Thread Rating:
  • 1 Vote(s) - 5 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Adultery स्वादीष्ट आणि रुचकर
#1
स्वादीष्ट आणि रुचकर





 स्वादिष्ट
और

रुचिकर
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
[+] 1 user Likes neerathemall's post
Like Reply
Do not mention / post any under age /rape content. If found Please use REPORT button.
#2
शशांक त्याच्या आवडत्या 'स्वाद स्नॅक्स सेंटर'चं दार ढकलून आत आला तेव्हा रात्रीचे साडेदहा वाजून गेले होते. सेंटर बंद व्हायची वेळ होऊन गेलीय हे त्याला माहीत होतं. निदान पार्सल तरी घेऊन जाऊ या आशेनं तो आत शिरला होता. गेल्या सहा महिन्यांपासून तो ह्या स्नॅक्स सेंटरचा रेग्युलर कस्टमर बनला होता. इथं मिळाणा-या चहा आणि मॅगीपासून पावभाजी आणि बिर्याणीपर्यंत सगळ्या डिशेस त्यानं ट्राय केल्या होत्या.



जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#3
(14-07-2021, 04:27 PM)neerathemall Wrote:





 स्वादिष्ट
और

रुचिकर





जब शशांक ने अपने पसंदीदा ' स्वाद स्नैक्स सेंटर ' के दरवाजे को अंदर धकेल दिया, तो यह १०.३० बजे था.m । वह जानता था कि यह समय केंद्र बंद करने के लिए किया गया था । कम से कम वह पार्सल लेने की उम्मीद में प्रवेश कर गया था। वह पिछले छह महीने से इस स्नैक्स सेंटर के नियमित ग्राहक बन गए थे। उन्होंने यहां उपलब्ध पावभाजी और बिरयानी के लिए चाय और मैगी से लेकर तमाम व्यंजन आजमाए थे।


जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#4
clps clps
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#5
2.................
शक्यतो एका हॉटेलात दुस-यांदा लवकर न जाणारा शशांक 'स्वाद स्नॅक्स सेंटर'मधे मात्र आठवड्यातून दोन-तीनदा तरी नक्कीच येत होता. रात्री आठ-साडेआठच्या सुमारास यायचं, प्रत्येक वेळी मेन्यूमधल्या एखाद्या डिशवर सेंटरच्या मालकिणीसोबत चर्चा करायची, पोट आणि मन भरलं की घरी जाऊन पुढच्या कामाला लागायचं, हा त्याचा जवळजवळ ठरलेला कार्यक्रम होता. दिवसभर काम करुन थकल्यावर रात्री ह्या सेंटरच्या मालकिणीशी -- शिल्पा वहिनींशी - बोललं की त्याला हमखास फ्रेश वाटायचं. शिल्पा वहिनींचं दिसणं, वागणं, बोलणं, सगळं त्याला खूप एनर्जी देऊन जायचं. त्या दोघांचं बोलणं अगदीच कामापुरतं आणि काही मिनिटांचं असलं तरी, शशांकला ते हवहवंसं वाटायचं.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#6
शशांक, जो आमतौर पर दूसरी बार जल्दी किसी होटल में नहीं जाते थे, सप्ताह में कम से कम दो या तीन बार स्वाद स्नैक्स सेंटर जरूर आ रहे थे। उनके पास अनुसूचित कार्यक्रम के लिए ८.३० पी.m के आसपास आना था, केंद्र की मालकिन के साथ मेनू पर एक पकवान पर चर्चा, घर जाओ और अगली बार काम करने के लिए जब उसके पेट और मन भरा हुआ था मिलता है । पूरे दिन काम करने के बाद उन्होंने रात में सेंटर के मालिक से बात की-शिल्पा की भाभी-और वह हमेशा फ्रेश महसूस करते थे । शिल्पा उसे काफी एनर्जी देती थीं, उनकी भाभी की शक्ल, व्यवहार, भाषण, सब कुछ । हालांकि ये दोनों काफी उपयोगी और चंद मिनटों के पुराने थे, लेकिन शशांक ऐसा चाहते थे।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#7
(14-07-2021, 04:34 PM)neerathemall Wrote: शशांक, जो आमतौर पर दूसरी बार जल्दी किसी होटल में नहीं जाते थे,
सप्ताह में कम से कम दो या तीन बार स्वाद स्नैक्स सेंटर जरूर आ रहे थे।
उनके पास अनुसूचित कार्यक्रम के लिए ८.३० पी.m के आसपास आना था,
केंद्र की मालकिन के साथ मेनू पर एक पकवान पर चर्चा,
घर जाओ और अगली बार काम करने के लिए जब उसके पेट और मन भरा हुआ था मिलता है ।
पूरे दिन काम करने के बाद उन्होंने रात में सेंटर के मालिक से बात की-शिल्पा की भाभी-और वह हमेशा फ्रेश महसूस करते थे ।
शिल्पा उसे काफी एनर्जी देती थीं,
उनकी भाभी की शक्ल, व्यवहार, भाषण, सब कुछ ।
हालांकि ये दोनों काफी उपयोगी और चंद मिनटों के पुराने थे,
लेकिन शशांक ऐसा चाहते थे।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#8
3..............................











