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Romance प्यास और हवस
#61
Bhai......Pls update kar do
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#62
Kab karaoge update
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#63
अपडेट - 24

तभी राज ने एक दम से ज़ोर के ब्रेक लगा डी…तो भाभी की चुचियाँ उसकी पीठ मे बुरी तरह से दब गयी…

..”ओह्ह्ह” राज एक दम से सिसक उठा…और ये हल्की सी सिसकने की आवाज़ भाभी के कानो मे भी पड़ी….” और अगले ही पल जैसे ही उन्हे अहसास हुआ कि उनकी चुचियाँ राज की पीठ मे बुरी तरह धँसी हुई रगड़ खा रही है तो वो एक दम से शरमा गयी….और पीछे की ओर होने लगी….

पर जैसे ही वो पीछे की ओर हुई, तो राज ने फिर से ब्रेक लगा दी…इस बार ब्रेक और जोरदार थी….भाभी फिर से आगे की तरफ खिसक गयी….उसकी चुचियाँ फिर से राज की पीठ मे धँस गयी….रास्ता बहुत खराब था….इसलिए भाभी को पीछे होने का मौका नही मिला….”राज तुम ब्रेक इतना ज़ोर से क्यों लगाते हो आराम से चलाओ ना बाइक.” भाभी ने कसमसाते हुए कहा….

राज: मेडम जी अगर ब्रेक नही लगाउन्गा तो दोनो यही गिर कर धूल चाट रहे होंगे. देख नही रही कि रास्ता कितना खराब है…

भाभी की चुचियाँ को अपनी पीठ पर रगड़ ख़ाता हुआ महसूस करके राज गरम होने लगा था….शायद भाभी का भी यही हाल था….पर वो भी मेरी तरह मान मर्यादाओं मे बँधी हुई औरत थी…खैर थोड़ी देर बाद दोनो घर पहुँच गये… भाभी ने बाइक से उतर कर गेट खोला…क्योंकि एक्सट्रा की भाभी के पास रहती थी.. गेट खोलने के बाद राज ने बाइक अंदर की और बाइक से उतर गया….और बाइक स्टॅंड लगाया. और जैसे ही राज अपने रूम की तरफ जाने लगा तो,

भाभी की नज़र राज की पेंट मे बने हुए उभार पर पड़ी….जिसे देखते ही भाभी का केलज़ा मूह को आ गया….भाभी ने शायद आज पहली बार इतना बड़ा उभार किसी के पेंट मे बना हुआ देखा था…भाभी अपनी नज़र राज की पेंट मे बने हुए उभार पर से हटा नही पा रही थी…और जैसे ही राज की नज़र भाभी से टकराई और उससे पता चला कि भाभी की नज़र कहाँ पर है, तो वो हल्का सा मुस्कुरा पड़ा….



जब भाभी को पता चला कि, राज ने उसे अपने पेंट मे बने हुए उभार को देखते हुए देख लिया है तो वो एक दम से शरमा गयी…और पीछे वाले अपने रूम मे चली गयी…..और वहाँ जाते ही बेड पर लेट गयी….और ये सोच कर और शरमा गयी कि, उनके कॉलेज का स्टूडेंट उसकी चुचियो की वजे से हार्ड हो गया था…भाभी का चेहरा एक दम तमतमा उठा….



थोड़ी देर रेस्ट करने के बाद भाभी ने चेंज किया और दोपहर का खाना तैयार करने लगी…भाभी इस बात को एक सैन्योग समझ कर भूल जाना चाहती थी…इसलिए फिर उन्होने इस ओर ध्यान नही दिया…और खाना बनाने लगी….खाना बनाने के बाद भाभी ने भैया को खाना दिया..और फिर राज को खाना देने के लिए उसके रूम मे गयी….रूम का डोर खुला हुआ था…


भाभी को आदत नही थी डोर नॉक करने की….भाभी एक दम से अंदर चली गयी. और अगले ही पल उनके कदम वही जम गये….राज रूम मे अपने सिगल बेड पर लेटा हुआ था..और अपने एक हाथ से अपनी हाफ पेंट (शॉर्ट्स के ऊपेर से अपने बाबूराव को मसलते हुए कुछ सोच रहा था….उसके शॉर्ट मे उसके बाबूराव का उभार और सॉफ दिखाई दे रहा था….शायद उसने शॉर्ट के नीचे अंडरवेर नही डाला हुआ था…. ये सब देखते हुए भाभी के दिल की धड़कने एक दम से तेज हो गयी…उनसे हिला भी नही जा रहा था….

भाभी: (काँपती हुआ आवाज़ मे) र र राज खाना खा लो….



भाभी की आवाज़ सुन कर राज एक दम से हड़बड़ा गया….उसने जल्दी से अपने बाबूराव से अपने हाथ को हटाया और बेड पर उठ कर बैठ गया…भाभी ने अपने आप को नॉर्मल करते हुए, प्लेट को टेबल पर रखा और मूड कर जाते हुए बोली…..”खाना खा लो और कुछ चाहिए हो तो बता देना….” 



ये कह कर भाभी मूड कर बाहर आ गयी….और फिर से अपने रूम मे जाकर बेड पर बैठ गयी…आख़िर ये मेरे साथ क्या हो रहा है…भाभी मन ही मन सोच रही थी…कही राज मेरे बारे मे सोच कर तो नही अपने बाबूराव को नही नही ऐसा नही हो सकता…वो मेरे बारे मे क्यों सोचेगा….वो तो अभी अभी उसके उम्र ही क्या है… नही नही पागल तू ये क्या सोच रही है….ऐसा नही हो सकता…राज ने आज तक तो मुझे कभी ग़लत नज़र से देखा तक भी नही है….


पर कुछ तो ज़रूर है उसके दिल मे पता नही क्या है….मुझे ऐसा नही सोचना चाहिए. उस बच्चे और भला मेरा क्या मेल….अगर उम्र और शरीर के बात करे तो भाभी सोच बिल्कुल सही थी…यहा भाभी 29 साल की अपनी जवानी के पूरे शवाब पर थी. वही अभी राज की तो मून्छे भी आना शुरू नही हुई थी…भाभी से उसकी एज का डिफरेन्स भी बहुत ज़्यादा था….दूसरी बात राज हाइट 5,4 इंच थी….वही भाभी के हाइट 5,10 इंच थी….और अगर वेट की बात करे तो वहाँ भी भाभी राज से 21 ही थी…कुल मिला कर राज भाभी के सामने बच्चा ही था….जहा भाभी का बदन भरा पूरा था…वही राज एक दम स्लिम था…

खैर कॉलेज से आना और उसके बाद खाना बना कर खाना और खिलाना भाभी काफ़ी थक जाती थी…इसलिए वो खाना खाने के बाद सो गयी….2 घंटे आँख लगने के बाद भाभी जब उठी तो 5:15 हो रहे थी….भाभी ने घड़ी मे टाइम देखा और फिर सोचने लगी कि, डॉली भी आने ही वाली होगी…क्योंकि सर, ने जो टीचर एक्सट्रा क्लासस के लिए रुकते थे…उनके लंच का अरेंज्मेंट कॉलेज मे ही करवा दिया था…इसलिए मैं खाना वही पर खा लेती थी…


भाभी ने सोचा कि डॉली भी आने ही वाली होगे…इसलिए वो चाइ बना लेती है… भाभी बेड से उठ कर भैया के रूम मे गयी…और भैया को उठा दिया…और फिर भैया के रूम से बाहर निकली तो उन्हे बहुत तेज पेशाब एक दम से लगा..वैसे तो भाभी के रूम मे अटेच बाथरूम था ही….पर भाभी आगे गेट वाले रूम के पास थी. और कॉमन बाथरूम गेट के एक साइड मे था….इसलिए भाभी उस बाथरूम की तरफ चली गयी….

अब इसके आगे अगले अपडेट में ...
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#64
आवश्यक सूचना :   यदि किसी को भी मेरी इस कहानी में फोटो सेन्ड करना हो तो कर सकते हो और यदि किसी को मुझसे बात करनी हो तो आप मुझे (ap.love.15;) ईमेल कर सकते हैं। 

जो लड़की मुझसे अपनी कहानी लिखवाना चाहती हो या कोई भी अपनी दिल की बात करना चाहती हो वो मुझे ईमेल पर बात कर सकती है जारी बाते मैं गोपनीय रखुंगा और अपके जीवन में मैं लब गुरु बनकर आपके जीवन को प्यार और प्यार के प्यास की कमी पूरी कर दूगा।

बाकी की जानकारी आपको मै ईमेल पर ही दूगा। 

आपके जीवन में प्यार की बौछार हो यही मेरी कामना है। 
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#65
Super update
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#66
अपडेट -25

भाभी अभी -2 नींद से उठी थी…इसलिए वो बहुत धीरे-2 चल रही थी…भैया के रूम को क्रॉस करके जैसे ही वो बाथरूम के सामने पहुँची तो उनकी नींद से भरी अध खुली आँखे ऐसे फॅट गयी…जैसे उन्होने ने अपने सामने किसी भूत को देख लिया हो…बाथरूम के अंदर लाइट ऑन थी…इसलिए अंदर एक दम सॉफ देखा जा सकता था. भाभी बाथरूम से कुछ ही दूर खड़ी थी….और बाथरूम का डोर थोड़ा सा खुला हुआ था…और उस खुले हुए डोर के अंदर जो नज़र आ रहा था…



. देख कर भाभी साँस लेना भी भूल गयी थी…अंदर राज कमोड के पास खड़ा था..उसने ऊपेर कुछ नही पहना हुआ था…और उसका शॉर्ट उसके घुटनो तक नीचे उतरा हुआ था…भाभी की नज़र . जाँघो के बीच मे झटके खा रहे बाबूराव पर अटकी हुई थी…भाभी के हाथ . सुन्न पड़ चुके थे…जो भाभी को दिखाई दे रहा था. उस पर भाभी को यकीन नही हो रहा था….



राज का बाबूराव एक दम विकराल रूप धारण किए हुए था….गोरे बाबूराव का दहकते हुए लाल सुपाडे पर से तो जैसे भाभी की नज़रें चिपक ही गयी हों….एक दम तन्नाया हुआ बाबूराव 8 इंच लंबा और 3 इंच मोटाई लिए हुए, उसके बाबूराव की नसें फूली हुई सामने खड़ी भाभी को सॉफ दिखाई दे रही थी……….


