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Misc. Erotica छोटी छोटी कहानियां...
Heart 
#4

मैं जब दीदी की क्लिट को छेड़ रहा था तब दीदी का शरीर कांप सा जाता था। उनको एक झुरझुरी सी होती थी। मैंने अपनी एक उंगली दीदी की चूत के छेद में घुसेड़ दी। ओह भगवान चूत अंदर से बहुत गर्म थी और मुलायम भी थी। चूत अंदर से पूरी रस से भरी हुई थी।


मैं अपनी उंगली को धीरे-धीरे चूत के अंदर और बाहर करने लगा। थोड़ी देर के बाद मैंने अपनी दूसरी उंगली भी चूत में डाल दी। ये तो और भी आसानी से चूत में समा गई। मैंने दोनों उँगलियों से दीदी चूत को चोदना शुरू किया।


दीदी की तेज सांसों की आवाज मझे साफ़-साफ़ सुनाई दे रही थी। थोड़ी देर के दीदी का शरीर अकड़ गया, कुछ ही देर के बाद दीदी शांत हो कर सीट पर बैठ गई। अब दीदी की चूत में से ढेर सारा पानी निकलने लगा। चूत की पानी से मेरा पूरा हाथ गीला हो गया।


मैं थोड़ी देर रुक कर फिर से दीदी की चूत में अपनी उंगली चलाने लगा। थोड़ी देर के दीदी दोबारा झड़ी। फिर मुझे जब लगा कि सिनेमा अब खत्म होने वाला है, तो मैंने अपना हाथ दीदी की चूत पर से हटा लिया। जैसे ही सिनेमा खत्म हुआ, मैं और दीदी उठ कर बाहर निकल आए।


बाहर आने के बाद मैंने दीदी से कहा- अगले शो में जो भी उस सीट पर बैठेगा उसका पैंट या उसकी साड़ी भीग जाएगी।


दीदी मेरे बातों को सुन कर बहुत शर्मा गई और मुझसे नज़र हटा ली। दीदी टॉयलेट चली गई हो सकता अपनी चूत और जाँघों को धो कर साफ़ करने के लिए और अपनी पैन्टी फिर से पहनने के लिए गई हों।


अभी सिर्फ़ तीन बजे थे और मैंने दीदी से बोला- तो बहुत टाइम है और माँ भी घर पर सो रही होंगी। क्या तुम अभी घर जाना चाहती हो? वैसे मुझे कुछ प्राइवेट में चलने का इच्छा हैं। क्या तुम मेरे साथ चलोगी?


दीदी मेरी आँखों में झाँकती हुई बोली- प्राइवेट में चलने की क्या बात हैं? वैसे मैं भी अभी घर नहीं जाना चाहती।


मैं बोला- प्राइवेट का मतलब है कि किसी होटल में जाना हैं?


दीदी बोली- सिर्फ़ होटल? या और कुछ?


मैं दीदी से बोला- सिर्फ़ होटल या और कुछ! मतलब?


दीदी बोली- तेरा मतलब होटल के कमरा से है?


“हाँ मेरा मतलब होटल के कमरे से ही है।” मैंने कहा।


दीदी ने तब मुझसे फिर पूछा- होटल के कमरे में ही क्यों?


मैंने दीदी की बातों को सुन कर यह समझा कि दीदी ने अभी भी होटल चलने के लिए ना नहीं किया हैं।


मैंने दीदी की आँखों में झाँकते हुए बोला- अभी तक मैंने कई बार तुम्हारी चूची को छुआ, दबाया, मसला और चूसा है, फिर मैंने तुम्हारी चूत को भी छुआ और उसके अंदर अपनी उंगली भी डाली। और तुमने कभी भी मना नहीं किया। मैं आगे बढ़ने से रुका तो इस बात से कि हमारे पास पूरी प्राइवेसी नहीं थी। इस बात के डर से कि कोई आ ना जाए, या हमें देख न ले। इसलिए मैं चाहता हूँ कि अब होटल के कमरे में जाकर हम लोगों को पूरी प्राइवेसी मिले।


मैं इतना कह कर रुक गया और दीदी की तरफ़ देखने लगा की अब दीदी भी कुछ बोले। जब दीदी कुछ नहीं बोली तो मैंने फिर उनसे कहा- तुम क्या चाहती हो?


दीदी मुझसे बोली- मतलब यह हुआ कि तुम इसलिए मेरे साथ होटल जाना चाहते हो ताकि वहाँ जा कर तू मुझे अच्छी तरफ़ से छू सके। मेरे दूध को चूस सके और मेरे पैरों के बीच अपना हाथ डाल कर मज़ा ले सके?


“ठीक कह रही हो, दीदी। मैं जब भी तुम्हें छूता हूँ तो हम लोगों के पास प्राइवेसी ना होने की वजह से रुकना पड़ता है, जैसे आज सिनेमा हॉल में ही देख लो” मैंने दीदी से कहा।


“तो तू मुझे ठीक से और बिना डर के छूना चाहता है। मेरी चूची पीना चाहता है, और मेरी टांगो के बीच हाथ डाल कर अपनी उंगली डाल कर देखना चाहता है?” दीदी ने मुझसे पूछा।


मैंने तब थोड़ा झल्ला कर दीदी से कहा- तुम बिल्कुल सही कह रही हो। और मुझे लगता हैं कि तुम भी यही चाहती हो।


दीदी कुछ नहीं बोली और मैं उनकी चुप्पी को उनकी हाँ समझ रहा था। फिर दीदी थोड़ी देर तक सोचने के बाद बोली- कमरे में जाने का मतलब होता है कि हम वो सब भी???


मैंने तब दीदी को समझाते हुए कहा- लेकिन तुम चाहोगी तभी। नहीं तो कुछ नहीं।


दीदी फिर भी बोली- पता नहीं रवि, यह बहुत बड़ा क़दम है।


मैंने तब फिर से दीदी को समझाते हुए बोला- बाबा, अगर तुम नहीं चाहोगी तो वो सब काम नहीं होगा और वही होगा जो जो तुम चाहोगी। लेकिन मुझे तुम्हारी दोनों मुसम्मियाँ बिना किसी के डर के साथ पीना है बस !


मैं समझ रहा था कि दीदी मन ही मन चाह तो रही थी कि मैं उनकी चूची को बिना किसी डर के चूसूं और उनकी चूत से खेलूँ।


दीदी बोली- बात कुछ समझ में नहीं आ रही है। लेकिन यह बात तो तय है कि मैं अभी घर नहीं जाना चाहती हूँ।


इसका मतलब साफ़ था कि दीदी मेरे साथ होटल में और होटल के कमरे में जाना चाहती हैं।


इसलिए मैंने पूछा- तो होटल चलें? दीदी मेरे साथ चल पडीं। मैं बहुत खुश हो गया। दीदी मेरे होटल में चलने के लिए राज़ी हो गई है।
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Heart 
#5

मैं खुशी-खुशी होटल की तरफ़ चल पड़ा। मैं इतना समझ गया था कि शायद दीदी मुझे खुल कर अपनी चूची और चूत मुझसे छुआना चाहती हैं और हो सकता हैं कि वो बाद में मुझसे अपनी चूत भी चुदवाना भी चाहती हों।


यह सब सोच-सोच कर मेरा लंड खड़ा होने लगा। मैं सोच रहा था कि आज मैं अपनी दीदी को ज़रूर चोदूंगा। मैं बहुत खुश था और गर्म हो रहा था।


मुझे यह मालूम था कि उस सिनेमा हॉल के पास दो-तीन ऐसे होटल हैं जहाँ पर कमरे घंटे के हिसाब से मिलते हैं। मैं एक दो बार उन होटलों में अपने गर्ल-फ्रेंड के साथ आ चुका हूँ।


मैं वैसे ही एक होटल में अपनी दीदी को लेकर गया और वहाँ बात करके एक कमरा तय और कमरे का किराया भी दे दिया। होटल का वेटर हम लोगों को एक कमरे में ले गया।


मैं वैसे ही एक होटल में अपनी दीदी को लेकर गया और वहाँ बात करके एक कमरा तय और कमरे का किराया भी दे दिया। होटल का वेटर हम लोगों को एक कमरे में ले गया।


जैसे ही वेटर वापस गया, मैंने कमरे के दरवाज़े को अच्छी तरह से बंद किया। मैंने कमरे की खिड़की को भी चेक किया और उनमें पर्दा डाल दिया। तब तक दीदी कमरे में घुस कर कमरे के बीच में खड़ी हो गई।


दीदी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था और वो चुपचाप खड़ी थी। मैं तब बाथरूम में गया और बाथरूम की लाइट को जला करके बाथरूम का दरवाज़ा आधा बंद कर दिया, जिससे कि कमरे में बाथरूम से थोड़ी बहुत रोशनी आती रहे। फिर मैंने कमरे की रोशनी को बंद कर दिया।


दीदी आराम से बिस्तर के एक किनारे पर बैठ गई। कमरे में रोशनी बहुत कम थी, लेकिन हम लोग एक दूसरे को देख पा रहे थे। मैं अपनी शर्ट के बटन खोलने लगा और दीदी से बोला- तुम भी अपने कपड़े उतार दो। दीदी ने भी कपड़े उतारने शुरू कर दिए। जैसे ही अपना पैंट खोला तो मैंने देखा की दीदी भी अपनी ब्रा और पैन्टी उतार रही हैं। अब दीदी मेरे सामने बिल्कुल नंगी हो चुकी थी।



मैं समझ गया कि दीदी भी आज अपनी चूत चुदवाना चाहती हैं। अब मैं धीरे-धीरे बिस्तर की तरफ़ बढ़ा और जा कर दीदी के बगल में बैठ गया। पलंग पर बैठ कर मैंने दीदी को अपनी बाहों में भर लिया और उनको अपने पैरों के बीच खड़ा कर दिया।



कमरे की हल्की रोशनी में भी मुझे अपनी दीदी की नंगी जवानी और मादक बदन साफ़-साफ़ दिख रहा था और मुझे उनकी नंगी चूचियों को पहली बार देख कर मज़ा आ रहा था।

मैंने अब तक दीदी को सिर्फ़ कपड़ों के ऊपर से देखा था और मुझे पता था की दीदी का बदन बहुत सुडौल और भरा हुआ होगा, लेकिन इतनी अच्छी फिगर होगी ये नहीं पता था। दीदी की गोल संतरे सी चूची, पतली सी कमर और गोल-गोल सुंदर से चूतड़ों को देख कर मैं तो जैसे पागल ही हो गया।

मैं धीरे से अपने हाथों में दीदी की चूचियों को लेकर के धीरे-धीरे बड़े प्यार से दबाने लगा।


“दीदी तुम्हारी चूचियाँ बहुत प्यारी हैं बहुत ही सुंदर और ठोस हैं।” मैंने दीदी से कहा और दीदी ने मुस्कुरा कर अपने हाथ मेरे कंधों पर रख दिए।


मैंने झुक करके अपने होंठ उनकी चूचियों पर रख दिए। मैं दीदी की चूचियों के निप्पलों को चूसने लगा और दीदी सिहर उठी। मैं अपने मुँह को और खोल करके दीदी की एक चूची को और मेरे मुँह में भर लिया और चूसने लगा।


मेरा दूसरा हाथ दीदी की दूसरी चूची पर था और उसको धीरे-धीरे दबा रहा था। फिर मैं अपना मुँह जितना खुल सकता खोल करके दीदी की चूची को अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगा।


अपने दूसरे हाथ को मैं धीरे से नीचे लाकर के दीदी चूत को पहले सहलाया और फिर धीरे से अपनी एक उंगली चूत के अंदर कर घुसेड़ दी। मैं कुछ देर तक अपने मुँह से दीदी की मुसम्मी चचोरता रहा और अपने दूसरे हाथ की उंगली दीदी की चूत के अंदर-बाहर करता रहा। मुझे लगा रहा था कि दीदी आज अपनी चूत मुझसे ज़रूर चुदवायेंगी।



थोड़ी देर के ब्द मैंने अपना मुँह दीदी की चूची पर से हटा कर दीदी को इशारे से पलंग पर लेटने के लिए बोला। दीदी चुपचाप पलंग पर लेट गई और मैं भी उनके पास लेट गया। फिर मैं दीदी को अपने बाहों में भर कर उनकी होठों को चूमने और फिर चूसने लगा।


मेरा हाथ फिर से दीदी की चूचियों पर चला गया और दीदी की बड़ी-बड़ी चूचियों को अपने हाथों ले कर बड़े आराम से मसलने लगा। इस वक़्त दीदी की चूचियों को मसलने में मुझे किसी का डर नहीं था और बड़े आराम से दीदी की चूचियों को मसल रहा था।


चूची मसलते हुए मैंने दीदी से बोला- तुम्हारी चूचियों का जबाब नहीं, बड़ी मस्त मुस्म्मियाँ हैं। मन करता है कि मैं इन्हें खा जाऊँ।


मैंने अपना मुँह नीचे करके दीदी की चूची के एक निप्पलों को अपने मुँह में भर कर धीरे-धीरे चूसने लगा। थोड़ी देर के बाद मैंने अपना एक हाथ नीचे करके दीदी की चूत पर ले गया और उनकी चूत से खेलने लगा, और थोड़ी देर के बाद अपनी एक उंगली चूत में घुसेड़ कर अंदर-बाहर करने लगा। दीदी के मुँह से मादक सिसकारियाँ निकलने लगीं।


थोड़ी देर के बाद दीदी की चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया। मैं समझ गया की दीदी अब चुदवाने के लिए तैयार हैं। मैं भी दीदी के ऊपर चढ़ कर उनको चोदने के लिए बेताब हो रहा था। थोड़ी देर तक मैं दीदी की चूची और चूत से खेलता रहा और फिर उनसे सट गया।


मैंने दीदी के ऊपर झुकते हुए दीदी से पूछा- तुम तैयार हो? बोलो ना दीदी क्या तुम अपनी छोटे भाई का लौड़ा अपनी चूत के अंदर लेने के लिए तैयार हो?


उस समय मैं मन ही मन जानता था कि दीदी की चूत मेरा लंड खाने के लिए बिल्कुल तैयार है। और दीदी मुझे चोदने से ना नहीं करेंगी।


दीदी तब मेरी आँखों में झाँकते हुए बोली- रवि, क्या मैं इस वक़्त ना कर सकती हूँ? इस समय तू मेरे ऊपर चढ़ा हुआ है और हम दोनों नंगे हैं।


दीदी ने अपना हाथ बढ़ा कर मेरे लंड को पकड़ लिया और उसे सहलाने लगी। तब मैंने अपने लंड को अपने हाथ में लेकर दीदी की चूत से भिड़ा दिया।


चूत पर लंड लगते ही दीदी “आह! अहह्ह्ह ! रवि ओहह्ह्ह्ह!” करने लगी।


मैंने हल्के से अपने कमर हिला कर दीदी की चूत में अपने लंड का सुपाड़ा फँसा दिया। दीदी की चूत बहुत टाइट थी लेकिन वो इतना रस छोड़ रही थी कि चूत का रास्ता बिल्कुल चिकना हो चुका था।


जैसे ही मेरा लंड का सुपाड़ा दीदी की चूत में घुसा, दीदी उछल पड़ीं और चीखने लगीं- “मेरिई चूऊत फटीईईए जा रहिईई हैंईई निकाल अपना लंड रवि मेरी चूऊऊत से ईईए है मैं मर गईई मेरिईई चूऊऊओत फआआट गईई”


मैंने दीदी के होठों को चूमते हुए बोला- दीदी, बस हो गया और थोड़ी देर तक तकलीफ़ होगी और फिर मज़ा ही मजा है। लेकिन दीदी फिर भी गिड़गिड़ाती रही।

मैंने दीदी की कोई बात नहीं सुनी और उनकी चूचियों को अपने हाथों से मज़बूती से पकड़ते हुए एक और ज़ोरदार धक्का मारा और मेरा पूरा का पूरा लंड दीदी की चूत की में घुस गया। दीदी की चूत से खून की कुछ बूँद निकल पड़ीं।


मैं अपना पूरा लंड डालने के बाद चुपचाप दीदी के ऊपर लेटा रहा और दीदी की चूचियों को मसलता रहा। थोड़ी देर के बाद दीदी ने मेरे नीचे से अपनी कमर उठाना शुरू कर दी। मैं समझ गया कि दीदी की चूत का दर्द खत्म हो गया है और वो अब मुझसे खुल कर चुदवाना चाहती हैं।


मैंने भी धीरे से अपना लौड़ा थोड़ा सा बाहर खींचा और उसे फिर दीदी की चूत में हल्के झटके के साथ घुसेड़ दिया। दीदी की चूत ने मेरा लंड कस कर पकड़ रखा था और मुझे लंड को अंदर-बाहर करने में थोड़ी सी मेहनत करनी पड़ रही थी। लेकिन मैं भी नहीं रुका और धीरे-धीरे अपनी स्पीड बढ़ाना शुरू कर दी।


दीदी भी मेरे साथ-साथ अपनी कमर उठा-उठा कर मेरे हर धक्कों का जबाब बदस्तूर दे रही थी। मैं जान गया कि दीदी की चूत रगड़-रगड़ कर लंड खाना चाहती है। मैंने भी दीदी को अपनी बाहों में भर कर उनकी चूचियों को अपने मुँह में भर कर धीरे-धीरे लंड उठा-उठा करके धक्के मारना शुरू किया। अब मेरा लंड आसानी से दीदी की चूत में आ-जा रहा था।



दीदी भी अब मुझे अपने बाहों में भर करके चूमते हुए अपनी कमर उचका रही थी और बोल रही थी, “भाई, बहुत अच्छा लग रहा है और ज़ोर-ज़ोर से चोदो मुझे। मेरी चूत में कुछ चींटियाँ सी रेंग रही हैं। अपने लंड की रगड़ से मेरी खाज दूर कर दो। चोदो और ज़ोर-ज़ोर से चोदो मुझे।


मैं अब अपना लंड दीदी की चूत के अंदर डाल कर कुछ सुस्ताने लगा।


दीदी तबा मुझे चूमते हुए बोली- क्या हुआ, तू रुक क्यों गया? अब मेरी चूत की चुदाई पूरी कर और मुझे रगड़-रगड़ कर चोद करके मेरी चूत की प्यास बुझा रवि, मेरे जालिम भाई।


मैं बोला- चोदता हूँ दीदी। थोड़ा मुझे आपकी चूत में फँसे लौड़े का आनंद तो उठा लेने दो। अभी मैं तुम्हारी चूत चोद-चोद कर फाड़ता हूँ।


मेरी दीदी बोली- साले तुझे मजा लेने की पड़ी है, अभी तो तू मुझे जल्दी-जल्दी चोद। रवि, मैं मरी जा रही हूँ।


मैं उनकी बात सुन कर ज़ोर-ज़ोर से धक्के लगाने लगा और दीदी भी मुझे अपने हाथ और पैरों से जकड़ कर अपने चूतड़ उछाल-उछाल कर अपनी चूत चुदवाने लगी।


मैंने थोड़ी देर तक दीदी की चूत में अपना लंड पेलने के बाद दीदी से पूछा- कैसा लग रहा है, अपने छोटे भाई का लंड अपनी चूत में डलवा कर?


मैं अब दीदी से बिल्कुल खुल कर बातें कर रहा था। और उन्हें अपने लंड से छेड़ रहा था।


“रवि, यह काम हम लोगों ने बहुत ही बुरा किया। लेकिन मुझे अब बहुत अच्छा लग रहा है।” दीदी मुझे अपने सीने से चिपकाते हुए बोली।


थोड़ी देर के बाद मैं फिर से दीदी की चूत में अपना लंड तेज़ी से पेलने लगा। कुछ देर के बाद मुझे लग रहा था कि मैं अब झड़ने वाला हूँ। इसलिए मैंने अपना लंड दीदी की चूत से निकाल कर अपने हाथ से पकड़ लिया और पकड़े रखा।


मैंने दीदी से कहा- अपने मुँह में लोगी?


दीदी ने पहले कुछ सोचा फिर अपना मुँह खोल दिया। मैंने लौड़ा उनके मुँह में दे दिया और अपना वीर्य उनके मुँह में छोड़ दिया। दीदी ने मेरा माल अपने मुँह में भर लिया और उसको गुटक लिया। दीदी ने आसक्त भाव से मेरी तरफ देखा और मैंने अपने होंठ उनके होंठों से लगा दिए।


भाई बहन की इस चुदाई ने भले ही समाज की मर्यादाओं को भंग कर दिया हो, पर मेरी और मेरी दीदी की कामनाओं को तृप्त कर दिया था। अब दीदी मेरी दीवानी हो चुकी थी हम दोनों में कोई पर्दा नहीं था.


// समाप्त //
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Heart 
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बंगालन भाभी को फ्लैट दिला कर चोदा

Update - 1
ये घटना कुछ समय पहले की है. मैं एक सोसाइटी के 3 बेडरूम फ्लैट के एक कमरे में रहता था. फ्लैट का मालिक विदेश में रहता था और उसने मुझे ही फ्लैट की देख रेख करने और बाकी के दो कमरों और ड्राइंगरूम को किराए पर देने हेतु पावर ऑफ आटोरनी देकर इंचार्ज बना रखा था.

मैं उन दिनों एक मल्टीनेशनल कंपनी में मैनेजर के पद पर काम करता था. जब भी कोई फ्लैट को खाली करता था तो मैं दोबारा उस पर टू-लेट (किराये के लिए खाली) लिख कर लगा देता था. मैं अन्य किसी को भी उस फ्लैट को उस फ्लैट के मालिक द्वारा बताए गए किराये पर चढ़ा देता था.

अभी जो लोग फ्लैट खाली करके गए थे वे दो बुजुर्ग पति पत्नी थे, जो रिटायरमेंट के बाद अपने शहर चले गए थे. किराया हर महीने फ्लैट के मालिक के खाते में जमा करवा देते थे.

दो चार लोग किराये पर लेने आये परंतु वे मुझे जमे नहीं. जिस सोसाइटी में मैं रहता था वह उस शहर की प्राइम सोसाइटी थी और वहाँ पर सभी 3 बीएचके के फ्लैट थे जिनका किराया 18000 से 20000 तक था.

दो कमरे वाला सेट तो कोई था ही नहीं, इसलिए जिसको भी लेना होता था वह तीन कमरों का ही लेता था और 18-20 हज़ार रुपये देता था, चाहे उसे तीन कमरों की जरूरत हो या नहीं.

एक संडे के रोज मैं किसी काम से नीचे गया तो मुझे एक बंगाली सा दिखने वाला कपल दिखाई दिया. आदमी तो बिल्कुल साधारण था लेकिन उसके साथ जो लेडी थी वह बला की सुन्दर, दूध जैसी गौरी, हसीन और गजब की सेक्सी लेडी थी.

उसकी लम्बी सुराहीदार सेक्सी गर्दन, बहुत ही सुन्दर नयन नक्श, बड़े बड़े मम्मे, गदराया शरीर, नशीली आंखें यानि कि हर लिहाज से सुंदरता में लाजवाब थी. उसका साइज 38-34-36 के करीब का रहा होगा.

उसने जबरदस्त अच्छे तरीके से बहुत ही नीची अर्थात् नाभि से काफी नीची साड़ी पहन रखी थी. साड़ी इतनी कसी थी कि उसकी गांड बिल्कुल बाहर निकलने को होकर उठी हुई दिखाई दे रही थी.

साड़ी के ऊपर स्लीवलेस ब्लाउज पहना था जिसमें उसकी 38 के साइज की चूचियाँ ब्लाउज फाड़ कर बाहर निकलने को हो रही थीं. लेडी ने बालों के ऊपर पर बहुत ही सुंदर काला चश्मा लगा रखा था.

आदमी मरियल सा था. उसकी आंखों पर चश्मा, मुँह पिचका हुआ, लगभग 5 फुट 5 इंच का होगा जो उस लेडी के साथ चलता हुआ भी अजीब लग रहा था. मैं मन ही मन सोच रहा था कि फ्लैट को किराए पर कोई इस तरह का कपल लेने आ जाये तो मजा आ जाये लेकिन वे आगे निकल गए.

फिर मैं अपने फ्लैट में अंदर आ गया. करीब आधे घण्टे बाद मेरे कमरे की बैल बजी, मैंने दरवाजा खोला तो देखा वही कपल बाहर खड़ा था. मैं उन्हें देखकर खुश हो गया.

आदमी ने पूछा- आपके पास किराये के लिए फ्लैट खाली है?
मैं- जी हाँ, है.
आदमी- किराये पर दोगे?

मैंने कहा- सर, आप अंदर आ जाएं, आराम से बैठकर बातें करते हैं.
आदमी- नहीं, आप खड़े खड़े ही बताएं, देना है या नहीं?
मैंने फिर कहा- सर आप अंदर तो आइए?

आदमी- नहीं, पहले आप मकान दिखाओ.
लेडी बहुत ही सॉफ्ट आवाज़ में बोली- जब वो कह रहे हैं कि अंदर आओ तो हम बैठ जाते हैं.
आदमी- तुम्हें बीच में बोलने को किसने कहा? जब कुछ नहीं पता हो तो बेवकूफों की तरह नहीं बोलते.

वो लेडी बेचारी चुप रह गई परंतु मुझे यह बहुत बुरा लगा.
मैंने अपने आपको रोकते हुए उनसे कहा- कोई बात नहीं, आप पहले फ्लैट देख लीजिए.

फिर मैंने पूरा फ्लैट खोल कर दिखा दिया. उस फ्लैट में तीन बेडरूम, एक ड्राइंगरूम, एक किचन था. फ्लैट में एंट्री के लिए दो दरवाजे थे. एक तरफ राइट साइड में मेरा रूम था जिसमें अटैच्ड बाथरूम था.

लेफ्ट साइड के गेट में अंदर जाने के बाद ड्राइंगरूम से होते हुए दो बेडरूम थे. उस फ्लैट में दो बड़ी बड़ी बालकॉनी थी. एक बालकॉनी तो ड्राइंगरूम और एक बेड रूम के साथ लगती थी. वह सोसाइटी के अंदर की तरफ थी जिससे दूसरे फ्लैट और ब्लॉक दिखाई देते थे.

एक बालकॉनी पीछे की तरफ थी जो मेरे और बचे पोर्शन के मास्टर बेडरूम के लिए इकट्ठी थी. मैंने बड़े रूखेपन से उनको पूरा फ्लैट दिखा दिया और बोल दिया कि पीछे की बालकॉनी मेरी है, किराएदार का उस पर कोई हक नहीं होगा.

मेरी बालकॉनी से बहुत ही सुन्दर हरा भरा व्यू था. उसके पीछे की ओर गोल्फ रेंज थी. एक ग्रीन पार्क था और दूर पहाड़ियाँ दिखाई देती थीं. मेरी बालकॉनी के सामने पूरा खुला दृश्य होने के कारण पूरी प्राइवेसी भी थी.

फ्लैट उनको बहुत पसंद आया. आदमी ने मुझसे पूछा- इसका किराया कितना है?
मैंने कहा- 10000 रुपये महीना.
दस हज़ार सुनते ही आदमी की बांछें खिल गईं और बोला- हमें ये फ्लैट पसन्द है, आप दे दीजिए.

तभी मेरे मोबाइल की रिंग बजी तो मैं उनसे थोड़ा दूर हट कर पिछली बालकॉनी में जा कर मोबाइल सुनने लगा. वे कमरे में खड़े आपस में खुसर फुसर करते रहे. कुछ देर बातें करने के बाद मैंने फोन बंद किया और उनके पास गया.

आदमी बोला- ठीक है, हम तैयार हैं.
अब मेरी बारी थी.
मुझे एक शरारत सूझी और मैंने कहा- देखिये, आपको तो पसन्द है, लेकिन यह फ्लैट तो मैंने किसी और को दे दिया. आपसे पहले वो लोग ये फ्लैट कल देखने आये थे और टोकन के तौर पर कुछ पैसे भी दे गये थे. अभी उन्हीं का कॉल था.

यह सुनकर वे दोनों एकदम परेशान हो गए और आदमी बोला- ये कैसे हो सकता है? अभी तो हमने हाँ की है.
मैंने कहा- देखिये भाई साहब, आप कोई और फ्लैट देख लें. दरअसल मुझे आप कुछ जंचे नहीं.

आदमी- क्या मतलब जंचे नहीं? हमने क्या किया है?
मैंने कहा- भाई साहब, जब आप अपनी बीवी से इतनी बुरी तरह से पेश आ रहे हैं तो आप मेरे साथ भी ऐसा ही बर्ताव करेंगे, इसलिए मेरी ओर से आपके पहले ही सॉरी.

वह सफाई देते हुए आगे बोलने लगा तो मैंने बीच में टोक कर कहा- अब आप प्लीज जाइये।
ऐसा बोलकर मैं अपने कमरे के अंदर चला गया और दरवाजा बंद कर लिया.

उनका मुंह देखने लायक था. वे मायूस हो कर नीचे चले गए. मैंने थोड़ा सा पर्दा हटा कर नीचे देखा तो वे आपस में बहस कर रहे थे. लेडी उस आदमी से झगड़ रही थी.

मैं यह भी नहीं चाहता था कि इतनी शानदार हसीना हाथ से निकल जाए लेकिन उनके लिए उस सोसाइटी में दस हजार में वह सेट बहुत ही ज्यादा सस्ता था. मैंने देखा उन्होंने कुछ बात की और लेडी अकेली ऊपर आने लगी.

कुछ ही देर बाद मेरे रूम की बेल बजी, मैंने दरवाजा खोला.
लेडी कहने लगी- सर, मैं अंदर आ सकती हूँ?
मैंने कहा- आइये.

लेडी अंदर आई और बोली- सर, मुझे ये फ्लैट चाहिए और उसने दोनों हाथ जोड़ दिए. मैं कुछ सोचने का नाटक करने लगा.
वो बोली- सर, भगवान ने मुझे पति तो ढंग का नहीं दिया, क्या मेरी किस्मत में अच्छा पड़ोसी भी नहीं है?

उसने मायूस सा चेहरा बनाया और उसकी आंखें नम हो गईं.
मैंने उठकर उसके नर्म हाथों को अपने हाथों में पकड़ा और उसकी ओर देखते हुए कहा- आप ऐसा न कहें, अब ये फ्लैट आपका हुआ.

उसने पर्स से दस हजार रुपये निकाल कर मेरी ओर बढ़ाये तो मैंने कहा- कोई बात नहीं, आप पहले एक बार अपने हस्बैंड को बुलाओ.
वह खुश हो कर बोली- थैंक्स। मैं अभी बुलाती हूं.

वो बंगालन जल्दी से नीचे जा कर अपने हस्बैंड को बुला लाई. उसका हस्बैंड चुपचाप बैठ गया. लेडी ने मुझे एडवांस दिया. मैंने उन्हें टर्म्स एन्ड कंडीशन्स समझा दीं और दोबारा कहा कि पीछे वाली बालकॉनी पर उनका कोई अधिकार नहीं होगा.

आदमी कहने लगा- ठीक है, जैसा आप कहते हैं वैसा ही होगा. हम अपना पीछे का दरवाजा हमेशा बन्द रखेंगे और यदि मेरी वाइफ उधर आये तो आप मुझसे शिकायत कर देना, मैं इसकी टांगें तोड़ दूंगा.

मैं हंसने लगा और बोला- भाई साहब, अच्छा रहेगा यदि आप कुछ न ही बोलें.
मैंने कहा- आप लोग अपना परिचय देना चाहेंगे?

आदमी अपनी बीवी से कहने लगा- दीपिका आप ही बोलो, क्योंकि मैं बोलूंगा तो हो सकता है सर नाराज हो जाएं।
लेडी बोली- ये मेरे हस्बैंड हैं मि. सुभेन्दु घोष और मैं इनकी बीवी दीपिका घोष. हम कोलकाता से हैं और अभी 10 महीने पहले हमारी शादी हुई है. इस शहर में एक कॉल सेंटर में इन्हें नौकरी मिली है.

उस बंगालन ने बताया कि वह पढ़ी लिखी तो है परंतु हाउस वाइफ ही है, कोई अच्छी जॉब मिली तो कर लेगी.
अपने परिचय में मैंने अपना नाम राजेश्वर शर्मा बताया और संक्षिप्त में अपना परिचय उनको दे दिया.

मैंने कहा- मैं आपके लिए चाय बना देता हूँ.
घोष बाबू मना करने लगे तो दीपिका ने उन्हें इशारे से चुप करवा दिया और कहने लगी- जी सर, हम चाय पीकर ही जाएंगे.

फिर वो कहने लगी- आप मुझे किचन बता दें, मैं खुद बना लूंगी.
मैंने कहा- नहीं दीपिका जी, आज तो आप मेरे मेहमान हैं. चाय तो मैं ही बनाऊंगा, आप बैठें.

मैं डिप डिप वाली तीन चाय बना लाया और कुछ बिस्कुट साथ में रख दिये. हम तीनों चाय पीते हुए बातें करने लगे.
घोष बाबू मुझसे बोले- मि. राज, आपकी उम्र क्या है?

जवाब में मैंने कहा- 30 साल.
घोष कहने लगा- फिर तो मैं आपको छोटा भाई कह सकता हूँ, क्योंकि मैं 35 का हूँ.
मैंने कहा- ठीक है, आप कह सकते हैं.

