा आ रही हो, बच्चा होने में दिक्कत हो रही हो, बच्चा रोकना हो, कहीं गलती से पेट ठहर गया हो, सब चीजों का इलाज उनके पास था।
और सबसे बड़ी बात की वैसे तो उनके पेट में कोई बात नहीं पचती थी, और मजाक करने में गारी गाने में न वो रिश्ता नाता देखती थीं न उमर, लेकिन ये सब बातें वो अगर किसी को उन्होंने हेल्प किया तो कभी भी नहीं बोलती थी, जिसको हेल्प किया उससे भी नहीं।
लेकिन बसंती ने एक बात बताई थी, अगर मैं कामिनी भाभी को किसी तरह पटा लूँ, उनसे पक्की वाली दोस्ती कर लूँ, तो बहुत सी चीजें उनसे सीख सकती हूँ। उनको बहुत से मंतर भी मालूम हैं, तरीके भीं जो वो किसी को नहीं बताती। उनकी दोस्ती बहुत फायदे की रहेगी।
और अबकी वो आई तो साड़ी चोली (बैकलेस, पीछे से बंद वाली) पहने थी और उनके हाथ में एक मेरे लिए साड़ी थी।
आगे
मैंने उनकी आखो में देखा तो मेरी बात वो समझ गईं और मुश्कुराते हुई बोलीं-
“अरी मेरी छिनरो ननदिया, आई जो तोहरे चूची पे लगा है न आज पहली बार है इसलिए घंटे भर इसके ऊपर कोई रगड़ नहीं पड़नी चाहिए, इसलिए तुम आज अभी ऐसे ही रहो, फिर हमहीं तुम हैं तो घर में…”
मैंने झपट्टा मार के उनके चोली के बंद खोल दिए और उनके बड़े-बड़े कबूतर भी आजाद हो गए।
झुक के उन्होंने सीधे मेरे होंठों पे अपने होंठ रगड़ते हुए, कस के चुम्मा लिया और बोलीं-
“आज मुझे मिली है मेरी असली ननद…”
और मैंने भी दोनों हाथों से जोर से उनका सर पकड़ते हुए उन्हें अपनी ओर फिर खींचा और उनसे भी तगड़ा चुम्मा लेकर बोली-
“अरे भाभी एहमें कौन शक, ननद तो हूँ ही आपकी…”
कामिनी भाभी ने एक और छोटी सी डिबिया खोली। उसमें मलहम जैसा कुछ था, चिपचिपा।
अपनी तरजनी पर उन्होंने जरा सा लगाया और फिर मंझली और अगूंठे से मेरे निप्स को थोड़ा रोल किया। निप्स बाहर की ओर हल्के-हल्के निकल आये थे। फिर उस तरजनी में लगे मलहम को उन्होंने निपल के बेस से लेकर ऊपर तक हल्के-हल्के दो-चार बार मला, और उसे अच्छी तरह उस क्रीम से कवर कर दिया। फिर दूसरे निपल का नंबर था।
जब तक कामिनी भाभी ने उसमें क्रीम लगाना खत्म किया, पहली वाली में जैसे सुइयां चुभें, वह शुरू हो गया था।
“रोज कॉलेज जाने जाने के पहले लगाना, नहाने के बाद।
बस पांच मिनट तक ब्रा मत पहनना। इसका असर आधे घंटे के अंदर शुरू हो जाता है और 8-10 घण्टे तक पूरा रहता है। तू रोज लगाना इसको तो दो चार हफ्ते में तो परमानेंट असर हो जाएगा, लेकिन अभी 10 मिनट तक चुपचाप लेटी रहो उसके बाद ही उठना, हाँ साड़ी कमर के ऊपर जरा सा भी नहीं, लेकिन तेरी चुनमुनिया पे तो कुछ लगाया नहीं?”
और एक शीशी से दो चार बूंदें एक अंगुली पे लगाकर सीधे वहींा
कामिनी भाभी किचेन में चली गईं लेकिन मैं उस बड़ी सी बोतल को देख रही थी जिसमें से वो लेप अभी भी मेरे उरोजों पे लगा हुआ था। उस समय तो नहीं लेकिन बहुत बाद में मुझे पता चला की उसमें क्या-क्या था?
