Thread Rating:
  • 6 Vote(s) - 2.17 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Misc. Erotica छोटी छोटी कहानियां...
#21
इस पोज़ में हर धक्के मे लण्ड चंदा रानी की भगनासा को ज़ोर से रगड़ता हुआ जाता था जिससे उसका मज़ा ख़ूब बढ़ जाता था।
प्यार से मेरी आँख से आँख मिलते हुए वो बोली- राजे… तू कितना ज़बदस्त चोदू है… इतनी जल्दी मैं कभी भी नहीं झड़ती जितना कि तेरे से चुदते हुए… राजे… राजे… राजे… हाय राम… इतना मज़ा… हाय मैं मर जाऊँ… मैं बहुत रश्क करने लगी हूँ तेरी बीवी से जो रोज़ाना तुझ से चुदाई का आनन्द उठाती है… बस अब थोड़ा तेज़ धक्के लगा… हाँ… हाँ… राजे… हाँ… हाँ… चीर फाड़ के रख मेरी हरामज़ादी बुर को… अब बना दे इसका कचूमर… हाँ… चोदे जा राजा…
मैंने धकाधक धक्के पेलने शुरू कर दिये, लण्ड एसे अंदर बाहर हो रहा था जैसे रेल के इंजन का पिस्टन आगे पीछे जाता है- धक… धक… धक… धक…

अचानक से मुझे यूँ महसूस हुआ कि मेरे अंदर कहीं तेज़ गर्मी की एक लहर सिर से नीचे की तरफ और नीचे तो सिर की ओर बड़ी रफ़्तार से आ जा रही है।

उधर चंदा रानी आहें पर आहें भरे जा रही थी। ठरक से मतवाली यह चुदासी औरत कमर उछाल उछाल कर चुदा रही थी।

झड़ने को आतुर होकर ज्यों ही मैंने लण्ड ठोकने की गति ज़्यादह तेज़ की, तो वो फिर से अनेकों बार चरम सीमा के पार चली गई।
बड़ी मुश्किल से अपनी चीख को रोकता हुआ मैं तब धड़ाके से स्खलित हुआ।

लण्ड से ढेर सा सफेद लावा निकला और उसकी चूत से तो रस का प्रवाह ज़ोरों से चल ही रहा था।

झड़कर हम दोनों बेसुध से होकर पड गये। मैं ऊपर और वो नीचे।

हम काफी देर तक ऐसे ही पड़े रहे और एक दूसरे से एक मस्त चुदाई करने के बाद लिपटे रहने का मज़ा भोगते रहे।

चंदा रानी ने फिर मेरे लण्ड को और उसके आस पास के सारे प्रदेश को चाट चाट के साफ किया।

चंदा रानी ने कहा- अब राजे मैं भी तो मुँह मीठा कर लूं अपनी बहन की नथ खुलवाने के मौके पर !

‘हाँ हाँ… तुझे तो सबसे पहले मुँह मीठा करना चाहिये था… तूने ही तो सारा प्रोग्राम सेट किया है !’ मैं बोला।

चंदा रानी ने रबड़ी की तश्तरी उठाई और चम्मच भर भर के मेरे बैठे हुए लुल्ले पर लगाई। पूरा लुल्ला, दोनों टट्टे रबड़ी में अच्छे से सान दिये।

मैं समझ गया था कि अब यह चाट चाट कर रबड़ी खायेगी।

उसके नाज़ुक, खूबसूरत हाथों से रबड़ी लगवाते लगवाते मेरा लण्ड अकड़ चुका था।

जब लौड़ा खड़ा हुआ तो उसका आकार बढ़ गया और चंदा रानी ने बची खुची रबड़ी भी लण्ड पर लबेड़ डाली।

फिर उसने जो चाटना चालू किया है, तो भगवान कसम, आनन्द इतना आया जिसका कोई हिसाब नहीं। मस्ती ने मुझे मतवाला कर दिया।

चंदा रानी ने बड़े मज़े में चटखारे ले लेकर पूरा लण्ड, टट्टे और झांटों को चाट डाला, और एकदम चकाचक साफ कर दिया।

‘अरे राजे… तेरा लण्ड तो फिर से अकड़ गया… लगता है बहुत मज़ा आया इस हरामी को रबड़ी में लथपथ हो के चटवाकर… साला हरामी लण्ड महाराज !’ चंदा रानी ने लौड़े को प्यार से एक हल्की सी चपत लगाई और फिर से चूसने में लग गई।

यारों चूसने में तो वा माहिर थी ही, तो ऐसा चूसा, ऐसा चूसा कि मस्ती से मेरी गांड फट गई।
कभी वो काफी देर तक लण्ड को पूरा जड़ तक मुँह में घुसाये रखती, तो कभी सिर्फ टोपे को मुँह में लिये लिये चूसती, और कभी वो टट्टे सहला सहला के नीचे से ऊपर तक लण्ड चाटती।

उसके मुखरस से लण्ड बिल्कुल तर हो चुका था।

कई दफा उसने अपनी चूची दबा के दूध की बौछारें लौड़े पर मारीं, जिससे मेरी ठरक सातवें आसमान पर जा पहुँची।

चंदा रानी ने मचल मचल के लौड़े को चूस चूस के तर कर दिया।
[+] 1 user Likes usaiha2's post
Like Reply
Do not mention / post any under age /rape content. If found Please use REPORT button.
#22
अब मैं ज़रा भी रुक नहीं पा रहा था। एक ज़ोर की सीत्कार भरते हुए मैंने अपनी कमर उछाली और झड़ गया।


चंदा रानी सारी की सारी मलाई पी गई। हमेशा की तरह, जब मैं बेहोश सा होकर बिस्तर पर गिर गया, तो उसने मेरे लण्ड को खूब भली प्रकार जीभ से चाट चाट के साफ किया और बोली- चल राजे, अब तुझे मैं स्वर्णरसपान कराऊँ… दोपहर दो बजे से रोक कर रखा है… आजा मेरे राजे… नीचे बैठ जा और अपनी मम्मा की चूत से मुँह लगा ले… आज बहुत गाढ़ा पीने को मिलेगा।

इतना कह कर चंदा रानी पलंग पर टांगे चौड़ी करके पैर फर्श पर टिका के बैठ गई, मैं नीचे घुटनों के बल बैठ गया और चंदा रानी की चूत के होंठों से अपने होंठ चिपका दिये।

कुछ ही देर में चंदा रानी के स्वर्णामृत की पहले चंद बूंदें और फिर तेज़ धार मेरे मुँह में आने लगी।

सच में बहुत ही गर्म और गाढ़ा रस था। एकदम स्वर्ण के रंग का ! अति स्वादिष्ट ! अति संतुष्टिदायक !!

मैं लपालप पीता चला गया। मेरी उस समय सिर्फ एक ही ख्वाहिश थी कि उस योनि-अमृत की एक भी बूंद नीचे न गिरने पाये, सो मैं उसी रफ़्तार से पीने की चेष्टा कर रहा था जिस रफ़्तार से वो प्यारी सी अमृतधारा मेरे मुँह में आ रही थी।

सच में बहुत देर से रूका हुआ रस था क्योंकि खाली करने में चंदा रानी को काफी वक़्त लगा। जब सारा का सारा रस निकल चुका तो मैंने अपने मुँह हटाया और जीभ से चारों तरफ का बदन चाट चाट के साफ सुथरा कर दिया।
मैं और चंदा रानी फिर एक दूसरे की बाहों में लिपट कर लेट गये और बहुत देर तक प्यार से भरी हुई बातें करते रहे।

हर थोड़ी देर के बाद हम एक गहरा और लम्बा चुम्बन भी ले लेते थे।

बीच में एक बार चंदा रानी का बच्चा जग गया और चिल्ला चिल्ला के दूध मांगने लगा।
चंदा रानी ने उसे दूध पिलाया, पहले एक चूची से और फिर दूसरी चूची से। मैं आराम से उन खूबसूरत मम्मोँह को निहारता रहा। जब चंदा रानी फारिग हो गई तो मैं गर्म हो चुका था, चूचुक निहार निहार के।

इसके बाद मैंने चंदा रानी को चोद के अपने को निहाल किया और फिर हम सो गये।

यारो, इन दो बहनों को आने वाले दिनों में मैंने कैसे चोदा और क्या क्या मज़े लिये, उसका हवाला मैं विस्तार से अगली कहानी में दूँगा।

समाप्त
[+] 1 user Likes usaiha2's post
Like Reply
#23
Heart 
Heart

दोस्तों यहां में छोटे छोटे कहानियां पोस्ट करूंगा जो की सीमित अपडेट में पूर्ण होता होगा कहानी net से होगी तो इसका श्रेय उन अज्ञात लेखकों को जायेगा जिन्होंने उसको लिखा है।


[Image: office-sex-683x1024.jpg]


Note : यहां पोस्ट की गई हर कहानी सिर्फ मनोरंजन के लिए है,कृपया वास्तव जीवन में कहानी में घटित कोई भी चित्र प्रयोग करना घातक हो सकता है और इसका जिम्मेदारी कहानी के लेखक या फिर कहानी प्रस्तुतकर्ता नहीं होंगे,तो कृपया इस सबको अपने निजी जिंदगी के साथ मत जोड़ें और अपने बुद्धि,विवेक के साथ काम लें।

धन्यवाद
Like Reply
#24
Heart 
banana
सास का प्यास

सीमा 49 (सास)
रोहित 25 (दामाद)

मैं रोहित 25, फरीदाबाद में रहता हूं, मेरा सादी का 3 साल हुआ था, और दिल्ली में जॉब करता था, सबकुछ अच्छा चल रहा था, फिर कुछ दिनों के लिए मेरा सास मेरे साथ रहने के लिए आ गई

सीमा 49, गुड़गांव में अपने दो बेटे के साथ रहती थी, जिसमे बड़ा बेटा सादी सुदा था और छोटा बेटा पुलिस में जाने का तैयारी कर रहा था,  बड़ा वहीं बिजनेसमैन था और पैसे की कोई कमी नहीं थी

मेरा सास मॉडर्न थी और जब से फरीदाबाद आई है उन्होंने कई सारी औरतें के साथ दोस्ती कर ली और अब ऐसे रहने लगी की कहां की महारानी हो, रोज का किट्टी पार्टी में जाना और कुछ औरतें के साथ शराब और सिगरेट का सेवन करना आम बात हो गया था उनके लिए

वो अपनी बेटी से बोली बेटी बहुत दिन तुम्हारे पापा के बिना उदासी जिंदगी जी ली पर अब और नहीं जी सकती, आज मुझे एहसास हुआ की जिंदगी में इतना मजा भी है,

मैं भी बैंक में मैनेजर था और उस एरिया में मेरा अच्छा खासा लोगों से जान पहचान हो गई थी, पर मैं कभी ये सब नहीं करता था, मेरा सास अब कुछ मर्दों से भी जान पहचान कर ली थी, और कभी कभी वो उनके साथ समय भी गुजरने लगी थी

पर अब मुझे भी धीरे धीरे अच्छा लगने लगा था क्योंकि बीवी के साथ सो सो के मैं थक चुका था अब कोई मील्फ की तलाश में था जो मुझे अपने सास में दिखाई देने लगा

अब वो घर में भी शॉर्ट में रहने लगी, मुझे तो समझ नही आ रहा था की क्या करूं, क्योंकि एक मर्द होने के नाते कबतक खुद को कंट्रोल करूं, वैसे भी में ठरकी पहले से भी था और ये बात मेरा सास भी जानती थी

मुझे बाद में पता चला की ससुर जी अपना सारा संपति मेरी सास की नाम से कर चुके थे जिसका वो भरपूर मजा लेती थी,

सास का सुडोल सा बदन, हुस्न की देवी लग रही थी, थाई तो रसमलाई जैसा था और बदन उफ्फ संगमरमर जैसा, गोल मटोल नाभी उस पर काला सा तिनका, स्ट्रॉबेरी जैसा लिप्स, उभरे हिप्स और चौरी छाती के साथ साथ बड़े बड़े दूध की गोदाम, करली बाल और काजल हमेशा आंख में लगाईं रहती थी, उफ्फ अब मेरा भी मुस्कील हो गया था उन्हें देखे बिना

जबतक आंख भर कर देख ना लूं तो चैन न आता था, अब ऐसा लगने लगा की सास तो मेरा वाइफ से भी ज्यादा जवान और हुस्न की मल्लिका लग रही है

ऐसे ही मैं एक दिन उनका पीछा किया तो क्लब तक जा पहुंचा जहां कुछ मर्द उनको घेर रखा था और उनका जिस्म पर सिगार का धुएं उड़ा रहा था और मेरा सास उसको अपने सीने से बार बार लगती और फिर ड्रिंक करती

फिर कुछ देर के बाद उन्हें पर्सनल रूम ले गया और करीब आधे घंटे के बाद दो मर्द निकला फिर दो मर्द अंदर गया वो भी मेरे सास के साथ ही निकला और सब हंस हरे थे

मैं समझ गया कि वो क्या करवाने गई थी, मैं अब पहले निकलना चाहता था क्योंकि उनके आने से पहले मैं अपने जॉब से घर आ जाता था और वैसे भी बैंक में जल्दी छुट्टी हो जाता था

एक दिन ऐसे ही सास अपने कमरे में पेट के बल सोई हुई थी और मैं झांक रहा था, पर मुझे नही पता था की वो मुझे देख चुकी है उसने खुद का पैर उठा कर हिलाने लगी जैसे वो अपने पैर से ही मुझे बुला रही हो

ऐसे करते करते उनका मैक्सी थाई तक आ गया और जब मुझ से कंट्रोल नही हुआ तो उन्हे देखते ही अपना लिंग रगड़ने लगा और कुछ देर बाद ही मेरा पैंट ही गीला हो गया

उस दिन के बाद से ही मेरा सास अब मुझ पर नजर रखने लगी और जानकर मुझे जब देखती तो वो कभी अपना कमर को झुका देती तो कभी अपना पांव फैला कर अपना हिप्स का दर्शन करवाती तो कभी अपने बड़े दूध दिखाने के लिए चाय के बहाने झुक जाती

अब ये रोज होने लगा

एक दिन वो गुलाबी साड़ी में लिपटी हुई थी। नई साड़ी में चमक रही थी। उन्होंने अच्छी तरह से मेकअप कर रखा था। होठो पर लिपस्टिक चमक रही थी। पिंक लिपस्टिक में मेरी सास काफी सेक्सी माल दिख रही थी।

