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Misc. Erotica छोटी छोटी कहानियां...
#1
Heart 
चूत चुदाई
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1. चूत चुदाई चंदा रानी की

2. चंदा रानी की कुंवारी बहन की नथ
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#2
चूत चुदाई चंदा रानी की


‘हाय राजा, तुम सारा दूध पी डालोगे तो बच्चा क्या पियेगा !’
चंदा रानी ने चूचुक मेरे मुंह से बाहर निकालना चाहा।

वो मेरे दोस्त विकास जैन की पत्नी है।


क्या उबलती, फ़ड़कती जवानी है ! गुलाबी, रेशमी त्वचा, गहरे भूरे रंग के घनेरे बाल, निखरता गोरा रंग !


फिगर ऐसी कि जोगी को भी भोगी बना डाले, बहुत ही सुन्दर पाँव, मुलायम और सुडौल, जिनको बार बार चूमने और चाटने का दिल करे !


मर्दों को चुनौती सी देते हुए सामने उसके चूचुक और पीछे उसके मस्त नितम्ब !


क्या करे बेचारा आदमी, पागल ना हो जाये और क्या करे !
चंदा रानी एक ऐसा पूरा पका हुआ फल थी जिसको चूसने में देरी करना महा अपराध था।


मेरी नई नई शादी हुई थी और मेरी बीवी मायके गई हुई थी।
चूत का तरसा, मैं हर वक़्त खड़े लंड को छुपाने के लिये अपनी पतलून इधर उधर सेट करता रहता था।


विकास एक महीने के लिये विदेश गया हुआ था और मुझे कह गया था कि उसकी पत्नी का ध्यान रखूँ।


मैं क्या खूब ध्यान रख रहा था !!! हा हा हा !!!


मैंने चंदा को कैसे पटाया, यह बताने में वक़्त बर्बाद नहीं करूँगा मैं पढ़ने वालों का, बस यह समझ लें कि हमारा आँख मटक्का तो चल ही रहा था काफी दिनों से, बस दो चार बार चुम्मी तक ही तसल्ली करनी पड़ रही थी।


उस चूतिए विकास के विदेश जाने से हम को मौक़ा हाथ लग गया मस्ती लूटने का !


उसका पति बाहर और मेरी पत्नी बाहर, तो और क्या चाहिये था हम दो चुदाई के प्यासों को !


चंदा की गोद में तीन महीने का बच्चा था।


एक शाम में उसके घर पहुँचा, इधर उधर से छिपता छिपाता, चंदा रानी ने द्वार खोला, मैं अंदर घुस गया और बड़ी बेताबी से चंदा को कस के लिपटा लिया।


मेरे होंठ उसके गुलाबी, भरे भरे से होंठों से चिपक गये, एकदम मेरे तन बदन में मानो आग लग गई, चुदास बिजली की तरह मेरे भीतर कौंधने लगी, लंड लपक कर ज़ोरों से अकड़ गया और उसके पेट को दबाने लगा।


चंदा ने मस्ती में लंड को एक हल्की सी चपत भी लगाई।
चंदा ने अपना सिर पीछे को झुका लिया था, कस के उसने मेरे बाल पकड़ लिये और मेरा मुँह अपने मुँह से कस के चिपका लिया।


हम बहुत देर तक इसी प्रकर से लिपटे हुए एक दूसरे के होंटों और जीभ को चूसते रहे।


मैंने उसके मुलायम मुलायम नितम्ब दबोच लिये थे और उनको दबा दबा कर बड़ा मज़ा पा रहा था।


काफी देर तक चूमने के बाद उसने मेरी छाती पर हाथ रख कर मुझे पीछे किया और बोली- राजा कुछ रुक… कपड़े बदल के ईज़ी होकर बैठते हैं.. फिर आराम से बातें करेंगे !


चंदा रानी बड़ी सफाई से मुझसे अलग होकर एक कमरे की तरफ चल दी।


मैं पीछे पीछे गया।


यह उसका बेडरूम था


वह बेडरूम के बाथरूम में घुस गई, मैंने अपनी कमीज़ उतारी और जूते मोज़े खोल कर आराम से बिस्तर पर फैल गया।


दो चार मिनटों म़ें चंदा रानी बाहर निकल आई, उसने एक मर्दानी लुंगी लपेट रखी थी और लुंगी के सिरे गर्दन के पीछे बांध रखे थे। लुंगी ने उसका ऊपर का बदन और थोड़ा सा चूत के आस पास का हिस्सा ढक दिया था।


उसने लुंगी के भीतर कुछ भी नहीं पहना था, न ब्रा, न कच्छी !
उसकी लाजवाब जांघें, लम्बी टांगें, उसके खूबसूरत पैर देख कर मेरा बदन झनझना उठा।


मैं लपक कर उठा और चंदा रानी को खींच कर बिस्तर पर ले लिया।


जैसे ही मैंने लुंगी के भीतर से चूचुक दबोचे, मेरे हाथ उसके दूध से भीग गये। उसकी चूचियाँ दबादब दूध निकाल रही थीं, मेरे सब्र का बांध टूट गया और मैंने अपना मुंह लुंगी म़ें घुसा कर एक चूची पर अपने होंठ रख दिये।


एक बच्चे की तरह मैं हुमक हुमक के दूध पीने लगा।


क्या गज़ब का स्वाद था !


एकदम सही तापमान, एकदम सही मिठास !!


दूसरी चूची भी खूब दूध निकाल रही थी, जब पहली चूची का सारा दूध खत्म हो गया तो मैंने दूसरी चूची पर हमला बोला।


मचल मचल के मैंने चंदा रानी का दूध पिया, उसने भी बहुत चिंहुक चिंहुक कर मस्ती से दोनों चूचियाँ चुसवाईं।


अचानक चंदा रानी को ध्यान आया कि अगर पूरा दूध मैं पी गया तो बच्चा क्या पियेगा।


‘हाय राजा, तुम सारा दूध पी डालोगे तो बच्चा क्या पियेगा?’ चंदा रानी ने चूचुक मेरे मुंह से बाहर निकालना चाहा।


मैंने चूची मुंह से बाहर न जाने दी, मैं चूसता ही रहा जब तक दूसरी चूची भी दूध से खाली नहीं हो गई।


मैंने पहली चूची को दुबारा दबाया तो दूध की एक तेज़ धार निकल आई।


चंदा रानी का दूध का उत्पादन आश्चर्यजनक था, इतनी जल्दी चूची दुबारा दूध से भर गई थी। क्या कमाल का डेरी फार्म था इस कामुक औरत का !


‘अरे तेरी चूचुक हैं या अन्नपूर्णा गाय के थन? दूध ख़त्म ही नहीं होता ! अभी अभी तो पूरा दूध चूसा था। तो घबराती क्यों है, अभी दस मिनटों में दूध पूरा भर जायेगा।’ इतना कह के मैंने लुंगी के सिरे खोल दिये और चंदा रानी को कस के भींच लिया।

चंदा ने अपना खूबसूरत सा हाथ मेरी पैंट पर लंड के ऊपर रखा और कराह उठी- राजे… तूने मुझे तो नंगा कर दिया… अपनी पतलून खोली ही नहीं अब तक !

‘अभी ले !’ मैं उसे छोड़ कर जल्दी जल्दी पतलून खोलने लगा।
जैसे ही लंड को पतलून और कच्छे से राहत मिली, तन्नाया हुआ लौड़ा उछल उछ्ल कर तुनके मारने लगा।


‘हाय… कितना लम्बा और मोटा है ये… आज पता नहीं मैं बचूंगी या नहीं… हाय…मेरी मां !’ चंदा रानी ने लंड को ब़ड़े प्यार से पकड़ कर सहलाया और झुक कर सुपारी को चूम लिया, सुपारी के छेद पर आई पानी की एक बूंद को उसने जीभ पर ले लिया और सटक लिया।
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#3
Heart 
‘हूँ… तेरा तेल भी स्वादिष्ट है… राजे, तू बहुत ज़्यादा गरम हो रहा है… जल्दी खलास हो जायेगा… आ मैं तेरी गर्मी कुछ कम कर देती हूँ !’

चंदा रानी ने नीचे की तरफ सरक कर अपना मुंह बिल्कुल लंड के सामने कर लिया और झुक के गप से लंड की सुपारी अपने मुंह में ले ली।

पहले तो उसने ब़ड़े दुलार से पूरी सुपारी के चारों तरफ जीभ घुमाई, लंड को बाहर निकला, खाल पीछे करके टोपा पूरा नंगा कर दिया, सिर्फ टोपा मुंह के अंदर ले कर चंदा रानी ने खाल ऊपर नीचे करना शुरू किया।

उसका मुंह बहुत गरम था और तर भी ! लंड के मज़े लग गये।
अचानक चंदा रानी ने जीभ की नोक सुपारी के छेद में घुसाने की कोशिश की, हालांकि जीभ ज्यादा अंदर घुस नहीं पाई पर जितनी भी घुसी उससे मेरे पूरे बदन में एक सरसरी सी दौड़ गई, मज़े की पराकाष्ठा हो चली थी।

उसने तेज़ तेज़ लंड को हिलाना शुरू कर दिया, उसकी जीभ कमाल का आनन्द दे रही थी, कभी वह अपनी गरम गरम, राल से तर जीभ टोपे पर घुमा घुमा कर चाटती और कभी वह दुबारा जीभ को मोड़ कर नोक लंड के छेद में डाल के एक तेज़ करंट मेरे बदन में फैला देती !