घोष- फिर तो दीपिका को आप भाभी बुला सकते हैं. वैसे ये आपसे भी पांच साल छोटी हैं.
मैंने दीपिका की ओर हसरत भरी निगाह से देखा और बोल दिया- यदि दीपिका जी को कोई एतराज़ न हो तो मैं इन्हें भाभी जी बुलाऊंगा.
दीपिका ने मेरी आँखों में देखते हुए अपनी दोनों आंखें बंद करके सहमति दे दी.

जब हम चाय पी रहे थे तो मैंने देखा घोष बाबू की टांगें और कमर बिल्कुल पतली सी लकड़ी जैसी लग रही थीं.

मैंने लोअर और बहुत ही सुंदर टी शर्ट पहन रखी थी. जैसा कि मैं हर बार बताता हूँ कि घर पर मैं कपड़ों के नीचे बनियान और अंडरवियर नहीं पहनता हूँ जिससे हर वक्त मेरा लण्ड कुछ उभरा हुआ दिखाई देता रहता है.

दीपिका कभी मेरे शरीर और सुडौल पटों को निहारती तो कभी घोष की टाँगों को देखती. मैं भाभी की कामुक निगाहों को पहचान गया था. दीपिका के हाथों और पैरों की उंगलियां बहुत ही नाजुक, गोरी और गुदाज थी.

नाखूनों पर दीपिका ने बहुत सुंदर नेल पॉलिश लगा रखी थी. बैठे हुए दीपिका की साड़ी में से उसके सुडौल पट और भरी हुई जाँघें और उसका सुन्दर चिकना, सेक्सी पेट दिखाई दे रहा था.

कुछ देर बाद बैठे हुए दीपिका ने अपनी एक टांग को दूसरी पर चढ़ा लिया जिससे उसकी ऊपर और नीचे वाली टांगों से साड़ी पीछे खिसक गई और उसकी मोटी, सुंदर, गुदाज़, गोरी पिंडली देखकर मेरे लण्ड में कसाव आना शुरू हो गया था.

मैं सोच रहा था कि जिसकी पिंडलियाँ इतनी सुंदर हैं तो पट और जाँघें कितनी सेक्सी होंगी? मेरा ध्यान दीपिका के सेक्सी शरीर की जांच करने में लगा हुआ था जिसे दीपिका अच्छी प्रकार से समझ रही थी.

तभी घोष बाबू कहने लगे- मुझे बाथरूम जाना है.
मैंने उन्हें उनके पोर्शन की चाबी दे दी और कहा- आज से घर आपका है, जो मर्जी करो.
घोष उठकर चला गया.

मैं जब चाय के कपों की ट्रे उठाने लगा तो दीपिका ने मेरे हाथ से ट्रे छीन ली. ट्रे लेते समय मेरे हाथ दीपिका के नर्म हाथों से अच्छी तरह से टच हो गए और हम दोनों के शरीर झनझना उठे.

दीपिका को किचन दिखाने के बहाने मैं उठकर अपनी किचन में जाने लगा तो दीपिका मेरे पीछे आ गई और जब उसने पीछे की बालकॉनी देखी तो बोली- सर, ये तो बहुत ही शानदार बालकॉनी है. मन मोह लिया इस नजारे ने मेरा।

मगर जल्दी ही उसका चेहरा मायूस सा हो गया और वो बोली- लेकिन हम लोग तो यहां पर ये नजारा देखने के लिए आ भी नहीं सकते हैं. आपने सख्त मना किया है हमारे लिये।

मैंने धीरे से कहा- दीपिका जी, आपके लिए कोई भी मनाही नहीं है, आप जहां चाहें वहाँ बैठ सकती हैं, घूम सकती हैं, बालकॉनी तो क्या आप मेरे कमरे को भी अपना ही समझें, लेकिन घोष बाबू?

इतने में ही वो हंसने लगी और बोली- थैंक्स, मुझे आप बहुत अच्छे लगे.

मैंने कहा- लेकिन ये बात आप घोष बाबू को मत बताना.
दीपिका ने मेरी ओर शोखी से देखा और धीरे से बोली- ठीक है, हम दोनों की बात हम तक ही रहेगी.

दीपिका मेरी बालकॉनी के एक कॉर्नर में बने छोटे से किचन में चली गई और मैं बाहर दरवाजे पर खड़ा हो गया.
जैसे ही मैं कुछ बोलने लगा तभी दीपिका धीरे से बोली- वो आ रहे हैं.

फिर मैं बोलते बोलते मैं चुप हो गया.

दीपिका की इतनी सी बात ने मुझे अन्दर तक रोमांचित कर दिया क्योंकि इसी इशारे से हमारे आगे के संबंधों की नींव रखी जा चुकी थी.

उसके बाद हम तीनों मेरे कमरे में आ गए.
दीपिका मुझसे पूछने लगी- हम कब शिफ्ट कर सकते हैं?
मैंने कहा- आज से मकान आपका है, चाहें तो आज ही आ जाएं, मुझे कोई ऐतराज नहीं है।

घोष बाबू बोले- लेकिन आज तो 22 तारीख है, किराया तो पहली तारीख से चालू होगा न?
मैंने कहा- घोष बाबू, किराया पहली से ही चालू होगा, मगर आप जब मर्जी चाहो शिफ्ट कर लो.

मैंने देखा कि मेरी इस बात से दीपिका खुश हो गई. उसने धीरे से कहा- थैंक्स, सर.
मैंने कहा- भाभी जी, आप मुझे सर की बजाए ‘राज’ कह सकती हैं.
दीपिका मुस्करा दी और बोली- ठीक है, आज से राज जी बोलूंगी.

घोष बाबू ने एक बार फिर बात छेड़ दी और बोले- अरे भई, शिफ्ट करना भी तो पूरी मुसीबत है, कौन सा आसान काम है? पूरा एक महीना लग जाता है सैटिंग करने में। कभी प्लम्बर, कभी इलेक्ट्रिशियन और न जाने क्या क्या चाहिये होगा.

दीपिका- वो तो सब कुछ मुझे ही करना है, आप तो चले जाएंगे ऑफिस में.
मैंने कहा- एक बार आप लोग अपना सामान यहाँ ले आइये, फिर मैं हेल्प कर दूँगा.

घोष बाबू ने मुझसे मेरा फोन नम्बर लिया और अपने फोन में सेव कर लिया.
जाते हुए बोले- ठीक है राज जी, हमने जब शिफ्ट करना होगा तब बता देंगे.

मैंने कहा- ठीक है.
वे जाने के लिए मुड़ गए. दीपिका ने दो तीन बार मुझे मुड़ कर देखा. मैंने हल्की सी स्माइल दी तो उसने भी हसरत भरी स्माइल देकर अपनी हथेली और उंगलियों को धीरे से नीचे करके बॉय कर दिया और वे लोग चले गए.

उसके चुपके से ये सब करने से या यूं कहें कि चोरी से बॉय करने के तरीके से मैं रोमांचित हो उठा और मेरे दिल में दीपिका को चोदने की इच्छा एकदम चार गुणा हो गई.

जब वो नीचे गए तो मैंने खिड़की से थोड़ा पर्दा हटा कर देखा तो दीपिका नजरें चुरा कर ऊपर की ओर ही देख रही थी. शायद मेरी आखिरी झलक पाने की इच्छा उसके मन में थी.

दीपिका की चूची और उसकी मोटी गुदाज जांघों के बारे में सोच सोच कर ही मेरे लंड से कुछ कामरस निकल आया था जिसने मेरी लोअर को अंदर से हल्का सा गीला कर दिया था. मेरा मन उसकी चूत मारने को कर गया लेकिन अभी तो हाथ का ही सहारा था.
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Update - 2

आपने पढ़ा था कि दीपिका और शुभेंदू घोष नाम का कपल उस फ्लैट को किराये के लिए देखने आया जिसके आधे भाग में मैं खुद किराये पर रहता था.

दीपिका मुझे पसंद आ गयी और मैं उसको किसी भी हाल में जाने नहीं देना चाहता था. उनको भी फ्लैट पसंद आ गया और वो दोनों एडवांस देकर चले गये.

उनके जाने के बाद मैं दीपिका के बारे में ही सोचता रहा, उसके सेक्सी गुदाज बदन के हर अंग को मैं कल्पना में छूता रहा. दीपिका के इशारों से भी पता लग रहा था कि वो भी अपने पति से खुश नहीं है और वो भी मुझमें रुचि ले रही है.
अब आगे
रात भर मैं दीपिका और उसकी गदराई जवानी और लाजवाब हुस्न के बारे में सोचता रहा और उसे हासिल करने का ताना-बाना बुनता रहा. उस रात बहुत ही मुश्किल से नींद आई. अंत में सोचते सोचेत मेरा लौड़ा अकड़ गया और मुझे मुठ मार कर उसको शांत करना पड़ा.

अगले रोज़ सुबह 8.30 बजे मेरे फोन की घंटी बजी.
मैंने हेलो बोला तो उधर से बहुत ही रसीली मधुर आवाज आई- राज जी, नमस्कार, मैं दीपिका बोल रही हूँ.
मैं- नमस्कार भाभी जी, कहिये कैसी हैं आप?

दीपिका- राज जी, आपसे कुछ पूछना था, वो कामवाली बाई मिल जाएगी क्या?
मैंने कहा- जी, जो कामवाली बाई मेरे यहाँ काम करती है उसी को बोल दूंगा.

उसने पूछा- वो कितने पैसे लेगी? यहाँ तो हम 5000 रुपये महीना देते हैं.
मैंने कहा- मैं उससे कम में ही करवा दूँगा.
दीपिका कहने लगी- आप तो सब कुछ बहुत ही सस्ते में करवा रहे हो.

वो फिर बोली- राज जी, कामवाली बाई से बोलकर मकान साफ करवा दें तो अच्छा होगा, क्योंकि मैं चाहती हूँ कल सांय तक शिफ्ट कर लें.
मैंने कहा- दोपहर तक साफ सफाई हो जायेगी, आप आ जाएं.

दीपिका कहने लगी- एक बात और पूछनी थी?
मैं- जी पूछिये.
दीपिका- आप उस दिन इतने नाराज क्यों हुए थे?

मैंने कहा- दीपिका जी, मैं लेडीज की इज्जत करता हूँ और आपके हस्बैंड आपसे बद्तमीज़ी से पेश आ रहे थे जो मैं सहन नहीं कर सका.
दीपिका- राज जी, आप बहुत अच्छे इंसान हैं, सबको अपना बना लेते हो.

मैं- मैंने किसको अपना बनाया है?
दीपिका इस बात पर कुछ देर चुप रही.
मैंने फिर कहा- आपने बताया नहीं दीपिका जी?

दीपिका धीरे से बोली- मुझे नहीं पता, अब फोन पर कैसे बताऊं?
मैं- चलो, आ कर बता देना. वैसे आपके हस्बैंड घोष बाबू कहाँ हैं?
दीपिका- वो तो 8.00 बजे ऑफिस पहुंच जाते हैं. राज जी, आप जल्दी में तो नहीं हो?

मैं- बस ऑफिस के लिए तैयार हो रहा था.
दीपिका- वापस कब तक आते हैं?
मैं- 6.00 बजे तक.
दीपिका- ठीक है, सांय को मिलते हैं.
मैं- ओके, बॉय.

दीपिका के उसी दिन शिफ्ट करने की बात सुनकर मैं खुशी से झूम उठा और रह रह कर मैं उन बातों को याद करता रहा जो बातें मेरे और दीपिका के बीच हुई थी.

सांय को जब मैं सोसाइटी में पहुंचा तो उनका सामान ट्रक से उतर चुका था.
मैंने कहा- आप रात को सोने का कुछ सामान ठीक से सेट कर लो, बाकी सुबह देख लेंगें.

उसी समय मैंने सोसाइटी के सुपरवाइजर को तीन चार मजदूर टाइप के लड़कों को लेकर बुलाया और उसको कहा कि आज और कल में जितना सामान सेट हो सकता है कर दें और ध्यान रखें कि मैडम को ज्यादा काम न करना पड़े.

उन्होंने दो-तीन घंटे में सारा घर सेट कर दिया. इस बीच मैं भी दीपिका की हेल्प करवाता रहा. हेल्प करते हुए हमारे हाथ और बदन कई बार आपस में टकराते रहे और हम एक दूसरे का साथ पाकर रोमांचित होते रहे.

दीपिका ने एक लूज़ पाजामा तथा टीशर्ट पहन रखी थी जिसमें से उसके थरथराते चूतड़ और हिलती हुई बड़ी चूचियाँ मेरे लण्ड को भड़काने के लिए काफी थीं. खाना हमने उस सांय होटल से मंगवा कर मेरे कमरे में बैठ कर खा लिया.

अगले रोज मुझे सुबह ही दो दिन के टूर पर जाना था. जब मैंने दीपिका को टूर पर जाने की बात बताई तो वह बोली- आपके कारण दो दिन का काम कल दो घंटों में हो गया, अब ये तो ऑफिस जा रहे हैं और आप टूर पर?

मैंने कहा- आपको जो भी दिक्कत हो आप मुझे फोन पर बताती रहना, मैं सब कुछ कर दूंगा.
दीपिका उदास हो गई.

मैंने कहा- क्या बात है दीपिका जी, मुझ पर विश्वास नहीं है क्या?
दीपिका बोली- वो बात नहीं है, चलो आप जाइये. आपका टूर पर जाना भी जरूरी है.
मैं टूर पर चला गया.

दीपिका मुझे हर घंटे दो घंटे बाद अपनी प्लम्बर, इलेक्ट्रिशियन आदि की दिक्कतें बताती रही और मैं उसकी दिक्कतें दूर करता रहा.

दो दिन में सारा घर सेट हो गया.
तीसरे दिन सांय 7 बजे मैं टूर से अपने कमरे पर पहुंच गया और होटल से खाना मंगवा कर और खाकर सो गया.

अगले रोज दोपहर को दीपिका का फोन आया- राज जी, आप आज दफ़्तर से जल्दी आ जाना, सांय को आपको डिनर पर बुलाने घोष बाबू को भेजूंगी, मना मत करना.
मैंने कहा- ठीक है, मैं आ जाऊँगा.

मैं 4 बजे ही आ गया और 4.30 पर घोष बाबू मेरे रूम में आये और बोले- दादा, आज सांय का डिनर हमारे साथ करना है, हमने मेरे कोलकाता के एक फ्रेंड बनर्जी और उसकी वाइफ संजना को भी बुलाया है, आप आएंगे न?
मैंने पूछा- कोई खास बात है क्या?

घोष- नहीं बस मिलकर बैठेंगे, खाना पीना हो जाएगा, आप ड्रिंक्स वैगरह ले लेते हैं या नहीं?
मैंने कहा- दादा, थोड़ी बहुत कभी-कभार ले लेता हूँ, लेकिन आप लोगों के बीच में मैं बैठकर क्या करूँगा, आप एन्जॉय करिये, थैंक्स.

वो बोले- इसका मतलब है कि आप हमें अपना नहीं समझते और अभी तक मुझसे नाराज हैं. ठीक है, कोई बात नहीं, मैं दीपिका को बोल देता हूँ. ये डिनर हमने आपको थैंक्स करने के लिए ही अर्रेन्ज किया था, आप नहीं आएंगे तो मैं बनर्जी और संजना को भी मना कर देता हूँ.

मैंने कहा- ठीक है, बताइये कितने बजे आना है?
घोष- बस आप 6.00 बजे तक आ जाएं, वे लोग तो पहुंचने वाले ही हैं.
मैंने कहा- ठीक है, मैं आ जाऊंगा.

घोष चला गया. मैं मन ही मन खुश हो रहा था कि चलो आज संजना से भी मुलाकात हो जाएगी. मैंने चाय पी और नहाने के लिए बाथरूम में घुस गया.

नहाने के बाद मैंने बॉडी पर अच्छे से एक खुशबूदार लोशन लगाया, जीन्स और एक बहुत ही सेक्सी, सामने से डीप कट की टीशर्ट पहनी जिसमें मेरे छाती के बाल दिखते थे. मैंने जान बूझकर नीचे अंडरवेयर और बनियान नहीं पहनी.

अंडरवेयर पहनने से मेरा लण्ड मुड़ जाता है और ज्यादा दिखाई नहीं देता लेकिन न पहनने से लण्ड पट की ओर सीधा हो कर अपना साइज ठीक रखता है.

मैंने एक इम्पोर्टेड मस्क डीओ लगाया जिसमें आदमी की बॉडी की स्मेल बहुत सेक्सी हो जाती है.
6.30 पर घोष बाबू फिर आये और बोले- आ जाओ दादा, हम सब आपका इंतजार कर रहे हैं.
मैं घोष बाबू के साथ हो लिया.

जब मैं उनके ड्राइंगरूम में पहुँचा तो सभी ने खड़े हो कर मेरा स्वागत किया. घोष ने उन दोनों से मेरा परिचय करवाते हुए कहा- ये मेरे फ्रेंड बनर्जी और ये इनकी वाइफ संजना.

मैंने संजना को देखा तो मेरी धड़कन तेज हो गई. गजब की सेक्सी लेडी थी. 38-34-36 का साइज, एकदम दूध जैसा गोरा रंग, बहुत ही सुंदर नयन नक्श.

संजना ने बहुत ही छोटा सा स्लीवलेस बिना बाजू का ब्लॉउज पहन रखा था और नीचे उसका आधा सुन्दर, नर्म, गुदाज पेट और सुन्दर गोल अंदर धंसी हुई नाभि दिखाई दे रही थी. संजना ने नीचे बहुत ही सुंदर और बहुत ही टाइट साड़ी पहन रखी थी.

कुछ ही देर में मुझे दीपिका दिखाई दी.

दीपिका ने बहुत सुन्दर स्लीवलेस टॉप पहना था जिसमें से उसकी आधी सुडौल चूचियाँ बाहर निकल रही थीं और चूचियों ने टॉप को छतरी की तरह से उठा रखा था. नीचे उसने बहुत ही टाइट कैपरी पैंट पहनी थी.

अंदर कैपरी में से उसकी सुडौल जांघों के बीच उसकी चूत के दोनों बाहरी मोटे मोटे भगोष्ठ अलग से दिखाई दे रहे थे. पैंट की बीच की सिलाई उसकी चूत की दोनों फांकों के बीच में घुसी हुई थी.

कैपरी के नीचे उसकी नंगी, मोटी, गोरी और सुडौल पिंडलियाँ दिखाई दे रहीं थीं. दीपिका के चूचों, चूत के डिज़ाइन और उसके हुस्न को देखते ही मेरे लौड़े में कसाव आना शुरू हो गया, जिसे दीपिका देखने लगी थी.

हम बैठ गए. बनर्जी से कुछ औपचारिक बातें हुईं. बनर्जी सन्यासी टाइप का आदमी लगा जिसे दीन दुनिया की कोई खास नॉलेज नहीं थी. दीपिका मेरे सामने वाले सोफे पर ही बैठी थी और उसकी नजरें मुझ पर जमीं थीं. उसके और मेरे बीच बस एक सेंटर टेबल थी.

कुछ ही देर बाद बियर के गिलास रखे गए और हम तीनों के गिलासों में बियर डाली गई और दो गिलासों में कोल्डड्रिंक डाली गई. दीपिका उठ कर स्नैक्स ले आई. हम लोग ड्रिंक पीने लगे और हल्की फुल्की बातें करने लगे.
दोनों लेडीज़ ने सॉफ्ट ड्रिंक ले लिए.

दीपिका की नज़र तो मुझ पर से हट ही नहीं रही थी. दरअसल पिछले एक हफ्ते भर से मैंने दीपिका की बहुत मदद की थी. उसको घर दिलवाया, घर सेट करवाया और उसके आराम का भी ख्याल रखा था. इसलिए दीपिका मुझ पर पूरी तरह से आसक्त हो चुकी थी.

दूसरी तरफ़ मैं उसे चोदना तो चाहता था लेकिन जल्दबाजी करके हल्का पड़ना नहीं चाहता था. मेरी नजरें उसकी पैंट में से दिखती चूत पर थीं जो उसकी मोटी सुडौल जांघों के बीच से पकौड़ा सी बनी दिखाई दे रही थी. उससे मेरे लण्ड में तनाव बढ़ता जा रहा था.

मैंने अपने आपको थोड़ा हिलाते हुए अपने लण्ड को नीचे से निकाल कर अपने पट के साथ लगा लिया जिससे लण्ड अपने पूरे आकार में मेरे घुटने की तरफ उभर कर आ गया. दीपिका कभी मेरी ओर देखती तो कभी मेरे उभरे लण्ड की ओर देखती.

दीपिका ने अचानक से अपने एक पांव को दूसरे पर रखा और अपनी जांघों को भींच लिया. मैंने और संजना ने उसका जांघों को भींचना साफ नोटिस कर लिया था. उसकी साँसें उखड़ने लगी थीं. दरअसल, जांघों को भींच कर वह अपनी चूत को भींच रही थी.

मैंने मेरे लण्ड के ऊपर अपना हैंकी डाल लिया जिसे दीपिका और संजना ने देख लिया.

दीपिका की हालत देख संजना बोली- अरे राज जी, कुछ लो न, आप तो कुछ खा ही नहीं रहे हो?
फिर वो दीपिका की ओर देखकर बोली- दीपिका, सर्व करो न!

दीपिका उठी और टेबल के ऊपर से मेरी ओर झुककर मुझे खाने को देने लगी तो ऐसा लगा जैसे उसके मम्मे मेरे ऊपर ही गिर जाएंगे. मैंने उसकी आंखों में आंखें डालकर स्नैक्स उठा लिया.

स्नैक्स लेते समय मैंने धीरे से उसकी उंगली को टच कर दिया और उसकी चूत को देखने लगा. मेरा ध्यान उसकी चूत के नीचे वाली जगह गया तो देखा कि वहाँ एक गीला निशान बन गया था.

उस निशान को संजना ने भी देख लिया था.
संजना बोली- अच्छा, दीपिका तुम बैठो, मैं ही देती हूँ.
संजना ने दीपिका को वापस से बैठा दिया.

तभी घोष बाबू कहने लगे- राज जी, बनर्जी और संजना हमारे खास दोस्त हैं. आप इन्हें भी इसी सोसाइटी में फ्लैट दिलवा दो, क्या आप ये सामने वाला ट्राई नहीं कर सकते?

मैंने कहा- इसका मालिक तो विदेश में रहता है.
तभी संजना बोली- राज जी, यदि आप चाहो तो सब कुछ हो सकता है. अब हमें पक्का विश्वास हो गया है कि आप सब कुछ कर सकते हैं. प्लीज, कुछ करो, मैं और दीपिका बहुत अच्छी सहेलियाँ हैं.

उनको भरोसा दिलाते हुए मैंने कहा- ठीक है, मैं कुछ करता हूँ.
दीपिका बड़ी सेक्सी अदा से बोली- कुछ नहीं, सब कुछ करना है राज जी.
मैंने कहा- ठीक है, हो जाएगा.
बनर्जी और घोष एकदम बोले- इसी बात पर एक एक जाम हो जाये?

हमने ड्रिंक शुरू की और कुछ देर बाद खाना खा लिया. इस बीच दीपिका का बुरा हाल हो चुका था. वह सभी के बीच में बैठी बैठी अपनी जांघों को भींचती रही और उसकी चूत पानी छोड़ती रही.

उसे देख देखकर मेरा भी बुरा हाल हो चुका था. संजना बहुत कुछ देख समझ चुकी थी. दरअसल पैंट और टॉप में दीपिका का रूप अलग ही लग रहा था. दीपिका गजब की हॉट लग रही थी और बिल्कुल चुदासी हो चुकी थी.

खाना खा कर बनर्जी और संजना चले गए और मैं अपने कमरे में आ गया. मैं और दीपिका एक ही फ्लैट में रहते हुए भी मिल नहीं पा रहे थे क्योंकि जब मैं ऑफिस से आता तो घोष बाबू भी आ चुके होते थे.

तीन रोज बाद जब मैं ऑफिस से 8.00 बजे आया तो कमरा खोल कर मैंने चाय पी. उसके बाद नहाया. फिर मैंने कपड़े डाल कर जगजीत सिंह की गजलें लगा लीं और बालकॉनी में ड्रिंक करने के लिए बैठ गया.

मैंने आधा पेग ही लगाया था कि दीपिका के बेडरूम का लकड़ी का दरवाजा खुला. (बालकॉनी की साइड से वे लोग दरवाजा बन्द रखते थे) जाली के दरवाजे पर दीपिका ने नॉक किया तो मैंने मुड़कर देखा.

अंदर से दीपिका की आवाज आई- क्या मैं आपको डिस्टर्ब कर सकती हूँ?
मैंने कहा- हाँ भाभी जी, बताइये?
दीपिका- जनाब, मैं बालकॉनी में आने की इजाज़त मांग रही हूँ?

मैं खड़ा हो गया और अपना गिलास छुपा कर बोला- आइये.
दीपिका बाहर बालकॉनी में आ गई. यहां मैं बता दूं कि मैंने बालकॉनी की लाइट नहीं जला रखी थी और मैं अंदर कमरे में से जो खिड़की और दरवाजों से हल्की सी लाइट आती थी, उसी में बैठता था.

दीपिका आई और बोली- बैठ सकती हूँ?
मैंने कहा- हाँ, भाभी बैठिये.
दो बिना आर्म की इजी चेयर और एक छोटी सेन्टर टेबल बालकॉनी में हमेशा बाहर ही रहती थी.

वो साथ में रखी एक चेयर पर बैठ गई और बोली- आप अपना ड्रिंक जारी रखें, मुझे कोई ऐतराज नहीं है.
मैंने उनसे पूछा- घोष बाबू अभी तक नहीं आये क्या?

दीपिका बोली- अभी गए हैं, आज से उनकी नाईट शिफ्ट है. उनकी 15 दिन सुबह 8 बजे से सांय 8 बजे तक ड्यूटी होती है और 15 दिन रात 8 बजे से सुबह 8 बजे तक होती है, अतः आज से नाईट शिफ्ट शुरू हुई है और वे 7.30 पर यहाँ से चले गए थे.

वो बोली- मैं तो समझी थी कि आप अभी तक आये ही नहीं हो लेकिन फिर ये गजलों की आवाज सुनी तो खिड़की का पर्दा हटा कर देखा तो आप आये हुए हैं. फिर मैंने सोचा कि बहुत दिनों से आपसे न बात हुई है और न मुलाक़ात ही हुई, तो आपसे मिल लूँ.

फिर वो हक सा जताते हुए बोली- राज जी, ज़रा बता दिया करो कि आप आ गये हो. हम आपका यहाँ इंतजार कर रहे थे और आप हैं कि अपने ही घर में चुपके से आ गए. एक बात और कहनी थी राज जी, आप अकेले में मुझे दीपिका कह सकते हैं.

दीपिका ने उस समय घुटनों तक की स्कर्ट और ऊपर बिना ब्रा के स्लीवलेस टॉप पहन रखा था. टॉप दीपिका की बड़ी बड़ी चूचियों के ऊपर टंगा हुआ था. स्कर्ट में से दीपिका के चौड़े और सेक्सी घुटने दिखाई दे रहे थे. बैठने से स्कर्ट थोड़ी घुटनों से सरक कर दीपिका के पटों तक आ गई थी.

उसकी की इतनी सारी बातें सुनकर मैं हैरान और रोमांचित हो उठा और कुछ भी नहीं बोल सका, बस अंदर ही अंदर गर्म होने लग गया.
दीपिका फिर बोली- कुछ खाने के लिए लाऊं?

मैंने कहा- नहीं ये सलाद का कचूमर और चिप्स हैं, थोड़ा पनीर है. मैंने आपसे तो पूछा ही नहीं. रुकिये, मैं आपके लिए कोल्ड ड्रिंक लाता हूँ.
यह कह कर मैं अंदर मेरे छोटे फ़्रिज़ में से दीपिका के लिए एक शीतल पेय ले आया और उसे गिलास में डालकर उन्हें दे दिया.

फिर मैंने पूछा- भाभी, घोष भैया को पता लगेगा तो वे नाराज़ नहीं होंगे?
दीपिका मुस्कराकर अदा से बोली- उनको कौन बताएगा? क्या आप बताओगे?

मैंने मुस्करा कर कहा- नहीं, मैं क्यों बताऊंगा.
दीपिका- अच्छा ये बताओ, क्या आप हर रोज ड्रिंक करते हो?
मैं- नहीं, कभी कभी. महीने में दो तीन बार. बस छोटे छोटे दो पेग.
दीपिका- इसको पीने से ऐसा क्या होता है?

मस्त होकर मैंने कहा- इससे थोड़ा माहौल और मूड बदल जाता है. आदमी की थकान उतर जाती है और थोड़ा रोमांटिक हो जाता है. कुछ समय के लिए आदमी बेकार की बातों को भूलकर सुरूर में आ जाता है.

दीपिका कुछ सोचने लगी.
मैंने पूछा- लेने का मूड है क्या?
दीपिका- कुछ होगा तो नहीं ना? मैंने तो आज तक कभी इसे चखा भी नहीं है, लेकिन आज मैं भी कुछ भूलना चाहती हूँ.

मैंने दीपिका से उसका कोल्डड्रिंक का गिलास लिया और उसमें आधा पेग 30 एम.एल. विहस्की डाल दी और दीपिका को कहा- आप चेयर पर पीछे सिर लगा कर बैठ जाओ और आँखें बंद करके इसे बिल्कुल धीरे धीरे सिप करो.

दीपिका ने एक हल्का सा सिप किया और चेयर पर पीछे सिर टिका लिया. कुछ देर बाद दूसरा और फिर तीसरा सिप लिया.
मैंने कहा- साथ कुछ खाती भी रहो. जैसे ही दीपिका कुछ लेने के लिए सीधी हुई उसे हल्का सरूर लगा और बैठते ही बोली- ओह्ह, मुझे कुछ लग रहा है।

मैंने कहा- क्या लग रहा है?
दीपिका- अच्छा लग रहा है.
यह कहते हुए दीपिका ने वह ड्रिंक जल्दी ही खत्म कर लिया और बोली- ओह माई गॉड, वंडरफुल … अच्छा लगा.

दीपिका की जांघों और उसके स्तनों को टॉप में उठा देख कर मेरा हथियार मेरी लोअर में उभार ले चुका था. कम रोशनी में भी मुझे दीपिका के 38 साइज़ के भारी भारी मम्में और उन मम्मों पर तने हुए तीखे निप्पल साफ साफ दिखाई दे रहे थे. मेरे लौड़े ने मेरी लोअर से बाहर आने की बगावत शुरू कर दी थी।
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Update - 3
कहानी के दूसरे भाग में मैंने आपको बताया था कि दीपिका ने मुझे अपने रूम में रात्रिभोज पर आमंत्रित किया.

उस रात उसकी सहेली संजना भी आई हुई थी. दीपिका की नजर बार बार मेरी जीन्स में तने हुए मेरे लंड पर जा रही थी और मेरी नजर उसकी कैपरी के अंदर पकौड़े जैसी दिख रही चूत पर टिकी थी.

फिर तीन दिन के बाद उसके हस्बैंड की नाइट शिफ्ट शुरू हो गयी और एक शाम वो मेरे यहां बालकनी में आकर बैठ गयी. मैं उस वक्त ड्रिंक कर रहा था और दीपिका ने भी ड्रिंक टेस्ट करने की फरमाइश की.

उसके पहला पैग खत्म किया और उसको सुरूर होने लगा.
अब आगे

दीपिका का ड्रिंक खत्म होता देख कर मैंने सोचा कि मैं उसके लिए और कोल्ड ड्रिंक ले आता हूं.

मैंने दीपिका से कहा- मैं आपके लिए कोल्डड्रिंक और लाता हूँ, और जैसे ही मैं उठने लगा तो दीपिका कहने लगी- कोल्डड्रिंक बहुत मीठी है, आप वाली कैसी है, जरा देखूँ तो?

यह कह कर उसने मेरा गिलास उठाया और उसमें से एक सिप कर लिया और बोली- इसका स्वाद भी बढ़िया है.
मैंने कहा- मैं आपका दूसरा पेग बना देता हूँ, यह तो मेरा झूठा है.

दीपिका पर आधे पैग का ही पूरा सरूर हो गया था.
वह बोली- क्या राज जी, आपने भी क्या हल्की बात कर दी? अपनों का भी कभी झूठा होता है?
यह कह कर उसने एक बड़ा सा सिप और ले लिया और कुछ ही मिनट के बाद वो झूमने लगी.

थोड़ी देर हम चुप बैठे रहे. फिर दीपिका अपना सिर पीछे लगाए लगाए बोली- राज, कोई बात करो न.
अब मैं समझ चुका था कि दीपिका चुदने के मूड में आ चुकी है.
मैंने कहा- दीपिका, आपके हाथ बहुत सुंदर हैं.

दीपिका ने अपने हाथ मेरी तरफ बढ़ाये और बोली- पसंद हैं?
मैं- बहुत पसंद हैं.
दीपिका- तो चूम क्यों नहीं लेते?