शिल्पा वहिनी साधारण शशांकच्या वयाच्या, म्हणजे पस्तिशीतच असाव्यात असा शशांकचा अंदाज होता. सगळे त्यांना 'वहिनी' म्हणत असले तरी त्यांच्या नव-याबद्दल किंवा फॅमिलीबद्दल कुणालाच काही माहीत नव्हतं. स्नॅक्स सेंटरच्या जवळपासच कुठंतरी त्या रहायच्या आणि सकाळी सात वाजल्यापासून रात्री साडेदहा-अकरापर्यंत तिथंच दिसायच्या. दुपारी विश्रांती घेण्यासाठी त्यांनी किचनच्या माळ्यावर थोडी गादी वगैरेची सोय करुन घेतली होती. सध्या तरी शिल्पा वहिनी सिंगल आहेत, हे थोड्याफार गप्पांमधून शशांकला समजलं होतं. त्यांचा सावळा रंग, आकर्षक बांधा, डौलदार चालणं, मधाळ बोलणं, ह्या सगळ्यावर शशांक केव्हाच फिदा झाला होता
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#9
शशांक का अनुमान था कि शिल्पा भाभी शशांक की उम्र के आसपास होनी चाहिए, यानी उनके देर से बिसवां दशा में । हालांकि हर कोई उसे ' भाभी ' कहता था, लेकिन किसी को भी अपने पति या परिवार के बारे में कुछ नहीं पता था । वह स्नैक सेंटर के पास कहीं रहती थी और वहां 7 ए.m से साढ़े १० बजे तक.m देखा गया था । उन्होंने दोपहर में आराम करने के लिए किचन अटारी में कुछ गद्दे की व्यवस्था की थी। शशांक ने कुछ चैट्स से समझा कि शिल्पा भाभी फिलहाल सिंगल हैं। शशांक पहले से ही अपने काले रंग, आकर्षक बिल्ड, सुंदर घूमना, मधल बात से ग्रस्त थे।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#10
(14-07-2021, 04:36 PM)neerathemall Wrote: शशांक का अनुमान था कि शिल्पा भाभी शशांक की उम्र के आसपास होनी चाहिए,
यानी उनके देर से बिसवां दशा में ।
हालांकि हर कोई उसे ' भाभी ' कहता था,
लेकिन किसी को भी अपने पति या परिवार के बारे में कुछ नहीं पता था ।
वह स्नैक सेंटर के पास कहीं रहती थी और वहां 7 ए.m से साढ़े १० बजे तक.m देखा गया था ।
उन्होंने दोपहर में आराम करने के लिए किचन अटारी में कुछ गद्दे की व्यवस्था की थी।
शशांक ने कुछ चैट्स से समझा कि शिल्पा भाभी फिलहाल सिंगल हैं।
शशांक पहले से ही अपने काले रंग, आकर्षक बिल्ड, सुंदर घूमना, मधल बात से ग्रस्त थे।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#11
4







