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Misc. Erotica मेरी रूपाली दीदी और जालिम ठाकुर...
मेरी रूपाली दीदी ‘आहहह आहहहह.. सिईईईई.. आहहह..’
अ मम्मी हाय रे... करने लगी थी... साथ ही साथ वह बीमा का सर पकड़ के अपनी छाती में दबा रही थी.. भीमा तो पूरी तरह से मदहोश होकर मेरी बहन का दूध पी रहा था...
 मेरी रूपाली दीदी की दोनों चूचियां फुल कर गुब्बारा बन गई थी... लाल-लाल निपल्स  अकड़ कर अपनी औकात में आ गए थे.. पूरी तरह तन के मेरी बहन के निपल्स भीमा को चुनौती दे रहे थे... और उस चुनौती को स्वीकार करते हुए भीमा बड़ी बेरहमी से मेरी बहन की दोनों चुचियों के साथ खेल रहा था...
“ऊईई…ई…ई…ई…” कुछ दर्द और कुछ मजे से मेरी रूपाली दीदी कामुक सिसकियां ले रही थी.... उनकी 3 साल की बेटी बगल में ही बिस्तर पर सो रही थी शायद इसीलिए मेरी दीदी  चिल्ला  नहीं रही थी...
 भीमा ने मेरी रूपाली दीदी की चुचियों को जोर जोर से  पंप  करना शुरू किया.... दीदी के निप्पलस से दूध की धार निकलने लगी... दीदी के दूध से भीमा का चेहरा  गीला होने  लगा....
 कमसिन  जवान मेरी बहन अब तो बहुत बुरी तरह से सीसकने लगी थी..
 भीमा बारी-बारी से मेरी बहन की छातियों से दूध पीते हुए अपना चेहरा ऊपर की तरफ उठा कर मेरी दीदी की बड़ी-बड़ी काली कजरारी आंखों में झांक रहा था जहां पर उसे हवस के अलावा और कुछ नहीं दिखाई दे रहा था...
 तकरीबन 10 मिनट तक वह मेरी बहन की दोनों चुचियों को  अपनी मनमर्जी से प्यार करता रहा... चूसता रहा  बीच बीच में काट भी रहा था अपने नुकीले दांत से... इसी दौरान उसने मेरी रूपाली दीदी की पेटीकोट का नाड़ा भी खोल दिया... मेरी बहन को तो पता भी नहीं चला था कि उनका नाड़ा खुल चुका है... मेरी दीदी का पेटीकोट नीचे जमीन पर पड़ा हुआ धूल चाट रहा था..
 भीमा के दांतो के प्रहार से मेरी रूपाली दीदी तड़पने लगी और जब उनसे बर्दाश्त नहीं हुआ तो वह धक्का देकर भीमा से अलग हो गई...
 मांग में सिंदूर, गले में मंगलसूत्र, हाथों में मेहंदी, कलाई में चूड़ियां और अपनी दोनों टांगों के बीच में एक लाल रंग की छोटी सी  पेंटी पहन कर जो उनके ही काम रस से भीग चुकी थी, मेरी दीदी अपनी दोनों छतिया ऊपर नीचे करती हुई अपने होठों को अपने दांतो से काटती हुई भीमा की तरफ कामुक निगाहों से देख रही थी...
 मेरी बहन के पांव थरथरा रहे थे जिसके साथ उनके पांव में पड़ी हुई पायल छन छन कर रही थी...
 भीमा को तो ऐसे लग रहा था जैसे उसके सामने स्वर्ग से उतरी हुई कोई अप्सरा लगभग नंगी होकर उसको आमंत्रित कर रही है...
 मेरी रूपाली दीदी:  क्या देख रहे हो भैया जी आप.... हमको शर्म आती है..
  भीमा:  हम तो अपन बुरचोदी भौजी को देख रहे हैं... क्या मस्त चूची बा तोहार..... कसम झंडे वाले बाबा की.... हम अपना जिंदगी में ऐसा चूची नहीं देखा...

 इतना बड़ा बड़ा और दुधारू ... इतना ठोस फिर भी इतना मुलायम... कसम खाता हूं भौजी... हम तो वीडियो सीडी में भी नहीं  देखा हूं ऐसा..