यकायक चंदा रानी ने मेरे दोनों अण्डकोश थाम लिये और लंड पूरा का पूरा मुंह में घुसा लिया।

वह ब़ड़े प्यार से अंडों को सहला रही थी और तेज़ तेज़ सिर को आगे पीछे करती हुई लंड को अंदर बाहर कर रही थी।
उसके घने बाल इधर उधर लहरा रहे थे, मेरी मज़े के मारे गांड फटी जा रही थी, मैं बड़ी तेज़ी से चरम सीमा की ओर बढ़ रहा था, मेरी साँसें तेज़ हो चली थीं और माथे पर पसीने की बूंदें झलक आईं थीं।

चंदा रानी ने रफ़्तार और तेज़ कर दी, उसे अहसास हो गया था कि मैं जल्दी ही झड़ सकता हूँ, चंदा रानी का मुंह उसके मुख-रस से लबालब था, लौड़ा अंदर बाहर जब होता तो सड़प..सड़प…सड़प की आवाज़ें निकलती थीं।

चंदा रानी ने मेरे लंड और गांड के बीच में जो मुलायम सा भाग होता है, उसे ज़ोर से दबा दिया, उसने अपने दोनों अंगूठे उस कोमल जगह पर गाड़ दिये, एकदम से एक तेज़ गरम लहर मेरी रीढ़ से गुज़री, मेरे मुंह से एक ज़ोर की सीत्कार निकली और मैं झड़ा।

मैंने चंदारानी के बाल जकड़ कर एक ज़ोरदार धक्का मारा, लंड बड़ी तेज़ी से उसका पूरा मुंह पार करता हुआ धड़ाम से उसके गले से जाकर टकराया।

ऊँची ऊँची सीत्कार की आवाज़ें निकलता हुआ मैं बहुत धड़ाके से झड़ा, लौड़े ने बीस पचीस तुनके मारे और हर तुनके के साथ गरम वीर्य के मोटे मोटे थक्के चंदा रानी के मुंह में झाड़े।
कई दिनों का जमा हुआ मक्खन निकल गया, मैं बिल्कुल निढाल होकर बिस्तर पर फैल गया और अपनी सांसों को काबू पाने की चेष्टा करने लगा।

मेरा लंड झड़ कर मुरझा चुका था और चंदा रानी की लार व मेरे लेस की बूँदों से लिबड़ा एक तरफ को पड़ा हुआ था।
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#4
ऊँची ऊँची सीत्कार की आवाज़ें निकलता हुआ मैं बहुत धड़ाके से झड़ा, लौड़े ने बीस पचीस तुनके मारे और हर तुनके के साथ गरम वीर्य के मोटे मोटे थक्के चंदा रानी के मुंह में झाड़े।


कई दिनों का जमा हुआ मक्खन निकल गया, मैं बिल्कुल निढाल होकर बिस्तर पर फैल गया और अपनी सांसों को काबू पाने की चेष्टा करने लगा।

मेरा लंड झड़ कर मुरझा चुका था और चंदा रानी की लार व मेरे लेस की बूँदों से लिबड़ा एक तरफ को पड़ा हुआ था।

चंदा रानी ने सारा वीर्य पी लिया था और फिर उसने मेरे लौड़े को चाट चाट कर अच्छे से साफ किया नीचे से ऊपर तक।

चंदा रानी ने लंड के निचले भाग में जो मोटी सी नस होती है, उसे दबा दबा कर निचोड़ा, लेस की एक बड़ी बूंद टोपे के छेद से निकली, जिसे उसने जीभ से उठाया और पी लिया।

अब वह मेरे बगल में आकर लेट गई और प्यार से मेरे बालों में उंगलियाँ फिराने लगी।

‘राजे… तुमने इतना तगड़ा धक्का क्यों मारा मेरे मुंह में… अगर मेरा गला फट जाता तो?’ चंदा रानी ने गुस्से का नाटक करते हुए फुसफुसाई।
‘नहीं रानी… नहीं फटता गला… जब मेरी बीवी का नहीं फटा तो तेरा क्यों फटता? मुझे पता था कुछ भी नहीं होगा।’ मैं बोला।

‘अच्छा जी… तुम्हारी पत्नी भी चूसती है इस भोले-भाले को !’ उसने मेरे लौड़े को प्यार से हिलाते हुए कहा- तुम रोज़ इश्क़ लड़ाते हो?

‘मैं तो पूरी कोशिश करता हूँ कि दिन में कम से कम दो बार तो चुदाई करूँ, पर रोज़ तो नहीं हो पाती दो बार.. रोज़ एक बार तो पक्का और अंदाज़न हफ़्ते में तीन दफे दो बार और एक आध बारी तीन दफे भी !’

‘हाय…मेरे चोदू राजा… कितना चुदक्कड़ है तू… तो उसके मेंसेस में क्या करता है?..हाथ से झाड़ता है क्या?’ चंदा रानी ने एक चुम्मी लेकर कहा।

‘नहीं चंदारानी… जब उसके पीरियड होते हैं तो वह लंड को चूस चूस के खलास करती है, उसे बहुत मज़ा आता है मेरा लंड चूसने में… जब मैं झड़ता हूँ तो कुछ वह पी लेती है और कुछ वह अपने चेहरे पर मल लेती है क्रीम की तरह ! वह कहती है कि यह हर क्रीम से बेहतर होता है।’

‘ठीक है मैं भी ट्राइ करूँगी… पर तेरे रस से करूँगी… अपने उस चूतिए पति के वीर्य से नहीं !’ चंदरानी ने कहा।

‘क्यों? उसके लंड म़ें कांटे लगे हैं क्या?’ मैंने पूछा।

‘बस मेरा जी नहीं मानता… वह इश्क़ लड़ाने के बाद अपना लंड साबुन से साफ करता है… जैसे किसी गंदी चीज़ से छू गया हो… कभी मेरी योनि नहीं चूसता… ऐसा दिखाता है कोई गंदी वस्तु है… फिर मैं क्यों उसका वीर्य पीऊँ या मुंह पर मलूँ… क्यों ठीक है या नहीं?’ चंदा रानी अपने नालायक पति से बहुत नाराज़ थी।

साला गांडू ! इतनी सुन्दर औरत!! मादरचोद इसकी बुर नहीं चूसेगा तो बदनसीब है!!! चूत नहीं चूसता ! मेरा बस चले तो घंटों चंदा रानी की चूत चूसता रहूँ !

‘चल… मां चुदवाने दे उस हरामी को… तू अब खड़ी हो जा ताकि मैं तुझे अच्छे से निहार सकूं !’

चंदा रानी खड़ी हो गई, मादरजात नंगी !

खड़ी होकर उसने बिल्कुल फिल्मी लड़कियों की तरह अंगडाई सी लेते हुए का पोज़ बनाया, फूली हुई दूध से भरी चूचियाँ अपने निप्पल सीधे सामने की ओर निशाना साधे मेरे तन बदन में ज्वाला भड़काये जा रही थी।

वह एक जन्नत से उतरी हुई अप्सरा लग रही थी ! क्या बदन था ! उसका अंग अंग बेहद खूबसूरत था ! कामुकता चंदा रानी के रोम रोम से टपक रही थी।

उसने शरारत से एक चूची का निप्पल दबाया और दूध क़ी एक छोटी सी धार मेरे मुंह की तरफ मारी।

अब तक तो मेरा लंड फिर से अकड़ने लगा था। अबकी बार उसने दूध क़ी एक बौछार मेरे खड़े लौड़े क़ी ऊपर मारी।

मेरा लंड पूरा अकड़ चुका था, उस बला की सेक्सी औरत को निहारते हुए !
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#5
अभी तो उसने सिर्फ लंड चूसा था जिसमें उसने बेतहाशा मज़ा दिया, जब चुदेगी तो क्या हाल होगा !


मैंने हाथ बढ़ा के चंदा रानी को अपनी तरफ खींच लिया, मैं उसे सिर से पैर तक चूसना और चाटना चाहता था, मैं उसकी चूत का रस पीना चाहता था।

सबसे पहले मैंने उसके सुन्दर, मुलायम पैरों को चाटा, दोनों अंगूठे और आठों उंगलियाँ मुंह में लेकर चूसीं। इतना मज़ा आ रहा था जिसका कोई हिसाब नहीं।

उसने भी आनन्द लेते हुए हल्की हल्की सीत्कार भरनी शुरू कर दी।

उन खूबसूरत, दिलकश टांगों को चाटता, चूमता, हाथ फेरता हुआ मैं उसकी चूत तक जा पहुंचा, टांगें चौड़ी कर पहले तो मैंने उसके यौन प्रदेश को बड़े प्यार से निहारा, उसकी गहरे भूरे रंग की घनी झांटें मानो मुझे न्योता दे रही थीं।
मैंने अपनी नाक उन झांटो में रगड़ी तो चंदा रानी ने मज़े में एक गहरी सिसकी ली।

साफ दिख रहा था कि उसकी उत्तेजना बढ़े जा रही थी, उसके बदन ने धीरे धीरे मचलना भी शुरू कर दिया था।

गोरी, गुलाबी और बेहद दिलकश, रस से तर चूत के होंठ चौड़े कर के मैंने अपनी जीभ इधर उधर घुमाई तो उसके बदन में एकदम से हलचल सी मच गई- हाय…राजे… हाय… अब और न तड़पाओ…

उसने मुंह भींच कर बड़ी मुश्किल से आवाज़ निकाली और फिर एक गहरी सीत्कार भरी।
मैंने जल्दी से जीभ उसकी चूत में घुसाई, चूत लबालब रस से भरी हुई थी।

जीभ घुसाते ही ढेर सारा चूत रस मेरे मुंह में आ गया, उसकी चूत जैसे चू रही थी, चंदा रानी की जाँघें भी भीग गई थीं उसके रस के बहाव से !
साफ दिख रहा था था कि चन्दारानी बेहद उत्तेजित हो चुकी थी और चूदाने को बिल्कुल तैयार थी।

मैंने हुमक हुमक के उस सुहानी चूत को पीना शुरू कर दिया। चंदा रानी अब तड़पने लगी थी, उसके गले से भिंची भिंची सी सीत्कार निकल रही थी, वह अपनी टांगें कभी इधर कभी उधर कर रही थी, चूत बराबर लप लप कर रही थी और रस उगले जा रही थी।

मेरा लंड अब फटने की हालत में हो रहा था।
चंदा रानी भी बेकाबू हो गई थी।

यकायक उसने दोनों टांगें इतनी ज़ोर से भींचीं कि मेरी सांस ही रुक गई, फिर भी मैंने जीभ चूत से बाहर न निकाली।

‘बस राजे…बस… अब नहीं सहन होता… राजे तुम्हारे हाथ जोड़ती हूँ… अब और न तरसाओ… बस आ जाओ फ़ौरन… हाय अम्मा, मैं मर जाऊँ…हाँ..हाँ…हाँ…’

इसके साथ ही वह झड़ गई और बहुत ज़ोर से झड़ी, उसने आठ दस बार अपनी टांगें भींचीं और खोलीं, रस की फुहार चूत से बह चली। मैं सब का सब पीता गया, क्या गज़ब का स्वाद था उस चिकने चूतामृत का !

