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Misc. Erotica मेरी रूपाली दीदी और जालिम ठाकुर...
#41
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#42
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#43
ठाकुर साहब मेरी रूपाली दीदी की चोली के ऊपर के हिस्से को जंगली अंदाज में चूमने चाटने  लगे थे.. मेरी दीदी का बदन उन्हें बेहद नरम गरम और मुलायम लग रहा था.. ठाकुर साहब ने आज तक बहुत सारी लड़कियों और औरतों के साथ संभोग किया था पर मेरी बहन का बदन उन्हें कुछ अलग नशा दे रहा था.. मेरी दीदी का बदन बेहद मांसल और नरम  है इसलिए ठाकुर साहब को  बड़ा मजा आ रहा था..
 अब मेरी रूपाली दीदी जितना हो सकता था उतना प्रतिरोध करने लगी थी ठाकुर साहब का, पर आखिर क्या कर  पाती, मेरी बहन ठहरी एक नाजुक मुलायम सी हाउसवाइफ और ठाकुर साहब तो एक खूंखार  ताकतवर गुंडे थे..  मेरी रुपाली दीदी कुछ भी नहीं कर पा रही थी  बस ठाकुर साहब से छोड़ देने का गुहार लगा रही थी.. पर ठाकुर साहब तो बिल्कुल भी मानने को तैयार नहीं थे...

 दोनों मोटे कंबल के अंदर ढके हुए थे.. ठाकुर साहब ने मेरी बहन के त्रिकोण पर अपने मुसल का दबाव बढ़ा दिया था.. आज तो बस  मेरी रूपाली दीदी को चोद देना चाहते थे ठाकुर साहब..
  मेरी रूपाली दीदी: आअ ईईईईईई  माआआ... ठाकुर साहब प्लीज  छोड़ दीजिए मुझे..
 ठाकुर साहब:  नहीं रूपाली... आज तो किसी भी कीमत पर नहीं.. मुझे कर लेने दो ना..
 ठाकुर साहब मेरी रुपाली दीदी की गर्दन को  चाट रहे थे लगातार.. उन्होंने अपना हाथ नीचे ले जाकर मेरी बहन की साड़ी को खींच दि और उनकी कमर से   खींचकर ढीला करने लगे... मेरी रूपाली दीदी लगातार ठाकुर साहब का विरोध कर रही थी.. उनको धक्का देकर हटाना चाहती थी.. मेरी बहन अपनी दोनों टांगों की जोर से उनको धकेलने की कोशिश कर रही थी .. मेरी बहन को एक  अजीब तरह का एहसास हुआ था जब ठाकुर  साहब ने उनको चुम्मा लिया था.. पर मेरी दीदी जानती थी कि यह ठीक नहीं हो रहा है.. वह बिल्कुल भी ठाकुर साहब के साथ ऐसा नहीं करना चाहती थी.. ठाकुर साहब के दोनों हाथ लगातार मेरी रुपाली दीदी की  दोनों चुचियों के साथ खेल रहे थे.. वह तो मेरी बहन की चोली को ही फाड़ देना चाहते थे क्योंकि वह चोली खोलने में खुद को असहज महसूस कर रहे थे.
 ठाकुर साहब की जोर-जबर्दस्ती के कारण मेरी बहन की चोली के ऊपर के दो बटन टूट गए थे.. वह ऊपर की ओर  आकर एक बार फिर मेरी बहन के होठों को चूमने लगे.. ठाकुर साहब की वासना के जाल से बचने के लिए मेरी रूपाली दीदी अपने चेहरे को कभी दाएं तो कभी बाय घुमाने लगी.. ठाकुर साहब के हाथ जो भी लग रहा था वह तो वहीं पर चुम्मा दिए जा रहे थे.. मेरी दीदी के गाल को.. उनके कान को.. ठाकुर साहब जबरदस्ती कर रहे थे मेरी बहन के साथ...
 इस जंगली प्यार की वजह से कंबल तो नीचे खिसक चुका था.. ठाकुर साहब  अपने ऊपर के बदन को नंगा कर चुके थे, मेरी रूपाली दीदी के ऊपर चढ़े हुए थे.. मेरी बहन की साड़ी भी लगभग खुल चुकी थी.. एक हाथ से ठाकुर साहब मेरी रूपाली दीदी की चूची दबा रहे थे और दूसरे हाथ से उनकी साड़ी को घुटनों से ऊपर उठाने की कोशिश कर रहे थे.. उन्होंने मेरी दीदी की साड़ी  को जांघों तक पहुंचा दिया था.. मेरी दीदी अपनी टांगों से उनको धक्का देने की कोशिश कर रही थी.. ठाकुर साहब  अपने पजामे का नाड़ा ढीला करने लगे थे.. उन्होंने मेरी बहन  के घुटने को हल्का सा मोड़ दिया था और उनकी टांगों के बीच में अपना जगह बनाने की कोशिश करने लगे थे... ठाकुर साहब मेरी बहन की दोनों टांगों को जितना हो सके  उतना चौड़ा करने की कोशिश कर रहे थे.. पर जैसा ठाकुर साहब सोचते थे यह उतना आसान नहीं था.. मेरी रूपाली दीदी अपनी पूरी ताकत से उनका प्रतिरोध कर रही थी.. ठाकुर साहब अब मेरी बहन की चोली खोलने के लिए उत्सुक नहीं लग  रहे थे.. अब तो वह बस एक बार मेरी रुपाली दीदी  की गरम गुलाबी चूत में लंड घुसा लेना चाहते थे...

 अचानक सोनिया जग गई और मम्मी.. मम्मी.. चिल्लाने लगी.. मेरी बहन ठाकुर साहब को धक्का देने लगी  पर ठाकुर साहब  1 इंच टस से मस नहीं  हो रहे थे.. बिस्तर पर होने वाली हलचल के कारण सोनिया की आंख खुलने लगी थी.. मेरी रूपाली दीदी किसी भी कीमत पर नहीं चाहती थी कि सोनिया उनको ठाकुर साहब को इस हालत में देखें..
  मेरी रूपाली दीदी:  मैं आपसे भीख मांगती हूं.. प्लीज अभी मुझे छोड़ दीजिए.. मेरी बेटी जगने वाली है..दया कीजिए ..
 ठाकुर साहब:  कोई बात नहीं.. देखने दो उसको..
