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Misc. Erotica छोटी छोटी कहानियां...
#81
साँस किसी धौकिनी की तरह चल रही थी ..पसीना ऐसे बह रहा था की जैसे कोई बाल्टी ऊपर से उड़ेल रहा हो ..उस कमरे में पसीने की बदबू और परफ्यूम की खुशबु का मिलन ऐसा था जैसा …

राजा भोज और गंगू तेली दोनों मिलकर गले मिल रहे हो ..

क्लास कब ख़त्म हुई पता भी न चला और सपना टूट कर हकीकत में आ गया ...सब आदमी औरत बाहर निकल अपने अपने चेंजिंग रूम में चले गए ..मैंने भी सोचा चलो स्टीम बाथ लेकर जक्कूजी में बैठ कर थोडा सुस्ताया जाये और मैं जाकर जकुजी में बैठ गया… न जाने कब बैठे बैठे नींद सी लग गयी की आवाज आई।


सर उठ जाइये.....क्लब बंद करने का टाइम हो गया है ..मैंने जल्दी जल्दी नहा-धो कर क्लब से बाहर निकला और गैराज से अपनी गाडी निकालने के लिए उधर की तरफ चल दिया .. गैराज में पूरा सन्नाटा था लगता था सब लोग वंहा से जा चुके थे। मेने अपनी गाड़ी स्टार्ट करने के लिए जैसी ही चाबी इग्निशन पे रखी, की ,कंही से घुर घुर की आवाज आई, जैसे किसी की गाड़ी स्टार्ट न होने पे करती है .. अब इस वक़्त वहां पर सिर्फ मेरी गाड़ी थी। शायद कंही दुसरे कोने पे कोई और अपनी गाड़ी को स्टार्ट करने की असफल कोशिस कर रहा था ..
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#82
मैने अपनी गाड़ी लेकर उधर की तरफ मोड़ ली, सोचा देखू किसी को कोई मदद तो नहीं चाहिए ?.. नजदीक पहुचने पर देखा किसी की कार का बोनेट उठा हुआ था और कोई उसमे झुक हुआ कुछ कर रहा था ..मैं कार से उतरा और पास जाकर बोला

..Excuse me ..Do you need some help ?..

मेरी आवाज सुन, किसी ने कहा-क्या आप मेरी कार को जम्प स्टार्ट देंगे ..लगता है मेरी कार की बैटरी डाउन हो गयी है .. मैंने बिना उसे दखे कहा, ठीक है मेरे पास जम्पर केबल है और मैंने केबल अपनी कार में से निकाली और उसकी कार की तरफ चल दिया।

वहां थोडा सा अँधेरा था तो मुझे उसका चेहरा ठीक से दिखाई नहीं दिया। मैंने बिना उसे देखे केबल अपनी कार के बैटरी से जोड़ कर दूसरा सिर उसके हाथ में देकर बोला की केबल के दुसरे सिरे के एक टर्मिनल को अपनी कार की बैटरी के पॉजिटिव से और दूसरे सिरे को ग्राउंड पे लगा दे।


उसने जैसे ही केबल मेरे हाथ से लेने के लिए बोनेट से सर बाहर निकाला, मुझे बिना कार स्टार्ट किये ही तगड़ा झटका लगा। सामने वो अप्सरा जो Gym से उतर कर गैराज में खड़ी थी .. पहली बार एक इन्सान की तरह उसे इतने करीब से देख रहा था ....
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#83
उसकी मखमली त्वचा का रंग दूध में हल्का सा केसर घुला जैसा था। गुलाबी चेहरा जिसपे उसके थोड़े से भरे हुए गाल जो ऊपर की तरफ उठे थे, किसी सेब की तरह लग रहे थे। उसके अनार के दानो के माफिक दहकते अंगारे जैसे होंठ, उसकी नीली झील सी आँखे किसी को डुबोने के लिए काफी थी। उसपर उसके सुनहरे लहराते बाल और सांचे में ढला बदन किसी की भी जिन्दा धड़कनों को बंद और बंद धड़कनों को जिंदा करने के लिए काफी था।

न जाने भगवन ने किस गलती में उसे अप्सराओ से भी ज्यादा खुबसूरत बना कर धरती पर भेज था !

उसने कब मेरे हाथ से केबल ली और अपनी कार से लगा कर बोली.. अपनी कार को स्टार्ट करो.....पता ही नहीं चला। मैं रोबोट की भांति चलता हुआ गया और कार स्टार्ट कर दी, उसने अपनी कार को स्टार्ट करने की कोशिश की पर वो स्टार्ट नहीं हुई ...वह बड़े परेशान भाव से बोली अब क्या करे ..इतनी रात में तो न तो मैकेनिक मिलेगा न ही टैक्सी .. करू तो क्या करू ? ....
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#84
उसकी यह बात सुन मैं नींद से जागा और बोला- चलो मैं तुम्हे ड्राप कर देता हूँ, बोलो कहाँ ड्राप करना है ?..उसने गहरी साँस ली और बोली- मैं यंहा से काफी दूर रहती हूँ , तुम्हे काफी वक़्त लग जायेगा, मुझे कहीं पास में छोड़ दो, मैं वहां से टैक्सी पकड़ लुंगी।

