Thread Rating:
  • 10 Vote(s) - 1.9 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Misc. Erotica मेरी रूपाली दीदी और जालिम ठाकुर...
Bahut aacha update h. Continue story...
Like Reply
Do not mention / post any under age /rape content. If found Please use REPORT button.
ठाकुर साहब मेरी बहन के ऊपर से उतर कर उनके बगल में लुढ़क गय.. उनका मुरझाया हुआ काला हथियार देखकर मेरी रूपाली दीदी को हंसी आने लगी... दीदी उनके सीने पर सर रख कर लेट गई... ठाकुर साहब ने अपने  हथियार से मेरी बहन को पूरा संतुष्ट किया था...
 ठाकुर साहब:  रुपाली मैं तुमसे प्यार करने लगा हूं..
 मेरी रूपाली दीदी:  ठाकुर साहब मैं आपको शुक्रिया कहना चाहती हूं.. आपने जो सोनिया के लिए किया उसके लिए मैं बहुत एहसानमंद हूं आपकी... उसके चेहरे पर जो खुशी थी वह देख कर मुझे भी बड़ी खुशी हुई...
 ठाकुर साहब:  यह तो मेरा फर्ज है रुपाली.. भले ही तुम मुझे अपना नहीं समझती होंगी लेकिन मैं तो तुमसे प्यार करने लगा हूं.. और तुम्हारी खुशी के लिए कुछ भी कर सकता हूं.. सोनिया मेरी  भी  बेटी ही है...
 ठाकुर साहब की बातें सुनकर मेरी दीदी  इमोशनल होने  लगी... धीरे-धीरे ही सही ठाकुर साहब मेरी दीदी के दिल में अपनी जगह बनाने लगे थे.. ठाकुर साहब के प्रति मेरी रूपाली दीदी के दिल में जो नफरत थी वह पूरी तरह खत्म हो चुकी थी... ठाकुर साहब मेरी दीदी के होठों को एक बार फिर चूमने लगे... तकरीबन 1 मिनट तक दोनों के बीच जबरदस्त चुंबन का सिलसिला चलता रहा... उसके बाद मेरी दीदी उठकर बाथरूम में चली गई.. अपने बदन को उसकी साफ सफाई करने के लिए..
 बाथरूम से निकलने के बाद मेरी दीदी ने अपनी साड़ी चोली अच्छे से पहन ली थी.. और वह बेडरूम से निकलकर किचन की तरफ गई चाय बनाने के लिए... मैं अपने बिस्तर पर बैठा किताब में नजर गड़ाए जानबूझकर उनको इग्नोर करना चाहता था.. मेरी दीदी ने किचन में जाने से पहले मेरी तरफ एक बार  घूर कर देखा था... मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी कि मैं उनकी तरफ देखता...

 हम दोनों ही इस परिस्थिति को अच्छी तरह समझ रहे थे.. वैसे तो किसी पराए मर्द के साथ उसके बेडरूम में रात भर घमासान संभोग करने के बाद मेरी रूपाली दीदी को मेरा सामना करते हुए शर्मिंदा होना चाहिए था, पर यहां तो उल्टा हो रहा था... मैं शर्मिंदा हो रहा था और मेरी दीदी मुझे तेज गुस्से वाली निगाहों से घूर रही थी... मुझसे बिना कुछ बोले दीदी किचन में चली गई और चाय बनाने लगी... मेरे जीजाजी भी अपने व्हीलचेयर पर अपने कमरे से बाहर निकल कर आ चुके थे..
 मेरे जीजू:  क्या हुआ रूपाली बहुत थकी हुई लग रही हो सुबह-सुबह..
 मेरी रूपाली दीदी:  कुछ नहीं बस रात को ठीक से नींद नहीं आई..
 मेरे  जीजू:  क्या हुआ... अच्छा गर्मी के कारण ठीक से सो नहीं पाई.. ठाकुर साहब आ जाएंगे तो फिर कमरे  का  एयर कंडीशन ठीक करवाने के लिए मैं बोलूंगा उनको..
 मेरी रूपाली दीदी:  ठाकुर साहब आ चुके हैं.. कल रात को आए थे.. अभी सोए हुए हैं..
 मेरे जीजू:  ओ अच्छा... फिर तो उनको भी रात में बहुत तकलीफ हुई होगी... क्या  ठाकुर साहब अभी भी सो रहे हैं..