शिल्पा वहिनींच्या फॅमिलीबद्दल एकदा माहिती मिळाली की, त्यांना प्रपोज करायचा विचारही खूप दिवसांपासून त्याच्या मनात होता. पण त्यांच्यासमोर हा विषय काढायचं त्याचं अजूनही धाडस झालं नव्हतं. वहिनींच्या हातचं खाऊन त्याची जीभ आणि पोट तर तृप्त होत होतेच, शिवाय रात्री त्यांची आठवण काढून-काढून त्याचं मनही तृप्त होत होतं. गेल्या सहा महिन्यात शिल्पा वहिनींची आकृती डोळ्यासमोर आणून तो रात्र-रात्र तळमळला होता, गळालाही होता.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#12
एक बार जब उन्हें शिल्पा भाभी के परिवार के बारे में पता चला तो वह लंबे समय से उन्हें प्रस्ताव देने की सोच रही थीं। लेकिन वह अभी भी उनके सामने इस विषय को लाने की हिम्मत नहीं की । न केवल अपनी भाभी का हाथ खाकर उनकी जीभ और पेट संतुष्ट था, बल्कि रात में उन्हें याद करके उनका मन भी संतुष्ट था। पिछले छह महीनों में शिल्पा ने भाभी के फिगर को दिमाग में लाया था और वह रात-रात तड़प रही थीं, गले में भी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#13
(14-07-2021, 04:38 PM)neerathemall Wrote: एक बार जब उन्हें शिल्पा भाभी के परिवार के बारे में पता चला तो वह लंबे समय से उन्हें प्रस्ताव देने की सोच रही थीं।
लेकिन वह अभी भी उनके सामने इस विषय को लाने की हिम्मत नहीं की ।
न केवल अपनी भाभी का हाथ खाकर उनकी जीभ और पेट संतुष्ट था,
बल्कि रात में उन्हें याद करके उनका मन भी संतुष्ट था।
पिछले छह महीनों में शिल्पा ने भाभी के फिगर को दिमाग में लाया था और वह रात-रात तड़प रही थीं, गले में भी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#14
5









रात्रीच्या स्वप्नांची आणि वहिनींबद्दलच्या फॅण्टसीची आठवण होऊन शशांक उत्तेजित झाला. काऊंटरजवळ जाताना त्याच्या छातीतली धडधड वाढल्यासारखी वाटली. आज शिल्पा वहिनी नेहमीपेक्षा थोड्या जास्त दमलेल्या दिसत होत्या, पण शशांकला बघताच त्या नेहमीप्रमाणं हसत-हसत खुर्चीवरुन उठल्या आणि पापण्यांची मोहक उघडझाप करत त्यांनी त्याचं स्वागत केलं. त्यांच्या ओठांवर आज हलकी जांभळ्या शेडची लिपस्टिक होती. रोज-रोज गुलाबी नाहीतर चॉकलेटी लिपस्टिक वापरणा-या मुली-बायकांपेक्षा शशांकला शिल्पा वहिनींची ही चॉईस खूपच आवडायची.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#15
शशांक रात के सपनों और बहनों के बारे में कल्पना को याद करने के लिए उत्साहित थे । जैसे ही वह काउंटर के पास पहुंचे तो उनकी छाती को एक बीट की तरह महसूस हुआ । आज शिल्पा भाभी सामान्य से थोड़ी ज्यादा थकी हुई नजर आईं, लेकिन जैसे ही उन्होंने शशांक को देखा, उन्होंने कुर्सी से उठकर मुस्कान के साथ उनका स्वागत किया और उनकी पलकों की दिलकश ओपनिंग के साथ उनका स्वागत किया । उन्होंने आज अपने होठों पर लाइट पर्पल शेड लिपस्टिक लगाई थी। शशांक को शिल्पा भाभी की पसंद से ज्यादा प्यार करती थीं लड़कियां और महिलाएं जो हर दिन पिंक या चॉकलेट लिपस्टिक का इस्तेमाल करती थीं।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#16
(14-07-2021, 04:40 PM)neerathemall Wrote: शशांक रात के सपनों और बहनों के बारे में कल्पना को याद करने के लिए उत्साहित थे ।
जैसे ही वह काउंटर के पास पहुंचे तो उनकी छाती को एक बीट की तरह महसूस हुआ ।
आज शिल्पा भाभी सामान्य से थोड़ी ज्यादा थकी हुई नजर आईं,
लेकिन जैसे ही उन्होंने शशांक को देखा, उन्होंने कुर्सी से उठकर मुस्कान के साथ उनका स्वागत किया
और उनकी पलकों की दिलकश ओपनिंग के साथ उनका स्वागत किया ।
उन्होंने आज अपने होठों पर लाइट पर्पल शेड लिपस्टिक लगाई थी।
शशांक को शिल्पा भाभी की पसंद से ज्यादा प्यार करती थीं लड़कियां और महिलाएं जो हर दिन पिंक या चॉकलेट लिपस्टिक का इस्तेमाल करती थीं।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#17
6