“हेलो मम्मी जी! आप कैसी है??” मैंने कहा

“दमाद जी क्या लोगे, ठंडा या कुछ गर्म, वो अपनी बड़ी बड़ी कसी कसी दूध की तरफ इशारा करके कहने लगी

मैं तो सकपका गया।

फिर बोलती है ज्यादा भोला मत बना करो, मैं सबकुछ जानती हूं आपके बारे में जब से आपका सादी मेरी बेटी से हुआ है तब से,

की कैसे मेरे पर नजर गड़ाए बैठे हो, ऐसा लगता है मिल जाऊं तो खा जाओगे और फिर हसने लगी

क्या कह रही है आप” मैं हकलाकर पूछने लगा

“ज्यादा अनजान मत बनो। उस दिन क्लब में तुमने मुझे गैर मर्द के साथ मजे करते हुए देख लिया था। तुमने ये बात मेरी बेटी को नही बताई। इसलिए मैं तुमको अपनी जवानी गिफ्ट करना चाहती हूँ । सास बोली

और मेरे हाथ को पकड़कर अपने बड़े बड़े दूध पर रख दिया। आज उन्होंने हाफ स्लीव्स वाला ब्लाउज पहन रखा था जो डीप नेक था। सासु माँ की सफ़ेद दूध मुझे ठीक सामने दिखाई दे रही थी। देखकर ही मेरा लिंग खड़ा होने लगा

फिर मैंने उनसे कहा की आपकी बेटी है सामने वाला कमरे में, उसका तो ख्याल करो

दामाद जी मैं कोई कच्ची खेल नही खेलती, आज सुबह ही बेटी को अपने बहु के पास भेज दी, ये बोलकर की वो पेट से है और मैं बोलकर आ गई की दामाद जी मैं देखभाल करती हूं

मैं अब ना पीछे देखा ना आगे और उनपर टूट पर उनका लिप्स को अपने लिप्स में दबाकर चूसने लगा तो कभी उनके मुंह के अंदर अपनी जीभ से उनके जीभ को लॉक कर देता, एक हाथ उनका स्तन पर था और दूसरा उनका हिप्स पर और जोरो से चुम्मा हो रहा था

अब इनबॉक्स में
[+] 1 user Likes usaiha2's post
Like Reply
#25
Heart 
[Image: 1dd75c4629f2e8a3e187e2206baf8a60.jpg]
Like Reply
#26
फिर आगे क्या होगा❓
Like Reply
#27
horseride .....
Like Reply
#28
banana

ये यह कहानी है एक नामर्द की जिसका नाम राज है और उसकी बीवी का नाम है  सिमरन एक सुंदर और आज्ञाकारी बीवी है पर जिसको अभी तक किसी ने प्यार नहीं दिया jo vo cha ti thi|  सिमरन इतनी सुंदर थी कि mholaay का हर आदमी नजर उस पर थी और यह बात राज अच्छी तरीके से जानता था लोग राज से दोस्ती करना चाहते थे ताकि वह सिमरन के करीब आ सके | पर esmai एक रुकावट था वो  है राज का एक दोस्त जिसका नाम था रिक्की वह उसका 12 साल से फ्रेंड था Ricky राज के बारे में हर चीज जानता था विक्की ने राज को इंसिस्ट किया कि अब वो टाइम आ गया है कि वह अपनी फैंटेसी को पूर kre Ricky ne राज को अपना प्लान बताया or राज को उसका plan बहुत पसंद आता है और कहानियां यहां से शुरू होती है

Raj- राज कार चलाते हुए सोचा जा रहा था कि अगर यह प्लान सक्सेसफुल हो गया तो उसकी फैंटेसी को पूरा होने से कोई भी नहीं रोक सकता राज घर में पहुंच जाता है और वही जो नॉर्मल प्रोसीजर है उसको follow krta है रात होती हैं सिमरन उसके साथ जब आती है तो वह apas mai बात करने लगते हैं राज अपना पहला दाव चलता है

RAJ- सिमरन मैं  कुछ  तुम से  बात  करना  चाहता हूं काफी  जरूरी  है 

Simran- सब ठीक तो है ना राज kafi सोच  mai dubay lg rhe हो 

Raj- हाँ सब tik है मैं यह सोच रहा था कि तुम क्यों ना सोशल मीडिया में एक्टिव हो jao मुझे ऐसा लगता है

Simran- Active  तो मैं हूं मेरी फेसबुक पर आईडी है टि्वटर पर आईडी है मैं वैसे ही पर बहुत ज्यादा एक्टिव हूं  सोशल मीडिया पर

Raj- नो मेरा वह मतलब नहीं था मैं चाहता हूं तुम एक ऐसा पेज बनाओ जिस पर तुम इंडियन कल्चर को हमारी सभ्यता को प्रमोट करो

Simran- आपका मतलब है जैसे एक मॉडल के जो पेज होते हैं वह जैसे सारी ko प्रमोट करते हैं वैसे ही आप का मतलब hai

Raj- हां वही मैं मेरा मतलब वही था क्योंकि मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा है जिस तरीके से आजकल की जो लड़कियां हैं जो फॉरेन कल्चर के पीछे भाग रही है मैं चाहता हूं कि तुम कुछ ऐसा करके दिखाओ कि जिससे वह इंडियन कल्चर की तरफ और बड़े और तुम्हारा जो सारी का जो dressing सेंस है  वह बहुत ही गजब है और मुझे बहुत पसंद है और मुझे लगता है कि लोगों को भी बहुत पसंद आएगा

Smiran- आपको ko kya lgta hai ye kafi easy hai 

Raj - nhi easy nhi hai par muskil bi nhi hai

Smiran- baki baate  सब ठीक है पर आ जाना आपके दिमाग में यह आइडिया आया कहां से मैं सोच रही हूं कि आपने पहले इस बारे में जिक्र नहीं किया

Raj- वैसे ye आईडिया मेरे दिमाग में बहुत टाइम से था पर मैंने सोचा कि शायद अब यह सही time hai  जो आपसे मैं यह आइडिया शेयर कर दूं बाकी आपकी मर्जी है कि यह आप accept करो या ना करो ( राज मन के अंदर यही सोच रहा है  कि सिमरन का es प्लेन मान ले तो उसका पहला स्टेप पार हो जाएगा)

Simran- ठीक है मैं सोचूंगी इस बारे में और मैं आपको बता दूंगी पेज बना कर apko bta du gi

राज  प्लान बताने के बाद काफी दिन बीत जानते हैं पर अभी तक कुछ भी राज को रिस्पांस नहीं मिलता राज को लगता है कि शायद सिमरन इसमें इंटरेस्ट नहीं है राज को लगता है कि उसका plan floop हो गया है  ...


.पर 20 दिन बाद अचानक ही राज के व्हाट्सएप पर बहुत सारे मैसेज आने लगते हैं और यह सब मैसेज उसके मोहल्ले के मर्दों के आने लगते हैं राज अपना मोबाइल खोल कर देखता है कि उसमें बहुत सारे नोटिफिकेशन आते हैं वह थोड़ा हैरान हो जाता है कि किस चीज कितने नोटिफिकेशन आ रहे हैं वह देखता है कि सब इंस्टाग्राम पर मैसेज आए हैं जब वह मैसेज खोलता है तो बहुत हैरान हो जाता है उसमें सारे मोहल्ले के मर्द होते हैं वह उसकी बीवी की तारीफ कर रहे होते हैं और सब कहते हैं कि भाभी जी ने कमाल कर दिया बहुत जबरदस्त trik se हमारे कल्चर को promote कर रही हैं

Raj जल्दी से Instagram खोलता है वह देखता है कि उसकी बीवी ने एक पेज बना रखा है जिसका नाम है देसी divas और जब us page ko  खोलता है वह देख kar  बहुत हैरान हो जाता है uski  बीवी ne  पहली पिक  अपलोड की thi जिसमें सिमरन सारी में होती है और उसका आधा बदन पूरा साफ-साफ सबको नजर आ रहा होता है यह पिक देखकर राज pagal ho jata hai or soch ta hai ki uski biwi ne use pura famous  krdiya hai अब  har  जगह  उसके  chrche hongay ..ab Raj ka प्लान शुरू हो चुका है 2 घंटे में ही सिमरन के पिक पर 5000 से ज्यादा लाइक और 600 से ज्यादा कमेंट आ चुके थे हैं जिसमें हर कोई  उसकी बीवी k सुंदरता के गुण गा रहा था यह सब मैसेज पढ़ कर राज बिल्कुल ही पागल हो और अपनी फेंटेसी में चूर चूर हो गया उसने सोचा कि क्यों ना सिमरन को फोन लगाया जाए और  सिमरन को फोन लगाता है ab उसकी बातें ye hai

Raj- hello simran

Simran- ji Raj ji 

Raj- wow ye tho कमाल करदिया  अपने inti जबरदस्त तस्वीर  dali hai apne

Simran- सच में आपको मेरी तस्वीर बहुत पसंद आई है पर मुझे ऐसा लगा कि शायद मैंने कुछ ज्यादा ही expose कर दिया शायद आपको yh देकर अच्छी नहीं लगेगी

RAJ- नहीं नहीं सिमरन ye तो एकदम जबरदस्त है यह देखो ना आपके कमेंट कैसे-कैसे आ रहे हैं  like tho देखो कितने आ रहे हैं अगर ऐसे लगा ऐसे लाइक मिलते rhe तुम्हें काफी पॉपुलर हो जाओगी और मैं यही तो चाहता था कि आप independ बनूं or मुझे लगता hai es se अच्छा मौका nhi नहीं मिलेगा मैं सोचता हूं कि हमें  esko कंटिन्यू आगे और अच्छी तरीके से करना चाहिए 

Simran- थैंक्स राज जी आपका सपोर्ट के लिए मैं तो सोच रही थी क्या पता आप मुझे danto  गए पर आपने मुझे इतना सपोर्ट किया अब मैं टेंशन फ्री हूं पर मुझे एक दिक्कत हो रही है कि kuch कमेंट अजीब से आ रहे हैं क्यों ना इस कमेंट box ko block krday taki कोई कमेंट ना करें पाए 

Raj- नहीं नहीं सिमरन ऐसे मत करना है ऐसे हमारे impression बहुत गलत पड़ेगा वह आपके fans है वह कुछ भी कमेंट कर सकते हैं  ( राज मन ही मन सोच रहा है कि इन्हीं कॉमेंट्स के लिए तो मैंने यह सब कुछ किया और यह पगली chati hai ki log comment na kre इसको नहीं पता कि मैं कितना इंजॉय कर रहा हूं ) 

Simran- ओके ओके ठीक है ठीक है मैं समझ रही हूं आप क्या कहना चाहते हो तो मुझे भी कोई दिक्कत नहीं है अब जो भी कमेंट करेंगे मैं उसको  लाइक भी करूंगी

Raj- ha jo  सबसे बेस्ट कमेंट करेगा तो उसको भी आप ko reply  करना होगा उसके मैसेज में जाकर उसे थैंक्स करना होगा

Simran- हां मैं भी सोच रही थी पर मुझे समझ नहीं आ रहा है कि कि kis कमेंट को मैं सबसे पहले reply kru

Raj- ओके ओके dhko 3 number wala comment  जो सूरज का है उसमें देखो कितना अच्छा लिखा है उसने यह लिखा है कि हर मर्द को अपनी बीवी को इस तरीके से प्रमोट करना चाहिए और अपनी बीवियों को कल्चर को बढ़ाने के लिए मोटिवेट करना चाहिए देखो यह मेरी भी तारीफ कर रहा है और आपकी तारीफ कर मुझे लगता है आपको इसको रिप्लाई कर देना चाहिए

Simran - ओके ठीक है मैं इसको रिप्लाई कर देती हूं और मैं पूरा इस पर ध्यान रखती हूं और आप अपना ऑफिस में काम करिए    

    ....... तू भी कंटिन्यू.....

.Anyone here to act mholay wale adim wale ka role
[+] 1 user Likes usaiha2's post
Like Reply
#29
[Image: Screenshot-20210429-093523-Whats-App.jpg][Image: Screenshot-20210429-093526-Whats-App.jpg]
Like Reply
#30
Heart 
सौतेली मां की तड़प

अदिति 34 (सौतेली मां)
प्रेम 25 (सौतेला बेटा)

टाइटल - इंसेस्ट और तड़प

अदिति 34, हाउसवाइफ थी और पढ़ी लिखी मॉडर्न थी, 34 30 34 का सुडोल फिगर था और कामुकता की मिशाल थी । मेरी सौतेली मां दिखने में खूबसूरत हैं. उनका दूध हरा भरा था और चूतड़ों का आकार एकदम गोल मटोल है. जब मां चलती हैं, तो उनकी मस्तानी चाल देख कर किसी का भी लिंग खड़ा हो जाएगा

मैं प्रेम 25 का, असम में रहता हूं, मैं दिखने में स्मार्ट नौजवान हूँ. कोई भी लड़की देखते ही मुझ पर फ़िदा हो जाती है

मैं इंजीनियर हूँ और अभी एक बड़ी कंपनी में मैनेजर हूँ. मेरा गांव पुणे से नजदीक है, यही कोई 30-35 किलोमीटर के फासले पर है.

हमारे घर में मैं, पिताजी और मेरी सौतेली मां रहते हैं. बड़ी बहन शादी हो गयी है और वह अपने ससुराल में है. पिताजी की उम्र 48 साल है. उनका कद भी मेरे जितना ही है. वे एक कंपनी में अफसर हैं. वो अपने काम की वजह से हफ्ते में तीन चार दिन घर से बाहर ही रहते हैं.

मेरी सौतेली मां तो सिर्फ रिश्ते में ही मेरी मां हैं. लेकिन उन्होंने आज तक कभी मुझे इसका अहसास नहीं होने दिया. वो मुझे अपना फ्रेंड ही समझकर बर्ताव करती हैं. मुझे बहुत ही प्यार करती हैं और मेरा बहुत ख्याल रखती हैं.

हम दोनों माँ बेटा बहुत सारी बातें खुलकर करते हैं. एक दूसरे के साथ हंसी मजाक करते हैं. कभी कभी पास बैठकर एक दूसरे के गले में हाथ डालकर बातें करते हुए बैठते हैं. मेरे सिवाए उनके साथ बातें करने के लिए कोई नहीं था क्योंकि पिताजी उन्हें ज्यादा समय नहीं दे पाते थे.

इतना खुलापन होने के बावजूद भी मैंने कभी भी अपनी सौतेली मां को गलत नजर से नहीं देखा था.

