Thread Rating:
  • 6 Vote(s) - 2.17 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Misc. Erotica छोटी छोटी कहानियां...
जब मेरी आँख खुली तो शाम घिर आई थी उसके फोन पर राजन का फोन आया था और वो उस से बाल्कनी में खड़ी बतिया रही थी
 
मै शॉर्ट्स पहने और बाल्कनी में गया,वा मेरी ओर पीठ किए खड़ी थी, उसके बाल खुले थे और आपस में उलझे हुए थे, कमीज़ पर सिलवट पड़ी हुई थी, और सलवार पहनी नही थी, पीछे का गला काफ़ी गहरा था और उसकी गर्दन के डायन तरफ कंधे से तोड़ा नीचे एक तिल था, इस हालत में भी वह बला की खूबसूरत लग रही थी.
 
दबे पाँव मैं उसकी ओर गया और मुझे उसकी बातें सुनाई दी”अच्छा आज रात ऑफीस में ही रहोगे?”“क्या कहा दूसरे डिपार्टमेंट में ट्रान्स्फर हो गया?”“ठीक है” कहते हुए उसने फोन काट दिया
 
मैने उसे पीछे से पकड़ लिया, अचानक से खुद को मेरी गिरफ़्त में देख कर वह घबरा गयी”अच्छा तुम हो मैं समझी...”
 
मैने उसकी बात काटते कहा”मैं समझी की वॉचमन होगा”
 
“छी कितनी गंदी सोच है तुम्हारी?” वह बोली
 
“सारे दिन मेरे साथ सेक्स किया और फिर भी पति की याद आ गयी?” मैने कहा
 
“नही उनका फोन आया था” उसने कहा मैं नीचे झुका और उसके कंधे के तिल को चूम कर कहा”तो आज आपके पति घर नही आएँगे?”
 
“हां” उसने अपने बालों को पीछे बाँधते कहा, उसने अपने मुँह में रब्बर बॅंड पकड़ा हुआ था
 
मैने उसके बूब्स दबाते कहा”तो फिर आज पूरी रात बॅंग बॅंग?” वह हँसे लगी, उसके मुँह से रब्बर बॅंड छूट कर नीचे गिर पड़ा, उसे उठाने वह नीचे झुकी और उसकी रेशमी काले बाल आज़ाद हो कर उसकी पीठ पर लहराने लगे.
 
मैने उसे उठा कर अपने बाएँ कंधे पर रख लिया और बेडरूम की तरफ बढ़ चला
 
“नही अमन मुझे नीचे उतारो मैं चिल्लाऊंगी”
 
“नही आज तो मैं तुम्हे सारी रात प्यार करूँगा” मैने उसको संभालते कहा
 
उसने मेरी पीठ पर काटा और गुद्दे मारने लगी
 
मैने उसे बेड पर लिटा दिया”शिखा जी आपका विरोध व्यर्थ है आज आप मेरे साथ कमाग्नि में जलेंगी” मैने उसकी शुद्ध हिन्दी में मज़ाक उड़ाया
 
“अमन जी मैं आपको सचेत कर दूं, आप मेरे पति की अनुपस्थिति में मुझसे संभोग करने की इच्छा कर रहे हैं| यह आप जैसी सभ्य पुरुष को शोभा नही देता कि आप अपने मित्र की पत्नी से रतिसुख की अपेक्षा करें”उसने मुझे चिढ़ाया
 
“मैं तो हूँ ही हरामी, दूसरे की बीवियों को चोद्ने में मुझे बड़ा आनंद आता है” मैने अपनी शॉर्ट्स खोलते कहा मेरा लंड उच्छल कर बाहर आ गया
 
“यदि ऐसा है, तो मैं उस आनंद से वंचित क्यूँ रहूं” शिखा ने कहा और मेरा लंड लपक कर पकड़ लिया”हे प्राण नाथ मैं अपने प्रेम की मुहर आप पर लगाउंगी अन्यथा न लें”उसने चुहल की
 
“अवश्य” मैने कहा और उसने मेरा लंड मुँह में ले लिया,
 
मैने उसका सिर पकड़ लिया और उसके खुले बालों में अपनी उंगलियाँ फिरानी शुरू की लेकिन बाल कही कही उलझ गये थे”तुम अपने बालों का ध्यान नही रखती शिखा” मैने शिकायत करते कहा
 
एकदम से उसने अपने मुँह से मेरा लंड बाहर निकाला और उपर गर्दन करते मुझे देख कर कहा”यह सब आपकी कृपा है प्राण नाथ, दोपहर में आपके साथ संभोग करते समय आपके मुँह और लंड का गाढ़ा चिपचिपा द्रव्य मेरे केशों में लग गया इसी कारण मेरे केश उलझ गये” और हँसने लगी
 
“षट अप शिखा” मैने कहा
 
“विश्वास ना हो तो सूंघ कर देख लीजिए”, उसने अपने पीछे के बाल आगे कंधे पर लाते कहा
 
“हाथ कंगन को आरसी क्या पढ़े लिखे को फ़ारसी क्या” मैने कहा
 
“अभी लो” और वह हँसने लगी.
 
“ऐसी नहीं” मैने कहा”घूम कर खड़ी हो जाओं शिखा'
 
वह हँसने लगी”बॅक ओफिस में जॉब करना है क्या”
 
“पहले तुम उठो तो सही” मैने उसके कंधे पकड़ कर उठाते कहा
 
“जो आज्ञा प्राणनाथ” वह उठने लगी और उठते उठते उसने मेरे अंडकोष को अपने दाँतों में भींच लिया
 
“आह क्या कर रही हो' मैं दर्द से कराहा.
 
“हा हा हा”वह हँसने लगी वह घूम कर खड़ी हो गयी
 
“अब मेरी बारी” मैने कहा और हँसती खड़ी हुई शिखा को घुमा दिया अब उसकी पीठ मेरी तरफ थी.
 
“अमन तुमको तो मैने मेरे चिपके हुए बालों को सूंघने को कहा था, तुम तो मेरी गुदा में आईईईईईईई” शिखा बोलते बोलते चीखने लगी
 
“अब आया मज़ा?” मैने पीछे से उसके निप्पल्स मसल्ते कहा
 
“आह छोड़ो न अमन”वह रुआंसी हो गयी
 
“अपनी टांगे हटाओ”मैने कड़क आवाज़ में कहा
 
“क्यों” उसने दर्द भारी आवाज़ में कहा, उसके निप्पल्स मैने ज़्यादा ही जोरों से मरोड़ दिए थे
 
“तुम सवाल बहुत पूछती हो”कहते हुए मैने उसकी टाँग फैलाई
 
“अच्छा?” उसने पूछा
 
“हाँ, अब अपनी दाईं टाँग कुर्सी के हत्थे पर रखो” मैने उसकी जांघों में उंगलियाँ फिराते कहा
 
“नहीं अमन जांगों के बालों में कुछ न करो बहुत बुरी गुदगुदी होती है” उसने मेरा हाथ पकड़ते कहा
 
“अब तो ज़रूर करूँगा”कहते हुए मैने उसकी जांघों में हाथ चलना शुरू किया
 
“आहह नहीं”
 
“हाँ बिल्कुल” मैने उसके विरोध को दरकिनार करते उसकी दाई तंग उठा कर कुर्सी के हत्थे पर रख दी.
 
“आहह अमन जो करना है जल्दी करों मेरी टाँग रबर की तरह लचीली नहीं है जो तुम ज़बरदस्ती चौड़ी कर रहे हो” शिखा परेशान होते बोली
 
“जो मैं कुछ करूँगा न शिखा, तुम्हारी दर्द भारी चीख से पूरा कमरा गूँज उठेगा”मैने उसे चेतावनी देते कहा
 
“रहने दो” वह अपने बालों को बाँधते हुए बोली”तुम बस बड़ी बड़ी हांकना जानते हो”
 
 
'बालों को खुला रहने दो शिखा तुम्हें चोद्ते हुए मैं उनकी खुश्बू लूँगा”मैने उसके बालों को पकड़ते कहा
 
“पहले बताते तो मैं गजरा लगा लेती, वैसे भी मेरे बाल तुम्हारी लिक्विड़ से उलझ कर चिपक गये हैं” उसने उलझे बालों को ठीक करते कहा
 
“रूको उन्हें उलझा ही रहने दो” कहते हुए मैने अपने बाएँ हाथ की उंगलियों से उसका योनि प्रदेश टटोला
 
'आह” वह चिहुन्क उठी”तुम्हारा नाख़ून गड़ गया”
 
“अभी तो बहुत कुछ गाड़ेगा”मैने कहा
 
 
“हाँ हाँ, तुम तो अपनी शेखी बघारोगे” उसने अपने चूतड़ मेरे लंड से रगड़ते कहा
 
“आहह शिखा, दुबारा करो” मैने कहा”तुम्हारी मक्खन जैसी गांड जब लॉड से छूती है तो बदन में करंट दौड़ जाता है सच्ची” मैने कहा
 
वह अपनी कमर को कार के वाइपर की भाँति हिला रही थी, और मेरी उंगलियाँ उसकी चूत में इंजन के पिस्टन की तरह अंदर बाहर हो रही थी.
 
