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मेरा मन दीदी को अपनी आगोश में भरने को कर रहा था। एक 23-24 साल की लड़की की भरपूर जवानी, वो हसीं जिस्म, पूरे दूध की तरह सफ़ेद जिस्म पर केवल दो कपडे़, उस समय दीदी को किसी फिल्मी मॉडल की तरह दिखा रहा था। शायद मेरे अन्दर की वासना मेरी पैंट में मेरे खड़े हो रहे लंड से पता चल सकती थी।
मैं उनकी जाँघों के बीच में अपना हाथ रखकर उस नर्म-मुलायम और मखमली अहसास को महसूस करना चाहता था। अचानक दीदी का नहाना पूरा हुआ और मैंने नजरें बचाते हुए दबे कदमों से खुद को वापस मोड़ा और धीरे से चल कर अपने कमरे में वापस आ गया.
मैंने अपनी सोच पर काबू करने की कोशिश की और कुछ दिनों में मेरे दिमाग से गलत विचार जाने लगे। लेकिन रह-रह कर दीदी का यौवन मेरे अन्दर की वासना को फिर जगा देता था। वो जब भी मुस्कुरा कर देखती तो मेरा मनन कहता कि उनके लबों को लबों से भिगो दूँ। उनकी मस्त जवानी को तार तार कर दूँ और उनके जिस्म से खेलूं। मैंने किसी तरह खुद पर संयम रखा।
होनी को मैंने टालने की अपनी तरफ से पूरी कोशिश की लेकिन होनी तो होकर ही रहती है.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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गांव की लचर बिजली व्यवस्था ने भी होनी का ही साथ दिया. मामा के गांव में बिजली दिन में सुबह 4 से 11 बजे और फिर शाम को भी 4 से 11 बजे के बीच में ही आती थी. बाकी के समय में बिजली गुल रहती थी. घर में केवल एक कमरा था जिसमें एक तख्ता और 3 चारपाई आपस में सटकर बिछायी गयी थी। मैं दीदी की चारपाई के बगल वाले तख्त पे सोता था।
उम्र में 4-5 साल छोटा होने से किसी ने मेरे बारे में गलत न सोचा होगा; इतना तो मैं उस वक्त भी जानता ही था।
उस रात को जब हम सब सो रहे थे तो उस समय रात में लाइट न होने से मुझे गर्मी लगने लगी और नींद खुल गयी। मैं हाथ वाला पंखा चलाने लगा तो उसी समय दीदी मेरे हाथ से पंखा लेकर खुद ही लेटे लेटे मुझे हवा करने लगी।
थोड़ी देर बाद मुझे लगा कि उनका हाथ दर्द कर रहा होगा इसलिए मैंने उनके हाथ से लेने के लिए हाथ चारपाई पर रखा तो उनकी बांह पर हाथ पड़ा। इतनी नर्म और मुलायम बांह पर हाथ पड़ने से मैं कुछ संकुचाया लेकिन पंखा लेने के लिए हाथ पूरी बांह पर फेरते हुए हथेली तक ले गया और पंखा लेकर चलाने लगा।
दीदी ने पंखा वापिस लेने की जबरदस्ती की लेकिन इस बार मैंने उनकी हथेली में अपनी हथेली फंसाकर उनको पंखा नहीं लेने दिया।
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लेकिन न मैंने दीदी का हाथ छोड़ा और न ही दीदी ने छुड़ाया। मैं उनका हाथ छोड़ना भी नहीं चाहता था क्यूंकि मेरी नस-नस में अब दीदी को छूते रहने की लालसा थी। पूरी रात दीदी मेरे हाथों पर प्यार की थपकी (जैसे छोटे भाई को दी जाती है) देती रही और मुझे पता नहीं कब नींद आ गयी।
अक्सर रात में दीदी का हाथ मेरे हाथों में रहता था और दीदी के पूरे बदन को छूने की लालसा मेरे मन में हर दिन बढ़ती ही जा रही थी।
लेकिन यह आनंद भरा खेल उस रात को गड़बड़ा गया जब मामी की वजह से मुझे तख्ते से हटकर दूसरी चारपाई पर जाना पड़ा। उस कमरे में 3 चारपाई और एक तख्ता एक साथ एक आयताकार रूप में एक दूसरे से सटा कर बिछाए हुए थे। उस रात को मैं जिस चारपाई पर गया वो दीदी की चारपाई के विपरीत दिशा में थी। अब दीदी और मेरा सिर एक दूसरे की विपरीत दिशा में था। उस रात को दीदी के सिर में तेज दर्द था.
