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Misc. Erotica छोटी छोटी कहानियां...
इसके बाद पता नही‌ क्या हुवा और क्या नही मगर दिन के करीब बारह बजे होँगे जब भाभी ने मुझे जगाया‌ और..


"अब क्या सारा दिन ही सोते रहोगे..?, रात को तो ना खुद सोते हो और ना ही मुझे सोने देते हो.." भाभी ने मुझे जगाते हुवे कहा।

मेरे दिमाग मे अब किसी फिल्म की तरह रात की पुरी घटना घुम गयी, और मै तुरन्त उठकर बिस्तर पर बैठ गया। मैंने अब भाभी की तरफ देखा तो वो मुस्कुरा रही थी मगर डर व शर्म के कारण मेरी गर्दन नीचे झुकती चली गयी।

"पता नही कहा से ये सब सिखा है, रात को अपने कपड़ों के साथ-साथ मेरे भी कपड़े गन्दे कर दिये..!"
भाभी ने हँशते हुए कहा।

मैंने अपनी हाफ पैंट की तरफ देखा.. तो उस पर मेरे वीर्य का दाग लगा हुआ था.. जो कि सूख कर सख्त हो गया था।

"अब देख क्या रहे हो.. ? चलो अभी नहा लो, तब तक मैं खाना डाल देती हूँ..!" भाभी ने अबकी बार मेरे कँधे को पकङकर मुझे उठाते हुवे कहा..

मैं एक तो डर रहा था उपर से भाभी‌ के इस तरह बात करने से शरम से मेरी हालत खराब हो गयी। मै अब बिना कुछ बोले चुपचाप नहाने चला गया। अब जब तक मै नहाकर आया तब तक भाभी ने मेरा खाना डालकर कमरे मे ही रख दिया था।

मैने भी अब चुपचाप खाना खाया और छुठे बर्तनो को किचन मे रखकर अब ड्राईँगरुम मे आ गया। भाभी शायद नहा रही थी या फिर पता नही कपङे धुलाई कर रही थी, मगर मेरी अब भाभी से बात करना तो दुर, उनसे नजरे तक मिलाने की हिम्मत नही हो रही थी इसलिये ड्राईंग रूम में आकर मै अब ऐसे ही लेट गया...
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मै रात भर ठीक से नहीं सोया नही था इसलिये पता नही कब मुझे अब फिर से नींद आ गई..मगर कुछ देर बाद ही अपने उपर कुछ दबाव सा पङने के कारण मेरी नींद खुल गयी..


मैंने आँखें खोलकर देखा तो मेरी आँखें खुली की खुली रह गयी, क्योंकि भाभी मात्र ब्लाउज और पेटीकोट में मेरे बगल में सो रही थीं। उनके ब्लाउज के उपर तीन बटन खुले हुए थे, तो नीचे भी उन्होंने ब्रा नहीं पहन रखी थी।

भाभी की आधी से भी ज्यादा दूधिया सफेद चुँचियाँ नजर आ रही थी जिन्हें देखते ही मेरा लण्ड अब तुरन्त कीसी नाग की तरह फन सा फैलाकर खङा हो गया। मैं समझ गया कि शायद भाभी भी मुझसे ये सब करना चाहती.. तभी तो वो मेरे पास इन कपड़ों में आकर सोई हैं।

अब यह बात मेरे दिमाग में आते ही ना जाने मुझमें कहाँ से इतनी हिम्मत आ गयी कि मैंने एक ही झटके मे भाभी के ब्लाउज के बचे हुए सारे बटन भी खोल दिए। बटन के खुलते ही भाभी की चुँचियाँ स्वतः ही फङफङाकर ऐसे बाहर आ गयी.. मानो दो सफेद कबूतर पिंजरे से आजाद हुए हों।

मैं पहली बार नँगी चुँचियाँ देख रहा था.. इसलिए मैं उन्हें बड़े ध्यान से देखने लगा। भाभी की दूधियाँ सफेद एकदम‌ गोल चुँचियाँ और उन पर छोटे छोटे गुलाबी निप्पल ऐसे लग रहे थे.. जैसे कि सफेद आईसक्रीम पर लाल गुलाबी स्ट्राबेरी रखी हो।

आईसक्रीम को देखते ही जैसे किसी छोटे बच्चे के मुँह में पानी आ जाता है.. वैसे ही भाभी के आईसक्रीम रूपी चुँचियो को देख कर मेरे मुँह में भी पानी भर आया था।

मुझे सेक्स के बारे में इतना कुछ पता तो नहीं था.. मगर फिर भी भाभी की चुँचियाँ मुझे इतनी अच्छी लगी की मैं एक चुँची के निप्पल को अपने मुँह में भर कर चूसने लगा तो दूसरी चुँची को अपनी हथेली मे भरकर उसे धीरे-धीरे मिचना शुरु कर दिया..

भाभी की चुँचियाँ एकदम गोल गोल और स्पंज के जैसे बिल्कुल गुदाज थी। वो बाहर से तो कोमल थी मगर अन्दर से एकदम ठोस व भरी हुई थी। भाभी ने आँखें बन्द कर रखी थीं। वो कुछ बोल रही थीं.. मगर फिर भी उनके चेहरे की भाव भंगिमाओं को देख कर पता चल रहा था कि उन्हें भी मजा आ रहा था..

क्योंकि जब मैं उनकी चुँची को जोर से मसलता तो दर्द के कारण भाभी के होंठ थोड़ा भिंच से जाते और जब हल्के से सहलाता तो उनका मुँह आनन्द से "आ्ह्ह्..’" भरने के लिए खुल‌ जा रहा थे....

मैं भी भाभी के निप्पल को लगातर चूस रहा था. उस में से कोई रस तो नहीं निकल रहा था.. मगर मेरे मुँह में एक चिकनाहट सी घुलती जा रही थी। जिससे मुझ पर उत्तेजना का एक खुमार सा छा गया और मेरा जो हाथ भाभी‌‌ की चुँची‌ को मिच रहा था वो अपने आप ही भाभी के चिकने पेट पर से फिसलता हुआ सीधे नीचे उनके संधि स्थल पर भी जा पहुँचा..
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भाभी ने नीचे भी पैन्टी नहीं पहनी हुई थी‌ इसलिए पेटीकोट के ऊपर से ही मुझे अब सीधा भाभी की कोरी कोरी व फुली हुई चुत की बनावट महसूस हुई..


कचौङी के जैसे एकदम फुली हुई व छोटी सी चुत थी भाभी की। मैने पहली बार चुत को छुवा था इसलिये भाभी की चुत को छुते ही मेरे लण्ड ने अब एक ठुनकी सी खाई और उसमे कामरश की कुछ बन्दे निकल कर मेरे अण्डरवियर को गीला कर गयी...

भाभी की चुत को सहलाते सहलाते मेरा हाथ अब थोङा सा नीचे गया तो मुझे‌ वहाँ पर कुछ गीलापन सा भी महसूस हुवा..!, मैने वहाँ पर अच्छे से सहलाकर देखा तो पाया, भाभी की जाँघो के जोङ के पास से उनका पेटीकोट हल्का सा नम था..

वैसे तो मै इस खेल मे अनाङी था मगर फिर भी‌ मै समझ गया की जिस तरह उत्तेजना के कारण मेरे लण्ड से पानी निकल रहा है शायद वैसे ही भाभी की चुत भी उत्तेजना के कारण पानी छोङ रही है...

भाभी की चुत को इस तरह पानी छोङते देख मेरे लिये अब अपने आप पर ही काबू पाना मुश्किल हो गया. मेरे दिल में जल्दी से भाभी की चुत को देखने की चाहत हो रही थी.. इसलिए मैंने दोनो हाथो से पेटीकोट के नीचले सीरो को‌ पकङ लिया और एक ही झटके मे उसे भाभी के पेट तक पलट दिया...

भाभी नीचे से अब बिल्कुल नँगी हो गयी थी। मुझे उनकी दुधिया सफेद व चिकनी जांघो के बीच फूली हुई चुत की बस एक झलक मिली ही थी की भाभी ने तुरन्त अपनी जाँघो को भीँच लिया...

मेरे सामने बस उनकी चुत का फुला हुवा उभार सा ही रह गया‌ था..पर भाभी की चुत देखने‌ के लिये मै इतना अधिक लालायित था की मैने अब उनकी जाँघो को फिर से खोलने की भी कोशिश की, मगर भाभी ने‌ उन्हे और जोरो से भीँच लिया...