बताएगा कौन, कामिनी भाभी ने ही बताया कि
सौंफ, मेथी, सा पालमेटो, रेड क्लोवर, शतावर, और एक दो हर्ब और, प्याज का रस और घर की बनी देशी शराब भी थोड़ी सी, और घृतकुमारी के रस में मिलाके लेप बना था और साथ में अनार के दानों का रस।
वो सारी चीजें भाभी ने अपने बगीचे में ही उगाई थी और उसमें भी बहुत पेंच था जैसे मेथी होते ही उसे कब तोड़ा जाय?
और सबसे कठिन था जो लेप उन्होंने निपल पर लगाया था उसमें कई तरह की भस्म थीं,
सिन्दूर भस्म (वो भी कोई कामिया भस्म होती थी वो), लौह भस्म, नाग भस्म और साथ में मकरध्वज और शहद (जो की आम के पेड़ पर लगे छत्ते से निकाला गया हो) से मिलाकर।
पांच मिनट बाद मैं साड़ी बस कमर में लपेट के रसोई में पहुँची।
कामिनी भाभी आटा गूंथ चुकी थी और रोटी बनाने की तैयारी कर रही थी।
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12-05-2019, 11:09 AM
(This post was last modified: 05-05-2021, 10:01 AM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
अट्ठाईसवीं फुहार - कामिनी भाभी की सिखाई पढ़ाई
“भाभी लाइए मैं बेल देती हूँ…”
मैंने हेल्प करने के लिए बोला।
“क्यों आ गया बेलन पकड़ना?”
मुश्कुराकर द्विअर्थी डायलाग भाभी ने बोला।
मैं क्यों पीछे रहती, मैंने भी उसी तरह जवाब दिया-
“पहले नहीं आता था लेकिन अब यहाँ आकर सीख गई हूँ। और कुछ कमी बेसी रही गई हो तो वो आप सिखा दीजियेगा न, आखिर भाभी हैं प्यारी प्यारी मेरी…”
भोली बनकर, अपनी बड़ी-बड़ी कजरारी आँखें गोल-गोल नचाते हुए मैंने भी उसी तरह जवाब दिया।
“एकदम, अच्छी तरह ट्रेन करके भेजूंगी। लम्बा, मोटा कुछ भी पकड़ने में कोई परेशानी नहीं आएगी मेरी प्यारी बिन्नो को…”
भाभी मुश्कुरा के बोलीं।
एक सवाल जो मेरे मन में उमड़ घूमड़ रहा था उसका जवाब भाभी ने बिना पूछे दे दिया।
“जानती है तेरे इस जुबना पे गाँव के सिर्फ लौंडे ही नहीं, मर्द भी मरते हैं। (मुझे मालूम था, इन मर्दों में कामिनी भाभी के वो भी शामिल हैं) और अपनी समौरिया में तेरे ये गद्दर जोबन 20 नहीं 22 होंगे…”
रोटी सेंकते भाभी बोलीं।
बात भाभी की एकदम सही थी मेरी क्लास में कई के तो अभी ठीक से उभार आये भी नहीं थे, ढूँढ़ते रह जाओगे टाइप, बस।
“लेकिन मैं चाहती हूँ मेरी ननदिया के 25 हों, जब शहर में लौटे तो बस आग लगा दें, ‘जुबना से गोली मारे, बरछी कटार बन के तोहरे जोबन लौंडन के सीने में’ साइज, कप साइज सब बढ़ जायेगी…”
वो आगे बोलीं।
“किस काम का भाभी, कॉलेज में ऐसे दुपट्टा लेना पड़ता है तीन परत का, और घुसते ही टीचर चेक करती हैं…”
मैंने बुरा सा मुँह बना के अपनी परेशानी बताई।
कामिनी भाभी जोर से खिलखिलाई, फिर मेरे कड़े-खड़े निपल्स के कान जोर से उमेठ के बोलीं-
“अरे हमार छिनार ननदो, तोहार जोबन तो हम अस कय देब न की लोहे क चादर फाड़ के लौंडन के सीने में छेद करेगी। आई दुपट्टा कौन चीज है? अरे दुपट्टे का तो फायदा उठाया जाता है इस उम्र में…”
फिर अपने आँचल को दुपट्टा बना के वो मुझे सिखाने में जुट गईं, और उसे कस के अपनी गर्दन के चारों ओर लिपटा चिपका के बोलीं-
“देख जोबन का जलवा दिख रहा है न पूरा। लौंडन का फायदा होगा और तुम्हारे साथ की लड़कियां जल के राख हो जाएंगी…”
मेरे सवाल को अच्छी तरह समझ के बिना मेरे पूछे उन्होंने जवाब दिया-
“अरे छैले सब कहाँ मिलते होंगे, तुम्हारी गली के बाहर, कॉलेज के सामने छुट्टी के टाइम, बाजार में, है न?
