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मेरी रूपाली दीदी अपने बेडरूम से निकल कर बाहर आ गई.. उन्होंने सोनिया को नाश्ता करवाया फिर उसको तैयार करके घर से बाहर चली गई.. भीमा नाई की दुकान की तलाश में... जाने से पहले उन्होंने अपना दूध निकाल कर बोतल में भरकर मुझे दे दिया था और बोली थी कि अगर नूपुर रोने लगे तो उसे थोड़ी थोड़ी देर पर पिला देना...
मुझे और मेरे जीजू को नूपुर के साथ घर में छोड़कर मेरी बहन सोनिया के साथ उसके बाल कटवाने के लिए बाहर चली गई थी... ठाकुर साहब तो सुबह सुबह घर से निकल गए थे अपने काम से... जाने से पहले उन्होंने मेरी दीदी को भीमा हजाम की दुकान का एड्रेस अच्छी तरह बता दिया था.. फिर भी मेरी दीदी बाहर सड़क पर निकल कर परेशान हो रही थी... उनको भीमा की दुकान कहीं भी दिखाई नहीं दे रही थी...
मेरी रूपाली दीदी तो आज बेहद खूबसूरत लग रही थी.. खूब सजधज के तैयार होकर आज मेरी बहन घर से बाहर निकली थी... मेरी रूपाली दीदी नई नवेली दुल्हन की तरह लग रही थी.. काफी देर तक मेरी दीदी मोहल्ले की सड़कों पर घूमती रही... भीमा की तलाश में... मेरी रूपाली दीदी थकने लगी थी... सोनिया तो रोने ही लगी थी... वह बोलने लगी... नहीं मम्मी अब मैं और नहीं चल पाऊंगी प्लीज मुझे अपनी गोद में उठा लो ना..
मेरी रूपाली दीदी ने सोनिया को अपनी गोद में उठा लिया.. सोनिया 4 साल की हो चुकी थी.. मेरी दीदी को उसको उठाने में तकलीफ हो रही थी.. ऊपर से गर्मी... मेरी बहन पसीना पसीना हो चुकी थी...
सोनिया को अपनी गोद में लिए हुए मेरी रूपाली दीदी कुछ कदम ही आगे बढ़ी थी की उनको भीमा की दुकान दिखाई देने लगी... कुछ ही देर में मेरी बहन भीमा की दुकान के सामने खड़ी थी..
अब भीमा की दुकान के सामने खड़ी मेरी रूपाली दीदी खुश होने के बजाय दुविधा में फंसी हुई थी... दरअसल सामने का दृश्य ही कुछ ऐसा था.. उस दुकान के अंदर और बाहर भी बहुत सारे मर्द लाइन लगाकर बैठे हुए थे.. और फिर जब उन मर्दों में दुकान के बाहर खड़ी मेरी रूपाली दीदी, हुस्न परी को देखा तो उनकी आंखें खुली की खुली रह गई.. मेरी बहन को देखकर सब के सब अपने मुंह से लार टपका रहे थे.. लाल रंग की साड़ी, मैचिंग लाल रंग की चोली लो कट डीप टाइप की, मेरी बहन की आधी चूचीया तो चोली के बाहर ही झलक रही थी... सूरज की रोशनी में चमकता हुआ मंगलसूत्र मेरी बहन की छातियों के ऊपर टिका हुआ था.. मांग में गाढ़ा सिंदूर... बालों में गजरा... आंखों में कजरा... होठों पर लाली.. पतली कमर... गहरी नाभि... और चोली में दो बड़े बड़े उभरे हुए जोबन... देख वहां पर सारे के सारे मर्द मेरी रूपाली दीदी को अपने बिस्तर पर लाकर उनको नंगी करने के सपने देखने लगे थे..
उन सभी मर्दों की आंखों में अपने लिए हवस और वासना के लाल डोरे देखकर मेरी रूपाली दीदी घबरा उठी थी.. यह उनके लिए पहला अनुभव था... जब इतने सारे मर्दों उनको अपनी आंखों से ही हवस का शिकार बना रहे थे... मेरी दीदी डर के मारे थरथर कांप रही थी... साथ उनको यह अनुभव अजीब सा रोमांचक भी लग रहा था... लेकिन फिर भी मेरी दीदी वापस जाने के लिए मुड़ चुकी थी.... तभी पीछे से अचानक एक मर्द उस भीड़ को चीरता हुआ बाहर निकला और पीछे से मेरी दीदी को पुकारा..
वह मर्द और कोई नहीं बल्कि भीमा था.
भीमा: काहे जात हो मैडम जी... क्या हुआ आपको...
भीमा की आवाज सुनकर जब मेरी रूपाली दीदी पीछे मुड़कर देखी तो दंग रह गई... 6 फुट 5 इंच लंबा... काला... तगड़ा मर्द हाथ में कैंची लिए उनकी आंखों के सामने खड़ा था... और उनको ही घूर रहा था..
भीमा लुंगी और बनियान में मेरी बहन के सामने खड़ा था.. उसकी चौड़ी छाती और लंबी मजबूत भुजाएं देखकर मेरी दीदी घबरा रही थी... तकरीबन 5 फीट लंबी मेरी रूपाली दीदी उसके आगे तो बिल्कुल बच्ची की तरह लग रही थी.. दीदी कुछ बोल पाती उसके पहले ही ...
भीमा: हम जानत हैं आप कौन हो... आप रूपाली मैडम हो ना... हमारे ठाकुर साहब तोहार हमारे पास भेजे हैं ना... तोहार बिटिया के बाल काटने की खातिर...
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short update but mast update ...
par bhaiya ji long or full sex chat seduce wala udpate do yaar... with pics.
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Super update.. please update more
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अपनी आंखों के सामने इतने लंबे चौड़े तगड़े मर्द को देखकर पहले तो मेरी रूपाली दीदी को घबराहट होने लगी, लेकिन फिर भीमा की मीठी मीठी बातें सुनकर मेरी बहन को अपने मन में कुछ राहत हुई...
मेरी रूपाली दीदी: भैया जी... हम तो अपनी बेटी के बाल कटवाने के लिए आए थे आपके पास... लेकिन आपकी दुकान पर तो पहले से ही बहुत भीड़ है.. इसीलिए हम वापस जा रहे थे.
भीमा: अरे नहीं नहीं भौजी.... इस भीड़ का तुम चिंता मत करो... हम इन सब को अभी भगा देता हूं... ई सब तो यहां पर टीवी देखने के लिए बैठा हुआ है...
भीमा ने मेरी बहन को भौजी कहा था... उसकी बातें सुनकर मेरी रूपाली दीदी के चेहरे पर हल्की मुस्कान आ गई थी... ना जाने क्या बात थी भीमा की पर्सनालिटी में या फिर उसकी देहाती बातों में... मेरी दीदी उसकी तरफ देखने लगी थी मुस्कुराते हुए...