“आहह अमन” वह दर्द से बोली”बड़ा मज़ा आ रहा है” “रुक क्यों गये, और करो न”शिखा अन्मनि होते हुए बोली,
 
मैने उंगलियाँ उसकी चूत से निकाल ली थी”यह देखो क्या है?” मैने उसके सामने हाथ नचाते हुए कहा
 
“ईईईई यह मुझे क्यों दिखा रहे हो?” उसने चीख कर कहा”अपने हाथ दूर करो मुझसे”
 
“यह तुम्हारे चूत का रस है शिखा जी, गौर से देखो मेरे हाथों की इन उंगलियों को, तुम्हारी चूत का गाढ़ा रस इन्हें कितना चिपचिपा बना रहा है” मैने मज़ाक करते कहा.
 
“प्लीज़ अमन मुझे यह उंगलियों से मत छूना”उसने बदन चुराते कहा
 
“क्यों शिखा डार्लिंग?” मैने दूसरे हाथ से उसे करीब खींचते कहा
 
“मुझे घिन आती है” वह छूटने की कोशिश करते बोली
 
“अब यह देखो
 
“उसने मुझे देखा और देखती रह गयी,
 
मैं उसके देखते देखते ही अपनी पाँचों उंगलियाँ चाट गया”तुम बहुत नमकीन हो शिखा, अब से खाने में नमक कम डाला करना”मैने उसको छेड़ते कहा
 
“वाश्बेसिन कहा है?” उसने कसमसा कर कहा मैने उसे वाश्बेसिन दिखाया, वह भागते हुई गयी और थोड़ी ही देर में आवाज़ आने लगी”वॅक वॅक,,आक थू” 
[+] 1 user Likes usaiha2's post
Like Reply
Do not mention / post any under age /rape content. If found Please use REPORT button.
वह बाहर आई तो अपना मुँह पोछने लगी
 
“अरे वह तो मेरी कल की पहनी हुई अंडरवेर है” मैने कहा
 
उसने घबरा कर कपड़ा फेंक दिया”
 
हा हा हा, मैं तो मज़ाक कर रहा था”मैने हंसते हुए कहा
 
“तुम बहुत घिनौने हो, मेरी चूत का रस चाट गये, शर्म नहीं आती” वह दौड़ कर मेरे गले लग गयी और मुझे बिस्तर पर गिरा दिया
 
“तुम बहुत रसीली हो शिखा, मेरा बस चले तो तुम्हारी चूत को लॉलीपोप की तरह चौबीसों घंटे चूसा करूँ”उसको चूमते हुए मैने कहा


“लॉली पॉप तो तुम अपने दो पैरों के बीच लिए घूमते हो अमन”शिखा अपने हाथों से मेरे अंडकोष सहलाते बोली
 
“अच्छा मेरी गोटीयाँ तुम्हें इतनी मीठी लगती हैं?” मैने उसका हाथ पकड़ते कहा वह घुटनों के बल बैठ गयी और कहा
 
“अरे रसगुल्ले, गुलाब जामुन की मिठास एक तरफ और तुम्हारी गोटीयों की मिठास एक तरफ”
 
“अच्छा एक कम करो अपनी बटलियों नीचे करों, मैं उसकी गॅप में अपना लंड रखूँगा”मैने कहा
 
“हाँ चलो बड़ा मज़ा आएगा”वह उठी और अपने बाल बाँध लिए फिर ज़रा नीचे की ओर सरक कर मेरे लंड को अपने बूब्स की गॅप में भर लिया”चलो अब शुरू हो जाओ”उसने हुक्म दिया
 
मैं पीठ के बल बिस्तर पर लेटा था और वह मेरे उपर औंधे मुँह लेट कर मेरे लॉड को अपनी मलाईदर और रसीले बूब्स के बीच दबाए जा रही थी.
 
मैने अपनी कमर थोड़ा उपर उठाई और मेरा लंड उसकी गॅप से निकल कर उसके मुँह तक पंहुचा, अब अंडकोष उसके गॅप में थे, मैने उसे उत्तेजित करने के लिए उसके निप्पल्स पर चुटकी काटी
 
“आह अमन नहीं” शिखा कराह उठी.


“क्यूँ मेरे आपके निपल्स पर चिकोटी काटने में आपको क्या आपत्ति है?” मैने उसका मज़ाक उड़ाते कहा

 
“प्राण नाथ, अब संभोग का आनंद उठाते मेरे शरीर के साथ यूँ खिलवाड़ करें और मैं वेदना भोगती रहूं?” उसने वैसे ही शुध हिन्दी में जवाब दिया
 
“क्यों? तुम्हे कौन कम्बख़्त आनंद लेने से रोकता है, तुम भी आनंद लो” उसके बूब्स को मैने हाथों से मसल्ते कहा
 
“आप जब मेरे शरीर को ज़ोरो से दबाएँगे तो मुझे आनंद की अनुभूति कैसे होगी?” उसने अपने बूब्स छुड़ाने की कोशिश करते कहा
 
“तुम्हारी कोशिश व्यर्थ है शिखा” मैने दाएँ हाथ से बूब्स दबाए और बाँया हाथ उसकी योनि चौड़ी कर उसके होठों को अपने दाँतों से काट खाया
 
“उफ्फ आपने तो तीन जगह मोर्चा खोल दिया” शिखा मेरी बाहों में कसमसाते बोली
 
“प्रतिरोध ना करो शिखा, आनंद लो” मैने उसको चूमते कहा
 
“प्रतिरोध के बिना आनंद कैसा?” उसने कहा
 
“चुप, सेक्स करते बोला नही करते” मैने उसके होंठ चूमते कहा
 
“कौन कहता है?” उसने मुझे चूम कर मेरा चेहरा दोनो हाथों से पकड़ते बोला
 
“कामसूत्र में लिखा है” मैने कहा और उसको दोबारा चूम लिया
 
“उफ्फ अमन” उसने दोबारा मेरा चेहरा अपनी हथेलियों में पकड़ कर कहा”मैं तुमसे कुछ पूछ रही हूँ”
 
“अच्छा?” मैने कहा और दोबारा उसके होंठों को चूम लिया
 
“आहह अमन नहीं” उसने दोबारा मेरा चेहरा उपर उठा कर कहा”पहले मेरे सवाल का जवाब दो”
 
“पूछो” मैने उसकी ओर देखते कहा,
 
वह गंभीर हो कर मुझे देखते हुए बोली”तुमने कामसूत्र कहाँ पढ़ी मुझे भी पढ़नी है”
 
“क्यों? क्या करोगी जान कर? क्या सब सेक्स पोज़िशन्स अपने पति के साथ ट्राइ करोगी?” मैने उसे छेड़ते कहा
 
“हाँ” उसने मुस्कुराते कहा
 
“ठीक है लेकिन उसकी प्रॅक्टीस मेरे साथ करनी होगी” कहते हुए मैने उस पर किसेस की बौछार कर दी
 
बड़ी मुश्किल से उसने मुझे अपने आप से अलग किया और कहा”तो अब क्या कर रही हूँ” और पलटकर उसने अपना मुँह तकिये के नीचे छुपा लिया, उसके ऐसा करने से उसके कूल्हे उभर आए,
 
मैने उसके कूल्हे पर प्यार से हाथ फेरते कहा”शिखा जानेमन तुम्हारे कूल्हे कितने उठावदार हैं” मैने उसकी तारीफ करते कहा”ऐसा लगता है जैसे नदी के किनारे सफेद रेत के टीले बने हों” मैने उसके कुल्हों पर हाथ फेरते कहा
 
“और करो, गुदगुदी होती है” उसने अपना सिर तकिये के नीचे दबाए कहा
 
“क्या मुलायम गांड है तुम्हारी शिखा” मैने कहा और वह हंस दी,
 
मैने कुछ सोचा और उसको पूछा”वैसे शिखा?”
 
