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Misc. Erotica मेरी रूपाली दीदी और जालिम ठाकुर...
#1
 मेरी रूपाली दीदी और मेरे जीजू  (विनोद) की शादीशुदा जिंदगी बेहद खुशनुमा थी.. मेरे जीजू विनोद एक छोटी सी आईटी कंपनी में काम करते थे और मेरी दीदी एक हाउसवाइफ... यह उस समय की बात है जब मैं उन दोनों के साथ ही रहता था.. मेरी उम्र उस वक्त करीबन 17 साल की थी.. और  मैं 12वीं कक्षा का छात्र था... अपनी बहन के घर पर रहते हुए ही मैं अपनी पढ़ाई पूरी कर रहा था... उस वक्त  रुपाली दीदी की उम्र तकरीबन 28 साल थी और मेरे  जीजा जी की उम्र तकरीबन 32 साल के आसपास रही होगी... हमारी बेहद साधारण मध्यवर्गीय जिंदगी चल रही थी.. उन दोनों की अरेंज मैरिज हुई थी.. उनके दो बच्चे थे.. दोनों बेटी..
 मेरी बड़ी  भांजी 4 साल की हो चुकी थी.. जबकि दूसरी छोटी अभी सिर्फ 2 महीने की हुई थी.. दोस्तों अब यहां से हमारी कहानी शुरू होती है...
 मेरे जीजू 1 दिन ऑफिस से अपनी बाइक पर घर आ रहे थे तभी उनका एक बहुत  बड़ा एक्सीडेंट हो गया... कुछ लोगों ने उन्हें हॉस्पिटल पहुंचाया.. मैं और मेरी रुपाली दीदी इस दुनिया में अकेले थे क्योंकि हमारे माता-पिता का देहांत हो चुका था.. इसीलिए मेरी बहन मेरी देखभाल के लिए मुझे अपने साथ रख  रही थी और मेरा खर्चा उठा रही थी हर प्रकार से.. जब मैं अपनी रुपाली दीदी के साथ हॉस्पिटल पहुंचा  मैंने देखा मेरे जीजाजी की हालत बेहद  नाजुक थी. उनकी हालत देखकर मेरी बहन तो बेहोश हो गई, मैंने उनको सहारा दिया... मेरे चीजों की हालत देखकर मेरी रूपाली दीदी के अच्छे भविष्य की पूरी संभावना  उनकी आंखों के सामने ही खत्म हुई जा रही थी, खासकर जब उनके दोनों बच्चे अभी बेहद छोटे थे... हमारे लिए यह बहुत ही बुरा वक्त चल रहा था.. तकरीबन 10 दिनों के बाद मेरे जीजू को होश आया...

  मेरे जीजाजी की जान तो बच गई थी पर वह अपनी कमर के नीचे पूरी तरह  अपंग हो चुके थे.. वह पैरालिसिस के शिकार हो चुके थे... अपनी कमर के नीचे का हिस्सा हिला पाना मेरे जीजू के लिए असंभव था.. मेरी रूपाली दीदी ने बेहद  कड़ी मेहनत की.. उनको बड़े-बड़े हॉस्पिटल बड़े-बड़े डॉक्टरों से दिखाया... पर सभी ने मेरी दीदी को बस यही सलाह दी कि अब और ज्यादा पैसा खर्च करने से कोई फायदा नहीं है.. यह इंसान शायद अपनी जिंदगी में अब फिर से कभी उठकर खड़ा नहीं हो पाएगा चाहे जितना भी इलाज कर लो इसका... मेरी बहन निराश हो चुकी थी... डॉक्टरों ने घोषित कर दिया था कि  मेरे जीजू पूरी तरह से अपंग हो चुके हैं कमर के हिस्से के नीचे..कुछ चमत्कारी शायद कुछ मदद कर सकता है.. पर दवाई और इलाज से तो यह बिल्कुल संभव नहीं रह  गया है..

 एक पतिव्रता और आदर्श नारी होने के नाते  मेरी रूपाली दीदी ने मेरे  जीजू की हालत के साथ समझौता कर लिया और उन्होंने  मेरे साथ मिलकर फैसला किया कि अब हम लोग  जीजा जी की देखभाल हमारे घर में करेंगे.... हम जिस घर में रह रहे थे वह ... एक बेडरूम और एक हॉल था.. मैं हॉल में सोता था.. मेरी दीदी और मेरे जीजू अपने दोनों बच्चों के साथ एक छोटे से कमरे में.. एक किचन था और एक बाथरूम... कुल मिलाकर जगह बहुत कम थी हमारे घर के अंदर.. मेरे जीजाजी कि जो भी सेविंग थी उसके बारे में मेरी बहन को पूरा अंदाजा था... उनको अच्छी तरह पता था कि जो भी सेविंग है उसके साथ बहुत दिनों तक गुजारा नहीं किया जा सकता है.. मेरी बहन को अपने दोनों बच्चों के भविष्य की ...और अपने निकम्मे भाई की भी... मुझे मेरी दीदी की हालत देखकर बुरा लगता था पर मेरे पास और कोई रास्ता भी नहीं था... जहां तक हो सके मैं अपनी बहन की मदद करने की कोशिश करता था...
 मेरी रुपाली दीदी भी सिर्फ 12वीं पास थी.. 1 साल तक उन्होंने ग्रेजुएशन की पढ़ाई तो की थी परंतु फिर घर के जंजाल होने के कारण पढ़ाई छोड़ दी... फिर शादी हो गई और बच्चे.. उनके पास ऐसी कोई भी क्वालीफिकेशंस नहीं थी कि उन्हें कोई अच्छी नौकरी मिल सके... किसी तरह तकरीबन 1 महीने गुजर चुके थे उस दुर्घटना के हुए .. मेरी रूपाली दीदी  बेहद परेशान रहती थी, पर अपनी  परेशानी को कभी भी मेरे अपंग  जीजाजी पर जाहिर नहीं होने देती थी.. मेरी भांजी सोनिया जिसकी उम्र 4 साल थी उसका दाखिला एक बगल वाले स्कूल में ही हो गया था.. मेरी दीदी को उनके ससुराल वालों  की तरफ से भी कोई मदद नहीं मिल रही थी... जीजा जी के भी माता-पिता का देहांत बहुत पहले हो चुका था... मेरी दीदी के ससुराल में कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं था जो उनकी मदद करना चाहे.. उन्हें कोई परवाह नहीं  थी...
  मेरी रूपाली दीदी एक बेहद कसे हुए बदन की महिला है.. उनका रंग गोरा है... उनकी लंबाई तकरीबन 5 फुट 1 इंच है.. मेरी दीदी दिखने में बेहद आकर्षक है... उनके बदन पर उस समय थोड़ी बहुत चर्बी चढ़ी हुई थी जो प्रत्येक भारतीय नारी के साथ आप लोग देख सकते हैं.. मेरी बहन साधारण सूती की साड़ियां पहनती है जो दिन भर की  कड़ी मेहनत के कारण अस्त व्यस्त हो जाती है... मेरी रूपाली दीदी कभी भी अपनी साड़ी को अपनी नाभि के नीचे नहीं पहनती थी... प्रत्येक भारतीय महिला की तरह मेरी दीदी अपने अंगों को छुपाने का प्रयास करती थी..
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#2
[Image: 8317baa850debf81914e9bd8e9252351.jpg]
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#3
 मेरी रूपाली दीदी कभी भी खुद को प्रदर्शित करने का प्रयास नहीं करती थी.. मेरी बहन बेहद खूबसूरत है.. उनकी खूबसूरत आंखें, उनके तीखे नैन नक्श, लाल लाल होंठ,  और  काले रेशमी लंबे बाल जो उनके नितंबों से भी नीचे तक आते  है, उनकी खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं.. घर की माली हालत ठीक नहीं होने के कारण मेरी रूपाली दीदी खुद पर कभी भी इतना ध्यान नहीं दे पाती थी..
 वह सोमवार का दिन  था... मेरी रूपाली दीदी सोनिया को स्कूल ले जाने के लिए रेडी कर रही थी.. प्रत्येक दिन मेरी बहन ही सोनिया को स्कूल ले जाती थी क्योंकि मैं उससे पहले ही अपने स्कूल चला जाता था.. तो यह जिम्मेदारी भी मेरी बहन की ही थी... उस दिन मैं  अपने स्कूल नहीं गया और अपने कुछ दोस्तों के साथ बाहर मस्ती कर रहा था.. मैंने देखा कि मेरी रूपाली दीदी सोनिया के साथ है..
 उनको देखते ही मैं छुप गया और अपने दोस्तों की आड़ में से देखने लगा..
 सोनिया मेरी रुपाली दीदी को परेशान कर रही थी..  वह उछल कूद मचा रही थी.. तभी अचानक उसका पानी का बोतल गिर गया.. मेरी बहन  पानी का बोतल उठाने के लिए नीचे  झुकी तो उनकी साड़ी का पल्लू उनके सीने से सरक गया... मेरे सभी दोस्तों के मुंह से एक सिसकारी निकली... मैं शर्मिंदा हो गया क्योंकि सभी मेरी बहन के सीने को  लार टपकाते हुए घूर घूर के देख रहे थे...