भीमा भी मेरी रुपाली दीदी को देखते हुए बड़ी मासूमियत से मुस्कुराने लगा था... पर उस मासूमियत भरी मुस्कान के पीछे एक हवास का पुजारी इंसान छुपा हुआ था..
भीमा: भौजी... हम अभी भगा देत इन सभी को...
ऐसा बोलते हुए भीमा उसकी दुकान पर बैठे हुए लोगों को गंदी गंदी गालियां देता वहां से भगाने लगा... सारे मर्द भीमा के डर से वहां से उठकर जाने लगे थे... लेकिन जाते जाते हुए भी मेरी दीदी को देखते हुए अपनी आंखों से ही मेरी बहन को नंगा कर रहे थे... गंदी गंदी कामुक सिसकारियां ले रहे थे... उन सबके बीच में एक 24 बरस का जवान मर्द था... जिसका नाम बिल्लू था.... वह जब मेरी रूपाली दीदी के बगल से गुजरा तो उसने मेरी बहन को एक गंदा से इशारा किया अपने खड़े हुए हथियार की तरफ... और फिर धीरे से बोला मेरी दीदी के बिल्कुल पास गुजरते हुए उनके कान में..
आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह.......ह ह ह.. !! बहन चोद.. !!
मेरी बहन पहले तो बिल्लू की हरकत पर घबरा उठी थी... फिर उन्होंने मन ही मन सोच लिया क्या इसको भाव देने से क्या फायदा है...
कौन है बिल्लू.. आखिर क्या रिश्ता है मेरी बहन के साथ उसका.. क्या चाहता है वह.. इन सभी सवालों का जवाब दोस्तों आपको कहानी के अगले भाग में पता चलेगा... लेकिन फिलहाल मेरी रूपाली दीदी उसकी गंदी हरकतें और इशारों को देखते हुए भी उसको नजरअंदाज कर रही थी...
भीमा: बहुत सुंदर बिटिया बा तोहार भौजी...
वह सोनिया को अपनी गोद में लेकर अपनी दुकान के अंदर ले जा रहा था.. मेरी दीदी भी उसके पीछे-पीछे उसकी दुकान के अंदर चली गई थी..
दुकान के अंदर ले जाकर भीमा ने सोनिया को एक कुर्सी के ऊपर बिठा दिया था... और अपनी कैंची लेकर उसके बाल काटने की कोशिश करने लगा था... लेकिन सोनिया तो बस 4 साल की थी... वह रोने लगी थी और झटपट आने लगी थी... मेरी रूपाली दीदी बगल में ही खड़ी हो कर देख रही थी रही थी...
मेरी रूपाली दीदी: भैया जी... काहे आप हमारे लिए इतना कर रहे हैं.. आप तो अपने दोस्तों को भी अपनी दुकान से भगा दिया.. हमारी खातिर.. काहे इतना करते हो हमारी खातिर...
मेरी रूपाली दीदी अपनी टूटी फूटी देहाती भाषा में बात करने की कोशिश कर रही थी भीमा से..
भीमा: अरे नहीं भौजी.... कोनो दिक्कत की बात ना.... ई दुकान तोहारा बा भौजी.... ठाकुर साहब के हमरा ऊपर बहुत एहसान बा... उनका खातिर तो हम कुछ भी कर सके ला... आवा अपन बिटिया रानी के जरा पकड़ ला...
मेरी रूपाली दीदी ने आगे बढ़कर सोनिया को पकड़ लिया है जबरदस्ती.. भीमा को हेल्प करने के लिए... अब सोनिया बीच में थी... और मेरी रूपाली दीदी और भीमा एक-दूसरे के आमने-सामने खड़े देख रहे थे मुस्कुरा रहे थे...
भीमा सोनिया के बाल काटते हुए मेरी रूपाली दीदी की तरफ ही देख रहा था... उसकी कैंची सोनिया के बालों के ऊपर चल रही थी लेकिन उसकी निगाहें मेरी रूपाली दीदी के लाल चोली के अंदर से झांकती हुई बड़ी-बड़ी चूचियां देख मन ही मन अजीब अजीब गंदी कल्पनाएं कर रही थी... भीमा का बाबूराव उसकी लूंगी मैं तन के खड़ा हो गया था और रूपाली दीदी को देख कर लूंगी डांस कर रहा था... मेरी दीदी की निगाहें अभी भी उसके नागराज के ऊपर नहीं गई थी.. वह तो सोनिया को संभालने में लगी हुई थी... और इसी चक्कर में उनकी साड़ी का पल्लू भी सीने से नीचे गिर गया था... हाहाकारी मदमस्त नजारा था भीमा की आंखों के सामने.....
उसने बड़ी हिम्मत करके अपनी कैची की नोक से मेरी रूपाली दीदी की एक सूची के ऊपर दबा दिया... मेरी रूपाली दीदी हैरान होकर उसकी तरफ देखने लगी... फिर जब उनकी नजर नीचे गई उसकी लूंगी के ऊपर... तुम मेरी दीदी का गला सूख गया.... भीमा की लूंगी के अंदर एक काला सांप नाच रहा था मेरी बहन को देखते हुए...
भीमा ने फिर अपनी कैंची वाले हाथ की बीच वाली उंगली बड़ी चालाकी के साथ सीधी की... और सोनिया के बालों की लट काटते हुए बड़ी चतुराई के साथ मेरी रूपाली दीदी की दोनों चूचियों के बीच बनी हुई लकीर के बीच में उतार दिया और अपने उस ऊंगली को ऊपर नीचे करने लगा.. उसका हाथ मेरी बहन की छाती के ऊपर तक पहुंच चुका था..
आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह....... मेरी रूपाली दीदी के मुंह से हल्की से सिसकारी निकल गई थी... एक गैर मर्द के हाथों का जादू पाकर उनकी चूचियां तन की खड़ी होने लगी...
सोनिया के आधे बाल कट चुके थे... मेरी रूपाली दीदी अच्छी तरह समझ रही थी कि भीमा क्या कर रहा है उनके साथ... लेकिन इस समय बीच में छोड़ना भी ठीक नहीं था...
अपने कठोर मजबूत हाथों से भीमा ने मेरी रूपाली दीदी की एक चूची को जोर से मसल दिया....