मैंने उठ कर चंदा रानी को घसीट कर बिस्तर पर डाल दिया और उसकी टांगें चौडी कर दीं।
मैं अब धधकता हुआ लौड़ा घुसेड़ने को तैयार था।

तभी चंदा रानी ने मुझे रुकने का इशारा किया, उसने उठ कर मेरी छाती पर दोनों हाथ रख के मुझे लिटा दिया और ख़ुद मेरे ऊपर चढ़ गई, अपने घुटने मेरी जाँघों के दोनों साइड में टिकाकर उसने चूत को ऐन लौड़े के ऊपर सेट किया और धीरे धीरे नीचे होना शुरू किया। लंड अंदर घुसता चला गया।

अभी आधा लंड ही घुसा था कि चंदा रानी ने वापस चूत को ऊपर उठाकर लंड को बाहर किया, सिर्फ सुपारी अंदर रहने दी।

‘राजे…ए…ए…ए…’ आवाज़ लगते हुए वह धड़ाक से लौड़े पर बैठ गई।

लंड बड़ी तेज़ी से चूत में घुसता चला गया और धम्म से जाकर उसकी बच्चेदानी के निचले भाग से टकराया।

एक बार तो उसकी चीत्कार सुन कर मैं डरा कि कहीं बच्चेदानी फट न गई हो लेकिन वो तो दर्द की नहीं बल्कि मज़े की चीत्कार थी।

उसकी चूत एक बार मां बनने के बद भी काफी कसी थी। एक बिना बालक जने लड़की की बुर जैसी कसी तो नहीं लेकिन मेरे लंड को ठीक ही जकड़े हुए थी।

चंदा रानी ने कमर आगे की तरफ झुकाते हुए खुद को मेरे से चिपका लिया, उसका सिर मेरी ठुड्डी पर टिका था और चूचे मेरी छाती को दबा रहे थे, दबाव से दूध निकल निकल कर मेरी छाती को भिगोये जा रहा था।

लंड चूत के अन्दर चूत के ऊपरी भाग को कस के दबा रहा था जिससे भग्नासा अच्छे से दब दब के उसे बेइंतिहा मज़ा दे रही थी।

चंदा रानी ने अपने को थोड़ा और आगे सरकाया, उसका मुंह बिल्कुल मेरे मुंह पर आ गया, चूत भी थोड़ी सी आगे सरकी तो लंड और भी कस के चूत में फंस गया।

अब भग्नासा पर लंड का पूरा दबाब था।
मेरे होंठ चूसते हुए चंदा रानी मेरे कानों में फुसफसाई- राजे तू एक बार खलास हो चुका है और मैं भी, अब धीरे धीरे इश्क लड़ाएंगे… तू बस आराम से पड़ा चुदाई का मज़ा लूट… देख मैं तुझे जन्नत की सैर कराती हूँ।

इतना कह के चंदा रानी ने मेरे मुंह में जीभ घुसा के बहुत देर तक प्यार दिया।
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#6
उसका मुखरस पी पी के मैं तृप्त हुआ जा रहा था।


वो अपने चूतड़ अत्यंत ही धीरे धीरे घुमा रही थी, कभी वो कमर आगे करती, तो कभी पीछे, कभी कमर उछालती और कभी अचानक बड़े ज़ोर का धक्का मारती।

कभी वो पूरा का पूरा लंड बहर निकाल कर दुबारा चूत में धड़ाम से घुसाती और कभी वो सिर्फ चूत को लप लप करते हुए लंड को ज़बरदस्त मज़ा देती।

चंदा रानी वाकयी में चुदाई की अनिभवी खिलाड़िन थी। जब वो तेज़ तेज़ धक्के मारती, तो फचक…फचक…फच…फच…फच..फच की आवाज़ कमरे में गूंज उठती, अगर कोई बाहर खड़ा सुन रहा होता तो फौरन जान जाता कि यहाँ ज़ोरदार चुदाई चल रही है।

इसी तरह हम बहुत समय तक चोदते रहे, तेज़… बहुत तेज़… धीरे… बहुत धीरे… उसके नितम्ब कभी गोल गोल घुमाते हुए तो कभी दायें बायें हिलाते हुए… चुदाई धकाधक हुए जा रही थी।
‘राजे.. और दूध पियेगा? मेरा दिल कर रहा है तुझे चोदते चोदते दूध पिलाने का।’ चंदा रानी ने मेरे कान में कहा और फिर मस्ती में आकर मेरे कान को हौले से काट लिया।

उसका बदन बहुत गर्म हो गया था, ठरक से सराबोर उसका चेहरा लाल हो गया था और पसीने की छोटी छोटी बूँदें उसके माथे पे छलक आई थी।

‘अरे रानी…अंधा क्या चाहे दो आँखें !’ मैंने कहा।

सचमुच एक अति कामुक स्त्री का चुदाई करते हुए दूध पीने के ख्याल से ही मेरी ठरक बेतहाशा बढ़ गई थी।

यह मैंने पहले कभी नहीं किया था।

तुरन्त ही मैंने चंदा रानी को कंधों से पकड़ कर थोड़ा सा ऊपर उठाया और खुद उचक कर कोहनियों पर खुद को टिकाया।

दूध से भरे हुए, फूल के कुप्पा हुए उसके चूचे किसी भी मर्द के तन बदन को आग लगा सकते थे।

मैंने अपना मुंह खोल दिया पूरा पूरा !

चंदा रानी ने एक चूची मेरे मुंह में घुसा दी और दूसरी चूची की निप्पल उमेठने लगी।

मेरे मुंह में घुसी निप्पल उसकी चरम सीमा तक बढ़ी कामवासना के कारण बहुत सख्त हो चली थी, मैंने जैसे ही उसकी अकड़ी निप्पल पर जीभ घुमाई, एक हल्की सी चीख उसके गले से निकली, कराहते हुए बोली- कचूमर निकाल दे राजे… इस कम्बख्त चूची का… आज तो चटनी बना ही दे इसकी… हरमज़ादी ने जान खींच रखी है मेरी… हाँ राजा हाँ….पीस डाल..
मैंने तुरन्त निप्पल को कस के काटा और फिर अपने दाँत चूची में गाड़ दिये।

चंदा रानी ने चिहुंक के सीत्कार भरी।
दूध की धारा बह चली मेरे मुंह में !

मैंने दांत गाड़े रखे, चंदा रानी ठरक से पागल होकर अब बहुत तेज़ तेज़ धक्के मार रही थी।
मैंने पहली चूची छोड़ के दूसरी चूची में कस के दांत गाड़े।

काम वासना के आवेश में भरी हुई चंदा रानी अब हुमक हुमक के धक्के लगा रही थी, वो स्खलन से ज़्यादा दूर न थी।

दूध पीता, ज़बरदस्त चुदाई का मज़ा लूटता यह चूतनिवास भी तेज़ी से झड़ने की ओर बढ़ रहा था। फच फच फच फच की आवाज़ से कमर भर उठा, चंदा रानी अब बिजली की तेज़ी से अपनी कमर कुदा कुदा के धक्के मार रही थी, उसकी सांस फूल गई थी और गले से भिंची भिंची सीत्कार निकल रही थी।

उसका पूरा बदन तप गया था जैसे कि 104 का बुखार हो ! सारा शरीर पसीने से भीग गया था, मैं भी पसीने में लथपथ था।

चंदा रानी ने सिर्फ सुपारी चूत में छोड़कर, पूरा लंड बाहर निकाला और एक बहुत ही ताकतवर धक्का मारा, जिससे मेरा 8 इन्च का मोटा लौड़ा दनदनाता हुआ बुर में जा घुसा।

उसने अपने नाखून मेरे कंधों में गड़ा दिये और झर झर… झर झर… झड़ने लगी।

‘हाय हाय’ करते हुए फिर से आठ दस तगड़े धक्के मारे और हर धक्के में झड़े चली गई, उसके मुंह से सीत्कार पर सीत्कार निकल रहे थे, रस की फुहार चूत में बरस उठी, चंदा रानी बेहोश सी मेरे ऊपर ढेर हो गई।
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#7
चंदा रानी ने सिर्फ सुपारी चूत में छोड़कर, पूरा लंड बाहर निकाला और एक बहुत ही ताकतवर धक्का मारा, जिससे मेरा 8 इन्च का मोटा लौड़ा दनदनाता हुआ बुर में जा घुसा।

उसने अपने नाखून मेरे कंधों में गड़ा दिये और झर झर… झर झर… झड़ने लगी।

‘हाय हाय’ करते हुए फिर से आठ दस तगड़े धक्के मारे और हर धक्के में झड़े चली गई, उसके मुंह से सीत्कार पर सीत्कार निकल रहे थे, रस की फुहार चूत में बरस उठी, चंदा रानी बेहोश सी मेरे ऊपर ढेर हो गई।

उसके गरम गरम चूत रस में डूबकर मेरे लंड का भी सबर टूट गया, चंदा रानी की कमर जकड़कर मैंने भी ‘दन दन दन’ अपने चूतड़ उछाल उछाल कर कई ज़बरदस्त धक्के लगाये और बड़े ज़ोर से मैं भी स्खलित हो गया, बार बार तुनके मारते लंड ने खूब ढेर सारा लावा चंदा रानी की चूत में उगल दिया।

गहरी गहरी साँसें लेता हुआ मैं भी बिल्कुल मुरझाया सा पड़ा था और चंदा रानी मेरे ऊपर पड़ी थी। अब उसकी सांस भी काबू में आ चुकी थी।

जब हमारी कुछ तबीयत काबू में आई तो चंदारानी उठी और बड़े प्यार से मुझे चूमा, फिर उसने पहले की तरह़ चाट चाट कर मेरा लंड, अंडे, झांटें वगैरा की सफाई की और एक तौलिये से अपना यौन प्रदेश साफ किया।

फ़िर रसोई में जाकर दो थम्स अप से भरे गिलास लेकर आई, दोनों लिपट कर धीरे धीरे चुस्कियाँ भरने लगे, वह एक चुसकी लेकर मेरे मुंह में कोल्ड ड्रिंक डालती और मैं चुसकी लेकर उसके मुंह में डालता, ऐसा प्यार का खेल खेलते हुए कोल्ड ड्रिंक खत्म की।
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#8
Heart 
Heart