चूंकि मैं उनसे काफी छोटा था तो मैंने सिर दबाने को कहा. बहुत कहने पर दीदी मान गयी और मैं अपनी चारपाई से ही हाथ पीछे करके उनका सिर दबाने लगा। लगभग 15 मिनट बाद जब दीदी और सब लोग सो गए तब मेरी उँगलियाँ दीदी के माथे से होते हुए दीदी के गालों पर पहुंचने लगीं। ऐसा लगने लगा था कि शायद अब मेरी उँगलियाँ किसी रुई के गुच्छे में चली गयी हों। मैंने उनके गाल पर काफी देर तक उँगलियाँ फेरीं और फिर सरकाते हुए उनके गले तक पहुंचा।
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रे शरीर में सनसनी फ़ैल गयी क्यूंकि ठीक उसी समय दीदी थोड़ा सा ऊपर खिसकी और मेरी उँगलियाँ उनके गले से सरकते हुए थोड़ा सा नीचे चली गयी और एक मलमल से उठे हुए उनके बूब्स पर पहुँच गयीं।
मेरी उँगलियाँ कुछ कांपी लेकिन तब तक अपनी वासना से इतना मजबूर हो चुका था मैं कि कब उनके एक बूब्स को पूरा हाथ में भर कर हल्का हल्का दबाने लगा मुझे इस बारे में सोचने का मौका भी नहीं दिया मेरे मन में उठ रहे वासना के वेग ने।
वासना जैसे-जैसे बढ़ती गयी उनके उरोज पर मेरा दबाव और पकड़ बढ़ती गयी। थोड़ी देर बाद अहसास हुआ कि टाइट सूट होने की वजह से उनके बूब्स पर हाथ फिराने में जो दिक्कत हो रही थी वो अचानक सूट के ढीला होने से दूर हो गयी। मेरा हाथ उनके बूब्स की घाटियों में पूरा घूमने लगा।
तभी एहसास हुआ कि मेरे हाथों पर उनके होंठों के चुम्बन हुए जिसने मेरे लंड को अपनी उत्तेजना के चरमोत्कर्ष पर पहुंचा दिया। जिसका सीधा मतलब था कि मैं यौवन की प्यास को जगा चुका था।
मेरे शरीर में उनके प्रति इतना आकर्षण बढ़ गया कि कब मैं अपनी चारपाई से उठकर उनकी चारपाई पर पहुँच गया पता ही न चला। उस समय मैं यह भी भूल गया था कि भले ही घर में पूरा अँधेरा था लेकिन घर में और लोग भी तो मौजूद थे।
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लगाम घोड़ी होती है ये हवस … एक बार दौड़ना शुरू किया तो दौड़ाती ही चली जाती है.
मेरे दिमाग ने काम करना बंद कर दिया था।
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मैं जैसे ही दीदी की चारपाई पर पहुंचा, उन्होंने भी अपनी आगोश में मुझे भर लिया। मेरा सिर उनके उभारों के मखमली और सबसे मुलायम जगह पर था।
अपने मुंह को दीदी के उभारों में घुसा कर उस पहले अहसास के आनंद में ऐसा डूबने लगा कि मुझे पता ही नहीं चल रहा था कि अब और गहराई में उतरना है. पहली बार दीदी के उभारों को अपने होंठों से छुआ था इसलिए आनंद की कोई सीमा न थी.
मेरा मन कर रहा था कि अब आगे चलूं, आगे क्या होगा. हवस ने मेरे लंड का बुरा हाल कर दिया था और मेरा लंड को फाड़ने के लिए बार-बार पैंट में ही दीदी की जांघों पर धक्के पर धक्के दिये जा रहा था. मगर अभी तक ये समझ नहीं आ रहा था कि अब आगे क्या करना है. पहला अनुभव था किसी लड़की के बदन के स्पर्श का.
