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Misc. Erotica मेरी रूपाली दीदी और जालिम ठाकुर...
#21
Mast...super... mind blowing... please update more
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#22
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#23
Nice plot
Aise hi likhte raho
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#24
Are ise aage toh likho
[+] 1 user Likes Abr Roy's post
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#25
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#26
अगले दिन मेरी रूपाली दीदी ने एक समाचार पत्र में एक नौकरी का विज्ञापन  देखा... वैसे तो नौकरी कोई बहुत अच्छी नहीं थी एक रिसेप्शनिस्ट की जॉब थी... पर कुछ ज्यादा क्वालीफिकेशंस की भी जरूरत नहीं थी इसके लिए.. मेरी दीदी मुझसे और मेरे  जीजू से सलाह मशवरा लेकर इस नौकरी के लिए प्रयास करने  लगी.. हमारे पूरे परिवार को सख्त जरूरत  थी इस नौकरी की.. अगले दिन सोनिया के स्कूल से आने के बाद मेरी रूपाली दीदी ने मुझे सोनिया और अपनी 3 महीने की छोटी बेटी नूपुर की देखभाल करने की जिम्मेदारी सौंप दी.. उन्होंने अपना दूध एक बोतल में भर के मुझे दे दिया और उन्होंने मुझे हिदायत दी कि जब नूपुर रोने लगे तो उसे दूध पिला देना थोड़ी थोड़ी देर पर.. मेरी रूपाली दीदी सोनिया और नूपुर को मेरे हवाले करके नौकरी की तलाश में बाहर निकल गई.. रास्ता तकरीबन 1 घंटे का था.. मेरी दीदी बस से गई थी..

 मेरी रूपाली दीदी वहां पहुंच गई.. वहां पर पहले से ही 100 से भी ज्यादा लोग मौजूद थे जिनमें से सिर्फ दो को नौकरी  मिलने वाली थी. सभी लोगों का इंटरव्यू हुआ एक-एक करके.. दोस्तों बताने की जरूरत नहीं है कि उन लोगों ने मेरी रूपाली दीदी को पहली बार में ही अस्वीकार कर दिया.. इस ऑफिस में काम करने के लिए अपना काफी समय व्यतीत करना  होगा और मेरी रूपाली दीदी ठहरी दो बच्चों की मां, ऊपर से एक दूध  पीती हुई बच्ची.. उन लोगों ने मेरी दीदी का आवेदन अस्वीकार कर दिया पहली नजर में.. मेरी रूपाली दीदी बेहद निराश हो गई थी..
    थक हार के मेरी रुपाली दीदी बस स्टॉप की तरफ वापस आ रही थी.. रात के तकरीबन 8:00 बज चुके थे.. अचानक तेज बारिश शुरू हो गई..
 मेरी रूपाली दीदी पूरी तरह से भीग गई.. उनके पास तो छाता भी नहीं था.. बारिश के पानी से मेरी बहन गीली हो चुकी थी.. तेज बारिश के कारण सड़क पर बहुत सारा पानी जमा हो चुका था.. लोगों में भगदड़ मची हुई थी..  जो भी बस आ रही थी उसमें पहले से ही काफी भीड़ थी  और घुसने की कोई जगह नहीं थी... मेरी रूपाली दीदी भीगी भागी हुई बस स्टॉप पर खड़ी अपने सामने से बसों को जाते हुए देख देख रही थी.. उनकी हिम्मत नहीं हो रही थी कि किसी भी बस में सवार हो सके.. रात बीतने लगी थी.. मेरी बहन  चिंतित हो रही थी..

 अचानक एक काले रंग की शानदार गाड़ी बस स्टॉप पर आकर रुकी ठीक मेरी रूपाली दीदी के सामने.. गाड़ी पर काले रंग के  शीशे  थे. मेरी बहन अंदर कुछ भी नहीं देख पा रही थी.. गाड़ी का काला शीशा नीचे हुआ और ड्राइविंग सीट पर जो शख्स बैठा हुआ था वह और कोई नहीं बल्कि ठाकुर रणवीर सिंह ही थे.. मेरी बहन ने ठाकुर साहब को देखा और अपना मुंह फेर लिया.. ठाकुर साहब ने मेरी बहन को अपनी तरफ आने का इशारा किया. मेरी बहन ने नजरअंदाज कर दिया.. ठाकुर साहब गाड़ी से बाहर निकल कर मेरी रूपाली दीदी के पास आए..
 ठाकुर साहब:  रुपाली जी.. बैठ जाइए.. इस बरसात में कहां आप बस और ट्रेन का इंतजार  करेंगी.
 मेरी रूपाली दीदी:  जी मैं चली जाऊंगी..
 ठाकुर साहब:  प्लीज रुपाली जी मेरी बात मान  लीजिए. आपके बच्चे घर पर आपका इंतजार कर रहे होंगे.. आपके पति और आपका छोटा भाई भी परेशान हो रहा होगा.. कार से जाएंगे तो हम लोग जल्दी पहुंच जाएंगे.
 मेरी दीदी ने कुछ देर अपने बच्चों के बारे में सोचा और  अपने धीरे कदमों के साथ कार की तरह बढ़ने लगी... ठाकुर साहब ने कार का दरवाजा  खोला और मेरी रुपाली दीदी अंदर बैठ गई.. ठाकुर साहब ड्राइविंग सीट पर आ गए और गाड़ी चल पड़ी..
 उन्होंने मेरी बहन को तिरछी निगाह से देखा.. मेरी रूपाली दीदी की साड़ी उनके बदन से चिपकी हुई थी भीगे हुए होने के कारण.. ठाकुर साहब मेरी बहन का पेट और और  उनकी गहरी नाभि साफ-साफ देख पा रहे थे. मेरी रूपाली दीदी के गीले बाल और भीगे होंठ देखकर ठाकुर साहब की नियत खराब हो रही थी..
 ठाकुर साहब अपने आप को नियंत्रित करने की कोशिश करने लगे क्योंकि मेरी बहन को देखकर उनका लंड खड़ा होने लगा था.
 ठाकुर साहब:  आप यहां कैसे रुपाली जी.
 मेरी रूपाली दीदी:  एक नौकरी के इंटरव्यू के लिए आई थी
 ठाकुर साहब:  अच्छा.. नौकरी मिली क्या.
 मेरी दीदी:  नहीं.
 ठाकुर साहब:  अच्छा कोई बात नहीं.
 मेरी रूपाली दीदी:  यह आपकी कार है?
 ठाकुर साहब:  हां रुपाली जी.. मेरी ही कार है.. बहुत कम चलाता हूं.. जब भी यहां आना होता है तभी निकालता हूं.
 मेरी दीदी:  ओ अच्छा..
 ठाकुर साहब:  आप  कुछ चाय वगैरह  पीना पसंद  करेंगी.. यहां ढाबे पर बहुत अच्छी चाय मिलती है.
 मेरी  दीदी:  नहीं ठाकुर  साहब.. बच्चे इंतजार कर रहे होंगे..
 ठाकुर साहब:  जी रुपाली जी.. बस यह चेक नाका क्रॉस कर लेंगे तो फिर रास्ता खाली मिलेगा..
 दोनों चुप हो गए..
 तकरीबन 1 घंटे के ड्राइव के बाद चेक नाका क्रॉस हुआ.. अभी भी हमारे घर तक पहुंचने के लिए तकरीबन 30 किलोमीटर का रास्ता बचा हुआ था.. बिल्कुल सुनसान.. यहां वहां छोटी मोटी झाड़ी और जंगल थे रास्ते में.
 ठाकुर साहब:  रूपाली.. क्या अब तुमको पैसों की जरूरत नहीं है?  अगर अभी भी तुम्हें जरूरत हो तो मुझे बता देना( ठाकुर साहब आप से तुम पर आ गए थे).
