Posts: 22
Threads: 1
Likes Received: 3 in 2 posts
Likes Given: 2
Joined: Feb 2021
Reputation:
0
27-08-2021, 12:37 PM
(This post was last modified: 27-08-2021, 12:38 PM by Shubham Kumar1. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
अध्याय - 14
_________________
माया कोमल और तबस्सुम के साथ सेक्स की ट्रेनिंग लेते हुए पांच दिन कब गुज़र गए पता ही नहीं चला। इन पांच दिनों में उन तीनों हसीनाओं ने मुझे सेक्स के हर वो गुन सिखाए जिन्हें मैं सोच भी नहीं सकता था। अगर अपने दिल की कहूं तो वो ये था कि मैं उन तीनों हसीनाओं पर पूरी तरह फ़िदा हो चुका था। वो मेरे साथ ऐसा ब्यौहार करती थीं कि लगता ही नहीं था कि मैं उनके पास सेक्स की ट्रेनिंग लेने आया हूं। मेरा दिल करता था कि मैं चौबीसों घंटे उन ख़ूबसूरत बालाओं के साथ ही रहूं और जी भर कर उनसे वैसे ही प्यार करता रहूं। इन पांच दिनों में मैं अपनी बाहरी दुनियां को जैसे भूल ही गया था। ख़ैर मेरी ट्रेनिंग पूरी हो चुकी थी और इस ट्रेनिंग की वजह से अब मेरे अंदर किसी भी तरह की शर्म या झिझक नहीं रह गई थी। मैं खुद महसूस करने लगा था कि अब मैं पहले वाला वो विक्रम नहीं रह गया था जो लड़की के सामने आते ही उससे नज़रें चुराने लगता था बल्कि अब तो मुझे खुद ऐसा महसूस होता था जैसे मैं दुनियां की किसी भी लड़की या औरत से बेझिझक हो कर हर तरह की बातें कर सकता हूं।
01 जनवरी 1999
तीन ख़ूबसूरत हसीनाओं से सेक्स की ट्रेनिंग ले कर मैं नए साल को एक नए रूप में दुनियां के सामने आने वाला था। सुबह का नास्ता करने के बाद मैं माया कोमल और तबस्सुम से बातें ही कर रहा था कि तभी वहां पर वही सफेदपोश आदमी आया जो कुछ दिन पहले मुझे यहाँ ले कर आया था। उसे देखते ही हम सब उसके सामने खड़े हो गए। मैंने देखा कि माया कोमल और तबस्सुम तीनों ही उससे बड़े ही अदब से बातें कर रहीं थी। ज़ाहिर था कि वो आदमी उनके लिए एक बड़ी हैसियत रखता था। ख़ैर कुछ देर उसने उन तीनों से बातें की जिसमें उसने मेरी ट्रेनिंग के बारे में ही पूंछा, उसके बाद उसने मुझे अपने साथ चलने को कहा तो एकदम से मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे मुझे उसके साथ नहीं जाना चाहिए बल्कि माया कोमल और तबस्सुम के पास ही रहना चाहिए। पता नहीं पर शायद उन तीनों से मुझे लगाव सा हो गया था।
माया कोमल और तबस्सुम से विदा लेने का वक़्त आ गया था। मेरा मन एकदम से भारी हो गया था। मैंने उन तीनों की तरफ देखा तो उन्हें भी अपनी तरफ मुस्कुराते हुए देखता पाया। सफेदपोश के सामने उनके चेहरे पर मेरे प्रति कोई भाव नहीं थे, जबकि इसके पहले मैं महसूस करता था कि उनके मन में मेरे प्रति कहीं न कहीं प्यार या सम्मान वाली बात ज़रूर थी। ख़ैर उस सफेदपोश की मौजूदगी में मैंने उनसे ज़्यादा कुछ नहीं कहा, बल्कि भारी मन से उन्हें हाथ हिला कर ही अलविदा कहा और फिर उस सफेदपोश आदमी के साथ वहां से चल पड़ा।
उस जगह से जब मैं उस सफेदपोश के साथ थोड़ा बाहर की तरफ आया तो उसने मेरी आँखों में काली पट्टी बाँध दी। उसके बाद मैं उसके ही सहारे चलता हुआ आगे गया। कुछ देर बाद उसने मुझे कार में बैठाया और खुद भी मेरे बगल से बैठ गया। कार का दरवाज़ा बंद हुआ तो कार झटके से आगे बढ़ चली। क़रीब आधे घंटे बाद कार रुकी तो सफेदपोश आदमी ने मुझे कार से नीचे उतारा और फिर मुझे ले कर एक तरफ को चल दिया। मैंने महसूस किया कि यहाँ पर मेरे जिस्म में ठंडक का आभास हो रहा था। क़रीब पांच मिनट बाद उसने मुझे एक जगह रुक जाने को कहा और फिर मेरी आँखों से वो काली पट्टी निकाल दी। मेरी आँखों के सामने धुंधला धुंधला सा मंज़र नज़र आया। मैंने अपनी पलकें झपकते हुए इधर उधर नज़रें घुमाई तो कुछ ही पलों में मुझे समझ आया कि मैं एक बार फिर से उसी हाल पर आ गया था जिस हॉल में नीम अँधेरा था और हॉल के दूसरे छोर पर एक बड़ी सी सिंघासन जैसी कुर्सी पर वो काला नक़ाबपोश बैठा हुआ था जो शायद इन सबका बॉस था।
"वेलकम बैक ट्रिप्पल वन।" हॉल में उस रहस्यमयी आदमी की अजीब सी आवाज़ गूंजी____"हमें उम्मीद है कि इन पांच दिनों में तुम ट्रेनिंग के बाद अब उस चीज़ के लिए बेहतर हो गए होगे जिस चीज़ के लिए तुम्हें चुना गया है।"
"जी मुझे भी ऐसा ही लगता है सर।" मैंने उस आदमी को सर कह कर सम्बोधित किया____"उस ट्रेनिंग के बाद मैं अपने आप में एक अलग ही तरह का बदलाव महसूस कर रहा हूं।"
"वैरी गुड।" रहस्यमयी आदमी की आवाज़ गूंजी____"इसी तरह धीरे धीरे तुम्हें बाकी चीज़ों की ट्रेनिंग भी दे दी जाएगी। ख़ैर अब तुम हमारी इस संस्था के मेंबर बन चुके हो और इस संस्था के मेंबर के रूप में तुम्हारा नाम ट्रिप्पल वन है। यानी आज के बाद यहाँ पर लोग तुम्हें ट्रिप्पल वन के नाम से ही जानेंगे। हालांकि तुम्हारा चेहरा किसी की नज़र में नहीं आएगा और ना ही तुम कभी किसी को अपना चेहरा दिखाने का सोचोगे। संस्था की गोपनीयता बनाए रखने के लिए हर एजेंट को अपना चेहरा छुपा के रखने के साथ साथ अपनी असल पहचान को भी छुपा के रखना अनिवार्य है।"
"जी जैसी आपकी आज्ञा।" मैंने बड़े अदब से कहा।
"हमारी संस्था के नियम कानून का शख़्ती से पालन करना अनिवार्य है।" उस रहस्यमयी आदमी ने कहा____"संस्था का कोई भी नियम तोड़ने पर शख़्त से शख़्त सज़ा दी जाएगी।"
"पर मुझे तो अभी तक संस्था के सारे नियम कानून बताए ही नहीं गए सर।" मैंने हिम्मत कर के कहा।