मगर दीदी को शायद थोड़ा ज्यादा तजुरबा था. उन्होंने मेरे बालों को सहलाया और फिर मेरी गर्दन को हल्के से उठा कर मेरा माथा चूम लिया. बस अब मुझे आगे का रास्ता भी दिख गया था. मैंने अपने बदन को दीदी के बदन पर घिसते हुए खुद को थोड़ा और ऊपर घसीटा और अपने होंठों को दीदी के होंठों पर रख दिया.
दीदी के लबों से लब मिले तो जैसे चाशनी में डूबी जलेबी का स्वाद जबान को मिलने लगा. मगर पहली बार था इसलिए ये भी नहीं जानता था कि किस कैसे करते हैं.
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एक दबे हुए डर के साथ ही आनंद की उन लहरों में दीदी के होंठों को चूसने लगा. जैसा जो भी समझ आ रहा था बस हम दोनों करने में लगे हुए थे. शायद दोनों के ही मन में ये डर था कि अगर चुम्बन की आवाजें बगल में सो रहे लोगों के कानों में पड़ गयीं तो लेने के देने न पड़ जायें इसलिए दोनों ही सावधानी के साथ एक दूसरे को भोगने की राह पर आगे बढ़ रहे थे.
दीदी ने मुझे पूरी तरह अपनी आगोश में भर रखा था और मैं तो जैसे सातवें आसमान में उड़ रहा था. मेरी छाती दीदी के बूब्स पर कसी हुई थी और लंड था कि दीदी की जांघों में छेद ही करने वाला था.
तभी दीदी ने नीचे से हाथ ले जाकर मेरे लंड को छुआ तो हवस में ऐसी लपटें मेरे जिस्म में उठीं कि मैंने दीदी के होंठों को जोर से काट लिया और शायद दर्द के मारे उनके हल्की सी टीस निकल गयी. लेकिन उन्होंने अपनी आवाज को होंठों से बाहर न आने दिया और अंदर ही दबा लिया.
मैंने दीदी की पजामी पर हाथ मारा तो दीदी की जांघों के बीच में उठी हुई सी वो आकृति हाथ को छू गई.
किसी भी योनि को छूने का यह मेरा पहला अहसास था … बहुत ही कामुक और बेहद आनंददायक।
मैंने एक दो बार दीदी की योनि को उनकी पजामी के ऊपर से ही मसला और फिर उनकी जांघों से पजामी को नीचे खींचने की कोशिश करने लगा.
दीदी भी पूरे उफान पर थी इसलिए मेरी मंशा को भांप कर दीदी ने भी अपनी गांड हल्की सी उठा दी और दीदी की बिना पैंटी वाली योनि पर मेरा हाथ जा लगा.
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आह्ह … पहली बार नंगी चूत को छूकर ऐसा तूफान उठा कि मुझसे रहा न गया और मैंने दीदी की योनि में उंगली ही डाल दी. दीदी हल्की सी उचकी लेकिन बिना आवाज किये.
हम दोनों भाई बहन फूंक-फूंक कर कदम रख रहे थे. आग दोनों तरफ बराबर की लगी हुई थी.
दीदी ने मेरी पैंट की चेन खोल दी और फिर मैं समझ गया कि दीदी मेरे लंड का स्पर्श पाना चाहती है. मैंने भी लंड को बाहर निकाल लिया और दीदी के हाथ में दे दिया.
नर्म हाथ में जाते ही लंड में ऐसी लहर उठी कि एक बार तो लगा कि स्खलन हो ही जायेगा लेकिन किसी तरह खुद को रोका और एकदम से दीदी का हाथ हटा दिया. दीदी भी जान गयी कि शायद मैं चरम पर पहुंचने के करीब हूं इसलिए उन्होंने भी दोबारा लंड को छूने की कोशिश नहीं की.
मैंने दीदी की गीली चूत से उंगली निकाली और उसको अपने मुंह में भर लिया. मुझे नहीं पता था कि ये सब करना भी होता है या नहीं, मगर जो भी हो रहा था अपने आप ही होता चला जा रहा था. दीदी का रस चखने के बाद अब उनकी योनि को अपने लंड का रस देने की बारी थी. अब और कुछ सूझ ही नहीं रहा था.
