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Misc. Erotica छोटी छोटी कहानियां...
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फिर सुबह 9 बजे के लगभग मेरी नींद खुली तो मैंने देखा कि भाभी बिस्तर पर नहीं थी और भैया मुझसे लिपटे हुए सो रहे थे।


मैंने भैया को अपने से दूर किया और अपने कपड़े ढूंढने लगी। मुझे मेरे कपड़े नहीं मिल रहे थे तो मैंने वहीं पर रखा भाभी का गाऊन ही पहन लिया और भाभी को आवाज लगाई- भाभी, कहाँ हैं आप?

तो भाभी की आवाज आई- रोमा, मैं किचन में हूँ।

मैं रसोई में गई तो देखा कि भाभी ने कोई भी कपड़ा नहीं पहना था, वो पूरी तरह नंगी थी। मैंने भाभी से कहा- भाभी, मुझे कमरे में मेरे कपड़े नहीं मिल रहे थे तो मैंने आपका यह गाउन पहन लिया।

फिर मैंने कहा- भाभी आपने कपड़े क्यूँ नहीं पहने?

तो भाभी के कहा- रोमा, अभी जब तुम्हारे भैया उठेंगे न, तो वो मेरी एक बार फिर से चुदाई करेंगे ! तो मुझे फिर कपड़े उतारने पड़ते ! इसलिए मैंने कपड़े पहने ही नहीं !

फिर भाभी ने कहा- रोमा तुम बैठो, मैं तुम्हारे लिए कॉफी बनाती हूँ !

मैंने कहा- हाँ ठीक है !

और मैं वही किचन में डायनिंग टेबल पर बैठ गई, फिर भाभी ने मुझे कॉफी बना कर दी और हम वहीं डायनिंग टेबल पर ही बैठ कर

बात करने लगे। भाभी मुझसे कहने लगी- रोमा, रात में कैसा लगा? सब ठीक रहा न ! तुम्हें अच्छा तो लगा न?

मैंने कहा- हाँ भाभी, बहुत मजा आया था !

तभी भैया की आवाज आई- पलक, कहाँ हो?

तो भाभी ने कहा- मैं यहाँ किचन में हूँ।

तब भैया रसोई में आए तो भैया ने भी कपड़े नहीं पहने थे, वो भी नंगे थे, मेरी नजर उनके लंड के तरफ गई जो छोटा सा सिकुड़ा हुआ नीचे लटक रहा था, उनके चलने से दाएं बाएं हिल भी रहा था।

भैया आकर डायनिंग टेबल की कुर्सी पर बैठ गए और कहा- पलक, चाय तो पिलाओ यार !

तो भाभी ने कहा- दूध तो खत्म हो गया है, मैंने और रोमा ने अभी अभी कॉफी पी ली है।

तब भैया भाभी पर गुस्सा करने लगे- तुम्हें पता है न कि मुझे सुबह सुबह चाय पीने की आदत है?

तो भाभी ने कहा- थोड़ी देर रुक जाओ ना, दूध वाला आता ही होगा, फिर बना दूंगी चाय, तब तक आप मेरा दूध पी लो !

और भाभी भैया की गोद में बैठ गई और अपने एक स्तन को भैया के मुँह में डाल दिया और कहने लगी कि इनमें बहुत सारा दूध भर गया है, तो ये भारी हो गए हैं, तुम ही दूध पीकर कुछ कम कर दो !

तब भैया भाभी के चूचे को चूस कर उससे दूध पीने लगे, भाभी उनके बालों में हाथ फिराते हुए उनके सिर को अपने वक्ष में दबाती जा रही थी।

अब भैया ने अपने एक हाथ से भाभी के दूसरे उभार को दबाते हुए हाथ को नीचे लाए और उनकी चूत पर रख कर चूत को सहलाने लगे। भाभी मस्त हुए जा रही थी। फिर भैया ने अपने हाथ की दो उंगलियाँ भाभी की चूत में डाल दी। तब भाभी के मुँह से एक जोर की आआहह्ह्ह निकली और फिर भैया उंगली को चूत में आगे-पीछे करने लगे और भाभी आहें भर रही थी।

फिर बाहर दरवाजे की घंटी बजी और आवाज आई- दूध वाला !

तो भाभी ने मुझसे कहा- रोमा जाओ जाकर दूध ले लो ! मैंने कपड़े नहीं पहने हैं और तुम्हारे भैया दूध पी रहे हैं तो मैं नहीं जा सकती,

तुमने कपड़े पहने हैं तो तुम जाकर दूध ले लो !

तो मैं उठ कर दूध लेने चली गई। मैंने दूध वाले से दूध लिया और रसोई में आकर दूध को गर्म करने के लिए गैस पर रख दिया।

तो फिर भाभी ने भैया को अपने से अलग किया और कहा- बस करो, कुछ दूध मिनी के लिए भी रहने दो। सारा दूध तुम ही पी लोगे तो मैं मिनी को क्या पिलाऊँगी, मैं तुम्हारे लिए चाय बना देती हूँ, तुम चाय पी लो।

मिनी उनकी बेटी का नाम है।

और भाभी चाय बनाने लगी, तब उनकी बेटी की रोने की आवाज आने लगी तो भाभी ने मुझसे कहा- रोमा तुम चाय बना दो, मैं मिनी को दूध पिला कर आती हूँ, उसे भूख लगी होगी।

भाभी चली गई और मैं चाय बनाने लगी। मैं चाय बना रही थी कि भैया मेरे पास आए और मुझे पीछे से ही अपने आप से चिपका लिया और मेरी कमर में हाथ डाल कर मेरी गर्दन को चूमने लगे। मुझे उनका लंड मेरे नितम्बों के बीच की दरार में महसूस हो रहा था जो कुछ हद तक खड़ा हो चुका था पर पूरा खड़ा नहीं हुआ था।

वो एहसास मुझे बहुत अच्छा लग रहा था पर मैंने भैया से कहा- छोड़ो मुझे, अभी चाय तो बना लेने दो !

मैंने उन्हें चाय बना कर दी और वो डायनिंग टेबल पर बैठ कर चाय पीने लगे, फिर मैं नाश्ते की लिए ब्रेड पर जैम लगाने लगी, तभी भैया ने अपनी चाय खत्म की और फिर से आकर मुझ से चिपक गए, कहने लगे- रोमा, तुमने यह गाउन क्यूँ पहना है? देखो मैंने और पलक ने कपड़े नहीं पहने हैं तो तुम भी उतार दो इसे ! हम तीनों घर में अकेले हैं।

और भैया ने मेरा गाउन उतार दिया। भैया ने मुझे अपनी तरफ घुमाया और मुझे अपने सीने से लगा कर मेरे होंठों को चूमने लगे, मेरा हाथ उनकी पीठ से होता हुआ उनके नितम्बों पर आ गया और फिर मैं अपने हाथ को सामने लाकर उनके लंड को पकड़ कर सहलाने लगी।

भैया मेरे होटों को चूसे जा रहे थे और मैं भी उनका पूरा साथ दे रही थी। फिर मैं उनके होंठों को चूमते हुए उनकी छाती के निप्पल को चूमने लगी और धीरे धीरे नीचे आकर मैंने भैया के लंड को अपने मुँह में ले लिया।

कुछ देर मैंने भैया का लंड चूसा, फिर भैया ने मुझे उठाया और डायनिंग टेबल पर मुझे लिटा दिया और मेरे ऊपर चढ़ कर मेरे पूरे शरीर को चूमने लगे, फिर उन्होंने मेरी चूत को डायनिंग टेबल के किनारे पर किया और खुद मेज से नीचे उतर कर मेरी चूत को चूसने लगे। भैया पूरे जोश में आ चुके थे, वो पागलों की तरह मेरी चूत को चूसे जा रहे थे, मैं आ आअह्ह अहह उइ उइ उइ करके सिसकारियाँ लेने लगी और कहने लगी- भैया, थोड़ा धीरे धीरे चूसिये, मुझे दर्द हो रहा है !


तो भैया कहने लगे- दर्द में तो मजा आयेगा रोमा मेरी जान !

फिर भाभी रसोई में आ गई, मैंने भाभी से कहा- भाभी, भैया को कहो न कि वो थोड़ा धीरे धीरे करें।

भैया ने भाभी से कहा- पलक, जरा जैम की बोतल में से थोड़ा सा जैम तो निकाल कर दो, इस ब्रेड पर लगाना है !

फिर भैया ने मेरी चूत पर जैम लगा दिया और फिर से उसे चूसने लगे। उधर भाभी भी डायनिंग टेबल के नीचे घुटनों के बल बैठ कर

भैया का लंड चूसने लगी। काफी देर तक भैया मेरी चूत को चूसते रहे और भाभी भैया का लंड चूसती रही। मेरे मुँह से तो लगातार आआह्ह्ह ईइआअ आआअह्ह की सीत्कारें ही निकल रही थी।

भाभी ने लंड को जब अपने मुँह से बाहर निकाला तो भैया ने मुझे अपनी गोद में उठा लिया और भाभी से कहा- चलो डार्लिंग, बेडरूम में चलते हैं।

और हम तीनों बेडरूम में आ गये। भईया ने मुझे बेड पर लिटा दिया, भाभी भी बेड पर बैठ गई और भैया फिर से मेरी चूत को चाटने लगे। भाभी ने एक हाथ मेरे वक्ष पर रखा और दबाने लगी और दूसरे हाथ को उन्होंने मेरी चूत के पास लेजा कर चूत सहलाने लगी, भैया भी चूत को चुसे जा रहे थे। मेरी सिसकारियाँ और तेज हो गई, मुझे और मजा आने लगा था। मेरे मुँह से लगातार आ आह्ह्ह्ह्ह ओआअह्ह आआम्म म्मम्म की आवाजें निकल रही थी। अब भैया को चुदाई की जल्दी थी, उन्होंने चूत पर से मुँह हटाया और मेरे पैरों को फैला दिया। मैं उनके सामने अपनी चूत खोले लेटी हुई थी, भैया मेरे दोनों पैरों के बीच आकर बैठ गए और अपने लंड का सुपारा मेरी चूत पर लगा दिया, भाभी मेरे चूचे दबा रही थी और चूत को ऊपर से सहला रही थी, मैं तो पागल हुए जा रही थी और मचल रही थी। अब भैया ने लंड का सुपारा मेरी चूत पर टिका कर एक झटका मारा तो उनका लंड मेरी चूत में थोड़ा सा अन्दर चला गया और मेरे मुँह से एक जोर की चीख निकली।

भाभी कहने लगी- रोमा, मजा तो आ रहा है ना?

तब मैंने कहा- हाँ भाभी, बहुत मजा आ रहा है !

फिर भैया ने एक और जोर का झटका मार कर पूरा का पूरा लंड मेरी चूत में घुसा दिया। भैया मेरी चुदाई करने लगे और भाभी जो मेरे बूब्स दबा रही थी, उन्होंने अब मेरे बूब्स को अपने मुँह में ले लिया और उनको चूसने लगी।

इधर भैया जोर जोर से धक्के लगा कर मेरी चुदाई कर रहे थे और मेरी आवाज पूरे कमरे में गूंज रही थी। 5 मिनट की चुदाई के बाद भाभी अपनी चूत को हाथों से फैलाते हुए खड़ी हुई और चूत को भैया के मुँह पर लगा दिया।

मैं जान गई थी कि अब भाभी को भी लंड अपनी चूत के अन्दर लेना है। इस 5 मिनट तक हुई एकधार चुदाई से मैं थक चुकी थी और मेरा पानी भी निकल चुका था।

तो भैया ने लंड को मेरी चूत से बाहर निकाल कर भाभी को बेड पर लिटा दिया और एक झटके में ही उनका लंड भाभी की चूत में चल गया क्यूँकि यह लंड और चूत तो जोर के ही मित्र हैं। अब भैया भाभी को चोदने लगे और मैं भाभी की बगल में ही लेटी हुई थी तो मैंने भी भाभी के बूब्स को दबाना शुरु किया। उनके बूब्स बड़े थे, मैं बूब्स को दबा रही थी तो उनमें से दूध निकल रहा था।

भाभी ने कहा- रोमा, जोर से दबाओ इन्हें ! मुझे इनमें बहुत दर्द हो रहा है। तुम दबा रही हो तो मुझे अच्छा लग रहा है।

तो मैं भी उनके बूब्स को और जोर-जोर से दबाने लगी और भैया भाभी की जोरदार चुदाई कर रहे थे, भाभी की अब चीखें निकल रही थी, उनकी आवाजों से साफ पता चल रहा था कि वो अब क्लाइमेक्स के बिल्कुल करीब पहुँच चुकी हैं और उधर भैया की भी हालत खराब थी, उन्हें भी चरम सुख के समय किसी को जोर से भींचने की इच्छा हो रही थी तो उन्होंने मुझे पकड़ कर भाभी के बूब्स के ऊपर बैठा दिया, मेरे बाल पकड़ कर मुझे आगे झुका दिया और मेरे कूल्हे ऊँचे कर दिए। मेरी यह स्थिति बहुत ही उत्तेजक और शर्मनाक हो गयी थी पर मैं उन दोनों का चरम सुख बिगाड़ना नहीं चाहती थी इसलिए जैसे भैया ने चाहा, मैंने वैसे ही अपने चूतड़ उन्हें सौंप दिए।

भैया मेरे कूल्हों पर चांटे मारने लगे और उन्हें चूमने लगे।

फिर जब भैया और भाभी एक साथ डिस्चार्ज हुए तो भाभी ने मेरी चूत अपने मुँह में ले ली और भैया ने मेरे चूतड़ नौंच डाले और फिर हम तीनों ही एक दूसरे पर निढाल होकर पड़ गए और काफी देर तक ऐसे ही नंगे पड़े रहे।

वो पूरी रात और सुबह मेरे लिए कमाल सेक्स और क़यामत की रही, हम तीनों ने बेशर्मी की सारी सीमाएँ लांघ दी।


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रात की चुदाई के बाद हम सुबह देर से सो कर उठे, 10 बज चुके थे। उठने के बाद हम तीनों फ्रेश हुए और साथ में नाश्ता किया तो लगभग 12 बज चुके थे।


तभी घर के दरवाजे की घंटी बजी तो भाभी ने मुझे कहा- रोमा, जरा जाकर देखो तो, कौन आया है।

मैंने दरवाजा खोला तो बाहर भैया की ही उम्र का एक आदमी खड़ा था, मैंने उनसे पूछा- किससे मिलना है?

तो उन्होंने कहा- मुझे गौरव अग्रवाल जी से मिलना है।

तब मैंने भैया को आवाज लगाई- भैया कोई आपसे मिलने आए हैं।

भैया ने कहा- रोमा, तुम उन्हें अन्दर बुलाओ, मैं अभी आता हूँ।

मैंने उनको अन्दर बुला कर बिठाया और मै अंदर चली गई। तब भैया बाहर हॉल में आए और उन्हें देखते ही कहा- अरे प्रदीप? तू यहाँ कैसे? बहुत दिन बाद मिल रहा है।

वो भैया के दोस्त थे।

प्रदीप- यार, मैं यहाँ काम के सिलसिले में आया हूँ तो सोचा तुझसे मिल लूँ इसलिए आ गया, और आज शाम की मीटिंग है।

भैया- चल अच्छा है, अब आया है तो यहीं रुकना। शाम को किस टाइम मीटिंग है?

प्रदीप- 5 बजे।

भैया- अभी तो बहुत टाइम है, तू फ्रेश हो जा और फिर खाना खाकर जाना मीटिंग के लिए।

तभी भाभी बाहर आई, प्रदीप ने भाभी को नमस्कार किया। तभी प्रदीप ने भैया से कहा- भाभी से तो मैं मिल चुका हूँ ! पर ये मोहतरमा कौन हैं?

उन्होंने मेरी तरफ इशारा करते हुए कहा।

तब भैया ने बताया कि यह मेरे अंकल की बेटी रोमा है। मैं भी अभी घर से बाहर था तो यह पलक से साथ रह रही थी, मैं भी तो कल ही लौटा हूँ।

तब भाभी ने कहा- मैं कुछ नाश्ता लेकर आती हूँ !

मैं और भाभी रसोई में आ गये, हम सबने थोड़ा नाश्ता किया, फिर प्रदीप ने भैया से कहा- यार मेरी कार बाहर खड़ी है, उसे कहाँ पार्क करना है?

तो भैया ने कहा- तू कार की चाबी मुझे दे, में कार को पार्क कर देता हूँ।

भैया ने प्रदीप का सामान गेस्टरूम में रखा और उनसे कहा- तुम आराम से फ्रेश हो जाओ, फिर हम खाना खाते हैं।

मेरा समान भी उसी रूम में था, मैं और भाभी दोपहर के खाने की तैयारी करने लगे। मैंने भाभी से कहा- भाभी, मेरा समान भी उसी रूम में है जिस रूम में प्रदीप है और पूरा समान बिखरा है, मेरे कपड़े पूरे खुले पड़े हैं।

तब भाभी ने कहा- तुम जाओ और कपड़ों को समेट कर अपने बैग में भर कर मेरे रूम में लाकर रख दो।

मैं गेस्ट रूम में गई, जैसे ही मैंने गेस्ट रूम का दरवाजा खोला, मैंने देखा कि प्रदीप सिर्फ अन्डरवीयर में खड़े थे, मेरे दरवाजा खोलने से उनको कुछ आवाज हुई तो वो मेरी तरफ मुड़े तो उनके हाथ में मेरी ब्रा थी। प्रदीप ने जैसे ही मुझे देखा तो ब्रा को वहीं नीचे फेंक दिया और मेरी तरफ आकर कहा- रोमा तुम?

तो मैंने कहा- मैं अपना सामान लेने आई हूँ।

तो उन्होंने कहा- यह तुम्हारा सामान है।

मैंने हाँ में अपना सर हिलाया और अपने कपड़े उठाने लगी। मैं चोर नजरों से उनकी तरफ देख रही थी क्यूंकि वो सिर्फ अन्डरवीयर में थे और उनकी अन्डरवीयर में लंड का उभार काफी बड़ा लग रहा था।

मैं जानबूझ कर धीरे धीरे कपड़े उठा रही थी और चोर नजरों से उनकी तरफ देख रही थी।

फिर प्रदीप ने कहा- रोमा, तुम अपने कपड़े उठा लो, मैं नहा कर आता हूँ।

मैंने अपने सारे कपड़े समेट लिए, मेरा मन बार बार प्रदीप को देखने को कर रहा था। तब मुझे याद आया कि मेरी एक ब्रा-पेंटी बाथरूम में ही है, तो मैंने सोचा कि अगर मैं वो प्रदीप से मांगूगी तो उसे बाथरूम का दरवाजा खोलना पड़ेगा जिससे मैं उसे देख सकती हूँ।

मैं बाथरूम के पास गई और कहा- प्रदीप जी, मेरे कुछ कपड़े अन्दर हैं, क्या आप मुझे वो दे दोगे?

तो प्रदीप ने कहा- रोमा तुम्हारे यहाँ कोई कपड़े नहीं हैं।

तो मैंने कहा- आप ध्यान से देखो, होंगे !

मैंने कहा- मेरी ब्रा-पेंटी है अन्दर, वो मुझे दे दो।

तो प्रदीप ने कहा- हाँ वो हैं।

और उसने बाथरूम का दरवाजा खोला और मुझे ब्रा पेंटी दी। दरवाजा खुलते ही मैंने उसकी ओर देखा तो उसने अभी भी अंडरवीयर पहनी हुई थी जो पानी से गीली हो चुकी ही और उसकेशरीर से चिपक गई थी तो उसके लंड का उभार मुझे और भी आकर्षक लग रहा था।

मेरी नजरें उस पर से हट नहीं रही थी। फिर मैंने उसके हाथ से ब्रा-पेन्टी ली और उसे अपने बैग में रख कर रूम से बाहर आकर भाभी के रूम में अपना बैग रख दिया और किचन में आकर खाना बनाने में भाभी की मदद करने लग गई।

बातों ही बातों में मैंने भाभी को बताया- भाभी जब मैं गेस्टरूम में गई तो प्रदीप सिर्फ अन्डरवीयर में खड़े थे और उनके हाथ में मेरी ब्रा थी, उन्होंने मुझे देख कर ब्रा को नीचे फेंक दिया, शायद मेरे अचानक वहाँ जाने से वो घबरा गए थे तो उन्होंने ब्रा को नीचे फेंक दिया था और फिर वो बाथरूम में चले गये पर भाभी, मैं उन्हें सिर्फ अंडरवीयर में देख कर उनकी तरफ आकर्षित हो गई थी, वो मुझे बहुत अच्छे लग रहे थे, उनका लंड उनकी अंडरवीयर में काफी बड़ा लग रहा था।

तब भाभी ने मुझे ऐसे ही कहा- क्यूँ रोमा, प्रदीप से भी चुदाई करवाने का मन कर रहा है क्या?

तो मैंने भाभी से कहा- क्या भाभी, आप भी कुछ भी बोल रही हो? कल ही तो मैंने भैया के साथ चुदाई की थी।

तभी भाभी ने कहा- रोमा अगर तुम्हारा मन प्रदीप से भी चुदवाने का कर रहा हो तो बता दो, मैं तुम्हारे भैया को कह दूँगी तो वो उसे प्रदीप से कह देंगे ! वैसे भी वो प्रदीप भी कम नहीं है, जहाँ लड़की देखी नहीं कि उसे चोदने के सपने देखने लगता है। तुम्हारे भैया ने मुझे बताया है उसके बारे में ! मुझे तो लगता है कि शायद वो तुम्हें चोदने का सपना देख ही रहा होगा इसलिए वो रूम में सिर्फ अंडरवीयर में था और तुम्हारी ब्रा उसके हाथ में थी।

फिर भाभी और मेरी ऐसे ही बातें होती रही। खाना बन चुका था तो भाभी ने मुझे कहा- रोमा तुम इसे डाइनिंग टेबल पर लगाओ, मैं अभी आती हूँ !

और भाभी अपने रूम में चली गई, मैं डाइनिंग टेबल पर खाना लगाने लगी। खाना लगाने के बाद जब मैं भाभी के रूम में जाने लगी तो मैंने भैया और भाभी को बात करते सुना, भाभी भैया से कह रही थी- रोमा जब गेस्ट रूम में अपने कपड़े समेटने के लिए गई थी न, तो प्रदीप वहाँ सिर्फ अंडरवीयर में था और उसके हाथ में रोमा की ब्रा थी, यह बात मुझे रोमा ने बताई, और वो कह रही थी कि उसका लंड अंडरवीयर में काफी बड़ा लग रहा था और रोमा को वो बहुत आकर्षित लग रहा था, और जब मैंने रोमा से पूचा कि क्या तुम उससे चुदना चाहती हो तो उसने मुस्कुरा कर बात को टाल दिया, मुझे तो लगता है कि प्रदीप भी कहीं रोमा को चोदने की फ़िराक में तो नहीं है?

तो भैया ने कहा- हाँ हो सकता है !

फिर मैं रूम के अंदर गई और भैया भाभी को कहा- चलो, मैंने टेबल पर खाना लगा दिया है !

तो भैया ने कहा- चलो, मैं प्रदीप को बुला लाता हूँ !

भैया चले गए और हम भी किचन में आ गए।

मैंने भाभी से कहा- भाभी, आपको यह बात भैया को बताने की क्या जरुरत थी? मैंने आपकी बातें सुन ली हैं !

तभी भैया और प्रदीप भी आ गए। हमने खाना खाया, खाना खाने के बाद प्रदीप और भैया तो हॉल में जा कर टीवी देखने लगे और इधर भाभी और मैं टेबल को साफ करने लगे। उसके हम दोनों रूम में चले गए, वहाँ भाभी ने फिर मुझसे कहा- रोमा, तुम्हें प्रदीप अच्छा लगा न?

तो मैंने बात को पलटते हुए कहा- भाभी मैं अभी आती हूँ।


मैं जब रूम से बाहर आई तो मैंने हॉल में प्रदीप और भैया की फिर बातें सुनी।


भैया प्रदीप को कह रहे थे कि ‘यार, तुम रोमा की ब्रा को हाथ में लेकर क्या कर रहे थे?’

तो उसने चौंकते हुए कहा- यार, यह तुझे किस ने बताया?