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भीमा की इस हरकत पर मेरी रूपाली दीदी अंदर से कांप गई थी.. घबराते हुए वह भीमा की तरफ देखने लगी थी... लेकिन भीमा... वह तो सोनिया के बाल फिर से काटने में जुट गया था... जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो.. पहले तो मेरी बहन समझ रही थी की भीमा का हाथ गलती से उनकी चुचियों से टच हो रहा है बाल काटने के चक्कर में... लेकिन कुछ सेकंड पहले जब उनकी चोली के ऊपर से ही एक चूची को भीमा ने अपने कठोर हाथों में पकड़ कर मर्दन कर दिया था... तब मेरी दीदी के मन में कोई शंका नहीं रह गई थी कि भीमा क्या चाहता है...भीमा जानबूझकर अनजान बना हुआ था और अब वह मेरी बहन की तरफ नहीं देख रहा था..
मेरी रूपाली दीदी अपनी साड़ी का पल्लू अपने मुंह में दबाकर भीमा को अजीब नजरों से देख रही थी... मन ही मन मेरी दीदी भीमा की पर्सनालिटी और उसकी हिम्मत देखकर हैरान थी परेशान थी...
अब हालात ही कुछ ऐसे हो गए थे कि मेरी बेचारी दीदी कुछ कर नहीं सकती थी... सोनिया के आधे से ज्यादा बाल कर चुके थे... लेकिन इसी बीच एक अजीब बात भी हो रही थी... भीमा की हरकत से मेरी बहन की चूचियां फूलने लगी थी.. मेरी रूपाली दीदी की दोनों बड़ी-बड़ी दुधारू चूचियां उनकी चोली की कैद से आजाद होने के लिए मचलने लगे थे... और अपना सर ऊपर उठाने लगे थे... मेरी दीदी के दोनों निपल्स अकड़ के तन गए थे... चोरी छुपे ही सही पर भीमा साफ-साफ देख पा रहा था.. वह समझ चुका था कि मेरी बहन गर्म होने लगी है..
भीमा: भौजी... हम सुना हूं.. तोहार मर्द का एक्सीडेंट होई गवा है..
मेरी रूपाली दीदी: हां भैया आपने ठीक सुना है..
भीमा: फिर तो बड़ा तकलीफ है आपको... फिर तो कोनो काम करने लायक भी नहीं बचे होंगे तोहार मर्द...
भीमा मेरी बहन से बातचीत करते हुए उनको कंफर्टेबल करने की पूरी कोशिश कर रहा था ...साथ ही साथ उसका काला नाग भी लूंगी में नाच रहा था मेरी बहन को देखकर जो मेरी रुपाली दीदी की नजर से बचा हुआ नहीं था..
मेरी रूपाली दीदी: अब हम क्या कर सकते हैं भैया जी... जो हमारी किस्मत में लिखा है वह तो हो कर ही रहेगा...
भीमा: सही कहती हो भौजी... जो होना था वह तो हो गया... बड़े भले मानुष हैं हमारे ठाकुर साहब... उन्होंने तो आपको "रख" लिया है..
मेरी रुपाली दीदी( बिना उसकी डबल मीनिंग बात को समझे हुए): हां भैया आप ठीक कहते हैं... उन्होंने हमें रख लिया है... बड़ा एहसान है उनका हमारे ऊपर... वरना जमाने भर की ठोकरें खाते दर-दर हम लोग...
मेरी दीदी बोल तो गई पर जब उन्हें अपनी बात समझ में आई ...शर्म के मारे पानी पानी हो गई...
भीमा: भौजी एक बात पूछें हम हैं... अगर आप बुरा ना मानो तो..
मेरी रूपाली दीदी: जी पूछिए भैया...
भीमा: हमारे ठाकुर साहब तोहर ठीक से ध्यान रखते हैं कि नहीं... रतिया में... बोला भौजी?
भीमा की बात सुनकर मेरी रुपाली दीदी सकपका कर इधर-उधर देखने लगी थी... उसकी डबल मीनिंग बातें सुनकर मेरी बहन को अपने दोनों जांघों के जोड़ के बीच में जबरदस्त खुजली होने लगी थी.. मेरी दीदी की तिजोरी गंगा जमुना की तरफ बहने लगी थी...
मेरी रूपाली दीदी: भीमा भैया.... आप कैसी बातें करते हैं... हमको बहुत शर्म आ रही है...
भीमा: अरे भौजी इमे शर्माए के कौन बात बा.. तू ता एकदम जवान बाड़ू हो... तोहार गदरआई जवानी देखकर त बड़का बड़का विश्वामित्र की तपस्या भंग हो जाई हो... तोहार अंदर तो अभी बहुत गर्मी हुई रे..
यह सब बोलते हुए भीमा अपनी लाल लाल वासना से भरी हुई आंखों से मेरी बहन की आंखों में देख रहा था... मेरी रूपाली दीदी और उनका गुलाबी त्रिकोण दोनों ही उसकी बातें सुनकर पानी पानी होने लगे थे..
भीमा: हम जानत है भौजी.. तोहार मरद अब कछु काम के ना बा.. तभी तो ठाकुर साहब तोके आपन बना लिया है.. तोहार "ख्याल" रखे के खातिर... हम तो बस इतना पूछ रहे हैं भौजी कि तोहार ख्याल रखे में हमार ठाकुर साहब कोनो कमी तो नहीं करते हैं..
मेरी रूपाली दीदी उसकी डबल मीनिंग बातों को पूरी तरह समझ रही थी..
मेरी रूपाली दीदी: ठाकुर साहब हमारा पूरा ख्याल रखते हैं.. और हमारे परिवार का भी.. आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है.
मेरी रूपाली दीदी हैरान परेशान थी सोनिया के बाल कटवाते हुए भी और उसकी गंदी बातें सुनते हुए भी... मेरी बहन की साड़ी का पल्लू उनके सीने से नीचे गिरा हुआ था.. बड़ी-बड़ी चूचियां गुब्बारे की तरह चोली से बाहर झांकने का प्रयास कर रही थी... घबराहट और गर्मी के कारण मेरी रूपाली दीदी की चुचियों के ऊपर वाले हिस्से पर पसीने की बुंदे चमकने लगी थी..
भीमा ने इस बार बिना अंजान बने हुए खून पसीने की बूंदों को अपनी दो उंगलियों से टच किया और फिर अपना मुंह खोल कर चाटने लगा.. मेरी दीदी की आंखों में देखते हुए ..वासना से लाल उसकी आंखें मेरी बहन को भी उत्तेजित करने का काम कर रही थी... ऊपर से ऐसी हरकत..
मेरी रूपाली दीदी को अपनी नाजुक गुलाबी चूत के अंदर ना चाहते हुए भी हलचल का एहसास होने लगा था भीमा किस गंदी हरकत पर..
और मेरी दीदी के मुंह से कामुक सिसकारी निकल ही गई होती अगर उन्होंने अपने दांतो से अपने लबों को नहीं काट लिया होता..