मैंने दीदी के कान के पास अपने होंठ ले जाकर फुसफुसाते हुए पूछा- डाल दूं क्या अंदर?
दीदी ने मेरी पीठ पर अपने नाखून गड़ा कर अपनी मंजूरी दे दी.
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मैंने दीदी की चूत को टटोला और अपने लंड को दीदी की योनि पर फेरते हुए रख लिया. कुछ नहीं पता था कि लिंग योनि में कैसे डाला जाता है. एक बार में ही चला जाता है या कई बार में जाता है. कितना जोर लगाना चाहिए और कब लगाना चाहिए.
मगर सेक्स तो करने से ही आता है. मैंने दीदी की योनि पर लंड को लगाकर हल्का सा धक्का दिया तो लंड फिसल गया. लंड भी कामरस छोड़ कर पूरा टोपा चिकना कर चुका था और उधर दीदी की योनि भी पूरी भीगी पड़ी थी.
मैंने दोबारा से लंड को योनि पर सेट किया और एक धक्का मारा. दूसरी बार भी लंड फिसल गया. अब दीदी को लगा कि उनको ही आगे आना पड़ेगा. दीदी ने मेरे लंड को अपने मुलायम से हाथ में पकड़ कर अपनी योनि के द्वार पर सेट किया और मुझे अपनी तरफ खींच कर ये बताया कि अब धक्का लगा.
मैंने धक्का दिया तो मेरा लंड दीदी की चूत में उतर गया. उम्म्ह … अहह … हय … ओह … क्या बताऊं यारों, अपनी ममेरी बहन की चूत में लंड देने का वो पहला अहसास … आज भी उस पल को याद करते ही मुट्ठ मारने का मन कर जाता है.
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दीदी की योनि में लंड को डालकर मैंने धीरे-धीरे अपने बदन को दीदी के बदन पर घिसना शुरू किया. धक्के कैसे लगाये जाते हैं ये भी मैं बाद में ही सीख पाया लेकिन उस दिन तो बस जैसे तैसे करके मुझे दीदी की योनि का रस पीना था.
सेक्स का मजा कैसे लिया जाता है वो सब मैंने बाद में ही सीखा.
मेरी जवान ममेरी बहन की योनि इतनी गर्म और गीली थी कि मैं दो मिनट से ज्यादा उसमें टिक ही नहीं पाया और जब वीर्य निकला तो ऐसा आनंद मिला कि वैसा आनंद दुनिया में कहीं और मिल ही नहीं सकता।
मैंने दीदी की चूत में अपना पूरा लंड खाली कर दिया.
मेरी सांसें तेजी से चल रही थीं लेकिन दीदी शायद प्यासी रह गई थी. मगर फिर भी दीदी ने प्यार से मेरी पीठ को सहलाया और मुझे अलग होने के लिए कह दिया.
उस रात से हमारे जवान जिस्मों के बीच में जो संबंध बनने की शुरूआत हुई तो फिर हमने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा.
एक रोज भाग्य ने भी पूरा साथ दिया और घर में हम दोनों अकेले ही थे. उस दिन मैंने दीदी की योनि को चाटा भी और चूसा भी। मगर सेक्स तो उस दिन भी पांच मिनट से ज्यादा नहीं चल पाया. फिर धीरे-धीरे जैसे-जैसे मैं पारंगत होता गया तो मेरी और दीदी की जवानी खिलती चली गई.
हम दोनों चुदाई का भरपूर मजा लेने लगे. होते-होते बात यहां तक पहुंच गई थी कि दोनों ने भाग कर शादी करने का फैसला तक कर डाला. मगर ऐसा कुछ हो न पाया। फिर मेरी पढ़ाई वहां से खत्म हो गई और मैं अपने घर आ गया.