तो भैया ने कहा- यार रोमा ने पलक को बताया तो पलक ने मुझे बताया है।

प्रदीप ने कहा- यह बात भाभी को भी पता चल गई यार ! मैंने कुछ नहीं किया, बस ब्रा को हाथ में किया था, पर जब रोमा वहाँ आ गई तो मैं उसे नीचे रख कर बाथरूम में नहाने के लिए चला गया था। उसके बाद रोमा ही मेरे पास आई थी और बाथरूम के दरवाजे को खटखटा कर मुझ से कहा कि ‘प्रदीप जी, मेरे कुछ कपड़े अंदर हैं, वो मुझे दे दो’ तो मैंने कहा कि ‘यहाँ कोई कपड़े नहीं हैं’ तो उसने ही कहा था कि मेरी ब्रा-पेन्टी अंदर है, वो दे दो !’ तो मैंने बस वही उसे दी थी।

तब भैया ने उसे कहा- यार उसने तुझे अंडरवीयर में देखा तो वो तेरी तरफ आकर्षित हो गई थी। उसे तू अंडरवीयर में बहुत अच्छा लग रहा था। यार, जब मैं घर आया था तो उसने मेरे साथ भी चुदाई की थी।

तभी प्रदीप ने कहा- यार, मैं भी उसे चोदना चाहता हूँ, मैं जब से आया हूँ, उसी के बारे में सोच रहा हूँ, वो बहुत सेक्सी है यार ! तू ही मेरी कुछ मदद कर ना ! मैं उसे चोदना चाहता हूँ।

तो भैया ने कहा- कैसे यार? तेरी तो अभी दो घंटे बाद मीटिंग है और आज शाम को वो अपने घर चली जायेगी।

प्रदीप कहने लगा- यार आज कैसे भी कर, उसे यहाँ रोक ले, मैं उसे आज रात को चोदना चाहता हूँ !

तब भैया ने कहा- यार तू एक काम कर ! अभी जब तू मीटिंग में जाने के लिए तैयार होगा न, तो मैं रोमा को कैसे भी करके तेरे पास भेज दूँगा, तू कमरे में बिना कपड़ों के रहना, कैसे भी करके रोमा को अपनी और आकर्षित करना। अगर वो तेरी ओर आकर्षित हो गई तो वो पक्का तेरे साथ सेक्स करने के लिए तैयार हो जायेगी और आज रात को यहीं रुक भी जायेगी।

तब प्रदीप ने कहा- हाँ ठीक है यार ! मैं कुछ करूँगा, तू एक बार रोमा को कमरे में भेज देना यार ! मैं अब जाकर मीटिंग के लिए तैयार होता हूँ।

मैंने उन दोनों की ये सारी बातें सुनी तो मेरे मन में कुछ गुदगुदी सी होने लगी थी और मैं वापस भाभी के कमरे में आ गई।

तभी भैया आए और उन्होंने अपनी अलमारी को खोला और उस में से कुछ टाई निकली और मुझे कहा- रोमा, ये टाई तुम जाकर प्रदीप को दे दो, उसे जरुरत है।

तब मैंने भैया से कहा- मुझे पता है भैया कि आप मुझे वहाँ क्यूँ भेज रहे हो !

और मैंने भैया के हाथ से टाई ली और गेस्टरूम में जाने लगी। मैंने जब गेस्टरूम का दरवाजा खोला तो प्रदीप वहाँ फिर से सिर्फ अंडरवीयर में ही खड़ा था।

मैंने उससे कहा- ये कुछ टाई भैया ने दी है आपको देने के लिए ! और जब मैंने उसके अंडरवीयर की तरफ देखा तो उसका लंड मुझे पहले से भी ज्यादा बड़ा लग रहा था। वो शायद कुछ खड़ा हो गया था।

उसने मेरे हाथ से टाई ले ली। जब मैं वापस आने के लिए मुड़ी तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और मुझे अपनी तरफ खींच लिया और कहा- रोमा, तुम मुझे बहुत सेक्सी लगती हो।

मुझे उसकी बांहों में आकर बहुत अच्छा लगा। फिर उसने मेरे एक हाथ को अपने एक हाथ से पकड़ा और मेरे हाथ को अपने अंडरवीयर पर रख कर लंड को मेरे हाथ से दबाने लगा।

मैं तो बेसुध सी हो गई थी, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ। फिर उसने अंडरवीयर को नीचे करके अपना लंड मेरे हाथ में थमा दिया और अपने हाथ से मेरे हाथ को पकड़ कर लंड को सहलाने लगा।

उसका गर्म लंड मेरे हाथ में आते ही मेरे अंदर एक झनझनाहट सी महसूस हुई और उसने अपने होंठों को मेरे होंठों पर रख दिया और उन्हें चूसने लगा। मेरी साँसें तेज हो गई और मैं पागल सी होने लगी। मैंने अब अपने आप को उसके हवाले कर दिया।

फिर उसने मुझसे कहा- रोमा, मैं तुम्हारे साथ सेक्स करना चाहता हूँ।

तब मुझे होश आया और मैंने अपने आपको उसकी बांहों से किसी तरह छुड़ाया और उससे कहा- अभी आप जाइये, आपको मीटिंग के लिए देर हो रही है। देखो 4 बज गए हैं।

उसने फिर मुझसे पूछा- रोमा मेरे साथ सेक्स करोगी क्या?

तो मैंने मन में सोचा कि घर जाने से पहले एक बार और सेक्स कर लेती हूँ तो मैंने अपना सर हाँ में हिला दिया और रूम से बाहर आई। फिर जब मैं भाभी के रूम में गई तो उधर भैया भाभी की चुदाई का प्रोग्राम चल रहा था, भैया भाभी को चोद रहे थे।

भाभी ने मुझसे कहा- रोमा तुम मिनी को बाहर ले जाओ, हम अभी आते हैं।

मिनी भाभी की बेटी का नाम है मैंने अपनी पुरानी कहानी में बताया भी था शायद !

तो मैं मिनी को लेकर हॉल में आ गई और टीवी देखने लगी। कुछ ही देर में भैया-भाभी भी अपना चुदाई का प्रोग्राम ख़त्म करके हॉल में आ गये, फिर प्रदीप भी आया और उसने कहा- मैं मीटिंग के लिए जा रहा हूँ, आने में थोड़ी देर हो जायेगी।

उसने अपनी कार निकली और वो चला गया।

प्रदीप के जाने के बाद भैया ने मुझसे कहा- रोमा, तुम्हें प्रदीप को टाई देने में इतनी देर कैसे हो गई थी? क्या हुआ रूम में?

तो मैंने भैया से कहा- भैया, मुझे पता है कि आपने मुझे प्रदीप को टाई देने के लिए क्यूँ भेजा था, मैंने आपकी और प्रदीप की सारी बातें सुन ली थी कि आपने उसे क्या क्या कहा था।

तो भैया भाभी ने मुझसे पूछा- तो क्या हुआ रोमा, तुम आज यहीं रुक रही हो ना?

फिर तो मैंने हाँ कही और वो सारी बात बताई जो प्रदीप ने मेरे साथ रूम में की थी। फिर भैया भाभी को कहा- मैंने सोचा कि घर जाने से पहले प्रदीप के साथ एक बार सेक्स कर ही लेती हूँ क्यूँ कि उसने मुझे रूम में बहुत गर्म कर दिया था।

ऐसे ही बातों के बाद भैया मार्किट सब्जी लाने के लिए चले गये तो भाभी और मैं टीवी देखने लगी।

भैया मार्किट से सब्जी लाए तो भाभी और मैं रात के खाने कि तैयारी में लग गए।

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रात के करीब 9 बजे प्रदीप आया, उसने मुझे देखा तो उसके चेहरे की खुशी साफ दिख रही थी।


भैया ने प्रदीप से कहा- जाओ प्रदीप, तुम जा कर फ्रेश हो आओ, खाना तैयार है ! खाने के बाद तुम बताना कि तुम्हारी मीटिंग कैसी रही। खाने के बाद भैया और प्रदीप फिर हॉल में चले गए और टीवी देखने लगे। इधर भाभी और मैं भी रूम में चले गये। रूम में जाकर भाभी ने मुझे एक नाइटी निकाल कर दी और कहा- लो रोमा, तुम इसे पहन लो !

तो मैंने अपने कपड़े उतारे और वो नाइटी पहन ली। भाभी ने भी एक नाइटी पहन ली और हम फिर बाहर हॉल में ही आकर बैठ गए।


11 बज चुके थे, कुछ देर बाद अब प्रदीप से सब्र नहीं हो रहा था तो उसने भैया के कान में कुछ कहा तो भैया ने…

भाभी से कहा- चलो पलक, अब हमें सोना चाहिए !

तो वो दोनों वहाँ से अपने कमरे में चले गये। मुझे थोड़ा डर लग रहा था तो मैं भी उठ कर किचन में जाकर पानी पीने लगी।

तभी प्रदीप भी वहाँ आ गया और उसने मुझे पकड़ लिया और मेरी गर्दन पर चुम्बन करने लगा और कहने लगा- रोमा, अब तो तुम इस

नाइटी में पहले से भी ज्यादा सुन्दर लग रही हो।

तभी वहां भाभी आ गई तो उसने मुझे छोड़ दिया।

भाभी ने फ्रिज से पानी की बोतल निकाली और चली गई।

तो प्रदीप ने मुझे फिर से पकड़ लिया और कहने लगा- चलो ना रोमा, रूम में चलते हैं।

उसने मुझे अपनी गोद में उठा लिया और रूम में लाकर मुझे बेड पर बैठा दिया, फिर उसने मेरे हाथों को अपने हाथों में लिया और उन्हें चूम लिया।

अब उसने मेरे हाथों को अपने कंधों पर रखा और मुझे मुझे अपनी तरफ खींच लिया तो मैं आसानी से उसके ऊपर जा गिरी।

प्रदीप ने अपने होंठों को मेरे होंठों पर रखा और उन्हें चूसने लगा। मेरी साँसें अब गर्म होने लगी थी और वो मेरे होंठों को चूसे जा रहा था। फिर उसने मेरे निचले होंठ को अपने दोनों होंठों के बीच लिया और चूसने लगा, उसके हाथों की अंगुलियाँ मेरे बालों में उलझी हुई थी। उसने मेरी जीभ को अपने मुँह में लिया और बहुत ही सुन्दर ढंग से चूस रहा था।

उसके हाथ अब मेरी पीठ पर घूमते हुए कमर से होते हुए नीचे जाने लगे और फिर उसने अपने हाथ मेरी नाइटी के अंदर डाल दिए और नाइटी को उठाने लगे तो मैंने भी अपने चूतड़ उठा कर नाइटी उतरने में उसकी मदद की।

उसने नाइटी उतर कर अलग कर दिया अब धीमे धीमे उसके हाथ मेरे वक्ष की गोलाइयों के नजदीक तक पहुँच गए, उसके हाथ मेरी ब्रा पर महसूस हो रहे थे। इस बीच हम दोनों ने एक दूसरे को चूमना जारी रखा उसकी हरकतें मुझे बहुत ही ज्यादा उत्तेजित कर रही थी, अब मैंने भी अपने हाथ उसकी कमर पर रख कर उसकी टी-शर्ट ऊपर करके निकाल दी। इस बीच मुझे महसूस हुआ कि उसका लंड खड़ा हो गया है जो उसके लोअर को फाड़कर बाहर आने को तैयार था। मैं उसके सख्त हो चुके लंड को लोअर के ऊपर से ही रगड़ रही थी। फिर मैंने उसके लोअर को पूरा नीचे सरका दिया तो उसने भी उसे अपने पैरों से निकाल कर अलग कर दिया। अब मैं अंडरवीयर के ऊपर से ही प्रदीप के लंड को पकड़ कर सहलाने लगी और वो मेरे होंठों को चूमने लगा।

कुछ ही देर बाद उसने मुझे बेड पर से उठा कर नीचे बिठा दिया और मेरे सामने आकर अपनी अंडरवेअर को भी उतार कर फेंक दिया और अपने लण्ड को मेरे लबों पर टिका दिया। वो बहुत गर्म था, उसका यह सब करना मुझे और उत्तेजित कर रहा था।

उसने कहा- रोमा, चूसो इसे !

तो मैंने उसके लंड को अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। वो लंड को मेरे मुँह में ही आगे पीछे करने लगा मानो मुँह की ही चुदाई कर रहा हो।

कुछ देर बाद उसने मुझे वापस बेड पर बैठा दिया और अपने हाथों को मेरी पीठ पर लाकर मेरी ब्रा का हुक खोल दिया। अब मेरे वक्ष की दोनों गोलाइयाँ उसके सामने बिल्कुल आजाद होकर झूलने लगी, वो मेरी चूचियाँ अपने हाथों में लेकर दबाने लगा। मेरे चेहरे पर बेचैनी थी। उसने मेरे एक निप्पल को अपनी अंगुलियों में लेकर मसला तो मेरे मुँह से एक आह्ह की आवाज निकली।

फिर उसने झुककर मेरे दूसरे निप्पल को अपने मुख में ले लिया और उसे अपनी जीभ से सहलाने लगा, मुझे बहुत अच्छा लग रहा था, में सिसकारियाँ लेने लगी।

अब प्रदीप ने अपना एक हाथ निप्पल पर से हटा कर पेरे पेट से सरकते हुए पेन्टी के ऊपर रख दिया और मेरी चूत को पेन्टी के ऊपर से ही सहलाने लगा।

कुछ ही देर बाद उसने अपना मुँह भी मेरे निप्पल पर से हटा कर मेरी चूत की तरफ आकर एक ही झटके में मेरी पेन्टी को मेरी जाँघों से सरका कर अलग फेंक दिया और अपने हाथ की अंगुली को मेरी चूत के अंदर डाल दिया और अंदर-बाहर करने लगा।

फिर मुझे बेड के किनारे लाकर खुद बेड के नीचे बैठ गया और अपना मुँह मेरी चूत पर रख कर जीभ से उसे चाटने लगा। मेरी बेसबरी अब बढ़ती जा रही थी तो मैंने उसके बालो को पकड़कर उसके सर को अपनी चूत पर दबाया। जैसे जैसे उसकी जीभ अपना काम कर रही थी, में और भी उत्तेजित होती जा रही थी, कुछ देर उसकी जीभ से मेरी चूत की चुदाई के बाद उसने मेरे दोनों पैरों को फैलाया, मेरी चूत उसके सामने थी तो उसने एक पल की भी देरी किये बिना अपने लंड को मेरी चूत पर रखा और उसके अंदर डालने लगा।

उसका लंड काफी मोटा था जो आसानी से अंदर नहीं जा रहा था और मुझे बहुत दर्द हो रहा था। तो उसने वहाँ मेज पर रखी बॉडी लोशन की बोतल से थोड़ी क्रीम अपने लंड और मेरी चूत पर लगाई, फिर लंड को मेरी चूत पर रख कर लंड को अंदर डालने की कोशिश की तो लंड थोडा सा अंदर चला गया और मेरी चीख निकल गई।

वो थोड़ा रुका और फिर एक और जोर का झटका मारा तो उसका पूरा लंड मेरी चूत में जा चुका था। मुझे बहुत दर्द हो रहा था और मैं दर्द के मारे तड़प रही थी। कुछ देर बाद जब मेरा दर्द कम हो गया तो प्रदीप ने लंड को आगे पीछे करना शुरु किया और मुझे चोदने लगा। फिर एक दूसरे को धक्के देने का सिलसिला चालू हो गया, हम दोनों की चोदन-गति बढ़ती जा रही थी, मेरे पैर हवा में खुले हुए थे जिससे प्रदीप को लंड चूत के अंदर तक डालने में आसानी हो रही थी।

अब उसका लंड तेजी से चूत के अंदर-बाहर हो रहा था, एक जबर्दस्त घर्षण उसके लंड से मेरी चूत की दीवारों पर उत्पन्न हो रहा था। हम दोनों आनन्द की एक दूसरी दुनिया में तैर रहे थे। मेरी चूत से गर्म पानी निकलने लगा जो लुब्रीकेंट का काम कर रहा था।

हम दोनों अपनी चरम सीमा के नजदीक पहुँच रहे थे, इस चुदाई से फच्च फच्च की आवाज आने लगी थी, हमारे अंदर एक जबर्दस्त तूफान उबाल मार रहा था, हम दोनों के अंदर एक लावा भभक रहा था जो हमारी चुदाई के अन्तिम पलों में फ़ूट पड़ा, हम दोनों के शरीर शांत हो गए और थोड़ी देर तक एक दूसरे की बाहों में पड़े रहे।

यह मस्ती का दौर रात में फिर दो बार और चला !

##

उस चुदाई के बाद अगली सुबह प्रदीप ने ही अपनी कार मैं मुझे मेरे घर छोड़ा और जाते जाते उसने मुझे से मेरा मोबाइल नंबर लिया और वो चला गया। मैं भी घर आ गई।

उसके बाद प्रदीप अक्सर मुझे फ़ोन करने लगा और मैं घंटो घर में छुप कर उस से बातें करने लगी। कभी-कभी जब घर में कोई नहीं होता था तो मैं प्रदीप के साथ फ़ोन सेक्स भी किया करती थी। मुझे उससे बातें करना बहुत अच्छा लगता था। प्रदीप हमेशा मुझे कहता कि रोमा मुझे तुम से फिर से मिलना हैं, पर मैं हर बार उसे मिलने से मना कर देती थी।

एक दिन तो प्रदीप बहुत ज़िद करने लगा कि उसे मुझे से मिलना ही है। मैंने फिर उसे मना कि पर वो नहीं माना और कहने लगा कि कल वो आ रहा है और मैं उस से मिलूँ नहीं तो वो मेरे घर ही आ जाएगा।

मुझे उसकी ज़िद के आगे झुकना पड़ा और मैंने कहा- हाँ मैं कल तुम से मिलूंगी।

पर मैंने उसे यह साफ-साफ कह दिया कि मैं तुमसे आखिरी बार मिल रही हूँ। इसके बाद मैं तुमसे नहीं मिलूँगी और तुम मुझे मिलने के लिए मजबूर नहीं करोगे।

प्रदीप ने कहा- ठीक है।

मैंने कहा- मुझे प्रोमिस करो।

प्रदीप ने मुझसे वादा किया और फिर हमने अगले दिन मिलने का समय तय किया। प्रदीप ने मुझे कहा कि वो कल शाम 4 बजे मेरे ही घर के पास मेरा इन्तजार करेगा।

मैंने कहा- ठीक है, कल मिलते हैं।
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अगले दिन मैं तैयार हुई और घर में मम्मी को कहा- मम्मी आज मेरी एक फ्रेंड का बर्थ-डे है। मैं उसके बर्थ-डे पार्टी में जा रही हूँ। आने मैं थोड़ी देर हो जाएगी !


तो मम्मी ने मुझे परमीशन दे दी, मैं घर से निकल गई और प्रदीप को फ़ोन किया कि वो कहाँ है?

उसने कहा कि वो मेरे घर के राईट साइड में जो चौराहा है, वो वहीं खड़ा है। मैं जल्दी जल्दी वहाँ पहुँची। प्रदीप की कार चौराहे के थोड़े साइड में खड़ी थी और प्रदीप भी कार के बाहर मेरा इन्तजार करते हुए खड़ा था। मैं जाकर उससे मिली, फिर हमारी थोड़ी बात हुई।

उसके बाद प्रदीप ने कहा- चलो रोमा कार में बैठो, हम कहीं लॉन्ग ड्राइव पर चलते हैं।

मैं कार में बैठ गई। प्रदीप ने भी कार स्टार्ट की और वो कार चलाने लगा।

प्रदीप मुझ से रोमांटिक बातें किए जा रहा था। कुछ ही समय बाद हमारी कार सिटी के बाहर आ गई थी।

मैंने प्रदीप से कहा- प्लीज़ प्रदीप, बताओ तो कि हम कहाँ जा रहे हैं?

प्रदीप कहने लगा- रोमा हम वहीं जा रहे हैं जहाँ कोई आता-जाता नहीं।

अब हमारी कार क्योंकि सिटी से बाहर आ गई थी, इसलिए अब प्रदीप की मस्ती चालू हो गई थी। उसका एक हाथ कार के स्टेयरिंग से हट कर मेरे सीने के ऊपर आ गया और वो बूब्स को दबाने लगा।

मैंने उसके हाथ हटाया और कहा- प्लीज़, तुम कार ठीक से चलाओ।

पर प्रदीप नहीं मान रहा था। कभी वो बूब्स को दबाता तो कभी मेरी जींस के ऊपर से ही मेरी चूत को सहलाता।

मैं बार-बार उसका हाथ हटाते जा रही थी पर वो नहीं मान रहा था। उसने कार चलाते-चलाते ही अपनी पैन्ट की ज़िप खोली, और लंड को बाहर निकाल कर मेरा एक हाथ पकड़ कर मेरे हाथ में अपना लंड पकड़ा दिया।

प्रदीप का लंड मेरे हाथ में आते ही मेरे अंदर भी कुछ गर्मी सी आ गई और मैं उसका लंड सहलाने लगी।

प्रदीप ने अब कार को हाइवे से उतार कर एक कच्चे रास्ते पर डाल दिया जो जंगल के अंदर जा रहा था।

मैंने प्रदीप से पूछा- ये तुम कार को कहाँ ले जा रहे हो?

प्रदीप ने कहा- तुम चुपचाप बैठी रहो। हाइवे पर कार खड़ी करना ठीक नहीं होता। इसलिए हम कच्चे रास्ते से जंगल के अंदर जा रहे हैं। मैंने यह जगह देखी हुई है, बहुत अच्छी जगह है, यहाँ कोई आता-जाता नहीं है। यहाँ जंगल के अंदर ही एक छोटा सा झरना है। यह बहुत सुन्दर जगह है। तुम्हें पसंद आएगी।

मैं चुपचाप बैठी प्रदीप के लंड को सहला रही थी।

जंगल के अंदर कुछ दूर जाकर प्रदीप ने एक जगह कार को खड़ी किया और मुझे कहा- उतरो मैं तुम्हें ये जगह दिखाता हूँ।

मैं कार से उतरी तो देखा कि वहाँ पर एक छोटा सा झरना था। झरने से पानी नीचे गिर रहा था। नजारा बहुत सुन्दर लग रहा था। हमें वहाँ पहुँचने में लगभग आधा घंटा लगा था। उस टाइम 4:30 हो गए थे।

प्रदीप ने कहा- देखा रोमा, मैंने कहा था न, यह जगह बहुत सुन्दर है।

मैं उस झरने को देख रही थी कि तभी प्रदीप मेरे पास आया और मुझे अपनी बाँहों में ले लिया। मैंने भी उसे अपनी बाँहों में ले लिया।

वो मेरी गर्दन को चूमने लगा। फ़िर उसने मुझे कार से टिका कर मेरी गर्दन को पकड़ कर अपने होंठों को मेरी होंठों पर रख कर उन्हें चूमने लगा। मैं भी उसका साथ दे रही थी।

अब उसके हाथ गर्दन से खिसक कर नीचे आने लगे थे। उसने अपने दोनों हाथों को मेरी कमर तक ले आया और मेरी टी-शर्ट के अंदर हाथ डाल कर टी-शर्ट को ऊपर उठाने लगा।

उसने टी-शर्ट को मेरे बूब्स तक उठाया और बूब्स को दबाने लगा और साथ ही लगातार वो मेरे होंठो को भी चूमते जा रहा था।

कुछ देर तक हम दोनों एक दूसरे को इसी तरह चूमते रहे। उसके बाद प्रदीप ने मेरी टी-शर्ट और ब्रा दोनों उतार दी और कार का पिछला गेट खोल कर मुझे उसने कार की पिछली सीट पर लिटा दिया।

उसने अपनी शर्ट उतार दी फिर वो मेरे ऊपर आ गया। मेरे एक बूब्स को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा और दूसरे को एक हाथ से दबाने लगा।

मेरे मुँह से अब कामुक आवाजें निकलने लगीं मैं जोर-जोर से ‘आह हह आआ अह ह’ करने लगी।

उसने मेरे दोनों मम्मों को अपने हाथों में पकड़ लिए और उन्हें दबाने लगा।

उसने मुझसे पूछा- कैसा लग रहा है तुम्हें रोमा?

