Thread Rating:
  • 9 Vote(s) - 3.11 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Romance प्यास और हवस
#41
Nice story... Update please
Like Reply
Do not mention / post any under age /rape content. If found Please use REPORT button.
#42
Please update bhai
Like Reply
#43
Bhai update please
Like Reply
#44
अपडेट -20

”डॉली मुझसे क्या शरमाना अब हम हज़्बेंड वाइफ है….प्लीज़ दिखाओ तो सही कहाँ मेरी जान को चोट आई है….प्लीज़ दिखाओ ना….”



मैं: (काँपती हुई आवाज़ मे) नही मुझे शरम आती है….



आरके: देखो डॉली हर पति पत्नी अपनी सुहागरात को एक दूसरे को कुछ ना कुछ गिफ्ट देते है….और मेरे लिए तुम्हारा यही गिफ्ट होगा कि, तुम मुझे वो दिखाओ…जो मेरी वजह से तुम्हारे दर्द का कारण बनी है….अपने पति की इतनी सी भी बात नही मनोगी….



मैं: और मेरा गिफ्ट….?



आरके: पहले तुम दिखाओ बाद मे तुम्हारा गिफ्ट मैं तुम्हे दूँगा..


अब पति ने पहली फरमाइश की थी पूरी तो करनी थी….शरम के मारे मेरा फेस एक दम रेड हो गया था….मेने अपनी नाइटी को दोनो हाथों से पकड़ कर धीरे-2 ऊपेर उठाना शुरू कर दिया….मेने अपने फेस को दूसरी तरफ घुमा रखा था…पर चोर नज़रों से आरके की आँखो मे उठती हुई चमक मैं सॉफ देख पा रही थी…जैसे जैसे मेरी नाइटी ऊपेर उठ रही थी…आरके के हाथ मेरी जाँघो को सहलाते हुए ऊपेर की ओर जा रहे थे…

अब जहाँ पर दर्द हो रहा था…वो मेरी पेंटी के ठीक थोड़ा सा नीचे राइट जाँघ पर था…पर मैं भी इतनी मदहोश हो चुकी थी…कि मैं अपनी शरम हया को भूल चुकी थी….मेने अपनी नाइटी को अपनी पेंटी तक ऊपेर उठा लिया…और अपने फेस को सीधा करके नीचे आरके की तरफ देखने लगी….आरके के दोनो हाथ अब मेरी पेंटी को टच हो रहे थे…और मेरा बदन थरथरा रहा था….



”कहाँ मुझे तो कुछ नज़र आ नही रहा…” आरके ने मेरी तरफ देखते हुए कहा…..



अब उसको नज़र आता भी कैसे उसने चिकोटी तो इन्नर थाइ पर काटी थी…और मेरी दोनो जांघे आपस मे सटी हुई थी…फिर आरके ने धीरे -2 मेरी जाँघो को पकड़ा खोला और उसे वो लाल हुआ हिस्सा नज़र आया…”ओह्ह ये तो सच मे बहुत लाल है….” आरके ने ये कहते हुए मेरी राइट वाली जाँघ को दोनो हाथों से पकड़ लिया…अब उसका हाथ मेरी राइट जाँघ के अंदर की तरफ था….वो उसे धीरे-2 सहलाने लगा…. मैं अपनी नंगी जाँघ पर आरके के हाथों का स्पर्श पाकर एक दम से मदहोशी मे सिसक उठी….


आरके ने मेरी जाँघो से हाथ हटा कर मेरी कमर को दोनो तरफ से पकड़ कर मुझे बेड के पास लेजा ते हुए बेड के किनारे बैठा दिया…और फिर खुद बेड के किनारे बैठते हुए मुझे कंधो से पकड़ कर धीरे-2 बेड पर लेटा दिया…मेरी टाँगे अभी भी बेड से नीचे लटक रही थी…..आरके ने मेरी नाइटी को फिर से पकड़ कर मेरी कमर तक सरका दिया…और फिर मेरी दोनो जाँघो को खोलते हुए मदहोशी भरी आवाज़ मे बोला…

आरके: डॉली तुमने तो मुझे गिफ्ट दे दिया है…अब मेरी बारी है तुम्हे गिफ्ट देने की. जिस जगह पर मेने तुम्हे दुख दिया है…वहाँ पर महरम भी मैं ही लगाउन्गा. 



ये कहते हुए आरके ने मेरी जाँघो को सहलाते हुए एक दम से अपने होंटो को उस लाल निशान पर रख दिया….वो हिस्सा मेरी चुनमुनियाँ के एक दम पास था…इसलिए जैसे ही उसके होन्ट वहाँ लगे तो मैं एक दम से सिहर उठी…मैं ज़ोर ज़ोर से सिसकना चाहती थी…पर मेने अपने होंटो को अपने दाँतों से काटते हुए दबा लिया….मस्ती की लहर पूरे जिस्म मे दौड़ गयी…गर्दन के सहारे मेने अपनी पीठ को अपने चुतड़ों तक ऊपेर उठा कर आकड़ा लिया था…..


और अगले ही पाल आरके ने पागलो की तरह वहाँ लाल हिस्से पर चाटना शुरू कर दिया… मैं मस्ती मे एक दम से पागल सी हो गयी….मेने अपने दोनो हाथो को नीचे लेजा ते हुए आरके के बालो को कस्के पकड़ लिया…”सीईईईई उम्ह्ह्ह्ह ओह आरके प्लीज़ ओह्ह्ह नही आरके उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह” मैं एक दम मस्त होकर तड़पने लगी थी…..अगले ही पल आरके ने अपने होंटो को वहाँ से हटाया…और बेड के किनारे बैठते हुए फिर से मेरी नाइटी को ऊपेर उठाने लगा…धीरे-2 मेरी नाइटी मेरी ब्रा में कसी हुई चुचियों से भी ऊपेर उठ चुकी थी….