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दीदी की चुदाई मैंने कैसे की
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(14-09-2021, 03:05 PM)neerathemall Wrote: दीदी की चुदाई मैंने कैसे की
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दीदी 28 साल की है और सच कहूँ तो बिल्कुल माल है। 34डी साइज की चूचियां, 32″ की कमर और 36″ की गांड है दीदी की! बिल्कुल चिकना पेट! लम्बाई 5 फ़ीट 5 इंच की है।
बचपन से ही वो खुद को सबसे अलग समझती थी और अपने ऊपर कुछ ज्यादा ही ध्यान देती थी। लेकिन कभी भी किसी लड़के को उन्होंने अपने पास आने नहीं दिया। उसका एकमात्र कारण था कि उन्हें अच्छी जॉब और अच्छे पैसे कमाने का भूत सवार पढ़ाई के दिनों में ही हो गया था।
कॉलेज ख़त्म करते ही उन्होंने एक अच्छी कंपनी ज्वाइन कर ली थी और तब से वो जॉब कर रही हैं।
एक दिन ऑफिस से लौटने में मुझे देर हो गयी तो दीदी का फ़ोन मेरे पास आया।
मैंने दीदी को बताया कि मुझे थोड़ा समय लगेगा.
तो उन्होंने कहा- जल्दी आना, मम्मी पापा को चाचा के पास जाना है। वो लोग अभी एयरपोर्ट के लिए निकल रहे हैं और मुझे अकेले रहना पड़ेगा जब तक तुम नहीं आओगे।
मैंने दीदी से कहा कि आता हूँ जल्दी ही और ये कहकर मैंने फ़ोन रख दिया।
करीब 10 बजे जब मैं घर पहुंचा तो दीदी मेरा इंतज़ार ही कर रही थी।
दीदी मुझे देखते ही बोली- बोला था ना जल्दी आने को .. फिर भी देर लगा दी तुमने मनीष? अब जल्दी से चेंज कर लो, मुझे भूख लग रही है।
यह कहकर दीदी रसोई की तरफ चली गयी.
मैं कमरे में आकर कपड़े बदलने लगा।
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तभी दीदी का फ़ोन बजा। मैं चेंज करके बाहर आया तो दीदी फ़ोन पर किसी से बात कर रही थी।
दीदी ने फ़ोन मुझे देते हुए कहा- लो, मम्मी का फ़ोन है, वो फ्लाइट में बैठ गयी हैं।
मैं फ़ोन लेकर मम्मी से बात करने लगा और दीदी खाना लगाने के लिए रसोई में चली गयी।
बात करने के बाद जैसे ही मेरी नज़र फ़ोन पर गयी तो उसमें एक पोर्न साइट खुली हुयी थी। शायद दीदी फ़ोन पर वो पोर्न वीडियो देख रही थी और तभी फ़ोन आ गया और दीदी साइट बंद करना भूल गयी थी।
मैंने चौंक कर दीदी की तरफ देखा तो वो मेरी तरफ पीठ कर के खड़ी थी और खाना लगा रही थी।
मैं उनका फ़ोन लेकर बाथरूम में घुस गया और देखने लगा कि और क्या क्या है दीदी के फ़ोन में।
मुझे कुछ ज्यादा तो नहीं मिला लेकिन दीदी की एक बेस्ट फ्रेंड नीरा के साथ हो रही चैट मुझे दिख गयी। दीदी को उस पोर्न साइट की लिंक उन्होंने ही भेजी थी और उन दोनों की चैट पढ़कर लगा कि दीदी और उनकी दोस्त लेस्बियन हैं।
काफी सेक्सी और हॉट बातें हुई थी दोनों के बीच पिछले आधे घंटे में।
नीरा ने तो चैट में ये भी लिखा था- यार, हम दोनों के साथ कोई लड़का होता तो हम दोनों उसका एक साथ लंड चूसकर चुदाई करते।
दीदी ने नीरा से कहा- ठीक है, बना ले एक बॉयफ्रेंड हम दोनों के लिए।
तो नीरा ने कहा- मुझे तो तेरा भाई ही पसंद है. तू सेटिंग करवा दे मेरी।
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दीदी ने कहा- पागल है क्या तू?
