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मनमोहक गंदी कहानियाँ... RoccoSam
Heart 
अगले दिन सुबह बाहर कुछ खट पट हुई तो मुझे लगा सुरेखा आ गई है। मैंने झांककर देखा तो सुरेखा का पति अरुण था, बाहर निकल कर मैंने हाल चाल पूछे। अरुण के बदन से गन्दी बदबू आ रही थी और मुँह से दारु की दुर्गन्ध आ रही थी।

मुझे सुरेखा की किस्मत पर दुःख हुआ।

अरुण ने बताया - सुरेखा दो दिन बाद आएगी।

#

दो दिन बाद सुबह नल चलने की आवाज़ आई मैंने देखा तो 5 बज़ रहे थे। सुरेखा नहाने की तैयारी कर रही थी, मतलब वो वापस आ गई थी।

सुरेखा अब भी मेरा दरवाज़ा बाहर से बंद कर देती थी। मैंने सुरेखा को अभी तक नहीं बताया था कि मैं रोज़ उसे नहाते हुए देखता हूँ। उसको नहाते हुए देखने का अलग मज़ा था।

थोड़ी देर में सुरेखा नंगी होने लगी। आज उसने अपनी पैंटी भी पहले ही उतार दी थी। नंगी होकर सुरेखा नहाने लगी, रोज़ की तरह चूचियाँ हिल रही थीं, जाँघों पर साबुन लगते समय चूत पूरी चमक रही थी।

नहाने के बाद सुरेखा अपने कमरे में चली गई।

आठ बजे रोज़ की तरह नाश्ता लेकर मुझसे मिलने आई और मेरी बाँहों में चिपक गई। मैंने उसका एक चुम्बन ले लिया।

सुरेखा बोली- अरुण 2-10 की शिफ्ट में हैं, 15 दिन ये रात को 1 बजे आएँगे। रात में आपसे बातें करुँगी इतना कहकर वो चली गई।

#

रात को 10 बजे खाना खिलाने के बाद सुरेखा मेरे पास आकर बैठ गई, उसने बिना ब्रा-पैंटी के मैक्सी पहन रखी थी। मैंने उसे उठाकर अपनी गोद में बैठा लिया और उसकी मैक्सी के सारे बटनों को खोलकर मैं उसकी चूचियाँ सहलाने लगा।

सुरेखा बोली - चूत में खुजली बढ़ गई है।

मैंने उसके होंटों पे होंट लगाते हुए कहा- खुजली तो बढ़ेगी ही! दवा तो तुम्हारी मेरे पास रखी है।

मैंने पलंग के नीचे से दवा निकाल ली और बोला - अपनी चूत रानी को खोलो, क्रीम लगा देता हूँ।

उसने अपनी मैक्सी उतार दी, अब वो पूरी नंगी थी और जाँघों को चौड़ा करके मेरी गोद में बैठ गई, मैं अपनी उंगली से उसकी चूत में क्रीम की मालिश करने लगा।

सुरेखा बोली - मामाजी के घर में खुजली कम हो गई थी लेकिन कल रात को ये चढ़ गए और चोदने लगे। 20 दिन से नहीं नहाए हैं, कुछ कहती हूँ तो मारने लगते हैं। मेरे पीछे सस्ती रंडी भी चोद आते हैं, बड़ी दुखी हूँ, बहुत गंदे रहते हैं।

सुरेखा अपनी कहानी बताने लगी, बोली - मैंने घर से भाग कर शादी की थी, तब मैं 21 साल की थी। पापा की पोस्टिंग अहमदनगर में थी। अरुण अहमदनगर में मेरे पड़ोस में किराए पर रहने वाली आंटी के भांजे थे, इनसे दो साल से मेरे सम्बन्ध चल रहे थे। इन्होंने मुझे ये बता रखा था कि ये एक कम्पनी में मैनेजर हैं। हर शनिवार और रविवार को आंटी के घर आते थे। पापा ने अपने एक दोस्त के बेटे से मेरी शादी तय कर दी थी, तुम्हारी तरह बहुत सुंदर और एम बी ए लड़का था, मुझे भी पसंद था। लेकिन मैंने अरुण के साथ सेक्स कर लिया था। मेरे मन में यह बात बैठी हुई थी कि जिसके साथ सेक्स कर लो, वो ही पति होता है। पापा मम्मी राजी नहीं थे, मैं इनके साथ भाग गई और इनसे शादी कर ली, माँ बाप ने नाता तोड़ लिया। मुझे धीरे धीरे इनकी असलियत पता लगने लगी ये दसवीं फ़ेल थे और बहुत दारु पीते थे। जिस कम्पनी में मुझे ये मैनेजर बताते थे, उसमें ये मजदूर थे। अब मैं क्या कर सकती थी। मैं बी लिब पास हूँ।

उसकी आँखों से आंसू आ गए थे।

" अगर मेरी शादी माँ बाप की पसंद से हो जाती तो मैं आज शायद बहुत खुश होती। "

मैंने उस लड़के का नाम पूछा लेकिन सुरेखा ने मुझे नाम नहीं बताया। सुरेखा की आँखों से आंसू बहने लगे।

मैंने अपने दोनों हाथों से उसके आँसू पोंछे और होटों से होंट चिपका कर एक गहरा चुम्बन लिया। सुरेखा ने मेरे हाथ अपने स्तनों पर रख लिए और मेरे हाथ के ऊपर अपने हाथ रख दिए 10 मिनट तक हम एक दूसरे की आँखों में देखते हुए ऐसे ही लेटे रहे, इसके बाद सुरेखा ने मेरी उंगली अपनी चूत में घुसवा ली और बोली- मालिश करिए ना! आपसे मालिश करवाना अच्छा लगता है।

11 बज़ गए थे, सुरेखा ने मेरा पजामा खोल कर लंड मुँह में ले लिया और चूसने लगी। मेरे हाथ उसकी चूत और जाँघों पर चल रहे थे। सुरेखा पूरे मन से लोड़ा चूस रही थी। थोड़ी देर बाद उसे उठाकर मैंने बिस्तर पर लेटा दिया नंगी सुरेखा किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी, उसकी चूचियाँ दबाते हुए लंड चूचियों के बीच घुसा दिया थोड़ी देर की, इस चुदाई के बाद ढेर सा वीर्य उसके बदन पर गिर गया था।

5 मिनट हम दोनों एक दूसरे से चिपके रहे उसके बाद उसने उठकर अपना बदन साफ़ किया और मुझसे चिपक कर एक पप्पी ली और अपनी मैक्सी पहन कर अपने कमरे में चली गई।

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Heart 
अगले दिन शाम को भाभी और मैं गप्पें मार रहे थे, रजनी संतरे लेकर अंदर आई और मेरे पास बैठ गई।


भाभी बोलीं - रजनी, राकेश जी का संतरे खाने का मन कर रहा है।

रजनी बोली- शादी कर लें, बीवी रोज़ संतरे खिलाएगी।

मुझसे रहा नहीं गया, मैं बोला - आपके पास इतने अच्छे संतरे हैं, दो मुझे भी खिला दो।

भाभी मुस्कराते हुए बोली - खिला दे! ये तुझे बदले में केला खिला देंगे।

रजनी एकदम से गरम हो गई और बोली - भाभी, मुझे ये सब बिल्कुल नहीं पसंद है आप सबके सामने एसा मजाक मत करा करो।