मैं इतनी मदमस्त हो चुकी थी, कि मेने खुद ही अपनी बाहों को ऊपेर उठा लिया, और आरके ने मेरी नाइटी को मेरे गले से निकाल कर नीचे फेंक दिया….अब मेरे बदन पर सिर्फ़ ब्लॅक और रेड कलर मिक्स्ड ब्रा और पेंटी थी…आरके का हाथ मेरी जाँघ से सरकता हुआ ऊपेर मेरी पेंटी के चुनमुनियाँ वाले हिस्से को दबाता हुआ मेरी चुचियों पर आ पहुँचा. उसने ब्रा के ऊपेर से ही मेरी चुचियों को जैसे ही मसला मैं एक दम से कांप गयी. शरम के मारे मेने करवट लेते हुए आरके की तरफ पीठ कर ली…..



जैसे ही मेरी पीठ आरके की तरफ हुई, आरके ने मेरी ब्रा के स्ट्रॅप को पकड़ कर ब्रा के हुक्स खोल दिए…अगले ही पल मेरी चुचियों पर से मेरी ब्रा ढीली पड़ गयी…मेने शरमाते हुए अपने दोनो हाथों को अपनी ब्रा के कप्स पर रख कर ब्रा को अपनी चुचियों पर से लुड़कने से बचा लिया….अगले ही पल आरके बेड से नीचे उतर कर खड़े हो गये. मेने अपनी अध खुली मदहोश आँखो से आरके की तरफ देखा तो वो अपने कपड़े उतार रहे थे…..”जान अपनी ब्रा निकालो ना….जल्दी करो…..” आरके ने अपने कपड़े उतारते हुए कहा….मेने वैसे ही लेटे -2 अपनी ब्रा को अपने बदन से अलग कर दिया..पर अभी भी मैने अपने बाहों से अपनी चुचियों को छुपा रखा था….


थोड़ी ही देर मे आरके सिर्फ़ अंडरवेर मे मेरे सामने खड़े थे…आरके बेड के किनारे पर खड़े होकर झुके, और मुझे सीधा करके पीठ के बल करते हुए मेरी पेंटी को दोनो तरफ से पकड़ लिया….और धीरे-2 नीचे सरकते चले गये…अब मेरी पेंटी भी मेरे बदन का साथ छोड़ चुकी थी….मैं एक दम नंगी उनके सामने लेटी हुई थी. और अपनी आँखे खोलने की हिम्मत नही कर पा रही थी….बेड पर आते हुए मुझे आरके ने सीधा करके लेटा दिया…और खुद मेरे ऊपेर झुकते हुए मेरे हाथों को मेरी चुचियों पर से हटा दिया….
Like Reply
#45
Nice super story sir
Like Reply
#46
Please update bhai
Like Reply
#47
Bhai....Updade kar do please
Like Reply
#48
Superb hot story he bhai...... waiting next update
Like Reply
#49
Bhai sab please update very nice story
Like Reply
#50
अपडेट - 21

और अगले ही पल आरके ने अपना एक हाथ मेरी राइट चुचि पर रखते हुए मुझसे कहा. “डॉली प्लीज़ आँखे खोलो ना….” मेने आँखे खोल कर आरके की तरफ देखा…और शरमाते हुए मुस्कुराने लगी…आरके ने अपने होंटो को मेरे होंटो की तरफ बढ़ाया तो इस बार मैं उनके होंटो का स्पर्श को पाने के लिए दम साधे इंतजार करने लगी….और अगले ही पल मेरे रेसीले होन्ट आरके के होंटो के बीच मे थे…

मेने एक दम से मचलते हुए आरके के सर को अपनी बाहों मे भर लिया…और उनके बालो को सहलाने लगी…आरके ने मेरे होंटो को किस करते हुए अपने होंटो को नीचे लेजा कर मेरी गर्दन पर रख कर चूमना शुरू कर दिया….मैं एक दम से सिसकी, और अगले ही पल आरके के होन्ट मेरे लेफ्ट निपल्स के साथ लगे हुए थे….मेरा दिल जोरो से धड़क रहा था.. साँसे तेज चल रही थी….मेरी चुचियाँ साँस लेने से ऊपेर नीचे हो रही थी…और ये देख कर मुझे और शरम आ रही थी….

पर अब अपनी सांसो पर काबू पाना नमुनकीन था….और अगले ही पल जैसे ही आरके ने मेरी चुचियाँ को मूह मे भर कर चूसना शुरू किया…मेरा बदन एक दम से अकड़ गया…बदन के रोएँ खड़े हो गये….पूरे बदन मे मस्ती की तेज लहर दौड़ गयी. “सीईईईई उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह आरके ओह आइ लव यू आरके…..” मेरे अपने सर को झुका कर आरके के बालो को उसके माथे से ऊपेर उठाते हुए उसके फॉरहेड पर किस कर दिया….मैं इतनी मस्त हो गयी थी कि, मैं ये सब कर गयी थी…

आरके ने मेरी चुचियों को चूस्ते हुए मेरे हाथ को पकड़ कर नीचे लेजाते हुए अपने अंडरवेर के ऊपेर से अपने बाबूराव पर रख दिया…जैसे ही मेरा हाथ उनके बाबूराव पर लगा तो मैं एक दम से कांप गयी…आरके ने मेरी चुचियों से मूह हटाते हुए मेरी तरफ मुस्कुराते हुए देखा…”जान ये आज से तुम्हारा है…..” आरके ने मेरा हाथ पकड़ कर अपने बाबूराव पर सहलाते हुए कहा…उनकी बात सुन कर मैं फिर से शरमा गयी….पर मुझे एक बात बहुत अजीब सी लगी….आरके का बाबूराव अभी भी पूरी तरह हार्ड नही था….