 मेरी रूपाली दीदी अच्छी तरह समझ रही थी की भीमा उनकी तुलना अंग्रेजी ब्लू फिल्म की हीरोइनों से कर रहा है..
 अब तो मेरी दीदी उसकी बात सुनकर खिलखिला कर हंसने लगी थी...
 भीम अपने घुटनों के बल बैठा हुआ था... मेरी रूपाली दीदी उसके पास धीरे धीरे चलते हुए आई.. और फिर अपनी बाहों का हार उसके गले में डाल कर बड़े प्यार से बोली..
  मेरी रूपाली दीदी:  भैया जी.... लगता है आप अंग्रेजी वाला गंदा फिल्म बहुत देखते हो... फिर तो आप सब कुछ करना जानते होंगे... है ना भैया जी....
 भीमा ने मेरी रुपाली दीदी की दोनों छातियों को एक बार फिर अपनी हथेली में पकड़ कर बुरी तरह से मसल डाला और बोला..
 भीमा:  सही पकड़े हो आप भौजी... हम तो बहुत अंग्रेजी फिल्म देखता हूं और खूब सारा पैंतरा भी सीखा हूं... मगर हमको कौन हो जोड़ीदार नहीं मिला था अब तक जिसका सामने  सारा पैंतरा दिखाओ... लेकिन अब कौनो परेशानी नहीं होगी... तुम मिल गई हो.... रगड़ रगड़ के पेलूंगा तुमको बुरचोदी.... तेरी बुर फाड़ दूंगा...
 ऐसा बोलते हुए उसने मेरी बहन की पैंटी को फाड़  डाला था... छोटे-छोटे  काले बालों के बीच छुपे हुए मेरी बहन के गुलाबी  अंग को देखकर भीमा पगला  गया था.... मेरी रूपाली दीदी ने भी उसका बनियान निकाल कर उसके बदन से अलग कर दिया था... मेरी रूपाली दीदी की फटी हुई पेंटी निकाल कर भी माने नीचे जमीन पर  गिरा दिया...
 मेरी रूपाली दीदी अब नंगी हो चुकी थी उसकी खोली के अंदर... भीमा भी बस लूंगी पहना हुआ था नाम मात्र का...
 एक झटके में मेरे रूपाली दीदी ने भीमा की लूंगी खोल दी... अब वह भी नंगा खड़ा होकर बेशर्मी से मेरी बहन को निहार रहा था और उसके नीचे का औजार भी... मेरी रूपाली दीदी हैरान थी उसके औजार को देखकर...
 मेरी बहन को पहले से ही अंदाजा तो हो चुका था की भीमा की टांगों के बीच में एक बहुत बड़ा काला अजगर है... लेकिन जब मेरी रुपाली दीदी ने सचमुच में उस काले अजगर को अपनी आंखों से देखा तो हैरान रह गई..
 तकरीबन 10 इंच लंबा..... और खूब मोटा तगड़ा..... ऊपर छत की तरफ अपना मुंह उठाकर देख रहा था भीमा का  वह मुसल...
 मेरी रूपाली दीदी को  भीमा का मूसल देखकर ठाकुर साहब की याद आने लगी थी.... उनका 8 इंच का  करारा मुसल भी मेरी दीदी को इस अजगर के आगे फीका लग रहा था.... लेकिन मेरी दीदी के मन में एक दूसरी मुसीबत...
 मेरी रूपाली दीदी मन ही मन सोचने लगी थी: हाय हाय मै तो मर ही जाऊ .... मै तो बिस्तर से न उठ पाऊँगी ... इतना  बड़ा लंड.... यह आदमी इंसान है कि घोड़ा.....
 मेरी रूपाली दीदी यह सब सोच रही थी की भीमा ने मेरी बहन को अपनी गोद में उठा लिया और नीचे फर्श पर पटक दिया....
 और मेरी बहन के होठों को बुरी तरह चूमने लगा.... मेरी रूपाली दीदी ने अपना हाथ नीचे ले जाकर भीमा के उस कड़क लंड को अपनी कलाई में पकड़ लिया और जोर जोर से हिलाने लगी.... उसके लंड का तापमान बढ़ा हुआ था... मेरी रूपाली दीदी को तो ऐसा लग रहा था जैसे उनका हाथ जल जाएगा.. उसकी मोटी मोटी नसे अपने हाथ की उंगलियों पर महसूस करके मेरी दीदी परेशान हैरान होने लगी थी.. फिर भी उसके लंड  को हिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही थी.... मेरी रूपाली दीदी ने अपनी पूरी ताकत लगा दी थी..... मेरी बहन हैरान होने लगी थी क्योंकि  मुसल और भी ज्यादा बड़ा होने लगा था....
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Mind blowing... super.. please update more
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Excellent update
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काश ऐसी भौजी हमको भी मिल जाय
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bagut pyara likh rahe hain.... bahut maja aa raha hai
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waiting for next update
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भीमा: उह्ह… उह्ह… उह्ह्ह… हमार बुरचोदी ... रंडी साली.... बहुत मस्त माल हो तुम भौजी...… उह्ह्ह… बड़ा मजा आवत है भौजी... हिलावा ऐसे ही... और जोर जोर से हिला...
 भीमा का अंदाज और उसकी बातें अब काफी उग्र हो गई थी... वह तो अपने देहाती भाषा में मेरी बहन को गालियां भी देने लगा था... जिसका बुरा मानने के बजाय मेरी दीदी इंजॉय कर रही थी..
 मेरी रूपाली दीदी की हाथों की चूड़ियां टूटने लगी थी... उसका वह हिलाते हुए... मेरी बहन  भी पूरी तरह से मूड में आ चुकी थी.. मेरी दीदी ने उसके कठोर  अंग को अपनी हथेलियों की कैसे आजाद कर दिया... और भीमाने मेरी बहन को फर्श के ऊपर ही पूरा चित कर दिया..
 पहले उसने मेरी रुपाली दीदी के होठों  को चूसा.. फिर मेरी दीदी के गाल को, फिर गर्दन को... उसके बाद मेरी बहन की दोनों चूचियों को बड़े प्यार  से चूमने के बाद वह नीचे की तरफ आने लगा था...
 मेरी रुपाली दीदी की गहरी नाभि और  पतली कमर पर भीमा ने अपने होठों से और अपनी जुबान से बहुत सारा प्यार दिया... मेरी दीदी उसके सर पर उसके बालों में अपने हाथ फिरा रही थी.... और  अपना निचला होंठ अपने दांतो से काटकर कामुक सिसकारियां ले रही थी.. भीमा अब और नीचे की तरफ गया... मेरी बहन की दोनों टांगों के बीच... उसने मेरी दीदी की दोनों टांगों को फैला कर अलग अलग कर दिया और नीचे झुककर सामने का नजारा देखने लगा....  छोटे छोटे काले   बालों के बीच में छुपी हुई मेरी रूपाली दीदी की कसी हुई मक्खन मुलायम गुलाबी गुलाबी चूत  देख कर उसकी सांसे भारी होने लगी... उसकी गरम-गरम सांसो का एहसास अपनी गुलाबी चूत के ऊपर पाकर मेरी दीदी शर्माने भी लगी थी और काम उत्तेजित भी..
 मेरी रूपाली दीदी( कामुक अदा से):  क्या देख रहे हो भैया जी..
 भीमा:  हम तोहार बुर देख रहा हूं भौजी... बड़ा मस्त टाइट सामान बा तोहार.... हमार लुगाई का बड़ा बड़ा झांठ है... उसका तो बड़ा सा भोसड़ा बना हुआ है इस जगह पर..