"संस्था के ज़रूरी नियम तुम्हें हमने पहले ही बता दिया था।" उस शख़्स ने कहा_____"और अब बाकी के नियम कानून भी बता देते हैं। संस्था का पहला नियम ये है कि संस्था की गोपनीयता का ख़याल रखना संस्था के एजेंट की सबसे पहली प्राथमिकता है। अगर तुम्हारी वजह से संस्था का भेद किसी के सामने खुलने वाला हो तो तुम उसी वक़्त अपनी जान दे कर संस्था का भेद खुलने से बचाओगे। दूसरा नियम ये है कि तुम अपने बारे में जीवन में कभी भी किसी को ये नहीं बताओगे कि तुम सी एम एस नाम की किसी संस्था के एजेंट हो या इस नाम की किसी संस्था को जानते हो और अगर किसी को तुम्हारे इस भेद के बारे में पता चल जाता है तो तुम उसी वक़्त उस इंसान को ख़त्म कर दोगे। संस्था का तीसरा नियम ये है कि अपने मन में खुद कभी संस्था की जासूसी करने का ख़याल नहीं लाओगे, क्योंकि अगर संस्था को ये पता चल गया कि तुम संस्था के अंदर किसी तरह की जासूसी कर रहे हो तो तुम्हें फ़ौरन ही मौत की सज़ा दे दी जाएगी। संस्था का चौथा नियम ये है कि संस्था के किसी भी एजेंट से तुम ना तो उसके बारे में जानने की कोशिश करोगे और ना ही उसे अपने बारे में बताओगे। क्योंकि ऐसा करना संस्था के भेद जानने जैसा कहलाएगा और इसके लिए तुम्हें मौत की सज़ा दी जा सकती है। संस्था का पांचवां नियम ये है कि जिसको तुम सेक्स की सर्विस दे चुके होंगे उससे तुम विक्रम सिंह के रूप में या ट्रिप्पल वन दोनों ही रूपों में अपनी मर्ज़ी से मिलने की कोशिश नहीं करोगे।"
रहस्यमयी आदमी के चुप होते ही हॉल में मौत जैसा सन्नाटा छा गया। मेरे कानों में अभी भी उस रहस्यमयी आदमी के बताए हुए नियम ही गूँज रहे थे। सारे नियम अपनी जगह पर सही और जायज़ थे और हाँ शख़्त भी थे।
"तुम्हें संस्था से दो जोड़ी ऐसे कपड़े दिए जाएंगे।" मुझे ख़ामोश देख कर उस रहस्यमयी शख़्स ने कहा____"जैसे कपड़े संस्था के हर एजेंट पहनते हैं लेकिन ये कपड़े तभी पहनना होता है जब संस्था की तरफ से किसी काम को करने का हुकुम दिया जाता है। कहने का मतलब ये कि जब भी तुम हमारे हुकुम से किसी को सेक्स की सर्विस देने जाओगे तो उन्हीं कपड़ों को पहन कर जाओगे। वो कपड़े ऐसे होंगे जिनमें तुम्हारे जिस्म का कोई भी हिस्सा किसी को नज़र नहीं आएगा। अब तुम ये सोचोगे कि ऐसे कपड़े पहन कर तुम सेक्स की सर्विस कैसे दे आओगे क्योंकि सेक्स के लिए तो अपने औज़ार को कपड़े के अंदर से निकालना ज़रूरी होता है। असल में हमारा सर्विस देने का प्रोसेस ये है कि जब भी कोई एजेंट लड़की या औरत के पास सर्विस देने जाता है तो सबसे पहले उसकी आँखों में काली पट्टी बांधता है। उसके बाद कमरे में नीम अँधेरा या फिर पूरी तरह अँधेरा कर देता है। ऐसा इस लिए ताकि अगर मान लो उस लड़की या औरत के मन में अपने सेक्स पार्टनर को देखने का ख़याल आ गया और वो उसे देखने की कोशिश करे तो वो उसे देख न पाए। इसी लिए एजेंट को सेक्स करते समय अपने सारे कपड़े पहने रहना अनिवार्य है ताकि किसी भी तरह से उसकी पार्टनर उसका चेहरा न देख सके।"
"लेकिन ऐसी कोई लड़की या औरत ऐसा करेगी ही क्यों?" मैंने पूछा____"उसे तो सेक्स से और उस सेक्स से मिलने वाले सुख से ही मतलब होगा न?"
"दुनियां में कई तरह के प्राणी पाए जाते हैं।" रहस्यमयी शख़्स ने कहा____"कुछ लोगों के मन में ये ख़याल भी उभर आता है कि जो ब्यक्ति सेक्स में उन्हें इतना अधिक आनंद दे रहा है वो दिखने में कैसा होगा? ये ख़याल जब किसी के अंदर प्रबल हो उठता है तो फिर वो वही करता है जिसके बारे में हमने तुम्हें पहले बताया है। वो ये भूल जाती हैं कि जिससे वो सेक्स का मज़ा ले रही हैं उसकी गोपनीयता का ख़याल रखना उनका भी फ़र्ज़ होता है। क्योंकि एक तरह से वो एजेंट अपनी जान हथेली पर रख कर उनको सेक्स की सर्विस देने आया होता है। ख़ैर इन्हीं सब बातों का ख़याल रख कर ही हमने सेक्स की सर्विस देने का ऐसा नियम बनाया था।"
रहसयमयी आदमी की बात सुन कर मैं इस बार कुछ न बोला था बल्कि उसकी बातों के बारे में सोचने लगा था। उसकी बात बिलकुल सही थी। सेक्स की सर्विस देने वाले एजेंट को यकीनन जान का ख़तरा रहता है। जो लड़कियां या जो औरतें किसी और के साथ इस तरह से सेक्स का मज़ा लेती हैं अगर उनके घर वालों को कहीं से इसकी भनक लग जाए और वो मौके पर वहां पर पहुंच जाएं तो यकीनन एजेंट के लेने के देने पड़ जाएंगे। ये सोचते ही मेरे जिस्म में झुरझुरी सी हुई। एकदम से मेरे मन में ये ख़याल आया कि बेटा ऐसा मज़ा मिलना इतना भी आसान नहीं होता है बल्कि अगर पकड़े जाएं तो अपने लौड़े भी लग जाते हैं।
"तुम्हारे मन में अब ये सवाल उभर रहा होगा कि।" अभी मैं ये सोच ही रहा था कि तभी हाल में उस रहस्यमयी आदमी की आवाज़ गूंजी____"इस काम में तो बहुत रिस्क है, तो फिर कैसे कोई एजेंट किसी लड़की या औरत को पूरी सफलता से सेक्स की सर्विस दे सकता है?"
"जी हाँ बिल्कुल।" मैंने झट से कहा____"ये सब बातें सुनने के बाद मुझे भी अब लग रहा है कि ये सब इतना आसान नहीं है।"
"फ़िक्र मत करो।" रहस्यमयी आदमी ने कहा____"संस्था के एजेंट सेक्स की सर्विस देने तभी जाते हैं जब हम खुद इस बात से संतुष्ट हो जाते हैं कि हमारे एजेंट्स को सर्विस देने में कोई ख़तरा नहीं है। इसके लिए हमारे दूसरे एजेंट्स पहले से ही ऐसी हर बातों का पता लगा लेते हैं और फिर हमें सूचित कर देते हैं। उनकी पॉजिटिव रिपोर्ट मिलने के बाद ही हम एजेंट्स को सर्विस देने के लिए भेजते हैं।"
रहसयमयी आदमी की ये बात सुन कर कसम से जान में जान आ गई थी वरना मैं तो अब ये समझ बैठा था कि बेटा तूने तो ख़ुशी ख़ुशी अपने ही हाथों अपनी ही गांड फाड़ लेने का बढ़िया जुगाड़ कर लिया है। ख़ैर रहस्यमयी आदमी की बातों से मुझे अपनी गांड के सही सलामत होने का एहसास हुआ।
अभी मैं ये सब सोच ही रहा था कि तभी मेरे पीछे वो सफेदपोश आदमी आया और उसने मेरे पास एक बड़ा सा नीले रंग का बैग रख दिया और मेरी तरफ एक चाभी बढ़ाई तो मैंने उसे ले लिया लेकिन मैं समझ नहीं पाया कि वो बैग और वो चाभी किस लिए थी?