दूसरी तरफ भीमा मेरी बहन को अपने दांतो से ही अपने होठों को काटते हुए देखकर उत्तेजित होने लगा था कुछ ज्यादा ही... गवार देहाती भीमा को ऐसा लग रहा था कि जैसे मेरी रूपाली दीदी उसे अपने बिस्तर पर ले जाने के लिए आमंत्रित कर रही है...
मेरी रूपाली दीदी मन ही मन सोच रही थी: यह तो बहुत बड़ा वाला ठरकी इंसान है... जानबूझ के बाल काटने के बहाने मेरी चूची को दबा रहा है... मेरी चूची के ऊपर पसीने की बूंद को भी चाट गया जैसे शहद हो.. इसको और ज्यादा बढ़ावा देना ठीक नहीं है वरना वह अभी मुझे यही पटक के मेरी ऐसी तैसी कर देगा..
"सस्स्सी ... क्या करते हो?" मेरी रूपाली दीदी के मुंह से बोल निकले थे.
भैया आपका कंघा चुप रहा है....
दरअसल बाल काटने के बहाने भीमा अपनी कैची के ऊपर वाले हिस्से से मेरी बहन के निपल्स को छेड़ने लगा था...
भीमा के चेहरे पर मेरी रूपाली दीदी की गरम गरम सांसे... एहसास पाकर भीमा का बाबूराव उसकी लूंगी में नाचने लगा था..
अब वह खुलकर अपनी कैंची से मेरी बहन की चुचियों को छेड़ रहा था.. मेरी रूपाली दीदी के तन के खड़े हुए निपल्स उनकी चोली के ऊपर से ही इस बात की गवाही देने लगे थे...
अब तो भीमा भैया को भी ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ रही थी मेरी रूपाली दीदी के निपल्स को ढूंढने में.. मेरी बहन के निप्पल खुद ही अपना आकार बना कर उसकी आंखों के सामने प्रस्तुत थे...
भीमा अब बाल काटने के बहाने बार-बार अपनी दोनों उंगलियों से मेरी रूपाली दीदी की दोनों पहाड़ी की चोटियों को अपनी उंगली से मसल दे रहा था और मेरी दीदी को और भी ज्यादा गर्म कर रहा था... मेरी रूपाली दीदी की सांसे तेज होने लगी थी..
मेरी दीदी तो बीच-बीच में कामुक सिसकारियां लेने लगी थी..
"हाईई... मर गई मैं ऑईईई... उहह... उम्म्म्म
...आईई... ओह्ह...
मेरी रूपाली दीदी से जब बर्दाश्त नहीं हुआ तब अपनी आंखें ऊपर की तरफ उठाकर भीमा की आंखों में देखते हुए बोल पड़ी..
मेरे रुपाली दीदी: "इस्स्स... आहह... क्या कर रहे हो आप भैया जी... मेरे अंग में चुभ रही है आपकी वो कैंची...
भीमा: अरे माफ कीजिए भौजी... तोहार बिटिया रानी बहुत छटपटा रही है.. वही खातिर हमार कैंची तोहारा अंग में छूने लगा है... हमका माफ कर दीजिए हमार भौजी..
भीमा अभी भी शराफत का नाटक कर रहा था... मेरी रुपाली दीदी अच्छी तरह समझ रही थी..
मेरी रूपाली दीदी मन ही मन बोली: अच्छा भैया जी किसे समझा रहे हो.. हमको तो सब पता है आप क्या चाहते हो.. फिर बोली..
मेरी रुपाली दीदी: अच्छा भैया जी ठीक है.. आप अपना काम ध्यान से कीजिए..
मेरी रूपाली दीदी कि इस बात पर भीमा ने मेरी दीदी के "काम" शब्द पर जोर देते हुए कहा..
भीमा: भौजी हमारा "काम " ही तो नहीं बन पा रहा है पिछले 7 महीने से ... और फिर बाल काटने के बहाने अपनी दो उंगलियों से मेरी रूपाली दीदी की एक चूची की निप्पल को पकड़कर गोल गोल घुमाने लगा..
मेरी रूपाली दीदी: काहे भैया जी... अच्छी भली तो आपकी दुकान है.. फिर काहे काम नहीं होता है आपका..
मेरी रूपाली दीदी उसकी डबल मीनिंग बात का अर्थ नहीं समझ पाई थी.. फिर भी मेरी रुपाली दीदी का चेहरा लाल था... भीमा की उंगलियों की जादू से मेरी दीदी अंदर ही अंदर कसमसआने लगी थी.. तड़पने लगी थी..
ना चाहते हुए भी मेरी बहन को भीमा की अंगुलियों की हरकत ने बेहद उत्तेजित कर दिया था... भीमा मेरी रूपाली दीदी की छातियों के साथ खिलवाड़ किए जा रहा था... और मेरी बहन अपने मुंह से निमंत्रण दे रही थी उसको ऐसा करने के लिए..
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मस्त कर दिया भीमा और उसकी भौजी ने
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Zabardast excellent update bhai
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Super... please update more
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मेरी रुपाली दीदी की नशीली लाल आंखों में देखते हुए भीमा ने उनको जवाब दिया..
भीमा: अब हम आपको क्या बताएं भौजी... हमारी दुकान तो बहुत शानदार है... अभी तो आप ठीक से हमारा दुकान का सब सामान भी नहीं देखे हो... लेकिन क्या करें भौजी हमार किस्मत फूटी हुई है.. जोड़ीदार नहीं मिलता है हमको साथ में "काम" करने के लिए... भौजी "काम" करने में तभी मजा आवे है जब साथ में टक्कर का जोड़ीदार मिल जाए..
मेरी रुपाली दीदी: अच्छा.... भैया जी हम समझ गए आप की बात.. आपको अपनी दुकान में हाथ बंटाने के लिए सहारे की जरूरत है... इसीलिए आप कोई टक्कर का जोड़ीदार ढूंढ रहे हैं...
मेरी रूपाली दीदी उसकी डबल मीनिंग बातों को समझ कर भी अनजान बनने का नाटक कर रही थी..
मेरी बहन की नजर उसकी लूंगी में तने हुए उसके खूंखार मुसल पर टिकी हुई थी.. उसकी लंबाई चौड़ाई का अंदाजा लगाकर ही मेरी दीदी का गला सूखने लगा था..
भीमा: सही कह रही हो आप भौजी... कोनो जोड़ीदार हो साथ में तो काम करने में मन भी लागत है... सहायता भी हो जात है.. और खूब मजा भी आता था.... भौजी जोड़ीदार चाहिए हमका.. तभी तो जोरदार तरीके से "काम "होई ... एक बात बोली हम भौजी.... हमका कभी अपना टक्कर का जोड़ीदार नहीं मिला... अभी 7 महीना पहले तक तो हम किसी तरह गुजारा कर लिया जब हमारी मेहरारू हमारे साथ थी...
