Posts: 82,827
Threads: 803
Likes Received: 9,692 in 8,000 posts
Likes Given: 20
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
उत्तरासाठी त्याला फार वेळ थांबावं लागलं नाही. एक एक शब्द हळू हळू उच्चारत शिल्पा वहिनी म्हणाल्या, "सॉरी शशांक... मला मुद्दाम असं काही करायचं नव्हतं. तुमच्याशी बोलताना मला नेहमीच मोकळं वाटतं. तुम्हाला ब-याच गोष्टी सांगाव्याशा वाटतात. खास करुन ही माझी इतकी खाजगी गोष्ट आहे, पण सध्या तुमच्याशिवाय मी दुस-या कुणाशी त्याबद्दल बोलूही शकत नाही. माझ्या... माझ्या गरजा थोड्या वेगळ्या आहेत, शशांक. तुम्हाला त्या समजतील अशी मी आशा करते."
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
Posts: 82,827
Threads: 803
Likes Received: 9,692 in 8,000 posts
Likes Given: 20
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
उसे जवाब के लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ा। शिल्पा वाहिनी ने धीरे-धीरे एक बार में एक शब्द कहा, "सॉरी शशांक ... मेरा मतलब जानबूझकर ऐसा नहीं करना था। मैं हमेशा आपसे बेझिझक बात करता हूं। आप मुझे बहुत कुछ बताना चाहते हैं। मैं नहीं कर सकता इसके बारे में किसी और से बात करो। मेरी... मेरी जरूरतें थोड़ी अलग हैं, शशांक। मुझे आशा है कि आप समझ गए होंगे।"
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 82,827
Threads: 803
Likes Received: 9,692 in 8,000 posts
Likes Given: 20
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
(20-07-2021, 04:50 PM)neerathemall Wrote: उसे जवाब के लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ा।
शिल्पा वाहिनी ने धीरे-धीरे एक बार में एक शब्द कहा,
"सॉरी शशांक ... मेरा मतलब जानबूझकर ऐसा नहीं करना था। मैं हमेशा आपसे बेझिझक बात करता हूं।
आप मुझे बहुत कुछ बताना चाहते हैं।
मैं नहीं कर सकता इसके बारे में किसी और से बात करो। मेरी... मेरी जरूरतें थोड़ी अलग हैं, शशांक।
मुझे आशा है कि आप समझ गए होंगे।"
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 82,827
Threads: 803
Likes Received: 9,692 in 8,000 posts
Likes Given: 20
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
"तुम्ही बिनधास्त मला सांगू शकता, वहिनी," शिल्पा वहिनींचे दोन्ही हात हातात घेत शशांक म्हणाला. ह्या बंदीस्त किचनमधला एकांत, शिल्पा वहिनींबद्दल इतके दिवस साचलेलं आकर्षण, त्यांनीच पुढाकार घेऊन सुरु केलेला प्रणयाचा खेळ, ह्या सगळ्याचा त्याच्या मनावर आणि शरीरावर खूपच परिणाम झाला होता. आता मागं सरकणं त्याला शक्य नव्हतं. मगाचची थप्पड आणि शिवी विसरुन त्यानं शिल्पा वहिनींना पुन्हा मिठीत घेतलं आणि त्यांच्या जांभळट ओठांवर आपले ओठ टेकवले.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
Posts: 82,827
Threads: 803
Likes Received: 9,692 in 8,000 posts
Likes Given: 20
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
शशांक ने शिल्पा वाहिनी के दोनों हाथों को पकड़ते हुए कहा, "आप बिना किसी हिचकिचाहट के मुझे बता सकते हैं, वाहिनी।" इस बंद रसोई में एकांत, शिल्पा वाहिनी के साथ इतने दिनों तक मोह, अपनी पहल से शुरू हुआ प्यार का खेल, इन सबका उनके मन और शरीर पर गहरा असर पड़ा। अब वह पीछे नहीं हट सकता था। पीठ का थप्पड़ और कसम खाकर उन्होंने फिर से शिल्पा वाहिनी को गले लगाया और अपने होठों को उसके बैंगनी होंठों पर रख दिया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 82,827
Threads: 803
Likes Received: 9,692 in 8,000 posts
Likes Given: 20