"इस बैग में तुम्हारे वो कपड़े हैं ट्रिप्पल वन।" हाल में रहस्यमयी आदमी की आवाज़ गूंजी____"जिन्हें तुम्हें तब पहनना है जब तुम एजेंट के रूप में हमारे हुकुम से किसी को सर्विस देने जाओगे। उन कपड़ों के साथ इस बैग में कुछ और भी सामान है जो तुम्हारे लिए बेहद ज़रूरी होंगे और साथ ही एक मोबाइल भी है। एजेंट के रूप में जब भी तुम्हें कहीं भेजा जाएगा तो उसकी सूचना तुम्हें उसी मोबाइल पर दी जाएगी। एक बात और, तुम खुद कभी संस्था से सम्बन्ध स्थापित करने की कोशिश नहीं करोगे। हालांकि ग़लती से अगर तुम ऐसा करोगे भी तो तुम कर नहीं पाओगे क्योंकि उस मोबाइल में आउटगोइंग वाला कोई सिस्टम नहीं होगा। ख़ैर अब तुम जा सकते हो।"
रहसयमयी आदमी के कहने पर मैंने सिर हिलाया और वो बैग ले कर उस सफेदपोश आदमी के साथ चल पड़ा। मेरे ज़हन में कई सारी बातें चलने लगीं थी। जिनके बारे में जानने के लिए मेरे मन में उत्सुकता बढ़ गई थी।
"क्या मैं आपसे कुछ पूछ सकता हूं?" रास्ते में मैंने उस सफेदपोश आदमी से कहा तो उसने पलट कर मेरी देखा।
"क्या पूछना चाहते हो?" कुछ पलों तक मेरी तरफ देखते रहने के बाद उसने सपाट लहजे में कहा था।
"हाल के दूसरे छोर में बड़ी सी कुर्सी पर वो जो बैठे थे।" मैंने झिझकते हुए कहा____"उन्हें आप लोग क्या कहते हैं? मेरा मतलब है कि आप लोग उन्हें किस नाम से जानते हैं?"
"वो हमारे चीफ़ हैं।" उस सफेदपोश आदमी ने कहा____"और हम सब उन्हें ट्रिपल एक्स के नाम से जानते हैं और उन्हें सर या चीफ़ कहते हैं।"
"और आपको मैं क्या कह कर बुला सकता हूं?" मैंने हिम्मत कर के उससे पूछा तो उसने कहा____"मुझे ज़ीरो ज़ीरो सेवन कहते हैं और क्योंकि मैं तुमसे सीनियर हूं इस लिए तुम मुझे सर कह कर ही बुलाओगे। एक बात और, उस मोबाइल को हमेशा अपने पास ही रखना और इस बात का ख़ास ख़याल रखना कि वो मोबाइल किसी के हाथ न लगने पाए।"
उसकी बात सुन कर मैंने हाँ में सिर हिला दिया। उसके बाद मैंने उससे कुछ नहीं पूछा। थोड़ी ही देर में हम जब थोड़ा बाहर आए तो उस सफेदपोश ने मेरी आँखों में काली पट्टी बाँध दी। उसके बाद उसने किसी और को मुझे ले जाने का हुकुम दिया तो मैं दूसरे आदमी के साथ चल पड़ा। कुछ ही देर में मुझे एक कार में बैठाया गया और फिर मेरे बैठते ही कार आगे बढ़ चली। क़रीब बीस मिनट बाद मेरे आँखों से पट्टी हटा दी गई। मैंने कार की विंडो से बाहर देखा तो पता चला कि मैं शहर में दाखिल हो चुका था। मैंने मन ही मन सोचा कि सी एम एस नाम की संस्था वाली जगह शायद शहर से दूर कहीं पर है। ख़ैर कुछ ही देर में कार के ड्राइवर ने मेरे घर के क़रीब ही कार रोकी और मुझे उतर जाने को कहा तो मैं उतर गया।
मेरे पास अब दो बैग थे। एक तो वो जिसे मैं घर से ले के आया था और अब ये दूसरा बैग संस्था से मुझे मिल गया था। इस बैग में मेरे लिए ऐसे कपड़े रखे गए थे जिन्हें मैं अपनी फैमिली को नहीं दिखा सकता था। मैंने मन ही मन सोचा कि मुझे इस बैग को अपने कमरे में ऐसी जगह छुपा के रखना होगा जहां पर वो बैग मेरे माता पिता या बंगले की किसी नौकरानी की नज़र में न आए। यही सब सोचते हुए मैं घर पहुंच गया। मैं जानता था कि आज नए साल की पहली तारीख़ थी इस लिए मेरे माता पिता इस वक़्त अपने ऑफिस में ही होंगे। मेरे लिए ये अच्छी बात थी। गेट पर पहुंच कर मैंने डोर बेल बजाई तो शीतल आंटी ने दरवाज़ा खोला। शीतल आंटी हमारे घर की बहुत पुरानी नौकरानी थीं। हालांकि हम उसे नौकरानी नहीं मानते थे बल्कि उसे अपनी फैमिली का ही मेंबर मानते थे। ख़ैर मुझे देखते ही शीतल आंटी के चेहरे पर ख़ुशी की चमक आ गई और उन्होंने मुझे अंदर आने का रास्ता दिया तो मैं अंदर दाखिल हो गया। उन्होंने मुझसे मेरा हाल पूछते हुए मेरे पिकनिक के बारे में पूछा तो मैंने उन्हें थोड़ा बहुत बताया और फिर अपने कमरे में चला गया।
कमरे में आ कर मैंने दरवाज़े को अंदर से बंद किया और फिर कमरे में कोई ऐसी जगह देखने लगा जहां पर मैं अपना ये बैग छुपा सकूं। मैं क्योंकि अपने माता पिता का इकलौता बेटा था इस लिए मेरा कमरा भी काफी बड़ा और खूबसूरत था। मैं सोचने लगा कि इस बैग को मैं इस कमरे में ऐसी कौन सी जगह पर छुपाऊं जिससे किसी की नज़र बैग पर न पड़ सके? काफी देर तक जांच परख करने के बाद मुझे यही समझ आया कि कमरे में और तो कोई ख़ास जगह नहीं है लेकिन एक जगह ऐसी है जहां पर मैं इस बैग को छुपा सकता हूं। मेरा बेड ही ऐसी वो जगह था, क्योंकि वो अंदर से खोखला था और उसमें सामान रखा जा सकता था। मैंने फ़ौरन ही बेड पर बिछे मोटे मोटे गद्दों को उठाया और फिर उसके नीचे की प्लाई को निकाल कर उसके अंदर देखा तो मेरे होठों पर मुस्कान उभर आई।