मैंने कहा छोड़ो- वैसे भी मुझे घर जाने की कोई जल्दी नहीं है, मेरी चिंता ना करो। वो मेरे साथ बैठ गयी और मैं उसे उसके बताये एड्रेस पर लेकर चल दिया। रास्ते में हम दोनों खामोश रहे, वो शायद परेशान थी और मैं शायद उसकी मौजूदगी से हैरान था .. न तो उसने कुछ कहा ..न मैंने कुछ पुछा, उसका नाम तक नहीं। करीब एक घंटा गाड़ी चलाने के बाद हम उसके अपार्टमेंट की बिल्डिंग के पास पहुँच गए।


रात का करीब 10 बज चुके था। मेरे घर में सब लोग शायद अपनी अपनी मस्ती में सो गए थे ! वरना अब तक तो मेरे सेल फ़ोन पे कई कॉल आ चुकी होती। वहाँ पहुँच मैंने अपनी गाड़ी वापस मोडी तो, उसने कहा- एक काफी तो पीकर जाते... मैं तो यह सुनने के लिए कब से बेक़रार था। झट गाड़ी को पार्क कर उसके साथ चलता हुआ उसके अपार्टमेंट में आ गया। उसने मुझे सोफे पे बैठने के लिए कहा और बोली- मैं थोडा चेंज करके आती हूँ।

मैं आधे अधूरे मन से सोफे पर बैठ गया ...तभी मुझे लगा की मुझे बाथरूम जाना पड़ेगा ..इतनी देर तक मैंने उससे उसका नाम तक नहीं पूछा और न ही उसने बताया था।
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#85
मैंने आवाज लगायी "Excuse me !" पर कहीं से कोई जवाब नही आया .. सोचा थोड़ी देर इंतजार कर लेते है .. थोड़ी देर बाद रुकना मुश्किल हो गया तो मैंने खुद रेस्टरूम जाने के लिए अपार्टमेंट में बाथरूम ढूंढने लगा .. एक दरवाजा खोल के देखा तो लगा शायद वो बाथरूम है .. और बाहर से आवाज लगायी ..."Is Any body there ?" पर कोई जवाब न पा कर , मैं सीधा अन्दर घुस गया।


मैंने अपनी उसी स्थिति में होते हुए उधर की तरफ अपना रुख कर दिया। शावर के परदे के पीछे से वो अप्सरा अपनी प्राकृतिक अवस्था में खड़ी थी। जैसी ही हम दोनों की नजर मिली ..तो उसने मुझे ऊपर से नीचे देखा और मैं तो अपनी सुध बुध खोया उसे उसी अवस्था में देखता रहा।

अचानक से उसने चिल्ला कर कहा ..अरे यह क्या कर रहे हो मेरा फ्लोर तो गन्दा मत करो ...और उसने मेरा सर पकड कर घुमा दिया और बोली- उधर की तरफ जाकर सु-सु करो और इसके बाद.. फ्लोर साफ कर देना .. ऐसा कह कर वो एक शरारती मुस्कराहट के साथ वहां से चली गयी। मुझे अभी तक विश्वास नहीं हो रहा था ..की मैं जन्नत में हूँ या कहीं और ,क्या किसी और ने उसे कभी इस तरह से देखा होगा ?
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#86
क्या कोई स्त्री इस कदर खुबसूरत हो सकती है की आपको यह फैसला करना मुश्किल हो जाये की वो कपड़ो में ज्यादा सुन्दर है या बिना कपड़ो के ? ...


इतनी औरतों को जीवन में देखा! पर कभी किसी को इतने करीब नहीं और वो भी रोशनी में इस अवस्था में !..... 

साला.. मेरी ज़िन्दगी तो वैसे भी झंड ही थी। पर ऐसा देखने का पहला सौभाग्य था .. इससे पहले आदमी औरत के प्रेम वाली स्थिति तक आते आते, न जाने क्यों सब औरतो को रौशनी से दुश्मनी हो जाती और मेरे जैसा सुन्दरता का पुजारी दुनिया की खुबसूरत बलाओं और अदाओं को बिना देखे ही स्वर्ग लोक हो आता था....पर आज बिना स्वर्ग गए , हमें इस अप्सरा के दर्शन हो गए! आज पहली बार लगा की, जीवन सफल हो गया ... बाथरूम को साफ़ कर जब बहार आया तो !

सर झन्न झन्न सा कर रहा था, हलक प्यास के मारे सूख रहा था। हाथ पैर कांप रहे थे और दिल जो जोर से धड़क धड़ककर बाहर निकलने को बेताब था, लगता था की मेरा हार्ट किसी भी वक़्त फेल हो जायेगा !


अपनी नजरो को नीचे कर बाहर आकर सोफे पर बैठ गया। थोड़ी देर बाद वो हुस्न की मल्लिका, एक सफ़ेद गाउन पहनकर जो शरीर पर सिर्फ जाली जैसा लगता था, पहनकर आ गयी !