 ठाकुर साहब किसी भी कीमत पर मेरी बहन की लेना चाहते थे .. उन्होंने अपना खूंखार लंड बाहर निकाला और मेरी  दीदी की छेद पर टिका दिया.. मेरी दीदी को एहसास हो गया था.. तकरीबन 9 इंच लंबा 3 इंच मोटा लौड़ा उनके  त्रिकोण के ऊपर पैंटी के ऊपर से रगड़ खा रहा था... मेरी दीदी को उस चीज का एहसास हो चुका था कि यह कितना बड़ा मोटा और खूंखार है... ठाकुर साहब के मोटे काले रंग के लंड पर मोटी मोटी  नस  दिख रही थी.. ठाकुर साहब मेरी रूपाली दीदी की जांघों पर अपना  मोटा मुसल  रगड़ रहे थे.. मेरी बहन थरथर कांप रही थी.. मेरी रूपाली दीदी को गर्मी का एहसास होने लगा था.. वह लगभग रोने लगी थी यह सोच कर कि अगर यह हो गया तो फिर वह कहां जाएगी.. किसके सहारे रहेगी.. किसको अपना मुंह दिखाएगी.. मेरी रूपाली दीदी ने पूरी ताकत लगाकर ठाकुर साहब को धक्का दिया और उनको बेड के नीचे गिरा दिया..  मेरी रूपाली दीदी अपनी चोली को ठीक करने लगी.. बड़ी तेजी से.. फिर उन्होंने अपनी साड़ी से खुद को ढक लिया और कंबल भी अपने ऊपर  खींच ली..
 उसके बाद मेरी रूपाली दीदी ने सोनिया को अपनी बाहों में ले लिया और उसको थपकी देकर सुलाने लगी... ठाकुर साहब अपनी आंखों में  हवस के अंगारे लिए हुए मेरी बहन को देख रहे थे और  लोड़े को भी जो मुरझा गया था... उनको पहले बेहद गुस्सा तो आया पर वह फिर धीरे-धीरे शांत हो गए...
 सोनिया फिर से नींद की आगोश में जा चुकी थी.. मेरी रूपाली दीदी और ठाकुर साहब एक दूसरे की आंखों में देख रहे थे..
 मेरी रुपाली  दीदी:  ठाकुर साहब.. कुछ तो सोचिए... यह क्या हैवानियत कर रहे थे आप मेरे साथ...
 ठाकुर साहब ने मन ही मन सोचा.. सच में यह आज कुछ ज्यादा ही हो गया.. इस मासूम हसीना की लेने के लिए यह तरीका ठीक नहीं था... जोर जबरदस्ती के साथ चोद देना ठीक नहीं है.. ठाकुर साहब ने अपना सर झुका लिया..
 ठाकुर साहब:  मैं क्या करता... मुझसे रहा नहीं  गया.. तुम इतनी खूबसूरत हो तुमको देखकर मैं पागल हो गया था... रूपाली...
 मेरी रूपाली दीदी :  प्लीज ठाकुर साहब... यह सब बंद कीजिए.. मैं आपसे  उम्र में ... मैं तो आपकी बेटी जैसी हूं... आप तो मेरे पति  को बेटा कह कर बुलाते हो...
 मेरी  रूपाली दीदी पूरी तरह से लड़खड़ा रही थी बोलते हुए.. उनकी सांसे तेज तेज चल रही थी..
 ठाकुर साहब ने मेरी बहन को सांत्वना देने की कोशिश की.. उन्होंने पानी का ग्लास भी मेरी दीदी को दिया.. पानी का ग्लास लेते हुए मेरी रूपाली दीदी ने महसूस किया कि ठाकुर साहब अपने होशो हवास में आ चुके हैं.
  मेरी रूपाली दीदी खुद को संयमित करने का प्रयास करने लगी थी..
 ठाकुर साहब:  रुपाली... जाओ तुम अपनी जगह पर सो जाओ नहीं तो सोनिया जाग  जाएगी.
 मेरी रूपाली दीदी:  नहीं मुझे आपसे डर लग रहा है.. कहीं फिर आप मेरे साथ... नहीं मैं वहां नहीं सो रही..
 ठाकुर साहब:  ठीक है रुपाली.. तुम सोनिया को बीच में सुला दो.. मैं तुम्हारी जगह पर सो जाता हूं..
 मेरी रूपाली दीदी ठाकुर साहब को आश्चर्य से देखने लगी..
 ठाकुर साहब:  मेरा विश्वास करो रूपाली.. मैं अब कुछ नहीं करूंगा तुम्हारे साथ...
 मेरी रूपाली दीदी घबराते हुए ठाकुर साहब की जगह पर जाने लगी और लेट गई सोनिया बीच में थी और ठाकुर साहब दूसरी तरफ...
 अगले 2 घंटे तक मेरे रुपाली दीदी और ठाकुर साहब दोनों में से किसी को भी नींद नहीं आई... मेरी रूपाली दीदी सोच रही थी और भगवान को धन्यवाद दे रही थी कि उन्होंने इतनी शक्ति दे कि उन्होंने इस हालत में भी ठाकुर साहब को मनमानी नहीं करने  दी.... दूसरी तरफ  ठाकुर साहब निराश होकर लेटे हुए थे...
 ठाकुर साहब मेरी बहन के साथ एक प्यारा रोमांटिक चुदाई करने के मूड में थे..  और ठाकुर साहब सफल नहीं हो पाए थे.. पर ठाकुर साहब के अंदर की गर्मी शांत नहीं हुई थी.. वह मेरी बहन को हर कीमत पर चोदना चाहते थे.. शायद इसीलिए उनकी पत्नी उनको छोड़कर चली गई थी...
 वैसे भी ठाकुर साहब को रंडियों के साथ मजा नहीं आता था.. वह एक घरेलू पतिव्रता नारी  चाहते थे.. जो मेरी रुपाली दीदी के रूप में उनके हाथ आई थी... वह मेरी बहन को चाहते भी थे.. इसीलिए तो हमारे परिवार को अपने घर में लेकर आए थे.. सोचते हुए ठाकुर साहब को नींद आ गई.. सब कुछ नॉर्मल हो चुका था बिस्तर पर.. मेरी दीदी भी नींद की आगोश में जा चुकी थी..
 मेरे जीजू:  अरे रूपाली.. कल रात  तुम्हारे  बेडरूम का दरवाजा क्यों बंद था... मेरी दीदी  घबरा गई पर खुद को संभाला..