“हां?” उसने कहा
 
“तुम जब अपने बालों की चोटी बनाती हो तो वो तुम्हारे कुल्हों के नीचे तक पंहूचती होगी ना?” मैने उसकी गांड की दरार में उंगली डालते हुए पूछा
 
“हां, मेरे बाल बहुत लंबे हैं, हर हफ्ते शिककाई से इन्हे धोती हूँ और महँगा वाला आमला तेल लगती हूँ” उसने गर्व से कहा
 
“वाकई, तुम्हारे बाल बहुत अच्छे हैं” कहते हुए मैने उसके बाल हाथों में ले कर सूँघे
 
“अमन?” उसने पूछा
 
“हाँ?”
 
“तुम भी अपनी झाट् में तेल लगाओ न”
 
“क्यों?” मैने हैरत से पूछा
 
“मुझे तुम्हारी झाट के मोटे बाल बहुत पसंद हैं”उसने कहा और मेरी झाट के बाल पकड़ कर जोरों से खींचे
 
मेरी दर्द से कराह निकल पड़ी
 
“अमन” उसने पूछा
 
'हां” मैने कहा
 
“तुम्हे मेरे लंबे बाल इतने अच्छे लगते हैं” उसने अपने बालों को हाथों में ले कर कहा
 
“हां बहुत” मैने उसको दोबारा चूम लिया
 
“मेरी सासू माँ को भी मेरे बाल बहुत पसंद थे?” उसने दूर कहीं देखते कहा
 
“अब तुम्हारी सास कहाँ टपक पड़ी बीच में?” मैने झुनझूला कर कहा
 
“मेरी सास ने ही मुझे राजन के लिए पसंद किया था” उसने जवाब देते कहा”और उन्होने ही मुझे बालों की ग्रोथ के लिए आमला तेल लगाने को कहा था”
 
“अगर तुम्हारी सास तुम्हे मुझ से चुद्ते हुए देख ले तो?” मैने उसको छेड़ते हुए पूछा
 
“तो वो हार्ट अटॅक से ही उपर पंहुच जाएगी” कहते कहते हुए हंस पड़ी
 
“वाउ, मेरा तो मन करता है की तुम्हारी कुल्हों पर लटकती चोटी की गाँठ में अपना लंड डाल दूं, और तुम्हे तुम्हारी सासू माँ के सामने पटक पटक कर तुम्हारे साथ सेक्स करूँ” मैने उसको अपनी बाहों में जाकड़ लिया और अपना लंड उसकी गांड की दरार में फँसा लिया
 
वह ज़ोर ज़ोर से हँसने लगी”ओह अमन तुम तो मुझे हंसा हंसा कर ही मार डालोगे”
यह सुन कर मैने उसकी गांड में उंगली घुमाना शुरू कर दी
 
“छी छी कितने गंदे हो तुम” उसने मेरा हाथ पकड़ते कहा
 
“तुम से थोडा कम” मैने उसको चिढ़ाते हुए कहा
 
“मैं तुमसे ज़यादा गंदी हूँ वो कैसे?” उसने आँखें चौड़ी करते कहा
 
“गैर मर्द से जो चुद्ति हो” मैने कहा
 
“तुम भी तो दूसरों की बीवियों को चोद्ते हो” उसने मुझे उंगली दिखाते कहा
 
“मैं तो कुँवारा हूँ, कुंवारे लड़कों को यह सब करने की छूट रहती है” कहते हुए मैने उसके दोनो पैर उपर उठा दिए
 
[+] 1 user Likes usaiha2's post
Like Reply
 “कुँवारी तो मेरी गांड भी है” उसने कहा
 
“तो चोद दूं इसे?” मैने पूछा वह कुछ ना बोली, वापस अपने चेहरे पर तकिया रख लिया और हँसने लगी
 
“वॅसलीन है?” उसने चुप्पी तोड़ते हुए कहा
 
“नही अमृतंज़न है, चलेगा तुमको?”
 
“ना बाबा ना” उसने जीभ दाँत तले दबाते कहा”मेरी पोन्द जल जाएगी”
 
“क्यों गांड भी मरवानी है और जलवानी नही है?” मैने कहा”मेरा लंड भी तो जलेगा?”
 
'नहीं मेरी गीली गांड उसको जलने नही देगी” उसने कहा
 
“नहीं” मैने कहा
 
“हां मेरी गांड अगर मारनी है तो मेरी यही शर्त है” वह तुनक कर बोली”वॅसलीन ले आओ और मेरी पोन्द जी भर कर मार लो”
 
मैने ड्रावर खोला और हंस दिया .
 
मेरा हाथ उसने पकड़ लिया”क्या हुआ?” मैने पूछा
 
“वॅसलीन मत लगाओ, मैं कुछ जुगाड़ करती हूँ”उसने अपने बाल बाँधते हुए कहा
 
“जुगाड़?” मैने चौंक कर कहा”कैसा जुगाड़?”
 
“अरे बाबा तुम सवाल बहुत पूछते हो” उसने मुँह बना कर कहा
 
“मैं भी तो जानूं तुम चुदाई में कौन सा जुगाड़ लगाती हो” मैने कहा
 
“अरे बाबा कभी तो मुँह बंद रखा करो” उसने हाथ जोड़ कर कहा”और यहाँ मेरी तरफ मुँह करो”
 
मैने पलट कर उसकी ओर देखा
 
उसने अपने दाएँ हाथ में मेरा लंड पकड़ लिया
 
मैने कहा”शिखा अब तुम्हें यह क्या सूझी?”
 
“तुम बस देखते जाओ” उसने तुनक कर कहा और मेरा पाँच इंची लंड मुँह मे भर लिया
 
“देखो दाँत मत गाड़ना” मैने उसे आगाह करते कहा
 
“उन्हुन्न्न” उसने मुँह में लंड भरते ही गर्दन को झटका दिया
 
मैने उसके बाल हाथों में पकड़ लिए और उसके मुँह में जोरों से धक्का दिया, मेरा लंड का सिरा उसके तालू से टकराया”आहह शिखा”मैने उत्तेजना से आँखें बंद कर लीं,
 
उसने मेरे लंड के सिरे पर अपनी जीभ का सिरा टीकाया और अंदर बाहर करने लगी,
 
मेरा लंड किसी फूल की भाँति खिलने लगा,
 
दो मिनट में ही लंड के सिरे की चमड़ी उलट गयी
 
“ख़ौं ख़ौं”शिखा अचानक खांसने लगी,
 
मैने अपना लंड उसके मुँह से निकाल लिया, लेकिन मुझे अपने लंड पर काफ़ी हल्की सी ठंडी जलन महसूस हुई, ऐसा लगा लंड पर किसी ने बाम लगा दिया हो.
 
“आक थू” शिखा ने बलगाम वॉश बेसिन में थूकी,
 
मैने उसको देखा उसकी लंबी लंबी साँसे चल रहीं थी,
 
इधर मेरा लंड फूल कर कुप्पा हो गया था
 
“कैसे लगा मेरा लंड चूसना?” उसने आँखें घुमा कर मुझसे पूछा”मज़ा आया?”
 
“बहुत” मैने जवाब दिया.
 
“तो देर किस बात की?” उसने पूछा”अब तुम्हारा लंड मेरी पोन्द मारने को एकदम तैयार है”
 
“ठहरो” मैने कहा
 
“क्या हुआ?” उसने पूछा
 
“मेरा लंड तुम्हारे चूसने से ऐंठ गया है, ज़रा ठंडे पानी का फव्वारा मार लूँ”मैने बाथरूम की तरफ जाते कहा
 
“अरे नहीं उसने एंठा ही रहने दो, गांड में आसानी से जाएगा” शिखा ने मना किया
 
“नहीं कहीं फ्रॅक्चर हो गया तो?” मैने कहा
 
“पागल, शिश्न में हड्डी नहीं होती तो फ्रॅक्चर कैसे होगा?” उसने कहा
 
“ये शिश्न क्या है शिखा?” मैने पूछा”जीभ को संस्कृत में शिशिन कहते हैं?”
 