मेरा चेहरा अब देखने लायक था। जैसे किसी बच्चे को उसकी पसन्दीदा चीज की एक झलक‌ दिखा कर उसे छुपा ली जाये तो, जैसी रोनी सुरत उस बच्चे की‌ हो जाती है वैसी हालत उस समय मेरी हो गयी थी।

मैने भाभी की ओर देखा तो भाभी ने अभी भी आँखें बन्द कर रखी थीं मगर उनके चेहरे पर मुस्कान सी‌ दिख रही थी। भाभी को मुझे अपनी चुत को दिखाने‌ मे शर्म आ रही थी या फिर पता नही मुझे तङपाने के लिये ऐसा वो जानबूझकर कर रही थी..?
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मेरे जीवन मे सैक्स का ये पहला अनुभव था, इसलिये मुझे एक‌ तो इन सब कामो के बारे मे ज्यादा कुछ पता नही था, उपर से भाभी कही बुरा ना मान जाये इस बात के डर के कारण मै भाभी के साथ कोई जोर जबरदस्ती करने के स्थित मे भी नही था।


मै अब कुछ और तो कर नही सकता था इसलिये भाभी की गोरी चिकनी नँगी जाँघो से ही चिपट गया और उन पर चुम्बनो‌ की झङी सी लगा दी.. जाँघो को चुमते हुवे मै अब भी बार बार उन्हे खोलने की कोशिश कर रहा था...

मगर मै उन्हे जितना खोलने की कोशिश कर रहा था भाभी उन्हें उतना ही और कस के भीँच रही थी...पर भाभी जितना अपनी चुत को छुपाने‌ की‌ कोशिश कर रही थी मेरे दिल मे उसे देखने की इच्छा उतनी ही ज्यादा प्रबल हो रही थी इसलिये मै भी उनकी जाँघो को चुमते हुवे अपनी कोशिश मे जुटा रहा...

अब ऐसे ही कुछ देर तो भाभी भी मुझे तरसाती रही फिर शायद उनको मुझ पर तरस आ गया और अबकी बार मैने जैसे ही जाँघो को‌ खोलने की‌ कोशिश की, उन्होंने धीरे से अपनी जाँघो को खोल‌‌ दिया...

भाभी ने अपनी जाँघो को पुरा नही खोला था, उन्होंने बस‌ हल्का सा ही खोला था, पर बाकी का काम अब मेरे हाथो ने किया। मैने पहले तो अपने दोनो हाथो को भाभी की जाँघो के बीच घुसा दिया, फिर जाँघो को पकङकर उन्हे पुरा फैला दिया..

भाभी की फूली हुई बालों रहित चुत अब मेरे सामने थी जिसके बाल लगता है शायद भाभी ने आज ही... आज ही..। आज ही क्या शायद अभी अभी ही साफ किए थे, क्योंकि चुत पर बाल‌ तो क्या एक रोवा तक‌ नही‌ था। बिल्कुल सफेद कागज के जैसे एकदम‌ ही‌ कोरी चुत थी भाभी की।

तस्वीरो मे तो एक दो बार मै पहले भी चुत को देखा था मगर असल मे पहली बार‌ चुत को देख रहा था। मेरे लिये ये कोई खजाना मिलने से कम‌ नही था इसलिये नीचे झुककर मै उसे अब बङे ही ध्यान से देखने लगा..

दोनों जाँघों के बीच फुली व उभरी हुई छोटी सी चुत और चुत की गुलाबी रंगत लिए हुए दरार, ऐसी लग रही थी मानो पाँवरोटी को बीचों-बीच चाकू से काटकर उसमे सिंदूर भर रखा हो। और चुत की दोनों फाँकों के बीच हल्का सा दिखाई देता चुत का दाना तो ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे भाभी की चुत अपनी जीभ निकाल कर मुझे चिढ़ा रही हो।

भाभी की चुत को देखते देखते अनायास ही मेरी‌ एक‌ नजर अब भाभी के चेहरे पर भी चली गयी.. वो अभी‌ तक हल्की सी आँखे खोलकर शायद मुझे ही देख रही थी‌ मगर मेरे अब उनके चेहरे की तरफ देखते ही भाभी ने ‌तुरन्त अपनी आँखे बन्द कर ली और मेरा हाथ पकड़ मुझे अब अपने ऊपर खींचने लगी..

मै भी अब भाभी का‌ ये इशारा समझ, जल्दी से अपना अण्डरवियर व हाफ पैंट को निकाल सीधा भाभी के ऊपर चढके लेट गया.. मै भाभी पर नँगा होके लेट तो गया, पर मेरे सामने अब ये समस्या खङी हो गयी की, अब करु तो‌ क्या करूँ क्योंकि मुझे तो सेक्स करना आता नहीं था।
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मैं ऐसे ही भाभी के ऊपर लेटा हुवा था.. मेरा लण्ड भाभी की चुत पर तो था.. मगर चुत‌ के प्रवेश द्वार से दूर था। वैसे भी उस समय तक मुझे तो पता भी नहीं था कि चुत में प्रवेश द्वार कहाँ पर होता है, क्योंकि असल मे चुत ही मै आज पहली बार देखा रहा था..


उत्तेजना के कारण मेरा बुरा हाल‌ हो रहा था और मेरे लण्ड तो अब पानी छोङ छोङकर भाभी के चुत के आस पास पुरे भाग को‌ ही गीला कर दिया था, पर मुझे अब कुछ ना करता देख भाभी ने ही एक बार फिर से हिम्मत दिखाई। उन्होने मुझे थोड़ा सा पीछे धकेल एक हाथ से मेरे लण्ड को पकड़ कर पहले तो अपनी चुत के मुँह पर लगा लिया फिर दूसरे हाथ से मेरे कूल्हों पर दबाव डाला...

अब तो मैं भी समझ गया था कि मुझे आगे क्या करना है। इसलिये मैंने अपनी कमर को थोड़ा सा उपर उठाकर भाभी की चुत पर लण्ड का हल्का सा एक धक्का लगा दिया...

मेरे लण्ड से पानी निकल ही रहा था, भाभी की चुत भी प्रेमरश से भीगकर एकदम चिकनी हो रखी थी इसलिये अब जैसे ही मैने धक्का मारा भाभी के मुँह से एक मीठी.. "आ्ह्ह्..." सी निकली और एक ही झटके में मेरा आधे से ज्यादा लण्ड उनकी चुत की गहराई माप गया।

चुत मे अपना‌ लण्ड डालने का मेरा ये पहला‌ अहसास था,‌ जोकी थोङा सा सख्त, पर एकदम चिकनाहट भरा और इतना अधिक गर्म गर्म‌ था मानो मेरा लण्ड किसी गर्म आग की भट्टी में ही समा गया हो। भाभी की चुत से रिसता गर्म गर्म चुतरस अन्दर ही अन्दर मेरे लण्ड पर प्यार की ऐसी सेक सी लगा रहा था की, जी कर रहा था मै उस मखमली गुफा मे हमेशा हमेशा के लिये अपने लण्ड को डाले रखूँ..

मेरा आधा लण्ड ही भाभी‌ की चुत मे घुसा था। पर आधा अभी बाहर ही था, जो की मुझे अब गँवारा नही था इसलिये अपनी कमर को थोङा सा उपर उठा मैने अब एक धक्का और लगा दिया...

अबकी बार लगभग मेरा अब पुरा ही लण्ड भाभी की उस मखमली गुफा समा गया जिससे भाभी के मुँह से एक बार फिर से.. "आह्ह्.." निकल गयी और उन्होंने बङे ही प्यार से मेरे गाल को चूमके मुझे कस के अपनी दोनों बाँहों में भीँच लिया...
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भाभी ने अब भी आँखें बँद कर रखी थीं मगर अपना‌ पुरा लण्ड भाभी की चुत मे उतारकर मैंने धीरे-धीरे अपनी कमर को आगे-पीछे हिलाकर धक्के लगाने शुरु कर दिये.. जिससे भाभी के मुँह से भी हल्की हल्की सिसकारियाँ सी निकलना शुरु हो गयी..


नीचे कमर से धक्के लगाते हुवे मै भाभी के गालो को भी चुमने की‌ कोशिश कर रहा था, मगर वो कोशिश बस सकुचाते सकुचाते ही हो रही थी। मै अभी भी भाभी से थोङा डर सा रहा था इसलिये उनके गालो पर बस हल्के पप्पी ही ले रहा था..