मेरी रूपाली दीदी  बिल्कुल चुप हो गई.. कुछ भी नहीं बोली.
 ठाकुर साहब: देखो मैं तुम्हारी मदद करना चाहता हूं इसीलिए कह रहा हूं.
 मेरी रूपाली दीदी:  देखिए ठाकुर साहब.. मैं अपने पति अनूप से बेहद प्यार करती हूं.. आप जो चाहते हैं वह मैं नहीं कर पाऊंगी..
 ठाकुर साहब:  अरे रूपाली मैं तो बस ऐसे ही कह रहा हूं.. तुम मुझे गलत समझ रही हो..
 थोड़ी देर बाद..
 ठाकुर साहब:  अच्छा.. यहां से एक शॉर्टकट है.. तुम अपने घर जल्दी पहुंच जाओगी.. मैं इधर से ही ले लेता हूं..
 मेरी रुपाली  दीदी:  ठीक है.. मगर रास्ता सुरक्षित तो है ना..
 ठाकुर साहब:  हां बिल्कुल रूपाली..
 ठाकुर साहब ने अपनी गाड़ी एक सुनसान सड़क की तरफ मोड़ दी. थोड़ी दूर जाने के बाद ही गाड़ी ने झटके देने  शुरू कर दिए और बंद हो गई.. ठाकुर साहब गाड़ी से बाहर निकले और उन्होंने देखा कि गाड़ी के आगे के दोनों टायर पंचर हो चुके हैं..
 ठाकुर साहब:  हमारी बदकिस्मती है रुपाली.. गाड़ी के दोनों टायर पंचर हो चुके हैं..
 मेरी रुपाली दीदी:  क्या?  क्या होगा अब..
 ठाकुर साहब:  मेरे पास एक स्टेफनी  है.. मगर दूसरे टायर का क्या करेंगे. यहां पर तो कोई पंचर वाला भी नहीं मिलेगा.. मैं अपने एक आदमी को फोन कर देता हूं वह किसी ना किसी को लेकर आएगा.. रात के 10:00 बज चुके हैं.. इतनी बारिश भी हो रही है.. पता नहीं अब क्या होगा.
 मेरी रुपाली दीदी बुरी तरह डर गई थी.. हालांकि मेरी दीदी जानती थी कि इस मुसीबत में ठाकुर साहब ने उनको जानबूझकर नहीं डाला है.. फिर भी मेरी रुपाली दीदी घबरा रही थी ठाकुर साहब से..
 ठाकुर साहब ने अपने एक साथी को फोन किया और उनको बोला कि अपने साथ किसी पंचर वाले को लेकर आय..
 ठाकुर साहब:  रूपाली तुम भी अपने घर पर फोन कर दो और अपने पति या अपने भाई को बता दो.. हमें यहां इंतजार करना ही होगा..
 रूपाली दीदी ने मुझे फोन किया और वस्तु स्थिति के बारे में मुझे बताया. उनकी बात सुनकर मुझे घबराहट होने लगी, परंतु यह जानकर अच्छा लगा कि ठाकुर साहब भी उनके साथ मौजूद है.. वह जरूर मेरी बहन की देखभाल करेंगे अच्छे से..
 सुनसान सड़क पर गाड़ी खड़ी थी.. आसपास किसी इंसान तो क्या किसी जानवर का भी नामोनिशान नहीं था.. बहुत तेज बारिश होने लगी.. ठाकुर साहब गाड़ी के अंदर घुस गय..
 ठाकुर साहब:  रूपाली.. तुम चाहो तो पीछे की सीट पर जाकर थोड़ी देर आराम कर सकती हो..
 मेरी रूपाली दीदी:  नहीं ठाकुर साहब मैं ठीक हूं.
 ठाकुर साहब:  तुम बेहद थकी हुई लग रही हो.. आगे की सीट पर पैर पसारने की जगह भी नहीं है.. मुझे भी नहीं पता कि वह लोग कब आएंगे. इसीलिए कह रहा हूं रूपाली.. जाओ पीछे और थोड़ी देर आराम कर लो.
 मेरी रूपाली दीदी मान गई और गाड़ी की पिछली सीट पर चली गई.. ठाकुर साहब भी उनके पीछे-पीछे आ कर उनके बगल में बैठ गय.. ठाकुर साहब मेरी बहन से बातचीत करने लगे.. उनकी पसंद उनकी नापसंद उनके शौक और उनकी हॉबी के बारे में... मेरी दीदी उनके साथ बात तो करती  रही पर उनको अच्छा नहीं लग रहा था..
 मेरी रूपाली दीदी की साड़ी अभी भी  गीली थी. मेरी बहन ने गुलाबी रंग की साड़ी पहनी हुई थी और साथ में गुलाबी रंग  मैच की चोली , जो अभी भीगी हुई थी.. मेरी दीदी को ठंड लग रही थी.. मेरी रूपाली दीदी ठंड के मारे थरथर कांप रही थी..
 ठाकुर साहब मेरी बहन के करीब आए और उन्होंने मेरी बहन की हाथ पर अपना हाथ रख दिया.. मेरी दीदी ने अपने हाथ छुड़ा लिया.
 ठाकुर साहब:  रूपाली.. तुम्हें तो ठंड लग रही है.. मेरे पास आओ ना.. मैं तुमको गर्मी देता हूं...
 मेरी रूपाली दीदी बेहद थकी हुई थी और ठाकुर साहब की मौजूदगी में खुद को असहज पा रही थी..
 मेरी रूपाली दीदी:  प्लीज ठाकुर साहब.. मेरे करीब मत आइए..
 मेरी रूपाली दीदी का मासिक धर्म अभी अभी खत्म हुआ था.. यह वह समय होता है जब औरत खुद पर काबू नहीं रख पाती है.. संभोग की लालसा के ऊपर काबू पाना किसी भी औरत के लिए बेहद मुश्किल समय होता है.. मेरी रूपाली दीदी एक कामपीड़ित स्त्री की तरह व्यवहार कर रही थी.. दृश्य बेहद उत्तेजक हो चुका था.. ठाकुर साहब को मेरी बहन की हालत का एहसास होने लगा था. वह मेरी दीदी के पास आने लगे .. मेरी दीदी खिड़की की तरफ खिसकने  लगी .. ठाकुर साहब ने मेरी बहन की कमर में अपनी बाहें डाल दी और उनको अपने पास खींच लिया.. और खुद से चिपका लिया... मेरी रूपाली दीदी ने थोड़ा बहुत विरोध किया परंतु दिन भर की थकान की वजह से ऐसा लग रहा था कि मेरी दीदी अपने होशो हवास  गम आ चुकी है... ठाकुर साहब ने अपनी  दोनों बाहें मेरी बहन की कमर में डाल कर उनको  दबोच लिया और उनके कान को चूमने लगे लगे.
 ठाकुर साहब का एक हाथ मेरी बहन के पेट पर था.. उन्होंने  अपने हाथ की एक उंगली मेरी बहन की नाभि में घुसा दि.. मेरी दीदी तड़प रही थी.
 मेरी रूपाली दीदी ने भी अपनी बहन पीछे ले जाकर ठाकुर साहब के कंधे पर डाल दी.. ऐसी स्थिति किसी भी पुरुष और स्त्री के लिए बेहद नाजुक होती है.. बिना संभोग के रह पाना दोनों के लिए असंभव लग रहा था.. ऊपर से ठाकुर साहब एक सच्चे और कड़क मर्द थे.. मेरे जीजू विनोद की तरह हल्के-फुल्के नहीं .. ऐसा लग रहा था कि मेरी बहन सिर्फ ठाकुर साहब के लिए ही बनी हुई है.. मेरी जीजू के लिए नहीं..