लगता था ,वो मेरे हार्ट की बीट फिर से चेक करने आयी थी ..
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#87
मैंने बड़े डरते डरते उसे अपनी मरी सी आवाज में सॉरी बोला और वहाँ से जाने के लिए उठ खड़ा हुआ ही था की वो मेरे सामने आकार खड़ी हो गयी और बोली- अरे आप ऐसे सर झुका कर क्यों बैठे है ..उस बात को लेकर परेशान मत हो ..उसमे आपकी कोई ग़लती थोड़े न थी .. चलो थोडा सा मुस्कुरा दो ! तब तक मैं आपके लिए कॉफ़ी बना कर लती हूँ ।

मैंने बड़ी धीमी आवाज में उससे कहा ! मुझे एक गिलास पानी मिलेगा? वो थोडा सा मुस्कुराई और बोली- चलो किचन में चल कर ले लो वहीं, मैं तुम्हारे और अपने लिए काफी भी बना लुंगी। उसकी आवाज के सम्मोहन से बंधा मैं उसके पीछे पीछे किचन में आ गया। उसने एक गिलास हाथ में पकड़ा कर कहा- वहां फ्रीज से पानी ले लो ..


मैंने गिलास उसके हाथ से ले और फ्रीज़ के दरवाजे में पानी भरने के लिए लगा दिया… की अचानक कोई खुशबु का झोका मेरे नजदीक आया और मुझे अपनी पीठ पे नरम नरम मुलायम सा कुछ चुभता सा लगा। जैसे ही मैं मुड़ा तो हम दोनों एक दुसरे से गले मिलने वाली स्थिति में टकरा गए। वो हंसी और बोली- मैं तो फ्रीज से दूध लेने आई थी की तुम डर के पीछे हट गए ..और ऐसा कह वो मुझे शरारती नजरो से घूरने लगी।


ना जाने यह जालिम अप्सरा कहाँ कहाँ से हम जैसे गरीब मर्दों को मारने के नुस्खे सीख कर आई थी। आज एक बात समझ आ गयी थी कि जिस किसी का दिल कमजोर हो उसे हमेशा किसी भी रूपवती की छाया से भी दुर रहना चाहिए। अब मुझे समझ आ रहा था की पुरषों को औरतो से ज्यादा हार्ट अटैक क्यों आता है !. Big Grin 

..........
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#88
थोड़ी देर बाद वो दो मग काफी लेकर आ गयी। उसने एक काफी का मग मेरे हाथ में और खुद दूसरा मग लेकर मेरे सामने बैठ गयी।

एक यह गर्म गर्म काफी ,दूसरी यह आग लगाती अप्सरा ! लगता था आज हमारे शरीर की बिल्डिंग जल के ही रहेगी ..


उसने चुस्की लेते हुए पूछा- तुम नर और नारी के प्रेम के बारे में क्या जानते हो ? .. बड़ा ही अजीब सवाल था ..मैं बोला कैसा प्रेम? वो बोली- क्या तुमने "तांत्रिक प्रेम " के बारे में सुना है! मैं बोला नहीं। वो बोली- क्या तुम सीखना चाहते हो ?

मुझ जैसा जन्म जन्म का प्यासा और कोई पूछे क्या तुझे अमृत पीना है ?... हद है!


बिना झिझक के बोला- अगर आप सिखाओगी तो जरुर सीखूंगा। वो मुस्कुरायी .. बोली- ठीक है .. तुम अपने सारे कपडे उतार कर यह गाउन पहन लो! और बेड रूम में आ जाना ...एक बात को बहुत ध्यान से सुन लो यह प्रेम सिर्फ स्त्री के आवश्यकताओ के अनुसार होता है इसमें पुरुष के आनंद के लिए कोई स्थान नहीं! अगर तुम जरा भी बहके तो मैं तुम्हे धक्के दे कर यहाँ से निकाल दूंगी ..इसलिए गाउन पहनने से पहले अपना फैसला सोच समझ के लेना। 

ऐसा कह वो वहाँ से अपने बेडरूम चली गयी।
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#89
उसके जाने के बाद मैंने गाउन हाथ में लेकर बाथरूम की ओर रुख किया.. मैं मन ही मन सोच रहा था.. उसके आनंद से भला मुझे आनंद क्यों नहीं आएगा.. यह कैसा बेतुका सवाल था उसका .. अरे इसमें ही तो जीवन का असली आनंद है...

और मन ही मन अपनी किस्मत को गाली दे रहा था..उस वक़्त मुझे क्या मालूम था की मैं ऐसी परीक्षा देने जा रहा हूँ जो मेरी आने वाली जिन्दगी की दिशा बदल देगी.. जिस आनंद की कल्पना करता हुआ मैं झटपट अपने कपडे उतार उस गाउन को पहन रहा था .. और जो टॉर्चर मुझे उस आनंद की जगह अन्दर आकर झेलना था.. वैसा टॉर्चर तो अच्छे अच्छे गुंडे मवाली भी सहन ना कर पाते! मैं तो फिर भी एक साधारण सा इंसान था ..

खैर.. गाउन की डोरी की नोट को हलके से बांधता हुआ मैं उसके बेडरूम में घुस गया ..


अन्दर का नजारा देख मुझपे मदहोशी सवार होने लगी , बेडरूम में चारो और खुशबु वाली मोमबत्तियां जल रही थी ,जो कमरे में हल्की पीली पीली रौशनी बिखेर रही थी। चारो और इत्र की खुशबु से माहौल मदहोश और रोमांटिक बना हुआ था। बेडरूम के अन्दर एक पान नुमा आकर का एक बिस्तर पड़ा था जिसके उपर छत से लटका हुआ सफेद झीना सा गोल घुमाव दार जाली नुमा पर्दा पड़ा हुआ था जो बिस्तर को चारो और से घेरे था.....