आरके ने फिर मेरे हाथ को छोड़ा और अपना अंडरवेर उतार दिया….उनका बाबूराव उनकी जाँघो के बीच मे झूल रहा था….मैं अपनी अध खुली आँखो से आरके के बाबूराव को बड़े गोर से देख रही थी…आरके का बाबूराव साढ़े 5 इंच से ज़्यादा लंबा नही था…और मोटा भी कुछ ख़ास्स नही लग रहा था….पर मेने सुन रखा था कि, मर्दो के बाबूराव की आवरेज लंबाई और मोटाई इतनी ही होती है….इसलिए इस बात पर ज़्यादा ध्यान नही दिया…


अंडरवेर उतारने के बाद आरके मेरी टाँगो को फेला कर बीच मे आ गये…और अपने बाबूराव को पकड़ कर मेरी चुनमुनियाँ के छेद पर सेट करने लगे….पर आरके का बाबूराव अभी भी ठीक से तना हुआ नही था…इसलिए उसके बाबूराव मे इतनी सख्ती नही थी कि, बाबूराव का दबाव मेरी चुनमुनियाँ की फांको को फेला कर चुनमुनियाँ के छेद तक पहुँच पाए…आरके ने अपने दूसरे हाथ से मेरी चुनमुनियाँ की फांको को फैलाया और अपने बाबूराव के सुपाडे को जैसे ही मेरी चुनमुनियाँ के छेद पर लगाया तो मैं एक दम सिसक सी उठी…मुझे बाबूराव के सुपाडे की गरमी अपनी चुनमुनियाँ पर महसूस हो रही थी…..

आरके: यू आर सो वेट हनी….



आरके ने अपने बाबूराव के सुपाडे को मेरी चुनमुनियाँ के छेद पर रगड़ते हुए कहा….और आरके का बाबूराव अभी मुझे अब थोड़ा सा और हार्ड लगने लगा था…शायद उनका बाबूराव भी मेरी चुनमुनियाँ से निकल रही गरमी से खड़ा हो गया था…और अगले ही पल आरके ने मेरी चुनमुनियाँ के छेद पर अपने बाबूराव को दबाना शुरू कर दिया….बाबूराव का सुपाडा मेरी टाइट चुनमुनियाँ के छेद को फेलाता हुआ अंदर जा घुसा….



मैं अपनी पहली शादी मे 5-6 बार सेक्स कर चुकी थी…फिर भी मुझे बहुत मामूली सी दिक्कत महसूस हुई…पर शायद आरके का बाबूराव इतना सख़्त ही नही था…कि मुझे तकलीफ़ दे पाता…..कुछ ही पलों मे आरके का बाबूराव मेरी चुनमुनियाँ की गहराइयों मे उतर चुका था. मैं काम से एक दम विहाल हो चुकी थी…आरके ने मेरे ऊपेर झुकते हुए मेरे होंटो को अपने होंठो मे भर कर चूस्ते हुए धीरे-2 अपनी कमर को हिलाते हुए बाबूराव को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया…..मैं एक दम मदहोश हो चुकी थी….पता नही कब मेने अपनी बाहों को आरके के पीठ पर कस लिया था….


आरके कभी मेरी चुचियों को चूस्ते तो कभी मेरे होंटो को….मेरी चुनमुनियाँ मे आरके के बाबूराव को गये हुए 4 मिनिट गुजर चुके थे….और अब मैं पूरी तरह गरम हो चुकी थी…अब मेरा दिल कर रहा था कि, आरके अब मुझे ज़ोर ज़ोर से चोदे….पर आरके बहुत स्लोली अपने बाबूराव को इन आउट कर रहे थे….मैं शरम के मारे खुद भी कुछ कह नही पा रही थी….पर जिस तरह आरके मेरी चुचियों को मसलते हुए चुस्स रहे थे…मैं धीरे कई सालो बाद फिर से बाबूराव लिए झड़ने जा रही थी…

मैं: (एक दम मदहोश होकर मस्त हो चुकी थी) ऑश आरके तेज करो ना ऑश आरके उंह प्लीज़ सीईईईईईईई उंह 



अब मुझसे बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था…इसलिए मैं अपने आप पर काबू ना रख पे और मदहोशी की हालत मे ये सब बोलने लगी थी….इसका कुछ असर आरके पर भी हुआ उनकी स्पीड अब थोड़ी तेज हो गयी थी…पर अभी एक मिनिट ही गुज़रा था कि, आरके ने कस कस के 4-5 शॉट लगाए और फिर हान्फते हुए मेरे ऊपेर लूड़क गये….और पता नही क्यों पर मेने भी एक दो बार अपनी कमर को झटका दिया और मैं बिलखते हुए झड़ने लगी.


आरके झड़ने के बाद मेरी बगल मे लूड़क कर लेट गये….मैं भले ही झड तो गयी थी पर मेरी आत्मा संतुष्ट नही थी….पर ये सोच कर शायद पहली बार है तो हो सकता है कि, आरके अपने ऊपेर कंट्रोल ना रख पाए हों…मैने आपने आप को सांत्वना दी…पर एक बात ये भी थी कि मैं झड चुकी थी….और मैं अब अपने आप को बहुत हलका महसूस कर रही थी….