नीरा ने कहा- यार जब चुदने का मन करता है रात में तो सच में मुझे मनीष का ही चेहरा दिखता है और मैं उंगली करती हूँ उसे ही सोच कर! काश वो मेरा भाई होता तो मेरा तो घर में ही जुगाड़ हो जाता।
तब दीदी ने कहा- बना ले भाई उसे, मैंने कब रोका है।
नीरा ने कहा- मुझे तो बनाना पड़ेगा. तेरा तो वो भाई है ही, उसके साथ बात कर के देख ना? किसी बाहर वाले की जरूरत ही नहीं पड़ेगी हम दोनों को।
इस पर दीदी और नीरा दोनों हंस पड़ी और दीदी ने कहा- लगता है कि तू मेरी भाभी बन कर ही रहेगी।
नीरा ने फिर एक लिंक भेजा और लिखा- देख ये मूवी भाई बहन सेक्स वाली। फिर तुझे भी मन न हो जाये तो कहना।
इस पर दीदी ने जवाब दिया- अच्छा देखती हूँ फिर बात करती हूँ।
यह पढ़कर मुझे अचानक से झटका भी लगा और मेरा हाथ अपने आप मेरे लंड को सहलाने लगा। वैसे तो मैंने कभी दीदी के बारे में ऐसा सोचा नहीं था लेकिन उनकी चैटिंग पढ़ कर अचानक ही दीदी के बारे में गलत ख्याल मेरे मन में आ गए।
नीरा भी मुझसे चुदने के सपने देखती है, यह जान कर सच में मेरा लंड काफी टाइट हो गया था।
तभी दीदी ने मुझे बाहर से आवाज़ दी और मैं फ़ोन बंद करके बाहर आ गया।
दीदी ने नाइटी पहन रखी थी और मेज पर मेरा इंतज़ार कर रही थी। मुझे देखते ही बोली- तुम आज मुझे भूखे ही मार दो। कब से इंतज़ार कर रही हूँ खाने के लिए। अब आओ और शुरू करो।
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मैं दीदी की सामने बैठ कर चुपचाप खाने लगा। मेरे दिमाग में उनकी चैटिंग वाली बात ही घूम रही थी और मैं उनसे नज़र बचा कर उनको देख रहा था। नाइटी के अंदर उनके बड़े बूब्स पर मेरी नज़र बार बार जा रही थी।
दीदी मेरी सोच से अनजान हो कर खाना खा रही थी कि तभी उसे अपने फ़ोन की याद आयी- मनीष, मेरा फ़ोन कहाँ रखा तूने?
“ओह्ह दीदी, वो मेरे पास ही रह गया था।” मैंने पॉकेट से फ़ोन निकाल कर देते हुए कहा और फिर सर झुका कर खाना खाने लगा।
दीदी के फ़ोन में लॉक लगा हुआ था। जैसे ही दीदी ने लॉक खोला स्क्रीन पर वो पोर्न वीडियो वाला पेज आ गया। दीदी के चेहरे का रंग बदल गया और तुरंत उन्होंने मोबाइल को बंद कर दिया और चुपचाप खाना खाने लगी।
मैं कभी कभी खाते हुए उनकी तरफ देख रहा था पर अब वो चुपचाप सर नीचे कर खाना ख़तम करने लगी और प्लेट उठा कर रसोई में जाने लगी। मेरी नज़र उनकी कमर पर पड़ी जो आज मुझे अचानक ही बहुत सेक्सी लग रही थी।
दीदी प्लेट रसोई में रखकर वापस आयी और बोली- मैं जा रही हूँ सोने, तुम भी सो जाना।
मैंने उन्हें देख कर सर हिलाया और प्लेट रसोई में रख कर अपने बैडरूम में आ गया।
बेड पर लेटते ही मुझे वही सारी चैटिंग याद आने लगी और मैं अपने लंड को हाथ में लेकर मुठ मारने लगा। अपनी सगी दीदी से चुदाई के बारे में सोच कर ही मेरा लंड तुरन्त ही खड़ा हो गया।
फिर मेरी आँखों के सामने दीदी अपने कपड़े उतारते हुए मेरा लंड चूसते हुए और फिर मुझसे चुदते हुए दिखने लगी और मेरे मेरे लंड ने पानी छोड़ दिया।
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जब मैं अपना हाथ और लंड को साफ करने के लिए उठकर बाथरूम की तरफ जा रहा था तो मुझे दीदी के कमरे की लाइट जलती हुयी दिखी और दीदी की आवाज़ भी सुनाई पड़ी।
मैं वहीं रुक कर दरवाजे से कान लगा कर सुनने की कोशिश करने लगा कि इतनी रात में दीदी किससे बात कर रही है।
थोड़ी देर सुनने पर समझ आ गया कि दीदी अपनी सहेली नीरा से बात कर रही थी और कह रही थी- तू बहुत कमीनी है। ऐसी वीडियो भेजी है जिसे देख कर मेरा मन कर रहा है कि अभी मनीष के पास जा कर चुद लूँ।
उधर से नीरा ने कुछ कहा तो दीदी ने जवाब दिया- तू सच में पागल हो गयी है। मैंने तो ऐसे ही कह दिया लेकिन वो मेरा भाई है। मैं ऐसा कैसे कर सकती हूँ उसके साथ। तुझे बहुत मन कर रहा है तो आ जा घर पर। मम्मी पापा कोई है नहीं, तू कर लेना मनीष के साथ। बोल आएगी तो मैं भेज देती हूँ मनीष को तुझे लाने के लिए?