भाभी की बात सोलहो आने सही थी, जैसे हम लोगों की छुट्टी होती थी, कॉलेज के गेट के बाहर ही 8-10 भौंरे बाहर मंडराते रहते थे, और किसी दिन 1-2 भी कम हो गए तो बड़ा सूना-सूना लगता था। और हम भी आपस में फुसफुसा के कहती थीं, ये तेरा वाला है, ये तेरा वाला है। कई तो जब मैं कॉलेज रिक्शे से किसी सहेली के साथ जाती थी तो साइकिल से कॉलेज तक, और शाम को वापसी में भी…
“बस, तो कॉलेज में टीचर का राज चलेगा न, जैसे ही बाहर निकलो उस समय बस दुपट्टा गले पे और उभार बाहर। जाते समय भी घर से बाहर निकलने के बाद, दुपट्टा उस तरह से ले लो जिसमें तेरा भी फायदा हो और लौंडन का भी, कॉलेज में घुसने के पहले जैसे टीचर कहती हैं वैसे कर लो…”
अब खिलखिलाने की बारी मेरी थी। भाभी की ट्रिक तो बहुत अच्छी थी।
“अरे ऐसे मस्त जोबन आने का फायदा क्या जब तक दो चार लौंडन रोज बेहोश न हों…”
कामिनी भाभी भी मेरी खिलखिलाहट में शामिल होती बोलीं।
फिर उन्होंने दुपट्टा लेने की दसों ट्रिक सिखाई, लेकिन सबका सारांश यही था की थोड़ा छिपाओ, ज्यादा दिखाओ।
अगर कभी मजबूरन पूरी तरह से लेना भी पड़ गया तो बस ऐसे रखो की साइड से पूरा कटाव, उभार, कड़ापन दिखाई दे। कभी पार्टी में, शादी में जाओ तो बस एक कंधे पे, जिससे एक जोबन तो पूरी तरह दिखे और दूसरा भी आधा तीहा।
कपड़ा भी दुपट्टे का झीना-झीना हो जिससे जहाँ पूरा डालना भी पड़े, तो अंदर से झलक तो बिचारों को दिखे…”
मैं बहुत ध्यान से सुन रही थी। असली गुरुआइन मुझे अब मिली थी।
“और टाप खरीदो या कुरता या सिलवाओ, नीचे से और साइड से एकदम टाइट हों, जिससे उभारों का कटाव, साइज और कड़ापन एकदम साफ-साफ दिखे, हाँ और ऊपर से थोड़ा ढीला हो, तो जैसे ही थोड़ा सा भी झुकोगी न, पूरा क्लीवेज, गोलाइयां सब नजर आ जाएंगी और सामने वाले की हालत खराब…”
भाभी की बात एकदम सही थी।
गाँव में पहले ही दिन, मेले में ये बात सीख ली थी, चन्दा और पूरबी से।
बस दूकान पे जरा सा झुक के मैं अपने जोबन दर्शन कराती थी, और चन्दा और पूरबी फीस वसूल लेती थीं। उसके बात तो मैं पक्की हो गई थी।
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12-05-2019, 11:13 AM
(This post was last modified: 05-05-2021, 10:23 AM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
दूसरा पाठ - जुबना दिखाय के फँसाय लियो रे
रोटियां बन गई थीं।
भाभी ने पूछा-
“सुन यार दूध रोटी चलेगी, अचार भी है या सब्जी भी बनाऊँ?”
“दूध रोटी दौड़ेगी, भाभी…”
उन्हें प्यार से दबोचते मैं बोलीं।
और दूध रोटी के साथ भाभी ने दूसरा पाठ शुरू किया, लड़कों को पटाने का-
“जुबना दिखा के ललचाना लुभाना एक बात है, लेकिन थोड़ा लाइन देना भी पड़ता है लौंडन को पटाने के लिए। अरे चुदवाने में खाली लौंडन को मजा थोड़े ही आता है, तो पटने पटाने में लौंडिया को भी हाथ बटाना चाहिए न?”