ये बात एक साल पहले की है. मैं एक कंपनी में इंटरव्यू के लिए गया था. सौभाग्य से पहली बार में ही मेरा चयन मैनेजर के पद के लिए हो गया. कंपनी ने मुझे मेरी नियुक्ति का पत्र भी दे दिया और अगले हफ्ते ज्वाइन करने को कहा.

मैंने अपनी इस सफलता पर बहुत खुश हो गया था. बाहर आकर मैंने बाईक निकाली और रास्ते से मिठाई की दुकान से पेड़े का डिब्बा खरीद कर कुछ ही मिनट में अपने घर आ पहुंचा.

उस समय दोपहर के साढ़े बारह बजे थे. मैंने उत्साह में मां को आवाज दी, तो वो किचन में थीं. वो बोलीं- हां मैं यहां हूँ … क्या हुआ आज बहुत खुश दिख रहा है प्रेम!

मैं उनके पास जाकर बोला- हां मां … मुझे जॉब मिल गयी है. ये देखो लैटर.
उन्होंने नियुक्ति पत्र पढ़ा, तो वो भी बहुत खुश हो गईं.

उन्होंने मेरा अभिनंदन किया और मुझे अपने गले से लगा लिया. मैंने भी पेड़े का डिब्बा किचन की पट्टी पर रखकर उनको अपनी बांहों में भर लिया.

उन्होंने मेरे माथे पर किस किया, फिर मेरे दोनों गालों पर किस किया.

मां मुझे बांहों में भरे हुए थीं और वे मेरी पीठ सहला रही थीं.
मां बोलीं- प्रेम, आज मैं बहुत खुश हूँ.

उनका सर मेरे कंधे पर टिका हुआ था. उनके कड़क स्तन मेरे सीने पर दबे जा रहे थे. मैं भी उनकी पीठ पर अपने हाथ फेर रहा था. मेरे दिल में आज कुछ कुछ होने लगा था. उनकी गर्म सांसें मेरे बदन को उत्तेजित कर रही थीं. मुझे सौतेली मां की योनि की खुशबू, मुझे सोने के लिए उकसा रही थी.

बात आगे बढ़ने से पहले ही मैं बोला- मां पिताजी कहां हैं?
वो बोलीं- अभी आ जाएंगे, वो कुछ काम के लिए बाहर गए हैं.
मैंने कहा- मैं पेड़े लाया हूँ … आप दोनों का मुँह मीठा करना है.
वो बोलीं- ठीक है, पहले फ्रेश हो जाओ. बाद में पहले भगवान को प्रसाद चढ़ा कर सभी को देना … समझे!
‘ठीक है मां..’ कहते हुए मैं बाथरूम में चला गया.

जल्दी जल्दी फ्रेश होकर मैंने भगवान को प्रसाद चढ़ाया, उन्हें नमस्कार किया और बाहर आ गया.

फिर मैंने मां को पेड़ा खिलाया और उन्होंने मुझे खिलाया. इतने में पिताजी भी आ गए.

हम दोनों को प्रसन्न देख कर पिताजी बोले- प्रेम क्या बात है … आज तुम दोनों बहुत खुश दिख रहे हो!

मैंने उन्हें लैटर दिखाया और मेरे जॉब लगने के बारे में सब कुछ बोल दिया.

वैसे भी लेटर में सब कुछ लिखा था. पेमेंट और ज्वाइनिंग डेट भी लिखी थी.

ये सब पढ़ कर पिताजी भी बहुत खुश हो गए. मैंने उनके चरण स्पर्श किये और उनको पेड़ा खिलाया.

उनकी आंखों में आंसू आ गए थे. मैंने बोला- पिताजी आप क्यों रो रहे हैं?
पिताजी बोले- नहीं प्रेम, ये ख़ुशी के आंसू हैं. मैं तुम्हारी सफलता से आज बहुत खुश हूँ. बेटा तुम अपने पैरों पर खड़े होने जा रहे हो. प्रेम मुझे तुम पर नाज है.

ये कहकर पिता जी ने मुझे गले से लगा लिया. मां भी हमारे साथ शामिल हो गईं. हम तीनों एक दूसरे के साथ गले मिल कर अपनी ख़ुशी मनाने लगे.

ये सच में मेरे लिए बहुत ही हसीन पल था.

फिर पिताजी बोले- अदिति, खाना लगाओ … मैं फ्रेश होकर आता हूँ.

वो बाथरूम में चले गए. मां भी किचन में चली गईं. मैं डायनिंग टेबल पर कुर्सी लेकर बैठ गया.

मां ने खाना परोसा और हम तीनों बातें करके खाना खाते रहे. मैं मां के सामने बैठा था और पिताजी उनकी बगल में थे. मुझे रोटी देते समय मां को कुछ ज्यादा ही झुकना पड़ रहा था, तो मुझे उनके गोरे, कड़क स्तन दिख रहे थे. मैं भी गौर से मां के मम्मे देख रहा था. ये मुझे बहुत अच्छा लग रहा था

मां भी मुझे देख रही थीं कि मेरी नजरें उनके मम्मों पर हैं. ये देख कर आज मां की नजरें कुछ बदली सी थीं. वो मुझे बार बार देख रही थीं और मैं उनके मम्मों को निहार रहा था.

इतने में पिताजी का खाना हो गया और वो बोले- तुम लोग आराम से खा लो. मैं आराम करने जा रहा हूँ.
वो चले गए.

मां बोलीं- हर्षद, तुम ये क्या बार बार घूर-घूर कर मुझे देख रहे थे? ऐसा मुझमें तुझे क्या नया दिख रहा है? तुम बहुत बदमाशी कर रहे हो.
मैंने कहा- कुछ नहीं मां … बस मैं तो ऐसे ही देख रहा था. मुझे माफ कर दो.
वो हंसकर बोलीं- अरे हर्षद मैं तुम पर गुस्सा नहीं कर रही हूँ … मैंने तो तुम्हें ऐसे ही बोला. वैसे भी तुम्हारी यही उम्र तो है ताक-झांक करने की

मैंने उनकी हंसी देखी, तो सामान्य हो गया.
कुछ ही देर में हमारा खाना भी हो गया और मां सभी बर्तन लेकर किचन में अपना काम करने लगीं.

मैं उठ कर अपने रूम में चला गया.

कमरे में मैं अपने बेड पर लेटा था, लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी. बार बार मेरी आँखों के सामने वही सारे दृश्य आ रहे थे. मां और मैं एक दूसरे के पीठ पर हाथ फेर रहे थे. उनके स्तनों का दबाव मेरे सीने पर मुझे मस्त कर रहा था. फिर खाना खाते वक्त दिखने वाले सेक्सी मम्मों को देख कर मैं गर्म हुए जा रहा था.

मैं खुद अपने आपको कोसने लगा कि मैं अपनी मां के बारे में कितना गंदा सोचता हूँ.
यही सब सोच कर मुझे कब नींद आ गई, इसका कुछ पता ही नहीं चला.

कुछ देर बाद उठा और शाम के टाइम अपने हाल में बैठा था

मां बोलीं- मैं खाना बनाती हूँ.

ये कह कर मां किचन में चली गईं. मैं और पिताजी टीवी चालू करके हॉल में ही सोफे पर बैठ गए. मेरी नजरें किचन में गईं, तो मां के हिलते हुए चूतड़ मुझे दिख रहे थे. उनके मस्त गोल मटोल चूतड़ मुझे उत्तेजित करने लगे थे. वे इधर उधर हिलतीं, तो उनकी गांड के दोनों फलक ऊपर नीचे हो रहे थे. जब मां नीचे को झुकतीं, तो उनके दोनों चूतड़ों के बीच वाली दरार साफ दिख रही थी.

ना चाहते हुए भी मेरी नजरें उस तरफ बार बार जा रही थीं. मैं टीवी कम, अपनी मां के मदमस्त जोवन को ही ज्यादा देख रहा था.

एक बार तो मेरी और मां की नजरें टकरा भी गईं. मैं नजरें मिलते ही सकपका गया, मगर वो मुझे देख कर हंसने लगीं. मां अब बार बार मुझे देखते हुए अपना काम करती रहीं

फिर सब खाना खाए, मोम डैड सोने चले गए और मैं भी सोने चला गया

मैं रात को सोते समय सिर्फ एक जांघिया में ही सोता हूँ. लेकिन अभी ठंडी की वजह से मैंने लुंगी और बनियान भी पहनी हुई थी.

मैं लेट गया, लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी. आंखें बंद करने के बाद न चाहते हुए भी मुझे मां के कड़क और सेक्सी स्तन, गोल-मटोल हिलते हुए चूतड़ और उनके गर्म हाथों का स्पर्श बार बार गर्म कर रहा था. उनकी गर्म सांसें मेरे गालों पर मुझे महसूस हो रही थीं

ये सब सोचकर मेरे बदन में कुछ कुछ होने लगा था. मेरा लिंग आहिस्ता आहिस्ता खड़ा होने लगा था. मुझे अब लगने लगा था कि मेरा लिंग जांघिया को फाड़कर बाहर आने की कोशिश कर रहा है.

मैंने लुंगी में हाथ डालकर जांघिया को नीचे कर दिया … और लिंग को आजाद कर दिया

इतने में मां मेरे कमरे का दरवाजा खोल कर अन्दर आ गयी और बोलीं- प्रेम ठंड ज्यादा है ना … तो मैं तुझे ये कम्बल देने आयी थी. मैंने आँख खोल कर मां को देखा, तो पाया कि उनकी नजरें मेरी लुंगी में बने हुए तंबू पर थीं. मैं घबराकर उठकर बैठ गया. मेरी तो फट गयी थी. ठंडी में भी मुझे पसीना आ रहा था

तभी मां मेरे कमरे में आ गईं और मैं उन्हें देख कर अपनी लुंगी को सम्भालने लगा था

मां हंसकर बोलीं- ऐसा होता है इस उम्र में.
उनकी नजरें मेरी लुंगी के तंबू पर ही जमी थीं. मां बोलीं- अभी सो जाओ प्रेम, ग्यारह बज गए हैं.

मां अपने बेडरूम में चली गईं. उनका कमरा मेरे कमरे से लगा हुआ ही था. फिर मैं सो गया.

सुबह नौ बजे मैं उठा, तो पिताजी अपने ऑफिस चले गए थे.

मैं नहाने जा रहा था, तभी मां ने किचन से हंसकर आवाज दी- अरे उठ गए प्रेम. रात को नींद लगी आ नहीं!

माँ से मैं नजरें नहीं मिला पा रहा था. फिर भी किसी तरह मैं बोला- हां मां बहुत अच्छी नींद आई.

मैंने उनकी तरफ देखा, तो मैं तो होश ही खो बैठा. मैं उन्हें देखता ही रह गया. मां ने एक पिंक कलर की टाइट सी नाइटी पहनी थी. उसमें से उनकी ब्लैक कलर की ब्रा और पैंटी साफ़ दिख रही थी. उनका एकदम सेक्सी क्लीवेज देखकर मेरे लिंग में हलचल होने लगी. मां क्या मस्त सेक्सी माल लग रही थीं

इतने में मां बोलीं- प्रेम मैं तुम्हें अपना बेटा नहीं बल्कि एक दोस्त मानती हूँ. तुमसे अपनी सभी बातें शेयर करती हूँ. मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ प्रेम

बस ऐसे ही बोलते बोलते मां ने मेरा चेहरा अपने हाथों में पकड़ कर मेरे माथे पर किस किया, फिर गालों पर चूमा और फिर मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए.

मैं भी इससे मदहोश हो गया था. मैंने भी उन्हें अपनी बांहों में कस लिया. मैं भी उन्हें साथ देने लगा. मैं भी उनके होंठों चूसता रहा.

हम दोनों एक दूसरे की पीठ पर हाथ घुमा रहे थे. हम दोनों की सांसें बहुत तेज चलने लगी थीं. मेरे दोनों हाथ उनके मुलायम सेक्सी बदन पर फिरने लगे थे. वो भी मेरी कमर, पीठ, जांघों पर हाथ फिरा रही थीं

इससे मेरा लिंग खड़ा होने लगा. मेरी लुंगी में तंबू सा बन गया था. लिंग खड़ा हुआ, तो मैंने झट से अपने हाथ मां के बदन से हटा लिए.

मां बोलीं- क्या हुआ प्रेम!

मैं बोला- मां हम दोनों ये सब गलत कर रहे हैं. तुम मेरी मां हो. ये सब करना पाप है.
ये कह कर मैं खड़ा हो गया.

तभी मेरी लुंगी में तंबू बना देखकर मां बोलीं- अगर ये सब पाप है, तो ये ऐसा क्यों हो गया?

उन्होंने वैसे ही तंबू को पकड़ कर मेरा लिंग हिला दिया. मेरी तो फट रही थी. मां के पकड़ने से मेरा लिंग तो और जोश में आने लगा था.

मेरे पास इसका कुछ जवाब नहीं था. मैं बोला- पता नहीं, कल से ऐसा क्यों होने लगा है.

मां बोलीं- तुम एक मर्द हो और मैं एक औरत हूँ. इसलिए सेक्स भावनाएं जागृत होती हैं. तुम अब बड़े हो गए हो

फिर अचानक से मेरी सौतेली मां मुझे अपने सीने से लगा ली जिससे कारण उनका स्तन कड़ा हो गया और मेरे सीने में चुभने लगा, पर कुछ गीला एहसास हुआ था उनको मैं अपने से अलग किया और देखा वो रो रही थी

मैंने पूछा- मां आप क्यों रो रही हो?

मां- नहीं प्रेम, मैंने बरसों से इन आसुँओं को बहुत रोके रखा है … जी भर के रो लेने दे मुझे … मैं बहुत प्यासी हूँ प्रेम. मैं किसी मेरा दुःख कैसे बताऊं … अगर मेरी मां या बहन होती, तो उन्हें बता सकती थी. सब कुछ है मेरे पास
लेकिन मेरे जिस्म की प्यास को मैं कैसे बुझाऊं. दिन तो तुम लोगों के साथ निकाल लेती हूँ. लेकिन रात जल्दी नहीं कटती

वो आगे बोली- मैं क्या करूं प्रेम … तुम ही बताओ. मैं तो पराये मर्द के बारे में सोच भी नहीं सकती. अपने घर की इज्जत का सवाल है … और मैं अपने घर की इज्जत पर कोई दाग नहीं लगने दूंगी प्रेम. एक तुम ही मेरी मदद कर सकते हो प्रेम

मैं बोला- मां अगर तुम यही चाहती हो, तो मैं तैयार हूँ. मैं तुम्हें हमेशा खुश देखना चाहता हूँ

ये सुनकर मां मुझे लिपटकर बोलीं- आय लव यू प्रेम
मैंने भी मां को बांहों में भर लिया और कहा-
आय लव यू मां

मां बोलीं- प्रेम जब हम दोनों अकेले हों, तो तुम मुझे सिर्फ अदिति कहकर ही बुलाओगे.