 खुली सड़क पर मेरी रुपाली दीदी की  टाइट चोली के अंदर का सामान सबके सामने प्रदर्शित हो चुका था.. दुर्भाग्यवश वहां से थोड़ी दूर पर अपनी बाइक पर एक व्यक्ति बैठा हुआ था जो हमारे मोहल्ले का मशहूर गुंडा है और आने वाले विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी ... ठाकुर रणवीर सिंह.. वह अपनी बाइक पर बैठे हुए सिगरेट  पी रहे थे...
 जब उन्होंने मेरी रूपाली दीदी को देखा उनको बिजली का झटका लगा..  ठाकुर साहब को अच्छी तरह पता था कि हमारा परिवार इसी मोहल्ले में रहता है, परंतु आज से पहले उन्होंने कभी भी हमारी परवाह नहीं की थी.  सुबह-सुबह ही उनको जिस चीज का दर्शन हुआ था वह शायद  उनके जीवन का सबसे खूबसूरत पल था.. एक जवान  शादीशुदा दो बच्चों की मां खूबसूरत के पहाड़ों  के दुर्लभ दर्शन शायद उन्हें अपनी जिंदगी में पहली बार ही हुए थे... उन्होंने मन ही मन मेरी बहन के  पहाड़ों को देखते हुए चोली के अंदर छुपे हुए उनके दोनों बड़े बड़े सफेद पके हुए आम के बारे में कल्पना की... ठाकुर साहब  अपनी जुबान अपने होठों फिरआते हुए मेरी बहन को  देखने लगे .. मेरी रूपाली दीदी ने जब ठाकुर साहब की तरफ देखा तो उन्होंने पाया कि ठाकुर साहब उनकी तरफ  कामुक निगाहों से देख रहे हैं..

 पलक झपकते ही  मेरी रूपाली दीदी ने अपनी साड़ी का पल्लू संभाल  लिया और अपने सीने पर चिपके हुए दोनों  फुटबॉल को अपने आंचल में समेट लिया.. और बड़ी तेजी से स्कूल की तरफ जाने लगी.. जब मेरी दीदी स्कूल की तरफ  तेज  कदमों के साथ भाग रही थी तो उनकी गांड दाएं बाएं दाएं बाएं करके हिल रही थी.. ठाकुर साहब देखते हुए सोच रहे थे.. कितनी खूबसूरत औरत है... क्या मस्त माल है ... उनकी नियत खराब हो चुकी थी.. स्कूल की तरफ बढ़ चले ठरकी ठाकुर साहब और मेरी रूपाली दीदी के लौटने का इंतजार करने लगे..

 
 उस वक्त ठाकुर रणवीर सिंह की उम्र तकरीबन 45 साल थी... बेहद  लंबे कद के... तकरीबन 6 फुट 2 इंच के... साधारण लोगों से उनकी लंबाई कुछ ज्यादा ही थी... चौड़ी छाती और मजबूत  भुजाएं... अपनी शर्ट के आगे के दो बटन वह हमेशा खुले रखते थे... उनकी छाती पर काले बाल थे.. उनका रंग भी काला था.. पर दिखने में ठाकुर साहब बेहद आकर्षक लगते थे.. सोने का ब्रेसलेट पहनते थे.. और बेहद भारी भरकम गोल्ड चेन भी... ठाकुर साहब  की घनी और काली कड़क दार मूछें बेहद  रुबाबदार लगती थी... ठाकुर साहब का तलाक हो चुका था.. कुछ लोग बताते हैं कि उनकी पत्नी बच्चे पैदा करने में असमर्थ थी.. इसीलिए उनका तलाक हुआ था.. पर कई लोगों के मुंह से मैंने यह भी सुना था कि ठाकुर साहब जब बिस्तर पर अपनी पत्नी के साथ प्यार करते थे उनकी पत्नी झेल नहीं पाती थी.. और इसीलिए उनका तलाक हो गया था... जितने मुंह उतनी बातें.. खैर उन्होंने दोबारा फिर से शादी करने की कभी कोशिश नहीं की...
 ठाकुर साहब ने देखा मेरी रूपाली दीदी सोनिया को स्कूल छोड़ने के बाद वापस आ रही है.. मेरी दीदी ने खुद को अच्छी तरह से ढक लिया था अपने पल्लू से अपने सीने को भी.. मेरी दीदी ने ठाकुर साहब को देख कर भी अनदेखा करने की कोशिश की... और अपने फ्लैट की तरफ आने लगी.. ठाकुर साहब का दिल मेरी रुपाली दीदी पर आ चुका था.. उन्होंने मेरी बहन का रास्ता रोका ठीक हमारे घर में घुसने से पहले..
 ठाकुर साहब:  नमस्ते रुपाली जी..
 मेरी रूपाली दीदी:  (घबराते हुए)  जी नमस्ते..
 ठाकुर साहब:  विनोद जी कैसे हैं..
 मेरी दीदी:  जी ठीक है..
 ठाकुर साहब:  कुछ तकलीफ हो तो बताइएगा.

 मेरे रूपाली दीदी:  जी धन्यवाद..

 मेरी रूपाली दीदी घबराते हुए अपने अपार्टमेंट की तरफ भागने लगी.. भागते हुए उन्हें बिल्कुल इस बात का अंदाजा नहीं था कि उनकी गांड बेहद मादक तरीके से  दाएं बाएं  गोते खा रही है.. ठाकुर साहब सब कुछ देख रहे थे.. उन्होंने मन ही मन ठान लिया था मेरी बहन का सत्यानाश करेंगे.. उनके दूध की टंकियों पर अपनी जुबान रखेंगे..
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#4
[Image: images-68.jpg]
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#5
Question 
अगले दिन भी ठीक उसी प्रकार से हुआ.. ठाकुर साहब मेरी रुपाली दीदी का इंतजार करते रहे.. मेरी रूपाली दीदी ने  उनको अनदेखा कर दिया.. ठाकुर रणवीर सिंह  ने बातचीत करने की कोशिश की मेरी बहन से... मेरी दीदी ने बड़ी शालीनता के साथ में जवाब दिया और वहां से निकल गई... ठाकुर साहब मेरी बहन को पाने के लिए बेचैन हुए जा रहे थे.. अगले दिन उन्होंने मेरी दीदी की चूड़ी और कंगन से भरे हुए हाथ को छूने का भी प्रयास किया... दीदी ने किसी तरह खुद को बचाया.. मेरी रूपाली दीदी अच्छी तरह समझ रही थी कि ठाकुर साहब के अंदर वासना की आग जल रही है उनके लिए .. ठाकुर रणवीर सिंह मेरी बहन की लेने के लिए बेचैन  हुए जा रहे थे.. अगले 2 दिन तक ऐसा ही होता रहा... मेरी दीदी बेहद घबराई हुई थी उन दिनों.. उन्होंने मुझसे इस बात का जिक्र तो नहीं किया पर मुझे ठीक-ठाक अंदाजा था इस बात का कि ठाकुर साहब की नियत खराब हो चुकी है मेरी बहन के लिए..