मेरी रूपाली दीदी हैरानी से उसकी तरफ देखते हुए उसकी बातें सुन रही थी.. और मन ही मन उसकी बीवी के बारे में सोच रही थी..
भीमा: हमार लुगाई जब हमारे साथ रहती थी.. तो कभी-कभी "काम" में हमारा हाथ बढ़ा दिया करती थी... अब त ओ भी सहारा नहीं बा हमार पास... बड़ा मुश्किल से हमार रात कटता भौजी..
यह सब बोलते हुए उसने मेरी रूपाली दीदी के एक निप्पल को अपनी दो उंगलियों के बीच में लेकर बहुत जबरदस्त तरीके से पीस दिया... दर्द के मारे मेरी बहन बिलबिलआने लगी थी...
मेरी बहन की चूची से दूध निकलने लगा था... उसकी इस हरकत पर मेरी रूपाली दीदी तड़प कर उसकी तरफ देखने लगी और बोल पड़ी.
मेरी रूपाली दीदी: आहह... इस्स्स... आहह.. भीमा भैया.. क्या करते हो आप... प्लीज ऐसा मत कीजिए ना..
भीमा: माफ कर दा हमके भौजी... हमारा हाथ फिसल गया.... हम जानबूझकर नहीं किया हूं... बस कुछ देर के बा भौजी... बिटिया रानी के बाल के कटिंग तो हो गईल... बस साफ सफाई करे के बा..
मेरी रूपाली दीदी की दोनों चुचियों से आग निकलने लगी थी... साथ ही साथ दूध भी.. मेरी बहन ने ब्रा पहन रखी थी वरना भीमा को सब कुछ दिख जाता...
दूसरी तरफ मेरी भांजी सोनिया तो रो-रो के थक हार कर कटिंग चेयर के ऊपर ही सो चुकी थी... मेरी रूपाली दीदी को तो इस बात का एहसास ही नहीं था... वह तो बस भीमा की कामुक बातें सुन रही थी... और उसकी आंखों में देख रही थी बड़े प्यार से...
भीमा ने अपने पास में पड़े हुए एक बक्से को खोल कर उसमें से एक पान निकालकर अपने मुंह में दबा दिया.. उस बक्से के अंदर बहुत सारे पान पड़े हुए थे.. मेरी दीदी उसके लाल लाल होठों और लाल लाल जुबान को देख कर ही समझ गई थी कि यह बहुत पान खाता है..
वह अपनी आंखें बंद किए हुए पान का आनंद ले रहा था..
भीमा: मजा आई गया भौजी... बहुत मस्त पानवा बा.....
भीमा को इस तरह से आनंद लेते हुए देखकर मेरी रूपाली दीदी खिलखिला कर हंसने लगी थी...
मेरी रूपाली दीदी: भैया जी आप तो बहुत ज्यादा पांच बातें हो हमको लगता है... तभी तो आपके दांत और आपकी जुबान भी इतने लाल लाल हो गए..
भीमा ने मेरी बहन की बात का बुरा नहीं माना.. बल्कि वह तो और भी मेरी दीदी के पास आकर खड़ा हो गया और अपना मुंह खोल कर पान चबाते हुए मेरी दीदी को दिखाने लगा... पान चबाने के साथ ही साथ उसका काला बाबूराव उसकी लूंगी में तूफान मचाने लगा था... मेरी रूपाली दीदी कभी उसकी तरफ देखती तो कभी उसकी लूंगी की तरफ...
अचानक ही मेरी रूपाली दीदी ने उससे एक सवाल पूछ लिया..
मेरी रुपाली दीदी: भैया जी... आप तो कह रहे थे कि आपकी पत्नी 7 महीने पहले तक आपकी जोड़ीदार थी... अब कहां है आपकी पत्नी.. वैसे कौन-कौन है आपके घर में?
भीमा: अब हम आपको क्या बताएं भौजी.... हमार लुगाई और हमार तीन बच्चा अभी हमार लुगाई के मायके में है.. हम उसको गलती से एक बार फिर पेट से कर दिए थे... इसीलिए वह अपने मायके गई है..
मेरी रूपाली दीदी( हैरानी से): क्या बोल रहे हो आप भैया जी... आपके तीन बच्चे हैं और चौथा बच्चा रास्ते में है... हे भगवान कैसे मर्द हो आप..
भीमा हा हा हा करके हंस रहा था.... मेरी रूपाली दीदी मन ही मन सोच रही थी कि यह कैसा इंसान है.... इतनी गरीबी और महंगाई के जमाने में भी 4 बच्चे पैदा कर रहा है...
भीमा ने अपनी पान की डिबिया में से एक पान निकाल कर मेरी रुपाली दीदी के चेहरे के आगे प्रस्तुत करते हुए कहा...
भीमा: भौजी आप पहली बार हमार घर पर आई हो... तोहार स्वागत की खातिर हमारे पास कौनो पकवान तो नहीं बा... लेकिन बस ई पान बा तोहरे खातिर... इ पान के लेला अपना मुंह के अंदर हमारी खातिर... तू हमार ठाकुर साहब के खास बाड़ू... तोहार स्वागत करेंगे खातिर हमरा पास पान के अलावा और कछु नहीं बा..
मेरी रूपाली दीदी: नहीं नहीं भैया जी ऐसी कोई बात नहीं है... मैं पान नहीं खाती हूं... आपने हमारा इतना ख्याल रखा है यही बड़ी बात है.
भीमा पान खाता हुआ मजे से बोल रहा था..
भीमा: अरे भौजी.... ई हमार पान बहुत शानदार बा... बड़का बड़का लोग आवेला पान की खातिर हमार दुकान पर... तू एक बार खा कर देख देख त ला... मजा ना आए तो हमार नाम भीमा हजाम नहीं..
मेरी रूपाली दीदी मन ही मन सोच रही थी: ऐसा क्या मजा है इस पान में जो उनको खिलाना चाहता है.... कहीं कोई ऊंच-नीच हो गई तो..
ऐसा तो नहीं था कि मेरी रूपाली दीदी ने अपनी जिंदगी में पहले कभी पान नहीं खाया था... और भीमा जिस प्रकार से उनको पान खाने के लिए गुहार लगा रहा था मेरी दीदी के मन में भी उत्सुकता बढ़ने लगी थी.. मेरी रूपाली दीदी उसके हाथ से पान लेकर अपने मुंह के अंदर ले ली और चबाने लगी थी.... पान का स्वाद कुछ खास नहीं था... साधारण पान की तरह ही था वह.... लेकिन कुछ देर में ही मेरी रूपाली दीदी का सर घूमने लगा.... उनकी आंखों के सामने अंधेरा छाने लगा... और मेरी रूपाली दीदी के बदन पर हजारों कीड़े एक साथ रेंगने लगे थे.. वासना के कीड़े..