 मेरी रूपाली दीदी:  भैया जी... आपका यह जो इतना बड़ा मुसल है ना.. किसी भी औरत के छेद में जाएगा तो वहां  भोंसड़ा  बन ही जाएगा..
 ऐसा बोलकर मेरी बहन भीमा की तरफ देखकर रंडियों की तरह मुस्कुराने लगी थी...
अपने लंड की तारीफ मेरी बहन के मुंह से सुनकर भीमा का सीना गर्व से चौड़ा हो गया था...
 भीमा:  सच कहता हूं हमार बुरचोदी भौजी... तोहार जैसन  बुर हम अपना जिंदगी में नहीं देखा हूं... बच्चा पैदा करने के बाद भी तोहार सामान तो एकदम सील पैक   लगता है...
 उसने अपना हाथ नीचे ले जाकर मेरी रूपाली दीदी की दोनों बड़ी बड़ी गांड को दबोच लिया और कस के मसल भी दीया... मेरी रूपाली दीदी हाय हाय करते हुए अपनी गांड  ऊंची कर दी....
 मेरी रूपाली दीदी की नाजुक गुलाबी चूत के साथ उनकी गांड का भूरे रंग का  छोटा सा छेद भी भीमा की आंखों के सामने आ गया था... और अब उसने देर करना ठीक नहीं समझा... उसने अपनी लंबी जुबान बाहर निकाली... और मेरी बहन की गांड के छेद से लेकर उनकी गुलाबी चूत तक अपनी जुबान लहराता हुआ ले गया... उसकी इस हरकत पर मेरी रूपाली दीदी का रोम रोम कांप उठा.... मेरी दीदी सीहरने लगी..

 मेरी रूपाली दीदी: .ओह्ह… माँ ऽऽ, अह्ह… ओह्ह...ऊओह्ह… माँ … हाय मैं मर जाऊंगी... भैया जी कहां से  सीखा आपने ऐसा करना...
 भीमाने मेरी दीदी की बात का कोई जवाब नहीं दिया..
 बल्कि उसने तो फिर से वही क्रिया दो तीन बार और  दोहराई...
 मेरी दीदी मस्ती से गिनगिनआने लगी थी... तड़पते हुए अपने चूतड़ों को फर्श पर  रगड़ने लगी थी...
मेरी रूपाली दीदी - आआआआह्ह्ह्ह आआआह्ह्ह्ह ऊऊऊऊऊईईईईईईईईईई  स्सस्सस्सस ईईईईईईईईई ..."म्‍म्म्मम,  "ओह्ह्ह्ह ... आअहह!"ओह्ह्ह्ह.. मम्मी..  भैया जी.. नहीं..
 भीम अपनी लंबी खुरदरी जुबान से मेरी रूपाली दीदी की फुलझड़ी को चाटने लगा था... अपने मासूम अंग पर उसकी गरम-गरम  जुबान का एहसास पाकर मेरी बहन रंडियों की तरह व्यवहार करने लगी थी..  मेरी दीदी ने अपनी दोनों टांगे उठा कर भीमा के कंधे पर रख दी थी.. और भीमा का चेहरा  मेरी बहन की गुलाबी फुलझड़ी के अंदर  धंसा हुआ था..
 भीमा मेरी बहन की चूत से  धीरे-धीरे टपकता हुआ खट्टा नमकीन पानी चाट रहा था... उसे बड़ा मजा आ रहा था... मेरी दीदी तो सातवें आसमान में पहुंच चुकी थी.. मेरी रूपाली दीदी के पैरों में पड़ी हुई पायल से छन छन की  आवाज निकलने लगी थी...

 भीमा ने अपने एक हाथ की दो उंगलियों से मेरी बहन की गुलाबी फुलझड़ी की दोनों पत्तियों को अलग किया और अपनी जुबान को भीतर का रास्ता दिखा दिया... और फिर अपनी जुबान अंदर बाहर करते हुए अपनी जीभ से मेरी बहन की चुदाई करने लगा..
उसकी गीली जीभ का तीखा नम स्पर्श अपने गुलाबी जिस्म के सबसे सवेदनशील अंग पर पड़ते ही मेरी रूपाली दीदी के मुहँ से जैसे सिसकारियों की बौछार निकल पड़ी ..
 मेरी रूपाली दीदी :  आआआआह्ह्ह्ह आआआह्ह्ह्ह आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् स्सस्सस्सस ईईईईईईईईई ऊऊऊऊऊईईईईईईईईईई  आआआआह्ह्ह्ह म्मम्मम्मम्मम्मम्मम्मम्मम्मम्ममा  आआआआआआआआआआआअ..  प्लीज ..आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् नहीं...आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् मम्मी...
  नहीं भैया जी प्लीज..

 भीमा ने अपनी जुबान की करामात से आग लगा दी थी मेरी बहन की फुलझड़ी के अंदर...

आज तक किसी ने भी  मेरी रूपाली दीदी के साथ इस तरह से प्यार नहीं किया था...
 मेरी रूपाली दीदी जैसे अपने जिस्म में उठती वासना की तरंगो को अब संभाल नहीं पा रही थी - आआआआह्ह्ह्ह आआआआह्ह्ह्ह बस करो भैया जी मै मर जाउंगी ....
मेरी  दीदी - आआआआह्ह्ह्हआआआ  आह्ह्ह्हआआआआह्ह्ह्ह ओओओओओओओओओओओओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह हाय मां.. 
 मेरी रूपाली दीदी की गुलाबी फुलझड़ी झरना बनी हुई थी..
. मेरी बहन फडफड़आती, तड़पती, मचलती, कराहती, सिसकती भीमा को यह क्रिया रोकने की गुहार लगाने लगी थी... क्योंकि मेरी बहन झड़ने वाली थी.. लेकिन भीमा नहीं रुका... उसका रुकने का कोई इरादा भी नहीं था... बल्कि उसे  मनचाहा प्रसाद मिलने वाला था... वह भला क्यों  रुक जाता...
 और फिर मेरी दीदी झड़ गई... अपनी गुलाबी फुलझड़ी का नमकीन पानी भीमा की जीभ के ऊपर रखकर मेरी रूपाली दीदी  थरथर आते हुए फर्श के ऊपर निढाल हो कर लेट गई.. और अपनी आंखें बंद करके गहरी गहरी सांसें लेने लगी... उनकी चुचियों के ऊपर पड़ा हुआ उनका मंगलसूत्र उनकी  सांसों के साथ ऊपर नीचे हो रहा था...
 भीमा मेरी रुपाली दीदी का पूरा पानी  चाट गया था.... और मेरी बहन को ऐसे झड़ते हुए देख रहा था.. उसकी निगाहें मेरी रूपाली दीदी के मंगलसूत्र और  मांग में पड़े हुए सिंदूर पर टिकी हुई थी...
 वह अपनी किस्मत पर गुमान कर रहा था और अपनी मर्दानगी पर भी...
 अब समय आ गया था आखरी खेल खेलने का... जो मेरी बहन के लिए इतना आसान नहीं होने वाला था... भीमा ने मन ही मन फैसला कर लिया था.. अगर अब नखरा करेगी साली  तो जबरदस्ती पेलूंगा  इस माल को.