मैंने दीपिका के दोनों हाथों को पकड़ा और कहा- इतनी दूर बैठी हो, मेरे पास आओ तभी तो कुछ करूंगा.
मैंने उसके हाथों को पकड़े पकड़े ऊपर उठने का इशारा किया और दीपिका जैसे ही उठी, मैंने उसे अपनी ओर खींच कर अपनी गोद में बैठा लिया. दीपिका धम्म से मेरी गोदी में आ गई.

मुझे लगा जैसे मेरी गोदी में जन्नत आ बैठी हो. मेरा 8 इंच लंबा मोटा लौड़ा उसके चूतड़ों की खाई में धंस गया.
गोदी में बैठते ही मैंने दीपिका के होंठों को चूम लिया और उसे एक बाँह में संभालते हुए एक हाथ से पैग उठा कर उसके होंठों से लगा दिया.

दीपिका ने एक सिप ली और उसी गिलास को अपने हाथ से पकड़ कर मेरे होंठों से लगा दिया.
एक मिनट में ही दुनिया की सारी मस्ती हम दोनों में सिमट कर भर गई.

मैंने अपनी दोनों हथेलियों में दीपिका के बड़े बड़े चूचों को पकड़ लिया और उन्हें सहलाने लगा. दीपिका ने अपने गाल मेरे गालों से सटा दिए और लम्बी लम्बी सिसकारी लेने लगी- ऊह्ह … अम्म … राज … आह्ह … ओह्ह।

मैं धीरे धीरे उसके मखमली शरीर पर अपना हाथ घुमाने लगा. मेरा हाथ उसकी बाजुओं और चूचियों से होता हुआ उसके पेट और उसकी जांघों और पटों पर चलने लगा. दीपिका की सांसें लगातार तेज हो रही थीं.

फिर मैंने दीपिका के मुँह में एक पनीर का टुकड़ा डाला तो उसने दोबारा मेरे गिलास से एक बड़ा सिप ले लिया और मुड़ कर मेरी छाती से अपनी छाती लगा दी और मुझे ज़ोर से अपनी बांहों में जकड़ लिया. मैंने दीपिका के टॉप में पीछे से हाथ डाला और उसकी कमर को सहलाने लगा.

कमर के बाद मैंने उसके पटों पर हाथ फिराते हुए उसकी स्कर्ट में हाथ डाल कर उसकी जांघों को सहला दिया. दीपिका ने नीचे पैंटी नहीं पहनी थी. मेरे हाथ पर कहीं भी उसकी पैंटी का अहसास नहीं हुआ तो मुझे पता चल गया कि चूत नंगी है.

वासना में उत्तेजित हुई दीपिका ने एकदम पोजीशन बदली और उसने बैठे बैठे अपने दोनों घुटनों को चौड़ा करके मेरे दोनों पटों के बाहर से कर लिया और अपनी चूत को मेरे उल्टे मुड़े लौड़े पर टिका कर बैठ गई.

दीपिका मुझसे बुरी तरह से लिपट गई और अपनी जांघों को मेरे ऊपर दबाने लगी. शायद उसको अपनी चूत पर मेरे मोटे गर्म लौड़े का मदमस्त करने देने वाला अहसास मिल रहा था.

मैंने दीपिका के टॉप को ऊपर उठाया और उसके एक बड़े मम्मे को अपने मुँह में भर लिया. दीपिका आनन्द से उई … ईईईई … करने लगी. दीपिका बैठे बैठे मुड़ी और मेरा पैग उठा कर गटागट एक ही सांस में पी गई.

इस पर मैंने कहा- दीपिका, ये तुम्हारे लिए ज्यादा हो जाएगी.
दीपिका नशे में झूमती हुई बोली- आज सब कुछ ज्यादा ही तो करना है. आज मत रोको राज. तुम्हीं तो कह रहे थे कि इसे पीकर आदमी सब कुछ भूल जाता है.

यह कह कर दीपिका अपनी चूत को जोर जोर से मेरे उल्टे खड़े लण्ड पर रगड़ने लगी. मैं दीपिका की चूत का उभरा हुआ नर्म हिस्सा अपने लण्ड और पेट के नीचे वाले हिस्से पर स्पष्ट महसूस कर रहा था. उसने नीचे कुछ नहीं पहना था.

मैंने भी दीपिका का साथ देते हुए उसे जगह जगह से चूमना और उसकी बड़ी बड़ी सुडौल चूचियों को मसलना और पीना चालू रखा. मैंने अपने हाथों को दीपिका के दोनों कोमल और चिकने नितम्बों पर रखा और उन्हें अपनी ओर खींचते हुए नोंचने लगा.

धीरे धीरे मैंने दीपिका की स्कर्ट को पूरा ऊपर उठा कर उसके चूतड़ों को नंगा कर दिया. साथ ही मैं उसके टॉप को भी उसके गले तक उठा कर उसकी भारी और कठोर चूचियों का मर्दन करता रहा.

मौसम हल्की बारिश का हो रहा था और मेरे म्यूजिक सिस्टम से हल्की आवाज़ में प्यार भरे गाने चल रहे थे. हम दोनों उस बालकॉनी में लव बर्ड्स की तरह एक दूसरे की काम वासना को शाँत करने में लगे हुए थे.

बालकॉनी काफी बड़ी थी और दोनों तरफ आगे तक दीवारें होने के कारण पूरी प्राइवेसी थी. दीपिका की हरकतें तेजी पकड़ने लगीं और उसने अपनी चूत को मेरे ऊपर की तरफ खड़े उल्टे लौड़े पर जोर जोर से रगड़ना शुरू कर दिया.

मैं भी दीपिका की एक चूची को अपने मुँह में भर कर, एक हाथ से उसकी कमर को संभालकर और दूसरे हाथ से उसके चूतड़ों को पकड़ कर अपनी ओर खींचता रहा.

दीपिका की स्पीड बढ़ गई और उसके नथुने तेज तेज चलने लगे. आनन्द के चलते दीपिका के मुँह से- आ.आ… आ … ईईई … ओह … ओह्हो … जैसी लगभग चिल्लाने की आवाजें निकलने लगीं और उसने पूरे जोर से अपनी चूत को रगड़ते हुए अपना पानी छोड़ दिया और मेरे गले में दोनों बाहें डाल कर निढाल हो गई.

लगभग आधा घण्टे तक चले इस ओरल सेक्स के बाद दीपिका उठी और बोली- मुझे बाथरूम जाना है.
उठ कर दीपिका अपने बेडरूम में अंदर चली गई. मैं भी अपने बाथरूम में चल गया.

बाथरूम में मैंने देखा कि मेरा लोअर मेरी जाँघों की जगह पर दीपिका की चूत के रगड़ने और डिस्चार्ज से बिल्कुल गीला हो गया था.
दीपिका बाथरूम जाने के बाद बाहर बालकॉनी में नहीं आई और अन्दर बेड पर ही पसर गई.

मैं उसके पास अंदर गया और पूछा- दीपिका, खाना कब खाना है?
दीपिका नशे में बोली- ऊऊं … राज … पहले मुझे प्यार तो करो, खाना बाद में खाएंगे.
इतना कह कर उसने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपने ऊपर खींच लिया.

कमरे में पूरी लाइट थी. मैंने अपनी टीशर्ट निकाल दी और मेरी चौड़ी बालों वाली छाती नंगी हो गयी और मैं दीपिका के साथ अपनी नंगी छाती निकाल कर बेड पर लेट गया.

फिर उसके ऊपर झुक कर उसके होंठों को चूसने लगा. दीपिका ने अपनी बांहें मेरे गले में डाल दीं और अपने मुँह को मेरी छाती के बालों से रगड़ने लगी. मैंने दीपिका के टॉप को ऊपर उठा कर उसके गले में से निकाल दिया.

टॉप निकलते ही उसकी दोनों बड़ी बड़ी 38 साइज की सुडौल चूचियाँ बाहर निकल कर फड़फड़ाने लगीं. दोनों चूचियों की शेप, रंग और उन पर खड़े छोटे छोटे गुलाबी निप्पल कयामत ढहा रहे थे. मैंने उसके दोनों चूचों को अपने हाथों से पकड़ा और जोर जोर से मसलने लगा.

दीपिका के मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं. मैं एक एक करके दोनों चूचियों को अपने मुँह में भर कर चूसने लगा और एक हाथ से उसके पेट और जांघों को मसलता रहा.

वो रह रहकर अपनी चूत को झटके देती रही और मेरी कमर को नोंचती खसोटती रही. मैंने चूचियाँ छोड़कर दीपिका की स्कर्ट में हाथ डाला और पकड़ कर स्कर्ट को नीचे खींच दिया.

दीपिका ने स्कर्ट निकालने के लिए अपने चूतड़ों को थोड़ा ऊपर किया तो मैंने उसे उसकी टाँगों में से निकाल कर पास रखी चेयर पर फेंक दिया. स्कर्ट निकलने के बाद दीपिका मेरे सामने सेक्स की देवी की तरह पूरी नंगी पड़ी थी.

गज़ब की सुन्दर जाँघें, केले के तने के समान सेक्सी पट और टाँगें, उभरा हुआ सुंदर, चिकना, गोरा और मुलायम चूत के ऊपर का हिस्सा जिस पर कोई बाल नहीं थे.

मैंने दीपिका को उसके माथे से लेकर पांव के पंजे तक निहारा तो लगा कि भगवान ने उसके हर अंग को स्पेशल तरीके से बनाया था. दीपिका ने अपनी आंखें बंद कर रखी थीं और बार बार अपनी जांघों को भींच कर अपनी चूत की कामवासना को शांत करने की कोशिश कर रही थी.

अब मैंने दीपिका के सुंदर शरीर को ऊपर से चूमना शुरू किया. उसका माथा, आंखें, होंठ, ठुड्डी, गर्दन, चूचियों से होते हुए उसका सुंदर पेट, पेट के अंदर धंसी हुई सुंदर गोल नाभि को मैंने प्यार से चूम लिया. जिस भी अंग पर मेरे गर्म होंठ लगते तभी दीपिका के मुंह से गर्म आह्ह निकल जाती थी.

मैंने दीपिका को तड़पाने के लिए उसकी चूत और जाँघों के भाग को छोड़ दिया और उसके पांव की उंगलियों और अंगूठे को अपने मुँह में ले कर चूस लिया. दीपिका तड़प गई.

मेरे होंठ उसके घुटनों से होते हुए उसके सुंदर चिकने पटों पर आ टिके. मैंने उसकी टाँगों को थोड़ा खोला और उनके बीच में आ गया. चूत के सुंदर हिस्से के ऊपर की दो मोटी फांकें उभर कर सामने आ गईं.

मैंने अपने सुलगते होंठ उसकी चूत के ऊपर और पेट के नीचे वाले हिस्से पर रख दिये और वहां थोड़ा दाँतों से काट लिया. इससे दीपिका सिहर उठी.

फिर जैसे ही मैंने अपने होंठों से उसकी चूत की बड़ी फांकों को छुआ तो दीपिका एकदम से जोर से ‘आह्ह्ह … आआ राज … स्सस … आईया …’ करके चिल्लाई और उसने अपने चूतड़ों के हिस्से को ऊपर उठा कर चूत को मेरे होठों से जबरदस्त तरीके से रगड़ दिया.

दीपिका की चूत का नर्म और गुदाज़ हिस्सा मेरे मुँह और नाक पर इस कदर अड़ गया कि एक बार तो मेरी सांस बन्द हो गई थी. उस हिस्से को मैंने जितना आ सकता था, अपने मुँह में भर कर भींच लिया.

मैंने अपनी जीभ से उसकी चूत के क्लिटोरिस को चाट लिया और जैसे ही मैंने दीपिका के क्लिटोरिस को अपने होंठों में दबाकर चूसा, उसने अपने हाथों से मेरे सिर को पकड़ा और जोर देकर उस पर दबा लिया और एकदम से ईईई … आआ … आआ … करके खल्लास हो गई.

कुछ देर बाद उसने मेरे सिर को छोड़ा और मुझसे एक बार के लिए अलग हो गई. अभी तक मैं केवल ऊपर से ही नंगा था. मैंने अभी तक अपना लोअर नहीं निकाला था और दीपिका ने मेरे लौड़े के दर्शन नहीं किये थे.

वो अभी बिना चुदे ही दो बार स्खलित हो चुकी थी.
वह बोली- राज, मेरा तो दो बार डिस्चार्ज हो चुका है. पता नहीं तुम्हारे पास क्या जादू है!
यह कह कर दीपिका करवट लेकर मेरे सीने से फिर से चिपक गई.

मेरा लौड़ा मेरे लोअर में तना हुआ था. दीपिका ने अपनी एक टांग मेरे ऊपर रख ली. टांग ऊपर रखने से मेरा लण्ड उसकी चूत को छूने लगा. पहली बार आज उसने लोअर के बाहर से मेरे लौड़े को अपने हाथ से छू कर उसकी लंबाई और मोटाई का जायज़ा लिया.

लौड़ा हाथ में पकड़ते ही दीपिका उठ कर बैठ गई और बोली- कितना बड़ा और मोटा है आपका हथियार! इसे बाहर तो निकालो, क्यों छुपा रखा है?
मैं बेड से नीचे खड़ा हो गया और मैंने दीपिका से कहा- आपने आप निकालो, ये आज से आपकी चीज है.

दीपिका ने अपने होंठों पर जीभ फिराते हुए बहुत ही सेक्सी स्माइल दी और बेड पर पाँव लटका कर बैठ गई. उसने अपनी उँगलियाँ मेरे लोअर के इलास्टिक में डाली और लोअर नीचे करने लगी.

मेरा लोअर मेरे हिप्स पर से तो नीचे हो गया लेकिन आगे से लण्ड खड़ा होने के कारण इलास्टिक में फंस गया. जैसे ही दीपिका ने आगे से जोर लगाकर लोअर नीचे खींचा, मेरा 8 इंच लंबा और मोटा लौड़ा झटके से उसकी ठुड्डी को छूता हुआ झूलकर पटाक की आवाज से मेरे पेट पर लगा.

दीपिका की चीख निकल गई और वो बोल पड़ी- उई माँ!! इत्ता बड़ा और मोटा!! असली है क्या?
मैंने कहा- छू कर देखो.

लण्ड अभी भी झटके और उत्तेजना के कारण थरथरा रहा था.
दीपिका ने धीरे से अपनी दो उंगलियों और अंगूठे से उसे छू कर देखा और बोली- यह तो बिल्कुल असली है.

फिर पूरी मस्ती से उसने लण्ड को अपनी दोनों मुट्ठियों में भींच कर अपनी ओर खींचा और अपनी गर्दन के नीचे लगा कर अपने दोनों हाथों से मुझे मेरे हिप्स से पकड़ कर अपनी ओर खींच कर मुझसे लिपट गई.

दीपिका पूछने लगी- राज, साइज क्या है?
मैंने कहा- पता नहीं, तुम्हीं नाप लो.
दीपिका ने अपना फोन उठाया तो मैंने पूछा- फोन से कैसे नापोगी?
वो बोली- नापने का ऐप है इसमें.

उसने फोन में इंस्टॉल्ड ऐप खोला जिसमें नापने वाला टेप लगा था. दीपिका ने ऊपर नीचे से तीन चार शॉट लिए और देखकर बोली- ओह माई गॉड ऊपर से 8.2 इंच और नीचे से 9 इंच.

मैंने पूछा- क्या अपने हस्बैंड का नापा है?
तो उसने एक फोटो दिखाया जिसमें एक मरियल सा काला लण्ड 4.6 इंच का दिखा रहा था.

फिर मैंने पूछा- ये ऐप तुम्हें कहाँ से मिला?
वो बोली- मेरी सहेली संजना ने दिया था. उसने अपने हस्बैंड का नापा था जो 5.3 इंच का था और उसने मुझे बड़े रौब से दिखाया था.

दीपिका कहने लगी- लेकिन मेरे हस्बैंड का तो उसके हस्बैंड के लण्ड से भी छोटा है. अब मैं उसे दिखाऊंगी कि ये होता है लण्ड!
मैंने कहा- इसे डिलीट कर दो, नहीं तो कोई मुसीबत हो जाएगी.

वो बोली- कुछ नहीं होता, इस पर कौन सा आपका नाम लिखा हुआ है? आप चिंता मत करो.
मैं दीपिका की दिलेरी का कायल हो गया.

फिर दीपिका ने मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी.
दीपिका ने अचानक लन्ड को बाहर निकाला और बोली- पता है राज, मेरे हस्बैंड के लाख कहने पर भी मैंने आज तक उनका मुँह में नहीं लिया है, मुझे अच्छा ही नहीं लगता. लेकिन आज तो दिल अपने आप ही चूसने का कर रहा है.

वो कहने लगी- आपकी तो गोलियाँ भी बहुत सख्त और टाइट हैं, मेरे हस्बैंड की तो लण्ड से भी नीचे लटकती हैं, मुझे उनका बिल्कुल अच्छा नहीं लगता.

मैंने दीपिका से कहा- चिंता मत करो, अब मैं तुम्हारी सभी इच्छायें पूरी कर दूँगा.
दीपिका कहने लगी- राज, आज से मुझे घोष से कोई शिकायत नहीं रही क्योंकि उसकी वजह से तुमसे मुलाकात हुई वरना मैं वहीं कोलकाता के आसपास ही घूमती रहती.

दीपिका बहुत ही खुश नजर आ रही थी.
वो बोली- आपके लण्ड का साइज देखकर एक पैग और पीने का दिल कर रहा है.
मैंने कहा- पहले ही दिन तुम्हारे लिए ज्यादा हो जाएगी.

वो बोली- प्लीज, एक बना लाओ ना राज … पिछली का तो अब असर खत्म हो गया है. मैं आज की रात को रंगीन बना कर जिंदगी भर याद रखना चाहती हूँ.

उसके कहने पर फिर मैं नँगा ही बालकॉनी में गया और ड्रिंक का सारा सामान अंदर ले आया. मैंने ड्रिंक बनाया और अपने लण्ड को ड्रिंक के गिलास में डुबोकर लण्ड को दीपिका की ओर कर दिया. उसने झट से लंड को मुँह में भरकर चूस लिया.

उसी वक्त दीपिका ने ड्रिंक में अपनी उंगलियां भिगोकर अपनी चूचियों पर लगा दीं. दीपिका का इशारा समझते ही मैंने दोनों चूचियों को बारी बारी से मुंह में भर कर चूसा और दोनों को ही चूस चूस कर साफ कर दिया.

फिर मैंने एक ड्रिंक का सिप लिया तो दीपिका ने भी एक बड़ा घूँट ले लिया और मुझे अपने ऊपर खींचने लगी. मैं बेड पर आकर दीपिका के पांव की ओर गया और उसके घुटनों को फैला कर मोड़ दिया.

दीपिका की सुन्दर चूत मेरे सामने थी. बाहर पहरेदार की तरह खड़े दोनों भगोष्ठों को मैंने अपने एक हाथ की उंगली और अंगूठे से अलग किया तो अंदर दो कोमल पत्तियों के बीच पानी से चिकना हुआ गुलाबी छेद सामने दिखाई दिया.

मैंने अपनी एक उंगली दीपिका के गुलाबी छेद में डाली तो दीपिका के पूरे शरीर में सिरहन दौड़ गई. उसने मेरी उंगली डले हाथ को अपनी जांघों में भींच लिया. मैंने दीपिका के घुटनों को फिर खोला और उसके सुलगते हुए गुलाबी छेद पर फिर से अपने होंठ रख दिये.

होंठ रख कर मैंने चूत के ऊपर छोटे अँगूर के समान तने क्लिटोरिस को जीभ से कुरेद दिया.
दीपिका की सिसकारी निकल गई और वो ज़ोर से बोली- आईईई … आआह … राज … ये ना करो, ओह्ह … मेरी जान … तुम तो जान ही निकाल दो मेरी … उफ्फ … ओह्हह … आह्ह … बहुत मजा आ रहा है, मैं फिर झड़ जाउंगी यार।

दीपिका के सीत्कार सुन कर मेरा मन कर रहा था कि उसकी गुलाबी चूत में अपना तपता हुआ लंड झटके से घुसा कर उसे इतनी चोदूं ..इतनी चोदूं कि वो बेहोश हो जाये. मगर एक तरह से उसको तड़पाने में मुझे मजा भी उतना ही आ रहा था.

वो सिसकारते हुए मिन्नतें करने लगी- ओह्ह … राज … प्लीज … मुझे अपने हथियार से चोदो न, प्लीज … डार्लिंग। मैं तुम्हारे लंड का स्वाद चखने के लिए मरी जा रही हूं.

इतना कह कर दीपिका मेरे सिर को पकड़ लिया और चूत पर धकेलने लगी. फिर उसने मेरे कंधों से खींचा और फिर मुझे अपने ऊपर खींचने लगी जैसे मेरे लंड को खुद ही चूत में डलवाना चाह रही हो.
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Update - 4
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में आपको मैंने बताया था कि दीपिका के हस्बैंड की नाइट शिफ्ट लगने के पहले दिन ही वो मेरे साथ बालकनी में आ बैठी और ड्रिंक करने लगी.

उस दिन वो बहक गयी और हम दोनों एक दूसरे को गर्म करने लगे. मैंने उसे चूमा चाटी में ही दो बार स्खलित करवा दिया. जब उसने मेरे लंड को देखा तो वो खुशी से चहक उठी. मेरे 8 इंची मोटे तगड़े लंड को पाकर वो खुद को रोक नहीं पा रही थी.

उसने मेरे लंड को मुंह में लेकर चूसा और फिर उससे चुदने के लिए बुरी तरह से तड़पने लगी और मुझे खुद ही अपने ऊपर खींचने लगी. मैं उसकी चूत के गुलाबी छेद को चूस कर उसको और ज्यादा तड़पने पर मजबूर कर रहा था.
अब आगे

मैंने दीपिका को लौड़े के लिए तड़पते हुए देखा और फिर पीछे हट कर उसके सुन्दर घुटनों को मोड़ा और चूत के अन्दर लण्ड डालने की पोजीशन ली. दीपिका ने लेटे लेटे ड्रिंक का गिलास उठाया और उसमें से दो बड़े घूँट मार लिए और बोली- डालो अंदर, फाड़ दो मेरी चूत को आज मेरे राज.

लण्ड और चूत न जाने कब से अपने को प्री-कम से गीला किये जा रहे थे. मैंने जैसे ही लण्ड का सुपारा चूत के छेद पर लगाया, दीपिका ने अपनी आंखें बंद कर लीं और नीचे का होंठ दाँतों से दबा लिया.

मैंने लण्ड को चूत पर दबाना शुरू किया और सुपाड़ा चूत की दीवारों को फैलाता हुआ अंदर घुसने लगा. दीपिका के मुँह से- आ … आ… की आवाज निकलती रही और मैंने धीरे धीरे आधे से ज्यादा लण्ड चूत में उतार दिया.

जब आधे से ज्यादा लण्ड अंदर जा चुका तो दीपिका ने मेरी छाती पर अपना एक हाथ रख लिया. मैं दीपिका के ऊपर छा गया और अपनी दोनों कोहनियों को उसके दाएं बाएं रखकर उसे अपनी बाजुओं में जकड़ा और उसके होंठों पर अपने होंठ रखकर एक झटके में पूरा लण्ड उसकी टाइट चूत में उतार दिया.

दीपिका एकदम से चिहुंक गई और कसमसाने लगी. मैंने लण्ड को थोड़ा ऊपर खींचा और पूरे जोश के साथ लण्ड को चूत में फिर ठोक दिया. दीपिका ने जोर से- आआआ … आहा … आआई … मां … की और थोड़ा ऊपर उठ कर मुझे चूम लिया.

मैंने उसी पोजीशन में ड्रिंक का एक सिप लिया तो दीपिका ने उसे भी पिलाने का इशारा किया. मैंने दीपिका के लेटे लेटे गिलास उसके मुँह से लगाया तो उसने सारा एक ही बार में खाली कर दिया और बोली- चोदो जोर जोर से … फाड़ दो मेरी चूत को.

गिलास रखकर अब मैंने ज़ोर ज़ोर से चूत में शॉट लगाने शुरू किए और दीपिका के गालों, होंठों और मम्मों को खाने लगा.
दीपिका भी मुझे हर तरह से नोंच खसोट रही थी. कमरा हमारी चुदाई की खच … खच … की आवाजों से भर गया.

मैंने दीपिका के घुटनों को थोड़ा और मोड़ा और लण्ड को जोर से मारा तो लण्ड अंदर बच्चेदानी को जा लगा और दीपिका जोर से मजे में चिल्लाई- हाय … माँ, मार दिया जालिम ने.

तेजी से मेरा लंड उसकी चूत को फाड़ रहा था. मैंने चोदते चोदते दीपिका के घुटनों के नीचे से अपने हाथ डाले और उसकी टाँगों को अपने कंधों पर रख लिया. उसकी उभरी हुई गुदाज जाँघें और पकौड़ा सी चूत बिल्कुल मेरे लण्ड की टक्कर में आ गई.

अब मैंने उसके टाइट छेद को फाड़ना शुरू किया. मेरे हर शॉट में उसकी चूत की फांकें अंदर की तरफ मुड़ जा रही थीं और लण्ड को बाहर की तरफ निकालते हुए चूत का छल्ला बाहर की तरफ आ रहा था.

दीपिका ज़ोर जोर से आवाजें निकाले जा रही थी और शराब के सुरूर में अपना सिर इधर उधर पटकती जा रही थी. मैं लगातार उसकी दोनों चूचियों और उनके नर्म गुलाबी निप्पलों को अपने हाथों से मसले जा रहा था.

हम दोनों ही अपने चर्मोत्कर्ष की ओर बढ़ रहे थे. लगभग 15-20 जबरदस्त शाट्स के बाद दीपिका का शरीर इकट्ठा होने लगा और उसने आ … आ … आ … करके मुझे जोर से जकड़ कर अपनी ओर खींच लिया और झड़ गई.

उसकी चूत ने अपना रस बहा दिया और ठीक उसी समय मेरे लण्ड ने भी अपने गर्म वीर्य की पिचकारियों से दीपिका की चूत को गहराईयों तक भर दिया. मेरा लौड़ा उसकी गर्म चूत के अंदर झटके मार मार कर वीर्य की पिचकारी छोड़ रहा था जिसे दीपिका अपने अंदर तक महसूस कर रही थी.

मेरा लण्ड जैसे ही पिचकारी छोड़ता दीपिका वैसे वैसे मुझे अपनी छाती से जकड़ लेती थी. वीर्य की आखिरी बून्द तक दीपिका ने चुदाई का आंनद लिया और अंत में मैं उसकी चूचियों और पेट के ऊपर पसर गया.

वासना का तूफान एक बार के लिए अब थम गया था. दीपिका के चेहरे पर पूर्ण संतुष्टि के भाव थे. उसने घड़ी की ओर देखा और बोली 10.00 बजने वाले हैं, घोष का फोन आने वाला है, आप चुप रहना.

दो मिनट बाद ही फोन की घंटी बजी और दीपिका ने घोष को बोला कि मैं थक गई थी इसलिए सो रही थी, बॉय.
घोष ने पूछा- राज आ गए या नहीं?
दीपिका- मुझे क्या पता, लाइट तो जल रही थी.

घोष- कोई बात नहीं है, मैं तो इसलिए पूछ रहा था कि नई जगह है कभी अकेले में डर लगे?
दीपिका- ओके, डोन्ट वरी, गुड नाईट.

फोन बंद करने के बाद दीपिका ने मुझे झप्पी डाली और बोली- मेरे दिल के राजा मेरे साथ हैं, अब काहे का डर?
दीपिका उठी और बोली- अब हम सुबह 7 बजे तक फ्री हैं, मैं खाना लाती हूँ.

दीपिका ने एक बहुत ही सेक्सी, छोटी सी, ट्रांसपेरेंट नाइटी पहन ली. नाइटी इतनी छोटी थी कि उसकी आधी गांड ही ढकी थी और आगे से थोड़ी चूत भी दिखाई दे रही थी.

कुछ ही देर में वो खाना ले आई. हमने एक ही प्लेट में खाना खाया.
तभी दीपिका का फोन बजा, उस पर संजना लिखा था. दीपिका ने फोन उठाया और स्पीकर ऑन करके बोली- हाँ संजना, कैसी हो?

संजना- तुम बताओ, सब सेटिंग हो गई?
दीपिका- हाँ, सब हो गई.
संजना- और तुम्हारे राज साहब कैसे हैं?
दीपिका- ठीक ही होंगे, क्यों … तुम्हें पसन्द आ गए क्या?

संजना- यार, उनसे हमारी सिफारिश कर दो, हमें भी वो सामने वाला फ्लैट दिला दें.
दीपिका- तुम आकर खुद ही बात कर लो न?

संजना- तुम राज जी से बात तो करो, तुम्हारे लिए तो वे अपना कमरा भी खुला छोड़ गए थे, हाय, ऐसा पड़ोसी मुझे भी दिला दो यार.
दीपिका- आ जाना और खुद ही बात कर लेना और जब तक फ्लैट न दिलवाएं उनके रूम में ही जमी रहना. सब कुछ ले लेना, हा हा हा! अच्छा यार अब नींद आ रही है, सुबह फोन करती हूँ, ओके बॉय.

मेरे पूछने पर दीपिका ने बताया कि संजना और वो कॉलेज की सहेलियां हैं और अब शादी के बाद दोनों इस शहर में अपने पतियों की जॉब के कारण यहाँ आ गईं, दोनों के हस्बैंड एक ही ऑफिस में हैं.
मैंने दीपिका से पूछा- तुम संजना को लेकर मेरे बेडरूम में बैठी थी?

दीपिका- राज, दरअसल, आप और आपके रूम में से मुझे एक मर्दानेपन की खुशबू आती है, बहुत ही सेक्सी गंध है, आपकी बॉडी स्मेल बहुत ही सेक्सी है, इसलिये जब आप टूर पर गए थे तो मैंने आपकी अलमारी खोली थी. उसमें आपके कपड़ों को सूँघा तो मैं मदहोश हो गई थी और जब भी मुझे मौका मिला तो मैं आपके बेड पर लेट जाती थी और मेरे अन्दर सेक्स जाग जाता था. संजना भी बोल रही थी कि तुम्हारे रूम में बहुत प्यारी मर्दों वाली गंध आ रही है.

मैंने पूछा- घोष बाबू में से कैसी गंध आती है?
दीपिका- सुबह आपके पास भेज दूंगी, सूंघ लेना. बड़ी बेकार स्मैल आती है, और ऐसा ही संजना का हस्बैंड बनर्जी है.

उसकी बात पर मैं हँस पड़ा और मैंने अपने आप को सूंघने की कोशिश की तो दीपिका ने अपना मुँह और नाक मेरी बालों से भरी छाती में लगा दिया और बोली- दिल करता है बस तुम्हारे यहाँ अपना मुँह रखे रहूँ.

दीपिका- राज, आपके रूम में चलें, मुझे वहां और भी अच्छा लगेगा?
मैंने कहा- ठीक है, आओ.
दीपिका- आप चलो, मैं ये बर्तन किचन में रखकर आती हूँ.

मैं अपने कपड़े उठा कर पिछली बालकॉनी से अपने रूम में आ गया.
चूंकि मेरे साथ दीपिका की यह पहली चुदाई थी तो मैं चाहता था कि वह यादगार चुदाई हो इसलिए मैंने कमरे में आकर एक कामवर्धक गोली खा ली.

कुछ देर बाद दीपिका उस छोटी सी नाइटी में मेरे रूम में आ गई. मैंने खड़े हो कर उसे बांहों में भर लिया और खड़े खड़े उसके कान के निचले हिस्से को झुमके समेत अपने होंठों में दबा लिया. दीपिका सिहर उठी और बोली- कितना अच्छी तरह से प्यार करते हो आप … राज … आह्ह! काश आप मुझे पति के रूप में मिल जाते.

मैंने दीपिका को उल्टा घुमाया और अपना खड़ा लण्ड उसके चूतड़ों में फिट करके सामने से उसके दोंनों मम्मों को पकड़ लिया और जोर जोर से मसलने लगा.
दीपिका आ..आ..आ.. करती रही.

मैंने अपने एक हाथ से दीपिका के पेट का निचला हिस्सा सहलाना शुरू किया तो दीपिका बोली- आह्ह … स्सस … आई … फिर … चुदवाने का दिल कर रहा है.

लोअर में मेरा लंड कामवर्धक गोली के असर से लोहे की रॉड बन चुका था. दीपिका नीचे बैठ कर मेरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगी. वह मेरे लंड से ऐसे खेल रही थी जैसे बच्चा अपने मन पसंद खिलौने से खेलता है. जोर जोर से चूसने से मेरा लंड उसके थूक से लिबड़ गया. मैं उसके मम्मों को दबाता रहा.

वह पूरी तरह उत्तेजित हो गई थी. वह उठी और मुँह मेरी तरफ करके अपनी टाँगें चौड़ी करके मेरे लंड को चूत पर रगड़ने लग गई. मैंने खड़े खड़े ही लंड को उसकी चुदासी चूत में डाल दिया. अचानक उसने मुझे धक्का देकर बेड पर गिरा दिया और मेरे ऊपर चढ़कर मेरे लण्ड को फिर से अंदर ले लिया.