मगर तभी भाभी ने अपनी गर्दन को घुमा सीधा मेरे होठो से अपने होठो को‌ जोङ दिया... वो मेरा पहला चुम्बन था इसलिये मुझे तो कुछ पता भी नही था की चुम्बन कैसे किया जाता है मगर भाभी ने मेरे दिल की बात जान ली थी इसलिये‌ उन्होने खुद ही दोनो हाथो से मेरे सिर को पकङ अब मेरे उपर के एक होठो को अपने मुँह ने भरकर चुशना शुरु कर दिया..‌

अब तो मै भी कहा पीछे रहने वाला था, जैसे भाभी मेरे होठो को चुश रही थी वैसे ही मै भी उनके नीचे के एक होंठ को अपने‌ मुँह में भरकर उसे जोर जोर चूसने लगा...

रुई के‌ फोहे से सोफ्ट सोफ्ट और चाशनी से भी मीठे होठ होठ थे भाभी के। कसम से उनको चुश कर ऐसा लग रहा था‌ कही बतासे के‌ जैसे भाभी के नर्म‌ नर्म होठ मेरे मुँह मे‌ ही ना घुल‌ जाये..? मै उनको बङे ही प्यार से और आराम‌ आराम से चुश ही रहा था की तभी भाभी ने मेरी जीभ को अपने मुँह में खींच लिया और उसे चाट चाटकर चूसने लगीं..

मुझे ये कुछ अजीब तो लगा, मगर कुछ देर बाद ही भाभी ने मेरी जीभ को तो छोड़ दिया और उसकी जगह अपनी जीभ को मेरे मुँह में घुसा दिया.. अपनी जीभ को मेरे मुँह मे घुसा भाभी ने मेरे मुँह के अन्दर के भाग को भी चाट चाट कर चुशने लगी..

उनकी गर्म गर्म लचीली जीभ चारो तरफ घुम घुमकर मेरे मुँह के अन्दर के भाग को ऐसे चाट रही थी जैसे कीसी‌ बर्तन मे खाना खत्म हो जाने के बाद जानवर उसे चाट चाट कर साफ करता है।

जैसा‌ की मैने पहले भी बताया है मेरा वो पहला अवसर था। मुझे तो पता भी नही था की भाभी ये सब क्या और क्यो कर रही है मगर फिर भी जैसे भाभी ने किया था वैसे ही मैंने भी अब भाभी की जीभ को अपने होठो के बीच दबा लिया और उसे चाट चाटकर चूसने लगा..

कसम‌ से भाभी की गर्म गर्म और रस से भरी जीभ के रस को चुशकर तो मुझे अब इतना अधिक मजा आने लगा की, उस आनन्द को ब्यान करने के लिए मेरे पास शब्द ही नहीं हैं। मै पहले तो धीरे धीरे ही धक्के लगा रहा था मगर अब भाभी के होठो व जीभ के मधुर मधुर रश को पीते पीते मैने थोङा तेजी से कमर को हिलाना शुरु कर दिया...
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भाभी ने भी अब मेरा साथ देने के लिए अपने दोनो पैरो को मेरे पैरों मे फँसा लिया और नीचे से अपने कूल्हे उचका-उचका कर धक्के लगाने लगी...नीचे से तो मेरी व भाभी की कमर धक्कमपेल‌ कर ही रही थी उपर से भी भाभी की जीभ कभी मेरे मुँह‌ मे तो कभी मेरी जीभ भाभी के मुँह "चप..चप..और चुपल.चुपल..चप.चुपल" की आवाज के साथ अठखेलिया कर रही थी...


कसम इस खेल मे इतना अधिक मजा आता है मैने‌ तो ये कभी सपने‌ मे भी नही सोचा था, क्योंकि उपर से मेरी जीभ व होठ भाभी के मुँह को चोद रहे थे तो नीचे से मेरा लण्ड भी भाभी की उस नन्ही मखमली गुफा को चोद रहा था।

उत्तेजना व आनन्द से मेरा जोश अब दोगुना हो गया था. इसलिए अपने आप ही मेरी‌ कमर की हरकत और अधिक तेज हो गयी। मैं अपनी पुरी ताकत व तेजी से धक्के लगाने लगा था जिससे भाभी भी अब जोर-जोर से.."आ्हें..." भरते हुए अपनी कमर को और भी जल्दी-जल्दी उचकाने लगीं...

हम दोनो के ही बीच अब इतनी जोरो की धक्कमपेल शुरु हो गयी थी, मानो हम‌ दोनो‌ मे‌ कोई होङ मच गयी हो, जिससे कुछ ही देर मे मेरी व भाभी की सांसें फूल आई। भाभी के चेहरे पर तो पसीने की बूँदें भी उभर आई थीं मगर वो हार नही मान रही थी। पर मेरे लिए सहवास का यह पहला अवसर था.. इसलिए मैं अब अपने आप पर ज्यादा देर तक नियंत्रण नही रख सका..

इस जोरो‌ की धक्कमपेल से मै इतना अधिक उत्तेजित हो गया कि कुछ ही देर में, चर्म पर पहुँच गया..भाभी को‌ अपनी बाँहो मे भरकर मै उनसे कस के लिपट गया और अपने लण्ड से रह रह कर उनकी चुत को अपने वीर्य से भरना शुरु कर दिया..

मै भाभी की चुत को अपने वीर्य से भर ही रहा था की तभी भाभी की चुत मे भी अब जोरो का सकँचन सा होने लगा, अब इसी के साथ भाभी मेरे कूल्हों को अपनी दोनो जाँघों के बीच तो, मेरी पीठ को दोनों हाथों से भींचकर मुझसे कीसी जोक की तरह चिपट गयी और...
"ईईइशशश.. अहह..
ईईशश.. अआहहह.." करते हुए अन्दर ही अन्दर मेरे लण्ड को अपने गर्म गर्म‌ चुतरश से नहलाना शुरु कर दिया..

अब रसखलन होने तक तो मै और भाभी ऐसे ही एक दुसरे मे समाये पङे रहे, फिर भाभी ने मुझे धकेलकर अपने उपर से नीचे गीरा दिया। मैं भी अब भाभी के बदन से नीचे उतर कर उनके बगल में लेट गया..
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मेरा व भाभी का, दोनो‌ का ही भी रस स्खलित हो गया था जिससे अब बाकी सब कुछ तो शान्त हो गया था मगर हम दोनों की सांसें अब भी उखड़ी हुई थीं।

अपनी अपनी उखङी साँसो को काबु मे करने के लिये कुछ देर तो मै और भाभी ऐसे ही लेटे रहे, फिर सामान्य होने पर भाभी तो अपने कपड़े ठीक करके बाहर चली गईं.. मगर मैं अब ऐसे ही लेटा रहा।

भाभी कुछ देर बाद ही अब चाय का कप लेकर फिर से मेरे पास ड्राईँगरुम आ गयी और मुझे देख कर अब वो जोरो से हँसने लगीं.. मैं अब भी नँगा ही पड़ा हुआ था इसलिये भाभी अब कुछ बोलती की तभी दरवाजे की घण्टी बज उठी..

शायद मम्मी-पापा आ गए थे इसलिये मैं अब उठ कर जल्दी से अपने कपड़े पहनने लगा, तो भाभी चाय का कप मेरे पास रख कर दरवाजा खोलने चली गयीं।

इसके बाद मेरी और भाभी की कोई बात नहीं हुई क्योंकि मेरे मम्मी पापा आ गये थे इसलिए भाभी उनके कामो मे ही लगी रही, मगर इस दौरान मेरा जब भी भाभी से सामना होता.. भाभी मुझे देख कर मुस्कुराने लगतीं तो‌ मैं भी भाभी की मुस्कुराहट का जवाब मुस्कुराहट से दे देता...

Heart
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जैसा की अभी तक आपने पढा मम्मी पापा के आ जाने के बाद भाभी घर के कामो मे व्यस्त हो गयी और मै ऐसे ही घर मे घुमता रहा, घुम तो क्या रहा था बस जल्दी से रात होने का इन्तजार कर रहा था। और ये तो मेरा दिल ही जानता है कि मै कैसे समय निकाल रहा था।


भाभी के साथ दोपहर मे जो कुछ भी हुवा था मै बस उसे ही सोच-सोचकर अपने आप उत्तेजित हो रहा था। इस दौरान मेरी और भाभी की कोई बात नहीं हुई मगर जब भी मेरा भाभी से सामना होता.. तो भाभी मुझे देख कर मुस्कुराने लगतीं..., मैं भी भाभी की मुस्कुराहट का जवाब मुस्कुराकर देता।

खैर कैसे भी करके रात हो गयी, मैने जल्दी से खाना खाया और रोजाना की तरह ही भाभी के कमरे मे जाकर पढाई करने लगा, पढाई तो कहा हो रही थी बस मै तो भाभी के कमरे मे आने का इन्तजार कर रहा था। पर भाभी दस बजे घर के काम निपटाकर कमरे मे आई.....