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
(20-07-2021, 04:51 PM)neerathemall Wrote: शशांक ने शिल्पा वाहिनी के दोनों हाथों को पकड़ते हुए कहा,
"आप बिना किसी हिचकिचाहट के मुझे बता सकते हैं, वाहिनी।"
इस बंद रसोई में एकांत, शिल्पा वाहिनी के साथ इतने दिनों तक मोह,
अपनी पहल से शुरू हुआ प्यार का खेल,
इन सबका उनके मन और शरीर पर गहरा असर पड़ा।
अब वह पीछे नहीं हट सकता था।
पीठ का थप्पड़ और कसम खाकर उन्होंने फिर से शिल्पा वाहिनी को गले लगाया और अपने होठों को उसके बैंगनी होंठों पर रख दिया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 82,827
Threads: 803
Likes Received: 9,692 in 8,000 posts
Likes Given: 20
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
"थांबा..." शशांकला दोन्ही हातांनी दूर ढकलत शिल्पा वहिनी पुन्हा ओरडल्या, "हेच नाही आवडत मला. हे असं पुस्तकं-सिनेमात दाखवल्यासारखं हळूवार प्रेम करणं... माझी गरज वेगळी आहे, शशांक. मी इतर बायकांसारखी नाही." असं म्हणत त्यांनी दोन्ही हातांत शशांकच्या शर्टची कॉलर पकडत त्याला जवळ खेचलं. त्याच्या डोळ्यांत डोळे घालत त्यांनी जोर लावून दोन्ही हात बाजूला खेचले. शशांकला काही कळायच्या आत त्याच्या शर्टची सगळी बटणं ताड-ताड तुटून संपूर्ण किचनभर पसरली. त्याच्या शर्टचा अडथळा दूर होताच शिल्पा वहिनींनी दोन्ही हातांनी त्याचा बनियन वर गुंडाळला आणि खाली झुकून त्याच्या उजव्या निप्पलचा चावा घेतला.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
Posts: 82,827
Threads: 803
Likes Received: 9,692 in 8,000 posts
Likes Given: 20
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
"रुको..." शिल्पा की बहू फिर चिल्लाई, शशांक को दोनों हाथों से धक्का देते हुए, "मुझे यह पसंद नहीं है। यह किताबों और फिल्मों में दिखाया गया एक नरम प्यार है ... मेरी जरूरत अलग है, शशांक। मैं दूसरी पत्नियों की तरह नहीं हूं।" इतना कहकर उसने दोनों हाथों से शशांक की शर्ट का कॉलर पकड़ लिया और उसे अपने पास खींच लिया। उसने अपनी आँखें उसकी ओर रखते हुए जोर से धक्का दिया और दोनों हाथों को बगल की तरफ खींच लिया। चंद सेकेंड में ही उसकी शर्ट के सारे बटन टूटकर किचन में फैल गए। जैसे ही उनकी शर्ट का हेम हटाया गया, शिल्पा वाहिनी ने अपनी बाहों को अपनी बनियान के चारों ओर लपेट लिया और अपने दाहिने निप्पल को काटने के लिए झुक गईं।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 82,827
Threads: 803
Likes Received: 9,692 in 8,000 posts
Likes Given: 20
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
(20-07-2021, 04:52 PM)neerathemall Wrote: "रुको..." शिल्पा की बहू फिर चिल्लाई, शशांक को दोनों हाथों से धक्का देते हुए, "मुझे यह पसंद नहीं है।
यह किताबों और फिल्मों में दिखाया गया एक नरम प्यार है ... मेरी जरूरत अलग है, शशांक।
मैं दूसरी पत्नियों की तरह नहीं हूं।"
इतना कहकर उसने दोनों हाथों से शशांक की शर्ट का कॉलर पकड़ लिया और उसे अपने पास खींच लिया।
उसने अपनी आँखें उसकी ओर रखते हुए जोर से धक्का दिया और दोनों हाथों को बगल की तरफ खींच लिया।
चंद सेकेंड में ही उसकी शर्ट के सारे बटन टूटकर किचन में फैल गए।
जैसे ही उनकी शर्ट का हेम हटाया गया, शिल्पा वाहिनी ने अपनी बाहों को अपनी बनियान के चारों ओर लपेट लिया और अपने दाहिने निप्पल को काटने के लिए झुक गईं।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 82,827
Threads: 803
Likes Received: 9,692 in 8,000 posts
Likes Given: 20
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