“तुम्हारा लंड”उसने गुस्से से देखते हुए कहा
 
“मेरा लंड तो फूल कर कुकुरमुत्ते की तरह हो गया है, तुम्हारी गांड में डालूँगा तो तुम्हें दर्द होगा” मैने प्रतिवाद करते कहा
 
“हूँह” उसने मुँह बनाया”और डालो ठंडा पानी अपने लंड पर, फिर तो मुरझा ही जाएगा”
 
“नहीं, दरअसल मेरे लंड की चमड़ी जो पलट गयी है वहाँ हवा लगने से मुझे हल्की जलन हो रही है” मैने सच कह दिया
 
“यह कहों की तुम्हारी फट रही है” उसने मेरा मज़ाक उड़ाते कहा
 
“कमाल है, गांड तो तुम्हारी मारी जानी है और मेरी फटेगी क्यों?” मैने कहा
 
“अहहाहा” उसने हाथ नचा कर कहा”बड़े आए मेरी गांड मारने वाले, मेरी कड़क कुँवारी गांड को तुम्हारा लंड भेद न पाएगा”
 
“देखते हैं” मैने कहा
 
“तुम तो बस दिखाते ही रहो, करो कुछ नहीं”शिखा ने तुनक कर कहा
 
“तुम जब अपनी गांड फैलाओगी तब न तुम्हारी गांड मारूँगा” मैने समझा कर कहा
 
“पेच कसने के लिए पेचकस को गड्ढे में घुसा कर कसना पड़ता है, न की गड्ढे को चौड़ा करना पड़ता है” उसने मुँह बनाते कहा
 
“इस तकनीकी ज्ञान के लिए शुक्रिया, वैसे ये लंड है मेरा लंड कोई पेचकस नहीं है और न तुम्हारी गांड की गहराई इतनी है कि मुझे पेच कस लाना पड़ जाए, इसके लिए तो मेरी उंगलियाँ ही काफ़ी है” मैने उसकी गांड में उंगलियाँ घुसा दी
 
“अमन” उसने कहा”बात मेरी गांड मारने की हुई थी, गांड टटोलने की नहीं” शिखा बोली
 
“क्या फ़र्क पड़ता है?” मैने लापरवाही से कहा
 
“फ़र्क पड़ता है” उसने समझाते कहा”मेरा पेट खराब है”
 
“क्या?” मैने घबरा कर उंगलियाँ निकाल ली और हाथ धोने चला गया
 
“देखो तुम डर गये अमन” शिखा खिलखिला कर हंस पड़ी

[+] 1 user Likes usaiha2's post
Like Reply
“बात डरने की नहीं है, पूरा मूड बिगड़ सकता है” मैने उसे दबोच कर कहा
 
“तुम्हारा मूड तो बार बार बदलता है” शिखा पलट कर बोली
 
“बताने के लिए थॅंक्स, अब तुम जल्दी अपनी गांड फैलाओ वरना मेरा मूड बदल जाएगा, मैने उसको बाएँ हाथ से पेट के बल लिटाते कहा
 
“अरे ज़रा धीरे, तुम्हारी उंगलियाँ चुभती हैं” उसने अपनी कमर से मेरे हाथों को अलग करते कहा
 
“अभी इसकी आदत डाल लो शिखा, अभी तो उंगलियाँ चुभती हैं तो इतना नखरा कर रही हो जब मेरा सोटा अंदर जाएगा तो क्या करोगी?”मैने अपने लंड पर तेल लगाते कहा|
 
“क्या करूँगी माने?” शिखा ने पेट के बल लेटे लेते अपनी टाँगें हवा में चलाना शुरू कर दिया और मुझसे पूछा”लड़कियाँ आम तौर पर एनल सेक्स के दौरान क्या करतीं हैं?”
 
मैने उसकी टाँगें पकड़ते कहा”मुझे क्या पता? मैने ब्लू फिल्म में तो उनको चीखते चिल्लाते देखा है और तुम क्या करोगी यह तुम जानो”
 
“है न?” शिखा ने गर्दन मोड़ कर कहा”फिर इतना सोच क्या रहे हो? गांड में अपना लौडा डालो”
 
“तुम अपनी टाँगें हवा में चलाना तो बंद करो, तुम्हारी गांड तक कैसे पंहुचु?” मैने कहा
 
“यह तुम जानो” उसने भाव खाते कहा
 
“देखो नखरा मत दिखाओ” मैने उसे चेताया
 
“दिखाऊँगी” उसने बेफ़िक्र हो कर कहा
 
मुझे गुस्सा आ गया”मैं तुम्हारा पति नहीं जो तुम्हारा नखरा बर्दाश्त करूँ”
 
“तो?” उसने भौहें उचका कर कहा
 
“तो यह लो” कह कर मैने उसे दोबारा पलटा और अपना लंड उसकी गांड की दरार में डाल में पूरी ताक़त के संग ठेल दिया|
 
“आईईईईई अमन, उफ़ नहीं” वह दर्द से चीखी
 
“क्यों अब मज़ाक नहीं सूझ रहा तुम्हें?” मैने उसके बालों को खींचते कहा
 
“नही” उसने दर्द में किसी तरह जबाद दिया”
 
मैने पहले ही कहा था कि जब महारानी को मेरी नुकीली उंगलियाँ कमर में चुभती है तो गांड में लौडा कैसे लेंगी” मैने उसका मज़ाक उड़ाते कहा|
 
“आहह...तुम्हारा लौडा प्रेशर कुकर के हॅंडल की तरह चौड़ा है अमन आहह” वह दर्द से कराहती बोली
 
“ये लो प्रेशर कुकर का ढक्कन लगाता हूँ”कहते हुए मैने उसको पहला धक्का मारा
 
“आईईईईईईईई” वह चीख पड़ी, मेरा लौडा सचमुच उसकी गांड में गहरे तक धँस कर गड़ गया उसकी कोमल मुलायम कुंवारे गड्ढे की छुअन से मेरा लौडा कुकुरमुत्तेकी भाँति उसकी गांड में खिलने लगा
 
ज्यों ज्यों मेरा लंड उसकी गाँड़ में फैलता त्यों त्यों वह दर्द से दोहरी हो कर चिल्लाति”आहह अमन बस करो प्लीज़” शिखा ने तकिये के कवर को अपने हाथों से मसल्ते कहा
 
“सॉरी शिखा” मैने कहा”तुम्हें थोड़ा दर्द सहना होगा, मुझे अब मज़ा आ रहा है” मैने बेफ़िक्र हो कर कहा
 
“अरे तुम्हारे मज़े के चक्कर में मेरी गांड फट जाएगी” उसने कहा
 
“फटने दो, सुई धागे से सील लेना”मैने उसका मज़ाक उड़ाते कहा
 
 
“तुम ऐसे नहीं मनोगे”कहते हुए उसने एकदम से पलटी मारी,
 
कमरे में जैसे भूकंप आ गया मेरी आँखों के सामने एकदम से अंधेरा छा गया और लंड में तेज दर्द सा उठा.


“अमन”शिखा अपनी गर्दन को झटका देते बोली,

 
मेरा लंड अभी भी पूरी ताक़त से उसकी गांड की गहराइयाँ नाप रहा था
 
“हूँ?” मुझे उसका यूँ चुद्ते हुए बात करना पसंद न आया|
 
गर्दन को झटका देते ही उसके खुले बाल चेहरे पर आ गये थे, मैं शिखा को चोद्ते वक्त उसके काले लंबे बालों को हाथों में थाम कर जी भर उनकी महक सूँघा करता था और उसने अपने बालों को जब झटका दिया तो वह रेशमी बाल मेरे हाथों से छूट कर उसके चेहरे पर लहराने लगे|
 
शिखा ही नहीं जितनी भी सुंदर लड़कियों या कहूँ स्त्रियों को मैने चोदा है, मुझे उनके काले लंबे घने बालों ने उनकी ओर आकर्षित किया है, किसी ने सच ही कहा है पारंपरिक साड़ी में भारतीय नारी जितनी आकर्षक लगती है उतनी और किसी में नहीं|
 
खैर कहानी पर आते हैं, शिखा के बालों से उठती महक मुझे मदहोश कर देती थी जिससे मैं और उत्तेजित हो जाता था और मेरा लंड फूल जाता था, लेकिन वह बार बार अपने बाल मुझसे छुड़ा रही थी, वह अपने बलों का खास ख्याल रखती थी और मैं चाहे उसके पूरे नंगे बदन पर हाथ फेर लूँ लेकिन उसे मेरा उसके बालों को पकड़ना और सूंघना गंवारा नहीं था और मेरा मूड तो उसके बालों की खुश्बू लिए बगैर बनता नहीं था,
 
वह इससे गुस्सा हो जाती तो मेरा लंड पकड़ कर मरोड़ देती. इस बार भी जब मैने उसके बालों की सुगंध लेने के लिए अपनी नाक उसके सिर से टकराई तो वह भड़क ही गयी, फ़ौरन अपने घुटनों से उठते हुए बोली”अमन कितनी बार कहा है मुझे तुम्हारा यूँ सूंघना पसंद नहीं?”
 