अभी मैं मुस्कुरा ही रहा था कि तभी दरवाज़े के बाहर से शीतल आंटी की आवाज़ आई। वो मुझसे खाने पीने का पूछ रहीं थी तो मैंने उनसे कहा कि मैं आधे घंटे बाद खाऊंगा। ख़ैर उसके बाद मैंने सोचा कि पहले ये देख लूं कि बैग में क्या क्या चीज़ें मेरे लिए रख कर दी गई हैं? ये सोच कर मैंने जेब से चाभी निकाली और बैग पर लगा ताला खोला। बैग के अंदर सच में ऐसे कपड़े थे जो काले रंग के थे और उनमें डिज़ाइन के रूप में लेदर की पट्टियां बनी हुई थीं। एक काला मास्क भी था और काले दस्ताने भी। कपड़ों के नीचे एक मोबाइल था जो कि था तो कीपैड ही लेकिन उसकी स्क्रीन बड़ी थी। बैग के अंदर एक खंज़र भी था जो लेटर के कवर में ही बंद था और उसी के पास एक काले रंग का बॉक्स रखा हुआ था। मैंने उस बॉक्स को निकाल कर उसे खोला तो उसके अंदर मुझे जो चीज़ नज़र आई उसे देख कर मेरी आँखें आश्चर्य से चौड़ी हो गईं। दरअसल बॉक्स में एक रिवाल्वर था और उसी के साथ उसकी एक मैगज़ीन रखी हुई थी जिसमें गोलियां भरी हुई थीं। ये देख कर मेरे जिस्म में झुरझुरी सी हुई। मैं ये सोच कर थोड़ा कांप सा गया कि ऐसी ख़तरनाक चीज़ भला मेरे लिए किस काम में आ सकती थी? क्या इस लिए कि अगर मेरा राज़ किसी को पता चल जाए तो मैं उसे इसी रिवाल्वर के द्वारा जान से मार सकूं? मैंने कांपते हाथों से उस रिवाल्वर को बॉक्स से निकाला और बड़े गौर से उसे उलटा पलटा कर देखने लगा। रिवाल्वर में क्योंकि गोलियों से भरी मैगज़ीन नहीं लगी हुई थी इस लिए वो मुझे थोड़ा हल्का ही लग रहा था। सहसा मेरे ज़हन में ख़याल उभरा कि मुझे तो रिवाल्वर चलाना आता ही नहीं है और ना ही मेरा सटीक निशाना लग सकता है। इसका मतलब क्या इसे चलाने की भी मुझे ट्रेनिंग दी जाएगी? मुझे याद आया कि चीफ़ ने मुझसे कहा था कि धीरे धीरे मुझे बाकी चीज़ों की भी ट्रेनिंग दे दी जाएगी इसका मतलब उन चीज़ों में ये चीज़ भी शामिल है।
☆☆☆
•
Posts: 22
Threads: 1
Likes Received: 3 in 2 posts
Likes Given: 2
Joined: Feb 2021
Reputation:
0
01-09-2021, 07:27 PM
(This post was last modified: 01-09-2021, 07:28 PM by Shubham Kumar1. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
अध्याय - 15
_________________
अपने घर आए हुए मुझे तीन दिन गुज़र चुके थे। इन तीन दिनों में संस्था से मेरे पास उस मोबाइल पर कोई मैसेज नहीं आया था, जबकि मैं ये उम्मीद कर रहा था कि ट्रेनिंग पूरी होने के बाद अब हर रोज़ मैं एजेंट के रूप में किसी न किसी औरत या लड़की को सेक्स की सर्विस देने के लिए भेजा जाऊंगा। जिस दिन ट्रेनिंग के बाद जब मैं घर आया था तो शाम को मेरे माता पिता ने मुझसे मेरे पिकनिक टूर के बारे में पूछा था और मैंने उन्हें यही बताया था कि नए दोस्तों के साथ मेरा पिकनिक टूर बहुत अच्छा गया था। ख़ैर उसके बाद अपने असल दोस्तों के साथ घूमने फिरने में ही मेरे दिन गुज़रे थे। मेरे दोस्तों को भी पता चल चुका था कि मैं अपने कुछ नए दोस्तों के साथ पिकनिक टूर पर गया था और इस बात से मेरे दोस्त मुझसे नाराज भी हुए थे लेकिन मैंने भी आख़िर उन्हें मना ही लिया था।
तीसरे दिन की रात क़रीब दस बजे मेरे उस मोबाइल पर मैसेज टोन बजी थी जो मुझे संस्था की तरफ से मिला था। वो मोबाइल मैं अपने पास ही रखता था लेकिन इस तरह से कि किसी की नज़र में न आए। ख़ैर जब मुझे एहसास हुआ कि मैसेज टोन संस्था वाले मोबाइल पर बजी है तो मेरे जिस्म में एक अजीब सी झुरझुरी हुई। मेरी धड़कनें तेज़ हो गईं। मैंने खुद के जज़्बातों को काबू करते हुए उस मोबाइल पर आए मैसेज को देखा। मोबाइल में एक जगह का एड्रेस लिखा हुआ था और साथ ही उसमें वक़्त भी लिखा हुआ था। मैसेज पढ़ कर मेरी धड़कनें फिर से तेज़ हो गईं। ज़हन में ख़याल उभरा कि चल बेटा जिसका इंतज़ार था वो घड़ी अब आ गई है और अब तुझे अपने क्लाइंट को सेक्स की सर्विस दे कर खुश करना है।
मेरे घर में मेरे माता पिता का बनाया हुआ रूल चलता था। रूल के हिसाब से साढ़े दस बजे तक सबका डिनर हो जाता था और ग्यारह से साढ़े ग्यारह बजे तक सब अपने अपने कमरे में जा कर सो चुके होते हैं। मेसेज अनुसार जहां मुझे जाना था वहां पहुंचने का टाइम बारह बजे लिखा हुआ था। एड्रेस जिस जगह का था वहां के बारे में मुझे थोड़ा बहुत पता था इस लिए वहां जाने से पहले मैंने घर में सब को देख कर ये पता लगाया कि इस वक़्त कोई जाग तो नहीं रहा?? जब मैंने सब कुछ ठीक ठाक देखा तो मैंने अपने सूटकेस से वो कपड़े निकाले और उन्हें पहन कर कमरे की खिड़की के रास्ते बाहर निकल गया। इन तीन दिनों में मैं ये अच्छी तरह जांच परख कर चुका था कि खिड़की के रास्ते से मैं कैसे निकल सकता हूं।
मैं क्योंकि पहली बार इस तरह के काम के लिए घर से बाहर निकला था इस लिए मुझे अंदर से घबराहट भी हो रही थी और साथ ही ये डर भी था कि अगर किसी के द्वारा पकड़ा गया तो क्या होगा? ख़ैर यही सब सोचते हुए मैं पैदल ही कुछ दूर आया तो मुझे एक मोड़ पर मुड़ते ही सड़क के किनारे एक मोटर साइकिल खड़ी हुई दिखी। मैं समझ गया कि ये वही मोटर साइकिल है जिसका ज़िक्र मैसेज में था। मैंने क़रीब जा कर देखा तो मोटर साइकिल में चाभी लगी हुई थी। मैंने उसमें बैठ कर उसे स्टार्ट किया और आगे बढ़ चला।
क़रीब पंद्रह मिनट में मैं दिए गए एड्रेस पर पहुंच गया। मेरे दिल की धड़कनें तेज़ तेज़ चल रहीं थी। मेरे ज़हन में हज़ारो तरह के ख़याल उभर रहे थे। ख़ैर मैं जैसे ही दिए हुए एड्रेस पर पंहुचा तो मैंने अँधेरे में एक जगह मोटर साइकिल को छुपा कर खड़ी कर दिया और फिर उस जगह की तरफ बढ़ चला।
