Thread Rating:
  • 9 Vote(s) - 3.11 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Romance प्यास और हवस
Super story ... please don't stop in chapter 35....we want see 3500 chapter of this story... please update more
Like Reply
Do not mention / post any under age /rape content. If found Please use REPORT button.
Dear bro please update
Like Reply
अपडेट -35 ( अंतिम अपडेट ) 

उसने मुझे बाहों मे कसते हुए, मेरे नंगे चुतड़ों को अपने हाथ मे लेकर मसला तो, मैं उससे और चिपक गयी….मुझे अपने मम्मो के निपल्स उसकी चेस्ट मे रगड़ खाते हुए सॉफ महसूस हो रहे थे….मेरे रोम-2 मे मस्ती की लहर दौड़ती जा रही थी…”डॉली बोल ना मुझे अपनी फुद्दि मारने देगी….” आह्ह्ह्ह ये कैसा तरीका है पूछने का…..मेने मन ही मन सोचा….जाहिल ना हो कही का….


उसने मेरे कानो को अपने होंटो मे लेकर चुस्सा तो, मैं एक दम से तड़प उठी, “उनन्ं राज मुझे बेड पर ले चलो……” मेने सिसकते हुए कहा….और अपनी तरफ से उसके सवाल का जवाब भी दे दिया…उसने मुझे बाहों मे भरते हुए उठा लिया, और बेड के पास आकर मुझे धीरे-2 बेड पर लेटा दिया…..उसका बाबूराव मेरी आँखो के सामने फनफनाता हुआ झटके खा रहा था…..अगले ही पल उसने बेड पर आते हुए, मेरे पेट पर अपने सर्द होंटो को रख कर चूमना शुरू कर दिया….जैसे ही उसके गीले सर्द होन्ट मुझे अपने पेट पर महसूस हुए, मैने सिसकते हुए, अपने सर के नीचे रखे तकिये को अपनी दोनो मुठ्थियों मे भींच लिया….”शियीयीयैआइयियीयियी राज…..” मेरी आँखे मस्ती मे भारी होकर बंद होती चली गयी….होन्ट बुरी तरह से थरथराने लगे थे…

वो कभी मेरे पेट को चूमता कभी अपने होंटो को रगड़ता तो, कभी अपनी जीभ निकाल कर पेट को चाटना शुरू कर देता….उसकी जीभ का सपर्श अपने नंगे पेट और नाभि पर महसूस करके मेरा पूरा बदन कांप रहा था….मेरी साँसे लगतार तेज होती जा रही थी…..साँस लेना भी मुस्किल लग रहा था…चुनमुनियाँ मे तेज खिंचाव महसूस हो रहा था…वो धीरे-2 अपने होंटो को पेट पर रगड़ते हुए, मेरी चुचियों की तरफ बढ़ने लगा...तो मेरे बदन मे तेज गुदगुदी सी दौड़ गयी….मेने अपनी गुदाज चुचियों को अपने हाथो से छुपा लिया…पर वो धीरे-2 ऊपेर बढ़ता रहा…फिर मेरे हाथो के बिल्कुल पास अपने होंटो को लेजाकार पागलो की तरह उस हिस्से को चूसने लगा….



काम मे बहाल होकर मेरे हाथ धीरे-2 मेरी चुचियाँ पर से हटते जा रहे थे….और उसके होन्ट मेरी चुचियों के हर इंच पर अपनी मोहर लगाते जा रहे थे… फिर अचानक से उसने मेरे दोनो हाथो को पकड़ बेड पर सटा दिया….और अगले ही पल किसी वहशी की तरफ मेरे राइट मम्मे को मूह मे लेकर सक करना शुरू कर दिया….” ऊम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह श्िीीईईईईईई अहह राज………” मेने सिसकते हुए अपने बदन को आकड़ा लिया…इतना मज़ा आ रहा था कि, मुझसे बर्दाश्त भी नही हो पा रहा था…


