Thread Rating:
  • 1 Vote(s) - 5 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Adultery स्वादीष्ट आणि रुचकर
#21




आत्ताही त्यांच्या सावळ्या मांसल दंडांकडं बघताना त्याच्या पँटमधे अपेक्षित हालचाल जाणवू लागली. पण नेहमीप्रमाणं आपले खरे विचार दाबून टाकत तो त्यांच्याशी दुस-याच विषयावर बोलू लागला.

"आजकाल तुमचं काम खूपच वाढलंय वहिनी. तुम्ही जरा दमल्यासारख्या दिसताय. खरं तर तुम्ही थोडे दिवस सुट्टी घ्यावी असं मला वाटतंय."
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
Do not mention / post any under age /rape content. If found Please use REPORT button.
#22
7
अब भी उनकी अंधेरी मांसल छड़ को देखकर वह अपनी पैंट में मनचाचा सी हरकत महसूस करने लगे। लेकिन हमेशा की तरह उन्होंने अपने सच्चे विचारों को दबा दिया और उनसे किसी दूसरे टॉपिक के बारे में बात करने लगे। "आजकल आपके काम में बहुत वृद्धि हुई है, भाभी जी । आप थोड़े थके हुए दिखते हैं। वास्तव में, मैं चाहता हूं कि आप कुछ दिन की छुट्टी लें ।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#23
(14-07-2021, 04:45 PM)neerathemall Wrote: 7
अब भी उनकी अंधेरी मांसल छड़ को देखकर वह अपनी पैंट में मनचाचा सी हरकत महसूस करने लगे।
लेकिन हमेशा की तरह उन्होंने अपने सच्चे विचारों को दबा दिया और उनसे किसी दूसरे टॉपिक के बारे में बात करने लगे।
"आजकल आपके काम में बहुत वृद्धि हुई है, भाभी जी ।
आप थोड़े थके हुए दिखते हैं। वास्तव में, मैं चाहता हूं कि आप कुछ दिन की छुट्टी लें ।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#24
8
त्याच्या सूचनेवर एक दीर्घ निःश्वास सोडत शिल्पा वहिनी खाली बसल्या आणि म्हणाल्या, "दमलेय खरी मी, पण सुट्टीचा तर विचारसुद्धा नाही करु शकत. इतकं काम पडलंय ना समोर. आता आजचंच बघा ना, इतका वाईट्ट दिवस होता आज..."
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#25
अपने सुझाव पर गहरी सांस छोड़ते हुए शिल्पा भाभी ने बैठकर कहा, मैं थक गई हूं, लेकिन मैं छुट्टी के बारे में सोच भी नहीं सकती। आपके सामने इतना काम हुआ है। अब आज देखो, यह आज इस तरह के एक जंगली दिन था... "
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#26
(14-07-2021, 04:46 PM)neerathemall Wrote: अपने सुझाव पर गहरी सांस छोड़ते हुए शिल्पा भाभी ने बैठकर कहा, मैं थक गई हूं,
लेकिन मैं छुट्टी के बारे में सोच भी नहीं सकती। आपके सामने इतना काम हुआ है।
अब आज देखो, यह आज इस तरह के एक जंगली दिन था... "
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#27
9
"का हो, काय झालं आज?" शशांकनं खरोखर काळजीनं विचारलं.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#28
शशांक से पूछा, "आज क्यों, क्या हुआ?"
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#29
(14-07-2021, 04:47 PM)neerathemall Wrote: शशांक से पूछा, "आज क्यों, क्या हुआ?"
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#30
10
"काय झालं नाही ते विचारा. सकाळी सफाईला येणा-या बाईंनी आज दांडी मारली, मग सेंटर साफ करण्यापासनं सगळं मलाच करायला लागलं. दुपारी कॉर्पोरेशनचे लोक येऊन उगाच काहीतरी चौकशा करुन गेले, हीच कागदं दाखवा, तीच फाईल दाखवा. शेवटी गल्ल्यातनं दोनशे रुपये काढून दिले तेव्हा हसत हसत गेले हरामखोर...!" शिल्पा वहिनी चिडून बोलत होत्या.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#31
"पूछो क्या नहीं हुआ । सुबह सफाई करने आई महिला ने आज दाव पर लगा दिया, फिर मुझे सेंटर साफ करने के लिए सब कुछ करना पड़ा। दोपहर में निगम के लोगों ने आकर कुछ सावधानी से काम किया, वही कागजात दिखाए, वही फाइल दिखाओ। जब गलियों ने आखिरकार दो सौ रुपये निकाले तो हंसे... ' शिल्पा की भाभी गुस्से में बात कर रही थीं ।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#32
(14-07-2021, 04:48 PM)neerathemall Wrote: "पूछो क्या नहीं हुआ ।
सुबह सफाई करने आई महिला ने आज दाव पर लगा दिया,
फिर मुझे सेंटर साफ करने के लिए सब कुछ करना पड़ा।
दोपहर में निगम के लोगों ने आकर कुछ सावधानी से काम किया,
वही कागजात दिखाए,
वही फाइल दिखाओ।
जब गलियों ने आखिरकार दो सौ रुपये निकाले तो हंसे... ' शिल्पा की भाभी गुस्से में बात कर रही थीं ।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#33
11
त्यांच्या बोलण्यात हरामखोर, भाडखाऊ वगैरे शब्द सर्रास यायचे. एका बाईच्या तोंडी असले शब्द ऐकायला शशांकला सुरुवातीला विचित्र वाटायचं, पण आता त्याला सवय झाली होती. उलट त्याला अशीही शंका होती की, शिल्पा वहिनी ह्यापेक्षा घाण शिव्या देऊ शकतात, आपल्यासमोर थोडे सभ्यच शब्द वापरत असतील.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#34
उनके शब्दों में बदमाशों, भाड़े के सैनिकों आदि शब्दों को आम किया गया था। शशांक को शुरू में एक महिला की बातें सुनकर अजीब लगा, लेकिन अब उसे इसकी आदत हो गई। इसके उलट उन्हें यह भी शक था कि शिल्पा भाभी हमारे सामने कुछ अच्छे शब्दों का इस्तेमाल करते हुए इससे गंदी शाप दे सकती हैं ।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#35
(14-07-2021, 04:49 PM)neerathemall Wrote: उनके शब्दों में बदमाशों, भाड़े के सैनिकों आदि शब्दों को आम किया गया था।
शशांक को शुरू में एक महिला की बातें सुनकर अजीब लगा, लेकिन अब उसे इसकी आदत हो गई।
इसके उलट उन्हें यह भी शक था कि शिल्पा भाभी हमारे सामने कुछ अच्छे शब्दों का इस्तेमाल करते हुए इससे गंदी शाप दे सकती हैं ।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#36
"अहो होतं असं कधी कधी. फार मनाला लावून नका घेऊ..." तो त्यांना समजावत म्हणाला.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#37
"अरे, कई बार ऐसा होता है । यह भी मुश्किल मत लो... "उन्होंने उन्हें समझाया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#38
(14-07-2021, 04:50 PM)neerathemall Wrote: "अरे, कई बार ऐसा होता है ।
यह भी मुश्किल मत लो... "उन्होंने उन्हें समझाया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#39
13