मैंने अपनी आँखें मूँद कर धीरे से कहा- अच्छा लग रहा है, प्रदीप और जोर-जोर से चूसो इन्हें।

वो फिर मेरे उरोजों को चूसने लगा और मैं लगातार उस से बोले जा रही थी, “और जोर-जोर से चूसो, प्रदीप बहुत मजा आ रहा है।”

मेरे ऊपर एक नशा सा छा रहा था और मैंने प्रदीप को अपने दोनों हाथों से जकड लिया। अब प्रदीप ने अपने आप को मेरी बाँहों से छुड़ाया और मेरी जींस के बटन खोल कर मेरी जींस को उतारने लगा।

उसने मेरी जींस को पूरी उतार कर आगे की सीट पर रख दी और कहा- रोमा तुम तो आज इस पैन्टी में बहुत सेक्सी लग रही हो।

मैंने उस दिन काले रंग की पारदर्शी पैन्टी पहनी थी। उसने अपना हाथ मेरी चूत पर रखा और उसे पैन्टी के ऊपर से ही सहलाने लगा।

उसने मेरी जाँघ के पास से पैन्टी को खींच कर अलग किया, जिससे मेरी चूत उसे दिखने लगी।

प्रदीप ने कहा- रोमा तुम्हारे ये चूत के बाल भी बहुत सेक्सी लग रहे हैं।

उसने अपनी एक उंगली मेरी चूत के अंदर डाल दी तो मेरे मुँह से एक सीत्कार ‘अह्ह ह्ह्ह’ निकली फिर उसने अपना मुँह मेरी चूत के ऊपर रखा और चूत को चूसने लगा।

मैंने उत्तेजना के मारे उसके सर के बाल पकड़ लिए, उसके सर को अपनी दोनों जाँघों के बीच चूत पर दबाने लगी और जोर-जोर से सिसकारियाँ लेने लगी।

प्रदीप अपनी जुबान को मेरी चूत के छेद में डालने लगा और मेरी चूत से खेलने लगा।

मैं बहुत उत्तेजक हो गई थी और प्रदीप को कह रही थी, “प्रदीप चूसो मेरी चूत को, खा जाओ उसे।”

प्रदीप अब और जोर-जोर से मेरी चूत को चूसने लगा और मैं भी उसके सर को चूत पर दबाने लगी कुछ देर कि चूत चुसाई के बाद प्रदीप कार के बाहर निकला और अपनी पैन्ट और अंडरवेयर उतार कर कार की आगे की सीट पर रख दिए।

प्रदीप ने मुझे भी खींच कर कार के बाहर किया और कार से एक कुशन को निकल कर कार का गेट लगा दिया और खुद कार के गेट से चिपक कर खड़ा हो गया।

उसने मुझे वो कुशन दिया और कहा- लो इसे अपने घुटनों के नीचे रख कर नीचे बैठ कर मेरा लंड चूसो।

मैंने वैसा ही किया। मैंने कुशन को नीचे रख कर और उस पर अपने घुटने टेक कर खड़ी हुई और प्रदीप के लण्ड को अपने हाथों से सहलाने लगी। प्रदीप ने अपना एक हाथ मेरे सर में बालों के अंदर किया और मेरे सर को पीछे से आगे धकेल कर अपने लंड को मेरे मुँह में डाल दिया।

अब मैं उसके लंड को चूसने लगी और प्रदीप झटके मारने लगा। जैसे वो मेरे मुँह की ही चुदाई कर रहा हो।

10 मिनट तक प्रदीप यूँ ही मेरे मुँह की चुदाई करता रहा और मैं भी बड़े मजे से उसका लंड चूसती रही।

फिर प्रदीप ने मुझे अपनी गोद में उठा लिया और कार के बोनट पर बैठा दिया और फिर से मेरी जाँघ के पास से पैन्टी को खींच कर अलग किया और चूत को चूसने लगा।

फिर उसने अचानक अपने मुँह को मेरी चूत पर से हटाया और मेरी चूत के ऊपर अपना लंड रख कर लंड से चूत को सहलाने लगा और मेरी पैन्टी को चूत पर से खींच कर और साइड में कर दिया।

मैंने उसे कहा- पैन्टी उतार दो, फिर अच्छे से कर सकोगे तुम।

तो उस ने मना कर दिया और कहा- नहीं मुझे ऐसे में ही मजा आ रहा है।

प्रदीप बस अपने लंड से मेरी चूत को सहला रहा था। वो चूत में लंड नहीं डाल रहा था। वो मुझे तड़पा रहा था।

मुझे कार का बोनट गर्म लगने लगने लगा तो मैंने प्रदीप से कहा- प्रदीप मुझे बोनट गर्म लग रहा है। चलो कार के अंदर ही चलते हैं।

तो उसने कहा- ठीक है।

और उसने मुझे फिर से अपनी गोद में उठा कर मुझे कार कि पिछली सीट पर लिटा दिया और वो भी कार के अंदर आ गया।

मेरा एक पैर सीट के नीचे था और दूसरे पैर को प्रदीप ने उठा कर अपने कन्धे के ऊपर रख लिया।

प्रदीप ने भी अपने एक पैर सीट के नीचे रखा और पैर को घुटने के पास ले मोड़ लिया। फिर प्रदीप ने मुझे अपनी तरफ खींचा और अपने लंड को मेरी चूत पर टिकाया और लंड को जोर से चूत के अंदर धकेला, जिससे मेरे मुँह से के चीख निकली और प्रदीप का आधा लंड मेरी चूत के अंदर चला गया। प्रदीप ने मेरे स्तनों को पकड़ लिया और उन्हें दबाने लगा।

मेरे मुँह से सिस्कारियाँ निकलने लगी- आआह ऊऊह ह्ह्ह आ आआ आआह !

प्रदीप ने बचा हुआ अपना आधा लंड भी एक और झटके में चूत के अंदर डाल दिया।

मैंने कहा- कमीने थोड़ा धीरे कर, मुझे दर्द हो रहा है।

प्रदीप ने कहा- साली, थोड़ा दर्द हो होगा ही न। अभी कुछ देर में तू खुद ही कहेगी, जोर-जोर से करो।

तो मैंने कहा- कमीने जब मैं जोर से करने का बोलूँ तो जोर से भी कर लेना, पर अभी तो थोड़ा धीरे कर !

तब प्रदीप ने कहा- साली बहुत कमीनी है तू, चल अब तू भी अपनी गांड उछाल कर मेरा साथ दे।

प्रदीप जोर-जोर से मुझे चोदने लगा और मैंने भी अपनी कमर उछाल-उछाल कर उसका साथ देने लगी। अब मुझे चुदने में मजा आने लगा था, मैं उसे कहने लगी- और जोर-जोर से चोदो प्रदीप !

प्रदीप तो उसने अपनी स्पीड और बढ़ा दी और कहने लगा- ले साली ले ! और ले, आज तुझे खूब चोदूँगा।

लगभग दस मिनट तक प्रदीप मुझे यूँ ही धकाधक चोदता रहा, फिर वो कहने लगा- रोमा, मेरा निकलने वाला है।

तो मैंने कहा- तुम चूत के अंदर नहीं छोड़ देना !

उसने अपना लंड जल्दी से चूत से निकाला और अपना सारा वीर्य मेरी चूत के ऊपर छोड़ दिया, जिससे कि मेरी चूत और पैन्टी गन्दी हो गई थी।

उसके वीर्य की कुछ बूँदें मेरे स्तनों तक भी आईं। अब तक प्रदीप में जो जोश भरा था वो थोड़ा कम हो गया, ढीला हो कर मेरे ऊपर ही लेट गया, मेरे होंठो को चूमने लगा।

कुछ देर ऐसे ही पड़े रहने के बाद प्रदीप मुझ पर से हटा तो मैंने उसे कहा- देखो तुमने यह क्या किया, मुझे पूरा गन्दा कर दिया और खुद भी हो गए ! अब इसे कौन साफ करेगा?

प्रदीप ने कहा- तुम चिन्ता मत करो, मैं ये सब साफ कर दूँगा। देखो इस झरने का पानी अपने किस काम आएगा?

उसने मुझे कार से बाहर निकाल कर अपनी गोद में उठाया। फिर झरने के पास लेकर गया झरने से जो पानी बह रहा था, वो सिर्फ पैरों के टखने तक ही था।

प्रदीप ने मुझे ले जाकर एक चौड़े पत्थर के ऊपर लिटा दिया और पहले मेरी पैन्टी को उतार कर उसे धोने लगा फिर पैन्टी को अलग एक पत्थर पर रख दिया और अपने हाथों से पानी ले कर मेरी चूत के ऊपर जो उसका वीर्य था, उसे साफ करने लगा। उसने मेरा सारा बदन पानी से गीला कर दिया था।

मैंने उससे कहा- तुम भी तो अपने आप को साफ कर लो।

‘तुम साफ कर दो रोमा ! मैंने तुम्हें साफ किया है, तुम मुझे साफ कर दो।”

मैंने कहा- ठीक है, अब तुम यहाँ लेट जाओ।

उसके पत्थर पर लेटने के बाद मैंने भी उसका सारा बदन साफ किया।

मैंने कहा- प्रदीप मुझे ठण्ड लग रही है और देखो, अँधेरा भी हो रहा है। अब हमें यहाँ से चलना चाहिए।

तब वो कहने लगा तुम्हारी ठण्ड को मैं अभी दूर कर दूँगा। मेरा हाथ पकड़ कर उसने खींचा और अपने ऊपर मुझे लिटा लिया और मुझे अपनी बाँहों में जकड़ लिया- इससे तुम्हारी ठण्ड दूर हो जाएगी।

कुछ देर मैं और प्रदीप वहाँ ऐसे ही लेटे रहे।

प्रदीप ने कहा- रोमा तुम मेरा थोड़ा सा लंड चूसो, इससे तुम्हारी ठण्ड और दूर हो जाएगी।

मैंने प्रदीप की छाती को चूमते हुए नीचे उसके लंड के पास आई, प्रदीप का लंड छोटा था, वो खड़ा नहीं था। मैंने उसके लंड को अपने हाथ में लिया और अपने मुँह में लेने लगी तो उस का लंड अब खड़ा होने लगा। मैं लंड को अपने मुँह में भर कर चूसने लगी।

प्रदीप के लंड को एक मिनट भी नहीं लगा और उसका लंड एकदम खड़ा हो गया। मैं जोर-जोर से उसका लंड चूसने लगी, मुझे काफी मजा आने लगा लंड चूसने में।

5 मिनट लंड चुसवाने के बाद प्रदीप ने कहा- रोमा, मैं तुम्हें एक बार और चोदना चाहता हूँ। पता नहीं तुम फिर कब मिलोगी?

मैंने प्रदीप को पत्थर पर से उठने को कहा और खुद उस पत्थर पर लेट गई और प्रदीप से कहा- लो आज जो करना है, कर लो।

तो उसने थोड़ी सी भी देर ना करते हुए मेरे दोनों पैरों को उठा कर अपने दोनों कन्धों पर रख लिए और अपने लंड को चूत के ऊपर रख कर एक जोर का झटका मारा जिससे उसका पूरा का पूरा लंड मेरी चूत के अंदर चला गया।

मैं एक बार फिर जोर से चिल्लाई- कमीने, थोड़ा धीरे डाल !

पर वो अब मेरी नहीं सुन रहा था, वो मुझे चोदने में लगा हुआ था, जोर-जोर से लंड मेरी चूत के अंदर-बाहर कर रहा था।

मैं ‘आआह ऊउह आअह’ करते हुए सिसकारियाँ लेने लगी।

मैं बहुत गर्म हो गई थी, जिससे मेरा निकलने वाला था।

मैंने बताया कि मेरा निकलने वाला है, तो उसने अपना लंड मेरी चूत से निकाल लिया और अपना मुँह मेरी चूत पर लगा दिया, ‘आह आअह उह’ करते हुए मैं झड़ गई।

प्रदीप मेरा वो सारा पानी पीने लगा। उसने चाट-चाट कर मेरी चूत को साफ किया और फिर उसने मेरे पैरों को फैला कर अपना लंड मेरी चूत रख कर उसे अंदर डाला और फिर से मेरी चुदाई करने लगा।

मैं फिर से गर्म हो गई, वो मुझे ऐसे ही चोदता रहा। कुछ देर बाद हम दोनों एक साथ झड़े और प्रदीप ने मुझे फिर से अपनी बाँहो में भर लिया और मुझे चूमने लगा।

हम दोनों उठे और हमने झरने में नहाया। वहाँ से जब जाने लगे तो मैंने पत्थर पर से अपनी पैन्टी उठाई।

वो अभी गीली थी, तब मैंने प्रदीप से कहा- देखो, ये तुमने क्या किया था। मेरी पैन्टी गीली हो चुकी है। अब मैं क्या पहनूँगी?

प्रदीप हँस कर बोला- मुझे पता था ऐसा कुछ होगा इसलिए मैंने इसका इंतजाम पहले से ही कर रखा था। जब मैं आ रहा था, तब ही मैंने मार्किट से तुम्हारे लिए एक ब्रा और पैन्टी खरीदी थी, चलो, कार में रखी है। मैं ही तुम्हें आज अपने हाथ से वो ब्रा और पैन्टी पहना देता हूँ।

हम कार के पास आए तो प्रदीप ने कार से वो ब्रा पैन्टी निकाली और मुझे पहनाई। फिर मैंने अपने कपड़े पहने और प्रदीप ने भी अपने कपड़े पहने और हम वहाँ से निकल पड़े।

प्रदीप और मैंने सिटी के बाहर ही एक ढाबे में खाना खाया। फिर प्रदीप ने मुझे घर छोड़ दिया और वो चला गया।


#

तो यह थी दोस्तो, मेरी आज की कहानी उस कार में और जंगल के बीच झरने के पास मुझे चुदने में अपना ही एक अलग मजा आया। 

उम्मीद, आप सभी को मेरी कहानी पसंद आई होगी। आपको यह कहानी कैसी लगी, आप मुझे बताइयेगा जरूर !
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Heart 
भाभीजी और मैं...

[Image: 197574243-493977901833046-7397060749110944798-n.jpg]
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मैं क्या बीवी लगती हूँ तुम्हारी?

मेरी आँखें खुलीं मैने मोबाइल मे देखा सुबह के सवा चार बज रहे थे, मुझे सुबह सवा नौ की फ्लाइट ले कर बॅंगलॉर जाना था. मैने कॅब वाले को फोन लगाया ही था कि बगल में लेटी शिखा ने मेरी छाती पर सिर रखकर उसे अपने गालों से आहिस्ता आहिस्ता सहलाया|
 
मेरे ठंडे बदन पर उसके घने बालों गर्म हाथों और नर्म मुलायम गालों की छुअन का अहसास बड़ा ही मीठा था,
 
दूसरी ओर से फ़ोन रिसीव कर लिया गया था,
 
अचानक ही उस मीठे अहसास की जगह तेज जलन ने ले ली|
 
“उफ़” मैं दर्द से कराहा, और फ़ोन काट दिया
 
मेरी छाती के बाल शिखा की हीरे की अंगूठी में फँस कर टूट गये थे
 
“ही ही ही” शिखा मेरी इस हालत पर हंस पड़ी|
 
“सोई नहीं शिखा?” उसके माथे को लेते हुए ही प्यार से चूमते हुए पूछा”नींद नहीं आई रात में?”
 
“उन्हूँ”अंगड़ाई लेते हुए वह बोली और एकदम से मेरे उपर औंधी लेट गयी”तुम मुझे छोड़ कर जा रहे हो यह सोच कर पूरी रात जागती रही”फिर मेरी छाती को चूमते हुए धीरे से बोली”जाना ज़रूरी है?”
 
“काम है भई, जाना तो पड़ेगा, और २-३ दिन की तो बात है” मैने प्यार से उसके बालों को सहलाते हुए बोला.
 
“यहा पर भी तो हम काम ही कर रहे हैं”वह शरारत से बोली और मेरे सीने में मुँह छुपा लिया”
 
हाँ भई, तुम्हारा पति तो वहाँ कॉल सेंटर में काम कर रहा है और यहाँ तुम्हे मेरे साथ काम करना हैं, क्यों?” मैने उसको चिढ़ाते हुए कहा, और अगले ही पल उसने मुझे चिढ़ाने की सज़ा दे दी
 
“आईई...आहह उफ़” मेरे मुँह से चीख निकल गयी उसने गुस्सा कर मेरे छाती के निप्पल्स पर जोरों से काट खाया”
 
छी...थू...थू” वह एकदम से उठी, नाइट लॅंप की रोशनी में मैं कुछ देख नही पाया लेकिन वह बाथरूम की ओर लपकी.
 
“क्या हुआ?” मैने उठकर बनियान पहनते हुए कहा लेकिन अभी वह बाथरूम में ही थी. मैं उठ कर वॉश बेसिन की ओर मुँह धोने गया और टॉवेल से मुँह पोंछ ही रहा था कि वह बाहर निकली.
 
“बाथरूम का नल खराब हो गया है बदलवा लेना” उसने अपने बाल ठीक करते कहा”पानी टपक रहा है”
 
“तुम ही कर दो न दिनभर में... मुझे तो कुछ देर में निकलना है” मैने मुँह पोंछते कहा
 
“अच्छा जी? मैं क्या बीवी लगती हूँ तुम्हारी? जो तुम्हारे घर के सब काम करूँ” उसने पूछा
 
“नहीं तो मेरे बाथरूम के नल को बदलवाने कि तुम्हें क्या सुझि?” मैने भौंहें उचकाई
 
“मुझे क्या पड़ी है” उसने मुँह बिचका कर कहा
 
मैं उसकी इस अदा पर हंस पड़ा
 
“और तुम यह छाती में कड़वा पाउडर क्यों लगाते हो?” उसने गुस्सा होते हुए पूछा
 
“नहीं तो क्या चॉकलेट लगाऊ?” मैने शेविंग का झाग बनाते हुए कहा
 
“उस कड़वे पाउडर के गंदे टेस्ट से मुँह खराब हो गया मेरा”वह बुरा सा मुँह बनाते हुए मेरे बगल से गुज़री तो मैने पीछे से उसको अपनी बाँहों में भर लिया
 
“अभी आपके मुँह का टेस्ट ठीक कर देता हूँ मेडम”
 
“हटो मुझे चाय बनाने दो” वह कसमसाई
 
“पहले मुझे अपनी शिखा के मुँह का टेस्ट तो ठीक करने दो” मैं उसकी गर्दन को चाटते हुए बोला और हम दोनो एक बार फिर बिस्तर पर गये और एक दूसरे में फिर से खो गये.
 
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शिखा बेंद्रे, अपने पति राजन बेंद्रे के साथ मेरे सामने वाले फ्लॅट में रहती थी, दोनो की शादी हुए 3 साल हो गये लेकिन कोई औलाद नहीं|

 
राजन एक कंपनी में काम करता था और टुरिंग जॉब होने की वजह से सफ़र करता|
 
शिखा एक हाउसवाइफ थी. दोनो अपर मिडिल क्लास मराठी कपल थे और गैर मराठी लोगों से ज़्यादा बात नहीं करते.
 
वह तो मैं तीन महीने पहले इनके सामने वाले फ्लॅट में शिफ्ट हुआ तो बात चीत शुरू हुई.
 
मुझे आज भी याद है वो दिन जब शिखा ने मेरे फ्लॅट का दरवाज़ा खटखटाया था|
 
दोपहर के बारह बज रहे थे और मैं अभी सो कर उठा ही था, टूथ ब्रश हाथ में लिए हुए मैं टूथ पेस्ट लगा ही रहा था की घंटी बजी”अब कौन मरने आ गया इस वक्त”मैने सोचा और दरवाज़ा खोला|
 
जो सामने देखा तो हैरान रह गया. हरी रेशमी ट्रडीशनल नौ गज की पीली साड़ी पहने एक दम गोरी, पतली बौहों, बड़ी आँखों और लाल होंठों वाली सुंदर लड़की अपना पल्लू ठीक करते हुए सामने खड़ी थी.
 
“भाभी जी घर पर हैं?” उसने पूछा उसके होंठ एक दूसरे से जुदा हुए हुए और मैं एकटक उन्हें देखता रहा
 
“भाभी जी घर पर हैं?” उसने तेज आवाज़ में पूछा.
 
मेरा ध्यान टूटा”ओह... माफ़ कीजिएगा अपने कुछ कहा?”“मैने पूछा
 
भाभी जी घर पर हैं?” एक एक शब्द पर ज़ोर देती हुई शिखा ने झल्ला कर पूछा.
 
“जी नहीं, मैं शादीशुदा नहीं हूँ”मैने मुस्कुरा कर जवाब दिया मैं अभी भी उसकी सुंदरता को एकटक अपनी आँखों से निहार रहा था, वाकई शिखा ऐसी खूबसूरत दिखती थी कि हर मर्द वैसी खूबसूरत बीवी पाने की दुआ करता हो.
 
“क्या? आर यू बॅचलर?” पीछे से एक तेज आवाज़ सुनाई दी मैने देखा तकरीबन पाँच फुट ८ इंच का साँवले से थोड़ा काला और दुबला आदमी बनियान और पायज़मा पहने सामने खड़ा था|
 
“जी साहब” मैने जवाब दिया
 
“हाउ इस दिस पॉसिब्ल? और सोसाइटी डोज़्न्ट अलौज़ बॅचलर टेनेंट” वह आदमी अपनी इंग्लीश झाड़ते हुए बोला
 
“आई बेग युवर पार्डन, आई एम नॉट ए टेनेंट आई एम ओनर” मैने कहा
 
“ओ आई सी...सॉरी आई फॉर मिस अंडरस्टॅंडिंग”वह झेंपते हुए बोला
 
मैने बुदबुदाते हुए कहा”यू शुड बी...”
 
“वॉट? डिड यू साइड सम्तिंग?” उसने चौंक कर पूछा
 
“साले के कान बड़े तेज हैं”मैने मन ही मन सोचा”आई जस्ट विस्पर्ड इट्स ओके”मैने मुस्कुराते कहा
 
“एनीवे... लेट मी इंट्रोड्यूस माइसेल्फ... आई एम राजन बेंद्रे असोसीयेट वाइस प्रेसीडेंट, बॅंक ऑफ...” लेकिन वह अपनी बात पूरी न कर सका,
 
उसकी पत्नी शिखा चिल्लाई”अर्रर...दूध उबल गया” शिखा को दूध जलने की महक आई और वह उल्टे पाँव भागी
 
“वॉट? हाउ कम?” राजन ने उसकी ओर मूड कर तेज़ आवाज़ में कहा”स्टुपिड वुमन...”
 
मैं सन्न रह गया मैने शिखा को देखा, उसे अपने पति द्वारा किसी अंजन आदमी के सामने की गयी बेइज़्ज़ती बर्दाश्त नहीं हो रही थी. उसकी आँखें भर आईं,
 
मैं कुछ कहने जा ही रहा था कि राजन बेंद्रे मेरी ओर मुखातिब हुआ
 
“एक्सकूज़ अस” और मेरा कहना न सुनते हुए”भड़ाक” से मेरे मुँह पर उसने दरवाज़ा बंद कर दिया.
 
राजन के लिए गुस्से, और शिखा के लिए हमदर्दी और दोनो के अजीबोगरीब बिहेवियर से हैरत भरे जसबातों मुझ पर हावी हो गये”चूतिया साला” गुस्से से यह लफ्ज़ मेरे मुँह से निकला|”.
 
जी साहब” नीचे सीढ़ियों से आवाज़ आई

यह आवाज़ लुटिया रहमान थी, लुटिया हमारी सोसाइटी में कचरा बीना करता था और कान से कमज़ोर था.”साहेब अपने अपुन को याद किया?”

 
“नहीं भई”मैने मुँह फेरते कहा, राजन की अपनी बीवी से बदसलूकी से मेरा मन उचट गया था.
 
“साहेब कचरा डाले नही हैं क्या आज?”“डॅस्टबिन में पड़ा है उठा लो” मैने कहा और अंदर चला गया.
 
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एक दिन सुबह उठकर मैने अख़बार लेने के लिए दरवाज़ा खोला, तो शिखा अपने फ्लॅट की चौखट पर रंगोली बना रही थी अपने बालों को तौलिए में लपेटे और पतला झीना गाऊन पहने वह कोई मराठी गाना गुनगुना रही थी.
 
उसकी मीठी आवाज़ शहद की तरह मेरे कानों में घुल रही थी, और मैं वहीं खड़ा रह कर उसकी नशीली खूबसूरती को अपनी आँखों से पी रहा था.
 