 एक दिन जब मेरी रूपाली दीदी ने ठाकुर साहब को अनदेखा करने की कोशिश की तो उन्होंने मेरी बहन का हाथ पकड़ लिया अपनी मर्दाना ताकत दिखाने के लिए.. दीदी ने जब अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश की तो सफल नहीं हो पाई.. ठाकुर रणवीर सिंह ठहाका लगाकर हंसने लगे फिर  मेरी दीदी को जाने दिया..
 इतना सब कुछ होने के बावजूद भी मेरी रूपाली दीदी  जीजू को कुछ भी नहीं बताती थी.. मुझे भी नहीं.. जीजू तो हमेशा बिस्तर पर ही पड़े हो गए रहते थे.. वह खुद से कोई भी काम नहीं कर पाते थे.. मैं अपनी 12वीं की परीक्षा की तैयारी में लगा हुआ था.. मेरी रूपाली दीदी की आर्थिक स्थिति बेहद नाजुक होती जा रही थी... उन्होंने नौकरी ढूंढने की भी कोशिश की पर कहीं सफलता नहीं मिली... थक हार कर मेरी रुपाली दीदी निराश होने लगी.. कुछ भी अच्छा नहीं हो रहा था उनकी जिंदगी में..

 अब मेरी रूपाली दीदी बेहद मजबूर और कमजोर महसूस कर रही थी..  मेरे और सोनिया की स्कूल के अगले महीने की फीस देने के लिए भी उनके पास पैसे नहीं थे.. मेरी रूपाली दीदी इन्हीं सोचो में डूबी हुई परेशान हो रही थी तभी अचानक हमारे घर की बेल बजी...
 जब मेरी रूपाली दीदी ने दरवाजा खोला दोसा में ठाकुर  रणवीर सिंह खड़े थे.. लंबे चौड़े ..हमारे घर का पूरा दरवाजा ही उनके शरीर से ढक गया था...
 ठाकुर साहब:  रुपाली जी.. अंदर आ सकता हूं क्या.. आपके पति विनोद से मिलना था..
 मेरे रूपाली दीदी:  जी ठाकुर साहब.. अंदर आइए.. मेरे पति अभी सो रहे हैं..
 ठाकुर साहब:  कोई बात नहीं रुपाली जी , मैं इंतजार कर लूंगा..
 मेरी दीदी  ठाकुर साहब का इरादा पूरी तरह से समझ रही थी .. कुछ ही देर में उन्होंने इंतजाम कर दीया मेरे  जीजा जी को ठाकुर साहब से मिलवाने  का.. जीजू के कमरे में घुसने के बाद ठाकुर साहब थोड़े हैरान हुए.. हमारे घर की गरीबी देख..
 ठाकुर साहब:  नमस्ते विनोद जी.. कैसे हैं आप.. मेरा नाम ठाकुर रणवीर सिंह.. मैं इसी मोहल्ले में रहता हूं.. आप का हाल-चाल जानने के लिए आया हूं..
 मेरे जीजू:  (घबराते हुए मुस्कुराते हुए)  नमस्ते ठाकुर साहब...
 ठाकुर साहब:  आपकी पत्नी रुपाली जी बहुत अच्छी हैं.. आपकी बड़ी  सेवा करती हैं.. मुझे देख कर बड़ा अच्छा लगा..
 जीजू:  जी धन्यवाद.
 ठाकुर साहब:  अच्छा विनोद जी.. मैं अब आपसे विदा लेता हूं.. कभी भी किसी भी चीज की जरूरत हो तो बेझिझक मुझसे कह सकते है आप..
 ठाकुर रणवीर सिंह खड़े हो गए और बाहर की ओर जाने लगे.. मेरी दीदी भी उनके पीछे-पीछे दरवाजे तक आई.. दरवाजा बंद करने के लिए.. उसके पहले ही ठाकुर साहब ने मेरी रूपाली दीदी से पूछ लिया..
 ठाकुर साहब:  आपकी छोटी बेटी कहां है?
 मेरी रुपाली  दीदी:  अभी वह सो  रही है..
 ठाकुर साहब:  2 महीने की है ना..
 मेरे रूपाली दीदी:  हां ठाकुर साहब.. 
 ठाकुर साहब:  रुपाली जी बुरा ना मानो तो आपसे एक बात पूछूं?   आपके घर का खर्चा कैसे चलता है..
 मेरी रूपाली दीदी:  जी वह कुछ सेविंग  है.. कोई तकलीफ नहीं है..
 ठाकुर साहब:  अच्छा रुपाली जी.. किसी भी चीज की जरूरत हो तो बताइएगा..
  मेरी दीदी:  जी ठाकुर साहब धन्यवाद..
 जाने से पहले ठाकुर ने मेरी रूपाली दीदी के भरपूर जोबन को अपनी निगाहों से  घूर घूर के देख अपनी  लार टपका दी.. मेरी दीदी ने अपने बदन को अच्छी तरह से  ढक के रखा हुआ था.. उन्होंने कोई मौका नहीं दिया ठाकुर साहब को... यहां तक कि मेरी बहन ने अपने पेट के हिस्से को  भी ढक के रखा था... मेरी बहन को देखकर ठाकुर साहब मुस्कुराए.. मेरी दीदी ने दरवाजा बंद कर लिया... ठाकुर साहब चले गय..
 
अगले दिन फिर से ठाकुर साहब हमारे घर पर उपस्थित थे... मेरे जीजू से मिलने के बहाने.. उनका ज्यादातर समय मेरे रूपाली दीदी से ही बातचीत करने में गुजरा.. ठाकुर साहब तो चले गए थे... पर पिछले कुछ दिनों में हमारे घर की आर्थिक स्थिति बेहद खराब होने लगी थी...
 मेरी रूपाली दीदी खुद को बेहद असहाय महसूस करने लगी थी.. उन्होंने जिस से भी मदद मांगी सब  इंकार कर देते थे.. ठाकुर साहब प्रतिदिन मेरी बहन से बातचीत करते थे... मेरी रूपाली दीदी के मन में ठाकुर साहब के प्रति जो डर था वह कम होने लगा था.. इसके बावजूद भी मेरी दीदी हमेशा उनसे  बच के रहना  चाहती थी...
 कुछ दिनों के बाद ठाकुर साहब हमारे घर पर आए... और मेरे जीजू से मुलाकात की.. जब वह जाने के लिए दरवाजे पर खड़े थे.. तब मेरी रूपाली दीदी ने उनको रोक लिया..
 मेरी रूपाली दीदी:  ठाकुर साहब मुझे आपसे कुछ बात करनी है.. अगर आप बुरा ना मानो तो..
 ठाकुर तो बहुत खुश ..... हां बोलो रुपाली जी..
 मेरी रूपाली दीदी:  मुझे कुछ पैसों की जरूरत है.. प्लीज मेरी मदद कीजिए..
 ठाकुर साहब:  पैसे?  देखिए रुपाली जी.. बुरा मत मानिए मगर यहां कोई किसी  की मदद पैसों से बेवजह नहीं करता...
 मेरी  दीदी:  प्लीज ठाकुर साहब मैं बहुत मजबूर हूं..
 ठाकुर साहब: क्या जरूरत आ गई है आपको..
 मेरी रूपाली दीदी:  मेरा छोटा भाई और मेरी बड़ी बेटी के स्कूल की फीस देनी है...
 ठाकुर साहब:  कितने पैसों की जरूरत है आपको रुपाली जी.
 मेरी रूपाली दीदी:  2000 ... प्लीज ठाकुर साहब..
 ठाकुर साहब:  2,000 तो कुछ ज्यादा है रुपाली जी.. मैं आपको पैसे तो दे दूंगा पर मेरी एक शर्त है..
 मेरी रूपाली दीदी:  क्या ठाकुर साहब?
 ठाकुर साहब:  क्या हम छत के ऊपर चल सकते हैं.. वहां पर कोई भी नहीं होगा.. मैं वही बताऊंगा..
 मेरी रूपाली  दीदी:  प्लीज ठाकुर साहब यहीं पर बता  दीजिए ना..
 ठाकुर साहब:  ठीक है रुपाली जी जैसी आपकी मर्जी... मुझे आपकी चोली खोल के 30 मिनट तक आपका दूध पीना है.. बदले में मैं आपको ₹2000 दे दूंगा...
 मेरी रूपाली दीदी:  क्या?
 मेरी रूपाली दीदी ने बड़ी शालीनता के साथ ठाकुर साहब को दरवाजे से बाहर जाने का रास्ता दिखा दिया... मेरी दीदी ने बड़े संयम के साथ काम लिया था उस वक्त... ठाकुर साहब नाराज तो हुए थे उस वक्त पर वह चले गए... मेरी दीदी दरवाजा बंद करने के बाद रोने लगी..
 ठाकुर साहब की बातें सुनकर मेरी रूपाली दीदी  शर्मिंदा हो गई थी.. उनका चेहरा लाल हो गया था... आज तक किसी मर्द ने मेरी बहन के साथ इतनी गंदी बात नहीं की थी..
 जाते जाते ठाकुर साहब ने कहा था:  एक बार फिर से सोच लो रुपाली जी.. दोबारा क्या पता मैं आऊं ही नहीं.. मेरी दीदी ने ठाकुर के मुंह पर ही दरवाजा बंद कर दिया था... ठाकुर साहब समझ चुके थे की  घरेलू पतिव्रता नारी को अपने जाल में फंसा ना इतना आसान नहीं है.. वह आगे कुछ बोले बिना वहां से निकल गय... उनके जाने के बाद मेरी रूपाली दीदी अपने ख्यालों में खोई  सोच रही थी... कितना घटिया आदमी है .. एक औरत की मजबूरी का फायदा उठाना चाहता है.. कुछ देर में ही मेरी दीदी अपने घर के कामों में ही व्यस्त हो गई...