तभी आरके उठे और बाथरूम मे चले गये…फिर थोड़ी देर बाद वापिस और अपना अंडरवेर पहन कर लेट गये…” टीनू अपनी नाइटी पहन लो…और लाइट ऑफ कर दो. मैं बहुत थका हुआ हूँ….मुझे नींद आ रही है….” आरके की ये बात सुन कर मुझे धक्का सा लगा…पर आरके का पहला दिन था इस बॅंक मे तो शायद काम ज़्यादा होगा…यही सोच कर मेने अपनी ब्रा पेंटी और नाइटी उठाई और बाथरूम मे चली गयी…और फिर अपनी चुनमुनियाँ सॉफ करके सब पहन कर बाहर आई और लाइट ऑफ करके आरके के पास आकर लेट गयी. 



आरके ने मेरी तरफ करवट ली और मुझे बाहों मे भर कर लेट गये….पता नही कब नींद आई पर नींद बहुत बढ़िया आई थी…अगले दिन जब उठी तो देखा आरके बॅंक जाने के लिए रेडी हो चुके थे…..मेने घड़ी मई टाइम देखा तो 7 बज चुके थे….”उठ गयी तुम….चलो जल्दी से फ्रेश होकर नीचे आ जाओ….दीदी नाश्ते के लिए बुला रही है…”



मैं: पर आप इतनी जल्दी कहाँ जा रहे है बॅंक तो 10 बजे खुलता है ना….?


आरके: हां पर मुझे रास्ते मे भी कुछ काम है….

तभी भाभी ऊपेर आए और उन्होने डोर नॉक किया….मैं बेड से उठ कर खड़ी हो गयी. आरके ने डोर खोला तो भाभी अंदर आई उनके होंटो पर शरारती मुस्कान फेली हुई थी. “डॉली आज 1 जुलाइ है…आज कॉलेज खुल रहे है…तुम्हे कॉलेज जाना है या नही….? “ 

भाभी के कहने पर याद आया कि, आज कॉलेज भी खुल रहे है…मेने भाभी की तरफ देखा तो वो तैयार हो चुकी थी….



मैं: भाभी आप जा रहे हो….?



भाभी: हां आज वकेशन के बाद पहला दिन है जाना तो ज़रूरी है….



मैं: ठीक है भाभी मैं अभी तैयार होकर नीचे आती हूँ…वैसे भी लेट हो रहा है.



भाभी: कोई बात नही आरके बाइक से हमें कॉलेज तक छोड़ देगा….


मैं जल्दी से बाथरूम मे घुस गयी….शवर लेने के बाद तैयार हुई…सुहागिनों वाला मेकप किया….हाथ मे लाल छुड़ा पहने मैं नीचे आई…फिर सब ने मिल कर नाश्ता किया और फिर भैया से मिल कर हम घर से निकल पड़े….भैया अब व्हील चेर पर बैठते थे इसलिए गेट बंद करने जैसे काम खुद ही कर लेते थे….इसलिए घर की कोई फिकर नही थी….

हम कॉलेज शुरू होने से 5 मिनिट पहले ही वहाँ पहुँच गये…मेने आरके को बाइ कहा और भाभी के साथ कॉलेज के अंदर आ गयी…सभी स्टूडेंट्स प्रेयर के ग्राउंड मे पहुँच चुके थे…तभी जय सर ने मेरी तरफ देखा और मुस्कुराते हुए मेरी तरफ आए…”अर्रे डॉली तुमने शादी कर ली और बताया भी नही….क्या हम इस लायक नही कि तुम हमें शादी मे इन्वाइट करती…..”



मैं: नही सर ऐसी बात नही है…..आप से कॉन सा परदा है….आप तो जानते ही है कि ये मेरी दूसरी शादी है…और भैया का आक्सिडेंट भी इसलिए कोर्ट मे मॅरेज की थी कोई ताम झाम नही…..



जय सर: ओह्ह सॉरी डियर मैं तो भूल ही गया था…तुम्हे शादी की ढेरो शुभ कामनाएँ….



फिर तो जैसे पूरे कॉलेज मे शोर सा पड़ गया था कि, डॉली मेडम की शादी हो गयी. ललिता को जब पता चला कि मेने शादी कर ली है तो मेरे पास दौड़ी चली आई….



ललिता: कोंग्रथस मॅम….



मैं: थॅंक्स ललिता तुम्हारी वकेसन्स कैसी गुज़री….



ललिता: बहुत अच्छी मॅम…


फिर सभी टीचर्स के साथ इधर उधर की बातें हुई….और फिर क्लासस शुरू हो गयी… मेरा पहला पीरियड 11थ क्लास के गर्ल सेक्षन मे था…और दूसरा 11थ के बाय्स सेक्षन मे.. मैं राज के साथ वो सभी घटिया पल भूल चुकी थी…पर जब दूसरी पीरियड के बेल बजी तो एक दम से दिमाग़ मे राज का ख़याल आया…पर फिर अपने सर को झटक दिया कि, अब मुझे उससे कोई लेना देना नही है…मैं जब क्लास मे पहुँची तो वो मुझे वहाँ नही मिला. शायद वो आज कॉलेज नही आया था…

ऐसे ही कॉलेज ऑफ हो गया….मैं और भाभी घर वापिस आ गये….उस दिन आरके रात को 9 बजे घर आए तो और ज़्यादा थके हुए लग रहे थे….उस रात भी उसी तरह का सेक्स हुआ…आज भी आरके का बाबूराव मुझे सॉफ्ट फील हो रहा था…पर मैं उस रात भी झड़ी.. धीरे 10 जुलाइ आ गयी…..पर राज ने अभी तक फिर से कॉलेज आना शुरू नही किया था.. अब मुझे कुछ अजीब सा लग रहा था…
Like Reply
#51
Super thanks bro
Like Reply
#52
अपडेट - 22

हाफ टाइम चल रहा था….मेने देखा कि ललिता ग्राउंड मे अकेली बेंच पर बैठी हुई है. मैं उसके पास चली गयी…मुझे देख कर वो मुस्कुराते हुए बोली….”आइए मॅम बैठिए..” 