 ठाकुर साहब ने मेरी बहन को अपनी बाहों में दबोच लिया था.. उन्होंने मेरी बहन को पलट दिया.. अब मेरी रूपाली दीदी की चूचियों पहाड़ की तरह तनी हुए थी ठाकुर साहब की आंखों के सामने.. उन्होंने मेरी बहन को अपनी मजबूत और कड़क सीने में चिपका लिया.. मेरी रूपाली दीदी के गाल और फिर उसके बाद उनकी कान को चूमने लगे ठाकुर साहब..
 मेरी रूपाली दीदी:  ठाकुर साहब..आअह्हह्हह्हह्ह... मैं अपने पति विनोद की अमानत हूं.. मैं बस उनसे प्यार करती हूं.
 ठाकुर साहब:  तुम बस मेरी अमानत हो रूपाली.. तुम मेरी हो बस मेरी.
 मेरी रूपाली दीदी:  ठाकुर साहब मैं आपकी बेटी जैसी हूं..
 ठाकुर साहब मेरी बहन के कान को चूमते रहे.. मेरी रूपाली दीदी काफी गंभीर हो चुकी थी.. इसी बीच ठाकुर साहब ने मेरी बहन की साड़ी का पल्लू उनके  सीने से अलग कर दिया.. गोरा सपाट पेट.. गहरी  नाभि गोलाकार... और उसके ऊपर बड़ी-बड़ी दो  चूचियां गुलाबी रंग की चोली के अंदर देख ठाकुर साहब का मन डोल गया था.. मेरी रूपाली दीदी ने अपनी आंखें बंद कर ली थी.. ठाकुर साहब को अपने नसीब पर गुमान हो रहा था..
 मेरी रूपाली दीदी:  प्लीज ठाकुर साहब कोई देख लेगा..
 ठाकुर साहब:  मेरी जान.. कोई नहीं है यहां पर.. इतनी बारिश हो रही है और यह एक सुनसान जगह है.. मेरी गाड़ी के शीशे भी काले हैं.. कोई नहीं देखेगा अभी..
 मेरी रूपाली दीदी की चोली के अंदर उनके गोरे गोरे स्तनों के हाहाकारी उभार देखकर ठाकुर साहब से रहा नहीं गया.. उन्होंने अपना एक हाथ मेरी बहन की एक चूची पर रख दिया चोली के ऊपर से और फिर हल्के से दबा दिया...
 चूड़ियों से भरी हुई अपनी बाहों का हार मेरी रूपाली  दीदी ने ठाकुर साहब के गले में डाल दिया था.. कुछ ही इंच की दूरी पर था मेरी दीदी का चेहरा ठाकुर साहब के सामने.. गुलाबी रसीले होंठ देखकर ठाकुर साहब पागल हुए जा रहे थे... वह अच्छी तरह समझ पा रहे थे कि आज अगर उन्होंने मेरी बहन को नहीं चुम्मा तो फिर कभी नहीं  चुम्मा ले पाएंगे.. उन्होंने मेरी बहन के होठों पर अपने होंठ चिपका दिय. ठाकुर साहब के काले  गरम होंठ मेरी बहन के लाल सुर्ख होंठ से चिपक गए थे.. और पिघलने लगे थे दोनों एक दूसरे के अंदर...
 ठाकुर साहब ने खींचकर मेरी रूपाली दीदी को अपनी गोद में बिठा लिया ठीक अपने खड़े लंड के ऊपर .. उन्होंने अपनी दोनों टांगे फैलाकर मेरी बहन को अपनी गोद में बैठने की जगह दी.. मेरी दीदी की दोनों बाहें ठाकुर साहब के गले में  थी... मेरी दीदी को कोई होश नहीं था...
 ठाकुर साहब मेरी बहन को बुरी तरह चूसने लगे.. मेरी बहन के होठों को अपने होंठों के बीच लेकर... मेरी दीदी भी उनका भरपूर साथ दे रही थी.
 उन दोनों के होंठ आपस में जंगली तरीके से युद्ध कर रहे थे.. मेरी  बहन के होंठों को चूमते हुए ठाकुर साहब ने एक हाथ से उनकी एक  चूची को दबाना जारी रखा... ठाकुर साहब के प्रहार से मेरी दीदी  तड़पने लगी थी.. मचलने लगी थी.. कामवासना की अग्नि भड़क  गई थी मेरी बहन के अंदर.. ठाकुर साहब मेरी बहन की आग को हवा दे रहे थे..
 ठाकुर साहब ने मेरी रूपाली दीदी की  चूची के ऊपर से अपना हाथ हटा लिया और उनके पेट पर  रख कर सहलाने लगे.. उन्होंने मेरी बहन की नाभि के अंदर अपनी एक उंगली घु ठाकुर साहब ने मेरी रूपाली दीदी के होठों को अपने होठों की कैद से आजाद कर दिया और उनकी गर्दन को चूमने लगे.. साथ ही साथ नाभि के अंदर उंगली से  हमला बोल दिया था उन्होंने..
 ठाकुर साहब ने मेरे रुपाली दीदी को गाड़ी की सीट के ऊपर पटक दिया और उनके ऊपर सवार हो गए.. वह मेरी बहन को फिर से चूमने लगे.. चूमते चूमते हुए वह नीचे आने  लगे.. ठाकुर साहब मेरी बहन की नाभि को चूमना चाहते थे परंतु गाड़ी में जगह कम होने के कारण और उनका बलिष्ठ शरीर होने के कारण वह ऐसा नहीं कर पा रहे थे..
  ठाकुर साहब मेरी बहन के ऊपर से नीचे उतर गय.. गाड़ी की सीट के नीचे बैठकर वह मेरी बहन की नाभि के अंदर अपनी जीभ डाल कर गोल गोल घुमाने लगे.. बड़ा ही अजीबोगरीब दृश्य था.. ठाकुर साहब मेरी बहन की नाभि देखकर पागल हो चुके थे पहले से ही..
 पेटिकोट और ब्लाउज में रूपाली दीदी बेहद कामुक दिख रही थी.. उनकी नाभि के अंदर ठाकुर साहब अपनी जीभ से घमासान युद्ध कर रहे थे..  
 मेरी रूपाली दीदी के उठे हुए सुडौल स्तनों को देखकर ठाकुर साहब से बर्दाश्त नहीं हो रहा था... एक बार फिर वह मेरी रुपाली दीदी के ऊपर सवार हो गय.. उन्होंने अपनी दोनों मजबूत हाथों में मेरी बहन की दोनों चूचियां दबोच ... मसलने लगे ठाकुर साहब... चोली के ऊपर से.. ठाकुर साहब मेरी रुपाली दीदी की चूचियां बड़ी बेरहमी से मसल रहे थे.. दबा रहे  थे.. मेरी बहन की सिसकारियां निकलने लगी.. दबाने के साथ-साथ ठाकुर साहब अब मेरी बहन की चोली के बटन खोलने लगे थे बड़ी तेजी से. कुछ ही देर में मेरी बहन की चोली खुल चुकी थी.. ठाकुर साहब ने मेरी दीदी के  कांधे पर से चोली के दोनों भागों को अलग किया फिर उन्होंने मेरी बहन के क्लीवेज  पर चुंबन की बरसात कर दी..
 मेरी रूपाली दीदी: अहाहहह्हह्ह्ह्ह... ठाकुर साहब... यह ठीक नहीं है.. मैं किसी और की अमानत हूं..
 ठाकुर साहब तो हवस की आग में पागल हो चुके थे.. उन्होंने एक हाथ से मेरी दीदी की साड़ी और उनका पेटीकोट उनके घुटने के ऊपर तक उठा दिया और अपना हाथ अंदर डाल कर मेरी बहन की पेंटी को छूने लगे.. हाथ लगाते ही ठाकुर साहब को तो जैसे झटका लगा.. मेरी बहन तो  पहले से ही गर्म और गीली हो चुकी थी..