 अगले दिन भी जब मेरी रूपाली दीदी अपनी बेटी को स्कूल छोड़ने के लिए जा रही थी उस वक्त भी ठाकुर साहब रास्ते में खड़े थे.. मुस्कुराते हुए सिगरेट पीते हुए मेरी बहन  को घूर रहे थे... मेरी दीदी ने उनको अनदेखा करने की कोशिश की... अब तो दिनचर्या बन चुकी थी ठाकुर साहब की.. मेरी बहन को दूर से देख कर ही परेशान करना.. वह कभी भी मेरी बहन के पास नहीं आते थे... दूर से ही देखते थे... मेरी रूपाली दीदी के लिए यह सब कुछ बेहद अजीब था... मेरी रूपाली दीदी ठाकुर साहब  से नफरत करने लगी थी.. और ठाकुर रणवीर सिंह उनकी वासना तो और भी ज्यादा बढ़ती जा रही थी मेरी बहन के लिए... किसी भी कीमत पर वह मेरी दीदी को अपने बिस्तर पर ले जाना चाहते थे... मेरी बहन की अनदेखी की वजह से उनके अंदर का जानवर जाग जाता था.... वह और भी ज्यादा उत्तेजित हो जाते थे मेरी दीदी को पटक के उनकी लेने के लिए..

 दूसरी तरफ मेरी रूपाली दीदी भी हमेशा डरी हुई रहती थी कि ठाकुर साहब ने अगर उनके साथ कोई जोर जबरदस्ती करने की कोशिश की  तो वह क्या कर पाएगी... अपनी जान देने के अलावा मेरी रूपाली दीदी के पास और कोई चारा नहीं था.. मेरी दीदी आत्महत्या करने के बारे में सोच रही थी अगर ठाकुर साहब ने उनको जबरदस्ती कुछ किया तो..
 

किसी तरह दिन गुजरते रहे.. 2 महीने हो चुके थे मेरे जीजा जी के एक्सीडेंट के.. हमारे घर की माली हालत बिल्कुल खत्म हो चुकी थी.. घर में एक पैसा नहीं  बचा हुआ था... मेरी बहन परेशान थी... मेरे जीजू बोल तो पाते थे पर कुछ कर नहीं पाते थे.. घर में राशन की भी तकलीफ होने लगी थी.. बनिया उधार देने से मना करने लगा था... मेरी रूपाली दीदी मुस्कुराते हुए सारा दर्द  झेल रही थी... सारा का सारा पैसा तो मेरे जीजू की दवा दारू में ही खर्च हो रहा था.. और उनकी स्थिति भी संभल नहीं रही थी ..
 एक दिन मेरे रुपाली दीदी बनिया की दुकान से राशन लेकर लौट रही थी तो रास्ते में एक बाइक आके रुक उनके सामने खड़ी हो गई... ठाकुर साहब ने मेरी बहन को रोक लिया था... पहले तो मेरी दीदी ठाकुर साहब को देखकर घबरा  गई फिर उन्होंने खुद को संभाला...
 ठाकुर साहब:  रुपाली जी. आओ बैठ जाओ.. मेरी बाइक पर.. मैं आपको घर तक पहुंचा देता हूं..
 मेरी रूपाली दीदी उनको अनदेखा करते हुए आगे की तरफ बढ़ने लगी.
 ठाकुर साहब मेरी दीदी का पीछा करने लगे.. साड़ी के अंदर छुपी हुई मेरी बहन की गांड बुरी तरह हिल रही थी... ठाकुर साहब का  लोड़ा खड़ा हो गया था मेरी बहन की हिलती गांड देखकर...
 ठाकुर साहब ने आगे बढ़ते हुए मेरे रूपाली दीदी का हाथ पकड़ लिया.. उन्होंने इतनी जोर से मेरी दीदी  का हाथ थामा कि मेरी बहन के हाथ की एक चूड़ी टूट गई.. मेरी दीदी कसमसआने लगी.. ठाकुर साहब को छोड़ने की गुहार करने लगी... बीच सड़क पर..
 ठाकुर रणवीर सिंह:  मेरे साथ बैठ जा मेरी बाइक पर.. क्यों इतना तमाशा कर रही हो.. ज्यादा तो नहीं कह रहा तुमसे.. आओ बैठो ना रूपाली..
 मेरी रूपाली दीदी:  क्यों आप मुझे परेशान कर रहे हैं?  मुझे जाने दीजिए ठाकुर साहब.. मेरे बच्चे मेरे घर पर इंतजार कर रहे होंगे..
 ठाकुर साहब:  क्यों?  क्या करोगी घर पर जाकर... अपने बच्चों को  अपना दूध पिलाओगी...
 मेरी रूपाली दीदी :   आप जाइए यहां से वरना   वरना मैं शोर मचा के लोगों को बुला लूंगी..
 ठाकुर साहब:  शोर मचाने से क्या होगा रूपाली..तुमको क्या लगता है कोई तुमको बचाने आएगा.. मैं चाहूं तो अभी तुम्हें यही सड़क पर ही पटक तुम्हारी... खैर छोड़ो जाने दो..
 ठाकुर साहब वहां से बिना देरी किए हुए चले गए.. मेरी दीदी ने देखते हुए राहत की सांस ली.. और  तेज कदमों से अपने अपार्टमेंट में घुस गई..
 मेरी रूपाली दीदी बेहद अपमानित महसूस कर रही थी.. वह सोच रही थी अगर उनका पति अपाहिज नहीं होता तो ठाकुर साहब की हिम्मत नहीं होती उनसे इतनी गंदी भाषा में बात करने के लिए...
 मेरी रूपाली दीदी जीजाजी के बेडरूम में गई ... उन्होंने मेरे जीजू का हाथ पकड़ा...  मेरे जीजू सोए हुए नहीं थे... वह मेरी बहन की तरफ ही देख रहे  थे..
 मेरी रूपाली दीदी:  विनोद मुझे  चुम्म लो ना.. मुझे प्यार करो ना...
 जीजू ने मेरी बहन को अपनी बाहों में भर लिया उनके होठों को अपने होठों में दबोच को चूसने लगे... मेरी दीदी उनको चूसने लगी... पर मेरे जीजू निढाल हो कर लेट गय.. उनके अंदर शक्ति नहीं बची थी...
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#6
Bohot hi badhiya story he bhai.....great work...waiting next update
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#7
[Image: images-67.jpg]
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#8
Mast story h
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#9
Mast...super... please update more
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#10
[Image: aslimonalisa-post-2020-10-25-18-07-2.jpg]
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#11
Waiting next update
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#12
Both characters have very potential scope.
Hope update it regularly. Thakur may do it in cront of Rupali's hudband.
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#13
Waiting
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#14
(15-06-2021, 12:37 PM)babasandy Wrote: [Image: aslimonalisa-post-2020-10-25-18-07-2.jpg]