उस जगह को देखते ही मैंने अंदाज़ा लगा लिया कि वो किसी अमीर ब्यक्ति की मिल्कियत है। चारो तरफ सन्नाटा फैला हुआ था। ये ऐसी जगह थी जो शहर से बाहर थी और किसी अमीर आदमी का फार्म हाउस था। फार्म हाउस के चारो तरफ ऊँची बाउंड्री वाल थी। मेरे ज़हन में ख़याल उभरा कि यहाँ की देख रेख के लिए यकीनन सिक्योरिटी गार्ड भी होंगे। मैं दबे पाँव गेट की तरफ आया तो देखा गेट के अंदर दो सिक्योरिटी गार्ड थे जो इस वक़्त अस्त ब्यस्त सी हालत में पक्की ज़मीन पर लुढ़के से पड़े थे। ज़ाहिर था उन्हें अपना कोई होश नहीं था। मैंने गर्दन घुमा कर चारो तरफ देखा और फिर लोहे के उस गेट पर चढ़ कर दूसरी तरफ आ गया।
पांच मिनट में ही मैं अंदर बने मकान के मुख्य दरवाज़े के पास खड़ा बेल बजा रहा था। मेरी धड़कनें अभी भी तेज़ चल रहीं थी और मैं ये सोच सोच कर थोड़ा घबरा भी रहा था कि अब इसके आगे सब कुछ कैसे होगा? ख़ैर जल्दी ही दरवाज़ा खुला तो मेरी नज़र नाइटी पहने एक औरत पर पड़ी। उसने मुझे ठीक से उसे देखने का मौका ही नहीं दिया बल्कि उसने मुझे देख कर फ़ौरन ही अंदर आने को कहा तो मैं अंदर दाखिल हो गया। मैं ये उम्मीद कर रहा था कि वो मुझे जब ऐसे कपड़ों में देखेगी तो शायद बुरी तरह चौकेंगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ था। ऐसा लगा जैसे उसे सब कुछ पहले से ही पता था।
उसके साथ चुप चाप चलते हुए मैं कुछ ही देर में उसके कमरे में आ गया। जैसा कि मैं बता चुका हूं कि वो अमीर खानदान से थी इस लिए अंदर की हर चीज़ ख़ास ही नज़र आ रही थी। उसका कमरा काफी खूबसूरत था। कमरे में दुधिया प्रकाश फैला हुआ था इस लिए मैंने उस औरत को ग़ौर से देखा। उसको देखने से मैं ये अंदाज़ा नहीं लगा पाया था कि उसकी उम्र क्या रही होगी। दिखने में खूबसूरत थी और उसका जिस्म थोड़ा भरा हुआ था लेकिन उसे मोटी नहीं कहा जा सकता था। क्रीम कलर की नाइटी के अंदर शायद उसने कुछ भी नहीं पहना हुआ था क्योंकि सीने पर उसकी बड़ी बड़ी चूचियों के निप्पल साफ़ महसूस हो रहे थे।
"आई हैव एन ऑवर डियर।" बेड पर बैठते ही उसने अंग्रेजी में जब ये कहा तो मैंने उसकी तरफ देखा, जबकि उसने आगे कहा____"आफ्टर दैट आई हैव टू गो टू दा एयरपोर्ट। आई वांट यू टू गिव मी सच फन इन दिस वन ऑवर दैट आई कैन बी कम्प्लीटली हैप्पी।"
उसके ऐसा कहने पर मैंने हाँ में सिर हिलाया और फिर अपने कपड़े के अंदर से एक काली पट्टी निकाल कर मैं उसकी तरफ बढ़ा। वो मुझे ही देख रही थी। उसके चेहरे पर डर या घबराहट जैसी कोई बात नहीं थी। ऐसा लगता था जैसे उसने मुझ जैसे इंसान को पहले भी देखा हुआ था।
"मेरी आँखों में ये काली पट्टी बाँधने से पहले।" मैं जैसे ही उसके पास पंहुचा तो उसने मेरी नक़ाब से झांकती आँखों में देखते हुए कहा____"क्या तुम मुझे अपना हथियार दिखा सकते हो? असल में मैं देखना चाहती हूं कि मेरे सेक्स पार्टनर का हथियार किस तरह का है?"
उसकी ये बात सुन कर मैं दुविधा में पड़ गया था। चीफ़ ने मुझे इस बारे में कुछ नहीं बताया था। मुझे दुविधा में पड़ा हुआ देख उसने कहा____"इतना क्या सोच रहे हो अजनबी? मैंने तुम्हारे हथियार को देखने की बात कही है ना कि तुम्हारे चेहरे की। मुझे नहीं लगता कि इसमें तुम्हें कोई समस्या होगी।"
उसकी ये बात सुन कर मैंने सोचा कि बात तो सही ही कह रही है वो। भला हथियार दिखाने में मुझे कैसे कोई समस्या हो सकती है? ये सोच कर मैंने अपनी पोशाक की ज़िप खोल कर अपने लंड को बाहर निकाला। मैं अंदर से थोड़ा घबराया हुआ सा महसूस करने लगा था इस लिए मैंने खुद को सम्हाला। मेरा लंड क्योंकि इस वक़्त शांत था इस लिए उसका आकार वैसा नहीं था जिससे उसकी आँखें फ़ैल जाएं। हालांकि वो इस हालत में भी दूसरे मर्दों के लंड से भारी था। मैंने जैसे ही अपना लंड निकाला तो उसकी नज़र मेरे लंड पर पड़ी। लंड को देखते ही उसके चेहरे पर चमक और होठों पर गहरी मुस्कान उभर आई।
"वाव! इट्स अमेजिंग डियर।" उसने अपना हाथ आगे बढ़ा कर मेरे लंड को पकड़ते हुए कहा____"व्हेन इट इज सो बिग इवेन इन काल्म कण्डीशन, सो व्हेन इट विल कम इन इट्स फुल फॉर्म देन इट विल लुक इवेन बिगर।"
कहने के साथ ही वो मेरे लंड को प्यार से सहलाने लगी थी। उसके ऐसा करते ही मेरे जिस्म में बड़ी तेज़ी से झुरझुरी होने लगी थी। जिसका असर मेरी गोटियों में होने लगा था और उस असर के प्रभाव से मेरा लंड अपना सिर उठाने लगा था। उसके कोमल हाथों के स्पर्श से मुझे बेहद आनंद आने लगा था। कुछ ही देर में मेरा लंड उसके सहलाने से अपने फुल फॉर्म में आ गया जिसे देख कर उस औरत के चेहरे की चमक और भी बढ़ गई और आँखें हैरानी से फ़ैल गईं।
"माई गॉड।" फिर उसने कहा____"इट्स रियली बिग एण्ड वैरी फैट डियर। आई एम वैरी हैप्पी टू सी दिस। आई वन्ना सक दिस ब्यूटीफुल काक।"
"आहहह।" कहने के साथ ही उसने लपक कर मेरे लैंड को अपने मुँह में भर लिया था जिससे मेरे मुँह से मज़े में डूबी आह निकल गई थी। मैं चाह कर भी उसे रोक नहीं पाया था।
वो औरत अपने एक हाथ से मेरे लंड को पकड़ कर ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी थी। उसके इस तरह चूसने से मेरे जिस्म में मज़े की अनगिनत तरंगें मानो तांडव सा करने लगीं थी। मेरा दिल किया कि मैं अपने हाथों से उसके सिर को पकड़ लूं और ज़ोर ज़ोर से उसके मुँह को चोदना शुरू कर दूं लेकिन मेरे ज़हन में तभी माया की कही हुई बातें गूँज उठीं थी और मैंने उसके सिर को पकड़ कर उसके मुँह को चोदने की अपनी ये हसरत मिटा दी।