मुझे लगा रजनी पर लाइन मारना ठीक नहीं है। रजनी वहाँ से चली गई।

भाभी झेंपते हुए बोलीं - सुरेखा तो इस से भी तेज है, एक बार पिछले किराएदार ने उसके चूतडों पर अकेले में हाथ फेर दिया था तो सुरेखा ने दो थप्पड़ जड़ दिए थे। मैंने छुपकर यह देख लिया था किसी को बताना नहीं।

मैं सोच में पड़ गया कि अगर सुरेखा इतनी तेज है तो मेरे से उसने इतने आराम से कैसे संबंध बना लिए।

थोड़ी देर बाद मैं वहाँ से उठकर चला आया। हमारे और रजनी के बीच नमस्ते होती रही लेकिन कभी ज्यादा बात नहीं हुई।
 
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रोज़ रात को 10-11 बजे सुरेखा मेरे कमरे में आ जाती और पूरी नंगी होकर मेरी गोद में बैठ जाती। मुझसे अपनी चूत में क्रीम लगवाती और जाने से पहले मेरा लोड़ा कम से कम एक बार जरूर चूसती। मेरी रातें सुरेखा के साथ मजेदार कट रही थीं।

10 दिन में उसकी खुजली गायब हो गई थी। इस बीच मैंने उसकी चूत में लोड़ा एक भी दिन नहीं डाला था। सुरेखा ने मुझसे बहुत कहा था कि मैं उसकी चूत चोदूँ, उसके पति तो हर दूसरे दिन उसे चोद ही रहे थे लेकिन मैंने एसा नहीं किया।

शनिवार को मैंने वादा किया कि सोमवार को उसकी चूत चोदूंगा।

सोमवार से उसके पति की रात की 10-6 शिफ्ट आ गई थी। रात की शिफ्ट में 8 बजे वो जाते थे और सुबह 8 बजे आते थे।

मैं सोमवार रात को 10 बजे आया, सुरेखा और दिन की तरह 11 बजे आकर मेरी गोद में नंगी बैठ गई और मुझसे चिपकते हुए 
बोली - आज तो चोदोगे न?

मैंने निप्पल उमेठते हुए कहा - क्यों नहीं।

सुरेखा से मैंने पूछा- तुम्हारी गांड में भी डाल दूँ? तुम बता रही थीं कि अरुण जब ज्यादा नशे में होते हैं तब वो तुम्हारी गांड भी चोद देते हैं।

सुरेखा बोली - आप का मन है तो मेरी गांड में भी डाल दो! अरुण तो गांड ज्यादा चोदते हैं चूत कम।

सुरेखा की चूत गीली हो रही थी, मैंने उसे तकिये के ऊपर लेटाया और उसकी चूत में पीछे से लंड डाल दिया और दोनों चूचियाँ अपने हाथों में दबा लीं और चोदने लगा।

उह आह की आवाज़ों से कमरा गूँज रहा था, सुरेखा की चूत में लंड सरपट दौड़ रहा था। सुरेखा को चोदने में मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था। कुछ देर बाद मैंने लंड बाहर निकाल लिया और सुरेखा के चूतड़ों को सहलाते हुए बोला- रानी, ऐसे ही लेटी रहो।

उसके बाद मैंने कंडोम लंड पर चढ़ा लिया, सुरेखा की गांड में उंगली घुमाते हुए बोला - रानी, जरा अच्छी तरह टांगें फ़ैला कर चूतड़ ऊपर उठाओ।

सुरेखा समझ गई कि मैं उसकी गांड चोदना चाहता हूँ, उसने अच्छी तरह से अपनी टांगें फ़ैला लीं। मैंने सुरेखा की गांड पर लंड छुला दिया। उह उइ की एक सिसकारी सी उसने भरी, थोड़ी देर में लंड उसकी गांड में घुसने लगा।

"ऊ ओइ ऊ ओऊ मर गई!" की आवाज़ों से सुरेखा मचलने लगी। थोड़ी देर में ही 7 इंची लोड़ा उसकी गांड में था। सुरेखा की गांड चुदनी शुरू हो गई, कभी धीरे, कभी तेज झटकों से उसकी गांड चुद रही थी। 10 मिनट बाद मेरे लंड ने जवाब दे दिया।

सुरेखा उठ गई, उसकी गांड फट चुकी थी और वो मुझसे चिपक कर सो गई। सुबह 6 बजे मेरी नींद खुली तो सुरेखा मेरे बिस्तर पर नहीं थी, बाहर से नहाने की आवाज़ सी आ रही थी। मैंने छुपकर देखना शुरू कर दिया।

सुरेखा अपनी जांघें धो रही थी, उसके स्तन मस्त हिल रहे थे, मैं उसके नग्न स्नान दर्शन का आनंद लेने लगा।

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Wonderful story and very nice presentation. please write such stories
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Bahut achchhe...plz continue
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Wink 
Snigdha please update
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Heart 
किराएदार

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तीन दिन बाद सपना भाभी का फ़ोन मेरे पास चार बजे आया। उन्होंने बताया की रजनी को होटल में धंधा करने के आरोप में सिक्युरिटी ने पकड़ लिया है। तुम्हारे पास कोई जुगाड़ हो तो उसे बचा लो।

मेरा दिमाग घूम गया। तभी मेरे दिमाग में लड़कियों के दलाल संजीव का नाम आया, मैंने उसे फ़ोन किया और उसे पूरी बात बताई। संजीव ने कहा- चिंता न करो मैं छुड़वाता हूँ। आधे घंटे बाद फ़ोन करो।

20 मिनट के बाद संजीव का फ़ोन आया, वो बोला - रजनी छूट गई है, आधा घंटे बाद वो मेरे होटल में आ जाएगी। तुम भी इधर आ जाओ।

मेरे ऑफिस से होटल दूर था, मैं एक घंटे में वहां पहुँच गया, संजीव मुझे एक कमरे में ले गया, वहाँ रजनी बैठी हुई थी।

संजीव बोला - घबरा गई थी, अब ठीक है।

मैंने पूछा - क्या बात हो गई थी?

रजनी बोली- होटल में सिक्युरिटी ने मुझे गलती से पकड़ लिया।

संजीव बोला - रजनी, अब तुम झूठ मत बोलो, मैं लड़कियाँ सप्लाई करता हूँ और इस धंधे में मुझे सच के आगे का भी पता है। इसलिए तुम अपने मुँह से सब सच सच बताओ। राकेश हमारे बहुत बड़े क्लाइंट है हर महीने 30-40 लड़कियां इनकी कम्पनी को सप्लाई होती हैं। आज तुम इनके ही कारण बची हो।

रजनी बोली - मैं हफ्ते में 1-2 बार धंधा कर लेती थी। मेरे होटल में 8-10 लड़कियाँ रोज़ सेक्स के लिए सप्लाई होती हैं, होटल मालिक जब बाहर होता था तो मैं भी 5000 -7000 रु में ग्राहक पटा लेती थी और उसके साथ सो जाती थी। आज सिर्फ दो लड़कियाँ धंधे पर आइ थीं और आज मालिक भी नहीं था। मैं संजय नाम के ग्राहक के साथ सेक्स कर रही थी, सिक्युरिटी ने रेड डाली और दो लड़कियों के साथ साथ मुझे भी पकड़ लिया।

संजीव बोला - सिक्युरिटी ने जब इसे पकड़ा तब ये पूरी नंगी थी और संजय का लंड इसकी चूत चोद रहा था।