‘राजे…तूने बहुत मज़ा दिया…तू बहुत बढ़िया चोदू है… जल्दी खलास भी नहीं होता… तेरे वीर्य का स्वाद कितना अच्छा है… आज तो राजे तूने मुझे खुश कर दिया… कब से प्यासी मरी जा रही थी… अब मैं तुझे अपना स्वर्णरसपान कराऊँगी जिससे तू मुझे सदा प्यार करेगा !’ चंदा रानी ने कहा।

‘स्वर्णरसपान क्या होता है?’ मैंने उसे चूमते हुए पूछा।

‘तुझे नहीं पता? तेरी पत्नी ने कभी नहीं पिलाया तुझे अपना स्वर्णामृत?…शायद उसे मालूम नहीं होगा…बहुत कम लड़कियाँ जानती हैं इसके बारे में… यह वो रस है जिसे पीकर मर्द उस लड़की का गुलाम बन जाता है… तू बनेगा ना मेरा गुलाम राजे?’
‘हाँ हाँ मैं तो हमेशा तेरा गुलाम रहूँगा। अब जल्दी से स्वर्णरस पिला… मेरा दिल रुक नहीं पा रहा स्वर्णारस चखने को !’
चंदा रानी बिस्तर पर टांगें चौड़ा के बैठ गई। उसने अपनी पैर नीचे फर्श पर रख दिये और बोली- चल राजे… अब तू ज़मीन पर बैठ जा और अपना मुंह मेरी फ़ुद्दी से सटा ले !’
मैंने वैसा ही किया।

चूत से मुंह लगाते ही मेरा नथुने उसकी बुर की खास गंध से भर गये। खुशबू पहचानते ही लंड हुमक के अकड़ गया और तुनक तुनक के अपनी प्यारी चूत को सलामी देने लगा।

चंदा रानी ने मेरा सिर पकड़कर मेरा मुंह बुर के होंठों से सटा दिया और कहा कि मैं मुंह पूरा खोल के रखूँ।
मैंने उसके हुक्म के मुताबिक मुँह खोल दिया।

कुछ ही क्षणों के बाद दो तीन बूंदें मेरे मुंह में टपकीं।
यह गरम गरम, नमकीन, खट्टा सा पानी था जो मुझे बेहद स्वादिष्ट लगा।
जैसे ही मैं उसको निगला, उसी पानी की एक धारा मेरे मुंह में गिरनी शुरू हो गई।
तो यह था स्वर्णरस !

तुरंत ही मैं समझ गया कि यह उसका मूत्र है, तभी उसे स्वर्णारस कह रही थी, क्योंकि मूत्र स्वर्ण जैसे रंग का होता है ना।
मुझे इतना मज़ा आ रहा था कि जिसका कोई हिसाब नहीं।
मैं खुद अचंभे में था कि मूत्र पी कर इतना आनन्द आ सकता है।
क्या गज़ब का स्वाद था, मैं तो सारा जीवन चंदा रानी का गुलाम बनने को उत्सुक था।
चंदा रानी ने अब तेज़ धार निकाली जिसे मैं खुशी खुशी पीता चला गया, एक बूंद भी मैंने नीचे नहीं गिरने दी।
जब सारा का सारा स्वर्णामृत व़ह निकाल चुकी तो उसने मुझे उठ कर अपने से सट कर बैठने को कहा।
मैं तो उसके स्वर्णामृत के नशे में चूर था, मज़े से भरा हुआ मैं तो पूरा मस्त था, मैंने यह स्वर्णामृत अभी तक अपनी पत्नी का क्यों नहीं चखा?
मुझे तो पता ही नहीं था इतनी उत्तम चीज़ का।
मस्ती के खुमार में मैं उठा और चन्दारानी के बगल में जा बैठा।

उसने मुझसे लिपट लिपट कर बार बार चूमा, बोली- राजे… तू अब मेरा गुलाम बन गया… तुझे पता है लड़कियाँ उसी मर्द को पूरा मज़ा देती हैं जो इश्क़ लड़ने में उनका गुलाम बनकर रहता है… तुझे मैंने पूरा मज़ा दिया या नहीं?… लड़कियाँ अपना कचूमर भी उसी मर्द से निकलवाती हैं जो जब वो कहें तभी उनको वहशियों की भांति नोच खसोट के चोद दें, अपनी मर्ज़ी से नहीं !

मैं तो चंदा रानी के स्वर्णामृत का पान करके धन्य हो चुका था, मैं बिल्कुल उसका जीवन भर गुलाम बन जाने को तत्पर था।

वह कहे तो कुएं में कूद जाऊँ !
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#9
‘आजा मेरे राजा बेटे !’ चंदारानी की आवाज़ मेरे कान में पड़ी- तू थक गया होगा… चल तुझे अपना दूध पिला के ताक़त दूं… आजा मेरी गोदी में मेरे गुलाम… मेरा गुलाम बेटा…आ आ !’ चंदरानी चौकड़ी मर के बैठ गई थी।


उसकी उन्नत, दूध से भरपूर, और मर्दों के क़ातिल चूचियाँ मुझे न्योता दे रही थी। मैं चुपचाप उठा और चंदरानी की गोद में लेट गया। उसने झट से एक चूची मेरे मुँह में घुसा दी और मेरे सिर थाम लिया जैसे वो अपने बच्चे का सिर थामती थी दूध पिलाते हुए।

मैंने तुरन्त चूची चुसनी शुरू कर दी और मज़े से दूध पीने लगा, साथ ही दूसरी चूची की निपल को उमेठने लगा।

चंदारानी मेरे लंड से खेल रही थी।

साला हरामी लंड !! फिर से खड़ा हो गाया था।
मैंने बारी बारी से दोनों चूचियाँ पी पी के दूध खाली कर दिया।

चंदारानी भी गरम हो चली थी, मैंने दोनों चूचियों कस के भींच लीं और ज़ोर से उनको निचोड़ने लगा।

चंदा रानी सीत्कार पर सीत्कार भर रही थी।
इतनी ताकत से निचुड़ निचुड़ कर अब चूचियों की सख्ती कम हो गई थी लेकिन ठरक बेतहाशा बढ़ जाने से वो बहुत गर्म हो चली थी।

‘राजे… अब तू मेरी घोड़ी की तरह चुदाई कर !’ इतना कह के चंदा रानी बिस्तर से उतर गई, दोनों टांगे चौड़ी करके खड़ी हुई और आगे झुक कर दोनों हाथ बिस्तर पर टिका लिये।

फिर उसने अपने मुलायम, मांसल और चिकने चिकने नितम्ब पीछे को उठा दिये।

पहले तो मैंने बैठ कर खूब जी भर के वह दिलकश नितम्ब सहला सहला के चाटे जिस पर चंदा रानी ने मस्ता के सीत्कार भरे।

उसकी ठरक अब बहुत बढ़ चुकी थी, उससे अब रुका नहीं जा रहा था, बार बार जल्दी से चोदने को कह रही थी।

मेरा लौड़ा भी ज़ोर से तन्नाया हुआ चूत में घुसने को बेताब हो रहा था।

मैंने चंदा रानी की कमर पकड़ कर लौड़े को ठीक से सेट किया चूत के मुंह पर और हचक के धक्का मारा।

लंड जड़ तक उसकी रस से लबलब चूत में गड़ गया।

चंदा रानी ने मज़े की एक किलकारी मारी।
मैंने पीछे से उसकी चूचे कस के पकड़ लिये और हल्के हल्के धक्के लगाने लगा।

मैं उसकी चूचियों को दबा कर मसल रहा था।

चंदा रानी मस्ती में डूबी मेरे धक्के से धक्का मिला कर अपने नितम्ब ऊपर नीचे कर रही थी, उसके खुले हुए भूरे केश इधर उधर लहरा रहे थे।

करीब आधा घंटा इसी प्रकार चोदने के बाद मैंने धक्कों की स्पीड तेज़ कर दी।

चंदा रानी की चूत से रस बह बह कर उसकी जांघों तक को गीला कर चुका था, वह बड़ी तेज़ी से चरम सीमा की ओर अग्रसर थी।

मुझे भी अपने टट्टों में दबाव बढ़ता हुआ महसूस हो रहा था, लंड में एक सुरसुरी सी आगे पीछे दौड़ रही थी।

हम दोनों के शरीर खूब गरमा गये थे, चुदाई की अलग अलग आवाज़ें जैसे कि लंड अन्दर बाहर होने की फच फच, कभी मेरे कभी उसके मुंह से निकलने वाली सांसें, हां हां, हाय हाय, उई उई इत्यादि काफी शोर मचा रही थीं।

मैं हैरान था कि बच्चा सोये जा रहा था।

‘अब…जल्दी जल्दी कर…राजे… तू सच में बहुत तरसाता हाय…अब बस कर…और न तड़पा अपनी चंदा रानी को..’ चंदा रानी के बदन में एक तेज़ कंपकंपी आई और मैंने एक के पीछे एक धम धमा धम धम बहुत सारे ज़ोरदार धक्के मारे।

चरम आनन्द में पगला कर उसके मुंह से एक चीख़ निकली और चंदा रानी धड़ाक से झड़ी।
मैं धकाधक धक्के लगाये जा रहा था।

कुछ ही देर में मेरे अन्दर एक बिजली सी कौंधी और मैं भी ‘हैं हैं’ करता हुआ स्खलित हुआ।
मेरे लंड से लावे जैसे गर्म गर्म वीर्य ने उसकी चूत को भर दिया।

अब तक तो चंदारानी कई दफे झड़ चुकी थी।
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#10
हम दोनों एक दौड़ के बाद घोड़े की तरह हांफ रहे थे।

चंदा रानी तो बिस्तर पर लुढ़क गई, मैं भी मुर्झाया सा उसकी बगल में गिर गया।

दस पंद्रह मिनट के बाद चंदा रानी की हालत काबू में आ गई, तो उसने उठ कर पहले तो अपनी चूत को तौलिये से पोंछ पोंछ कर साफ किया और फिर उसने मेरा मुरझाया हुआ लंड चाट चाट के साफ किया।

लंड की नस निचोड़ निचोड़ के उसने वीर्य की दो बूंदें बाहर निकाल ही लीं, उसने उन बूँदों को क्रीम की तरह मसल मसल के अपने चेहरे पे मल लिया।

‘राजे.. तेरी क्रीम तो मस्त है… अब तो जब जब मैं तेरे साथ होऊँगी, कोई भी दूसरी क्रीम न लगाऊँगी… अब सुन ध्यान से… तेरा इनाम मेरा गुलाम बनने का… परसों मेरी छोटी बहन नन्दा आ रही है मेरे साथ रहने के लिये ! जब तक तेरा चूतिया दोस्त वापस नहीं आ जाता… बहुत सुन्दर और सेक्सी लड़की है… तीन दिन बाद उसकी अठारहवीं बर्थडे है… मैं चाहती हूँ कि तू उसकी नथ खोल कर उस मादक कली को अति मादक फूल बना दे… इतनी कामुक लड़की ज्यादह दिन कुमारी न रहने वाली… अगर तूने उसे ना भोगा तो कोई और ले उड़ेगा…! आया मज़ा अपना इनाम सुन कर?’