 ठाकुर साहब मेरी रूपाली दीदी की ब्रा खोलने वाले थे कि  गाड़ी के शीशे पर  किसी ने बहुत तेजी से .. नॉक नॉक.. किया..
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#27
Badhiya awesome update bhai
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#28
Mast... please update more
[+] 1 user Likes Suryahot123's post
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#29
ठाकुर साहब ने आवाज तो सुनी पर  उन्होंने कोई परवाह किए बिना मेरी दीदी के  दोनों पर्वतों के ऊपरी हिस्से को चूमना जारी रखा.. ठाकुर साहब जानते थे कि शायद वह मेरी रूपाली दीदी को दोबारा ऐसी हालत में नहीं ला पाएंगे.. इसलिए इस मौके का जितना हो सके उतना लाभ उठाना चाहते थे.. ऐसा लग रहा था कि मेरी रूपाली दीदी तो जैसे नशे में हो.. मेरी बहन के क्लीवेज लाइन पर वह अपने जीव को  फिरआ ही रहे थे कि दरवाजे पर एक बार फिर नॉक ..नॉक.. तेज आवाज में हुई.. मेरी बहन को होश आया.. उन्होंने ठाकुर साहब को धक्का देकर अपने आप से अलग कर किया.. मेरी दीदी उठ कर बैठ गई.. अपनी ब्रा ठीक करने के बाद वह अपनी चोली पहनने लगी.. ठाकुर साहब ने एक बार फिर से मेरी बहन को दबोचने की कोशिश की... लेकिन दीदी ने उन को धक्का देकर अपने आप से अलग कर लिया... और अपने आप को संयमित करने की कोशिश  करने लगी.
 चोली पहनने के बाद मेरी बहन  मन ही मन खुद को कोसने  लगी ..... रूपाली... यह क्या करने जा रही थी तुम?  इतना बड़ा पाप? ..
 ठाकुर साहब के खड़े लंड पर धोखा हो चुका था.. उनका खड़ा लंड मुरझा के झुक गया था और मेरी रूपाली दीदी की आंखों के सामने लहरा  रहा था.. वह मेरी बहन को निराश होकर देख रहे थे.
 इस घटिया माहौल में मेरी रूपाली दीदी  बेहद शर्मिंदा महसूस कर रही थी.. उन्हें खुद से ही  शर्म आ रही थी..

 ठाकुर साहब ने अपनी पैंट पहन ली और फिर अपनी शर्ट पहनने लगे.. उनके चेहरे पर बेहद निराशा के भाव थे जाहिर है अचानक माहौल जो बदल गया था. भारी मन से उन्होंने कार का दरवाजा  खोला और बाहर निकल गए... सिमटी हुई शर्माई सी मेरी रुपाली  दीदी कार के अंदर ही बैठी रही.
 गाड़ी के बाहर ठाकुर साहब का नौकर रोहन(  जिसकी उम्र भी तकरीबन मेरी उम्र के बराबर है यानी 19 साल थी), कार मैकेनिक के साथ उनका इंतजार कर रहा था.. देखते ही रोहन तो समझ गया था कि ठाकुर साहब मेरे रुपाली दीदी के साथ गाड़ी के अंदर क्या कर रहे थे.. पर उसकी हिम्मत नहीं थी कि वह ठाकुर साहब का कुछ बोल सके..
 मैकेनिक ने गाड़ी का परीक्षण किया.. उसने देखा कि गाड़ी के 2 टायर पंचर है.. दोनों टायर चेंज करना अभी संभव नहीं था इसीलिए ठाकुर साहब मेरी रूपाली दीदी को अपनी  दूसरी गाड़ी में ,जिसे रोहन लेकर आया था.. हमारे घर की तरफ चल पड़े.. रोहन वहीं पर रुक गया दूसरी गाड़ी के साथ है जिसका रिपेयर होना बाकी था..
 मेरी रूपाली दीदी ने अपना चेहरा अच्छी तरह से ढक लिया था ताकि उन्हें कोई पहचान ना सके.. पर  रोहन ने तो उन को अच्छी तरह पहचान लिया था.. रोहन मेरे स्कूल में पढ़ता है मेरी क्लास में..
 पूरे रास्ते ठाकुर साहब और मेरी रूपाली दीदी के बीच में कोई बातचीत नहीं हुई.. या यूं कहें कि मेरी बहन ने ठाकुर साहब को बातचीत करने का कोई मौका नहीं दिया. तकरीबन 20 मिनट में दोनों घर पहुंच गया.. ठाकुर साहब को बिना कुछ बोले हुए ही मेरी रूपाली दीदी हमारे अपार्टमेंट की तरफ भागने  लगी.. दौड़ते हुए मेरी रूपाली दीदी की गांड साड़ी के अंदर हिल रही थी, जिसे देखकर ठाकुर साहब के अरमान मचल रहे थे.. मेरी बहन की हिलती हुई गांड देखकर ठाकुर साहब अपनी आंखें  गर्म करते रहे तब तक जब तक कि मेरी दीदी उनकी आंखों से ओझल नहीं हो गई.
 हमारे घर आने के बाद मेरी रूपाली दीदी ने सबसे पहले अपनी छोटी बेटी   
 को अपना दूध पिलाया.. फिर वह मेरे पास आई.. सोनिया मेरे पास ही सो चुकी थी.. मेरी रुपाली दीदी मुझे देख कर  मुस्कुराई और नहाने चली गई.
 नहाने के बाद मेरी दीदी  जीजू के पास गई..
 मेरे जीजू:  तुम ठीक तो हो ना रूपाली..
 रूपाली दीदी:  हां मैं ठीक हूं.
 मेरे  जीजू:  अच्छा हुआ ठाकुर साहब तुम्हारे साथ में थे.
 मेरी दीदी :   हां..
 मेरी रूपाली दीदी जीजू के सीने से लिपट गई और उनको  चूमने लगी.. पर मेरी जीजू तो कुछ भी नहीं कर रहे थे वह चुपचाप लेटे हुए थे. मेरी बहन उनके ऊपर सवार हो गई और उन्होंने अपनी दोनों बड़ी बड़ी छातियों का भार  जीजू के मुंह के ऊपर रख दिया..
 मेरी दीदी अपनी छातियों को उनके मुंह पर घिसने लगी. मेरी बहन चाहती थी   मेरा जीजू उनकी दुधारू बड़ी बड़ी छातियों को अपने मुंह में लेकर चूस  डालें.. दूध के टैंकरों को चूसना तो दूर मेरे जीजा जी ने तो एक चुम्मा भी नहीं लिया... मेरी बहन को बुरा लगा... एक बार फिर वह मेरे जीजू के होठों को चूमने लगी हो..पर मेरे निकम्मे जीजू की तरफ से कोई प्रतिक्रिया ना  देखकर मेरी रुपाली दीदी निराश हो गई.. वह  मन ही मन मेरे जीजू की तुलना ठाकुर साहब से करने लगी थी.. फिर उन्हें अपने आप पर ही  घृणा महसूस हुई... रूपाली.... यह तेरा पति है और वह एक  गुंडा... तू ऐसा सोच भी कैसे सकती है..
 वह मेरी जीजू के ऊपर से हट गई..
  मेरी रूपाली दीदी:  गुड नाइट.
 मेरे जीजू:  गुड नाइट रूपाली..
 जाने के पहले मेरी रूपाली  दीदी ने मेरे जीजू के पैंट के ऊपर से ही उनके  बर्बाद हो चुके लंड पर हाथ रखकर टटोलने की कोशिश की.. पर हाय रे मेरी रूपाली दीदी की किस्मत.. वहां पर मर्दानगी के नाम पर एक मरा हुआ चूहा था जो खड़ा होने में बिल्कुल असमर्थ था..
 मेरे जीजू:  क्या हुआ रूपाली?  सोना नहीं है क्या..