ये कह कर वो मुझे किस करने लगीं. मेरा लिंग उनकी योनि पर ऊपर से ही रगड़ रहा था

फिर मैंने देर ना करते हुए उन्हें पागलों की तरह चूमने लगा, दांत काटने लगा और फिर उनको उठाकर अपने बेडरूम में सुला दिया

फिर नाभी को चूमने लगा उफ्फ मत पूछो की कब की प्यास थी ये, दोनो तरफ से आग लगा हुआ था

अब इनबॉक्स में
[+] 1 user Likes usaiha2's post
Like Reply
#31

[Image: FB-IMG-1619671322966.jpg]
Like Reply
#32
Heart 
yourock
[+] 2 users Like usaiha2's post
Like Reply
#33
Heart 
Heart SHANTI

[Image: FB-IMG-1619855879199.jpg]
[+] 1 user Likes usaiha2's post
Like Reply
#34
Heart 
Heart
एक अनोखी INCEST कहानी पढ़िए...
(यह एक पूर्ण कहानी है).

परिवर्तन

संजीवनी हॉस्पिटल के ट्रॉमा सेंटर में भीड़ लगी हुई थी. दो किशोर लड़कों का एक्सीडेंट हुआ था. उन्हें आनन-फानन में हॉस्पिटल में भर्ती कराया जा रहा था. आमिर तो लगभग मरणासन्न स्थिति में था, दूसरा लड़का राहुल भी घायल था पर खतरे से बाहर था. हॉस्पिटल का कुशल स्टाफ इन दोनों किशोरों को स्ट्रेचर पर लाद कर ऑपरेशन थिएटर की तरफ भाग रहा था. कुछ देर की गहमागहमी के पश्चात ऑपरेशन थिएटर का दरवाज़ा बंद हो गया और बाहर लगी लाल लाइट जलने बुझने लगी.

राहुल के पिता मदन हॉस्पिटल पहुंच चुके थे. उन्हें राहुल का मोबाइल और उसका बैग दिया गया जिसमे उसकी पर्सनल डायरी भी थी. राहुल मदन का एकलौता पुत्र था. राहुल की मां की दुर्घटना में मृत्यु के बाद उन्होंने उसे पाल पोस कर बड़ा किया था. मदन राहुल के बचपन में खोये हुये थे, तभी ऑपरेशन थिएटर का दरवाजा खुला और सफेद चादर से ढकी हुई आमिर की लाश बाहर आई. उसके परिवार वाले फूट-फूट कर रो रहे थे. मदन भी अपने आंसू नहीं रोक पा रहे थे. तभी दूसरे स्ट्रेचर पर राहुल भी बाहर आ गया. वह जीवित था और खतरे से बाहर था. मदन के चेहरे पर तो आमिर की मृत्यु का दुख था पर हृदय में राहुल के जीवित होने की खुशी.

प्राइवेट वार्ड में आ जाने के कुछ देर बाद राहुल को होश आ गया. वह कराहते हुए बुद बुदा रहा था.... अमिर….आमिर... मैं तुमसे….. बहुत प्यार करता हूं ... मैं तुम्हारे बिना नहीं जी पाऊंगा…… उसने अपनी आंखें एक बार फिर बंद कर लीं.

मदन के लिए यह अप्रत्याशित था..कि.जी अपने पुत्र को जीवित देख कर वो खुश थे परंतु उसके होठों पर आमिर का नाम... और उससे प्यार…. यह आश्चर्य का विषय था.

राहुल की पास रखी हुयी डायरी पर नजर पड़ते ही उन्होंने उसे शुरू कर दिया. जैसे-जैसे वह डायरी पढ़ते गए उनकी आंखों में अजब सी उदासी दिखाई पड़ने लगी. राहुल एक समलैंगिक था, वह आमिर से प्यार करता था. यह बात जानकर उनके होश फाख्ता हो गए.

राहुल एक बेहद ही सुंदर और कोमल मन वाला किशोर था जिसमें कल ही अपने जीवन के 19 वर्ष पूरे किए थे. शरीर की बनावट सांचे में ढली हुई थी. उसकी कद काठी पर हजारों लड़कियां फिदा हो सकतीं थीं पर राहुल का इस तरह आमिर पर आसक्त हो जाना यह अप्रत्याशित था और अविश्वसनीय भी.

पूरी तरह होश में आने के बाद राहुल के आंसू नहीं थम रहे थे. आमिर के जाने का उसके दिल पर गहरा सदमा लगा था. मदन उसे सांत्वना दे रहे थे पर उसके समलैंगिक होने की बात पर अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहे थे.

राहुल के आने वाले जीवन को लेकर मदन चिंतित हो चले थे. क्या वह सामान्य पुरुषों की भाँति जीवन जी पाएगा? या समलैंगिकता उस पर हावी रहेगी? यह प्रश्न भविष्य के अंधेरे में था.

मदन राहुल को वापस सामान्य युवक की तरह देखना चाहते थे पर यह होगा कैसे? वह अपनी उधेड़बुन में खोए हुए थे… तभी उन्हें अपनी सौतेली बहन मानसी का ध्यान आया.

मदन के फोन की घंटी बजी और मानसी का नाम और सुंदर चेहरा फोन पर चमकने लगा यह एक अद्भुत संयोग था.. मदन ने फोन उठा लिया

"मदन भैया, मैं सोमवार को बेंगलुरु आ रही हूं"

"अरे वाह' कैसे?"

"सुमन का एडमिशन कराना है" सुमन मानसी की पुत्री थी.

मदन ने राहुल की दुर्घटना के बारे में मानसी को बता दिया. मानसी कई वर्षों बाद बेंगलुरु आ रही थी. मदन चेहरे पर मुस्कुराहट लिए मानसी को याद करने लगे.

##

मदन के पिता मानसी की मां को अपने परिवार में पत्नी स्वरूप ले आए थे जिससे मानसी और उसकी मां को रहने के लिए छत मिल गयी थी तथा मदन के परिवार को घर संभालने में मदद. यह सिर्फ और सिर्फ एक सामाजिक समझौता था इसमें प्रेम या वासना का कोई स्थान नहीं था. शुरुआत में मदन ने मानसी और उसकी मां को स्वीकार नहीं किया परंतु कालांतर में मदन और मानसी करीब आ गए और दो जिस्म एक जान हो गए. उनमें अंतरंग संबंध भी बने पर उनका विवाह न हो सका.

मदन और मानसी दोनों एक दूसरे को बेहद प्यार करते थे. मानसी का विवाह चंडीगढ़ में हुआ था पर अपने विवाह के पश्चात भी मानसी के संबंध मदन के साथ वैसे ही रहे.

मानसी अप्सरा जैसी खूबसूरत थी बल्कि आज भी है आज 40 वर्ष की में भी वह शारीरिक सुंदरता में अपनी उम्र को मात देती है. अपनी युवावस्था में उसने मदन के साथ कामुकता के नए आयाम बनाए थे. मानसी और मदन का एक दूसरे के प्रति प्रेम और समर्पण अद्भुत और अविश्वसनीय था.

##

मानसी के बेंगलुरु आने से पहले राहुल हॉस्पिटल से वापस घर आ चुका था. मानसी को देखकर मदन खुश हो गए. मानसी की पुत्री सुमन ने उनके पैर छुए. सुमन भी बेहद खूबसूरत और आकर्षक थी.

राहुल को देखकर मानसी बोल पड़ी

"मदन भैया, राहुल तो ठीक आपके जैसा ही दिखाई देता है" मदन मुस्कुरा रहे थे

राहुल ने कहा

"प्रणाम बुआ" मानसी ने अपने कोमल हाथों से उसके चेहरे को सहलाया तथा प्यार किया. सुमन और राहुल ने भी एक दूसरे को अभिवादन किया आज चार-पांच वर्षों बाद वो मिल रहे थे.

#

मानसी के पति उसका साथ 5 वर्ष पहले छोड़ चुके थे. मानसी अपने ससुराल वालों और अपनी पुत्री सुमन के साथ चंडीगढ़ में रह रही थी.

मानसी अपनी युवावस्था में अद्भुत कामुक युवती थी वह व्यभिचारिणी नहीं थी परंतु उसने अपने पति और मदन से कामुक संबंध बना कर रखे थे.

अपने पति के जाने के बाद मानसी की कामुकता जैसे सूख गई थी इसके पश्चात उसने मदन के साथ , भी संबंध नहीं बनाए थे.

##

रात्रि विश्राम के पहले मदन और मानसी छत पर टहल रहे थे. मदन ने राहुल के समलैंगिक होने की बात मानसी को स्पष्ट रूप से बता दी वह भी दुखी हो गई.

उन्हें राहुल को इस समलैंगिकता के दलदल से बाहर निकालने का कोई उपाय नहीं सूझ रहा था. मदन ने उसके अन्य दोस्तों से बात कर यह जानकारी प्राप्त कर ली थी कि राहुल की लड़कियों में कोई रुचि नहीं है. कई सारी सुंदर लड़कियां उसके संपर्क में आने की कोशिश करती थीं पर राहुल उन्हें सिरे से खारिज कर देता था. उसका मन आमिर से लग चुका था.



##

कहानी अब मानसी कि कलम से


"मैं मानसी"

मदन भैया ने अचानक एक पुरानी बात याद करते हुए कहा ….

"मानसी तुम्हें याद है एक दिव्यपुरुष ने तुम्हें आशीर्वाद दिया था की जब भी तुम किसी कुंवारे पुरुष से संभोग की इच्छा रखते हुए प्रेम करोगी तो तुम्हारी यौनेच्छा कुंवारी कन्या की तरह हो जाएगी और तुम्हारी योनि भी कुवांरी कन्या की योनि की तरह बर्ताव करेगी."

मैं शर्म से पानी पानी हो गई मैनें अपनी नजरें झुका लीं.

"हां मुझे याद तो अवश्य है पर वह बातें विश्वास करने योग्य नहीं थी. वैसे वह बात आपको आज क्यों याद आ रही है?"

मदन भैया संजीदा थे उन्होंने कहा

"मानसी, भगवान ने तुम्हें सुंदरता और कामुकता एक साथ प्रदान की है. उस दिव्यपुरुष का आशीर्वाद भी इस बात की ओर इशारा कर रहा है की तुम राहुल को समलैंगिकता से बाहर निकाल सकती हो. तुम्हें अपनी सुसुप्त कामवासना को एक बार फिर जागृत करना है. यह पावन कार्य राहुल की जिंदगी बचा सकता है."

मदन भैया ने अपनी बात इशारों ही इशारों में कह दी थी.

"पर मदन भैया, वह मेरे पुत्र समान है मैं उसकी बुआ हूं"

"मानसी, क्या तुम सच में मेरी बहन हो?"

"नहीं"

"तो फिर तुम राहुल की बुआ कैसे हुई?" मैं निरुत्तर हो गई.

मुझे उन्हें भैया कहने की आदत शुरू से ही थी. जब मैं उनसे प्यार करने लगी तब भी मेरे संबोधन में बदलाव नहीं आया था. मेरे लाख प्रयासों के बाद मेरे मुख से उनके लिए हमेशा भैया शब्द ही निकलता पर हम दोनों भाई बहन न कभी थे न कभी हो सकते थे. हम दोनों एक दूसरे के लिए ही बने थे पर हमारे माता पिता के सामाजिक समझौते की वजह से हम दोनों समाज की नजरों में भाई बहन हो गए थे.

इस लिहाज से न राहुल मेरा भतीजा था और न हीं मैं उसकी बुआ. संबंधों की यह जटिलता मुझे समझ तो आ रही थी पर राहुल इससे बिल्कुल अनजान था. वह मुझे अपनी बुआ जैसा ही प्यार करता था और मैं भी उसे अपने वात्सल्य से हमेशा ओतप्रोत रखती थी.

"मानसी कहां खो गई"

"कुछ नहीं " मैं वापस वास्तविकता में लौट आई थी.

"भैया, मैंने राहुल को हमेशा बच्चे जैसा प्यार किया है. मैंने उसे अपनी गोद में खिलाया है. आप से मेरे संबंध जैसे भी रहे हैं पर राहुल हमेशा से मेरे बच्चे जैसा ही रहा है. उसमें और सुमन में मैंने कोई अंतर नहीं समझा है."

"इसीलिए मानसी मेरी उम्मीद सिर्फ और सिर्फ तुम हो. उसका आकर्षण किसी लड़की की तरफ नहीं हो रहा है. उसका सोया हुआ पुरुषत्त्व जगाने का कार्य आसान नहीं है. इसे कोई अपना ही कर सकता है वह भी पूरी आत्मीयता और धीरज के साथ"

"मम्मी, राहुल को दर्द हो रहा है जल्दी आइये" सुमन की आवाज सुनकर हम दोनों भागते हुए नीचे आ गए.

जब तक भैया दवा लेकर आते मैं राहुल के बालों पर उंगलियां फिराने लगी. 

राहुल की कद काठी ठीक वैसी ही थी जैसी मदन भैया की युवावस्था में थी. राहुल अभी मुझे उनकी प्रतिमूर्ति दिखाई दे रहा था. एकदम मासूम चेहरा और गठीला शरीर जो हर लड़की को आकर्षित करने के लिए काफी था. पर राहुल समलैंगिक क्यों हो गया? यह प्रश्न मेरी समझ से बाहर था. एक तरफ मदन भैया मेरे लिए कामुकता के प्रतीक थे जिनके साथ मैने कामकला सीखी थी वहीं दूसरी तरफ राहुल था उनका पुत्र... मुझे उस पर तरस आ रहा था. 

दवा खाने के बाद राहुल सो गया. मैं और सुमन दोनों ही उसे प्यार भरी नजरों से देख रहे थे वह सचमुच बहुत प्यारा था.

सुमन कॉलेज में दाखिला लेने के पश्चात हॉस्टल में रहने लगी और मैं राहुल का ख्याल रखने लगी. धीरे-धीरे मुझमें और राहुल में आत्मीयता प्रगाढ़ होती गई. राहुल मुझसे खुलकर बातें करने लगा था. उसकी चोट भी धीरे-धीरे सामान्य हो रही थी. जांघों के जख्म भर रहे थे.