इस पोजीशन में मेरा पूरा लंड उसकी चूत में फंस गया और उसने मजे से मेरी गर्दन को अपने हाथों से जकड़ लिया. उसकी चूचियाँ मेरी छाती से रगड़ने लगीं. वह धीरे धीरे ऊपर नीचे होकर लंड की सवारी करती रही और चूत के दाने को मेरे लंड पर रगड़ती रही.

करीब 10 मिनट के इस खेल में वह झड़ गई और मुझसे चिपक गई. मैंने उसे उसकी टांगों के नीचे से हाथ डाल कर उठाया और लंड चूत में डाले डाले खड़ा हो गया. वह मेरे लंड के ऊपर लटक गई.

मैंने अपने दोनों हाथों से उसके चूतड़ों को पकड़ा और जोर जोर से उन्हें आगे पीछे करके अपने लंड पर मारने लगा. लंड उसकी चूत में सीधा अंदर तक जाकर लग रहा था. उसकी दोनों टांगें मेरे हाथों में झूल रही थी. कुछ देर में वह फिर झड़ गई और टाँगें नीचे लटका दी.

अब मैंने उसे छोड़ दिया और कुर्सी पर बैठ गया. वह नीचे झुक कर अपनी चूत का हाल देख रही थी. बोली- आज तो दुखने लगी है और नीली भी हो गई है.

मैंने जब पूछा- तुम्हारे हस्बैंड के आने का कोई चांस तो नहीं?
तो उसने कहा- आप उसकी चिंता छोड़ दो, वो अपनी सीट नहीं छोड़ सकता.

दीपिका कहने लगी- वैसे तो मेरी चूत दुःख रही है परंतु आपका साथ मुझे अच्छा लगा. शायद मैं आपसे प्यार करने लगी हूँ.
मैंने उसे घोड़ी बना लिया. उसकी गांड एकदम गोरी और चिकनी थी. घोड़ी बनते ही उसकी प्यारी सी चूत उसके चूतड़ों और पिछले पटों के बीच में दिखाई देने लगी.

मैंने नीचे खड़े हो कर उसकी चूत को दो उँगलियों से अलग किया और उसकी टांगों को थोड़ा चौड़ा करके लंड अंदर घुसाया.
उसने कहा- धीरे धीरे अंदर डालो, बहुत टाइट लग रहा है.

फिर मैंने प्यार से उसके चूतड़ों को पकड़ कर पूरा लंड अंदर डाल दिया. उसने अपने चूतड़ों को थोड़ा आगे पीछे किया और जब लंड उसके मुताबिक चूत में बैठ गया तो बोली- अब करो.

मैंने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू किये.
उसने कहा- लंड पहले से भी बहुत सख्त लग रहा है, लगता है कि चूत की सिलाई उधेड़ देगा.

उसे नहीं पता था कि मैंने कामवर्धक गोली खा रखी है और मेरा लंड दो घण्टे तक नहीं बैठेगा.
मैंने उसे चोदना चालू रखा, उसने स्पीड बढ़ाने के लिए कहा और बोली- थोड़ा जोर से करो, अब मजा आ रहा है.

उसके कहने पर मैंने जोर जोर से धक्के लगाने शुरू किये. उसकी जांघों को पकड़ कर, पूरा लौड़ा बाहर निकाल निकाल कर जोर जोर से चोदने लगा. मेरा कमरा बेड के चरमराने और लण्ड की चूतड़ों पर थाप की आवाजों से गूंजने लगा.

कुछ ही शॉट्स के बाद लगा कि वह फिर झड़ गई. मैंने उसे नहीं छोड़ा. उसने अपनी छाती और मुँह बेड पर टिका दिये और चुदते हुए तरह तरह की आवाजें करने लगी- आह … आह … उम्म्ह … आह … मार दिया जालिम … फाड़ दी मेरी चूत … एक ही दिन में सारी जिंदगी की कसर निकाल दी. असली सुहागरात तो आज मनी है मेरी … आह्हह मेरे राज… मैं तो तेरी दीवानी हो गयी रे!

अंत में वह फिर झड़ गई और बेड पर पसर गई परंतु मेरा तो अभी भी छूटने का नाम नहीं ले रहा था. उसे आराम देने के लिए मैं उसके साथ लेट गया और उसे जगह जगह प्यार से चूमने लगा.

उसने मुझे कहा- जिंदगी में पहली बार इतना प्यार पाया है और सेक्स में ऐसा आनंद आया है. सेक्स में इतना सुख मिल सकता है मुझे तो इसका अन्दाजा ही नहीं था. घोष के साथ तो मेरी जिन्दगी बर्बाद ही हो जाती।

कुछ देर बाद मैंने उसे फिर से अपने ऊपर आने को कहा. मैं बेड पर सीधा लेट गया और वह मेरे ऊपर अपनी टाँगें चौड़ी करके आ गई. उसने मेरा मोटा लौड़ा अपनी चूत में रखा और नीचे बैठने लगी. बैठते ही पूरा का पूरा लंड उसकी चूत में धंस गया. उसने एक लंबी सांस ली और लंड पर आराम से बैठ गई.

मैंने उसकी दोनों चूचियों को पकड़ा और हाथों से जोर जोर से मसलने लगा. मैंने उसे नीचे झुकाकर चूचियों को मुँह में लिया और चूसने लगा तो वह लंड को अंदर बाहर करने लगी. उसने अपने दोनों नाजुक हाथ मेरी छाती पर रख लिए और लंड को उछल उछल कर अंदर बाहर करने लगी.

15-20 बार उछलने के बाद उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया और वह मेरे ऊपर पसर कर सोने लगी और मेरी छाती पर लेट सी गई. मेरा लंड अभी भी उसकी चूत में ही घुसा हुआ था.

कुछ देर के लिए हम दोनों ऐसे ही लेटे रहे. फिर वह मेरी छाती से उतर कर साइड में आ गई. मैंने उसकी एक टांग को उठाया और साइड में लेटे लेटे लंड को चूत के अंदर घुसा कर उसे अपनी जफ्फी में ले लिया. वह कसमसाने लगी. मैंने उसकी एक टांग को ऊपर किया और लंड से उसकी चूत को चोदता रहा.

वह बोली- मैंने आपके लिए बादाम का दूध बनाया था, मैं तो भूल गई थी! एक बार छोड़ो!
वह उठ कर नंगी किचन में गई और एक बड़ा गिलास बादाम का दूध लाकर मुझे दिया.

रात के 12.00 बज चुके थे. दूध पीकर मुझे फिर जोश आ गया और मैंने दीपिका को फिर से बेड पर लिटा लिया और उसकी टांगों के बीच में बैठ कर टांगों को घुटनों तक मोड़ कर, लंड अंदर पेल दिया.

दीपिका पूछने लगी- आपका कितनी देर में छूटता है? अब मैं थक गई हूँ, चूत और शरीर बुरी तरह दुःख रहे हैं, चूत तो देखो, एक दिन में ही गुलाबी से नीली हो गई है.

उसकी बात का जवाब न देकर मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और लगभग 15-20 मिनट की पलंग तोड़ चुदाई करके आखिर कार अपने लंड से वीर्य की पिचकारियाँ मार मार कर उसकी चूत को भर दिया.

कुछ देर मैं लंड डाले हुए उसकी चूचियों पर पड़ा रहा. उसके सारे शरीर पर मेरे चूसने और काटने के नीले निशान पड़ गए थे. वह पूर्ण रूप से संतुष्ट हो चुकी थी.

हमने उस रात 3 बजे तक रुक रुक कर चुदाई की. मैं चार बार झड़ा और दीपिका का तो पता ही नहीं वह कितनी बार झड़ी. उसकी चूत हर 10-15 मिनट बाद पानी छोड़ देती थी.

चूत और लण्ड के डिस्चार्ज होने से मेरे बेड की चादर जगह जगह से गीली हो गई थी. 3 बजे के बाद हम दोनों ही एक दूसरे की बांहों में न जाने कब सो गए. सुबह 8 बजे मेरी आँख खुली तो मैं बिल्कुल नंगा अपने बेड पर पड़ा था और दीपिका अपने बेडरूम में जा चुकी थी.

जब घोष की रात की ड्यूटी होती थी तो 15 दिन तक हर रोज रात को मैं दिल लगाकर दीपिका को चोदता था और जब उसके पति की दिन की ड्यूटी होती थी तो मेरी शनिवार और इतवार की छुट्टी होती थी, जबकि शनिवार और इतवार को घोष की ड्यूटी होती थी.

उन दो दिनों में दीपिका दिन में ही मेरे कमरे में आ जाती थी. कई बार तो जब मैं सोया हुआ होता था तो मेरे साथ आकर लेट जाती थी और लोअर में से मेरा लण्ड निकाल कर हाथ से सहलाने लग जाती या चूसने लग जाती थी.

जिंदगी का असली मज़ा लेने के लिए दीपिका और मैंने अभी बच्चा न करने का प्लान बना रखा था इसलिए दीपिका आईपिल खा लेती थी. दीपिका के खुश रहने से उसका हस्बैंड घोष बाबू भी बहुत खुश रहता था.

दीपिका के कहने पर मैंने संजना और बनर्जी को साथ वाला फ्लैट दिलवा दिया और उन्होंने शिफ्ट कर लिया था. चूँकि हमारे सामने के गेट अलग थे इसलिए कोई यह अंदाजा नहीं लगा सकता था कि पिछली बालकॉनी में जन्नत के दो दरवाजे खुले रहते थे.

मगर दीपिका की सहेली संजना को हम दोनों पर सौ प्रतिशत शक था और वह हमेशा मुझे देखकर मुस्करा कर लाइन देती रहती थी.

दोस्तो, ये थी मेरी बंगाली हॉट सेक्स स्टोरी. आपको मेरी यह स्टोरी कैसी लगी मुझे जरूर बताइयेगा. मुझे आप सभी पाठकों की प्रतिक्रियाओं का बेसब्री से इंतजार रहेगा.
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[size=undefined]समाप्त
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(22-12-2020, 07:28 AM)usaiha2 Wrote:
चूत चुदाई चंदा रानी की


‘हाय राजा, तुम सारा दूध पी डालोगे तो बच्चा क्या पियेगा !’
चंदा रानी ने चूचुक मेरे मुंह से बाहर निकालना चाहा।

वो मेरे दोस्त विकास जैन की पत्नी है।


क्या उबलती, फ़ड़कती जवानी है ! गुलाबी, रेशमी त्वचा, गहरे भूरे रंग के घनेरे बाल, निखरता गोरा रंग !


फिगर ऐसी कि जोगी को भी भोगी बना डाले, बहुत ही सुन्दर पाँव, मुलायम और सुडौल, जिनको बार बार चूमने और चाटने का दिल करे !


मर्दों को चुनौती सी देते हुए सामने उसके चूचुक और पीछे उसके मस्त नितम्ब !


क्या करे बेचारा आदमी, पागल ना हो जाये और क्या करे !
चंदा रानी एक ऐसा पूरा पका हुआ फल थी जिसको चूसने में देरी करना महा अपराध था।


मेरी नई नई शादी हुई थी और मेरी बीवी मायके गई हुई थी।
चूत का तरसा, मैं हर वक़्त खड़े लंड को छुपाने के लिये अपनी पतलून इधर उधर सेट करता रहता था।


विकास एक महीने के लिये विदेश गया हुआ था और मुझे कह गया था कि उसकी पत्नी का ध्यान रखूँ।


मैं क्या खूब ध्यान रख रहा था !!! हा हा हा !!!


मैंने चंदा को कैसे पटाया, यह बताने में वक़्त बर्बाद नहीं करूँगा मैं पढ़ने वालों का, बस यह समझ लें कि हमारा आँख मटक्का तो चल ही रहा था काफी दिनों से, बस दो चार बार चुम्मी तक ही तसल्ली करनी पड़ रही थी।


उस चूतिए विकास के विदेश जाने से हम को मौक़ा हाथ लग गया मस्ती लूटने का !


उसका पति बाहर और मेरी पत्नी बाहर, तो और क्या चाहिये था हम दो चुदाई के प्यासों को !


चंदा की गोद में तीन महीने का बच्चा था।


एक शाम में उसके घर पहुँचा, इधर उधर से छिपता छिपाता, चंदा रानी ने द्वार खोला, मैं अंदर घुस गया और बड़ी बेताबी से चंदा को कस के लिपटा लिया।


मेरे होंठ उसके गुलाबी, भरे भरे से होंठों से चिपक गये, एकदम मेरे तन बदन में मानो आग लग गई, चुदास बिजली की तरह मेरे भीतर कौंधने लगी, लंड लपक कर ज़ोरों से अकड़ गया और उसके पेट को दबाने लगा।


चंदा ने मस्ती में लंड को एक हल्की सी चपत भी लगाई।
चंदा ने अपना सिर पीछे को झुका लिया था, कस के उसने मेरे बाल पकड़ लिये और मेरा मुँह अपने मुँह से कस के चिपका लिया।


हम बहुत देर तक इसी प्रकर से लिपटे हुए एक दूसरे के होंटों और जीभ को चूसते रहे।


मैंने उसके मुलायम मुलायम नितम्ब दबोच लिये थे और उनको दबा दबा कर बड़ा मज़ा पा रहा था।


काफी देर तक चूमने के बाद उसने मेरी छाती पर हाथ रख कर मुझे पीछे किया और बोली- राजा कुछ रुक… कपड़े बदल के ईज़ी होकर बैठते हैं.. फिर आराम से बातें करेंगे !


चंदा रानी बड़ी सफाई से मुझसे अलग होकर एक कमरे की तरफ चल दी।


मैं पीछे पीछे गया।


यह उसका बेडरूम था


वह बेडरूम के बाथरूम में घुस गई, मैंने अपनी कमीज़ उतारी और जूते मोज़े खोल कर आराम से बिस्तर पर फैल गया।


दो चार मिनटों म़ें चंदा रानी बाहर निकल आई, उसने एक मर्दानी लुंगी लपेट रखी थी और लुंगी के सिरे गर्दन के पीछे बांध रखे थे। लुंगी ने उसका ऊपर का बदन और थोड़ा सा चूत के आस पास का हिस्सा ढक दिया था।


उसने लुंगी के भीतर कुछ भी नहीं पहना था, न ब्रा, न कच्छी !
उसकी लाजवाब जांघें, लम्बी टांगें, उसके खूबसूरत पैर देख कर मेरा बदन झनझना उठा।


मैं लपक कर उठा और चंदा रानी को खींच कर बिस्तर पर ले लिया।


जैसे ही मैंने लुंगी के भीतर से चूचुक दबोचे, मेरे हाथ उसके दूध से भीग गये। उसकी चूचियाँ दबादब दूध निकाल रही थीं, मेरे सब्र का बांध टूट गया और मैंने अपना मुंह लुंगी म़ें घुसा कर एक चूची पर अपने होंठ रख दिये।


एक बच्चे की तरह मैं हुमक हुमक के दूध पीने लगा।


क्या गज़ब का स्वाद था !


एकदम सही तापमान, एकदम सही मिठास !!


दूसरी चूची भी खूब दूध निकाल रही थी, जब पहली चूची का सारा दूध खत्म हो गया तो मैंने दूसरी चूची पर हमला बोला।


मचल मचल के मैंने चंदा रानी का दूध पिया, उसने भी बहुत चिंहुक चिंहुक कर मस्ती से दोनों चूचियाँ चुसवाईं।


अचानक चंदा रानी को ध्यान आया कि अगर पूरा दूध मैं पी गया तो बच्चा क्या पियेगा।


‘हाय राजा, तुम सारा दूध पी डालोगे तो बच्चा क्या पियेगा?’ चंदा रानी ने चूचुक मेरे मुंह से बाहर निकालना चाहा।


मैंने चूची मुंह से बाहर न जाने दी, मैं चूसता ही रहा जब तक दूसरी चूची भी दूध से खाली नहीं हो गई।


मैंने पहली चूची को दुबारा दबाया तो दूध की एक तेज़ धार निकल आई।


चंदा रानी का दूध का उत्पादन आश्चर्यजनक था, इतनी जल्दी चूची दुबारा दूध से भर गई थी। क्या कमाल का डेरी फार्म था इस कामुक औरत का !


‘अरे तेरी चूचुक हैं या अन्नपूर्णा गाय के थन? दूध ख़त्म ही नहीं होता ! अभी अभी तो पूरा दूध चूसा था। तो घबराती क्यों है, अभी दस मिनटों में दूध पूरा भर जायेगा।’ इतना कह के मैंने लुंगी के सिरे खोल दिये और चंदा रानी को कस के भींच लिया।

चंदा ने अपना खूबसूरत सा हाथ मेरी पैंट पर लंड के ऊपर रखा और कराह उठी- राजे… तूने मुझे तो नंगा कर दिया… अपनी पतलून खोली ही नहीं अब तक !

‘अभी ले !’ मैं उसे छोड़ कर जल्दी जल्दी पतलून खोलने लगा।
जैसे ही लंड को पतलून और कच्छे से राहत मिली, तन्नाया हुआ लौड़ा उछल उछ्ल कर तुनके मारने लगा।


‘हाय… कितना लम्बा और मोटा है ये… आज पता नहीं मैं बचूंगी या नहीं… हाय…मेरी मां !’ चंदा रानी ने लंड को ब़ड़े प्यार से पकड़ कर सहलाया और झुक कर सुपारी को चूम लिया, सुपारी के छेद पर आई पानी की एक बूंद को उसने जीभ पर ले लिया और सटक लिया।

हाय दोस्त ऐसी भाभी तो सभी देवरों को मिलनी चाहिए / फिर तो कहीं जाने की आवश्कता ही नहीं है / क्या खूब विवरण दिया है आपने / मजा ही आ गया / वाह बहुत खूब /
// सुनील पंडित // yourock
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
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Heart 
प्यासी दुल्हन

Update 1

मैं अर्चना हूँ और यह तब की बात है जब मैं नई नई दुल्हन बनी थी। मेरी शादी को 3 महीने हो गए थे। मेरे पति राजीव मुझसे बहुत प्यार करते थे। उनके 6 इंची मोटे लंड का स्वाद मेरी चूत तीन महीने में सौ से ज्यादा बार चख चुकी थी। जब वो घर पर होते थे तो चूचियाँ कभी भी दब जाती थीं। रात को कंप्यूटर पर कई बार ब्लू फिल्म मुझे दिखा चुके थे।

एक दिन बातों बातों में मैंने पूछ लिया- क्या लंड इतने लम्बे लम्बे और मोटे भी होते हैं?

राजीव बोले- प्यारी, वैसे तो 5-7 इंची ही लम्बे होते हैं लेकिन कुछ के बहुत लम्बे और मोटे भी होते हैं मेरे दोस्त अतुल का लंड 9 इंची लम्बा है।
मैंने पूछ लिया- आपको कैसे पता?

हँसते हुए राजीव बोले- हम लोग एक ही हॉस्टल में रहते थे तो हम दोनों ने कई बार एक दूसरे की मुठ ब्लू फ़िल्में देखते हुए मारी थी।

बातें करते हुए उन्होंने मुझे नंगा कर दिया और बोले- तुम बात बहुत करती हो ! असल में लंड वही अच्छा होता है जो चूत की खुजली मिटा दे। चलो, अब घोड़ी बनो और चूत मारने दो।

मैं बोली- घोड़ी बनती हूँ लेकिन पहले आपके कपड़े तो उतार दूँ !
दो मिनट में मैंने उनका पजामा और बनियान उतार दी तो रोज़ की तरह उनका 6 इंची कड़क लंड मेरी आँखों के आगे था।मेरी आँखों में कामुक चमक आ गई थी। मैं बिस्तर पर घुटने रखकर घोड़ी बन गई, राजीव ने पीछे से मेरी चूत में उँगलियाँ घुसा कर घुमानी शुरू की और मेरी चूत के साथ साथ चूत के दाने को भी रगड़ने लगे।

मुझे लंड की प्यास लग रही थी, मुझसे रहा नहीं जा रहा था, मैं बोली- राजीव चोदो न ! बहुत खुजली हो रही है।

अपनी चिर परिचित आवाज़ के साथ राजीव बोले- रानी, अभी दोपहर में ही तो तुम्हारी चोदी है, इतनी पागल क्यों हो जाती हो?

इसके बाद उन्होंने अपने लंड को मेरी चूत में छुला दिया और मेरा सर पलंग पर लगा कर मेरी चूत में अपने लंड को घुसा दिया और चूचियों को पकड़ कर मुझे चोदने लगे।

आह ऊह ऊह की आवाज़ों से कमरा गूंजने लगा।

एक औरत जब अपने अच्छे पति से चुदती है तो उसके मन में कहीं न कहीं यह बात छुपी होती है कि यह उसका अपना लंड है इसलिए उसमें कोई हिचक नहीं होती और वो खुल कर लंड का मज़ा लेती है। मैं भी इस समय खुल कर चुद रही थी। कुछ देर बाद मेरा चूत रस बाहर आ गया। राजीव बहुत अच्छे चोदू हैं, दो बार तो मुझे झड़ा ही देते हैं।

फ़िर इन्होंने मुझे सीधा लिटा दिया और मेरी चूत में अपना लंड दुबारा पेल दिया मेरे गालों और चूचों को दबाते हुए मुझे चोदने लगे और मेरी चूत में इनका लंड दुबारा दौड़ने लगा। दस मिनट चुदने के बाद मैं दुबारा जब झड़ने को हुई तो इन्होने भी अपना रस मेरी चूत में छोड़ दिया। हम लोग एक दूसरे से चिपक गए। सच अद्भुत चरम आनन्द का अनुभव था, आपकी भाभी ने चुदाई का स्वर्गीय सुख ले लिया था।

रात को चुदने के बाद अच्छी नींद आती है, मैं और राजीव सो गए। सुबह 6 बजे ही राजीव के बॉस का फ़ोन आ गया कि ऑफिस 8 बजे जाना है। मैं उठ गई और 7 बजे तक नाश्ता तैयार कर दिया इसके बाद ऑफिस जाने से पहले रोज़ की तरह राजीव का लौड़ा उनकी पैंट की ज़िप खोलकर बाहर निकाला और उसे मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। वीर्य निकलने तक मैंने उनका लौड़ा पूरी मस्ती से चूसा और वीर्य पूरा अपने मुँह में गटक लिया।

इसके बाद राजीव ऑफिस चले गए।

शाम को राजीव जब वापस आए तो बोले- अर्चना, मुझे दो दिन बाद अमेरिका 6 महीने के लिए जाना है।

हम सब लोग जाने की तैयारी में लग गए। मेरे सास ससुर भी यह सुनकर देहली आ गए। सब लोगों के साथ दो दिन बड़ी जल्दी निकल गए और राजीव अमेरिका के लिए उड़ गए। मेरे सास-ससुर देहली मेरे पास रुक गए।

दो दिन ठीकठाक कटे लेकिन तीसरे दिन रात को मेरी चूत बुरी तरह खुजियाने लगी, मुझे पता लगने लगा कि चूत की प्यास क्या होती है। उस समय मैं एक प्यासी दुल्हन थी जिसे सिर्फ इस समय एक लंड की चाहत थी। अमेरिका से उनसे 5-7 मिनट से ज्यादा रोज बात नहीं हो पाती थी। चैटिंग जरुर 1-2 घंटे रात को होती थी। लेकिन चूत की आग तो लंड से बुझती है। किसी तरह मैं रात को सो पाई।

अगले दिन राजीव रात को 12 बजे वेब केम पर थे। मैंने उन्हें बताया कि उनके पप्पू की याद मुझे कितनी आती है। पूरी रात हाथ चूत में घुसा रहता है। चूत की प्यास बुझ नहीं रही है।

राजीव बोले- रानी, मेरे लंड का भी बुरा हाल है, देखो तुम्हारी आवाज़ सुनकर पप्पू कैसा हिनहिना रहा है।

और उन्होंने अपना नेकर उतार दिया, उनका 6 इंची लंड कड़क, तना हुआ मेरे सामने था।

मुझसे रहा नहीं गया, मैंने कहा- राजीव, इसे मेरी चूत में डालो ना !

मैंने अपनी मेक्सी उतार दी, तब मैं पूरी नंगी थी। राजीव बोले- अर्चना, तुम्हारी गेंदें देखकर मुझसे रहा नहीं जा रहा है !

और वो लंड की मुठ मारने लगे, मुझे पुचकारते हुए बोले- अपनी रानी के दर्शन तो कराओ !

मैंने अपनी चूत चौड़ी कर ली और कैमरा अपनी चूत से कुछ दूर रख लिया। चूत रानी को राजीव निहारने लगे और उनका हाथ लंड पर जोरों से चलने लगा। दो प्यासे, बुद्धू बक्से पर चूत और लंड देखकर खुश होने की कोशिश कर रहे थे।

एक बजे लाइट चली गई। कंप्यूटर बंद हो गया। मेरी चूत गीली हो गई थी लेकिन उसकी प्यास नहीं बुझी थी। मैं रसोई में चाय बनाने चली गई।

लाइट दस मिनट बाद आ गई थी, राजीव ने फ़ोन कर के कहा- मैं अब ऑफिस जा रहा हूँ।

चाय पीने के बाद मैं जब मैं अपने कमरे की तरफ जा रही थी तो मुझे अपने सास-ससुर के कमरे से कुछ आवाजें सुनाई दीं। मैंने उनके कमरे में झांक कर देखा। पापा जी उठकर टीवी बंद कर रहे थे शायद मूवी ख़त्म हो गई थी। मेरी सास जो 45 साल के करीब थी, ने अपना ब्लाउज उतार दिया था, मोटी-मोटी, गोल-गोल थोड़ी लटकती हुई चूचियां सासु जी की बाहर थीं।

एक अंगड़ाई लेती हुई बोलीं- जब से बहू आई है, ठन्डे पड़ गए हो, पिछले तीन महीने में दो बार ही चोदा है, पहले तो हफ्ते में एक बार सवार हो ही जाते थे।

पापा जी ने मम्मीजी के गले में हाथ डालकर उनकी चूचियाँ अपने हाथों में पकड़ ली और उन्हें मसलते हुए बोले- रानी थोड़ी शादी की भाग दौड़ हो गई थी, अब तो मैं फ्री हूँ, अब हफ्ते में दो बार तेरी मुनिया को ठंडा किया करूँगा, नहीं तो तेरा भरोसा नहीं किसी और का घुसवा ले ! अभी तो तू जवान है।

सासु की चूचियां और निप्पल मसल मसल के पापाजी ने खड़े कर दिए थे। मेरा मन किया कि मैं वहाँ से हट जाऊँ। अपने पति से तो मरवाने का हर औरत को अधिकार है। लेकिन मेरे मन मैं एक चोर था, मैं पापाजी का लंड देखना चाह रही थी। पापाजी ने अपने कपड़े उतार दिए थे और अब सिर्फ एक अंडरवीयर उनके बदन पर था। मम्मीजी उर्फ़ मेरी सासु ने अपना पेटीकोट उतार दिया था और वो पूरी नंगी हो चुकी थीं लेकिन मुझे उनकी चूत दिख नहीं रही थी। मेरी आँख दरवाज़े की झिरी पर थी और हाथ अपनी चूत के ऊपर था।

अगला पल मेरे लिए कभी न भूलने वाला था, सासु माँ ने पापाजी की चड्डी उतार दी और उनका लंड अपने हाथ में लेकर सहला रहीं थीं। थोड़ी देर में उन्होंने उसे मुँह में ले लिया और चूसने लगीं। चूसने के बाद जब ससुर का लंड बाहर निकला तो टनाटन कड़क 6 इंच का हो रहा था। बिल्कुल राजीव के लंड जैसा था। मेरी चूत गर्म भट्टी हो रही थी, मन कर रहा था कि पापाजी लंड मेरी चूत में डाल दें।

मैंने अपनी मेक्सी उतार दी थी और अपनी उंगलियाँ चूत में घुसा लीं थीं। सास ने 5 मिनट तक ससुर जी के लौड़े की चुसाई और चटाई की। उसके बाद पापाजी ने उन्हें बिस्तर पर लिटा दिया, मम्मीजी ने दोनों टांगें फ़ैला दीं थीं। पापाजी कोंडोम लेने अलमारी की तरफ चले गए. सासु माँ की चिकनी चमचमाती चूत मेरी आँखों के सामने थी। उस पर एक भी बाल नहीं था आज ही शेव की हुई लग रही थी।

पापाजी ने अपने लंड पर कोंडोम लगाया और और सास को तिरछा कर के उनकी चूत में पेल दिया। सासु माँ की आह ऊह निकलने लगी जो बाहर तक आ रही थी, पापाजी का लोड़ा चूत में दौड़ रहा था, सास का मुँह मेरी तरफ था उनकी चूचियों की मसलाई और चूत की चुदाई साफ़ दिख रही थी, सास मज़े ले लेकर चुद रही थी और बहु मुठ मार रही थी।

पापाजी अच्छे चोदू थे, 5 मिनट तक उन्होंने सासु माँ की चूत चोदी, उसके बाद उन्होंने सासु को घोड़ी बना दिया।

कुतिया सास बोली- आज गांड का सुख दे दो, मुझे बड़ा मज़ा आता है गांड मरवाने में।
अगले पल जो था वो मेरे लिए नई चीज़ थी !

ससुर ने लंड मम्मीजी की गांड में डाल दिया था, मुझे लंड गांड में घुसता हुआ नहीं दिखा लेकिन उनके आसन से यह साफ़ था कि लंड गांड में ही घुसा है।

ऊपर से सास चिल्ला रही थी- कुत्ते, गांड फाड़ दी ! वाह वाह ! क्या मज़ा दिया है।
सास की गांड मारी जा रही थी और मेरी चूत रो रो कर गीली हो रही थी।

दस मिनट यह खेल चला होगा, उसके बाद पापाजी बोले- मैं यह कोंडोम बाहर डाल कर आता हूँ !
और वो दरवाज़े की तरफ आ गए मैं अपनी मेक्सी उठाकर नंगी ही अपने कमरे में दौड़ ली।
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Update 2

दस दिन बाद मेरा बैंक का पेपर लखनऊ में था। मेरी कोई तैयारी नहीं थी। मैं घर मैं बोर हो रही थी, मैंने सासु मां से कहा- मैं पेपर दे आती हूँ।

सासु ने हाँ भर दी, सासु माँ बोली- तू अमित के घर कानपुर चली जाना, वहाँ से वो लखनऊ पेपर दिला लाएगा। उसकी मकान मालकिन बहुत अच्छी है, तेरी कम्पनी भी हो जाएगी, चाहे तो 6-7 दिन रुक भी आना।

अमित सासु की बहन का लड़का था और कानपूर मैं नौकरी करता था। देवर के यहाँ जाने की बात सुनकर मेरी चूत चुलबुली हो गई। मन ही मन ख़ुशी भी हो रही थी।

मैं गुरुवार को शताब्दी से कानपुर जा रही थी। मेरा पेपर रविवार को था। अमित बीच में देहली आया था, 3-4 दिन रुका था तो हम लोग आपस में थोड़ा खुल गए थे। उसने मुझे नॉन वेज जोक भी सुनाए थे और सेक्सी बातें भी की थीं।

अब मेरे मन के किसी कोने मैं उसके साथ मस्ती करने का मन कर रहा था, आज मंगलवार था। अभी जाने में एक दिन बीच में था। बुधवार को मैंने अपनी चूत के बाल साफ़ किये और ब्यूटी पार्लर मैं जाकर अपना बदन चिकना करवाया। रात को सामन रखते समय दो जोड़ी सेक्सी ब्रा-पैंटी और मेक्सी जिनसे पूरी चूचियाँ और चूत चमकती थीं जाने के लिए रख लीं। दो छोटी स्कर्ट और 2-3 लो-कट ब्लाउज भी रखे।

रात को अमित का फ़ोन 9 बजे आया, मुझसे बोला- और भाभी कैसी हो?
मैंने कहा- अच्छी हूँ ! भाभी के स्वागत की तैयारी कर लेना।

हँसते हुए बोला- मैंने तो कर ली है। तुम क्या तोहफ़ा ला रही हो मेरे लिए।
मुस्कराते हुए बोली- दो संतरे ला रही हूँ।

देवर हँसते हुए बोला- चूस चूस कर खाऊँगा, जल्दी लेकर आओ।
अमित बोला- कल मुर्गा खाओगी या आराम से दो दिन बाद खाओगी?