मैं उसके साथ बैठ गयी….

मैं: आज भी अकेली बैठी हो….

ललिता: जी….

मैं: अच्छा ललिता राज कॉलेज नही आ रहा कहाँ है वो….? जब से कॉलेज शुरू हुए है वो एक दिन भी नही आया…

ललिता: (उदास लहजे मे) पता नही मॅम उसका मोबाइल भी स्विच ऑफ आ रहा है…उसके किसी फ्रेंड को भी नही पता…

मैं: तुमने जय सर से पूछा वो उनके ही घर मे रहता है ना…..?

ललिता: नही कैसे पूछुन्गी अगर उन्होने ने कहा कि क्यों पूछ रही हो तो क्या जवाब दूँगी….मॅम प्लीज़ आप पूछिए ना सर से….आप तो पूछ ही सकती है ना….प्लीज़ मॅम…..

मैं: ओके ठीक है पूछुन्गी….

हाफ टाइम ख़तम हो गया….फिर एक पीरियड लगाने के बाद मेरा फ्री पीरियड था…इसलिए मैं जय सर के कॅबिन मे चली गयी…मेने डोर नॉक किया तो जय सर ने मुझे अंदर आने को कहा….”आओ बैठो डॉली….” मैं जय सर के सामने चेर पर बैठ गयी….जय सर अपने लॅपटॉप मे कुछ काम कर रहे थे….काम ख़तम करने के बाद उन्होने ने मेरी तरफ देखा….”हां बोलो डॉली कोई काम था क्या….?”



मैं: जी वो मैं ये पूछने आई थी कि, जबसे कॉलेज शुरू हुआ है वो आ नही रहा.. आज 10 दिन हो गये कॉलेज शुरू हुए….



जय: उसका आक्सिडेंट हो गया था 20 दिन पहले….बहुत मुस्किल से बचा है….



मैं: (एक दम चोन्कते हुए) आक्सिडेंट कैसे अब कैसा है वो…?



जय सर: अब ठीक है उसके मम्मी पापा भी आए हुए है…रात को बाइक से कहीं से आ रहा था….तो रास्ते मे एक तेज कार ने टक्कर मार दी….अभी 2 मंत लग जाएँगे उसे पूरी तरह ठीक होने और कॉलेज दोबारा जाय्न करने मे…



मैं: ये तो बहुत बुरा हुआ उसके साथ….उसकी पढ़ाई भी खराब हो गयी है…


जय: नही वैसे तो मैं उसको रोज घर पढ़ाता हूँ….और खुद भी वो पढ़ रहा है….इसलिए शायद ज़्यादा नुकसान ना हो….

उसके बाद मैं वहाँ से बाहर आ गयी….कॉलेज ऑफ होने के बाद ये बात मेने ललिता को बताई तो उसकी शकल रोने जैसी हो गयी….मुझे ललिता पर बहुत तरस आ रहा था…जिसको ये लड़की इतना प्यार करती है….जिसके लिए वो इतना दुखी हो रही है कि अभी रो पड़े… वो उसके लायक है ही नही….शायद इसलिए राज के साथ ऐसा हुआ है…

मैं फिर भाभी के साथ घर वापिस आ गयी….दिन इसी तरह गुजर रहे थे…उधर आरके और मेरी सेक्स लाइफ एक महीने मे ही पेसेन्जर ट्रेन की तरह हो चुकी थी..एक महीने मे ही हम एक हफ्ते बाद सेक्स पर आ चुके थे…वो भी जब आरके का मूड होता. 



29-सेप्तेम्बर: उस दिन कॉलेज ख़तम होने के बाद जय सर ने कुछ टीचर के साथ मीटिंग रखी…मीटिंग इस लिए थी कि, 10थ और 12थ क्लासस के बोर्ड के एग्ज़ॅम थे…इसलिए 1 सितंबर से इन दो क्लासस के एक्सट्रा क्लासस शुरू होने जा रहे थे….कॉलेज 2 बजे ऑफ होता था… अब 10थ और 12थ क्लास को 5 बजे तक कॉलेज मे ही पढ़ाया जाना था….इसके लिए स्टूडेंट्स से कुछ एक्सट्रा फीस लेकर टीचर्स को भी दी जानी थी….


मैं बड़ी क्लासस को पढ़ाती थी…इसलिए मुझे भी 1 सेप्टेमबर से 5 बजे तक कॉलेज मे रह कर पढ़ाना था….पर भाभी को तो 2 बजे ही छुट्टी मिल जानी थी…मीटिंग के एंड मे जय सर ने जो अनाउन्स किया उसे सुन कर मैं एक दम से हैरान रह गयी….जय सर ने मुझे कॉलेज की वाइज़ प्रिन्सिपल की पोस्ट के लिए चुना था….क्योंकि जय सर ने मीटिंग मे ये बता दिया था कि, अगले दो महीनो के लिए वो कॉलेज रेग्युलर नही आ सकेंगे……सब टीचर्स के जाने के बाद मुझे जय सर ने बताया कि, 1 सितंबर से मुझे अपनी नयी पोस्ट के अनुसार 25000 पर मंत सॅलरी भी मिलेगी….ये सुन कर तो मेरे पाँव ज़मीन पर ही नही लग रहे थे….

उस दिन जब घर पहुँची तो देखा कि, आरके पहले से घर पर माजूद थे…मुझे देखते ही वो एक दम से मेरे पास आए और मुझे बाहों मे भरते हुए किस करते हुए बोले…”डॉली आज मैं बहुत खुश हूँ….तुम मेरी लाइफ का लकी चाम हो…दीदी मिठाई लेकर आओ…”



मैं: पर हुआ क्या ये तो पता चले और मिठाई किस ख़ुसी मे…..?