भाभी अब फुल फार्म पर आगई थीं और बात उनकी सोलहो आना सही भी थी। जोश में मैं भी उनकी हामी भरते बोल गई-
“भाभी आप एकदम सही कह रही हैं, जब जाता है अंदर तो बहुत दर्द होता है, जान निकल जाती है लेकिन जो मजा आता है मैं बता नहीं सकती…”
ऊप्स मैं क्या बोल गई, मैंने जीभ काटी।
भाभी ने गनीमत था मुझे चिढ़ाना नहीं चालू किया, अभी वो एकदम समझाने पढ़ाने के मूड में थीं। बोलीं-
“इसलिए तो समझा रही हूँ, जब लौटोगी शहर तो कुछ करना पड़ेगा न? अरे जैसे पेट को दोनों टाइम भोजन चाहिए न, वैसे जो उसके बित्ते भर नीचे छेद है उसकी भूख मिटाने का भी तो इंतजाम होना चाहिए न? और ओकरे लिए ज्यादा नहीं लेकिन थोड़ा बहुत छिनारपना सीखना पड़ता है। तुम्हारे जैसे सीधी भोली लड़की के लिए तो बहुत जरूरी है वरना कोई लड़का साला फंसेगा ही नहीं…”
मैं चुप रही। भाभी की बात में दम था।
और भाभी ने मेरे चिकने गोर गालों पर प्यार से हाथ फेरते हुए एक सवाल दाग दिया-
“जस तोहार रंग रूप हो, चिक्कन चिक्कन गाल हो, इतना मस्त जोबन हों, खाली अपने कॉलेज में नहीं पूरे तोहरे शहर में अइसन सुन्दर लड़की शयद ही होई…”
भाभी की बात सही थी, लाज से मेरे गाल गुलाल हो गए, लेकिन अपनी तारीफ में मैं क्या कहती?
लेकिन अगली बात जो भाभी ने कही वो ज्यादा सही थी।
“लेकिन खाली खूबसूरत होने से लौंडे नहीं पटते। आई बात पक्की है कि दर्जनों तोहरे पीछे पड़े होंगे, लेकिन मजा कौन लूटी होंगी, जो तुमसे आधी भी अच्छी नहीं होंगी। क्यों? एह लिए की ऊ उनके छेड़ने का जवाब दी होंगी। लौंडन कुछ दिन तक तो लाइन मारते हैं फिर अगर कौनो जवाब नहीं मिला तो थक जाते हैं और फिर जउन जवान माल जवाब देती है, बस उसी के ऊपर ध्यान लगाते हैं, मिलने मिलाने का जुगाड़ करते हैं और बात आगे बढ़ी तो बस, किला फतह। बाकी तोहरे अस सुन्दर लड़की के साथ वो खाली आँख गरम कर लेंगे, कमेंट वमेंट मार लेंगे बस, उसके आगे नहीं बढ़ेंगे।
भाभी को तो मनोवैज्ञानिक होना चाहिए था, या जासूस।
उन्होंने जो कुछ कहा था सब एकदम सही था।
मेरी क्लास में दो तिहाई से ज्यादा लड़कियों की चिड़िया कब से उड़ने लगी थी। दो चार ही बची थी मेरी जैसी।
ये तो भला हो भाभी का जो मुझे अपने गाँव ले आईं और चन्दा का जिसने अजय और सुनील से…
और ये बात भी सही थी कामिनी भाभी की, कि सीने पे मेरे आये उभारों का पता मुझे बाद में चला, गली के बाहर खड़े लौंडो को पहले।
एक से एक भद्दे खुले कमेंट, कई बार बुरा भी लगता, लेकिन ज्यादातर अच्छा भी। कमेंट ज्यादातर मेरे ऊपर होते थे।
लेकिन मेरे साथ जाने वाली मेरी एक सहेली ने अपने ताले में ताली पहले लगवा ली, उन्हीं में से एक से।
दो तीन हम लोगों के पीछे कॉलेज तक जाते थे और शाम को वापस लौटते, और उनकी रनिंग कमेंट्री चालू रहती। उन्हीं में से एक से, और आके खूब तेल मसाला लगाकर गाया भी।
सब लड़कियां खूब जल रही थी उससे, मैं भी। और उसके बाद उसने अबतक 6-7 से तो अपनी नैया चलवा ली। सबसे पापुलर लड़कियों में हो गई वो।
और फिर शहर में पाबंदी भी कितनी, घर से कॉलेज, कॉलेज से घर। हाँ भाभी के यहाँ मैं रेगुलर जाती थी और सहेलियों के यहाँ जाने पे भी कोई रोक टोक नहीं थी, अक्सर उनके साथ पिक्चर विक्चर भी चली जाती थी, शापिंग को भी।
बात भाभी की सही थी लेकिन कैसे? एक तो मेरे अंदर हिम्मत नहीं थी, डर भी लगता था और फिर कैसे क्या करूँ, कुछ समझ में नहीं आता था? और जब तक मैं कुछ करूं, मेरी कोई सहेली उस लड़के को ले उड़ती थी। कैसे? कुछ समझ में नहीं आता था।
और यही बात मेरे मुँह से निकल गई- “कैसे भाभी?”