मज़ा ! मेरा तो लंड उछलने लगा एक कमसिन कुमारी लड़की को चोदने का सुन कर।

मुझे पता है कुमारियों की चूतें कितनी टाइट होती हैं, लंड भीतर जा कर फंस जाता है और इसी लिये मज़ा बेइंतिहा मिलता है।

मैं तभी से मैं नन्दा रानी को कैसे चोदूंगा यह सोच कर ही मज़े के मारे मारा जा रहा था, दो दो चूतों के साथ संगम करने को मिलेगा। क्या मुकद्दर तू लिखवा के लाया है, साले चूतनिवास !

पर तीन दिन इंतज़ार करना पड़ेगा इतनी मस्ती लूट पाने से पहले।

तभी चंदा रानी का बच्चा जग गया और रोने लगा भूख के मारे। नंगी चंदा रानी ने उसे उठाया और चूची शिशु के मुंह में देकर दूध पिलाने लगी।

अब मेरे चलने का वक़्त हो गया था, वैसे भी तीन घंटों में तीन बार झड़ जाने के बाद मैं अब आराम चाहता था।

उसका बालक अब जग चुका था, तो चुदाई की संभावना ज़रा कम ही थी।

मैंने चंदा रानी के होंठ चूमे, उसकी एक निप्पल उमेठी और उसके बदन पर हाथ फेरता हुआ मैं वहाँ से निकल कर अपने घर आ गया।

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#11
Heart 
Heart

पाठको, याद रखो जितना ज़्यादा चोदोगे उतना ही लंड की ताक़त बनी रहेगी, उतना ही अधिक वीर्य का उत्पादन होगा और उतना ही सख्त लंड खड़ा होगा।


जितनी वर्ज़िश उतनी ताक़त।

और हाँ अपनी बीवी या माशूका का स्वर्णरसपान ज़रूर करें।

औरत आपकी गुलाम बनी रहेगी और समझेगी यह कि आप उसके गुलाम हो।

यह मेरा खुद का अनेक बरसों का रोज़ स्वर्णामृत पीने का अनुभव है।

इसके अलावा यह अमृत आपकी ताक़त बेतहाशा बढ़ा देता है।

अगर आज आप दिन में तीन बार चोद सकते हो तो कुछ दिन रोज़ स्वर्णामृत पीने के बाद आप पांच बार चुदाई कर पाओगे।

जब मेरी पत्नी मायके से वापस आई तो उससे भी मैंने कहा कि मैं उसका स्वर्णामृत पीना चाहता हूँ।

पहले तो उसने नाक भौं सिकोड़ी लेकिन जब मैंने बहुत कहा कि बेहद मज़ा आयेगा तो वह मान गई।

यारो, एक बार जब उसने पिलाया सो मस्ती में झूम उठी।

तब से रोज़ का कार्यक्रम है कि जब तक वह मुझे अपना रस पान नहीं करवा देती, उसे चैन ही नहीं पड़ता।

और फिर जो वह मचल मचल के चोदती है तो मुझे जन्नत के नज़ारे दिखा देती है।

उसके बाद से दिन में तीन और अक्सर चार बार चुदाई मज़े से करते हैं।

लंड सख्त भी ज़्यादह होता है और दिल में चुदास भी खूब ज़ोरों से उठती है।

अगली कहानी में नन्दा की नथ खोलने के बारे में आपको खुल कर बताऊँगा।

फिलहाल हैपी फक्किंग !!! सदा मस्त रहो और चोदा-चुदाई करते रहो।


समाप्त
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#12
devil2

चंदा रानी की कुंवारी बहन की नथ

यारो, अपनी पहली कहानी में मैंने आपको अपने दोस्त की पत्नी चंदा रानी की भरपूर चुदाई का वाक़या बताया था, और यह भी बताया था कि चंदा रानी ने मुझे गुलाम बनाकर एक इनाम दिया था कि मैं उसकी छोटी बहन नन्दा की नथ खोलकर उसका कौमार्य भंग करूँ। 

आज मैं आपको उस अति उत्तेजक घटना का विस्तारपूर्वक उल्लेख करूँगा, जिसे पढ़ कर आप सभी का लंड सख्त होकर तनतनाने लगेगा।

जैसा कि पिछली कहानी में मैंने बताया था कि चन्दा की जोरदार चुदाई के तीन दिन के बाद उसकी सगी बहन नन्दा का अठारहवाँ जन्मदिन था,

चंदा रानी ने शाम को एक पार्टी रखी थी जिसमें सिर्फ अड़ोस-पड़ोस के बड़े बच्चों को बुलाया था और मुझे उसने रात नौ बजे बुलाया था ताकि पार्टी समाप्त होने के बाद तसल्ली से हम अपना काम शांत करने का काम कर सकें।

मैं पूरे नौ बजे चंदा रानी के घर पहुँच गया, दरवाज़ा सिर्फ भेड़ा हुआ था, चिटकनी नहीं लगाई थी अंदर से !

चंदा रानी जल्दी जल्दी पार्टी के बाद घर की सफाई में लगी थी।

मैंने उसे बाहों में भींच के एक बहुत लम्बा चुम्बन लिया। चुम्बन के बाद वह बोली- राजे… बस दस मिनट तसल्ली कर ले… सफाई नहीं होगी तो मेरे सिर में टेंशन हो जाता है… तू बैठ आराम से !

‘ठीक है रानी… तब तक तेरी बहन से जान पहचान कर लूँ… कहाँ है वो..’


‘उसे छिपाकर रखा है… तू कुछ देर सबर तो कर… सारी रात अपनी है राजा !’


मैं सोफे पर टांगें पसार के बैठ गया। चंदा रानी ड्राइंग रूम को ठीक ठाक करने में दुबारा लग गई और में उसे सिर से पैरों तक निहारने लगा।

भगवान ने इस कामवासना से भरपूर नारी को बड़े मस्त मूड में बनाया होगा। उसका हर अंग मैंने देख लिया था और हर अंग बेहद खूबसूरत था।

मैं इस चुदासी चंदा रानी को घंटों बिना थके निहार सकता था। उसने ताड़ लिया कि मैं उसे लगातार देखे जा रहा हूँ। फिर से उसने अपना हाथ दिखाकर थोड़ी सी देर तसल्ली रखने का इशारा किया और एक फ्लाइंग चुम्बन मेरी तरफ उछाला।

मैंने भी उसकी दूध से लबाबब चूचियाँ दबाने का इशारा किया।

करीब पंद्रह मिनट में सब सही हो गया तो चंदा रानी आकर मेरे पास बैठ गई और मुझसे लिपट कर मुझे बेतहाशा चूमने लगी।
मैंने भी उसकी चूचियाँ निचोड़ना शुरू कर दिया।

जब दिल भर के चूम चुकी तो बड़े धीमे से मेरे कान में बोली- राजे… थोड़ा प्लान चेन्ज हो गया है… अब हम तेरे घर चलेंगे और तेरे बिस्तर पर ही इक्का दुक्की का खेल खेलेंगे… कितना मज़ा आयेगा न जब तेरे पलंग पर जिस पर तू अपनी पत्नी को चोदता है, उसी पे तू हम दो बहनों को चोद देगा।

इतना सुन कर मेरा लंड फुंकार उठा, अपनी ही बीवी के बिस्तर पर दो पराई लड़कियों चोदना वाकयी में ठरक को सैकड़ों गुणा बढ़ाने वाली बात थी।

अपनी ही बेड रूम में अपनी बीवी के साथ सोने वाले पलंग पर एक नहीं दो दो स्त्रियों के साथ सम्भोग करना कितना उत्तेजित करने वाली बात थी, ऐसा सौभाग्य लाखों में ही किसी को मिलता है, जबकि दूसरी जगहों पर चुदाई तो बहुत से आदमी कर लेते हैं।

लंड हुमक हुमक के तंग करने लगा।

चंदा रानी ने भी कस के अकड़ा हुआ लौड़े को महसूस कर लिया था, बोली- अरे तू इतनी देर इंतज़ार भी कर पायेगा या नहीं… तेरा तो मुझे हाल खराब लग रहा है… कहे तो चूस के एक बार झाड़ दूं… बोल… क्या कहता है?