 मेरी दीदी: जी ठीक है..
 मेरी रूपाली दीदी कमरे से बाहर निकल अपनी किस्मत पर रो  पड़ी.. उन्हें अच्छी तरह समझ आ गया था कि अब मेरे जीजू अब  उनकी चूत को चोदने की ताकत खो चुके.. फिर मेरी दीदी सोचने लगी.... तो क्या हुआ मैं परेशान क्यों हो रही हूं.. आखिर वह मेरे पति है. अभी मेरा ध्यान तो मेरे बच्चे मेरा भाई और मेरे पति के इलाज पर होना चाहिए .. अगर मेरे पति का अच्छे से इलाज हो गया तो मैं अपनी पुरानी जिंदगी वापस पा सकूंगी ...
 दिनभर की घटनाओं से परेशान  और थकी हुई होने के कारण मेरी रूपाली दीदी अपने बिस्तर पर आकर अपने दोनों बच्चों के बीच में लेट गई.. उनके मन में बेहद संकाय थी.. अपने भविष्य के बारे में..
 उनको जल्दी ही नींद आ गई..
 अगले दिन सोनिया को स्कूल छोड़ने के बाद जब मेरी रुपाली दीदी वापस लौट रही थी तो रास्ते में एक बार फिर ठाकुर साहब खड़े थे..
 ठाकुर साहब:  नमस्ते रूपाली.. कैसी हो.
 मेरी रूपाली दीदी ने उनको नजरअंदाज करने की कोशिश की.
 ठाकुर साहब:  कल के लिए माफी चाहता हूं रुपाली जी.. टायर पंचर हो गया था. आप को घर लौटने में बड़ी परेशानी हुई.
 मेरे रूपाली दीदी:  कोई बात नहीं..
 ठाकुर साहब:  क्या आप नाराज हो मुझसे?
 मेरी रूपाली दीदी:  जी नहीं.. ऐसी कोई बात नहीं है.. बहुत काम है.
 मेरी रूपाली दीदी ठाकुर साहब को नजरअंदाज करते हुए तेजी से वहां से निकल गई उनको वहीं छोड़कर.
 ठाकुर साहब( मन ही मन):  यह साली तो हाथ ही नहीं आती.. क्या करूं?
 मेरी रूपाली दीदी जब वापस हमारे अपार्टमेंट के पास आई तो उन्होंने देखा कि घर का मकान मालिक खड़ा है.. मेरी बहन के प्राण सूख गए..
 मकान मालिक:  नमस्ते रुपाली जी.. कैसी हो आप..
  मेरी दीदी:  नमस्ते गुप्ता जी.. मैं ठीक हूं.
 ठरकी गुप्ता मेरी बहन की छातियों को घूरता हुआ बोला:  और आपके पति कैसे हैं..
 मेरी दीदी :  जी वह भी ठीक है.. उनकी हालत वैसी ही है..
 मकान मालिक:  क्या करूं रुपाली जी.. आप लोगों की हालत देखकर मुझे बड़ी दया आती है.. कुछ कहते हुए भी बुरा लगता है.. पर पिछले 3 महीनों से आप लोगों ने किराया नहीं दिया है घर का...
 उसकी आंखों में मेरी रूपाली दीदी के लिए सिर्फ हवस थी.. उसका लंड उसकी लूंगी मैं खड़ा होने लगा था..
 मेरी रूपाली दीदी:  प्लीज गुप्ता जी अंदर आइए ना.
 गुप्ता जी:  ठीक है रुपाली जी..
 गुप्ता जी घर के अंदर आ गय..
 मेरी रूपाली दीदी:  प्लीज गुप्ता जी मुझे थोड़ा समय दीजिए.. मैं कोशिश कर रही हूं.. जल्दी ही कुछ इंतजाम कर लूंगी.
 गुप्ता जी:  वह सब तो ठीक है रुपाली जी.. पर मेरे पास दो कस्टमर पहले से ही लाइन लगाकर खड़े हैं.. मैं अपना इतना नुकसान नहीं कर सकता.. वैसे अगर आप चाहो तो बस एक रात के लिए मेरे साथ...
 गुप्ता जी की आंखों में हवस और उनकी बातें सुनकर मेरी रुपाली दीदी अच्छी तरह समझ गई वह क्या चाहते हैं....
 मेरी रूपाली दीदी:  प्लीज गुप्ता जी... ऐसा मत कीजिए हमारे साथ..
 गुप्ता जी नाराज होकर:  ठीक है रुपाली जी.. आप लोग अपना पैकिंग कर लीजिए.. मैं 2 दिन के बाद फिर आऊंगा.. गुप्ता गुस्से में वहां से निकल गया... मेरे रुपाली दीदी रोने लगी..
 मेरी रूपाली दीदी ने मेरे जीजू  से इस बारे में बातचीत की.. उन्होंने गुप्ता जी के ऑफर के बारे में तो नहीं बताया.. बस घर खाली करने के बारे में बता दी..
 मेरे जीजू:  रूपाली.. अब हम क्या करेंगे ..कहां जाएंगे ऐसी हालत में.
 मेरी रूपाली दीदी:  मुझसे मत पूछो .. मैं क्या बताऊं मेरा तो पहले से ही दिमाग काम नहीं कर रहा है...
 मेरी रूपाली दीदी ने मन ही मन सोच लिया था  कोई रास्ता नहीं बचा हुआ है.. मुझे गुप्ता जी का बिस्तर गर्म करना ही पड़ेगा.. मेरी बहन गुप्ता जी के साथ संभोग करने के लिए अपना मन बना चुकी थी.. पर उनका मन किसी न किसी कोने में उन्हें  ऐसा करने से मना कर रहा था.
 अचानक हमारे घर के दरवाजे की घंटी बजी.. मैंने दरवाजा खोला.. सामने ठाकुर रणवीर सिंह खड़े थे.. उनको देखकर मैं घबरा गया.
 ठाकुर साहब:  सैंडी.. क्या तुम्हारी रूपाली दीदी घर में है.. मुझे तुम्हारी दीदी से कुछ बात करनी है.
 मैं:  जी ठाकुर साहब.. मैं अभी उनको बुलाता हूं.
 मैं रूपाली दीदी के पास गया और उनको बताया कि ठाकुर साहब उनसे मिलने के लिए आए हैं.
 मेरी दीदी ने मुझसे कहा कि तुम अपने कमरे में जाओ..
 मैं: ठीक है दीदी...
 मेरी दीदी दरवाजे के पास गई जहां पर ठाकुर साहब खड़े थे..ठाकुर साहब मुस्कुराए..
 ठाकुर साहब:  रुपाली जी...  क्या मैं अंदर आ सकता हूं..
 मेरी रूपाली दीदी:  जी ठाकुर साहब.. कुछ काम था आपको..
  ठाकुर साहब:  रुपाली आपके पति से मिलना है मुझे..
 ठाकुर साहब मेरी बहन को हवस भरे निगाह से घूरते हुए  हमारे घर के अंदर आ गय.. मेरी रूपाली दीदी  ने उनको जीजू के कमरे का रास्ता  दिखाया और खुद किचन के अंदर काम करने चली गई.
 ठाकुर साहब मेरे जीजू के पास गए..
 जीजू:  नमस्ते ठाकुर साहब.
 ठाकुर साहब:  कैसे हो अनूप.. सब ठीक है ना..
 जीजू:  जी मैं ठीक हूं ठाकुर साहब... उस दिन आपने रुपाली की मदद की थी रास्ते में.. बड़ा एहसान है आपका मेरे ऊपर..
 ठाकुर साहब:  ऐसा कुछ भी नहीं है.. अनूप..
 मुझे गुप्ता जी नीचे मिले थे वह बता रहे थे कि घर का किराया  बचा हुआ है..