उसके यूँ एकदम झटके से उठने से मेरा नाज़ुक लंड उसकी गांड की दीवारों से टकरा गया, मुझे संभलने तक का मौका न मिला| और लंड में दर्द की टीस सी उठी और मैं कराह उठा”आहह शिखा” दर्द की लहर मेरे लंड से होती हुई सीधे दिमाग़ में पंहुची .नाख़ून के इर्द गिर्द की चमड़ी छीलने और उस पर ठंडा पानी पड़ने से कैसी जलन होती है? वैसी ही तेज जलन इस वक्त मेरे लंड पर हो रही थी जो बर्दाश्त से बाहर थी
 
“अमन” शिखा बड़े प्यार से बोली”अब फील हुआ? मुझे भी ऐसी ही झुन्झुलाहट होती है”“हा हा हा” वह मेरी फ़ज़ीहत पर बड़ी बेशर्मी से हँसने लगी
 
“क्या चूतियापा मचा रखा है तुमने शिखा?” मैने थोडा गुस्से से कहा, एक तो लंड की तेज़ जलन से बुरा हाल था दूसरे वह मुझे उसके बालों की खुश्बू लेने नहीं दे रही थी जिससे मैं सेक्स में इंटेरेस्ट खो रहा था और मेरा लंड की चमड़ी हवा निकले हुए गुब्बारे जैसी ढीली पड़ रही थी, उसकी चूत से तो धाराएँ निकल रहीं थी जो मेरे लंड की खुली हुई चमड़ी को और जला रही थी|
 
शिखा की रसीली चूत का पानी मानों गंधक का तेज़ाब लग रहा था, जब लंड की चमड़ी से छूता, लगता था लंड को गर्म तेल के कड़ाहे में डाला हो. अब तो मेरा दिमाग़ खराब हो गया था
 
 
“शिखा चुद्ना है या नहीं सीधी तरह बताओ” मैने उसको सुनाते हुए कहा”मज़ाक करना है राजन के साथ करो, मैं तुम्हारा पति नहीं हूँ” मैने गुस्से से कहा
 
 
“आहाहाहा अमन”उसने अपना चूड़ियों से भरा हाथ नचा कर कहा मैं तुम्हारे घर में आ कर तुम्हारे बिस्तर पर यूँ नंगी लेटी हुई हूँ, तुम जैसे गैर मर्द से अपनी गांड मरवा रहीं हूँ, क्या ये सुनने के लिए कि मेरा चुदने का मूड नहीं है”
 
 
“और क्या? तुम बार बार अपने बालों को झटका क्यों दे रही हो” मैने कहा
 
“मुझे तुम्हारा मेरे बालों को सूंघना पसंद नहीं आता”“क्यों? इससे मेरा मूड बनता है”
 
“मूड बनाने के और तरीके हैं” शिखा समझाते बोली
 
“वह क्या?” मैने पूछा
 
“मेरी चूत को प्यार से चाट कर, मेरे मम्मों को दबाओ उन्हें मस्लो और मेरी गांड को प्यार से सहलाओ, लेकिन तुम? तुम ऐसा कुछ भी नहीं करते” शिखा ने मुझसे शिकायत करते कहा

“तुम अपना मूड बनाने की बात कह रही हो और तो तुम मेरा मूड बिगाड़ रही हो” मैने गुस्से से कहा

 
“अच्छा बाबा मेरी ग़लती” उसने मेरे सामने हाथ जोड़ कर कहा सोचिए उस दृश्य को अपनी आँखों के सामने लाइए, आपकी स्वप्न सुंदरी अर्धनग्न हो कर अपने अस्त व्यस्त बालों को ले कर आपके सामने हाथ जोड़ कर आपसे संभोग करने की विनती करे तो आप क्या करेंगे?
 
उसके आपस में जुड़े हुए हाथों को अपने हाथों से पकड़ते हुए मैने उसकी ओर देखा, वह अपनी लाल मुलायम पतली से जीभ दांतो के बीच अपने सुर्ख गुलाबी होठों से दबाए मुस्कुरा रही थी, साफ था की वह नखरा कर रही थी|
 
“अब मान भी जाओ ना” उसने मुझे मनाते हुए कहा”ऐसे नही पहले अपने कान पॅक्डो और 10 उठक बैठक लगाओ” मैने कहा उसने अपने कान पकड़े और उठक बैठक लगाने लगी,
 
मैने उसे बाहों में भर लिया और बेतहाशा चूमने लगा.
 
 
##
[+] 1 user Likes usaiha2's post
Like Reply
 
शिखा के साथ गुज़रे गये वह हसीन पल याद कर मैं मुस्कुरा दिया. ऐसे तो मैने कयी लड़कियों के साथ सेक्स किया था कई बार बात तो अबॉर्षन तक आ पंहुचि थी लेकिन उन लड़कियों के साथ इन्वॉल्व्मेंट नही थी केवल जिस्म की प्यास बुझाने से मतलब था.
 
शिखा किसी की पत्नी थी और थोड़े पुराने ख़यालात की थी जो बाकी लड़कियों से अलग थी. बाकी लड़कियाँ सेक्स को लेकर ज़्यादा सीरीयस नहीं थी उन्हे मिलने वेल गिफ्ट्स में ज़्यादा दिलचस्पी थी, जबकि शिखा का स्टॅंड शुरू से ही क्लियर था, उसका पति राजन बाप नही बन सकता था और मैं उसकी खूबसूरती पर रीझा हुआ था. लिहाज़ा हम मे सहमति बन गयी थी मैं उसके साथ सेक्स करता और वह भी मुझसे प्रेग्नेंट होना चाहती थी, उसके मा बनने तक मैं उसके साथ उसकी सहमति से जी भर के सेक्स कर सकता था और इसके बाद वह अपने पति के साथ एक आम ज़िंदगी गुज़ारना चाहती थी.
 
 
##
 
 
गाड़ी एरपोर्ट के पास पंहुच गयी थी की झटके से ब्रेक लगा|
 
मैने ड्राइवर से पूछा”क्या हुआ ड्राइवर साहब?”
 
“कुछ नही जी सेक्यूरिटी चेक है” ड्राइवर ने जवाब दिया.
 
तभी मेरे सेल पर शिखा का फोटो फ्लॅश हुआ, वो मुझे कॉल कर रही थी.
 
मैने फोन रिसीव किया”हां शिखा बोलो”
 
“बधाई हो तुम बाप बनने वाले हो” शिखा ने मुझे खबर सुनाते कहा
 
“क्या?” मैने हैरत से पूछा
 
“हां, मेरी प्रेग्नेन्सी के रिपोर्ट्स आ गये हैं” उसने मुझे बताया”और वह पॉज़िटिव हैं” वह हंस कर बोली
 
“तो इसका मतलब?...” मैने उस से कुछ कहना चाहा
 
“हां अमन तुम मेरा मतलब ठीक समझ रहे हो वादे के मुताबिक अब हम आज के बाद नही मिल पाएँगे”
 
“अच्छा” मैने कुछ सोचते कहा
 
“लेकिन फोन रखने से पहले मैं कुछ बताना चाहूँगी” उसने मेरे मन की बात ताड़ते हुए कहा
 
“वह क्या?” मैने पूछा
 
“आई लव यू अमन, तुमने मुझे ज़िंदगी की सबसे बड़ी खुशी दी” उसने कहा”मैं तुम्हारा अहसान कभी भूल नहीं पाऊँगी, थॅंक्स
 
“मेरे मन के किसी कोने में कहीं शिखा के लिए खुशी थी, लेकिन दूसरी ओर दुख भी था... शिखा के साथ वह मेरी आख़िरी मुलाकात थी.



===समाप्त==
 


  Heart
[+] 1 user Likes usaiha2's post
Like Reply
[Image: 20210710-192453.jpg]
[Image: 20210710-192400.jpg]
[Image: 20210710-192257.jpg]
[+] 1 user Likes usaiha2's post
Like Reply
Heart 
शिखा
[Image: 201447307-504187330798316-4380304874498636549-n.jpg]
[Image: 202724687-842038719852042-2134433371102290282-n.jpg]
[Image: 205526616-347776833626401-2242741218532855265-n.jpg]
[Image: 205631685-358591289027493-8566009610709134948-n.jpg]
[Image: 201226607-901026737143599-2998755472074389419-n.jpg]
[Image: 202862480-929541780923897-6542110617799429304-n.jpg]
[+] 1 user Likes usaiha2's post
Like Reply
Heart 
आरती

ये कहानी शुरू होती है कोलकाता के मिस्टर सुनील गुलाटी के परिवार से जिसमे खुद सुनील, उसकी पत्नी स्वाति गुलाटी और उसका छोटा भाई विवेक गुलाटी रहता है।

सुनील के माता पिता एक सड़क हादसे में गुज़र चुके है। तब से विवेक को उन्होंने ही ने सगा बेटा मानकर पाला पोसा है। विवेक भी भाई भाभी की पूरी इज़्ज़त करता है और उनको माता पिता के समान ही समझता है।

उनका “गुलाटी गारमेंट्स” के नाम से बहुत बड़े बड़े शेहरो में कपड़ा जाता है। अब विवेक की पढ़ाई पूरी हो चुकी है और अपने भाई के आफ़ीस का काम सम्भालने लगा है। जबके सुनील बाहर का काम काज सम्भालता है। एक दिन उनके आफिस में एक लड़की आरती काम मांगने आती है। आफिस में विवेक बॉस है।

आरती – मे आई कमीनग सर ?