"आह्... ओह्..." शशांक कळवळला, पण त्याच्यासाठी हा अनुभव नवीन असला तरी खूपच उत्तेजक होता. दोन्ही हातांनी शिल्पा वहिनींचं डोकं पकडून त्यानं स्वतःच्या डाव्या निप्पलसमोर आणलं. शिल्पा वहिनींनी जीभ बाहेर काढून त्याचं निप्पल चाटलं आणि मग त्यावर हळूवार फुंकर मारली. त्या गार स्पर्शानं शशांकच्या संपूर्ण शरीरावर शहारा आला. मान वर करुन शिल्पा वहिनींनी शशांकचा अगतिक चेहरा बघितला आणि एक कातिल स्माईल देत मान पुन्हा झुकवली. यावेळचा चावा इतका जबरदस्त होता की शशांकच्या डोळ्यांतून पाणीच आलं.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
Posts: 82,827
Threads: 803
Likes Received: 9,692 in 8,000 posts
Likes Given: 20
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
"आह ... ओह ..." शशांक ने आह भरी, लेकिन अनुभव नया था लेकिन उसके लिए बहुत रोमांचक था। उन्होंने शिल्पा वाहिनी के सिर को दोनों हाथों से पकड़ लिया और अपने बाएं निप्पल के सामने ले आए। शिल्पा वाहिनी अपनी जीभ बाहर निकालती है और उसके निप्पल को चाटती है और फिर धीरे से उस पर फूंकती है। उस ठंडे स्पर्श ने शशांक के पूरे शरीर को ढँक दिया। शिल्पा वाहिनी ने शशांक के बेबस चेहरे की तरफ देखा और कातिलाना मुस्कान देते हुए फिर से सिर झुका लिया। इस बार दंश इतना तेज था कि शशांक की आंखों से आंसू छलक पड़े।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 82,827
Threads: 803
Likes Received: 9,692 in 8,000 posts
Likes Given: 20
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
(20-07-2021, 04:53 PM)neerathemall Wrote: "आह ... ओह ..." शशांक ने आह भरी, लेकिन अनुभव नया था लेकिन उसके लिए बहुत रोमांचक था।
उन्होंने शिल्पा वाहिनी के सिर को दोनों हाथों से पकड़ लिया और अपने बाएं निप्पल के सामने ले आए।
शिल्पा वाहिनी अपनी जीभ बाहर निकालती है और उसके निप्पल को चाटती है और फिर धीरे से उस पर फूंकती है।
उस ठंडे स्पर्श ने शशांक के पूरे शरीर को ढँक दिया।
शिल्पा वाहिनी ने शशांक के बेबस चेहरे की तरफ देखा और कातिलाना मुस्कान देते हुए फिर से सिर झुका लिया।
इस बार दंश इतना तेज था कि शशांक की आंखों से आंसू छलक पड़े।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 82,827
Threads: 803
Likes Received: 9,692 in 8,000 posts
Likes Given: 20
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
आळीपाळीनं शशांकची दोन्ही निप्पल्स चाटून-चावून झाल्यावर त्या वर सरकल्या आणि त्यांनी पुन्हा शशांकच्या ओठांचा ताबा घेतला. ह्यावेळी शशांक तयारीत होता, त्यामुळं त्यांच्या जीभेचा स्पर्श जाणवताच त्यानं तोंड उघडून त्यांना आत घुसू दिलं. शिल्पा वहिनींची जीभ आता शशांकच्या तोंडाच्या आतल्या भागाला चाटत होती. शशांकसाठी हे खूपच एक्सायटींग होतं.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 82,827
Threads: 803
Likes Received: 9,692 in 8,000 posts
Likes Given: 20
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
शशांक के दोनों निप्पल को बारी-बारी से चाटने और काटने के बाद वे आगे बढ़े और शशांक के होठों को फिर से अपने हाथ में ले लिया। इस बार शशांक तैयार हो रहे थे, इसलिए जैसे ही उन्हें उनकी जीभ का स्पर्श लगा, उन्होंने अपना मुंह खोला और उन्हें अंदर जाने दिया। शिल्पा वाहिनी की जीभ अब शशांक के मुंह के अंदर तक चाट रही थी। शशांक के लिए ये बेहद रोमांचक था।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 82,827
Threads: 803
Likes Received: 9,692 in 8,000 posts
Likes Given: 20
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