मेरी रुपाली जी दिन मस्ती में आ चुकी थी.... और अपनी चूची तान के भीमा हजाम के सामने खड़ी थी...
भीमा भी पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था... अब तो बस वह मेरी बहन को पटक पटक के.... जन्नत की सैर करना चाह रहा था...
मेरी रूपाली दीदी: भैया जी... आपका पान का तो गजब का नशा है.. ऐसा लग रहा है जैसे मैं हवा में उड़ रही हूं...
भीमा: सही पकड़े हो आप भौजी... इसको पलंग तोड़ पान बोलते हैं... इस पलंग तोड़ पान को लेने के लिए इस शहर के बड़े बड़े लोग आते हैं हमारी दुकान पर... बहुत जोर जोर से हंस रहा था भीमा..
उसने मेरी भांजी सोनिया के बाल की कटिंग खत्म कर दी थी... सोनिया तो वही कुर्सी पर ही सो गई थी.
भीमा: अब क्या करें हम भौजी.... तोहार बिटिया रानी तो सो गई है...
मेरी रूपाली दीदी नशे की हालत में भीमा के बिल्कुल पास आकर खड़ी हो गई हंसती हुई मुस्कुराती हुई और अपने होठों पर उंगली रख कर बोली..
भैया जी... धीरे बोलिए ना... हमारी बिटिया जाग गई तो हम ठीक से बात भी नहीं कर पाएंगे... हमको आपके साथ बहुत सारी बातें करनी है..
भीमा समझ चुका था.. चिड़िया उसके जाल में फंस गई है... अब तो बस अपनी खोली के अंदर ले जाकर अपने बिस्तर पर इसको अच्छे से रगड़ना है..
भीमा: एक काम करते हैं भौजी... हम अपना दुकान का शटर गिरा देता हूं... फिर हम आपको अपना खोली के अंदर ले जाऊंगा... फिर वहीं बिस्तर पर हम लोग बैठकर बातचीत करेंगे...
मेरी रुपाली दीदी: लेकिन एक शर्त पर भैया जी.. हम आपकी खोली के अंदर आपके साथ जाएंगे...
भीमा: का शर्त बा भौजी... हमके बतावा ना... आज तो हम तोहार सब.... शर्त पूरा कर देंगे...
मेरी रूपाली दीदी: दरअसल भैया जी... हमको एक और पान खाना है..
भीमा: इ ला हमार भौजी.. जितना मन करें उतना पान खा.. खूब खा तू.. हम अभी दुकान का शटर बंद कर कर आता हूं..
मेरी रूपाली दीदी के मुंह के अंदर एक पान डालकर भीमा अपनी दुकान की शटर बंद कर दिया... और फिर उसने सोनिया को अपनी गोद में उठा लिया और उसको लेकर अपनी खोली के अंदर गया... वहां अपने पलंग पर उसने सोनिया को लिटा दिया... फिर वापस अपनी दुकान में आया.. मेरी रूपाली दीदी के पास...
मेरी रूपाली दीदी भीमा के दुकान के अंदर खड़ी अपनी आंखों में वासना की लाल डोरे लिए हुए उसका इंतजार कर रही थी... भीमा जब अंदर आया और जब उसने मेरी बहन को देखा तो उसके मन में हलचल होने लगी थी... उसे लगने लगा था यह सब कुछ सपना है..
भीमा: चलो भौजी.... हमार खोली के भीतर... वहां बैठकर हमारे बिस्तर पर तोहार साथ में बात करेंगे ..
मेरी रूपाली दीदी तो अब नखरे दिखाने लगी थी..
मेरी रुपाली दीदी: ऐसे नहीं भैया जी... हमको भी अपना गोद में उठाकर ले चलिए... जैसे हमारी बिटिया को ले गए थे..
भीमा की खुशी का ठिकाना नहीं था..
उसने बिना देर किए हुए मेरी रूपाली दीदी को अपनी गोद में उठा लिया और अपने काले मुसल के ऊपर बिठा लिया और अपनी खोली के अंदर ले गया... लूंगी और अपनी साड़ी के ऊपर ही सही मेरी रूपाली दीदी उसके बड़े देहाती हथियार के ऊपर बैठकर उसकी खोली के अंदर गई थी...
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Superb...
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Mazedar superb update bhai
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Super update... please update more
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04-10-2021, 01:27 AM
भीमा मेरी रुपाली दीदी को अपनी गोद में उठाकर अपनी खोली के अंदर ले तो जा रहा था मगर उसे अभी भी यकीन नहीं हो रहा था की यह हुस्न की मल्लिका यह काम देवी उसके साथ उसकी गोद में बैठी हुई है, उसे समझ नहीं आ रहा था कि यह सच है या सपना..
और उसे यकीन तब हुआ जब मेरी दीदी ने अपनी चूड़ियों से भरी हुई अपनी दोनों बाहों का हार उसके गले में डाल दिया...
अपने कमरे के अंदर पहुंचने के बाद भीमा ने मेरी बहन को उनके पैरों पर खड़ा कर दिया...
मेरी रूपाली दीदी अपनी चूचियां तान के एक मस्त अंगड़ाई तोड़ते हुए कमरे में चारों तरफ देखने लगी... सोनिया तो उस छोटे से कमरे के अंदर उस छोटे से बिस्तर पर सोई हुई थी.. बाकी का कमरा बहुत गंदा था और काफी सामान इधर-उधर बिखरा हुआ था... बस एक ही कुर्सी थी वहां पर बैठने के लिए...
मेरी रूपाली दीदी: ओफो.... भीमा भैया... इस कमरे में तो एक ही कुर्सी है अब हम दोनों इस एक कुर्सी पर ही बैठकर बातचीत कैसे करेंगे..
कुछ सोचने के बाद मेरी रूपाली दीदी भीमा के पास आई और बड़े प्यार से उसकी चौड़ी छाती पर मुक्के मारने लगी... फिर वह भीमा को धकेलते हुए उस कुर्सी के ऊपर बिठा दी.. भीमा को तो कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि मेरी रूपाली दीदी उसके साथ क्या कर रही है... लेकिन उसे बड़ा मजा आ रहा था...
मेरी बहन ने अपनी साड़ी अपने घुटनों तक उठा के अपने गुलाबी होठों को अपने दांतो से काटते हुए भीमा की आंखों में अपनी नशीली आंखों से देख रंडियों की तरह मुस्कुराने लगी थी... और फिर अपनी दोनों टांगे दाएं बाएं कर कर भीमा की गोद में बैठ गई मेरी बहन...