 मेरी रूपाली दीदी:  हां वह सो  रहे है...
 उन दोनों के बीच की होने वाली बातचीत सुनकर मुझे अजीब लग रहा था.. मेरे जीजू इतने  भोले क्यों कैसे हो सकते हैं... उन्हें इस बात का कोई अंदाजा नहीं था कि कल रात को क्या कांड हुआ है..
 मेरी दीदी ने चाय बनाई... और  मुझे और जीजा जी को एक-एक कप  देने के बाद दो कप चाय लेकर ठाकुर साहब के बेडरूम के अंदर चली गई और उन्होंने अंदर से दरवाजा बंद कर लिया... मैं और जीजू दोनों ही उस बंद होते हुए दरवाजे की तरफ देख रहे थे... मेरे जीजू तो हैरान होकर हक्का-बक्का लग रहे थे... वह मेरी तरफ देखने लगे.. मैं अपनी नजरें किताब में खड़ा कर देखने लगा...
 थोड़ी देर में ही उस कमरे के अंदर से मेरी रूपाली दीदी की चूड़ियों की खनखन सुनाई देने लगी...
 मेरे जीजू:   सैंडी... तुम्हें कुछ सुनाई दे रहा है क्या.. यह चूड़ियों की आवाज...
 मैं:  नहीं जीजू आपके कान बज रहे हैं शायद...
 मेरे जीजू:  तुम्हारी दीदी ने अंदर से दरवाजा क्यों बंद कर लिया..
 मैं:  मुझे क्या पता... आप उनसे ही पूछ लो ना..
 मेरी जीजू हताश होकर नीचे जमीन की तरफ देखने लगे..
 हम दोनों के बीच आगे कोई बातचीत नहीं हुई... कमरे के अंदर से मेरी रूपाली दीदी की चूड़ी और पायल की खन खन आवाज सुनाई देती रही और पलंग चर चर चर करके हिल रहा था... मैं अपनी निगाहें किताब में गड़ाए हुए था.. मेरे  जीजा जी के चेहरे पर निराशा के भाव देख कर मुझे उन पर दया आ रही थी पर मैं कुछ बोल नहीं रहा था..
 तकरीबन 15 मिनट के बाद उस बेडरूम का दरवाजा खुला... ठाकुर साहब बाहर निकल  कर आ गए थे... उन्होंने बस लूंगी पहन रखी थी... उनका बदन पसीने से भीगा हुआ था...
 मेरे जीजू ने उनको गुड मॉर्निंग कहा ... ठाकुर साहब ने भी उनको गुड मॉर्निंग कहा...
 ठाकुर साहब न्यूज़पेपर उठाकर पढ़ने लगे.. सोफे के ऊपर बैठे हुए... मेरे जीजू उनसे कुछ पूछना चाह रहे थे पर उनकी हिम्मत नहीं हो रही थी... वह उस बेडरूम के खुले हुए दरवाजे की तरफ देख रहे थे... बड़ी हिम्मत करके उन्होंने आखिरकार पूछ लिया..
 मेरे जीजू:   ठाकुर साहब.. रूपाली कहां है..
 ठाकुर साहब:  वह नहा रही है अभी..
 तकरीबन 15 मिनट के बाद मेरी रूपाली दीदी उस बेडरूम की कमरे से बाहर  निकल  के बाहर आ गई... पीले रंग की साड़ी चोली में मेरी दीदी आज कयामत लग रही थी... चेहरे पर हल्का  मेकअप... आंखों में काजल.. होठों पर लाली... और बिजली गिराने के लिए आज मेरी दीदी ने अपनी नाक में नथनी भी पहन रखा था... मेरे जीजू और ठाकुर साहब दोनों ही आंखें फाड़ फाड़ के उनको घूर रहे थे...
 मेरी दीदी सोनिया के बेडरूम में गई.. उसको जगा कर वह बाथरूम के अंदर ले गई.. सोनिया को ब्रश कराने के बाद... दीदी ने उसको कपड़े पहना  दीय.. सोनिया स्कूल जाने के लिए तैयार हो  चुकी थी.