मुझे राहुल के साथ हंस-हंसकर बातें करते हुए देखकर मदन भैया बहुत खुश होते एक दिन उन्होंने मुझसे कहा..

"मानसी, मैंने तुमसे गलत उम्मीद नहीं की थी. राहुल का तुमसे इस तरह हंस-हंसकर बातें करना इस बात की तरफ इंगित करता है कि तुम उसकी अच्छी दोस्त बन चुकी हो"

मैं उनका इशारा समझ रही थी मैंने कहा

"वह मुझे अभी भी अपनी बुआ ही मानता है मुझे नहीं लगता कि मैं यह कर पाऊंगी"

उनके चेहरे पर गहरी उदासी छा गई.

"आप निराश मत होइए, जो होगा वह भगवान की मर्जी से ही होगा. पर हां मैं आपके लिए एक बार प्रयास जरूर करूंगी"

उन्होंने मुझे अपने आलिंगन में ले लिया और मुझे माथे पर चूम लिया

"मानसी मैं तुम्हारा यह एहसान कभी नहीं भूलूंगा" आज हमारे आलिंगन में वासना बिल्कुल भी नहीं थी सिर्फ और सिर्फ प्रेम था.

मैंने अपना आखरी सम्भोग आज से चार-पांच वर्ष पूर्व किया था. सुमन के पिता के जाने के बाद मुझे कामवासना से विरक्ति हो चुकी थी. जो स्वयं कामवासना से विरक्त हो चुका हो उसे एक समलैंगिक के पुरुषत्व को जागृत करना था. यह पत्थर से पानी निकालने जैसा ही कठिन था पर मैंने मदन भैया की खुशी के लिए यह चुनौती स्वीकार कर ली.

##

राहुल की तीमारदारी के लिए जो लड़का घर आता था उसे मैंने हटा दिया और स्वयं राहुल का ध्यान रखने लगी. राहुल इस बात से असमंजस में रहता था कि वह कैसे मेरे सामने अपने वस्त्र बदले? पर धीरे-धीरे वह सामान्य हो गया.

आज राहुल को स्पंज बाथ देने का दिन था मैंने राहुल से कपड़े उतारने को कहा वह शर्मा रहा था पर मेरे जिद करने पर उसने अपनी टी-शर्ट उतार दी उसके नग्न शरीर को देखकर मुझे मदन भैया की याद आ गई अपनी युवावस्था में हम दोनों ने कई रातें एक दूसरे की बाहों में नग्न होकर गुजारी थीं. राहुल का शरीर ठीक उनके जैसा ही था. मैं अपने ख्वाबों में खोई हुई थी तभी राहुल ने कहा

"बुआ, जल्दी कीजिए ठंड लग रही है"

मैं राहुल के सीने और पीठ को पोंछ रही थी जब मेरी उंगलियां उसके सीने और पीठ से टकराती तो मुझ में एक अजीब सी संवेदना जागृत हो रही थी. मुझे उसे छूने में शर्म आ रही थी. जैसे-जैसे मैं उसके शरीर को छूती गई मेरी शर्म हटती गई. शरीर का ऊपरी भाग पोछने के बाद मैंने उसके पैरों को पोछना शुरू कर दिया जांघों तक पहुंचते-पहुंचते राहुल ने मेरे हाथ पकड़ लिये. मैंने भी आगे बढ़ने की चेष्टा नहीं की.

धीरे-धीरे राहुल मुझसे और खुलता गया. मैं उसके बिस्तर पर लेट जाती वह मुझसे ढेर सारी बातें करता और बातों ही बातों के दौरान हम दोनों के शरीर एक दूसरे से छूते रहते.
 
सामान्यतया वह पीठ के बल लेटा रहता और मैं करवट लेकर. मेरे पैर अनायास ही उसके पैरों पर चले जाते तथा मेरे स्तन उसके सीने से टकराते. कभी-कभी बातचीत के दौरान मैं उसके माथे और गालों को चूम लेती.

यदि प्रेम और वासना की आग दोनों तरफ बराबर लगी हो तो इस अवस्था से संभोग अवस्था की दूरी कुछ मिनटों में ही तय हो जाती पर राहुल में यह आग थी या नहीं यह तो मैं नहीं जानती पर मैं अपनी बुझी हुई कामुकता को जगाने का प्रयास अवश्य कर रही थी.

मदन भैया ने मुझे राहुल के साथ इस अवस्था में देख लिया था. वो खुश दिखाई पड़ रहे थे. 

##

अगले दिन शाम को ऑफिस से आते समय वह मेरे लिए कई सारी नाइटी ले आए जो निश्चय ही मेरी उम्र के हिसाब से कुछ ज्यादा ही उत्तेजक थीं. मैं उनकी मनोदशा समझ रही थी. अपने पुत्र का पुरुषत्व जागृत करने के लिए वह कोई कमी नहीं छोड़ना चाह रहे थे.

राहुल की जांघों पर से पट्टियां हट चुकी थीं. अब पूरी तरह ठीक हो चुका था उसने थोड़ा बहुत चलना फिरना भी शुरू कर दिया था.

राहुल से अब मेरी दोस्ती हो चली थी. मैं उसके बिस्तर पर लेटी रहती और उससे बातें करते करते कभी कभी उसके बिस्तर पर ही सो जाती. हमारे शरीर एक दूसरे से छूते रहते पर उसमें उत्तेजना नाम की चीज नहीं थी. मैं मन ही मन उत्तेजित होने का प्रयास करती पर उसके मासूम चेहरे को देखकर मेरी उत्तेजना जागृत होने से पहले ही शांत हो जाती.

##

शनिवार का दिन था सुमन हॉस्पिटल से घर आई हुई थी उसने राहुल के लिए फूलों का एक सुंदर गुलदस्ता भी खरीदा था. राहुल और सुमन एक दूसरे से बातें कर रहे थे. उन दोनों को देखकर मेरे मन में अजीब सा ख्याल आया. 

दोपहर में भी जब राहुल सो रहा था सुमन उसे एकटक निहार रही थी मेरी नजर पड़ते ही वह शर्मा कर अपने कमरे में चली गई. वह जिस प्रेमभाव को छुपा रही थी वह मेरे जीवन का आधार था. सुमन राहुल पर आसक्त हो गई थी पर उसे यह नहीं पता था की उसका यह प्रेम एकतरफा था.

##

अगले दिन सुमन हॉस्टल जा चुकी थी. राहुल दोपहर में देर तक सोता रहा था. मुझे पता था आज वह देर रात तक नहीं सोएगा. मैंने आज कुछ नया करने की ठान ली थी. मैंने स्नानगृह के आदमकद आईने में स्वयं को पूर्ण नग्न अवस्था में देखकर मुझे अपनी युवावस्था याद आ गई. मदन भैया से मिलने के लिए मैं यूं ही अपने आप को सजाती और संवारती थी. उम्र ने मेरी शारीरिक संरचना में बदलाव तो लाया था पर ज्यादा नहीं.

मेरी रानी (योनि) का मुख घुँघराले केशों के पीछे छुप गया था. वह पिछले तीन-चार वर्षों से एकांकी जीवन व्यतीत कर रही थी. आज कई दिनों पश्चात मेरी उंगलियों के कोमल स्पर्श से वह रोमांचित हो रही थी. मैंने रानी (चुुत) के मुख मंडल पर उग आए बालों को हटाना चाहा. जैसे जैसे मेरी उंगलियां रानी (बूर) और उसके होंठों को छूतीं वह जागृत हो रही थी. ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे किसी कैदी को आज बाहर निकाल कर खुली हवा में सांस लेने के लिए छोड़ दिया गया हो. मेरी रानी (वजाइना) के होंठो पर खुशी के आँशु आ रहे थे. मेरी उत्तेजना बढ़ रही थी.

जैसें ही मेरी आँखें बंद होतीं मुझें मदन भैया की युवावस्था याद आ जाती अपनी कल्पना में मैं उनके हष्ट पुष्ट शरीर को देख रही थी पर मुझे बार-बार राहुल का चेहरा दिखाइ दे जाता, राहुल भी ठीक वैसा ही था. 

मैं उन अनचाहे बालों को हटाने लगी. मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं अपनी रानी (जञनी) को एक बार फिर प्रेमयुद्ध के लिए तैयार कर रही हूँ. मेरी उत्तेजना बढ़ रही थी. इस उत्तेजना में किंचित राहुल का भी योगदान था.

राहुल के प्रति मेरा वात्सल्य रस अब प्रेम रस में बदल रहा था. मैं जितना राहुल के बारे में सोचती मेरी उत्तेजना उतनी ही बढ़ती. मेरे पूर्ण विकसित और अपना आकार खोते स्तन अचानक कठोर हो रहे थे. उन्हें छूते हुए मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे वह उम्मीद से ज्यादा कठोर हो गए हैं. इनमें इतनी कठोरता मैंने पिछले कई सालों में महसूस नहीं की थी. निप्पल भी फूल कर कड़े हो गए थे जैसे वह भी अपनी भागीदारी सुनिश्चित करना चाह रहे थे.

मुझे यह क्या हो रहा था? स्तनों को छूने पर मुझे शर्म और लज्जा महसूस हो रही थी. यह इतने दिनों बाद होने वाले स्पर्श का अंतर था या कुछ और? 

मुझे अचानक दिव्यपुरुष की बात याद आ गई. मुझे ऐसा लगा जैसे शायद उनकी बातों में कुछ सच्चाई अवश्य थी. आज राहुल के प्रति आकर्षण ने मुझमें शर्म और उत्तेजना भर दी थी.

स्नान करने के पश्चात मैं वापस कमरे में आयी और मदन भैया द्वारा लाई खूबसूरत नाइटी पहन ली. मैंने अपने ब्रा और पैंटी का त्याग कर दिया था शायद आज उनकी आवश्यकता नहीं थी. नाइटी ने मेरे शरीर पर एक आवरण जरूर दिया था पर मेरे शरीर के उभारों को छुपा पाने में वह पूरी तरह नाकाम थी. ऐसा लगता था उसका सृजन ही मेरी सुंदरता को जागृत करने के लिए हुआ था. मैंने अपने आप को सजाया सवांरा और आज मन ही मन राहुल के पुरुषत्व को जगाने के लिए चल पड़ी.

#

खाना खाते समय मदन भैया और राहुल दोनों ही मुझे देख रहे थे. पिता पुत्र की नजरें मुझ पर ही थीं उनके मन मे क्या भाव थे ये तो वही जानते होंगे पर मेरी वासना जागृत थी. मदन भैया की नजरें मेरे चेहरे के भाव आसानी से पढ़ लेतीं थीं. वह खुश दिखाई पड़ रहे थे.

खाना खाने के बाद मदन भैया सोने चले गए और मैं राहुल के बिस्तर पर लेटकर. उससे बातें करने लगी. राहुल ने कहा

"बुआ आज आप बहुत सुंदर लग रही हो"

मैंने उसके गाल पर मीठी सी चपत लगाई और कहा

"नॉटी बॉय, बुआ में सुंदरता ढूंढते हो."

वह मुस्कुराने लगा

"नहीं बुआ मेरा वह मतलब नहीं था.आज आप सच में सुंदर लग रही हो"

मैंने यह बात जान ली थी नारी की सुंदर और सुडौल काया सभी को सुंदर लगती है चाहे वह पुरुष हो या स्त्री या फिर समलैंगिक.

मैंने उसे अपने आलिंगन में ले लिया मेरे कठोर स्तन उसके सीने से सटते गए और मेरे शरीर में एक सनसनी सी फैलती गयी. मेरे स्तनों और कठोर निप्पलों का स्पर्श निश्चय ही उसे भी महसूस हुआ होगा. वह थोड़ा असहज हुआ पर उसने अपनी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. हम फिर बातें करने लगे.

कुछ देर में मैं जम्हाई लेते हुए सोने का नाटक करने लगी. मेरी आंखें बंद थी पर धड़कन तेज. मदन भैया जैसा समझदार पुरुष कामवासना के लिए आतुर स्त्री की यह अवस्था तुरंत पहचान जाता पर राहुल मासूम था.

मैंने अपनी नाइटी को इस प्रकार व्यवस्थित कर लिया था जिससे मेरे स्तनों का ऊपरी भाग स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ रहा था. मैं राहुल की नजरों को अपने शरीर पर महसूस करना चाह रही थी पर वह अपने मोबाइल में कोई किताब पढ़ने में व्यस्त था.

कुछ देर पश्चात वह उठकर बाथरूम की तरफ गया इस बीच मैंने अपने शरीर पर पड़ी हुई चादर हटा दी. नाइटी को खींचकर मैंने अपनी जांघों तक कर लिया था स्तनों का ऊपरी भाग अब स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ रहा था. कमरे में लाइट जल रही थी मेरी नग्नता उजागर थी.

राहुल बाथरूम से आने के बाद मुझे एकटक देखता रह गया. वह मेरे पास आकर मेरी नाइटी को छू रहा था. कभी वह नाइटी को नीचे खींच कर मेरे घुटनों को ढकने का प्रयास करता कभी वापस उसी अवस्था में ला देता. मैं मन ही मन मुस्कुरा रही थी. उसके मन में निश्चय ही दुविधा थी.

अंततः राहुल ने नाइटी को ऊपर तक उठा दिया. मेरी जांघों के जोड़ तक पहुंचते- पहुंचते उसके हाथ रुक गए. इसके आगे जाने की न वह हिम्मत नहीं कर पा रहा था न ही यह संभव था नाइटी मेरे फूल जैसे कोमल नितंबों के भार से दबी हुई थी.

मेरी नग्न और गोरी मखमली जाँघे उसकी आंखों के सामने थीं. वह मुझे बहुत देर तक देखता रहा और फिर आकर मेरे बगल में लेट गया. मैं मन ही मन खुश थी. राहुल की मनोदशा मैं समझ पा रही थी. 

कुछ ही देर में राहुल ने अपना मोबाइल रख दिया और पीठ के बल लेट कर सोने की चेष्टा करने लगा.

मैंने जम्हाई ली और अपने दाहिनी जांघ को उसकी नाभि के ठीक नीचे रख दिया. वह इस अप्रत्याशित कदम से घबरा गया.

"बुआ, ठीक से सो जाइए" उसकी आवाज मेरी कानों तक पहुंची पर मैंने उसे नजरअंदाज कर दिया. अपितु मैंने अपने स्तनों को उसके सीने से और सटा दिया मेरी दाहिनी बांह अब उसके सीने पर थी. और मेरा चेहरा उसके कंधों से सटा हुआ था.