तभी कॉफी लेकर वेटर आ गया, उसने हम तीनों को कॉफी दे दी और वो चला गया।

रजनी झेंपी सी बैठी हुई थी।

संजीव बोला- इसके आगे का सच मैं बताता हूँ। रजनी 6 महीने से इस होटल में फ़ूड मैनेजर का काम कर रही है। होटल में एक कॉल गर्ल कम्पनी का कॉन्ट्रैक्ट है, वो रोज़ 8-10 लड़कियाँ सप्लाई करती है। पहले महीने में ही इसकी कॉल गर्ल्स से दोस्ती हो गई। उसके बाद रजनी भी अपनी मर्जी से महीने में 2-3 धंधे पर जाने लगी, एक रात के 5000 -7000 रु मिलने लगे। 3 महीने तक कोई दिक्कत नहीं थी। 3 महीने के बाद हर शनिवार और इतवार को यह धंधे पर बैठने लगी और महीने में 12-15 बार चुदने लगी। कम्पनी के सुपरवाइजर ने इससे कहा कि हमारी कम्पनी ज्वाइन कर लो। महीने के 50000 रु मिलेंगे लेकिन महीने में 20 दिन कम्पनी जहाँ कहेगी वहाँ जाना पड़ेगा, इसने मना कर दिया और उसके बाद भी यह धंधे पर लगी रही।

रजनी बोली - मुझसे तो यह बात राजू वेटर ने कही थी, उसकी तो कोई जरा भी इज्ज़त नहीं करता है सब उसे पागल कहते हैं।

संजीव हँसते हुए बोला - धंधे करने वाली लड़कियों को ये बात पता नहीं होती और जिसे तुम होटल मालिक कह रही हो वो होटल मैनेजर है, उसे सिर्फ होटल का काम देखना है, वो 10 से 5 अपनी नौकरी करता है और शनिवार, रविवार को छुट्टी रखता है। आज होटल मैं कम्पनी ने जान बूझ कर सिर्फ दो लड़कियाँ भेजी थीं, कम्पनी को उन्हें फ़साना था, दोनों ने निजी ग्राहक बना लिए थे साथ ही साथ तुम्हें भी फंसवाना था। संजय ने जब तुम्हें 10000 रुपए ऑफर किए तब तुम आसानी से फंस गईं। दोनों अब सर्टिफाइड रंडियां हो जाएंगी, उसके बाद कम्पनी उनकी जमानत लेगी और उन्हें दुबारा धंधे पर लगा देगी।

संजीव ने बताया कि कम्पनी अगले दिन सुबह-सुबह ही इन लड़कियों की जमानत ले लेगी किसी को पता भी नहीं चलेगा कि ये धंधा करते पकड़ी गईं हैं।

उसके बाद कम्पनी इन्हें अपनी शर्तों पर ज़बरदस्ती धंधे पे लगा देगी और शुरू शुरू में ये रोज़ 3 से 4 बार चुदवाई जाएँगी इस तरह फंसी हुई लड़कियों को 1000 से 3000 रुपए एक चुदाई के मिलते हैं जबकि ग्राहकों से 5 से 20 हज़ार तक लिए जाते हैं। संजय भी कम्पनी का गुंडा है। गनीमत है तुम बच गईं। अगर धंधा करना है तो कोई कॉल गर्ल कम्पनी ज्वाइन कर लो नहीं तो आराम से नौकरी करो और बॉय फ्रेंड बनाकर उनसे चुदो।

रजनी ने अपने कान पकड़े और बोली - मैं तोबा करती हूँ।

इसके बाद मैंने रजनी से कहा - आओ चलते हैं। भाभी से बस यह कहना कि सिक्युरिटी को ग़लतफहमी हो गई थी, उसने मुझे छोड़ दिया।

बाइक पर रजनी चिपक कर बैठ गई उसने मुझसे अपने पुराने बर्ताव की माफ़ी मांगी और बोली - अगर आज मैं जेल चली जाती तो सर्टिफाइड रंडी बन जाती। मेरे जीजाजी मुझे चोदते थे इसलिए मुझे चुदने की आदत पड़ गई थी यहाँ चुदाई देखकर मैं चुदवाने लगी थी। महीने में मुझे 60-70 हज़ार की कमाई हो रही थी। बाल बाल बच गई नहीं तो परमानेंट रंडी बन जाती।

आधे घंटे में हम घर पहुँच गए। भाभी हम दोनों को देखकर बोलीं- रजनी क्या हो गया था? तेरे होटल से फोन आया था, तीन लड़कियाँ धंधा करते हुए पकड़ी गई हैं, उनमें तू भी है।

राकेश बीच मैं बोल पड़ा - एसा कुछ नहीं था, होटल में दो लड़कियाँ पकड़ी गईं थी, यह बहुत घबरा गई थी इसलिए वहाँ से भाग गई थी और फोन ऑफ कर दिया था। हम दोनों कॉफी पीते हुए आ रहे हैं, सब ठीक है।

अंदर आकर रजनी अपने कमरे में चली गई और मैं अपने कमरे में चला गया।


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Heart 
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सुरेखा से मेरा प्यार बढ़ता जा रहा था, आज रात वो फिर मेरी गोद में नंगी बैठी थी। जब भी अरुण 2-10 और 10-6 की शिफ्ट में होते थे तो सुरेखा अक्सर रात को नंगी होकर मेरी गोदी में बैठ जाती थी और अपनी चूत चुदवाती थी।

मैंने उसे बताया कि एक कॉलेज मैं लाइब्रेरी अस्सिस्टेंट की जरूरत है, उसे एक फॉर्म उसे दे दिया और बोला- तुम इसे भरो, 10000 रुपए वेतन है, तुम बी लिब हो, सलेक्ट हो जाओगी।

सुरेखा बोली- अरुण को पता चल गया तो बहुत मारेगा।

मैंने कहा - इसे यहीं भरो, किसी को नहीं पता चलेगा। जब सलेक्ट होगी तब आगे देखेंगे।

सुरेखा ने मेरी गोद में बैठकर फॉर्म भर दिया। इसके बाद रोज़ की तरह मैं सुरेखा की जवानी का रस पीने लगा।

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रजनी ने नौकरी बदल ली थी। अब उसने एक मल्टीप्लेक्स में स्टोर इंचार्ज की नौकरी ज्वाइन कर ली थी, उसकी एक हफ्ते 8 से 4 और दूसरे हफ्ते 4 से 10 रात तक ड्यूटी रहती थी।

शनिवार का दिन था सपना भाभी की ननद के यहाँ कोई प्रोग्राम था, सपरिवार सपना भाभी वहाँ चली गई थी। सुरेखा को भी साथ ले गई थी। आज रात पहली बार मैं अकेला था। रोज़ सुरेखा की चूत मारने से मेरे लंड की आदत खराब हो रही थी, 10 बजे रात से ही टनकने लगा। 

बिना चड्डी के पतला नेकर और लंबा कुरता मैंने डाल रखा था। मैं सोने की कोशिश करने लगा तभी फोन बजा 11 बजने वाले थे।

सपना भाभी का था, बोली - रजनी 11 बजे आती है, दरवाज़ा खोल देना।

मेरे मन के किसी कोने में रजनी को चोदने का विचार आने लगा। 

दस मिनट बाद घंटी बजी दरवाज़ा खोला तो सामने रजनी थी, बोली - भाभी नहीं हैं क्या आज?