"आहहहह शशंशशश इट इज वेरी टेस्टी डियर।" उसने मेरे लंड को मुँह से निकाल कर और चटकारा सा लेते हुए कहा____"आई लाइक दिस काक ऑफ योर्स वैरी मच एण्ड नाउ आई वांट यू टू केन्च माई थर्स्ट विद दिस काक ऑफ योर्स। मुझे इस तरह चोदो डियर कि मैं पूरी तरह से मस्त हो जाऊं।"
उस औरत की बात सुन कर मैंने अपने हाथ में ली हुई पट्टी को उसकी आँखों में बाँध दिया। उसके बाद मैं कमरे में नीम अँधेरा करने के लिए स्विच बोर्ड की तरफ बढ़ा। नाईट बल्ब जलने के बाद मैंने तेज़ दूधिया प्रकाश देने वाले बल्ब को बुझा दिया। कमरे की दीवारों पर सफ़ेद रंग का कलर था इस लिए नाईट बल्ब के प्रकाश में भी सब कुछ अच्छे से दिख रहा था।
मैं बेड पर आँखों में पट्टी लगाए बैठी उस औरत की तरफ बढ़ा और बेड पर उसके पास में ही बैठ गया। मैं जानता था कि ये मेरे लिए इम्तिहान जैसा है लेकिन मेरे लिए अच्छी बात ये हुई थी कि शुरुआत उस औरत ने कर दी थी और उसकी आँखों में पट्टी बंधी होने की वजह से मुझे किसी तरह की झिझक नहीं होनी थी।
मैंने अपने दोनों हाथों से उस औरत के चेहरे को पकड़ा और उसके अधखुले होठों को झुक कर अपने मुँह में भर लिया। नक़ाब ऐसा था जिसमें मुँह और नाक वाली जगह पर खुला हुआ था, ताकि सांस लेने में और ऐसे काम करने में कोई समस्या न हो। मैंने जैसे ही उसके होठों को अपने मुँह में भरा तो उस औरत ने भी मेरे सिर को थाम लिया और होठ चूसने में मेरा साथ देने लगी। वो बड़ी गर्मजोशी से कभी मेरे निचले तो कभी मेरे ऊपर वाले होठ को चूसने लगती थी। मेरे जिस्म में मज़े की तरंगें दौड़ने लगीं थी, जिसके असर से मैं भी जोश में उसके होठों को मुँह में भर कर चूसने लगता था। अपने एक हाथ को नीचे सरका कर मैंने नाइटी के ऊपर से ही उसकी दाहिनी चूची को पकड़ लिया था। जैसे ही मैंने उसकी एक छाती को पकड़ा तो मुझे महसूस हुआ कि औरत की छाती माया कोमल और तबस्सुम की छातियों से थोड़ा कम कड़क थी।
मैं ज़ोर ज़ोर से उसकी छातियां मसलने लगा था जिससे वो मस्ती में आ गई थी। मैंने उसे वैसे ही लेटा दिया और उसके ऊपर आ कर उसके होठों को चूमने चूसने लगा। एक हाथ से मैं बारी बारी से उसकी छातियां भी मसलता जा रहा था। सहसा उस औरत ने अपने होठों को मेरे होठों से छुड़ाया और अपनी छातियों की तरफ मेरे चेहरे को ढकेला।
"सक माई टिट्स डियर।" उसने हांफते हुए और सिसकारियां भरते हुए कहा____"ड्रिंक आल दा जूस आफ माई टिट्स। मुँह में भर कर काटो इन्हें।"
मैंने उसके कहने पर फ़ौरन ही उसकी नाइटी की डोरी को खींचा जिससे नाइटी की डोरी खुल गई। मैंने नाइटी के दोनों छोरों को पकड़ कर इधर उधर किया तो उसकी दोनों भारी भरकम छातियां बेपर्दा हो गईं। गोरी और बड़ी बड़ी छातियों के बीच गुलाबी रंग के निप्पल को देख कर मैं एकदम से मचल उठा और लपक कर उसके एक निप्पल को मुँह में भर लिया।
"आहहह शशंशशसशसशशस सक माई निप्पल्स हार्ड डियर।" उसने मेरे सिर को पकड़ कर ज़ोर से अपनी उस छाती पर दबाया तो मैं ज़ोर ज़ोर से उसके निप्पल को चूसते हुए खींचने लगा। एक हाथ से मैं उसकी दूसरी छाती को बुरी तरह मसल रहा था।
औरत बुरी तरह मचलने लगी थी। शुक्र था कि मैंने नक़ाब पहना हुआ था जिससे मेरे सिर के बाल उसके अंदर ही थे वरना वो मेरे बालों को पकड़ कर इतना ज़ोर से खींचती की मेरी चीखें निकल जाती।
"आह्ह्ह्ह सशशश ऐसे ही डियर।" वो मेरे सिर को पकड़े और सिसियाते हुए बोली____"बाइट माई ब्रेस्ट्स हार्डली। इस वाले को भी चूसो डियर और इसे भी आह्ह्ह यस लाइक दैट...ऐसे ही इसे भी काटो।"
वो औरत फुल मस्ती में आ चुकी थी और बड़बड़ाए जा रही थी। उसके कहे अनुसार मैं उसकी दोनों छातियों को मुँह में भर कर ज़ोर ज़ोर से काटने लगा था जिससे वो और भी मचलती और मेरे सिर को ज़ोर से अपनी छातियों को तरफ भींच लेती। काफी देर तक मैं उसकी दोनों छातियों को ऐसे ही चूसते हुए काटता रहा। इधर मेरा लंड बुरी तरह अकड़ गया था। मैंने उसकी छातियों से सिर उठा कर एक बार उसके होठों को चूमा और फिर नीचे आ कर उसके गुदाज़ पेट को चूमने लगा। पेट के बीच उसकी नाभी ऐसी दिख रही थी जैसे कोई गहरा कुआं हो। मैंने उसकी नाभी में अपनी पूरी जीभ घुसा दी जिससे वो मचल उठी।
थोड़ी देर उस औरत की नाभी में जीभ कुरेदने के बाद मैं नीचे की तरफ बढ़ा तो देखा उसने पेंटी नहीं पहन रखी थी। मैं समझ गया कि वो पहले से ही फुल रेडी थी सेक्स के लिए। दूध से गोरे और चिकने बदन को देख कर मैं उसकी मोटी मोटी जाँघों को चूमते हुए जैसे ही टांगों के बीच आया तो उसने ज़ोरदार सिसकी लेते हुए अपनी टांगों को पहले तो सिकोड़ा लेकिन फिर जैसे उसका मन बदल गया तो उसने अपनी टांगों को फैलाने के साथ दोनों हाथों से मेरे सिर को अपनी चिकनी चूत की तरफ दबाया तो मैंने उसकी दहकती चूत पर अपने होठ रख दिए।
मेरी नाक में उसके कामरस की खुशबू भरती चली गई थी। उसकी चूत की बड़ी बड़ी फांकों पर पहले मैंने दो तीन बार चूमा और फिर अपनी जीभ निकाल कर उसकी दरार पर नीचे से ऊपर की तरफ फेरा तो उसने जल्दी से अपने घुटने मोड़ लिए जिससे मेरा सिर उसकी चूत में फंस सा गया।