बिस्तर गुलाबी रंग की चादर और गोल गोल तकियों से सजा था , जिसपे वो अप्सरा लेटी हुयी थी। उसका पूरा शरीर एक हलके पीले रंग की रेशमी चादर में लिपटा सा था। चादर के बाहर सिर्फ उसका चेहरा निकला हुआ था। उसके सुनहरे रेशमी बाल बिस्तर पर चारो और एक गोले का आकर लिए हुए बिखरे पड़े थे ..

उसने अपनी आँखे मूंद रखी थी। लगता था वो मेरा ही इंतजार कर रही थी। उसने आँखे मूंदे मूंदे कहा- उस कोने वाली मेज पे एक अंडरवियर पड़ा है तुम उसे पहन लो .. मैं रोबोट की भांति चलता हुआ मेज की तरफ लपका.. मैं मन ही मन सोच रहा था..अरे पगली! ये तू क्या करवा रही है, इसमें तो अंडरवियर उतारा जाता है.. जो भी हो मैं अपना एक पल भी अब और बर्बाद नहीं करना चाहता था ......
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#90
मेज से जब मैंने उस अंडरवियर को हाथ में उठाया तो मेरे होश उड़ गए। वो एक चमड़े का बहुत ही मजबूत कच्छा सा था जिसके साइड में इक छोटा सा ताला जैसा कुछ था। मेरा दिल उसे देख कर बैठने लगा .. उसने लेटे लेटे कहा- जाओ बाथरूम में जाकर इसे पहन लो , हो सकता है तुम्हे इसे पहनने में थोडा वक़्त लगे ..तुम्हे पहले अपने को सामान्य स्थिति में लाना होगा तभी इसे पहन पाओगे ..

मैं उस अंडरवियर को ले बाथरूम में घुस गया .. जब मैंने उसे पहना तो मुझे वो बहुत ही ज्यादा तकलीफ दे रहा था। हमारे गुरु जिन्हें आज एक शिष्या मिली थी ,जिसे आज शिष्या के साथ आनंद पाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था, वो उस अंडरवियर में फिट नहीं हो पा रहे थे .. काफी कोशिश के बाद जब कुछ नहीं हुआ तो मुझे अपनी लडकपन की नादानी का इस्तमाल कर अपने गुरु को समझाना पड़ा ..

किसी तरह उसे पहन कर मैं बेडरूम के अन्दर आ गया। अन्दर आने पे उसने मुझे अपने करीब बुलाया और उस अंडरवियर के ऑटो लॉक को बंद कर दिया। वो बोली- अब तुम चाह कर भी बहक नहीं सकते।
अंडरवियर मेरे शरीर पे एक पिंजरे की भांति चिपक गया जिसे मैं न तो ढीला कर सकता था न अब इसे उतार सकता था ... कमरे की मदहोशी मुझे फिर से आनंदित करने लगी और हमारे गुरुजी फिर से अपनी तपस्या भंग करने पे उतारू हो गए । पर अब सब इतना आसन ना था, थोड़े से तनाव ने मुझे तकलीफ देनी शुरू कर दी ..मेरी हालत उस भूखे की थी जिसे खाना खाने से पेट दर्द होने लगता हो ..

उसने लेटे लेटे मुझ से पूछा- क्या तुमने कोई कंप्यूटर का गेम पूरा खेल है ? 

मैंने बिना सोचे समझे कह दिया हाँ..
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#91
"प्रिंसेस ऑफ़ पर्सिया " के सारे लेवल पार किये है। वो बोली- पहले अपने दोनों हाथ जोड़ कर खड़े हो जाओ , ऐसा लगे जैसे तुम किसी को नमस्कार कर रहे हो।

मैंने झट से उसकी आज्ञा का पालन किया और अपने हाथ जोड़ कर खड़ा हो गया ..

वो बोली अपने जुड़े हुए हाथो को अपने सामने लाकर देखो ..तुम्हे कुछ दिखाई दिया? दोनो जुड़े हाथो को सामने करके देखा तो मुझे कुछ समझ ना आया .. उसने अपनी नीली नीली नशीली आँखे खोली ..जिनमे मदहोशी और शरारत छलक रही थी उनकी मदहोशी माहौल को और रंगीन बनाने लगी, अब मेरा अंडरवियर मुझे फिर से सताने लगा ..


वो बोली- गौर से देखो तो तुम्हे अपने जुड़े हाथ स्त्री के किसी विशेष अंग की याद दिलाते है या नहीं। उसकी बात का मतलब समझ मैंने ध्यान से देखा तो लगा कुछ कुछ मिलता जुलता सा तो है पर कुछ क्लियर सा नहीं लगा ..उसने मेरी मंशा समझ अपनी चादर को एक झटके से अपने शरीर से हटा दिया और बोली- मेरे पैरों के पास खड़े होकर अब दोनों की तुलना करो ..

यह जालिम कातिल अप्सरा कैसा अजीब इम्तिहान ले रही थी की मुझसे न हँसते बनता था न रोते। मैंने आज से पहले ना जाने कितनी बार नमस्कार किया था पर इस तरह का दृश्य भी सोचा जा सकता है ..मेरे जैसे खिलाड़ी ने भी उसकी कल्पना आज से पहले तक नहीं की थी ...