मैंने हँसते हुए कहा- आज मेरे सिवा कोई नहीं है, डर लग रहा हो तो मैं भी चला जाऊँ।

रजनी बोली - अब तो तुम फंस गए आज तो मैं तुम्हें जाने नहीं दूँगी। मज़ा आ गया आज पहली बार खुल कर बातें हो पाएंगी, आओ मेरे कमरे में बैठते हैं।

मैं रजनी के छोटे से कमरे में आ गया जमीन पर मोटा गद्दा और चद्दर पड़ी थी। पास मैं ही छोटी सी रसोई थी। रजनी दो कप कॉफी बना लाई, हम लोग कॉफी पीने लगे।

रजनी ने टीवी खोल दिया और अपनी सलवार मेरे सामने ही उतार दी कुरता घुटने तक आ रहा था। उसके बाद अपनी कुर्ती भी ऊपर करके उतार दी। उसने सफ़ेद पारदर्शी ब्रा और काली पैंटी पहन रखी थी। मेरा लोड़ा उसकी कसी चूचियाँ और गदराई जांघें देखकर खड़ा हो गया।

मैं बोला- आप खुल कर बातें करेंगी या खोल कर?

अंगड़ाई लेती हुई रजनी ने अपनी ब्रा पीछे से खोल दी, उसकी गोल गोल गदराई हुई दोनों चूचियाँ बाहर निकल आईं। रजनी बोली- आपकी संतरे खाने वाली इच्छा भी तो पूरी करनी है।

सुंदर सामने को कसी हुई गुलाबी चूचियों और काली निप्पल ने मेरा लोड़ा खड़ा कर दिया था, मेरे से रहा नहीं गया, मैंने आगे बढ़कर उसकी चूचियाँ दबाते हुए मुँह में भर लीं और चूसने लगा।

रजनी ने मुझे अपने से चिपका लिया, बोली - राकेश जी, चुदने का बड़ा मन कर रहा है, एक महीने से ज्यादा हो गया लंड डलवाए हुए! अपना लंड मेरी भोंसड़ी में डालिए ना! 100 से ज्यादा लंड खा चुकी निगोड़ी, अब बिना लंड के नहीं रहा जाता।

रजनी ने मेरा नेकर उतार दिया था और वो मेरा 7 इंची लंड सहला रही थी।

रजनी बोली- राकेश जी, चुदने का बड़ा मन कर रहा है।

उसने मेरा कुरता भी उतरवा दिया और अपनी पैंटी भी उतार दी। नंगी चूत पर नाम मात्र की झांटें थीं। उसने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और बेकाबू सी होती हुई चूसने लगी। थोड़ी देर बाद वो टांगें फ़ैला कर लेट गई और बोली- राकेश, फक मी! चोदो अपनी रजनी रांड को चोदो! अब नहीं रहा जा रहा है।

मैंने उठकर उसकी चूत पर अपना लंड फिराया और चूत के अंदर घुसेड़ दिया। उह आह से रजनी सिसकारी मारने लगी, उसने अपनी दोनों टांगें मेरी कमर से बाँध लीं और चुदने में पूरा साथ देने लगी, टट्टे बार बार उसकी चूत के दरवाज़े से टकरा रहे थे, गरम साँसों के बीच दो युवा चुदाई में मग्न थे, होंट एक दूसरे से चिपके जा रहे थे। चुदाई की आह उह पूरे कमरे में गूँज रही थी।

कुछ देर बाद हम दोनों साथ साथ झड़ गए। इसके बाद रजनी आधा घंटा मुझसे चिपकी रही। रात का एक बज़ रहा था। रजनी बोली- भूख लग रही है, आलू के परांठे खाएंगे?

मैं भी भूखा था, मैंने हां कर दी।

रजनी ने उठकर कुरता पहन लिया और मुझे भी सिर्फ कुरता पहनने दिया हम दोनों के कुरते घुटने से नीचे तक आ रहे थे। रजनी परांठे बनाने लगी। रजनी ने 2-2 मोटे परांठे अपने और मेरे लिए बना लिए। 

परांठे खाकर हम लोग छत पर आ गए।

मैंने और रजनी ने एक दूसरे की कमर में कुरते के अंदर से हाथ डाल रखा था.चांदनी रात के 2 बज़ रहे थे हवा अच्छी चल रही थी। एक दूसरे के नंगे चूतड़ों पर हमारे हाथ फिसल रहे थे, बड़ा अच्छा लग रहा था।

हम दोनों छत की मुँडेर पर बैठ गए।

रजनी बोली- मैंने अपने माँ बाप को शादी के लिए बोल दिया है। 2-3 महीने में शादी हो जानी चाहिए। बिना चुदे मुझसे अब रहा नहीं जाता है। जब तक मेरी शादी नहीं हो रही, तब तक महीने में एक दो बार तुम मुझे चोद दिया करो ना। बाहर तो चुदवाने की मेरी हिम्मत अब है नहीं।

मेरे मन में लड्डू फूट पड़े, मैंने कहा- अँधा क्या चाहे दो आँखें! तुम्हारी चुदाई से तो मुझे ख़ुशी ही मिलेगी। मेरा तो अभी भी तुम्हे। एक बार और चोदने का मन कर रहा है।

हम लोग छत की मुंडेर पर बैठ कर ये बातें कर रहे थे।

रजनी उठी और उसने मुस्करा कर मुझे देखा और जमीन पर बैठते हुए मेरा कुरता ऊपर उठाकर लोड़ा मुँह में ले लिया और एकाग्रता से लोड़ा चूसने लगी। 

कुछ देर बाद मैंने उसे हटा दिया और मुंडेर पर हाथ रखकर घोड़ी बना दिया। उसने टांगें फ़ैला ली थीं, चूत पीछे से चांदनी रात में साफ़ दिख रही थी। मैंने लोड़ा उसकी चूत के द्वार पर पीछे से लगा दिया, एक जोर का झटका देते हुए उसकी चूत में पेल दिया। आराम से लोड़ा अंदर तक घुस गया, रजनी चुदने लगी। चुदने में वो वो पूरा सहयोग कर रही थी, अपनी गांड आगे पीछे हिलाते हुए चिल्ला रही थी- चोद हरामी चोद।

मैं भी उत्तेजित होकर एक कुतिया की तरह उसे पेल रहा था और बुदबुदा रहा था- रांडों की रांड ले खा! याद रखेगी कि किसी चोदू ने तेरी चोदी थी।

10 मिनट तक इसी तरह वो चुदती रही, उसके बाद बोली- थोड़ी गांड भी पेल दे! पता नहीं फिर कब चुदने का दिन आएगा।

मैंने लंड बाहर निकाल लिया।

रजनी बोली- पहले तुम दो तीन उंगली कर रास्ता बना लो, फिर चोदना।

मैंने एक एक करके 2 उंगलियाँ उसकी गांड में घुसा दीं और 10-12 बार मालिश कर दी अब उसकी गांड चुदने को तैयार थी।

रजनी ने मुड़कर लंड पर ढेर सारा थूक डाल दिया और हाथों से उसे सुपाड़े पर मल दिया, बोली- अब घुसा दो, धीरे धीरे चोदना, बड़ा दर्द होता है।

मैं गांड में डालने को उतावला हो रहा था, रजनी फिर झुककर घोड़ी बन गई, दम लगाते हुए मैंने लोड़ा उसकी गांड में घुसाना शुरू कर दिया। ओई उह ओइ ओह की तेज दबी सी आवाज़ निकली। उसकी गांड में अंदर तक लंड घुस चुका था।