nice story
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#15
Waiting
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#16
Music 
मेरी दीदी ने जीजू की पेंट के ऊपर हाथ रखकर उनका उभार टटोलने की कोशिश की.. पर मेरे जीजाजी का मुरझाया हुआ चूहा खड़ा होने का नाम नहीं ले रहा था.. खड़ा होना तो दूर की बात है ,हल्का कड़ापन भी नहीं आया  उनके मरे हुए चूहे में.. दुर्घटना के बाद यह पहला अवसर था जब मेरी दीदी  जीजा जी के साथ शारीरिक संबंध बनाने का प्रयास कर रही थी..
 मेरी रूपाली दीदी:  क्या हुआ विनोद? कुछ प्रॉब्लम है क्या.. तुम मुझे ठीक से प्यार क्यों नहीं कर रहे हो.
  जीजू:  नहीं रूपाली.. मेरी जान.. ऐसी कोई बात नहीं है.. कर तो रहा हूं..
 मेरी रूपाली दीदी ने कुछ देर और उन को चूमने का प्रयास किया.. परंतु हालात में कोई भी परिवर्तन नहीं हुए.. थक हार कर मेरी दीदी उठ कर खड़ी हो गई  और जीजू की तरफ देख कर मुस्कुराने लगी..
 मेरी रूपाली दीदी:  मैं खाना लगा  देती हूं.
   मेरे जीजू:  ठीक है..
 कमरे से बाहर निकलते ही मेरी दीदी की आंखों से अश्रु धारा  फूट पड़ी अपनी और जीजा जी की हालत पर. उन्हें अच्छी तरह पता था कि ऐसी हालत में मेरे जीजू के लिए संभोग करना एक कठिन काम है परंतु फिर भी इस प्रकार जीवन  बिताना मेरी दीदी को बेहद कठिन लग रहा था.. मेरी दीदी भगवान को दोष देना चाहती थी परंतु उन्होंने नहीं दिया.. उन्हें पता था कि सिर्फ भगवान ही उनकी मदद कर सकता है इस हालत में.. ठाकुर साहब मेरी दीदी के पीछे पड़े  हुए थे... पर दीदी  अच्छी तरह जानती थी कि ठाकुर साहब एक गुंडे है.. और वह उनको पसंद भी नहीं  करती थी..

 मेरी रूपाली दीदी घर के खर्चों के बारे में सोच रही थी.. कैसे  वह अगले महीने के घर के खर्चों का  इंतजाम कर  पाएगी.. मेरे और सोनिया के स्कूल की फीस, दवा दारू का खर्च जीजा जी का, घर का किराया, घर का राशन.. एक फूटी कौड़ी नहीं थी अभी उनके पास.. मैं भी भली-भांति इस  इस बात से अनभिज्ञ था, पर दीदी से बात करने कि मुझ में कभी हिम्मत नहीं हुई, और भला मैं कर भी क्या सकता था..
 मेरी रूपाली दीदी ने नौकरी ढूंढने का भी  खूब प्रयास किया परंतु  कहीं भी नौकरी नहीं मिली उनको.. मेरी दीदी को भगवान पर पूरा भरोसा था.. वह ऐसा मानती थी कि भगवान उनको और उनके परिवार को कभी भी भूखा नहीं सोने देगा.. एक बात तो तय है दोस्तों कि मेरी बहन मेरे जीजाजी से बेहद प्यार करती थी.. सारी मुसीबत वह मुस्कुराते हुए झेल रही थी.. इस बात की भनक भी नहीं होने देती थी वह  जीजा जी को..
 इसी प्रकार 2 दिन और गुजर गया. अब मेरी दीदी के बैंक अकाउंट में भी एक पैसा नहीं बचा हुआ था.. वाह बेहद परेशान थे.. दूसरी तरफ फीस नहीं जमा करने के कारण सोनिया के स्कूल से भी नोटिस आया था की अगर फीस जमा नहीं किए तो आपके बच्चे को स्कूल से निकाल दिया जाएगा.. नोटिस मेरे स्कूल से भी मैं आया था.. पर मैंने उस नोटिस को मेरी दीदी से छुपा लिया था..
 सोनिया:  मम्मी मेरी फीस भर दो ना..
 मेरी रूपाली दीदी:  हां बेटा आपकी फीस पर दी जाएगी.
 सोनिया:   राखी मैडम बोल रही थी कि तुम्हारे मम्मी पापा के पास तो पैसा ही नहीं है कल से स्कूल मत आना.
 मेरी रूपाली दीदी:  नहीं ऐसी कोई बात नहीं.. कल आपकी फीस भर दी जाएगी...
 सोनिया:  ठीक है मम्मी मैं बाहर खेलने जा रही हूं.
 दीदी... मेरे स्कूल की फीस भी जमा नहीं हुई है.. मैंने घबराते हुए  दीदी को बताया..
 मेरी दीदी:  हां सैंडी.. भाई मैं अच्छी तरह जानती हूं.. तुम अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो.. मैं सब ठीक कर दूंगी..
 मैं भी बाहर अपने दोस्तों के साथ खेलने निकल गया..
 मेरी रूपाली दीदी बाथरूम के अंदर घुस गई और फूट-फूट कर रोने  लगी.. वह अपने परिवार के लिए कुछ भी नहीं कर पा रही थी.. क्या ठाकुर रणवीर सिंह ही एकमात्र रास्ता बचे हुए थे?  एक 6 फुट लंबे चौड़े तगड़े मर्द को.. उस  सांवले रंग के गुंडे को.. कैसे  खेलने दे सकती थी अपने नाजुक बदन के साथ मेरी बहन... मेरी दीदी सोच सोच कर परेशान हो रही थी और रो रही थी..
 लेकिन आप कोई चारा नहीं बचा था मेरी बहन के पास.
 उन्होंने मन ही मन सोचा कि अब ठाकुर साहब से बात करनी ही पड़ेगी और उनसे कुछ पैसों की मदद  मांगनी होगी... शायद ठाकुर साहब का हृदय परिवर्तन हो जाए.. ठाकुर साहब से मदद मांगने के अलावा अब मेरी रुपाली  दीदी के पास कोई  रास्ता नहीं था..
 अगले दिन सोनिया को स्कूल छोड़ने के बाद मेरी रूपाली दीदी वापस लौट रही थी तो रास्ते में ठाकुर साहब हमेशा की तरह खड़े थे.. मेरी दीदी ने उनकी तरफ देखा. कई दिनों के बाद दोनों की आंखें चार हो गई थी.. मेरी बहन बहुत गंभीर दिख रही थी.. वह ठाकुर साहब के पास 
 गई घबराते हुए..
  दीदी:  क्या आप मेरे घर आ सकते है.
 ठाकुर साहब:  जी बिल्कुल  कब आ जाऊं?
 मेरी दीदी:  थोड़ी देर बाद आ सकते हैं क्या.
 ठाकुर साहब:  ठीक है मैं आधे घंटे में आता हूं..
 मेरी रूपाली दीदी ने घर आकर अपने घर के बचे कामकाज निपटाए.. ठीक आधे घंटे के बाद हमारे घर के दरवाजे की घंटी बजी.. अपनी तेज धड़कनों के साथ मेरी रूपाली दीदी ने  घर का दरवाजा खोल ठाकुर साहब का अंदर आने के लिए स्वागत किया.. उनके चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान थी.. दिखावे के लिए ठाकुर साहब ने मेरे जीजू से मुलाकात की और मुझे भी आने वाले एग्जाम के लिए शुभकामनाएं दी.. मैं ठाकुर साहब से मिलकर बेहद  खुश हुआ.. वह मुझे काफी गंभीर और अच्छे इंसान प्रतीत हो रहे थे.. मुझे उनकी नियत का अंदाजा था इसीलिए मैं उनसे डरा हुआ था.. चाय पीने के बाद ठाकुर साहब जाने के लिए दरवाजे पर बाहर खड़े थे तो थे उसी वक्त मेरे रुपाली दीदी ने  उनको रोक लिया..
 मेरी रूपाली दीदी:  ठाकुर साहब प्लीज आप मुझको ₹2000 दे दीजिए.. मैं आपको अगले महीने लौटा दूंगी.. अगर कहीं मेरी नौकरी लग गई तो.
 ठाकुर साहब:  रुपाली जी आपने इतनी कोशिश तो की.. आपकी नौकरी तो कहीं नहीं लगी.. बताइए..
 मेरी रूपाली दीदी:  मुझे थोड़ा उधार दे दीजिए ठाकुर साहब.. बड़ी मेहरबानी होगी आपकी.. वरना मेरी बेटी सोनिया स्कूल से निकाल दी जाएगी.. और मेरा छोटा भाई भी..
 ठाकुर साहब:  मैंने तो आपको पहले भी बोला था रुपाली जी.. बस आधे घंटे की बात है.. पैसे आपको मिल जाएंगे.
 मेरे रूपाली दीदी:  क्या एक बेसहारा औरत का आप इस तरह से फायदा उठाएंगे  साहब.. हमारे परिवार पर कुछ तो रहम कीजिए.
 ठाकुर साहब:  आप खुद ही बेसहारा बनना चाह रही हो. मैं तो आप को सहारा देने के लिए अपने सारे काम धंधे छोड़कर आया.. अगले चुनाव की मीटिंग के लिए मुझे जाना था.. पर मैं हाजिर हो गया आपके बस एक बार बुलाने पर.
 मेरी रूपाली दीदी:  आप ऐसा क्यों चाहते हैं.. मैं दो बच्चों की मां हूं.. उमर में भी मैं आप से 20 साल छोटी हूं..
 ठाकुर साहब:  देखो रूपाली.. मेरा समय बहुत कीमती है.. अगर तुमको इसी तरह से समय बर्बाद करने के लिए मुझे बुलाना था.. तो फिर कुछ नहीं हो सकता... मैं चाहता तो तुम्हें कभी भी उठा कर अपनी कार में ले जा सकता था.. पर मैंने ऐसा नहीं किया.. क्योंकि मैं तुम्हारी इज्जत करता हूं... मैं नीचे जा रहा हूं और अगले 10 मिनट तक  इंतजार करूंगा.. चौकीदार से मैंने ऊपर वाले कमरे की चाबी ले ली है.. अगर तुम्हें मंजूर हो तो खिड़की से ही सारा कर देना..
 ठाकुर साहब मेरी दीदी की तरफ देखे बिना वहां से निकल गए..