गालों पे घिर आई बालों की पतली लट को उसने अपने हाथों से हटाने की कोशिश की, मेरी नज़रें उसके उरूजों पर टिक गयीं, झीने गऊन में उसके उरूजों में उभार आया था,
 
मैं पेपर उठाने नीचे झुका तो उसकी नज़र मुझ पर पड़ी, उसने बालों की लट को हटाने की कोशिश की तो रंगोली का सफेद रंग उसकी आँख में चला गया|
 
“उफ़” उसने अपनी आखों को मींचते हुए आवाज़ निकाली और कराहने लगी, रंगोली के रंग उसकी आखों में चुभ रहा था|
 
अब या तो यह हुस्न का जादू था, या मेरे दिल में उसके लिए हमदर्दी चाहे जो कह लें मुझे उसका यूँ दर्द से कराहना सहा नहीं गया और मैं पेपर छोड़ कर उसे उठाने गया| पहली बार उसे इतने करीब से देख रहा था मैने अपने हाथों से उसे हौले से उठाया,
 
वह अभी भी कराह रही थी
 
“आखें खोलिए” मैने कहा
 
“न...नहीं जलता है...”
 
“मुझे देखने दो...”
 
“न...नहीं”
 
“प्लीज़ मिसेज़ राजन”
 
उसने आँखें खोलीं अपने आप को मेरी बाहों में देख कर वह घबराई टुकूर टुकूर इधर उधर देखने लगी, उसके हाथ में पकड़ी रंगोली का रंग मुझ पर उडेल दिया
 
“घबराईए नहीं मैं आपकी आँखों में फूँक मारता हूँ, ठंडक लगेगी”
 
“न...नहीं आप जाइए में देख लूँगी” वह गिड गिडाआई”
 
मैने उसको अपनी बाहों को कस कर पकड़ लिया, मुझे उसका जिस्म अपनी बाहों के बीच महसूस जो करना था सो यह मौका हाथ से कैसे जाने देता.
 
उसने आखें खोली और मैने फूँक मारी
 
“आहह...” उसने मानों चैन की सांस ली
 
“वाट्स हॅपनिंग देयर?” मैने राजन की आवाज़ सुनी
 
शिखा एक झटके से मुझसे अलग हट कर एक कोने में खड़ी हो गयी, मैं भी बिजली की तेज़ी अपना पेपर पकड़े फ्लॅट में लपका.
 
राजन बाहर आया और शिखा से कहा”आर यू ओके? शिखा क्या हुआ?”
 
“अँ?” शिखा से उसकी ओर देखा”क...क...कु.कुछ न नहीं... कुछ भी तो नहीं” उसने हकलाते हुए कहा और हंस दी
 
“क्या बिनडोक पना है” राजन झुंझलाते हुए बोला
 
मैं पेपर की आड़ से उनको देख रहा था और राजन को देखा मेरी हँसी छूट गयी राजन बदहवासी में लुँगी लपेटे आया था, और इसके अलावा उसने कुछ पहना नही था उसको इस हालत में देख कर मैं अपनी हँसी नहीं रोक पाया,
 
उसकी बीवी शिखा भी मुँह छुपा कर हँसने लगी
 
मुझे देख कर वह उसी हालत में मेरे घर आया”ओह... मिसटर? सॉरी फॉर डॅट डे... लेट मी इंट्रोड्यूस माइसेल्फ आई एम राजन बेंद्रे असोसिएट वाइज़ प्रेसीडेंट, बॅंक ऑफ...” उसने मुस्कुराते कहा
 
मैने उसकी बात काटते हुए कहा”नाईस मीटिंग योउ मिस्टर बेंद्रे आई एम अमन मलिक” और शेक हॅंड के लिए हाथ बढ़ाया
 
उसने भी हंसते हुए हाथ तो बढ़ाया पर फिर उसे अहसास हुआ की उसी लुँगी सरकने लगी है... वह कभी एक हाथ से अपनी लुँगी पकड़ता कभी दोनो हाथों से मशक्कत करता
 
उसे यूँ अपनी इज़्ज़त बचाने के लिए उट पटांग हरकतें करते देख बड़ा मज़ा आ रहा था उसकी हालत वाकई बड़ी शर्मनाक थी, किसी भी पल उसकी लुँगी खिसकती.
 
“एक्सक्यूस मी, मिस्टर मलिक, आई विल सी यू लेटर, यू नो ई हॅव टू अटेंड एन इंपॉर्टेंट बिज़्नेस राइट नाउ, होप यू वॉन'त माइंड” बेंद्रे अपनी लूँगी संभालते बोला
 
“टेक इट ईज़ी मिसटर बेंद्रे” मैने मुस्कुरा कर कहा
 
“शिखा...? शिखा?” वह अपने घर के अंदर घुसते हुए अपनी बीवी के नाम से चिल्लाए जा रहा था”चाय अब तक क्यों नहीं बनी अब तक?”
 
अब जाहिर था सुबह सुबह हुई अपनी इस दुर्गति का गुस्सा उसे बेचारी शिखा पर निकालने था.
 
“पूरा पागल है यह बेंद्रे” मैने का”हरामी, चूतिया साला”
 
“आपने हुमको बुलाया साहेब” लुटिया कचरा उठाने आ धमका
 
“तुम्हारा नाम हरामी है?” मैने पूछा
 
“नहीं साहेब हम हरिया नहीं है” उसने भोले पनेसे जवाब दिया.
 
“फिर क्या चूतिया है?” मैने दोबारा पूछा
 
“नहीं साहेब हम लुटिया है लुटिया” उसने समझाते कहा
 
“तो जा के कचरा लूट ले, क्यों अपनी इज़्ज़त मुफ़्त में लुटवा रहा है?” मैने कहा और दरवाज़ा बंद किया
 
अंदर जाते मैने सुना”ये साहेब भी बड़े अजीब है, क्या कहते हैं ससुरा कुछ समझ ही नही आता”


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Heart 

मेरी नौकरी एक बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनी में थी, जाहिर था वर्किंग अवर्स इधर उधर होते थे. घर पर कोई नहीं था, बूढ़ी माँ भाई और उसके परिवार के साथ दिल्ली में रहतीं थी और मैं यहाँ नौकरी के वास्ते पुणे में रहता था.


 
सामने रहने वाले राजन बेंद्रे एक मल्टी नॅशनल बॅंक के आई टी डिपार्टमेंट में एवीपी था और खूब कमाता था इसी वजह से वह खुद को दूसरों से उँचा समझता, बिल्डिंग में रहने वाले ज़्यादातर लोग रिटाइर्ड बॅंक के एंप्लायीस थे और सीधे साधे थे| उनमें सबसे उँची हैसियत बेंद्रे की ही थी इसलिए लोगों से ऐंठा रहता.
 
लोग बाग उसकी अमीरी से काफ़ी जलते और पीठ पीछे खूब गालियाँ देते.
 
उसकी बीवी शिखा बेंद्रे जितनी खूबसूरत दिखती थी उतनी ही खूबसूरत और उम्दा लड़की थी, हमेशा बिल्डिंग के लोगों की मदद में आगे रहती थी, बिल्डिंग में कई घरेलू फंक्षन्स में लोगों के यहाँ उसका आना जाना होता| हालाँकि वह राजन जितनी पढ़ी लिखी तो न थी लेकिन संस्कृत में उसने एम ए किया था और अब वह पीएचडी करना चाहती थी, लेकिन राजन को उसका आगे पढ़ना या नौकरी करना सख़्त नापसंद था. अपना खाली वक्त काटने वह बिल्डिंग के क्लब हाउस में वीकेंड को बड़ों को योगा सिखाती और छोटों को संस्कृत श्लोक, लेकिन उसके पति राजन को यह भी पसंद नहीं था.
 
##
 
एक दिन शनिवार की शाम को ऑफीस से घर आते वक्त मैं पीने का सामान ले आया, दोस्तों के साथ पीने का प्रोग्राम था| तो मैं जल्दी घर आ कर तैयारियाँ करने लगा| फ्रिज खोला तो पता चला बर्फ जमाना भूल गया था, अब बाज़ार जाने की हिम्मत नहीं बची थी मैने सोचा, पड़ोसियों से पूछा जाए
 
मैने बेंद्रे के घर की बेल बजाई और कुछ देर बाद दरवाज़ा खुला, सामने देखा शिखा खड़ी थी, शायद अभी अभी नहा कर आई थी|
 
“ओह अमन जी आप? अंदर आइए न”उसने स्वागत करते हुए कहा और मुस्कुराइ
 
“जी नहीं ठीक है, मैं तो बस थोड़ी बर्फ माँगना चाहता था, घर पर मेहमान आने वाले हैं” मैने कहा
 
“जी आप कुछ मिनट बैठिए, मैं अपनी पूजा ख़त्म कर आपको बर्फ देती हूँ, तब तक आप बैठ कर टीवी देखिए' उसने समझते हुए कहा.
 
अब मरता क्या न करता, कुछ देर यहीं बैठ कर बोर होना था, सोचा बैठे बैठे इसी को देख कर अपनी आँखों की प्यास मिटाई जाए. मैं अंदर आ कर सोफे में बैठ गया और वह पूजा घर की तरफ चली गयी जो सोफे से दिखता था| मैने देखा सामने शू रॅक के उपर फेंग शुई के बंबू ट्री रखा हुआ था उसी के बगल में एक फोटो फ्रेम रखी थी जिसमे राजन और शिखा की शादी की तस्वीर थी.”ओह, इन गहनों को पहने और शादी के जोड़े में शिखा कितनी खूबसूरत दिख रही है, जैसे कोई अप्सरा हो” मैने सोचा और इधर उधर देखा दीवारों पर सर्टिफिकेट फ्रेम टँगे हुए थे| जो शिखा ने कई कॉंपिटेशन में जीते थे.”अच्छा तो शिखा इतनी ट्रडीशनल होते हुए भी टॅलेंटेड है” मैने मन ही मन सोचा
 
“शुभम करोती...” मुझे शिखा के श्लोक सुनाई दिये.
 
मेरा मन मे उसके लिये रेस्पेक्ट और भी बढ़ गयी, की इतनी अमीर होते हुए भी वह अपनी जड़ों को नहीं भूली. वहीं उसका बदतमीज़ पति जो किसी से सीधे मुंह बात भी नहीं करता. मैं यही सोच कर हैरान था की
 
इतने में शिखा आरती का थाल पकड़े मेरी ओर आई”लीजिये अमन जी आरती लीजिये” और मुस्कुराई
 
मैने चुपचाप”आरती ली और अपने मुंह पर हाथ फेरे.
 
“माफ करियेगा लेकिन पूजा के कारण मैने आपको चायपानी तक नहीं पूछा” उसने माफी मांगते कहा
 
“जी वह सब रहने दीजिये, मुझे बस इस कंटेनर में बर्फ दे दीजिये, चाय पीने मैं फिर कभी आऔंगा” मैने कहा
 
“जी अभी लीजिये” वो कंटेनर ले कर अंदर गयी और बर्फ से भर कर उसे मुझे थमाया.”कुछ मदद लगे तो बताईयेगा” वह हंस कर बोली”
 
जी जरूर” मैने उसको थॅंक्स कहा और अपने फ्लॅट चले आया. अंदर पँहुचा तो पता चला दोस्त लोगों को ऑफीस में काम आया.है इसलिये वो देर से आयेंगे,
 
मैने सोचा शाम के वक़्त घर बैठ कर बोर होने से अच्छा है थोड़ा बाहर घूम लिया जाए


मैं फ्लॅट के बाहर निकला तो शिखा मेरी ओर पीठ कर ताला लगा रही थी. उसने पंजाबी सूट पेहना हुआ था और उसकी लम्बी चोटी उसकी कमर के नीचे लटक रही थी,
 
मैं उसकी खूबसूरती को देख ही रहा था कि वह पीछे मुड़ी ”ओह अमन जी अच्छा हुआ जो आप बाहर आ गये, देखिये ना ये ताला जाम हो गया, प्लीज़ ताला लगने में मेरी मदद कीजिये” वह बोली
 
“लाइये” मैं उसकी ओर बढ़ा”ताला चाभी मुझे दीजिये, मैं लगाता हूँ ताला” कह कर मैने उसकी ओर हाथ बढ़ाया.
 
लेकिन उसने अपना हाथ खींच लिया”न... नहीं आप मुझे यह ताला लगाना सिखाईये, राजन बाज़ार से नया ताला कल ही लाये हैं अगर उन्हें पता चला कि मुझे यह ताला लगाना नहीं आता तो बहुत नाराज़ होंगे” उसने घबराए हुए कहा
 
“अरे छोडिये शिखा ज़ी, ताला लगाने में कौन सी बड़ी बात है? मैं आपको सिखाता हूँ आप ताला लगाइये”
 
“जी अच्छा” वह मुड़ी और ताला लगाने लगी,
 
मैं उसके एकदम करीब जा कर पीछे खड़ा हो गया, उधर मेरा लंड भी उसकी फूली गांड़ को देख कर बड़ा होने लगा हालांकि वह ताला लगने की अभी भी कोशिश कर रही थी.
 
मैने उसके करीब जा कर उसके बदन से उठति भीनी भीनी खुश्बू को महसूस किया ही था की उसने ताला लगा कर जोर से झटका दिया और वह पीछे हटी. उसके एकदम से पीछे हटने की वजह से उसके सिर से मेरी नाक टकरा गयी, और मैने उसके खुशबूदार काले घने बालों को सूंघा, उसकी बम भी मेरे कड़क लंड से टकरा गयी,


“ओह अमन जी सॉरी आपको लगी तो नहीं?” उसने चिंतित हो कर पूछा

 
मैं अपनी नाक को सहला रहा था
 
“अपना हाथ हटाओ मुझे देखने दो” उसने मेरा हाथ हटते कहा
 
“अरे आपकी नाक से तो खून आ रहा है” उसने परेशान होते हुए कहा
 
“अरे ये मामूली चोट है मैं मुँह धो कर आता हूँ” मैने कहा
 
“नही... नही आपको मेरी वजह से चोट लगी है, आइए में आपको डॉक्टर जोशी के पास ले चलती हूँ”
 
“अरे शिखा जी ये मामूली चोट है आप परेशन मत होइए”
 
“नही अमंजी आप इस चोट को इग्नोर ना करे, आपको मेरे साथ चलने में ऑक्वर्ड हो रहा है तो मैं डॉक्टर साहब को बुला लाती हूँ, वह पहले फ्लोर पर ही रहते हैं” उसने समझाते हुए कहा
 
“जैसा आप ठीक समझे” मैने हार कर कहा, मुझसे उसकी बात काटी नही गयी
 
“जी अच्छा, आप अंदर जा कर आराम कीजिए मैं डॉक्टर को ले आती हूँ” कहकर वह तेज़ी से सीढ़ियाँ उतरने लगी.
 
इधर मैं घर आ कर मुँह धोया और सोफे पे बैठ गया लेकिन खून अभी भी बह ही रहा था, दरवाज़ा मैने जान बूझ कर खुला ही रखा.
 
10 मिनिट बाद वह हाँफती हुई उपर आई और बेल बजाई|
 
“अरे शिखा जी आइए बैठिए”
 
“डॉक्टर साहब किसी एमर्जेन्सी केस में हॉस्पिटल गये हैं”
 
“जी कोई बात नही, आप मेरे वजह से तकलीफ़ ना लें, मैने जख्म धो लिया है”
 
“लेकिन अभी भी आपकी नाक से खून बहना बंद नही हुआ”
 
“वो रुक जाएगा, आप आराम से बैठिए तो सही?” मैने कहा
 
“एक मिनिट” कह कर वो उल्टे पाँव अपने फ्लॅट की ओर भागी
 
“अब ये कहाँ चली गयी? बेफ़लतू में मेरे कारण टेन्षन लेती है” मैने परेशान होते हुए सोचा. नाक तो कम्बख़्त अभी भी दुख रही थी और खून था की साला रुकने का नाम ही नही ले रहा था.
 
इतने में शिखा एक बड़ा सा प्याज़ ले कर अंदर आई
 
“ये क्या लाई हो?” मैने पूछा
 
“यह कटा हुआ प्याज़ है, इसकी तेज़ गंध सूंघने से नाक से खून निकलना बंद हो जाता है” उसने समझते हुए बोला
 
“और जो खून निकलना बंद ना हुआ तो”
 
“अरे तुम सूंघ के तो देखो” कहकर उसने कटी हुई प्याज़ मेरे नथुनो की ओर बढ़ाई
 
मैने एक लंबी साँस ले कर उसकी गंध खींची...”आहह”
 
“अब थोड़ी देर नाक को इस टिश्यू पेपर से दबाए रखो और हर पाँच मिनिट में ऐसे ही दोबारा सांस लो” उसने फरमान सुनाया.
 
देखते ही देखते नाक से खून बहना बंद हो गया
 
“अरे वाह अपने तो कमाल कर दिया शिखा जी” मैने उसकी तारीफ करते हुए कहा ”आपके देसी इलाज ने तो मेरा जख्म ठीक कर दिया”
 
“ये आयुर्वेद है अमन जी हर मर्ज की दावा है इसमे” उसने बताया
 
“अछा?” “हन” “आपको कैसे मालूम?”
 
“मैने आयुर्वेद पढ़ा है”
 
“तो आप वैद्य भी हैं?”
 
“थोड़ी बहुत नुस्खे जानती हूँ”
 
“जो भी हो, आपके नुस्खे से मेरी नाक का खून बहना बंद हो गया, बहुत बहुत शुक्रिया आपका” मैने धन्यवाद देते हुए उसको बोला
 
“अरे अमन जी आप तो शर्मिंदा कर रहे हैं, आप बैठिए आराम कीजिए आपके लिए मैं हल्दी वाला गर्म दूध ले आती हूँ” उसने जवाब दिया और अपने फ्लॅट की तरफ चली गयी.
 
“कितनी प्यारी और केरिंग औरत है यह” मैने सोचा”मुझे ऐसी बीवी मिल जाए तो पलकों पर बिता कर रखूँगा”

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“आउच” मैने ज़ोरो से चीखा
 
शिखा ने मेरी चादर खींच ली थी
 
“बीप... बीप... बीप”“ओह साला अलार्म बज गया” मैने उठते हुए कहा
 
“ढपाक” की आवाज़ के साथ शिखा मेरे उपर औंधे मुँह कूदी और मुझे वापस बिस्तर पर पीठ के बल गिरा दिया अब वो मेरे उपर सवार थी और मैं पूरा नंगा पीठ के बल उसके नीचे लेटा हुआ था
 
“हटो शिखा अभी इस सब का वक़्त नही है” मैने उसको हटाने की कोशिश की”आआह नही” मैं दोबारा दर्द से कराहा उसने मेरे कान ज़ोरों से अपने दाँतों तले दबाए और काट खाए”उफ्फ”
 
“सुनो” वह फुस फुसाई
 
“नही देखो अलार्म क्लॉक बज रही है...5:30 बजे ड्राइवर आएगा, बॅंगलुर की फ्लाइट पकड़नी है” मैने मना करते हुए कहा
 
“हा हा हा” वह हंसते हुए बोली वो मेरी जांघों पर बैठ गयी मेरा लंड एकदम तन कर उसकी नाभि पर टिक गया, मेरे लंड को उसके गर्म मुलायम गद्देदार पेट का अहसास हुआ
 
“अभी मैं तुम्हे शिखा एरलाइन्स की फ्लाइट पर ले चलती हूँ” वह हंसते हुए बोली और फिर घुटनों के बाल बैठ कर तोड़ा उठ कर उसने अपनी अंडरगार्मेंट निकाल कर बगल में फेंक दी, दाएँ हाथ से उसने नाइट लॅंप बुझा दिया और बाएँ हाथ से मेरे लंड को पकड़ कर अपनी पुच्चि में बेदर्दी से खींच कर घुसाया.
 
“उफ्फ क्या कर रही हो” मैं दर्द से चीखा
 
“तुम्हे प्यार कर रही हूँ” उसने झुक कर अपनी नाक मेरी नाक से टकरा कर कहा और बाए गाल को अपने जीभ से सहलाया”अभी 4:30 ही हुए हैं फ्लाइट सवा आठ की है, चलो ना एक शॉट मारते हैं” उसने मनाते हुए कहा
 
“आइी ईई”
 
“क्या हुआ मेरे राजा?”
 
“उफ़फ्फ़” मैं दोबारा हल्के से चीखा मेरा सबूत लंड उसकी पुच्चि में जा घुसा था और अब उसकी पुच्चि में धंसते हुए मेरे लंड का गुलाब खिल उठा था.
 
“अया” मेरे गर्म गुलाब को अपने अंदर पा कर उसने चैन की साँस ली.
 
मैने देखा मेरी जांघों को बीच अपनी टाँग फैलाए मेरे लंड को अपनी योनि में दबाए वह घुटनो के बल खड़ी हुई थी, उसके दोनो हथेलियन मेरी हथेलियों पर टिकी थी उसने अपनी गर्दन पीछे की ओर झुकाई और उसकी पुकचि मेरे लंड के इर्द गिर्द तेज़ी से दबाव बनाते हुए आ धँसी अब की बार मैने उसकी हथेलियों पर दो उंगलियों के बीच अपनी उंगलियाँ फसाईं और अपनी टाँगें उसकी कमर पर लपेट ली और उसे उपर की ओर धक्का दिया.
 
“अयाया...उफ़फ्फ़” वह दर्द से बिलबिला उठी और उतनी ही तेज़ी से मुझ पर आ गिरी.
 
हमारी गर्म सांसो की आवाज़ से आज समा हाँफ रहा था सर्द अंधेरी रात में हम दोनो के जिस्म से पसीना पसीना हो गये थे वो धीरे धीरे उपर नीचे होने लगी, उसके उपर नीचे होते हुई जिस्म की छुअन से मेरा गुलाब भी अंदर बाहर होने लगा हौले हौले उसने अपनी स्पीड बधाई और उसकी साँसे तेज तेज चलने लगी.
 
मैं उसकी तेज चलती साँसों की आवाज़ सुन कर हंस पड़ा ऐसे लग रहा था जैसे कोई स्टीम एंजिन पफ पफ करते हुए जा रहा हो.
 
“क्या हुआ ऐसे पागलों के जैसे हंस क्यो रहे हो?” वह गुस्सा हो कर बोली और उसने मेरे लंड पर अपनी चूत की दीवारों से दबाव बढ़ाया,
 
मुझे गुदगुदी हो रही थी”हा हा हा” मैने उस गुदगुदी से खुद को बचाने के लिए खुद को सिकोड़ना चाहा
“आइ नही.....तुम्हारी चिकनी डंडी मेरी गिरफ़्त से निकल रही है... हँसो मत” वह अपने दाँत भींच कर बोली - उसने अपने हथेलियों की पकड़ मेरी हथेलियों पर और मज़बूत की, किसी भी कीमत पर वो मेरे लंड को अपनी छूट से निकालने नही देना चाहती थी
 
“स्लॉप” की आवाज़ से मेरा लंड उसकी पुच्चि से निकल गया मैने देखा उस नीली रोशनी में मेरी जांघों के बीच मेरा लंड मीनार की तरह टन कर खड़ा था और हमारी मुहब्बत के रंग में सराबोर हो कर चौदहवी के चाँद की तरह चमक रहा था.
 
“सब गड़बड़ कर दिया तुमने” शिखा शिकायती लहज़े में बोली”कुछ देर अपनी हँसी कंट्रोल नही कर सकते थे?”“तुम जानते हो की अब 4-5 दीनो तक मुझे तुम्हारा प्यार नही मिलेगा” उसकी आँखों में आँसू भर आए”तुम हमेशा अपनी मनमानी करते हो” उसने रुआंसी हो कर कहा”कभी मेरा ख़याल नही करते”
 
##



शिखा की कद्र उसके पति राजन को न थी, वह हमेशा उसको सबके सामने जली-कटी सुना कर बेइज्जत करता. असल में उस जैसा इंसान, किसी भी लिहाज से शिखा के लायक नहीं था| उसकी शिखा के लिए बेरूख़ी का ही नतीजा था कि उसे अमन की बाँहों के सहारे की ज़रूरत पड़ी, और अमन ने हाथ में आया हुआ मौका लपका. अब यह शिखा की चरित्रहीनता थी या राजन की रिश्तों को लेकर असंवेदनशीलता, कुछ कह नहीं सकते हाँ, राजन एक पति के तौर पर पूरी तरह”फेल' हुआ


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“मेरी बात सुनो शिखा देखो रोना मत” मैने उसको अपनी बाहों में लेते कहा
 
“हटो तुम सब मर्द एक जैसे होते हो” उसने मेरे सीने में मुँह छुपा कर रोना शुरू किया”खुद की प्यास बुझते ही डोर हो जाते हो और औरत को प्यासा छ्चोड़ देते हो” वह फफक कर रो पड़ी
 
“इधर देखो शिखा... मेरी ओर देखो” मैने अपनी हथेलियों में उसका चेहरा भर लिया उसके आँसू की धारा बह चली थी, उसके बाल भी अस्त व्यस्त हो गये थे अपने हूथों से उसको हूथों को च्छुआ कर कहा”क्या तुम्हे मुझ पर यकीन नही? अपने अमन पर भरोसा नहीं?”
 