इतना कह के उसने मेरे लंड को पैंट की ज़िप खोल के बाहर निकलने की चेष्टा की।

मैंने उसका हाथ हटा दिया और कहारानी… नहीं… अब तो मैं तुम दोनों की चूतें अपने बिस्तर पर ही लूंगा… आज तो दोनों बहनों की चूतों को फाड़ डालने की मंशा हो रही है मेरी।
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#13
‘हाय मेरा चोदू गुलाम… बड़े जोश में है मेरा राजा… हाँ हाँ… खूब चोदियो… हम भी तो तैयार बैठी हैं तेरे इस भोले मूसल चंद को अंदर घुसेड़ने के लिये !’ चंदा रानी ने प्यार से मेरे लंड को पैन्ट के ऊपर से थपथपाया।


‘राजे.. अब तू जल्दी से घर जा… हम आधे पौने घंटे में पहुँचती हैं… मैंने यहाँ सब पड़ोसियों को कह दिया है कि मुझे रात को बहुत डर लगता है… इसलिये मैं अपनी बहन के साथ रात को सोने के लिये अपने पति के एक दोस्त के घर जाया करूँगी… क्योंकि हम दो लोग हैं इसलिये किसी ने कोई बात नहीं बनाई… अगर बहन साथ ना होती तो यह नहीं हो सकता था.. तो राजे अब तो हम मेरे पति के आने पर ही तेरे घर में सोना बंद करेंगे… तेरी पत्नी आयेगी बीस दिन के बाद और मेरा चूतिया आयेगा एक महीने के बाद… .अब ज़रा सोच राजे… अगले बीस दिन तो खुल के हम तीनों चुदाई करेंगे… तेरी बीवी के आने के बाद भी कुछ ना कुछ रास्ता निकल लेंगे चोदने का… क्यों ठीक है ना… खुश मेरा राजा..बस तू तैयार हो जा मस्ती से भरे बीस दिन की मौज के… और हाँ तेरे खाने पीने का भी आराम हो जायेगा.. हम अकेले खुद थोड़े ही खायेंगे… तेरे लिये भी तो खाना बनायेंगे।’

क्या ज़बरदस्त स्कीम थी। मेरे मन तो उछलने लगा यह सोच सोच के कि रोज़ाना रात को दो दो हसीनाओं को मैं चोदूँगा, हाय कितना मज़ा आयेगा !!!

मादरचोद चूतनिवास, तू गांडू वाकयी में मुकद्दर का सिकंदर है !!!

खैर मैंने अपने मोटर साइकल को किक मारी और दस मिनटों में अपने घर आ गया जो करीब तीन किलोमीटर दूर था। चंदा रानी को आधा घंटा लगेगा क्योंकि उनको रिक्शा से आना था।
घर आकर मैंने बेडरूम को ठीकठाक किया, अलमारी से दो साफ तौलिये निकाले, चार पांच नैपकिन निकाले और फिर पास के बाज़ार से कुछ मिठाई और एक क्रेट कोकाकोला का लेकर आया। मिठाई और छह कोका कोला को फ्रिज में रख दिया और फिर मैं सोफा पर आराम से चंदा रानी और उसकी बहन नन्दा की प्रतीक्षा करने लगा।

वे लोग करीब पौने घंटे के बाद आये।

चंदा रानी नन्दा रानी पीछे पीछे घर मे दाखिल हुई।
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#14
नन्दा रानी को मैंने बड़े ध्यानपूर्वक ऊपर से नीचे तक निहारा। लम्बा क़द, छरहरा शरीर, मध्यम भूरे रंग के घने कंधों पर लहराते हुए सुन्दर बाल, गुलाबी होठों से सजा हुआ खूबसूरत चेहरा, सुराहीदार गर्दन, ताज़े ताज़े उभरे संगतरे के आकार के चूचुक, बहुत ही दिलकश हाथ और पैर।

रंग एसा गोरा कि कश्मीरी लोग भी फीके पड़ जाएँ, फिगर ऐसी कि मॉडल लड़कियाँ शर्म खाएँ, बड़ी बड़ी भूरी आँखें, त्वचा बिल्कुल साफ और रेशम जैसी चिकनी, कोई मेकअप नहीं।

खैर उसे मेकअप की ज़रूरत थी भी नहीं ! शक्ल चंदा रानी से काफी मिलती थी, फर्क यह था कि चंदा रानी गुदाज़, गदराई जवानी थी जबकि नन्दा रानी एक पतली कमसिन युवती थी जो आज के ही दिन व्यस्क हुई थी।
चंदा रानी के बाल गहरे भूरे थे और उसकी आँखें भी गहरे भूरे रंग की थीं।

दोनों बहनों में क्या गज़ब की कामुकता कूट कूट के भरी हुई थी। ऐसा लगता था की एक ही घर में भगवान ने सारी खूबसूरती पैदा कर डाली।

मेरी बीवी भी बहुत गोरी और सुन्दर है पर नन्दा रानी के सामने वह ज़्यादा तो नहीं पर थोड़ी सी फीकी दिखती।

मैंने नन्दा रानी को अबके से कस के बाहों में भींच लिया और उसका मुंह अपनी तरफ करके टपक से अपने होंठ उसके गुलाबी होंटों पर सटा दिये।

वह अचकचा गई क्योंकि पहले किसी मर्द ने उसे चूमा नहीं था और वह समझ ना पा रही थी कि क्या करे।

उसने सकुचाते हुए खुद को मेरे बाहुपाश से छुड़वाना चाहा लेकिन मैंने बहुत ज़ोर से जकड़ा हुआ था।

‘राजे… यह बिल्कुल नादान है… इसे हर चीज़ समझानी पड़ेगी… .थोड़ा बहुत तो मैंने बताया है परंतु बाकी का तुझे ही समझाना होगा।’ चंदा रानी की आवाज़ आई।

वह बच्चे को बहला रही थी, बच्चा दूध पिये हुए था और अब खेल रहा था, अभी उसका कोई सोने का मूड दिखाई नहीं पड़ रहा था।

मैं बोला- ठीक है !

और नन्दा रानी को चूम के बोला- नन्दा रानी… अभी जो मैंने तेरे साथ किया वह चुम्बन कहलाता है। इसे बहुत देर देर तक किया जाता है… .इसे जितना ज़्यादा करेंगे, चुदास उतनी ही बढ़ेगी… इसका पूरा मज़ा लेने के लिये एक दूसरे के मुंह में अपनी जीभ घुसा दी जाती है और फिर बारी बारी से मर्द और औरत एक दूसरे की जीभ चूसते हैं। इससे दोनों के मुंह का रस दूसरे के मुंह में चला जाता है जिस से प्यार में वृद्धि उतनी ही अधिक होती है।
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#15
इसके बाद मैंने नन्दा रानी को अपने और उसके सभी गुप्त अंगों के बारे में बताया, उनके देसी भाषा में नाम और सभ्य भाषा के नाम भी बताये, फिर उसे कहा कि सभी देसी नाम दोहराये।


उसके मुंह से लंड, लौड़ा, मर्द मक्खन, चूत, चूचुक इत्यादि शब्द सुन के बड़ा मज़ा आया। नन्दा रानी बहुत सकुचा सकुचा कर शरमाते हुए ये सब लफ्ज़ बोल रही थी।

फिर मैंने अपने सभी कपड़े उतार दिये और मादरजात नंगा नन्दा रानी के सामने खड़ा हो गया।

उसने शर्म के मारे अपनी नज़रें झुका लीं।

मैंने तपाक से उसकी पटियाला कट शलवार का सुथना खोला जिससे शलवार गिर के उसके पैरों के ऊपर ढेर हो गई।

इससे पहले नन्दा रानी संभलती मैंने उसकी कमीज़ भी ऊपर उठाई और उतार के फेंक दी।
ब्रा का हुक अटक रहा था तो मैंने इतनी ज़ोर से ब्रा की तनियों को खींचा कि वो टूट गईं और ब्रा भी नीचे उसके पैरों पर आ गिरी।

शर्म से नन्दा रानी का गोरा दूध जैसा बदन लाल हो गया, वो एक बाज़ू से अपना मुख ढकने की कोशिश कर रही थी और दूसरी से छातियाँ।

उसने अपनी आँखें कस के मींच ली थीं।

मैंने उसकी बाहों को परे किया और कहा- अरे रानी… ऐसे शर्माओगी तो कैसे चलेगा… अभी तो तुम्हारा यह सुनहरा बदन मुझे चूसना है और फिर तुम्हारी नथ खोलनी है। यह लो, इसे पकड़ो, यह तुम्हारे लिये भगवान ने एक लंड भेजा है। इसे मुंह में लेकर प्यार से चूसो… हाय मेरी बन्*नो… माशा अल्लाह… क्या चूचुक हैं ! तेरी जैसी ये सुनहरे भूरे रंग की निप्पल तो पहली बार देखी है किसी लड़की की !

इतने में चंदा रानी की आवाज़ आई- राजे… चूचियाँ बाद में… लंड चुसाई भी बाद में… सबसे पहले राजा इसकी नथ तो खोल दे… फाड़ के रख दे नन्दा की कुंवारी बुर !

बच्चा शायद सो गया था, मैंने सिर घुमा के देखा तो चंदा रानी भी बिल्कुल नंगी हो चुकी थी।

दो दो नंगी और बेहद खूबसूरत लड़कियों को देखकर मेरा हाल बदतर हुए जा रहा था, लगता था बस अब झड़ा और अब झड़ा।

पता था कि आज तो मेरी कयामत आने वाली है, मैंने दस गहरी गहरी सांसें लेकर अपनी उत्तेजना को काबू किया।

चंदा रानी ने नन्दा रानी को बिस्तर पर लिटा दिया, एक नया बड़ा सफेद तौलिया चार तह करके उसके नितंबों के नीचे बिछाया और एक तकिया तौलिये के नीचे लगा दिया।

नन्दा रानी की चूत अब ऊपर को उठ गई थी, गुलाबी, गीली और कभी कभी लप लप करती हुई उस अति उत्तेजक बुर को देखकर दिमाग खराब हो गया, एक पल भी रुकना भारी हो रहा था।

नन्दा रानी बहुत नर्वस हो रही थी, डर के मारे उसका सुन्दर चेहरा पीला पड़ गया था, बदन में कंपकंपी छूट रही थी।

चंदा रानी ने उसे माथे पे चूम चूम कर उसका डर निकलने की कोशिश की, उसके कानों में प्यार से पता नहीं क्या क्या कहा।

फिर उसने मुझसे कहा- राजे आ जा… बस ज़रा हौले हौले चोदना ! लड़की छोटी है, डर गई है कि बहुत दर्द होगा.. बस मेरे राजे, ज़रा प्यार से !
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#16
‘चिंता ना कर चंदा रानी… मैं बहुत ही आराम से चुदाई करूँगा !’