(20-07-2021, 04:54 PM)neerathemall Wrote: शशांक के दोनों निप्पल को बारी-बारी से चाटने और काटने के बाद वे आगे बढ़े
और शशांक के होठों को फिर से अपने हाथ में ले लिया।
इस बार शशांक तैयार हो रहे थे,
इसलिए जैसे ही उन्हें उनकी जीभ का स्पर्श लगा,
उन्होंने अपना मुंह खोला और उन्हें अंदर जाने दिया।
शिल्पा वाहिनी की जीभ अब शशांक के मुंह के अंदर तक चाट रही थी।
शशांक के लिए ये बेहद रोमांचक था।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 82,827
Threads: 803
Likes Received: 9,692 in 8,000 posts
Likes Given: 20
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
शशांकचे ओठ न सोडताच शिल्पा वहिनींनी दोन्ही हात मागच्या स्टीलच्या टेबलवर ठेवून वर उडी मारली. टेबलची उंची कमी असल्यानं त्या सहज वर चढून बसू शकल्या. शशांकच्या तोंडाचं रसपान करतानाच त्यांनी एका हातानं साडीचा पदर बाजूला केला आणि दुस-या हातानं ब्लाऊजचे हुक काढायला सुरुवात केली. शशांकची नजर त्यांच्या छातीवर खिळली होती आणि एक-एक हुक उघडेल तसे त्याचे डोळे जास्त-जास्त विस्फारत चालले होते.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 82,827
Threads: 803
Likes Received: 9,692 in 8,000 posts
Likes Given: 20
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
शशांक के होठों को जाने बिना शिल्पा वाहिनी ने अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ स्टील की टेबल पर रखा और कूद पड़ी। टेबल की ऊंचाई कम होने के कारण वे आसानी से ऊपर चढ़ सकते थे। शशांक का मुंह चाटते हुए उसने एक हाथ से साड़ी के पैड को एक तरफ धकेल दिया और दूसरे हाथ से ब्लाउज को खोलने लगा। शशांक की निगाहें उसकी छाती पर टिकी हुई थीं और उसकी आँखें जैसे-जैसे एक हुक खुलती थीं, उसकी आँखें और चौड़ी होती जाती थीं।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 82,827
Threads: 803
Likes Received: 9,692 in 8,000 posts
Likes Given: 20
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
(20-07-2021, 04:55 PM)neerathemall Wrote: शशांक के होठों को जाने बिना शिल्पा वाहिनी ने अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ स्टील की टेबल पर रखा और कूद पड़ी।
टेबल की ऊंचाई कम होने के कारण वे आसानी से ऊपर चढ़ सकते थे।
शशांक का मुंह चाटते हुए उसने एक हाथ से साड़ी के पैड को एक तरफ धकेल दिया और दूसरे हाथ से ब्लाउज को खोलने लगा।
शशांक की निगाहें उसकी छाती पर टिकी हुई थीं और उसकी आँखें जैसे-जैसे एक हुक खुलती थीं, उसकी आँखें और चौड़ी होती जाती थीं।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 82,827
Threads: 803
Likes Received: 9,692 in 8,000 posts
Likes Given: 20
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
सगळे हूक काढून झाल्यावर त्यांनी दोन्ही हात मागं नेत ब्लाऊज अंगातून काढून टाकला. हात मागं नेल्यामुळं त्यांचं शरीर धनुष्यासारखं पुढं ताणलं गेलं होतं. काळ्या रंगाच्या टाईट ब्रेसियरमधून त्यांचे गरगरीत स्तनगोळे बाहेर सांडायचेच बाकी होते
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 82,827
Threads: 803
Likes Received: 9,692 in 8,000 posts
Likes Given: 20
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
जब सारे हुक हटा दिए गए, तो उसने दोनों हाथों को पीछे ले लिया और ब्लाउज को हटा दिया। हाथ के पिछले हिस्से के कारण उनका शरीर धनुष की तरह फैला हुआ था। जो कुछ बचा था, वह उसकी तंग काली ब्रा से उसके उभरे हुए स्तनों को निचोड़ना था
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
|