 मेरी रूपाली दीदी:  वह कल रात हॉल से अजीब अजीब गाने की आवाज आ रही थी इसलिए..  सोनिया ठीक से सो नहीं पा रही थी..
 मेरे  जीजू:  हां रूपाली.. कल रात को ही हॉल में गंदे गंदे  भोजपुरी गाने बजा रहा था.. तुम्हारा  भाई सेंडी तो नहीं था..
 मेरी रूपाली दीदी:  सैंडी नहीं रोहन होगा... सैंडी को तो पता भी नहीं होगा इन सब गानों के बारे में ...
 जीजू:  तुम ठीक कह रही हो.. रोहन अच्छा लड़का नहीं है..
 मेरी रुपाली  दीदी:  खैर छोड़ो बच्चों को... आप तो ठीक हो ना.
  मेरे जीजू:  हां मेरी जान आई लव यू..
 लव यू टू अनूप... मेरी दीदी बोली...
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#44
Super...mast
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#45
Badhiya update bhai
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#46
मेरी रूपाली दीदी:  मैं नाश्ता बनाने जा रही हूं.. आप ठीक तो हो ना? कल रात को अच्छे से नींद तो आई आपको.. आज डॉक्टर साहब आने वाले हैं आपके चेकअप के लिए..
 मेरे जीजा:  हा रूपाली.. मैं बिल्कुल ठीक से सोया.. कल रात में ठाकुर साहब को कुछ तकलीफ तो नहीं हुई.
 मेरी रूपाली दीदी मन ही मन सोच रही थी कि तकलीफ कैसे होगी.. ठाकुर साहब को... कल रात को तो वह आपकी पत्नी की इज्जत लूटने वाले  थे.. आपको कुछ पता भी है..
 मेरी रूपाली दीदी किचन में घुस गई और कंचन के साथ मिलकर सोनिया के लिए नाश्ता तैयार करने लगी.
 कंचन:  कल रात कैसी गुजरी दीदी..
 मेरी बहन  कंचन का सवाल सुन कर हैरान हो गई थी और उसकी तरफ देखने लगी थी.
 मेरी रूपाली दीदी कंचन के सवाल का जवाब दे पाती इसके पहले ठाकुर साहब किचन के अंदर मौजूद थे.. उन्होंने कंचन को पीछे से अपनी बाहों में भर लिया था और उसकी गर्दन को चूम रहे थे... मेरी रूपानी दीदी बगल में खड़ी होकर सब कुछ देख रही थी..
 कंचन की गांड पर अपना दबाव बढ़ाते हुए ठाकुर साहब मेरी बहन को  घूरे जा रहे थे..
 ठाकुर साहब:  आई लव यू रूपाली.. आई लव यू मेरी जान.
 ठाकुर साहब कंचन को पीछे से दबोच कर उसको प्यार कर रहे थे.. उन्होंने अपना हाथ मेरी रूपाली दीदी की तरफ बढ़ाया.. मेरी रूपाली दीदी उनकी पहुंच से दूर होने लगी थी.. कंचन मुड़ गई और  ठाकुर साहब से लिपट गई... कंचन और ठाकुर साहब के बीच का प्यार देखकर मेरी रुपाली दीदी की छाती ऊपर नीचे हो रही थी.. उनकी चूचियां टाइट होने लगी थी .. ठाकुर साहब की नजर  मेरी रुपाली दीदी की उठती गिरती हुई  चुचियों पर ही टिके हुई थी... और कंचन लिपटी हुई थी उनके चौड़े सीने से..
 ठाकुर साहब:  आई लव यू रूपाली... तुम भी कंचन की तरह मुझसे चिपक जाओ ना..
 मेरी  दीदी:  नहीं... आप  यहां से जाइए... मुझे मेरी बेटी के लिए नाश्ता  तैयार करना है..
 ठाकुर साहब:  कल रात के लिए माफी चाहता हूं रूपाली.. कुछ ज्यादा ही हो गया तुम्हारे साथ.. लेकिन इसका मतलब यह मत समझ लेना कि मैं तुमको इतनी आसानी से जाने दूंगा.. तुम्हारी लेकर रहूंगा चाहे कुछ भी हो जाए... समझी मेरी जान... कंचन ने ठाकुर साहब का लौड़ा पकड़ लिया था... उनकी पैंट के ऊपर से...
 मेरी रूपाली दीदी घबरा रही थी कि यह क्या हो रहा है ..उनकी आंखों के सामने ठाकुर साहब और कंचन एक दूसरे के अंदर घुसने की कोशिश कर रहे थे.. बुरी तरह चुम्मा चाटी करने लगे थे दोनों.. मेरी रूपाली दीदी काफी गंभीर हो चुकी थी..
 ठाकुर साहब:  तुम्हें नहीं पता तुम क्या चीज हो रूपाली.. मेरा यह सब कुछ तुम्हारे लिए ही है.. तुम जैसे चाहो मेरे साथ रह सकती हो.. कुछ भी खरीद सकती हो..
 मेरी रूपाली दीदी:  आपका दिमाग तो ठीक है ना ठाकुर साहब?  मैं आपको बिल्कुल पसंद नहीं करती हूं.. प्यार करना तो दूर की बात है.. प्लीज आप लोग मेरे सामने यह मत कीजिए..
 ठाकुर साहब ने कंचन को आजाद कर दिया.. वह मेरी रूपाली दीदी के बिल्कुल पास गय और अपने घुटनों के बल बैठ गय. उन्होंने मेरी बहन की साड़ी का आंचल उनके सीने से हटा दिया.. आप मेरी बहन का नंगा पेट ठाकुर साहब की आंखों के सामने था.. उन्होंने मेरी दीदी की गोल गहरी नाभि पर चुम्मा लिया उनकी कमर के इर्द-गिर्द अपना हाथ डालकर..
 ठाकुर साहब:  आज तो बस इसी  छेद पर चुम्मा ले रहा हूं.. तुम्हारे हर छेद भी इसी तरह चुम्मा लूंगा रूपाली... समझ गई ना मेरी जान..
 कंचन अपने सामने यह कामुक नजारा देख रही थी..
 मेरी रुपाली  दीदी :   ठाकुर साहब... मुझे नहीं पता था कि आप इतने गिरे हुए इंसान हैं..
 ठाकुर साहब:  रूपाली अभी तो तुम्हें कुछ भी पता नहीं चला.. मैं बहुत गंदा आदमी हूं.. अभी तक तो मैं शराफत से काम ले रहा था.