भाभी: ओह्ह हो…कुछ तो शरम करो…गेट पर ही…



मैं आरके से अलग हुई तो भाभी मिठाई का डिब्बा लेकर मेरे सामने आ गयी….और एक रसगुल्ला मेरे मूह मे डालते हुए बोली…”बधाई हो मेरी ननद को….आरके की प्रमोशन हुई है….” भाभी ने आरके की तरफ देखते हुए कहा,…



मैं: (ख़ुसी से उछलते हुए) क्या सच…..? कॉन सी पोस्ट पर पहुँच गये हैं आप…?



आरके: ब्रांच मॅनेजर की पोस्ट पर…वो भी इस डिस्ट्रिक्ट के हेड ऑफीस मे…



मैं: क्या मतलब एक और ट्रान्स्फर…..



हम अंदर आकर भैया के पास बैठ गये…..”अर्रे ज़्यादा दूर कहाँ है….” आरके ने मेरी तरफ देखते हुए कहा….”हां जानती हूँ यहाँ से 150 किमी दूर है….आप कैसे मॅनेज करेंगे…” 



आरके: देखो डॉली अगर कुछ हासिल करना है तो ये सब मुस्किल तो झेलनी ही पड़ेंगी. और कुछ खोना भी पड़ेगा…मुझे वहाँ पर फ्लॅट मिल रहा है…बॅंक की तरफ से… तुम भी साथ चलो छोड़ो ये नौकरी….अगर दिल करे तो वहाँ पर जॉब कर लेना….



मैं: (आरके की बात सुन कर एक दम से सोच मे पड़ गयी…उधर आज ही जय सर ने मेरी प्रमोशन की है और इधर इनकी….अब क्या करूँ…और क्या ना करूँ…लेकिन मेरे भी आरके के साथ चले जाने से भाभी और भैया एक दम अकेले रह जाते…) वो भाभी बात ये है कि वो…


भाभी: अर्रे बोल ना डॉली क्या हुआ इतना क्या सोच रही है….

मेने भाभी को सारी बात बता दी….जय सर ने मुझ पर कितना भरोसा करके मुझे अपने कॉलेज की वाइस प्रिन्सिपल बनाया है…और अब मैं एक दम से कैसे उन्हे कह दूं कि मैं अब कॉलेज नही आ पाउन्गी….



आरके: कोई बात नही डॉली…..मैं मॅनेज कर लूँगा….और वैसे भी हर सॅटर्डे और सनडे के दिन बॅंक ऑफ होता है….मैं फ्राइडे नाइट को यहाँ पर आ जाया करूँगा…



मुझे अफ़सोस तो था कि, मैं आरके के साथ नही जा पा रही हूँ…पर जय सर को भी जवाब नही दे सकती थी….अगले दिन जब मैं कॉलेज पहुँची, तो मेने राज को भी प्रेयर ग्राउंड मे देखा वो ठीक लग रहा था…और अपने दोस्तो से बात कर रहा था. प्रेयर के बाद जब मैं पहली क्लास लेने के लिए जा रही थी….तो मुझे सामने से राज आता दिखाई दिया….मैं उससे बात तो नही करना चाहती थी….पर फिर भी मैं उसकी तबीयत के बारे मे पुछने के लिए रुक गयी….



मैं: अब कैसे हो राज….



राज: (मेरी तरफ देखते हुए) ठीक हूँ…ह्म्म्म चलो आपने एक काम तो सही किया..?



मैं: (उसके सवाल से चोन्कते हुए) क्या….?



राज: आपने शादी कर ली…(उसने मेरे हाथो मे पहना हुआ लाल चुड़े को देखते हुए कहा….)



मैं: हां कर ली है…..



राज: चल अब तुम्हे जो दूसरो की लाइफ मे इंटर्फियर करने के टीस उठती थी वो अब तंग नही करेगी….



मैं: तुम नही सुधरोगे….



मैं वहाँ से अपनी क्लास मे आ गयी…एक बात तो सही थी कि, राज अपनी ओछि हरकतों से बाज़ आने वाला नही था….पर या फिर मैं ही ग़लत थी…हाफ टाइम के बाद एक पीरियड और लगाने के बाद मेरा फ्री पीरियड था…मैं स्टाफ रूम मे बैठी हुई सुस्ता रही थी कि, तभी मुझे पीयान ने आकर कहा कि, जय सर, मुझे बुला रहे है….मैं उठ कर जय सर के ऑफीस की तरफ जाने लगी…मैने जय सर के ऑफीस का डोर नॉक किया तो उन्होने अंदर आने को कहा….


जय सर :आओ डॉली बैठो….

मैं: (सर के सामने चेर पर बैठते हुए) जी सर….



सर: डॉली तुम तो जानती ही हो कि, राज की स्टडी का कितना नुकसान हुआ है… भले ही इस साल उसके बोर्ड एग्ज़ॅम नही है….पर वो अपने सिलबस मे बहुत पीछे है….12थ मे जाकर उसके लिए परेशानी होगी 12थ की स्टडी को कवर करने मे….



मैं: जी सर,



सर: और अब मैं अपनी जायदाद के चक्करों मे ऐसा उलझा हूँ कि, मैं भी टाइम नही निकाल पा रहा…इसलिए तुम्हे यहाँ वाइस प्रिन्सिपल बनाया है….तुम्हारी जगह दो दिन बाद एक और नयी टीचर आ रही है…फिर तुम्हे काफ़ी मदद मिल जाएगी…और तुम्हारे लिए ऑफीस भी तैयार हो जायगा दो दिन मे…ताकि तुम मेरे कुछ काम संभाल सको..



मैं: जी सर, आप बेफिकर हो जाए….मैं संभाल लूँगी…..