विवेक – (किसी फ़ाइल में उलझे हुए ही)– यस कमिन् ।

(आरती आकर सामने खड़ी हो जाती है पर विवेक का ध्यान अब भी फ़ाइल में है)

आरती आते ही नमस्ते बुलाती है और विवेक बिन उसकी तरफ देखे नमस्ते कबूल भी कर लेता है।

विवेक – हांजी कहिये क्या काम है आपको ?

आरती – सर मैं आरती चौहान फ्रॉम न्यू डेल्ही और मुझे पता चला है के आपके आफिस में एक क्लर्क की सीट खाली पड़ी है। उसी सिलसिले में ही आपसे मिलने आई हूँ।

अब विवेक का ध्यान उसकी तरफ गया तो उसे देखता ही रह गया, क्या गज़ब की खुबसुरत बला थी। गुलाबी कमीज़ सलवार, खुले बाल, 5 फ़ीट लंबाई, दूध जेसी गोरी चमड़ी, चेहरे पे चशमा, कलाई पे A अक्षर का ब्रेसलेट डाले खड़ी थी।

अब फ़ाइल को साइड पे रखते हुए विवेक ने उसे बैठने जो कहा।
और रिंग बजाकर पियन् को पानी लेकर आने का बोला।

आरती – थैंक यू सर।

विवेक – हांजी क्या नाम है आपका ?

आरती – जी आरती चौहान ।

विवेक – क्या क्वालिफिकेशन है आपकी ?

आरती – जी एम् फिल किया है और कम्प्यूटर का हार्डवेयर डिज़ाइनिंग का 3 साल का कोर्स भी किया है यह लीजिये मेरा बायोडाटा (अपनी फ़ाइल पकडाते हुए)

विवेक – (लगभग सारी फ़ाइल देखते हुए)

गुड़, देखो आरती हमे क्लर्क की तो जरूरत है लेकिन सिर्फ लोकल वाले को ही पहल देते है। आप रोज़ाना अप डाउन कैसे करोगे देल्ही से कोलकत्ता?

अभी हमारा इस शहर में काम भी नया है आपको फ्लैट की सुविधा भी नही दे सकते। आप हमारी सभी शर्तों को पूरा करते हो सिर्फ लोकल वाली छोड़कर।

देखलो आगे आपकी मर्ज़ी है।

आरती – सर उसकी चिंता आप न करो, वो मेरी सरदर्दी है। वेसे भी कई महीनो से इसी शहर में रह रही हूँ। आपको जो परीक्षा लेनी है लेलो पर मुझे यह जॉब बहुत जरूरी चाहिये।

विवेक – हम्मम… ठीक है तो आओ मेरे साथ आपको आपका कॅबिन दिखा दू और वही आपकी परीक्षा भी हो जायेगी।

दोनो दफ्तर के साथ वाले हॉल में से होते हुए एक कॅबिन में पहुंचते है

विवेक – यह है आपका कॅबिन

आज से आपको यही काम करना है। उस से पहले आपको कुछ फाइल्स और कम्प्यूटर फाइल्स के बारे में आपके सीनियर मैडम मीनाक्षी आपको सारी जानकारी दे देंगे।

विवेक (मीनाक्षी मैडम से) — मैडम ये हमारी नयी स्टाफ मेंबर मिस आरती चौहान है । आज से यह आपके अंडर काम करेगी। इनको सारा काम काज समझा दो।

मीनाक्षी – ठीक है सर ।

अब मिनाक्षी और आरती अपने काम काज में लग गए।

(फेर बाद में आरती विवेक के कॅबिन में जब गयी तो)

विवेक – देखो आरती एक हफ्ता आप ट्रेनिंग पे हो इसका आपको कुछ नही मिलेगा। बल्कि आपमें जो भी काबलियत या कमी हुई वो सामने आ जायेगी।

आरती – ठीक है सर जी। मुझे मंजूर है।

एक महीने बाद ही आरती अपनी काबलियत और हसमुख स्वभाव के बलबूते सारे आफिस स्टाफ की चहेती बन गयी ओर सारा काम अपने कन्धों पे उठा लिया। जिस दिन से गुलाटी गारमेंट्स में आरती आई है कामकाज भी बहुत फ्लाफूला है। 6 महीने बाद ही बॉस ने खुश होकर उसकी प्रमोशन कर दी।

एक दिन दफ्तर की छूटी के बाद आरती घर जा ही रही थी। अभी वो बस स्टैंड तक ही गयी थी के अचानक बहुत तेज़ बारिश होने लगी, मौसम खराब की वजह से कोई बस या आटो भी नही आ रहा था। इधर रात भी हो रही थी और बारिश भी अपने पूरे शबाब पे बरस रही थी। इतने में विवेक अपनी गाडी से घर जा रहा था के उसे आरती बस स्टैंड पे खड़ी दिखी। आरती के पास आकर उसने गाड़ी को रोका ओर पूछा, ”कब से यहाँ खड़े हो। आओ तुम्हे घर तक छोड़ दूंगा'” !

आरती – धन्यवाद सर, आप क्यो परेशानी उठाते हो। मैं चली जाउगी बस बारिश रुकने ही वाली है।

विवेक – देखो आरती बारिश का क्या भरोसा कब रुके और ऊपर से रात भी हो रही है कोई साधन भी नही मिलेगा। कब घर पहुँचोगे कब खाना पानी खाओगे कब सुबह तैयार होकर दफ्तर आओगे। सो आपके लिए यही बेहतर है आप मेरे साथ आ जाओ। वैसे भी गाड़ी खाली ही है। आपकी कम्पनी भी मिल जायेगी और घर तक का सफर भी बाते करते निकल जायेगा।

आरती को उसकी बात में दम लगा और खिड़की खोल कर आगे वाली सीट पे बैठ गयी।

अभी थोड़ी दूर ही गए होंगे के उनकी कार रस्ते में बन्द हो गयी। अब दोनों एक दूसरे का मुह देखने लगे। इतने में विवेक कार से निचे उतरा और बोर्नट उठाकर उसकी जांच करने लगा। करीब आधे घण्टे की मेहनत के बाद कार स्टार्ट तो हो गयी पर विवेक बुरी तरह से भीग गया। ऊपर से ठंडी हवा चलने से उसका बुरा हाल हो रहा था। रास्ते में आरती का घर आ गया उसको वहाँ उतारा, जब आगे जाने लगा गाड़ी फेर खराब हो गयी।

आरती – सर इफ यु डोंट माइंड । एक बात बोलू ?

विवेक – हांजी कहिये ?

आरती – सर रात बहुत हो चुकी है। आप यहाँ मेरे घर रुक जाइये। वेसे भी मैं अकेली रहती हूँ। आपकी गाड़ी तो खराब है क्या पता कब घर पुहंचाये आपको। सो बेहतर यही है एक रात मेरे घर रुक जाइये। सुबह चले जाना। तब तक बारिश भी रुक जायेगी और गाड़ी रिपेयर करने वाले भी अपनी गैरज़ो में आ जायेंगे।

विवेक – देखो आरती मैं तुम पर बोझ नही बनना चाहता। भैया भाबी मेरी फ़िक्र कर रहे होंगे। मेने उन्हें फोन पे बताया भी नही है गाड़ी खराब होने का। सो मुझे जाना पड़ेगा।

आरती – वैसे बोस आप हो सर। पर इस वक़्त एक दोस्त के नाते बोल रही हूँ। एक रात रुकने में आपको क्या दिक्कत है। मुझे भी चिंता रहेगे के घर शायद आप पहुंचे या नही ।

(आरती ने अपनापन जताते हुए कहा)

आखिर विवेक मान गया और गाड़ी को दोनों ने धक्का लगाकर गेट के अंदर करके लॉक करके अंदर चले गए।

अब वो दोनों भीग गएे और उनके कपड़े शरीर से चिपक गए थे। जिसकी वजह से उनका शरीर बाहर से ही साफ साफ दिखने लगा था। दोनों ने यह बात नोट करली थी और हल्की सी स्माइल के साथ दोनों एक दूसरे को चिड़ा रहे थे।

पहले आरती भाग कर बाथरूम में गयी और अपने कपड़े बदल कर बाहर आ गयी फेर एक तौलिया विवेक को देते हुए बोला,” सर जी आप भी भीगे कपड़े उतार दो वरना आपको सर्दी लग जायेगी। इस वक़्त जेंट्स के कपड़े तो नही है यहाँ आप यह मेरा पयज़ामा और शर्ट पहन लो और आपके कपड़े मशीन में डालकर धो देती हूँ। जो सुबह तक सुख जायेंगे।

तब तक मैं चाय का प्रबंध करती हूँ।

विवेक ने भी कपड़े बदल लिए और घर पे फोन करके कह दिया के एक दोस्त के घर कार खराब होने की वजह ऐ रुक गया है। दोनों एक सोफे पे बैठ कर चाय का आनंद ले रहे थे। फेर दोनों ने साथ में खाना खाया और अब दिक्कत थी सोने की क्योंके आरती के पास एक ही बेड था और सोने वाले दो जने।

विवेक – ऐसा करो आरती मैं सोफे पे सो जाता हूं। आप अपने बैड पे सो जाना।

आरती – नही सर जी आप छोटे से सोफे पे कैसे सो पाओगे?