 मेरी रूपाली दीदी :  यह कैसी शराफत है ठाकुर साहब.. आपकी शराफत तो कल रात ही मैंने देख ली थी..
 ठाकुर  साहब:  जो भी है... अभी मुझे कुछ काम से बाहर जाना है.. मेरे लिए नाश्ता तैयार कर दो तुम ..
 मेरी रूपाली दीदी:  मैं आपकी बीवी नहीं हूं जो आप मुझे इस तरह से आर्डर दे रहे हैं..
 ठाकुर साहब:  बीवी बन जाओगी तो मेरा आर्डर ले  लोगी?(  ठाकुर साहब की आंखों में बस  प्यास थी मेरी बहन के लिए)..
 मेरी दीदी अजीब सा महसूस करने लगी थी उनकी बात सुनकर..

 ठाकुर साहब:  डरो मत रुपाली... मैं तुम्हारे साथ जबरदस्ती नहीं करूंगा.. तुमसे शादी करूंगा और फिर तुम को सुख दूंगा..
 मेरी रुपाली  दीदी:  आपके बदतमीजी का जवाब नहीं ठाकुर  साहब.. आप एक अकेली औरत को अपने घर में लाकर उसकी मजबूरी का फायदा उठाना चाहते हैं.. अगर मेरे पति अनूप ठीक होते तो आपकी हिम्मत भी नहीं होती..
 ठाकुर साहब:  तेरा पति?  हा हा हा?  अगर तुम्हारा पति ठीक भी होता तो मैं तो उसको एक हाथ से उठाकर पटक  देता..
 मेरी रूपाली दीदी मन ही मन जानते थे कि ठाकुर साहब बिल्कुल सच कह रहे हैं... ठाकुर साहब की मर्दानगी के आगे मेरा जीजा बिल्कुल चूहे की तरह था.. अगर ठाकुर साहब चाहे मेरे जीजाजी की हड्डी पसली एक कर सकते थे.. ठाकुर साहब के मुसल का एहसास मेरी बहन को चुका था.. कोई बराबरी नहीं थी ठाकुर साहब और  मेरे जीजाजी में..
 कल रात को मेरी रूपाली दीदी ने ठाकुर साहब के औजार की मोटाई और लंबाई का एहसास करके उनको पीछे धक्का दिया था.. दीदी को अच्छी तरह पता था कि ठाकुर साहब के पास क्या चीज है.. मेरी रूपाली दीदी अपने छोटे  छेद के बारे में सोच रही थी.. ठाकुर साहब  बाहर निकल गय..
 कंचन:  क्या दीदी... आपने तो ठाकुर साहब को नाराज कर दिया... मैं तो समझ रही थी कि ठाकुर साहब ने कल रात को आपका  बाजा बजा दिया.. लेकिन वह तो आपसे प्यार करने लगे है..
 मेरी रुपाली  दीदी:  चुप करो कुछ भी बोलती हो तुम...
 कंचन:  अच्छा दीदी मैं तो कुछ नहीं बोलती .. आज की रात ठाकुर साहब आपकी जरूर लेंगे...
 मेरी  दीदी :  तुमको कैसे पता..
 कंचन:  मुझे सब पता है दीदी ठाकुर साहब के बारे में.. जब वह मुझे इस घर में पहली बार लेकर आए थे तभी मुझे समझ आ गया था..
 मेरी रूपाली दीदी अच्छी तरह जानती थी कंचन क्या कह रही है.. दीदी किचन से निकलकर बाहर आ गई.. मैं और रोहन हॉल में बैठकर टीवी देख रहे थे.. ठाकुर साहब हॉल में खड़े मेरे रुपाली दीदी के सामने थे..
 ठाकुर साहब:  मैं नहाने जा रहा हूं रूपाली... मुझे बाहर जाना है बहुत सारा काम है.. मैं तुम्हारे पति की तरह निकम्मा नहीं हूं.. जब मैं नहा कर आऊंगा तो मेरा नाश्ता तैयार रखना..
 मेरी रूपाली दीदी:  मेरे पति की हालत पर  कुछ तो तरस खाइए ठाकुर साहब..
 ठाकुर साहब:  उसका हाथ तो ठीक है.. आजकल इंटरनेट पर कितने सारे काम होते हैं.. कुछ भी कर सकता है.. पर करना ही नहीं चाहता अनूप..
 मैं और रोहन चुपचाप  मेरी दीदी और ठाकुर साहब के बीच होने वाली बातचीत को सुन रहे थे...
 ठाकुर साहब:  वह तो बस तुमसे काम करवाना चाहता है.. खुद्दार  पति की पत्नी होने का सुख तुम्हें कभी नहीं मिलेगा अनूप से..
 मेरी रूपाली दीदी और मैं भी अच्छी तरह जानता था कि ठाकुर साहब की बातों में कुछ तो सच्चाई है.. रोहन मुस्कुरा  रहा था... कंचन भी किचन से बाहर आकर उन दोनों के बीच की बातचीत सुन  रही थी.
 ठाकुर साहब:  देखो रूपाली मुझे बाहर जाना है किसी काम से.. आज डॉक्टर आने वाला है  तुम्हारे पति का चेकअप करने के लिए.. मैंने पैसे रख दिय टेबल पर... डॉक्टर को दे देना जाने के समय... चेकअप के बाद... समझ गई ना..
 मेरी रूपाली दीदी सर झुका के ठाकुर साहब के सामने खड़ी थी...
 तुम दोनों बाहर जाओ.. ठाकुर साहब ने मुझे और रोहन को कहा.. हम दोनों बड़ी तेजी से बाहर निकल गए घर से..
 ठाकुर साहब:  देखो रूपाली.. मुझे माफ कर दो मैंने आज तुम्हारे साथ बहुत बदतमीजी के साथ बात की..
 उन्होंने मेरी दीदी का चेहरा अपने हाथों में ले  उनको चुम्मा लेने की कोशिश की.. दीदी  दूर हो गई ठाकुर साहब से..
 मेरी रूपाली दीदी:  क्या आप मेरे पति के लिए एक व्हीलचेयर का इंतजाम कर सकते हैं?
 ठाकुर साहब:  व्हीलचेयर?  वह किसलिए रूपाली?  जब रात में मैं तुम्हारी लूंगा तो तुम्हारा पति  व्हील चेयर पर आकर देखेगा सब कुछ.. इसलिए?