सर: वो तो मुझे पता है कि तुम कॉलेज को हॅंडेल कर सकती हो….और फिर पूरा स्टाफ भी तुम्हारे साथ है..पर मुझे फिकर राज की है…अब मैं घर पर ज़्यादा टाइम नही रहता. मुझे तुमसे एक फेवर चाहिए था…..


मैं: जी कहिए सर मैं क्या कर सकती हूँ आपके लिए….?
Like Reply
#53
Bro wonderful nice erotic story
Like Reply
#54
अपडेट - 23

सर: डॉली हो सके तो तुम राज को अपने घर पर 1-2 मंत के लिए रख लो….वहाँ कम से कम आवरगर्दी तो नही कर पाएगा…और तुम और तुम्हारी भाभी की देख रेख मे पढ़ भी अच्छा लेगा….

मैं: पर सर वो…..

सर: पर क्या डॉली….देखो मैं तुम्हारे सिवाय किसी और पर भरोसा नही कर सकता…

मैं: पर सर मुझे भाभी और भैया से पूछना पड़ेगा…और आप तो जानते ही हो कि, अब मेरे हज़्बेंड भी साथ मे रहते है…

सर: ठीक है तुम घर पर बात कर लेना…पर मुझे तुम पर बड़ी आस है…

उसके बाद मैं सर के ऑफीस से बाहर आई तो मेरा सर चकरा रहा था…यही सोच सोच कर कि जिस लड़के की शकल तक मैं नही देखना चाहती उसे मैं अपने घर मे रख लूँ…पर अब एक बार फिर से वही जय सर के अच्छे होने का प्रेशर मेरे ऊपेर था. अब ना करू तो भी कैसे करू….मैं कॉलेज मे सारा दिन यही सोचती रही….फिर बहुत सोच विचार के बाद मेने ये सोच लिया कि, अब राज अगर मेरे घर मे रहे गा तो वो मेरे साथ कोई बदतमीज़ी नही कर पाएगा…..

क्योंकि घर पर भैया और भाभी हमेशा माजूद होते है….दूसरा कारण ये भी था कि मैं सर को मना नही करना चाहती थी…आज मैं जिस मुकाम पर थी…वो सिर्फ़ सर के उस भरोसे के कारण था….जो उनको मेरे ऊपेर था….अगले दिन से एक्सट्रा क्लासस भी शुरू होने थी…उस दिन मैं और भाभी घर आए तो मेने भाभी को ये बात बताई तो भाभी ने भी हां कर दी….और फिर भैया से पूछा तो उन्होने ने भी यही कहा कि, अगर सर ऐसा चाहते है तो हमें उनकी मदद करनी चाहिए…

3-4 दिन गुजर चुके थी और एक्सट्रा क्लासस भी शुरू हो चुकी थी….जय सर का ड्राइवर मुझे कार से शाम को घर छोड़ देता था…इसलिए शाम को वापिस जाने मे कोई परेशानी नही होती थी….सॅटर्डे के दिन जय सर ने मुझसे कहा कि, कल से राज तुम्हारे घर पर रहने के लिए आ रहा है…अपने कुछ समान के साथ….समान ज़्यादा नही है…एक लॅपटॉप है….उसके कपड़े और उसके बुक्स और कॉलेज बॅग…मंडे से वो तुमहरे घर से ही तुम्हारे साथ कॉलेज आया करेगा….



उस समय आरके को सॅटर्डे सनडे की छुट्टी थी….इसलिए वो घर पर ही थे… मेने आरके को भी ये बात बता दी थी….आरके ने भी मना नही किया…और अगले दिन सर, हमारे घर आए राज को साथ लेकर….. हमने जो बन पड़ा उनकी वैसी खातिरदारी की. उसके बाद वो वापिस चले गये…..राज को नीचे बैठक के साथ वाला रूम दे दिया था…उसने अपना समान वही पर सेट क्या….आरके एक हफ्ते बाद आए थे. पर मैं उनमे वो जोश नही देख पे थी….जो एक पति अपनी नयी बिहाई पत्नी से एक हफ़्ता दूर रहने के बाद दिखता है….


बिस्तर पर वही स्लो सेक्स और कुछ ख़ास नही….पर इन दो दिनो मे हम दोनो बहुत घूमे फिर शॉपिंग की अच्छे -2 रेस्टोरेंट मे डिन्नर लंच करना ये दो दिन कैसे निकल गये पता नही चला….मंडे को मैं और भाभी कॉलेज के लिए तैयार हुए तो देखा कि राज भी कॉलेज जाने के लिए तैयार है…पर वो अपनी बाइक से कॉलेज जा रहा था…उसने एक बार मेरी तरफ देखा और फिर दूसरी तरफ मूह घुमा लिया…

इन दो दिनो मे मेरे उससे कोई बात नही हुई थी….और ना ही मेने उससे पढ़ाया था.. पर राज अपनी औकात मे रहा था..मतलब उसने घर के अंदर मेरी तरफ आँख उठा कर नही देखा था….खैर मैं और भाभी बस पकड़ कॉलेज पहुँचे ….दोस्तो यहा से मेरी लाइफ मे बहुत टर्न आया…जिसने मेरी लाइफ को बदल कर रख दिया था…एक साल से भी कम समय मे बहुत कुछ बदल गया था….कहाँ तो खाने के भी लाले पड़े रहते थे…और अब हर तरफ से इनकम आनी शुरू हो चुकी थी….आरके मेरी और भाभी की सॅलरी को मिलने और घर के सभी खरच और ऐशो आराम के चीज़े खरीदने के बाद भी हम 50000 रुपये महीने का बचा लेते थे……