 मेरी रूपाली दीदी ने नूपुर को अपनी गोद में लिया... अपनी चोली उठाकर अपनी एक चूची को बाहर निकाल कर  दीदी ने नूपुर का मुंह में डाल दिया और उसको दूध पिलाने लगी.. नूपुर को दूध पिलाने के बाद मेरी दीदी ने उसको पालने में फिर से सुला दिया... और सोनिया को साथ लेकर उस बेडरूम से बाहर निकल कर आ गई... बाहर हम तीनों ही बैठे हुए थे..
   दीदी सोनिया को लेकर किचन में गई और और उसके लिए ब्रेकफास्ट तैयार  करने लगी... इसी बीच ठाकुर साहब भी उठ कर अपने बेडरूम में चले गए और थोड़ी देर बाद अपनी शर्ट पैंट पहन कर वापस आ गए.. ब्रेकफास्ट करने के बाद सोनिया भी स्कूल जाने के लिए तैयार थी..
 हम दोनों को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है...
 मेरी रूपाली दीदी ने हम दोनों को  समझा दिया:  अब आज से ठाकुर साहब सोनिया को सुबह सुबह स्कूल लेकर जाएंगे.. है ना सोनिया.. सोनिया भी यही चाहती है.. और मैं उसको स्कूल से वापस लेने के लिए जाऊंगी...
 मेरे जीजू:   ठाकुर साहब और अब कितना एहसान करेंगे हमारे ऊपर...
 ठाकुर साहब:  कोई बात नहीं विनोद.. तुम्हारी बेटी भी मेरी बेटी की  तरह ही है...
[+] 3 users Like babasandy's post
Like Reply
Super conversation
Like Reply
Badhiya update bhai
Like Reply
Bahut aacha likha. Aage use Jari rakho
Like Reply
बढ़िया कहानी है मजा आ रहा है
Like Reply
कुछ देर में ही सोनिया नाश्ता करने के बाद अपने स्कूल जाने के लिए तैयार होने लगी , वह अपने जूते पहन रही थी... ठाकुर साहब भी तैयार होकर अपने बेडरूम से बाहर निकल आए थे और मुस्कुराते हुए मेरी दीदी की तरफ देख रहे थे.. ठाकुर साहब मेन गेट से बाहर निकल गए सोनिया भी उनके पीछे-पीछे... मेरी रूपाली दीदी गेट तक उनको बाय बोलने के लिए गई थी... अचानक मेरी बहन को कुछ याद आया..
 मेरी रूपाली दीदी( थोड़ी ऊंची आवाज में):  अजी सुनिए ना... शायद सोनिया की स्कूल की डायरी बेडरूम में ही रह गई है.. जरा देख लीजिए ना... नहीं तो स्कूल में फिर प्रॉब्लम हो जाएगी...
 मेरे जीजू:  ठीक है रुको...
 मेरे जीजू अपने व्हीलचेयर पर ठाकुर साहब के बेडरूम के अंदर चले गए और सोनिया की डायरी को ढूंढने लगे... कुछ देर ढूंढने के बाद जीजू परेशान होने लगे...
 उन्हें सोनिया की डायरी तो नहीं मिली मगर जब उनकी नजर ठाकुर साहब के बिस्तर के ऊपर पड़ी तो उनके होश उड़ गए... इसी बेडरूम के अंदर थोड़ी देर पहले  मेरी रूपाली दीदी ठाकुर साहब के साथ थी और बेडरूम का दरवाजा भी अंदर से बंद था... मेरे जीजा जी ने देखा कि बिस्तर की हालत बहुत खराब  थी... बेडशीट पूरी तरह से अस्त-व्यस्त था... उसके ऊपर मेरी बहन के हाथ की चूड़ियां भी टूटी हुई पड़ी थी.. बेडशीट पर अजीब अजीब धब्बे बने हुए थे.. जो  वीर्य के थे.. मेरी रूपाली दीदी की एक फटी हुई पेंटी बेड के नीचे पड़ी हुई थी... जो कल रात ठाकुर साहब ने नशे में  निकालने के बदले फाड़ डाली थी... कमरे के अंदर एक अजीब तरह की मादक खुशबू फैली हुई थी.. वही खुशबू जब किसी कमरे में एक औरत और एक मर्द संभोग करते हैं, उसके बाद की खुशबू...  मेरे जीजाजी किसी गहरी सोच में डूब चुके थे... उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि आखिर इस घर में हो क्या रहा है...