मैंने धीरे धीरे उसकी गांड मारनी शुरू कर दी। रजनी मीठे दर्द वाली सिसकारियां भरने लगी। उसकी चूचियों को दबाते हुए मैंने गांड में लंड की स्पीड बढ़ा दी, बड़ा मज़ा आ रहा था।

रजनी की गांड 5 मिनट तक चुदती रही, इसके बाद वो मेरे वीर्य से भर गई।

हम दोनों नीचे आ गए और रजनी के कमरे में एक दूसरे से चिपक कर सो गए। 

रजनी और मैं सुबह सुबह 7 बजे उठे और एक दूसरे की बाहों में चिपक गए, मेरा लंड रजनी की फुद्दी में घुस गया। एक दूसरे के बदन को चुमते हुए सुबह की चुदाई का मज़ा लिया, इसके बाद 8 बजे रजनी ने नाश्ता बनाया और मैं खा पीकर ऑफिस चला गया।
 
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दो दिन बाद सुरेखा का लाइब्रेरी ऑफिसर के लिए इंटरव्यू था। सुरेखा भाभी के साथ इंटरव्यू देने जा रही थी, मैंने कहा - 2-3 फोटो रख लो !

सुरेखा अंदर गई, एक प्लास्टिक का बैग ले आई और अपनी फोटो निकालने लगी। तभी मेरी नज़र एक पोस्टकार्ड साइज़ फोटो पर गई जो मैंने 3-4 साल पहले अपनी MBA की पढाई ख़त्म करने के बाद खिंचवाई थी।

मैंने उससे पूछा - यह कहाँ से आई तुम्हारे पास?

सुरेखा सकपका गई और बोली - तुम्हारे कमरे से उठा ली थी।

और वो तेजी से अपनी फोटो निकाल कर वहां से चली गई।

मैंने सोचा कि मेरे पास तो यह फोटो यहाँ है नहीं, फिर? मैंने सर को झटका दिया और ऑफिस चला गया।

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भाभी की मदद से सुरेखा इंटरव्यू दे आई और सेलेक्ट हो गई। 15 दिन बाद सुरेखा को ज्वाइन करना था। अरुण को जब यह बात पता चली तब अरुण ने दारु पीकर उसकी पिटाई कर दी। 

10 दिन निकल गए।

अरुण ने सुरेखा को नौकरी नहीं करने दी। 

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इस बीच रजनी की शादी तय हो गई और वो चली गई। 

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अरुण दिन पर दिन दारु की लत से कमज़ोर होता जा रहा था। 

एक दिन उसकी 2-10 बजे की शिफ्ट थी रात को वो घर नहीं आया कोई नई बात नहीं थी, दारु के नशे में कई बार वो अड्डे पर ही सो जाता था। लेकिन अगले दिन भी 2 बजे तक नहीं आया, सबको चिंता हुई पता किया तो पता चला दारु के अड्डे पर जहरीली शराब पीने से 20 लोगों की तबियत खराब हो गई थी सब लोग अस्पताल में भरती हैं।

जब हम लोग अस्पताल पहुंचे तो पता चला कि अरुण और 2 लोग मर चुके हैं, उसने ज्यादा ही शराब पी ली थी।

सुरेखा बेहोश हो गई थी

सुरेखा के घर से कोई नहीं आया था, अरुण के एक मामा आए थे, सब काम 3 दिन में ख़त्म हो गया।

सुरेखा की तबियत खराब रहने लगी।

एक दिन उसने मुझसे रोते हुए कहा - मुझे लाइब्रेरी की नौकरी दिला दो।

मैंने अपने पूरे प्रयास के बाद उसे वो नौकरी दिला दी। सुरेखा की गाड़ी चल निकली।

तीन-चार महीने में वो सामान्य हो गई। उसने दुबारा सुबह बेफिक्र होकर नहाना शुरू कर दिया।


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एक साल बाद मेरा ट्रान्सफर प्रमोशन पर पूना हो गया। 

सपना भाभी और सुरेखा दोनों दुखी थे। सुरेखा तो रो रही थी। 

लेकिन मुझे जाना था।


मैं पूना आ गया कम्पनी ने फ्लैट दे दिया था लेकिन मेरा मन नहीं लग रहा था। 

रोज़ रात को लगता कि सुरेखा अभी आएगी और नंगी होकर मेरी गोद में बैठ जाएगी, सुबह 5 बजे ही आँख खुल जाती और मन सुरेखा को नंगी नहाते देखने के लिए मचलने लगता।

इसके अलावा दो बातें और मेरे मन में घूम रही थीं, पहली यह कि सुरेखा ने इतने आराम से मुझसे सम्बन्ध कैसे बना लिए जबकि भाभी ने बताया था कि थोड़ा सा छेड़ने पर ही पिछले किराएदार की उसने पिटाई कर दी थी, दूसरी यह कि मेरी 4 साल पुरानी फोटो उसके पास कहाँ से आई।
 
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एक महीने बाद 2 दिन के लिए मैं घर गया, माँ बोली- अब शादी कर ले !

मैंने हँसते हुए कहा - तुम राजश्री से मेरी शादी करवा के मानोगी।

राजश्री मेरी माँ की सहेली की बेटी थी। 4 साल पहले जब मैं MBA की पढ़ाई में 4 महीने के लिए विदेश गया था तब पिताजी की पोस्टिंग नासिक हो गई थी, राजश्री और उसकी माँ हमारी पड़ोसन थीं। माँ के पैर की हड्डी टूट गई थी, सारा काम दोनों माँ बेटी ने संभाल लिया था।

मेरे वापस आने से पहले ही मेरे पिताजी ने ट्रान्सफर वापस औरंगाबाद करा लिया था। राजश्री के मां बाप से एक बार मैं भी मिला था लेकिन राजश्री को मैंने कभी नहीं देखा था।

माँ थोड़ा गंभीर हो गईं और बोलीं - हमारी और रीता आंटी की बहुत इच्छा थी कि तेरी और राजश्री की शादी हो जाए। मैंने तेरी एक फोटो भी उन्हें भेजी थी। लेकिन राजश्री 
 एक टपोरी लड़के के साथ भाग गई और उसने शादी कर ली। भाईसाहब को हार्ट अटेक पड़ गया। रीता ने राजश्री से रिश्ता तोड़ लिया। रीता मन से उसकी याद नहीं निकाल पाई, उसकी याद मैं रीता अब बहुत बीमार रहने लगी है।

माँ आंसू पोंछती हुई बोली - बेटा समय बदल गया है, तुझे शादी अपने मन से करनी हो तो अपने मन से कर लेना, अगर हम लोगों को तेरी शादी करवानी हो तो हमें बता देना। हम तुझ पर शादी थोंपेंगे नहीं।

मैंने एक सीटी बजाई और बोला- माँ, तुम तो सेंटी होने लगीं, मैं बाहर घूम कर आता हूँ, फिलहाल शादी बाय बाय।

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मैं वापस पूना आ गया लेकिन सुरेखा की याद दिल से नहीं निकल पाई।

एक दिन दिल कड़ा करके मैंने अपनी माँ को बता दिया कि एक लड़की से शादी करना चाहता हूँ, मैंने यह नहीं बताया कि सुरेखा विधवा है माँ ने हाँ भर दी।