दीदी शायद वीडियो कॉल कर रही थी और नीरा से कह रही थी- जो तेरे बड़े बड़े चूचे हैं ना आज मनीष से तू मसलवा ही ले।
फिर नीरा ने कुछ कहा तो दीदी ने जवाब दिया- अगर तू सच में आ रही है तो बोल? तेरे आने के बाद क्या होगा, वो तब सोंचेंगे। ठीक है, फिर मैं मनीष को बोलती हूँ, तुझे लेकर आ जायेगा वो।
यह बोल कर दीदी ने फ़ोन कट कर दिया।
मैं दरवाजे पर खड़ा ये सुनकर जल्दी से बैडरूम में वापस आ कर सोने का नाटक करने लगा। मैं सिर्फ लोअर पहन कर लेटा हुआ था और उन दोनों की बातें सुनकर मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया था।
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तभी दरवाजे पर आ कर दीदी बोली- मनीष भाई, सो गए क्या?
मैंने कोई जवाब नहीं दिया तो दीदी अंदर आ गयी और मुझे सोये हुए देखने लगी।
मेरा लंड लोअर में तना हुआ था और मैं सोने का नाटक करते हुए मजे लेने लगा।
दीदी मेरे बिल्कुल पास आ गयी और मेरे लंड को देख रही थी और फिर वीडियो बनाने लगी मेरा।
वो मेरी तरफ देख भी रही थी कि कहीं मैं जगा हुआ तो नहीं हूँ।
फिर धीरे से दीदी ने मेरे लंड को लोअर के ऊपर से ही छू कर देखा और तुरंत हाथ हटा किया और मेरी तरफ देखने लगी।
मैं सोने का नाटक कर रहा था और दीदी ने दुबारा मेरा लंड धीरे से हाथ में ले लिया। मैं दीदी के हाथ अपने लंड पर महसूस कर रहा था और मेरा लंड पूरा खड़ा हो गया।
तब दीदी ने हाथ हटा लिया और मुझे दुबारा देखने लगी कि कहीं मैं जग तो नहीं गया।
जब मैंने देखा कि दीदी मुझे सिर्फ देख रही है और कुछ कर नहीं रही तो मैंने जागने का नाटक करते हुए कहा- अरे दीदी … क्या हुआ? तुम यहाँ? सोई नहीं अभी तक?
दीदी ने तुरंत जवाब दिया- कब से उठा रही हूँ, उठ ही नहीं रहे हो।
मैंने कहा- उठा तो दिया अब और कितना उठाओगी?
यह कहकर मैंने दीदी के सामने ही अपने खड़े लंड को दबा दिया।
दीदी शायद वीडियो कॉल में अपनी नाईटी के सारे बटन खोल कर बात कर रही थी क्योंकि जब मेरी नजर उधर पड़ी तो ऊपर के 4 बटन खुले थे और चूचियों के बीच की गहराई साफ दिख रही थी। दीदी ने ब्रा नहीं पहन रखी थी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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मैं दीदी की चूचियों को देखते हुए बोला- क्या हुआ दीदी क्यों उठाया मुझे?