 मेरी रूपाली दीदी शर्मिंदा होकर चुपचाप नीचे की तरफ देखने लगी थी..
 ठाकुर साहब:  ठीक है रुपाली.. व्हीलचेयर का इंतजाम हो जाएगा..
 मैं कुछ और पैसे रख दूंगा.. व्हीलचेयर की खातिर कम से कम एक चुम्मा तो दे दो.. मेरी रानी..
 रूपाली दीदी:  बस कीजिए अपनी बकवास... कुछ भी बोलते हैं आप.. मैं नहीं करूंगी आपके साथ यह सब..
 ठाकुर साहब:  तुम नहीं सुधरने वाली... मैं नहाने जा रहा हूं मेरा नाश्ता तैयार रखना... बोलते हुए ठाकुर साहब वॉशरूम में घुस गय..
 इसके बाद  कुछ खास नहीं हुआ.. ठाकुर साहब नहाने के बाद नाश्ता किय और फिर चले गए घर से बाहर अपने काम के लिए..
 मेरी रूपाली दीदी ने भी सोनिया को स्कूल छोड़ दिया और वापस घर आकर अपनी छोटी बेटी नूपुर को  अपना दूध पिला बिस्तर पर लेटी हुई सोच रही थी.... यह कंचन क्या चीज है... मुझे कंचन की तरह ठाकुर साहब के रंडी नहीं बनना है... मेरी दीदी ने जीजू को खाना खिलाया... फिर मुझे और रोहन को भी... कंचन की निगाहें मेरे रूपाली दीदी पर टिकी हुई थी.. मेरी दीदी अपने बेडरूम में गई यानी कि ठाकुर साहब के  बेडरूम में उनके बिस्तर पर लेट कर अपने आने वाले भविष्य के बारे में सोचने लगी... मेरी दीदी को नींद आ गई..
 ठाकुर साहब ने मेरी बहन के साथ जो कुछ भी किया था वह किसी भी तरह से ठीक नहीं था.. लेकिन साथ ही साथ वह हमारे घर की आर्थिक  स्थिति को भी संभाल रहे थे... मेरी  रुपाली  दीदी ठाकुर साहब के ही ख्यालों में खोई हुई थी.. व्हीलचेयर..?
 मेरी बहन का पति दूसरे कमरे में सो रहा था.. और मेरी रूपाली दीदी ठाकुर साहब के साथ उनके बिस्तर पर.. ठाकुर साहब की उम्र कुछ ज्यादा ही थी.. मेरी रुपाली दीदी की तुलना में.. ठाकुर साहब मेरी रुपाली दीदी के साथ कुछ मौज मस्ती करना चाहते थे.. इस बात में तो कोई शक नहीं..
 मेरी रूपाली दीदी किसी भी कीमत पर नहीं चाहती थी.. उन्होंने मन ही मन फैसला किया कि वह ठाकुर साहब को बोलेगी कि कोई नौकरी दिला दें.. ताकि वह ठाकुर साहब का उधार चुका सकें... पर ठाकुर साहब ... उनका तो इरादा कुछ और ही था.. मेरी बहन की लेने का... बिना कंडोम के..
 
 मेरी बहन को नींद आ गई.. शाम को डॉक्टर साहब आए.. उन्होंने मेरे जीजाजी का चेकअप किया.. डॉक्टर साहब ने सुझाव दिया कि मेरे जीजाजी को एक व्हीलचेयर की जरूरत है... मेरी दीदी उनकी बात सुनकर हैरान थी.. ठाकुर साहब ने भी तो यही कहा था..
 ठाकुर साहब के पर्स में से पैसा निकाल कर मेरी रूपाली दीदी ने डॉक्टर को दिया और उनको जाने दिया... डॉक्टर साहब के जाने के बाद मेरी रूपाली दीदी और मेरे जीजा जी ने एक साथ लंच किया.. मेरी दीदी अच्छा महसूस कर रही थी.. सब कुछ अच्छा हो रहा था...
 मैं और रोहन अब एक दूसरे के अच्छे दोस्त बन चुके थे..
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#47
Bhai aapki writinh bahot hi erotic hai. Thanks for updates. Looking forward for Tharki Thakur.
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#48
Super.
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#49
(11-07-2021, 10:39 AM)Suryahot123 Wrote: Super.
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#50
Awesome story
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#51
Very hot
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#52
Bahut hi sundar story hai..... keep it up..
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#53
मू चुदवा रहा हैं 8 दिन से ??
बनचोद अपडेट डाल
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#54
Update
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#55
update bro...
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#56
ma chuda rha h thakur se
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#57
aapne lat lagakar kahan kho gaye ho..

next update bro.. come fast.
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#58
दोपहर के बाद डॉक्टर साहब आए... उन्होंने मेरे जीजाजी का फुल चेकअप किया... और कुछ दवाइयां और हिदायत भी दी साथ में... उन्होंने मेरी दीदी को सलाह दी कि हो सकता है तो  एक व्हीलचेयर का इंतजाम इनके लिए कर दीजिए आप... दीदी उनकी बात सुनकर खुश हुई.. मेरे जीजू भी अच्छा महसूस कर रहे थे.. मेरी रूपाली दीदी ने  पैसे लाकर  डॉक्टर साहब के हाथ में पकड़ा दिया, जो पैसे ठाकुर साहब उनको घर से निकलने से पहले  देकर गए थे... एक व्हीलचेयर शाम को हमारे घर पहुंच गया था... मैंने और रोहन ने मिलकर बड़ी मुश्किल से मेरे  जीजाजी को व्हीलचेयर के ऊपर बैठाया...
 व्हीलचेयर के ऊपर बैठकर मेरे जीजाजी बेहद खुश लग रहे थे... वह बार-बार मुझे और रोहन को बता रहे थे कि ठाकुर साहब  कितने अच्छे और दयालु इंसान हैं... मेरे भोले जीजा जी को इस बात की जरा भी भनक नहीं थी इसके बदले वह उनकी बीवी यानी मेरी रूपाली दीदी को अपने बिस्तर की रानी बनाना चाहते थे.. मुझे मन ही मन इस बात का अंदाजा हो चुका था  पर उस समय मैं कुछ भी करने की हालत में नहीं था..