अब मेरा नेचर भी चेंज होने लगा था…ख़ासतोर पर भाभी का….क्योंकि आरके अपनी सॅलरी मे से अपने लिए खर्चा निकाल कर बाकी का मेरे और भाभी मे बाँट देता था.. भाभी तो अब हर महीने मे एक दो नयी ड्रेस खरीद ही लेती थी….हर सनडे शॉपिंग पर जाती थी…और कुछ ना कुछ खरीद ज़रूर लेती थी….अब चलते हैं इस स्टोरी के उस मोड़ कर जहाँ से सब कुछ बदल जाने वाला था….राज को हमारे घर आए हुए दो हफ्ते बीत चुके थे….और वो एक दम शरीफ बच्चे की तरह घर के सभी क़ायदे नीयम मानते हुए रह रहा था……


इस दौरान वो कभी कभी जब मैं भाभी या भैया के पास बैठी होती, तो वो मुझे अपनी स्टडी के प्राब्लम शेर कर लेता…पर नज़रें उठा कर नही देखता…जब कभी मैं ऊपेर अपने रूम मे अकेली होती तो वो कभी मेरे रूम के अंदर नही आता बाहर से ही डोर नॉक करके खड़ा हो जाता…और मैं उसे बाहर आकर उसकी स्टडी मे आए प्रॉब्लम मे हेल्प कर देती…उसमे आए ये बदलाव मेरे लिए कोई मायने नही रखते थे…पर एक सकून था कि, मुझे उसकी वजह से अब कोई परेशानी नही हो रही थी….

वो दिन भी आम दिनो जैसे ही था….मैं और भाभी तैयार होकर घर से कॉलेज जाने के लिए निकली और बस पकड़ कर कॉलेज पहुँची….राज उस दिन भी बाइक से ही कॉलेज आया था…मंडे का दिन था….और सुबह सुबह ही आरके वापिस चले गये थी….उस दिन जो भी हुआ वो मेरे साथ नही हुआ था…वो सब मुझे बाद मे पता चला था…किससे वो आप खुद ही समझ जाएँगे…..



उस दिन रोज के तरह कॉलेज ऑफ हुआ, तो भाभी घर जाने के लिए कॉलेज से बाहर निकली 2 बज रहे थे….और मुझे 5 बजे एक्सट्रा क्लासस के बाद छुट्टी होने को थी…जैसे ही भाबी कॉलेज से बाहर निकल कर बस स्टॉप की तरफ जाने लगी, तो पीछे से राज की बाइक आकर उनसे थोड़ा आगे जा कर रुक गयी….”आए बैठिए….” राज ने भाभी के पास आने के बाद कहा…”नही राज मई चली जाउन्गी बस से…” भाभी ने दूर से आती हुई बस की तरफ देख कर कहा….



राज: मॅम मुझे भी तो आपके ही घर जाना है….फिर आप बस मे जाकर क्यों फज़ूल पैसे खरच करेंगे….चले बैठिया ना….



भाभी: ओके चलो….(भाभी मुस्कुराते हुए राज के पीछे बैठ गयी…)


मैं रोड तो एक दम सही था…पर जब मेन रोड से उतर कर जो सड़क हमारे एरिया तक जाती थी..उसकी हालत बहुत ख़स्ता थी…भाभी और बाकी के लोग मेन रूड से जो बस से सफ़र करते थे वहाँ उतर कर आगे पैदल ही जाते थी…वैसे वहाँ खड़े रिक्कशे भी मिल जाते थी…पर बहुत पैसे चार्ज करते थे…इसलिए मैं और भाभी वहाँ से पैदल चल कर घर जाया करती थी….पर मुझे तो अब सर की कार ही घर पर ड्रॉप कर देती थी….

खैर स्टोरी की तरफ रुख़ करते है….10 मिनिट बाद भाभी और राज दोनो मेन रोड से घर की तरफ जाने वाली रोड पर आ चुके थे…पहले तो भाभी राज से काफ़ी पीछे बैठी हुई थी…पर जैसे ही बाइक उस खराब रास्ते पर उतरी तो बाइक के गड्ढों मे जंप लगाने से भाभी आगे की तरफ खिसक गयी…भाभी बहुत कम बार बाइक पर बैठी थी... क्योंकि भैया के पास बाइक तो थी ही नही होती भी कहाँ से…



भाभी: आह राज बाइक धीरे चलाओ ना….तुम तो मुझे गिरा ही दोगे….



राज: अब इससे और क्या स्लो चलाऊ….एक तो इस सड़क की हालत बहुत खराब है…



तभी फिर से बाइक का पिछला टाइयर गड्ढे म्व गया और फिर से बाइक थोड़ा सा ऊपेर उछली.. “ओह्ह्ह राज मैं गिर जाउन्गी…” भाभी भी बाइक पर उछल पड़ी



…”मॅम आप मुझे पकड़ लीजिए… फिर नही गिरेन्गी आप….”


भाभी: अच्छा ठीक है…(भाभी राज के साथ सट गयी…उसने एक हाथ राज के टाइट कंधे पर रखा और दूसरा हाथ राज की लेफ्ट साइड मे कमर पर रख कर पकड़ लिया… भाभी के 34ड्ड साइज़ की बड़ी-2 चुचियाँ राज की पीठ मे रगड़ खाने लगी…जिससे राज जो कि इस उम्र मे ही सेक्स के बारे मे ना सिर्फ़ जानता था…बल्कि कर भी चुका था..उसे भी भाभी की कठोर चुचियो का अहसास अपनी पीठ पर हो रहा था…)
Like Reply
#55
Nice update bro super . Thanks
Like Reply
#56
Waiting for next update
Like Reply
#57
Bhai..pls update with some streamy hot encounter
Like Reply
#58
Super sir please updste
Like Reply
#59
Brother.....Pls update
Like Reply
#60
Wonderful sir
Like Reply




Users browsing this thread: 2 Guest(s)