मैंने उसकी उस निर्दोष सुन्दरता का जी भर कर दृश्यपान किया! अपने नयनो की जन्म जन्मान्तर की प्यास बुझायी और अपने खोलते लावे को और जलने दिया।

वो बोली- स्त्री का शरीर इसी तरह से दो भागो के जुड़ने से बना है ..जिस तरह दो हाथ जुड़ते है और एक आकार बनता है वैसे ही स्त्री दोनों भागो के मिलने से अपने विशेष आकर (योनि )को प्राप्त करती है ..स्त्री के यह दो भाग उसके शरीर के दो हिस्से है जिनमे ऊपर का एक हिस्सा सर से शुरू होकर योनि पर ख़त्म होता है और दूसरा हिस्सा योनि से शुरू होकर पैर तक जाता है ...
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#92
मेरा शरीर कंप्यूटर गेम की तरहा कई लेवल में बंटा है, कंप्यूटर गेम की तरह ही पहले तुम्हे पहला लेवल(बाधा ) पार करना होगा तभी तुम दुसरे लेवल पर जा पाओगे ..

वो बोली- जैसे उस कंप्यूटर गेम में राजकुमार को राजकुमारी सबसे आखरी बाधा पार करने पे मिलती है वैसे ही तुम्हे मुझे पाने के लिए सारी बाधाये पार करनी होंगी तभी तुम मुझे हासिल कर पाओगे। हर एक बाधा पार करने पे, मैं तुम्हे इनाम में एक चुम्बन दूंगी, जैसे जैसे तुम आगे बढ़ते जाओगे वैसे वैसे चुम्बन की अवधि और गहराई बढती जायेगी।

मेरा दिल उसकी बाते सुन के बैठने लगा..जो चीज मुझे इतनी आसान लग रही थी उसके लिए पूरा इम्तिहान देना मेरे जैसे गरीब का मजाक उड़ना था।

फिर भी सौदा घाटे का नहीं था.. उस वक्त अगर वो मुझे अपनी गुलामी भी करने को कहती तो भी मैं खुशी खुशी करने को तैयार हो जाता..इसमें तो फिर भी मुझे कुछ पाने की उम्मीद लग रही थी…..

वो बोली- अधिकतर मर्द, औरत के शरीर को समझ नहीं पाते और सीधे आखिरी लेवल (बाधा) पर कूद जाते है .. सोचो अगर तुम पहला लेवल ही ढंग से नहीं खेल सकते तो आखिरी लेवल पर कैसे खेल पाओगे ? ऐसा कहा कर वो अपनी गहरी मुस्कराहट से मुझे जलाने लगी !

उसकी कातिल मुस्कराहट और नशीली आँखों का नशा मुझे बेहोश करने लगा .. अपने को मैं किस तरह संभल पा रहा था इसका अंदाजा सिर्फ मैं ही लगा सकता था ..यह वो टॉर्चर था जिसमे ऐसी सजा थी जो खुबसूरत होते हुए भी असहनीय मीठा मीठा दर्द दे रही थी ... वो बोली- तुम्हारा पहला लेवल (बाधा) मेरे सर से शुरू होता है ..मेज पर रखी उस तेल की कटोरी को यहां ले आओ ..
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#93
पहला लेवल 
………………



मैं गया और झट उस कटोरी को उठा लाया उसमे कोई खुशबूदार तेल था जिसकी खुशबु में एक अजीब सा नशा था। उसने आँखे मूंदे मूंदे कहा- तुम मेरे सर को अपनी गोद में रखो फिर तुम अपनी उंगलियों को तेल में डूबो लो और धीर धीर मेरे सर की मालिश करो। मैंने वैसा ही करना शुरू कर दिया .. मैं धीर धीरे उसके सर की मालिश करने लगा , थोड़ी देर बाद वोह बोली- अब तुम मेरे सर में अपनी उँगलियाँ ऐसे फिराओगे जैसे तुम अपनी उंगलियों से किसी को कंघी कर रहे हो! यह सब धीर धीर और बड़े इत्मिनान से करो ..

मैंने उससे पुछा- मुझे कैसे पता लगेगा की मेरा पहला लेवल (बाधा ) पार हो गया है ?..

उसने धीरे से कहा- जब मैं मंद मंद मुस्कुराने लगूँ, तो तुम समझ जाना की तुम्हारा वो लेवल सफलतापूर्वक पार हो गया है और जब तक मैं न मुस्कुराऊ तुम अपने प्रयास को जारी रखोगे ..अगर तुम्हे यह उबाऊ और तकलीफ वाला लगे तो तुम उसी वक़्त मेरे अपार्टमेंट से उसी हालत में चले जाओगे। यह बड़ा उबाऊ और झल्लाने वाला काम था पर …

जन्नत की चाहत में जहनुम जाने को तो हर मर्द तैयार हो जाता है और मुझ जैसा तो जहनुम की आग में जिन्दा जलने को तैयार था........