तभी राज ने वो किया जिसकी उम्मीद भाभी को बिल्कुल भी नही थी….राज ने अपने बाबूराव को मुट्ठी मे भरते हुए तेज़ी से पकड़ कर हिलाना शुरू कर दया…भाभी ये सब हैरानी से देख रही थी…उसे यकीन नही हो रहा था…कि जिस राज को वो पिछले एक महीने से अपने घर मे देख रही है…वो ये सब भी करता होगा….राज का चेहरा लाल हो चुका था…उसका हाथ अपने बाबूराव पर बहुत तेज़ी से चल रहा था….उसके बाबूराव के नसें अब और फूल चुकी थी….भाभी की हालत ऐसी हो गयी थी कि, काटो तो खून नही…

ये देखते हुए भाभी के हाथ पैर कांप रहे थे…राज अपने बाबूराव को हिलाते हुए कुछ बुदबुदा रहा था….पर भाभी सही से सुन नही पा रही थी….कि राज किसके बारे मे सोच कर बुदबुदा रहा है…भाभी पता नही कब से वहाँ खड़ी ये सब देख रही थी. और अगले ही पल राज के बाबूराव से वीर्य की बोछार होने लगी…एक बाद एक एक ढेर सारा वीर्य राज के बाबूराव से निकलता हुआ नीचे फर्श पर गिरने लगा….ये देखते हुए भाभी की आँखो मे अजीब सी चमक आ गयी….इतना कम लोड भाभी ने शायद पहली बार देखा था…..



जैसे -2 राज के बाबूराव से कामरस झटके ख़ाता हुआ बाहर आ रहा था…वैसे वैसे भाभी की चुनमुनियाँ भी धुनकने लगी थी…जैसे ही भाभी को अहसास हुआ कि, अब राज बाहर आने वाला है…भाभी धीरे-2 पीछे हट गयी….और फिर अपने रूम मे आकर अंदर बाथरूम मे घुस गयी….भाभी ने अपनी मॅक्सी उठाई…और अपनी पेंटी को नीचे सरका कर नीचे बैठ गयी….पेशाब तो पहले से बहुत तेज था….मूत की मोटी धार भाभी की फांको को फैलाती हुई तेज आवाज़ के साथ नीचे गिरने लगी….



भाभी की साँसे अभी भी उखड़ी हुई थी….पेशाब करने के बाद भाभी ने जैसे ही नीचे सर झुका कर अपनी चुनमुनियाँ की तरफ देखा तो उनके चुनमुनियाँ के अंदर से निकले काम रस की एक लार सी नीचे फर्श के तरफ लटक रही थी….भाभी ने अपनी उंगली अपनी चुनमुनियाँ के छेद मे डाल कर देखा तो भाभी की चुनमुनियाँ ना सिर्फ़ मूत से गीली थी…बल्कि उनकी चुनमुनियाँ से निकले हुए उनके कामरस से भी सारॉबार थी…..


भाभी खुद पर बहुत हैरान हो रही थी…आज कई दिनो बाद शायद उनकी चुनमुनियाँ ने उनके जवानी का रस बाहर निकाला था….भाभी ने उसे पानी से अच्छे सॉफ किया..और फिर हाथ पैर धो कर किचिन मे आ गयी और चाइ बनाने लगी….

चाइ बनाते हुए भाभी के जेहन मे बार-2 राज के बाबूराव के छवि बन कर उभर आती… भाभी को यकीन नही हो रहा था….जिस विकराल बाबूराव को उसने कुछ देर पहले देखा था. वो राज का ही है….भाभी सोच रही थी कि, राज का बाबूराव इतना मोटा और लंबा है लेकिन राज को देख कर कोई भी नही कह सकता था कि, इसका बाबूराव इतना बड़ा होगा…और उसके बाबूराव से कितना पानी निकाला…भाभी ने ये सोचते हुए अपने होंटो को आपस मे रगड़ा. इतना पानी तो चेतन दस बार झड़ने पर भी निकाल नही पाते थे…जब हमारी नये-2 शादी हुई थी….


मैं भी कॉलेज से घर पहुँच चुकी थी…मैने डोर बेल बजाई तो भाभी ने किचिन से निकल कर बाहर आकर गेट खोला…जैसे ही मैं अंदर आए तो भाभी ने मुझसे कहा कि, डॉली हाथ मूह धो कर चेंज कर ले….मैने चाइ बनाने के लिए रखी हुई है नीचे आकर मेरे साथ ही पीना.

खैर मैं ऊपेर अपने रूम मे गयी…..और कपड़े चेंज किए…वैसे मैं घर आकर नाइटी पहन लेती थी….पर जब से राज आया था….तब से मेने घर आकर सलवार कमीज़ ही पहनना शुरू कर दिया…और भाभी ने भी अपनी शॉर्ट्स नाइटी छोड़ कर फुल लेंथ मॅक्सी पहनना शुरू कर दिया….मैं फ्रेश होकर नीचे आई, और भाभी के साथ चाइ पी. भाभी राज को उसके रूम मे ही चाइ दे दी थी….


मैं इस बात से अंजान थी कि, आज घर मे भाभी के साथ क्या हुआ है….अगर उस समय भाभी ने मुझे ये सब बता दिया होता तो जो आगे होने वाला था…वो ना होता. और ना ही मैं आप सब को यहाँ पर सुना रही होती….खैर वो दिन भी गुजर गया… कॉलेज मे अगले दिन से इंटर्नल एग्ज़ॅम शुरू होने थे….इस लिए कॉलेज मे छोटी क्लासस के सुबह 8 से 11 बजे तक एग्ज़ॅम होते थे…और बड़ी क्लासस के 11:30 से 2:30 बजे तक. इस दौरान राज के मम्मी पापा भी उससे मिलने के लिए फिर से इंडिया आ गये…और राज अब अपने मम्मी पापा के साथ रहने के लिए जय सर के घर चला गया था….

इस दौरान मेने कॉलेज मे ही भाभी को राज के साथ बात करते हुए देखा भी.. पर ना ही कभी भाभी से पूछा कि वो क्या बात कर रही है और ना ही कभी जानने की. करती भी क्यों….क्योंकि अब राज हमारे घर रहता था…और भाभी उसे अच्छे से जानती थी…घर मैं खाना देते समय या अगर भाभी को बाहर से कुछ मंगवाना होता तो वो राज को ही कह देती थी….इसलिए भाभी का राज से बात करना मुझे नॉर्मल लगता था….



पर भाभी के अंदर छुपे हुए जज़्बातों से अंज़ान थी….हालाकी उस समय तक भाभी ने राज के बारे मे कुछ ग़लत नही सोचा था….पर राज के बाबूराव को देख कर भाभी इतना तो समझ चुकी थी….राज के बाबूराव से किसी भी औरत की प्यास बुझ सकती है… पर भाभी शायद अभी भी ये सोच कर मन को तसल्ली दे रही थी कि, ये काम ग़लत है और वो हरगिज़ ये काम नही करेंगी…



टाइम अपनी दौड़ जारी रखे हुए था…इंटर्नल एग्ज़ॅम ख़तम हो चुके थे…और 5 ओक्टूबर को रिज़ल्ट भी मेरे सामने था….राज के रिज़ल्ट मे काफ़ी सुधार था….उसके 55 % मार्क्स आए थे….भले ज़्यादा नही थे….पर पहले से बहुत बेहतर थी…नही तो वो मुस्किल से पास होता था…रिज़ल्ट देख कर जय सर भी खुश थे….उन्होने मुझे राज के मम्मी पापा से मिलवाया…और राज के रिज़ल्ट और स्टडी मे जो इंप्रूव्मेंट थी. उसका सारा श्रेय मुझे दिया….


अगले ही दिन राज के मम्मी पापा फिर से अब्रॉड वापिस लौट गये….मुझे भी कुछ राहत महसूस हुई कि, कम से कम राज के रिज़ल्ट पहले से बेहतर आया है..वो भी खास टॉर पर जब वो तीन महीने कॉलेज भी ना आ पाया हो….दूसरी तरफ जय सर अभी भी अपनी जायदाद के मस्लो मे उलझे हुए थे…अगले दिन राज फिर से हमारे घर रहने के लिए आ रहा था….उस दिन भी एक्सट्रा क्लासस थी…मेने कॉलेज ख़तम होने के बाद भाभी के घर जाने से पहले उन्हे बता दिया था कि…

राज कल से फिर वापिस आ रहा है….और वो राज के रूम को सॉफ कर दें…क्योंकि एग्ज़ॅम के चलते मैं और भाभी दोनो बिज़ी थी…इसलिए राज के जाने के बाद से वो रूम लॉक्ड था…और जैसे ही मेने ये बात भाभी को बताई तो भाभी के चेहरे पर एक दम से ग्लो सा आ गया…होंटो पर एक मुस्कान सी फेल गयी….पर मेने ज़्यादा ध्यान नही दिया….और फिर अपने कॅबिन के तरफ चली आई…



उसी शाम जब 5 बजे कॉलेज ऑफ हुआ था….मुझे जय सर राज के साथ बाहर ही मिल गये…”डॉली राज भी तुमहरे साथ ही जाएगा…वो मुझे आज रात को ट्रेन पकड़नी है तो मैं कल कॉलेज भी नही आ पाउन्गा….पीछे से हॅंडेल कर लेना…”



मैं: जी सर….



सर: मेने राज का सारा समान रखवा दिया है कार मे…और राज तुम सुनो मुझे किसी तरह की शिकायत नही मिलनी चाहिए….



राज: जी अंकल…..



सर: ओके बाइ डॉली….अगर कोई प्राब्लम हो तो मुझे कॉल कर लेना….



मैं: जी ओके सर….



सर के जाने के बाद हम दोनो कार मे बैठ गये…राज ड्राइवर के साथ वाली सीट पर आगे की तरफ बैठ गया…”ड्राइवर पहले गाड़ी घर की तरफ लो….” राज ड्राइवर से कहा…



मैं: क्यों क्या हुआ अब क्या करना है वहाँ पर….?



राज: मुझे अपनी बाइक लेनी है वहाँ से….


राज ने बड़े ही रूखे स्वर मे कहा तो मैं एक दम चुप हो गयी…ड्राइवर ने कार जय सर के घर की तरफ मोड़ दी…राज घर के बाहर उतर गया…”तुम जाओ मैं बाइक से आ जाउन्गा…” राज ने ड्राइवर को कहा….और ड्राइवर ने गाड़ी घुमा ली…मैं थोड़ी देर मे ही घर पहुँच गयी….भाभी ने गेट खोला….मैं अंदर आई, और भाभी से पूछा…”भाभी वो रूम तो सॉफ कर दिया है ना आपने….”

इसके आगे की कहानी अगले अपडेट में ...
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#67
Bhai.....pls jaldi se Milan karao
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#68
Good story.... Waiting for more updates
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#69
Very good sir
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#70
Update please
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#71
अपडेट -26

भाभी: हां कर दिया है मेडम जी…और कोई सेवा हो तो वो भी बता दो….



मैं: नही नही भाभी वो राज अभी आ रहा है….कार मे उसका समान है. ड्राइवर अंदर रख देगा….



भाभी: ओह्ह अच्छा पर वो तो कल आने वाला था…और वो कार मे नही आया क्यों….?



मैं: वो अपनी बाइक लेने चला गया था घर…



भाभी: अच्छा ठीक है तुम ऊपेर जाकर फ्रेश हो जाओ….मैं चाइ बनाती हूँ…



उसके बाद मैं ऊपेर आ गयी….थोड़ी देर बाद राज भी आ गया था…उसने अपना समान फिर से उस रूम मे सेट कर लिया था….