मेरे मम्मे का निपल उसके तलवे और ज़ुबान के बीच मे पिस रहा था…वो मेरे निपल को बहुत ज़ोर से दबा -2 कर चूस रहा था….मैं एक दम मस्त हो चुकी थी…..कब मेरी टांगे खुली और कब वो मेरी टाँगो के बीच मे आकर बैठ गया….मुझे पता नही चला. मैं आँखे बंद किए हुए किसी और ही दुनिया मे पहुँच गयी थी…उस दुनिया मे जहाँ से मैं हरगिज़ वापिस नही आना चाहती थी…पर अगले ही पल जब मुझे मेरी धुनकि की तरह बज रही चुनमुनियाँ के छेद पर राज के बाबूराव का गरम और मोटा सुपाडा महसूस हुआ, तो मैं एक दम से तड़प उठी…

चुनमुनियाँ ने भी अपने गाढ़े पानी का खजाना खोल दिया…मेरी चुनमुनियाँ का छेद तेज़ी से खुलता और बंद होता मुझे महसूस हो रहा था…मानो जैसे अपने ऊपेर दस्तक दे रहे है, उस सुपाडे को अपने अंदर जल्द से जल्द खेंच लेना चाहता हो…और मेरी हालत शायद अब राज भी अच्छे से समझ चुका था….पर वो बेरहम तो, चुनमुनियाँ के छेद पर बाबूराव का सुपाडा भिड़ाए हुए, मेरे मम्मे को बच्चों की तरह चूस रहा था…..जब मेरी बर्दाश्त की इंतहा हो गयी तो, मैं खुद ही बोल उठी…..



मैं: ओह राज प्लीज़ अब और ना तड़पाओ…..मार लो मेरी फुद्दि अह्ह्ह्ह जितनी देर मरज़ी मार लो….प्लीज़ मारो ना……



मेने उसके फेस को दोनो हाथो से पकड़ कर अपने निपल से उसके होंटो को हटाते हुए उसकी आँखो मे देखते हुए कहा…



.”क्या कहा तुमने मेने सुना नही….” उसने तेज सांसो के साथ कहा…



.हाई ये मैं क्या कह गयी…उफ्फ इस कमीने ने मुझसे बुलवा ही लिया… मैने शरम से दोहरी होती हुए मन ही मन सोचा….तो उसने अपने बाबूराव के सुपाडे को हलका सा चुनमुनियाँ के छेद पर दबाते हुए फिर से कहा….”क्या हुआ मेरी जान बोलो ना… मारने दोगी ना…



अब मैं क्या करूँ….इस उल्लू को कैसे समझाऊ….तुझसे फुद्दि मरवाने के लिए ही तो, इस तरह अपनी फुद्दि खोल कर तेरे सामने लेटी हूँ…अब और क्या चाहता है तू…”


बोल ना डॉली…”

इसकी तो मैं…..मेने मन ही मन सोचा…और मुझे जो एक ही रास्ता उसका मूह बंद करवाने का दिखा…..वही मेने किया…मेने उसके फेस को पकड़ कर अपने होंटो पर झुका दिया…और उसके होंटो को अपने होंटो मे भर कर बंद कर दिया… अब मैं उसके होंटो को चूस रही थी…और अपनी गान्ड को ऊपेर उठाते हुए, अपनी चुनमुनियाँ को उसके लोहे की रोड की तरह तने हुए बाबूराव पर दबा रही थी…..



उसका बाबूराव मेरी गीली चुनमुनियाँ के छेद को फेलाता हुआ अंदर घुसता जा रहा था…जब उसका आधा बाबूराव मेरी चुनमुनियाँ मे समा गया तो, मेने उसके होंटो को अपने होंटो से अलग करते हुए, उसकी आँखो मे अपनी मस्ती से भरी आँखो से देखा, तो वो ऐसे मुस्कुरा रहा था. जैसे कोई किसी की बेबसी पर मुस्कुरा रहा हो…मुझे उसके इस तरह देखने से शरम भी आ रही थी…और हँसी भी…उसका फेस अभी भी मेरे हाथों मे था…



मैं: म म मुझे घूर्ना बंद करो…..(मेने कांपती हुई आवाज़ मे कहा….)



राज: क्यों…..?