 क्या रूपाली और ठाकुर साहब एक साथ.... नहीं नहीं मैं ऐसा कैसे सोच सकता हूं... मैं रूपाली के बारे में ऐसा बिल्कुल भी नहीं सोच सकता.. मेरे  जीजू मन ही मन खुद को दिलासा देने की कोशिश कर रहे थे... इसके बावजूद भी उनका दिल बैठा जा रहा था... सोनिया की डायरी ढूंढने की बात तो  वह भूल चुके थे... दूसरी तरफ सोनिया को उसकी डायरी उसके बैग में ही मिल  चुकी थी... अपनी मम्मी को बाय बोल कर सोनिया खुशी-खुशी ठाकुर साहब के साथ अपने स्कूल जा रही थी..
 मेरी दीदी वापस आकर जीजू को ढूंढने  लगी... मेरी रूपाली दीदी उस बेडरूम के अंदर  गई जिसके अंदर मेरे जीजू अपने व्हीलचेयर पर अपना सर पकड़ कर बैठे हुए थे... मेरी बहन ने देखा कि उनके चेहरे पर चिंता की  लकीरे साफ-साफ झलक रही है...
 मेरी रूपाली दीदी:  अरे आप यहां पर क्या कर रहे हैं..
 मेरे जीजू:  तुमने ही तो कहा था सोनिया की डायरी ढूंढने के लिए.. पर रुपाली यह सब क्या है...
  मेरी रूपाली दीदी:  क्या मतलब यह सब क्या है?  कल रात को सोनिया तो आपके साथ सोई थी ना आपके बेडरूम में, तो फिर उसकी डायरी तो वही होनी चाहिए थी... आप ठाकुर साहब के बेडरूम के अंदर क्या कर रहे हैं.. वैसे भी सोनिया की डायरी मिल गई है.. उसी के बैग में ही थी..
 मेरे जीजू:  नहीं रूपाली...  मैं उसके बारे में नहीं कह रहा था.. मैं तो यह पूछ रहा था कि.. पूछ रहा था ... (हकलाने लगे)..
 मेरी रूपाली दीदी:  क्या बोल रहे हो आप... साफ-साफ बोलो ना मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है.. मुझे काम है किचन में...
 मेरी दीदी ने थोड़ी ऊंची आवाज में जीजा जी को कहा... मेरी बहन का तेवर देखकर  मेरे  जीजू की हालत और भी खराब हो गई और उनके मुंह से कुछ बोल नहीं निकल रहे थे.. लेकिन इसके साथ ही कमरे के अंदर का दृश्य और माहौल देखकर मेरे जीजू के मरे हुए हथियार में हलचल होने लगी थी... अपने व्हीलचेयर पर खुद को घसीटते हुए मेरी जीजू मेरी रुपाली दीदी के पास में आए और उनकी कमर पकड़ के लिपट गय.. वह मेरी रूपाली दीदी की गांड दबोच कर उनकी नाभि को चूमने लगे...
 मेरे जीजू की इस हरकत पर मेरी बहन दंग रह गई..
 मेरी रूपाली  दीदी: क्या कर रहे हो जी.... नहीं छोड़ दो मुझे.. क्या मूड है आपका...
 मेरे  जीजू(  मेरी दीदी की नाभि को  अपनी जीभ से  चाट कर):  रूपाली... आज तुम बेहद खूबसूरत लग रही हो... करने दो ना..
 मेरी रूपाली दीदी:  अच्छा जी.. और बाकी दिन बदसूरत  लगती हूं क्या मैं आपको?... बोलो..
 मेरी दीदी की बात सुनकर मेरे जीजा जी का लंड,जिसमें बड़ी मुश्किल से तनाव आया था आज कितने दिनों के बाद, फिर से मुरझा गया..
 मेरी रूपाली दीदी:  छोड़ो मुझे.. मेरा छोटा भाई घर में ही बैठा हुआ है.. क्या सोचेगा... वैसे भी मुझे किचन में बहुत काम है.. आप भी जा कर आराम करो...
 मेरी दीदी उनसे अलग हो गई.. और अपनी गांड  मटका के उस बेडरूम से बाहर निकल गई.. मेरे जीजू उनकी गांड की तरफ ही देखते रहे.. और मन ही मन खुद को कोस रहे थे... मेरी दीदी किचन में चली गई और किचन का काम करने  लगी थी.. मैं हॉल में बैठा हुआ पढ़ाई कर रहा था..