उस रात हम सब खाना खा कर सारा काम निपटा चुके थे….और मैं और भाभी भैया के साथ उनके रूम मे बैठे टीवी देख रहे थे….तो भाभी मुझे बहुत थकि हुई सी लग रही थी….जैसे उनकी तबीयत कुछ ठीक ना हो….



मैं: क्या हुआ भाभी क्या बात है….?



भाभी: कुछ नही डॉली थक जाती हूँ सारा दिन काम करके…पहले कॉलेज और फिर घर का…..



मैं: भाभी आप ऐसा क्यों नही करती के, कॉलेज के पास जो ढाबा है वही से आते हुए अपने भैया और राज के लिए खाना ले आया करो…..



भाभी: चल ठीक है कल से वहाँ से खाना पॅक करवा कर ले आया करूँगी…कम से कम कॉलेज से आने के बाद खाना तो नही बनाना पड़ेगा….



मैं: हां और नही तो क्या….



भाभी: अच्छा डॉली तू मेरा एक काम करेगे….?


मैं: हां भाभी बोलो ना क्या बात है…

भाभी: डॉली देख मेरे दो पीरियड्स फ्री होते है…एक तीसरा और एक सेकेंड लास्ट….तू तीसरे पीरियड की बजाय मेरा लास्ट वाला पीरियड ही फ्री करवा दे…देख एक तो मुझे वन & हाफ अन अवर आराम करने के लिए फ्री मिल भी जाएगा…फिर घर आते हुए कुछ फ्रेश भी हो जाया करूँगी…..



मैं: ठीक है भाभी मैं सोने से पहले ही नया शेड्यूल बना देती हूँ….



भाभी: थॅंक्स डॉली…. “मैं: अर्रे इसमे थॅंक्स वाली क्या बात है…


अगले दिन मैं और भाभी रोज की तरह तैयार होकर कॉलेज बस से पहुँची….और मेने जो रात को शेड्यूल बनाया था….वो बाकी के टीचर के साथ शेयर करके बता दिया…वो दिन भी आम दिनो जैसे ही था…पर शायद भाबी के लिए नही….उस दिन भाभी के लास्ट वाले दो पीरियड्स फ्री थे….इसलिए भाभी ने कुछ देर पहले से पीयान को भेज कर ढाबे से खाना पॅक करवा के मॅंगा लिया था…

उस दिन जब कॉलेज ऑफ होने के बाद भाभी कॉलेज से बाहर निकली तो उन्हे राज कॉलेज के गेट के बाहर अपनी बाइक पर बैठा हुआ नज़र आया….भाभी उसके पास गयी…और बोली.. “राज यहाँ खड़े हो किसी का इंतजार कर रहे हो क्या….?” भाभी ने मुस्कुराते हुए कहा.



“जी आपका ही इंतजार कर रहा था….”



भाभी: मेरा इंतजार कर रहे थी…पर क्यों….?



राज: घर चलने के लिए….क्यों आप घर नही जा रही ….



भाभी: हां जा रही हूँ ना..पर बस से…



राज: बस से क्यों बाइक है ना….?



भाभी: ना बाबा ना मुझे मुझे डर लगता है तुम्हारे पीछे बैठने से….



राज: क्यों डर किस लिए लगता है आप को….?



भाभी: तुम बाइक बहुत तेज चलाते हो…



राज: अच्छा आज तेज नही चलूँगा…आप बैठो तो सही…..



भाभी: नही नही मैं नही बैठती तुम्हारी बाइक पर….कही गिर विर गये तो….



राज: अर्रे नही गिरने दूँगा आप बैठो तो सही….कसम से बिल्कुल स्लो ड्राइव करूँगा.



भाभी: रहने दो रहने दो तुम बाइक तो तुम स्लो चला लोगे…पर तुम ब्रेक्स बहुत लगाते हो…मुझे नही बैठना तुम्हारे पीछे…..(भाभी के होंटो पर शरारती मुस्कान फेली हुई थी ब्रेक वाली बात करते हुए) 



राज: अब आगे कोई चीज़ या कोई गड्ढा आएगा तो ब्रेक तो लगानी ही पड़ेगा ना. आप बैठो भी अब….


भाभी: अच्छा अच्छा बैठ रही हूँ..ध्यान से चलना बाइक और ब्रेक कम लगाना…

राज ने खाने का लिफ़ाफ़ा आगे हॅंडेल पर टाँग लिया..भाभी राज के पीछे बाइक पर बैठ गयी…और राज ने बाइक स्टार्ट की और सड़क पर आ गये…कॉलेज से थोड़ा दूर आते ही भाभी ने हाथ राज के कंधे पर रख लिया… राज अपनी धुन मे ही बाइक चला रहा था…दोनो एक दम चुप थे….पता नही भाभी को एक दम से क्या सूझा.. और वो चुप्पी तोड़ते हुए बोली…. “ क्या बात है आज ब्रेक्स नही लगा रहे तुम…हा हहा..” भाभी ने हंसते हुए राज को कहा…..



राज: आप ने इतनी सख्ती से मना किया है….मेरी क्या मज़ाल कि मैं ब्रेक लगाऊ… और वैसे भी ब्रेक तो तभी लगाता हूँ जब ज़रूरत होती है….



भाभी खिसक कर राज और करीब आ चुकी थी…अब उसकी चुचियाँ हल्की-2 राज की पीठ पर रगड़ खाने लगी थी….बाइक कुछ ही देर मे फिर से वही खराब रोड पर थी…”राज यहा से ध्यान से चलाना बाइक…” भाभी ने सहमी से आवाज़ मे कहा और फिर खुद ही राज के साथ बिकुल सट कर बैठ गयी….भाभी ने अब दूसरा हाथ राज की कमर पर रख लिया था…



भाभी की चुचियों की रगड़ को अपनी पीठ पर महसूस करके राज फिर से हार्ड होने लगा था….जिस तरह से भाभी की चुचियाँ राज की पीठ पर धँसी हुई थी…राज को भाभी की चुचियों का एक दम नरम अहसास हो रहा था…और राज का ध्यान बाइक से हट चुका था…तभी बाइक के सामने से अचानक एक बिल्ली गुज़री….जैसे ही राज को अचानक अपनी बाइक के आगे से वो बिल्ली गुजरती दिखाई दी….राज एक दम से चोंक गया. 
“ओह्ह तेरी….” राज ने जोरदार ब्रेक मारी…

तो भाभी एक दम से चीखते हुए राज की पीठ के ऊपेर पूरा झुक गयी….बाइक रुक चुकी थी…और कोई नुकसान नही हुआ था…भाभी इस तरह ब्रेक लगाने से बेहद डर गये थी…भाभी ने अपनी सांसो पर काबू पाते हुए कहा…” क्या हुआ राज इस तरह बाइक चलाई जाती है क्या….? “ भाभी ने थोड़ा सा गुस्सा दिखाते हुए कहा…” अभी मेने गिर जाना था….” भाभी ने थोड़ा पीछे होकर बैठते हुए कहा….



राज: इसमे मेरी क्या ग़लती है….वो बिल्ली एक दम से आगे आ गयी थी…आप तो बच्चों की तरह डरती हो….



भाभी: क्या मैं डरती हूँ….मैं नही डरती वर्ती…डर तो तुम गये थे….तभी तो चिल्ला रहे थे….



राज: कॉन मैं मैं कब चिल्लाया और हां मर्द का जिगरा रखता हूँ….मैं नही डरता किसी भी चीज़ से…..(राज ने फिर बाइक चला दी…और ड्राइव करते हुए बोला…)



भाभी: अच्छा मर्द और तुम हाहः हाँ वेरी फन्नी…..



राज: (बाइक चलाते हुए) क्यों इसमे फन्नी वाली क्या बात है और हँसने वाली तो कोई बात नही है…..



भाभी: हाहाहा तुम और मर्द अभी तो तुम बच्चे हो…..



राज: अच्छा मैं बच्चा हूँ….



भाभी: और नही तो क्या….तभी तो बिल्ली को ऐसे देख ओह तेरी-2 चिल्ला रहे थे….



राज: अच्छा बच्ची तो आप है….जो बात -2 पर डरती रहती हो….



भाभी: अच्छा बच्चू…खुद डर गये तो मुझे बच्ची कह रहे हो….



राज: ना तो मैं किसी से डरता हूँ और ना ही बच्चा हूँ….आप अपने दिमाग़ से ये ग़लत फेहमी निकाल ही दो तो अच्छा है…..


भाभी: अच्छा मुझे ग़लत फेहमी है…अच्छा तो एक चीज़ ऐसी दिखा दो…..कि मैं कह सकूँ कि तुम बच्चे नही हो…

भाभी के ये वर्ड राज के लिए चॅलेंज की तरह थे….ये बात भाभी नही जानती थी…या फिर वो खुद जान बुझ कर राज को उकसा रही थी…”ठीक है टाइम आने पर दिखा भी दूँगा….” राज ने भाभी के इन वर्ड्स को चॅलेंज की तरह लेते हुए कहा. “अच्छा आइ विल सी…और मैं इंतजार करूँगी…” भाभी ने हंसते हुए कहा और आग मे और घी डाल दिया…”वैसे क्या दिखाओगे तुम मुझे…हाहाहा हा…”



राज: जब मौका आएगा तो दिखा दूँगा….मैने तो बड़े बड़ों को बस कर दी है. 



भाभी: ओह्ह इतना सेल्फ़ कॉन्फिडेन्स या फिर ऐसे ही गप्पे हांक रहे हो….



राज: गप्पे नही मार रहा….बस एक बार मौका मिल जाए तो आपको भी दिखा दूँगा कि मेने कैसे बड़े बडो की बस करवाई है…



भाभी: अच्छा ये बात है….चलो देख लूँगी तुम कितनी बस करवाते हो…



राज: ज़रूर…..अगर मौका आया तो आप भी देख लेना…


राज भले ही कम उम्र का था…पर दीपा से सेक्स का पाठ पढ़ कर वो इन दोहरे अर्थ वाली बातों को अच्छी तरह समझता था….और भाभी की बातें सुन कर राज ये समझ चुका था…कि कही ना कही भाभी भी उसमे इंट्रेस्टेड है….” चलें उतरें मॅम घर आ गया…” राज ने बाइक को घर के बाहर रोकते हुए कहा….और भाभी बाइक से नीचे उतरी…

भाभी: (राज की तरफ दिलकश अदा के साथ मुस्कुरा कर देखते हुए) मॅम तो कॉलेज मे हूँ याहान घर पर नही….



राज: अच्छा तो फिर आपको घर पर क्या कहूँ…



भाभी: हां ये भी सोचने वाली बात है….वैसे अगर मैं तुम्हारे कॉलेज मे टीचर नही होती, तो तुम मुझे क्या कह कर बुलाते….



राज: (थोड़ी देर सोचने के बाद) आंटी और क्या….



भाभी : (राज कंधे पर हल्का सा मुक्का मारते हुए) तुम्हे मैं आंटी नज़र आती हूँ…



राज: तो फिर और क्या कह कर बुलाया करूँ….?



भाभी: (कुछ देर सोचने के बाद) तुम मुझे भाभी भी कह सकती हो…..