जब यह करना ही था तो रोते हुए क्यों करू, क्यों ना इसमें मजा लूँ! यह सोच कर मैं अपना चेहरा उसके चेहरे के करीब ले आया!..उसकी गर्म गर्म साँसे मेरी सांसो से टकरा कर मुझे और मजबूर करने लगी। आज मुझे समझ आ रहा था कि कैद का मतलब क्या होता है और कैसे कैदी को मनोविज्ञानिक तरीके से भी प्रताड़ित किया जा सकता है ...... पर यह कैद तो मेने खुद आपनी मर्जी से और जोश में चुनी थी........मैंने धीर धीर उसके सर पे उँगलियाँ फेरते हुए अपने होंठों को उसके होंठों के करीब ले आया और उन्हें चूमने के किये जैसे ही झुका उसकी ऊँगली ना जाने कैसे ,मेरे जैसे प्यासे मुसाफिर के रास्ते की दीवार बन कर खड़ी हो गयी ..उसने धीरे से कहा - फिर यह गलती दुबारा ना करना…..वर्ना तुम्हे यहां से जाना पड़ेगा |
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#94
[Image: E3bxx-l-Vc-AU5-KW4.jpg]
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#95
तुमने अभी दौड़ना भी शुरू नहीं किया और तुम्हे अभी से प्यास लगने लगी .. पहले इतनी मेहनत तो कर लो की तुम मेरे होठों से अपनी प्यास बुझा सको…...बड़ी बेबसी से मैं उसके सर पे धीरे धीरे मालिश करने लग…..

मुझ जैसा बदनसीब ही शायद कोई होगा जिसके सामने अमृत का झरना हो और उसे एक बूंद के लिए तरस तरस कर मरना पड़ रहा हो….

और कोई चारा न देख अब मैंने भी ठान लिया की अगर वो अप्सरा है तो मैं भी कामदेव का अवतार बन के रहूँगा और बिना उसकी खूबसूरती से रीझे उसे तड़पा देने वाली कोमल कोमल मसाज अपनी उंगलियों के पोरवो से करने लगा ..थोड़ी देर बाद उसके मुंह से एक मीठी सी चीत्कार निकली और वो मंद मंद मुस्कुराने लगी…..

मेरा पहला लेवल पार हो चूका था... 


उसने मुस्कुराते हुए कहा- तुम अब अपना दूसरा लेवल शुरू कर सकते हो |पर उससे पहले अपना इनाम ले लो....

मेरी हालत उस भूखे भिकारी की थी ,उसे कोई भी फेका हुआ टुकड़ा उस वक़्त बिना किसी ना नुकुर के मंजूर था ..

उसने अपने होंठ मेरे होंठों से छुआ भर दिए और बोली- तुम्हारा दूसरा लेवल मेरे पैरो से शुरू होता है। मैं लुटे पिटे की मुसाफिर की भांति कांपती आवाज में बोला- पर मेरा इनाम ..वो हंसी और बोली- यह चुम्बन तुम्हारा इनाम था ..जैसे जैसे तुम लेवल पार करोगे तुम्हारे इनाम भी बढ़ता जायेगा ..जाओ और शुरू हो जाओ ....


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#96
Heart 
दूसरा लेवल 
………………


मैं एक हारे हुए जुआरी की तरह उस पत्थर दिल अप्सरा के पैरो के पास आकर खड़ा हो गया .. उसका प्राकृतिक रूप में खुला संगमरमर जैसा चिकना बदन ,मेरी दिल की फिर से परीक्षा लेने लगा और मेरा नादान कैद गुरु अपने पिंजरे से लड़ने की असफल कोशिश करने लगा ..

उसने कहा- तुम्हे थोडा सा तेल अपने हाथो में ले पहले मेरे पैर के तलुओ की हलकी हलकी मालिश करनी होगी फिर धीरे धीरे यह मालिश तुम्हे पैरो से लेकर घुटने तक करनी है .. मैं उसके बताये तरीके से उसके पैरों की और तलुओ की मसाज करने लगा .. थोड़ी देर बाद वो बोली- अब तुम अपनी जीभ की नोक से मेरे पैर की हर ऊँगली को धीरे धीरे थोड़ी देर के अन्तराल पे छुओगे ..

मैं उसकी आज्ञा का पालन एक वफादार की तरह करने लगा ..कुछ समय बाद वो बोली- अब तुम अपने होठों से मेरे तलुओ को चुमते हुए मेरे घुटने तक आओ और यह तुम्हे तब तक दुहराना है जब तक मेरे चेहरे पे मुस्कराहट ना आ जाये ..

जैसे ही मेरे प्यासे होंठ उसके पांव के अंगूठे से छुए उसने एक लम्बी मीठी सीत्कार सी निकाली ,लगता था उसे भी आनंद में हल्की हल्की पीड़ा लग रही थी।

मेरे होंठ उसके पांव से अपनी प्यास बुझाने लगे ..और थोड़ी देर में ,कमरे में उसकी मीठी मीठी चीत्कार गूंजने लगी ..मैं उसकी पसलियों को चूमने में इतना मस्त हो गया की मुझे पता भी न चला की वो कब से आनंद में डूबी मुस्कुरा रही है ...