“त...तुम पर मुझे अपने आप से ज़्यादा भरोसा करती हूँ अमन... ले...ले...लेकिन” वह अपने आअँसू पोंछते बोली”लेकिन?
 
लेकिन क्या? शिखा?” मैने उठते कहा
 
“हम जो कर रहे हैं वो ग़लत है अमन” उसने सिसकते हुए कहा
 
“मैं राजन को धोखा नही दे सकती” उसने आँसू पोंछते हुए कहा”मैं एक बार तुम्हे छोड़ सकती हूँ लेकिन राजन को नही” उसने अपना फ़ैसला सुनाया उसका पति प्रेम देख कर मेरे टन बदन में आग लग गयी
 
“हर बार का तुम्हारा यही रोना है शिखा, जब भी हम साथ होते हैं और प्यार करते हैं तुम राजन का नाम ले कर रोना धोना शुरू कर देती हो” मैने झुंझला कर कहा
 
“वा मेरे पति है अमन” वह रुक कर बोली”और अगर एक पत्नी अपने पति की याद में रोटी है तो क्या बुरा है”
 
“ओह कम ओं शिखा” मैने उसकी ओर बढ़ते कहा”वा तुम्हारे लायक नही है, और इतना होने के बावजूद भी तुम्हे उसकी फ़िकरा है”
 
“वा मेरे पति हैं अमन” उसने दोहराया”मैं उनके नाम का मंगलसूत्र पहनती हूँ और उनके नाम का सिंदूर लगती हूँ” उसने अपने गले में पड़ा मंगलसूत्रा हाथ में ले कर मुझे दिखाते हुए कहा.
 
“तो फिर उसी के पास क्यों नही चली जाती” मैने भड़क कर कहा”मेरे पास मुँह उठा कर क्यों चली आती हो?” मैने रुक कर कहा”तुम अपनी फीलिंग्स मेरे सामने बोल देती हो, लेकिन मैं कुछ कहूँ तो तुम्हारा रोना धोना शुरू”
 
“अच्छा? ऐसा क्या कह दिया मैने?” उसने मुझसे सवाल किया
 
“आज भी मेरा तुमसे सेक्स करने का कोई मूड नही था...तुम्हारी खातिर तैयार हुआ और तुम हो की मेरे हंसने से तुम्हे तकलीफ़ होती है” मैने तेज़ आवाज़ में कहा”देखो शिखा मैं तुम्हारा पति नही हूँ जो तुम्हारे इशारे पर नाचू, मेरी अपनी फीलिंग्स हैं और उनको एक्सप्रेस करने से तुम मुझे रोक नहीं सकती” मैने खिड़की की ओर देखते हुए कहा, मैने सिगरेट सुलगा ली थी.”तुम्हारा पति क्या तुम्हे इतनी खुशी दे सकता है?” मैने धुआ छ्चोड़ कर कहा”नही ना? तभी तुम मेरे पास आई”
 
यह सुनना था की शिखा बिजली की तेज़ी से बिस्तर से उठ खड़ी हुई और तेज़ कदमो से चलकर मुझे पीछे से आ दबोचा एक झटके से मुझे घुमाया और”चटाक़” की आवाज़ से कमरा गूँज उठा
 
ऐसा झन्नाटे दार झापड़ खा कर मैं तो अपनी सुध बुध ही भूल गया, एक पल तो समझ ही नही आया की क्या हुआ, अपने बाए हाथ से मैं अपना गाल सहला रहा था
 
“क्या? कहा तुमने मैं तुम पर ज़बरदस्ती करती हूँ?” उसने चीख कर कहा”तुम्हारा सेक्स करना को मूड नही होता?”
 
“नही शिखा मेरा वो मतलब नही था” मैने समझाते हुए कहा
 
“मैं क्या खुद तुम्हारे पास चल की आई थी?” उसने गुस्सा कर पूछा और बगल में रखा फ्लवर पॉट उठा कर मेरी और फेंका
 
“छणाक” की आवाज़ से वो मेरी पीछे वाली दीवार से टकरा कर टूटा वो तो अच्छा हुआ की लास्ट मोमेंट पर मैं कूद कर अलग हट गया, वरना उस फ्लवरपॉट से बच नही पता
 
“वा तुम थे अमन जिसने मेरे साथ प्यार की पींगे बधाई” वो पैर पटकते बोली”वा तुम थे अमन जिसने मुझे प्यार करना सिखाया, वह तुम थे जिसके साथ मैने जिंदगी के कुछ हसीन पल गुज़रे, वो तुम थे जिसने मुझे अपने प्रेम जाल में फँसाया और अपनी सेक्स की भूख मिटाई, और अब तुम कहते हो की तुम्हे सेक्स का मूड नही होता?”
 
“शिखा” मैं उसकी ओर लपका और उसके खुले बाल पकड़ लिए”मैं तुमसे अपनी जान से भी ज़यादा प्यार करता हूँ शिखा”
 
“छोड़ो मुझे तुम जैसे लोग सिर्फ़ अपने आप से प्यार करते हैं” उसने मेरी बाहों में कसमसा कर कहा.


उसने रोते कहा”अगर राजन बाप बन सकता तो मैं तुम्हारे पास आती भी नहीं” उसने अपने दोनो हाथों से मुँह छुपा लिया”मेरे पति राजन ने औलाद की उम्मीद हो छोड़ दी थी, वह तो मेरे सास ससुर थे जिन्होने उसे मुझे तलाक़ देने को कहा”“बिल्डिंग के औरतें मेरी पीठ पीछे मुझे बांझ कहती है, जानते हो मुझे कैसा लगता है?” उसने मेरे सीने पर मुक्का मारते हुए कहा”तुम नहीं समझोगे.
 
“शिखा, जब तुम्हें मालूम है कि तुम्हारा पति बाप बनने के काबिल नहीं तो छोड़ क्यों नहीं देती उसे?” मैने एक एक शब्द पर ज़ोर देते कहा”तलाक़ दे दो उसे, और मेरे साथ चलो, हम शादी करेंगे और कहीं दूसरे शहर बस जाएँगे”
 
“नहीं”उसने भड़क कर कहा”मुझे यह साबित करना है कि कमी मुझमें नहीं राजन में है” उसका चेहरा तमतमा गया”मेरे प्रेग्नेंट होते ही जब राजन खुश होगा तब मैं यह राज सबके सामने जाहिर कर दूँगी कि मेरे पेट में पल रहा बीज किसका है” उसने कहा
 
“इससे क्या फायदा?” मैने पूछा
 
“मुझे राजन को मज़ा चखाना है” उसने मुत्ठियाँ भींचते हुए कहा
 
“देखो शिखा, तुम जो मेरे पास आती हो और मेरे साथ सेक्स करती हो यह सब तुम माँ बनने के लिए नहीं करती” मैने समझाते बोला
 
“फिर? तुम्हें क्या मैं ऐसी वैसी लगती हूँ?” उसने भौहें तरेर कर पूछा
 
“नहीं मेरा यह मतलब नहीं था”
 
“क्या मतलब था”
 
“यही कि तुम्हारा राजन के उपर गुस्सा है इसलिए यह सब तुम करती हो”
 
“नहीं यह मेरा राजन के लिए प्यार है”
 
“नहीं यह गुस्सा और जलन ही है जो तुमसे यह सब करवा रही है” मैने उसकी बात काटते कहा”तुम्हें यह बर्दाश्त नहीं कि तुम्हारे जैसी सुंदर बीवी के होते हुए राजन अपनी सेक्रेटरी के साथ रातें बिताता है”
 
“हाँ मेरा खून खौल जाता है, इसमें मेरी क्या ग़लती है?” उसने पूछा
 
“ग़लती तुम्हारी नहीं हालात ग़लत हैं, और तुम उन्हें सुधार नहीं सकती” मैने उसे समझाया
 
“कोशिश तो कर ही सकती हूँ?” उसने नर्म हो कर कहा
 
“उसके माँ बाप, तुमको बांझ ठहरा कर तलाक़ करवा देंगे तुम दोनो का, कैसे सुधरोगी हालातों को?” मैने सवाल किया
 
“इसीलिए तो तुमसे कह रही हूँ मेरी मदद करो” उसने हाथ जोड़ कर कहा
 
“देखो शिखा मैं तुमको पहले भी कह चुका हूँ, तुम्हें प्रेगनेंट बनाने के लिए इस सब में पड़ना नहीं चाहता”मैने साफ किया
 
“तुम पहले भी कई लड़कियों से सेक्स कर चुके हो, क्या मैं नहीं जानती? हर शनिवार और रविवार की रात तुम क्या करते थे?” शिखा ने मुझे धमकाते हुए कहा
 
“शिखा, उससे तुम्हारा कोई लेने देना नहीं” मैने उसको डाँटते कहा
 
“लेना देना है, हमारे बीच तय हुआ था कि तुम मुझे औलाद दोगे और मैं तुम्हें सेक्स” उसने याद दिलाते हुए कहा
 
“हाँ, लेकिन तुम बार बार उस राजन को बीच में ले आती हो”
 
“क्यों न लाऊँ?” उसने पूछा
 
“मुझे वह पसंद नहीं”
“तो उस दिन नवमी के रोज जब मैं मंदिर गयी थी तो आप दोनो मिल कर रंडी क्यों चोद रहे थे?” उसने पूछा
 
मैं सन्न रह गया.”रंडी तुम्हारा पति राजन लाया था, उसने दलाल का नंबर मुझसे लिया था, जब दलाल रंडी ले कर पंहुचा तो राजन के पास पैसे नहीं थे, राजन मेरे शौक जानता था उसने मुझसे पैसे माँगें और साथ में मज़ा लेने को कहा, मैंने पैसे दिया और अपने हिस्से की खुशी लूट ली” मैने समझाते हुए कहा
“झूठ, मेरा राजन कभी ऐसा नहीं कर सकता, उसे तुमने बिगाड़ा है” उसने वापस मुझे मारते हुए कहा
 
“तुमने अपनी आँखों से देखा है उसे यह सब करते हुए शिखा” मैने कहा”मुझ पर इल्ज़ाम मत लगाओ, राजन कोई दूध पीता है?


“तुम भी बेहद अजीब हो शिखा, तुम्हारा पति तुम्हे अपने पैरों की जूती समझता है, तुम्हारी रेस्पेक्ट नही करता फिर भी तुम उसे अपना पति मानती हो?” मैने उसको झकझोर कर पूछा

 
“हाँ क्योंकि वो मेरा पति है, अग्नि को साक्षी मान कर हमारी शादी हुई है” उसने अपने आपको मुझसे छुड़ाते कहा|
 
“किस शादी की बात कर रही हो शिखा?” मैने चिल्लाते हुए पूछा”ऐसी शादी जहाँ राजन दूसरी औरतों के साथ नाजायज़ रिश्ते बनाए और तुम उसके के लिए अपनी जवानी रातों में अकेले गुज़ार दो?” मैने कहना जारी रखा”ऐसी शादी जहाँ तुमको हर पल यह अहसास कराया जाए की तुम उसकी लाइयबिलिटी हो?”“ऐसी शादी जहाँ तुम्हारा पति बाप बनने के काबिल नही और समाज तुमको बांझ ठहराए?”“क्या मतलब ऐसे रिश्ते का?”
 
वह अपना चेहरा हथेलियों में छुपा कर रोती रही, मेरी कही सच्ची बातों को वो काट नही सकती थी
 
“शायद तुम सही हो ग़लती राजन की नही मेरी है, मैं ही उसे वह खुशी नही दे सकी जिसका वो हकदार है” उसने कहा
 
“ओह फॉर हेवेन'स सेक शिखा प्लीज़ उस राजन के बारे में बात ना करो” मैने भड़क कर कहा”अभी हमने इनटेन्स सेक्स किया और तुम हो की मुझे उसके बारे में बातें कर कर के जलाए जा रही हो” मैने कहा”कौन मर्द होगा जो किसी औरत से सेक्स करने के बाद, किसी दूसरे मर्द की तारीफ सुनना पसंद करेगा?”
 
“ये उसकी तारीफ नही थी अमन, मुझे तो यह चिंता खाए जा रही थी की जो ग़लत बात उसने मुझसे की वही में उसके साथ कर रही हूँ”
 
“ग़लत बात? कौनसी ग़लत बात और ये तारीफ नही तो और क्या था”
 
“ग़लत ये की उसके पीठ पीछे मैं किसी और के साथ” उसने अपनी आँखें मीच कर कहा”छी...मुझे अपने आप से घिन आती है”
 
“बोलो शिखा” मैने कहा
 
“मुझे घिन आती है ये सोच कर की मैं अपनी पति से अलग किसी और की बाहों में रातें गुज़रती हूँ”
 
“इसमे घिन कैसी? ये तो इंसानी ज़रूरत है” मैने कहा
 
“ज़रूरत कैसी ज़रूरत?” उसने हैरत से पूछा


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मैने घड़ी देखी सुबह के 6 बज रहे थे उजाला हो चुका था कॅब वाला कभी भी आ सकता था,
 
उसने चाय बनाई और में ब्रश कर के आया. वह कुर्सी पर बैठी और चाय का एक घूँट लिया”तुम किसी ज़रूरत के बारे में बात कर रहे थे”
 
“हमम्म” मैने चाय की चुस्कियाँ लेते कहा”पहले तो यह की ये बात तुम अपने दिल से निकाल दो, की तुम कुछ ग़लत कर रही हो”
 
“और?” उसने दूसरी चुस्की ली
 
“और यह की यह जो तुम कर रही हो वह जिस्मानी ज़रूरत है”
 
“कैसे” उसने अपने बालों हाथों से साँवरते बोला”भूख लगने पर तुम क्या करती हो?” मैने अख़बार उठाते कहा
 
“ये कैसा सवाल है?” उसने कहा
 
“जवाब दो शिखा भूख लगने पर तुम क्या करती हो” मैने दोहराया
 
“भूख लगने पर इंसान खाना ख़ाता है, और क्या?” उसने अपने बालों को कलुतचेर से बाँधते हुए कहा.
 
“तो यह तुम्हारी भूख ही है, जो राजन के साथ होते हुए नहीं बुझती” मैं उठ कर उसके पीछे गया और उसके बालों का क्लट्चर निकाल कर टेबल पर रखा, उसके काले लंबे खुश्बुदार बाल आज़ाद हो गये.”और तुम्हारी भूख प्यास का इलाज केवल मेरे पास है” मैने झुक कर उसके बालों को सूँघा और बाए हाथ से उसके उभरे हुए उरूज़ पर हाथ फेरा.
 
उसने उतीज़ना से आँखें बंद कर ली और मेरा हाथ थाम लिया”शायद तुम सही कहते हो अमन” शिखा ने हल्की आवाज़ में कहा
 
“जब तुम मेरे साथ होती हो छोड़ दो यह बेकार की चिंता और स्ट्रेस” मैने अपने हाथों से उसके बूब्स मसल्ते कहा|
 
वैसे ही वो गर्म होने लगी.”आ अमन थोड़ा इधर...हाँ हाँ... थोड़ा नीचे हाआँ... प्लीज़ उसको पकड़ के मस्लो...बड़ा अच्छा लग रहा है”
 
मैं समझ गया था उसकी भावनाएँ भड़का कर ही उसको चुप कराया जा सकता था वरना वो ऐसे ही रोते चीखते मेरा दिन खराब करती. मैने उसको अपने कंधो से उठा लिया, एक झटके से उसके बाल खुल कर मेरी पीठ पर लहराने लगे. मेरी नंगी पीठ पर उसके रेशमी बालों की छुअन अजीब गुदगुदी का अहसास दे रही थी.
 
“अरे अमन छोड़ो मुझे प्लीज़ नीचे उतारो”“हा हा हा”“उसने अपने मुट्ठी भींच कर मेरी पर गुद्दे मारना शुरू किया”“मैं कहती हूँ नीचे उतारो मुझे... देखो सुबह हो गयी है” उसे मुझे मनाते हुए कहा”छोड़ो ना मुझे”
 
“तुम हाइपर हो रही थी मैने सोचा तुम्हारा मूड थोड़ा नॉर्मल किया जाए” मैने हंसते हुए कहा
 
“नही देखो सुबह हो गयी है राजन अभी आता ही होगा, तुम्हे बॅंगलॉर भी तो जाना है, मुझे तुम्हारा नाश्ता भी तो बनाना है, फ्लाइट मिस हो गयी तो?” एक ही साँस में वह सब बोल गयी
 
मैने उसको बिस्तर पर लिटाया और खुद अपनी अंडरवेर उतार कर बगल में फेंक दी उसने भाँप लिया की मैं उसके साथ सेक्स करना चाहूँगा
 
“नही अमन प्लीज़ सुबह का वक़्त है, सुबह सुबह सेक्स नही किया करते” उसने कहा
 
“मेरा तो जब मन चाहे तब सेक्स करता हूँ” मैने उसकी बातों को इग्नोर करते कहा
 
“ग़लत है यह” उसने सामने तकिया लाते कहा
 
“किसने कहा” मैने तकिया हाटते कहा,
 
उसने हंसते हुए मुँह दूसरी और फेरते कहा”आयुर्वेद में लिखा है”
 
“अच्छा?”“हन”“मैने आयुर्वेद नही पढ़ा काम्सुत्र पढ़ा है” मैने आँखें मिचका कर कहा
 
“चलो उसकी एक दो पोज़िशन आज़माते हैं” मैने हंसते हुए कहा
 
“अभी?” उसने आखें फैला कर हैरानी से कहा
 
“हाँ अभी इसी वक़्त” मैं बोला”2-4 शॉट लगाएँगे”
 
“अच्छा?” उसने पूछा
 
“हाँ”
 
“डॉगी स्टाइल करते हैं” उसने शरमाते हुए कहा
 
“नही पहले साइड किक करते हैं” मैने कहा
 
“नही, मेरी बम दुखती है बाबा” उसने परेशान होते हुए कहा
 
“बस एक ही शॉट” मैं मनाते हुए बोला
 
“अच्छा चलो ठीक है| लेकिन ज़्यादा ज़ोर से नही”
 
“ओके”


मैने उसका गऊन उतारने की कोशिश की उसने लेते लेते ही घुटने खड़े कर लिए

 
“क्या हुआ”
 
“मुझे शर्म आती है”
 
“तुम क्या पहली बार कर रही हो”
 
“फिर भी”
 
“पैर नीचे लिटाओ, मुझे गाऊन उतरना है”
 
“नही”
 
“जल्दी”
 
“तुमने तो बात दिल पे ले ली”
 
“हाँ”
 
“मैं तो बस मज़े ले रही थी”
 
“चलो अब ज़्यादा नखरे मत दिखाओ, मुझे लेट हो रहा है”
 
“मेरी बात सुनो आज रहने देते हैं, तुम्हारा कॅब वाला आ जाएगा तुम्हारी फ्लाइट छूट जाएगी”
 
“छूटने दो”
 
“तुम्हारा नाश्ता बनाना है, तुम भूखे कैसे जाओगे”
 
“तुम वह सब रहने दो, बाहर खा लूँगा कुछ”
 
“आआह नही”
 
मैने उसके हाथों के उपर अपने हाथ रख कर दबाया और कहा”बहाने मत बनाओ”
 
“प्लीज़ नही”
 
“आज तुम्हे शॉट नही लगाया तो अगले 3 दिन काम में मन नही लगेगा”
 
“नही ना”
 
“हाँ” और मैने उसके गाऊन के फटे हिस्से में उंगली डाली और उसको फाड़ते चला गया
 
“चिरर्र तररर...” की आवाज़ से गाऊन फट गया
 
“हाय मेरा नया गाऊन फाड़ डाला” उसने शर्मा कर कहा
 
“अभी तो और भी बहुत कुछ फाड़ना है” मैने मुस्कुरा कर कहा
 
“क्या फड़ोगे?” उसने मुझे अपनी ओर खींच कर कहा
 
“क्या फड़वाने का इरादा है?” मैने आँख मारी
 
“हटो शैतान” कह के उसने करवट बदली
 
“नही” कहते हुए मैने बाएँ हाथ से वापस ज़बरदस्ती उसे पीठ के बल लिटाया
 
“हा हा हा हा” वो हंस पड़ी
 
“चलो अब जल्दी अपने कपड़े उतरो शिखा, मुझे देर हो रही है, नो मोर एक्सक्यूसस” मैने उसे कहा
 
“तुम तो एकदम ऑफीसर की तरह हुक्म देते हो” उसने गाऊन उतरते हुए कहा.
 
मैने देखा उसका दूधिया शफ्फाक़ जिस्म पर अब केवल ब्रा और चड्डी थी
 
“ब्रा और चड्डी उतरने के लिए क्या अब राजन को बुलाना पड़ेगा?” मैने कहा
 
“हट शैतान” वह शरमाई
 
“तो उतार दो इसे भी, मैने बेड पर बैठते हुए कहा उसको नंगा इस हालत में देखते हुए अंजाने ही मेरा लंड फूल रहा था
 
“सच्ची उतार दूँ?” उसने पूछा
 
“हां बाबा” मैने हाथ जोड़ कर कहा
 
“ऐसे नहीं मेरे पैरों पर सिर झुका कर कहना होगा” उसने हुकुम सुनाया
 
मैने उसके पैरों के पास सिर रखा”प्लीज़ अब तो उतार दो?”
 
“हां ऐसे” उसने कहा”जब तक मैं ना कहूँ सिर ना उठना”
 
“अच्छा बाबा ओके, अब उतार भी दो, इतना क्या नखरा”
 
“देखो फिर ना नही कहना” उसने चेताया
 
“नही बाबा अब और मत खेलो”मैने कहा
 
“1...2...3” कहकर उसने एक झटके से मेरी गर्दन उठाई और अपनी पहनी हुई उतार कर अंडरवेर मेरे नाक पर दबा दी”हा हा हा हा...” वो ज़ोरों से हंसते हुए बोली
 
इधर मेरा बदबू के मारे बुरा हाल था”यक” मैने थूकते हुए कहा
 
“मज़ा आया न मिसटर अमन, पहले शॉट मारने के लिए बेचैन हो रहे थे मैने किसी गूगली डाल दी ना, बोल्ड हो गये” उसने शरारती हँसी हंसते हुए कहा
 
मैं लपक कर उस पर कूदा, और अपने नंगे बदन तले उसको दबाया दोनो हाथो से उसके हाथ पकड़े और अपने पैर के अंगूठो के बीच उसके पैर दबाए
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“अया छोड़ो मुझे अमन क्या कर रहे हो, दुख़्ता है”
 
“पनिशमेंट दे रहा हूँ तुम्हे” मैने कहा
 
“पनिशमेंट?”
 
“हाँ पनिशमेंट, तुम्हारी चीटिंग के लिए”
 
“एवेरी थिंग इस फेर इन लव आंड वॉर” उसने इतराते हुए कहा
 
“नोट रियली” मैने कहा
 
“अच्छा जी?” उसने कहा
 
“हाँ जी” मैने कहा
 
“क्या कर लोगे?”
 
“तुम बस देखती जाओ” कहकर मै अपना हाथ उसकी पीठ के पीछे ले जा कर उसकी ब्रा का हुक टटोलने लगा
 
“नही” उसने कहा
 
“हाँ” मैने कहा उसने अपनी पीठ पर पूरा ज़ोर लगाया और उसकी पीठ के पीछे मेरा हाथ दब गया.
 
“हा हा हा” वह हंस पड़ी
 
“ये ब्रा हम को दे दे शिखा”
 
“नही”
 
“ये ब्रा हमको दे दे शिखा”
 
“नही”
 
“हाआअँ” कहते हुए मैने उसके चेहरे के अँधा धुन्द किस्सेस लेने शुरू कर दिए
 
“उफ़फ्फ़...अया”“आराम से अमन”
 
“नही ना”
 
“ओफफो तुम्हारा वज़न कितना है”“उफ्फ नही”“उफ्फ मैं तो दब ही गयी तुम्हारे नीचे कितने मोटे हो गये हो १०० किलो के पूरे रोड रोलर हो गये हो”“चि... तुम नीचे से लीक हो रहे हो, अया अमन तुम्हारे छाती के बाल कितने कड़े हैं मुझको चुभ रहे हैं आइईइ नहीं न प्लीज़, उफ़फ्फ़” की आवाज़ों से पूरा कमरा गूँज उठा
 
कोई दस मिनिट तक हम यूँ ही आपस में गुत्थम गुत्था थे, जब अलग हुए तो हम दोनो अगल बगल लेट गये.
 