राज: भाभी ?



भाभी: हां क्यों क्या हुआ….?



राज: हुआ तो कुछ नही…पर आप तो डॉली मॅम के भाभी है…और वो भी मुझसे बड़ी है और आप उनसे भी बड़ी हो….और हो सकता है कि डॉली मॅम को अच्छा ना लगे.


भाभी: (कुछ देर सोचने के बाद) ओके ठीक है फिर आंटी कह लेना…

इसके आगे अगले अपडेट में ...
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#72
Nice bahut achhi update
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#73
अपडेट- 27

भाभी ने घर का गेट खोला और राज ने बाइक अंदर करके खड़ी कर दी….”राज जल्दी चेंज करके फ्रेश हो जाओ….मैं खाना लगा रही हूँ….” भाभी ने बाइक के हॅंडेल से खाने का पॅक उतारा और अंदर चली गयी…राज भी अपने रूम मे चला गया… भाभी ने पहले चेंज किए बिना ही खाना एक प्लेट मे डाला और भैया को उनके रूम मई देने चली गयी…..और भैया को खाना देकर अपने रूम मे गयी. और कपड़े चेंज करके स्लीव्लेस्स शॉर्ट नाइटी पहन ली…



और फिर खाना लेकर किचिन के सामने बरामदे मे लगे हुए छोटे से डाइनिंग टेबल पर बैठ गयी…राज भी चेंज कर फ्रेश हुआ, और पीछे की तरफ आया तो जैसे ही उसने भाभी को देखा तो एक दम से दंग रह गया…भाभी चेयर पर बैठी हुई थी. उनकी एक दम गोरी और चिकनी जांघे उनकी शॉर्ट नाइटी की वजह से सॉफ नज़र आ रही थी… और उनके गोरी बाहें भी….राज फटी आँखो से भाभी को एक टक देखते हुए उनके पास आ गया…क्योंकि भाभी ने राज के सामने कभी शॉर्ट नाइटी नही पहनी थी. इसलिए राज भाभी के इस रूप को देख कर एक दम दंग रह गया था….



भाभी: (राज को जब अपनी तरफ ऐसे घुरते हुए देखा तो उनके होंटो पर तीखी मुस्कान फेल गयी….) अब मुझे ही देखते रहोगे….कि खाना भी खाओगे…


भाभी ने दूसरी तरफ फेस करके मंद-2 मुस्कुराते हुए कहा….राज भाभी के बिकुल पास वाली चेयर पर बैठ गया…..”चलो पहले खाना खा लो...मुझे तो तुम रोज ही देखते हो…” भाभी ने राज की ओर देखते हुए कहा…”ओह्ह हां…” राज ने खाना खाना शुरू कर दिया….”वैसे मॅम आप इस नाइटी मे एक दम हॉट लग रही हो…” राज ने खाना खाते हुए कहा….

भाभी: मेरे साथ फ्लर्ट कर रहे हो….(भाभी ने मुस्कुराते हुए कहा….)



राज: लो जी मैं तो आपकी सच्ची तारीफ कर रहा था….और आप इसे फ्लर्ट समझ रही हो तो इसमे मेरा कोई दोष नही….



भाभी: जानती हूँ जानती हूँ….आज से पहले तो कभी मेरी झूठी तारीफ भी नही की थी तुमने….



राज: ओह्ह कम ऑन मॅम पहले मैं आपको जानता ही कितना था…



भाभी: अच्छा और अब कितना जानने लगे हो मेरे बारे मे….



राज: कुछ ख़ास तो नही…पर अगर आप चाहें तो आप को जल्द ही अच्छे से जान जाउन्गा….(राज ने भाभी की तरफ देख कर मुस्कुराते हुए कहा)



भाभी: अच्छा अगर मैं चाहूं तो ह्म्म…और अगर मैं ना चाहूं तो….?



राज: तो फिर इस ग़रीब की किस्मत मे जो हो….



भाभी (हंसते हुए) हहा हाँ बड़े तेज हो तुम राज….बातें बानाना तो कोई तुमसे से सीखे…सच मे बहुत चालाक हो तुम….



राज: मॅम मुझे बातें ही तो बनाना नही आता…जो दिल मे होता है वही बोल देता हूँ.



फिर भाभी और राज ने खाना खाया…और राज अपने रूम मे चला गया…भाभी ने बर्तन सॉफ किए…और अपने रूम मे आकर टीवी लगा कर देखने लगी…तभी उसे अपने रूम की तरफ बढ़ते हुए कदमो की आहट सुनाई दी….जब भाभी ने डोर की तरफ देखा तो राज रूम की तरफ आ रहा था….भाभी बेड पर लेटी हुई थी…उसी शॉर्ट नाइटी मे राज को आता देख भाभी उठ कर बैठ गयी…


भाभी: कुछ चाहिए था क्या राज…..?

राज: नही वो अकेला बैठा बैठा बोर हो रहा था…सोचा कि थोड़ी देर टीवी देख लेता हूँ. और आपसे बात भी कर लूँगा…



भाभी: अच्छा टीवी देखने ही आए होगे….मुझसे बात करने का तो बहाना है…आओ बैठो.



फिर भाभी और राजने कुछ देर वहाँ बैठ कर वही बाते की और जब भाभी को लगा कि मेरे घर आने का टाइम हो रहा है तो, भाभी ने राज के ये कह कर उसके रूम मे भेज दिया की उन्हे नींद आ रही है…राज के जाने के बाद भाभी ने अपनी शॉर्ट नाइटी उतार कर आम मॅक्सी पहन ली…



आग तो दोनो तरफ बढ़की हुई थी….पर पहल कोई नही करना चाहता था…पर जिस्मानी आग धीरे-2 सुलगते हुए उन दोनो को करीब ला रही थी….उस रात को मुझे आरके का फोन आया कि, मैं 1 दिन की लीव लेकर उनके पास आ जाउ…क्योंकि अगला दिन फ्राइडे का था. और फिर उससे अगले दो दिन आरके को छुट्टी थी…आरके ने कहा था कि, वहाँ से सुबह 6 बजे बस मिल जाती है….और मैं मंडे को सुबे 8 बजे तक कॉलेज मे पहुँच जाउन्गी…मेने प्लान बनाया कि मैं फ्राइडे को कॉलेज जाके कुछ पीरियड आटेंड करूँगी…और आरके फ्राइडे रात को आने वाले है तो सॅटर्डे को उनके साथ चली जाउन्गी…. 


इससे मुझे सिर्फ़ एक दिन की लीव लेनी पड़ेगी…अगले दिन भी सेम रूटीन के मुताबिक मैं और भाभी बस से कॉलेज पहुँचे और वही सब बच्चों को पढ़ाना और कॉलेज के कुछ और काम करना…अगले दिन ऑफ के बाद भाभी ने खाना पॅक करवा लिया… और जब वो कॉलेज से बाहर निकली तो राज उन्हे वही खड़ा मिल गया…

दोनो एक दूसरे के तरफ देख कर मुस्कुराए….और भाभी इस बार सीधा जाकर राज की बाइक के पीछे बैठ गयी….राज ने बाइक ड्राइव करना शुरू कर दिया…जैसे ही बाइक कॉलेज से थोड़ा आगे हुई, भाभी खिसक कर राज के साथ सट गयी…आज तो भाभी खुद ही अपनी चुचियों को राज की पीठ पर दबा रही थी….राज के बाबूराव का बुरा हाल था. दोनो घर पहुँचे और भाभी ने सब को खाना दिया…आज भाभी ने वही लोंग लेंग्थ मॅक्सी पहनी हुई थी….भाभी जब बर्तन उठाने के लिए भैया के रूम मे गये तो, उनकी नज़र डीवीडी प्लेयर पर पड़ी हुई एक डीवीडी पर पड़ी…..



उसके ऊपेर कोई रेपर नही था….पर उस पर छोटा सा टाइटल लिखा हुआ था… “सेक्स वित माइ आंट….” भाभी ने कभी पहले कोई ऐसी वीडियो नही देखी थी….भैया खाना खा कर सो चुके थे…इसलिए भाभी ने बिना आवाज़ किए हुए वो डीवीडी उठा ली और फिर बर्तन उठा कर बाहर आई और सारे बर्तन किचिन मे रख लिए…और फिर उस डीवीडी को लेकर अपने रूम मे आई अंदर से डोर लॉक करके उस डीवीडी प्लेयर को ऑन करके उस डिस्क को लगा लिया…


जैसे ही वो वीडियो स्टार्ट हुई भाभी की साँसे एक दम से फूल गयी….जबर्दश्त सेक्स सेसेन देख कर भाभी एक दम गरम हो गयी थी…उसकी पेंटी उसकी चुनमुनियाँ से निकले कामरस से एक दम भीग चुकी थी….भाभी ने जल्दी से डीवीडी बाहर निकाली और भैया के रूम मे जाकर रख दी…जैसे ही भाभी बाहर आने को हुई तो भैया एक दम से उठ गये. और भाभी को कहा कि उन्हे उनको व्हील चेयर पर बैठा दें….भाभी ने उनको व्हील चेयर पर बैठा दिया….

भाभी फिर से अपने रूम मे आ गयी….भाभी की चुनमुनियाँ मे आग इस कदर बढ़की हुई थी…उनका बस नही चल रहा था…नही तो वो अभी राज से चुदवा लेती…. भाभी जो अपने आप पर इतने सालो से काबू किए हुए थी….आज पूरी तरह बहक चुकी थी…लेकिन भैया की माजूदगी मे वो चाह कर भी कुछ नही कर सकती थी…भैया अपनी व्हील चेयर से बाहर आ कर बरामदे मे बैठ गये थे…हालाँकि भैया सीढ़ियाँ नही चढ़ सकते थे…पर मेरा रूम लॉक होता था…और उसकी दोनो कीस मेरे पास ही होती थी…



खैर उस दिन भाभी बहुत चुदासी हो गयी थी…वो जब भी राज के सामने से गुजरती तो दोनो के बीच मे आँखो ही आँखो मे बात होती…अगले दिन फ्राइडे रात को आरके घर आ गये थे….मेने भाभी को अभी तक नही बताया था कि, मैं कल आरके के साथ दो दिन के लिए घूमने जा रही हूँ….उस रात जब मेने भाभी को बताया कि आरके के साथ जा रही हूँ और उनको अपने रूम के कीस दी तो उनके चेहरा एक दम से खिल उठा था…आँखो मई तेज चमक आ गयी थी….



शायद भाभी उसी पल से अपने प्लान के बारे मे सोचने लग गयी थी…हम सब नीचे भैया के रूम मे बैठी बातें कर रहे थे और राज अपने रूम मे था. तब भाभी ने बातों बातों मे मुझसे कहा….



भाभी: डॉली सिर्फ़ दो दिन के लिए ही जा रही हो आरके के साथ….?



मैं: जी भाभी…



भाभी: अब जा रही हो तो कम से कम 4-5 दिन तो वहाँ रुकती….