“अरे बस मेरी बात सुनो ध्यान से और बस वैसे ही करना, महीने दो महीने में जब लौटोगी न यहाँ से तो कम से कम 6-7 लौंडे तो तोहरे मुट्ठी में होंगे। गारंटी हमार है। अबहीं कितने लड़के तोहरे पीछे पड़े रहते हैं?” भाभी ने पूछा।
दो चार मिनट लगे होंगे, मुझे जोड़ने में।
मैं खाली परमानेंट वालों को जोड़ रही थी, चार पांच तो गली के मोड़ पे रहते हैं, जब भी मैं कॉलेज जाती हूँ, लौटती हूँ, यहाँ तक की किसी सहेली के यहां जाती हूँ, और तीन चार कॉलेज के बाहर मिलते हैं। उसके अलावा दो वहां रहते हैं जहाँ मैं म्यूजिक के ट्यूशन को जाती हूँ। उसमें से एक ने तो कई बार चिट्ठी भी पकड़ाने की कोशिश की।
एक दो और हैं, मेरी सहेली उनकी सिफारिश करती रहती है,
“भाभी, 10-11 तो होंगे…”
मुश्कुरा के मैं बोली-
“कमेंट करते रहते हैं, चार पांच तो आगे पीछे, मेरे साथ-साथ आते जाते भी हैं, दो तीन ने चिट्ठी देने की भी कोशिश की…”
मैंने पूरा हाल बता दिया।
“और तुम क्या करती हो जब वो कामेंट करते हैं, या आगे पीछे चलते हैं तेरे?” मुश्कुराते हुए कामिनी भाभी ने इन्क्वायरी की।
“भाभी, टोटल इग्नोर। मैं ऐसे बिहेव करती हूँ जैसे वो वहां हो ही नहीं। उनके बारे में किसी से बात भी नहीं करती, अपनी सहेलियों से भी नहीं। आज पहली बार आपको बता रही हूँ…”
भाभी ने गुस्सा होने का नाटक किया और बोलीं-
“तुम तो एकदमै बुद्धू हो, तबै… पिटाई होनी चाहिए तुम्हारी…”
फिर उन्होंने क्या करना चाहिए ये समझाया-
“सबसे बड़ी गलती यही करती हो जो इग्नोर करती हो। अरे बहुत हो तो गुस्सा हो जाओ, हड़काओ उसे लेकिन इग्नोर कभी मत करो। आखिर बिचारा कितने दिन तक पीछे पड़ा रहेगा? उसे लगेगा की यहाँ कुछ नहीं हो रहा है तो किसी और चिड़िया को दाना डालने लगेगा। गुस्सा होने से उतना नुक्सान नहीं है, जितना इग्नोर करने से…”
बात भाभी की एकदम सही थी।
मेरी एक सहेली थी साथ में थी, एक दिन हम लोग माल जा रहे थे और एक ने कमेंट किया-
“माल में माल, अरे आज तो मालामाल हो जायेगा…”
पीछे वो मेरे पड़ा था, कमेंट भी मेरे ऊपर था।
लेकिन मेरी सहेली ने एकदम गुस्से में सैंडल निकाल लिया। पंद्रह दिनों के अंदर मेरी वो सहेली, उस लड़के के नीचे लेट गई, और फिर तो बिना नागा, और उस लड़के की इतनी तारीफ की…
“अरे सारे कमेंट बुरे थोड़े ही लगते होंगे, कुछ-कुछ अच्छे भी लगते होंगे?”