 मेरे जीजू तो बिल्कुल चुप हो गए ठाकुर साहब की बात सुनकर.. 
ठाकुर साहब:  सुनो  अनूप मेरी बात ध्यान से.. गुप्ता अच्छा आदमी नहीं है.. उसकी नीयत ठीक नहीं है तुम्हारी पत्नी के लिए... घर के किराए के बदले वह तुम्हारी रूपाली को अपने बिस्तर पर... तुम क्या चाहते हो कि तुम्हारी पत्नी घर के किराए के लिए..
 मेरे जीजू:  ठाकुर साहब... मैं अपाहिज हो चुका हूं.. (रोने लगे)..
 ठाकुर साहब:  अनूप.. रोना बंद करो और मर्द बनो... अपनी बीवी को किसी ऐरे गैरे मर्द के हाथों का खिलौना मत बनने दो..
 मेरे जीजू:  ठाकुर साहब मैं क्या करूं आप ही मुझे कुछ रास्ता बताइए.
 ठाकुर साहब:  तुम लोग तो अच्छे लोग हो... तुम चाहो तो मैं तुम्हारी एक मदद कर सकता हूं.. बस इंसानियत के नाते.
 मेरे जीजू :  वह क्या ठाकुर साहब..
 ठाकुर साहब:  मैं एक 2BHK में रहता हूं.. अकेला रहता हूं.. अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हारे परिवार को कुछ दिनों के लिए अपने घर में सहारा दे सकता हूं..
 मेरे जीजू:  यह आप क्या कर रहे हो ठाकुर साहब.. हम आपके ऊपर इतनी बड़ी मुसीबत नहीं बनना चाहते हैं..
 ठाकुर साहब:  देखो  अनूप.. मैं भी अकेला रहता हूं.. घर में कोई नहीं है बस एक नौकरानी है खाना बनाने के लिए... तुम लोग साथ रहोगे तो बच्चे भी साथ रहेंगे और बच्चों के साथ मेरा भी मन लगेगा.. साथ ही साथ मुझे रूपाली के हाथों का खाना खाने के लिए भी मिलेगा..
 मेरे जीजू:  फिर भी ठाकुर साहब यह कैसे होगा.
 ठाकुर साहब:  तुम रूपाली से बात करके देखो एक बार..
 मेरे जीजू ने रुपाली दीदी को आवाज दी.. मेरी बहन तो दरवाजे पर खड़ी हो सब कुछ सुन रही थी.. वह अंदर आ गई..
 मेरे जीजू ने पूरी कहानी समझाई मेरी बहन को.
 मेरी रूपाली दीदी:  यह आप क्या कह रहे हैं.. ऐसा कैसे हो सकता है.. हम नहीं जा सकते हैं इनके साथ..
 मेरे जीजू:  अब क्या चारा है हमारे पास. मैं तो ठाकुर साहब को मना कर ही रहा हूं.. पर वह बार-बार अपने साथ आने के लिए हमें कह रहे हैं..
 मेरी  रूपाली दीदी अच्छी तरह जानती थी कि क्यों ठाकुर साहब हमारे परिवार को  अपने घर में रखना चाहते हैं ताकि वह उनके पास रह सके..
 मेरी बहन:  नहीं अनूप ...ऐसा नहीं हो सकता.. हम ठाकुर साहब के ऊपर बोझ नहीं बनना चाहते हैं.. धन्यवाद ठाकुर साहब.. पर हम लोग ऐसा नहीं कर सकते है..
 ठाकुर साहब:  फिर से सोच लो रूपाली... कहां जाओगी तुम लोग..
 मेरे जीजू:  हां रूपाली.. कहां जाएंगे हम लोग.. वह गुप्ता भी अच्छा आदमी नहीं है.. उसकी नियत ठीक नहीं है तुम्हारे लिए..
 मेरी रूपाली  दीदी:  ठाकुर साहब हम लोग अपने लिए कुछ ना कुछ इंतजाम कर लेंगे.. आप चिंता मत कीजिए हमारे लिए...
 ठाकुर साहब:  ठीक है रुपाली मैं चलता हूं..
 मेरे जीजू:  माफ कर दीजिए ठाकुर साहब.
 ठाकुर साहब:  अरे माफी की कोई बात नहीं है.. अनूप.. जब तुम्हारी पत्नी ने मना कर दिया तो फिर कुछ नहीं हो सकता है.. मैं चलता हूं.
 ठाकुर साहब निकल गए वहां से...
 अगले 2 दिन किसी प्रकार बीत गय... बड़ी मुश्किल से..
 तीसरे दिन गुप्ता जी घर पर आ धमके.. और हमें घर से बाहर निकालने की धमकी देने लगे.. उनको लग रहा था कि धमकी देने से मेरी रूपाली दीदी उनके  नीचे  आ जाएगी बड़ी आसानी से...
 मेरे जीजू: रूपाली?  अब क्या?  तुम्हारी जिद की वजह से ठाकुर साहब नाराज हो गए... अब हम इस घर को खाली करके कहां जाएंगे.
 मेरी रूपाली दीदी:  तो तुम क्या चाहते हो कि हम लोग उस गुंडे के घर में जाकर रहें..
 मेरे जीजू:  गुंडा नहीं है वह... यहां का एमएलए बनने वाला है... रूपाली.. अब हम क्या करेंगे..
 मेरी रूपाली दीदी:  तो मैं क्या करूं?
 मेरे जीजू:  तुम्हारे पास कोई और जगह जाने के लिए?  बोलो?
 मेरी दीदी:  नहीं.
 मेरे जीजू:  ठीक है.. ठाकुर साहब से बात करता हूं.
 मेरे रूपाली दीदी:  तुमको जो करना है करो.. मैं बात नहीं करने वाली उनसे.. चाहे कुछ भी हो जाए..
 मेरी जीजू  ठाकुर साहब को  कॉल करके उनसे बात करने लगे..
 मेरी रूपाली दीदी अच्छी तरह जानती थी कि उनके पास कोई चारा नहीं है... आज या तो ठाकुर साहब के घर पर जाना होगा या फिर इस गुप्ता का बिस्तर गर्म करना होगा.
 मेरी रूपाली दीदी को लगा ठाकुर साहब के घर पर जाना ही आसान रास्ता है.
 जब  ठाकुर साहब ने मेरे जीजू से बात की फोन पर, तो उन्हें बड़ी खुशी हुई... उन्होंने अपने नौकर रोहन को बुलाया और हमारे परिवार को उनके घर में शिफ्ट करने की हिदायत दी..
 रोहन ने सारा काम बहुत तेजी से कर  दीया... घर शिफ्ट करने में कोई तकलीफ नहीं हुई.. रोहन के कारण.. सब  कुछ  बड़ी आसानी के साथ हो गया था..  30 जून को हमारा पूरा परिवार ठाकुर साहब के घर में शिफ्ट हो चुका था.. सब कुछ रोहन  कर रहा था.. हमारे घर में कुछ खास ज्यादा फर्नीचर भी नहीं था.. इसीलिए कुछ ज्यादा तकलीफ भी नहीं हुई.
 ठाकुर साहब के घर में एक नौकरानी थी... कंचन.. 27 बरस  की.. रोहन की बहन.. कंचन का पति उसकी शादी के 1 महीने के बाद ही मर गया था... वाह ठाकुर साहब के घर का नौकर था.. कंचन के पति के मरने के बाद ठाकुर साहब ने कंचन को अपने घर में नौकरानी रखा हुआ था और उसके भाई रोहन को अपने घर में नौकर...
 रोहन उस टू बीएचके फ्लैट के हॉल में सोता था... और उसकी बहन कंचन ठाकुर साहब के साथ बेडरूम में..
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#30
Superb awesome update bhai....bhai rupali ki chudai full hardcore gaali galoch wali karwaiye ga...maza aaega
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#31
Super.... please update more

.