मैं: भाभी मंडे से ये बॅंक चले जाएँगे तो मैं फिर सारा दिन वहाँ क्या करूँगी. और वैसे भी आप को तो पता है…कॉलेज के वाइस प्रिन्सिपल होने के नाते बहुत सी ज़िम्मेदारियाँ है…


भाभी : हां वो तो है….

उसके बाद मे और आरके अपने रूम मे ऊपेर आ गये….उस दिन भी मैने आरके के साथ किया….पर अब आरके मुझे बहुत कम ही संतुष्ट कर पाते थे…मुझे तो याद भी नही कि कब आरके के साथ सेक्स करते हुए मैं आख़िरी बार झड़ी थी….अगली सुबह मैं और आरके तैयार होकर जल्दी ही घर से निकल गये….दूसरी तरफ आज भाभी और राज एक साथ कॉलेज जा रहे थे…राज की बाइक पर….और आज भाभी किसी और ही मूड मे थी….भाभी सुबह ही सारी प्लॅनिंग करके घर से निकली थी….

भाभी आज राज के साथ बाइक पर ऐसे सट कर बैठी हुई थी कि, जैसे एक पत्नी या लड़की अपने बाय्फ्रेंड और पति के पीछे बैठती है….भाभी ने अपना राइट हॅंड राज की जाँघ पर आगे लेजा कर रखा हुआ था….और उसके हाथ के स्पर्श से ही राज का लंड हार्ड हो चुका था. “आज क्या बात है आज आप बहुत खुस लग रही हो…” राज ने ड्राइव करते हुए कहा…



भाभी: हां खुस तो हूँ पर पता नही क्यों….



राज: अच्छा….



भाभी: आज ब्रेक नही लगा रहे तुम…



राज: अब भला मुझे ब्रेक लगाने की क्या ज़रूरत…



भाभी: क्यों क्या हुआ….



राज: जिस चीज़ के लिए ब्रेक लगाता था…वो तो आज मुझे वैसे ही मिल रही है….



भाभी: (राज के कंधे पर मुक्का मारते हुए) बकवास बंद करो….तुम्हे बात करते हुए शर्म भी नही आती…(भाभी दबे होंटो से मुस्कुरा रही थी…)



राज: अब जो सच है वही तो कह रहा हूँ….


ऐसे ही बातें करते हुए, कॉलेज आ गया….भाभी अपनी क्लास की तरफ चली गयी..अभी कॉलेज शुरू होने मे टाइम था…इसलिए ज़्यादातर बच्चे बाहर ग्राउंड मे ही थे…राज सीधा ललिता की क्लास मे चला गया….ललिता राज को देख कर एक दम खुश हो गयी…और राज के पास आई और उसके हाथ पकड़ते हुए एक डेस्क पर बैठ गयी… “ कहाँ रहते हो आजकल जनाब जी…” ललिता ने मुस्कुराते हुए कहा….

राज: तुम्हे तो पता ही है ललिता अंकल ने मुझे उस डॉली के घर मे फँसा दिया है. वहाँ से निकल नही पाता मैं….



ललिता: राज मेने सुना है कि, डॉली मॅम आज कहीं आउट ऑफ स्टेशन गयी हुई है….



राज: हां वो अपने हज़्बेंड के साथ गयी घूमने….



ललिता: (शरमा कर मुस्कुराते हुए) तो फिर आज कॉलेज के बाद मेरे साथ चलो ना घर पर….मम्मी भी तुम्हारा पूछ रही थी कि, राज बहुत दिन हो गये आया ही नही यहा पर….



राज: अच्छा चलता हूँ तुम्हारे साथ…..पर मुझे कुछ मिलेगा तो नही वहाँ पर..



ललिता: क्यों…?

राज: वो तुम्हारी दीदी…हमेशा सर के ऊपेर चढ़ि रहती है….ललिता मैं तुम्हे जी भर कर प्यार करना चाहता हूँ….तुम्हारे होंटो को किस करना चाहता हूँ…



ललिता: तो फिर आ जाओ ना आज घर पर….वैसे भी दीदी और पापा मॅरेज मे गये हुए है…कल वापिस आने वाले है….



राज: तो ठीक है…तुम कॉलेज के अगले मोड़ पर ऑफ होने के बाद मेरा इंतजार करना.. कहीं डॉली मॅम की भाभी की नज़र हम दोनो पर ना पड़ जाए….



ललिता: ठीक है मैं तुम्हारा वेट करूँगी….


उसके बाद क्लासस शुरू हो गयी….जब सेकेंड लास्ट पीरियड शुरू हुआ तो, भाभी कॉलेज से निकल कर पास वाली मार्केट मे चली गयी…वहाँ पर वो एक मेडिसिन के स्टोर मे गये. और अपने पर्स से डॉक्टर की लिखी हुई मेडिसिन की स्लिप मेडिकल स्टोर वाले को देते हुए बोली…”ये नीचे वाली टॅब्लेट्स दे दो….” ये टॅब्लेट्स कोई आम टेबल्स नही थी… ये टॅब्लेट्स नींद की थी….और इतनी तेज थी कि आदमी वो टॅब्लेट्स लेने के बाद बेहोश ही हो जाता था..

ये टॅब्लेट्स तब मरीज़ को दी जाती थी….जब किसी का कोई बड़ा आक्सिडेंट हुआ हो….और उसे बहुत ज़यादा पेन की वजह से नींद ना आ रही हो….शुरू -2 मे भैया को भी वो मेडिसिन्स देनी पड़ती थी…वैसे तो मेडिकल स्टोर वाले ये मेडिसिन ऐसे नही देते थे…पर डॉक्टर की स्लिप थी….और भाभी ने बड़ी ही सफाई के साथ उसके ऊपेर लिखी हुई डेट को चेंज कर दिया था..और जब मेडिसिन खरीदेने वाला भाभी जैसा पढ़ा लिखा इंसान हो तो मेडिकल स्टोर वाले ज़्यादा ध्यान नही देते….



भाभी ने वहाँ से 10 टॅब्लेट्स ली और वापिस आते हुए ढाबे पर खाना पॅक करवा लिया. और फिर से कॉलेज मे आ गयी….कॉलेज ऑफ होने से कुछ देर पहले ही राज स्टाफ रूम मे पहुँच गया…उसने वहाँ पर भाभी को ये बहाना बना कर कहा कि, वो किसी ज़रूरी काम से सर के घर जा रहा है…और शाम को ही घर वापिस आजाएगा… और फिर वो कॉलेज से बाहर निकल कर वही अपनी बाइक से जाकर खड़ा हो गया….


जहाँ पर उसने ललिता से मिलने को कहा था….भाभी राज की बात सुन कर एक दम उदास हो गयी थी…. पर भाभी जानती थी कि, उसके पास आज के रात कल का दिन और कल रात बहुत टाइम है….कॉलेज ऑफ हुआ तो भाबी बस पकड़ कर घर पर चली गयी….और उधर ललिता राज के साथ उसकी बाइक पर बैठ कर उसे अपने घर ले गयी….भाभी घर पहुँच चुकी थी और भाभी के लिए वक़्त आज बहुत धीरे चल रहा था।

वो बार-2 घड़ी मे टाइम देखती….तो कभी बाहर आकर गेट खोल कर खड़ी हो जाती… शाम ढल चुकी थी…पर राज अभी तक नही आया था…भाभी मन ही मन अपने आप को कोस रही थी कि, उनके पास राज का मोबाइल नंबर नही है…रात के 7 बज चुके थी. भाभी रात का खाना भी बना चुकी थी…तभी बाहर से बाइक के हॉर्न की आवाज़ आई तो भाभी भागती हुई गेट की तरफ गयी…और गेट खोला….राज को देख कर भाभी ने नाराज़गी से अपना मूह चढ़ा लिया…



राज ने बाइक अंदर की…भैया अपने रूम मे बैठे टीवी देख रहे थे…भाभी ने गेट बंद किया…और बिना राज की तरफ देखे हुए किचिन मे चली गयी…राज ने भी भाभी की तरफ नही देखा…वो जानता था कि, भाभी उससे नाराज़ है…पर राज बिना कुछ कहे अपने रूम मे चला गया…फिर चेंज करके फ्रेश हुआ और ऊपेर छत पर आ गया….क्योंकि ऊपेर छत पर पीछे की तरफ सिर्फ़ मेरा ही रूम था…और रूम के अंदर ही अटेच बातरूम था…फिर रूम से बाहर निकलते हुए एक साइड मे किचिन था…जिसे हम यूज़ नही करते थे….



और किचिन और रूम के आगे 12 फीट तक बरामदे की छत थी…और बाकी के हिस्से पर छत नही थी….ऊपेर खुले आसमान के नीचे ठंडी हवा चल रही थी…. राज वहाँ पर नीचे चटाई बिछा कर लेट गया….नीचे भाभी ने राज को ऊपेर जाते हुए देखा था…खाना बनाने के बाद वो भी छत पर आ गये….उन्होने उस समय भी मॅक्सी ही पहनी हुई थी….ऑक्टोबर का एंड चल रहा था..


इसलिए मौसम चेंज हो गया था…रात को मौसम बहुत अच्छा और ठंडा हो जाता था… भाभी गाली के साइड मे बाउड्री पर झुक कर खड़ी हो गयी और नीचे देखने लगी।

आगे अगले अपडेट में ... 
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#74
Very good sir
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#75
अपडेट - 28

…” खाना बना लिया है आप ने….” राज ने लेटे -2 भाभी की ओर देखते हुए कहा….



भाभी: हां बन गया है…..(भाभी ने रूखे स्वर मे कहा)



राज: क्या हुआ नाराज़ हो आप मुझसे…



भाभी: क्यों मैं क्यों तुमसे नाराज़ होने लगी….



राज: तो फिर आप ऐसे रूखी-2 बात क्यों कर रही हैं….



भाभी: (राज के पास आकर चटाई पर बैठते हुए) कहाँ थे इतनी देर…



राज: बताया तो था कि अंकल के घर जा रहा हूँ…फिर रास्ते मे दोस्त मिल गया और उसके साथ उसके घर चला गया था….



भाभी: तुम्हे ज़रा भी फिकर है किसी चीज़ की….कब से तुम्हारा इंतजार कर रही थी…



राज: मेरा इंतजार वो क्यों…?



भाभी: देखो राज सर ने बड़ा भरोसा करके तुम्हे हमारे पास रहने के लिए भेजा है….इसलिए तुम्हारी चिंता हो रही थी और कुछ नही…



राज: पक्का ना और कुछ नही…..



भाभी: और क्या…? कम से कम बता तो देते कि लेट आउन्गा….



राज: भूल गया था….



भाभी: भूल गये थे…जाओ मुझसे बात ना करो…



राज: आप तो ऐसे नाराज़ हो रही है….जैसे कोई लड़की अपने बॉय फ्रेंड से होती है.. और इतने सवाल तो कोई पत्नी भी अपने पति से नही करती…



भाभी: (नाराज़गी का ढोंग करते हुए) बकवास बंद करो अपनी….कम से कम फोन तो कर ही सकते थे….आज के बाद ऐसा दोबारा नही होना चाहिए…जहाँ भी जाना हो मुझे बता कर जाना पड़ेगा….