 
“तुम्हारी टूतपेस्ट का टेस्ट कितना गंदा है छी, ऐसा लगता है चुइंग गम खाई हो”
 
“हा हा हा” मैं हंसा
 
“और तुम्हारी जीभ...कितनी खट्टी है टेस्ट में” उसने शिकायत करते हुए कहा”करौंदे जैसी”“तुम्हारे छाती के बाल कॅक्टस जैसे चुभते हैं”
 
“तुम मत चूसों ना, चुपचाप मुँह खोल कर पड़ी रहो, तुम्हारी लंबी ज़बान की नमकीन टेस्ट मुझे अच्छी लगती है, मैं चूस लिया करूँगा तुम्हारी ज़बान”
 
“नहीं” उसने कहा”और तुम ये जो अपने होंठो से मेरे गालों को पकड़ कर ज़ोरो से जो चिंता लेते हो जानते हो कैसे लगता है?” उसने पूछा
 
“कैसे?” मैने कहा
 
“ऐसे”
 
“आआइईई शिखा छोड़ दे यार आइ स्वेअर दुबारा परेशान नही करूँगा” मैं दर्द से चिल्ला पड़ा उसने हाथों में मेरे आँड ले कर मसलना चालू कर दिया
 
“अब क्यों? औरतों को अपने बदन के बोझ तले दबाने में मज़ा आता है तुम मर्दों को?” वह हंसते हुए बोली”लो अब सज़ा भुगतो मुझे परेशान करने के लिए” वह मेरे गोटियों पर प्रेशर बढ़ाती गयी,
 
मुझे लगा आज में दर्द से रो दूँगा की मैने दाए हाथ से उसके बाल पकड़ लिए
 
“आऐइईए, अमन छोड़ो मुझे मेरे बाल टूट जाएँगे”
 
“ऐसे नही, तुम्हे पनिशमेंट देनी है”
 
“पनिशमेंट?”
 
“हाँ”
 
“कैसी पनिशमेंट?” उसने पूछने के लिए मुँह खोला और मैने उसके सिर को सीधे अपने तने हुए लौडे पर धर दिया
 
“मुँह में लो इसे”
 
“छी मुझे घिन आती है”
 
“लेना पड़ेगा”
 
“नही”
 
“ले कर तो देखो मज़ा आएगा”
 
“छी मैं नही करूँगी”
 
“उस दिन ब्लू फिल्म देखते हुए पॉर्न स्*तर की तारीफ कर रही थी अब क्या हुआ”
 
“नही ये गंदा है” मैने उसको सिर को झटका दिया और अब मेरा 5 इंच का लंड उसके मुँह में था


“अया नही” शिखा मना करते बोली”मुझे घिन आती है”

 
“चखो तो सही” मैने कहा जैसे ही उसकी ज़ुबान मेरे सूपाडे को लगी एक मीठे झंझनाहट मेरे बदन में दौड़ गयी मानो सावन की रात आसमान में जैसे बिजली कौंध गयी हो”आआह शिखा” मैने उसके बालों के बीच उंगलियों फिराते कहा”और एक बार जीभ से प्यार करो ना वहाँ” मैने आँखें मूंद ले थी मैं मानो सांत्वे आसमान पर था”हाआँ वही, तोड़ा नीच... आआह यू गॉट इट... आआह”
 
वह बड़े प्यार से मुझे ब्लो जॉब दे रही थी और में उसको गाइड कर रहा था धीरे धीरे मैने अपनी रॉड उसके गले में अंदर घुसाते गया
 
“उन्ह...उनह” उसने लंबी लंबी साँसे लेना शुरू की”हॉवववव आआह” उसने अपने मुँह से मेरे लंड को निकाला और हाँफने लगी”आअख थू” उसने मुँह से थूका फिर अपने हाथ से मुँह पोंछते बोली”पानी पानी”
 
मैने पास में पड़ी हुई बोतल उसको दी जो उसने हाथ में पकड़ी”तुम्हारा जूस कितना खट्टा है” उसने शिकायती अंदाज़ में हंस कर कहा और बगल में पड़े ग्लास में पानी की बॉटल से पानी डाल कर पिया वह जा कर बिस्तर पर लेट गयी”कितने गंदे हो तुम” उसने मुझे कहा”ओरल सेक्स करते शर्म नही आती तुम्हे?” उसने चादर से मुँह पोंछते कहा
 
“तुम्हे आई शरम?” मैने पूछा
 
“मुझे क्यों आएगी भला”
 
“क्यों”
 
“मैने किया ही क्या है?” उसने भौहे तरेर कर पूछा”जो किया तुमने ही तो किया”
 
“क्या किया मैने?”
 
“मुझे ब्लो जॉब क्या तुम्हारी नानी दे रही थी”
 
“हट शैतान”उसने कहा”तुमने मुझे फोर्स किया”
 
“मैने तो तुम्हारे मुँह में अपना दिया था, तुम उसको कुलफी की तरह चाट रही थी”
 
“तुम्हारे रॉड का टेस्ट शुरू में कुलफी जैसा था लेकिन बाद में अंगूर जैसा खट्टा हो गया” उसने कहा”देखो मैने तुम्हारा चूसा अब तुम मेरी चूसो” उसने मुझे उंगली दिखाते हुए कहा
 
“नहीं तुमने आपनी झाटों के बाल साफ नही किए” मैने माना करते हुए कहा
 
“नही देखो ना मैने वेट टिश्यूस से सॉफ किया है”
 
“नही” मैने कहा
 
“प्लीज़”
 
“अच्छा अपनी टाँग फैलाओ” उसने बैठे बैठे टांगे फैला दीं और में उसकी फैली टाँगों के बीच बैठा और अपने मुँह को उसकी योनि के मुहाने पर ले गया उसके पुसी लिप्स एक दम पिंक थे मैने अप्पर लीप को दाँतों में दबाया और दो उंगलियाँ च्छेद में घुसाई”आआहह अमन...प्लीज़”
 
“आह अमन नही” उसने अपने आँखों पर हाथ रख लिया और बाएँ हाथ से तकिया खींच कर अपनी पीठ को सहारा दिया
 
इधर मैं उसके दो पैरों के बीच बैठ कर उसकी छूट से उंगलियाँ अंदर बाहर किए जा रहा था
 
“आआहह नही” मुझे उसकी चूत में डाली गयी अपनी उंगलियों पर गीलापन महसूस हो रहा था.
 
“छी तुम्हारे नाख़ून कितने बड़े हैं”
 
“नाख़ून गड़ाऊं?”
 
“आ नही”
 
“क्यो”
 
“दुख़्ता है उसने कहा”
 
मैं खड़ा हो गया और तेज़ी से उसकी चूत में उंगली अंदर बाहर करने लगा
 
“आ क्या कर रहे हो?”
 
“प्यार”
 
“ऐसे करते हैं प्यार?” उसने शर्मा कर पूछा
 
“बताऊं कैसे करते हैं?” मैने आँख मार कर कहा
 
“हाँ”उसने कहा
 
“लो देखो” कहते हुए मैने हथेली की बाकी उंगलियाँ उसकी चूत में घुसा दी
 
“आऐइइईईई” की चीक से कमरा गूँज उठा
 
मैं अपनी पाँचो उंगलियों से उसकी अन्द्रुनि चूत को सहलाकर टटोलने लगा
 
“हाफ़ हाफ़ हाफ़” वह जीभ निकल कर हाँफने लगी”हाफ़...हाफ़...ये प्यार है या अत्याचार...हाफ़...हाफ़” उसने हानफते हुए पूछा
 
“तुम चाहे जो समझ लो” मैने हंसते हुए कहा
 
“आइइईई...नही अमन प्लीज़ रूको” वो चीखे जा रही थी
 
मैं खड़ा था और वो बिस्तर पर तकिये के उपर लेती थी, लेकिन उसका दर्द से चीखना जारी था.
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मैं नीचे झुका और उसके मुँह से अपना मुँह भिड़ा दिया
 
“उन्हूँ” उसने मुँह फेर लिया
 
“क्यों? मेरे मुँह लगने में आपको क्या तकलीफ़ है मेडम?” मैने पूछा
 
“हाफ़... हाफ़...तुम्हारी जीभ खट्टी है...हाफ़...हाफ़” वो हानफते हुए बोली
 
“चूसनी तो पड़ेगी” मैने कहा और उसके होठों पर कटा
 
“ईईए” वह चीलाई”तुम बड़े वो हो”
 
“वो माने?”
 
“वो”
 
“क्या?” मैने उंगली करना रोक कर पूछा
 
“समझो ना कुछ बातें बताना ज़रूरी होता है क्या?”
 
मैने अपना हाथ बाहर निकाला, पाँचो उंगलियाँ चिपचिपी हो गयी थी
 
“वितड्रॉ क्यों कर लिया?” उसने चादर से अपनी योनि सॉफ करते कहा
 
“ब्रेक” मैने कहा और अपने लंड पर उंगलियों से उसका जूस लगाने लगा
 
“आइसिंग कर रहे हो क्या” उसने तकिये को बाहों भर कर कहा
 
“नही लंड की ग्रीसिंग चल रही है” मैने जवाब दिया
 
“अच्छा?”
 
“हन”
 
“एक कम करो ना मेरी कोल्ड क्रीम लगाओ”
 
“लाओ” उसने डिब्बी देने के लिए हाथ बढ़ाया,
 
तो मैने उसकी हथेलियों में अपना लंड देते कहा”तुम्ही लगाओ इसको”
 
“नही”
 
“क्यों?”
 
“मुझे घिन आती है” उसने कहा
 
“अरे तुम्हारा भविश्य तुम्हारे हाथों में दे रहा हूँ शिखा”
 
“ऐसा क्या?” उसने शरारती हँसी हंसते कहा
 
“और क्या?” मैने आँख मारते कहा


“तो तुम मुझे माँ बनाना चाहते हो” वह इठला कर बोली

 
“अब तुम्हे एक शॉट में दादी मा तो बना नही सकता शिखा” मैने उसे चूमते हुए कहा
 
“तो तुम मा ही बन लो”
 
“मेरी कोख तो राजन के लिए रिज़र्व्ड है” वह आँखें छोटी करती बोली
 
“डॉन'त यू नो?”“उसका रिज़र्वेशन तभी कॅन्सल हो गया, जब तुमने उसकी सीमेन अनॅलिसिस की रिपोर्ट मुझे दिखाई थी”
 
“ह्म्*म्म्म डॉक्टर भी यही बोले थे”
 
“तो शुभ काम में देर कैसी? अपनी टांगे फैलाओं और मेरे लॉड का वेलकम करो” मैने उसकी टांगे पकड़ कर बोला तो उसने अपनी टाँगों से ज़ोर का झटका दिया, मैं फ्लोर पर गिर पड़ा
 
और वह हंसते हुए पेट के बल बेड पर लेट गयी”हा हा हा कैसा मज़ा चखाया” वह बोली”मज़ा चखना है तुमको?”
 
“तुम्हारा मज़ा तो चख के देख भी लिया मैने...कितना खट्टा है” वह मुँह चिढ़ा कर बोली
 
“अब की बार मज़ा दूसरा होगा”
 
“कैसा?” शिखा अपने बाल ठीक करते बोली
 
“तीखा” मैने तेज़ आवाज़ में कहा
 
“लौडे पे क्या मिर्च लगा कर चुस्वाओगे मुझे?” उसने मज़ाक उड़ाया”ठहरो मैं किचन से लाल मिर्च का पाउडर ले आती हूँ”, उसने बिस्तर से उठते कहा.
 
“रूको ठहरो”
 
मैने उसका हाथ पकड़ा और मरोड़ते हुए कहा”इतनी जल्दी क्या है शिखा जानेमन”
 
“हटो छोड़ो मुझे, मुझे देखना है तुम्हारा तीखा टेस्ट” उसने मेरे हाथ पर दाँत गाड़ते कहा
 
“आअहह” उसके तेज दाँत मेरी बाँह में गड़ रहे थे मैने देखा उसके दाँतों की छाप उभर गयी थी”पिछले जनम में तुम कुतिया थी क्या शिखा?”
 
“मैं कुतिया तो तू कुत्ता” वो खिलखिला के हंस पड़ी”और तू ऐसा वैसा नही बड़ा हरामी कुत्ता है अमन”
 
“मैं और कुत्ता?” मैने हैरत से पूछा
 
“हां कुत्ता है तू मुझ जैसी सीधी साधी लड़की को तू अपने बिस्तर पर खींच लाया” उसने अपने मांसल कूल्हे मेरी जाँघ पर रगड़ते कहा
 
“हां शिखा तू तो जैसे बड़ी सती सावित्री है, पति के पीछे गैर मर्द से चुद्ति है” मैने उसके मम्मे हाथों में दबा कर बोला
 
“आअहह अमन” उसने अपने चूतड़ हिला कर धक्का दिया”हर औरत में एक रंडी छुपी होती है, तुमने मेरे भीतर की रंडी को जगा दिया”
 
मैने उसके मम्मे ज़ोर से मसले और उसकी गर्दन पर अपनी जीभ फिराई और कंधे के तिल पर काट खाया
 
“आअहह अया अमन नही, ऐसे मुझे कंधे पर मत काटो” उसने मना करते कहा”राजन तुम्हारे दाँतों की छाप मेरे बदन पर देखेंगे तो क्या कहेंगे?”
 
“कुछ नही कहेगा वो, उसके पास इतना टाइम कहा”
 
“वह मुझे रंडी समझ लेंगे”
 
“तू रंडी नही कुतिया है, मेरी पालतू शिखा कुतिया” कहते हुए अपना लंड उसकी गॉंड की दरार में घुसाया मखमली गांड का रेशमी अहसास मुझे पागाल बना रहा था
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 “अया अमन” आराम से शिखा अपने चारों पैरों पर खड़ी होते बोली
 
“अब मुझे आराम कहाँ स्खिका डार्लिंग” मैने उसके पीछे घुटनों के बल खड़े होते कहा”चलो अब अपना एस होल फैलाओ”
 
“पहले वॅसलीन तो लगा लो”
 
“ज़रूरत नही”
 
“मतलब?”
 
“तुम्हारी कुँवारी गांड को ल्यूब्रिकेशन की ज़रूरत नही”
 
“क्या सच?” उसने चहकते पूछा
 
“हाँ, गीली गांड में लंड ऐसे ही चला जाता है”
 
“तुम्हे कैसे मालूम?” उसने बेड पर तकिये रखते हुए कहा
 
“तुम्हारी गांड में एक बार उंगली की थी” मैने हंसते हुए कहा
 
“और तुम ये मुझे अब बता रहे हो?” उसने नाराज़ होते हुए पूछा
 
“तो तुम क्या चाहती हो? तुम्हारी गांड में उंगली करने का मैं रेकॉर्ड पब्लिश करूँ तुम्हारे पति को?” मैने अपना लंड उसकी गांड में घुसते कहा
 
“अरे कॉंडम तो पहन लो” उसने अपने चेहरे पर आए बलों को सँवरते कहा”तुम्हे इन्फेक्षन हो जाएगा”
 
“नही होगा, तुम बाद में ब्लो जॉब दे देना”
 
“ची ची...गांड मरवाने के बाद में अपने मुँह में तुम्हारा बुल्ला नही लूँगी” उसने मना करते कहा
 
“डॉन'त पुट कंडीशन्स डार्लिंग” मैने अँग्रेज़ी में उंगली दिखाते कहा
 
“आइ विल, आस इस मिने सो इट्स सोल्ली माइ डिसिशन”
 
“ओक...देन ई वितड्रॉ” मैने खड़े होते कहा
 
“नो...नो प्लीज़ वेट” उसने कहा
 
“आटिट्यूड दे रही थी?”
 
“तो क्या? मुझे बिना बताए तुम मेरी गांड में उंगली करोगे?” उसने सवाल किया
 
“बताओ कब मेरी गांड में उंगली की थी?”
 
“तुम उस दिन फेंट हो गयी थी और तुम्हारे पति ने घर पे मेडिसिन पंहुचने कहा था उस दिन” मैने कहा
 
“यक” उसने मुँह बनाते हुए कहा”उस दिन तो मेरा पीरियड था”
 
“तो?”
 
“तो क्या? सारा दिन सवाल जवाब ही करना है? फ्लाइट नही पकड़नी क्या”मेरी गांड में लंड क्यतुम्हारा बाप आ कर डालेगा?” उसने हाथों से मेरी आरती उतारने का नाटक किया
 
“तुम मुडोगी तब तो मैं गांड मारूँगा ना” मैने उसको कमर से घूमते कहा”और ये अपने बाल खोल दो”
 
“वो क्यूँ?” उसने पूछा
 
“खुले हुए बालों की महक मेरी सेक्स अपेटाइट बढ़ाते हैं” मैने उसकी गर्दन का तिल चाटकर कहा
 
“अच्छा जी?”
 
“हां जी” मैने दोबारा लंड उसकी एस में घुसाया, वो झुक कर कुतिया की तरह बैठ गयी और मैं उस पर सवार हो गया”तुम्हारी एस कितनी टाइट है” मैने शिकायत करते बोला
 
“अमन तुम्हे मेने क्या कहा था?”
 
“क्या?” मैने अंजन बनते हुए पूछा
 
“वॅसलीन लगाने को कहा था” वह बोली
 
“नही” मैने मना करते हुए कहा
 
“तुम्हे नही पसंद तो नारियल तेल ही लगा लो, तुम्हारा करेले जैसा लंड अंदर जाएगा तो मुझे दुखेगा” उसने कहा
 
“ना, लंड चिकना हो जाता है”
 
“तुम्हे एनल सेक्स क्या मॅगी 2 मिनिट नूडल लगता है? जो बिना चिकनाई के मेरी गाअंड लेना चाहते हो?” उसने कहा.
 
“क्यों? तुम्हारा पति राजन आराम से मिश्रा जी से मरवा लेता है, तुम्हारे ही नखरे हैं” मैने उसे चिढ़ाते हुए कहा
 
“वो तो है ही गांडू” उसने मुँह बना कर गाली बकते कहा”उसकी बात यहाँ ना करो, जल्दी एक शॉट लगाओ तुम्हारी कॅब आती होगी”

“तुम पहली बीवी होगी जो खुले आम पति को गन्दू गांडू कहती हो” मैने पीछे से धक्का लगते कहा

 
“आउच” वह दर्द से चिहुन्क उठी”आहिस्ता, धीरे धीरे आराम से” वह बोली
 
“टाइम नही है जल्दी निबताओ” मैने कहा”देखो अलार्म बजने लगा सुबह के 7:30 बज रहे हैं”
 
“बस एक शॉट और” वह मिन्नत करते बोली
 
“ओके डार्लिंग” मैने कहा शिखा की मखमल जैसी गांड को छोड़ कर जाने को जी नही कर रहा था लेकिन अब ड्यूटी पर जाना था.
 
तीन चार बार धक्कम पेल होने के बाद शिखा बोली”ओक पॅकप”
 
मैने उसकी गांड से लंड निकालते कहा”पॅकप? खुद को क्या बॉलीवुड हीरोईन समझती हो?”
 
“और क्या? वरना तुम कितनी शादी शुदा लड़कियों के पीछे लंड हिलाते घूमते थे?” उसने भाव खाते कहा
 
“एक्सक्यूस मी तुम आई थी मेरे पास” मैने चादर से अपना लंड पोंछते कहा”वो महाभारत की कहानी का प्रिंट आउट निकालने” उसने मुँह बिचका कर कहा
 
“मैं तो उस दिन प्रिंट आउट निकालने आई थी तुम्हारे पास, तुमने तो मेरे भीतर की रंडी मेरे सामने निकाल कर रख दी”
 
“तो? तुमको प्रिंट आउट निकलना था तो प्रिंट आउट निकालती मेरे डेस्कटॉप मे हिडन फोल्डर खोलने की क्या ज़रूरत थी?” मैने चड्डी पहनते कहा
 
“मुझे जिग्यासा हुई थी” उसने चादर समेटते हुए कहा
 
“क्या हुई थी?” मैने पूछा
 
“जिग्यासा बाबा” उसने जवाब दिया”क्यूरीयासिटी” उसने मेरे हाथ से अपना गाऊँ खींचते कहा
 
“तुम इंग्लीश मीडियम में पढ़े लड़कों को तो मैं प्रणाम करती हूँ” उसने हाथ जोड़ कर प्रणाम करते कहा
 
“हरामी साली नखरा करती है” मैने कहते हुए उसकी हाथ अलग किए
 
तो उसने दांतो तले जीभ दबाई
 
“तुम लड़कियों को नंगी लड़कियाँ देखने की क्या क्यूरीयासिटी है?” मैने उसके हाथों को मरोड़ते हुए पूछा
“क्यूरीयासिटी लड़की को देखने की नही, उन पर चढ़ने वाले लड़को को देखने की होती है” उसने एकदम से मुझे दीवार की तरफ धकेलते हुए कहा,और मेरी नंगी छाती चूमने लगी
 
“अभी तक जिग्यासा शांत नही हुई तुम्हारी?” मैने उसका माथा चूमते कहा
 
“अभी कहाँ? 4 दिन तक मुझे भूखे रह कर दिन काटने हैं” वह बोली
 
“आईई” मैं दर्द से चीख उठा उसने मेरी छाती पर काट खाया
 
“हा हा हा.” वो हंसते बोली”अब पता चला? तुम जब मेरे मम्मे काटते हो मुझे ऐसे ही दर्द होता है”
 
“तुम्हारी जहाँ तहाँ काटने की आदत से मैं परेशान हूँ” अपनी छाती सहलाते मैं बोला
 
“आह अमन” उसने कहा और लॉड पर ज़ोर से थप्पड़ मारा
 
“आईई आहह” मैं दर्द से चीख उठा, वार ज़ोर का था
 
“क्यों मारा मुझे?” मैने दर्द से बिलबिलाते पूछा
 
“तुम्हारे लॉड पे मच्छर बैठा था, एक मच्छर आदमी को...” उसने डाइयलोग मरते कहा
 
“बस बस... जाओ जा कर कॉफी बना मैं नहा कर आता हूँ...कॅब कभी भी आ सकती है” मैं बाथरूम जाते बोला
 
“नही अमन” उसने पीछे से मुझे पकड़ते बोला”मच्छर तुम्हारे लॉड को काट रहा था...मेरे होते हुए कोई और तुम्हारे लॉड पर कटे मुझे ये मंज़ूर नही” उसने लॉड को अपने हाथों से सहलाते कहा
 
“बहुत हो गया अब देखो फोन वाइब्रट हो रहा है” मैने खुद को उस से छुड़ाते कहा
 
“मैं देखती हूँ तुम जा कर नहा लो” उसने कहा
 
उसने फोन रिसीव किया, कॅब ड्राइवर का फोन था”मेडम सर हैं? एरपोर्ट ड्रॉप है” फोन से आवाज़ आई
 
“हाँ वह नहा रहे है रूको थोड़ी देर” उसने कहा
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मैं जब तक तैयार हो कर आया वह डाइनिंग टेबल पर नाश्ता लगा रही थी
 
“शिखा जो तुम्हे राजन के लिए करना चाहिए वह तुम मेरे लिए कर रही हो” मैने आमलेट खाते कहा
 
“तो? इस वक़्त तुम मेरे पति हो” उसने कॉफी पीते कहा
 
“पति? आर यू जोकिंग? हमारी शादी कब हुई?” मैने पूछा
 
“ये अस्थाई विवाह है अमन”उसने कहा
 
“अस्थाई विवाह?” मैने पूछा
 
“हाँ बाबा... संतान प्राप्ति के लिए तुमसे संबंध बना रही हूँ” उसने हंसते कहा
 
“अब ये हाइ लेवेल हिन्दी मत बोलो” मैने झुंझलाते कहा, फोन वापिस बजने लगा”ये कमीना कॅब ड्राइवर...” मैने कहा
 
“क्यों बेचारे पर नाराज़ हो रहे हो?” उसने पूछा
 
“मैने संतान वाली बात तुम्हे याद दिलाया इसलिए?” उसने कनखियों से कहा
 
“तुमसे में बाद में बात करता हूँ” मैने बॅग उठाते कहा”अब यहाँ आओ और मुझे गुड बाइ किस दो शिखा”
 
वह मेरे करीब आई और मैने उसके होठों पर अपने होंठ टिका दिए .
 
##
 
मैं नीचे आ कर कॅब में बैठा”चलो भाई जल्दी 08:30 से पहले रिपोर्ट करना है” मैने कहा
 
“जी साहब” ड्राइवर ने कहा और कॅब एरपोर्ट की ओर चल पड़ी.
 