 मेरी रूपाली दीदी अब बड़ी गंभीरता के साथ सोचने लगी थी.. उनके सारे रास्ते बंद हो चुके हैं ठाकुर साहब के अलावा.. इस मोहल्ले में इतनी सारी औरतें हैं परंतु सिर्फ मैं ही  क्यों? मेरी बहन सोच रही थी... उन्होंने खिड़की का पर्दा हटा के नीचे की ओर देखा... ठाकुर साहब टकटकी लगाए हुए खिड़की तरफ ही देख रहे थे.. मेरी बहन ने अपना मन बना लिया था..
 बड़ी तेजी से मेरी रूपाली दीदी अपने कमरे में गई और उन्होंने अपनी साड़ी बदल ली.. ठीक 10 मिनट के बाद मेरी दीदी ने खिड़की खोली और ठाकुर साहब को अपनी आंखों से ऊपर आने का इशारा किया.. ठाकुर साहब बेहद खुश और उत्तेजित हो गय.. वह बड़ी तेजी से ऊपर  हमारे  घर की तरफ आ गए.. दरवाजा खुला था, सामने मेरी रूपाली दीदी खड़ी थी.
 मेरी रूपाली दीदी को देखकर ठाकुर साहब का मुंह खुला का खुला रह गया.. मेरी रूपाली दीदी ने एक लाल रंग की सूती साड़ी पहन रखी थी और काले रंग की चोली... मेरी बहन अंदर  ब्रेजियर भी नहीं पहनी हुई थी. मेरी दीदी ने मन ही मन ठान लिया था कि जल्दी से जल्दी ठाकुर साहब को निपटा दूंगी.. इसीलिए उन्होंने अंदर ब्रा नहीं पहनी थी.
 मेरी रूपाली दीदी:  सिर्फ 30 मिनट?
 ठाकुर साहब:  हां बिल्कुल
 मेरी दीदी:  अगर किसी ने देख लिया तो.
 ठाकुर साहब:  कोई नहीं  देखेगा . मैंने सारा इंतजाम कर रखा है..
 मेरे जीजू अंदर कमरे से:  कौन है रूपाली.
 मेरी  दीदी:   शर्म आंटी बुला रही है.. मैं थोड़ी  देर बाद आती हूं..
  जीजा जी:  ठीक है रुपाली.. बाहर से दरवाजा बंद कर देना..
 मेरी दीदी ने दरवाजा बंद किया और बड़ी तेजी से छत की तरफ निकल गई.. पीछे पीछे ठाकुर साहब... उन्होंने छत पर जाकर एक छोटे से बने हुए कमरे का दरवाजा  खोल दिया. दोनों अंदर घुस गय.. मेरी रूपाली दीदी कमरे की हालत देख कर भ्रमित हो रही थी की ठाकुर साहब पता नहीं किस जगह पर करना चाह रहे हैं.. मेरी बहन परेशान और तकलीफ में लग रही थी..
 यह  स्टोर रूम था.. इसमें कुछ पुरानी सड़ी गली हुई चीजें पढ़ी हुई थी.. अंधेरे में मेरी रुपाली दीदी खड़ी थी.. ठाकुर साहब ने एक नाइट बल्ब जला अंदर थोड़ी बहुत रोशनी करने की कोशिश की... मेरी बहन कमरे के अंदर खड़ी हुई  पसीने से लथपथ थरथरआ रही थी.. डरी हुई थी.. ठाकुर साहब ने दरवाजे की कुंडी बंद की... यह एक बेहद छोटा सा कमरा था.. इस कमरे में लकड़ी का सामान इधर-उधर बिखरा पड़ा था.. मेरी बहन ने तो कल्पना भी नहीं की थी कि कभी इस कमरे में आएगी..
 ठाकुर साहब नीचे जमीन पर बैठ गय.. उन्होंने अपनी दोनों मजबूत टांगे दोनों तरफ फैला  मेरी बहन को आमंत्रित किया..
 ठाकुर साहब:  आओ रूपाली. बैठो मेरी गोद में..
 मेरे रूपाली दीदी  ठाकुर साहब के नजदीक आ गई थी.. ठाकुर साहब ने मेरी बहन की कलाई पकड़ कर अपनी तरफ खींचा...
मेरी रूपाली दीदी घबराते हुए ठाकुर साहब के बगल में बैठ गई..
 ठाकुर साहब:  रूपाली:  तुम बहुत खूबसूरत हो. तुम्हारे जैसी खूबसूरत औरत मैंने आज तक नहीं देखी..
 मेरी रूपाली दीदी:  ठाकुर साहब.. जल्दी कीजिए.. मेरी बेटी सो रही है.. अगर जग गई तो परेशानी हो जाएगी..
 ठाकुर साहब ने अपना पर्स निकाला..  500 के  चार नोट निकालकर उन्होंने मेरी रूपाली दीदी के हाथ में रख दिया.. मेरी दीदी, जो अपना छोटा सा पर्स पहले से ही लेकर आई थी उन्होंने रख लिया अंदर.. बेहद शर्मिंदगी का अहसास हो रहा था मेरी दीदी को... माफ कर देना विनोद.. बस आपके लिए ही कर रही हूं मैं.. मेरी दीदी मन ही मन खुद को सांत्वना दे रही  थी..
 ठाकुर साहब ने मेरी बहन को अपनी गोद में बैठने का इशारा किया.. मेरी रूपाली दीदी समझ नहीं पाई ठाकुर साहब का इशारा.. वह चुपचाप ठाकुर साहब की तरफ देख  रही थी.. ठाकुर साहब ने हाथ पकड़ कर मेरी बहन को अपनी तरफ खींचा..
 ठाकुर साहब:  रुपाली जी.. अपनी दोनों टांगे फैला दो और मेरे ऊपर बैठ जाओ.. यहां इधर इसके ऊपर..
 ठाकुर साहब के लिए मेरी रूपाली दीदी के मन में बड़ी नफरत थी इसके बावजूद भी मेरी दीदी उनके ऊपर सवार हो  गई थी...
 कपड़े के ऊपर से ही सही पर मेरी रूपाली दीदी ठाकुर साहब के लंड पर चढ़कर बैठी हुई थी..
…हाँ..हाँ…हाँ…’ रूपाली.. ठाकुर साहब के मुंह से कामुक चीत्कार सुनकर मेरी दीदी भी हैरान हो  गई..
 मेरी रूपाली दीदी ने महसूस किया कि कैसे उनकी दोनों टांगों की जोड़ों के बीच का तापमान बढ़ने लगा है... ठाकुर साहब भी अपनी टांगों के बीच बैठी हुई औरत की गर्मी का एहसास पाकर निहाल हो गए थे.. उन्होंने मेरी बहन की साड़ी का पल्लू उनके सीने से हटा दिया.. क्या खूबसूरत और मादक नजारा था.. मेरी बहन ने तो अपनी आंखें बंद कर ली थी,
 पर ठाकुर साहब सब कुछ देख रहे थे..
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#18