राज: अच्छा मॅम एक बात बताओ…क्या आप मेरी गर्ल फ्रेंड है….



भाभी: नही क्यों….



राज: पत्नी हो मेरी….



भाभी: नही….


राज: हमारा कोई अफेयर है…?

भाभी: नही पर तुम ये सब क्यों पूछ रहे हो….मैं नीचे जा रही हूँ…मुझे नही करनी तुमसे कोई भी बात….



राज: वो इसलिए ऐसा हक़ यही तीनो जमाती है अपने आशिक़ पर….और आप भी मुझ पर ऐसे ही हक़ जता रही हो….



भाभी: अब ना राज तुम पिटोगे मेरे हाथों से….(भाभी ने दूसरी तरफ फेस करके शरमा कर मुस्कुराते हुए कहा….)



राज: ठीक है फिर आगे से मुझे किसी काम के लिए टोकना मत…और अगर टोकना है तो मुझे कोई वजह देनी होगी कि तुम मुझ पर किस लिए ऐसे हक़ जता रही हो….



भाभी खड़ी हुई और सीडीयों की तरफ जाने लगी…..”कुछ तो बोलती जाओ मेडम जी…” 



भाभी ने पलट कर राज की तरफ देखा और फिर नीचे सर झुका कर मुस्कुराते हुए बोली. “रात को वजह भी बता दूँगी….” ये सुनते ही राज के बाबूराव ने उसके शॉर्ट मे ज़ोर से झटका खाया….


रात के 10 बजे सब खाना खा कर फ्री हो चुके थे…राज खाना खा कर फिर से ऊपेर छत पर आ चुका था….और चटाई पर लेटा हुआ था…नीचे भाभी अपने प्लान के आख़िरी पढ़ाव पर थी….भाभी ने भैया के लिए दूध एक ग्लास मे डाला उसमे ढेर सारा मीठा सरबत डाल दिया..और फिर एक टॅबलेट पीस कर उसमे मिला दी….और भैया को दूध देने के लिए उनके रूम मे चली गयी….भाभी ने भैया को दूध दिया..और उनके पास बैठते हुए उनसे बातें करने लगी….

जब तक भैया ने दूध का ग्लास खाली नही कर दिया…भाभी वहाँ से नही हिली…फिर भाभी ने ग्लास लिया और किचिन मे आ गयी….तभी राज भी नीचे आया…भाभी किचिन के विंडो से उसे देख रही थी…राज पहले अपने रूम मे गया और फिर अपना टवल लेकर बाथरूम मे चला गया…और शवर लेकर फ्रेश शॉर्ट्स और टीशर्ट डाल कर ऊपेर चला गया….



भाभी ने बर्तन सॉफ किए….और फिर शवर लेकर शॉर्ट नाइटी पहन ली…भाभी ने सभी डोर क्लोज़ किए….और मेरे रूम की चाबी लेकर ऊपेर आ गयी….भाभी ने आज ब्लॅक कलर की शॉर्ट नाइटी पहनी हुई थी…..जिसमे से उसके नेट के कपड़े से उसके 34 फ साइज़ के मम्मे ऊपेर से सॉफ दिखाई दे रहे थे….हालाँकि ऊपेर अंधेरा था….कोई लाइट ऑन नही थी….पर फिर भी भाभी का गोरा जिस्म चाँद की रोशनी मे चमक रहा था… राज की आँखे भाभी के इस रूप को देख कर खुली की खुली रह गयी….



भाभी ने ऊपेर आकर मेरे रूम का डोर खोला और अंदर की लाइट ऑन की, और फिर अंदर कीस रख कर बाहर आकर राज के पास चटाई पर बैठ गयी…”क्या बात है…आज ऊपेर सोने का इरादा है…? “ भाभी ने राज की ओर देखते हुए कहा….



.”हां सोच तो यही रहा हूँ….कि आज यही सो जाउ…..आप भी बाहर सोने वाले है….”



भाभी: नही मैं तो डॉली के रूम से कुछ समान लेने आई थी…..मैं तो नीचे जाकर ही सोउंगी…



राज: आज यही सो जाओ ना,……



भाभी: क्यों….?


राज: वैसे ही मैं कह रहा हूँ ना…..

भाभी: अच्छा मेरे ऊपेर हक़ जता रहे हो….और अपनी बार जब पूछा तो कि कहाँ गये थे….तब बड़ी-2 बातें बना रहे थे…….



राज: अच्छा तो मेरे इतना कहना का भी हक़ नही है….?



भाभी: नही…..



राज: तो फिर थोड़ा सा हक़ हमें भी दे दो आंटी जी….



भाभी: हक़ तो खुद बनाना पड़ता है……



राज: अच्छा अब मुझे अपना हक़ खुद साबित करना होगा इसका मतलब…..?



भाभी: हिम्मत है तो साबित करके दिखा दो…..


भाभी ने शरारती मुस्कान के साथ राज की तरफ देखा और फिर उठ कर मेरे रूम की तरफ जाने लगी….रूम के डोर पर पहुँच कर उसने एक बार फिर राज की तरफ देखा और फिर रूम के अंदर चली गयी…..राज के लिए भाभी की ये बात सीधे-2 एक चॅलेंज थी…राज जान चुका था कि, भाभी उसके साथ शब्दों का खेल खेल रही है. अब राज ने इस खेल को उसके अंज़ाम तक पहुँचाने का फैंसला कर लिया था….वो उठा और सीधा मेरे रूम की तरफ जाने लगा….रूम की तरफ बढ़ते कदमो की आहट सुन कर भाभी अलमारी खोल कर उसमे से कुछ ढूँढने का नाटक करने लगी…..

जैसे ही राज रूम मे दाखिल हुआ…..भाभी ने एक बार अपना फेस घुमा कर उसकी तरफ देखा और फिर से मुस्कुराते हुए आगे फेस करके अलमारी की ओर देखने लगी….राज भाभी के ठीक पीछे आकर खड़ा हो गया….”कुछ काम था….” भाभी ने अलमारी मे पड़े हुए कपड़ों को ठीक करते हुए कहा…..



”नही कुछ नही क्या ढूँढ रही हो आप..? “ राज ने थोड़ा सा आगे की ओर सरकते हुए कहा…..



भाभी: तुम बताओं ना तुम यहाँ क्या लेने आए हो….?



राज ने एक दम से भाभी की कमर मे से अपनी बाहों को गुज़ारते हुए उसे पीछे से बाहों मे भर लिया….और अगले ही पल भाभी के मोटे-2 मम्मों को अपने हाथों मे कस कर पकड़ते हुए ज़ोर से दबा दिया…..”आह राज क्या कर रहे हो….” भाभी एक दम से मचल उठी….



.”मैं अपना हक़ जताने आया हूँ….” राज ने भाभी की चुचियाँ को उसकी नाइटी के ऊपेर से मसलते हुए कहा……



.”सीईईई उम्ह्ह्ह छोड़ो इस तरह ये ये क्या कर रहे हो…..?” 



राज: (भाभी की चुचियाँ को मसलते हुए) मुझे तो इसी तरह अपना हक़ जताना आता है…तुम्हे कोई ऐतराज है….


भाभी चाहती तो राज को सिर्फ़ एक ही धक्के मे 4 फुट दूर फेंक सकती थी… क्योंकि भाभी की हाइट और बदन राज से कही ज़यादा था…..पर भाभी तो उस समय खुद ही राज के सामने अपने हथियार डालने को तैयार खड़ी थी…..”हाए राज ऐसे हक़ जताओगे तुम मुझ पर….” भाभी ने अपनी गान्ड को पीछे की और धकेलते हुए कहा. जैसे ही राज को अपने बाबूराव पर भाभी की गान्ड नाइटी के ऊपेर से दबाती महसूस हुई, ये देख कर राज का दिल ख़ुसी से उछल पड़ा….

भाभी की तरफ से ग्रीन सिग्नल पाते ही राज एक दम से पागल हो गया….अगले ही पल राज ने नीचे बैठते हुए, भाभी की नाइटी को पकड़ कर ऊपर उठाया और फिर पेंटी को खिसका कर जाँघो तक ला दिया….राज ने भाभी की गान्ड को पकड़ कर दोनो तरफ फेलाते हुए, मसलना शुरू कर दिया”

शियीयियीयियी हाई राज ये क्या कर रहे हो….आह उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह” भाभी ने खुद ही अपनी जाँघो को खोल कर फेला लिया….जिससे उसकी चुनमुनियाँ की फांके अब राज को सॉफ नज़र आ रही थी……

राज: ओह्ह्ह आंटी आपकी फुद्दि कितनी फूली हुई है…..जब इसमे मेरा बाबूराव जाएगा, तो कमाल का मज़ा देगी……

भाभी: अह्ह्ह्ह राज तू डालेगा इसमे अपने बाबूराव को उम्ह्ह्ह्ह सीईईईई……

राज: हां आंटी आप डालने देंगे ना मुझे…..

ये कहते हुए राज ने थोड़ा सा और नीचे झुकते हुए भाभी की चुनमुनियाँ की फांको पर अपना मूह लगा दिया….और अपनी जीभ को चुनमुनियाँ की फांको के बीच से लेजाते हुए भाभी की चुनमुनियाँ के छेद को रगड़ने लगा….आज पहली बार भाभी की चुनमुनियाँ को कोई चाट रहा था…जैसे ही भाभी को अपनी चुनमुनियाँ के छेद पर राज की गरम और खुरदरी जीभ का अहसास हुआ, भाभी का पूरा बदन एक दम से ऐंठ गया……

उसकी आँखे मस्ती मे बंद होती चली गयी….भाभी को खड़े रहना भी दुश्वार हो गया था….उसने अपनी कोहानियों को अलमारी मे बने रॅक पर रखते हुए अपना सारा वजन उन पर डाल दिया….भाभी की जाँघो की मांसपेशियाँ एक दम से तन गयी थी. फिर उनमे तेज कंपन होने लगा…जब भाभी से बर्दाश्त ना हुआ, तो वो सिसकते हुए चिल्ला उठी….”ओह्ह्ह अहह राज अहह उंह ये यी क्याअ आह उन्घ्ह्ह्ह ना राज ओह्ह्ह मैं पागल हो जाउन्गी अह्ह्ह्ह हाईए राज मेरी फुद्दि…..”



पर राज तो जैसे भाभी की चुनमुनियाँ को ही खा जाना चाहता था…..जब भाभी की टाँगे जवाब देने लगी तो, भाभी काँपते हुए नीचे बैठ गयी…..वो मस्ती और वासना के रंग मे एक दम बहाल हो चुकी थी….उसकी साँसे बहुत तेज चल रही थी…आँखे अभी भी बंद थी….भाभी अलमारी के पास दीवार पर के साथ पीठ टिका कर अपनी सांसो को काबू मे लाने की कॉसिश करते हुए बोली….”ओह राज तू तो मेरी फुद्दि को ही खा गया था…हाई……ऐसे कोई ऐसी जगह मूह मारता है क्या…..”