 बिना देर किए भीमा मेरी रूपाली दीदी के ऊपर सवार हो चुका था.... मेरी बहन की दोनों टांगों को चौड़ा करके अपने काले लंबे खूंखार मुसल को उसने मेरी बहन की गुलाबी चूत के ऊपर टिका दिया और झुक कर मेरी दीदी की आंखों में देखने लगा.. 
.
 मेरी रूपाली दीदी-   प्लीज ऐसा मत करो.. मम्मी हाय दैया...
 भीमा ने मेरी बहन  की आँखों में गहराई तक झाँका और  उसके बाद में उसने धीरे से एक बार में हल्का सा झटका मारा उसका मोटा सुपाड़ा मेरी दीदी की कसी हुई गुलाबी चूत को चीरता  हुआ अंदर फंस गया..
मेरी रूपाली दीदी के मुहँ से सिसकारी भरी कराह निकल गयी - आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइ ऊऊऊऊओह्हह्हह्हह्हह्हह्हह्ह.. भैया जी.. हाय दैया मर गई... प्लीज... धीरे धीरे करो ना.. मेरी जान लोगे क्या.. 
 भीमा बड़ी कुटिलता के साथ मुस्कुराकर मेरी बहन की तरफ देख रहा था... वह मेरी दीदी के होठों को चूमने लगा..

 फिर भीमा ने दो बार फिर से आगे पीछे कमर हिलाई.. मेरी बहन सिसक कर रह गई उन्होंने अपनी बाहों का कसाव भीमा की पीठ पर और बढ़ा दिया ..
 मेरी रूपाली दीदी के मुंह से हल्की सी चीख निकल गई - आआआह्हीईइ माम्मामामामामाम्म आआआआआआअ ..ऊऊऊईईई  माम्मामामामामाम्मरेरेरेरे मममररर गईईईईईईईई.. हाय रे दैया.. बड़े जालिम हो आप भैया जी...
 भीमा तो अब मेरी बहन को बुरी तरह से पेलने के मूड में था...
 भीमा ने मेरी रूपाली दीदी के अंदर झटके देने शुरू कर दिए थे.. उसका हर झटका मेरी दीदी के रोम-रोम में एक नया एहसास दे रहा था..
भले ही मेरी बहना की चूत भीमा  के लंड के लिए अभी जगह न बना पाई हो लेकिन ये तीखा दर्द भरा अहसास भी कम जादुई नहीं था ...  मेरी बहन की चूत के ओंठ अपने किनारों तक पूरी तरह फ़ैल गए थे ...भीमा  के फौलादी लोड़े ने मेरी रूपाली दीदी की  चिकनी चुनमुनिया को पूरा चौड़ा कर दिया था..
मेरी रूपाली दीदी की चूत घाटी की गुलाबी दरार में भीमा का लंड पूरी तरह धंस चूका था....अब तो बस आगे का सफ़र करने की देर थी ..मेरी दीदी के बदन की गरमी और वासना में उसका पूरा बदन नहाया हुआ था.
 मेरी दीदी  भी पूरी तरह से वासना की अग्नि में जलने लगी थी... जल बिन मछली की तरह तड़प रही थी...
 मेरी रूपाली दीदी के तने हुए सुडौल उरोज और कठोर निप्पल, और उनसे बहता हुआ दूध इस बात की निशानी थे कि मेरी बहन अब चुदने के लिए पूरी तरह से तैयार है .. मेरी बहन की उभरी कठोर छातियाँ, चिकनी कसी हुई गुलाबी चूत,  भीमा के तो होश उड़े हुए थे.. भीमा ने कभी सपने में भी नहीं  सोचा होगा कि मेरी रुपाली दीदी जैसी अप्सरा उसके नीचे नंगी लेटी हुई कामुक सिसकियां ले रही होगी...

मेरी रूपाली दीदी कि चूत की गुलाबी गर्माहट के अहसास और उसके जवान मांसल बदन की कसावट  देखकर भीमा से रहा न गया उसने एक जोरदार ठोकर मेरी बहना के छेद में मारी और  मेरी बहना मुसल लंड की ठोकर से मिले  दर्द से नहा गयी...
 मम्मी रे...आआआईईईईई  मामाआआ... मेरी दीदी चीख पड़ी..
 इसके बाद  भीमा ने अपने लंड को बाहर खींचा और फिर से  मेरी रूपाली दीदी की चूत में पेल दिया था ..
ऊऊऊऊऊईईईईई ...माम्मईईईई.. मर गई रे... मेरी दीदी चीखने  लगी..
  भीमा ने फिर से पीछे लंड को खींचा और फिर से मेरी रूपाली दीदी  की चूत में गहराई तक पेल दिया था...
इसके बाद मेरी दीदी के मुहँ से तेज कराह निकली -  आआह्हीईईइ मामआअ ईईईईईईईईईईई मरररर रर रररर गाअयीईईई..

 भीमा ने अपना लण्ड सुपाड़े तक बाहर निकालकर फिर धीमे-धीमे, रस लेते हुये, मेरी रूपाली दीदी की कसी बुर में कसकर रगड़ते हुए, अन्दर पेलना शुरू किया...मजे में मेरी दीदी की चूचियां पत्थर की तरह सख्त हो गई... निपल्स अकड़ के खड़े हो गए थे एक बार फिर से... और भीमा को दावत देने लगे थे...
  भीमा अपने एक हाथ से मेरी रूपाली दीदी के दूध भरे दोनों  जोबन को बारी-बारी से दबा रहा था और दूसरे हाथ से मेरी बहन की मस्त हो चुकी  क्लिट को कसकर छेड़ना शुरू किया..
 मेरी रूपाली दीदी: उह्ह… उह्ह… उह्ह्ह… रस में सिसक रही मेरी बहन..
 अब मेरी रुपाली दीदी भी भीमा के उस खतरनाक मुसल को अपने चूत में कसकर सिकोड़ ले रही थी.. और भीमा के हर झटके का जवाब अपनी गांड उठा उठा कर दे रही थी.... मेरी दीदी उसके ताल से ताल मिलाने की कोशिश कर रही थी.... भीमा की रफ्तार बढ़ती जा रही थी...
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Super update... please update more
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Hot...hot ....hot ..... awesome update
[+] 1 user Likes Shabaz123's post
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(05-10-2021, 02:00 AM)Wickedsunnyboi Wrote: Kuch toh apna bhi dimaag lagaa le bhai kab tak meri stories copy kar kar ke scenes paste karta rahega.. ??