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Heart 
शाम को मैं गाडी से मुंबई पहुँच गया मुझे देखकर सब खुश हो गए। सुरेखा की आँखों में उदासी छा रही थी। 

मैंने आगे बढ़कर भाभी के सामने उसको बाँहों में जकड लिया और होंट चूस लिए, सुरेखा सकपका गई।


मैंने भाभी को बता दिया कि मैं सुरेखा से शादी कर रहा हूँ।

24 साल की सुरेखा की आँखों से ख़ुशी के आंसू टपक पड़े लेकिन सुरेखा शादी करने को राजी नहीं थी, सुरेखा बोली - मैं शादी तुमसे तभी करुँगी जब तुम्हारे माँ बाप राजी होंगे।

मैंने कहा- ठीक है, औरंगाबाद चलो।

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सुबह 7 बजे हम लोग मुंबई से निकले, 3 बजे मैं घर पर था। मैंने सोच रखा था कि मैं माँ को ये नहीं बताऊँगा कि सुरेखा विधवा है। 24 साल की सुरेखा लड़की ही लगती थी।

मैंने घर की घंटी बजाई, माँ ने दरवाज़ा खोला, लेकिन यह क्या, सुरेखा को देखते ही उन्हें चक्कर आ गया। सुरेखा का भी चेहरा एकदम से सफ़ेद हो गया, सुरेखा ने आगे बढ़कर उन्हें संभाला और बोली- आंटी, मुझे माफ़ कर दो।
 
अब दिमाग घुमने की बारी मेरी थी।

माँ 5 मिनट बाद संभल गई और बोलीं- राजश्री तेरा  मुझ पर बहुत एहसान है लेकिन मेरे घर मैं तू तब ही आना जब तेरी माँ तुझे अपने घर में घुसने दे।

अब यह सुन कर मेरा दिमाग 5 मिनट के लिए सुन्न हो गया।

माँ ने हमें घर में नहीं बैठने दिया।

मुझे लगा कि यह कहानी सुरेखा के घर जाने पर ही सुलझेगी।
 
मैंने एक टैक्सी किराए पर ली और नासिक की तरफ निकल पड़ा।

सुरेखा बुरी तरह से रो रही थी, सुरेखा बोली - मैं तुमसे शादी नहीं करुँगी, मुझे घर नहीं जाना, मेरी माँ बोली थी कि कभी घर आई तो मुझे मार देगी या खुद मर जाएगी।

मैंने उससे कहा - ऐसा कुछ नहीं होगा।

सुरेखा से मैंने कुछ बातें पूछीं 

उसने बताया कि उसके घर का नाम राजश्री है और जब तुम्हारा रिश्ता आया तब तक उसके शारीरिक सम्बन्ध अरुण से बन गए थे, उसकी कुछ गलत आदतों का भी पता चल गया था। तुम्हारे मम्मी पापा बहुत अच्छे हैं, तुम भी फोटो में बहुत सुंदर लग रहे थे, मन कर रहा था अरुण को छोड़ दूँ लेकिन मन में यह बात बैठी थी कि जिससे सील खुलवा लो, वो ही पति होना चाहिए। मैं अरुण के साथ भाग गई लेकिन तुम्हें मन से नहीं निकाल पाई, तुम्हारी फोटो मेरे पास तभी से है। और जब तुम किराएदार बनकर आए तो मैं अपने को नहीं रोक पाई और तुमसे सम्बन्ध बना बैठी।

सुरेखा का पूरा आंचल आंसुओं से भीग रहा था।

मैंने कहा - सील और शक्ल याद करके बने संबंध कुछ दिन के ही होते हैं, असली संबंध तो हम एक दूसरे से मानसिक रूप से कितना जुड़ते हैं, उससे होते हैं और न तुम अरुण को बदल पाईं न अरुण खुद को इसलिए यह संबंध तो स्थायी था ही नहीं।


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Heart 
राजश्री के घर नासिक हम लोग शाम 8 बजे पहुँच गए। घंटी बजने पर माँ ने दरवाज़ा खोला, माँ बहुत कमजोर हो रही थी, वो मुझे पहचान गई और बोली - राकेश तुम?


मैंने कहा - हाँ मैं !

सुरेखा रो पड़ी...

सुरेखा को देखकर उनके भी आंसू आए और बोलीं - मैं इसे घर मैं नहीं आने दूँगी, इसके पापा कितने हंसमुख थे 4 साल पहले, अब तो मुरझा गए हैं, छोटी बहन की भी शादी नहीं हो पा रही है।

मैंने कहा - मेरी पत्नी को भी अंदर नहीं आने दोगी?

उनके चेहरे पर असमंजस के भाव आ गए। उन्होंने मुझे और सुरेखा को अंदर बुला लिया सुरेखा उनकी गोद में रोते हुए गिर पड़ी।

दस मिनट बाद मैंने सारी कहानी उन्हें बता दी। साथ साथ ही साथ यह भी बता दिया कि मेरी माँ तभी सुरेखा को अपनाएगी जब आप उसे अपना लेंगीं।

सुरेखा के पिताजी भी आ गए, मैं थोड़ी देर के लिए घर से बाहर चला गया।

मैं 9 बजे वापस आ गया, राजश्री की माँ ने मेरे फ़ोन से रुंधे हुए गले से घर मेरी माँ को फ़ोन किया और रोते हुए सिर्फ एक ही बात बोल पाईं - दीदी, राजश्री को अपने घर में जगह दे दो।

उसके बाद वो 10 मिनट तक फ़ोन पर रोती रहीं।

मैंने उनसे फ़ोन ले लिया, मेरी माँ बोली - बेटा, कल हम नासिक आ रहे हैं।

अगले दिन मेरे माँ बाप आ गए मेरी और सुरेखा की शादी दोनों परिवार की सहमति से हो गई।

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शादी के 15 दिन बाद सब सामान्य हो गया, हम दोनों पूना आ गए। सुरेखा रोज़ रात को पहले की तरह नंगी होकर मेरी गोद में बैठने लगी, सुरेखा से छुपकर मैंने एक कैमरा बाथरूम में लगा दिया ताकि जब वो नहाने जाए तो उसकी नंगी चूचियाँ और चूत नहाते हुए देख सकूं।


आज तक सुरेखा को यह बात नहीं पता चली कि मैं सुबह उसकी नंगी चूत और चूची के दर्शन करता हूँ।


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(14-07-2021, 04:06 PM)usaiha2 Wrote:
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wow maza aa gya
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Bahut achchhe...plz continue
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Update plz
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अगले रसप्रद अपडेट का इंतजार
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Heart 
Quote:
पत्नी का सरप्राइज


बीते सात सालों से अनुराग और मधु वैवाहिक बंधन मे बंधे हँसी खुशी जीवन यापन कर रहे थे । मधु एक गदरायी गोरी जिस्म की बेहद आकर्षक और हँसमुख औरत है और अपने पति की बेहद चहिती ओर हो भी क्यों न बीते इतने बरसों मे उसने अनुराग के साथ कदम से कदम मिला कर परिवार को सम्हाली हुई है । संयुक्त परिवार मे घुल मिल कर रहने से मधु को समस्त परिवार से बेहद स्नेह और प्यार मिलता ।