मैं पूर्ण निद्रा में होने का नाटक कर रही थी. वह पूरी तरह शांत था. उसकी नजरें मेरे स्तनों पर थी जो उसके सीने से सटे हुए थे. हम दोनों कुछ देर इसी अवस्था में रहे राहुल धीरे-धीरे सामान्य हो रहा था.

मैंने अपनी दाहिनी जांघ को नीचे की तरफ लाया मुझे पहली बार राहुल के लिंग में कुछ तनाव महसूस हुआ. मेरी कोमल जांघों ने उस कठोरता का महसूस कर लिया. जांघों से उसके आकार को महसूस कर पाना कठिन था पर उसका तनाव इस बात का प्रतीक था कि आज मेरी मेहनत रंग लाई थी.

मैं कुछ देर तक अपनी जांघ को उसके लिंग के ऊपर रखी रही और बीच-बीच में अपनी जांघों को ऊपर नीचे कर देती. राहुल के लिंग का तनाव बढ़ता जा रहा था. मेरे लिए बहुत ही खुशी की बात थी.

कुछ देर इसी अवस्था में रहने के बाद मैंने राहुल के हाथों को अपनी पीठ पर महसूस किया वह मेरी तरफ करवट ले चुका था मैं अब उसकी बाहों में थी मेरे दोनों स्तन उसके सीने से सटे हुए थे और उसके लिंग का तनाव मेरे पेट पर महसूस हो रहा था. मेरी रानी प्रेम रस से पूरी तरह भीगी हुई थी और मैं मन ही मन में संभोग के आतुर थी.

मुझे पता था मेरी जल्दीबाजी बना बनाया खेल बिगाड़ सकती थी. आज हम दोनों के बीच जितनी आत्मीयता बड़ी थी वह काफी थी. मैं राहुल को अपनी आगोश में लिए हुए सो गयी.

#

सुबह राहुल मेरे उठने से पहले ही उठ चुका था. उसने मेरी नाइटी व्यवस्थित कर दी थी मेरा पूरा शरीर ढका हुआ था. निश्चय ही यह काम राहुल ने किया था. उसे नारी शरीर की नग्नता और ढके होने का अंतर समझ आ चुका था.

"बुआ उठिए ना, मैं आपके लिए चाय बना कर लाया हूँ." राहुल मुझसे प्यार से बातें कर रहा था. 

कुछ ही देर में मदन भैया आ गए. मेरा मन कह रहा था कि मैं मदन भैया को अपनी पहली विजय के बारे में बता दूं पर मैंने शांत रहना ही उचित समझा कि अभी दिल्ली दूर थी.

##
[+] 2 users Like usaiha2's post
Like Reply
#35
Heart 
अगले कुछ दिन मैने राहुल के साथ कोई कामुक गतिविधि नहीं की. मैं उसमें पनप रही उत्तेजना को बढ़ता हुआ देखना चाह रही थी. वह मुझसे प्यार से बातें करता और उसके चेहरे पर खुशी स्पष्ट दिखाई पड़ती. मैंने उसके साथ रात को सोना बंद कर दिया था. उसकी आंखों में आग्रह दिखाई पड़ता पर वह खुलकर नहीं बोल सकता था उसकी अपनी मर्यादा या थी मेरी अपनी.


#

सुमन आज दो दिन के लिए घर आयी थी. आज राहुल के चेहरे पर खुशी स्पष्ट दिखाई पड़ रही थी. वह दोनों आपस में काफी घुलमिल गए थे जब तक सुमन घर में थी मैं राहुल से दूर ही रही. सुमन जब राहुल के पास रहती उसके चेहरे पर भी एक अलग ही खुशी दिखाई पड़ती. मुझे मन ही मन ऐसा प्रतीत होता जैसे वह राहुल को प्यार करने लगी है. उसे शायद यह आभास भी नहीं था कि राहुल समलैंगिक है. 

मैंने उन दोनों को एक साथ छोड़ दिया सुमन का साथ राहुल के पुरुषत्व को जगाने में मदद ही करता. वह दोनों जितना करीब आते मेरा कार्य उतना ही आसान होता आखिर सुमन भी मेरी पुत्री थी उतनी ही सुंदर और पूर्ण यौवन से भरी हुई.

##

अगले दिन सुमन के हॉस्टल जाते ही राहुल फिर उदास हो गया. 

शाम को उसने मुझसे कहा बुआ आप मेरे पास ही सो जाइएगा. उसका यह खुला आमंत्रण मुझे उत्तेजित कर गया. मैंने मन ही मन आगे बढ़ने की ठान ली.

एक बार फिर मैं उसी तरह सज धज कर राहुल के पास पहुंच गयी. आज पहनी हुई नाइटी का सामने का भाग दो हिस्सों में था जिसे एक पतले पट्टे से बांधा जा सकता था तथा खोलने पर नाइटी सामने से खुल जाती और छुपी हुयी नग्नता उजागर हो जाती. राहुल मुझे देख कर आश्चर्यचकित था . 

उसने कहा "बुआ, आज तो आप तो आप परी जैसी लग रहीं है. यह ड्रेस आप पर बहुत अच्छी लग रही है"

मैंने मुस्कुराते हुए कहा "आजकल तुम मुझ पर ज्यादा ही ध्यान देते हो" 

वह भी मुस्कुरा दिया.

हम दोनों बातें करने लगे सुमन के बारे में बातें करने पर उसके चेहरे पर शर्म दिखाई पड़ती. वह सुमन के बारे में बाते करने से कतरा रहा था. 

कुछ ही देर में मैं एक बार फिर सोने का नाटक करने लगी

एक बार फिर राहुल बाथरूम की तरफ गया उसके वापस आने से पहले मैंने अपनी नाइटी की की बेल्ट खोल दी. नाइटी का सामने वाला हिस्सा मेरे शरीर पर सिर्फ रखा हुआ था. मैरून रंग की नाइटी के बीच से मेरी गोरी और चमकदार त्वचा एक पतली पट्टी के रूप में दिखाई पड़ रही थी. मैने अपनी रानी को अभी भी ढक कर रखा था.

राहुल बाथरूम से वापस आ चुका था. मैं होने वाली कयामत का इंतजार कर रही थी. उसकी निगाहें मेरे नाभि और स्तनों पर घूम रही थी दोनों स्तनों का कोमल उभार नाइटी के बीच से झांक रहे थे और अपने नए प्रेमी को स्पर्श का खुला आमंत्रण दे रहे थे.

राहुल से अब और बर्दाश्त नहीं हुआ. उसने नाइटी को फैलाना शुरू कर दिया जैसे-जैसे वह नाइटी के दोनों भाग को अलग करता गया मेरे स्तन खुललकर बाहर आते गए. शरीर का ऊपरी भाग नग्न हो चुका था राहुल मुझे देखता जा रहा था कुछ ही देर में मेरी जाँघे भी नग्न हो गयीं मेरी योनि को नग्न करने का साहस राहुल नहीं जुटा पाया और कुछ देर मेरी नग्नता का आनद लेकर मन में उत्तेजना लिए हुए मेरे बगल में आकर लेट गया.

उसने चादर ऊपर खींच ली उसकी सांसे तेज चल रही थी. आगे बढ़ने की अब मेरी बारी थी मैंने एक बार फिर अपनी जांघों से उसके लिंग को महसूस किया उसका तनाव आज और भी ज्यादा था. 

कुछ देर अपनी जांघों से उसे सहलाने के बाद मैंने अपनी हथेलियां उसके लिंग पर रख दीं. मैंने बिना कोई बात किये उसके पजामे का नाड़ा ढीला कर दिया. हम दोनों का शरीर चादर के अंदर था सिर्फ राहुल का सर बाहर था.

मैंने अपनी हथेलियों से उसके लिंग को बाहर निकाल लिया लिंग का आकार मुझे मदन भैया के जैसा ही महसूस हुआ. मेरे हाथों में आते ही उसके लिंग में तनाव बढ़ता गया. मुझे खुशी हुयी मेरी हथेलियों का जादू आज भी कायम था. राहुल की धड़कनें तेज थीं. मेरे कान उसके सीने से सटे हुए उसकी धड़कन सुन रहे थे.

मेरी जाँघें उसकी जांघों पर आ चुकीं थीं. मेरी नग्नता का एहसास उसे हो रहा था. मेरी उंगलियों के कमाल ने राहुल के लिंग को पूर्ण रूप से उत्तेजित कर दिया था. मेरे थोड़े ही प्रयास से राहुल स्खलित हो सकता था. मैंने इस स्थिति को और कामुक बनाना चाहा. मैंने उसके कुरते को अपने हाथों से ऊपर कर उसके सीने को नग्न कर दिया और अपने नग्न स्तनों को उसके सीने से सटा दिया.

मेरी उत्तेजना भी चरम पर पहुंच रही थी. मेरी रानी (चूत) उसकी नग्न जाँघों से छू रही थी. मेरी वासना उफान पर थी. मेरी रानी (योनि) लगातार प्रेम रस बहा रही थी. अपने स्तनों की कठोरता और सिहरन महसूस कर मैं स्वयं भी अचंभित थी.

यह में मुझे मेरी किशोरावस्था की याद दिला रहे थे. मैं चाह रही थी कि राहुल स्वयं अपने हाथ बढ़ाकर उसे पकड़ ले पर राहुल शांत था. 

कुछ ही देर में राहुल ने मेरी तरफ करवट ली मेरे दोनों स्तन उसके सीने से टकरा रहे थे. उसकी हथेलियां मेरी नंगी पीठ पर घूम रहीं थी .

मेरी उंगलियों ने उसके लिंग को सहलाना जारी रखा कुछ ही देर में मुझे राहुल के लिंग का उछलना महसूस हुआ. मेरे स्तनों पर वीर्य की धार पड़ रही थी राहुल स्खलित हो रहा था. मैंने सफलता प्राप्त कर ली थी राहुल का पुरुषत्व जागृत हो चुका था.

उसने अभी तक मेरे यौनांगों को स्पर्श नहीं किया था पर आज जो हुआ था यह मेरी उम्मीद से ज्यादा था.

अपनी रानी (चुत) की उत्तेजना मुझसे स्वयं बर्दाश्त नहीं हो रही थी. मैं भी स्खलित होना चाहती थी. मैंने राहुल का एक पैर अपने दोनों जांघों के बीच ले लिया तथा अपनी रानी (बूूूर) को उसकी जांघों पर रगड़ने लगी. 

मेरे कमर की हलचल को राहुल ने महसूस कर लिया वो मुझे आलिंगन से लिए हुए अपनी मजबूत बाहों का दबाव बढ़ता गया. यह एक अद्भुत एहसास था. मेरी सांसे तेज हो गई और मेरी रानी (वजाइना) ने कंपन प्रारंभ कर दिये मेरा यह स्खलन अद्भुत था. हम दोनों उसी अवस्था मे सो गए.

मैं बहक रही थी. राहुल का पुरुषत्व जाग्रत करते करते मेरी रानी (चुत) सम्भोग के लिए आतुर हो चुकी थी. कभी कभी मुझे शर्म भी आती की मैं यह क्या कर रही हूँ? 

राहुल ने अपना वीर्य स्खलन कर लिया था यह स्पष्ट रूप से इंगित करता था कि उसका पृरुषत्व जागृत हो चुका है. मेरा कार्य हो चुका था पर अब मैं स्वयं अपनी रानी (बूर) की कामेच्छा के आधीन हो चुकी थी.

मेरे मन में अंतर्द्वंद चल रहा था एक तरफ राहुल जो मेरे बच्चे की उम्र का था जिसके साथ कामुक गतिविधियां सर्वथा अनुचित थीं दूसरी तरफ मेरी रानी (योनि) संभोग करने के लिए आतुर थी.

पर मैंने खुद कि उमंगों को नियंत्रित करा।

##



अगले तीन-चार दिनों तक में राहुल से दूर ही रही. वह बार-बार मेरे करीब आना चाहता. उसने मुझसे फिर से रात में सोने की गुजारिश की पर मैने टाल दिया.मैं जानती थी की राहुल का पुरुषत्व अब जाग चुका है मेरे और करीब जाने से संभोग का खतरा हो सकता है.



#



इसी दौरान सुमन के कॉलेज में छुट्टियां थीं. वो घर आयी हुयी थी. राहुल और सुमन के बीच में नजदीकियां बढ़ रहीं थीं. वह दोनों एक दूसरे से खुलकर बातें करते बाहर घूमने जाते और खुशी-खुशी वापस आते. ऐसा लग रहा था जैसे सुमन और राहुल करीब आ चुके थे.



#



मैंने अपने कामुक प्रसंग को यहीं रोकना उचित समझा. मैने मदन भैया से सब कुछ खुलकर बता दिया. वह अत्यंत खुश हो गए उन्होंने मुझे अपनी गोद में उठा लिया ठीक उसी प्रकार जैसे वह मेरे विवाह से पूर्व मुझे उठाया करते थे, आज उनकी बाहों में मुझे फिर से उत्तेजना महसूस हुई थी. वह बहुत खुश दिखाई पड़ रहे थे. 



उन्होंने कहा "मानसी, लगता है दिव्यपुरुष की बात के अनुसार राहुल ही वह व्यक्ति है जिसके साथ संभोग करते समय तुम्हारी योनि को एक कुंवारी योनि की तरह बर्ताव करना है? क्या सच में तुममें कुंवारी कन्या की तरह उत्तेजना जागृत हो रही है?



मदन भैया द्वारा याद दिलाई गई बातें सच थीं. जब से मैंने राहुल के साथ कामुक क्रियाकलाप शुरू किए थे मेरे स्तनों की कठोरता और मेरी योनि की संवेदना में अद्भुत वृद्धि हुयी थी. मेरी यह योनि पिछले कई वर्षों से मदन भैया और अपने पति के राजकुमार(लिंग) से अद्भुत प्रेम युद्ध करने के पश्चात स्खलित होती थी पर उस दिन वह राहुल की जांघों से रगड़ खा कर ही स्खलित हो गई थी. यह आश्चर्यजनक और अद्भुत था.



क्या सच में मुझे राहुल से संभोग करना था? क्या उससे संभोग करते समय मुझे कौमार्य भंग होने का सुख और दुख दोनों मिलना बाकी था?. क्या उसके पश्चात मेरी योनि एक नवयौवना की तरह बन जाएगी? यह सारी बातें मेरे दिमाग में घूम रही थीं.



मदन भैया भी शायद वही याद कर रहे थे. इन बातों के दौरान मैंने मदन भैया के राजकुमार में तनाव महसूस किया. मेरी हथेलियों का स्पर्श पाते ही वह पूर्ण रुप से तनाव में आ चुका था. नियती अद्भुत ताना-बाना बुन रही थी.