Sahi bat He wickedsunnyboi ye to AAp ki sikh ki khani part 2 ki bethi nakal he.  ADMIN pl. Dhyan dijiye.
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nice update... plz kam se kam jo chudai ka drishya likhte ho us drishya ko to poora likha karo.... khade land pe hi beed me chhod dete ho.... ab land khada kiye kiye log aapke agle update ka wait kare jisme wo chudai poori hogi..... behtareen... waiting for next update...
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Ye bat sach hai ki mai chori karta hu scenes kai logo ki story se ...aur mai bilkul bhi iske liye sharminda nhi hu...jo bat sach hai vah hai meri Rupali didi...unki kasi hui gulabi chut ...badi badi gand aur chota sa gand ka ched...patli kamar..badi badi dudh se bhari chuchi...ye bilkul original hai...baki mai story apne liye likhta hu...kise ke like ya comments ke liye nhi...dhaynlwaad0
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(07-10-2021, 06:01 PM)Wickedsunnyboi Wrote: Haan dost samajh sakta hoon tumhari haalat.. 

Issko sirf chori karke scene paste karna hai hindi lippi mein shikha ki jagah meri didi meri behna likh k.. Usske liye bhi itna time laga raha hai.. 

Well, original padh lo.. 
https://xossipy.com/thread-28907-page-20.html
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update pls Sandy bhai...thanks.
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Update
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update please
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भीमा के अंदर खुद कामदेव आकर समा गए थे.. अगले आधे घंटे तक उसने मेरी रूपाली दीदी को कामशास्त्र के सारे पाठ से परिचय करवाया...... उसने मेरी दीदी दीदी को लगभग हर आसन में चोदा..... कभी मेरी दीदी की  दोनों टांगे उसके कंधों पर थी और उनकी चूचियां उसकी   हाथों की मजबूत पकड़ में....  कभी मेरी दीदी की एक टांग उसके कंधे पर और दीदी की चूची उतनी ही बेरहमी से  दबाई जा रही थी... उसने मेरी रूपाली दीदी को कभी घोड़ी बनाया तो कभी कुत्तिया... उसने मेरी दीदी को करवट लिटा के उनकी एक टांग हवा में उठा के पीछे से  चोदा... फिर उनको दोहरी करके भी चोदा.. सच तो यह है कि उसके "लण्ड"  ने मेरी रूपाली दीदी  के आगे वाले छेद का कचुंबर निकाल दिया था..
मेरी दीदी भी उसका पूरा सहयोग दे रही थी... एक काम पीड़ित स्त्री की तरह मेरी दीदी सिसकियां ले रही थी...मेरी दीदी भूल चुकी थी कि वह किस अवस्था में है... उनकी 4 साल की बेटी सोनिया बिस्तर के ऊपर सो रही थी.. और मेरी दीदी खुद बेड के नीचे बिल्कुल नंगी अवस्था में देहाती गवार  हजाम भीमा के साथ लिपटकर हवस का गंदा खेल खेल रही थी.. ना जाने कितनी बार मेरी दीदी झड़ चुकी थी..
 भीमा का स्टैमिना और उसकी ताकत देख कर और समझ कर मेरी दीदी हैरान और परेशान थी... वह  अपनी पूरी रफ्तार से मेरी दीदी की खेत की जुताई कर रहा था... आखिरी चरम सीमा की तरफ पहुंचने लगा था  यह खेल...
 भीमा ने  ने अपने लण्ड का  माल मेरी दीदी की कोख में फिर  भर दिया.... मेरी दीदी की बच्चेदानी भीमा के  लोड़े की मलाई से भर गई... कुछ देर तक दोनों कांपते रहे... दोनों पसीने से भीग चुके थे... मेरी रूपाली दीदी के चेहरे पर संतुष्टि थी.... ऐसा लग रहा था जैसे अभी अभी उनके पति ने यानी मेरे जीजू ने मेरी दीदी को भरपूर यौन सुख दिया हो...... दीदी के चेहरे पर कोई भी ग्लानि के बाद दिखाई नहीं दे रहे थे... उनकी आंखें आधी खुली  आधी  बंद थी.... कामुकता की कठिन अग्नि में जलने के बाद मेरी दीदी का चेहरा  शांत लग रहा था...भीमा  लुढ़क कर लेट गया मेरी दीदी के बगल में... उसका काला मोटा हाहाकारी  लोड़ा बिल्कुल गीला था  चमक रहा था.. और धीरे-धीरे मुरझाने भी लगा था... मेरी रूपाली दीदी की हालत तो बहुत ही खराब थी...