##
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गाड़ी के पहिए घूम रहे थे और मेरा मन मुझे अतीत की ओर ले गया. मुझे याद आया की कैसे राजन हमेशा बाहरी लोगों के सामने शिखा को जलील करता था और कैसे शिखा अकेले में आँसू बहाया करती. राजन को काम काज के आगे सोसाइटी में ज़यादा किसी से घुलता मिलता नही था, हालाँकि मेरे यहाँ कभी वीकेंड नाइट पर आ बैठता दरअसल हमारी दोस्ती”दारू” की वजह से हो गयी थी”दारू” भी बड़ी गजब की चीज़ है दो अलग टेंप्रमेंट के आदमियों को दोस्त बना देती है और दारू पी कर लोग बाग खुल कर बात करते हैं.

 
शिखा को राजन का मेरे साथ बैठकर दारू पीना पसंद नही था, खास तौर से मेरे जैसे बॅच्लर्स के साथ. उसके मुताबिक बॅच्लर्स निहायत ही गैर ज़िम्मेदार होते हैं और पड़ोस में रहने वाली लॅडीस के साथ फ्लर्ट करते हैं.
 
ऐसे ही एक दिन मैं ड्रॉयिंग रूम में बैठ कर शाम के वक़्त बियर पी रहा था, दरवाज़ा खुला हुआ था. मैं टीवी पर फुटबॉल का मॅच देख रहा था, की मैने दरवाज़े पेर राजन को खड़ा देखा
 
“अरे राजन जी, प्लीज़ कम” मैने कहा
 
“ओह अमन जी सॉरी... आइ सॉ यू वाचिंग फुटबॉल मॅच” उसने मुस्कुराते कहा”सो आइ थॉट इफ़ आइ कॅन जाय्न यू”
 
“ओह शुवर राजन जी, प्लीज़ कम इन” मैने हंसते हुए कहा
 
“थॅंक यू” उसने कहा”लेट मी टेक अ वॉश आंड देन आइ विल जाय्न यू शॉर्ट्ली”
 
“शुवर राजन जी टेक युवर टाइम” मैने कहा वह मूड कर फ्लॅट की ओर गया और बेल बजाई,
 
मैने देखा उसकी पत्नी शिखा ने दरवाज़ा खोला और वह अंदर चली गयी उसने अपने जूते उतार कर रॅक में रखे और दरवाज़ा खुला ही छोड़ कर अंदर गया
 
“अरे... अरे... दरवाज़ा तो बंद करना था” अंदर से आती शिखा बोली
 
“रूको... मुझे पड़ोस में जाना है” अंदर बाथरूम से राजन की आवाज़ आई
 
“अभी तो आएँ है अभी जाएँगे क्या?” शिखा परेशान होते बोली
 
“हाँ...पड़ोस में अमन के घर जा रहा हूँ फुटबॉल मॅच देखने” राजन से मुँह धोते कहा
 
“लेकिन आज गुरुवार है, हमे मंदिर जाना है” शिखा ने कहा
 
“तुम चली जाओ, मुझे मॅच देखना है” राजन मना करते बोला
 
“आज आपने मुझे वादा किया था कि मंदिर जाएँगे” शिखा उसे याद दिलाते बोली
 
“देखो मुझे मंदिर वंडिर में इंटेरेस्ट नही, तुम्हे है तो तुम चली जाओ” राजन नाराज़ होते बोला
 
उनके घर रोना धोना शुरू हो गया
 
मैने बियर की बॉटल खोली और घूँट लेते हुए मॅच देखने लगा हालाँकि मेरे कान उन्ही के घर की तरफ थे.
 
कुछ देर बाद राजन मेरे ड्रॉयिंग रूम में आते बोला”सॉरी, मुझे थोड़ी देर हो गयी आक्च्युयली वाइफ थोड़ी अपसेट हो गयी”
 
“इट्स ओके” मैने कहा”एनितिंग सीरीयस?”
 
“नो नो” वह बोला”शी गॉट अपसेट एज़ आइ चेंज्ड प्लान” वह हंसते बोला
 
“ओह आइ सी” मैने पॉपकॉर्न खाते बोला
 
“यॅ यू नो दीज़ वाइव्स” वह बोला
 
“ड्रिंक?” मैने उसके सामने बियर की बॉटल बढ़ाते कहा
 
उसने इधर उधर देखा दरवाज़ा खुला था वह बोला”लेट मी क्लोज़ डोर फर्स्ट” और दरवाज़े की तरफ बढ़ गया
 
“थॅंक्स फॉर ड्रिंक” उसने कहा और दांतो से बॉटल की सील तोड़ते कहा”चियर्स”
 
हमने बॉटल टकराई और सीप लिए”यॅ... गोल” वह चीखा, मॅच में गोल हो गया था और हाफ टाइम हो गया था
 
“आप फुटबॉल काफ़ी एंजाय करते हैं राजन जी” मैने कहा
 
“हाँ आइ एंजाय अलॉट” उसने कहा”आक्च्युयली मेरी वाइफ स्टुपिड टीवी सीरियल्स की वजह से मुझे मॅच देखने नही देती” उसने शिखा की शिकायत करते कहा
 
“आब्वियस्ली” मैने पॉपकॉर्न मुँह में डालते कहा”टीवी का रिमोट तो लॅडीस के हाथ में ही होता है”
 
“एग्ज़ॅक्ट्ली” उसने कहा और पॉपकॉर्न की ट्रे की तरफ हाथ बढ़ाया लेकिन वह ख़त्म हो गये थे
 
“आइ आम सॉरी पोप कॉर्न ख़त्म हो गये, मैं कुछ ऑर्डर करता हूँ” कहते हुए मैने फोन हाथ में लिए
 
“अरे अमन प्लीज़” उसने कहा की इतने में बेल बाजी
 
“लेट मी सी कौन आया है” मैं उठते बोला
 
“में देखता हूँ” उसने कहा और दरवाज़ा खोला बाहर पंजाबी सूट में उसकी बीवी शिखा खड़ी थी, उसने उसके हाथ चाभी थमाते कहा”मैं मंदिर जा रही हूँ”
 
“सुनो बाहर से ज़रा पॉपकॉर्न, सॉल्टेड काजू और पीनिट्स ले आना” उसने हुकुम दिया”ये लो पैसे” उसने 1000 का नोट शिखा को दिया
 
“ठीक है” कह कर वह अपनी चुन्नी संभालते हुए नीचे गयी
 
“अमन मैने कुछ चखना मँगवाया है” उसने मेरी ओर मूड कर कहा
 
“अरे राजन जी मेरे पास कुछ नमकीन है अपने क्यों तकलीफ़ की” मैने कहा
 
“इट्स ओक यार” वह बोला”अब मॅच का माहौल है रत 10 बजे दूसरा मॅच है, इफ़ यू डॉन'त माइंड”
 
“अरे राजन जी प्लीज़...मैं भी फुटबॉल का शौकीन हूँ”
 
रात के 8 बाज चुके थे डोर बेल बाजी राजन ने दरवाज़ा खोला उसकी बीवी शिखा चखना ले आई थी
 
“तुम घर जाओ में बाद में आता हूँ” उसने समान लेते कहा
 
“खाना तो खा लीजिए” उसने कहा
 
“खाना तुमने बना लिया क्या?” उसने सवाल किया
 
“सुबह का है, गर्म कर देती हूँ” उसने कहा
 
“तुम ही खाओ, सुबह का खाना” उसने नाराज़ होते कहा
 
“मैं सब्जी बना देती हूँ... थोड़ा रुकिये” उसने राजन को मनाते कहा
 
“ठीक है जब खाना रेडी हो जाए मुझे आवाज़ दे देना, मैं यहीं मॅच देख रहा हूँ” उसने कहा
 
“ठीक है” शिखा बोली और दरवाज़ा खोल कर अपने घर चली गयी.
 
“ये सला राजन तो हरामी है, इतनी खूबसूरत बीवी को छोड़ कर ये चूतिया मॅच देख रहा है” मैने सोचा
 
राजन मेरे सामने बैठते हुए बोला”सॉरी अमन, ये बीवियाँ भी यू नो ज़रा भी प्राइवसी नही देती”
 
“आइ कॅन अंडरस्टॅंड” मैने मुस्कुराते कहा”क्या बीवियाँ इतनी पस्सेसिव होती हैं?” मैने पूछा
 
उसने मेरी और देखा
 
“आइ आम सॉरी राजन” मैने बात को समहालते कहा
 
“अरे डॉन'त बी फॉर्मल” उसने हंसते कहा”शादी के बाद तो बीवी जीना हराम कर देती है”
 
“हा हा हा” मैने हंसते हुए कहा की मेरे फोन की रिंग बाजी”एक्सकूज़ मी” मैने कहा और फोन ले कर गॅलरी में आ गया मैने फोन पर बात करते हुए देखा, साइड के गॅलरी में शिखा भी फोन पर किसी से बात कर रही थी, मैने देखा उसकी साइड ही चाँदनी खिली थी, पूनम का चाँद आसमान में अपनी चाँदनी बिखेर रहा था.
 
मैं कान दे कर उसकी बातें सुनने लगा”हां मा, मैं मंदिर जा कर आई...नही राजन नही आए वो टीवी पर मॅच देख रहे थे...मा उनको क्या पता गुरु पूर्णिमा के बारे में” वह शायद अपनी मा से बात कर रही थी
 
“हाँ मा मैं नवमी की दिन उपवास करूँगी और रात में राजन के साथ...” उसने मुझे बाल्कनी में उसकी ओर देखते हुए पाया, वह अंदर चली गयी
 
“शिट साला”मैं अपने आप से बोला”उसको देखने का चान्स चला गया”
 
मैं वापस ड्रॉयिंग रूम में आया, राजन चखने का पॅकेट खोल चुका था|
 
मुझे गॅलरी से ड्रॉयिंग रूम में आते देख राजन बोला”अरे अमन जी आइए सुअरेज़ ने क्या गोल किया है मज़ा आ गया”
 
“आज तो जर्मनी की हालत पतली लगती है”
 
“देखते हैं अभी तो 10 मिनिट बाकी हैं” राजन ने टीवी देखते कहा मॅच अब एकदम रोचक मोड़ पर आ चुका था कि बत्ती गुल हो गयी
 
“शीट” हम दोनो एकसाथ चिल्ला उठे.
 
एक तो लाइट चली गयी और शिखा को ताकने का चान्स जाने की वजेह से मेरा मूड खराब हो गया था, मैं अपनी किस्मत को कोस रहा था की अंधेरे में चौखट पर मुझे कोई खड़ा दिखाई दिया.
 
“खाना बन गया है, चलिए” ये शिखा थी अपने पति राजन को बुला रही थी.
 
“तुम चलो मैं आता हूँ” राजन ने कहा, शिखा जाने को मूडी
 
“अरे अमन जी आप भी आइए ना” राजन ने कहा
 
“नो थॅंक्स राजन जी...में कुछ ऑर्डर कर लूँगा आप तकलीफ़ ना कीजिए” मैने कहा
 
“नो वे अमन जी...आज तो आपको हमारे घर चलना ही होगा” राजन ने इन्सिस्ट किया तो मैं राज़ी हो गया.
 
हम उनके घर पंहुचे, में ड्रॉयिंग रूम में बैठा मग से बियर पी रहा था`, राजन् ने बियर उसके घर ले चलने के लिए कहा था
 
हालाँकि शिखा को यह बात पसंद नही आई.
 
राजन मेरे सामने आ बैठा और हममे इधर उधर की बातें हो रही थी, खाना लगने में थोड़ा टाइम था कि राजन को किसी का फोन आया वह फोन रिसीव करने गॅलरी गया.
 
शिखा इतने में सूप ले आई और बोल मेरे सामने रखा”ये कहाँ गये?” उसने पूछा
 
“उन्हे फोन आया था” मैने जवाब दिया
 
“मैं अभी आती हूँ”कहकर वो जाने को मूडी की इतने में राजन वापस आया
 
“मैं आपको ढूँढरही थी कहाँ गये थे” उसने राजन से पूछा
 
“ऑफीस से फोन आया था, ख़ान को फाइल देनी है मैं ऑफीस में में देना भूल गया” राजन ने जूते पहनते कहा
 
“खाना खा कर जाइए, खाना रेडी है” शिखा ने उसे कहा
 
“नही ज़रा अर्जेंट है मैं ख़ान को फाइल दे कर आता हूँ” राजन ने कहा
 
“अमन जी प्लीज़ डॉन'त माइंड मैं अभी 15 मिनिट में आया” राजन ने मुझसे कहा और चला गया
 
शिखा उसको यूँ जाते हुए देखती रही, उसकी आँखों में आँसू भर आए.
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“एनी प्राब्लम?” मैने बियर पीते कहा”शिखा जी?”

 
वह मेरी ओर मूड कर बोली”नतिंग” उसने मेरे हाथ में बियर का मग देखा और गुस्से से बोली”यह ब्राह्मण का घर है यहाँ यह सब नही चलेगा”
 
“ओह आइ अम सॉरी” मैने माफी माँगते हुए कहा”लेकिन मुझे तो आप के पति ही लेकर आए और वह भी तो पी रहे थे” मैने मग टेबल पर रखते कहा
 
“वो सब मैं नही जानती, वो आपके यहाँ पी रहे थे आप जाने, यहाँ में रोज पूजा पाठ करती हूँ ये सब नही चलेगा” उसने मुझे सुनाते कहा
 
“ओक शिखा जी अब चलूँगा” इतनी बेइज़्ज़ती के बाद अब वहाँ मुझे रुकने की इच्छा नही थी
 
“खाना खा कर जाइएएगा” शिखा ने कहा
 
“नो थॅंक्स, मैं तो आना ही नही छ्च रहा था आपके पति ने ज़ोर दिया” मैने उसको जवाब दिया
 
“देखिए” उसने कहा”आपको समझना चाहिए की आपका मेरे पति के साथ उतना बैठना मुझे पसंद नही”
 
“क्यों?” मैने हैरत से पूछा
 
“आप उन्हे गंदी आदतें लगा रहे हैं” उसने कहा
 
“राजन क्या इतना मासूम है जो अपना भला बुरा ना जनता हो?” मैने पूछा
 
“आप उन्हे शराब की लत क्यों लगा रहे हैं?” उसने बात को बदलते कहा
 
“वो खुद शराब पीने घर आया था मेरे” मैने कहा
 
“ग़लत वो सिर्फ़ मॅच देखने आए थे शराब अपनी पिलाई” उसने कहा
 
“मॅच सिर्फ़ बहाना था असल में उसको शराब ही पीने थी” मैने तर्क लाढ़ाया
 
“आप कहना क्या चाहते हैं?” उसने ज़रा गुस्से से पूछा
 
“यही की आपके पति शराब पीते हैं, मच्योर हैं अपना भला बुरा समझते हैं और मैं उन्हे कोई बुरी आदत नही लगा रहा” मैं एक सांस में कह गया
 
“फिर वो आपके यहाँ क्यों पड़े रहते हैं वीकेंड में?” उसने सवाल पूछा
 
“ये बात आप अपने पति से कीजिए, अगर वो आपको टाइम नही देते ये मेरा क्न्सर्न नही देते” मैने उसको सुनाया
 
“हन जाहिर है...आप जैसे बॅच्लर्स के क्या कन्सर्न्स हैं ये मुझे मालूम है” वो गुस्से से फुफ्कर्ती बोली
 
“वॉट दो योउ मीन?” मैने तेज आवाज़ में पूछा
 
“योउ अरे होमे सेक्षुयल” उसने कहा”आप जैसे बचलोर्स राजन जैसे शादीशुदा लोगों की जिंदगी खराब करते हैं” उसने कहना जारी रखा”क्या मैं नही जानती की आप अंडरवेर पहने रत दिन हमारी खिड़की की तरफ क्या देखते हैं? मैने राजन को आपको इशारे करते भी देखा है”
 
“तो आपने अपने पति राजन से यह जानना ज़रूरी नही समझा की बात क्या है?” मैने कहा
 
“उनसे क्या पूछना है, उन्होने मुझसे साफ कह दिया है की उनका ओरियेंटेशन होमो है” उसने रोते कहा
 
यह सुन कर मेरा दिमाग़ तेज़ी से दौड़ने लगा”ये समझती है की मैं और राजन गे कपल हैं, और इसलिए ये मुझसे इतनी अपसेट रहती है... इसको यह भी मालूम है की मैं इनकी घर के तरफ ताकता हूँ ये समझती है मैं इसके पति को देखता हूँ जबकि मैं तो इसकी झलक पाने के लिए यह सब करता हूँ” मैने सोचा और हँसने लगा
 
शिखा मेरे यूँ हँसने पे भड़क गयी”क्या पागलो की तरह हँसे जा रहे हैं”
 
“हा हा हा... राजन सही कहता था, तुमने उसके दिमाग़ को शॉट लगाया हुआ है” मैं मुश्किल से हँसी कंट्रोल करते बोला
 
“अमन स्टॉप इट” वह चिल्लई”बे सीरीयस”
 
“योउ अरे ओवर रैक्टिंग शिखा” मैने कहा”तुम जो समझ रही हो वैसा कुछ नही है”
 
“अब तो तुम यह कहोगे ही” शिखा गुस्से से बोली
 
“मैं प्रूव कर सकता हूँ” मैने मुस्कुराते कहा
 
“कैसे? टेल मे” शिखा का मुँह गुस्से से तमतमा उठा था”मैं पूछती हूँ कैसे? कैसे यकीन कर लून की तुम गे नही हो?” वो चीखते बोली
 
“यूँ ऐसे” कहते हुए मैं उसकी ओर बढ़ा और उसके मुँह से अपना मुँह भिड़ा दिया मैं बेतहाशा उसको चूम रहा था, वो अचानक हुए इस हमले से हैरान थी मैं उसके होठों, गालों, आँखों और चेहरे पर अपने प्यार की मुहर लगा रहा था की अचानक उसने मेरे कान पर काट खाया
 
“आइईई” मैं दर्द से चिल्ला उठा और मेरे बाएँ गाल पर उसका झन्नाटे दर झापड़ पड़ा
 
“बदतमीज़” वो गुस्से से बोली
 
“सॉरी शिखा मेरे पास इसके अलावा प्रूव करना का कोई रास्ता नही था” मैं बेशर्मी से हंसते बोला
 
“मैं दरअसल तुम्हारी झलक पाने के लिए तुम्हारे घर की ओर देखता था, तुम समझी की तुम्हारे पति में मैं इंट्रेस्टेड हूँ”
 
“ग़लती मेरी थी मुझे समझना चाहिए था” शिखा गुस्से से बड़बड़ा रही थी”आने दो इनको तुम्हारी असलियत इनको बतौँगी”
 
“ऐसी ग़लती करने की सोचना भी मत शिखा” मैने उसको धमकाते कहा”वरना मैं राजन को सब बता दूँगा की तुम उस के बारे में क्या सोचती हो”
 
उसका चेहरा सफेद पद गया”और फिर तुम जानती हो वो तुम्हारी कितनी पिटाई करेगा” मैने कहा”हन मैं जनता हूँ जब तुम उसके साथ इंटिमेट होती हो तो उसका रिक्षन क्या रहता है”
 
“जॅलील इंसान” वो मुझे नोचने आगे बढ़ी
 
“टेक इट ईज़ी शिखा डार्लिंग” मैने उसके हाथ पकड़े और उसे अपने सीने से लगा लिया और उसके कानो के पास मुँह ले जा कर धीरे धीरे हल्के से उसके कान चाटने लगा”प्राब्लम तुम्हारे पति में है, वो गे है ये तुम भी जानती हो, इसलिए वो तुम्हारे साथ सेक्स नही करता यही तुम्हारे ज़रूरत से ज़्यादा पूजा पाठ करने की वजह है”
 
“आह नही” वह कसमसाते बोली
 
“झूठ, और यही तुम्हारे अग्रेशन की वजह है की तुम्हारे पति की पॉल मेरे सामने खुल गयी” मैने कहा
 
“नही अया अमन मुझे छोड़ो” शिखा दर्द से कराहती बोली इतने में लाइट आ गयी मैने उसको छोड़ दिया, वह किचन में भाग
 
की डरवज़े की बेल बाजी, मैने दरवाज़ा खोला राजन बाहर खड़ा था”सॉरी अमन मुझे ज़रा देर हो गयी”
 
“नो इश्यूस राजन जी” मैने कहा”अपने खाना नही खाया?” उसने कहा”शिखा?”
 
“जी नही हम आपकी राह देख रहे थे”
 
“ओह गुड” उसने कहा,
 
शिखा अपनी सदी संभालते हुए बोली”अरे आप आ गये मैं खाना लगती हूँ”
 
हमने खाने के टेबल पर इधर उधर की बातें की, इधर शिखा टीवी देखने चली गयी
 
“रूको स्पोर्ट्स चॅनेल लगाओ” राजन ने कुर्सी पर बैठे कहा
 
“मुझे महाभारत देखना है” शिखा ने कहा
 
“नही मॅच आ रहा है” राजन ने कहा
 
“शिखा जी आप मेरे घर जा कर टीवी लगा लीजिए, आप हमारी चिंता ना कीजिए हमे कुछ चाहिए होगा तो बुला लेंगे” मैने कहा
 
“हन शिखा अमन जी के घर जा कर देख लो जो तुम्हे देखना है, हमे यहाँ अकेले छोड़ दो” राजन ने कहा
 
शिखा समझ गयी की उसका पति मूड में आ गया है, अभी उस से बहस करना का कोई फयडा नही था नही तो उसके साथ मार पीट हो जाती, वह चुपचाप उठ कर मेरे घर चली गयी.
 
इधर हमारा खाना ख़त्म हुआ और हम टीवी पर मॅच देखने लगे, राजन कहीं से ओल्ड मॉंक की बॉटल ले आया
 
“अरे? भाभिजी कह रही थी उनको घर में आपका शराब पीना मंजूर नहीं” मैने कहा
 
“अछा ऐसा कहा उसने?” राजन कुछ सोचते हुए बोला”और क्या कहा उसने?”
 
“कुछ नही बस इधर उधर की बातें”“लाइए मैं पेग बनता हूँ” मैने कहा
 
और वो बताने लगा”मेरी और शिखा की लाइफ में ज़रा टेन्षन है, वह बड़ी पोज़ेसिव है”
 
“अछा?” मैने पेग बनाते हुए उसकी बातें सुन रहा था
 
“हन, वह समझती नही की मेरा भी फिरेंड सर्कल हो सकता है”
 
“ये तो कामन बात है शादी के बाद बीवी चाहती है की उसका पति उसको टाइम दे” मैने बात बनाते कहा
 
इस बीच उसके पेग में मैने नींद की गोली मिला दी क्यूंकी मैं समझ रहा था की शायद वो मुझे अपने गे सेक्स के लिए अप्रोच कर रहा है.
 
“नही इसकी बात ज़रा अलग है, ऑर्तोडॉक्स फॅमिली को बिलॉंग करती है” उसने पेग हाथ में ले कर कहा”और उसकी अपनी सोच है” राजन कह रहा था
 
“चियर्स” हमने ग्लास टकराए”छोड़िए राजन साहब भूल जाइए, ड्रिंक का मज़ा लीजिए” मैने कहा
 
एक तो ओल्ड मॉंक और उपर से नींद की गोली, दोनो ने अपना असर दिखाया और वो वहीं सोफे पर ढेर हो गया
 
“बच गये आज तो” मैने खुद से कहा और घर आ गया.
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मैं वापस अपने फ्लॅट में लौटा तो देखा, शिखा आराम से सोफे पर सो रही थी उसे देख कर मेरा दिल बल्लियों सा उछलने लगा, मैने उसको देखा वह अपने सिर को हथेली से ढक कर सोफे के कोने में बैठ कर सो रही थी. कॉटन की साड़ी का पल्लू नीचे गिरा हुआ था, इस अंधेरे में मैं उसके जिस्म की सुंदरता को निहार रहा था,

 
मैं दबे पाँव उसकी ओर बढ़ा और उसके ऊरोज के उभार पर हाथ फेरने लगा,
 
नींद में भी उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और नींद में बोली”आह राजन और करो ना, अच्छा लगता है”
 
यह सुन कर राजन को मन ही मन माँ की भद्दी ग़ाली देते हुए मैने अपना हाथ छुड़ाया और मैने लाइट का स्विच ऑन किया पूरा कमरा ट्यूब लाइट की दूधिया रोशनी से नहा गया. आँखों पर रोशनी पड़ते ही वह उबासी लेकर जाग गयी, जब उसने उबासी लेने के लिए मुँह खोला जी किया अपना मुँह उसके मुँह से भिड़ा दूं उसकी जीभ पर काट खाऊँ या अपना लंड ही उसके मुँह में घुसा कर उस से अपनी गोतियाँ चटवा लूँ या लंड ही चुस्वा लूँ.
 