 हमारे घर की आर्थिक स्थिति पूरी तरह से खराब हो चुकी थी.. मेरे जीजाजी भी अपाहिज हो चुके थे.. हमारा परिवार शरणार्थी की तरह ठाकुर साहब के फ्लैट में रह रहा था.. मेरे स्कूल की फीस भी ठाकुर साहब के पैसों से भरी जा रही थी... ऐसी हालत में मैं अपने जीजा जी को कैसे बताता ठाकुर साहब की नियत मेरी रूपाली दीदी के लिए ठीक नहीं है.. ऐसी बात जानकर मेरे जीजाजी की हालत और भी खराब हो सकती थी.. मेरी उम्र भी उस वक्त कम थी और मैं कुछ समझ नहीं पा रहा था कि मुझे क्या करना चाहिए.. मैंने चुप रहना ही ठीक समझा.
 रात को ठाकुर साहब घर वापस आए... उन्होंने मेरे जीजाजी की हालत का जायजा लिया... मेरे जीजू को व्हील चेयर पर देखकर उनको भी अच्छा लगा... जीजू ने ठाकुर साहब को धन्यवाद दिया...
 जीजू:  आपका एहसान मैं जिंदगी भर नहीं चुका सकता.. ठाकुर साहब हमारी  इस परिस्थिति में  आपने जो मदद की है उसके लिए हमारा परिवार पूरी जिंदगी आपका कर्जदार रहेगा..
 ठाकुर साहब ने मेरे  जीजाजी की बात पर कुछ खास ध्यान नहीं दिया.. ठाकुर साहब की निगाहें तो मेरी रुपाली दीदी पर टिकी हुई थी, अपने सपनों की रानी पर..
 मेरी रूपाली दीदी भी ठाकुर साहब के साथ अच्छा व्यवहार कर रही थी.. 
 मेरी दीदी आज बहुत खुश लग रही थी..
  लाल रंग की साड़ी और काले रंग की चोली में जब मेरी दीदी किचन में काम कर रही थी उसी वक्त ठाकुर साहब ठीक उनके पीछे जाकर खड़े हो गए.. साड़ी में लिपटी हुई मेरी बहन की  उभरी हुई हसीन गांड देखकर ठाकुर साहब का लंड तुरंत खड़ा हो गया.. मेरी दीदी खाना बना रही थी और बगल से उनका पेट ठाकुर साहब को साफ साफ दिखाई दे रहा था.. चिकना सपाट पेट गहरी नाभि देखकर ठाकुर साहब से रहा नहीं गया.. उन्होंने अपना एक हाथ में मेरी रूपाली दीदी की चिकनी कमर पर रख दिया... ठाकुर साहब अच्छी तरह जानते थे कि यह ठीक समय नहीं है.. इसीलिए वह मेरी बहन की कमर को थामे हुए कुछ दूरी बनाए हुए खड़े थे ताकि उनका हथियार मेरी बहन की गांड को टच ना कर सके..
 मेरी रूपाली दीदी ने महसूस किया कि ठाकुर साहब का मजबूत कठोर हाथ उनकी कमर पर फिसल रहा है... मेरी बहन इस वक्त कोई भी सीन खड़ा नहीं करना चाहते थे... वाह ठाकुर साहब की पहुंच से दूर होकर खड़ी हो गई.. फिर उनकी तरफ तरफ मुड़ कर  ठाकुर साहब को देखने  लगी...
 मेरी रूपाली दीदी:  ठाकुर साहब आप मेरे लिए एक जॉब ढूंढ दीजिए..
 ठाकुर साहब:  तुम्हें जॉब करने की क्या जरूरत है रुपाली..
 मेरी  रूपाली दीदी:  आपने जो हमारी इतनी मदद की है मैं उसे चुकाना चाहती हूं..
 ठाकुर साहब:  1- 2 जॉब तो है.. पर बहुत  दूर जाना होगा और काम भी करना पड़ेगा... तुम्हारी दो छोटी बेटियां  हैं... कैसे कर पाओगी यह सब... तुम्हारे अपाहिज पति की देखभाल कौन करेगा...
 मेरी रूपाली दीदी:  मैं कोशिश करूंगी.. नहीं तो आपके पैसे कैसे चुका पाऊंगा...
 ठाकुर साहब:  वह तो तुम चुका सकती हो...
 मेरी रूपाली दीदी ठाकुर साहब की बात समझ गई और शर्मा गई.. मेरी बहन चुप हो गई... इस वक्त ठाकुर साहब ने भी ज्यादा  दबाव डालना ठीक नहीं समझा..
 ठाकुर साहब:  देखो रुपाली मैं कोशिश करूंगा जॉब का इंतजाम करने की... लेकिन तुम समझ लो कि मिलना बहुत मुश्किल है. अच्छा बताओ आज खाने में क्या बना हुआ है...
 मेरी रूपाली दीदी:  दाल रोटी और सब्जी...
 ठाकुर साहब:  मटन नहीं बनाई हो क्या... चलो कोई बात नहीं जल्दी से खाना लगा दो मुझे बहुत भूख लगी है...
 उसके बाद हम सब ने मिलकर एक साथ खाना खाया.. खाना खाने के बाद ठाकुर साहब तो सिगरेट पीने के लिए बाहर  चले गए... मेरी रूपाली दीदी ने  मेरे जीजाजी को बेड पर सुलाया और फिर सोनिया को गोद में लेकर ठाकुर साहब के बेडरूम में चली गई... मैं और रोहन कल की तरह ही हॉल में सो रहे थे... कंचन किचन में सो रही थी... मेरी बहन ने नूपुर को अपना दूध पिलाया और उसको सुला दी पालने में... फिर दीदी ने सोनिया को भी सुला दिया अपने बिस्तर पर..
 सोनिया को बिस्तर पर सुलाने के बाद मेरी रूपाली  दीदी अपनी साड़ी चेंज करने  लगी थी... ठीक उसी वक्त ठाकुर साहब अपने बेडरूम में गय.. उनकी आंखों के सामने मेरी रूपाली दीदी लाल रंग के पेटीकोट और काले रंग की चोली में खड़ी थी.. मैं  और रोहन अभी भी जगे हुए थे.. हमें ठाकुर साहब को बेडरूम में जाते हुए देखा था.. पर जानबूझकर डर के मारे अपनी आंखें बंद कर रखी थी.. जब ठाकुर साहब बेडरूम के अंदर घुस गय तब मैंने रोहन की तरफ देखा... उसकी आंखों में कुटिल मुस्कान थी.. मुझे  अच्छी तरह समझ में आ रहा था कि आंखों आंखों में ही वह मुझे क्या कह रहा है..