विवेक – सोना तो पडेगा ही न और कोई रास्ता भी नही है।

आरती – रास्ता तो है पर अगर आप बुरा न मानो तो ।

विवर्क – हद है यर मेने बुरा क्यू मानना आप बोलो बस ?

आरती – सर जी, एक ही बिस्तर पर सो जाते है मेरी टांगो की तरफ आपका सर होगा और आपकी टांगो की तरफ मेरा सर। एक ही रात की तो बात है सुबह फेर रोज़ाना की तरह हम अपने अपने बिस्तर पे सोयेंगे।

विवेक कुछ देर सीचने के बाद चलो ठीक है जैसी तुम्हारी मर्ज़ी।

आरती ने बिस्तर बिछाया पहले तो बैठकर बाते करते रहे। आज दोनों की एक बिस्तर पे पहली इकठी रात थी। जो शादी बाद ही होनी चाहिए थी। विवेक ने अपने बारे में बताना शुरू किया के कैसे उसके बड़े भाई ने माँ बाप के बाद उसको पाला पोसा है और आज इस मुकाम तक पहुंचा हूँ।

जब आरती से उसका पिछोकड जानना चाहा तो बोली,” क्या करोगे सर जी मेरा अतीत जानकर, एक बदकिस्मत लड़की हूँ। जिसे पहले उसके प्रेमी जिसको अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करती थी उसने धोखे में रखा, साथ जीने मरने की कस्मे खाकर भी अकेला छोड़कर पता नही किधर चला गया।

आज तक न उसका फ़ोन न कोई चिठ्ठी वगैरा मिली है। फेर जब मेरी शादी हुई तो उनसे मेरा दिल नही मिला, क्योंकि उनका किसी और स्त्री के साथ चक्कर था।अकेले ज़िस्म मिलने से क्या होगा? जब दिल ही ना मिले।

एक साल के भीतर ही मेरा उनसे तलाक़ हो गया। घर वालो ने दुबारा शादी करने का सोचा पर मेरा दिल नही माना और मेने नौकरी करने की ठान ली। इस लिए आपके पास उस दिन नौकरी के लिये आई थी।

विवेक – क्या अब आपको उनकी याद नही आती ?

आरती – कैसी बात करते हो साब जी। याद तो मरे इंसानो की भी आती है, वो तो फेर भी ज़िंदा है। कई बार दिल तो मचल जाता है जब किसी नए जोड़े को एक साथ खुश माहौल में देखती हूँ। मन भर भी आता है पर किया भी क्या जाये। इस बात का कोई हल भी नही है।

विवेक – आरती एक बात पूछू यदि बुरा नही मानोगे तो??

आरती – हांजी एक क्यों दस पूछो और आपका बुरा क्यों मानना।

विवेक – मुझसे शादी करोगे ?

विवेक की बात सुनकर आरती सुन सी हो गई। उसे लगा शयद कोई सपना देख रही हूँ। उसने दुबारा पूछा क्या बोला आपने सर।

विवेक – मेने कहा मुझसे शादी करोगे? मेरे दफ्तर के लोगो में तो हरमन प्यारे हो ही आप। अब घर के भी बन जाओ न, वेसे भी मुझे एक न एक दिन शादी तो करनी ही है आपसे ही न करलु। एक तो 24 घण्टे आँखों के सामने रहोगे। दूजा आप करीब एक साल से मेरे साथ काम भी कर रहे हो।

आपसे अच्छी जान पहचान भी बन गयी है। क्या पता मेरे लिए पसन्द की लड़की केसी होगी ? यदि आपकी तरह मेरा भी उनसे दिल न मिला तो मेरा क्या होगा ?

आरती – (आंसू पोंछते हुए ) — सर मेने इतना लम्बा कभी सोचा नही था, बस आपसे मिलना था तो ज़िन्दगी सवरनी थी।

आपका पहले ही बहुत बड़ा एहसान है मुझपे तो जो अपने दफ्तर में नौकरी दे दी, एक और अहसान कैसे चुकाउंगी आपका ?

विवेक – सो सिंपल मेरी आफिस वर्कर से, मेरे घर की और दिल की रानी बनकर।

कुछ समय एक दूसरे को देखने लगे जैसे एक दूसरे की दिल के हाल समझने की कोसिस कर रहे हों फिर अचानक दोनों एक दूसरे को गले लगाकर बेतहाशा चूमने लगे। आरती के तो आंसू ही नही रुक रहे थे। भगवान ने इतनी जल्दी उसकी सुनली, जो उसकी उजाड़ हुई ज़िन्दगी में फिर से हरियाली पनप आई।

बातो बातो में पता नही चला कब 12 बज गए। अब विवेक ने शरारती स्माइल से मूड में कहा क्यों अब भी मेरी तरफ टांगे करके सोओगी ।

आरती – नही जानू जी अब आपकी छाती पे सर रख कर, आपको बाँहो में भरकर चैन की नींद सोउंगी। पर क्या भैया भाभी हमारी शादी के लिए राज़ी हो पाएंगे?

(आरती ने शंका जताते हुए पूछा)

विवेक – उसकी चिंता तुम न करो, उनको पटाना मेरा काम है। मेरी ख़ुशी में ही उनकी ख़ुशी है। सो किसी भी तरह की टेंसन न लो आप बस खुश रहो आज से ज़िन्दगी जो बदल गयी है हम दोनों की।

दोनों फेर एक दूसरे को लिपट कर चूमने चाटने लगे। एक तो सर्दी की रात ऊपर से दो गर्म जवानिया एक ही बिस्तर पे इकठी आपस में सटी हुई। आअह्हह्हह सोचकर ही मज़ा आ जाता है।

विवेक ने आरती को बेड पे लिटाया और खुद ऊपर आकर उसके कोमल होंठो का रसपान करने लगा। आरती भी उसके हर चूम्बन का जवाब दे रही थी। दोनों की आँखे बन्द बस एक दूजे में खोये हुए थे। विवेक अब आरती के कपड़े निकालने लगा। जब आरती बिलकुल नंगी हो गयी तो बोली,”ये तो न इंसाफी है जी, मुझे नंगा करके खुद कपड़ो में रहो आप।

ठहर जाओ आप और विवेक पे झपटी और उसके भी एक एक कपड़े को निकाल दिया। दोनों हस हस के इस खेल का आनद ले रहे थे।
विवेक ने आरती को दुबारा लेटने को बोला तो आरती लेट गयी अब फेर विवेक उसके ऊपर आ गया और होंठो का रसपान करने लगा।
आरती भी अब मज़ा लेने लगी और अपनी बाँहो का हार विवेक के गले में डालकर मस्ती में झूमने लगी।

विवेक अब निचे की और बढता आ रहा था। आरती के सफेद मम्मो पे जैसे ही विवेक के तपते होंठो का स्पर्श हुआ। उसके बदन में मानो बिजलिया दौड़ने लगी। करीब एक साल बाद किसी मर्द ने उसके शरीर को चूमाँ था।

आरती की आँखे बन्द और उसके मुंह से आअह्हह्हह्ह!! सीईईईईई!!! की मिलीजुली कामुक आवाज़े आना शुरु हो गयी थी।