मैं: (उसके सर पर हल्का सा थप्पड़ मारते हुए) टीचर हूँ तुम्हारी…अहह श्िीीईईई…

जैसे ही मेने उसके सर पर थप्पड़ मारा, तो उसने एक ज़ोर दार झटका मार कर अपने बाबूराव को मेरी चुनमुनियाँ की गहराइयों मे घुसा दिया…..मेरी आँखे मस्ती मे बंद होती चली गयी….मेने उसके गले मे अपनी बाहो का हार डालते हुए, उसके चेहरे को अपनी गर्दन पर झुका लिया…और अगले ही पल उसने अपने होंटो को खोल कर मेरी गर्दन को मूह मे भर कर चूस्ते हुए, धीरे-2 अपने बाबूराव को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया. उसके बाबूराव का मोटा सुपाडे ने मेरी चुनमुनियाँ मे अपना कमाल दिखना शुरू कर दिया….


अंदर बाहर होते हुए, उसके बाबूराव का सुपाडा मेरी चुनमुनियाँ की दीवारो से बुरी तरह से रगड़ ख़ाता तो, मैं एक दम मस्त हो जाती….ऐसा लग रहा था कि, मेरी चुनमुनियाँ बुरी तरह से उसके बाबूराव के सुपाडे को अपने अंदर दबा रही है…”ओह्ह्ह्ह राज येस्स फक मी हनी…ओह्ह येस्स अहह ओह्ह्ह्ह येस्स्स्स येस्स्स फक…..” मैं इतनी मस्त हो चुकी थी कि, मैं किसी रंडी की तरह उसे अपनी चुनमुनियाँ मारने के लिए उकसा रही थी…मुझे इतना मज़ा आ रहा था कि, मैं उसको शब्दों मे बयान नही कर सकती….हर बार उसके बाबूराव का सुपाडा किसी वॅक्यूम के पिस्टन की तरह अंदर जाता…और जब बाहर आता तो, मेरी चुनमुनियाँ से कुछ और कामरस बाहर खेंच लाता…

वो धीरे-2 अपने बाबूराव को मेरी फुद्दि के अंदर बाहर कर रहा था….और मैं अपनी गान्ड को उसके बाबूराव को अपनी चुनमुनियाँ की गहराइयों मे लेने के लिए बार-2 ऊपेर की और उछाल रही थी….उसके धक्को की रफ़्तार मे हर पल तेज़ी आती जा रही थी….मेने उसके चुतड़ों पर हाथ रख कर उसे अपनी चुनमुनियाँ की तरफ दबाना सुरू कर दिया….जिससे उसने और तेज़ी और जोरदार तरीके से शॉट लगाने शुरू कर दिए….अब उसकी जांघे मेरे चुतड़ों से टकरा कर थप-2 की आवाज़ करने लगी थी…वही आवाज़ जिसे मैं कई बार सुन चुकी थी…जब भाभी राज से चुदवाती थी….उस आवाज़ को फिर से सुन कर मैं और गरम हो गयी…



मैं: अहह ओह्ह्ह्ह राज येस्स्स्स हाआँ और ज़ोर से मारो अह्ह्ह्ह येस्स फक…..ओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह अहह उम्ह्ह्ह्ह ओह बेबी…….अहह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह हाईए अहह अह्ह्ह्ह राज….



अब राज अपना बाबूराव सुपाडे तक मेरी चुनमुनियाँ से बाहर निकालता और फिर पूरी रफ़्तार से बिना रुके एक ही बार मे मेरी चुनमुनियाँ की गहराइयों मे घुसा देता….मेरी मस्ती का कोई ठिकाना नही था….मैं अन्ट शन्ट बके जा रही थी..खुद नीचे से अपनी गान्ड को हवा मे उछाल रही थी…मज़्ज़िल करीब थी…..मेरा पूरा बदन मस्ती मे कांपने लगा..