मैंने सर हिला के माना, ज्यादातर अच्छे ही लगते हैं।
“बस, कुछ बोलने की जरूरत नहीं, अरे कम से कम रुक के अपनी चप्पल झुक के ठीक करो। उनको जोबन का नजारा मिल जाएगा। दुपट्टा ठीक करने के बहाने जुबना झलका दो, लेकिन मुड़ के एक बार देख तो लो और अपना दिखा दो उन बिचारों को, सबसे जरूरी है, हल्के से मुश्कुरा दो। हाँ, उनकी आँखों से आँख मिलाना जरूरी है। बस पहली बार में इतना काफी है।
और अगर कोई सहेली साथ में हो तो थोड़ा हिम्मत करके कमेंट का जवाब भी दे सकती, उन सबको नहीं, अपनी सहेली को लेकिन उन्हें सुना के। और वो समझ जाएंगे इशारा। लेकिन तीन स्टेज होती है इसमें?” उन्होंने ट्रिक का पिटारा खोला।
मैं कान फाड़े सुन रही थी। लेकिन तीन स्टेज वाली बात समझ में नहीं आई, और मैंने पूछ लिया।
कामिनी भाभी ने खुल के समझा भी दिया-
“देखो पहली स्टेज है सेलेक्ट करो, दूसरी स्टेज है चेक वेक करो, काम लायक है की नहीं? और तीसरी स्टेज है, सटासट गपागप।
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12-05-2019, 11:18 AM
(This post was last modified: 06-05-2021, 01:06 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
फँसाय लो लौंडा हो ननदी रानी
![[Image: collegeGirlsHotinUniformDressCode-07-sou...ot.com.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/12/16/collegeGirlsHotinUniformDressCode-07-southernspiceleaks.blogspot.com.jpg)
कामिनी भाभी की सीख जारी थी
"लेकिन जिस दिन से चारा डालना शुरू करो न, उसके दो तीन हफ्ते के अंदर घोंट लो, वरना वो समझेगा की सिर्फ टरका रही है और बाकी लड़कों में भी ये बात फैल जायेगी। और एक बार जहाँ तुमने दो चार को चखा दिया न फिर तो एकदम से मार्केट बढ़ जायेगी तेरी।
लेकिन जिसको सेलेक्ट न करो उसको भी इग्नोर मत करो, जवाब तो दो ही। शुरू में 10-12 में से सात-आठ को चारा डालना शुरू करो, सात-आठ से शुरू करोगी न तो चार-पांच से काम होगा, क्योंकी कई लड़के तो बातों के बीर होते हैं, नैन मटक्का से आगे नहीं बढ़ते।
“हाँ सेलेक्ट करते समय ये जरूर देखना की उसकी बाड़ी वाडी कैसी है, ताकत कितनी होगी?”
मैं ध्यान लगाकर सुन रही थी।
और कामिनी भाभी ने एक नया चैप्टर खोला-
![[Image: bhabhi-2.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/12/16/bhabhi-2.jpg)
“इन छैलों के अलावा अरे यार तेरी सहेलियों के भाई वाई भी तो होंगे,
उनके यहाँ आने जाने में, मिलने में भी कोई रोक टोक नहीं होगी…”
भाभी की बात एकदम सही थी, पांच छ तो मेरी पक्की सहेलियां था जो अपने सगे भाई से फँसी थी और हर रात बिना नागा कबड्डी खेलती थी,
![[Image: Guddis-frnds-Parul-Gulati-xxx-nude-hot-image.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/12/16/Guddis-frnds-Parul-Gulati-xxx-nude-hot-image.jpg)
उससे भी बढ़कर अगले दिन आके सब हाल खुलासा सुना के मुझे जलाती थीं।
और कजिन का तो पूछना नहीं, आधी क्लास की लड़कियां अपने ममेरे, फुफेरे, चचेरे कजिन्स से…
“एक बार थोड़ा सा लिफ्ट दे दोगी न तो फिर वो सीधे बात वात करने के चक्कर में, चिट्ठी का चक्कर चालू हो जाएगा।
बस जिसको सेलेक्ट करोगी न उसी से, लेकिन कभी भी जब वो चिट्ठी दे तो लेने से मना मत करो, हाँ पहली चिट्ठी का जवाब मत देना। तड़पने देना और दूसरी चिट्ठी का बहुत छोटा सा लेकिन कभी भी चिट्ठी में नाम मत लिखना न उसका न अपना और राइटिंग बिगाड़ के लिखना।
और मिलने के लिए चेक वेक करने के लिए पिक्चर हाल से बढ़िया कुछ नहीं। हाँ सबसे पहले तेरे हाथ पे हाथ रखेगा वो, तो अपना हाथ हटा लेना। लेकिन दूसरी बार अगर दुबारा हाथ रखे तो मत हाथ हटाना।
हाँ अगर किस्सी विस्सी ले तो मना कर देना, लेकिन उभार पे तो हाथ रखेगा ही।
और दूसरी बार में तो वो नाप जोख किये बिना मानेगा नहीं। अगर अपना हाथ पकड़ के अपने औजार पे रखवाए तो थोड़ा बहुत नखड़ा करके मान जाना,
तो तुमको भी अंदाज लग जाएगा की पतंग की डोर आगे बढ़ाओ की नहीं?