भीमा: आह्ह्हह्ह.... हमार बुरचोदी भौजी..आह्ह...
दरअसल मेरी बहन भीमा कि लूंगी के भीतर टेंट बनाकर खड़े उसके खूंखार मुसल पर बैठ गई थी... जिसके कारण उसके मुंह से कामुक सिसकारियां निकलने लगी थी..
मेरी रूपाली दीदी: क्या कहा आपने भैया जी..
भीमा ने मेरी बहन की आंखों में आंखें डाल कर कहा...
भीमा: मेरी बुरचोदी भौजी.....
भीमा की गंदी देहाती बातें सुनकर मेरी रूपाली दीदी के बदन में एक अजीब सा रोमांच उठ रहा था... आज पहली बार कोई मर्द मेरी बहन को गंदी गाली अपनी देहाती भाषा में दे रहा था... और उसे सुनकर मेरी दीदी नाराज होने के बजाय कामुक और उत्तेजित हो रही थी..
पिछले 1 महीने के अंदर ठाकुर साहब ने मेरी रुपाली दीदी को भरपूर चोदा था.... पर कभी भी उन्होंने मेरी बहन के बारे में गंदे लफ्ज़ों का इस्तेमाल नहीं किया था.. ना ही कभी काम क्रीड़ा के दौरान मेरी बहन को गालियां दी थी... मेरे जीजू तो वैसे भी बहुत ही शरीफ इंसान है.. वह तो कभी सोच भी नहीं सकते कि किसी औरत के साथ ऐसा किया जा सकता है... भीमा ने जो पान खिलाया था यह उसका नशा था या फिर कुछ और मगर मेरी दीदी भीमा की देहाती बातों और उसकी जबरदस्त मर्दानगी की दीवानी होती जा रही थी...
भीमा ने अपनी मजबूत बाहों का शिकंजा मेरी रूपाली दीदी की नंगी कमर और उनकी पीठ के आसपास मजबूत कर दी और मेरी बहन को अपने सीने से चिपका लिया था...
साड़ी के ऊपर ही सही मेरी रूपाली दीदी को अपनी चूत के नीचे टिका हुआ भीमा का खूंखार मुसल अपनी मौजूदगी का एहसास दिला रहा था...
मेरी रूपाली दीदी बस अपनी कामुकता में मुस्कुरा रही थी..
मेरी दीदी ने अपना निचला अंग उसकी कठोर अंग पर धीरे-धीरे रगड़ना शुरू कर दिया था...
और फिर भीमा की कामुक आंखों में देखते हुए बोलने लगी.
मेरी रूपाली दीदी: भैया जी.... आपसे बस एक बात पूछनी है अगर आप बुरा नहीं मानो तो पूछ सकती हूं क्या..
भीमाने और जबरदस्त तरीके से मेरी बहन को जकड़ लिया... मेरी रूपाली दीदी की चूचियां उसके चेहरे पर जाकर टकरा गई... और पहली बार उसने अपने काले मोटे होठों की मोहर मेरी बहन की एक चूचि पर लगा दी थी..
मेरी रूपाली दीदी: आह्ह… उफ्फ मम्मी.... मेरी बहन को अपने पूरे जिस्म में एक जबरदस्त कामुक कंपन का एहसास हुआ..
चोली के ऊपर से ही भीमा द्वारा मेरी रूपाली दीदी की दोनों चूचियां कस-कस के अब रगड़ी, मसली जा रही थीं..
भीमा: हां पूछो भौजी... का पूछना है आपको..
मेरी रूपाली दीदी भीमा के मुसल अंग के ऊपर अपना निचला अंग टिका कर बड़ी मासूमियत के साथ पूछने लगी.
मेरी रूपाली दीदी: भैया जी.. इस महंगाई के जमाने में भी आप इतने सारे बच्चे कैसे पाल सकते हो.... आप कुछ करते क्यों नहीं ताकि आगे से और बच्चे पैदा ना...
मेरी बहन की बातें सुनकर भीमा हंसने लगा था... मेरी दीदी की बात का जवाब देने के बजाय उसने अपने डब्बे से एक और पान निकाल कर मेरी बहन के मुंह में ठूंस दिया... मेरी रूपाली दीदी मस्त होकर चबाने लगी..
अभी तो पहले वाले पान के नशे में मेरी दीदी झूम रही थी... इस दूसरे पान ने तो कयामत ढा दी मेरी दीदी के अंदर.. ऊपर से मेरी रूपाली दीदी एक कठोर मर्द के कठोर अंग के ऊपर बैठी हुई थी जिसकी दस्तक उनके निचले छेद पर महसूस हो रही थी... मेरी बहन वासना की नदी में गोते खा रही थी बिना किसी रूकावट के..
मेरी दीदी ने झूमते हुए एक अंगड़ाई तोड़ी भीमा की गोद में बैठे हुए... उसके कठोर मुसल पर..
भीमा मेरी रुपाली दीदी की हालत देख कर मुस्कुराने लगा... उसे अच्छी तरह पता था कि उसने जो पान मेरी बहन को खिलाया है उसका नशा मेरी दीदी के सर पर चढ़कर बोल रहा है..
भीमा अपना डब्बा खोलकर एक पान निकालकर अपने मुंह में रखने ही वाला था कि मेरी दीदी ने उसका हाथ पकड़ लिया और वह पान उसके हाथ से लेकर अपने मुंह में ले लिया... लेकिन दीदी उस पान को चबा नहीं रही थी... मेरी रूपाली दीदी की इस हरकत पर भीमा हैरान होकर उनकी तरफ देख रहा था...
मेरी रूपाली दीदी फिर नीचे की तरफ झुक कर अपने गुलाबी होंठ भीमा के काली भद्दे होठों पर रख के चूमने लगी उसको... उसके होठों को बड़े प्यार से चूसने के बाद मेरी दीदी ने अपनी जुबान उसके मुंह के अंदर डाल दी और वह पान भी उसके मुंह में ठूंस दिया... अब दोनों मिलकर पान चबाने लगे थे... जबरदस्त चुंबन हो रहा था दोनों के बीच... उस पान को खाने की लड़ाई चल रही थी... मेरी बहन की तो सांसे फूलने लगी थी..
पवन के साथ साथ भीमा ने मेरी रूपाली दीदी के होठों पर लगे हुए लाल लिपस्टिक को भी पूरा चाट कर साफ़ कर दिया था..
उस चुंबन को तोड़कर भीमा ने मेरी बहन को खड़ा किया और खींचकर उनकी साड़ी को उनके बदन से अलग कर दिया और नीचे फेंक दिया.