क्या नजारा था?  ठाकुर साहब ने देखा कि उनकी आंखों के सामने दो बड़ी-बड़ी चूचियां अपनी चोली में  ऊपर नीचे ऊपर नीचे हो रही है..  मेरी दीदी का क्लीवेज  कुछ ज्यादा ही बड़ा था... आधी से ज्यादा चूंचियां चोली के बाहर झांक रही थी... ठाकुर साहब को तो समझ में आ गया था कि मेरी बहन की चूचियां, जितना उन्होंने सोचा था उससे कहीं ज्यादा बड़ी और मदमस्त है... मेरी दीदी ने तो शर्म के मारे अपनी आंखें बंद कर ली थी... होने वाले समय के इंतजार में..
 ठाकुर साहब ने अपनी शर्ट उतार के नीचे जमीन पर फेंक  दी.. चौड़ी छाती के ऊपर काले घने बाल देखकर मेरी रुपाली दीदी शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी... ठाकुर साहब की मर्दानगी और मेरी रूपाली दीदी की जवानी आग और घी का काम कर रहे थे..
 ठाकुर रणवीर सिंह एक तगड़े मजबूत जानवर की तरह अपनी छाती खुली करके मेरी बहन को गोद में  बिठाकर आनंद ले रहे थे.. मेरी बहन सिमटी हुई डरी हुई केवल अपनी साड़ी और चोली में ठाकुर साहब के सामने प्रस्तुत  थी.. ठाकुर साहब ने  मेरी बहन के सीने से उनकी साड़ी का आंचल हटा दिया था.. मेरी रूपाली दीदी एक बेबी डॉल की तरह ठाकुर साहब की गोद में बैठी हुई थी..
 ठाकुर साहब की चौड़ी छाती देख कर मेरी रूपाली दीदी घबरा रही थी शर्म आ रही थी.. पर साथ ही साथ उनसे नफरत भी कर रही थी.. मेरी बहन की गोलाई  देखकर ठाकुर रणवीर सिंह का मुंह खुला का खुला रह गया था.. उन्होंने मेरी बहन की पतली कमर थाम ली और अपना मुंह मेरी दीदी के खुले गले पर रख दिया  और चूमने लगे. उनका एक हाथ पीछे मेरी रूपाली दीदी की पीठ के ऊपर घूम रहा था.. ठाकुर साहब का चेहरा मेरी बहन के  पहाड़ों के ऊपरी हिस्से पर आ गया था..  मेरी रूपाली दीदी ने पीछे की तरफ झुकने का प्रयास किया परंतु ठाकुर साहब ने उनकी कमर को अच्छी तरह जकड़ रखा था.. ठाकुर साहब किसी जंगली जानवर की तरह हुंकार भरते हुए मेरी बहन को दबोच  उनकी छाती के  ऊपरी भाग को चूम रहे थे... बड़ी तेजी से हो उन्होंने अपना एक हाथ मेरी रुपाली दीदी की बाईं चूची पर रख दिया और मसल दिया  पूरी ताकत से.. मेरी बहन तड़पने और कसमसआने लगी..
 मेरी बहन की चूचियों की  नरमी और गर्मी अपने हाथों में महसूस करके ठाकुर साहब को बेहद आश्चर्य हुआ.. उन्होंने अपने दोनों हाथों से मेरी बहन की दोनों चुचियों को जकड़ लिया और दबाने और  मसलने लगे,
 चोली के ऊपर  से ही.
 मेरी रूपाली  दीदी: अह्ह्ह ! आहह… ठाकुर साहब... प्लीज..  आराम से... धीरे  कीजिए ना..
 ठाकुर साहब: आह्ह्हह्ह ! रूपाली...  यह क्या है.. क्या चीज हो तुम.. कयामत हो तुम रूपाली... इतने बड़े बड़े..आह्ह्.. रूपाली..
 बड़ी नरम हो तुम..
 ठाकुर रणवीर सिंह मेरी बहन की चोली खोलने का प्रयास करने लगे परंतु  चोली का बटन ढूंढने में उन्हें परेशानी हो रही थी.. ठाकुर साहब बेहद उत्तेजित हो चुके थे...
 किसी तरह प्रयास करके  ठाकुर साहब ने मेरी रूपाली दीदी की चोली के सारे बटन खोल  दीय.. मेरी बहन की चोली खुलते ही ठाकुर साहब का संयम टूट गया.. अपनी हवस भरी आंखों से उन्होंने मेरी बहन की दोनों बड़ी बड़ी चूचियों के दर्शन किए.. खड़े-खड़े भूरे रंग के निपल्स देखकर ठाकुर साहब के अरमान जाग चुके थे.. मेरी रूपाली दीदी ने अपनी  जांघों के जोड़ के बीच में ठाकुर साहब की मर्दानगी का एहसास किया.. ठाकुर साहब के बड़े मर्दानगी का एहसास पाकर मेरी दीदी मचलने लगी थी.. मेरी दीदी उनसे नफरत तो कर रही थी पर उनका बदन उन्हें धोखा दे रहा था.. ठाकुर साहब के औजार ने मेरी बहन को बेहाल कर दिया था.. मेरी रूपाली दीदी को पूरी तरह  एहसास था कि इतना बड़ा  मोटा  फिर से उनको कभी भी नसीब नहीं होगा...
 ठाकुर साहब ने अपना मुंह मेरी रूपाली दीदी की एक चूची पर रख दिया और बुरी तरह चूसने लगे.. ठाकुर साहब के मुंह से एक औरत की चूची पीने की आवाजें निकलने लगी थी.. मीठे दूध की धार  मेरी बहन की चूचियों से  निकलने लगी थी.. ठाकुर साहब ने मेरी बहन को इशारा किया कि वह उनको अपनी बाहों में भर ले... परंतु मेरी दीदी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.. मेरी रूपाली दीदी पहली और आखरी बार  यह घिनौना काम कर रही थी.. उनकी आंखों में आंसू थे  साथ ही साथ उनकी दोनों चूचियां चूसी जा रही थी ठाकुर साहब के द्वारा.. बारी बारी.. मेरी रूपाली दीदी.. 1 घरेलू पतिव्रता नारी... अपनी मजबूरी में ठाकुर साहब को अपना दूध पिला रही थी.. ठाकुर साहब तो अपनी पूरी मस्ती में थे.. दूध की धार निकल रही थी और ठाकुर साहब बिना एक बूंद को भी बर्बाद  किए हुए मेरी बहन की छाती को पिए जा रहे थे...
 अचानक मेरी बहन ने ठाकुर साहब के गले में अपनी बाहों का घेरा डाल दिया.. ठाकुर साहब मेरी बहन का दूध पिए जा रहे थे और खुद को बेहद खुशनसीब मान रहे थे. अपने सपनों की रानी ,  अपनी महबूबा, कि दोनों छाती उनके हवाले थी.... ठाकुर साहब मेरी बहन की चूचियों का खुलकर मजा ले रहे थे...