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#32
Mast update... Mza aega story mai
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#33
ठाकुर साहब बेहद खुश दिख रहे थे.. मेरी रूपाली दीदी को पाने का उनको अपने बिस्तर की रानी बनाने का उनका सपना जो पूरा हो रहा था... इस दौरान मेरी रूपाली दीदी ने ठाकुर साहब की तरह ना तो एक बार भी देखा ना ही उनसे बातचीत करने की कोई भी कोशिश की.. कंचन ने लंच तैयार कर दिया था.. हम सब ने मिलकर दोपहर को लंच किया.. मेरे जीजा जी को एक टेंपरेरी बेड पर सुला दिया गया था.. पूरे घर में सोनिया के दौड़ने चीखने और चिल्लाने की आवाज सुनाई दे रही थी.. मेरी दीदी की छोटी बेटी नूपुर वह भी नए घर में आकर सुकून से अपनी मम्मी की गोद में सो रही थी.. ठाकुर साहब की निगाहें मेरी रूपाली दीदी के बदन पर ही चिपक गई थी..  कंचन ठाकुर साहब की रखैल थी.. इस बात का एहसास हम सबको हो चुका था.. कंचन मेरी बहन को देखकर कुछ ज्यादा खुश तो नहीं थी पर उसने अपनी नाखुशी जाहिर नहीं की..
 रात में मेरी रूपाली दीदी और कंचन ने साथ मिलकर डिनर तैयार किया.. हम सब ने एक साथ डिनर किया.. अब सोने की बारी थी...
 ठाकुर साहब के घर में दो बेडरूम थे. 1 बैडरूम छोटा था जिसमें 6 बाई 4 का एक दीवान रखा हुआ था... मेरे जीजाजी को उसी दीवान पर सुला दिया गया..
 ठाकुर साहब:  अनूप तुम यहां पर ठीक हो ना..
 मेरे जीजू:  हां ठाकुर साहब.. मैं ठीक हूं.. इतना तो कोई अपने सगे परिवार के लिए भी नहीं करता है जो आपने हमारे लिए किया है..
 ठाकुर साहब:  अरे ऐसी कोई बात नहीं है..
 मेरी रूपाली दीदी:  मैं यहीं पर नीचे सो जाती हूं सोनिया के साथ..
 ठाकुर साहब:  तो फिर नूपुर कहां पर सोएगी.. ऐसा करो तुम मेरे बेडरूम में  सो जाओ.. अपने दोनों बच्चों के साथ.
 मेरे जीजू:  हां रूपाली तुम ठाकुर साहब के बेडरूम में सो जाओ..
 मेरी रूपाली दीदी दोनों मर्दों की बातें सुनकर हैरान रह गई.. 
 ठाकुर साहब:  हां रूपाली तुम अपने बच्चों के साथ और अपने भाई के साथ मेरे बेडरूम में सो जाओ.. मैं रोहन के साथ हॉल में सोफे पर सो जाऊंगा.. कंचन किचन में सो जाएगी..
 मेरे जीजू:  नहीं-नहीं ठाकुर साहब.. आप कैसी बात कर रहे हो.. अपने ही घर में क्या आप अपने नौकर के साथ सोएंगे?... रूपाली का भाई रोहन के साथ हॉल में सो जाएगा..आप रूपाली के साथ अपने बेडरूम में सो जाइए... क्यों ठीक है ना रूपाली?
 मेरी रूपाली दीदी हैरान परेशान थी मेरे जीजू की बात सुनकर.. मेरा जीजा मेरी बहन को एक गुंडे के साथ उसके बेडरूम में उसके बिस्तर पर सोने के लिए कह रहा था..
 मेरी रूपाली दीदी:  अनूप तुम क्या बोल रहे हो तुम को कुछ पता भी है क्या...
 मेरे जीजू:   क्या हुआ रूपाली?
 ठाकुर साहब:  अनूप ठीक  कह रहा है रुपाली.. तुम मेरे बिस्तर पर आ जाओ.. सोनिया और नूपुर के साथ.. मेरा बेड तो बहुत बड़ा है..
 मेरे जीजू:  हां रूपाली.. ठाकुर साहब ठीक कह रहे हैं.. तुम सोनिया को बीच में सुला देना.. नूपुर तो पालने में सो जाएगी... वैसे भी ठाकुर साहब का बिस्तर बहुत बड़ा है..
 मेरी रूपाली दीदी:  अनूप तुम क्या बोल रहे हो तुम को कुछ पता नहीं है.
 मेरे जीजू:  तो क्या ठाकुर साहब अपने नौकर के साथ हॉल में सोएंगे सोफे पर?
 ठाकुर साहब:  अरे कोई बात नहीं मैं  नीचे सो जाऊंगा..
 मेरी रूपाली दीदी:  ठीक है ठाकुर साहब... सोनिया बीच में सो  जाएगी..
 सब कुछ  तय हो चुका था.. ठाकुर साहब बहुत खुश लग रहे थे.. मैं और रोहन बाहर हॉल में सोफे पर सो गए..
 रोहन की बहन कंचन भी  किचन में नीचे जमीन पर सो गई.. मेरे जीजू ने मेरी बहन को ठाकुर साहब के बेडरूम में अपने बच्चों के साथ भेज दिया था.. मेरी रूपाली दीदी बिस्तर के एक कोने में दीवार की तरफ लेटी हुई थी , बीच में सोनिया, और ठाकुर साहब बिस्तर के दूसरे कोने पर लेटे हुए थे.. उनकी आंखों में नींद नहीं थी.. रात के तकरीबन 2:00 बज चुके थे..
 अचानक ठाकुर साहब के बेडरूम का दरवाजा खुला.. ठाकुर साहब अपने बेडरूम से बाहर आया और किचन में घुस गय.. कंचन वहीं पर नीचे जमीन पर लेटी हुई थी.. ठाकुर साहब ने व्हिस्की का 1 का एक बड़ा   पेग बनाया और पी गए... एक के बाद एक करके उन्होंने तीन चार पैग पी लिय.. और फिर अपने बेडरूम में वापस लौट गए ..अंदर से दरवाजा बंद कर लिया उन्होंने..
 ठाकुर साहब ने सोनिया को उठाकर अपनी जगह पर सुला दिया.. और खुद बीच में आ गए.. मेरी रूपाली दीदी के पास... उन्होंने अपना हाथ मेरी रुपाली दीदी के नंगे पेट पर रख दिया और सहलाने लगे... चांदनी रात में मेरी रुपाली दीदी बेहद खूबसूरत लग रही थी..
रुपाली दीदी गहरी नींद में थी... ठाकुर साहब मेरी बहन के पीठ को उनकी चोली के ऊपर से चूमने लगे पीछे से... उनका हाथ मेरी बहन के नंगे पेट और नाभि को  मसल रहा था.. मेरी रूपाली दीदी नींद से जाग गई..
 मेरे रूपाली दीदी:  ठाकुर साहब... यह आप क्या कर रहे हैं.. प्लीज मुझे छोड़ दीजिए...
 ठाकुर साहब:  प्लीज रूपाली.. मैं तुमसे बेहद  प्यार करने लगा हूं.. तुम तो अच्छी तरह जानती ही हो ना रूपाली...
 मेरी रूपाली दीदी:  ऐसा मत कीजिए ठाकुर साहब..
 ठाकुर साहब:  सोनिया जाग जाएगी ..धीरे बोलो रूपाली..
 मेरी रूपाली दीदी:  प्लीज ठाकुर साहब... यह गलत कर रहे हैं आप..
 ठाकुर साहब:  रूपाली.. मैंने तुम्हारे लिए इतना कुछ किया... क्या तुम मेरे लिए इतना भी नहीं कर सकती हो..