मधु अक्सर देर तक घर के सारे काम खत्म कर बैडरूम मे आती और अनुराग बेसब्र की तरह मधु की राह तकता , मधु आते है दरवाज़े को बंद कर अपने चेहरे को फेसवाश से धोती और अनुराग के सामने वो साड़ी उतार फर्श पर फेंक देती और अनुराग के करीब खड़ी हो पीठ दिखा कर ब्लाउज के डोरी को खोलने बोलती ओर अनुराग बड़े मज़े से मधु की ब्लाउज पीछे से खोलता और उसके पसिने से भीगे बदन को सहलाता और मधु कामुक्ता के बसीभूत होने लगती और झट पट ब्लाउज उतार अपनी ब्रा खोल अनुराग को देख मुश्कुराते अपनी पेटिकोट खोल के अलमारी मैं पड़ी हल्के लाल रंग की पारदर्शी वस्त्र पहन लेती है और दिन भर की कामकाज से गंदी हुई पैंटी उतार कर अनुराग के पास उछाल देती है और अनुराग पैंटी सूँघता है और मधु अनुराग के पास बैठ जाती है ।



अनुराग रसिया पति के साथ साथ अजीबोगरीब शौक वाला मर्द है जो मधु को अपने कामुक्ता की आग मे तपा कर इतने बरसों मे संस्कारी औरत से मनचली बना चुका है और मधु हर रात अनुराग के लिए वो सब करती है जो उसे चाहिए होता ।


अनुराग गहरी सासों से मधु की पैंटी सूँघता उसके झाघो को सहलाता है और मधु झुक कर अनुराग को अपने स्तनों के दर्शन करवाते खुद अपनी हाथों से दबाती है और अनुराग को हवस भरी आँखों से देखती है और मधु खड़ी हो कर मुड़ जाती है और अनुराग के आँखों के सामने आगे को झुक कर अपनी गाँड दिखाती और हाथों से गाँड के गोलाइ खिंच कर अपनी अवस्ता मे रहती है और अनुराग उँगलियों को फेरता मधु के गाँड की दरारों पर अपने स्पर्श करता चुत तक जाता है और उसके चुत की फूली हुई होंठो को दबाता और पैंटी से चुत की खुशबू लेता एक उँगली डाल मधु के बेताब चुत को सहलाता और चिप चिप करती चुत से निकली मधु के तपते योवन का रस उँगली से चूस गाँड के छेद मे डाल देता है और मधु की आह फुट पड़ती है और वो अपनी आँखों को मूंदे अनुराग के लिंग को मचल सी जाती है ।


अनुराग थोड़ी देर मधु से खेलता है और गाँड के अंदर से उँगली निकाल चुसने लगता है और मधु खड़े हो के अनुराग को देखते अपनी पारदर्शी वस्त्र के ऊपर से अपनी कड़क निपल्लों को सहलाती होंठो को दाँतो तले दबाती अनुराग को रिझाती है और अनुराग बिस्तर पर मधु के चुत की खुशबू का नशा करता अपने लड़ के उभार को सहलता है ।

अनुराग अपने जीभ से मधु के पैंटी को चाट मुँह मैं पैंटी फ़सा कर अपने हाथों को बिस्तर के ऊपर कर लेता है और मधु झुक के अनुराग के बनयान मैं हाथ डाल उसके सीने के बालों को सहलाती है और बगल मे बैठ उसके बनयान को ऊपर उठा कर अनुराग के निप्पलों को उँगलियों से मसलने लगती है और अनुराग आँखे बूंद आहे भरने लगता है और मधु उसके निप्पल्स को मुँह मे ले चुसने लगती है और अपने दूसरे हाथ को उसके उभारो पर फेरती रहती है ।



दोनों बिना बोले एक दूसरे की इच्छा को भलीभांति जानते है और नित्य क्रिया करती मधु अपने सुहाग की वासना के इच्छा अनुसार हर वो चीज़ करती है जो अनुराग को पसंद होता है और इतने बरसों के साथ कि वज़ह से मधु खुद को समर्पित भाव से अनुराग की बिस्तर की इच्छा पूरी करती है ।



मधु पैंट के इलास्टिक के अंदर अपने कोमल हाथों से अनुराग के सख्त लिंग को पकड़ सहलाने लगती है और अनुराग के निप्पलों को बड़े प्यार से चुस्ती है और थोड़ी देर के बाद बिस्तर पर उठ अनुराग के जिस्म के ऊपर टाँगे खोल खड़ी हो जाती है और उसके चेहरे पर अपनी चुत लगा कर दीवार पर हाथों को लगा देती है और अनुराग जीभ फेरता मधु के चुत को चाटने लगता है और तेज़ सासों से मधु की झांटो से उसके योवन का नशा करने लगता है और धीरे से मधु के स्तनों को जालीदार वस्त्र के ऊपर से सहलाने लगता है , मधु की जवानी मेहकने लगती है और उसके होंठ सूखने लगते है आँखे कमुक हो लाल हो जाती है और वो कमर हिला कर अनुराग के होंठो पर अपनी चुत रगड़ने लगती है ।



बड़े शौक से अनुराग अपनी पत्नी के चुत को योवन और हवस का आग से गीला कर देता है और मधु की सासों को बेकाबू करते उसके स्तनों को बड़े जोर से दबाता और मधु हल्के हल्के कामुक्ता के स्वर से कमरे को वासना बिभोर कर देती है और अनुराग के चेहरे पर अपनी चुत के रस को बिखेर देती है । अनुराग उसके स्तनों पर चिट्कोरी लगता है और मधु पलट कर अनुराग के चेहरे पर बैठ जाती है और आपने हाथों को अनुराग के पेट पर दबाती चुत ऊपर कर लेती है और अनुराग जीभ हिलाता मधु के चुत का रस चाट खाने लगता है और वो मधु के लंबे बालों के जुड़े को खोल अपने चेहरे पर फैला लेता है और मधु झुक कर अनुराग के उभार पर होंठो को रख उसके पैंट को नीचे सरकाती है और उसके कड़क लिंग को चूम जीभ से चाटने लगती है ।



मधु लड़ के चमड़े को खींच नीचे उतार कर बस लड़ के गुलाबी हिस्से को चुस्ती है और आपने हाथों से अनुराग के सख्त अण्डों को सहलाती है । अनुराग आनन्दमयी अवस्ता पर पहुँच जाता है और धीरे से बोलता है मेरी जान कब मुझे अपनी इस चुत से किसी गैर मर्द का रस चटवाओगी और मधु उसके लड़ को हाथों मैं पकड़ सिसकी लेती कहती है कब तक आप यू मुझे गंदे काम करने को बोलते रहोगे और अनुराग अपनी बीवी को अपने गंदे बातों से उकसाता बोलता है बस एक बार किसी का वीर्य चटवा दो मधु अपने इस चुत से फिर और कोई इच्छा न रहेगी ।


मधु बरसों से अनुराग की ये बातें सुन आज भी बोलती है मेरे लिए बस आपका लड़ काफी है और ज़ोर से चुसने लगती है और अनुराग अपने गंदे बातो को सिसकी लेता बकते रहता और मधु उठ कर अनुराग के लिंग पर बैठ जाती है और झुक कर होंठो को मिला चूमने लगती है और अनुराग बड़े गर्म अंदाज़ मे मधु की गाँड पकड़ नीचे से धक्कों की बारिश करने लगता है और दोनों एक दुज़े से चिपक हवस की आंधी मे खोने लगते है और मधु तृप्त हो अनुराग के लिंग को अपने योवन के रस से सराबोर कर देती है और अनुराग अपनी बीवी को बिस्तर पर पटक ऊपर चढ़ लिंग को योनि पर रगड़ते बोलता है बस मेरी जान एक बार मुझे अपने इस चुत से वीर्य पान करा दे कहता वो मधु के टाँगों को हाथों से फैला चोदने लगता है और मधु आँखे मूंदे योन सुख लेती झटकों के साथ अपनी बड़ी बडी स्तनों को हिलते महसूस करती वापस चर्मसुख को प्राप्त कर लेती है और थोड़े पल बाद अनुराग अपने वीर्य से मधु की चुत सराबोर कर उसके बदन से चिपक हाँफने लगता है और मधु अपने हाथों से अपने पति को पकड़ कर संतुष्ट भाव से सहलाती है और दोनों थक हार निन्द्रा के आगोश मे चले जाते है ।