 अब मेरे जीजू भी हॉल में आ चुके थे और मेरे पास बैठ कर टीवी देखने लगे थे... दीदी किचन में काम कर  रही थी... तकरीबन आधे घंटे के बाद हमारे घर की घंटी बजी.. मेरी रुपाली दीदी नहीं दरवाजा खुला.. सामने ठाकुर साहब खड़े थे और मेरी बहन को देख कर मुस्कुरा रहे थे.. मेरी दीदी भी उनको देख कर मुस्कुराने लगी थी..
 ठाकुर साहब ने मुझ पर और  मेरे जीजू पर कोई ध्यान नहीं दिया और अपने बेडरूम में चले गए... फिर वह अपने बाथरूम में घुस गय और नहाने लगे... उन्होंने अपने बेडरूम का दरवाजा पूरी तरह बंद नहीं किया था.. थोड़ी देर बाद उनकी आवाज अंदर से आई..
 ठाकुर साहब:  रूपाली.. रूपाली.... कहां हो तुम.. मेरे पीले रंग की शर्ट नहीं मिल रही है... कहां रख दी है तुमने..
  मेरी रूपाली दीदी किचन में से  गुस्से में निकली और  मेरे जीजू की तरफ देखते हुए अजीब नजरों से:  यह ठाकुर साहब   भी ना.... अजीब किस्म के मर्द है... उनका ही घर है फिर भी उनको नहीं पता होता है तो उनकी चीजें कहां पर है... और फिर ठाकुर साहब के बेडरूम में  चली गई..
 साथ ही साथ मेरी बहन ने दरवाजा भी  थोड़ा और बंद कर लिया उस बेडरूम का.. पूरा बंद नहीं... मैं और मेरे जीजू उस दरवाजे की तरफ देख रहे थे... हैरान होकर...
[+] 2 users Like babasandy's post
Like Reply
Super...mast... please give long update
Like Reply
Zabardast
Like Reply
Awesome...pls continue
Like Reply
Update pls
Like Reply
Waiting for update
Like Reply
Music 
मेरी रूपाली दीदी किचन में से  गुस्से में निकली और  मेरे जीजू की तरफ देखते हुए अजीब नजरों से:  यह ठाकुर साहब   भी ना.... अजीब किस्म के मर्द है... उनका ही घर है फिर भी उनको नहीं पता होता है तो उनकी चीजें कहां पर है... और फिर ठाकुर साहब के बेडरूम में  चली गई..
 साथ ही साथ मेरी बहन ने दरवाजा भी  थोड़ा और बंद कर लिया उस बेडरूम का.. पूरा बंद नहीं... मैं और मेरे जीजू उस दरवाजे की तरफ देख रहे थे... हैरान होकर...
 थोड़ी देर में मेरी बहन बेडरूम से बाहर निकल कर आ गई..  मेरे जीजू के मन में जो शंका पैदा हुई थी शायद वह दूर हो गई थी... पर मुझे तो अच्छी तरह पता था कि इस घर में क्या खिचड़ी पक रही है... मैंने कुछ भी बोलना ठीक नहीं समझा  उस वक्त किसी को भी...
 हम सब ने साथ मिलकर ब्रेकफास्ट किया... ठाकुर साहब की निगाहें बार-बार में मेरी रुपाली दीदी के ऊपर ही जा रही थी... दीदी उनकी तरफ नहीं देख रही थी जानबूझकर.. उनका पति और उनका भाई जो सामने बैठा हुआ था...
 वैसे तो ठाकुर साहब डरते तो  किसी  से भी नहीं  थे.. पर फिर भी उनके अंदर कुछ मर्यादा और कुछ शर्म बची हुई थी... ब्रेकफास्ट के बाद ठाकुर साहब अपने बेडरूम में चले गय... मेरी रूपाली दीदी  भी मेरे जीजू को उनके व्हीलचेयर पर घसीटते हुए उनके बेडरूम में ले गई और किसी तरह से उठाकर  उनको बेड पर लिटा दि... फिर अपनी एक कॉटन की साड़ी और चोली लेकर बाथरूम में चली...
 थोड़ी देर बाद मेरी रूपाली दीदी बाथरूम से बाहर निकली अपनी कॉटन की साड़ी और पुरानी चोली पहनकर...