विवेक भी मस्ती में आकर अब उसके बदन को मसलने लगा और उसके सफेद बदन को हल्का हल्का काट कर दांतो के निशान बनाने लगा।
अब और निचे की तरफ आकर उसकी चूत को देखने लगा। चाहे उसके तलाक़ को एक साल के ऊपर हो गया था पर उसने अपने शरीर को फिट बनाके रखा था। उसकी चूत बिलकुल साफ़ जैसे आज ही शेव की गयी हो। विवेक ने आरती की टाँगो में आकर उसकी चूत को जैसे ही चूमा। आरती की आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह निकल गयी। वो विवेक के बालो को अपने हाथो से सहलाने लगी।

अब विवेक तिरछी जीभ करके चूत को चाटने लगा। आरती आँखे बन्द करके मज़े में जैसे हवा में उड़ने लगी और आई लव यु सो मच विवेक, आई लव यु आअह्हह्हह्हह…!!! सीईईईईईइ…!!! की आवाज़ में मौन करने लगी।

करीब 10 मिनट उसकी चूत चाटने के बाद विवेक ने महसूस किया उसके सर पे आरती के हाथो की पकड़ मज़बूत हो रही है और उसका सर उसकी जांघो में भींचा जा रहा है और फेर एक लम्बी आह्ह्ह्ह्ह्ह से उसका सर पकड़ कर चूत पे दबाये रखा।

तलाक के बाद उसका पहला रजस्खलन था । जो के बहुत मज़ेदार साबित हुआ। करीब 3 मिनट तक इसी अवस्था में लेटी रही और झड़ने का मज़ा लेती थी। इधर विवेक भी उसका चूत रस चाट चाट कर उसकी चूत साफ कर रहा था।

थोड़ी देर बाद विवेक ने उसे उठने का कहा और खुद लेट गया अब खेलने की बारी आरती की थी। वो भी विवेक के होंठो को चूमते हुए निचे की और आ रही थी। इधर विवेक आँखे बन्द करके उन पलो को दिल से महसूस कर रहा था के उसे पता ही न चला कब आरती के हाथ में उसका 7 इंच लम्बा 2 इंच मोटा गर्मागर्म लण्ड आ गया। जो के कब से खड़ा होकर किसी सांप की तरह ज़हर उगलने को तयार था।

आरती ने तपते होंठ जब उसके सुपारे पे लगाये तो विवेक की आह्ह्ह्ह्ह्ह निकल गयी। जिस से आरती की हसी निकल गयी और दुबारा फेर अपने काम पे लग गयी। वो कभी आन्ड को होंठो से चुस्ती तो कभी सुपारे को हल्का हल्का काटती। विवेक ने बहुत सी लडकिया पेली थी पर आरती जैसा मज़ा किसी से नही आया।

करीब 10 मिनट की चुसाई के बाद विवेक बोला,” आरती हट जाओ मैं झड़ने वाला हूँ पर आरती न मानी और उसका चेहरा और खुले बाल सब विवेक के वीर्य से सन् गए। आरती ने भी चाट चाट कर उसका लण्ड साफ किया और सुकड़ चुके लण्ड को दुबारा चाटने लगी।

 करीब 5 मिनट बाद फेर घोडा अगली रेस के लिए तैयार हो गया इस बार आरती ने थोडा लण्ड पे थूक लगाकर उसपे अपनी चूत सेट करके बैठ गयी।

करीब एक साल से चुदी न होने की वजह से उसकी चूत थोड़ी टाइट हो चुकी थी। इधर विवेक ने महसूस किया उसका लण्ड किसी तंग मुह वाली पाइप पे से होता हुआ गर्मी में जल रहा है। जब थोडा लण्ड चूत में घुस गया तो ऊपर बैठ कर गांड हिलाने लगी। जिस से विवेक का लण्ड अंदर बाहर होने लगा।

अब दोनों एक दूसरे को लिपटे चुदाई के महासागर में गोते लगा रहे थे। आरती के सफेद मम्मे निचे हिट लगने से हिल रहे थे। विवेक कभी उन्हें मुह में लेता कभी उसके होंटो तो चूमता।

करीब 20 मिनट की इस चुदाई के बाद दोनों इकठे झड़ गए। अब संतुस्ती दोनों से चेहरे पे साफ साफ नज़र आ रही थी और खुश भी लग रहे थे। 

दोनों इसी हाल पे ही लेटे रहे और पता नही चला कब सवेर हो गयी। 

करीब 5 बजे उनकी आँख नींद से खुली। विवेक ने इशारे से पूछा,” क्यों क्या इरादा है?

आरती ने इशारे में ही बोला हो जाये एक और रेस।

दोनों फेर एक नई रेस में भाग लेने लगे। आधे घण्टे तक यह रेस चली और फेर दोनो उठकर साथ ही नहाये और चाय पी। 

बाहर मौसम कुछ ठीक हो गया था। विवेक ने कार को स्टार्ट करने की कोशिश की पर न चली। फेर उसने एक मित्र जो के रिपेयर का काम जानता था उसे फोन करके बुलाया। जो के थोड़े टाइम में ही कार को ठीक कर गया। बाद में आरती से विदा लेकर विवेक अपने घर चला गया।

घर जाकर भाई भाभी से आरती के बारे में बात की, उसकी ख़ुशी के लिए घर वाले भी मान गए और अगले महीने दोनों की शादी हो गयी।

अब उनकी हर रात रंगीन होती है।

समाप्त
[+] 1 user Likes usaiha2's post
Like Reply
Heart 
[Image: E6-Ggph-SUUAYz-DVK.jpg]
Like Reply
Awesome
[+] 1 user Likes dickcassidy's post
Like Reply
Awesome
[+] 1 user Likes dickcassidy's post
Like Reply
Heart 
Thanks for reading this story & liking the thread.

 
I am not the original writer, I collect stories from different internet sites like old EXBII, X-forum, XOSSIP, RSS, ISS, NIFTY, ASSTR, & LITEROTICA.

I just copy and pest them here for my as well as your enjoyment ... all credit goes to the unsung writer's who are the original heroes.

I am always very fond of this kind of slow seductive story. In reality, an indian girl or woman needs time to involved in an affair with a person who is not his husband. 

But whenever it happens the relationship contains romance, emotions, a slight fear of catching, a excitement of hidden meetings with new found lover, courage & sudden boldness to do some naughty and taboo, & of cours  LOVE.

Some times these new lover's are relatives or near dear friends.

Incest between relatives is gave sparkling effect to these relationship. fight

And reading such stories is also raise excitement, a touch of taboo that not everyone do such things and to read such thing gave thrill & the characters remains in memories.

All women are not sex-starved or whore that they can easily be driven by anyone. 

Most of the cases, there is a very particular and valid reason to involve in any illicit relationship. Sometimes they forced by other persons, sometimes they forced by the situation which arises unexpectedly in front of her.

I read a lot of stories which look very unrealistic as in those, a married woman shows like a characterless slut, but the reality is different. 


So, I request to all my fellow authors to write more slow seductive real stories regarding indian girls & women.

Heart 
Like Reply
Heart 
[Image: Screenshot-20210717-011544.jpg]
Like Reply
Heart 
Heart
Like Reply
Thanks for reading this story & liking the thread.

 
I am not the original writer, I collect stories from different internet sites like old EXBII, X-forum, XOSSIP, RSS, ISS, NIFTY, ASSTR, & LITEROTICA.

I just copy and pest them here for my as well as your enjoyment ... all credit goes to the unsung writer's who are the original heroes.

I am always very fond of this kind of slow seductive story. In reality, an indian girl or woman needs time to involved in an affair with a person who is not his husband. 

But whenever it happens the relationship contains romance, emotions, a slight fear of catching, a excitement of hidden meetings with new found lover, courage & sudden boldness to do some naughty and taboo, & of cours  LOVE.

Some times these new lover's are relatives or near dear friends.

Incest between relatives is gave sparkling effect to these relationship. fight

And reading such stories is also raise excitement, a touch of taboo that not everyone do such things and to read such thing gave thrill & the characters remains in memories.

All women are not sex-starved or whore that they can easily be driven by anyone. 

Most of the cases, there is a very particular and valid reason to involve in any illicit relationship. Sometimes they forced by other persons, sometimes they forced by the situation which arises unexpectedly in front of her.

I read a lot of stories which look very unrealistic as in those, a married woman shows like a characterless slut, but the reality is different. 

So, I request to all my fellow authors to write more slow seductive real stories regarding indian girls & women.

Heart 
Like Reply
(01-05-2021, 01:25 PM)usaiha2 Wrote:
yourock

Inbox में कैसे भेजूं, tried but not getting way
Tell me how to send.
[+] 1 user Likes mastmast123's post
Like Reply
yourock .......
Like Reply
yourock .......
Like Reply
yourock ...........
Like Reply
yourock .......
Like Reply




Users browsing this thread: 1 Guest(s)