हर रात दोनो यू ही योवन का रसपान करते सहवास का सुख लेते गन्दी बातों से उतेजित होते रहते पर साल के इस माह मधु मायके जाती और अनुराग एक माह मुरझाये फूलों सा समय बिताता ठीक वैसे ही जैसे बीते सात बरसों से बिता रहा होता । इस वर्ष भी अनुराग अपनी धर्मपत्नी को मायके पहुँचा दुखी मन लिए वापस आ गया था और घंटो मधु से गन्दी बातें करते किसी तरह अपने लिंग से वीर्य निकाल जी रहा था । मधु भी बेहाल ही रहती बिना अनुराग के क्योंकि अनुराग ने मधु को अपने हिसाब से ऐसा बना दिया था कि मधु लड़ लिए बिना सो नहीं पाती और अनुराग गंदी बाते कर मधु को हर रात अपनी चुत सहलाने को उकसा गैर मर्दों की बातें कर शान्त करता और मधु झड़ कर सुकून से सोती ।



बरसात के मौसम मे यू पति पत्नी की जुदाई बड़ी घातक होती है और एक दुज़े के बिना बिस्तर काटे के समान जान पड़ता ।

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मधु को गए एक हफ्ता ही बिता था कि आम दिन की तरह अनुराग मायूस ऑफिस मे बैठा काम कर रहा था और तभी मधु का कॉल आया यू बेवक्त मधु के कॉल से अनुराग चिंतित हो गया और घबराए स्वर मे बोला सब ठीक है ना, मधु हँसते हुए बोली जी सब बढ़िया है आप खा मखा डरते रहते और अनुराग के डर को शान्त करने के पश्चात बोलती है आप क्या मिलने आ सकते है और अनुराग कहता कुछ बिशेष बात तभी मधु हँसते बोलती है बस आ जाईये न प्लीज और अनुराग हाँ बोल देता है और अपने मालिक से अनुमति ले घर पहुँच नाहा धो कर दो जोड़ी कपड़े ले बाइक स्टार्ट कर ससुराल की और निकल पड़ता है जो पूरे तीन घंटे की लंबी राह है ।


अनुराग मन है मन सहवास और मधु के बारे मे सोचता बड़े आराम से चलता रहता और बीच बीच मैं रुक अपनी कमर सीधे करता और जब महज़ ससुराल और मधु से दूरी आधे घंटे की बाकी रहती वो रुक कर अपना मोबाइल देखने लगता है जिसमें मधु ने लोकेशन शेयर करी होती है और अनुराग गूगल मैप पर वो लोकेशन डाल चल पड़ता है ।



चालीस मिनट चलने के बाद शाम शाम को वो मधु के दिये लिकाशन पर रुकता है जो एक नदी के किनारे बड़े से बरगद पेड़ के पास की रहती है और वो गाड़ी से उतर मधु को फ़ोन मिलाता है और मधु कहती है रुकिए दस मिनट मे आई और अनुराग नज़रे घुमा चारों और देखता है तोह बस घने जंगल और सन्नाटे के सिवा बस चिड़ियों की चहचहाट के सिवा और कुछ नही दिखता ।



अनुराग बड़े शान्त मन से मधु की राह तकते रहता और बार बार चारों तरफ नज़रे दौड़ाता रहता पर हर बार उसे सन्नाटे के सिवा कुछ नज़र नही आता और अचानक उसे पीले साड़ी मे मधु नज़र आती है और वो चैन की सास लेता मधु को घूरता रहता और मधु पास आते ही अनुराग के हाथो को पकड़ उसे पेड़ के बड़े जड़ पर बिठा देती है और अपनी साड़ी उठा कर उसके मुँह को अपनी चुत पर चिपका कहती है चख कर बताइए न कैसा है और अनुराग अशमंजस मैं पड़ मधु के चुत को चाटने लगता है और उसे एहसास होते पल भर नही लगता कि मधु की चुत वीर्य से भरी पड़ी है और वो मधु के कमर को ज़ोर से पकड़ बड़े चाव से वीर्य चाटने लगता है और मधु अपने हाथों से अनुराग के बालो को पकड़ चुत चटवाती रहती है और आधे घंटे तक दोनों बस चुप चाप से रहते है और अनुराग चुत की गहराई तक जीभ डाल मधु के चुत से एक एक बूँद वीर्य चट कर उसके झाघो पर बहे वीर्य के बूंदों को चाट साड़ी के नीचे से निकल उठ खड़ा होता है और मधु को चूमने लगता है और मधु अपने पति को बाहों मैं जकड़ लिपट जाती है और अनुराग बड़े मासूम अंदाज़ मे बोलता हैं आखिर मेरी बीवी ने मेरी मुराद पूर्ण कर दी और मधु शर्मा के कहती है बस आप यही रुकिए मैं आती हु और वो वापस जंगल के झाड़ियों मे अंधेरे मे खो जाती है और अनुराग सख्त लड़ लिए वहीं खड़ा विचारहीन हो जाता है ।


करीब घंटे भर से अनुराग राह तकता एक जैसा खड़ा रहता है और उसके मस्तिष्क मे कोई ख्याल नहीं न कोई चिंता न कोई सवाल बस वो उस रास्ते को घूरता जहाँ मधु गई और गायब हो गई थी ।


दो घंटे के बाद मधु धीरे धीरे आती दिखती है ,चारों और अंधेरा फैला हुआ होता है पर अनुराग पीले साड़ी की परछाई को देख समझता है कि मधु आ गई है और वो पहले से पेड़ की जड़ पर आ बैठ जाता है और मधु करिब आ कर साड़ी उठा देती है और अनुराग भूखे कुत्ते की तरह लप लप करता मधु के चुत से वीर्य चाट खाने लगता है और मधु हल्की आहे भर्ती अपनी वीर्य से भरी चुत चटवाती थोड़ी कमुक हो जाती है और हल्के सिसकियों को भरने लगती है और एक लंबे मेहनत के बाद अनुराग वापस से मधु के चुत से वीर्य चट कर उठ खड़ा होता है और मधु के होंठो को बेताहाशा चूमने लगता है और मधु उसके लिंग को सहलाने लगती है और नीचे बैठ अनुराग की पैंट खोल लड़ को चुसने के लिए जैसे ही मुँह मे डालती है अनुराग का वीर्य बह उठता हैं और वो मधु के सर को पकड़ हल्के झटके मार ठंडा पड़ जाता है और मधु अपने पति के वीर्य को गटक कर उसके लबों को चूम कहती है क्या आपको इतना मज़ा आया जी और अनुराग हाँ बोलता मधु के साथ ससुराल की ओर चल पड़ता है ।

समाप्त
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amazing collection! Thanks for sharing
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Awesome
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Excellent
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