बाहर दरवाजे की घंटी सुनकर हम दोनों अलग हुए. सुमन घर आ चुकी थी. प्रकृति ने हम चारों के बीच एक अजीब सी स्थिति पैदा कर दी थी.



##



दोपहर में चंडीगढ़ से फोन आया. मेरी सास की तबियत खराब हो गयी थी. मुझे कल ही चंडीगढ़ वापस जाना था.



यह सुनते ही सभी दुखी हो गये. राहुल के चेहरे पर उदासी स्पष्ट दिखाई पड़ रही थी वह मेरे चंडीगढ़ जाने की खबर से दुखी था. खाना खाने के पश्चात वह मेरे पास आया और आंखों में आंसू लिए हुए बोला



"बुआ मुझे आज अच्छा नहीं लग रहा है क्या मेरी खुशी के लिए आज तुम मेरे पास सो सकती हो?"



उसके आग्रह में वात्सल्य रस था या कामरस यह कहना कठिन था. 



सुमन घर पर ही थी. सामान्यतः मैं और सुमन एक ही कमरे में सोते थे सुमन की उपस्थिति में उसे छोड़कर राहुल के कमरे में जाना कठिन था.



मैंने टालने के लिए कह दिया



"ठीक है, कोशिश करुंगी"



##



रात में सुमन मेरे पास सोयी हुई थी. वह खोयी खोयी थी. 



मैंने उससे पूछा "तू आज कल खोयी खोयी रहती है क्या बात है?" 



सुमन के पिता की मृत्यु के बाद मैं और सुमन एक दूसरे के साथी बन गए थे वह मुझसे अपनी बातें खुलकर बताती थी.



"कुछ नहीं माँ"



"बता ना, इसका कारण राहुल है ना?"



वह मुझसे लिपट गयी. उसके चेहरे पर आयी शर्म की लाली ने उसकी मनोस्थिति स्पष्ट कर दी थी. उसने अपना चेहरा मेरे स्तनों में छुपा लिया.



#



अगली सुबह मेरे जाने का वक्त आ चुका था. मदन भैया मेरा सामान लेकर दरवाजे पर बाहर खड़े थे सुमन और राहुल मेरे पास आए उन दोनों ने मेरे चरण छुए यह एक संयोग था या प्रकृति की लीला दोनों ने मेरे पैर एक साथ छूये. 



मैंने आशीर्वाद दिया "दोनों हमेशा खुश रहना और एक दूसरे का ख्याल रखना"



मदन भैया यह दृश्य देख रहे थे.



कुछ देर में उनकी कार एयरपोर्ट की तरफ सरपट दौड़ रही थी. वह मुझसे कुछ पूछना चाहते थे पर असमंजस में थे. मैं बेंगलुरु शहर को निहार रही थी. इस शहर से मेरी कई यादें जुड़ी थी. मैंने इसी शहर में अपना कौमार्य खोया था और कल रात फिर एक बार…. 



टायरों के चीखने से मेरी तंद्रा टूटी एयरपोर्ट आ चुका था. मैं मदन भैया की आंखों में देख रही थी उनकी आंखों में अभी भी प्रश्न कायम था. मैंने उनके चरण छुए और एयरपोर्ट के अंदर दाखिल हो गई.

Heart



कहानी अब मदन कि कलम से



"मैं मदन"



मानसी जा चुकी थी मेरी आंखों में आंसू थे. पिछले कुछ महीनों में मुझे मानसी की आदत पड़ चुकी थी. मानसी ने राहुल में पृरुषत्व जगाने की जो कोशिश की थी वह सराहनीय थी.



ट्रैफिक कम होने के कारण मैं घर जल्दी पहुंच गया. दरवाजे पर पहुंचते ही मुझे सुमन की आवाज आई



"राहुल भैया कपड़े पहन लेने दीजिए फूफा जी आते ही होंगे"



"बस एक बार और दिखा दो राहुल की आवाज आई"



"बाकी रात में" सुमन ने हंसते हुए कहा.



उन दोनों की हंसी ठिठोली की आवाज साफ-साफ सुनाई दे रही थी. मैंने घंटी बजा कर उनकी रासलीला पर विराम लगा दिया था. मुझे इस बात की खुशी थी कि राहुल किसी लड़की से अंतरंग हो रहा था. मानसी को मैं दिल से याद कर रहा था.



तभी मोबाइल पर मानसी का मैसेज आया.





Heart

 



कहानी अब मानसी कि कलम से



(मैं मानसी)



उस रात सुमन का मन पढ़ने के बाद मैंने राहुल को सुमन के लिए मन ही मन स्वीकार कर लिया. मेरे मन मे प्रश्न अभी भी कायम था क्या राहुल सुमन को वैवाहिक सुख देने में सक्षम था? मेरे लिए यह जानना आवश्यक था.



उस रात मैंने साड़ी और ब्लाउज पहना था उत्तेजक नाइटी पहनने का कोई औचित्य नहीं था।



सुमन घर पर ही थी. उसके सोने के बाद मैं मन में दुविधा लिए राहुल के पास आ गई. मैने कमरे की बत्ती बुझा दी.



बिस्तर पर लेटते ही राहुल ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया और रूवासे स्वर में बोला



"बुआ आपने मेरे लिए क्या किया है आपको नहीं पता , आपने अपने स्पर्श से मुझ में उत्तेजना भर दी है.आपके स्पर्श में जादू है. उस दिन मेरा लिंग आपके हाथों पहली बार स्खलित हुआ था. मेरे लिए आप साक्षात देवी हैं जिन्होंने मुझमें विपरीत लिंग के प्रति उत्तेजना दी है." 



मैं उसकी बातों से खुश हो रही थी उधर उसकी हथेलियां मेरे स्तनों पर घूम रही थीं. मेरे स्तनों की कठोरता चरम पर थी और मुझे किशोरावस्था की याद दिला रही थी. उसके स्पर्श से मेरे शरीर मे सिहरन हो रही थी.



धीरे धीरे मेरी साड़ी मेरे शरीर से अलग होती गयी. वह मुझे प्यार करता रहा और मेरे प्रति अपनी कृतज्ञता जाहिर करता रहा. जब भी मैं कुछ बोलने की कोशिश करती वह मेरे होठों को चूमने लगता. वह अपने क्रियाकलाप में कोई विघ्न नहीं चाहता था.



कुछ ही देर में मैं बिस्तर पर पूरी तरह नग्न थी. उसने अपने कपड़े कब उतार लिए यह मैं महसूस भी नहीं कर पायी मैं स्वयं इस अद्भुत उत्तेजना के आधीन थी. उसके आलिंगन में आने पर मुझे उसके लिंग का एहसास अपनी जांघों के बीच हुआ. लिंग पूरी तरह तना हुआ था और संभोग के लिए आतुर था.



हमारा प्रेम अपनी पराकाष्ठा पर था. मेरे स्तनों पर उसकी हथेलियों के स्पर्श ने मेरी रानी (चूत) को स्खलन के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया था. मुझसे भी अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था. धीरे-धीरे राहुल मेरी जांघों के बीच आता गया उसके लिंग का स्पर्श अपनी योनि पर पाते ही मैं सिहर गयी…



मैंने कहा…



"क्या तुम सुमन से प्यार करते हो?"



"हां बुआ, बहुत ज्यादा"



"फिर यह क्या है?"मैंने उसे चूमते हुए कहा



"आपने मुझे इस लायक बनाया है कि मैं सुमन से प्यार कर सकूं. मैं अपने से प्यार से न्याय कर पाऊंगा या नही इस प्रश्न का उत्तर इस मिलन के बाद शायद आप ही दे सकतीं हैं"



राहुल भी मदन भैया की तरह बातों का धनी था. मैं उसकी बातों से मंत्रमुग्ध हो गई. जैसे-जैसे मेरे होंठ उसे चूमते गए उसका राजकुमार मेरी योनि में प्रवेश करता गया 



एक बार फिर मेरे चेहरे पर दर्द के भाव आये पर राहुल मुझे प्यार से सहलाता रहा राहुल का लिंग मेरे गर्भाशय को चूमता हुआ अपने कद और क्षमता का एहसास करा रहा था. मैं तृप्त थी. उसके कमर की गति बढ़ती गयी मुझे मदन भैया के साथ किए पहले सम्भोग की याद आ रही थी. राहुल के इस अद्भुत प्यार से मेरी रानी जो आज राजकुमारी (कुवांरी योनि) की तरह वर्ताव कर रही थी शीघ्र ही स्खलित हो गयी.



राहुल कुछ देर के लिए शांत हो गया. मैं उसे चूम रही थी. मैंने कहा...



"मुझे एक वचन दो"



"बुआ मैं आपका ही हूँ आप जो चाहे मुझसे मांग सकती है"



"मैं तुम्हे सुमन के लिए स्वीकार करती हूँ. मुझे विश्वास है तुम सुमन का ख्याल रखोगे. तुम दोनों एक दूसरे को जी भर कर प्यार करो पर मुझे वचन दो कि तुम सुमन के साथ प्रथम सम्भोग विवाह के पश्चात ही करोगे"



"और आपके साथ" उसके चेहरे पर कामुक मुस्कान थी.



"मैं मुस्कुरा दी" मेरी मुस्कुराहट ने उसे साहस दे दिया वह एक बार फिर सम्भोग रत हो गया 



कुछ ही देर में हम दोनो स्खलित हो रहे थे. राहुल ने अपने वीर्य से मुझे भिगो दिया मैं बेसुध होकर हांफ रही थी.



##



तभी मधुर आवाज में अनाउंसमेंट हुई..



"फाइनल कॉल टू चंडीगढ़" मैं अपनी कल रात की यादों से बाहर आ गयी. मैने अपना सामान उठाया और बोर्डिंग के लिए चल पड़ी. जाते समय मैंने मदन भैया को मैसेज किया



"आपकी मानसी ने उस दिव्यपुरुष की भविष्यवाणी को सच कर दिया है. यह सम्भोग एक बार फिर एक कामकला के पारिखी के साथ हुआ है. मैं उसे अपने दामाद के रूप में स्वीकार कर चुकी हूँ आशा है आप भी इस रिश्ते से खुश होंगे."



मैं अपनी भावनायें तथा जांघो के बीच रिस रहे प्रेमरस को महसूस करते हुए चंडीगढ के लिए उड़ चली.



चंडीगढ़ उतरकर मैने मदन भैया का मैसेज पढ़ा...



"मानसी तुम अद्भुत हो मैं तुम्हें अपनी समधन के रूप में स्वीकार करता हूं उम्मीद करता हूँ कि हम जीवन भर साथ रहेंगे. अब तो तुम्हारी जिम्मेदारियां भी खत्म हो गयी है अब हमेशा के लिए बैंगलोर आ जाओ तुम्हारी प्रतीक्षा में…."



मैं मन ही मन मुस्कुरा रही थी. मेरी सास स्वर्गसिधार चुकी थीं। अब चंडीगढ़ में मेरी सिर्फ यादें बचीं थी जिन्हें संजोये हुए कुछ दिनों बाद मैं बेंगलुरु आ गई. 



मेरे आने के बाद सुमन हॉस्टल से मदन भैया के घर में आ गई. राहुल और सुमन हम दोनों की प्रतिमूर्ति थे उनका अद्भुत प्रेम हमारी नजरों के नीचे परवान चढ़ रहा था. 



उनके प्रेम को देखकर मैं और मदन भैया एक बार फिर एक दूसरे के करीब आ गए थे. राहुल से संभोग के उपरांत मेरी योनि और उत्तेजना नवयौवनाओं की तरह हो चुकी थी. मदन भैया के साथ मेरी राते रंगीन हो गई वह आज भी उतने ही कामुक थे.


हमारे रिश्ते बदल चुके थे. हम सभी अपनी अपनी मर्यादाओं में रहते हुए अपने साथीयों के साथ जीवन के सुख भोगने लगे.


समाप्त
[+] 2 users Like usaiha2's post
Like Reply
#36
[Image: FB-IMG-1619833472262.jpg]
[+] 2 users Like usaiha2's post
Like Reply
#37
[Image: FB-IMG-1619833491167.jpg]
[Image: FB-IMG-1619833494250.jpg]
[Image: FB-IMG-1619833488252.jpg]
[Image: FB-IMG-1619833481765.jpg]
[Image: FB-IMG-1619833485144.jpg]
[Image: FB-IMG-1619833476970.jpg]
[+] 2 users Like usaiha2's post
Like Reply
#38
Heart 
Heart
मकान मालकीन और ऊसका कीराएदार

मम्मी मुझे कल कॉलेज की फीस जमा करनी है।

( गीले बालों को टावेल से साफ करते हुए रितु बोली।)

मुझे पता है बेटा तो बिल्कुल भी चिंता मत कर मैं इंतजाम कर दूंगी।( आटा गूंथते हुए सुधा बोली,,, इतना सुनकर रीतु मुस्कुराते हुए सुधा को पीछे से अपनी बाहों में पकड़ कर सुधा के गालों को चूमने लगी, और सुधा को दुलार करते हुए बोली।)

ओह मम्मी मुझे मालूम था कि तुम फीस का बंदोबस्त जरूर करके रखी होगी मुझे तुम पर पूरा भरोसा है।

अरे मैं अपनी लाडली बिटिया के लिए क्या इतना भी नहीं कर सकती।
( सुधा प्यार से ऋतु की नाक को पकड़ हल्के से हिलाते हुए बोली लेकिन इतना करने की वजह से हाथ में लगा आटा उसकी नाक पर लग गया और इस बात का एहसास होते ही सुधा घबराते हुए बोली।