मेरी रूपाली दीदी जमीन पर बिखरी पड़ी थी बिल्कुल नग्न ... उनकी दोनों टांगे फैली हुई थी और  गाढ़ा सफेद वीर्य मेरी दीदी की चूत से टपक रहा था... मेरी दीदी को कुछ भी होश नहीं था.. बाल बिखरे हुए, हाथों की चूड़ियां भी टूट गई थी,  सूखे हुए  होठों  एक मुस्कान तैर गई... मेरी दीदी होश में आने लगी थी.. उनको एहसास हुआ था कि अभी अभी उन्होंने क्या किया है, और मेरी दीदी को इस बात के लिए कोई शर्मिंदगी नहीं थी..
  भीमा अभी मेरी बहन को ही देख रहा था...
  भौजी... बड़ा मस्त बाड़ू तू... मजा आ गया  भौजी.. तोहार  बहुत ही ज्यादा टाइट बा छेदा... साला हमार मुसल को  पूरा जकड़  कि हमारा सारा पानी  चूस लिया... इतना टाइट छेद वाली हमको आज तक नहीं मिली थी... बुरचोदी.... बोलते हुए मेरी बहन के होठों पर चुम्मा लिया भीमा ने..
 मेरी दीदी ने भी उसके चुम्मा का जवाब चुम्मा से दिया और उसकी छाती पर प्यार से मुक्का मार कर  बोलने लगी...
 हाय रे भैया जी... कितने जालिम हो आप बिल्कुल भी रहम नहीं किया आपने हम पर... इतने जोर जोर से भी कोई करता है.. देखो तुम मेरा क्या हाल बना दिया है आपने...
 मेरी बहन की बातें सुनकर भीमा मेरी रूपाली दीदी की  गुलाबी चिकनी मुनिया जो पूरी तरह से खुल चुकी थी और उसमें से  भीमा का सफेद वीर्य टपक रहा था, की तरफ देखने लगा और हंसने भी लगा... मेरी दीदी शर्म से लाल हो गई..
 सही बोल रही हो भौजी... आज हमको कुछ ज्यादा ही जोश आ गया था... आप को देख कर तो कोई भी मर्द रुक नहीं सकता है... हम तो पागल हो गया था... और हमारा यह औजार  साला आपको देखने के बाद मान ही नहीं रहा था.. भीमा बोला..
 मेरी बहन उसकी छाती पर सर रखकर सुस्ताने  लगी थी..
 भीमा के देहाती लंड का मोटा हुआ फूला लाल सुपाडा देखकर मेरी दीदी के मुंह में पानी आने लगा था... वह अपने जज्बातों को काबू करने की कोशिश कर रही है लेकिन असफल हो रही थी.. मेरी बहन उसके देहाती मोटे मुसल को अपने हाथों से सहलाने लगी थी... सोनिया तो अभी भी सोई हुई थी... मेरी बहन ने सर उठा कर एक बार सोनिया की तरफ देखा... और निश्चिंत होने के बाद भीमा की चौड़ी छाती पर अपना सर रख के दोबारा से उसके अजगर को जगाने का प्रयास करने  लगी..
 मेरी बहन को अपने ही व्यवहार पर खुद ही आश्चर्य हो रहा था.. एक सती सावित्री औरत होने के नाते उन्होंने अपने आप से कभी भी इस तरह के व्यवहार की उम्मीद नहीं की थी.. लेकिन आज तो मामला उनके हाथ से ज्यादा ही बाहर निकल गया था.. एक बार बुरी तरह चुद  चुकी मेरी बहन एक बार फिर से वही खेल खेलना चाह रही थी देहाती  मर्द भीमा के साथ..
 लेकिन अपने मुंह से बोलना भी नहीं चाहती थी.. एक भारतीय संस्कारी औरत होने के नाते..
 मेरी रूपाली दीदी की चिकनी चूत  का दर्द उन्हें परेशान कर रहा था... लेकिन इस मीठे दर्द के साथ  उनके गुलाबी छेद में  कीड़ा काटने  लगा था... वासना और हवस का कीड़ा...
 मेरी बहन  अपने कोमल हाथों में  औजार पकड़कर हिलाने लगी थी जोर-जोर से... मेरी दीदी की मेहनत रंग लाई और  गवार भीमा का औजार फिर से पूरी तरह तैयार हो गया 2 मिनट के अंदर में...
 पर हाय रे मेरी रूपाली दीदी की किस्मत.... वह तो खर्राटे मार रहा था.. भीमा नींद की आगोश में जा चुका था.. पहली बार के ही  संभोग से वह पूरी तरह संतुष्ट हो गया था और उसे नींद आ गई थी... उसे इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि मेरी बहन दोबारा करना चाहती है...
 मेरी रूपाली दीदी निराश होकर उसके चेहरे की तरफ देखने लगी.. मेरी बहन ने उसको हिलाया  लेकिन भीमा पर तो कुछ भी असर नहीं पड़ रहा था...
 एक बार तो मेरी रुपाली दीदी के मन में ख्याल आया क्यों ना देहाती लंड के ऊपर बैठकर खुद ही इसकी सवारी करती हूं, वैसे भी कौन देखने वाला है यहां पर.. लेकिन फिर मेरी दीदी अपनी सोच पर शर्मआ गई... और भीमा के ऊपर चढ़कर उसकी सवारी करने का इरादा भी मेरी बहन ने अपने दिल से निकाल दिया... अपने दिल में और अपने नीचे वाले छेद में एक मीठी सी कसक लेकर मेरी दीदी मुस्कुराते हुए और लड़खड़ाते हुए उठ कर खड़ी हो गई.. नंगी हालत में मेरी रूपाली दीदी खोली के अंदर इधर-उधर घूम घूम के अपने कपड़े ढूंढ रही थी..