 ऊपर की तरफ हिलने डुलने के कारण मेरी  दीदी की गांड की दरार के ऊपर ठाकुर साहब का लण्ड आ गया था.. इस बात का एहसास होते ही ठाकुर साहब नीचे के झटके मारने लगे...
 ठाकुर साहब पागलों की तरह उत्तेजित हो चुके थे. वह मेरी बहन की चूची से दूध पीते रहे.. और दीदी की गांड पर हाथ फिरआते रहे.. मेरी बहन की दोनों चूची और उसके ऊपर का भाग पूरी तरह गीला हो चुका था ठाकुर साहब  के चूमने चूसने और  चाटने के कारण.
 ठाकुर साहब नीचे से झटके मारते रहे.. मेरी रूपाली दीदी की गांड की नरमी और उनकी खूबसूरती के कारण ठाकुर साहब का संयम टूट गया , उनके लोड़े का पानी निकल गया... मेरी रूपाली  दीदी ने भी महसूस किया था अपनी साड़ी के ऊपर से... ठाकुर साहब का झड़ना.
 ठाकुर साहब के लोड़े से ढेर सारा पानी निकला था  ,परंतु वह पानी उनकी पैंट और अंडरवियर के अंदर ही रह गया..
 मेरी रूपाली दीदी ने घड़ी की तरफ देखा.. तकरीबन 30 मिनट हो चुके थे.. ठाकुर साहब ने मेरी बहन की  चोटियों पर कई बार चुम्मा लिया.. फिर मेरे रूपाली दीदी को आजाद कर दिया.
 मेरे रूपाली दीदी उठ कर खड़ी हो गई और अपनी चोली के बटन बंद कर ठाकुर साहब की  की तरफ देखने  लगी... ठाकुर साहब भी मेरी बहन को देख कर मुस्कुरा रहे थे...
 ठाकुर रणवीर सिंह:  अगर अपनी नाभि चूमने दोगी तो ₹500 और दूंगा तुमको.. रूपाली..
 मेरी रूपाली  दीदी :  प्लीज ठाकुर साहब.. आप दरवाजे की कुंडी खोल दीजिए और मुझे जाने दीजिए...
 वैसे तो ठाकुर साहब मेरी रूपाली दीदी का दूध  पीकर ही संतुष्ट हो गए थे परंतु वह आगे भी करना चाहते थे... उन्होंने जोर जबरदस्ती करना  मेरी बहन के साथ ठीक नहीं समझा.. दरवाजे की कुंडी खोल कर उन्होंने मेरी रुपाली दीदी को जाने दिया.. मेरी रूपाली दीदी भागती हुई अपने घर में आ गई... रोते हुए बाथरूम में समा गई..
 मेरी रूपाली दीदी को बेहद बुरा लग रहा था.. उन्होंने एक अनजान मर्द को अपनी छाती का दूध पिलाया था..  कुछ पैसों के लिए..
 मेरी रूपाली दीदी नहा कर बाथरूम से वापस आ गई.. वह बेहद परेशान लग रही थी. उनकी परेशानी देखकर मैंने उनसे पूछ लिया कि दीदी क्या हुआ कोई. दीदी ने  जवाब दिया :  नहीं  सैंडी... मैं बिल्कुल ठीक हूं..
 मेरी रूपाली दीदी किचन में घुस गई और अपने घर के काम करने  लगी.
 दूसरी तरफ ठाकुर रणवीर सिंह अपने कमरे में लेटा हुआ अपने हाथ में अपना  लोड़ा थाम के मेरी रूपाली दीदी को याद कर रहा था .. ठाकुर साहब बेहद उत्तेजित हो चुके थे... वह मेरी बहन को अपने बिस्तर पर लाना चाहते थे.. किसी भी कीमत पर... मेरी बहन को अपनी रंडी अपनी रखेल बनना चाहते थे.. उनका दिमाग बहुत तेजी से चल रहा था..
 मेरी रूपाली दीदी की नरम  बाहों का एहसास अपनी गर्दन के इर्द-गिर्द.. नर्म मुलायम चूचियां उनके मुंह में... ठाकुर साहब मेरी  रूपाली दीदी के बारे में सोच सोच कर अपने बाथरूम में अपना लौड़ा  हिला रहे थे.. एक पिचकारी निकली और ठाकुर साहब शांत हो गए और अपने बिस्तर पर आकर लेट गय..
 अब मेरी रूपाली दीदी ने ठाकुर साहब को पूरी तरह से  नजरअंदाज करना शुरू कर दिया था.. ऐसा लगता था कि मेरी दीदी अब उनकी कोई परवाह नहीं कर रही है.. ठाकुर साहब हर दिन मेरी बहन का इंतजार करते थे रास्ते में खड़े होकर..  उनकी हवस की अग्नि  शांत होने का नाम नहीं ले रही थी.. उनके दिमाग में बस एक ही बात थी कि वह मेरी बहन को अपने बिस्तर पर ले जाकर उनकी अच्छे से ठुकाई  करें..
 ठाकुर साहब बेहद परेशान रहने लगे थे.. उनकी रातों की नींद उड़ी हुई थी.. 45 साल की उम्र में जहां दूसरे मर्दों की मर्दानगी काम करना बंद कर चुकी होती है वहीं पर ठाकुर साहब  की मर्दानगी नई उमंग और नई अंगड़ाई  ले रही थी.. मेरी बहन के लिए... तलाक होने के बाद ठाकुर साहब ने कई रंडियों को अपने घर पर लाया था और उनके साथ जी भर के संभोग भी किया था.. परंतु जो मजा आज मेरी दीदी के साथ आया था.. ठाकुर साहब तो बस उसी के बारे में सोच रहे थे..
 उछलते हुए  मेरी बहन  के दोनों पहाड़ ठाकुर साहब की आंखों के सामने बार-बार घूम रहे थे.. भूरे निपल्स... बिल्कुल खड़े-खड़े.. आमंत्रित करते हुए ठाकुर साहब को पागल बना रहे थे अपने ही ख्यालों में.. ठाकुर साहब ने अपनी चुनाव की मीटिंग कैंसिल कर दी...

 27 साल की मेरी रुपाली  दीदी.. दो बच्चों की मां... ठाकुर साहब की  हवास का सामान बनी हुई थी....
 मेरी रूपाली दीदी सुबह सुबह 6:00 बजे से रात 10:00 बजे तक जीजा जी की सेवा में  लगी हुई थी इन दिनों.. अपने पाप का बोझ कम करने के लिए.... घर की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो चुकी थी.. मेरी रूपाली दीदी नौकरी के लिए  न्यूज़पेपर में देख रही थी..
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