उसके अंदर का जानवर जाग चुका था... वह हवस की आग में पागल हो चुका था...
छोटे कद की मेरी बहन भीमा के सामने खड़ी थी अपनी चोली और पेटीकोट में... भीमा उनके सामने खड़ा हुआ दानव लग रहा था.. उसने मेरी बहन की बालों का जूड़ा खोल दिया एक झटके में ही... मेरी रूपाली दीदी के लंबे लंबे काले काले बाल बिखर कर उनकी गांड तक पहुंच गए थे... दीदी की मांग में सिंदूर लगा हुआ था.. जिसे देखकर भीमा मुस्कुरा रहा था अजीब तरीके से...
भीमाने मेरी रुपाली दीदी के डिजाइनर फ्रंट ओपन चोली के सारे बटन एक-एक करके खोल दिए.. और मेरी बहन की चोली को निकाल कर वहीं जमीन पर फेंक दिया...
ब्रा में कैद मेरी बहन के दोनों कबूतर फड़फड़ा के आजाद होने की दुआएं मांगने लगे थे.. मेरी रूपाली दीदी की चूचियां गर्मी और वासना की आग में झुलसते हुए ऊपर नीचे हो रही थी भीमा की आंखों के सामने..
मेरी रूपाली दीदी की गदरआई हुई जवानी देख कर भीमा बेचैन हो रहा था... आज तक उसने सिर्फ गंदी मैगजीन में ही इतने बड़े-बड़े और ठोस चूचियां देखी थी... नीचे झुक कर उसने मेरी बहन की दोनों चूचियों को अपने मजबूत हाथों में पकड़ लिया और जोर जोर से मसलने लगा दबाने लगा ब्रा के ऊपर से... फिर उसने मेरी बहन की एक चूची को अपने मुंह में लिया और अपने दांत से काट लिया... मेरी दीदी सिसक सिसक के पागल होने लगी थी..
मेरी रूपाली दीदी: उह्ह… उह्ह… उह्ह्ह… मम्मी रे... दांत से मत करिए भैया जी.... दर्द होता है.. उह्ह्ह…
भीमा तो दीवाना हो गया था मेरी बहन की छाती देख कर... अपनी हथेली में लेकर वह अब बारी बारी से मसलता और चूस रहा था..
मेरी रूपाली दीदी: ओह्ह… आह्ह आह्ह… भैया जी.... प्यार से कीजिए ना.... मैं मर जाऊंगी....
हवस की आग में जलती हुई मेरी बहन अपने मुंह से कुछ भी बोल रही थी..
अचानक भीमा को धक्का देकर मेरी रूपाली दीदी उससे अलग हो गई... भीमा हैरान होकर मेरी बहन की तरफ देखने लगा... मेरी रूपाली दीदी भी उसकी तरफ देखकर रंडियों की तरह मुस्कुराने लगी.. फिर मेरी दीदी पीछे की तरफ घूम गई और अपने बाल अपनी पीठ से एक हाथ से हटाते हुए भीमा की और अपनी गर्दन घुमा कर बोली..
मेरी रूपाली दीदी: भैया जी.... हमारी ब्रैशियर खोलने में हमारी मदद कीजिए ना...
जिस कामुक अंदाज में मेरी दीदी ने धीमा को अपनी ब्रा खोलने के लिए आमंत्रित किया था... वह बस मंत्रमुग्ध होकर मेरी बहन की तरफ देख रहा था..
मेरी रूपाली दीदी: क्या सोच रहे हैं भैया जी.... हमारी ब्रा खोलना है कि नहीं... वरना हम चले जाएंगे... कह देते हैं आपको...
मेरी रूपाली दीदी की कामुक अदाएं देकर भीमा तो बिल्कुल पागल हो चुका था... वह दीवाना हो चुका था मेरी बहन का...
लेकिन मुसीबत की बात यह थी की भीमा नहीं जानता था कि इस डिजाइनर ब्रा का हुक कैसे खोलें.... इसीलिए वह नीचे की तरफ झुक गया और मेरी बहन की पीठ को अपनी जीभ से चाटने लगा...
मेरी रूपाली दीदी मन ही मन भीमा की परेशानी को समझ रही थी...
मेरी रूपाली दीदी( नखरे दिखाती हुई): ठीक है भैया जी... अगर आप नहीं चाहते हो तो मैं खुद ही अपनी ब्रा का हुक खोल देती हूं..
ऐसा बोलते हुए मेरी बहन अपना हाथ पीछे की तरफ ले गई ...अपनी ब्रा का हुक खोलकर दीदी ने अपनी ब्रा को नीचे गिरा दिया....
भीमा को अपने मन मांगी मुराद मिल गई थी..
भीमा ने मेरी दीदी को अपनी तरफ घुमाया... मेरी रूपाली दीदी की बड़ी-बड़ी चूचियां... गुलाबी निप्पल से बहता हुआ दूध देखकर भीमा को कुछ ज्यादा हैरानी नहीं हुई... उसे अच्छी तरह पता था कि मेरी बहन 3 महीने पहले ही मां बनी है... दूध की बूंदे मेरी बहन के निप्पल से टपक टपक कर उनकी नाभि की तरफ जा रही थी...
छोटे कद की मेरी बहन दोनों हाथों में अपनी चूचियां थाम के भीमा को आकर्षित करने का प्रयास कर रही थी... जिसकी कोई जरूरत नहीं थी.. भीमा तो पहले से ही मंत्रमुग्ध हो चुका था मेरी बहन के ऊपर..
उसने मेरी बहन का एक निप्पल अपने मुंह में ले लिया और मेरी बहन का दूध पीने लगा... दीदी उसका सर पकड़ के अपनी छाती से दबाने लगी..
मेरी रूपाली दीदी: उह्ह… उह्ह्ह... हमार दूध काहे पीते हैं आप.. हमारा दूध तो हमारी बेटी की खातिर है..
मेरी दीदी भी देहाती भाषा बोलने की कोशिश कर रही थी.. कामुक अंदाज में...
भीमा( मेरी बहन की चूची से मुंह हटा कर): बुरचोदी भौजी हमार... हमको पता था... तोहार चूची में दूध रहा.... छिनार रंडी बाड़ू तू... हमारा ठाकुर साहब तभी तो पी पी का इतना मोटा हो गया है.. बहुत मीठा दूध बा तोहार बुरचोदी.... आज तक तोहार दोनों चूची के पी पी के सुखा देहम..
और फिर बारी बारी से मेरी बहन की दोनों चुचियों से दूध पीने लगा... दांत काट कर वह मेरी बहन की दोनों छातियों पर मुहर भी लगा रहा था..
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Super hot romantic conversation... please update more
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