 मेरे जीजू:  क्या हुआ रूपाली... तुमने अपनी साड़ी क्यों चेंज कर दी.. बहुत अच्छी लग रही थी तुम तो उस साड़ी में...
 मेरी रुपाली  दीदी:  क्या करूं जी.... आप तो जानते ही हो ना कि मेरे पास सिर्फ दो तीन अच्छी साड़ियां है.... अभी घर के इतने सारे काम करने हैं है हमको...
 साड़ी खराब ना हो जाए इसलिए उसको बदलकर मैंने नई साड़ी पहन  ली है... अब आप आराम करो.. ज्यादा मत सोचो..
 मेरी रुपाली दीदी की बातें सुनकर मेरे जीजू की आंखों में आंसू आ गए ... वह रोने लगे... रुपाली मैं तुम्हारे लिए कुछ भी नहीं कर पाया ना... बोलते हुए उनकी आंखों से आंसू नहीं रुक रहे थे..
 मेरी रूपाली दीदी ने उनको गले लगा लिया... उनके होंठों को चूमते हुए मेरी दीदी ने कहा:  मैं आपसे बहुत प्यार करती हूं.. आपके लिए कुछ भी कर सकती हूं... बस आप रोना बंद कीजिए..
 मेरी रूपाली दीदी ने मेरे  जीजू के चेहरे को अपने दोनों छातियों के बीच में दबा लिया... मेरे जीजा जी की आंखों के आंसू बंद होने लगे थे... मेरी दीदी ने उनको बिस्तर पर अच्छे से लेटा दिया...
 मेरी रुपाली दीदी:  आप इतना ज्यादा क्यों सोचते हैं.. सब ठीक हो जाएगा धीरे-धीरे... भगवान पर भरोसा रखिए...
 मेरे जीजू को सुलाने के बाद दीदी किचन में चली गई काम करने के लिए...
[+] 2 users Like babasandy's post
Like Reply
Super conversation....super update... please update more
Like Reply
अगले कई घंटों तक मेरी रूपाली  दीदी घर के कामों में व्यस्त  रही.. किचन में खाना तैयार करना, फिर सारे बर्तन साफ करना उसके बाद घर की साफ सफाई इत्यादि.. मैं हॉल में बैठा हुआ पढ़ाई कर रहा था आपने टेबल कुर्सी पर.. मेरे और मेरे दीदी के बीच में कोई बातचीत नहीं हो रही थी... मेरे जीजू अपने बेडरूम में आराम कर रहे थे.. ठाकुर साहब हर दिन की तरह अपने काम से घर से बाहर निकल चुके थे.. सोनिया को स्कूल छोड़ने के बाद वह उधर से ही चले गए... दोपहर के बाद मेरी रूपाली दीदी सोनिया को स्कूल लेने गई.. सोनिया की स्कूल से आने के बाद हम सब ने मिलकर एक साथ  लंच किया और फिर अपने अपने काम में लग चुके थे.. ठाकुर साहब के बेडरूम में   मेरी रूपाली दीदी, मेरे  जीजु और सोनिया उनके बेड पर ही आराम कर रहे थे... वह सभी अंदर खेल रहे थे.. मैं हॉल में सोने की कोशिश कोशिश कर रहा था... पर मुझे कुछ खास नींद नहीं आई थी...
 शाम को तकरीबन 5:30 बजे हमारे घर की डोर बेल बजी तुम अपनी आधी नींद से जाग गया... डोरबेल बजते ही मेरी रूपाली दीदी बेडरूम से निकलकर आ गई... मैंने देखा मेरी दीदी ने एक बार फिर वही सुबह वाली पीली साड़ी पहन रखी थी और पीली वाली  मैचिंग चोली, जो उन्होंने सुबह पहन रखी थी.. उनके चेहरे पर  लाइट मेकअप, आंखों में काजल, और होठों पर  लिपस्टिक लगी हुई थी.. आप दोस्तों को बताने की जरूरत नहीं है कि मेरी  दीदी एक बार फिर कयामत ढा  रही थी... मेरी बहन ने दरवाजा खोला तो सामने ठाकुर साहब ही खड़े थे.. ठाकुर साहब मेरी रुपाली दीदी को देख कर मुस्कुराए... मेरी बहन ने बाजू हट कर ठाकुर साहब को घर में के अंदर आने का रास्ता दिया... ठाकुर साहब ने एक बार मेरी तरफ देखा और फिर अपने बेडरूम(  वही बेडरूम जिसके अंदर मेरे जीजू सोते थे पहले, लेकिन  एयर कंडीशन खराब होने के बाद वह ठाकुर साहब के बेडरूम में सोने लगे थे)  के अंदर चले गए...