“ओह आप आ गये मेरी आँख कब लग गयी पता ही नही चला” शिखा उठते हुए बोली
 
“शिखा बी कूल, बैठ जाओ” मैने कहा
 
“नही अमन राजन, मुझे यहाँ ऐसे देखेंगे तो नाराज़ हो जाएँगे” वो बोली
 
“रिलॅक्स शिखा, तुम्हारा पति शराब पी कर बेहोश पड़ा है” मैने कहा”उसे कुछ पता नही चलेगा”
 
वो नज़रें नीची करते बोली”आई एम सॉरी अमन, मैने शाम में तुम्हे बहुत कुछ कह दिया”
 
“रिलॅक्स, शिखा आई डिड नोट माइंड इट” मैने माहौल को हल्का बनाते कहा,
 
वह साड़ी का पल्लू संभाल रही थी.
 
मैं फ्रिड्ज से पानी की बॉटल निकाल ले आया”पानी पियोगी शिखा?” मैने उसे पूछा
 
उसने मेरे हाथ से ग्लास लेते कहा”धन्यवाद”, वह एक हाथ से अपनी साड़ी संभाल रही थी और दूसरे हाथ से ग्लास
 
मन किया महाभारत के दु:शासन की तरह उसकी साड़ी खींच लूँ और यही उसका चीर हरण कर लूँ, लेकिन मैने बड़ी मुश्किल से अपने जस्बात काबू में किए मैने आगे बढ़ कर कहा”तुम अपनी साड़ी संभाल लो मैं ग्लास पकड़ता हूँ, तुम पानी पियो” मैने ग्लास संभाला और वो पानी पी रही थी.
 
“तुम साड़ी में बहुत प्यारी लगती हो शिखा” मैने कहा
 
उसने कोई जवाब नही दिया बस गुस्से से देखती रही.
 
“गुड नाइट” मैने कहा और उसको दरवाज़े तक छोड़ने आया
 
“गुड नाइट” उसने कहा और मैने दरवाज़ा बंद किया.
 
लेकिन एक सेकेंड बाद ही दरवाज़े पर दस्तक हुई मैने खोला तो देखा सामने शिखा ही थी
 
“अमन जी मैं अपनी बुक आपके टेबल पर ही भूल गयी थी”
 
“ओके बुक ले जाओ” मैने कहा वह बुक उठाने गयी मैने बुक का टाइटल देखा लिखा था”नियोग से संतान प्राप्ति”
 
“हमम्म” मैने सोचा,”तो ये इसलिए राजन से इतना झगड़ती है”|
 
“यहाँ बैठो शिखा मुझे कुछ बात करनी है” मैने कहा
 
“इतनी रात गये आपको मुझ से क्या बात करनी है?” वह परेशन होते बोली
 
“इस किताब के बारे में” मैने किताब की तरफ उंगली दिखाते कहा
 
“यह तो बस ऐसे ही” उसने बात बनाते कहा
 
“मुझसे झूठ मत बोलो शिखा” मैने कहा”तुम माँ बनना चाहती हो?”
 
उसने अपनी नज़रें नीचे झुका ली
 
“मैं तुमसे कुछ पूछ रहा हूँ शिखा” मैने कहा
 
“कौन स्त्री माँ नही बनना चाहती?” उसने कहा
 
“राजन तुमको माँ नही बना सकता” मैने कमिनि मुस्कान बिखेरी
 
“मालूम है” वह गुस्से से बोली और उठ कर जाने लगी, अपने पति की मर्दानगी का यूँ गैर मर्द द्वारा मज़ाक उड़ाना उसको बुरा लगा
 
“लेकिन मैं तुमको माँ बनने का मौका दे सकता हूँ” मैने हंसते हुए कहा
 
“गलीज़ इंसान” उसने मुझ पर किताब फेंकते हुए कहा, मैने किताब हवा में पकड़ी और टेबल पर रखी, बिजली की तेज़ी से उसकी ओर गया और उसकी बाँह थाम ली
 
“छोड़ो अमन मुझे यू आर हरटिंग मी अमन...स्टॉप इट” उसने मिन्नते करते कहा
 
“नही” मैने कहा और उसकी बाँह मरोड़ दी, छीना झपटी में उसका ब्लाउस फट गया
 
“देखो तुमने क्या किया” शिखा मुझे अपने ब्लाउस का फटा हिस्सा दिखाते बोली
 
“अभी तो इसको थोड़ा फादा है, तुम कहो तो पूरा फाड़ दूं?” मैने कहा
 
“अमन तुमने बहुत पी रखी है, तुम होश में नही हो, वरना ऐसी बात मुझ से कहने की हिम्मत नही करते” उसने गुस्से से कहा”अगर मैं चाहूं तो चिल्ला कर लोगों को बुला लूँगी, फिर तुम्हारा वो क्या हाल करेंगे ये तुम अच्छी तरह जानते हो” उसने मुझे धमकाने वाले अंदाज में कहा
 
“शिखा... शिखा...शिखा मेरी प्यारी शिखा” मैने उसको बाहों में भर लिया
 
“क्या कर रहे हो अमन छोड़ो मुझे...मैं चिल्लौंगी” उसने खुद को मुझसे छुड़ाते कहा
 
“इतनी रात गये मेरे घर में तुम क्या कर रही हो?” मैने उसके गाल चूमते कहा
 
“क्या मतलब?” उसने सकपकते कहा”तुम मेरे घर महाभारत देखने आई हो यह बात तुम्हारा पति भी जनता है” मैने उसके होठों को चूम कर कहा”और तुम्हारा पति गे है, यह बात मैं जनता हूँ” मैने उसका हेर कलुतचेर खोलते कहा,
 
उसने खुद को मुझ से छुड़ाने की भरसक कोशिश की लेकिन अब सब फ़िज़ूल था, एक तो मैने शराब पी रखी थी और शबाब मेरी गिरफ़्त में था


“और ये तुम्हारी नियोग से संतान प्राप्ति वाली किताब, यह सब सबूत यह साबित करने के लिए काफ़ी है कि तुम इस वक़्त मेरे साथ मेरे घर में क्या करने आई हो”
 
“हरामजादे छोड़ जाने दे मुझे”उसने दोबारा खुद को मुझ से छुड़ाने की कोशिश की
 
लेकिन मैने उसे पीछे से दबोच लिया,
 
उसने साइड टेबल पर रखा फ्लॉवेर पॉट पकड़ने की कोशिश की लेकिन मैने उसका हाथ पकड़ कर मरोड़ दिया”कोई चालाकी नही शिखा डार्लिंग” मैने हौले से उसके कानो में फुसफुसा कर कहा, मेरी नाक में उसके खुले बालों की महेक आई”आज ही बाल धोए हैं क्या शिखा?” मैने उसके बाल सूंघते पूछा
 
“तुम्हे इस से क्या?” उसने गुस्से से कहा”क्या चाहते हो अमन”
 
“तुम्हे शिखा” मैने कहा और उसके कान पर काट खाया
 
“आईए” वह चिल्ला उठी
 
“चीखो मत शिखा, लोग बाग सो रहे हैं” मैने कहा
 
“तुम मुझे कभी न पा सकते अमन मैं शादी शुदा हूँ” शिखा मेरी गिरफ़्त में कसमसा कर बोली
 
“शादी शुदा लोग सेक्स नही करते क्या?” मैने उसको दबाते पूछा”आख़िर तुम्हे मेरी प्यास बुझाने में क्या दिक्कत है?”
 
“ये ग़लत है अमन, मैं राजन की बीवी हूँ” उसने कहा
 
“तुम्हारा शास्त्र ही कहता है, समलिंगी पुरुष की पत्नी को पराए पुरुष के साथ संभोग करने की छूट होती है”
 
मैने कहा”तुम यह सब कैसे जानते हो?” उसने दाँत भींचते हुए कहा मैने उसे जवाब देते कहा”तुम्हारी किताब में ही लिखा है
 
“मैं चाहे रिक्षेवाले के साथ संभोग कर लूँगी अमन लेकिन तुझ जैसे जलील इंसान से कभी नही” उसने गुस्से से कहा.
 
“तुम्हारे पति की असलियत जानने के बाद तो रिक्षेवाले भी तुमको नही चोदेन्गे, कोई कुत्ता तुम्हे नही पूछेगा”
 
“हटो मुझे जाने दो” उसने कहा
 
“तुम्हे नही का मतलब समझ में नही आता क्या शिखा?”
 
“प्लीज़”
 
“नो” घड़ी ने”टन...टन” कर 12 बजाए मैं उसको उठा कर बेडरूम ले गया”शिखा मैं तुमसे प्यार करता हूँ” उसको बिस्तर पर लिटा कर बोला
 
“अमन जो तुम कर रहे हो यह प्यार नही”
 
“जानता हूँ”
 
“फिर भी”
 
“तुम्हारी किताब कहती है, प्यार और व्यापार में सब क्षमा है”
 
“व्यापार कैसा व्यापार?” उसने हैरत से आँखें बड़ी करते हुए पूछा
 
“मैं तुम्हे माँ बनाऊंगा, बदले में तुम मेरी भूख मिटा दो”
 
“नही”
 
“तुम्हारे पास और कोई चारा नही है शिखा कब तक तुम यूँ घुट घुट कर जियोगि?”
 
वह पसीने पसीने हो गयी, मैने एसी चला दिया
 
“मुझे थोड़ा वक़्त दो अमन” वह बात बनाने लगी
 
“तुम्हारे पास पूरी रात पड़ी है शिखा, आराम से सोचो” मैने उसी के सामने स्टूल खींच कर उस पर बैठते कहा
 
“क्यो कर रहे हो मेरे साथ ऐसा, क्या बिगाड़ा है मैने तुम्हारा?”
 
वह रोते बोली”तुमने मेरा सुख चैन छीन लिया है शिखा, और मैं तुम्हे रोते हुए नही देख सकता” मैने कहा
 
“जाने दो मुझे फिर” उसने कहा
 
“इसके अलावा भी कुछ बोलो शिखा, मेरे पास वक़्त नही है, बोलो हाँ या ना” मैने कड़क होते कहा
 
“ठीक है” उसने इधर उधर देखते कहा”मेरे पास चारा भी तो क्या है इधर कुँआ उधर खाई”
 
“रिलॅक्स शिखा” मैने कहा”यह सब मैं सिर्फ़ माँ बनने के लिए कर रही हूँ अमन... ना मुझे राजन की परवाह है और ना तुम्हारी” उसने अपनी भडास निकालते कहा और रोने लगी
 
“शिखा धीरे धीरे तुम मेरी परवाह करना भी सीख जाओगी” मैने कहा और बत्ती बुझा दी
 
##
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Heart 
“हॉर्न”
 
“हॉर्न” की आवाज़ से मैं वर्तमान में आया देखा गाड़ी एक ट्रक के पीछे खड़ी है और ड्राइवर हॉर्न बजाए जा रहा है मैने टाइम देखा 08:15 बाज रहे थे
 
“क्या हुआ” मैने ड्राइवर से पूछा,
 
“आयेज जाम लगा है साहब जी” ड्राइवर ने कहा,
 
तभी मेरा फोन बजा, मैने फोन रिसीव किया मीठी सी आवाज़ में लेडी बोली”नमस्कार अमन जी हमे बताते हुए खेद हो रहा की आपकी बंगलोरे जाने वाली फ्लाइट 1 घंटे देरी से आ रही है, आपको हुई असुविधा के लिए खेद है”
 
“थॅंक यू” कहते हुए मैने फोन कटा,
 
इधर गाड़ी चल पड़ी और मेरा मन वापस अतीत में हिलोरे लेने लगा
 
##
 
मुझे याद आया कि बाद के दिनों में शिखा का पति राजन बेंद्रे अपनी बाइसेक्षुयल आक्टिविटी के चलते करियर में नुकसान उठाया था, उसका ट्रान्स्फर अब बॅंक के काल सेंटर में बतौर सीनियर मॅनेजर कर दिया गया था, और इसी के चलते उसकी नाइट शिफ्ट्स लगती इस दौरान उसका झुकाव भी उसके साथ काम करने वाले कलिग्स की तरफ हो गया था, कॉल सेंटर में वर्क कल्चर ही अलग होता है, जानने वाले जानते हैं क्या मर्द क्या औरत उनमें कोई फ़र्क नहीं किया जाता और वेस्टर्न कल्चर हावी होता है उनमें, तो सेक्षुयल ओरियेंटेशन भी वैसा ही रहता है.
 
राजन एक ही वक्त में अपनी स्क्रेटरी और अपने बॉस मिश्रा जी के साथ लिंक्ड था. उसकी सेक्रेटरी नव्या उसकी प्यास बुझाती थी और वह खुद अपने बॉस मिश्रा की जांघें गरम करता, ऐसा न था कि वह यह सब अपनी मर्ज़ी से करता
 
लेकिन रात भर मिश्रा साहब उसकी वह मारे रखते कि वह शिखा को वक्त न दे पाता. पति पत्नी में अंतर बढ़ता ही गया और इसी का फायदा मैने उठाया. शिखा जिसे मैने अपनी हवस मिटाने का साधन बनाया था, उसकी सरलता और सुंदरता से मैं उससे प्यार कर बैठा. मैं उसे उसकी किताब का डर दिखा कर एक्सप्लाय्ट करता था लेकिन बात चुम्मा चाटी से आगे न बढ़ सकी.
 
असल में जब तक कोई स्त्री न चाहे तब तक उससे कोई मर्द इंटिमेट हो ही नही सकता, और शिखा को ऐसे ब्लॅकमेल करते हुए मुझे मेरा जमीर गालियाँ देता हालाँकि मैं मौके देख कर शिखा के साथ अपने जिस्म की प्यास बुझाता लेकिन वह सेक्स के दौरान एकदम चुपचाप पड़ी रहती, मेरा मन अंदर ही अंदर मुझे खाए जा रहा था लेकिन जल्दी ही मुझे इस एहसास से छुटकारा मिल गया
 
एक दिन उसे संस्कृत श्लोकों के प्रिंट लेना था वो अपने ऑफीस जाते पति राजन से बोली”सुनिए इस पेन ड्राइव में मेरी कुछ फाइल्स हैं उनको प्रिंट कर ले आइए”
 
“ऑफीस में मैं घर के काम नही कर सकता, साइबर केफे जाओ और वहाँ से प्रिंट आउट ले लो” उसका पति राजन बड़ा ही रुखाई से बोला
 
मैं सुबह की चाय पी रहा था जब उनकी यह बात चीत मेरे कानो में पड़ी, मैने शिखा के फोन पर मिस कॉल दिया यह मेरा कोड वर्ड था, मुझे जब भी शिखा की तलब लगती मैं उसके मोबाइल पर मिस कॉल दिया करता, और शिखा बनसंवर कर मेरे पास आ जाती.
 
मिस कॉल दिए मुझे 10 मिनिट हो गये थे कि मेरे मोबाइल पास मेसेज फ्लॅश हुआ,
 
यह शिखा का मेसेज था”आज नही बाई छुट्टी पर है”
 
मैने उसको फोन लगाया, उसने रिसीव किया और गुर्राते हुए पूछा”क्या है? क्यों सुबह सुबह परेशान कर रहे हो? बाई नही आई आज, मुझे टाइम नही है बहुत सारा काम पड़ा है
 
“बर्तन राजन को धोनेके लिए कह देना रात में अभी मैं तुम्हारे काम की ही बात कर रहा हूँ, पेन ड्राइव ले कर यहाँ आओ, प्रिंट आउट ले लो” मैने कहा और फोन काट दिया
 
5 मिनिट में ही वो हाज़िर हुई, उसने मुझे पेन ड्राइव दी मैने उसको पेन ड्राइव वापस करते कहा”बेडरूम के कोने में मेरा लॅपटॉप है, जा कर प्रिंट ले लो”
 
“मुझे विंडोस 7 नही आता, राजन ने कभी सिखाया नही” वह झेपते हुए बोली
 
“विंडोस एक्स पी आता है?” मैने पूछा
 
“हाँ” उसने कॉन्फिडेन्स से कहा,
 
मुझे हँसी आ गयी”विंडोस 7 वैसा ही है जाओ जा कर प्रिंट आउट ले लो” मैने कहा और पेपर पढ़ने लगा
 
काफ़ी देर बाद भी जब वो मेरे बेडरूम से बाहर नही निकली तो मैं उसे देखने अंदर गया, मैने देखा शिखा पेट के बल लेट कर अपने खुले हुए बालों को अपनी उंगलियों में लपेट कर खेलती हुई मेरे लॅपटॉप में सेव की हुई हार्डकोर सेक्स वीडियोस देख रही थी|
 
“अच्छा तो यह वजह है इसके बाहर ना आने की” मैने सोचा और दबे पाँव उसकी ओर आ कर टाँग से बेडरूम का दरवाज़ा बंद किया, आवाज़ हुई लेकिन वह अभी भी इस सब से बेख़बर सेक्स वीडियो देख रही थी वह अब उंगलियों के नाख़ून चबाने लगी थी
 
मैने देखा वीडियो में काले आदमी को गोरी औरत ब्लोवजोब दे रही थी और वह आदमी गंदी आवाज़ें निकाल रहा था मैं उसके उपर पीछे से चढ़ गया और उसके ऊरोज को पीछे से हाथों में भरते बोला”अकेले...अकेले? ज़रा मुझे भी दिखाओ क्या देख रही हो”
 
अचानक से मुझे अपने उपर पा कर वह घबरा गयी, लेकिन ज्यों ही उसने चीखने के लिए अपना मुँह खोला त्यों ही मैने उसके मुँह में अपना मुँह डाल दिया, मेरी ज़बान और उसकी ज़बान में जंग छिड़ गयी,
 
15 मिनिट बाद मुझे उसके दो पाँवो के बीच गीलापन महसूस हुआ, मैं उस से दूर खड़ा हुआ और कहा”तुम्हे पीरियड तो नही आ गये?”
 
वह मुझे अचानक बिदकते हुए देख कर ज़ोर से हँसे लगी”ये पीरियड नही है अमन”
 
“फिर क्या तुमने मूत दिया”“हा हा हा नही” अमन
 
मैने उसकी ओर देखा, पहली बार सेक्स के दौरान आज उसने पॉज़िटिव्ली रेस्पॉंड किया था”फिर यह ज़रूर तुम्हारे ऑर्गॅज़म का पानी होगा” मैने तुक्का लड़ाया
 
“हां” वो मुँह छुपा कर शरमाते बोली”तुम्हारे लॅपटॉप के गंदे वीडियोस देख कर मैं बहुत गरमा गयी थी” वह अभी भी शर्मा रही थी,
 
उसकी इस अदा पर मुझे बहुत प्यार आया
 
“अभी तो मैं तुम्हे और शर्मिंदा करूँगा शिखा” मैने कहा और अपना पयज़ामा उतार दिया
 
“अमन नही प्लीज़” उसने अपने चेहरे को हाथों से ढकते बोला
 
“नही अब तुम्हें शर्मिंदा होना पड़ेगा शिखा” मुझ पर सेक्स का भूत सवार हो गया था, मैने उसकी सलवार खींच ली वह बिस्तर से उठने लगी लेकिन मैने उसे अपने नीचे दबा लिया.
 
“अया अमन छोड़ो ना मुझे” उसने कहा
 
“पहले शर्मिंदा तो होलो मेरी जान” मैने कहा और एक गंदा सा वीडियो खोल लिया जहाँ दो काले लोग एक सुनहरे बालों वाली गोरी लड़की को आगे और पीछे से चोद रहे थे
 
“छी कितना गंदा है” उसने वीडियो देखते कहा”आइईई” वह दर्द से चीखी, मैने उसकी चूत में अपनी उंगली डाल दी थी
 
“धीरे अमन... देखो मुझे वीडियो देखने दो”
 
“वीडियो से कुछ सीखो शिखा कैसे वो लड़की उन दोनो से चुद्वा कर भी हंस रही है, सेक्स के दौरान तुम अपना मुँह फुलाती हो”मैने उसकी चूत में उंगली डालते कहा
 
“वो बेशरम लड़की है” उसने तेज आवाज़ में कहा”ऐसा थोड़े न होता है कहीं”
 
“क्यों” मैने पूछा”तुम्हें क्या तकलीफ़ है?”
 
“दो लोग एक साथ करेंगे तो तकलीफ़ होगी ही” उसने शरमाते कहा”और वह लड़की बहुत गंदी है”
 
“जो भी है तुम से अच्छी है” मैने उसको चिढ़ाते कहा”और अपनी उंगली निकालने लगा”
 
“आ अमन नही”, उसने मेरे हाथ को पकड़ लिया”प्लीज़ वहाँ से अपनी उंगली मत निकालना बहुत अच्छा लगता है”
 
“तुम कहो तो कुछ और भी वहाँ डाल सकता हूँ शिखा” मैने हंसते हुए कहा
 
“शुभस्य शीघ्रम” उसने कहा
 
“क्या कहा?” मैने पूछा
 
“शुभ काम में देरी कैसी? पागल?” उसने मुझे चिकोटी काटते कहा यह पहली बार था जब वो मेरे साथ सेक्स में इतना इंटेरेस्ट ले रही थी वरना वह हमेशा सेक्स के नाम पर टेन्षन में रहती या नखरे दिखती, शायद वीडियोस देख कर उसकी सेक्स की आग भड़क गयी थी,
 
जो भी था मैने सोच लिया था आगे से उसको सेक्स वीडियोस दिखा दिखा कर ही चोदा करूँगा
 
“आह जल्दी करो न”उसने कहा जब आपकी सेक्स पार्ट्नर आपकी हौसला अफजाई करे तो माहौल ही बदल जाता है, मैने उसकी गर्दन अपने बाएँ हाथ से पकड़ी दाएँ हाथ से उसकी टाँग फैलाई और अपना लंड पीछे से उसकी योनि में डालने लगा, उसकी योनि का गढ्ढा मुझे महसूस हुआ
 
“अया अमन, ज़रा और अंदर आओ ना कुछ फील ही नही हो रहा है” शिखा अपनी टाँगें दबाते बोली
 
मैने ज़ोरों से अंदर एक धक्का लगाया
 
“हां अमन वहीं वहीं एक और बार उंगली करो ना प्लीज़” शिखा अपनी आँखें बंद करते बोली
 
“मैने आगे से अपनी उंगली भी डाल दी”
 
“यह क्या शिखा, तुम्हारे जैसी सुंदर सुशील गृहिणी अपने कामेच्छा की पूर्ति हेतु एक पर पुरुष को आदेश दे रही है?” मैने उसको चिढ़ाते कहा
 
उसने हौले से आँखें खोली”शट उप अमन...सेक्स के टाइम पर बेकार की बकवास क्यों कर रहे हो?” वो बोली
 
“हा हा हा...मैं तो तुम्हे चिढ़ा रहा था” मैने हंसते कहा
 
“ह्म्*म्म्मम” वो आँखें मूंद कर किसी अलग ही जहाँ में खो गयी,
 
स्पष्ट था अपनी योनि में मेरा उंगलियाँ घुमा कर गुदगुदी करना उसे बहुत भा रहा था”आहह अमन, इसी प्यार के लिए मैं तड़पति थी...लेकिन राजन ने कभी मुझे नही समझा” वाह लरजती आवाज़ में बोली
 
“भूल जाओ उसे, और इस पल का मज़ा लो” मैने उसकी योनि के अप्पर लिप्स को अपने इंडेक्स फिंगर और अंगूठे से चिमटा लेते कहा
 
“आआईई” शिखा ने रिक्ट किया”क्यों चिंता ले रहे हो वहाँ पर?”
 
“ऐसे ही” मैने बोला”तुम्हे तंग करने में मज़ा आता है”
 
“मैं लून?” उसने भोले पन से कहा
 
“ले कर बताओ” मैने कहाँ
 
वो पलटी और मेरे खड़े हुए लंड की गोतिया पकड़ कर मसालने लगी
 
“आह ओफफफ्फ़” मेरी जान ही निकल गयी, और वह पागलो की तरह हँसे जा रही थी
 
मैने उसके होंठों से अपने होंठ भिड़ा दिए और हम एकदुसरे के होठों का शहद चाटने चूसने में मशगूल हो गये.
 
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