मैंने कमरे की लाइट बुझा कर बेड के पास वाली टेबल पर रखे टेबल लैम्प को जला दिया। उसमें ज़ीरो वॉट का नीला बल्ब लगा था क्योंकि मेरी बीवी को हल्की नीली रोशनी में चुदने का बड़ा शौक़ था।

मुझे लगा बहुत हल्की रोशनी से नन्दा रानी की घबराहट कुछ कम हो जायेगी।

चंदा रानी भी खुश हुई, बोली- यह तूने बहुत अच्छा काम किया। बेचारी तेज़ रोशनी में नंगी होने से बहुत घबरा गई थी।

मैं बिस्तर पर चढ़ कर नन्दा रानी की बगल में लेट गया और बड़े प्यार से उसके नाज़ुक बदन पर हाथ फेरने लगा।

क्या लाजवाब शरीर था, मक्खन जैसा !
मैंने उसके पैरों से उसे चूमना चालू किया और मस्ती में चूर हुआ धीरे धीरे उसकी टांगों को चाटता हुआ उसकी चूत तक जा पहुँचा।

लंड पूरे ज़ोरों पर उछल उछल कर पागल किये जा रहा था।

मैंने नन्दा रानी की झांटों पर जीभ फिराई, बहुत ही बारीक रेशमी रोएँ थे, चाट कर मज़ा आ गया।

अब उसका डर कम हो गया था और मेरे चाटने से मज़ा पाकर वह धीमी आवाज़ में आहें भी भरने लगी थी।

झांटों को चाट चाट के तर कर दिया तो फिर मैंने बड़े प्यार से उसकी चूत के होंटों पर जीभ फिराई।

नन्दा रानी सिहर उठी और उसके मुख से एक सीत्कार निकली।

मैंने जीभ उस रसाती कुमारी बुर के अंदर कर दी। थोड़ा सा अंदर घुसते ही नन्दा रानी की कमसिनी का पर्दा जीभ से टकराया।

नन्दा रानी दर्द से कराह उठी।

मैंने तुरंत जीभ पीछे की और दुबारा से पर्दे के पहले के हिस्से में ही चूत चूसने लगा।

रस काफी निकल रहा था, चिकना हल्का खट्टापन लिये हुए चूतामृत मेरी मस्ती को कई गुना बढ़ाये जा रहा था।

अब और प्रतीक्षा करना कठिन था तो मैंने उठ कर अपने को नन्दा रानी के ऊपर जमाया ताकि मेरे घुटने उसकी जाँघों के इर्द गिर्द आ गये और लंड सीधा चूत के ऊपर।

चंदा रानी तुरंत हमारे बीच में घुसी और मेरे लंड को खूब मुखरस निकाल निकाल के चाटा, सुपारी तो उसने बिल्कुल तर कर दी।

मैंने लंड को चूत के मुंह पर सटाया हल्के से धक्का मारा।

टोपा जाकर उसकी चूत के पर्दे से टकराया और वो दर्द से चीख पड़ी।

घबराहट से चूत का जूस ही निकालना बंद हो गया।

उसका पर्दा बहुत सख्त था और तगड़े धक्के से ही फटेगा, दर्द भी उसे ज़्यादह होगा, परंतु कोई इलाज था ही नहीं !

मैंने चंदा रानी से कहा- रानी इसकी चूत की झिल्ली बहुत कड़ी है… ज़ोर का धक्का ही मारना पड़ेगा… दर्द से चिल्लाएगी तो सम्भाल लियो !

इतना बोल के मैंने एक गहरी सांस ली और धड़ाम से ज़बरदस्त धक्का पेला।
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#17
मैंने लंड को चूत के मुंह पर सटाया हल्के से धक्का मारा।

टोपा जाकर उसकी चूत के पर्दे से टकराया और वो दर्द से चीख पड़ी।

घबराहट से चूत का जूस ही निकालना बंद हो गया।

उसका पर्दा बहुत सख्त था और तगड़े धक्के से ही फटेगा, दर्द भी उसे ज़्यादह होगा, परंतु कोई इलाज था ही नहीं !

मैंने चंदा रानी से कहा- रानी इसकी चूत की झिल्ली बहुत कड़ी है… ज़ोर का धक्का ही मारना पड़ेगा… दर्द से चिल्लाएगी तो सम्भाल लियो !

इतना बोल के मैंने एक गहरी सांस ली और धड़ाम से ज़बरदस्त धक्का पेला।

लंड झिल्ली को फाड़ता हुआ धम्म से उसके बच्चेदानी से जाके भिड़ा- हाय… रे… हाय.. मैं मर गई… दीदी बचाओ… मैं… मरी… अब ना बचूंगी… हाय… उई मां… अरे मार डाला !

खून की धारा बह चली, उसके गरम गरम, गाढ़े, चिपचिपे लहू ने चूत भर दी। लंड मानो उबलते हुए तेल में घुसा हो।

बहुत ज़्यादह खून निकला क्योंकि झिल्ली बहुत मोटी और सख्त थी।

चंदा रानी ने बार बार उसके माथे पे चूमा और उसे तसल्ली दिलाती रही। नन्दा रानी ने चंदा रानी को बड़े ज़ोर से जकड़ रखा था। आँसुओं की धारा उसके आँखों से बहे जा रही थी और वो हाय हाय करके कराह रही थी।

चंदा रानी उसे चूम के, सहला के, थपका थपका के और पुचकार पुचकार के बहला रही थी।

‘बस मेरी रानी बेटी… बस… बस… सब ठीक हो जायेगा… .एक बार तो ये पीड़ा हर लड़की को सहनी पड़ती है… चुप जा मेरी रानी… अब चुप हो जा… अभी देख कितना मज़ा आयेगा… बस… बस… बस !’

मैं लंड चूत में घुसाये बिल्कुल बिना हिले डुले पड़ा था। नन्दा रानी की कुमारी चूत बेहद टाइट थी। लंड उसमें फंसा हुआ था और ऐसा लगता था कि लौड़े को मुठ्ठी में दबाके मुट्ठी को कस लिया गया हो।

यारो, इतनी संकरी चूत को लेने का मज़ा भी बेइंतिहा आता है। और यह चूत तो एक अठारह साल की नवयुवती की थी तो इसके तो क्या कहने !

जब देखा कि नन्दा रानी शांत होने लगी है तो मैंने उसे बड़े प्यार से चूमना शुरू किया, उसके होंठ चूमे, चेहरा जगह जगह पर चूमा, कान की लौ मुंह में लेकर चूसी, गर्दन पर जीभ फिराई और फिर दोबारा होंठ चूसे।

इतनी चूमा चाटी से उसका डर और दर्द दोनों काम होने लगे और उसके बदन ने प्रतिक्रिया देनी शुरू कर दी।

नन्दा रानी के चेहरे पर एक मुस्कान सी दीखने लगी और बुर में फिर से रस बहने लगा जिससे लंड को भी मज़ा आने लगा।

काफी देर ऐसा प्यार करने के बाद मैंने बहुत धीमे धीमे धक्के मारने आरंभ किये।

पहले तो वह फिर कुछ दर्द से कराही लेकिन फिर चूत में आते हुए मज़े ने उसको सब दर्द भुला दिया। अब वह भी चुदाई का आनन्द उठा रही थी।

मैंने अपना मुंह उसकी चूचियों पर जमा दिया और एक एक करके चूसने लगा।

क्या मस्त चूचुक थे ! सम्भोग की प्यास ने उनको सख्त कर दिया था इसलिये अब मैं चूची चूसते हुए दान्त भी गाड़ने लगा और दूसरी चूची को नींबू की भांति निचोड़ने लगा।

अब उसके मुंह से चीत्कार नहीं बल्कि सीत्कार की आवाज़ें आ रही थीं, उसके नितंब भी अपने आप ऊपर नीचे होने लगे थे।

चंदा रानी उसे लगातार उत्साह बढ़ाने वाली बातें करे जा रही थी, नन्दा रानी का सिर सहला के बोली- नन्दा मेरी बेटी… अब कम हो गया ना दर्द… अब हल्का हल्का मज़ा भी आ रहा है ना !
नन्दा रानी ने धीरे से सिर हिलाकर हाँ में जवाब दिया।

‘देख, मैंने कहा था ना मज़ा आयेगा… अभी देखे जा… कितना ज़्यादह मज़ा आने वाला है।’

मैंने पूरे ज़ोर से उसकी दोनों मम्*मों को दबाया, अपने अंगूठे और उंगलियाँ चूचुक में गड़ा दीं, फ़िर उनको सहलाया और बारी बारी से चूसने का काम चालू दिया। मैं लगातार धक्के भी हौले हौले लगाये जा रहा था, मैंने नन्दा रानी के फिर से होंठों को चूसा।

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#18
इस दफा उसने भी अपनी जीभ मेरे मुंह में घुसा दी, उसके लब चूसते चूसते ही मैंने धक्कों की रफ़्तार थोड़ी सी तेज़ की। चूत में खून और चूत के रस के कारण बड़ी पिच पिच हो रही थी और हर धक्के पर फच फच की आवाज़ आती।


नन्दा रानी ने अपने चूतड़ ऊपर नीचे हिला हिला के धक्कों में मेरा साथ देना शुरू कर दिया था, उसने अपनी टांगें मेरी जाँघों पर कस कर लपेट ली थीं।

उसकी चूचुक मेरी छाती में गड़े जा रहे थे लेकिन उनको मैंने जो अच्छे से निचोड़ा था इसलिये उनकी अकड़न अब घट चुकी थी, सिर्फ निप्पल सख्ताये हुए थे क्योंकि नन्दा रानी पर अब चुदास पूरी तरह चढ़ चुकी थी और चुदासी लड़की के निप्पल सख्त हो ही जाते हैं, जब स्खलित होगी तो दुबारा मुलायम हो जायेंगे, यह सबसे पक्की निशानी है कि लड़की गर्म हो गई है या नहीं।

मेरे लंड की गर्मी भी अब बहुत ज़्यादह बढ़ गई थी। मैं जानता था कि इतनी देर से उत्तेजित लौड़ा अब झड़ने की राहत मांग रहा है। मैंने धक्के और भी तेज़ स्पीड से मारने शुरू किये, मैं लंड को सुपारी तक बाहर खींचता और फिर धमाक से वापस चूत में घुसा देता। एक बड़े ज़ोर से फच की आवाज़ होती और साथ ही लौड़े का टोपा चूत के आखिर में नन्दा रानी की बच्चेदानी में जाके ठुकता।

बुर अब दबादब रस का प्रवाह करे जा रही थी, इसलिये लंड अब बड़े आराम से इतनी तंग चूत में भी अंदर बाहर हो रहा था।