मुझे माफ करना रितु तेरी नाक पर आटा लग गया,,,

कोई बात नहीं मम्मी मैं अभी जाकर इसे साफ कर लेती हूं।
( इतना कहकर रितु बाथरूम की तरफ चली गई,, और सुधा का चेहरा जो अब तक खुशहाल नजर आ रहा था ऊस खुशहाल चेहरे पर चिंताओं की लकीरें साफ नजर आने लगी। और सुधा का चिंता करना जायज था क्योंकि अच्छी तरह से जानती थी कि जिस शब्द को वह इतनी आसानी से कह गई थी उसे पूरा करने में जमीन आसमान एक कर देना पड़ेगा। फीस के पैसे इकट्ठा करने हैं मैं सुधा को काफी मशक्कत उठानी पड़ेगी यह बात वह अच्छी तरह से जानती थी लेकिन वह रितु को बिल्कुल भी परेशान नहीं होने देना चाहती थी इसलिए उसके सामने बिल्कुल भी चिंता व्यक्त नहीं की क्योंकि वह जानती थी कि इस दुनिया में रितु के सिवा उसका दूसरा कोई नहीं था। पति का देहांत 7 साल गुजर चुके थे तब से लेकर आज तक वास कपड़े से लेकर इधर उधर छूट तक काम करके घर खर्च चला रही थी। यह मुसीबत तो हमेशा की थी लेकिन मकान का किराया अभी जाने की वजह से उसकी मुसीबत कम हो जाती थी लेकिन कुछ महीनों से उसका मकान भी खाली पड़ा था जिससे उस की आवक कम हो चुकी थी। मकान का किराया आ जाने की वजह से उसका खर्चा अच्छी तरह से चल जा रहा था भले ही थोड़ी बहुत मुसीबत उठाना पड़ रहा था लेकिन कॉलेज की फीस और राशन खर्च चल जा रहा था।
और यही सब खर्चे पूरा करना उसके लिए भारी पड़ रहा था यही सब सोचते हुए वह आटा गुंथ रही थी कि तभी, रितु की आवाज सुनकर उसकी तंद्रा भंग हुई।

मम्मी मुझे कॉलेज के लिए देर हो रही है नाश्ता तैयार हो गया क्या।,,,
( कलाई में घड़ी की बेल्ट बांधते हुए रितु बोली।)

हां बेटा मैंने नाश्ता तैयार कर दिया है यह लो (नाश्ते की प्लेट रितु को पकड़ाते हुए)
जल्दी से नाश्ता कर लो।

मम्मी तुम बहुत प्यारी हो।( नाश्ते की प्लेट को पकड़ते हुए रितु बोली और जवाब में सुधा भी मुस्कुरा दी। थोड़ी ही देर में नाश्ता करके रितु अपना बैग और पर्स उठा कर घर से बाहर की तरफ जाने लगी,,, तो सुधा भी उसे दरवाजे तक छोड़ने के लिए पीछे पीछे आ गई।
रितु अपनी मम्मी को बाय करके जाने लगी और सुधा खड़ी होकर उसे जाते हुए देखती रही सुधा की नजर रीतु के खूबसूरत बदन और ऊपर से नीचे की तरफ दौड़ रही थी।
रितु के भरे बदन और खास करके उसके नितंबों के मांसल घेराव को देख कर सुधा समझते देर नहीं लगी कि उसकी बेटी अब पूरी तरह से जवान हो चुकी थी और अब उसकी शादी भी करनी थी। सुधा की चिंताओं का घोड़ा काफी दूर तक अपनी गस्त लगाता कि तभी अचानक कुकर की सीटी की आवाज सुनकर सुधा की तंद्रा भंग हुई और लगभग भागते हुए किचन की तरफ आई ।
[+] 1 user Likes usaiha2's post
Like Reply
#39
कुकर की सीटी की आवाज सुनकर सुधा किचन की तरफ लगभग भागते हुए गई थोड़ी ही देर में रसोई का काम निपटा कर वह कुछ देर तक कुर्सी पर बैठ कर अपनी बेटी के फीस के बारे में सोचने लगी कि कैसे वह कॉलेज की फीस का इंतजाम कर पाएगी उसे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था अगर उसने किराएदार को भगाया ना होता तो उसका इंतजाम हो जाता लेकिन सुधा खुद अपने किराएदार को घर खाली कर के चले जाने के लिए बोल दी थी इसका भी एक कारण था सुधा की उम्र लगभग बैतालीस के करीब ही थी,, इस उम्र में भी उसमें अपने बदन के बनावट को बिगड़ने नहीं देते उसके बदन पर हल्की सी चर्बी ज्यादा थी जिसे ज्यादा तो बिल्कुल भी नहीं कहा जा सकता था। बैतालीस की उम्र होने के बावजूद भी सुधा गजब की लगती थी, गोरी चिट्टी और अच्छी खासी लंबाई की वजह से उसके बदन की बनावट बेहद खूबसूरत और मादक लगती थी। उसकी एक ही संतान होने के वजह से उसके बदन की बनावट बिगड़ी नहीं थी। इस उम्र में भी वह अपनी ही बेटी की बड़ी बहन लगती थी जिस बात का रितु को भी गर्व होता था।

वह अपने किराएदार के बारे में सोच रही थी वैसे तो वह अच्छा ही था उसने कोई भी बुरी लत नहीं थी अपने समय पर काम पर जाता था और अपने समय पर घर वापस आ जाता था उसकी बीवी काफी समय से बीमार होने की वजह से बिस्तर पर ही पड़ी रहती थी। ऐसे में उसकी शारीरिक जरूरत पूरी नहीं हो पा रही थी।
वैसे भी सुधा के किराएदार ने अपने संस्कार और भोलेपन की वजह से सुधा और रितु के मन में अपने प्रति इज्जत की भावना जागृत कर चुका था। हालांकि उसके किराएदार के मन में भी अब तक सुधा और रितु को लेकर कोई भी गलत भावना नहीं थी। सुधा का किराएदार ऊपर के कमरे में रहता था और उसे सीढ़ियों से होकर जाना पड़ता था और सीढ़ियों के बगल में बाथरूम बना हुआ था और एक रोज सुधा बाथरूम में नहा रही थी जो कि गलती से दरवाजे की कड़ी लगाना भूल गई थी और उसी समय उसका किराएदार सीढ़ियों पर चढ़ते हुए बाथरूम में नहा रही सुधाकर उसकी नजर पड़ जाने की वजह से वह एकटक सुधा की खूबसूरत बदन को कामुक नजरों से देखने लगा और देखता भी कि नहीं आखिरकार सुधा भी तो अपनी आदत के अनुसार अपने बदन से सारे कपड़ों को उतारकर संपूर्ण नग्नावस्था में स्नान कर रही थी। सुधा का गोरा बदन पानी में भीग कर बेहद खूबसूरत हो चुका था जिसे देख कर उसका किराएदार पूरी तरह से मदहोश हो चुका था वह सीढ़ीयो पर चढ़ना भूल गया और सुधा के खूबसूरत नंगे बदन का रसपान अपनी आंखों से करने लगा नहाने में मसगुल सुधा को क्या पता था कि उसके नंगे बदन को उसका किराएदार ऊसको कामुक नजरों से घूर रहा है। वह तो मस्त होकर सब कुछ भूल कर अपनी ही मस्ती में अपनी बड़ी-बड़ी चुचियों को मसल मसल कर साबुन लगा रही थी और यही हरकत उसके किराएदार के मन मे कामभावना पैदा कर रही थी।
सुधा कि यह औपचारिक हरकत उसके किराएदार के लिए काम भावना प्रदीप्त करने का काम कर रही थी। पल भर में ही देखते देखते उसका किराएदार पूरी तरह से कामोत्जीत हो गया और मदहोश होकर बिना कुछ सोचे समझे बाथरूम की तरफ बढ़ने लगा और सीधे जाकर बाथरूम के दरवाजे के करीब खड़ा हो गया।
बाथरूम के दरवाजे पर इस तरह से अपने किराएदार को खड़ा हुआ देखकर सुधा पूरी तरह से घबरा गई उसे अपनी गलती का एहसास हो गया और वह रस्सी पर कड़ी चावल को एक झटके से खींच कर अपने बदन पर लपेट कर अपने नंगे बदन को छुपाने की नाकाम कोशिश करने लगी,,,, लेकिन सुधा की भरपूर जवानी बाढ़ के पानी की तरह की जौकी छोटे-मोटे मेड से रुकने वाली नहीं थी। इसलिए वह अपने बदन को संपूर्ण रूप से टावल की ओट में छुपा नहीं पा रही थी। कमर के नीचे जांघों के बीच की बेशकीमती खजाने को छुपाने की कोशिश करती तो भरपूर छातियां उजागर हो जाती थी और छातीयों को छुपाने की कोशिश करती तो बेशकीमती खजाना प्रदर्शित हो जाने का डर बना हुआ था। सुधा की हालत और उसकी शारीरिक भूगोल का नजारा उसके किराएदार के मन में काम भावना को संपूर्ण रूप से जागृत कर चुका था वह अपने आपे में नहीं था और काम भावना के नीहीत वह सुधा को जबरदस्ती अपनी बाहों में जकड़ ने का प्रयास करने लगा सुधा जो कि शर्म के मारे संकुचा रही थी इस तरह से अपनी इज्जत मान सम्मान पर खतरा आया देख कर एकाएक वह अपने किराएदार के गाल पर तमाचा जड़ दी इस एक तमाचे में उसके किराएदार का नशा काफूर हो गया और उसे अपनी गलती का एहसास हो गया वह माफी मांगने लगा लेकिन सुधा जो की जमाने की नजरों को अच्छी तरह से समझ चुकी थी और अच्छी तरह से जानती थी कि उसकी बेटी भी जवान हो चुकी है और इस तरह से ऐसे किराएदार का घर में रहना उन दोनों के लिए सही नहीं है इसलिए वह तुरंत ही उसे घर खाली कर देने के लिए बोल दी।
सुधा कुर्सी पर बैठे बैठे यही सब सोच रही थी काफी समय हो चुका था उसे नहाने भी जाना था इसलिए वह बेमन से कुर्सी पर से उठी और बाथरूम की तरफ जाने लगी,, कॉलेज की फीस की चिंता उसे सताए जा रही थी। ऐसी हालात में उसकी मदद उसकी सहेली शीला ही कर सकती थी। और वह उसके पास जाने का मन बना ली।
लेकिन उसे नहाना था ईसलिए बाथरूम में,,
घुस गई और बाथरूम में जाते ही उसने दरवाजे की कड़ी लगा दी। जब से उसके किराएदार वाला हादसा हुआ था तब से वह दरवाजे की कड़ी लगाना बिल्कुल भी बोलती नहीं थी और वह आदत के अनुसार ही अपने बदन पर से कपड़े हटाने लगी।
[+] 1 user Likes usaiha2's post
Like Reply
#40
धीरे-धीरे करके सुधा का बदन वस्त्र विहीन होने लगा वह अपने हाथों से अपनी साड़ी के पल्लू को कंधों से गिरा कर कमर में बंधी अपनी साड़ी को खोलने लगी,, और वहं अपनी साड़ी को वही नीचे रखदी,,, उसके खूबसूरत बदन पर से साड़ी के हटते ही उसकी बड़ी बड़ी गोलाकार चूचियां ब्लाउज के ऊपर से ही उभरी हुई नजर आने लगी जिसे देख कर अंदाजा लगाया जा सकता था कि सुधा की चूचियां बेहद शानदार और जानदार है। सुधा अपने हाथों से अपने ब्लाउज के बटन खोलने लगी जो की बड़ी मुश्किल से बंद की गई थी क्योंकि सुधा की चुचियों का आकार कुछ ज्यादा ही था जो कि उसकी ब्लाउज में ठीक से समा नहीं पाते थे, और इसी वजह से दोनों चुचियों के आपस में रगड़ खाने की वजह से बीच की लकीर कुछ ज्यादा ही लंबी और गहरी नजर आती थी जिस पर किसी का भी नजर पड़ने पर उसके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ जाती थी। अगले ही पल सुधा एक एक करके अपने ब्लाउज के सारे बटन खोल चुकी थी और उसे अपने वहां से निकाल कर उसे भी लेकर जमीन पर रख दी थी लाल रंग की ब्रा के अंदर सुधा की बड़ी-बड़ी चूचियां बिल्कुल भी छुप नहीं पा रही थी। आधी से ज्यादा चूचियां ब्रा के बाहर नजर आती थी। सुधा अपने हाथों को नीचे की तरफ ले जाकर अपने पेटीकोट की डोरी को खोलने लगी,,, और देखते ही देखते उसके कदमों में गिर गई अब उसके बदन पर मात्र ब्रा और पेंटी की बची थी जोंकि इस समय उसके गोरे बदन को और भी ज्यादा खूबसूरत बना रही थी। सुधा को अपनी सहेली सीला से मिलने की कुछ ज्यादा ही ऊतावल थी, इसलिए जल्दी से अपनी पैंटी को उतारने के लिए वह अपनी उंगलियों में अपनी पेंटि के दोनों छोर को फंसाई ही थी कि उसकी नजर पेंटी के
उस फटे हुए हिस्से पर गई जहां से उसकी बुर के घुंघराले बाल नजर आ रहे थे। सुधा कुछ सेकंड का कुछ हिस्से को पकड़ कर उसे देखती रही और मन ही मन दुखी हो रही थी क्योंकि बहुत दिनों से वह अपने लिए नई पेंटी खरीदना चाहती थी लेकिन खरीद नहीं पा रही थी। इसलिए इस तरह की फटी पेंटी पहनना उसके लिए मजबूरी बन चुकी थी। दुखी मन से वहां अपनी पैंटी को उतारने लगी और अगले ही पल वह अपनी मोटी चीकनी जांघों से होती हुई अपनी पेंटी को अपने पैरों से बाहर निकाल दी,,, बदन से पेंटीके दूर होते ही उसका खूबसूरत बदन चमकने लगा,, ना चाहते हुए भी औपचारिकता वस सुधा का हाथ ऊसकी जांघों के बीच पहुंच गया, और सुधा अपनी नाजुक उंगलियों से अपने झांटो की झुरमुटो को सहलाने लगी,,, जो कि इस समय काफी बड़े हो चुके थे,,, सुधा के बड़े हो चुके घुंघराले झांटो की वजह से सुधा की खूबसूरत बुर की खूबसूरती और भी ज्यादा शोभायमान हो जा रही थी।
झाटों की झुरमुटों के बीच की पतली दरार बेशक इस समय बिल्कुल भी नजर नहीं आ रही थी। देखते ही देखते सुधा ठंडी आह भरते हुए अपनी हथेली का दबाव अपनी बुर पर बढ़ा दी जिसकी वजह से उसके मुख से हल्की सेी आह निकल गई,,, और सुधा तुरंत उस संवेदनशील जगह से अपने हाथ को हटा ली। वह अपनी शारीरिक जरूरत को अपनी कमजोरी नहीं बनाना चाहती थी। इसलिए वहां जल्दी जल्दी अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ लाकर अपनी ब्रा के हुक को खोल दी,,
सुधा इस तरह से नंगी होकर नहा रही थी ।
[Image: 5ec89571ddffc.jpg]


सुधा नहा कर तैयार हो चुकी थी और नाश्ता करके अपनी सहेली शीला के घर चल दी।
[+] 1 user Likes usaiha2's post
Like Reply




Users browsing this thread: 1 Guest(s)