राज ने भाभी को कंधो से पकड़ कर खड़ा किया….और बेड पर बैठते हुए धीरे-2 लेटा दिया….”क्यों कभी पॉर्न वीडियोस नही देखी क्या….?” 

जैसे ही भाभी ने राज की ये बात सुनी तो भाभी को उस पॉर्न डीवीडी की याद आ गयी, जो उन्होने भैया के रूम से उठा कर देखी थी….तभी भाभी के सामने वो दृश्य आ गया…जब उसमे एक अधेड़ उम्र की औरत को एक जवान लड़के का बाबूराव चूस्ते हुए दिखाया गया था….



भाभी ने आँखे खोल कर राज की तरफ देखा तो, वो उनकी तरफ देखा कर मुस्कुराते हुए अपनी पेंट उतार रहा था….अब उसके जिस्म पर सिर्फ़ एक अंडरवेर ही था…जिसमे बने हुए उभार को देखते ही भाभी की चुनमुनियाँ मे धुनकि बजने लगी थी….भाभी शरमाते हुए उठ कर बेड के किनारे बैठ गयी….और राज के अंडरवेर के इलास्टिक मे दोनो तरफ से अपनी उंगलियों को फन्साते हुए राज की आँखो में देखा….और फिर धीरे-2 राज के अंडर वेअर को नीचे सरकाने लगी…..


जैसे ही राज का अंडरवेर उसकी जाँघो तक नीचे हुआ, राज का 8 इंच का बाबूराव उछल कर भाभी की आँखो के सामने आ गया…भाभी ने अंडरवेर छोड़ कर उसके बाबूराव को लपक के अपने दोनो हाथों मे पकड़ लिया…और ऊपेर से नीचे तक उसके बाबूराव को सहलाते हुए , उसकी लंबाई और मोटाई का जायज़ा लेने लगी….फिर जैसे ही भाभी ने उसके बाबूराव से चमड़ी को पीछे सरकाया तो, राज के बाबूराव का गुलाबी सुपाडा देखते ही भाभी की आँखो मे चमक आ गयी…..

भाभी का दिल तो कर रहा था कि, वो उसी पल उसे मूह में लेकर उसके चुप्पे लगाने शुरू कर दे….उसके लाल गुलाबी सुपाडे को चाट-2 कर और लाल कर दे….उसने सुपाडे अपने होंटो को रगड़ा….पर भाभी ऐसा करने से थोड़ा शरमा रही थी….भाभी अपनी नज़रें राज के बाबूराव से हटा नही पा रही थी…राज ने भाभी के सर को पकड़ कर अपने बाबूराव पर उनके होंटो को झुकाना शुरू कर दिया…भाभी ने नज़रें उठा कर राज की ओर देखते हुए ना मे सर हिलाया….



.”प्लीज़ चूसो ना मॅम…..देखो कितनी बुरी हालत हो रही है इसकी…मैं तड़प रहा हूँ….प्लीज़ इसे आपने होंटो का अमृत पीला कर थोड़ा शांत तो कर दो….प्लीज़……


भाभी ने ऐसे दिखाया…..जैसे वो ये सब राज का मन रखने के लिए कर रही है… उसने मूह बिचकाते हुए अपने होंटो को खोला और धीरे-2 उसके बाबूराव के मोटे गुलाबी सुपाडे को अपने होंटो मे भरती चली गयी….राज भी भाभी के रसीले तपते हुए होंटो को अपने बाबूराव के सुपाडे पर महसूस करके एक दम से सिसक उठा…”ओह्ह्ह मॅम आप तो आज मेरी जान निकाल कर ही रहेंगी……आहह कितना मज़ा आ रहा है…ओह्ह एसस्स फक आप कमाल हो मॅम…..यू आर दा बेस्ट….”

आगे अगले अपडेट में जारी ...
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#76
Dear sir awesome thanks
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#77
Really most erotic story bro
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#78
Bhaiya k samne bhi chodna suppprrbbbb duppprbbbbb stroy
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#79
Bhai update
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#80
अपडेट - 29

भाभी ने जब देखा कि उसके इस तरह राज के बाबूराव को सक करने से राज किस तरह से मस्ती मे सिसक रहा है….और उसकी तारीफ कर रहा है…भाभी ने उसी पल अपने होंटो को राज के बाबूराव के सुपाडे पर दबा-2 कर चूसना शुरू कर दिया….अब भाभी का पूरा ध्यान राज के बाबूराव को चूसने और उसके चुप्पे लगाने मे था….और राज नीचे देख कर कमीनी मुस्कान के साथ अपने आप पर मुस्कुरा रहा था….राज का बाबूराव अब और भी ज़्यादा अकड़ चुका था…उसने भाभी के सर को दोनो हाथों से पकड़ कर अपने बाबूराव को भाभी के मूह मे अंदर बाहर करना शुरू कर दिया…..

ठीक ऐसा ही कुछ भाभी उस वीडियो मे भी देख चुकी थी….इसलिए उसने राज को रोका नही…..उसने राज की जाँघो को अपने हाथों से पकड़ लिया…और राज ने भी अपना बाबूराव अब आधे से ज़्यादा भाभी के मूह मे अंदर बाहर करते हुए भाभी के मूह को ही चोदना शुरू कर दिया…..जिसके कारण भाभी को थोड़ा सा थन्स्का लगा..और अगले ही पल राज ने अपना बाबूराव भाभी के मूह से निकाल लिया….पर ये देख कर राज के होंटो पर मुस्कान फेल गयी…..जब भाभी ने अपने मूह मे इकट्ठा हुआ सारा थूक राज के बाबूराव पर थूक दिया…..

फिर भाभी ने भी उसी रंडी पोर्नस्टार की अदा के साथ अपने थूक को राज के बाबूराव को मुट्ठी मे लेते हुए फेलाना शुरू कर दिया….राज ने झुक कर भाभी की नाइटी को पकड़ कर उठाते हुए उनके गले से निकाल दिया….कुछ ही पलों मे भाभी के ब्रा और पेंटी भी उनके बदन से अलग होकर फर्श पड़ी धूल चाट रही थी…और राज अब भाभी के ऊपेर आ चुका था….उसने भाभी के होंटो को अपने होंटो मे भर कर चूसना शुरू कर दिया….और भाभी भी उसका खुल कर साथ दे रही थी...

कई महीनो से उसकी फुद्दि मे आग जो लगी हुई थी…राज का बाबूराव भाभी की जाँघो के बीच मे रगड़ खा रहा था…..राज ने भाभी के होंटो को कुछ देर चूसने के बाद अपने होंटो को अलग किया और फिर झुक कर भाभी के लेफ्ट मम्मे को मूह मे भर कर चूसना शुरू कर दिया…..”ओह हइई राज चुस्स्स ले मेरे शेर ओह्ह उम्ह्ह्ह आहह और ज़ोर से चूस अहह उम्ह्ह्ह्ह्ह….”

भाभी के हाथों के उंगलियों राज के बालो मे घूम रही थी….और राज भाभी की चुचियों को मसलते हुए उनकी चुचियों को चूस रहा था….बीच-2 मे वो भाभी की चुचियाँ के निपल्स को अपने उंगलियों मे लेकर मसलता तो भाभी एक दम से सिसक उठती….मदहोश होकर भाभी ने अपनी टाँगे उठा कर राज की कमर पर कस ली, और अपनी गान्ड को ऊपेर की ओर उठाते हुए, राज के बाबूराव को अपनी चुनमुनियाँ मे लेने की कॉसिश करने लगी….

चुनमुनियाँ मे बाबूराव लेने के लिए तरस रही भाभी को देख कर राज मन ही मन मुस्कुरा रहा था…उसने अपनी कमर को थोड़ा सा ऊपेर उठाया….और बिना हाथ से पकड़े ही, अपने बाबूराव को धीरे-2 कमर नीचे लाते हुए भाभी की चुनमुनियाँ के ऊपेर सेट कर दिया…. पूरे तरह तने हुए बाबूराव के गरम सुपाडे को अपनी चुनमुनियाँ के छेद पर महसूस करते ही भाभी एक दम से मचल उठी…..उसने राज को अपनी बाहों मे कसते हुए पागलो की तरह उसके होंटो को चूसना शुरू कर दिया….बदले मे राज ने भाभी की जीभ को अपने मूह मे लेकर चूसने की कॉसिश शुरू कर दी…

और मस्ती के नशे मे चूर भाभी ने बिना कोई देर किए, अपनी जीभ को राज के होंटो मे दे दिया….जैसे ही राज ने भाभी की जीभ को अपनी होंटो मे दबा कर चूसा. भाभी ने मस्ती मे आकर अपनी गान्ड को ऊपेर की ओर उठाना शुरू कर दिया….राज के बाबूराव के सुपाडे का दबाव भाभी की चुनमुनियाँ की फूली हुई फांके नही सह पाई…और चुनमुनियाँ की फांको ने बाबूराव के सुपाडे के आगे हथियार डालते हुए, उसे चुनमुनियाँ के छेद तक रास्ता दिखा दिया…..

जैसे ही राज के बाबूराव का दहकता हुआ सुपाडा और भाभी की चुनमुनियाँ का लबलबा रहा छेद आपस मे भिड़े तो, भाभी की आँखे मस्ती मे बंद होती चली गयी….उनके होंटो पर कुर्बान हो जाने वाली मुस्कान फेल गयी….भाभी को अपनी चुनमुनियाँ की नसों मे धुनकि जैसी महसूस होने लगी…जैसे कलाई की नब्ज़ बजती है ठीक वैसे ही….भाभी की चुनमुनियाँ का छेद उसके बाबूराव के मोटे सुपाडे को अपने ऊपेर सटा हुआ महसूस करते हुए, धीरे-2 फैलने लगा….जैसे उसे अपने अंदर समा लेना चाहता हो….

भाभी ने अपने होंटो को राज के होंटो से हटाया और अपने गले का थूक गटक कर लंबी साँस ली, और फिर विनती भरे स्वर मे लाचार नज़रों से राज की आँखो मे देखते हुए बोली…..”करो ना…..”

अपने बाबूराव के लिए भाभी को इस तरह गिडगिडाते हुए देख कर राज मुस्कुरा उठा…उसने भाभी की दोनो टाँगो को घुटनो से मोड़ कर ऊपेर उठाते हुए, अपने कंधो पर रख लिया….और धीरे-2 अपने बाबूराव के सुपाडे को चुनमुनियाँ के छेद पर दबाने लगा….चुनमुनियाँ का छेद रब्बर की तरह फेलता हुआ, राज के बाबूराव के मोटे सुपाडे को अपने अंदर लेने लगा…..

जैसे ही बाबूराव का मोटा सुपाडा भाभी की चुनमुनियाँ मे घुसा, तो भाभी मस्ती मे एक दम से सिसक उठी….अपनी चुनमुनियाँ के अंदर उस मोटे गुलाबी सुपाडे को महसूस करके, भाभी का बदन अंदर तक कांप गया…आँखे फिर से बंद हो गयी….राज ने अपनी पूरी ताक़त इकट्ठा की, और फिर एक ज़ोर दार धक्का मारा…बाबूराव का सुपाडा इस बार भाभी की चुनमुनियाँ की दीवारो को चीरता हुआ अंदर घुसता चला गया….तब तक जब तक उसके बाबूराव का मोटा सुपाडा भाभी की बच्चेदानी से जाकर ना टकराया….