भाभी के आते ही मेरे शरीर का तपनान अब अचानक से बढ गया तो, दिल भी जोरो से धङकने लगा। भाभी मुझे देखकर थोङा सा मुस्कुराई और फिर कमरे का दरवाजा बन्द करके अपनी साङी निकालने लगी। शरम के कारण भाभी से बात करने की मेरी हिम्मत नही हो रही थी, मै बस चोर निगाहों से ही भाभी को देख रहा था।

भाभी ने अभी भी दिन वाले ही कपङे पहने हुवे थे इसलिये उन्होने साङी को तो निकाल कर अलबारी मे रख दिया और मात्र पेटीकोट व ब्लाउज मे बैड पर जाकर बैठ गयी। बैड पर बैठकर भाभी अब एक बार फिर मुझे देखकर मुस्कुराई और हँसते हुवे..

"सोते समय लाईट बन्द कर देना.." भाभी ने मेरी तरफ देखते हुवे कहा। पर भाभी‌ का‌ इतना बोलना हुवा‌ की लाईट का जाना हुवा...

लाईट के जाते ही कमरे घुप्प अन्धेरा हो गया था। अब अन्धेरे मे तो पढाई हो नही सकती थी। वैसे भी मै पढाई तो कर ही कहाँ रहा था, मै तो बस भाभी‌ के ही आने‌ की राह देख रहा था इसलिये मै भी अब चुपचाप भाभी की बगल‌ मे‌ जाकर लेट गया...
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कुछ देर तक तो मै और भाभी अब ऐसे ही लेटे रहे क्योकि मै सोच रहा था‌ की भाभी पहले‌ करेगी और शायद भाभी सोच रही थी की मै पहल करूँगा, मगर शर्म व डर के कारण मुझमे तो पहल करने की हिम्मत ही कहाँ थी..?


अब कुछ देर तो हम दोनो ऐसे ही लेटे रहे, फिर मैने धीरे से करवट बदलकर अपना मुँह भाभी की तरफ कर लिया और इसी बहाने धीरे से अपना एक पैर भी भाभी के पैरो पर रख दिया, रखा तो‌ क्या दिया, बस ऐसे ही भाभी के एक पैर से छुवा दिया था।

शर्म व घबराहट के कारण मेरा दिल अब जोरो से धङक रहा था तो पुरा बदन हल्का-हल्का काँपने सा लगा था। मेरे करवट बदलते ही भाभी ने भी अब करवट बदलकर अपना मुँह मेरी तरफ मुँह कर लिया और थोङा सा मेरे नजदीक भी हो गयी जिससे हम दोनो के ही बदन एक‌ दुसरे से स्पर्श करने लगे।

मै अभी भी ऐसे ही लेटा हुवा था, पर मेरे बदन की काँपकँपाहट के कारण शायद भाभी को मेरी स्थिति का अहसास हो गया था इसलिये भाभी ने ही अब पहल की, उन्होने अपना एक‌ हाथ मेरे उपर से ले जाकर मुझे पीठ पीछे से पकङ लिया और खीँचकर अपने बदन के साथ जोरो से चिपका लिया..

मै भी खिँचता हुवा अब भाभी के बदन‌ से चिपकता चला गया जिससे भाभी मखमली बदन मुझे अपनी कोमलता से गुदगुदाने लगा तो भाभी का चेहरा भी अब मेरे बिल्कुल पास आ गया और उनकी गर्म‌ गर्म व महकती साँसे मेरी साँसो को महकाने‌ लगी...

मुझे आगे कुछ करने मे अभी भी सँकोच तो हो रहा था मगर फिर भी मैने धीरे से अपने होठो को भाभी के नर्म नाजुक होठो से जोङ दिया.. मैने बस अपने होठो को भाभी के होठो से लगाया ही था, मगर बाकी का‌ काम अब मेरी भाभी ने किया.. उन्होने जो हाथ मेरी‌ पीठ रखा हुवा था उसे उपर लाकर मेरी गर्दन को पकङ लिया और मेरे होठो को मुहँ मे भरकर जोर जोर से चुसना शुरु कर दिया..

अब तो मुझमे भी रहा नही गया, इसलिये मैने भी भाभी के एक होठ को अपने मुँह मे भरकर उसे कस कसकर चुसना शुरु कर दिया तो, साथ ही अपना एक हाथ भाभी के उपर रख कर धीरे धीरे उनके माँसल व भरे कुल्हो और जाँघो को भी सहलाने लगा...

भाभी के होठो को चुशते हुवे मुझे अब ऐसा लग‌ रहा था जैसे की भाभी की जीभ बार बार मेरे होठो के बीच आकर मेरे दाँतो से टकरा रही हो। पहले एक दो बार तो मैने ध्यान नही दिया मगर जब बार बार ही ऐसा होने लगा तो इस बार मैने अपने दाँतो को थोङा सा खोल दिया..

अब जैसे ही मैने अपने दाँत अलग किये भाभी की गर्म गर्म व लपलपाती लचीली जीभ मेरे मुँह मे अन्दर तक का सफर करने लगी। वो‌ कभी अपनी जीभ से मेरी जीभ को सहलाने लगी तो, कभी मेरे होठो के अन्दर के भाग को घुम‌ घुम पुरा अन्दर तक चाटने लगी..

भाभी की‌ जीभ कही‌ एक‌ जगह ठहर ही‌ नही रही थी इसलिये मैने उसे अपने होठो के बीच दबा लिया और दिन के जैसे ही चुशना शुरू कर दिया... भाभी के मुँह का मधुर मधुर रश अब मेरे मुँह मे घुलने लगा था जिसके स्वाद मे मै अब इतना खो गया की, पता ही नही चला कब मेरी जीभ भाभी की जीभ का पीछा करते हुवे उनके मुँह मे चली गयी।

अब बारी भाभी की थी, वैसे मै तो भाभी‌ की जीभ को बङे ही प्यार और आराम‌ आराम से ही चुश रहा था मगर भाभी ने मेरी‌ जीभ को अपने होठो व दाँतो तले दबा लिया और उसे बहुत जोर जोर से व कस कस कर उसे चुसने लगी..

मुझे दर्द हो रहा था इसलिये मैने भाभी से दुर होकर अपनी जीभ को अब छुङाने का भी प्रयास किया, मगर भाभी ने अपना दुसरा हाथ भी अब मेरी गर्दन के नीचे से लेकर मेरे सिर को पकङ लिया...

तब तक भाभी का पहले वाला हाथ जो की मेरे सिर पर था उसे वो अब मेरी कमर पर ले आई और मेरे सिर व कमर को पकङकर मुझे जोरो से अपनी बाँहो मे भीँच लिया...

मेरी जीभ को भाभी इतने जोरो से चुश रही थी की मुझे अपनी जीभ खीँच कर भाभी के मुँह जाती सी महसूस हो रही थी, दर्द के कारण मै छटपटाने लगा मगर भाभी छोङने का नाम ही नही ले रही थी। अब कुछ ना होते देख मैने भाभी‌ की कमर पर जोरो से एक चिकोटी काटी तब जाके भाभी मेरी जीभ को छोङा...
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मेरी जीभ को छोङ भाभी अब मुझसे अलग हो गयी और दोनो हाथो से मेरे कपङो को खीँचने लगी। मुझसे भी अपने शरीर पर अब कपङे बर्दाश्त नही हो रहे थे इसलिये जल्दी से उठकर मैने अपने सारे कपङे उतार फेँके और नँगा होकर फिर से भाभी की‌ बगल‌ मे लेट गया..


मेरे नँगा होकर लेटते ही भाभी अब फिर‌ से‌ मेरे होठो पर टुट पङी। मैने भी भाभी के होठो व गर्दन पर दो चार बार चुमा‌ मगर तभी भाभी अपना एक हाथ मेरी कमर मे डालकर सीधी हो गयी जिससे मै खीँचता हुवा अब उनके उपर आ गया...