"अहो ऐका तर खरं, पुढं अजून बरंच काही घडलं दिवसभरात. मला किचनमधे मदत करणारी मुलगी आहे ना ती, अनिता, तिलासुद्धा नेमकं आजच लवकर जायचं होतं. संध्याकाळचं गि-हाईक सुरु व्हायच्या आधीच ती निघून गेली. मग माझी नुसती पळापळ. बाहेर ऑर्डर घ्यायची, आत जाऊन बनवायचं, बाहेर आणून वाढायचं, बिलं घ्यायची... काय करु आणि काय नको असं झालं मला," शिल्पा वहिनी पटपट सांगत होत्या.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#40
"अरे, सुनो, वास्तव में, एक बहुत अधिक दिन के दौरान हुआ । मैं एक लड़की है मुझे रसोई घर में मदद, वह, अनीता, वह भी आज जल्दी जाना चाहता था । वह शाम को जीआई-हाइक शुरू होने से पहले ही रवाना हो गई । फिर मैं बस भाग जाता हूं। बाहर आदेश ले लो, अंदर जाओ और इसे बनाने के लिए, इसे बाहर लाने और बढ़ने, बिल ले.. । शिल्पा की भाभी बता रही थीं, क्या करना है और क्या नहीं करना है, मैं नहीं चाहता था ।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply




Users browsing this thread: 5 Guest(s)