 ठाकुर साहब आज तेरी बहन को भी पेलने जा रहे हैं....
 मैंने अपनी नजर एक नीचे झुका ली थी.. अंदर ठाकुर साहब के बेडरूम में मेरी दीदी उनके सामने खड़ी थी...
  सपाट चिकने पेट पर गहरी नाभि.. बड़े बड़े मस्त दुधारू चूची चोली के अंदर  देखकर ठाकुर साहब देखते ही रह गया.. मेरी रूपाली दीदी को एहसास हुआ कि ठाकुर साहब उनके बदन को निहार  रहे हैं..
 मेरी रुपाली दीदी शर्मिंदा महसूस करने लगी और जल्दी जल्दी अपनी साड़ी  लपेटने  लगी थी.. ठाकुर साहब मेरी दीदी के पास आए और उन्होंने मेरी बहन का हाथ पकड़ लिया.. मेरी दीदी घबराने और शर्मआने लगी थी.
 ठाकुर साहब के मुंह से शराब और सिगरेट की बदबू आ रही थी... अब मेरी रूपाली दीदी और ठाकुर साहब एक दूसरे की आंखों में देख रहे थे..
 इतना ही काफी था ठाकुर साहब का लंड खड़ा करने के लिए..
 उनका खड़ा लंड  मेरी बहन की नाभि के आसपास की जगह पर दस्तक देने लगा था... जब ठाकुर साहब मेरी रूपाली दीदी के होठों को चूमने के लिए नीचे की तरफ झुके..
 मेरी बहन ने अपनी आंखें बंद कर ली और अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा दिया..
 ठाकुर साहब ने मेरी बहन को अपनी गोद में उठा लिया और अपने बिस्तर पर लेटा दिया.. फिर उन्होंने सोनिया को उठाकर अलग  कर दिया और खुद मेरी बहन के पास आ गए... आज मेरी बहन कल रात की तरह कुछ खास ज्यादा विरोध नहीं कर रही थी... मेरी दीदी दीवार की तरफ देखने लगी ठाकुर साहब से दूर होते हुए.. ठाकुर साहब मेरी बहन के पास  आए और करवट लेती हुई मेरी बहन के ऊपर अपनी टांग उठा कर  लेट गया.. उनका मोटा लंबा खूंखार हथियार मेरी दीदी के पेटीकोट के ऊपर से उनकी गांड पर दस्तक दे रहा था... मेरी दीदी परेशान हो गई थी.
 मेरी बहन के मुंह से  सिसकी भी निकल गई थी जब उन्होंने महसूस किया था अपनी गांड पर ठाकुर साहब का मजबूत हथियार.. ठाकुर साहब ने मेरी बहन को अपनी बाहों में भर लिया था... और उनकी गांड पर अपना हथियार घिसाई कर रहे थे... मेरी दीदी को समझ नहीं आ रहा था कि अब वह क्या करें...
 ठाकुर साहब ने अपनी टी-शर्ट निकालकर नीचे फेंक दि.. और मेरी बहन की पीठ को चूमने लगे चोली के ऊपर से... उनका हाथ मेरी बहन के पेट पर था.. नाभि में उनकी उंगलियां थी..
 मेरी रूपाली दीदी को अपने बदन में एक अजीब से करंट का एहसास हुआ.. ठाकुर साहब अपना हाथ मेरी बहन की चूची के ऊपर ले जाना चाहते थे...  पर मेरी रूपाली दीदी ने उनका हाथ पकड़ के नीचे हटा दिया.
 ठाकुर साहब आज बिल्कुल भी जोर जबरदस्ती नहीं कर रहे थे मेरी बहन के साथ... जितना मौका उनको मिल रहा था आज  इतने से ही खुश  हो रहे थे ठाकुर रणवीर सिंह...
 ठाकुर साहब मेरी बहन की टांग पर अपने टांग रगड़ रहे थे.. मेरी रूपाली दीदी की गांड के नीचे दोनों जांघों के बीच अपने मुसल लंड को सटाए ठाकुर साहब मेरी बहन के साथ प्यार करने की कोशिश कर रहे थे... मेरी बहन ठाकुर साहब के हथियार की लंबाई और मोटाई का ठीक से अंदाजा लगा रख पा रही थी... मेरी रुपाली  दीदी  डरी हुई थी...
 ठाकुर साहब पीछे से तो ऐसे धक्का दे रहे थे जैसे मानो मेरी रूपाली दीदी की गांड मार रहे हो.. मेरी दीदी घबराकर  बोल पड़ी..
 मेरी रूपाली दीदी:  प्लीज ठाकुर साहब... कंबल तो डाल लीजिए.. अगर सोनिया जाग गई तो सब कुछ देख लेगी..
 ठाकुर साहब ने कंबल ले लिया..मेरी बहन और ठाकुर साहब  दोनों कंबल के नीचे आ गए थे.. वह मेरी दीदी की गाल और गर्दन को चूमने लगे थे.
 ठाकुर साहब को एहसास हुआ कि मेरी रूपाली दीदी भी शारीरिक संबंध के लिए तैयार हो चुकी है.. उन्होंने मेरी बहन का चेहरा अपनी तरफ घुमाया और फिर अपने दोनों मजबूत हाथों में मेरी बहन की दोनों चूचियां थाम के दबाने लगे... मसल के बुरी तरह से निचोड़  डाला उन्होंने चोली के ऊपर से मेरी बहन के दोनों पहाड़ को... मेरी दीदी कराह उठी.
 ठाकुर साहब मेरी रुपाली दीदी  की दोनों दुधारू चुचियों को दबाते हुए मेरी बहन की आंखों में देख रहे थे... ठाकुर साहब ऐसा पहले भी मेरी बहन के साथ कर चुके थे... पर आज उन्हें कुछ अलग लग रहा था..
 उन्हें तो ऐसा लग रहा था जैसा वह यह पहली बार कर रहे हैं..
 मेरी रूपाली दीदी उनकी आंखों में ज्यादा देर तक देख नहीं पाई और शर्म और हया के मारे  बेहाल हो गई... उनका पति बगल के कमरे में सो रहा था... उनका भाई बाहर हॉल में सो रहा था... और मेरी  दीदी ठाकुर साहब के बिस्तर पर उनके नीचे लेटी हुई अपनी चूचियां  उनके हवाले किए हुए लेटी हुई थी... अगल बगल में ही उनकी दोनों बेटियां सोई हुई थी.