 मेरी रुपाली  दीदी:  ठाकुर साहब... आप जो चाहते हो मैं वह आपके लिए कर सकती हो... परंतु यह नहीं..
 ठाकुर साहब:  मुझे तो बस यही चाहिए रूपाली..
 ठाकुर साहब मेरी बहन के पेट को  अपने हाथ से मसलते रहे और उनकी गांड पर अपना लंड दबाते रहे...
 मेरी रूपाली दीदी:  ठाकुर साहब प्लीज मुझे छोड़ दीजिए... मैंने आपका क्या बिगाड़ा है.. जो आप मेरे साथ ऐसा कर रहे हैं.
 नाराज होकर मेरी रुपाली दीदी उठ कर बैठ गई.. ठाकुर साहब ने मेरी बहन का हाथ पकड़कर अपनी तरफ खींच लिया..
 ठाकुर साहब:  प्लीज रुपाली मेरा साथ दे दो.. बस एक बार.. तुम्हें जब से देखा है मुझे नींद नहीं आती है..
  मेरी रूपाली दीदी:   मेरी बेटियां यहीं पर सो रही है.. मेरा पति दूसरे कमरे में सो रहा है... मेरा भाई आपके नौकर के साथ हॉल में सो रहा है..
 ठाकुर साहब: 
:  मैंने दरवाजा अच्छी तरह लॉक कर दिया  है... वैसे भी तुम्हारा पति उठने की हालत में नहीं है...
 दोनों बहुत धीरे-धीरे बात कर रहे थे.. ठाकुर साहब ने कंबल खींच लिया  मेरी रूपाली दीदी और अपने ऊपर... वह मेरी बहन की गर्दन को चूमने लगे और अपने एक हाथ से एक उंगली मेरी बहन की नाभि में अंदर बाहर करने लगे.. मेरी बहन तड़पने लगी...
 मेरी रूपाली दीदी:  प्लीज ठाकुर साहब... यह मत कीजिए मेरे साथ.. आप जो कुछ भी कहोगे करुंगी मैं आपके लिए.. पर यह नही.. मैं एक अच्छे घर से  हूं... शादीशुदा हूं..
  ठाकुर साहब:  तभी तो तुमको अपने घर लाया हूं रूपाली...
 मैं हमेशा तुम्हारा ख्याल रखूंगा.
 मेरी रूपाली दीदी:  यह पाप है ठाकुर साहब..
 ठाकुर साहब:  रूपाली... यह पाप नहीं है.. प्यार है..
 ठाकुर साहब ने कंबल नीचे फेंक दिया... उन्होंने अपने एक हाथ से मेरी बहन की मुलायम  चूची को पकड़ के जोर से दबा दिया... मेरी रूपाली दीदी की तो सिसकारी निकल गई..
 ठाकुर साहब मेरी रुपाली दीदी के ऊपर सवार हो गय.. उन्होंने मेरी बहन की दोनों चूचियों को पकड़ कर अपने दोनों हाथों से जोर जोर से मसलना शुरू कर दिया और मेरी बहन की आंखों में देखने लगे..
 ठाकुर साहब:  तुम्हें क्या लगता है मैं तुमको अपने बिस्तर पर क्यों लाया.. रूपाली..
 मेरी रूपाली दीदी:  यह पाप मुझे मत करवाइए ठाकुर साहब...
 ठाकुर  साहब:  पाप नहीं रानी.. यह तो प्यार है..
 ठाकुर साहब मेरी रुपाली दीदी के गुलाबी रसीले होंठों को चूमने लगे बड़े प्यार से धीरे-धीरे हल्के हल्के.. मेरी बहन भी उनका साथ दे रही थी चुंबन.. थोड़ी देर में फ्रेंच किस में बदल गया था मेरी बहन और ठाकुर साहब का चुंबन.. दोनों के जीव आपस में टकराने लगी थी.. दोनों एक दूसरे को बुरी तरह चाटने लग रहे थे.. एक दूसरे के होंठों को.. एक दूसरे की जीभ को..
 मेरी रूपाली दीदी की आंखें बंद थी.. चोली के ऊपर से ही ठाकुर साहब मेरी बहन की दोनों चुचियों को बुरी तरह मसल रहे  थे. मेरी रूपाली दीदी की दोनों बेटियां अगल-बगल में सोई हुई थी.. दोनों प्रेमी युगल आपस में प्रेम कर रहे थे.. मेरी रूपाली दीदी जानती थी कि यह गलत हो रहा है.. कमरे का एसी ऑन था.. गहरा अंधेरा था.. मेरी रूपाली दीदी और ठाकुर साहब का चुंबन अब जंगली हो चुका था.. ठाकुर साहब तो पागल हो चुके थे मेरी बहन को  ठोकने के लिए..
  मेरी रूपाली दीदी अपने होशो हवास में थी.. वह जानती थी कि ठाकुर साहब  का मोटा मुसल लंड उनके  गुलाबी छेद का रास्ता ढूंढ रहा है.. दीदी किसी भी कीमत पर ठाकुर साहब को ऐसा करना नहीं देना चाह रही थी.. मेरी बहन उस गुंडे को अपने गुलाबी छेद का रास्ता नहीं दिखाना चाहती थी.. मेरी रूपाली दीदी परेशान थी.. ठाकुर साहब जबरदस्ती कर रहे थे..
 ठाकुर साहब ने मन ही मन फैसला कर लिया था कि आज की रात वह मेरी रूपाली  दीदी की चूत में गहराई तक पेल कर ही दम लेंगे..
 ठाकुर साहब ने मेरी बहन की चोली के ऊपर से उनकी एक छाती पर अपना मुंह रख दिया और चूसने लगे मुंह में लेकर.. मेरी रूपाली दीदी के मुंह से कराह निकलने लगी.. एक औरत  की  सिसकारी जो अपने पति के साथ बिस्तर में निकालती है औरत.. मेरी रूपाली दीदी ठाकुर साहब को अपनी बाहों में जकड़ कर अपनी छाती  अपनी चूची पिलाती हुई  मदमस्त होने लगी थी...
 मेरे रूपाली दीदी: आआह्हीईईईईईईईईईइह्ही.. ठाकुर साहब ...नहीं..
 ठाकुर साहब अपना लौड़ा मेरी रूपाली दीदी के  त्रिकोण पर टीका कर  रगड़ने लगे थे.. मेरी बहन के गुलाबी छेद पर ठाकुर साहब का झंडा और डंडा खड़ा था.. सब कुछ कपड़े के ऊपर से हो रहा था..
 मेरी रूपाली दीदी अपना संयम खोने  लगी थी.. ठाकुर साहब ने मेरी बहन को अपने कब्जे में ले लिया था... दोनों  हवस और वासना की प्यास में झुलस रहे थे.. ठाकुर साहब मेरी दीदी की चूची को  दबाए ही जा रहे थे.. मेरी बहन एक काम पीड़ित औरत की तरह सिसकारियां ले रही थी धीरे-धीरे.. ठाकुर साहब पूरी तरह उत्तेजित हो चुके हैं..
 ठाकुर साहब मेरी रुपाली दीदी की चोली खोलने लगे..
  27 साल की दो बच्चों की मां मेरी रूपाली दीदी एक गुंडे के नीचे थी.. ठाकुर साहब का बदन और मेरी दीदी का बदन एक दूसरे से रगड़ खा रहा था.. दोनों एक दूसरे के अंदर समा जाना चाहते थे... किसी भी कीमत पर ठाकुर साहब आज मेरी रूपाली दीदी को  पेल देना चाहते थे ..
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#34
Nice beautiful..
Please update more
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#35
Hot awesome update bhai....
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#36
Waiting For Next Update
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#37
Awesome story
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#38
Bahut hi zada mast
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#39
Waiting for next upload
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#40
Thakur ghar Kam karne walo ko bhi rupali ke badan ka Mazza chakhao
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