चूत से भीमा का वीर्य टपक रहा था और चूची  से दूध.. जैसे तैसे करके मेरी बहन ने अपने सारे कपड़े  पहन लिय  अपनी पेंटी के अलावा... जो भीमा ने फाड़ दी थी...
 कपड़े पहनने के बाद मेरी रूपाली दीदी ने  झुक कर भीमा के लोड़े को थाम लिया और उसके ऊपर बहुत सारे चुंबन का बौछार कर दिया...
 खुली से बाहर निकल कर मेरी दीदी ने दुकान का शटर बड़ी मुश्किल से उठाया और फिर अपनी बेटी को गोद में लेकर दुकान से बाहर निकल गई...
 मेरी बहन को तकलीफ हो रही थी इस प्रकार से सोनिया को गोद में लिय घर तक पैदल जाना मुश्किल था उनके लिए..
 लेकिन उनकी मुश्किल को आसान बनाने के लिए एक नौजवान मर्द अपना रिक्शा बाहर ही खड़ा किए हुए था..
 यह लड़का और कोई नहीं बल्कि बिल्लू ही था.. बिल्लू की उम्र तकरीबन 22 साल रही होगी... बिल्कुल तंदुरुस्त गबरू जवान मर्द था बिल्लू... उसका रंग काला था पर दिखने में बहुत आकर्षक लगता था... मेरी रूपाली दीदी ने तो उस पर ध्यान ही नहीं दिया था लेकिन उसकी निगाहें मेरी बहन पर ही टिकी हुई थी... भीमा की दुकान पर जाते हुए उसने मेरी बहन को देखा था और अच्छी तरह  पहचान भी लिया था...
 मेम साहब  मैं आपको कहीं पर छोड़ दूं क्या ...बिल्लू ने पूछा..
 हां भैया जी... बोलकर मेरी रूपाली दीदी उसके रिक्शे पर बैठ गई.. सोनिया अभी भी मेरी दीदी की गोद में ही सोई हुई थी..
 हमको ठाकुर रणवीर सिंह के घर पर छोड़ दो... दीदी ने कहा.
 जी मेम साहब.. ठाकुर रणवीर सिंह  बहुत ही भले  इंसान है...  क्या आपके पति हैं ठाकुर साहब.. उसने पूछ लिया मेरी दीदी से....
 मेरी दीदी उसका सवाल सुनकर पहले तो घबरा गई थी.. फिर उन्होंने संयम से काम लिया...
 नहीं वह मेरे पति नहीं है... मैं बस उनके घर में रहती हूं आज कल.. मेरी दीदी ने कहा..
 तो फिर आपके पति कहां रहते हैं... बिल्लू ने अगला सवाल दाग दिया..
 मेरे पति मेरे साथ ही रहते हैं... उनका एक्सीडेंट हो गया था.. इसीलिए ठाकुर साहब के घर में रहकर हम लोग उनका इलाज करवा रहे हैं ...दीदी ने उसको जवाब दिया..
 हमको माफ कीजिए मेम साहब... अब आपके पति की तबीयत कैसी है... बड़ी मासूमियत के साथ बिब्लू ने पूछा.
 मेरे पति अपनी कमर से नीचे अपाहिज हो चुके हैं.. व्हीलचेयर पर पड़े रहते हैं... और कुछ पूछना है तुमको... मेरी रूपाली दीदी बिगड़ कर बोली..
 हमको नहीं पता था मेम साहब.. आप नाराज मत होइए.. भगवान ने चाहा तो सब कुछ ठीक हो जाएगा .. और आपको फिर से अपने पति का सुख मिलना शुरू हो जाएगा...बिब्लू ने बड़ी मासूमियत से डबल मीनिंग में बोला...
 पति का सुख.. किस तरह के सुख की बात कर रहे हो तुम... मेरी रूपाली दीदी का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच चुका था...
 मैडम जी.. वही सुख की बात कर रहा हूं.. जो रात को बिस्तर पर एक मर्द अपनी औरत को देता है... उसके चेहरे पर एक कमीनी मुस्कान  थी बोलते हुए..
 दरअसल बिल्लू मेरी रूपाली दीदी को अच्छी तरह जानता था..  मुझे भी अच्छी तरह जानता था... बिल्लू हमारे परिवार की स्थिति के बारे में पूरी तरह से जानता था... वह तो बस नाटक कर रहा था मेरी दीदी के साथ.. इस छोटे से मोहल्ले में किस घर में क्या चल रहा है यह सब को अच्छी तरह पता था...
बिल्लू  की डबल मीनिंग वाली बात सुनकर और उसकी हिमाकत देखकर रुपाली दीदी दांत  पीसटी रह गई गुस्से के मारे.. मुंह से कुछ बोल नहीं पाई..
 काश मेरे पति अपाहिज नहीं होते... मेरी रूपाली दीदी मन ही मन अपने आप को कोस  रही थी.. और अपनी किस्मत को..  
 क्या हो गया मैडम.. चुप क्यों हो गई.. बुरा तो नहीं मान गई ना... बिल्लू अभी भी मेरी बहन को  परेशान किए हुए जा रहा था.. मेरी दीदी भी परेशान हो रही थी..
 तुम तेज तेज रिक्शा चलाओ ना.. क्यों बेकार की बकवास कर रहे हो... बिल्कुल चुप हो जाओ अब... मेरी रूपाली दीदी ने गुस्से में कहा..
आज मौसम कितना मस्त है ना?
 अरे ऊपर देखो बादल छाये हुए हैं। तुझे भी ऐसा मौसम अच्छा लगता होगा ना?... बिल्लू ने कहा...
 "आप" और मेम साहब से वह मेरी दीदी को तुम कहकर पुकारने लगा था...
 हां मौसम अच्छा है... तुम जल्दी से हमारे घर चलो... मेरी रूपाली दीदी खींज कर  बोली थी... उसके व्यवहार और बातों में परिवर्तन से मेरी दीदी को बिल्कुल भी आश्चर्य नहीं हुआ था.