मेरे अब भाभी के उपर आने से उनकी नर्म मुलायम चुँचियाँ मेरे सीने से पीसकर चटनी हो गयी तो मेरा उत्तेजित लण्ड भी ठीक भाभी की चुत पर ही लग गया, जो की पेटीकोट के उपर से ही मेरे लण्ड को अब अपनी गर्मी का अहसास करवा रही थी।

भाभी अब भी मेरे होठो व गालो को जोरो से चुम चाट रही थी मगर भाभी के उपर आकर मैने अब ब्लाउज के उपर से ही उनकी एक चुँची को पकङ लिया। भाभी ने अब भी ब्रा नही पहनी थी इसलिये ब्लाउज के उपर से ही मुझे उनकी चुँची की मखमली नर्मी का अहसास हुवा तो, उसके निप्पल ने तो सीधा तन‌कर अपनी मौजुदगी का अलग ही अहसास करवाया...
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भाभी के होठो को छोङकर मै भी अब उनके गालो व गर्दन पर से होते हुवे उनकी चुँ‌चियो पर उपर आ गया और बारी बारी से दोनो चुँचियो को चुमने लगा। भाभी की चुँचियो व मेरे प्यासे होठ के बीच उनका ब्लाउज आ रहा था जिस मै उसे उतारने की सोच ही रहा था की..तभी भाभी ने मुझे‌ थोङा सा पीछे धकेल एक ही झटके मे अपने ब्लाउज के सारे बटन खोलकर दोनो चुँचियो को अाजाद कर दिया...


चुँचियो के आजाद होते ही मै भी उन पर अब ऐसे टुट पङा जैसे की जन्मो के प्यासे को आज पहली बार कुवाँ मिल गया हो। भाभी की दोनो चुँचियो को मै बारी बारी से चुमने चाटने लगा, साथ ही हाथो से उन्हे जोरो जोर मसल भी रहा था जिससे कुछ ही देर मे‌ उनके दोनो‌ निप्पल तन‌कर पत्थर हो गये..

भाभी की चुँचियो के साथ मैने‌ खेल ही रहा था की तभी बीजली‌ भी आ गयी। अभी तक‌ मेरे और भाभी के बीच ये सब अन्धेरे मे ही चल रहा था मगर अब बीजली के आते ही पुरे कमरे मे ट्यूब लाईट का दुधिया प्रकाश फैल गया।

तेज रोशनी से अब एक बार तो हमारी आँखे मुँद गयी, मगर मुँदने के बाद जब वो दोबार खुली तो सीधा ही मेरी और भाभी‌ की‌ नजरे आपस मे‌ जा मिली.. मेरी आँखों मे जँहा अब उत्तेजना के डोरे तैर रहे थे तो वही भाभी की नजरो मे मुझे शरारत‌ दिख रही थी।

वो मुझे देखकर मुस्कुरा रही थी मगर उत्तेजना के मारे मेरा बुरा होल‌ हो रहा था। इसलिये एक बार भाभी‌ की ओर देखकर मै उनकी बङी बङी चुँचियो‌ की ओर देखने लगा.. भाभी ने अपने दोनो हाथ चुँचियो पर रखकर उन्हे अब छिपा लिया था। जिनको मैने अब डरते डरते हटाने की कोशिश की मगर तभी..

"पहले ये लाईट तो बन्द कर दो..!" भाभी ने मेरी ओर अब उसी शरारत से देखते हुवे कहा।

पहली पहली बार, पहली बार क्या..? वो तो हर बार ही औरत के नँगे बदन को देखने की चाह हर किसी को होती है, फिर मै तो इस खेल मे बिल्कुल ही नया था। मेरा भी दिल‌ कर रहा था की मै भाभी के सभी अँगो अच्छे से देखुँ इसलिये..

"व्.व्. वो्. र्.र्.रहने दो ना.." मैने धीरे से भाभी‌ के हाथो को चुँचियो पर से हटाने की कोशिश करते हुवे कहा पर शरम के मारे मैने भाभी‌ से नजरे चुरा ली।

भाभी भी समझ रही थी की मेरे दिल‌ मे क्या चल रहा है और मै लाईट क्यो जलाये रखना चाह रहा हुँ इसलिये..

"बदमाश.." भाभी ने शरारत से हँशकर मेरी‌ ओर देखते हुवे कहा और धीरे से अपने हाथो‌ को चुँचियो‌ पर से दुर हटा लिया...
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भाभी‌ की कोरी कोरी चुँचियाँ अब मेरे सामने थी।‌एकदम गोल गोल‌ व दुध सी सफेद चुँचियो पर मेरे रगङे और मसले जाने से निशान बन‌ गये थे मगर उत्तेजना के कारण उनके‌ निप्पल सुपारी के‌ जैसे कङे होकर एकदम तने खङे‌ थे। उनको देखकर ही मेरे मुँह मे‌ अब पानी आ गया, इसलिये एक निप्पल को सीधा अपने को मुँह ने भरकर मै गप्प कर गया..


अब जैसे ही मैने भाभी‌ के‌ निप्पल को मुँह‌ लिया
भाभी के मुँह से एक मीठी सिसकी सी निकल गयी और उन्होने दोनो हाथो से मेरे सिर को अपनी चुँची पर जोरो से दबा लिया। मै भी अब उनके निप्पल को अपनी जीभ व दाँतो से कुरेद कुरेद कर चुशने लगा जिससे भाभी के मुँह से भी हल्की-हल्की सिसकीयाँ फुटना शुरु हो गयी।

अब कुछ देर तो ऐसे भाभी मेरे सिर को सहलाते सहलाते अपनी चुँचियो के रस को पिलाती रही, फिर भाभी ने अपने पैरो को फैलाकर मुझे अपनी जाँघो के बीच दबा लिया और अपनी कमर को हिला हिलाकर अपनी चुत को मेरे पेट पर घीसने लगी...

मेरे भी दिमाग मे अब भाभी की चुत का रुख करने ख्याल आ गया....मै भाभी के उपर लेटा हुवा था और इस स्थिति मे तो भाभी की चुत को छु नही सकता था इसलिये भाभी के चुँचियो को चुसते हुवे ही मै खिसक कर भाभी पर से निचे उतर गया और एक हाथ भाभी की चुँचियो पर से हटाकर उनके नर्म पेट पर से होते हुवे उनकी चुत पर ले आया। जबकि मेरा दुसरा हाथ अभी भी भाभी की चुँचियो को ही मिचने मे व्यस्त रहा..

अब पेटीकोट के उपर से ही मैने भाभी की चुत को सहलाकर देखा तो पाया की भाभी ने पेँटी भी नही पहन रखी थी जिस कारण पेटीकोट चुत के पास से चुत रश से भीग कर गीला हो रखा था। भाभी
की चुत देखने की मुझे अब तीव्र इच्छा हो‌ रही थी इसलिये चुत को सहलाते सहलाते ही मैने धीरे धीरे कर भाभी के पेटीकोट को खिँचकर उनके पेट तक उलट दिया...

पेटीकोट के‌ उलट‌ जाने से‌ भाभी की चुत नँगी हो गयी थी‌ इसलिये मैने भी अब उनकी चुँचियो को तो छोङ दिया और धीरे से‌ उठ कर भाभी की‌ दोनो जाँघो‌ के पास बैठ गया।
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भाभी का रँग एकदम गोरा था जिस कारण ट्यूब लाईट की‌ सफेद‌ रोशनी मे उनकी दुधिया सफेद जाँघे कोरे कागज‌ के जैसे बेदाग एकदम सफेद लग रही थी, और दोनो‌ जाँघो के बीच कामरस भीगी व फुली‌ हुई चुत तो जैसे चमक ही रही थी‌।


मुश्किल से तीन चार उँगल के जितना बङी चुत होगी भाभी की, मगर कचौङी के जैसे एकदम फुली हुई थी। चुत की फुलावट के‌ कारण उसकी चुत की फाँके हल्का सा खुली थी जिससे चुत के अन्दर का गुलाबी भाग अलग ही नजर आ रहा था।

दिन मे तो मै भाभी की चुत को अच्छे से देख नही‌ सका था, मगर मै अब उसे अच्छे से देखना चाह रहा था। मुझे भाभी की चुत को देखने की‌ जिग्यासा तो थी पर साथ ही शरम के साथ साथ थोङा डर सा भी लग रहा था।

भाभी कही बुरा ना मान‌ जाये मेरे इस बात से डरते डरते मैने एक हाथ से भाभी के‌ घुटने को पकङकर पहले तो थोङा सा सरकाया फिर भाभी की ओर देखने लगा..