उसने मेरे बालो को पकड़ मेरे सर को अपनी तरफ खिंचा और मेरे गले में अपनी बांहों का हार सा बना कर बोली- तुम्हारा दूसरा लेवल (बाधा) ख़त्म हो चूका है और ऐसा कह उसने मेरे दोनों होठों को अपने मुंह के अन्दर कुछ पल के लिये कैद सा कर लिया ...
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#97
तीसरा लेवल 
………………


अब मेरी साँस काफी हद तक मेरे काबू में आ चुकी थी और हमारे गुरुजी को समझ में आ चूका था की उनका रास्ता काफी लम्बा और मुश्किल है। उन्हें आज घनघोर तपस्या करनी होगी। 


उसने कहा- अब तुम थोड़े प्यासे से लगते हो, तुम्हारा तीसरा लेवल मेरे चेहरे से शुरू होता है |

तुम्हे मेरे चेहरे पे अपनी पहली दो उँगलियाँ को इस तरह फिराना है जैसे लगे की तुम किसी वीणा को हलके हलके सुर में बजा रहे हो ,तुम्हारी उँगलियाँ मेरे माथे से शुरू होकर मेरे कपोलो से होती हुयी सिर्फ मेरी गर्दन तक आनी चाहिए ! एक बार गर्दन तक पहुचने के बाद तुम मुझे गर्दन पे , मेरी आँखों की पलकों पे , मेरे कपोलो (गालो) और कान को चुमते हुए माथे तक आओगे ..इस तरह तुम एक बार उँगलियाँ से मुझे हलके से सहलाओगे और दूसरी बार अपने होठों से चुमते हुए वापस उसी जगह जाओगे! इसे बार बार करोगे, जब तक मैं मुस्कुराने न लगूँ और याद रहे इस क्रिया के दौरान मेरे होठों को चूमने की गलती नहीं करना, उन्हें तुम सिर्फ छु भर सकते हो ....

मेरी क़िस्मत, यह कैसा आनंद है जिसमे तडप ही तड़प थी आज से पहले जब जी चाहा जहां जी चाहा औरत को चूम लेता था पर उस अप्सरा की यह अजीबोगरीब शर्त मेरे धैर्य का बहुत बड़ा इम्तिहान ले रही थी .....

मैंने धीरे धीरे उसके माथे पे अपनी उँगलियाँ नचानी शुरू कर दी ..अपनी पहली ऊँगली से उसके माथे पे एक लकीर सी खींचता हुआ उसके गालो पे आकर रुक गया पहले उन्हें चूमा और फिर उन्हें धीरे धीरे अपने हाथो से सहलाने लगा ,फिर उसके कान को मैंने अपने दांतों की बीच बंद करके उन्हें धीरे अपनी जिव्हा से सहलाने लगा .. मेरी इस हरकत से उसका शरीर एक मीठी प्यास से तडपने लगा और वो अपने पैरो को झटका दे कर उपर नीचे करने लगी .....

उसकी यह तडप देख मुझे अब उसकी कमजोरी समझ आने लगी।

मैंने अपनी जिव्हा उसके कान के अन्दर डाल अपनी गर्म गर्म सांस उसके अन्दर छोड़ने लगा, फिर उसकी पलकों को अपने होठों से चूम उन्हें भी अपनी सांस की गर्मी से जलाने लगा उसकी तड़प बहुत बढ़ चुकी थी .. फिर अपने अंगूठे को उसके माथे पे टिका उसकी गर्दन पे अपने होंठ रख कर उन्हें चुसने लगा ..मेरी इन हरकतों से वो पूरी तरह बिन पानी की मछली की तरह बिस्तर पे तडपने लगी और जोर जोर से उसकी सांसो के साथ उसके मुंह से मीठी मीठी सीत्कार की आवाज कमरे में गूंजने लगी............


जब उससे मेरे होंठ अपनी गर्दन पे नाकाबिले बर्दास्त हो गए तो उसने मुझे अपनी तरफ खिंच लिया और अपनी जिव्हा बाहर निकाल कर मेरे होठों पे फेरने लगी। उस वक़्त वो मंद मंद मुस्कुरा रही थी! उसकी यह हालत देख अब मुझे उसे तड़पाने में मजा आने लगा और मैं अगले लेवल के शुरू होने का इंतजार करने लगा... लगता था अब खेल का पासा पलट चूका था और उसके पास अपनी प्यास को बुझाने के सिवाय कोई और चारा ना था।

मैं बचैनी की आग में तडप तडप कर सोने की तरह निखर चूका था..उसका सौंदर्य मेरे ऊपर अब वो जादू नहीं कर पा रहा था....

पर लगता था कि वो भी पक्की खिलाडी थी उसने मैदान इतनी आसानी से नहीं छोड़ना था…..उसके तरकस में अभी वो तीर बाकि थे जिनका जवाब तो शायद ब्रह्मा के पास भी नहीं था…..
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#98
चोथा लेवल
………..

अब तक वो पीठ के बल लेटी थी और उसका फूलो जैसा कोमल बदन मेरे सामने था पर अब उसने अपनी करवट बदल अपनी पीठ मेरे सामने कर दी और बोली- तुम्हे गर्दन से हलकी मालिश करते हुए मेरी कमर से होते हुए मेरे नितंब तक आना है और फिर उसे चुमते हुए वापस कंधे तक आना है बाकी तुम्हे पता है यह लेवल कब ख़त्म होगा ....