काऊंटर आणि किचन दोन्हीकडं काम करत असल्यानं त्यांनी अंगात किचन अप्रॉन चढवला होता आणि केसांचा पोनी करुन वर बांधला होता. काळ्या स्लीव्हलेस ब्लाऊज आणि साडीमधे त्यांचं प्रमाणबद्ध शरीर अजूनच आकर्षक दिसत होतं. शशांकच्या मते शिल्पा वहिनींची कपड्यांची चॉईस जबरदस्त होती. स्नॅक्स सेंटरवर त्या साडी आणि पंजाबी ड्रेसमधेच दिसायच्या, पण साध्या कपड्यांतसुद्धा त्यांचं वावरणं कॉन्फीडन्ट आणि ग्रेसफुल असायचं. शशांकला त्यांचं स्लीव्हलेस ब्लाऊज वापरणं फारच आवडायचं. स्लीव्हलेस ब्लाऊजमधून त्यांच्या उघड्या दंडांकडं बघणं त्याला विशेष आवडायचं.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#18
काउंटर और किचन दोनों में काम करते हुए उसने अपने अंगों पर किचन एप्रन लगा दिया था और अपने बालों को बांध दिया था । उसका स्टैंडर्ड बॉडी ब्लैक स्लीवलेस ब्लाउज और साड़ी में और भी आकर्षक लग रहा था । शशांक के मुताबिक शिल्पा भाभी के कपड़ों की पसंद जबरदस्त थी। वह स्नैक सेंटर में साड़ी और पंजाबी ड्रेस में नजर आईं, लेकिन साधारण कपड़ों में भी उनकी पोशाक आत्मविश्वास और सुंदर थी । शशांक को अपने स्लीवलेस ब्लाउज का इस्तेमाल करना बहुत पसंद था । वह स्लीवलेस ब्लाउज में उनकी खुली छड़ को देखकर प्यार करता था ।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#19
(14-07-2021, 04:41 PM)neerathemall Wrote: काउंटर और किचन दोनों में काम करते हुए उसने अपने अंगों पर किचन एप्रन लगा दिया था और अपने बालों को बांध दिया था ।
उसका स्टैंडर्ड बॉडी ब्लैक स्लीवलेस ब्लाउज और साड़ी में और भी आकर्षक लग रहा था ।
शशांक के मुताबिक शिल्पा भाभी के कपड़ों की पसंद जबरदस्त थी।
वह स्नैक सेंटर में साड़ी और पंजाबी ड्रेस में नजर आईं,
लेकिन साधारण कपड़ों में भी उनकी पोशाक आत्मविश्वास और सुंदर थी ।
शशांक को अपने स्लीवलेस ब्लाउज का इस्तेमाल करना बहुत पसंद था ।
वह स्लीवलेस ब्लाउज में उनकी खुली छड़ को देखकर प्यार करता था ।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#20
आत्ताही त्यांच्या सावळ्या मांसल दंडांकडं बघताना त्याच्या पँटमधे अपेक्षित हालचाल जाणवू लागली. पण नेहमीप्रमाणं आपले खरे विचार दाबून टाकत तो त्यांच्याशी दुस-याच विषयावर बोलू लागला.

"आजकाल तुमचं काम खूपच वाढलंय वहिनी. तुम्ही जरा दमल्यासारख्या दिसताय. खरं तर तुम्ही थोडे दिवस सुट्टी घ्यावी असं मला वाटतंय."
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply




Users browsing this thread: 1 Guest(s)