मैं हँसते हुए बोली- मुझे मुर्गे की आवाज़ आ रही है। कुँकङु कूं कुँकङु कूं बोल रहा है। अभी इसे सुला दो आकर बताउंगी की कब खाना है।

फ़ोन पर बातें करने के बाद मैं अपनी चूत सहलाती हुई सो गई।

अगले दिन मैं शताब्दी से कानपुर पहुँच गई, अमित मुझे लेने आया था, उतरते ही उसने मुझे गले लगाया और बोला- घर पर अच्छी तरह से गले मिलूँगा, मुझे आप से मिलकर बहुत ख़ुशी हो रही है।

मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और हम लोग बाहर आ गए। अमित की बाइक से हम उसके घर पहुँच गए। वहाँ उसकी 35 साल की मकान मालकिन रजनी ने मेरा स्वागत किया और हम लोगों के लिए चाय-नाश्ता ले आई।

हम सभी ने चाय पी, इसके बाद रजनी बोली- जाकर फ्रेश हो लो जब तक मैं बच्चों को देख लेती हूँ। आज रात को मेरे साथ सोना, इस नालायक का भरोसा नहीं, रात को सोने भी न दे।

मैं अमित के साथ उसके ऊपर वाले किराए के टू-रूम सेट में आ गई। कमरे की एंट्री बाहर और अंदर दोनों तरफ से थी। पहला कमरा बहुत छोटा था उसमें 4 कुर्सी, मेज और एक तखत था, अंदर का कमरा काफी साफ़ सुथरा और बड़ा था उसमें एक बड़ा पलंग पड़ा था, छोटी सी किचन और एक बाथरूम कमरे से जुड़ा था।

शाम के 4 बज रहे थे।

कमरे में घुसकर मैंने कमरा बंद कर लिया। अमित बोला- भाभी, मैं बाहर के कमरे मैं बैठता हूँ, आप अंदर फ्रेश हो लो।

मैंने कामुक अंगड़ाई ली और बोली- बाहर क्यों बैठते हो? अंदर आ जाओ। इतना शरमाओगे तो 5-6 दिन कैसे काटेंगे।

अमित और मैं अंदर वाले कमरे में आ गए। मैंने मुस्कराते हुआ कहा- सुबह से साड़ी लपेटी हुई है, अब कुछ हल्का हो लेती हूँ !

और मैंने अपनी साड़ी अमित के सामने उतार दी मेरी तनी हुई चूचियां अमित को ललचा रही थीं। पेटीकोट थोड़ा ठीक करते हुए मैंने नाभि के नीचे सरका दिया। मैंने अपनी बाहें फ़ैलाते हुए कहा- गले तो मिल लो !

अमित एक पुतले की तरह मेरी बाँहों में आ गया मैंने उसे कस कर चिपका लिया, अब मेरी चूचियाँ उसके सीने से दब रही थीं, अमित के लंड का उभार मैं अपनी नाभि पर महसूस कर रही थी। मैंने उसे 5 मिनट तक अपने से चिपके रखा और उसके गालों को कस कर चूम लिया। यह हमारा पहला सेक्स अनुभव था।

उसके बाद मैं बाथरूम में चली गई, मैंने अपनी चड्डी और ब्रा उतार दी और ब्लाउज दुबारा से पहन लिया। बाहर आकर अमित को दिखाती हुई बोली- इन्हें उतार कर बड़ा आराम लग रहा है।

अब मेरे बदन पर ब्लाउज और पेटीकोट था। बिस्तर पर अमित को बैठाकर मैं उसकी गोद में लेट गई और अपने चिकने पेट पर उसका हाथ रख लिया। अमित मेरी नाभि और पेट को सहलाने लगा।उसका मन मेरे दूध दबाने का कर रहा था लेकिन वो इसकी हिम्मत नहीं कर पा रहा था, मैं अंदर ही अंदर मुस्करा रही थी। मैंने 2 मिनट बाद अमित के गले में हाथ डालकर उसके होंटों को 2-3 बार चूमा और बोली- यह प्यार अब तुम्हें पूरे हफ्ते मिलेगा।

दस मिनट हम बात करते रहे। इसके बाद मैं उसे उठाकर उठ गई। मैंने अपना एक सलवार-कुरता निकाल लिया। बाथरूम अंदर से बहुत छोटा था और उसमें टांगने के लिए कुछ नहीं था। मैं अंदर सिर्फ अमित की टॉवेल लेकर चली गई और अमित से बोली- जब मांगूं तो केवल मेरा कुरता दे देना वो भी आँखें बंद करके।

मैंने बाथरूम मैं अपना ब्लाउज और पेटीकोट उतार दिया अब मैं पूरी नंगी थी। अमित के साथ मस्ताने से मेरी चूत गीली हो रही थी। मैंने उँगलियों से ही अपनी चूत को शांत कर लिया। यह तो कुछ देर की ही शांति थी दोस्तो, असल में लंड खाई चूत लंड से ही शांत होती है।

उसके बाद मैं नहा ली। अमित का तौलिया बहुत छोटा था, चूत ढकती तो चूचियाँ खुली रहतीं और चूची ढकती तो चूत खुली रहती। मैंने तौलिया अपनी कमर पर बाँध लिया और स्तन खुले छोड़ दिए। दरवाज़ा खोल कर बहार झाँका तो अमित टीवी देख रहा था, मैंने जानबूझ कर बाहर निकल कर अमित को आवाज़ दी, अमित तुम सुन नहीं रहे हो, मेरी कुर्ती दो न।

अमित ने मुड़कर देखा तो मेरी नंगी चूचियाँ और भरी भरी चिकनी जांघें देखता ही रह गया। अमित ने मुझे कुरता दे दिया, मैंने चूचियाँ कुरते से ढक लीं और मुस्कराती हुई मुड़कर बाथरूम में आकर कुरता पहना, कुरता सिर्फ मेरी जांघें ढक रहा था। जैसे ही मैं दरवाज़े से बाहर निकली, मैं चौंक गई, अमित अपने लंड की मुठ मार रहा था। उसने मुझे नहीं देखा, मैं बाथरूम के दरवाज़े के पीछे छुपकर अमित का लंड देखने लगी।

वाह ! क्या मोटा लंड था, मेरे पति से थोडा लम्बा ही लग रहा था, मन किया दौड़ कर मुँह में ले लूं और एक महीने से तड़प रही चूत में डलवा लूँ। दो मिनट बाद मैंने दरवाज़ा आवाज़ करके खोला तो अमित ने लंड जींस में डाल लिया और अपनी जींस ऊपर चढ़ा ली। इसके बाद मैं बाहर आ गई।

मैं कुरता पहन कर बाहर आई तो मेरी गुदाज़ जांघें और चूचियाँ अमित घूर घूर कर देख रहा था। मैंने अमित को आँख मारी और बोली- ऐसे क्या देख रहे हो? मेरी पजामी दो न। अमित ने हड़बड़ाते हुए मेरी पजामी मुझे दे दी। अमित के सामने ही मैंने अपनी पज़मी चूत छुपाते हुए ऊपर चढ़ा ली लेकिन अपनी गुदाज़ जांघें पूरी खोलकर अमित को दिखलाईं। अमित ललचाई नज़रों से मेरा बदन देख रहा था।

अमित को देखकर मैं मुस्कराई और शीशे के सामने जाकर खड़ी हो गई। शीशे में अपने को देखकर मैं चकित रह गई, मेरे गोल-गोल गीले स्तन और चुचूक कुरते में से बिल्कुल साफ़ दिख रहे थे। मैं समझ गई कि अमित इतना घूर घूर कर चूचियाँ क्यों देख रहा है, अगर मेरे पति इतना देख लेते तो मुझे अब तक नंगा करके मेरी चूत में लंड डाल चुके होते।

अमित को मैंने आवाज़ लगाई और बोली- अमित, इधर आओ !

अमित मेरे पीछे आकर खड़ा हो गया।

“अपनी भाभी को एक मीठी पप्पी दे दो न !” मैंने उसके हाथ पकड़ कर अपनी कमर मैं डलवा लिए।

अमित गर्म था, उसने पूरा अपना लोड़ा मेरी गांड की दरार से छुलाते हुए मेरे गालों पर एक पप्पी दे दी और हटने लगा।

मैंने उसे प्यार से डांटा- इतना क्यों शर्मा रहे हो? चिपके रहो न ! अच्छा लग रहा है। अच्छा इधर कान में यह बताओ कि जब मैं बाहर आई थी तो मुझे घूर घूर कर क्या देख रहे थे?

अमित झेंपते हुए बोला- कुछ नहीं।

मैंने धीरे से कहा- हूँ, झूठ बोलते हो? सच सच बताओ, अभी तो 5 दिन साथ रहना है।

अमित धीरे से बोला- आपके दूध देख रहा था !

मैंने शीशे में देखते हुए कहा- ऊह ! ये तो पूरे नंगे दिख रहे हैं। तुम तो बहुत शैतान हो।

मेरी बातों से अमित पूरा गर्म हो रहा था, उसने मेरी चूचियाँ पीछे से दबाने की कोशिश की लेकिन मैंने उसका हाथ कमर पर रख दिया और बोली- थोड़ा रुक जाओ ! सारे मज़े आज ही ले लोगे क्या? अच्छा अमित। यह बताओ मेरी चूचियाँ कैसी लगीं?

अमित बोला- भाभी, बहुत सुन्दर हैं, चूसने का मन कर रहा है।

हँसती हुई मैं बोली- चूस लेना लेकिन पहले एक रसीला चुम्बन होटों पर दे दो !

और मुड़कर मैंने उसे बाँहों में भरा और उसके होंठ अपने होटों में दबाकर दो मिनट तक उसके होंट चूसे। अमित के लंड का उभार मैं अपने पेट पर महसूस कर रही थी, मेरी चूचियाँ अमित के सीने से दबी हुई थी।

मैंने कहा- चूची चूसनी है?
अमित बोला- चुसवाओ न !

मैंने अपना कुरता ऊपर उठाया और बोली- सिर्फ एक-एक बार दोनों चुचूक चूस लो और काटना नहीं। मेरे दोनों चूतड़ों को दबाते हुए अमित ने दोनों चुचूक एक एक करके मुँह में लिए और लॉलीपोप की तरह एक एक बार चूसे।

इस बीच अमित झड़ गया। मेरी बुर भी पूरी गीली हो गई थी, मेरा देवर के साथ यह पहला सुंदर कामुक अनुभव था। अब हम दोनों अलग हो गए। मैंने हल्का सा शृंगार किया और कुरते पर चुन्नी डालकर नीचे आ गई।
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[size=undefined]Update 3
रात के सात बज रहे थे, भाभी के साथ मैंने खाना बनाया, भाईसाहब टूर पर थे, भाभी ने बताया- मेरे साहब महीने में 10-12 दिन बाहर रहते हैं।

हम सब लोग 9 बजे तक खाना खाकर फ्री हो गए। इसके बाद 10 बजे तक हम गप्पें मारते रहे।
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दस बजे भाभी बोली- चलो अर्चना, अब हम सोते हैं।

मैं और भाभी सोने वाले कमरे में आ गए, अमित ऊपर चला गया, दोनों बच्चे अपने कमरे में चले गए। मैं और भाभी एक घंटा बातें करते रहे।
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इसके बाद भाभी बोलीं- सो जाते हैं।

मैंने भाभी से कहा- भाभी, मेक्सी तो ऊपर है, अमित तो सो गया होगा।
भाभी हँसते हुए बोली- जब मैं अकेली होती हूँ तो कई बार नंगी ही सो जाती हूँ। ऐसा करते हैं, हम दोनों दरवाज़ा बंद करके नंगी ही सो जाती हैं। बच्चों के उठने से पहले मैं जाग जाती हूँ, तुम्हे भी उठा दूंगी।

उन्होंने मेरी पजामी का नाड़ा खोल दिया नीचे सरकाने लगी, मैंने रोकने की कोशीश की तो भाभी बोली- इतना क्यों शर्मा रही हो, अब तो तुम्हारी चूत का गेट भी खुल गया है।
मैं झेंपती हुई बोली- भाभी, आप भी तो उतरिये न।
‘ओह, यह बात है !’ और भाभी ने एक मिनट में ही अपना पेटीकोट और ब्लाउज उतार दिया।

हलकी काली झांटो वाली भाभी की चूत मेरी आँखों के आगे थी। भाभी की चूचियाँ मुझसे थोड़ी बड़ी बड़ी और मर्दों का लंड खड़ा करने वाली थीं। उन्होंने मेरा भी कुरता उतरवा दिया, मुझे साथ लेते हुए वो पलंग पर गिर गईं, मेरी साफ़ चिकनी चूत देखते हुए बोलीं- वाह, बिल्कुल दुल्हन जैसी चूत है, कोई आदमी देख ले तो चोदे बिना नहीं छोड़ेगा। संतरे भी तने हुए बिल्कुल ताज़े ताज़े लग रहे हैं।

और उन्होंने मेरे दोनों संतरे मसल दिए। भाभी ने मेरी चूत में अपनी उंगलियाँ डाल दीं और मेरी उंगलियाँ अपनी चूत में डलवा लीं अब हम दोनों एक दूसरे की बुर रगड़ रहे थे। हम दोनों खुल गए थे और मस्तिया रहे थे बड़ा मज़ा आ रहा था। हम लोगो की शर्म उतर गई थी। भाभी मुझे कुतिया कह रही थीं मैं भी उन्हें भाभी रांड बोलने लगी थी।

मस्ती में मैं और भाभी नहा रहे थे।, भाभी मेरी चूचियाँ दबाती हुई बोली- तेरी चूत परेशान नहीं करती? एक महीने से बिना चुदे पड़ी है। एक बार लंड घुस जाए तो उसके बाद कितना ही बैंगन-गाज़र चूत में डाल लो, सुख नहीं मिलता। मौका अच्छा है, अमित से चुदवा ले, कुत्ते का लंड भी अच्छा मोटा है। इनके पीछे महीने में 5-6 बार मैं भी कुत्ते से चुदवा लेती हूँ, बहुत मज़ा देता है।

मैं भाभी की बातें सुनकर चकित थी, मैंने भाभी से कहा- भाभी, विश्वास नहीं होता कि आपने भाईसाहब के अलावा भी किसी का लंड चूत में डलवाया हुआ है।

भाभी बोलीं- प्यासी चूत पता नहीं औरत से क्या क्या करवा ले, मैं तो पुरानी रांड हूँ !
और उन्होंने अपनी कहानी बताना शुरू कर दी उन्होंने बताया एक बार उन्हें 6 महीने अकेले रहना पड़ा था, उनके तब तक एक बच्चा भी हो चुका था लेकिन इस निगोड़ी चूत ने इतना तंग किया कि दस दिन बाद लंड-लंड चिल्लाने लगी। तब तो मैं 24 की थी कितनी आग लगी थी इस चूत में कि जो भी जवान, बूढ़ा दिखता तो बस यही मन करता था कि मेरी चूत में लंड डाल दे। लेकिन साली जब जरुरत हो तो लंड डालने वाला भी नहीं मिलता।

भाभी की बातें सुन सुन कर मेरी बुर पानी छोड़ने लगी थी। भाभी बोलती जा रही थीं उन्होंने मेरी तीन उंगलियाँ चूत में डलवा ली थीं और मुझसे जोर जोर से अपनी बुर मसलवा रही थीं।

भाभी का बोलना जारी था, उन्होंने मुझे बताया कि पहले वो कलकत्ता में रहती थी जब उनके पति 6 महीने को बाहर गए तो उनकी चूत चुदने को कुलबुलाती रहती थी। उन्होंने अपनी दो तीन सहेलियों को जब यह बताया तो वो हँस कर मजाक में उड़ा देती थीं। उसके बाद पड़ोस में एक भाभी किराए पर रहती थीं। उनको जब मैंने अपनी चूत की खुजली के बारे में बताया उन्होंने मुझे एक आंटी से मिलवाया। आंटी ने मेरी चूत का जुगाड़ करवाया, उन्होंने मेरी एक महंगे होटल में सेटिंग करा दी।
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मैं होटल मैं दोपहर में जब मन आता, चुदने जाने लगी, महीने मैं 4-5 बार चुदवा लेती थी। नए नए लंड से चुदने में बड़ा मज़ा आता था, चूत भी ठंडी हो जाती थी और ऊपर से कुछ कमाई भी हो जाती थी। इन 6 महीनों में मैंने 18 साल से लेकर 60 साल तक के 22 मर्दों के लंड खाए। हर लंड का अपना एक अलग मज़ा होता है।

उसके बाद तेरे भाईसाहब आ गए हम लोग कानपुर आ गए। जिंदगी आराम से चलने लगी। मेरी शर्म छूट गई थी, 10-12 आदमियों से आज भी मेरे सम्बन्ध हैं। तुम्हारे देवर अमित भी इस सूचि में है, बहुत अच्छा चोदू है, कुत्ता 3-4 बार मेरी गांड भी फाड़ चुका है लेकिन मस्त मज़ा देता है, तू भी चुदवा ले, इससे अच्छा मौका नहीं मिलेगा।

मेरी साँसें भाभी की बातें सुनकर तेज़ हो गई थी, मैं बोली- भाभी, मन तो चुदवाने का कर रहा है लेकिन डर लगता है !

भाभी हँसते हुए बोली- मस्त होकर चुदवा ! यहाँ कोन देखने वाला है? कल अमित के साथ अकेले ऊपर सोना और रात भर चुदना ! परसों बच्चे चले जाएँगे, तू अगर राज़ी होती है तो हम दोनों साथ साथ चुदेंगी।

मैं पहले से ही अमित से चुदने की सोच रही थी। अब मैंने सोच लिया कि कल अमित का लंड डलवा ही लूंगी। तभी भाभी ने घूमकर मेरी चूत की पलकों पर अपना मुँह रख दिया। आह ! जबरदस्त मज़ा था, मुझसे भी नहीं रहा गया मैं भी भाभी की चूत चूसने लगी। दस मिनट बाद हम दोनों का चूतरस एक दूसरे के मुँह में था। रात के दो बज़ गए थे, भाभी और मैं नंगी ही सो गईं।

सुबह 9 बजे मेरी नंगी चूत में भाभी ने अपनी उंगली घुसा दी, मैं हड़बड़ा कर उठी, भाभी ने मेरी चूचियाँ दबाते हुए चुटकी ली और बोलीं- अब उठ जाओ, देवर जी ऑफिस जाने वाले हैं, दो बार पूछ गए कि भाभी उठीं या नहीं ! जाओ और थोड़ा अपनी जवानी का रस पिला आओ।

मैंने उठकर कुरता-पजामा पहन लिया और ऊपर अमित के कमरे में आ गई। मैं जब ऊपर गई अमित मुस्करा कर देखते हुए बोला- आप तो बहुत देर तक सोईं? मैं आपके लिए चाय बना कर लाता हूँ।

मैंने कहा- नींद ही नहीं खुली।

मैंने आगे बढ़कर अमित को बाँहों में भर लिया, कस कर चिपकते हुए बोली- आज ऊपर ही सोऊँगी। पूरी रात तुम्हारी याद आती रही !

हम दोनों आपस में एक दूसरे की बाँहों में 5 मिनट सिमटे रहे। इसके बाद अमित चाय बनाने चला गया और मैंने कुरता पजामा उतार कर स्कर्ट ब्लाउज बिना ब्रा पेंटी के पहन लिया। अमित जब चाय लेकर आया तो मेरा शवाब उसे ललचा रहा था।

चाय पीने के बाद अमित से बोली- थोड़ा मेरी गोद में लेट लो !

अमित मेरी गोद मैं लेट गया। मैंने उसकी टीशर्ट उतरवा दी नीचे वो कुछ नहीं पहने था। मैं उसकी निप्पल हल्के से नोचते हुए उसके जवान सीने पर हाथ फेरने लगी, उसके बाद होंटों में उंगली चुसवाते हुए बोली- रात को मेरी याद आई थी?

अमित बोला- भाभी, रात भर सो नहीं पाया, आपके दूध चूसने का मन करता रहा।

मैंने अपने ब्लाउज के दोनों बटन खोल दिए और अमित का मुँह अपने दूधों की टोंटी में लगा दिया और बोली- लो, जी भरकर चूस लो।

अमित ने मेरा एक स्तन अपने मुँह में भर लिया और दूसरा हाथों से दबाने लगा, वो कभी एक चूची को चूसता कभी दूसरी को। मैं उसे कस कर अपने स्तनों से चिपकाए हुए थी।

अमित मेरे स्तनों से खेलते हुए बोला- भाभी, आज ऑफिस जाने का मन नहीं कर रहा है। लेकिन बहुत जरूरी काम है, साला जाना पड़ेगा।

मैंने नेकर के ऊपर से अमित का लौड़ा सहलाया और बोली- चलो, अब उठ जाओ, शाम को मस्ती करेंगे।
अमित और मैं उठ गए।

मैं उठी और दरवाज़े के पास पड़ा अख़बार उठाने लगी। मेरी स्कर्ट ऊपर उठ गई, अमित दूर से मेरे नंगे चूतड़, गांड और मस्त हिलती चूचियाँ देखकर पगला गया और दौड़ते हुए आकर घोड़ी बनी मुझे पीछे से लपक लिया और मेरी चूचियाँ दबाने लगा- भाभी, बहुत मन कर रहा है !
मैं बोली- थोड़ा हटो न।

अमित को हटाकर मैंने उसे बाँहों में भरा और बेशर्म बनते हुए पूछा- चोदने का मन कर रहा है क्या?
अमित बोला- हाँ भाभी, आपकी नंगी गांड देखकर आपको चोदने का मन कर रहा है।
मैं अपना पानी छोड़ रही थी, मैं बोली अमित- तुम्हारा घोड़ा बहुत टनटना रहा है, पहले उससे दोस्ती करती हूँ !

और मैंने अमित की नेकर नीचे सरका दी, अमित का 8 इंची लम्बा और 4 इंची मोटा लौड़ा फनफनाता हुआ बाहर आ गया। एक महीने बाद इतना सुंदर लोड़ा देखकर मैं पागल हो गई, मैंने बिना देर किए उसे मुँह में ले लिया और चूसने लगी। अमित मेरी स्कर्ट उठा कर मेरी चूत में उंगलियाँ आगे पीछे करने लगा।

आह ! मुझे लोड़ा चूसने का गजब सुख मिल रहा था। बहुत देर से अमित का लौड़ा टनक रहा था, 2-3 मिनट के बाद लंड बाहर खींच कर अमित ने मेरे मुँह और स्तनों पर वीर्य की बारिश कर दी। इसके बाद हमने एक दूसरे को बाँहों में भरकर 10-12 प्यार भरी पप्पियाँ गालों पर लीं और मैं उससे बोली- अब तुम ऑफिस जाओ, शाम को अपने लंड को सही जगह घुसाना। मैं और मेरी रानी तुम्हारा इंतज़ार करेंगी।

अमित ऑफिस चला गया और मैं बाथरूम मैं घुस गई।

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Update 4

हमने एक दूसरे को बाँहों में भरकर 10-12 प्यार भरी पप्पियाँ गालों पर लीं और मैं उससे बोली- अब तुम ऑफिस जाओ, शाम को अपने लंड को सही जगह घुसाना। मैं और मेरी रानी तुम्हारा इंतज़ार करेंगी।
अमित ऑफिस चला गया और मैं बाथरूम मैं घुस गई।

पूरे दिन मेरी चूत की आग भड़कती रही। शाम को सजधज कर लाल साड़ी ब्लाउज पहन कर मैं नीचे भाभी के पास आ गई, हम लोग बातें करने लगे। शाम को 7 बजे अमित आया। हमें 9 बजे मुझे मूवी देखने जाना था। मैंने भाभी को बताया तो भाभी हँसते हुए बोलीं- अमित तुम्हें चुदाई हाल में प्यासी दुल्हन दिखाने ले जाएगा।

मैं भी खुल गई थी, बोली- बड़ा मज़ा आएगा, आज प्यास भी बहुत लग रही है। पूरी प्यास बुझा कर आऊँगी।

हम सबने खाना खाया। मैं और अमित 8 बजे मूवी देखने निकल गए। हाल एक सुनसान इलाके में था। बालकनी में 8-10 जोड़े ही थे। हम जहाँ बैठे थे, वहाँ से सिर्फ एक जोड़ा ही दिख रहा था जो हमारे पास 4 सीट छोड़कर बैठा था।

अमित बोला- यहाँ बालकनी में सिर्फ जोड़े ही आते हैं, रात में मूवी कम और मस्ती ज्यादा करते हैं। 500 रुपए एक जोड़े का टिकट है।

अमित की बात सुनकर मूवी शुरू होने से पहले मैं बाथरूम गई और अपनी ब्रा और पेंटी उतार कर पर्स में रख ली। मूवी का नाम ‘प्यासी दुल्हन था’ ही था। मूवी शुरू होने के 5 मिनट बाद ही एक नामर्द की बीबी की चुदाई पड़ोस के लड़के के साथ दिखाई जाने लगी, नंगे सीन देखते ही अमित और मैं शुरू हो गए।

पहले हमने एक दूसरे के होंठ चूमे, उसके बाद अमित ने मेरी चूचियाँ ब्लाउज खोलकर दबानी शुरू कर दीं। हमारे पास वाला जोड़ा भी आपस में गुथा हुआ था। हम दोनों एक दूसरे को देखकर मुस्कराए भी थे। इसके बाद मेरे पड़ोस वाली लड़की ने अपने यार का लंड निकाल कर चूसना शुरू कर दिया। मूवी में ब्लू फिल्म जोड़ दी गई थी एक लड़की पर तीन हब्शी चढ़े हुए थे। अमित ने अपना लौड़ा खोलकर मेरे हाथों में दे दिया, मैं उसे सहलाने लगी। पास वाला जोड़ा 5 मिनट बाद उठकर बाहर चला गया।खुला नंगा चुदाई का खेल परदे पर चल रहा था। अमित ने मेरे पेटीकोट का नाड़ा खोल रखा था और मेरी चूत सहला रहा था। चूत बुरी तरह पानी पानी हो रही थी, मुझसे रहा नहीं गया, मैंने अमित की सीट के नीचे बैठकर अमित का लोड़ा मुँह में डाल कर चूसना शुरू कर दिया।

तभी दूसरा जोड़ा अंदर आ गया तो मैं हट गई।

इंटरवल में पूरा हाल रोशनी से नहा गया। अमित और पास वाला आदमी बाहर चले गए, लड़की मेरे पास आई और बोली- हट क्यों गईं? चूसती रहतीं, यहाँ तो सब खुला होता है, लगता है पहली बार आई हो, शर्म आ रही है। महिला बाथरूम के पास जो आंटी बैठी है, उन्हें 200 रुपए कमरे के दे दो, ऊपर कमरे बने हैं आराम से चुदवा लेना। मैं भी ऊपर से लगवा कर आ रही हूँ। कितने रुपए लेती है तू एक रात के?

मैं बोली- मैं तो इनकी की पत्नी हूँ।

उस लड़की का नीलम था, नीलम हँसती हुई बोली- शर्माती क्यों है? यहाँ सभी रंडियाँ हैं, बीवियाँ तो घर में चुदती हैं, मैं तो 1000 रु हॉल में आने के लेती हूँ और रात को घर और होटल जाने के 2000 रुपए लेती हूँ।

मैंने उससे झूठ बोल दिया- 1500 रु एक रात के लिए हैं।

नीलम ने एक कार्ड दिया, उस पर उसका नंबर लिखा था, बोली- कभी ग्राहक न मिले तो मुझे फ़ोन कर देना 3000 रु दिलवा दूँगी पूरी रात के।

मैंने अमित को जब कमरे के बारे में बताया तो अमित बोला- मुझे बात पता है, रजनी भाभी के कहने पर ही तुम्हें इस हाल में एक नया मज़ा देने के लिए लाया हूँ।

मैं बोली- सच अमित, बड़ा मज़ा आ रहा है, चलो ऊपर चलते हैं, चुदने का बड़ा मन कर रहा है।

इंटरवेल के 5 मिनट बाद हमारे पास वाला जोड़ा बाहर चला गया। उसके 5 मिनट बाद मैं और अमित भी बाहर आ गए। हम लोग बाथरूम की तरफ गए तो आंटी मुस्करा रहीं थीं। आंटी मुस्कराते हुए अमित से बोलीं- आज बहुत सुंदर माल पकड़ कर लाया है।

अमित ने 200 रुपए आंटी को दे दिए वो हमें छत पर ले गईं। वहां तीन कमरे थे तीनों बाहर से बंद थे। अंदर से चुदने की आह ऊह ऊह की आवाजें आ रहीं थी, अंदर चुदाई चल रही थी।

तम्बाकू चबाते हुए आंटी बोली- तेरी सहेलियां बज़ रहीं हैं, थोड़ा रुकना पड़ेगा।

आंटी ने अंदर एक दरवाजे को खोला और बोली- कुत्ते, अब तू बाहर आ जा ! एक घंटे से लगा पड़ा है।

थोड़ी देर में एक लड़की अपने यार के साथ बाहर निकल कर आ गई। आंटी तम्बाकू चबाते हुए बोलीं- रंडी, अब तू जाकर चुदवा ले ! आधे घंटे बाद दरवाज़ा खोल दूंगी।

मैं और अमित कमरे के अंदर आ गए, उसमें सिर्फ एक बल्ब था और एक तख्त पड़ी हुई थी। बगल वाले कमरे से चुदाई की आवाजें आ रही थीं। आंटी ने बाहर से सांकल लगा दी। मैं चुदने के लिए पागल हो रही थी, मैंने अपनी साड़ी उतार दी और ब्लाउज के बटन खोल दिए और पेटीकोट ऊपर चढ़ा कर तख्त पर लेट गई।

मैं बोली- अमित, जल्दी से चोद दो, सिर्फ आधा घंटा है।

अमित ने मेरा पेटीकोट ऊपर उठा दिया और मेरी चूत चूसने लगा।

मैं पूरी गर्म थी, बोली- अमित, चोद दो ! जल्दी चोद दो ! बहुत मन कर रहा है।

अमित के भी आग लगी हुई थी, उसने अपनी जींस और टीशर्ट उतार दी थी। आह ! उसका कितना सुंदर लोड़ा था जो मुझे पगलाए जा रहा था। मुझसे रहा नहीं जा रहा था, मैं चिल्ला उठी- कुत्ते डाल दे न।

अमित भी अब पूरा कुत्ता बन गया था, वो भूल गया था कि मैं उसकी भाभी हूँ, अब मैं सिर्फ एक औरत थी उसने मेरी ब्लाउज उतारी और चूचियाँ निचोड़ते हुए बोला- कुतिया, तूने दो दिन से पागल कर रखा है, आज तेरी चूत की भोंसड़ी बना कर ही छोडूँगा। आज लाया ही तुझे चुदाई हाल मैं इसलिए था कि तेरी चूत बजा सकूँ। अमित से जो भी एक बार चुद ली है बार बार चुदने आती है।

अमित ने मेरा पेटीकोट ऊपर तक उठाकर दोनों टांगें फ़ैला दीं और लंड का अग्र-भाग मेरी चूत की फलकों पर रगड़ा तो मेरी ऊह आह आहा आहा आह। मज़ा आ गया, घुसा जल्दी घुसा की आवाजें छोटे से कमरे में गूंजने लगीं।

अब मैं अमित की कुतिया बनी हुई थी, मैं मस्ती में नहा रही थी, अगला पल जन्नत की सैर का था, लंड मेरी चूत में झटके से घुस चुका था, अमित को मैंने भींच कर अपने से चिपका लिया, अमित ने मेरे होंटों को चूसते हुए मेरी चूत में धीरे धीरे अपना लंड दौड़ाना शुरू कर दिया। आह, बड़ा मज़ा आ रहा था, आज बहुत दिनों बाद चुद रही थी, कुँवारी औरत तो जिन्दगी भर रह सकती है लेकिन लंड खाई बिना लंड के नहीं रह पाती है और मैं आज दुनिया का सबसे बड़ा सुख लंड सुख अमित से ले रही थी।

अमित ने अब खड़े होकर मेरी टांगें ऊपर उठा दीं थीं, अब वो मुझे टांगें पकड़कर जोरदार शोटों से चोद रहा था, उसका लंड मेरे पति से दुगना मोटा था, मज़ा और दर्द दोनों को मैं महसूस कर रही थी। अमित मेरी संतरियों को भी बीच बीच में कुचल देता था। मैं झड़ चुकी थी, मेरी चूत के पानी से उसका लंड नहा गया था लेकिन पूरा मोटा चूत में घुसा हुआ था। उसने लंड निकाल लिया और मुझे अपनी गोद में बैठा कर होटों से होंट मिला दिए और बोला- अभी तो इंटरवल है, एक राउंड और होगा।

मैं चुद चुकी थी, मेरी चूत शांत हो चुकी थी, मैंने अमित को मना किया लेकिन अमित अब एक मर्द था उसको मेरा और मर्दन करना था। उसने मेरा पेटीकोट खींच कर उतार दिया। अब मैं पूरी नंगी थी, आज मेरी चूत में दूसरा लंड घुस चुका था।

मेरी चूचियाँ मसलते हुए बोला- ज्यादा शरीफ बनने की कोशिश न करो, लंड अब पूरे हफ्ते तुम्हारी चूत में घुसेगा, हर रात नया मज़ा दूँगा। चलो उठो, घोड़ी बनो, पीछे से घुसाने का मज़ा लो। घर पर पता नहीं दुबारा भाभी के पास सो जाओ।

अमित ने मुझे अपना बल दिखाते हुए घोड़ी बना दिया। तख्त पर मेरे दोनों हाथ रखे थे, मैं घोड़ी बनी हुई थी। नीचे मेरी टांगें चौड़ी करके अमित लौड़ा लगाने की कोशिश करने लगा लौड़ा घुस नहीं पा रहा था। अमित बोला- भाभी जान, अपना एक पैर चौड़ा करके तख्त पर रख लो।

उसने मेरा एक पैर चौड़ा करवा के तख्त पर रखवा दिया और मेरा सर तख्त पर झुका दिया। मेरी चूत में उंगली करते हुए बोला- वाह भाभी, क्या मस्त चूत चमक रही है।

उसने मेरी चूत के दाने को मसलते हुए पूछा- भाभी यहाँ सब लोग रंडियां लेकर आते हैं, आप गुस्सा तो नहीं हो इस गंदे हाल में आकर?