"आहहहह शशशसश लिक माय पुसी डियर।" औरत ने ज़ोर की सिसकी लेते हुए मेरे सिर को अपनी चूत पर दबाया_____"अपनी जीभ से मेरी चूत को चोदो। आह्ह्ह हाँ ऐसे ही। शशशशषस आह्ह्ह बड़ा अच्छा लग रहा है डियर। थोड़ा और अंदर तक डालो ना।"
मैं उसके निर्देशानुसार अपनी जीभ से उसकी चूत को चोदने लगा था और वो मेरा सिर थामे ज़ोर ज़ोर से आहें भर रही थी। कमरे में सिर्फ उसी की आवाज़ गूंज रही थी। मैं काफी देर तक उसकी चूत को ऐसे ही जीभ से चोदता रहा। मेरा खुद का बुरा हाल हो गया था। वो औरत अपने दोनों घुटनों के बीच मेरे सिर को बार बार मज़े में डूब कर दबा देती थी। जब उसके बर्दास्त के बाहर हो गया तो उसने मेरे सिर को ज़ोर दे कर ऊपर किया और उठ कर बैठ गई। पहले तो मुझे लगा कि कहीं मुझसे कोई ग़लती तो नहीं हो गई लेकिन जब उसने मुझे धक्का दे कर बेड पर गिरा दिया और झपट कर अंदाज़े से ही मेरे ऊपर आई तो मैंने अंदाज़ा लगाया कि शायद अब वो मुझे भी मज़ा देने वाली है।
उसने हाथों से टटोलते हुए मेरे लंड को पकड़ा और एक झटके से सिर झुका कर मेरे लंड को मुँह में भर लिया। पागलों की तरह वो इतना ज़ोर ज़ोर से मेरे लंड को चूसने लगी थी कि थोड़ी ही देर में मेरा बुरा हाल हो गया। अपने एक हाथ से वो मेरी गोटियों को भी सहलाती जा रही थी।
"योर काक इज वेरी नाइस डियर।" उसने मेरे लंड को अपने मुँह से निकाल कर कहा____"मन तो करता है कि ऐसे ही इसे चूसती रहूं लेकिन क्या करूं मज़बूरी है, क्योंकि मुझे जल्दी ही एयरपोर्ट के लिए निकलना है। ख़ैर चलो अब जल्दी से अपना ये मूसल लंड मेरी चूत में डाल कर मेरी ऐसी चुदाई करो कि मैं पूरी तरह मस्त हो जाऊं।"
कहने के साथ ही उसने एक बार और मेरे लंड को अपने मुँह में भर कर चूसा और फिर जल्दी से बेड पर अपनी टाँगें फैला कर लेट गई। उसके लेटते ही मैं फ़ौरन उठा और उसकी दोनों टांगों के बीच में आ कर मैंने अपने तमतमाए हुए लंड को उसकी चूत के छेंद पर टिका कर ज़ोर का झटका मारा तो मेरा लंड उसकी चूत को फाड़ता हुआ अंदर तक चला गया।
"ओह्ह्ह्ह माम, आई एम डेड।" वो ज़ोर से चीख पड़ी____"थोड़ा आराम से नहीं डाल सकते थे क्या? तुम्हारे इस मूसल ने मेरी चूत फाड़ दी होगी। ओह! गाड माई पुसी इज बर्निंग लाईक ए फायर एण्ड इट इज हर्टिंग टू। प्लीज़ होल्ड आन फार ए व्हाइल।"
उसकी बात पर मैं कुछ न बोला। असल में मुझे इतना जोश चढ़ा हुआ था कि मैंने बिना कुछ सोचे समझे ज़ोरदार झटका दे कर एक ही बार में अपना लंड उसकी चूत के अंदर तक डाल दिया था। वो तो शुक्र था कि औरत की चूत ज़्यादा तंग नहीं थी वरना वो बेहोश ही हो जाती। मैं कुछ पलों तक रुका रहा और झुक कर उसकी चूचियों को मसलने के साथ साथ उन्हें चूसता भी रहा। जब औरत ने नीचे से अपनी गांड उठाई तो मैं समझ गया कि अब वो धक्कों के लिए तैयार है। मैंने उसकी चूचियों से अपना चेहरा उठाया और उसकी मोटी मोटी जाँघों को पकड़ कर तेज़ तेज़ धक्के लगाने शुरू कर दिए।
मेरे तेज़ धक्कों से औरत की चीखें निकलने लगीं थी। हालांकि उसे दर्द नहीं हो रहा बल्कि वो मज़े में ज़ोर ज़ोर से चिल्ला रही थी और मुझे और भी ज़ोरो से चोदने को बोलती जा रही थी। मैं पूरी ताकत लगा कर धक्के लगा रहा था। मेरे हर धक्के पर उसकी बड़ी बड़ी खरबूजे जैसी चूचियां बुरी तरह उछल रहीं थी। क़रीब पांच मिनट तक मैं बिना रुके धक्के लगाता रहा। वो औरत इतना ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगी थी कि उसके चिल्लाने से मुझे लगा कहीं उसकी चीखें घर से बाहर पहुंच कर किसी के कानों में न पड़ जाएं। फिर मुझे एहसास हुआ कि यहाँ फार्म हाउस में भला कौन होगा इस वक़्त उसकी चीखें सुनने वाला? ज़ाहिर है कि उसने इस एकांत जगह को इसी लिए ऐसा मज़ा लेने के लिए चुना था ताकि उसके इस मज़े में किसी तरह का ख़लल न पड़ सके और ना ही किसी को पता चल सके।
मैं ताबड़तोड़ धक्के लगाता जा रहा कि तभी वो औरत और भी बुरी तरह चीखने लगी। इस बार उसके हलक से गुर्राने जैसी आवाज़ें निकलने लगीं थी। मैं समझ गया कि उसका अब काम तमाम होने वाला है इस लिए और ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने लगा। मेरा अंदाज़ा सही निकला, यानि कुछ ही देर में वो औरत बुरी तरह चीखते हुए झड़ने लगी। उसने मेरी कमर को बुरी तरह अपनी टांगों पर जकड़ लिया था जिससे धक्के लगाने की मेरी रफ़्तार कम पड़ गई। औरत के जिस्म में झटके लग रहे थे और फिर वो एकदम से निढाल सी हो कर शांत हो गई। इधर मैं अभी झड़ा नहीं था इस लिए उसके शांत पड़ते ही मैं फिर से धक्के लगाने ही लगा था कि तभी उसने अपनी टांगों से मेरी कमर को जकड़ कर मुझे रुक जाने का इशारा किया तो मैं रुक गया।
क़रीब दो मिनट बाद उसने मुझे उसकी चूत से लंड निकालने के लिए कहा तो मैंने मन को मार कर अपना लंड निकाल लिया। जैसे ही मैंने लंड निकाला तो वो जल्दी से उठी और मुझे टटोल कर बेड पर गिराया और फिर टटोलते हुए ही मेरे लंड को पकड़ कर उसने जल्दी से उसे अपने मुँह में भर लिया। अपने ही कामरस में नहाए मेरे लंड को वो ऐसे चूसने लगी थी जैसे उसका स्वाद उसे कितना मीठा लग रहा हो।
"कम आन डियर।" मुँह से मेरा लंड निकालने के बाद उसने घोड़ी बन कर मुझसे कहा____"नाउ पुट योर काक इन माई पुसी फ्राम बिहाइंड एण्ड फक मी। यू फक रियली वेल डियर। योर काक इज रियली ऑवसम।"