भाभी भी मेरी ओर ही‌ देख‌‌ रही थी जिससे एक बार फिर मेरी व भाभी की नजरे मिल गयी.. भाभी के चेहरे पर अब भी वही मुस्कान थी। वो‌ मुझे देखकर सामान्य भाव से हल्का हल्का मुस्कुरा‌ रही थी जैसे की‌ कह रही हो, देखलो‌ जी भर के‌ तुम्हे जो देखना है..मगर मुझे अभी भी शरम सी आ रही थी।

मेरा ये पहला अवसर था मगर मेरी भाभी पुरी खेली खाई थी। उन्हे ये समझ थी‌ की मेरे दिल‌ मे‌ क्या चल रहा है इसलिये भाभी ने अपनी जाँघो को अब पुरा फैला दिया और खुद ही मेरा हाथ पकङकर सीधा अपनी नँगी चुत पर रखवा दिया.. अब तो मै भी जल्दी से उठकर भाभी की दोनो‌ जाँघो के बीच आकर बैठ गया और अपने अँगुठे व एक उँगली से चुत की फाँको को फैलाकर उसे बङे ही ध्यान से देखने‌‌ लगा..

भाभी के चुत की फाँके बाहर से तो हल्की भुरी थी मगर उनके अन्दर का भाग एकदम‌ गुलाबी था और चुत की फाँको के बीचो बीच किशमिश के दाने के जैसे चुत का फुला‌ दाना तो सिन्दुर के जैसे एकदम‌ ही सुर्ख लाल था। चुत का दाना हल्का हल्का हिल‌ सा भी रहा था। जैसे उत्तेजना से लङको का‌‌ लण्ड झटके मारता है शायद वो भी वैसे ही झटके से खा रहा था।

ठीक चुत के दाने नीचे चुत का प्रवेशद्वार था जिसमे‌ से हल्का हल्का लिसलिसा सा एक द्रव रिस रहा था, जोकी चुत के प्रवेशद्वार से निकलकर नीचे भाभी के कुल्हो की लाईन मे जा रहा था। मेरे चुत को सहलाये जाने से वो द्रव सारी चुत पर फैल गया था शायद इस द्रव की चिकनाई से ही भाभी‌ की चुत इतना चमक रही थी।

मैने जिस हाथ के उँगुठे व उँगली से भाभी की चुत की फाँको को फैला रखा था उन पर भी वो‌ द्रव लग गया था इसलिये भाभी की चुत का अच्छे से मुवाईना करने के बाद मैने जब अपना हाथ उनकी चुत पर से हटाया तो चाशनी के जैसे, दो लम्बी‌ लारे मेरी उँगली व उँगुठे के साथ उपर तक उठती चली गयी..

चुतरश की वो दोनो लारे अब थोङा सा तो उपर उठी मगर फिर ज्यादा लम्बी होने पर बीच से टुटकर आधा तो वापस उस द्रव मे जा मिली और आधा मेरी उँगली व अँगुठे पर लगी रह गयी। मैने उँगली व अँगुठे को अब आपस मे रगङकर देखा तो पाया मेरी उँगली व अँगुठा घी के जैसे एकदम चिकना हो गया था।

अपनी उँगली व उँगुठे पर लगे उस द्रव को मैने अब सुँघ कर भी देखा, उसमे से अजीब सी ही एक मादक गँध आ रही थी। उँगली को सुँघते समय मेरी नजरे एक बार फिर अब भाभी की नजरो से जा टकराई, मगर इस बार भाभी ने मुझे अपनी चुत के रस को सुँघते देखा तो उनके चेहरे पर भी शरम हया वाली मुस्कान तैर गयी।

भाभी ने एक बार तो‌ मेरी ओर हँशकर देखा फिर अपनी गर्दन को घुमा दुसरी ओर देखने लगी। मैने भी बस अब एक बार तो भाभी की ओर देखा फिर नीचे झुक‌ कर उनकी गोरी चिकनी जाँघो पर चुम लिया...

मेरे होठ के स्पर्श से ही भाभी के मुँह से अब

"इईईई.......श्श्शशशश......" की एक मीठी सित्कार निकल गयी और स्वतः ही उनकी दोनो जाँघे एक दुसरे से चिपक गयी मगर फिर जल्दी ही वो खुल भी गयी...
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मैने भी अब भाभी की चुत के पास बस एक दो बार ही चुमा, और चुमते हुवे सीधा नीचे उनकी जाँघो की तरफ बढ गया.....क्योंकि चुतरश से भीगकर उनकी चुत एक तो काफी गीली व चिपचिपी सी हो रखी थी और दुसरा उसमे से‌ आती गँध मुझे कुछ अजीब ही लग रही थी।


उस समय मुझे नही पता था की ये क्या है और किसकी गँध है इसलिये मै सीधा भाभी की मासँल भरी हुई जाँघो पर से होते हुवे उनके कोमल पैरो पर पहुँच गया। अब भाभी के पैरो को भी मैने बस एक‌ दो बार ही चुमा और फिर वापस उपर की तरफ बढ आया...

भाभी की नर्म मुलायम पिण्डलियों व मखमली जाँघो को चुमते सहलाते हुवे मै फिर से उनकी चुत की तरफ बढ रहा था मगर अब जैसे जैसे मै उपर की तरफ बढ रहा था वैसे वैसे भाभी की जाँघे धीरे धीरे और अधिक फैलती जा रही थी।

भाभी की जाँघो को चुमते हुवे मै अब सीधा उनके पेट की तरफ बढना चाहता था मगर इस बार जैसे ही मै चुत को छोङकर उपर की तरफ बढने लगा, भाभी ने दोनो हाथो से मेरे सिर को पकङ लिया और खिँचकर अपनी जाँघो के बीच, अपनी चुत पर दबा लिया।

भाभी की चुत के पास का हिस्सा गीला और चिपचिपा सा हो रखा था। मेरा दिल तो नही कर रहा था मगर फिर भी भाभी का दिल रखने के लिये मै चुत के पास से चुमने लगा जिससे मेरे होठ भी‌ चिपचिपे से हो गये।

चुत को चुमने‌ का‌ मेरा यह पहला अवसर था जो की मेरे लिये बिल्कूल ही नया व अनोखा था। मुझे ज्यादा कुछ नही पता था इसलिये मैने बेमन से बस उपर-उपर से ही भाभी की चुत को दो चार बार चुमा और फिर सीधा उपर की तरफ बढने लगा, मगर भाभी ने फिर से मेरे सिर को पकङ लिया‌..!

इस बार भाभी ने अपने दोनो घुटनो को मोङकर जाँघो को पुरा फैला लिया और मेरे सिर को पकङकर मेरे होठो को ठीक चुत की दोनो फाँको के उपर ही रखवा लिया जो की बहुत अधिक गीली व चिपचिपी हो रखी थी।

भाभी की चुत से एक अजीब ही गँध भी आ रही थी, मेरे लिये ये अजीब असमन्जस कि स्थिति थी क्योकि मेरे लिये सब कुछ नया था मै सोच रहा था की जहाँ से भाभी पिशाब करती है, और जहाँ मुझे अपना लण्ड डालना चाहिये वहाँ पर वो मुझे चुमने के लिये बता रही है..?
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खैर मै भाभी का इशारा समझ गया था इसलिये उनकी चुत की फाँको को भी चुमने लगा जिससे की मेरे होठो पर चुतरश के नमकीन खारीश सी जमने लगी। मुझे ये अजीब तो लग रहा था मगर मेरे चुत को चुमने से भाभी के मुँह से हल्की-हल्की सिसकियाँ फुटने लगी थी जो की मुझे भी उत्तेजित कर रही थी...


भाभी की चुत को चुमने के‌ लिये मैने‌ अपना‌ सिर उनकी‌ दोनो जाँघो के बीच घुसा रखा था जिससे उनकी चुत से निकलने वाली मादक‌ गँध भी मेरे नथुनो‌ मे समा रही थी। भाभी की चुत से उठ रही वो मादक मादक गँध पहले तो कुछ अजीब लगी मगर फिर धीरे धीरे मुझे वो अच्छी लगने‌ लगी....