मुझे इस समय बहुत आनन्द आ रहा था, बोली- गुस्सा क्यों होऊँगी? यहाँ मुझे कौन जानता है, सब लोग यही समझ रहे हैं कि मैं रंडी हूँ ! यह सोचकर गुदगुदी और हो रही है। अब तुम भी जल्दी से अपनी भाभी रांड को चोद दो और हाल में कोई पूछे तो रंडी ही बताना। अब चोदो, देर न करो !

अमित ने मेरी एक जांघ पर पीछे से हाथ रखकर टांग को फ़ैलाया और लोड़ा चूत में पेल दिया। एक चीख मेरी निकल गई, अगले ही पल मेरी चूत में लंड दनदनाते हुए घुस गया था। अमित ने मेरी कमर पर दोनों हाथ टिकाए और दनादन कुत्ते की तरह पेलना शुरू कर दिया था। शुरू के 1 मिनट मैं मैं जोर से चिल्ला रही थी, बड़ा जबरदस्त मज़ा था, थोड़ी देर बाद उसने झुककर मेरी चूचियाँ पकड़ ली और उन्हें दबाते हुए धीरे धीरे आहें भरने लगा।

मैं भी अब आनंदित हो रही थी, धीरे धक्कों के कारण मेरा दर्द कम हो गया था। कुछ देर बाद अमित ने फिर मुझे कमर से पकड़ कर जोर से ठोंकना शुरू कर दिया था। तभी दरवाज़ा खोल कर आंटी अंदर आ गईं थीं, अमित से बोलीं- जल्दी इस रंडी को बजा, पिक्चर 10 मिनट में ख़त्म हो जाएगी।

अमित का चोदना जारी था, मैं चिल्ला रही थी- अमित छोड़ो न !

लेकिन अमित मुझे चोदे जा रहा था, गली की कुतिया की तरह मैं चुद रही थी, आंटी बीड़ी पीते हुए मेरी चुदाई का आनन्द ले रहीं थीं, उनके साथ एक बुड्ढा आदमी भी मेरी चुदाई देख रहा था। अब मैं एक सड़क पर चुद रही कुतिया बनी हुई थी। अमित ने मुझे 5 मिनट तक चोदा इसके बाद अमित ने अपना लोड़ा बाहर निकल के सारा वीर्य मेरी गांड के मुँह पर छोड़ दिया। इसके बाद हम दोनों अलग हो गए।

आंटी मेरी और देखकर बोलीं- कुतिया, जल्दी से कपड़े पहन और निकल ले ! इधर शो ख़त्म हो चुका है।

मैं और अमित अपने कपडे पहनने लगे।

कपड़े पहन कर हम लोग बाहर आ गए। अमित की बाइक पर मैं अमित से चिपक कर बैठ गई। अमित मुझसे बोला- भाभी, मैं जब चोदता हूँ तो मुझे सिर्फ चूत और गांड दिखती है। आज चुदाई की मेरी गोल्डन जुबली है, आप 50वीं औरत हो जिसकी मैंने चूत चोदी है।

अमित बोले जा रहा था, अमित बोला- अब तक मैं 10 लोंडियों की गांड मार चुका हूँ और 4 की सील तोड़ चुका हूँ। मैंने नीचे वाली भाभी और उनकी बहन की चूत भी मार रखी है। थोड़ी देर बाद हम घर पर अमित के कमरे में थे। आज मुझे अमित के साथ सोना था।

मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए और पलंग पर लेट गई, अमित भी नंगा होकर मेरे पास सो गया। हम दोनों ने एक दूसरे को बाहों में भर लिया, अमित मुझे चूमते हुए बोला- भाभी इन सात दिनों में आपको चूत को एसा मज़ा दूँगा कि आप कभी भूल नहीं पाएँगी। रोज़ नई तरह का मज़ा।

अमित बोला- सुबह आराम से उठना, भाभी को मैसेज कर दिया है कि सुबह 11 बजे से पहले न जगाए। अब सोते हैं, सुबह आपकी चूत में लंड भी तो डालना है।

अमित और मैं एक दूसरे की बाँहों में सो गए।

सुबह 5 बजे अमित ने मुझे अपनी बाँहों में खींच लिया, उसका लंड खड़ा हो रहा था, उसने लंड मेरी चूत में घुसा दिया, हम लोग चिपक कर एक दूसरे से लिपट कर अर्धनिंद्रा में पड़े हुए थे, मेरी चूत में अमित का लोड़ा घुस कर मोटा हो रहा था, बड़ा अच्छा लग रहा था। आधा घंटा इसी तरह निकल गया। इसके बाद अमित मेरे ऊपर चढ़ गया और अपने लोड़े के वारों से मुझे मस्त मस्त चोद दिया।

हम लोग दुबारा सो गए। 9 बजे मैं उठ कर बाथरूम में चली गई और नहा धोकर बाहर आई। आज अंदर से बड़ा अच्छा लग रहा था।

समय 11 से ऊपर हो गया था, अमित अभी भी नंगा पड़ा हुआ था, उसका लोड़ा सुकड़ा सा ठंडा पड़ा था, मैंने उसका लोड़ा पकड़ कर हिलाया और बोली- लोड़े के खिलाडी साहब, अब उठ जाइए।

अमित हँसते हुए उठा और मुझे बाँहों में भरकर मेरे होंठों पर एक गहरा चुम्बन लिया और बाथरूम चला गया। मेरी चूत इस समय पूरी शांत थी। मैं सजधज कर नीचे भाभी के पास आ गई।

‘आ गई?’ भाभी मुझे देखकर मुस्कराईं और बोली- कल, लग रहा है सुहागरात-2 मन गई?

मैं शरमाते हुए बोली- भाभी, अमित तो बहुत बड़ा चोदू है, पूरी फाड़कर रख दी।

भाभी हँसते हुए बोली- मज़ा तो फड़वाने में ही है। अब आराम से रोज़ रात मरवा। बच्चे 3-4 दिन के लिए मामा के यहाँ जा रहे हैं। मैं भी तेरे साथ कुत्ते का डलवाऊँगी। साले का लंड ऐसा है कि एक बार डलवा लो तो बार बार डलवाने का मन करता है।

मैंने चाय बना ली और अमित को चाय पीने के लिए आवाज़ दी। अमित तैयार होकर नीचे आ गया। भाभी हँसते हुए बोलीं- अमित, अर्चना बता रही है कि कल रात दर्द और मज़ा दोनों का इसने आनंद उठाया।

अमित ने भाभी के चूतड़ों को दबाते हुए कहा- जलन हो रही है?

भाभी बोलीं- आज रात अर्चना से पहले मैं मज़ा लूँगी, बच्चों को लेने उनके मामा आ रहे हैं, अब मैं अकेली हूँ।

अमित ने कहा- सच?
और भाभी को अपनी बाँहों में भरकर मेरे सामने उनके होटों पर चूम लिया।

उसके बाद अमित, भाभी और मैंने प्रोग्राम बनाया कि हम आज रात 9 बजे भाभी की कार से लखनऊ जायेंगे और रात को भाभी के खाली पड़े फ्लैट में रुकेंगे।

भाभी बोलीं- रास्ते में कार में चुदना बड़ा मज़ा आएगा। दिन में तू पेपर देना, शाम को हम दोनों मज़े करेंगे।

अमित नाश्ता करके दफ़्तर चला गया, जाते समय मुझे 2-3 नग्न फ़िल्मों की सीडी दे गया और बोला- बोर हो तो देख लेना।

दो लंड खाने के बाद औरत की शर्म चली जाती है और उसके लंड खाने की भूख बढ़ जाती है, मेरे साथ भी कुछ ऐसा हो रहा था। मेरी चूत की आग तो शांत हो गई थी लेकिन लंड से खेलने की इच्छा बढ़ गई थी।

मैं ऊपर कमरे में आ गई और वीडियो लगा दी। अच्छी चुदाई वाली भारतीय फ़िल्म थी, 20-22 साल की 4-5 लड़कियों की चुदाई 50-55 साल के 4-5 अंकलों के साथ दिखाई जा रही थी।

मेरा मन भी अब लंडों से खेलने का कर रहा था, 5 बजे भाभी ने नीचे बुला लिया बच्चे मामा के साथ जा चुके थे।भाभी को जब मैंने बताया कि फ़िल्म देखकर तो मेरा मन और लंडों से खेलने को कर रहा है तो भाभी बोलीं- चिंता न कर ! हम दोनों की यह यात्रा चुदाई यात्रा होगी। दोनों मस्त होकर चुदवाएंगी, तू जितने लंडों से खेलना चाहेगी उतने से खिलवाऊँगी तुझे।

अमित 8 बजे रात को आया। 9 बजे हम लोग भाभी की कार से लखनऊ के लिए चल दिए। मेरी चुदाई यात्रा शुरू हो गई थी।
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Update 5
[size=undefined]हम लोग कार से लखनऊ के लिए रात में चल दिए। अगले दिन मेरी परीक्षा थी। मैंने सलवार कुरता और भाभी ने साड़ी ब्लाउज पहना था।

अमित बोला- तुम दोनों मुझे गाड़ी नहीं चलाने दोगी इसलिए चुपचाप पीछे बैठो।

अमित नेकर और टी शर्ट में था। हम दोनों मुँह बनाते हुए पीछे बैठ गए। भाभी ने बताया कि उन्होंने अपना फ्लैट सेट करवा दिया है और हम लोग रात को बारह बजे लखनऊ पहुँच जाएँगे।

भाभी रास्ते में अमित से बोली- अमित, तुम एक बार बता रहे थे कि तुम्हारे एक दोस्त का लंड 10 इंच लम्बा और ४ इंच मोटा है?

अमित बोला- सच बोल रहा था। उसका घर रास्ते में पड़ता है, अगर विश्वास नहीं होता तो दर्शन करा देता हूँ।

भाभी बोलीं- अगर छोटा निकला तो?

अमित बोला- पाँच हज़ार की शर्त रख लो।

दोनों मैं शर्त लग गई मेरी चूत उनकी बातें सुनकर मचलने लगी थी, मैंने भी आज तक 10 इंच लम्बा लंड नहीं देखा था। अमित ने अपने दोस्त को फ़ोन कर दिया। थोड़ी देर बाद रास्ते में वो मिल गया। गाडी मैं बैठकर हम उसके इंटों के भट्टे पर पहुँच गए।

भट्टे में एक कमरा बड़ी अच्छी तरह सजा हुआ था। अमित के दोस्त का नाम बबलू था। हम लोग अंदर बैठ गए।

थोड़ी देर बाद अमित बोला- बबलू, रजनी भाभी को अपना लंड दिखा दे। मेरी शर्त लगी है कि अगर 10 इंच से कम निकला तो 5000 रुपए भाभी को दूँगा।

बबलू बोला- मैंने आज तक कभी मुठ नहीं मारी ! जब से मेरा खड़ा होना शुरू हुआ है तब से सिर्फ चूत में ही डाला है। पहले दो साल तक तो अपनी चाची की चोदता था, उसके बाद तो गाँव की लड़कियों, रंडियों, भाभियों और भट्टे पर काम करने वाली औरतों की चोदता आ रहा हूँ। एक बार खड़ा हो जाता है तो फिर बिना चूत में डाले लंड को नहीं बैठाता। अब यह बता दो कि तुम दोनों डलवाओगी या किसी एक को चोदूँगा। गांड मैं मारता नहीं, और आधे घंटे से कम चोदता नहीं हूँ।

अमित बोला- भाभी डलवा लो, मज़ा आएगा।

रजनी बोली- मैं तो डलवा लूँगी लेकिन अर्चना को भी घुसवाना पड़ेगा। कुतुबमीनार देखने का मन तो इसका भी कर रहा है।

मैं झेंप गई, मैं बोल गई- नहीं नहीं मुझे तो बस देखना है मैं नहीं घुसवाऊँगी।

बबलू इतना सुनकर मेरे पीछे आ गया और मेरी कुरती में हाथ डालकर मेरे दोनों संतरे मसलते हुए बोला- दिखा देंगे, तुझे भी दिखा देंगे, तेरा माल तो देख लें पहले !

और उसने कुरता ऊपर उठा कर मेरे संतरे मसलने शुरू कर दिए। सामने भाभी मुस्कराते हुए मेरी चूचियों की मसलाई देख रही थीं।

बबलू ने हाथ हटा कर मेरी पजामी का नाड़ा खोला और पीछे से कुरते की चैन खोल दी। पज़ामी नीचे सरक गई, बबलू बहुत ताकतवर था, मेरी कुरती भी उसने उतार दी और मुझे गोद में उठाकर अमित की गोदी में बैठा दिया। मेरे बदन पर अब सिर्फ पेंटी थी। मेरे नंगे संतरे कमरे की शोभा बढ़ा रहे थे।

अमित मेरी पेंटी में हाथ डालते हुए बोला- मज़े कर लो भाभी ! ऐसा मज़ा दुबारा नहीं मिलेगा।

बबलू भाभी की तरफ बढ़ा और बोला- अब तेरी चूचियों को देखता हूँ ! बहुत बड़ी बड़ी लग रही हैं।

ब्लाउज उसने आगे से खींच कर फाड़ दिया, भाभी के मोटे मोटे गोल गोल स्तन आजाद हो गए।

बबलू चिहुंका- वाह, क्या सुंदर पहाड़ हैं रानी !

बबलू ने उन्हें मुँह में ले लिया और चूसने लगा और बाद में पीछे जाकर बबलू भाभी के स्तनों को भोपूं की तरह बजाने लगा।अब मुस्कराने की बारी मेरी थी। उसने इस बीच भाभी का पेटीकोट और साड़ी भी उतार दी। भाभी पूरी नंगी हो चुकी थीं, उनकी चूत के दाने को बबलू रगड़ रहा था। भाभी को नंगी देखकर मेरी शर्म कम हो गई थी।

भाभी अमित से बोलीं- अर्चना की पेंटी उतार दो न ! मुझे नंगी देखकर यह रंडी खुश हो रही है।

अमित ने मेरी पेंटी उतार दी। उसके बाद बबलू ने गोदी में उठाकर भाभी को मेरी बगल में बैठा दिया और बारी बारी से मेरी और भाभी की पप्पी लेता हुआ बोला- बदतमीज़ी के लिए माफ़ करना ! नंगी बहुत सुंदर लग रही हो।

इसके बाद अमित और बबलू ने अपने कपड़े उतार दिए। मेरी और भाभी की नज़र बबलू की चड्डी पर थी, उसका लंड चड्डी में से मोटा और बड़ा होने का अहसास करा रहा था।

अमित और बबलू ने अपनी अपनी चड्डियाँ उतार दी। दोनों के तने लंड बाहर निकल आए।

बाप रे बाप ! बबलू का क्या मोटा और लम्बा लंड था बबलू के सामने अमित का 8 इंची लंड छोटा और पतला लग रहा था।

बबलू ने भाभी को उठाकर अपनी जांघों पर बैठा लिया और लंड हाथ में देता हुआ बोला- रानी देख लो ! थोड़ी देर में यह तुम्हारी सुरंग में दौड़ेगा।

भाभी बोली- अर्चना, वाह ! क्या लम्बा है ! बाप रे बाप ! यह तो आज चूत फाड़ कर चूत की भोंसड़ी बना देगा ! जरा स्केल तो निकाल अपने बैग से, आज तो लग रहा है कि शर्त हार गई।

मैंने अपने बैग से 12 इंची स्केल निकाल लिया। भाभी ने लंड नापा तो १० से थोड़ा कम था।

भाभी बोलीं- यह तो दस से कम है।

बबलू बोला- कुतिया, अभी तो यह खड़ा हो रहा है, मुँह में डालूँगा तब और लम्बा होगा लेकिन सोच लेना जो पहले मुँह में लेगी उसकी चूत में बाद में घुसेगा।

भाभी बोलीं- अर्चना, तुम चूस लो, इसका अगर तुम्हारी चूत में इसने पहले डाल दिया तो कल पेपर नहीं दे पाओगी, मैं तो पुरानी रांड हूँ, चुदवा कर कल आराम से सोऊँगी।

बबलू खाट पर बैठ गया, उसने मुझे खींच कर जमीन पर अपनी टांगों के बीच बैठा लिया और अपना लौड़ा मेरे हाथों में पकड़ा दिया। मैंने उसका लंड हाथ में पकड़ा तो ऐसा लगा जैसे कोई लोहे की बड़ी रॉड पकड़ ली हो।

बबलू ने बाल सहलाते हुए मेरे मुँह पर लंड रख दिया और बोला- अब जल्दी से चूस ले। तू मुझे बहुत प्यारी लग रही है, तेरी चूत में भी घुसेगा और प्यार से तेरी चोदूँगा। प्यार से पूरा अंदर तक डाल कर चूसियो ! अच्छी तरह नहीं चूसा तो तेरी भाभी से ज्यादा फाड़ दूँगा।

मैंने बबलू का लंड चूसना शुरू कर दिया पूरा मुँह फाड़ के चूसना पड़ रहा था बबलू भी पूरी हलक तक घुसा देता था । दस-बारह बार चूसने के बाद उसने लंड बाहर निकाल लिया और भाभी से बोला- ले रांड, अब नाप ! फिर तुझे बताता हूँ चुदाई क्या होती है।

भाभी भी आश्चर्य से बबलू का लंड देख रहीं थी, अबकी उन्होंने नापा तो लंड दस इंच से थोडा बड़ा ही था।

भाभी हार गईं थी, अमित उन्हें देखकर मुस्करा रहा था।

बबलू ने भाभी के गले में हाथ डाल कर उनकी गेंदें हिलाईं और बोला- रजनी डार्लिंग ! आराम से खोलकर मरवाओगी या मैं अपने अंदर के राक्षस को जगाकर तुम्हारी मारूँ?

भाभी लौड़ा सहलाते हुए बोलीं- प्यार से मरवाने में ही भलाई है कुत्ते ! लेकिन थोड़ा प्यार से मारना, इस जैसा लम्बा-मोटा लंड तो देखने को भी नहीं मिलता है।

“हैं? ऐसी बात है? तो चुपचाप नीचे गद्दे पर लेट जा !”

भाभी बबलू के इशारे पर उठकर नीचे पड़े गद्दे पर लेट गईं। बबलू ने मेरी तरफ देखा और बोला- तू अमित से अपनी फुद्दी थोड़ी चौड़ी करवा ले ! जब तेरी फुद्दी में घुसेगा तो दर्द कम होगा। नई नवेली दुल्हन का माल तो बड़ा नमकीन होता है। तेरी चूत चोदने मैं तो मज़ा आ जाएगा।

मुझे उठाकर उसने अमित की जाँघों पर बैठा दिया और मेरी दोनों चूचियाँ कस कर दबा दीं। इसके बाद उसने नीचे झुककर भाभी की टांगें उठाईं और उनकी चूत में अपना दस इंची लंड घुसा दिया।

भाभी चीख उठीं- ऊ ऊई मर गई ! मर गई !

लेकिन अब वो बबलू के लंड की गुलाम थीं !

बबलू ने भाभी को चोदना शुरू कर दिया, उनकी अच्छी चुदाई हो रही थी, भाभी की आँखों से पानी आ रहा था, बबलू बीच बीच में तेज़ धक्कों से उन्हें चोद देता था।

ऊह्ह ऊई आः आहा आह मर गई मर गई जैसी आवाजें कमरे में गूंज रही थीं।

अमित ने भी मुझे अपने खड़े हुए लंड पर बैठा लिया अमित का लंड मेरी चूत में अंदर तक घुसा हुआ था। मैं भी धीरे धीरे चुदते हुए भाभी की चूत फाड़ चुदाई का मज़ा लेने लगी।

15 मिनट तक भाभी की लगातार चुदाई बबलू ने करी इसके बाद बबलू ने लंड निकाल लिया और भाभी को बाँहों में भरकर अपने से चिपका लिया।

भाभी बोलीं- चूत में दर्द तो हो रहा है लेकिन बबलू, मज़ा आ गया ! तीन बार मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया।

बबलू सीधा लेट गया और भाभी को अपना लौड़ा पकड़ा दिया जो पूरा दस इंची हवा में खड़ा हुआ था। अमित भी मेरी चोद चुका था, अमित ने वीर्य मेरी चूत में छोड़ दिया था। अमित बोला- मैं बाहर होकर आता हूँ !

अमित बाहर निकल गया, मैं खाट पर बैठी चोर नज़रों से बबलू का लंड देख रही थी।

बबलू बोला- शर्म छोड़ दे ! मज़े से खेल ! ऐसे चोरी चोरी से क्या देख रही है?

उसने मुझे अपने पास खींच लिया और लंड मेरे हाथ में पकड़ा दिया। बबलू अब दो नंगी औरतों को अपने से चिपका कर उनका शवाब पी रहा था।

मैं धीरे धीरे उसका लंड सहलाने लगी, भाभी बोलीं- अर्चना, एक बार इस सांड का लंड अंदर घुसवा ले, बड़ा मज़ा आएगा। साला क्या चोदता है।

बबलू मेरे चूतड़ दबाते हुए बोला- अर्चना जी, डाल दूँ? तुम्हारी जवानी तो मुझे पागल कर रही है।

उसने मेरी चूत में अपनी दो उंगलिया डाल दीं थीं, चूत अमित से चुदी हुई थी, पूरी वीर्य से नहा रही थी, उँगलियाँ आराम से घुस गईं।

चूत मसलते हुए बबलू बोला- गाड़ी तो तुम्हारी पूरी तैयार है, बस इंजन लगाने की देर है। चलो घोड़ी बन जाओ पीछे से धीरे धीरे प्यार से अपनी बीवी की तरह चोदूँगा और चुदते हुए नखरे करे तो रंडी की तरह बजा कर चूत की भोंसड़ी बना दूँगा। चुदने के बाद अगर मज़ा नहीं आए तो जो चाहे सजा दे लेना।भाभी उठीं और बोलीं- चल अब घोड़ी बन जा ! इतने प्यार से कह रहा है तो पूरे मज़े भी देगा।

मैं जमीन पर कोहनी के बल घोड़ी बन गई, बबलू ने अपना लंड पीछे से आकर मेरी चूत पर कई बार फिराया। मेरी सांसें तेज़ हो गईं, मैं लंड अंदर घुसने का इंतजार करने लगी। बड़े प्यार से चूत पर सुपाड़े को अपने हाथ से दबाते हुए बबलू ने अपना लंड मेरी चूत में प्रवेश कराया और मेरी चूचियों और चुचूकों को मसला।

बबलू अपने लंड को मेरी चूत में चलाना शुरू कर दिया, मेरी चुदाई शुरू हो गई थी। बबलू धीरे धीरे प्यार से चोद रहा था, लंड उसने पूरा नहीं घुसा रखा था लेकिन उसकी मोटाई ने मेरी चूत पूरी फाड़ के रख दी थी, मैं एक बकरी की तरह ऊह आह आह आह कर रही थी लेकिन इंजन अच्छा हो तो सफ़र भी मस्त होता है।

थोड़ी देर में मेरी चुदाई मुझे बड़ा आनन्द देने लगी, अब मैं चुदते हुए आह ऊह आहा आहा आहा और चोद ! और चोद ! चिल्लाने लगी।

बबलू ने मेरी गेंदें पकड़ी और उन्हें मसलते हुए अपनी चुदाई की स्पीड बढ़ा दी। लंड अब पूरा अंदर घुस कर मेरी गर्भाशय की दीवारों से टकरा रहा था और आगे पीछे हो रहा था।

5 मिनट में बबलू ने मेरी फाड़ कर रख दी थी, मैंने 2 बार पानी छोड़ दिया था। इसके बाद वो हट गया। मेरी चूत फट गई थी और दर्द कर रही थी, मैं सीधी टांगें फ़ैला कर लेट गई। भाभी अपनी चूत चौड़ी करके जमीन पर पड़ी हुई थीं, बबलू ने कुछ धक्के उनकी चूत में मारे और उसके बाद दोबारा मेरी चूत में लंड पेल दिया, बोला- अपना वीर्य तो तुम्हारी चूत में ही डालूँगा।

मेरी चूत में 2-3 धक्कों बाद बबलू का पूरा वीर्य मेरी चूत में भर गया। मेरे पूरे गर्भ में वीर्य की बाढ़ आ गई। अगर मैंने गोली नहीं खाई होती तो पक्का गर्भ से हो गई होती।

इसके बाद हम दोनों उससे चिपक गए और 15 मिनट तक चिपके रहे। लंड बबलू का बड़ा और मोटा था लेकिन उसने मुझे आनन्द बहुत दिया। उसने मुझे वास्तव मैं प्यार से चोदा था।

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Update 6

5 मिनट में बबलू ने मेरी फाड़ कर रख दी थी, मैंने 2 बार पानी छोड़ दिया था। इसके बाद वो हट गया। मेरी चूत फट गई थी और दर्द कर रही थी, मैं सीधी टांगें फ़ैला कर लेट गई। भाभी अपनी चूत चौड़ी करके जमीन पर पड़ी हुई थीं, बबलू ने कुछ धक्के उनकी चूत में मारे और उसके बाद दोबारा मेरी चूत में लंड पेल दिया, बोला- अपना वीर्य तो तुम्हारी चूत में ही डालूँगा।

मेरी चूत में 2-3 धक्कों बाद बबलू का पूरा वीर्य मेरी चूत में भर गया। मेरे पूरे गर्भ में वीर्य की बाढ़ आ गई। अगर मैंने गोली नहीं खाई होती तो पक्का गर्भ से हो गई होती।

इसके बाद हम दोनों उससे चिपक गए और 15 मिनट तक चिपके रहे। लंड बबलू का बड़ा और मोटा था लेकिन उसने मुझे आनन्द बहुत दिया। उसने मुझे वास्तव मैं प्यार से चोदा था।

कुछ देर बाद अमित बाहर से खाना लेकर आ गया हम लोगों ने खाना खाया। रात का एक बज रहा था। हम लोग लखनऊ के लिए चल दिए।

दो बजे हम भाभी के फ्लैट मैं थे, जाते ही सब लोग सो गए मैं और भाभी साथ साथ सोई।

सुबह 6 बजे अलार्म से सब लोग उठे।

मैं बोली- भाभी अब पेपर देने का मन नहीं कर रहा, अब तो बस लंडों से खेलने का मन कर रहा है, सुबह से ही चुल उठ रही है, बबलू की याद आ रही है, रात चुदने में मज़ा आ गया।

भाभी बोली- तुझे और लंड मस्ती चाहिए तो कुछ और करें?

मैंने कहा- कुछ और क्या?

भाभी ने धीरे से कहा- मेरे पति के यार सतीश लखनऊ में हैं, मस्त चोदते हैं, मेरी उनसे अच्छी यारी है, मैं पहले भी 3-4 बार उनसे चूत और गांड मरवा चुकी हूँ। तू हाँ करे तो रात को तुझे उनके लंड का का मज़ा और दिला दूँ। अमित और उनके लंड साथ साथ मुँह चूत, और गांड में डलवाना, दो-दो लंडों से खेलने में बड़ा मज़ा आएगा।

मैंने कहा- अमित ऐसा करेगा?

भाभी हँसते हुए बोलीं- अमित बहुत हरामी है, उसको मैंने कई लड़कियों की चूत दिलाई है, बहुत बड़ा चोदू है। एक बार तो उसने अपने दो दोस्तों के साथ मेरी चोदी थी, तीन तीन लंड एक साथ मेरे मुँह, चूत और गांड में घुस गए थे। और तू कौन सी उसकी सगी भाभी है। उसकी सगी चाची, जब चाचा के साथ शादी के बाद आई थीं तो चाची की चोदने को उतावला हो रहा था, मैंने चाचा के रहते उसे चाची की चूत छुपकर चालाकी से दिलवा दी थी, बात चूत चुदाई की हुई थी लेकिन कुत्ते ने गांड मारे बिना चाची को नहीं छोड़ा। बस तुझे हाँ करनी है, तेरी हाँ के बिना मैं तुझे दूसरे आदमी से नहीं चुदवाऊँगी।

तभी अमित आ गया, भाभी बोलीं- अभी 7 बज रहे हैं, जाने से पहले सोच कर बता देना।

भाभी की बातों से मेरे मन में एक तूफ़ान सा आ गया था, दो-दो लंड एक साथ घुसने की सोच कर ही चूत फड़कने लगी लेकिन एक डर भी लग रहा था। आखिर जीत भाभी की हुई। जाने से पहले मैंने उनको हाँ बोल दिया। अमित मुझे परीक्षा भवन में छोड़ आया।

वहाँ मैं पूरे समय यही सोचती रही कि दो दो लंडों से चुदूँगी तो कैसा लगेगा। सोच सोच कर चूत गीली हो रही थी। वाकई यह तो मेरी हसीन चुदाई यात्रा थी, रोज़ नई नई तरह के सेक्स का आनन्द मिल रहा था। परीक्षा भवन में 45 साल के मास्टरजी ड्यूटी दे रहे थे, मेरा मन कर रहा था कि मास्टर जी से भी चुदवा लूँ। रंडी प्रवृति मेरे ऊपर हावी थी !

किसी तरह पेपर खत्म हुआ, अमित मुझे लेने आ गया। कार मैं बैठकर उसने मेरी चूचियाँ मसलीं और बोला- भाभी ने मुझे सब बता दिया है, आज रात तुम मस्त हो जाओगी। सतीश और मैं दो बार पहले भाभी और सतीश की चचेरी बहन को एक साथ चोद चुके हैं, मस्त मज़ा आता है। तुम्हारे साथ तो मज़ा आ जायेगा।

मैंने तो कभी सोचा भी नहीं था कि तुम्हारी गांड नगरी में भी एंट्री मिलेगी। सेक्सी बातें करते हुए अमित मुझे साथ लेकर भाभी के फ्लैट पर आ गया।

शाम को 6 बजे सतीश आ गया, भाभी ने सतीश से मुझको मिलवाया। सतीश ने मुझे बाँहों में भरा और धीरे से मेरे होंठ चूसते हुए बोला- आप बहुत सुंदर हैं।

हम सब लोग आधे घंटे बातें करते रहे, मैं सतीश के पास बैठी थी। नॉन-वेज बातें शुरु हो गई थीं।

भाभी बोलीं- सतीश को घोड़ी की सवारी बहुत पसंद है।

अमित बोला- सतीश संतरियों का रस पीकर घोड़ी बहुत अच्छी दौड़ाता है।

भाभी हँसते हुए बोलीं- अर्चना के पास दो संतरियाँ रखी हुई है, सतीश जी उनका जूस निकाल लो।

सतीश ने मेरे स्तनों को ऊपर से दबाते हुए कहा- आपकी संतरियाँ तो बहुत रसीली लग रही हैं।

मुझसे रहा नहीं गया, मैं बोली- पहले भाभी की पाव रोटी खा लो, पूरी मक्खन से गीली कर रखी हुई है।

बातें करते करते हम सब गरम हो रहे थे, अमित ने भाभी के पेटीकोट में हाथ डाल दिया और बोला- रजनी भाभी की पाव रोटी तो मैं खाऊँगा।

सतीश मेरी चूत ऊपर से सहलाते हुए बोला- आपकी पाव रोटी पर मक्खन हम लगा देंगे।

भाभी बोलीं- अब तू जाकर नहा ले और अपनी पाव रोटी गर्म कर, उसके बाद मक्खन सतीश से लगवा लेना, यह अच्छा लगाता है।

सतीश मेरी पजामी के ऊपर से मेरी चूत सहला रहा था, मुझसे बोला- आओ नहाते हैं।

भाभी बोलीं- तू सतीश के साथ नहा ले, तब तक मैं और अमित बाहर घूम कर आते हैं।

भाभी और अमित के जाने के बाद सतीश ने मुझे बाँहों मैं भर कर एक बड़ा लम्बा चुम्बन मेरे होंटों पर लिया और बोला- आप बहुत अच्छी लग रही हैं।

मैं थोड़ा संकुचा रही थी, सतीश बोला- आप और हम साथ नहाते हैं, इससे हमारे आपके बीच की दूरी मिट जाएगी।

मैं राज़ी हो गई अमित ने अपने कपड़े उतार दिए थे, अब वो सिर्फ एक चड्डी में था। उसने मेरी कमर में हाथ डाला और मेरा कुरता पजामा उतरवा दिया।

अब मैं उसके सामने एक पारदर्शी ब्रा और पैंटी मैं थी। उसने मेरी ब्रा के ऊपर से चूचियों पर हाथ फिराते हुए कहा- आपके कबूतर बहुत सुंदर हैं, आपकी आज्ञा हो तो इन्हें आजाद कर दूँ?

और उसने मेरी ब्रा का हूक खोल कर मेरे दोनों कबूतरों को आजाद कर दिया, फड़फड़ा कर दोनों कबूतर बाहर निकल आए।

सतीश ने दोनों कबूतरों की चोचें मुँह में लेकर उनको एक एक बार चूसा। मेरी चूत लसलसी होने लगी थी। हम दोनों बाथरूम में आ गए, सतीश ने शावर चला दिया और मुझे बाँहों में भर लिया, हम दोनों शावर में नहा रहे थे, हमारे बीच का अजनबीपन दूर होता जा रहा था। मेरे स्तन सतीश के सीने को छू रहे थे, वो नीचे झुका और मेरी नाभी चूसते हुए मेरी पैंटी पर आ गया। उसने अपने हाथों से मेरी पैंटी नीचे कर दी और बोला- अमृत का स्वाद तो ले लेने दो रानी !