मैं:ओह्ह्ह राज ओह्ह्ह्ह येस्स्स्स बेबी फक मी अह्ह्ह्ह अहह अहह ओह्ह्ह्ह राज ओह हार्डर अहह ओह श्िीीईईईईईईईईईईईई उंघह उन्घ्ह्ह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह हाई मार मेरी फुद्दि और ज़ोर नाल हां ठोक दे अपना लंड अहह…

मैं बुरी तरह काँपते हुए झड़ने लगी….मेने राज की कमर पर अपनी टाँगो को लपेट लिया,….और उसके चुतड़ों को पूरी ताक़त से चुनमुनियाँ की तरफ दबाया…मैं बुरी तरह से कांप रही थी….मेरी चुनमुनियाँ की दीवारो ने राज के मोटे बाबूराव को बुरी तरह बीच मे कॅसा हुआ था….जैसे उसका सारा रस निचोड़ लेना चाहती हो….”ओह्ह्ह्ह अहह अह्ह्ह्ह्ह्ह राज…….” में ऊपेर की तरफ राज के बाबूराव पर अपनी चुनमुनियाँ को दबाते हुए सिसकते हुए बोली…..


हम दोनो के बदन पसीने से भीग चुके थे….3-4 मिनिट बाद मेरा बदन जैसे ढीला पड़ा….राज ने मेरे होंटो को चूसना शुरू कर दिया…मैं एक दम संतुष्ट हो चुकी थी…राज ने मुझे चरम तक पहुँचाया था….इसलिए उसके लिए उसे अपने होंटो का रस उसे इनाम मे पिला रही थी….और वो भी बड़ी शिद्दत से मेरे दोनो होंटो को बारी-2 अपने होंटो मे लेकर चूस रहा था…उसके दोनो हाथ बेदर्दी से मेरी चुचियों को मसल रहे थे….इतना मज़ा आ रहा था…उससे अपनी चुचियों को मसलवाने मे... 

कभी मेरे होंटो को छोड़ कर मेरी चुचियाँ और निपल्स को चूसना शुरू कर देता, तो कभी मेरे गालो और होंटो….मैं फिर से गरम होने लगी थी…उसने मुझे लेटे-2 ही घुमाया और मुझे अपने ऊपेर ले आया…..मैने भी बिना रुके अपनी गान्ड को ऊपेर नीचे करना शुरू कर दिया….उसका बाबूराव फिर से मेरी चुनमुनियाँ के पानी से तर होकर अंदर बाहर होने लगा…इस बार हम दोनो 10 मिनिट बाद एक साथ झडे…..



उसके वीर्य ने मेरी चुनमुनियाँ को पूरी रात मे इतना भर दिया कि, मैं सारी रात उससे लिपट कर लेटी रही….उसके बाद जो उस रात शुरू हुआ, वो आगे 3 साल तक चला…..मैं उसके जाल मे ऐसी फँसती चली गयी कि, मुझे याद नही कब मेने और भाभी ने उसके साथ मिल कर थ्रीसम करना शुरू कर दिया….जब वो मेरी चुनमुनियाँ मे अपने बाबूराव को अंदर बाहर कर रहा होता तो, भाभी झुक कर मेरी चुनमुनियाँ की क्लिट पर अपनी जीभ चला रही होती…एक ऐसा सुखद अनुभव था…..जो मैं कभी भूल नही सकती….


बीच मे जब पति महोदय आते तो, राज अक्सर किचिन की छत पर चढ़ कर मुझे आरके से चुदवाते हुए देखता. और मैं भी आरके के बाबूराव को अपनी चुनमुनियाँ मे लेते हुए, उसे दिखाती….इन सब मे मुझे अजीब सा मज़ा आता….आज उस रात को बीते हुए 4 साल बीत चुके है…1 साल पहले ही मैने एक बेटे को जनम दिया था….पर तब राज ग्रॅजुयेशन करके, ललिता से शादी करके अपने मम्मी पापा के पास आब्रॅड जा चुका था…

आज भी जब आरके मेरे साथ सेक्स कर रहे थे…..तब भी मेरी नज़रे उस रोशनदान पर थी…काश मुझे उस निर्मोही की एक झलक ही मिल जाती…..





दोस्तो ये कहानी यही समाप्त होती है फिर मिलेंगे एक और नई कहानी के साथ तब तक के लिए अलविदा



समाप्त ( THE END ) 
Like Reply




Users browsing this thread: 3 Guest(s)