 ठाकुर साहब अपने होठ मेरी रुपाली दीदी के लाल होठों पर टिका  चूसने लगे... बिना लिपस्टिक के भी मेरी दीदी के होठ चूसते हुए ठाकुर साहब को बड़ा मजा आ रहा था और टेस्ट भी... यह उन दोनों का पहला चुंबन था..
 मेरी रूपाली दीदी धीरे-धीरे ठाकुर साहब का सहयोग करने लगी थी.. चुंबन में... दीदी की सांसे भारी होने लगी थी.. ठाकुर साहब मेरी बहन के ऊपर दबाव बनाने लगे थे.. सब कुछ बड़े प्यार से हो रहा था..
 ठाकुर साहब मेरी रुपाली दीदी के ऊपर सवार हो चुके थे... उनका तगड़ा हथियार मेरी बहन की जांघों के बीच के त्रिकोण पर रगड़ खा रहा था... और मेरी बहन  गीली हुई जा रही थी...  चूचियां छोड़कर ठाकुर साहब ने अपना हाथ नीचे किया और मेरी बहन की गांड को अपने हाथों में दबोच लिया... अब उनका चेहरा मेरी बहन की छाती पर था.. मेरी दीदी तड़प रही थी.. मचल रही थी ..सिसक रही थी...
 पेटीकोट के ऊपर से ठाकुर साहब मेरी बहन की गांड को दबाने लगे... मेरी दीदी जोर-जोर से  आहें भरने लगी.. वह मेरी बहन की गर्दन को चाट रहे थे... मेरी दीदी के गालों को चूम रहे थे...
 मेरी बहन अब पूरी तरह से गीली होने लगी थी... ठाकुर साहब को मेरी रुपाली दीदी की स्थिति का एहसास हो चुका था...

 ठाकुर साहब आज कोई जल्दी बाजी नहीं करना चाहते थे.. उन्होंने धीरे धीरे मेरे रूपाली दीदी की काले रंग की चोली को खोलना शुरू कर दिया.
 इसी बीच में रूपाली दीदी सोनिया की तरफ देख रही थी... सोनिया गहरी नींद में सोई हुई थी.. दीदी को मन में  राहत का अहसास हुआ..
 ठाकुर साहब इतनी देर में ही मेरी बहन की चोली खोल चुके थे.. एक झटके में ही उन्होंने मेरी बहन की ब्रा का हुक भी खोल दिया... मेरी रूपाली दीदी ठाकुर साहब को रोकना चाहती थी पर रोक नहीं पाई... ठाकुर साहब बेहद अनुभवी थे इस काम को करने में..
 ठाकुर साहब ने मेरी रुपाली दीदी के कांधे से खींच कर उनकी ब्रा को अलग किया... दोनों मदमस्त  उभरे हुए पहाड़ ठाकुर साहब की आंखों के सामने थे... मेरी बहन की  दोनों चूची नंगी हो चुकी थी... ठाकुर साहब मेरी बहन की छाती को दबाते हुए दूध निकालने लगे और मेरी बहन को चूमने लगे ... दोनों एक दूसरे को चूमने लगे... फ्रेंच किस....
 ठाकुर साहब बेहद भारी और मजबूत इंसान थे.. वह खुद को संयम नहीं कर पाए.. उन्होंने मेरी रूपाली दीदी की एक  चूची को अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगे... दूध पीने लगे मेरी बहन का...
 मेरी बहन के मुंह से एक तेज कराह निकली..
 मेरी रूपाली दीदी का एक हाथ ठाकुर साहब के सर पर था और उनकी बालों में घूम रहा था... वह मेरी बहन का दूध पी रहे थे.. बड़े प्यार से मेरी बहना का चूस रहे थे... मेरी दीदी के एक निप्पल पर  जीभ फिर आते हुए वह दूसरे निप्पल को अपनी चुटकी में लेकर मसल रहे थे... दीदी बेहाल थी परेशान थी... तड़प तड़प के पागल हो रही थी..
 तकरीबन 10 मिनट तक उन्होंने मेरी रुपाली दीदी की एक चूची से दूध पिया... फिर उन्होंने मेरी रूपाली दीदी की दोनों चूचियों को अपने दोनों हाथों में दबोच लिया... और बारी बारी से उनका दूध पीने लगे..
आअममममममम... की आवाज कमरे में गूंजने लगी थी..
 दोनों प्रेमी युगल कामवासना की दुनिया में खोए हुए थे.. ठाकुर साहब ने एक हाथ  मेरी रूपाली दीदी का पेटीकोट उनके कमर के ऊपर तक उठा दिया.. और उसी हाथ से मेरी दीदी की गांड पकड़कर दबाने लगे.. सब कुछ काबू से बाहर होता जा रहा था... मेरी बहन को एहसास हो चुका था कि अब रोकना पड़ेगा... पर कैसे रोके समझ नहीं आ रहा था उनको...
 मेरी रूपाली दीदी: आआई मम्माममआ ईईईईऊ आया ऊ ईईई... प्लीज ठाकुर साहब... अब रुक जाइए अब और नहीं..
 ठाकुर साहब:  मेरी जान.. बस एक बार गुस्सा लेने दो अपने अंदर... प्लीज आज मुझे मत रोको...  रूपाली..
  मेरी रूपाली  दीदी:   ऊ ईईई ... नहीं मेरी इज्जत मत...ठाकुर साहब..
 ठाकुर साहब रुकने के मूड में नहीं थे... वह मेरी रुपाली दीदी की सूखी 
चुदाई  करने लगे थे जो कपड़े के ऊपर से होती है...
 ठाकुर साहब नीचे झुककर मेरी बहन की नाभि को चूम रहे थे.. उनके पेट को चाट रहे थे.. मेरी रूपाली दीदी भी उत्तेजित होकर अपनी गांड उठा  रही थी .. ठाकुर साहब लंड को बार-बार मेरे रूपाली  दीदी की चुनमुनिया के ऊपर घीसे जा रहे थे... मेरी बहन को तड़पा  रहे थे..
 सब कुछ कपड़े के ऊपर से ही हो रहा था....
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#59
Vary nice update next  update come  fast 
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#60
Mast...mind blowing... please update more
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