 घर क्यों जाना है इतनी जल्दी तुमको.. कौन सा तुम्हारा पति वहां पर इंतजार कर रहा होगा.. उसका तो खड़ा भी नहीं होता होगा... हो सकता है ठाकुर साहब तुम्हारा इंतजार कर रहे हो.. है ना... ठाकुर साहब से मिलने के लिए इतनी बेचैन है ना तू...
बिल्लू ने पीछे मुड़ के मेरी रूपाली दीदी की तरफ देखा और अपनी एक आंख मार  मुस्कुराने लगा.. मेरी बहन तो शर्म से लाल हो गई...
 थोड़ी देर तक मेरी रुपाली  दीदी  बिलकुल चुप हो गई थी..
 मुझे जल्दी घर जाना है.. मेरी छोटी बेटी घर पर  भूखी होगी... मेरी रूपाली दीदी ने कहा..
 तुझे घर पर जाकर अपनी बेटी को दूध पिलाना है... अपना दूध पिला आएगी अपनी बेटी को... मुझे भी दूध पीना है तेरा..मेरा तो मन ऐसे मौसम में तेरी जैसी मस्त आईटम की चूत मारने का करता है..... बिल्लू की बातें सुनकर मेरी रुपाली दीदी के नीचे वाले छेद से पसीना टपकने लगा... उसकी गंदी बातें सुनकर लाख जाने के बावजूद भी मेरी दीदी अपने चेहरे पर गुस्सा नहीं ला पाई... बल्कि शर्म से लाल हो कर दूसरी तरफ देखने लगी..
 मन तो कर रहा है  साली.. यहीं पर रिक्शा रोक तुझे झाड़ी में ले जाकर खूब अच्छी तरह से  तेरी ठुकाई   करने का... चलेगी क्या मेरे साथ झाड़ी के अंदर... बोल ना... बिल्लू बेहद कामुक अंदाज में मेरी बहन को बोल रहा था...
 मेरी रूपाली दीदी को काटो तो खून नहीं... उनकी तो सांसे अटक गई थी उसकी बातें सुनकर..
 पहली बार मेरी रूपाली दीदी ने  बिल्लू को गौर से देखा था.. रंग  काला था उसका मगर  गबरु जवान  मर्द था वह..  नई जवानी आई थी उसके ऊपर.. मासूम चेहरा था उसका मगर बातें तो कामदेव की तरह कर रहा था... मेरी दीदी उसको अजीब निगाहों से देखने लगी थी...
 नहीं जाना है मुझे तुम्हारे साथ झाड़ी में... मेरी दीदी ने कहा..
 झाड़ी में नहीं जाओगे तो क्या अपने पति के बिस्तर पर  चलोगी मेरे साथ.... वैसे भी तो तुम्हारा पति बेकार हो चुका है.. लिटा कर तुझे अच्छी तरह से लूंगा तेरे पति के बगल में... बिल्लू की बातें सुनकर मेरी दीदी इस प्रकार के दृश्य की कल्पना भी करने लगी थी...
 नहीं नहीं मुझे यह सब नहीं करना है तुम्हारे साथ... मुझे  बस मेरे घर तक पहुंचा दो... मेरी दीदी बोल पड़ी...
 एक शर्त लगाओगी क्या मेरे साथ..  बिल्लू ने पूछा..
 क्या ... मेरी दीदी बोल पड़ी..
 आज की रात ठाकुर साहब जरूर तुम्हारी  ठुकाई करेंगे..ऐसे मौसम में कौन तेरी चूत नहीं मारेगा..बिल्लू ने बड़ी कामुकता के साथ मेरी दीदी को कहा...
 मेरी दीदी शर्म से पानी पानी हो रही थी.. उनके नीचे वाले  छेद  से पानी टपकने लगा था... मेरी रूपाली दीदी मन ही मन सोच रही थी... इसको और ज्यादा भाव देना ठीक नहीं है वरना यह कुछ भी कर सकता है...ये लड़का कुछ ज्यादा ही बोल रहा है और सारी सीमायें लांघ रहा है...
वो फिर पीछे मुड़ कर बोला... मुझ पर तरस खा, आज मुझे भी दे, दे, देख ना इस मौसम में तेरे कारण मेरा लंड खड़ा हो गया  अरे मेरी रानी... मुझे मत तड़पा....
 मेरी बहन तो उसकी बातें सुनकर लाल से मरी जा रही थी..
 मेरी रुपाली  दीदी शरीर के रोम-रोम में एक अजीब सी हलचल हो रही थी.. उनका  पूरा बदन जलने लगा था..
वो फिर पीछे मुड़ा और बोला, बता चलती है क्या, मेरे साथ? मेरे घर में कोई नहीं है..
 नहीं मुझे नहीं जाना तुम्हारे घर पर... मेरी दीदी की आवाज लड़खड़ा रही थी..
 मेरी रूपाली दीदी किसी भी हालत में अपनी सीमायें नहीं लांघ सकती थी.. हालांकि अभी अभी मेरी बहन अपनी सारी सीमाएं लांघ कर आई थी  भीमा के साथ.. लेकिन बीच सड़क पर यह सब कुछ करना उनको मंजूर नहीं था... मेरी दीदी एक गहरे कसम कस में डूबी हुई थी... अचानक बिल्लू ने अपने रिक्शे को रोक दिया... और नीचे उतर कर बगल में खड़ा हो गया..
 क्या हुआ... मेरी रूपाली दीदी ने पूछा..
वो बोला रिक्शे की चैन उतर गई है.. और वो चैन चढ़ाने के लिये  रिक्शे के पीछे आ गया..चैन चढ़ा कर वो बोला, मैं थोड़ा पेशाब कर लेता हूँ और सामने झाड़ियों में चला गया..
 मेरी बहन चुपचाप बैठी रही रिक्शे के ऊपर.. थोड़ी देर बाद जब मेरी रुपाली दीदी ने झाड़ियों के पीछे बिल्लू को देखा तो उनकी आंखें बड़ी हो गई और धड़कनें तेज चलने  लगी..
 दरअसल बिल्लू अपना लोड़ा मेरी रूपाली दीदी को दिखा रहा था और हिला रहा था.... मेरी रूपाली दीदी को बहुत गुस्सा आया उसकी इस हरकत को देखकर...
 इस जगह पर तो कोई भी उनको देख सकता था... फौरन नजरें फेर ली मेरी सुहागन दीदी ने... उनको फिर से गुस्सा आने  लगा था बुरी तरह से...बिल्लू थोड़ी देर बाद झाड़ियों से बाहर निकल कर आ गया...
कैसा लगा उन झाड़ियों में मेरे लंड का नजारा?.. बिल्लू ने मेरी रूपाली दीदी से पूछा..
 तुम तो बहुत अजीब हो.. बिल्कुल बेशर्म हो...तुम पागल हो गये हो क्या? कोई देख लेता तो? कम से कम, अपनी नहीं नहीं तो मेरी इज्जत की तो परवाह करो.. मेरी बहन ने उस को डांटते हुए कहा...
वो थोड़ा सकपका गया और बोला, ओह!सोरी, मुझे माफ कर दो..मुझे इस बात का बिल्कुल भी ध्या्न नहीं रहा..वो रिक्शे पर चढा और रिक्शा चलाने लगा।
कुछ देर तक वो चुपचाप रिक्शा चलाता रहा..
 सब तेरी गलती है बहन की लोड़ी... तुझे देखकर ही मैं पागल हो गया था... पीछे मुड़कर उसने मेरी दीदी को देखते हुए कहा..
 गाली सुनकर मेरी दीदी को बुरा नहीं लगा...
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Bhai, bahut dino baad update diye ho...jara regular update do pls...sexy story hain...
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[Image: Lage-Raho-Doctor-Season-1-Episode-3-pink-1.gif]
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