और वो मेरी गीली चूत को चाटने लगा। मैं गर्म हो रही थी, ऊपर से ठंडे पानी ने मुझे गर्म कर दिया था, मुझे भाभी की बात सही लग रही थी। हर मर्द का मज़ा अलग होता है। मैं काम रस में नहाने लगी थी, मैंने अपने को हिला कर पैरों मैं पड़ी पैंटी अलग कर दी थी।

सतीश अब सीधा हो गया। उसने अपना अंडरवीयर उतार दिया। मेरी आँखों के सामने एक पतला लम्बा लंड खड़ा था। मेरी पीठ से चिपक कर मेरी संतरियों का मसल मसल कर रस निकाल रहा था। उसका नंगा लंड मेरी गांड से सटा हुआ था मेरी आह ऊह की आवाजें धीरे धीरे निकल रही थीं। सतीश ने मेरे चुचूक नोचते हुए पूछा- आगे से प्यार करवाना है या ऐसे ही अच्छा लग रहा है?

मैं बोली- अब लंड डालो, बड़ी प्यास लग रही है।

मुझे सतीश ने सीधा किया, बाँहों में भर लिया और कस कर भींच लिया। अब उसका लंड मेरी चूत के दरवाजे पर दस्तक दे रहा था। मैं भी उससे कस कर चिपक गई थी।

उसने मुझे अपने पैरों पर खड़ा कर लिया था और मुझे ऊपर की तरफ उठा कर धीरे धीरे हिल कर लंड मेरी चूत के होंटों में घुमा रहा था, सच में नया मज़ा था।

सतीश अब मेरा यार था। उसने मेरे होंटों पर पप्पी ली और बोला- अंदर डाल दूं मेरी जान?

मैंने मुस्करा कर आँखें बंद कर लीं।

सतीश ने मुझे चूतड़ों से पकड़ कर थोड़ा ऊपर उठाया और एक मंझे हुए खिलाडी की तरह खड़े खड़े ही अपना लंड मेरी चूत में घुसा दिया।

गहरी आह की आवाज़ से मैंने उसका स्वागत किया। मैं सतीश के पैर के ऊपर आराम से चिपके हुए खड़ी थे और उसका लंड मेरी चूत में घुसा हुआ था। अमित के लंड से बिल्कुल अलग एक मज़ा था। पतला लंड था लेकिन जिस तरह मेरी चूत में घुसा हुआ था वो अमित के लंड से कम मज़ा नहीं दे रहा था, साथ ही साथ मुझे सतीश के साथ आज रात मिलने वाले आनन्द का अहसास करा रहा था। मुझे पता चल गया था कि औरतें एक से जयादा लंड खाने के बाद लंड की शौकीन क्यों हो जाती हैं।

सतीश ने 2-3 मिनट बाद लंड निकाल कर मुझे गोद में उठा लिया और नहाने वाले स्टूल पर बैठ कर दुबारा अपना लंड मेरी चूत में घुसा दिया। सतीश ने मेरी टांगें अपने पीठ पर बांध लीं और नीचे से मेरी चूत को लंड से पेलने लगा। उसमें अच्छी ताकत थी, बैठे बैठे ही वो मुझे अच्छी तरह चोद रहा था। उसने मुझे मस्त कर दिया था। मेरे होटों पर होंठ रखे और पूछा- रानी, मज़ा आ रहा है? दर्द तो नहीं हो रहा?

मैंने उसे भींच लिया और बोली- आपने तो मस्त कर दिया ! आह, बहुत अच्छा लग रहा है, और चोदो ! आहहा बड़ा मज़ा आ रहा है।

उसने मेरे होटों पर होंठ रख दिये। 5 मिनट की चुदाई के बाद उसने मुझे सीधा किया और पीछे दीवार से टिककर मेरे को दुबारा लोड़े पर बैठा लिया मेरी गेंदें अब उसके हाथों में थीं, सामने शीशे में अपनी गेंदों की मसलाई और चुदाई देख रही थी। लौड़ा मेरी चूत चोद रहा था।

सतीश को शीशे में देखकर मैं मुस्कुराई, उसने अपना लौड़ा बाहर निकाला और बोला- शीशे में देखो लौड़ा कैसे अंदर घुसता है !

उसने दुबारा मेरी जांघें चौड़ी करके लौड़ा धीरे धीरे से मेरी चूत में घुसा दिया। शीशे में मेरी फ़ैली हुई टांगों के बीच लौड़ा घुसते देख मैं उत्तेजित हो गई थी। लौड़ा घुसने के बाद सतीश ने तेज धक्कों से मेरी चूत फाड़नी शुरू कर दी थी। मैं ऊह आह ऊह का हल्ला मचाती हुई चुदवाने लगी।

5 मिनट बाद मेरी चूत वीर्य से नहा गई। इसके बाद हम लोग 5 मिनट तक चिपक कर नहाए। नहाने के बाद मैंने सिर्फ छोटी स्कर्ट बिना पैंटी के और अमित ने नेकर पहन ली।

हम लोग कमरे में आ गए।
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Update 7

लौड़ा घुसने के बाद सतीश ने तेज धक्कों से मेरी चूत फाड़नी शुरू कर दी थी। मैं ऊह आह ऊह का हल्ला मचाती हुई चुदवाने लगी।

5 मिनट बाद मेरी चूत वीर्य से नहा गई। इसके बाद हम लोग 5 मिनट तक चिपक कर नहाए। नहाने के बाद मैंने सिर्फ छोटी स्कर्ट बिना पैंटी के और अमित ने नेकर पहन ली।

हम लोग कमरे में आ गए, बिस्तर पर लेट कर मैं और सतीश बातें करने लगे। सतीश मुझे इस समय एक अच्छा आदमी लग रहा था उसने मुझे अपना बना लिया था। मेरी शर्म पूरी दूर हो गई थी रात के 10 बज रहे थे, भाभी का फ़ोन आया कि वो लोग आ रहे हैं। भाभी और अमित साढ़े दस बजे आए।

मैंने और भाभी ने एक-एक जाम व्हिस्की का अमित और सतीश के लिए बनाया। मैं सतीश की जाँघों में और भाभी अमित की जाँघों पर नंगी होकर बैठ गईं। दोनों ने हमारी चूचियां और जांघें मसलते हुए हमें प्यार से रगड़ा और अपने जाम ख़त्म किये। हम सब लोगों ने उसके बाद खाना खाया। इसके बाद यह तय हुआ आज भाभी अमित के साथ और मैं सतीश के साथ सोऊँगी।

12 बजे मैं सतीश के कमरे में आ गई। सतीश से चिपक कर मैं लेट गई सतीश का नेकर मैंने उतार दिया और उसका लंड अपने हाथों में पकड़ लिया।

सतीश का लंड सहलाने में बड़ा आनन्द आ रहा था। सतीश मेरे बाल सहला रहा था, मैं चाह रही थी कि वो मेरी चुदाई करे लेकिन सतीश शांत लेटा हुआ था। उसका लंड पूरा कड़क हो रहा था।

मुझसे रहा नहीं गया, मैं बोली- सतीश चोदो ना मुझे ! मसल दो मुझे।

सतीश मुस्कराया और मेरे को सीधा करके बोला- अर्चना, मेरी एक बात मानोगी?

मैंने पूछा- क्या?

“एक मिनट रुको, मैं बताता हूँ !”

सतीश बाहर गया और एक पतला सा अपने लंड जितना लम्बा और लंड से थोड़ा मोटा बैंगन लेकर आया, बोला- प्लीज़ इसे अपनी चूत में डाल कर दिखाओ न। छोटेपन में एक बार मैंने अपनी मामी को चूत में बैंगन करते देखा था तबसे मुझे अपनी आँखों के सामने औरतों को बैंगन चूत में डलवाते हुए देखने में बड़ा मज़ा आता है। प्लीज़ करके दिखाओ न।

उसने मेरे हाथ मैं बैंगन पकड़ा दिया और मेरे गले में बाहें डालकर मेरे होंटों को चूसने लगा।

होंट चूसने के बाद सतीश बोला- रानी, मेरी इच्छा पूरी कर दो न?

मैंने कहा- ठीक है ! लेकिन किसी को बताना नहीं !

उसने हाँ में मुंडी हिलाई।

मैंने अपनी जांघें चौड़ी की और चूत में बैंगन घुसा लिया। पतला 7 इंची बैंगन बड़े आराम से अंदर तक घुस गया।

मैं अपनी टांगें फ़ैला कर चूत में बैंगन करने लगी, सतीश मुझे बैंगन करते हुए देख कर अपनी मुठ मारने लगा, उसे देखकर मैं मुस्करा रही थी, मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था।

5 मिनट बाद सतीश ने उठकर बैंगन निकाल कर एक तरफ़ रख दिया और मेरे गालों पर पप्पियों की बारिश कर दी। मैंने उसे चूत मारने का इशारा किया उसने मुझे तिरछा लेटा कर मेरी चूत में अपना लंड घुसा दिया और प्यार से मेरे गालों और चूचियों को सहलाते हुए मुझे चोदने लगा।

मेरी चुदाई यात्रा की गाड़ी अपने अगले पड़ाव की तरफ दौड़ने लगी।

थोड़ी देर बाद पलंग पर सीधा लेटा कर सतीश मुझे चोदने लगा। सतीश अमित से बड़ा चूत का खिलाड़ी था। एक कुशल खिलाड़ी की तरह वो चोदते हुए मेरे सारे अंगों से खेल रहा था। मेरी गेंदों की शामत आई हुई थी, सतीश एक हैवान की तरह मेरे स्तनों की मसलाई, चुसाई कर रहा था, मेरी चूत पानी छोड़ रही थी और उसका लंड मेरे चूत रस से नहा रहा था, लौड़ा पूरे जोश के साथ मेरी सुरंग चौड़ी करते हुए उसकी खुदाई चोद-चोद कर कर रहा था।

कुछ देर बाद सतीश लेट गया और मुझे उसने अपने ऊपर लिटा लिया। मैं उसके ऊपर लेटी हुई थी, मोटा लंड मेरी चूत में अब आराम कर रहा था, शायद अगले हमले की तैयारी में था। उसका हाथ मेरे चूतड़ों पर घूम रहा था। उसने मेरी गांड में अपनी दो उँगलियाँ घुसा कर गांड चौड़ी की और साइड में पड़ा हुआ बैंगन मेरी गांड में डाल दिया।

मुझे तेज दर्द सा हुआ।

सतीश ने मुझे एक हाथ से कसकर दबा रखा था, थोड़ी देर में सात इंची पतला बैंगन मेरी गांड में घुस चुका था, मेरी आँखों में पानी आ रहा था। मैं सतीश पर चिल्ला रही थी- कुत्ते ! बाहर निकाल ! दर्द हो रहा है।

लेकिन सतीश ने मुस्कराते हुए मुझे अपनी बाँहों में भर लिया और तिरछा कर दिया। बैंगन गांड में, लंड चूत में था। अमित ने लंड बाहर निकाल लिया और 3-4 बार मेरी गांड में बैंगन आगे पीछे किया, इसके बाद उसे बाहर निकाल लिया और मुझे प्यार करने लगा।

उसका लंड तना हुआ था। उसने 10 मिनट बाद लंड फिर चूत में डाल दिया और मुझे चोदना शुरू कर दिया, थोड़ी देर में उसने वीर्य मेरी चूत में उड़ेल दिया था, पूरी चूत वीर्य से नहा गई सतीश का वीर्य मेरी चौड़ी और खुल चुकी चूत से बाहर बह रहा था। मैं आनन्द से नहा गई, इतने आनन्द की तो मैंने कल्पना भी नहीं की थी। मैं सतीश से चिपक गई।

उसने दुबारा मेरी गांड में बैंगन आगे पीछे करना शुरू कर दिया। मुझे दर्द हो रहा था लेकिन उसने मुझे अपनी बाँहों में दबा रखा था। दस मिनट के बाद उसने मेरा गाण्ड से बैंगन निकाला तो मुझे बड़ी राहत मिली।

सतीश बोला- आओ अब एक एक छोटा पेग व्हिस्की का लेते हैं।

हम दोनों ने एक एक छोटा पेग व्हिस्की का लिया। कुछ देर बाद मैं नशे में थी।

सतीश बोला- एक एक राउंड और हो जाए? तुम मेरा लोड़ा चूस कर खड़ा करो, एक बार और तुम्हें चोदना है।

सतीश की मर्दानगी में कुछ बात थी, मैं मना नहीं कर पाई और नशे मैं उसका लौड़ा चूस कर मैंने खड़ा कर दिया। उसने खड़े होकर लौड़े पर तेल लगाया और मुझे उल्टा कर दिया मुझे लगा पीछे से वो मेरी चूत मारेगा।

सतीश ने मेरे पेट के नीचे दो तकिए रखे और मेरी टाँगें चौड़ी कर मेरी चूत में अपना लंड घुसा कर 3-4 धक्के मारे। इसके बाद उसने लंड का सुपारा मेरी गांड के मुँह पर रख दिया। मेरी गांड में उसका लंड छू रहा था, उसने अपने हाथों से मेरी गांड में अपना सुपारा घुसा दिया। मैं उई करते हुए उछल पड़ी, उसका लंड फिसल गया। हम दोनों नशे में थे। उसने मुझे धक्का देकर बिस्तर पर गिरा दिया और मुझे दबा कर अपना लंड मेरी गांड पर मारा तो लंड का सुपारा गांड में प्रवेश पा गया।

सतीश औरतों की मारने में खिलाड़ी था। इस बार उसने मुझे उचकने का मौका नहीं दिया और मेरी पीठ पर अपने हाथों का जोर डाल दिया और चिल्लाते हुए बोला- रंडी, साली ! मज़े भी करने हैं और रो भी रही है? प्यार से ठोक रहा हूँ तो नखरे कर रही है? आज तक जिस पर भी चढ़ा हूँ, गांड फाड़े बिना नहीं छोड़ा है उसे !

और वो पूरी ताकत से अपना लंड मेरी गांड में ठूंसने लगा।

मैं जोर से चिल्ला रही थी- उई मर गई ! मर गई, छोड़ो सतीश, छोड़ो !

लेकिन औरतों की चूत से खेलने वाले खिलाडियों को पता होता है कब मारनी है और कब प्यार करना है इस समय मेरी मारी जा रही थी, सतीश लंड पेलता जा रहा था और बोलता जा रहा था- रंडी, साली ! रो क्यों रही है? मज़े कर एक बार गांड का मज़ा ले लोगी फिर चूत मराने का मन नहीं करा करेगा।

सतीश ने अपना लंड पूरा ठोक कर मेरी गांड में घुसा दिया मेरी आँखों में आँसू आ गए थे। उसने अब अपने हाथ मेरी पीठ से हटा लिए थे लेकिन अब मेरी गांड उसके लंड के कब्जे में थी, मैं छुतने की कोशिश कर रही थी लेकिन अब कोई फायदा नहीं था। उसने मेरे बालों को सहलाया और बोला- अब एक अच्छी औरत की तरह गांड ढीले छोड़ो, जब गांड चुदेगी तो वैसा ही मज़ा आएगा जैसे कि चलती गाड़ी में हवा लगती है।

मरती क्या नहीं करती ! मैंने अपनी गांड ढीली छोड़ दी।

सतीश ने मेरी कमर अपने दोनों हाथों से पकड़ कर गांड में गाड़ी दौड़ानी शुरू कर दी थी। मेरी चीखें निकल रही थीं, मेरी गांड मारी जा रही थी। कुछ धक्कों के बाद मुझे मज़ा आ रहा था लेकिन दर्द बहुत हो रहा था। बीच में सतीश ने मेरे चूचे पकड़ लिए थे और अब वो धीरे धीरे चोद रहा था। मेरी गांड फट गई थी !

5 मिनट के बाद सतीश ने अपना वीर्य गांड में छोड़ दिया। मेरी गांड की सुहागरात पूरी हो गई थी। सुबह के 2 बज रहे थे सतीश ने बाँहों में भरा और बोला- तकलीफ हुई उसके लिए माफ़ी। सुबह उठोगी तो बहुत अच्छा लगेगा।

मैं लेट कर सो गई।

अगले दिन दोपहर एक बजे नींद खुली मेरी गांड बहुत दुःख रही थी। उठकर भाभी के कमरे में झांक कर देखा तो भाभी और अमित नंगे सो रहे थे।

मैंने भाभी को उठाया, आँख मलते हुए भाभी उठीं, भाभी लंगड़ा रही थीं, बोली- 4 बजे सो पाई हूँ, अमित ने कल गांड की माँ चोद दी, दो बार चढ़ा साला ! बड़ा दर्द हो रहा है !

मुझे भी लंगड़ाते हुए देख कर बोलीं- वाह, तेरी गांड की भी सुहागरात मन गई। सतीश ने तो आज तक जो भी लोंडिया मिली है बिना गांड मारे नहीं छोड़ा है।

हम लोग बातें करते हुए बाथरूम में आ गई, साथ नहाते हुए हम दोनों ने एक दूसरे की गांड पर दवाई लगाई।

भाभी बोली- चल अच्छा है, तेरी गांड खुल गई। अब किसी मोटे लंड वाले से गांड चुदेगी तो दर्द ज्यादा नहीं होगा। यह अमित भी बड़ा हरामी है, तेरी गांड मारे बिना तुझे दिल्ली नहीं जाने देगा। साले का लंड भी मोटा है। एक बार अपनी कामवाली की कुंवारी गांड में डाल दिया था, बेचारी बेहोश हो गई थी, बड़ी मुश्किल से बीस हजार में मामला निपटा था। अब तेरी गांड खुल चुकी है, अमित का लंड तो घुस जाएगा लेकिन मज़े वाला दर्द भी बहुत होगा। साले को ठीक से गांड मारनी आती भी नहीं, लेकिन मज़ा अच्छा देता है।

हम दोनों नहाने के बाद अपने कुत्तों के लिए नाश्ता बनाने लगे।

3 बजे नाश्ता खाकर हम लोग बाज़ार घूमने चले गए। बाज़ार से खाना खा पीकर 9 बजे हम लोग लौटे।

पता नहीं अमित और सतीश ने आपस में क्या बात चीत की, कहने लगे कि हम दोनों को दो दिन के लिए बनारस जाना है। दोनों रात को बनारस चले गए, मैं और भाभी रात में गहरी नींद सोए, सुबह हम दोनों तरो ताज़ा थी, हम दोनों को बड़ा अकेला अकेला सा लग रहा था।

मैंने अपनी गांड की सुहागरात की पूरी कहानी भाभी को सुनाई। अगली रात को चूत कुनमुना रही थी, गांड में भी खुजली हो रही थी, दोनों सहेलियाँ लंड मांग रही थीं। भाभी और मैं नंगी होकर ब्लू फिल्म देखते एक दूसरे की चूत और चूचियों से रात 12 बजे तक खेलती रहीं। भाभी ने मुझे 2X2 खेल के लिए तैयार कर लिया था।

अगले दिन मुझे सतीश और अमित की याद आ रही थी। शाम को दोनों लोगों को वापस आना था और आज रात हम चारों को एक साथ सेक्स का खेल खेलना था, एक डर सा लग रहा था लेकिन यह सोचकर कि जब इतनी रंडीबाजी कर ली है तो यह भी सही ! दोबारा मौका मिले या नहीं ! घर जाकर तो गाज़र-मूली ही चूत में डालनी पड़ेगी।
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Update 8

अगले दिन रात को आठ बजे सतीश और अमित वापस आ गए और आते ही नहाने चले गए।

भाभी और मैं कॉफी बनाकर ले आई। सतीश और अमित ने तौलिया बाँध लिया था, भाभी ने साड़ी और मैंने सलवार सूट पहन रखा था।

कॉफी पीकर हम लोग बातें करने लगे, सतीश मेरा हाथ सहला रहा था।

सतीश को देखती हुई भाभी बोली- नया माल देखकर हमें तो भूल ही गए?

सतीश बोला- जलन हो रही है? चिंता न करो, आज रात पहले तुम्हें ही बजा देता हूँ।

सतीश उठा और भाभी को गोद में उठा लिया और पलंग पर लिटा दिया और उनकी साड़ी-पेटीकोट ऊपर तक उठा दी। भाभी की चूत दिखने लगी थी। सतीश का तौलिया नीचे गिर चुका था उअर उसका तना हुआ लंड हवा में लहरा रहा था।

भाभी उसे धक्का देते हुए बोली- हरामी, कपड़े तो उतार लेने दे, साड़ी ख़राब हो जाएगी !

लेकिन सतीश ने भागने की कोशिश कर रही भाभी को पीछे कमर से पकड़ लिया और बोला- प्यार में कपड़े उतारने की क्या जरूरत?

उसने पलंग पर भाभी को गिरा कर पीछे से भाभी का पेटीकोट और साड़ी ऊपर कमर तक उठा कर पीछे से झांकती भाभी की चूत में एक झटके में लंड फिट कर दिया। सतीश अमित से बड़ा लौड़े का खिलाड़ी था, चूत दिखते ही पल भर में लौड़ा अंदर घुसा देता था। भाभी की चूत अब चुद रही थी।

8-10 धक्कों के बाद सतीश ने भाभी को छोड़ दिया और बोला- अब कपड़े उतार लो ! यह तो ट्रेलर था।

मैं मुस्करा रही थी, भाभी बोलीं- ट्रेलर इस अर्चना को भी दिखाया करो।

अमित ने मुझे गोद में उठा लिया और बोला- भाभी को मैं ट्रेलर दिखा देता हूँ।

और उसने मुझे पीठ के बल पलंग पर लेटा दिया और मेरे बालों से एक चिमटी निकाल कर मेरी पजामी में छेद कर दिया और पजामी चूत के पास से फाड़ दी, तौलिया नीचे गिरा कर अपना लंड मेरी चूत पर लगा दिया। मुझे जब तक कुछ समझ में आता, मेरी चूत में लंड घुस चुका था।

अमित ने मेरी चूत में 10-12 शोट पेल दिए।

भाभी ताली बजाते हुई बोली- यह हुई न बात।

मेरी पजामी फट गई थी। इसके बाद अमित हट गया, भाभी और मैंने बनावटी गुस्सा दिखाते हुए अपने कपड़े उतार दिए। हम दोनों पूरी नंगी हो गईं। भाभी बोलीं- तुम दोनों ने हमें पूरी रंडी बना दिया है। कपड़ों की चुदवाएं इससे अच्छा है चूत की ही चुदाई करा लें। जितना बजाना है बजा लो, आज रात, कल तो वापस जाना है।

इसके बाद हम लोगों ने नंगे ही खाना-पीना किया और 9 बजे एक ब्लू फिल्म लगा दी जिसमें एक लड़की की चुदाई तीन आदमी कर रहे थे।

हम लोगों ने जमीन पर गद्दे बिछा दिए, अमित और सतीश गद्दों पर बैठकर ब्लू फिल्म देखने लगे। लड़की की चूत, गांड और मुँह में तीन आदमी अलग अलग आसनों से लंड पेल रहे थे। भाभी और मैं दूसरे कमरे में गए, भाभी ने मेरी चूत और गांड जेली क्रीम से भर दी और बोली- इससे दर्द कम होगा।

वापस कमरे में आकर हम कुर्सी पर बैठ गए, ब्लू फिल्म देखते देखते अमित और सतीश के लंड कड़े होते जा रहे थे, वो हमें हलाल करने वाली नज़रों से देख रहे थे।

भाभी बोली- डाल दो ! ऐसे क्या घूर रहे हो?

अमित अपना लौड़ा सहलाते हुए बोला- सोच रहे हैं कि पहले किसे हलाल करें, पिक्चर देख कर तो एक साथ चढ़ने का मन कर रहा है।

भाभी कुर्सी से उठीं और बोलीं- पहले तुम दोनों मेरी चोद लो। फिर मैं आराम से अर्चना की चुदाई देखूंगी।

भाभी की बात सुनने के बाद अमित ने भाभी को अपनी गोद में लेटा लिया और बोला- यह हुई न अच्छी बात।

सतीश उठकर भाभी की टांगों के बीच बैठकर उनकी चूत चूसने लगा। अमित ने भाभी का सर घुमाकर अपना लंड उनके मुँह में डाल दिया। भाभी चूत चुसवाते हुए अमित का लंड चूसने लगीं।

ये सब देखकर मेरा हाथ चूत खुजलाने लगा था। इसके बाद अमित ने भाभी को घोड़ी बनाया और उनके चूतड़ों को चौड़ी करवाकर चूत में लंड लगा दिया। सतीश ने अब आगे से उनके मुँह में लंड डाल दिया। चुदते हुए भाभी चूसने का मज़ा लेने लगीं, भाभी २-२ लंडों से खेल रही थीं।

मेरी चूत उछाल मार रही थी। मैंने अपनी चूत सहलाते हुए अमित को अपनी चूत मारने का इशारा किया तो अमित ने भाभी को चोदना छोड़ दिया।

अब सतीश भाभी की चूत में घुसकर उनकी जवानी के मज़े लेने लगा, अमित मेरे पास आ गया और मुझे कुर्सी से उठा कर अपनी जांघें फ़ैला दीं और मुझे अपने लौड़े पर बैठा लिया, खड़ा लौड़ा मेरी चूत के दरवाजे से सीधा अंदर तक पहुँच गया।

आह ! मुझे बहुत मज़ा आया। लौड़ा चूत में लगवाए हुए मैं भाभी की चुदाई देखने लगी, चुदते हुए चुदाई देखने का मज़ा अलग ही था। हम दोनों की ऊह आह ऊह की आवाजें पूरे कमरे में गूँज रही थीं। सतीश भाभी की चूत मार रहा था। कुछ देर चूत मारने के बाद सतीश ने लौड़ा निकाला और भाभी की गांड में घुसा दिया। सेकंडों में लौड़ा भाभी की गांड के अंदर था। भाभी लौड़ा घुसते समय ‘ऊई मर गई मर गई; चिल्ला उठीं लेकिन 5-6 शोटों के बाद भाभी ‘ऊह आह आह आहा ! मज़ा आ गया ! और चोद चोद थोड़ा तेज पेल ! पेल, बड़ा मज़ा आ रहा है !’ चिल्लाने लगीं, भाभी गांड के पूरे मज़े ले रही थीं। थोड़ी देर बाद भाभी और सतीश हट गए। सतीश ने भाभी को अपने ऊपर लेटा लिया और नीचे से उनकी चूत में लंड घुसा कर अमित को इशारा किया। अमित ने मेरी चूत से लंड निकाला और भाभी की फटी हुई चमकती गांड में घुसा दिया। अमित का लंड सतीश से ज्यादा मोटा था, भाभी जोर से चीखीं- उई उई मर गई !

अमित को 2-3 मिनट के करीब अपना पूरा लंड भाभी की गांड में ठोंकने में लगे। भाभी जोर से चीखी जा रहीं थीं, उसने पूरा लंड अंदर तक पेल दिया और भाभी को ठोकने लगा।

भाभी की दर्द वाली चीखें अब आह में बदल गई थीं। भाभी अमित और सतीश के बीच सैंडविच बनी हुई थीं। दो दो लंडों ने भाभी को ठोंकना शुरू कर दिया, भाभी एक रांड की तरह ऊई आह करते हुए मज़े से दो दो लंडों से ठुकाई का मज़ा ले रही थीं। मैं मन ही मन सोच रही थी कि मैं दो दो लंड नहीं घुसवाऊँगी।

भाभी इस समय मुझे चूत लंड के खेल की मजी हुई रंडी लग रही थीं। दस मिनट के बाद दोनों ने अपने लंड भाभी की चूत और गांड में खाली कर दिए। भाभी ने मुझे बुला लिया और हम चारों एक दूसरे से चिपक कर नंगे बिस्तर पर लेट गए। रात के बारह बजे थे, अभी मेरी जवानी का रस और दोनों को चूसना था लेकिन आधे घंटे में तीनों लोग सो गए।

मुझे लगा कि मैं बच गई और मैं भी चुपचाप सो गई।

सुबह आठ बजे के करीब भाभी मेरी चूत चूस रही थीं। मैं जाग गई, अमित और सतीश सिगरेट पी रहे थे। भाभी ने चूत से मुँह हटाया और बोलीं- तेरी चुदाई का मुजरा देखे बिना मैं यहाँ से नहीं जाऊँगी, अब तेरी चुदने की बारी है।

दुबारा वो मेरी चूत का दाना चूसने लगीं। थोड़ी देर बाद सिगरेट खत्म होने के बाद सतीश ने भाभी को अलग कर दिया और मेरी चूत में अपनी जीभ घुसा कर फिराने लगा, अमित मेरे कूल्हे पकड़ कर दबाने लगा। लौड़े के दोनों खिलाड़ियों ने मेरी चूत की भट्टी सुबह सुबह गर्म्म कर दी थी। मेरी चूत पूरी गर्म होकर रस छोड़ने लगी।

भाभी बोली- रंडीरानी, अब जरा पलटी मार लो।

मैं उलट गई। अमित ने मेरा मुँह अपनी गोद में रख लिया उसका लंड मेरे मुँह पर था, उसने बाल सहलाते हुए अपना लंड मेरे मुँह में घुसा दिया और लंड चुसवाने लगा।

सतीश ने पीछे से आकर मेरे चूतड़ उठाए और मेरी चूत में अपना लंड घुसा दिया इस बीच भाभी ने मेरे पेट के नीचे दो मोटे तकिये रख दिए अब मैं आराम घोड़ी बनी हुई थी। पहली बार दो दो लंड मेरी सेवा कर रहे थे। दोनों लंड मेरे मुँह और चूत में दौड़ रहे थे। मैं भी कामाग्नि में नहाती हुई लपालप लंड चूस रही थी और दोनों कुत्तों के लौड़ों का मज़ा ले रही थी।

मुझे इस खेल में एक नया मज़ा आ रहा था। अमित मेरे बाल सहलाते हुए बोला- भाभी मुझसे भी गांड मरवा लो न ! थोड़ा दर्द होगा लेकिन मज़ा पूरा आएगा।

तभी रजनी भाभी बोलीं- इसने रात को मेरी गांड तुम दोनों से चुदते हुए बड़े मज़े से देखी है, इसकी गांड तो तुम्हें अब मारनी ही पड़ेगी, नहीं तो मुझे दूसरा कोई मोटे लंड वाला कुत्ता बुलाना पड़ेगा। आज ये भाभी नहीं, अर्चना रंडी है।

मैं लौड़ा मुँह से निकालते हुए बोल पड़ी- न बाबा न ! अब किसी नए आदमी से नहीं मरवाऊँगी, मुझे कोई परमानेंट रंडी नहीं बनना। सतीश-अमित तुम्हें जो करना है, कर लो, जितनी फाड़नी है, फाड़ लो लेकिन प्यार से मारना।

अमित उठकर खड़ा हो गया, चूत में से सतीश ने भी लंड बाहर निकाल लिया, मेरे चूतड़ों पर हाथ फिराते हुए बोला- रानी, घबराती क्यों हो? दो दो छेदों में डलवाने का मज़ा शरीफ औरतों को बार बार कहाँ मिलता है, इसमें दर्द तो होता है लेकिन मज़ा भी बहुत आता है। इस अमित साले ने सीधे तुम्हारी गांड में डाल दिया तो दर्द ज्यादा होगा, पहले मैं रास्ता बना देता हूँ।

सतीश ने मेरी गांड में अपनी उंगली घुसा कर अंगूठी बनाते हुए मेरी गांड का मुँह चौड़ा कर दिया। सतीश पहले एक बार मेरी गांड मार चूका था, उसने आसानी से अपना लंड मेरी गांड में घुसा दिया और मेरी चूचियाँ झुककर पकड़ लीं। चूचियों को मसलते हुए सतीश मेरी गांड चोद रहा था, मैं बकरी बनी हुई ‘मां मां मर गई’ कर रही थी।

गांड चुदाई में मीठा दर्द हो रहा था, मेरी आहें गूँज रही थीं। अमित और भाभी सिगरेट पीते हुए मेरी गांड चुदाई का आनन्द ले रहे थे। सिगरेट ख़त्म होने के बाद अमित ने अपना लंड मेरे मुँह के आगे रख दिया और बोला- भाभी इसे चूसो, अब एक नया मज़ा आएगा !मैंने लंड मुँह में ले लिया। सतीश अब धीरे धीरे लौड़ा पेल रहा था। गांड मरवाते हुए मैं लौड़ा चूसने लगी, दो दो लंडों से मेरी जवानी लुट रही थी।

दस मिनट के बाद अमित ने लंड निकाल लिया और पीछे जाकर सतीश को हटा दिया।

अमित मेरे चूतड़ों को सहलाने लगा और बीच बीच में गांड में भी उंगली कर रहा था जैसे कि माल को परख रहा हो।

सतीश ने मेरे मुँह के पास आकर अपना कंडोम निकाल कर फेंका और अपना लौड़ा मेरे मुँह में घुसा दिया। मुँह में डालने के बाद उसने मेरी चुचूकों को कस कस कर नोच कर घुमाया और 4-5 बार अपना लौड़ा मेरे मुँह में ठोका।

इसके बाद उसने लौड़ा निकाल कर मेरी कमर कस कर पकड़ ली, मैं अब अपने चूतड़ हिला भी नहीं सकती थी। जब तक मैं कुछ समझती, अमित ने अपने लंड का सुपारा मेरी गांड में लगा दिया, मेरी गांड में 440 वोल्ट का झटका लगा। मैं जोर से चिल्ला उठी, भाभी ने मेरे मुँह पर हाथ रख दिया। अमित का लौड़ा अंदर प्रवेश करने लगा था। सतीश ने हाथ कमर से हटा लिए और मेरा मुँह पकड़ लिया, अमित अब मेरी कमर पकड़ कर अपना मोटा लंड अंदर घुसाए जा रहा था, मैं घुटी हुई चीखें मार रही थी। अमित का लंड सतीश से दुगना मोटा था। दो मिनट के बाद अमित का लंड मेरी गांड में पूरा फिट हो गया था। सतीश ने मेरा मुँह छोड़ दिया, मैं अब चिल्लाते हुए गालियाँ बक रही थी- हरामजादो, रंडी की औलादो, अपनी माँ की चोदो साले ! हराम के ऐसे कोई चोदता है/

लेकिन ये सब सुनकर कुत्तों का जोश बढ़ रहा था। अमित ने मेरी गांड ठोकनी शुरू कर दी और बोला- रंडी साली, पहले तो आग लगाती है फिर जलन होती है तो गाली देती है?