“हाई मैं मर जावां……” भाभी का पूरा बदन मस्ती मे कांप गया….उसने राज के फेस को पकड़ कर अपने होंटो की तरफ उसके होंटो को झुका लिया….और पागलो की तरह उसके होंटो को चूसने लगी….भाभी की चुनमुनियाँ अंदर ही अंदर राज के बाबूराव का मर्दन कर रही थी….जब भाभी से बर्दाश्त नही हुआ, तो उसने अपनी गान्ड को बेड पर इधर उधर घिसते हुए सरकाया तो, राज समझ गया कि, अब ठुकाई का समय आ गया है…


उसने भाभी की टाँगो को अपने कंधो से नीचे उतारा और अपने बाबूराव को धीरे-2 अंदर बाहर करने लगा….भाभी की टाँगे नीचे होते हुए, राज की कमर तक आ कर रुक गयी…भाभी अपनी टाँगे उठाए हुए, राज के बाबूराव से अपनी फुद्दि मरवाने लगी…राज भी अपना बाबूराव सुपाडे तक बाहर निकाल-2 कर भाभी की चुनमुनियाँ मे पेलने लगा…..

“अह्ह्ह्ह क्यों मेरी जान कैसा लग रहा है मेरा बाबूराव अपनी चुनमुनियाँ मे लेकर….” राज ने अपनी रफ़्तार बढ़ाते हुए कहा….”ओह्ह्ह्ह शियीयीयीयियी उम्ह्ह्ह्ह्ह राज आह पूछ मत कितना मज़ा आ रहा है….हाई राज बस करते रहो…..मेरी फुद्दि मे घस्से मारते रहो…..निकाल दे अपनी मेडम की फुद्दि से पानी अह्ह्ह्ह उंग़ग्ग उंघह अह्ह्ह्ह….” 



राज: आह मॅम अभी तो शुरुआत है….आज से तेरी फुद्दि रोज मारूँगा…..तुझे बाबूराव के लिए अब और तरसना नही पड़ेगा…..बोल मारने दे गी ना मुझे फुद्दि रोज….


भाभी: अह्ह्ह्ह राज रोज ले लिया करना….मैं नही मना करती तुझे….अह्ह्ह्ह उम्ह्ह्ह्ह.. बस किसी से कहना नही….हां रोज दूँगी मैं तुझे…..जब तेरा दिल करे…आह हां सबाश और ज़ोर से घस्से मार अहह आह दिखा दे अपनी माँ को तेरे बाबूराव का ज़ोर….

राज ने अपना बाबूराव भाभी की चुनमुनियाँ से बाहर निकाला और उसकी बगल मे लेटते हुए भाभी को ऊपेर आने के लिए कहा…भाभी बिना देर किए, राज की कमर के दोनो तरफ अपने घुटनो को टिका कर बैठ गयी…एक हाथ से उसने राज के बाबूराव को पकड़ कर अपनी चुनमुनियाँ के छेद पर सेट किया, और दूसरा हाथ राज की चेस्ट पर रख दिया…जैसे ही चुनमुनियाँ के छेद पर बाबूराव सेट हुआ, भाभी धीरे-2 अपना वजन डालते हुए, नीचे बैठ गयी….



एक बार फिर से राज का बाबूराव भाभी की चुनमुनियाँ की गहराइयों मे समा चुका था….भाभी धीरे-2 अपनी कमर को आगे पीछे हिलाने लगी….बाबूराव आधे से ज़्यादा बाहर आकर फिर से भाभी की चुनमुनियाँ मे घुस जाता…खुद को ड्राइविंग सीट पर पहली बार पाकर भाभी और ज़्यादा उतेज़ित हो गयी….उन्होने घुटनो के बजाय पैरो के बल बैठते हुए अपनी गान्ड को तेज़ी से ऊपेर नीचे करना शुरू कर दिया…जब भाभी के मोटे फेले हुए चूतड़ आकर राज की जाँघो से टकराते तो-2 थप-2 की आवाज़ पूरे रूम मे गूँज जाती,….


राज ने लेटे-2 भाभी की चुचियाँ को पकड़ कर मसलना शुरू कर दिया…कभी उनके निपल्स को अपने उंगलियों मे लेकर मसलता तो कभी उनके बड़े-2 मम्मो को हाथों मे लेकर ज़ोर-2 से दबाता…..भाभी पूरी तरह मदहोश हो चुकी थी….और तेज़ी से अपनी गान्ड को उछाल-2 कर अपनी चुनमुनियाँ को राज के लंड पर पटक रही थी…

भाभी: शियीयीयी हाई राज….ओह्ह्ह्ह मैं तो आहह आह हाई मेरी फुद्दि तो पानी छोड़ने वाली है….



राज: आह मॅम छोड़ दो ना….लहला दो मेरे बाबूराव को आज अपनी फुददी के पानी से….



भाभी: हां हां ले राज ले, नहला दे अपने बाबूराव को मेरे आहह आह हाई भोसड़ी की पानी से…..उन्घ्ह्ह्ह उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह हाई……



जैसे ही भाभी की चुनमुनियाँ ने पानी छोड़ना शुरू किया….इधर राज के बाबूराव ने भी भाभी की चुनमुनियाँ की गहराइयों मे अपना लावा उगलना शुरू कर दिया…..दोनो झड कर हाँफने लगी थी….पसीने से भीगे हुए वो एक दूसरे से चिपके कुछ देर ऐसे ही लेटे रहे….



उस दिन भाभी ने राज से चार बार अपनी चुनमुनियाँ मरवाई….और रात को 3 बजे दोनो सोए….अगली सुबह सनडे था….इसलिए उठाने की कोई जल्दी ना थी….जब भाभी उठी तो उन्होने अपने आप को राज के साथ बेड पर नंगा लेटे हुए पाया…राज का बाबूराव सिकुड कर उसकी जाँघ से चिपका हुआ था….भाभी अपनी हालत देख कर खुद ही शरमा गयी…भाभी बेड से नीचे उतरी…और ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़े होकर खुद को आयने मे देखने लगी….


भाभी के निपल्स और मम्मे सूजे हुए लग रहे थी….एक दम लाल हो गयी थी…कही-2 पर तो राज उंगलियों की छाप अभी भी नज़र आ रही थी…अपनी चुचियाँ पर राज की उंगलयों की छाप देख कर भाभी शरमाते हुए मुस्कुराने लगी…तभी उसे अपनी गान्ड पर राज के हाथ महसूस हुए तो, भाभी का बदन एक दम सिहर गया….” क्या देख रही हो जाने मन….” राज ने अपने आधे तने हुए बाबूराव भाभी के गान्ड की दरार मे रगड़ते हुए कहा….”चलो हटो पीछे, वो नीचे उठ गये होंगे….”

भाभी ने अपनी नाइटी पहनी और रूम से बाहर आकर नीचे आ गयी…..मैं मंडे को सीधा कॉलेज पहुँची…..और फिर वहाँ से 5 बजे घर….मेरे घर आने से पहले भाभी एक बार फिर राज के बाबूराव को अपनी फुद्दि मे ले चुकी थी….भाभी धीरे-2 राज के बाबूराव आदि होती चली जा रही थी….जो शरीराक सुख उसे शादी के बाद कई सालो तक नही मिला था….वो अब जो मिल रहा था….



दोनो के बीच बढ़ती नज़दीकयाँ मुझे भी दिखाई देने लगी थी….मेने कई बार उनको फूस फुसाते हुए देखा था…कभी उनकी बातें सुन नही पे थी…कई बार दोनो घर में एक दूसरे के बेहद करीब बैठे होते….और जब मैं नीचे आती तो मुझे देख कर थोड़ा दूर हट जाते….एक बार जब मैं पानी पीने नीचे किचिन मे गये तो, मेने राज को भाभी की सलवार के ऊपेर से उनकी गान्ड पर हाथ फेरते हुए देख लिया था. पर ये सब सिर्फ़ दो सेकेंड तक ही देख पाई थी….


मुझे खुद पर पूरा यकीन नही था….कि मैं जो सोच रही हूँ, क्या वही मेने देखा है….या फिर मेरी आँखो से देखने मे कोई ग़लती हो गयी है….पर उस दिन के बाद से मेरी आँख मे दोनो खटकने लगे थे….दिन ब दिन भाभी के रूप मे निखार आता जा रहा था…उनका चेहरा अब पहले से कही ज़्यादा खिला हुआ रहने लगा था….मैने उन दोनो पर नज़र रखना शुरू कर दिया था….कि आख़िर पता तो चले इन दोनो के बीच मे क्या चल रहा है….कही राज भाभी को अपने जाल मे फँसा कर कुछ ग़लत इस्तेमाल ना करे…..

एक दिन जब कॉलेज ऑफ हुआ था….मैं एक्सट्रा क्लासस के लिए नही रुकी….मैं भाभी के साथ ही घर आ गयी….उस दिन सॅटर्डे था….इसलिए कॉलेज 12 बजे ही ऑफ हो गया था.. हम 12:30 बजे घर पहुँच गये थे…खाना हम ने ढाबे से ही ले लिया था…चेंज करने के बाद और खाना खाने के बाद मेने भाभी से कहा कि, मैं मिस्टर. वेर्मा के घर जा रही हूँ मुझे कुछ ब्रा और पेंटी लेनी है….



उसके बाद मैं भैया के रूम मे गयी….भैया सो चुके थे…मैं जानती थी…क्योंकि भैया का रूम बिकुल गली के साइड मे था…..और उस रूम का एक डोर बाहर गली मे भी खुलता था…..मैने चुपके से जाकर भैया के रूम से बाहर वाला डोर अनलॉक कर दिया…और फिर भाभी को कह कर मिस्टर वेर्मा के घर की तरफ बढ़ी…पर फिर आधे रास्ते ही वापिस लौट आई….मैं आज अपने ही घर मे चोर की तरफ दाखिल होने वाली थी…घर के बाहर पहुँच कर मेने रूम के डोर को धीरे से खोला और भैया के रूम मे आकर अंदर से डोर लॉक कर दिया…..


फिर मैं घर के अंदर वाले रूम के डोर पर आई….और धीरे से सर निकाल कर बाहर देखा…मुझे सीढ़ियों पर किसी के चढ़ने की आवाज़ आ रही थी….मैने वहाँ 5 मिनिट वेट किया…फिर रूम से बाहर निकल कर राज के रूम मे देखा वो अपने रूम मे नही था….फिर भाभी के रूम मे चेक किया…वहाँ पर भी कोई ना था…. मेरा शक और गहरा होता जा रहा था….मैं दबे पावं सीढ़ियाँ चढ़ कर ऊपेर जाने लगी. ये सब करते हुए मेरा दिल जोरो से धड़क रहा था…

आगे अगले अपडेट में ...
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