उसकी बात सुन कर मैं मुस्कुरा उठा और फिर जल्दी से उसके पीछे आ कर मैंने पीछे से उसकी चूत में अपना लंड डाल दिया। लंड जैसे ही उसकी चूत में घुसा तो उसके मुँह से मज़े में डूबी सिसकी निकल गई। इधर मैं उसकी कमर को पकडे तेज़ तेज़ धक्के लगाने लगा था। एक बार फिर से कमरे में उसकी चीखें गूंजने लगीं थी। वो मेरे हर धक्के पर अपनी गांड को पीछे कर देती थी जिससे हम दोनों का ही रिदम मेल खा रहा था। मुझे इतना मज़ा आ रहा था कि जल्दी ही मैं फिर से मज़े में डूब गया। उसकी कमर को पकड़े मैं ताबड़तोड़ धक्के लगा रहा था। सहसा मेरी नज़र उसके भारी लेकिन गोरे गोरे चूतड़ों पर पड़ी तो मैंने ज़ोर से उस पर थप्पड़ मारा जिससे वो औरत उछल गई और साथ ही उसके मुख से कराह निकल गई। वो जितना चिल्ला रही थी उतना ही मुझे जोश चढ़ रहा था और मैं उसी जोश में पूरी ताकत से धक्के लगा रहा था।
कुछ ही देर में वो औरत बुरी तरह चीखते हुए कहने लगी कि आई एम कमिंग डियर, फ़क मी हार्ड। मेरा खुद का भी काम तमाम होने वाला था इस लिए मैं पूरी स्पीड में धक्के लगा रहा था। पहले वो औरत झड़ी और फिर जब मैं झड़ने वाला हुआ तो उस औरत ने फ़ौरन ही मुझसे कहा कि मैं उसकी चूत में न झड़ूं बल्कि उसके मुँह में झड़ूं ताकि वो मेरा कामरस पी सके।
मैंने जल्दी से लंड निकाला तो वो औरत बेड पर घुटने के बल खड़ी हो गई और अपना मुँह खोल दिया। उसके खुले मुँह को देख कर मैंने फ़ौरन ही उसके मुँह में अपने लंड का टोपा छुआया तो उसने जल्दी से मेरे लंड को पकड़ कर उसे मुँह में भर लिया और फिर दबा दबा के उसे चूसने लगी। मैं इस वक़्त इतने जोश में था कि उसके सिर को पकड़ लिया और फिर उसके मुँह को चोदने लगा। अभी एक मिनट भी न हुआ था कि औरत ने ज़ोर दे कर अपने मुँह से मेरा लंड निकाला और उसे चाटते हुए नीचे मेरी गोटियों पर पहुंच गई। जब उसने मेरी गोटियों को मुँह में भर कर चूसा तो मुझे झटका सा लगा। माया कोमल या तबस्सुम ने मेरे साथ ऐसा नहीं किया था। शायद यही वजह थी कि जब उस औरत ने ऐसा किया तो मुझे झटका लगा था और मुझे आश्चर्य भी हुआ था। ख़ैर जो भी हो पर उसके द्वारा ऐसा करने से मुझे एक अलग ही मज़ा आने लगा था।
कुछ देर मेरी गोटियों को चूसने के बाद उसने फिर से मेरे लंड को मुँह में भर लिया और ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी। मैं इतने मज़े में था कि जल्दी ही मेरे मुख से असहनीय वाली सिसकियां निकलने लगीं। उस औरत को भी जैसे पता चल गया था इस लिए वो और ज़ोर ज़ोर से मेरे लंड को दबा दबा कर चूसने लगी थी। दो मिनट के अंदर ही मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे जिस्म में मज़े का ज्वालामुखी फूट पड़ा हो। मेरा पूरा बदन ऐंठ गया और फिर जैसे ही मेरे लंड से पिचकारी निकल कर उसके मुँह के अंदर गई तो मेरी आह निकल गई। एक के बाद एक झटके लगे मुझे और फिर मैं जैसे बेजान सा हो गया था। उधर उस औरत ने मेरे लंड से पानी का एक एक कटरा निचोड़ लिया था।
"ओह! वण्डरफुल डियर।" कुछ देर बाद उसने कहा____"आई रियली एंज्वॉइड हैविंग सेक्स विद यू। इट्स नेवर बीन एज फन एज टुडे। दि हेयर ऑफ माय ब्वाडी इज स्टिल इमेर्स्ड इन दि फीलिंग ऑफ दिस फन। इफ आई हैड मोर टाइम, आई वुड हैव फन विद यू वन मोर टाइम।"
कुछ देर आराम करने के बाद मैं बेड से उठा और अपने लंड को बेड की चादर में ही साफ़ किया। उसके बाद मैंने उस औरत की आँखों से पट्टी खोल कर उस पट्टी को अपनी पोशाक में डाल लिया। पट्टी हटने के बाद उस औरत ने मेरी तरफ देखा। जब उसकी आँखें अच्छी तरह देखने लायक हुईं तो वो मुस्कुराते हुए नंगी ही बेड से उतर कर मेरे पास आई और मेरे चेहरे को पकड़ कर उसने मेरे होठो को प्यार से चूम लिया। उसने मुझे इसके लिए थैंक्स कहा तो मैंने सिर हिला दिया।
औरत के साथ सेक्स कर के मुझे भी बेहद मज़ा आया था। ख़ैर उसके बाद मैं जैसे वहां पंहुचा था वैसे ही वहां से चला भी आया। जहां पर मुझे मोटर साइकिल खड़ी मिली थी वहीं पर मैंने उसे खड़ी कर दिया और अपने घर की तरफ बढ़ चला। कुछ ही समय में मैं खिड़की के रास्ते अपने कमरे में आ चुका था। कमरे में आ कर मैंने फ़ौरन ही अपने वो कपड़े उतारे क्योंकि उन कपड़ों में मुझे अब घुटन सी होने लगी थी। कपड़े उतारने के बाद मैंने सुकून की सांस ली और फिर बाथरूम में घुस गया। फ्रेश हो कर मैं बाथरूम से निकला और सबसे पहले उन कपड़ों को उसी बैग में रख कर बैग को बेड के अंदर छुपाया और फिर बेड पर आराम से लेट गया।
बेड पर लेटा अभी जो कुछ मैं कर के आया था उसके बारे में सोचने लगा। मैंने महसूस किया कि मुझे इस काम में उस औरत के साथ कोई समस्या नहीं हुई, यानी अब मैं पूरी तरह से एक मुकम्मल मर्द बन चुका था। उस औरत के चेहरे पर संतुष्टि के भाव थे और वो खुश भी थी। इसका मतलब मैं अपने कार्य में पूरी तरह सफल हुआ था। इस सबके बारे में सोच कर एक अलग ही ख़ुशी महसूस कर रहा था मैं। घर में किसी को भी ये पता नहीं चल सका था कि मैं अपने कमरे से कुछ समय के लिए गायब था और उस गायब समय में मैं क्या करने गया था? अपनी इस कामयाबी की ख़ुशी में ही जाने कब मेरी आँख लग गई और मैं नींद की आगोश में चला गया।
☆☆☆
•