नन्दा रानी बहुत कसमसा रही थी, उसका सुन्दर मुखड़ा कामवासना के तीव्र आवेश में लाल हो गया था, माथे पे पसीने की बूंदें छलक आयीं थीं, उसके नाखून मेरी पीठ पे गड़े जा रहे थे और वह बार बार सी सी कर रही थी।

उत्तेजना से भरपूर नन्दा रानी अपना मुंह कभी दायें करती और कभी बायें।

मैंने थोड़ा सा अपने को उठाया और एक बार फिर से उसकी मस्त चूचुक कस के मसलने कुचलने लगा।

मैंने दोनों निप्प्लों को अंगूठे और उंगली के बीच में जकड़ कर बड़े ज़ोर से उमेठा, एक गहरी हिचकी उसके मुंह से निकली और फिर उसने अपने नितंब बहुत तेज़ तेज़ ऊपर नीचे किये।
चूत कई बार लपलपाई और फिर झड़ गई, रस की एक फुहार मेरे लंड पे सब तरफ से गिरी, और नन्दा रानी ने मुझे पूरी ताक़त से भींच डाला।

उसके बाद वो धड़ धड़ करके अनेक बार झड़ी। मेरा लंड तो काफी देर से झड़ना चाहता था जिसे मैंने बड़ी मुश्किल से कंट्रोल किया हुआ था।

मैंने उसके कंधे पकड़े और दनादन बीस पचीस धक्के बहुत तेज़ी से मारे, लंड बड़े ज़ोर से झड़ा, मेरा गर्म गर्म लावा बड़े बड़े थक्कों के रूप मे निकला और काफी देर तक निकलता रहा।
मुझे ऐसा लगा जैसे मेरी रीढ़ की हड्डी पिघल गयी हो और मैं मूर्छित सा होकर नन्दा रानी के ऊपर ढेर हो गया, वो भी झड़ के बेसुध सी पड़ी थी।

‘बधाई हो नन्दा… मेरी प्यारी बहन… आज तेरी नथ खुल गई… आज तेरी ज़िंदगी का एक महान दिन है… बहुत बहुत बधाई… ईश्वर करे कि तुझे जीवन भर इसी प्रकार तगड़े लंड मिलें… चल मैं तुम दोनों के लिये मीठा लेकर आती हूँ… .मेरी बहन की नथ खुली है… मीठा मुंह तो होना चाहिये न !’ इतना कह कर नंगी चंदा रानी कमरे से बाहर चली गई।
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#19
‘बधाई हो नन्दा… मेरी प्यारी बहन… आज तेरी नथ खुल गई… आज तेरी ज़िंदगी का एक महान दिन है… बहुत बहुत बधाई… ईश्वर करे कि तुझे जीवन भर इसी प्रकार तगड़े लण्ड मिलें… चल मैं तुम दोनों के लिये मीठा लेकर आती हूँ… मेरी बहन की नथ खुली है… मीठा मुँह तो होना चाहिये न !’ इतना कह कर नंगी चंदा रानी कमरे से बाहर चली गई।


मैं भी उठकर पीछे गया फ्रिज से कोल्ड ड्रिंक लाने के लिये। चंदा घर से रबड़ी लेकर आई थी जिसे वो एक तश्तरी में डाल रही थी।

मैंने उसे लिपटा कर चूमा और कहा- रानी… रबड़ी के बाद मैं तो तेरा दूध पियूंगा और ये कोल्ड ड्रिंक आखिर में !

‘हाँ… हाँ… राजे दोनों को दूध पिलाऊँगी… फिकर ना कर… मेरे राजे बेटे !’

मैंने जब लाइट जलाई तो देखा नन्दा रानी गहरी नींद में थी। उसकी टांगें चौड़ी फैली हुई थीं और तमाम चूत के आस पास का बदन, झांटें खून में लिबड़ा हुआ था।

यहाँ तक कि उसकी जाँघों तक भी खून के बड़े बड़े धब्बे थे। खून वाकई में अधिक मात्रा में बहा था।

मैंने गर्दन झुका कर अपने आपको देखा तो मेरा भी बदन लण्ड के सब तरफ खून में लथपथ था।

मैं जल्दी से एक तौलिया बाथ रूम से भिगो कर लाया और नन्दा रानी को भली भांति साफ किया और फिर अपने बदन की सफाई की। नन्दा रानी के चूतड़ों के नीचे बिछा हुआ तौलिया भी खून में सन गया था, मैंने धीरे से खींच के तौलिये को बाहर निकाला, इसकी चार चार तहें पार करके लहू का एक छोटा सा दाग तकिये पर भी लग गया था।

‘राजे… लगता है बहुत ही तगड़ी झिल्ली थी… देख तो कितना खूनमखून हो गया है… तभी तो सो रही है… अच्छा राजे… अब उसे और मत चोदियो आज रात… सोने दे उसे !’

‘अरे चंदा रानी उसे सोने दूंगा… अब तुझे भी तो चोदना है या नहीं !’

चंदा रानी ने नन्दा रानी को हिला के जगाया और एक चम्मच रबड़ी उसे मीठा मुँह करने को दी।

नन्दा रानी ऊम्म ऊँह ऊँह करके जागी और बड़ी धीमी आवाज़ में बोली- दीदी सोने दो ना… क्यों तंग करती हो… बहुत नींद आ रही है… बड़ी थकान लग रही है।

‘हाँ हाँ मेरी रानी बेटी… आराम से सो… बस मैं तो तेरा मीठा मुँह करने को जगा रही थी। अभी अभी तेरी नथ खुली है… अब तू लड़की से औरत बन गई है… चल जल्दी से थोड़ी सी रबड़ी खा और फिर सो जा।’

नन्दा रानी ने लेट लेटे ही मुँह खोल दिया। चंदा रानी ने उसके मना करते करते पांच छह बड़े चम्मच रबड़ी उसे खिला ही दी।

एक घूँट कोल्ड ड्रिंक का पीकर नन्दा रानी वापस गहरी नींद में ढेर हो गई।
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#20
‘चंदा रानी… अब ये तो गई सुबह तक… इतना खून बहा है… कमज़ोरी आ गई होगी… कल तक ठीक हो जायेगी… फिर रोज़ चुदाई मांगा करेगी… अब हम खेलें इक्का दुक्की का खेल?’ कह कर मैंने चंदा रानी को दबोच लिया।


वो भी अपनी बहन को चुदते देख कर खूब गरम हो गई थी, उसने कहा- बस एक मिनट तसल्ली रख… देख मैं तुझे जन्नत के नजारे दिखाती हूँ।

चंदा रानी अलग होकर बिस्तर पर बैठ गई और ढेर सारी रबड़ी को अपनी चूचियों पर, अपनी नाभि पर, अपनी झांटों और अपने पैरों पर लगाया और बोली- अब राजे… तू भी मीठा मुँह कर मुझे चाट चाट के… फिर मैं तेरे लण्ड पर लगा कर अपना भी मुँह मीठा करूँगी।
इतना कह कर चंदा रानी बिस्तर पर सीधी लेट गई।

मस्ती से मैं एकदम बेहाल हो गया। चंदा रानी का सामने का पूरा शरीर, चूची से पैर तक, रबड़ी से लिबड़ा हुआ था। मेरा लौड़ा फौरन तन्ना गया।

मैंने चंदा रानी को कुत्ते की तरह जीभ निकाल के चाटना शुरू किया। सबसे पहले उसके पैर चाटे, हर एक उंगली व अंगूठा मुँह में लेकर चूसा, फिर उसकी टांगें चाट चाट के सारी रबड़ी खाई, उसका पेट चाट चाट कर बिल्कुल साफ कर डाला और आखिर में उसके दोनों मम्मे चाटे।

मम्मे चाटते हुए मुझे उसका दूध भी पीने को मिला। चंदा रानी ने सचमुच मुझे जन्नत के नज़ारे दिखा दिये।

जन्नत में इस से ज्यादह क्या मज़ा मिलता होगा।

चंदा रानी के ज़ायकेदार बदन का स्वाद जब रबड़ी से मिला तो चाटने का आनन्द पराकाष्ठा पर जा पहुँचा।

वो भी इस तरह से बदन चटवा के ठरक से मतवाली हो चली थी। उसके मम्मे अकड़ गये थे और वो बारम्बार कसमस कसमस करती हुई आहें भरने लगी थी।

उसका एकदम ताज़ा दूध रबड़ी से मिल के मेरे जिस्म में आग भड़का रहा था।

चंदा रानी अब अपनी जांघें बार बार खोलने बन्द करने लगी, उसके मुँह से अब तेज़ सी सी आने लगी थी, बोली- राजे अब न तरसाओ… नन्दा को तूने चोदा तब ही से मेरा हाल खराब है… तेरी ज़ुबान तो ज़ालिम मुझे कत्ल ही कर डालेगी… अब चल मेरा राजा बेटा… अब चोद ही दे… मैं तो जल के खाक हो जाऊँगी।

हालांकि तड़प तो मैं भी रहा था, फिर भी थोड़ा सा और मज़ा लेने के लिये मैंने उसके चूची में दांत गाड़ दिये, दूध की एक तीव्र धारा मेरे मुँह में गिरी और वो बेतहाशा ठरक से बेबस होकर कराही।

उसने ज़ोरों से छटपटाना शुरू कर दिया और फंसी फंसी सी अवाज़ में बोली- राजे… रहम कर… अब मर गई तो क्या करेगा? बिल्कुल सबर नहीं हो रहा… बस जान जाने को है।
बिना कुछ बोले, मैंने उसके घुटने मोड़े और जाँघें चौड़ी करीं, फिर मैं उन रेशमी मुलायम जाँघों के बीच घुटनों के बल बैठ गया और अपना टन टन करते लण्ड चूत के होंठों पर रखा।

उई उई की आवाज़ निकालते हुए चंदा रानी ने अपने चूतड़ उचकाये और मैंने धम्म से पूरा का पूरा लण्ड उसकी रसदार चूत में पेल दिया।
एक चीख उसके मुँह से निकली और मेरा सिर कस के जकड़ती हुई चंदा रानी एसे झड़ी जैसे किसी डैम के गेट खोल के पानी छोड़ दिया गया हो।उसने बड़ी तेज़ी से कई दफा अपने नितंबों को ऊपर नीचे किया और झड़े चली गई। उसने अपने पैर मेरे कंधों पर टिका दिये और फिर से झड़ने की इच्छा से चुदने लगी।
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