अभी बस तक कुछ देर पहले ही‌ मै भाभी‌ की‌ चुत को चुमने से झिझक रहा था, क्योंकि उनकी चुत से उठ रही तेज गँध मुझे‌ अजीब लग रही थी मगर वो गँध मुझे अब भाने लगी थी। पता नही चुत की उस गँध मे ऐसा क्या था जो मेरे दिलो दिमाग पर छाती जा रही थी।

दिल‌ कर रहा था की मै‌ बस ऐसे ही अपना सिर भाभी‌ की जाँघो के बीच घुसाये रहुँ और उनकी‌ चुत से उठने वाली इस मादक गँध को अपने नाक से पीता रहुँ। भाभी‌ की चुत से उठने वाली उस मादक‌ गँध का जैसे मुझे‌ कोई नशा सा चढता जा रहा था।‌

मै ऐसे ही भाभी की चुत की फाँको को चुमते हुवे उसकी‌ गँध ले‌ रहा था‌ की तभी भाभी मेरे सिर को अब नीचे की तरफ दबाने लगी, मै भी समझ गया की मुझे अब चुत की फाँको को चुमते हुवे नीचे की तरफ बढना है।

भाभी कुछ बोल नही रही थी मगर अपनी हरकतो से मुझे क्या कुछ करना है ये सब समझा रही थी। भाभी ने दोनो हाथो से मेरे सिर को पकङ रखा था और धीरे धीरे मेरे सिर को नीचे दबा रही थी। मै भी अब चुत की फाँको को हल्के-हल्के धीरे धीरे चुमता हुवा नीचे की तरफ बढने लगा..

भाभी ने घुटने मोङकर दोनो पैरो को फैला रखा था इसलिये चुत की दोनो फाँके अलग-अलग होकर पुरा फैली हुई थी। मै दोनो फाँको के बीच चुमता हुवा नीचे की तरफ बढ रहा था की अचानक से‌ भाभी सिँहर‌ सी गयी और उन्होने जोरो से...

"इईई..श्श्श्श्श्श्...अअआ.ह्ह्हहहह......" की अावाज करके मेरे सिर को अपनी चुत पर जोरो‌‌ से दबा लिया...
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दरअसल मेरे होठ भाभी की चुत के प्रवेशद्वार पर पहुँच गये थे इसलिये भाभी इतनी जोरो से सिँहर गयी थी। चुत का प्रवेशद्वार इतना अधिक गीला व चिपचिपा हो रखा था की मेरे भी होठ चुतरश से भीगकर अब बिल्कुल ही तर हो गये। मै अब फिर से उपर बढना चाहता था मगर तभी भाभी ने मेरे सिर को पकङकर वही पर दबा लिया..


भाभी का इशारा समझ अब मै भी वही पर चुमने लगा जिससे हल्का हल्का उनकी चुत का रश होठो के रास्ते मेरे मुँह मे भी आने लगा जिससे मुँह का स्वाद भी नमकिन व चिकना होता चला‌ गया।

पहले तो मुझे भाभी की चुत को चुमना अजीब लग रहा था मगर धीरे धीरे‌ मुझे भी अब मझा‌ सा आने लगा, क्योंकि भाभी की चुत को चुमने से उनके मुँह से हल्की हल्की सिकीयाँ निकल रही थी जो की मुझे भी उत्तेजना का अहसास करवा रही थी।

भाभी की चुत का वो नमकीन व चिकना रश भी मुझे अब इतना बुरा नही लग रहा था इसलिये मै चुत के प्रवेशद्वार को भी अब चुमने लगा, तो साथ ही अपनी जीभ निकाल कर चुत की फाँको को भी जीभ से सहलाना शुरु कर दिया...

मै भाभी‌ की चुत को अपनी जीभ से बस सहला ही रहा था मगर तभी भाभी ने एक बार फिर से मेरे सिर पर दबाव बनाया। उन्होने अबकी बार मेरे सिर को पकङ कर थोङा सा नीचे इस तरह से एडजैस्ट किया की मेरी जीभ अब सीधा उनकी चुत की उस मखमली गहराई मे ही उतर गयी जो की अन्दर से एकदम‌ सुलग सी रही थी।

मै भी अब भाभी का इशारा समझ गया और अपनी जीभ को भाभी की गहराई मे उतार कर उसे अन्दर बाहर करने लगा जिससे भाभी के मुँह से अब जोरो से ...
"इईई.श्श्श्श्...अ्अा्आ्...ह्ह्ह्ह्ह्.....
इईईई...श्श्श्श्श्श्श्...अ्अा्आ्आ्....ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्....."

की सिसकियां फुटना शुरु हो गयी तो, साथ ही उन्होने अपनी कमर को हिलाकर खुद भी अपनी चुत को मेरे मुँह पर घीसना शुरु कर दिया...
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पहले ही भाभी की चुत काफी गीली थी मगर अब तो उसमे मानो बाढ सी आ गयी थी जिससे मेरा सारा चेहरा गीला हो गया। भाभी का वो नमकिन चुतरश मेरे मुँह के रास्ते मेरे गले तक‌ उतर रहा था जिससे मुँह का स्वाद बिल्कूल ही नमकीन व चिकना हो गया था मगर वो खारा कैसेला रश भी मुझे अब पता नही क्यो अच्छा लगने‌ लगा था।


उत्तेजना के‌ वश मै उस खारे खारे रश को भी अब अपनी जीभ से चाट चाट कर पीने लगा। वैसे सच कहु तो मुझे उस समय इतना कुछ मालुम भी नही था मगर उत्तेजना के वश भाभी की चुत का वो खारा कैसेला रश भी मुझे शहद से कम‌ नही लग रहा था।

भाभी के उस खारे कैसेले चुतरश व उसमे से निकलती उस मादक मादक गँध का मुझ पर जैसे कोई खुमार सा छा गया था,‌ इसलिये मै अपनी पुरी जीभ निकाल कर अपनी पुरी ही तनमयता से उस रश को चाट चाटकर गटक रहा था तो, भाभी भी अपनी‌ कमर को हिला हिला कर मुझे अपनी चुत के रश को पीला रही थी.......

ऐसे अब धीरे धीरे भाभी की सिसकियां और तेज होती गयी तो गयी तो उनकी कमर भी अब तेजी से हरकत करने लगी। भाभी खुद ही अपनी चुत को अब मेरे मुँह पर जोर जोर से घीसने लगी थी, मगर फिर अचानक से भाभी की चुत की गहराई मे जैसे कोई ज्वालामुखी सा फटा ..

उन्होने अपनी कमर को उपर हवा उठा कर अपने दोनो हाथो व जाँघो से मेरे सिर को अपनी चुत पर कस के दबा लिया और.....
"अ्अा्आ्.ह्ह्ह्ह्ह्...आआआ....
इईई.श्श्श्श्श्..अ्आ्आ्...ह्ह्हह्ह्...आ्आ्आ्..." की सिसकारीयाँ सी भरते हुवे रह रह कर अपनी चुत के रश से मेरे मुँह को भरना शुरु‌ कर दिया..

भाभी‌ का पुरा बदन अब कमान की तरह तन गया‌ था जिससे एक बार तो मै भी घबरा गया की ये क्या हो गया..? मगर फिर जल्दी ही मेरी समझ मे अा गया की भाभी अपने चर्मोत्कर्ष पर पहुँच गयी है..

खैर भाभी‌ की चुत ने रह रह कर कामरश की‌ अब इतनी‌ पिचकारीयाँ मेरे मुँह पर मारी की चुतरश से भीगकर मेरा पुरा चेहरा ही तरबतर हो गया, जिसमे से थोङा बहुत तो मै गटक भी गया था मगर फिर भी वो मेरे चेहरे पर से होता हुवा मेरी गर्दन तक बह आया..


ये मेरा पहला अवसर था जब मैने अपनी जीभ से भाभी को चर्मोत्कर्ष पर पहुँचाया था जो की मेरे लिये बेहद उत्तेजक व रोमांचित करने वाला था...
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अभी तक जैसा की आपने पढा मुझे सैक्स के बारे मे ज्यादा कुछ पता तो‌ नही था मगर मेरी भाभी इशारो ही इशारो मे मुझसे अपनी चुत चटवा कर चर्म पर पहुँच गयी थी। मेरा ये पहला अवसर था जब मैने अपनी जीभ से भाभी को चर्मोत्कर्ष पर पहुँचाया था जो की मेरे लिये बेहद उत्तेजक व रोमांचित करने वाला था अब उसके आगे...