भाभी बोलीं- आराम से मज़े ले ! शुरू में तो सबके दर्द होता है, मैं जब चुद रही थी तो बड़ा मुस्कुरा रही थी, अब खुद की फट रही है तो रो रही है? बड़ी सती-सावित्री बन रही है? जब से आई है, लंड-लंड चिल्ला रही है और अब जब घुस रहा है तो रो रही है।

अमित बोला- मेरी प्यारी कुतिया भाभी, जितनी फटनी थी, उतनी फट गई है, अब ढीली होकर मज़े ले ! चुदाई इसी का नाम है।

सतीश एक तरफ मेरी चूचियों का रस नोच नोच कर निकाल रहा था, अमित दूसरी तरफ गांड लंड से खोद रहा था।

कुछ धक्कों के बाद मेरी गांड का दर्द कम हो गया लेकिन मेरी ठुकाई अच्छी तरह से हो रही थी, मेरी आँखों से आंसू बह रहे थे, मेरी गांड चुद चुद कर चौड़ी हो रही थी, मैं एक रंडी की तरह चुद रही थी। कुछ देर बाद अमित ने मुझे तिरछा करके लेटा लिया और मेरी जांघें फ़ैला दीं, लंड उसका मेरी गांड फाड़े हुए था, आगे से सतीश ने बिना देर किए मेरी चूत में लंड घुसा दिया। अब मैं दोनों के बीच सैंडविच बन गई थी, सतीश ने मेरी चुदाई 10 मिनट तक करी। अमित भी बीच बीच में धीरे धक्के मार रहा था। अब मैं दो दो लंडों से चुद रही थी।

इसके बाद दोनों ने अपने वीर्य से मेरी चूत और गांड भर दी। मैं अर्ध बेहोश सी हो गई थी, थोड़ी देर बाद मैं सो गई।
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सतीश एक तरफ मेरी चूचियों का रस नोच नोच कर निकाल रहा था, अमित दूसरी तरफ गांड लंड से खोद रहा था।

कुछ धक्कों के बाद मेरी गांड का दर्द कम हो गया लेकिन मेरी ठुकाई अच्छी तरह से हो रही थी, मेरी आँखों से आंसू बह रहे थे, मेरी गांड चुद चुद कर चौड़ी हो रही थी, मैं एक रंडी की तरह चुद रही थी। कुछ देर बाद अमित ने मुझे तिरछा करके लेटा लिया और मेरी जांघें फ़ैला दीं, लंड उसका मेरी गांड फाड़े हुए था, आगे से सतीश ने बिना देर किए मेरी चूत में लंड घुसा दिया। अब मैं दोनों के बीच सैंडविच बन गई थी, सतीश ने मेरी चुदाई 10 मिनट तक करी। अमित भी बीच बीच में धीरे धक्के मार रहा था। अब मैं दो दो लंडों से चुद रही थी।

इसके बाद दोनों ने अपने वीर्य से मेरी चूत और गांड भर दी। मैं अर्ध बेहोश सी हो गई थी, थोड़ी देर बाद मैं सो गई।

तीन बजे के करीब शाम को मेरी नींद खुली, मैं लंगडाती हुई बाथरूम गई, मेरी गांड और चूत के साथ साथ पूरा बदन दुःख रहा था। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे कि मेरी गांड में लंड अब भी आगे पीछे हो रहा है। मैं सबसे नाराज़ थी, भाभी ने मुझे गर्म दूध पीने को दिया और मुझे समझाने लगीं, बोलीं- शुरू शुरू में ऐसे दर्द होता है लेकिन दो दिन बाद तेरा ये सब करवाने का बहुत मन करेगा। अब हम वापस चलकर कानपुर में आराम करेंगे।

पाँच बजे के करीब हमने लखनऊ छोड़ दिया और रात को सात बजे कानपुर पहुँच गए। आते ही हम लोग सो गए सुबह दस बजे मैं उठी। सिर्फ भाभी घर में थीं, उन्होंने गर्म पानी से मेरी चूत और गांड की सिकाई कर दी, मुझे बड़ा आराम मिला।

शाम को भाभी के बच्चे आ गए, अमित दो दिन के टूर पर बाहर चला गया। रात को अच्छी नींद आई।

अगले दिन सुबह मैं एकदम तरोताजा थी, मेरा गुस्सा भी कम हो गया था। मैंने अमित और सतीश से फ़ोन पर बात की और उन्हें प्यार से डाँटा भी ! दोनों ने फ़ोन पर माफ़ी मांग ली, अब मेरा गुस्सा ख़त्म था।

रात को अमित नहीं था, मैं उसके कमरे में सो रही थी, अकेले मुझे नींद नहीं आ रही थी, एक बार आदमियों के साथ सोने की आदत पड़ जाए तो अकेले नींद भी नहीं आती। किसी तरह मन मसोस कर सो गई।

सुबह छः बजे उठने पर चूत कुनमुना रही थी और सही बात कहूँ तो लंड मांग रही थी। मुझे अपने पर गुस्सा भी आ रहा था कि मेरी चूत रांड हो गई है, इतना चुदने के बाद भी खुजला रही है, पहले तो इतनी नहीं खुजलाती थी। देहली जाकर पता नहीं बिना चुदे कैसे रह पाएगी।

मैं आज शाम को दिल्ली जा रही थी, मैंने अमित को फोन किया, अमित बोला- शाम को आ नहीं पाऊँगा, सच कहूँ तो मेरी गांड मारने के बाद वो मुझसे नज़रें चुरा रहा था।

मैंने कहा- एक बार और नहीं डालोगे?

अमित बोला- भाभी आपके साथ मज़ा बहुत आया, लेकिन कुछ ज्यादती हो गई, मुझे माफ़ कर देना !

इसके बाद बात खत्म हो गई। मेरा मन थोड़ा सा दुखी हो रहा था, मैं सोच रही थी कि बेकार इतना डाँटा अमित को, मज़े तो मैंने भी लिए थे।

मैंने अपने सर को झटका और स्कर्ट टॉप पहन कर नीचे आ गई, सुबह के आठ बज़ गए थे। रात को भाई साहब आ गए थे और अखबार पढ़ रहे थे। बच्चे स्कूल चले गए थे।

भाभी ने मेरी और उनकी चाय बनाई, मैंने जाकर झुक के चाय भाईसाहब को दे दी, मेरी पूरी चूचियाँ भाईसाहब ने दर्शन कर लीं लेकिन अब मुझे यह सब नया नहीं लग रहा था। भाईसाहब के कमरे में फर्श पर कुछ कपड़े पड़े थे, मैंने उन्हें एक एक करके उठाया और बाहर धुलने रख दिया।

मैंने मुड़कर देखा तो भाईसाहब मुझे ऐसे घूर-घूर कर देख रहे थे जैसे मुझे अभी चोद डालेंगे।

बाहर आकर मैं भाभी के साथ काम करने लगी।

तभी पड़ोस से नीलिमा आ गई, बोली- भाभी, शर्मा जी के यहाँ नहीं चलना उनके यहाँ लड़का होने की कथा है।

भाभी बोलीं- ओह, मैं तो भूल ही गई थी।

भाभी मुझसे बोली- तू इनको को नाश्ता करा देना। मैं दो घंटे में आ जाऊँगी।

मैंने नाश्ता बना लिया, गर्मी बहुत हो रही थी अपने टॉप के दो बटन खोल लिए। जब मैं भाईसाहब को नाश्ता दे रही थी तो मेरी चूचियाँ झुकने पर पूरी नंगी दिख रही थीं।

भाईसाहब मुस्कराते हुए बोले- अर्चना आज तो लग रहा है, दूध पीने को मिलेगा।

मैं समझ गई कि भाईसाहब मेरी चूचियों का मज़ा ले रहे हैं, मैं भी मुस्कराते हुए बोली- आप दूध पी लेना ! किसका पियेंगे भैस का या किसी और का?

भाईसाहब ने आँख मारी- तुम जो पिला दोगी?

मैंने कहा- पहले आप नाश्ता कर लें, फिर जिसका आप कहेंगे उसका पिला दूंगी।

और मैं भी मुस्करा दी। इसके बाद पीछे मुड़कर मेज पर झुककर अखबार पढ़ने लगी। मेरी स्कर्ट बहुत छोटी थी जो ऊपर को उठ गई थी। भाईसाहब मेरी नंगी गांड और उसके नीचे से झांकती चूत का मज़ा नाश्ता करते हुए ले रहे थे। रोज़ की तरह मैंने चड्डी नहीं पहनी थी, रोज़ अमित से मज़े लेने के लिए नहीं पहनती थी तो आज पहनना ही भूल गई थी। मुझे इस बात का पता तब चला जब अचानक से किसी ने मेरे चूतड़ों पर हाथ फेरा।

मैंने मुड़कर देखा तो भाईसाहब मेरे नंगे चूतड़ सहला रहे थे। अब मुझे पता चला कि मैं तो अपनी नंगी गांड बार बार उन्हें दिखा रही हूँ इसलिए वो मुझे चोदने की नज़र से घूर रहे थे।

उनका इस तरह देखना गलत नहीं था।

भाईसाहब ने मेरे चूतड़ों को दबाते हुए मेरी चूत अपने हाथों से सहला दी और बोले- तुम तो गुरु हो ! इतनी देर से दिखा रही हो, अगर अब भी हाथ न लगाया तो तुम मुझे नामर्द समझोगी।

मैं एकदम से चौंक गई, मुझे अपनी गलती समझ मैं आ गई, मैं चड्डी पहनना भूल गई थी। इसके बाद भाईसाहब ने मुझे पीछे से बाँहों में जकड़ते हुए मेरी चूचियाँ अंदर हाथ डालकर मसलीं और अपना हाथ मेरी स्कर्ट पर सरका कर उसका एक मात्र बटन खोल दिया। स्कर्ट नीचे गिर गई और उन्होंने अपने हाथ से मेरी चूत को सहलाते हुए कहा- चूत तो तुम्हारी गीली हो रही है। शर्मा क्यों रही हो? अकेले हैं, आओ तुम्हारी चूत और चूची दोनों का दूध पीते हैं।

मैं भी पूरी रांड हो गई थी, मैं मुस्करा दी और मैंने चुदने के लिए एक मूक सहमति दे दी थी। मन में रंडीबाज़ी जाग उठी, जाते जाते एक बार एक और लौड़े से सही।

भाईसाहब बोले- ऊपर चलते हैं, अमित के कमरे में चोदते हैं।

मैंने अपनी स्कर्ट पहन ली और हम दोनों ऊपर आ गए।

ऊपर आकर भाईसाहब ने मेरी स्कर्ट उतार दी और टॉप भी निकाल दिया। अब मैं अपने नंगे बदन का मुजरा पेश कर रही थी उन्होंने मुझे अमित के बाहर के कमरे में लिटा दिया और मेरी दूधों को चूसने लगे।

चूसते हुए भाईसाहब ने मेरी निप्पल कड़ी कर दीं। अब मेरी चूत की बारी थी, दाने पे मुँह लगते ही मेरी आहें निकलने लगीं। क्या चूसा था !

इसके बाद तो अच्छी से अच्छी औरत भी लंड लंड करने लगेगी, पूरा चूत रस बहने लगा।

पाँच मिनट चूसने के बाद मैं बोली- अब कुछ करिए न ! आह ! बहुत मन कर रहा है।

भाईसाहब ने अपना पजामा कुरता उतार दिया, उनका पाँच इंची लंड मेरी आँखों के आगे था, मुझे लगा कि आज चुदने में आनन्द कम आएगा लेकिन मेरा सोचना गलत था। उन्होंने मेरी टांगें उठाकर चूत में लंड घुसा दिया।

आह ! पूरा अंदर चला।

भाईसाहब ने धीरे धीरे मुझे चोदना शुरू कर दिया लेकिन पूरा लंड अंदर-बाहर कर रहे थे, आराम से मेरी चुदाई चल रही थी, मैं भी धीरे धीरे आहें भर रही थी। बीच में 2-3 बार चुदाई रोककर लंड अंदर घुसाए घुसाए भाईसाहब ने मेरी चूचियाँ और होंटों की चुसाई की, चूचियों को कई तरह से दबाया और मसला।

उसके बाद बोले- आसन बदल कर चुदना हो तो बताना !

पूरे प्यार भरे तरीके से मेरी चुदाई हो रही थी, भाईसाहब ने लंड निकाल लिया और मेरी जाँघों पर अपने हाथों से मालिश करने लगे, मेरी नाभि को चूमा, गले पर सहलाया और मेरी जीभ निकलवा कर चूसी। उन्होंने मुझे काम रस में डुबो दिया।

मैं बोली- आपके साथ बहुत अच्छा लग रहा है, एक बार और चोदिये ना !

उन्होंने मुझे चिपका कर अपना लंड घुसा दिया और मुझसे सेक्सी बातें करने लगे, बोले- तुम्हारी जांघें बहुत गर्म हैं, तुम बहुत सेक्सी हो !

मेरी तारीफ़ करते हुए धीरे धीरे चोदने लगे। मुझे बहुत आनन्द आ रहा था, मैं भी चुदने में पूरा साथ दे रही थी।

तभी दरवाज़े की घंटी बजी।

मैं हड़बड़ा गई और उठ गई। भाईसाहब बोले- जाली के दरवाजे में से मुँह नीचे डालकर देखो कौन है।

मैं नंगी उठी और टीशर्ट डालकर खिड़की का दरवाज़ा खोलकर नीचे देखा तो सब्जी वाला था, बोला- बहनजी, सब्जी !

मैंने कहा- नहीं चाहिए !

वो चला गया।

भाईसाहब मेरे पीछे आ गए और मुस्कराते हुए बोले- ऐसे नहीं घबराते हैं, तुम खिड़की की जाली से सड़क का नज़ारा देखो मैं तुम्हें पीछे से चोदता हूँ।

मैं दोनों हाथ खिड़की पर रखकर झुक गई और बाहर देखने लगी, भाई साहब ने प्यार से मेरी कमर पकड़ कर चूत में लंड लगाया और शुरू हो गए। इस बार वो थोड़े तेज शोटों से चोद रहे थे।

मैं नीचे झांक रही थी और अपनी चुदाई के मज़े ले रही थी।

दो मिनट बाद मुझे शर्म आने लगी और बोली- बिस्तर पर ही करते हैं।

हम लोग बिस्तर पर आ गए। भाईसाहब ने मुझे बिस्तर पर गोद में बैठा लिया और नीचे से अपना लोड़ा मेरी चूत में लगा दिया। भाईसाहब अब नीचे से धक्के मार कर चोदने लगे, मैं अपने स्तन उनके सीने से चिपकाए अपनी चुदाई का आनंद ले रही थी।

कुछ देर बाद उन्होंने अपना पानी मेरी चूत में छोड़ दिया, हम दोनों आपस में चिपक कर एक दूसरे को चूमने लगे। मुझे चुदाई में प्यार भरा आनन्द आया था।

मैं भाईसाहब से बातें करने लगी।

भाईसाहब और मैं एक दूसरे के अंगों को छेड़ते हुए बातें कर रहे थे। मैंने उन्हें कई बार होटों पर चुम्बन किया तो उनका लंड दुबारा टन-टन करने लगा था, उन्होंने मेरे हाथ में अपना लौड़ा पकड़ा दिया और मेरी गांड में उंगली घुमाने लगे, मुस्कराते हुए बोले- तुमने 2-3 दिन पहले ही गांड मरवाई है।

मैं बोली- आपको कैसे पता?

हँसते हुए बोले- छेद उंगली डालते ही बड़ा हो रहा है।

मैं चुप रही।

भाईसाहब बोले- मुझसे मरवाओगी?

मैं बोली- दर्द बहुत होता है।

भाईसाहब बोले- दर्द अगर हो जाए तो मेरी जान ले लेना।

मुझे लगा कि भाईसाहब का लंड छोटा है, मज़ा ले लेती हूँ, और इन्होंने मेरी चूत को अमित और सतीश से ज्यादा मस्त मज़ा दिया है, एक बार गांड मैं और सही।

मैं बोली- प्यार से मारना।

भाईसाहब बोले- चिंता न करो, अब एक बार मेरा लोड़ा चूस कर थोड़ा कड़क कर दो।

मैंने उनकी जाँघों में लेटकर लौड़ा 10-12 बार चूसा। इसके बाद उन्होंने मुझे हटा दिया और अपना पर्स उठा कर उसमें से एक कंडोम निकाल कर लंड पर चढ़ा लिया।

मैंने पूछा- आप पर्स में कंडोम क्यों रखते हैं?

भाईसाहब मुस्कराते हुए बोले- जब भी मैं टूर पर जाता हूँ तो रात को बिना लड़की के नहीं सोता। पर्स में हमेशा 3-4 कंडोम रखता हूँ, इससे रात को आराम हो जाता है। एक रात में 2 से 4 बार लड़की को चोदता हूँ। अब ये छोड़ो और जिस आसन में गांड मरवानी है, लेट जाओ, थोड़ा टांगें फ़ैला कर रखना।

मैं बोली- आप ही लेटा दीजिए न।

भाईसाहब ने मेरे पेट के नीचे दो तकिये रख दिए और मुझे उल्टा लेटा दिया।

भाईसाहब ने मेरी गांड में दोनों हाथों की एक एक उंगली मिलकर आगे पीछे 5-6 बार करी। आह बड़ा मज़ा आया। टाँगे मेरी उन्होंने चौड़ी कर दीं थीं, उनके लंड का सुपारा मेरी गांड खटखटा रहा था जिसे उन्होंने हाथ से पकड़ कर गांड में डाल दिया और अपना लंड अंदर घुसाने लगे। थोड़ घुसने के बाद मेरी चूचियाँ मेरे ऊपर लेटकर हाथों से दबा लीं और बोले- चुदते समय आह ऊह खुलकर करना, इससे मुझे और तुम्हें दोनों को ख़ुशी मिलेगी।

अब वो धीरे धीरे चोदते हुए लण्ड अंदर डालने लगे। आह ऊह ऊह आह आह ऊह क्या मज़ा था ! लंड पूरा अंदर जा चुका था।

उन्होंने पूरा घुसने के बाद उसे बाहर खींचा और दुबारा अंदर तक पेल दिया। मेरी गांड अच्छी तरह से चुदने लगी, उनके टट्टे मेरी गांड पर बार बार छू रहे थे, मेरी गांड मरनी शुरू हो गई लेकिन कोई दर्द नहीं था। लंड कभी धीरे और कभी तेज अंदर-बाहर हो रहा था, मैं आह ऊह आह्ह ऊह बड़ा मज़ा आ रहा की आवाज़ों से मस्तिया रही थी। सच भाईसाहब ने मस्त कर दिया था। मुझे लग रहा था कि चूत गांड वाकई मज़े की चीज़ें होती हैं बस प्यार से मारने वाला चाहिए। आज मेरी गांड में गाडी बड़े प्यार से दौड़ रही थी, बहुत मज़ा आ रहा था।

भाईसाहब ने कुछ देर बाद लंड बाहर निकाल लिया, मेरे से रहा नहीं गया और बोल पड़ी- और करिए ना ! बड़ा मज़ा आ रहा है।

भाईसाहब ने गले पर पप्पी ली और बोले- अभी तो शुरुआत हुई है, चिंता क्यों करती हो।

भाईसाहब ने मेरे चूतड़ों पर हाथ मारा और बोले- अब उठो और घोड़ी बन जाओ !

भाईसाहब ने मुझे पलंग पर आधा लेटाकर नीचे जमीन पर मेरे पैर चौड़े करवाए और मुझे घोड़ी बना दिया। इसके बाद भाईसाहब मेरे चूतड़ों पर 6-7 चाटें प्यार से मारे और मेरी गांड में धीरे-धीरे पूरा लंड घुसा दिया और मुझे पेलने लगे।

5-6 शोटों के बाद उन्होंने टाँगे मिला दीं, अब मेरा छेद सिकुड़ गया था। उनका लंड अब कसा हुआ मोटा लग रहा था। उन्होंने ताकत से लौड़ा अंदर-बाहर किया। मुझे अब दर्द हो रहा था, मेरी आँखों से पानी आ गया, मैं बोल उठी- बाहर निकालिए, बड़ा दर्द हो रहा है।

उन्होंने झुककर मेरी पप्पी ली और टांगें दुबारा चोड़ी करा दीं, अब लौड़ा पूरी ईमानदारी से अन्दर-बाहर हो रहा था, मैं ऊह ऊह ऊह आहा की आवाज़ों से अपना आनंद प्रकट करने लगी थी।

भाईसाहब बोले- मज़ा आ रहा है?

मैं बोली- हाँ बहुत मज़ा आ रहा है, और करो और चोदो।

मेरी गांड में अंदर तक लंड घुसा कर भाईसाहब रुक गए और बोले- अर्चना, अब आगे पीछे होकर तुम खुद चुदो, उसमें और मज़ा आएगा।

मेरी उत्तेजना चरम सीमा पर थी, मैंने अपनी गांड को आगे-पीछे करना शुरू कर दिया और लौड़ा खाने लगी। हर शॉट पर भाईसाहब मेरी चूची पूरी दबा देते थे औरे मेरी चोटी भी बीच बीच में खींच देते थे। इसके बाद उन्होंने मेरी कमर को पकड़ लिया, अब वो लोड़ा आगे पेलते तो मैं गांड पीछे पेलती। मस्त होकर मैं गांड चुदवा रही थी। दस मिनट बाद मैं हांफ गई, भाईसाहब ने मुझे गोद में उठाकर पलंग पर डाल दिया और कंडोम निकाल कर फेंक दिया और बोले- मैं झड़ने वाला हूँ, तुम्हारी चूची पर रस डालूं या जमीन पर निकाल दूं !

मैं बोली- मुझे आप अपना रस मुँह में पिलाओ !

और मैंने मुँह में लंड ले लिया और तेज-तेज चूसने लगी। 2-3 चुसाई में लंड ने पानी छोड़ दिया, मेरा पूरा मुँह वीर्य से भर गया, भाईसाहब का पूरा रस प्यार से मैं गटक गई।

उसके बाद चिपक कर मैंने उन्हें चूम लिया और बोली- आप बहुत अच्छे हैं, आपने मुझे बहुत सुख दिया।

5 मिनट बाद चिपक कर हम अलग हो गए, मैं बाथरूम में चली गई।

बारह बज़ गए थे, भाभी एक बजे आईं, हम लोगों ने खाना बना कर खा लिया। इसके बाद मैं अमित के कमरे में चली गई और अपना सामन सेट करने लगी।

अमित का कमरा भी मैं सेट करने लगी, अमित के पलंग के नीचे मुझे उसका एक मेल आइ डी और पासवर्ड लिखा दिखा। पहले मैंने उसे नज़रंदाज़ कर दिया लेकिन फिर कुछ सोचकर मैंने उसे अपने पर्स में एक कागज़ पर लिखकर डाल लिया। उसके बाद मैं सो गई।

छः बजे उठी, रात को दस बजे मुझे जाना था, 11 बजे मेरी ट्रेन थी, मैंने अमित को फ़ोन किया, अमित बोला- मैं कानपुर से बाहर हूँ, भाईसाहब से कहना कि तुम्हें छोड़ दें।

भाईसाहब बच्चों के स्कूल के आने से पहले काम पर चले गए थे। मैं भाभी और बच्चे ही घर पर थे।

नौ बजे खाने के बाद और बच्चों के सोने के बाद भाईसाहब घर 9:30 पर आए और हम लोग स्टेशन के लिए निकल पड़े। जाते जाते मैंने भाभी के घर पर पड़ी एक सरिता किताब अपने बैग मैं रख ली। रास्ते में भाईसाहब ने एक सुनसान जगह कार खड़ी कर दी। हम दोनों ने दो गहरे चुम्बन लिए और मैंने भाईसाहब का लौड़ा निकाल कर कार में पूरा रस निकलने तक चूसा।

इसके बाद हम स्टेशन पहुंचे, स्टेशन से 11 बजे मेरी ट्रेन चल दी।मेरी चुदाई यात्रा समाप्त हो गई थी। सुबह 6 बजे मैं अपने सास-ससुर के पास थी। अब मैं 4-4 लंडों से खेली खाई औरत थी। दो दिन बाद ही मुझे लंड की चाहत महसूस होने लगी। भगवान् ने मेरी सुन ली, मेरे पति 5 दिन बाद विदेश से वापस आने वाले थे।

5 दिन बाद राजीव वापस आ गए, आते ही रात को उन्होंने मेरी 5-6 बार चूत चोदी और मुझसे पूछा- तुम्हारी गांड में ट्राई करूँ? विदेश में तो गांड मारना एक सामान्य सी बात है, और मेरे सारे विदेशी दोस्त अपनी गर्ल फ्रेंड की गांड मार चुके हैं।

मैं हल्के से मुस्करा कर बोली- जैसा आप चाहो !

और उन्होंने मेरी गांड मारने की कोशिश करी। 5-6 बार में थोड़ा सा घुसा पाए और उसके बाद उनका शेर ढेर हो गया। राजीव मुझे गांड मारने में नए खिलाड़ी लगे जबकि मैं अब एक खेली-खाई औरत थी लेकिन मुझे अपना लीगल लंड मिल गया था, मैं खुश थी और रोज़ उनसे चुदने लगी। मेरे सहयोग से वो मेरी गांड मारना भी सीख गए।

चार दिन बाद मैं राजीव के साथ बाहर होटल में खाना खाने गई। लौटते वक्त 5-6 गुंडों ने हमें घेर लिया और मुझे छेड़ने लगे। उनमें से दो आगे बढ़कर मेरी चूचियाँ दबाने लगे। राजीव उनसे भिड़ गए। तभी एक बदमाश ने पिस्तौल निकाल कर राजीव को 2 गोलियां मार दीं और सभी गुंडे वहाँ से भाग गए।

शुरू में डॉक्टर ने राजीव को 2-3 दिन का मेहमान बताया। मैंने दिन-रात राजीव की सेवा की। इस समय लंड चूत सब भूल गई थी मैं। भगवान् की कृपा से राजीव 30 दिनों में सही हो गए। इन 30 दिनों में राजीव तो सही हो गए थे लेकिन मुझे अपने पर शर्म आ रही थी कि मेरे पति मुझ पर मरने को तयार हैं और मैं उनके पीछे अपने मज़े के लिए लौड़े खाती रही।

एक रात राजीव सो रहे थे, मैं ये सब सोच सोच कर परेशान हो रही थी।मैंने समय पास करने के लिए कंप्यूटर ऑन कर लिया, तभी मेरे मन में अमित का मेल देखने का ख्याल आया, मैंने अपने पर्स से उसका मेल आइ डी और पासवर्ड निकाला और उसका मेल बॉक्स खोल लिया।

ढेर सारे मेल इनबॉक्स और सेंट मेल में थे, मैं बोर हो रही थी मैंने इन बॉक्स पर क्लिक कर दिया। दसवें मेल का शीर्षक था- आधा आधा कर लेते हैं।

मैंने खोला तो अंदर लिखा था- अमित नाराज़ क्यों होते हो बबलू, सतीश और अजय ने मुझे कुल साठ हजार रुपए दिए हैं अर्चना के चोदने के बदले मैं। तुम बीस की जगह आधे ले लेना ! अब घर वापस आ जाओ और यहीं किराए पर रहो।तुम्हारी भाभी रजनी

मेरा दिमाग घूम गया मुझे समझ में आ गया, दोनों ने मुझे चालाकी से सतीश और बबलू से सौदेबाज़ी करके एक रंडी की तरह चुदवाया है और माल कमाया है। अब दोनों हिस्सेदारी कर रहे हैं। लेकिन यह अजय कौन है मुझे समझ में नहीं आ रहा था।

आगे और मेल मैंने पढ़े, मुझे इतना समझ में और आया कि दोनों लोग मुझे नशे और कामौत्तेजक गोलियाँ देते रहे जिस कारण से मेरी चूत रोज़ लंड लंड चिल्लाती थी और मैं बेशर्म होकर चुदवाती थी।

मैं उत्तेजित होकर और मेल पढ़ने लगी। सब कुछ पढ़ने के बाद मुझे इतना और पता चला कि साठ हजार में से 15 बबलू ने, 30 सतीश ने और 15 अजय ने दिए थे।अमित कानपुर में ही था जिस दिन मैं वापस देहली आ रही थी। अब मेरे दिमाग में दो बातें घूम रहीं थीं कि यह अजय कौन है और अमित आखरी दिन कानपुर में होते हुए भी बाहर क्यों था।

मेरा दिमाग यह सब पढ़ कर ख़राब हो गया, मैं बेचैन हो रही थी, मुझे अपने पर गुस्सा आ रहा था। मैंने कंप्यूटर बंद कर दिया और पर्स में रखी सरिता किताब निकाल ली जो मैं भाभी के घर से लाई थी।

मैं किताब के पन्ने पलटने लगी, एक पेज पर मेरे हाथ रुक गए उस पेज में भाभी, भाईसाहब और उनके दोनों बच्चों की एक फोटो रखी थी लेकिन भाईसाहब उन साहब से अलग थे जिन्होंने मुझे भाईसाहब बनकर चोदा था।

अब सारी कहानी साफ़ थी सुबह जिन साहब ने मेरी चुदाई करी थी वो मेरे तीसरे ग्राहक अजय थे और उन्होंने रजनी भाभी का साहब बनकर मुझे चोदा था।

अमित भी उस दिन घर में इसलिए नहीं था ताकि अर्चना रंडी अच्छी तरह से अजय साहब से बज सके और भाभी भी बहाना बना कर घर से बाहर गई थीं।

अजय भाईसाहब बच्चों के आने से पहले ही गायब हो गए थे। मैं अपनी नज़रों में गिर गई थी और ठगी सी महसूस कर रही थी।

राजीव सो रहे थे। मैंने दुखी होकर पत्र लिखा- राजीव, मैं ख़ुदकुशी कर रहीं हूँ ! तुम्हारे पीछे मैंने 4-4 लोगों से चूत की आग के चलते अवैध सम्बन्ध बनाए, तुम मुझे माफ़ कर देना। अचानक मैंने मुड़ कर देखा तो राजीव मेरे पीछे थे और रो रहे थे, बोले- अर्चना, तुम्हारा प्यार इतना छोटा है। मुझे तुम्हारी सेवा से नई जिंदगी मिली है और मैं एक लम्बी जिन्दगी तुम्हारे साथ जीने की सोच रहा हूँ। तुम एक गलती पर ही हार मान गईं। आगे तो और गलतियाँ होंगी कुछ मुझसे और कुछ तुमसे और इन संबंधों में जितना तुम्हारा दोष है, उससे ज्यादा मेरा दोष है, मैं भी तो शादी करके पैसों के लालच मैं तुम्हें प्यासी दुल्हन बनाकर विदेश चला गया।

राजीव ने रोते हुए कागज़ फाड़कर फेंक दिया और बोले- अब मैं तुम्हें छोड़कर कभी नहीं जाऊँगा।

हम दोनों एक दूसरे से चिपक गए, उसके बाद मुझे पता भी नहीं चला कि कब मेरे कपड़े उतर गए और कब मेरी चूत में राजीव का लिंग घुस गया।

उस रात मुझे चुदते हुए शरीर से ज्यादा आत्मा का आनन्द महसूस हुआ, जो राजीव के विश्वास का परिणाम था।

अगले दिन सुबह जब मैं उठी तो मुझे लगा अब हमारा रिश्ता पहले से मज़बूत हो गया है। कुछ दिन बाद मुझे इस रात का ईनाम भी मिल गया, मेरे पाँव भारी हो गए थे। सच कुछ पल जिन्दगी ख़त्म कर देते हैं तो कुछ पल नया जीवन दे देते हैं।

थैंक्स राजीव, तुम्हारी महानता के लिए।


समाप्त
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