दीदी संभलते हुए बोली- भाई मनीष, नीरा का फ़ोन आया था। वो भी घर में अकेली है और उसे अकेले डर लग रहा है। तुम जाकर उसे यहाँ लेते आओ। मैंने उससे कह दिया है कि तुम आ रहे हो उसे लेने।
दीदी की तरफ देख कर मैंने कहा- अभी ही जाना है क्या लाने के लिए नीरा को या थोड़ी देर बाद?
“थोड़ी देर बाद क्यों? अभी कुछ काम करना है क्या तुझे?”
मैंने दीदी की तरफ देख कर कहा- हाँ … और वो तुम भी जानती हो क्या काम करना है।
दीदी मेरी बात सुनकर घबड़ा गयी जैसे उसकी चोरी पकड़ी गयी हो।
“मतलब क्या है तुम्हारा?” उसने कहा।
मैंने दीदी का हाथ पकड़ा और अपनी तरफ खींच कर बोला- मेरा मतलब वही है दीदी … जो तुम समझ रही हो.
और उनका हाथ अपने लोअर के ऊपर से लंड पर रख दिया।
दीदी ने झटके से हाथ हटाते हुए कहा- ये क्या कर रहे हो मनीष?
मैंने कहा- दीदी अब शरमाओ मत … मुझे सब पता चल गया है। तुम अभी इसे छू कर देख रही थी ना? और नीरा से तुम्हारी फ़ोन पर क्या बात हुई है और चैट में क्या बात हुयी है, सब जानता हूँ मैं। अब नीरा तो बाद में भी आ जाएगी लेकिन अभी हम दोनों तो हैं ना एक साथ।
यह कहते हुए मैंने अपना लोअर खींच कर नीचे कर दिया और दीदी का हाथ अपने लंड पर रख दिया।
दीदी अचानक से ये सब सुनकर शायद हड़बड़ा गयी थी और उनके मुंह से कोई शब्द नहीं निकल रहा था।
मैंने दीदी के हाथ में अपना लंड देकर उसकी चूचियों को नाईटी के ऊपर से पकड़ कर दबा दिया।
दीदी ने मेरी तरफ देखा और मैंने दीदी की तरफ और अगले ही पल दीदी के हाथ मेरे लंड को ऊपर नीचे करने लगे और मैं दीदी की चूचियों को दबाने लगा।
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फिर मैंने दीदी को अपनी बेड पर लिटाया और उसके बगल में लेटकर उसकी चूचियों को दबाते हुए उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए।
दीदी मेरे लंड को मसलते हुए मुझे चूमने लगी और मैं भी उसके होंठ चूमते हुए उसकी नाईटी का अंदर हाथ डालकर उनकी नर्म और मुलायम चूचियां दबाने लगा। दीदी और मैं एक दूसरे के होंठ चूसते हुए जीभ से चाटने भी लगे। मैं दीदी की जीभ चूसने लगा और दीदी मेरी।
करीब 5 मिनट तक एक दूसरे को चूसने के बाद हम दोनों अलग होकर एक दूसरे को देखने लगे। अब हमारी आँखों में एक दूसरे के लिए वासना साफ़ दिख रही थी और बिना कुछ बोले हम फिर एक दूसरे से लिपट कर चूमने लगे।
मेरा हाथ दीदी की नाईटी के अंदर उनकी चूचियों को मसल रहा था और दीदी मेरे पूरे चेहरे को चूमती जा रही थी बिना कुछ बोले।
मैंने दीदी से फुसफुसा कर कहा- दीदी, अपनी नाईटी उतारो ना।
“कभी पहले देखा है किसी नंगी लड़की को बिना कपड़ों के?” दीदी ने मुझसे पूछा और अपनी नाईटी खुद ही उतारने लगी।
मैंने कहा- नहीं!
तो दीदी ने नाईटी उतार कर मेरे चेहरे को पकड़ कर अपनी चूचियों में दबा दिया और बोली- देख अच्छे से अपनी दीदी को ही नंगी पहली बार।
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