और अगर तुझे पसंद आ गया तो फिर तो हफ्ते के अंदर ठुकवा लेना…”
![[Image: Teej-5154cfc7b8e46b391569f1232b992a9b.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/12/16/Teej-5154cfc7b8e46b391569f1232b992a9b.jpg)
कामिनी भाभी की बातों में बहुत दम था, अब गांव से कुछ दिन बाद लौट के जब घर पहुँचूगी तो कुछ तो करना होगा।
वरना, फिर वही पहले जैसा, मेरी सहेलियां मजे लूटेंगी, मुझे आके जलाएंगी और मैं वैसी की वैसी।
![[Image: guddis-frnds-fc2ab74f7dc6abda51ddb2443307d9c6.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/12/16/guddis-frnds-fc2ab74f7dc6abda51ddb2443307d9c6.jpg)
यहाँ तो कोई दिन नागा नहीं जाता, और वहां फिर वही…
“अरे मेरी ननद रानी, अब मायके लौटो न तो खूब खुल के ये जोबन दबवाओ, मिजवाओ, लौंडन को ललचाओ।
जो तेल और क्रीम दे रही हूँ न, बस ऊ लगाकर जाना, एकदम टनाटन रहेगा।
कितनो रगड़वाओगी, वैसे ही कड़ा रहेगा…”
![[Image: Guddi-a3182f7a7b8586092e2ce76b91b80f3b.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/12/16/Guddi-a3182f7a7b8586092e2ce76b91b80f3b.jpg)
मेरे उभार कस के दबाती मुश्कुराती कामिनी भाभी ने समझाया।
मेरी मुश्कान ने उनकी बात में हामी भरी।
उनका दूसरा हाथ मेरी जाँघों के बीच साड़ी के ऊपर से चुनमुनिया को रगड़ रहा था। वो फिर बोलीं-
“अरे गपागप चुदवाओ न, मैं अइसन गोली दूंगी, खाली महीने में एक बार खाना होगा, जब महीना खतम हो उसी दिन फिर अगले महीने तक छुट्टी। कुल मलाई सीधे बच्चेदानी में लिलोगी न तब भी कुछ नहीं होगा। और एक बात और, चोदना खाली लौंडन का काम नहीं है। हमार असली ननद तब होगी जब खुद पटक के लौंडन को चोद दोगी…”
अब मैं बोली-
![[Image: Dress-college-girl-7ef15a4aef4dfda34263d72c9fc89967.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/12/16/Dress-college-girl-7ef15a4aef4dfda34263d72c9fc89967.jpg)
“एकदम भाभी, आपकी असली ननद हूँ, जब अगली बार आऊँगी तो देखियेगा, बताऊँगी सब किस्सा…”
लेकिन इस बीच गड़बड़ हो गई। खाना तो कब का खत्म हो गया था।
चम्पा भाभी और बसंती ने कामिनी भाभी के पति का जो हाल बयान किया था, मेरा मन बहुत कर रहा था, लेकिन अभी तो वो थे ही नहीं। मुझसे रहा नहीं गया और मैंने पूछ लिया-
“भाभी आपके वो कब आएंगे?”
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Jaldi jaldi... it's difficult to wait for the next..
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