 मेरी रूपाली दीदी किचन के अंदर चली गई चाय नाश्ता तैयार करने के लिए..
 मैं  अपने बेड से उठ कर अपने चेयर टेबल पर जाकर बैठ गया और  पढ़ाई का झूठा  नाटक करने लगा.... थोड़ी ही देर में मेरे  जीजू भी बेडरूम से व्हीलचेयर पर निकलकर हॉल में आ गया मेरे पास... सोनिया अभी भी  बेडरूम के अंदर ही थी और मेरे जीजू के मोबाइल में कुछ वीडियो देख रही थी.... ठाकुर साहब के बेडरूम से  शावर की आवाज आ रही थी... शायद वह नहा रहे थे.. हॉल में आने के बाद  जीजू ने टीवी चालू कर दिया और उस पर न्यूज़ देखने लगे... मेरी रूपाली दीदी किचन से ट्रेन में चाय और   क्रीम बिस्किट लेकर किचन से बाहर निकल कर आई... मेरी दीदी ने चाय का एक  प्याला मुझे और  मेरे जीजू   को  देने के बाद जीजू के लिए दो क्रीम बिस्किट एक छोटे से प्लेट में रखकर उनको पकड़ा दी... मेरी बहन ने क्रीम बिस्किट मुझे नहीं दी ... मैं समझ रहा था आखिर ऐसा क्यों है... वह अभी भी मुझसे नाराज लग रही थी... वैसे  नाराज मुझे होना चाहिए था उनसे....
मेरी दीदी चाय  का ट्रे  लेकर ठाकुर साहब के बेडरूम के अंदर चली गई, और एक झटके में धक्का देकर उन्होंने बेडरूम का दरवाजा भी बंद कर लिया अंदर से.. मेरी रूपाली दीदी की इस हरकत पर मेरी जीजू तो हैरान होकर देखने लगे मेरी तरफ... मैंने अपना चेहरा अपनी किताब  के अंदर गड़ा दिया... मैं अपने जीजा जी की निगाहों का सामना करना नहीं चाहता था... उनके चेहरे पर निराशा साफ झलक रही थी... उनको बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा था कि मेरी बहन ने ठाकुर साहब के कमरे के अंदर जाकर अंदर से दरवाजा बंद कर लिया है... यह उनका चेहरा देखकर साफ पता चल रहा था.. लेकिन उन्होंने मुझसे कुछ भी नहीं कहा और अपना मन मार कर टीवी की तरफ देखने लगे...  मेरे मन के अंदर भी खलबली मचने लगी थी... बेडरूम के अंदर ना जाने क्या-क्या हो रहा है... क्योंकि तकरीबन 5 मिनट हो चुके थे...
 उस कमरे के अंदर से मेरी रूपाली दीदी की चूड़ियों की खनक ने की आवाज आने लगी... और साथ में ही मेरी बहन की पायल भी खनखनआ रही थी... मैं अच्छी तरह समझ गया अंदर कमरे में क्या होने लगा है.. क्योंकि मैं पिछले कई रातों से ऐसी आवाजें सुन रहा था....
 जब  मेरे जीजू के कानों में यह आवाज गई तो उन्होंने टीवी का वॉल्यूम कम कर दिया.... और मेरी तरफ देखकर पूछने लगे..
 मेरे जीजू:  सैंडी तुमने सुना क्या.. यह क्या आवाज थी?
 मैं:  नहीं जीजू मैंने तो कुछ भी नहीं सुना... आपको क्या सुनाई दिया..
 मेरे जीजू निराश होकर एक बार फिर टीवी की तरफ देखने लगे... और उन्होंने  टीवी का वॉल्यूम तेज कर दिया... अंदर कमरे से एक बार फिर मेरी रूपाली दीदी की चूड़ियों की खनखनआहट और पायल की छम छम और साथ में पलंग के हिलने और  चरमरआने की आवाज भी लयबद्ध तरीके से आने लगी...