अब कुछ देर तक तो भाभी ने ऐसे ही मेरे मुँह को अपनी चुत पर दबाये रखा, फिर धीरे से आजाद कर मुझे अपने उपर खीँच लिया। भाभी अभी भी लम्बी-लम्बी व गहरी साँसे ले रही थी मगर मुझे अपने उपर खीँचकर उन्होने अब बङे ही प्यार से मेरे होठो व गालो को चुमना शुरु कर दिया जैसे की मैने जो अभी अभी किया उससे खुश होकर मुझे वो‌ उसका‌ इनाम दे रही हो..

भाभी मेरे होठो व चेहरे पर लगे अपनी चुत के कामरश को‌ भी भाभी चाट रही थी। मेरे लिये ये तो ये अजीब ही था मगर फिर भी भाभी का साथ देने के लिये, मैने भी उनकी गर्दन व गालो पर चुमना शुरु‌कर दिया, मगर भाभी ने अब कुछ देर तो मेरे होठो व गालो को चुमा, फिर करवट बदलकर मुझे अपने उपर से उतार कर एक हाथ से मेरे लण्ड को पकङ लिया..

भाभी के कोमल हाथो के स्पर्श से मुझे मझा तो आ रहा था मगर इससे तो मेरी आग और भी बढती जा रही थी। एक बार फिर मैने अब भाभी के उपर लेटने की कोशिश की मगर भाभी ने मुझे पकङकर नीचे उतार दिया और खुद उठकर मेरी बगल मे बैठ गयी..

अभी तक मेरा लण्ड भाभी के हाथ मे ही था जिसे वो धीरे धीरे सहला रही थी। उत्तेजना के वश मेरी हालत खराब होती जा रही थी मगर भाभी का व्यवहार कुछ अजीब ही लग रहा था। मै इस खेल का नया खिलाड़ी था मगर मुझे क्या पता, भाभी मुझे किसी अलग ही दुनिया की सैर कराने वाली है.....?

खैर उस समय मुझे भाभी पर खीज सी आने लगी थी इसलिये मै अब थोङा जबरदस्ती से भाभी को अपनी तरफ खीँचकर वापस सुलाने की कोशिश करने लगा .. मगर तभी भाभी मेरे लण्ड को पकङे पकङे ही मेरी जाँघो पर झुक गयी..

उन्होंने पहले तो‌ एक दो बार मेरे लण्ड के पास मेरी‌ जाँघो को चुमा फिर सीधा मेरे लण्ड के चारो तरफ से गोल गोल चुमने लगी। भाभी के नर्म होठो की छुवन से मेरा सारा बदन अब कँपकपाँ गया था इसलिये मैने भाभी के सिर को जोरो से अपनी जाँघो पर दबा लिया।

भाभी के नर्म मुलायम गाल अब मेरी जाँघो पर लग गये तो, उनके नर्म नाजुक होठ भी मेरे लण्ड को छु गये थे...मेरे पकङने के बावजुद भी भाभी मेरे लण्ड को चुम रही और धीरे धीरे उसे हाथ से भी सहलाती‌ जा रही थी...

उत्तेजना से मेरी हालत खराब हो रही थी इसलिये मैने भी भाभी के सिर को पकङ कर और भी जोरो से अपने लण्ड पर दबा लिया, मगर भाभी ने अपने सिर को छुङवा लिया और फिर से मेरे लण्ड के आस पास मेरी जाँघो व गोलियो को अपने‌ नर्म‌ नाजुक होठो से चुमने लगी....

इस बार भाभी नीचे मेरे लण्ड की जङ से चुमते हुवे धीरे धीरे उपर सुपाङे की तरफ बढ रही थी। मेरे साथ ये पहली बार हो रहा था की किसी के नर्म मुलायम होठ मेरे लण्ड को चुम रहे थे। अभी तक मैने बस अपने कठोर हाथ से ही अपने लण्ड को सहलाया था मगर आज पहली बार भाभी के नर्म नाजुक होठो की छुवन को अपने लण्ड पर मै बर्दाश्त नही कर पा रहा था..

उत्तेजना के आवेश मे मैने भाभी के बालो को पकङने की कोशिश की मगर तब तक भाभी के होठ फिसल कर मेरे लण्ड के उपरी छोर तक पहुँच गये‌। उन्होने हाथ से मेरे सुपाङे की चमङी को थोङा सा पीछे कर अपने नर्म नर्म होठो से मेरे सुपाङे के अग्र भाग को अब जोरो से चुम लिया‌ की मेरा पुरा बदन ही झनझना सा गया और अनायास ही मेरे मुँह से एक "आ्ह्ह्..." निकल गयी...
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अब तो मेरी भी समझ मे आ गया की भाभी के क्या ईरादे है और मेरे लण्ड के साथ वो‌ क्या करना चाह रही है.....? अब ये बात मेरे दिमाग मे आते ही रोमाँच से मेरे रोँगटे खङे हो गये और दिल की धङकन एकदम‌ से बढ सी गयी। पर भाभी ने बस एक बार ही अपने कोमल होठो से मेरे सुपाङे को चुमा था उसके बाद उन्होने अपना मुँह वहाँ से हटा लिया और मेरे लण्ड के नीचे की तरफ चुमने लगी।


मेरे लण्ड को चुमते हुवे भाभी‌ का जो हाथ मेरे लण्ड को‌ पकङे था वो अब धीरे धीरे मेरी गोलियो को सहलाने लगा। मुझसे ये सहन करना मुश्किल हो रहा था इसलिये मै भाभी के सिर को पकङकर जबरदस्ती उनके गालो व होठो पर पर अपने लण्ड को रगङने लगा..

मगर तभी भाभी जिस हाथ से मेरी गोलियो के साथ खेल रहा था उससे मेरे लण्ड के बेस को पकङ लिया और उसे सीधा खङा कर अपने मुँह को खोलकर मेरे लण्ड के अग्र भाग को अपने होठो के बीच दबा लिया......

भाभी के नर्म मुलायम होठो के बीच उनके मुँह की गर्मी अपने लण्ड पर महसूस होते ही मै अब...
"इईई.श्श्श्श्..अ्आ्आ्...ह्ह्ह्ह्ह्.....
इईईई.श्श्श्श्श्..अ्अा्आ्आ्...ह्ह्ह्ह्ह्ह्....." करके जोरो से सिसक उठा और अपने आप ही मेरे कुल्हे‌ उपर हवा मे उठ गये...

मैने भाभी के सिर को भी अपने लण्ड पर जोरो से दबा भी लिया था ताकी अधिक से अधिक मेरा लण्ड भाभी के मुँह मे घुस जाये मगर मेरा लण्ड भाभी के दाँतो से ही टकराकर रह गया..!

भाभी एक हाथ से मेरे लण्ड को पकङे अभी भी मेरे सुपाङे पर अपने होठो को रखे थी। वो जानबुझकर मुझे तङपा रही थी, मगर मुझसे अब रहा नही जा रहा था इसलिये मै अपनी कमर को ही उपर नीचे हिलाकर अपने लण्ड को भाभी के हाथ व होठो के बीच घीसने लगा...

कुछ देर‌‌ ऐसे ही मुझे तङपाने के बाद शायद भाभी को मेरी हालत पर तरश आ गया था इसलिये उन्होने दुसरे हाथ से पहले तो मेरी कमर को दबाकर मुझे रूकने का इशारा सा किया, फिर धीरे धीरे मेरे लण्ड के आगे के भाग को अपने होठो के बीच दबाकर उसे अपने नर्म नाजुक होठो के बीच घिसना शुरु कर दिया..

मेरे लण्ड से निकलने वाले पानी से भाभी के होठ चिकने हो गये थे इसलिए भाभी के होठ के बीच मेरा लण्ड भी आसानी से फिसल रहा था। उत्तेजना के मारे मेरे मुँह से सिसकियां निकलने लगी थी, मगर तभी....

भाभी के होठो मेरे लण्ड को पकङे पकङे ही उपर, मेरे लण्ड के अग्र भाग तक आये और मेरे सुपाङे की चमङी को अपनी पकङ मे फँसा लिया.. अब जैसे ही भाभी ने अपनी गर्दन को नीचे की तरफ दबाया... भाभी के नर्म‌ नाजुक होठ मेरे सुपाङे की चमङी को खोलते हुवे नीचे तक लेकर चले गये और मेरा नँगा सुपाङा भाभी के गर्म गर्म मुँह मे समा गया..
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