यह सबसे कठिन लेवल था पर जब ओखली में सर दे दिया तो मुसल से क्या डरना .. मैंने भी जी जान लगाने का फैसला कर उसके कंधो की हलकी हलकी मालिश करने लगा , फिर अपनी उंगलियों को उसकी पीठ पर ऐसा फेरने लगा जैसे उसका शरीर एक गिटार हो और मुझे उसमे से कोई धुन निकालनी है .. मेरी उंगलियों की करामत उसे मदहोश करने लगी , फिर मैंने अपने प्यासे होठों से उसकी गर्दन और कंधे के बीच वाले स्थान पर रख अपनी जिव्हा से गर्दन से नितम्ब का रास्ता तैय करने लगा......

मेरा यह प्रयास जल्दी ही रंग लाया और उसने अपनी करवट बदला कर मेरे होठों को खोल उसमे अपने दोनों होंठ रख दिए और अपनी जीभ से मेरी जीभ को छुने लगी ......

उसकी इस अदा ने मेरे गुरुजी का जीना हराम कर दिया और मैं दर्द से बुरी तरह तड़पने लगा।

मेरा दर्द देख वो जालिम अप्सरा हलके हलके मुस्कुराने लगी और मेरा सबसे कठिन लेवल पार हो गया ..

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#99
पांचवा लेवल
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उसने कहा तुम्हारा अगला लेवल मेरी छाती से शुरू होकर नाभि पर पर ख़त्म होता है ..पहले तुम अपने एक हाथ से मेरे उरोज सहलाओगे और फिर उन्हें धीरे धीरे चूमोगे....उन्हें चुमते हुए तुम्हे नाभि तक आना है और फिर नाभि को चुमते हुए मेरे उरोज तक जाना है ..

यह लेवल हम दोनों के लिए बराबरी का था अगर मुझे तडपना था तो उसे उस आग में जलना था जिसकी तपस और खुशबु मैं दूर से महसूस कर सकता था....

मैंने भी उसे सबक सिखाने का फैसला कर लिया। मैंने उसके एक वक्ष को एक कच्चे अंडे की भांति अपनी मुट्ठी में कैद कर उन्हें एक स्पंज बॉल की तरह धीर धीरे दबाने लगा और दुसरे को कभी अपने होठों से और कभी अपनी जिव्हा से सहलाने लगा और बाद में उसे ऊपर से चूमता हुआ उसकी नाभि पर आकर रुक जाता.......

मैंने अपनी जिव्हा की नोक उसकी नाभि के अन्दर डाल उसे धीरे धीरे हिलाने लगा। मैंने ऊपर से नीचे का सफ़र मुश्किल से दो या तीन बार किया होगा की उसकी हालत ख़राब होने लगी ..उससे मेरी यह हरकत बर्दास्त से बाहर हो गयी और उसने मेरे मुंह को अपनी तरफ खिंच अपना एक स्तन को मेरे मुंह में ठूस सा दिया और पागलो की भांति मुझे चूमने लगी अब वो जोर जोर से ख़ुशी में सीत्कार मार रही थी!

और अपनी लडखडाती हुयी आवाज में बोली- तुम अपना अगला लेवल जल्दी से शुरू करो....
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छठा लेवल (आखिरी)
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मैं उसके शरीर के एक एक अंग को भली भांति परख चूका था ..मेरे पास अब खोने के लिए कुछ नहीं था ..मेरी जिज्ञासा इस बात की थी कि अब वो मुझे क्या करने के लिए कहेगी। उसका पूरा शरीर मेरे होठों और उंगलियों की करामत देख चूका था। उसने अपनी नीली नशीली आँखे खोली और मुझे अपने पास खिंचा और बोली- यह लेवल बहुत नाजुक और संवेदनशील है इसलिए तुम्हे अपने हाथो और मुंह को काबू में रखना होगा...

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वो बोली- जाओ और मेरे पेरो के पास खड़े हो जाओ और एक वफादार की तरह मेरे उस हिस्से को चूमो जिसके लिए तुम शुरू से तड़प रहे थे इसे चुमते हुए तुम्हे अपनी जिव्हा की नोक को उपर से नीचे लाते हुए अधिक से अधिक गहरई तक ले जाना है फिर अपनी दो उंगलियों से उस गहराई को धीरे धीरे नापना है और ऐसा कह उसने अपनी टांगो का हार बना कर मेरे गले में डाल दिया और अपनी आँखे आने वाले आनंद की कल्पना में बंद कर ली .. .....

इस लेवल का तो मैं मास्टर था और वो मेरी शिष्या। कुछ ही पलो में मैंने उसकी वो हालत कर दी की उसकी आँखों से ख़ुशी के आंसू छलकने लगे और उसकी सीत्कार की आवाज पुरे अपार्टमेंट में गूंजने लगी ....

अब शिकारी खुद शिकार हो रहा था .. मैं इस आग में जल जल कर इतना पक चूका था की वो कुछ भी कर लेती पर मेरा संयम नहीं डिगा सकती थी .......

जब उससे दर्द असहनीय हो गया .. उसने मुझे अपनी तरफ खिंचा और एक ही झटके में मेरे उस चमड़े की कैद के चीथड़े चीथड़े कर दिए और मुझे अपने ऊपर खिंच कर बोली .....

मैं अब तुम्हारी गुलाम हूँ, यह राजकुमारी तुम्हारे आगे अपने को समर्पित करती है कृपया करके मुझे जल्दी से जल्दी से इस दर्द से मुक्ति दो ...

......
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