 मन ही मन मैंने ठाकुर साहब के दिमाग का लोहा मान लिया... शायद वह टीवी का वॉल्यूम कम  होने पर  अपनी कामलीला को रोक दे रहे थे... और जैसे ही मेरे जीजू टीवी का वॉल्यूम तेज कर रहे थे ठाकुर साहब अंदर तेजी से झटके मार रहे थे मेरी बहन को... मुझे तो अंदर बेडरूम से आने वाली आवाज  साफ-साफ सुनाई दे रही थी... जाहिर है ठाकुर साहब अंदर मेरी बहन को नीचे लिटा कर उनके ऊपर सवार थे और ऊपर से जोर लगाकर हचक के लंड पेल रहे थे.... जब मैंने जीजू की तरफ देखा तो पाया कि वह अब टीवी की तरफ भी नहीं देख रहे थे... उनका सिर  नीचे जमीन की तरफ झुका हुआ था.. उनके चेहरे पर गहरी चिंता के भाव दिखाई दे रहे थे... ना जाने क्यों उन्होंने टीवी का वॉल्यूम और भी थोड़ा तेज कर दिया था... तभी अचानक अंदर कमरे से एक तेज आवाज आई..

 मेरी रूपाली दीदी: ऊऊऊऊऊईईईईई ...माम्मईईईई.. मर गई रे...
 मेरे जीजू तपाक से मेरी तरफ मुड़ कर बोले:  सैंडी तुमने सुना क्या... यह तुम्हारी रुपाली दीदी की आवाज ही है ना..
 मैं:  नहीं जीजू मुझे तो कुछ भी सुनाई नहीं दिया... शायद आपके कान बज रहे होंगे... मेरी दीदी क्यों चिल्लाएगी... वह तो ठाकुर  साहब के साथ उनके बेडरूम के अंदर है... शायद घर के बाहर किसी औरत  औरत के चिल्लाने की आवाज थी...
 मेरी बात सुनकर तो मेरे जीजू और भी असमंजस में पड़ गए... उन्हें कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि आखिर क्या हो रहा है इस घर में... या हो सकता है कि उन्हें अच्छी तरह बताओ कि क्या हो रहा है इस घर में..
 मैंने जीजू से ज्यादा बात करना ठीक नहीं समझा..
 तकरीबन 25 मिनट हो चुके थे... और उस बेडरूम के अंदर से मेरी रूपाली दीदी की कामुक सिसकियां रुक रुक कर मेरे कानों में आ रही थी.. जाहिर है मेरे जीजू के कानों में भी जा रही होंगी...
 अब उस कमरे के अंदर का तूफान शांत हो गया था... मेरे जीजू भी अब  ठीक लग रहे थे...
 उस बेडरूम का दरवाजा खुला... मेरी रूपाली दीदी निकल कर बाहर आ गई... दीदी जिस हालत में बेडरूम के अंदर गई थी लगभग उसी हालत में बाहर निकली थी... वही पीली साड़ी वही पीली चोली.... लेकिन जो फर्क मैंने देखा... वह मेरी जीजू देख पाए या नहीं वह तो मैं बता नहीं सकता.. लेकिन आप सभी दोस्तों को बता सकता हूं...
 मेरी रूपाली दीदी के होठों की लिपस्टिक गायब थी... माथे पर पसीना था... मेरी बहन चलते हुए थोड़ी बहुत लड़खड़ा रही थी... और उनकी नाभि के बगल में कमर पर एक सफेद चिपचिपा पदार्थ लगा हुआ था... जो ठाकुर साहब का  वीर्य ही हो सकता है मेरे मन में तो कोई संदेह नहीं था... मेरे जीजू का पता नहीं...
[+] 2 users Like babasandy's post
Like Reply
Bhai kahani ko aage bhi lekar jao sirf didi aur thakur saheb.... waiting more
Like Reply
Super... please update more
Like Reply
Excellent update bhai
Like Reply
(16-09-2021, 04:08 AM)Rinkp219 Wrote: Bhai kahani ko aage bhi lekar jao sirf didi aur thakur saheb.... waiting more

Great Thought
Like Reply
Waiting next update
Like Reply




Users browsing this thread: 13 Guest(s)